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जैसे ही संजय मेरे लबों पर चुम्बन करने लगे, मैंने मुँह फेर लिया.
वो रुक गये.
पर फिर मैंने खुद को समझाया और फीस के बारे में सोचा तो खुद ही उनकी तरह मुँह किया वो मेरी इस हरकत को देख कर खुश हो गये और मेरे लिप्स पर किस किया.
फिर उन्होंने मुझे स्मूच करना शुरू कर दिया.
अजीब लग रहा था क्योंकि यह सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था.
उन्होंने बहुत लंबा समूच किया और समूच करते करके मेरे बूब्स पर छुआ और फिर दबाने लगे. उनकी पकड़ और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.
फिर उन्होंने मुझे गले पर किस किया और फिर मेरी पीठ पर चूमते हुए मेरे ब्लाउज का धागा खोल दिया. उन्होंने मेरे ब्लाउज को उतार दिया और फिर अपना भी कुरता भी उतार दिया.
अब वो मेरे पेट पर किस किए जा रहे थे और फिर मुझे घुमा कर मेरे दोनों चूचों को दबाने लगे और ब्रा के ऊपर से ही चूस रहे थे. उन्होंने फिर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और धीरे धीरे ब्रा निकाल दी.
मैंने दोनों हाथ से अपने चूचे छुपा लिए और फिर उन्होंने दोनों हाथों पकड़ के साइड कर दिया और मेरे बूब्स पर किस किया.
फिर उन्होंने मेरा निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया. मुझे अजीब सा लग रहा था पर सच बताऊँ तो मजा सा भी आने लग गया था. मेरे हाथ उनके सिर पर चला गया और मैं उन्हें अपने बूब्स पर दबा रही थी.
वो काफ़ी देर तक मेरे निप्पल चूसते रहे, मैं भी अब गर्म हो चुकी थी.
फिर संजय धीरे धीरे मेरे पेट पर किस करने लगे और फिर मेरी नाभि को चूमने लगे. मुझे एक अजीब सा अहसास हो रहा था.
संजय ने फिर नीचे सरका कर मेरे पैर पर किस करना शुरू किया और फिर मेरे टांगों को किस करने लगे. संजय किस करते करते मेरा लहंगा उठाते हुए मेरी जांघों तक आ चुके थे. मेरे शरीर में एक अजीब सी कंपकपी हो रही थी.
संजय ने फिर धीरे से मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया, लहंगा पूरा ढीला हो गया और फिर संजय ने धीरे धीरे उसे नीचे कर दिया और फिर पूरा का पूरा निकाल दिया.
मैं अब सिर्फ़ पेंटी में थी… मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी.
तभी संजय ने दुबारा मेरे पैरों पर किस करते हुए मेरी जांघों को चूमा और फिर पेंटी के ऊपर से चूमना शुरू कर दिया.
संजय ने फिर धीरे से मेरी पेंटी भी उतार दी.
मैं अब खुद को समझा चुकी थी और इसलिए संजय का साथ देने लगी.
संजय ने फिर मेरी टांगों को खोला और मेरी बुर पर किस कर दिया. किस करते ही मैं एकदम से मचल गई, संजय ने फिर मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया.
वो अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर तक डाल कर चाट रहे थे. मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा भी आ रहा था. मैं भी संजय के सिर को पकड़ के अपनी बुर में दबाने लगी. वो मेरी बुर के होंठों के साथ समूच कर रहे थे.
मैं खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी.
संजय ने करीब दस मिनट तक अपनी जीभ से मेरी बुर अंदर बाहर से चाट ली थी. मैं अब झरने वाली थी और आख़िरकार मैं संजय के मुँह में ही झर गई, वो भी मेरा सारा पानी पी गए और पागलों की तरह मेरी बुर को चाटते जा रहे थे.
फिर संजय ने अपना पाजामा और अंडरवीयर खोल दिया.
