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अधिकांश में पाठकों ने मुझे Hindi Sex Stories लड़की मानकर चोदने की इच्छा तक जाहिर कर दी। यहाँ मैं यह बता दूँ कि “मैं लड़की नहीं हूँ !” और मैंने वे कहानियाँ सीमा की तरफ़ से उसी के शब्दों में पेश की थी। आज मैं उसी कहानी को आगे बढ़ा रहा हूँ।
गुरू के घर पे उस दिन सीमा की जो कमर-तोड़ चुदाई हुई, उससे उसका रोम-रोम दर्द करने लगा। दूसरे राउंड में जब उन्होंने अपने लौड़े उसके मुँह में खाली किये तो वह निढाल हो चुकी थी और काफ़ी देर तक तो वह उठ ही नहीं पाई, ऐसे ही नंगी पड़ी रही। उनका वीर्य उसके मुँह से नीचे टपक रहा था और उसकी चूत भी रिस रही थी।
उन्होंने उसे उठाया और बाथरूम में ले जाकर कुल्ला कराया और अपने लौड़े भी धोकर उसे अपने बीच में लिटा लिया। फ़िर कुछ देर अच्छी तरह से सहलाया तो वह कुछ होश में आई। तीन बजे के करीब उसे घर छोड़ गये। जब वह घर पहुँची तो लड़खड़ा रही थी। उसने जैसे तैसे कपड़े बदले और नाइटी में अपने बिस्तर पे जा पड़ी। मैं भी पहुँच गया।
क्या हुआ … ?
राजन और रमेश ने मुझे पूरी तरह से खोल कर बता तो दिया ही था और मुझसे कुछ भी छुपा नहीं था।
कुछ नहीं … बहुत थक गई हूँ … उसने आँखें बन्द कर लीं। मैं उसके सर पर हाथ फ़ेरने लगा।
ज्यादा हो गया क्या …
हाँ यार ! गुरुबचन और अकील अंकल ने दो-दो बार चोदा … …
तू इतनी कमजोर हो गई क्या … राजन व रमेश ने भी तो एक साथ ही चोदा था … … मैंने सर दबाते हुए कहा।
अरे वे तो इनके सामने बच्चे हैं … ये दोनों तो … हे भगवान! मार ही डाला …
इस उमर में भी … …
यार पैरों में दर्द हो रहा है … मालिश कर देगा क्या …
हाँ अभी लाया … और जब मैं तेल लेकर आया तो … उसने नाइटी ऊपर कर ली। वह पैंटी भी नहीं पहने थी। अभी अभी चुदी हुई चिकनी चूत मेरे सामने थी। मैं पूरे पैरों पर मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद वह बोली- तेल का हाथ जरा चूत पर भी फ़ेर दे … बेचारी बहुत पिटी है आज …
मैंने चूत पर भी थोड़ा तेल लगा दिया …
उल्टी लेट जाओ तो पीछे भी लगा दूँ !
तो एक मिनट रुक … उसने नाईटी उतार दी और औंधी लेट गई। मैंने भी पजामा उतार दिया ताकि चिकना न हो जाये।
वाह ! क्या बदन है … मेरा लंड कच्छे से बाहर आने लगा। टांगो पर तो पहले लगा ही चुका था सो मैं उसकी जांघों पर, गांड के पास दोनों ओर पैर करके, बैठ गया और फ़िर दोनों हाथों से उसकी गर्दन से चूतड़ों तक मालिश करने लगा। उसे कुछ आराम मिला।
मालिश करते हुए मैंने कहा- दीदी कई दिनों से एक बात मेरे मन में आ रही है?
क्या?
डरता हूँ कि तू नाराज न हो जाये …
बोल ना … तुझसे क्या छिपा है मेरा …
इतना सैक्सी बदन है तेरा … तो इसे क्यों ऐसे ही लुटा रही है …
क्या करूँ … सिंह अंकल ने ऐसी आग लगाई कि अब रहा नहीं जाता। वरना सोच पापा के दोस्तों से … वो भी एक बार में पटती क्या …
मालिश करते समय जब में झुकता तो मेरा लंड उसकी गांड की दरार से रगड़ खा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था …
पर तू कुछ और कहना चाह रहा है …
हाँ और तू चाहे तो …
उसने चेहरा उठाया और मुस्कराकर बोली- अपना अन्डरवियर भी उतार ले … ।
मैं शरमा गया फ़िर बोला- दरअसल दीदी !!
बोल ना यार शरमा मत … तू भी चोदना चाहता है मुझे …
नहीं वो बात नहीं है … पर डर लगता है कि तू नाराज न हो जाये …
नहीं आराम से कह …
मैंने कुछ सोचा फ़िर बोला- राजन भैया की एक मौसी है, जिसका अपना पेईंग-गैस्ट हाऊस है।
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राजन की दीदी भी जाती है। दीदी ने मुझे उठाया और सीधी हो गई और मेरी ओर देखने लगी।
उसकी मौसी को लड़कियों की जरूरत पड़ती है …
अपनी बहन को रंडी बनाना चाहता है ?
नहीं मेरा वो मतलब नहीं है पर …
साफ़ साफ़ बोल ना यार … … उसने मुझे खींचकर अपने बगल में लिटा लिया तो मैं उसके हाथ पर सर रखकर लेट गया और बोला- इतना सुन्दर और सैक्सी बदन है तेरा तो इसे ऐसे ही क्यों लुटा रही है …
इसमें रिस्क बहुत होता है … वह मेरी ओर घूमी और गाल पर चूमते हुए बोली।
राजन की दीदी तो कई साल से कर रही है … राजन कह रहा था कि उसकी मौसी बिलकुल सेफ़ गेम रखती है …
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वो सिर्फ़ चुनिन्दा लोगों से ही सम्पर्क रखती है जिसमें शहर के कुछ बड़े लोग और विदेशी मेहमान होते हैं। मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर कहा।
आइडिया बुरा तो नहीं है … ये लोग भी कौन सा मेरा लिहाज करते हैं … साले रन्डी की तरह ही तो चोदते हैं …
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यह बड़ी देर से खड़ा है …
इतनी सुन्दर लड़की को नंगी देखकर भी खड़ा नहीं होगा क्या …
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कोई बात नहीं … ला मुँह से खाली कर देती हूँ … मैं रोमांचित हो गया … घुटनों के बल बैठ गया। उसने दो तकिये लगाये तो उसका मुँह लंड तक आ गया। मैंने उसकी एक चूची पकड़ी तो उसने मुँह खोल दिया। मैंने लंड मुँह में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। उसने भी मुँह चलाना शुरू कर दिया।
आह्ह्ह दीदी … बहुत मजा आ रहा है … वो जोर जोर से लपालप चूसने लगी। मैं काफ़ी देर से भरा तो था ही सो 10 मिनट में ही झड़ गया।
मजा आया?
