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Massage Girl in Bhilwara: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bhilwara who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bhilwara that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bhilwara massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bhilwara who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bhilwara massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bhilwara massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bhilwara who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bhilwara employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bhilwara helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bhilwara

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bhilwara at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

मेरा नाम राजेश Antarvasna कुमार, उम्र 24 साल, कद 175 सेमी और मेरा वजन 65 किलो है। मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैं बहुत साहस करके अपनी खुद की वास्तविक कहानी आप लोगों का बता रहा हूँ। मैं राजस्थान का रहने वाला हू और अभी गांधीनगर, गुजरात में रह रहा हूँ। गांधीनगर में मैं एक सिक्योरिटी कम्पनी में नौकरी करता हूँ और हर 3-4 महीने बाद घर जाता हूँ।

वैसे आप सब लोगों को बता दूँ कि मैं एक नम्बर का चूत का चुस्सू हूँ।

अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।

यह बात उन दिनों की है जब मैं 11वीं कक्षा में पढ़ने हिण्डौन सिटी गया। हिण्डौन सिटी हमारे गॉंव से 18 किमी पड़ता है। मुझे रोज घर से स्कूल आने-जाने में परेशानी होती थी इसलिए मुझे हिण्डौन सिटी में ही एक कमरा किराए पर लेना पड़ा। बड़ी मुश्किल से कमरा मिला। उसका मकान मालिक 5 साल पहले एक दुर्घटना में मर गया था। अब उसकी विधवा औरत ही उस घर की मालकिन थी। उसका नाम नीलम, उम्र 30-32 के करीब थी। उसकी छोटी बहन और वो अपनी दो लड़कियों के साथ उस मकान में रहती थी। उसकी बहन का नाम रीता और लड़कियों के नाम नीतू और गीता थे।

उसकी बहन रीता की उम्र 25 के करीब थी और बेटियों की उम्र 18 और 20 होगी। उसके मकान में 3-4 कॉलेज की लड़कियाँ भी रहती थी। उनमें एक मेरे गाँव की लड़की सविता भी रहती थी, वो भी कॉलेज में पढ़ती थी। उसकी उम्र बीस साल थी। उसने ही मुझे बताया था कि उस मकान में एक कमरा खाली है यदि तुम चाहो तो तुम वो मकान किराये पर ले सकते हो।

उसने कहा था- वैसे तो वो लड़कों को कमरा किराये पर देती नहीं है, यदि तुम कहो तो मैं उनसे पूछ लेती हूँ।

मैंने कहा- ठीक है, तुम पूछ लेना! मुझे कमरा किराये पर नहीं मिल रहा है, मैं उसी में रह लूंगा।

अगले दिन मुझे बताया कि मकान मालकिन बडी मुशिकल से तैयार हुई है, तुम अपना सामान लेकर आज शाम को ही आ जाओ। यदि कोई लड़की आ गई तो वो कमरा उसे दे दिया जायेगा।

मैं शाम को ही अपना सामान लेकर कमरे पर चला गया। वो कमरा उस मकान की पहली मंजिल पर था। मेरे कमरे के पास में ही बाथरूम था। बाथरूम के नाम पर एक बड़ा सा कमरा था। बाथरूम में एक टंकी थी उसमें पानी भरा रहता था। सभी वहीं नहाते थे। नहाने के लिए कोई अलग से बाथरूम नहीं था। उस कमरे में एक तरफ़ चार लेट्रीन थी पर एक का ही दरवाजा था, बाकी तीन पर दरवाजा ही नहीं था।

मेरे कमरे से बाथरूम की ओर एक खिड़की थी जिससे उसमें सब कुछ दिखाई देता था। मेरे कमरे के साथ में एक कमरा और था उसमें एक टीवी लगा था। उस कमरे की दीवार में भी एक छोटी खिड़की थी और एक खिड़की बरामदे की तरफ भी थी।

अगले दिन जब मैं जगा तो देखा कि सभी लडकियॉं नंगी ही बाथरूम में नहा रही हैं और आपस में मस्ती कर रही हैं। कोई किसी की चूत में उंगली कर रही है, कोई किसी की चूची दबा रही है। यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैं उसे शांत करने में लग गया। यार, मैं उनको देखते हुए मुठ मारने लगा।

फिर जब सब नहा कर निकल गई, मैं तब नहाने गया तो उस दिन मैं स्कूल के लिए लेट हो गया।

अगले दिन मैं सुबह 4 बजे ही जग गया और तैयार होने बाथरूम में गया और दरवाज़े वाली लेट्रीन में घुस गया। थोड़ी देर बाद मकान मालकिन बाथरूम में तैयार होने आई तो वो अपने कपड़े खोल के ब्रा और पेण्टी में लेट्रीन के लिए आई तो दरवाजे वाली में तो मैं था, तो वो बगल वाली बिना दरवाजे की लेट्रीन में घुस गई।

जब मैं बाहर निकला तो वो अपनी चूत की झाँटें काट रही थी। जैसे ही मैंने उसे देखा, देखता ही रह गया, बाप रे! क्या मस्त चूत थी! एकदम पाव रोटी की तरह! और क्या चूची थी पूरी 36 इन्च की! मुझ पर उसकी नज़र पड़ी तो उसका हाथ ऐसे ही रूक गया जहाँ पर था। मैं उसे सॉरी बोल के जल्दी नहा कर अपने कमरे में आ गया, पर मेरे दिमाग में वही उसकी चूत का दृश्य आ रहा था। फिर मैंने उसके नाम की मुठ मारी और स्कूल आ गया। मेरे दिमाग में वही दो दिनों के दृश्य घूम रहे थे तो मैं आधी छुट्टी में ही वापस आ गया। जैसे ही मैं कमरे में पहुँचा तो टीवी वाले कमरे से अजीब आवाज आ रही थी। मैंने जब खिड़की से उस कमरे में देखा तो दंग रह गया।

मेरी मकान मालकिन और मेरे गांव वाली लड़की सविता दोनों नंगी होकर आपस में एक-दूसरे की चूतों को 69 पोजिशन में चूस रही थी और सविता नीलम से कह रही थी- नीलम डॉर्लिंग, अब मैं तेरे लिए एक 18 साल का मस्त लड़का लाई हूँ। अब तू जल्दी से उसे पटा कर चुदवा ले और हमें भी चुदवा दे।

तो नीलम बोली- सविता डार्लिंग मुझे पहले ही बहुत जल्दी है इसलिए आज जब वो नहाने गया तो मैं भी अपना रेजर लेकर झाँटें काटने पहुँच गई जिससे उसे मेरी चमकती चूत के दर्शन हो जायें और उसे वो बाथरूम के पास वाला कमरा भी इसीलिए दिया है कि वो रोज चूतों और चूचियों के दर्शन कर ले! क्यों डार्लिंग?

मैं उनकी बातें सुन कर उत्तेजित हो गया और उन्हें देखते हुए मुठ मारने लगा। थोड़ी देर बाद अचानक एक हाथ ने मेरे लण्ड को पकड़ा तो अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ।

देखा तो सामने रीता खड़ी हुई मेरा लण्ड हिला रही है। रीता बोली- प्यारे, इस बेचारे की क्यों गर्दन मरोड़ रहा है, मुझे बोल, मैं इसको अपनी चूत के स्वर्ग में पहुँचा देती हूँ!

और वो मेरा लण्ड चूसते बोली- तुम मेरी चूची दबाते हुए अन्दर का नजारा देखते हुए मजा लो और मैं तुम्हारा रस पीती हूँ!

अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसकी चूची दबाते हुए अन्दर का नजारा देखने लगा।

अन्दर सविता और नीलम 69 पोजीशन में होकर एक-दूसरे की चूत चूस रही थी और उंगली भी पेल रही थी। उनके सामने दीवार पर प्रोजेक्टर के द्वारा एक ब्लू फिल्म चल रही थी। अचानक सविता उठी और आलमारी से एक प्लास्टिक का लण्ड निकाल कर उसका बेल्ट अपनी कमर में बॉधा। यह प्लास्टिक का लण्ड बेल्ट के दोनों ओर था जिससे सविता के बेल्ट कमर पर बाँधने से बेल्ट के पीछे वाला

प्लास्टिक का लण्ड सविता की चूत में घुस गया। अब सविता लण्ड को झूलाते हुए नीलम के पास आई और बोली- जान अभी एक दो दिन ओर इस प्लास्टिक के लण्ड से चुद लें, फिर तो तू राजेश के असली लण्ड का स्वाद चखेगी!

इधर उनकी बातें सुनते हुए और रीता के लण्ड चूसने से मेरा हाल बुरा होता जा रहा था, अब मैं झड़ने के करीब था।

मैंने रीता को कहा- साली रण्डी, रीता कितना चूसेगी? अब मेरा निकलने वाला है!
तो रीता बोली- मैं तेरे लण्ड के वीर्य का ही इन्तजार कर रही हूँ! मुझे तेरा वीर्य पीना है!
‘तो ले पी साली!’ और मैंने अपने वीर्य की पहली बरसात रीता के मुंह में कर दी।

और साली रीता मेरा पूरा वीर्य चाट-पोंछ के पी गई। उधर अन्दर सविता प्लास्टिक के लण्ड से नीलम को चोद रही थी, इधर रीता कहने लगी- साले तेरा लण्ड तो मैं चूस रही हूँ! साले मेरी चूत को चूसने को क्या तेरी मां आयेगी?

