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सभी अन्तर्वासना पढ़ने वाले Hindi Sex Stories पाठकों को पम्मी पंजाबन का खुली योनि के साथ कोटि-कोटि प्रणाम। मेरा नाम पम्मी है। मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र २२ वर्ष है। मेरी शादी आज से ठीक २ वर्ष पहले हुई थी। शादी के पहले मैंने अपने हर आशिक के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात बनाए।
एक बार मम्मी ने मुझे रात को अपने घर की छत पर अपने पड़ोसी से चुदवाते हुए पकड़ लिया। यहाँ मैं जिक़्र करना चाहती हूँ कि पापा के पीछे से मैंने अपनी माँ को बहुत से गैर मर्दों के साथ हम-बिस्तर होते देखा और मेरी बड़ी बहन २ बार लड़कों के साथ भाग गई। दूसरे नम्बर वाली बहन अपने आशिक़ के साथ शादी करके चली गई। एक भाई है जिसे मम्मी ने हॉस्टल में रखा है। जिस बेटी ने बचपन से अपनी माँ को ग़ैर मर्दों की बाँहों में झूलते देखा हो वो लड़की बड़ी होकर वही सब करेगी ही।
जिस दिन मेरी माँ ने मुझे पकड़ा, वो कुछ कहती, उसके पहले मैंने कहा- तुम कौन सी दूध की धुली हो?
चलो दोस्तों, इसी वज़ह से मेरी शादी कर दी गई प्रदीप शर्मा के साथ। पहली रात वो दारू के नशे में धुत्त होकर आया। उसने मुझे कुछ ही पलों में नंगी करके अपना लौड़ा मेरे हाथ में दे दिया। लौड़ा देखकर मैं भी गरम हो गई। वो भी जल्दी मुझ पर सवार हो गया। उसका लंड सामान्य आकार का था।
मेरे जैसी लड़की जिसने शादी के पहले मन-मर्ज़ी के हट्ठे-कट्ठे लड़कों के साथ चुदाई के मज़े लिए हों, उसके लिए छोटा ही था। उसके नशे ने मेरी पोल नहीं खुलने दी। मैंने झूठ-मूठ दर्द का नाटक किया और अपनी चूत को साँस खींच कस सा लिया। सुहागरात के बाद भी वो बिस्तर में दारू पी कर आता।
मेरी ननद पेट से है, और सासू माँ उसका ख़्याल रखती है, और मुझे बाँझ कह कर ताने मारती। ननद की वज़ह से ननदोई जी भी रोज़ रात को अपने कार्यालय से इधर ही आते, क्योंकि वो अकेले डिनर कहाँ से करते। उनका हमारे यहाँ आना मुझे बहुत भाता। उनकी नज़र भी शुरु से ही मेरे प्रति ख़राब थी। इसी बीच मेरे पति का आबूधाबी का वीज़ा आ गया। पापा ने उसको वहाँ काम दिलवा दिया और मुझे जल्दी साथ ले जाने को कह वो दुबई चले गए।
दोस्तों चाहे वो लण्ड छोटा था, लेकिन लण्ड तो लण्ड ही है, इसके बिना औरत शान्त नहीं होती। मैं भी प्यासी रहने लगी, बिस्तर पर करवट बदलती रहती। तभी एक रोज़ सासू-माँ ननद का चेकअप करवाने के लिए ले गई। ननदोई जी को ऊपर वाला हिस्सा दिया हुआ था। जब तक उनके बच्चा नहीं होता, दीदी ऊपर नहीं जाती थी।
ननदोई जी को मैं सुबह में कॉफी दे कर आती थी। ननदोई जी का आकर्षण मेरी ओर बढ़ता जा रहा था, जिसकी वज़ह मैं भी थी और वो भी। दोनों एक-दूसरे की आँखों में कुछ-ना-कुछ तलाश से करते रहते। वासना की आग बराबर लगी ती। मैं भी अब ननदोई जी की हरक़तों को रोकती नहीं। जानबूझ कर गहरे गले की कमीज़ पहन उनको पानी वगैरह देती, और देते वक्त सामने झुक जाती। वो भी मुझे दिखाकर पैन्ट के ऊपर से ही लंड को खुजलाते। एक-दो बार रसोई में निकलते हुए मेरी चूचियाँ भी उन्होंने दबाईं।
एक शाम मम्मी ननद को चेक करवाने अस्पताल गईं थीं। इधर मैं अकेली थी। तभी ननदोई जी आए, मैं जानबूझ कर अपने बिस्तर पर लेट गई। अपनी कुर्ती को इस तरह सरका दिया, और ब्रा भी खोल दी जिससे मेरी क़हर ढाती प्यासी जवानी दिखने लगी। मेरे दोनों मम्मे साफ़ दिख रहे थे। तभी दरवाज़ा खुला और आवाज़ आई, “मम्मी !”
