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आपकी अंतरा का सभी Hindi Porn Stories अन्तर्वासना के पाठकों को ढेर सारा धन्यवाद ! सबसे ज्यादा आभार तो गुरूजी का कि मेरी कहानी हवा में उड़ रही हूँ आप सब तक पहुंचाई!
तो दोस्तो, आप सब सोच रहे होंगे कि मैंने उस रात किसी तरह अपनी बुर मसलकर खुद को संभाल लिया पर मैं आगे की सोच रही थी।
उस रात के बाद से मैं जब भी मौका मिलता अपनी रांड माँ की नंगी रंगरेलियाँ जरूर देखती थी। मेरी बुर अब पानी छोड़ छोड़ कर प्यासी होती जा रही थी।
तो दोस्तो, मैंने अपना पहला शिकार अपने मास्टरजी को बनाया या शायद खुद ही बन गई !
मास्टरजी की उम्र ४०-४५ के आसपास थी लेकिन वो मस्त दीखते थे। जब से मैंने जवानी का खेल देखा था मेरा पढ़ाई में मन कम लगता था….
एक दिन मेरी सभी बहने माँ के साथ हमारे रिश्ते की मौसी के घर गई हुई थी। मुझे घर सँभालने के लिए छोड़ दिया था। मैं गुस्से में थी, पर क्या करती, मनहूस जो थी। पिताजी शहर गए थे जोकि वो रोज सुबह जाने लगे थे।
ठीक दो बजे मास्टरजी आ गए।
मैंने बेमन से किताबे निकाली और मुँह फुला के मास्टरजी के सामने बैठ गई।
मास्टरजी ने पूछा- क्या बात है?
मैंने कहा- सब मुझे छोड़ के चले गए !
मास्टरजी- कोई बात नहीं, घर में रहना भी जरूरी है।
मैंने चिढ़कर कहा – मेरा रहना ही हर बार क्यूँ जरूरी है?
मास्टरजी- क्यूंकि तुम बाकी सब बहनों से ज्यादा सुन्दर हो ! सब डरते होंगे कि कहीं कोई तुम्हें चुरा के न ले जाये !
मैंने इस जवाब की उम्मीद नहीं की थी पर अच्छा लगा !
मैंने उनसे पूछा- आपको मैं सुन्दर लगती हूँ? मेरे पास तो कोई क्रीम- पाउडर नहीं है !
मास्टरजी- अरे पगली क्रीम तो वो लगाती हैं जो सुन्दर नहीं होती ! तू तो हूर है !
मैंने पूछा- ये हूर क्या होता है?
हूर परी को कहते हैं ! मास्टरजी ऐसा कह कर मेरी तरफ लालची नजरों से देखने लगे।
तभी मुझे ध्यान आया कि जल्दी में मैं अपने घर के कपड़ो में आ गई थी जोकि मेरे स्कूल की पुरानी शर्ट और स्कर्ट था। मेरे शर्ट की ऊपर की बटन टूट गई थी और मेरे पास कोई ब्रा नहीं थी। मतलब यह कि मास्टरजी ने मेरे जोबन का उभार देख लिया था। मैंने शरमा के नजरें नीची कर ली, मुझे बुर में गुदगुदी लगी।
मास्टरजी ने भी मौके को पहचान लिया था कि लौड़ी गरम है।
मास्टरजी ने मुझसे पूछा- घर में कोई नौकर हो तो पानी मंगवाओ !
मैंने कहा- कोई नहीं है, मैं ले आती हूँ !
मास्टरजी ने कहा- ठीक है !
मैं किचन में चली गई, मास्टरजी मेरे पीछे आ गए। जैसे ही मैं किचन में घुसी मुझे अपनी पीठ पर गर्म हाथ का स्पर्श मिला। मैंने मुड के देखा तो मास्टरजी मेरी पीठ सहला के बोले मन छोटा न कर, तेरा दिन भी आयेगा।
मैं कसमसाते हुए बोली- कभी नहीं आयेगा !
फिर मास्टरजी ने कहा- चाय बना दे !
मैं चाय बनाने लगी, मास्टरजी मेरी पीठ सहलाते जा रहे थे मुझे गुदगुदी लग रही थी और अच्छा भी।
मास्टरजी ने पीठ सहलाते हुए अपना हाथ मेरी गर्दन से लेके मेरी छातियों की और कर दिया आप मेरी शर्ट के ऊपर से उनका हाथ मेरी गोलाइयों को नाप रहा था। मैं कसमसाई पर न चाहते हुए भी मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गई जिसे उन्होंने पढ़ लिया। अब उन्होंने मेरे कंधे पे दोनों हाथ रख के मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे चेहरे पे दोनों हाथ फिराने लगे। मुझे अजीब लगा क्यूंकि रामू या पिताजी ने माँ के साथ ऐसा कभी नहीं किया था।
मुझे अच्छा लगा तो मैं मास्टरजी से लिपट गई। मास्टरजी फिर से मेरी चूचियों को सहलाने लगे। फिर उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और पूछा- तुम्हारा बिस्तर कहाँ है?
मैंने उन्हें बताया और हम बेडरूम में आ गए।
मैंने कहा- आपकी चाय !
उन्होंने कहा- रहने दो ! जाओ, गैस बंद करके आ जाओ !
