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Massage Girl in Alappuzha: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Alappuzha who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Alappuzha that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Alappuzha massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Alappuzha who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Alappuzha massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Alappuzha massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Alappuzha who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Alappuzha employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Alappuzha helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Alappuzha

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Alappuzha at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ Hindi Sex Stories कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के लिये हमारे साथ यहां आ गया था। मेरा देवर राहुल कॉलेज में था उसे सुबह जाना होता था और 12 बजे तक वापस आ जाता था। मैं दोनों का नाश्ता और खाना सुबह ही तैयार देती थी। राहुल सवेरे उठ कर मुझे जगा देता था, कई बार मैं कम कपड़ो में सोती थी, तब राहुल मुझे बहुत गौर से देखता रहता था। शायद वो मेरे बोबे निहारता था। अगर कभी कभी रात को पति से चुदाने के बाद मैं ऐसे ही सो जाती थी। मुझे अस्तव्यस्त कपड़ों में राहुल का मुझे ऐसे निहारना रोमांचित कर देता था। पर वो तो दिन भर अपने आप को इन चीज़ो से अनजान ही बताता था। वो भी जब कभी पेशाब करता था तो मौका देख कर लण्ड को ऐसे निकाल कर करता था कि उसका लण्ड मुझे दिख जाये। मैं भी उसके लण्ड की छवि मन में उतार लेती थी और वो मेरे मन में बस जाता था। अपने ख्यालो में मैं उस लण्ड से चुदती भी थी।

जब वो करीब 12 बजे दिन को लौटता था तो उसे खाना परोसते समय मैं झुक कर अपने स्तन के दर्शन जरूर कराती थी, वो भी तिरछी नजरों से मेरे सुडौल स्तनों का रसपान करता था। पजामे में से उसका लण्ड जोर मारता स्पष्ट दिखाई देता था।

जब दोनों तरफ़ आग लगी थी तो देरी किस बात की थी। जी हां … हमारे रिश्तों की दीवार थी, मेरी उम्र की दीवार थी … उसे तोड़नी थी … पर कैसे ??? देखने दिखाने का खेल तो हमने बहुत खेल लिया था … अब मन करता था कि आगे बढ़ा जाये, कुछ किया जाये … … शायद ऊपर वाले को भी हम पर दया आ गई थी … … यह दीवार अपने आप ही अचानक टूट गई।

दिन में खाना खा कर राहुल अपने बिस्तर पर लेटा था। मैं भी अपने कमरे में जा कर लेट गई थी। मन तो भटक रहा था। मेरे हाथ धीरे धीरे चूत पर घिस रहे थे। मीठी मीठी सी आग लग रही थी। मेरा पेटीकोट भी ऊपर उठा हुआ था। हाथ दाने को सहला रहा था। अचानक मुझे लगा को कोई है? मैंने तुरन्त नजरें घुमाई तो राहुल दरवाजे पर नजर आ गया। मैंने जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लिया और बैठ गई। राहुल डर गया और जाने लगा … शायद वो कुछ देर से मुझे देख रहा था …

“ए राहुल … इधर आ … ” मैंने उसे बुलाया ” देख भैया को मत कहना जो तूने देखा है।”

“नहीं भाभी, नहीं कहूंगा … आपकी कसम !”

“ले ये 50 रु रख ले बस … !” मैंने उसे रिश्वत दी। राहुल की आंखे चमक उठी, उसने झट से पैसे रख लिये।

“आप बहुत अच्छी है भाभी … !” उसका लण्ड अभी भी उठान पर था, मुझे ये सब करता देख कर वो उत्तेजित हो चुका था।

“तुझे अच्छा लगा ना … ” मैंने शरम तोड़ना ही बेहतर समझा।

“हां … भाभी, पर आप भी मत कहना भैया से कि मैंने आपको ये सब करते हुये देख लिया है।”

मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई … तो सब इसने देख लिया है … मैं समझी थी कि बस थोड़ा सा ही देखा होगा। मुझे लगा कि अब राहुल मुझसे चुदाई के बारे में फ़रमाईश करेगा। पर हुआ उल्टा ही … राहुल की सांसे तेज हो गई थी … उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था … राहुल मेरे कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया। मुझे लगा कि आज मौका है, लोहा गर्म है, माहौल भी है … कोशिश कर लेनी चाहिये।

इसी कशमकश में 15 मिनट निकल गये। हिम्मत करके मै उठी और धीरे से उसके कमरे में झांका। वो किन्हीं ख्यालो में खोया हुआ था या उसे वासना की खुमारी सी आ रही थी। पजामे में उसका लण्ड खड़ा था और उसके हाथ उस पर कसे हुये थे। आंखे बन्द थी और वो शायद हौले हौले मुठ मार रहा था। शायद मेरे नाम की ही मुठ मार रहा था। आनन्द में मस्त था वो। मैं दबे पांव उसके बिस्तर के पास आई और उसके बालों पर हाथ फ़ेरा। उसने अपनी आंख नहीं खोली, शायद वो इसे सपना समझ रहा था। मैंने अपना होंठ उसके होंठो से मिला दिये और उसे चूमने लगी। वो तन्द्रा से जागा। उसके होंठ कांप उठे और अपने आप खुल गये।

” भाभी … आप … !” उसके हाथ मेरी कमर में आ गये, उसकी वासना से भरी आंखे गुलाबी हो रही थी।

“राहुल मत बोल कुछ भी … तू मुझे प्यार करता है ना … !” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लग गई, ताकि उसके इन्कार की गुन्जाइश नहीं रहे।

“भाभी … हाय मेरा लण्ड … मैं मर गया … मत करो ना … !” उसकी झिझक अभी बाकी थी। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।

“तू कितनी बार मुठ मारेगा … आजा आज अपनी कसर निकाल ले, कितना मोटा लण्ड है तेरा … !” उसके लण्ड को मैंने जबरदस्ती कस कर पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। आखिर उस पर वासना सवार हो ही गई। उसने विरोध करना छोड़ दिया और लण्ड को मेरे हवाले कर दिया। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसे अपने जिस्म के नीचे दबा लिया। अपना पेटीकोट भी ऊपर करके नंगी चूत उसके पजामे में खड़े कड़क लण्ड के ऊपर रख दी और हौले हौले घिसने लगी। राहुल उत्तेजना से तड़प उठा। उसने मेरे कठोर स्तन थाम लिये और सहलाने लग गया। मेरे स्तन कड़े होते जा रहे थे। चूचक भी कड़क हो कर फूल गये थे। चूत से पानी रिसने लगा था। मेरे शरीर का बोझ उस पर बढ़ने लगा।

“राहुल पजामा उतार दे ना … हाय रे देख तेरे लण्ड की क्या हालत हो रही है।” मुझे चुदाने की जोर से इच्छा होने लगी थी। चूत में जोर की मिठास भरने लगी थी।

“भाभी, आप भी पेटीकोट उतार दो ना … मुझे आपका सब देखना है … ” उसकी बेताबी देखते बनती थी, लगता था कि राहुल की भी प्रबल इच्छा हो रही थी कि अपनी भाभी की मस्त चूत और गाण्ड की प्यारी प्यारी गोलाइयाँ देखे।

“सच राहुल … मेरी चूत देखेगा, … मेरी चूंचिया देखेगा … सुन, अपना लण्ड मुझे दिखायेगा ना !” मेरी बेताबी बढ़ने लगी। चूत का पानी साफ़ करते करते पेटीकोट भी गीला हो गया था।

“हां, मेरी भाभी … जो चाहोगी आप कर लेना।” राहुल नंगा होने को बेताब लग रहा था। उसकी कमर चोदने की स्टाईल में कुछ कुछ ऊपर नीचे हो रही थी।

