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Massage Girl in Alwar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Alwar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Alwar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Alwar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Alwar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Alwar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Alwar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Alwar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Alwar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Alwar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Alwar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Alwar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

अन्तर्वासना डॉट कॉम पर Hindi Sex Stories पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मुश्ताक और अंजुम दोनों ने मेरा एक एक मम्मा मुंह में लिया हुआ था जिससे मस्त हो कर मैं स्खलित हो गई थी और उनके बालों में हाथ फिराते हुए सिमटते हुए उनको अपने सीने में भींच रही थी।

उन्हें भी पता चल गया कि मैं झड़ गई हूँ, मेरी सांसें तेज़ हो गई थी और हल्की सी आवाज़ें भी निकाल रही थी और जोर जोर से उनके बालों को सहलाने लगी थी। पहली बार ऐसा एहसास हुआ था, इससे पहले मैंने खुद ही अपने मम्मे सहलाये थे पर आज दो व्यक्ति एक साथ मेरे चूचियों से खेल रहे थे, चूस रहे थे, मैं जन्नत की सैर कर रही थी।

अब अंजुम ने वहां से मुंह हटाया और नीचे की तरफ ले जाने लगा। मुश्ताक ने मेरे मम्मे चूसते हुए हाथ को नीचे ला मेरी सलवार के नाड़े को खोल दिया। उसका कठोर हाथ में सलवार के अंदर मेरी पेंटी के ऊपर घूमने लगा।

मेरी योनि मचलने लगी, मेरी कामवासना बढ़ने लगी, मैं फिर से गर्म होने लगी। तभी अंजुम ने मेरी सलवार नीचे खिसका दी और नीचे से टांगों चूमता हुआ ऊपर आने लगा। मुश्ताक पेंटी से हाथ हटा कर फिर मम्मे पर ले आया। अंजुम ने अपना मुँह मेरी पेंटी पर रख दिया।

मैं अपनी हालत बता नहीं सकती!
तेज़ सांसों के साथ सिसकरियाँ भी निकलने लगी थी। एक व्यक्ति मेरे दोनों मम्मो से खेल रहा था दूसरा मेरी योनि में हलचल पैदा कर रहा था।

तभी अंजुम ने अपने दांतों से मेरी पैन्टी नीचे सरका दी और चूत पर हाथ फिराने लगा। मैं गनगना उठी, ऊपर से नीचे तक सिहर उठी और कांपने लगी।उसने एकदम से अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मेरी चीख निकल गई।

फिर उसने मुझसे पूछा- रीना तुमने पहले किसी से चुदवाया है?
मैंने न में सर हिला दिया।
“तब तो बड़े प्यार और आराम से चोदना पड़ेगा!”

मुश्ताक मेरी ऊपर सरकी ब्रा का हुक खोल रहा था। ब्रा के खुलते ही उसने मेरे ऊपर के कपड़े उतार दिए, मैं उनके सामने पूरी नंगी पड़ी हुई थी।

अंजुम ने मुश्ताक से कहा- भाई, क्या करें? यह अभी कुंवारी है, कहीं पंगा न पड़ जाए?
“इसी से पूछ लो! अगर शोर न मचाये तो ले लेंगे!” मुस्ताक ने कहा।
उसने मुझसे पूछा- करवाने का मन है?
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी!
“चीखोगी तो नहीं ना?”
मैंने ना में सर हिला दिया।

मुश्ताक ने कहा- हम जरा देख लें कि कितनी कसी है!
उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मैंने होंठों को भींच लिया, मेरी चूत गीली हो गई थी पर फिर भी दर्द हुआ था।

अंजुम ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अपने लिंग को मुझे दिखाता हुआ पूछने लगा- इसे ले लोगी?
मैंने हाँ में सर हिलाते हुए उसे स्वीकृति दे दी क्योंकि मै अब पूरा मज़ा लेना चाहती थी।

अब अंजुम ने मेरी टाँगें फैला दी और धीरे से ऊँगली डाली और थोड़ी देर तक उसे अंदर बाहर करता रहा।

मुश्ताक ने अपना पजामा उतार दिया और अपने लिंग को मेरे हाथ में दे दिया। बीच-बीच में वो मेरे मम्मे भी मसल देता था और चूस भी लेता था और फिर अपना लिंग पकड़ा देता था।
मेरी आँखों में नशा सा छा गया था, मदहोश होती जा रही थी मैं!

इसी बीच अंजुम ने अपना लिंग मेरी योनि के ऊपर रखा और एक धीरे से झटका मार कर योनि में प्रवेश कर दिया।
मैंने आवाज़ को दबाते हुए हल्की चीख मारी- आ हह हह हाय मर गई, बहुत दर्द हो रहा है अंजुम! छोड़ दो!
उसने कहा- अभी ठीक हो जायेगा रानी! थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो!

और उसके तीन चार झटकों ने ही मुझे फिर चरमसीमा पर ला दिया। मैंने मुश्ताक का लिंग जोर से भींच दिया और सिमटती चली गई पर अंजुम मेरी लिए जा रहा था, मेरा दर्द पहले से हल्का हो गया था पर इस दर्द में भी बहुत मज़ा आया। अंजुम के झटके भी पहले से तेज़ हो गए थे।

कुछ देर में उसने मेरी चूत को कुछ गर्म सा एहसास करवाया यानि कि उसने अपना वीर्य मेरी योनि में उड़ेल दिया। थोड़ी देर मेरे ऊपर लेटने के बाद वो हटा, मैं भी उठ कर बैठ गई। तभी मेरी नज़र उसके लिंग पर पड़ी जिस पर खून लगा हुआ था।
मैंने कहा- अंजुम देखो, तुम्हारे वहाँ से खून बह रहा है!
वो बोला- रानी, यह मेरा नहीं है, तुम्हारी चूत से बह रहा है, तुम्हारी सील टूट गई है!

मैं यह देख कर रोने लगी तो दोनों मुझे समझाने लगे- बेबी, पहली बार सब के साथ होता है! घबराओ मत!
मुश्ताक मुझे प्यार करने लगा, पहले मेरे बालों को सहलाया फिर मुझे लिटा दिया।

अंजुम बगल में लेट गया, मुश्ताक मेरे नंगे बदन पर हाथ फेरता मुझे गर्म कर रहा था। रह रह कर वो मेरे गालों को, गले को, मम्मों को चूसता जा रहा था। अंजुम बगल में लेटा रहा, मुश्ताक ने तो मेरे मम्मे चूस चूस कर लाल कर दिए थे, मेरे चुचूक तन गए थे जिससे मुश्ताक को एहसास हो गया कि लड़की गर्म है।

अब उसकी बारी थी मेरी लेने की, उसने कहा- मेरे ऊपर आओगी?
मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी!
उसने मुझे उठा दिया और नीचे लेट गया। फिर अपने लिंग की और इशारा कर के कहने लगा- बेबी इसको थोड़ी देर के मुँह में डाल लो और चूसो!
मैंने मना किया तो कहने लगा- इससे अंदर डालने पर तुम्हें कम दर्द होगा!

इसका लिंग अंजुम से ज्यादा बड़ा लग रहा था, मैंने फिर उसका लिंग मुँह में डाल लिया कुछ देर तक चूसती रही।
फिर उसने कहा- अब इसे अपनी फुद्दी में ले लो!

उसने मुझे अपनी टांगों पर बिठाया और लिंग मेरी योनि में डाल दिया।
मैं चीख पड़ी, इसमें ज्यादा दर्द हुआ था क्योंकि एक ही बार में सारा का सारा लंड मेरी चूत में समां गया था। पर थोड़ी देर में मैं दर्द के साथ मजे भी लेने लगी थी। रात के ढाई बज चुके थे, ऊपर से चुदते हुए मैंने कहा- अब मुझे जाने दो, बहुत समय हो गया है!
बस थोड़ी देर! मेरा हो लेने दो!

मैं मस्ती से भरी हुई थी, हल्की आवाज़ें निकालती हुई फिर झड़ने वाली थी। मुश्ताक ने तो बुरा हाल कर दिया था।
मैं झड़ गई, उसके सीने पर गिर गई और लिपट गई पर उसके झटके नीचे से चालू थे।

फिर उसने मुझे नीचे गिरा लिया और मेरी टाँगें फैला कर ऊपर से मेरी लेने लगा। यह बहुत बुरी तरह से मुझे चोद रहा था। अंजुम साथ में लेटा सब कुछ देख रहा था। अब उसने भी मेरी चूचियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी थी।

तीन बजने वाले थे पर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं एक बार फिर स्खलित हो गई तब कही थोड़ी देर में जाकर उसने तेज़ झटको के साथ मेरी चूत में फव्वारा मारा और निढाल हो कर मुझसे लिपट गया।
मैंने कहा- अब मुझे जाने दो! घरवालों के जागने का समय हो गया है।

दर्द बहुत हो रहा था, मुश्ताक से ब्रा की हुक लगवाई और किसी तरह सलवार कमीज़ पहनकर लंगड़ाती हुई नीचे अपने कमरे में आ गई।
कमरे में आकर मैंने देखा कि मेरी योनि से अभी भी खून निकल रहा था।

उसके कुछ दिन बाद तक यानि कि 3-4 दिन तक मैंने उनसे बात भी नहीं की। वो नज़रें मिलाने की कोशिश करते रहे।

लेकिन चौथे दिन मेरा मन फिर मचलने लगा और इशारों में रात का आमंत्रण दे दिया।
करीब दो महीने वो हमारे यहाँ रहे और मैं हर दूसरे-तीसरे दिन उनसे चुदवाने चली जाती थी।
जाने से पहले वो कह कर गए कि हम अगले साल भी आपके यहाँ आयेंगे पर वो फिर कभी नहीं आये।

मेरी फ्री सेक्स स्टोरी कैसी लगी? मुझे मेल करें!
आपके ढेर सारे प्यार के लिए धन्यवाद! Hindi Sex Stories

(Chhoti Bahen Kmala Ki Choot Chudai )Sex stories

करण बहुत दिनों से अपनी छोटी बहन रोहिणी को भोगने की ताक में था। Sex stories करण एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी रेखा और बहन रोहिणी के साथ रहता था। रोहिणी पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी.

वह एक कमसिन सुंदर किशोरी थी। जवानी में कदम रखती हुई वह बाला दिखने में साधारण सुंदर तो थी ही पर लड़कपन ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था। उसके उरोज उभरना शुरू हो गये थे और उसके टाप या कुर्ते में से उनका उभार साफ़ दिखता था। उसकी स्कूल की ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखतीं गोरी गोरी चिकनी टांगें करण को दीवाना बना देती थी। रोहिणी थी भी बड़ी शोख और चंचल। उसकी हर अदा पर करण मर मिटता था.

करण जानता था कि अपनी ही छोटी कुंवारी बहन को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर विवश था। रोहिणी के मादक लड़कपन ने उसे दीवाना बना दिया था। वह उसकी कच्ची जवानी का रस लेने को कब से बेताब था पर ठीक मौका न मिलने से परेशान था। उसे लगने लगा था कि वह अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नही रख पायेगा। चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े, पर रोहिणी को चोदने का वह निश्चय कर चुका था.

एक बात और थी। अह अपनी बीवी रेखा से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि वह रेखा का पूरा दीवाना था और उससे दबता था। रेखा जैसी हरामी और चुदैल युवती उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रन्डियों जैसे अन्दाज से शादी के तीन माह के अन्दर ही उसने अपने पति को अपनी चूत और गांड का दीवाना बना लिया था। करण को डर था कि रेखा को यह बात पता चल गई तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठे.

असल में उसका यह डर व्यर्थ था क्योंकि रेखा अपने पति की मनोकामना खूब अच्छे से पहचानती थी। रोहिणी को घूरते हुए करण के चेहरे पर झलकती प्रखर वासना उसने कब की पहचान ली थी। सच तो यह था कि वह खुद इतनी कामुक थी कि करण हर रात चोद कर भी उसकी वासना ठीक से तृप्त नहीं कर पाता था। दोपहर को वह बेचैन हो जाती थी और हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करती थी। उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ खास सह्लियों के साथ सम्बम्ध बना लिये थे और उसे इन लेस्बियन रतिक्रीड़ाओं में बड़ा मजा आता था। अपनी मां की उमर की स्कूल प्रिन्सिपल के साथ तो उसके बहुत गहरे काम सम्बन्ध हो गये थे.

शादी के बाद वह और किसी पुरुष से सम्बन्ध नहीं रखना चाहती थी क्योंकि करण की जवानी और मजबूत लंड उसके पुरुष सुख के लिये पर्याप्त था। वह भूखी थी तो स्त्री सम्बन्ध की। वैसे तो उसे अपनी सास याने करण की मां भी बहुत अच्छी लगी थी। वह उसके स्कूल प्रिंसीपल जैसी ही दिखती थी। पर सास के साथ कुछ करने की इच्छा उसके मन में ही दबी रह गई। मौका भी नहीं मिला क्योंकि करण शहर में रहता था और मां गांव में.

अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदैल नारी, छोटी या बड़ी, समलिग सम्भोग के लिये मिल जाये तो मजा आ जाये। पिछले दो माह में वह रोहिणी की कच्ची जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। रोहिणी उसे अपने बचपन की प्यारी सहेली अन्जू की याद दिलाती थी। अब रेखा मौका ढूंढ रही थी कि कैसे रोहिणी को अपने चन्गुल में फ़न्साया जाये। करण के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया.

एक दिन उसने जब करण को स्कूल के ड्रेस को ठीक करती रोहिणी को वासना भरी नजरों से घूरते देखा तो रोहिणी के स्कूल जाने के बाद करण को ताना मारते हुए बोल पड़ी “क्योंजी, मुझसे मन भर गया क्या जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो। और वह भी अपनी सगी छोटी कमसिन बहन को?” करण के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं कि वह आखिर पकड़ा गया। कुछ न बोल पाया। उसे एक दो कड़वे ताने और मारकर फ़िर रेखा से न रहा गया और अपने पति का चुम्बन लेते हुए वह खिलखिलाकर हंस पड़ी। जब उसने करण से कहा कि वह भी इस गुड़िया की दीवानी है तो करण खुशी से उछल पड़ा.

रेखा ने करण से कहा कि दोपहर को अपनी वासना शांत करने में उसे बड़ी तकलीफ़ होती है। “तुम तो काम पर चले जाते हो और इधर मैं मुठ्ठ मार मार कर परेशान हो जाती हूं। इस बुर की आग शांत ही नहीं होती। तुम ही बताओ मैं क्या करूं.” और उसने अपने बचपन की सारी लेस्बियन कथा करण को बता दी.

करण उसे चूंमते हुए बोला। “पर रानी, दो बार हर रात तुझे चोदता हूं, तेरी गांड भी मारता हूं, बुर चूसता हूं, और मैं क्या करूं.” रेखा उसे दिलासा देते हुए बोली। “तुम तो लाखों में एक जवान हो मेरे राजा। इतना मस्त लंड तो भाग्य से मिलता है। पर मैं ही ज्यादा गरम हूं, हर समय रति करना चाहती हूं। लगता है किसी से चुसवाऊं। तुम रात को खूब चूसते हो और मुझे बहुत मजा आता है। पर किसी स्त्री से चुसवाने की बात ही और है। और मुझे भी किसी की प्यारी रसीली बुर चाटने का मन होता है। रोहिणी पर मेरी नजर बहुत दिनों से है। क्या रसीली छोकरी है, दोपहर को मेरी यह नन्ही ननद मेरी बाहों में आ जाये तो मेरे भाग खुल जायें.”

