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मैं एक बार फ़िर से हाज़िर हूं अपनी Hindi Sex Storiesकहानी का अगला भाग लेकर। आपने मेरी पिछली कहानियाँ
टीचर्स डे और ऐन्नुअल डे
तो पढ़ी होंगी। आप वरुण और मुझ से तो वाकिफ़ ही होंगे। यह कहानी ठीक वहीं से शुरू है जहां ‘ऐन्नुअल डे’ खत्म हुई थी।
सभी कहानियों में यह कहानी मेरे दिल के सबसे करीब है। कई बार इस कहानी को लिखते वक्त मुझे शब्दों की कमी महसूस हुई, अपने मन के भावों को शब्दों में ढालना सचमुच एक कठिन कार्य है, फ़िर भी मैंने अपनी पूरी कोशिश की है।
अगर आपका प्यार इसी तरह बना रहा तो मैं अन्तर्वासना के माध्यम से आपको अपनी कहानी के अगले भाग भी पहुंचाती रहूंगी।
उस दिन बस में वरुण के मुंह से इतनी सीरियस बातें सुनने के बाद मैं उससे अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और मैंने सोच लिया कि अपने मन की बात उसे कभी नहीं बताऊंगी, क्योंकि मैं वरुण को किसी भी रूप में खोना नहीं चाहती थी। उसके साथ के लिए अगर मुझे उसकी दोस्ती निभानी पड़ती है तो वही सही।
इसीलिए मैंने अपने दिल के अरमान अपने होठों तक कभी ना पहुंचने देने का तय किया, पर नज़रें हमेशा दिल का साथ देती हैं…दिमाग और जुबान चाहे कितनी भी कोशिश करके खुद को जताने से रोक लें… पर दिल की बात कहने के लिए सिर्फ़ एक नज़र ही काफ़ी होती है।
उस दिन शाम को हम होटल पहुंचे। जयपुर वाली ब्रांच ने दो कमरे बुक करा रखे थे, एक बिना ऐ सी डबल बेडरूम दो विद्यार्थियों के लिए और एक ऐ सी सिंगल बेडरूम हमारे अध्यापक के लिए।
सर ने वरुण से कहा- मैं बेड शिफ़्ट करवा देता हूं, तुम मेरे कमरे में मेरे साथ सो जाना और कृति वहां आराम से सो जाएगी। सर को मुझ पर और वरुण पर भरोसा नहीं था और हो भी क्यों??? कच्ची उमर में ही ऐसी गलतियाँहोती हैं, पर वरुण ने सर को भरोसा दिलाते हुए कहा,’आप जैसा सोच रहे हैं, वैसा कभी नहीं होगा, मुझे अपनी मर्यादा और समाज के बंधनों का पूरा ख्याल है, मुझे आपके साथ सोने में कोई दिक्कत नहीं है अगर आपका कमरा भी बिना ऐ सी हो तो। मुझे ऐ सी से अलर्ज़ी है, ऐ सी की हवा में मेरे सर में तेज़ दर्द हो जाता है।’
उसकी वाजिब परेशानी सुनकर सर मान गए और सर और हम अपने अपने बैग लेकर अपने कमरे में चले गए। सर के कमरे का तो पता नहीं पर हमारा कमरा काफ़ी अच्छा था। वहां कमरे के बीचों बीच दो बिस्तर लगे थे। दोनो के बीच का फ़ासला करीबन चार फ़ीट रहा होगा।
जिसपे क्रीम कलर की बेडशीट थी उसपे एक ओढ़ने के लिए कम्बल और एक चादर थी .. अटैच्ड बाथरूम था कमरे में घुसते ही सबसे पहले सामने की तरफ़ एक खिड़की थी, जिस के उस तरफ़ एक खूबसूरत बागीचा था। उस खिड़की पर जाली वाले परदे लगे थे और दरवाजा सरकाने वाला था वहीँ खिड़की के बायीं तरफ़ एक टेबल रखी थी जिस पर एक रूम सर्विस के लिए फोन, इंटर कॉम नम्बर की लिस्ट, एक पानी का जग और दो गिलास पड़े थे।
टेबल के ठीक बायीं तरफ़ कुछ दूरी पे एक टेबल और थी जिस पर टीवी रखा था (पर उसपे सिर्फ़ न्यूज़ चैनल ही आते थे ) टीवी की टेबल के निचले हिस्से में एक कपबोर्ड था, उसमें उस दिन का न्यूज़ पेपर था हिन्दी और इंग्लिश दोनों और एक स्पोर्ट्स मैगजीन थी.