संजय का लंड एकदम तना हुआ 6 इंच लंबा और मोटा लंड देख कर मैं डर गई थी. मुझे पता था की आज मेरी बुर में यह लंड घुसने वाला है.
संजय ने मेरे पास आकर मुझे लंड हाथ में पकड़ कर हिलाने को कहा, मैंने बात मान ली और हाथ से उनका लंड हिलाने लगी.
फिर उन्होंने मुझे लंड मुँह में डाल के चूसने को कहा तो मैंने मना कर दिया पर फिर फीस की याद आने के कारण मैंने लंड मुँह में ले लिया. लंड का स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा पर बाद में अच्छा लगने लगा. मैं भी पूरे जोश के साथ लंड को चूसने लगी.
करीब 15 मिनट लंड चूसने के बाद संजय मेरे मुँह में ही झर गए और सारा का सारा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया. मैंने माल बाहर थूक दिया.
मैंने संजय से बाथरूम जाने को कहा तो वो मुझे ले गए. बाथरूम रूम से ही अटॅच्ड था. मैंने बाथरूम में जाकर कुल्ली की और आ गई.
संजय ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बेड तक ले गए.
संजय और मैं लेट कर समूच कर रहे थे, हम दोनों एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डाल रहे थे. संजय का लंड फिर से तन चुका था, अब मेरी बुर का उद्घाटन होने वाला था. संजय ने मेरी टांगों को खोला और अपनी उंगली से मेरे बुर को सहलाने लगे. मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी.
संजय ने अब अपना लंड मेरी बुर पर रख के रगड़ना शुरू कर दिया और फिर धीरे से अंदर डालना शुरू किया.
मुझे तो संजय की उंगली से ही इतना दर्द हो रहा था तो अब पता नहीं लंड कितना दर्द देने वाला था.
खैर कभी ना कभी तो पहली बार होता ही है…
संजय ने लंड को मेरी बुर पर सेट किया और हल्का सा धक्का लगाया. धक्का लगते ही उसके लंड का टोपा बुर में घुसने के लिए सेट हो गया. अभी सिर्फ़ 1 इंच लंड ही अंदर गया था कि मैं दर्द से पागल हो गई.
फिर संजय थोड़ा और ज़ोर लगाने लगे और साथ ही मेरे निप्पल को मुँह में चूस रहे थे. चूसते चूसते उन्होंने आखिर अपने लंड को एक ज़ोरदार धक्का मारा. संजय का पूरा लंड मेरी बुर को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
मैं दर्द से मर ही गई थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और मेरी आँख से आँसू निकल आये.
संजय थोड़ी देर से वैसे ही रुके और मेरे दर्द के कम होने का इंतज़ार करने लगे.
संजय मुझे स्मूच कर रहे थे.
2 मिनट बाद दर्द कुछ कम हुआ, संजय बहुत ही धीरे से अपना लंड वापिस निकालने लगे, मैं लंड की तरफ देख रही थी और जैसा सोचा था वही दिखाई पड़ा… लंड खून से लाल हो चुका था. मेरी बुर की सील टूट गई थी.
संजय ने करीब 5 इंच लंड बाहर निकाला होगा और फिर एक झटका अंदर की ओर मारा और फिर से लंड अंदर डाल दिया, संजय का लंड फिर से बुर में घुस गया. मुझे अंदर संजय का लंड अपने बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था. संजय धीरे धीरे लंड अंदर बाहर कर रहे थे.
अब मेरा दर्द आनन्द में बदल गया था और अपने आप ही मेरे मुँह से मादक आह आह आह की आवाज़ निकलनी शुरू हो गई थी. मैंने संजय को कस के पकड़ लिया और अब शायद मेरा मन भी यही था कि संजय मुझे चोदते रहें!
