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आप सब भाभियों और औरतों को चूतों Indian Sex Stories को मेरे नौ इंच के लौड़े का खड़े हो कर प्रणाम !
आप सबने मेरा पहला सेक्स, मेरी सच्ची कहानी को बहुत पसंद किया, मुझे बहुत सारी मेल भी आई, बहुत अच्छा लगा कि आप सबने मेरी कहानी को बहुत पसंद किया। वैसे मैं पंजाब का रहने वाला हूँ लेकिन परिवार शिफ्ट होने की वजह से मुझे भी दिल्ली आना पड़ा। मैं दक्षिण-दिल्ली में रहता हूँ। अब मैं आपको एक और सच्ची कहानी बताना चाहता हूँ, जो तब की है जब मैं दिल्ली में नया-नया आया था, हमने नया घर लिया था, आस-पास का माहौल बहुत अच्छा था, आस-पास के घर सरदारों के थे, मेरा घर वालों का दिल लगा रहता था, सब लोगों से अच्छी दोस्ती हो गई थी मेरी माता की।
मैं घर से बहुत कम बाहर निकलता था, मेरे घर के आस पास बहुत लड़कियाँ रहती थी पर मैं बहुत शरमीला था इसलिए मैं सिर्फ़ उन्हें दूर से निहार ही सकता था और कुछ नहीं कर सकता था। कुछ महीनों के बाद मेरी जॉब पास में ही (ओखला) में एक इंटरनॅशनल कॉल सेंटर में लग गई थी। मेरी जॉब नाइट शिफ्ट की थी और सारा दिन मैं घर में रहता था। हर रोज़ मैं शाम को छः बजे के बाद ही उठता था।
एक दिन मेरी छुट्टी होने की कारण मैं थोड़ा जल्दी उठा तो देखा घर के कोई लड़की मेरी माता से बात कर रही है, बाहर आया तो देखा वो एक शादीशुदा औरत थी। क्या मस्त चीज़ थी यार ! वो देख कर खड़ा हो गया उसे। ज़्यादा से ज़्यादा पच्चीस साल की होगी, क्या मस्त फिगर थी ! उसके स्तन होंगे कोई 34 इंच के, कमर होगी 30 इंच और उसकी गाण्ड 36 इंच और उभरी हुई गाण्ड देख कर कोई भी पागल हो जाए।
मैने अपनी माता से पूछा तो वो हमारे घर के सामने वाले घर मे किराए पर रहती थी, उस का पति मेट्रो में काम करता था वो भी नाइट शिफ्ट। मैं उसके बारे मैं ही सोच रहा था तभी वो फिर मेरे घर आई और मुझे अपना देवर बोल कर बातें करने लगी।
अब मैं उसके लिए हर रोज़ जल्दी उठ जाता था, वो रोज़ मेरे घर आती और हम बातें करते, कभी कभी मैं उसे छू भी लेता था, हर रोज़ बातें करता रहता था तो वो मेरे से खुलने लगी, रोज़ मज़ाक करती मेरे साथ मेरी गर्ल-फ्रेंड के बारे मैं पूछती तो मैं मना कर देता कि मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है।
तो वो मेरा मज़ाक उड़ाती !
मैं बोलता- आप मेरे गर्ल फ्रेंड बन जाओ।
कई बार तो मैं उसके बारे में सोच के मूठ मार लेता था। कई बार वो मेरे साथ बाज़ार भी जाती थी, मुझे वो बहुत अच्छी लगने लगी थी। मैं रोज़ उसकी चूत मारने की सोचता था।
अब गर्मियाँ शुरू हो गई थी। कई बार मैं घर में निकर पहन कर ही सो जाता था।
उस दिन मेरी माता कहीं गई हुई थी शाम तक आने का बोल कर। मैं सोते हुए भी उसी के बारे में सोचता था। मुझे पता नहीं चला कि कब वो मेरे घर में आ गई और मेरे ऊपर से चादर उतारने लगी, उतारते हुई उसका हाथ मेरे आधे खड़े लौड़े पर लग गया। वो एक दम धक से रह गई। मैं थोड़ी नींद में था, उसने अपना हाथ मेरी निकर के ऊपर ढाल लिया और मेरे लौड़े को महसूस करने लगी। अब मेरा लौड़ा भी तैयार होता जा रहा था। मेरी आँखों से नींद बहुत दूर थी। उसने लाल रंग की सलवार कमीज़ पहन रखी थी मैंने अपनी आँखें खोली तो उसने एक दम हाथ उठा लिया लेकिन उस की साँस चढ़ी हुई थी।
मैने अंजान बन कर कहा- क्या हुआ भाभी जी ?
वो बोली- कुछ नहीं, माता जी कहाँ है आपकी?
मैंने कहा- वो तो कहीं गई हैं, कल आएँगी !
तो उसने अपने आप को संभाल कर बोला, “आप आज काम पर जाओगे या नहीं?
मेरी उस दिन छुट्टी थी, मैने कहा,” नहीं आज नहीं जाना, क्यूँ क्या हुआ? आप क्यूं पूछ रही हैं?”
नहीं वैसे ही ! आज आप शाम को फ्री हो क्या?
मैने कहा,”हां जी !”
