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Massage Girl in Puruliya: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Puruliya who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Puruliya that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Puruliya massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Puruliya who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Puruliya massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Puruliya massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Puruliya who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Puruliya employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Puruliya helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Puruliya

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Puruliya at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

मेरा नाम सुजाता है, मैं राजकोट के एक गाँव से हूँ। मेरे पति लखनऊ में सरकारी पद पर कार्यरत हैं इसलिए साल में मुश्किल से 25-30 दिन हम साथ गुजारते हैं।
हमारे दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की, दोनों ही दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।

दोस्तो, मैं बाकी लड़कियों या औरतों की तरह नही कहूँगी कि मेरा फिगर ऐसा है वैसा है।
मेरे जिस्म का सही आकार इस तरह से है- मेरे मम्मे 34″ हैं, कमर 38″ और मेरे चूतड़ 42″ के हैं, मेरे मम्मे थोड़े ढीले से ही हैं।

मेरे पति मुझे शुरू से ही संतुष्ट नहीं कर पाते थे, उनका दो मिनट में ही वीर्यपात हो जाता था किन्तु शुरू में मैं इसे ही अपना नसीब मानकर अपनी जिंदगी बिता रही थी।

बात उन दिनों की है जब मेरे पति का लखनऊ तबादला हुआ। तब हम एम पी के एक शहर में रहते थे किन्तु इनका ट्रान्सफर हो जाने के बाद मैं अकेली रह गई थी घर पर।
तब मेरे पति ने मुझे मेरे पति के पिताजी यानि कि मेरे ससुर के पास रहने का सुझाव दिया।
वो एक गाँव में रहते हैं, वहाँ हमारी कुछ पुश्तैनी ज़मीन भी थी। ससुर जी अकेले ही घर रहते थे, सासू माँ की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी। ससुर जी की आँखों की रोशनी और सुनने की क्षमता भी अब कम सी हो गई थी।

मैं अपने ससुर जी के पास रहने आ गई। वहीं मेरी मुलाकात संजू जी से हुई।
हुआ यूँ कि अगले दिन मैं छत पर कपड़े सुखाने गई तो मेरी नज़र सामने वाली छत पर पड़ी।
उस वक़्त संजू जी कसरत कर रहे थे, उन्होंने ऊपर कुछ नहीं पहना था, उनका कसरती जिस्म देखकर तो जैसे मैं मंत्रमुग्ध सी हो गई थी।
5’10” का कद, चौड़ा सीना, उठे हुए चौड़े कंधे, सुंदर चेहरा और उनके कोई तोंद भी नहीं थी, उनको देखकर दिल में कुछ कुछ सा होने लगा था… जब नज़रें मिली तो हम दोनों मुस्करा दिए।

फिर थोड़ी देर बाद वो घर पर आ गये और ससुर जी से बात करने लगे, तब ससुर जी ने हमें मिलवाया।
संजू भी घर पर अकेले रहते हैं, उनकी बीवी 5 साल पहले गुजर चुकी है, दोनों लड़के एम पी से बाहर कहीं जॉब करते हैं।

अब उनका हमारे घर आना जाना काफी ज्यादा हो गया, जल्दी ही हम दोनों की नजदीकियाँ भी बढ़ने लगी।
एक तरफ मैं थी जिसके पति ने कभी न तो पूरी तरह संतुष्ट किया था न ही साथ रहते हैं। दूसरी तरफ संजू जी जिनकी बीवी भी 5 साल पहले उन्हें छोड़ कर जा चुकी थी।
आग दोनों तरफ लगी थी दोस्तों।

एक दिन मैं रसोई में खाना बना रही थी, ससुर जी खेतों में घूमने गये थे, संजू जी रसोई में आये और मेरी कमर मे पीछे से हाथ डाल दिया। मैंने भी थोड़ा शरमाने का एहसास कराया।
किन्तु संजू जी भी जानते थे कि अभी कोई नहीं है घर पर… मैं बाहर जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी और खींच लिया और मैं सीधे उनके सीने से जा लगी।

उन्होंने बिना एक पल गँवाए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
मैं भी जन्मों से प्यार की प्यासी की तरह उनके होंठों को चूमने लगी।
करीब दस मिनट तक हम यों ही एक दूसरे को चूमते रहे।

इतने में ससुर जी के कदमों की आहट हुई तो हम अलग हुए, तब मैंने उन्हें आज रात हमारे स्टोररूम में आने को कहा।
हमारे घर का स्टोर रूम करीब दो कमरों की जगह में बना है जिसमें आराम करने की सारी सुविधाएँ मौजूद हैं।

रात में ससुर जी को खाना खिलाकर अब तो बस उनके आने का इंतजार था।
थोड़ी देर में संजू जी चुपचाप स्टोररूम में आये, आते ही उन्होंने रूम का दरवाजा बंद किया और मुझे अपनी मजबूत बाहों में कस के जकड़ लिया।
मेरी रूह को तो जैसे इसी पल का इंतजार था।
उन्होंने अपने होंठों में मेरे होंठों को ले लिया और दस मिनट तक मुझे चूमते चूसते रहे।
फिर उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरा ब्लाउज भी उतार दिया। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरे 34 साइज़ के मम्मे उनके सामने झूलने लगे।

उन्होंने मेरा एक मम्मा अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे, साथ ही दूसरे मम्मे को अपने हाथ से मसलने लगे।
मेरी एक लम्बे अरसे की प्यास आज बुझ रही थी तो मेरे मुँह से अपनेआप मादक सिसकारियाँ निकलने लगी- ऊम्म्म उम्म्म आहाह्ह आह्ह ऊम्म।
फिर उन्होंने मुझे पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया और अपने कपड़े भी उतार दिए।
जैसा उनका शरीर बलवान और मजबूत था, वैसा ही उनका लिंग भी करीब 8″ लम्बा और 3″ मोटा, मेरे पति से डेढ़ गुना।
उसे देखते ही मेरी आँखों में चमक आ गई।

तब उनका इशारा पाकर मैंने उनके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरु किया।
उसके बाद उन्होंने मुझे लिटाया और अपना बलवान लिंग मेरी चूत पर सेट किया, एक धक्के में ही आधा लिंग चूत में प्रवेश करा दिया। मेरी तो एकदम चीख ही निकल गई।

फिर उन्होंने समझते हुए मेरे मम्मों को सहलाया, मेरे होंठों को चूसा और फिर धीरे धीरे मेरी चूत में अपना लिंग डालने लगे।
दो मिनट बाद मैं भी अपने चूतड़ों को उठाकर उनका साथ देने लगी।

तब उन्होंने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू किये, करीब 15 मिनट तक ऐसे ही मेरी जमकर चुदाई की। इस बीच मेरा तो एक बार पानी भी निकल चुका था पर अभी तक उनका लिंग एकदम तना हुआ था।

फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर पीछे से मेरी चूत में अपना बलिष्ठ लिंग डालकर मेरी चुदाई शुरू की, वो तेज़ तेज़ धक्के मारते रहे।
ऐसे ही बीस मिनट तक मेरी धुआंधार चुदाई की, इसके बाद उन्होंने मुझे अपने ऊपर बैठाकर भी चोदा, करीब 45 मिनट तक मेरी जमकर चुदाई करने के बाद उनके लिंग ने अपना कामरस बाहर निकाला।

उस रात मुझे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मेरी चूत की संतुष्टि की है, मैं तीन बार झड़ी थी, मेरी हालत तो ऐसी हो गई थी कि मैं उठकर वाशरूम तक भी नहीं जा सकती थी।

उस रात हमने एक बार और चुदाई की थी। सुबह ससुर जी के उठने से पहले संजू जी अपने घर चले गये।
तब से आज तक संजू जी और मैं एक दूसरे की काम वासना की तृप्ति करते हैं।
संजू जी मेरे पति के न होने पर मेरा हर तरह से ख्याल रखते हैं।