संजय काफी देर तक धक्के लगाते रहे, अब मैं झरने वाली थी… मैंने संजय को कस के पकड़ लिया. संजय समझ गए कि मैं झरने वॉली हूँ तो उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अगले 2-3 मिनट में ही मैं झर गई. संजय अभी भी नहीं फारिग हुए थे इसलिए उन्होंने धक्के मारने चालू रखे.
करीब 5 मिनट बाद मुझे अपनी बुर में एक गर्म फव्वारा महसूस हुआ. संजय मेरी बुर में झर चुके थे.
संजय सेक्सुअली बहुत ही ताकतवर थे शायद इसलिए झरने के बाद भी वो अगले 2-3 मिनट तक धक्के मारते रहे.
फिर आख़िर वो भी थक कर मेरे साथ लेट गए और मुझे फिर स्मूच करने लगे.
संजय ने वेट टिश्यू पेपर और पानी से मेरी बुर जो अब चूत बन चुकी थी, अच्छे से साफ की और फिर से बुर को चूसने लगे.
20 मिनट तक संजय ने मेरे पूरे शरीर को दुबारा चूमा, चाटा, चूसा… और वो दुबारा मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो गए.
संजय ने फिर मेरी टाँगें खोल कर अपना लंड मेरी बुर में डाल दिया. इस बार मुझे कम दर्द हुआ और साथ ही मजा भी बहुत आने लगा था.
संजय ने अगले राऊंड में मेरी चुदाई काफी देर तक की जिसमें मैं 2 बार झर चुकी थी.
मैं संजय से बहुत खुश हो गई थी शायद और इसलिए उसका पूरी तरह साथ दे रही थी.
हमने उस रात पूरी रात चुदाई की, संजय ने कम से कम 5 बार उस रात में मुझे चोदा.
सुबह करीब 5 बजे हम दोनों तक से सो गये. संजय मेरे साथ एकदम पति की तरह नंगे बदन हग करके सोये हुए थे.
हम लोग करीब 11 बजे उठे, मैं नहाने चली गई. मेरे नहा कर आने के बाद मैंने अपने पहले वाले कपड़े पहन लिए और फिर संजय ने मुझे नाश्ता करने को कहा.
डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लग चुका था, हमने नाश्ता किया और फिर मैं अंशुल के आने का वेट करने लगी.
संजय ने मुझे बाक़ी के पैसे और एक बैग दिया जिसमें मेरे साइज़ के कुछ ब्रांडेड कपड़े थे.
अंशुल 2 बजे वहाँ आ पहुँचा. मैं जैसे ही अंशुल के साथ जाने लगी तभी संजय ने मेरा हाथ पकड़ के रोक लिया और अंशुल को बोले- तुम थोड़ी देर ड्रॉयिंग रूम में बैठ कर टीवी देखो, हम आते हैं!
संजय मुझे अपने रूम में फिर ले गये और फिर से मुझे समूच करने लगे.
उन्होंने मुझे एक और राऊंड के लिए पूछा तो मैंने भी हाँ कर दी और एक राउंड और चुदाई का खेल लिया.
अब मैं जाने लगी, संजय को हग किया और अंशुल के साथ चल दी.
संजय जी की गाड़ी से हम संदीप के पास पहुंच गये. मैं संदीप के साथ मोटरसाइकल पर बैठ गई और हम हॉस्टल की ओर चल दिए.
संदीप ने मुझे हॉस्टल में जाने से पहले एक आई पिल दी ताकि मैं प्रेगनेंट ना हो जाऊँ.
मैंने संदीप को कहा- संदीप जो हुआ, इसका किसी को कुछ पता मत चलने देना!
यह कह कर मैं वहाँ से चली गई और हॉस्टल पहुंच गई.
अगले दिन फीस भरने का आख़िरी दिन था, मैंने 1 लाख 30 हज़ार फीस भर दी और बाक़ी पैसे अपने अकाउंट में डलवा दिए.
इस तरह से मुझे मजबूरी मे सुहागरात मना कर आना पड़ा.
फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा मैंने 19 साल की उम्र में कॉलेज के लड़के के साथ लिया. गाँव से निकल कर शहर के कॉलेज में प्रवेश लिया और जल्दी ही एक दोस्त बना लिया.
सभी को नमस्कार, मेरा नाम अनुक्ति है मुझे घर पर सभी अनु नाम से ही बुलाते हैं.
मैं मध्य प्रदेश से हूँ.
मेरे घर पर मैं, पापा और मम्मी हैं.
पापा और मम्मी दोनों सरकारी नौकरी करते हैं.
दोस्तो, इस वेबसाइट की सेक्स कहानियां मैं 2011 से पढ़ती आ रही हूँ पर आज पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रही हूँ.
यह 2013 की बात है.
मैं स्कूल की पढ़ाई गांव से पूरी कर चुकी थी. मैं कॉलेज में पढ़ने के लिए शहर में आई थी.
शहर आते वक्त मेरे साथ स्कूल की दोस्त छवि ही थी जिसने मेरे कॉलेज में दाखिला लिया था.
बाकी सभी सहेलियां शहर में तो थीं पर अलग कॉलेज और कोर्स में थीं.
इधर कॉलेज के हॉस्टल में हम दोनों साथ में ही रहती थी.
कॉलेज में हमारे नए दोस्त बन गए थे.
क्लास में मेरी बहुत लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गई थी.
मेरी क्लास में ही ऋषि भी था.
वह देखने में लंबा, तगड़ा और मिलनसार लड़का था.
मेरी दोस्ती ऋषि से थी.
हम बहुत कम समय में एक दूसरे से बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे.
ऋषि और मैं फोन पर एक दूसरे को मैसेज भेज कर बातें करते थे.
हमारे बीच कभी कभी नॉनवेज बातें भी हो जाती थीं.
छवि भी इस बात को जानती थी.
उसने तो 3 महीनों में ही अपना एक ब्वॉयफ्रेंड भी बना लिया था.
इसी तरह से कॉलेज का एक सेमेस्टर निकल चुका था.
हर लड़की चाहती है कि उसे हर लड़का देखे.
मैं ज़्यादातर सलवार कमीज़ ही पहन कर कॉलेज जाया करती थी. मैं जानबूझ कर थोड़ा गहरे गले वाला कुर्ता पहनती थी ताकि जरा सा ही झुकने पर मेरा क्लीवेज दिख जाए.
ऋषि देखने में अच्छा लड़का था.
उसके पापा एक फैक्ट्री के मलिक थे.
उसकी एक छोटी बहन थी जो 12 वीं में थी.
उसकी मम्मी भी पापा के बिज़नेस में हाथ बंटाती थीं.
उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, यह बात हमें भी कुछ दिनों पहले ही पता चली थी जब हम सभी फ्रेंड्स ऋषि के बर्थडे पर उसके घर गए थे.
ऋषि के घर का वैभव देख कर साफ पता चलता था कि उसके पापा रईस आदमी हैं.
पर ऋषि ने कभी भी अपने धन का घमंड नहीं किया था.
वह दिल का साफ और अच्छा इंसान था.
ऋषि और मैं अक्सर क्लास बंक करके गार्डन में बातें करते रहते थे.
धीरे धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ती गईं.
वह मेरे करीब आने की कोशिश करता, मुझे छूने की कोशिश भी करता.
मैं भी उसे मना नहीं करती थी.
उसने वैलेंटाइन पर मुझे प्रपोज किया.
मैंने भी कुछ ज्यादा सोचा नहीं और हां कर दी.
ऐसे ही समय गुजरता रहा.
कभी कभी वो मुझे मौका पाकर छेड़ता, मेरी गांड को मसल दिया करता था.
उसका ये स्पर्श अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था.
हम दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे को किस भी कर लिया करते थे.
वह मेरे मम्मे दबाने का मौका भी कभी नहीं छोड़ता था.