तो मैंने कहा- साली, तेरी चूत भी मैं चूसूंगा!

और मैं उसे उठा कर उल्टा करके उसके पैरों को अपने कंधों पर रख कर उसकी चूत चूसने लगा और वो उल्टे लटके हुए मेरा लण्ड चूस रही थी। 15 मिनट तक उसकी चूत चूस कर मैंने उसको सभी पोजीशन में चोदा । सबसे पहले मैंने रीता को उठा कर अपने लण्ड पे बिठा कर खड़े-खड़े चोदा, फिर घोड़ी बना के चोदा। मैंने रीता को 3 बार दिन और 4 बार रात में चोदा।

वो कहने लगी- तुम पहले आदमी जिससे मैं पहली बार चुदी हूँ, वैसे मैं अब तक रोज उसी प्लास्टिक के लण्ड से चुदवाती थी जिससे अभी नीलम दीदी चुदवा रही थी। अब तुम जल्दी ही नीलम दीदी और सविता को चोद लोगे पर तुम जल्दी मत करना क्योंकि तुम देखो कि दीदी और सविता तुमको कैसे चोदने के लिए तैयार करती हैं।

तो मैंने कहा- ठीक है, तुम रोज मुझ से चुदवाने मेरे कमरे में आ जाया करो!
और ऐसा 7-8 दिन चला।

फिर एक दिन नीलम ने मुझ से चुदवा ही लिया और उसके 3-4 दिन बाद सविता ने भी चुदवा लिया।
और वहाँ रहने वाली हर लड़की को चोदा!

पर कैसे?

इसके लिए आपको इन्तजार करना पडेगा क्योकि वो मैं अगली कहानी में बताऊँगा। Antarvasna

Antarvasna

आज स्कूल में Antarvasna अचानक जल्दी छुट्टी हो गई तो मैं घर आ गया। जैसे ही दरवाजे के पास पहुँचा कि मैंने सुना:
आई … ई … मान जाओ न … यह दीदी की आवाज थी।

मैं चौंक पड़ा … मैंने दरवाजा खटखटाने का इरादा त्याग दिया और दबे पाँव दरवाजे तक पहुँच गया और सुनने लगा।

अन्दर दीदी और किसी मर्द की आवाज आ रही थी- उचक क्यों रही है … कोई पहली बार दबा रहा हूँ क्या … पुच्च पुच्च पुच्च!
“इतना जोर से क्यों दबाते हो? मुझे दर्द नहीं होता क्या?”

“इतने समय के बाद मिलेगी तो सब्र कैसे होगा!”
“आप ही तो एक साल के बाद आये हो!”

“आह्ह्ह … मेरी जान् … याद है … पिछली बार कैसे छत पर तेरी चूत चोदी थी! पुच्च पुच्च!”
“सब याद है … कुछ बिछाया भी नहीं था … पूरी छिल गई थी पीछे से!”

“सच … पुच्च् पुच्च … पर बहुत मजा आया था! सच पूछे तो तुझे चोदने बाद तेरी बहन को चोदने में बिल्कुल भी मजा नहीं आता! तुझे भी तो मजा आता है न?”
“हाँ … पर थोड़ा धीरे दबाओ … आईइ … लगती है!”

“चुदते समय तो नहीं होता दर्द तुझे?”
“उस समय तो मैं दूसरी दुनिया में होती हूँ!”

फ़िर कुछ देर शान्ति रही.

“चल अब बैडरूम में चलें!”
“अभी नहीं … भाई आने वाला होगा.”
“अभी तो दो ही बजे हैं … वो तो चार बजे आयेगा.”
“जल्दी भी आ सकता है … रात को सबके सोने के बाद आऊंगी.”
“ज्यादा नखरे मत कर!”

“मान जाओ … पूरी रात चोदना फिर!”
“तो एक जल्दी वाला राउंड कर लेते हैं … लंड भरा हुआ है … आह्ह आह्ह!”
“बीच में मत छोड़ देना मुझे!”

“आज तक छोड़ा है क्या … बहन की लौड़ी … हमेशा तेरी चूत खाली करके झड़ा है.”

फ़िर उनके जाने की आवाज आई तो मैं दौड़कर घर के पीछे पहुँच गया जहाँ की खिड़की से बैडरूम के अन्दर सब दिखता था।
दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डाले कमरे में आये।

ओह … ये तो समीर जीजाजी हैं … मामा की बेटी के पति … तो दीदी इनसे भी?
हे भगवान … इस लड़की ने कोई लंड छोड़ा भी है क्या!

और आते ही जीजाजी ने उसे बाँहों में भींच लिया और फ़िर उनके होठ चिपक गये।
वे हाथों से उसकी चूची, कमर व गांड को जोर जोर से भींच रहे थे।

वह बिलबिला रही थी- आह्ह्ह … ऐसे क्यों अकुला रहे हो … मैं कहीं भागी जा रही हूँ क्या?
दीदी हाँफ़ते हुए बोली।

और फ़िर जब जीजाजी ने उसे नंगी करना शुरू किया तो दीदी बोली- पूरे कपड़े नहीं … अभी तो ऐसे ही चोद लो … रात में चाहे जैसे चोदना!
“ज्यादा नखरे मत कर बहनचोद … अभी काफ़ी वक्त है!”

और फ़िर आनन फ़ानन दोनों नंगे हुए और कस कर फ़िर लिपट गये।

लिपटे लिपटे जीजू ने उसे पलंग पर पटक लिया और उसके ऊपर आ गये!
फ़िर रगड़ना शुरू कर दिया।

मेरी बहन भी बराबर सहयोग कर रही थी।
सात इंच का लंड चूत की गहराई नापने के लिये बेताब था तो चूत भी उसका घमंड तोड़ने के लिये आतुर थी।

“कैसे चुदवायेगी मेरी जान?”
“शुरूआत तो सीधे ही करो!”

और दीदी ने टांगें फ़ैला दी.
तो जीजू ने लंड चूत पर टिका दिया और फ़िर होठों पर होंठ जमाकर चूसना शुरू किया तो सीमा ने भी हाथ से लंड को पकड़ कर चूत पर सैट किया और चूतड़ उचकाए.

चूत ने लंड को अपने भीतर समा लिया.

फिर सीमा ने अपनी टांगों में जीजू को लपेट लिया … लंड जड़ तक समा गया।

थोड़ी देर प्यार करने के बाद जीजू ने पोजीशन ली और दनादन ठोकना शुरू कर दिया।

वह आह्ह्ह आह्ह्ह करती रही और चूत ठुकती रही.

बीच बीच में जीजू उसे चूम भी रहे थे।

दीदी भी अब गर्म हो चुकी थी।

फ़िर वे अलग हुए और उन्होंने दीदी को हाथ पकड़ कर खड़ा किया और पलंग की ओर मुँह करके झुका दिया।

दीदी ने हाथ पलंग पर जमा दिये।
उसकी चूत मेरी तरफ़ थी।

जीजाजी उसकी पैंटी से पहले चूत पौंछी और फ़िर अपने सात इंच के लंड को पीछे से चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया।
दीदी बिस्तर पर गिर गई.

“थोड़ा आराम से डालो ना जीजू राजा!”

उन्होंने उसे फ़िर उठाया और इस बार थोड़ा आराम से लंड चूत में घुसेड़ा और फ़िर चोदने लगे।

वह भी चूतड़ हिला हिला कर धक्के मार रही थी- आह्ह मेरे प्यारे जीजू … और जोर से!

“ले मेरी जान! तेरी मस्त चूत को फ़ाड डालूँगा आज!”

और इस तरह उसने पहले उसकी चूत पीछे से खूब ठोकी और फ़िर उसे सीधे लिटा कर खूब पटक पटक के चोदा।

काफ़ी देर बाद वे झड़े और फ़िर लंड डाले ही उसके ऊपर लेट गये।

मैं वापस लौट गया और फ़िर काफ़ी देर बाद आया। Antarvasna

लेखिका : नेहा Hindi Sex Stories

मेरी शादी हुये दो Hindi Sex Stories साल हो चुके थे। मेरे पति बी एच ई एल में कार्य करते थे। उन्हे कभी कभी उनके मुख्य कार्यालय में कार्य हेतु शहर भी बुला लिया जाता था। उन दिनो मुझे बहुत अकेलापन लगता था। मेरी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी। मेरी पढ़ाई की इच्छा के कारण मेरे पति ने मुझे कॉलेज में प्रवेश दिला दिया था। मैं कॉलेज में एडमिशन ले कर बहुत खुश थी। कॉलेज जाने से मेरी पढ़ाई भी हो जाती थी और समय भी अच्छा निकल जाता था।

कई बार मेरे मन में भी आता था कि अन्य लड़कियों की तरह मैं भी लड़कों के साथ मस्ती करूँ, पर मैं सोचती थी कि यह काम इतना आसान नहीं है। यह काम बहुत सावधानी से करना पड़ता है, जरा सी चूक होने पर बदनामी हो जाती है। फिर क्या लड़के यूं ही चक्कर में आ जाते है, छुप छुप के मिलना, और कहीं एकान्त मिल गया तो पता नहीं लडके क्या न कर गुजरें। उन्हें क्या … हम तो चुद ही जायेंगी ना। आह ! फिर भी जाने क्यूं कुछ ऐसा वैसा करने को मन मचल ही उठता है। लगता है जवानी में वो सब कुछ कर गुजरें जिसकी मन में तमन्ना हो। पराये मर्द से शरीर के गुप्त अंगों का मर्दन करवाना, पराये मर्द का लण्ड मसलना, मौका पा कर गाण्ड मरवाना, प्यासी चूत का अलग अलग लण्डों से चुदवाना …।

