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आपका शुक्रिया Hindi Sex Stories कि मैं अपने एक नये अनुभव को आप के सामने पेश कर रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं सर्दी के दिनों में धूप सेंक रहा था। मेरे पड़ोस की कुछ लड़कियां भी हमारे घर की छत पे धूप सेंकने आती थीं क्योंकि हमारे घर की छत पे धूप बहुत अच्छी लगती थी।
मेरा एक दोस्त, जिसका नाम लालू भाई है, की बहन भी धूप सेंकने हमारी छत पे ही आती थी। उसका नाम हनी था। गज़ब की सेक्स बॉम्ब थी वो। उसकी मस्त गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था। उसको चोदने का बहुत मन तो था लेकिन लालू से डर की वज़ह से कभी हिम्मत नहीं हो पाई थी। मेरी और उसकी बहुत अच्छी दोस्ती थी लेकिन शायद लालू भाई को हमारी ये दोस्ती पसंद नहीं थी। वो बार बार मुझे धमकी देता था कि मैं उसकी बहन से किसी तरह की दोस्ती न रखूं, लेकिन आप तो जानते हैं कि लंड की प्यास के आगे हर कोई बेबस है।
उस दिन मेरी मॉम डोक्टर के पास गई हुई थी। मैं घर पे ब्ल्यू मूवी देख रहा था। मुझे पता भी नहीं चला कि कब हनी मेरे पीछे आ के खड़ी हो गई। वो मूवी देखने लगी। अचानक उसके हाथ से कुछ टकराया, मैने मुड़कर देखा तो हनी मेरे सामने थी। मैने पहले तो टीवी बंद किया, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करुं।
अचानक हनी ने कहा- तुम तो बहुत गंदे हो।
मैंने कहा- नहीं बस टाइम पास कर रहा था।
उसने कहा- लालू भैया ठीक कहते हैं कि तुमसे कोई वास्ता ना रखूं, मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसी मूवीज़ भी देखते होंगे।
मैंने कहा- मूवी तो तुमने भी देखी है।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- प्लीज़ मॉम या डैड से इस बारे में कुछ नहीं कहना !
जबकि मैं भी जानता था कि वो कुछ कहने वाली नहीं है। मैंने देखा कि उसने अपना हाथ छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश नहीं की। मेरा हौंसला और भी बढ़ गया। मैंने उसके हाथ को धीरे धीरे दबाना शुरु किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। शायद फ़िल्म देख के वो भी गरम हो चुकी थी। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके होठों को हल्का सा चूम लिया और कहा- प्लीज़ !मॉम से मत कहना !
उसने जवाब नहीं दिया।
मैंने उसकी चूची को चूम लिया और कहा- मोम से मत कहना प्लीज़ !
उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो मस्त हो चुकी थी।
मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी कमीज़ में डाल दिया और उसके मोम्मे दबाने लगा। मैंने अब मोर्चा सम्भालना शुरु कर दिया था, मैंने धीरे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और उसकी कमीज़ और ब्रा को अलग कर दिया शायद वो मज़ा ले रही थी अब उसकी चूचियां मेरे सामने थी, मैने उसकी चूचियों को अपने मुँह मे डाल लिया।
वो तड़प उठी- नहीं समीर ये ठीक नहीं है !
मैंने उसके होठों पे अपने होठों को रखते हुये कहा- जब मज़ा आये तो सब ठीक हो रहा है।
उसने कहा- अगर लालू भाई को पता लग गया तो?
मैंने कहा- उसने कौन सा तुझे चोदना है जो उसे पता लग पायेगा। हम इस बात को राज़ ही रखेंगे।
और मैंने समय खराब ना करते हुये उसकी शलवार को भी अलग कर दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि लालू की सेक्सी बहन को आज मैं चोदने जा रहा हूं। मैंने उसकी चूचियां चूसते हुये उस की पैंटी को भी उस से अलग कर दिया। मैंने उसे ६९ पोजिशन में लिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो मेरे लंड को चूस रही थी।
वाह क्या आनंद के लम्हे थे वो? वो १५ मिनट में झड़ गई लेकिन मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी बिना बालों की चूत को उंगली से सहलाना शुरु किया।
अब वो दोबारा जोश में आ रही थी। मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया और अपना ७” का लंड उसकी चूत में डाल दिया वो चीख उठी। मैंने उसके मुँह पे हाथ रख दिया ४-५ धक्के लगाने के बाद जब लंड पूरी तरह अन्दर घुस गया और उसे भी मज़ा आने लगा तब मैंने हाथ हटा दिया। अब उसके मुंह से आआआआह ऊऊऊऊउह करो ! और करो ! की आवाज़ निकल रही थी। अब हम जोश में थे।
डू इट फ़ास्ट, डू इट फ़ास्ट, फ़क मी, फ़क मी, फ़क मी की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था। मैंने २० मिनट तक उसको चोदा। हम दोनो खुश थे। उसके बाद वो कहने लगी- तुमने अपना वीर्य तो चखाया ही नहीं?
तो मैंने कहा- उसमें क्या बड़ी बात है और फ़िर मेरा लंड उसके मुँह में था। एक बार फ़िर वो मेरा लंड चूस कर मज़ा ले रही थी।
सच बताऊँ तो दोस्तो जितना मज़ा लालू भाई की बहन को चोद कर आया उतना मज़ा ज़िंदगी में कभी भी नहीं आया। गज़ब का नशा है उसकी चूत में। उस दिन के बाद मैंने कई बार लालू की बहन को चोदा। और लालू आज भी इस बात से बेखबर है।
तो चोदो चुदाओ और लाइफ़ को खुश हाल बनाओ।Hindi Sex Stories
मेरा नाम किरण वर्मा है, मेरी उम्र बीस Hindi Sex Stories साल है, रंग इतना गोरा नहीं है पर नैन-नक्श तीखे हैं और बेहतरीन जिस्म की मलिका हूँ। इस वक़्त कॉलेज में पढ़ती हूँ। किसी लड़के की नज़र मेरे गोल-मटोल मम्मों पर न रुके, यह हो ही नहीं सकता। लड़कों ने मेरा नाम जुगाड़ डाल रखा है।
मैं शुरु से ही एक ऐसे माहौल में रही हूँ, जिससे मैं अपनी जवानी को शुरु से ही क़ाबू में नहीं कर पाई, मेरी संगत और गन्दी लड़कियों से रही। खाली समय में कक्षा में ही एक-दूसरी के मम्मे दबाना, पेन-पेन्सिल चूत में डाल कर मज़े लेना आदि। जल्दी ही पेन-पेन्सिल छोड़कर लंड भी तलाश लिया। उसके बाद कई लड़कों के साथ मैंने मज़े लूटे। वैसे मैंने बहुत चुदाई करवाई है, लेकिन आपको अपनी एक ऐसी चुदाई सुनाऊँगी जो मैं कभी नहीं भूल सकती।
मोहल्ले के ही एक लड़के के साथ मेरा चक्कर चल निकला। वह मुहल्ले का एक गुंडा टाईप लड़का था, जिससे सभी डरते हैं, कोई भी उसके साथ पंगा नहीं लेता। मुझे वह बहुत पसन्द था, इसलिए मैंने उसे बढ़ावा दिया और उसके इजहार करते ही मैंने हाँ कह डाली। हम छुप-छुप कर मिलने लगा। वो मेरे हर-एक अंग से खेल चुका था। बस जगह न मिलने के कारण उसने मुझे चोदा नहीं था। उसका मोटा लंड कई बार हाथ में लेकर सहलाया और मुठ मार चुकी थी। एक बार साईबर कैफे के केबिन में चूसा भी था।
जैसे ही मौसम बदला, सर्दी के दिन आए और घना कोहरा पड़ना शुरु हुआ, उसकी आड़ में हम मिलने लगे। हम चुदाई के लिए तड़प रहे थे, क्योंकि जब से उसके साथ मेरे चक्कर के बार में मेरे दूसरे बोर दोस्तों को पता चला तो वह मेरा साथ छोड़ धीरे-धीरे पीछे हट गए थे। एक दिन घना कोहरा पड़ा हुआ था। मैं स्कूल के लिए निकली थी, रोज़ की तरह थोड़ा आगे जाकर वह जहाँ मुझे रोज़ मिलता था, आज वह वहाँ नहीं मिला। थोड़ा आगे बढ़ी तो किसी ने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैं उसकी बाँहों में चली गई। प्लॉट खाली था, कोहरा इतना था कि आदमी को पास खड़ा आदमी भी नहीं दिख पाता था। मैं उससे लिपट गई, उसने बेइन्तहा चूमना शुरु कर दिया। दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ दबाने लगा।
मैंने उसका लंड पकड़ लिया। उसने मेरी स्कर्ट में हाथ डाल दिया। अन्दर स्लाक्स पहनी हुई थी, जो शरीर से बिल्कुल चिपकी हुई थी। उसने मेरी चूत मसल डाली। मेरे अन्दर आग आज कुछ अधिक ही धधक रही थी, आज मैं बहुत प्यासी थी। मैंने उसके लंड को पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया।
मैंने उसकी बाँह पकड़ कर उसे प्लॉट के पिछले हिस्से में खींच लिया और उसकी ज़िप में से लंड निकाल लिया, पैरों के बल बैठ मुँह में डाल लिया और पागलों की तरह चूसने लगी। उसने नीचे से अपना पैर स्कर्ट में डाल अपने पैर के अँगूठे से मेरी चूत को दबा दिया। ओस से कपड़े गीले हो जाते, इस वज़ह से हम नीचे नहीं लेट सकते थे। उसने मुझे खड़ा किया, स्कर्ट खोल डाली। हुक़ खुलते ही स्कर्ट नीचे गिर गई। हाय… यह क्या कर दिया तुमने?