फिर धीरे धीरे अब बात किस से बढ़कर बूब्स दबाने और चूसने तक आ चुकी थी.
मुझे कोई ऐतराज नहीं था. असल में मैंने ही फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा ले लेना चाहती थी.
ऋषि चाहता था कि मैं लंड चूसूं … पर मैंने मना कर दिया, मैंने उसका लंड कभी नहीं चूसा था.
बस इसी तरह चल रहा था.
ऋषि सेक्स के लिए आतुर हुआ जा रहा था.
पर मैं एक अनजाने डर की वजह से उसे मना करके टाल दिया करती थी.
कुछ दिन बाद ऋषि ने कहा- आज रविवार है. पास में ही कहीं घूमने चलते हैं.
मैं भी फटाफट तैयार हो गयी.
वह मुझे लेने के लिए आया और हम दोनों बाइक पर घूमने के लिए निकल गए.
मैं छवि को बोल कर आई थी कि ऋषि के साथ में बाहर घूमने जा रही हूँ.
मैंने ऋषि से पूछा- कहां चलना है?
तो उसने बताया- शहर से पास में ही बहुत बड़ा तालाब है. वहां चारों ओर जंगल हैं, घने पेड़ हैं, प्रकृति का नज़ारा है. मजा आएगा, वहीं चलते हैं.
मैं राजी हो गई.
वहां जाकर देखा तो कुछ ही लोग थे.
उनमें भी ज़्यादातर कपल दिख रहे थे.
तालाब के दूसरी ओर पानी बह रहा था तो वहां कुछ लोग नहा भी रहे थे.
हम भी वहीं चले गए.
ऋषि ने कहा- क्या विचार है?
मैंने कहा- मैं नहीं आती.
वह मुझे ज़बरदस्ती खींच कर पानी में ले गया.
और हम दोनों पानी में मस्ती करने लगे.
वह मुझ पर पानी उड़ाता और गीला करने की कोशिश करता.
थोड़ी देर बाद हम दोनों थक कर वहीं पेड़ के नीचे बैठ गए और बातें करने लगे.
भीड़ कम होती गयी.
ऋषि ने कहा- अनुक्ति, चलो थोड़ा आगे आस-पास घूम कर आते हैं.
मैंने कहा- यहां क्या ही घूमेंगे?
पर वो नहीं माना और हम दोनों पैदल ही आगे बढ़ गए.
वहां कोई नहीं दिख रहा था.
थोड़ा और आगे गए तो एक बड़ी चट्टान के पीछे झाड़ियों में पेड़ के नीचे हमने एक कपल को देखा.
वो दोनों कपड़े पहन रहे थे.
उन्होंने हमें नहीं देखा.
फिर ऋषि ने कहा- चलो अनु, उनके निकलते ही वहीं चलते हैं.
मैं समझ गयी थी कि वहां पर जाने के बाद क्या होना है.
पर बिना कुछ कहे मैं भी चल दी.
वहां जाने के बाद ऋषि मेरे करीब आया और कहा- अनु यहां अच्छा मौका है.
मैंने कहा- यहां खुले में किसी ने देख लिया तो … नहीं बिल्कुल नहीं!
उसने कहा- ठीक है, पर किस तो कर ही सकते हैं.
इतने में उसने मेरे होंठों में अपने होंठों को डाल दिया.
उसके दोनों हाथ मेरे गर्दन को पकड़े थे और मेरे हाथ उसकी कमर को.
उसने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक डाल दी और मैंने भी.
मैं अपने बारे में बता दूँ कि मेरी उम्र उस समय 19 साल से थोड़ी ज़्यादा ही थी.
मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच की थी और 32-27-34 का मेरा फिगर था.
मैं काले रंग का टॉप पहने थी. वह बटरफ्लाई आस्तीन वाला था और उसके साथ मैंने जींस पहनी थी.
ऋषि की हाइट 5 फुट 10 इंच की थी.