बोली,”आप का सामान बहुत बड़ा है !” उसने शर्माते हुए कहा।
मैं भी एकदम हैरान हो गया।
मुझसे बोली- बाहर निकाल के दिखाओ !
मैने कहा- खुद ही निकाल लो !
उसने झट से मेरी निकर में हाथ डाला और मेरे लौड़े को पकड़ कर बाहर निकाल लिया। एकदम उसकी आंखें हैरान रह गई इतना बड़ा देख कर !
वो हाथ से लंड को हिलाने लग गई और वो और भी टाइट होता चला गया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। मेरे लंड पर मुझे थोड़ी गर्मी महसूस हुई तो मैंने आंखें खोली तो देखा कि उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया था।
मुझे मज़ा आने लगा, वो मेरे लंड को चाटती हुई मुँह में ले रही थी, मुझे मज़ा आ रहा था, मेरा लंड उसके मुँह में आधा ही जा रहा था। अब मैं खड़ा हुआ और उसको घुटनों के बल नीचे झुका दिया और उसके बाल पकड़ के अपना लंड उसके मुँह में देने लगा। मैं भी काफ़ी दिनों से उसकी चूत मारने की सोच रहा था। मुझे मज़ा आ रहा था।
मैं उसके बड़े बड़े मुम्मे पीना चाहता था। मैने अपनी निकर पूरी नीचे कर दी, वो भी काफ़ी खुश थी कि आज वो इतना बड़ा लौड़ा लेगी।
मैंने उससे बेड पर लिटा लिया और ऊपर चढ़ कर उसके होंठ पीने लगा। वो मेरे लंड को अपनी चूत पर घिसा रही थी सलवार के ऊपर से। अब मैने उसका सूट उतार दिया। उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहन रखी थी, मैने जोश में उसकी हुक तोड़ दी, वाउ ! वाऽऽवाहह क्या बूब्स थे उसके बिल्कुल सफ़ेद दूध जैसे ! इतने बड़े कि जितने मैंने सोचा नहीं था।
मैं उसके निप्पल मुँह से काटने लगा, उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगी- आअहह अहहा हाहः अहहा प्लीज़ मत करो !
मैने और ज़ोर से काटा, फिर चूसने लग गया उसके बूब्स।
अब उसकी हालत खराब हो गई थी। उसने अपनी सलवार खोल दी थी और मेरे लंड को अपनी पैन्टी के ऊपर से चूत पर हिला रही थी। मुझे भी मज़ा आ रहा था मेरे लोड्ा लोहा बन चुका था, अब मैं भाभी की चूत चूसना चाहता था मैं बेड के नीचे उतरा, नीचे बेत कर पनटी नीचे करी भाभी जी की और चूत पर अपनी जीव रगड़ने लगा, आअहह अहहा अहह अहह अहह प्लीज़ अपना लंड मुझे दो ना, पर मैं उसे अच्छी सी तरह चूसना चाहता था, मैं उसकी चूत के होंठों को चूस रहा था।
अब हम 69 पोज़ में आ गये। मैंने अपना खड़ा खंभा उसके मुँह में दे दिया और उसकी चूत चाटने लगा। वो बोलने लगी- प्लीज़ मेरे अंदर डाल दो ! प्लीज़ प्लीज़ !
मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया उसकी गाण्ड पर ज़रा सा अपना लंड रखा, वो डर गई, बोली- नहीं ! चूत में प्लीज़, गाण्ड नहीं ! मैने पहले कभी नहीं मरवाई !
उसके 36 इंच के कूल्हे क्या लग रहे थे ! डॉगी स्टाइल ऐसा लग रहा था कि एक साथ तीन लण्ड खा जाएगी।
मैने उसकी चूत के छेद पर अपना लण्ड रखा और एक ज़ोर का ज़टका दिया, कसम से उसका रोना निकल गया क्यूँकि पूरा लंड एक ही झटके में अंदर था, उसकी आँखों से आँसू आ गये। लेकिन बोल रही थी- और ज़ोर से मज़ा आ रहा है, अहह अहह अहह अहह अहह ज़ोर से !
मैने उसकी कमर पकड़ी और ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा। मेरा लंड पूरा बाहर और फिर अंदर जाता, मेरा लंड उसकी चूत को पूरा भर रहा था।
वो बोली- जल्दी झटके मारो ! मैं आने वाली हूँ ! आहह आह अहह अहह अहह अहह अहह मर गई !
मैने उसे कन्धे से पकड़ा और लंड अंदर करके साथ में खड़ा कर लिया, मैं उसके मम्मे दबा रहा था और मेरा लंड अपना काम तो कर ही रहा था। अब वो झड़ गई थी। मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसके मुँह में भर दिया और मम्मे दबाने लगा तो कुछ समय बाद वो फिर तैयार हो गई। अब मैं उसकी गाण्ड मारना चाहता था, मैंने उसे खड़ा किया, उसके हाथ दीवार के साथ लगाए, उसकी गाण्ड का छेद खोला और लंड अंदर डालने लगा। छेद टाइट था, लंड अंदर नहीं जा रहा था। मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया, छेद पर लौड़ा रखा और अंदर घुसा दिया।
खूब दबा के चोदा उसे ! वो चिल्ला रही थी दर्द और आनन्द से ! मैं साथ ही उसके मम्मे दबा रहा था।
अब मैने उसे बेड पर लिटा लिया, उसकी चूत के नीचे तकिया रखा और उसकी बुर में लंड दे दिया फिर से ! अब मैं उसके होंठों पर चूम रहा था और ले रहा था उसकी !
