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मेरा नाम राहुल है, मेरी उम्र २२ Hindi Sex Stories साल है ! मेरा शरीर मजबूत है क्यूंकि मैं बॉडी बिल्डिंग भी करता हूँ। मैं अन्तर्वासना की कहानियां हर सुबह पढ़ता हूँ ! मैं अपने जीवन की एक सच्ची कहानी लिख रहा हूँ !
हमारे घर के सामने नई नई एक शादी हुई ! मैं उनकी शादी में तो नहीं गया था ! इसलिए मैं उनके घर नहीं जाया करता था, परन्तु मैं अपनी गली में किसी की बात नहीं मोड़ता था, जिसकी वजह से सब लोग मुझे ही काम के लिए बुलाते थे।
एक दिन उस नई भाभी ने भी मुझे बुलाया और मैंने उनका जो काम था कर दिया। इस तरह मेरी उनसे बातें होने लगी।
धीरे-२ मैंने उनको कहा- मेरी किसी लड़की से बात करवा दो !
तो उन्होंने कहा- किस से?
मैंने कहा- किसी से भी !
उसने कहा- ठीक है, मैं देखती हूँ !
कुछ दिनों तक मैं उनके घर नहीं गया क्यूँकि मेरे दोस्त की उनके रिश्तेदार से लड़ाई हो गई! फिर कुछ साल बीतने के बाद मेरी भाभी से बात हुई पर तब तक तो उनके दो बच्चे हो चुके थे। मैंने भाभी से कहा- मिली कोई लड़की ?
तो उसने कहा- एक थी ! पर उसका रिश्ता हो गया है !
मेरी दिल में एक बात आई और मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई भी लड़की नहीं है, वो सिर्फ आप हो !
तो मैंने हिम्मत करके उनका हाथ पकड़ लिया ! उसने कहा- राहुल तुम्हें यह कैसे पता लगा कि मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ?
कुछ दिन बीत गए ! मैं उनसे नहीं मिला ! एक दिन उनके घर पर कोई नहीं था ! (मैं आपको बताना भूल गया कि उनके परिवार में उनका पति, देवर, सास, देवरानी और दो बच्चे हैं !) मैंने अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया ! भाभी ने कहा- यह क्या कर रहे हो !
मैंने कहा- कोई हमारी बातें न सुन ले !
तो उसने कहा- ठीक है, बोलो !
मैंने कहा- बोलना क्या है, एक पप्पी तो दे दो !
उसने थोड़ा दूर होते हुए मना कर दिया। मैं उठ कर गया और ज़बरदस्ती उसे चूमने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी !
मैंने उससे कहा- नीचे की चीज़ कब दे रही हो?
उसने कहा- मम्मी आ रही होंगी, हम यह सब किसी और दिन करेंगे।
मैं वहाँ से चला आया ! वो रोज किसी काम से मुझे अपने घर अपनी सास के सामने बुलाती और पीछे के कमरे में मेरा साथ चूमा-चाटी करती।
फिर एक दिन मैंने उससे कह दिया- जब मुझे चूत दोगी तभी मुझे बुलाना !
एक दिन उसका फ़ोन आया, उसने कहा- कोई काम है तुम आ जाओ !
मैं उसके घर गया तो उसने बोला- कापियाँ ला दे !
मैंने कहा- पहले मुझे वो दो !
उसने कहा- आकर कर लेना !
मैंने कहा- कर के ही जाउंगा !
वो लेट गई, मैंने उसकी सलवार उतारी और उसे हाथों से चोदना शुरू कर दिया ! वो सिसकियाँ लेने लगी ! मैंने उसका कमीज उतारा और उसकी चूचियाँ दबाने और चूसने लगा।
वो कहने लगी- अब जाओ !
मैंने कहा- अभी तो इसे चूसो !
उसने मना कर दिया, कहने लगी- मुझे उलटी आती है।
फिर मैंने उसे ज्यादा मजबूर नहीं किया, अपना लंड उसकी गीली चूत पर रखा, वो एक दम से अन्दर चला गया, मुझे मज़ा नहीं आया तो मैंने उसकी टांगों को एक दूसरे पर तिरछा कर दिया। अब मुझे मज़ा आने लगा और वो चिल्लाने लगी- बस अब और नहीं मारो !
मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसको उल्टा किया और उसके ऊपर लेट गया।
उसने कहा कि वो गांड नहीं देगी।
मैंने कहा- मैं चूत ही मारूंगा !
उसने कहा- देखो, गांड मत मारना !
मैं उसकी गर्दन आगे करके बीच में बैठ गया और एक झटके से उसकी गांड में लंड पेल दिया, वो तड़पने लगी क्यूंकि मैंने उसकी लातों को बांध दिया था जिसका उसे पता नहीं लगा। वो रोने लगी और मुझे हंसी आ रही थी, मैंने कहा- क्यूँ साली, बहुत तड़पाया है तूने !
जब मेरा छुटने को आ रहा था तो मैंने लंड बाहर निकाला और उसकी चुचियां गीली कर दी।
उसने कहा- यह तुमने ठीक नहीं किया राहुल !
मैंने कहा- कॉपी लेनी है या नहीं !
वोह कहती- यह सब करने में १ घंटा लग गया और तुमने कहा था सिर्फ पांच मिनट !
मैंने सॉरी कहा और अपने दोस्त की दुकान से कॉपियाँ लाकर दे दी।
वो मुझ से नाराज़ होने का नाटक करने कगी तो मैंने उसे मनाने के लिए ५ रुपये की चोकलेट लाकर दे दी। उसने कहा कि वो नहीं खायेगी!
मैंने कहा- तुम मुझे प्यार नहीं करती तो मैं जा रहा हूँ !
उसने मेरा हाथ पकड़ा और चोकलेट अपने मुंह में डाल कर मेरे आगे कर दी। मैंने चोकलेट खाते हुए उसे बहुत चूमा और अगली बार का कह कर घर चले आया।
अब मैं उसकी देवरानी को अपने चक्कर मैं ले रहा हूँ। Hindi Sex Stories
बात उस समय की है जब मैंने एक Indian Sex Stories फ़ाईव स्टार होटल में नई नई नौकरी शुरू की थी। उस समय मै बाईस वर्ष का एक सुन्दर नौजवान था। होटल मेनेजमेन्ट करते समय मैं जिम जाता था उसके फ़लस्वरूप मेरा शरीर बेलेन्स और सुन्दर हो गया था। मेरी लम्बाई भी लगभग छ: फ़ुट और मेरा चेहरा-मोहरा बहुत ही आकर्षक था, कपड़े भी मुझे पर बहुत फ़बते थे।
मुझे लगता था कि मेरे साथ की लड़कियाँ भी मुझ पर मरती थी। मेरे साथी मुझे फ़िल्मो में कोशिश करने को कहते थे, शायद मैं उन सब बातों को मजाक समझता था।
मैं इस फ़ाईव स्टार होटल में फ़्रण्ट-ऑफ़िस में काम करता था और अधिकतर मुझे काऊन्टर पर अतिथि का स्वागत करना होता था, उन्हें उनके कमरे तक पहुंचाने का काम भी करना होता था।
मेरी यह आप बीती एक होलीवुड की अभिनेत्री के बारे में है। वो एक छब्बीस वर्ष की बेहद सुन्दर युवती थी। उसके लिये होटल में सबसे महंगा स्वीट बुक किया हुआ था।
यूं तो यहाँ कई भारतीय अभिनेत्रियां भी आई थी, पर उनमें वो बात नहीं थी, शायद कैमरे के सामने और मेकअप में ही वो सुन्दर लगती थी। उसमें सेक्स अपील जबरदस्त थी। उसका फ़िगर तराशा हुआ और ऐसा प्रतीत होता था कि भगवान ने उसे बनाने में बहुत समय लगाया होगा। उसका चेहरा, उसके होंठ, उसकी मुस्कान, उसकी आकर्षक आंखे हर बात में लाजवाब थी वो।
मै उसका असली नाम नहीं लेकर उसे लीज़ा कहूंगा। उसे यहाँ आये हुए दो दिन हो गये थे। जब वो शूटिन्ग से फ़्री होती थी तो मुझसे अवश्य ही बात करती थी। वो मेरा मन मोह लेती थी। पर वी आई पी गेस्ट होने के कारण मुझे ही नहीं सभी को उसकी हर एक बात का ध्यान रखना होता था, यहाँ तक कि उसके इशारों तक को समझना होता था।
आज वो लन्च के बाद फ़्री थी। उसने मेरे बॉस से कुछ बात की और मुझे शहर में घूमने के लिये साथ ले गई। वह एक बहुत ही सरल और मधुर स्वभाव की लड़की लगी। मुझसे बात करने में उसकी दिलचस्पी साफ़ झलकती थी, या वो थी ही इतनी सहज कि बात करने में अपनापन लगता था। मुझसे मेरे बारे में उसने सब कुछ पूछ लिया।
उसे यह पता चल गया था कि मैं एक साधारण परिवार से हूँ। शायद उसने मेरी इस बात का पूरा फ़ायदा उठाया या कहिये कि हर वक्त वो मुझे कुछ ना कुछ बख्शीश के रूप में देती थी, हर बात में वो मुझे बहुत रुपया देने लगी थी। कोल्ड ड्रिन्क हो या बोटिन्ग करना हो, जहा सौ रुपये लगते, वहाँ वो एक हजार का नोट दे देती थी, और बाकी का बचा हुआ पैसा वापिस भी नहीं लेती थी। शाम तक यूं ही मेरे पास लगभग पांच हजार रुपये जमा हो चुके थे।
मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था कि आज मेरे भाग्य से मैं दुनिया की सबसे सुन्दर हिरोईन के साथ था और पैसा भी बहुत मिल गया था।
शाम को वो मेरे बॉस से स्वीकृति ले कर मुझे अपने स्वीट में ले गई। वहाँ उसने मेरे साथ कुछ वाईन और स्नेक्स लिये, फिर वो स्विमिंग सूट पहन कर आ गई। स्विमिंग सूट क्या था एक बिलकुल छोटी सी ब्रा और एक ना के बराबर अडरवीयर जिसमें बस उसकी चूत छिपी थी। उसके तराशे हुए चूतड़ की दरार में एक डोरी सी थी जो दरार में ही कहीं खो गई थी। शायद ऐसा पहनना उसके लिये नई बात नहीं थी, क्योंकि वो इसमें भी बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रही थी।
(उससे बातचीत के अंश मैं कोशिश करके हिन्दी में रूपान्तर करके लिख रहा हूँ)
“आप मेरे साथ पूल में नहाना पसन्द करेंगे?” उसने मुस्कान भरी आवाज में प्रार्थना की।
सीधी सी बात थी उसने मुझे आज्ञा दी थी, यह मैं समझता था।
“जी पर मेरे पास नहाने के कपड़े नहीं हैं !” मैंने अपनी मजबूरी दर्शाई।
“आपने अन्दर अन्डरवीयर पहना है, यह काफ़ी है ! मेरे दोस्त तो नंगे ही मेरे साथ नहाते हैं !” उसने हंसते हुये कहा।
मैं शरमा गया। अन्डरवीयर भी पुरानी सी पहना हुआ था। मुझे झिझक आने लगी। पर मैंने कपड़े उतार दिये और मात्र अन्डरवीयर में खड़ा हो गया। उसने मेरे नंगे बदन को एक गहरी नजर से देखा और शायद अपने जहन में उतार लिया।
“थेंक्स मेरे प्यारे दोस्त !!! बहुत सुन्दर …. आओ चलें !” उसने मुझे गाल पर हल्का सा किस किया और वो मेरे आगे आगे चल पड़ी। उसकी चाल बला की मनमोहक थी। उसके दोनों चूतड़ो की गोलाईयाँ चलते समय ऊपर नीचे होती हुई गजब ढा रही थी। उसका कमाल का फ़िगर देख कर मेरा लण्ड जोर मारने लगा था, पर डर अधिक लग रहा था कि कहीं लण्ड का उभार उसे नजर ना आ जाये।
पर मैं गलत था, उसे सब पता था। पूल पर आ कर उसने मुझे पानी में खड़ा कर दिया और स्वयं सामने खड़ी हो गई।
“मुझे गोद में ले लो और मुझे धीरे धीरे पानी में गीला करना, ठीक है?” उसने मुझे समझाया।
मैंने उसे एक बच्चे की तरह बाहों में ले लिया। मुझे वो बिलकुल फ़ूल जैसी हल्की लगी। उसका जिस्म मेरी बाहों में आ गया। इतना कोमल और नरम बदन का स्पर्श पा कर मैं सिहर उठा। मेरी सिरहन तक उसे पता चल गई।
“तुम्हारा जिस्म बहुत अच्छा है, मुझे इससे प्यार है।”
मेरे बदन में चींटिया सी रेंगने लगी। उसने मेरे जिस्म की तारीफ़ की, मुझे पहली बार लगा कि जिम जाने से मेरा शरीर सुन्दर दिखता है। मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था। यह उसे भी पता था, वो अपना एक हाथ नीचे लटका कर मेरे लण्ड को भी छू लेती थी।
“क्या मैं तुम्हें चूम सकती हूँ….?” उसने बड़ी सहजता से पूछा और अपने होंठ मेरी तरफ़ बढा दिये। मै कुछ कहता उसके पहले उसके होंठ मेरे होंठो से मिल चुके थे। उसके चूमने का अन्दाज बेहद रोमांचित करने वाला था। मैंने भी जाने कब उसे चूमना और चूसना शुरू कर दिया।
उसने अपनी अधखुली आंखो से मुझे देखते हुए कहा,”तुम्हारा भारतीय स्टाईल बहुत अच्छा है, मुझे नीचे पानी में उतार दो !”