रेखा ने करण से कहा को वह रोहिणी पर चढ़ने में करण की सहायता करेगी। पर इसी शर्त पर कि फ़िर दोपहर को वह रोहिणी के साथ जो चाहे करेगी और करण कुछ नहीं कहेगा। रोज वह खुद दिन में रोहिणी को जैसे चाहे भोगेगी और रात में दोनो पति – पत्नी मिलकर उस बच्ची के कमसिन शरीर का मन चाहा आनन्द लेंगे.

करण तुरंत मान गया। रेखा और रोहिणी के आपस में सम्भोग की कल्पना से ही उसका खड़ा होने लगा। दोनों सोचने लगे कि कैसे रोहिणी को चोदा जाये। करण ने कहा कि धीरे धीरे प्यार से उसे फ़ुसलाया जाय। रेखा ने कहा कि उसमें यह खतरा है कि अगर नहीं मानी तो अपनी मां से सारा भाण्डा फ़ोड़ देगी। एक बार रोहिणी के चुद जाने के बाद फ़िर कुछ नहीं कर पायेगी। चाहे यह जबरदस्ती करना पड़े

रेखा ने उसे कहा कि कल वह रोहिणी को स्कूल नहीं जाने देगी। आफिस जाने के पहले वह रोहिणी को किसी बहाने से करण के कमरे में भेज देगी और खुद दो घन्टे को काम का बहाना करके घर के बाहर चली जायेगी। रोहिणी बेडरूम में चुदाई के चित्रों की किताब देख कर उसे जरूर पढ़ेगी। करण उसे पकड़ कर उसे डांटने के बहाने से उसे दबोच लेगा और फिर दे घचाघच चोद मारेगा। मन भर उस सुंदर लड़की को ठोकने के बाद वह आफिस निकल जायेगा और फ़िर रेखा आ कर रोती बिलखती रोहिणी को संम्भालने के बहाने खुद उसे दोपहर भर भोग लेगी.

रात को तो मानों चुदाई का स्वर्ग उमड़ पड़ेगा। उसके बाद तो दिन रात उस किशोरी की चुदाई होती रहेगी। सिर्फ़ सुबह स्कूल जाने के समय उसे आराम दिया जायेगा। बाकी समय दिन भर काम क्रीड़ा होगी। उसने यह भी कहा कि शुरू में भले रोहिणी रोये धोये, जल्द ही उसे भी अपने सुंदर भैया भाभी के साथ मजा आने लगेगा और फ़िर वह खुद हर समय चुदवाने को तैयार रहेगी। करण को भी यह प्लान पसन्द आया। रात बड़ी मुश्किल से निकली क्योंकि रेखा ने उसे उस रात चोदने नहीं दिया, उसके लंड का जोर तेज करने को जान बूझ कर उसे प्यासा रखा। रोहिणी को देख देख कर करण यही सोच रहा था कि कल जब यह बच्ची बाहों में होगी तब वह क्या करेगा.

सुबह करण ने नहा धोकर आफिस में फोन करके बताया कि वह लेट आयेगा। उधर रेखा ने रोहिणी को नीन्द से ही नहीं उठाया और उसके स्कूल का टाइम मिस होने जाने पर उसे कहा कि आज गोल मार दे। रोहिणी खुशी खुशी मान गई। करण ने एक अश्लील किताब अपने बेडरूम में तकिये के नीचे रख दी। फ़िर बाहर जा कर पेपर पढ़ने लगा। रेखा ने रोहिणी से कहा कि अन्दर जाकर बेडरूम जरा जमा दे क्योंकि वह खुद बाहर जा रही है और दोपहर तक वापस आयेगी.

जब रोहिणी अन्दर चली गई तो रेखा ने करण से कहा। “डार्लिन्ग, जाओ, मजा करो। रोये चिलाये तो परवाह नहीं करना, मैं दरवाजा लगा दून्गी। पर अपनी बहन को अभी सिर्फ़ चोदना। गांड मत मारना। उसकी गांड बड़ी कोमल और सकरी होगी। इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी। मै भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संभालने के लिये वहां रहना चाहती हूं। इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेन्गे.”

करण को आंख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गई। पांच मिनिट बाद करण ने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार रोहिणी को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी। उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.

मौका देख कर करण बेडरूम में घुस गौर बोला. “देखू, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?” रोहिणी सकपका गई और किताब छुपाने लगी. करण ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. करण ने रोहिणी को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया “तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूं.”

रोहिणी रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. करण एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के रोहिणी की ओर बढ़ा. उसकी आंखो में काम वासना की झलक देख कर रोहिणी घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर करण ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खींच कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर करण का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर रोहिणी के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का. वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लण्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.

“चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा” कहते हुए करण ने जबरदस्ती उसके अन्तर्वस्त्र भी उतार दिये. रोहिणी छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर करण की शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुवा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुन्दरता के साथ करण के सामने था. रोहिणी को बाहों में भर कर करण ने अपनी ओर खीन्चा और अपने दोनो हाथों में रोहिणी के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर उससे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली “भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को”.

करण तो वासना से पागल था. रोहिणी का रोना उसे और उत्तेजित करने लगा. उसने अपना मुंह खोल कर रोहिणी के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही वह उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने रोहिणी के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसके दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंम रहे थे. उसका हर अन्ग उसने खूब टटोला.

मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. “बोल रोहिणी रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?” आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर रोहिणी घबरा गई और बिलखते हुए उससे याचना करने लगी. “भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मै मर जाऊंगी, मत चोदो मुझे प्लीऽऽऽज़ . मैं आपकी मुठ्ठ मार देती हूं”

करण को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि रोहिणी छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ करण बोला. “इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैं नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहना ! चोदूंगा भी और गांड भी मारून्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूं मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मै मरा जा रहा था।

रोहिणी की गोरी गोरी चिकनी जान्घे अपने हाथों से करण ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से वह उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.

बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को करण चाटने लगा. चाटने के साथ करण उसकी चिकनी माल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे रोहिणी का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यन्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गई. उसने अपने भाई का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. “चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर.”

करण ने देखा कि उसकी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब रोहिणी के कड़े लाल मणि जैसे क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो रोहिणी मस्ती से हुमक कर अपनी जान्घे अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में रोहिणी एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे करण बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे रोहिणी की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही रोहिणी फ़िर से मस्त हो गई.

कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. करण अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में रोहिणी दूसरी बार झड़ गई. करण उस अमृत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाद एक तृप्ति की सांस लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर करण से अलग हो गई क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर करण की जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.

करण अब रोहिणी को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोई से मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगया और रोहिणी को सीधा करते हुए बोला. “चल छोटी, चुदाने का समय आ गया.” रोहिणी घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देंगे पर करण को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मक्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी करण ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. उसने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ़ैला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन रोहिणी की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.

करण को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर रोहिणी दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बन्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुंवारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और रोहिणी ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि करण से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और रोहिणी छटपटाने लगी.

करण अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आंसू भरी आंखो में झांकता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. रोहिणी के बन्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी उसे बहुत मजा आ रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे वह एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.

कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलने लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और रोहिणी दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गई. करण ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाजुक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुंवारी बुर में उतारकर एक गहरी सांस लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. रोहिणी के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.

करण एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भींच कर पकड़ा हो. रोहिणी के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ करण धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से रोहिणी होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आन्खे खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. “करण भैया, मैं मर जाऊंगी, उई मां, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूं.”

करण ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड रोहिणी की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिंचा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. करण ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने रोहिणी के गालों पर बहते आंसू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. रोहिणी के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. “हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी रोहिणी, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं.”

टाइट बुर में लंड चलने से ‘फच फच फच’ ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब रोहिणी और जोर से रोने लगी तो करण ने रोहिणी के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो रोहिणी को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इन्तजार करने लगी. पर करण अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.

सम्हलने के बाद उसने रोहिणी से कहा “मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूंगा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुंवारी चूत में तो मां-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूंगा.” और फ़िर चोदने के काम में लग गया.

दस मिनिट बाद रोहिणी की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. करण जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.

जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गई. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर ‘पकाक पकाक पकाक’ जैसी निकलने लगी.

रोना बन्द कर के रोहिणी ने अपनी बांहे करण के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर करण के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह करण को बेतहाशा चूंमने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. “चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. हाःय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैं इसी लायक हूं।”

करण हंस पड़ा. “है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता रोहिणी, तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?” रोहिणी ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.

भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. करण तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. रोहिणी को मजा तो आ रहा था पर करण के लंड के बार अंदर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर करण के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.

काफ़ी देर यह सम्भोग चला. करण पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. रोहिणी कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि करण का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.

करण तो अब पूरे जोश से रोहिणी पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इन्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्तान्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ रोहिणी फिर बेहोश हो गई. करण उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खींचने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.

गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब रोहिणी की बुर में छूटा तो वह होश में आई और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बन्द करके राहत की एक सांस ली. उसे लगा कि अब करण उसे छोड़ देगा पर करण उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. रोहिणी रोनी आवाज में उससे बोली. “भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर.” करण हंसकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. “अभी क्या हुआ है रोहिणी रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है.”

रोहिणी के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. करण हंसने लगा और उसे चूमते हुए बोला. “रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूंगा जरूर और फिर आफिस जाऊंगा.” उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आंखो को चूमना शुरू कर दिया. उसने रोहिणी से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंह में लेकर रोहिणी के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया और उसने रोहिणी की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से रोहिणी की बुर अब एकदम चिकनी हो गई थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. ‘पुचुक पुचुक पुचुक’ की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. रोहिणी बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर करण ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पांच मिनट में झड़ गया.

झड़ने के बाद कुछ देर तो करण मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह ‘पुक्क’ की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. रोहिणी बेहोश पड़ी थी. करण उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया. रेखा वापस आ गई थी और बाहर बड़ी अधीरता से उसका इन्तजार कर रही थी. पति की तृप्त आंखे देखकर वह समझ गई कि चुदाई मस्त हुई है. “चोद आये मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को ?”

करण तॄप्त होकर उसे चूमता हुआ बोला. “हां मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत रो रही थी, दर्द का नाटक खूब किया पर मैने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर.” रेखा वासना के जोश में घुटने के बल करण के सामने बैठ गई और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर रोहिणी की बुर का पानी और करण के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी.

करण कपड़े पहन कर ऑफ़िस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? रेखा बोली “इस बच्ची की रसीली बुर पहले चूसूंगी जिसमें तुंहारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊंगी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अंग है. आज ही सब सिखा दूंगी उसे”

करण ने पूछा. “आज रात का क्या प्रोग्राम है रानी?” रेखा उसे कसकर चूमते हुए बोली. ” जल्दी आना, आज एक ही प्रोग्राम है. तुंहारी बहन की रात भर गांड मारने का. खूब सता सता कर, रुला रुला कर गांड मारेम्गे साली की, जितना वह रोयेगी उतना मजा आयेगा. मै कब से इस घड़ी की प्रतीक्षा कर रही हूं”

करण मुस्कराके बोला “बड़ी दुष्ट हो. लड़की को तड़पा तड़पा कर भोगना चाहती हो.” रेखा बोली. “तो क्या हुआ, शिकार करने का मजा अलग ही है. बाद में उतना ही प्यार करूम्गी अपनी लाड़ली ननद को. ऐसा यौन सुख दूम्गी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुंहारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की माम्ग करेगी. पर आज तो उसकी कुम्वारी गांड मारने का मजा ले लेम.” करण हम्स कर चला गया और रेखा ने बड़ी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया.

रोहिणी होश में आ गई थी और पलंग पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में खूब दर्द हो रहा था. रेखा उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. “क्या हुआ मेरी रोहिणी रानी को? नंगी क्यों पड़ी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?” बेचारी रोहिणी शर्म से रो दी. “भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला.”

रेखा आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. “चोद डाला, अपनी ही नन्हीं बहन को? कैसे?” रोहिणी सिसकती हुई बोली. “मै गंदी किताब देखती हुई पकड़ी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपड़े जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड़ कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैने जब खूब मिन्नत की तो छोड़ दिया” रेखा ने पलंग पर चढ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. “ऐसा? देखूं जरा” रोहिणी ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. रेखा झुक कर चूत को पास से देखने लगी.

कच्ची कमसिन की तरह चुदी हुई लाल लाल कुन्वारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली “रोहिणी, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोड़ी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फ़ूंक मार कर अभी ठण्डी कर देती हूं तेरी चूत.” बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फ़ूंकने लगी. रोहिणी को थोड़ी राहत मिली तो उसका रोना बन्द हो गया.

फ़ूंकते फ़ूंकते रेखा ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. रोहिणी चहक उठी. “भाभी, क्या कर रही हो?”

“रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?” रेखा ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा.

“बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना.” रोहिणी ने मचल कर कहा. रेखा चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली. “असल में तुंम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ़ जाने का मन होता है तो तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान है.” अब तक रोहिणी काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी बुर रेखा के मुंह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी.

रोहिणी की अधीरता देखकर रेखा बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गई कि अपने दोनो हाथों से रोहिणी की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना रोहिणी को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गई.

बात यह थी कि रोहिणी को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री और स्त्री सम्बन्धो के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. रोहिणी भी ये किसी सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.

अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो रोहिणी जैसे स्वर्ग में पहुंच गई. उसकी चूत का रस रेखा की जीभ पर लिपटने लगा और रेखा मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और करण के वीर्य का मिलाजुला स्वाद रेखा को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.

अब रेखा भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघे रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. रोहिणी ने हाथो में रेखा भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा. “भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंम्हारी चूचियां और चूत देखनी है.” रेखा उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आंखो से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.

रेखा ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर रोहिणी की चूत में एक बिजली सी दौड़ गई. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.

अब रेखा के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जांघिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. “भाभी यह कन्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमे.” रेखा ने मुस्करा कर कहा “एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते है कि रात भर मुझे चोद लेते है.”

“भाभी रुको, इन्हें मै निकालूंगी.” कहकर रोहिणी रेखा के पीछे आकर खड़ी हो गई और उसकी मान्सल पीठ को प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर रोहिणी अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. “भाभी, कितनी मस्त चूचियां है तुंम्हारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते है.” रेखा के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने रोहिणी के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. रोहिणी आखे बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.

रेखा के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गई. “हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निपल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मै अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊंगी.”

रोहिणी ने मन भर कर भाभी की चूचियां चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. “भाभी अब जल्दी से मां बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मै ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना.” और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. “जरूर पिलाऊंगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते है. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया.” रेखा रोहिणी के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.

