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कहानी का पहला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-1 Hindi sex stories
कहानी का तीसरा भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-3 Hindi sex stories
जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैंने देखा कि, मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था.
इतने में बुआ जी कमरे में आईं. मैंने झट से आँखें बंद कर लिया.
थोड़ी देर बाद आँख खोल कर देखा कि, बुआ जी की नज़र मेरे खड़े हुए मोटे लण्ड पर टिकी थीं. हैरत भरी निगाहों से मेरे लम्बे और मोटे लण्ड को देख रही थीं.
कुछ देर बाद उन्होंने आवाज दे कर कहा, रामू बेटा उठ जाओ, अब घर चलना है!
मैंने कहा, ठीक है! और उठकर बैठ गया मेरा लण्ड अब भी लुंगी से बाहर था.
बुआ जी मेरी ओर देखते हुए बोलीं, रामू बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या?
मैंने मुश्किल से कहा, नहीं तो बुआ जी क्यों क्या हुआ?
वो बोलीं, नीचे तो देखो! क्या दिख रहा है? जब मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड लुंगी से निकला हुआ था.
मैं शर्म से लाल हो कर अपना लण्ड चड्डी में छूपा लिया. ऐसा करते समय बुआ जी हँस रही थीं.
बुआ जी की चुदाई करने का हसीन मौंका
हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैंने कहा कि, मैं बाज़ार होकर आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 विस्की की बोतल ले आया.
जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे. मुझे आया देख कर बुआ जी ने आवाज दी, बेटा आकर खाना खालो.
मैं बोला, बुआ जी अभी भूख नहीं है थोड़ी देर बाद खा लूँगा.
फिर मैंने पूछा, माँ और सुमन कहाँ हैं? (क्योंकि माँ और सुमन ना तो रसोई घर में थे नहीं आँगन में थे)
बुआ जी ने कहा कि, हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन है! इसलिए भाभी और सुमर रिस्तेदार के यहाँ गए है और सुबह 5-6 बजे लौटेंगे.
मैंने कहा, ठीक है! बुआ जी अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूँ.
बुआ बोलीं, ठीक है! तुम आँगन में बैठो मैं वही खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विस्की पीने लगा.
करीब आधे घण्टे बाद बुआ जी खाना लेकर आईं, तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था.
बुआ ने मेरे लण्ड की तारीफ़ की
बुआ जी और मैं खाना खाने के बाद, हम दोनों बुआ जी कमरे में आ गए. मैंने पैंट और शर्ट निकाल कर लुंगी और बनियान पहन ली. बुआ जी भी साड़ी खोल कर केवल नाईटी पहनी हुई थीं.
जब बुआ जी खड़ी होकर पानी लाने गईं तो, मुझे उनके पारदर्शी नाईटी से उनका नक्शा दिखाई दिया.
उन्होंने नाईटी के अन्दर, ना तो ब्लाऊज़ पहना था ना ही पेटीकोट पहना था! इसलिए लाईट की रोशनी के कारण उनका जिस्म नाईटी से झलक रहा था.
जब वो पानी लेकर वापस आईं. हम बैठ कर बातें करने लगे.
बुआ जी: रामू, क्या तुम शहर में कसरत करते हो?
रामू: हाँ, बुआ जी रोज सुबह उठकर कसरत करता हूँ.
बुआ जी: इसलिए तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदरुस्त है.
क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो, खास तौर पर शरीर के निचले हिस्से पर?
रामू: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसो का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ!
बुआ जी: हाँ आज मैंने तुम्हारे शरीर के अलावा अन्दर का अंग भी दोपहर को देखा था, वाकईं काफ़ी मोटा लम्बा और तन्दरुस्त है! हर मर्दों का इस तरह का नहीं होता है.
बुआ जी की बात सुन कर मैं शर्म के मारे लाल हो गया. पूरे मकान में हम दोनों अकेले थे. और इस तरह की बाते कर रहे थें.
मैंने भी बुआ जी से कहा, बुआ जी आप भी बहुत सुन्दर हो! और आपका बदन भी सुडौल है.
बुआ जी: दींन मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढ़ाओ! तुमने तो अभी मेरा बदन पूरा तरह देखा ही कहाँ है?
मैंने बोला, आपने तो मुझे दिखाया ही नहीं? और मेरे शरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया!
इतना सुनते ही वो झट से बोलीं. मुझे कहाँ! अच्छी तरह से तुम्हारा नीचे का दर्शन हुआ.
चलो एक शर्त पर तुम्हें मेरे अंदरूनी भाग दिखा दूँगी, अगर तुम मुझे अपना नीचे का मस्त दिखाओगे तो!
बुआ की खुली नंगी चूत देखा
मैंने झट से लुंगी से लण्ड निकल कर उन्हें दिखा दिया. बुआ जी भी अपने वादे के अनुसार नाईटी ऊपर कर के अपनी चूत दिखा दीं, और मुस्कुराती बोलीं राजा बेटा खुश हो अब!
हाय! बड़ी जालिम चूत थी. चूत देखते ही मेरा लण्ड तन कर फड़फड़ाने लगा.
कुछ देर तक मेरे लण्ड की ओर देखने के बाद बुआ जी मेरे पास आईं, और झट से मेरी लुंगी खोल दीं.
फिर खड़े होकर अपनी नाईटी भी उतार दीं और नंगी हो गईं. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा.
जब मैं पलंग पर बैठ कर बुआ जी की मस्त रसीली चूची को देख रहा था, तो मारे मस्ती के मेरा लण्ड चूत की और मुँह उठाए उनकी चूत को सलामी दे रहा था.
बुआ जी ने लण्ड चूस जन्नत दिखाया
बुआ जी मेरी जाँघों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से मेरे लौड़े को सहलाने लगी. कुछ देर सहलाने के बाद अचानक! बुआ ने अपना सर नीचे झुका लिया और अपने रसीले होंठों से मेरे सुपाड़े को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया.
मैं एकदम चौंक गया! मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था की ऐसा होगा?
बुआ जी, यह क्या कर रही हो? मेरा लण्ड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है?
चूसने के लिए और किस लिए! तुम आराम से बैठे रहो और बस लण्ड चूसाई का मज़ा लो. एक बार चूसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.
बुआ जी मेरे लण्ड को लोलीपॉप की तरह मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं बता नहीं सकता हूँ! कि लण्ड चूसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था.
बुआ जी के रसीले होंठ मेरे लण्ड को रगड़ रहे थे. फिर, बुआ जी ने अपना होंठ गोल कर के मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और मेरे आण्ड को हथेली से सहलाते हुए, सिर ऊपर नीचे करना शुरु कर दिया.
मानो! वो मुँह से ही मेरे लण्ड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर बुआ जी के मुँह को चोदना शुरु कर दिया.
बुआ जी ने मेरे वीर्य का रसपान किया
मैं तो मानो सातवें आसमान पर था! बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोड़ी ही देर मे लगा कि, मेरा लण्ड अब पानी छोड़ देगा.
मैं किसी तरह अपने ऊपर काबू कर के बोला, बुआ जी मेरा पानी छूटने वाला है!
बुआ जी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नहीं दिया बल्कि, अपने हाथों से मेरे चूतड़ को जकड़ कर और तेज़ी से सिर ऊपर-नीचे करना शुरु कर दिया.
मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लण्ड उनके मुँह मे पेलने लगा. कुछ ही देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और, बुआ जी ने गटगट करके पूरे पानी को पी गईं.
सुबह से काबू में रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि, उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके ठुड्डी पर फैल गया.
कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूची पर भी जा गिरी. झड़ने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर बुआ जी के गालों पर रगड़ दिया.
क्या खुबसुरत नजारा था! मेरा वीर्य बुआ जी के मुँह गाल होंठ और रसीले चूची पर चमक रहा था.
बुआ जी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठों पर फिरा कर, वहाँ लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूची को मसलते हुए पूछा- क्यों दींन बेटा? मज़ा आया लण्ड चुसवाने मे!
मैं बोला- बहुत मज़ा आया बुआ जी! तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान! आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिए गुलाम हो गया.
कहो! क्या हुक्म है?
बुआ जी की स्वादिष्ट चूत चटाई
बुआ जी बोलीं, हुक्म क्या! बस अब तुम्हारी बारी है.
