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मेरा नाम यश है मैं आँगनवा जोधपुर का रहने वाला हूँहूँ. मेरी उम्र अभी इक्कीस साल है और मेरे लंड का साइज़ सवा छह इंच है, लंड की मोटाई तीन इंच है.
ये मेरी और मेरी बेस्ट फ्रेंड की चुदाई की कहानी है जो पिछले महीने की बात है.
शुरूआत में वैसे तो मेरे मन में उसके लिए कोई खराब विचार नहीं थे, पर ये सिलसिला उसके ब्वॉयफ्रेंड की वजह से शुरू हुआ. वो अक्सर ये कहती थी कि उसका बीएफ रोमांटिक नहीं है. थोड़े दिन ऐसी ही बातों का दौर चला. चूंकि वो मेरी अच्छी दोस्त थी, तो एक बार वो मुझसे मेरी सेक्स लाइफ के बारे में पूछने लगी.
पहले तो मैंने भी उसे वैसे ही समझते हुए बताया, जैसे दो दोस्त आपस में बात करते हैं. मैंने उसे मेरा पहला सेक्स अनुभव बता दिया. मैंने इस सबको बड़ी ही साधारण तरीके से बताया था, पर वो मेरी बात को बड़ी तफसील से जानना चाहती थी. वो मेरी इस पहली चुदाई की एक एक बात के बारे में बड़ी गहराई से पूछ रही थी. जैसे मैंने लड़की के ब्रेस्ट कैसे चूसे थे … फिर चूत कैसे लिक की … वग़ैरह वग़ैरह!
उसके ऐसे बर्ताव की वजह से मुझे शक हुआ कि कहीं ये सेक्स की बातों के बहाने मुझसे सेक्स तो नहीं करवाना चाहती.
मैं आपको अपनी इस फ्रेंड के बार बता देता हूँ. उसका नाम ऋषिका है. उसका फिगर 34-26-36 का है. ऋषिका हर रोज जिम जाती है, तो फिगर काफी अच्छा संवारा हुआ है. वो कहीं से भी ढीली पोली नहीं लगती. उसके बदन का हर हिस्सा एकदम चुस्त और मस्त लगता था.
उसकी सेक्स की बात को लेकर मैंने उससे ज्यादा तो कुछ नहीं कहा बस उसकी जानकारी को जितना खुल कर बता सकता था, उतना मैंने उसको बता दिया.
खैर … बात आई गई हो गई. लेकिन मैं अब उसकी कामना को समझने की कोशिश करने लगा था.
दो दिन बाद हम दोनों साथ में बाइक से कॉलेज जा रहे थे, तो मैंने चैक करने के लिए जानबूझकर जोर से ब्रेक मारा. जिससे उसकी मनोदशा मालूम की जा सके कि वो मुझमें किधर तक इंटरेस्टेड है.
झटका लगा तो वो उछल कर आगे को आ गई और मेरे बम्प से सट कर बैठ गयी. उसने झटके के बाद अपनी पोजीशन को भी नहीं बदला. उस टाइम उसके कड़क मम्मे मेरी पीठ से टच कर रहे थे. मैंने पीठ पीछे करके उसके मम्मों की सख्ती का मजा लिया. लेकिन इस पर भी वो पीछे को नहीं हुई. जब वो पीछे नहीं खिसकी तो इससे मेरा शक यकीन में बदल गया. मैं पीठ उसकी चूचियों से ही सटाए. मैंने महसूस किया कि उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए थे और मम्मे भी तन गए थे.
मैं अपनी पीठ से उसके मम्मों को रगड़ रहा था, फिर भी वो मजे से उसी स्थिति में बैठी रही.
बस उस दिन इतना ही हो पाया. अब मैं ये तो समझ गया था कि वो चुदने को बेताब है, पर मैं उसे तड़पाना चाहता था, इसलिए दूसरे दिन मैं उसकी स्कूटी से गया. फिर जब एक स्पीड ब्रेकर आया तो उसने भी ब्रेक लगे और स्कूटी उछलने से हम दोनों भी उछले. इस झटके से मैं जानबूझ कर आगे को खिसक कर उससे चिपक गया. मैं इस तरह से बैठ गया ताकि मेरा कड़क लंड उसकी गांड को टच होने लगे.
जब मेरा लंड उसकी गांड को टच हुआ तो आह … मजा ही आ गया. क्या बताउं आपको कि मुझे इस वक्त कितना मजा आ रहा था. उसकी एकदम मुलायम रुई जैसी गांड और ऊपर से गांड की गर्माहट मिली, तो मेरा लंड तो एक ही झटके में पूरा तन गया. मेरा लंड गांड का स्पर्श पाकर झटके मारने लगा था.
जब मेरा कड़क लंड उसकी गांड की दरार को छूने लगा, तो शायद उसको भी पता लगा गया. पर आश्चर्य कि वो वैसे ही गांड से लंड दबाए बैठी रही. मेरा लंड गांड में गड़ने से भी उसने कोई विरोध भी नहीं किया था, जिससे मुझे लंड को झटके देने का मजा मिलना शुरू हो गया था.
वो भी मस्ती से लंड का अहसास करते हुए आराम से अपनी स्कूटी चला रही थी. स्कूटी के झटकों से वो मेरे लंड पर अपनी मस्त गर्म गर्म और नर्म नर्म गांड भी घिस रही थी. इस सबसे मेरा लंड इतना कड़क हो गया था कि जैसे लोहे का लंड हो गया हो. उस पर ऊपर से उसकी गांड का घिसाव भी मेरा लंड चरम की अवस्था में आ गया था और लावा उगलने को तैयार हो गया था. वो तो अच्छा हुआ कि कॉलेज आ गया और मेरा पैन्ट गीला होने से बच गया.
जब वो स्कूटी रख कर आयी, तो उसने मेरी पेन्ट में बना तंबू देखा. वो मुस्कराने लगी … ये सब उसने जानबूझ कर जो किया था.
उसने उसी दिन अपने बीएफ से ब्रेकअप कर लिया. वैसे भी वो ऋषिका के साथ ओरल शुरू करते ही झड़ जाता था, ऐसा ऋषिका ने मुझे बताया था.
ब्रेकअप के बाद ऋषिका मेरे और करीब आ गयी थी. मेरे साथ में चिपक कर बैठना, फिर स्कूटी वाला खेल खेलना, ये सब आम बात हो गई थी.
मैं जब रिसपोन्स नहीं देता था, तो भी वो अपने मम्मे मेरी पीठ से टच कराने लगती थी, मेरे लंड से अपनी गांड घिसना, ये सब करने का मजा लेती रहती थी. मैं सब समझ रहा था, लेकिन उसके बोलने का इन्तजार कर रहा था. वो भी खुल कर नहीं बोल रही थी कि मुझे तुमसे चुदवाना है.
फिर एक दिन कि बात है, जब मैंने आगे बढ़ने की सोची और एक योजना बनाई. योजना के मुताबिक मैं उसको लांग ड्राइव पर ले गया. फिर एक गुप्त सी लगने वाली सुनसान जगह पर ले जाकर गाड़ी को रोक दिया. इधर अक्सर मैं अपनी जीएफ के साथ चुदाई करता रहता था. उस जगह की खास बात ये थी कि शाम को 7 बजे के बाद वहां कोई नहीं आता जाता है. ये जगह मेरे दोस्त के खेत पर बना एक फार्म हाउस का कमरा था, इसलिए कोई आ भी जाए, तब भी किसी तरह का बवाल होने जैसी सम्भावना नहीं थी.
वहां पहुंच कर जब ऋषिका ने सुनसान एरिया देखा तो वो बोली- बाप रे इतना सुनसान इलाका … यहां क्या काम है … मुझे इधर क्यों ले कर आए?
मैं- इरादा तो नेक ही है, बस तुमसे अकेले में बात करनी थी तो ले आया.
ऋषिका - अकेले में? तो फिर फोन से भी तो हो सकती थी ना?
मैं- जो मजा मिलके बात करने में आता है … वो मजा फोन में कहां?
ऋषिका - बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे … चलो अब आ ही गए हैं तो बताइए जनाब अकेले में क्या गुफ्तगूं करनी है आपको?
मैं उससे पीछे से जाकर चिपक गया. जैसे कि मैंने पहले बताया था कि ऐसे चिपकना हमारे बीच आम बात थी. तो उसको कुछ अजीब नहीं लगा. पर मैंने इस तरह उसके कंधे पर अपना सिर रखा कि मेरी गर्म सांसें उसकी कान की लौ और गरदन को छूने लगीं.
यह बात तो आप जानते ही होंगे कि नारी का ये हिस्सा कितना सम्वेदनशील होता है. मैंने जैसे ही ये किया और मेरी गर्म सांसों ने उसकी गरदन को छुआ, वो एकदम से सिहर उठी.
