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मेरा नाम राजू है। मेरे दफ़्तर में Antarvasna एक सोनू नाम की लड़की थी। वो सच में बला की खूबसूरत थी। जब से वो मेरे दफ़्तर में काम करने के लिए आई, मैं तो बस उसको ही देखता रहता था। उसकी फ़ीगर कमाल की थी और लम्बे लम्बे बाल थे। उसके बड़े बड़े बूब्स देख कर तो मैं पागल ही हो जाता था और हर वक्त सोचता रहता था कि कब मैं इन बूब्स को चूस पाऊंगा। मैं अपने केबिन से छिप छिप कर उसको देखता रहता और उसके साथ सेक्स करने के सपने देखता रहता था। उसने भी मेरी यह बात पकड़ ली थी मैं उसको देखता रहता हूँ लेकिन उसने कभी कुछ नहीं कहा। शायद वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित थी।
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि मेरे सारे सपने सच हो गए।
हुआ यूं कि एक दिन सोनू मेरे केबिन में आई और उसने मुझे कहा कि उसे वेतन के अलावा कुछ और पैसों की जरूरत है और वो ये पैसे धीरे धीरे वापिस कर देगी। लेकिन मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता था इसलिए मैंने उसे कहा कि अगर वो मुझ पर विश्वास करती है तो मैं उससे अकेले में मिलना चाहता हूं।
वो मान गई। मैंने उसे घर आने को कहा और कहा कि पैसे मैं घर पर ही दे दूंगा। अगले तीन दिन के लिए दफ़्तर बंद था और मेरे घर वाले भी बाहर गए हुए थे इसलिए मैंने उसे अगले दिन सुबह घर पर बुला लिया।
अगले दिन जब वो घर आई तो उसने जीन्स और शर्ट पहनी हुई थी और बाल खुले हुए थे। उस वक्त वो कयामत लग रही थी। उसे देख कर मेरा लण्ड एक दम से खड़ा हो गया। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को सम्भाला और उसे अपने बेडरूम में ले गया। मैं बस तरीका सोच रहा था कि किस तरह से मैं उसको चोदूं!
तब मैंने उसको अपने पास बुलाया और उसके हाथ अपने हाथों में ले कर कहा- सोनू, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.
उसने यह सुन कर कहा कि वो मुझ से प्यार करती है. यह सुन कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने उसे अपनी बाँहों में जकड लिया। उसके बूब्स मेरी छाती से छू रहे थे और मैं और ज़्यादा पागल हो रहा था मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके चेहरे को अपने हाथों से सहलाने लगा. अब मैं उसको अपने और करीब ले कर आया और अपने होंठो को उसके होंठों पर रख कर चूमने लगा। मैं बड़े प्यार से उसके होंठों को चूम रहा था और वो भी इसका मजा ले रही थी।
काफ़ी देर तक चूमने के बाद मैं उसके पूरे चेहरे पर चूमने लगा उसके गालों पर, उसकी गर्दन पर। फिर मैंने उसकी शर्ट का पहला बटन खोला वो एक दम से बोली यह क्या कर रहे हो, मैंने कहा हम एक दूसरे से प्यार करते हैं इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है, यह बोलते बोलते मैंने उसकी शर्ट के तीन चार बटन खोल दिए। अब मुझे उसकी ब्रा नज़र आ रही थी और ब्रा में बंद उसके बड़े बड़े बूब्स बाहर निकलने को तड़प रहे थे।
मैंने उसकी शर्ट उतार दी और वो ब्रा में तो कयामत लग रही थी। तब उसका ध्यान मेरे लंड पर गया जो बहुत खड़ा हो चुका था और उसे बार बार चुभ भी रहा था।
मैंने कहा- इसे देखना चाहोगी?
तब उसने मेरी पैंट का बटन खोल कर मेरी पैंट और मेरा अंडरवियर भी उतार दिया और मेरे लंड को ले कर जोर जोर से मसलने लगी। तब वो मेरा लंड अपने मुंह में ले कर उसे चूसने लगी। उसके चूसने से मेरा लंड और भी बड़ा हो गया। उसे मेरे लंड को चूसने में और उसके साथ खेलने में बड़ा मज़ा आ रहा था लेकिन मुझ से कंट्रोल नहीं हो रहा था इसलिए मैंने उसे उठा कर उसकी पैंट भी उतार दी। उसने पिंक कलर की पैंटी पहनी हुई थी। वोह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी, मैं अपने पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और मैं उसको पागलों की तरह चूमने लगा।
मैंने उसको उल्टा किया और अपने मुंह से उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। अब वो भी तड़प रही थी चुदवाने के लिए। उसके बूब्स को देख कर मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगा तब सबसे पहले मैंने उसके निप्पल को चूपा। उसके निप्पल भी बड़े सख्त हो रखे थे और मुझे भी उन्हें चूपने का बड़ा मज़ा आ रहा था।
वो भी बहुत तड़प रही थी और बार बार बोल रही थी- और ज़ोर से, और ज़ोर से.