अब मैंने झटकों की गति बढ़ा दी और उसके बूब्स खींचने लगा और मैं उसके अंदर झड़ गया। उसने मेरा लंड निकाला और चूसने लगी।
फ़िर उस रात मैने उसे बिना लाइट जलाए चोदा, बहुत मज़ा किया।
अब जब भी मेरा दिल करता है उसे चोदता हूँ !
मुझे भाभी और थोड़ी बड़ी उमर की औरतें बहुत पसंद है। Indian Sex Stories
हाय दोस्तो, अब मैं भी अन्तर्वासना Sex Stories में अपनी कहानी लिखने लगा हूँ, पर बिल्कुल सच्ची. दोस्तों, ये भी मेरी सच्ची कहानी है. वैसे साला एक बार जिसे बुर का चस्का लग गया, तो साला लण्ड बिना चोदे रह ही नहीं सकता. मुझे भी बुर-चुदाई की लत अपनी एक गर्लफ्रेण्ड की चुदाई के कारण लग गई. पर शादी-शुदा की चुदाई करने का मजा कुछ अलग ही होता है, और ख़ास कर भाभी की चुदाई का मजा तो बस पूछिये ही मत.
मेरी भी एक दूर की भाभी है, उनका नाम रोशन है, उम्र 30 साल है. वो विधवा है और 3 बच्चों की माँ है. उसके पति यानि मेरे भाई की मृत्यु हो चुकी है. पर साली रोशन भाभी पर उसके मरने का असर 1-2 साल ही रहा. उसने मेरी तरफ नज़रें कीं. रोज़ मुलाक़ात हो जाती थी क्योंकि हमारा घर अगल बगल में ही है. मुझे भी चोदने का मन कर रहा था. और मैंने उसके इशारे समझ लिए थे, और सोचा कि साली भाभी है तो क्या हुआ, उम्र मेरे से थोड़ी अधिक है. उसका अपना लण्ड चुसवा कर चुदाई ज़रूर करूँगा.
एक रात उसने पेट में दर्द के कारण मुझे बुलाया. मैं दवा लेकर गया. उसके कहने पर मैं बैठ गया. धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा. उसका दर्द कम हो गया था, और वो गरम हो रही थी. मैं भी धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ा रहा था पर उसने कुछ नहीं कहा.
मैंने जान लिया कि साली गरम हो रही है और अपने बुर में मेरा लण्ड पेलवाना चाहती है. मैंने झट से अपना लण्ड निकाल लिया और उसके ऊपर चढ़ गया. अपना लण्ड उसके मुँह में डालने लगा. पर वह इसे अपने मुँह में नहीं लेना चाहती थी. पर मैंने कहा कि साली रण्डी पहले इशारा करती थी, अब नखरे करती है. ज्यादा नखरे किये तो लण्ड केवल मुँह में ही नहीं, बुर और गांड में भी पेल दूँगा. इतना कहकर ज़बर्दस्ती अपने खड़े लण्ड को उसने मुँह में पेल कर चोदने लगा. उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़े आ रहीं थीं. कुछ देर में ही मेरे लण्ड ने अपना माल उसके मुँह में छोड़ दिया.
मैंने कहा ‘साली राँड, छिनाल, हरामज़ादी, कमीनी, लण्ड को चूसकर इसे फिर से खड़ा कर, अगर बाहर निकाला तो ऐसी गांड मारूँगा कि बाप-बाप करने लगोगी.’
मैंने पाया कि मेरी गालियाँ उसे अच्छी लग रहीं थीं, क्योंकि मेरी बातों का वह बुरा नहीं मान रही थी. मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया. मैंने उसे फिर ज़बर्दस्ती कुतिया बनाया और जानवर की तरह एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया. वह ओहह्हह ह्ह्ह ओह्ह्ह ह्हहह ओह्ह्ह करने लगी, छोड़ दो… छोड़ दो… कहकर गिड़गिड़ाने लगी.
मैंने कहा कि साली छिनाल भाभी, अभी रो रही है, भोसड़ी की , तेरी चूत से तीन को निकाल कर पहले ही फड़वा चुकी हो, अब इसमें क्या दर्द होता होगा. साली इतना चोदूँगा कि पहली चुदाई याद आ जाएगी. इतना कह करक मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा. वह कह रही थी, मेरे मालिक धीरे करो. ओह… ओह ह्ह्ह… उउम्म्महह… की आवाज़ें निकाल रही थी. मैंने कहा कि चुप साली हरामज़ादी, ज्यादा नखरे किये तो बुरा को चोद-चोद कर खून निकाल दूँगा.
