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“लकी प्रोजेक्ट गाइड-२” में Sex Stories आपने पढ़ा कि स्मिता ने किस तरह मुझे बेवकूफ़ बनाया।
मुझे ‘पैशनेट और पावरफ़ुल लवर’ की संज्ञा देने के बाद उसने फ़ुसफ़ुसाते हुए मेरे कानों में कहा था “आपके फोटोग्राफ़्स नेहा ने भी देखे हैं…और वो जल जायेगी जब मैं उसको आज की बात बताऊँगी… बाय सर !”
“टेक केयर !” मैं किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ा रह गया था…
फ़िर नेहा का मासूम चेहरा मेरी आंखों के सामने घूम गया था…और मेरे होठों पे एक भेदभरी मुस्कान ना चाहते हुए भी आ ही गई थी…
नेहा की आँखें बड़ी-बड़ी थी…हिरणी जैसी…चेहरा गोल मासूम सा…प्यारा सा…बच्चों सा…। मैं उसको बच्चों की तरह ही समझता था…
पर अब जबसे स्मिता ने मुझे यह बताया था कि मेरा पूरा खड़ा प्रचंड लंड नेहा ने भी न सिर्फ़ देखा है…बल्कि ललचाई नज़रों से देखा है, तब से मेरी निगाहें बदल गई, मेरी नीयत बदल गई… मेरा नज़रिया बदल गया।
अब मैं उसके मासूम चेहरे को कम, उसके भरे और गदराये बदन को ज़्यादा देखता था। उसकी हिरणी जैसी आँखे मुझे सेक्सी लगने लगी थी। मैं कल्पना करता था कि उसके स्तन कितने बड़े होंगे… कितने भरे हुए…गोल-गोल.. सोचता था… उसके नितम्ब कितने पुष्ट होंगे….कितने मुलायम होंगे… सोचता था उसकी टांगें कितनी चिकनी होंगी….केले के तने जैसी।
मुझे उसके होंठ अब रसीले नज़र आने लगे थे। मैं जब भी उसको निहारता वो नज़रें झुका लेती थी… मेरी आँखों मे शायद कुछ और नज़र आने लगा था। मैं सोचता था जैसे शशि और स्मिता अपने आप आकर मेरी झोली में गिरी थीं नेहा भी गिरेगी.. और तब जबकि उसने मेरे दैत्यांग की तस्वीरें देखी थी।
मुझे तो यहाँ तक लगता था कि शशि और स्मिता ने अपनी कहानियाँ ज़रूर नेहा को सुनाई होगीं। पर नेहा तो नेहा थी… उसकी मासूमियत और औरतपन को पहले कदम बढ़ाना मंज़ूर नहीं था।
एक दिन लैब में मैं तीनों का सेशन ले रहा था… नेहा अचानक उठी और ‘एक्सक्यूज़ मी’ बोलकर बाहर टॉयलेट की तरफ़ जाने लगी। और मेरी निगाहें उसके नितम्बों पर जम गईं… मैं बोलना भूल गया… उन उठते-गिरते गोल-गोल उभरे नितम्बों को निहारता रहा।
अचानक मैंने देखा कि शशि और स्मिता मुझे देखकर मुस्कुरा रही हैं… मैं झेंप सा गया।
शशि ने कहा,”इसके लिये आपको खुद कोशिश करनी पड़ेगी .. शी इज़ डिफ़रेंट… वो खुद आपके पास नहीं आने वाली… थोड़ी शर्मीली है… बट आइ एम श्योर…. आप कुछ ना कुछ ज़रूर कर लेंगे।”
मैं ऑफ़िस में ऐसी बातें नहीं करना चाहता था, इसलिये मैंने कहा,”अब अपने काम की बात करते हैं !”
बात आई गई हो गई पर मेरे मन में नेहा को पाने की इच्छा तीव्र होती गई।
एक शनिवार को मैंने नेहा को अकेले पाकर पूछ ही लिया,”इस रविवार को क्या कर रही हो?”
“वंडर ला जा रहे हैं !” वंडर ला बैंगलोर से दस-बारह किलोमीटर दूर एक शानदार सा अम्यूज़मेंट पार्क है… जिसमें जॉय राइड्स के अलावा वाटर-पार्क्स भी हैं।
“बॉयफ़्रेंड के साथ?” मैंने भेदभरी मुस्कान के साथ पूछा।
“नहीं…परिवार के साथ…”
मैं मन ही मन खुश हुआ।
मैं रविवार को सुबह जल्दी उठा, नहाया-धोया, नाश्ता करके पिकनिक सैक उठाया और निकल पड़ा वंडर ला की ओर….अपने मंज़िल की तलाश में।
मैंने कुछ देर लेज़र शो देखा, क्रेज़ी राइड किया, टरमाइट राइड और न जाने क्या क्या किया पर सब बेमन से। मैं तो हर जगह सिर्फ़ नेहा को ढूंढ रहा था। चलते-चलते साइड-पाथ पे कोई भी आकर्षक पिछवाड़ा दिखता तो मैं तेजी से उसके आगे देखता कहीं नेहा तो नहीं। ग्यारह बज चुके थे और भीड़ बढ़ती जा रही थी। मैं जिगजैग राइड पे पहुंच गया जो घूमते-घूमते उलटी हो जाती है। दो चक्कर के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे फ़ाउन्टेन के पास कोई मेरी तरफ़ हाथ हिला रहा है। राइड रुकने के बाद मैंने उसे गौर से देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा…वो नेहा थी…परपल शॉर्ट स्कर्ट और पीकॉक टॉप में…सेक्सी नेहा।
राइड से उतरते ही मैं फ़टाफ़ट उसके पास गया !
“सर आप यहां कैसे?”
“तुम्हें ढूंढता हुआ चला आया..” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
उसने आंखें इस अंदाज़ में सिकोड़ी जैसे मेरे जुमले के पीछे छुपे मेरे इरादों को जानना चाह रही हो… और मेरे होंठों पर थी सिर्फ़ मुस्कान।
“आप बेशक मेरे साथ रहें पर इस तरह कि मेरे परिवार को पता नहीं चलना चाहिये कि आप और मैं एक दूसरे को जानते हैं !”
“ठीक है !”
सारा दिन मैं नेहा के साथ रहा और उसके साथ वालों किसी को पता नहीं चला। वाटर पार्क में हमने (खास तौर पर मैंने) बहुत मजे किये। शुरुआत मैंने की… वहाँ जहां पानी कमर तक था…पानी में डूबे-डूबे मैं अपने घुटने को उसकी नितम्बों के बीच रगड़ देता.. जब चार-पाँच बार के बाद कोई ऑब्जेक्शन नहीं हुआ तो मुझे लगा या तो यह इग्नोरेंट है या फिर घुटी हुई है।
जो भी हो.. शह पाकर बीच-बीच में मैं अपने घुटने उसकी चूत पे रगड़ देता। पहली बार में तो वो चिहुंक उठी पर ऐसा दिखाया जैसे कुछ हुआ ही ना हो.. उसे पता ही नहीं चल पाया था शायद ! भीड़ के कारण शायद !
करीब आधे घंटे यही घटनाक्रम जारी रहा। अजीब पहेली होती जा रही थी ये नेहा, कुछ समझ में नहीं आ रहा थी चाहती क्या है?
फिर मैंने यही सिलसिला जारी रखा… नितम्ब, चूत और स्तनों को किसी भी ढंग से छू लेता। पानी के अंदर लावा जल रहा था…. मेरा लंड प्रचंड हो चुका था… पूरा लोहे का गरम रॉड… असाधारण और अनियंत्रित। मुट्ठ मारने की तीव्र इच्छा हो रही थी..पर मैं एक सार्वजनिक-स्थल में था… भीड़भाड़ में।
शाम चार बजे लहरें(वेव्स) शुरू होते हैं। ऐसा कृत्रिम माहौल बनाया जाता है जैसे समुद्र तट हो….लहरें आती और जाती हैं…फ़ेनिल उठता है और शांत हो जाता है…किनारे की रेत बह जाती है और वापिस आ जाती है….लोग गले तक जितने पानी में तैरने का मज़ा इस तरह उठाते हैं जैसे सागर तट उठाया जाता है।
मैं भी बह चला….इस जतन के साथ कि मेरा कमर के नीचे का हिस्सा कभी पानी के ऊपर ना आने पाये….और मेरा दुर्दांत लंड कहीं दिख न जाये…लंड शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था। जब लहरें उठी मैंने गोता लगाया…ऊपर आने ही वाला था कि मेरे लंड पे एक किसी के हाथ का कसाव महसूस हुआ। ऊपर आकर देखा कोई नज़र नहीं आया….
मैंने दुबारा गोता लगाया…..इस बार उस हाथ ने मेरी अंडरवियर खींचकर मेरे लंड को अपने हाथ में लिया। हाथ नाज़ुक सा था…..शर्तिया किसी लड़की का था। ऊपर आकर फिर वही शोर-शराबा और इतने चेहरे कि समझ में न आये कि ये हरकत है किसकी। मैं बहुत अच्छा तैराक या गोताखोर नहीं हूँ इसलिये ज़्यादा देर तक साँस रोक नहीं सकता फिर भी मैंने सोचा इस बार तो जान कर ही रहूँगा कि उस्ताद के साथ उस्तादी कर कौन रहा है।
मैंने फेफ़ड़ों में हवा भरा…गोता लगाया…और आँखे पानी के अंदर भी खोल के रखा…एक लहराते बालों वाला साया मेरे पास आया….और जैसे ही उसने मेरे लंड को पकड़ा मैंने उसके बाल पकड़ लिये। और पकड़े-पकड़े ही ऊपर आ गया और जैसे ही वह चेहरा ऊपर आया, मेरी आँखे फटी की फटी रह गईं और मुँह खुला का खुला….वो लड़की कोई और नहीं बल्कि सीधी-साधी दिखने वाली नेहा थी…
मंद-मंद मुस्कुराहट के साथ… शोख और नटखट मुस्कुराहट…. लंड मेरा उसने अभी भी पकड़ रखा था… हम दोनों आमने-सामने खड़े थे…. पानी लगभग छाती तक आ रहा था…. भीगी-भीगी नेहा और भी सेक्सी लग रही थी.. भीगे बाल… भीगे गाल… भीगे से होंठ… मेरा मन कर रहा था कि उन मुस्कुराते होंठों को चूम लिया जाये… चूस लिया जाय… पर हम बहुत लोगों के बीच में थे…
मैंने लगभग फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा,”आइ वान्ट टू किस यू !”
