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Massage Girl in Darjiling: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Darjiling who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Darjiling that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Darjiling massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Darjiling who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Darjiling massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Darjiling massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Darjiling who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Darjiling employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Darjiling helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Darjiling

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Darjiling at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Hindi Sex Stories

हेल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम सुंदर है Hindi Sex Stories और मेरी पिछली कहानियों पर आपने जो मेल दिए उनके लिए आपका बेहद शुक्रिया !

तो अब सीधे सीधे पेश है एक और बिल्कुल सच्ची और ताज़ी कहानी !

वैसे अपने बारे में एक बार फ़िर से बता दूँ, मेरी उम्र २४ साल है और मैं दिल्ली में रहता हूँ अच्छी सुडौल शरीर है और सुंदर लड़कियां देखते ही मेरा मन उन पर फिसल जाता है।

दरअसल हुआ यूँ कि मैं एक दिन अपने कुछ दोस्तों के साथ शाम के वक्त क्रिकेट खेल रहा था। ग्राउंड के ठीक बाएँ हाथ पर कोने पर एक काफ़ी शॉप है। उसके सामने कुछ लड़कियाँ खड़ी लगातार मेरी ओर देखे जा रही थी और आपस में बात भी कर रही थी (शायद मेरे बारे में)

मेरे दोस्त बार बार मुझ पर ताने कस रहे थे। इसी बीच उनकी तरफ़ गेंद चली गई और मैं गेंद उठाने के लिए उनकी तरफ़ चला गया। लड़कियाँ इंजीनियरिंग की स्टूडेंट्स थी और शायद टयूशन पढ़ने के लिए यहाँ आई हुई थी। टयूशन सेंटर साथ में ही था और वो शायद किसी और सहेली का इंतज़ार कर रही थी।

उनमें से ठीक एक के पैरों में गेंद जा कर गिरी, उसके एक स्कर्ट और टॉप पहना था और स्लीव लेस जैकेट पहनी हुई थी। बला की खूबसूरत लग रही थी और रंग संगमरमर की तरह गोरा था। उसकी गोरी गोरी टांगों के पास गेंद जाते ही मेरा मन मचला मगर मैंने उससे कहा- मैडम क्या आप गेंद उठा कर दे देंगी प्लीज़?

वो झुकी और झुकते ही उसकी गोरी छाती दिखाई देने लगी। उसने गेंद मेरी तरफ़ फेंक दी पर मेरी निगाहें उस पर ही टिकी थी। तब तो वो चली गई लेकिन मैं उसके टयूशन से लौटने का इंतज़ार करने लगा। हुआ वही ! वो वापिस आई अपने सहेलियों के साथ। कुछ दूर मैंने उसका पीछा किया लेकिन उसके बाद उसके सहेलियां दूसरे रास्ते पर चली गई और वो अकेली आगे बढ़ कर रिक्शा को हाथ देने लगी।

मैंने बाईक तुंरत उसके सामने रोकी और सामने जाकर हल्की सी मुस्कान देकर मैंने कहा- कैन आई गिव यु अ लिफ्ट?

उसने मुझे पहचान लिया और वो भी थोड़ा मुस्कुरा दी लेकिन फ़िर भी मेरे साथ जाने से मना करने लगी। मैंने बार बार उससे आग्रह किया तो वो मान गई और मैंने उसके घर पर उसे छोड़ा। रास्ते में जब उसके बूब्स मेरी कमर पर लग रहे थे तो मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था उससे मैंने उसका नंबर भी रास्ते में ही ले लिया।

रात को मैंने उससे फ़ोन पर खूब बात की और अगले दिन फ़िर उसे छोड़ने के लिए चला गया। आज उसने मुझे चाय का न्योता दिया, मैंने भी हाँ कर दी। घर में अन्दर घुसा तो वहां केवल उसके एक सहेली ही थी। दरअसल वो पेईंग गैस्ट रहती थी। उसने अपने सहेली से मेरा परिचय करवाया और फ़िर उसके सहेली किसी काम से बाज़ार चली गई।

ओह ! मैं आपको मेरी अप्सरा का नाम बताना तो भूल ही गया, उसका नाम था मीनू !

मीना चाय बना कर ले आई और मेरे साथ बैठ गई। आज भी उसने स्कर्ट और टॉप ही पहने थे, लेकिन आज वाली स्कर्ट कुछ छोटी थी इसलिए जब वो बैठी तो मुझे उसके गोरी टांगों के साथ साथ उसकी जांघें भी दिखाई दे रही थी। हम कुछ बातें करने ही लगे थे कि मैंने सामने मेज पर रखा अखबार उठाने की कोशिश की और अनजाने में मेरा कोहनी उसके हाथ से टकरा गई और उसकी चाय उस पर गिर गई।

चाय कुछ टॉप पर और कुछ स्कर्ट पर गिरी थी। वो जलन के मारे उठ कर खड़ी हो गई और तड़पने लगी। मैं भी घबरा गया और मैंने तुंरत उसका टॉप को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया, उसने बिल्कुल मन नहीं किया क्योंकि उसको बहुत जलन हो रही थी। उधर जांघों की भी हालत ऐसी ही थी, इसलिए वो बार बार पैर पटक रही थी। तो मैंने स्कर्ट भी उठा दी और उसे बाथरूम में ले गया ताकि उस पर पानी डाल सकूँ।

मैं अपने हाथ में पानी लेकर पहले उसके पेट पर और पेट से कुछ ऊपर और फ़िर स्कर्ट को पूरी तरह से उठा कर उसकी टांगों पर और जाँघों पर पानी डाल रहा था। वो इस बीच केवल हल्के हल्के रो रही थी। यह सब कुछ ऐसे हो रहा था जैसे वो कोई छोटी बच्ची हो और मैं उसे बहला रहा हूँ और शर्म-हया जैसी कोई बात हमारे बीच में हो ही न।

अब मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हारे पास बर्नोल या कोई और क्रीम है?

तो उसने कहा- हाँ है !

मैंने क्रीम उससे ली और उससे कहा- अपनी टॉप उतार दो मैं क्रीम लगा देता हूँ।

मेरा मन अब बेईमान हो चुका था। पहले तो वो झिझकने लगी मगर फ़िर मान गई। मैंने उसे मसलना शुरू किया और धीरे धीरे हाथ ऊपर ला कर उसकी गुलाबी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुचियों को भी छेड़ देता। उसे भी शायद मज़ा आ रहा था।

कुछ देर में उसने कहा- सुंदर ! तुम करना क्या चाहते हो?

मैं समझ गया कि उसके कहने का मतलब क्या है, मैंने कहा- वही जो तुम समझ रही हो।

उसने कहा- तो फ़िर खुल के करो ना !

अब क्या था, मैंने काम शुरू कर दिया और सीधे उसके होठों पर किस कर दिया और उसके होठ चूसने शुरू कर दिए। उसका चेहरा लाल हो गया था। मेरे हाथ उसकी चूचियां मसल रहे था और अब मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया। क्या गज़ब का फिगर था उसका ! चुचियाँ एकदम गोल और संतरे जैसी एक दम टाइट !

मैंने उसकी चुचियों को पीना शुरू कर दिया और वो मज़े से आह उह करने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरे बालों में थी और वो बस गरम हो रही थी। मैंने तुंरत नीचे खिसक कर उसकी स्कर्ट बिल्कुल ऊपर कर दी और उसकी पैन्टी नीचे खींच दी। उसने मेरा मदद करते हुए अपनी पैंटी को टांगों से अलग करके फेंक दिया और अब वो बिल्कुल पूरी तरह से मेरे हवाले थी।

उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे जो बहुत खूबसूरत लग रहे थे। मैंने तुंरत उसकी चूत पर जीभ लगा दी और चूसना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल मचल उठी। मीनू ने झटके से मेरा सर ऊपर उठाया और मेरा टी-शर्ट उतारने की कोशिश करने लगी। मैंने देर न करते हुए तुंरत अपनी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी और अपना अंडरवियर भी उतार दिया।

मेरा लंड देखते ही वो मानो डर सी गई और कहने लगी- तुम इसे मत डालना प्लीज़ !

मेरे लंड का साइज़ ८ इंच है जो लगभग ३ इंच से ज़्यादा मोटा है। मैंने उसे थोड़ा सा प्यार किया उसके होठों पर दोबारा किस करना शुरू किया और इस बीच उसने मेरा लंड हाथ में ले लिया और उससे खेलने लगी। थोड़ी ही देर में वो मस्त हो चुकी थी और मैंने उसकी टांगें खोल कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर लगा दिया।

उसकी चूत एक दम फ्रेश थी इसलिए लंड आसानी से जा नहीं रहा था। मैंने बहुत सारा थूक लेकर लंड पर और उसकी चूत पर लगाया और लंड को एक ज़ोरदार धक्का दिया और लंड अन्दर घुस गया लेकिन अभी भी लंड पूरा अन्दर नहीं गया था। वो दर्द के मारे चिल्ला उठी और बस यही कह रही थी- सुंदर प्लीज़ ! ये मत करो सुंदर ! मैं मर जाउंगी सुंदर ! मेरा चूत फट जायेगी सुंदर ! प्लीज़ मत करो सुंदर !