वह जिम करता था तो बॉडी भी अच्छी थी.
उसकी उम्र भी 20 के आस पास ही थी.
उसकी छाती पर हल्के बाल थे पर वह छाती को क्लीन नहीं करता था.
उसके लंड का साइज़ सच बोलूं तो 5.5 इंच का ही था.
बाकी सेक्स स्टोरी की तरह 8 या 10 इंच का नहीं था.
वह मुझे चूमने लगा.
करीब 5 मिनट के बाद उसने कहा- यहां जगह साफ़ है, आराम से बैठ जाओ.
मैंने कहा- नहीं, कपड़े खराब हो गए तो प्राब्लम हो जाएगी. हॉस्टल भी जाना है.
उसने कहा- ठीक है.
तब उसने मुझे किस किया और मेरे मम्मे दबाने लगा.
फिर उसने कहा- अनुक्ति आज तो लंड चूस लो प्लीज़.
उसके बहुत कहने पर मैंने कहा- ठीक है … पर तुम मुँह में नहीं झड़ोगे!
उसने कहा- ठीक है.
उसने अपनी जींस और अंडरवियर घुटनों तक उतार दी.
वह वहीं पेड़ के नीचे पत्थर पर टेक लेकर बैठ गया और उसने मुझे लंड चूसने के लिए इशारा किया.
मैंने अपने हाथ से उसके 5.5 इंच और 2.5 इंच मोटे लंड को पकड़ा.
तो ऋषि बोला- तुमने सेक्स क्लिप्स पॉर्न में देखा ही है.
मैंने हां में इशारा करते हुए मुँह में लंड को लिया और चूसने लगी. मुझे स्वाद कुछ अच्छा नहीं लगा.
फिर भी धीरे धीरे करके मैं मुँह से लंड चूसने लगी.
वह जैसे दूसरी दुनिया में चला गया हो, आंखें बंद करके सिसकारियां लेने लगा.
मैं भी उसके लंड को मुँह में पूरा ले लेती और बाहर करती तो जीभ से उसके टोपे को चाट लेती.
उसका रंग हल्का गुलाबी सा हो गया था.
फिर कुछ देर में उसने मेरे सर को धक्का देकर अलग किया और अपना सारा माल बाहर निकाल दिया.
उसने मुझसे कहा- टेस्ट करना चाहोगी?
मैंने कहा- नहीं.
उसने कहा- प्लीज एक बार देख लो, अच्छा लगे तो ठीक … नहीं तो कोई बात नहीं.
मैंने जीभ से थोड़ा चखा तो गर्म और नमकीन सा स्वाद आया.
अच्छा या बुरा कुछ समझ में नहीं आया.
ऋषि ने कहा- डार्लिंग लंड को थोड़ा सा चाट कर साफ कर दो प्लीज.
मैंने अपने मुँह से उसके लंड को चाट कर साफ कर दिया.
मुझे स्वाद ठीक लगा.
उसने अपने कपड़े पहन लिए.
तो मैंने कहा- अब चलते हैं.
उसने कहा- अनु अभी कहां, रुको तुमने आज तक अपनी चूत के दर्शन नहीं कराए हैं.
मैंने कहा- पर यहां खुले में नहीं बिल्कुल भी नहीं.
उसने मुझे खींच कर अपने करीब किया और मुझे किस करके कहा- अनुक्ति, प्लीज आज अपने मम्मे और चूत के दर्शन करा दो, यहां कोई नहीं है.
मैंने कहा- देखो कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
उसने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं हूँ … सब संभाल लूंगा.
उसने मेरी जींस खोल दी और मेरे टॉप के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा.
वह उसमें ऊपर से हाथ डालने लगा.
मैंने कहा- ऐसे तो तुम टॉप फाड़ दोगे.
तब मैंने जींस को नीचे किया ही था कि उसने झटके से मेरी पैंटी को घुटनों तक नीचे खिसका दिया.