वह समझ गई कि मैं रूकने वाला नहीं हूँ तो वह भी साथ देने लगी और अपनी चूतड़ आगे-पीछे करने लगी. मैंने महसूस किया कि उसके बुर से पानी टपक रहा था. मैंने 15 मिनटों तक उसकी चुदाई की. इसी दौरान वह 2 बार झड़ी. अन्त में मैंने भी जब महसूस किया कि मेरी भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकालना चाह, तो उसने मुझे रोक दिया और कहा कि ‘देवर जी, तुमने तो मेरा देह शोषण कर ही दिया, पर अन्तिम काम कृपा करके मेरे मन से कर दो. मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी. इसे अपने लौड़े से निकलने वाले रस से भर दीजिए. और जब जब भी चोदने का मन करे, मुझे चोदते रहिए.’
मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया.
वह बोली ‘प्यारे राजा, अब मैं आपकी भाभी नहीं, सिर्फ रोशन हूँ. जब जी चाहे…’
‘मैं तुम्हें कल एक रेज़र दूँगा… तुम अपने चूत का जंगल साफ कर लेना- मैंने उसकी बात काटकर कहा. ‘मुझे चिकनी चूत अच्छी लगती है.’
तो दोस्तो, भाभियो कैसी लगी मेरी कहानी. कृपया मुझे मेल करें, ताकि उत्साहित होकर मैं पुनः कहानी लिख सकूँ! Sex Stories
मेरे और मेरी चाची के Antarvasna बीच के सेक्स का ये राज सुनो !! यह हसीन ख्वाब तब से चालू होता है जब से मेरी चाची मेरे चाचा से शादी करके हमारे घर आई। मेरे चाचा एक सुस्त प्रकृति के इंसान हैं, दुबले-पतले मुरझाये से देख के तो यही लगता है कि नपुंसक हैं !
उनकी शादी के समय तो ऐसा कुछ नहीं हुआ पर जब शादी के बाद एक दिन मैंने चाची को कपड़े बदलते देखा तो मैं पागल सा हो गया। चाची उस समय २९ साल की थी और मैं १८ साल का। मेरे लंड ने नया-नया उठना सीखा था। उनको ब्रा-पैंटी में देखकर मेरा लंड कुमार तो बिलकुल आपे से ही बाहर हो गया ! इच्छा हुई उसी वक़्त जाकर योनि क दर्शन कर आऊं।
कुछ दिन तो सब सामान्य रहा, फिर एक दिन जब चाची अपने कमरे में अकेली थी तो मैं उनके कमरे में यह देखने गया कि आखिर यह माल कर क्या रहा है !
मैंने देखा कि वो नंगी लेटी हुईं थी और एक बैंगन को अपनी चूत में डाल रही थीं। मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया। मैं आँख बंद करके उस मालजादी को चोदने के सपने देखने लगा !
इतने में ही मेरा ध्यान भंग हुआ एक आवाज से, यह आवाज मेरी चाची की ही थी, वो बोलीं- सनी बाहर क्यूँ खड़े हो? अंदर आ जाओ !
मैं एकदम से डर गया- अरे इसने कैसे देख लिया मुझे ?
अंदर गया तो चाची ने तब तक एक गाऊन पहन लिया था ! हाय उस गाऊन में भी क्या लग रही थीं वो ! उफ्फ्फ्फ़ एकदम बम्पर माल !सांवला-सलोना शरीर ! उस पर ये बड़े बड़े दूध ! मस्त चौड़ी गांड और गोल गोल जांघें ! पूरे बदन से यौवन टपक रहा था जैसे ! मैं तो दीवाना हो गया था !
तभी चाची मुझसे बोली- क्या देखते रहते हो सनी तुम मेरे कमरे के बाहर खड़े होकर?
मैं बोला- कुछ नहीं चाची जी ! बस ऐसे ही खड़ा हुआ था !
वो बोली- अगर तू ऐसे ही खड़ा हुआ था तो तेरा यह हथियार क्यूँ इतना खड़ा हुआ है?
मैं यह सुनकर एकदम सकपका गया लेकिन हिम्मत जुटाकर बोला- हथियार ? कौन सा हथियार ?
चाची बोली- अरे मेरे मिटटी के माधव ! हथियार मतलब तुम्हारा पप्पू ! याने कि तुम्हारा लंड !
मैं- नहीं चाची जी ! कैसी बात कर रही हैं आप ? मैं तो बस .. यूँही .. . और कुछ नहीं !
चाची- सुन रे लौंड़े ! जल्दी से बता दे- क्या कर रहा था? नहीं तो सब को बुलाकर बोलूंगी कि यह साला मेरी इज्जत लूटना चाहता है !
मैं तो घबरा गया एकदम से फिर मैं बोला- मैंने आपको नंगा देख रहा था, आप बहुत सुंदर हो ! मुझसे चुदवाओगी क्या आप ?
चाची- हाँ मेरे राजा ! मैं तो कब से चाह रही थी कि कोई माँ का लवड़ा फंसे तो कुछ अपनी भी प्यास शांत हो जावे ! ये तेरा चाचा तो बड़ा थकेला इंसान हैं , साला न चुम्मा लेता हैं न दूध दबाता है और न चूत चाटता है, साला मुझे भी लंड चूसने नहीं देता ! यहाँ तक कि बहनचोद कोई गन्दी बात भी नहीं करता है! शादी को दो महीने हो गए लेकिन इस भोसड़ी वाले ने सिर्फ दो बार चोदा है ! चोदा क्या है, दो मिनट मे लंड हिला के सो जाता है साला ! तू अच्छा हट्टा-कट्टा है ! तेरे से तो कुतिया के जैसे चुदुंगी मैं !