लेकिन मैने लंड बाहर नहीं निकाला और थोड़ी देर रुका रहा। जब वो कुछ सामान्य हो गई तो मैंने धीरे धीरे लंड हिलाना शुरू किया और उसके बाद उसे भी कुछ मज़ा आने लगा। मैंने उसे लगभग १५ मिनट तक खूब चोदा और इस दौरान वो ३ बार झड़ चुकी थी और अब मेरा भी पानी निकलने वाला था।

मैंने तुंरत लंड बाहर निकाला और उसके मुंह के पास ले गया और उससे मुंह में लेने को कहा। वो मना करने लगी लेकिन फ़िर भी मैंने लंड उसके होठों पर लगा दिया तो वो मुंह में लेने लगी और फ़िर मेरा सारा पानी पी गई। उसके बाद उसने मेरा लंड खूब चूसा और मैंने उसे उसी दिन २ बार और भी चोदा।

अब भी हमारी कहानी जारी है और मैं उसे बाईक पर उसके घर छोड़ने के लिए जाता हूँ और जिस दिन भी मौका होता है उसे खूब चोदता हूँ ! अपने विचार लिखें ! Hindi Sex Stories

मैंने उसे फिर टेबल पर लिटाया, उसकी चूत गीली और गर्म मेरे सामने तड़प रही थी। “काव्या, अब फिर जंगली चुदाई,” मैंने हाँफते हुए कहा। मैंने उसकी जाँघें चौड़ी कीं, मेरा सख्त लंड उसकी चूत में घुसा, और मैंने जोर-जोर से धक्के मारे। वो सिसकारी भरी, “हाय राम सर, अहह, और तेज चोदो, मेरी चूत आपकी!” टेबल हिल रहा था, मेरे हाथ उसके उभारों को मसल रहे थे, मेरा लंड उसकी चूत को चोद-चोद कर तपा रहा था। वो तड़प रही थी, “हाय सर, अहह, और तेज, मुझे अपनी रंडी बनाओ!” मैंने रफ्तार बढ़ाई, मेरे धक्के गहरे और जंगली हो गए, और उसकी सिस्कारियाँ लैब में गूँज रही थीं। “काव्या, तेरा सुख, मार्क्स पक्के,” मैंने हाँफते हुए कहा। वो फिर झड़ गई, उसकी चूत ने मेरे लंड को भिगो दिया। मैंने उसे घुटनों पर बिठाया, “अब तेरा मुंह चोदूंगा,” मैंने कहा। उसने मासूमियत से मुंह खोला, मेरा लंड उसके गर्म मुंह में गया, मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और वो सिसकारी भरी, “हाय सर, अहह!” मेरा लंड फट पड़ा, मैं उसके मुंह में झड़ गया, और हमारी साँसें उमड़ पड़ीं। बारिश धीमी पड़ी, काव्या मेरे सीने से लिपटी। “हाय सर, अहह, मेरी पहली बार चुदाई, मार्क्स मिले, आपका लंड मेरा,” उसने शरारत से कहा। “काव्या, मार्क्स पक्के, तेरी चूत मेरी आग,” मैंने हाँफते हुए जवाब दिया। सुबह बारिश रुकी, काव्या ने फुसफुसाया, “हाय सर, अहह, हर रात मेरी चूत चोदना।” जयपुर की उस लैब की रात, काव्या की मासूमियt, शरारत, और चुदाई की तड़प मेरे लंड और दिल में धधकती रही। यदि आपको मेरी यह असली कहानी पसंद आई, तो आप मुझे ram.sir6969@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।

कामवासना

मेरा नाम राहुल है. मैं 24 कामवासना साल का कालबोय हूँ. मेरे लंड का साइज 8′, मोटाई 3′ है. मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ.

एक बार मुझे एक मेल मिली. जिसमे एक महिला ने अपना फ़ोन नम्बर दिया हुआ था. मैंने उस नम्बर पर सम्पर्क किया तो उधर से एक भारी सी आवाज सुनाई दी. मैंने उसको अपने बारे में बताया तो उसने मुझे रात को आठ बजे आने को कहा. वो अम्बाला कैंट में रहती थी.

मैं रात को ठीक आठ बजे तैयार होकर उसके घर के सामने था. ऐसे तो मैंने कईयो को चोदा है पर जब भी किसी औरत का फ़ोन आता तो मैं रोमांचित हो जाता हूँ.

मैं उसके घर पहुंचा तो दरवाजा उसी ने ही खोला. वो मुझे सीधे अपने बैडरूम में ले गई और मुझे वहाँ बिठा कर ख़ुद रसोई में चली गई. जब वो वापस आई तो उसके हाथ में चाय के दो कप थे. वो मुझे चाय देकर मेरे पास में ही बैठ गई.

वो मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी. वो 37-38 साल की ठीक ठाक सी औरत थी.

हमने बातें शुरू की तो उसने मुझे बताया कि उसकी किसी सहेली ने ही उसे मेरा पता दिया था जिसे मैंने पिछले महीने चोदा था. उसका पति ज्यादातर बाहर ही रहता है जिससे वो अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाती थी. उसके कोई बच्चा भी नहीं था जिससे वो और भी ज्यादा उदास रहती थी.

मैं उसके थोड़ा नजदीक गया. मैंने उसके चूचों पर हाथ रखा. इस उमर में भी उसके चुचे टाइट थे मैंने उनको दबाना शुरू कर दिया. वो आह!शी!शी आह! कर रही थी.

वो मेरे और करीब आ गई और उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया. मैंने उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया. वो इसमें मेरा साथ देने लगी. वो मुझे जोर जोर से किस करने लगी जैसे कई सालों से प्यासी हो. वो मेरे होंठों को जोर जोर से चूस रही थी. मैंने उसकी साड़ी को निकाल दिया और उसकी ब्लाऊज़ को उससे अलग कर दिया. उसने ब्रा नहीं डाली थी. उसकी भारी भारी चुचियाँ अब आजाद थी और मैं उनसे खेलना लगा.

मैंने अपने होठो को उसकी निपल पर फिरना शुरू कर दिया उसने जोर से मेरा सर पकड़ लिया. मैं उसकी चूची को चूस रहा था. वो आहें भर रही थी उसका हाथ कभी कभी मेरी जांघों तक चला जाता था. मैंने अपनी चैन खोली और अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया वो उससे खेलने लगी.

मैंने अपना हाथ उसकी दोनों टांगो के बीच में डाला. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने अपना हाथ भट्टी पर रख दिया हो. मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी. वो आह करने लगी. उसकी चूत टाइट थी. बिल्कुल नई लड़की की तरह. मैं उसकी चूत में उंगली जोर जोर से घुमाने लगा. उसे मजा आ रहा था.

मैंने उसका सर पकड़ा और नीचे ले गया. एक बार तो उसने मना किया पर दूसरी बार कहने पर मेरा लंड उसने अपने मुँह में ले लिया, वो उसे पहले धीरे धीरे चूम रही पर अब वो उसे अच्छे से चूस रही थी उसको उसमें मजा आने लगा था.

मैंने करवट बदली, उसका सर मेरे पैरों की तरफ़ और मैं उसके पैरों की तरफ़ था यानी मेरा सर उसकी चूत पर और मेरा लंड उसके मुँह पर. मैंने उसकी टांगो को फ़ैलाया और अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया. उसने कस कर मेरे चूतडों को अपनी बांहों में भर लिया. मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया. वो आह आह सी… आह कर रही थी उसको मजा आ रहा था वो मेरे लंड को जोर जोर से चूस रही थी.

वो गरम हो चुकी थी वो मुझसे बोली कि अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो. मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगो के बीच में बैठ गया. मैंने उसकी दोनों टांगे ऊपर उठाई और उसकी गांड के नीचे तकिया दिया. मैं अपने लंड पर निरोध लगाने लगा पर उसने मना कर दिया. कहने लगी शायद आप से ही मेरी कोख भर जाए.

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया. पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी. मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया.

पर वो चिल्लाई- प्लीज आराम से करो दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- ठीक है पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा

उसने गर्दन हिलाई. मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया. मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए.
वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है.

पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी ” राहुल मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो, आज बहुत दिनों के बाद इसकी प्यास बुझी है’

मैं जोर जोर से धक्के लगाये जा रहा था और वो बोले जा रही थी- और जोर से चोदो राहुल और जोर से.
वो बोली- राहुल जोर से करो मैं झड़ने वाली हूँ.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, वो झड़ चुकी थी पर मेरा अभी बाकी था, मैं लगा हुआ था.

40 मिनट के बाद मुझे लगा कि मेरा भी होने वाला है और चार पाँच धक्कों के बाद मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया. हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए.
इसके बाद हमने एक दूसरे को साफ़ किया उसने मेरा चाट कर और मैंने उसकी चाट कर.

फिर हमने खाना खाया जो उसने पहले ही बना कर रखा हुआ था.

और इस तरह उस रात हमने चार बार मजा लिया. सुबह उसने मुझे मेरे फीस के पैसे दिए और मैं चला आया.

इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया. अब वो एक बच्चे की माँ बनने वाली है. जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है.

मेरी कहानी कैसी लगी बताना. कामवासना

Hindi Sex Stories

हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम विकाश है। मैं देहरादून से Hindi Sex Stories हूँ लेकिन अभी बॅंगलुर में एक सॉफ्टवेर कंपनी में काम कर रहा हूँ। ये घटना दो महीने पुरानी है। मैने एक साइट पर पॉर्न स्टोरी लिखी थी ओर साथ मैं अपनी ई-मेल आई भी लिखी थी, जिसे पढ़ कर एक लड़की ने मुझे मेल किया और पूछा कि क्या मैं उससे मिल सकता हूँ। वो मुझसे शायद सेक्स करना चाहती थी। मैंने उसे अपना फोन नंबर मेल कर दिया। अगले दिन मैं ऑफीस से घर आ रहा था तो रास्ते मैं उसका फोन आया। उसने अपना नाम शिवानी बताया। वो हरिद्वार, जो कि देहरादून के पास जगह है, की रहने वाली थी। उसने बताया कि वो एक सॉफ्टवेर कंपनी में एच आर है। उसके बाद रोज रात को उसका फ़ोन आने लगा। धीरे धीरे वो मुझसे खुल गयी। उसने बताया कि वो अपनी कंपनी के एक लड़के से बहुत प्यार करती है, लेकिन कुछ दिन पहले उसे पता चला कि वो लड़का उसे धोखा दे रहा है। उसके ऑफीस की ही किसी दूसरी लड़की से संबंध है। मैंने उससे पूछा कि क्या तुमने उसके साथ सेक्स किया है तो वो बोली की नहीं उसने बस एक बार मेरे बूबस दबाए थे लेकिन मैं बुरा मान गयी तो उसने मुझे छोड़ दिया। लेकिन जब से मुझे उसके बारे में पता चला है। मैं चाहती हूँ कि मैं भी किसी और लड़के से सम्बन्ध बनाऊँ।

