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Massage Girl in Hooghly: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Hooghly who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Hooghly that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Hooghly massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Hooghly who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Hooghly massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Hooghly massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Hooghly who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Hooghly employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Hooghly helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Hooghly

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Hooghly at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Indian Sex Stories

जवानी की मस्ती मैं जी भर के Indian Sex Stories लूटना चाहती हूं, लगता है कि बस रोज रात को कोई मुझे दबा कर चोद जाये … जानते है जीवन में जवानी एक ही बार आती है … फिर आ कर ना जाने वाला बुढ़ापा आ जाता है … जी तरसता रह ही जाता है …

मैंने आज अब्दुल को शाम को जान करके बुलाया था। उसे यह पता था कि बानो ने बुलाया है तो जरूर कुछ ना कुछ मजा आयेगा। कुछ नहीं तो चूंचे तो दबवायेगी ही। अब्दुल सही समय पर शाम को अपनी छत पर आ गया था और बेसब्री से मेरा इन्तज़ार कर रहा था। मैंने भी मौका देखा और छत पर आ गई।

“बोल क्या है बानो, क्यूं बुलाया मुझे?”

“बड़ा भाव खा रहा है रे भेनचोद ? बुला लिया तो क्या हो गया ?”

“चूतिया बात मत कर, बता क्या बात है?”

“पहले मेरे चूंचे तो दबा, फिर बताती हूं !” मैंने उसे धक्का देते हुये कहा।

“भोसड़ी की, नीचे आग लग रही क्या ?”

“सच बताऊँ क्या … लग तो रही है … पर तेरे नाम की आग नहीं है !” मैंने साफ़ कहना ही ठीक समझा।

“नाम तो बता, साले को जमीन में गाड़ दूंगा !”

“बताऊँ ? यूसुफ़ से मिला दे मुझे, बस एक बार चुदना है उससे !” मैंने उसे धीरे से कहा।

“मां की चूत उसकी ! रांड ! मेरा क्या होगा? उसी के पीछे भागेगी तू तो … ?” उसने शंका जताई।

“चुप रह … मुझे तो तेरा लन्ड भी तो चाहिये … प्लीज मिला दे ना … !” मैंने उसे समझाया।

थोड़ा सोच कर बोला,”अभी बात करू या कल … ?”

“चूत तो अभी लपलपा रही है, भोसड़ी के कल चुदवायेगा … ? तू भी ना … !”

अब्दुल समझ गया कि मामला अभी गरम है, उसे भी चूत मिल जायेगी। वो जल्दी से नीचे चला गया। मैं भी नीचे आ गई।

रात का खाना खा कर हम सभी घर वाले बैठे थे। पर मेरा दिल तो कहीं ओर था … यूँ कहिये कि यूसुफ़ के पास था। चूत बार बार मचक मचक कर रही थी। इतने में मिस कॉल आ गया। मैंने देखा तो अब्दुल का ही था। मैं बहाना बना कर सभी के बीच से चली आई। फिर लपक कर छत पर आ गई। छत पर दो साये नजर आ गये। मेरा दिल खिल उठा। शायद अब्दुल ने अपना काम कर दिया था।

मैं दीवार कूद कर वहां पहुंच गई। जैसे ही मेरी नजरें यूसुफ़ से मिली, वो शरमा गया। मैं भी शरमा गई।

अब्दुल ने मौका देखा और कहा,”यूसुफ़, बानो तुझसे मिलना चाह रही थी … क्या मामला है … ?

” बेचारा यूसुफ़ क्या कहता, उसे तो कुछ पता ही नहीं था … बस वो तो मेरा आशिक था।

“मुझे क्या पता भोसड़ी के … बानो ही बतायेगी ना !” उसने शरमाते हुए कहा।

” मैं बताता हूँ यूसुफ़ … यह बानो तेरी आशिक है … ।”

“चल झूठे … ये झूठ कह रहा है यूसुफ़ !” मैंने अपनी सफ़ाई दी।

“तो लग जाओ … मैं अभी आया … !” वो खिलखिला कर हंसा और पीछे मुड़ कर चला गया। उसे मौके की नजाकत पता थी, कि दो जवान जिस्म मिलने को बेताब है और मुझे तो अब्दुल जानता ही था, यूसुफ़ ना भी करे तो मैं उसे छोड़ने वाली नहीं थी।

“यूसुफ़ … बुरा मत मानना … ये तो मजाक करता है !”

“उसने मुझे सब बता दिया है … बानो, अब शरमाने से क्या फ़ायदा !” यूसुफ़ ने साफ़ की कह दिया।

मुझे लगा कि ये तो काम बन गया अब तो चुदने की ही बारी है …

“यूसुफ़, क्या कहा उसने … ?” मैंने शरमाते हुए पूछा।

“यही कि आप हमें एक चुम्मा देंगी … ” उसने मेरी बांह पकड़ ली … ” देखो मस्त चुम्मा देना !” और उसने मुझे खुद से सटा लिया। मैंने अपने होंठ उसकी तरफ़ बढ़ा दिये। पर ये क्या?? मैं क्या चुम्मा देती, उसने तो खुद ही चूमना चालू कर दिया। मैं कुछ कहती उसके पहले उसका हाथ मेरे चूंचो पर आ गये और उन्हें मसल दिये।

हाय रे … मेरी दिल की इच्छा तो अपने आप ही पूरी होने लगी। मैं कब से यूसुफ़ से चुदाना चाह रही थी …

अब्दुल ने तो मेरा काम पूरा कर दिया था। उसका लण्ड भी फूलने लगा था। मेरी चूत भी पनिया गई थी। मेरे पोन्द दबने के लिये मचल उठे। मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। उसका हाथ अब मेरी चूत पर आ गया, मेरी चूत दबाने लगा। मैं मस्ती में डूबने लगी। मैंने अपने पांव और खोल दिये। चूत में भी मीठी मीठी लहर उठने लगी थी। मैंने अपनी चूत को उसके हाथ पर और दबाव डाल दिया। मेरा पजामा गीला हो उठा।

“भेन की लौड़ी, भाग … अब्बू बुला रहा है तुझे, बानो, बाद में चुदवा लेना !”

अब्दुल ने बाहर से आवाज लगाई। मैं हड़बड़ा गई। मेरी सारी हवस हवा में उड़ गई। सारा नशा काफ़ूर हो गया। अब्बू को अभी ही बुलाना था …

“यूसुफ़, रात को यहीं रहना, सब के सोने के बाद आ जाउंगी !”

यूसुफ़ मुस्कुरा उठा।

मैं लपक के दीवार फ़ान्द कर अपने घर में आ गई और नीचे उतरने लगी।

“कहां मर गई थी, भेन-चोदों को आवाज देते रहो, कोई सुनता ही नहीं !” अब्बू गुस्सा हो रहे थे।

रात गहरा गई। सब लोग सो चुके थे। मैंने इधर उधर झान्क कर देखा और दबे पांव सीढियों को पार कर गई। छत पर कोई नहीं था। मैं धीरे से दीवार कूद कर अब्दुल के घर में आ गई। सोचा, चलो अब्दुल से ही चुदा लूं। अब्दुल दूसरी छत पर सोता था।

मैं दूसरी छत पर गई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब्दुल और यूसुफ़ दोनों ही बिस्तर पर थे। अब्दुल नंगा था और यूसुफ़ ने अपना लण्ड अब्दुल की गाण्ड में घुसा रखा था, और मस्ती कर रहे थे।

“करते रहो … मुझे देखने दो … मजा आ रहा है !” मुझे उनकी मस्त गाण्ड चुदाई देख कर मजा आने लगा था। मेरी गाण्ड में भी तरावट आने लगी थी।

“यूसुफ़ चोद यार … साली मेरी गाण्ड की मां चोद दे, लगा लौडा … !”

“यूसुफ़ कैसा लग रहा है गाण्ड मारते हुए?” मैंने पूछा, मेरा जी गाण्ड चुदाई के लिये मचलने लगा था ।

“साले की गाण्ड है या मक्खन मलाई … क्या लन्ड चलता है !” यूसुफ़ कराहते हुये बोला।

“लगा ना, जोर लगा, मेरी गाण्ड में लण्ड का बहुत मजा आरहा है।” अब्दुल गाण्ड मराने के मजे ले रहा था। मुझे भी लगा कि यूसुफ़ मेरी गाण्ड भी ऐसे ही चोद दे …

“यूसुफ़ … मेरी गान्ड भी चोद दे ना … अब्दुल को देख कर मेरी गान्ड भी मचलने लगी है” मुझ से रहा नहीं गया तो बोल पड़ी।

“आजा बानो, तू क्यो पीछे रहे … तेरी भी बजा देता हूं ” यूसुफ़ तो जैसे तैयार ही था।

“सच में … ” मैंने तुरन्त अपना पजामा उतार दिया और कमीज़ ऊपर करके उल्टी लेट गई। यूसुफ़ तुरन्त मेरी पीठ पर चढ़ गया और मेरी पोन्द खोल दी। अन्दर का गुलाब खिल उठा। उसका सूजा हुआ मोटा सुपाड़ा मेरी गाण्ड के गुलाब पर रगड़ मारने लगा और कुछ ही क्षणों में मेरी चिकनी गान्ड के छेद में समा गया। मेरा मन खुश हो गया। उसका लण्ड बड़ा और भारी था। उसका बाहर आना और अन्दर जाना ही मुझे मस्त किये दे रहा था।

“भोसड़ी के, मेरी गाण्ड तो मार पहले … लौंडिया देखी और पलट गया हरामी ?” अब्दुल निराश सा हो गया था।

“क्यूँ नाराज हो रहा है … पीछे आ जा … मेरी मार ले ना … ये भी तेरी जैसी ही चिकनी है, तीनो मजा लेंगे !” अब्दुल को यह ठीक लगा। अब्दुल पीछे आ कर यूसुफ़ की पोन्द पर लण्ड रगड़ने लगा और … और … यूसुफ़ कराह उठा … “मार दी रे मेरी … मादर चोद धीरे कर … !”

“यूसुफ़ … मेरी तो मार ना … मेरी पोंद तो फ़ुलफ़ुला रही है !” वो दोनों ही अपने आप को एडजस्ट करने में लगे थे, मैंने अपने पांव और खोल दिये। अब स्थिति यह थी कि यूसुफ़ मेरी गाण्ड चोद रहा था और अब्दुल यूसुफ़ की गाण्ड मार रहा था। यूसुफ़ मेरे चूंचे मसल रहा था।

मेरा जिस्म वासना की मीठी मीठी जलन से सुलग उठा था। पर मैं हिल नहीं सकती थी, दोनों तरफ़ से मस्त धक्के चल रहे थे। मेरी चूत से पानी टपकने लगा था। गाण्ड तो चुद ही रही थी, पर अब चूत भी मचलने लगी थी। मुझे अब लगने लगा था कि अब मेरी चुदाई भी हो जाये तो स्वर्ग में पंहुच जाऊँ।

पर ये क्या … जैसे मेरी यूसुफ़ ने सुन ली।

“अब्दुल … चल हट … भेन चोद … इस रंडी की चूत का भी मजा लेने दे … खड़े हो कर चोदेंगे यार !”

हम तीनों ही खड़े हो गये। अब्दुल ने मेरी टांग उठाई और मेरी गाण्ड में लण्ड घुसेड़ दिया … और सामने से यूसुफ़ ने बड़े प्यार से अपना लम्बा लण्ड चूत में पेल दिया। मेरे मुँह से आह निकल पड़ी … मेरी चूत में और गाण्ड में दो दो लण्ड फ़ंस चुके थे। लण्डों का भारीपन मुझे बडा मजा दे रहा था। एक ही साथ दोनों छेदो में लौड़े घुसे हुए थे … कैसा सुहाना एहसास था।

“यूसुफ़ … अब मजा आया भेनचोद … दो दो लण्ड फ़ंसा कर … चोद मादरचोद, जोर लगा, याद करेगा कि बानो की मारी थी !” मैंने मस्ती में उन्हे बढावा दिया।

अब्दुल में मेरे चूंचे पकड कर मसलने लगा और यूसुफ़ ने मेरे होंठ अपने होंठ में दबा लिया। दोनों प्यार से मुझे चोद रहे थे। लण्ड फ़चाफ़च चूत में चल रहा था। अब्दुल के लण्ड से थोड़ी थोड़ी चिकनाई छूट रही थी जो मेरी गान्ड में लगती जा रही थी। गाण्ड के छेद में लण्ड का मोटापन महसूस हो रहा था। दोनों मुझे मस्त किये दे रहे थे।

“तेरी तो, छिनाल !… क्या चूत है … फाड़ दूँ तेरे भोसड़े को … !” यूसुफ़ ने मेरी चूत की तारीफ़ की।

” यूसुफ़ भाई … गाण्ड में लण्ड चला कर तो देख … बानो की चूत जैसी नरम है।” अब्दुल ने भी मेरी तारीफ़ की ।

“हाय रे … लड़की की गाण्ड है नरम तो होगी ही …

मादरचोदो ! चोद डालो ना मेरी इस भोसड़ी को … पानी निकाल दो इस हरामजादी चूत का !” मैं अपनी कमर को एक मंजी हुई चुद्दक्कड़ की तरह हौले हौले हिला हिला कर दोनों लण्ड का मजा ले रही थी।

अचानक अब्दुल ने पीछे से मेरी कमर खींच ली और अपना लौड़ा पूरा पेल दिया। मेरी गाण्ड में जलन सी हुई, थोड़ा सा दर्द हुआ … अब्दुल के लण्ड ने अपना वीर्य मेरी गाण्ड में छोड़ दिया, वो झड़ चुका था। मेरे चूंचे भी उसने साथ ही छोड़ दिये। तभी मेरे शरीर में मीठापन भरने लगने लगा।

अब मेरी बारी थी झड़ने की।

“यूसुफ़ … भेन-चोद … मै मर गई !… चोद ओर जोर से चोद …! मादरचोद ठोक दे चूत को …! आह्ह्ह् … आह्ह्ह्ह् … ईईईई … चल रे … चला लौड़ा … मर गई … साले हारमजादे … पकड़ ले मुझे … मेरा निकला !” तभी यूसुफ़ ने जोर से मुझे भींच लिया

“मार दिया रे छिनाल तूने मुझे … ! निकला मेरा भी रे … ” और मेरी चूत में लण्ड जोर से गड़ा दिया।

मैं सीमा तोड़ कर उससे लिपट गई। … दोनों ही झड़ रहे थे। उसका वीर्य मेरी चूत में भर कर कर नीचे टपकने लगा। ग़ाण्ड से भी वीर्य की बरसात हो रही थी। मुझे वहीं बिस्तर पर उन्होनें लेटा दिया। मैं खड़े खड़े थक गई थी। मेरी सांस धीरे धीरे अब काबू में आने लगी थी। दोनों ही मेरे चूंचो से और पोन्द से खेल रहे थे। कभी चूत की दरार पर हाथ फ़ेर रहे थे और कभी गाण्ड की दरार पर।

यूसुफ़ से चुद कर मेरी सन्तुष्टि हो चुकी थी। मेरा काम हो गया था। मैंने उठ कर अपने कपड़े पहने।

“बानो ! एक बार और चुदवा जा … मेरा लन्ड शान्त हो जायेगा !” यूसुफ़ ने विनती की …

पर यहाँ मैं तो मजा ले चुकी थी …

“दोस्तो अब अपनी मां चुदाओ … घर जा कर अपनी बहन को चोद ! मारो ना गाण्ड यूसुफ़ की अब … मै तो चली … !” मैंने अपने दोनों पोन्द मटकाये और हंसते हुये कल का वादा कर लिया।

मैं चुपचाप दीवार कूद कर नीचे आ गई। बिना किसी आहट के मैं दबे पांव अपने कमरे में आ गई। अन्धेरे में बिस्तर में घुस कर रजाई खींच ली।

मैं अचानक छटपटा उठी। मेरे मौसा जी पहले ही मेरे बिस्तर पर मेरा इन्तज़ार कर रहे थे। मौसा जी ने मुझे कमर से जकड़ लिया था।

“मेरे से भी तो चुदा ले रांड … ये देख मेर लौड़ा तेरे भोसड़े में जाने के लिये तैयार है !” वो फ़ुसफ़ुसा कर बोले।

“मौसा ! …साले ! तेरी मां की चूत ! … छोड़ मुझे !… तेरी मां चोद दूंगी ! साले … हरामी ! बहन के लौड़े !” हमारे घर में गाली दे कर बात करना तो आम बात थी।

मौसा जी के बलिष्ठ जिस्म ने मुझे जकड़ लिया था और एक हाथ से उनका कमाल देखने लायक था। मेरा कुर्ता उपर उठ चुका था और नाड़ा खिंच चुका था। उनके हाथ मेरे बोबे पर कस चुके थे। मैं तड़पती रह गई।

मेरा पजामा नीचे आ चुका था। मौसा जी ताकतवर थे, मैं कुछ ना कर कर पाई। मौसा का लण्ड बहुत ही मोटा लगा।

स्पर्श पाते ही, मन ही तो है … ललचा गया।

उनका लण्ड मेरी चूत लगते ही मेरे पांव अपने आप उठने लगे। लण्ड चूत में समाने लगा। मौसा जी से छूटना मुश्किल था। अब लण्ड का साईज़ महसूस करके छूटना किसको था। लौड़ा आधा तो घुस ही चुका था, ऐसा मस्त मोटा लण्ड का चूत में घुसना … मेरा मन उन पर आ गया।

मैंने अपनी चूत ढीली छोड़ दी और लण्ड को सीधा ही अन्दर घुसने दिया। लण्ड चूत की खाई में पूरा ही कूद चुका था। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी … नरम मोटा सुपाड़ा गद्दीदार था, सुहाना मजा दे रहा था।

“मौसाजी … आप बडे वो हैं … इतना मोटा लण्ड … हाय रे … फ़ाड डालोगे क्या ?”

“चुप धीरे धीरे चोदूंगा … शोर मत मचाना … वर्ना एक हाथ पड़ जायेगा … भोसड़ी की !!”

यहाँ तो मजा आ रहा था इतने मोटे लण्ड का। … मौसा जी की धमकी कोई मायने नहीं रखती थी, लौड़ा तो वो पेल ही चुके थे। मेरी चूत की दीवारें भारी लण्ड से रगड़ खा रही थी। चूत मस्ता उठी, पानी से गीली हो गई।

“मौसा जी, मुझे पहले चोदना था ना, मैं तो आपको मौसी को चोदते हुये रोज़ देखती हूँ … आज तो मेरा नम्बर भी आ ही गया !“

“तो इशारा क्यों नहीं किया छिनाल … लौड़ा तो होता ही चूत के लिये है …! ”

मौसा का लौड़ा मस्त मुस्टन्डा था। खूब कसता हुआ अन्दर आ जा रहा था। मेरी तो मन की चुदाई आज हो रही थी। चूत में थोड़ा दर्द भी हुआ पर मस्ती के आगे वो कुछ नहीं था। मौसा ने मेरी सहमति पा कर जोर जोर से चोदना चालू कर दिया। चुदते चुदते इस दौरान मैं दो बार झड़ गई, पर मोटे लण्ड से बार बार चुदने की चाह होने लगी थी।

तभी मौसा ने लण्ड ने ढेर सारा वीर्य उगल दिया। मेरा सारा बिस्तर गीला कर दिया। कभी कभी कोई दिन ऐसा भी आता था कि जब ज्यादा बार चुद जाती थी और काफ़ी बार झड़ भी जाती थी, तब मैं थक कर चूर हो जाती थी। आज भी मैं चुदने के बाद थकान के मारे जाने कब सो गई।

सुबह मौसा जी आये और मुझे जगा दिया,”कपड़े तो पहन ले … ।”

और फिर वो मुस्कराते हुए चले गये।

मुझे घर में ही एक सोलिड मोटा मस्त लण्ड मिल चुका था … आज से अब मुझे मस्त चुदने का मौका मिलेगा ये सोच कर मैं खुश हो उठी … ।

साला मौसा हारामी … अपनी ही बेटी समान को चोद कर मस्त कर गया। Indian Sex Stories

Antarvasna

मैं एक बार फिर आप लोगों को मेरी Antarvasna ज़िन्दगी में हुई असली और सच्ची सेक्स कथा लिखने जा रहा हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं कोलकाता में एक आर्ट कॉलेज में पढ़ता था। मेरे साथ संपा दीदी पढ़ती थी जो मुझसे एक साल सीनियर थी।

अंडमान आइलैंड से हम दोनों ही थे हमारे कॉलेज में, इस लिए संपा दीदी मुझे अपनी भाई की तरह मानती थी। गर्मियों की छुट्टी शुरू होने वाली थी तो दीदी ने कहा- संजय चलो इस बार हम दोनों शिप (जहाज) से अंडमान जायेंगे!

