Our site can help you find a professional massage girl in Rajsamand who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Rajsamand that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Rajsamand massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Rajsamand who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Rajsamand massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Rajsamand massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Rajsamand who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Rajsamand employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Rajsamand helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Rajsamand
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Rajsamand at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
मैं अपनी एक Sex Stories वास्तविक कहानी लिख रहा हूँ, अगर आपको पसन्द आए तो मुझे उत्तर लिखें।
बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था…
मेरी अन्तिम परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी थीं और मैं उदयपुर से अपने पैतृक नगर सूरत ट्रेन से जाने वाला था। शाम के चार बजे थे, मैं सही समय पर स्टेशन पहुँच गया था, मेरी सीट किनारे और नीचे वाली थी। मैं ट्रेन में बैठा हुआ सोच रहा था कि आगे क्या करना है। वैसे ट्रेन में कोई अधिक भीड़ नहीं थी। जैसे ही ट्रेन चलने लगी, मैंने देखा कि एक औरत जो लगभग तीस-बत्तीस साल की थी, आई। उसने मुझसे पूछा- आपकी सीट कौन सी है?
मैंने उसे बताया – “सीट नम्बर ग्यारह”
उसने अपनी टिकट देखी उसकी सीट की संख्या बारह थी, यानि ऊपर वाली सीट। उसके साथ उसका तीन साल का लड़का भी था। वह खिड़की पर आकर बैठ गया।
उस महिला ने मुझसे पूछा,”क्या सामान रखने में आप मेरी थोड़ी सी सहायता कर सकते हैं?”
मैंने उसकी सहायता की और सारा सामान सही-सही सीट के नीचे रख दिया। वह ऊपर जाकर बैठ गई। उसका लड़का नीचे ही बैठा था और मेरे साथ खेल रहा था।
ट्रेन चलती गई, एक घंटे के बाद पहला स्टेशन आया, तो वह नीचे उतर आई और चाय वाले को आवाज़ देकर चाय लेकर पीने लगी। मैंने भी चाय ली। जब वह पैसे देने लगी, तो मैंने कहा कि मैं दे देता हूँ, और मैंने दोनों की चाय के पैसे दे दिए। थोड़ी देर बाद हम बातें करने लगे। वह नीचे की सीट पर ही बैठी थी।
“मेरा बच्चा परेशान तो नहीं कर रहा है?”
“नहीं… बिल्कुल नहीं” मैंने उत्तर दिया।
“आप कहाँ जा रही हैं?” चाय पीते-पीते ही मैंने उससे पूछा।
“मुम्बई !” उसने बताया।
“आपके पति नहीं जा रहे हैं?”
उसने बताया कि उसका तलाक़ हो चुका है और वह अपने भाई के घर जा रही है। कुछ देर की चुप्पी के बाद हमारी बातें दुबारा शुरु हो गईं।
उसने मुझसे पूछा,”आप क्या करते हैं?”
“मैंने अभी-अभी कॉलेज की पढ़ाई खत्म की है और मैं घर जा रहा हूँ।”
थोड़ी देर बाद मैंने अपने बैग में से मिक्सचर नमकीन निकाले और उसे ऑफर किया तो वो भी मेरे साथ खाने लगी। अब मैं उसके बिल्कुल पास बैठा था और मैंने मिक्सचर वाला हाथ उसकी गोद में रख दिया तो मेरा हाथ उसकी जाँघ को छूने लगा। ट्रेन के हिलने से मेरा हाथ उसकी जाँघ से रगड़ रहा था, शायद उसे भी अच्छा लग रहा था।
फिर हम दोनों के बीच काफी बातें हुईं। उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?
तो मैंने कहा- नहीं !
उसने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता।
तो मैंने कहा- कोई पसन्द ही नहीं आई।
थोड़ी देर बाद शाम के सात बज गए और बाहर अन्धेरा हो गया। ट्रेन क़रीब-क़रीब खाली थी। हम लोगों को कोई भी देखता तो यही समझता था कि पति-पत्नी होंगे क्योंकि हम काफी आराम से बातें कर रहे थे।
कुछ देर के बाद मैं पैर फैलाने को हुआ तो वह सरक गई। मैंने भी उससे कहा- आप थक गईं होंगी, आप भी पैर फैला लीजिए।
वह भी अधलेटी सी हो गई। अब उसके पाँव मेरी ओर और मेरे पाँव उसकी ओर थे। उस समय थोड़ी-थोड़ी ठंड लग रही थी, तो मैंने शॉल ओढ़ ली। मेरा एक पाँव उसकी गाँड से और उसका एक पाँव मेरी गाँड से छू रहा था।
थोड़ी देर में मुझे अच्छा लगने लगा और वह भी उत्तेजित हो गई। मेरा लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने थोड़ी और आज़ादी से अपने पैरों को उससे छुआया तो वह कुछ भी नहीं बोली। मैं भी समझ चुका था कि वह तैयार है। अब वह भी मुझे ठीक से छूने लगी थी। मैंने खुज़ली करने के बहाने उसके पैरों को छुआ तो उसने कहा- ठीक से पैर फैला लो।
मैंने कहा- ठीक है, फिर मैं थोड़ा और लेट गया। थोड़ी देर बाद हमने खाना खा लिया।
ट्रेन में सभी शायद यही समझ रहे होंगे कि हम पति-पत्नी हैं। कुछ देर के बाद उसका बच्चा सो गया। वह नीचे ही सो रहा था। हमने ऊपर में किनारे बैग रखकर उसे ऊपर की बर्थ पर सुला दिया। अब ट्रेन में बत्ती धीरे-धीरे बुझ चुकी थी। सिर्फ दो-तीन केबिन में ही नाईट-बल्बें जल रही थीं। इत्तेफाक़ से हमारी जगह पर बत्ती लगी ही नहीं थी।
हम फिर शॉल ओढ़ कर फिर से वैसे ही अधलेटे रहे। उसने फिर से गर्लफ्रेण्ड की बात छेड़ दी, तो मैंने कहा,”गर्लफ्रेण्ड तो नहीं है, पर…”
“पर क्या…?”
“कुछ नहीं…?”
उसके बार-बार पूछने पर मैंने कहा,”आप बुरा मान जाएँगी”
“नहीं मानूँगी।”
“…हाँ, पर मैंने मस्ती बहुत की है…”
“और वो…?”