फिर उसने कहा- मम्मे चूसना है.
मैंने टॉप को ऊपर किया और साथ ही ब्रा को भी, जिससे बिना उतारे मेरे बूब्स वो चूस सके.
पहली बार उसने मेरे बूब्स को पूरी तरह ढंग से देखा था और चूत को भी.
चूत में हल्के हल्के बाल थे.
वह मेरे बूब्स को एक बच्चे की तरह पीने की कोशिश करने लगा.
मुझे भी मजा आने लगा.
मेरे दोनों बूब्स को चूसने के बाद उसने उन्ह हटाया ही था कि मैंने टॉप और ब्रा ठीक कर ली.
उसने कहा- अनु अब तुझे जींस उतारनी पड़ेगी.
मैं भी उतावली हो रही थी तो जींस उतार दी.
उसने कहा- अनु एक टांग पत्थर पर रखो.
वह मेरे नीचे आकर बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा.
उसकी खुरदुरी जीभ मेरे अन्दर आग लगा रही थी.
वह अपनी उंगली से मेरी चूत को अन्दर बाहर कर रहा था.
इसी तरह मेरी चूत ने पानी निकाल दिया और ऋषि ने उसे चाट कर चूत को साफ़ कर दिया.
फिर फटाफट कपड़े पहन कर हम दोनों वहां से निकल आए.
अब वासना की भूख दोनों को लग चुकी थी तो वापस हॉस्टल की ओर जाते समय ऋषि ने कहा- अनु, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है.
मैंने भी हामी भरी लेकिन फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स के लिए कोई सेफ जगह चाहिए थी.
होटल के लिए मैंने मना कर दिया था.
ऋषि अपने दोस्त के फ्लैट के लिए जुगाड़ करने लग गया.
बस फिर जुगाड़ हो गया.
मैंने ऋषि से कहा- मैं बिना प्रोटेक्शन के नहीं करूंगी.
उसने कहा- ठीक है अनु.
उस दिन पहले रास्ते में रुक कर हम दोनों ने खाना खा लिया और उसने मेडिकल से प्रोटेक्शन के लिए कंडोम ले लिया.
फिर हम दोनों फ्लैट पर पहुंच गए.
दोस्त ने चाभी दी और कहा- फ्री हो जाओ तो कॉल कर देना.
वह किसी काम से बाहर चला गया.
ऋषि ने अन्दर से दरवाजा लॉक किया और मुझसे लिपट गया.
पहले उसने मेरे टॉप को निकाल दिया और मेरी नाभि को चूमा. ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा.
ब्रा को खोलने से पहले उसे ऊपर की ओर खिसका कर बूब्स को चूमने लगा और फिर खड़े खड़े ही मुझे दीवार पर टिकाते हुए पलटा दिया.
मेरी ब्रा को पीछे से खोल कर वहीं फेंक दी.
उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए.
उसका लंड खड़ा होने लगा था.
वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया और पलंग पर आते ही मेरी जींस उतार दी.
फिर वह मेरे दूध अपने दोनों हाथों से मसलने लगा और उनका रसपान करते हुए निप्पल को काट देता, जिससे मुझे दर्द के साथ साथ उत्तेजना भी बढ़ जाती.
वह मेरे कान गले गर्दन गालों को भी चूमता जिससे मैं और उत्तेजित हो जाती.
मेरी नाभि को चूमते हुए उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
वह पूरी बॉडी पर किस करने लगा.
मेरे मुँह से हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं.
उसने कहा- अनु अब 69 करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
वह मेरी चूत चाटता और अपनी उंगली रगड़ने लगता.
इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, जैसे मेरे शरीर में करंट का झटका लग रहा हो.
मैं भी उसके लंड को चूस रही थी.
मेरी चूत गीली हो चुकी थी.
वह फिर उठा और जींस से कंडोम का पैकेट निकाल कर मुझे दे दिया.