तुझे नंगी किया.. साली…!
उसने चूस-चूस कर पागल कर दिया और स्लाक्स उतार कर फेंक दी।
मैंने कहा, ठीक से रख दो, फिर पहनने भी तो हैं। मैं भी बेशर्म हो गई और पैन्टी ख़ुद ही उतार दी। उसने अपनी शर्ट उतार कर वहीं नीचे बैठते हुए मुझे घुटने रखवा कर घोड़ी बना दिया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल कर चूसने लगा।
हाय… लंड पेल दो प्लीज़…
ले रानी, कहते हुए उसने लंड को चूत पर रखते हुए धक्का मारा। उसके तीन धक्कों से ही लंड मेरी चूत में पूरा समा गया। अब करो… फाड़ डालो… बहुत प्यासी है यह तेरे लंड की आज… ठंडी कर दे मेरी आग…
वह तेज़-तेज़ धक्के मारता गया… अचानक उसने पासा पलटा और सीधा लिटा कर अन्दर डालते हुए करारे झटके मारे… मैं झड़ गई और मेरी गर्मी से वो भी पिघल गया और अपना सारा पानी मेरी चूत में ही डाल दिया।
कितना मज़ा आया इस तरह रास्ते में चूत मरवा कर… ऐसा मज़ा बिस्तर पर कभी नहीं आया।
तो यह थी मेरी एक मस्त चुदाई की कहानी। फिर हाज़िर होऊँगी अगली कहानी लेकर। सब लड़कों के लंड खड़े रहें। भगवान सभी को मोटे लंड दें, ताकि मुझ जैसी प्यासियों की आग बुझती रहे। Hindi Sex Stories
जीजाजी मेरे गांड़ पर अपना लंड रख Antarvasna लिया। अपने लंड में थोडा सरसों का तेल लगाया और मेरे बुर में भी थोड़ा डाला। वे गांड़ को एकदम लूज छोड़ देने को बोले। ऐसा लग रहा था कि वे बड़े चुदक्कड हैं। मैं तो आज सब कुछ सहने को तैयार थी। वे कहने लगे कि मैं धीरे से अंदर करूँगा, अधिक दुखे तो बोल देना। मैंने भी हाँ कह दी। दीदी फिर रूम में आ गई। वे मेरे गांड़ के उपर कुछ उनको देख कर कहने लगी, अरे तुम बहुत शैतान हो। उनको पहले गांड़ ही चाहिए। ये मेरे साथ भी ऐसा ही करते हैं। पहली बार तो थोडा दुखा था मगर उसके बाद तो मजा आने लगा है। आज तो तुम्हें सब कुछ सहना पड़ेगा। दीदी कह रही थी कि प्यार में तो सब कुछ चलता है। दीदी जीजाजी को कुछ इशारा करके रूम से फिर बाहर निकल गई। इस बार वह दरवाज़ा बाहर से बंद कर दी।
मैं तो थोडा डर गई। जीजाजी ने दीदी के जाते ही एकदम ज़ोर से धक्का लगा दिया। मैंने एक हाथ से उनका लंड पकड़ना चाहा मगर वे तो अपना पूरा लंड डाल चुके थे। मैं ज़ोर से चिल्लाई, दीदी बचा। जीजाजी ने मुझे मार दिया । मुझे अब नहीं चाहिए। मैं चिल्लाती रही मगर उन्होंने एक भी नही सुनी। वे और ज़ोर से ठेलते गाये। मेरी आँख से आँसू आते देख उन्होंने अपना लंड निकाल लिया तब जाकर मुझे राहत हुई। अब उन्होंने मुझे चित कर दिया। अपने लंड के सुपाड़ा उघार कर मेरे बुर पर रख दिया। मेरी दोनो चूचियां पकड़ कर चूसने लगे। अपने लंड के सुपाड़े से मेरे टिट को रगड़ रहे थे।
वे पक्के खिलाड़ी लग रहे थे मैंने उनकी कमर पकड़ ली। मुझे उनका पूरा लंड चाहिए था। मैं जीजाजी को अंदर ठेलने का ज़िद करने लगी मगर उन्हें अब कोई जल्दी नहीं लग रही थी। वे उठ कर फिर बाथरूम में चले गए, इस बार मुझे भी लेते गए। जीजाजी मेरी बुर में साबुन लगा कर अपने से धो दिए। तब मैंने भी उनका लंड धो दिया। अब हम दोनो फिर बेड पर आ गए। इस बार वे मेरे दोनो टांगो के बीच में बैठ गये। मेरे दोनो टाँगो को उठाकर अपने कंधो पर रखे। मुझे से अपना लड पकड़वाया ऑर अपने बुर के छेद पर रखने को बोले। मैंने भी वैसे ही किया। जीजाजी कह रहे थे कि अब मत रोना गांड़ इतना नहीं दुखेगा।
तब भी मुझे डर लग रहा था। उन्होंने पहले आधा ही अंदर किया और कुछ देर तक उतना डाल कर ही बाहर भीतर करते रहे। जीजाजी पुछने लगे बोलो मजा आ रहा है कि नहीं। मैं कुछ नहीं बोली और जीजाजी की कमर पकड़ कर अपने तरफ़ दबाने लगी। जीजाजी कहने लगे अच्छा तो अब लो मेरा पूरा लंड का मजा इतना कहकर जीजाजी ने कसकर धकका मारा और उनका पूरा लंड मेरे अंदर चला गया। ऐसा लगा कि उनका लंड छाती तक आ गया है। मैं ज़ोर से चिल्ला उठी। मैं जीजाजी को गाली देने लगी। कहने लगी तुम बहुत शैतान हो तुमने तो आज मुझे फाड़ ही डाला। मेरी गांड़ और बुर एक ही दिन में बरबाद करके रख दी। जीजा जी मुस्क़ुरा रहे थे।/
अब वे मेरे चूची को दबाने लगे और धक्के लगा कर चोदने लगे। अब मेरी टाँगो को नीचे रख दिया और एक चूची को मुख में डाल कर चूसने लगे। ज्यों ज्यों धक्का मार रहे थे मुझे अपना स्तन चुसवाने में और मजा आ रहा था। अब मेरे सब दर्द ग़ायब हो चुके थे। मैं बोल रही थी और ज़ोर से धक्के मारो मेरे अच्छे जीजाजी। आप सचमुच में मर्द हो। आज पहली बार ज़िंदगी का मजा आ रहा है फिर दीदी आ गई। उस समए हम दोनो मस्ती में थे। दीदी कहने लगी, अरे मुझे भूल गये क्या उसे अब थोड़ी जलन होने लगी थी। दीदी कहने लगी अब तो मुझे भी नहीं रहा जाता।
इतना सुनते ही जीजा जी मुझ पर से उतर गये और दीदी को मेरे साथ में ही पेट के बल लेटा दिए। जीजाजी दीदी को नंगे कर दिए। जीजाजी ने दीदी के गांड़ में थोड़ा थूक लगाया । दीदी ने अपने दोनो हाथों से अपनी गांड़ फैलाई। जीजाजी ने एक ही बार में अपना समूचा लंड दीदी के गांड़ में डाल दिया। दीदी को कोई दर्द होते नहीं दिखा। वह नीचे से कमर चला रही थी। जीजाजी कहने लगे देखो तुम्हारी दीदी कैसे चुदवा रही है मगर तुम चिंता मत करो, कुछ ही दिनों में तुम भी पक्की हो जाओगी। उसके बाद जीजाजी हम दोनो बहनो को बारी बारी से चोदने लगे। अंत में जीजाजी मेरे उपर चढ़ गये और कहने लगे कि आज अपना माल तुम्हारे ही अंदर डालुंगा। वे मेरे स्तन को फिर चूसने लगे और कच से पूरा लंड अंदर कर के ज़ोर से धक्का लगाने लगे।
