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यह कहानी एक Antarvasna सत्य घटना पर आधारित है, लेकिन इसके सभी पात्रों के नाम काल्पनिक हैं !
आज सुबह से ही मौसम बहुत रोमान्टिक था। रिम झिम पानी बरस रहा था, मैं इस विचार में था कि आज कैसे अपने आफ़िस पहुँचूंगा। इतने में बारिश बन्द हो गई। हालांकि आफ़िस के लिये अभी बहुत समय था फिर भी मैं निकल पड़ा। आफिस में सफाई चल रही थी। मैं सीधे अपने केबिन में चला गया, और कम्प्यूटर खोल कर मेल चेक किया।
मैंने सोचा कि अब क्या करें, आफिस में कोई था नहीं तो मैं नेट पर पोर्न साइट खोल कर वीडियो क्लिप्स का मजा लेने लगा। देखते देखते मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैं अपना लन्ड पैन्ट के बाहर निकाल कर सहलाने लगा।
मैं अपने में पूरी तरह से मस्त था और मुझे पता ही नही चला कि इसी बीच रश्मि (रिसेप्सिनिट) कब आ कर मेरी इस हरकत को निहार रही है। यह तो तब मुझे पता चला जब रिसेप्शन पर फोन की घन्टी अचानक बजी और उसको अटेन्ड करने के लिये मेरे केबिन की तरफ से भागी।
मैंने तुरन्त नेट बन्द किया और अपने खड़े लन्ड को पैन्ट में किसी तरह डाल कर रश्मि को डरते हुए आवाज लगाई यह जानने के लिये कि उसने मुझे उस हालत में देखा है या नहीं, उसके व्यव्हार से पता चल जायेगा।
मेरे बुलाने पर वह थोड़ी देर के बाद आई और सर झुका कर बोली- यस सर…!
मैंने पूछा- तुम कब आई?
वह थोड़ी सी रुकी, मेरी पैन्ट की तरफ देखा और मुस्करा कर बोली- जब आप कम्प्यूटर पर बहुत व्यस्त थे… सर !
मैं सकपका कर हिम्मत कर के बोला- ओह ! तो तुमने कम्प्यूटर पर सब कुछ देख लिया?
जी… ! आप जो कर रहे थे वह भी मैंने देख लिया !
क्या देखा ? मैंने मुस्कराकर पूछा।
वह बोली- आप का ‘वो’ बहुत सेक्सी है !
‘वो’ क्या? मैंने पूछा।
वह बेशर्मी से बोली- आप का काले तिल वाला लन्ड !
तुम्हें मेरा लन्ड पसन्द है?
तो वह बोली- जी !
मैंने बगैर देरी किये तुरन्त पैन्ट की जिप खोल कर लन्ड को बाहर निकाला जोकि अभी भी खडा़ था, उसको दिखाया और बोला- इसको अपने हाथ से पकड़ो और फिर बताओ कि कैसा है? वह बोली- सर कोई आ जाएगा..!!
मैंने कहा- ठीक है, आज मैं पूरे आफिस की छुट्टी कर देता हूँ !
और मैंने फोन कर के सबको सूचित कर दिया कि आज अधिक बारिश के कारण ऑफ़िस बन्द रहेगा।
फिर मैंने रश्मि से कहा- मुख्य-द्वार को अन्दर से लॉक कर दो !
वह अपनी कंटीली मुस्कुराहट के साथ दरवाज़ा लॉक करने चली गई।
इसके बाद मैंने अपनी पैन्ट को खोल कर थोड़ा नीचे सरकाया ताकि पूरा लन्ड दिखे, जिसको देख कर वह प्रभावित हो जाये और मेरी सालों की हसरत पूरी हो जाये।
खैर मैं अपना लन्ड सहलाने लगा। तभी रश्मि हौले से अपना कदम मेरे केबिन में रखते ही बोली- माई गॉड ! यह तो बहुत लम्बा और मोटा है… सर !
उसने बिना किसी डर के मेरी पैन्ट पूरी उतार दी, मेरा लौड़ा बाहर निकाला और चूसने लगी। मेरा लौड़ा और ज्यादा तन गया। वह ऐसे चूस रही थी जैसे काफी समय से प्यासी हो। मैं भी रश्मि की चूचियों को कुर्ते के ऊपर से ही धीरे-2 दबाने लगा।
उसकी चूचियां काफी बड़ी लग रहीं थी। वह मेरे लंड को बहुत अच्छी तरह से चूस रही थी। मैंने भी उसके मुँह को धीरे-2 चोदना शुरु किया उसको और मजा आने लगा।
अब वह मेरा पूरा का पूरा लौड़ा अपने मुंह में ले रही थी और एक हाथ से मेरे अण्डकोषों और दूसरे हाथ से अपनी चूत को सलवार के ऊपर से सहला रही थी। शायद वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। यह देख कर मैंने उससे कहा- अब तुम अपने सारे कपड़े उतार दो !
मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकालते हुए वह बोली- ठीक है सर…! मैं भी यही सोच रही थी !
और खड़ी हो कर वह अपने कपड़े उतारने लगी, मैंने अपने लंड की तरफ देखा, सुपाड़ा फूल कर लाल टमाटर की तरह हो गया था और मेरा लौड़ा रश्मि की चूत में घुसने के लिये पूरे साइज़ में तैयार था ।
इस बीच रश्मि पूरी तरह नंगी हो चुकी थी, क्या गजब की उसकी फीगर थी ! जैसे किसी मूर्तिकार ने बड़े इतमिनान से उसे तराशा हो ! गोरा रंग, सुन्दर बॉब कट घने बाल, तीखे नाक-नक्श, नशीली नीली आँखें, सुराही दार गर्दन, बड़ी-2 ठोस चूचियाँ, पतली कमर, सुडौल उभरे हुए चूतड़, चूत के माथे पर झाँटों की एक बारीक रेखा और उसके बगल में एक काला तिल, जो कि उसकी चूत को और सेक्सी बना रहा था, केले के तने जैसी उसकी जांघें !