चूंकि हम खड़े थे, उसके ठीक सामने लगभग चार पांच कदम की दूरी पर गन्ने का खेत था, जो पानी से भरा हुआ था. तो उस तरफ से बह कर आने वाली हवा एकदम ठंडी थी, जो हम दोनों को छू कर जा रही थी. इस स्थिति की आप कल्पना कर सकते हो, जब मेरी गर्म सांसें उसकी गरदन को छू रही होंगी और सामने से ठंडी हवा उसको सिहरा रही होगी, तो सेक्स उसपर किस कदर हावी हुआ होगा.
वो इस माहौल से एकदम से कांप उठी और एक बार फिर से उसकी थिरकती हुई गांड मेरे लंड को छूने लगी. मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया और उसकी गांड को छूने लगा, जिससे उसकी चुदास और बढ़ गयी. इसी के साथ उसकी गांड मेरे लंड पर रगड़ने की वजह से मेरा लंड भी खड़ा हो गया था.
चूंकि मेरा लंड उसकी गांड में चुभ रहा था, जिससे उसकी हालत खराब हो रही थी और मुझे भी अब रहा नहीं जा रहा था. तभी मैंने उसकी गरदन पर कई किस कर दिए, जिससे वो चिहुंक उठी और मुझसे और भी सट कर चिपक गयी.
मैंने धीरे से उसके कान में कहा- मुझे इस तरह की बात करनी है. क्या आपकी इजाजत है मेरी प्यारी ऋषिका रानी?
वो शरमा गयी, फिर मीठी स्माइल करके उसने हां में सिर हिला दिया. वो एकदम से घूम कर मुझसे कसके गले लग गयी.
आह … उस वक्त वो अहसास को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता.
उसक़ी गर्म सांसें मेरी गर्दन को लग रही थीं, उसके सख्त मम्मे मेरे सीने से टच हो रहे थे. फिर मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में ले लिया और उसके माथे पर, गालों पे किस करता चला गया. आखिर में मैंने उसके कोमल रसीले होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसके होंठों से बह रहे अमृत को पीने लगा.
सच में आज जब मैं ये कहानी लिख रहा हूँ, वो एहसास मुझे अभी भी हो रहा है. क्या मस्त स्वाद था उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नर्म और रसभरे होंठों का …
फिर ये किस से शुरू हुआ कब लम्बे स्मूच में बदल गया, पता ही नहीं चला. मैं उसकी जुबान चूस रहा था और वो मेरी जीभ चूसे जा रही थी.
जबरदस्त किसिंग का यह दौर लगभग 15-20 मिनटों तक चला होगा. उस दरमियान में उसके मम्मे भी दबा रहा था. उसके मम्मे इतने कड़क हो गए थे … मानो अभी ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगे.
फिर मैंने उसको उठा लिया और अपनी कार के बोनट पर बिठा दिया. किसिंग फिर से शुरू हुई और इस बार मैं उसे एक स्मूच करते करते नीचे को आने लगा. मैंने उसके गले को किस किया, जिससे वो अपनी आंखों को बंद करके मेरे गर्म होंठों को अपनी गर्दन को चूमता हुआ महसूस कर रही थी. इसके साथ ही ऋषिका और भी ज्यादा गर्म हो रही थी.
फिर मैंने उसे उठा कर कार की पिछली सीट पर सीधा लिटा दिया.
इसके बाद मैंने ‘दे दनादन’ फ़िल्म का वो गाना ‘गले लग जा …’ को स्लो वोल्यूम पे लगा दिया और फिर से उसके होंठों को चूसने लगा. उसको अपनी ओर घुमा कर अपनी गोद में बिठा लिया. उससे ये हुआ कि उसकी चुत मेरे लंड पर घिस रही थी. चूंकि मेरा लंड एकदम कड़क था, तो उसकी चुत की गर्मी महसूस कर रहा था. वैसे ही मेरे लंड की गर्मी वो भी महसूस कर रही थी.
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट धीरे से निकाली. उसने भी बिना वक्त गंवाए तुरंत हाथ ऊपर करके मेरी मदद की.
उसने टी-शर्ट के नीचे जालीदार ब्रा पहन रखी थी जिसमें उसके मम्मे बहुत ही सुंदर लग रहे थे. चूंकि उसके जिस्म की खुशबू से मैं पहले ही पागल हो चुका था. ऊपर से मेरे सामने उसके दो तने हुए मम्मे मुझे ललचा रहे थे, जिनके ऊपर जालीदार ब्रा उसके आमों की खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी.
बस मुझसे रहा नहीं गया और मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को पीने लगा. ऋषिका भी अत्यंत चुदासी थी, वो मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबाने लगी. मैंने मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसते हुए उसकी ब्रा निकाल दी. उसके दो तने हुए मम्मे हवा में फुदकते हुए आजाद हो गए. उसके मम्मे एकदम गोल थे, उनके ऊपर गुलाबी निप्पल जैसे मुझे चूसने के लिए बुला रहे थे कि आओ हमारा रस पी लो.
मैं तो पागलों की तरह बारी बारी से उसके दोनों मम्मों को चुसकने लगा. मैं उसके एक आम को चूसता, तो दूसरे को दबा कर मजा ले रहा था. ऋषिका खुद पागल हो गई थी. वो चुदास में कामुक सीत्कार निकाल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ये क्या कर दिया … हां बस ऐसे ही यस यस बेबी चूस लो इन्हें … आह … न जाने ये इस पल के लिए कब से तड़प रहे थे’
वो अपनी चुदास में न जाने क्या क्या बड़बड़ाती रही और मैं भी उसके मम्मों को चूसता और मसलता रहा.
मैंने दस पन्द्रह मिनट तक उसके आम खूब दबा दबा कर चूसे. फिर किस करते करते उसकी नाभि तक जा पहुंचा. चूंकि उसने एकदम टाइट जीन्स पहन रखी थी, तो मैंने उसे खींच कर उतार दिया. अब वो सिर्फ एक ब्लैक कलर की पेन्टी में रह गई थी. वो इस वक्त ऐसी लग रही थी मानो जन्नत की कोई हूर खड़ी हो.
उसके लम्बे खुले हुए काले बाल … लाली से सजे हुए होंठ … गुलाबी गाल … तीखे नयननक्श … एकदम उठे हुए एकदम गोल मम्मे … पतली कमर. पेट पे गहरी नाभि … भरी हुई चिकनी जांघों से दमकता हुआ उसका शरीर मेरी कामवासना को अधिकता की हद से भी ज्यादा भड़का रहा था. इस लाजबाव यौवन से लदी ऋषिका के तन पर सुंदर झांझर और नेल पॉलिश से सजे हुए पैर उसकी कामुकता को किसी प्लेब्वॉय की मॉडल सा झलका रहे थे. शायद रब ने भी उसे बहुत मेहनत और समय देकर बनाया होगा.
उसका हर अंग एकदम बराबर था. फिर मैंने उसे यूं ही सिर्फ पेंटी पहने हुए अपनी गोद में उठाया और फार्म हाउस के कमरे के अन्दर ले गया. कमरे के अन्दर ले आकर उसकी उफान मारती जवानी को चूसने का समय आ गया था.
उसने बिस्तर पर आने से पहले खुद ही अपनी पेंटी को उतार दिया. मैं उसकी चिकनी चमेली चूत को देख कर मदमस्त हो गया और एकदम से उसके ऊपर चढ़ने को हो गया.
वो भी मुझसे कपड़े उतारने को कहने लगी. मैंने झट से खुद को मादरजात नंगा किया और लंड हिलाते हुए उसकी चूत को निहारने लगा. उसने अपनी टांगों को फैला कर मुझे आमंत्रित किया. मैंने देर नहीं लगाई और उसके ऊपर आ गया. मैंने उसकी टांगों को फैला कर उनके बीच में खुद को सैट किया और लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसकी चुत की फांकों में लगा दिया.
लंड के सुपारे से टपकता प्रीकम उसकी चूत के रिसते पानी से मिला, तो हम दोनों गनगना उठे. बस मैंने फांकों में सुपारा फंसाया और उसके ऊपर झुकते हुए उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. हालांकि वो चुदी हुई थी, तब भी मुझे लगा कि इसके बताए अनुसार इसके पुराने ठोकू का लंड जल्दी झड़ने के साथ साथ शायद मुझसे छोटा भी हो, तो ये मेरे लंड से चिल्ला न दे.
मैंने होंठ जकड़ कर उसकी चूची को जोर से दबाया तो उसने एकदम से अपनी गांड उठा दी. इधर मैंने लंड का दबाव उसकी चूत में दे दिया. बस मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर धंस गया.
उसकी चीख निकलने को हुई, वो तड़फने लगी. मैंने बाज की तरह उसको चिरैया सा दबोचा हुआ था. वो हिल भी न सकी और मेरा लंड उसकी चूत के अंतिम सिरे तक घुसता चला गया. इसके बाद मैं एक मिनट के लिए यूं ही रुक गया. उसकी सांस तेज हो गई थीं. वो बिन पानी मछली सी तड़फ रही थी.