“यहाँ नहीं … इतनी भीड़ है… मेरे कज़िन लोग भी देख रहे होंगे !”
“हमारी तरफ़ कोई नहीं देख रहा है !”
“क्यों ना हम गोता लगायें?”
“गुड आइडिया !”
हमने साँस भरी… गोता लगाया…. पानी के अंदर मैंने उसके रसीले होठों को चूस डाला…. उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी… और अपनी आँखे बंद कर ली। हमारे आस-पास पानी ही पानी था…और हम प्यासे थे…।
साँस फूल गई और हम ऊपर सतह पर आ गये… ऊपर आकर थोड़ी दूरी बना ली ताकि किसी को शक न हो। दूर से ही एक दूसरे को इशारा करते…गोता लगाते…पानी के अंदर किस करते….मैं उसके स्तन दबाता… वो अंडरवियर के अंदर हाथ डालकर मेरा लंड मसलती… मैं उसकी चूत की दरार को सहला देता। यह सिलसिला कुछ पाँच-छह बार चला।
अब मुझे एक नया विचार सूझा…
मैंने उसको डूबने का इशारा किया और अपना लंड पानी के अंदर निकालकर खड़ा हो गया…जैसे ही मुझे महसूस हुआ कि नीचे कोई आया मैं उसके बाल पकड़कर उसका मुँह अपने लंड पर लगा दिया। वो जितनी देर सांस रोक सकती थी उतनी देर तक मेरा लंड चूसती रही।
क्या रोमांचक अहसास था… आस-पास भीड़… चेहरे ही चेहरे… आवाज़ें ही आवाज़ें… और वहां नीचे… पानी की गहराई और नीम अंधेरे में नेहा मेरा ८ इंच का लंड बाहर निकालकर बेसाख्ता चूस रही थी… और ऐसे चूस रही थी जैसे पूरा निगल जाना चाहती हो। वो एक अच्छी तैराक, अच्छी गोताखोर और एक अच्छी सकर (लंड चूसने वाली) थी…. और मैं बेकाबू हो रहा था….
नेहा बाहर आई… थोड़ी दूर जाकर उसने इशारा किया… मैंने पूरे फेफड़े भरकर गोता लगाया… जैसे ही एक जोड़ी गदराई टांगों के पास पहुंचा…उसने अपनी अंडरवीयर नीचे सरका दी… क्लीन शेव्ड चिकने.. पकौड़े की तरह फूले फांकों के बीच दो-ढाई इंच की दरार थी जो पानी के लहरों के साथ हिलकर अजीब सा रोमांच पैदा कर रही थी। मैंने नितम्बों को पकड़कर अपनी जीभ की नोक बनाकर धीरे से उस दरार में फिराया… उसके नितम्बों में एक कम्पन सी हुई और टांगें और चौड़ी हो गई जैसे निमंत्रण दे रही हों।
मैंने जीभ अंदर गुसेड़ा और भग्नासा को कुरेदने लगा… वो चूतड़ों को आगे-पीछे करने लगी.. इतने में मेरी सांस फूल गई और मैं बाहर आ गया…नेहा से दूर…
उसके चेहरे की तरफ़ देखा तो पाया कि वो बेचैन सी थी… शायद मैं अधूरा काम करके आ गया था…. शायद वो प्यासी रह गई थी…
अचानक सायरन बजा और लोग अपने-अपने कपड़े समेटने लगे… मैंने नेहा की तरफ़ देखा… उसकी आंखों में अतृप्ति थी और आमंत्रण था…।
बेमन से चेंज रूम में जाकर कपड़े बदले…. शाम के करीब छह बज चुके थे… लॉकर रूम से सामान लिया और बाहर आ गया… प्यासा…. अतृप्त…!
पार्किंग से अपनी गाड़ी उठाई… अनमना सा स्टार्ट किया…. और जैसे ही आगे बढ़ाने वाला था कि एक साया लपक के मेरे पास आया और पीछे वाली सीट पर बैठ गया… इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता… उसने अपने हाथ मेरे कमर पे कस दिये और धीरे से कहा “जल्दी चलिये..”
यह नेहा थी….
मैंने बाइक गियर में डाली और उड़ चला…. नेहा पीछे चिपक के बैठी थी, उसके उरोज मेरी पीठ में दब रहे थे… उसके बदन की गर्मी मेरे अंदर सिहरन पैदा कर रही थी…. उसके होंठ मेरी गर्दन पे आ गये थे और मैं उसके सांसों की बेचैनी महसूस कर सकता था… मन कर रहा था कि बाइक वहीं रोककर सारे बंधन तोड़ दो…
“कहाँ छोड़ दूँ तुम्हें?”
“सर आपके घर चलिये ना !” नेहा ने न शशि की तरह फोन करने का बहाना बनाया न ही स्मिता की तरह लिफ़्ट मांगने का। मेरी अधूरी हरकतों ने उसकी प्यास इस कदर बढ़ा दी थी कि उसमें शर्मो-हया या लिहाज कुछ भी बाकी नहीं रह गया था।
किसी ने एक बार मुझे बताया था “वुमन इज़ द सेकण्ड नेम ऑफ़ सरेन्डरिज़्म”…(औरत समर्पण का दूसरा नाम है)। नेहा ने मन समर्पण तो कर दिया था…अब तन समर्पण की बारी थी….
और मेरी बाइक हवा से बातें कर रही थी। एक घंटे का रास्ता हमने आधे घंटे में तय किया.. घर पहुँचे…साढ़े छह बज चुके थे…
दरवाजा खोलकर अंदर आये और अंदर आकर जैसे ही दरवाजा बंद किया नेहा मुझसे ऐसे लिपट गई जैसे बरसों बाद मिली हो…. और जनम-जनम की प्यासी हो… अपने उन्नत उरोज उसने इस कदर मेरे छाती में दबा दिये जैसे उन्हें निचोड़ डालना चाहती हो… उसके हल्के-हल्के भीगे बाल मेरे चेहरे पे आ रहे थे… उसके होंठ मेरी गर्दन पर थे… और उसके पूरे शरीर में अजीब सा कम्पन थी… ऐसा कम्पन न तो शशि में था न ही स्मिता में…ऐसी तड़प और बेचैनी न तो शशि में थी न ही स्मिता में…
मैं अपने हाथों में उसके नितम्ब थामे हुए था…. न सिर्फ़ थामे हुए था बल्कि हौले-हौले सहला भी रहा था…
मेरा लंड इस कदर अकड़ चुका था कि लगता था अभी पैंट फाड़ के निकल पड़ेगा। नेहा मुझे इतने जोर से भींचे हुए थी कि उसकी फूली हुई चूत मेरे लंड के उभार को महसूस कर रही थी… और वो अपने चूतड़ धीरे-धीरे मेरे उभरे लंड पे रगड़ रही थी। मैंने उसका चेहरा अपनी गर्दन से हटाया.. दोनों हाथों से थाम कर उसके रस के प्यालों को अपने लबों के हवाले कर दिया….हमारे निचले अंग अभी भी कपड़ों के ऊपर से ही एक दूसरे का चुम्बन कर रहे थे।
जब नेहा से जब्त न हुआ तो अचानक वो अपने हाथ नीचे ले गई और मेरे पैंट के बटन खोलकर उसे नीचे गिरा दिया और अंडरवियर कि ऊपर से ही मेरे अंग का जायजा लेने लगी… उस अंग का जिसे उसने अभी तक सिर्फ़ फ़ोटो में देखा था… उस अंग का जिसे पाने की कल्पना ने उससे उसकी मासूमियत और शर्मीलापन छीनकर मेरे घर में… मेरे तसव्वुर में ला दिया था… उसकी दोनों आंखें बंद हो गई…शायद कल्पना में…मैंने उसकी बंद आंखों को चूम लिया।
उसने धीरे से…बहुत ही नज़ाकत के साथ मेरी अंडरवियर भी नीचे सरका दी.. और मेरे लंड को दोनों हाथों में दबोच लिया… दो लसलसी बूंदें लंड के टिप पे छलक आई थीं….नेहा ने अपनी उंगली मेरे लंड की गर्दन पे (जहां सुपाड़ा खत्म होता है और लंड का दंड शुरू होता है) फ़िराना शुरू कर दिया….
क्या कामोत्तेजक एहसास था…. पता नहीं नेहा ने यग जादू कहां सीखा था। उस दिन मुझे पता चला कि मेरा (और शायद सभी मर्दों का) सबसे सेन्सिटिव स्पॉट कहां होता….लंड की घिर्री पर जनाब !!!
मैंने नेहा को हर जगह चूमा… गाल पे… होंठों पे… कनपटी के नीचे… ईयरलोब्स पे… गले पे… कांख पे… पीठ पे… दोनों मधुघटद्वय के बीच दरार पे… तने हुए मुनक्के के आकार के चुचूकों पे…. नाभि पे (मेरी पसन्दीदा जगह)… नितम्बों पे… पिछली दरार पे… जांघों पे (आगे से भी.. पीछे से भी)… पिंडलियों पे… पैरों पे… तलवों पे… रानों पे… हर जगह…. तकरीबन हर जगह चूमा…
सिर्फ़ योनि को जान बूझ के छोड़ दिया…!!!