Hindi Sex Stories

मैं आज अपने मायके आ Hindi Sex Stories गई, सोचा कि कुछ समय अपने भाई और माता पिता के साथ गुजार लूँ। मेरी माँ और पिता एक सरकरी विभाग में काम करते हैं, भैया कॉलेज में पढ़ता है। आप जानते हैं ना चुदाई एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना हम लड़कियाँ तो बिल्कुल नहीं रह पाती। यहां मायके में भी यही हाल हुआ। ये चूत है कि लण्ड मांगे मोर…। बोबे भी फ़ड़क उठते हैं… गांड भी लण्ड दिखते ही लचकदार होकर अदाएँ दिखाने लगती है… चाल ही बदल जाती है। देखने वाला भी समझ जाता है कि अब ये लण्ड की भूखी है। बाहर से हम चाहे जितनी भी गम्भीर लगें, सोबर लगें पर हमारी नजरें तो पैन्ट के अन्दर लण्ड तक उतर जाती हैं। लड़कों का खड़ा लण्ड नजर आने लगता है।

मैं खिड़की पर खड़ी सब्जी काट रही थी की भैया आया और बिना इधर उधर देखे बाहर ही दीवार पर अपना लण्ड निकाल कर पेशाब करने लगा। मेरा दिल धक से रह गया। इतना बड़ा और मोटा लण्ड… भैया ने पेशाब किया और लण्ड को झटका और पेण्ट में घुसा लिया। मैं तुरन्त एक तरफ़ हो गयी। भैया अन्दर आ गया और मुझे रसोई में देख कर थोड़ा विचलित हो गया … उसे लगा को शायद मैने उसे पेशाब करते हुये देख लिया है।

“ये खिड़की क्या खुली हुई थी…”

“हां क्यो, क्या बात है…”

“नहीं यू ही बस …।”

“हां… तुम वहा पेशाब कर रहे थे न…” मैं मुस्कराई और उसकी पेन्ट की तरफ़ देखा

भैया शर्मा गया।

“धत्त , तुझे शरम नही मुझे देखते हुये”

“शरम कैसी… ये तो सबके होता है ना, बस तेरा थोड़ा सा बड़ा है…”

“दीदी…” वो शरमा कर बाहर चला गया। मुझे हंसी आ गयी। हां, मेरा दिल जरूर मचल गया हा। पर भैया भी चालू निकला, वो जब भी खिड़की खुली देखता तो वहा पेशाब करने खड़ा हो जाता था… और मुझे अब वो जान करके अपना लण्ड दिखाता था। मेरा मन विचलित होता गया। एक बार मैने उससे कह ही दिया…

“बबलू… तू रोज़ ही वहा पेशाब क्यो करता है रे…”

“मुझे अच्छा लगता है वहां”

“… या मुझे दिखाता है…अपना वो…”

“दीदी, आप भी तो देखती हो ना… फिर ये तो सबका एक सा होता है ना…”

” जा रे… तू दिखायेगा तो मैं देखूंगी ही ना… फिर…” मैं शर्मा सी उठी

“दीदी… तेरी तो शादी हो गई है…तुझे क्या…”

“अच्छा छोड़, मैं स्टूल पर चढ कर वो समान उतारती हू, तू मेरा ध्यान रखना…मैं कही गिर ना जाऊ”

मैं स्टूल पर चढी, और कहा “बबलू… मेरी कमर थाम ले…और ध्यान रखना…”

समान उतार कर मैं ज्योही स्टूल पर से उतरी बबलू ने मुझे उतरते हुये अपनी तरफ़ खींच लिया।

“धीरे धीरे दीदी…”और उसने मुझे ऐसे उतारना चालू किया कि मेरे बोबे तक दबा डाले धीरे धीरे सरकते हुए वो मुझे नीचे उतारने लगा और मेरे चूतड़ उससे चिपकते हुए उसके लण्ड तक पहुंच गये। अब हाल ये था की मेरे दोनो बोबे उसके कब्जे में थे और उसका लण्ड मेरे पटीकोट को दबाते हुए गाण्ड में घुस गया था। उसके मोटे लण्ड का स्पर्श मैं अपने दोनो चुतड़ो के बीच महसूस कर रही थी। मैने उसे देखा तो उसकी आंखे बंद थी… और मुझे वो कस कर जकड़ा था। शायद उसे मजा आ रहा था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। पर शराफ़त का तकाजा था कि एक बार तो कह ही दू…”अरे छोड़ ना…क्या कर रहा है…”

“ओह दीदी… मुझे ना क्या हो गया था… सॉरी…”

“बड़े प्यार से सॉरी कह दिया… “मैने उसकी हिम्मत बढाई।

“दीदी क्या करू बस आपको देख कर प्यार उमड़ पड़ता है…”

“और वो जो खड़ा हो जाता है… उसका क्या”

“दीदी… वो तो पता नही , बस हो गया था” और मुस्कराता हुआ बाहर चला गया।

रात को सब सो गये तब मन में वासना जाग उठी। भैया के अन्दर का शैतान जाग उठा और मेरी अन्तर्वासना जाग उठी। जवान जिस्मो को अब खेल चाहिये था। दोनो के तन बदन में आग लगी हुई थी। कैसे शैतान ने काम किया कि हम दोनो को एक दूसरे की जरुरत महसूस होने लगी । हम दोनो लेटे हुये एक दूसरे को देख रहे थे… आंखो ही आंखो में वासना भरे इशारे हो रहे थे। भैया ने तो अपना लण्ड ही दबाना शुरू कर दिया, मैने भी उसे देख कर अपने होंठ दांतो से काट लिये। मैने उसे अपने बोबे अपना ब्लाऊज नीचे खींच कर दिखा दिये और दबा भी दिये। अब मैने चादर के अन्दर ही अपनी पेण्टी उतार दी और ब्रा खींच कर खोल दी। पेटीकोट को ऊपर उठा लिया… और अपनी चूत सहलाने लगी। ऊपर साफ़ दिख रहा था मेरा चूत का मसलना…

“दीदी, आप यही क्यो नही आ जाती , अपन बाते करेंगे”

“क्या बात करेंगे… मुझे पता है… तुझे भी पता है…आजा मेरे भैया…”

हम दोनो बिस्तर से उतर कर खड़े हो गये। धीरे धीरे एक दूसरे के समीप आ गये और फिर हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मेरा अस्त व्यस्त ब्लाऊज और पेटीकोट धीले हो कर जाने कब नीचे खिसक गये, उसका पजामा भी नीचे उतर गया। हम नंगे खड़े थे। हम दोनो अब एक दूसरे को चूमने लगे। उसका लण्ड मेरी नगी चूत पर ठोकरे मारने लगा।

मैं भी निशाना लगा कर लण्ड को लपकने की कोशिश करने लगी कि उसे अन्दर ले लूं। हम दोनो के नगे और चिकने जिस्म रगड़ खाने लगे। जाने हम दोनो के होंठ कब एक दूसरे से चिपक गये। बबलू ने खुद को नीचे करते हुए मेरी गीली चूत में लण्ड घुसाने कोशिश करने लगा। उसका लण्ड मुझे यहा वहा रगड़ खा कर मस्ती दे रहा था। मेरी चूत अब लप लप करने लगी थी। तभी लगा की लण्ड ने चूत में प्रवेश कर लिया है। मैने अपनी एक टांग कुर्सी पर रख ली और चूत का द्वार और खोल दिया। लण्ड अन्दर घुस पड़ा। मीठा मीठा सा मजा आने लगा … मैने भी अपनी चूत उसके लण्ड पर दबा दी , उसका लण्ड पूरा अन्दर तक उतर गया।

अब मैने अपनी टांग नीचे कर ली। और भैया को जकड़ लिया। हम एक दूसरे से चिपके हुये कमर को हौले हौले चलाने लग गये। गीली और चिकनी चूत में लण्ड अन्दर बाहर फ़िसलने लगा। मुझे चुदाई का नशा सा आने लगा। बबलू का मोटा लण्ड मुझे भरपूर मजा दे रहा था। हम काफ़ी देर तक यू ही वासना की कसक भरी मस्ती लेते रहे। वो धीरे धीरे मुझे चोदता रहा… अब मुझे लगा कि कही मैं झड़ ना जाऊ… पर देर हो चुकी थी…मेरी चूत में पानी उतरने लगा था, सब्र टूट रहा था… मेरी सांसे जोर से चलने लगी और मेरा पानी छूट पड़ा। पर मैं उससे चिपकी रही। भैया मुझे हौले हौले चोदता ही रहा। धीरे धीरे मुझे फिर से चुदने का मजा आने लगा। मैं फिर से उसे पकड़ कर चिपट गयी। वो मेरे बोबे दबाता रहा और चोदता रहा, उसमें दम था…

“दीदी … अब उल्टी हो जाओ दूसरा मजा भी लू क्या ?”