हाँ … बहुत …
चल हट अब कुल्ला करके आऊँ … फ़िर हम ऐसे ही साथ ही सो गये। Hindi Sex Stories
प्यारे दोस्तो, चंदा की Antarvasna Stories बेटी छवि की चुदाई तो उसी रात मैंने कर दी जिस रात चंदा को चोदने उसके घर गया था।
छवि की चूत चोद कर मुझे काफी संतुष्टि भी मिली लेकिन अभी भी मैं मौके की तलाश में था कि छवि की गांड कैसे मारूँ। हर समय मेरे आगे छवि का नंगा बदन घूमता रहता था। कभी-कभी सपने में भी लगता कि मैं छवि को चोद रहा हूँ। तो कभी लगता कि मैं छवि को कुतिया बना कर उसकी गांड में अपना लंड पेल रहा हूँ। मैंने सोच लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाये, छवि की गांड की सील तोड़नी है। इधर कुछ दिनों से चंदा का भी फोन नहीं आया कि मैं किसी तरह से छवि पर अपनी नजर गाड़ सकूँ। इसी उधेड़बुन में एक सप्ताह निकल गया और मैं छवि की गांड मारने के लिए बेकरार हो रहा था।
एक रोज रात के नौ बजे छवि के फोन से मिस कॉल मेरे फोन पर आया। मैंने तुंरत वापिस कॉल किया तो छवि ने मेरा फोन काट दिया। मैं निराश हो गया.
रात में दस बजे खाना खाकर यूँ ही गाड़ी लेकर निकल गया लेकिन बार बार छवि का चेहरा, छवि की चूत, छवि की कड़ी कड़ी चूचियाँ, छवि के चिकने चूतड़ मेरे सामने आ जाते थे। इसी तरह छवि की यादों में खोया जब मैं आई.टी.ओ. पहुंचा तो छवि की फोन दोबारा आया।
फोन उठाते ही सुरीली सी आवाज आई- हेल्लो राकेश … राकेश बोल रहो हो?
“हाँ… राकेश बोल रहा हूँ.”
“मैं छवि बोल रही हूँ… कुछ याद है या याद दिलाना होगा?”
“नहीं डार्लिंग मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ जानेमन … बताओ कब हाजिर हो जाऊँ आपकी सेवा में …”
छवि बोली- आज रात को मम्मी किसी पार्टी से मिलने बोम्बे जा रही हैं, और मैं घर पर अकेली हूँ। मूड कुछ करने का हो रहा है!
मैं कब आ सकता हूँ? मैं बोला- जब तुम बोलोगी, बन्दा हाज़िर हो जाएगा!
छवि बोली- साढ़े बजे के लगभग मम्मी निकलेंगी घर से! ग्यारह बजे के लगभग आ जाओ!
मैं आई टी ओ पर था ही! कुछ देर इंडिया-गेट के आस पास घूमता रहा और ठीक 11 बजे जा कर उसके घर पर घण्टी बजा दी।
छवि ने आकर गेट खोला, मुझे देख कर मुस्कराते हुए बोली- तुम समय के बड़े ही पक्के हो यार!
मैं भी हँसते हुए बोला- तुम्हारे जैसी सेक्सी आइटम बुलाये तो मैं तो दो घंटे पहले हाजिर हो जाऊँ!
हम दोनों एक साथ हँस पड़े…
छवि देखने में एकदम गोरी-चिट्टी तो है ही, आज उसका ड्रेस और उसे सेक्सी बना रहा था, एक हल्का पतले कपड़े का टॉप जिससे उसकी चूचियाँ एकदम तनी हुई दिख रही थी। किसी का लंड खड़ा कर दें, साले बुड्डे को भी जवान बना दें!
मैं तो 28 साल का जवान था। मेरा लंड तो उसके फोन आने के समय से खड़ा ही था। दरवाजे को बंद करके जब छवि मुड़ी तो मैंने उसे अपनी बाहों में दबोच कर एक किस कर दिया। बदले में छवि भी मुझे किस करने लगी … कभी होठों पर तो … तो कभी मेरे गालों पर, तो कभी माथे पर लगातार वो किस कर रही थी …
मैं समझ गया कि यह साली आज पूरा चुदवाने के लिए बेचैन हो रही है…
उसे बाहों में उठा कर वहीं सोफे पटक दिया और छवि के होंठ को अपने होठों से दबा कर उसका रसपान करने लगा। दस मिनट तक रसपान करने के बाद वो मेरे होंठ को अपने लाल लाल होठों से दबा कर पीती रही।
अब मैंने उसके छोटे से टॉप को निकाल कर अलग कर दिया, उसके दोनों स्तन आजाद थे, मानो जैसे कि कबूतर उड़ने को बेकरार हों! अब छवि को उठा कर अपनी जांघों पर बैठा कर उसके स्तनों को मसलने लगा और उसके मुँह से तरह-तरह की सेक्सी आवाज आने लगी… वोह… मेरे रजा आज जम कर मुझे चोदना … मेरी प्यास बुझा दो…मै कब से प्यासी हूँ … अपने लंड से मेरी प्यास बुझा दो ..
मैं अब उसकी चूचियों को चूस चूस कर पी रहा था जिससे वो और ज्यादा बेचैन ही रही थी।
अब छवि की पैंट-चड्डी को भी उससे अलग कर दिया, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों नंगे थे और एक दूसरे की बांहों में जवानी का पूरा मजे ले रहे थे। 69 की अवस्था में आकर छवि मेरा लंड चूस रही थी और मेरी जीभ उसकी चूत का रस चाट रही थी। बीच-बीच में अपनी ऊँगली से उसकी चूत के छेद चौड़ा कर रहा था क्योंकि आज वो दूसरी बार चुदवाने जा रही थी, चुदाई करने में शुरु के 5-6 बार दर्द तो होता ही है। यह अलग बात है कि कुछ दिन बाद चूत का छेद बड़ा हो जाने पर दर्द कम या नहीं होता है। सोच कर मैं बड़े आराम से सब कर रहा था क्योंकि आज घर पर उसकी माँ चंदा भी नहीं थी सो न डर, न जल्दबाजी! सब कुछ आराम से!