मैं गैस बंद करके आ गई और बेडरूम में मास्टरजी के सामने बैठ गई। मास्टरजी ने मुझे खींच के गले लगाया और मेरे गले में एक चुम्मा दिया। मैं गरम हो रही थी। फिर वो मेरे गाल चूमने लगे। मैं उनकी पीठ पर हाथ फिराने लगी। फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी। मेरी छातियाँ नंगी उनके सामने थिरक रही थी। अब मुझे लगा कुछ गड़बड़ हो सकती है पर तब तक उनके हाथ मेरे चुचूक मसलने लगे थे। मैं समझ ही नहीं पाई कि मास्टरजी मेरी दायीं चूची को चूसने लगे। मैं पिघल रही थी, मुझे ख़ुशी भी हो रही थी कि आज मुझे लंड मिलेगा। घर पर कोई नहीं था तो मैं भी मस्त थी।
मास्टरजी ने मेरी चूचियों को चूसने के बाद मसलना चालू किया तो मैं सिसकने लगी। वो मेरी चूचियों को खींच के बाहर निकालना चाह रहे थे, मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी लाजवाब आ रहा था। मेरा हाथ मेरी बुर में पहुँच गया। मास्टरजी मेरी चूचियों से खेल रहे थे और मैं सिसकती हुई अपनी बुर को सहला रही थी।
मास्टरजी ने फिर अपने कपड़े भी उतार दिए और बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने मास्टरजी का लंड देखा वो तना हुआ था शायद ६ इंच का होगा। उसके ऊपर की चमड़ी सुपाडे को आधा ढक रही थी और गुलाबी सुपाडा बड़ा सुन्दर लग रहा था। मैं अपनी बुर छोड़ के मास्टरजी के लंड को मुठी में भर के दबाने लगी। क्या गरम था उनका लंड। मैं तो मस्त हो गई थी। पता नहीं कैसे मेरी शर्म कहाँ गायब हो गई। मैं मास्टरजी के लंड को चूम रही थी। उसकी खुशबू मुझे बहुत मस्त लग रही थी। मैं तो अपनी जीभ भी लंड पर फिरा देती थी तो मास्टरजी के मुंह से उन्ह निकल जाती थी।
मास्टरजी ने कहा- इसे चूस के तो देख चमेली !
चमेली सुन के मुझे और मजा आया। मैंने सुपाड़े को मुंह में ले लिया। हाय क्या मस्त नरम लगा। मुँह में जाते थोड़ा कसेला सा स्वाद आया पर वासना की मस्ती में मुझे वोह भी मस्त लगा। मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेके अपनी थूक से उसे गीला करने लगी। उनकी लटकती गोलियों से तो मेरी उंगलियाँ हट ही नहीं रही थी। फिर मैं उनके लंड के सुपाड़े को अपने होठों में दबा के अपनी जीभ उसके छेद में रगड़ने लगी। मास्टरजी हाय हाय करते हुए झुक गए और कस कस के मेरी चूचियां मसलने लगे। उनसे खड़ा रहना नहीं हो पाया और वो बिस्तर पर पैर लटका के लेट गए। मैं घुटनों के बल उनकी जाँघों के बीच बैठ गई और एक हाथ से अपनी बुर में ऊँगली करती हुई अपनी जीभ उनके लंड पे रगड़ती रही।
अचानक मास्टरजी ने मेरे बाल पकड़ के अपने लंड पर मेरा सर दबा दिया। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही मास्टरजी के लंड से कुछ पिचकारी जैसा मेरे मुंह में आने लगा। लस लस सा नमकीन स्वाद वाला पानी मैंने पहली बार चखा था। मुझे घिन सी आई तो मैंने उस पानी को बाहर थूक दिया। गाढ़ा होने के कारण मेरे मुंह से एक धार निकल के मेरी चूचियों पर गिरी जिसे मास्टरजी ने मेरी चूचियों पे घिस दिया।
फिर मास्टरजी ने मुझे बिस्तर पे सुला दिया और मेरी स्कर्ट खोल के मुझे नंगा कर दिया। मेरी बुर पूरी तरह से भीग गई थी। मास्टरजी ने जैसे ही एक ऊँगली बुर के मुंह में रखी वो फिसल के अन्दर घुस गई। मास्टरजी के ऐसा करते ही मेरे मुंह से आह निकल गई और मैं एक बार फिर मस्त हो गई। मास्टरजी ने अपने लंड को जो थोड़ा सुस्त हो गया था, मेरी चूत के मुंह पर लगाया और मेरे दाने से रगड़ने लगे। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका लिया इस तरह उनका लंड फिर से खड़ा हो गया फिर मास्टरजी मेरे ऊपर लेट गए और मुझे कस के भीच लिया।
मास्टरजी ने अपना लंड मेरी बुर के मुंह पर रखा और धीरे धीरे सरकते हुए अपना सुपाड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर अगले ही पल एक झटके में उनका चाकू मेरी चूत को चीर चुका था। मेरी सांस गले में ही अटक गई, मैं तड़प गई। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से सिल दिए और मेरी निप्पल मसलने लगे। दो चार धक्कों के बाद मुझे मजा आने लगा, मैंने अपनी गांड ऊपर उठा के मास्टरजी के लंड को पूरा ले लिया और मास्टरजी की गांड पकड़ के खींचने लगी।
मास्टरजी ने भी मौका समझ के चुदाई की स्पीड बढ़ा दी अब मेरी बुर फचक फच्च की आवाज के साथ लंड अपने अन्दर ले रही थी और मैं जन्नत की सैर कर रही थी। मास्टरजी …….। आह मास्टरजी……..। मजा आ रहा है……..। हाय क्या कर ……..दिया…….। हाय मजा…….। आह………..। मास्टर……..। पेलो ……। पेल….। पेलो……। न…….। आह……। सी सी स……..स्स्स्स…..। हाय………।
मास्टरजी अपने लंड को मेरी चूत में रख कर कमर को घुमाने लगे ….। हाय क्या मजा था……। मैं बके जा रही थी….। हाय रहने दो न इसे आज अन्दर ही…….। मत निकालो……। पेलो न पेलो न………..। हाय……
मास्टरजी को चोदने की आदत थी और वो एक खिलाडी की तरह रुक रुक के धक्के लगा रहे थे। .। पर मैं तो एक बार में ही पूरा खा जाना चाहती थी… मैं मास्टरजी से चिपक गई और अपनी गांड हिलाते हुए लंड को लेने लगी…।
मास्टरजी ने मुझे पटक के मेरी गर्दन दबाई और बोले ….रुक रुक के कर रांड … कहीं मेरा निकल गया तो मेरी गोलियों को खींचने लगेगी ।
मैं कहाँ मानने वाली थी.। मैंने गांड उछालना जारी रखा…
मस्ती सातवें आस्मां में थी…. अचानक मुझे कुछ होने लगा… मास्टरजी भी आँखे बंद कर के आह आह करने लगे….