क्यूँ नहीं मेरी रानी ! बिलकुल संतुष्ट कर दूंगा, तुझे तो मैं ऐसा चोदूँगा कि तू साली बीच सड़क मे भी चुदवाने के लिए राजी हो जायेगी ! ऐसा माल जैसा शरीर लेकर अभी तक प्यासी बैठी है ? पर अब तेरी गांड को मैं अपने लंड के प्यार से सराबोर कर दूंगा ! एक काम करते हैं, यह चाचा कल जा रहा है बाहर ! तू तो यहीं रहेगी और तेरा कमरा भी घर से थोड़ा हट के है, मैं किसी बहाने से रात को तेरे कमरे में आ जाऊंगा, फिर बहनचोद दोनों मिल के सेक्स का आतंक मचाएंगे !
चाची- प्लान तो मस्त है ! तू एक काम करना, एक अद्धा दारू और एक बटर चिकन भी ले आना ! मस्त दारू पी के मूड बनायेगा ! और हाँ मादरचोद सिगरेट लाना मत भूलना ! साला पूरे तीन महीने हो गए दारू को हाथ लगाये ! इतना सीधा पति मिला है कि साला चूत को भी नहीं देख पाता ! पर आज अभी थोड़ा सा सेक्स तो कर ही लेते हैं ! तेरा लंड तो मैं आज ही चाखुंगी लौंड़े !
फिर मैंने धीरे धीरे चाची के दूध सहलाना चालू कर दिए चाची ने भी मेरे लंड को मसलना शुरू कर दिया ! मैंने चाची के गाऊन को उतार दिया और उनके बटले पीने लगा ! साली रंडी ऐसी आवाजें निकाल रही थी जैसे ब्लू फिल्म में मालू राण्डें निकालती हैं- हाय ! उफ़ सनी मादर चोद ! उफ़ साले और मसल हां हा हाय …. उफ़ ..उफ्फ्फ साले फ़ोड़ दे आज तो तू इनको ! फिर उसने झट से मेरा लौड़ा अपने मुँह मे ले लिया !
और मैं जन्नत में पहुँच गया ! वो खींच खींच कर मेरे लौड़े को चूसने लगी मैं भी उसकी फ़ुद्दी को सहलाने लगा ! आह आह क्या मजा आ रहा था ! आह, लौड़ा तो पूरा टाइट हो गेला था ! फिर सुपाड़े को चूसने लगी मेरी चाची !
फिर मुझसे बोली- अब चल गांडू मेरी बुर चाट तू !
मैं झुका और देखा तो आज क्या दर्शन हुए हैं योनि देवी के ! वाह वाह मजा आ गया- हलकी गुलाबी बुर थी चाची की पर एकदम टाइट न थी। ऐसा लग रहा था कि बहुत चुद चुकी है।
मैंने पूछा- एक बात बता रंडी ! मेरी चाची बनाने से पहले कित्तों से खेली-खाई हैं तू ?
वो बोली- छः महीने तक तो एक बॉयफ्रेंड था, उसने चोदा ! लेकिन इस सील को तोड़ने का श्रेय तो मेरे जीजाजी को जाता है ! वो बहुत अय्याश इंसान हैं ! मेरी दीदी को अलग अलग तरीके से चोदते हैं ! अबकी बार मैं उनके यहाँ जाउंगी तो तू भी चलना ! मेरी दीदी, जीजाजी, जीजाजी के भाई, उनकी पत्नी, जीजाजी की बहन और बहनोई मिलकर ग्रुप सेक्स करते हैं ! हम भी शामिल हो जायेंगे !
फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया ! उसके बाद मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में डाल दिया और धक्के पे धक्का मारने लगा ! वो भी मस्ताती जा रही थी ! आह आह …उफ़ …हे …आह आह मेरे राजा ! मेरे जानेमन ! मुझे कुत्ते के जैसे चोदो ! आहऽऽ फाड़ डालो आज इस बुर को ! चूत के चिथड़े उड़ा डालो आज ! आज आह आज ……. ऐसा चोदो की बस मजा आ जाये !
मैंने चाची को दस मिनट तक चोदा और झड़ गया !
चाची संतुष्ट हो गई थी आज ! बोली- कल रात को चार-पाँच बार चोदना ताकि मेरी ये छिनाल बुर भी पानी छोड़ दे !
फिर मैं बाहर आ गया !
भाई लोग मेल करो कि कहानी कैसी लगी !