टीवी से दोनों बिस्तर की दूरी एक बराबर थी. दोनों बिस्तर के बीच में एक और साइड टेबल रखी थी जिसपे एक लैंप रखा था जिसके दो स्विच कनेक्शन दोनों बिस्तर की तरफ़ थे. वरुण मेरे से आगे चल रहा था इसीलिए कमरे में भी पहले वोही घुसा था और उसने घुसने के साथ ही खिड़की के पास वाले बिस्तर पर अपना बैग पटक दिया और राक्केट पास वाली मेज़ पर रख दिया.
मेरे पास और कोई चोइस न थी इसीलिए मैंने अपना सामान दूसरे बिस्तर पर रख दिया .. और बाथ रूम देखने चली गई .. बाथ -रूम कमरे के मुकाबले बेहद सुंदर था .. व्हाइट टाईल्स, व्हाइट कमोड, व्हाइट वाश बेसिन, सुंदर सजावटी शीशा .. के साथ सभी टोंटियाँसिल्वर कलर की थी। वहाँ हस्त फव्वारा भी था और सीलिंग फव्वारा भी .. सलैब पर दो व्हाइट टोवेल्स रखे थे साथ में साबुन, शैंपू, कंघा.
खैर मैं वापिस कमरे में आई .. वरुण ने कमेन्ट किया .. अन्दर जाके सो गई थी क्या .. इत्ती देर लगा दी .. कभी किसी होटल में नहीं गई हो क्या .. ऐसे देख रही हो जैसे कभी देखा न हो…
मैंने उसे कहा .. तुम्हे देखूं तो तुम्हे दिक्कत है, होटल को देखूं तो तुम्हे दिक्कत है ..मतलब अब मुझे सब काम तुम्हारे हिसाब से करने होंगे… इसपे उसका मुंह सड़ गया ..और वो अपने बैग से चेंज करने के लिए कपड़े निकलने लगा .. कपड़े निकलने के बाद उसने बाथ रूम में जाकर कपड़े बदल लिए ..और उसके बाद मैंने भी जाकर कपड़े बदल लिए .. हम दोनों ने अपने अपने बैग अपने पलंग के नीचे घुसा दिए ..!!
वो खिड़की से बाहर का नज़ारा देखने लगा .. बगीचे में बहुत सरे पेड़ थे खूब सारे फूल और उन पर मंडराते भँवरे और तितलियाँ…पर मेरे भँवरे का मूड ऑफ़ था वो अपने फूल से नाराज़ था…!!!
मैंने टीवी के नीचे से अखबार उठाया और पलंग पे बैठ के पढ़ने लगी थोड़ी देर बाद फोन की घंटी बजी… वरुण फोन के पास था इसीलिए उसी ने फोन उठाया .. सर का फोन था वो चाए, नाश्ता लेने के लिए हमें होटल के वेटिंग एरिया में बुला रहे थे।
फोन रखते ही उसने कहा- चलो!
मैंने कहा- कहाँ?
.. तो वरुण कहने लगा अब आई हो तो सोच रहा हूँ तुम्हे थोड़ा आस पास घुमा लाऊ .. !!!
मैंने कहा सच ..!!!
कहता ..’ इतनी खुश मत होवो .. सर नीचे बुला रे हैं चलो ..’
ये वरुण की पुरानी आदत थी .. दिल में सपने जगा के तोड़ देना ..!!! पहले भी उसने ऐसा मेरे साथ कई बार किया था…
मैंने थके हुए भाव से कहा चलो .. !! और हम नीचे पहुंचे सर पहले ही तीन चाय का आर्डर दे चुके थे .. सर ने पूछा की कमरे में कोई दिकत तो नहीं है .. हम दोनों ने एक ही स्वर में कहा हाँ .. सर ने फ़िर पूछा क्या दिक्कत है .. हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ़ इशारा करते हुए ऊँगली उसके कहा इस से ..!!
सर हँसने लगे .. कहते अभी से लड़ रहे हो साथ में खेलोगे कैसे .. हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे ..
और साथ साथ बोले… हम और साथ में… ना ह ..!!!!
सर फ़िर से मुस्कुरा दिए .. तब तक चाए आ गई और कुछ बढ़िया से पकोड़े भी ..मुझे पकोड़े बेहद पसंद हैं और तब मैंने जाना कि वरुण को भी पकोड़े बहुत पसंद हैं ..!!!
चाय पीने के बाद सर ने हमें बताया कि चूँकि अलग अलग शहरों से स्कूल के बच्चे आए हुए हैं इसीलिए उन सभी के डिनर का इन्तेजाम स्कूल मैंनेजमेंट ने ही किया है .. जिस से बच्चे आपस में घुल मिल सकें और एक दूसरे को जन सकें .. जिस से उनमें खेल भावना जागृत हो… हम दोनों ह्म्म्म स्वर निकला…!!!