मैंने पैकेट से कंडोम निकाल और ऋषि के लंड को पहना दिया.
बस उसने मुझे सीधा लेटाया और दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया, लंड को मेरी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा.
जिससे मैं पागल सी हो गयी.
फिर उसने चूत को थोड़ा सा अपने हाथ से खोला और अपना लंड मेरी चूत पर सैट कर दिया.
मेरा दिल धक धक करने लग गया था क्योंकि वो कभी भी झटके से लंड अन्दर डालने वाला था.
उसने कहा- अनु रेडी!
मैंने इशारे में कहा- हम्म्म.
उसने झटके से लंड अन्दर किया.
वो अभी लगभग आधा ही गया था कि मेरी एकदम से जोरदार चीख निकली.
उसने लंड को झट से बाहर किया और अन्दर पूरी ताकत के साथ डाला.
इस बार शायद लगभग पूरा चला गया था.
उसने फिर से एक बार लंड निकाल कर अन्दर डाला और मुझे चूमा.
मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.
उसने कहा- पहली बार में होता है अनु!
फिर वह लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
अब दर्द धीरे धीरे कम हो रहा था और मजा आने लगा था.
वह स्पीड में मुझे चोदता जा रहा था.
मुझे भी मजा आ रहा था.
वह मेरे मम्मे दबाता हुआ लंड को स्पीड से अन्दर बाहर कर रहा.
कुछ देर मैं पहले झड़ गयी और वो मेरे बाद.
वह मेरे ऊपर ऐसे ही लंड अन्दर डाल कर पड़ा रहा और मुझे किस करता रहा.
कुछ देर में उसका लंड छोटा सा हो गया और वह उसे बाहर निकाल कर बाथरूम में चला गया.
मैं बैठी और उंगली चूत की तरफ़ बढ़ाई तो उंगली पर लाल लाल खून सा था.
मेरी चूत फट चुकी थी.
तभी ऋषि आया और मेरी उंगली में लाल खून देखकर बोला- अब तुम वर्जिन नहीं रही.
मैं बाथरूम में गयी.
जब मैं वापिस आई तो मैंने देखा ऋषि मेरी ब्रा पैंटी अपने हाथ में लिए देख रहा था.
मैंने कहा- लाओ दो इधर.
उसने कहा- नहीं, ये मैं ले जाऊंगा. पहली निशानी है. इसमें तुम्हारी चूत की खुशबू है और ब्रा में भी.
मैंने कहा- फिर मैं!
उसने कहा- मैं तुम्हें दूसरी गिफ्ट कर दूंगा.
मैंने अपने कपड़े पहन लिए.
ऋषि बोला- अनु मजा आया?
मैंने कहा- आया तो सही, पर दर्द अब भी महसूस हो रहा है.
उसने कहा- ठीक हो जाओगी.
मैंने पूछा- मैं वर्जिन थी, तुम?
ऋषि ने कहा- मेरा भी पहला सेक्स था … बस मुठ मार लिया करता था.
मैं कुछ नहीं बोली.
उसने कहा- मैं तुम्हें फैशनेबल ब्रा पैंटी दूँ?
तो मैंने कहा- क्यों?
उसने कहा- थोड़ा सेक्सी पहनो.
मैंने कहा- घर?
उसने कहा- घर जाओ तो घर के हिसाब से … और यहां रहो तो यहां के हिसाब से.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर उसने मुझे हॉस्टल छोड़ा और मेरी चाल देखकर छवि मुस्करा दी.
उसने कहा- अनु, आज तो चाल ही बदल गयी.
हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थीं, एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाती थीं.
उसे मैंने बताया कि आज मेरी पहली चुदाई कैसे हुई.
वह खुश हुई और बोली- आगे अब तो चुदाई में मजे ही आने हैं.
क्योंकि वह चुद चुकी थी उसके ब्वॉयफ्रेंड से … तो उसे सब मालूम था.
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