मैंने कहा- ठीक है दीदी, मैं टिकेट ले लूँगा।
और फिर हम लोग निर्धारित दिन में जहाज में चढ़ गए।

कोलकाता से अंडमान आने के लिए 4 दिन लगते है। मैंने एक ही केबिन के टिकेट लिए थे। जहाज में चढ़ कर हमने खिड़की में से देखा कि शाम को 5.00 बजे जहाज बन्दर से छूटा और फिर धीरे धीरे कोलकाता का खिदिरपुर डॉक हमसे दूर होता जा रहा था। शाम के वक्त लाइट बहुत सुंदर दिख रही थी।

तभी दीदी ने कहा- भाई देखो कितनी सुंदर दृश्य नज़र आ रहा है, इस सीन का लैंड स्केप बना सकते है।

मैंने भी हाँ में हामी भरी। वक्त कटता गया, शाम के 7.00 बजे डिनर होता है जहाज में, इसलिए हम 7.30 तक डिनर खाकर अपने केबिन में आ गए। दीदी ने कहा- संजय! इस केबिन में तो चार सीट हैं फिर हम दोनों के अलावा और किसी को इस केबिन का टिकेट नहीं मिला क्या?

मैंने कहा- दीदी शायद जहाज खाली जा रहा है, इसलिए जहाज में लोग भी कम नज़र आ रहे हैं।

थोड़ी देर की खामोशी के बाद दीदी बोली- भाई इतनी जल्दी तो नींद नहीं आने वाली! चलो कपड़े बदल लेते हैं और फिर हम एक दूसरे के स्केच बनाते हैं। मैंने भी हाँ कहा और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक नेक्कर और बनियान पहनकर बेड में बैठ गया।

दीदी ने कहा- दरवाजा बंद कर दो।

और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन कर बाहर आई। मैं देखता रह गया कि दीदी कितनी सुंदर लग रही हैं, इससे पहले दीदी को कभी इन कपड़ो में नहीं देखा था।

दीदी को पता चला तो बोली- संजय! क्या देख रहे हो? तुमको ठीक से मेरी फिगर दिखाई दे इसलिए ही इन कपड़ो को पहना है ताकि तुमको मेरी स्केच बनने कोई परेशानी न हो!

फिर हम दोनों एक दूसरे के स्केच बनाने लगे। मेरी नज़र तो बार बार संपा दीदी की छाती पर जाकर रुक जाती थी और मेरे लिए अपने लण्ड को हाफ पैन्ट में छुपाना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि दीदी की उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी थी। दीदी को शायद पता चला या नहीं अचानक दीदी ने कहा- भाई क्या हुआ तुमको? क्या देख रहे हो? क्या कुछ दिक्कत हो रही है स्केच बनाने में या ठीक से दिख नहीं रही है मेरी फिगर? चलो तुम्हारे लिए और थोड़ी एडजस्ट कर लेती हूँ, लकिन तुम भी अपना बनियान उतार कर बैठो, और फिर दीदी ने अपने स्कर्ट और टाप उतार दी।मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी। पर मैं चुपचाप से दीदी की ब्रा में बंद उनके बड़े बड़े बूब्स को ही देख रहा था।

तभी दीदी ने कहा- क्या हुआ संजय? जल्दी से अपनी बनियान उतार दो, मुझे भी तो तुम्हारा स्केच बनाने है। और इस तरह क्या देख रहे हो? ठीक से स्केच बनाओ!

मैंने धीरे से अपने बनियान उतार दिया और फिर स्केच बनने लगा, पर मेरा लण्ड को हाफ-पैन्ट में छुप नहीं पा रहा था और मैं इधर उधर देखने लगा। शायद दीदी को मेरा लण्ड हाफ-पैन्ट में खड़ा होता दिख गया।

दीदी ने कहा- संजय! क्या हुआ? कभी इस तरह किसी लड़की को नहीं देखा क्या? तुम्हारी नियत तो ठीक है न?

मेरा झूठ पकड़ में आ रहा था मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।

‘क्या बात है… तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है…?’

मेरी नजरों के सामने दीदी की ब्रा में उभरी हुयी चुंचियाँ के भीतर से झाँकने लगी। मेरी नजरें उनके स्तनों पर गड़ गयी। दीदी ने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा… और मुझे गर्माते देख कर सीधे चोट की…’संजय… मेरी छाती में क्या देख रहे हो…झांक कर?’

‘हाँ… नही… क्या…?’ मैं बुरी तरह झेंप गया।

‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ मैं एकदम से शरमा गया।

‘दीदी… वो… नही… सो…सॉरी…’

‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’

‘दीदी… अच्छी लग रही है देखने में…सॉरी कहा न ‘

मैं ‘हाँ… नही… क्या…?’ मैं बुरी तरह झेंप गया।

‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ मैं एकदम से शरमा गया।

‘दीदी… वो…नही…सो… सॉरी…’

‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’

‘दीदी… अच्छी लग रही थी… सॉरी कहा न ‘

दीदी मेरे पाइंट पर से लण्ड के उभार को देख रही थी। मैंने ऊपर हाथ रख लिया।
‘नहीं देखो… इधर.. ‘ मैं शरमा गया। दीदी मुस्कुरा उठी।

‘तो कान पकड़ो…’

मैंने अपने कान पकड़ लिए… ‘बस…ना…’

हाथ हटाने पर लण्ड का उभार फिर से दिखने लगा। वो हंस पड़ी।

‘नहीं देखो… इधर.. ‘ मैं शरमा गया। वो मुस्कुरा उठी।

अब मुझे समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। मेरा लण्ड का पूरा आकार तक दिखने लगा था। मैं उठ कर दीदी के पास आ गया। मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा-‘दीदी…तुम्हारे भी तो उभार हैं… एक बार दिखा दो…न…प्लीज़!’

मैंने दीदी की पूरे बदन को देखा और फिर अचानक ही… दीदी को बिस्तर पर चित लिटा दिया और उनकी पीठ पर सवार हो गया. वो कुछ कर पाती, उनके पहले मैंने उसको जकड़ लिया. मेरे लण्ड का जोर उनके चूतड़ों पर महसूस होने लगा था।

दीदी हलके से चीखी ‘संजू… ये क्या कर रहे हो…?’
‘दीदी… मुझसे अब नहीं रहा जाता है…!’

मैंने तुंरत ही उनके होंट पर अपने होंट रख दिए। मुझे लगा कि शायद दीदी को मजा आने लगा था।

मैंने उनके भारी स्तनों को पकड़ लिया और स्तनों को मसलना चालू कर दिया। वो सिमटी जा रही थी। पर मैंने हाथों से उनके उभारों को मसलना जारी रखा। वो अपने को बचाती भी रही…पर मुझे रोका भी नहीं। जब मैंने उनके उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब उसने मुझे पीछे की ओर धक्का दे दिया और कहा -‘बहुत बेशरम हो गए हो…’

उनके हाथ से पेंसिल नीचे गिर गयी। वो जैसे ही उठ कर पेंसिल उठाने को झुकी, मैंने फिर से उनके स्तनों पर कब्जा कर लिया।

‘क्या हुआ… अब बस करो…छोड़ दो न… ये मत करो… संजू…हटो न ..?’
‘ अरे… हट जा न… हटो संजय…’
मना मत करो दीदी!’
‘देखो मैं चिल्ला पडूँगी ..’
‘नहीं नहीं…ऐसा मत करना… दीदी… प्लीज़ एक बार देखने दो न…!’

मैंने दीदी के नरम नरम गोल चूतड़ों को हाथ से सहला दिया। गोलाइयाँ सहलाते हुए अपना हाथ दोनों फाकों की दरार में घुसा दिया और फिर अपनी ऊँगली घुसा कर उनकी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। दीदी वैसे ही झुकी रही। अब मेरे हाथ उनकी चूत की तरफ़ बढ गए।

वो सिहर उठी। जैसे ही उनकी चूत पैन्टी के ऊपर से दबी… चूत का गीलापन मेरे हाथ में लग गया। अब मैंने उनकी चूत को भींच दिया पर जल्दी से हाथ हटा दिया। और दीदी सीधी खड़ी हो गयी।

मैं मुस्कुराया ‘दीदी .. मज़ा आ गया… तुम्हें कैसा लगा…?’
‘अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो… स्केच नहीं बनाने क्या…?’ दीदी भी मुस्कुरा कर कहा।

मैंने कहा- नहीं दीदी प्लीज़ मुझे अभी कुछ और करना है… और मैंने दीदी को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और उनकी पीठ के ऊपर फिर से बैठ गया और मैंने अपना नेक्कर उतार दिया और दीदी की पैन्टी भी उतार दी।

अब मैं और दीदी नीचे से नंगे हो गए थे। मैंने फिर अपने लण्ड को उनके चूतड़ों पर दबाया, दीदी ने भी चूतड़ों को ढीला छोड़ दिया…और मेरा लण्ड उनकी गांड के छेद से टकरा गया।

दीदी ने फिर कहा-‘ अब बस करो…छोड़ दो न… ये मत करो… संजू…हटो न…’
‘आह संजू… मत करो…न… देखो तुमने…क्या किया?’
‘दीदी ..कुछ मत बोलो…आज मैं तुम्हे छोड़ने वाला नहीं… मेरी अपनी इच्छा जरूर पूरी करूँगा!’

मुझे तो आनंद आ रहा था… मैंने अपने लण्ड को दीदी की गांड के छेद से रगड़ना शुरू किया, दीदी चुप रही।

फिर अचानक मैंने दीदी को सीधा कर दिया… और अपना लण्ड उनको दिखाया…’देखो न दीदी… अपनी गांड से इसका क्या हाल किया है तुमने…’

उसने कहा ..’देख संजय…मैं हाथ जोड़ती हूँ… मुझे छोड़ दे अब… प्लीज़ ..’

‘ दीदी…सॉरी… ये मेरे बस में नहीं है अब… मैं अब पूरा ही मजा लूँगा… तुमने मुझे बहुत तड़पाया है ..’

मैंने उनकी ब्रा के हुक खोल दिए, उनके बूब्स को देख कर मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगा तब सबसे पहले मैंने उनके निप्पल को चूपा। उनके निप्पल भी बड़े सख्त हो रखे थे और मुझे भी उन्हें चूपने का बड़ा मज़ा आ रहा था।

फिर मैं उनके बूब्स को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा मेरे इस तरह करने से वो और ज़्यादा तड़पने लगी। तब मैंने उनकी चूत को देखा, उसकी चूत पर बाल नहीं थे और उनकी चूत बहुत मस्त लग रही थी। उनकी चूत को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उनकी चूत को चाटने लगा। दीदी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी- आ आ आ आ ओ ऊ ऊ ओ ओ करने लगी
थोड़ी देर तक उनकी चूत चाटने के बाद मैंने देखा कि वो बहुत गरम हो चुकी थी लेकिन मैं उसको और गरम करना चाहता था इसलिए अब मैं अपने लण्ड को उनके पूरे बदन पर घुमाने लगा, पहले उनके चेहरे पर अपने लण्ड को लगाया फिर उनकी गर्दन पर, फिर उनके बूब्स पर, उनके निप्पल पर, उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह मैं अपने लण्ड को लगा रहा था। मेरे लण्ड से जो पानी निकल रहा था वो भी उनके पूरे बदन पर लग रहा था जिससे वो और ज़्यादा गरम हो रही थी। मैंने अपने लण्ड को उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह दबा दिया वो भी मेरे लण्ड को अपने बूब्स में रख कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी।

8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड देखते ही उनके होश उड़ गए और वो कहने लगी कि नहीं संजू प्लीज़ मेरे साथ वो मत करना मुझे बहुत दर्द होगा। मैंने कहा- डरो मत दीदी मैं बिल्कुल दर्द नहीं करूँगा।

मगर वो मान ही नहीं रही थी।

तो मैंने उसको कहा कि क्या तुम मेरे इस हथियार को अपने मुंह में ले सकती हो?

उसने पहले तो मना किया पर फ़िर मेरे बार बार प्लीज़ कहने पर वो मान गई। अब वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं मानो जन्नत में था। उससे खूबसूरत लड़की को मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था और वो मेरा लण्ड चूस रही थी।

थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। फिर क्या था मैंने अपना सारा माल दीदी की मुँह में ही डाल दिया। दीदी को शायद ख़राब लगा और उन्हें उलटी आने लगी।

मैं जल्दी से उनकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैंने धीरे से अपने होंठ उनकी चूत पर रख दिये। वो तिलमिला उठी मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के होठों पर रख दी। वो सिसक पड़ी। होले होले मैं उनकी चूत की पूरी दरार चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी, तड़फ़ने लगी। मैंने अपनी जीभ की नोक उनकी चूत के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मैं जोर जोर से चूत रगड़ने लगा। उनकी सिसकियाँ बढ़ने लगी। अब वो सारे बहाने छोड़ कर दोनों हाथो से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। तभी वो काँपने लगी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी पी गया।

मैंने देखा कि वो हाँफ रही है ओर मेरी तरफ़ देख रही है, मैंने उनके कान के पास जाकर फुसफुसा के कहा- दीदी अब बोलो तुम्हे कैसा लगा?

दीदी ने आँख खोली और गहरी साँस ली। मैं उनके ऊपर से नीचे आ गया, दीदी तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी। अब दीदी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गई और मुस्कराया…उसने मुझे चूमना चालू कर दिया। एक हाथ नीचे ला कर मेरा मुरझाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी…

लण्ड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. दीदी अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। कुछ ही देर में मेरा लण्ड चोदने के लिए तैयार था। दीदी मेरे ऊपर लेट गयी, अपनी दोनों टांगे फैला दी, लण्ड का स्पर्श चूत के आस पास लग रहा था। मैंने उनके होंट अपने होटों में दबा लिए। हम दोनों अपने आप को हिला कर लण्ड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे। उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ लिया। मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी।

अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी। मेरा लण्ड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया। मैंने बाजी पलटी और दीदी को नीचे लिटा दिया और कहा- दीदी एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा।

वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लण्ड और उनकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया।

उसे बहुत दर्द हो रहा था और मेर लण्ड उनकी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया। उनके मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी…’संजू… अ आह हह हह हह… सी ई स स स ई एई…!’

एक धक्का मारा मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया।
वोह चिल्लाई- आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह… संजू… धीरे!

उनके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लण्ड उनकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उनके आँखों से आंसू निकल आए थे। मैंने उनके गालो को चूम कर पूछा- ज्यादा दर्द हो रहा है..?’

उसने जवाब दिया ‘इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है!’

मैं उनके इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही..

अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था।

वो मुझ में लिपटी हुई थी…और मैं उसे चूम रहा था…वो मेरे नीचे थी और अपने पैरों को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मानो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी… पूरे केबिन में मादक माहौल था… हमारी सिसकारियाँ ज़हाज के इस केबिन में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो…

वो जलजला जल्द ही आया जब मैं अपने कमर की हरकतों की वजह से चरम सीमा पे पहुँचने वाला था .. उधर दीदी भी मुझे बोल रही थी…’.. संजू प्लीज और जोर से..और जोर से…मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है ‘… मैं समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है…इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी। देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लण्ड बाहर निकला और मानो मेरे लण्ड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मैं वापस उनके बाँहों में निढाल हो गया ..

बहुत देर बाद जब मैं उठा और देखा कि संपा दीदी की जांघों पर खून गिरा है तब मैं समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ दीदी के बारे में सोचने लगा कि .. ऐसी लड़की नहीं थी कि किसी को भी अपना शरीर सौंप दे .. इतने दिनों से अकेले कोलकाता में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी…

मैंने पास में पड़े तौलिए को उठाया और उनके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा। जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा।

दीदी ने मुझ से पूछा कि’… तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..?’

मैंने उनके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी योनि-लबों को चूम कर के बोला… ‘ दीदी सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नहीं देखी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा…!’

और हम दोनों हंस पड़े..

उस दिन से अगले 4 दिन तक आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी.. जब तक हम अंडमान नहीं पहुँचे।

दोस्तों आप लोगो को मेरी कहानी कैसी लगी अपनी राय मुझे जरूर भेजे। Antarvasna

(Suhagrat: kaise Kya karen, Kya Na Karen)-Antarvasna sex stories

सुहागरात स्त्री-पुरुष के Antarvasna जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। यह वह रात है जब कोई अपने वैवाहिक जीवन की सुन्दर इमारत खड़ी कर सकता है या अपनी नादानी से वैवाहिक जीवन को सदा के लिए नष्ट कर सकता है। यह बात उस स्थिति में पूरी तरह से सही बैठती है, जहाँ पर स्त्री को सम्भोग क्रिया के बारे में बिल्कुल अनुभव नहीं होता है।

बहुत से वृद्ध व्यक्तियों के भी दिल में एक मीठी गुदगुदी होने लगती है और पुरानी यादें एकदम से ताजी हो जाती हैं। मन में एक रोमांच सा लगने लगता है।

सेक्स से सम्बन्धित किताबों को कोई भी पुरुष या स्त्री पढ़़ते हैं तो उनका भी शरीर गुदगुदाने लगता है। कुछ युवक तो ऐसे होते हैं जिनको किताब पढ़़ने के बाद मन में यह ख्याल आता है कि सुहागरात क्या होता है? इस दिन क्या करना चाहिए? कैसे करना चाहिए? ऐसी किताबें पढ़़ने से शरीर में कामवासना की उत्तेजना भी बढ़ने लगती है। इस प्रकार की किताबें पढ़़कर स्त्री-पुरुष के मन में भविष्य के रंगीन सपने आने लगते हैं, इन सपनों में सुहागरात का भी सपना जुड़ा होता है।

विवाह के बाद जब दुल्हन को अपने घर लाते हैं तो वह उस समय अपने घर परिवार को छोड़कर आती है और पति के घर पर उसके लिए सभी व्यक्ति अपरिचित होते हैं इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि वह पहली रात पति के अलावा किसी को भी ठीक तरह से नहीं समझ पाती।

लेकिन यह भी सच है कि उस रात पति-पत्नी भी एक-दूसरे के लिए अपरिचित ही होते हैं फिर भी दुल्हन पति को इसलिए अपना समझती है क्योंकि उसके संग उसका विवाह हुआ है। जब उन्हें पहली बार एक दूसरे के करीब आने का मौका मिलता है तो वे एक-दूसरे को न केवल समझ परख लेते हैं बल्कि एक-दूसरे के प्रति मन से समर्पित भी हो जाते हैं।

हमारे देश में दुल्हा-दुल्हन की पहली रात के मिलन को अधिकतर एकांत में करवाया जाता है, इसको ही सुहागरात कहते हैं।

पति-पत्नी की यह पहली रात उनके वैवाहित जीवन के भविष्य का निर्णय कर देता है। सुहागरात में पति-पत्नी का यह पहला मिलन उतना शारीरिक न होकर मानसिक और आत्मिक होता है। इस अवसर पर दो अनजान व्यक्तियों के शरीरों का ही नहीं बल्कि आत्माओं भी मिलन होता है। जो दो आत्माएँ अब तक अलग थीं, इस रात को पहली बार एक हो जाती हैं।