नेहा की उतेजना का कोई ठिकाना नहीं था… आहें…कराहें… और सिसकारियों का समां था… मैं नेहा को उसकी सहनशीलता की हद तक पहुँचा चुका था… ज्वालामुखी बस फटने ही वाला था…
अचानक नेहा ने मेरे सर के बाल पकड़े… मुझे झुकाया और अपने जांघों के बीच पहुँचा दिया… और जैसे ही मेरी नाक उस उभरी हुई योनि से टकराई… नेहा ऐंठने लगी.. और अपने कूल्हे हिलाने लगी… उसकी अंडरवियर नम को चुकी थी… उससे भीनी-भीनी खुशबू निकलकर मेरे नथुनों से टकरा रही थी… मैंने उसकी स्कर्ट उठाई… धीरे से अंडरवियर नीचे सरका दिया….और मेरे सामने था जानलेवा और कातिलाना दृश्य…
शफ़्फ़ाक….. क्लीन शेव्ड…मोटे-मोटे उभरे पकौड़ों के बीच.. एक छोटी सी घुंडी निकलने को आतुर हो रही थी… और उसके नीचे था कुछ दो-ढाई इंच का चीरा…छोटे-मोटे झरने की तरह बहता हुआ…
मैंने नेहा के दोनों नितम्ब थामे और उस घुंडी को कुरेदने लगा…
नेहा लगभग उछल रही थी… और उसी सामंजस्य में उसके दोनों घटक उछल रहे थे… कुछ देर तक योनि-कलिका को कुरेदने के बाद मैंने जीभ को पूरा चौड़ा करके दरार पे फ़िरा सा दिया..
नेहा ने पूरी ताकत से मेरे बालों को पकड़ा.. और इस तरह दबाया मानो मेरा पूरा सर अपनी योनि में घुसेड़ देना चाहती हो….
मैंने अपनी तर्जनी पे थूक लगाया और योनि में प्रविष्ट कर दिया…. नेहा ने अपने चूतड़ों के इस तरह आगे-पीछे हिलाना शुरू कर दिया मानो वो मेरी अंगुली नहीं मेरा लंड हो…
मैंने सर उठाकर उसके मासूम चेहरे और उत्तेजना से बंद हुई आँखों को देखा…. इतना प्यार आया कि मैं अपनी अंगुली को आगे-पीछे हिलाते-हिलाते खड़ा हो गया… और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा….
मेरा तन्नाया हुआ लंड उसकी रानों से टकराने लगा…
जैसे ही उसको इस बात का एहसास हुआ उसने मेरे लंड को पकड़ा और योनिद्वार पे… जहां मेरी तर्जनी आगे-पीछे हो रही थी.. वहां रगड़ने लगी… कामरस टपक रहा था… मैंने उसकी इच्छाओं का सम्मान करते हुए अंगुली बाहर निकाल ली और उसकी एक टांग उठाकर अपने कमर के गिर्द लपेट लिया…योनिद्वार थोड़ा और खुल गया…
उसने अपने दोनों हाथ मेरे गर्दन पे लपेट दिये और अपना दूसरा पैर भी मेरी कमर पे लपेट दिया…मेरे नितम्बों के ऊपर उसने अपने दोनों पैरों से जकड़ बनाकर अपनी चूतड़ों को आगे-पीछे हिलाने लगी… इशारा समझते ही मैंने एक हाथ से उसके योनिपटों को फ़ैलाया…. और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़कर उसके अग्रभाग को नेहा के हल्के से खुले हुए योनिद्वार पे लगा दिया…
इस बार जैसे ही वो अपनी कमर को पीछे खींचकर आगे लाई… लंड का सुपाड़ा पट्ट से अंदर चला गया.. और नेहा “आआआआह” कहकर मुझसे चिपट गई… जब करीब तीस सेकंड तक वो ऐसे ही चिपकी रही तो मैं उसके नितम्बों को पकड़कर आगे-पीछे करने लगा… दस मिनट तक यूं करने के बाद नेहा की चूत काफ़ी पनीली हो गई और अब वो बहुत रफ़्तार से अपनी कमर हिलाने लगी…. धप्प..धप्प..धप्प…
धीरे-धीरे… इंच-दर-इंच मेरा पूरा लंड उसकी लसलसाई चूत में समा गया… जड़ तक समा गया…. सिर्फ़ टट्टे (अंडकोष) ही बाहर रह गये थे… और हर धक्के के साथ दोनों टट्टे उसकी गांड से ऐसे टकराते… मानो रूठ गये हों और शिकायत कर रहे हों और कह रहे हों,”हमको यहां तो अंदर जाने दो !”
तकरीबन बीस मिनट बाद नेहा ने बहुत जोर-जोर से धाप मारना शुरू कर दिया और…करीब पन्द्रह-बीस धक्कों के बाद मुझे पूरी ताकत से भींच कर चिपट गई…
उसने मुझे दोनों हाथों… दोनों पैरों और दोनों स्तनों से भींच रखा था….
मैं अभी भी अपने लंड को आगे-पीछे करने को जद्दोज़ेहद में लगा था…
एक बार बहुत जोर से मुझे भींचने के बाद जब वो निढाल सी हो गई तो मैंने उसे वैसे ही पकड़कर… अपना लंड उसकी चूत में फ़ंसाये हुए… बमुश्किल चलता हुआ बिस्तर पर ले आया…. वैसे ही उसकी कमर को पकड़कर लिटाया…और मिशनरी पोज़िशन में शुरू हो गया…
पांच मिनट बाद अचानक मैं इतनी जोर से धक्के लगाने…कि नेहा फिर से अपने गांड उछाल-उछालकर मेरा साथ देने लगी… दस मिनट बाद मेरा लंड उसकी चूत में फूलने-पिचकने लगा और मैंने एक जोरदार धक्का देकर पूरा लंड अंदर किया जो सीधा बच्चेदानी में जा टकराया… और उसके साथ ही एक हाई प्रेशर की पिचकारी उसके बच्चेदानी में छिड़काव करने लगी… और मैं भरभरा के नेहा की जवानी में समा गया…!
नेहा ने मुझे कस के अपनी बांहों में भर लिया और अपनी चूत का इस तरह संकुचन करने लगी जैसे कि मेरे लंड से निकला हुआ एक-एक क़तरा निचोड़ लेना चाहती हो… और फ़ुसफ़ुसाते हुए मेरे कानों में कहा,”देयर वाज़ नो एग्ज़ाजरेशन व्हाट स्मिता टोल्ड अबाउट यू !”(जो भी स्मिता ने आपने बारे में बताया उसमे कोई अतिशयोक्ति नहीं थी)
थैंक यू शशि, स्मिता, नेहा…और वो तमाम लड़कियाँ जिन्होंने मुझे वो खुशगवार लम्हे दिये…और मुझे यह समाज-सेवा सिखाया। मैं आज भी समाज-सेवा में लगा हुआ हूं और तब तक लगा रहूंगा जब तक लड़कियों की रवानी है…सलामत मेरी जवानी है और लंड में पानी है। Sex Stories
दोस्तो, मेरा नाम Antarvasna रवि है। मैं पुणे का रहने वाला हूँ। मैं आप लोगों को अपनी बदचलन माँ की कहानी सुना रहा हूँ। जो मैं सोच भी नहीं सकता था वो मुझे आजमाने को मिला है। क्या बताऊँ दोस्तो !
मैं एक चाल में रहने वाला लड़का हूँ, नौवीं तक ही पढ़ा हूँ ! मैं पढ़ाई में कमजोर था लेकिन सेक्स में नहीं ! अब मेरी उम्र तेईस साल है, मेरे पिताजी कुछ काम नहीं करते हैं, बस शराब पीते हैं रोज़ ! इसी वजह से शायद उनमें अब सेक्स नहीं रहा है, इसी वजह से मेरी माँ ने दूसरों के साथ सबंध बनाये हैं। मेरी माँ सुबह काम पर जाती है और दोपहर को घर आती है और शाम को जाती तो रात को आठ बजे आती है।
बात उस समय की है जब मैं थोड़ा बीमार था तो मैं काम से दोपहर को घर आया था और घर में मैंने देखा कि आज माँ घर आई नहीं थी। तो मैंने सोचा कि उसे किसी काम से देर हो गई होगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। मेरी माँ तो हमारे पड़ोसी अंकल के घर में थी। उनका दरवाजा बंद देखकर मुझे शक हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। मैंने उनकी खिड़की के छेद से देखा कि मेरी माँ और विशाल अंकल दोनों एक दूसरे की बाहों में हैं। मेरी माँ की उम्र 45 साल और अंकल की उम्र 35 साल होगी। फिर भी वो एक दूसरे के साथ सेक्स कर रहे थे।
यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगा और मैं घर जाकर सो गया। उस रात को मैं सो नहीं पाया। मैंने यह बात अपने दोस्त से कही कि मेरी माँ और अंकल के बीच सेक्स सम्बन्ध होता है तो उसने कहा कि हम दोनों नजर रखेंगे।
मैंने भी हाँ कर दी !
चार-पाँच दिन बाद उसने फोन कर के मुझे बताया कि मेरी माँ और अंकल मेरी ही घर में हैं और मुझे घर आने को कहा। मैं और मेरा दोस्त मेरी घर के खिड़की से देखने लगे। मेरी माँ पूरी की पूरी नंगी थी विशाल अंकल के साथ ! अंकल भी पूरा नंगा था। मुझे बहुत ही गुस्सा आया लेकिन दोस्त ने रोका और मुझे चुपचाप देखने को कहा और मैं देखता रहा।
मेरी माँ अंकल का लण्ड चूस रही थी और अंकल चुसवा रहा था। 5 मिनट बाद उसने सारा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया और कहने लगा- ले ले जोर से चूस ले ! पी ले … तेरे मर्द में ऐसा रस नहीं मिलेगा !
माँ ने कहा- इसीलिए तेरा पीती हूँ ना मेरे जानू ! तेरा लण्ड तो लोहा है ! ऐसा मजा कही नहीं मिलता है !
फिर कुछ देर बाद वो दोनों 69 की अवस्था में आ गए। अंकल माँ की चूत चाट चाट कर पानी ला रहा था, माँ भी लण्ड को चोकोबार की तरह चूसे जा रही थी। इतने में मेरा और मेरे दोस्त का लण्ड खड़ा कब हुआ, पता ही नहीं चला !