मैंने धीरे से उसका पजामा उतार दिया। उसका मस्त तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। थोडी सी गोल सी चमड़ी में से उसका सुपाड़ा झांक रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की चमड़ी खींच कर लाल सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी स्किन लगी हुई थी , मतलब उसने किसी को नहीं चोदा था, फ़्रेश माल था। मेरा प्यार उस पर उमड पड़ा।

“राहुल, प्लीज अपनी आंखे बन्द कर लो, मुझे अब कुछ करना है … !” मैंने राहुल से वासनामय स्वर में कहा। राहुल ने चुपचाप अपनी आंखे बन्द कर ली। मैंने थूक का बड़ा सा लौन्दा उसके सुपाड़े पर रख दिया और उसे मलने लगी। उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैंने अब झुक कर उसका मस्त लण्ड मुख में ले लिया और मुख में लण्ड अन्दर बाहर करके अपना मुख चोदने लगी। वो मस्ती में सिमट गया और … आहें भरने लगा।

“अपनी टांगे उठाओ राहुल … थोड़ी और मस्ती करनी है … !” मुझे उसकी गाण्ड को अंगुली से चोदने की इच्छा होने लगी।

“लो उठा ली टांगें … ” उसने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। उसकी गाण्ड खुल गई।

मैंने उसकी गाण्ड को सहलाने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के फ़ूल को छूने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के छेद में थूक लगा कर एक अन्गुली धीरे से अन्दर सरका दी। राहुल चिहुंक उठा। धीरे धीरे अंगुली अन्दर बाहर करने लगी … राहुल झूम उठा।

“भाभी … आप तो सब कुछ जानती है … कितनी अच्छी है … कितना मजा आ रहा है … मेरा लण्ड रगड़ दो ना !” उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, आहें फ़ूट पड़ी।

“मजा आ रहा है ना … !” मैंने दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड कर मुठ मारना चालू कर दिया। पर ये क्या … वो टांगे समेट कर एठने लगा और उसका वीर्य छूट पड़ा। ढेर सारा वीर्य निकलता गया … मैंने फ़ुर्ती से लण्ड को अपने मुख में ले लिया और गटागट पीने लगी। उसकी गाण्ड में से अन्गुली निकाल ली। उसकी सांसे उखड़ रही थी। वो अब धीरे धीरे अपनी सांसें समेट रहा था, अपने आप को कन्ट्रोल कर रहा था।

अब कपड़े उतारने की मेरी बारी थी। मैं भी बेकाबू हो रही थी। मैं चाह रही थी कि वो भी मेरे जिस्म से खेले। मेरी चूंचियो को दबाये,, खींचे, घुमाये, मेरी चूत से खेले मेरी गाण्ड की गोलाईयाँ दबाये औए गाण्ड में मेरी ही तरह अंगुली करे। मैंने राहुल से कहा,” राहुल … अब आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लो … कहो कहां से शुरू करोगे … ?” मेरे मुख से बोल नहीं वासना उमड़ रही थी।

“भाभी … मुझे तो आपके बोबे यानी चूंचियाँ बहुत जोरदार लगती हैं … जाने सपनो में कितनी बार दबा चुका हूँ।” राहुल ने शान्त स्वर में इकरार किया। और कुछ ही पल में उसने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार दिये। उसने प्यार से मेरे मद मस्त बदन को निहारा और मेरे चूचियों को सहलाने लगा। मेरे कड़े चूचक उबल पडे। मेरे निपल को उसने घुमाना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सीत्कार निकल पडी।

“राहुल … हाय … मसल दे रे मेरी चूंची … ” मैं झनझनाहट से तड़प उठी। मैंने प्यार से उसके चेहरे को चूम लिया। तभी उसका कुंवारा लण्ड धीरे धीरे खडा होता हुआ दिखने लगा। मैं तनमयता से लण्ड को एक्शन में आते देखने लगी। उसे देख कर मेरी चूत तड़प उठी। खड़ा होते होते उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। मुझे लगने लगा कि बस अब राहुल मेरी चूत मार ही दे और मेरी चूत फ़ाड दे। लेकिन अभी उसके होंठो के बीच मेरे चूचक दबे हुये थे जिसे वो खींच खींच कर चूस रहा था या कहिये कि पी रहा था। उसमें से थोड़ा थोड़ा सा दूध आ रहा था।

अब उसके एक हाथ ने नीचे से मेरी चूत दबा दी। मैं हाय कर उठी … चूत के पानी से उसका हाथ गीला हो गया। अब धीरे धीरे बदन चूमता हुआ चूत की ओर बढ़ने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। कुछ ही क्षणों में मेरी फूली हुई चूत पर उसके होंठ जम गये थे। राहुल की जीभ बाहर निकल कर चूत के द्वार खोल कर कर अन्दर का रसपान करने लगी। मेरी कलिका फ़ुदक उठी, कठोर हो कर तन गई। जीभ का स्पर्श मुझे तेज मिठास दे रहा था। उब उसकी जीभ ने मेरी कलिका को होंठो के बीच दबा लिया था और उसको चूस रहा था। अचानक राहुल की एक अंगुली मेरी कोमल गाण्ड में घुस गई। और अन्दर बाहर होने लगी। ये सब कुछ मेरे सहनशक्ति के बाहर था । मेरे मुख से एक सीत्कार निकल पड़ी और उसके बालों को पकड़ कर मैंने उसके सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपना पानी उगलने लगी। मैं झड़ चुकी थी।

“हाय राहुल … मेरा तो दम निकल गया रे … मैं तो गई … आह्ह्ह्ह्ह् … मेरी मां री … …!! ” राहुल ने अपनी नशीली आंखों से मुझे देखा और मेरे ऊपर आ गया। मुझे चूमने लग गया।

“हाय मेरी भाभी, आप तो बडी मस्त हैं … काश आप मुझे पहले मिली होती … आपके नाम के कितनी बार मुठ मारी मैंने !”

” हां राहुल, मैंने भी तो कई बार तीन तीन अंगुलिया चूत में घुसेड़ कर कर पानी निकाला है तेरे नाम का … !”

” बस भाभी, अब देर ना करो … अपना भोसड़ा फ़ैला दो … मुझे अब अपनी मनमर्जी करने दो !” उसकी उत्तेजना बढ़ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी। अब मुझे जी भर के चुदना था। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपना भोसड़ा चौड़ा दिया। पर उसकी मंशा कुछ और ही थी। उसने मुझे एक झटके में उल्टा कर दिया।

“भाभी, मेरा लण्ड तो आपकी गोल गोल लचकदार गाण्ड देख कर फ़ूलता है … पहले इसका नम्बर लगाऊंगा !” मुझे पता था कि उसका लण्ड अभी कुंवारा है, चोदने का अनुभव भी नहीं है अभी तो … फिर गाण्ड क्या मारेगा।

“देख अभी नहीं, बाद में गाण्ड मार लेना … अभी तो अपने लौड़े से मेरी चूत मार दे …! “

” नहीं भाभी … पहले गाण्ड का मजा, मेरा तो गाण्ड को देख कर ही माल निकल जाता है … प्लीज!”