फिर मैं उसके बूब्स को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और वो चीखने लगी फिर मैंने उसकी पैंटी को अपने दांतों से खींच कर उतार दिया। मेरे इस तरह करने से वो और ज़्यादा तड़पने लगी। तब मैंने उसकी चूत को देखा, उसकी चूत पर बाल नहीं थे और उसकी चूत बहुत मस्त लग रही थी। उसकी चूत को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उसकी चूत को चाटने लगा। सोनू ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी आ आ आ आ ओ ऊ ऊ ओ ओ करने लगी
थोडी देर तक उसकी चूत चाटने के बाद मैंने देखा की वो बहुत गरम हो चुकी थी लेकिन मैं उसको और गरम करना चाहता था इसलिए अब मैं अपने लंड को उसके पूरे बदन पर घुमाने लगा, पहले उसके चेहरे पर अपने लंड को लगाया फिर उसकी गर्दन पर, फिर उसके बूब्स पर, उसके निप्पल पर, उसके बूब्स के बीच में अच्छी तरह मैं अपने लंड को लगा रहा था। मेरे लंड से जो पानी निकल रहा था वो भी उसके पूरे बदन पर लग रहा था जिससे वो और ज़्यादा गरम हो रही थी। मैंने अपने लंड को उसके बूब्स के बीच में अच्छी तरह दबा दिया वो भी मेरे लंड को अपने बूब्स में रख कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी।
तब उसने मुझसे कहा- राजू, अब और सहा नहीं जा रहा इस लंड को मेरी चूत में डाल कर मेरी प्यास शांत कर दो।
मैं नीचे लेट गया और सोनू मेरे ऊपर बैठ गई उसने मेरा लंड पकड़ा और पहले अपनी चूत पर घिसने लगी फिर मैंने एक झटके से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया मेरे लंड डालते ही सोनू ज़ोर से चीखी। मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर था और सोनू ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। वो ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी और मैं कभी उसके बूब्स को दबा रहा था और कभी उसके निप्पल को चूप रहा था। थोड़ा देर बाद हम दोनों झड़ चुके थे।
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों बाथरूम में गए और इक्कठे नहाते वक्त एक बार फिर सेक्स किया। वो तीन दिन सोनू मेरे साथ ही रही और हमने उन तीन दिनों में कई बार सेक्स किया, कभी बाथरूम में, कभी किचन में, कभी सीढियों में, कभी डाइनिंग टेबल पर और कभी ज़मीन पर। वो तीन दिन मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन थे।
अगर आपको सोनू के साथ मेरा ये किस्सा पसंद आए तो ज़रूर बताएं ताकि मैं सोनू के साथ और किस्से भी आपके साथ बाँट सकूं. मुझे ज़रूर बताएं कि आपको मेरा ये किस्सा कैसा लगा? Antarvasna
ये कहानी आज से करीब ४ साल पुरानी Sex Stories है। ये स्टोरी मेरे अंकल की है, जो कि मेरे घर के पास ही रहते थे। मेरी उमर २३ और अंकल की उमर ३३ है। वो मेरे रियल अंकल नहीं थे सिर्फ़ मेरी फ़ैमिली को जानते थे इसलिये मैं उन्हे अंकल कहता था। हम एक दोस्त की तरह थे। हम एक साथ बी ऍफ़ देखते थे। उनका घर और हमारा घर एक ही दीवार से बना हुआ था। मेरा रूम, अंकल के रूम के ठीक बगल वाला था। उनके और मेरे रूम के बीच एक खिड़की थी। अंकल एक गर्ल्स स्कूल टीचर थे। उनके पास कई गर्ल्स टूशन के लिये आती थी। उनके पास ७-९ लड़कियां आती थी, उनमे से एक लड़की, नेहा थी। जो कि बहुत दूर से टूशन के लिये आती थी। एक दिन तेज बारिश हो रही थी सब लड़कियां अपने-अपने घर चली गईं। नेहा भी उनके साथ घर जाने के लिये निकली, पर बारिश बहुत हो रही थी इस लिये वो बापस घर में आ गई उसके कपड़े पूरी तरह भीग गये थे। उसे देख कर अंकल ने कहा कि बारिश रुकने के बाद चली जाना। उसने कहा ठीक है।
फिर अंकल ने उससे कहा कि तुम कपड़े चेंज कर लो। पर अंकल के पास उसके साइज़ के लड़कियों के कपड़े नहीं थे। तो अंकल ने उसे अपनी लुंगी दी और कहा कि “लुंगी को लपेट लो और मैं चाय बना लाता हूं। और अंकल किचन में चले गये। नेहा कमरे में टीवी देख रही थी। उसने लुंगी के नीचे कुछ नही पहना था। वो एकदम नंगी थी। उसके छोटे-छोटे ‘दूध’ लुंगी के ऊपेर से साफ़ दिख रहे थे। टीवी पर ‘ऐड्स ‘ के बारे में जानकारी आ रही थी। नेहा ने ये सब पहले नहीं देखा था वो ये सब ध्यान से देखने लगी थी और उसे जोश आने लगा था वो अपने दूधों को हाथ से सहलाने लगी। इतने में अंकल चाय लेके आ गये।
