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Massage Girl in Panna: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Panna who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Panna that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Panna massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Panna who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Panna massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Panna massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Panna who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Panna employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Panna helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Panna

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Panna at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Indian Sex Stories

जवानी की मस्ती मैं जी भर के Indian Sex Stories लूटना चाहती हूं, लगता है कि बस रोज रात को कोई मुझे दबा कर चोद जाये … जानते है जीवन में जवानी एक ही बार आती है … फिर आ कर ना जाने वाला बुढ़ापा आ जाता है … जी तरसता रह ही जाता है …

मैंने आज अब्दुल को शाम को जान करके बुलाया था। उसे यह पता था कि बानो ने बुलाया है तो जरूर कुछ ना कुछ मजा आयेगा। कुछ नहीं तो चूंचे तो दबवायेगी ही। अब्दुल सही समय पर शाम को अपनी छत पर आ गया था और बेसब्री से मेरा इन्तज़ार कर रहा था। मैंने भी मौका देखा और छत पर आ गई।

“बोल क्या है बानो, क्यूं बुलाया मुझे?”

“बड़ा भाव खा रहा है रे भेनचोद ? बुला लिया तो क्या हो गया ?”

“चूतिया बात मत कर, बता क्या बात है?”

“पहले मेरे चूंचे तो दबा, फिर बताती हूं !” मैंने उसे धक्का देते हुये कहा।

“भोसड़ी की, नीचे आग लग रही क्या ?”

“सच बताऊँ क्या … लग तो रही है … पर तेरे नाम की आग नहीं है !” मैंने साफ़ कहना ही ठीक समझा।

“नाम तो बता, साले को जमीन में गाड़ दूंगा !”

“बताऊँ ? यूसुफ़ से मिला दे मुझे, बस एक बार चुदना है उससे !” मैंने उसे धीरे से कहा।

“मां की चूत उसकी ! रांड ! मेरा क्या होगा? उसी के पीछे भागेगी तू तो … ?” उसने शंका जताई।

“चुप रह … मुझे तो तेरा लन्ड भी तो चाहिये … प्लीज मिला दे ना … !” मैंने उसे समझाया।

थोड़ा सोच कर बोला,”अभी बात करू या कल … ?”

“चूत तो अभी लपलपा रही है, भोसड़ी के कल चुदवायेगा … ? तू भी ना … !”

अब्दुल समझ गया कि मामला अभी गरम है, उसे भी चूत मिल जायेगी। वो जल्दी से नीचे चला गया। मैं भी नीचे आ गई।

रात का खाना खा कर हम सभी घर वाले बैठे थे। पर मेरा दिल तो कहीं ओर था … यूँ कहिये कि यूसुफ़ के पास था। चूत बार बार मचक मचक कर रही थी। इतने में मिस कॉल आ गया। मैंने देखा तो अब्दुल का ही था। मैं बहाना बना कर सभी के बीच से चली आई। फिर लपक कर छत पर आ गई। छत पर दो साये नजर आ गये। मेरा दिल खिल उठा। शायद अब्दुल ने अपना काम कर दिया था।

मैं दीवार कूद कर वहां पहुंच गई। जैसे ही मेरी नजरें यूसुफ़ से मिली, वो शरमा गया। मैं भी शरमा गई।

अब्दुल ने मौका देखा और कहा,”यूसुफ़, बानो तुझसे मिलना चाह रही थी … क्या मामला है … ?

” बेचारा यूसुफ़ क्या कहता, उसे तो कुछ पता ही नहीं था … बस वो तो मेरा आशिक था।

“मुझे क्या पता भोसड़ी के … बानो ही बतायेगी ना !” उसने शरमाते हुए कहा।

” मैं बताता हूँ यूसुफ़ … यह बानो तेरी आशिक है … ।”

“चल झूठे … ये झूठ कह रहा है यूसुफ़ !” मैंने अपनी सफ़ाई दी।

“तो लग जाओ … मैं अभी आया … !” वो खिलखिला कर हंसा और पीछे मुड़ कर चला गया। उसे मौके की नजाकत पता थी, कि दो जवान जिस्म मिलने को बेताब है और मुझे तो अब्दुल जानता ही था, यूसुफ़ ना भी करे तो मैं उसे छोड़ने वाली नहीं थी।

“यूसुफ़ … बुरा मत मानना … ये तो मजाक करता है !”

“उसने मुझे सब बता दिया है … बानो, अब शरमाने से क्या फ़ायदा !” यूसुफ़ ने साफ़ की कह दिया।

मुझे लगा कि ये तो काम बन गया अब तो चुदने की ही बारी है …

“यूसुफ़, क्या कहा उसने … ?” मैंने शरमाते हुए पूछा।

“यही कि आप हमें एक चुम्मा देंगी … ” उसने मेरी बांह पकड़ ली … ” देखो मस्त चुम्मा देना !” और उसने मुझे खुद से सटा लिया। मैंने अपने होंठ उसकी तरफ़ बढ़ा दिये। पर ये क्या?? मैं क्या चुम्मा देती, उसने तो खुद ही चूमना चालू कर दिया। मैं कुछ कहती उसके पहले उसका हाथ मेरे चूंचो पर आ गये और उन्हें मसल दिये।

हाय रे … मेरी दिल की इच्छा तो अपने आप ही पूरी होने लगी। मैं कब से यूसुफ़ से चुदाना चाह रही थी …

अब्दुल ने तो मेरा काम पूरा कर दिया था। उसका लण्ड भी फूलने लगा था। मेरी चूत भी पनिया गई थी। मेरे पोन्द दबने के लिये मचल उठे। मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। उसका हाथ अब मेरी चूत पर आ गया, मेरी चूत दबाने लगा। मैं मस्ती में डूबने लगी। मैंने अपने पांव और खोल दिये। चूत में भी मीठी मीठी लहर उठने लगी थी। मैंने अपनी चूत को उसके हाथ पर और दबाव डाल दिया। मेरा पजामा गीला हो उठा।

“भेन की लौड़ी, भाग … अब्बू बुला रहा है तुझे, बानो, बाद में चुदवा लेना !”

अब्दुल ने बाहर से आवाज लगाई। मैं हड़बड़ा गई। मेरी सारी हवस हवा में उड़ गई। सारा नशा काफ़ूर हो गया। अब्बू को अभी ही बुलाना था …

“यूसुफ़, रात को यहीं रहना, सब के सोने के बाद आ जाउंगी !”

यूसुफ़ मुस्कुरा उठा।

मैं लपक के दीवार फ़ान्द कर अपने घर में आ गई और नीचे उतरने लगी।

“कहां मर गई थी, भेन-चोदों को आवाज देते रहो, कोई सुनता ही नहीं !” अब्बू गुस्सा हो रहे थे।

रात गहरा गई। सब लोग सो चुके थे। मैंने इधर उधर झान्क कर देखा और दबे पांव सीढियों को पार कर गई। छत पर कोई नहीं था। मैं धीरे से दीवार कूद कर अब्दुल के घर में आ गई। सोचा, चलो अब्दुल से ही चुदा लूं। अब्दुल दूसरी छत पर सोता था।

मैं दूसरी छत पर गई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब्दुल और यूसुफ़ दोनों ही बिस्तर पर थे। अब्दुल नंगा था और यूसुफ़ ने अपना लण्ड अब्दुल की गाण्ड में घुसा रखा था, और मस्ती कर रहे थे।

“करते रहो … मुझे देखने दो … मजा आ रहा है !” मुझे उनकी मस्त गाण्ड चुदाई देख कर मजा आने लगा था। मेरी गाण्ड में भी तरावट आने लगी थी।

“यूसुफ़ चोद यार … साली मेरी गाण्ड की मां चोद दे, लगा लौडा … !”