फिर अंकल ने माँ को लिटा कर उसकी टाँगें कंधे पर लेकर अपना लण्ड चूत पर रख दिया और चूत में पेलने लगा। उसका 6 इंच का लण्ड चूत को फाड़ रहा था। साल हरामी जोर जोर के धक्के मारने लगा। दस बारह मिनट में वो भी थक गया, वो माँ को पूरी तरह सन्तुष्ट नहीं कर सका, यह हम जान गए थे।
उनका खेल ख़त्म हो गया और वो कपड़े पहन रहे थे। हम वहाँ से चले गए। फ़िर अंकल चले गए और माँ सो गई।
मेरे दोस्त ने कहा- हम भी अंकल की बीवी को बताकर उसे भी हम चोदते हैं।
मैंने मना किया।
फिर उसे एक मस्ती सूझी, उसने कहा- आज मैं तेरे घर सोने आता हूँ।
मैंने हाँ कर दी।
रात को नौ बजे वो खाना खाकर आया। मेरा बाप तो घर पर सोता नहीं है। हम टी वी देखकर सो गए- मैं, मेरा दोस्त और माँ !
रात को बारह बजे मेरे दोस्त ने मुझे जगाया और मुझे कहा- मैं क्या करता हूँ, तू सिर्फ देख ! और मुझे चुप रहने को कहा उसने !
वो माँ के पास जाकर लेट गया और माँ के बदन पर अपना हाथ फेरने लगा। माँ सोई हुई थी और वो माँ को गर्म करने लगा था। वो माँ के मम्मों पर हाथ फेर रहा था, मैं देख रहा था। उसने माँ का ब्लाऊज खोल दिया और मम्मे चूसने लगा। मैंने भी हिम्मत की और माँ की दूसरी बाजू में जाकर दूसरा मम्मा चूसने लगा।
क्या मम्मे हैं ! वाह ! मैं पहली बार चूस रहा था।
इतने में मेरी माँ जाग गई और एकदम से घबरा गई और कहा- तुम यह क्या कर रहे हो ?
मेरे दोस्त ने कहा- हमारा भी लण्ड चूस कर देखो ! उस अंकल से बहुत अच्छा है ! उससे चुदवाती हो तो हमने क्या पाप किया है ?
माँ ने कहा- तुम्हें सब पता है तो फिर क्या डर है मुझे !
यह सुनकर मेरे तो होश ही गुल हो गए। मेरे दोस्त ने माँ की साड़ी खोली। अब माँ सिर्फ और सिर्फ पेटीकोट में थी, वो भी मैंने नाड़ा खोलकर नीचे खींच दिया। अब वो सिर्फ पैन्टी में थी। उसके ऊपर से मेरे दोस्त ने चाटना शुरु किया। उसकी चूत से पानी आने लगा। फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी। मैं और दोस्त सिर्फ अन्डरवीयर पहने थे। फिर वो चूत चाटने लगा और मैंने मुँह में लण्ड डाला। वो जोर से चूसने लगी। मैं उसके मुँह में चोदने लगा। उधर वो अन्डरवीयर उतार कर माँ की चूत में लण्ड डालने लगा था। माँ लेटे लेटे अपनी टाँगें फैलाने लगी और उसने 8 इंच का लण्ड माँ की चूत में पेल दिया।
फिर माँ ने मुझे कहा- तुम मेरी गांड में लण्ड डालो !
मैंने दोस्त को गांड मारने को कहा, मैं तो चूत मारूँगा ! माँ की गांड भी मस्त है
फिर उसने माँ को उठा कर बिस्तर पर ऐसे लिटाया कि मैं चूत के सामने था तो वो गांड के पीछे !
मुझे उसने कहा- सोच मत ! मार हथोड़ा !
फिर मैंने भी नंगा होकर मेरा सात इंच का लण्ड माँ की चूत पर टिका दिया। मैं मम्मे चूस कर चूत में लण्ड घुसाने की कोशिश रहा था, वो आह आहा अह अ करने लगी।
मैंने तो अभी लण्ड भी डाला नहीं फिर कैसे ?
मेरे दोस्त ने गांड भी मार दी थी। उसने तो पूरा का पूरा लण्ड गांड में घुसा डाला था ….
वो कहने लगी- जोर जोर से चोदो मुझे ! मैं बहुत प्यासी हूँ लण्ड की !
मैंने भी जोर लगाना शुरु किया और जोर से चूत में पेल दिया। उसे इतना खुश कभी नहीं देखा मैंने !
उस रात हमने उसकी खूब चुदाई की। मैंने सिर्फ चूत मारी, मेरे दोस्त ने उसके मुँह में, चूत और गांड को चार-पाँच बार चुदाई की। फिर मैं तो रात के तीन बजे ही सो गया लेकिन मेरे दोस्त ने माँ की पाँच बजे तक चुदाई की। इससे माँ भी खुश थी।
इस तरह मेरा दोस्त जब भी मौका मिलता है माँ की चुदाई करता है। मेरी माँ अब उस विशाल से नहीं चुदती है बल्कि मेरे दोस्त विकी से चुदती रहती है !
यह मेरी बुरी मगर सच्ची कहानी आप लोगों को कैसे लगी, मुझे मेल करें और बताये ! Antarvasna
मैं गौरव, मैं 46 साल का हूँ Hindi sex stories और मेरी सेक्सी बीवी शैला (बदला हुआ नाम) 40 साल की है। हमारी शादी हुए 20 साल हो गये हैं।
अब शैला में वो पहले वाली बात नहीं रह गई थी। अब तो वो बस चुदाते समय बस लेटी रहती थी, उसमे कुछ भी सेक्स बाकी नहीं रह गया था। मैं उससे बहुत बोर हो गया था इस तरह का सेक्स करते करते।
एक दिन मैंने शैला के ड्रॉवर का ताला खोला तो उसमें एक बड़ा सा डिल्डो यानि प्लास्टिक का लण्ड रखा हुआ था।
मैं तुरन्त ही समझ गया था कि अब उसे कोई साधारण नहीं, मोटे लण्ड की आवश्यकता है, शायद उसे इस डिल्डो से बड़े लण्ड की आदत हो गई थी इसलिये उसे अब मेरे लण्ड की चुदाई में मजा नहीं आता था।
यह सब देख कर अब तो मेरा मन उसे किसी प्लास्टिक के लण्ड से नहीं, पर सच में किसी किसी मोटे और बड़े लण्ड से चुदाई होते देखने का मन हो आया था।
वैसे शैला पहले बहुत ही सेक्सी औरत थी और वो कई कई बार एक ही दिन में चुदा लेती थी, उसे डर नहीं लगता था।
वो चुदने में एक्सपर्ट थी और सब काम उसे सेक्स में करना मन्जूर था। वो चुदाते समय लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूसती थी, अपनी गाण्ड में भी मस्ती से लण्ड ले लेती थी, 69 की पोजीशन में भी ओरल सेक्स के मजे लेती थी।
चुदते समय उसकी दर्द भरी आवाज में चिल्लाना, आहे भरना गर्म गर्म सांसें छोड़ना, चूतड़ों और चूत को उठा उठा कर लण्ड लेना, जीभ से लण्ड को सहलाना, उसकी वो कातिल निगाहें और मुंह से चूसने का अन्दाज और पूरा लण्ड मुंह में भर लेना, हम दोनों को बहुत ही मजा आता था।
अब कुछ सालों से वो ठण्डी हो गई थी और मुझे उसे फिर से गर्म करना था।
एक दिन मैं और शैला रात को कहीं से आ रहे थे। हम बिल्डिंग में आ गये तो देखा कि नया चौकीदार गेट पर था। वो कुछ पचास साल का होगा। वो मोटा सा लम्बा सा सांवले रंग का आदमी था।
मैंने इस बात को नोट किया कि जब हम ऊपर जा रहे थे तो वो मेरी बीवी शैला की गाण्ड को बहुत ही घूर रहा था।
शैला ने नाईटी पहन रखी थी सो उसकी गाण्ड पीछे से मस्त बाहर निकली हुई दिख रही थी।
मुझे लगा कि क्यूं ना मैं उससे शैला को चोदने के लिये बोलूं।
पर मुझे अभी उसके लण्ड का आकार भी देखना था क्यूंकि शैला को तो मोटे लण्ड की आवश्यकता थी।
मैं चौकीदार को दूसरे दिन दारू पिलाने ले गया और जब उसे पेशाब आया तो मै भी उसके साथ में गया।
जब उसने अपनी पैन्ट की जिप खोल कर लण्ड निकाला तो मैं उसका लण्ड देख कर दंग हो गया। काला सा मोटा सा लण्ड नौ इंच का था। मैं उसका लण्ड देख कर खुश हो गया।
उसका नाम रविंद्र था पर बहुत ही गर्म दिमाग का आदमी था और बहुत गाली देता था।
बातों बातों में मैंने भी थोड़ी बहुत पी ली थी फिर उससे पूछा कि तुम मेरी बीवी को घूर रहे थे।
पहले तो वो थोड़ा डरा, पर दारू के नशे में बोला- मस्त माल है… क्या गाण्ड है उसकी!
मैंने पूछा- तुम उसे चोदोगे?