सुहागरात का महत्व
सुहागरात में पुरुष को चाहिए कि वह इस बात को गांठ मार कर गुरुमंत्र की तरह याद रखें कि शादी की रात कभी भी महत्वहीन नहीं होती, छोटी से छोटी बात सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित कर सकती है। शादी की रात को पुरुष किस प्रकार व्यवहार करे, यह अधिकार उसी के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि प्रत्येक दूल्हे-दुल्हन के लिए इस अवसर की परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं।

सुहागरात को लेकर पुरुषों में चिंता, भय और सोच
विवाह के दिन नजदीक आते ही कुछ युवा स्त्री-पुरुष परेशान होने लगते हैं। बहुत से पुरुष तो अपने मन में यह सोचते हैं कि सुहागरात को मैं अपनी पत्नी को संतुष्ट कर पाऊँगा या नहीं? मैं अपनी पत्नी को अच्छा लगूंगा या नहीं? क्या वह मुझे पूरी तरह से अपना पायेगी या नहीं? वे यह भी सोचकर परेशान होते हैं कि यदि मैं सुहागरात को अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाया तो उसे जिंदगी भर पत्नी के ताने सुनने पड़ सकते हैं। यदि इस रात को मेरे लिंग में उत्थान नहीं आया या मैं जल्दी ही स्खलित हो गया तो पत्नी से सिर उठाकर बात नहीं कर पाऊँगा।

वह यह भी सोच-सोचकर भयभीत रहता है कि यदि पत्नी इस कारण से मुझे छोड़कर चली गई तो मैं घर वालों तथा समाज के सामने क्या मुँह दिखाऊँगा। इस प्रकार के लक्षण सिर्फ अनपढ़़ों में ही नहीं, पढ़़े-लिखे पुरुषों में भी दिखाई देते हैं। इस रात को लेकर केवल पुरुष ही नहीं परेशान रहते बल्कि स्त्री भी इससे भयभीत रहती है।

सुहागरात से पहले पुरुषों के मन में भी कई प्रकार की बातें चलती रहती हैं लेकिन उसके मन में स्त्री की अपेक्षा कुछ कम संकोच तथा भावनाएँ होती हैं क्योंकि उसके लिए सभी परिवार वाले जाने पहचाने होते हैं जबकि स्त्री सभी से अनजान होती है।

बहुत से पुरुष तो यह भी सोचते हैं कि हमारे द्वारा की गई सेक्स क्रिया से हमें शारीरिक संतुष्टि तो हो जाती है, इसलिए स्त्री को भी अवश्य ही संतुष्टि मिल जाती होगी। मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि इस प्रकार के विचार बिल्कुल गलत होते हैं, क्योंकि बहुत से पुरुष सेक्स के मामले में अज्ञानी होते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे इस रात को अपनी पत्नी को सम्भोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं कर पाते हैं। जब स्त्री में स्वयं को आनन्द देने वाला उन्माद नहीं उत्पन्न होता तब तक वह सेक्स के लिए तैयार नहीं हो सकती। उसमें सेक्स उत्तेजना जगाने के लिए पुरुष फॉर प्ले की क्रिया उसके साथ कर सकता है।

बहुत से पुरुष तो यह सोचते हैं कि यदि स्त्री सेक्स की दृष्टि से ठंडी तथा स्वभाव से ही उत्साहहीन है अथवा उसमें पुरुष के प्रति प्रेम का अभाव है तो वह उसमें उत्तेजना उत्पन्न नहीं हो सकती है। कुछ मूर्ख पति तो यह भी कल्पना कर लेते हैं कि विवाह से पहले इसका किसी के साथ सम्बन्ध बन चुका है तभी यह मुझसे सम्भोग क्रिया ठीक से नहीं कर पा रही है। ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि जब आप ही उन्हें ठीक प्रकार से सेक्स करने के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं तो उसमें उनका क्या दोष।

बहुत से पुरुष अपनी सेक्स अज्ञानता के कारण से सुहागरात में जब वह बलपूर्वक वैवाहिक अधिकार प्राप्त करना चाहता है तो स्त्री उसके इस व्यवहार से मन ही मन दुःखी हो जाती है, बल्कि सम्भोग करते हुए भी सम्भोग का वास्तविक आनन्द नहीं उठा पाती।

सम्भोग क्रिया में स्त्री की दशा, सोच तथा भावना
लोग प्रत्यक्ष रूप से कहें या न कहें लेकिन यह सत्य है कि कम से कम 50 प्रतिशत लड़कियों को शादी से पहले ही सेक्स क्रिया के बारे में पता नहीं रहता है। लेकिन हम आपको यह बताना चाहते हैं कि माना कुछ लड़कियों को सेक्स क्रिया के बारे में अपने सहेलियों से, किताबों से, फिल्मों से तथा कई प्रकार के संचार माध्यमों से इसके बारे में पता अवश्य लग जाता है। लेकिन इसके बारे में उसे पूर्ण रूप से तभी जानकारी मिल पाती है जब वह खुद सेक्स करके देखती है। जब विवाह हो जाने के बाद स्त्री के साथ पति सम्भोग क्रिया करने की कोशिश करता है तभी स्त्री इसके बारे में ठीक प्रकार से जान पाती है कि यह क्या चीज होती है।

जब पति अपनी पत्नी से छेड़छाड़ करता है तो उसे अस्वाभाविक प्रतीत होता है क्योंकि चाहे उसकी कामवासना तेज भी हो जाए तभी वह इस रात को अपनी उत्तेजना को रोकने की पूरी कोशिश करती है, वह सोचती है कि मैं जिसे अब तक सुरक्षित रख पाई हूँ उसे मैं पहली रात ही किसी को कैसे सौंप सकती हूँ। इसलिए वह अपने पति को दो-चार बार मना करती है लेकिन जब पति पूरी कोशिश करता है तो वह उत्तेजित इसलिए हो जाती है कि यह भूख ही ऐसी है जो कुछ देर तो बर्दाश्त किया जा सकता है लेकिन ज्यादा देर तक नहीं।

मैं तो आपको यही बताना चाहूंगा कि सेक्स क्रिया का मजा तो तभी आता है, जब आग दोनों तरफ से लगी हो। यदि स्त्री सेक्स के लिए तैयार न हो तो उसके शरीर के अंदर सेक्स की उत्तेजना भरने की पूरी कोशिश करो और जब वह उत्तेजित हो जाए तभी उसके साथ सेक्स सम्बन्ध बनाएँ। जब आप उसे पूरी तरह से सेक्स के लिए तैयार कर लेंगे तो वह खुद ही अपने जिस्म को आपके हवाले कर देगी कि जो करना है मेरे साथ कर लो, मैं तो आपके लिए ही बनी हूँ।

जब पहली बार सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्त्री की योनि में अपने लिंग को प्रवेश करता है तो उसे कुछ दर्द होता है लेकिन यह दर्द कुछ देर बाद उसी तरह से गायब हो जाता है जिस तरह से फूल को प्राप्त कर लेने पर कांटे का दर्द दूर हो जाता है। इसके बाद वह प्यार के साथ सहवास का सुख प्राप्त करने लगती है।

वैसे देखा जाए तो सुहागरात के दिन स्त्री के मन में भावनाओं का काफी ज्वर उठाता रहता है। वह अपने मन में होश संभालने से लेकर कोमल मृदुल भावनाओं को संजोती रहती है।

सुहागरात में सभी स्त्रियों में लज्जा की भावाना अधिक होती है। जिस कारण सेक्स क्रिया की बात तो दूर की बात है, आलिंगन, चुम्बन तथा स्तन आदि के स्पर्श में भी वह बाधक बनकर खड़ी हो जाती है।

उदाहारण के लिए कुछ स्त्रियाँ तो ऐसी होती हैं कि पति को प्रसन्नता से चुम्बन देती हैं तथा चुम्बन लेती हैं और खुशी से राजी-राजी पुरुष को अपने शरीर का स्पर्श ही नहीं करने देती बल्कि सारे शरीर को टटोलने की अनुमति भी दे देती हैं। कुछ स्त्रियाँ तो यह सोचकर अधिक भयभीत रहती हैं कि उसे अपने पति के सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा। स्त्री को कभी ऐसा नहीं करना चाहिए कि शुरू में ही अपने पति के सामने नंगी हो जाए क्योंकि ऐसा करने से पति के सामने ऐसी स्थिति हो जाएगी कि वह समझेगा कि यह तो बेशर्म औरत है।

कुछ स्त्रियाँ इस बात को भी पसन्द नहीं करती हैं कि पति उसके सामने एकदम से नंगा हो जाए। यदि किसी पुरुष के मन में यह चल रहा हो कि मैं एकदम से नंगा होकर पत्नी के योनि में लिंग डालकर घर्षण करूं तो ऐसा न करें क्योंकि ऐसा करने से हो सकता है कि आपके पत्नी को यह सब बुरा लगे। वह ऐसा इसलिए कर सकती है क्योंकि स्त्री कभी भी एकाएक उत्तेजित नहीं होती, उसे उत्तेजित करना पड़ता है।

बहुत से तो ऐसे भी पुरुष देखे गए हैं जिनको शादी करने से पहले यह भय लगा रहता है कि मैं विधिपूर्वक शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर पाऊँगा या नहीं? देखा जाए तो यह होना स्वाभावविक ही है क्योंकि बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सम्भोग से अद्वितीय और पूर्ण आनन्द प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए।

सुखमय वैवाहिक जीवन धन से, यौनांग की पुष्टता से या स्वास्थ्य से कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह वह अनमोल आनन्द होता है, जो केवल ज्ञान से ही प्राप्त किया जा सकता है।

हिंदुओं में पहले विवाह रात के समय कराया जाता था। अब भी भारत में बहुत जगह पर रात में ही विवाह कराया जाता है जिसके कारण से पति-पत्नी दोनों ही पहली रात को बहुत ज्यादा थक जाते हैं। इसके साथ ही वधू को अपने मां-बाप तथा परिवार वालों से बिछुड़ने का दुःख भी होता है। पति के घर पर उसे सभी लोग अन्जान लगते हैं क्योंकि वह अपना घर छोड़कर एक अजनबी परिवार में आई होती है। इस प्रकार के मानसिक विचारों से केवल ससुराल वाले ही मुक्ति दिला सकते हैं।
इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि मेहमानों की भीड़-भाड़ के कारण अन्य कार्यक्रम चाहे सारी रात चलते रहे, लेकिन परिवार वालों को यह ख्याल रखना चाहिए कि वर-वधू को अधिक से अधिक दस से ग्यारह बजे रात तक एकांत कमरे में भेज देना चाहिए।

परिवार वाले को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस कमरे में वर-वधू की सुहागरात हो, उस कमरे का चुनाव ठीक से करना चाहिए तथा उस कमरे को ठीक प्रकार से साफ-सुथरा रखना चाहिए। उनके कमरे को अधिकतर फूलों तथा रोमांटिक चित्रों से सजाना चाहिए।

सुहागरात के कमरे में अधिक सामान नहीं होना चाहिए। पलंग पर मुलायम बिस्तर बिछा होना चाहिए। उनके बिस्तर का चादर साफ सुथरी, बिना सिलवटों की बिछी हो, कम से कम दो तकिये हों तथा बिस्तर पर ताजे फूल बिखेर देना चाहिए। पलंग के पास ही छोटी टेबल पर ट्रे में मिठाई, इलायची तथा मेवा आदि सजाकर रख दें। इसके अतिरिक्त पानी और गिलास की व्यवस्था भी कर दें। कमरे में तेज रोशनी के साथ ही साथ हल्की रोशनी का प्रबंध करना चाहिए। वर तथा वधू के सभी प्रकार की जरूरत के समान तथा कपड़े उसी कमरे में रख देने चाहिए। यदि विवाह गर्मी के दिनों में हो तो कमरे में हवा तथा रोशनदान की व्यवस्था कर देनी चाहिए।

दुल्हन की सजावट
सुहागरात के कमरे की सजावट के अतिरिक्त दुल्हन तथा दूल्हे का भी इस दिन विशेष श्रृंगार करना चाहिए ताकि उनके मिलन में यौन सम्बन्ध ठीक प्रकार से हो। कभी-कभी तो बहुत से वर-वधू स्वयं की सजावट या तैयारी करने में लज्जा अनुभव करते हैं। हालांकि बाद में यह सम्बन्ध कार्य पति-पत्नी अपने आप करते हैं लेकिन पहली मिलन के रात को इन दोनों को एक तरह से जबर्दस्ती सुहागकक्ष में धकेलना पड़ता है।

इस दिन दिन दुल्हन की ननदों तथा जेठानियों को प्रथम मिलन के लिए सुहागकक्ष में पहुँचाने से पूर्व दुल्हन को स्नान कराएँ। श्रृंगार के बाद वधू को अवसर दें कि वह मेकअप में अपने विचारों के अनुसार थोड़ा बहुत संशोधन कर सके और अपनी सुन्दरता में चार चांद लगाएँ।

वधू को अपने वस्त्र खुद चुनने का मौका दें। आमतौर पर नववधुएँ शादी का जोड़ा पहनना ही अधिक पसन्द करती हैं तथा आवश्यक समझती हैं। उसे अपने मनपसन्द आभूषणों का प्रयोग भी करना चाहिए।

इस दिन पत्नी को चाहिए कि पति का आकर्षण प्राप्त करने के लिए कृत्रिम सुगंध का प्रयोग करें। सौन्दर्य प्रसाधनों के आभूषणों के बाद जो सबसे कीमती वस्तु होती है, वह इत्र है। रुई के छोटे से फोहे को इत्र में जरा सा भिगोकर शरीर के उन अंगों पर अवश्य लगा देना चाहिए, जैसे- जहाँ पति होठों से स्पर्श करता है, दोनों स्तनों का मध्यस्थल, ठोडी, नाभि, हथेलियों के आगे के भाग, गला, गाल, नाक के ऊपर का भाग, कमर तथा योनि के बाहरी भगोष्ठों तथा उसके आस-पास का भाग आदि।

दुल्हन को अपना श्रृंगार करते समय एक बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वह यह है कि अपने भगोष्ठों और उसके आस-पास के बाल तथा बगल के बालों को साफ कर देना चाहिए ताकि पति को कोई भी परेशानी न हो। वैसे तो लड़कियों को चाहिए कि यह काम शादी के एक दो दिन पहले ही मायके में कर लें।

जब वधू का श्रृंगार हो जाए तो उसका सारा सामान सुहागरात के कमरे में रख देना चाहिए और इसके बाद दुल्हन की ननद और जेठानी को नई दुल्हन से मजाक करते हुए उसे सुहागरात के कमरे में ले जाना चाहिए तथा उसे सुहाग की सेज पर बैठा दें और खुद भी तब तक वहाँ पर रुककर बातें करते रहें जब तक वर उस कमरे में न आ जाए।

वर का श्रृंगार
विवाह में दुल्हन का श्रृंगार जिस तरह से महत्वपूर्ण होता है ठीक उसी प्रकार से दूल्हे का भी श्रृंगार करना जरूरी होता है। दूल्हे को सजाने का यह कार्य अधिकतर दूल्हे का जीजा या दोस्त आदि करते हैं। वर को स्नान करके तथा भोजन कराने के बाद ही उसे सजाना चाहिए।

दूल्हे को सजाने से पहले उसके चेहरे को साफ सुथरा बनाने वाला क्रीम पाउडर आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद बालों को अच्छे तरीके से संवारना चाहिए। दूल्हे को सजाने से पहले उसके दाढ़ी को साफ करना चाहिए। यदि दुल्हा मूँछ न रखना चाहता हो तो उसके मूँछ साफ कर देना चाहिए।

वर को सुहागरात के सेज पर ले जाने से पहले अच्छा सा कुर्ता या नाईट सूट पहन लेना चाहिए क्योंकि वधू की तरह शादी का जोड़ा इस समय आवश्यक नहीं होता, दूल्हे को सुहागरात के कमरे में ले जाते समय उसमें आत्मविश्वास जगाने वाली बातें करनी चाहिए जैसे कि वह बहुत सुन्दर और आकर्षक युवक लग रहा है।

दूल्हे के शरीर के भी कई भागों पर सुगंधित इत्र लगा देना चाहिए ताकि नई वधू उसके शरीर की महक से मंत्र-मुग्ध हो जाए। हो सके तो दूल्हे को माउथ फ्रेशनर का उपयोग कर लेना चाहिए। दूल्हे को सुहाग के कमरे में पहुँचाने की जिम्मेदारी भाभियों की होती है।
बहुत से दूल्हे को तो यह भी देखा गया है कि वह लज्जा के कारण से पहली मिलन के लिए आसानी से तैयार नहीं होता लेकिन उसके मन में दुल्हन से मिलने के लिए उत्सुक रहती है। कभी-कभी तो दूल्हे को अपने दोस्तों से बचकर भी सुहाग कमरे में जाते हुए देखा गया है।
इस समय में दुल्हन के साथ बैठी हुई स्त्रियों को जल्द ही कमरे से निकल जाना चाहिए क्योंकि दूल्हे को कमरे में प्रवेश करने के बाद भाभियों को दरवाजा बन्द करके बाहर से कुंडी लगा देनी चाहिए। ध्यान रहे कि कुंडी को कुछ देर बाद खोल देना चाहिए।

सुहागरात में पति-पत्नी की प्रतिक्रिया
आप स्त्री हो या पुरुष सुहागरात की पहली मुलाकात के समय एकांत कमरे में एक-दूसरे के सामने प्रस्तुत होते समय परेशानी होती है। इस समय में दुल्हा-दुल्हन को क्या करना होता है, इसके लिए उन्हें इसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी ले लेना चाहिए ताकि अपने को एक-दूसरे के सामने प्रस्तुत होने पर परेशानी न हो।

जब सुहागरात के दिन दुल्हन कमरे में बैठी होती है उस समय जब दूल्हे को कमरे में भेजकर भाभियाँ बाहर से कुंडी लगा देती हैं तो दूल्हे को चाहिए कि कुंडी खुलवाने के लिए थोड़ा सा निवेदन करने के बाद स्वयं अंदर से दरवाजे का कुंडी अंदर से लगा दें।

अब दूल्हे को चाहिए कि वह अपने सुहागसेज की तरफ आगे बढ़े। इसके बाद दुल्हन का कर्तव्य बनता है कि वह अपने पति का अभिवादन करने के लिए सेज से उतरने की कोशिश करे। इसके बाद दूल्हे को चाहिए कि वह अपनी पत्नी को बैठे रहने के लिए सहमति दें तथा इसके साथ ही थोड़े से फासले पर बैठ जाए।

इस समय में दुल्हन को चाहिए कि वह अपने मुखड़े को छिपाये लज्जा की प्रतिमूर्ति के सामान बैठी रहे क्योंकि लज्जा ही तो स्त्री की मान मर्यादा होती है। इस समय में दुल्हन के अंदर यह गुण होने आवश्यक है, जैसे- अदा, नखरे, भाव खाना तथा शर्मोहया आदि। हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि स्त्री के नाज तथा नखरे पर पुरुष दीवाना हो जाता है।
लेकिन स्त्रियों को इस समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पुरुष नखरों से निराश होकर उदास हो, उससे पूर्व ही समर्थन और सहमति स्वीकार कर लेना चाहिए अन्यथा नाज नखरों का आनन्द दुःख में बदल जाएगा। जब कोई स्त्री स्थायी रूप से नाज तथा नखरे करती है तो उसका पति उससे सेक्स करने के लिए कुछ हद तक विमुख हो जाता है।

अब दूल्हे को चाहिए कि वह दुल्हन का घूंघट धीरे-धीरे उठाए तथा मुँह दिखाई की रस्म को पूरा करते हुए कोई उपहार जैसे अंगूठी, चेन, हार आदि दुल्हन को देना चाहिए। इसके बाद पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ कुछ मीठी-मीठी बातें करते हुए परिचय बढ़ाए।