“मेरे प्यारे भैया … हाय रे गान्ड चोदेगा क्या…” उसने हां में सर हिलाया। मैं उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गयी। उसने मुझे घोड़ी जैसा झुकाया और झुक कर देखा, पास में पड़ी शीशी से क्रीम निकाली और गाण्ड में भर दी।

“क्रीम मत लगा, मेरी गाण्ड तो वैसे ही खुली हुई है… खूब लण्ड खा लेती है…” मैने उसे बताया पर तब तक उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस चुका था। लण्ड गाण्ड में कसता हुआ जा रहा था पर दर्द नही हुआ। बस एक मीठी सी सुरसुरी होने लगी। उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया था।

मैने फ़्री स्टाईल में कमर हिलानी शुरू कर दी पर भैया को मजा चाहिये था, सो उसने मुझे सीधा खड़ा कर दिया और और मेरी पीठ अपने से चिपका ली । मेरे बड़े बड़े बोबे थाम कर उसे मसलना चालू कर दिया और लण्ड को हौले हौले गाण्ड में चलाने लगा। लण्ड का पूरा मजा आ रहा था। उसका साईज़ मेरे चूतड़ो तक को महसूस हो रहा था मुझे अब थोड़ी सी इस पोज में तकलीफ़ होने लगी थी सो मैं अब झुकने लगी और घोड़ी बनने लगी चुदते चुदते ही मैने अपने अपने हाथ कुर्सी पर टिका दिये और अपने पांव खोल दिये। उसका लण्ड अब अच्छी तरह से तेज चलने लगा। मैने भी चूतड़ो कि ताल में हिला कर गाण्ड मरवाने लगी। अब मुझे भी मस्ती आने लगी थी। भैया गाण्ड मारने में माहिर था। अब तो मेरी चूत भी फिर से तैयार थी, भैया ने मेरा इशारा समझा और लण्ड को गाण्ड में से निकाल कर फिर से चूत में पिरो दिया। मेरी चूत में मजे की तरावट आ गयी। खूब गुदगुदी भरी मिठास उठने लगी।

मैने भी चूत को गाण्ड के साथ नचाना शुरू कर दिया और मजा तेजआने लगा। चूत के पानी का चिकनापन से चोदते समय फ़च फ़च की आवाज आने लगी थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमट कर रह गई थी। मस्ती सर पर चढ चुकी थी। चुदाई जोरो पर थी। भैया तूफ़ानी गति से कस कर धक्के मार रहा था। मेरी चूत बेहाल हो उठी थी। अब लग रहा था कि मेरा माल निकलने वाला है… उत्तेजना चरम दौर पर थी… चूत पर लण्ड की चोट मुझे मस्त किये दे रही थी। अचानक भैया ने लण्ड मेरी चूत में दबा दिया और मेरी कमर कस कर भींच दी ।

“दीदी… दीदी… हाय… आह्ह्ह … मेरा लण्ड गया… दीदी… मेरा निकला…ऊईईईईई…ऐह्ह्ह्ह्ह्ह्…”

तभी मेरी भी सारी नसे जैसे खिंच उठी और मैं तड़प उठी। मेरा भी पानी जैसे अन्दर से उबल पड़ा और मैं झड़ने लगी। तभी भैया के लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी। लण्ड बाहर निकाल कर सारा वीर्य छोड़ दिया। उसका लण्ड रह रह कर रस बरसा रहा था। मेरी गाण्ड पूरी वीर्य से तर हो चुकी थी। वो लगता था थक गया था। उसने पास पड़े कपड़े से मेरे चूतड़ साफ़ कर दिये और अपना लण्ड भी पोंछ डाला। हम दोनो फिर से आपस में लिपट गये और प्यार करने लगे।

अब हम एक ही बिस्तर में लेटे थे और एक दूसरे के साथ खेल खेलने लगे थे। मुझे तो उसे फिर से उत्तेजित करना था। मेरा तो रात भर का कार्यक्रम था… कुछ देर में भैया फिर से तैयार था … उसका लण्ड कड़क हो चुका था… मैं भी चुदने को तैयार थी… उसने मेरे ऊपर चढ कर मुझे दबा डाला… और उसका लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसता चला गया… मेरी सिसकारिया मुख से फ़ूट उठी… लण्ड और चूत का घमासान युद्ध होने लगा… Hindi Sex Stories

Hindi Porn Stories

मेरा नाम राहुल है. यह Hindi Porn Stories मेरी पहली कहानी है, सच है या झूठ, आप ही बता सकते हैं. मैं अभी हैदराबाद में जॉब करता हूँ.

कहानी उन दिनों की है जब मैं +2 की परीक्षा देकर हॉस्टल से अपने घर गया था. हॉस्टल में तो सेक्स के बारे में हम सभी खूब बात करते थे, पर सही में सेक्स कैसे होता है मुझे मालूम नहीं था. घर पर मेरे पापा, मम्मी, बड़ा भाई और एक छोटी बहन है जो आठवीं में है. मेरे पापा नौकरी करते हैं और मम्मी स्कूल टीचर है. मेरा बड़ा भाई मुझसे तीन साल बड़ा है. घर पर दिन मैं और मेरा बड़ा भाई अकेले ही रहते थे क्योंकि उसका सरकारी कालेज था.

मैंने एक दो दिनों तक गौर किया कि घर पर जब कोई नहीं रहता है तो पास के घर की रानी नाम की लड़की नोटबुक ले कर घर आती है. पहले तो मैं गौर नहीं करता था पर एक दिन जब उसे कमरे से निकल कर उसके कपड़े ठीक करते देखा तो मुझे शक हो गया.

दो दिनों बाद जब वो आई तो मैं रोशनदान से छिप कर देखने लगा. वो आते ही मेरे भाई से चिपक गई, मेरा भाई भी उसके होटों को चूम रहा था. फिर भाई ने उसका कुरता और ब्रा खोल दिया और उसके चूचे चूसने लगा. फिर मैंने रानी को देखा- वो बहुत ही मदहोश हो चुकी थी और सेक्सी सेक्सी आवाजें निकाल रही थी… ऊऊऊह्ह आआअह्ह्ह ह्म्मम्म ऊऊउ स्स्स्स!

फिर भाई ने उसकी सलवार को खोल दिया और उसकी पेंटी के उपर से हाथ घुमा रहा था रानी पागलों की तरह आवाजें निकालने लगी, पूरा कमरा सेक्सी आवाजों से गूंज रहा था. फिर मैंने देखा कि भाई उसकी पेंटी उतार कर खुद भी नंगा हो गया और अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा. कुछ देर तक चोदने के बाद वो एक झटके के साथ मेरे भाई से चिपक गई, फिर मेरा भाई भी थोड़ी देर तक उसके शरीर पर पड़ा रहा. फिर रानी ने उठ कर अपने कपड़े पहन लिए और अपने घर चली गई.

मैं वो सीन देख कर सीधा बाथरूम गया और मूठ मार लिया. पर उस रात मैं सो नहीं पाया.उसके बाद एक और दिन चुदाई का कार्यक्रम देखा तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भी रानी को चोदने की ठान ली.

शाम को मैं और भाई जब बाज़ार से घर आ रहे थे तो मैंने हिम्मत कर के भाई को बोल दिया कि तुम और रानी जो करते हो मैंने देख लिया है. मेरे भाई का मुँह देखने लायक था, बेचारा मुझसे कुछ नहीं बोल पा रहा था.

वो इतना बोला कि प्ली़ज मैं यह बात किसी को न बोलूं! तो मैंने भी रानी को चोदने की शर्त रख दी.
वो बोला- कोशिश करूँगा.

दो तीन दिनों के बाद फिर रानी आई तो मैं फिर रोशनदान से छिप कर देखने लगा. आज दोनों कुछ बात कर रहे थे. थोड़ी देर में भाई कमरे से बाहर आने लगा तो मैं भाग कर नीचे आ गया और अपने कमरे में बैठ गया. भाई मेरे पास आया और बोला- रानी मुझे बुला रही है!