मैं तो बस यही चाहता था। मैंने उसे बोल दिया कि ठीक है मैं तुम्हें बहुत अच्छे से चोदूँगा। चूँकि अगले दिन दोनो का ऑफीस था तो हमने ये डिसाइड किया कि दोनो छुट्टी ले लेंगे। अगले दिन जब मेरे दोनो रूम मेट्स ऑफीस चले गये तो मैं शिवानी को अपने फ्लेट में ले आया। यकीन मानो दोस्तो मैंने उसकी आवाज़ सुन कर उसके बारे में जो सोचा था वो उससे कहीं ज़्यादा सेक्सी थी। उसकी हाईट ५’५”थी और फ़ीगर ३४-२८-३५ वो बहुत शर्मा रही थी। मैं उसकी झिझक दूर करने के लिए उसे किचन में ले गया और उसके साथ मिल कर ओम्लेट और चाय बनाई। ब्रेकफ़ास्ट करने के बाद वो मुझसे काफ़ी घुल मिल गयी थी और मेरे काफ़ी करीब भी बैठ गयी। उसके शरीर से प्यारी सी खुशबू आ रही थी। मैंने उसके बालों पे धीरे से हाथ फेरा तो उसने शर्म से मुँह छुपा लिया।

मैंने उसके कान पे किस करनी शुरू किया तो उसकी आँखों में पहली बार सेक्स अपील देखी। फिर मैने उसे फ्रेंच किस की तो वो भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे बोला कि उसे जो कुछ भी कहना हो कह सकती है। उसने कहा कि वो मेरा लॅंड देखना चाहती है। मैंने बिना देर किए अपनी शॉर्ट उतारी और उसे अपने ८ इंच लंबे लॅंड के दर्शन कराए। उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी। वो बोली कि इतना बड़ा लॅंड उसकी चूत में कैसे फिट होगा। मैंने उसे बोला अभी घबराओ नहीं ये बहुत आराम से तुम्हारी चूत में जाएगा और ये कह कर मैंने उसे के वाय -जेल्ली की ट्यूब दिखाई। उसने पूछा कि ये क्या है तो मैंने बताया कि इसे लूब्रिकॅंट कहते हैं और इसे लॅंड पे लगाने से लॅंड आराम से तुम्हारी चूत में घुसेगा। तुम्हें पता भी नहीं चलेगा। वो ये सुन कर बहुत ही एक्साइटेड हो गयी। मैंने उसकी चूत पर बाहर से हाथ रखा तो वो काफ़ी गरम हो गयी थी। उसने मेरे लॅंड पे अपना हाथ रखा और उसे प्यार से सहलाने लगी।

मैने उसकी टोप उतारी। उसने सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने जल्दी से ब्रा उतारी और उसके दोनों बूब्स के साथ खेलने लगा। वो मेरे लॅंड को सहलाने में मस्त थी। वो मस्ती में आ..ह सी…सी.. … की आवाज़ निकल रही थी। अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा था। मैंने झट से उसकी जीन्स और सफेद रंग की पेंटी भी उतार दी। उसकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी। उसकी चूत के रस से उसकी पेंटी गीली हो रखी थी। मैंने जल्दी से एक उंगली उसकी चूत में डाली तो वो सर्र से अंदर घुस गयी। मैं उसकी चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल कर ‘ कम हेयर’ स्टाइल में उंगली हिलाने लगा ताकि उसका जी – स्पॉट प्रेस कर सकूँ। वो मारे खुशी की पागल हो उठी और कहने लगी कि प्लीज़ उंगली बाहर निकालो और जल्दी से अपना मोटा सा लॅंड मेरी चूत में डाल दो। मैंने के वाय -जेल्ली की ट्यूब लॅंड के ऊपर रखी और ५-६ बूंदे उसपे टपका दी। मैंने उसे पीठ के सहारे लेटने को बोला और उसकी टांगे फैला दी। फिर अपने लॅंड उसकी चूत पे रख कर उसे क्लाइटॉरिस पे रगड़ने लगा। वो तो मानो पागल हो उठी। उसने मेरे बॉल खींच लिए और ज़ोर से बोली प्लीज़ मुझे और मत तड़पाओ, और जल्दी से अपना लॅंड अंदर कर दो। मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया तो लॅंड का सुपाड़ा उसकी चूत पे जा कर अटक गया। और वो दर्द से चिल्लाने लगी. आ…ह… उ…ई… बाहर निकालो प्लीज़। उसकी आँखों में आंशु आ टपके। लेकिन मैं तो पूरे जोश में था। मैंने उसे अपने बाजुओं में कस कर पकड़ा और धीरे से प्रेशर देने लगा। फिर मैं रुक गया क्योंकि उसकी चूत काफ़ी टाइट थी और मुझे भी फील हो रहा था। मैं बस उतना सा ही घुसा कर उसकी बूब्स को चाटने लगा। थोड़ी देर बाद वो खुद ही अपनी गांड धीरे से उचकाने लगी। मैं समझ गया कि अब उसका दर्द ख़त्म हो गया है और वो अब पूरा लॅंड अपनी चूत के अंदर चाहती है। मैंने कुछ सोचा और थोड़ा सा लॅंड बाहर निकाल कर ज़ोर से धक्का मारा। फ़च्छ … की आवाज़ के साथ पूरा का पूरा लॅंड उसकी चूत में चला गया था। और शिवानी ने ज़ोर से चीखना शुरू कर दिया। मैंने उसके मुँह को अपने एक हाथ से ज़ोर से बंद किया और कहा कि अगर वो ज़ोर से चिल्लाएगी तो पड़ोसी आ जाएँगे और सारा मज़ा किरकिरा हो जाएगा। उसकी आँखो से आंशु छलक पड़े, लेकिन उसने आवाज़ निकालनी कम कर दी।

मैंने लॅंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। वो अब मस्ती से कराहने लगी. आ…ह , उम्म…ह…, हाँ… ऐसे ही ठीक है…

मैं लॅंड की अंदर बाहर करने की स्पीड धीरे धीरे बढ़ाने लगा। उसे अब मज़ा आने लगा था। वो भी अब पूरा सपोर्ट कर रही थी अपनी गांड हिला हिला कर। मैंने स्पीड और बढ़ा दी। १० मिनट के बाद उसका ऑर्गेज़्म हो गया था। मैं उसकी चूत में वाइब्रेशन्स फील कर सकता था। उसकी चूत का पानी निकल कर पूरी बेड शीट पर फैल गया था। मैंने उसकी टाँगे और फैला ली और लंबे लंबे धक्के लगाने लगा। वो आँखें बंद करके कराह रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने भी उसकी चूत के अंदर ही ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया। हम दोनो इसी तरह आधे घंटे तक लेटे रहे। फिर मैंने धीरे से अपना लॅंड उसकी चूत से निकाला। वो काफ़ी टाइट से अटका था। फक्क की आवाज़ के साथ पूरा लॅंड बाहर आया तो उस पर मेरा वीर्य और थोड़ा खून भी लगा था। मैं उसे गोद में उठा कर बाथरूम ले गया। वहां गरम शावर के नीचे थोड़ी देर दोनो बैठे रहे। मैंने उसकी चूत को ठीक से साफ किया। इस दौरान मेरा लॅंड फिर से खड़ा हो गया था। उसकी चूत भी फिर से गीली होने लगी थी। मैने बाथरूम में ही फिर से उसकी चुदाई की। इस बार उसने पूरा सपोर्ट किया और हम दोनो एक साथ आधे घंटे बाद झड़े।

फिर हमने तौलिए से एक दूसरे को अच्छे से पोंछा। फिर हम वापस बेड रूम में आ गये और थोड़ी देर बातें की। उस दिन मैंने उसे शाम ५ बजे तक ६ बार चोदा। शाम को इससे पहले कि मेरे रूम मेट्स वापस आते, मैं उसे उसके हॉस्टिल तक छोड़ आया। उसके बाद से अब तक मैं उसे ५ बार चोद चुका हूँ। Hindi Sex Stories

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Antarvasna

मेरा नाम गौरी सिंह है। मैं एक Antarvasna शादी शुदा औरत हूँ। गुजरात में सूरत के पास एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री में मेरे पति अशोक सिंह इंजीनियर की पोस्ट पे काम करते हैं। उनके टेक्सटाइल मिल में हमेशा लेबर का मसला रहता है ।
मजदूरों का नेता भोगी भाई बहुत ही काइयाँ किस्म का आदमी है। ऑफिसर लोगों को उस आदमी को हमेशा पटा कर रखना पड़ता है। मेरे पति की उससे बहुत पटती थी। मुझे उनकी दोस्ती फूटी आँख भी नहीं सुहाती थी।

शादी के बाद मैं जब नई-नई आई थी, वह पति के साथ अक्सर आने लगा। उसकी आँखें मेरे जिस्म पर फिरती रहती थी। मेरा जिस्म वैसे भी काफी सैक्सी था। वो पूरे जिस्म पर नजरें फ़ेरता रहता था। ऐसा लगता था मानो वो ख्यालों में मुझे नंगा कर रहा हो। निकाह के बाद मुझे किसी को यह बताने में बहुत शर्म आती थी। फिर भी मैंने बृज को समझाया कि ऐसे आदमियों से दोस्ती छोड़ दे मगर वो कहता था कि प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने पर थोड़ा बहुत ऐसे लोगों से बना कर रखना पड़ता ही है।

उनकी इस बात के आगे मैं चुप हो जाती थी। मैंने कहा भी कि वह आदमी मुझे बुरी नज़रों से घूरता रहता है। मगर वो मेरी बात पर कोई ध्यान नहीं देते थे। भोगी भाई कोई 45 साल का भैंसे की तरह काला आदमी था। उसका काम हर वक्त कोई ना कोई खुराफ़ात करना रहता था, उसकी पहुँच ऊपर तक थी, उसका दबदबा आस पास की कईं कंपनियों में चलता था।

बाज़ार के नुक्कड़ पर उसकी कोठी थी जिसमें वो अकेला ही रहता था। कोई परिवार नहीं था मगर लोग बताते थे कि वो बहुत ही रंगीला एय्याश आदमी था और अक्सर उसके घर में लड़कियाँ भेजी जाती थी। हर वक्त कईं चमचों से घिरा रहता था। वो सब देखने में गुंडे से लगते थे। सूरत और इसके आसपास काफी टेक्सटाइल की छोटी मोटी फैक्ट्रियाँ हैं। इन सब में भोगी भाई की आज्ञा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था। उसकी पहुँच यहाँ के मंत्री से भी ज्यादा थी।