“जी ….जी…. थैंक्स मैम !”
“मुझे लीज़ा कहो, मैम नहीं ! तुम बहुत उत्तेजित हो रहे हो, क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे?”
“लीज़ा, मुझे माफ़ करना, ये तो अपने आप ही ऐसा हो गया !” मेरा खड़ा लण्ड को मैंने नीचे दबाते हुए कहा।
“ये तो प्राकृतिक है, इसमें शरमाना कैसा …. और मुझे देख कर ये खड़ा नहीं हो, ये तो मेरे लिये अच्छी खबर नहीं है। मुझे अच्छा लगेगा अगर तुम मेरे साथ सेक्स करोगे तो…. मुझे भी इसे देख कर चुदाने की इच्छा होने लगी है !”
उसने पानी के अन्दर ही मेरा लण्ड सहलाया और उसे पकड़ कर सहलाने लगी। उसके लण्ड को सहलाने का अन्दाज, बस पानी निकालने देने वाला था। उसने मेरी अन्डरवीयर नीचे खींच दी।
“बहुत अच्छा है और सुन्दर है तुम्हारा लण्ड, तुम भी ! मेरे जिस्म को मसाज करो !”
वो भी हीट में आने लगी थी। मुझे चुदाई का कोई अनुभव नहीं था, पर फ़िलहाल इसमें बहुत मजा आ रहा था। उसने मेरी अंडरवीयर पूरी उतार दी और डोरे जैसी स्वयं की अंडरवीयर भी उतार दी। पानी में कुछ साफ़ दिखाई नहीं दिया।
उसने मुझे चूत देखते हुए देख लिया और हंसी। वो उछल कर पूल की दीवार पर बैठ गई और अपनी दोनों टांगे खोल दी- मेरी चूत देखना चाहते हो ना ? देखो ! और पास आकर इसे प्यार करो !”
मेरे बदन में एक सनसनी दौड़ गई। उसकी गुलाबी चिकनी चूत, शेव की हुई थी, पानी से गीली थी, दोनों उभरी हुई पंखुड़ियों के बीच एक दरार और उसमें से झांकता हुआ गुलाबी सा एक छेद।
“लीज़ा, इतनी सुन्दर और मोहक है, सच में चूम लूं क्या?”
“येस माई डार्लिंग, कम एण्ड सक इट !” उसने मेरे बाल पकड़ पर अपनी चूत से मेरा मुंह चिपका लिया। सुगंधित, रसीली, चिकनी लसलसी, उभरा हुआ गुलाबी दाना मेरे होंठो से टकरा गये। एक ही सांस में उसका सारा पानी जीभ से मैंने चाट लिया, उसकी चूत की गुहा में मैंने अपनी जीभ घुसा दी। मेरी नाक की नोक उसके दाने पर से रगड़ खा गई।
“ओह गॉड, सो स्वीट, आहऽऽऽ, यू आर टू गुड, ओह्ह सक माइ पूसी हार्ड !” वो सिसक उठी।
मेरे हाथ उसके सुडौल उरोजों पर आ गये। जैसे ही मैंने उसे दबाया तो कह उठी,”नाईस, ओह्ह्ह, स्लो डियर, दिस इस माइ फ़िगर बॉय, नाउ लीव इट !”
उसे मजा तो बहुत आ रहा था पर शायद चूंची दबाने से उसके उरोज ढीले ना पड़ जाये, उसने मेरा हाथ हटा दिया। अब वह पानी में कूद पड़ी, और मेरे से लिपट गई।
“अब तुम इस दीवार पर बैठ जाओ” मै उछल कर दीवार पर बैठ गया।
“प्लीज डोन्ट माइन्ड, यूअर कोक इस सो नाईस, मे आई लव इट?”
मुझे बहुत देर तक जगह जगह चूमती रही फिर मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
“बहुत अच्छा है तुम्हारा लण्ड !” उसने मुझे जताया कि उसे भी थोड़ी बहुत हिन्दी आती है।
“ऐसा नहीं कहते लीज़ा, आप बहुत अच्छी है” काफ़ी देर तक वो लण्ड का मजा लेती रही, मेरी हालत झड़ने जैसी होने लगी।
“बस लीज़ा, अब नहीं !” उसने अपनी नशीली आंखे ऊपर उठाई, उसकी वासना का आलम चरम सीमा पर था। उसकी आँखे गुलाबी हो उठी थी। उसने मुझे प्यार से पानी में उतार लिया फिर मेरी ओर पीठ करके और चूतड़ उभार कर घोड़ी बन कर खड़ी हो गई। बेहद कशिश भरी आवाज में वो बोली,”फ़क माइ पूसी, माइ बॉय। डू इट नाउ, कम ऑन, लेट्स एन्जोय नाउ !”
मैंने अपने आपको रोक नहीं सका और अपना लण्ड पानी के अन्दर ही उसकी चूत से चिपका दिया। मै अब उसकी पीठ से चिपक गया और लण्ड का जोर लगाने लगा। लीज़ा ने हाथ का सहारे से लण्ड को अपनी चूत में डाल दिया और अपने चूतड़ मेरे लण्ड पर दबा दिया। मैंने भी जोश में जोर लगाया। लण्ड मक्खन की तरह उसकी चूत में पानी के भीतर ही घुस पड़ा।
“ओह्ह डार्लिन्ग, फ़क मी, इट इस टू गूऽड”
मेरे लण्ड में हल्की सी जलन हुई, मुझे चोट सी लगी, पर मैं उसे नाराज करने की स्थिति में नहीं था। फिर मेरी हालत भी ऐसी नहीं थी कि मैं उसे नहीं चोदता, वासना की तेजी मुझ पर भी थी। मैंने जलन सहते हुये लण्ड पूरा घुसा दिया। लीज़ा झूम उठी और मस्ती में कमर जल्दी जल्दी हिलाने लगी। उसकी चूत में लण्ड आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था, टाईट या कसी हुई चूत नहीं थी। इसलिये अब जलन भी कम होती जा रही थी।
मुझे भी उस रस भरी चूत का आनन्द आने लगा था। उसकी कोमल काया, मखमली बदन, फिर गोरी चमड़ी, गोरी चूत, गोरी गाण्ड। उसके सारे शरीर को सहलाते हुये धक्के मारने में असीम आनन्द आ रहा था। पानी में लहरे चलने लगी और छप छप की आवाज अने लगी। जोश में मैंने उसकी चूंचियाँ मसल ही दी और उसे दबा कर जोर से चोदने लगा।
“माई गॉड, फ़क मी हार्ड, माई बॉय, ऊऊईईईई, ओह्ह्ह, व्हॉट ए कॉक्….”
“हाय मैम, फ़ीलिंग नाईस, ओह्ह, तेरी तो…. साली मक्खन मलाई है !” मुझे भी आनन्द मारे मस्ती आ रही थी।
“यू मीन बटर…. आह लण्ड अच्छा है, फ़क मी !” उसके बोलते ही मुझे मालूम हो गया कि उसे मजा आ रहा है। उसने अपनी टांगे पानी में और फ़ैला ली और थोड़ा और झुक कर मेरे लण्ड को धक्का मारने लगी। फिर उसने अपना पोज बदल लिया। और सामने आकर मेरे से जोर से लिपट गई। लण्ड एक बार फिर अपने निशाने पर घुसता चला गया।
उसकी सिसकारियाँ बढ़ गई थी। उसकी चूत और मेरा लण्ड फिर से तेजी में आ गये। पर वो सामने से अच्छे झटके दे रही थी। दोनों सामने से एक दूसरे को धक्के मार मार कर चोद रहे थे। पानी में भी उबाल आ चुका था। लहरें चुदाई के कारण उछल उछल कर हमें भिगा भी रही थी। चूंकि मेरी यह पहली चुदाई थी सो मेरा शरीर जवाब देने लग गया था, मेरे लण्ड में गहरी मिठास भरने लगी थी। उधर लीज़ा का भी यही हाल था। उसकी तेजी बता रही थी कि अब जवानी का रस बाहर आने को बेताब है।
“माइ लव, आह्ह्ह, माई पूसी हेज गोन नाउ ऊईईई !”