अब वह भी उत्तेजित लग रही थी और पूरी लेट गई थी और मैं भी…, अब मेरे लंड उसकी गाँड के पास छू रहा था। मेरा ८ इंच का लण्ड खड़ा हो गया। मैंने लंड को सम्भालने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। अब मैं समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार है।
अब मैं उसका पेट नीचे से सहला रहा था फिर उसके पेटीकोट में नीचे से हाथ डालकर उसकी जाँघों तक भी सहलाना शुरु किया। वह पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। मैंने उससे कहा कि मेरे किनारे में आ जाए तो वो आ गई। अब हम एक ही किनारे में लेटे हुए थे। हमने कम्बल ओढ़ ली थी, क्योंकि एक तो ठंड वैसे भी थी और ऊपर से एसी कोच होने के कारण ठंड का असर अधिक ही था। मैंने सामने का परदा डाल दिया और पाया कि ठंड की वजह से सारे लोग सो रहे थे। परदा डाल कर मैं वापस आया।
मैंने उसे चूमा और उसकी चूचियों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। उसने मेरा लंड पकड़ लिया था। मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वह पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबा रही थी। धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ा और उसके ब्लाऊज़ में हाथ डालकर उसकी चूचियों को दबाने लगा।
मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए, उसकी मलाई जैसी चूचियाँ मुझे दिख रही थीं। मैंने उसकी चूचियाँ अपने मुँह में ले लीं और कभी बाईं तो कभी दाईं चूची को चूसने लगा। मैं अब उसे चोदना ही चाहता था, मैंने उससे कहा- तुम टॉयलेट में आ जाओ। मैं पहले जाता हूँ, तुम दो मिनट के बाद आ जाना।
मैंने टॉयलेट में जाते समय अटेण्डर को दो सौ रुपये दिए और कहा कि बच्चे का ख्याल रखना, तो वह समझ गया।
मैं टॉयलेट में जाकर प्रतीक्षा करने लगा। दो मिनट को बाद वह उसने धीरे से दरवाज़ा खोला, मैंने उसे झट से अन्दर खींच लिया और दरवाज़ा लॉक कर लिया। मैंने उसकी ब्लाऊज़ खोल दी और साड़ी भी अलग कर उसकी चूचियों को चूसने लगा। वह फिर से उत्तेजित हो रही थी। मैंने उसकी पेटीकोट खोल कर उसे पूरी नंगी ही कर दिया। मैंने देखा, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी क्लीन-शेव चूत को देखकर मैं उसकी चूत रगड़ने लगा।
अब उसने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और मेरे लंड को हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद वह झुकी और लंड को गप्प से अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं तो सातवें आसमान पर था। मैंने मेरी पैन्ट और टी-शर्ट पूरी उतार दी। मैं उसकी चूत पर हाथ रख रगड़ रहा था, जिससे उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरु कर दिया। मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा। वह और भी उत्तेजना से भर गई। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं भी मज़े ले-लेकर उसकी चूत को चाट रहा था और दाहिने हाथ से उसकी चूचियों को बारी-बारी से दबा भी रहा था।
इतना सब होने के बाद अब उससे रहा नहीं जा रहा था… उसने मुझसे कहा- अब मत तड़पाओ…
उसके ऐसा कहने पर मैंने उसका एक पाँव टॉयलेट के कमोड पर रखा तो उसकी चूत फैल गई, और मैंने अपना लंड एक ही बार में पूरा-का-पूरा उसकी चूत में डाल दिया। वह चिल्ला पड़ी, मैंने तुरन्त उसे फ्रेंच किस दिया और धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
वह सिसकियाँ ले रही थी। अब वह छूटने वाली थी और उत्तेजना के मारे बड़बड़ा रही थी- और ज़ोर से, और ज़ोर से…
मैं अब लम्बे-लम्बे झटके देने लगा और दो मिनट के बाद हम दोनों एक ही साथ झड़ गए।
हम बाहर आए और अपनी सीट पर बैठ गए और एक-दूसरे को चूमने लगे। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहला रही थी और मैं उसकी चूचियाँ भी दबा रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया तो मैंने चुदाई का कार्यक्रम बर्थ पर भी शुरु कर दिया। हमारा यही कार्यक्रम पूरी रात चला। मैंने उसे रात भर में तीन बार और चोदा।
सुबह हमने एक-दूसरे को चूमा और अलविदा कह चल पड़े।
तो यह था मेरा रेलगाड़ी का अनुभव
कृपया अपनी टिप्पणी मुझे अवश्य मेल करें। Sex Stories
यह आज से एक साल पुरानी बात है, मुझे चेटिंग Antarvasna करने का बहुत शोक है और मैं चेटिंग पर लड़कियों और शादीशुदा औरतों से सेक्स की बातें किया करता था। उनको चेट के जरिये चोदा करता था, मजा आता था इस सब में। मुझे पर फ़िर धीरे धीरे वस्तविक सेक्स करने की इच्छा होने लगी। इसलिए मैंने चेटिंग पर असंतुष्ट महिला की तलाश शुरू कर दी।
एक दिन मैं चेट करने के लिए किसी को ढूंढ रहा था, तभी मुझे एक प्राइवेट मैसेज मिला, वो एक औरत का मैसेज था। वो अपने पति से असंतुष्ट थी, उसका नाम रचना था, उसकी उमर ३२ साल थी। उसने मुझे अपना फ़ोन नम्बर दिया और शाम को फ़ोन करने के लिए बोला। मैंने जब शाम को उसको फ़ोन किया थो उसने मुझसे ज्यादा बात ना करते हुए सिर्फ़ अपना पता दिया और २ दिन बाद आने के लिए कहा।
मैं जब उसके घर गया तो वो अकेली थी। वो एक बहुत ही सुंदर महिला थी उसको देख कर लगता नहीं था कि वो ३२ साल ही की है। हम दोनों सोफे पर बैठ गए और बात करने लगे। मैंने उससे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?
तो वो कहने लगी कि वो एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में काम करता है और ज्यादातर बाहर ही रहता है इसीलिए उसको समय नहीं दे पाता और वो तड़पती रहती है। उसकी शादी को ५ साल हो गए लेकिन उनके कोई बच्चा भी नहीं है। फ़िर वोह रोने लगी। मुझे उस पर बहुत दया आई और मैं उठकर उसके पास गया और उसको चुप करने लगा।
वो एकदम से मुझसे चिपट कर रोने लगी। मुझे उसकी चुचियों का दबाव अच्छा लगने लगा और मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मैंने उसकी कमर पर हाथ फिराना शुरू कर दिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा। अब उसकी रोने की सिसकी मस्ती की सिसकी में बदल गई। मैं धीरे धीरे उसकी चुचियों को दबाने लगा। उसकी चूची एकदम टाइट हो गई। अब वो पूरी तरह मस्ती में आ चुकी थी।
मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया और ब्रा भी। मैं तो उसकी चूची देख कर हैरान रह गया, क्या मस्त एक दम सीधी खड़ी थी !