जब किसी ने उत्तर न दिया तो वो मेरे कमरे में पहुँचे और देखकर आवाज़ दी। मैंने सोने की ऐक्टिंग की।
वो कुण्डी चढ़ा कर मेरे बिस्तर पर बैठ गए, फिर आवाज़ दी। मैं चुप ही रही। वो आहिस्ते से मेरे पैरों की तरफ बैठ अपना हाथ मेरी जाँघों पर फेरने लगे। साथ में एक हाथ से मेरा मम्मा दबोच लिया और निप्पलों को चूसने लगे। सीईईईईई मैंने आँखें खोलीं और उनको अपने ऊपर गिरा लिया। अचानक से यह देख वो हैरान रह गए।
मैंने उनकी शर्ट उतार कर उनकी घने बालों से भरी छाती पर हाथ फेरते हुए काट लिया। वो मेरे होंठों को चूसने लगे। नीचे से ऊँगली से योनि के दाने को मसलने लगा। मैं पूरी तरह गरम पड़ी हुई थी। मैंने जल्दी से पैन्ट के ऊपर से लंड पकड़ लिया। उन्होंने तुरन्त पैंट और अण्डरवियार उतार दिया।
बाप-रे-बाप, ९ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा साँवले रंग का लंड पकड़ते ही मेरी योनी में खुज़ली होने लगी। मैंने झट से उसका लंड बाहर निकाल और मुँह में भर कर चपड़-चपड़ करते हुए चूसने लगी। वो सीधे लेटे हुए अपने पाँव के अँगूठे से मेरी योनि मसलने लगे। फिर उन्होंने 69 में आकार बना कर अपनी पूरी ज़ुबान अन्दर डाल दी, बोले, “भाभी जी बहुत तड़पाया है आपने, आज मसल दूँगा आपके कोमल बदन को।”
मैंने कहा, “आपने भी कम नहीं तड़पाया है, दूर से इस लंड को खुज़लाते थे, वो भी इतना सॉलिड लम्ड। कितने दिनों से मेरे अन्दर कोई लण्ड नहीं गया है।”
मेरी कसी हुई गीली योनि को देख कर वह स्वयं को रोक नहीं पाए और बीच में बैठ लंड मेरी योनि पर रखते हुए धक्का मारा। थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन मैंने भी दाँतों को भींचते हुए सब सह लिया, क्योंकि मैं एक खेली-खाई लड़की थी। पता था कि मज़ा तो मोटा लंड ही देता है। एक बार दर्द के बाद जो मज़े देगा, वह मैं अच्छी तरह से जानती थी। फिर उनका पूरा लंड योनि में डलवा लिया।
आह्ह्ह ह्हहह ! दोस्तों ! इतना मोटा लौड़ा मैंने शादी से पहले नहीं लिया था। वेबसाईटों पर देखा था, क्या मर्द था वो, असली देसी घी खा-खा कर उसका सारा शरीर ही शक्तिशाली हो गया था। उनकी जाँघों में क्या दम था कि ज़ोर-ज़ोर से मुझे रौंदने लगे। दनादन मेरे मुँह से अचानक गन्दी बातें निकलने लगीं।
मैं जब चुदती थी शादी से पहले, तब इन्हीं गन्दी बातों से मुझे और गर्मी मिलती। ओह… यस्स्स बहनचोद… मार हरामी… मार हरामी… तेरी औरत पेट से है ना। मुझे अपनी रंडी समझ… आह्ह्हहह उह्ह्ह्हहह उसने लौड़ा निकाल लिया। मुँह में डाल दिया। गीला लौड़ा मैंने चाट-चाट साफ़ कर दिया और लॉलीपॉप की तरह चूस के बिल्कुल एक नंगी कुतिया बन गई।
बहुत दिनों से लौड़े की भूखी थी, भूल गई कि हमारा रिश्ता क्या है। बस दोनों के सिर पर चुदाई का भूत सवार था। थोड़ा चूसने के बाद जब मेरी योनि में लौड़े की प्यास बढ़ने लगी तो ननदोई जी को समझ में आ गया कि अब घोड़ी की तरह चुदने के लिए तैयार है।
मैं उनके सामने घुटने टेक घोड़ी बन गई और वो पीछे से मेरी योनि को फटाफट चोदने लगे। आहा… ननदोई जी फाड़ डालो आज इसको… कसम से मैं आपकी दीवानी थी। और मेरी बातें सुन-सुन कर वो और तेज़ी से लौड़ा आगे-पीछे करने लगे। वाह क्या लौड़ा था। माँ क़सम मान गई.. कई लड़कों ने मुझे चोदा था लेकिन ननदोई जी के तेज़ धक्कों से मैं पिघल चुकी थी, और मैं झड़ गई।