मैं अब गिरने लगी थी। वे समझ गए और अपने दोनो हाथों से मेरी कमर कस कर पकड़ ली। मेरा चूची कस कर चूसने लगे। मैंने भी अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। मैं कह रही थी अरे मेरे राजा और ज़ोर से धक्के मारो और अंदर धकेलो, मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो। बीच बीच में दीदी जीजाजी को और धक्का मरने को उकसा रही थी। दीदी जीजाजी से कह रही थी आज मेरी बहन की प्यास बुझा दो। आज अपनी साली के जवानी को मसल दो। जीजाजी लास्ट बार धक्का मारे और मैं चिल्ला उठी। अरे बाप रे अब छोड़ दो। कुछ देर तक हम बिस्तर पर ही पड़े रहे। मैं दीदी और जीजाजी का शुक्रिया अदा कर रही थी। बेड पर देखा तो काफ़ी ख़ून के धब्बे थे। मेरे स्तन पर दाँतों के निशान बन गये थे।
दीदी जीजा जी के तरफ़ देख कर मुस्कुराने लगी। दीदी कह रही थी तुम्हारा सील भी आज तुम्हारे जीजाजी ने ही तोड़ी। मैं अपने जीजाजी का लंड पकड़ कर कहने लगी दीदी ये बहुत मजे का है। पहले दर्द देता है और फिर मजा। जीजाजी कह रहे थे साली तो आधी घर वाली होती है, इसलिए इसमें तुम्हारा अब बराबर का हक है। जब चाहो आ जाना, मेरा लंड तुम्हारी गांड और बुर के लिए हमेशा तैयार रहेगा। वे दीदी से कह रहे थे कि तुम्हारी बहन तो कमाल की चीज़ है। आज तो मुझे मजा आ गया। क्या मस्त जवानी है। सील तोड़ने में तो बहुत ज़ोर लगाना पड़ा। साली का माल तो बहुत ही टाईट है इसको लूज करने में बहुत दिन लगेगा। अभी मेरे दो बच्चे हैं। बच्चे पाकर मेरे पति भी काफ़ी ख़ुश रहते है। मैं अब उनको कोई शिकायत नहीं करती। मेरे पास काफ़ी संपत्ति है। मेरे दीदी के पास एक अच्छा मर्द। हम दोनो बहने एक दूसरे का ज़रूरत पूरा करते है और आनंद से रहते है। Antarvasna
हाय मेरा नाम शिवानी है. मेरी उम्र Sex Stories 18 साल है। मैं लखनऊ के पास के गाँव की रहने वाली हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी और सोचा कि मुझे भी अपनी बात सबको बतानी चाहिए। इसलिए आज मैं आपको एक व्यक्तिगत अनुभव सुनाने वाली हूँ।
हमारे गाँव में बहुत से कच्चे मकानों के बीच हमारा मकान पक्का है जिसमें मेरा, मेरे भाई का, मम्मी पापा का सबका अलग अलग कमरा है।
एक रात की बात है, मैं लगभग 11 बजे बाथरूम जाने के लिए उठी। बाथरूम मम्मी के कमरे को पार करने के बाद पड़ता है। जब मैं उस कमरे के सामने से गुज़री तो मुझे मम्मी के कराहने और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने जैसी आवाज़ें सुनाई पड़ी।
मैं एक बार को तो डर गई, पर मैंने हिम्मत रखते हुए चाबी के छेद से झांका तो मैं दंग रह गई। कमरे में पापा मम्मी बिल्कुल नंगे खड़े थे। पापा मम्मी की चूचियाँ दबा रहे थे और बार बार उनके चूतड़ों पर जोर से चपत सी मारते जा रहे थे।
पहले तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया पर फ़िर मैंने ध्यान से देखा कि पापा मम्मी से चिपटे हुए हिल भी रहे थे। तभी वे थोड़ा सा घूमे तो मेरी बुद्धि घूम गई। पापा ने अपना लण्ड शायद मम्मी की चूत में डाल रखा था और वहीं धक्के मार रहे थे।
मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था। मेरी कोलेज़ की सहेली ने एक बार मुझे अपनी चुदाई की कहानी सुनाई थी। आज़ अचानक वही चुदाई मुझे अपने घर में होती दिखाई दी।
पता नहीं क्यों, पर वो नज़ारा देख कर मेरी चूत में खुज़ली सी होने लगी और मुझे अपनी सांसें कुछ भारी सी लगने लगी। मैं वहाँ पर पूरा कार्यक्रम देखकर बाथरूम जाकर अपने कमरे में तो आ गई पर मुझे फ़िर नींद नहीं आई।
वो दृष्य मेरी आंखों के सामने नाचने लगा। मैंने अपनी सलवार और कच्छी उतार दी और एक हाथ से अपनी चूचियाँ दबाते हुए अपने पैन को चूत में डाल कर चलाया। फ़िर पैन के बज़ाए दूसरे हाथ की उँगली डाली। थोड़ी देर बाद मेरी चूत में से कुछ सफ़ेद सा निकला और मुझे पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई।
सुबह मम्मी की आवाज़ ‘ कोलेज़ नहीं जाना है क्या! जल्दी उठ!’ से मेरी आँख खुली, तो जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आई।
मुझे रात की बात अभी भी याद आ रही थी, पर मैं कोलेज़ जाने के लिए तैयार होने लगी। मैं कच्छी और ब्रा पहन कर ही नहाती हूँ पर उस समय मेरी उत्तेज़ना बढ़ गई और मैं पूरी नंगी होकर नहाई और उँगली, साबुन की सहायता से अपनी चूत का पानी निकाला।
तरोताज़ा होकर, नाश्ता कर मैं कोलेज़ के लिए घर से निकल गई। थोड़ी सी दूर सड़क से बस मिल जाती है, वहीं से मैंने बस पकड़ी जो रोज़ की तरह ठसाठस भरी थी। जैसे तैसे गेट से ऊपर चढ़ कर थोड़ा बीच में आ गई। तो वो रोज़ की कहानी चालू। आप तो जानते ही होंगे, जवान लड़की अगर भीड़ में हो तो लोग कैसे फ़ायदा उठाते हैं, और आप उन्हें कुछ कह भी नहीं सकते।
वही मेरे साथ होता है। मेरे पीछे से कोई मेरे चूतड़ दबाने सा लगा, तो एक अन्कल मेरे कन्धे पर बार बार हाथ रख कर खुश होने लगे। एक महाशय सीट पर बैठे थे, भीड़ की वज़ह से मेरी साईड उनके सिर से दबी थी, जो उन्हें भी मज़ा दे रही होगी।
इतने में मेरी ही क्लास का एक लड़का जो बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था और केवल मेरे लिए ही इस बस से आता-जाता था, अपने गाँव से बस में चढ़ा। लन्बा तगड़ा तो खैर वो है ही, हैण्डसम भी है। पर मैं उसे ज्यादा भाव नहीं देती थी। आज़ तो वो सबको हटाता हुआ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने उसे देखा पर मैं कोई आपत्ति करने की स्थिति में नहीं थी। कुछ कहा तो बोला- बस में भीड़ ही इतनी है।
मुझे चुप हो जाना पड़ा। मुश्किल से पाँच मिनट बीते होंगे कि अचानक ड्राईवर ने बड़े जोर से ब्रेक लगाए और पता नहीं क्यों ड्राईवर मादरचोद, बहनचोद जैसी माँ बहन की गालियाँ किसी को बकने लगा। शायद कोई बस के आगे आ गया होगा।