मेरे गाण्ड का फ़ूल अब दबने लगा। उसने अपना लण्ड पकड़ा और उसने अपना सुपाडा खोला और थूक लगा कर हाथ से लण्ड को छेद पर फिर से दबाने लगा। मेरी गाण्ड नरम थी और गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, सो छेद खुला हुआ था और बड़ा भी था। उसका सुपाड़ा मेरे छेद में अन्दर आकर फ़ंस गया। राहुल ने मर्दानगी के स्वर में कहा,”भाभी, तैयार हो ना … लो ये मेरा मोटा लण्ड … ।” और उसने पूर जोर लगा कर लण्ड अन्दर पेल दिया।

मुझे मस्ती आ गई … और राहुल के मुख से चीख निकल गई। उसका पूरा लण्ड अन्दर तक बैठ गया था। मैंने तुरन्त ही गाण्ड सिकोड़ ली ली और उसके लण्ड को कैद कर लिया। मुझे पता था अब वो तड़पेगा, दर्द से कराहेगा। मुझे वही मजा लेना था।

“बस … बस … हो गया … अब ऐसे ही रहना … तू तो सच्चा मर्द है रे … ! देख एक ही झटके में मेरी गाण्ड मार दी।” उसे शायद मेरा मर्द कहना अच्छा लगा। उसने अपनी चीख अब बन्द कर दी। मेरी पीठ पर अब वो लेट गया। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को फिर से ढीला कर दिया।

“राहुल एक और मर्द वाला शॉट लगा दे बस … ” मैंने उसकी मर्दानगी जगाई। भला वो पीछे रहने वाला था। उसने एक जोरदार झटका मारा, फिर एक चीख निकल गई। पर उसने सहन कर ली। मैंने अपने पांव और खोल कर उसे राहत दी। वो भी अपनी मर्दानगी दिखाते हुए अब कमर चलाने लगा। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैंने मस्ती में आंखे बन्द कर ली। मुझे उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं था। बस सटासट चुद रही थी। मेरी गाण्ड में लौड़ा लेने की पुरानी आदत थी सो गाण्ड हिला हिला कर उसका लण्ड गाण्ड में भरने लगी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसका जलता हुआ गरम लौड़ा गाण्ड में मिठास भर रहा था। पर शायद उसे अब चोदने की लग रही थी। मेरे चिकनी चूत का मजा लेना चहता था। सो उसने अब अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर मेरे भोसड़े में घुसा दिया। उसे भी आराम मिला चिकनी चूत में। मुझे भी एक गहरा सा आनन्द दायक मीठा तेज मजा आया। ये चुदाई का मजा था। चूत में लण्ड जब घुसता है तो जन्नत नज़र आ जाती है। मैंने अपनी ग़ाण्ड थोड़ी ऊपर कर ली और चूत में गहराई तक लण्ड लेने लगी।

“राहुल, मेरे मर्द, लगा और जोर से, जड़ तक फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को … साली बहुत प्यासी है …! “

“मुझे मर्द कहा, मेरी भाभी … तुझे आज मर्द का पूरा मजा दूंगा भाभी … ले मेरा लण्ड और ले … “

“हाय रे … मैं मर गई राहुल … पेल और पेल … दे और दे … मैं मर जाउंगी मेरे राजा … “

उसका लण्ड अपने पूरे शबाब पर था, गहराई तक चोद रहा था। मेरी चूत का पानी निकल कर लण्ड को पूरा गीला कर चुका था, और फ़च फ़च की मधुर आवाजें कमरे में गूंजने लगी।

“जोर मार मेरे राजा … आह्ह्ह … मजा आ रहा है … लगा और जोर से … हाय रे … मर गई रे … ”

“हां, भाभी … मस्त मजा आ रहा है … आपकी चूत ने तो आज मेरे लण्ड को स्वर्ग दिखा दिया … हाय रे … ले और ले मेरा लौडा … “ उसकी गति भी बढ़ती जा रही थी और मुझे सारे बदन में वासना की मीठी मीठी तड़प बढ़ती जा रही थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमटी जा रही थी। मेरे पूरे जिस्म में तूफ़ान आ आने वाला था। मैं होश खोती जा रही थी। राहुल का शरीर मुझ पर कसता जा रहा था। अचानक उसकी रफ़्तार बढ़ गई। मेरी सिसकारी निकल पडी। और मैं कसमसा उठी। मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरा पानी चूत से छूटने लगा। उसके हाथ मेरे बोबे पर कस गये और उसके तन्नाये हुये कड़क लण्ड ने भी मेरे चूत के अन्दर अपना लावा उगलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत ने और उसके लौड़े ने एक साथ जोर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराई में जाकर अपना रस छोड़ रहा था, झटके खा कर वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। मैं भी चूत का जोर लण्ड पर लगा रही थी और अपना पानी निकालने में लगी थी। दोनों ही झड़ते जा रहे थे और आनन्द में मगन हो रहे थे। अब राहुल ने अपना बोझ मुझ पर डाल दिया और उसका लण्ड सिकुड़ने लगा। अपने आप ही वो चूत से बाहर निकल गया।

हम दोनों ही चुदाई से तृप्त हो कर एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे और चूमते जा रहे थे। अचानक मेरी नजर उसके लण्ड पर पडी, उसमें सूजन आ चुकी थी, ऊपर की चमड़ी कहीं कहीं से फ़ट चुकी थी। मुझे उसकी मर्दानगी पर गर्व था।

“राहुल, तू तो सच्चा मर्द निकला रे … अब आ तेरे लौड़े की ड्रेसिन्ग कर दूं !” मुझे उस पर दया भी आई। पर मुझे उससे आगे भी चुदना था सो उसे मर्द कह कह कर उसे जोश भी दिलाना था, कुछ ही देर में मैंने उसके लण्ड को साफ़ करके उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी। राहुल मर्द के नाम पर एक बार तो फिर चोदने के लिये तैयार हो गया, पर मैंने उसे प्यार से समझा दिया और अपनी गोदी में उसका सर रख कर उसे प्यार करने लगी। Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

यह उन दिनों Hindi Sex Stories की बात है जब मुंबई में बार-डांस जोरों से चल रहा था। मेरी बीवी मायके गई हुई थी। ऑफिस से आने के बाद घर पर करने को कुछ नहीं होता था। मेरे कुछ दोस्तों को डांस बार जाने की आदत थी। कई बार उन्होंने मुझे साथ आने को कहा पर मेरी हिम्मत नहीं होती थी। हाँ इच्छा जरूर होती थी।

एक दिन घर आकर जब मैं टीवी देख रहा था, तभी एक भड़कीला गाना आने लगा, सीन डांस बार का था। बस फिर क्या था- मैंने अपने दोस्तों को फ़ोन किया और पूछा कि वे कहाँ हैं। पता चला कि वो वाशी के सन्डे-बार में बैठे हैं। बस मैंने गाड़ी उठाई और वहाँ पहुँच गया। भीतर गया तो वहाँ का नजारा देख दंग रह गया। चारों ओर थिरकती लड़कियाँ रंग-बिरंगी रोशनी में वे बहुत सेक्सी लग रही थी। मैं अपने दोस्तों के पास बैठ गया और ड्रिंक्स आर्डर करके डांस देखने लगा।

थोड़ी देर बाद ५०० रुपये का छुट्टा मंगवा के कोने में खडी एक लम्बी सांवरी लड़की को इशारा किया मेरे सामने डांस करने के लिए। जैसे ही उसने डांस करना शुरू किया तो बाकी सब लड़कियां खुद डांस करना बंद करके उसे ही देखने लगी।

क्या लाजवाब डांस कर रही थी !

मुझ पर जैसे अजीब सा नशा छा रहा था। मैं पैग पर पैग पिए जा रहा था और उसके सेक्सी बदन को मन ही मन निर्वस्त्र करता जा रहा था।

न जाने कब उसने अपना नाम पायल बता दिया। एक एक करके मेरे दोस्त घर जाने लगे, पर मैं था कि उठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

बार बंद होने को आया तो उसने कहा कि क्या मैं उसको उसके घर पर छोड़ सकता हूँ?