लेकिन ननदोई जी असली मर्द थे, उन्होंने मुझे फिर से सीधा लिटा कर दोनों टांगों के बीच आसन लगा लिया। मेरी योनि उनके लौड़े की रगड़ सहन नहीं कर पाई, पर अभी उनका काम अभी कहाँ बना था,। उन्होंने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख कर मेरी गांड के छेद पर थूक लगा कर अपना लंड पेल दिया। ईईईईईई… कमीने यह क्या किया मररररर गई… उईईईई माँआआआआ.. पूरा लौड़ा अन्दर गया और फिर तेज़ धक्कों से अब मुझे मज़ा आने लगा, और मैं नीचे से गांड उठा-उठा कर चुदवाने लगी और वो भी मेरी इस हरक़त से झड़ने के क़रीब आए तो लंड योनि में डाल दिया और फिर उनके लौड़े ने मेरी कोख में पिचकारी मारी। उसके पानी से मैं दूसरी बार झड़ गई।
दोस्तों, उसके बाद मेरे और ननदोई जी मैं अवैध सम्बन्ध बन गए। वो जितने दिन रुके, जब भी माँ ननद के चेकअप या किसी काम से सासू-माँ अकेली जाती लेकिन ननद का पेट अधिक निकल आया, तो वह अपने कमरे में रहती, मैं और ननदोई मज़े लेते। और दोस्तों ठीक हफ़्ता पहले मेरे पैर भी भारी हो गए। सासु माँ खुश हैं। पति को फ़ोन पर उसने बताया, वह भी खुश है। लेकिन मैं और ननदोई जी जानते हैं कि बच्चा हम दोनों का है।
मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी, बताना मत भूलना। मैं जल्दी अपनी चुदाई के अन्य किस्से आपके साथ बाँटूँगी, क्योंकि मुझे अपने बिस्तर की बातें लोगों तक ले जाने से अजीब सी गर्मी मिलती है।
नमस्कार Hindi Sex Stories
मैं अपनी एक Sex Stories वास्तविक कहानी लिख रहा हूँ, अगर आपको पसन्द आए तो मुझे उत्तर लिखें।
बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था…
मेरी अन्तिम परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी थीं और मैं उदयपुर से अपने पैतृक नगर सूरत ट्रेन से जाने वाला था। शाम के चार बजे थे, मैं सही समय पर स्टेशन पहुँच गया था, मेरी सीट किनारे और नीचे वाली थी। मैं ट्रेन में बैठा हुआ सोच रहा था कि आगे क्या करना है। वैसे ट्रेन में कोई अधिक भीड़ नहीं थी। जैसे ही ट्रेन चलने लगी, मैंने देखा कि एक औरत जो लगभग तीस-बत्तीस साल की थी, आई। उसने मुझसे पूछा- आपकी सीट कौन सी है?
मैंने उसे बताया – “सीट नम्बर ग्यारह”
उसने अपनी टिकट देखी उसकी सीट की संख्या बारह थी, यानि ऊपर वाली सीट। उसके साथ उसका तीन साल का लड़का भी था। वह खिड़की पर आकर बैठ गया।
उस महिला ने मुझसे पूछा,”क्या सामान रखने में आप मेरी थोड़ी सी सहायता कर सकते हैं?”
मैंने उसकी सहायता की और सारा सामान सही-सही सीट के नीचे रख दिया। वह ऊपर जाकर बैठ गई। उसका लड़का नीचे ही बैठा था और मेरे साथ खेल रहा था।
ट्रेन चलती गई, एक घंटे के बाद पहला स्टेशन आया, तो वह नीचे उतर आई और चाय वाले को आवाज़ देकर चाय लेकर पीने लगी। मैंने भी चाय ली। जब वह पैसे देने लगी, तो मैंने कहा कि मैं दे देता हूँ, और मैंने दोनों की चाय के पैसे दे दिए। थोड़ी देर बाद हम बातें करने लगे। वह नीचे की सीट पर ही बैठी थी।
“मेरा बच्चा परेशान तो नहीं कर रहा है?”
“नहीं… बिल्कुल नहीं” मैंने उत्तर दिया।
“आप कहाँ जा रही हैं?” चाय पीते-पीते ही मैंने उससे पूछा।
“मुम्बई !” उसने बताया।
“आपके पति नहीं जा रहे हैं?”
उसने बताया कि उसका तलाक़ हो चुका है और वह अपने भाई के घर जा रही है। कुछ देर की चुप्पी के बाद हमारी बातें दुबारा शुरु हो गईं।
उसने मुझसे पूछा,”आप क्या करते हैं?”
“मैंने अभी-अभी कॉलेज की पढ़ाई खत्म की है और मैं घर जा रहा हूँ।”
थोड़ी देर बाद मैंने अपने बैग में से मिक्सचर नमकीन निकाले और उसे ऑफर किया तो वो भी मेरे साथ खाने लगी। अब मैं उसके बिल्कुल पास बैठा था और मैंने मिक्सचर वाला हाथ उसकी गोद में रख दिया तो मेरा हाथ उसकी जाँघ को छूने लगा। ट्रेन के हिलने से मेरा हाथ उसकी जाँघ से रगड़ रहा था, शायद उसे भी अच्छा लग रहा था।
फिर हम दोनों के बीच काफी बातें हुईं। उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?
तो मैंने कहा- नहीं !