लेकिन उसके अचानक ब्रेक मारने से थोड़ सा बैलैंस तो सबका बिगड़ ही गया था। राहुल, मेरा क्लासमेट गिरते गिरते बचा। उसके हाथ में मेरी दाईं चूची आ गई थी, या वो जानबूझ कर उसे पकड़ कर लटका। पर इतना जरूर हुआ कि उसने उसे कायदे से दबा मसल जरूर दिया। मुझे गुस्सा आया, पर मैं कुछ कहती, उससे पहले ही वो वैरी सोरी कहने लगा। तो मुझे भी लगा कि शायद अनायास ही यह हो गया होगा।
वो फ़िर मेरे से सट कर खड़ा हो गया। बस चलने लगी। इतने में मैंने अपने चूतड़ों के बीच अपनी गाण्ड में कुछ चुभता सा दबाव महसूस किया। पहले तो मैंने इस पर खास ध्यान नहीं दिया अप्र मैं समझ गई कि राहुल का लण्ड मेरे चूतड़ों की गरमी खा कर खड़ा हो गया है और वो ही मुझे चुभ रहा है।
यह सोच कर मुझे रात वाला नज़ारा फ़िर याद आ गया और मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। अब मैं बिल्कुल बिना हिले कपड़ों के ऊपर से ही अपनी गाण्ड का तिया-पाँचा कराने लगी।
कुछ देर बाद ही कोलेज़ जाने वली सड़क पर बस रुकी और कोलेज़ जाने वाले सभी लोग उतरने लगे। मैं और राहुल साथ साथ ही उतरे। उतरने के बाद भी आज़ तो वो मेरे साथ ही चलने लगा। कुछ मिनटों बाद मैंने उससे मुस्कुरा कर कह ही दिया कि आप जो बस में कर रहे थे, वो अच्छी बात नहीं है। इस पर वो नाटक करते हुए बोला कि मैंने तो कुछ नहीं किया और कहते कहते ही मेरे चूतड़ों को भी दबाने लगा। मुझे भी अच्छा सा लगा पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा।
अचानक ही हम कोलेज़ जाने वाले मोड़ से कोलेज़ की बजाए जंगल वाली सड़क पर मुड़ गए। शुरू में तो मुझे मज़े मज़े में पता ही नहीं चला पर थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा तो बोला- कोलेज़ में तो रोज़ ही जाते हैं, चलो आज एक नया नज़ारा दिखाता हूँ।
उसकी बात का मतलब समझते हुए भी मैं उसके साथ चलने लगी, सच में तो मुझे रात से लग रहा था कि कोई मेरी चूत को चोद डाले, जैसे पापा मम्मी को चोद कर मज़ा दे रहे थे।
एक जगह बिल्कुल सुनसान थी। दूर दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी हमें गन्ने के खेत के बीच में कुछ खाली हिस्सा नज़र आया। वो मुझे वहीं ले गया और मुझसे लिपट कर जगह जगह मुझे चूमने चाटने लगा। इससे मेरी उत्तेज़ना और बढ़ गई। इसके बाद जब उसने मेरी चूचियों को दबाना-मसलना शुरू किया तो मुझे जैसे ज़न्नत दिखाई देने लगी। वो एक हाथ से मेरी चूचियाँ और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को बारी बारी दबा रहा था।
अचानक उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं मना करने की स्थिति में नहीं थी, सो मैंने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो मेरा कुर्ता आराम से उतार सके। उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खींच दिया। सलवार बिना लगाम के घोड़े की तरह झट से नीचे गिर गई। अब मैं उसके सामने केवल ब्रा और पैन्टी में रह गई थी।
मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन उत्तेज़ना शर्म पर हावी हो गई थी। सो मैं चुपचाप तमाशा देखती रही। उसने पहले तो मेरे सीने को फ़िर नाभि को ऐसे चूसना शुरू कर दिया मानो कुछ मीठा उस पर गिरा हो और वो उसे चाट कर साफ़ कर रहा हो।
मैं बुरी तरह उत्तेज़ित हो रही थी कि उसने मेरी कच्छी के ऊपर से एक उँगली मेरी चूत में घुसेड़नी शुरू कर दी। मुझे दर्द का भी अहसास हुआ पर मैं उसे मना ना कर सकी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था लेकिन मैं बेशर्म हो कर अपनी चूचियाँ अपने आप दबाने लगी थी।
उसने धीरे धीरे मेरी पैन्टी और ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया और मुझे मादरजात नंगी कर दिया। मैं तड़प रही थी और उसे मज़ा आ रहा था।
वो अभी तक पूरे कपड़ो में खड़ा था। मुझे गुस्सा आया और मैंने उसे गाली दे देकर कहना शुरू कर दिया कि अपने कपड़े भी तो उतार। वो झटके से मुझसे अलग हुआ और बिजली की रफ्तार से उसने अपने कपड़े उतार दिये। कच्छा उतारते के साथ मेरी हालत खराब हो गयी। उसका लण्ड मेरे पापा के लण्ड से कम से कम दुगुना लग रहा था। उसकी लम्बाई कम से कम 8 इंच और गोलाई कम से कम 3 इंच से तो किसी भी तरह कम नहीं थी।
उसने अपना हथियार मेरे हाथ में देकर मुझसे सहलाने को कहा। मैं उसे हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी तो उससे डर कुछ कम लगने लगा। फिर उसने मुझे नीचे बैठाया और अपना लण्ड मेरे मुँह में देने लगा। मुझे बहुत घिन्न आ रही थी कि इसी से ये मूतता होगा और अपना पेशाब मुझे पिलाने की तैयारी में है और सच में उसने मेरे मुँह में डालते डालते पेशाब की तेज धार मेरे मुँह और सारे चेहरे पर डाल दी और हंसने लगा।
पहले तो मुझे बहुत घिन्न आयी पर पता नहीं क्यों कैसे मुझे अपने ऊपर पड़ती गर्म पेशाब से अचानक नहाने में बड़ी उत्तेजना का अनुभव होने लगा। मैं उसके पेशाब को चाटने भी लगी और अपनी चुचियों पर भी मला। मुझे सच इसमें बहुत मजा आया। इसके बाद लण्ड में बची बूंदो को खराब न जाने देने के इरादे से मैंने उसका मोटा लण्ड अपने मुँह में बिना उसके कहे डाल लिया और चूसने लगी।
मुझे तो खैर उसमें बहुत मजा आ ही रहा था, मैंने महसूस किया कि उसे भी इसमें बहुत मजा आया होगा क्योंकि उसका लण्ड पहले से अधिक सख्त और गर्म महसूस हो रहा था। वो मेरा सिर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। अब मेरी चूत में उत्तेजना बढती जा रही थी। यह बात मैंने पूरी बेशर्मी से उसको बतायी तो वो अपना लण्ड मेरी चूत में डालने को तैयार हो गया। वो मुझे जमीन पर लिटाकर मेरे उपर आ गया।