तभी झटके के साथ मैं झड़ने लगी। हाय क्या बताऊँ क्या पल था…। लंड की गर्मी, फौलाद जैसा कड़ापन। और मेरा झड़ना। तभी मास्टरजी के लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी। मेरी बूर में डबल गर्मी..। क्या बताऊँ मजा ही आ गया…..। मास्टरजी मेरे ऊपर लुढ़क गए और मैंने भी उन्हें कस के पकड़ लिया… दो मिनट तक हम झड़ने का सुख लेते रहे…।
फिर मास्टरजी ने उठ कर कपड़े पहने, पर मुझसे उठा नहीं जा रहा था। मास्टरजी ने मुझे सहारा दे कर बाथरूम तक पहुँचाया और मेरी बूर की सफाई की। मुझे कपड़े पहना के वो बोले- क्यों चमेली कैसा लगा…?
मैं शरमा के मुस्कुराने लगी..
दर्द की हरी गोली ले लेना…। ऐसा कह के मास्टरजी चले गए।
ऐसे गए कि फिर नहीं आये। पता नहीं क्यूँ । पिताजी ने नौकर भेजा तो पता चला कि उन्होंने शहर छोड़ दिया। मैं मन मसोस के रह गई। उसके बाद मैंने कई लंड जुगाड़े पर वो स्पर्श नहीं भूल पाई।
खैर मास्टरजी न सही गुरूजी ही सही…..! क्यूँ गुरूजी.. क्या ख्याल है….?
आप सब पाठकों के पत्रों और सेक्सी सामग्रियों का धन्यवाद।
मैं आप सबको चाहती हूँ। Hindi Porn Stories
हाय दोस्तों, Indian Sex Stories कैसे हैं आप सब, मैं आज अपनी पहली और सच्ची कहानी लिख रही हूं, शायद आप को पसंद आये। मैं एक शादी शुदा ४६ साल, ३६ ३२ ३६ लेडी हूं
मेरी शादी को २५ साल होने आ रहे हैं। मेरी शादी शुदा जिंदगी बड़े मजे से गुजर रही थी, मैने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसा भी एक दिन आयेगा। एक महीने पहले की बात है मेरे पति एक दिन बाहर जा रहे थे उन्होंने मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के जिसकी उमर १९ साल है, को कहा कि तुम घर पर रुक जाना मैं २ दिन में वापस आ जाउंगा, आंटी को अकेले में डर लगता है। उसने कहा ठीक है, पहले भी वो कई बार मेरे यहाँ पर रुक चुका था, पर कभी भी मैने उसको गलत नजरिये से नहीं देखा था वो मुझे आंटी कहता था और मैं भी उसको बेटे के जैसा ही मानती थी।
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, हम दोनो हमारे डबलबेड पर ही लेटे थे और अलग अलग कम्बल से अपने शरीर को ढके हुए थे। रात में मैं जब पेशाब करने के लिये उठी तो देखा कि वो लड़का एकदम सिकुड़ कर पड़ा है और जोर जोर से काँप रहा है, मैं जब बाथरूम से वापस आई तो मैने उससे कहा कि बेटा ज्यादा ठंड लग रही है तो एक कम्बल और निकाल देती हूं, उसने कहा नही आंटी ऐसे ही ठीक है। पर मेरी नींद उड़ गई थी मैं बार बार उसको देख रही थी वो ठंड से काँप रहा था, फ़िर मैने उससे कहा कि वो मेरे कम्बल में आ जाये दोनो कम्बल से कुछ ठंड कम हो जायेगी। उसने संकोच करते हुए मेरे कम्बल के नीचे अपना आधा शरीर कर लिया, फ़िर मैने उसको पकड़ कर पूरा शरीर अपने कम्बल में खींच लिया। एक कम्बल के अन्दर दो लोग दूर दूर नहीं सो सकते थे इसलिये उसकी बोडी मुझसे टच होने लगी, मैने देखा वो अब भी काँप रहा है, मैं उसको खींच कर अपने पास कर लिया। अब उसने एक हाथ से मुझको जोर से पकड़ लिया और मैने देखा कि उसका कँपन बढ़ता ही जा रहा है तो मैं उसको अपने सीने से चिपटा लिया। थोड़ी देर में उसने काँपना बंद कर दिया।
उसके शरीर से चिपकने के कारण मुझमें सेक्स भड़क गया। मैने धीरे से उसका मुंह अपनी चूची के सामने कर दिया उसके होंठों के पास और अपना एक हाथ नीचे करके उसके लंड के पास कर दिया। थोड़ी देर के बाद मैने देखा कि वो मेरी चूचियों पर मुंह से दबाव दे रहा है और नीचे अपने लंड को मेरे हाथ से टच करने की कोशिश कर रहा है। मुझे भी मजा आने लगा था। मैने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलकर और ब्रा को ऊपर उठकर चूची बाहर निकाल कर उसके मुंह में दे दी, वो मेरी चूची को चुभलाने लगा, फ़िर मैने धीरे से उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगी, अभी उसके लंड का साइज़ बहुत बड़ा नहीं था पर मेरे ऊपर तो नशा छाया हुआ था।
फ़िर मैने उससे पूछा अच्छा लग रहा है तो उसने सिर हिलाकर हां कहा, मैने अपने ब्लाउज़ और ब्रा को निकालकर अपने कबूतरों को आज़ाद कर दिया, अब वो मेरे एक चूची को मुंह से और दूसरी को अपने हाथ से सहलाने लगा। मैं उसके लंड को जोर से पकड़कर हिलाने लगी, फ़िर मैने उसको कहा कि अपने मुंह को मेरी चूत की तरफ़ करो मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेना चाहती हूं। वो तुरंत ही ६९ पोजिशन में आ गया मैने उसके लंड को मुंह में ले लिया और वो मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था छोटा सा लंड मुंह में लेने में, वो तो जैसे पागल सा हो गया था, मैने उसका सिर पकड़ कर जोर से अपनी चूत पर दबाया, थोड़ी देर में वो कहने लगा आंटी मेरी पेशाब निकल रही है मैने कहा ठीक है कर दो मेरे मुंह में (मुझे पता था वो डिस्चार्ज हो रहा है) उसका शरीर एकदम से अकड़ सा गया और मेरे मुंह में झड़ गया। कुछ देर के बाद मैं भी उसके मुंह में अपना सारा पानी निकाल दी और उससे बोली चाट चाट कर साफ़ कर दो। उसे भी बड़ा मजा आ रहा था, फ़िर मैने कहा अब तुम अपने पूरे कपड़े निकाल दो और मैने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिये और दोनो नंगे ही चिपक कर एक दूसरे के अंगों सहलाते हुए सो गये।
दूसरे दिन न तो वो और न ही मैं एक दूसरे से आंख मिला पा रहे थे। वो दोपहर में स्कूल से बहाना बनाकर छुट्टी लेकर आ गया। मैं उसके घर पर ही उसकी माँ के साथ बैठी थी मैने पूछा आज जल्दी क्यों आ गये तो वो बोला मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था इसलिये। फ़िर मैं वहाँ से उठकर अपने घर पर आ गई आते समय मैने उससे कहा बेटा जब तुम्हारी तबियत ठीक लगे तो आना थोड़ा सा बाज़ार का काम है। करीब आधे घंटे के बाद वो आया, मुझसे पूछा क्या काम है आंटी, मैने कहा कुछ नहीं मुझे ये जानना था कि तुमको क्या हो गया, तुमने किसी को ये सब बताया तो नहीं, वो बोला आप पागल है क्या ऐसी बात भी किसी को बताते हैं, फ़िर मैने पूछा कल रात में मजा आया कि नहीं, वो बहुत खुश दिख रहा था मैने उसको एक किस दी और हाथ से उसके पैंट के ऊपर से उसके लंड को हिलाते हुए पूछा जनाब के क्या हाल हैं वो शरमाते हुए बोला आंटी मेरे अंडो में बहुत मीठा मीठा दर्द हो रहा है मैने कहा रात में सब ठीक हो जायेगा। आज की रात जब वो आया तो मैने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी और पतली झिन्नी सी गाउन पहनी हुई थी, वो भी बहुत उतावला दिख रहा था, आते ही मुझसे लिपट गया, मैने कहा जल्दी मत करो तुम चलो बेड पर मैं आती हूं, और फ़िर ……………………।। Indian Sex Stories