काफी देर तक एक दूसरे से खेलने के बाद अब चुदाई का समय आया।
मैंने थूक लगा कर उसकी दोनों टांगों को फैलाया और उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे उसकी बुर का मुँह खुल जाए। अब उसकी चूत पर ढेर सा थूक लगा कर अपना सात इंच का लंड पेलना शुरु किया।
वो दर्द से परेशान जरूर हुई लेकिन आराम से पूरा लंड खा गई। थोड़ी ही देर में वो कमर हिला-हिला कर मजे से चुदवाने लगी। उसे भी मजा आ रहा था और मुझे भी! और उस कमरे को भी जहाँ पर ये आवाजें गूंज रही थी- फचक…फचक… वोह… अह..जोर से… फचक… अह…मुझे तो तुम्हारा लंड चाहिए … आज जम कर पेलो… फाड़ डालो मेरी बुर को … मेरे रजा आइ लव यू …राजा…अह…
लगभग एक घंटे की चुदाई के बाद हम दोनों अपनी मंजिल पर थे। दोनों का बदन अकड़ने लगा और एक झटके के साथ ही छवि की बुर मेरे रस से भर गई। 15 मिनट तक हम एक दूसरे से इसी तरह चिपके रहे।
जब वो अलग हुई तो बोली कि वो बाथ लेगी, मैं थोड़ा हैरान सा था क्योंकि माँ-बेटी की आदत काफी मिलती जुलती थी। मैं भी बाथ लेने उसके साथ ही बाथरूम में चला गया। मैं और छवि एक दूसरे से चिपक कर नहा रहे थे। कभी वो मुझे छेड़ रही थी, कभी मैं उसकी चूचियों को दबा-दबा कर छेड़ रहा था। इसी बीच वो फिर से गर्म हो गई और बाथरूम में ही चुदवाना चाह रही थी। फिर मैंने ढेर सा साबुन का झाग उसकी चूत पर लगा कर कुतिया के पोज में उसकी चूत के छिद्र में लंड को लगाकर जोर का झटका मारा जिससे मेरा लंड एक बार में ही उसकी चूत की गहराइयों को छू गया। छवि के मुँह से जोर से आवाज आई- आइ ओ माँ मर गई!
लेकिन कुछ ही देर में सामान्य हो कर मजे लेने लगी। थोड़ी देर में मैंने उसे उसकी गांड मारने की बात बताई तो उसे बड़ा ही अजीब लगा। लेकिन थोड़ी न-नुकर के बाद छवि गांड मराने को तैयार हो गई। मैं काफी खुश हुआ क्योंकि मुझे मेरे मन की तम्मना पूरी होने जा रही थी। डौगी स्टाइल में ही उसे बाथरूम की दीवार के सहारे झुकाया, छवि की गांड पर काफी सारा साबुन का झाग लगा कर लंड को पेलना चालू कर दिया। लेकिन मेरा लंड उसके गांड में घुस ही नहीं रहा था। छवि पहली बार गांड मराने जा रही थी इसलिए जाहिर था कि उसकी गांड का छेद बड़ा टाईट था। मेरा लंड घुस ही नहीं रहा था। अब साबुन के झाग के साथ उसकी गांड में ऊँगली पेल कर छेद को चौड़ा किया, साथ ही छवि को समझाया कि जब मेरे लंड का मुंड घुसेगा तो दर्द होगा, लेकिन एक बार बर्दाश्त कर लोगी तो फिर मजा ही मजा है।
छवि के हाँ करते ही फिर साबुन के झाग के साथ ही अपने लण्ड को छवि की गांड के छेद में लगाकर जोर का झटका मारा। झटके के साथ ही मेरा लंड छवि के गांड को फाड़ते हुए आधा घुस गया। बदले में दे गया- रुक साले!… तूने मेरी गांड फाड़ दी… मैं मर जाउंगी.. अपना लंड बाहर निकाल चूतिये! मुझे गांड नहीं मरानी…
इसके साथ ही छवि आगे की तरफ भागी जिसे मैं पहले ही जान चुका था। उसके कुछ करने के पहले ही उसकी कमर को जोर से पकड़ कर एक और जोर का धक्का मारा जिससे मेरा लंड उसकी गांड में पूरी तरह से फिट हो गया।
साथ ही गालियों की बौछार- हरामी… साले… कमीने… मेरी गांड फट गई…
जब धीरे धीरे वो शांत हुई तो फिर समझाया। साथ ही धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करते हुए छवि को चोदने लगा। दस मिनट आराम से चोदने के बाद उसे भी मजा आने लगा। अब छवि भी अपने मुँह से सेक्सी आवाज निकाल कर अपनी गांड में लंड पेलवा रही थी- अह वोह… हाय … मेरे राजा … खूब चोदो… म्माजा आ रहा है… आह… वोह… और जोर से…चोदो…
आधे घंटे चुदाई करने के बाद मैंने अपना सारा माल उसकी गांड में उडेल दिया। दोनों शांत होकर बाहर निकले, हमारे चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे। दोनों ने एक दो दो पग व्हिस्की के लगाये। फिर हमारी चुदाई का कार्यक्रम चालू हो गया।
पूरी रात में तीन बार चूत और दो बार गांड में पेला। सुबह जब चलने लगा तो मेरे हाथों में हरे हरे पत्ते थे जिससे मैं समझ गया कि छवि को मेरा प्रोफाइल किसी तरह से मालूम हो गया था।
मैं भी खुश था क्योंकि एक अच्छी चूत के साथ गांड भी चोदने को मिला था साथ हरे हरे नोट भी।
दोस्तो, यह थी छवि की गांड की चुदाई।
कृपया अपने सुझाव मुझे भेजते रहें। Antarvasna Stories
हाय, मेरा नाम सुरेश है। मुझे अभी तक यकीन नहीं होता जो मैं लिखने जा Antarvasna रहा हूं। 3 दिन पहले मेरे साथ ऐसा एक्सपेरिएंस हुआ जो मैं सोच भी नहीं सकता था।
हुआ यूं कि मेरी पूरी फ़ेमिली (मेरा संयुक्त परिवार है) किसी शादी पे दो दिन के लिये चली गयी। घर सिर्फ़ पापा, मम्मी और मैं था। सुबह पापा भी ओफ़िस चले गये।
मम्मी कामवाली के साथ काम करने लगी और मैं अपने कमरे मैं स्टडी करने चला गया। दोपहर करीब एक बजे कामवाली चली गयी। मैं स्टडी कर रहा था के मुझे मम्मी की आवाज़ आयी।
मैं कमरे के बाहर गया तो देखा कि मम्मी फ़र्श पर गिरी पड़ी थी। मैंने फ़ौरन जाकर मम्मी को उठाया और पूछा- क्या हुआ?