बृज के सामने ही कईं बार मेरे साथ गंदे मजाक भी करता था। मैं गुस्से से लाल हो जाती थी मगर बृज हंस कर टाल देता था।
बाद में मेरे शिकायत करने पर मुझे बांहों में लेकर मेरे होंठों को चूम कर कहता- गौरी तुम हो ही ऐसी कि किसी का भी मन डोल जाये तुम पर। अगर कोई तुम्हें देख कर ही खुश हो जाता हो तो हमें क्या फर्क पड़ता है।

होली से दो दिन पहले एक दिन किसी काम से भोगी भाई हमारे घर पहुँचा। दिन का वक्त था। मैं उस समय बाथरूम में नहा रही थी। बाहर से काफी आवाज लगाने पर भी मुझे सुनाई नहीं दिया था। शायद उसने घंटी भी बजाई होगी मगर अंदर पानी की आवाज में मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया।

मैं अपनी धुन में गुनगुनाती हुई नहा रही थी। घर के मुख्य दरवाज़े की चिटकनी में कोई नुक्स था। दरवाजे को जोर से धक्का देने पर चिटकनी अपने आप गिर जाती थी। उसने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो दरवाजे की चिटकनी गिर गई और दरवाजा खुल गया।
भोगी भाई ने बाहर से आवाज लगाई मगर कोई जवाब ना पाकर दरवाजा खोल कर झाँका, कमरा खाली पाकर वो अंदर दाखिल हो गया। उसे शायद बाथरूम से पानी गिरने कि और मेरे गुनगुनाने की आवाज आई तो पहले तो वो वापस जाने के लिये मुड़ा मगर फ़िर कुछ सोच कर धीरे से दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और मुड़ कर बेडरूम में दाखिल हो गया।

मैंने घर में अकेले होने के कारण कपड़े बाहर बेड पर ही रख रखे थे। उन पर उसकी नजर पड़ते ही आँखों में चमक आ गई। उसने सारे कपड़े समेट कर अपने पास रख लिये। मैं इन सब से अन्जान गुनगुनाती हुई नहा रही थी।
नहाना खत्म कर के जिस्म तौलिये से पोंछ कर पूरी तरह नंगी बाहर निकली। वो दरवाजे के पीछे छुपा हुआ था इसलिए उस पर नजर नहीं पड़ी। मैंने पहले ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहारा। फिर जिस्म पर पाऊडर छिड़क कर कपड़ों की तरफ हाथ बढ़ाये। मगर कपड़ों को बिस्तर पर ना पाकर चौंक गई। तभी दरवाजे के पीछे से भोगी भाई लपक कर मेरे पीछे आया और मेरे नंगे जिस्म को अपनी बांहों की गिरफ़्त में ले लिया।

मैं एकदम घबरा गई, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। उसके हाथ मेरे जिस्म पर फ़िर रहे थे। मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथों से मसल रहा था। एक हाथ मेरी चूत पर फ़िर रहा था।
अचानक उसकी दो अँगुलियाँ मेरी चूत में घुस गई। मैं एकदम से चिहुँक उठी और उसे एक जोर से झटका दिया और उसकी बांहों से निकल गई। मैं चीखते हुए दरवाजे की तरफ़ दौड़ी मगर कुंडी खोलने से पहले फ़िर उसकी गिरफ़्त में आ गई। वो मेरे मम्मों को बुरी तरह मसल रहा था।

‘छोड़ कमीने नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी.’ मैंने चीखते हुए कहा। तभी हाथ चिटकनी तक पहुँच गये और दरवाजा खोल दिया। मेरी इस हर्कत की उसे शायद उम्मीद नहीं थी। मैंने एक जोरदार झापड़ उसके गाल पर लगाया और अपनी नंगी हालत की परवाह ना करते हुए मैंने दरवाजे को खोल दिया।

मैं शेरनी की तरह चीखी- निकल जा मेरे घर से…
और उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया।
उसकी हालत चोट खाये शेर की तरह हो रही थी, चेहरा गुस्से से लाल सुर्ख हो रहा था, उसने फुफकारते हुए कहा- साली बड़ी सती सावित्री बन रही है… अगर तुझे अपने नीचे ना लिटाया तो मेरा नाम भी भोगी भाई नहीं। देखना एक दिन तू आयेगी मेरे पास मेरे लंड को लेने। उस समय अगर तुझे अपने इस लंड पर ना कुदवाया तो देखना।
मैंने भड़ाक से उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया, मैं वहीं दरवाजे से लग कर रोने लगी।

शाम को जब बृज आया तो उस पर भी फ़ट पड़ी। मैंने उसे सारी बात बताई और ऐसे दोस्त रखने के लिये उसे भी खूब खरी खोटी सुनाई। पहले तो बृज ने मुझे मनाने की काफी कोशिश की, कहा कि ऐसे बुरे आदमी से क्या मुँह लगना।
मगर मैं तो आज उसकी बातों में आने वाली नहीं थी, आखिर वो उस से भिड़ने निकला।
भोगी भाई से झगड़ा करने पर भोगी भाई ने भी खूब गालियाँ दी, उसने कहा- तेरी बीवी नंगी होकर दरवाजा खोल कर नहाये तो इसमें सामने वाले की क्या गलती है। अगर इतनी ही सती सावित्री है तो बोला कर कि बुर्के में रहे।
उसके आदमियों ने धक्के देकर बृज को बाहर निकाल दिया। पुलिस में कंपलेंट लिखाने गये मगर पुलिस ने कंपलेंट लिखने से मना कर दिया, सब उससे घबराते थे।

खैर खून का घूँट पीकर चुप हो जाना पड़ा। बदनामी का भी डर था और बृज की नौकरी का भी सवाल था।
धीरे-धीरे समय गुजरने लगा। चौराहे पर अक्सर भोगी भाई अपने चेले चपाटों के साथ बैठा रहता था। मैं कभी वहाँ से गुजरती तो मुझे देख कर अपने साथियों से कहता- बृज की बीवी बड़ी कंटीली चीज है… उसकी चूचियों को मसल-मसल कर मैंने लाल कर दिया था। चूत में भी अँगुली डाली थी। नहीं मानते हो तो पूछ लो।
‘क्यों गौरी जान याद है ना मेरे हाथों का स्पर्श’
‘कब आ रही है मेरे बिस्तर पर?’
मैं ये सब सुन कर चुपचाप सिर झुकाये वहाँ से गुजर जाती थी।

दो महीने बाद की बात है। बृज के साथ शाम को बाहर घुमने जाने का प्रोग्राम था और मैं उसका ऑफिस से वापिस आने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने एक कीमती साड़ी पहनी और अच्छे से बन-सँवर के अपने गोरे पैरों में नई सैंडल पहनी। अचानक बृज की फैक्ट्री से फोने आया- मैडम, आप मिसेज सिंह बोल रही हैं?
‘हाँ बोलिये’ मैंने कहा।
‘मैडम पुलिस फैक्ट्री आई थी और सिंह साहब को गिरफतार कर ले गई।’
‘क्या? क्यों?’ मेरी समझ में ही नहीं आया कि सामने वाला क्या बोल रहा है।
‘मैडम कुछ ठीक से समझ में नहीं आ रहा है। आप तुरंत यहाँ आ जाइये।’
मैं जैसी थी वैसी ही दौड़ी गई बृज के ऑफिस।

वहाँ के मालिक कामदार साहब से मिली तो उन्होंने बताया कि दो दिन पहले उनकी फैक्ट्री में कोई एक्सीडेंट हुआ था जिसे पुलिस ने मर्डर का केस बना कर बृज के खिलाफ़ चार्जशीट दायर कर दी थी।
मैं एकदम हैरान रह गई, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।
‘लेकिन आप तो जानते हैं कि बृज ऐसा आदमी नहीं है। वो आपके के पास पिछले कईं सालों से काम कर रहा है। कभी आपको उनके खिलाफ़ कोई भी शिकायत मिली है क्या?’ मैंने मिस्टर कामदार से पूछा।
‘देखिये मिसेज सिंह! मैं भी जानता हूँ कि इसमें बृज का कोई भी हाथ नहीं है मगर मैं कुछ भी कहने में असमर्थ हूँ।’
‘आखिर क्यों?’
‘क्योंकि उसका एक चश्मदीद गवाह है… भोगी भाई’ मेरे सिर पर जैसे बम फ़ट पड़ा। मेरी आँखों के सामने सारी बातें साफ़ होती चली गई।
‘वो कहता है कि उसने बृज को जान बूझ कर उस आदमी को मशीन में धक्का देते देखा था।’
‘ये सब सरासर झूठ है… वो कमीना जान बूझ कर बृज को फँसा रहा है’ मैंने लगभग रोते हुए कहा।

‘देखिये मुझे आपसे हमदर्दी है मगर मैं आपकी कोई भी मदद नहीं कर पा रहा हूँ… इंसपेक्टर गावलेकर की भी भोगी भाई से अच्छी दोस्ती है। सारे वर्कर बृज के खिलाफ़ हो रहे हैं… मेरी मानो तो आप भोगी भाई से मिल लो… वो अगर अपना बयान बदल ले तो ही बृज बच सकता है।’
‘थूकती हूँ मैं उस कमीने पर’ कहकर मैं वहाँ से पैर पटकती हुई निकल गई। मगर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मैं पुलिस स्टेशन पहुँची।

वहाँ काफ़ी देर बाद बृज से मिलने दिया गया। उसकी हालत देख कर तो मुझे रोना आ गया। बाल बिखरे हुए थे। आँखों के नीचे कुछ सूजन थी। शायद पुलिस वालों ने मारपीट भी की होगी।
मैंने उससे बात करने की कोशिश की मगर वो कुछ ज्यादा नहीं बोल पाया। उसने बस इतना ही कहा- अब कुछ नहीं हो सकता। अब तो भोगी भाई ही कुछ कर सकता है।’