धत्त ! ये क्या सोचने लगी मैं ? भला ऐसा कहीं होता है ? मैंने अपना सर झटका और पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करने लगी। पर एक बार चूत को लण्ड का चस्का लग जाये तो चूत बिना लण्ड लिये नहीं मानती है, वो भी पराये मर्दों के लिये तरसने लगती है, जैसे मैं … अब आपको कैसे समझाऊं, दिल है कि मानता ही नहीं है।

मेरी क्लास में एक सुन्दर सा लड़का था, उसका नाम संजय था, जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल आता था। मैंने मदद के लिये उससे दोस्ती कर ली थी। उससे मैं नोट्स भी लिया करती थी।

एक बार मैं संजय से नोट्स लेकर आई और मेज़ पर रख दिए। भोजन वगैरह तैयार करके मैं पढ़ने बैठी। कॉपी के कुछ ही पन्ने उलटने के बाद मुझे उसमें एक पत्र मिला। संजय ने वो पत्र मुझे लिखा था। उसमें उसने अपने प्यार का इज़हार किया था। बहुत सी दिलकश बातें भी लिखी थी। मेरी सुन्दरता और मेरी सेक्सी अदाओं के बारे में खुल कर लिखा था। उसे पढ़ते समय मैं तो उसके ख्यालों में डूब गई। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मुझसे प्यार करने लगेगा। फिर मुझे लगा कि मैं ये क्या सोचने लगी… मैं तो शादी शुदा हूँ, पराये मर्द के बारे में भला कैसे सोच सकती हूँ।

तभी अचानक घर की घण्टी बजी। बाहर देखा तो संजय था … मेरा दिल धक से रह गया। यह क्या … यह तो घर तक आ गया, पर उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही थी।

“क्या हुआ संजय ?”

“वो नोट्स कहां है सोनल?”

“वो रखे हुये हैं …”

वो जल्दी से अन्दर आ गया और कॉपी देखने लगा। जैसे ही उसकी नजर मेज़ पर रखे पत्र पर पड़ी … वो कांप सा गया। उसने झट से उसे उठा लिया और अपनी जेब में रख लिया।

“सोनू, इसे देखा तो नहीं ना … “

“हां देखा है … क्यू, क्या हुआ … अच्छा लिखते हो !”

“सॉरी … सॉरी … सोनू, मेरा वो मतलब नहीं था, ये तो मैंने यूं ही लिख दिया था।”

“इसमे सॉरी की क्या बात है … तुम्हारे दिल में जो था… बस लिख दिया…।”

उसे कुछ समझ में नहीं आया वो सर झुका कर चला गया। मैं उसके भोलेपन पर मुस्करा उठी। उसके दिल में मेरे लिये क्या भावना है मुझे पता चल गया था।

रात भर बस मुझे संजय का ही ख्याल आता रहा :

कि जैसे संजय ने मेरे स्तन दबा लिये और मेरे चूतड़ों में अपना लण्ड घुसा दिया। मैं तड़प उठी। वो मुझसे चिपका जा रहा था, मुझे चुदने की बेताबी होने लगी। मैंने घूम कर उसे पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मेरा शरीर ठण्ड से कांप उठा। मैंने उसके शरीर को और जोर से दबा लिया।

मेरी नींद अचानक खुल गई। जाने कब मेरी आंख लग गई थी … ठण्ड के मारे मैं रज़ाई खींच रही थी … और एक मोहक सपना टूट गया। मैंने अपने कपड़े बदले और रज़ाई में घुस कर सो गई। सवेरे मेरे पति नाईट ड्यूटी करके आ चुके थे और वो चाय बना रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर बाकी काम पूरा किया और चाय लेकर बैठ गये।

कॉलेज में संजय मुझसे दूर दूर भाग रहा था, पर केन्टीन में मैंने उसे पकड़ ही लिया। उसकी झिझक मैंने दूर कर दी। मेरे दिल में उसके लिये प्रेम भाव उत्पन्न हो चुका था। वो मुझे अपना सा लगने लगा था। मेरे मन में उसके लिये भावनायें पैदा होने लगी थी।

“मैंने आप से माफ़ी तो मांग ली थी ना !” उसने मायूसी से सर झुकाये हुये कहा।

“सुनो संजय, तुम तो बहुत प्यारा लिखते हो, लो मैंने भी लिखा है, देखो अकेले में पढ़ना !”

उसे मैंने एक कॉपी दी, और उठ कर चली आई। काऊन्टर पर पैसे दिये और घूम कर संजय को देखा। वो कॉपी में से मेरा पत्र निकाल कर अपनी जेब में रख रहा था।

हम दोनों की दूर से ही नजरें मिली और मैं शरमा गई। उसमें मर्दानगी जाग गई … और फिर एक मर्द की तरह वो उठा और काऊन्टर पर आ कर उसने मेरे पैसे वापस लौटाये औए स्वयं सारा पेमेन्ट किया। मैं सर झुकाये तेजी से क्लास में चली आई।

पूरा दिन मेरा दिल क्लास में नहीं लगा, बस एक मीठी सी गुदगुदी दिल में उठती रही। जाने वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा।

रात को मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मैं अनमनी सी हो उठी। उसे मैंने रात को क्यों बुला लिया? यह तो गलत है ना ! क्या मैं संजय पर मरने लगी हूँ ? क्या यही प्यार है ? हाय ! वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा, क्या मुझे चरित्रहीन कहेगा ? या मुझे भला बुरा कहेगा।

जैसे जैसे उसके आने का समय नजदीक आता जा रहा था, मेरी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि मैं पड़ोसी के यहां भाग जाऊं, दरवाजा बन्द देख कर वह स्वतः ही चला जायेगा। बस ! मुझे यही समझ में आया और मैंने ताला लिया और चल दी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो दिल धक से रह गया। संजय सामने खड़ा था। मेरा दिल जैसे बैठने सा लगा।

“अरे मुझे बुला कर कहां जा रही हो ?”

“क्… क… कहां भला… कही नहीं … मैं तो … मैं तो …”

“ओ के, मैं फ़िर कभी आ जाऊंगा … चलता हूँ !”

“अरे नहीं… आओ ना… वो बात यह है कि अभी घर में कोई नहीं है…”

“ओह्ह … आपकी हालत कह रही है कि मुझे चला जाना चाहिये !”

मैंने उसे अन्दर लेकर जल्दी से दरवाजा बन्द कर दिया।

“देखो संजू, वो खत तो मैंने ऐसे ही लिख दिया था … बुरा मत मानना…”

उसका सर झुक गया। मैंने भी शरम से घूम कर उसकी ओर अपनी पीठ कर ली।

“पर आपके और मेरे दिल की बात तो एक ही है ना …” उसने झिझकते हुये कहा।

मुझे बहुत ही कोफ़्त हो रही थी कि मैंने ऐसा क्यूँ लिख दिया। अब एक पराया मर्द मेरे सामने खड़ा था। उसकी भी भला क्या गलती थी। तभी संजय के हाथों का मधुर सा स्पर्श मेरी बाहों पर हुआ।

“सोनू, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो…” उसने प्रणय निवेदन कर डाला।

यह सुनते ही मेरे शरीर में बर्फ़ सी लहरा गई। मेरी आंखे बन्द सी हो गई।

“क्या कह रहे हो? ऐसा मत कहो …” मेरे नाजुक होंठ थरथरा उठे।

“मैं … मैं … आपसे प्यार करने लगा हूँ सोनू … आप मेरे दिल में समा गई हो !”

वो अपने प्यार का इजहार कर रहा था। उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी।

“मैं शादीशुदा हू, सन्जू … यह पाप है … ” मैं उसकी ओर पलट कर बोली।

उसने मुझे प्यार भरी नजरों से देखा और मेरी बाहों को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मैं उसकी बलिष्ठ बाहों में कस गई।

“पत्र में आपने तो अपना दिल ही निकाल कर रख दिया था … है ना ! यह दिल की आवाज है, आपको मेरे बाल, मेरा चेहरा, सभी कुछ तो अच्छा लगता है ना !”

“आह्ह्ह … छोड़ो ना … मेरी कलाई !”

“सोनू, दिल को खुला छोड़ दो, वो सब हो जाने दो, जिसका हमें इन्तज़ार है।”

उसने अपने से मुझे चिपका लिया था। पर मेरा दिल अब कुछ ओर कहने लगा था। ये सुहानी सी अनुभूति मुझे बेहोश सी किये जा रही थी। सच में एक पराये मर्द का स्पर्श में कितना मधुर आनन्द आता है … यह अनैतिक कार्य मुझे अधिक रोमांचित कर रहा था … । उसके अधर मेरे गुलाबी गोरे गालों को चूमने लगे थे। मैं अपने आप को छुड़ाने की नाकामयाब कोशिश बस यूँ ही कर रही थी। वास्तव में मेरा अंग अंग कुचले और मसले जाने को बेताब हो रहा था। अब उसके पतले पतले होंठ मेरे होंठों से चिपक गये थे।

उसके मुख से एक मधुर सी सुगंध मेरी सांसों में घुल गई। धीरे धीरे मैं अपने आप को उसको समर्पण करने लगी। उसके अधर मेरे नीचे के अधर को चूसने लगे।

फिर उसकी लपलपाती जीभ मेरे मुख में प्रवेश कर गई और मेरी जीभ से टकरा गई। मैंने धीरे से उसकी जीभ मुख में दबा ली और चूसने लगी। उसके हाथ मेरे जिस्म पर लिपट गये और मेरी पीठ, कमर और चूतड़ों को सहलाने लगे। मेरे शरीर में बिजलियाँ तड़कने लगी। उसका लण्ड भी कड़क उठा और मेरे कूल्हों से टकराने लगा। मेरा धड़कता सीना उसके हाथों में दब गया। मेरे मुख से सिसकारी फ़ूट पड़ी। मैंने उसे धीरे से अपने से अलग कर दिया।

“यह क्या करने लगे थे हम … !” मैं अपनी उखड़ी सांसें समेटते हुई बोली।

“वही जो दिल की आवाज है … ” उसकी आवाज जैसे बहुत दूर से आ रही हो।

“मैं अपने पति का विश्वास तोड़ रही हूँ ! … है ना ?”