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों दबाए रखा और हाथ से उसके मम्मों को सहलाने लगा, उसके निप्पल मींजने लगा. कुछ ही देर में मेरे लंड ने उसकी चूत में जगह बना ली थी और उसका दर्द कम होता चला गया. उसने नीचे से अपनी कमर को हल्का सा उठाया तो मैंने उसके होंठ छोड़ दिए.
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी. मैंने भी एक झटका मार दिया. बस चुदाई का खेल शुरू हो गया. पूरे बीस मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई का मंजर चला. इस बीच वो एक बार झड़ भी गई. बाद में मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही लम्बलेट हो गया.
झड़ने के चूमाचाटी होने लगी और कुछ ही देर में मैं फिर से चार्ज हो गया और दुबारा चुदाई का खेल शुरू हो गया.
इस चुदाई से उसे खूब मजा आया था और वो मुझसे बहुत खुश हो गई थी और अब तो गाहे बगाहे उसकी चुदास को मेरा लंड शांत करने लगा था.
प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना Hindi Sex Stories खाकर बिस्तर पर लेटे थे, “और बताओ प्रीती शादी कैसी गयी?”
“सुनील! ये कोई भी वक्त है सवाल करने का, तुम्हें पता है तुम्हारे लंड के बिना मेरी चूत की क्या हालत हो रही है”, प्रीती अपनी चूत को खुजाते हुए बोली।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, “मैं जानता हूँ मेरी जान!” मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
“अच्छा अब चिढ़ाना बंद करो और मेरी कस कर चुदाई करो”, प्रीती अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
मैंने जमकर उसकी चुदाई की और प्रीती इसी बीच चार बार झड़ी। सच कहता हूँ, प्रीती जैसी चूत किसी की भी नहीं थी। जब हम थक कर लेट गये तो मैंने दो सिगरेट जलाते हुआ पूछा, “अब बताओ सब कैसा रहा?” और एक सिगरेट प्रीती को दे दी।
“हाँ….. सब अच्छा रहा, मेरी दोनों भाभियाँ सिमरन और साक्षी बहुत ही सुंदर हैं। सिमरन, राम की बीवी, थोड़ी पतली है और उसकी चूचियाँ भी छोटी नारंगी जैसी हैं और वहीं साक्षी, श्याम कि बीवी, भरी-भरी है और चूचियाँ तो मानो दो खरबूजे लटक रहे हों”, प्रीती ने कहा।
“तुम ये सब मुझे बताकर उकसाने की कोशिश क्यों कर रही हो?” मैंने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“क्यों ना उकसाऊँ? कोई एक बार की चुदाई से तो तुम मुझे छोड़ने वाले नहीं हो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “अच्छा अब तुम बताओ पीछे से कैसा रहा…? क्या रजनी बराबर आती रही है?”
“हाँ! रजनी बराबर आती थी और शबनम, समीना और नीता भी अक्सर आ जाया करती थीं।” फिर मैंने उसे अनिता और ज़ुबैदा के इंटरव्यू के बारे में बताया।
“लगता है तुम्हें अनिता के रूप में एक हीरा हाथ लग गया है?” प्रीती ने कहा।
“हाँ! मैं भी ऐसा ही सोच रहा हूँ”, मैंने कहा।
एक दिन प्रीती बोली, “सुनील! आज कुछ अच्छी खबरें हैं।”
“सबसे पहली बात, मेरे भाई अपनी बीवियों के साथ हमारे पास रहने आ रहे हैं”, प्रीती ने कहा।
“तो वो दोनों चुदकड़ हमसे मिलने आ रहे हैं….” मैंने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम अब भी नाराज़ हो कि मेरे भाइयों ने तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत फाड़ी थी?”
“नहीं! बिल्कुल भी नहीं, उनकी जगह कोई भी होता तो वही करता, उन्हें कुँवारी चूत चोदने का मौका मिला और उन्होंने चोदा”, मैंने कहा, “अच्छा अब दूसरी बात बताओ?”
“बात ये है कि तुम्हारी बहनें अंजू और मंजू भी अपने पति, जय और विजय के साथ उसी समय हमारे पास आ रही हैं”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“क्या इन सब को साथ में इकट्ठा करना ठीक रहेगा? जबकि जो कुछ मेरी बहनों और तुम्हारे भाइयों के बीच हुआ?” मैंने कहा, “और क्या तुम टीना का जन्मदिन भूल गयी। इतनी भीड़ में कैसे उसे चोदूँगा?”
“नहीं! मैं नहीं भूली हूँ!” प्रीती ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, “विश्वास रखो मेरे सुनीला! टीना की कुँवारी, सील बंद चूत का उदघाटन तुम ही करोगे।”
प्रीती कुछ सोच में पड़ी हुई थी। उसके होंठों को चूमते हुए मैंने पूछा, “क्या सोच रही हो?”
“कुछ अच्छा और कुछ शरारती”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“मैं भी तो सुनूँ।”
“देखो सुनील! मैं एक हिसाब बराबर करने की सोच रही थी, जैसे मेरे भाइयों ने तुम्हारी बहनों को चोदा है उसी तरह तुम्हारी बहनों के पति जय और विजय को भी मेरे भाइयों की बीवी सिमरन और साक्षी को चोदने का मौका मिलना चाहिये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन इससे मेरी बहनों का कुँवारापन तो वापस नहीं आ जायेगा”, मैंने कहा।
“हाँ…. उनका कुँवारापन तो मैं वापस नहीं ला सकती लेकिन कुछ भी नहीं से कुछ तो अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन तुम ये सब करोगी कैसे?”
“ये सब मैं उनके आ जाने पर सोचुँगी”, प्रीती ने जवाब दिया, “और दूसरी बात….. तुम भी मेरी दोनों भाभी, सिमरन और साक्षी को चोद सकते हो।”
“और एक बात..” वो कुछ कहती उसके पहले मैंने कहा, “अब ये मत कहना कि तुम अपने भाइयों और मेरी बहनों के पतियों से चुदवाना चाहती हो?”
“नहीं मेरे भाइयों से तो नहीं…… हाँ! जय और विजय से जरूर चुदवाना चाहुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“कब आ रहे हैं ये लोग?”
“सोमवार की सुबह मेरे भाई लोग और उसी दिन शाम को तुम्हारी बहनें”, प्रीती ने कहा।
“क्या तुम जय और विजय को राम और श्याम के बारे में बताओगी?” मैंने पूछा।
“अगर जरूरत पड़ी तो ही बताऊँगी, इसलिये मैंने मेरे भाइयों को और तुम्हारी बहनों को साफ लिख दिया है कि वो आपस में उसी तरह मिलें जैसे पहली बार मिल रहे हों”, प्रीती ने बताया।
“लगता है तुमने सब सोच रखा है”, मैंने कहा, “लेकिन टीना उनके आने के दो हफ़्ते बाद इक्कीस की हो जायेगी, उसे दिया वचन कैसे पूरा करोगी?”
“उसकी तुम चिंता मत करो, तुम्हें एम-डी के सामने ही टीना की कुँवारी चूत चोदने के मौका मिलेगा….. ये मेरा तुमसे वादा है”, प्रीती ने कहा।
सोमवार को राम और श्याम आ गये। उनकी पत्नियाँ सिमरन और साक्षी दोनों खुबसूरत थीं। मेरा लंड तो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया। मुझसे उनका परिचय कराने के बाद प्रीती ने उन्हें उनका कमरा दिखाया और अपने भाइयों को खुद के बेडरूम में आने को कहा, कि उसे कुछ बातें करनी हैं।
थोड़ी देर बाद हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठा हुए। प्रीती ने बात की शुरुआत की, “अच्छा राम और श्याम! मैं तुम लोगों से कुछ पूछना चाहती हूँ, और इसका जवाब मुझे सच-सच देना?”
“हाँ दीदी!” दोनों जवाब दिया।
“राम तुम बताओ, शादी के वक्त क्या सिमरन कुँवारी थी?”