इसके बाद पति को चाहिए कि वह मेज पर पड़ी हुई जलपान सामग्री पलंग के पास ले आये। वैसे देखा जाए दाम्पत्य जीवन में खाना बनाना, खिलाना या परोसने का कर्तव्य पत्नी का बनता है लेकिन पहली रात के समय में पति को ही यह कर्तव्य करना चाहिए क्योंकि उस समय पत्नी बिल्कुल अनजान रहती है। इसलिए पति ही मिष्ठान आदि परोसता है।

पति को एक बात का ध्यान रखना चहिए कि पत्नी को मिष्ठान आदि का भोग कराते समय पत्नी को अपना परिचय दें तथा बढ़ाने की चेष्ठा बराबर करते रहनी चाहिए। पति को अपने परिवार के सदस्यों, रस्मों तथा रिवाजों को बताना चाहिए।

इसके बाद पति को चाहिए कि यदि अपना परिचय दुल्हन देने लगे तो उसकी बात को ध्यान से सुने या वह ऐसा न करें तो खुद ही उसे पूछना शुरू करना चाहिए और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि वह अपने बारे में कुछ न बताना चाहे तो उसे मजबूर न करें और प्यार से बातें करें। इस समय में पत्नी का कर्तव्य यह बनता है कि वह लज्जा अनुभव न करके बराबर हिस्सा ले।

इस समय में पति को चाहिए कि पहली रात में अपनी पत्नी के हाथों को स्पर्श करे, इसके बाद उसके रूप की प्रशंसा करे, उसे अपने हंसमुख चेहरे तथा बातों से हंसाने की कोशिश करे। इसके बाद धीरे-धीरे जब पत्नी की शर्म कम होती जाये तो उसे आलिंगन तथा चुम्बन करे। यदि स्त्री प्रकाश के कारण संकोच कर रही है तो प्रकाश बन्द कर दे या बहुत हल्का प्रकाश कर दे।

वैसे देखा जाए तो विवाह के बाद पुरुष की लालसा रहती है कि जल्दी ही अपने जीवन साथी से मिलने का अवसर मिल जाए तो सेक्स क्रिया का आनन्द उठाये, यह उतावलापन तथा कल्पना हर पुरुष के मन में होता है।

पुरुष को ध्यान रखना चाहिए कि सुहागरात के दौरान जब तक स्त्री सेक्स क्रिया के लिए तैयार और सहमत न हो तो सम्भोग क्रिया सम्पन्न नहीं होती और यदि होती भी हो तो सेक्स क्रिया का आनन्द एक तरफा होता है। इसलिए पुरुष पहले स्त्री के साथ फॉर प्ले (पूर्व-क्रीड़ा) करे ताकि वह सेक्स के लिए तैयार हो जाए, तभी आपका मिलन ठीक प्रकार से हो सकता है।

यदि पत्नी आपके साथ आलिंगन-चुम्बन में सहयोग देने लगे तो पुरुष को चाहिए कि वह उसके शरीर के कई उत्तेजक अंगों को छूने का प्रयास करे जैसे- स्तनों का स्पर्श करें, धीरे-धीरे उनको सहलाएँ तथा बाद में धीरे-धीरे दबाएँ।
इसके बाद आपको चाहिए कि उसकी कमर, जांघ तथा नितंब आदि की तारीफ करें और धीरे-धीरे अपने हाथों से उसके कपड़े को उठाकर, हाथों को अंदर डालकर जंघाओं को सहलाएँ।
इसके बाद धीरे-धीरे अपने हाथों से उसकी योनि को स्पर्श करें तथा छेड़खानी करें। भगोष्ठों पर भी धीरे-धीरे हाथ फेरे और स्पर्श को भंगाकुर तक पहुँचाये, साथ ही साथ उससे कामोत्तेजित बातें भी करते रहें ताकि उसके अंदर सेक्स की आग भड़कने लगे।

इस प्रकार से फॉर प्ले का उपयोग करके पत्नी को कामोत्तेजाना के मार्ग पर ले जाए ताकि उसके मन से किसी भी प्रकार का संकोच खत्म हो जाए। ऐसा करने से पत्नी का संकोच खत्म हो जाता है जिसके कारण से वह खुद ही पति को आलिंगन तथा स्तनों को दबवाने लगती है। अपने योनि का स्पर्श पति से करवाने लगती है। इस क्रिया के समय में उसकी सांसे भी तेज चलने लगेंगी और कांपने लगेंगी।
जब इस प्रकार की क्रिया पत्नी करने लगे तो पुरुष को समझ लेना चाहिए कि वह अब सेक्स के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। अब पुरुष को चाहिए कि अपने पत्नी के माथे को होठों से चूमे, इसके बाद उसके होठों को भी अपने होठों से चूमे तथा इसके साथ ही साथ उसके चेहरे के इधर-उधर तथा स्तन के पास के भागों को भी चूमते रहें। ऐसा करने से उसके अंदर की सेक्स उत्तेजना और भी बढ़ने लगेगी।

अब पति को चाहिए कि वह पत्नी को धीरे फॉर प्ले करने के साथ-साथ पलंग की तरफ ले जाकर लिटाने की कोशिश करे और उसके स्तनों पर के सारे कपड़े को उतार दें। फिर इसके बाद अपने हाथों से स्तनों को सहलाते हुए दबाएँ। इस प्रकार से क्रिया करते समय पत्नी के मुँह से कई प्रकार की आवाजें निकलती हैं। इसके बाद पत्नी के शरीर के नीचे के कपड़े भी पूरी तरह से उतार देना चाहिए। उसके

कपड़े को उतारने के लिए सबसे पहले उसके नाड़े को ढीला करें। इसके बाद जब वह केवल पेंटी पर रह जाये तो कुछ देर तक उसे इसी अवस्था में रहने दे तथा साथ ही साथ उसके पूरे शरीर को दबाना तथा सहलाना चाहिए। इसके बाद अपने लिंग को उसके तन से स्पर्श कराना चाहिए।

इस समय यदि पत्नी पति के इस प्रयास में साथ देती रहे तो पति को चाहिए कि वह पत्नी के स्तनों को और भी जोर से सहलाए। जब पति पत्नी के स्तनों को इस तरह से सहलाता है तो स्त्री को बहुत अधिक सुख तथा आनन्द मिलने लगता है। इस समय पत्नी के मन में कई प्रकार के विचार भी आते हैं जैसे- मेरा पति सबसे बलवान है, मेरी किस्मत इतनी अच्छी है जो मुझे ये मिले, मेरी आज रात सारी ख्वाहिशें पूरी हो जायेंगी और यह भी सोचती है कि यह मेरे साथ क्या-क्या कर रहे हैं।

इस अवस्था में कुछ स्त्रियाँ तो ऐसी भी होती हैं जो पति द्वारा पेटीकोट खोलने के प्रयास को रोकने का प्रयास करती हैं। लेकिन धीरे-धीरे वह अपने प्रयास को स्वयं ही खत्म कर देती हैं और निर्वस्त्र हो जाती हैं। फिर दोनों आपस में एक-दूसरे को बाहों में लेकर आलिंगन करने लगते हैं। वे दोनों कुछ समय तक इसी अवस्था में रहते हैं तथा इसके बाद पति को चाहिए कि वह अपनी पत्नी के माथे, स्तन, छाती तथा कानों के पास के भागों को चूमे। इस अवस्था में ही उसके नितंबों को सहलाते रहे। इसके बाद उसके स्तनों को दबाएँ तथा सहलाएँ और उसकी जांघों के बीच में हाथ फेरते रहें।

ऐसी स्त्रियाँ अपने पति से अधिक शर्माती हैं क्योंकि यह पति-पत्नी दोनों के लिए पहली मिलन की रात होती है। वह अपने हाथों से स्तनों को छिपाने तथा दोनों जांघों को सटाकर अपनी योनि को छिपाने का प्रयास करेगी तथा अपनी आँखों को बन्द कर लेगी। ऐसी स्थिति में पति को धैर्य से काम लेना चाहिए और किसी भी प्रकार का उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए। उसे यह समझना चाहिए कि वह यहाँ पर सभी से अनजान है और इसलिए ऐसा कर रही है।

इसके बाद पति को चाहिए कि वह प्यार से पत्नी की सभी चिंता तथा फिक्र को दूर करे। इसके साथ ही साथ फोर प्ले करते रहें। ऐसा करने से कुछ ही देर में स्त्री की योनि गीली होने लगती है और उसमें भी सम्भोग की कामना होने लगती है। इस प्रकार से सेक्स क्रिया करने से दोनों की कामवासना अधिक तेज होने लगती है तथा कुछ देर में स्त्री भी अपनी जांघों को खोलने लगती है।

यदि किसी कारण से पत्नी में कामवासना न जाग रही हो तो पुरुष को चाहिए कि पत्नी के भंगाकुर को अच्छी तरह से सहलाए। इसके बाद अपनी तीन-चार ऊँगलियों को मिलाकर योनि में प्रवेश करके अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे करना चाहिए। इस प्रकार क्रिया करने से ठंडी से ठंडी स्त्री भी कामोत्तेजित होकर सेक्स क्रिया करने के लिए उतावली हो जाती है।

यह बताना जरूरी है कि स्त्री की योनिद्वार अत्यधिक सिकुड़ी हुई होती है। इसमें पहली बार लिंग का प्रवेश करना आसान नहीं होता, बल्कि इसे आसान बनाना पड़ता है। इस काम के लिए पुरुष को पहले से ही कहीं क्रीम, वैसलीन या तेल जैसा कोई भी चिकना पदार्थ रखना चाहिए ताकि लिंग को योनि में प्रवेश कराने से पहले उस पर चिकना पदार्थ लगा लें। वैसे तो इस समय में स्त्री की योनि और पुरुष का लिंग अपने आप ही पूर्व रस से भीग जाते हैं लेकिन चिकनाहट के लिए कभी-कभी पर्याप्त नहीं साबित हो पाता।

अब पुरुष को चाहिए कि स्त्री की जांघों को फैलाकर दोनों पैरों को धीरे से उठाकर लिंग को योनि के मुख पर रख धीरे-धीरे दबाव डाले ताकि लिंग योनि के अंदर घुस जाए, इसके बाद धीरे-धीरे घर्षण करे, जिससे योनि पूरी तरह तरल पदार्थ से भीग जाएगी। अब पुरुष को स्त्री की जंघाओं को थोड़ा और फैलाकर लिंग को योनि में प्रवेश करवाएँ तथा धीरे-धीरे धक्का लगा-लगाकर घर्षण करें।

मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि यदि स्त्री की योनि अक्षत हो तो भी लिंग का दबाव पड़ने से योनि का आवरण फट जाएगा तथा लिंग आराम से आगे की ओर अग्रसरित होगा।
कभी-कभी योनि आवरण पहले से भी फटा होता है। इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि स्त्री का शादी से पहले ही किसी के साथ सम्भोग हो चुका है। ऐसा संदेह पुरुष को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि स्त्री का योनिपटल तो किसी भी कारण से फट सकता है जैसे- अधिक मेहनत का कार्य करने, अधिक व्यायाम करने, साईकल चलाने, दौड़ने, खेल-कूद करने, सवारी करने आदि।

इस तरह से सेक्स क्रिया करने के दौरान थोड़ा-सा आराम कर लेना चाहिए। इस बीच में स्त्री से प्यार भरी बातें करें। इसके बाद फिर से योनि में लिंग को प्रवेश करा के धीरे-धीरे घर्षण चालू करते हुए ज्यों-ज्यों उद्वेग बढ़ता जाए, घर्षण की गति को बढ़ाते जाना चाहिए। जब स्खलन होने लगे तो भी लिंग को योनि में रहने दें क्योंकि स्खलन के बाद भी लिंग का योनि में रखना स्त्री को सुखानुभूति प्रदान करता है।

अधिकतर सुहागरात के दिन पुरुष अपनी कामोत्तेजना को शांत करने के बाद यह नहीं देखता है कि मेरी पत्नी भी संतुष्ट हुई है या नहीं। हम आपको यह बताना चाहेंगे कि यदि स्त्री संतुष्ट हो जाती है तो उसका शरीर ढीला पड़ जाता है, पसीना आने लगता है, आंखे बन्द हो जाती हैं और लज्जा उसके चेहरे पर दुबारा से दिखाई देने लगती है।

जब इस प्रकार से सम्भोग क्रिया खत्म हो जाती है तो स्त्री-पुरुष दोनों को अपने-अपने अंगों को साफ करके दूध या शक्तिदायक और जल्दी से पचने वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसके बाद प्रेमालाप करते हुए आलिंगबद्ध होकर सो जाएँ। निश्चय ही यदि कोई पति अपनी पत्नी का हृदय सेक्स क्रिया के समय ही जीत लेता है और यह जीत जोर जबर्दस्ती से नहीं बल्कि पत्नी का विश्वास अर्जित करने के बाद करता है, तो दोनों के लिए मिलन की यह रात यादगार हो जाती है।

सम्भोग वाली रात को यह क्रिया पत्नी के सहमति से हो तो इसके बाद स्त्री अपने जीवन में यह पहली सम्भोग हमेशा के लिए याद रखती है और अपने पति पर जीवन भर विश्वात करती है। इससे पति भी जीवनभर के लिए पत्नी का विश्वास जीत ही लेता है, दम्पत्ति का पूरा जीवन सरसता के सागर में क्राड़ा करते हुए ही गुजरता है।

आज के समय में परिस्थितियाँ इतनी अधिक बदल चुकी हैं कि पहले की तरह शादी के बाद दस रात्रि तक बिना सेक्स क्रिया के रहना सहज ही संभव नहीं रहा है फिर भी पहली मिलन की रात या सुहागरात को पत्नी के सहयोग से ही यह क्रिया पूर्ण कीजिए बलपूर्वक नहीं, क्योंकि इससे आपका वैवाहिक जीवन तबाह हो सकता है।

पहली रात
आज के समय में बहुत-सी स्त्री बुरी सोसाइटी, चकला, कुसंगति, सिनेमा के प्रभाव से, लड़कियों की स्वतंत्रता की बाढ़ से, दर्शन-मेले के अनेकों अवसरों के कारण से, कामोत्तेजतना बढ़ाने वाले अश्लील उपन्यासों के पढ़़ने से, खटाई, अचार, अंडे और चूर्ण आदि गर्म पदार्थों का सेवन से जल्दी ही कामोत्तेजना के चक्कर में पड़ जाते हैं। आजकल तो लड़के भी युवावस्था में पैर रखते ही स्त्री के साथ सेक्स करने की इच्छा करने करने लग जाते हैं।

स्त्री-पुरुष को सेक्स सम्बन्ध शादी से पहले बनाना अच्छा नहीं रहता है क्योंकि इससे कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे- इसके कारण से स्त्री को बदनामियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि हमारे समाज में शादी से पहले यौन सम्बन्ध बनाना एक पाप माना जाता है। ऐसा नहीं कि केवल बदनामी का बोझ स्त्री को ही झेलना पड़ता है यह पुरुष को भी झेलना पड़ सकता है क्योंकि यदि यह स्त्री के सगे सम्बन्धी को पता लगता है तो वह उसके जान के दुश्मन बन जाते हैं।
इसलिए मेरी राय स्त्री-पुरुषों के लिए इतना ही है कि यदि आप शादी से पहले यौन सम्बन्ध बनाना चाहते हैं तो इसका अंजाम पहले से सोच लें।

सुहागरात को लेकर स्त्री-पुरुष की गलतफहमी
कुछ पति-पत्नी सुहागरात को लेकर इतना अधिक तनाव में रहते हैं कि वे इस रात को सही तरीके से यौन सम्बन्ध बना ही नहीं पाते। यदि इस रात में पति को शीघ्रपतन हो जाता है तो पुरुष स्वयं को नपुंसक मानने लगता है और स्त्री अपने किस्मत को कोसने लगती है। दोनों एक-दूसरे से नाराज रहते हैं।

सुहागरात में एक दूसरे का हो जाना
पति-पत्नी को मैं यह बताना चाहता हूँ कि सुहागरात के दिन एकदम से सम्भोग क्रिया शुरू न करें, बल्कि पहले एक-दूसरे का नाम आदि तथा कुछ परिचय जानना चाहिए। इस रात को एक-दूसरे के मन की बात को भी जानना चाहिए। सभी स्त्री-पुरुष यह जान लें कि सम्भोग केवल शारीरिक नहीं बल्कि भावनात्मक और कलात्मक क्रिया है जिसे अपने जीवन-साथ मिलकर सीखना पड़ता है।

पहली रात को यह जरूरी नहीं है कि सेक्स सम्बन्ध बनाएँ। इस रात तो जहाँ तक हो सके एक-दूसरे की दिल की बात को जानने की कोशिश करें, एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव को जान सकते हैं। इस रात को चाहिए कि पति अपनी पत्नी की खूबसूरती की तारीफ करें। ऐसा करने से दोनों का संकोच और घबराहट दूर हो जाएगी। यदि इच्छा हो तो ही सम्भोग करें, एक-दूसरे पर जोर जबरदस्ती करके सेक्स सम्बन्ध न बनाएँ।

सुहागरात के समय में ध्यान रखने योग्य बातें
सुहागरात में दुल्हा-दुल्हन को सेक्स सम्बन्ध बनाने के लिए जल्दी न करें।

सेक्स क्रिया करने से पहले पति-पत्नी को एक-दूसरे को समझने का प्रयास करना चाहिए।

सेक्स क्रिया करने के लिए जल्दी न करें बल्कि धीरे-धीरे इस ओर कदम बढ़ाएँ।

पत्नी से प्यार भरी बातें करें और उसे कुछ मिठाई या अन्य चीजें खिलाने का प्रयत्न करें।

स्त्री से बातचीत करते-करते उसे सेक्स क्रिया की ओर ले जाएँ और पहले फॉर प्ले करें। इस समय हो सकता है कि वह आपको रोकें। ऐसी स्थिति में अपने मन में शंका न लाएँ क्योंकि हो सकता है कि वह यह भय या शर्म के मारे ऐसा कर रही हो।

इस रात में जब तक स्त्री के तरफ से आज्ञा न मिल जाए तब तक जबर्दस्ती सेक्स सम्बन्ध बनाने की कोशिश न करें।

यदि स्त्री किसी कारण, भय, लज्जा या मानसिक रूप से सेक्स क्रिया करने के लिए तैयार न हो तो आप अपने पर काबू रखें, उसे इसके लिए मजबूर न करें।

किसी भी दूसरे पुरुष या दोस्त आदि के बहकावे में आकर शराब, कोकीन, चरस, अफीम या नशीले पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि इससे सेक्स शक्ति कभी नहीं बढ़ती। बल्कि नशे की स्थिति में आप तो सेक्स क्रिया का आनन्द ठीक प्रकार से नहीं ले पाएंगे और अपनी पत्नी को भी इसका आनन्द नहीं मिल पाएगा।

पहली रात को कभी भी पत्नी को निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर न करें और न ही उसका चीर-हरण करें।

पत्नी को मुखमैथुन के लिए मजबूर न करें और न ही मुखमैथुन करें।

पहली रात को स्त्री के योनि में लिंग को प्रवेश करने में थोड़ी सी परेशानी हो सकती है। ऐसा कभी-कभी इसलिए होता है कि स्त्री तनाव या भय में रहती है जिसकी वजह से वह योनि को सिकोड़ लेती है जिसके कारण से योनि में लिंग प्रवेश कराना मुश्किल होता है।

सभी स्त्रियाँ अपनी प्रशंसा सुनना बहुत अधिक पसन्द करती हैं, विशेष करके खूबसूरती की तारीफ उसे बहुत पसन्द होती है। इसलिए उसकी खूबसूरती की प्रंशसा करें। वह जल्द ही खुद को आपके हवाले कर देगी।