“फ़र्श पर पानी पड़ा था, मैंने देखा नहीं और गिर गयी!”
“चोट तो नहीं लगी?”
“टांग मुड़ गयी।”
“हल्दी वाला दूध पी लो!”
“नहीं, उसकी ज़रूरत नहीं। बस टांग में दर्द हो रहा है, लगता है नस पे नस चढ़ गयी है!”
“थोड़ी देर लेट जाओ!”
“मुझसे चला नहीं जा रहा, मुझे बस मेरे कमरे तक छोड़ आ!”
“आराम से लेट जाओ और अब कोई काम करने की ज़रूरत नहीं है।”
“हाय रे, टांग हिलाई भी नहीं जा रही।”
“मैं कुछ देर दबा दूं क्या?”
“दबा दे।”
मैंने टांग दबानी शुरू की। मैं पूरी टांग दबा रहा था, पैर से लेकर जांघ तक!
“कुछ आराम मिल रहा है?”
“हाँ”
“मेरे ख्याल से तो आप थोड़ा तेल लगा लो, जल्दी आराम मिल जायेगा।”
“कौन सा तेल लगाऊँ?”
“वो ही, जो बोडी ओयल मेरे पास है।”
“चल ले आ”
मैं अपने कमरे से जाकर तेल ले आया। मम्मी ने अपनी शलवार ऊपर उठा ली लेकिन वो घुटने से ऊपर नहीं उठ पायी। मैंने कहा “अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं ही लगा दूं?”
इतने में फोन की बेल बजी। फोन पे पापा ने कहा कि वो आज खाना खाने नहीं आयेंगे।
“किसका फोन था?”
“पापा का था कि वो खाना खाने नहीं आ रहे!”
“अच्छा!”
“तेल लगा दूं?”
“लगा दे!”
फिर मैंने मम्मी के पैर से लेकर घुटने तक तेल लगाना शुरू कर दिया कुछ देर बाद मम्मी बोली “पर दर्द तो मेरे घुटने के ऊपर हो रहा है।”
“एक काम करते हैं। आप तांग के ऊपर कम्बल कर लो, मैं कम्बल के अन्दर हाथ डाल के आपके जांघ की मालिश कर दूंगा।”
“मैं खुद ही कर लूंगी।”
“मैं एक बार कर देता हूं आपको आराम जल्दी मिल जायेगा।”
“अलमारी से कम्बल निकाल के मेरे ऊपर कर दे।”
मैंने मम्मी के ऊपर कम्बल कर दिया। फिर मैंने कम्बल के अन्दर हाथ डाल के मम्मी की शलवार का नाड़ा खोला और शलवार घुटनों के नीचे सरका दी, मम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली। मैंने मम्मी की जांघ पर तेल लगाना शुरु किया।
“ऊऊओह…” मम्मी की जांघ का अनुभव बहुत ही मादक था।
“मम्मी कहाँ तक लगाऊँ तेल?”
“बेटे थोड़ा तेल जांघ पर!”
मैंने मम्मी की जांघ पर अंदर की तरफ़ तेल लगाना शुरु किया तब मम्मी ने अपनी टांगें थोड़ी फ़ैला ली। मैं तेल मलते हुए कभी कभी अपना हाथ मम्मी की पेंटी और चूत के पास फेरता रहा। मैं कम्बल में खिसक गया और मम्मी की टांगें अपनी कमर की साइड पे रख के तेल लगाता रहा।
“मम्मी, अगर आप उलटी लेट जाओ तो मैं पीछे से भी तेल लगा दूंगा।”
“अच्छा!”
“मम्मी शलवार का कोई काम नहीं है, इसे उतार दो!”
“नहीं, खोल के घुटनों तक सरका दे।”
“अच्छा।”
फिर मम्मी पेट के बल लेट गयी, अब मैं मम्मी की दोनों टांगों के बीच में बैठा हुआ था- मम्मी कुछ आराम मिल रहा है?
“हम्म!”
“मम्मी एक बात बोलूं?”
“हम?”
“आपकी जांघें सोफ़्टी की तरह मुलायम हैं.”
मम्मी इस पर कुछ नहीं बोली।
मैंने तेल मम्मी की हिप्स पर लगाना शुरु कर दिया- मम्मी आपकी हिप्स को छू के…
“छू के क्या?”
“कुछ नहीं!”
“बता न छू के क्या?”
“आपके हिप्स को छू के दिल करता है कि इन्हें छूता और मसलता जाऊँ। आपकी जांघें और हिप्स बहुत चिकनी हैं। तेल से भी ज़्यादा चिकनी। मम्मी क्या आपकी कमर भी इतनी ही चिकनी है?”
“तुझे नहीं पता? खुद ही देख ले!”
“मम्मी आप पहले के जैसे पीठ के बल लेट जाओ!”
“ठीक है।”
फिर मैं मम्मी के पेट और कमर पर हाथ फेरने लगा।
“बेटे अब मैं बहुत मोटी होती जा रही हूं, है न?”
“नहीं मम्मी, आप पहले से ज्यादा सेक्सी लगने लगी हो?”
“क्या लगने लगी हूं?”
“सेक्सी।”
“बेटे सेक्सी का क्या मतलब होता है?”
“सेक्सी का मतलब होता है कामुक!”
“सच्ची, मैं तुझे कामुक लगती हूं?”
“हाँ, मम्मी मैंने आज तक इतनी चिकनी हिप्स नहीं देखी… क्या मैं आपकी हिप्स पे किस कर सकता हूं?”
“क्या?”
“प्लीज़ मम्मी, बस एक बार!”
“पर किसी को बताना मत!”
“बिल्कुल नहीं बताऊँगा!”
मैं मम्मी की हिप्स पे किस करने लगा और जीभ से चाटने भी लगा।
“बेटे कम्बल निकाल दे।”
मैंने कम्बल निकाल दिया।
“मम्मी आपकी हिप्स के सामने तो अमूल बटर भी बेकार है।”
“अच्छा।”
“मम्मी मैं एक बार आपकी नाभि पे किस करना चाहता हूं।”
“नहीं, तूने हिप्स पे कहा था और वो मैंने करने दिया और तूने तो उसे चाटा भी है, अब और नहीं।”
“प्लीज़ मम्मी, जब हिप्स पे कर लिया तो नाभि से क्या फ़र्क पड़ता है?”
“तो आखिर करना क्या चाहता है?”