मुझे किसी ओर से उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी, आखिरकार मैंने भोगी भाई से मिलने का फैसला किया।
शायद उसे मुझ पर रहम आ जाये। शाम के लगभग आठ बज गये थे। मैं भोगी भाई के घर पहुँची।

गेट पर दर्बान ने रोका तो मैंने कहा- साहब को कहना मिसेज सिंह आई हैं।’
गार्ड अंदर चला गया। कुछ देर बाद बाहर अकर कहा- अभी साहब बिज़ी हैं, कुछ देर इंतज़ार कीजिये।
पंद्रह मिनट बाद मुझे अंदर जाने दिया। मकान काफी बड़ा था। अंदर ड्राईंग रूम में भोगी भाई दिवान पर आधा लेटा हुआ था। उसके तीन चमचे कुर्सियों पर बैठे हुए थे। सबके हाथों में शराब के ग्लास थे। सामने टेबल पर एक बोतल खुली हुई थी। मैं कमरे की हालत देखते हुए झिझकते हुए अंदर घुसी।

‘आ बैठ’ भोगी भाई ने अपने सामने एक खाली कुर्सी की तरफ़ इशारा किया।
‘वो… वो मैं आपसे बृज के बारे में बात करना चाहती थी।’ मैं जल्दी वहाँ से भागना चाहती थी।
‘ये अपने सुदर्शन कपड़ा मिल के इंजीनियर की बीवी है… बड़ी सैक्सी चीज है।’ उसने अपने ग्लास से एक घूँट लेते हुए कहा।
सारे मुझे वासना भरी नज़रों से देखने लगे। उनकी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे।
‘हाँ बोल क्या चाहिये?’
‘बृज ने कुछ भी नहीं किया’ मैंने उससे मिन्नत की।
‘मुझे मालूम है..’
‘पुलिस कहती है कि आप अपना बयान बदल लेंगे तो वो छूट जायेंगे’
‘क्यों? क्यों बदलूँ मैं अपना बयान?’
‘प्लीज़, हम पर…?’
‘सड़ने दो साले को बीस साल जेल में… आया था मुझसे लड़ने।’
‘प्लीज़, आप ही एक आखिरी उम्मीद हो।’

‘लेकिन क्यों? क्यों बदलूँ मैं अपना बयान? मुझे क्या मिलेगा’ भोगी भाई ने अपने होंठों पर मोटी जीभ फ़ेरते हुए कहा।
‘आप कहिये आपको क्या चाहिए… अगर बस में हुआ तो हम जरूर देंगे।’ कहते हुए मैंने अपनी आँखें झुका ली। मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है। भोगी भाई अपनी जगह से उठा। अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आ गया।
मैं सख्ती से आँखें बंद कर उसके पैरों की पदचाप सुन रही थी। मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गई थी जो अपना सिर झाड़ियों में डाल कर सोचता है कि भेड़िये से वो बच जायेगा। उसने मेरे पीछे आकर साड़ी के आँचल को पकड़ा और उसे छातियों पर से हटा दिया। फिर उसके हाथ आगे आये और सख्ती से मेरी चूचियों को मसलने लगे।

‘मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक दिन के लिये’ उसने मेरे कानों के पास धीरे से कहा। मैंने रज़ामंदी में अपना सिर झुका लिया।
‘ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल’ वो मेरे ब्लाऊज़ के अंदर अपने हाथ डाल कर सख्ती से चूचियों को निचोड़ने लगा। इतने लोगों के सामने मैं शरम से गड़ी जा रही थी। मैंने सिर हिलाया।
‘मुँह से बो…’
‘हाँ’ मैं धीरे से बुदबुदाई।
‘जोर से बोल… कुछ सुनाई नहीं दिया! तुझे सुनाई दिया रे चपलू?’ उसने एक से पूछा।
‘नहीं’ जवाब आया।
‘मुझे मंजूर है!’ मैंने इस बार कुछ जोर से कहा।

‘क्यों फूलनदेवी जी, मैंने कहा था ना कि तू खुद आयेगी मेरे घर और कहेगी कि प्लीज़ मुझे चोदो। कहाँ गई तेरी अकड़? तू पूरे 24 घंटों के लिये मेरे कब्जे में रहेगी। मैं जैसा चाहूँगा, तुझे वैसा ही करना होगा। तुझे अगले 24 घंटे बस अपनी चूत खोल कर रंडियों की तरह चुदवाना है। उसके बाद तू और तेरा मर्द दोनो आज़ाद हो जाओगे।

उसने कहा- और नहीं तो तेरा मर्द तो 20 साल के लिये अंदर होगा ही तुझे भी रंडीबाज़ी के लिये अंदर करवा दूँगा। फिर तो तू वैसे ही वहाँ से पूरी रंडी बन कर ही बाहर निकलेगी।
‘मुझे मंजूर है।’ मैंने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा।
वो जाकर वापस अपनी जगह बैठ गया।

‘चल शुरू हो जा… आपने सारे कपड़े उतार… मुझे औरतों के जिस्म पर कपड़े अच्छे नहीं लगते!’ उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया। ‘अब ये कपड़े कल शाम के दस बजे के बाद ही मिलेंगे। चल इनको भी दिखा तो सही कि तुझे अपने किस हुस्न पर इतना गरूर है। वैसे आई तो तू काफी सज-धज कर है!’
मैंने कांपते हाथों से ब्लाऊज़ के बटन खोलना शुरू कर दिया। सारे बटन खोलकर ब्लाऊज़ के दोनों हिस्सों को अपनी चूचियों के ऊपर से हटाया तो ब्रा में कसे हुए मेरे दोनों मम्मे उन भूखी आँखों के सामने आ गये।

मैंने ब्लाऊज़ को अपने जिस्म से अलग कर दिया। चारों की आँखें चमक उठी। मैंने जिस्म से साड़ी हटा दी। फिर मैंने झिझकते हुए पेटीकोट की डोरी खींच दी। पेटीकोट सरसराता हुआ पैरों पर ढेर हो गया।
चारों की आँखों में वासना के सुर्ख डोरे तैर रहे थे।

मैं उनके सामने ब्रा, पैंटी और हाई हील के सैंडल में खड़ी हो गई।
‘मैंने कहा था सारे कपड़े उतारने को !’ भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा।
‘प्लीज़ मुझे और जलील मत करो।’ मैंने उससे मिन्नतें की।
‘अबे राजे फोन लगा गोवलेकर को। बोल साले बृज को रात भर हवाई जहाज बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे।’

‘नहीं नहीं, ऐसा मत करना। आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी।’ कहते हुए मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को आहिस्ता से जिस्म से अलग कर दिया।
अब मैंने पूरी तरह से तसलीम का फ़ैसला कर लिया। ब्रा के हटते ही मेरी दूधिया चूचियाँ रोशनी में चमक उठी। चारों अपनी-अपनी जगह पर कसमसाने लगे। वो लोग गर्म हो चुके थे और बाकी तीनों की पैंट पर उभार साफ़ नजर आ रहा था।
भोगी भाई लूँगी के ऊपर से ही अपने लंड पर हाथ फ़ेर रहा था। लूँगी के ऊपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था कि अब मेरी खैर नहीं।

मैंने अपनी अंगुलियाँ पैंटी की इलास्टिक में फंसाईं तो भोगी भाई बोल उठा- ठहर जा… यहाँ आ मेरे पास।
मैं उसके पास आकर खड़ी हो गई। उसने अपने हाथों से मेरी चूत को कुछ देर तक मसला और फ़िर पैंटी को नीचे करता चला गया।
अब मैं पूरी तरह नंगी हो कर सिर्फ सैंडल पहने उसके सामने खड़ी थी।
‘राजे! जा और मेरा कैमरा उठा ला।’
मैं घबरा गई- आपने जो चाहा, मैं दे रही हूँ फ़िर ये सब क्यों?
‘तुझे मुँह खोलने के लिये मना किया था ना?’

एक आदमी एक मूवी कैमरा ले आया। उन्होंने बीच की टेबल से सारा सामान हटा दिया। भोगी भाई मेरी चिकनी चूत पर हाथ फ़िरा रहा था।
‘चल बैठ यहाँ…’ उसने बीच की टेबल की ओर इशारा किया।
मैं उस टेबल पर बैठ गई, उसने मेरी टाँगों को जमीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा।
मैं अपने सैंडल खोलने लगी तो उसने मना कर दिया- इन ऊँची ऐड़ी की सैंडलों में अच्छी लग रही है तू।’
मैंने वैसा ही पैर टेबल पर रख लिये।
‘अब टाँगें चौड़ी कर…’
मैं शर्म से दोहरी हो गई मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा फ़ैलाया।
‘और फ़ैला…’
मैंने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फ़ैला दिया। मेरी चूत उनकी आँखों के सामने बेपर्दा थी। चूत के दोनों लब खुल गये थे। मैं चारों के सामने चूत फ़ैला कर बैठी हुई थी, उनमें से एक मेरी चूत की तस्वीरें ले रहा था।
‘अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसको चौड़ा कर !’ भोगी भाई ने कहा।

वो अब अपनी तहमद खोल कर अपने काले मूसल जैसे लंड पर हाथ फ़ेर रहा था, मैं तो उसके लंड को देख कर ही सिहर गई, गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लंड मैंने पहली बार देखा था। लंड भी पूरा काला था।
मैंने अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसे सबके सामने फ़ैल दिया। चारों हंसने लगे।
‘देखा, मुझसे पंगा लेने का अंजाम? बड़ा गरूर था इसको अपने रूप पर। देख आज मेरे सामने कैसे नंगी अपनी चूत फ़ैला कर बैठी हुई है।’ भोगी भाई ने अपनी दो मोटी-मोटी अंगुलियाँ मेरी चूत में घुसा दी।

मैं एकदम से सिहर उठी, मैं भी अब गर्म होने लगी थी, मेरा दिल तो नहीं चाह रहा था मगर जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था। उसकी अंगुलियाँ कुछ देर तक अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो चूत रस से चुपड़ी हुई थी। उसने अपनी अंगुलियों को अपनी नाक तक ले जाकर सूंघा और फ़िर सब को दिखा कर कहा- अब यह भी गर्म होने लगी है।
फिर मेरे होंठों पर अपनी अंगुलियाँ छुआ कर कहा- ले चाट इसे।
मैंने अपनी जीभ निकाल कर अपने चूत-रस को पहली बार चखा।