उन्होने नेहा को देखा तो उनका ९” लम्बा लंड तनकर लोहे की रोड की तरह कड़ा हो गया। और लुंगी से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा तो अंकल ने लुंगी के अंदर से ही अपनी चड्ढी उतार दी तो उनका लंड से उनकी लुंगी टेंट की तरह तन गई वो चाय लेके नेहा की तरफ़ गये तो नेहा ने पूछा सर आपकी लुंगी को क्या हो गया है। तो अंकल ने कहा कुछ नहीं। किसी को कम कपड़े में देखने पर ऐसा हो जाता है। ये कहते हुए अंकल ने उसकी लुंगी खींच दी और वो पूरी नंगी हो गई उसने कहा ये क्या कर रहे हो सर। कुछ नहीं वही जो तुम अभी कर रही थी। और अगर किसी से कहा तो एकज़ाम में फ़ैल कर दूंगा। तो वो डर गई और चुप हो गई।
अंकल उसके दूध दबाने लगे अब उसे थोड़ा-२ कुछ हो रहा था। वो सिसकारियां लेने लगी थी और अंकल का लंड अपने हाथ से पकड़ के सहला रही थी। अंकल उसकी चूत पे हाथ घुमा रहे थे। फिर उसकी चूत चाटने लगे उसके मुंह से आह्हह्हह्हह्हह्हह्ह इस्सस्सस्सस्सस्सस म्माज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ाआअ आआयययस जैसी अजीब सी आवाजें आ रही थी। अब अंकल ने उससे कहा कि वो उनका लंड अपने मुंह में लेके चूसे तो वो मना करने लगी। तब अंकल ने उसके बाल पकड़े और उसे नीचे बैठा दिया और अपना लंड उसके मुंह मुंह में घुसा दिया और अपनी कमर को धीरे से झटका देने लगे। और अपना ९” लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो अंकल के लंड को चाटने लगी। अब दोनो ६९ की पोजिशन में हो गये। अब नेहा को मजा आने लगा था और वो लंड को जोर जोर से मुंह में अन्दर बाहर करने लगी। अंकल उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर हिला रहे थे। १५ मिनट बाद अंकल ने अपना पानी उसके मुंह में निकाल दिया। तो नेहा ने उल्टी कर दी। और कहा कि आपने अपना लंड, मेरी चूत में तो डाला ही नहीं। अब मुझे मज़ा कैसे आयेगा। क्योंकि अब अंकल का लंड खड़ा नहीं हो रहा था। तो अंकल ने कहा तू परेशान मत हो मैं अभी आया। कह कर वो कपड़े पहन के मेरे पास आये। और मुझे सब कुछ बता दिया।
मैं चलने के लिये तैयार हो गया। मैं उनके घर पहुंचा। तो मैने नेहा को नंगा देखा तो मेरा लंड तुरन्त लोहे की तरह हो गया मैने अपने कपड़े उतार दिये और अपना ७” का लंड उसके मुंह में देने लगा तो वो कहने लगी कि तुम भी सर की तरह अपना पानी मेरे मुंह में तो नहीं निकालोगे? मैने कहा नहीं निकालूँगा तो वो मेरा लंड चाटने लगी मेरे लंड की टोपी एकदम लाल हो गई मैने अपना लंड उसके मुंह से निकाला और उसे बेड पर पटक दिया। उसकी दोनो टांगों को फ़ैला कर उसके पैरों के बीच में आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का मारने लगा पर लंड चूत में अंदर नहीं जा रहा था।
मैने अंकल से कहा थोड़ा तेल लेकर आओ। वो तेल लेके आये तो मैने अपना पूरा लंड तेल से तर कर लिया और उसकी चूत को भी नहला दिया। मैं अपना लंड चूत पर रख के रगड़ने लगा तभी अंकल ने पीछे से जोरदार धक्का दिया तो मेरा पूरा ७” का लंड एक ही बार में नेहा की कुंवारी चूत में घुस गया। नेहा बहुत जोर से चिल्लाई आऐइएएएईस्सस्स तो मैने लंड बाहर निकाल कर एक जोरदार झटका मारा और दोबारा पूरा लंड चूत में डाल कर चोदने लगा। नेहा भी नीचे से उछल-२ कर चुदवा रही थी। उसकी चूत खून से तर हो गई थी। वो उस दिन ८ बार झड़ी थी Sex Stories
मैंने आकाश से विदा ली, बस स्टैंड से टैक्सी पकड़ी और आदित्य के होटल जा पहुंची।
वहां पहुंचकर मैंने समय देखा, सुबह के 6:30 बज रहे थे.
मैंने आदित्य के कमरे की बेल बजाई।
आदित्य अपने नाइट सूट में था.
उसने दरवाजा खोला और मुझे देखकर वह बहुत बुरी तरह चौंक गया.
फिर जैसे उसको होश आया, उसको तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई. उसने मुझे खींचा और बाहों में भींचकर मेरे होठों पर होंठ रख दिए।
आदित्य मुझे दीवानों की तरह चूमने लगा और मेरे ब्लाउज और ब्रा को खोल फेंका।
जी भर के मेरे होठों का रसपान करने के बाद वह पलंग के एक तरफ बैठकर मेरे स्तनों के बीच अपने चेहरे को रखकर दोनों स्तनों को मसलते हुए मेरे बदन की गर्मी का आनन्द लेने लगा।
उसके बाद उसने मेरे दाहिने निप्पल को मुंह में लिया और हाथों से ऐसे मसलने लगा जैसे कि उसका रस निचोड़ना चाह रहा हो।
कुछ देर बाद उसने बायें स्तन को मुंह में लिया और आम की तरह चूसने लगा।
मैं तो अभी एक घंटा पहले ही तो चुद के आई थी लेकिन एक तो बस में मैं झड़ी नहीं थी, दूसरे पति से चुदाई को पांच दिन हो गए थे, मेरी चूत में खलबली सी मचने लगी।
मैं बार-बार अपने चूतड़ों को भींच भींच कर इस मस्ती का मजा ले रही थी।
फिर आदित्य ने मुझे पलंग पर पटक दिया.