मुस्कुराते हुए राम ने कहा, “हाँ दीदी! एक दम कुँवारी थी।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम्हें कैसे मालूम कि वो कुँवारी थी? कई लड़कियाँ शादी से पहले चुदवा लेती हैं पर बाद में नाटक करती हैं, जैसे कुँवारी हों”, प्रीती ने पूछा।
“नहीं दीदी! ऐसा नहीं था! जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था तो उसे सही में दर्द हुआ था और खून भी बहुत गिरा था”, राम ने जवाब दिया।
“ठीक है, और तुम श्याम! साक्षी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?” प्रीती ने पूछा।
“साक्षी भी कुँवारी थी दीदी! उसकी चूत की झिल्ली भी एकदम मंजू…” श्याम कहते हुए रुक गया और शर्म से गर्दन झुका ली।
“श्याम! शरमाओ मत और बताओ, सुनील को उसकी बहनों की चुदाई के बारे में सब मालूम है”, प्रीती ने कहा।
“साक्षी का इतना खून नहीं गिरा था, जितना सिमरन का गिरा था, जैसे राम ने बताया।”
“क्या उनकी चूत पर बाल हैं या उन्होंने अपनी चूत एक दम चिकनी बना रखी है?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत बाल हैं दीदी, एक बार मैंने सिमरन से साफ करने को कहा था, तो उसने कहा कि अगर बाल साफ करने की चीज़ होती तो भगवान औरत की चूत पर बाल ना बनाता”, राम ने जवाब दिया। प्रीती ने श्याम की ओर देखा।
“दीदी! तुम्हें पता है…. जब मैंने साक्षी से एक दिन कहा, कि तुम्हारी चूत बिना बालों के और सुंदर और प्यारी लगेगी तो उसने कहा कि चूत चोदने के लिये है ना कि नुमाइश करने के लिये”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“क्या तुम दोनों ने एक दूसरे की बीवी को चोदा है?” प्रीती ने अपना प्रश्न जारी रखा।
“मैंने एक बार पूछा था…. लेकिन सिमरन ने साफ़ मना कर दिया था”, राम ने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम एक दूसरे की बीवी को चोदना चाहोगे?”
“हाँ दीदी जरूर! दोनों ने साथ में जवाब दिया।”
“लेकिन दीदी! तुम ये सब सवाल क्यों कर रही हो?” श्याम ने पूछा।
“दो मिनट रुक जाओ! सब बता दूँगी, पहले एक आखिरी सवाल का जवाब और दे दो”, प्रीती ने कहा, “क्या तुमने उनकी गाँड मारी है?”
“गाँड!!! भगवान की तौबा!!! एक बार मैंने उससे कहा तो इतना नाराज़ हो गयी कि पाँच दिन तक मुझे हाथ भी लगाने नहीं दिया”, राम ने जवाब दिया।
“मैंने एक बार कोशिश की थी लेकिन उसके बाद उसने कहा कि अगर मैंने दोबारा गाँड मारने की कोशिश कि तो वो मुझे छोड़ के चली जायेगी”, श्याम ने कहा।
“अच्छा?? क्या तुमने उनकी चूत चाटी है और क्या वो तुम्हारा लौड़ा चूसती हैं?” प्रीती ने फिर पूछा।
“हाँ उसे चूत चटाने में मज़ा आता है और मेरा लौड़ा भी चूसती है…. लेकिन मुझे मुँह में झड़ने नहीं देती है”, राम ने कहा।
“हाँ! उसे बहुत मज़ा आता है और मेरा पानी भी पी जाती है”, श्याम ने जवाब दिया।
“अब आखिरी सवाल…… क्या उन्हें चुदाई में मज़ा आता है?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ! बहुत मज़ा आता है और उसका बस चले तो हर वक्त चुदती रहे”, राम ने कहा।
“हाँ दीदी! साक्षी को तो कुछ ज्यादा ही मज़ा आता है…… ऐसे उछल-उछल कर चुदाती है कि क्या बताऊँ”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुम दोनों के लिये एक खुश खबर है…… अंजू और मंजू भी तुम लोगों से मिलने आ रही हैं। वो लोग शाम को पहुँचेंगे”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हाँ खबर तो अच्छी है लेकिन….!” राम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
“उन्हें फिर चोदने का ख्वाबी पुलाओ मत पकाओ…… उनके पति भी साथ में आ रहे हैं”, मैंने कहा।
“क्या तुम उन्हें दोबारा चोदना चाहोगे?” प्रीती ने पूछा पर दोनों हरामी चुप रहे और मेरी तरफ देख रहे थे।
“सुनील से मत डरो और सच सच बोलो?” प्रीती ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाँ! सही में वो दोनों बहुत अच्छी थीं।”
“ठीक है! मैं अब बताती हूँ कि ये सब किस लिये था, जैसे तुम दोनों ने अंजू और मंजू की कुँवारी चूत को चोदा था वैसे ही उनके पति तुम्हारी बीवियों को चोदें और उनकी कुँवारी गाँड भी मारें”, प्रीती ने कहा।
कमरे में अचानक खामोशी छा गयी। कोई कुछ नहीं बोला।
“ज़रा सोचो! अगर ये हो जाये तो तुम लोग एक दूसरे की बीवी को भी चोद सकोगे। उनकी गाँड भी मार सकोगे…… वो तुम्हारे लंड का पानी भी खुशी-खुशी पी जायेंगी”, प्रीती ने कहा, “और दूसरी बात! तुम्हें अंजू और मंजू को भी दोबारा चोदने का मौका मिलेगा और साथ ही दूसरी लड़कियों को भी जिन्हें हम जानते हैं।”
“मुझे मंजूर है, मैं देखना चाहुँगा जब वो सिमरन की गाँड में अपना लंड घुसायेंगे”, राम ने हँसते हुए कहा।
“मुझे भी मंजूर है, पर ये होगा कैसे?” श्याम ने पूछा।
“ये सब मेरे पर छोड़ दो, तुम लोगो सिर्फ़ इतना करना कि जब अंजू और मंजू आयें तो ऐसे मिलना जैसे पहली बार मिल रहे हो… वो भी ऐसा ही करेंगी”, प्रीती ने कहा।
“ठीक है? तुम लोग तैयार रहना…. मैं बता दूँगी तुम्हें”, प्रीती ने कहा।
शाम को मेरी बहनें अपने पति, जय और विजय, के साथ पहुँच गयीं।
“सॉरी अंजू-मंजू! तुम लोगों को हॉल में ही सोना पड़ेगा….. कारण, हमारे यहाँ तीन ही बेडरूम हैं और वो पहले से ही बुक हैं”, प्रीती ने कहा।
“कोई प्रॉब्लम नहीं भाभी! हमें साथ में सोने की आदत है”, अंजू हँसते हुए बोली।
थोड़ी देर बाद प्रीती, अंजू और मंजू को अपने बेडरूम में ले आयी और उन्हें सब बताया तो, अंजू ने हँसते हुए कहा, “अच्छा ऑयडिया है भाभी! और जय-विजय को उन्हें चोदने में मज़ा आयेगा, मैं जानती हूँ।”
“क्या हम लोग उन्हें बता दें?” मंजू ने पूछा।
“नहीं! अभी कुछ मत बताना…… बस कल उन्हें थियेटर में पिक्चर दिखाने जरूर ले जाना”, प्रीती ने कहा।
प्रीती ने अपना प्लैन अपने भाइयों को बताया और कहा कि देखना कल दोपहर में सिमरन और साक्षी मेरे साथ घर में अकेली हों।
प्रीती ने अपना प्लैन कुछ इस तरह से बनाया था: मैं अपनी बहनों और उनके पति, और राम और श्याम को पिक्चर दिखाने ले जाऊँगा। प्रीती सिमरन और साक्षी को घर पर ही रोक लेगी, कारण, दोनों को खाना बनाने का बहुत शौक है।
सुबह जब हम लोग नश्ता कर रहे थे तो मैंने सबसे पूछा, “पिक्चर देखने कौन कौन चल रहा है, बड़ी ही अच्छी इंगलिश पिक्चर चल रही है।”
“भइया हम चारों चल रहे हैं”, अंजू ने जवाब दिया।
“ना बाबा! मैं तो नहीं जाऊँगी, मुझे वैसे भी इंगलिश पिक्चर पसंद नहीं है”, साक्षी ने कहा।
“और मैं तो वैसे भी नहीं जा पाऊँगी क्योंकि प्रीती दीदी ने मुझे प्याज के पकोड़े कैसे बनाये जाते हैं, वो सिखाने का वादा किया है”, सिमरन बोली।
“ठीक है! अगर तुम लोग नहीं जाना चाहती तो मत जाओ….. हम सुनील के साथ चले जाते है”, राम और श्याम साथ-साथ बोले। जब हम जाने को तैयार हुए तो प्रीती मेरे पास आयी और मुझे समझाया, “तुम अपना मोबाइल ऑन रखना और जब मैं तीन बार बज़ा कर बंद कर दूँ तो जय-विजय को पहले भेज देना और जब दोबारा फोन करूँ तब ही तुम आना।”
हम लोग पिक्चर देखने घर से निकल पड़े। “राम! मैं थियेटर फोन करके पता कर लेता हूँ कि टिकट अवेलेबल हैं कि नहीं।”
“हाँ! वो ठीक रहेगा”, राम ने कहा।
मैंने थियेटर फोन लगा कर बात की। टिकट अवेलेबल होते हुए भी उनसे झूठ बोल दिया कि हाऊज़ फ़ुल है।
“टिकट तो हैं नहीं! फिर क्या करना चाहिये, अंजू?”