इस पर वो उठ कर बोला- चलो, अभी चोद डालूंगा उसे।
अब हम घर की तरफ़ चल दिए। मैं उसे घर में ले गया और शैला से कहा- आज ये यहीं सोयेगा।
वो अब हमारे साथ सो गया।
हम बेड पर थे और वो नीचे सो रहा था।
थोड़ी देर बाद मैं उठा और मैंने जो पहनने को उसको लुंगी दी थी, उसे ऊपर कर दी।
उसने अपनी लुन्गी निकाल दी। अब उसका काला सा मोटा और बड़ा सा लण्ड खुला हुआ था। वो अब सोने की एक्टिंग करने लगा।
मैं दूसरे कमरे में चला आया और जोर से दरवाजा बन्द किया।
दरवाजे के बन्द करने की आवाज से शैला उठ गई। उसने रविंद्र के बड़े लण्ड को देखा तो उसे कुछ होने लगा।
वो सोचने लगी कि रविंद्र नशे में सो रहा है तो वो उसके लण्ड को सहलाने लगी।
इतने में मैंने दरवाजे को खोला तो शैला डर गई पर मैंने उसे कहा- मज़े कर।
अब रविंद्र भी उठ गया। उसने शैला की जम कर चुदाई की।
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वर्जिन चूत गर्ल सेक्स का मजा मुझे मेरे पड़ोस की एक लड़की ने दिया. वह एकदम कुंवारी थी. हालांकि उसकी सहेली मेरी गर्लफ्रेंड थी, फिर भी वह वासना वश मुझसे चुद गयी.
दोस्तो, मेरा नाम राजू है और मैं महाराष्ट्र से हूँ.
मैं मुंबई में रह कर पढ़ाई और चुदाई दोनों काम करता हूँ.
मेरी उम्र 23 साल है और मैं 2 साल से सेक्स स्टोरी पढ़ता आ रहा हूं.
यह मेरी पहली और सच्ची सेक्स कहानी है वर्जिन चूत गर्ल सेक्स की.
इस सेक्स कहानी की नायिका मेरी गर्ल फ्रेंड की सहेली है.
वह मुझसे एक साल छोटी है. उसका नाम दिव्या है.
उसका रंग एकदम गोरा और भरा हुआ बदन है.
वह ऐसी मस्त माल है कि जो भी उसे एक बार देख भर ले, उसका लंड सलामी देने लग जाएगा.
मैं और दिव्या काफी अच्छे दोस्त हैं.
उससे मेरी दोस्ती मेरी गर्लफ्रेंड के बन जाने से भी पहले से है.
मेरे मन में दिव्या को लेकर अब तक कभी कोई भी गलत इरादा नहीं बना था.
पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
हुआ यूं कि जब लॉकडाउन लग गया था, तब मेरा और मेरी गर्लफ्रेंड का मिलना बंद हो गया था. लॉक डाउन के कारण में उससे मिल नहीं सकता था.
इधर मेरी चुदास बढ़ती जा रही थी.
काफी दिनों से मुझे हाथ से ही काम चलाना पड़ रहा था.
उन्हीं दिनों लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलना शुरू हो गई.
किसी कारण से दिव्या को अपनी फैमिली के साथ मेरे मुहल्ले में शिफ्ट होना पड़ गया.
दिव्या को मेरे घर वाले पहचानते थे और उसके घर वाले भी मुझे पहचानते थे.
अब दिव्या हर रोज मेरे साथ आकर टाइम पास करने लगी थी.
उसी दौरान हमारे मोहल्ले में कोरोना के मरीजों की तादाद बढ़ गई, जिसके कारण दिव्या के पूरे परिवार को कोविड सेंटर जाना पड़ा.
इधर मेरे गांव वाले दादा जी की तबियत भी खराब हो गई, जिसके कारण मां और पापा को गांव जाना पड़ा.
लॉक डाउन के कारण मुझे जाने का पास नहीं मिल सका था तो मैं घर पर अकेला ही रह गया.
अब इधर दिव्या भी घर में अकेली थी.
मैंने उससे कहा- तू पूरा दिन मेरे साथ ही रहा कर और रात को सोने के लिए अपने घर चली जाया कर.
उसने भी हामी भर दी.
दो दिन में सब सामान्य चलने लगा.
उसे भी मेरे घर में रहना अच्छा लगने लगा.
दिव्या हम दोनों के लिए खाना बनाती और हम दोनों दिन भर मजाक मस्ती करते.
रात को वह अपने घर सोने चली जाती.
कुछ दिन यूं ही चला.
एक दिन वह सुबह सुबह अपने घर से तैयार होकर आई तो मेरी नजरें उस पर टिक कर रह गईं.
वह बड़ी ही खूबसूरत लग रही थी.
उसने काले रंग का सलवार कमीज पहना था. उसमें से उसके वक्ष की गली साफ दिखाई दे रही थी और उसके गुलाबी होंठ कुछ ज्यादा ही चमक रहे थे.
मैं बस उसे देखते ही कहीं खो गया.
उसने मेरे पास आकर चुटकी बजाई, मुझे होश में लाई और पूछा- ऐसे क्या देख रहा है?
तो मेरे मुँह से निकल गया- तुम आज कयामत दिख रही हो यार!
इस पर वह इठलाती हुई बोली- अच्छा जी … आपको आज मैं कयामत लग रही हूँ. इतने दिनों से आपको अपनी वाली के सिवा कोई और नजर नहीं आती थी क्या?
पर मैंने उससे बोल दिया- सच में आज बहुत खूबसूरत दिख रही हो.
कुछ देर के बाद वह बोली- अच्छा ठीक है. अब चलो, मैं नाश्ता बनाती हूं.
फिर उसने नाश्ता बनाया.
मैं किचन में उसके पीछे खड़ा होकर उसे ही देखे जा रहा था.
उसकी 32-28-34 की फिगर मेरे दिमाग में उथल-पुथल मचा रही थी.
मेरा 6 इंच का लंड मेरी लोअर में टेंट की तरह बिल्कुल खड़ा हो चुका था, जिसको दिव्या ने भी तिरछी नज़र से देख लिया था.
लौड़े को देखते देखते उसने कब नाश्ता बना डाला पता ही नहीं चला.
उसके बाद हम लोग नाश्ता करने लगे.
उस वक्त वह जब झुक रही थी तो मुझे उसके बड़े बड़े बूब्स नजर आ जाते, जिन्हें मैं बड़े गौर से देखता.
उसने मुझे ऐसे देखते हुई देख लिया पर कुछ बोली नहीं.
नाश्ता होने के बाद हम दोनों सोफे बैठ कर बात करने लगे.
उसने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा कि कितने दिनों से तुम लोग नहीं मिले हो?
मैंने कहा- मिलना तो छोड़ो यार … उससे बात भी नहीं हो पा रही है.
वह बोली- क्यों?
मैंने बताया कि उसकी जॉइन्ट फैमिली होने के कारण हमारी बात बहुत कम हो पा रही थी.
बातों ही बातों में मैंने उसे यह भी बताया कि उधर वह भी चुदाई के लिए मरी जा रही थी और इधर मेरा भी बुरा हाल था.
इतनी बात सुनने के बाद दिव्या कुछ नहीं बोली.
मैंने दिव्या से कहा- क्या यार, तू भी कैसे हम दोनों की बेबसी के मजे ले रही है. जबकि तुझे सब पता है.
वह बोली- हां मैंने ऐसे ही पूछ लिया … शायद तुम्हारा कुछ पर्सनल मुझे पता ना हो.
यह कह कर उसने आंख दबा दी.
मैंने कहा- क्या पर्सनल यार … हाथ से काम चलाना पड़ रहा है.
इस पर वह जोर जोर से हंसने लगी.
वह बोली- अब बोरियत हो रही है, चल मूवी देखते हैं.
मैंने उससे कहा- यार टीवी में सब वही बकवास मूवीज चल रही हैं.
वह बोली- चल, फिर लूडो खेलते हैं.
उसने अपने मोबाइल में लूडो लगा दिया.
वह मेरे सामने आकर बैठ गई.
अब खेलते खेलते मुझे फिर से उस के आम दिखने लगे और मैं भी उन्हें देखने लगा.
वह भी यह नोटिस कर रही थी पर कुछ नहीं बोली.
हमारा एक गेम खत्म होने पर मैंने उससे कहा- मैं वाशरूम जाकर आता हूँ.
मैं फट से बाथरूम में आकर उसके नाम की मुठ मारने लगा.
क्योंकि इतनी सेक्सी लड़की सामने बैठी हो और उसमें भी 4 महीने से आपके लंड को किसी बुर में जाने का मौका ना मिला हो तो तूफान तो उठने वाला ही है.
मैं दिव्या की फिगर और उसके बूब्स को याद कर रहा था और मुठ मारे जा रहा था.
तभी मेरा वीर्य निकला और मैं शांत होकर बाहर आ गया.
दिव्या मेरी तरफ पीठ कर सोफे पर बैठी हुई थी और मोबाइल में कुछ देख रही थी.
मेरी तरफ उसका ध्यान नहीं था.
मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हुआ तो मैंने देखा कि वह एक ब्लू फ़िल्म देख रही थी और अपने होंठ दबा कर बड़े ही मस्त से अपनी चूत रगड़ रही थी.
तभी उसको मेरी आहट लग गई और उसने जल्दी से मोबाइल बंद कर दिया.
वह नीचे देखने लगी.
तो मैं उसके पास गया और बोला- अरे क्या हुआ, मुझे भी दिखाओ!
तो वह बोली- क्या?
मैं बोला- वही, जो तुम अभी देख रही थी?
वह बोली- मुझे शर्म आती है.
मैंने कहा- अबे इसमें शर्म कैसी! ये तो सब देखते हैं.
उसने मोबाइल दे दिया और मैं वीडियो देखने लगा.
वह भी मेरे पीछे से चुदाई देखने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने वीडियो बंद कर दी और खुल कर उससे पूछा- तुम्हें भी यह करने का मन होता है?
उसने हां बोल दी.
पर वह बोली- तुम्हें तो पता है कि मेरा कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं है और मैं अब तक कुंवारी हूँ.
यह सुन कर तो मैं पागल हो गया और अन्दर ही अन्दर ठान ली कि आज कुछ भी करके इसके कुंवारी चूत के मजे लेकर ही रहूंगा.
मैंने उससे कहा- तुम उंगली तो डालती हो होगी?
उसने कहा- नहीं, मुझे डर लगता है. चलो तुम वीडियो चलाओ. उसी से मन भरते हैं.
उसके कहने पर मैंने वीडियो फिर से लगा दिया.
वह मुझसे बिल्कुल सट कर बैठी थी.