मैं डरते डरते कमरे में गया तो रानी चुपचाप खड़ी थी. मैंने भाई के डर से दरवाजा बंद नहीं किया. थोड़ी देर खड़े रहने के बाद रानी ने खुद बात शुरु की और मुझे दरवाजा बंद करने को बोला.

मैंने दरवाजा जैसे ही बंद किया, उसने मुझे बेड पर बैठने को कहा. वो खुद भी बेड पर बैठ चुकी थी. फिर उसी ने बात शुरु की, मुझसे पूछा- तुम छिप-छिप कर क्या देखते थे?

तो मैं बोला- वही जो तुम और भाई करते हो!
तो वोह बोली- क्या वही?
तो मैं बोल बैठा- ‘चुदाई’

फिर वो हंसने लगी और मुझसे पूछा- पहले किसी को किया है?
तो मैं बोला- नहीं!
फिर उसने बोला- आज कुछ करोगे या सिर्फ़ मुझसे बात ही करोगे!

इतनी में वो और करीब आ गई, मुझे समझ नहीं आ रहा था. फिर मैंने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया और उसे गले लगा लिया. उसने भी मुझे पकड़ लिया और मेरी पीठ को सहलाने लगी. फिर मैं उसके होटों को चूमने लगा. मेरा लंड काबू में नहीं हो रहा था. जल्दी-जल्दी मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए और अपने भी खोल दिए. वो मेरा लंड सहला रही थी, पर जैसे ही मैंने उसकी चूत में लंड डाला, वो तिलमिला उठी और बोली- तुम्हारा लंड तो तुम्हारे भाई से लम्बा और मोटा है! धीरे करो!

पर दो-तीन मिनट में ही मेरा माल निकल गया और मुझे शर्मिंदगी लगने लगी तो वो बोली- क्या हुआ?

मैं कुछ नहीं बोला तो वो बोली- पहली बार है ना!
तो मैं बोला- हाँ!
तो वो हंसने लगी और बोली- कोई बात नहीं! एक बार फिर कोशिश कर सकते हो!
इस बार उसने पहल की और बोली- जल्दबाजी मत करना! आराम से म़जा लोगे तो तुम्हें अच्छा लगेगा!

फिर उसने मेरा लंड सहलाना शुरु किया. पाँच मिनट में ही लंड खड़ा हो गया. मैं भी आराम से उसकी चूचियाँ दबा रहा था. इस बार सही में मजा दोगुना हो गया था.

उसने मुझसे कहा- अब जल्दी से ऊपर आ जाओ!

मैंने अपने लण्ड को निशाने पे लगाया और उसकी बूर पे रखकर एक जोरदार झटका मारा, वो दर्द के मारे कराहने लगी. मैं उसके स्तन मसलने लगा. जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने एक और जोरदार शॉट मारा और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत की गहराई में समां गया. वो एक बार फिर दर्द से चिल्ला उठी और आ आआ आ आह्ह्ह्ह ईईइह्ह्ह्ह ऊऊ ऊ ऊ ऊह्ह्ह्ह की आवाजें करने लगी. मैंने उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए.

जब उसका दर्द कम हो गया तो वो कहने लगी- जोर से चोदो मेरे राजा! आज इस चूत का भोंसड़ा बना दो! और जोर से… और जोर से! आज मुझे छोड़ना नहीं मेरे रज्जा!… मुझे आज पेल दो आज…!

मैं जोर-जोर से धक्के लगाने लगा, रानी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और नीचे से गांड उठा-2 कर झटके मार रही थी. करीब बीस मिनट बाद मैंने कहा- अब मैं झड़ने वाला हूँ!
उसने कहा- स्पीड बढ़ा दो!

मैं तेज-तेज़ झटके लगाने लगा और 10-15 झटकों के बाद मेरा लावा उसकी चूत में समां गया.

वो आज शादीशुदा है. और जब मैं घर जाता हूँ उसे फ़ोन कर देता हूँ! वो आ जाती है और हमारा चुदाई का कार्यक्रम एक बार तो होता ही है.

विश्वास के साथ यहीं ख़त्म कर रहा हूँ. कहानी आप लोगों को सच लगा या झूठ, कृपया मेल भेजना न भूलिएगा. Hindi Porn Stories

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अपने भाइयों का लण्ड लेने Hindi Sex Stories वाली मेरी प्यारी बहनो और अपनी बहनों की गांड मारने वाले मादरचोद भाईयो!
कैसे हैं आप?
उम्मीद करती हूँ कि आप अपने घर में चोदने के काम में पूरी तरह से लगे हुए हो।

मेरा नाम निकिता है और मैं चोदपुर ओह! सॉरी! जोधपुर में रहती हूँ। मेरी पिछली कहानी पर मुझे काफी मेल आये और मैंने सबके जवाब दिए। आपने मेरी अभी तक सभी कहानियाँ पढ़ी होगी और मुझे अपने ख्यालो में बुलाकर और सोच कर बहुत सोच कर मुट्ठ मारते होंगे और मुझे चोदते होंगे। आप सब लोग इसी तरह मेरी कहानियाँ पढ़ा कीजिये और मेरा नाम लेकर मुठ मारा कीजिए।

खैर मैं सारी बातों को छोड़कर अपनी असली औकात मतलब कहानी पर आती हूँ।

मेरा फिगर ३२-२८-३४ है और किसी वजह से छोटी उम्र में ही सैक्स की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगी। वैसे तो मेरा स्थाई घर जयपुर में है लेकिन मैं जोधपुर में मेरे भाई के साथ रहती हूँ। मैं और मेरा भाई लगभग रोज चुदाई करते है। अब तो ये हाल है कि मैं दिन में एक बार जब तक भाई से चुद नहीं लेती मुझे नींद नहीं आती है। मैंने अपने भाई के अलावा किसी और से चुदाई नहीं की है।

मेरे भाई का नाम राहुल है। जब उसने मुझे पहली बार चोदा तो मेरी उम्र १८ साल थी। लेकिन उस उम्र में भी मैं जवान औरतों को मात दे रही थी। मेरे स्तनों का आकार तो सामान्य ही था लेकिन थे बहुत ही टाईट व तीखे। मेरा फिगर देखकर बड़े लोगों व बूढ़े लोगों का भी लण्ड खड़ा हो जाता था।

जब मैं कक्षा १० में थी तो तभी मैं और भईया अलग जोधपुर में रहने लग गये थे। भईया ने मुझे बड़े प्यार से पाला था।

एक दिन स्कूल से आकर मैंने भईया से कहा- भईया स्कूल के वार्षिक फंक्शन में मैंने डांस करना है और ड्रेस कोड साड़ी है इसलिये मुझे साड़ी पहन कर जाना होगा, लेकिन मुझे साड़ी पहनना नहीं आता है और मेरे पास कोई अच्छी साड़ी भी नहीं है।

तो भईया कहा- अपनी नई साड़ी पहन लो!
मैंने कहा- हाँ! लेकिन ब्लाउज और पेटीकोट तो मुझे नहीं आयेगे!
भईया ने कहा- ठीक है तेरे लिये बाजार से नया ब्लाउज और पेटीकोट ले आऊँगा।

मैंने कहा- ठीक है भईया! पर पहले आप मुझे साड़ी पहनना सिखा दीजिये। जिस पर भईया ने मुझको साड़ी लाने को कहा। तो मैं भाग कर कमरे में गई और साड़ी लेकर आई। मैंने उस समय टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी। मैंने अपना टी-शर्ट उपर कर दिया तो मेरा गोरा पेट भईया की आँखों के सामने था। मेरा गोरा पेट देखकर भईया की आँखों में वासना चमकने लगी, उसके मन में बुरे बुरे ख्याल आने लगे। उसने धीरे से मेरे पेट पर हाथ फिराया तो मैं हंसने लगी।

भईया ने कहा- हंस क्यो रही हो?
मैं बोली- कुछ नहीं! ऐसे ही! गुदगुदी हो रही है।

भईया ने मेरे कमर पर साड़ी लपेटी लेकिन कपड़े पहने होने के कारण साड़ी मेरे बदन पर ठीक नहीं हो पा रही थी।