“ऊममम अब क्या करें भैया? चलो कहीं चल कर आईसक्रीम खाते हैं”, मंजू ने कहा।
थोड़ी देर में मेरे फोन की घंटी तीन बार बज कर बंद हो गयी। मैं समझ गया कि घर में दोनों चिड़ियाँ चुदवाने को तैयार हो रही हैं। मैंने सबसे कहा, “चलो अब घर चल कर ही कुछ करते हैं?”
“इतनी जल्दी क्या है जीजाजी?” राम ने कहा।
“चलना है तो चलो या आईसक्रीम को साथ ले लो”, मैंने कहा।
“बेवकूफ़! भूल गये क्या?” अंजू उसके कान में फुसफुसायी और मंजू उसे जबरदस्ती उठाती हुई खड़ी हो गयी।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय और विजय से कहा, “तुम दोनों फ्लैट पर जाओ…. वहाँ तुम्हें तुम्हारी भाभी प्रीती मिलेगी, अगर वो वहाँ ना हो तो घंटी मत बज़ाना। उसके आने के बाद ही फ्लैट में जाना।”
“लेकिन ये सब क्या है भैया?? मैं कुछ समझा नहीं”, विजय ने पूछा?
“अभी समझाने का वक्त नहीं है, प्रीती तुम्हें सब समझा देगी”, मैंने दोनों को ढकेलते हुए कहा।
आधे घंटे के बाद प्रीती का फोन आया कि हम लोग आ सकते हैं। प्रीती हमें दरवाजे पर मिली।
“क्या हो रहा है?” मैं धीरे से फुसफुसाया।
“चुदाई का पहला दौर खत्म हो चुका है और दूसरे की तैयारी हो रही है”, प्रीती धीरे से बोली।
“क्या सिमरन की गाँड फाड़ दी?” राम ने पूछा।
“अभी तो नहीं…. लेकिन शायद दूसरे राऊँड के बाद!”
“भाभी अपने ये सब कैसे किया?” अंजू ने पूछा।
“मैंने उन दोनों को कोक में एम-डी की स्पेशल दवाई मिला कर दी थी”, प्रीती ने जवाब दिया।
“ऐसे नहीं!!! हमें ज़रा डिटेल में बताइये”, मंजू बोली।
प्रीती ने शुरू से बताना शुरू किया।
तुम लोगों के जाने के बाद हम लोग साथ मिल कर किचन में खाना बनाने लगे, किचन गर्मी में एक दम तप रहा था।
“दीदी बहुत गर्मी हो रही है ना?” सिमरन बोली।
“फ़्रिज में कोक पड़ी है तुम लोग वो ले लो….” मैंने कहा। दोनों फ्रिज से कोक ले के पीने लगी। लेकिन पंद्रह मिनट के बाद भी मुझे उन पर कोई असर होते नहीं दिखा तो मुझे लगा कि आज मेरा प्लैन फ़ेल हो जायेगा….. मैं सोच पड़ गयी।
“लेकिन आप कोक के भरोसे क्यों थी, ऐसा क्या है कोक में?” श्याम ने पूछा।
“वो कोई साधारण कोक नहीं है”, अंजू बोली।
“उस कोक में मिली दवाई को पीने से औरत की चूत में खुजली होने लगती है”, मंजू बोली।
“ऐसी भी कोई दवाई होती है…… पहली बार सुना है”, राम हँसते हुए बोला।
“तुम दोनों क्या समझते हो कि तुम बहुत सुंदर और हैंडसम हो जो अंजू और मंजू ने अपनी कुँवारी चूत तुम्हें चोदने के लिये दे दी, नहीं! ये इसी दवाई का कमाल था जो तुम इनकी जवानी का मज़ा उठा पाये”, प्रीती थोड़ा झल्लते हुए बोली, “इस दवाई से इनकी चूत में इतनी खुजली मच चुकी थी कि अगर तुम्हारा लंड ना होता तो ये किसी गली के कुत्ते से भी चुदवा लेती।”
इतना सब सुनकर दोनों शाँत हो गये।
“भाभी फिर क्या हुआ?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दवाई का उन पर असर नहीं हो रहा था, मैं सोच में पड़ गयी…… फिर मुझे एक खयाल आया….. मैंने प्याज के पकोड़ों में वो दवा मिला दी और सिमरन के रूम में प्लेट में लगा ले गयी।
“सिमरन! ये पकोड़े टेस्ट करो और बताओ कैसे बने हैं?”
सिमरन ने एक पकोड़ा मुँह में रखा और बोली कि “दीदी ये तो बहुत ही टेस्टी हैं…. अपने लिया कि नहीं?”
मैंने भी एक पकोड़ा टेस्ट किया और उसे और लेने को कहा कि “और खा कर देखो।”
यही मैंने साक्षी के साथ किया। दोनों बड़े चाव से पकोड़े खा रही थीं। तुम्हें फोन किया क्यों कि मुझे विश्वास था कि उनकी चूत में खुजली जरूर मचेगी।
इतनी देर में जय और विजय आ गये, मैं उन्हें अपने बेडरूम में ले आयी, वो दोनों बौखला गये थे और बोले कि “भाभी ये सब क्या है?”
मैंने कहा कि “इसके पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँ…. तुम दोनों मेरे एक प्रश्न का जवाब दो, क्या तुम दोनों सिमरन और साक्षी को चोदना चाहोगे?”
मेरा सवाल सुनकर दोनों चौंक गये और बोले कि “भाभी ये आप क्या कह रही हैं, वो दोनों आपकी भाभीयाँ हैं।” मैंने कहा कि “वो दोनों मेरी क्या हैं, ये मुझे सोचने दो, तुम जवाब दो कि क्या चोदना चाहोगे?”
“हाँ भाभी! ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।” जय ने अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए जवाब दिया।
अंजू शरारती मुस्कान के साथ बोली, “म…म…म मेरे जय का लंड नयी चूत का नाम सुनते ही खड़ा हो जाता है!”
फिर विजय ने पूछा कि “भाभी! क्या वो तैयार हो जायेंगी?” और जय ने कहा कि “भाभी लेकिन राम और श्याम को पता चलेगा तो वो क्या सोचेंगे।”
“राम और श्याम की चिंता मत करो…. वो सब मुझ पर छोड़ दो और रही सिमरन और साक्षी कि बात तो वो तुमसे भीख मांगेंगी कि आओ मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। सिर्फ़ उतना करो जितना मैं कहती हूँ।”
मेरी बात सुनकर जय ने कहा कि “ठीक है…. आप क्या चाहती हैं हमसे?”
“कुछ नहीं! इंतज़ार करो जब तक वो खुद चल कर तुम्हारे पास चुदवाने के लिये नहीं आती हैं और हाँ! उन्हें तब तक मत चोदना जब तक वो गाँड मरवाने के लिये तैयार ना हो जायें….. ये दोनों बातें बहुत जरूरी हैं।”
जय ने अपना लंड जोर से दबाया और बोला कि, “यार! ये तो बहुत ही अच्छी बात है, चूत के साथ गाँड भी मारने को मिलेगी और वो भी दोनों की।”
मैं ये कहकर रूम के बाहर आ गयी कि “यहीं इंतज़ार करो और ज़न्नत के मज़े लेने के सपने देखो।”
थोड़ी देर में सिमरन कमरे में आयी, उसकी साड़ी का पल्लू जमीन पेर रेंग रहा था, ब्लाऊज़ के तीन बटन खुले हुए थे। उसके माथे पर पसीन चमक रहा था और चेहरे से साफ लग रहा था कि वो कितनी उत्तेजना में थी।
सिमरन अपने एक हाथ से अपनी चूचियाँ भींच रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। वो बोली कि, “दीदी! राम कहाँ है और कितनी देर में आयेगा?”
मैंने धीरे से जवाब दिया कि, “तुम्हें पता है ना कि वो लोग पिक्चर देखने गये हैं?”
उसने अपनी चूत और जोरों से खुजाते हुए पूछा कि “ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है, मुझे जब भी उसकी जरूरत होती है वो मेरे पास नहीं होता….. वापस कब आयेगा?”
मैंने जवाब दिया कि, “करीब तीन घंटे में।”
सिमरन झल्लाते हुए बोली कि, “अब मैं क्या करूँ! मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही है कि मुझसे सहन नहीं हो रहा।”
इससे पहले कि मैं उसको जवाब दे पाती, साक्षी कमरे में आयी। उसकी हालत भी सिमरन के जैसे ही थी। साड़ी ज़मीन पर रेंग रही थी, और दोनों हाथ चूत को खुजला रहे थे। उसने भी पूछा कि, “दीदी! श्याम कब तक आयेगा?”
मैंने कहा कि “मैंने अभी सिमरन को बताया है कि तीन घंटे से पहले नहीं।” वो जोर-जोर से अपनी चूत को भींचते हुए बोली कि, “ओह! गॉड तब तक मैं क्या करूँ?”
मैं अपने दोनों हाथ पीछे से उसकी चूचियों पर रख कर बोली कि, “क्या तुम्हारी चूत में भी सिमरन की तरह खुजली हो रही है?”