“नहीं, विश्वास अपनी जगह है … जिसे पाने से खुशी लगे उसमे कोई पाप नहीं है, खुशी पाना तो सबका अधिकार है … दो पल की खुशी पाना विश्वास तोड़ना नहीं है।”

“तुम्हारी बातें मानने को मन कर रहा है … तुम्हारे साथ मुझे बहुत आनन्द आ रहा है।” मैंने जैसे समर्पण भाव से कहा।

“तो शर्म काहे की …? दो पल का सुख उठा लो … किसी को पता भी नहीं चलेगा… ! आओ !”

मैं बहक उठी, उसने मुझे लिपटा लिया। मैंने भी हिम्मत करके उसकी पैन्ट की ज़िप में हाथ घुसा दिया। उसका लण्ड का आकार भांप कर मैं डर सी गई। वो मुझे बहुत मोटा लगा। उसे पकड़ने का लालच मैं नहीं छोड़ पाई। उसे मैंने अपनी मुट्ठी में दबा लिया। मैं उसे अब दबाने कुचलने लगी। लण्ड बहुत ही कड़ा हो गया था।

वो मेरी चूचियाँ सहलाने लगा … एक एक कर के उसने मेरे ब्लाऊज के बटन खोल दिये। मेरी स्तन कठोर हो गये थे। निपल भी कड़े हो कर फ़ूल गये थे। ब्रा के हुक भी उसने खोल दिये थे। ब्रा के खुलते ही मेरे उभार जैसे फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर निकल कर तन गये। जवानी का तकाजा था … मस्त हो कर अंग अंग फ़ड़क उठा। मेरे कड़े निपल को संजू बार बार हल्के से घुमा कर दबा देता था। मेरे मन में एक मीठी सी टीस उठ जाती थी। भरी जवानी चुदने को तैयार थी। मेरी साड़ी उतर चुकी थी, पेटिकोट का नाड़ा खुल चुका था। मुझे भला कहाँ होश था … उसने भी अपने कपड़े उतार दिये थे। उसका लण्ड देख देख कर ही मुझे मस्ती चढ़ रही थी।

उसके लण्ड की चमड़ी खोल कर मैंने ऊपर खींच दी। उसका लाल फ़ूला हुआ मस्त सुपाड़ा बाहर आ गया, मैंने पहली बार किसी का इस तरह सुपाड़ा देखा था। मेरे पति तो बस रात को अंधेरे में मुझे चोद कर सो जाया करते थे, इन सब चीज़ों का आनन्द मेरी किस्मत में नहीं था। आज मौका मिला था जिसे मैं जी भर कर मन भर लेना चाहती थी।

इस मोटे लण्ड का भोग का आनन्द पहले मैं अपनी गाण्ड से आरम्भ करना चाहती थी, सो मैंने उसका लण्ड मसलते हुये अपनी गाण्ड उसकी ओर कर दी।

“संजय, यह तेरा 19 साल का मुन्ना, मेरे 21 साल के गोलों को मस्त करेगा क्या ?”

“सोनू … इतने सुन्दर, आकर्षक गोलों के बीच छिपी हुई मस्ती भला कौन नहीं उठाना चाहेगा, ये चिकने, गोरे और मस्त गाण्ड के गोले मारने में बहुत मजा आयेगा।”

मैं अपने हाथ पलंग पर रख कर झुक गई। उसके लाल सुपाड़े का स्पर्श होते ही मेरे जिस्म में कंपकंपी सी फ़ैल गई। बिजलियाँ सी लहरा गई। उसका सुपाड़े का गद्दा मेरे कोमल चूतड़ों के फ़िसलता हुआ छेद पर आ कर टिक गया। उसके लण्ड पर शायद चिकनाई उभर आई थी, हल्के से जोर लगाने पर ही अन्दर उतर गया था।

मुझे बहुत ही कसक भरा सुन्दर सा आनन्द आया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी … और अन्दर उतरने की आज्ञा दे दी। मेरे कूल्हों को थाम कर और थपथपा कर उसने मेरे चूतड़ो के पट को और भी खींच कर खोल दिया और लण्ड भीतर उतारने लगा।

“सोनू, आनन्द आया ना … ?” संजू मेरी मस्ती को भांप कर कहा।

“ऐसा आनन्द तो मुझे पहली बार आया है … तूने तो मेरी आंखें खोल दी हैं यार !”

मैंने अपने दिल की बात सीधे ही कह दी। वो बहुत खुश हो गया कि इन सभी कामों में मुझे आनन्द आ रहा है।

“ले अब और मस्त हो जा…!” उसका लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा उतर चुका था। मोटा लण्ड था पर उतना भी नहीं मोटा, हां पर मेरे पति से तो मोटा ही था। मंथर गति से वो मेरी गाण्ड चोदने लगा। मेरे शरीर में इस चुदाई से एक मीठी सी लहर उठने लगी … एक आनन्ददायक अनुभूति होने लगी। जवान गाण्ड चुदने का मजा आने लगा। दोनों चूतड़ों के पट खिले हुये, लण्ड उसमें घुसा हुआ, यह सोच ही मुझे पागल किये दे रही थी। वो रह रह कर मेरे कठोर स्तनों को दबाने का आनन्द ले रहा था … उससे मेरी चूत की खुजली भी बढ़ती जा रही थी।

चुदाई तेज हो चली थी पर मेरी गाण्ड की मस्ती भी और बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि कहीं संजय झड़ ना जाये, सो मैंने उसे चूत मारने को कहा,”संजू, हाय रे ! अब मुझे मुनिया भी तड़पाने लगी है … देख कैसी चू रही है…”

” सोनू, गाण्ड मारने से जी नहीं भर रहा है … पर तेरी मुनिया भी प्यारी लग रही है !”

उसने अपना हाथ मेरी चूत पर लगाया तो मेरा मटर का मोटा दाना उसके हाथ से टकरा गया,”ये तो बहुत मोटा सा है … ” और उसको हल्के से पकड़ कर हिला दिया।

“हाय्य्य , ना कर, मैं मर जाऊंगी … कैसी मीठी सी जलन होती है…”

उसका लण्ड मेरी गाण्ड से निकल चुका था। उसका हाथ चूत की चिकनाई से गीला हो गया था। उसने नीचे झुक कर मेरी चूत को देखा और अंगुलियों से उसकी पलकें अलग-अलग कर दी और खींच कर उसे खोल दिया।

“एक दम गुलाबी … रस भरी … मेरे मुन्ने से मिलने दे अब इसे !”

उसने मेरे गुलाबी खुली हुई चूत में अपना लाल सुपाड़ा रख दिया। हाय कैसा गद्देदार नर्म सा अह्सास … फिर चूत की गोद में उसे समर्पित कर दिया।

उसका लण्ड बड़े प्यार से दीवारों पर कसता हुआ अन्दर उतरता गया, और मैं सिसकारी भरती रही। चूंकि मैं घोड़ी बनी हुई थी अतः उसका लण्ड पूरा जड़ तक पहुंच गया। बीच बीच में उसका हाथ मेरे दाने को भी छेड़ देता था और मेरी चूत में मजा दुगना हो जाता था। वो मेरा दाना भी जोर जोर से हिलाता जा रहा था। लण्ड के जड़ में गड़ते ही मुझे तेज मजा आ गया और दो तीन झटकों में ही जाने क्या हुआ, मैं झड़ने लगी। मैं चुप ही रही, क्योंकि वो जल्दी झड़ने वाला नहीं लगा।

उसने धक्के तेज कर दिये … शनैः शनैः मैं फिर से वासना के नशे में खोने लगी।

मैंने मस्ती से अपनी टांगें फ़ैला ली और उसका लण्ड फ़्री स्टाईल में इन्जन के पिस्टन की तरह चलने लगा। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि थोड़ी सी हिम्मत करने से मुझे इतना सारा सुख नसीब हो रहा है। मेरे दिल की तमन्ना पूरी हो रही है। मेरी आंखें खुल चुकी थी… चुदने का आसान सा रास्ता था … थोड़ी हिम्मत करो और मस्ती से नया लण्ड खाओ। मुझे बस यही विचार आनन्दित कर रहा था … कि भविष्य में नये नये लण्ड का स्वाद चखो और जवानी को भली भांति भोग लो।

“अरे धीरे ना … क्या फ़ाड़ ही दोगे मुनिया को…?