मॉर्निंग इरेक्शन के कारण उसका लंड अकड़ा हुआ तो था ही … इसलिए वह चुदाई वाले हवन की तैयारी में अपने नाइट सूट को उतारने लगा।
मैं उसकी बेताबी देख कर मुग्ध थी।
आदित्य के नंगा होने तक मैंने भी अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दिए।
धार्मिक अनुष्ठान वाले हवन में तो पता नहीं प्रतिफल मिलता है या नहीं?
मिलता भी है तो क्या मिलता है?
और कब मिलता है?
लेकिन चुदाई वाले हवन में चूत के हवन कुंड में वीर्य की आहूति देते ही तुरंत आपको सारे तनावों से मुक्ति मिल जाती है।
आदित्य का लंड मेरी चूत में घुसने को उतावला हो रहा था लेकिन उसे तो अपनी आदत के अनुसार पहले चूत रस का स्वाद लेना था।
उसे पता नहीं था कि इस बार उसे केवल चूत रस नहीं बल्कि एक नए मर्द का वीर्य रस भी चखने को मिलेगा।
उसने मेरी पैंटी की और देखा तो उसने पाया कि वह बहुत अधिक फूली हुई थी, वह समझा कि मैं पीरियड से हूं इसलिए सैनिट्री नैपकिन लगा रखा है।
वह भन्ना गया और बोला- अरे यार, जब तुम पीरियड से थी तो मेरे खड़े लंड पर चोट करने यहां आई क्यों?
मुझे उसकी मनोदशा देखकर बहुत आनन्द आया।
मैंने कहा- यदि मैं पीरियड से होती तो रात भर का सफर करके यहां आती क्या बुद्धू?
तो उसने पूछा- फिर ये नैपकिन क्यों लगा रखा है?
मैंने कहा- तुम अपना काम शुरू करो, सब समझ में आ जाएगा।
आदित्य ने मेरी रिसती हुई चूत पर से नैपकिन हटाया और उस पर अपने जलते हुए होंठ रखे और जुबान को थोड़ा सा भीतर प्रवेश कराया।
उसके होंठ और जुबान मेरी चूत के रस और आकाश के वीर्य में सन गए।
उसने कहा- अरी भेनचोद, अब बस में किससे चुदवा के आई है तू?
मैंने कहा- बताती हूं … पहले मेरी रसभरी से उस मर्द का पूरा वीर्य अच्छे से चाटो जिसने मेरी चूत में अपना वीर्य भरा है।
वह अपनी जुबान को हरकत दे देकर मेरी चूत से सारा वीर्य अपने मुंह में खींचने लगा।
उसके बाद वह उठा और ऊपर की ओर आकर मेरे होंठ से अपने होंठ मिला दिए.
फिर अपनी जुबान को मेरे मुंह में डालकर पहले तो मुझे आकाश के वीर्य का स्वाद दिया फिर अपने मुंह में रोके सारे वीर्य को मेरे मुंह में धकेलने लगा।
हम दोनों की जुबान आपस में अठखेलियां करती हुई वीर्य रस को एक दूसरे की ओर धकेल रही थीं।
मुझे इस खेल में बड़ा मजा आ रहा था.
उसके बाद थोड़ा-थोड़ा वीर्य दोनों ने गटक लिया।
इस खेल के बाद उसने पूछा- अब तो बता कि बस में किस से और कैसे चुद के आई है? क्या वैभव तेरे साथ आया था?
मैंने कहा- पहले तुम चुदाई शुरू करो, मैं चुदवाती चुदवाती तुम्हें सब बताती हूं।
आदित्य ने मेरी चूत में अपना कड़क लंड डाला, मेरे शरीर में एक सिरहन सी दौड़ गई.
मैंने उसके कूल्हों को पकड़ के जोर से अपनी और खींच लिया।
कुछ पल बाद उसने चुदाई शुरू की।
मैं उसे पूरा घटनाक्रम बताने लगी कि कैसे मैं आदी के कामुक सपनों में खोई हुई थी।
मुझे पता नहीं चला कि कब अजमेर का एक बैंक मैनेजर आकाश, रात में उत्पन्न तामसिक प्रवृति के चलते, मुझे देखकर कामातुर हो गया और अवसर मिलते ही मेरे केबिन में आकर मेरे पीछे लेट गया।
उसने मुझे नींदों में ही इतना गर्म कर दिया कि मेरी चूत पानी छोड़ने लगी और लंड लेने को तैयार हो गई।
मेरी वासना ने मेरे सपनों के साथ में तालमेल बिठा लिया.
फिर कर वो रहा था और मुझे सपने में आदी दिखाई दे रहा था।
मेरी नींद तब उचटी जब उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत में एक ही झटके से घुसेड़ दिया।
उसके बाद जब लंड घुस ही चुका था तो मैं क्या कर सकती थी?
तो मैंने सोचा कि क्यों ना तुम्हारे लिए एक नए गैर मर्द का ताजा-ताजा स्वादिष्ट वीर्य ले चलूं, सुबह-सुबह ये वाला एनर्जी ड्रिंक तुम्हारा मूड फ्रेश कर देगा।
हम दोनों हंस पड़े.
आदित्य मेरी बातों से आश्चर्यचकित था क्योंकि पिछली बार जब वह जोधपुर आया था तो मैं अपने मकान मालिक वैभव से चुदने जा पहुंची थी।
इस बार वह जोधपुर आया तो मैं जयपुर से जोधपुर के बीच किसी अनजान मर्द से चुदवाती हुई आ रही हूं।
मेरी चुदाई गाथा सुनते हुए उसकी वासना में उबाल आने लगा और उसके धक्कों में तेजी आ गई.