पिछले महीने Antarvasna एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़,
वो और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स पढ़ाऊं।
फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो। मुझे सटरडे – सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी। मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।
थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था। जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।
वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया। रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे से पढ़ाया।
रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़ कर रही थी।
अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।
थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे पैंट के ऊपर से लंड पर रख
दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।
पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३० मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।
फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी पैंट उतारकर अपने तने
हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।
थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से
उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।
अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया। उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके
ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।
फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी को बता दे।
अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया। Antarvasna
हाय Hindi sex stories , मैं एक 30 साल का आदमी हूं और दिल्ली मैं रहता हूं, मेरा एक दोस्त है जो कि रामपुर मैं रहता है और उसके भाई भाभी हलद्वानी मैं रहते हैं। वो पहले उसके ही साथ रहते थे पर अब कुछ चार साल से अलग रह रहे हैं।
ये कहानी करीब साढ़े चार साल पहले शुरु हुई थी मैं साल मैं एक या दो बार अपने दोस्त से मिलने उसके घर जाता था, सफ़र को पास करने के लिये मैं अक्सर नोवेल या सेक्स स्टोरी बुक्स ले लेता था। अपने दोस्त के पस्स जाने के बाद मैं अपना बेग ऐसे ही रख देता था पर एक दिन जब मैंने अपना बेग खोला तो मुझे अपनी सेक्स स्टोरी बुक नहीं दिखाई दी।
तब मैंने अपने दोस्त से पूछा तो उसने मना कर दिया कि उसने नहीं ली है तभी थोड़ी देर बाद उसकी भाभी जिसका नाम पूजा(नाम बदला हुआ) था वो बोली कि तुम क्या ढूंढ रहो हो तब मैंने कहा कि मेरे एक किताब नहीं मिल रही है तब उसने कहा की कहीं तुम इस किताब को तो नहीं ढूंढ रहे हो तो मैं उसके हाथ मैं किताब देख कर चौंक गया तब उसने कहा कि मैं तो अकसर ही तुम्हारे बेग से किताब निकाल कर पढ़ती हूं पर इस बार तुम्हे पता चल गया।
इस तरह से उससे मेरा खुला हंसी मजाक (सेक्सी भी) शुरु हो गया। फिर कुछ दिनो बाद मेरे दोस्त के भाई और भाभी हलद्वानी चले गये।
फिर जब मैं करीब छह महीने के बाद अपने दोस्त के यहां गया तो दोस्त से मिलने के बाद मैं हलद्वानी चला गया अपनी पूजा से मिलने। वहां जा कर देखा तो मेरे दोस्त का भाई टूर पर गया हुआ था पर पूजा मुझे देख कर बहुत ही खुश हुई।
अब मैं समझ गया कि आज बहुत कुछ हो सकता है। पहले तो हम आपस मैं हंसी मजाक करते रहे फिर रात का खाना खाने के बाद उसने मेरा बिस्तर गेस्ट रूम मैं लगा दिया और खुद अपने बच्चे को लेकर अपने बेडरूम मैं चली गयी।
थोड़ी देर बाद वो मेरे रूम मैं दूध लेकर आयी तब मैं उसे देखता ही रह गया क्योंकि उस वक्त उसने हालांकि सलवार सूट पहन रखा था पर वो उस वक्त क्या लग रही थी मैं बयाँनहीं कर सकता। उसने मुझे एक नोटी स्माइल के साथ दूध दिया तो मैंने मजाक मैं कहा कि मुझे तो दो चूची वाली गाय का दूध पीना है। तब उसने हंस कर कहा कि पहले तुम इस तो पी लो फिर देखा जायेगा।
तब मैंने मन में सोचा कि आज तो मैं तुझे चोद कर ही रहुंगा। फिर दूध पीने के बाद वो मेरे पास आ कर बैठ गयी और मुझसे मजाक करने लगी तब मैंने कहा कि अब मुझे दो चूची वाली गाय का दूध पीना है तब उसने कहा कि मैंने कब मना किया है पर तुम्ही देर रहे हो।
सोरी दोस्तों, अभी मेरे बोस ओफ़िस में आ रहे हैं इस लिये मैं अपनी Hindi sex stories अधूरी छोड़ रहा हूं शेष जल्दी ही।
एक दिन ऑफिस में शाम को जब Hindi Sex Stories काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है…… इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”
“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”
“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”
“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”
“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।
“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना…… मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”
मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।
“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”
“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।
शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था…. प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”
“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।
“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ…… एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”
“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”
“सुनील! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।
“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ… अब तुम बताओ क्या खबर है?”