“मैम, मेरा तो हाय, निकलने वाला है !” मै इंगलिश भूल गया और हिन्दी बोलने लगा।
“ओह्ह्ह कमिन्ग, ऊईईई…. फ़क मी हार्ड्…. कमिन्ग बॉय….” और उसने शायद पानी छोड़ दिया। मुझे उसने पीछे धक्का दे दिया और लण्ड निकाल दिया। मेरा लण्ड भींच कर पकड़ लिया और मुठ मारने लगी। कुछ ही क्षणो में मेरा वीर्य पानी में लहरा कर निकल पड़ा। मेरा वीर्य निकलते हुए वो देखती रही।
“ओह्…. सो नाईस, व्हॉट ए कलर, यूअर कम इस सो ब्यूटीफ़ुल, यु इण्डियन आर वेरी नाइस इन फ़किन्ग !” और स्वयं पानी के अन्दर डुबकी लगा गई। मैं भी उसके पीछे गोता मार कर तैरने लगा। कुछ ही देर में हम पानी से बाहर आ गये। दोनों नंगे ही कमरे के अन्दर भाग कर चले गये।
कुछ देर पश्चात मैं फिर से अपनी ड्रेस में था। शाम गहरी हो चुकी थी। उसके डिनर का समय हो गया था। मैंने लीज़ा से जाने की इज़ाज़त मांगी।
“ठहरो, मेरी तरफ़ से ये गिफ़्ट !”
उसने एक लिफ़ाफ़ा मुझे दिया। मैंने सर झुका कर उसका अभिवादन किया और लिफ़ाफ़ा ले कर बाहर आ गया। घर आ कर मैंने लिफ़ाफ़ा खोला तो उसमें एक हज़ार के पचास नोट थे। और एक इन्विटेशन कार्ड था, उसका पता लिखा हुआ था। उसमें एक सन्देश था,“आई लव यू ! जब भी जी चाहे मुझे फोन कर देना, और तुम यू.एस.ए. में होगे…….. लीज़ा”
मुझे एक बार सारी घटना फिर से आंखो के सामने घूम गई। एक प्यारी सी, गुड़िया सी, भली सी लगने वाली सुन्दरता की मूर्ति, मुझे जैसे कुछ यकीन ही नहीं हो रहा था……..मानो एक सपना देखा हो…. Indian Sex Stories
मेरा नाम राम है। मैं आपको जो कहानी Hindi Porn Stories सुनाने जा रहा हूँ, यह तब की बात है जब मैं कालेज में पहले सेमस्टर में पढ़ता था। मेरे कोलोनी में ही मेरा एक दोस्त अमित(बदला हुआ नाम) रहता था जो मेरे साथ ही कालेज में था, वो कमरा किराए पर लेकर रहता था। सो मैं उसके यहाँ स्टडी या ऐसे ही कभी कभी मिलने चला जाता था। उसके साथ उसकी एक दीदी रीना और उनकी एक सहेली नेहा भी रहती थी। वो दोनों आई आई टी कर रही थी। वे लोग एक ही कमरे में रहते थे।
एक बार जब मैं उससे मिलने उसके कमरे पर गया तो मैंने देखा कि नेहा वहाँ अकेली थी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि रीना ओर अमित बाज़ार गये हैं। फ़िर मैं जाने को हुआ तो नेहा ने मुझे ये कह कर रोक लिया कि वो लोग बस आते ही होंगे। सो मैं वहीं रुक गया।
मैंने कभी नेहा से ज्यादा बाते नहीं की थी, ना ही उसके बारे में जानता था, वो मुझसे उमर में शायद तीन साल बड़ी होगी। मैं एक कुर्सी लेकर बैठ गया और अमित के आने का इन्तज़ार करने लगा।
मैने सोचा क्यूँ ना नेहा से ही बातें कर ली जाये। मैं उठ कर उसके पास गया और उससे इधर उधर की बाते करने लगा। बातों ही बातों में मैने उससे पूछ लिया कि क्या उसका कोई बाय फ़्रेन्ड है?
तो उसने शरमाते हुये कहा- नहीं !
मुझे यह बात पूछ्ने में डर इसलिए नहीं लगा क्योंकि वो मुझसे तब तक खुल के बातें करने लगी थी। फ़िर उसने मुझसे पूछा तो मैने भी बता दिया कि मेरी भी कोइ गर्ल फ़्रेन्ड नहीं है।
फ़िर उसने कहा- तुम बैठो ! मैं चाय बना के लाती हूँ।
तो मैं अमित का लेपटोप ओन करके गाने सुनने लगा। तभी मुझे एक शरारत सूझी। मुझे याद आया कि अमित के लेपटाप में बहुत सी ब्लू-फ़िल्में हैं। मैने सोचा क्यूं ना इसे नेहा को दिखाऊँ और अगर काम बन जाता है तो उसकी चुदाई भी कर दूँ!
इस ख्याल से ही मेरे पैन्ट के अन्दर सो रहा मेरा हथियार जाग गया। जैसे तैसे मैंने अपने आप को सम्भाला और गाने सुनने लगा। मैंने 4 गाने एक साथ सिलेक्ट किये और उसके बाद एक ब्ल्यू-फ़िल्म का वीडियो लगा दिया। मेरी उम्मीद के मुताबिक दो गाने खत्म होते ही नेहा चाय लेकर आ गई और मेरे पास बैठ के बातें करने लगी। मैने भी लेपटोप की आवाज को इतना कम कर दिया कि वो कमरे से बाहर ना जाये।
मैंने नेहा से बाथरुम जाने का बहाना किया और बाथरुम चला गया।
बाथरुम दूसरी तरफ़ था। मैं बाथरुम में रुककर चौथे गाने के खत्म होने का इन्तजार करने लगा। फ़िर जैसे ही वो पल आया मैं धीरे से कमरे में आ गया। नेहा तो लेपटोप में ब्ल्यू-फ़िल्म ऐसे देख रही थी जैसे छोटे बच्चे टी वी देखते हैं। उसका मुँह खुला हुआ था, शायद किसी का लन्ड मांग रही थी।
मैं चुपके से जाकर उसके पीछे खड़ा हो गया और उससे कहा- क्या देख रही हो?
तभी वो हड़बड़ा गई और लेपटोप की स्क्रीन बन्द कर दी। वो मूवी देखने में इतनी खो गई थी कि उसे होश ही नहीं था कि मैं भी वहीं हूँ।
शायद उसका यह पहला अनुभव था नग्न फ़िल्म देखने का !
लेपटोप से आहह्ह्ह्ह उउहहहहह की आवाजें आ रही थी जिन्हें सुन कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया। उसने शायद यह देख लिया था।
मेरे पूछ्ने पर कि क्या कर रही थी, वो कुछ नहीं बोली, शायद शरमा गई थी।
मेरे बार बार पूछ्ने पर भी उसने कुछ नहीं कहा तो मैने लेपटोप की स्क्रीन ऊपर कर दी। चूंकि मूवी बहुत लम्बी थी इसलिये वो अभी भी चल ही रही थी। फ़िर मैने नेहा की तरफ़ देखा तो उसने अपनी आँखें अपने हाथों से बन्द कर ली।
उसे देख कर मन तो एसा कर रहा था कि पकड़ कर अभी चोद डालूँ लेकिन मैं थोड़े मजे लेना चाहता था। फ़िर मैने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उससे कहा- इसमें शरमाने की क्या बात है? ये तो सब लोग देखते हैं !
और उसको आँखें खोलने को कहा। उसने अपनी आँखें खोली और मुझसे पूछ्ने लगी- क्या तुमने कभी ऐसी मूवी देखी है?
तो मैने कहा- हाँ ! एक दो बार देखी है !
उसने बताया- मैंने कभी ऐसी मूवी नहीं देखी थी !
मुझे तो यह पहले ही पता चल गया था जब उसे मुँह खोल के मूवी देखते देखा था। खैर फिर मैने उससे कहा- चलो साथ में देखते हैं !
पहले तो वो मना करने लगी पर थोड़ा सा मनाने पर मान गई। फ़िर हम दोनों साथ में मूवी देखने लगे। मैं और वो एक ही बिस्तर पर बैठे थे। मूवी देखते हुए मैंने महसूस किया कि उसकी सांसें बहुत तेज चलने लग गई थी।
तो मैंने भी सोचा- अब मौका है !
मैं धीरे से अपना हाथ उसकी जांघों पर लाया और उसे सहलाने लगा।
तो उसने कुछ भी नहीं कहा। फ़िर मैं हाथ थोड़ा ऊपर करके उसकी गाण्ड पर लाया और उसको दबाने लगा। कसम से क्या गान्ड थी उसकी ! एक दम मुलायम !
तो उसने कहा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- वही जो तुम मूवी में देख रही हो ! और पूछा- क्यूँ? अच्छा नहीं लगा क्या?
तो उसने कहा- अगर करना ही है तो अच्छे से करो !
मैं भी यह सुन कर जोश में आ गया और उसे पकड़ कर उसके होंठों पे किस करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
क्या रसीले होंठ थे उसके ! मजा आ गया उसे चूमने में !
फ़िर मैने उसके सारे कपड़े उतार दिये, उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ लगा दी और उसे चाटने लगा। वो तो जैसे पागल सी हो गई और मेरा मुँह पकड़ के अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं भी मदहोश हो कर उसकी चूत चाट रहा था। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई मैंने उसका सारा रस पी लिया। उसके बाद मैंने उसे अपना लन्ड चूसने को कहा। पहले तो उसने मना किया पर मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में डाल कर उसे मुँह में चोदने लगा। उसे भी मेरा लन्ड चूसने में मजा आने लगा। करीब 5 मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसके बाद मैंने उसकी तीन बार चुदाई की और एक बार गाण्ड भी मारी। उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और एक दूसरे को किस किया।
फ़िर अमित ओर उसकी बहन भी आ गये।
अगली बार आपको बताउँगा कि रीना को मैंने कैसे मनाया चुदाई के लिये !