कुल मिलाकर वह आकाश से उतरी कामासक्त अप्सरा लग रही थी, जिसका एहसास मुझे आज हुआ …
इससे पहले रश्मि को हमने हमेशा ढीले-ढाले कपड़ों में ही देखा था। मैं कभी सोच नहीं सकता था कि उसका जिस्म इतना खूबसूरत होगा यदि मैंने आज उसे नंगी देखा न होता।
” कहाँ खो गए…सर ?” रश्मि ने धीरे से कहा और मेरा लंड फिर से पकड़ कर सहलाने लगी।
कुछ नहीं ! मैं तो तुम्हारी सुन्दर फीगर और चूत पर काला तिल, देख कर होश खो बैठा…!
वह धीरे से मुस्कराई और बोली- आप के लन्ड के सुपाड़े के ऊपर की खाल पर भी तो काला तिल है जिसको देखते ही मैं जान गई कि आप भी बहुत बड़े चोदू हैं दुनिया की किसी भी लड़की को संतुष्ट कर सकने की क्षमता आप में है सर…
आप भी अपनी शर्ट उतारिए ना !
तुम्हीं उतार दो ना… ! मैंने मुस्कराते हुए कहा।
वो बे-झिझक मेरी शर्ट उतार कर और मेरे खड़े लंड को पकड़े थ्री-सीटर सोफे की तरफ खींचते हुए ले गई और वहाँ मुझे आराम से बैठा दिया और खुद फर्श पर घुटनों के बल बैठ कर मेरा लंड फिर से चूसने लगी।
मैं भी आराम से बैठ कर उसके मुँह को चोदने लगा। कोई 15 मिनट चुसाने के बाद मेरा लण्ड जब झड़ने वाला था तो मैंने रश्मि से कहा कि वो अपना मुँह मेरे लंड से हटा ले ताकि मैं बाहर झड़ सकूँ।
वह बोली- मैं आप का सोमरस पियूँगी !
और लगी कस के चूसने ! और फ़िर मैं एक झटके से उसके मुँह में झड़ गया। उसने मेरा सारा वीर्य बड़े चाव से स्वाद ले कर गटक लिया। रश्मि का ब्लो-जोब इतना खास था कि मेरे जैसा चोदू और अनुभवी आदमी जिसको झड़ने के लिए कम से कम 45 मिनट चाहिए, उसको रश्मि ने मात्र 15 मिनट में ही खलास कर दिया।
मैं बगैर पूछे न रह सका- रश्मि डार्लिंग ! यह बताओ ! आम तौर पर भारतीय नारी वीर्य नहीं पीती है, फिर तुमने मेरा सारा वीर्य क्यों पिया?
उसने अपनी पूरी स्पर्म थैरेपी की बात बतानी शुरू की…
आगे की कहानी दूसरे भाग में ! Antarvasna
यह Antarvasna स्टोरी एक महीने old है। हाय फ़्रेंड्स आई एम प्रीत फ़्रोम भोपाल। आप लोगों ने मेरी कहानी चाची से प्यारा कौन पढ़ी। काफ़ी अच्छा रिस्पोंस आया अच्छा लगा।
अब मैं आप लोगों को एक नयी कहानी बताने जा रहा हूँ।
अब हम लोग भोपाल में ही शिफ़्ट हो गये थे। जैसा कि आप लोगों को मालूम है कि चाची को चोद कर मुझे चोदने का शौक लग गया था तो लंड चोदने के लिये तड़पता रहता है। हमारे घर में पार्ट-टाइम नौकरानियां काम करती हैं। लेकिन कोई भी सुंदर नहीं थी। मम्मी बड़ी होशियार थीं। सब काली कलूटी और भद्दी भद्दी छांट छाँट कर रखती थीं। जानती थी लड़का बहुत ही चालु है। आखिर में जब कोई नहीं मिली तो एक लड़की को रखना ही पड़ा जो बीसेक साल की मस्त जवान कुंवारी लड़की थी। साँवला रंग था और क्या जवान, सुंदर ऐसी कि देख कर ही लंड खड़ा हो जाए। मम्मे ऐसे गोल गोल और निकलते हुए कि ब्लाउज़ में समाए ही नहीं।
बस मैं मौके की तलाश में था क्योंकि चोदने के लिये एकदम मस्त चीज़ थी। सोच सोच कर मैंने कई बार मुठ मारा। बहुत ज़ोर से तमन्ना थी कब मौका मिले और कब मैं इसकी बुर में अपना लंड घुसा दूं।
वो भी पैनी निगाहों से मुझे देखती रहती थी। और मैं उसके बदन को चोरी चोरी से नापता रहता था। मन ही मन में कई बार उसे नंगी कर दिया। उसकी गुलाबी चूत को कई बार सोच सोच कर मेरा लंड गीला हो जाता था और खड़ा होकर फड़फड़ा रहा होता। हाथ मचलते रहते कब उसकी गोल गोल चूचियों को दबाऊं। एक बार चाय लेते समय जब मैंने उसे छुआ तो मानो करेंट सा लग गया और वो शरमाते हुए खिलखिला पड़ी और भाग गयी। मैंने कहा मौका आने दे, सीमा तुझे तो खूब चोदुंगा। लंड तेरी चिकनी बुर में डाल कर भूल जाऊंगा। चूची को चूस चूस कर प्यास बुझाउंगा और दबा दबा कर मज़े लूंगा। होठों को तो खा ही जाउंगा। सीमा उसका प्यारा सा नाम था।
कहते हैं उसके घर में देर है पर अंधेर नहीं। इतवार था उस दिन और मेरे लंड देव तो उछल गये। मैं मौका चूकने वालों में से नहीं था। लेकिन शुरु कैसे करूँ। अगर चिल्लाने लगी तो? गुस्सा हो गयी तो? दोस्तो, तुम यह जान लो कि लड़कियां कितना ही शरमाये लेकिन उनके दिल में लालसा होती है कि कोई उनको छेड़े और चोदे।
मैंने सीमा को बुलाया और उसे देखते हुए कहा- सीमा, तुम कपड़े इतने कम क्यों पहनती हो?