वीडियो देखते देखते हम दोनों गर्म हो गए.
मुझे लगा कि आज कुछ नहीं किया तो ऐसे ही रह जाएगा. इसलिए मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा.
उस पर वह कुछ नहीं बोली.
उसकी सांसें भी भारी होने लगीं.
मैं उसके कान के लौ के पास अपनी गर्म सांस छोड़ने लगा.
इससे वह और भी ज्यादा तड़प उठी और उसने जल्दी ही मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
अब वह भूखी शेरनी की तरह मुझ पर टूट पड़ी और बड़बड़ाने लगी- राजू चोद दो मुझे … अब नहीं रहा जाता. मैं काफी दिनों से तुझसे चुदना चाहती थी … प्लीज राजू आज मेरी आग बुझा दे.
उसके मुँह से ये सब सुनते ही मैं तो बिल्कुल पागल हो गया और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
मैं एक एक करके उसके दोनों होंठों को चूसने लगा.
वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
कभी वह मेरा ऊपर वाला लिप्स सक करती, तो कभी नीचे वाला.
एक हाथ से उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लौड़ा लोवर को फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब हो गया और फूल कर रॉड की तरह ही गया.
मैंने उसे उठाया और अपने बेडरूम में ले जाकर पटक दिया.
खुद उसके ऊपर चढ़ कर फिर से उसके होंठों को चूसने लगा.
कुछ मिनट तक मैंने उसके होंठों को चूमा और फिर उसके मस्तक पर एक प्यारी सी किस दी.
दोस्तो, कभी भी सेक्स और प्यार करते वक्त आप अगर लड़की को माथे पर किस करोगे, तो इससे लड़की को आप पर यकीन भी होगा और वह अपने आप को सेफ भी महसूस करेगी.
मस्तक को किस करते करते मैंने उसे पलटा दिया और उसकी गर्दन के पीछे किस करने लगा.
इससे वह तड़प उठी.
फिर मैं उसके कान की लौ की चूसने लगा, जिससे उसकी आह निकल गई.
कान से होते हुए मैं उसके पीठ पर आ गया. उसकी पीठ को चूमते चूमते मैं उसकी कमर तक आया और उसे फिर से सीधा कर दिया.
अब उसने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और मेरा लोवर भी निकाल दिया.
मैंने भी उसकी सलवार कमीज उतार दी.
अब वह मेरे सामने रेड कलर की ब्रा और पैंटी में पड़ी थी.
वाह क्या फिगर थी उसकी … मक्खन जैसा गोरा और चिकना बदन!
उसके सख्त बूब्स मेरे सामने एकदम पत्थर लग रहे थे.
शायद उन्हें आज तक किसी ने छुआ भी नहीं था.
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसके मम्मों के ऊपर टूट पड़ा.
मैं उसके दोनों बूब्स को बारी बारी से चूसने लगा. मैं उसके एक दूध को चूसता और दूसरे को दबाता.
कभी मैं निप्पल को मसल देता तो कभी निप्पल को होंठों में दबा कर खींच देता.
इस सबसे वह पागल हो गई.
वह ‘उह आह उह आह … फक मी फक …’ कहने लगी.
मेरे बालों में अपनी उंगलियां घुमाती हुई मेरे मुँह में अपनी चूचियाँ देती हुई कहने लगी- आह चूसो इन्हें … और चूसो … पी जाओ.
मैं और जोर जोर से उसके दूध चूसने लगा.
काफी देर तक मम्मों को चूसने के बाद अब मैं उसके पेट पर आकर किस करने लगा.
मैंने उसकी नाभि में जीभ डाली तो उसकी आह निकल गई.
शायद ये उसका हॉट-स्पॉट था.
मैंने लगातार जीभ की नोक से उसकी नाभि को कुरेदा तो वह एकदम पागल सी हो गई.
अब मैंने उसकी पैंटी उतार दी.
उसने भी अपनी दोनों टांगें हवा में उठा दीं और मैंने उसकी पैंटी को बाहर निकाल कर सूंघा.
पैंटी उसकी चूत के कामरस से भीग चुकी थी और बड़ी ही मादक खुशबू आ रही थी.
फिर मैंने जैसे ही उसकी चूत देखी तो समझो पागल ही हो गया. उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था. ऐसा लग रहा था जैसे वह आज ही बुर की झांटों को साफ करके आई हो.
मैंने उसकी तरफ वासना से देख कर इशारे से पूछा तो उसने मुस्कुरा कर कहा- हां मैंने आज ही शेविंग की है … और मुझे कुछ भी करके तुमसे बुर चुदवानी थी, इसलिए मैं घर पर अकेली बुर साफ करती रही.
मैंने कहा- चलो जान, आज तुम्हारी मनोकामना पूरी कर देता हूँ.
मैं उसकी जांघों को किस करने लगा.
वह कामातुर होकर ‘उह आह उह …’ करे जा रही थी.
उसकी दोनों जांघों को किस करने के बाद मैं उसकी चूत पर आ गया; उसकी गुलाबी चूत के मखमली होंठों को अलग किया और दोनों पुत्तियों को एक एक करके चूसने लगा.
वह बिन पानी की मछली की तरह तड़प उठी और मेरा सिर जोर से अपनी चूत में दबाने लगी.
मैं अन्दर तक अपनी जीभ डाल कर उसकी चूत को चोद रहा था.
कुछ ही पलों में उसने अपनी दोनों टांगों से और हाथों से मेरा सर अपनी चूत में दबा दिया और अपना पानी छोड़ दिया.
मैं उसका सारा नमकीन पानी पी गया.
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक कुंवारी लड़की का पानी कितना मजेदार लगता होगा.
मैं लगातार उसकी चूत चूसता रहा.
वह फिर से गर्मा गई.
अब मैं उठा तो उसने झट से मेरा अंडरवियर निकाल दिया.
जैसे ही मेरा 6 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लंड उसके सामने आया, वह हैरत से लंड को देखने लगी.
फिर धीरे से बोली- इतना बड़ा कैसे जाएगा मेरी चूत में?
मैंने कहा- जान तुम टेंशन मत लो, मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूंगा. पहली बार थोड़ा दर्द सबको होता है बस वो सहन कर लेना. अब पहले तुम इस लंड को प्यार करो.
यह सुन कर उसने एक प्यारी सी स्माइल दे दी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं तो जैसे जन्नत में था.
क्योंकि मेरी गर्लफ्रेंड को लंड चूसना पसंद नहीं था.
मैं भी उसे फोर्स नहीं करता था.
पर आज दिव्या मेरे लौड़े को किसी पोर्न स्टार की तरह चूस रही थी.
मैं स्वर्ग में था.
मैंने उसके मुँह की चुदाई चालू कर दी वह गप गप करके मेरा लंड को ले रही थी.
तभी मेरा वीर्य निकलने को आया और मैंने सारा माल उसके मुँह में ही छोड़ दिया.
वह भी माल पी गई और उसके बाद भी लंड को चूसती रही.
जिसकी वजह से मेरा लंड फिर से जोश में आकर खड़ा हो गया.
वह जब लंड चूस रही थी तो मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबाता और एक हाथ की उंगली उसकी चूत में डालकर उसे चोदता.
वह भी काफी गर्म हो गई और बोली- अब डाल दो इसे!
मैंने उसे लेटा दिया और एक तकिया उसकी कमर के नीचे लगा दिया.
उसने अपने पैर खोल दिए और मुझे चुदाई का निमंत्रण दिया.
मैंने उसके दोनों पैर हवा में उठाए और उसकी चूत के मुँह पर लंड सैट कर दिया.
लंड सैट करने के बाद मैंने एक बार उसकी तरफ देखा तो उसने मस्ती से अपनी कमर उठा कर इशारा दे दिया.
उसी पल मैंने धक्का दे दिया.
मेरा लंड पहले तो फिसल गया, उसकी चूत काफी टाइट थी.
मैंने उंगली डाल कर उसे थोड़ा चोदा, तो दिव्या आंखें बंद करके उह आह करती रही.
फिर मैंने छेद ढीला देख कर लंड का टोपा उसकी चूत में सैट करके जल्दी से अन्दर डाल दिया.
वह छटपटाने लगी.
मैंने अपने होंठों से उसकी आवाज दबा दी, उसकी आंखों में से आंसू आने लगे.
मैं रुक गया और उसके माथे पर चूमने लगा.
इससे वह दर्द भूल कर सामान्य हो गई.
मैंने और एक धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड उसकी चूत की सील तोड़ता हुआ अन्दर चला गया.
वह तेज स्वर में चिल्ला उठी. मैंने झट से उसका मुँह हाथ से बंद किया.
फिर देखा तो मुझे नीचे उसका रक्त दिखाई दिया, पर मैंने उसे बताया नहीं.
मैं इसके पहले भी दो सील तोड़ चुका था.
मैंने और एक धक्का लगाया.
अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था.
मैंने थोड़ी देर रुक कर उसको शांत होने दिया.
कुछ देर बाद वह खुद अपनी कमर उठा कर आगे पीछे करने लगी.
तब मैं समझ गया कि लड़की अब तैयार है.
मैं भी ऊपर से उस पर टूट पड़ा और जोर जोर से उसे चोदने लगा.
कुछ ही देर में मस्ती का आलम सर चढ़ कर बोल रहा था और वह बोल रही थी- आह फक मी … उह आह फक मी!
उसकी कामुक आवाजें पूरे रूम में गूंज रही थीं.
मैं उसे लगातार चोदे जा रहा था.
तभी वह एक बार झड़ गई और शांत हो गई.
अब मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा.
वह झट से घोड़ी बन गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड सैट कर दिया.
फिर लौड़ा पेल कर चोदने लगा.
वह फिर से गर्म हो गई.
मैंने उसे इसी तरह दस मिनट चोदा.
मैं जल्दी झड़ने वाला नहीं था क्योंकि मैंने मुठ मारी थी.
अब मैंने उसे दीवार से सट कर खड़ा होने को बोला.
वह हो गई.