अपने निपल में उठती मीठी चुभन से रेखा निहाल हो गई थी. अपनी पैंटी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघो में रोहिणी के शरीर को जकड़कर उसे हचकते हुए रेखा अपनी बुर उस की कोमल जांघो पर रगड़ने लगी. रेखा के कड़े मदनमणि को अपनी जांघ पर रगड़ता महसूस करके रोहिणी अधीर हो उठी. “भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़”

“तो चल आजा मेरी प्यारी बहन, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी” कहकर रेखा अपनी मांसल जांघे फैला कर पलंग पर लेट गई. एक तकिया उसने अपने नितम्बों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी.

वासना से तड़पती वह कमसिन लड़की अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गई. रेखा की रसीली बुर ठीक उसकी आंखो के सामने थी. घनी काली झांटो के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था. “हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटे हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?” उसने बालों में उंगलियां डालते हुए पूछा.

“नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटे बहुत अच्छी लगती हैं.” रेखा मुस्कराती हुई बोली. “हां भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ़ जाएं तो मैं भी नहीं काटूंगी.” रोहिणी बोली. उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. रेखा वासना से कराह उठी और रोहिणी का मुंह अपनी झांटो पर दबा कर रगड़ने लगी. वह इतनी गरम हो गई थी कि तुरन्त झड़ गई.

“हाय मर गई रे रोहिणी बिटिया, तेरे प्यारे मुंह को चोदूं, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू” दो मिनट तक वह सिर्फ़ हांफ़ते हुए झड़ने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कराकर उसने रोहिणी को बुर चूसने का सही अन्दाज सिखाना शुरू किया. उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लाईटोरिस को जीभ से रगड़ा जाता है.

थोड़ी ही देर में रोहिणी को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. रेखा पड़ी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही. “चूस मेरी प्यारी बहना, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी बिटिया ऽ , शा ऽ बा ऽ श.”

काफ़ी झड़ने के बाद उसने रोहिणी को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. रोहिणी ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुम्बन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. रेखा ने अपनी जीभ रोहिणी के मुंह में डाल दी और रोहिणी उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

रेखा अपनी जीभ से रोहिणी के मुंह के अन्दर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूड़े, तालू, गला कुछ भी नहीं छोड़ा रेखा ने. शैतानी से उसने रोहिणी के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अन्दर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खांस पड़ी. रेखा ने उसके खांसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और रोहिणी की अपने मुंह में उड़ती रसीली लार का मजा लेती रही.

आखिर जब रेखा ने उसे छोड़ा तो रोहिणी का चेहरा लाल हो गया थी. “क्या भाभी, तुम बड़ी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो.” रेखा उसका मुंह चूमते हुए हंस कर बोली. “तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था.”

फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने रोहिणी को सिखाया कि कैसे निपलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निपलों को दांत से काट लेती थी तो रोहिणी दर्द और सुख से हुमक उठती थी. “निपल काटो मत ना भाभी, दुखता है, नहीं , रुको मत, हा ऽ य, और काटो, अच्छा लगता है.”

अन्त में उसने रोहिणी को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया.”देख रोहिणी बहन, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बड़ा मजा आता है पर अगर अकेले हो, तो कोई बात नहीं.”

रोहिणी भाभी की ओर अपनी बड़ी बड़ी आंखो से देखती हुई बोली “भाभी उस किताब में एक औरत ने एक मोटी ककड़ी अपनी चूत में घुसेड़ रखी थी.” रेखा हंस कर बोली “हां मेरी रानी बिटिया, ककड़ी, केले, गाजर, मूली, लम्बे वाले बैंगन, इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूंगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूं. मेरी तरफ़ देख.”

रेखा रण्डियों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गई और अपनी अंगूठे से अपने क्लाईटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. रोहिणी ने भी ऐसा ही किया और आनन्द की एक लहर उसकी बुर में दौड़ गई. रेखा ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी.

भाभी की देखा देखी रोहिणी भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. रेखा ने उसे समझाया. “रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर.” धीरे धीरे रेखा ने दो उंगली घुसेड़ लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी.

रोहिणी को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड़ पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उंगलियां जब खुद की कोमल बुर में चली गईं तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पड़ी. रेखा हंसने लगी. “अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है इसलिये अब तेरी चारों उंगलियां चली जायेंगी अन्दर. वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है.”

दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. रेखा अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निपलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलने लगी. रोहिणी ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूंम उठी. अपनी चूचियां खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सड़का लगा रही थी.

रेखा बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. रोहिणी ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. रेखा ने शैतानी से मुस्कराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही रोहिणी ने अपना मुंह खोला, रेखा ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उंगलियां उसके मुंह में दे दी.

रेखा ने भी रोहिणी का हाथ खींच कर उसकी उंगलियां मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. “यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते.”

कई बार मुट्ठ मारने के बाद रेखा बोली. “चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी – नाईन का आसन सिखाती हूं. दो औरतों को आपस में सम्भोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बड़ा सुख मिलता है.” रेखा अपनी बांई करवट पर लेट गई और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. “आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा.” रोहिणी उल्टी तरफ़ से रेखा की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गई. पास से रेखा की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी.

रेखा ने उसका सिर पकड़ कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे रोहिणी के मुंह पर रख दिये. “चुम्बन ले मेरे निचले होंठों को जैसे कि मेरे मुंह का रस ले रही थी.” जब रोहिणी ने रेखा की चूत चूमना शुरू कर दिया तो रेखा बोली. “अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया” रोहिणी अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. रेखा ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके रोहिणी का सिर अपनी जांघों मे जकड़ लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी.

भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर रोहिणी को मानो स्वर्ग मिल गया. रोहिणी मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. रेखा ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर रसपान करने लगी. रोहिणी ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड़ लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी.

दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की अवाजें उठ रही थी. रेखा ने बीच में रोहिणी की बुर में से मुंह निकालकर कहा. “रानी मेरा क्लाईटोरिस दिखता है ना?” रोहिणी ने हामी भरी. “हां भाभी, बेर जितना बड़ा हो गया है, लाल लाल है.” “तो उसे मुंह में ले और चाकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड़, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी बहना, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमे.”

रेखा ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झड़ा ली और आनन्द की सीत्कारियां भरती हुई रोहिणी के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी. रोहिणी को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी रेखा की जीभ से चुदती रही. रेखा ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लाईटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तड़प कर झड़ गई. रोहिणी का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकि उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झड़ा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी ननद कुछ शांत हुई.

थोड़ा सुस्ताने के लिये दोनों रुकीं तब रेखा ने पूछा. “रोहिणी बेटी, मजा आया?” रोहिणी हुमक कर बोली “हाय भाभी कितना अच्छा लगता है बुर चूसने और चुसवाने मे.” रेखा बोली “अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ सिक्सटी – नाइन करने से बढ़कर कोई सुख नहीं है हम जैसी चुदैलों के लिये, कितना मजा आता है एक दूसरे की बुर चूस कर. आह ! क्रीड़ा हम अब घन्टों तक कर सकते हैं.”

“भाभी चलो और करते हैं ना” रोहिणी ने अधीरता से फ़रमाइश की और रेखा मान गई. ननद भाभी का चूत चूसने का यह कार्यक्रम दो तीन घन्टे तक लगातार चला जब तक दोनों थक कर चूर नहीं हो गई. रोहिणी कभी इतनी नहीं झड़ी थी. आखिर लस्त होकर बिस्तर पर निश्चल पड़ गई. दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटकर प्रेमियों जैसे सो गई.

शाम को रेखा ने चूम कर बच्ची को उठाया. “चल रोहिणी, उठ, तेरे भैया के आने का समय हो गया. कपड़े पहन ले नहीं तो नंगा देखकर फ़िर तुझ पर चढ़ पढ़ेंगे” रोहिणी घबरा कर उठ बैठी. “भाभी मुझे बचा लो, भैया को मुझे चोदने मत देना, बहुत दुखता है.”

रेखा ने उसे डांटा “पर मजे से हचक के हचक के चुदा भी तो रही थी बाद मे, ‘हाय भैया, चोदो मुझे’ कह कह के”. रोहिणी शरमा कर बोली. “भाभी बस आज रात छोड़ दो, मेरी बुर को थोड़ा आराम मिल जाये, कल से जो तुम कहोगी, वह करूंगी”. “चल अच्छा, आज तेरी चूत नहीं चुदने दूंगी.” रेखा ने वादा किया और रोहिणी खुश होकर उससे लिपट गई.

करण वापस आया तो तन्नाया हुआ लंड लेकर. उसके पैन्ट में से भी उसका आकार साफ़ दिख रहा था. रोहिणी उसे देख कर शरमाती हुई और कुछ घबरा कर रेखा के पीछे छुप गई. दोपहर की चुदाई की पीड़ा याद कर उसका दिल भय से बैठा जा रहा था. “भाभी, भैया से कहो ना कि अब मुझे ना चोदे, मेरी बुर अभी तक दुख रही है. अब चोदा तो जरूर फ़ट जायेगी!” रेखा ने आंख मारते हुए करण को झूठा डांटते हुए कहा कि वह रोहिणी की बुर आज न चोदे.

करण समझ गया कि सिर्फ़ बुर न चोदने का वादा है, गांड के बारे में तो कुछ बातें ही नहीं हुई. वह बोला “चलो, आज तुम्हारी चूत नहीं चोदूंगा मेरी नन्ही बहन, पर आज से तू हमारे साथ हमारे पलंग पर सोयेगी और मै और तेरी भाभी जैसा कहेंगे वैसे खुद को चुदवाएगी और हमें अपनी यह कमसिन जवानी हर तरीके से भोगने देगी.”

करण के कहने पर रेखा ने रोहिणी की मदद से जल्दी जल्दी खाना बनाया और भोजन कर किचन की साफ़ सफ़ाई कर तीनों नौ बजे ही बेडरूम में घुस गये. करण ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और अपना खड़ा लंड हाथ में लेकर उसे पुचकारता हुआ खुद कुर्सी में बैठ गया और भाभी ननद को एक दूसरे को नंगा करने को कहकर मजा देखने लगा.

दोनों चुदैलों के मुंह में उस रसीले लंड को देखकर पानी भर आया. रोहिणी फ़िर थोड़ी डर भी गई थी क्योंकि वह कुछ देर के लिये भूल ही गई थी कि करण का लंड कितना महाकाय है. पर उसके मन में एक अजीब वासना भी जाग उठी. वह मन ही मन सोचने लगी कि अगर भैया फ़िर से उसे जबरदस्ती चोद भी डालें तो दर्द तो होगा पर मजा भी आयेगा.

रेखा ने पहले अपने कपड़े उतारे. ब्रेसियर और पैंटी रोहिणी से उतरवाई जिससे रोहिणी भी भाभी के नंगे शरीर को पास से देखकर फ़िर उत्तेजित हो गई. फ़िर रेखा ने हंसते हुए शरमाती हुई उस किशोरी की स्कर्ट और पैन्टी उतारी. ब्रेसियर उसने दोपहर की चुदाई के बाद पहनी ही नहीं थी. रेखा उस खूबसूरत छोकरी के नग्न शरीर को बाहों में भरकर बिस्तर पर लेट गई और चूमने लगी. रेखा की बुर रोहिणी का कमसिन शरीर बाहों में पाकर गीली हो गई थी. साथ ही रेखा जानती थी कि आज रात रोहिणी की कैसी चुदाई होने वाली है और इसलिये उसे रोहिणी की होने वाले ठुकाई की कल्पना कर कर के और मजा आ रहा था.

वह करण को बोली. “क्योंजी, वहां लंड को पकड़कर बैठने से कुछ नहीं होगा, यहां आओ और इस मस्त चीज़ को लूटना शुरू करो.” करण उठ कर पलंग पर आ गया और फ़िर दोनों पति पत्नी मिलकर उस कोमल सकुचाती किशोरी को प्यार करने के लिये उसपर चढ़ गये.

रेखा रोहिणी का प्यारा मीठा मुखड़ा चूमने लगी और करण ने अपना ध्यान उसके नन्हें उरोजों पर लगाया. झुक कर उन छोटे गुलाब की कलियों जैसे निपलों को मुंह में लिया और चूसने लगा. रोहिणी को इतना अच्छा लगा कि उसने अपनी बांहे अपने बड़े भाई के गले में डाल दीं और उसका मुंह अपनी छाती पर भींच लिया कि और जोर से निपल चूसे.

उधर रेखा ने रोहिणी की रसीली जीभ अपने मुंह में ले ली और उसे चूसते हुए अपने हाथों से धीरे धीरे उसकी कमसिन बुर की मालिश करने लगी. अपनी उंगली से उसने रोहिणी के क्लाईटोरिस को सहलाया और चूत के पपोटों को दबाया और खोलकर उममें उंगली करनी लगी.

उधर करण भी बारी बारी से रोहिणी के चूचुक चूस रहा था और हाथों में उन मुलायम चूचियों को लेकर प्यार से सहला रहा था. असल में उसका मन तो हो रहा था कि दोपहर की तरह उन्हें जोर जोर से बेरहमी के साथ मसले और रोहिणी को रुला दे पर उसने खुद को काबू में रखा. गांड मारने में अभी समय था और वह अभी से अपनी छोटी बहन को डराना नहीं चाहता था. उसने मन ही मन सोचा कि गांड मारते समय वह उस खूबसूरत कमसिन गुड़िया के मम्मे मन भर कर भोम्पू जैसे दबाएगा.

रोहिणी अब तक मस्त हो चुकी थी और भाभी के मुंह को मन लगा कर चूस रही थी. उसकी कच्ची जवान बुर से अब पानी बहने लगा था. रेखा ने करण से कहा. “लड़की मस्त हो गई है, बुर तो देखो क्या चू रही है, अब इस अमृत को तुम चूसते हो या मैं चूस लू?”

करण ने उठ कर रोहिणी के सिर को अपनी ओर खींचते हुआ कहा “मेरी रानी, पहले तुम चूस लो अपनी ननद को, मैं तब तक थोड़ा इसके मुंह का स्वाद ले लूम, फ़िर इसे अपना लंड चुसवाता हूं. दोपहर को रह ही गया, यह भी बोल रही होगी कि भैया ने लंड का स्वाद भी नहीं चखाया”

करण ने अपने होंठ रोहिणी के कोमल होंठों पर जमा दिये और चूस चूस कर उसे चूमता हुआ अपनी छोटी बहन के मुंह का रस पीने लगा. उधर रेखा ने रोहिणी की टांगें फ़ैलाईं और झुक कर उसकी बुर चाटने लगी. उसकी जीभ जब जब बच्ची के क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो एक धीमी सिसकी रोहिणी के करण के होंठों के बीच दबे मुंह से निकल जाती. उस कमसिन चूत से अब रस की धार बह रही थी और उसका पूरा फ़ायदा उठा कर रेखा बुर में जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर उस अमृत का पान करने लगी.