वह बोली- क्यूं साहब, क्या कम है?
मैंने जवाब दिया- देखो, ब्लाउज़ के नीचे कोई ब्रा नहीं है। सब दिखता है। लड़के छेड़ेंगे तुझे।
वो बोली- बाबुजी, इतने पैसे कहां कि ब्रा खरीद सकूं। आप दिलवाओगे?
मैंने कहा- दिलवा तो मैं दूँगा … लेकिन पहले बता कि क्या आज तक किसी लड़के ने तेरे बदन को छेड़ा है?
उसने जवाब दिया- नहीं साहबजी।
मैंने कहा- इसका मतलब कि तू एकदम कुंवारी है?
“जी साहबजी।”
“अगर मैं कहूं कि तू मुझे बहुत अच्छी लगती है, तो तू नाराज़ तो नहीं होगी?”
“नाराज़ क्यों होने लगी साहबजी? आप बहुत अच्छे हैं।”
बस यही उसका सिगनल था मेरे लिये। मैंने हिम्मत करके पूछ लिया- अगर मैं तुझे थोड़ा सा प्यार करूं तो तुझे बुरा तो नहीं लगेगा?
अपने पैर की उंगलियों को वो ज़मीन पर मसलती हुई बोली- आप तो बड़े वो हो साहब।
मैंने आगे बढ़ते हुए कहा- अच्छा अपनी आँखें बंद कर ले और अभी खोलना नहीं।
उसने आँखें बंद की और हल्के से मुँह ऊपर की तरफ़ कर दिया। मैंने कहा- बेटा लोहा गर्म है, मार दे हथौड़ा। आहिस्ता से पहले मैंने उसके गालों को अपने हाथों में लिया और फिर रख दिये अपने होंठ उसके होंठों पर। हाय क्या गज़ब की लड़की थी। क्या टेस्ट था। संसार की महंगी से महंगी शराब उसका मुकाबला नहीं कर सकती थी। ऐसा नशा छाया कि सब्र के सारे बांध टूट गये।
मेरे होंठों ने कस कर उसके होंठों को चूसा और चूसते ही रहे। मेरे दोनों हाथों ने ज़ोर से उसके बदन को दबोच लिया। मेरी जीभ उसकी जीभ का टेस्ट लेने लगी। इस दौरान उसने कुछ नहीं कहा। बस मज़ा लेती रही।
अचानक उसने आँखें खोली और बोली- साहबजी, बस, कोई देख लेगा।
मैंने कहा- सीमा, अब तो मत रोको मुझे। सिर्फ़ एक बार।
“एक बार, क्या साहब?”
मैंने उसके कान में फुसफुसा कर कहा- अपनी बुर चुदवाएगी मुझसे? एक बार अपनी बुर में मरा लंड घुसवायेगी? देख मना मत करना। बहुत खूबसूरत है तू … मेरा दिल आ गया है तुझ पर!
यह कह कर मैंने सीमा को कस के पकड़ लिया और दायें हाथ से उसकी बायीं चूची को दबाने लगा। मुँह से मैं उसके गालों पर, गले पर, होंठों पर और हर जगह पर चूमने लगा पागलों की तरह। क्या चूची थी, मानो सख्त संतरे। दबाओ तो चिटक चिटक जाये। उफ़, मलाई थी पूरी की पूरी।
सीमा ने जवाब दिया- साहब जी, मैंने यह सब कभी नहीं किया। मुझे शर्म आ रही है।
उखड़ी सांसों से मैंने कहा- हाय मेरी जान सीमा, बस इतना बता, अच्छा लगा या नहीं। मज़ा आ रहा है या नहीं? मेरा तो लंड बेताब है जाने मन। और मत तड़पा।
“साहबजी, जो करना है जल्दी करो, कोई आ जायेगा तो?”
बस मैंने उसके फूल जैसे बदन को उठाया और बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया। कस कर चूमते हुए मैंने उसके कपड़ों को उतारा। फिर अपने कपड़ों को जल्दी से निकाला। सात इंच लम्बा मेरा लंड फड़फड़ाते हुए बाहर निकला। देख कर उसकी आँखें बड़ी हो गयी, बोली- हाय यह क्या है? यह तो बहुत बड़ा है।
“पकड़ ले इसे मेरी जान।” कहते हुए मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया।
उसके बदन को पहली बार नंगा देख कर तो लंड ज़ोर से उछलने लगा। चूची ऐसी मस्त थी कि पूछो मत। चूत पर बाल इतने अच्छे लग रहे थे कि मेरे हाथ उसकी तरफ़ बढ़ ही गये। क्या गर्म चूत थी। उंगली आहिस्ता से अंदर घुसाई। रस बह रहा था और उसकी बुर गीली हो गयी थी। गुलाबी गुलाबी बुर को उंगलियों से अलग किया, और मैंने अपना लंड आहिस्ता से घुसाया। हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे। मुँह से उसके होंठों को मैं चूस रहा था।
“आह, साहब जी, धीरे … दुःख रहा है।”
“सीमा मज़ा आ रहा है ना?”
“साहबजी, जल्दी करिये न जो भी करना है।”
“हाय मेरी जान, बोल क्या करूं?”
“डालिये न। कुछ करिये न।”
“सीमा, बोल क्या करूं?” कहते हुए मैंने लंड को थोड़ा और घुसाया।
“अपना यह डाल दीजिये।”
“बोल न, कहाँ डालूं मेरी जान, क्या डालूं?”