मैंने उसका एक पैर बेड पर रखवा दिया और लंड पेल कर उसे दबादब चोदने लगा.
मैं उसे चोदे जा रहा था और वह बोल रही थी कि राजू मुझे पता नहीं था कि मेरी पहले चुदाई इतने अच्छे से होगी. आज से मैं तुम्हारी ही हो गई हूँ राजू. तुम जब चाहो मुझे चोद देना.
यह सुन कर मैंने भी जोश में आकर उससे अपने प्यार का इजहार कर दिया और उसे चोदने लगा.
अब मेरा पानी आने वाला था, तो मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और झटके लगाने लगा.
थोड़ी देर मैं वह तीसरी बार झड़ गई.
मैंने भी लंड निकाल कर उसके पेट पर अपना माल गिरा दिया.
उसने अपनी ब्रा से लंड की मलाई को साफ कर दिया.
वर्जिन चूत गर्ल सेक्स के पश्चात मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.
मैं हमेशा चुदाई के बाद लड़की को अपनी बांहों में लेकर उसे प्यार करता हूं, इससे लड़की को काफी सुकून मिलता है.
दोस्तो, फिर जब तक दिव्या की फैमिली कोविड सेंटर से वापिस नहीं आ गई, तब तक मैंने उसे हर रोज हर रात चोदा.
मैंने उसकी गांड भी मारी.
वह सेक्स कहानी कभी और लिखूंगा.
दिव्या ने मुझे कैसे अपनी और सहेलियों से मिलाया, मुहल्ले की एक भाभी को भी चुदवाया और उसने मुझे एक प्लेबॉय बना दिया.
तो दोस्तो, आपको मेरी वर्जिन चूत गर्ल सेक्स कहानी कैसी लगी, कृपया बताएं.
rajuroyal6450@gmail.com
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बात उन दिनों की है Antarvasna Stories जब मैं 12वीं की बोर्ड की परीक्षा देकर फ़्री हुआ था और रिजल्ट आने में तीन महीने का समय था।
ये वो समय होता है जब हर लड़का अपने बढ़े हुए लंड के प्रति आकार्षित रहता है साथ-साथ बढ़ती हुई काली-काली घुंघराली झांटे उसका मन जल्दी से किसी नशीली चूत का रस पान करने को प्रेरित करती हैं।
मैंने फ़्री टाइम को सही इस्तेमाल करने के लिये एक इंगलिश स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन कर लिया।
हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक नये इंगलिश कोचिंग सेंटर खुला था जहां मैं अपना एडमीशन लेने पहुंच गया।
मेरे लौड़े की किस्मत अच्छी थी वहां जाते ही मेरा सामना एक कमसिन, अल्हड़, मदमस्त, जवान, औरत से हुआ जो पता चला वहां की टीचर है।
उसके गोरे-गोरे तन बदन को देखते ही मेरा तो लौड़ा चड्डी में ही उचकने लगा।
उसकी खुशबूदार सांसो ने मन मे तूफ़ान पैदा कर डाला था।
मन तो उसके तुरंत चोदने को कर रहा था पर क्या करता वहां तो पढ़ने गया था।
एडमीशन देते हुए वो भी मुझे आंखों ही आंखों में तौल रही थी।
वो 27 साल की भरे बदन वाली मैडम थी।
शादी-शुदा, उसकी दोनो बूब्स (चूचियां) आधा किलो की थी और उसके गद्देदार मोटे चूतड़ (गांड) उभार लिये संगमरमर की मूरत से तराशे हुए हिलते ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हो- ‘आजा राजा इस गांड को बजा जा’
मैंने एडमीशन लेकर पूछा- कितने बजे आना है मैडम?
वह मुस्करा कर बोली- सुबह 7 बजे आना।
‘साथ क्या लाना है?’
वो बोली- एक कोपी बस!
मैं घर वापस आ गया पर सारी रात सुबह होने के इंतज़ार में सो न सका।
रात भर मैडम की हसीन मुस्कान और चेहरा सामने था।
मैं बार-बार उनके ब्लाउज़ में कैद उन दो कबूतरों का ध्यान कर रहा था जो बाहर आने को बेताब थे।
उनकी चूत कैसी होगी?
गुलाबी चूत पे काला सिंघाड़ा होगा, उनकी चूत का लहसुन मोटा होगा या पतला, मुलायम मीठा या नमकीन, कितना नशा होगा उनके चूत के रस में?
उनकी बुर की फांकें गुलाब की पत्तियों सी फैला दूं तो क्या हो?
यह कल्पना और मदहोश कर रही थी जिससे मेरे लंड फूल कर लम्बा और मोटा हो गया था और मेरी चड्डी में उसने गीला पानी छोड़ दिया।
अगले दिन सुबह, जल्दी से नहा कर मैं इंगलिश की कोचिंग में टाइम से पहुंच गया।
उस क्लास में और भी कुछ हसीन लड़कियाँ थीं। कुछ खूबसूरत शादी-शुदा औरतें भी थी जो हाई क्लास सोसाइटी में अपनी धाक जमाने के लिये इंगलिश सीखना चाह रही थीं ताकि हाई क्लास की रंगीनियों का मज़ा उठाया जा सके।
मैं पीछे की सीट पर बैठ गया।
थोड़ी देर में मैडम वहां आयी और गुड मोर्निंग के साथ मुझ पर नज़र पड़ते ही बोली- तुम आगे आकर बैठो।
उनके कहने पर मैं आगे की सीट पर बैठ गया।
वो सबको अपना परिचय हुए बोली- हाय मै निशा हूँ। अब आप लोग अपना परिचय दीजिये।
हम सबने अपना-अपना परिचय दिया।
फिर वो ब्लैक बोर्ड की तरफ़ मुड़कर लिखने लगी।
जैसे ही वो मुड़ी उनकी गांड मेरे सामने थी और मन फिर उनकी गांड मारने के ख्याल में खो गया। क्या करुं जवानी 18 साल की कहां शांत रहती।
वो बहुत सुंदर लाइट कलर की साड़ी पहने थी। लाइट पिंक ब्लाउज़ के नीचे उनका काला ब्रा साफ़ दिख रहा था।
साड़ी के पल्लु से उनकी चूची का बोर्डर ज़बान पे पानी ला रहा था।
लालच मन में जगा रहा था।
दोनों चूचियों के बीच की गहरी लाइन ब्रा के ऊपर से लंड को मस्ती दिला रही थी।
वो मुड़ कर वापस क्लास को बोलने लगी ग्रामर के बारे में और मेरे एकदम पास चली आयी।
मैं बैठा था और वो मेरे इतने करीब खड़ी थी कि उनका खुला पेट वाला हिस्सा मेरे मुंह के पास आ चुका था जिसमें से उनकी गोल-गोल गहरी टोंडी (नाभि) की महक मेरे नथुनों में मीठा ज़हर घोल रही थी।
फिर उनका पेन हाथ से गिरकर मेरे सामने टपक गया जिसे लेने वो नीचे झुकी तो दोनों चुचियाँ मेरे मुंह के सामने परस गये।
उस दिन क्लास ऐसे ही चलता रहा।
फिर जब क्लास खत्म हुआ तो जब सब चलने लगे तो मैडम ने मुझे रुकने को कहा।
मैं अपनी कुरसी पर बैठा रहा।
सबके चले जाने के बाद मैडम मेरे पास आयी और बोली-हेंडसम लग रहे हो!
मैंने कहा- थैंक यू।
“तुम अभी क्या करते हो?”
मैं बोला- अभी 12वीं का एक्साम दिया है अब मैं फ़्री हूं।
मैडम बोली- मतलब अब तुम बालिग (एडल्ट) हो गये हो।
“यस मैडम!” मैं बोला।
“हऊ ऊउम…”
वो कुछ सोच कर बोली- तुम्हारा केला तो काफ़ी बड़ा है।
“केला???” मैं समझ तो गया था कि मैडम मेरे लंड की तरफ़ इशारा कर रही हैं पर मैं अंजान बना रहा।
मैंने पूछा- किस केले की बात कर रही हैं आप?
“अरे अब इतने अंजान मत बनो मेरे राजा, तुम्हारा लौड़ा जो काफ़ी बड़ा है और जो इस पैंट के नीचे से फूल कर बाहर हवा खाने को बेताब है। शायद इसने अभी तक गुझिया (चूत) का स्वाद नहीं चखा।”
असल में मैं क्लास जल्दी पहुंचने के चक्कर में नहा कर पैंट के नीचे अंडरवेअर पहनना भूल गया था जिससे मोटा लौड़ा तन कर पैंट में अपनी छाप दिखा रहा था।
मैडम को फ़्री और फ़्रेंक होता देख कर मैंने भी कह दिया- हां मैडम, अभी तक किसी की चूत का स्वाद नहीं चखा है।
वो बोली- शनिवार की सुबह 6 बजे मेरे घर आ सकते हो, मैं अकेली रहती हूं। दर असल मेरे पति नेवी में हैं और हमारे कोई औलाद नहीं हैं। तुम आजाओगे तो मुझे कम्पनी हो जायेगी।
मैंने फ़ौरन हामी भर दी।
मैं जानता तो था कि मैडम को मेरी कम्पनी क्यों चाहिये थी।
उनको अपनी बुर की खुजली मिटानी थी और फिर जब पति नेवी में गांड मराये तो पत्नी दिन भर जब टीचिंग से लौट कर आये तो चूत चोदने को कोई लौड़ा तो चाहिये ही। इसमे कुछ गलत नहीं हैं। हर औरत की, हर लौंडिया की चूत में गर्मी चढ़ती है और उसकी चूत की आग सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही शांत कर सकता है।
सारी रात मैडम का ध्यान कर मैं सो न सका।
सुबह घड़ी में अलार्म लगा दिया 5 बजे का।
मम्मी भी सुबह अलार्म की आवाज़ से उठ गयी और बोली- इतने सुबह कहां जा रहे हो?