उसने कहा कि “हाँ दीदी! बहुत जोरों से और मुझ से सहा नहीं जा रहा।”
मैंने उसके मम्मे और जोर से दबाते हुए कहा कि “फिर तो ऐसी परस्थिति में एक ही सलाह दे सकती हूँ कि तुम दोनों अपनी अँगुली से अपनी चूत चोद लो।”
“दीदी! मैं आपके कहने से पहले तीन बार कर चुकी हूँ लेकिन शांती नहीं पड़ रही?” सिमरन बोली।
“और दीदी मैं तो ब्रश के हैंडल और अपनी सैंडल की हील तक से कर चुकी हूँ लेकिन पता नहीं जितना करती हूँ उतनी ही खुजली और बढ़ रही है।” ये कहते हुए साक्षी की आँखों में आँसू आ गये।
फिर मैंने पूछा कि, “क्या इसके पहले भी तुम्हारी चूत खुजलाती थी?” तो साक्षी बोली कि, “दीदी! खुजलाती तो थी पर आज जैसी नहीं, पता नहीं आज क्यों इतनी खाज मच रही है।”
फिर मैंने कहा कि, “फिर तो इसका एक ही इलाज है कि किसी मोटे और तगड़े लंड का इंतज़ाम किया जाये।”
सिमरन ने कहा कि, “हाँ! हम जानते हैं कि ये खाज लंड से ही बुझेगी, पर इसके लिये हमें राम और श्याम का तीन घंटों तक इंतज़ार करना होगा और तब तक हमारी जान ही निकल जायेगी।”
“मैं उनके लंड की नहीं किसी और लंड की बात कर रही थी।”
सिमरन ने कहा कि, “आप ऐसा कैसे कह सकती हैं।”
“मैं श्याम के साथ बेवफ़ाई नहीं करूँगी”, साक्षी ने कहा।
“ये फैसला तुम दोनों को करना है!” ये कहकर मैं उन दोनों की चूत रगड़ने लगी।
थोड़ी देर दोनों शाँत रहीं, उनकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी और उनसे सहा नहीं जा रहा था। साक्षी ने कंपकंपाते हुए पूछा कि, “भाभी! यहाँ पर कोई है क्या?”
“हाँ! जय और विजय हैं ना, मेरे ख्याल से तुम दोनों उन दोनों से चुदवा लो? दोनों दिखने में सुंदर हैं और मैं विश्वास से कहती हूँ कि उनका लंड भी लंबा और मोटा होगा।”
“अगर हमारे पतियों को पता चल गया तो क्या होगा?” सिमरन ने पूछा।
“पहले तो उनको पता नहीं चलेगा, और अगर पता चल भी गया तो कोई खून की नदियाँ नहीं बहेंगी, इसका वादा मैं करती हूँ। अब इसके पहले कि देर हो जाये… जा कर उन्हें पूछो, शायद वो तुम्हारी सहायता करने को तैयार हो जायें….” मैंने कहा।
“दीदी! आप पूछो ना! हमें शरम आती है….” सिमरन बोली।
“ठीक है आओ मेरे साथ!” और मैं उन दोनों का हाथ पकड़ कर मेरे बेडरूम में ले आयी जहाँ जय और विजय थे।
“अरे तुम दोनों कब आये?” मैंने पूछा। विजय बताने लगा पर उसकी बात पूरी हो पाती उसके पहले ही सिमरन जोर से बोली कि “तुम तीनों चुप हो जाओ, दीदी पूछना चाहती है कि क्या तुम दोनों हमें चोदोगे?”
“प्लीज़ हमें चोदो ना!” साक्षी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। मैंने उनका लंड खड़े होते हुए देखा।
जय ने कहा कि, “हाँ! चोदेंगे पर एक शर्त पर….” तो सिमरन ने पूछा कि, “शर्त? कैसी शर्त?”
“शर्त ये है कि तुम्हें हमसे गाँड भी मरवानी होगी!” विजय ने कहा।
साक्षी बोली कि, “नहीं! मैं अपनी गाँड नहीं मरवाऊँगी, मैंने श्याम को भी अपनी गाँड आज तक मारने नहीं दी है।“
प्रीती ने एक सिगरेट सुलगाते हुए आगे बताया: कमरे में सन्नाटा छा गया तो मैं बोली, “तुम दोनों इन्हें अपना लौड़ा दिखाओ….. शायद इनका विचार बदल जाये!” दोनों ने अपने कपड़े उतार दिये और अपना लंड पकड़ कर हिलाने लगे। उनका मोटा ताज़ा लंड देखकर सिमरन और साक्षीके मुँह में पानी आ गया और दोनों सोचने लगी कि गाँड मरवायें कि नहीं।
सिमरन जय की तरफ बढ़ते हुए बोली कि “तुम हमारी गाँड मार सकते हो लेकिन हमारी चुदाई करने के बाद।”
साक्षी भी पीछे कहाँ रहने वाली थी, अपने आपको विजय की बाँहों में धकेल कर बोली कि, “गाँड मारनी है तो मार लेना, लेकिन चूत चोदने में देर मत करो।”
“प्लीज़! इस कमरे में नहीं! मुझे दूसरे कमरे में ले चलो….. यहाँ साक्षी है….” सिमरन ने कहा।
जय ने सिमरन को बेड पर ढकेलते हुए कहा कि, “तो इसमें क्या है? ज्यादा मज़ा ही आयेगा जब हम दोनों भाई तुम दोनों को एक ही बिस्तर पर चोदेंगे।”
मैं रूम के बाहर आ चुकी थी। थोड़ी देर में मुझे सिसकरियों की आवज़ सुनाई दे रही थी। मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि सिमरन और साक्षी अगल बगल लेटी थीं। दोनों की टाँगें हवा में थी और जय विजय उनकी कस कर चुदाई कर रहे थे। थोड़ी देर में उनके कुल्हे भी उछल उछल कर दोनों का साथ दे रहे थे। मैं कुर्सी पर बैठ कर सिगरेट पीते उनकी चुदाई का तमाशा देख रही थी। दोनों अब जम कर चुदवा रही थीं ।
“ओहहहहह और जोर से चोदो ना”, सिमरन सिसकी।
“आँआँआआआआआआ चोदो मुझे…. और जोर से चोदो!!!!!, आहहहहह क्या तुम्हारा लंड है…. और तेजी से आआआओऊऊ!!!” साक्षी भी कामुक्ता भरे शब्द बोल रही थी।
“हाँआँआआआआ इसी तरह से!!!!! तुम्हारे लंड का जवाब नहीं!!!!” सिमरन ताल से ताल मिलाते हुए बोल रही थी। प्रीती ने आँखें नचाते हुए हमें बताया।
प्रीती ने कहानी जारी रखते हुए कहा, “साक्षी सिसक रही थी कि “विजय क्या कर रहे हो? और जोर से चोदो ना, आज मेरी चूत का भोंसड़ा बना दो….. आआआआहहहहह ओहहहहह जोर से हाँआआआआआ!!!”
“ओहहहहह जय!!! जोर से…… हाँआआआआ चोदते जाओ!!!! मेरा छूटाआआआआ!!!!” कहकर सिमरन बेड पर पसर गयी और अपनी साँसें संभालने लगी।
“ऊऊऊऊईईईईईई माँआँआआआआ…. हाँआआआआआ जोर से!!!!! चोदो और जोर से!!!!! मैं गयीईईईई!!!!” और साक्षी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और जोर-जोर से धक्के लगाते हुए जय और विजय ने भी अपना पानी छोड़ दिया। चारों एक दूसरे को बुरी तरह से चूम-चाट रहे थे। प्रीती विस्तार से उनकी कहानी सुना रही थी।
प्रीती आगे बोली: सिमरन जय को बुरी तरह चूमती हुई बोली कि, “थैंक यू जय! मज़ा आ गया….. एक बार और चोदो ना!”
विजय बिस्तर से उठने लगा तो साक्षी उसका हाथ पकड़ कर बोली कि, “तुम कहाँ चले? क्या तुम दोबारा नहीं चोदोगे?”