भईया ने मुझे कहा- निकिता! तुम अपने कपड़े, अपनी पैन्ट उतारो!
मैंने कहा- क्यों?
तो भईया ने कहा- इसलिये, क्योंकि साड़ी ठीक से नहीं आ पा रही है।

तो मैंने अपनी पैन्ट उतार दी। उस समय मैंने गुलाबी रंग की पेन्टी पहनी थी। मैं अपने भाई के सामने पेन्टी में थी।

मैंने कहा- जल्दी करो ना! मेरे हाथ दुख रहे हैं क्योंकि मैं अपने हाथो से अपना टी-शर्ट उपर किये हुए खड़ी थी।
भईया ने मुझे कहा- तुम अपना टी-शर्ट उतार दो तो मैं तुम्हें साड़ी पहना सिखाउंगा।

तो मैंने अपने बटन को खोल कर टीशर्ट उतार दिया। अब मैं केवल ब्रा और पेन्टी में ही थी। भईया खड़ा रह कर मेरे बदन के आस पास साड़ी लपेटने लगा। भईया का हाथ मेरे बदन पर बार बार छू रहा था। जैसे तैसे भईया मुझे साड़ी पहनाई। फिर भईया ने कहा- देखो निकिता जाकर आईने में! साड़ी ठीक से बन्धी है या नहीं।

मैं अपने कमरे में गई तथा आईने में अपने आप को देखने लगी। जब भईया बेडरूम में आया तो मैं केवल ब्रा और पेन्टी में थी तथा केवल एक साड़ी लपेटे हुए थी।

तभी भईया ने मुझे कहा- निकिता! अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात कहूं? तुम्हारा एक स्तन छोटा और एक बड़ा है।

तो मैं गौर से देखने लगी, फिर बोली- नहीं दोनों बराबर हैं!
मैंने अपना साड़ी का पल्लू हटा कर दिखाया।
तो भईया ने कहा- नहीं, तुम्हें साड़ी पहनकर दिखाई नहीं दे रहा है।
मैंने कहा- इससे क्या होगा?

तो भईया ने मुझे कहा- ये परेशानी तुमको तुम्हारी शादी के बाद आयेगी, जब तुम्हारा पति तुम्हारे दोनों स्तन बराबर नहीं पायेगा तो बड़ा नाराज होगा, और हाँ इससे तुम्हारी खूबसूरती भी कम हो जायेगी।

तो मैंने कहा- भईया! अब मैं क्या करूँ? ये ठीक नहीं हो पायेंगे क्या?
भईया ने कहा- ठीक तो हो जायेगे लेकिन तुम्हें कहे अनुसार इलाज करना पड़ेगा और इसका इलाज केवल मालिश के द्वारा ही होगा।
तो मैंने भईया से कहा- भईया! आप प्लीज इसे ठीक कर दीजिये ना!
तो भईया ने मुझे कहा- निकिता! तुम एक काम करो तुम साड़ी उतार कर बिस्तर पर लेट जाओ, मैं तुम्हारी अभी मालिश कर देता हूँ।

फिर मैं अपनी साड़ी उतार कर बिस्तर पर लेट गई। भईया ने अलमारी में से तेल की शीशी निकाली और बिस्तर पर मेरे पास आकर बैठ गया और कहा- तुम अपनी ब्रा उतार दो, नहीं तो तेल से खराब हो जायेगी।

मैंने जल्दी से अपनी ब्रा को उतार दिया और अब मैं मेरे भईया के सामने केवल पेन्टी में ही थी। भईया ने अपने हाथ में तेल ले कर फिर मेरे स्तनों पर लगाया और मेरे स्तनों की मालिश करने लगा। मैं अपनी आंखों को बंद किये हुए लेटी थी। भईया मेरे कच्चे और हल्के गुलाबी रंग के स्तन व उनके चूचुकों को मसल रहा था। पहली बार किसी लड़के ने मेरे स्तनों को हाथ लगाया था और वह मालिश कर रहा था। इस कारण से मुझे अजीब सा नशा छाने लगा।

तभी भईया ने मेरे गुलाबी चूचुक को अपने अंगूठे व उंगली के बीच में लेकर जोर से दबा दिया तो मैं जोर से बुरी तरह चिल्ला उठी और बोली- आ आआ हहहह हहहह भईया इतनी जोर से नहीं! आराम से!

इसके बाद तो मैं अपने होश खोती जा रही थी तथा आसमान में उड़ने लगी थी लेकिन मेरा कोई गलत काम का मन नहीं था। लेकिन भईया मुझको पूरी तरह तैयार करके चोदने में मूड में था। करीब बीस मिनट मालिश करने के बाद भईया ने मुझे कहा- निकिता तुम्हारे स्तन अभी थोड़े ठीक हुए हैं लेकिन अगर तुम बुरा न मानो तो मैं तुम्हारी पूसी भी देख लूँ ताकि उसमें भी कोई परेशानी तो नहीं है।

तो मैंने कहा- इसमें पूछने की कोई बात नहीं! आप मेरे भईया है आप मेरा बुरा थोड़े ही करेंगे।

भईया उस समय भी कपड़े पहने हुए थे। मैंने देखा कि भईया के कपडो पर भी तेल लग गया है। भइया उठे और अपने कपड़े निकाल दिये। मैंने पूछा तो कहा कि मेरे कपड़ों पर तेल लग गया है, बदलने है। अब भईया मेरे सामने सिर्फ अन्डरवीयर में थे।

मैंने भईया से कहा- भईया! आप अपना अण्डरवीयर निकाल दो, नहीं तो ये भी गन्दा हो जायेगा।
तो भईया ने जल्दी से अपनी अण्डरवीयर उतार दी।
भईया का लण्ड में लहराने लगा तो मैंने भईया से पूछा- ये क्या है?

तो उसने कहा- यह लन्ड है और अंग्रेजी में इसको पेनिस कहते है और हम दोनों इसी पेनिस की वजह से इस दुनिया में आये हैं।
मैंने पूछा- इससे क्या होता है?
भईया ने कहा- इससे चूत की शेप और साईज ठीक किया जाता है।
तो मैंने मासूमियत से कहा- भईया! क्या आप मेरी चूत की शेप भी ठीक करेंगे?
वह बोला- हाँ! लेकिन पहले मैं यह देख तो लूँ कि तुम्हारी चूत ठीक है भी या नहीं ?

यह बोलकर उसने मुझे मेरी पेन्टी उतारने को कहा तो मैंने अपनी पेन्टी उतार दी। फिर भईया ने मेरे दोनों पैर फैला दिये और मेरी कुँवारी चूत को गौर से देखने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि आज अपनी इस कुँवारी और नादान और भोली भाली लड़की की सील तोड़ने को मौका मुझे मिला हैं। ये बात मुझे भईया ने बाद में बताई जो लिखी।

मैंने पूछा- भईया आप क्या देख रहे है?
तो वो बोला- निकिता! तुम्हारी चूत का साईज बहुत छोटा है इसे बड़ा करना पडेगा!
मैंने कहा- जल्दी से इसको बड़ा कर दो।

तो भईया ने कहा कि पहले मैं इस चूसूंगा, उसके बाद भईया ने अपनी जीभ मेरे नीचे डाल दी और चूसने लगा।

मेरी तो हालत ही खराब हो गई और मैं मस्ती के मारे आहह आहहह आअ अ आ आ आ आहह ओइइइ सीईइइ आहहह करने लगी।

भईया ने कहा- मजा आया?
तो मैंने कहा- बहुत! और करो भईया!

काफी देर चूसने के बाद भईया ने कहा- निकिता! अब मुझे तुम्हारी चूत में अपना लण्ड घुसाना पड़ेगा पर मेरा लण्ड अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है तुम इसे खड़ा करने में मेरी मदद कर दो।

उसके बाद जैसे भईया ने कहा, मैं वेसा करने लगी। उसके लण्ड को चूमने लगी, मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी, चूसने लगी.
तो भईया भी मेरी तरह करने लगे और वो बोलने लगे- ओ मेरी प्यारी बहन निकिता! आहहहह हहहह क्या जादू है तेरे गुलाबी होठो में! जोर से चूस मेरी रानी! और चूस! मेरा मुँह में ले ले मेरा आज तू! आहहहहह!