सब एकदम से मेरे जिस्म पर टूट पड़े। कोई मेरी चूचियों को मसल रहा था तो कोई मेरी चूत में अँगुली डाल रहा था। मैं उनके बीच में छटपटा रही थी। भोगी भाई ने सबको रुकने का इशारा किया। मैंने देखा उसकी कमर से तहमद हटी हुई है और काला भुजंग सा लंड तना हुआ खड़ा है। उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लंड पर दाब दिया।
‘इसे ले अपने मुँह में !’ उसने कहा- मुँह खोल।
मैंने झिझकते हुए अपना मुँह खोला तो उसका लंड अंदर घुसता चला गया।

बड़ी मुश्किल से ही उसके लंड के ऊपर के हिस्से को मुँह में ले पा रही थी। वो मेरे सिर को अपने लंड पर दाब रहा था। उसका लंड गले के दर पर जाकर फ़ंस गया।
मेरा दम घुटने लगा और मैं छटपटा रही थी, उसने अपने हाथों का जोर मेरे सिर से हटाया, कुछ पलों के लिये कुछ राहत मिली तो मैंने अपना सिर ऊपर खींचा।
लंड के कुछ इंच बाहर निकलते ही उसने वापस मेरा सिर दबा दिया।

इस तरह वो मेरे मुँह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। मैंने कभी लंड-चुसाई नहीं की थी इसलिए मुझे शुरू-शुरू में काफी दिक्कत हुई, उबकाई सी आ रही थी। धीरे-धीरे मैं उसके लंड की आदी हो गई।
अब मेरा जिस्म भी गर्म हो गया था। मेरी चूत गीली होने लगी।

बाकी तीनों मेरे जिस्म को मसल रहे थे। मुख मैथुन करते-कर मुँह दर्द करने लगा था मगर वो था कि छोड़ ही नहीं रहा था। कोई बीस मिनट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद उसका लंड झटके खाने लगा। उसने अपना लंड बाहर निकाला।
‘मुँह खोल कर रख !’ उसने कहा।

मैंने मुँह खोल दिया। ढेर सारा वीर्य उसके लंड से तेज धार सा निकल कर मेरे मुँह में जा रहा था। एक आदमी मूवी कैमरे में सब कुछ कैद कर रहा था।
जब मुँह में और आ नहीं पाया तो काफी सारा वीर्य मुँह से चूचियों पर टपकने लगा। उसने कुछ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया।
‘बॉस का एक बूंद वीर्य भी बेकार नहीं जाये…’ एक चमचे ने कहा।
उसने अपनी अंगुलियों से मेरी चूचियों और मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे मन मार कर भी सारा गटकना पड़ा।
‘इस रंडी को बेडरूम में ले चल…’ भोगी भाई ने कहा।

दो आदमी मुझे उठाकर लगभग खींचते हुए बेडरूम में ले गये। बेडरूम में एक बड़ा सा पलंग बिछा था। मुझे पलंग पर पटक दिया गया। भोगी भाई अपने हाथों में ग्लास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया।
‘चलो शुरू हो जाओ !’ उसने अपने चमचों से कहा।

तीनों मुझ पर टूट पड़े। मेरी टाँगें फ़ैला कर एक ने अपना मुँह मेरी चूत पर चिपका दिया। अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत को चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे अंदर गर्मी फ़ैला रही थी। मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर जोर से दबा रख था।

मैं छटपटाने लगी, मुँह से ‘आहह ऊऊहहह ओफफ आहहह उईईई’ जैसी आवाजें निकल रही थी। अपने ऊपर काबू रखने के लिये मैं अपना सिर झटक रही थी मगर मेरा जिस्म था कि बेकाबू होता जा रहा था।
बाकी दोनों में से एक मेरे निप्पलों पर दाँत गड़ा रहा था तो एक ने मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। ग्रुप में चुदाई का नज़ारा था और भोगी भाई पास बैठ मुझे नुचते हुए देख रहा था।
भोगी भाई का लंड लेने के बाद इस आदमी का लंड तो बच्चे जैसा लग रहा था, वो बहुत जल्दी झड़ गया।

अब जो आदमी मेरी चूत चूस रहा था वो मेरी चूत से अलग हो गया। मैंने अपनी चूत को जितना हो सकता था ऊँचा किया कि वो वापस अपनी जीभ अंदर डाल दे। मगर उसका इरादा कुछ और ही था।
उसने मेरी टाँगों को मोड़ कर अपने कंधे पर रख दिया और एक झटके में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। इस अचानक हुए हमले से मैं छटपटा गई।
अब वो मेरी चूत में तेज-तेज झटके मारने लगा। दूसरा जो मेरी चूचियों को मसल रहा था, मेरी छाती पर सवार हो गया और मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। फिर मेरे मुँह को चूत कि तरह चोदने लगा। उसके टट्टे मेरी ठुड्डी से रगड़ खा रहे थे।
दोनों जोर-जोर से धक्के लगा रहे थे। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी। मैं चीखना चाह रही थी मगर मुँह से सिर्फ़ ‘उम्म्म्म उम्फ’ जैसी आवाज ही निकल रही थी। दोनों एक साथ वीर्य निकाल कर मेरे जिस्म पर लुढ़क गये।

मैं जोर जोर से सांसें ले रही थी। बुरी तरह थक गई थी मगर आज मेरे नसीब में आराम नहीं लिखा था। उनके हटते ही भोगी भाई उठा और मेरे पास अकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया। फिर उसने बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लंड मेरी टपकती चूत पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया।
चूत गीली होने की वजह से उसका मूसल जैसा लंड लेते हुए भी कोई दर्द नहीं महसूस हुआ। मगर ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे जिस्म को चीरता हुआ मुँह से निकल जायेगा।
फिर वो धक्के देने लगा, मजबूत पलंग भी उसके धक्कों से चरमराने लगा। फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसका तो सिर्फ अंदज़ा ही लगाया जा सकता है!
मैं चीख रही थी- आहहह ओओओहहह प्लीज़ज़। प्लीज़ज़ मुझे छोड़ दो। आआआह आआआह नहींईंईंईं प्लीज़ज़ज़।’ मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था।
पूरे कमरे में ‘फच फच’ की आवाजें गूँज रही थी। बाकी तीनों उठ कर मेरे करीब आ गये थे और मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे।
मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लंड जल्दी पानी छोड़ दे। मगर पता नहीं वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आ रही थी। कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया। मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गई। मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह टूट रहा था और गला सूख रहा था।
‘पानी…’ मैंने पानी माँगा तो एक ने पानी का ग्लास मेरे होंठों से लगा दिया। मेरे होंठ वीर्य से लिसड़े हुए थे। उन्हें पोंछ कर मैंने गटागट पूरा पानी पी लिया।
पानी पीने के बाद जिस्म में कुछ जान आई। तीनों वापस मेरे जिस्म से चिपक गये। अब मैं बिस्तर के किनारे पैर लटका के बैठ गई। एक का लंड मैंने अपनी दोनो चूचियों के बीच ले रखा था और बाकी दोनों के लंड को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूस रही थी। वो मेरी चूचियों को चोद रहा था।

मैं अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को उसके लंड पर दोनों तरफ से दबा रखा था। उसने मेरी चूचियों पर वीर्य गिरा दिया। फिर बाकी दोनों ने मुझे बारी-बारी से कुत्तिया बना कर चोदा। उनके वीर्य पट हो जाने के बाद वो चले गये।
मैं बिस्तर पर चित्त पड़ी हुई थी। दोनों पैर फ़ैले हुए थे और अभी भी मेरे पैरों में ऊँची हील के सैंडल कसे थे। मेरी चूत से वीर्य चूकर बिस्तर पर गिर रहा था। मेरे बाल, चेहरा, चूचियाँ, सब पर वीर्य फ़ैला हुआ था। चूचियों पर दाँतों के लाल-नीले निशान नजर आ रहे थे।

भोगी भाई पास खड़ा मेरे जिस्म की तस्वीरें खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति में नहीं थी। गला भी दर्द कर रहा था। भोगी भाई ने बिस्तर के पास आकर मेरे निप्पलों को पकड़ कर उन्हें उमेठते हुए अपनी ओर खींचा। मैं दर्द के मारे उठती चली गई और उसके जिस्म से सट गई।
‘जा किचन में… भीमा ने खाना बना लिया होगा। टेबल पर खाना लगा… और हाँ तू इसी तरह रहेगी।’ मुझे कमरे के दरवाजे की तरफ़ ढकेल कर मेरे नंगे नितंब पर एक चपत लगाई।
मैं अपने जिस्म को सिकोड़ते हुए और एक हाथ से अपने मम्मों को और एक हाथ से अपनी टाँगों को जोड़ कर ढकने की असफ़ल कोशिश करती हुई रसोई में पहुँची।