मैंने उनको जोर जोर से दबाना और चूसना शुरू कर दिया। उसने भी मेरी पैंट खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगी। वो मेरा लण्ड देख कर बहुत खुश हो गई, कहने लगी कि उसके पति का तो बहुत छोटा है !
फ़िर उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मैंने उसके। उसका खूबसूरत नंगा जिस्म देख कर मैं तो पागल हो गया। मैंने उसको वहीं ज़मीन पर लिटाया और उसके पूरे शरीर पर किस करना शुरू कर दिया। वो जोर जोर से आआआआअह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊमम्म्म्म्म करने लगी।
फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और चोदने लगा। उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी। उसको बहुत मजा आ रहा था। फ़िर मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसको चाटने लगा। उसके दाने को जीभ से सहलाने लगा। वोह जोर जोर से अपनी गांड उठाने लगी और चिल्लाने लगी- जोर जोर से करो ! मैं झड़ने वाली हूँ ! आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊस्स्स्स्स्स्स्म्म्म्म्म करने लगी।
तभी उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया और झड़ने लगी। मैं उसका सारा पानी पी गया। फ़िर वो खड़ी हो गई और मुझसे लिपट गई और कहने लगी- जीतू आज तक मैं प्यासी थी, तुमने आज मुझे संतुष्ट कर दिया !
मैंने कहा- जान ! अभी तो आधा काम हुआ है !
और फ़िर मैं उसको अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा कर उसकी चूची को चूसना शुरू कर दिया। वो दोबारा गरम होने लगी। मैंने उसके ड्रेसिंग से तेल उठाया और उसके पूरे बदन पर डाल कर मालिश करने लगा। वो मस्ती में जोर जोर से चिल्लाने लगी- येस्स ! स्स्स्स्स आआआआअ ऊऊ !
मैं धीरे धीरे उसकी गांड में ऊँगली डालने लगा। वो एक दम से उछल पड़ी और मुझे देख कर मुस्कराने लगी। उसकी आँखों में वासना थी। फ़िर मैंने उसको उल्टा किया और उसकी गांड चाटने लगा। वो मस्ती से बोलने लगी। मैंने उसकी गांड में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसा दी और उसको चोदने लगा।
फ़िर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड पर लण्ड रखा। वो कहने लगी कि धीरे करना ! मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई !
मैंने धीरे से अपना लण्ड गांड में दबाया और एक झटका दिया। जैसे ही गांड में लण्ड का टोपा घुसा, वो चिल्ला पड़ी।
मैं रुक गया और उसकी चूची दबाने लगा। उसको मजा आने लगा। फ़िर मैंने एक झटका जोर से लगा दिया पूरा का पूरा लण्ड तेल की वजह से गांड को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वो जोर से चिल्ला पड़ी और रोने लगी। फ़िर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसको सीधा करके उसकी चूत मे लण्ड घुसाने लगा।
मैंने धीरे से लण्ड चूत मे डाला तो चूत के पानी की वजह से लण्ड जाने लगा और धीरे धीरे मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत मे घुसा दिया। उसकी चूत बहुत टाइट थी, शायद उसके पति ने उसे ज्यादा नहीं चोदा था उसको, जैसे कि उसने बताया था।
खैर जैसे ही मैंने एक झटका दिया, वो जोर से बोली- जीतू प्लीज़ ! धीरे ! मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है, आराम से करो !
मैंने धीरे धीरे झटके देने शुरू कर दिए और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत की गहराई में उतारने लगा। उसको अब मजा आने लगा और वो अपनी गांड उठाने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और तेज तेज चोदने लगा।
तभी उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी पीठ में अपने नाखून गड़ा दिए और चिल्लाते हुए झड़ने लगी। फ़िर मैंने उसको घोड़ी बना कर उसकी गांड में लण्ड डाल दिया और उसको चोदने लगा। अब वो मस्ती में थी। मैं कभी उसकी चूत में लण्ड डाल कर चोदता तो कभी गांड में। वो फ़िर से झड़ गई। अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला और जोर जोर से चोदने लगा।
मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके पैर उसके कंधो तक मोड़ कर उठा दिए। इससे मेरा लण्ड सीधा उसकी बच्चेदानी तक पहुँचने लगा। अब मैं झड़ने ही वाला था कि वो भी झड़ गई और मैं भी !
मैं इतनी जोर से पहले कभी नहीं झड़ा था। मैं १५ मिनट तक उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसकी और मेरी आँख लग गई। करीब १ घंटे बाद मेरी आँख खुली तो वो सो रही थी। मैं धीरे से उठा और उसको देखने लगा। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला, मैं उसके गोरे बदन को सहलाने लगा। इससे वो भी उठ गई और मेरा लण्ड पकड़ कर सहलाते हुई कहने लगी- जीतू तुमने आज मुझे पूरी औरत बना दिया है !
और मेरा लण्ड चूसने लगी। उसके मुँह में लण्ड जाते ही मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया चोदने के लिए। मैंने फ़िर उसको कुतिया की तरह और कई प्रकार से चोदा और फ़िर उसकी चूत मे ही झड़ गया।
घड़ी में समय देखा तो शाम के ५ बज रहे थे। मैं उठा और अपनी कपड़े पहनने लगा। यह देख कर वो मुझसे लिपट गई और कहने लगी- आज की रात मत जाओ ! कल चले जाना !
दोस्तों उसकी इतनी प्यार से की गई प्रार्थना की वजह से मैं रुक गया और रात भर मैंने उसको ४-५ बार चोदा अलग अलग तरीके से।
सुबह उसके चेहरे पर एक चमक थी और संतुष्टि भी। मैंने अपनी कपड़े पहने और जाने लगा तो उसने मुझे ५००० रुपए दिए। मैंने मना कर दिया तो भी उसने मुझे जबरदस्ती ३००० तो दे ही दिए।
और मैं फ़िर मिलने का वादा करके वापस आ गया। उसके बाद उसने मुझे ३-४ बार बुलाया और अपनी एक फ्रेंड से भी मिलवाया।
यह कहानी फ़िर अगली बार !
तब तक आप सब लड़कियां, भाभी और आंटियाँ अपनी चूत में ऊँगली डाल कर अपना पानी निकालो !