वो झड़ने के कग़ार पर था, मैं एक बार फिर झड़ चुकी थी। अब मुझे चूत में लगने लगी थी। तभी मुझे आराम मिल गया … उसका वीर्य निकल गया। उसने लण्ड बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य जमीन पर गिराने लगा। वो अपना लण्ड मसल मसल कर पूरा वीर्य निकालने में लगा था। मैं उसे अब खड़े हो कर निहार रही थी।

“देखा, संजू तुमने मुझे बहका ही दिया और मेरा फ़ायदा उठा लिया !”

“काश तुम रोज ही बहका करो तो मजा आ जाये…” वो झड़ने के बाद जाने की तैयारी करने लगा। रात के ग्यारह बजने को थे। वो बाहर निकला और यहाँ-वहाँ देखा, फिर चुपके से निकल कर सूनी सड़क पर आगे निकल गया।

संजय के साथ मेरे काफ़ी दिनों तक सम्बन्ध रहे थे। उसके पापा की बदली होने से वो एक दिन मुझसे अलग हो गया। मुझे बहुत दुःख हुआ। बहुत दिनों तक उसकी याद आती रही।

मैंने अब राहुल से दोस्ती कर ली थी। वह एक सुन्दर, बलिष्ठ शरीर का मालिक था। उसे जिम जाने का शौक था। पढ़ने में वो कोई खास नहीं था, पर ऐसा लगता था कि वो मुझे भरपूर मजा देगा। उसकी वासनायुक्त नजरें मुझसे छुपी नहीं रही। मैं उसे अब अपने जाल में लपेटने लगी थी। वो उसे अपनी सफ़लता समझ रहा था। आज मेरे पास राहुल के नोट्स आ चुके थे … मैं इन्तज़ार कर रही थी कि कब उसका भी कोई प्रेम पत्र नोट्स के साथ आ जाये … जी हां … जल्द ही एक दिन पत्र आ गया …

प्रिय पाठको ! मैं नहीं जानती हूं कि आपने अपने विद्यार्थी-जीवन में कितने मज़े लूटे। पर हां अभी भी आप यह सुन्दर सुख भोगने की लालसा रखती हैं तो जरूर ये सुख भोगे। ध्यान रहे सुख भोगने से विश्वास का कोई सम्बन्ध नहीं है। सुख पर सबका अधिकार है, पर हां, इस चक्कर में अपने पति को मत भूल जाना, वो तो जिन्दगी भर के लिये है। Hindi Sex Stories

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हेलो! मेरा नाम निक है और मैं मुंबई के Indian Sex Stories बांद्रा में रहता हूँ। यह मेरी पहली कहानी है जो कि एक हकीक़त भी है। मैं मुंबई में पिछले 3 साल से रह रहा हूँ। मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ यहाँ काम की तलाश में आया था। ( सुनने में शायद यह थोड़ा फ़िल्मी लगता है) लेकिन यह सच है।

मुझे मुंबई आये अभी कुछ दिन ही हुए थे कि मुझे मेरे एक स्थानीय मित्र ने बताया कि मुंबई में कई लड़के “ज़िगोलो” या पुरुष-वेश्या बन कर अपनी ज़िन्दगी गुजार रहे हैं। पहले तो मुझे उसकी बात पर कोई विश्वास नहीं हुआ लेकिन एक दिन ” मुंबई मिरर “(एक पत्रिका) में ज़िगोलो’ज़ पर एक लेख पढ़ कर मुझे यकीन हो गया कि यह एक हकीक़त है।

लेकिन यह बात वहीं आई गई हो गई और मैं फिर से नौकरी की तलाश में जुट गया।

कुछ दिन बाद की बात है, मैं रात घर पर बिस्तर में लेटा था। मेरे कमरे में मेरे सभी साथी सो रहे थे, रात का शायद 1 बजा होगा, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैंने सोचा- थोड़ा घूम कर आता हूँ, शायद अच्छा लगे।

यही सोच कर मैंने कपड़े पहने और स्टेशन की ओर निकल गया। स्टेशन रात के समय कुछ अजीब सा लग रहा था। कुछ सेक्स-वर्कर लड़कियां, कुछ नशेड़ी और बहुत सारे अपराधी किस्म के लोग वहां थे। मेरे मन में झिजक पैदा हुई, लेकिन मैंने सीधा जाकर चर्चगेट की टिकट ले ली। मैं जल्दी जल्दी प्लेटफ़ार्म पर पहुंचा और मैं चर्चगेट जाने वाली ट्रेन में चढ़ गया।

कुछ 20-25 मिनट में मैं चर्चगेट स्टेशन पहुँच गया। वहां काफी चहल-पहल थी। जिसे देख कर मेरा डर थोड़ा कम हुआ, आखिर एक 23 साल का लड़का जो कि शहर में नया और अनजान हो, रात में अकेलेपन से डरता ही है।

फ़िर भी मैं पता नहीं क्यूँ वहाँ आस-पास घूमता रहा, यह सोच कर कि कोई मुझे ज़िगोलो समझ कर अपने साथ ही ले जाए, क्योंकि मैं दिखने में काफ़ी अच्छा हूँ और कई लड़कियों ने मुझे अपना साथ भी दिया है।

बहरहाल, घूमते घूमते अभी कुछ मिनट ही हुए थे कि मैंने देखा कि कहीं से बहुत सारी कारें आ रही थी, शायद किसी डिस्को में पार्टी खत्म हुई थी। मैं उस तरफ़ से मुड़ गया और फ़िर से स्टेशन की तरफ़ चलने लगा। तभी मैंने देखा कि मुझे कोई कार में से इशारे कर रहा है। मैं बहुत घबरा गया क्योंकि वो औरत नहीं मर्द था। मुझे लगा कोई समलिंगी पुरुष होगा, इसलिए मैं तेज़ी से आगे बढ़ गया।

लेकिन इस बार उसने मुझे “हैलो सफ़ेद कमीज़!” कह कर आवाज़ लगाई। मैंने हिम्मत जुटा कर उसकी तरफ़ देखा, उसने मुझे कार के पास बुलाया और मैं डरते हुए कार के पास गया।

वहाँ मैंने देखा कि वो एक ड्राईवर था। मुझे लगा कि वो कोई जगह पूछेगा, लेकिन उसने कहा- मैडम ने बात करनी है, कार में बैठो!

यह सुनते ही मैं हक्का-बक्का रह गया। रात के ढाई बज़े एक “ब्लैक कैमरी” में सफ़र करने वाली औरत मुझसे कर में बात करना चाहती है। मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले वो गाड़ी आगे बढ़ने लगी। पता नहीं मुझे क्या हुआ और मैं जल्दी से कार में बैठ गया।

कार में बैठते ही मेरी खुशी को जैसे पर लग गए, एक 30-32 साल की औरत जिसकी सूरत देख कर यूँ लगे मानो कोई सिनेमा की हिरोईन हो, मेरे पास बैठी थी। वो काले रंग के ईवनिंग गाऊन में यूँ लग रही थी जैसे स्ट्राबेरी को चॉकलेट में डूबो कर रखा हो।

मेरे मुँह से छोटे से ‘हाय’ के अलावा कुछ नहीं निकला। इतने में गाड़ी चलने लगी और मैं थोड़ा सम्भल कर बैठ गया। 2-3 मिनट तक कोई बात नहीं हुई, ड्राईवर की नज़र पीछे देखने वाले शीशे में से मेरे ऊपर ही थी। शायद उसके लिए यह रोज़ की बात थी। थोड़ी देर में उस औरत ने मुझे बोला- हाय! मेरा नाम हिया है।

मैंने भी अपना नाम बताया। मेरा नाम सुनकर वो मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी। ऐसा लग रहा था मानो वो रात के पौने तीन बज़े मेरा इन्टरव्यू ले रही हो। मैं तोते की तरह जवाब देता गया। बातों बातों में मैंने उसका फ़ीगर देखना शुरू किया। उसका फ़ीगर इतना अच्छा नहीं था , उसके स्तन छोटे थे और पेट भी बाहर था लेकिन फ़िर भी उसके चेहरे ने सभी कमियाँ छुपा ली थी। उसकी नज़र शायद मेरे चेहरे पर थी और एक पल बाद उसका हाथ मेरी कमर पर। जैसे ही उसने मुझे छुआ यूँ लगा जैसे 440 वाट का करंट लगा हो, क्योंकि पहली बार किसी नारी ने पहल की थी मेरे साथ। खैर, हिया ने ड्राईवर से कहा कि गाड़ी रोक कर वो उतर जाये और टैक्सी लेकर घर चला जाये और उसे कुछ पैकेट दिए, जिसे लेकर वो बिना पीछे देखे चला गया। अब हम दोनों गाड़ी में अकेले थे, उसने मुझसे पूछा “क्या तुम गाड़ी चलाओगे?”

हाँ में सर हिला दिया मैंने। तब उसने मुझे अपनी गाड़ी की चाबी दी और बोली- चलो!

मैं पागल हो रहा था कि एक अनजान औरत बिना कुछ जाने मुझे अपने साथ रात में ले जाने को तैयार है, क्या मेरी किस्मत इतनी अच्छी है?

लेकिन शायद किस्मत नाम ही है अप्रत्याशित का!

मैं ड्राईवर सीट पर आ गया और वो अगली सीट पर! मैं कार चलने लगा, उसने मेरे बालों में हाथ डाला और कहने लगी,”काफी घबराए हुए लग रहे हो!”