अंदर 45 साल का एक रसोइया था। उसने मुझे देख कर एक सीटी बजाई और मेरे पास आकर मुझे सीधा खड़ा कर दिया। मैं झुकी जा रही थी मगर उसने मेरी नहीं चलने दी, जबरदस्ती मेरे सीने पर से हाथ हटा दिया।
‘शानदार’ उसने कहा। मैं शर्म से दोहरी हो रही थी। एक निचले स्तर के गंवार के सामने मैं अपनी इज्जत बचाने में नाकाबिल थी।
उसने फ़िर खींच कर चूत पर से दूसरा हाथ हटाया, मैंने टाँगें सिकोड़ ली।
यह देख कर उसने मेरी चूचियों को मसल दिया। चूचियों को उससे बचाने के लिये नीचे की ओर झुकी तो उसने अपनी दो अंगुलियाँ मेरी चूत में पीछे की तरफ़ से डाल दी। मेरी चूत वीर्य से गीली हो रही थी।
‘खुब चुदी हो… लगता है।’ उसने कहा।
‘शेर खुद खाने के बाद कुछ बोटियाँ गीदड़ों के लिये भी छोड़ देता है। एक-आध मौका साहब मुझे भी देंगे। तब तेरी खबर लुँगा’ कहकर उसने मुझे अपने जिस्म से लपेट लिया।
‘भोगी भाई जी ने खाना लगाने के लिये कहा है।’ मैंने उसे धक्का देते हुए कहा। उसने मुझसे अलग होने से पहले मेरे होंठों को एक बार कस कर चूम लिया।
‘चल तुझे तो तसल्ली से चोदेंगे… पहले साहब को जी भर के मसल लेने दो।’ उसने कहा, फिर मुझे खाने का सामान पकड़ाने लगा।
मैंने टेबल पर खाना लगाया। फिर डिनर भोगी भाई की गोद में बैठ कर लेना पड़ा।
वो भी नंगा ही बैठा था। उसका लंड सिकुड़ा हुआ था, मेरी चूत उसके नरम पड़े लंड को चूम रही थी। खाते हुए कभी मुझे मसलता, कभी चूमता जा रहा था।
उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी। वो जब भी मुझे चूमता, मुझे उस पर गुस्सा आ जाता। खाते-खाते ही उसने मोबाइल पर कहीं रिंग किया।
‘हलो, कौन… गावलेकर?’
‘क्या कर रहा है?’
‘अबे इधर आ जा। घर पर बोल देना कि रात में कहीं गश्त पर जाना है। यहीं रात गुजारेंगे… हमारे बृज साहब की जमानत यहीं है मेरी गोद में !’ कहकर उसने मेरे एक निप्पल को जोर से उमेठा।
दोनों निप्पल बुरी तरह दर्द कर रहे थे। नहीं चाहते हुए भी मैं चीख उठी।
‘सुना? अब झटाझट आ जा सारे काम छोड़ कर !’ रात भर अपन दोनों इसकी जाँच पड़ताल करेंगे।’
मैं समझ गई कि भोगी भाई ने इंसपैक्टर गावलेकर को रात में अपने घर बुलाया है और दोनों रात भर मुझे चोदेंगे। खाना खाने के बाद मुझे बांहों में समेटे हुए ड्राईंग रूम में आ गया। मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों पर अपने मोटे-मोटे भद्दे होंठ रख कर चूमने लगा। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे मुँह का अपनी जीभ से मोआयना करने लगा। फिर वो सोफ़े पर बैठ गया और मुझे जमीन पर अपने कदमों पर बिठाया। टाँगें खोल कर मुझे अपनी टाँगों के जोड़ पर खींच लिया।

मैं उसका इशारा समझ कर उसके लंड को चूमने लगी। वो मेरे बालों पर हाथ फ़िरा रहा था। फिर मैंने उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसके लंड को चूसने लगी और जीभ निकाल कर उसके लंड के ऊपर फ़िराने लगी। धीरे-धीरे उसका लंड हर्कत में आता जा रहा था। वो मेरे मुँह में फ़ूलने लगा। मैं और तेजी से उसके लंड पर अपना मुँह चलाने लगी।

कुछ ही देर में लंड फ़िर से पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था। वापस उसे चूत में लेने की सोच कर ही झुरझुरी सी आ रही थी। चूत का तो बुरा हाल था। ऐसा लग रहा था मानो अंदर से छिल गई हो। मैं इसलिए उसके लंड पर और तेजी से मुँह ऊपर नीचे करने लगी जिससे उसका मुँह में ही निकल जाये। मगर वो तो पूरा साँड कि तरह स्टैमिना रखता था। मेरी बहुत कोशिशों के बाद उसके लंड से हल्का सा रस निकलने लगा। मैं थक गई मगर उसके लंड से वीर्य निकला ही नहीं। तभी दरबान ने आकर गावलेकर के आने की इत्तला दी।

‘उसे यहीं भेज दे।’ मैं उठने लगी तो उसने कंधे पर जोर लगा कर कहा- तू कहाँ उठ रही है… चल अपना काम करती रह।’ कहकर उसने वापस मेरे मुँह से अपना लंड सटा दिया।
मैंने भी मुँह खोल कर उसके लंड को वापस अपने मुँह में ले लिया।
तभी गावलेकर अंदर आया। वो कोई छ: फ़ीट का लंबा कद्दावर जिस्म वाला आदमी था। मेरे ऊपर नजर पड़ते ही उसका मुँह खुला का खुला रह गया। मैंने कातर नज़रों से उसकी तरफ़ देखा।
‘आह भोगी भाई क्या नजारा है! इस हूर को कैसे वश में किया।’ गावलेकर ने हंसते हुए कहा।

‘आ बैठ… बड़ी शानदार चीज है… मक्खन की तरह मुलायम और भट्टी की तरह गरम।’ भोगी भाई ने मेरे सिर को पकड़ कर उसकी तरफ़ घुमाया- ये है गौरी सिंह! अपने बृज की बीवी! इसने कहा मेरे पति को छोड़ दो… मैंने कहा रात भर के लिए मेरे लंड पर बैठक लगा, फ़िर देखेंगे। समझदार औरत है… मान गई। अब ये रात भर तेरे पहलू को गर्म करेगी… जितनी चाहे ठोको।’

गावलेकर आकर पास में बैठ गया। भोगी भाई ने मुझे उसकी ओर ढकेल दिया। गावलेकर ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे तो अब अपने ऊपर घिन्न सी आने लगी थी। मगर इनकी बात तो माननी ही थी वरना ये तो मुर्दे को भी नोच लेते थे। मेरे जिस्म को भोगी भाई ने साफ़ करने नहीं दिया था। इसलिए जगह-जगह वीर्य सूख कर सफ़ेद पपड़ी की तरह दिख रहा था। दोनों चूचियों पर लाल-लाल दाग देख कर गावलेकर ने कहा- तू तो लगता है काफी जमानत वसूल कर चुका है।’
‘हँ सोचा पहले देखूँ तो सही कि अपने स्टैंडर्ड की है या नहीं’ भोगी भाई ने कहा।
‘प्लीज़ साहब मुझे छोड़ दीजिये… सुबह तक मैं मर जाऊँगी।’ मैंने गावलेकर से मिन्नतें की।
‘घबरा मत… सुबह तक तो तुझे वैसे ही छोड़ देंगे। ज़िंदगी भर तुझे अपने पास थोड़े ही रखना है।’ गावलेकर ने मेरे निप्प्लों को दो अंगुलियों के बीच मसलते हुए कहा।

‘तूने अगर अब और बकवास की ना तो तेरा टेंटुआ दबा दूँगा।’ भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा- तेरी अकड़ पूरी तरह गई नहीं है शायद’ कहकर उसने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ कर ऐसा उमेठा कि मेरी तो जान ही निकल गई।
‘ओओओऊऊऊईईईई माँआँआँ मर गईईई’ मैं पूरी ताकत से चीख उठी।

‘जा जाकर गावलेकर के लिये शराब का एक पैग बना ला और टेबल तक घुटनों के बल जायेगी समझी।’ भोगी भाई ने तेज आवाज में कहा। इतनी जलालत तो शायद किसी को नहीं मिली होगी। मैं हाथों और घुटनों के बल डायनिंग टेबल तक गई। मेरी चूचियाँ पके अनारों की तरह झूल रही थीं। मैं उसके लिये एक पैग बना कर लौट आई।
‘गुड अब कुछ पालतू होती लग रही है’ गावलेकर ने मेरे हाथ से ग्लास लेकर मुझे खींच कर वापस अपनी गोद में बिठा लिया। फिर मेरे होंठों से ग्लास को छुआते हुए बोला- ले एक सिप कर।’

मैंने अपना चेहरा मोड़ लिया, मैंने ज़िंदगी में कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाया था। हमारे घरों में ये सब चलता था मगर मेरे बृज ने भी कभी शराब को नहीं छुआ था।
उसने वापस ग्लास मेरे होंठों से लगाया। मैंने साँस रोक कर थोड़ा सा अपने मुँह में लिया। बदबू इतनी थी कि उबकाई आने लगी। वे नाराज़ हो जायेंगे, ये सोच कर जैसे तैसे उसे पी लिया।
‘और नहीं… प्लीज़, मैं आप लोगों को कुछ भी करने से नहीं रोक रही। ये काम मुझसे नहीं होगा’
पता नहीं दोनों को क्या सूझा कि फ़िर उन्होंने मुझे पीने के लिये जोर नहीं दिया।

गावलेकर मेरे जिस्म पर हाथ फ़ेर रहा था और मेरी चूचियों को चूमते हुए अपना ग्लास खाली कर रहा था। मुझे फ़िर अपनी गोद से उतार कर जमीन पर बिठा दिया। मैंने उसके पैंट की ज़िप खोली और उसके लंड को निकाल कर उसे मुँह में ले लिया। अपने एक हाथ से भोगी भाई के लंड को सहला रही थी। बारी-बारी से दोनों लंड को मुँह में भर कर कुछ देर तक चूसती और दूसरे के लंड को मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करती। फ़िर यही काम दूसरे के साथ करती।

काफ़ी देर तक दोनों शराब पीते रहे। फ़िर गावलेकर ने उठ कर मुझे एक झटके से गोद में उठा लिया और बेड रूम में ले गया। बेडरूम में आकर मुझे बिस्तर पर पटक दिया। भोगी भाई भी साथ-साथ आ गया था। वो तो पहले से ही नंगा था। गावलेकर भी अपने कपड़े उतारने लगा।

मैं बिस्तर पर लेटी उसको कपड़े उतारते देख रही थी। मैंने उनके अगले कदम के बारे में सोच कर अपने आप अपने पैर फ़ैला दिये। मेरी चूत बाहर दिखने लगी। गावलेकर का लंड भोगी भाई की तरह ही मोटा और काफी लंबा था। वो अपने कपड़े वहीं फ़ेंक कर बिस्तर पर चढ़ गया। मैंने उसके लंड को हाथ में लेकर अपनी चूत की ओर खींचा मगर वो आगे नहीं बढ़ा। उसने मुझे बांहों से पकड़ कर उल्टी कर दिया और मेरे चूतड़ों से चिपक गया। अपने हाथों से दोनों चूतड़ों को अलग करके छेद पर अँगुली फ़िराने लगा। मैं उसका इरादा समझ गई कि वो मेरे गाँड को फाड़ने का इरादा बनाये हुए था।