पहली रात को पत्नी की भावनाओं से खेलकर उसके अतीत के बारे में जानने की कोशिश न करें।

पहली रात को खुद भी अपने अतीत में आई किसी लड़की के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर न बताएँ। इससे पत्नी के दिल को आघात पहुँच सकता है।

पति कभी भी पत्नी पर लम्बी-लम्बी बात फेंकने लगते हैं जैसे- मेरी जिंदगी में तुमसे भी खूबसूरत लड़की आई थी। वह मुझसे इतना अधिक प्रेम करती थी कि मेरे लिए जान देने को तैयार थी। तुम तो इसके सामने कुछ भी नहीं है वगैरह…वगैरह.. ऐसी बातें पत्नी पर इंप्रेशन नहीं डालती। ये बातें उसके मन को अघात पहुँचा सकती है। इसलिए प्रत्येक स्त्री-पुरुष को चाहिए कि शादी के बाद नई जिंदगी की शुरुआत करें। अतीत की जिंदगी को गड़े मुर्दे की तरह ढका रहने दें।

सुहागरात के लिए कुछ लोगों के विचार
मैंने सुहागरात के बारे में कुछ लोगों से बातचीत की और उन्होंने इस बारे में कुछ इस तरह से बातें बताई

अरुण युवावस्था से ही सेक्स की तरफ बहुत अधिक ध्यान देता था। वह युवा लड़कियों और उनके उभरे स्तनों को देखकर उत्तेजित हो उठता था। वह यह सोचता था कि बिना वस्त्रों की लड़की कैसी लगती है और उसके शरीर के अंदरुनी भाग कैसे हैं। लेकिन बिना शादी के उसको यह जवाब मिलना संभव नहीं था।

उसके मित्र जब भी उससे यह पूछते थे कि सुहागरात को आप अपनी पत्नी का नाम कैसे पूछोगे? इस पर वह मजाकिये टाइप से यह जवाब देता था कि आपको इससे क्या लेना, यह बात तो मुझसे उस दिन पूछना जब मैं सुहागरात मना लूंगा। अरूण को कभी भी यह मालूम नहीं था कि इस मजाक का उसकी जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ने वाला था।

कुछ ही वर्षों बाद उसकी शादी तय हो गई। उनके परिवार में यह चलन था कि शादी तय होने पर लड़का लड़की की एक-दूसरे से बात करा दी जाए। इसलिए उसे लड़की से बातचीत करने के लिए जगह तय किया गया।

जब वह लड़की से मिला तो उसे देखकर उसके मन में यह ख्याल आया कि वाह कितनी सुन्दर लड़की है। वह पहले से अपने मन में जो-जो खूबियाँ सोच रखा था, वह सभी उसकी होने वाली पत्नी मीनू में दिखाई दे रही थी। वह तो उस समय उसके उभरे हुए स्तनों को देखकर ही चकित हो उठा था। इसके कुछ दिन बाद ही उसका विवाह मीनू से हो गया।

अब मैं इनकी सुहागरात की बात बताने जा रहा हूँ। जैसे ही अरुण सुहागरात के कमरे में गया तो उसने अपने कमरे की कुंडी लगा दी। इसके बाद उसने देखा कि उसकी पत्नी लाल लहंगा-चुन्नी पहनी हुई पलंग पर उसी का इंतजार कर रही थी। इसे देखकर उसके शरीर में अधिक उत्तेजना हो उठी, कुछ उत्तेजना तो उसके शरीर में सुहागरात के कमरे में आने से पहले ही थी। उसका अपने आप पर नियंत्रण खोता जा रहा था, उसकी उत्तेजना सीमा चरम को छूने लगी थी।

वह पलंग की तरफ गया और पलंग पर बैठकर मीनू को अपने से लिपटा लिया। उसके कपड़े को बिना उतारे ही उसे नोचने तथा मसलने लगा। शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए उसने उसके कपड़ों का भी ध्यान नहीं रखा। उसने मीनू की उत्तेजना की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और उससे पूरी तरह से सेक्स क्रिया करने लगा, लेकिन कुछ ही देर में उसकी उत्तेजना सीमा समाप्त हो गई और वह सुस्त पड़ गया।

उसके इस व्यवहार से मीनू इस प्रकार से छटपटा कर रह गई जैसे बिना पानी की मछली तड़पती है। वह उसके इस व्यवहार को बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी।
मीनू के मन में सुहागरात को लेकर कई सारे सपने थे जो एक ही पल में इस तरह से बिखर गये जैसे माला के टूटने पर मोतियाँ बिखर जाती हैं। वह यह भी समझ नहीं पा रही थी कि क्या इसी को सुहागरात कहते हैं? यदि यह सुहागरात तो जबरन चोदन कैसा होगा।

यह सब सोचते-सोचते उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। उसके सीने के ऊपर से मसला हुआ ब्लाउज तथा बिखरे हुए बाल एक कुचले हुए फूल के समान अपनी कहानी बयान कर रही थी। इसके बाद उसने रोते हुए अपने स्तनों को ब्रा में धकेला और अपने कपड़ों को ठीक किया। अरुण को देखा तो वह पीठ के बल लेटा आपने आंखों को बन्द करके चुपचाप लेटा हुआ था।

मीनू के मन में इस घटना की वजह से अरुण के प्रति नफरत की भावना पैदा हो गई। वह यह समझ नहीं पा रही थी कि यदि इन्हें जबरन चोदन ही करना था तो शादी ही क्यों की और शादी ही की थी तो इस तरह जबरन चोदन करने क्या जरूरी था?

अब आपको समझ में आ गया होगा कि सुहागरात में ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन तबाह हो जाता है। जैसाकि इस कहानी में आपने पढ़़ा कि इस घटना की वजह से मीनू के मन में अरुण के प्रति नफरत पैदा हो गई।

हम सभी को पता है कि यदि पति-पत्नी में किसी तरह से नफरत की भावना पैदा हो जाए तो फिर वैवाहिक जीवन को तबाह होने से कोई भी नहीं रोक सकता है।

कविता बहुत ही उत्तेजनशील लड़की थी। वह एक सामान्य परिवार की थी। जब उसका विवाह घर वालों ने प्रवीण नाम के लड़के के साथ तय कर दिया तो उसके दिल में गुदगुदी और घबराहट दोनों ही एक साथ होने लगी। उसको इस बात का भय लग रहा था कि सुहागरात को क्या होता है? पति मेरे साथ-साथ क्या-क्या करेगा? यह सब कैसे होगा? मैं इस सब का सामना कैसे कर पाऊँगी।

अधिकतर बहुत सारी लड़कियों को यह डर सताता है कि सुहागरात को जरूर ऐसा कुछ होता है जिसे सहन कर पाना बड़ा मुश्किल होता है।

जब उसे पति का फोटो देखने के लिए दिया गया तो वह शर्मा गई लेकिन एकांत जगह पर जाकर ध्यान से देखा और मन में सोचने लगी कि यह तो बहुत सुन्दर है। कुछ ही महीनों बाद शादी हो गई। जब वह पति के घर आ गई तो दिन भर शोर-शराबे के साथ बीता। रात को जेठानी तथा ननद ने उसका श्रृंगार करके सुहागरात के लिए कमरे में सेज पर बैठा दिया।

इसी समय प्रवीण की भाभी ने कविता के कान में धीरे से कहा कि बिल्कुल घबराना मत, प्रवीण जो कहेगा कर देना, मना बिल्कुल मत करना और उसे धकेलते हुए दिल से सहमति दे दी और वहाँ से चली गई।

अब कविता मन ही मन बहुत अधिक घबरा रही थी, उसकी घबराहट चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी। वह सोच रही थी कि अगर वह कमरे में आयेंगे तो मेरे साथ क्या-क्या करेंगे और क्या-क्या बात करेंगे?

इसके बाद प्रवीण की भाभियों ने उसे कमरे में धक्का दे करके बाहर से कुंडी लगा दी। प्रवीण तो मन ही मन यही सोच रहा था कि कोई मुझे जल्दी से सुहागरात के कमरे तक ले जाए। अब उसने धीरे से कमरे को अंदर से बन्द कर दिया और धीरे-धीरे चलता हुआ कविता के पास आकर पलंग के किनारे पर बैठ गया।

इसके बाद उसने कविता से ऐसे बात करने की कोशिश की जैसे वह उसे पहले से ही जानता हो। थोड़ी देर बाद कविता भी उससे घुल मिल गई और बोलने तथा जवाब देने लगी। उसके मन के अंदर जो डर बैठ चुका था वह अब धीरे-धीरे खुलने लगा था। कुछ देर तक तो वे एक-दूसरे से बिल्कुल दोस्तों की तरह बातें करते रहें। इस बीच प्रवीण ने उसके शरीर के साथ किसी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया, उसे हाथ तक नहीं लगाया। बस आमने-सामने बैठ कर बातें ही करते रहे।

इन बातों में उन्होंने भविष्य के सुनहरे सपने संजोये। कितने बच्चे पैदा करेंगे, कब करेंगे, घर कैसे चलायेंगे। इस तरह से बात सुन सुन कर कविता को मन ही मन गुस्सा आ रहा था। वह चाहती थी कि इनसे कह दूं कि अब बात बहुत हो चुकी, चलो सेक्स क्रिया करते हैं। लेकिन वह एक लड़की थी इसलिए अपने दिल का अरमान कह न पाई।

इस तरह से बातचीत करते करते 1 बज गया। कविता के शरीर में कामवासना की उत्तेजना हो रही थी और उसका पति ऐसा था कि वह घर की बातें किये जा रहा था।

इसके बाद कविता ने देखा कि उसने कुछ मेवे खाये और दूध पी कर सो गया। कविता उसके इस व्यवहार को देखकर दुःखी हो गई और रातभर कामवासना से तड़पती रही। वह मन ही मन यह सोच रही थी उन्होंने मुझसे इतनी बात की और सो गये, थोड़ी देर तक यदि मेरे साथ सेक्स क्रिया कर लेते तो उनका क्या जाता। फिर भी उसने सोचा कि चलो वह दिन भर के काम से थक गये होंगे इसलिए सो गये। अतः वह भी आराम से पति से चिपटकर सो गई।

कुछ दिन तक प्रवीण इसी तरह से कविता से बात करके सोता रहा। इस पर कविता ने कहा कि आप कुछ करते क्यों नहीं हो, क्या आपके अंदर उत्तेजना नहीं है? इस पर प्रवीण का दिमाग सातवें आसमान पर पहुँच गया और उसने जवाब दिया कि मैं तुम्हें अपनी सहनशीलता दिखा रहा था।

लेकिन सच तो यह है कि उसे शीघ्रपतन की शिकायत थी। इसलिए वह कविता से सेक्स नहीं कर रहा था ताकि पोल न खुल जाए। लेकिन इस समय प्रवीण गुस्से के कारण आग बबूला हो चुका था और अपने मन को तसल्ली देने के लिए मन ही मन सोच रहा था कि आज इसको दिखाता हूँ कि सेक्स किसे कहते हैं।

ऐसा सोचने के साथ ही वह कविता से जबर्दस्ती करने लगा लेकिन इस समय कविता को जबर्दस्ती नहीं लग रहा था क्योंकि उसके अंदर कामवासना बहुत अधिक थी। अब दोनों ही सेक्स क्रिया करने लगे, कविता को कुछ सेक्स का आनन्द आने लगा था लेकिन कुछ देर बाद ही उसके दिल में जोर का झटका लगा और देखा कि उसका पति स्खलित होकर एकदम चित पड़ गया, इस समय प्रवीण एकदम निश्चेष्ट देह के समान लग रहा था।

पति के इस व्यवहार से वह दुःखी हो गई और उसको मन ही मन कोसने लगी और विचार करने लगी कि मेरे भाग्य ही फूट गये थे जो मुझे ऐसा पति मिला। इसके बाद तो दोनों में इस बात को लेकर तू-तू मैं-मैं होने लगी। उनके वैवाहिक जीवन में तनाव पैदा हो गया।
अब कविता इस ताक में रहने लगी कि शायद कोई लड़का उससे दोस्ती कर ले और मेरी कामवासना को शांत कर दे। कुछ महीने तो वह लोक लाज के कारण से घर से बाहर नहीं गई लेकिन बाद में वह बाजार आदि जाने लगी। अब तो उसका घर से बाहर आना जाना हो गया।

उसने अपने दिन को काटने के लिए एक ऑफिस में जॉब कर लिया। वहाँ पर उसकी मुलाकात एक लड़के से हुई, जिसका नाम जतिन था। धीरे-धीरे उनका आपस में प्यार पनपने लगा। अब कविता की प्यास जो उसके पति ने नहीं बुझाई थी, वह जतिन से अपनी प्यास बुझा सकती थी और इसलिए उसने उससे सेक्स सम्बन्ध बना लिया।

कुछ दिनों बाद ही प्रवीण को यह बात पता चली तो उसे बहुत गुस्सा आ गया और कविता से लड़ाई झगड़ा करने लगा, बात तलाक तक पहुँच चुकी थी। इस तरह से उनका वैवाहिक जीवन तबाह हो गया। अतः हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कविता को कभी भी पराए मर्द से सेक्स सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए था बल्कि पति से प्यार से बात करके इस समस्या का हल निकालना चाहिए था क्योंकि कोई भी ऐसी समस्या नहीं होती जिसका हल न हो सके।

रणबीर स्कूल के समय से ही यह सुनता हुआ आ रहा था कि सेक्स क्या होता है? वह दोस्तों से अधिकतर सेक्स की बातें किया करता था। वह उसी समय से अपने मन में कल्पना करने लगा था कि पत्नी के साथ मनाने वाला सुहागरात कैसा होता है?
उसके मन में यह गलत भावना बैठ चुकी थी कि सुहागरात को बहुत से पति अपने पत्नी के सामने ठंडे पड़ जाते हैं, इस बारे में उसने काफी कुछ दोस्तों से सुन रखा था। लेकिन उसने किसी के साथ सेक्स करके नहीं देखा था कि ऐसा होता है या नहीं।

सेक्स के बारे में उसे कुछ ज्यादा ज्ञान प्राप्त नहीं था इसलिए वह सुहागरात की बात को सुनकर डरता था और यह सोचता है कि सुहागरात के दिन क्या होता है? कैसे होते हैं? कैसे करना है?

जब रणबीर की शादी की बात घर वालों ने चलाई तो यह सुनकर वह घबरा गया और अपने दोस्तों से सलाह मांगी। एक तो वह पहले से डरा हुआ था और डर गया। विवाह की तारीख नजदीक आती जा रही थी।

एक दिन दोस्तों ने उसे सलाह दी कि सुहागरात का डर निकालना है तो कमरे में जाने से पहले शराब के दो पैग चढ़ा लेना, सारा डर निकल जाएगा। इसके साथ ही साथ दूसरे दोस्तों ने भी सलाह दी कि शराब पीने से शरीर में सेक्स करने की ताकत आ जाती है। इसके फलस्वरूप आदमी कम से कम एक घंटे तक सेक्स आराम से कर सकता है। औरत तो फिर खुद ही कहने लगती है कि मैं थक चुकी हूँ, अब मैं सेक्स नहीं कर सकती है आदि अनेक प्रकार की बातों द्वारा न केवल उसे गलत राय दी बल्कि गलत करने को उकसाया भी गया।

उसने इस गलत भावना को मन में सच मन लिया। अब उसकी कुछ दिनों बाद ही शादी होने लगी और इस रात दोस्तों के साथ मिलकर इसने खाना खाया और शाम को खाने के साथ-साथ पीने की भी व्यवस्था की गई।
रणबीर शराब नहीं पीता था लेकिन दोस्तों के बहकावे में आकर उसने दो पैग चढ़ा लिए। दोस्तों ने भी उसको जाने बगैर पैग में पानी कम और शराब ज्यादा डालकर दे दिया। पीने के बाद उसे सुहागरात के लिए कमरे में छोड़कर दोस्त चले गये।

उसने महसूस किया कि वह ठीक से चल भी नहीं सकता है। घर वालों ने भी यह देखा तो समझ गये कि उसने पी रखी है लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा। सबने सोचा कि ऐसे मौकों पर यह सब थोड़ा बहुत पीना-खाना चलता है। अब रणबीर सुहागरात के कमरे में नशे के हालत में ही गया। उस पर शराब का असर पूरी तरह से दिखाई पड़ रहा था। वह इतने नशे में था कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था।

जब उसकी नवविवाहिता पत्नी सविता ने देखा तो सब समझ गई कि इन्होंने शराब पी रखी है। वह शराब और शराब पीने वालों से बहुत चिढ़ती थी। रणबीर को आज रात पीकर आया देखकर उसे अच्छा नहीं लगा। वह एक पढ़़ी-लिखी और आत्मनिर्भर लड़की थी, फिर भी उस रात उसने कुछ कहना ठीक नहीं समझा।

रणबीर नशे में इतना चूर हो चुका था कि ठीक से सेक्स करना तो दूर की बात है, ठीक तरह से उससे बात भी नहीं कर पा रहा था, वह लुढ़ककर सो गया। पत्नी से प्यार भरी बातें भी नहीं की और कपड़े पहने ही सो गया।

दूसरे दिन जब वह सविता से मिला तो ठीक तरह से आंखें भी नहीं मिला पा रहा था। वह समझ रहा था कि सविता उससे नाराज थी। उसने अपनी गलती स्वीकार की और साफ-साफ बता दिया कि दोस्तों ने उसे कैसे गलत सलाह दे दी थी। उसने यह भी वायदा किया कि किसी भी स्थिति में वह शराब को हाथ भी नहीं लगायेगा।

उसकी सच्चाई और सादगी को देखकर सविता का क्रोध गायब हो गया। उसने गुस्सा थूक दिया और उसे वायदा किया कि स्थिति चाहे भी कैसी हो, शराब नहीं पीऊँगा। उसने यह वायदा पूरा भी किया। भविष्य में सविता को सेक्स के मामले में उससे कोई परेशानी नहीं हुई। वह उससे काफी खुश थी।

अतः इस कहानी से यह सीख मिलती है कि सुहागरात एक-एक क्षण के रोमांच और आनन्द को आत्मसात करने वाली रात होती है। इस रात को नशे की भेंट चढ़ाने का कोई औचित्य नहीं हैं। इसलिए कि यह रात जीवन में दुबारा लौटकर नहीं आती है। सुहागरात में नशे से दूर रहें। इस रात के आनन्द को पत्नी के साथ पूरे होश और उल्लास के साथ बांटे। यह रात ही आपके वैवाहिक जीवन का भविष्य तय करता है इसलिए इसे शराब तथा अन्य नशा करके खराब न करें।

बहुत सी स्त्रियों को ठेस तब लगती है जब उसका पति सुहागरात के दिन उसे ठीक प्रकार से सेक्स के लिए उत्तेजित नहीं कर पाता और इसके विपरीत उससे जोर-जबरदस्ती करके सेक्स क्रिया करके सो जाता है। इस कारण से कुछ स्त्रियाँ तो ऐसी होती हैं कि इस अवस्था में बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगती हैं।
इस स्थिति में स्त्री यही सोचती है कि शायद उनमें सेक्स की कमी है तभी तो उन्होंने ऐसा रवैया मेरे साथ अपनाया जबकि वास्तविकता यह है कि सुहागरात को पुरुष द्वारा किए गए इस प्रकार के आघातों के कारण से वह कई प्रकार के मानसिक कष्टों से पीड़ित हो जाती है। कई बार तो ऐसे व्यवहार के कारण से बनते-बनते घर उजड़ जाते हैं।

उदाहारण के लिए मैं आपको एक कहानी बताना चाहता हूँ।

हरीश नाम का लड़का था जो अधिक डींगे हाँका करता था। वह अपने दोस्तों से कहता था कि आपको पता है, मैं अपनी सुहागरात में पत्नी पर ऐसा इम्प्रेशन जमाऊँगा कि वह जिंदगी भर मेरे आगे जुबान नहीं खोलेगी। वह यह भी कहता था कि आज जानते हो कि फर्स्ट इम्प्रेशन इच द लास्ट इम्प्रेशन होता है।