आप मुझे मेल करके बताना आपको मेरी कहानी कैसी लगी। Hindi Porn Stories
मैंने प्रीती से पूछा कि उसने ऐसा Hindi Sex Stories मेरी बहनों के साथ क्यों किया? तो उसने अपनी ज़ुबानी ये दास्तान सुनाई।
प्रीती की कहानी:
“मेरी कहानी उस समय शुरू हुई जब तुमने मेरे जिस्म का सौदा अपने बॉस के साथ, पैसे और तरक्की के लिये किया।”
“पूरी रात मैं सो नहीं सकी। अब मैं क्या करूँ, ये सवाल मुझे खाये जा रहा था। आत्महत्या कर लूँ ये भी ख्याल आया, किंतु आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं है। ये डरपोक लोगों का काम है और मैं डरपोक नहीं थी।”
“फिर ख्याल आया कि तुम्हें छोड़ कर तुमसे तलाक ले लूँ, पर ये तुम्हारी सज़ा नहीं थी। तुम मुझे बदनाम कर दोगे कि मैं गंदे कैरैक्टर की औरत हूँ और तुम दूसरी शादी कर लोगे। और शायद अपनी नयी बीवी के साथ भी वही सब करोगे जो मेरे साथ किया।”
“फिर मुझे ख्याल आया कि मुझे तुमसे बदला लेना है। मैं तुम्हें इतना जलील करना चाहती थी, जितना तुमने मुझे किया है। उस समय मेरे पास कोई उपाय नहीं थी इसलिये सोचा कि हालात को देखते हुए मैं नॉर्मल रहूँ और वक्त का इंतज़ार करूँ।”
“मगर प्रीती! वो तो सिर्फ़ एक समय के लिये था, मैं नहीं चाहता था कि तुम वेश्याओं की तरह अपनी लाइफ गुज़ारो”, मैंने दुख भरे शब्दों में कहा।
“कुछ भी हो, मैं वेश्या बन गयी, तुम चाहो या ना चाहो। सुनील या तो तुम भोले हो या नदान”, प्रीती ने जवाब दिया, “मैं जानती थी कि तुम्हारे बॉस एम-डी और महेश मुझे एक बार चोद कर छोड़ने वाले नहीं थे, वो फिर मुझे चोदना चाहेंगे और तुम्हें लालच या ब्लैक मेल कर मुझे चुदवाने पर मजबूर कर देंगे।”
“तुम्हें याद है जब एम-डी ने मुझे क्लब पर अकेले बुलाया था? उसने अपने लिये नहीं, बल्कि अपने दोस्तों के लिये बुलाया था। मैं वहाँ पहुँची तो एम-डी ने मुझसे कहा कि प्रीती तुम अभी उम्र में छोटी हो और समझदार भी, मेरे कई दोस्त तुम्हें पाना चाहते हैं। तुम सहयोग दो तो तुम काफी अमीर बन सकती हो। मैं मान गयी, दो चार लंड और चूत में लेने से मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला था और बाकी की कहानी तुम्हें मालूम है।”
“फिर एक दिन मुझे अंजू और मंजू का खत मिला। उसी समय मुझे अपनी मंज़िल दिखायी देने लगी। तुम अपनी बहनों से बहुत प्यार करते हो, इसलिये मैं इन दोनों को भी अपनी तरह रंडी बनाकर तुम्हें जलील करना चाहती थी। मुझे आगे क्या और कैसे करना है, इसपर सोचना शुरू कर दिया।”
“पर तुम्हें कैसे यकीन था कि तुम अंजू और मंजू को इन सब के लिये तैयार कर लोगी?” मैंने पूछा।
“यकीन तो मौत के सिवा किसी चीज़ का नहीं है सुनील, पर मैं जानती थी कि मैं कामयाब हो जाऊँगी।”
“तुम्हें इतना यकीन क्यों था?” मैंने वापस पूछा।
“सुनील! तुम्हें याद है? हमारी सुहागरात के दूसरे दिन सुबह मैंने तुम्हें बताया था कि अंजू और मंजू मुझे तंग कर रही थी…. जब मैं सुबह किचन में चाय बना रही थी।”
“हाँ मुझे याद है”, मैंने जवाब दिया।
“उस दिन सुबह अंजू ने मुझसे पूछा, क्यों भाभी! आपको हमारे भैया का लौड़ा कैसा लगा?”
“मैं शरमा गयी थी पर कुछ जवाब नहीं दिया।”
“फिर मंजू ने कहा, भाभी! भैया ने आपको रात को सोने भी दिया या फिर सारी रात आपको चोदते रहे। ”
“मैं उन दोनों को डाँट कर वापस आ गयी।”
“फिर जब भी हम तीनों अकेले होते तो ये दोनों सवाल करने लगती, कि चुदाई कैसे की जाती है, लंड कैसा होता है। लंड जब चूत में घुसता है तो दर्द होता है क्या। एक दिन मैंने हँसते हुआ कहा, लगता है तुम दोनों को चुदवाने का बहुत मन कर रहा है?”
“पर उनके जवाब ने मुझे हैरान कर दिया, हाँ भाभी! बहुत मन करता है, अगर हमें बच्चा होने का डर ना होता तो कभी का हम लोग चुदवा चुकी होती।”
“सुनील इससे तुम्हें तुम्हारा जवाब मिल गया होगा। मुझे सिर्फ़ इन्हें चुदवाने के लिये उक्साना था और ये दोनों तो तैयार ही बैठी थी इसके लिये। फिर मैंने प्लैन बनाया कि इन दोनों की कुँवारी चूत मैं अपने दोनों भाई राम और श्याम से चुदवाऊँगी। जब इन दोनों के भाई यानी तुमने मेरी कुँवारी चूत ली है तो मैं भी अपने भाइयों से तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत चुदवाऊँगी। ये एक प्रकार से जैसे को तैसा था।”
“पर प्रीती! जब मैंने तुम्हारी चूत चोदी थी तो हमारी शादी हो चुकी थी”, मैंने कहा।
प्रीती ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और अपनी कहानी जारी रखी।
“समय सही होना चाहिये था इसलिये मैं समय का इंतज़ार करने लगी। मेरे भाइयों को भी लंबी छुट्टी मिलने वाली थी। इसलिये मैंने तुम्हें घर चलने को कहा, पर मुझे मालूम था कि काम की वजह से तुम नहीं चलोगे।”
“कुछ भी गलत ना हो इसलिये मैं तुम्हारे वो स्पेशल दवा मिले कोक की चार बोतलें और स्कॉच की चार बोतलें अपने साथ ले कर गयी थी।”
“वहाँ जब मैं पहुँची तो तुम्हारी बहनों को सैक्स के अलावा और कोई टॉपिक नहीं था बात करने का। मैं भी उन्हें सैक्स के बारे में बता कर उनकी चुदवाने की इच्छा और मजबूत करती रही। मैंने उन्हें मुंबई आने को भी कहा।”
“एक दिन दोनों ने मुंबई जाने की इजाज़त तुम्हारे पिताजी से ले ली।”
“मैं अपने घर होते हुए मुंबई आने वाली थी। सो ये दोनों भी मेरे साथ मेरे मायके आ गयी।”
“राम ने हम तीनों को रीसीव किया और हम घर पहुँचे। मैंने देखा कि मेरे दोनों भाई तुम्हारी दोनों बहनों को बहुत ही घूर रहे थे। मैं समझ गयी कि ये दोनों भी इन्हें चोदना चाहते है। माँ और पिताजी को एक शादी में पास के गाँव में जाना था। वो हम सब को छोड़ कर दो दिन के लिये शादी में चले गये। इस बात ने मेरे प्लैन को और मजबूती दे दी।”
“हम पाँचों घूमने जाते, सिनेमा देखते। मैंने जानबूझ कर चारों को ज्यादा समय अकेले बिताने को दिया जिससे ये लोग आपस में करीब आ सके।”
“शाम को मैं उन दोनों के कमरे में गयी और कहा कि मैं तुम दोनों से कुछ बात करना चाहती हूँ? ”
“हाँ दीदी कहो, राम ने कहा।”
“क्या तुम दोनों नाज़िया को अब भी चोदते हो? ये सवाल सुनकर दोनों चौंक गये। सुनील! मैं तुम्हें बता दूँ नाज़िया हमारी नौकरानी का नाम है।”
“फिर श्याम ने हिम्मत करके के पूछा कि दीदी आपको किसने बताया कि हम नाज़िया को चोदते हैं।”
“मैं पिछले दो साल से जानती हूँ ये बात…! मैंने जवाब दिया, पर नाज़िया कहीं दिखायी नहीं दे रही।”
“नाज़िया अपने गाँव गयी है, दस दिन में वापस आयेगी… राम ने कहा।”
“मैंने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा कि अच्छा एक बात बताओ! क्या तुम दोनों अंजू और मंजू को चोदना चाहोगे, दोनों कुँवारी हैं, और कुँवारी चूत को चोदने में बहुत ही मज़ा आयेगा।”
“अपनी जगह से उछलते हुए राम ने कहा, हाँ दीदी! हमने कई सालों से कोई कुँवारी चूत नहीं चोदी, क्या वो दोनों मान जायेंगी? ”
“ये सब तुम मुझ पर छोड़ दो, वो दोनों तुम लोगों से चोदने की भीख मांगेंगी।”
“ठीक है मैं फिर बाज़ार से कुछ कंडोम खरीद कर ले आता हूँ… श्याम बोला।”
“कोई जरूरत नहीं है, तुम दोनों अपना पानी उन दोनों की चूत में ही छोड़ देना। उन्हें कुछ नहीं होगा… मैंने कहा।”
“ठीक है! तुम दोनों ठीक आठ बजे हॉल में आ जाना। राम तुम अंजू को चोदना और श्याम तुम मंजू को। फिर तुम आपस में अदला बदली भी कर सकते हो। एक छोटी सी पार्टी रखी है मैंने, तुम दोनों क्या पियोगे? मैंने पूछा।”
“ओहह दीदी! एक रात में दो दो कुँवारी चूत…. दीदी हम लोग बीयर पियेंगे राम ने कहा।”
“मैंने सब इंतज़ाम कर रखा था। राम और श्याम के लिये बीयर और अंजू और मंजू के लिये तुम्हारा स्पेशल कोक और उसमें थोड़ी सी स्कॉच और मेरे लिये सिर्फ स्कॉच। मैंने नाश्ते का भी इंतज़ाम कर रखा था और अपना कैमरा भी जो तुमने मेरे जन्मदिन पर तोहफा दिया था।”
“सबसे पहले अंजू और मंजू एक दम सज धज कर हॉल में दाखिल हुई। भाभी हम दोनों कैसी लग रही हैं, अंजू ने एक मॉडल की तरह अपनी टाँगें हिलाते हुए पूछा। बहुत ही सुंदर और जानदार लग रही हो मेरी जान, मुझे यकीन है तुम दोनों को देख कर लड़कों का लंड खड़ा हो जायेगा।”
“भाभी आप भी ना! दोनों शरमा गयीं।”
“नहीं मैं सच कह रही हूँ! अच्छा तुम दोनों उनके लंड की तरफ देखना वो जब आयेंगे। मैंने कहा।”
“इतने में राम और श्याम कुर्ता पायजामा पहने हुए हॉल में आये, अरे तुम दोनों तो बहुत सुंदर और सैक्सी लग रही हो…. दोनों ने कहा। उन दोनों का लंड तंबू की तरह उनके पायजामे में खड़ा हो गया।
देखो मैंने नहीं कहा था… दोनों अंजू और मंजू शर्म के मारे लाल हो गयी।”
“चलो पार्टी करते हैं, कहकर मैंने राम और श्याम को उनकी बीयर और दोनों लड़कियों को स्कॉच मिली हुई स्पेशल कोक का ग्लास पकड़ा दिया। खुद भी मैंने अपने लिये स्कॉच का तगड़ा पैग बना लिया।”
“दीदी! तुम… ये शराब? राम ने चौंकते हुए पूछा। चारों लोग मुझे हैरानी से देख रहे थे।”
“हाँ! क्यों? मैं नहीं पी सकती क्या… मुंबई में कभी-कभी पार्टियों में सोशियलाइज़िंग के लिये पीनी पड़ती है… मैंने झूठी सफ़ाई दी।”
“हम लोग हँसी मज़ाक और बातें करते रहे। स्पेशल कोक ने और स्कॉच ने अपना असर दिखाना शुरू किया।”
“भाभी बहुत गर्मी है ना… कहकर अंजू ने अपना ग्लास एक ही झटके में खतम कर दिया।”
“हाँ भाभी! कुछ ज्यादा ही गर्मी है… कहकर मंजू भी अपनी सीट पर मचल रही थी।”
मैं समझ गयी कि इनकी चूत में खुजली होनी शुरू हो गयी है।
“तुम चारों डाँस क्यों नहीं करते? कहकर मैंने स्टिरियो पर म्यूज़िक लगा दिया।”
“बीस मिनट तक चारों म्यूज़िक पर डाँस कर रहे थे और मैं उन्हें देख रही थी। मैंने देखा कि दोनों लड़कियाँ मदमस्त होकर डाँस कर रही थीं और अंजू एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। कोक ने और स्कॉच ने अब अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर दिया था।”