मैं डर से चिहुँक उठी क्योंकि इस गैर-कुदरती चुदाई से मैं अभी तक अन्जान थी। सुना था कि गाँड मरवाने में बहुत दर्द होता है और गावलेकर का इतना मोटा लंड कैसे जायेगा ये भी सोच रही थी।
भोगी भाई ने उसकी ओर क्रीम का एक डिब्बा बढ़ाया। उसने ढेर सारी क्रीम लेकर मेरे पिछले छेद पर लगा दी और फ़िर एक अँगुली से उसको छेद के अंदर तक लगा दिया। अँगुली के अंदर जाते ही मैं उछल पड़ी।

पता नहीं आज मेरी क्या हालत होने वाली थी। इन आदमखोरों से रहम की उम्मीद करना बेवकूफ़ी थी। भोगी भाई मेरे चेहरे के सामने आकर मेरा मुँह जोर से अपने लंड पर दाब दिया। मैं छटपटा रही थी तो उसने मुझे सख्ती से पकड़ रखा था। मुँह से गूँ- गूँ की आवाज ही निकल पा रही थी। गावलेकर ने मेरे नितम्बों को फ़ैला कर मेरी गाँड के छेद पर अपना लंड सटाया। फिर आगे कि ओर एक तेज धक्का लगाया। उसके लंड के आगे का हिस्सा मेरी गाँड में जगह बनाते हुए धंस गया। मेरी हालत खराब हो रही थी। आँखें बाहर की ओर उबल कर आ रही थी।

वो कुछ देर उसी पोज़िशन में रुका रहा। दर्द हल्का सा कम हुआ तो उसने दुगने जोश से एक और धक्का लगाया। मुझे लगा मानो कोई मोटा मूसल मेरे अंदर डाल दिया गया हो। वो इसी तरह कुछ देर तक रुका रहा। फिर उसने अपने लंड को हर्कत दे दी। मेरी जान निकली जा रही थी। वो दोनों आगे और पीछे से अपने-अपने डंडों से मेरी कुटाई किये जा रहे थे।
धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा। फिर तो दोनों तेज-तेज धक्के मारने लगे। दोनों में मानो होड़ हो रही थी कि कौन देर तक रुकता है। मगर मेरी हालत कि किसी को चिंता नहीं थी। भोगी भाई के स्टैमिना की तो मैं लोहा मानने लगी। करीब घंटे भर बाद दोनों ने अपने-अपने लंड से पिचकारी छोड़ दी। मेरे दोनों छेद टपकने लगे।

फिर तो रात भर ना तो खुद सोये और ना मुझे सोने दिया। सुबह तक तो मैं बेहोशी हालत में हो गई थी। सुबह दोनों मेरे जिस्म को जी भर कर नोचने के बाद चले गये। जाते-जाते भोगी भाई अपने नौकर से कह गया- इसे गर्म-गर्म दूध पिला। इसकी हालत थोड़ा ठीक हो तो घर पर छुड़वा देना और तू भी कुछ देर चाहे तो मुँह मार ले।’
मैं बिस्तर पर बिना किसी हलचल के पड़ी थी। टाँगें दोनों फ़ैली हुई थी और पैरों में अभी तक सैंडल पहने हुए थे। तीनों छेदों पर वीर्य के निशान थे। पूरे जिस्म पर अनगिनत दाँतों के और वीर्य के निशान पड़े हुए थे। चूचियाँ और निप्पल सुजे हुए थे। कुछ यही हालत मेरी चूत की भी हो रही थी। मैं फटी-फटी आँखों से दोनों को देख रही थी।

“तू घर जा… तेरे पति को दो एक घंटों में रिहा कर दूँगा” गावलेकर ने पैंट पहनते हुए कहा- भोगी भाई मजा आ गया। क्या पटाखा ढूँढा है। तबियत खुश हो गई। हम अपनी बातों से फ़िरने वाले नहीं हैं। तुझे कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो जान हाजिर है।’
भोगी भाई मुस्कुरा दिया। फिर दोनों तैयार होकर निकल गये। मैं वैसी ही नंगी पड़ी रही बिस्तर पर।
तभी भीमा दूध का ग्लास लेकर आया और मुझे सहारा देकर उठाया। मैंने उसके हाथों से दूध का ग्लास ले लिया। उसने मुझे एक पेन-किलर भी दिया।
मैंने दूध का ग्लास खाली कर दिया। उसने खाली ग्लास हाथ से लेकर मेरे होंठों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया।
वो कुछ देर तक मेरे होंठों को चूमता रहा और मेरे जिस्म पर आहिस्ता से हाथ फ़ेरता रहा। फिर वो उठा और डिटॉल ला कर मेरे जख्मों पर लगा दिया। अब मैं जिस्म में कुछ जान महसूस कर रही थी। फिर कुछ देर बाद आकर उसने मुझे सहारा देकर उठाया और मेरे जिस्म को बांहों में भर कर मुझे उसी हालत में बाथरूम में ले गया।
वहाँ काफी देर तक उसने मुझे गर्म पानी से नहलाया। जिस्म पोंछ कर मुझे बिस्तर पर ले गया और मुझे मेरे कपड़े लाकर दिए। वो जैसे ही जाने लगा, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। मेरी आँखों में उसके लिये एहसानमंदी के भाव थे। मैं उसके करीब आकर उसके जिस्म से लिपट गई।

मैं तब बहुत हल्का महसूस कर रही थी। मैं खुद ही उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई। मैंने उससे लिपटते हुए ही उसकी पैंट की तरफ हाथ बढ़ाया। मैं उसके अहसान का बदला चुका देना चाहती थी। वो मेरे होंठों को, मेरी गर्दन को, मेरे गालों को चूमने लगा। फिर मेरी चूचियों पर हल्के से हाथ फ़िराने लगा।
‘प्लीज़ मुझे प्यार करो… इतना प्यार करो कि कल रात की घटनायें मेरे दिमाग से हमेशा के लिये उतर जायें।’ मैं बेहताशा रोने लगी।
वो मेरे एक-एक अंग को चूम रहा था। वो मेरे एक-एक अंग को सहलाता और प्यार करता। मैं उसके होंठ फ़ूलों की पंखुड़ियों की तरह पूरे जिस्म पर महसूस कर रही थी। अब मैं खुद ही गर्म होने लगी और मैं खुद ही उससे लिपटने और उसे चूमने लगी। उसका हाथ मैंने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर रख दिया।

वो मेरी चूत को सहलाने लगा। फिर उसने मुझे बिस्तर के कोने पर बिठा कर मेरे सामने घुटनों के बल मुड़ गया। मेरे दोनों पैरों को अपने कंधे पर चढ़ा कर मेरी चूत पर अपने होंठ चिपका दिए।

उसकी जीभ साँप की तरह सरसराती हुई उसकी मुँह से निकल कर मेरी चूत में घुस गई। मैंने उसके सिर को अपने हाथों में ले रखा था। उत्तेजना में मैं उसके बालों को सहला रही थी और उसके सिर को चूत पर दाब रही थी।
मेरे मुँह से सिस्करियाँ निकल रही थी। कुछ देर में मैं अपनी कमर उचकाने लगी और उसके मुँह पर ही ढेर हो गई। मेरे जिस्म से मेरा सारा विसाद मेरे रस के रूप में निकलने लगा। वो मेरे चूत-रस को अपने मुँह में खींचता जा रहा था। कल से इतनी बार मेरे साथ चुदाई हुई थी कि मैं गिनती ही भुल गई थी मगर आज भीमा की हरकतों से अब मेरा खुल कर मेरी चूत ने रस छोड़ा।
भीमा के साथ मैं पूरे दिल से चुदाई कर रही थी। इसलिए अच्छा भी लग रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर सवार हो गई। उसके जिस्म से मैंने कपड़ों को नोच कर हटा दिया। उसका मोटा ताज़ा लंड तना हुआ खड़ा था। काफी तगड़ा जिस्म था। मैं उसके जिस्म को चूमने लगी।
उसने उठने की कोशिश की तो मैंने गुर्राते हुए कहा, “चुप चाप पड़ा रह। मेरे जिस्म को भोगना चाहता था ना तो फ़िर भाग क्यों रहा है? ले भोग मेरे जिस्म को।
मैंने उसे चित्त लिटा दिया और उसके लंड के ऊपर अपनी चूत रखी। अपने हाथों से उसके लंड को सेट किया और उसके लंड पर बैठ गई। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को चूमता हुआ अंदर चला गया। फिर तो मैं उसके लंड पर उठने-बैठने लगी। मैंने सिर पीछे की ओर झटक दिया और अपने हाथों को उसके सीने पर फ़िराने लगी। वो मेरे मम्मों को सहला रहा था और मेरे निप्पलों को अंगुलियों से इधर-उधर घुमा रहा था। निप्पल भी उत्तेजना में खड़े हो गये थे।

काफी देर तक इस पोज़िशन में चुदाई करने के बाद मुझे वापस नीचे लिटा कर मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख दिया। इससे चूत ऊपर की ओर हो गई। अब लंड चूत में जाता हुआ साफ़ दिख रहा था। हम दोनों उत्तेजित हो कर एक साथ झड़ गये। वो मेरे जिस्म पर ही लुढ़क गया और तेज तेज साँसें लेने लगा। मैंने उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुंबन दिया। फिर नीचे उतर कर तैयार हो गई।

भीमा मुझे घर तक छोड़ आया। दोपहर तक मेरे पति रिहा होकर घर आ गये। भोगी भाई ने अपना बयान बदल लिया था। मैंने उन्हें उनकी जमानत की कीमत नहीं बताई मगर अगले दिन ही उस कंपनी को छोड़ कर वहाँ से वापस जाने का मैंने ऐलान कर दिया। बृज ने भले ही कुछ नहीं पूछा मगर शायद उसे भी उसकी रिहाई की कीमत की भनक पड़ गई थी। इसलिए उसने भी मुझे ना नहीं किया और हम कुछ ही दिनों में अपना थोड़ा बहुत सामान पैक करके वो शहर छोड़ कर वापस आगरा आ गये। Antarvasna

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