उसके लण्ड का अगला भाग जिसे शायद सुपाड़ा कहते हैं जैसे ही मेरी चूत से टकराया लगा कि जैसे गर्म सरिया या रॉड सी मेरी चूत पर छुआ दी हो। सच अगर चूत में लण्ड डलवाने की इतनी खुजली न मची होती तो मैं तुरन्त उसे वहाँ से हटा देती, लेकिन मैं अपनी चूत के हाथो मजबूर थी। अब उसने चूत पर लण्ड का दबाब बढ़ाना शुरू किया। मुझे दर्द का एहसास हुआ तो मैंने थूक लगाकर डालने की सलाह दी जिसे उसने तुरन्त मान लिया।
उसने सुपाड़े पर थूक लगाकर जोर का झटका मेरी चूत के छेद पर मारा, पर निशाना मिस हो गया और लण्ड मेरे पेट के निचले हिस्से की खाल को जैसे चीरता हुआ उपर आया। मैंने उसे अपने पर्स में निकालकर अपनी कोल्ड क्रीम की ट्यूब उसे दी और उसके लण्ड पर लगाने को कहा, अबके उसने लण्ड के साथ साथ मेरी चूत को भी क्रीम से भर दिया, उँगली डाल डाल कर क्रीम अन्दर पहुँचा दी। मेरी हालत प्रति क्षण खराब होती जा रही थी।
मैंने उससे कहा कि मैं रास्ता दिखाती हूँ तुम जोर का धक्का मारो।
फिर मैंने उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और दबाया। इशारा समझकर उसने शायद पूरी ताकत से धक्का मार दिया। उस समय ऐसा लगा कि उसने धक्का नहीं मुझे मार दिया। एक झटके में उसका आधे से ज्यादा महालण्ड मेरी चूत में समा गया था। मेरी चूत निश्चित ही फट गयी थी और वह दर्द का अहसास हुआ जो आज तक कभी भी जिन्दगी में नहीं हुआ। मैं सिर पटकने लगी।
सारी उत्तेजना जाने कहाँ हवा हो गयी थी, मैं उससे लण्ड निकालने की रो-रोकर विनती करने लगी, लेकिन उसे तरस न आया, वो तो उल्टा मेरी चुचियों को चूसने और काटने लगा। पर उसने लण्ड को वहीं रोक दिया। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम सा महसूस होने लगा तो मैंने उसे बताया। अब उसने लण्ड को धीरे धीरे गति देनी चालू की। उसने धक्के अब भी मेरी चूत को फाड़े दे रहे थे। भंयकर दर्द हो रहा था लेकिन ये उस जानलेवा दर्द के आसपास भी नहीं था जो पहले झटके में शायद क्रीम के कारण हो गया था।
थोड़ी ही देर में मुझको भी मजा सा आने लगा। उसके धक्के अभी भी दर्द पैदा कर रहे थे पर उस दर्द में भी एक अलग आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी चूत में से पता नहीं क्या कुछ निकल कर रिस रहा था। पर उसका चूमना चाटना और बीच बीच में काटना अलग ही था। मैंनें इतना आनन्द अनुभव किया जो जिन्दगी में पहले नहीं किया था। पर बात उससे आगे की भी थी। करीब 20 मिनट बाद उसने अचानक धक्कों की स्पीड बढा दी। मैंने भी सहयोग करने का निश्चय करके नीचे से चूतड़ उछालने लगी।
दोनों अपने वेग में थे कि अचानक मेरी चूत में कुछ संकुचन सा हुआ और मैंनें उसको कस के चिपटा लिया, अपने नाखून उसकी कमर में गाड़ दिये। तभी मैंनें अपनी चूत में कुछ गर्म गर्म लावा सा गिरता हुआ महसूस किया।
कुछ ही मिनटों में हम दोनों शान्त हो गये थे। पर आखिर के वो एक-दो मिनट में जो आनन्द आया उसके सामने शायद जन्नत का सुख भी फीका हो। मैं उसकी मुरीद हो गयी। उसने उसके बाद लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया, मैंने उसे बड़े प्यार से चाट-चाट कर साफ किया।
फिर जब मैंनें बैठकर अपनी चूत रानी को देखा तो मेरे मुँह से चीख सी निकल गयी। चूत का भोसड़ा तो बन ही गया था साथ ही उसमें से खून भी रिस रहा था। मैं यह देखकर डर गयी थी। पर उसने हिम्मत बंधायी। पता नहीं उसने मुझे वापस लिटाकर मेरी चूत में कपड़े से और क्रीम से क्या क्या किया पर सुकून था कि खून रूक गया था। अब थकान बहुत महसूस हो रही थी। सो थोड़ी देर लेटी रही।
फिर उसके सहारे से उठी और बदन झाड कर कपड़े पहने। कपड़े पहनकर उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा तो उसने फिर एक बार मेरे निचले होंठ को चूसना शुरू कर दिया और चुचियों को दबाने लगा। मुझे बहुत आनन्द आया और सच में अगर घर वापिस लौटने में टाइम का ख्याल नहीं होता तो मैं उसे हटने को कभी नहीं कहती।
उसके बाद हमने उस जंगल वाले कालेज की कई क्लासेज अटेण्ड की। पर अब गन्ना कट जाने से हमें बड़ी दिक्कत हो गई है। खैर, भगवान ने चाहा तो उसका इन्तजाम भी हो जायेगा। अच्छा मैं अपनी कहानी यहीं पर बन्द करती हूँ।
सम्पादक महोदय से गुजारिश है कि मेरा नाम भले ही छाप दें पर मेरे गाँव और जिले का नाम साइट पर न दें नहीं तो मेरी पूरे कालेज में बदनामी हो सकती है। मैं जानती हूँ मेरे कालेज कई लड़के लड़कियाँ अर्न्तवासना पर कहानियाँ पढने के शौकीन हैं। Sex Stories
sex stories....मेरा नाम गिन्नी है. मेरी उम्र 19 साल की है और मैं बहुत ही खूबसूरत हूँ. मेरी दो सहेलियां हैं जिनका नाम पिंकी और शिखा है. वो दोनों मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ती थीं. हम तीनों ही बहुत ही सेक्सी थी. कॉलेज में ही हमारा ढेर सारे लड़कों से शारीरिक सम्बन्ध था. हम तीनों ही उन सब लौंडों से खूब चुदवाती थीं.
शिखा चुदवाने में सबसे ज्यादा तेज थी. शिखा हमेशा ही खूब लम्बे और मोटे लंड की तलाश में रहती थी.
पिंकी को कई लड़कों से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मजा आता था लेकिन उसे ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं था. जहाँ तक मेरा सवाल है तो मुझे एक साथ चुत और गांड दोनों में लंड लेना पसंद था.
पढ़ाई खत्म होने के बाद पिंकी और मैं 2 साल के लिए दूसरे शहर में पढ़ने चली गई. हमारे जाने के 6 महीने के बाद ही शिखा की शादी उसी शहर में जय के साथ हो गई थी. जय बहुत ही अमीर आदमी था और अय्याश भी था. शिखा ने हम दोनों को भी शादी में बुलाया लेकिन हम उसकी शादी में नहीं आ सकी.
शिखा ने अपनी शादी की दूसरी सालगिरह पर हम दोनों को बुलाया. मैं पिंकी के साथ शिखा के पास आ गई. शिखा ने हम दोनों को देखा, तो बहुत खुश हो गई. हम सबने आपस में खूब बातें की.