“आप ही बोलिये न साहबजी, आप अच्छा बोलते हैं।”
“अच्छा, यह मेरा लंड तेरी चिकनी और प्यारी बुर में घुस गया और अब ये तुझे चोदेगा।”
“चोदिये न, साहबजी।”
उसके मुँह से सुन कर तो लंड और भी मस्त हो गया- हाय सीमा, क्या बुर है तेरी, क्या चूची है तेरी। कहां छुपा कर रखा था इतने दिन। पहले क्यों नहीं चुदवाया।
“साहबजी, आपका भी लंड बहुत मज़ेदार है। बस चोद दीजिये जल्दी से।” और उसने अपने चूतड़ ऊपर कर लिये।
अब मैंने उसकी दाहिनी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। एक हाथ से दूसरी चूची को दबाते हुए, मसलते हुए, मैं उछल उछल कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। जन्नत का मज़ा आ रहा था। ऐसा लग रहा था बस चोदता ही रहूँ, चोदता ही रहूँ इस प्यारी प्यारी चूत को। मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से उसकी गुलाबी गीली गर्म गर्म बुर को चोद रहा था।
“हाय, सीमा चुदवाने में मज़ा आ रहा है न। बोल मेरी जान, बोल।”
“हां साहब, मज़ा आ रहा है। बहुत मज़ा आ रहा है। साहब आप बहुत अच्छा चोदते हैं। साहब, यह मेरी बुर आपके लंड के लिये ही बनी है। है न साहब। साहब, चूची ज़ोर से दबाइये न। साहब, ऊऊओह, मज़ा आ गया, ऊऊह्हह्ह।”
अचानक, हम दोनों साथ साथ ही झड़े। मैंने अपना सारा रस उसकी प्यारी प्यारी बुर में घोल दिया। हाय क्या बुर थी। क्या लड़की थी। गर्म गर्म हलवा। नहीं उससे भी ज्यादा टेस्टी।
मैंने पूछा- सीमा, तेरा महीना कब हुआ था री?
शरमाते हुए बोली- परसों ही खत्म हुआ। आप बड़े वो हैं। यह भी कोई पूछता है।
बांहों में भर कर होंठों को चूमते, चूचियों को दबाते हुए मैंने कहा- मेरी जान, चुदवाते चुदवाते सब सीख जायेगी।
एकदम सेफ़ था। प्रग्नेंट होने का कोई चांस नहीं था अभी। दोस्तो, कह नहीं सकता, दूसरी बार जब उसे चोदा, तो पहली बार से ज्यादा मज़ा आया। क्योंकि लंड भी देर से झड़ा। चूत उसकी गीली थी। चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी साली। उसकी चूचियों को तो मसल मसल कर और चूस चूस कर निचोड़ ही दिया मैंने। जाने फिर कब मौका मिले। आज इसकी बुर चूस ही लो। बुर का स्वाद तो इतना मज़ेदार था कि कोई भी शराब में ऐसा नशा नहीं। चोदते समय तो मैंने उसके होंठों को खा ही लिया। “यह मज़ा ले मेरे लंड का मेरी जान। तेरी बुर में मेरा लंड – इसी को चुदाई कहते हैं सीमा। कहां छुपा रखी थी यह चूत जानी।” कहते हुए मैं बस चोद रहा था और मज़ा लूट रहा था।
“चोद दीजिये साहबजी, चोद दीजिये। मेरी बुर को चोद दीजिये।” कह कह कर चुदवा रही थी मेरी सीमा।
दोस्तो, चुदाई तो खत्म हुई लेकिन मन नहीं भरा, उसे दबोचते हुए मैंने कहा- सीमा, मौका निकाल कर चुदवाती रहना। तेरी बुर का दिवाना है यह लंड। मालामाल कर दूंगा जाने मन। Antarvasna
यह कह कर मैंने उसे दो सौ रुपये दिये और चूमते हुए मसलते हुए विदा किया।
मैं जबलपुर का रहने वाला एक Hindi Sex Stories २६ वर्षीय युवक हूँ। एक गलत नंबर पर फोन लगने से क्या क्या हो सकता है, मैं आपको बताता हूँ।
यह बात उन दिनों की है जब कॉलर आई डी नया नया आया था। उसके बाद फोन पर लड़की पटाने में महारत हासिल कर ली। एक दिन मैंने शाम करीब ४ बजे एक ट्रेवल एजेंट को फोन लगाया, गलती से वो फोन किसी और के घर पर लग गया। एक लड़की की आवाज़ थी। मैंने पूछा- आप ट्रेवल ऐजेन्सी से बोल रही है?
उसने कहा- नहीं !
और फ़ोन रख दिया।
क्योंकि मैं कुंवारा हूँ इसलिए चुदाई की हमेशा इच्छा होती रहती है। मैंने अपने कालर आई डी पर नंबर देखा और फिर से फ़ोन किया तो उसी लड़की ने फोन उठाया। मैंने उससे कहा- नंबर गलत होने के बावजूद मैं आपसे बात करना चाहता हूँ !
तो लड़की बोली- कोई ज़रूरत नहीं ! आप अपना और मेरा समय बर्बाद ना करें !
और वो फोन रखने वाली थी कि मैंने उससे कहा कि आपकी आवाज़ बहुत अच्छी है, मैं आपके साथ कुछ देर बातें करूँगा, फिर कभी डिस्टर्ब नहीं करूंगा।
उसने कहा- बोलो ! क्या बोलना है !
मैंने कहा- मुझे आपकी आवाज बहुत अच्छी लगी, मुझे आपसे दोस्ती करनी है।
उसने पूछा- आपने मेरा नंबर फिर से कैसे लगा लिया?
मैंने कहा- रिडायल का बटन दबा दिया।
खैर थोड़ी देर यूँ ही बातें होती रही, उसकी आवाज दरअसल बहुत अच्छी और सेक्सी थी जिसे सुनकर मेरा लंड खडा हो रहा था। बातों बातों उसने कह दिया कि वो पोस्ट-ग्रेजुएट है और शादी की बातें चल रही हैं।
फिर उसने कहा- पापा ऑफिस से आने वाले हैं, मैं रखती हूँ।
मैंने कहा- अपना नंबर तो बता दो !
उसने कहा- नहीं !
तो मैंने कहा- मेरा नंबर ही सुन लो !