मैंने कहा सुबह रोज़ अब मैं जल्दी उठ कर जोगिंग करने जाउंगा और फिर वहीं से क्लास अटेंड कर वापस आऊंगा।
अब उनसे क्या कहता कि मैडम की चूत की खुजली शांत करने जा रहा हूं।
सुबह चाय पीकर मैं तुरंत टैक्सी कर मैडम के पते पर कोपी लिये पहुंच गया।
डोरबेल की घंटी बजायी तो थोड़ी देर बाद मैडम ब्लैक नाइटी पहने मुस्करा कर दरवाजा खोलती नज़र आयी।
उनकी नाइटी के दो बटन ऊपर के खुले थे और ब्रा नहीं पहने होने के कारण दोनों चूचियाँ मुझे साफ़ दिख रहीं थीं।
नीचे पेटीकोट भी नहीं था क्योंकि उन्होंने मेरा हाथ कमर पे रख मुझे अंदर बुलाया जिससे उनका बदन मेरे हाथ में आ गया था।
सामने खुला हुआ सीना मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रहा था।
वो मुस्कुरा कर बोली- अब ऐसे ही खड़े-खड़े मेरी सूरत देखते रहोगे या मुझे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पे भी ले चलोगे। मेरी जवानी कबसे मोटे लंड की आग में जल रही है, मेरी जवानी के मज़े नहीं लूटोगे?
मैंने तुरंत कोपी पास पड़ी टेबल पर फेंक दी और मैडम को झट से अपनी बाहों में उठा लिया।
उनके खुले बाल मेरे हाथ पर थे और उन्होंने मेरे होंठों को अपने लिप्स में कैद कर लिया।
उनका बेडरूम सामने ही था।
मौसम थोड़ा गर्म था इसलिये मैं उनको पहले बाथरूम में ले आया जहां उनको थोड़ा नहला कर मालिश कर गर्म कर सकूं।
मैंने मैडम को बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर उनकी काली नाइटी के ऊपर से पूरा मांसल बदन दबाया, फिर सहलाया।
उनके हाथ ऊपर कर उनकी काली नाइटी धीरे से उतार दी।
अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी।
दूधिया बदन गोरी गोरी मोटी चूचियाँ और हल्के काले घुंघराले बालों के बीच गुलाबी मुलायम चूत!
मैंने शोवर चालु कर दिया पानी ऊपर से नीचे हर अंग को भिगो रहा था। मैंने उनको चूमना चाटना शुरु कर दिया। होंठों से होंठ फिर गाल सब पर ज़बान फेर कर मज़ा देता गया। दोनो चूचियाँ बार बार दबा कर निप्पलों को मुंह में भर लिया।
उनके पिंक निप्पल मोटे और बहुत सोफ़्ट थे।
ज़बान निकाल कर गोल-गोल निप्पल पर घुमा कर चाट कर पिया।
वो बोली- आअ हह … उह हह… ईईस्स सस… मज़ा आ गया … और पियो ये निप्पल कब से तरस रहे थे कि कोई इनको पिये।
मैंने कस कर चूची मर्दन किया दबा दबा कर निप्पलों उकेर कर दोनो निप्पलों पर जबान से खूब खुजली की।
मैडम भी अपनी ज़बान निकाल कर मेरे ज़बान के साथ अपने निप्पलों चाट रहीं थी।
उनकी चूचियाँ फूल कर बड़ी हो गयी थी और मैं नीचे उनके नाभि पर आ गया था।
गोल नाभि की गहरायी नापने में 2 मिनट लगा, इससे पहले चूचियों का मसाज और निप्पलों को चूस कर 10 मिनट तक उनको प्यार के नशे में डुबाता चला गया।
इस क्रिया से मेरा लौड़ा भी नागराज की तरह फुंकारता हुआ खड़ा हो कर 7इंच का हो चुका था जिस पर मैडम का हाथ पहुंच गया था।
मैंने धीरे से मैडम को बाथरूम के फ़र्श पर लिटाया ताकि उनकी चूत खुल कर मेरे सामने आ सके और मैं उनकी गुलाबी गुझिया में उंगली डाल सकूँ।
मैं धीरे से उनकी चूत का रस पीने के इरादे से नीचे गया।
उनकी झांटों पर पड़ी पानी की बूंदों ने मुझे उनके झांटों पर चांदी की तरह चमकती बूंदों को पीने की चाह जगा दी।
मैं उनकी काली, मुलायम घुंघराली झांटों को अपने होंठों में कैद कर अपने लिप्स से पीने लगा।
उनकी जब झांटें खिंचती तो वो अह्ह्ह हह्ह … ऊऊह ह्हह … ह्हहा ईईइ … ज्जज्ज जाआ अनन्नन्न … स्सस्सस … करती जिससे मेरा लंड और कड़क हो जाता।
उनकी झांटों से पानी साफ़ करने के बाद मैंने दोनो उंगलियों से उनकी चूत की गहरायी को नापा मतलब दोनो उंगलियाँ अंदर गुलाबी छेद में डाल दी गहरायी तक।
फिर ज़बान पास लाकर उनके चूत का सिंघाड़ा अपने मुंह में कैद कर लिया।
करीब 10 मिनट तक उनकी नशीली चूत का रस अपनी ज़बान से पीता रहा और उनकी गर्म चूत में अपनी ज़बान चलाता रहा। ऊपर से नीचे फिर नीचे से ऊपर और फिर ज़बान को कड़ा कर अंदर बाहर भी।
ज़बान से चूत रस चाटते वक्त मैंने एक उंगली नीचे खूबसूरत से दिख रहे गांड के छेद पे लगा दी।
उनको तैयार कर मैंने अपना अंडरवीअर उतारा जिससे मैडम बाथरूम के फ़र्श पर उठ कर मेरे ऊपर मेरी तरफ़ गांड कर 69 की पोजीशन में लेट गयी और मेरा लंड अपने मुंह में डाल लिया।
मैं मैडम की चूत मैं नीचे से पीछे से ज़बान डाल कर उनका रस चाटे जा रहा था और मैडम को मेरा गुलाबी सुपाड़ा बहुत मज़ा दे रहा था।
वो बच्चों की तरह उसे चूसे जा रहीं थी क्योंकि उनको लंड बहुत दिन बाद नसीब हुआ था।
मेरा तना लंड उनको बहुत मज़ा दे रहा था.
वो 5 मिनट तक मेरा लौड़ा अपने होंठों में कैद कर चूसती रहीं ज़बान से लंड के सुपाड़े को चाट-चाट कर लाल कर दिया था.
और लंड तन कर रोड की तरह पूरा कड़ा हो गया था.
पर मैडम छोड़ ही नहीं रहीं थी।
मैंने बोला- मैडम, मैं झड़ने वाला हूं!
तो उन्होंने मुझे खड़ा कर दिया और खुद भी मेरे ऊपर से हट गयी।
बोली-आओ राजा मेरी ज़बान पर गिरा दो।
वो मेरे लंड के पास मुंह खोल कर ज़बान निकाल कर बैठ गयीं।
मैंने अपने हाथ से हिला कर जल्दी से अपना सारा गर्म गर्म शहद उनकी ज़बान पे गिराया जिसे उन्होंने अपनी आंखे बंद कर जन्नत का मज़ा लिया।
वो मेरे गर्म वीर्य की आखिरी बूंद तक चाट गयी।
फिर उन्होंने अपना मुंह धोया और मुझे बोली- अब मुझको बेडरूम में ले चलो राजा।
मैं भी उनकी चूत चोदने को बेताब था।
मैंने उनको उठा लिया और बेड पर चित लिटा दिया।
उनकी दोनों गोरी टांगों को मैंने खूब फैला दिया ताकि उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुल जाये और मुझे उनकी चूत को चाटने में ज़रा भी कठिनाई न हो।
वो फिर से मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर आगे पीछे हिलाने लगी।
उनके ये करने से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा।
मैंने उनकी नशीली चूत को चाट कर अपने थूक से चिकना किया।
वैसे उनकी चूत बहुत मक्खन सी मुलायम और मलमल सी चिकनी थी। वो गर्म-गर्म मलाई से भरपूर चूत मुझे अब जन्नत सी लग रही थी जिसको अब चोदना बहुत ज़रूरी हो गया था।
मेरे लप-लप कर उनकी चूत को चाटने से वो अपने मुंह से सी … सी … ऊऊओ … अह्ह्ह ह्ह कर रही थी।
बोली- मेरे राजा, जल्दी से अपना 7 इंच का शेर मेरी प्यार की गुफ़ा में घुसा दो। जल्दी से इस चूत की खुजली शांत करो। बहुत तड़प रही हूं।
मैंने जल्दी से उनकी गोरी मांसल जांघों को दूर दूर किया और लौड़ा पकड़ कर अपना सुपाड़ा चूत के मुंह पे टिका कर सहलाया।
फिर एक धीरे से ज़ोर लगाया जिससे लंड खच की आवाज़ से अंदर गर्म गर्म चूत में अंदर तक समा गया।
वो आंखें बंद कर मस्त होने लगी।
मैं बोला- निशा तुम बहुत मस्त हो।
वो मुस्कुरा दी।
मैंने अपने लंड का वेग बढ़ा दिया; लंड जल्दी जल्दी अंदर बाहर चलने लगा।
लंड पूरे ज़ोर से अंदर बाहर आ जा रहा था जिससे निशा की चूचियाँ भी हिल रही थीं।
दोनों बूब्स को मैंने हाथ में भर कर मसलना शुरु कर दिया था और उनके निप्पल भी अपने होंठों में चूसने लगा।
निशा की जवानी लूट कर 10 मिनट तक गर्म लंड रोड सा उसकी बुर को फाड़ता रहा।
फिर मैंने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला और अपना गर्म वीर्य उसकी चूत के ऊपर और टोंढी के छेद में डाल दिया।
अब वो शांत हो चुकी थीं और मेरा पहला प्यार का क्लास 1 घंटे में खत्म हुआ था।
सेक्स की इस क्लास में मुझको मज़ा मिला था।
अनोखा मज़ा। Antarvasna Stories
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