“पर लगता था कि मंजू की चूत में ज्यादा खुजली हो रही थी, अब मुझसे नहीं रहा जाता… कहकर उसने श्याम को अपने और नज़दीक कर लिया और अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ने लगी।”
“ओह बहुत अच्छा लग रहा है… कहकर श्याम मंजू को किस करने लगा और अपना लौड़ा ज्यादा जोर से उसकी चूत पर रगड़ने लगा।”
“श्याम और मंजू को देख, राम ने भी अंजू को अपनी बाँहों में भर लिया… ओह! राम मुझे किस करो ना? अंजू सिसकते हुए बोली।”
“किसिंग करते हुए राम और श्याम दोनों के मम्मे दबा रहे थे। थोड़ी देर में दोनों ने उनके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये थे और ब्रा ऊपर को खिसका दी थी।”
“सच में सुनील! देखने लायक नज़ारा था। अंजू और मंजू अपने मम्मे उन दोनों से दबवा रही थी, और मेरे भाई अपने लंड को जोर-जोर से तुम्हारी बहनों की चूत पर रगड़ रहे थे। उनके मुँह से मीठी-मीठी सिसकरी निकल रही थी।”
“सुनील तुम्हें याद है…? उस दिन तुमने क्या किया था? तुम्हें जरूर याद होगा! मैंने तुम्हारी तरह ही उनके पेटीकोट का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया और उनका पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया। फिर मैंने उनकी पैंटिज़ में हाथ डाल कर उन्हें भी उतार दिया। दोनों बहनों ने अब सिर्फ अपने हाई हील के सैंडल्स पहने हुए थे। मेरे दोनों भाई भी कपड़े उतार कर नंगे हो चुके थे। तुम्हारा लंड कितना अच्छा लग रहा है राम! हाँ जोर से रगड़ते जाओ… अंजू ने सिसकरी भरी।”
“जोर-जोर से अपने लंड को मेरी चूत पे रगड़ो श्याम… मंजू ने मादकता भरी आवाज़ में कहा।”
“अंजू की हालत खराब हो रही थी। राम अब मुझसे नहीं रहा जाता, मेरी चूत की खुजली अब बर्दाश्त नहीं होती, अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोदो… वो बोली। राम तो इसी का इंतज़ार कर रहा था, वो अंजू को बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड अंजू की चूत में घुसा दिया।”
“आआहहह मर गयी… अंजू दर्द से तड़पी।”
“राम रुक गया और बोला, क्या दर्द हो रहा है?”
“तुम मेरे दर्द की परवाह ना करो, बस मुझे जोर जोर से चोदते जाओ… अंजू की बातें सुन राम ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और उसे चोदने लगा। अब अंजू कुँवारी नहीं रही थी। मैं मुस्कुरायी।”
“अंजू के मुँह से सिसकरियाँ छूट रही थी। हाँआँआँ… ऐसे ही… हाय चोदो… और जोर से हाँ… फाड़ दो मेरी चूत को… आआआहह।”
“मुझे भी मज़ा आ रहा था। अब मैंने श्याम और मंजू की और देखा तो पाया कि श्याम को कुछ प्रॉब्लम हो रही थी। मैंने पूछा, श्याम तुम मंजू की चूत में अपना लंड क्यों नहीं डाल रहे हो? ”
“दीदी मैं कोशिश कर रहा हूँ पर नहीं जा रहा। इसने अपनी टाँगें सिकोड़ रखी हैं। उसने कहा।”
“मेरी समझ में नहीं आया कि क्या कहूँ… क्या करूँ। फिर मुझे याद आया कि मेरी पहली रात में तुमने क्या किया था। मैंने श्याम से कहा, श्याम! इसकी चूत पर जोर-जोर से अपना लौड़ा रगड़ो।”
“श्याम मंजू की चूत पर जोर-जोर से अपना लंड रगड़ने लगा। इस से मंजू में गर्मी भरने लगी, और उसने सिसकरी लेते हुए अपनी टाँगें फैला दी।”
“अब फाड़ दे इसकी चूत… मैं चिल्लायी। मैं भी काफी ड्रिंक कर चुकी थी और नशे में थी। श्याम ने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में समा दिया।”
“ऊऊईई माँआँआँ… मंजू दर्द में तड़पी, पर श्याम बिना रुके जोर से और तेजी से उसे चोदने लगा।”
“श्याम इतनी जोरों से नहीं! जरा से प्यार से चोदो… इतना कहकर मैं आराम से अपनी ननदों की मेरे भाइयों द्वारा चुदाई देखने लगी।”
“अंजू को सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने राम को कस कर भींच रखा था और अपनी टाँगें उछाल कर उसकी थाप से थाप मिला रही थी, ऊऊऊऊऊ राम! कितना अच्छा लग रहा है, हाँआँआँ ऐसे ही… हाय चोदते जाओ, हाँआंआंआं… और जोर से… ओहहह आहहाह मेरा छूटने वाला है… और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो अपनी उखड़ी साँसें संभालने लगी। राम ने भी दो चार जोर के धक्के मार कर उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया।”
“उधर दूसरी तरफ मंजू भी अपनी पहली चुदाई के आनंद से दूर नहीं थी। श्याम और ज्यादा अंदर घुसाओ, क्या तुम तेजी से नहीं चोद सकते… हाँ इसी तरह… और तेजी से हाँआँआँ… हाँआँ… मेरा छूटने वाला है… वो सिसकरियाँ भर रही थी।”
“श्याम भी अपना पूरा जोर लगा रहा था उसे चोदने में। हाँआआ… ले मेरे लंड को… अंदर तक ले… हाँआआआ और ले… और उसने अपना पानी मंजू की चूत में छोड़ दिया, लेकिन उसने चुदाई चालू रखी। शायद उसका लौड़ा अभी भी तना हुआ था। उसके पानी ने मंजू को भी पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। ओहह… मेरा पानी छूट रहा है… कहकर उसका बदन ढीला पड़ गया।
दोनों जोड़े चूमा चाटी करते हुए चुदाई के बाद का आनंद ले रहे थे। सच कहती हूँ सुनील उस दिन मुझे इतनी खुशी मिली कि मैं क्या बताऊँ।”
“चलो लड़को! तुम लोग ऐसे नहीं लेटे रह सकते, तुम चारों थोड़ा और डाँस क्यों नहीं करते… मैंने राम और श्याम को बीयर पकड़ाते हुए कहा। तुम लड़कियों को भी प्यास लग रही होगी? कहकर मैंने दोनों को वो स्पेशल कोक का ग्लास दे दिया। मुझे भी नशे में ध्यान नहीं रहा और मैंने भी स्कॉच की जगह अपने ग्लास में वो स्पेशल कोक डाल लिया।”
“हम पाँचों म्यूज़िक पर डाँस कर रहे थे। इस बार राम ने मंजू को और श्याम ने अंजू को साथ लिया हुआ था।”
“अंजू तुम इतनी दूर रहकर क्यों डाँस कर रही हो, मुझसे सट कर डाँस करो ना? श्याम ने अंजू को अपने करीब खींचते हुए कहा।”
“ना बाबा! मैं नहीं आ सकती, पहले तुम्हारे लंड का कुछ करो, ये मेरे पेट में चुभता है… अंजू ने हँसते हुए कहा।”
“अच्छा तो ये बात है? तो इसका हल अभी कर देते हैं… कहकर श्याम ने अंजू को कमर से पकड़ नीचे लिटा दिया अपना लंड अंजू की चूत में डाल दिया।”
“श्याम! तुम बदमाश हो, अंजू ने चुलबुलाते हुए कहा, मैंने तुम्हें अपने लंड को मेरी चूत में डालने की इजाज़त नहीं दी थी।”
“जान मेरी! खड़े लंड की सही जगह चूत है और अब ये ऐसे भी तुम्हारे पेट को नहीं चुभ रहा। इतना कहकर श्याम अंजू को बिस्तर पेर लिटा कर चोदने लगा।”
“राम देखो! वो दोनों चुदाई कर रहे हैं! क्या हम दोनों ऐसे ही उन्हें देखते रहेंगे… मंजू ने प्यासी नज़रों से देखते हुए राम से कहा।”
“नहीं जान हम भी चुदाई करेंगे… राम ने हँसते हुए कहा। इतना सुनकर मंजू बिस्तर पे लेट गयी और अपनी टाँगें फैला कर बोली, आओ राम! और ये मोटा लंड मेरी चूत में जोर से पेल दो, बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत में।”
“दोनों राम और श्याम कस कर मंजू और अंजू की चुदाई कर रहे थे। हर चुदाई के बाद ये आपस में पार्टनर बदल लेते थे। आखिर में दोनों थक कर चूर हो चुके थे। एक बूँद पानी भी दोनों के लंड में नहीं बचा था, और अंजू मंजू की चूत पानी से भरी हुई थी। उनकी चूत से पानी टपक रहा था। किंतु उनका मन नहीं भरा था। वो और चुदवाना चाहती थी।”
“राम अपने लंड को खड़ा करो…! अंजू ने शिकायत भरे सुर में कहा और उसके लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी।”
“रुको मेरी जान थोड़ा वक्त लगेगा…. राम ने कहा।”
“मगर मैं अभी चुदवाना चाहती हूँ… अंजू ने जवाब दिया।”
“श्याम अपना लंड जल्दी से खड़ा करो और मुझे चोदो, मेरी चूत की खुजली अभी मिटी नहीं है!” मंजू भी बोली।
“हाँ मेरी जान जैसे ही ये खड़ा होता है… मैं तुम्हें चोदूँगा.” श्याम बोला।
“ओह! मैं क्या करूँ?” मंजू अपनी चूत को रगड़ते हुए बोली।
“अगर तुम दोनों लड़कियों को चुदवाने की इतनी ही जल्दी है तो तुम दोनों इनका लौड़ा क्यों नहीं चूसती हो? इससे इनका लंड जल्दी खड़ा हो जायेगा…. मैंने सलाह दी।”
“मेरी बात सुन कर दोनों लड़कियाँ उनके लंड को मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगी। थोड़ी ही देर में दोनों का लंड तन कर खड़ा हो गया। चुदाई के बाद चारों अपने कमरे जा कर गहरी नींद में सो गये।”
“पर मेरी खुद की हालत खराब थी। मैंने अकेले ही स्कॉच की आधी से ज्यादा बोतल पी ली थी अब तक और दो ग्लास स्पेशल कोक भी पी लिये थे। मेरी चूत में इतनी खुजली मची थी कि क्या बताऊँ। ऊपर से नशे में मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। मैंने अपने कपड़े फटफट उतार दिये और कुछ देर अपनी अँगुलियों से चूत को रगड़ती रही। पर चूत को ऐसे ही राहत नहीं मिलने वाली थी। उस समय तो मैं किसी से भी चुदवाने को तैयार हो जाती पर मेरे भाई भी थक कर चूर सो गये थे। उनसे कोई उम्मीद नहीं थी। मैं नशे में, सिर्फ अपने सैंडल पहने लड़खड़ाती हुई पागलों की तरह किचन की तरफ बढ़ी और फिर फ्रिज में से मोटा सा खीरा निकाल कर अपनी चूत चोदी। तब जाकर पंद्रह-बीस मिनट में कुछ चैन पड़ा।”
“दूसरे दिन मेरी आँख खुली तो खुद को किचन के फर्श पर ही सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे पाया। मैं उठ कर इन लड़कियों के बेडरूम में गयी तो देखा कि अंजू और मंजू गहरी नींद में सोयी पड़ी थी। उन दोनों की फैली टाँगों के बीच उनकी गोरी चूत देख कर मेरे मन में एक ऑयडिया आया और मैं कपड़े पहन कर अपने भाइयों को बुलाने उनके कमरे में गयी। उनको सोते से जगाते हुए कहा…. यहाँ तुम दोनों सोये हुए हो और वहाँ वो दोनों चुदवाने को बेचैन हैं। वो दोनों बिस्तर से उछले और अपना लंड पकड़ते हुए मेरे पीछे चले आये।”
“दीदी! ये दोनों तो अभी तक सो रही हैं!”