“यूसुफ़ कैसा लग रहा है गाण्ड मारते हुए?” मैंने पूछा, मेरा जी गाण्ड चुदाई के लिये मचलने लगा था ।

“साले की गाण्ड है या मक्खन मलाई … क्या लन्ड चलता है !” यूसुफ़ कराहते हुये बोला।

“लगा ना, जोर लगा, मेरी गाण्ड में लण्ड का बहुत मजा आरहा है।” अब्दुल गाण्ड मराने के मजे ले रहा था। मुझे भी लगा कि यूसुफ़ मेरी गाण्ड भी ऐसे ही चोद दे …

“यूसुफ़ … मेरी गान्ड भी चोद दे ना … अब्दुल को देख कर मेरी गान्ड भी मचलने लगी है” मुझ से रहा नहीं गया तो बोल पड़ी।

“आजा बानो, तू क्यो पीछे रहे … तेरी भी बजा देता हूं ” यूसुफ़ तो जैसे तैयार ही था।

“सच में … ” मैंने तुरन्त अपना पजामा उतार दिया और कमीज़ ऊपर करके उल्टी लेट गई। यूसुफ़ तुरन्त मेरी पीठ पर चढ़ गया और मेरी पोन्द खोल दी। अन्दर का गुलाब खिल उठा। उसका सूजा हुआ मोटा सुपाड़ा मेरी गाण्ड के गुलाब पर रगड़ मारने लगा और कुछ ही क्षणों में मेरी चिकनी गान्ड के छेद में समा गया। मेरा मन खुश हो गया। उसका लण्ड बड़ा और भारी था। उसका बाहर आना और अन्दर जाना ही मुझे मस्त किये दे रहा था।

“भोसड़ी के, मेरी गाण्ड तो मार पहले … लौंडिया देखी और पलट गया हरामी ?” अब्दुल निराश सा हो गया था।

“क्यूँ नाराज हो रहा है … पीछे आ जा … मेरी मार ले ना … ये भी तेरी जैसी ही चिकनी है, तीनो मजा लेंगे !” अब्दुल को यह ठीक लगा। अब्दुल पीछे आ कर यूसुफ़ की पोन्द पर लण्ड रगड़ने लगा और … और … यूसुफ़ कराह उठा … “मार दी रे मेरी … मादर चोद धीरे कर … !”

“यूसुफ़ … मेरी तो मार ना … मेरी पोंद तो फ़ुलफ़ुला रही है !” वो दोनों ही अपने आप को एडजस्ट करने में लगे थे, मैंने अपने पांव और खोल दिये। अब स्थिति यह थी कि यूसुफ़ मेरी गाण्ड चोद रहा था और अब्दुल यूसुफ़ की गाण्ड मार रहा था। यूसुफ़ मेरे चूंचे मसल रहा था।

मेरा जिस्म वासना की मीठी मीठी जलन से सुलग उठा था। पर मैं हिल नहीं सकती थी, दोनों तरफ़ से मस्त धक्के चल रहे थे। मेरी चूत से पानी टपकने लगा था। गाण्ड तो चुद ही रही थी, पर अब चूत भी मचलने लगी थी। मुझे अब लगने लगा था कि अब मेरी चुदाई भी हो जाये तो स्वर्ग में पंहुच जाऊँ।

पर ये क्या … जैसे मेरी यूसुफ़ ने सुन ली।

“अब्दुल … चल हट … भेन चोद … इस रंडी की चूत का भी मजा लेने दे … खड़े हो कर चोदेंगे यार !”

हम तीनों ही खड़े हो गये। अब्दुल ने मेरी टांग उठाई और मेरी गाण्ड में लण्ड घुसेड़ दिया … और सामने से यूसुफ़ ने बड़े प्यार से अपना लम्बा लण्ड चूत में पेल दिया। मेरे मुँह से आह निकल पड़ी … मेरी चूत में और गाण्ड में दो दो लण्ड फ़ंस चुके थे। लण्डों का भारीपन मुझे बडा मजा दे रहा था। एक ही साथ दोनों छेदो में लौड़े घुसे हुए थे … कैसा सुहाना एहसास था।

“यूसुफ़ … अब मजा आया भेनचोद … दो दो लण्ड फ़ंसा कर … चोद मादरचोद, जोर लगा, याद करेगा कि बानो की मारी थी !” मैंने मस्ती में उन्हे बढावा दिया।

अब्दुल में मेरे चूंचे पकड कर मसलने लगा और यूसुफ़ ने मेरे होंठ अपने होंठ में दबा लिया। दोनों प्यार से मुझे चोद रहे थे। लण्ड फ़चाफ़च चूत में चल रहा था। अब्दुल के लण्ड से थोड़ी थोड़ी चिकनाई छूट रही थी जो मेरी गान्ड में लगती जा रही थी। गाण्ड के छेद में लण्ड का मोटापन महसूस हो रहा था। दोनों मुझे मस्त किये दे रहे थे।

“तेरी तो, छिनाल !… क्या चूत है … फाड़ दूँ तेरे भोसड़े को … !” यूसुफ़ ने मेरी चूत की तारीफ़ की।

” यूसुफ़ भाई … गाण्ड में लण्ड चला कर तो देख … बानो की चूत जैसी नरम है।” अब्दुल ने भी मेरी तारीफ़ की ।

“हाय रे … लड़की की गाण्ड है नरम तो होगी ही …

मादरचोदो ! चोद डालो ना मेरी इस भोसड़ी को … पानी निकाल दो इस हरामजादी चूत का !” मैं अपनी कमर को एक मंजी हुई चुद्दक्कड़ की तरह हौले हौले हिला हिला कर दोनों लण्ड का मजा ले रही थी।

अचानक अब्दुल ने पीछे से मेरी कमर खींच ली और अपना लौड़ा पूरा पेल दिया। मेरी गाण्ड में जलन सी हुई, थोड़ा सा दर्द हुआ … अब्दुल के लण्ड ने अपना वीर्य मेरी गाण्ड में छोड़ दिया, वो झड़ चुका था। मेरे चूंचे भी उसने साथ ही छोड़ दिये। तभी मेरे शरीर में मीठापन भरने लगने लगा।

अब मेरी बारी थी झड़ने की।

“यूसुफ़ … भेन-चोद … मै मर गई !… चोद ओर जोर से चोद …! मादरचोद ठोक दे चूत को …! आह्ह्ह् … आह्ह्ह्ह् … ईईईई … चल रे … चला लौड़ा … मर गई … साले हारमजादे … पकड़ ले मुझे … मेरा निकला !” तभी यूसुफ़ ने जोर से मुझे भींच लिया

“मार दिया रे छिनाल तूने मुझे … ! निकला मेरा भी रे … ” और मेरी चूत में लण्ड जोर से गड़ा दिया।

मैं सीमा तोड़ कर उससे लिपट गई। … दोनों ही झड़ रहे थे। उसका वीर्य मेरी चूत में भर कर कर नीचे टपकने लगा। ग़ाण्ड से भी वीर्य की बरसात हो रही थी। मुझे वहीं बिस्तर पर उन्होनें लेटा दिया। मैं खड़े खड़े थक गई थी। मेरी सांस धीरे धीरे अब काबू में आने लगी थी। दोनों ही मेरे चूंचो से और पोन्द से खेल रहे थे। कभी चूत की दरार पर हाथ फ़ेर रहे थे और कभी गाण्ड की दरार पर।

यूसुफ़ से चुद कर मेरी सन्तुष्टि हो चुकी थी। मेरा काम हो गया था। मैंने उठ कर अपने कपड़े पहने।

“बानो ! एक बार और चुदवा जा … मेरा लन्ड शान्त हो जायेगा !” यूसुफ़ ने विनती की …

पर यहाँ मैं तो मजा ले चुकी थी …

“दोस्तो अब अपनी मां चुदाओ … घर जा कर अपनी बहन को चोद ! मारो ना गाण्ड यूसुफ़ की अब … मै तो चली … !” मैंने अपने दोनों पोन्द मटकाये और हंसते हुये कल का वादा कर लिया।