उसने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता।
तो मैंने कहा- कोई पसन्द ही नहीं आई।
थोड़ी देर बाद शाम के सात बज गए और बाहर अन्धेरा हो गया। ट्रेन क़रीब-क़रीब खाली थी। हम लोगों को कोई भी देखता तो यही समझता था कि पति-पत्नी होंगे क्योंकि हम काफी आराम से बातें कर रहे थे।
कुछ देर के बाद मैं पैर फैलाने को हुआ तो वह सरक गई। मैंने भी उससे कहा- आप थक गईं होंगी, आप भी पैर फैला लीजिए।
वह भी अधलेटी सी हो गई। अब उसके पाँव मेरी ओर और मेरे पाँव उसकी ओर थे। उस समय थोड़ी-थोड़ी ठंड लग रही थी, तो मैंने शॉल ओढ़ ली। मेरा एक पाँव उसकी गाँड से और उसका एक पाँव मेरी गाँड से छू रहा था।
थोड़ी देर में मुझे अच्छा लगने लगा और वह भी उत्तेजित हो गई। मेरा लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने थोड़ी और आज़ादी से अपने पैरों को उससे छुआया तो वह कुछ भी नहीं बोली। मैं भी समझ चुका था कि वह तैयार है। अब वह भी मुझे ठीक से छूने लगी थी। मैंने खुज़ली करने के बहाने उसके पैरों को छुआ तो उसने कहा- ठीक से पैर फैला लो।
मैंने कहा- ठीक है, फिर मैं थोड़ा और लेट गया। थोड़ी देर बाद हमने खाना खा लिया।
ट्रेन में सभी शायद यही समझ रहे होंगे कि हम पति-पत्नी हैं। कुछ देर के बाद उसका बच्चा सो गया। वह नीचे ही सो रहा था। हमने ऊपर में किनारे बैग रखकर उसे ऊपर की बर्थ पर सुला दिया। अब ट्रेन में बत्ती धीरे-धीरे बुझ चुकी थी। सिर्फ दो-तीन केबिन में ही नाईट-बल्बें जल रही थीं। इत्तेफाक़ से हमारी जगह पर बत्ती लगी ही नहीं थी।
हम फिर शॉल ओढ़ कर फिर से वैसे ही अधलेटे रहे। उसने फिर से गर्लफ्रेण्ड की बात छेड़ दी, तो मैंने कहा,”गर्लफ्रेण्ड तो नहीं है, पर…”
“पर क्या…?”
“कुछ नहीं…?”
उसके बार-बार पूछने पर मैंने कहा,”आप बुरा मान जाएँगी”
“नहीं मानूँगी।”
“…हाँ, पर मैंने मस्ती बहुत की है…”
“और वो…?”
अब वह भी उत्तेजित लग रही थी और पूरी लेट गई थी और मैं भी…, अब मेरे लंड उसकी गाँड के पास छू रहा था। मेरा ८ इंच का लण्ड खड़ा हो गया। मैंने लंड को सम्भालने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। अब मैं समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार है।
अब मैं उसका पेट नीचे से सहला रहा था फिर उसके पेटीकोट में नीचे से हाथ डालकर उसकी जाँघों तक भी सहलाना शुरु किया। वह पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। मैंने उससे कहा कि मेरे किनारे में आ जाए तो वो आ गई। अब हम एक ही किनारे में लेटे हुए थे। हमने कम्बल ओढ़ ली थी, क्योंकि एक तो ठंड वैसे भी थी और ऊपर से एसी कोच होने के कारण ठंड का असर अधिक ही था। मैंने सामने का परदा डाल दिया और पाया कि ठंड की वजह से सारे लोग सो रहे थे। परदा डाल कर मैं वापस आया।
मैंने उसे चूमा और उसकी चूचियों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। उसने मेरा लंड पकड़ लिया था। मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वह पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबा रही थी। धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ा और उसके ब्लाऊज़ में हाथ डालकर उसकी चूचियों को दबाने लगा।
मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए, उसकी मलाई जैसी चूचियाँ मुझे दिख रही थीं। मैंने उसकी चूचियाँ अपने मुँह में ले लीं और कभी बाईं तो कभी दाईं चूची को चूसने लगा। मैं अब उसे चोदना ही चाहता था, मैंने उससे कहा- तुम टॉयलेट में आ जाओ। मैं पहले जाता हूँ, तुम दो मिनट के बाद आ जाना।
मैंने टॉयलेट में जाते समय अटेण्डर को दो सौ रुपये दिए और कहा कि बच्चे का ख्याल रखना, तो वह समझ गया।
मैं टॉयलेट में जाकर प्रतीक्षा करने लगा। दो मिनट को बाद वह उसने धीरे से दरवाज़ा खोला, मैंने उसे झट से अन्दर खींच लिया और दरवाज़ा लॉक कर लिया। मैंने उसकी ब्लाऊज़ खोल दी और साड़ी भी अलग कर उसकी चूचियों को चूसने लगा। वह फिर से उत्तेजित हो रही थी। मैंने उसकी पेटीकोट खोल कर उसे पूरी नंगी ही कर दिया। मैंने देखा, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी क्लीन-शेव चूत को देखकर मैं उसकी चूत रगड़ने लगा।
अब उसने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और मेरे लंड को हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद वह झुकी और लंड को गप्प से अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं तो सातवें आसमान पर था। मैंने मेरी पैन्ट और टी-शर्ट पूरी उतार दी। मैं उसकी चूत पर हाथ रख रगड़ रहा था, जिससे उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरु कर दिया। मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा। वह और भी उत्तेजना से भर गई। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं भी मज़े ले-लेकर उसकी चूत को चाट रहा था और दाहिने हाथ से उसकी चूचियों को बारी-बारी से दबा भी रहा था।