जब भईया का लण्ड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया तो उसने मेरी दोनों टांगों के बीच में अपना मोटा लण्ड रखकर थोड़ी क्रीम लगाई मेरी चूत के अन्दर तक! भईया ने १०० ग्राम क्रीम की शीशी को पूरी की पूरी मेरी चूत के ऊपर और अन्दर तथा अपने लण्ड पर लगा दिया और बोला- मैं तेरी चूत में अपना लण्ड डाल रहा हूँ!

और उसके बाद भईया ने एक जोरदार धक्का मारा, लण्ड पूरा मेरी चूत में एक बार में ही घुस गया, मेरी तो सांस ही अटक गई, मेरे मुँह से एक जोरदार तेज चीख निकली, मैं रोने लगी और रोते हुए बोली- मार डाला! मर गई रे! मेरी चूत फट गई भईया! उफफ नहीं, अपना लण्ड बाहर निकालो भईया! मुझे अपनी चूत सही नहीं करवानी है, इसे बाहर निकालो!

लेकिन भईया ने मेरी एक नहीं सुनी और मेरे मुँह पर हाथ रखकर दूसरे हाथ से मेरे स्तन पकड़ कर मसलते हुए अपना लण्ड आगे पीछे करने लगे।

कुछ देर बाद मुझे थोड़ा आराम मिला तो भईया ने पूछा- निकिता अब अच्छा लग रहा है ना!
तो मैंने कहा- भईया! बहुत मजा आ रहा है, जरा जोर से धक्के मारो मेरी चूत में!

और भईया जोर से मेरी चूत में झटके मारने लगे। अब भईया को और मुझको दोनों को मजा आ रहा था और हम दोनों सिसकियां ले रहे थे।

मैं भईया को कहने लगी- भईया! आज तक तुमने मेरा इलाज क्यों नहीं किया? अब डालो! जोर से डालो! मारो जोर से झटके मारो भईया। भईया अब जोर जोर से झटके मारने लगे मैं सातवें आसमान पर थी तथा मुझे मेरी चूत की चुदाई से त्रिलोक नजर आने लगा था और मैंने भईया को कहा कि भईया मेरे चूत से कुछ निकलने वाला है!

भईया बोला- निकिता! ये तुम्हारी जवानी और चूत का रस है जो आने वाला है, अब मैं भी तुम्हारे साथ आने वाला हूँ।

तभी मेरी चूत ने जोर की पिचकारी छोड़ी और मुझे बहुत मजा आने लगा। पहली बार मेरी चूत ने किसी लड़के के लन्ड से अपना रस छोड़ा था, अति आनन्द और मजे से मैं सीसीयाने लगी और एक तेजी खुशी की चीख निकली। और इसी के साथ में धडाम हो गई, मैं असमान की बुलन्दियों से कटी पंतग की भांति जमीन पर गिरने लगी।

तभी भईया का लण्ड मेरी चूत में फ़ूल कर झटके मारने लगा। मुझे फिर मेरी चूत में कुछ गर्म गर्म सा गिरता प्रतीत हुआ, ऐसा लगा किसी ने कोई गर्म गर्म चीज मेरी चूत में डाल दी हो। भईया ने मेरी चूत में अपना वीर्य निकाल दिया। जब मैं खड़ी हुई तो मुझे भईया का सहारा लेकर खड़ा होना पड़ा।

खड़ी होने पर भईया का वीर्य मेरी चूत से निकल कर मेरी जांघों पर बहने लगा तो मैंने भईया से पूछा- यह क्या है?

तो वह बोला- यह पीने से ताकत आती है, तुम्हारी बॉडी सही हो जायेगी।

मैंने अपने हाथ से अपनी जांघों तक आये हुए भईया के वीर्य को अंगुलियों पर लिया और चाट गई। मुझे पहले अजीब पर बाद में बहुत अच्छा लगा।

बाद में भईया ने पूछा- निकिता मजा आया?
मैंने कहा- हाँ भईया! आया! लेकिन एक वादा करो कि आप ऐसे ही रोज मेरा इलाज करोगे।
भईया ने कहा- हाँ करूंगा, पर उसके लिए तुम्हें मेरी पत्नी बनना पड़ेगा, फिर मैं तुम्हारा हर समय इलाज करता रहूंगा।
मैं मुस्कुरा दी और कहा- हाँ जी बनूंगी।
भईया कहा- अरे ‘हाँ जी’ क्यों कहा?

मैंने कहा- अब आप मेरे पति हैं और लड़कियाँ अपने पति का नाम नहीं लेती हैं न!

बाकी कहानी अगले भाग में

दोस्तो और मेरे भाईयो! कैसी लगी आपको मेरी कहानी?

आंटी के गुस्से से सेक्स तक-Antarvasnaअगर आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे जरूर मेल करना और मुझसे कुछ पूछना हो तो भी मेल करना! मैं जवाब दूँगी! मुझे आपकी मेल का इन्तजार है। Hindi Sex Stories

अन्तर्वासना कहानी

अन्तर्वासना कहानी- एक लड़की है रीना, बिल्कुल सीधी सादी, भोली-भाली, भगवान में बहुत विश्वास रखने वाली. अचानक शादी के एक साल बाद ही उसके पति का स्कूटर से एक्सीडेंट हो गया और वो ऊपर चला गया. तब से रीना अपने पापा-मम्मी के साथ रहने लगी. अभी उसका कोई बच्चा नहीं था. उसकी आयु 24 वर्ष थी. उसके पापा मम्मी ने उसको शादी के लिए कहा, लेकिन रीना ने फिलहाल मना कर दिया था. वो अब भी अपने पति को नहीं भुला पाई थी, जिसे ऊपर गए हुए आज 5 महीने हो गए थे.

रीना शारीरिक रूप से कोई बहुत ज्यादा खूबरसूरत नहीं थी लेकिन उसकी सूरत बहुत भोली थी. वह खुद भी बहुत भोली थी, ज्यादातर चुप ही रहती थी.

उसकी लम्बाई लगभग 5 फुट 7 इंच थी, रंग रूप गोरा था, बाल काफी लंबे थे, गोल चेहरा था. उसके चूचे भारतीय औरतों जैसे बड़े थे, कमर लगभग 31-32 इंच थी, चूतड़ गोल और बड़े यही कोई 37 इंच के थे.

वो हमेशा सफेद या फिर बहुत हल्के रंग की साड़ी पहनती थी. उसके पापा सरकारी दफ्तर में काम करते थे. उनका हाल ही में दूसरे शहर में तबादला हुआ था. वे सब नये शहर में आकर रहने लगे.

रीना की मम्मी ने भी एक स्कूल में टीचर की नौकरी कर ली. रीना का कोई भाई नहीं था और उसकी बड़ी बहन की शादी 6 साल पहले हो गई थी. उनका घर छोटी सी कॉलोनी में था जो कि शहर से थोड़ी दूर थी. रोज़ सुबह रीना के पापा दफ्तर और उसकी मम्मी स्कूल चले जाते थे. पापा शाम 6 बजे और मम्मी 4 बजे वापस आती थीं.

उनके घर के पास ही एक छोटा सा मंदिर था. मंदिर में एक पण्डित था, यही कोई 36 साल का. देखने में गोरा और बॉडी भी सुडौल, लंबाई 5 फुट 9 इंच. सूरत भी ठीक ठाक थी.. बाल भी बड़े थे.

मंदिर में उसके अलावा और कोई ना था. मंदिर में ही बिल्कुल पीछे उसका कमरा था. मंदिर के मुख्य द्वार के अलावा पण्डित के कमरे से भी एक दरवाज़ा कॉलोनी की पिछली गली में जाता था. वो गली हमेशा सुनसान ही रहती थी क्योंकि उस गली में अभी कोई घर नहीं था.

नये शहर में आकर रीना की मम्मी ने उसे बताया कि पास में एक मंदिर है, उसे पूजा करनी हो तो वहाँ चली जाया करे. रीना बहुत धार्मिक थी. पूजा पाठ में बहुत विश्वास था उसका. रोज़ सुबह 5 बजे उठ कर वह मंदिर जाने लगी.

पण्डित को किसी ने बताया था एक पास में ही कोई नया परिवार आया है और जिनकी 24 साल की विधवा बेटी है. रीना पहले दिन सुबह 5 बजे मंदिर गई, मन्दिर में और कोई ना था.. सिर्फ पण्डित था. रीना ने सफेद साड़ी ब्लाउज पहन रखा था. रीना पूजा करने के बाद पण्डित के पास आई.. उसने पण्डित के पैर छुए.