“मैं तो आपकी जांघों को भी चूमना चाहता हूं, आपकी जांघों की शेप किसी को भी ललचा सकती है, आपकी कच्छी (पेंटी) आपकी कमर पे इतनी अच्छी तरह फ़िट हो रही है कि मैं बता नहीं सकता, आपकी जांघें देख कर तो मेरे मुँह में पानी आ रहा है, क्या मैं आपकी जांघों पे भी किस कर सकता हूं?”
“पता नहीं तूने मुझ में ऐसा क्या देख लिया है, हम दोनों जो भी करेंगे सिर्फ़ आज करेंगे और आज के बाद कभी इसको डिस्कस भी नहीं करेंगे, प्रोमिस?”
“प्रोमिस… मम्मी मैं आपकी शलवार निकाल दूं?”
“हम्मम्मम… निकाल दे!”
अब मम्मी बिना शलवार के थी। फिर मैं मम्मी की नाभि को चाटने लगा। मम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली। फिर मैं मम्मी की जांघों को दबाने, चूमने और चाटने लगा।फिर मैंने एक चुम्मा पेंटी के ऊपर से ही मम्मी की चूत का लिया।
“अह्हह, बेटा… ऊउस्स शहह्हह… यह क्या… अच्छा लग रहा है!”
“मम्मी मैं आपकी चूत चखना चाहता हूं।”
“क्या चखना चाहता है?”
“चूत”
“चूत क्या होती है?”
“चूम के बताऊँ?”
“बता”
मैंने फिर से पेंटी के ऊपर से मम्मी की चूत को चूमा। मम्मी ने कहा “आआहह्हह…ईईएस्स…बेटा मेरी चूत को थोड़ा और चूम”
“कच्छी के ऊपर से ही?”
“नहीं, कच्छी निकाल दे।”
मम्मी के इतना कहने की देर थी कि मैंने कच्छी निकाल दी और मम्मी की चूत को चाटना शुरु कर दिया।
मम्मी सिसकने लगी- ईईएस्स शहह्ह… आआहह… बेटा बहुत आनन्द आ रहा है। मेरी चूत पे तेरी जीभ का स्पर्श कमाल का मजा दे रहा है।
मैं कुछ देर तक मम्मी की चूत चाटता रहा। इतने सब होने के बाद तो मेरा लौड़ा भी तैयार था- मम्मी, अब मेरा लौड़ा बेचैन हो रहा है।
“लौड़ा क्या होता है?”
मैंने अपना पैंट उतार कर अपना लौड़ा मम्मी के सामने रख दिया और बोला- मम्मी इसे कहते हैं लौड़ा!
“हाय माँ… तू इतना गंदा कब से बन गया कि अपना यह… क्या नाम बताया तूने इसका?”
“लौड़ा!”
“हाँ, लौड़ा, की अपना लौड़ा अपनी ही माँ के सामने रख दे।”
“माँ मेरा लौड़ा मेरी माँ की चूत के लिये मचल रहा है।”
“लेकिन बेटे माँ की चूत में उसके अपने बेटे का लौड़ा नहीं घुस सकता।”
“लेकिन क्यों माँ?”
“क्योंकि यह पाप है।”
“माँ तू क्या है?”
“मैं तेरी मा हूं।”
“मेरी माँ होने से पहले तू क्या है”
“इंसान…”
“और उसके बाद?”
“एक औरत।”
“बस, सबसे पहले तू एक औरत है और मैं एक मर्द, और एक मर्द का लौड़ा औरत की चूत में नहीं घुसेगा तो कहाँ घुसेगा?”
“लेकिन…”
“क्या माँ, जब मैंने तेरी चूत तक चाट ली तो क्या तुझे चोद नहीं सकता?”
“चोद मतलब?”
“मतलब अपना लौड़ा तेरी चूत में!”
“तू मेरी चूत चाहे कितनी ही चाट ले, मुझे चटवाने में ही मजा आ रहा है”
“माँ चुदाई में जो आनन्द है वो और किसी चीज़ में नहीं”
“तू जानता नहीं मेरी चूत इस वक्त लौड़े की भूखी है। पर कहीं बच्चा न हो जाये?”
“नहीं माँ, मैं अपना माल तेरी चूत में नहीं गिराऊँगा”
“प्रोमिस?”
“प्रोमिस।”
“तो अपनी माँ की बेकरार चूत को ठंडा कर दे न, बेटे मेरी चूत की आग बुझा दे न!”
“पहले तू बैठ जा।”
“ले बैठ गयी।”
“अब तू मेरे लौड़े पे बैठ जा!”
फिर माँ मेरे लौड़े पर बैठ गयी और मैंने धक्के मारने शुरु कर दिये।
“ऊऊओ… बेटे… अहह…”
“ओह, ओह, मा तेरी चूत तो टाइट है!”
“ऊऊओहह्हह… अपने बेटे के लिये ही रखी है।”
“हाँ…माँ की चूत बेटे के काम नहीं आयेगी तो किसके काम आयेगी”
“ऊऊओ… मेरा प्यारा बेटा… मेरा अच्छा बेटा… और ज़ोर लगा।”
“ऊह्ह…मेरी माँ कितनी अच्छी है।”
फिर मैं और मम्मी चुदाई के साथ फ़्रेंच किस भी करते रहे।
“ऊऊ माँ मेरा माल निकलने वाला है।”
“मेरा भी।”
“करूं अपने लौड़े को तेरी चूत से अलग?”
“नहीं…नहीं, प्लीज़, चोदता रह तेरे लौड़े में मेरी चूत की जान है।”
“और तेरी चूत में मेरे लौड़े की जान है।”
“आआहह… ऊऊ…” Antarvasna
मेरे प्यारे Antarvasna Stories दोस्तो, मैं एक बार फिर हाजिर हूँ अपना 7 इंच का लंड लेकर छवि की चुदाई करने!
जैसा कि आप सभी मेरी पिछली कहानी
आंटी और उनकी छवि
से जानते हैं कि मैं छवि की माँ चंदा की चुदाई पहले ही कर चुका हूँ और चंदा भी मुझसे हर दूसरे या तीसरे दिन चुदवाती रहती है, साथ में मेरी जेब भी गरम करती है तो मुझे और क्या चाहिए! एक नियमित ग्राहक का ध्यान रखते हुए मुझे भी उसके फोन का इंतजार रहता है कि कब चंदा डार्लिंग का फोन आये और मैं उसका चूत-मर्दन कर सकूँ।
एक रोज मुझे कोई काम नहीं था था और घर पर बैठ कर चाय पी रहा था कि चंदा का फोन आया- आज चुदवाने का दिल कर रहा है! लेकिन आज बेटी छवि हॉस्टल से आने वाली है!