उसने यह कह कर फ़ोन रख दिया- ठीक है पर कोई फायदा नहीं है।
दो तीन दिन बीत गए, मैं इंतज़ार करता रहा। फिर एक दिन उसका मिस-कॉल आया मैंने वापस फोन नहीं किया ताकि उसको पता ना चले कि मेरे पास उसका नंबर है। दो तीन बार उसका मिस-कॉल आया तो मैंने उसे फ़ोन लगा कर कहा- बड़ी मुस्किल से बात हुई, मैंने बहुत नंबर लगाये जो पहले वाले नंबर से मिलते-जुलते हैं।
मुझे पता चल चुका था कि उसे मुझसे बात करने की इच्छा है, तो मैंने उसे कहा- तुम्हारी बहुत याद आ रही थी, मैं तुम्हारी आवाज़ सुने बगैर नहीं रह सकता हूँ।
फिर पूछा- अब तो नंबर बता दो ! कितना पैसा बर्बाद करवाओगी?
तो उसने नंबर बता ही दिया धीरे धीरे रोज बातें होने लगी। एक दिन रात को मैंने फ़ोन लगा कर कह दिया- मेरा लण्ड खड़ा है, मुझे किस करो !
वो ये सब सुनकर थोड़ा घबरा गयी और कहने लगी- कल दिन में बात करेंगे।
मैंने कहा- नहीं, मुझे अभी अपना माल निकालना है।
उसने कहा- नहीं, कोई आ जाएगा और उसे डाँट पड़ेगी !
मैंने कहा- तो कल के लिए प्रोमिस करो कि कहीं मिलोगी !
वो मान गई और हमने जगह तय की और मैं ठीक टाइम पर पहुँच गया, जैसा उसने कहा था कि वो एक्टिवा से आएगी और सफ़ेद सूट पहना होगा। मैंने उसे देखकर पहचान गया और हम एक साइबर में बैठ गए। लड़की दिखने में ठीक ठाक थी पर फिगर गजब का बड़े बड़े दूध गजब की गांड देखके लग रहा था शादी के लिए बिलकुल तैयार है। थोड़ी देर बातें की और मैंने एक गरम साईट ओपन कर दी जिसे देखकर वो पसीना पसीना होने लगी।
मैंने सीधे उसका होंट चूम लिया और एक हाथ से दूध मसलना शुरु कर दिया, वो कांपने लगी और पूरी तरह पसीने से तर-बतर हो गई। मैंने केबिन के अन्दर पंखा चला दिया और और उसका नाड़ा खोल दिया और चूत सहलाने लगा। उसकी आँखें बंद, चूत में पानी आने लगा। मैंने उसका कमीज़ उठा दिया और दूध को होंटों से पीने लगा। धीरे धीरे सलवार उतार दी और पैंटी को जांघ तक कर दिया फिर चूत को चूसा, गांड के छेद को चाटा। उसकी हालत मैं देख रहा था, वो धीरे धीरे अपना हाथ मेरे कंधो पर कस रही थी और अपनी गांड आगे पीछे करने लगी।
मैंने अपना जिप खोल दी लण्ड को बाहर निकाल लिया और उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया्। शायद उसका और मेरा पहला सेक्स एक्सपेरिएंस था जिसे हम खूब एन्जॉय कर रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया मैंने कुर्सी पर बैठ कर उसे अपने ऊपर बिठा लिया और पीछे से चूत में लण्ड डाल दिया। चूत की फिसलन में लण्ड अन्दर चला गया मेरा लण्ड मानो स्वर्ग में था। मैं गर्म गर्म महसूस हो रहा था। मैं ज्यादा कर नहीं पाया, मेरा रस उसी के अन्दर निकल गया।
खैर आज पूरे तीन साल हो गए, वो पी एच डी कर रही है, शादी अभी करना नहीं चाहती, न ही हमारा दिल का कोई सम्बन्ध है पर हर हफ्ते दो से तीन बार कहीं न कहीं हम लोग चुदाई करते हैं। अब मेरी प्रैक्टिस भी अच्छी हो गई है। बिना शादी किए शादीशुदा जैसा समय लगता है। उसे भी जब भी चुदने का मन होता है, फ़ोन करती है। कभी कभी रात में चोरी छुपे उसके घर पे जाकर उसके कमरे में रात बिताता हूँ। कभी परीक्षा देने दूसरे शहर जाती है तो मैं भी साथ चला जाता हूँ। एक ही होटल में पति पत्नी की तरह रहते हैं और खूब चुदाई करते हैं।
इन तीन सालों में मैंने ५-६ लड़कियाँ और आंटी को इसी तरह पटा चुका हूँ और चोद रहा हूँ।
दोस्तों यकीन माने, चाहे लड़का हो या लड़की, सभी को नया माल पसंद है, सभी को सेक्स पसंद है। मेरी सभी से गुजारिश है कि बातों में जल्दबाज़ी न करें, पहले हलके हलके पटायें फिर सेक्स की बातें करें।
मुझे मेल करें Hindi Sex Stories
दोस्तो Hindi porn stories मुझे शुरू से ही शादीशुदा औरतो में दिलचस्पी ज़्यादा है। उसका कारण ये है कि शादीशुदा औरतों का यौवन और उनके चेहरे पर शादी के बाद जो चमक नहोती है
उसे देखकर मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ जाती है तब मुझसे अपने लिंग पर काबू ही नहीं किया जाता और मुझे हस्तमैथुन करके इसे शांत करना पड़ता है। हालाँकि कॉलेज में टॉपर होने की वजह से कई लड़कियाँ मुझसे बड़ी इंप्रेस्ड हैं पर उनके यौवन में मुझे वो बात नज़र नहीं आती जो एक विवाहित महिला के यौवन में होती है। शादी के बाद नया नया संभोग के बाद उनके शरीर में एक अलग ही बदलाव आ जाता है। उनके नितंबो में जो कसाव और शरीर में जो भराव आता है उसकी बात कुछ अलग ही होती है