विजय ने कहा कि, “चोदूँगा लेकिन इस बार तुम्हें नहीं…. सिमरन को! जय तुम साक्षी को चोदो मैं सिमरन को देखता हूँ।”
दोनों ने अपनी जगह बदल ली और अपने खड़े लंड को दोनों की चूत में डाल कर चोदने लगे।
प्रीती ने अपनी सिगरेट को ऐशट्रे में बुझते हुए बात पूरी की। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
हम सब दरवाजे से कान लगाये सुन रहे थे, जहाँ से सिसकरियों की और कामुक बातों की आवाज़ें आ रही थीं। चुदाई इतनी जोर से चल रही थी कि बिस्तर भी चरमरा उठ था। थोड़ी देर बाद एक दम खामोशी छा गयी। लगता था कि उनका दूसरा दौर भी समाप्त हो चुका है। सिर्फ़ उनकी उखड़ी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
“जय! अपना लंड खड़ा करो…. मुझे और चुदवाना है?” साक्षी बोली।
“एक काम करो! मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर से चूसो….. जिससे ये जल्दी खड़ा हो जायेगा”, जय ने कहा।
“मैंने आज तक लंड नहीं चूसा है और ना ही चूसूँगी”, साक्षी ने झूठ कहा।
“लंड नहीं चूसोगी तो चुदाई भी नहीं होगी”, जय ने कहा, “देखो सिमरन कैसे लंड को चूस रही है और वो खड़ा भी हो गया है।”
“उसे चूसने दो! मैं लंड खड़ा होने का इंतज़ार कर लूँगी”, साक्षी ने कहा।
थोड़ी देर बाद साक्षी गिड़गिड़ाते हुए बोली, “जय प्लीज़! चोदो ना मुझसे नहीं रहा जाता।”
“चुदवाना है तो तुम्हें पता है क्या करना पड़ेगा?” जय ने कहा।
“तुम बड़े वो हो!” कहकर साक्षी, जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
“संभल कर! कहीं मेरे लंड पर दाँत ना गड़ा देना।”
साक्षी अब जोर-जोर से लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी। “ममम… देखो! खड़ा हो रहा है ना? और जोर से चूसो!” जय ने अपना लंड उसके मुँह में और अंदर तक घुसा दिया।
“मममम…. देखो ना! खड़ा हो गया है….. अब चोद दो ना!” साक्षी बोली।
“ठीक है! अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा”, जय ने कहा।
“नहीं! पहले चूत की चुदाई करो…… फिर गाँड मारना”, साक्षी बोली। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“गाँड नहीं तो चूत भी नहीं!” जय ने कहा।
“तुम बड़े मतलबी हो”, साक्षी घोड़ी बनते हुए बोली।
“विजय! क्या तुम सिमरन की गाँड मारने को तैयार हो?”
“हाँ! पहले इसे लौड़ा तो चूस लेने दो”, विजय बोला।
“लौड़ा बाद में चूसाते रहना, अब हम साथ-साथ इनकी गाँड का उदघाटन करते हैं”, जय ने कहा।
“ठीक है सिमरन! अब तुम घोड़ी बन जाओ!” विजय ने कहा।
“तुम इसकी बातों पे ध्यान मत दो, मुझे लौड़े को चूसने दो”, सिमरन और जोर से लौड़े को चूसते हुए बोली।
“नहीं सिमरन पहले गाँड!” विजय बोला।
“ओहहहहह धीरे से करो ना!!!! मुझे दर्द रहा है!!!!! ऊऊऊऊऊ मर गयीईईईईई”, साक्षी दर्द से कराह उठी।
“थोड़ा दर्द सहन करो, मेरा लंड बस घुस ही रहा है, क्या तुम्हें महसूस हो रहा है?” जय ने अपना लंड घुसाते हुए कहा।
“ऊऊऊऊहहहहह हाँआआआआ…” साक्षी कराही।
“मेरा घुस गया, विजय तुम्हारा क्या हाल है?”
“मैं इसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसे गीला कर रहा हूँ, कारण इसकी चूत के जैसी ही इसकी गाँड भी टाइट होगी ना!” विजय ने कहा।
“ज्यादा मत सोचो….. और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में पेल दो”, जय बोला!
“तुम उसकी बातों पे ध्यान मत दो, ओहहहहह मर गयीईईईई…… निकाल लो दर्द हो रहा….आआ है!!!!!” सिमरन दर्द में जोर चिल्लायी।
“विजय! और जोर से डालो!” जय जोर से बोला।
“हाय भगवान!!!! मैं मरीईईई, विजय, प्लीईईज़!!!! धीरे करो…… दर्द हो रहा है…..” सिमरन दर्द से छटपटा रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे।
“अब मेरा भी पूरा घुस चुका है, जय!” विजय बोला।
“ठीक है….. फिर मेरे धक्के से धक्का मिलाओ और साथ में इनकी गाँड मारो!” जय ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दोनों ताल से ताल मिला कर उनकी गाँड मार रहे थे। कमरे से उनकी कराहने की आवाज़ आ रहा थी। माहोल एकदम गरम हो रहा था। हम सब को भी अपनी हालत पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।
“आखिर में विजय ने सिमरन की गाँड मार ही दी!” राम बोला।
“हाँ और जय का लंड साक्षी की गाँड में घुसा हुआ है!!!” श्याम ने मंजू की चूचियों को भिंचते हुए कहा, “अब मैं तुम्हें चोदूँगा।”
“हाँ! अब हम उनकी बीवीयों को उनके सामने ही चोदेंगे”, राम ने अंजू को गोद में उठाते हुए कहा।
“आगो बढ़ो और मज़े करो”, प्रीती ने उन्हें बढ़ावा दिया। “और हाँ! तुम दोनों को एक दूसरे की बीवी को भी चोदना है”, प्रीती राम और श्याम से बोली।
“चलो हम लोग तमाशा देखते हैं”, मैं प्रीती से बोला।
“प्लीज़ सुनील! मेरे और अपने लिये एक-एक पैग बना दो ना!” प्रीती पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाते हुए बोली। Hindi Sex Stories
ऑफिस गर्ल चुदाई का मजा मुझे दिया मेरी एक नयी आई सहकर्मी ने! उससे मेरी दोस्ती हो गयी थी तो उसने मुझे अपने जन्मदिन पर घर बुलाया.
मेरा नाम राजवीर है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच है और मेरी बॉडी भी ठीक-ठाक ही है. मेरे लंड का साइज सामान्य से बड़ा है जो किसी भी औरत के बच्चेदानी तक आराम से पहुंच जाता है.
मैं एक होटल में काम करता हूँ और वहीं की एक लड़की को मैंने चोदा था.
वह सब कैसे हुआ, उसी Xxx ऑफिस गर्ल चुदाई कहानी को आज मैं आप सभी से साझा कर रहा हूँ.
उस लड़की का नाम मनीषा था.
वह मेरी होटल में जॉब के लिए आई और मेरे बॉस ने उसको काम पर रख लिया.
अब वह मेरे साथ काम करने लगी.
जब वह आई, तो मैं उसके पास नहीं बैठता था, उससे दूर ही रहता था.
धीरे धीरे मनीषा मुझे बात करने लगी.
फिर ऑफिस के काम की वजह से उसने मेरा नंबर भी ले लिया और हमारी बात होने लगी.
मैं अब भी मनीषा के पास नहीं बैठता था तो वह मुझे व्हाट्सैप पर मैसेज करती कि क्या हुआ, मेरे पास क्यों नहीं बैठ रहे हो, मुझसे दूर क्यों बैठे हो!
तो मैं उससे कह देता- मुझे अच्छा नहीं लगता, इसलिए दूर रहता हूँ.
मनीषा- अच्छा, मैं आपको अच्छी नहीं लगती?
मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है.
मनीषा- फिर कैसी बात है?
मैं- बस ऐसे ही.
वह मुझसे देर तक बात करना चाहती थी.
लेकिन मैं ही न जाने क्यों उससे अपने आपको दूर रखने की कोशिश करता था.
तब भी उसकी लगातार कोशिशों से धीरे धीरे हमारी बातें होने लगीं और मुझे वह काफी अच्छी लगने लगी.
उसकी आत्मीयता भरी बातें मुझे उसके करीब खींचती ले गईं और हम दोनों काफी अंतरंग होने लगे.
अब हमारा रोज मिलना भी होने लगा.
हालांकि अब तक हम दोनों के बीच प्यार जैसा कुछ भी इजहार नहीं हुआ था.
तब भी हमारे बीच दोस्ती कुछ ऐसी हो गई थी कि देखने वाला यही समझे कि हम दोनों लव कपल हैं.
कभी मनीषा मुझसे कहती कि चाय पिलाओ तो मैं उससे हंस कर कह देता कि नहीं आज तुम पिलाओ.
हम दोनों हंसी मजाक करते हुए एकदम बचपन के दोस्तों की तरह लड़ने लगते.
कभी वह मुझसे कहती कि आज यहां जाना है … आप मेरे साथ चलो.
मैं पहले मना कर देता कि मैं नहीं जा रहा हूँ. मेरे पास टाइम नहीं है.
तो वह मुझसे लड़ कर हक से चलने की कहने लगती.
फिर बस मैं उसको लेकर निकल जाता था.
इसी तरह वह मेरी जरूरत जैसी बन गई थी.
एक दिन उसने कहा- मेरा जन्मदिन है और मैंने पार्टी रखी है. आपको जरूर आना है.
मैं शाम को तैयार होकर उसकी पार्टी में गया.
लेकिन उधर पार्टी में कोई था ही नहीं!
मैंने उससे पूछा- बाकी सब लोग कहां हैं?