मैं चुपचाप दीवार कूद कर नीचे आ गई। बिना किसी आहट के मैं दबे पांव अपने कमरे में आ गई। अन्धेरे में बिस्तर में घुस कर रजाई खींच ली।

मैं अचानक छटपटा उठी। मेरे मौसा जी पहले ही मेरे बिस्तर पर मेरा इन्तज़ार कर रहे थे। मौसा जी ने मुझे कमर से जकड़ लिया था।

“मेरे से भी तो चुदा ले रांड … ये देख मेर लौड़ा तेरे भोसड़े में जाने के लिये तैयार है !” वो फ़ुसफ़ुसा कर बोले।

“मौसा ! …साले ! तेरी मां की चूत ! … छोड़ मुझे !… तेरी मां चोद दूंगी ! साले … हरामी ! बहन के लौड़े !” हमारे घर में गाली दे कर बात करना तो आम बात थी।

मौसा जी के बलिष्ठ जिस्म ने मुझे जकड़ लिया था और एक हाथ से उनका कमाल देखने लायक था। मेरा कुर्ता उपर उठ चुका था और नाड़ा खिंच चुका था। उनके हाथ मेरे बोबे पर कस चुके थे। मैं तड़पती रह गई।

मेरा पजामा नीचे आ चुका था। मौसा जी ताकतवर थे, मैं कुछ ना कर कर पाई। मौसा का लण्ड बहुत ही मोटा लगा।

स्पर्श पाते ही, मन ही तो है … ललचा गया।

उनका लण्ड मेरी चूत लगते ही मेरे पांव अपने आप उठने लगे। लण्ड चूत में समाने लगा। मौसा जी से छूटना मुश्किल था। अब लण्ड का साईज़ महसूस करके छूटना किसको था। लौड़ा आधा तो घुस ही चुका था, ऐसा मस्त मोटा लण्ड का चूत में घुसना … मेरा मन उन पर आ गया।

मैंने अपनी चूत ढीली छोड़ दी और लण्ड को सीधा ही अन्दर घुसने दिया। लण्ड चूत की खाई में पूरा ही कूद चुका था। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी … नरम मोटा सुपाड़ा गद्दीदार था, सुहाना मजा दे रहा था।

“मौसाजी … आप बडे वो हैं … इतना मोटा लण्ड … हाय रे … फ़ाड डालोगे क्या ?”

“चुप धीरे धीरे चोदूंगा … शोर मत मचाना … वर्ना एक हाथ पड़ जायेगा … भोसड़ी की !!”

यहाँ तो मजा आ रहा था इतने मोटे लण्ड का। … मौसा जी की धमकी कोई मायने नहीं रखती थी, लौड़ा तो वो पेल ही चुके थे। मेरी चूत की दीवारें भारी लण्ड से रगड़ खा रही थी। चूत मस्ता उठी, पानी से गीली हो गई।

“मौसा जी, मुझे पहले चोदना था ना, मैं तो आपको मौसी को चोदते हुये रोज़ देखती हूँ … आज तो मेरा नम्बर भी आ ही गया !“

“तो इशारा क्यों नहीं किया छिनाल … लौड़ा तो होता ही चूत के लिये है …! ”

मौसा का लौड़ा मस्त मुस्टन्डा था। खूब कसता हुआ अन्दर आ जा रहा था। मेरी तो मन की चुदाई आज हो रही थी। चूत में थोड़ा दर्द भी हुआ पर मस्ती के आगे वो कुछ नहीं था। मौसा ने मेरी सहमति पा कर जोर जोर से चोदना चालू कर दिया। चुदते चुदते इस दौरान मैं दो बार झड़ गई, पर मोटे लण्ड से बार बार चुदने की चाह होने लगी थी।

तभी मौसा ने लण्ड ने ढेर सारा वीर्य उगल दिया। मेरा सारा बिस्तर गीला कर दिया। कभी कभी कोई दिन ऐसा भी आता था कि जब ज्यादा बार चुद जाती थी और काफ़ी बार झड़ भी जाती थी, तब मैं थक कर चूर हो जाती थी। आज भी मैं चुदने के बाद थकान के मारे जाने कब सो गई।

सुबह मौसा जी आये और मुझे जगा दिया,”कपड़े तो पहन ले … ।”

और फिर वो मुस्कराते हुए चले गये।

मुझे घर में ही एक सोलिड मोटा मस्त लण्ड मिल चुका था … आज से अब मुझे मस्त चुदने का मौका मिलेगा ये सोच कर मैं खुश हो उठी … ।

साला मौसा हारामी … अपनी ही बेटी समान को चोद कर मस्त कर गया। Indian Sex Stories

प्रेषक : अभिषेक Hindi Sex Stories

इससे पहले मैं अपनी कुछ कहानियाँ Hindi Sex Stories भेज चुका हूँ। मेरी एक कहानी का नाम था “कैसे मैं बन गया गांडू “

चलो खैर दोस्तो ! वो सब कुछ मैंने बता दिया था कि किस तरह बचपन से लड़की होने के लिए भगवान् को कोसता रहा और आखिर भगवान् ने वो तो नहीं लेकिन लड़की जैसा जिस्म दे डाला। मेरी छाती और शरीर की बनावट काफी हद तक लड़कियों जैसी है, पोले पोले मम्मे आकर्षक निप्पल गोल-मोल गांड !

आज मैं आपको एक और नवीनतम लौड़े के बारे बताऊंगा।

हुआ यूँ कि मैं याहू पर चैट कर रहा था। मैंने एक लड़की का आईडी बना रखा था। उस पे मैं कई मर्दों से बातें करता रहता। एक दिन मुझे अपने ही शहर का एक मर्द मिला जिससे खूब चैट की मैंने ! उससे पूछा कि कभी अपनी पत्नी की गांड मारी है?

वो बोला- मेरी घरवाली गांड पे लौड़ा तक नहीं रखने देती, लेकिन मुझे गांड मारने में बहुत मजा आता है।

वो बोला- क्या हम मिल सकते हैं?

उसने मेरा मोबाइल नंबर माँगा।

मैंने कहा- मेरे पास है ही नहीं मोबाइल ! अपना दे दो !

उसने अपना नंबर दे दिया। मैंने कोई कॉल नहीं की।

अगले दिन वो फिर जब चैट पर आया, उसने कहा- आपने फ़ोन नहीं किया?

मैंने कहा- नहीं हो सका, सॉरी !

कोई बात नहीं- वो बोला- आज मेरी पत्नी और बच्चे घर में नहीं हैं, वो अपने मायके गई है। मुझे मिल सकती हो ?

मेरा भी नया लौड़ा लेने का दिल था, आखिर कितने दिन से मेहनत की थी। लेकिन क्या करता ! था तो गांडू ! लड़की नहीं !

मैंने अपना वेबकैम लगाया, सबसे पहले अपनी गाण्ड दिखाई। मेरी गाण्ड देख किसी का भी लौड़ा खड़ा जाता। मैंने वेबकैम के सामने गाण्ड गोल-गोल मटका के दिखाई और फिर अपना ऊपर का हिस्सा छाती !

वो बोला- चूत दिखाओ !

मैंने कहा- वो है ही नहीं !

क्या ?

मैं गांडू हूँ !

बोला- नहीं ऐसी गांड, मम्मे किसी लड़के के नहीं हो सकते ! क्यूँ मज़ाक करती हो?

मैंने उसको चेहरा दिखाया और बोला- मेरी गांड मारनी हो तो बोल दो, अभी आ जाऊंगा।

तू बी-ब्लाक मार्केट में गुरु नानक बेकरी के बाहर आ जा ! मैं काले रंग की लैंसर में आऊंगा ! ठीक है?