अभी कुछ ही समय की बात है उस समय मेरे घर में नये किरायेदार आए। उनकी शादी को अभी दो ही साल हुए थे और वो पति पत्नी दोनो वर्किंग थे। राजेश एक मल्टिनॅशनल कंपनी में जॉब करते थे और रीना मेरे ही कॉलेज में प्रोफेसर थी। दोनो कुछ ही समय पहले दिल्ली में आए थे इसलिए उन्हें नये घर की तलाश थी। चूँकि क्लास में हमेशा टॉप करता था तो अक्सर मेरी रीना से सब्जेक्ट्स को लेकर बात होती थी। एक दिन उन्होने मुझसे किराए का घर ढूँदने के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें अपने घर को किराए पर लेने के लिए कहा, उन्हें घर पसंद आ गया, और वो कॉलेज के पास भी था इसलिए उन्होंने घर किराए पर ले लिया। मैंने उनसे घर पर पढ़ना शुरू किया और जब उनको करीब बैठ कर देखा तो मैं पागल हो गया। रीना के शरीर में जो बात थी क्या कहने, एक दम गोरा रंग, बिल्कुल स्लिम बॉडी और खड़ी हुई चुचियाँ, कद करीब पाँच फुट सात इंच और खूबसूरती इतनी कि किसी का भी जी ललचा जाए। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। अब पढ़ाई में तो दिमाग़ ही नहीं लगता था।
मैंने अक्सर उनके करीब जाने के मौके तलाशने शुरू कर दिए। एक बार उनके पति किसी काम से कुछ से कुछ दिनों के लिए बाहर गये तब मैंने रीना के करीब जाने के और मौके तलाशने शुरू कर दिए। उनके बेडरूम की एक खिड़की उस रात को खुली थी। मैंने करीब आधी रात के समय उसमें झाँक कर देखना शुरू किया क्योंकि तब तक मेरे सब घर वाले सो चुके थे। रीना के कमरे में जो नज़ारा था उसे देखकर मैं पागल हो गया। रीना अपने बेड पर नग्न अवस्था में लेती हुई थी और अपनी योनि को मसल कर कर सिसकियाँ ले रही थी। मानो ऐसा लग रहा था कि कितने दिनों संभोग न किया हो। मेरे हाथ मेरे लिंग का कड़ापन महसूस कर रहे थे और मैंने तभी वहीं हस्तमैथुन किया। रात भर मुझे नींद नहीं आई। अगले दिन कॉलेज से जब मैं वापिस आया तो देखा मेरे सब घर वाले कहीं बाहर गये हुए थे मैंने घर की चाबी के लिये रीना से पूछा तो रीना अपने कमरे से बाहर आई और मुझे बोली कि चाबी तो नहीं है पर तब तक के लिए तुम मेरे कमरे मे बैठ जाओ। उस समय उन्होंने भी कॉलेज से आकर चेंज ही किया था तो उन्होंने शॉर्ट नाइटी डाली हुई थी। वो मेरे सामने ही सोफे पर बैठ गयी और मुझसे बातें करनी लगी। बातें करते हुए मुझे ध्यान आया कि जिस तरह टांगे खोल कर वो बैठी थी उनकी जांघें दिखाई दे रही थी। और ध्यान देने पर मैंने पाया कि उन्होंने अंदर कुछ नहीं डाला हुआ था। मेरे लिंग पर मेरा काबू न रहा और वो टन कर खड़ा हो गया। तभी उन्होंने मुझसे कहा कि रात को चोरों की खिड़की में देखना ठीक नहीं। मैं घबरा गया कि इन्हें कैसे पता चला कल रात के बारे में।
रीना – ये ठीक नहीं है कोई और रात को तुम्हें हस्तमैथुन करते हुए देख लेता तो, मैं जो भी कर रही थी अपने कमरे में कर रही थी, आगे से ध्यान रखना।
मैने थोड़ा झुक कर उनकी टांगों के बीच में देखना शुरू कर दिया।
रीना – ये क्या कर रहे हो। कहाँ देख रहे हो?
मैंने कहा अब तो मैं कमरे के अंदर हूँ।
रीना – बड़े समझदार बनते हो। वो मेरे मंसूबे जान गयी थी।
मैंने हिम्मत कर के उनकी टाँगो पर हाथ रख दिया।
रीना – बस टाँगो से ही प्यार है या आगे भी बढ़ना है।
वो बोली – अक्सर राजेश तो बाहर रहते हैं और मुझे अकेले रहना पड़ता है। उन्हें मेरे यौवन की प्यास की कोई कदर नहीं है। इसलिए मुझे अकेलेपन में यूं सिसकना पड़ता है।
पर तुम्हें कल रात देख कर मुझे भी कुछ हो गया। कितना बड़ा लिंग है तुम्हारा। लगता है बड़ी ब्लू फ़िल्में देखते हो और हस्तमैथुन कर कर के ऐसा लंबा कर लिया है। मैं इसका स्वाद चखना चाहती हूं अब तो मेरे दिल की बात उन्होंने कह दी। मैंने अपने दोनो हाथों से उनकी जाँघो को सहलाना शुरू कर दिया। साथ ही उनके होंठो की ओर अपने होंठ बढ़ा दिए, हम एक दूसरे को काफ़ी देर तक किस करते रहे और फिर मैं उनके साथ उनके बेडरूम में चला गया।
रीना – मेरा यौवन देखना चाहोगे और ये कहते ही उन्होंने अपनी नाइटी उतार दी।
सच में शादीशुदा औरत के नग्न जिस्म को मैं पहली बार देख रहा था और बेकाबू होकर मैंने उनके बूब्स चूसने शुरू कर दिए। और वो और कसते चले हो गये और पूरी तरह खड़े हो गये।
रीना – पहले कभी संभोग किया है।
मैंने कहा – नहीं।
तो फिर तो तुम अभी कच्चे हो,,, ये कहते हुए उन्होंने मेरी पैंट उतार दी मैंने अंडरवेर नहीं पहना था और मेरा एक बार स्खलित भी हो गया था। गीली पैंट देख कर रीना बोली। रीना – बस इतने में ही झड़ गया। तो तुम क्या करोगे।
मैंने कहा – पहली बार किसी शादीशुदा को नग्न देखकर ये झड़ गया। अभी दस बार और झड़ सकता है।
तब मैंने कहा – मुझे आपकी योनि देखनी है। वो बेड पर लेट गयी और अपनी टांगे खोल दी। मैंने पहली बार किसी चूत को देखा था मैंने सीधा उसे चाटना शुरू कर दिया ।
रीना – अरे बड़े बेकाबू हो। चलो कोई बात नहीं। पहली बार तो ऐसा ही होता है।
मैंने अपनी जीभ उनकी योनि में फिरानी शुरू कर दी। वो सिसकने लगी।