मैं कहा- क्या मतलब? मैं कुछ समझा नही!
बुआ जी बोलीं, मतलब यह कि अब तुम मेरी चूत चाटो!
यह कह कर, बुआ जी खड़ी हो गईं और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आईं. मेरे होंठ उनकी चूत के होंठों को छूने लगी.
बुआ जी ने मेरे सिर को पकड़ कर, अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगड़ने लगी.
मैंने भी उनकी चूतड़ को दोनों हाथों से पकड़ लिया और, उनकी गांड सहलाते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा.
बुआ जी की चूत की प्यारी-प्यारी खुशबू मेरे दिमाग मे छाने लगी!
मैं दीवानों की तरह उनकी चूत और उसके चारों तरफ़ के इलाके को चूमने लगा. बीच-बीच में मैं अपनी जीभ निकाल कर उनकी रानों को भी चाट लेता.
बुआ जी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फ़ैलाते हुए बोलीं- हाँय राजा अह्!
जीभ से चाटो ना! अब और मत तड़पाओ राजा! मेरी बुर को चाटो! डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर! अन्दर डाल कर जीभ से चोदो!
अब तक उनकी नशीली चूत की खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था. मैंने उनकी चूत पर से मुँह उठाए बिना, उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया.
उनकी जाँघों को फैला कर, अपने दोनों कंधो पर रख लिया और फिर आगे बढ कर, उनकी चूत के होंठों को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया.
बुआ जी मस्ती से बड़बड़ाने लगी! और अपनी चूतड़ को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया.
अब बुआ जी के चूतड़ पलंग से बाहर हवा मे झूल रही थी! और उनकी मखमली जाँघों का पूरा दबाव मेरे कंधो पर था.
मैंने अपनी जीभ पूरी की पूरी उनकी चूत में डाल दिया और, चूत की अंदरूनी दीवारों को जीभ से सहलाने लगा.
बुआ जी मस्ती से तिलमिला उठीं, और अपनी चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी.
हाय! राजा, क्या मज़ा आ रहा है?
अब अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करो ना! चोदो राजा चोदओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे! हाय! राजा तुम ही तो मेरे असली सैंया हो!
पहले क्यों नहीं मिले! अब सारी कसर निकालूँगी. हाय! राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से!
मुझे भी पूरा जोश आ गया और बुआ जी की चूत में, जल्दी जल्दी जीभ अन्दर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा.
बुआ जी अभी भी जोर-जोर से कमर उठा कर, मेरे मुँह को चोद रही थीं. मुझे भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा.
मैंने अपनी जीभ कड़ी कर सिर आगे पीछे कर के, बुआ जी की चूत को चोदने लगा.
बुआ जी की चूत का अमृत रसपान
उनका मज़ा दोगुना हो गया. अपने चूतड़ को जोर-जोर से उठाती हुए बोलीं- और जोर से बेटा! और जोर से! हाय! मेरे प्यारे राजा आज से मैं तेरी रण्डी बुआ हो गई.
जिंदगी भर के लिए चुदाऊँगी तुझसे! अह्हह! उईई माआ!’
वो अब झड़ने वाली थीं. वो जोर जोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रही थीं.
मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उनकी चूत पूरी तरह से चाट रहा था, और बीच बीच में अपनी जीभ को उनकी चूत मे पूरी तरह अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
जब मेरी जीभ बुआ जी की भगनाशा से टकराई तो, बुआ जी का बाँध टूट गया और मेरे चेहरे को अपनी जाँघों में जाकर कर उन्होंने अपनी चूत को मेरे मुँह से चिपका दिया.
कुछ देर बाद उनका पानी बहने लगा और, मैं उनकी चूत की दोनों फाँकों को अपनी मुँह मे दबा कर उनका अमृत-रस पीने लगा.
बुआ जी ने गांड मारने को बोला
मेरा लण्ड फिर से लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था.! मैं उठ कर खड़ा हो गया और, अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बुआ जी को पलंग पर सीधा लेटा कर उनके ऊपर चढने लगा.
उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा- ऐसे नहीं मेरे राजा! चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो! आज मैं तुम्हें दूसरे छेद का मज़ा दूँगी.
मैंने कहा- बुआ जी मेरी समझ में कुछ नहीं आया?
बुआ जी बोलीं- आज तुम अपने मोटे तगड़े लम्बे लौड़े को मेरी गांड में डालो, और उठ कर बैठ गईं.
मेरे हाथ को हटा कर, अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए, अपनी दोनों चूचियों के बीच दबा-दबा कर लण्ड के सुपाड़े को चूमने लगीं.
उनकी चूची की गर्माहट पकड़ से मेरा लौड़ा और भी जोश में आकर सख्त हो गया.
बुआ की छोटी गांड देख चौंका
मैं हैरान था! इतनी छोटी सी गांड के छेद में मेरा लण्ड कैसे जाएगा?
मैं बोला- बुआ जी इतना मोटा लण्ड तुम्हारी गांड में कैसे जाएगा?
बुआ बोलीं- हाँ, मेरे राजा! गांड मे ही जाएगा, पीछे से चोदना इतना आसान नहीं है. तुम्हें पूरा जोर लगाना होगा.
इतना कह कर, बुआ जी ढेर सारा थूक मेरे लण्ड पर लगा दिया और, पूरे लण्ड की मालिश करने लगीं, पर बुआ जी गांड मे लण्ड घुसाने के लिए ज्यादा जोर क्यों लगाना पड़ेगा?
बुआ बोलीं- वो इसलिए, राजा! कि जब औरत गर्म होती है तो, उसकी चूत पानी छोड़ती है जिससे लौड़ा आने-जाने मे आसानी होती है.
पर गांड तो पानी नहीं छोड़ती इसलिए घर्षण ज्यादा होता है और, लण्ड को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है.
छोटी गांड में लौड़ा लेने का उपाय
गांड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है. पर राजा मज़ा बहुत है! मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी बहुत मजा आता है. इसीलिए गांड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है.
मैंने कहा- क्या तैयारी करनी पड़ती है? बुआ जी मुस्कुरा कर पलंग से उतरीं और अपने चूतड़ को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वेसिलीन की शीशी उठा लाईं.
ढक्कन खोल कर, ढेर सारा वेसिलीन अपने हाथों में ले लीं और, मेरे लौड़े की मालिश करने लगी. अब मेरा लौड़ा रोशनी में चमकने लगा.
फिर मुझे शीशी दे दीं और बोलीं- अब मैं झुकती हूँ और तुम मेरे गांड में ठीक से वेसिलीन लगा दो! और वो पलंग पर पेट के बल लेट गईं और अपने घुटनों के बल होकर अपने चूतड़ हवा में उठा दिया.
देखने लायक नजारा था! बुआ के गोल मटोल चूतड़ मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया और, झुक कर चूतड़ को मुँह में भर कर कस कर काट लिया.
बुआ जी की चीख निकल गईं. फिर मैंने ढेर सारा वेसिलीन लेकर उनकी गांड की दरार में लगा दिया.
बुआ बोली- अरे मेरे भोले सैंया! ऊपर से लगाने से नहीं होगा. उंगली से लेकर अन्दर भी लगाओ और अपनी उंगली पेल पेल कर अपने गांड के छेद को ढीला करो.
मैंने अपनी बीच वाली उंगली पर वेसिलीन लगा कर, उनकी गांड में घुसाने की कोशिश की. पहली बार जब नहीं घुसी तो दुसरे हाथ से छेद फैला कर दुबारा कोशिश की, तो मेरा उंगली थोड़ी सी उंगली घुस गई.
मैंने थोड़ा बाहर निकाल कर झटका दे कर डाला तो, घपाक से पूरी उंगली धंस गई. बुआ जी ने एकदम से अपने चूतड सिकोड़ लिया जिससे की उंगली फिर बाहर निकल गई.
बुआ बोलीं- इसी तरह उंगली अन्दर-बाहर करते रहो कुछ देर तक! मैं उनके कहे मुताबिक़ उंगली जल्दी से अन्दर-बाहर करने लगा. मुझे इसमें बड़ा मजा आ रहा था.