“तो क्या? इनकी चूत चाट कर इनको उठाओ… मैंने राम को अंजू पर ढकेलते हुए कहा।”
“ये क्या कर रहे हो? अंजू नींद से चौंक कर जागती हुई बोली।”
“कुछ नहीं! अपने लंड के धक्कों से तुम्हारी सोयी हुई चूत को जगा रहा हूँ…” कहकर राम ना अपना लंड अंजू की चूत में घुसा दिया।
“ओहहह राम!! कितना अच्छा लग रहा है… अंजू ने सिसकरी भरी।”
“श्याम अब मुझे और मत तड़पाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में डाल दो…. मंजू ने श्याम से कहा जो उसकी चूत को चाटे जा रहा था।”
“दोनों चुदाई करने के बाद एक बार फिर पार्टनर बदल कर चुदाई करने लगे। थोड़ी देर बाद मैंने कहा… बस अब तैयार हो जाओ, हमें घूमने जाना है।”
“ओह भाभी! अभी कितनी सुबह है। बाद में चलेंगे ना, मेरी चूत मैं अभी भी खुजली हो रही है। अंजू ने कहा। ”
“हाँ भाभी! जल्दी क्या है जाने की? मैं भी और चुदवाना चाहती हूँ… मंजू भी बोली।”
“नहीं मेरी प्यारी ननदों, हमें जहाँ जाना है वो जगह यहाँ से दो घंटे की दूरी पर है और हमें शाम होने तक वापस भी तो आना है। इसलिये तैयार हो जाओ और रात को जितना मरज़ी हो उतना चुदवा लेना…। मैं दोनों भाइयों को कमरे के बाहर धक्का देने के बाद आयी तो देखा दोनों लड़कियाँ आपस में कानाफ़ूसी कर रही थी।”
“ममम! लगता है तुम दोनों को चुदवाने में बहुत ही मज़ा आया है। अच्छा बताओ किसका लौड़ा सबसे ज्यादा अच्छा लगा? मैंने दोनों से पूछा।”
“दोनों शरमाने लगी। थोड़ा सोचने के बाद अंजू बोली… मुझे राम का लंड अच्छा लगा, कितना लंबा और मोटा है।”
“लेकिन मुझे श्याम का लंड ज्यादा अच्छा लगा, थोड़ा छोटा है पुर उसके चोदने का जो तरीका है, उसमें मज़ा ज्यादा आता है… मंजू बोली।”
“तुम दोनों अपनी जगह सही हो, चलो अब तैयार हो जाओ… मैंने कहा।”
“अभी रुको भाभी!! पहले आपको हमारे एक सवाल का जवाब देना है… अंजू कुछ सोचते हुए बोली, आपने राम और श्याम को हमें चोदने से क्यों नहीं रोका?”
“मैं उन्हें क्यों रोकती। जब तुम दोनों पहले से ही चुदवाना चाहती थी तो मैंने उन्हें करने दिया जो वो करना चाहते थे। फिर तुम दोनों भी तो उन्हें रोक सकती थी, तुमने क्यों नहीं रोका उनको?” मैंने सवाल पर सवाल किया।
“हम नहीं कर सके भाभी! हमारी चूत में इतनी खुजली हो रही थी…” अंजू ने कहा।
“मैं नहीं मानती कि ये सचाई है… मंजू सोचते हुए बोली, भाभी याद है जब हमने कहा था कि हमारा मन चुदाई के लिये करता है तो आपने हमें शादी तक रुकने को कहा था? नहीं भाभी? हमें सचाई बताइये।”
“इन्हें एक दिन तो सचाई बतानी ही थी सो मैंने सोचा कि आज क्यों नहीं । ठीक है मैं बताती हूँ… फिर मैंने इन्हें पूरी कहानी सुना दी कि कैसे तुमने अपने स्वार्थ और तरक्की के लिये मुझे अपने दोनों बॉस से चुदवाने के लिये भेज दिया।”
“पर भाभी आप भी तो मना कर सकती थी? आप क्यों तैयार हो गयी? मंजू ने पूछा।”
“मैं भी तुम दोनों की तरह मना नहीं कर सकी। उस दिन मेरी भी चूत में ऐसे हो खुजली हो रही थी। मेरा भी मन चुदवाने का कर रहा था… चाहे किसी का भी लंड हो। तुम्हारे भैया ने मुझे वही कोक पिलाया था जो मैंने तुम दोनों को पिलाया था। उसमें उत्तेजना की दवाई मिली हुई है। मैंने सचाई बताते हुए कहा।”
“तो आपने ये तरकीब बनायी थी, यहाँ लाकर हमारी कुँवारी चूत अपने भाइयों से चुदवाकर आपने सुनील भैया का बदला लिया? अंजू ने पूछा।”
“हाँ ये सही है, लेकिन अभी मेरे बदले का पहला चरन ही पूरा हुआ है… मैंने जवाब दिया।”
“पहला चरन? जो हुआ उससे आपका दिल नहीं भरा? अब आपको और क्या चाहिये? मंजू ने पूछा, क्या आप अब ये चाहती हैं कि आपके भाई हमारी गाँड मारें।”
“नहीं मेरे भाई नहीं, मैं चाहती हूँ तुम्हारे भैया के सामने उनके बॉस, एम-डी और महेश तुम दोनों की गाँड का उदघाटन करें… मैंने जवाब दिया।”
“अगर हम दोनों ना करें और यहीं से घर वापस चले जायें तो?” अंजू ने पूछा।
“अगर तुम तैयार नहीं हो और घर वापस जाना चाहती हो तो जा सकती हो, मैं जिद नहीं कर सकती। लेकिन मैं तीन कारण बता सकती हूँ जिससे तुम ये सब करने के लिये तैयार हो जाओगी… मैंने कहा।”
“मैंने चालू रहते हुए कहा… पहला कारण तो ये है कि तुम अपने पिताजी को जल्दी वापस लौटने का क्या कारण बताओगी। दूसरा अगर तुम गर्भवती हो गयी तो मैं ही तुम दोनों को उस परेशानी से बचा सकती हूँ, और तीसरा, क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारे भैया को सबक सिखाना चाहिये। तुम दोनों की चूत चुद चुकी है और दो चार और लंड लेने से कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला, मैंने कहा, ठंडे दिमाग से सोच लेना और मुझे अपना फैसला सुना देना।”
“क्या राम और श्याम को मालूम है कि अपने अपना बदला लेने के लिये हमें मोहरा बनाया है? अंजू ने पूछा।”
“नहीं! उन्हें नहीं पता है! सिर्फ़ हम लोगों को पता है, यहाँ तक कि तुम्हारे भैया को भी नहीं… मैंने जवाब दिया।”
“घूमने जाने से पहले मंजू ने कहा, भाभी हम तैयार हैं! जैसा आप बोलेंगी, हम करेंगे।”
“अच्छा है! अब राम और श्याम से दिल खोलकर मज़ा लो, तुम लोग दोबारा गर्भवती नहीं हो सकती… मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”
“कार में बैठते वक्त राम ने कहा, दीदी! गाड़ी आप चलाइये, हम चारों पीछे की सीट पर बैठ जायेंगे।”
“जब कार हाईवे पर पहुँची तो मैंने अंजू को बोलते हुए सुना, नहीं राम! मैं तुम्हारा लंड अपने मुँह में नहीं ले सकती… ”
“क्यों नहीं ले सकती? जब तुम्हें चुदवाना था तो तुमने मेरा लंड चूस कर खड़ा किया नहीं था क्या? राम ने जवाब दिया।”
“नहीं हमने तुम लोगों का लौड़ा नहीं चूसा…” मंजू बोली।
“अगर यकीन नहीं आता तो अपनी भाभी से पूछ लो… श्याम बोला।”
“भाभी!!! इनसे कहिये ना कि हम लोगों ने इनका लंड नहीं चूसा था…” अंजू गिड़गिड़ायी।
“मगर ये सच है कि तुम दोनों ने इनके लंड को जोर-जोर से चूसा था और तुम्हें मज़ा भी आया था। मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”
“अब इसे चूसो मेरी जान!!! कहकर राम ने अपना लंड अंजू के मुँह में दे दिया।”
“थोड़ी देर बाद मुझे पीछे से चपर-चपर की आवाजें सुनाई दीं। मैंने रियरव्यू मिरर में देखा कि दोनों लड़कियाँ जोर-जोर से उनके लौड़े को चूस रही थी।”
“ओहहह अच्छा लग रहा है, अंजू ज़रा जोर से चूसो राम ने सिसकरी भरते हुए कहा।”
“ऐसे लगता है मंजू कि तुमने तो लौड़ा चूसने के लिये ही जन्म लिया है! कितने अच्छे तरीके से चूस रही हो, हाँआआआ और जोर से चूसो… कहकर श्याम ने अपना लंड और अंदर घुसेड़ दिया।”
“थोड़ी देर में दोनों ने अपना वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया और दोनों गटक कर उनका पानी पी गयी।”
“जब हम शाम को घर पहुँचे तो मैंने उन चारों को कमरे में अकेला छोड़ दिया। पूरी रात चारों चुदाई करते रहे, उनके सिसकने की, चिल्लाने की अवाज़ें आती रही।”
“एक बात कहूँ सुनील! तुम्हारी बहनें भी तुम्हारी तरह एक दम गरम हैं। जब तक वहाँ रहीं… मेरे भाइयों की हालत खराब कर दी। हम लोगों के जाने के बाद राहत की साँस ली होगी उन्होंने।”
“फिर हम लोग यहाँ चले आये और आगे की कहानी तुम्हें मालूम ही है।” ये कहकर प्रीती ने अपनी कहानी खत्म करी। Hindi Sex Stories
मेरा नाम राघवेंद्र है और मेरी उम्र 27 साल की है. मुझे अपने से बड़ी उम्र की औरतें चोदना बहुत पसंद है.