करण ने रोहिणी को एक आखरी बार चूम कर उसका सिर अपनी गोद में ले लिया. फ़िर अपना बड़ा टमाटर जैसा सुपाड़ा उसके गालों और होंठों पर रगड़ने लगा.”ले रोहिणी, जरा अपने भैया के लंड का मजा ले, चूस कर देख क्या मजा आयेगा. डालू तेरे मुंह मे?” उसने पूछा.

रोहिणी को भी सुपाड़े की रेशमी मुलायम चमड़ी का स्पर्श बड़ा अच्छा लग रहा था. ” हाय भैया, बिलकुल मखमल जैसा चिकना और मुलायम है.” वह किलकारी भरती हुई बोली. करण ने उसका उत्साह बढ़ाया और लंड को रोहिणी के मुंह में पेलने लगा.

“चूस कर तो देख, स्वाद भी उतना ही अच्छा है.” रेखा ने रोहिणी की जांघों में से जरा मुंह उठाकर कहा और फ़िर बुर का पानी चूसने में लग गई. रोहिणी अब मस्ती में चूर थी. वह अपनी जीभ निकालकर इस लंड और सुपाड़े को चाटने लगी. करण ने काफ़ी देर उसका मजा लिया और फ़िर रोहिणी के गाल दबाता हुआ बोला. “चल बहुत खेल हो गया, अब मुंह में ले और चूस.”

गाल दबाने से रोहिणी का मुंह खुल गया और करण ने उसमें अपना सुपाड़ा घुसेड़ दिया. सुपाड़ा बड़ा था इस लिये रोहिणी को अपना मुंह पूरी तरह खोलना पड़ा. पर सुपाड़ा अन्दर जाते ही उसे इतना मजा आया कि मुंह बंद कर के वह उसे एक बड़े लॉलीपॉप जैसे चूसने लगी. करण ने एक सुख की आह भरी, अपनी छोटी बहन के प्यारे मुंह का स्पर्श उसके लंड को सहन नहीं हो रहा था. “हाय रेखा, मैं झड़ने वाला हूं इस छोकरी के मुंह मे. निकाल लू लौड़ा? आगे का काम शुरू करते हैं.”

रेखा को मालूम था कि करण अपनी छोटी बहन की गांड मारने को लालायित है. उसने जब लंड का साइज़ देखा तो समझ गई कि अगर झड़ाया नहीं गया और इसी लंड से बच्ची की गांड मारी गई तो जरूर फ़ट जाएगी. इसलिये वह भी बोली. “ऐसा करो, मुट्ठ मार लो रोहिणी के मुंह मे, उसे भी जरा इस गाढ़े गाढ़े वीर्य का स्वाद चखने दो. मै तो रोज ही पीती हूं, आज मेरी ननद को पाने दो यह प्रसाद.”

करण दीवाना हुआ जा रहा था. उसने एक हाथ से रोहिणी के सिर को पकड़ कर सहारा दिया कि धक्कों से आगे पीछे न हो और दूसरे हाथ से लंड का डण्डा मुट्ठी में लेकर जोर जोर से आगे पीछे करता हुआ हस्तमैथुन करने लगा. मुंह में फ़ूलता सिकुड़ता लज़ीज़ सुपाड़ा उस किशोरी को इतना भाया कि जीभ रगड़ रगड़ कर आंखे बन्द कर के वह उस रसीले फ़ल को चूसने लगी.

करण को इतना सुख सहन नहीं हुआ और पांच ही मिनिट में वह एकदम स्खलित हो गया. “हा ऽ य री ऽ प्यारी बच्ची, तूने मुझे मार डाला, रेखा रानी, यह तो चूसने में उस्ताद है, ऊ ऽ आह ऽ ऽ ” रोहिणी मलाई जैसा गाढ़ा गरम गरम वीर्य बड़े स्वाद से निगल रही थी. पहली बार वीर्य निगला और वह भी बड़े भाई का! करण का उछलता लंड उसने आखरी बूंद निकलने तक अपने मुंह में दबाए रखा जब तक वह सिकुड़ नहीं गया.

रोहिणी भी अबतक रेखा के चूसने से कई बार झड़ गई थी. रेखा चटखारे ले लेकर उसकी बुर का पानी चूस रही थी. करण बोला “चलो, बाजू हटो, मुझे भी अपनी बहन की चूत चूसने दो.” रोहिणी मस्ती में बोली “हां भाभी, भैया को मेरी बुर का शरबत पीने दो, तुम अब जरा मुझे अपनी चूत चटाओ भाभी, जल्दी करो ऽ ना ऽ” वह मचल उठी.

रेखा उठी और उठ कर कुर्सी में बैठ गई. अपनी भरी पूरी गुदाज टांगें फ़ैला कर बोली “आ मेरी रानी, अपनी भाभी की बुर में आ जा, देख भाभी की चूत ने क्या रस बनाया है अपनी लाड़ली ननद के लिये.”

रोहिणी उठकर तुरंत रेखा के सामने फ़र्श पर बैठ गई और भाभी की बुर अपने हाथों से खोलते हुए उसे चाटने लगी. उस कोमल जीभ का स्पर्श होते ही रेखा मस्ती से सिसक उठी और रोहिणी के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां घुमाती हुई उसे पास खींच कर और ठीक से चूसने को कहने लगी. “हाय मेरी गुड़िया, क्या जीभ है तेरी, चाट ना, और मन भर कर चाट, जीभ अन्दर भी डाल ननद रानी, असली माल तो अन्दर है.” रोहिणी के अधर चाटने से रेखा कुछ ही देर में झड़ गई और चुदासी की प्यासी रोहिणी के लिये तो मानों रस की धार उसकी भाभी की बुर से फ़ूट पड़ी.

करण अब तक रोहिणी के पीछे लेट गया था. सरककर उसने रोहिणी के नितम्ब फ़र्श पर से उठाये और अपना सिर उसके नीचे लाकर फ़िर से रोहिणी को अपने मुंह पर ही बिठा लिया. उसकी रसीली चूत चूसते हुए वह अपनी छोटी बहन के नितम्ब प्यार से सहलाने लगा. रोहिणी तो अब मानों काम सुख के सागर में गोते लगा रही थी. एक तरफ़ उसे अपनी भाभी की बुर का रस चूसने मिल रहा था और दूसरी ओर उसके भैया उसकी चूत चूस रहे थे. वह तुरंत झड़ गई और मस्ती में ऊपर नीचे होते हुए करण को अपनी बुर का रस पिलाते हुए उसका मुंह चोदने लगी.

करण ने अपनी जीभ कड़ी करके उसकी चूत में एक लंड की तरह डाल दी और उस कमसिन चूत को चोदने लगा. साथ ही अब वह धीरे धीरे रोहिणी के कसे हुई मुलायम चूतड़ों को प्यार से सहलाने लगा. सहलाते सहलाते उसने नितम्बों के बीच की लकीर में उंगली चलाना शुरू कर दी और हौले हौले उस कोमल गांड का जरा सा छेद टटोलने लगा.

करण अब यह सोच कर दीवाना हुआ जा रहा था कि जब उस नन्ही गांड में उसका भारी भरकम लंड जायेगा तो कितना मजा आयेगा पर बेचारी रोहिणी जो अपने भाई के इस इरादे से अनभिज्ञ थी, मस्ती से चहक उठी. गांड को टटोलती उंगली ने उसे ऐसा मस्त किया कि वह और उछल उछल कर अपने भाई का मुंह चोदने लगी और झड़कर उसे अपनी बुर से बहते अमृत का प्रसाद पिलाने लगी.

रोहिणी आखिर बार बार झड़कर लस्त पड़ने लगी. रोहिणी के मुंह में झड़ने के बावजूद रेखा की बुर अब बुरी तरह से चू रही थी क्योंकि वह समझ गई थी कि बच्ची की गांड मारने का समय नजदीक आता जा रहा है. रोहिणी अब पूरी तरह से तृप्त होकर हार मान चुकी थी और अपने भाई से प्रार्थना कर रही थी कि अब वह उसकी बुर न चूसे. “भैया, छोड़ दो अब, अब नहीं रहा जाता, बुर दुखती है तुम चूसते हो तो, प्लीज़ भैया, मेरी चूत मत चाटो अब.”

रेखा ने रोहिणी का सिर अपनी झांटो में खींच कर अपनी चूत से उसका मुंह बंद कर दिया और जांघों से उसके सिर को दबा लिया. फ़िर बोली “डार्लिंग, तुम चूसते रहो जब तक मन करे, यह छोकरी तो नादान है, और उसकी गांड भी चूसो जरा, स्वाद बदल बदल कर चूसोगे तो मजा आयेगा”

अगले दस मिनट करण रोहिणी की बुर और गांड बारी बारी से चूसता रहा. बच्ची की झड़ी चूत पर और नन्हे से क्लिट पर अब जब करण की जीभ चलती तो वह अजीब से सम्वेदन से तड़प उटती. उसे यह सहन नहीं हो रहा था और बेचारी रोने को आ गई कि कब भैया उस पर तरस खाकर उसकी यह मीठी यातना समाप्त करे्गा. वह कमसिन छोकरी मुंह बन्द होने से कुछ नहीं कर सकी, सिर्फ़ रेखा की बुर में घिगियाकर रह गई.

रेखा उसका लंड चूसने लगी. चूसते चूसते करण से पूछा “क्यों, सूखी ही मारोगे या मक्खन लाऊं” करण मस्ती में बोला “सूखी मारने में बहुत मजा आयेगा मेरी जान” रेखा उस मोटे लंड को देखकर बोली “मैं तुमसे रोज गांड मराती हूं पर मुझे भी आज इस की साइज़ देखकर डर लगा रहा है, फ़ट जायेगी गाण्ड, मैं मक्खन लेकर आती हूं, आज चिकनी कर के मारो, अब तो रोज ही मारना है, सूखी बाद में चोद लेना”

रेखा उठकर मक्खन लाने को चली गई. करण प्यार से औंधी पड़ी अपनी छोटी बहन के नितम्ब सहलाता रहा. लस्त रोहिणी भी पड़ी पड़ी आराम करती रही. उसे लगा रेखा और भैया में उनके आपस के गुदा सम्भोग की बातें चल रही हैं, उसे क्या लेना देना था. बेचारी बच्ची नहीं जानती थी कि उस की गांड मारने की तैयारी हो रही है.

रेखा मक्खन लेकर आई और करण के हाथ मे देकर आंख मारकर पलंग पर चढ़ गई. लेटकर उसने रोहिणी को उठा कर अपने ऊपर औंधा लिटा लिया और उसे चूमने लगी. रोहिणी के हाथ उसने अपने शरीर के गिर्द लिपटा लिये और अपनी पीठ के नीचे दबा लिये जिससे वह कुछ प्रतिकार न कर सके. अपनी टांगो में रोहिणी के पैर जकड़ लिये और उसे बांध सा लिया.

रोहिणी की मुलायम गोरी गांड देखकर करण अब अपनी वासना पर काबू न रख सका. वह उठा और रोहिणी की कुंवारी गांड मारने की तैयारी करने लगा. अब रेखा भी मजा लेने लगी. उसने रोहिणी से कहा. “मेरी प्यारी ननद रानी, मैने तुझसे वायदा किया था ना कि भैया आज तुझे नहीं चोदेंगे” रोहिणी घबरा गई. रेखा ने उसे दिलासा देते हुए कहा. “घबरा मत बिटिया, सच में नहीं चोदेंगे” फ़िर कुछ रुक कर मजा लेती हुई बोली “आज वे तेरी गांड मारेंगे”

रोहिणी सकते में आ गई और घबरा कर रोने लगी. करण अब पूरी तरह से उत्तेजित था. उसने एक उंगली मक्खन में चुपड़ कर रोहिणी के गुदा में घुसेड़ दी. उस नाजुक गांड को सिर्फ़ एक उंगली में ही ऐसा दर्द हुआ कि वह हिचक कर रो पड़ी. करण को मजा आ गया और उसने रोहिणी का सिर उठाकर अपना लंड उस बच्ची को दिखाया. “देख बहन, तेरी गांड के लिये क्या मस्त लौड़ा खड़ा किया है.”

उस बड़े महाकाय लंड को देखकर रोहिणी की आंखे पथरा गई. करण का लंड अब कम से कम आठ इंच लम्बा और ढाई इन्च मोटा हो गया था. वह करण से अपनी चूत चुसवाने के आनन्द में यह भूल ही गई थी कि आज उस की कोमल कुंवारी गांड भी मारी जा सकती है.

करण ने उसका भयभीत चेहरा देखा तो मस्ती से वह और मुस्काया. असल में उसका सपना हमेशा से यही था कि पहली बार वह रोहिणी की गांड मारे तो वह जबर्दस्ती करते हुए मारे. इसीलिये उसने रोहिणी को बार बार चूसकर उसकी सारी मस्ती उतार दी थी. उसे पता था कि मस्ती उतरने के बाद रोहिणी सम्भोग से घबरायेगी और उस रोती गिड़गिड़ाते सुन्दर चिकनी लड़की की नरम कुंवारी गांड अपने शैतानी लंड से चोदने में स्वर्ग का आनन्द आयेगा.

रेखा भी अब एक क्रूरता भरी मस्ती में थी. बोली “बहन, तेरी गांड तो इतनी नाजुक और सकरी है कि सिर्फ़ एक उंगली डालने से ही तू रो पड़ती है. तो अब जब यह घूंसे जैसा सुपाड़ा और तेरे हाथ जितना मोटा लंड तेरे चूतड़ों के बीच जायेगा तो तेरा क्या होगा?”

रोहिणी अब बुरी तरह से घबरा गई थी. उसकी सारी मस्ती खतम हो चुकी थी. वह रोती हुई बिस्तर से उठने की कोशिश करने लगी पर रेखा की गिरफ़्त से नहीं छूट पाई. रोते रोते वह गिड़गिड़ा रही थी. “भैया, भाभी, मुझे छोड़ दीजिये, मेरी गांड फ़ट जायेगी, मैं मर जाऊंगी, मेरी गांड मत मारिये, मैं आपकी मुट्ठ मार देती हूं, लंड चूस कर मैं आपको खुश कर दूंगी. या फ़िर चोद ही लीजिये पर गांड मत मारिये”

रेखा ने उसे दबोचा हुआ था ही, अपनी मांसल टांगें भी उसने रोहिणी के इर्द गिर्द जकड़ लीं और रोहिणी को पुचकारती हुई बोली “घबरा मत बेटी, मरेगी नहीं, भैया बहुत प्यार से मन लगा कर मारेंगे तेरी और फ़िर तुझे आखिर अब रोज ही मराना है. हां, दर्द तुझे बहुत होगा और तू गांड पहली बार चुदते हुए बहुत छटपटायेगी इसलिये मैं तुझे पकड़ कर अपनी बाहों मे कैद रखूंगी.” रेखा फ़िर करण को बोली. “शुरू हो जाओ जी” और रोहिणी का रोता मुंह अपने मुंह में पकड़ कर उसे चुप कर दिया

करण ने ड्रावर से रेखा की दो ब्रा निकालीं और एक से रोहिणी के पैर आपस में कस कर बाम्ध दिये. फ़िर उसके हाथ ऊपर कर के पन्जे भी दूसरी ब्रेसियर से बांध दिये. “बहन ये ब्रा तेरी भाभी की हैं, तेरी मनपसंद, इसलिये गांड मराते हुए यह याद रख कि अपनी भाभी के ब्रेसियर से तेरी मुश्कें बांधी गई हैं.” उसने रोहिणी को बताया. रोती हुई लड़की के पीछे बैठकर करण ने उसके चूतड़ों को प्यार करना शुरू किया. उसका लंड अब सूज कर वासना से फ़टा जा रहा था पर वह मन भर के उन सुन्दर नितम्बों की पूजा करना चाहता था.