मैंने डर के कहा- नहीं तो! मैं ठीक हूँ!
तो हंसते हुए बोली- ठीक है! चिन्ता मत करो मैं तुम्हें खा नहीं जाऊँगी!
मैंने सर हिला दिया और वो मुझे रास्ता बताने लगी।

एक घण्टे चलने के बाद हम मुम्बई के मड आईलैण्ड इलाके में थे, वहाँ पहुंचते ही मैं समझ गया कि हिया किसी बड़े उद्योगपति की पत्नी है क्यूंकि या तो वहाँ ऐसे बंगले हैं जहाँ फ़िल्मों की शूटिंग होती है या धनकुबेरों के फ़ार्म हाऊस!

उसने मुझे गाड़ी रोक कर पीछे बैठने को कहा और खुद गाड़ी चला कर बंगले के अन्दर ले गई।

मैं और हिया एक साथ जैसे ही कमरे में पहुंचे, उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने स्तनों पर रख लिया और मैं आज्ञाकारी बच्चे की तरह उसकी बात मानता रहा।

मैं उसके स्तनों से खेलता रहा और वो मेरे शर्ट के बटन खोलती रही. हम लोग यही करते करते उसके शयनकक्ष की ओर बढ़ने लगे और बीच में पड़े म्यूज़िक सिस्टम को उसने ओन कर दिया। मैं प्रफ़ुल्लित हो रहा था और मैं उसे चूमने लगा। तब तक मेरे हाथ उसकी ब्रा को अन्दर से खोल चुके थे और उसके हाथ मेरे शर्ट को।

अब हम एल आलीशान बंगले के शयनकक्ष में थे और वहाँ एक विशालाकार पलंग था। उसने मुझे वहाँ बैठने को कहा और चली गई। मुझे लगा शायद उसे लू जाना था।

दस मिनट बाद जब वो आई तो मैं हैरान था, उसने अर्ध-पारदर्शी अन्तःवस्त्र पहने थे जिसमें उसकी शेव की हुई चूत और प्यारे से स्तन साफ़ साफ़ दिख रहे थे, मैं तो पहले से ही अपने सारे कपड़े उतार कर कम्बल के अन्दर घुसा हुआ था। मेरे कपड़े ज़मीन पर देख कर वो हंसी और रोशनी कम करके वो मेरे पास आ कर बैठ गई।

अब तो मैं पागल हो चुका था इसलिए उस पर टूट पड़ा। मैं उसे एक कुत्ते की तरह चूसने चाटने लगा और वो मुझे बिल्ली की तरह नाखून मारने लगी। मैंने उसके होंटों पे अपने होंट ऐसे चिपका दिए जैसे फ़ैवीक्विक लगा हो। वो मुझे ले कर करवटें बदलती रही और र्मैं उसके पूरे शरीर का मानो नाप ले रहा था। थोड़ी देर में उसकी ब्रा और पैन्टी जमीन पर पड़े मेरे कपड़ों को चूम रही थी।

मेरे सामने थी एक उच्च वर्ग की तथाकथित आधुनिक महिला!
मैंने कम्बल को दूर फ़ेंका और उसे अपनी गोद में उठा कर खड़ा कर दिया।

मैं उसके नर्म नर्म स्तन दबाता रहा और वो मेरे बालों को खींचती रही। मैंने उसके सारे बदन पर अपने होंटों की निशानी लगा दी थी।

मेरा लण्ड आज पहली बार इतना उतावला था, शायद इसलिए कि अज उसे पहली बार एक आँटी मिलने वाली थी जो उससे कहीं ज्यादा अनुभवी थी। मेरा लौड़ा हाथ में ले कर वो बोली- थोड़ा छोटा है, पर प्यारा सा है, बहुत स्वादिष्ट लगता है!

मैंने उसकी बात काटी और बोला-अगर खाना चाहती हो तो चख कर देखो ना!

मेरा इतना बोलना ही था कि मेरा लण्ड उसके मुँह में था। मैं पागल हो रहा था और वो मुझे पागल कर रही थी। सुबह के पाँच बज रहे थे और मुझे लग रहा था कि यह सुबह कभी आए ही ना!

वो कभी मेरे लौड़े को चूसती तो कभी मेरे अण्डकोषों को! और अपनी उंगलियों से मेरे छोटे छोटे चूचुकों को मसल रही थी। मेरा पूरा बदन जल रहा था, मैंने उसे एक झटके में उठाया और पलंग पर लिटा दिया। अब मैं उसे चूमने लगा और उसकी प्यारी सी चूत तक पहुंच गया। मैं तो पागलों की तरह उसकी फ़ुद्दी चाटने और सहलाने लगा और वो मेरा मुँह उसमें घुसवाती रही।

काफ़ी देर ऐसा ही चलता रहा। फ़िर उसने मुझे कहा- हमें जल्दी करना पड़ेगा क्योंकि मुझे जाना भी है।
सुन कर मानो मेरे खड़े लण्ड पर चोट हो गई।
तब वो हंस के बोली- अरे मूर्ख! अभी भी मेरे पास एक घण्टा है, परेशान मत हो!

यह सुनते ही मैं उस पर कूद पड़ा क्योंकि मैं एक पल भी व्यर्थ गंवाना नहीं चाहता था। मैंने उसके दोनों पांव अपने कन्धे पर रखे और एक ही झटके में अपना छः इन्च ला लन्ड उसकी चूत में प्रविष्ट करा दिया। मुझे लगा वो चीखेगी, लेकिन वो तो सिर्फ़ यह बोली- बुरा नहीं है!

और मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा, थोड़ी देर में मैं चरम सीमा पर पहुंचने लगा तो मैंने अपना लण्ड निकाल लिया और उसे कहा- मेरे ऊपर आ जाओ!

वो मेरे ऊपर आ गई और मेरी सवारी करने लगी। दस मिनट में वो अपने चर्मोत्कर्ष पर थी और वो जंगली बिल्ली की तरह चीखी। मैं उसकी चीख सुनकर पागल हो गया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। दो मिनट बाद मैं भी अपने को रोकने में असमर्थ पा रहा था तो मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाला और उसके मुंह के पास ले गया। उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और पालतू कुतिया की तरह चाट चाट कर मेरा सारा वीर्य ऐसे गटक गई मानो कोई स्वास्थ्य पेय हो।

मैंने उसके गालों को चूम लिया और उसे अपने बगल में लिटा लिया। उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया, मेरे सिकुड़ चुके लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगी।

थोड़ी देर में उसने मुझे कहा- मेरे ख्यल से अब हमें चलना चाहिए। यह कह कर वो बाथरूम में चली गई। मैंने भी उठ कर अपने कपड़े पहने और दरवज़े के पास उसका इन्तज़ार करने लगा।

वो एक आकर्षक शर्ट और जीन्स पहन कर बाहर आई और मुझसे कहा- चलो चलें! तुम्हें नींद भी आ रही होगी। चलो मैं तु्म्हें छोड़ आती हूँ।

बाहर आते हुए उसने मुझे 1000 रुपए के कुछ नोट देने चाहे लेकिन मैंने मना कर दिया उअर यह कह दिया कि मुझे आपका साथ अच्छा लगा! मैं वो नहीं हूँ जो आप सोच रही हैं!

यह सुन कर वो हंसने लगी और मेरी कमर पकड़ कर मुझे कार में बिठा कर बांद्रा तक छोड़ दिया, जाते जाते मुझे कहने लगी- मैं भी बांद्रा में रहती हूँ।

सुन कर मुझे झटका सा लगा और खुशी भी हुई। पर मुझे अचानक याद आया कि मैंने हिया का ना तो फ़ोन नम्बर लिय और ना ही कोई पता वगैरह। और अपने पर ही क्रोधित होने लगा।

घर जाकर अचानक मुझे लगा कि मेरी पैन्ट की जेब में कुछ है तो मैंने देखा कि उसमें 1000 के 5 नोट और हिया का कार्ड था।

मुझे नहीं पता कि कब उसने ये सब मेरी जेब में रखा! Indian Sex Stories

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हम दोनों आमने-सामने Hindi Sex Stories बैठे थे, मैंने चुपचाप सर झुकाये खाना खाया और बेडरूम में आकर अपनी किताब ले कर बैठ गया। थोड़ी देर बाद चाची भी आ गई और एक मैगज़ीन लेकर मेरे पास बैठ गई।

थोड़ी देर बाद चाची ने मस्ती शुरू कर दी, वैसे तो हम अकसर करते थे, पर जैसा मैंने कहा, उस दिन उनका मूड कुछ अलग ही था। वो मुझे गुदगुदी करने लगी।

मैंने कहा- प्लीज़ चाची, मत करो ऐसा, मैं करुंगा तो आप को पता चलेगा, फिर मत बोलना!

चाची तुरंत बोली- अच्छा तो क्या करेगा तू? हाँ? मैं भी तो देखूँ जरा?

और उनकी हरकत ज़ारी रही। मैं डर के मारे कुछ बोल नहीं पाया पर इधर मेरा लंड भी मस्ती में आ रहा था और सख्त होता जा रहा था। इस बीच चाची ने मुझे इतना परेशान किया कि मैं एकदम से उठा और उन्हें गुदगुदी करनी चालू कर दी। चाची भी खड़ी हो गई और हम दोनों मस्ती में खो गये।

तभी मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिये और उन्हें धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने उनके दोनों हाथ कस कर पकड़ रखे थे वो बिल्कुल हिल नहीं पा रही थी, उनका पल्लू कहीं तो ब्लाऊज़ कहीं था। उन्होंने अपने पैर हिलाने की कोशिश की पर मैंने उन्हें अपने पैरों के बीच दबोच रखा था।

चाची मेरे सामने एकदम चित्त पड़ी थी। इधर मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था पर मन में अभी भी थोड़ा डर था, मैंने उन्हें कहा- देखा ना, मैं क्या कर सकता हूँ? अब बोलो आप?