दोस्त उसे कई बार समझाते थे कि किसी अन्य मामलों में तो यह ठीक है लेकिन सुहागरात को पत्नी के साथ ऐसा व्यवहार मत कर बैठना कि लेने के देने पड़ जाएँ। वह ऐसा लड़का है जो दोस्तों पर अधिक रोब जमाता था और इसलिए ही वह दोस्तों की सही बात पर ध्यान देने की भी आवश्यकता नहीं समझता और अपने विचारों में ही उलझा रहता था।

जब उसकी शादी हुई तो उसने वह किया जो अपने दोस्तों को बताया करता था। उसने पत्नी से प्यार से बात तक नहीं की और उस पर ऐसे झपट पड़ा जैसे वह उसकी पत्नी नहीं कोई खाने की चीज हो। उसके इस व्यवहार से पत्नी हकबका गई और विरोध करने लगी।
उसके इस विरोध ने हरीश की भावनाओं को भड़का दिया और उसने पत्नी को जोरदार थप्पड़ मार दिया। हरीश ने पहले तो पत्नी के बाल खींचे, ब्लाउज के बटन तोड़ डाले और एक प्रकार से देह शोषण करने में सफल रहा।

इस घटना ने उसकी पत्नी के मन में यह भावना पैदा कर दी कि यह पति नहीं जानवर है। उसके दिल में पहली रात को ही अपने पति के प्रति नफरत पैदा हो गई। दूसरे दिन उसके पत्नी के पीहर वाले लेने आ गये। वह पति से बात किये बिना ही चली गई। उसने अपनी भाभी से सारी बात बता दी और कहा कि वह उसके साथ नहीं जायेगी।

भाभी ने उसकी बात सुनकर उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह किसी प्रकार मानने को तैयार नहीं थी। घर में जब यह बात खुली तो हड़कम्प मच गया। जब यह बात हरीश को पता चली तो वह डर गया और एक दिन अपने ससुराल चला गया। उसने सबके सामने अपने किये की माफी मांगी। बड़ी ही मुश्किल से मामला सुलझा अन्यथा उसके सम्बंध समाप्त होने की कगार पर आ गये थे।

अतः इस कहानी से यह पता चलता है कि सुहागरात को पति को अत्यन्त सुलझा हुआ और संतुलित व्यवहार करना चाहिए। इस रात को जोर जबर्दस्ती वाले व्यवहार की कोई आवश्यकता नहीं होती है। पत्नी कोई शत्रु नहीं होती जिस पर जोर आजमाकर जीवन भर गुलाम बनाकर रखें। सुहागरात की पूरी रात आपसी प्रेम-प्यार के साथ बितानी चाहिए।

आज के समय में बहुत से युवक तथा युवती किसी के प्रेम तथा प्यार के चक्कर में पड़ चुके होते हैं। आज के समय में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है। कुछ युवक तथा युवतियाँ जवानी के जोश में भटकने से अपने आपको रोक नहीं पाते और किसी से प्रेम कर बैठते हैं।
इस बात को कभी भी सुहागरात के दिन भूलकर भी पत्नी को न बताएँ और न ही उससे उसके प्रेम प्रंसंग होने का शक करके उससे पूछें।

आज अधिकतर यह भी देखने को मिलता है कि सुहागरात को पति अपने पत्नी से अपने पुराने प्रेम की कहानी बयान करता है और इसके बाद जोर देकर पत्नी से भी कहता है कि तुम भी पहले प्यार के बारे में कुछ बताओ। वह यह भी पूछने की कोशिश करता है कि क्या तुम पहले किसी से प्यार करती थी? किससे करती थी? उसका नाम तो बताओ? तुम्हारी पहली मुलाकात कहाँ हुई थी? उससे प्यार का चक्कर कितने दिन तक चला? इस बीच क्या तुम्हारा उसके साथ सेक्स सम्बन्ध भी स्थापित हुआ या नहीं? हुए भी तो कितने बार?
इतना होने पर कई पत्नी तो कुछ भी इसके बारे में नहीं बताती लेकिन कुछ पति के ज्यादा उकसाने और उसके द्वारा स्वयं के बारे में बताने से पत्नी भी उत्साहित होकर अपने प्रेम सम्बन्धों के बारे में बता बैठाती हैं। यह बात पत्नी और पति दोनों के लिए घातक है।
पत्नी तो पति के विवाहपूर्व के प्रेम सम्बन्धों को सुनकर भूल जाती है लेकिन पति के लिए इनको भूल पाना आसान नहीं होता। पुरुष कभी भी अपनी पत्नी के पहले के सम्बन्ध को बर्दाश्त नहीं कर पाता।
सुहागरात के दिन तो इस प्रकार की हुई हल्की-फुल्की बात को उस समय व्यक्ति महत्व नहीं देता लेकिन बाद में यह बात उसके दिल में गांठ बन जाती है। उसे यह लगने लगता है कि मेरी पत्नी का चरित्र ठीक नहीं है। यह भविष्य में भी दूसरे पुरुषों की तरफ आकर्षित हो सकती है। इस प्रकार से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में क्लेश का वातावरण छा जाता है।

इस बात की पुष्टि के लिए मैं आपको एक कहानी बता रहा हूँ।

कुलजीत नाम के एक लड़के का विवाह सोनम नाम की लड़की के साथ हो गया। वह सुहागरात को अपने पत्नी से बात करने का प्रयास कर रहा था। वह चाहता था कि उसकी पत्नी उससे थोड़ा और खुले, शर्म के आवरण से बाहर निकले। सोनम पर उसके व्यवहार का असर भी हुआ था। वह धीरे-धीरे खुल रही थी।

तभी अचानक से कुलजीत ने विषय बदला और बोला कि आपको तो पता ही होगा कि शादी से पहले अधिकतर लड़के-लड़कियाँ किसी न किसी से दिल लगा बैठते हैं और प्यार करने लग जाते हैं। कभी-कभी उनका प्यार इतना आगे बढ़ जाता है कि शारीरिक सम्बन्ध भी हो जाता है। खासकर कालेज में पढ़़ने वाले लड़के-लड़कियाँ तो इस मामले में आगे होते ही हैं।
मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ यदि आप बुरा न मानो तो मैं बताऊँ?

सोनम ने उससे कहा कि मैं बिल्कुल भी बुरा नहीं मानूंगी।

फिर कुलजीत ने कहा कि कालेज मेरा अनेक लड़कियों के साथ सम्बन्ध रहा है। मैं अपने कालेज में मॉनीटर रह चुका हूँ और इसलिए बहुत सी लड़कियाँ मेरे पास चक्कर लगाती रहती थी। बहुत सी लड़कियाँ मेरे प्यार में पागल थी। मैंने तो कई लड़कियों के साथ सेक्स का मजा भी ले लिया था।

इसके बाद कुलजीत ने पूछा कि अब आप बताओ कि क्या तुम भी किसी लड़के से प्यार करती थी? तुम तो इतनी खूबसूरत हो की कई लड़कों ने तुम पर लाईन मारी होगी। लड़कों की तो तुम्हारे पीछे लाइन लगी रहती होगी?

यह सुनते ही सोनम पहले तो चकित हो गई और सुगबुगा गई। उसके मन में ऐसा लगा जैसे बिजली चमक पड़ी हो। कुलजीत के ज्यादा जोर देने पर सेक्स करने की बात को लेकर उसे झटका लगा था लेकिन उसने किसी प्रकार का प्रतिवाद नहीं किया।

फिर भी कुलजीत ने उसे बार-बार अपनी बात कहने के लिए उकसाया। तब न चाहते हुए भी वह बोली कि मेरा सम्बन्ध भी एक लड़के के साथ रहा था। हम दोनों हो एक-दूसरे से बहुत अधिक प्यार करते थे लेकिन हमारे बीच शारीरिक सम्बन्ध कभी भी नहीं बना था। इसके बाद ही पिताजी ने आप से शादी तय कर दी तभी मेरे उससे सारे सम्बन्ध समाप्त हो गये। अब मेरे लिये आपके अलावा अन्य कोई नहीं है।

कुलजीत को उसकी बात सुनकर करारा झटका लगा। उसका उत्साह अचानक कम हो गया। उसे यह जानकर धक्का लगा कि वह किसी दूसरे लड़के से प्यार करती थी। इसके बाद वह अधिक बात नहीं कर सका। कुछ देर बाद उसने बुझे मन से उससे कहा चलो कोई बात नहीं। इसके साथ ही वह धीरे-धीरे उसके शरीर से छेड़खानी करते हुए सेक्स क्रिया करने लगा। इसके बाद वह बिना कुछ बोले ही करवट बदल कर सो गया।

इस समय उसको अहसास हुआ कि उसने यह बात कुलजीत को बताकर बहुत बड़ी गलती कर दी। मुझे यह बात बिल्कुल भी नहीं कहना चाहिए था। वह पूरी रात यह सोचती रही। उसके दिल में डर बैठ गया कि कहीं इस बात को लेकर उसका वैवाहिक जीवन बर्बाद न हो जाए। उसे किसी भी सूरत में इस प्रकार की बात नहीं सुनानी चाहिए थी। कुलजीत के दिल में कई दिनों तक शक बना रहा।

अतः हम आपको बताना चाहते हैं कि किसी भी सूरत में सुहागरात या किसी भी दिन अपने पत्नी को कुछ शादी से पहले के प्यार की बात न बताएँ और न ही उससे कुछ पूछें। हम सबको सुहागरात को बीते हुए बात को भूलकर नये जीवन की शुरुआत करनी चाहिए।

सुहागरात को कभी भी अपनी पत्नी के साथ अधिक छेड़छाड़ न करें। बहुत सी स्त्री ऐसी होती है जो पुरुषों के लिए बहुत उत्सुकता का केंद्र बनी रहती हैं। किसी भी युवती को देखकर व्यक्ति कल्पना में क्या से क्या कर जाता है, यह वही पुरुष जानता है जिसके अंदर कामोत्तेजना होती है।
इसलिए जब पत्नी के रूप में कोई स्त्री मिल जाती है तो वह स्त्री शरीर के रहस्य को जानने को उत्सुक हो जाती है और जब स्त्री को अकेले में पाता हो तो उसके कपड़े को शरीर से अलग करने लगता है अर्थात वह चीर हरण करने पर उतारू हो जाता है। वह इतना अधिक उत्तेजना में आ जाता है कि स्त्री के होठों, गालों को चूमने के साथ-साथ उसके उठे स्तनों से भी छेड़छाड़ करने लगता है। उसमें इतनी अधिक कामवासना जाग जाती है जितना कि उसकी पत्नी को भी नहीं होता है।

इसलिए कुछ करने से पहले ही स्त्री के साथ इतना छेड़छाड़ न करें कि कुछ करने की स्थिति पर पहुँच कर कुछ भी करने लायक न रहें। बहुत से व्यक्ति तो ऐसे होते हैं जो स्त्री के शरीर से छेड़छाड़ करते ही सोचते हैं कि स्त्री भी उसके लिंग को हाथ में लेकर सहलाए।

कुछ स्थितियों में तो कुछ करने की तैयारी के पहले ही स्त्री के हाथों में लिंग आते ही वह स्खलित हो जाता है।
इस चीज को समझने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ।

बिहार का रहने वाला एक लड़का था जिसका नाम रमेश था। वह बहुत ही उत्तेजनशील स्वभाव का था। स्त्री के शरीर के बारे में वह ऐसी कल्पना के सागर में डूब जाता था कि बात-बात में अपने दोस्तों के सामने स्त्री के शरीर की अंदरुनी चीजों को बयान करने लगता था। वह यह सोचता था कि जब स्त्री पूरी तरह से निर्वस्त्र हो जायेगी तो देखने में कैसी लगेगी? उसके उभरे हुए स्तन कैसे लगेंगे? उसके होठों पर चुम्बन लेने से कैसा महसूस होगा? उसके शरीर के उत्तेजनशील अंगों को छूकर देखने से कैसा लगेगा?
यह सब सोचते-सोचते उसकी उत्तेजना चरम पर पहुँच जाती थी और कभी-कभी तो वह स्खलित भी हो जाता था।

जब वह 21 वर्ष का हो गया तो उसका विवाह रजनी नाम की लड़की से हो गया। जब वह सुहागरात के कमरे में गया तो उसने देखा कि रजनी पत्नी के रूप में पलंग पर उसका इंतजार कर रही थी।

अब उसके मन में उत्तेजना के लड्डू फूटने लगे थे। वह अपने दिल को थामे पलंग की तरफ गया और रजनी के पास बैठ गया। इस समय उसके शरीर में उत्तेजना होने लगी थी। अब उसने पत्नी का घूंघट उठाकर अलग कर दिया।

इस समय उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो कमरे में चांद निकल आया हो। रजनी के लिपिस्टिक से रंगे सुर्ख होठों को देखकर उसकी उत्तेजना और भी बढ़ने लगी। इस समय तो वह उत्तेजना में इतना अधिक पागल हो गया था कि वह मन ही मन कल्पना कर रहा था कि इसके तो स्तन मेरी कल्पना से भी अधिक उठे तथा सुन्दर है।

इसके बाद उसके दिमाग पर हैवानियत सवार हो गया कि तुरंत ही अपने होंठों को रजनी के होंठों पर रखकर चूसने लगा। यह सब रजनी को बिल्कुल भी अच्छा न लग रहा था क्योंकि वह अचानक ही कमरे में बिना कुछ बात किये सीधे सेक्स क्रिया करने लगा था, रजनी को जरा सी भी उत्तेजना नहीं थी।

रमेश हैवानों के तरीके से उसको चूसता रहा तथा अपने हाथों से उसके कपड़े को भी उतार फैंका और उसके स्तनों को जोर-जोर से दबाने लगा। रजनी ने विरोध तो करना चाहा लेकिन वह नहीं कर पाई। क्योंकि कोई भी लड़की चाहे कितनी ही मजबूत दिल वाली क्यो न हो सुहागरात को तो अनजान ही रहती है।

रमेश ने कुछ देर बाद अपना तमतमाया चेहरा पीछे किया। उसकी सांसों की गति उत्तेजना के कारण से बहुत अधिक बढ़ चुकी थी। इसके बाद धीरे-धीरे रजनी ने सारे कपड़े उतार दिये। जल्दी ही वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई, वह स्त्री को इसी रूप में देखने की कल्पना करता रहता था।

रजनी को बहुत अधिक लज्जा आ रही थी इसलिए उसने रमेश से कहा कि लाइट बन्द कर दे, लेकिन वह माना नहीं और धीरे-धीरे अपने हाथों को उसके शरीर पर फेरता रहा। थोड़ी देर बाद रमेश ने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिये।

अब तो उत्तेजना उसकी चरम सीमा पर थी। उसने तुरंत ही सेक्स सम्बन्ध बनाने का प्रयास किया लेकिन जैसे ही अपने लिंग को रजनी की योनि में प्रवेश किया वैसे ही स्खलित हो गया। कुछ ही देर में उसका सारा जोश बर्फ की तरह ठंडा पड़ गया और एक तरफ बेजान शरीर की तरह लेट गया।

कुछ देर बाद उसने अपने कपड़े पहने और लेट गई। यह रात रजनी पर बहुत भारी गुजरी, वह पूरी रात तड़पती तथा रोती रही। रमेश थोड़ी देर बाद जाग गया फिर भी उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह दुबारा रजनी को हाथ लगाये।

इसके बाद अनेक बार ऐसा ही हुआ कि वह जैसे ही वह सेक्स क्रिया करने को होती वह स्खलित हो जाता। वह चिंता में पड़ गया कि मुझे कोई गुप्त रोग तो नहीं हो गया है या शीघ्रपतन का रोग तो नहीं हुआ। वह इतना अधिक चिंतित हो गया कि दिन रात इसी को सोचता रहता था। वह कई चिकित्सकों से मिला लेकिन वह संतुष्ट नहीं हुआ।

एक दिन उसे एक सेक्स के बारे में जानने वाला चिकित्सक मिला जिसकी बातें उसको अच्छी लगी और इससे उसे काफी लाभ मिला। अब वह जान गया कि सेक्स क्रिया करने के समय में मैं जिस प्रकार से पत्नी के शरीर से छेड़खानी कर रहा था, सारा दोष उसी का है।
अगली रात ही जब रजनी से सेक्स सम्बन्ध बनाने लगा तो उसने शारीरिक छेड़छाड़ कम की। जिसके बाद वह ठीक से सम्बन्ध बनाने में सफल रहा और धीरे-धीरे उसकी समस्याँ पूरी तरह से खत्म हो गई। इस तरह से इनका वैवाहिक जीवन तबाह होने से बच गया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि यदि कोई भी समस्या हो तो उससे घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसका हल निकालना चाहिए।

जैसे ही लड़के-लड़की की शादी तय होती है वैसे ही दोनों आने वाले पलों की कल्पनाओं में खो जाते हैं। लड़कियाँ तो अधिकतर यह सोचती हैं कि मेरा घर, परिवार कैसा होगा, मेरे पति कैसे होंगे, क्या मेरा वैवाहिक जीवन सफल रहेगा। लड़के अधिकतर यह सोचते हैं कि मेरी पत्नी कैसी होगी तथा मेरा जीवन रोमांटिक होगा तथा इन कल्पनाओं में सेक्स की बातें अधिक जुड़ी होती हैं।

जैसे-जैसे शादी के दिन नजदीक आते हैं वैसे-वैसे वे कल्पनाओं में खोने लगते हैं- जैसे सुहागरात में क्या-क्या होता है? इस रात पति पत्नी की क्या-क्या बातचीत होती है। सम्बन्धों के समय पत्नी की स्थिति कैसी होती है? इस प्रकार की बहुत सारी बातों को जानने की उत्सुकता भी बनी रहती है। इसके बारे में वे जानने के लिए अपने दोस्तों तथा सम्बन्धियों से बात करते हैं या फिर सेक्स की पुस्तकें और पत्रिकाओं को पढ़़ते हैं।

इन सभी प्रकार की बातों को जानने के लिए मैं आपको एक कहानी बता रहा हूँ। सोनू की शादी होने को कुछ दिन ही बाकी बचे तो उसके मन में कई प्रकार के विचार आने लगे। उसने इन बातों को जानने के लिए कुछ पुस्तकें बाजार से जाकर खरीद ली, लेकिन उसको इससे कोई विशेष लाभ नहीं मिला।

तब एक दिन उसके कमरे में चार-पांच मित्र इकट्ठा हुए तो वे उसे समझाने लगे कि शादी के दिन क्या-क्या करना चाहिए? तभी एक दोस्त ने मजाकिये स्टाईल में कहा कि आजकल बहुत कम ही देखने को मिलता है कि जिनको सुहागरात में लड़की पूरी तरह से कुंआरी मिलती है। वरना तो आजकल ज्यादातर लड़कियाँ शादी से पहले ही किसी ओर के साथ सम्बंध बना चुकी होती हैं।

ऐसा सुनते ही सोनू के कान खड़े हो गये और पुछा कि यह कैसे पता लगेगा कि पत्नी कुंआरी है या नहीं? उसके ऐसा कहते ही दोस्त ने अपना अधूरा ज्ञान सुनाने लगा। उसने कहा कि स्त्री की योनि पर एक झिल्ली होती है जो पहली बार सेक्स सम्बन्ध बनाते समय फटती है जिसके कारण से कुछ मात्रा में योनि से खून निकलने लगता है, यही कुंआरेपन की निशानी होती है। यदि सुहागरात को सेक्स सम्बन्ध बनाने पर स्त्री के योनि से खून न निकले तो यह समझ लो कि मामला गड़बड़ है और पत्नी का पहले भी किसी से सेक्स सम्बन्ध बन चुका है।
यह बात देर रात तक दोस्तों के बीच चलता रही।