बस में मेरी चुदाई जरूर हुई थी लेकिन मैं झड़ी नहीं थी।
इसलिए आदित्य के धक्कों ने मेरी चूत में भी आनन्द का ज्वार भाटा पैदा कर दिया।
कुछ ही मिनट के रगड़ों के बाद उसके लंड के साथ साथ मेरी चूत भी जोर-जोर से फड़कने लगी।
हम दोनों के शरीर अकड़ गये और दोनों की सांसें हमारे काबू से बाहर हो गईं।
कई मिनट तक हम दोनों पसीने में भीगे हुए लंबी-लंबी सांसें लेते रहे।
जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो उसके बाद फिर से आदित्य ने मेरी अनोखी बस यात्रा के बारे में बातचीत का सिलसिला पुनः प्रारंभ किया।
उसने पूछा- आकाश ने तुम्हारी चुदाई करने के बाद क्या कहा?
मैंने फिर बताना शुरू किया:
उसने (आकाश) कहा- तुम्हें देखते ही मुझे वासना ने जकड़ लिया, मेरा लंड इतनी जोर से अकड़ गया था कि उस समय मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया और मैं अपने आप को तुम्हारे केबिन में घुसने से रोक नहीं पाया।
उसने यह भी कहा- मैं आमतौर पर कार से जाता हूं पर किसी कारणवश मुझे बस से आना पड़ा और तुम्हें देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे कुदरत ने मुझे तुम्हारी चुदाई का मौका देने के लिए ही इस बार बस की यात्रा करवाई है।
तब आदित्य ने पूछा- तूने उससे फोन नंबर तो ले लिया होगा?
मैंने पूछा- क्यों?
उसने कहा- अब तू कोई एक बार उस से चुदवा कर तो चुप बैठने वाली है नहीं, मौका मिलते ही फिर चुदवाने का प्लान बनाएगी।
मैंने कहा- हां यार, सही बात है. बड़ी मुश्किल से नया लंड मिलता है। नए लंड से एक बार चुदवाने से मन तो नहीं भरता ना, और बस की पहली चुदाई में आकाश इतना अधिक उत्तेजित हो गया था कि मैं तो झड़ भी नहीं पाई थी।
फिर आदित्य ने पूछा- वह वापस कब जाएगा?
तो मैंने कहा- रविवार की रात यानि कल!
आदित्य ने पूछा- तो क्या तू जाते वक्त भी उसके साथ सोयेगी?
मैंने मुस्कुराते कहा- और क्या, तुमसे तो जयपुर जाकर भी चुदवा लूंगी, नए लंड से एक और बार चुदवाने का मौका क्यों छोड़ूं!
आदित्य रूआंसा हो गया और बोला- तो मैं अकेला क्या मुठ मारूंगा?
तो मेरी हंसी छूट गई, मैंने कहा- अब यह तुम जानो कि तुम क्या करोगे. मैं तो अजमेर तक के रास्ते में आकाश से कम से कम दो बार चुदवाऊंगी।
आदित्य उदास हो गया.
नाश्ते के बाद मैंने उसका लंड चूस के खड़ा किया और एक बार फिर हमारी चुदाई का दौर चला.
उसने जी भर के मुझे रगड़ा और उसकी उदासी एक हद तक दूर हो गई।
दोपहर में खाना खाकर हम दोनों सो गए।
दो घंटे की नींद के बाद आदित्य फिर से अकेला नहीं उठा, साथ में उसका लंड भी उठ चुका था।
फिर होना क्या था … जब लंड खड़ा हो और चूत गर्म हो तो चुदाई के अलावा और क्या हो सकता है?
तीसरी बार पुनः मेरी घनघोर चुदाई हुई।
मैं आज बहुत दिनों बाद एक ही दिन में चार बार चुद चुकी थी।
एक बार बस में आकाश ने चोदा था और तीन बार आदित्य चोद चुका था.
मेरी चूत तो आज जैसे चुद चुद के निहाल हो गई थी।
रात को हम जोधपुर घूमने निकले और खाना खाकर देर से लौटे।
आज मैं चार बार चुद के थकी हुई थी तो आदित्य भी तीन बार चोद के पस्त हो चुका था।
इसलिए रात को कोई चुदाई नहीं हुई।
शायद हम दोनों जोधपुर से जयपुर तक के सफर को यादगार बनाने के लिए भी अपनी ऊर्जा को संचित कर रहे थे।
रविवार की सुबह भी आदित्य जल्दी उठकर फील्ड में चला गया और शाम को लौटा।
आते ही उसे बस के टिकट की चिंता हुई.
मैंने उसे कहा- चिंता मत करो, आकाश ने टिकट बुक कर लिये हैं।
वह तो उसके साथ जाने के नाम से पहले ही मायूस था, जब उसे यह पता लगा कि टिकटें उसने बुक की हैं तो अब कोई संशय बाकी नहीं रहा था, यह और पक्का हो गया था कि उसने टिकट के साथ-साथ मेरी चूत को भी बुक कर लिया था और रास्ते में मेरी चुदाई तो वही करेगा।
यह सोचकर आदित्य का चेहरा और लटक गया।
मैं उसकी स्थिति को देखकर मन ही मन मजे ले रही थी।
हम खाना खाकर बस स्टैंड पहुंचे.