पहले तो उसने बड़े प्यार से उन्हें चाटा. फ़िर उन्हें मसलता हुआ वह उन्हें हौले हौले दांतों से काटने लगा. नरम नरम चिकने चूतड़ों को चबाने में उसे बहुत मजा आ रहा था. रोहिणी के गोरे गोरे नितम्बों के बीच का छेद एक गुलाब की कली जैसा मोहक सा दिख रहा था. करण ने अपने मजबूत हाथों से उसके चूतड़ पकड़ कर अलग किये और अपना मुंह उस गुलाबी गुदा द्वार पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ उसने पूरी उस मुलायम छेद में डाल दी और अन्दर से रोहिणी की गांड की नरम नरम म्यान को चाटने लगा. मख्खन लगी गांड के सौंधे सौंधे से स्वाद और महक ने उसे और मदमस्त कर दिया.

वह उठकर बैठ गया और एक बड़ा मक्खन का लौन्दा लेकर रोहिणी की गांड मे अपनी उंगली से भर दिया. एक के बाद एक वह मक्खन के गोले उस सकरी गांड में भरता रहा जब तक करीब करीब पूरा पाव किलो मक्खन बच्ची की गांड में नहीं समा गया. रेखा ने कुछ देर को अपना मुंह रोहिणी के मुंह से हटा कर कहा “लबालब मक्खन तेरी गांड में भरा रहेगा बेटी, तो गांड मस्त मारी जायेगी, लौड़ा ऐसे फ़िसलेगा जैसे सिलिंडर में पिस्टन.”

बचा हुआ मक्खन करण अपने भरी भरकम लंड पर दोनों हथेलियों से चुपड़ने लगा. उसे अब अपने ही लोहे जैसे कड़े शिश्न की मक्खन से मालिश करते हुए ऐसा लग रहा था जैसे कि वह घोड़े का लंड हाथ में लिये है. फ़ूली हुई नसें तो अब ऐसी दिख रही थीं कि जैसे किसी पहलवान के कसरती हाथ की मांस-पेशियां हो. उसने अपने हाथ चाटे और मक्खन साफ़ किया जिससे रोहिणी की चूचियां दबाते हुए ना फ़िसले.

रेखा रोहिणी के गालों को चूमते हुए बोली “अब तू मन भर के चिल्ला सकती है रोहिणी बहन पर कोई तेरी पुकार सुन नहीं पायेगा क्योंकि मैं अपनी चूची से तेरा मुंह बंद कर दूंगी. पर जब दर्द हो तो चिलाना जरूर, तेरी घिघियाने की आवाज से तेरे भैया की मस्ती और बढ़ेगी.” फ़िर उसने अपनी एक मांसल चूची उस कमसिन किशोरी के मुंह में ठूंस दी और कस के उसका सिर अपनी छाती पर दबाती हुई अपने पति से बोली “चलो, अब देर मत करो, मुझ से नहीं रह जाता”

गांड मारने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. बड़ी बेसब्री से करण अपनी टांगें अपनी बहन के शरीर के दोनों बाजू में जमा कर बैठ गया और अपना मोटे सेब जैसा सुपाड़ा उस कोमल गांड पर रख कर पेलने लगा. अपने लंड को उसने भाले की तरह अपने दाहिने हाथ से पकड़ा हुआ था ताकि फ़िसल ना जाये. पहले तो कुछ नही हुआ क्योंकि इतने जरा से छेद में इतना मोटा गोला जाना असम्भव था. करण ने फ़िर बड़ी बेसब्री से अपने बांये हाथ से रोहिणी के नितम्ब फ़ैलाये और फ़िर जोर से अपने पूरे वजन के साथ लौड़े को उस गुदा के छेद में पेला. गांड खुल कर चौड़ी होने लगी और धीरे धीरे वह विशाल लाल लाल सुपाड़ा उस कोमल गांड के अन्दर जाने लगा.

रोहिणी अब छटपटाने लगी. उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे. इतना दर्द उसे कभी नहीं हुआ था. उसका गुदा द्वार चौड़ा होता जा रहा था और ऐसा लगता था कि बस फ़टने की वाला है. करण ने पहले सोचा था कि बहुत धीरे धीरे रोहिणी की गांड मारेगा पर उससे रहा नहीं गया और जबर्दस्त जोर लगा कर उसने एकदम अपना सुपाड़ा उस कोमल किशोरी के गुदा के छल्ले के नीचे उतार दिया. रोहिणी इस तरह उछली जैसे कि पानी से निकाली मछली हो. वह अपने बंद मुंह में से घिघियाने लगी और उसका नाजुक शरीर इस तरह कांपने लगा जैसे बिजली का शॉक लगा हो.

करण को ऐसा लग रहा था जैसे कि किसी मुलायम हाथ ने उसके सुपाड़े को जोर से दबोच लिया हो, क्योंकि उसकी प्यारी बहन की टाइट गांड इस जोर से उसे भींच रही थी. वह इस सुख का आनन्द लेते हुए कुछ देर रुका. फ़िर जब रोहिणी का तड़पना कुछ कम हुआ तो अब वह अपना बचा डण्डा उसकी गांड में धीरे धीरे उतारने लगा. इंच इंच कर के उसका शक्तिशाली लौड़ा रोहिणी की सकरी गांड में गड़ता गया.

रोहिणी का कोमल कमसिन शरीर बार बार ऐसे ऐंठ जाता जैसे कोई उसका गला दबा रहा हो. उसके चूची भरे हुए मुंह से सिसकने और कराहने की दबी दबी आवाजें निकल रही थीं जिन्हें सुन सुन के करण और मस्त हो रहा था. करीब ६ इम्च लंड अन्दर जाने पर वह फ़ंस कर रुक गया क्योंकि उसके बाद रोहिणी की आंत बहुत सकरी थी.

रेखा बोली “रुक क्यों गये, मारो गांड, पूरा लंड जड़ तक उतार दो, साली की गांड फ़ट जाये तो फ़ट जाने दो, अपनी डाक्टर दीदी से सिलवा लेंगे. वह मुझ पर मरती है इसलिये कुछ नहीं पूछेगी, चुपचाप सी देगी. हाय मुझे इतना मजा आ रहा है जैसा तुमसे पहली बार मराते हुए भी नहीं आया था. काश मैं मर्द होती तो इस लौंडया की गांड खुद मार सकती”

करण कुछ देर रुका पर अन्त में उससे रहा नहीं गया, उसने निश्चय किया कि कुछ भी हो जाये वह रेखा के कहने के अनुसार जड़ तक अपना शिश्न घुसेड़ कर रहेगा. उसने कचकचा के एक जोर का धक्का लगाया और पूरा लंड एक झटके में जड़ तक रोहिणी की कोमल गांड में समा गया. करण को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका सुपाड़ा रोहिणी के पेट में घुस गया हो. रोहिणी ने एक दबी चीख मारी और अति यातना से तड़प कर बेहोश हो गई.

करण अब सातवें आसमान पर था. रोहिणी की पीड़ा की अब उसे कोई परवाह नहीं थी. मुश्कें बन्धी हुई लड़की तो अब उसके लिये जैसे एक रबर की सुंदर गुड़िया थी जिससे वह मन भर कर खेलना चाहता था. हां, टटोल कर उसने यह देख लिया कि उस कमसिन कली की गांड सच में फ़ट तो नहीं गई. गुदा के बुरी तरह से खिंचे हुए मुंह को सकुशल पाकर उसने एक चैन की सांस ली.

अब बेहिचक वह अपनी बीवी की बाहों में जकड़े उस पट पड़े बेहोश कोमल शरीर पर चढ़ गया. अपनी बाहों में भर के वह पटापट रोहिणी के कोमल गाल चूमने लगा. रोहिणी का मुंह रेखा के स्तन से भरा होने से वह उसके होंठों को नहीं चूम सकता था इसलिये बेतहाशा उसके गालो, कानों और आंखो को चूमते हुए उसने आखिर अपने प्यारे शिकार की गांड मारना शुरू की.

रेखा ने पूछा “कैसा लग रहा है डार्लिंग?” करण सिर्फ़ मुस्कराया और उसकी आंखो मे झलकते सुख से रेखा को जवाब मिल गया. उसकी भी बुर अब इतनी चू रही थी कि रोहिणी के शरीर पर बुर रगड़ते हुए वह स्वमैथुन करने लगी. “मारो जी, गांड मारो, खूब हचक हचक कर मारो, अब क्या सोचना, अपनी तमन्ना पूरी कर लो” और करण बीवी के कहे अनुसार मजा ले ले कर अपनी बहन की गांड चोदने लगा.

पहले तो वह अपना लंड सिर्फ़ एक दो इंच बाहर निकालता और फ़िर घुसेड़ देता. मक्खन भरी गांड में से ‘पुच पुच पुच’ की आवाज आ रही थी. इतनी टाइट होने पर भी उसका लंड मस्ती से फ़िसल फ़िसल कर अन्दर बाहर हो रहा था. इसलिये उसने अब और लम्बे धक्के लगाने शुरू किये. करीब ६ इम्च लंड अन्दर बाहर करने लगा. अब आवाज ‘पुचुक, पुचुक, पुचुक’ ऐसी आने लगी. करण को ऐसा लग रहा था मानों वह एक गरम गरम चिकनी बड़ी सकरी मखमली म्यान को चोद रहा है. उसके धैर्य का बांध आखिर टूट गया और वह उछल उछल कर पूरे जोर से रोहिणी की गांड मारने लगा.

अब तो ‘पचाक, पचाक पचाक’ आवाज के साथ बच्ची मस्त चुदने लगी. करण ने अब अपना मुंह अपनी पत्नी के दहकते होंठों पर रख दिया और बेतहाशा चूंमा चाटी करते हुए वे दोनों अपने शरीरों के बीच दबी उस किशोरी को भोगने लगे.

करण को बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी नरम नरम रबर की गुड़िया की गांड मार रहा है. वह अपने आनन्द की चरम सीमा पर कुछ ही मिनटों में पहुंच गया और इतनी जोर से स्खलित हुआ जैसा वह जिन्दगी में कभी नहीं झड़ा था. झड़ते समय वह मस्ती से घोड़े जैसा चिल्लाया. फ़िर लस्त पड़कर रोहिणी की गांड की गहराई में अपने वीर्यपतन का मजा लेने लगा. रेखा भी रोहिणी के चिकने शरीर को अपनी बुर से रगड़ कर झड़ चुकी थी. करण का उछलता लंड करीब पांच मिनट अपना उबलता हुआ गाढ़ा गाढ़ा वीर्य रोहिणी की आंतो में उगलता रहा.

झड़ कर करण रेखा को चूंमता हुआ तब तक आराम से पड़ा रहा जब तक रोहिणी को होश नहीं आ गया. लंड उसने बालिका की गांड में ही रहने दिया. कुछ ही देर में कराह कर उस मासूम लड़की ने आंखे खोली. करण का लंड अब सिकुड़ गया था पर फ़िर भी रोहिणी दर्द से सिसक सिसक कर रोने लगी क्योंकि उसकी पूरी गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसी ने एक बड़ी ककड़ी से चोदी दी हो.

उसके रोने से करण की वासना फ़िर से जागृत हो गई. पर अब वह रोहिणी का मुंह चूमना चाहता था. रेखा उस के मन की बात समझ कर रोहिणी से बोली “मेरी ननद बहना, उठ गई? अगर तू वादा करेगी कि चीखेगी नहीं तो तेरे मुंह में से मैं अपनी चूची निकाल लेती हूं.” रोहिणी ने रोते रोते सिर हिलाकर वादा किया कि कम से कम उसके ठूंसे हुए मुंह को कुछ तो आराम मिले.

रेखा ने अपना उरोज उसके मुंह से निकाला. वह देख कर हैरान रह गई कि वासना के जोश में करीब करीब पूरी पपीते जितनी बड़ी चूची उसने रोहिणी के मुंह में ठूंस दी थी. “मजा आया मेरी चूची चूस कर?” रेखा ने उसे प्यार से पूछा. घबराये हुई रोहिणी ने मरी सी आवाज में कहा “हां, भाभी” असल में उसे रेखा के स्तन बहुत अच्छे लगते थे और इतने दर्द के बावजूद उसे चूची चूसने में काफ़ी आनन्द मिला था.

रेखा अब धीरे से रोहिणी के नीचे से निकल कर बिस्तर पर बैठ गई और करण अपनी बहन को बाहों में भरकर उसपर चड़ कर पलंग पर लेट गया. उसने अपनी बहन के स्तन दोनों हाथों के पम्जों में पकड़े और उन छोटे छोटे निपलों को दबाता हुआ रोहिणी का मुंह जबरदस्ती अपनी ओर घुमाकर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा. बच्ची के मुंह के मीठे चुम्बनों से करण का फ़िर खड़ा होने लगा.

करण ने अब अपने पंजों में पकड़े हुए कोमल स्तन मसले और उन्हें स्कूटर के हौर्न जैसा जोर जोर से दबाने लगा. हंसते हुए रेखा को बोला “डार्लिन्ग, मेरी नई स्कूटर देखी, बड़ी प्यारी सवारी है, और हौर्न दबाने में तो इतना मजा आता है कि पूछो मत.” रेखा भी उसकी इस बात पर हंसने लगी.

चूचियां मसले जाने से रोहिणी छटपटाई और सिसकने लगी. करण को मजा आ गया और अपनी छोटी बहन रोहिणी के रोने की परवाह न करता हुआ वह अपनी पूरी शक्ति से उन नाजुक उरोजों को मसलने लगा. धीरे धीरे उसका लंड लम्बा होकर रोहिणी की गांड में उतरने लगा. रोहिणी फ़िर रोने को आ गई पर डर के मारे चुप रही कि भाभी फ़िर उसका मुंह न बांध दे.

लौड़ा पूरा खड़ा होने पर करण ने गांड मारना फ़िर शुरू कर दिया. जैसे उसका लम्बा तन्नाया लंड अन्दर बाहर होना शुरू हुआ, रोहिणी सिसकने लगी पर चिल्लाई नही. रेखा मुस्काई और रोहिणी से बोली. “शाबाश बेटी, बहुत प्यारी गाण्डू लड़की है तू, अब भैया के लंड से चुदने का मजा ले, वे रात भर तुझे चोदने वाले हैं.”