अगली कहानी में अगली रात की चुदाई का वर्णन करूँगा ! अगर मेरी चाची आपको पसंद आई हो तो उसके बारे में भी लिखें। Antarvasna
हाय दोस्तो, मेरा नाम मोहित है। मैं बीए कर रहा हूं। मेरी उमर बीस वर्ष की है। मैं इन्दौर में रहता हू। मैं आपको मेरी पहली Antarvasna सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं।
मेरे घर के पास दीपिका नाम की लड़की रहती थी, वो सिर्फ़ 18 वर्ष की थी। मेरी एक गर्ल फ़्रेण्ड थी उसका नाम विनीता था। दीपिका को मेरे और विनीता के सेक्स सम्बन्ध के बारे पता था।
जब मैं विनीता को कहीं ले जाता था तो ये बात दीपिका के अलावा कोई नहीं जानता था। क्योंकि मैं दीपिका के घर से ही विनीता को फोन किया करता था। विनीता और दीपिका अच्छी सहेलियों की तरह बाते करते थे। विनीता, मेरे और उसके के बीच हुये सेक्स के बारे में दीपिका को बता दिया करती थी।
विनीता को ये नहीं पता था कि उसके द्वारा सेक्स के बातें बता देने से दीपिका के मन में भी चुदाने की इच्छा जागृत हो गयी थी।
वो मेरे घर आकर मुझे पूछती- मोहित भैया, कल आपने विनीता के साथ क्या क्या किया।
मैं उससे बोलता- तुझे क्या काम है?
और टाल देता था।
वो मेरी देख कर शरमा कर चली जाती थी।
जब मैंने विनीता से दीपिका के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मेरे और उसकी चुदायी की सारी बातें दीपिका को बता देती थी। मैं अब सब कुछ समझ गया था।
एक दिन जब मैं आपने घर में काम कर रहा था तो दीपिका मेरे पास आई और मुझसे बात करने लगी। मैंने उसको कहा- तू अभी जा, थोड़ी देर से आना, मुझे कुछ काम करना है।
मगर वो नहीं मानी।
मैं थोड़ी देर तक कहता रहा फिर वो चली गयी।
मेरी मम्मी को बाज़ार जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा कि वो थोड़ी देर में वापिस आ जायेगी तुझे चाय पीनी हो तो दीपिका को बोल देना वो बना देगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मम्मी के जाने के ठीक बाद दीपिका फिर से मेरे यहां आ गयी और मुझे परेशान करने लगी। मैं आज अपना काम नहीं कर पा रहा था। इतने में दीपिका मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी। मैं उसे पकड़ने के लिये खड़ा हुआ और झपट कर मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आ गये थे। वो बहुत ही नर्म थे और छोटे छोटे ही थे। मेरे हाथों से उसके कोमल स्तन दब से गये थे। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर था। उसकी चूतड़ की गोलाइयों ने मेरे लण्ड को छू कर उसमें आग सी लगा थी। थोड़ी देर तक पकड़ने के बाद उसने मुझे मेरा पेन वापस दे दिया। मैं अब पेन नहीं लेना चाहता था, मजा जो आ रहा था। पर मुझे छोड़ना ही पड़ा।
मैंने उसको कहा- मेरे लिये चाय बना दे।
उसने कहा- ठीक है भैया!
और वो चाय बनाने के लिये चली गयी।
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि अब क्या करूँ। मगर अब मुझसे बिना सेक्स करे बिना नहीं रहा जा रहा था। मैं धीरे से उसके पास किचन में गया। और उसके पीछे जा कर खड़ा हो कर चिपक सा गया और कहने लगा- क्या अभी तक चाय नहीं बनी।
मेरे स्पर्श से वो लहरा सी गयी। फिर मैं उसके पीछे से हट गया क्योंकि वो समझ गयी थी।
वो मुझसे कहने लगी- भैया दूर रहो, करण्ट सा लगता है!
मैं भी समझ गया गया था कि वो क्या कह रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया में जा रही हूं अपने घर।
मैंने कहा- रुक ना … चाय तो पीने दे, उसके बाद चली जाना।
उसने कहा- ठीक है, पी लो।
मैं उसे अपने कमरे में ले गया। वो मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गयी। मैंने सोचा कि अब क्या किया जाये।
मैंने उससे जान कर विनीता की बात को छेड़ा, मैंने उससे पूछा- तेरी विनीता से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं।
फिर मैंने उसको कहा- तू विनीता को फोन कर के यहां बुला ले।
उसने कहा- क्यों, यहां क्यों बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसीलिये।
उसने कहा- ठीक है।
वो बोली- मैं फोन कर के आती हूं।
मैंने कहा- रुक।
मेरे यह कहने से वो रुक गयी और कहने लगी- क्या कह रहे हो भैया?
मैंने उससे पूछा- विनीता तुझे क्या क्या बताती है?
तो उसने कहा- कुछ नहीं।
मैं समझ गया कि यह अब डर रही है मुझसे बोलने में।
मैंने कहा- दीपिका मेरे पास तो आ।
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- आ तो सही।
वो धीरे से मेरे पास आई, मैंने उसको बेड पर बैठाया और कहा- दीपिका तुझे सब पता है ना मेरे और विनीता के सेक्स के बारे में?
तो वह कहने लगी- भैया मुझे कुछ नहीं पता है कसम से।
वो उस समय डर गयी थी।
फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं। तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर मगर विनीता से मत पूछा कर।
तो उसने तुरन्त पूछा- क्यूं?
मैंने कहा- कहीं विनीता ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से हां की।
उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या? अभी बता।
तो उसने धीरे से अपने चेहरे को नहीं में हिलाया।
फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरु कर दिया। थोड़ी देर तक तो वो ना ना कर रही थी उसके बाद वो गौर से सुनने लगी। मैंने उसको एक दिन की बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की बात सुनाओ ना?