मैं बहुत गर्म था, जल्दी से पैन्ट डाली, टीशर्ट पहनी और वहां जा खड़ा हो गया।

उसके वहां आते ही मैं गाड़ी में बैठ गया। उसने बरमूडा पहना हुआ था, बोला- बेफकूफ बनाया मुझे इतने दिन से?

सब शिकायेतें दूर कर दूंगा बिस्तर में !

बहुत चिकना है तू यार !

मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरते हुए बरमूडा में हाथ डाल लिया- हाय ! क्या लौड़ा मिला है !

वो बोला- एक बार टीशर्ट उतारो !

मेरी ब्रेस्ट देख बोला- तू माल कमाल का है, कितनों से चुदा है?

वो कार चलाता रहा, मैंने नीचे जाकर, बाहर निकाल, लौड़ा मुँह में ले लिया। वह ओह यार !

जुबां से चाट कर उसको गर्म किया, इतने में घर आ गया। सीधी कार अन्दर ! मुझे अपने बेडरूम में ले गया, दो ग्लास ठंडी बियर के ले आया। मैं एक बार में ही पी गया। ऐसे तीन मग पीने के बाद सरूर आने लगा।

उसने मुझे नंगा कर दिया और मेरे निपल चूसने लगा। मैं उसके लौड़े को हाथ में लिए मुठ मार रहा था। मैंने फिर उसका लण्ड मुँह में लिया और चूसने लगा।

वाह राजा ! ऐसी तो कोई लड़की नहीं मिली जो तुम कर रहे हो ! लड़की भी नहीं करती और चूस ! चूस ! छूटने वाला हूँ ! अह अह अह करते हुए उसने सारा पानी मेरे मुहं में निकाल दिया।

मैंने चाट कर उसका लौड़ा साफ़ किया।

कैसा लगा माल?

बहुत स्वादिष्ट !

वो मेरी गांड से खेलने लगा। मैंने फिर से मुँह में लिया, वो मेरी गांड में जुबान डाल कर चाटता !

अब चोदो !

पास में पैन्ट से उसको कंडोम दिया, अपने हाथ से चढ़ा दिया, दोनों टांगें चौड़ी करते हुए उसको इशारा किया, उसने धक्का मारा, बहुत मोटा था पर मैंने सह लिया। ऐसे करते करते पूरा घुस गया और वो रफ़्तार पकड़ने लगा।

और चोद मुझे ! अह अह और फाड़ मेरी ! तेरी रांड बन कर रोज़ चुदने आउंगी ! अह अह !

उसने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से मारने लगा।

हाय राजा ! क्या चोदता है तू ! उई फाड़ डाल !

बीस मिनट वो अलग तरीकों से चोदता हुआ झड़ गया। मैंने कंडोम खोल उसका लौड़ा मुँह में डाल लिया, गांड से निकल कर आया था, बहुत गर्म था।

वाह मेरे राजा ! मेरा बच्चा ! कल सुबह आना वहीं ! ठीक है?

अगले दिन जाकर फिर चुदा।

उसके बाद उसको जगह नहीं मिल रही थी।

एक दोस्त के घर लेकर गया, वहां क्या हुआ, वो सब अगली बार ! Hindi Sex Stories

Antarvasna

मैं जब 24 साल की थी उस समय मेरी नौकरी भोपाल Antarvasna में लग गई थी. टेम्परेरी थी. जीजू ने कोशिश करके लगवा दी थी. मैं अपनी बड़ी बहन के यहाँ रहने लगी थी. उन्होंने मुझे घर के पीछे वाला रूम खाली करके दे दिया था. वो कमरा बड़ा और हवादार था. जीजू और दीदी दोनों ही नौकरी करते थे. जीजू इंजिनियर है और दीदी हॉस्पिटल मैं नर्स हैं.

कुछ ही दिनों में सुनील भी मेरे से घुल मिल गया था. वो मुझसे छेड़ छाड़ भी करता था. मुझे उसे देख कर तरह तरह के विचार भी आने लगते थे. सुनील एक सजीला जवान था. मुझे तो वह पहले से ही खूबसूरत लगता था. दीदी को नाईट शिफ्ट भी करनी पड़ती है. जब हम घूमने जाते थे तो सुनील दीदी का हाथ पकड़ कर चलता है. दीदी भी चलते समय कभी कभी सुनील के चूतड़ों को सहला देती थी. उसे देख कर मुझे भी झुरझुरी होने लगती थी. मेरे मन में भी हलचल होने लगती थी कि कोई मेरे भी गांड की गोलाईयों को भी सहलाये. वो कभी कभी मेरा हाथ भी पकड़ लेता था, मैं भी उसका हाथ नहीं छुडाती थी. मेरे हाथ काँप जाते थे, जिसे वो महसूस कर लेता था. कितने ही मौकों पर उसका हाथ मेरे बूब्स या चूतड से भी टकरा जाता था. शायद जीजू जान करके ऐसा करता था. मैं जान कर के भी अनजान बनी रहती थी.

घर पर रात को मैं उनके रूम के पास छुप कर आती, और कुछ सुनने की कोशिश करती थी. उस समय वो लोग चुदाई में लगे रहते थे… मुझे बाहर उनकी आवाजे आती थी… मुझे भी चुदवाने की फीलिंग होने लगती थी.

मैं किसी तरह अपने मन को काबू में रख रही थी. मेरी उत्तेजना जब अधिक बढ़ जाती तो मैं उंगली को चूत में डाल कर अन्दर बाहर करके अपना पानी निकल देती थी. हाथ से करते समय भी सुनील को ही सोच कर अपना पानी निकाल देती थी. अब सुनील ने मुझे कैसे चोदा… इसके बारे में बताती हूँ…

दीदी की नाईट ड्यूटी थी. घर के पास सर्कल पर बी एच इ ऐल की बस पर हम तीनों मोटरसाईकल पर दीदी को पहुँचाने गए. दीदी की बस आने पर वो उसमे चली गई. उसी समय बरसात शुरू हो गई. हम दोनों भीगने लगे थे.

वहाँ से भीगते हुए हम दोनों सीधे घर आ गए. भीगने से मेरे कपड़े बदन से चिपक गए थे. घर आ कर वो मेरे शरीर के उभारों को आनंद ले कर देखने लगा. मैं शरमा गई. मेरे मुंह से निकल गया..” जीजू, मत देखो न ऐसे…मुझे शर्म आती है…” सुनील ने शरारत से आँख मार दी… और मैं शरमा कर मेरे रूम में अन्दर भाग गई.

हम दोनों नहा कर फ्रेश हो कर जीजू के कमरे में बैठ गए. सुनील अलमारी से व्हिस्की की बोतल निकाल लाया.

“यार ठण्ड लग रही है…एक पैग पी लेता हूँ…तुम भी थोडी सी ले लो..”

“नहीं..नहीं…” मैं उसकी हरकते नोट कर रही थी. मुझे लग रहा था आज जीजू मूड में हैं. मैंने सोचा आज अच्छा मौका है, पटाने का…

उसने धीरे धीरे पीना चालू कर दिया. कह रहा था – “नेहा तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या…”

“हाँ…था..अब नहीं है..”

“अच्छा, वो तुम्हारे साथ कुछ करता था..”

” धत्त…जीजू… मुझे शर्म आती है…”

” मत बताओ…लो थोड़ा सा पी लो…अच्छा लगेगा…”

मैंने सोचा अच्छा मौका है… जीजू समझेगा मैं नशे में हूँ… और नशे में ऐसा कर रही हूँ…

“अच्छा जीजू…थोड़ा ही देना..”

“वाह ये हुई न बात…ये लो ” उसने एक पैग बना कर दिया.

मैंने पीने का नाटक किया. थोडी सी ड्रिंक पास में गिरा दी..और गिलास मुंह से लगा लिया..