शिखा ने मुझे बताया कि वो शादी के बाद से और ज्यादा सेक्सी हो गई थी और वो कई आदमियों से चुदवा चुकी थी. उसकी एक दलाल से जान पहचान हो गई थी, जो कि अमीर औरतों को आदमी सप्लाई करता था. मैं जानती थी कि ये मुंबई के लिए आम बात है..
शिखा ने हम दोनों को लगभग 150 आदमियों के फोटो दिखाए और बोली- मैं इन सबसे चुदवा चुकी हूँ. वो सभी आदमी फोटो में एकदम नंगे थे. उन सब आदमियों का लंड एक से बढ़कर एक था. किसी का भी लंड 8″ से कम लम्बा नहीं था.
मैंने शिखा से कहा- इन सबका लंड तो बहुत ही लम्बा और मोटा है.
वो बोली- तू तो जानती ही है कि मुझे तो खूब मोटा और लम्बा लंड ही पसंद आता है और उसी से चुदवाने में मुझे मजा भी आता है. आज मैंने एक पार्टी रखी है. आज हम सब सारी रात चुदाई का पूरा मजा उठाएंगे.
फिर शिखा ने 6 मर्दों के फोटो हमारे सामने रखते हुए कहा- मैंने आज इन सबको बुलाया है.
मैंने पूछा- अगर जय आ गया तो?
वो बोली- वो तो महीने में 25 दिन बाहर ही रहता है. इसीलिए तो मैंने दूसरे आदमियों से चुदवाना शुरू किया है.
मैंने कहा- जय तुझे कुछ कहता नहीं है?
वो बोली- वो भी तो अय्याश है और तमाम लड़कियों को चोदता रहता है. मैं उसके सामने भी कई बार चुदवा चुकी हूँ.
मैंने कहा- तो फिर तूने आज 6 मर्दों को क्यों बुलाया है?
शिखा बोली- क्या तुम सबको नहीं चुदवाना है?
मैंने कहा- चुदवाना तो है लेकिन 6 मर्द एक साथ?
वो बोली- तो क्या हुआ? ज्यादा लंड होंगे तभी तो चुदाई का असली मजा आएगा.
मैंने कहा- इन सभी के लंड 11″ से कम नहीं हैं.
वो बोली- इसीलिए मैंने केवल इन्हें ही बुलाया है. मैं तो आज रात इन सबसे कम से कम 1 बार जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- शिखा, तू तो जानती है कि मुझे कई मर्दों से एक साथ चुदवाना पसंद है, लेकिन मैं ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं करती.
शिखा बोली- छोड़ यार, तूने लम्बे और मोटे लंड का मजा कभी लिया ही नहीं, फिर तू क्या जाने कि खूब लम्बे और मोटे लंड से चुदवाने का मजा क्या होता है. आज तो मैं तुझे इन सबसे जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- तब मेरी हालत एकदम खराब हो जाएगी क्योंकि इसमें से किसी का लंड 11″ से कम लम्बा नहीं है. मैं तो सुबह तक बिस्तर पर से हिलने डुलने के काबिल ही नहीं रहूँगी.
शिखा बोली- क्यों तुझे कल सुबह कहीं जाना है क्या?
पिंकी बोली- नहीं यार, कहीं नहीं जाना है. हम दोनों तो तेरे पास कम से कम 10 दिनों तक रहेंगी.
शिखा बोली- फिर सारा दिन तू बिस्तर पर ही आराम करना.
पिंकी- ठीक है.
उसके बाद शिखा ने मुझसे कहा- तेरा क्या ख्याल है गिन्नी?
मैंने कहा- तू तो जानती ही है, मुझे एक साथ दो लंड अन्दर लेना पसंद है. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. मैं पहले भी 11″ लम्बा लंड अन्दर ले चुकी हूँ. मैं तो इन सबसे कम से कम 2 बार जरूर चुदवाऊंगी.
शिखा बोली- फिर ठीक है. आज रात हम सबको चुदवाने में खूब मजा आएगा.
सारा दिन हम गपशप करते रहे. रात के 8 बजे एक सूमो आकर खड़ी हुई. उसमें से 6 हट्टे कट्टे जवान मर्द बाहर आए. मैं उन्हें देखकर खुश हो गई. पिंकी उन्हें देख कर थोड़ा परेशान हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- तू क्यों परेशान है.
वो बोली- इन सबके लंड के बारे में सोच कर मैं परेशान हूँ.
शिखा बोली- फिर तो आज सबसे पहले मैं तेरी ही चुदाई कराऊंगी.
पिंकी बोली- नहीं, मैं सबसे बाद में चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू लाख कोशिश कर ले लेकिन आज मैं सबसे पहले तुझे ही इन सबके हवाले करूँगी. ये सब तेरी चुदाई कर करके तेरी चुत को एकदम चौड़ा कर देंगें.
पिंकी बोली- इसका मतलब आज तू मेरा कत्ल करवाने पर तुली है.
शिखा बोली- कुछ ऐसा ही समझ ले.
पिंकी बोली- ये सब मेरी चुत की हालत खराब कर देंगें और साथ में मेरी भी.
शिखा बोली- मुझसे शर्त लगा ले. कल सुबह के पहले अगर तूने खुद ही इस अनिल से दोबारा नहीं चुदवाया तो मैं अपना नाम बदल दूँगी.
पिंकी बोली- ये अनिल कौन है?
शिखा बोली- अनिल सबसे ज्यादा देर तक चोदता है और बहुत ताकतवर भी है. मैं सबसे पहले उसी से तेरी चुदाई कराऊंगी.
ये सुन कर पिंकी चुप हो गई.
वो सभी अन्दर आ गए.
शिखा ने कहा- तुम सब कुछ पियोगे?
उसमें से एक बोला- आज रात बहुत मेहनत करनी है. हो सके तो कुछ ड्रिंक पिला दो.
शिखा ने उन सबको 1 बोतल शराब लाकर दे दी.
वो सब शराब पीने लगे.
शिखा ने पिंकी की तरफ़ इशारा करते हुए अनिल से कहा- ये मेरी सहेली पिंकी है. आज तक इसने 7″ से ज्यादा लम्बे लंड से नहीं चुदवाया है. तुम सबसे पहले इसकी चुदाई करो. मैं नहीं चाहती कि इसे बार बार तकलीफ़ उठानी पड़े. तुम इसकी चुत में एकदम बेरहमी से अपना लंड घुसा देना.
अनिल बोला- मैडम, फिर तो ये बहुत चिल्लाएगी.
शिखा ने कहा- तो क्या हुआ… एक बार ही तो चिल्लाएगी, उसके बाद इसे इन सबसे चुदवाने में मजा आएगा.
वो बोला- ठीक है मैडम, मैं एकदम रेडी हूँ, आप कहें तो मैं चुदाई शुरू कर दूँ?
शिखा बोली-हाँ, शुरू कर दो.
पिंकी ने शिखा से कहा- तू मुझे मरवाएगी क्या?
शिखा बोली- नहीं यार, मैं एक बार में ही तेरा काम तमाम कर देना चाहती हूँ, जिससे हम सब एक साथ मजा ले सकें. इसीलिए तो मैं सबसे पहले अनिल से ही तेरी चुदाई करने को कह रही हूँ.
तब तक अनिल पिंकी के पास आ गया. उसका लंड एकदम टाईट हो चुका था. उसका लंड लगभग 11″ लम्बा और 3″ मोटा था और वो बहुत ताकतवर भी लग रहा था. उसने पिंकी के सारे कपड़े उतार दिए और उसे बेड के किनारे लिटा दिया. उसके बाद वो पिंकी के पैरों के बीच में जमीन पर खड़ा हो गया.
उसने पिंकी की चुत के मुँह को फैला कर अपना लंड बीच में रख दिया.