चाय पीने के बाद सर ने मुझसे पूछा कि अगर तुम प्रक्टिस करना चाहती हो तो में तुम्हे ले चलता हूँ साथ में दोनों मिलके प्रक्टिस कर लेना .. वहां और बच्चे भी होंगे .. और तुम्हारी ट्यूनिंग भी सेट हो जायेगी .. ..!!!
मैंने सर से कहा सर अब तो आ गई हूँ… न भी चाहूँ तो भी खेलना ही पड़ेगा .. अब जो होगा देखा जाएगा .. ये तो आपको मुझे लाने से पहले सोचना चाहिए था. सर कहते तुम नहीं जाना चाहती वो दूसरी बात है… चलो तुम दोनों जा के रेस्ट करो .. थक गए होंगे लंबे सफर में ..
वरुण उठने लगा .. मैंने सर से कहा .. सर इसे समझा लो .. जब देखो मुंह सड़ाये रखता है अब यहाँ कोई और है भी तो नहीं जिस से मैं बात कर सकूँ ।
सर कहते वरुण इसका ख्याल रखो और हाँ जो कहती है सुन लिया करो .. कम से कम सिर्फ़ कहती ही है न .. बीवी की तरह बेलन थोड़े ही मारती है ..!! सर मुस्कुराते हुए बोले ..!!!
इसके जवाब मैं वरुण बोला .. सर हम तो बेलन खाने को भी तैयार हैं पर मरने वाली तो आये…!!! और हंस पड़ा…
फ़िर हम दोनों अपने कमरे की तरफ़ चले गए .. जा ही रहे थे कि सर ने पीछे से वरुण को आवाज लगाई .. ‘कोई तकलीफ हो तो .. मुझे इंटर कॉम से कॉल कर लेना ..और हाँ तुम्हे याद है ना मैंने क्या कहा था ..’
वरुण ने उन्हें आश्वस्त करते हुए हाँ मैं सर हिलाया ..!!
हमारे कमरे में आते ही वरुण भड़कते हुए बोला .. कमसे काम मोका देख के तो बोल लिया करो की क्या बोल रही हो…क्या जरूरत थी ये कहने की सर से .. ये हम दोनों के बीच की बात है ओरों को हमारे बीच मैं क्यूँ लाती हो ..
मुझे अच्छा लगा कि उसने मुझे अपने मन की डांट लगायी .. और हम दोनों के झगडे को अपनी पर्सनल बात मानी और सार्वजनिक करने से मना किया।
मैंने उस से कहा .. अगर यही बात पहले आपके होठों से फूट पड़ती तो मुझे गैरों से आपको सिले हुए होंठो को खुलवाना ना पड़ता…
बस इतना कहने की देर थी उसने कहा .. कृति यू आर टू मच .. यू आर जस्ट इम्पोस्सिब्ल ..!!!
तुम्हारे साथ रहना तो दूर , बात करना ही बेकार है…
उसके बात ख़तम होने से पहले ही मैंने उसे कहा- सो यू डू ..!!
(जाने क्यूँ हम दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए बे-इन्तहां प्यार होते हुए भी हमारा ज्यादातर वक्त झगडों और लडाइयों में गुजरता था )
ये सब सुनने के बाद .. वो बिस्तर पर खिड़की की ओर करवट लेके सो गया… ठीक दो घंटे बाद दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी .. मैंने खोलने से पहले अंदर से पूछा .. वो सर थे…
मैंने दरवाजा खोला .. और सर अंदर आये मैंने सर को बैठने के लिए कुर्सी दी… सर वरुण की तरफ़ देख के बोले .. इसे क्या हुआ .. मैंने कहा सर .. इसे कुछ हो भी नहीं सकता .. कुम्भकरण की इस छटी पुश्त को कहाँ से उठा के लाये हो… जब से आया है सो ही रहा है…पिछले दो घंटे से देख रही हूँ .. इस मनहूस टीवी पे भी तो न्यूज़ के अलावा कुछ और नहीं आता .. और फ़िर इन्सान एक दिन की अखबार कितनी बार पढ़ लेगा।
सर ने कहा तुम इतना ही बोरे हो रही हो तो मेरे साथ चलो मैं डिनर के लिए स्कूल कम्पाउंड में जा रहा हूँ ..(मुझे सर से ज्यादा वरुण पे भरोसा था .. इसीलिए मैंने जाने से मना कर दिया) मैंने कहा- नहीं सर मुझे भूख नहीं है, शाम को पकोड़े कुछ ज्यादा ही हो गए थे, अगर पेट ख़राब हो गया तो सुबह खेलना मुश्किल हो जाएगा .. और वैसे भी मैं भी सोने की ही तैयारी कर रही थी .. सर कहते- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो .. पर हाँ कल सुबह 8 बजे नीचे मुख्य हॉल में पहुँच जाना .. 9 बजे तुम दोनों का मैच है चंडीगढ़ के साथ ..!! सर ने मुझे गुड नाईट किया
.. और सर के जाने के बाद में अपने बिस्तर पे लैंप जला के अपना नोवेल पढ़ने लगी…पर थोड़ी थोड़ी देर बाद मुझे उसे देखने की इच्छा होती .. जाने मुझे क्या हो रहा था… वो इतना पास होते भी मुझे ख़ुद से दूर जाता हुआ महसूस हो रहा था .. पर मैं उसे चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी ..आँखों में उसे देखने की प्यास थी की ख़तम होने का नाम नहीं ले रही थी .. रात के 11 बज चुके थे .. और मैं सोने की नाकाम कोशिश कर रही थी .. परेशां थी .. ख़ुद से या उस से पता नहीं ..!!