मैं तो नशे में था और पता ही नहीं चला कि कब मैंने उसके घर के सामने गाड़ी खड़ी कर दी। उसने मुझे अन्दर आने को कहा और मैं उसके पीछे चल पड़ा।

मुझे सोफ़े पर बैठा कर वो अन्दर फ्रेश होने चली गई। मैं इतने नशे में था कि कब मेरी आँख लगी मुझे पता ही नहीं चला, पर मुझे हल्का सा एहसास होने लगा कि कोई मेरे करीब आकर बैठ गया है।

धीरे धीरे मुझे अपने बदन से कपड़े निकलने का एहसास होने लगा। नरम नरम होंठ मेरे बदन को चूमने लगे। वे होंठ मेरी आंखें, मेरे होंठ, मेरे निप्पल्स, मेरी नाभि को चूमते हुए मेरे लण्ड की ओर बढ़ने लगे।

अब मुझे हल्का हल्का होश आने लगा। फिर उन होठों ने मेरे लंड को सहलाना शुरू किया। अहिस्ते अहिस्ते वो मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी। नशे के बावजूद मेरा लंड में बहुत ज्यादा तनाव आ गया। उसने मेरे हाथ लेकर अपनी कड़क चुचियों पर रख दिया और मैं उन्हें धीरे धीरे मसलने लगा। उसके चूचुक तन गए। फिर वो मुझे उल्टा लेटा कर अपने वक्ष से मेरे बदन के हर हिस्से की मालिश करने लगी।

ऐसा लग रहा था कि मैं किसी जन्नत में आ गया हूँ। फिर वो मुझे पीठ के बल लेटा कर वापस मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी। इसके बाद उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर रख दिया और धीरे धीरे उसे अपने अन्दर लेने लगी। मैंने तड़प कर जब अपने कुल्हे उठाने चाहे तो उसने मुझे ऐसे करने से रोक दिया।

मैं बेहाल होता जा रहा था पर उसे कोई हड़बड़ी नहीं थी, वो धीरे धीरे मुझे चोदने लगी। जैसे ही उसे एहसास होता कि मेरा झड़ने वाला है तो वो रुक जाती। ऐसा उसने कई बार किया।

फिर उसने मेरे मुँह में अपनी चूची डाल दी और जोर से चूसने को कहा। मेरे ऐसा करते ही वो मुझे जोर जोर से चोदने लगी, उसकी चूत टाइट होने लगी। इतनी टाइट की ब़स मजा आने लगा। २० २५ जोरदार झटके के बाद वो पागलों जैसे हो गई और और ऐसे लगने लगा कि वो मुझे पूरा का पूरा अपने चूत के अन्दर समां लेना चाहती है।

मेरा भी सब्र चरम पर पहुँच गया। फिर अचानक उसकी चूत एकदम से गीली हो गई और वो झड़ने लगी, मैंने भी अपना पानी छोड़ दिया। कसम से इससे ज्यादा पानी पहले कभी नहीं निकला था।

थकान के मारे मेरी आँखें बंद होने लगी। वो मेरे ऊपर से उतर कर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर प्यार से उसे साफ़ करने लगी। ऐसा आनंद आने लगा कि कब नींद लगी पता ही नहीं चला। जब आँख खुली तो अपने आपको अपनी गाड़ी के अन्दर पाया। गाड़ी उसी बार के नीचे खड़ी थी। सुबह हो चुकी थी, खिड़की पर एक भिखारी आवाज लगा रहा था।

बहुत कोशिश के बाद भी कुछ याद नहीं आ रहा था कि मैंने किस घर में हसीं रात बिताई थी। बस हल्का सा पायल का चेहरा याद आ रहा था।

अगले दिन शाम को फिर दोस्तों के साथ उसी बार में पायल से मिलने गया तो पता चला कि वो किसी और बार में चली गई, पता नहीं कहाँ। Hindi Sex Stories

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मेरा नाम संजीव Hindi Sex Stories है। मेरी उम्र 24 साल है। यह कहानी मेरी जिन्दगी का असली और सत्य अनुभव है। उन दिनों मैं जयपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र था। मैं जुलाई 2008 जयपुर में आया था। मैंने जयपुर आने से पहले कभी चुदाई नहीं की थी। चुदाई करने की कसक मेरे दिल में हमेशा से ही थी लेकिन न जाने क्यों 24 की उम्र में आते आते मुझे अपने नाग की तरह फुनकते लंड को थामना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा था। मुठ मारने से भी में अब बोर हो गया था। मुझे चूत की बहुत जरूरत थी और इस बार किस्मत ने भी मेरा भरपूर साथ दिया।

मेरी कक्षा में सिर्फ दो लड़कियाँ थी। उन दोनों में से एक थी गार्गी ! गार्गी क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी। उसी दिन मुझे लगा कि गार्गी की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है।

अगले दिन गार्गी ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है। कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी। मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली।

फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद गार्गी और मैं बाइक पर चल दिए। मैंने बाइक की स्पीड १०० से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था। उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ। लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा। मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था।

उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि गार्गी का फ़ोन आ गया। अब मैंने गार्गी से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा। लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था।

अगले दिन क्लास में गार्गी मेरे आगे बैठी थी तो उसकी सलवार से उसकी पैन्टी दिख रही थी। उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। अब तो मेरा लंड फ़ुफ़कारने लगा।

क्लास छुटने के बाद मैं गार्गी को कॉफ़ी के लिए कैंटीन ले गया। बात बात में उससे पता चला कि उसका अभी कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है। अब तो मुझे गार्गी की चूत की सुरंग और मेरे लंड की तोप का मिलन साफ़ नजर आ रहा था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई।

एक दिन शाम के 4 बजे लैब में कोई नहीं था। मैंने गार्गी को अपने दिल की बात कह दी। उसने भी हामी भर दी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और इमरान हाश्मी स्टाइल में गार्गी के होंठों का सारा रस चूस लिया। अब मेरे हाथ धीरे धीरे उसके वक्ष पर पहुँच गए। मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया। उसके स्तन डनलप के गद्दे से कम नहीं लग रहे थेऔर मेरा लंड तो उस वक़्त हीरे से भी सख्त हो रहा था। उसने भी मेरा लंड अपने कोमल हाथो में ले लिया और सहलाने लगी। अपने हॉस्टल में मैंने खूब ब्लू फिल्म देखी थी और मैंने लैब के कंप्यूटर में गूगल से ढूंढ कर ब्लू फिल्म चला दी।

अब मैंने फिल्म की नक़ल करते हुए अपना लंड गार्गी के मुँह में दे दिया। पहले तो गार्गी ने मना किया फिर मान गई और वो लंड चूसने लगी। मेरा लंड पहली बार किसी लड़की के मुँह में गया था। एक मिनट के अंदर ही मैं झड़ने लगा और मैंने गार्गी के मुँह के ऊपर वीर्य बारिश कर दी और वो उसको ऐसे चूसने लगी जैसे अमृत की बारिश हो रही हो।

मैं झड़ चुका था लेकिन गार्गी की आग अभी बाकी थी। उसने अपनी चूत में ऊँगली करके अपनी आग बुझाई।

अगले दिन मुझे गार्गी को संतुष्ट करना था इसलिए मैं अगले दिन पॉवर कैप्सूल और कंडोम लेकर गया। लेकिन अगले दिन लैब में क्लास चल रही थी और मैंने लंच के बाद कैप्सूल खा लिया था। शाम के चार बज रहे थे और मेरा लण्ड नाग के फन की तरह जींस को फाड़ के बाहर आने को कर रहा था। आज किस्मत ने मेरा साथ दिया। एक टीचर को बाहर जाना था दो घंटे के लिए उसने मुझे अपने ऑफिस की चाबी दे दी क्योंकि टीचर का कुछ काम करना था। इधर मुझे अपने लंड की आग बुझानी थी।

मैं गार्गी को लेकर ऑफिस में आ गया। मेरे ऊपर अब तो कैप्सूल का पूरा असर हो चुका था। ऑफिस में घुसते ही मैंने गार्गी को बाहों में भर लिया और टूट पड़ा। मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को चूसने लगा और गार्गी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। आज मेरा लंड सात इंच से बढ़ कर आठ इंच का हो गया था। गार्गी की चूचियाँ दबाने में बहुत मजा आ रहा था, उसके स्तन काफी गुदगुदे थे।

मैंने अपना लंड उसके दोनों स्तनों के बीच में रख दिया और हिलाने लगा। अब मेरा हाथ अपने आप गार्गी की पैन्टी पर पहुँच गया और मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। गार्गी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एक दम गोरी गोरी थी। मैं चूत को सहलाने लगा।

अब उसकी चूत गीली होती जा रही थी, मुझे लगा कि गार्गी की सुरंग में तोप दागने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा और मैंने कंडोम चढ़ा के डाल दिया अपना लण्ड गार्गी की चूत में !