रेखा उठ कर अब करण के आगे खड़ी हो गई. “मेरी चूत की भी कुछ सेवा करोगे जी? बुरी तरह से चू रही है” करण ने रेखा का प्यार से चुम्बन लिया और कहा. “आओ रानी, तुमने मुझे इतना सुख दिया है, अब अपनी रसीली बुर का शरबत भी पिला दो, मैं तो तुंहें इतना चूसूंगा कि तेरी चूत तृप्त कर दूंगा” रेखा बोली “यह तो शहद है बुर का, शरबत नहीं, बुर का शरबत तो मैं तुम्हें कल बाथरूम में पिलाऊंगी.” रेखा की बात करण समझ गया और उस कल्पना से की इतना उत्तेजित हुआ कि अपनी पत्नी की चूत चूसते हुए वह रोहिणी की गांड उछल उछल कर मारने लगा.

अब उसने अपनी वासना काफ़ी काबू में रखी और हचक हचक कर अपनी छोटी बहन की गांड चोदने लगा. स्तन मर्दन उसने एक सेकंड को भी बंद नहीं किया और रोहिणी को ऐसा लगने लगा जैसे उसकी चूचियां चक्की के पाटों में पिस रही हों. इतना ही नहीं, उसके निपल उंगलियों में लेकर वह बेरहमी से कुचलता और खींचता रहा।

“हफ़्ते भर में मूंगफ़ली जितने बड़े कर दूंगा तेरे निपल रोहिणी. चूसने में बहुत मजा आता है अगर लम्बे निपल हो.” वह बोला. बीच बीच में करण रेखा की चूत छोड़ कर प्यार से रोहिणी के गुलाबी होंठ अपने दांतों में दबाकर हल्के काटता और चूसने लगता. कभी उसके गाल काट लेता और कभी गरदन पर अपने दांत जमा देता. फ़िर अपनी बीवी की बुर पीने मे लग जाता.

इस बार वह घण्टे भर बिना झड़े रोहिणी की मारता रहा. जब वह आखिर झड़ा तो मध्यरात्रि हो गई थी. रेखा भी बुर चुसवा चुसवा कर मस्त हो गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से तृप्त हो गई थी.

अपने शरीर का यह भोग सहन न होने से आखिर थकी-हारी सिसकती हुई रोहिणी एक बेहोशी सी नींद में सो गई. बीच बीच में गांड में होते दर्द से उसकी नींद खुल जाती तो वह करण को अपनी गांड मारते हुए और रेखा की चूत चूसते हुए पाती.

अन्त में जब सुबह आठ बजे गांड में फ़िर दर्द होने से उसकी नींद खुली तो देखा कि करण भैया फ़िर हचक हचक कर उसकी गांड मार रहे हैं. रोहिणी चुपचाप उस दर्द को सहन करती हुई पड़ी रही. भाभी वहां नहीं थी, शायद चाय बनाने गई थी. आखिर में करण झड़ा और मजा लेते हुए काफ़ी देर उसपर पड़ा रहा. रेखा जब चाय लेकर आई तब वह उठा और लंड को आखिर रोहिणी की गांड में से बाहर निकाला.

लंड निकलते हुए ‘पंक’ सी की आवज हुई. रेखा ने देखा कि एक ही रात में उस सकरी कोमल गांड का छेद खुल गया था और गांड का छेद अब चूत जैसा लग रहा था. करण को देख कर वह बोली “हो गई शांति? अब सब लोग नहाने चलो, वहां देखो मैं तुमसे क्या करवाती हूं. आखिर इतनी प्यारी कुंवारी गांड मारने की कीमत तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी डार्लिन्ग” करण मुस्कराया और बोला “आज तो जो तुम और रोहिणी कहोगी, वह करूंगा, मैं तो तुम दोनों चूतों और गाण्डो का दास हूं”

“चलो अब नहाने चलो” रेखा बोली. रोहिणी ने चलने की कोशिश की तो गांड में ऐसा दर्द हुआ कि बिलबिला कर रो पड़ी. “हाय भाभी, बहुत दुखता है, लगता है भैया ने मार मार के फ़ाड़ दी.”

रेखा के कहने पर करण ने उसे उठा लिया और बाथरूम में ले गया. दोनो ने मिलकर पहले रोहिणी के मसले कुचले हुए फ़ूल जैसे बदन को सहलया, तेल लगाकर मालिश की और फ़िर नहलाया. करण ने एक क्रीम रोहिणी की गांड के छेद में लगाई जिससे उसका दर्द गायब हो गया और साथ ही ठण्डक भी महसूस हुई. रोहिणी अब फ़िर खिल गई थी और धीरे धीरे फ़िर अपने नग्न भैया और भाभी को देखकर मजा लेने लगी थी. पर उसे यह मालूम नहीं था कि वह क्रीम उसकी गुदा को फ़िर सकरा बना देगी और गांड मरवाते हुए फ़िर उसे बहुत दर्द होगा. करण अपनी छोटी बहन की गांड टाइट रखकर ही उसे मारना चाहता था. अगर लड़की रोए नहीं, तो गांड मारने का मजा आधा हो जायेगा ऐसा उसे लगता था.

रेखा ने करण से कहा. “चलो जी अब अपना वायदा पूरा करो. बोले थे कि जो मैं कहूंगी वह करोगे.” करण बोला “बोलो मेरी रानी, तेरे लिये और इस गुड़िया के लिये मैं कुछ भी करूंगा.”

रेखा ने करण को नीचे लिटा दिया और अपना मुंह खोलने को कहा. करण समझ गया कि क्या होने वाला है, पर वह इन दोनों चुदैलों का गुलाम सा हो चुका था. कुछ भी करने को तैयार था. रेखा को खुश रखने में ही उसका फ़ायदा था. रेखा रोहिणी से बोली. “चल मेरी प्यारी ननद, रात भर गांड मराई है, मूती भी नहीं है, अपने भाई के मुंह में पिशाब कर दे.” रोहिणी चकराई और शरमा गई पर मन में लड्डू फ़ूटने लगे. करण की ओर उसने शरमा कर देखा तो वह भी मुस्कराया. साहस करके रोहिणी करण के मुंह पर बैठ गई और मूतने लगी.

उस बच्ची का खारा खारा गरम गरम मूत करण को इतना मादक लगा कि वह गटागट उसे पीने लगा. रोहिणी की बुर अब फ़िर पसीजने लगी थी. अपने बड़े भाई को अपनी पिशाब पिला कर वह बहुत उत्तेजित हो गई थी. मूतना खतम करके रोहिणी उठने लगी तो करण ने फ़िर उसे अपने मुंह पर बिठा लिया और उसकी चूत चूसने लगा. उधर रेखा ने अपनी चूत में करण का तन्नाया लंड डाल लिया और उसके पेट पर बैठ कर उछल उछल कर उसे चोदने लगी. पीछे से वह रोहिणी को लिपटाकर उसे चूंसने लगी और उसके स्तन दबाने लगी.

जब रोहिणी और रेखा दोनों झड़ गए तो रोहिणी उठी और बाजू में खड़ी हो गई. बोली “भाभी, तुम भी अपना मूत भैया को पिलाओ ना, मेरा उन्होंने इतने स्वाद से पिया है, तुम्हारा पी कर तो झूंम उठेंगे.” रेखा को करण ने भी आग्रह किया. “आ जा मेरी रानी, अपना मूत पिला दे, तू तो मेरी जान है, तू अपने शरीर का कुछ भी मेरे मुंह में देगी तो मैं निगल लूंगा.” रेखा हंसने लगी. अपने पति के मुंह में मूतते मूतते बोली. “देखो याद रखना यह बात, तुंहे मालूम है कि मूतने के बाद अब किसी दिन मैं तुंहारे मुंह में क्या करूम्गी.”

करण अब तक उत्तेजित हो चुका था. बोला “मैं तैयार हूं अपनी दोनों चुदैलों की कोई भी सेवा करने को, बस मुझे अपनी चूत का अमृत पिलाती रहो, चुदवाती रहो और गांड मराती रहो. खास कर इस नन्ही की तो मैं खूब मारूंगा.”

रेखा मूतने के बाद उठी और बोली. “इसे तो अब रोज चुदना या गांड मराना है. एक दिन छोड़ कर बारी बारी इसके दोनों छेद चोदोगे तो दोनों टाइट रहेंगे और तुंहें मजा आयेगा.”

“तो चलो अब रोहिणी को चोदूंगा.” कहकर करण उसे उठा कर ले गया. रेखा भी बदन पोछती हुई पीछे हो ली. उस बच्ची की फ़िर मस्त भरपूर चुदाई की गई. उसे फ़िर दर्द हुआ और रोई भी पर भैया भाभी के सामने उसकी एक न चली. रविवार था इसलिये दिन भर करण ने उसे तरह तरह के आसनों में चोदा और रेखा रोहिणी से अपनी चूत चुसवाती रही.

दूसरे दिन से यह एक नित्यक्रम बन गया. करण रात को रोहिणी को चोदता या उसकी गांड मारता. हर रात रोहिणी को दर्द होता क्योंकि जो क्रीम उसकी चूत और गांड में लगाई जाती थी उससे उसके छेदों को आराम मिलने के अलावा वे फ़िर टाइट भी हो जाते. स्कूल से वापस आने पर दिन भर रेखा उस बच्ची को भोगती. उसकी चूत चूसती और अपनी चुसवाती.

करण रात को ब्लू फ़िल्म देखते समय रोहिणी की गांड में लंड घुसेड़कर अपनी गोद में बिठा लेता और उसे चूमते हुए, उसकी छोटी छोटी मुलायम चूचियां मसलते हुए उछल उछल कर नीचे से गांड मारते हुए पिक्चर देखा करता. उधर रेखा उसके सामने बैठ कर उसकी कमसिन बुर चूसती. एक भी मिनट बिचारी रोहिणी के किसी भी छेद को आराम नहीं मिलता. आखिर रोहिणी चुद चुद कर ऐसी हो गई कि बिना गांड या चूत में लंड लिये उसे बड़ा अटपटा लगता था.

धीरे धीरे रेखा ने उसे करीब करीब गुलाम सा बना लिया और वह लड़की भी अपनी खूबसूरत भाभी को इतना चाहती थी कि बिना झिझक भाभी की हर बात मानने लगी. यहां तक कि एक दिन जब रेखा ने उससे चूत चुसवाते चुसवाते यह कहा कि पिशाब लगी है पर वह बाथरूम नहीं जाना चाहती, वह किशोरी तुरंत रेखा का मूत पीने को तैयार हो गई. शायद रेखा का मतलब वह समझ गई थी. “भाभी, मेरे मुंह में मूतो ना. प्लीज़ तुंहें मेरी कसम, मुझे बहुत दिन से यह चाह है.”

“बिस्तर तो खराब नहीं करेगी? देख गिराना नहीं नहीं तो चप्पलों से पिटेगी.” रेखा मन ही मन खुश होकर बोली. रोहिणी जिद करती रही. आखिर वहीं बिस्तर पर रेखा की चूत पर मुंह लगाकर वह लेट गई और रेखा ने भी आराम से धीरे धीरे अपनी ननद के मुंह में मूता. वायदे के अनुसार रोहिणी पूरा उसे निगल गई, एक बूंद भी नहीं छलकाई. अब रेखा को बाथरूम जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी क्योंकि रात को उसका पति और दिन में ननद ही उसके बाथरूम का काम करते थे.

चोद चोद कर उस लड़की की यह हालत हो गई कि वह कपड़े सिर्फ़ स्कूल जाते समय पहनती थी. बाकी अब दिन रात नंगी ही रहती थी और लगातार चुदती, रात को बड़े भाई से और दिन में अपनी भाभी से. उसके बिना उसे अच्छा ही नहीं लगता था. उसके लंड की प्यास इतनी बढ़ी कि आखिर करण ने रेखा को एक रबर का लंड या डिल्डो ला दिया जिससे उसकी चुदैल पत्नी भी दिन में अपनी ननद को चोद सके और उसकी गांड मार सके.

सच में रोहिणी अब अपने भैया भाभी की पूरी लाड़ली हो गई थी.

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हैलो दोस्तो, कैसे हो? Sex Stories

मेरा नाम राहुल है, मैं गुजरात का रहने Sex Stories वाला हूँ और मैं अपनी एक कहानी बताने जा रहा हूँ जो काफ़ी दिलच़स्प है।

अब मैं मुख्य बात पर आ रहा हूँ। स्कूल के दिनों में मेरे साथ एक लड़का पढ़ता था जिसका नाम राहुल था। हमारे स्कूल में हमने एक समूह बना रखा था जो मौज-मस्ती करता था और साथ-साथ खेलते-कूदते भी थे। एक दिन राहुल आया और उसने हमसे पूछा कि मैं भी तुम्हारे समूह में सम्मिलित होना चाहता हूँ। पर हमने उसे मना कर दिया और वह वहाँ से चला गया।

उसने लगातार दस दिनों तक प्रयास किया कि वह हमारे साथ शामिल हो जाए पर उसे निराशा ही हाथ लगी। एक दिन राहुल ने मुझसे कहा कि तुमसे मेरी माँ मिलना चाहती है, तुम्हें बुलाया है। तो मैंने उसे टालने के लिए कह दिया कि ठीक है, मैं मिलकर आ जाऊँगा, पर मैं गया ही नहीं।

एक दिन मैं रास्ते पर जा रहा था कि सामने राहुल की मम्मी आती दिखीं, उन्होंने मुझसे कहा- मैंने तुम्हें बुलाया था, आते क्यों नहीं?
मैंने कहा- ठीक है, आज आ जाऊँगा।
और मैं चला गया।

उसके बाद मैं दोपहर को उसके घर गया तो राहुल घर पर नहीं था, उसकी मम्मी थी। उसने मुझे कुर्सी पर बिठाया और कहा कि तुम मेरे बेटे को अपने समूह में शामिल क्यों नहीं करते हो?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही।
तो आंटी ने कहा- ऐसा नहीं करते, तुम उसे शामिल कर लो।
मैंने हामी भर दी।
फिर उसने मुझसे पूछा कि थम्स अप पीओगे?
तो मैंने हाँ कहा।

उसने उस समय क्रीम रंग की साड़ी और उसी रंग की ब्लाऊज़ भी पहन रखी थी। अन्दर काली ब्रा पहनी थी, वो भी साफ़ दिख रही थी और उसकी गांड इतनी मोटी और गोल-मटोल थी कि कोई देख ले तो पागल हो जाए।

वह किचन में चली गई, थम्सअप लाने के लिए।
जब वह थम्सअप लेकर आई तो मैं हैरान हो गया कि उसने साड़ी उतारकर सफेद पारदर्शी गाऊन पहना हुआ था और अन्दर काली ब्रा और काली पैन्टी साफ़ दिख रही थी, और भरा हुआ बदन जैसे संगमरमर का ताज़महल हो।

वह थम्सअप के दो गिलास लेकर मेरे पास बैठ गई और एक गिलास मुझे दिया और एक ख़ुद पीने लगी।
पीते-पीते मेरे जाँघों पर हाथ रख कर घुमा रही थी, मुझे गुदगुदी हो रही थी, लेकिन मुझे मज़ा भी आ रहा था, इसलिए कुछ नहीं बोला।

धीरे-धीरे उसका हाथ मेरे लण्ड के पास ले गई और पकड़ के मसलने लगी तो मैं खड़ा हो गया और कहा- मैं जा रहा हूँ।
तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिठा दिया, पूछा- क्या हुआ।
मैंने कहा- गुदगुदी हो रही है।
तो उसने कहा- आज तुझे कुछ सिखाऊँगी जो तेरे बहुत काम आएगा।
फिर मैं बैठ गया।