तो कैसी लगी मेरी कहानी मुझे मेल करें ! Antarvasna
घर में हम तीन लोग Antarvasna ही रहते थे- मैं, मेरी भाभी और भैया। मेरा अधिकतर समय कॉलेज में या खेलने कूदने में ही निकलता था।
मेरा एक दोस्त उस समय एक छोटी सी दुकान से अश्लील पुस्तकें लाया करता था। वो किताब उसने मुझे भी पढ़ने दी। धीरे धीरे मुझे सेक्स की उन अश्लील किताबों को पढ़ने मे मजा आने लगा था। उस मित्र ने उस दुकान वाले से मेरी जान पहचान करवा दी थी। अब मैं भी, जब पैसे होते थे, तब पढ़ने को पुस्तक ले आया करता था। पढ़ते समय ज्यादातर मेरा लण्ड खड़ा हो जाया करता था।
एक बार रात को जब मैं पुस्तक पढ़ रहा था तब मेरा लण्ड खड़ा हुआ था। अनजाने में मेरा हाथ लण्ड पर आ गया और मैंने उसे दबा डाला। फिर मुझे उसे ऊपर नीचे करने में मजा आने लगा। तभी मेरे लण्ड में से जोर से कुछ गाढ़ा सा सफ़ेद लसलसा सा छूट पड़ा। मैं हैरान रह गया… पर पुस्तक में पढ़ा था कि जब जोर की मस्ती चढ जाती है तो वीर्य स्खलित हो जाता है। यह मेरा प्रथम स्खलन था। मैंने जल्दी से जाकर अपनी चड्डी बदल ली। पर भूल गया कि भाभी इसे कपड़े धोते समय धोएंगी। भाभी ने उसे अवश्य देखा होगा धोते समय क्योंकि अब भाभी मुझ पर नजर रखने लग गई थी।
एक दिन भाभी ने झिझकते हुये मुझसे कह ही दिया,”भैया, आजकल आप बिगड़ते जा रहे हो।”
“न…न… नहीं तो भाभी … क्या हो गया ?”
“आजकल आप चड्डी बहुत बदलते हो…”
मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गया,”वो भाभी, आजकल जाने कैसे, कुछ हो जाता है और…!”
“चड्डी बदलनी पड़ती है, है ना? ऐसी पुस्तकें पढ़ोगे तो यह सब होगा ही…”
इसका मतलब भाभी ने मेरी अनुपस्थिति में मेरे बिस्तर के नीचे से वो अश्लील पुस्तकें ढूंढ ली थी और उसे पढ़ा था।
“वो … मेरा दोस्त है ना … उसने पढ़ने को दी थी।”
“अब नहीं लाते हो क्या?”
“जी… मेरे पास पैसे नही रहते ना…” मुझे भाभी का यह पूछना कुछ सकारात्मक सा लगा।
“ओह हो … बस पैसे की बात थी … मेरे से ले जाया करो… मुझे भी ये पुस्तकें अच्छी लगती हैं।”
यह सुनते ही मेरी तो बांछें खिल गई,”आप पढ़ेंगी ? भैया को मत बता देना… !”
अब तो रोज मैं अश्लील कहानी की पुस्तकें लाने लगा। भाभी उसे दिन में पढ़ती थी और मैं रात को पढ़ता था। अब भाभी मुझे भैया से छुपा कर ज्यादा जेब खर्च देने लगी थी।
उन्हीं दिनों मेरे उसी मित्र ने मुझे बताया कि अब पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है, ये तो कम्प्यूटर में अन्तरवासना में फ़्री में पढ़ने को मिल जाया करती हैं। तब मैं ये कहानियाँ अन्तर्वासना पर पढ़ने लगा। भाभी को भी मैंने अन्तर्वासना के बारे में बता दिया। इसमें कहानी पुस्तकों से बहुत अच्छी पढ़ने को मिलती थी, मजा भी खूब आता था। अब तो बस जब इच्छा हुई, कहानी पढ़ ली। बस मजे की बात यह हुई कि भाभी को कहानियाँ पढ़ने के लिये मेरे कमरे में आना पड़ता था। फिर कहानी पढ़ते समय उसकी हालत देखने योग्य हो जाती थी। उसकी छातियां यूं ऊपर नीचे होने लगती थी कि बस मन करता था कि दबा दूँ जाकर।
इन दिनों मुझ में बहुत बदलाव आता जा रहा था। मेरी नजर भाभी पर पड़ने लगी थी। मुझे उसके स्तन उत्तेजक लगने लगे थे। मेरी नजरें हमेशा उसके पेटीकोट में कुछ ढूंढती रहती थी। मुझे लगता था कि भाभी जानकर के मेरे सामने कम कपड़ों में आती है। ना तो चूंचियां छिपाती है और ना ही अपने अन्य अंग।
एक दिन ऐसे ही मेरे दोस्त ने मुझे ब्ल्यू सीडी लाकर दी। मैंने यह शुभ सूचना भाभी को दी और देखने के लिये बीस रुपये भी किराये का बहाना कर के ले लिये। पर अब वो फ़िल्म अपने टीवी पर देखा करती थी। यहां से आरम्भ होता है भाभी के साथ मेरा अंतरंग प्रसंग…।
भाभी अश्लील मूवी देख रही थी। मेरे कमरे में आने का उस पर कोई प्रभाव नही पड़ा, बस मुझे एक बार देखा और फिर से फ़िल्म देखने में तल्लीन हो गई। मैं भी एक तरफ़ सोफ़े में बैठ गया और फ़िल्म देखने लगा। कुछ ही देर में मेरा लण्ड पजामे में से फ़ुफ़कारने लगा। मैंने अपना लण्ड थाम लिया। मैंने अपने आप को बहुत रोका पर मन बावला हो गया था। मैं धीरे से उठा और भाभी के पीछे आ गया। बहुत साहस जुटा कर मैंने अपने दोनों हाथ उसके कंधे पर रख दिये। भाभी का शरीर गर्म था, मेरे हाथ रखने उसने कुछ नहीं कहा। मेरा साहस और बढ़ गया, तब मैने अपना हाथ नीचे सरका कर भाभी के कठोर और उन्नत उरोजों पर रख दिया।
मैंने हिम्मत करके स्तनों को धीरे से सहला कर दबा दिया। भाभी के मुख से एक प्यारी सी सिसकी निकल पड़ी, पर उसने मुझे कुछ नहीं कहा। मुझे उसने पीछे मुड़ कर देखा और अपनी नशीली आंखों से आंखें मिला दी। मैंने कुछ नही कहा, बस हौले हौले कठोर पत्थरों को सहलाता रहा। उसने मेरा हाथ थाम लिया और अपने पास बैठने का इशारा किया। मैं घूम कर वापस उसके पास आ गया और साथ में बैठ गया। उसकी पीठ की तरफ़ से हाथ डाल कर फिर से भाभी की चूचियाँ दबाने लगा।