इतना सब होने के बाद अब उससे रहा नहीं जा रहा था… उसने मुझसे कहा- अब मत तड़पाओ…
उसके ऐसा कहने पर मैंने उसका एक पाँव टॉयलेट के कमोड पर रखा तो उसकी चूत फैल गई, और मैंने अपना लंड एक ही बार में पूरा-का-पूरा उसकी चूत में डाल दिया। वह चिल्ला पड़ी, मैंने तुरन्त उसे फ्रेंच किस दिया और धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
वह सिसकियाँ ले रही थी। अब वह छूटने वाली थी और उत्तेजना के मारे बड़बड़ा रही थी- और ज़ोर से, और ज़ोर से…
मैं अब लम्बे-लम्बे झटके देने लगा और दो मिनट के बाद हम दोनों एक ही साथ झड़ गए।
हम बाहर आए और अपनी सीट पर बैठ गए और एक-दूसरे को चूमने लगे। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहला रही थी और मैं उसकी चूचियाँ भी दबा रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया तो मैंने चुदाई का कार्यक्रम बर्थ पर भी शुरु कर दिया। हमारा यही कार्यक्रम पूरी रात चला। मैंने उसे रात भर में तीन बार और चोदा।
सुबह हमने एक-दूसरे को चूमा और अलविदा कह चल पड़े।
तो यह था मेरा रेलगाड़ी का अनुभव
कृपया अपनी टिप्पणी मुझे अवश्य मेल करें। Sex Stories
मेरा नाम भीम है। Antarvasna, मैं 22 साल का हूं। मेरी गर्लफ़्रेंड का नाम मैना है, वो 21 साल की है। और उसकी फ़ीगर तो ऐसी थी कि पूछो मत … वो बहुत ही सुंदर है, एकदम गोरी चिट्टी लम्बे लम्बे काले बाल, हाइट करीब 5’5″ और फ़ीगर 36-25-38 है। उसका फ़ीगर मस्त है।
यह करीब दो साल पहले की बात है जब हम दोनों घर से बाहर आगरा में एक ही रूम में रह कर पढ़ते थे। मैंने रूम में अपने पढ़ने के लिये मस्तराम की कुछ गंदी किताबें रखी हुई थी जो एक दिन मैना के हाथ लग गयी। इसलिये मैं अपने लंड और वो अपनी चूत की प्यास नहीं रोक सके।
वो बोली- मैं ही तुम्हारी वाइफ़ बन जाती हूं और मुझे अपनी ही समझो और मेरे साथ सेक्स करो।
वो जींस शर्ट में आयी और बोली- चलो शुरू हो जाओ।
उसने मुझे किस करना शुरु कर दिया मेरे लिप्स को वो बुरी तरह से किस करने लगी। मैं भी जोश में आ गया और उसको किस करने लगा, उसको अपनी बांहों में दबाने लगा। उसको मैंने खींच के बेड पे लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया और उसको चूमना शुरु कर दिया। दस मिनट तक मैं उसको चूमता रहा।
फिर मैंने उसका शर्ट खोल दिया। उसके बाद मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा खोली तो उसके दूध उछल कर बाहर आ गये, मैं उन्हें देखकर उसको दबाने लगा। कितने दिनों के बाद इसके पूरे के पूरे बूब्स देखने को और दबाने को मिले.
फिर मैंने उसकी निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा. वो आआआह्ह ह्ह्हहाआआ आह्हह्हा ह्हह्ह कर रही थी।
मैं उसे चूसता ही रहा.
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जींस खोल कर उसको पैंटी में ला दिया. उसकी चूत बहुत गर्म हो गयी थी, पानी छोड़ रही थी तो उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने पैंटी को निकाल दिया और उसकी चूत को फैला के चाटने लगा।
वो सिसकारी भर रही थी- अहाआआ अस्सस्स शहस आअहह ह्हह स्सस स्सशाआ आहस्सह स्सस अह्हह ह्हह ह्हहह हस्साआ आअह्ह ह्हहा ह्ह्हाआ ह्हह्हा!
वो मेरे लंड को हाथ में लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी।
फिर मैना ने अपनी कमर को ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जांघों के बीच लेकर रगड़ने लगी। वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके। उसकी चूची मेरे मुंह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था।
अचानक उसने अपनी एक चूची मेरे मुंह में ठेलते हुए कहा- चूसो इनको मुंह में लेकर!
मैंने उसकी एक चूची मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। थोड़े देर के लिये मैंने उसकी चूची को मुंह से निकाला और बोला- मैं हमेशा तुम्हारी कसी चूची के बारे में सोचता था और हैरान होता था। इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुंह में लेकर चूसूँ और इनका रस पीऊं। पर डरता था कि पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ न हो जाओ। तुम नहीं जानती मैना कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है.
“अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूं, जैसा चाहे वैसा ही करो! मस्तराम की कहानी जैसे मुझे चोद दो!” मैना ने कहा।
फिर क्या था, मैना की हरी झंडी पाकर मैं जुट पड़ा मैना की चूची पर … मेरी जीभ उसके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ मैना के उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाया। मैं दोनों अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूंगा। मैना भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसके मुंह से ओह! ओह! अह! सी सी! की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी।
उसने अपनी एक टांग को मेरे कंधे के उपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जांघों के बीच रख लिया। मुझे उसकी जांघों के बीच एक मुलायम रेशमी अहसास हुआ। यह उसकी चूत थी। मैना ने पैंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का सुपारा उसकी झांटों में घूम रहा था।
मेरा सब्र का बांध टूट रहा था, मैं मैना से बोला- मैना, मुझे कुछ हो रहा है और मैं अपने आपे में नहीं हूं, प्लीज मुझे बताओ मैं क्या करूँ?
मैना बोली- करो क्या … मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को।
मैं चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा। उसने अपना मुंह मेरे मुंह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली- अपनी मैना को चोदो!
मैना हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा लंड एक ही धक्के में सुपारा अंदर चला गया।
इससे पहले कि मैना सम्भले या आसन बदले, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया।
मैना चिल्लाई- उईई ईईईइ ईईइ माआआ हुहुह्हह ओह रोहित, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नहीं, हाय! बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड। मार ही डाला मुझे तुमने मेरे राजा।
मैना को काफ़ी दर्द हो रहा था। पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लंड उसकी बुर में घुसा था।
मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर चुपचाप पड़ा था। मैना की चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को मसल रही थी। उसकी उठी उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी। मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और मुंह में लेकर चूसने लगा। मैना को कुछ राहत मिली और उसने कमर हिलानी शुरु कर दी।
फिर मैना बोली- अब लंड को बाहर निकालो!
लेकिन मैं मेरा लंड धीरे धीरे मैना की चूत में अंदर-बाहर करने लगा। फिर मैना ने स्पीड बढ़ाने को कहा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। मैना को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी। रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए उसने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिये और मेरे मुंह में जीभ ठेल दिया।
चूत में मेरा लंड समाये हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुंच गया हूं। जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थी उसकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी। कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी मैं मैना के ऊपर लेट कर दनादन शोट लगाने लगा।
मैना ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाई में साथ देने लगी। मैं भी अब मैना की चूची को मसलते हुए ठकाठक शोट लगा रहा था। कमरा हमारी चुदाई की आवाज से भरा पड़ा था। मैना अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुदा रही थी और बोले जा रही थी- अह्हह आअह्हह उनह्हह ऊओह्हह ऊऊह्हह हाआआन हाआऐ मीईरे रजज्जजा, माआआअर गययये रए, ललल्लल्ला चूऊओद रे चओद … उईई मीईईरीईइ माआअ, फआआअट गआआयीई रीईई शुरु करो, चोदो मुझे। लेलो मज़ा जवानी का मेरे राज्जज्जा!
और अपनी गांड हिलाने लगी।
मैंने लगातार 20 मिनट तक उसे चोदा। मैं भी बोल रहा था- लीईए मेरीई रानीई, लीई लीईए मेरा लौड़ा अपनीईइ ओखलीईए मीईए। बड़ाआअ तड़पयया है तूनेई मुझे ए लीईए लीई, लीई मेरीईइ मैना ये लंड अब्बब्ब तेराआ हीई है। अह्हह्ह! उह्हह्ह्ह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखयाआअ तुनीईए। मैं तो तेरा गुलाम हो ऊऊ गया अए।
मैना अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लंड चूत में ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उसकी चूचियों को मसल मसल कर अपनी मैना को चोदे जा रहा था।
मैना मुझको ललकार कर कहती- लगाओ शोट मेरे राज!
और मैं जवाब देता- ये ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत में।
“जरा और जोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत में मेरे राज!”
“ये ले मेरी रानी, ये लंड तो तेरे लिये ही है।”
“देखो राज्जज्जा मेरी चूत तो तेरे लंड की दिवानी हो गयी, और जोर से और जोर से आआईईईए मेरे राज्जज्जजा। मैं गयीईईईईए रीई!” कहते हुए मेरी मैना ने मुझको कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया।
अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला- मैं भी अयाआआ मेरी जाआअन!