मैं मन ही मन खुश हुआ कि आज चंदा के साथ छवि की चूत के भी दर्शन होंगे।
लेकिन चंदा ने बताया कि वो मुझसे चुदवाती है, यह बात छवि को पता नहीं चलना चाहिए।
मैं अपना दिमाग चलाने लगा कि किस तरह टांका फिट करूँ कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे!
मैं चंदा को नाराज कर अपना एक पार्टी भी नहीं तोड़ना चाहता था और छवि को भी चोदना था।
एकदम से मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि क्यों न चंदा को रात में दस बजे के बाद चुदाई करूँ जिससे छवि को भी चोदने का मौका मिल जायेगा। मैंने चंदा को कहा कि मैं रात को आ सकता हूँ तो वो थोड़ा सकपका गई लेकिन तुंरत मान गई। अब मैं मन ही मन खुश था कि छवि की चुदाई भी करूँगा।
रात साढ़े नौ बजे मैं उसके घर पर गया तो पता चला कि छवि आ गई है और अपने कमरे में आराम कर रही है। छवि का कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था और हम चुदाई का कार्य क्रम नीचे ही करते थे। चंदा अब आराम से चुदवाने के मूड में थी जबकि मैं छवि को चोदने के बारे में ही सोच रहा था कि चंदा ने व्हिस्की का पैग बना कर मेरे आगे रख दिया। उसे पता था कि मेरा चुदाई का प्रोग्राम कैसे होता है।
हम दारू की चुस्की लेते हुए एक दूसरे के होंठ पी रहे थे और मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था और वो मेरे लंड को पी रही थी। एक एक कर हमारे कपड़े हमसे अलग हो चुके थे और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में चूमा-चाटी कर रहे थे। काफी देर तक हमारा यही प्रोग्राम चलता रहा। अब चुदाई करने का समय था और मैं इसे जल्दी जल्दी पूरा करना चाहता था लेकिन चंदा अपनी ही चाल से चल रही थी, उसे कोई जल्दी नहीं थी। उसे क्या पता कि मैं आज उसकी बेटी को भी चोदने का मूड बना चुका हूँ।
खैर काफी देर तक चंदा मेरे साथ 69 पोज में मेरे लंड को चूसती रही। कभी मेरे लंड का सुपारा होठों से दबा कर तो कभी जीभ से सहला कर मजे ले रही थी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मैं भी उसकी चूत की भगनासा को तो कभी चूत के दोनों होंठ चाट रहा था जिससे उसे भी मजा आ रहा था और उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी- ओह… ओह… अह… अह…
यही हाल मेरा भी था- ओह… ओह… अह… अह…
एक घंटे के बाद मैंने उसकी जांघों को चौड़ा कर अपना 7 इंच का लंड उसमें डाल दिया जिसे उसने बड़े मजे से पेलवा लिया। अब हम ताबड़-तोड़ चुदाई का मजा ले रहे थे। जोश में हमें पता ही नहीं चला कि हमारे मुँह से निकलने वाली आवाज़ पूरे घर में गूंज रही है। सारा काम मेरी मन के मुताबिक ही हो रहा था, मैं यही तो चाहता था कि हमारी चुदाई की सेक्सी आवाजें किसी तरह छवि के कानों में पहुंचे और ऐसा ही हुआ।
मैं और चंदा दोनों एक साथ ही अपनी मंजिल पर पहुँच गए, मेरे वीर्य से उसकी चूत भर गई। काफी देर तक हम एक दूसरे से चिपके हुए रहे। फिर अलग हुए तो मन में एक डर सा आ गया कि लग रहा है कि अब छवि मैं नहीं चोद पाउँगा।
भारी मन से वापिस घर के लिए निकला मेरे साथ चंदा भी मुझे गाड़ी तक छोड़ने आई। गाड़ी की हालत देखी तो मैं चौंक गया- मेरे गाड़ी के दो चक्के की हवा निकल गई थी। और रात के एक बजे कंहीं पर भी ठीक नहीं हो सकती थी। अब चंदा न चाहते हुए बोली- तुम यहीं पर रुक जाओ! कल सुबह गाड़ी ठीक करवा कर जाना।
हम सोने चल दिए, चंदा अपने कमरे में चली गई। वो भी ऊपरी मंजिल पर ही था।
मै नीचे ही सो गया, यह सोच कर कि छवि तो अपने कमरे को बंद कर सो रही होगी और मैं उसके घर में जबरदस्ती उसे चोद भी नहीं सकता।
अभी आँख लगने ही वाली थी कि मुझे लगा कि कोई मेरा लंड चूस रहा है। फिर दिमाग में आया कि यह सपना हो सकता है क्योंकि इस वक्त कौन मेरा लंड चूसेगा।
लेकिन थोड़ी देर में ही पता चल गया कि छवि मेरा लंड पी रही थी। मैं एकदम घबराकर उठ बैठा। तभी छवि ने मुझे चुप रहने का इशारा किया और उठ कर अपने कमरे में चल दी, मैं भी उसके पीछे पीछे…
वहाँ जाकर छवि ने बताया कि उसने मेरी और चंदा की चुदाई का लाइव मैच देखा है, तब से उसे भी चुदवाने का मन कर रहा है।
मैं भी यही चाहता था। मैंने चंदा के बारे में पूछा तो वो बोली- मम्मी तो दारू पीने के बाद गहरी नींद में सो रही है और उसे सुबह से पहले होश नहीं आयेगा।
मैं अब निश्चिंत हुआ कि अब आराम से छवि की चुदाई करूँगा।
बातों-बातों में छवि ने बताया कि वो कालेज में कई बार ब्लू फिल्म देख चुकी है लेकिन किसी चुदाई नहीं कराई है। फिल्म देखने के बाद जब गरम होती है तो लड़कियाँ आपस में ही चूमा-चाटी कर लेती हैं लेकिन लंड का स्वाद आज तक उसे नहीं मिला है। हाँ वो जब गरम होती है तो ऊँगली से चूत को जरुर ठंडा कर लेती है।
फिर मैं बोला- तब तो और मजा आयेगा! काफी दिनों के बाद कुवांरी चूत की सील तोड़ने का मौका मिलेगा। मैं बिना किसी तरह समय बिताये सीधे अपने मुद्दे पर आ गया, उसे पकड़ कर अपनी जान्घों पर बैठा लिया। वो निकर और ढीला सा टॉप पहने थी। अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को दबाने लगा तो छवि बोली- आराम से करो! मैं कहाँ भागी जा रही हूँ!