मेरे मन में विचित्र सा आभास होने लगा था। भाभी की दिल की धड़कनें मुझे अब महसूस होने लगी थी। मेरे सफ़ेद पतले से पजामे मे मेरे लण्ड का उभार देख कर उसे पकड़ लिया। भाभी का मुख मेरी ओर बढ़ चला … अधरों से अधर मिल गये। चुम्बन और मर्दन का काम एक साथ चलने लगा था। मैंने टीवी बन्द कर दिया। बस कमरे में अब तेज सांसो की आवाज आ रही थी, बीच बीच में भाभी सिसक उठती थी। लण्ड मसलने से मुझे बहुत ही मजा आने लगा था, मेरे शरीर में जैसे आग सी लग गई थी। मैंने अपना हाथ भाभी की चूत की तरफ़ बढ़ा दिया। उसने अपना पेट पिचका कर मुझे हाथ पेटीकोट के अन्दर घुसाने दिया और धीरे से अपनी टांगें फ़ैला कर आमन्त्रित किया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत तक पहुंचा वो तड़प सी गई।
मेरा हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा। भाभी भी अपनी चूत को ऊपर कर के मेरी अंगुली को उसमें घुसवाने का प्रयत्न करने लगी। मेरे पजामे का नाड़ा उसने खोल दिया था और मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया था। उसने मेरा सुपाड़ा चमड़ी खींच कर बाहर निकाल लिया। ट्यूब लाईट में लाल टमाटर जैसा चमकदार सुपाड़ा जैसे उसके मन को भा गया। वो मेरे लण्ड पर मुठ मारने लगी। दोनों के शरीर वासना की मीठी अग्नि में जल उठे। कुछ ही समय में मेरा वीर्य छूट गया, शायद भाभी का भी रस निकल गया था, उसकी चूत में भी बहुत सा गीलापन आ गया था। भाभी ने अपना हाथ कपड़े से साफ़ कर लिया और अपने कपड़े ठीक से पहन कर चली गई। रात के दस बज रहे थे, भैया के आने का समय हो गया था। मैंने सीडी छुपा कर रख दी।
कुछ ही देर में भैया आ गये थे। सभी ने साथ भोजन किया और अपने अपने कक्ष मे चले गये।
कहानी के अगले भाग में भाभी और मैंने क्या क्या गुल खिलाये, जरा लण्ड थाम कर पढ़िये। Antarvasna
रोज की तरह मैं और Antarvasna दिव्या अपने ऑफ़िस में बैठे हुये काम रहे थे। दिव्या हमेशा अपने कम कपड़ों में मुझे उत्तेजित करने का प्रयास करती रहती थी। उसे देख कर मैं भड़क भी जाता था और फिर वो चुद भी जाती थी पर अब असमय भी चुदाई करने में मजा नहीं आता था। पर आज मुझे ताऊजी फोन आया कि विक्की और सोफिया गोआ घूमने आ रहे हैं। दिव्या विक्की को नहीं जानती थी। उसके आने की सूचना पाकर मुझे बहुत ही खुशी हुई।
ठीक समय पर मैं अपनी कार लेकर दिव्या के साथ रेलवे स्टेशन पहुंच गया। ट्रेन आ चुकी थी। मैंने मोबाईल पर सोफिया को बता दिया था कि मैं और दिव्या बाहर खड़े इन्तज़ार कर रहे हैं। कुछ ही देर में एक बेहद खूबसूरत लड़की और एक सुन्दर सा हीरो जैसा लगने वाला लड़का दिखाई दिया। मेरा अनुमान सही था। वही दोनों सोफिया और विक्की थे। पहले तो वो दोनों बाहर खड़े हो कर यहाँ-वहाँ देखते रहे। दिव्या ने मुझे कहा,”शायद वो ही है … लड़का तो बड़ा मस्त है यार … “
“तुझे तो बस लण्ड ही देखता है … जा कर पता कर … ” दिव्या को तो मौका चाहिये था। कार से उतर कर सीधे उस लड़के पास गई। लड़का दिव्या को देखता ही रह गया। सोचने लगा कि ये अचानक एक जवान सी सुन्दरी उसके सामने कौन आ गई। मैं कार से उतर चुका था और उनकी तरफ़ देखा, वो आपस में कुछ बाते कर रहे थे और सोफिया का हाथ मेरी ओर लहरा उठा। आते ही सोफिया ने मुझे औपचारिक तौर पर किस किया, पर शरारत के साथ … अपनी चूचियाँ मेरी छाती से लगा कर मेरे बदन में सिरहन पैदा कर दी। मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि ये खूबसूरत सी मेरी कजिन शरारती टाईप की है। विक्की और दिव्या साथ बैठ गये और सोफिया मेरे साथ आगे बैठ गई। मुझे लगने लगा कि कुछ समय तो बड़ा मजेदार निकलेगा।
घर पहुंचने पर शाम को हम घूमने का कार्यक्रम बनाने लगे। कुछ ही समय ने दिव्या ने विक्की से अच्छी दोस्ती कर ली। विक्की भी खुश था। इधर सोफिया भी मेरे साथ बहुत ही इनफ़ॉर्मल हो गई थी। कुछ ही समय में मुझसे खुल कर बातें करने लगी थी। दिव्या से मेरे सम्बंध के बारे में पूछने लगी थी। मैंने उसे खुलने पर स्पष्ट बता दिया था कि वो मेरी दोस्त है, आज कल वो मेरे साथ ही रह रही है, और इसमे कोई बुराई नहीं है। सोफिया भी मेरे खुलेपन से बहुत खुश थी … शायद वो अपनी इस यात्रा को मजेदार और मस्त बनाना चाहती थी। घर पहुंचने पर हमने लन्च लिया और वो दोनों आराम करने लगे। दिव्या मेरे साथ लेटी हुई सोफिया की बातें ही कर रही थी और मेरे मन की टोह ले रही थी।
शाम को हमने समुद्र के किनारे जाने का प्रोग्राम बना लिया और लगभग छः बजे हम चारों बीच की ओर रवाना हो गये। रास्ते में हमने दो-दो पेग काजू फ़ेनी के भी लिये और कुछ फ़्राई की हुई फ़िश और चिकन रख लिया था।
कुछ ही देर में हम बेनौलिम बीच पर पहुंच गये। लम्बा सा बीच था। कुछ और भी लोग वहाँ पर थे। हम लोग बीच के पास ही चादर बिछा कर बैठ गये। दिव्या तो अपने कपड़े उतार कर सिर्फ़ ब्रा और पेण्टी में ही समुद्र की ओर भाग ली, विक्की भी अपने कपड़े उतार कर सिर्फ़ अंडरवियर में दिव्या के पीछे हो लिया।
सोफिया ने मुझसे कहा,”आप नहीं चलोगे क्या ?”
“आप साथ चलोगी … ?”