और मैंने भी अपने लंड का पानी छोड़ दिया और मैं हांफ़ते हुए उसकी चूची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी गर्लफ्रेंड मैना की चुदाई की मस्तराम Antarvasna कहानी।
हाय ! मै गुजरात से सुनील २१ साल Antarvasna का हूं। आज मै आपको अपनी गर्ल फ़्रेंड सीमा जो २० साल की है, की एक सच्ची घटना बता रहा हूं।
हमारी दोस्ती को हुए १.५ साल हो गया था पर मैने उसे अब तक छुआ तक नहीं था। एक दिन जब हम रोक गार्डन गये हुए थे तो मैं उसे सिर्फ़ किस ही किया और जब मैं उसके बूब्स पर हाथ लगाने लगा तो वो गुस्सा कर गई और कम से कम एक महीने मुझसे बात नहीं की, आखिर मैने भी उसे एक दिन मना ही लिया और उसको कहा के ये सब तो चलता रहता है तो वो बोली के मेरे को ये सब अच्छा नहीं लगता तो मैने कहा के अच्छा नहीं लगता तो नहीं करूंगा, उस दिन के बाद हम दोनो मिलते तो थे पर किस तक ही सीमित थे, पर अब मेरे से सब्र नहीं होता था और मैं उसे चोदने की योजना बनाने लगा।
फिर एक बार जब मैं गरमियों में उससे मिलने गया तो वो बोली कि आज तुम ओफ़िस से छुट्टी कर लो आज बैठ के बातें करेंगे, तो मैने ओफ़िस फोन कर के बोल दिया के आज मैं नहीं आउंगा, उसके बाद हम दोनो कुछ देर उसके कोलेज में ही बैठे रहे। फिर मैने उससे पूछा कि कहीं चलते हैं तो वो भी मान गयी पर उस टाइम १२.४० बज रहे थे उस टाइम न तो हमें फ़िल्म का टिकट मिलना था न ही हम किसी गार्डन में जा सकते थे क्योंकि दिल्ली में अधिकांश १२:३० तक सारे सिनेमा में शो स्टार्ट हो जाते हैं और गार्डन में इसलिये नहीं जा सकते हैं क्योंकि वहां पर गर्मी बहुत होती है।
फिर मैने कहा के मेरे रूम पर चलते हैं पर वो मना कर रही थी कह रही थी कि मुझे डर लगता है कि कही कुछ हो गया तो, पर मैने उसे तसल्ली दी और कहा कि अगर तुम्हे मुझ से प्यार है और अगर तुम मुझ पर भरोसा करती हो तो चल सकती। इस पर वो बोली कि तुम मेरी कसम खाओ के तुम ऐसा वैसा कुछ नहीं करोगे मैने उसकी कसम खा ली और वो तैयार हो गई। रास्ते में सोचता रहा के कसम तो खा ली पर उसको चोदुंगा कैसे।
फिर जब मैं और वो मेरे रूम पर पहुंचे तो मैने दरवाजा बंद करने लगा, तो वो बोल पड़ी के दरवाजा क्यों बंद कर रहे हो मैने कहा कि अगर कोई देख लेगा तो क्या कहेगा कि कौन है और मैने दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद मैं बेड पर उसके साथ बैठ गया और बातें करने लगे, बातें करते करते मैने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसके लिप्स पर किस करने लगा पर ये किस १५ मिनट तक चलता रहा और मैं उसकी छाती पर हाथ फिराना शुरु कर दिया उसने विरोध नहीं किया और धीरे धीरे मैं उसकी वेली से होता हुआ उसकी चूत को सलवार के ऊपर से हाथ सहलाने लगा। अब मेरे लिप्स उसके लिप्स से किस कर रहे थे और एक हाथ उसके बूब्स पर और एक हाथ उसकी चूत पर था। अब मैं धीरे धीरे उसकी गर्दन और उसके बाद उसके बूब्स को कमीज के ऊपर से चूसने करने लगा तो उसके मुंह से अजीब से आवाजें आने लगी तो मैं समझ गया कि अब वो गरम हो चुकी है उसके बाद मैने धीरे धीरे एक हाथ कमीज के अन्दर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा।
बाद में मैने उसकी कमीज उतार दिया वो कुछ नहीं बोली क्योंकि वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी। उसने सेक्सी लेस काली ब्रा पहन रखी थी और वो अपने बूब्स अपने दोनो हाथों से छुपाने लगी, मैं समय न गंवाते हुए उसे दोबारा किस करना शुरु कर दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से बूब्स को सहलाता रहा फिर उसकी पीठ पर हाथ ले जा के उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिये। अब वो मेरे सामने बिल्कुल टोपलेस थी। मैने उसे बेड पर लिटाया और उसके बूब्स चूसने लगा। २० मिनट तक उसके बूब्स चूसने के बाद मैने उसकी सलवार की तरफ़ हाथ बढ़ाया और उसका नाड़ा खोल दिया और उसके बूब्स को चूसना चालू रखा। उसके मुंह से अजीब अजीब से आवाजें आ रही थी, मैने सोचा कि कहीं पड़ोसी सुन लेंगे तो प्रोब्लम हो जायेगी इसलिये मैने उसके बूब्स चूसते हुए सीडी का बटन ओन कर दिया अब म्युज़िक जोर से बजने लगा और किसी को कुछ सुनाई देने का तो नाम ही नहीं था। अब मैने उसकी सलवार धीरे धीरे उतारनी शुरु कर दी। उसकी सलवार उतारने के बाद मैं उसकी चूत को उसकी काली पैंटी के ऊपर से चूमने लगा। तो वो और जोर से सिसकियां लेने लगी। धीरे धीरे मैने उसकी पैंटी को भी उतार दिया और उसकी चूत को चूमने लगा।
अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी और कुछ बोल भी नहीं रही थी। मैं लगभग १० मिनट तक उसकी चूत को चूसता रहा और जैसे ही उसकी चूत झड़ने वाली थी मैने चाटना छोड़ दिया तो वो बिना पानी की मछली की तरह तड़ओ उठी और खुद ही अपनी उंगली चूत में डालने लगी मैं उसके दोनो हाथ कस के पकड़ लिया तो वो मेरे आगे गिड़गिड़ाने लगी कि प्लीज़ मेरी चूत को चूसो तो मैने कहा सालि पहले तो बहुत अकड़ती थी आज क्यों नहीं अकड़ रही है, तो वो दोबारा गिड़गिड़ाने लगी। मैने उससे कहा कि मैने तुम्हारी चूत एक शर्त पर चूसुंगा पहले तुम्हे मेरा लंड चूसना होगा वो मान गयी.