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाऊंगा नहीं बल्कि करके बताऊंगा।
“नहीं ना … हटो … नहीं।”
“करके बताना चाहता हूं। उसमें अधिक मजा आता है.”
वो एकदम से खड़ी हो गयी। मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होठों की चुम्मी लेने लगा। वह मुझसे छूटने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी। मगर मैंने उसको छोड़ा नहीं।
थोड़ी देर के बद मैंने उसको कहा- बेड पर लेट जा.
मगर वो बोली- मैं चिल्ला दूंगी। भैया मुझे छोड़ो!
मैंने कहा- ठीक है, तू चिल्ला!
मैंने उसको अपने हाथों में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसके उपर लेट गया। मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा। थोड़ी देर तक तो वो ना ना करती रही। फिर मैंने अपने एक ही हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिय। और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल लिया।
वो नहीं नहीं कर रही थी।
फिर मैं उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर तक यह करने के बाद वो भी गर्म होने लगी। मैंने फिर उसके हाथ को छोड़ दिया और उसके बाद में समझ गया कि अब यह भी गर्म हो गयी है।
फिर मैंने उसकी कुरती उतार दी और उसके साथ उसकी शमीज भी उतार दी. मैं उसके स्तन को सहलाने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा। मुझे पता था कि यह पहली बार सेक्स कर रही है।
उसके मुंह से ह्हह्ह ह्हह्ह … ह्हह की आवाज आ रही थी।
मैंने उसको कहा- मैं विनीता के साथ भी यही करता हूं।
तो उसने अपनी बन्द आँखें खोली और कहा- उसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया था कि यह अब पूरी गर्म हो गयी है। मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिये। अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैंने भी फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले कर आया। मैंने मेरे लण्ड पर तेल लगाया जो कि 7 इन्च का है। उसके बाद उसकी चूत पर तेल लगाया।
मैंने उससे कहा- क्या मैं अपना लण्ड डालूं?
तो उसने कहा- डाल दो ना भैया।
मैंने जैसे ही अपना लण्ड थोड़ा सा उसकी चूत में दबाया तो वह जोर से चिल्ला दी- ऊऊऊऊ उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊओ म्मम आआआ आयीईईई ईईईईए नहीईईई उईईई भैयाआआ निकालो।
मैंने अपना लण्ड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा, तू इतनी ज़ोर से मत चिल्लाना।
उसने कहा- ठीक है, मगर भैया थोड़ा धीरे धीरे डालना।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। तो वह फिर से चिल्लाई. मैंने अपना मुंह उसके मुंह में रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे कर के ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
उसके बाद वह तो समझो मर ही गयी थी, इतनी ज़ोर से चिल्लाई- मम्मयय ययय नहीईई ईईई भैअयाआआ आआआ आअ निकालो ऊऊऊ ऊऊऊह
फिर मैंने उसका मुंह से अपना मुंह लगा लिया और वो ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। उसकी चूत में से खून आने लग गया और वह पागल सी हो गयी।
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदते ही चला गया। थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड से सफ़ेद गाढ़ा सा वीर्य निकल गया जो मैंने बाहर निकाल दिया और उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा।
मेरे लण्ड को उसकी चूत में से बाहर निकालने बाद ही उसने शान्ति की सांस ली और कहा- भैया, अब मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊंगी।
मैंने उससे कहा- तू अपना खून साफ़ कर ले और कपड़े पहन ले।
मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये और उसके बाद अपना काम करने लग गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे में से बाहर आई और कहा- भैया मैं जा रही हूं।
मैंने कहा- ठीक है, अब कब आयेगी?
तो उसने कहा- जब समय मिलेगा।
Antarvasna stories आज भी मैं उसको जब भी मौका मिलता है तो चोदता रहता हूं। अब वो भी चुदायी का पूरा मजा लेती है।
हाय ! मैं राहुल कुमार एक Antarvasna Stories बार फिर आप लोगों को अपनी एक सत्य कथा लिखने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, हमारी किताबों की दुकान थी और एक आँटी उम्र में लगभग 25-27 की, जब भी वो मुझे अकेले दुकान में देखती थी, वो मुझे सच्चे किस्से, मनोहर कहानियाँ जैसी किताबें दिखाने को कहती थी। आँटी का नाम रमणी था और वो मलयालम थी, उनकी तब तक शादी भी नहीं हुई थी, वो स्टेट बैंक में काम करती थी। वो हमेशा मेरे साथ मजाक कर लिया करती थी और मैं जब भी उन्हें आँटी कहता था वो कुछ नाराज़ सी हो जाती थी।
एक दिन आंटी ने मुझे अपने घर आने को कहा। रविवार का दिन था, मैं आँटी के घर पहुँच गया। मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई तो आँटी ने दरवाज़ा खोला, मुझे देख कर कहा- अरे संजय तुम कब आए?
मैंने कहा- बस आँटी, अभी अभी आया हूँ, क्या घर में कोई नहीं है?