जैसे ही पहल झटका लगा, गार्गी कर गई- उहऽऽ ह्ह अह्ह्ह्हह्ह. और उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो दर्द से कराहने लगी पर आज मेरा लण्ड कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसकी एक टांग कुर्सी पर रखी और एक टांग को अपने हाथ में रख के झटके पे झटके देने लगा। उधर गार्गी दर्द से उफ्फ्फ अहह उफ़ आह्ह मर गई … और धीरे से डालो ..कहने लगी।

और जब तीन चार बार लंड चूत में घुस कर बाहर आ गया तो गार्गी को मजा आने लग गया।

अब गार्गी कहने लगी- और डालो … और डालो !पाँच मिनट तक मैंने गार्गी को खूब पेला। अब मेरा झड़ने वाला था कि तभी टीचर आ गया। लंड की आग में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था। उसने हमें दरवाज़े के छेद में से देख लिया था। लेकिन जब तक मैंने अपने लंड से गार्गी की चूत को तृप्त नहीं कर दिया, मैं ठोकता रहा और अंत में मैं झड़ने लगा। फिर जल्दी जल्दी गार्गी और मैंने कपड़े पहने लेकिन टीचर हमें देख चुका था।

दरवाजा खोला तो टीचर ने गार्गी से कहा- मुझे भी अपनी चूत दे दे ! नहीं तो सबको बता दूंगा !

गार्गी मेरी तरफ देखने लगी, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था। टीचर ने भी गार्गी को ठोका और उसकी नई और गोरी गोरी चूत का मजा लूटा।

आज भी गार्गी और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर गार्गी की ले लेता है।

लेकिन क्या करें ! हमे भी ऑफिस चुदाई करने को मिल जाता है।

दोस्तो, कहानी कैसी लगी, बताना जरूर ! Hindi Sex Stories

मेरा नाम आयुष है.. मैं लखनऊ में रहता हूँ।

जब मैं 18 साल का हुआ था.. मेरा भी लण्ड मुझे परेशान कर रहा था और मैं काफ़ी सालों से मुठ मार रहा था। एक बार मेरे बाप ने मुझे मुठ मारते पकड़ लिया था.. बहुत मार पड़ी थी यार। मैं बचपन से ही बड़ा मनचला रहा हूँ।
चलो ये सब बाद में.. अब कहानी पर आते हैं।

एक बार मेरे घर पर मेरे दूर के रिश्ते के चाचा चाची आए थे, जब मैंने चाची को देखा तो मेरी तो सांस ही रुक गई।
क्या कयामत थी वो.. मेरा तो दिल किया इसको यहीं खड़े-खड़े चोद दूँ।
मैंने ऐसा किया भी.. उसको वहीं खड़े-खड़े आँखों से ही चोद दिया।

वो भी समझ गई कि मैं उसको आँखों से चोद रहा था.. पर उसने कुछ बोला नहीं।

रात को जब हम सब खाना खाकर सोने की तैयार करने लगे.. तभी ममी ने मुझे बताया कि वो दोनों मेरे ही कमरे में रहेंगे.. मुझे बड़ी खुशी हुई।
साथ में दु:ख भी था कि चाचा भी साथ में हैं।
ये तो वही बात हो गई कि हाथ में आया.. पर मुँह को ना लगा।

हम सोने चले गए।

चाचा तो कमरे में जाते ही सो गया.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी, फिर भी आँखों में चाची को चोदने के सपने ले सो गया।

रात को मेरी आँख खुल गई.. तो मैंने पाया कि कमरे में अंधेरा था और मेरे ऊपर से एक हाथ बार-बार आ-जा रहा था। मैंने महसूस किया कि वो हाथ चाचा का था.. जो बार-बार चाची को छू रहा था। चाची बार-बार उसको हटाने की कोशिश रही थीं। काफ़ी देर तक कोशिश करने पर भी जब चाचा को लगा कि दाल नहीं गलने वाली.. तो वो सो गए।

अब तक मेरी नींद तो उड़ गई थी। मैं काफ़ी देर तक अपने आपको रोकता रहा.. पर नहीं रोक पाया और मेरा हाथ चाची के ऊपर चला गया। मैं चाची की छाती दबाने लगा.. आह्ह.. चाची के क्या ठोस मम्मे थे।

मैं काफ़ी देर तक चाची के मम्मों को दबाता रहा।

फिर मेरा हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ जाने लगा.. जब मेरा हाथ उनके पेट पर गया.. तो देखा उस पर एक ग्राम भी एक्सट्रा चर्बी नहीं थी.. बिलकुल सपाट और मुलायम था।
मैं और नीचे गया तो उनकी सलवार का नाड़ा मेरे हाथ में आ गया.. मैंने बड़ी सफाई से उसको खोल दिया और अपना हाथ उनकी सलवार में डाल दिया।

उनकी चूत पर थोड़े-थोड़े बाल थे.. ज़िनको छूकर मेरा तो दिल मचल गया। मैंने थोड़ी देर तक उन झांटों को सहलाया फिर नीचे की ओर जाने लगा उनकी चूत के दाने को थोड़ी देर तक बड़े प्यार से सहलाता रहा।

जब मेरा हाथ और नीचे गया.. तो मेरी एक उंगली उनकी चूत में चली गई, वहाँ गीला सा लगा, मैं अपनी उंगली को उनकी चूत में घुमाता रहा।
इस पर भी जब चाची कुछ नहीं बोलीं.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
तब तक मेरे लण्ड का बुरा हाल हो चुका था।
दोस्तो, ये डर और उत्तेजना का मिला-जुला अहसास होता है.. इसका मुकाबला तो बड़े से बड़ा चोदू भी नहीं झेल सकता.. जो मैं उस वक्त झेल रहा था।

मुझे जब पूरा विश्वास हो गया कि चाची कुछ नहीं बोलने वाली हैं.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने चाची की पीछे से सलवार को इतनी नीचे कर दी कि वो मेरे लण्ड और चाची की चूत के बीच दीवार ना बन पाए।

मैंने अपना लण्ड भी अपनी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाल लिया और चाची की चूत में पीछे से ही डालने लगा।
मेरे काफ़ी देर कोशिश करने पर भी लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था।

एक तो चोदने को पहली बार चूत मिली थी.. ऊपर से यह डर कि कहीं चाची जाग ना जाएं.. उससे भी बड़ा कि उस चूत का मालिक भी बगल में ही सोया है।
आप समझ सकते हैं कि ऐसा करने के लिए कितना बड़ा ज़िगरा चाहिए।

मेरी भी गाण्ड फटी हुई थी। इसी चक्कर में.. मैं अपना लण्ड चाची की चूत में नहीं डाल पाया और बाहर ही ढेर हो गया। मेरी तो कलेजा गले में आ गया कि ये क्या हो गया।

मैंने अपने ऊपर थोड़ा काबू किया और चाची की सलवार को ऊपर करके दूसरी तरफ मुँह करके सो गया.. क्योंकि मुझे खुद पर इतनी शरम आ रही थी कि चूत मिली.. तो चोद नहीं पाया और लण्डबाज बना फिरता हूँ। शरम के मारे बाथरूम में भी नहीं जा सका.. वहीं पड़े-पड़े कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।

Sex Stories

ये मेरी अपनी आपबीती है, ये कोई कहानी नही है और Sex Stories इसमे कुछ ऐसा भी नही है जो मैंने कल्पना से लिखा हो.