कुछ ही देर में सुनील को व्हिस्की चढने लगी. बोला- “यार तेरी दीदी तो एकदम मस्त है…”

वो कुछ आगे बोलता उसके पहले ही मैंने उसके होंठों पर उंगली रख दी… मैंने भी नशे में होने का नाटक किया..

“मस्त आप है..जीजू…”

“नहीं…मस्त तो तू है… जरा देख अपने को..”

“क्या देखूं…मुझे तो तुम ही दिखाई दे रहे हो…”

अब सुनील मस्ती में आ गया था… उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया… मैं जान करके उसकी गोदी में गिर गई. उसने मुझे बाँहों में कस लिया…

मैंने कहा- “जीजू…ये नीचे क्या लग रहा है…”.

मैं थोड़ा कसमसाई… पर उसका लंड था की घुसता ही जा रहा था. मैं थोड़ा उठ गई… मैंने जान कर के ऐसे उठी की अपनी चूतड की गोल गोल फ़ांकें उसके सामने हो गई…

उसने मेरे दोनों चूतडों को दबा दिया…

मैं जैसे नशे में बोली- “हाय रे..जीजू मर गई…क्या कर रहे हो…”

सुनील ने कहा – ” नेहा… मज़ा आया न..अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ…”

“नहीं..नहीं…तुम कुछ गड़बड़ करोगे…”

ज्यादा नहीं…बस थोड़ा सा…”

“अच्छा.. ठीक है..”

मेरा मन तो खुशी के मरे उछल रहा था…मैं धीरे से जा कर बिस्तर पर लेट गई.

जीजू ने कहा – “अब आँखे बंद कर लो…”.

“हटो जीजू…जरूर तुम… देखो छेड़ना मत…”मैंने आँखें बंद कर ली… जीजू पलंग पर पास आकर बैठ गए…और उनका हाथ हौले हौले से मेरे बदन को गुदगुदाने लगा. वो मेरी दोनों टांगों को धीरे धीरे सहलाने लगे…और ऊपर की तरफ़ आने लगे. मेरे नितम्बों पर उनका हाथ घूमने लगा… मुझे सनसनी सी होने लगी… वो जान करके अपना हाथ मेरी चूत पर भी टकरा देता था… तब जोर का करंट जैसा लग जाता था…

फिर धीरे धीरे उसने मेरी चूत पर कब्जा कर लिया… मैं सी सी कर सिस्कारियां भरने लगी. अब उसका हाथ मेरे बूब्स को सहला रहा था… एक हाथ चूत पर…और एक हाथ बूब्स पर… “नेहा…कैसा लग रहा है…”

मेरे मुंह से अचानक निकल गया – ” जीजू…तुम्हारे हाथो में तो कमाल है… अब कुछ कर दो न… कुछ भी करो..”

जीजू ने मेरे बूब्स भींचने चालू कर दिए…दूसरा हाथ मेरी चूत की गहराई नापने लगा…उसकी बेताबी बढाने के लिए मैंने कहा – “जीजू… बस अब नहीं… दूर हटो…”

मैं बिस्तर से नीचे उतर गई. सुनील भी मेरे पीछे आ गया था…उसने पीछे से हाथ डाल कर मेरे बूब्स पकड़ लिए… “नेहा… प्लीज़ करने दो… तुम्हे देख कर मेरा मन कब से कर रहा था की बस एक बार तुम्हे दबा दूँ. तुम्हारे ये उभार…गोलाईयां देख कर मुझसे रहा नहीं जाता है अब…”

सुनील का लंड मेरे चूतड़ों में घुसा जा रहा था. मुझे उसके लंड का साइज़ तक चूतड़ों में महसूस हो रहा था.

मैंने मुस्करा कर जीजू की तरफ़ देखा… और कहा ” पहले अपना ये मेरे हाथ में दो..”

“क्या…हाथ में क्या दूँ ?”

“वो… अपना मोटा सारा लंड…”

लंड का नाम सुनते ही वो तो जैसे पागल हो उठा.” मेरा लंड… वऊऊ… अरे पकड़ लो न… पूरा लंड तुम्हारा ही है…”

मेरी तमन्ना पूरी होने लगी थी. मेरा मन आनंद से भर उठा. मुझे लगा अब चुदाई में ज्यादा देर नहीं है… मैंने नशे में होने का नाटक करते हुए कहा – “हाय रे जीजू…मत करो न…मुझे गुदगुदी होती है… देखो न तुम्हारा नीचे का डंडा…मेरी गांड में लग रहा है…”उसका लंड नीचे से गांड में घुसने के लिए जोर मार रहा था. उसके मोटे लंड का स्पर्श मुझे पूरा महसूस हो रहा था. मैंने अपने आप को उसके हवाले करते हुए कहा- “दूर हटो न…जीजू… तुम्हारा लंड तो गांड में घुसा जा रहा है..”.

लंड और गांड का नाम सुनते ही सुनील बेकाबू हो गया और जोश में भर कर बोला – “नेहा..तुम्हारी गांड ही इतनी प्यारी है..की उसे देखते ही लंड को घुसा देने का मन करता है…”. जीजू ने भी खुली भाषा का इस्तेमाल किया… देसी भाषा सुनते ही मैं तरंग में डूब गई.

अब उसने और कास के पकड़ लिया था. मेरे बूब्स मसलने लगा, चुन्चियों को खीचने लगा… और ऊपर से कमर हिला हिला कर लंड को गांड की दरारों में मारने लगा…

“जीजू…बस भी करो…कोई आ जाएगा न…”

“नेहा…कोई नहीं आएगा… “. उसने अपना पजामा उतार दिया और कहा…”देख ये कितना टन्ना रहा है..” फिर उसने अपना कुरता भी उतार दिया और पूरा नंगा हो गया…

मैंने कहा – “जीजू…ये क्या करते हो… मुझे शर्म आ रही है…”

उसने मेरी एक नहीं सुनी. और मुझे उठा लिया…और बिस्तर पर प्यार से लेटा दिया. उसका लंड कड़क हो गया था. बहुत ही टन्ना कर फुफकार रहा था…

मेरा पजामा और कुरता खींच कर उतार दिया.मैं तो यही चाह रही थी. कहा – “अरे क्या कर रहे हो… मैं तो नंगी हो जाऊँगी न…”

बोला – “नंगे बदन आपस में रगड़ खायेंगे तो मज़ा भी तो आएगा “उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया. मेरी चूत भी गीली हो गई थी. मैं बहुत खुश थी कि अब मैं चुद जाऊँगी. मैंने अपनी टांगे फैला दी और सुनील को अपने ऊपर चढ़ने का न्योता दिया.