उसने कहा- कोई भी नहीं है, बस मैंने आपको ही बुलाया है.
मैंने उससे पूछा- केवल मुझे क्यों?
तो उसने कहा- मेरा यहां कोई नहीं है. मेरी फैमिली वाले सभी बाहर रहते हैं.
मैंने कहा- चलो, कोई बात नहीं. पार्टी करते हैं.
उसने केक के अलावा खाने में और भी बहुत कुछ बनाया था.
हम दोनों ने केक कटिंग की और मैंने उसको गिफ्ट दिया.
उसके बाद खाना खाया और मैं जाने की सोचने लगा.
मैंने उससे कहा- बहुत समय हो गया है, अब मैं चलता हूँ.
उसने कहा- आज यहीं रुक जाओ न!
मैंने कहा- नहीं, कल ऑफिस भी जाना है … और काम भी है.
फिर पता नहीं क्या हुआ, उसने मुझसे कहा- राजवीर, मैं आपसे आज कुछ मांग सकती हूँ … मेरा जन्मदिन है!
मैंने कहा- हां मांगो. मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगा.
उसने कहा- मैं आपको पसंद करती हूँ. इसलिए आज आप मेरे पास यहीं रुक जाओ!
मैंने उसकी आंखों में झाँकते हुए कहा- ठीक है, लेकिन अब से तुम मुझे आप नहीं कहोगी.
वह मेरे गले से लग गई और उसने मुझे किस किया.
मैं भी जवान लड़का हूँ, मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ और मैंने भी उसको किस कर लिया.
वह मेरे चुंबन के जवाब में चुंबन देने लगी.
हम दोनों एक दूसरे के साथ दो बिछुड़े प्रेमियों की तरह से प्यार करने लगे.
उस दिन उसने मुझसे कहा- तुम कुछ कहना भूल नहीं रहे हो?
मैंने कहा- क्या?
वह हंस दी और बोली- मैं क्यों बताऊं?
मैं उसकी आंखों में झाँकने लगा और वह भी मेरी आंखों में कुछ खोजने लगी.
कुछ ही देर तक उसकी आंखों में झाँकने से मैं एकदम से सिहर सा उठा और मुझे मानो उसकी आंखों ने ही वह बता दिया था कि मैंने अब तक मनीषा से अपने प्यार का इजहार नहीं किया है.
अगले ही पल मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और मैंने उसके हाथ को अपने होंठों से लगा कर चूमते हुए उससे पूछा- मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ मनीषा, क्या तुम मेरे प्यार को कुबूल करोगी!
उसने मुझे खींच कर उठाया और मेरे सीने से लिपट गई.
हम दोनों एक दूसरे में खोने लगे थे.
धीरे धीरे मैंने उसके और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
उसका बदन देखने लायक था.
तने हुए 34 इंच के दूध और 28 इंच की पतली कमर और 36 इंच की उठी हुई गांड देख कर मेरा दिल खुश हो गया था.
मैंने मन में सोचा कि आज यहां रुकना सफल हो गया. Xxx ऑफिस गर्ल चुदाई का मजा मिलेगा.
हम दोनों ने खूब चूमाचाटी की और बहुत देर देर तक एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच किया.
मैं एक हाथ से उसके मम्मों को धीरे धीरे दबा रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत पर चल रहा था.
उसका भी एक हाथ मेरे बालों में था, जिससे वह मुझे अपनी ओर खींचे हुई थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड की मालिश कर रही थी.
हम दोनों बिस्तर पर आ गए और हम दोनों ने 69 की पोजीशन ले ली.
वह मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था.
दस मिनट की चुसाई के बाद मेरा पानी उसके मुँह में गिर गया और उसका पानी मैंने चाट कर साफ कर दिया.
हम दोनों ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहे.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चूत में उंगली करना शुरू किया और उसने मेरे लंड को उपर नीचे, जिससे मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया.
मैंने उसको नीचे लिटाया और उसकी चूत पर अपना लंड रख कर अन्दर डालने लगा.
लेकिन मेरा लंड उसकी चूत में गया ही नहीं.
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी.
मैंने उसकी चूत पर थोड़ा सा थूक लगाया और अब लंड लगा कर दबाव डाला तो इस बार मेरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया.
वह आह आह करती हुई दर्द से कराहने लगी.
पर मैं लगा रहा और उसके मुँह से ज्यादा तेज आवाज न निकले इसलिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए थे.
अब मैंने पोजीशन सैट करते हुए एक और जोरदार धक्का लगाया तो इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में धँसता चला गया और सीधा बच्चेदानी के मुँह पर जा लगा.
अब चुदाई का खेल शुरू हो गया था.
पहले तो मैं कुछ देर तक ऐसे ही रुका रहा और उसके मम्मों को सहलाता रहा, उसके मुँह में जीभ डाल कर उसकी लार को पीता रहा.
इससे उसकी पीड़ा खत्म हो गई और उसकी चूत ने लंड से हार मान कर उसे अपनी गहराई में समा लिया.
लंड ने अपनी जगह हासिल कर ली थी तो मेरी कमर ने हिल कर लौड़े को सही से चूत में स्थापित कर दिया था.
कुछ पल बाद मैंने फिर से धक्के देना शुरू किये और उसको ताबड़तोड़ चोदने लगा.
कुछ ही देर में मैं पूरी ताकत से जोर जोर धक्के लगाना लगा.
अब उसको भी मजा आने लगा था और वह भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी.
कुछ बीस मिनट की घमासान चुदाई के बाद मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा.
वह बन भी गई.
मैं उसकी सवारी करने लगा.
पूरे आधा घंटा की चुदाई के बाद मेरा लंड फूलने लगा और उसकी चूत में टाइट चलने लगा.
वह भी समझ गई थी कि मेरे लंड से लावा फूटने वाला है, तो वह भी जोर जोर से धक्के खाने लगी थी.
कुछ ही पल बाद मैंने उसकी चूत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया.
बाद में उसने बताया कि वह पूरी चुदाई के दौरान तीन बार झड़ चुकी थी.
फिर मैंने टाइम देखा, तो रात के 12 बज गए थे.
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उसको एक बार और चोदा.
फिर हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.
सुबह मेरी आंख 5 बजे खुली, तो वह मेरी बांहों में दबी हुई नंगी सो रही थी.
मैंने उसके पैर फैला दिए और उसकी चूत में एक बार फिर से लंड पेल दिया.
वह भी जाग गई और लंड से लोहा लेने लगी.
मैंने उसको बहुत देर तक खूब तेज तेज चोदा और उसकी चूत में ही अपना वीर्य टपका दिया.
उसके बाद मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया और कुछ देर बाद वह भी ऑफिस आ गई.
हम दोनों का ऑफिस का काम पूरे दिन चला.
शाम को 6 बजे बॉस को जानकारी हुई कि मनीषा का जन्मदिन कल निकल गया है तो उन्होंने उसके लिए केक मंगवाया और उसने केक कटिंग की और सबको खिलाया.
फिर सब अपने अपने घर चले गए.
वह वहीं थी.
मैंने उससे कहा- अब तुम भी जाओ और मैं भी निकलता हूँ.
उसने कहा- नहीं अभी रुको.
वह मुझे अपने साथ कमरे में ले गई और बोली- मैंने आपको सही से केक नहीं खिलाया है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, कल पार्टी दी थी न तुमने, तो बस हो गया.
लेकिन वह नहीं मानी.
उसने रूम का दरवाजा बंद करके अपने कपड़े उतार दिए और उसने अपने हाथों से अपने होंठों पर, अपने बूब्स पर और अपनी चूत पर केक लगा कर कहा- मैं तुमको ऐसे केक खिलाना चाहती थी.
मैंने उसको किस किया और उसके होंठों को चाटते हुए केक को खाया.
उसके बाद उसके बूब्स का केक खाया, फिर उसकी चूत का केक खाया.
अब मैंने उससे कहा कि मैं भी तुमको केक खिलाना चाहता हूँ.
वह भी समझ गई थी.
मैंने भी अपने लौड़े पर केक लगा कर उसके मुँह में दे दिया और उसके मुँह को चोदने लगा.
कुछ मिनट की लंड चुसाई के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया.
वापस कुछ मिनट की चुसाई के बाद मैंने उसको होटल के कमरे में चोदा और हमारी यह चुदाई 25 मिनट तक चली.
उसके बाद हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाए और मैंने उसको वहां पुनः चोदा.
उसके बाद हम दोनों कपड़े पहन कर बाहर आ गए.
इसके बाद मैंने उसको बहुत बार चोदा. कभी होटल में, तो कभी उसके रूम पर.
एक दिन मुझे पता चला कि वह अपने मामा से चुदाई करवाती है.
इसलिए मैंने उसको छोड़ दिया.
उसके बाद से मैंने अभी किसी को चोदा नहीं, मेरा लंड आज भी चूत के लिए प्यासा है.
मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.
थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई चूत थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.
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