“मुझे शरम आती है दिव्या जैसे कपड़ों में … “
“मुझे तो नहीं आती है, ये देखो … ” मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये … बस अंडरवियर में था। पर ये भूल गया था कि मेरा लण्ड उस छोटे से अंडरवियर में साफ़ उठा हुआ नजर आ रहा था। सोफिया ने मेरे लण्ड के उभार को अच्छी तरह से निहारा और कुछ उत्तेजित हो गई।
“फिर तुम उधर देखो … मैं कपड़े उतार लेती हूँ … ” उसने भी शर्माते हुये अपने कपड़े उतार दिये। उसका गोरा बदन दमक उठा। ब्रा में से चूचियां जैसे उछल कर बाहर आने को बेताब हो रही थी। मेरा मन विचलित हो उठा। लण्ड और कड़ा हो गया।
उसकी बहुत ही छोटी सी पेण्टी में से उसके तराशे हुये चूतड़ और उसकी गोलाईयाँ मेरी जान निकाल रही थी। पतली कमर, उभरे हुये कामुक कूल्हे, तराशी हुई जांघें मुझे मदमस्त कर रही थी। जाने कब मेरे दोनों बाहें उठ गई उसे अपनी आलिंगन में लेने के लिये। और सोफिया भी मंत्र मुग्ध सी मेरी बाहों में सिमट आई। हमारे नंगे बदन आपस में छूते ही ही जैसे आग बनने लगे। सोफिया के होंठ मेरे गर्दन और होंठ के पास रगड़ खाने लगे। अपने चूतड़ों को दबा कर जैसे मेरे लण्ड का स्पर्श अपनी चूत से करने लगी। हम दोनों अब वही दरी पर लेट गये और एक दूसरे से लिपट कर जैसे लोट लगाने लगे। हम लोट लगाते हुये रेत पर आ गये हमें पता ही नहीं चला। मेरे हाथों ने ब्रा के ऊपर से ही उसकी एक चूची दबा दी … सोफिया सिसक उठी। दूसरी लोट में सोफिया मेरे ऊपर सवार थी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी थी। मुझे उसकी चूत के पास कुछ कड़ा सा लगा। शायद इसी हालत में काफ़ी देर तक आनन्द में प्यार करते रहे थे।
“बस करो भई … ये एक समुद्र का तट है … कोई कमरा नहीं ” दिव्या की खनकती हंसी सुनाई दी। हमें समय का ध्यान ही नहीं रहा … वो दोनों वापस आ चुके थे। सोफिया को तो पहले कुछ समझ में नहीं आया फिर जैसे एक दम होश में आई। इतनी देर में विक्की की उत्तेजना बढ़ गई। उसने हमारी हालत देख कर दिव्या को दबोच लिया और उसकी गीली पेण्टी उतार दी। उधर दिव्या ने भी बेशर्मी से विक्की का लण्ड पकड़ लिया। अब विक्की और दिव्या भी नीचे दरी पर एक दूसरे को दबाये हुये चोदने की कोशिश कर रहे थे। सोफिया मेरे उपर से हट चुकी थी और मैं भी उठ खड़ा हुआ था। दोनों को बड़ी मुश्किल से खींच कर अलग किया।
अरे ये सब यहां नहीं … यहां से चलो अभी … दिव्या … चलो कपड़े पहनो, गश्ती जीप आ रही है।
“घर चलो ना … तुम्हें तो बस करने की लगी है … और ये सार्वजनिक स्थल है … ” विक्की को सोफिया ने समझाया, दिव्या अपने बदन पर से रेत साफ़ कर रही थी। मैंने यहाँ-वहाँ देखा … अधिकतर लोग जा चुके थे और एक गश्ती जीप की रोशनी नजर आ रही थी, जो पास आती जा रही थी। कपड़े पहन कर हम कार में बैठे ही थे कि वो गश्ती जीप पास में आकर रुकी,”ओह जो साहब … गुड इवनिंग … कैसे हो … “
“क्या यार … गोआ में रहो तो पूरे समय … रिश्तेदारो को घुमाते ही रहो … “
“हां यार ये तो गोआ में रहने की सजा है … ” और हंसता हुआ आगे बढ़ गया।
हम लोग रेत से निकल कर बाहर आये और कार में बैठ कर वापस मडगांव रवाना हो गये।
घर पर आते ही पोर्ट वाईन का एक एक पेग बनाया और सभी सोफ़े पर बैठ कर सिप लेने लगे। दिव्या और विक्की की शरारतें बढती जा रही थी। वो सब चुपके से कर रहे थे, पर मेरी तेज निगाहें उसकी हर हरकत देख रही थी। सोफिया भी मुझे चोरी चोरी देख रही थी। मैंने सोफिया का हाथ जान कर के दबाया। पर अप्रत्याशित रूप से उसने अपना हाथ खींच लिया। मुझे झटका सा लगा।
“क्या हुआ … ?”