वो मुस्करा कर पास आया और मेरी दोनों टांगो के बीच में आकर बैठ गया. उसने मेरी चूत सहलाई और चेहरा पास लाकर चूत को प्यार किया. मेरे चूत के दाने को जीभ से घुमा कर चाटना शुरू कर दिया. मैं झनझना उठी… मुंह से आह निकल गई. अब वो मेरी चूत चाटने लगा. उसके हाथों ने मेरे बूब्स को मसलना चालू कर दिया. मुझे नशा सा आने लगा. कहने लगी – ” मज़ा आ रहा है…जीजू…आ ह…हाय रे…और चूसो…निकाल दो मेरा पानी…आह्ह्ह्ह…”

सुनील ने मेरी टांगे और ऊपर कर दी अब मेरी गांड उसके सामने थी. टांगे थोडी और फ़ैलाकर उसने अपना मुह मेरी गांड के छेद पर लगा दिया और जीभ निकर कर छेद को चाटने लगा. मुझे गुदगुदी होने लगी. उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद में घुसा दी. मैं आनंद के मारे मैंने आंखे बंद कर ली. मैं समझ गई थी कि वो मेरी गांड मारने कि तय्यारी कर रहा है. सुनील ने कहा – “तुमने तो पहले से ही गांड में चिकनाई लगा रखी है ”

“हाँ जीजू…मुझे आज लग रहा था कि तुम आज कुछ न कुछ ऐसा ही करने वाले हो…इसलिए मैंने तो पूरी तय्यारी कर ली थी… आह जीजू… मज़ा आ रहा है…और करो…मैंने खुशबू वाली क्रीम लगाई है… आह रे…पूरी जीभ अन्दर डाल दो…”

सुनील उठा और तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया. मेरी गांड अब थोडी ऊपर हो गई थी… उसने अपना लंड छेद पर रख दिया…

“नेहा… मेरी प्यारी नेहा… गांड मराने को तैयार हो जाओ…”

“हाँ मेरे राजा… घुसा दो अन्दर… मार लो गांड मेरी…”… तो लो मेरी जान… ” उसके लंड की सुपारी गांड में घुस गई… मेरी गांड की चुदाई शुरू हो गई थी… मैं मन ही मन झूम उठी…

“..हाय… घुस गया रे… राजा…लगाओ…जोर लगाओ जीजू…”

” येस…येस… ये लो… आह… आया…आह…”

सुनील का लंड अन्दर घुसा जा रहा था…मुझे अन्दर जाता हुआ महसूस हो रहा था…फिर उसने बाहर निकाला और जोर लगा कर एक ही झटके में पूरा ही घुसेड दिया…

“हाय जीजू… मज़ा आ गया… धक्के लगाओ…हाँ…हाँ… थोड़ा जोर से… और जोर से…”

“मेरी जान… तुम्हारी गांड तो बिल्कुल मक्खन मलाई है… इतनी चिकनी कि बहुत मज़ा आ रहा है… देखो लंड कैसे फटाफट चल रहा है…”

गांड में लगाई हुयी चिकने से दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था. और अब तो मीठा मीठा मज़ा भी आ रहा था. मुझे लग रहा था सुनील लम्बी रेस का घोड़ा है… वो जोर जोर से धक्के मारने लगा…मैं तकिये के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थी. पर उसके धक्को का पूरा मज़ा ले रही थी…

अचानक वो रुक गया और धीरे से अपना पूरा लंड बाहर निकाल लिया. मुझे छेद के अंदर ठंडी सी हवा लगी…जैसे कुछ खाली हो गया हो… उसने नीचे से तकिया हटा दिया.

अब वो मेरे ऊपर आकर धीरे से लेट गया और अपना बदन का पूरा भर मेरे पर डाल दिया. मेरे होटों को अपने होटों में दबा लिया… और चूसने लगा… उधर नीचे भी लंड अपना रास्ता दूंढ रहा था. मैं भी कसमसा कर लंड को निशाने पर लेने की कोशिश कर रही थी. मेरी चूत पानी से चिकनी हो गई थी. आखिर लंड ने रास्ता दूंढ ही लिया. उसके लंड की मोटी सुपारी मेरी चूत में सरक गई. मेरी आह निकाल गई.. मैंने नीचे से जोर लगाया तो लंड और अन्दर सरक गया. मैं तड़प गई. कहा – ” जीजू…आह…धक्का मरो ना… क्या कर रहे हो…हाय रे…चोदना शुरू करो ना..”

सुनील ने अपना बॉडी अपनी दोनों कोहनियों पर उठा लिया. मेरा बदन अब फ्री हो गया था. उसने लंड को बाहर खींचा और जोर से अन्दर धक्का दे दिया. उसका पूरा लंड भीतर तक बैठ गया. मेरे मुंह से चीख निकल गई. चूत गीली होने से धक्के मारने पर फच फच की आवाजें गूंजने लगी…

” राजा और जोर से…लगाओ…हाय रे…पूरा घुसा दो…जड़ तक… घुसेड दो… हाँ…हाँ… चोद दो..राजा…जोर से.. चोद दो…”

“हाँ मेरी रानी… तुम्हे देख कर ये लंड कब से तड़प रहा था… चोदूंगा रे… कस के चोदूंगा… ले… ले…और ले… फाड़ ही दूँगा..आज तो…”

“आह रे.. मेरे जीजू…सुच में..फाड़ मेरी चूत…लगा..जोर से…दे…दे…जोर दे दे..हाय…सी..सी…सी…चुद गई रे… मेरी माँ…”

“हाँ..हाँ… मेरी जान…आज तो फाड़ डालूँगा…तेरी चूत को…ये ले…पूरा लंड..ले..ले..ये ले..और ले… मेरी जान… क्या चीज़ हो तुम…”

उसके धक्के तेज होने लगे लगे. फच फच की आवाजे भी तेज होने लगी. मैं भी नीचे से चूत उछाल उछाल कर जोर से चुदवा रही थी. मेरी कमर भी तेजी के साथ चल रही थी. मुझे बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था. मेरी सिसकियाँ भी बढ़ने लगी… मेरे मुंह से अपने आप निकलता जा रहा था – “मेरी चूचियां मसल डालो जीजू… हाँ…जरा जोर से मसलो… मज़ा आ रहा है… हाय…मसलो डालो… झटके दे दे..के चोदो राजा..हाँ..हा…ऐसे ही…चोद डालो मेरे राजा…”

मेरी सिस्कारियां बढती जा रही थी. मेरे चूतड अब तो अपने आप ही नीचे से उछल उछल कर उसके लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे. सुनील के धक्के भी जोरदार पड़ रहे थे… उसके मुंह से सिस्करिआं तेज होने लगी… अचानक ही उसके मुंह से निकला – “नेहा… नेहा… मैं तो गया… हाय..मैं गया…मुझे कस के पकड़ ले ना…अरे..रे..रे..गया…हा आया… हा आया. ”

मैं सुनील से जोर से चिपक गई मेरा भी निकलने ही वाला था… वो अपना लंड जोर से चूत में दबाने लगा ने…और मैं… मैंने अपने दोनों टंगे ऊँची करके चूत को लंड पर गडा दिया… और पूरा जोर लंड पर लगा दिया…

ऊऊईई ए…हाय राम…मर गई ए… पानी निकल गया या…अरे…निकला रे…हाय…चोद दे…चोद दे..हाय रे आह…आह…आआह्ह्… गई ..गऽऽई…अआः…चुद गई…चुद गई…आह…आःह्छ ” सिसकारी भर कर मैंने पानी छोड़ दिया… उधर सुनील ने अपना लंड निकला और मेरे बूब्स पर अपना लावा उगलने लगा… रुक रुक कर उसका लंड रस उछाल रहा था…

मैंने तुंरत उसका लंड अपने मुंह में ले लिया. और उसका चिकना चिकना रस चाटने लगी. लंड को पूरा साफ़ करके मैं आराम से लेट गई. सुनील भी मेरी बगल में लेट गया… वो हाँफ रहा था. मैं करवट लेकर उस से लिपट गई… हम वैसे ही नंगे पड़े रहें और हम दोनों कब सो गए हमें पता भी नहीं चला…

मेरी जीजू के साथ चुदाई की कहानी बहुत दिनों तक चलती रही…पर ऐसी बातें ज्यादा दिन छुपती नहीं… दीदी को शक हो गया था… दीदी ने शांत रह कर समझदारी से काम लिया.. और कोशिश करके मुझे मेरा अपोंय्ट्मेन्ट इंदौर की एक इन्स्टीच्यूट में करवा दिया. मुझे इंदौर जाना पड़ा. Antarvasna

Hindi Sex Stories

दोस्तो, मैं संजू आप के Hindi Sex Stories लिए लेकर आया हूँ अपनी ज़िन्दगी की एक सच्ची कहानी ! सबसे पहले मैं अपना परिचय करवा दूँ !मैं हरियाणा के जींद शहर का रहने वाला हूँ, कद 5’11” देखने में अच्छा दीखता हूँ।

यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना डॉट कॉम पर ! उम्मीद है आपको पसंद आएगी। तो अब कहानी पर आते हैं।

बात उन दिनों की है जब मैं नया नया कॉलेज जाने लगा था। हमारे घर के सामने एक परिवार रहता था, उस परिवार में पति पत्नी उनकी चार लड़कियां व दो लड़के थे।

बड़ी लड़की सिमरन (बदला हुआ नाम) मेरे साथ हमारे ही कॉलेज में पढ़ती थी, मैं बी.ए में और वो एम ए में थी। हां दोस्तो, वो मुझसे बड़ी थी, पर वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी। पर मैं बहुत ही शर्मीला था और उससे दिल के बात कहने में डरता था। बस मैं उसकी तरफ प्यार से देखता रहता छुप-छुप कर ! कभी कभी बात हो जाती थी पर एक पड़ोसी के नाते !