चाची कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा कर मुझे देखती रही। फिर मैंने उन्हें छोड़ दिया पर इस हाथापाई में मेरा हाथ उनके शरीर पर कहाँ-कहाँ लगा, मुझे भी कुछ पता नहीं चला क्योंकि एकदम अचानक और इतनी जल्दी हुआ। जैसे ही मैंने चाची को छोड़ा तो उठ कर उन्होंने अपने अस्त-व्यस्त कपड़े देखे और मुस्कुरा कर बोली- तुमने दम तो बहुत है! मेरे सारे कपड़े खराब कर दिये!

यह कह कर वो दूसरे कमरे में चली गई। मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये और फिर से अपनी किताब ले कर बैठ गया। पर अब कहाँ किसी किताब में ध्यान लगना था, मैंने उस दिन पहली बार किसी स्त्री को पकड़ा था।

मेरे दिमाग में वही दृश्य चल रहा था कि चाची वापस आई और मेरे बाजू में बैठ गई। वो अपने कपड़े बदल कर आई थी, अब वो नाईटी पहन कर आई थी। मैंने गौर से देखा तो यह वही नाईटी थी जो चाची साल में सिर्फ एक महीना पहनती थी वो भी सिर्फ रात में, जब चाचा आते थे, क्योंकि नाईटी एकदम सिल्की और सेक्सी थी, उसमें चाची और भी बिजली गिरा रही थी।

उन्हें बस तरह देख मेरा लंड तो एकदम तन गया, मेरी नज़र चोरी-चोरी उन्हें ही निहार रही थी और चाची भी मुझ पर ही नज़र रखे हुए थी।

थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा- तेरा ध्यान तो किताब में है ही नहीं, क्यों पकड़ रखी है किताब? लगता है अब भी कोई परेशानी है?

मैंने नज़रें चुराते हुए कहा- हाँ, वो केसेट मुझे कल वापस करनी है, अगर आप को पता है कि कहाँ है तो प्लीज़ बता दो!

चाची- हाँ वो मैं सफाई कर रही थी तो मिली थी, पर वो शादी की ही है ना?

चाची ने जोर देते हुए पूछा, अब तो चाची ने खुद कबूल किया कि केसेट उनके पास है। मैं एकदम डर गया था और यह अभी यकीन होने लगा था कि चाची ने वो फिल्म देख ली है, मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था, मैंने एक बार फिर कहा- हाँ शादी की ही है।

तो चाची ने तुरंत ही फिर पूछा- सच्ची बता! तू कुछ छुपा रहा है, जो भी है बता दे, तू नहीं बतायेगा तब मुझे पता तो चल ही जायेगा!

मेरे पास कोई जवाब नहीं था, फिर उन्होंने मेरे हाथ से किताब ले ली और एक तरफ़ रख दी और एक सेक्सी मुस्कान देते हुए कहा- घबरा मत! मुझे सब पता है, मैं किसी को नहीं बताऊँगी।

चाची के मुँह से यह सुनते ही मुझे थोड़ी राहत हुई, मैंने चाची को धन्यवाद कहा और उन्हें एक टक देखता रहा।

चाची बोली- अच्छी थी वैसे फिल्म, पसन्द अच्छी है तुम्हारी!

यह सुनते ही मन तो किया कि दबोच लूं चाची को पर उस वक़्त हिम्मत नहीं हुई, वो मेरा हाथ धीरे धीरे सहला रही थी, मेरे पूरे शरीर में जैसे करंट दौड़ने लगा था।
पहली बार था इसलिये मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैंने अपना हाथ वापस खींच लिया, तो वो बोली- क्या हुआ? अच्छा नहीं लगा? इतने प्यार से सहला रही हूँ।

मैंने कहा- अच्छा तो बहुत लगा पर!
उन्होंने तुरंत कहा- पर क्या? बोलो तो सही, डरो मत!
मैंने कहा- आप नाराज़ हो जायेंगी!

चाची- अरे ऐसा बिल्कुल नहीं है, मैं क्यों नाराज़ होऊँगी? तुम कुछ भी कहो, कुछ भी करो, तुम्हें तो छूट है!

चाची के मुँह से ये शब्द सुन कर मुझे भी थोड़ा जोश आ रहा था। चाची मुस्कुराने लगी, अब मुझे यकीन होने लागा था कि चाची को वाकई में मुझसे चुदवाने का मन है। बस इसी यकीन से मैं चाची के करीब गया और उनका हाथ पकड़ कर प्रेम से सहलाने लगा और मेरी नज़र उनके गोरे गोरे स्तनों पर थी जो सिल्की नाईटी में एकदम तने हुए नज़र आ रहे थे।

तभी चाची ने कहा- क्या देख रहे हो इतने ध्यान से? कुछ दिखा?

मुझे उनकी बातों से और आत्मविश्वास आता जा रहा था। मैंने भी उनकी तरह शब्दों के वाण छोड़ना शुरु किया और कहा- अभी तक को कुछ नहीं दिखा, और कुछ नहीं मिला! बस कोशिश जारी है, पर यकीन है कि जल्द ही सब कुछ मेरे पास होगा।

मेरे निरंतर स्पर्श से चाची मदहोश होती जा रही थी, मैंने मौका देख कर धीरे धीरे उनके वक्ष पर हाथ फेरना चालू कर दिया। तभी चाची ने कातिल अंदाज़ में मुझे देखते हुए कहा- जय, तू बड़ा छुपा-रुस्तम निकला, मैं तो तुम्हें छोटा बच्चा समझती थी पर तुम तो कुछ और ही निकले!

मैंने कहा- बस आप साथ दो तो मेरी और भी खूबी दिखाऊँ!

फिर चाची ने मेरा हाथ पकड कर अपने वक्ष पर रख दिया और एक लम्बी सांस ली।
बस फिर क्या था, मुझे तो हरी झंडी मिल गई। मैं दोनों हाथों से उनके सख्त स्तन मसलने लगा। इससे चाची एकदम मदहोश होती जा रही थी और मेरा लंड भी अंडरवीयर फाड़ रहा था।

फिर चाची ने मेरे लंड पर हाथ रखा और पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी, उनके स्पर्श से मेरे पूरे शरीर में मानो एक करन्ट सा लगा, किसी ने पहली बार मेरे लंड को छुआ था और मैंने उनके स्तनों को पूरे जोर से निचोड़ दिया जिससे उनकी चीख निकल पड़ी- अ आअ आह।

हम दोनों पूरे जोश में थे, सब कुछ भूल चुके थे कि हम कहाँ हैं, हमारा रिश्ता क्या है और समय क्या हुआ है।

मैं उनके वक्ष को सहलाते-सहलाते उन्हें चूमने लगा, उनके गोरे गालों पर, गले पर हर जगह! चाची भी मेरा पूरी तरह साथ दे रही थी, वो भी मुझे चूमने लगी। उनके मुँह से निरंतर सिसकियाँ निकल रही थी- ओह.. अह. हुम्म… आह!

फिर मैंने उन्हें सोफे पर ही लिटा दिया और उनके पूरे शरीर को दबोचने लगा। चाची भी पूरे जोश में थी और मेरे बालों में तो कभी मेरे हाथों को सहलाती। अब चाची चुदने के लिये बिल्कुल तैयार हो चुकी थी, वो ऐसे तड़प रही थी जैसे सालों से भूखी हों।

मैं उनकी नाईटी खोलने लगा कि अचानक दरवाज़े पर घण्टी बजी, घण्टी की आवाज़ सुनते ही हम दोनों घबरा गये और रुक गये। तभी हमरी नज़र सामने लगी घड़ी पर पड़ी, शाम के 5.30 बज चुके थे, चाची ने कहा- उठ, मैं देखती हूँ! बच्चे स्कूल से आ गये होंगे।

मेरा मन तो नहीं था उनको छोड़ने का, पर मजबूरी थी, मैं उठ कर एक ओर बैठ गया, चाची मुस्कुराते हुए उठी और अपने कपड़े और बाल बराबर करने लगी और जाकर दरवाजा खोला। दोनों बच्चे आ गये थे, मेरी नजर अभी चाची पर टिकी हुई थी, मैं वहीं से चाची को देख रहा था और मेरा लंड था कि शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था। एक तो पहला मौका वो भी अधूरा रह गया।

चाची बच्चों के साथ दूसरे कमरे में चली गई। मैं भी उनके पीछे वहाँ पहुँच गया और दरवाजे से टिक कर खड़ा उन्हें देखता रहा। बीच-बीच में उनकी भी प्यासी नज़र मुझे देखती।

थोड़ी देर बाद चाची मेरे पास आई और मेरे पैंट में टावर को देख हाथ फेरा और बोली- अभी इसे सुला दे, थोड़ा आराम करने दे, इसे, बाद में बहुत काम करना है।

और वो रसोई में चली गई और अपने काम में लग गई। मैं भी वापस अपने कमरे में आकर बैठ गया, पर दिमाग में तो वही दोपहर वाला दृश्य चल रहा था, अब मैंने तय कर लिया था कि जो भी हो चाची को जल्द से जल्द चोदना है, क्योंकि मैं उनकी प्यास और तड़प देख चुका था।

इन्हीं ख्यालो में समय बीत गया और 8.00 बज गये। चाची ने खाना खाने को आवाज़ लगाई, हम खाना खाने बैठे पर मेरी नज़र चाची से हट ही नहीं रही थी। चाची भी मेरी तरफ देखती और हमारी नज़र एक होती तो वो नज़र घुमा लेती।

खाना खा कर मैं और दोनों बच्चे हाल में टीवी देखने बैठ गये, चाची अपना काम कर रही थी, मेरा ध्यान तो किसी और दुनिया में ही घूम रहा था। थोड़ी देर में चाची अपना काम निपटा कर मुस्कुराते हुए आई और मेरी बगल में बैठ गई और दोनों बच्चो से कहा- चलो आज हम दादा दादी के कमरे में सोयेंगे और जय अकेला सो जायेगा।

(दादा दादी के नहीं होने के कारण हम सब एक ही कमरे में सोते थे)

यह सुनकर मैं एकदम दंग रह गया, मुझे लगा कि शायद चाची मुझसे दूर रहना चाहती हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आया कि चाची के दिमाग में क्या चल रहा था.