“घर से खत आया है…. राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।
“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”
“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।
“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“एक महीना तो लग ही जायेगा।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”
“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“लड़कियाँ तो आज भी हैं…. पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”
“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है….” मैंने नाराज़गी जाहिर की।
“अरे बाबा! नाराज़ मत हो….. मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”
“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”
“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।
दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”
मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।
मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।
“हाय अनिता! कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें नहीं देखा”, एम-डी ने कहा। मिसेज महेश एम-डी से मिलने के लिये उठीं तो एम-डी ने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनकी छाती दबा दी।
“अनिता! सुनील तुम्हारे सर्टिफिकेट्स देख चुका है, अब वो तुम्हारी चूत देखना चाहता है। चलो कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ जिससे इंटरव्यू शुरू किया जा सके”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“क्या आप हर केंडिडेट का इंटरव्यू उसे चोद के लेते है?” अनिता ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ये हमारी कंपनी की पॉलिसी है, चलो अब झिझको मत…. वैसे भी तुम बगैर कपड़ों में और ज्यादा सुंदर दिखती हो और मुझे पता है तुम्हारी चूत चुदाई के लिये हमेशा तैयार रहती है”, एम-डी ने कहा। अनिता थोड़ा शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी और अचानक वो रुक गयी।
“तो इसका मतलब है, मीना को नौकरी देने से पहले आप लोग……?” अनिता ने पूछा।
“हाँ अनिता!!! खूब अच्छी तरह चोद-चोद कर ही मीना को काम पर रखा है, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, आज तुम्हें एक ऐसे लौड़े से चुदवाने को मिलेगा जो तुम्हारे स्वर्गवासी पति के लौड़े से भी बड़ा है।”
“तब तो मैं जरूर देखुँगी!!!” अनिता ने तेजी से अपने कपड़े उतारे और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। थोड़ी देर में हम तीनों ही नंगे हो चुके थे। “ओहहह…ऊऊऊ सर! ये तो वाकय में बहुत मोटा है”, अनिता मेरे लंड को पकड़ सोफ़े पर लेटती हुई बोली।
“सर! ज़रा धीरे से चोदियेगा”, मैंने अपने पति के मरने के बाद इतने बड़े लंड से नहीं चुदवाया है।
“जैसा तुम कहोगी मेरी जान!” कहकर मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पेल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊ मर गयीईईई… अनिता चींखी, सर धीरे से चोदिये ना।”
मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, “हाँ सर! ऐसे ही…” अनिता भी अपने चूतड़ उछाल कर मज़े लेने लगी।
एम-डी हम दोनों की चुदाई देख रहा था। उसने फोन उठाया और कुछ कहा। थोड़ी देर में मीना केबिन में आयी। एम-डी ने उसे शाँत रहने को कहकर कपड़े उतारने का इशारा किया।
थोड़ी देर में एम-डी ने नंगी मीना को मेरे बगल में लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ऊऊऊह सर! थोड़ा धीरे से, मीना सिसकी।”
अपनी बेटी की आवाज़ सुन कर अनिता ने मुँह घुमा कर देखा कि मीना भी उसे ही देख रही थी। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को देख रही थीं और हम दोनों उन्हें चोद रहे थे।
थोड़ी देर में ही वो अपने कुल्हे उछाल कर हमारी थाप से थाप मिला रही थीं। उनके मुँह मादक आवाज़ें निकल रही थी।
“हाँ सर!!!!! मुझे जोर से चोदो”, अनिता ने मुझे जोर से बाँहों में भरते हुए कहा, “हाँआँआँ ऐसे ही!!!!!! हाँ और जोर से!!!!!!!!”
“ओहहहहहह हाँआँआँ……. हाँआँ…… ऊऊऊहहहह….” मीना भी चिल्लाये जा रही थी, “हाँ सर चोदो मुझे!!!!! जोर से!!!!!! मेरा छूटने वाला है!!!!”
एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, “ओहहहह सुनील सर! रुकिये मत….. चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में…. मैं भी झड़ने वाली हूँ।” मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है”, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, “मेराआआआआ भी छूट रहा है…… हाँआँआँआँ”, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।
वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, “ओहहहह….. सर!!! मेरा छूटाआआ!!!!” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।
“मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था”, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।
मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। “कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया”, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।
“ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा”, मीना बोली।
“जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब सुनील जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा”, अनिता ने बेशर्मी से कहा।
“चलो बहुत हो गया”, एम-डी ने कहा, “अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।”
दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।
अनिता चुदवाने में ही माहिर नहीं थी, बल्कि लंड चूसने में भी उसका जवाब नहीं था। वो अपने मुँह को पूरा खोल कर लौड़े के जड़ तक ले जाती और जोरो से चूसते हुए अपने मुँह को ऊपर उठाती। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। दोनों माँ बेटी का सिर हमारे लौड़े पर हिल रहा था।
मेरा लंड फिर एक बार झड़ने के लिये तैयार था, “अनिता जोर जोर से चूसो…….. मेरा छूटने वाला है।” मेरी आवाज़ सुन कर अनिता और जोरों से चूसने लगी। “मेराआआआ छूट रहाआआआ है!!!!!” मैं चिल्लाया।
अनिता मेरे लंड का सारा पानी पी गयी और एक बूँद भी उसने बाहर नहीं गिरने दी। अभी भी वो मेरा लंड चपड़-चपड़ कर के चूस रही थी। उधर एम-डी ने भी अपना पानी मीना के मुँह में छोड़ दिया।
“सुनील! जरा आयेशा को ड्रिंक्स लाने के लिये बोलना”, एम-डी ने कहा।
थोड़ी देर में आयेशा चार ग्लास, बर्फ और व्हिस्की की बोतल लेकर आयी। एम-डी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहा, “सुनील! ये तो बहुत चुदासी लग रही है…… लगता है तुम इसे आजकल चोदते नहीं हो?” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“नहीं सर! इसे अपनी चुदाई का हिस्सा बराबर मिलता रहता है, लेकिन ये चुदाई को दवाई समझती है कि खाना खाने के बाद दिन में तीन बार लेनी चाहिये”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“लगता है इसकी चूत की प्यास मुझे ही बुझानी पड़ेगी!” एम-डी ने उसकी सलवार नीचे खिसका कर उसकी चूत में अँगुली डालते हुए कहा।
“सर! ये तो बहुत अच्छी बात है, आप मुझे अभी चोदेंगे या बाद में?” आयेशा खुश होते हुए बोली।
“अभी मुझे कुछ काम है, तुम ऐसा करो… शाम को पाँच बजे आ जाओ”, एम-डी ने कहा।
आयेशा के जाने के बाद मैंने और एम-डी ने बाकी का इंटरव्यू अनिता और मीना की गाँड मार कर पूरा किया। अपने कपड़े पहनते हुए अनिता बोली, “अब मैं समझी कि क्यों महेश इंटरव्यू मिस नहीं करना चाहता था।”
समय गुज़रने लगा, मेरी चुदाई भी हमेशा कि तरह चल रही थी, ऑफिस में लड़कियाँ थी और घर पर रजनी शाम को आ जाती थी। कभी-कभी शबनम और समीना भी घर आ जाती थीं।
एक दिन अनिता ने मुझसे कहा, “सर! क्लर्क की पोस्ट के लिये नयी लड़की रखनी पड़ेगी।”
“क्यों पहले वाली कहाँ गयी?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“दो दिन हुए उसने नौकरी छोड़ दी।”
“मुझे क्यों नहीं बताया कि वो छोड़ के जा रही है, कम से कम आखिरी बार उसकी चूत तो चोद लेता।”
“सर! छोड़ने के पहले वो आपके ही साथ थी।”
“मुझे नहीं मालूम!!! आगे से ये तुम्हारी जवाबदारी है कि कोई लड़की नौकरी छोड़े तो मैं उसकी चूत गाँड और मुँह अपने वीर्य से भर दूँ। अब नयी लड़की के लिये पेपर में इश्तहार दे दो।”
“वो सब मैं कर चुकी हूँ और एक लड़की को सलैक्ट भी कर लिया है। आप सिर्फ़ इतना बता दें कि उसका इंटरव्यू कब लेना है… सो मैं उसे समझा कर ले आऊँ”, अनिता ने आँख मारते हुए कहा।
“ठीक है! कल शाम पाँच बजे उसे बुला लो और एम-डी को भी इंटरव्यू के बारे में बता देना”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन अनिता एक २५-२६ साल की लड़की को साथ लिये ऑफिस में दाखिल हुई। मैंने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा, वो सही में सुंदर थी, गोरा रंग, नीली आँखें, पतली कमर, लंबी टाँगें और उसके मम्मे काफी बड़े थे। ऐसा लग रहा था अभी उसके कुर्ते को फाड़ कर बाहर आ पड़ेंगे।
“सर! ये ज़ुबैदा है!!! अपने एच-आर डिपार्टमेंट में क्लर्क की पोस्ट के लिये…” अनिता ने परिचय कराया।
इतने में एम-डी ने भी केबिन में कदम रखा। “अनिता अब तुम शुरू कर सकती हो!” एम-डी ने कहा।
अनिता ने ज़ुबैदा के सर्टिफिकेट दिखाने शुरू किये। ज़ुबैदा अपने पिछले काम के एक्सपीरियेंस बता रही थी कि इतने में अनिता ने ज़ुबैदा से पूछा, “क्या तुम कुँवारी हो?”