पण्डित- जीती रहो पुत्री.. तुम यहाँ नई आई हो ना..?
रीना- जी पण्डित जी!
पण्डित- पुत्री.. तुम्हारा नाम क्या है?
रीना- जी, रीना!
पण्डित- तुम्हारे माथे की लकीरों ने मुझे बता दिया है कि तुम पर क्या दुख आया है.. लेकिन पुत्री.. भगवान के आगे किसकी चलती है!
रीना- पण्डित जी.. मेरा ईश्वर में अटूट विश्वास है.. लेकिन फिर भी उसने मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया..!

ये कहते हुए रीना की आँखों में आँसू आ गए थे.

पण्डित- पुत्री.. ईश्वर ने जिसकी जितनी लिखी है..वह उतना ही जीता है.. इसमें हम तुम कुछ नहीं कर सकते. उसकी मरज़ी के आगे हमारी नहीं चल सकती.. क्योंकि वो सर्वोच्च है.. इसलिए उसके निर्णय को स्वीकार करने में ही समझदारी है.

रीना आँसू पोंछ कर बोली.

रीना- मुझे हर पल उनकी याद आती है.. ऐसा लगता है जैसे वो यहीं कहीं हैं.
पण्डित- पुत्री.. तुम जैसी धार्मिक और ईश्वर में विश्वास रखने वाली का ख्याल ईश्वर खुद रखता है.. कभी कभी वो इम्तिहान भी लेता है.
रीना- पण्डित जी.. जब मैं अकेली होती हूँ.. तो मुझे डर सा लगता है.. पता नहीं क्यों?
पण्डित- तुम्हारे घर में और कोई नहीं है?
रीना- हैं.. पापा मम्मी.. लेकिन सुबह सुबह ही पापा अपने दफ्तर और मम्मी स्कूल चली जाती हैं. फिर मम्मी 4 बजे आती हैं.. इस दौरान मैं अकेली रहती हूँ और मुझे बहुत डर सा लगता है.. ऐसा क्यों हैं पण्डित जी?
पण्डित- पुत्री.. तुम्हारे पति के स्वर्गवास के बाद तुमने हवन तो करवाया था ना..?
रीना- नहीं.. कैसा हवन पण्डित जी?
पण्डित- तुम्हारे पति की आत्मा की शान्ति के लिए.. यह बहुत आवश्यक होता है.
रीना- हमें किसी ने बताया नहीं पण्डित जी..
पण्डित- यदि तुम्हारे पति की आत्मा को शान्ति नहीं मिलेगी तो वो तुम्हारे आस पास भटकती रहेगी और इसलिए तुम्हें अकेले में डर लगता है.
रीना- पण्डित जी.. आप ईश्वर के बहुत पास हैं, कृपया आप कुछ कीजिए ताकि मेरे पति की आत्मा को शान्ति मिल सके.

रीना ने पण्डित के पैर पकड़ लिए और अपना सर उसके पैरों में झुका दिया. इस अवस्था में रीना के ब्लाउज के नीचे उसकी नंगी पीठ दिख रही थी.. पण्डित की नज़र उसकी नंगी पीठ पर पड़ी तो .. उसने सोचा यह तो विधवा है.. और भोली भी.. इसके साथ कुछ करने का मौक़ा है.. उसने रीना के सर पे हाथ रखा.

पण्डित- पुत्री.. यदि जैसा मैं कहूँ तुम वैसा करो तो तुम्हारे पति की आत्मा को शान्ति अवश्य मिलेगी.

रीना ने सर उठाया और हाथ जोड़ते हुए कहा.

रीना- पण्डित जी, आप जैसा भी कहेंगे मैं वैसा ही करूँगी.. आप बताइये क्या करना होगा?

रीना की नज़रों में पण्डित भी भगवान का रूप था.

पण्डित- पुत्री.. हवन करना होगा.. हवन कुछ दिन तक रोज़ करना होगा.. लेकिन वेदों के अनुसार इस हवन में केवल स्वर्गवासी की पत्नी और पण्डित ही भाग ले सकते हैं और किसी तीसरे को इस बारे में खबर भी नहीं होनी चाहिये. अगर हवन शुरू होने के पश्चात किसी को खबर हो गई तो स्वर्गवासी की आत्मा को शान्ति कभी नहीं मिलेगी.
रीना- पण्डित जी..आप ही हमारे गुरू हैं आप जैसा कहेंगे, हम वैसा ही करेंगे. आज्ञा दीजिए, कब से शुरू करना है.. और क्या क्या सामग्री चाहिए होगी?
पण्डित- वेदों के अनुसार इस हवन के लिए सारी सामग्री शुद्ध हाथों में ही रहनी चाहिए.. अत: सारी सामग्री का प्रबंध मैं खुद ही करूँगा.. तुम सिर्फ एक नारियल और तुलसी लेते आना.
रीना- तो पण्डित जी, शुरू कब से करना है?
पण्डित- क्योंकि इस हवन में केवल स्वर्गवासी की पत्नी और पण्डित ही होते हैं. इसलिए ये हवन उस समय होगा जब कोई विघ्न ना करे.. और हवन पवित्र स्थान पर होता है.. जैसे कि मन्दिर.. परन्तु.. यहाँ तो कोई भी विघ्न डाल सकता है. इसलिए हम हवन इसी मन्दिर के पीछे मेरे कक्ष (रूम) में करेंगे. इस तरह स्थान भी पवित्र रहेगा और और कोई विघ्न भी नहीं डालेगा.
रीना- पण्डित जी.. जैसा आप कहें.. किस समय करना है?
पण्डित- दोपहर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक मन्दिर बंद रहता है.. सो इस समय में ही हवन शान्ति पूर्वक हो सकता है. तुम आज 12:45 बजे आ जाना.. नारियल और तुलसी लेकर. लेकिन मेरे कमरे का सामने का द्वार बंद होगा. आओ मैं तुम्हें एक दूसरा द्वार दिखा देता हूँ जो कि मैं अपने प्रिय भक्तों को ही दिखाता हूँ.

पण्डित उठा और रीना भी उसके पीछे पीछे चल दी. पण्डित ने रीना को अपने कमरे में से एक दरवाज़ा दिखाया जो कि एक सुनसान गली में निकलता था. उसने गली में ले जाकर रीना को आने का पूरा रास्ता समझा दिया.

पण्डित- पुत्री तुम रास्ता तो समझ गई ना..?
रीना- जी पण्डित जी.
पण्डित- ये याद रखना कि ये हवन की विधि सबसे गुप्त रहना चाहिये.. वरना तुम्हारे पति की आत्मा को शान्ति कभी ना मिल पाएगी.
रीना- पण्डित जी.. आप मेरे गुरू हैं.. आप जैसा कहेंगे..मैं वैसा ही करूँगी.. मैं ठीक 12:45 बजे आ जाऊंगी.

ठीक 12:45 पर रीना पण्डित के बताए हुए रास्ते से उसके कमरे के दरवाज़े पर आ गई और खटखटाया.

पण्डित- आओ पुत्री..

रीना ने पहले पण्डित के पैर छुए.

पण्डित- किसी को खबर तो नहीं हुई?
रीना- नहीं पण्डित जी.. मेरे पापा मम्मी जा चुके हैं और जो रास्ता आपने बताया था, मैं उसी रास्ते से आई हूँ.. किसी ने नहीं देखा.

पण्डित ने दरवाज़ा बंद किया.

पण्डित- चलो फिर हवन आरम्भ करें.

पण्डित का कमरा ज्यादा बड़ा ना था.. उसमें एक खाट थी.. बड़ा सा शीशा था.. कमरे में सिर्फ एक 40 वाट का बल्व ही जल रहा था. पण्डित ने कमरे में ईंटों का हवनकुंड बनाया हुआ था, उसी में हवन के लिए आग जलाई.. और सामग्री लेकर दोनों आग के पास बैठ गए.

पण्डित मन्त्र बोलने लगा.. रीना ने वही सुबह वाला साड़ी ब्लाउज पहना था.

पण्डित- ये पान का पत्ता दोनों हाथों में ले लो.