आँटी ने कहा- क्यों नहीं ! मैं और तुम तो हैं, आओ, अन्दर आ जाओ।
मैंने कहा – ओ के।
आँटी ने एक मैक्सी पहनी हुई थी।
आँटी ने कहा- संजय तुम चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो… अन्दर सारी सहूलियत है…
मैं नहा कर आ गया फिर आँटी ने कहा- संजय मैं भी नहा कर आती हूँ, फिर खाना खायेंगे।
आँटी नहा कर आ गई और आँटी ने जानबूझ कर मेरे सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर मैं आँटी की तरफ़ चोर नज़र से देख रहा था। आँटी ने मेरी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया और एक हल्का सा टॉप डाल लिया। आँटी नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। आँटी ने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और आँटी एकाएक नंगी हो गई। आईने में आँटी ने देखा तो मुझे उनकी ओर देखता पाया, उसने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
आँटी ने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मेरी नजरें बदल रही थी उन्हें निहार रहा था।
मेरा ध्यान तो उन पर लगा था …. और उनका ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
उसने बातचीत शुरू की, उसने हालचाल पूछा, फिर वो पूछने लगी कि तुम हर समय मुझे देखते क्यों रहते हो?
मैंने कहा- यह बात आप अपने आप से पूछो !
तभी वो कहने लगी- सर दर्द हो रहा है।
मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसको आग्रह किया कि अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके माथे पर थोड़ा बाम लगा देता हूं, आप मेरे गोद पर सर रख लीजिये !
उसने इनकार नहीं किया। मैंने थोड़ा बाम हाथ में लिया और धीरे धीरे उसके सर पर लगा कर सहलाना चालू किया। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं मौके को भाँपते हुए बिस्तर के ऊपर बैठ गया, मुझे यह पता करना था कि आग दोनो तरफ है या एक तरफ?
उसने देखते ही देखते उठ कर मुझे पकड़ा और अपने साथ बराबर में मुझे ले कर लेट गई और कहने लगी- जो भी चाहते हो कर लो ! सब तुम्हारा है। हम दोनों ही प्यासे हैं ! आज जी भर के हमें प्यार करो, हम बहुत प्यासे हैं।
उसने मुझे नंगा कर दिया और अपने कपड़े भी उतार कर फेंक दिए और फिर उसने अपनी टांगें फैला कर इशारा किया कि आज इसकी प्यास मिटा दो।
मैंने उस पर लेट के उसको होटों को चूमना चालू किया। फ़िर मैं उसके चूचुक को मुँह में लेकर चूसने लगा, जैसे उसको कुछ होने लगा। वो मस्त हो के उछलने लगी। मैंने उसकी निपल को अपने दोनों दांतों के बीच दबा के जोर से चूसना चालू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके दूसरे स्तन को जोर से दबाने लगा।
मैं हब्शी की तरह उन पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कि किसी ने बरसों से खाना ना खाया हो। उनके स्तनों को मैं इतने ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था कि वो बुरी तरह काम्प रही थी।
कभी स्तनों को पीता तो कभी उनके होंठों को चूसता और दूसरे हाथ से स्तनों को मसल रहा था। मैं उनके स्तन को पूरा अपने मुँह में भर लेना चाहता था पर मेरी किस्मत ! स्तन बड़े थे और मेरा मुँह छोटा। पर कोई बात नहीं !
उसने मेरे लण्ड को, जो तन कर मोटा हो गया था, पकड़ लिया। वो हाथ में लेते ही बोली- ये तो बहुत बड़ा है मैं तो मर ही जाऊंगी, उसको बुरी तरह चूसना चालू कर दिया। वो मेरे लंड महाराज को इस तरह चूस रही थी मानो जन्मों-२ से प्यासी हो !
फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाली तो वो पूरी तरह भीग चुकी थी। मैंने उसकी चूत में हाथ घुमाना चालू किया वो अपने आप से बाहर हो गई थी।
मैंने उनके चूत पे अपना मुंह रख के उसमें अपनी जीभ रख दी तो वो मचल उठी और चिल्ला पड़ी- मर गई मेरे राजा।
फ़िर क्या था, मैंने आँटी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया ! लग रहा था कि मानो वो होंठ नहीं गुलाब की पंखुड़ियाँ हों। धीरे धीरे मेरा लण्ड मिनार की तरह खड़ा हो गया।
फ़िर मैंने उनके मुँह में अपना प्यारा और सेक्सी लण्ड रख दिया और 69 की अवस्था में हो गया। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं उनकी चूत इतने प्यार से चूस रहा था कि उसके एक बार तो निकल भी गया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये।
वो मुझसे बोली- अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाई मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया। पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी। मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया।
पर वो चिल्लाई- प्लीज, आराम से करो ! दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- ठीक है ! पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा !
उसने गर्दन हिलाई। मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया। मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी- राहुल मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो !
मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथों से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी।
“तू तो गजब का चोदता है रे… मुझे तू ही रोज़ चोद जाया कर…”
“मत बोलो कुछ भी…… मुझे बस चोदने दो… हाय रे…कितना मजा आ रहा है…”
और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा…दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था, मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए।
और इस तरह उस दिन हमने चार बार मजा लिया। फिर उसने मुझे प्यार से गले लगा कर विदा किया।
इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया। जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है।
मेरी कहानी कैसी लगी बताना। Antarvasna Stories
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