शिखा ने बाक़ी के आदमियों को इशारा कर दिया, तो वो सभी पिंकी के पास आ गए. उन सबने पिंकी के हाथ जोर से पैर पकड़ लिए. एक ने अपना लंड पिंकी के मुँह में दे दिया. पिंकी उसका लंड चूसने लगी. तभी अनिल ने एक धक्का मारा. पिंकी ने उस आदमी का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोर जोर से चिल्लाने लगी. उस आदमी ने दूसरा धक्का लगाया तो पिंकी बुरी तरह से चीखने लगी.
शिखा बोली- तू इतना चीख क्यों रही है.. साली 7″ लम्बा लंड तो तू पहले ही अन्दर ले चुकी है. इसका लंड तो अभी तेरी चुत में केवल 5″ ही घुसा है.
पिंकी बोली- इसका मोटा भी तो बहुत है.
अनिल जैसे ही रुका तो शिखा ने उसे जोर से डांटा- क्यों बे, रुक क्यों गया. घुसा अपना पूरा लंड इसकी चुत में.
अनिल बोला- गलती हो गई मैडम. अब मैं नहीं रुकूँगा.
अनिल ने पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोरदार दो धक्के लगाए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 8″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत से खून निकलने लगा और वो बहुत ही बुरी तरह से चिल्लाने और तड़फने लगी. पिंकी का सारा बदन पसीने से लथपथ हो चुका था.
अनिल ने एक गहरी सांस लेते हुए दो बहुत ही जोरदार धक्के और लगा दिए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 10″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत बुरी तरह से फैल चुकी थी. उसकी चुत ने अनिल के लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. तभी अनिल ने पूरे ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा. इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड पिंकी की चुत में समा गया. उसके बाद अनिल ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी.
शिखा ने पिंकी से कहा- आखिर तूने इसका 11″ लम्बा लंड अन्दर ले ही लिया. अब तो तुझे खूब मजा आ रहा होगा.
वो बोली- मैं दर्द के मारे मरी जा रही हूँ और तुझे मजाक सूझ रहा है.
शिखा बोली- मेरी जान, बस 10 मिनट में ही तू एकदम पक्की चुदक्कड़ बन जाएगी और तुझे वो मजा आएगा कि तू भी मेरी तरह कभी छोटा और पतला लंड पसंद ही नहीं करेगी.
पिंकी मजा लेते हुए बोली- ये तो है.. लम्बा और मोटा लंड अन्दर लेने के बाद छोटा लंड भला किसे पसंद आएगा.
अनिल पिंकी को चोदता रहा और पिंकी मजे से चिल्लाती रही. दस मिनट की चुदाई के बाद जब पिंकी शांत हो गई तो शिखा ने अनिल से कहा- अब तू रहने दे.
पिंकी बोली- अब मुझे मजा आ रहा है तो तू इसे मना क्यों कर रही है.
शिखा बोली- अब तुझे रमेश चोदेगा, फिर उसके बाद राज.. जब तक मैं नहीं कहूँगी तब तक कोई भी अपने लंड का जूस तेरी चुत में नहीं निकालेगा.
पिंकी कलप कर बोली- तू ऐसा क्यों कर रही है?
शिखा बोली- बस, तू केवल देखती जा.
अनिल हट गया तो रमेश पिंकी को चोदने लगा. करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद राज ने पिंकी को चोदना शुरू किया. उसने भी लगभग 15 मिनट तक पिंकी की चुदाई की. उसके बाद कमल, केशरी और शिव ने पिंकी को लगभग 15-15 मिनट तक चोदा. पिंकी को अब मजा आने लगा था और उसे अब जरा सा भी दर्द नहीं हो रहा था. शिखा ने सभी को मना कर रखा था, इसलिए किसी ने अपने लंड का जूस उसकी चुत में नहीं निकाला.
शिखा ने अनिल और रमेश से मुझे चोदने को कहा. उन दोनों का लंड एक ही साइज़ का था. मैं अनिल के ऊपर आ गई और उसका लंड अपनी चुत में डाल लिया. रमेश मेरे पीछे आ गया और उसने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. उसके बाद वो दोनों मुझे चोदने लगे.
राज शिखा को चोदने लगा. शिखा भी खूब मज़े ले ले कर चुदवा रही थी. मुझे भी खूब मजा आ रहा था.
बहुत दिनों के बाद मुझे बहुत अच्छे लंड से एक साथ चुदवाने का मौका मिला था. मैं भी जोर जोर से सिसकारियां भरते हुए उन दोनों के जोश को बढ़ा रही थी. वो दोनों भी बहुत ताकतवर थे और बहुत ही जोर जोर के धक्के लगा रहे थे.
उधर पिंकी पूरी मस्ती के साथ कमल, केशरी से चुदवा चुकी थी. अब उसे शिव चोद रहा था. उसे चुदवाते हुए लगभग 1 घंटे हो चुके थे. वो अब तक कई बार झड़ भी चुकी थी. अनिल और रमेश भी मुझे लगभग 30 मिनट तक चोद चुके थे. उन दोनों के हट जाने के बाद कमल और केशरी मुझे चोदने लगे. वो दोनों मेरी चुत और गांड की बुरी तरह से धुनाई कर रहे थे. मैं भी एकदम मस्ती के साथ चुदवा रही थी.
शिखा ने सभी को मना कर रखा था कि किसी के लंड से जूस नहीं निकलना चाहिए. वो सभी जब झड़ने वाले होते तो हट जाते थे. जब थोड़ी देर में उनका जोश कुछ ठंडा पड़ जाता तो वो फिर से शुरू हो जाते थे. वो सभी बारी बारी से हम तीनों की चुदाई कर रहे थे.
लगभग 3 घंटे तक हम सबकी चुदाई चलती रही. शिखा ने उन सबसे कहा- अब तुम सब रुक जाओ. वो सब हमारी चुतों से अपना लंड बाहर निकाल कर खड़े हो गए.
शिखा ने कहा- अनिल, अब तुम्हें मेरी गांड मारनी है.
अनिल बोला- मैडम, आप ने आज तक कभी गांड नहीं मरवाई है.
वो बोली- तो क्या हुआ. आज मेरे साथ मेरी सहेलियां भी हैं, इसलिए आज मैं गांड भी मरवाऊंगी. तुम मेरी गांड मारना शुरू कर दो. मुझ पर जरा सा भी रहम मत करना और पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड़ कर ही दम लेना.
वो लंड सहलाता हुआ बोला- ठीक है मैडम.
उसके बाद शिखा ने रमेश से कहा- रमेश, तुम पिंकी की गांड मारो और अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसा कर ही रुकना. नहीं तो समझ लो कि मैं तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँगी.
वो बोला- मैडम, मैं कोई गलती नहीं करूँगा.
पिंकी बोली- तू मुझे क्यों मारने पर तुली हुई है.
शिखा बोली- मैंने इसीलिए 6 आदमियों को बुलाया था. अब तू रमेश का लंड अपनी गांड के अन्दर लेगी और गिन्नी राज से गांड मरवाएगी. उसके बाद हम सबको 2-2 आदमी एक साथ चोदेंगें.
अनिल ने शिखा की गांड में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया. शिखा बहुत जोर जोर से चिल्ला रही थी. रमेश भी अपने लंड का सुपारा पिंकी की गांड के छेद पर रख चुका था.
पिंकी ने शिखा से कहा- खुद तो दर्द के मारे मरी जा रही है और मुझे भी फंसा दिया.
तभी रमेश का बहुत ही जोर का धक्का लगा. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी. मैं खड़ी हो कर तमाशा देख रही थी. अनिल और रमेश पूरी ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहे थे. सारा रूम चीखों से गूँज रहा था.
तभी राज ने मुझसे कहा- मैडम मैं भी शुरू कर दूँ?