मैने उसे मेरे कपड़े उतारने को कहा तो वो जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतार दिये और मेरे ७ इंच और ३.५ इंच मोटे लंड को देख कर बोली कि ये मेरे मुंह में कैसे आयेगा तो मैने कहा कि साली मैं बताता हूं और मैने अपना लंड उसके मुंह मैने थोड़ा सा डाल दिया उसके बाद धीरे धीरे वो खुद ही बढ़ाती गयी और मेरे पूरे लंड को मुंह में डाल के चूसने लगी। उसका एक हाथ मेरे बाल्स के साथ खेल रहा था। और मैं उसके बूब्स के साथ खेल रहा था। थोड़ी देर चूसने के बाद वो वोली कि अब तुम मेरी चूत चूसो तो मैने कहा कि चलो ६९ की पोजिशन में हो जाओ तो वो बोली के वो क्या होता है तो मैने उसे बताया कि ६९ क्या होता है और इस तरह हम दोनो ६९ की पोजिशन में आ गये और एक दूसरे को चूसने लगे। बीच बीच में उसकी चूत में उंगली भी डाल रहा था तो वो कह रही के दर्द होता है। और १० मिनट के बाद वो झड़ गयी और मैं उसका जूस पी गया। मुझे अच्छा लगा और मैं उसकी चूत को चूसता रहा, उसके बाद वो दोबारा गरम हो गई और जैसे ही मैने चूसना बंद किया तो वो दोबारा गिड़गिड़ाने लगी कि चूसो।
तो मैने कहा के अब मैं नहि चूसुंगा बल्कि तुम्हारी चूत में लंड डालुंगा तो वो कहने लगी कि इतना बड़ा मेरी चूत में कैसे जायेगा, मुझे तो तुम्हारी उंगली से भी दर्द होता है तो ये कैसे सहन करूंगी तो मैने उसे कहा कि तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है थोड़ी देर दर्द होगा बाद में तुम भी एंजोय करोगी और मैने कहा कि ये औरतों की चूत का होल बहुत बड़ा होता है क्योंकि यहां से इतना बड़ा बच्चा निकल जाता है तो मेरा लंड तो आराम से आयेगा।
उसके बाद मैने तेल लेके थोड़ा से अपने लंड पर और बाकी उसकी चूत के लिप्स को हटा कर वहां पर लगा दिया। और अपना लंड उसकी चूत में अंदर डालने की बजाय लिप्स पर ही रगड़ने लगा तो वो थोड़ी देर में ही चिल्ला उठी प्लीज़ अंदर करो। उसके बाद मैने थोड़ा सा अन्दर किया तो वो दर्द से चिल्लाने लगी, तो मैने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और अपने लंड को वहीं पर रख कर थोड़ा सा हिलाने लगा जब वो एंजोय करने लगी तो मैने एक जोर से झटका दिया और मेरा लंड उसकी चूत में चला गया और वो दर्द से तड़पने लगी।
पर मेरे सब्र का बांध टूट चुका था और मैने उसकि परवाह न करता हुए अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा। वो थोड़ी देर दर्द महसूस करती रही पर बाद में वो भी एंजोय करने लगी और उसके मुंह से आवाजें आने लगी “आअह्हह्हह ओर जोर से चोदो सुनील और जोर से और अन्दर करो” तो मैने कहा क्यों ये सब तो तेरे को अच्छा नही लगता था साली अब लंड का स्वाद आ रहा है न। तेरी तो आज मैं पूरी फाड़ दूंगा। और लगभग १५ मिनट की चुदाई के बाद मेरा छूटने वाला था (इस बीच वो दो बार छुट चुकी थी)।
मैने उसको कहा कि मैं झड़ने वाला है और उससे पूछा कि अन्दर छोड़ु कि बाहर, तो उसने बोला के बाहर ही छोड़ना मैं प्रिगनेंट नहीं होना चाहती है और मैने उसकी चूत से लंड निकाल कर उसके मुंह में डाल दिया और चुदाई करने लगा। थोड़ी देर में मैं झड़ गया। उसका मुंह मेरे वीर्य से भर गया। कुछ तो उसने निगल लिया और बाकी बाहर उसके चेहरे से होता हुआ उसकी गरदन पर गिर गया। उसके बाद मैं थोड़ी देर उसके ऊपर लेट गया और उसको किस करता रहा और अपने माल को उसके बूब्स पे मलता रहा। लगभग १५ मिनट रेस्ट करने के बाद हम दोनो उठे और अब शाम होने लगी थी और उसने घर भी जाना था तो हम दोनो ने अपने आप को फ़्रेश किया। और उसको घर के पास छोड़ कर आ गया। आके मैने उसके खून और हम दोनो के रज से खराब हुई बेडशीट को साफ़ किया। Antarvasna
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