बचपन में जब मैं पांच साल का था तब मेरी ताईजी का देहाँत होने के कारण उनकी लड़की जो मुझसे सात साल बड़ी हैं हमारे साथ रहती थी. उनका नाम गीता है. मेरे पिताजी सरकारी ऑफिस में अच्छी पोस्ट पर काम करते थे. हमें सरकारी मकान मिला हुआ था. मकान बहुत बड़ा था और उसके कमरे भी बहुत बड़े थे. चार बैडरूम, रसोई और बैठक थे उस मकान में. जबकि उस समय मैं अमन, मेरा छोटा भाई छोटा और छोटी बहिन मुन्नी, मां, बाबूजी और गीता जीजी कुल छः लोग ही उस मकान में रहते थे.

जैसे जैसे बड़ा हुआ एक्सरसाइज़ ठीक होने से लंड का साइज़ भी सात इंच का हो गया. पिताजी का तबादला राजस्थान के अलग अलग शहरों में होता हुआ जयपुर में कुछ समय रुका तो पिताजी ने यहाँ घर बनवा लिया. अब स्कूल में उसके बाद लड़को के कोलेज में पढ़ा लेकिन लड़कियों से बात करने में गांड फटती थी इसलिए हमारी गली में आठ लड़कियां होते हुए भी खूब इच्छा होने पर भी मैं उनमे से एक को भी पटा नही पाया. इच्छा बहुत होती थी चोदने कि लेकिन मुट्ठ मारकर ही काम चलाना पड़ता था. साइंस का छात्र था इसलिए पढ़ा सबकुछ लेकिन प्रैक्टिकल हो नही पाया. बाईस साल का होने पर मेरा कद छः फुट आ गया रंग साफ़ और चेहरा आकर्षक.

मैंने इलेक्ट्रॉनिक आइटम की रिपेरिंग की दुकान खोली. ठीक ठाक चलने लग गई. दुकान के बहार से कुछ लड़कियां मुझे देख कर चक्कर लगाती, लेकिन बात करने में अब भी मेरी गांड फटती थी. अब मुझे देखने लड़की वाले आने लग गए. एक लड़की, जो की आज मेरी पत्नी है, ठीक ठाक लगी तो जुलाइ में सगाई हो गई. सगाई छः महीने तक रही. हमने ढेरों फोन किए लेकिन लंड चूत की कोई बात करने की हिम्मत नही होती थी तो शादी होने तक उसको भी नही चोद पाया. मन में लड्डू फूटते थे कि अब मेरी कहने को भी कोई है. सगाई होने के बाद मैंने मुठ मरना बंद कर दिया.

खैर शादी हो गई और अब बहुत साल प्रतीक्षा के बाद आया सुहागरात का समय. शाम को ससुराल आनीजानी रस्म थी सो पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर छोटे सगे व रिश्ते के भाई बहिनों को साथ लेकर ससुराल गया. रात को साडे दस बज गये रस्मो रिवाज निबटाते हुए. जैसे ही फ्री हुए मैंने सभी भाई बहिनों को ऑटो रिक्शा में घर भेज दिया और पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर उसका हाथ अपनी कमर पर कस कर सटे चिपके से घर के लिए रवाना हुए.

लंड महाराज आज अपनी पूरी जवानी में तने खड़े थे लग रहा था कि सूट फाड़ कर अभी बाहर आ जायेंगे. इच्छा तो बहुत हो रही थी कि इस जनवरी की ठण्ड में घर से सात किलोमीटर दूर कहीं सुनसान में रोक कर चोद चाद दूँ. साला लंड फेरे में हाथ पकड़ते ही कंट्रोल से बाहर था. लेकिन अपने को ये सोचकर कंट्रोल किया की माल अपना है और जरा देर बाद घर पहुँचते ही मेरा ही होने वाला है. साडे ग्यारह बजे घर पहुंचे तो चाचाजी के बेटे, मेरे बड़े भाई की पत्नी मेरी भाभी ने रस्म निभाई की ये मेरी देवरानी आज तुम्हारे साथ सोएगी. दिल उछल कर गले में आ गया. कमरे में आकर एक दूसरे की ओर पीठ करके हमने कपड़े बदले. कंडोम का पैकेट मेरे दोस्त ने पहले ही इंतजाम कर दिया था.

पत्नी ने जेवर भी उतारे और मैंने सजे धजे पलंग पर पत्नी को बिठाया. कमरे में पन्द्रह वाट का बल्ब जल रहा था. कैमरे से चार छः फोटो लिए और उसकी बगल में बैठ गया. फोन पर ढेरो बात करने वाली मेरी पत्नी के जबान पर ताला लग गया और वो नीची नजर किए बैठी थी, उसके होंट सूख रहे थे. मैंने इधर उधर की दो चार बातें करने के बाद कहा कि किस करूँ तो उसने नजरें नीचे किए धीरे से गर्दन हिला दी. लंड बैठने का नाम नही ले रहा था. मैंने उसके गाल पर किस किया जो मेरी जिन्दगी का किसी जवान लड़की का पहला किस था. फ़िर मैंने उसको बोला किस करने को तो उसने भी मेरे गाल पर धीरे से किस किया अब मैंने उसके बूब्स पर हाथ रखा, वो सिहर गई लेकिन हाथ नही हटाया. अब धीरे धीरे मैंने बूब्स दबाना शुरू किया मुझे वैसे ही बहुत चढी हुई थी, जिन्दगी में पहली बार बूबू दबा रहा था, मजा बहुत आ रहा था, धीरे धीरे उसका ब्लाउज खोल दिया. ब्रा भी हटा दी. सेब के साइज़ से थोड़े बड़े उसके गोरे स्पंज की बोल की तरह सख्त नरम बूबू बाहर आ गए.

पत्नी निढाल सी मेरे सीने से चिपकी पड़ी थी धीरे धीरे किस चल रहा था. अब मैंने उसके पेटीकोट को ऊपर सरकाना शुरू किया. एक बात माननी पड़ेगी की उसने किसी भी बात के लिए रोका नही. बस निढाल सी चिपकी रही. आज एक जवान नंगी लड़की मेरे बिस्तर पर थी और उसके गोरे सवा पाँच फुट के बदन पर एक बाल भी नही था और उबटन लगने से पूरा बदन मक्खन जैसा चिकना हो गया था. झांटे थी इसका मुझे ज़रा भी बुरा नही लगा. क्यूंकि झांटों से मुझे जवानी का एहसास होता है न की नादानी का. उसका बदन देखकर कोई भी फख्र कर सकता था. हालाँकि कद में हमारे नौ इंच का फर्क था.