शुरू से ही मन में था कि मुझे चालीस से पैंतालीस साल की औरत को चोदने का सुख कब नसीब होगा.
फिर लॉकडाउन में ऊपर वाले ने मेरी सुन ली.
मैं मूलत: लखनऊ का रहने वाला हूं. पिछले वर्ष लॉकडाउन में घर पर काम करने की वजह से मैं दिल्ली से वापस अपने घर लखनऊ आ गया था.
अब मैं घर से ही काम करने लगा था.
परंतु लखनऊ में आकर मुझे चूत मिलना बंद हो गई थी जैसे कि दिल्ली में मुझे मेरी गर्लफ्रेंड की चूत चोदने को मिल जाती थी.
कुछ दिनों तक तो मैंने हाथ से मुठ निकाल कर काम चलाया, पर दिल है कि मानता नहीं.
मैं सुबह शाम को घर से निकल आता था. नजर इसी पर रहती थी कि शायद कोई ऐसी मिल जाए, जिसको मैं चोदकर अपनी अन्तर्वासना शांत कर लूँ.
Xxx भाभी हॉट चुदाई के लिए मैं बेचैन हो रहा था.
कुछ हफ्तों की मेहनत के बाद मुझे एक भाभी मिलीं भी, जो अपना कुत्ता टहलाने के लिए हमारी सोसाइटी में आती रहती थीं.
कुछ दिन तक तो मैं सिर्फ उन्हें देखता था कि वे अकेली आती हैं और अकेली ही कुत्ता टहला कर वापस हो जाती हैं.
धीरे-धीरे मैंने उनसे बात करने का तरीका ढूंढा और एक दिन ऐसे ही उनके पास जाकर पूछा- आपको पहले कभी नहीं देखा है … क्या आप नयी आई हैं?
उन्होंने मुझे जवाब दिया- मैं तो यहां पर नयी नहीं हूं. पर शायद आप नए हो, जो आप मुझे नहीं जानते हो.
इसके बाद बातों बातों में मालूम पड़ा कि उनके पति देश के बाहर कहीं जॉब करते हैं और वह लॉकडाउन की वजह से अपने देश वापस नहीं आ पाए.
मेरे मन में तुरंत लड्डू फूटा कि इनकी चूत प्यासी हो सकती है … और मैं इन्हें सैट करके इनकी व अपनी प्यास मिटा सकता हूँ.
अब मैं रोजाना उसी समय का इंतजार करने लगा कि कब शाम हो. कब वो अपना कुत्ता टहलाने के लिए सोसाइटी में आएं.
इस तरह से मेरी उसकी बातचीत लगभग रोज होने लगी.
धीरे-धीरे बातों में हम दोनों ने एक दूसरे के नंबर शेयर किए और उसके बाद मोबाइल का इस्तेमाल शुरू हो गया.
मैं कभी-कभी उनको सामान्य मैसेज करने लगा.
एक दिन जानबूझकर मैंने उन्हें ऑनलाइन देख कर एक गंदा सा मैसेज भेजा और उसके बाद उसको डिलीट फॉर ऑल कर दिया.
इस पर उनका रिप्लाई आया कि क्या भेज दिया … देख कर भेजा करो.
मैं सकपका गया और मुझे लगा कि आज बात खत्म हो गयी.
तो मैं उनसे माफी मांगने लगा.
मुझे लगा कि आज शाम को वो कुत्ता घुमाने नहीं आएंगी.
पर उस दिन शाम को वह लोअर और हाफ टी-शर्ट पहन कर आईं, जिसे देखकर मुझे समझ आ गया कि भाभी मूड में हैं.
मैंने उनके करीब जाकर उनकी तारीफ़ की जिससे वो खुश हो गईं.
फिर बात हुई तो साफ़ लगने लगा कि इनकी चूत का नशा मेरे लंड से ही उतरेगा.
बातों ही बातों में उन्होंने बताया- आजकल मैं घर पर अकेली ही रहती हूँ. मेरा बेटा भी अपनी मौसी के घर गया था पर लॉक डाउन होने की वजह से वह भी वापस नहीं आ सका है.
मैंने कहा- अरे तो आप कहें तो मैं आपका अकेलापन दूर करने आपके साथ आपके घर आ जाऊं?
वो हंस दीं और हम दोनों खुल कर बातें करने लगे.
मैंने अगले दिन अकेलापन दूर करने के लिए साथ में मिलकर घर पर पिक्चर देखने का प्लान बनाया जिससे कि उनका अकेलापन दूर हो सके और हम दोनों की दोस्ती हो जाए.
वह इस बात पर राजी हो गईं.
बस फिर क्या था.
उस दिन मैं रात में अपने घर आया और मैंने अपने लंड के बाल साफ किए.
उस दौरान मुझे उनकी ही याद आ रही थी और लंड खड़ा हो गया था.
मैंने उसी रात में यह सोच कर एक बार अपने लंड का माल निकाल दिया कि मैं भाभी को चोद रहा हूं.
माल निकलने के बाद थकान हुई और मैं सो गया.
अगले दिन जब सुबह मैं उठा और उनके घर जाने की योजना बनाने लगा.
लेकिन उसके लिए मुझे अपने घर से जाने की इजाजत लेनी जरूरी थी क्योंकि लॉकडाउन चल रहा था.
बाद में मौक़ा पाकर मैंने मम्मी पापा को बताया कि इधर पास में ही एक दोस्त रहता है, मैं उसके जा रहा हूं. वापस आने में शाम हो जाएगी.
मम्मी ने हां कह दी.
मैंने अपना लैपटॉप उठाया और गाड़ी उठा कर भाभी के साथ सुहागरात मनाने के लिए उनके घर पहुंच गया.
भाभी समझ गई थीं कि मामला एकदम गर्मागर्म है और मूवी देखने का तो सिर्फ बहाना है.
मैं भी जानता था कि हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत है.
इसलिए उन्होंने ज्यादा वक्त बर्बाद नहीं किया और बैठकर बातों ही बातों में मुझसे पूछा- तुम अपनी फिजिकल जरूरत कैसे पूरी करते हो?
मैंने बताया कि दिल्ली में मेरी एक फ्रेंड है. उसके साथ में जब मेरा होता है या उसका मन होता है तो हम लोग सेक्स कर लेते हैं. आप बताइए आप कैसे करती हो?
तब उन्होंने शायराना अंदाज में कहा- क्या बताएं यार, मैं तो तन्हा ही उम्र गुजार रही हूँ … सनम की याद में!
मैंने हंस कर कहा- ऐसा मत कहिए. मैं आपकी तन्हाई दूर करूंगा.
ये कह कर मैंने आगे बढ़कर उनके गालों के नीचे गर्दन पर एक किस कर दिया.
वह पहले तो सकपका गईं, पर खुश भी हो गईं.
उसके बाद भाभी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और उठकर गांड हिलाती हुई अपना गेट बंद करने लगीं.
उसके बाद उन्होंने वहीं से मुझे देखा और अपने होंठों पर जीभ फेरी.
मैंने आंख मार कर अपना लंड सहला दिया.
वो नशीली चाल से मेरे करीब आईं और मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर वाले कमरे में ले गईं.
अन्दर आकर उन्होंने मुझे बेड की तरफ चलने का इशारा किया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.
मैं उन्हें देखने लगा.
भाभी मादक भाव से चलती हुई बेड पर मेरे बाजू में बैठ गईं.
अब हम दोनों कमरे में बैठे थे.
उन्होंने मेरा खड़ा हुआ लंड देखकर कहा- अभी करना है … या थोड़ा मूड बनाना है?
मैंने भाभी को अपने पास खींचते हुए किस करना शुरू कर दिया और ऊपर से ही उनके दूध दबाने लगा.
वो मेरे होंठों से लग गईं और कम से कम पांच मिनट तक ऐसे ही चूसने के बाद मैंने उनके टॉप के अन्दर से हाथ डाल कर मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.
भाभी की आह आह निकलने लगी.
ऐसे ही दबाते दबाते भाभी के एक निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच दबा कर उसको मींजते हुए कहा- भाभी मेरा तो मूड बना हुआ है, मुझे तो अभी करना है … आप अपनी बताओ कि अभी लेना है या बाद में लोगी?
मैंने भाभी जी से पूछा तो वो बोलीं- क्या दोगे?
तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया और कहा- ये … चैक कर लो … मस्त मूसल है.
लंड पर हाथ फेरते ही भाभी का मूड बन गया और पूछने लगीं- ऐसे ही रांड बना कर लोगे या दुल्हन बनाकर चोदना है?
मैंने कहा- रंडियां तो बहुत चोद चुका हूँ … अब तो मैं आपको दुल्हन बनाकर चोदना चाहता हूं.
उन्होंने मुझसे कहा- ठीक है तुम थोड़ी देर बाहर बैठ कर टीवी देखो, तब तक मैं दुल्हन बन जाती हूँ. शादी वाला लहंगा चुनरिया पहन लेती हूं. उसके बाद मैं तुमको आवाज दूंगी. तब कमरे में आ जाना.
मैंने भाभी को चूमा और बाहर बैठकर टीवी पर पिक्चर देखने लगा.
तभी भाभी ने आवाज लगा कर कहा- तुम भी नहा लो.
मैंने कहा- ओके.
तब मैंने सोचा कि नहाने की कहने का मतलब है कि भाभी खुल कर मैच खेलना चाहती हैं. मतलब लंड चूत चूस कर मजा लेना चाहती हैं.
मैं नहाने चला गया.
नहाते समय मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि अभी अन्दर भाभी के साथ खुल कर मैच खेलना है और खूब देर तक दबा दबा कर भाभी को चोदना है.
इज्जत का सवाल है आज भाभी को अपने लंड का गुलाम बनाना ही है.
मैं लंड को अच्छे से साफ़ करके बाथरूम से बाहर आ गया.
मैंने कुरता पजामा पहना हुआ था.