बुआ ने गांड में लौंडा डलवाया
वो भी कमर हिला-हिला कर मजा ले रही थीं. कुछ देर बाद बुआ जी बोलीं- चलो राजा! आ जाओ मोर्चे पर और मारो गांड अपनी बुआ की.
मैं उठ कर घुटनें के बल बैठ गया, और लण्ड को पकड़ कर बुआ की गांड के छेद पर रख दिया. बुआ जी ने थोड़ा पीछे होकर लण्ड को निशाने पर रखा. फिर मैंने उनकी चूतड को दोनों हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया.
बुआ जी की गांड का छेद बहुत टाइट था.
मैं बोला- बुआ जी मेरा लण्ड आप की गांड में नहीं घुस रहा है. बुआ जी ने अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को खींच कर गांड की छेद को फैला दिया और दुबारा जोर लगाने को कहा.
इस बार मैंने थोड़ा और जोर लगाया, और मेरा सुपाड़ा उनकी गांड की छेद में चला गया. बुआ जी की कसी गांड को चीरता हुआ मेरा आधा लण्ड बुआ जी की गांड में दाखिल हो गया.
बुआ जी जोर से चीख उठी- उई माँ! दुखता है मेरे राजा! पर मैंने उनकी चीख पर कोई ध्यान नहीं दिया, और लण्ड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया.
मेरा 9′ का लौड़ा उनकी गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया. बुआ जी फिर चीख उठीं.
वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थीं. मैंने आगे को झुक कर उनकी चूची को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा.
लण्ड अभी भी पूरा का पूरा उनकी गांड के अन्दर था. कुछ देर बाद बुआ जी की गांड में लण्ड डाले डाले उनकी चूची को सहलाता रहा.
जब बुआ जी कुछ नार्मल हुए तो अपने चूतड हिला कर बोलीं- चलो राजा! अब ठीक है!
बुआ की दमदार गांड चुदाई
उनका सिग्नल पाकर मैंने दुबारा सीधे होकर उनकी चूतड पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया. बुआ जी की गांड बहुत ही टाइट थी.
इसे चोदने में बड़ा मजा आ रहा था. अब बुआ भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मजा लेने लगीं. उन्होंने अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया.
बुआ जी की मस्ती देख कर मैं भी जोश में आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बढ़ा दी. मेरा लण्ड अब पूरी तेजी से उनकी गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था.
बुआ जी भी पूरी तेजी से कमर आगे पीछे करके मेरे लण्ड का मजा ले रही थीं.
लण्ड ऐसे अन्दर-बाहर हो रहा था मानो इंजन का पिस्टन. पूरी कमरे में चुदाई का थप थप की आवाज गूँज रही थी.
जब बुआ जी के थिरकते हुए चूतड से मेरी जाँघें टकराती थी तो लगता कोई तबलची टेबल पर थाप दे रहा हो.
बुआ जी पूरी जोश में पूरी तेजी से चूत में उंगली अन्दर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी.
हम दोनों ही पसीने पसीने हो गई थे पर कोई भी रूकने का नाम नहीं ले रहा था.
बुआ मुझे बार बार ललकार रही थी- चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बुआ की गांड. आज फाड़ डालो इसे. शाबाश मेरे शेर, और जोर से राजा और जोर से. फाड़ डाली तुमने मेरी तो.
मैं भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा बाहर खींच कर झटके से अन्दर डालता तो उनकी चीख निकल जाती. मेरा लावा निकलने वाला था.
उधर बुआ भी उंगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंजिल के पास थी. तभी मैंने एक झटके से लण्ड निकाला और उनकी चूत में जड़ तक ठुंस दिया.
बुआ जी इसके लिए तैयार नहीं थीं. इसलिए उनकी उंगली भी चूत में ही रह गई थी. जिससे उनकी चूत टाइट लग रहा था.
मैंने बुआ जी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों में समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.
वो भी संभल कर जोर जोर से अहह उह्ह करती हुई चूतड आगे-पीछे करके अपनी चूत में मेरा लण्ड लेने लगी.
हम दोनों की साँसें फूल रही थीं. आखिर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं बुआ की पीठ से चिपक कर बुआ की चूत में झड़ गईं. हम दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गए.
उस रात मैंने बुआ की चूत कम से कम चार बार और चोदा.
बुआ और हमारी चुदाई का राज खुला
सुबह करीब 10 बजे सुमन (दोस्त की बहन) ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा रामू भैया फ्रेश हो कर नाहा धो लो और मैं नाश्ता बनाती हूँ.
घर में केवल उसे देख कर कहा- माँ और बुआ जी कहाँ गए? वो बोली वो दोनों कब के खेत चले गए हैं.
यहाँ आवाज होगी, इसलिए माँ रात की नींद खेत में ही पूरी करेंगी और वो लोग शाम से पहले लौटने वाले नहीं हैं.
मैं फ्रेश होकर नाहा धो कर नाश्ता करने लगा. सुमन अपने काम में लग गई. मैं कमरे में आकर किताब पढ़ने लगा. मुझे कहीं बाहर जाना नहीं था इसलिए मैं केवल तौलिया और बनियान में था.
करीब एक घंटे बाद सुमन अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आई और मुझसे बोली भैया आप उधर कुर्सी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है.
मैं उठ कर कुर्सी पर बैठ गया और वो बिस्तर ठीक करने लगी.
चादर पर पड़े मेरे लण्ड और बुआ और बुआ जी की चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे. सुमन झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी.
मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह गई!
थोड़ी देर बाद सुमन उठी गई और मेरी तरफ देखती हुई अदा से मुस्कुरा दी.
सुमन की चूत चुदाई का मौका
फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आँख मार कर बोली- लगता है रात बुआ जी के साथ जम कर खेल खेला है. मैं हिम्मत कर के बोला- क्या मतलब?
वो मुझसे सटती हुई बोली- इतने भोले मत बनो. जानबूझ कर अनजान बन रहे हो.
क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हें?
मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुस्कुरा दिया और मैंने गौर से देखा उसको.
मस्त लौंडिया थी! साँवली से रंग, छरहरा बदन! उठी हुई मस्त चूचियाँ!
उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर में दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूची और उभर कर सामने आ गई थी.
वो बात करते करते मुझसे एकदम सट गई, और उसकी तनी तनी चूची मेरी नंगी बाहों से छूने लगी.
यह सब देख कर मेरा लण्ड जोश में फड़फड़ा उठा. मैंने सोचा कि, इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नहीं मिलने वाला. साली खुद ही तो मेरे पास चुदवाने आई हुई है.
मैंने हिम्मत करके उसे कमर से पकड़ लिया और अपने पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला- चल सुमन थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाए!
वो एकदम से घबरा गई और अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी, पर मैं उसे कस कर पकडे हुए चूमने की कोशिश करने लगा.
वो मुझ से दूर हटने की कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी, पर साथ में चिपकी भी जा रही थी.
इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9′ का फनफनाता हुआ लौड़ा आजाद हो गया.
मैंने कहा- देखो मजे लेने है! तो चलो बिस्तर पर और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा कर, अपना लण्ड उसकी गांड में दबाते हुए मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया
दोनों हाथों से चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला- नखरे क्यों दिखाती है?
खुदा ने हुस्न दिया है और क्या मार ही डालोगी?
अरे हमे नहीं दोगी तो क्या आचार डालोगी, चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मजा लेते हैं.
सुमन की चूत में उंगली का मजा
कहते हुए उसके ब्लाउज को खींच कर खोल दिया. फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया, और उसकी चिकनी चिकनी जाँघों को सहलाने लगा, धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया.
पर वो तो दोनों जाँघों को कस कर दबाए हुए थी, और साथ में मस्ती से हाय हाय भी कर रही थी.
मैं उसकी चूत को ऊपर से कस कस कर मसलने लगा और उंगली को किसी तरह चूत के अन्दर डाल दिया.
उंगली अन्दर होते ही वो कस कर छटपटाते हुए, और बाहर निकालने के लिए कमर हिलाने लगी. उससे उसकी चूत चुदने जैसी होने लगी. इससे उसका पेटीकोट ऊपर उठ गया.
मैंने कमर पीछे कर के अपने लण्ड को नंगे चूतड की दरार में लगा दिया. क्या फूले फूले जवान चिकने चूतड थे.
अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूची पर से हटा कर उसके चूतड को पकड़ लिया और अपने लण्ड से उसकी गांड की दरार में रख कर!
उसकी चूत को मैंने उंगली से चोदते हुए गांड की दरार में, लण्ड थोड़ा थोड़ा धंसा दिया था!
कुछ ही देर में वो ढीली पड़ गई, और जाँघों को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे पीछे कर के चुदाई का मजा लेने लगी.
क्यों रानी मजा आ रहा है? मैंने धक्का लगाते हुए पूछा.
हाँ भैया, बहुत ही मजा आ रहा है. उसने जाँघें फैला दी जिससे कि मेरी उंगली आसानी से अन्दर-बाहर होने लगी.
सुमन मेरे मोटे लण्ड को देख चौंकी
उसके मुँह से मस्ती भरी उई उई निकालने लगा.
फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली- हाय जी इतना मोटा लण्ड. चलो मुझे सीधा होने दो, फिर चोद देना, कहते हुए वो चित लेट गई.
अब हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थे. मैंने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा लिया और लण्ड को उसकी जाँघ पर रगड़ते हुए चूचियों को चूसने लगा.
पत्थर जैसी सख्त! थी उसकी चूची. एक हाथ से उसकी चूची मसल रहा था और दुसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत को चोद रहा था.
सुमन के अधनंगी बदन में चुदाई का मजा
वो भी लगातार मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी जाँघों पर घिस रही थी. जब हम दोनों पूरी जोश में आ गए तब सुमन बोली- अब मत तडपाओ! भैया, चोद ही डालो न अब मुझे.
मैंने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से ऊपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया.
वो बोली- पहले मेरे सारे कपड़े तो उतारो तो ही तो चुदेगी मेरी चूत!
मैं बोला- नहीं तुझे अध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, इसलिए पहली चुदाई तो कपड़ों के साथ ही होगी.
फिर मैंने उसकी टांगें अपनी कंधों के ऊपर रखी, और उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और बोली- आईय! शुरू हो जाओ न भैया.
मैंने कमर आगे करके जोर दार धक्का दिया, और मेरा आधा लण्ड दनदनाता हुआ उसकी चूत में धंस गया.
वो चिल्ला उठी. आहिस्ते! भैया आहिस्ते! अब दर्द हो रहा है और उसने अपनी चूत को सिकोड़ ली और, मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल आया.
मैंने उसकी सख्त चूची को पकड़ कर मसलते हुए, फिर अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर एक और शॉट लगाया.
मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया, और कुछ देर तक मैंने कुछ हरकत नहीं की और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे. थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शांत हुई, और अब मैंने दुसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लौड़ा भी जड़ तक उसकी चूत में धंस गया.
मारे दर्द के उसकी चीख निकल गई और बोली- बड़ा जालिम है! तुम्हारा लौड़ा. किसी कुँवारी छोकरी को इस तरह से चोदोगे तो वो मर जाएगी. सम्भाल कर चोदना.
मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए, धीरे-धीरे लण्ड चूत के अन्दर-बाहर करने लगा. चूत तो इसकी भी टाइट थी!
दोस्तों, यह थी मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी जो मैंने आपके सामने रखा! आशा करता हूँ कि इस कहानी से आप लोग अत्यधिक रोमांचित हुए होंगे. अपने विचारों से हमें अवगत कराएं!
मेरा नाम रोहित है, मेरी Hindi Porn Stories उम्र अभी 23 साल, मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ। मैंने यहाँ पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं तो मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी लिखूँ।
यह मेरी पहली कहानी है जिसे मैं आप के साथ बाँट रहा हूँ। मैं आप का वक़्त जाया नहीं करके अपनी कहानी बताता हूँ।
यह कहानी सन 2008 की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था। मैं विशाखापटनम के एक स्कूल में पढ़ता था तो मुझे हॉस्टल में रहना पड़ता था। हॉस्टल में लड़के और लड़कियाँ एक ही मंजिल में रहते थे पर उनके अलग कमरे थे।
मैंने अपने पहले दिन हॉस्टल में एक लड़की को देखा था, वह बहुत ही सुंदर थी। उसकी उम्र होगी कोई 18 साल … उसकी लम्बाई 4.8″ होगी और उसकी फिगर 32-28-32 होगी, देखने में बहुत गोरी थी। मैं सोचने लगा कि कैसे मैं उससे बात करूँ ??
जैसे ही मैं अपकी कक्षा में आया तो देखा कि वो लड़की मेरी ही क्लास में पढ़ती है। मन ही मन मैं खुश भी हो गया, चलो कोई तो बहाना मिला बात करने के लिए। वो लड़की पढाई में भी बहुत अच्छी थी तो मैडम ने उससे बोला मेरी मदद कर देने के लिए क्योंकि मैं नया था क्लास में!
तो मैं उसकी बगल में आकर बैठ गया। उसने मुझसे पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? तुम कहा से हो? यहाँ के तो नहीं लगते!
मैंने कहा- मेरा नाम रोहित है और मैं कोलकाता से हूँ। मैं हॉस्टल में पहली बार रह रहा हूँ।
उसने कहा- मैं भी पहली बार हॉस्टल में रह रही हूँ और मैं मुंबई से हूँ।
ऐसे हमारी बातों का सिलसिला चल पड़ा और दिन बीतते-बीतते हम दोनों बहुत पास आ गये। हम हर दिन बात करते थे एक दूसरे के साथ बैठ कर … चाहे क्लास में हो या हॉस्टल हो।
जब भी छुट्टी मिलती हम दोनों बाहर घूमने निकल जाते और पूरा दिन मस्ती से घूमते, पार्क जाते, बीच जाते और शाम को वापस आ जाते।
इन दिनों में मैं उसे बहुत पसंद करने लगा, वो मुझे भी बहुत पसंद करने लगी।
हमारे एक्साम ख़त्म हो चुके थे, अब हमारी गर्मी की छुट्टी शुरू होने वाली थी। सब बच्चे अपने घर जा रहे थे हॉस्टल छोड़ के … पर हमने सोचा कि एक दिन और रुकेंगे और घूमने की तैयारी करने लगे।
हमारे सिवा कुछ और बच्चे थे तो हॉस्टल वाले ने हमें एक ही कमरे में सोने को कहा। हम सब एक ही कमरे में सोने लगे। हम दोनों को नींद नहीं आ रही थी और हम बात करने में मग्न थे।
बातों-बातों में मैंने मजाक में पूछा उसे- कभी तुमने प्यार किया है किसी से?
उसने कहा- हाँ!
मैंने सोचा कि लगता है अब मेरी दाल नहीं गलेगी क्योंकि वो किसी और से प्यार करती है तो मैंने अन्दर से दुखी हो कर पूछा- कौन है वो जिससे तुम प्यार करती हो?
उसने कहा- वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, हर दिन मैं उससे बात करती हूँ।
तब मैंने सोच लिया था कि अब मैं गया काम से …
मैंने फिर पूछा- उसका नाम बताओ?
उसने कहा- उसका नाम रोहित है और वो तुम ही हो!
मैं यह जान के बहुत खुश हो गया और उसको अपने बाँहों में भर लिया और उसे होंठों पर चूम कर कहा- आई लव यू निशा!
उसने कहा- आई लव यू ठू!
मैंने पूछा- पहले क्यों नहीं बताया?
उसने कहा- हिम्मत नहीं हो रही थी, पर आज बता दिया..
और क्या था … मैंने उसे और अपने आपसे चिपका लिया … उसकी चूचियाँ मेरे सीने पर दब रही थी। वो उस वक़्त नाईट सूट में थी … मैं उसको चूमते हुए उसका सूट उतारने लगा। वो आहें भरने लगी … कुछ देर बाद मैंने उसकी पैंटी और ब्रा भी उतार डाले …
वह शरमा रही थी और उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी..