मैंने जीभ को और अंदर डालना शुरू कर दिया।
रीना – अरे ऐसे चूसोगे तो मैं झड़ जाउंगी। मैंने स्पीड थोड़ी कम कर दी और उनके ऊपर आकर उनके बूब्स दबाने शुरू कर दिए।
रीना – मुझे तुम्हारे लिंग का टेस्ट करना है। मैंने कहा तो आ जाओ सिक्स नाइन की पोज़िशन में
रीना – वो क्या है।
मैंने कहा – ब्लू फिल्म्स नहीं देखी क्या कभी।
रीना – वो तो तुम किड्स देखते हो। हम तो वो सब असली में करते हैं।
और मैंने उनको सिक्स नाइन की पोज़िशन में लाकर अपना लिंग उनके मुँह में डाल दिया और उनकी योनि चाटने लगा। हम दोनो ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैंने देखा कि उनकी टाँगे कसती जा रही हैं और एक दम उनकी योनि ने इतनी ज़ोर से मेरे मुँह पर अपना पानी झाड़ दिया कि मेरा पूरा मुँह गीला हो गया। मैंने ऐसा पहले कभी ब्लू फिल्म्स में भी नहीं देखा था।
रीना – देखा लड़के इतना तुम्हारा दस बार में भी नहीं झड़ सकता जितना हम एक बार में निकाल देते हैं।
मैं बोला – इसके स्वाद में तो मज़ा आ गया और कहा कि मेरा वीर्य भी तो चख कर देखो लो
उन्होंने कहा – तो आ जाओ – पहले उन्होंने मेरा लिंग अपने बूब्स में दबा कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया, मुझे मज़ा आने लगा। मेरा लिंग और कड़ा हो गया। तब उन्होने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में ले लिया। धीरे धीरे वो उसे पूरा निगलने लगी। मेरी उत्तेजना चरम पर जाने लगी और बंदूक की तरह मैंने उनके मुँह के अंदर वीर्य की धार मार दी।
रीना – ये तो अमृत से भी ज़्यादा स्वाद है। मज़ा आ गया। पर अब मेरी प्यास कौन शांत करेगा। तुम तो दो बार झड़ चुके हो।
अब तो तुम्हारा खड़ा नहीं रहेगा ज़्यादा देर।
मैंने कहा – मैं तो अभी पहले की तरह ही हूं और कई बार और मूठ की धार छोड़ सकता हूं। पर आपका नहीं पता, इतना ज़्यादा झाड़ा है आपने, अब भी है उत्तेजना आपमें बाकी?
रीना – औरत की प्यास को मर्द कभी समझे ही नहीं। मेरा शरीर जल्दी हुई मशाल की तरह है। तुम जैसे लड़को के तो कई लंड जला सकता है।
मैंने कहा – ऐसी बात तो आ जाओ एक बार और मेरे लंड की गिरफ़्त में।
रीना – काफ़ी जल्दी काफ़ी कुछ सीख रहे हो
मैंने कहा – आपका स्टूडेंट हूं ना
रीना – आओ कितने दिनों से ये सील टूटी नहीं है आओ इसे तार – तार कर दो।
मैने अपना सूपाड़ा उनकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उस पर फेरने लगा।
रीना – तुम तो मुझे जला दोगे। प्लीज़ अब अंदर डाल दो।
मैंने ज़ोर लगाना शुरू किया पर मेरा इतना मोटा और कड़ा था कि अंदर नहीं जा रहा था आसानी से। मैंने ज़ोर लगाया तो उनकी चीख निकल गयी। पर लंड अंदर नहीं गया और चूत से खून निकालने लगा।
रीना – सही में तुम तो मर्द से कुछ ज़्यादा ही हो। खून निकाल दिया मेरी चूत से पर अंदर नहीं गया। थोड़ी सा झाग लगा कर साबुन का फिर कोशिश करो।
मैं बाथरूम से साबुन का झाग ले कर आया और उसे लॅंड पर मसल लिया। अब मैंने ज़ोर लगाना शुरू किया। रीना दर्द से चिल्लाने लगी और मैंने फिर पूरी ताक़त लगा कर एक ज़ोर का झटका दिया और मेरा लंड चूत से खून के छींटे मेरे मुँह पर मारते हुए अंदर चला गया। रीना की साँस गले में ही अटक गयी।
रीना – बड़ा दर्द हो रहा है पर ऐसा मज़ा भी कभी नहीं आया। अब तो मेरी चूत को जला दो एक दम।
मैंने झटके बढ़ने शुरू कर दिए। उनके मुँह से उउऊहह आअहह आआअहह की आवाज़ें तेज आ गयी।
रीना – और ज़ोर से, और ज़ोर से, फाड़ दो मुझे और मेरी चूत को
मैने झटके बढ़ाने शुरू कर दिए और उनकी चूची चूसनी शुरु कर दी। उनकी उत्तेजना और बढ़ने लगी और तब मैंने ध्यान दिया उनके बूब्स और कड़े हो गये तब मुझे लगने लगा कि अब ये झड़ने वाली है मैने झटके तेज कर दिए और तभी मेरा झड़ गया पर मैंने झटके देने चालू रखे और वो इतनी गरम हो गयी कि उनका भी झड़ गया मैंने उनके पानी को अपने मुँह पर मसल लिया और हम दोनो ठंडे पड़ गये। मैं उनके साथ ही उनके बिस्तर पर लेटा रहा कुछ देर तक उनके साथ चिपक कर। अभी भी हम दोनो अपने जिस्म की सिरहन महसूस कर रहे थे।
रीना – तुम्हारा वीर्य तो मेरी चूत मे अंदर चला गया, अगर मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो, मैंने कहा चिंता मत करो बाज़ार में कई गोलियाँ आती है जो ऐसा होने पर भी प्रेग्नेन्सी रोक देती है।
वो ले लेना और मैं फिर अपने कपड़े पहन कर बाज़ार चला गया गोलियाँ लाने। अब ये सिलसिला कई दिनों तक चला। फिर उनके पति का ट्रान्स्फर हो गया और मैं अकेला हो गया। Hindi porn stories
मेरा नाम अजय है। मैं चण्डीगढ़ का Hindi Porn Stories रहने वाला हूँ, ५ फ़ुट ८ इंच, देखने में स्लिम और गोरा हूँ। मैंने कई कहानियाँ पढ़ी और सोचा मैं भी कुछ अपनी बातें आपको बताऊँ !