“अपना हाथ दूर रखो … “
“पर वहां समुद्र के किनारे तो … “
“वो तो बस मुझे कुछ हो गया था … सॉरी … जो … ” सोफिया उठ कर चली गई। मैं निराशा से उसे देखता रह गया। दिव्या ने पलक झपकते ही सारा मामला समझ लिया। वो तुरन्त मेरे पास आ गई।
“जो … मैं तो हू ना … उससे अधिक सुन्दर … उससे अधिक मजा दूंगी … ” विक्की भी उठ कर मेरे पास आ गया।
“जो मैं दीदी को समझाता हूँ … ” विक्की को अपना कार्यक्रम भी बिगड़ता नजर आया।
“नहीं विक्की … ये दिल के सौदे है … तुम दोनों मस्ती करो … जाओ … ” मैंने उठते हुये कहा।
“चलो दिव्या … अन्दर चलते हैं … “विक्की ने दिव्या का हाथ पकड़ा … दिव्या ने उसे देखा और गुस्से में बोली,”मेरा जो दुखी है और तुम्हें … जाओ , अब सो जाओ … मैं जो के साथ रहूंगी।” दिव्या ने अपना फ़ैसला सुना दिया।
“दिव्या प्लीज … विक्की को ऐसा मत कहो … उसे खुशी दो … जाओ, दोनों मजे लो और दो !” मैंने कहा और अपने कमरे में चला आया।
मन में थोड़ी सी बैचेनी सी लगी। यूं तो मैंने कई लड़कियों को चोदा था सो आज सोफिया चुदने को नहीं मिली, तो इतना बुरा नहीं लगा। कुछ ही देर में सब कुछ भूल कर मैं गहरी नींद में सो गया। अचानक रात को मेरी नींद किसी की आहट से खुल गई। उसी समय कमरे की बत्ती भी जल गई। देखा तो सोफिया सामने खड़ी थी।
“जो … बुरा लग गया ना … मुझे माफ़ कर दो … ” नींद में अलसाया सा भी उसकी सूरत देख कर मुझे हंसी आ गई।
“अरे नहीं नहीं … ये सब कुछ नहीं … मुझे आपकी फ़ीलिंग्स का ध्यान रखना चहिये था … ” मैंने उस बात को हवा उड़ाते हुये कहा।
“नहीं … मैं सच में बीच पर आप पर मोहित हो उठी थी … और मेरे मन में भावनायें जाग उठी थी … “
“मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था … पर भूल जाईये उस बात को … “
“कैसे भूल जाऊँ … विक्की और दिव्या तो मौज कर रहे है … पर मैं अभागी … हाय रे मैं माहवारी से हूँ … क्या करती … मुझे माफ़ कर दो … ” वो मेरे बिस्तर के सिरहाने आ कर बैठ गई … और मेरे बालों से खेलने लगी।
“सोफी … ऐसे समय में ये होता है … और असमंजस की स्थिति होती है … ” मैंने उसे सामान्य करने की कोशिश की … । पर उसका चेहरा मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ता ही गया और अब उसके नरम होंठ मेरे होंठों से प्यार कर रहे थे। एक व्हिस्की का भभका मेरे नाक के नथुनों से आ टकराया। पर वो अपने पूरे होश में थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और अधरपान का आनन्द लेने लगा। मैंने धीरे धीरे उसे कमर से पकड़ कर अपने शरीर से लिपटाना आरम्भ कर दिया। बिना कोई विरोध किये वो मेरे ऊपर आकर लेट गई और अब अब हम एक दूसरे की आगोश में थे। उसकी चूत ऊपर से ही मेरे लण्ड के ऊपर जोर मार रही थी … पर अब मुझे उसके लगाये गये नेपकिन का अहसास होने लगा था। मुझे कुछ भी करते हुये डर लग रहा था कि कहीं मेरी किसी भी हरकत से नाराज ना हो जाये।
सोफिया की बैचेनी बढ़ने लगी, उसने मेरे हाथ खींच कर अपने स्तनों पर रख दिये। साधारण साईज़ के स्तन थे … पर निपल कठोर और तने हुये थे … कुछ बड़े से लग रहे थे। मैंने उसकी चूंचियाँ धीरे धीरे सहलाना और गुदगुदाना आरम्भ कर दिया। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी …
अब वो मेरे बिस्तर पर मेरी बगल में लेट गई थी। वो मुझे बहुत ही प्यार से देख रही थी … उसकी चूंचियों के सहलाने और निपल को हल्के से मलने पर उसे बहुत आनन्द आ रहा था। उसने मुझे देखा और नजरें दबा कर इशारा किया … और उसका हाथ धीरे से मेरी चड्डी के ऊपर आ गया और हौले से मेरे लण्ड को दबा दिया। कुछ अजीब सी स्थिति थी … चूत पर लाल पट्टा चढ़ा था और उसका मन चुदने को कर रहा था … या कुछ ओर ही … । उसके पतले से सफ़ेद पाजामे पर हाथ घुमाते ही मालूम हो गया कि … पट्टा लगा हुआ था। वो मेरे लण्ड को अब दबाने और सहलाने लगी थी। मेरी छोटी सी चड्डी में से अब मेरा लण्ड नहीं समा रहा था। साईड से सोफिया ने मेरा लण्ड खींच कर निकाल लिया और अब उसके साथ खेलने लगी। कभी वो मुठ मारती और कभी वो लण्ड को अपने शरीर से रगड़ती। उसके निपल और सारे उभारों को मैं सहला कर दबा रहा था। उसकी सिसकारियाँ बढ़ रही थी। मेरा लण्ड भी उत्तेजना के मारे फ़ूल रहा था। सोफिया के आंखो में वासना के गुलाबी डोरे उसकी उत्तेजना को दर्शा रहे थे।
मैंने अपनी सहन शीलता खो दी और सोफिया की चूत दबा डाली। वो एकदम से सिमट गई और एक जोर से सिसकारी भरी और झड़ने लगी। मुझे अहसास हुआ कि शायद वो यही चाह रही थी। अपनी आंखें बंद किये वो झड़ने का आनन्द लेने लगी। मैंने भी उसका शरीर को सहलाना और दबाना जारी रखा। धीरे धीरे सोफिया सामान्य होने लगी। उसका हाथ मेरे लण्ड पर कस गया। मेरे लण्ड में उसके हाथों से मीठी सी सुरसुराहट जागने लगी। मैंने सोफिया को प्यार से अपने शरीर से लिपटा लिया और प्यार करने लगा।
मुठ मारते मारते मेरा लण्ड भी कड़कने लगा … मुझे लगने लगा कि अन्दर से माल अब निकला ही चाहता है। मेरे चूतड़ हिल हिल कर उसके मुठ मारने में सहायता करने लगे … और मेरे उफ़नते हुये लण्ड ने अपनी सीमा तोड़ते हुये अपना रस उसके हाथों में निकाल दिया। उसका हाथ मेरे वीर्य से भर गया। पर उसका हाथ चलता रहा और मेरे लण्ड से रस रह रह कर छलकता रहा। मेरा पूरा लण्ड वीर्य से भर गया … सोफिया का हाथ भी मेरे लसलसे वीर्य से भर गया था। उसने मेरे नाभि के आस पास वीर्य रस को फ़ैला दिया और अपना गीला हाथ मेरे गालो पर रख कर मुझे चूम लिया। उसने जल्दी से अपना पजामा उतारा और नेपकिन को उतार दिया। मैंने तुरन्त अपना मुख दूसरी ओर कर लिया। उसने मुझे देखा और मुस्करा उठी।
“जो … अपना लण्ड तो चड्डी में छिपा लो वर्ना नजर लग जायेगी … ।” दिव्या की हंसी सुनाई दी और नया नेपकिन सोफिया की ओर उछाल दिया।
“अरे रात के दो बज रहे है … तुम सोये नहीं … ?”
“आज की रात कौन सोता है … पर जो, आखिर आपने सोफिया को पटा ही लिया ना … ” दिव्या ने कटाक्ष किया।
“नहीं सोफिया ने मुझे पटा लिया … उसे देखो, उसकी मजबूरी … उसकी सादगी … उसका अन्दाज़” मैंने सोफिया की तारीफ़ की।
“नहीं, जो बहुत समझदार और प्यारा है … उसने मेरे साथ बहुत प्यार किया , मेरी रजामन्दी से !”