मैंने उसकी चूची सहलाना शुरू किया और बड़े प्यार से सहलाने लगा। अब वो उत्तेजित होने लगी थी … मैंने उसकी चूची को अब दबाना शुरू किया … उसकी चूची बहुत ही नरम थी, इसी वजह से उससे दर्द हो रहा था … कुछ देर बाद मैंने उससे बिस्तर में लेटाया और उसकी चूत पर अपने हाथ को फिराने लगा … और बीच-बीच में मैं उसकी चूत में अपनी उंगली डाल के अन्दर बाहर करने लगा … ऐसा करने से वो सिसकारने लगी और तड़प उठी, उसने कहा- और बर्दाश्त नहीं हो रहा हैं …
और वो मेरे लण्ड को मेरे पजामे के ऊपर से ही सहलाने लगी, लण्ड को अपने हाथ में भर के हिलाने लगी … उस वक़्त मैं जन्नत में चला गया था, ऐसा लगा …
फिर उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और पूरा साफ़ कर दिया …
उसके बाद मैंने उसकी चूत को चाटा और कुछ देर में उसका चिकना पानी मेरे मुँह में भर गया और मैं भी उसे पूरा चाट गया … और हम दोनों शांत हो गए …
कुछ देर बाद फिर मेरा लण्ड खड़ा हुआ और मैंने इस बार उसकी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का दिया और उसके मुँह से आह की चीख निकल गई …
मैंने फिर जोर से एक और धक्का दिया तो लण्ड अन्दर जाने लगा और वो चिल्लाने लगी तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूमते हुए एक और धक्का दिया …
इस बार लण्ड पूरा अन्दर चला गया था …
मैं कुछ देर रुक गया.. जब उसका दर्द कम हुआ तो उसने मुझे इशारा किया कि अब मैं अपना काम शुरू कर सकता हूँ …
और मैंने धीरे धीरे से उसे पेलना शुरू किया … उसके बाद मैं थोड़ा और जोर से चोदने लगा …
उसने कहा- रोहित, और जोर से करो … मेरी चूत तुम्हारी लण्ड की प्यासी है … बहुत दिन से यह प्यास मेरी चूत में थी पर मेरी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हें बताऊँ … प्लीज़! आज मेरी प्यास बुझा दो न …!!
मैंने कहा- जान! मैं तुम्हारा दीवाना उसी दिन बन गया था जब मैंने तुम्हें पहली बार हॉस्टल में देखा था.
अपनी स्पीड मैंने बढ़ा दी थी … उससे बहुत मज़ा आ रहा था … बीस मिनट के बाद वो झड़ी और उसके बाद मैं भी झड़ गया.
मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में भर दिया और उसके साथ सो गया!
उस रात के बाद जब भी मौका मिलता, हम सेक्स कर लेते थे.
जब हमारे स्कूल ख़त्म हो गए तो हम दोनों अलग हो गए पर हम दोबारा कभी मिल नहीं पाए!
यह मेरी सच्ची कहानी है जो मैंने आप के साथ शेयर की है, उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी!
अगर आप मुझे कुछ बताना चाहते हैं या कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो मुझे मेल कीजियेगा!
मैं आपके मेल का इंतज़ार करूँगा! Hindi Porn Stories
मेरा नाम राम है। मैं आपको जो कहानी Hindi Porn Stories सुनाने जा रहा हूँ, यह तब की बात है जब मैं कालेज में पहले सेमस्टर में पढ़ता था। मेरे कोलोनी में ही मेरा एक दोस्त अमित(बदला हुआ नाम) रहता था जो मेरे साथ ही कालेज में था, वो कमरा किराए पर लेकर रहता था। सो मैं उसके यहाँ स्टडी या ऐसे ही कभी कभी मिलने चला जाता था। उसके साथ उसकी एक दीदी रीना और उनकी एक सहेली नेहा भी रहती थी। वो दोनों आई आई टी कर रही थी। वे लोग एक ही कमरे में रहते थे।
एक बार जब मैं उससे मिलने उसके कमरे पर गया तो मैंने देखा कि नेहा वहाँ अकेली थी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि रीना ओर अमित बाज़ार गये हैं। फ़िर मैं जाने को हुआ तो नेहा ने मुझे ये कह कर रोक लिया कि वो लोग बस आते ही होंगे। सो मैं वहीं रुक गया।
मैंने कभी नेहा से ज्यादा बाते नहीं की थी, ना ही उसके बारे में जानता था, वो मुझसे उमर में शायद तीन साल बड़ी होगी। मैं एक कुर्सी लेकर बैठ गया और अमित के आने का इन्तज़ार करने लगा।
मैने सोचा क्यूँ ना नेहा से ही बातें कर ली जाये। मैं उठ कर उसके पास गया और उससे इधर उधर की बाते करने लगा। बातों ही बातों में मैने उससे पूछ लिया कि क्या उसका कोई बाय फ़्रेन्ड है?
तो उसने शरमाते हुये कहा- नहीं !
मुझे यह बात पूछ्ने में डर इसलिए नहीं लगा क्योंकि वो मुझसे तब तक खुल के बातें करने लगी थी। फ़िर उसने मुझसे पूछा तो मैने भी बता दिया कि मेरी भी कोइ गर्ल फ़्रेन्ड नहीं है।
फ़िर उसने कहा- तुम बैठो ! मैं चाय बना के लाती हूँ।
तो मैं अमित का लेपटोप ओन करके गाने सुनने लगा। तभी मुझे एक शरारत सूझी। मुझे याद आया कि अमित के लेपटाप में बहुत सी ब्लू-फ़िल्में हैं। मैने सोचा क्यूं ना इसे नेहा को दिखाऊँ और अगर काम बन जाता है तो उसकी चुदाई भी कर दूँ!
इस ख्याल से ही मेरे पैन्ट के अन्दर सो रहा मेरा हथियार जाग गया। जैसे तैसे मैंने अपने आप को सम्भाला और गाने सुनने लगा। मैंने 4 गाने एक साथ सिलेक्ट किये और उसके बाद एक ब्ल्यू-फ़िल्म का वीडियो लगा दिया। मेरी उम्मीद के मुताबिक दो गाने खत्म होते ही नेहा चाय लेकर आ गई और मेरे पास बैठ के बातें करने लगी। मैने भी लेपटोप की आवाज को इतना कम कर दिया कि वो कमरे से बाहर ना जाये।
मैंने नेहा से बाथरुम जाने का बहाना किया और बाथरुम चला गया।
बाथरुम दूसरी तरफ़ था। मैं बाथरुम में रुककर चौथे गाने के खत्म होने का इन्तजार करने लगा। फ़िर जैसे ही वो पल आया मैं धीरे से कमरे में आ गया। नेहा तो लेपटोप में ब्ल्यू-फ़िल्म ऐसे देख रही थी जैसे छोटे बच्चे टी वी देखते हैं। उसका मुँह खुला हुआ था, शायद किसी का लन्ड मांग रही थी।
मैं चुपके से जाकर उसके पीछे खड़ा हो गया और उससे कहा- क्या देख रही हो?
तभी वो हड़बड़ा गई और लेपटोप की स्क्रीन बन्द कर दी। वो मूवी देखने में इतनी खो गई थी कि उसे होश ही नहीं था कि मैं भी वहीं हूँ।
शायद उसका यह पहला अनुभव था नग्न फ़िल्म देखने का !
लेपटोप से आहह्ह्ह्ह उउहहहहह की आवाजें आ रही थी जिन्हें सुन कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया। उसने शायद यह देख लिया था।
मेरे पूछ्ने पर कि क्या कर रही थी, वो कुछ नहीं बोली, शायद शरमा गई थी।
मेरे बार बार पूछ्ने पर भी उसने कुछ नहीं कहा तो मैने लेपटोप की स्क्रीन ऊपर कर दी। चूंकि मूवी बहुत लम्बी थी इसलिये वो अभी भी चल ही रही थी। फ़िर मैने नेहा की तरफ़ देखा तो उसने अपनी आँखें अपने हाथों से बन्द कर ली।
उसे देख कर मन तो एसा कर रहा था कि पकड़ कर अभी चोद डालूँ लेकिन मैं थोड़े मजे लेना चाहता था। फ़िर मैने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उससे कहा- इसमें शरमाने की क्या बात है? ये तो सब लोग देखते हैं !
और उसको आँखें खोलने को कहा। उसने अपनी आँखें खोली और मुझसे पूछ्ने लगी- क्या तुमने कभी ऐसी मूवी देखी है?
तो मैने कहा- हाँ ! एक दो बार देखी है !