वहां पर मैंने देखा कि आकाश अपनी पत्नी शिल्पी के साथ खड़ा था।
मैंने आकाश और आदित्य का परिचय करवाया.
आकाश ने हम दोनों का परिचय अपनी पत्नी से करवाया.
अब आदित्य के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली कि चलो अब आकाश मेरी चुदाई नहीं कर पाएगा।
सामान्य बातचीत के बाद हम चारों अपनी अपनी अपनी बर्थ पर पहुंचे।
बस जोधपुर से चली, आदित्य को चौबीस घंटों से अधिक का आराम मिल गया था।
उस पर उम्मीद के विरुद्ध उसे मेरे साथ मेरे ही केबिन में सोने का मौका मिल रहा था इसलिए वह अतिरिक्त उत्साह से भरा हुआ था।
बस के चलते ही आदित्य पर मस्ती चढ़ने लगी।
पहले उसने मेरे होंठ चूमे, उसके बाद में बारी-बारी से मेरे दोनों स्तनों को मसल कर, दबा कर चूस कर मुझे गर्म किया।
फिर 69 की पोजिशन में दोनों ने एक दूसरे को मुखमैथुन का सुख दिया।
फिर मुझे पलटा कर उसने पीछे से मेरी चूत में लंड डाला और मेरी चुदाई शुरू कर दी।
कम से कम आधा घंटे तक उसने मुझे चोदा।
चलती बस में चुदवाने का भी अपना एक अलग मजा है।
मर्द के धक्कों और बस के हिलने से ऐसा अहसास होता है जैसे दो मिलकर चोद रहे हों।
आदित्य की दमदार चुदाई ने आखिरकार मेरे को चरमसुख बिंदु तक पहुंचा दिया.
मेरा पूरा शरीर कांप रहा था, मेरी सांसें भारी हो चली थीं।
मैंने आदित्य को कहा- आदी … अब जरा कसके रगड़ दे यार!
Xxx हस्बैंड सेक्स करते हुए थोड़ी ही देर में चरम सुख का वह क्षण आया जिसको प्राप्त करने के लिए पूरी दुनिया की सारी औरतें और सारे मर्द पागल रहते हैं।
मेरा शरीर ऐंठा और चूत फड़कने लग गई, चूत के हर एक स्पंदन के साथ मेरा शरीर शिथिल पड़ता जा रहा था।
आदित्य अपना वीर्य का स्टॉक खाली करके मस्ती में डूबा हुआ था।
कुछ ही देर में हम दोनों मीठी नींद की आगोश में खो गए।
मैं एक 36 साल की शादी शुदा औरत हूँ। Sex kahani दिल्ली कैलाश कॉलोनी में हम रहते हैं। लोग मुझे पिंकी बोल के पुकारते हैं। मैं बहुत ही सेक्सी और हॉट पंजाबी औरत हूँ। जब मैं कॉलेज में थी तब सारे लड़के मेरे पीछे पागल थे। मेरे 2/3 बॉयफ्रेंड भी थे।
लेकिन शादी के बाद मुझे दिल्ली आना पड़ा। मेरा हज़्बेंड बहुत ही बिज़ी टाइप के आदमी हैं। अपनी खूबसूरत और सेक्सी बीबी से उसको अपना बिज़्नेस ज़्यादा पसंद है। हफ्ते में मुश्किल से 2 बार हम बिस्तर पे मिलते थे।
मेरी एक 12 साल की लड़की है, नाम हैं प्रिया… वो जब क्लास सेवेन में पहुँची तो हमने उसकी पढ़ाई के लिए एक हाउस ट्यूटर रखने को ठान ली।
मैंने अपने सहेलियों से पूछा तो उन्होंने राजीव नाम के एक ब्रिलियेंट ट्यूटर का नंबर दिया।
शाम को मैंने उसे फोन किया- हेलो, नमस्ते.. क्या मैं राजीव से बात कर सकती हूं?’
‘हाँ जी, कहिए?’
‘जी मैं पिंकी बोल रही हूँ, कैलाश कोलोनी से, मुझे आपकी ज़रूरत है.’
‘जी?? मैं समझा नहीं?’
‘मेरी एक बेटी है.. अगर आप उसे पढ़ा दें… तो मेहरबानी होगी!’
‘क्यूँ नहीं .. ज़रूर!’
‘आपकी फीस क्या है?’
वो तो आप पहले चीज़ देख लीजिए.. पिंकी जी.. फिर फीस तय करेंगे..’
‘ओके, आप कल शाम को 4 बजे आ जाओ!’
‘ओके!’
अगले दिन.. मैंने एक रेड डीप नेक टॉप और टाइट ब्लू जीन्स पहनी.. गुलाबी होंठो पे डीप चॉक्लेट लिपस्टिक भी… 4 बजते ही प्रिया खेलने चली गई..
4.15 पे बेल बजी, मैंने दरवाज़ा खोला तो एक 30 साल की हैंडसम युवक खड़ा था…
‘नमस्ते.. पिंकी जी?’
‘हाँ जी आइए ना..’
‘थॅंक यू!’
वो अंदर आया और सोफे पे बैठ गया… मैं फ्रंट के सोफे पे बैठ गई…
‘राजीव जी!’ मैंने कहा- आप तो बिल्कुल यंग हैं.. मैंने सोच रही थी कोई बुड्ढा सा टीचर आयेगा!