इसके बाद सोनू ने इस बात को मन में गांठ बांध लिया और सोच लिया कि मैं भी पता करके रहूंगा कि पत्नी कुंआरी है या नहीं। कुछ दिन बाद ही सोनू की शादी वीणा नाम की लड़की से हो गई। सुहागरात को जब पत्नी वीणा से सम्बन्ध बनाये तो उसने यह देखा कि खून नहीं निकला। इस पर उसे शक हुआ कि कही वीणा ने पहले ही किसी अन्य से सम्बन्ध तो नहीं बनाये हैं। इस शक के कारण से उसने वीणा पर गुस्सा दिखाना शुरू कर दिया और उसे चरित्रहीन भी कह दिया।

इस पर वीणा कसम खाने लगी कि नहीं मेरा शादी से पहले किसी से भी सम्बन्ध नहीं बना। किसी से सम्बन्ध बनाना तो दूर की बात है मैंने तो किसी लड़के के बारे में भी आज तक नहीं सोचा और न ही किसी के बारे में कभी विचार किया। आप मेरे पर विश्वास तो कीजिए, मेरी बात तो सुनिये। मैंने किसी से भी सम्बन्ध नहीं बनाया।

लेकिन सोनू ने कुछ भी नहीं सुना और गुस्सा होने लगा। उसने तुरंत ही निश्चय किया कि मैं इसको अपने साथ नहीं रखूंगा।

तीसरे दिन ही वीणा को मायका से वाले लेने आ गये और उसे अपने साथ ले गये। घर जाते ही उसने रोते हुए सारी बात अपनी भाभी को बता दी।

सोनू के इस व्यवहार के कारण से भाभी को बहुत गुस्सा आ गया। उसे अच्छी प्रकार से मालूम था कि वीणा ऐसा नहीं कर सकती है। घर के संस्कार ऐसा व्यवहार करने किसी को इजाजत नहीं देते थे। उसने इस बारे में सोनू से बात करने के बारे में सोचा लेकिन कुछ समय तक वह खामोश ही रही।

उधर सोनू ने अपने दोस्त जो कि वकील था उससे अपने और वीणा के बीच तलाक लेने की बात की। मित्र को बड़ा आश्चर्य हुआ और उसने सोनू से कारण पूछा।

जब यह बात सोनू मित्र से कह रहा था तभी उसका एक और दोस्त जो डॉक्टर था वह भी वहाँ पर मौजूद था। जब सोनू अपनी पत्नी के बारे में बता रहा था तब डॉक्टर ने कहा की सोनू तुम गलतफहमी का शिकार हो गये हो। यह जरूरी नहीं कि सुहागरात को जिस स्त्री से सम्बन्ध बनाते समय खून नहीं आये, वह चरित्रहीन है। यह भी तो हो सकता है कि शायद उसकी कुंआरीच्छत किसी प्रकार की दुर्घटना के कारण, खेल-कूद या साईकिल चलने के कारण से फट गई हो।

इसके बाद उसने सारी बात ठीक-ठीक से समझा दी और कहा कि अपनी पत्नी के प्रति अविश्वास बनाने से तुम्हारा वैवाहिक जीवन तबाह हो सकता है। इसलिए तुम तुरंत ही अपनी गलती को मानकर पत्नी को घर ले आओ, वरना बहुत देर हो जाएगी।

अब सोनू अपनी गलती को ठीक-ठीक से समझ चुका था और उसे अपनी गलती पर पछतावा हुआ।

दूसरे दिन वह बिना किसी को बताये ससुराल चला गया। फिर उसने वीणा से बात करना चाहा तो वीणा ने बात करने से मना कर दिया। इसके बाद सोनू से वीणा की भाभी से बात की और कहा कि तुमने वीणा जैसी सीधी-सादी लड़की पर कितना गंदा आरोप लगाया था। तुम्हें यह आरोप अपनी पत्नी पर लगाते हुए शर्म नहीं आई।

इसके बाद सोनू ने भाभी से माफी मांगी और कहा कि मुझे वीणा से किसी भी तरह से बात करा दो, मुझे अपने किये पर बहुत पछतावा है, मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए था।

अब भाभी वीणा से उसकी मुलाकात करने के लिए तैयार हो गई। फिर भाभी ने वीणा को समझाया और सोनू से उसकी मुलाकात करा दी। उसने वीणा से अपनी गलती की माफी मांगी और कहा कि मैं भविष्य में अब कभी भी ऐसी गलती नहीं करूंगा। इसके बाद वीणा ने सोनू को माफ कर दिया।

अतः सुहागरात में यदि स्त्री के योनि से खून न निकले तो यह नहीं सोच लेना चाहिए कि वह चरित्रहीन है। क्योंकि किसी भी लड़की के जिंदगी में शादी से पहले उसकी योनि की झिल्ली कई कारणों से फट सकती है जैसे- खेल-कूद करने, चोट लगने, साईकिल चलाने तथा अधिक व्यायाम करने आदि।

इसलिए सभी युवकों को मेरी यह सलाह है कि जिनकी शादी होने वाली है वे इस प्रकार की अधकचरी जानकारी के कारण अपने भविष्य को आग न लगायें। ऐसी गलतफहमी के कारण से अनेकों का घर बसने से पहले ही उजड़ गए है।

कभी-कभी शादी जैसे शुभ कार्यों पर कुछ अमंगल भी घट जाता है। अमंगल होने के कई कारण हो सकते हैं। आज के समय में दहेज को लेकर कई प्रकार की समस्याएँ होते हुए देखी गई हैं। कभी-कभी तो शादी में अमंगल होने का कारण दहेज प्रथा भी हो सकती है। क्योंकि जितना दहेज लेने की बात घर वालों ने की होती है, उतना न मिल पाने के कारण से घर वाले लड़की को सताने लगते हैं। इसके कारण से जो वैवाहिक जीवन शुरू होने वाला होता है वह तबाह हो जाता है।

कई बार तो यह भी देखने को मिलता है कि दहेज के कारण से ऐसी भी स्थिति पैदी हो जाती है कि लड़की वाले जितना कुछ देने के लिए कहते हैं वे उसे दे पाने में असमर्थ हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में लड़के को या उसके माता-पिता को यह जिम्मेदारी आ जाती है कि किसी भी कारण से पैदी हुई कटुता का क्रोध पत्नी पर न उतारें। इस प्रकार के किसी भी कारण में पत्नी का कोई दोष नहीं होता है।
अगर सुहागरात को उसे इस वजह से परेशान नहीं करना चाहिए यह खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। कई लोग तो इसका गुस्सा सुहागरात को पत्नी पर उतार देते हैं, लड़की के माता-पिता को कोसा जाता है तो ऐसी स्थिति में तो लड़की कुछ नहीं करती लेकिन मन ही मन दुःखी बहुत होती है।

इस स्थिति को ठीक प्रकार से समझने के लिए मैं आपको एक कहानी बताना चाहता हूँ।

पंकज मध्यम परिवार का लड़का था। उसका विवाह रुचि नाम की लड़की से तय हुआ। पंकज के परिवार वालों ने रुचि के पिताजी से एक कार तथा 2 लाख रुपये की मांग की, जो उसके पिताजी देने के लिए तैयार हो गये। रुचि के पिता जी ने तिलक के दिन ही 2 लाख रुपये दे दियें। शादी के सारे रस्म ठीक-ठाक हो रहे थे।

अब रुचि के पिताजी कार खरीदने के लिए बैंक से रुपये लेने गये। उन्हें रुपये तो बैंक से मिल गये लेकिन जैसे ही वह बैंक से निकले कुछ गुंडों ने सुनसान जगह पर उन्हें घेर लिया और उनके रुपये छीन लिये। जब वह घर लौटे तो अपने परिवार वालों को सारा अपना हाल बयान किये।

लेकिन शादी के सारे रस्म पूरे हो चुके थे इसलिए वे शादी को रोक भी नहीं सकते थे। उन्होंने सोचा की अब तो शादी रुक नहीं सकती है और यह बात अगर लड़के वालों को बता भी देंगे तो वह इसे झूठ ही समझेंगे। इसलिए कार तो हम कुछ दिनों बाद दे देंगे। चलो अभी तो उन्हें यह कह देंगे कि किसी कारण से हम आपको अभी कार देने में असमर्थ है, हम कुछ दिन बाद कार जरूर दे देंगे। इतना कहने पर तो वह मान ही जाएंगे।

उधर बारात निकलने की तैयारी हो चुकी थी शादी तो धूम-धाम से हो गई। लेकिन जब पंकज के पिताजी ने रुचि के पिताजी से कार की बात की तो रुचि के पिताजी ने इसे देने के लिए कुछ दिन का समय मांगा और उन्हें अपना सारा हाल बता दिया। पंकज के पिताजी समझदार थे जो वे इस बात को समझ गये और रुचि के पिताजी से कहा कि कोई बात नहीं।

अब शादी होकर बारात लौट आई। जब पंकज को इस बात का पता चला तो उसका दिमाग खराब हो गया और उसे गुस्सा बहुत आया लेकिन वह अपने पिताजी से कुछ कह नहीं सकता था।

जैसे तैसे घर वालों के समझाने पर वह सुहागरात के कमरे में गया। उसका दिमाग तो पहले से खराब था। उसने कमरे में देखा कि उसकी पत्नी लाल जोड़े पहने आराम से बैठी है।

गुस्से के मारे उसने पूरे रात रुचि से बात तक न कि और पलंग पर मुँह फेर कर सो गया। इस पर रुचि ने कम से कम तीन घंटे तक तो कुछ नहीं कहा फिर पछताकर खुद ही उससे बोली की आखिर क्या बात है जो आप मुँह फेरकर सो गये।

फिर वह उठा और रुचि से कहा कि पिताजी से बात कार देने की हुई थी जो उन्होंने नहीं दी। इस पर रुचि ने कहा कि आपको हमारे घर के हालात पता नहीं है। मैं आपको अपने घर की हालात बताती हूँ। अब रुचि ने अपने पिताजी पर घटी घटना को विस्तार से बता दी लेकिन वह कुछ भी मानने को तैयार नहीं था।

इस तरह से बात करते-करते पंकज ने एक जोरदार थपड़ रुचि को लगा दिया। रुचि रोने लगी और उसे भी बुरा भला कहने लगी। इसके बाद दोनों एक-दूसरे से अलग-अलग सो गये। कुछ दिन तक दोनों में ही यह नाटक चलता रहा।

इस दिन से ही रुचि के मन में पंकज के लिए नफरत हो गई। कुछ दिन के बाद ही रुचि के पिताजी ने पंकज के लिए कार खरीद दी। इसके बाद को पंकज ने रुचि से खुश-खुशी रहने के लिए वादा किया लेकिन रुचि के मन में जो पंकज के लिए नफरत भरी थी वह जीवन भर उसे चुभता रहा और इससे उनके वैवाहिक जीवन में काफी क्लेश होने लगा।

सुहागरात में ध्यान देने वाली आवश्यक बातें
सुहागरात को अधिकतर स्त्रियों की योनि शुष्क रहती है। इसलिए पुरुषों को चाहिए कि लिंग को योनि में प्रवेश करने से पहले लिंग पर किसी प्रकार की चिकनाई लगा लें ताकि प्रवेश आसानी से हो सकें।

पहली रात में यदि पति दुबारा सेक्स करना चाहे और स्त्री न करना चाहे तो पति को चाहिए कि वह उसका सम्मान करें। कभी भी सेक्स करने के लिए जबर्दस्ती और पत्नी की अनिच्छा के विरुद्ध सम्बन्ध नहीं बनाना चाहिए।

सुहागरात को सुहागकक्ष में न तो पूरी ट्यूब लाइट या बल्ब जलाएँ और न पूरा अंधेरा रखें। आसमानी या हरे रंग का बल्ब जलाना लाभदायक होता है।

इस रात को कभी भी पत्नी के साथ न तो अप्राकृतिक सेक्स करें और न उल्टे-सीधे आसनों का प्रयोग करें। सुहागरात को पत्नी नीचे हो तथा पुरुष को ऊपर रहकर सेक्स करना चाहिए।

सुहागरात को शारीरिक सम्बन्धों के समय में न तो स्वयं अश्लील संवाद बोलें और न पत्नी को बोलने के लिए आग्रह करें। शारीरिक सम्बन्धों में भी शालीनता का होना आवश्यक है।

सुहागरात को स्त्री को कभी भी अपने मन में डर का भाव नहीं लाना चाहिए। लेकिन बहुत सी लड़की जब ससुराल आती है तो उसके बाद उसमें घबराहट और डर बना रहता है जो स्वाभाविक है लेकिन इस डर को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।

सुहागरात को यदि पति पत्नी से कुछ पूछना चाहे तो पत्नी को इसका उत्तर देने का प्रयास करते रहना चाहिए। कभी भी गठरी की तरह चुप-चाप बैठी न रहें। जहाँ तक सम्भव हो पति की बातों का समुचित उत्तर दें।

इस रात को पति चुम्बन, आलिंगन या स्तन दबाना चाहे तो उसके हाथों को न रोकें। यदि आप पर कुछ भी सेक्स उत्तेजना न हो तो भी अपने पति को ऐसा करने से न रोके क्योंकि यह उसका हक होता है।

यदि पत्नी को पति की कोई हरकत अच्छी न लगती हो तो शालीनता दिखाते हुए संयम से काम लें और अधिक परेशानी हो रही हो तो प्यार से समझाकर मना करें।

यदि पत्नी का शादी से पहले प्रेम प्रंसग रहा है तो उसको यह बात जुबान पर नहीं लानी चाहिए और सब कुछ भूलकर पति के प्रति समर्पित होने का प्रयास करें।

यदि पति अपनी उत्तेजना के कारण से आपको चुम्बन तथा आलिंगन कर रहा हो तो आप भी इसके बदले में पति को चूम सकती है। आप ऐसा करेंगी तो पति का आपके प्रति प्रेम तथा लगाव अधिक बढ़ेगा।

यदि इस रात को पति दुबारा से सेक्स सम्बन्ध बनाना चाहे लेकिन पत्नी को इसकी इच्छा न हो तो उसे चाहिए कि पति को प्यार से समझाए और पति को भी पत्नी की बात का सम्मान करना चाहिए। Antarvasna

(Pyas Bujhti Nahi) Hindi sex stories

Hindi sex stories के पाठकों को मेरा नस्कार। कैसे हैं आप लोग?
मुझे आप लोगों के बहुत सारे मेल मिले जिनमें मेरी कहानियों की तरीफ़ थी। मैं आप सबका खुले दिल और खुली चूत के साथ शुक्रिया अदा करती हूँ। आप सबको पता होना चाहीये कि आज मैंने अपनी चूत के बाल साफ़ किये है और अब फ़िर से मेरी चूत तनतना गई है किसी कोरी कमसिन लड़की की तरह।

हाँ तो दोस्तो, अब मैं अपनी कहानी शुरु करती हूँ जिसमें एक बार फ़िर से अब्बु और भैया ने मुझे चोदा।

उस दिन हुआ यह था कि मैं बहुत चुदासी थी और अम्मी नानी के घर गई हुई थी। यह तो आप लोग जानते ही है कि मेरी पहली चुदाई भी अब्बु ने ही की थी और फ़िर अम्मी ने भैया से भी चुदवाया था और अब वो लोग अकसर मुझे चोदा करते थे।

मगर इधर बहुत दिन से अब्बु अम्मी की फ़ैली हुई चूत में मस्त थे और भैया ने कोई दूसरी गर्ल फ़्रेन्ड फ़ंसा ली थी और मुझ पर ध्यान देना छोड़ ही दिया था।तब आखिर अम्मी के बाहर जाते ही मैंने सबसे पहले अपनी झांटे बनाई और रात को अब्बु के कमरे में गई।

अब्बु कोई मूवी देख रहे थे और मुझे देख कर बोले- बेटी, क्या हुआ आज बहुत दिन बाद अब्बा की याद आई?

तब मैंने कहा- आप तो अम्मी जान की चूत में ही फ़ंसे रहते हैं अब आपको मेरा ज़रा भी खयाल नहीं ! आपने मुझे कितने दिनों से नहीं चोदा है।

तब अब्बु ने दुलार जताते हुए कहा- ऊऊओह्ह ह्ह मेरी प्यारी रानी बेटी आजा, आज तुझे फिर से चोदता हूँ !

और यह कह कर उन्होंने डीवीडी बदल दी।

अब उसमें एक ब्ल्यू फ़िल्म चलने लगी। जिसमें एक छोटी सी लड़की को पाँच आदमी चोद रहे थे। जिसे देख कर मेरी आँखें बाहर आ गई और मैंने अब्बु से कहा- अब्बा यह बच्ची इन पांचों को एक साथ झेल रही है और उसको कितना मज़ा आ रहा है जबकि इसकी उम्र भी अभी ज्यादा नहीं होगी।

तब अब्बु बोले- मेरी बच्ची, ये साले अंग्रेज लोग ऐसे ही होते हैं। साली इतनी सी है और तुम खुद ही देखो कि कैसे मज़े ले लेकर पांच पांच लण्डों का मज़ा एक साथ ले रही है। जबकि इसमें एक इसका बाप और एक भैया के अलावा तीन बाहर वाले हैं।

अब ये सब देख कर भला मेरी चूत में खाज़ क्यूं नहीं उठेगी।

तब मैंने अब्बु से कहा- अब्बु, मैं तो आप और भैया से ही चुदवाकर पनाह मांग लेती हूँ।
अब्बु ने कहा- जा बगल के कमरे से इसलाम को बुला ला। साला लण्ड हाथ में पकड़े सो रहा होगा।

तब मैं भैया के कमरे की तरफ़ बढी और देखा तो सच में वो अपने लण्ड को हाथ में लेकर सड़का मार रहा था।

मैं जल्दी से बढ़ते हुए बोली- हाय भैया, क्या गज़ब कर रहे हो। भला घर में इतनी खूबसूरत बहन होते हुए तुम्हें यह सब करना पड़े तो लानत है मेरी जवानी पर !

और मैंने झट से उनका लण्ड अपने कोमल हाथ में ले लिया, बड़े प्यार से सहलाने लगी और जल्दी जल्दी हाथ आगे पीछे करने लगी और फ़िर झट से मुँह में लेकर चूसने लगी और तब भैया का लण्ड पूरी औकात में आ गया और वो मेरे बालों को पकड़ते हुए जोर जोर से धक्का मारने लगे और फ़िर जल्दी ही उनका पानी मेरे मुँह में गिरा जिसे मैं चपर चपर करते हुए चाट गई और भैया से बोली- चलो अब्बु बुला रहे हैं, आज फ़िर से तुम दोनों मुझे चोदकर मज़ा दो।

और भैया का लण्ड पकड़ कर अब्बु के कमरे में ले आई और भैया को देखते ही अब्बु बोले- मैंने कहा था साला मुठ मार रहा होगा।

तब मैंने कहा- अब्बु, आप बहुत तजुरबेदार हैं, सच में भैया सड़का मार रहे थे।

और फ़िर मैंने अब्बु का लण्ड अपने मुँह में ले लिया और भैया पीछे से मेरी गाण्ड पर अपना लण्ड रगड़ते हुए अन्दर डालने की कोशिश करने लगे।

तब मैंने कहा- अब्बु जी, मैं भी ब्ल्यू फ़िल्म वाली लड़की की तरह पांच जनों से एक साथ ही चुदाना चाहती हूँ।
अब्बा ने कहा- बेटी, तू नहीं झेल पायेगी एक साथ पांच पांच को।

मगर मैं तो पूरी तरह से चुदासी हो ही चुकी थी, मैंने कहा- कान खोल के सुन लो आप दोनो को मुझे पांच जन से एक साथ चुदाना है तो चुदाना है। अगर कल आप लोग ने मुझे पांच जन से नहीं चुदवाया तो बहुत बुरा होगा।

तब अब्बु ने कहा- अच्छा अच्छा मेरी रानी बेटी, मैं तो तेरे भले के लिये ही कह रहा था। अगर तेरी चूत फ़ट गई तो परेशानी तो हमीं लोगो को होगी। मगर जब तू नहीं मान रही तो मेरे बला से। अब चल आज तो हम दोनों से चुदवा ले !