उसने बताया- मैंने कभी ऐसी मूवी नहीं देखी थी !
मुझे तो यह पहले ही पता चल गया था जब उसे मुँह खोल के मूवी देखते देखा था। खैर फिर मैने उससे कहा- चलो साथ में देखते हैं !
पहले तो वो मना करने लगी पर थोड़ा सा मनाने पर मान गई। फ़िर हम दोनों साथ में मूवी देखने लगे। मैं और वो एक ही बिस्तर पर बैठे थे। मूवी देखते हुए मैंने महसूस किया कि उसकी सांसें बहुत तेज चलने लग गई थी।
तो मैंने भी सोचा- अब मौका है !
मैं धीरे से अपना हाथ उसकी जांघों पर लाया और उसे सहलाने लगा।
तो उसने कुछ भी नहीं कहा। फ़िर मैं हाथ थोड़ा ऊपर करके उसकी गाण्ड पर लाया और उसको दबाने लगा। कसम से क्या गान्ड थी उसकी ! एक दम मुलायम !
तो उसने कहा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- वही जो तुम मूवी में देख रही हो ! और पूछा- क्यूँ? अच्छा नहीं लगा क्या?
तो उसने कहा- अगर करना ही है तो अच्छे से करो !
मैं भी यह सुन कर जोश में आ गया और उसे पकड़ कर उसके होंठों पे किस करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
क्या रसीले होंठ थे उसके ! मजा आ गया उसे चूमने में !
फ़िर मैने उसके सारे कपड़े उतार दिये, उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ लगा दी और उसे चाटने लगा। वो तो जैसे पागल सी हो गई और मेरा मुँह पकड़ के अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं भी मदहोश हो कर उसकी चूत चाट रहा था। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई मैंने उसका सारा रस पी लिया। उसके बाद मैंने उसे अपना लन्ड चूसने को कहा। पहले तो उसने मना किया पर मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में डाल कर उसे मुँह में चोदने लगा। उसे भी मेरा लन्ड चूसने में मजा आने लगा। करीब 5 मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसके बाद मैंने उसकी तीन बार चुदाई की और एक बार गाण्ड भी मारी। उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और एक दूसरे को किस किया।
फ़िर अमित ओर उसकी बहन भी आ गये।
अगली बार आपको बताउँगा कि रीना को मैंने कैसे मनाया चुदाई के लिये !
आप मुझे मेल करके बताना आपको मेरी कहानी कैसी लगी। Hindi Porn Stories
आसाम की हरी भरी वादियां और जवान Antarvasna दिलों का संगम … किसको लुभा नहीं लेगा।
ऐसे ही आसाम की हरी भरी जगह पर मेरे पति का पदस्थापन हुआ।
हम दोनों ऐसी जगह पर बहुत खुश थे। हमें कम्पनी की तरफ़ से कोई घर नहीं मिला था इसलिये हमने थोड़ी ही दूर पर एक मकान किराये पर ले लिया था … उसका किराया हमें कम्पनी की तरफ़ से ही मिलता था।
मेरे पति मोहित की ड्यूटी शिफ़्ट में लगती थी।
घर में काम करने के लिये हमने एक नौकरानी रख ली थी। उसका नाम काजल था।
उसकी उम्र लगभग 20 साल होगी। भरपूर जवान, सुन्दर, सेक्सी फ़िगर … बदन पर जवानी की लुनाई … चिकनापन … झलकता था।
मोहित तो पहले दिन से ही उस पर फ़िदा था। मुझसे अक्सर वो उसकी तारीफ़ करता रहता था।
मैं उसके दिल की बात अच्छी तरह समझती थी।
मोहित की नजरें अक्सर उसके बदन का मुआयना करती रहती थी … शायद अन्दर तक का अहसास करती थी।
मैं भी उसकी जवानी देख कर चकित थी। उसके उभार छोटे छोटे पर नुकीले थे। उसके होंठ पतले लेकिन फ़ूल की पन्खुडियों जैसे थे।
एक दिन मोहित ने रात को चुदाई के समय मुझे अपने दिल की बात बता ही दी।
उसने कहा-नेहा … काजल कितनी सेक्सी है ना!
“हं आ … हां … है तो … जवान लडकियां तो सेक्सी होती ही है …” मैं उसका मतलब समझ रही थी।
“उसका बदन देखा … उसे देख कर तो… यार मन मचल जाता है.” मोहित ने कुछ अपना मतलब साधते हुए कहा।
“अच्छा जी … बता भी दो जानू … जी क्या करता है.” मैं हंस पड़ी … मुझे पता था वो क्या कहेगा.
“सुनो नेहा … उसे पटाओ ना … उसे चोदने का मन करता है.”
“हाय … नौकरानी को चोदोगे … पर हां …वो चीज़ तो चोदने जैसी तो है.”
“तो बोलो … मेरी मदद करोगी ना?”
“चलो यार …तुम भी क्या याद करोगे … कल से ही उसे पानी पानी करती हूं.”
फिर मैं सोच में पड़ गयी कि क्या तरीका निकाला जाये।
सेक्स तो सभी की कमजोरी होती ही है।
मुझे एक तरकीब समझ में आयी।
दूसरे दिन काजल के आने का समय हो रहा था … मैंने अपने टीवी पर एक ब्ल्यू हिन्दी फ़िल्म लगा दी।
उस फ़िल्म में चुदाई के साथ हिन्दी डायलोग भी थे।
काजल कमरे में सफ़ाई करने आयी तो मैं बाथरूम में चली गयी।
सफ़ाई करने के लिये जैसे ही वो कमरे के अन्दर आयी तो उसकी नजर टीवी पर पडी … चुदाई के सीन देख कर वो खड़ी रह गयी और सीन देखती रही।
मैं बाथरूम से सब देख रही थी।
उसे मेरा वीडियो प्लेयर नजर नहीं आया क्योंकि वह लकड़ी के केस में था।
वो धीरे से बिस्तर पर बैठ गयी।
उसे पिक्चर देख कर मजा आने लग गया था।
चूत में लन्ड जाता देख कर उसे और भी अधिक मजा आ रहा था।
धीरे धीरे उसका हाथ अब उसके स्तनो पर आ गया था … वह गर्म हो रही थी।
मेरी तरकीब सटीक बैठी।
मैंने मौका उचित समझा और बथरूम से बाहर आ गयी.
“अरे … टीवी पर ये क्या आने लगा है?”
“दीदी … साब तो है नहीं …चलने दो ना …अपन ही तो है.”
“अरे नहीं काजल … इसे देख कर दिल में कुछ होने लगता है.” मैं मुस्करा कर बोली.
मैंने चैनल बदल दिया.
काजल के दिल में हलचल मच गयी थी … उसके जवान जिस्म में वासना ने जन्म ले लिया था।
“दीदी … ये किस चेनल से आता है?” उसकी उत्सुकता बढ़ रही थी।
“अरे तुझे देखना है ना तो दिन को फ़्री हो कर आना … फिर अपन दोनों देखेंगे … ठीक है ना.”
“हां दीदी …तुम कितनी अच्छी हो.” उसने मुझे जोश में आकर प्यार कर लिया।
मैं रोमांचित हो उठी … आज उसके चुम्बन में सेक्स था।
उसने अपना काम जल्दी से निपटा लिया और चली गयी।
तीर निशाने पर लग चुका था।
करीब दिन को एक बजे काजल वापस आ गयी।
मैंने उसे प्यार से बिस्तर पर बैठाया और नीचे से केस खोल कर प्लेयर में सीडी लगा दी और मैं भी बिस्तर पर बैठ गयी।
ये दूसरी फ़िल्म थी।
फ़िल्म शुरू हो चुकी थी।
मैं काजल के चेहरे का रंग बदलते देख रही थी। उसकी आंखो में वासना के डोरे आ रहे थे।
मैंने थोड़ा और इन्तजार किया … चुदाई के सीन चल रहे थे।
मेरे शरीर में भी वासना जाग उठी थी।
काजल का बदन भी रह रह कर सिहर उठता था।
मैंने अब धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रखा। उसकी धड़कन तक महसूस हो रही थी। मैंने उसकी पीठ सहलानी चालू कर दी।
उसे मैंने हल्के से अपनी ओर खींचने की कोशिश की … तो वो मेरे से सट गयी।
उसका कसा हुआ बदन …उसकी बदन की खुशबू … मुझे महसूस होने लगी थी।
टीवी पर शानदार चुदाई का सीन चल रहा था।
काजल का पल्लू उसके सीने से नीचे गिर चुका था … मैंने धीरे से उसके स्तनों पर हाथ रख दिया.