उसने कहा- सो तो है… मैं सत्ताईस साल का हूँ, वैसे.. आपको देख कर भी नहीं लगता कि आप एक 12 साल की लड़की की माँ हो..
देखने में लगता है… आप कॉलेज की स्टूडेंट हो…और मैं आपको पढ़ाने आया हूँ..’
‘ओ थॅंक्स..’ मुझे उनका स्टाइल अच्छा लगा… ‘ चाहो तो आप मुझे भी कभी पढ़ा लेना…मुझे भी शौक है… पढ़ने का!’
‘जी क्यूँ नहीं!’
वो मुझे स्माइल देते हुए देख रहे थे… मैंने भी एक सेक्सी स्माइल दे दी.
‘आप कोल्ड ड्रिंक्स लेंगे या कॉफी?
‘कोल्ड ड्रिंक्स’
मैं किचन गई और दो ग्लास में पेप्सी ले आई…
‘ये लीजिए..’
‘पिंकी जी, स्टूडेंट कहाँ है?’
‘ओह, वो तो खेलने चली गई.. बड़ी नॉटी है…’
‘मतलब… आज मुझे आपको ही पढ़ाना होगा?’
‘जी..’ मैं खिलखिलाकर खिल पड़ी..
उसने मुझे गौर से देखते हुए कहा- आपकी हँसी बहुत ही सेक्सी और कातिलाना है.
मैंने कहा- अच्छा?
‘कसम से!’ पिंकी जी… आप कोई फिल्म एक्ट्रेस से कम नहीं है..’
मुझे राजीव का स्टाइल अच्छा लगा… मैंने और सेक्सी स्माइल दी और कहा- अब आपकी फीस तो बताइए?
‘फीस का क्या है पिंकी मैडम, डेली आपकी 2/3 हँसी देखने को मिल जाए तो काफ़ी है..’
‘ओह.. तुम तो बड़े फ्लर्ट हो.. जी’
‘सच्ची, आप से क्या फीस लेना??’
‘तो क्या लोगे?’
उसने मेरे उभारों की तरफ देखते हुए कहा- जो आप प्यार से दे दो.. पिंकी..
मैं खिलखिला उठी… बहुत दिनों बाद कोई हैंडसम लड़का मुझे फ्लर्ट कर रहा था… अंदर से मैं बिल्कुल हॉर्नी फील कर रही थी…
मैंने कहा- सोच लो जी.. सिर्फ़ हँसी से काम चला लोगे न??
उसने देखा कि मैं सेक्सी स्माइल दे रही हूँ… उसने कहा- आपकी खूबसूरती की कसम पिंकी जी!
‘तुम मुझे जी मत कहो, सिर्फ़ पिंकी कहो’
‘ओके… पिंकी… पिंकी… कितना स्वीट नाम हैं..’
‘सच?’
‘हाँ… आपका नाम और सब कुछ बेहद खूबसूरत है…’
मैंने मुस्करा दी… वो धीरे से आगे आया.. और कहा…एक बात कहूँ?
मैं भी आगे झुक गई.. और.. पूछा- क्या बात है?
उसने मेरे कान के पास फुसफुसा कर कहा- मैंने आज तक तुम जैसी सेक्सी हाउस वाइफ नहीं देखी.. पिंकी…
कहते ही कहते उसने फटाक से मेरी लेफ्ट गाल पर एक किस दे दिया…
‘आउच’ मैंने नाटक किया- तुम बड़े नॉटी हो..
‘सच में’ राजीव ने कहा और धीरे से उठ कर मेरे साथ एक ही सोफे पर बैठ गया.
मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूँ… एक तो राजीव मेरे लिए स्ट्रेंजर था.. लेकिन मुझे फ्लर्टिंग और नॉटी चीज़े बहुत पसंद थी..
मैं मंद मंद मुस्कुरा रही थी… उसी वक़्त राजीव बिल्कुल मेरे बगल पर आ चुका था… वो मेरी दाईं ओर बैठ गया और मेरे हाथ को अपने हाथों में ले लिया- पिंकी…
‘जी??’ मैं मुस्करा रही थी.
उसने मेरी हाथों की ऊँगलियों को सहलाते हुए कहा- तुम्हारे ये लंबे नाख़ून, ये डीप रेड नैल पोलिश इन गोरी गोरी ऊँगलियों में कितनी सेक्सी लग रही है!
मुझे राजीव का सहलाना.. और बातें बहुत ही अच्छा लग रहा था…
‘पिंकी, तुम अपनी ब्यूटी की बहुत ध्यान रखती हो न??’..राजीव का हाथ धीरे धीरे अब मेरी पूरे हाथ और कलाई पर रेंग रहा था…
‘हाँ.. मैं हफ्ते में 2 बार ब्यूटी पार्लर जाती हूँ… और घर पे भी मेक अप करती हूँ…’
मुझे अब सहलाना.. और अच्छा लग रहा था.
‘तभी तो तुम इतनी सेक्सी हो… पिंकी… तुम्हारे पति बहुत लकी हैं…’
‘वो क्यूँ.?’ मैं हंस कर पूछा!!!
‘ये रेड नैल पोलिश, सेक्सी फिगर, सेक्सी होंठ… तुम्हारे पति के तो ऐश ही ऐश हैं…’
‘उन्हें फुर्सत कहाँ जी? सिर्फ़ बिजनेस.. और पैसा…’ मैं कह उठी..