ज़ुबैदा को ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी, “हाँ! मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ।”
“देखो ज़ुबैदा! सच-सच बताना, कारण…. हमारी कंपनी अपने हर एम्पलोयी का मेडिकल चेक अप कराती है…… सो अगर तुम झूठ बोल रही होगी तो तुम्हारा झूठ वहाँ पकड़ा जायेगा”, अनिता ने कहा।
ज़ुबैदा कुछ वक्त सोचती रही और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “नहीं!!! मैडम मैं कुँवारी नहीं हूँ।”
“तुमने अपनी कुँवारी चूत को कब और कैसे चुदवाया?” अनिता ने पूछा।
“मैडम, ये मेरा पर्सनल मामला है, इससे आपको क्या करना है?” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“हमारी कंपनी का असूल है कि वो अपने करमचारी की हर बात की जानकारी रखती है….. सो डरो मत…… बताओ!!” अनिता ने कहा।
“ये कुछ साल पहले की बात है, मेरे अम्मी और अब्बा घर पर नहीं थे। मेरा बॉयफ्रेंड उस दिन मेरे घर पर आया और जबरदस्ती मेरी कुँवारी चूत चोद दी”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“क्या तुम्हें चुदवाने में मज़ा आया।”
“पहली बार तो बहुत दर्द हुआ था और मज़ा भी नहीं आया। लेकिन बाद में मज़ा आने लगा। तीन महीने तक हम पागलों की तरह चुदाई करते रहे पर एक दिन वो मुझसे झगड़ा कर के चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने कहा।
“तुमने कभी अपनी गाँड मरवायी है?” अनिता ने पूछा।
“यही तो झगड़े की जड़ थी, एक दिन वो मेरी गाँड मारना चाहता था….. मैंने मना किया तो उसने मेरे साथ जबरदस्ती करनी चाही पर मैंने उसे अपनी गाँड नहीं मारने दी, वो झगड़ कर चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने बताया।
“तुम्हें चुदवाने का दिल करता है?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम! बहुत करता है।” ज़ुबैदा ने शर्माते हुए कहा।
“तो क्या करती हो!” अनिता ने पूछा।
“जी मोमबत्तियों और खीरे-बैंगन से काम चाला लेती हूँ बस!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“तो ठीक है अपने कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ।”
“क्या सर मुझे चोदेंगे?” ज़ुबैदा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
अनिता ने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा, “ज़ुबैदा मैंने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें तन मन से काम करना होगा, तो तुम्हारा तन मैनेजमेंट के लिये बहुत स्पेशल है”, इतना कह कर अनिता भी अपने कपड़े उतारने लगी।
ज़ुबैदा अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो अनिता ने उसे रोक दिया। अनिता उसकी झाँटों को पकड़ कर बोली, “ज़ुबैदा! कल ऑफिस आओ तो ये झाँटें तुम्हारी चूत पर नहीं होनी चाहिये, तुम्हारी चूत एक दम चिकनी और सपाट होनी चाहिये मेरी चूत की तरह…. और हमेशा हाई-हील के सैंडल पहने रखना….. जैसे आज पहने हुए हो।”
“हाँ मैडम!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ठीक है अब बिस्तर पर लेट जाओ!” अनिता ने उसे कहा, और एम-डी की तरफ पलटते हुए बोली, “सर! अब ये अपने फायनल इंटरव्यू के लिये तैयार है।”
“सुनील! तुम इसकी चूत चोदो….. मैं बाद में इसकी गाँड फाड़ुँगा”, एम-डी ने कहा।
जब ज़ुबैदा सोफ़े पर लेट गयी तो मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मेरे खड़े लंड को देख कर ज़ुबैदा बोली, “मैडम! इनका लंड कितना बड़ा है!”
मैंने उसकी टाँगें उठा कर मेरे कंधों पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, “आऊऊऊऊ सर!!!! धीरे…. लगता है”, वो सिसकी। मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।
थोड़े धक्कों में उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारी भरने लगी, “ओहहहहहह आआआआहहहहहह।”
“क्यों अच्छा लग रहा है ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!! बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ”, वो सिसकते हुए बोली।
उसकी बात सुनकर मैं पूरी ताकत से उसे चोदने लगा। मैंने रफ़्तार भी बढ़ा दी।
“हाँआँआँ सर!!!! ऐसे ही चोदो, और जोर से सर!!!! हाँआँआँ आआआहहहहह ऊऊऊओओहहहहह”, वो सिसक रही थी। मैं भी जोर से चोद रहा था और हमारी साँसें फूल रही थीं।
“ओहहहहह मैडम!!!!!! कितना अच्छा लग रहा है…….. मैं तो गयीईईईईई”, वो चिल्ला रही थी और मैं अपने आपको ना रोक सका और उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हो गये।
“क्यों अच्छा था ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!!! बहुत अच्छा लगा, इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“ठीक है… अब घोड़ी बन जाओ और अपनी गाँड मरवाने के लिये तैयार हो जाओ।”
“नहीं मैडम!!!!! प्लीज़ मेरी गाँड में नहीं”, ज़ुबैदा मिन्नत करते हुए बोली।
“मुँह बंद करो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करो”, अनिता ने उसे डाँटते हुए कहा, “अपना सिर नीचे कर और चूतड़ों को थोड़ा उठा दे।” ज़ुबैदा ने बात मान ली। अनिता झुक कर उसकी गाँड चाटने लगी और दो-तीन मिनट तक उसकी गाँड में अपना थूक भर दिया।
“सर!!! इसकी गाँड अब तैयार है”, अनिता ने एम-डी से कहा। ज़ुबैदा का शरीर काँप रहा था। एम-डी ने उसके पीछे आकर उसकी टपकती चूत में अपना लंड डाल दिया। ज़ुबैदा का शरीर थोड़ा संभला तो एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा दबा दिया।
“ओह सर!!!! प्लीज़ नहीं, सर बहुत दर्द हो रहा है, रुक जाइये प्लीज़ वरना मैं मर जाऊँगी।” मगर ज़ुबैदा की बात पे ध्यान ना देते हुए एम-डी ने और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ओओओहहहह मैडम!!!! आआआ…आप ही इन्हें रोकिये ना!!!” ज़ुबैदा चींखती रही और चिल्लाती रही पर एम-डी अब तेजी से उसकी गाँड मारने लगा। और तब तक मारता रहा जब तक उसका पानी नहीं छूट गया। ज़ुबैदा का मुँह दर्द के मारे लाल हो गया था और आँखों से आँसू बह रहे थे।
“बहुत अच्छे!!!! अब तुम कंपनी में काम करने लायक हो गयी हो”, अनिता ने ज़ुबैदा का हाथ पकड़ कर उसे सोफ़े पर से खड़ा करते हुए कहा, “ज़ुबैदा अब तुम सुनील सर का लंड चूसो और इनका पानी निगल जाना समझी!!!”