जिसे सुन कर मेरा जोश दुगुना हो गया। अब मैंने धीरे धीरे उसके टॉप को निकाल बाहर किया। उसकी चूचियों को तो मैं देखता ही रह गया क्योंकि आज तक इतनी गोरी और कसी हुई चूचियाँ मैंने नहीं देखी थी। मैं समझ गया कि माल एक दम ताज़ा है। अब मेरे होंठ उसके स्तनाग्र चूस रहे थे, वो मजे से अपनी आँख बंद कर अपना दूध पिला रही थी। एक के बाद एक दोनों चूचियों को काफी देर तक पीता रहा। उसकी निकर को निकाल कर अलग कर दिया, अब वो केवल चड्डी में थी। मेरा लंड तो कब से खड़ा था। मैंने ऊँगली फंसा कर उसकी चड्डी को भी अलग कर दिया। उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था। एकदम संगमरमर सा उसका बदन देख मेरा मन में तो आग लग गई।
अब उसे झुका कर अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में पेल दिया जिसे वो लॉलीपाप की तरह चूसने लगी। लेकिन मैं 15 मिनट में ही उसके मुँह में झड़ गया और उसका मुँह मेरे वीर्य से भर गया। जिसे वो चटकारे लेकर पी गई। लेकिन उसके हुस्न को सामने पाकर मैं 5 मिनट में ही दोबारा तैयार हो गया। अब हम 69 पोज में आकर वो मेरे लंड को और मैं उसकी चूत को चूसने-पीने लगे। बीच-बीच में मैं अपनी उंगली से चूत के छेद का जायजा लेता रहा।
अब उसे लिटा कर मैं उसकी जांघों के बीच में आ गया।
चूंकि छवि पहली बार चुदा रही थी तो थोड़ा आराम से ही चोदना था, वरना वो चुदवाने से तौबा कर लेती।
अब उसकी बुर के छेद पर ढेर सारा थूक लगा कर धीरे धीरे पेलना चालू किया। जैसे ही लंड का मुंड अंदर गया, छवि को दर्द होने लगा, वो चिल्लाने लगी, साथ कुछ गाली भी दे रही थी। मैंने तुरंत अपने लंड को बाहर निकाल लिया। उसे ग्लास में पानी पिलाया तो थोड़ा रिलेक्स हुई। अब वो फिर हिम्मत करके तैयार थी चुदवाने के लिए!
इस बार और ज्यादा थूक लगा पर मैंने पेलना शुरु किया। एक झटके में आधा लण्ड उसकी बुर में था और वो दर्द से अपने पांव पटक रही थी। मैं आधे लंड को ही आगे पीछे करने लगा और छवि सामान्य हो गई। अब आगे की बारी थी, अगले एक झटके में पूरा लंड उसकी चूत में था। वो चिल्लाना चाह रही थी लेकिन मैंने उसका मुँह अपने होठों से बंद कर दिया था। थोड़ी देर रुकने के बाद मैं धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा जिसे वो भी मजे लेने लगी और मेरा साथ देने लगी।
अब छवि के मुख से सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी …वोह…आह…और जोर से… मेरी चूत को फाड़ डालो… आह… आऽऽऽ.. जोर से पेलो…वोह… आह… मेरे राजा और जोर से पेलो…
बहुत देर तक चुदाई चली… हम दोनों अपनी मंजिल पर एक साथ पहुँच गए.
छवि का शरीर अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि ये साली अब झड़ने वाली है, मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी। दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में जोर से जकड़ लिया। इसके साथ ही छवि की चूत मेरे वीर्य से लबालब हो गई। हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे। जब अलग हुए तो मैंने घड़ी पर नजर डाली, उस समय सुबह के पाँच बज रहे थे। इसका मतलब मैं आज पूरी रात माँ बेटी को चोदने में निकाल गया था, लेकिन दिल में शांति थी कि आज छवि की चुदाई की थी।जल्दी-जल्दी मैं निकल कर अपने जगह पर आ कर सो गया लेकिन छवि का मोबाइल नम्बर लेकर!
कब आँख लगी पता नहीं चला!
जब उठा तो देखा कि चंदा मुझे जगा रही थी और सामने चाय का कप रखा था। उसी समय छवि ऊपर से उतर कर चंदा से पूछ रही थी- मम्मा! ये कौन हैं?
मैं भी मुस्कुराये बिने न रह सका।
दोस्तो, यह थी छवि की चुदाई!
मेरी अगली कहानी पढ़िये- अब मैंने छवि की गांड मारी
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मेरा नाम मोहित है और मैं प्रतिदिन Hindi Sex Stories अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ता हूँ! आज मैंने सोचा कि मैं आप लोगो के साथ अपना अनुभव बांटू.
पहले मैं आप को अपने बारे में बता दूं। मेरी उम्र 30 साल है। मेरी लम्बाई 6 फीट है और मैं दिखने में भी काफ़ी ठीकठाक हूँ। मैं बरोदा में रहता हूँ।
ये कहानी तब की है जब मैं इन्टरनेट पर बहुत ही चेटिंग करता था। तब मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई जो इंडियन है और अब अमेरिका में रहती है। उसका नाम रेशमा है और वो भी बरोदा से ही है। नेट पर हमारी रोज बातें होने लगी तभी एक दिन मुझे पता चला कि उसकी शादी हो चुकी थी और उसके पति ने उसे छोड़ दिया था.