अब राजीव ने अपना दायें हाथ से मेरे हाथ को सहलाते हुए अपना लेफ्ट हॅंड मेरी शोल्डर्स के ऊपर से ले गया और मेरी बाएँ आर्म को पकड़ लिया..’ तुम पंजाबी औरतों की बात ही कुछ और है… पिंकी, पता नहीं कैसे इतनी सेक्सी होती हो… करीना कपूर को ही देख लो…
तुम तो उस से भी बढ़ कर हो…’
मैं सेक्सी स्माइल देते हुए कहा- मैं जवानी में मॉडेलिंग किया करती थी..
‘जवानी मतलब?? तुम तो अब भी जवान और लाजवाब हो पिंकी…’ कहते हुए राजीव ने आहिस्ता अपने लेफ्ट हॅंड से मेरी लेफ्ट बूब को दबा दिया… ‘सी… ई ई…’ मेरी मुँह से आवाज़ निकल गई- राजीव… ये.. क्या…??’
जब राजीव ने देखा कि मैंने उसे ऐतराज़ नहीं किया तो उसने धीरे से अपनी दायाँ हाथ भी मेरी दाई मुम्मे पर रख दिया और होले से दबा दिया.
‘आ आ ह ह राजीव…’
‘उम्म म म म… कितनी सेक्सी है… ये…’
राजीव की बातें कंप्लीट होने से पहले ही बेल बज उठी..
डींग डींग डोंग…
हड़बड़ा कर राजीव अपने सीट पर चला गया… मैं दरवाज़ा खोलने गई.
बाहर.. प्रिया थी…
‘मम्मी, पता है… आज ईशा ने..’
प्रिया कुछ बोलने ही वाली थी कि राजीव को देख कर वो चुप हो गई.
‘प्रिया… नमस्ते करो… ये तुम्हारे सर हैं…बहुत ही अच्छे सर है…’ मैंने मुस्करा कर कहा.
‘हाय सर… आई एम प्रिया…’
‘औ.. आई एम युवर राजीव सर…’
मैंने कहा..’ बेटा, जाओ अपनी बुक्स ले कर आओ… राजीव सर से थोड़ा पढ़ लो…’
पाँच मिनट बाद हमारी डाइनिंग टेबल पे प्रिया और राजीव पढ़ रहे थे… मैं पास ही सोफे पर बैठी देख रही थी…
‘पिंकी जी आज पहली क्लास है… आप भी यहाँ आके बैठ जाओ…’ राजीव ने मुस्कराते हुए कहा…
मुझे पता चल गया उसके दिमाग़ मैं क्या चल रहा है… लेकिन.. मैं अपने आप ही उठ कर राजीव के दाईं और बैठ गई.
अब बाएं ओर प्रिया थी.. और दाई ओर.. सेक्सी मम्मी.. मतलब मैं थी.
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कोई चीज़ मुझे मेरी लेफ्ट थाई जांघ पर टच कर रहा है.. जल्द ही मुझे पता चला… ये राजीव का दायँ हाथ था…वो बड़े आराम से प्रिया को पढ़ा रहा था, और नीचे उसकी माँ की जाँघो को छू रहा था.
मुझे हल्की सी गुदगुदी हो रही थी.. ये लड़का बहुत ही नॉटी था.
उसने प्रिया को एक सम करने दिया… और धीरे से टेबल के नीचे से ही मेरे सपाट पेट पर अपना हाथ रख दिया.
उई माँ… मैं तो अब गर्म होने लगी थी… राजीव मुझे देख कर मुस्कराया, मैंने भी एक सेक्सी स्माइल दी.
अचानक उसने अपने शरारती हाथ को ऊपर ले जाकर मेरी लेफ्ट उभार को दबा दिया.
‘उउउहह..’ मेरी मुँह से आवाज़ निकली.
‘क्या हुआ माँ?’ प्रिया ने पूछा.
‘कुछ नहीं बेटा… बस ऐसे ही.. शायद कोई कीड़ा होगा…’ मैं सेक्सी स्माइल देकर राजीव को घूर रही थी.
उसने कहा- मैडम… कहीं कीड़ा ज़हरीला न हो… मैं देखूं?’
‘नहीं ठीक है!’ मैंने कहा.
‘नहीं मैडम, आप घबरायें मत… प्रिया.. जाओ एक ग्लास पानी लेके आना मम्मी के लिए…’ राजीव ने कहा.
प्रिया जैसे ही अंदर गई, राजीव ने मुझे पास खींच कर मेरे लेफ्ट उरोज़ को दबाना शुरू किया…
‘आह… आह राजीव छोड़ो न… कोई देख लेगा!’
‘पिंकी.. जी कर रहा है तुम्हें… अच्छी तरह प्यार दूं…लेकिन…’
तभी प्रिया आ गई पानी के साथ… पानी पीते हुए मैंने प्रिया को कहा- प्रिया.. ज़रा जाकर अंदर से एक पेन किलर ले आना..
जैसे ही वो गई, मैंने कहा- राजीव, यहाँ प्लीज़ कुछ मत करना, मैं फँस जाऊँगी, तुम मुझे वसंत विहार में आर. पी. एम. पब में मिलना… आज रात को सात बजे…
कह कर मैं अंदर चली गई. sex kahani
बीस मिनट बाद प्रिया ने आकर कहा- राजीव सर चले गये हैं.
मैंने प्रिया को पास ही मीना के घर खेलने भेज दिया और तैयार होने लगी.
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