पहले तो उसने मुझे गाल पर किस किया और मेरी शर्ट उतार दी।
मैंने मना किया तो वह बोली- कुछ नहीं होगा, तुझे बहुत मज़ा आएगा।

फिर मैंने विरोध करना छोड़ दिया, उसने मेरी पैन्ट की चेन खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल कर उसे किस्स किया और मुँह में लेकर कैण्डी की तरह चूसने लगी और मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था।
मेरे दोस्त की मम्मी 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही, इसी दौरान मेरे सारे कपड़े भी उतार दिए। उसने मुझसे कहा कि मेरा गाऊन उतार दो!
तो मैंने उसका गाऊन उतार दिया और काली ब्रा-पैन्टी में जैसा आगरा का ताज़महल मेरे सामने आ खड़ा हुआ।

उसने कहा मेरी ब्रा भी उतार दो, तो मैंने वैसा ही किया।
ब्रा खोलते ही जैसे दो कबूतर आज़ाद होकर उछलकर बाहर आ गए।

उसने मेरा सिर पकड़कर मेरा मुँह उसकी चूचियों पर रख कर मुझे चूसने को कहा तो मैं जीभ घुमाने लगा और चूसने लगा। तब उसके मुँह से आआआ आआ… हहह हहह… निकने लगी। वह मेरा लण्ड पकड़कर दबाने लगी।
थोड़ी देर में वह काफ़ी गरम हो गई और मुझे नोचने-खसोटने लगी, उसने कहा- तुम्हारा लण्ड तो बहुत बड़ा है और मेरे पति का तो इसका आधा ही है।

मैं तो मानो अपने होश में ही नहीं था। वह जैसा कह रही थी मैं वैसे ही करता जा रहा था। मेरे अन्दर इतनी समझ नहीं थी मैं कुछ कर सकूँ।
फिर वह बिस्तर पर लेट गई और बोली- तुम मेरी भोस को चाटो!
तो मैं उसकी पाँवों के बीच में बैठ कर जीभ घुमा-घुमा कर चाटने लगा। वह मेरा मुँह दबा कर जोर से चिल्ला रही थी… चाटो… चाटो… चाटो… मुझे खत्म कर दे, खत्म कर दे।

उसी समय उसकी भोस से कुछ चिकना-चिकना क्रीम निकलने लगा वो मैं पी गया वह मुझे काफी मज़ेदार लगा, तो मैंने पूरा चाट लिया।
अब उसने कहा- अब उठो और मेरी भोस में डालो!
तब मैं पोज़ीशन लेकर उसकी पाँवों के बीच बैठ गया और लण्ड पकड़कर उसकी भोस पर रख कर थोड़ा धक्का दिया। चिकनाई की वज़ह से मेरा लण्ड सटाक से अन्दर चला गया।
उसने कहा- शाबास बेटे तुमने सिक्सर लगाया, चालू रख!

मैं तो धक्के पर धक्का लगा रहा था, वो खुशी से पागल हो रही थी, नीचे से गांड उठा उठाकर साथ दे रही थी.
थोड़ी देर बाद वह उठकर खड़ी हो गई और मुझसे कहा- मेरी गांड में डाल और फाड़ दे।
उसने मुझे क्रीम दी और कहा- पहली बार गांड में डलवा रही हूँ इलसिए मेरी गांड पर ये थोड़ा लगा, और थोड़ा अपने लण्ड पर भी लगाकर पेल दे।

मैंने ऐसा ही किया और उसकी गांड पर रख कर धक्का दिया तो उसकी एक लम्बी चीख निकल गई, और बोली, बाहर निकाल नहीं तो मैं मर जाऊँगी। लेकिन मैंने कुछ नहीं सुना और धक्के जारी रखे, उसकी गांड से थोड़ा सा खून भी निकला, मैं घबरा गया तो उसने कहा कि डार्लिंग, कुछ भी नहीं, तू चालू रख, ये खुशी का खून है।

कुछ देर तक धक्के मारने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और वह मेरा लण्ड चूसने लगी और मेरा क्रीम सारा उसके मुँह में चला गया और उसने पूरा पी लिया। फिर चाटकर मेरा लण्ड साफ कर दिया.

फिर उठकर कपड़े पहनने लगा तो उसने कहा- कल आना, मैं तुझे दूसरा मज़ा दूँगी जो तेरी शादी के बाद तुझे काम आएगा और तुझे तक़लीफ नहीं होगी और बहुत मज़ा आएगा।
अगली कहानी दूसरी बार। Sex Stories

Antarvasna

दोस्तो ! मै २३ साल क अविवाहित युवक आगरा का रहने वाला Antarvasna हूं, आपको एक सत्य घटना बताता हूं

करीब चार साल पहले की बात है जब मै दिल्ली में एक बड़े शोरूम मे नौकरी करता था। एक दिन एक औरत आई और कहने लगी कि मुझे अपने १ साल के बच्चे के लिये जुराबें लेनी हैं। मैने कहा- मैडम किडस सेक्शन उपर है। वो बोली कि मै भी उसके साथ उपर चलूं तो मै भी उपर आ गया। जब उसने अपना काम खत्म कर लिया तो वो बोली कि क्या मै उसके साथ उसके घर तक चल सकता हूं?

मैने कहा कि काम के समय मुझे कहीं भी जाने की इजाजत नहीं है तो वो बोली कि ठीक है तुम मुझे अपना फ़ोन नम्बर दे दो और मैने दे दिया। उसी रात उसका फ़ोन आया कि वो मुझसे मिलना चाहती है। मुझे भी उससे मिलने की इच्छा थी तो हमने मंगलवार का कार्यक्रम तय किया।

मै मंगलवार को दोपहर करीब एक बजे उसके घर पहुंचा और डोर बेल बजाई। थोड़ी देर में दरवाजा खुला और वो मेरे सामने थी। मै उसको देखता ही रह गया। वो काले रंग की साड़ी में थी और उसका हुस्न मुझ पर कयामत ढा रहा था। मै उसके साथ अन्दर आया तो उसने पूछा- क्या लोगे? ठन्डा या गर्म? मैने कहा दोनो। उसने कहा ऐसे तो तुम्हारी तबीयत खराब हो जायेगी। मैने कहा- यही तो मै चाहता हूं। यह सुनकर वो धीरे से मुस्कराई और बोली-उसके लिये तो तुम्हें मेरे बेडरूम में चलना होगा। मैने कहा ठीक है, चलो, और हम उसके बेडरूम में आ गये।

काफ़ी देर हम बातें करते रहे। बात करते करते उसने अपना पल्लू गिरा दिया। उसकी चूचियां ब्लाउज से बाहर झांक रही थी। मैने उसे बेड पर लिटा लियाऔर उसके होठों को चूमने लगा। करीब १५ मिनट के बाद मै उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगा। जैसे ही मैने उसका ब्लाउज उतारा, आगे का नज़ारा देख मै पागल हो गया और ब्रा के उपर से ही जोर जोर से उसकी चूची दबाने लगा। फ़िर ब्रा उतार कर चूचियां चूसने लगा. अब वो भी गर्म हो गयी थी। मैने उसकी साड़ी और फ़िर पेटिकोट उतार दिया। वो सिर्फ़ पैन्टी में बहुत मादक दिख रही थी। उसने मेरे कपड़े भी उतार दिये। हम पूरे नंगे हो गये। उसने मेर 8” लम्बा लन्ड मुंह मे ले लिया और मै ६९ कि पोजिशन मे उसको मजा देने लगा। वो एकदम पागल हो चुकी थी।

अब मै उसके उपर लेट कर अप्ना लन्ड उसकी चूत में घुसाने को तैयार हो गया। टांगें फ़ैला कर उसने मेर स्वागत किया। चूंकि वो एक बच्चे की मां थी इसलिये काफ़ी अनुभवी थी। जैसे हि मैने अपना लन्ड उसकी चूत पे रखा, वो मुझे अपनी ओर खींचने लगी। लन्ड अन्दर जाते ही वो सिसकारियां लेने लगी। थोड़ी देर झटके देने के बाद मै उसका दूध पीने लगा। अब दूध पीने में ज्यादा मजा आ रहा था। फ़िर मै झटके देने लगा और थोड़ी देर में मैं झड़ने लगा। अब तक वो भी झड़ चुकी थी। उसके बाद हम दोनो काफ़ी देर लिपटे ही रहे।

अब तक मै उसको कम से कम दस बार चोद चुका हूं। Antarvasna

Antarvasna

यह कहानी प्रगति का अतीत सेAntarvasnaआगे की कहानी है। पाठकों से अनुरोध है कि इसको पढ़ने से पहले

प्रगति के पिताजी को मास्टरजी की नीयत पर शक हो चला था। वर्ना वे सिर्फ प्रगति को अकेले में अपने घर में पढाने के लिए क्यों बुलाते। उन्हें यह भी समझ आ गया कि प्रगति शरीर से अब जवान हो चली थी पर मन अभी भी बच्चों जैसा था। इस लड़कपन की उम्र में अक्सर लड़कियाँ भटक जाती हैं क्योंकि उनके शरीर में जो भौतिक और रासायनिक बदलाव आ रहे होते हैं, उनके चलते वे आसानी से लुभाई जा सकती हैं। उन्हें अपने जिस्म की ज़रूरतें का अहसास होने लगता है और वे समझ नहीं पाती कि उन्हें क्या करना चाहिए। उनके मन में माँ-बाप के दिए दिशा -निर्देश, समाज के लगाये बंधनों और संसकारों की बंदिश एक तरफ रोक रही होती है तो दूसरी तरफ उनके शरीर में उपज रही नई उमंगों और तरंगों का ज्वार-भाटा उन्हें तामसिकता की तरफ खींच रहा होता है। वे इस दुविधा में फँसी रहती हैं कि उनके लिए क्या उचित है और क्या नहीं।

प्रगति के पिताजी ने इसी में भलाई समझी कि उन्हें यह गाँव छोड़ कर कहीं और चले जाना चाहिए जहाँ प्रगति और मास्टरजी का मेल न हो सके और प्रगति नए सिरे से अपना जीवन शुरू कर सके। वे चाहते थे कि प्रगति पढ़-लिख कर इस काबिल बन जाए कि वह अपना और अपने परिवार का ध्यान रख सके। उन्होंने निश्चय कर लिया कि इस गाँव को छोड़ने का समय आ गया है। भाग्यवश, उनके एक मित्र का हैदराबाद से सन्देशा आ गया कि वहाँ एक सरकारी अफसर को एक ऐसे परिवार की ज़रुरत है जो उसके घर का काम, बच्चे की देख-रेख, बगीचे का ध्यान और ड्राईवर का काम, सभी कुछ कर सके। इसके एवज़ में वह परिवार को घर के अलावा, बच्चों के स्कूल का दाखिला, स्कूल का खर्चा और अच्छी तनख्वाह देने को तैयार है। उसे बस एक ईमानदार और संस्कारी परिवार की ज़रुरत है।

यह सन्देशा पा कर प्रगति के पिताजी खुश हो गए और उन्होंने अपने मित्र को अपनी तरफ से हामी भर दी। कुछ दिनों बाद वहाँ से भी मंजूरी आ गई और जैसे ही स्कूलों की छुट्टी शुरू हुई, प्रगति अपने परिवार सहित हैदराबाद रवाना हो गई। जाते वक़्त वह मास्टरजी से बहुत मिलना चाहती थी पर पिताजी ने उस पर कड़ा अंकुश लगा रखा था। सो बेचारी मन मसोस कर रह गई और एक अनजान शहर की तरफ चल पड़ी। उधर मास्टरजी भी एक आखरी बार प्यारी प्रगति से हम-बदन होना चाहते थे पर उनकी कोई तरकीब काम नहीं आई और वे भी अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पाए। न जाने उन्हें प्रगति जैसी कोई और लड़की मिलेगी या नहीं। उन्होंने अपनी खोज शुरू कर दी।

प्रगति ने हैदराबाद में जब अपना नया घर देखा तो वह ख़ुशी से फूली नहीं समाई। उसने सपने में भी एक ऐसे घर की कल्पना नहीं की थी। उसके सभी घर वाले भी बहुत खुश थे। घर एक बहुत बड़ी कॉलोनी में था जो कि सिर्फ वरिष्ठ सरकारी अफसरों के लिए थी। कॉलोनी में सभी ज़रुरत की सहूलियतें मौजूद थीं- दूकानें, पोस्ट-ऑफिस, डिस्पेंसरी, बैंक, खेल के मैदान, झूले वगैरह। बहुत सारे बच्चे खेल रहे थे, वातावरण ख़ुशी से चहक रहा था।

जिस अफसर के घर में उन्हें रहना था उसका नाम शालीन था। उसके साथ उसकी पत्नी मयूरी और एक आठ साल का बेटा आकाश रहता था। घर बहुत सुन्दर था और हर तरह की ज़रूरतों के सामान से लैस था। उनके नौकरों का घर भी अच्छा था और उसमें एक कमरा, रसोई और बाथरूम था। शालीन ने उनके कमरे में रंगीन टीवी लगवा दिया था और बच्चों की पढ़ाई के लिए मेज़-कुर्सी का अलग से प्रबंध था। इस कारण कमरा थोड़ा छोटा लग रहा था।

शालीन ने प्रगति के पिताजी को कह दिया था कि अगर उनको जगह कम लगे तो बच्चे उनके घर में सो सकते हैं। प्रगति के पिताजी शालीन के इस मानविक रुख से बहुत प्रभावित हुए और आभार भरी नज़रों से उन्हें धन्यवाद के अलावा कुछ नहीं दे सके।

कुछ ही दिनों में प्रगति का परिवार और शालीन का परिवार एक दूसरे को अच्छे लगने लगे और उनमें एक दूसरे के प्रति परस्पर आदर का भाव पनप गया। मयूरी भी प्रगति के सभी घरवालों के साथ प्यार से पेश आती और उनको अपने नए घर को बसाने में हर तरह की मदद करती। आकाश भी प्रगति और उसकी दोनों बहनों, अंजलि और दीप्ति, के साथ घुल-मिल गया था और उन्हें अपने खिलौनों से खेलने देता था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

प्रगति के सभी घरवाले हैदराबाद आने के निर्णय से खुश थे और वे कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहते थे जिससे शालीन के परिवार का कोई भी सदस्य उनसे नाखुश हो। प्रगति की माँ घर का सारा काम बड़ी उत्सुकता से करती, उसके पिताजी बगीचे का ध्यान रखते और बाहर का कोई भी काम ख़ुशी और तत्परता से करते। प्रगति, अपनी बहनों के साथ मिलकर घर के छोटे-मोटे कामों में हाथ बटाती और फुर्सत होने पर आकाश के साथ खेलती।

समय अच्छा बीत रहा था।

धीरे धीरे दिन बीतते गए और मौसम ने करवट बदली। सर्दियों के दिन आने लगे। मयूरी ने उनके लिए गरम कपड़ों का इंतजाम किया। अपने और शालीन के पुराने कपडे प्रगति के माँ-बाप को दिए और आकाश के पुराने कपड़े अंजलि और दीप्ति के काम आये। प्रगति के लायक गरम कपड़े नहीं थे सो मयूरी ने उसे अपने घर में रहने की इजाज़त दे दी क्योंकि वहाँ हीटर लगा हुआ था।