मैंने उसे धीरे से लिटाया अपने कपड़े उतारे, तन्नाया फन्नाया लंड इतना तन चुका था की टंकार तक नही मार रहा था. लंड पर कंडोम चढाया, उत्तेजना इतनी ज्यादा थी की कभी भी क्रीम बाहर आ सकती थी. पत्नी के ऊपर आया तो उसकी टाँगे मेरी टांगों पर आ गई, मेरा माथा ठनक गया कि इसका कोई चक्कर तो नही चल चुका. उसी वक्त मुझे एक परिचित की बात याद आ गई की कुंवारी लड़की के ऊपर लड़का आते ही लड़की की टाँगे अपने आप लड़के की टांगों पर आ जाती है. और कहीं किसी किताब मैं पढ़ा था कि अच्छा चोदक वो है जो अपना वजन अपने घुटनों और कोहनी पर रखता है. अब हालत ये थी कि यदि अपना वजन घुटनों और कोहनी पर रखता तो लंड अपनी जगह से हिल जाता और यदि लंड को गीले छेद पर सेट करता तो एक कोहनी से दम नही लग रहा था. इतने में उत्तेजना इतनी ज्यादा हुई कि लंड से छः महीने का स्टॉक क्रीम बह निकला. लंड अपनी अकड़ खो चुका था. मैंने बहुत कोशिश की कि लंड दोबारा खड़़ा हो जाए लेकिन वो सारी रात खड़़ा नही हुआ. कंडोम निकाल कर मैंने पलंग से नीचे डाल दिया.

पत्नी को हलकी सिहरन हो रही थी. मैं समझ रहा था, उत्तेजना से उसकी तबियत बिगड़ रही थी और मैं कुछ भी कर नही पा रहा था. उसको अपनी बाँहों में लेकर पडा रहा. उसने एक बार कहा कि करो लेकिन मेरा लंड सिकुड़ चुका था.

सुबह चार बजे माँ ने आवाज लगाई तो मेरी बीवी चली गई, कोई घंटे भर सोया हूँगा. नींद नही आई, सुबह साडे छः बजे बाहर निकलने कि हिम्मत नही हो रही थी. कोई सामने आएगा तो क्या होगा. जैसे तैसे हिम्मत करके कमरे से बहार आया. बुआ की लड़की सामने थी जो मुझसे दो साल छोटी थी और कुंवारी थी, हम दोनों में अच्छी पटती थी. वो गहरी नजरों से देख रही थी, मैंने पूछा क्या है. तो वो बोली “कुछ नही”. पिताजी सामने आए मैंने नजरें घुमा ली. अब मैं गुसलखाने में गया. अपने दिमाग को ठिकाने पर लाने की कोशिश करने लगा. लंड को हाथ में लिया. धीरे धीरे सहलाने लगा, दिमाग को केंद्रित किया. लगभग पाँच मिनट में लंड खड़़ा होने लगा, मैंने हाथो को तेज चलाना शुरू किया. मुठ मारने में जरुरत से ज्यादा समय लगा. लेकिन सब कुछ सही हो गया. मैंने छः महीने मुठ नही मारकर अपनी उत्तेजना ख़ुद बढ़ा ली थी.

अब मुझको रात का इंतजार था. खैर धीरे धीरे रात पास आती गई. रात के साडे दस ग्यारह के करीब मेरी जान कमरे में आई, मैंने कमरे की सांकल बंद की, जान को अपनी आगोश में लिया. किस किया. लंड अब अपनी दस्तक देने लग गया. दो मिनट बीते होंगे की पत्नी दूर हो गई. मैंने कहा कि क्या हुआ. वो बोली एमसी हो गई. उसने अपनी अभी तक कुंवारी चूत पे हाथ लगा कर देखा. बोली मम्मी को बोलती हूं. मैंने कहा “क्यूँ ” तो बोली कि नीचे सौउंगी. वो मेरी माँ को बोलके आई तो साथ में कम्बल और रजाई लेके आई.

उसने बिस्तर बेड से नीचे किए. कमरा बंद किया. अब तक मैं कुछ नही बोला था. मन लेकिन थोड़ा उदास हो गया था. आज मेरा लंड तैयार था तो उसकी चूत ने धोखा दे दिया. जैसे ही वो नीचे लेटने को हुई तो मैंने उसे अपने पलंग पे खींच लिया. पत्नी बोली कि मम्मी को पता चल गया तो? मैंने कहा कौन बताएगा ? तुम या मैं. वो समझ गई और मेरे साथ पलंग पर आ गई. उसने चूत पर कपड़ा लगा लिया था. आज दिनभर में वो घरवालो के साथ घुलमिल गई थी, शर्म भी बहुत कम हो गई थी.

अब मैंने उसके होटों को अपने होटों से चिपका के किस करना शुरू किया. होंट थे कि अलग होने का नाम नहीं ले रहे थे. मैंने उसके बोबे दबाने शुरू किए. मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के लिपट चुके थे. मेरे हाथ उसके बोबों को मसल रहे थे. धीरे धीरे ब्लाउज और ब्रा अलग हो गई. फ़िर थोडी देर में पेटीकोट भी खींच कर अलग कर दी. जल्दी से मैंने भी अपने कपड़े उतार फैके, मैंने बीवी को अपने ऊपर ले लिया और घमासान चालू हो गया वो ऊपर से अपनी गांड को चला रही थी और मैं नीचे से लंड को उसकी कपड़ा लगी चूत पे दबा के घिस रहा था.

होंट एक दूसरे का साथ छोड़ने को तैयार नहीं थे, मेरा एक हाथ उसके बोबे दाब रहा था जो मेरे सीने से चिपके पड़े थे और दूसरा हाथ मेरी बीवी का मखमली शरीर को ऊपर से नीचे तक नाप रहा था, मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के नीचे कसे थे. हम दोनों अपनी मंजिलों कि तरफ़ बढ़ रहे थे कि मेरी बीवी अकडी और ढीली पड़ गई. उसके होंट खुल गए, हाथ ढीले हो गए, मैं रुक गया, उसकी आँखें मुंदी हुई थी. दो मिनट बाद मैंने उसके बोबे वापस दबाने शुरू किए, उसका मुह अपनी और किया उसके होंट चूसने लगा, मेरी बीवी में जान आने लगी, उसके होंट मेरे होटों से चिपक गए, हाथ मेरी गर्दन पर कसते गए. अब वो अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी, मैं भी नीचे से उसकी चूत को लंड से दबाते हुए रगड़ने लगा, एक बार फ़िर घमासान होने लगा और लगा जैसे पलंग पर भूचाल आ गया हो. हम दोनों अपनी अपनी मंजिल कि और बढ़ने लगे फ़िर मेरी बीवी को ओर्गास्म हो गया।

लेकिन अबके मैं रुका नही. ढीली पड़ी बीवी को अपनी बाँहों में कसे नीचे से उसकी चूत को अपने लंड से रगड जा रहा था. अब मुझे भी ओर्गास्म आने लगा. मैं फ़िर भी रगड़ता गया और मुझे खूब जोर का ओर्गास्म आया. मैं भी ढीला पड़ गया. दोनों पसीने में लथपथ थे उस जनवरी कि ठंडी रात में भी. मैं ने अपने पैरों से रजाई धीरे से मेरे ऊपर पड़ी बीवी के कूल्हों तक ऊपर कर ली ताकि पसीना सूखने के बाद कोई गड़बड़ न हो. हम दोनों की एमसी की चार रातें ऐसे ही एक रात में चार चार पांच पाँच राउंड लगाते निकली. हम रात को सिर्फ़ दो घंटे मुश्किल से सो पाते थे. सुबह वो साडे चार बजे कमरा छोड़ देती थी. चारों दिन वो बिस्तर नीचे लगाती रही और मेरे पास सोती रही.