ज़ुबैदा मेरे पैरों के बीच आ गयी और मेरा लंड जोर से चूसने लगी।
“सर! मैं ड्रिंक्स मंगा लूँ?” अनिता ने एम-डी से पूछा। एम-डी ने गर्दन हिला कर हाँ कर दी।
“आयेशा! चार ग्लास और व्हिस्की लाना”, अनिता ने इंटरकॉम पर कहा।
“अभी लायी मैडम!” आयेशा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ओहहहहह ज़ुबैदा….. जोर-जोर से चूसो….. मेरा छूटने वाला है….” मैंने कहा।
जब ज़ुबैदा मेरे लंड से छूटे पानी को पी रही थी उसी समय आयेशा व्हिस्की लिये केबिन में आयी। मैंने देखा कि वो एक दम नंगी थी। आयेशा ने कुछ कहना चाहा तो अनिता ने उसे चुप रहने का इशारा करके केबिन से जाने के लिये कहा।
आयेशा व्हिस्की और ग्लास रख कर केबिन से चली गयी।
“ज़ुबैदा! तुमने देखा आयेशा ने क्या पहन रखा था?” अनिता ने पूछा।
“मैडम!! वो तो बिल्कुल नंगी थी, उसने हाई-हील सैंडलों के अलावा कहाँ कुछ पहन रखा था”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“अच्छा है…. तुमने देख लिया। ये यहाँ का नियम है….. कोई भी हायर मैनेजमेंट से तुम्हें बुलाये तो तुम्हें इसी तरह आना है।”
ज़ुबैदा कुछ देर तक सोचती रही फिर हँसते हुए बोली, “हाँ मैडम, मैं समझ गयी। आप कहें तो मैं ओ~फिस में हर वक्त ऐसे ही बिल्कुल नंगी सिर्फ हाई-हील के संडल पहने रहने को तैयार हूँ!”
“वेरी-गूड! ऑय लाइक योर स्पिरिट!” अनिता हंसते हुए बोली।
हम चारों जब दो-दो पैग व्हिस्की पी चुके तो अनिता ने कहा, “ज़ुबैदा! अब तुम एम-डी के ऊपर लेट कर उनका लंड अपनी चूत में ले लो, और पीछे से सुनील सर तेरी गाँड मारेंगे।”
“पर मैडम! सुनील सर का इतना बड़ा लंड मेरी छोटी गाँड में कैसे जायेगा?” ज़ुबैदा बोली। उसकी नीली आँखें नशे में बोझल थीं।
“वैसे ही जायेगा जैसे वो मेरी गाँड में, आयेशा की गाँड में और कंपनी की हर लड़की की गाँड में घुस चुका है। तुम लेकर तो देखो…. दो-दो लंड से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा।” अनिता ने उसे समझाते हुए कहा।
एम-डी सोफ़े पर लेट चुका था। ज़ुबैदा उसके ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से एम-डी का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पे लगाकर बैठती हुई आगे को झुक गयी। एम-डी का लंड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।
मैंने ज़ुबैदा के पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा अंदर घुसाया तो वो जोर से चिल्लायी पर मैंने और एम-डी ने उसे दोनों तरफ से चोदना ज़ारी रखा। थोड़ी देर में ही हमारा पानी झड़ गया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“कुछ और सर?” अनिता ने एम-डी से पूछा।
“नहीं! अभी कुछ नहीं”, एम-डी ने जवाब दिया।
“ठीक है ज़ुबैदा! तुम कपड़े पहन कर बाहर इंतज़ार करना…. मैं तुम्हें ऑफिस का काम समझा दूँगी”, अनिता ने कहा। ज़ुबैदा जब कपड़े पहन कर जाने लगी तो एम-डी ने उससे पूछा, “ज़ुबैदा! अब जबकि तुम दो-दो लंड का स्वाद चख चुकी हो तो अब चाहोगी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड वापस आ जाये?”
“सर! जब इतने शानदार दो लंड हैं तो मुझे उसके पिद्दु जैसे लंड की कोई जरूरत नहीं है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया और अपनी सैंडल खटखटती बाहर निकल गयी। व्हिस्की के सुरूर के कारण उसकी चाल में थोड़ी सी लड़खड़ाहट थी।
ज़ुबैदा के जाने के बाद एम-डी ने कहा, “अनिता! तुम कमाल की हो, क्या कहते हो सुनील?”
“हाँ सर! मुझे लगता है कि आज के बाद हर इंटरव्यू में हमें अनिता को शामिल करना चाहिये, और इसे इनाम भी देना चाहिये”, मैंने एम-डी से कहा।
मेरी बात सुनते ही अनिता खुशी से उछल पड़ी और बोली, “सर! मैं अपनी चूत ले कर अपना इनाम लेने कब हाज़िर होऊँ?”
“आज नहीं! कल शाम को आना और ज़ुबैदा को भी साथ में लाना”, मैंने कहा।
दूसरे दिन अनिता ज़ुबैदा के साथ दाखिल हुई। दोनों ने कपड़े नहीं पहन रखे थे, सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए थीं। आज ज़ुबैदा की चूत एक दम चिकनी और सपाट दिख रही थी। बालों का कहीं भी नामो निशान नहीं था। मैं और एम-डी ने दो घंटे तक दोनों की चूत और गाँड मारते रहे।
पंद्रह दिन बाद प्रीती अपने भाइयों की शादी अटेंड कर के वापस आ गयी। Hindi Sex Stories
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