यह कह कर उन्होंने फ़िर से अपना मूसल जैसा लण्ड मेरे मुँह में जोरदार धक्के के साथ अन्दर धकेल दिया और तभी भैया ने पीछे से मेरी गाण्ड फ़ैलाकर इतनी जोर से धक्का मारा कि मुझे नानी याद आ गई ऊऊउईई माआआ मर गई आआह्हहह भैया जरा धीरे से धक्का मारो तू तो नानी याद दिला रहा है।

तब अब्बु ने कहा- बेटी, चाहे जिसका नाम ले पर नानी का नाम ना ले।
तब मैंने कहा- क्यूं?
तब अब्बु बोले- तेरी नानी की चूत मैंने मारी थी और कई साल तक मैं उसकी चूत चोदता रहा था।

तब मेरे साथ साथ भैया का मुँह भी खुला रह गया, तब भैया ने कहा- अब्बु, क्या आपने नानी को चोदा है?

अब्बु ने कहा- हां यार, साली मेरी सास बहुत मस्तानी थी। तुझे तो पता ही है कि तेरी अम्मी की कम उमर में शादी हुई थी। जब मेरी शादी हुई थी मैं 19 साल का था और तेरी अम्मी 18 साल की थी और मेरी सास सिर्फ़ 34 साल की थी। मगर मेरे ससुर की उमर करीब 42 साल थी, वो तुम्हारी नानी को खुश भी नहीं कर पाता था। जाने भी दो इन बातों को, अभी तो फ़िलहाल चुदाई का मज़ा लो। उसकी चुदाई के बारे में फ़िर कभी बताऊँगा।

और तब भैया पीछे से मेरी गाण्ड मार रहे थे और अब्बु आगे से मेरे मुँह में अपने लण्ड को धक्के लगा रहे थे।

अब मुझे भी मस्ती आने लगी और मैं अपने मुँह और गाण्ड को आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी थी और तब भैया झड़ गये थे। मगर अब्बु जी अभी भी नहीं झड़े थे और उन्होंने मुझे बेड पर खड़ा होने को कहा।

मैं खड़ी हो गई और तब अब्बु ने मेरे दोनों पैर अपने कन्धे के दायें बायें किए और मेरी चूत को मुँह में भर कर चूसने लगे। मैं बुरी तरह तप रही थी और अपने अब्बु का मुँह जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी। तब ही अब्बु खड़े होने की कोशिश करने लगे और मेरा बैलेन्स बिगड़ने लग।

तब मैंने घबरा कर कहा- आआअह्हह अब्बु क्या कर रहे है मैं गिर जाऊँगी !

मगर अब्बु नहीं माने और वो मुझे अपने कंधे पर बैठा कर खड़े हो गये। अब मैं अपनी दोनों टांगें उनकी गरदन में कस कर लपेटे हुए थी और अपनी चूत को उनके मुँह से दबाते हुए उनके सिर को भी जोर जोर से दबा रही थी और भैया आंख फ़ाड़े हुए अब्बु के इस पोज़ को देख रहा था और कसम से मज़ा तो हमें भी बहुत आ रहा था।

इस तरह से कोई पहली बार मेरी चूत चाट रहा था और थोड़ी देर बाद ही मैं ऊऊओहह्ह ऊओह्ह आह्हह आआअह्ह करते हुए झड़ गई और अब्बु का रस भी नीचे से पिचकारी की तरह बहने लगा और तब अब्बु मुझे नीचे उतारते हुए बेड पर लेटकर तुरंत अपने झड़े हुए लण्ड को मेरी दोनों चूचियों के बीच में रगड़ने लगे और मैं उनके नोक की तरह लण्ड की टोपी को मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी। पर अब्बु जल्दी जल्दी आगे पीछे कर रहे थे।

तब मैंने कहा- अब्बु, अपना लण्ड मेरे मुँह में दीजिये। आपका सारा माल बेकार ही जाया हो रहा है।

तब अब्बु ने अपने लण्ड को दोनों चूची के बीच से हटा कर मेरे मुँह में डाल दिया और मेरी चूची दबाने लगे और इस तरह से उनके लण्ड से थोड़ा सा रस और निकला, जिसे मैं चाट गई और फ़िर अब्बु ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में ठूंस दिया और उस दिन अब्बु और भैया दोनो ने मेरी गाण्ड ही मारी थी। मेरी बुर के साथ कोई हरकत नहीं की थी और फ़िर रात को दुबारा भी उन लोगों ने मेरी गाण्ड एक एक बार और मारी अब मेरी गाण्ड फ़ड़फ़ड़ा रही थी।

सुबह अब्बु ने कहा- क्यों रानी बेटी, क्या खयाल है? क्या अब भी पांच जन से चुदवाओगी?
मैंने गुस्से से कहा- साला बेटीचोद भोसड़ी वाले, कहा ना चुदवाना है तो चुदवाना है।
तब अब्बु मुस्कुरा कर बोले- कोई बात नहीं, आज रात तैयार रहना, आज पांच लोगों को लेकर आऊँगा !

और फ़िर मुझे अब्बु से नानी की चुदाई की बात भी जाननी थी। आज रात मुझे पांच जन से एक साथ चुदाई का मज़ा आने वाला है मगर मुझे अफ़सोस है कि अन्तर्वासना बहुत सी पाठिकाओं को शायद आज भी कोई लण्ड नसीब नहीं हुआ होगा और उन्हें मोमबत्ती से काम चलाना पड़ता होगा क्योंकि हर लड़की मेरी तरह बाप और भैया से नहीं चुदवा सकती।

खैर मैं पांच जन की Hindi sex stories आज रात चुदाने के बाद अगली बार आप सबको बताऊँगी। तब तक सभी लड़कियाँ मोमबत्ती और लड़के जो भी चीज़ उनको आसान लगे उससे काम चला लेवें।

Sex Stories

आज मैं भी आपको Sex Stories अपनी कहानी सुनाना चाहती हूँ। इस समय मेरी उम्र लगभग २० वर्ष हो चुकी है। मैं बी.ए. द्वितीय वर्ष में पढ़ती हूँ। हमारा कालेज को-एड है। साथ की सभी लड़कियों/सहेलियों के बॉय-फ्रैण्डस थे सिवाय मेरे।

एक बार की बात है कि मेरे ग्रुप के सभी लड़के-लड़कियों का झील पर पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बना। मेरा भी उनके साथ जाने को बहुत मन था, सो मैं भी उनके साथ चली गई। झील पर जाकर सब ग्रुप में नहाने लगे। मैं भी अपनी सहेलियों के साथ थीं। झील के चारों ओर घना जंगल था। सब एक-दूसरे से छेड़खानी और बहुत मजा कर रहे थे।

पहले तो लड़के लड़कियाँ अलग-अलग ग्रुप में थे पर जल्दी ही हम लोग आपस में मजे करने लगे थे। मेरी सहेलियों के साथी भी उन्हें आकर छेड़ने लगे थे।

छेड़छाड़ धीरे-धीरे बढ़ रही थी और कपड़ों के उतरने तक पहुँचने लगी थी। लड़के मेरी सहेलियों की चुचियाँ दबाने लगे थे और लड़कियाँ उनके लन्ड दबाकर मजे ले रही थीं। धीरे-धीरे वे अपने-अपने जोड़े बनाकर जंगल में जाने लगे। और मैं शायद अकेली रह गई थी। लेकिन सबको देखकर मेरी जवानी में भी आग लग रही थी।

तभी अचानक मेरे टाँगों पर मैंने किसी की पकड़ महसूस की। मेरी साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई। अचानक नीचे ही नीचे उस अजनबी हाथ की उँगलियाँ मेरी पैंटी को हटाकर मेरी चूत में तेजी से घुस गई थीं। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत में किसी ने कोई चाकू डाल दिया हो। तभी वह अजनबी साया खड़ा हुआ। उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी चुचियाँ दबाने लगा। मैने देखा तो मेरी ही क्लास का एक लड़का था। मैं विरोध करने की स्थिति में नहीं रह गई थी। मेरे सांसे भारी होती जा रहीं थीं। तभी उस लड़के की पूर्णतः नंगी गर्ल फ्रैण्ड़ वहां पर आ गई और उसे आवाज देकर कहने लगी कि अगर मुझे चोदना छोड़कर यहीं रहना हो तो मैं जा रही हूँ। तुम इसी के साथ रहो, यह सुनकर वह लड़का मुझे छोड़कर तुरन्त चला गया जैसे मेरी कोई अहमियत ही न हो।

मैं अपनी प्यासी जवानी के साथ फिर अकेली खड़ी रह गई। पर तब मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत में दर्द हो रहा है। मैने नीचे देखा तो हल्का सा खून दिखाई दिया। मैं डर कर सोच ही रही थी कि क्या किया जाये। कि तभी एक अजनबी आवाज ने मेरा ध्यान भंग कर दिया। मैने देखा कि एक छः फुट के लगभग एक जवान मेरे सामने खड़ा है। यद्यपि वो मेरे साथ बड़े अदब से बात कर रहा था। लेकिन मुझे एक तो उस लड़के और दूसरे अपनी कुंवारी चूत से होते दर्द के कारण बहुत गुस्सा आ रहा था सो मैं उस लड़के से बहुत बेरूखी से पेश आई।

तो वह बोला कि उसका पास ही में एक काटेज है और वो वहीं से मेरे साथ हुये एक-एक वाकये को देख रहा था। और जब उसने उस लड़के के जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की तो मुझे वो भी उस समय अपना दोस्त ही लगने लगा। उसने मुझसे कहा कि आपके निचले हिस्से से खून ज्यादा ही बह रहा है, आइये मेरे काटेज पर कुछ दवा लगा लीजिये, जब तक बाकी लोग फ्री हों आप आराम कर लीजियेगा।

मैं कुछ भी सोच नहीं पा रही थी सो वहीं खड़ी रह गई। उसने शायद मेरी स्थिति जान ली और अपने आप ही पानी में आकर मुझे अपनी गोदी में उठा लिया। कोई और मौका होता तो इस हरकत के लिये मैं उसे दो-चार तमाचे मार ही देती पर मेरी हालत आप समझ सकते हैं। जब वो मुझे कसकर पकड़कर अपने काटेज की ओर ले जा रहा था तो मेरी चुचियाँ उसके सीने पर और उसके हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे थे।

खैर उसने रास्ते भर कोई गलत हरकत नहीं की। और गीले बदन ही मुझे काटेज में लेकर आ गया। जब उसने मुझे सोफे पर धीरे से लिटाया तो एक बुजुर्गवार से बोला कि बाबा, मेमसाहब कुछ देर आराम करेंगी, आप बाहर देखभाल करो कि कोई डिस्टर्ब न करे ! और अपना काम ध्यान से करना। वो बूढ़ा व्यक्ति तुरन्त ही वहाँ से चला गया। तभी उसने ध्यान दिलाया तो मैंने देखा कि चूत से खून कुछ ज्यादा ही तेजी से निकल रहा है। उसने तुरन्त पानी गर्म किया और मेरा नेकर और चड्डी उतारने लगा तो मैंने आपत्ति की पर वह बोला- मुझे डॉक्टर समझो और करने दो जो मैं कर रहा हूँ।

मैं चुप हो गई। उसने रूई के गरम फोहे से धीरे धीरे सारा खून साफ कर दिया पर मेरी आग को बहुत भड़का दिया। अब मेरी चूत चुदास की आग से जल रही थी। मुझे अन्दर से लग रहा था कि उस लड़के से आज पहली बार जी भर चुदवाना चाहिये। लेकिन मेरी हिचक अभी भी बाकी थी। वह शायद मेरी स्थिति भांप गया था, बोला- डरो नहीं इसे अपना ही घर समझो।

यह कहकर वह पीछे कुर्सी पर बैठ गया, लेकिन कभी मेरी चूचियों और कभी मेरी चूत को देखने लगा।

इतने में उसने उठकर टीवी और डीवीडी प्लेयर ऑन कर दिया। उस पर एक इंग्लिश ब्लू फिल्म चल रही थी। हम उस पिक्चर को देखने लगे। वह साथ में कोई इंग्लिश मैग्जीन भी पढ़ रहा था। उसके कवर पेज पर भी लड़कियों के नंगे चित्र छपे थे। एक कोने पर तो एक लड़की एक लड़के का लण्ड चूस रही थी तो दूसरे कोने पर चुदने-चोदने का सीन था। कुछ ऐसे ही सीन टी.वी. पर भी लगातार जारी थे।

ऐसे में मुझसे खुद पर काबू रखना असम्भव हो गया। मैं उठकर खुद ही उसके पास जाकर उसकी गोदी में बैठ गई। नीचे से तो मैं नंगी थी ही, बैठते ही चूत और गाँड के छेदों के बीच में कुछ सख्त डण्डा सा चुभता हुआ महसूस हुआ। मैं समझ गई कि यह उसका वही मस्ताना लण्ड है जो मेरी चूत का पहली बार उदघाटन करने वाला है। वह भी उत्तेजित हो चुका था। उसने मेरे होठों को अपने होठों से दबा लिया और लम्बा सा किस करने के साथ ही मेरे होठों को चूसने लगा। साथ ही मैने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी चुचियों की तरफ बढ़ रहा था, वो भी उपर से नहीं, पठ्ठा सीधा अन्दर ही चला आ रहा था। मुझे वैसे तो गुदगुदी ही लगी लेकिन जैसे ही उसने तेजी से दबाना शुरू किया तो ऐसा लगा जैसे मेरी दोनो चुचियों में जबरदस्त दर्द हो रहा हो। मैं उससे और जोर जोर से दबाने को कहने लगी। पता नहीं क्यों मेरी सांसे भारी होती जा रही थीं। ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही हूँ।

तभी उसने अपना हाथ बाहर निकाला और मुझे पूरा नंगा करने लगा। बदले में मैने भी उत्तेजना में उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसने मेरे कपड़े उतारने के बाद अपने कपड़े उतारने में भी मेरी मदद ही की। अब हम दोनों पूर्णतया नंगे थे। अब उसने मुझे नीचे लिटाकर मेरी चुचियों को चूसना शुरू कर दिया। मेरी लिये तो ये एक बहुत बैचेनी भरा अनुभव था। जब वो एक चूसता तो लगता कि दूसरी चूसे और जब दूसरी चूसता तो लगता कि पहली वाली को और जोर से चूसना शुरू कर दे।

अचानक उसने चुचियों को चूसना बन्द कर दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे वो मेरा पता नहीं क्या छीनकर ले जा रहा है। लेकिन अगले ही मिनट उसने अपना मुंह जब मेरी चूत के मुँह के बीच में टिकाया और चाटा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरी पूरी जान जैसे केवल चूत में सिमटकर रह गई हो। मेरी पूरी काया झनझना उठी। ये तो बिल्कुल जन्नत का नजारा था। वो तल्लीनता से मेरी चूत के रास्ते मेरी जान खींचने में लगा था और मैं बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी।

अब मैं पूरी तरह से चुदवाने के लिये तैयार थी पर मेरे बार बार कहने पर भी वो चूत छोड़ने को तैयार नहीं था। अचानक मुझे एक रास्ता सूझा उससे अपनी चूत को मुक्ति दिलाने का। मैने उससे कहा- पिक्चर वाली लड़की की तरह मैं भी तुम्हारा लण्ड चूसना चाहती हूँ।

मेरी तरकीब काम कर गई, वो खड़ा हो गया और मैं उकड़ू बैठकर उसका लण्ड जोरों से चूसने लगी। वो मेरे सिर को पकड़कर ऐसे आगे पीछे करने लगा जैसे मुझे मुँह के रास्ते चोद रहा हो। अब मैने उससे कहा- मुझे जल्दी से चोदकर इस चुदास के दर्द से मुक्ति दिला दो।

इस पर उसने मुझे अपने ऊपर लिटाया और बोला कि लण्ड को चूत के छेद पर लगा कर के जोर लगाओ, चला जायेगा।

मैंने पूरा प्रयास किया लेकिन शायद अन्दर लेने की जल्दी में वो बार-बार फिसल जाता और दर्द दे जाता। तीन-चार बार असफल होने के बाद मैने उसकी तरफ तरसी निगाहों से देखा तो उसने मुझे नीचे लिटाकर लण्ड डालने का शायद नाटक किया। यह तो मुझे बाद में पता चला। उस वक्त तो उसने कहा- तुम्हारी चूत ज्यादा टाईट है इसिलिये अन्दर नहीं जा पा रहा। कई तरह से ट्राई करने के बाद उसने मुझसे कुतिया की तरह बैठने को कहा। तब तक मेरी हालत वाकई कुतिया से भी बदतर हो चुकी थी। सो उसने जैसे कहा मैने वैसे ही कर दिया। अब वो मेरे पीछे से ऊपर था और मैं कुतिया बनी उसके नीचे।

मेरे मुँह से तेजी से गर्म सांसे निकल रहीं थीं, मैं जैसे बुरी तरह हांफ रही थी। अब वो मेरे पीछे घुटनों के बल आकर बैठ गया। और अपना लन्ड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। उसका लण्ड गर्म सरिये की तरह गर्म हो रहा था। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत किसी गर्म तवे से छू हो गई हो। मैं अभी यह सोच रही थी कि उसने अचानक पीछे से मेरी चूत में अपने टाइट लण्ड का जोरदार झटका दिया और शायद उसका आधा लण्ड पहली ही बार में मेरी कुंवारी चूत में चला गया।

मैं दर्द से बिलबिला उठी। ऐसा लगा कि कोई खंजर मेरी चूत के रास्ते मेरे अन्दर उतर गया। मेरी सारी चुदास उस दर्द के एक ही झटके में उतर गई। मैने उससे बचने को आगे भागने ही थी कि उसने मेरा इरादा भांप लिया और मुझे मेरी गाण्ड से पकड़कर नीचे गिरा लिया। अब मैं दर्द से बिलबिला रही थी लेकिन वो मुझे छोड़ने के बिल्कुल भी मूड़ में नहीं लग रहा था। मैंने रो-रोकर उससे छोड़ने की गुजारिश की लेकिन वो जालिम मुझे छोड़ नहीं रहा था।

मैं अभी पहले झटके से ही नहीं उबरी थी कि उसने मेरी कमर पकड़कर मुझे उठाया और दूसरा करारा झटका दे दिया। इस बार उसका पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में उतर गया। मेरे चूतड़ उसकी जांघो से जा टकराये। अब तो दर्द बिल्कुल ही बर्दाश्त के बाहर हो गया। अब उसने पहली बार प्यार से मुझे पुचकारा और मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और उसकी इस चूचियों को जोर से दबाने और कमर चाटने की हरकत ने मेरा दर्द आश्चर्यजनक रूप से कम करना शुरू कर दिया।

उसका लण्ड यद्यपि मेरी चूत के अन्दर ही था पर अब उतना दर्द महसूस नहीं हो रहा था। अब उसने धीरे-धीरे अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में मुझे भी तीखे दर्द के बावजूद मजा सा आने लगा। अब मैं उसे तेजी से धक्के लगाने को कहने लगी। उसने मेरा ध्यान रखते हुये धक्के तेजी से लगाने शुरू कर दिये। करीब १५-२० मिनट तक उसने अलग-अलग कोणों से मुझे चोदा और मुझे बहुत मजा दिया। तभी मुझे लगा जैसे मेरी चूत में से कुछ निकल रहा है। मैं डिस्चार्ज हो रही थी। कुछ धक्के लगाने के बाद वो भी डिस्चार्ज हो गया। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। मुझे बाद में पता चला कि ये तो केवल शुरूआत भर थी।

आगे ……………………….

फिर कभी। Sex Stories

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