अब पांचवी रात को उसको पलंग पर लेकर कपड़े उतारने के बाद किस शुरू किया, बोबे दबाने शुरू किए, धीरे धीरे वो गरमाने लगी, उसके हाथ मैंने अपने लंड पर रख दिए आज उसकी पैंटी भी उतार फेंकी. उसकी चूत पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा, गर्मी बढ़ने लगी, उसके हाथ मेरे लंड पर कसने लगे, आज उसको एमसी में ब्लड भी जरा सा आया था. उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा. मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में सरकानी शुरू की, करीब डेढ़ इंच अन्दर जाने के बाद उंगली अड़ गई, छेद छोटा था, मैंने बड़ी लाइट जलाई, उसकी टांगो को चोडा करके उसकी चूत को फैला कर अन्दर देखा तो हाईमन साफ़ नजर आया, छेद बहुत छोटा था, वापस छोटी लाइट जलाई, दोनों वापस पहले वाली पोजीशन में आ गए. अब मेरे दिमाग में ये बात आई की यदि ऐसे ही मैंने अपना सात इंच का रोड अन्दर डालने की कोशिश की तो इसको बहुत दर्द होगा, ये सोचकर मैं अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

शुरू में थोड़ा सा दर्द हुआ फ़िर उसको अच्छा लगने लगा. अब मैंने उसको सारी बात समझाते हुए कहा कि या तो तुम ज्यादा दर्द सहो या कम. वो बोली कि कम दर्द करो. फ़िर मैंने कहा कि अब मैं तुम्हारी चूत में दो उंगली करूंगा, सहयोग करो, ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी निकाल कर दोनों बड़ी उँगलियों पर अच्छी तरह वैसलीन लगाई, अब धीरे से उसकी चूत फैला कर दो उंगली उसकी चूत में डालना शुरू किया, हाईमन को चीरने पर उसको दर्द हुआ मैंने अपनी उंगली को रोका. मैं उसको दर्द नही करना चाहता था क्यूंकि फ़िर आनंद की चरम सीमा एकदम से कम हो जाती है, फ़िर एक बात और भी है, यदि अपने भी ऐसा ही दर्द हो तो क्या अपन भी मजा ले पाएंगे. धीरे धीरे करके मैंने उसके हाईमन को थोड़ा चोडा कर दिया, अब अंगूठा उसकी चूत में जाने पर दर्द नही हुआ.

मैंने सोच लिया के अब मेरी बीवी लंड ले सकती है, इतना दर्द तो वो सहन कर ही लेगी, मैं उसके ऊपर आ गया, लेकिन प्रैक्टिकल प्रॉब्लम वोही थी, की एक हाथ से लंड सही जगह पर लगाता तो लंड को घुसाने में जोर नही लगा पा रहा था, उस रात को फ़िर पिछली चार रातों जैसे ही रगड़ना पडा, समझ नही आ रहा था की अन्दर कैसे डालना है,

मेरे एक दोस्त की शादी एक महीने पहले हुई थी, उस से मिला, उसने बताया की पत्नी की गांड के नीचे तकिया रख ले, उसकी टांगो के बीच में बैठ कर लंड को उसकी चूत पर सेट कर ले, घुटने मोड़ दे, फ़िर बैठे बैठे ही उसकी दोनों जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर धक्का लगा कर लंड चूत में पेल दे. सील टूटने दे. इसी को सील टूटना कहते हैं. मैंने उसको नही बताया कि उसकी सील मैं ढीली कर चुका हूँ.

अब टाइम निकलने लगा, रात आई, मेरी बीवी वोही ग्यारह बजे कमरे में आई, धीरे धीरे कपड़े उतारते गए, हम एक दूसरे से चिपकते गए, पसीना चुहचुहाने लगा, उसकी चूत गीली हो चुकी थी, अब वो समय आ गया, जिसके लिए मेरा लंड बाइस साल से तरस रहा था, मैंने वैसलीन कि शीशी का ढक्कन खोला, बीवी कि चूत पर खूब सारी वैसलीन अन्दर तक लगाई, गांड के नीचे तकिया लगाया, उसकी टांगो को फैला कर उनके बीच में बैठ गया, लंड को उसकी चूत पर सेट किया, टांगो को घुटने से मोड़ दिया, आज मेरे लंड उसकी चूत पर एकदम सही सेट हुआ, उसकी जाँघों पर अपना हाथ जकडा, धीर से दमदार धक्का लगाया, मेरा लंड उसके हाईमन को तोड़ता हुआ डेढ़ इंच अन्दर चला गया।

बीवी बोली कि जलन होने लग रही है, मैंने अपने आपको रोका और बीवी को पूछा कि इतना तो सहन कर सकती हो न, बोली हाँ इतना तो सहन कर लुंगी, अन्दर जाने के अहसास से मेरे लंड में एक नया कड़कपॅन महसूस हो रहा था, मैंने डेढ़ इंच में ही बीवी कि चूत को अपने लंड से सम्भोग किया, धीरे धीरे आसानी से. पहली बार मेरी क्रीम किसी चूत में छूटी थी. पास में से नेपकिन उठा कर उसकी चूत साफ़ की, सिर्फ़ दो बूँद खून और थोडी क्रीम.

अब वापस वो ऊपर और मैं नीचे, अब बिना घुसाए फ़िर घमासान चालू हुआ और जब रुका तो पन्द्रह बीस मिनट शांत पड़े रहे, धीरे धीरे फ़िर दोनों के शरीर में गर्मी आने लगी, अबके जो किस और दबाने का कार्यक्रम चला तो बेधड़क, बिना किसी दर्द के डर के, बिना नयेपन के एहसास के. मुझे पता था कि लंड को अन्दर कैसे जाना है, जीभें एक दूसरे को चाट रही थी, उसकी चूत से पानी टपकने लगा, मैं उसकी टांगो को चौडी करके बीच में बैठ गया, लंड को चूत के छेद पर सेट किया, हलके से धीरे धीरे धक्का लगाते हुए बीवी के मुंह को दर्द के लिए देखते हुए अपने लंड को अन्दर देता चला गया।

क्या अहसास था लंड के चूत में अन्दर तक जाने का. लंड स्टील की रोड के माफिक सख्त हो गया था, थोड़ा सा कसमसाने के बाद सब कुछ ठीक हो गया, अब मैं पहली बार, लंड बीवी की चूत में दिए उसके ऊपर आ गया, हमारी जीभें एक दूसरे पर फिरने लगी, फ़िर मैं उसके बोबे चूसने लगा, उसकी चूत गीली हो गई, हमारे होंट एक दूसरे के चिपक गए और हमने एक दूसरे को बाँहों में जकड कर जो चक्की चलाई की उसके मुकाबले में क्या कोई भूकंप होगा, सच में आज पूरा मजा आ रहा था, आज पता चल रहा था की क्यूँ अप्सराएं ऋषि मुनियों की तपस्या भंग कर देती थी. दोनों ने अपना अपना काम बखूबी निबटाया. फ़िर पस्त से एक दूजे पर यूँ ही पड़े रहे, इस तरह से सातवें दिन पूरा सम्भोग हुआ.

एक महीने तक हम लोगों का कार्यक्रम रोज रात चार पाँच बार होता था, हम कई बार एक दूर पर ही सो जाते थे, लंड जब देखो खड़़ा ही मिलता था, आज इस बात को सत्ताईस साल हो गए हैं, मेरी बीवी को अब मैं जो कर लूँ वो अपनी तरफ़ से पहल नहीं करती है, मुझे आज भी चार पांच बार डेली मुठ मारनी पड़ती है, मेरे पहले साल एक बेटी और उसके दो साल बाद एक बेटा हुआ लेकिन आज मैं प्यासा हूँ, मुझे कोई साथी चाहिए, बिल्कुल अपनापन सा, प्यारा सा, एक दूसरे को साथ देने वाला,… Sex Stories

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