उसने मेरा हाथ स्तनों के ऊपर ही दबा दिया और सिसक पडी।
“काजल … कैसा लग रहा है?”
“दीदी … बहुत ही अच्छा लग रहा है …कितना मजा आ रहा है.” कहते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा.
मैंने उसकी चूचियां सहलानी शुरू कर दी … उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
“बस दीदी … अब नहीं …”
“अरे मजे ले ले … ऐसे मौके बार बार नहीं आते.” मैंने उसके थरथराते होंठों पर अपने होंठ रख दिये.
काजल उत्तेजना से भरी हुयी थी। काजल ने मेरे स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे दबाने लगी।
मैंने उसका लहंगा ऊपर उठा दिया … और उसकी चिकनी जांघों पर हाथ से सहलाने लगी.
अब मेरे हाथ उसकी चूत पर आ चुके थे।
चूत चिकनाई और पानी छोड़ रही थी।
मेरे हाथ लगाते ही काजल मेरे से लिपट गयी।
मुझे लगा मेरा काम हो गया।
“दीदी … हाय … नहीं करो ना … मां …री … कैसा लग रहा है.”
मैंने उसकी चूत के दाने को हल्के हल्के से हिलाने लगी।
वो नीचे झुकती जा रही थी … उसकी आंखे नशे में बन्द हो रही थी।
उधर मोहित लन्च पर आ चुका था।
उसने अन्दर कमरे में झांक कर देखा।
मैंने उसे इशारा किया कि अभी रुको। मैंने काजल को और उत्तेजित करने के लिये उससे कहा- काजल … आ मैं तेरा बदन सहला दूं … कपड़े उतार दे!
“दीदी … ऊपर से ही मेर बदन दबा दो ना!” वो बिस्तर पर लेट गयी।
मैं उसके उभारों को दबाती रही … उसकी सिसकियां बढ़ती रही.
मैंने अब उसकी उत्तेजना देख कर उसका ब्लाऊज उतार दिया.
उसने कुछ नहीं कहा.
मैंने भी यह देख कर अपने कपड़े तुरन्त उतार दिये।
अब मैं उसकी चूत पर अपनी उंगली से दबा कर सहलाने लगी और धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी।
उसके मुख से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी.
“काजल … हाय कितना मजा आ रहा है … है ना?”
“हां दीदी … हाय रे … मैं मर गयी.”
“लन्ड से चुदोगी काजल … मजा आयेगा.”
“कैसे दीदी … लन्ड कहां से लाओगी?”
“कहो तो मोहित को बुला दूं … तुम्हें चोद कर मस्त कर देगा.”
“नहीं …नहीं … साब से नहीं …”
“अच्छा उल्टी लेट जाओ … अब पीछे से तुम्हारे चूतड़ भी मसल दूं.”
वो उल्टी लेट गयी।
मैंने उसकी चूत के नीचे तकिया लगा दिया और उसकी गान्ड ऊपर कर दी।
अब मैंने उसके दोनों पैर चौड़ा दिये और उसके गान्ड के छेद पर और उसके आस पास सहलाने लगी।
वो आनन्द से सिसकारियां भरने लगी।
मोहित दरवाजे के पास खड़ा हुआ सब देख रहा था।
उसने अपने कपड़े भी उतार लिये।
ये सब कुछ देख कर मोहित का लन्ड टाईट हो चुका था।
वह अपना लन्ड पर उंगलियों से चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगा।
मैं काजल की गान्ड और चूतडों को प्यार से सहला रही थी।
उसकी उत्तेजना बहुत बढ़ चुकी थी।
मैंने मोहित को इशारा कर दिया कि लोहा गर्म है … आ जाओ।
मोहित दबे पांव अन्दर आ गया।
मैंने इशारा किया कि अब चोद डालो इसे।
उसके फ़ैले हुये पांव और खुली हुयी चूत मोहित को नजर आ रही थी।
ये देख कर उसका लन्ड और भी तन्नाने लगा।
मोहित उसकी पैरों के बीच में आ गया।
मैं काजल के पीछे आ गयी.
मोहित ने काजल के चूतड़ों के पास आकर लन्ड को उसकी चूत पर रख दिया।
काजल को तुरन्त ही होश आया … पर तब तक देर हो चुकी थी।
मोहित ने उस काबू पा लिया था।
वो उसके चूतड़ों से नीचे लन्ड चूत पर अड़ा चुका था।
उसके हाथों और शरीर को अपने हाथों में कस चुका था।
काजल चीख उठी … पर तब तक मोहित का हाथ उसका मुँह दबा चुका था।
मैंने तुरन्त ही मोहित का लन्ड का निशाना उसकी चूत पर साध दिया।
मोहित हरकत में आ गया।
उसका लन्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
चूत गीली थी … चिकनी थी पर अभी तक चुदी नहीं थी।
दूसरे ही धक्के में लन्ड गहराई में उतरता चला गया।
काजल की आंखें फ़टी पड़ रही थी, घू घू की आवाजें निकल रही थी।
उसने अपने हाथों से जोर लगा कर मेरा हाथ अपने मुख से हटा लिया और जोर से रो पड़ी.
उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे … चूत से खून टपकने लगा था।
“बाबूजी … बहुत दर्द हो रहा है … धीरे धीरे करो!” उसने विनती भरे स्वर में रोते हुये कहा।
पर लन्ड अपना काम कर चुका था।
“बस …बस … अभी सब ठीक हो जायेगा … रो मत!” मैंने उसे प्यार से समझाया।
वो नीचे दबी हुयी छटपटाती रही।
हम दोनों ने मिलकर उसे दबोच लिया।
दबी चीखें उसके मुह से निकलती रही। मोहित ने लन्ड को धीरे धीरे से अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया।
मोहित ने अब उसकी चूचियां भी भींच ली। वो नीचे से अपने बदन को छटपटाकर कर हिलाती कर निकलने की कोशिश करती रही।
लेकिन वो मोहित के शरीर और हाथों में बुरी तरह से दबी थी।
मोहित ने अपनी चुदाई अब तेज कर दी … उसका कुंवारापन देख कर मोहित और भी उत्तेजित होता जा रहा था।
धक्के तेजी पर आ गये थे। कुछ ही देर में काजल को अन्दर ही अन्दर शायद उसे मस्ती चढ़ने लगी.
“हाय मैं … मर गयी!” बस आंखें बन्द करके यही बोलती जा रही थी … नीचे तकिया खून से सन गया था।
अब मोहित ने उसकी चूचियां फिर से पकड़ ली और उन्हें दबा दबा कर चोदने लगा।
काजल अब चुप हो गयी थी … शायद वो समझ चुकी थी कि उसकी झिल्ली फ़ट चुकी है और अब ज्यादा दर्द नहीं होने वाला है।
अब उसके चेहरे से लग लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है।
मैंने भी चैन की सांस ली।
मैंने देखा कि मोहित का लन्ड खून से लाल हो चुका था।
काजल की कुँवारी चूत पहली बार चुद रही थी।
उसकी टाईट चूत का असर ये हुआ कि मोहित जल्दी ही चरमसीमा पर पहुंच गया।
अचानक नीचे से काजल की सिसकारी निकल पड़ी और वो झड़ने लगी।
मोहित को लगा कि काजल को अन्तत: मजा आने लगा था और वो उसी कारण वो झड़ गयी थी।
अब मोहित ने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और अपनी पिचकारी छोड़ दी।
सारा वीर्य काजल के चूतडों पर फ़ैलने लगा।
मैंने जल्दी से सारा वीर्य काजल की चूतड़ों पर फ़ैला दिया।
मोहित अब शान्त हो चुका था। मोहित बिस्तर से नीचे उतर आया।
काजल को भी चुदने के बाद अब होश आया … वो वैसी ही लेटी हुई थी।
“बस अब तो हो गया … देख तेरी इच्छा भी तो पूरी हो गयी ना!”