अब प्रगति लगभग पूरा समय शालीन के घर में ही रहने लगी। सिर्फ खाना खाने और स्कूल जाते वक़्त वह घर से बाहर निकलती। मयूरी को प्रगति के घर में रहने से काफ़ी आराम हो गया था। वह उसके सारे काम कर देती और मयूरी को ठाठ से रहने देती।

आकाश को भी अपनी नई “दीदी” से लगाव हो गया था और वे दोनों काफ़ी समय एक साथ गुज़ारने लगे थे।

एक दिन शालीन दफ्तर से देर से घर आया। उसे दफ्तर का कुछ ज़रूरी काम और भी करना था। सबके सोने का समय हो गया था सो उसने खाना खाने के बाद मयूरी और आकाश को सोने को कह दिया और वह पढ़ाई के कमरे में चला गया। उसे नहीं पता था वहाँ ज़मीन पर प्रगति सोई हुई थी। खैर, उसे सोता छोड़ कर वह अपने लैपटॉप पर काम करने लगा। जहाँ वह बैठा था, वहाँ से प्रगति सोती हुई साफ़ दिखाई दे रही थी।

यौवन की दहलीज पर पाँव रख चुकी एक खुश लड़की जिस तरह चिंता-मुक्त स्थिति में सोती है वैसे ही प्रगति शालीन से कोई एक गज दूर सो रही थी। उसके पाँव शालीन की तरफ थे और उसने अपने दाईं ओर करवट ले रखी थी जिस कारण उसकी पीठ शालीन की तरफ थी।

ठण्ड बढ़ रही थी सो शालीन ने उठ कर प्रगति को कम्बल उढ़ा दिया और हीटर चालू कर दिया। ऐसा करने से प्रगति ने नींद ही नींद में करवट ली और वह सीधी हो कर सोने लगी। शायद वह कोई अच्छा सपना देख रही होगी क्योंकि उसके अधरों पर हलकी सी मुस्कान खेल रही थी और उसके स्तन साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। शालीन का ध्यान अपने काम से हठ कर प्रगति के स्तनों पर टिक गया।

शालीन अपने नाम-स्वरूप एक शांत स्वभाव का आदमी था जो अपने व्यवसाय में बहुत सफल और उन्नत था। उसके दफ्तर में सभी उसे भविष्य का प्रबन्ध-निदेशक समझते थे। वह हृदय से कृपालु और उदार प्रवर्ति का इंसान था तथा सभी वर्गों के लोगों के प्रति उसमें आदर भाव व्याप्त था।

वैसे वह करीब चालीस वर्ष का था लेकिन दिखने में कोई भी उसे तीस-बत्तीस का समझ सकता था। खेल-कूद में रूचि, नियमित रूप से व्यायाम और हलके आहार के कारण उसने अपने शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखा हुआ था। उसके चेहरे पर सदैव एक हलकी मुस्कान और आत्मविश्वास झलकता था। वह एक आदर्श पति और पिता था जिसका सारा संसार मयूरी और आकाश के चारों तरफ घूमता था। उनके लिए वह अपने दफ्तर से भी झगड़ा मोल ले सकता था।

शालीन ने कुरता-पायजामा और ऊपर से गरम शॉल ले रखा था। प्रगति ने मयूरी की एक पुरानी ड्रेस पहनी हुई थी जो उसके लिए काफ़ी ढीली थी। ठण्ड से बचने के लिए, उसने नीचे एक बनियान पहन रखी थी। शालीन की नज़रें यह नहीं जान पा रहीं थीं कि उसने चड्डी पहनी है या नहीं।

धीरे धीरे शालीन को प्रगति के अपने नजदीक होने का अहसास होने लगा और उसका ध्यान दफ्तर के काम से बिलकुल हट गया। वह एक-टक प्रगति को देखता रहा और उसके रूप को सराहने लगा। उसके अधखुले होटों से सफ़ेद दांतों की झलक, उसकी साँसों की सरसराहट और उसके साथ उसके वक्ष की मंद-मंद हरकत शालीन को विचलित कर रही थी। उसका मन डोल रहा था और शादी के बाद से पहली बार उसे किसी पराई लड़की को देख कर काम-वासना की अनुभूति हो रही थी।

अचानक हीटर की गर्मी के कारण, प्रगति ने सोते सोते ही अपनी टांगों से कम्बल को दूर कर दिया और एक गहरी सांस लेकर सोने लगी। शालीन को मानो करंट लग गया। प्रगति की टांगें उस ढीली ड्रेस में से घुटनों तक बाहर झाँक रहीं थीं। उसके स्तन सिर्फ बनियान के कारण छुपे हुए थे।

शालीन का शरीर अंगड़ाई लेने लगा और उसका मन तामसिकता की रेखा के पास आ गया। उसे भी गर्मी सी लगने लगी और उसने अपना शॉल उतार दिया। उसको पायजामे में अपने लिंग के वज़न का अहसास होने लगा।

उसने यकायक उठकर हीटर का रुख प्रगति से दूर कर दिया और उसके पास रखी चटाई पर बैठ गया। कांपते हाथों से उसने प्रगति के कम्बल को उठा कर उढ़ाने की कोशिश की पर कम्बल प्रगति की टांगों में फंसा हुआ था। उसे छुड़ाने की कोशिश में प्रगति की आँख खुल गई और अपने पास शालीन को देख कर वह अचंभित हो गई और फिर शरमा गई।

शालीन भी घबरा सा गया पर अपने आप को सँभालते हुए बोला,”तुम्हें उढ़ा रहा था … ठण्ड लग जायेगी .. “

प्रगति कुछ नहीं बोली, पर उसका हाव-भाव बहुत कुछ कह गया। एक तो उसने कोई आपत्ति या संकोच नहीं जताया और दूसरे उसने शालीन को शर्मिंदा या कसूरवार महसूस नहीं होने दिया। उसे मास्टरजी के साथ बिठाये पल याद आ गए और उसके चेहरे पर शर्म, उत्सुकता और ख़ुशी का एक अद्भुत मिश्रण छा गया। उस चेहरे को देख कर शालीन की घबराहट दूर हुई और उसने मन ही मन चैन की सांस ली। उसे डर था कि कहीं प्रगति चिल्ला ना दे।

“तो फिर उढ़ा दीजिये !” प्रगति ने आखिर कह ही दिया और आँखें मूँद लीं।

शालीन ने उसे कम्बल से उढ़ा दिया। वह उठने ही वाला था कि प्रगति ने करवट बदली और उसकी पीठ और चूतड़ फिर से उघड़ गए। शालीन ने हिम्मत करके कम्बल को प्रगति के जिस्म से ढीला किया और दोबारा उढ़ा कर कम्बल को उसके शरीर के नीचे दबाने लगा जिससे वह फिर से ना उघड़े। ऐसा करते वक़्त उसके हाथों और उँगलियों ने पहली बार प्रगति के शरीर का स्पर्श किया और उसको यह बहुत ही कामोत्तेजक लगा।

शायद प्रगति को भी शालीन का स्पर्श अच्छा लगा। उसने एक ठंडी सांस ली और सोने का नाटक करने लगी।

शालीन अपने दफ्तर के काम से पूरी तरह विरक्त हो चुका था। उसका दिमाग सिर्फ प्रगति के मांसल शरीर और अपने मन में उपज रहे कामुक विचारों पर केन्द्रित था। अचानक उसमें प्रगति से शारीरिक सम्बन्ध बनाने की लालसा जागने लगी और वह काम-वासना के लोभ में लिप्त होने लगा।

जब आदमी काम-वासना में लिप्त हो जाता है तो उसका विवेक सात्विक विचारों का त्याग कर देता है और उसे सिर्फ एक ही लक्ष्य दिखता है …. अपनी कामाग्नि बुझाने का !

शालीन ने थोड़ी और हिम्मत दिखाई और प्रगति को ऐसे छूने लगा मानो उसका कम्बल ठीक कर रहा हो।

प्रगति भी कहाँ सोई थी !! उसकी आँखें मूंदी हुई थीं पर उसका जिस्म पूरी तरह जगा हुआ था। आज कितने दिनों बाद किसी मर्द का हाथ उसके जिस्म को लगा था।

उसकी पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं और उसके जिस्म की सोई हुई प्यास फिर से जागने लगी। उसकी योनि तत्काल गीली हो गई और उसने अपनी टांगें भींच लीं। फिर यह सोच कर कि कहीं शालीन यह ना समझे कि उसे उससे डर लग रहा है और वह चला जाये, प्रगति ने अपनी टांगें ढीली करके थोड़ी खोल दीं।

हर इंसान को शारीरिक-संकेत पढ़ने आते हैं, तो शालीन को प्रगति की इस हरकत से बड़ा हौसला मिला और उसने उसके शरीर को निश्चिंत हो कर सहलाना शुरू कर दिया।

प्रगति सोने का नाटक अच्छी तरह से कर रही थी। भगवान ने लड़कियों को यह एक अच्छा सहारा दिया हुआ है। दुनिया भर की लड़कियाँ सोने का सहारा लेकर शारीरिक सुख का आनंद उठती हैं जिस से उनके मन में ग्लानि भाव भी नहीं रहता और वे पूरा मज़ा भी ले लेती हैं !!

प्रगति ने भी सोने का नाटक करते हुए करवट बदल ली और पीठ के बल लेट गई; इसके साथ ही उसने अपने पांव से अपने कम्बल को नीचे खिसका दिया जिससे उसका वक्ष-स्थल उघड़ गया और उसके उभरे हुए स्तन बनियान की बंदिश को चेतावनी देने लगे। शालीन को रिझाने के लिए उसने अपनी साँसें भी गहरी कर दीं जिससे उसका वक्ष और भी ऊपर-नीचे होने लगा।

शालीन ने भी अपनी तरफ से नाटक जारी रखा और ऐसा प्रतीत होने दिया मानो प्रगति के करवट बदलने का उसे अहसास नहीं हुआ है और वह पहले की तरह अपने हाथ चलाता रहा। तो, जहाँ उसके हाथ पहले उसके कंधे और कमर को सहला रहे थे, अचानक उसके स्तनों को सहलाने लगे।

प्रगति ने ज़रा सी भी आपत्ति नहीं दिखाई और गहरी नींद के बहाने शालीन के सहलाव का पुरजोर मज़ा लूटने लगी।

हालाँकि, शालीन के हाथ और प्रगति के स्तनों के बीच बनियान और ड्रेस का कपड़ा था फिर भी दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था। शालीन ने उठ कर और दबे पांव जा कर कमरे का दरवाज़ा चुपके से बंद कर दिया और कमरे की बत्ती भी बुझा दी। अब कमरे में सिर्फ लैपटॉप की रौशनी थी। अँधेरा हो तो चोरी करने वालों की हिम्मत बढ़ जाती है। यहाँ भी यही हुआ।

प्रगति ने अँधेरा होते ही ढीली ड्रेस से अपनी टांगें उघाड़ लीं और बनियान को थोड़ा ऊपर कर लिया जिससे जब तक शालीन वापस आया, प्रगति का पेट और घुटने तक की टांगें उघड़ी हुई थीं और वह पहले की तरह गहरी नींद में सोई हुई थी !!

अब तक तो शालीन प्रगति को कपड़ों के ऊपर से ही सहला रहा था पर अब उसने उसके नंगे पेट को पहली बार छुआ। इस स्पर्श का करंट सीधा उसके लंड को लगा और वह अकड़ने लगा। शालीन समझ गया कि प्रगति सोने का सिर्फ बहाना कर रही है वर्ना वह कब की उठ गई होती। उसने प्रगति की इस स्वीकृति का अभिवादन करते हुए अपने हाथों के घुमाव का दायरा और बढ़ाया और रास्ते में आने वाले कपड़ों को भी हटाने लगा।

अब प्रगति भी समझ गई कि शालीन उसके शरीर को हासिल करना चाहता है। धीरे धीरे उन दोनों को प्रगति के सोने के नाटक को ख़त्म करना पड़ा। कब तक यह स्वांग चलता क्योंकि अब शालीन ने उसके स्तन नंगे कर दिए थे और उसकी ड्रेस भी लगभग कन्धों तक ऊपर पहुंचा दी थी।

जैसे ही शालीन के हाथ प्रगति के नग्न स्तनों को छुए प्रगति ने नींद खुलने का नाटक किया और शालीन की तरफ करवट बदल कर अपना मुँह उसकी गोदी में छुपा लिया। प्रगति को पता नहीं था कि गोदी में तो शालीन का अकड़ा हुआ लंड विराजमान था, फिर भी उसने अपना मुँह नहीं हटाया और उसके विराट लंड के समीप अपना चेहरा घुसा कर मानो फिर से सो गई।

शालीन का लंड पहले ही कड़क था अब प्रगति के मुँह को पास पाकर और उसकी गर्म साँसों से प्रभावित हो कर वह और भी विशालकाय हो रहा था। शालीन ने थोड़ा सरक कर अपने लंड को प्रगति के होटों के पास कर लिया और उसके पेट और नाभि को प्यार से सहलाने लगा।

अचानक, शालीन को बेडरूम की बत्ती जलने और आकाश के बाथरूम जाने की आवाज़ ने झंकझोर कर रख दिया। उसकी कामाग्नि एक ही क्षण में काफ़ूर हो गई और वह एक ही झटके में खड़ा हो गया और प्रगति ने भी अपने आपको संवार लिया। शालीन ने कमरे की बत्ती जला दी और दरवाज़ा चुप-चाप खोल दिया। उसका लिंग तो पूरा मुरझा ही गया था। उसने बाहर झाँक कर देखा कि मयूरी सोई हुई थी और आकाश बाथरूम से वापस आ रहा था।

“गुड नाईट, पापा !” आकाश ने सोई हुई आवाज़ में कहा और अपने बिस्तर पर जा कर सो गया।

“गुड नाईट, बेटा !” कहते हुए शालीन ने ठंडी सांस ली और भगवान का शुक्रिया अदा किया कि आकाश या मयूरी ने उसे प्रगति के साथ नहीं पकड़ा। उसने सोच लिया कि वह ऐसा ख़तरा अब नहीं उठाएगा और पूरी सूझ-बूझ और तैयारी के साथ ही अगला कदम उठाएगा। इस निश्चय के साथ उसने अपना लैपटॉप बंद किया और कमरे की बत्ती बुझा दी।

बाहर जाते वक़्त उसने एक बार प्यार से प्रगति के सर को छुआ और हलके से “गुड नाईट” कह दिया। प्रगति ने भी “गुड नाईट” फुसफुसाया और अपने आप को कम्बल में लपेट लिया। अब शालीन और प्रगति चोर हो चुके थे और उनमें एक गुप्त रिश्ते का बीज पनपने लगा था।

यहाँ तक की कहानी कैसी लगी और आगे क्या हुआ, यह जानने के लिए “प्रगति का समर्पण-2” पढ़ना न भूलें। Antarvasna

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