अभी मैं बैठा ही था कि कुछ ही देर बाद भाभी की आवाज आ गई- अन्दर आ जाओ देवर जी!
मैं जैसे ही अन्दर घुसा तो हतप्रभ रह गया.
मैंने देखा कि भाभी एक लाल लहंगा पहने हुए एक कोने में बैठी हुई थीं और बाजू की टेबल पर एक दूध का गिलास रखा हुआ था.
भाभी ने मुझे देखा तो तुरंत उठ कर मेरे करीब आईं और मेरे पैर छूकर मुझसे बोलीं- आप आज मेरे एक दिन के पति बन जाओ … आओ प्राणनाथ बैठो.
उनके इस तरह से झुक कर पैर छूने से मैं सकपका गया और ‘अरे अरे …’ कहते हुए मैंने उनकी बांहों को पकड़ कर उठाया.
आह … एकदम मलाई सी चिकनी बांहों को पकड़ते ही लंड ने झुरझुरी सी ली और लंड एकदम से अकड़ गया.
भाभी ने मुझे दूध का गिलास लाकर मेरे हाथों में दे दिया.
मैंने एक घूंट पी लिया और उनके होंठों से गिलास लगा दिया.
भाभी भी उसी गिलास से दूध पीने लगीं.
फिर दूध का गिलास खत्म करके मैं उनके लिपस्टिक लगे होंठों को चूसने लगा.
भाभी भी मेरे मुँह में अपनी जीभ देती हुई चुम्बन का मजा लेने लगीं.
इसके बाद मैंने खुद अपने कपड़े उतारे और धीरे से भाभी के लहंगे का नाड़ा ढीला कर दिया.
लहंगा ढीला हुआ तो सरसराता हुआ नीचे सरकने लगा.
भाभी नीचे से पैंटी में रह गईं.
उसके बाद मैंने उनको अपनी बांहों में भरा और उनके ब्लाउज के पीछे लगे बटन खोलने लगा.
ब्लाउज के हुक खोलने के बाद मैंने उसको उतारा नहीं, बस यूं ही ब्लाउज के साथ भाभी के मम्मों को मसलने लगा.
भाभी आह आह करने लगीं.
फिर मैंने एक झटके से हाथ से खींचकर ब्लाउज को हटा दिया.
अब भाभी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं. उन्होंने जालीदार ब्रा पैंटी पहन रखी थी, जो नारंगी रंग की थी.
पैंटी की जाली से भाभी की सफाचट चूत साफ दिख रही थी.
चिकनी चूत देख कर एकदम साफ़ समझ आ रहा था कि भाभी ने आज ही झांटों को बनाया है.
मैंने घुटनों के बल बैठ कर भाभी की पैंटी को बिना उतारे हुए हल्का सा किनारे कर दिया और उनकी चूत में अपनी जुबान डाल दी.
जुबान डालते ही गुदगुदी की वजह से वह कसमसाने लगीं और पीछे को हटने की कोशिश करने लगीं.
इसी कोशिश में भाभी बेड पर गिर पड़ीं.
वो कहने लगीं- मैं आजके लिए तुम्हारी बीवी हूं … इतनी जल्दी क्या है!
पर मैं भूखा शेर सा तड़फ रहा था, चूत का स्वाद चखने के बाद अब कहां रुकने वाला था.
मैं चूत पर टूट पड़ा और चाट चाट कर चूत का दाना लाल कर दिया.
भाभी की चूत विकट गर्म हो गई थी.
वो सीत्कार भरती हुई बोलीं- अब बस भी करो … क्या बिना चोदे ही रस निकाल दोगे?
मैंने कहा- पहले तो बिना चोदे निकाल दूँगा … फिर चोद कर पानी निकाल दूँगा.
भाभी मस्त हुई पड़ी थीं.
इसके बाद मैं ऊपर उठा और उनके गले के पास जाकर अपना अंडरविअर हटाकर अपना लंड उनके मुँह में दे दिया.
मेरा मोटा और काला चिकना लंड देखकर भाभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
उन्होंने मुझसे कहा- तुम्हारा लंड देख कर मेरी नीयत डबडबा गई है. मैं तुमको एक शर्त पर अपनी चूत दूंगी.
मैं नंगा लड़का चूत के लिए भाभी की हर शर्त मानने को तैयार था.
मैंने लंड हिलाते हुए कहा- आपकी हर शर्त मान लूंगा … पहले आप मेरे लंड को अपने मुँह में लो.
उन्होंने कहा- ठीक है मैं ले लूंगी. पर मेरी शर्त यह है कि तुम जब तक यहां रहोगे, तब तक मुझे चोदने आया करोगे.
मैं उत्साह में था. मैंने झट से भाभी की बात मान ली और उनके मुँह में अपना लंड डाल दिया.
भाभी मेरे लंड को ठीक ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई भूखा बच्चा लॉलीपॉप चूसता है.
मैं उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से गोल गोल घुमाता हुआ रगड़ रगड़ कर मसल रहा था.
भाभी भी लंड की गोलियों को मुँह में ले रही थीं और कभी लंड को जीभ से चाट रही थीं.
उन्होंने लंड को चूस चाट कर एकदम से कड़क कर दिया था.
मुझसे रहा नहीं गया और मेरा लंड उनके मुँह में झड़ गया.
उन्होंने माल मुँह में ले लिया लेकिन खाया नहीं.
बाद में पूरा माल अपने कमरे के फर्श पर थूक दिया.
मैंने कहा- अब लंड खाली हो गया है … अब हम लोग देर तक असली खेल खेलेंगे.
वो बोलीं- जरूर … पर पहले अपने लंड को वापस खड़ा कर लो.
मैंने कहा- हो जाएगा मेरी प्यारी भाभी जी. बस आप थोड़ी देर और चूस लो.
वो लंड को साफ़ करके फिर से चूसने लगीं और मैं उनकी चूचियां पीने और रगड़ने लगा.
दस मिनट के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मैंने हल्का सा थूक लगाकर अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया.
कई महीनों से ठुकाई नहीं कारण भाभी की चूत टाइट हो गई थी.
दो तीन झटके के बाद लंड खुद-ब-खुद चूत में सैट हो गया और मस्त चुदाई चालू हो गई.
कम से कम 15 मिनट चोदने के बाद मैंने भाभी को बेड का किनारा पकड़ा कर घोड़ी बना दिया और उनकी गांड के छेद को साफ़ करके चाटने लगा.
गांड को चाट कर गीला कर दिया और उसमें अपना लंड डाल दिया.
जिस वजह से वह पागल हो गई थीं क्योंकि भाभी की गांड बहुत टाइट थी.
वो चिल्लाने लगी थीं- आंह मर गई … बाहर निकालो इसको … मैं मर जाऊंगी.
पर मैं कहां मानने वाला था … मैंने उनकी कमर को पकड़ कर दो तीन झटके में पूरा लंड गांड के अन्दर पेल दिया.
और दे धक्के दे धक्के मैं भाभी को चोदे जा रहा था.
भाभी की गांड चुदाई मुझे सामने लगे शीशे से साफ दिखाई पड़ रही थी.
मैं भाभी के बाल पकड़कर उन्हें घोड़ी की तरह चलाता हुआ चोद रहा था.
वे मेरे लंड को चाबुक समझ कर गांड हिलाती हुई दनादन दौड़ी जा रही थीं.
तभी मुझे अपने लंड के पास हल्का गीला सा महसूस हुआ.
मैंने जैसे ही हाथ ले जाकर देखा, तो खून था. मैं समझ गया कि जिस घोड़ी की मैं सवारी कर रहा हूँ वो कुंवारी गांड वाली घोड़ी हैं.
मैंने भाभी को कुछ नहीं बताया और उनकी गांड मारता रहा.
कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने पूरा माल भाभी की गांड में छोड़ दिया और गांड में से लंड निकाल लिया.
अब मैंने अपने लंड को भाभी के कमरे के परदे से साफ किया और भाभी के बाजू में लेट गया.
कुछ देर तक भाभी ऐसे ही अचेत लेटी रहीं.
फिर मैंने भाभी की चूत को चूसना शुरू कर दिया.
मैंने उनकी चूत को चूस कर गीला किया और उनकी चूत में फिर से अपना चेतक उतार दिया.
भाभी हल्की से कराहीं और उन्होंने लंड को चूत में समा लिया.
मेरा चेतक भाभी की गुफा में पूरी ताकत से दौड़ लगाये जा रहा था.
भाभी की चूत भी लगातार चुद चुद कर लाल हो गई थी और नाभि के नीचे की साइड सूज गयी थी.
पर मैं कहां मानने वाला था.
मैंने भाभी को तब तक चोदा, जब तक लंड ने उसकी चूत में उल्टियां करना शुरू नहीं कर दिया.
भाभी की चूत की फांकें सुर्ख लाल हो गयी थीं, पर चुदाई का सुख भाभी के चेहरे से साफ़ दिख रहा था.
मुझे भी लगा कि आज मेहनत सफल हो गई है.
इसके बाद मैं सो गया.
थोड़ी देर बाद जब मैं उठा तो मैंने देखा कि भाभी बाजू में नहीं हैं.
वो किचन में कुछ खाने को बना रही थीं. पर वो पैर फैला कर खड़ी थीं.
मैं समझ गया कि मेरे लंड ने भाभी की गांड और चूत दोनों को मसल दिया है, इसलिए ये टांगें फैला कर खड़ी हैं.
मैंने पूछा- भाभी क्या बना रही हो?
उन्होंने कहा- पोहे और चाय बना रही हूँ, खा पी लो. उसके बाद फिर से खेलेंगे.
मैंने कहा- फिर से खेलना ही है, तो बाद क्या होता है?
भाभी हंसने लगीं.
मैंने उनको पकड़ कर किचन की पट्टी पर टिका कर फिर से घोड़ी बनाकर चोदना शुरू कर दिया.
इस बार मैंने अपने खड़े लंड से भाभी की चूत को चोदा और चाय में उबाल आने से पहले मेरे लंड में उबाल आ गया.
मैं भाभी की चूत में झड़ गया और भाभी को खुश कर दिया.
इस तरह मैं 45 दिन तक लखनऊ में रहा और लगातार उस भाभी की दिन में कई कई बार चुदाई की.
मैंने किसी भी दिन दो बार से कम नहीं खेला और उसकी चूत को और गांड को फैलाकर चौड़ा कर दिया था.
मैंने Xxx भाभी हॉट चुदाई करके उनकी रसीली चूत को भोसड़ा बना दिया था.
आज भी बात होती है तो भाभी कहती हैं कि लखनऊ आना तो मुझसे जरूर मिलना.
मैं जब भी लखनऊ जाता हूं और उस दिन अगर भाभी के पति घर नहीं होते हैं, तो कम से कम दो बार चोद कर आता हूं.
क्या करूँ अपने से बड़ी उम्र की भाभी मेरी कमजोरी है. फिर भाभी की रसीली चूत से कैसे दूर रह सकता हूँ.
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