उसने अपने कपडे उठाये और पहनने लगी … मोहित भी कपड़े पहन चुका था।
मैंने मोहित को तुरन्त इशारा किया … वो समझ चुका था … जैसे ही काजल जाने को मुड़ी मैंने उसे रोक लिया- सुनो काजल … मोहित क्या कह रहा है!
“काजल … मुझे माफ़ कर दो … देखो मुझसे रहा नहीं गया तुम्हे उस हालत में देख कर … प्लीज!”
मोहित ने अपनी जेब से सौ सौ के दो नोट निकाल कर उसे दिये.
उसने देख कर कोई खुशी नहीं दिखाई.
मोहित ने फिर और सौ सौ के पाँच नोट निकाल दिये.
उसकी आंखो में एकबारगी चमक आ गयी … मैंने तुरन्त उसे पहचान लिया।
मैंने मोहित के हाथ से नोट लिये और अपने पर्स से सौ सौ के कुल एक हज़ार रुपये निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिये।
उसका चेहरा खिल उठा।
“देख … ये साब ने जो किया, ये उसका हरज़ाना है … हां अगर साब से और करवाना हो तो इतने ही नोट और मिलेंगे!”
“दीदी … मैं आपकी आज से बहन हूं … पैसों की जरूरत किसे नहीं होती है!”
मैंने उसे काजल को गले लगा लिया- काजल … तू सच में आज से मेरी बहन है … तेरी इच्छा हो … तभी ये करना!
काजल खुश हो कर जाने लगी … दरवाजे से उसने एक बार फिर मुड़ कर देखा … फिर भाग कर आयी … और मेरे से लिपट गयी … और मेरे कान में कहा- दीदी … साब से कहना … धन्यवाद!
“अब साब नहीं, जीजाजी बोल! और धन्यवाद किस लिये … पैसों के लिये?”
” नहीं … मेरी चुदाई के लिये!”
वो मुड़ी और बाहर भाग गयी.
मैं उसे देखती रह गयी.
तो क्या ये सब खेल खेल रही थी।
मेरी नजर ज्योंही मेज़ पर पड़ी तो देखा कि सारे नोट वहीं पड़े हुए थे.
मोहित असमंजस में था. Antarvasna
मेरा नाम निलेश Antarvasna है, मैं मुंबई में रहता हूँ और मार्केटिंग का काम होने की वजह से मैं हमेशा घूमता रहता हूँ।
सर्दियों के दिन थे, मैं काम से दिल्ली गया था और वहाँ काम पूरा होते ही मुझे तुंरत आगरा जाना पड़ा।
दोस्तो, कहानी अब शुरु होती है।
मैं दिल्ली के सराय काले खां बस स्टैंड पहुँचा, रात के करीब साढ़े दस का समय था। सर्दियों की वजह से सन्नाटा छाया था। दिल्ली से आगरा जाने वाली बस में मैं बीच वाली सीट पर जाकर बैठ गया। बस पूरी खाली पड़ी थी। थोड़ी देर में दो चार लोग आगे आकर बैठ गए। थोड़ी देर में बस निकली, तभी एक महिला बस में चढ़ी, उसने बस में नज़र दौड़ाई और वो भी बीच वाली सीट में आकर बैठ गई।
मेरा ध्यान उस पर ही था, उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी, साड़ी में वो क़यामत लग रही थी। उसने सिर्फ एक नज़र मेरी ओर देखा और फिर नज़र हटा ली। एक तो सर्दी का मौसम, बस में अँधेरा और एकांत! मैंने सोचा कि जो अगर यह मौका दे तो बस में ही इसे जमकर चोद डालूँ।
थोड़ी देर में टिकट देकर कंडक्टर चला गया, आगे वाले जो दो चार लोग थे वो सो चुके थे। अब बस की सारी बत्तियाँ बुझ चुकी थी।
मेरा ध्यान उस पर ही था। वो थोड़ी झुककर बैठी थी तो उसके पेट का भाग और चुचियाँ दिख रही थी। और यहाँ मेरा हाल बुरा हो चुका था। उसने एक दो बार मुड़कर देखा तो मेरा ध्यान उस पर ही था तो वो थोड़ा मुस्कुराई। मेरे तो जैसे नसीब ही खुल पड़े, मैं खुश हो गया, मैं भी मुस्कुरा दिया।
उसने कहा- मैं तुम्हारे बगल में बैठ जाऊँ? मुझे नींद नहीं आ रही!
मुझे क्या एतराज़ था, मैंने तो फट से हाँ कह दी। वो मेरे बाजु में ही बैठी थी, सीट छोटी थी इसलिए हमारे जिस्म एक-दूसरे से छू रहे थे।
मैंने बात की शुरुआत की तो पता चला कि उसके किसी रिश्तेदार की तबियत ख़राब होने की वजह से उसे तुंरत आगरा के पास के किसी गांव में जाना पड़ रहा है। वो शादीशुदा थी और उसकी उमर 32 साल थी। उसके बच्चे के स्कूल होने की वजह से उन्हें साथ नहीं लाई थी और उसके पति को छुट्टी नहीं मिली थी।
ठण्ड और बढ़ गई थी उसके पास एक ही शॉल थी और मेरे पास भी हम दोनों ही कांप रहे थे। मैंने उसे कहा- मेरी शॉल ले लो, तुम कांप रही हो!
तो उसने कहा- तुम भी तो कांप रहे हो और ठण्ड तो और बढ़ने वाली है!
मैंने कहा- हाँ, सही बात है, मगर तो क्या किया जाये?
वो मुस्करा दी, मैं समझ गया! उसके मुस्कुराने का तरीका उसकी ओर से खुला न्योता था मेरे लिए और मैं उसे छोड़ता?
उसने अपना मोबाइल निकाला, उसमे एक हॉट क्लिप थी, वो प्ले कर दी। मैं तो चौंक गया, एकदम बिंदास थी वो औरत! वो क्लिप एकदम हॉट थी, दो मर्द मिलकर एक लड़की को चोद रहे थे।
उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोली- इतनी सर्दी में भी कितना गरम है!
मैंने कहा- इसे मुँह में लो तो तुम्हारी सारी ठण्ड दूर हो जाएगी।
हम दोनों ने शॉल ओढ़ ली और पीछे वाली सीट पर चले गए। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं एकदम उत्तेजित हो गया था और उसके बड़े बड़े स्तनों को दबा रहा था।
वो जोर जोर से मेरा लंड चूस रही थी और उसने मेरा पानी निकाल दिया और पूरा पी गई और कहने लगी- अब मुझे गर्मी हो रही है, इतना गर्म पानी था तुम्हारा!
मैंने कहा- मगर मुझे अब भी ठण्ड लग रही है!
कहकर उसे सीट पर लेटा कर उसकी साड़ी ऊपर कर दी। बस की पिछली सीट थी और बस उछल रही थी तो मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसकी चूत चाटनी शुरु की और बाद में उसकी चूत में जोर से लंड घुसा दिया और उसके मुँह में रुमाल, ताकि आवाज़ न आये। मगर वैसे कोई चिंता नहीं थी किसी को पता नहीं था कि हम पीछे थे।
मैंने धक्के लगाना चालू किया, वो आहें भर रही थी और पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर में मैं झड़ गया और पानी उसके अंदर चला गया। इतनी गर्मी में हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे। थोड़ी देर हम शांत रहे, फिर हमने कपड़े ठीक किये और बस का ब्रेक लगा, चाय नाश्ते के लिए बस रुकी। हम ने नाश्ता किया और फिर आगरा तक मौज करते चले गए।
उसने अपना मोबाइल नम्बर मुझे दिया और कहा- आगरा में मुझे फ़ोन करना! मैं तुम्हें मिलने आऊँगी।
मगर मुझे आगरा में समय नहीं मिला तो उसे फ़ोन नहीं किया।
आज भी उसका फ़ोन आता है और हम सर्दियों की वो गरम रात को याद कर लेते हैं।
यह था मेरा यादगार अनुभव!
ऐसे कई अनुभव मुझे हुए हैं जो आगे मैं आपको बताऊँगा।
पहले इंतज़ार है आपकी राय का! आप को मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे जरुर बतायें मुझे मेल करके- Antarvasna
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