उसकी फिगर बड़ी मस्त थी बड़ी बड़ी चूचियाँ और मोटे मोटे चूतड़, वो दिखने में भी काफी सेक्सी थी। कॉलेज के कई लड़के उस पर लाइन मरते थे इसलिए मेरी उससे बात करने के हिम्मत ही नहीं होती थी, कहीं वो मना ना कर दे।

और एक दिन की घटना ने तो मेरा रहा सहा हौंसला भी तोड़ दिया। एक बार वो अपनी छत पर चिड़ी-बल्ला खेल रही थी और मैं नीचे गली में बैठा था। उनकी चिड़ी नीचे गली में गिर गई।

सिमरन छत से बोली- भइया, वो चिड़ी फेंकना ऊपर !

मैंने गुस्से से उसकी ओर देखा और चिड़ी फेंक कर अंदर चला गया। मुझे बड़ा गुस्सा आया और मैंने उससे कभी बात न करने की ठान ली। उस दिन से मैं उसकी तरफ न देखता, न बात करता। थोड़े दिन तो ऐसे ही चलता रहा फिर एक दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो वो अपनी मम्मी के साथ मेरी मम्मी के पास बैठी थी। मैं भी सीधा वहीं जाकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसका मामा आ गया और उसकी मम्मी उठ कर चली गई और कुछ देर बाद मेरी मम्मी भी अंदर चली गई।

कुछ देर हम ऐसे ही बैठे रहे फिर उसने पूछा- क्या बात है संजू ! आज कल मुझसे बात नहीं करते हो?

तो मैंने कहा- कुछ नहीं ! बस वैसे ही !

तो उसने कहा- कुछ तो बात है, प्लीज़ बताओ ना !

तो मैंने कहा- मैं तुमसे नाराज़ हूँ !

वो बोली- किस बात पर ?

तो मैंने कहा- उस दिन तुमने मुझे भैया कहा था।

तो वो हंस पड़ी और बोली- बुद्धू ! उस दिन मम्मी छत पर थी, वरना ऐसी कोई बात नहीं है।

इतने में उसकी मम्मी ने उसको बुला लिया। उस दिन मैं बड़ा खुश हुआ, सोचा, चलो थोड़ा सिग्नल तो मिला। फिर तो हम छत से एक दूसरे को देख के मुस्कुराते रहते ! कुछ दिन ऐसे ही चला, फिर हमारे यहाँ और उनके यहाँ एक साथ ही फ़ोन कनेक्शन लगा और मैंने उसकी बहन से उनका नंबर भी ले लिया। एक दो बार फ़ोन मिलाया भी पर कोई और ही उठाता था।

फिर एक दिन मैं अपने कमरे में रात को टीवी देख रहा था, केबल पर कोई फिल्म आ रही थी, तो फ़िल्म की क्वालिटी ख़राब होने की वजह से टीवी की आवाज़ कुछ ज्यादा ही थी। रात को करीब 11 बजे हमारा फ़ोन बजा और फ़ोन मेरे कमरे में ही था, मैंने फ़ोन उठाया तो उधर से एक लड़की बोल रही थी।

मैंने पूछा- कौन बोल रहा है ?

तो उसने कहा- मैं सिमरन बोल रही हूँ।

मेरा दिल एकदम धड़कना बंद हो गया, मैं पहली बार उससे फ़ोन पर बात कर रहा था, वो बोली- टीवी की आवाज़ इतनी क्यों कर रखी है? हमारे कमरे तक आ रही है !

मैंने बोला- वो केबल पर फिल्म आ रही है न, इसलिए आवाज़ इतनी हो गई।

फिर मैंने पूछा- तुम इतनी रात तक जाग कर क्या कर रही हो?

वो बोली- तुम सोने दो तब न !

फिर थोड़ी इधर उधर की बातें हुई और उसने फ़ोन रख दिया। इसी दोरान मैंने उससे यह भी पूछ लिया- अगर तुमसे बात करनी हो तो किस समय फ़ोन करूँ?

तो उसने कोई जवाब नहीं दिया और गुड नाईट कह कर फ़ोन रख दिया!

उस रात मुझे बहुत देर में नींद आई और मुठ भी मारनी पड़ी।

फिर कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा पर अब वो थोड़ा बदल गई थी। अब वो मुझे देखकर मुस्कुरा भी देती थी।

फिर एक दिन मैंने हिम्मत कर के छत से उसे इशारों में चार बजे फ़ोन करने के लिए कहा। मैंने ठीक चार बजे उसके घर फ़ोन किया तो संयोग से उसने ही उठाया और बोली- तुम मुझे मरवा दोगे !

और बोली- बोलो, क्या बोलना है !

मैं बहुत घबरा रहा था, मैंने उससे कहा- मुझे तुमसे एक बात कहनी है पर तुम वादा करो कि अगर तुम्हें बुरी लगी तो तुम नाराज़ नहीं होगी !

वो बोली- ठीक है !

तो मैंने कहा- आई लव यू !

वो थोड़ी देर तो चुप रही, फ़िर बोली- यह ठीक नहीं है ! मैं तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचती !

तो मैंने कहा- मैं तो तुमसे प्यार करता हूँ और मैं कल ठीक इसी समय फ़ोन करूंगा। तुम्हारा जवाब हाँ हो तो फ़ोन तुम ही उठाना, अगर किसी और ने फ़ोन उठाया तो मैं तुम्हारा जवाब न समझूंगा !

और मैंने फ़ोन रख दिया। फ़ोन रखने के बाद मैंने सोचा- साले यह बोल तो दिया है पर अगर उसने फ़ोन न उठाया तो ?

यह सोच कर मेरी तो गांड ही फट गई, फिर सोचा जो बोल दिया सो बोल दिया, कल की कल देखेंगे।

और मैं अगले दिन चार बजने का इन्तज़ार करने लगा।

अगले दिन ठीक चार बजे जब मैं फ़ोन करने गया तो देखा वह पर मेरे मामा मेरे पापा के साथ बैठे थे। मैं उनके पास ही बैठ गया और भगवन से दुआ करने लगा कि जल्दी से ये लोग उठ जाएँ !

थोड़ी देर में वो उठ गए तो मैंने देखा कि 4.35 हुए हैं। मैंने जल्दी से फ़ोन मिलाया तो उधर से उसने ही उठाया तो मैंने कहा- आई लव यू ! बोलो !

तो वो बोली- अभी नहीं ! मम्मी पास में ही हैं !

दोस्तो, मैं क्या बताऊँ ! उस दिन मैं जैसे हवा में उड़ रहा था !

तो दोस्तों अभी बस इतना ही !