रीना और पण्डित साथ साथ बैठे थे.. दोनों चौकड़ी मार के बैठे थे. दोनों की टांगें एक दूसरे को टच कर रही थी.

रीना ने दोनों हाथ आगे करके पान का पत्ता ले लिया.. पण्डित ने फिर उस पत्ते में थोड़े चावल डाले.. फिर थोड़ी चीनी.. थोड़ा दूध.

फिर उसने रीना से कहा.

पण्डित- पुत्री.. अब तुम अपने हाथ को मेरे हाथ में रखो.. मैं मन्त्र पढूंगा और तुम अपने पति का ध्यान करना.

रीना ने अपने हाथ पण्डित के हाथों में रख दिये.. ये उनका पहला स्किन टू स्किन कांटेक्ट था.

पण्डित- वेदों के अनुसार.. तुम्हें ये कहना होगा कि तुम अपने पति से बहुत प्रेम करती हो.. जो मैं कहूँ मेरे पीछे पीछे बोलना.
रीना- जी पण्डित जी.

रीना के हाथ पण्डित के हाथ में थे.

पण्डित- मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ.
रीना- मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ.
पण्डित- मैं उन पर अपना तन और मन न्यौछावर करती हूँ.
रीना- मैं उन पर अपना तन और मन न्यौछावर करती हूँ.
पण्डित- अब पान का पत्ता मेरे साथ अग्नि में डाल दो.

दोनों ने हाथ में हाथ लेकर पान का पत्ता आग में डाल दिया.

पण्डित- वेदों के अनुसार.. अब मैं तुम्हारे चरण धोऊंगा.. अपने चरण यहाँ सीधे करो.

रीना ने अपने पैर सीधे किये.. पण्डित ने एक गिलास में से थोड़ा पानी हाथ में लिया और रीना के पैरों को अपने हाथों से धोने लगा.

पण्डित- तुम अपने पति का ध्यान करो.

पण्डित मन्त्र पढ़ने लगा.. रीना आँखें बंद करके पति का ध्यान करने लगी.

रीना इस वक्त टांगें ऊपर की तरफ़ मोड़ कर बैठी थी.

पण्डित ने उसके पैर थोड़े से उठाए और हाथों में लेकर पैर धोने लगा.

टांग उठने से रीना की साड़ी के अन्दर का नजारा दिखने लगा. उसकी जांघें दिख रही थीं और साड़ी के अन्दर के अँधेरे में हल्की हल्की उसकी सफेद कच्छी भी दिख रही थी. लेकिन रीना की आँखें बंद थीं.. वो तो अपने पति का ध्यान कर रही थी और पण्डित का ध्यान उसकी साड़ी के अन्दर के नज़ारे पर था.

पण्डित के मुँह में पानी आ रहा था.. लेकिन वो जबरदस्ती करने से डर रहा था.. सो उसने सोचा लड़की को गरम किया जाए. पैर धोने के बाद कुछ देर उसने मन्त्र पढ़े.

पण्डित- पुत्री.. आज इतना ही काफी है.. असली पूजा कल से शुरू होगी. तुम्हें भगवान शिव को प्रसन्न करना है. वो प्रसन्न होंगे तभी तुम्हारे पति की आत्मा को शान्ति मिलेगी. अब तुम कल आना.
रीना- जो आज्ञा पण्डित जी.

अगले दिन..

पण्डित- आओ पुत्री.. तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं.. अगर कोई देख लेगा तो तुम्हारी पूजा का कोई लाभ नहीं.
रीना- नहीं पण्डित जी.. किसी ने नहीं देखा.. आप मुझे आज्ञा दें.
पण्डित- वेदों के अनुसार.. तुम्हें भगवान शिव को प्रसन्न करना है.
रीना- पण्डित जी.. वैसे तो सभी भगवान बराबर हैं लेकिन पता नहीं क्यों..भगवान शिव के प्रति मेरी श्रद्धा ज्यादा है.
पण्डित- अच्छी बात है.. पुत्री..शिव को प्रसन्न करने के लिए तुम्हें पूरी तरह शुद्ध होना होगा. सबसे पहले तुम्हें कच्चे दूध का स्नान करना होगा. शुद्ध वस्त्र पहनने होंगे.. और थोड़ा श्रृंगार करना होगा.
रीना- श्रृंगार पण्डित जी?
पण्डित- हाँ.. शिव स्त्री-प्रिय (विमन लविंग) हैं, सुन्दर स्त्रियाँ उन्हें भाती हैं. यूं तो हर स्त्री उनके लिए सुन्दर है.. लेकिन श्रृंगार करने से उसकी सुन्दरता बढ़ जाती है. जब भी पार्वती जी को शिव को मनाना होता है.. तो वे भी श्रृंगार करके उनके सामने आती हैं न..!
रीना- लेकिन पण्डित जी.. क्या एक विधवा का श्रृंगार करना सही रहेगा ?
पण्डित- पुत्री.. शिव के लिए कोई भी काम किया जा सकता है.. विधवा तो तुम इस समाज के लिए हो.
रीना- जो आज्ञा पण्डित जी.
पण्डित- अब तुम स्नानगृह (बाथरूम) में जा कर कच्चे दूध का स्नान करो.. मैंने वहाँ पर कच्चा दूध रख दिया है क्योंकि तुम्हारे लिए कच्चा दूध घर से लाना मुश्किल है.. और हाँ, तुम्हारे वस्त्र भी स्नानगृह में ही रखे हैं.

पण्डित ने नारंगी कलर का ब्लाउज और पेटीकोट बाथरूम में रखा था.. पण्डित ने ब्लाउज के हुक निकाल दिए थे. हुक्स पीठ की साइड में थे. वैसे तो ब्लाउज में महिलाओं की सुविधाओं के लिए हुक्स सामने मम्मों की तरफ होते हैं.

रीना दूध से नहा कर आई.. सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में उसे पण्डित के सामने शर्म आ रही थी.

रीना- पण्डित जी..
पण्डित- आ गई.
रीना- पण्डित जी.. मुझे इन वस्त्रों में शर्म आ रही है.
पण्डित- नहीं पुत्री.. ऐसा ना बोलो.. शिव नाराज़ हो जाएंगे. ये जोगिया वस्त्र शुद्ध हैं, यदि तुम शुद्ध नहीं होगी, तो शिव प्रसन्न कदापि नहीं होंगे.
रीना- लेकिन पण्डित जी..इस.. स्स.. ब..ब्लाउज के हुक्स नहीं हैं.
पण्डित- ओह.. मैंने देखा ही नहीं.. वैसे तो पूजा केवल दो घंटे की ही है.. लेकिन यदि तुम ब्लाउज के कारण पूजा नहीं कर सकती को हम कल से पूजा कर लेंगे.. लेकिन शायद शिव को ये विलम्ब अच्छा ना लगे.

रीना- नहीं पण्डित जी.. पूजा शुरू कीजिये..
पण्डित- पहले तुम उस शीशे पे जाकर श्रृंगार कर लो.. श्रृंगार की सामग्री वहीं है.

रीना ने लाल लिपस्टिक लगाई.. थोड़ा रूज़.. और थोड़ा परफ्यूम लगा लिया.
श्रृंगार करके वो पण्डित के पास आई..

पण्डित- अति सुन्दर पुत्री.. तुम बहुत सुन्दर लग रही हो.

रीना शरमाने लगी.. ये फीलिंग्स उसने पहली बार अनुभव की थीं.

पण्डित- आओ पूजा शुरू करें.

वो दोनों अग्नि के पास बैठ गए.. पण्डित ने मन्त्र पढ़ने शुरू किए.

हवनकुंड की अग्नि से थोड़ी गरमी हो गई थी इसलिए पण्डित ने अपना कुरता उतार दिया.. उनसे रीना को आकर्षित करने के लिए अपनी छाती पूरी शेव कर ली थी. उसकी बॉडी पहलवानों जैसी थी. अब वो केवल एक लुंगी में था. रीना थोड़ा और शरमाने लगी. दोनों चौकड़ी मार के बैठे थे.

आगे की कहानी रीना और पण्डित जी की चुदाई- 2 में पढें........

साथियो, हिंदी में इंडियन सेक्स स्टोरीज का मजा जारी है. आप अपने कमेंट्स कर सकते हैं.

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