फ़िर ये सिलसिला आगे बढ़ा और हम दोनों ने अपने अपने फोटोस एक्सचेंज किए। तभी मैं उसे देख कर दंग रह गया कि इतनी खूबसूरत और सेक्सी बीवी को कोई पागल ही छोड़ सकता है। उसकी लम्बाई करीबन 5.5 थी और उसका रंग भी एक दम गोरा था। सबसे अच्छे उसके बूब्स थे जो कि तरबूजों की तरह थे।
एक दिन उसने मुझे बताया कि वो इंडिया आ रही है तो मैं खुशी से पागल हो गया और मन ही मन उसकी चुदाई करने की सोचने लगा। अब जब वो इंडिया आ रही थी तो मैंने बिना राह देखे उस से बोल ही दिया कि मेरे दिमाग में क्या चल रहा है। वो खाली हंस कर नेट से चली गई।
जब वो इंडिया आई तो मैं उसे रिसीव करने एअरपोर्ट पर गया तब मैंने उसे देखा तो मुझे पता चला कि उसके बूब्स सही में बड़े और मजेदार थे और उसकी गांड की गोलाई भी बहुत मस्त थी। वो मुझसे गले मिली और फ़िर मिलने का कह कर अपने रिश्तेदारों के साथ उनके घर चली गई। उसके बूब्स और गांड देख कर अब मैंने नक्की कर लिया था कि मैं इसकी मस्त चुदाई करूँगा।
दूसरे दिन उसका फ़ोन आया और उसने मुझे कहा कि वो मुझे मिलने मेरे ऑफिस पर आ रही है। तब मैंने मेरे पूरे स्टाफ वालो को जल्दी ही घर भेज दिया। जब वो आई तो थोड़ी इधर उधर की बातें की। वो मेरे सामने कुर्सी पर बैठी थी। मैं उठ कर उसके पास वाली कुर्सी पर बैठ गया और फ़िर उसका हाथ पकड़ लिया। तो वो कुछ नही बोली मैं समझ गया कि लाइन क्लिअर है।
फ़िर मैंने उसे जम कर किस किया। अब हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गए थे और मैं उसकी जीभ चूस रहा था। फ़िर धीरे से मैंने अपना हाथ उस के बूब्स पर रख दिया और उनको मसलने लगा तो वो सिसकारे भरने लगी। उसने जींस और टॉप पहेना हुआ था। मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को मसलने लगा और उसकी निप्पल को खींचने लगा।
उसकी सिसकारियां अब और भी बढ़ने लगी और वो मुझे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगी। मैंने उसका टॉप उतार दिया और फ़िर उसकी ब्रा भी निकाल दी। तब तक उसका हाथ मेरे तने लण्ड पर था और वो उसे सहला रही थी। मेरा लण्ड अब तन गया था और चुदाई के लिए बेकरार था।
मैं उसे वहां से उठा कर बाहर पड़े सोफे पर ले कर गया और उसे वहां लिटा दिया। फ़िर उसके बूब्स को और उसकी निप्पल को चूसने लगा। फ़िर मैंने अपनी पैन्ट की जिप खोल कर मेरा लण्ड उसके हाथ में दे दिया वो उसे हिलाने लगी और मुठ मारने लगी।
फ़िर मैंने उसका जींस भी उतार दिया और पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत में ऊँगली डाल दी। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैं अपनी ऊँगली निकाल कर देर किए बिना उसे चाटने लगा तो वो तड़पने लगी और बोली कि मुझे भी चूसने का मज़ा लेने दो। फ़िर हम दोनों 69 पोज़िशन में आ गए।
करीब 10 मिनट तक ये चला। वो झड़ चुकी थी मैंने उसका पूरा पानी पी लिया और फ़िर मैंने कहा- अब तुम भी जल्दी से मेरा सब पानी पी लो। तो उसने मेरा लण्ड जोर जोर से चूसना चालू कर दिया और थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया और वो मेरा सब रस पी गई।
वो मेरा लण्ड चाट कर साफ़ कर रही थी तो मैंने बोला मेरी जान थोड़ा रस रहने दे तेरी गांड के होल पर लगा दे इस से आगे आसानी रहेगी। उसने ऐसा ही किया।
फ़िर मैंने उसे वहां से उठा कर बाजू वाले मेज़ पर लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगे फ़ैला कर अपना लण्ड उसके चूत पर रख दिया। फ़िर धीरे से लण्ड के सुपारे को धक्का दिया तो वो अन्दर चला गया। गीली चूत होने के कारन लण्ड को अन्दर डालने में तकलीफ नहीं हुई। और फ़िर एक ज़ोर के धक्के से मैंने मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया… तो वो ज़ोर से चिल्लाई और बोली ज़रा धीरे से ! साले काफी टाइम से अन्दर कोई लण्ड नहीं गया है।
फ़िर मैंने धीरे से धक्के लगाने चालू कर दिए… और साथ में उसके निप्पल को चूसने लगा। वो उह्ह्ह्छ आःह्ह्छ करने लगी और बोलने लगी- फक्क मी फक्क मी हार्ड माय डार्लिंग फक्क मी वैरी हार्ड…
मुझे पूरा जोश आ गया और मेरे धक्के बढ़ने लगे… करीब 15 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा…उसमें वो 2 बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला था.. तो मैंने उससे पूछा की कहाँ डालू अपना पानी?
तो बोली अन्दर ही डाल दे मेरे राजा और फ़िर मैं झड़ गया…
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और फ़िर वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी… फ़िर खड़ी हो कर उसने मेरे लण्ड को फिर से चूसना चालू कर दिया। इस से मेरा शेर फ़िर से लड़ाई और चढाई के लिए तैयार हो गया और मैंने उसे पकड़ कर उल्टा ही मेज़ पर लेटा दिया अब उसकी गांड का छेद मेरे लण्ड के सामने था।
मैंने कभी किसी की गांड नहीं मारी थी तो मैं भी बेकरार था। फ़िर मैंने अपने हाथो से उसके दोनों चूतड़ अलग किए और मेरे लण्ड को छेद के पास रख दिया। फ़िर ज़ोर से धक्का दिया तो मेरे लण्ड का सुपारा अन्दर चला गया। अब वो जोर से चिल्लाई और बोली- बास्टर्ड इट हर्ट्स।
मैंने बोला- रानी थोड़ा सब्र करो।
फ़िर मैं उसके बूब्स को पीछे से पकड़ कर मसलने लगा और थोडी देर बाद फिर से जोर का धक्का दिया तो पूरा लण्ड उसकी गांड में चला गया।
फ़िर वो मज़े लेने लगी और चिल्लाने लगी- चोदो मुझे जोर से मेरे राजा पूरा डाल दे अन्दर आज या तेरा लण्ड नहीं या मेरी गांड नही..फाड़ दे मेरी गांड को आज..ये पूरी तेरी है.. दो हिस्सों में बाँट दे आज इसे।
अब मुझे भी जोश आ गया और मैं जोर जोर से धक्के देने लगा। 15 मिनट तक मैं उसकी गांड मारता रहा फ़िर मैं उसकी गांड में ही झड़ गया और उसकी गांड का पूरा छेद मेरे पानी से भर दिया। फ़िर थोडी देर के बाद हम दोनों ने खड़े हो कर कपड़े पहन लिए।
और फ़िर वो पूरे 3 महीने तक इंडिया में रही और हम दोनों ने जम कर चुदाई का आनंद लिया.. एक बार तो मैंने उसे वाटर पार्क में भी चोदा था वो किस्सा बाद में बताऊंगा। मगर अभी वो वापस चली गई है और मैं फ़िर से अकेला पड़ गया हूँ।
दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी… अपनी राय दें। Hindi Sex Stories
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