मैंने कहा- मैं तो आदी हूँ. जरा इन दोनों की गांड में पूरा लंड तो घुस जाने दो उसके बाद तुम मेरी गांड मार लेना.
फिर 5 मिनट में ही शिखा और पिंकी की गांड में उन दोनों का पूरा का पूरा लंड समा चुका था. वो दोनों अब उनकी गांड मार रहे थे.
मैंने राज से कहा- चलो अब तुम भी शुरू हो जाओ.
राज ने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. शिखा और पिंकी अभी भी बहुत जोर जोर से चीख रही थीं.
राज बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाता हुआ मेरी गांड मार रहा था. मुझे खूब मजा आ रहा था. दस मिनट के बाद शिखा और पिंकी शांत हो गईं. अब उन दोनों की गांड में अनिल और रमेश का लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था. उन दोनों ने 10 मिनट तक और गांड मरवाई.
उसके बाद शिखा बोली- अनिल और रमेश अब तुम दोनों रुक जाओ.
उन दोनों ने अपना लंड उनकी गांड से बाहर निकाला और हट गए.
शिखा बोली- रमेश तुम लेट जाओ. मैं तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेती हूँ और कमल पीछे से मेरी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने अनिल से कहा- तुम भी लेट जाओ. पिंकी तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेगी और केशरी उसके पीछे आ कर उसकी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने शिव से कहा- गिन्नी राज का लंड अपनी चुत में डाल लेगी और तुम पीछे से उसकी गांड मारना. इस बार तुम सब हमारी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से भर देना.
वो सब बोले- ठीक है मैडम.
शिखा ने जैसा कहा था, ठीक उसी तरह से हम सबकी चुदाई शुरू हो गई. लगभग 1 घंटे तक हमारी खूब जम कर चुदाई हुई. पिंकी ने पूरी मस्ती के साथ 2-2 लंड का एक साथ मजा लिया. शिखा ने भी पहली बार गांड मरवाने का पूरा मजा उठाया.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्यों बेबी, मजा आया?
पिंकी मुस्कुराते हुए बोली- कसम से बहुत मजा आया. मैं ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी लेकिन आज मेरा सारा डर खत्म हो गया. अब तो मैं हमेशा केवल खूब लम्बे और मोटे लंड से ही चुदवाऊंगी. तुम इन सभी से कह दो कि बिना रुके ही खूब जम कर मेरी चुदाई करें और मेरी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से एकदम भर दें.
शिखा हंस कर बोली- ऐसा ही होगा, रानी जी.
पिंकी ने आँख मार दी.
शिखा ने उन सबसे कहा- तुमने सुना कि ये क्या कह रही हैं. अब तुम सब शुरू हो जाओ और मेरी सहेली को एकदम मस्त कर दो. ये जब तक मना ना करे, तुम सब इसे खूब जम कर चोदना.
उन सभी ने सुबह होने तक पिंकी को तरह तरह के आसनों में खूब जम कर चोदा और उसकी गांड मारी. सुबह को पिंकी ने उन सभी को खुद ही मना कर दिया. वो एकदम मस्त हो चुकी थी और थक कर चूर भी.
उसके बाद शिखा ने उन सबसे कहा- तुम सब 1-2 घंटे आराम कर लो. उसके बाद गिन्नी को भी इसी तरह से चोदना.
मैंने शिखा से कहा- क्या तू ऐसे ही रहेगी?
शिखा बोली- मेरा क्या, मैं तो हमेशा ही चुदवाती रहती हूँ. तुम दोनों मेरी सहेली हो और मेहमान भी.. पहले तुम दोनों का अच्छी तरह से स्वागत होना चाहिए.
उन सबने 2 घंटे तक आराम किया और फिर उसके बाद वो सब मुझ पर टूट पड़े. उन्होंने बहुत देर तक लगातार खूब जम कर मेरी चुदाई की और मेरी गांड भी मारी. मैं भी पिंकी की तरह से एकदम मस्त हो गई. मुझे बहुत दिनों के बाद चुदाई का मजा मिला और वो भी जी भर के मिला.
दोपहर के 3 बजे वो सब जाने लगे तो शिखा ने अनिल, रमेश और राज से कहा- तुम तीनों रात के 8 बजे आ जाना.
उसके बाद वो सब चले गए. पिंकी ने शिखा से कहा- अब जब मुझे चुदाई का असली मजा मिल गया है तो तूने आज केवल तीन को ही क्यों बुलाया है.
शिखा बोली- मेरी रानी, देखती जाओ.
शिखा ने अपने दलाल को फोन किया और उससे कहा कि रात के 8 बजे 6 आदमियों को और भेज देना लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि उन सभी का लंड 11″ से कम नहीं होना चाहिए और साथ में खूब मोटा भी होना चाहिए.
दलाल ने कहा कि भेज दूँगा.
रात के 8 बजे सूमो से 9 लोग आ गए. उन सभी का लंड एक से बढ़ कर एक था. उसमें से एक का नाम जयंत था. उसका लंड देखते ही पिंकी बहुत खुश हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्या बात है, तू जयंत को देख कर बहुत खुश हो रही है?
पिंकी बोली- मुझे इसका लंड बहुत ही शानदार लग रहा है. मैं तो आज सबसे पहले इसी से चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू तो ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी.. आज तुझे क्या हो गया?
पिंकी बोली- तूने खूब लम्बे और मोटे लंड से मेरी चुदाई करा कर मेरी चुत और गांड में आग लगा दी है. अब तो मुझे इस आग को बुझाना ही है.
शिखा बोली- शाबाश बेबी, आखिर तू जान ही गई कि असली मजा क्या होता है.
जयंत का लंड लगभग 12″ लम्बा था और उन सभी के लंड से बहुत मोटा भी था. जयंत ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी.. लेकिन आज वो ज्यादा नहीं चीखी और थोड़ी ही देर में शांत हो गई. उसे जयंत से चुदवाने में खूब मजा आया. जयंत से चुदवाने में मैं भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में मुझे भी खूब मजा आया. शिखा का भी वही हाल हुआ. वो भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे भी खूब मजा आया.
सुबह तक उन सभी ने हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. हम सब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थीं. उसके बाद वो सब चले गए.
मैं पिंकी के साथ शिखा के पास 10 दिनों तक रही. हम सबने खूब जम कर चुदाई का मजा लिया.
एक दिन तो शिखा ने एक साथ 15 आदमियों को बुला लिया था. उन सभी ने तो हमारा चोद चोद कर बुरा हाल कर दिया. वो सभी रात के 8 बजे आए थे उन्होंने दूसरे दिन दोपहर तक हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. उन सभी ने उस दिन हम तीनों को चोद चोद कर और हमारी गांड मार मार कर ऐसा बुरा हाल कर दिया था कि उनके जाने के बाद हम तीनों शाम तक बिस्तर पर से उठने के काबिल ही नहीं रह गए थे.
मेरी चुत और गांड का मुँह पहले से भी ज्यादा चौड़ा हो चुका था. पिंकी का तो पूछो मत, उसकी चुत और गांड भी एक चौड़े साइज़ की हो चुकी थी. उसे ही सबसे ज्यादा मजा आया. उसके बाद मैं पिंकी के साथ वापस चली आई.
वापस आते समय शिखा ने कहा- जब कभी भी इच्छा हो, आ जाना.
मैंने कहा- मैं जरूर आऊँगी.
पिंकी बोली- क्या तू मुझे अपने साथ नहीं ले आएगी?
मैंने पिंकी से मजाक किया, तुझे तो ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद ही नहीं है. फिर तू आकर क्या करेगी.
पिंकी ने मेरे गाल काट लिए और बोली- मेरी चुत और गांड में तो अभी भी आग लगी हुई है.
मैंने कहा- चल मैं तेरे लिए फ़िर से लंड ब्रिगेड बुला दूँगी. मेरी बात सुनकर वो जोर जोर से हंसने लगी.
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