दिव्या और विक्की दोनों खुश हो गये। सारा मामला ठीक हो गया था। सोफिया ने मुझे प्यार से चूमा और मुझे अकेला छोड़ कर इठलाते हुये अपने कमरे में चली गई। दिव्या भी विक्की के साथ चली गई। मैं अब ये सोचता हुआ सो गया कि जब सोफिया की माहवारी समाप्त होगी तो मैं उसे किस किस तरह से चोदूंगा। ये सोचते सोचते कुछ समय में ही मैं निंद्रा के आगोश में खो गया। Antarvasna
अन्तर्वासना पर यह मेरी Antarvasna जिन्दगी से जुड़ी पहली घटना है जिसे मैं आप लोगों से बताना चाहता हूँ, खासकर उन आंटी और शादीशुदा महिलाओं को जो अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नहीं हैं।
मेरा नाम श्याम है उस समय मेरी उम्र 23 साल थी जब मेरे छोटे चाचा की शादी हुई थी। मैं घर कम ही जाता था क्योंकि उस समय मैं इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था, पर उन दिनों मेरे घर में दो शादियाँ थी एक मेरे चाचा जी की और दूसरी मेरे बुआ के लड़के की। इसलिए न चाहते हुए भी मुझे घर जाना पड़ा। पर मुझे क्या पता था कि वक़्त मेरी जवानी को नया रंग दिखलाना चाहता है।
मेरी घर में बहुत इज्जत है क्योंकि मैं पढाई में बहुत तेज हूँ और छोटे चाचा 8 क्लास के बाद नहीं पढ़े। जब मैं शादी में गया तो चाची को देखता ही रह गया। वो बहुत मस्त थी, उस समय उनका फिगर 32-28-34 था। चाचा और चाची की जोड़ी बिल्कुल नहीं जम रही थी, जैसे लंगूर के हाथ में अंगूर या हूर!
मन तो कर रहा था कि ये अंगूर मुझे खाने को मिल जाये!
घर में शादी के बाद एक रिवाज़ की वजह से पहली रात चाची को अलग सोना था। घर पर मेहमान काफी थे इसलिए मैं पहले से जा कर चाची के कमरे में सो गया। चाचा को बाहर ही सोना था।
रात में मेरी नींद खुली तो देखा कि चाची मेरे बगल में सोयी हैं, शायद शादी की वजह से उन्हें थकान बहुत थी इसलिए वो बेधड़क सो रही थी। उनका पल्लू सीने से हट गया था। उनकी काले रंग की ब्रा देख कर मेरा 7 इंच का लंड बेकाबू हो गया।
मैंने धीरे -2 उनके ब्लोउज के बटन खोल दिए। उनकी गोरी-2 चूचियाँ देख कर मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था। मैंने हौले से उनकी ब्रा की पट्टी कन्धों से किनारे हटा दी और एक हाथ से चूची को हलके-2 दबाने लगा, दूसरी चूची को अपने मुँह में भर के चूसने लगा।
मुझे लगा चाची जाग गयी हैं पर सोने का बहाना कर रही हैं तो मैं धीरे से उनकी साड़ी को उपर खिसका कर उनकी चूत पर उपर से हाथ फरने लगा। थोड़ी देर में मुझे पैंटी में गीलापन महसूस हुआ। मुझे लगा चाची को मजा आ रहा है तो मैंने धीरे से उन्हें आवाज दी- चाची…!
उन्होंने कहा- कुछ मत बोलो बस करते रहो…!
यह सुनते ही मैं उनके उपर आ गया और उनके रसीले होटों को चूमने लगा..
अब चाची मेरा पूरा साथ दे रही थी…
उन्होंने मेरे पायजामे में हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसकी सुपाड़े की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मैं भी दोनों हाथो से उनकी गोल-2 चूचियाँ दबा रहा था। उनके मुँह से सेक्सी आवाजें आ रही थी- चोदो मुझे मेरे राजा… आज मेरी सुहागरात है… 18 साल से ये अनचुदी है आज इसकी प्यास बुझा दो मेरे राजा…
मैं भी गरम हो रहा था, मैंने उनकी पैंटी को उतार फेंका…और उनकी चूत में मुह लगा दिया। वो शायद एक बार झड़ चुकी थी। उनकी चूत से पानी निकल रहा था, मैं सब पी गया। मैंने दो ऊँगलियाँ उनकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
उन्हें मजा आने लगा…
उन्होंने भी मेरा लंड पकड़ के मुँह में भर लिया और सटासट चाटने लगी…
मैं उनके मुँह में ही झड़ गया, वो मेरा सारा रस पी गयीं। उन्होंने चूस-2 कर फिर से मेरा लंड खड़ा कर दिया…
वो बोली- जान अब और न तड़पाओ! अपनी रानी को चोद दो! मुझे मेरी प्यास बुझा दो…
मैं तो तैयार था, उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रखा और कहा- धक्का मारो!
मैंने भी बहुत जोर से पेल दिया पर चूत बहुत टाइट थी, लंड घुसा ही नहीं तो उसने लंड पकड़ कर ढेर सारा थूक मेरे सुपाड़े पर पोत दिया…
अबकी बार मैंने धीरे-2 धकेला तो आधा लंड अंदर चला गया…
वो दर्द से पागल हो गई, बोली- निकालो! बाहर करो! मैं नहीं सह पाऊँगी!
पर अब मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसे कमर से पकड़ कर पूरे जोर से एक धक्का मारा और लंड उसकी चूत की गहराइयों को छू गया…
वो दर्द से रोने लगी पर मैं धीरे धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर में उसे भी मजा आने लगा, उसके मुँह से आवाज निकलने लगी थी- चोदो… और जोर से… आह… आह… मेरे राजा… मुझे जन्नत की सैर कराओ… और अंदर डालो… आह… सी…सी…
आह… मैं पूरे जोर से पेले जा रहा था- हाँ रानी… ले… खा ले… पूरा मेरा खा जा… ले… ले… पूरा ले…
आह… राजा… मैं गई… सी… थाम लो…मुझे… आह…
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी…10-15 धक्कों के बाद हम दोनों साथ ही झड़ गये…
मैंने अपनी सारी गर्मी उसकी चूत में भर दी…
मैंने उठ कर देखा- खून से उसकी साड़ी लाल हो गई थी…
मुझे गम न था आज एक कुंवारी चूत का रसपान जो किया था…
उस रात मैंने उसे 4 बार चोदा… वो शायद सबसे हसीं रात थी…
आपको अपने जीवन की कुछ और घटनाओ से अगली कहानी में वाकिफ करूँगा।
तब तक आप मुझे जरूर बताएं कि ये मेरी पहली घटना कैसी लगी!
मुझे मेल करें सभी शादीशुदा और कुंवारी लड़कियाँ… Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.