मैं अकसर चैटिंग करता रहता था और आँटी ढूँढा करता था, पर कभी कोई आंटी नहीं मिली।
एक दिन अचानक बातें करते हुए एक लड़की से चैट शुरू हुई … उस का नाम रानी था, पँजाब की रहने वाली थी .. बातें शुरू हुई फिर मेसेज से बातें होने लगी। यूँ ही कुछ महीने बाद उस का एक रात को फ़ोन आया, फिर वो धीरे धीरे प्यार की बातें करने लगी और बातों बातों में वो सेक्स चैट पे आ गई और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। फिर तो पूरी रात मैं उससे फ़ोन पे सेक्स करता रहा।
यूँही जब भी उसका मूड करता, वो रात को सेक्स-चैट करती और पानी निकल जाने पर ही फोन काट देती। अब मैं भी उससे मिलना चाहता था। कुछ महीने बाद वो चंडीगढ़ आई और मिलने के लिए फ़ोन किया।
जब उस से पहली बार मिला, या खुदा … ! क्या लड़की थी ! पतली पतली लम्बी ५-९ होगी, वैसे मुझे मोटे मोटे मोमे बहुत पसंद हैं पर उसके छोटे-छोटे तीखे स्तन देख केर मेरा उनको छूने का दिल करने लगा ! सच में एक हसीन रानी थी, हम लोग एक होटल में मिले, खाया पिया और बातें की, फिर चले गए, पर मेरे मन में उसको चोदने को कर रहा था।
कुछ महीने बाद वो फिर चंडीगढ़ आई, इस बार मेरे घर पर कोई नहीं था, मैंने उसको मिलने के लिए अपने घर पर ही बुलाया। जब वो कमरे में आई तो उस ने कसा सूट पहना हुआ था, मेरा मन उसका जूस पीने को हो रहा था, हम लोग बिस्तर पे बैठ कर बातें करने लगा।
फिर मैंने उसके हाथ को पकड़ लिया और बिस्तर पर लेट जाने को बोला वो मान गई। फिर मैंने उसकी आँखें बंद की और उसकी आँखों पर चूम लिया, फिर उसके गालों पे, फिर उसके होंटो को चूमा। उसके होंठ क्या गुलाबी थे !
कम से कम बीस मिनट तक मैं उसके होंठ चूसता रहा !
फ़िर मैंने उसके स्तनों को ऊपर से दबाना शुरू किया, वो सिसकारी भरने लगी। मैंने उसके स्तनों की नोकों को उंगलियों में पकड़ के जोर से मसल दिया, वो चीखी- क्या कर रहे हो? प्यार से करो !
फ़िर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए, पहले शर्ट, फ़िर ब्रा खोल कर दोनों बूब्स को अपने हाथों में ले लिया और उनके साथ खेलने लगा, उसके चूचुक को प्यार प्यार से रगड़ने के बाद उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया, वो एकदम गरम हो गई थी। फिर मैंने अपने प्यारे इलाके (नाभि) पेट को चूसना शुरू किया। वो तड़प रही थी और मेरे बालों में हाथ घुमा रही थी।
नाभि को चूसने के बाद मैंने उसके हिप्स को अपने हाथों में ले कर दबाना शुरू कर दिया और उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसकी सलवार खोल कर उसकी पैंटी उतार कर उसकी चूत देखी। क्या छोटी सी प्यारी चूत थी ! हल्के हल्के बाल थे ! मैंने एक ऊँगली उसकी चूत पर रखी तो वो पागल सी हो गई। मैंने धीरे से एक ऊँगली उसकी चूत के अंदर डाली, ऊँगली आराम से अंदर चली गई, शायद चूत गीली थी इसलिए, फिर मैंने दो उँगलियाँ डाली, फिर तीन ऊँगली एक साथ में डाल दी।
वो बोली- बस मत करो !
मैंने फिर दो ऊँगलियों से उसको चोदना शुरू किया, अब तक वो पूरी तरह तैयार हो गई थी।
फिर उसने बोला- अब डाल भी दो !
मैंने अपना लण्ड निकला और उस के। होंटों पे रखा, उस ने किस किया और एक बार में ही पूरा लण्ड मुंह के अंदर ले लिया, फिर निकाल के बोली- अब इसको डाल दो मेरी चूत में !
मैंने लौड़ा उसकी चूत पे रखा और धीरे से चूत को रगड़ने लगा, फिर एकदम एक ही झटके से उसकी चूत में डाल दिया अपना लौड़ा। उसकी गीली गर्म चूत में पहले थोड़ी सी परेशानी हुई फिर सारा का सारा लण्ड अंदर चला गया, उसने मुझे कस के पकड़ लिया।
मैंने भी धक्के मारना शुरू कर दिया, मैं धक्के मार रहा था और लण्ड अन्दर बाहर आ जा रहा था। कम से कम २० मिनट तक चोदने के बाद मेरा रस निकलने लगा। मैंने अपना लण्ड निकाल के उसके होंटों के बीच में घुसा दिया, वो चूसती रही और सारा रस पी गई।
दोस्तों यह थी मेरी कहानी !
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