आगे और भी बहुत कुछ है ! आप को मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर लिखना ! Hindi Sex Stories

Sex Stories

मैं राकेश, राजस्थान से, एक Sex Stories अच्छे व्यक्तित्व वाला और अच्छा दिखने वाला लड़का हूँ। मैं आप को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरा एक दोस्त है राहुल। राहुल और मैं साथ साथ पढ़े लिखे, मगर राहुल की शादी मुझसे पहले हो गई। राहुल एक पायलट है। उसकी शादी शिमला की निधि नाम की लड़की से हुई थी। वो जब भी बाहर जाता मुझे हमेशा कह कर जाता कि निधि का ख्याल रखना। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

एक दिन मैं भाभी के घर गया, दरवाज़ा बन्द था, मैंने बेल बजाई मगर कुछ देर तक कोई नहीं आया। कुछ देर बाद राहुल की 3 साल की बेटी ने दरवाज़ा खोला।
मैंने उससे पूछा- मम्मी कहाँ है?
तो वो बोली- मम्मी अपने कमरे में काम कर रही हैं, मैं उसके कमरे की तरफ़ गया, मुझे वहाँ कोई नहीं दिखाई दिया। मैं वापिस आ रहा था कि इतने में मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ आई- आ ऽऽऽआआ आआआऽऽऽ ऊऊऊमम्म म्मम्म!

मुझे आवाज़ अजीब सी लगी और मैं बाहर चला आया। कुछ देर बाद भाभी बाथरूम से बाहर निकली बिना कपड़ों के पूरी नंगी। उनको नंगा देख कर मेरा लण्ड जो कि 8 इन्च का है खड़ा हो गया। भाभी जल्दी से बाथरूम की तरफ़ भाग गई और तौलिया लपेट कर बाहर आई। मुझे काफ़ी डर लग रहा था कि भाभी मुझ पर चिल्लाएंगी। मगर भाभी मेरे पास आई और मुझसे कहने लगी- राकेश तुम कब आये?
मैं उनकी बातें समझ नहीं पा रहा था। मैंने भाभी से कहा- मैं चलता हूँ, फ़िर आऊँगा।

मैं घर पहुँचा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे सारा दिन सारी रात भाभी का वही नंगा बदन याद आ रहा था। बार बार मेरा लौड़ा खड़ा हुए जा रहा था। मैंने उसे एक हसीन सपना समझकर भूलने की काफ़ी कोशिश की मगर भूल नहीं पा रहा था।

लेकिन एक दिन अचानक मेरे सेल पे भाभी का कॉल आया और उन्होंने मुझे घर आने को कहा। मुझे लगा कि शायद भाभी को कोई काम होगा इसलिये बुलाया है, मैं घर पहुँचा, मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई, भाभी ने गेट खोला और मुझे अंदर आने को कहा। मैंने भाभी से पूछा कि श्वेता कहाँ है?
तो वो बोली- अपनी सहेली के घर गई है।
उन्होंने मुझे अपने कमरे में आने को कहा और मैं उनके पीछे चला गया।

मैंने वहाँ एक 18-19 साल की लड़की को देखा। मैंने भाभी से पूछा- यह कौन है?
तो भाभी बोली- ये मेरे मामा की लड़की है, कल ही शिमला से आई है। उसका नाम रानी है।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी! कुछ काम था जो आपने मुझे याद किया?
तो भाभी बोली- क्या काम होगा, तभी बुला सकती हूँ क्या?

मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि भाभी क्या चाहती हैं मुझसे। फिर मैं रानी से बातें करने लगा और धीरे धीरे वहो मेरे करीब आने लगी । उसने मेरे लण्ड पे हाथ रखा मेरा, लण्ड खड़ा हो गया। मैं बेकाबू हो गया, मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। मुझे कुछ ख्याल नहीं था कि मैं कहाँ और किसके घर में हूँ।

मुझमें और जोश आने लगा, मैं उसके स्तन जो कि काफ़ी छोटे और नरम थे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। वो मुझसे कहने लगी- धीरे करो राकेश!

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लण्ड बहुत तड़प रहा था। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु किए और सारे कपड़े उतार दिये। उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिये, बस अण्डरवीयर उतरना बाकी था।

उसमें भी काफ़ी जोश आ चु्का था, उसने मेरा अण्डरवीयर फ़ाड़ दिया और कहने लगी- जल्दी डालो राकेश जल्दी डालो! मुझसे रहा नहीं जा रहा!

मैंने उसकी छोटी सी चूत में अपना लण्ड डाला, वो ज़ोर से चिल्लाई- राकेश! आऽऽऽऽ आआ आअह्ह ह्हह बाहर निकालो!

इतने मैं भाभी आ गई और उन्होंने हम दोनों को नंगा देखा तो उनमें भी जोश आ गया और वो भी अपने कपड़े उतारने लगी। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।

फिर उन्होंने मुझे अपने बेड पे धकेल दिया और मेरे ऊपर रानी को बैठाया और कहने लगी- अपना लण्ड इसकी चूत में डालो! मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। वो फिर ज़ोर से चिल्लाई- आआऽऽऽ ह्हह्ह ह्हह…! राकेश धीरे!

मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था, मैंने ज़ोर ज़ोर से चूत मारना शुरु कर दिया।

वो चिल्लाने लगी- आआआअ… ह्हह् ह्ह…ई… ऊउ… हाय रे…!
मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा। 10-12 शॉट के बाद मेरा माल निकल गया और उसकी चूत में से खून निकलने लगा, वो डर गई मगर भाभी ने कहा- कुछ नहीं पहली बार ऐसा ही होता है।

उसके बाद मैं अपने कपड़े पहन ही रहा था कि भाभी मुझसे कहने लगी- नहीं राकेश! रुको! अभी मैं बाकी हूँ!
मैं उस दिन काफ़ी जोश में था। अब भाभी मेरे ऊपर थी और मैं उनके होंठों पे किस कर रहा था। मुझमें काफ़ी जोश आ रहा था। वो मेरे लण्ड को चूसने लगी।

आआआआ… ह्हह्ह ह्हह… ओ… ह… ह्ह्हह्ह हह्हह्ह… प…पप्पप्पु… स्सस स्सस्स… ह्हह्ह ह्हह।
मुझे काफ़ी मजा आ रहा था। उन्होंने मुझमें और जोश ला दिया। फिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत में डाल दिया।
वो कहने लगी- राकेश तुम में काफ़ी जोश है! मेरी प्यास बुझा दो।

मेरे दिलो-दिमाग पे भाभी छा रही थी, मैं भी बेकाबू हो गया था। मैं शॉट मारने लगा।
भाभी आआआआ आआअ…न… इ…स…ए… जी…तु… कहने लगी।

मैं और ज़ोर ज़ोर से शॉट मारने लगा। उन्हें काफ़ी मजा आ रहा था। वो कम ओन राकेश…कम ओन राकेश…डू इट! कह रहि थी और मैं पूरे जोश से शॉट मार रहा था, लेकिन इस बार मेरा माल बाहर नहीं आ रहा था। मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा।
भाभी आआ…ह… ह्हह्ह… ऊऊऊओ… स…सओ… म…ए… राकेश! कहे जा रही थी।

15 बार शॉट मारने के बाद मेरा माल निकल गया और फिर कुछ देर के लिये मैं उनसे लिपट गया। उसके बाद मैंने कपड़े पहने और भाभी से कहा- मैं अब घर जा रहा हूँ!
भाभी कहने लगी- राकेश आते रहना!
और उसके बाद हमारा सिलसिला ऐसा ही चलता रहा।

लेकिन एक दिन राहुल का तबादला दिल्ली हो गया और हम दोनों जुदा हो गये।
मुझे आज भी भाभी की याद सताती रहती है और साथ साथ रानी कि भी जो शिमला वापिस चली गई।
मुझे आज भी किसी भाभी का या किसी रानी का इन्तज़ार है!

आपको मेरी कहानी कैसी लगी?
आपका यह दोस्त राकेश फिर एक कहानी लेकर आपके सामने जल्द ही हाज़िर होगा! Sex Stories

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