वो दोनों बच्चो को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। उनके जाते ही मैंने अपने कपड़े बदल लिये .. हाफ पैंट और बनियान जो मैं अक्सर रात में पहनता हूँ। और वापस आकर बैठ गया। दिमाग अभी भी उन्हीं ख्यालों में खोया था।

रात के दस बजे होंगे, मैंने देखा कि चाची कमरे से निकली और बाहर से दरवाजा बंद कर रही थी। अब मुझे चाची की योजना समझ आने लगी थी। उन्होंने वही सिल्की नाईटी पहनी थी, बहुत सेक्सी लग रही थी। वो आकर मेरे बाजू में बैठ गई। मन तो कर रहा था कि बदोच लूँ पर सोचा- जल्दबाजी में कहीं काम ना बिगड़ जाये!

उन्होंने मुस्कुरते हुए पूछा- क्या कर रहा है? सोया नहीं अब तक?
मैंने कहा- टीवी देख रहा हूँ।
उन्होंने तुरंत रिमोट से टीवी बंद कर दिया और कहा- टीवी में ध्यान तो है नहीं तेरा!

मैंने कहा- दोपहर के बाद से मेरा ध्यान कहीं और ही घूम रहा है!मैं समझ गया था कि चाची अब मुझ से चुदवा कर ही रहेंगी।

मैं वहाँ से उठ कर अपने कमरे में आ गया, मेरे पीछे ही चाची भी आ गई। दोनों के सब्र का बांध टूटता जा रहा था। चाची ने अंदर आते ही बत्ती बुझा दी और आकर बिस्तर पर मेरे पास बैठ गई और कहा- मैंने कहा था तो बराबर सुलाया ना (लंड को) आराम कर लिया ना?

मैंने कहा- भूखे शेर को भला नींद कैसे आएगी, वो बिना शिकार किए कहाँ आराम करेगा?

चाची का हाथ मेरे लंड पर घूमने लगा। उनकी इस हरकत को देख मैंने उन्हें अपने ऊपर खींच लिया, अपनी बाहों में समेट लिया और उनकी चूचियाँ दबाता, चूमता तो कभी उनकी ग़ाण्ड पर हाथ फेर उसे दबाता। हम दोनों फिर पूरे जोश में आ रहे थे। चाची फिर सिसकियाँ भर रही थी- ओह्ह अह्हा उफ्फ्फ ईई!

फिर मैंने उनके होंठ पर अपने होंठ रख दिये और चूमने लगा। उनकी जीभ मेरे मुँह में घूमने लगी और उनके हाथ मेरे बालों में!

मैंने उनकी नाईटी निकलनी शुरु की, सारे बटन खोल दिये और नाईटी निकाल फेंकी। अब उनका हाथ मेरे अन्डरवीयर में था। बड़े प्यार से मेरा लंड सहला रही थी चाची!

दोनों पूरी तरह एक दूसरे में खोये हुए थे, लेकिन अंधेरे की वजह से मुझे उनके सेक्सी बदन को देखने का आनंद नहीं मिल रहा था। फिर मैंने उनकी ब्रा भी उतार फेंकी और अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उठ कर बत्ती जला दी। जैसे ही मैंने चाची के बदन को देखा, मेरे होश उड़ गये, गोरा बदन, सेक्सी फिगर, गोरे गोरे कसे हुए स्तन और खड़े चुचूक!

चाची की शादी को भले ही आठ साल हो गये थे पर उन आठ सालों में वो बहुत कम चुदी थी, इस वजह से उनका फिगर कुंवारी लड़की से कम नहीं था। चाची बिस्तर पर सिर्फ पैंटी में लेटी थी, मैंने भी अपनी बनियान और निकर उतार दिये और चाची के ऊपर आ गया और उनके गोरे बदन से खेलने लगा। कभी स्तन चूसता तो कभी तो कभी उनके पूरे बदन को चूमता।

फिर मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाला, एक दम चिकनी और सफ़ाचट थी। मैंने अपनी ऊँगली निशाने पर रख दी और धीरे से अंदर की और धकेला। चाची तो जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गई थी, उनकी निरंतर सिसकियाँ निकल रही थी- ओह्ह अह्हा उफ्फ्फ मूह्ह्ह

मेरी ऊँगली अंदर जाने लगी और उनकी सिसकियाँ भी तेज़ होने लगी- अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्हा

उनकी चूत एक दम गीली थी, मेरी ऊँगली अंदर-बाहर होने लगी। तभी चाची ने मुझे कस कर अपनी बाहों में पकड़ लिया और कहा- जय प्लीज़, मुझे और मत तड़फ़ाओ, जल्दी से मेरी प्यास बुझाओ!

मैंने कहा- अब आप कभी प्यासी नहीं रहोगी! मैं आपको कभी भी प्यासा नहीं रहने दूंगा!

और मैंने उनकी पैटी उतार दी, अब मस्त टाईट चूत मेरे सामने थी। मैंने अपना अंडरवीयर भी उतार दिया और अब हम दोनों निर्वस्त्र एक दूसरे से लिपटे हुए थे। मेरी ऊँगली उनकी चूत में और उनके चुचूक मेरे मुँह में और मेरा लंड उनके हाथ में!

उनकी सिसकियाँ और तेज़ होती जा रही थी- अह्ह्ह्ह आआह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ऊऊफ्फ्फ

फिर मैंने चाची से कहा- मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चख तो लो!

और लंड उनके मुँह में रख दिया और वो बड़े प्यार से मेरे लंड को चूसने लगी। अब मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था, मैंने उनके बालों में हाथ डाला और पकड़ कर उनका मुँह मेरे लंड की ओर खींचने लगा। फिर मैंने उनके वक्ष को चोदना शुरु किया। दोनों हाथों से दोनों स्तनों को पकड़ा और अपना लंड बीच में डाल कर चोदने लगा।

(मैंने कई फिल्में देखी थी इसलिये थ्योरी तो पूरी आती थी आज प्रेक्टिकल करना था सो पूरा मजा ले रहा था)

और इधर चाची का बुरा हाल था- आआह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह अहाआअ फिर मैंने उनकी दोनों टांगे फैलाई और बीच में आ गया। तभी चाची ने मुझे कोंडोम दिया और कहा- इसे लग लो, सावधानी रखना अच्छा है!

और मैंने उनकी बात मान ली और अपना लंड उनकी रसीली चूत पर रख दिया और धीरे धीरे अंदर डालने लगा।

उनकी सिसकियाँ और बढ़ गई- आआह्ह ओह्ह ओफ्फ्फ उम्म्म म्म्म अह्ह्ह्हाअ

उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड हर धक्के के साथ अंदर समाता जा रहा था, थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड अंदर समा गया। फिर मैं थोड़ी देर उनसे लिपट कर यों ही पड़ा रहा और उनकीचूचियों से खेलता रहा।

चाची ने मुझे कस कर पकड़ रखा था, फिर मैंने धीरे धीरे चोदना शुरु किया, दोनों टाँगों को पकड़ा और अपनी स्पीड तेज़ की। चाची सातवें आसमान में थी और पूरे जोश में भी! और लगातार सिसकियाँ भर रही थी।

मेरी गति तेज़ होती जा रही थी और चाची के सिसकियाँ भी!

अब चाची ने मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया पर मेरी चोदने के रफ्तार बढ़ती ही गई और कुछ ही समय में मैं झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया।

उस रात मैंने चाची को दो बार चोदा और बारह दिन घर पर कोई नहीं था तो रोज़ दिन में और रात में जब भी मन करे तब चोदता।

पर दादा-दादी के वापस आ जाने के बाद तो दिन में कोई मौका नहीं मिलता पर रात में हर दूसरे-तीसरे दिन चाची को चोदता।

और हाँ, दिन में भी अगर घर पर कोई नहीं हो तो कोई मौका नहीं छोड़ता और चाची भी मेरा पूरा साथ देती थी। यह सिलसिला करीब चार साल चला। फिर मैं अपने शहर सूरत आ गया और यहीं का होकर रह गया।

पर यहाँ आकर भी मैंने चाची जैसी दो स्त्रियों की प्यास बुझाई और आज भी जारी है।

अब मेरा कहना बस इतना है कि जो भी करो, जिसके भी साथ करो, हमेशा कोंडोम इस्तमाल करो- सुरक्षित रहो।

मेरी कहानी आपको कैसी लगी मुझे जरूर मेल करें! Hindi Sex Stories

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