बिस्तर पर उठ के बैठी ..तो देखा कि .. खिड़की से आती चाँद कि चंचल चांदनी परदे से छन छन के उसके चेहरे पे पड़ रही है .. उसके रेशमी धागों से बाल उसकी आँखों पे थे .. मैंने खिड़की के पास पड़ी कुर्सी उठाई और उसके चेहरे के ठीक आगे कुर्सी लगा के बैठे बैठे उसे निहारने लगी
..कुछ भी कहो .. उसे जितना देखती थी .. उसे और देखने कि इच्छा होती थी .. मैं उसके मोह जाल मैं फंसती जा रही थी. उसकी दांई हथेली उसके दांए गाल के नीचे ऐसे लग रही थी जैसे पत्ते पर ओस की पहली बूंद होती है… इतनी सौम्य कि बस देखते रहने का मन कर रहा था और वो इतने भोलेपन से सो रहा था जैसे बच्चा अपनी मां की गोद में सिर रख के सोता है…दुनिया से बेखबर, एकदम निश्चिन्त होके।
उसका बायाँहाथ उसके दाएं हाथ के नीचे रखा था और उसकी टांगें सुकड़ी हुई थीं… उसे पंखे की हवा में भी ठण्ड लग रही थी शायद ! मैंने उसे अपनी चादर औढा दी।
उसके रेशम से बाल कभी उसके माथे को चूमते तो कभी उसकी आंखों को हल्के से सहला के चले जाते, मानो उसकी आंखों में सपने भर रहे हों !!
यूं ही देखते देखतेवक्त गुज़र गया, सुबह के चार बज गए, पता ही नहीं चला…!!! इस से पहले वो जागता, मैंने कुर्सी वापिस उसी जगह रख दी जहां पड़ी थी और खिड़की के पास जा के खड़ी हो गई क्योंकि नींद तो मुझे आने वाली थी नहीं… और फ़िर आए भी क्यूं… मैं अपनी जिन्दगी के कुछ यादगार लम्हें गुजार रही थी जिन्हें शायद ही मैं कभी भूल पाऊंगी…!!!
धीरे धीरे रात की कालिमा को भोर के उज़ियारे ने धो दिया। आसमान में चिड़ियाँगश्त लगाने लगी थी, पन्छी हर तरफ़ गाने लगे थे, मानो सभी को उठने का संदेश दे रहे हों… और सबको शुभ-प्रभात कह रहे हो ! तकरीबन साढे पांच बजे वो आंखें मलता हुआ उठा- अरे तुम तो काफ़ी जल्दी उठ गई… मुझे लगा कि अब तक तुम सो रही होगी !
तो मैंने कहा,’कुछ मूर्ख लोग होते हैं जो वक्त को इस तरह सो के बरबाद कर देते हैं पर मैं उन में से नहीं हूं…!!!
कहता- तुम सोई नहीं क्या…
मैंने आश्चर्यचकित होते हुए कहा- हैं…???
वो फ़िर बोला- तुम्हारी आंखें क्यों सूजी हुई हैं, रो रही थी क्या?!?!
मैंने कहा- आंसू पौंछने वाला अगर कोई होता तो शायद जरूर रोती… सहारा देने वाला होता तो शायद ठोकर खाकर जरूर गिरती… कोई हाथ थामने वाला होता तो शायद जरूर बहकती… पर अफ़सोस ऐसा कोई नहीं है…!!!
वो आंखें झुका के सब सुन ध्यान से रहा था.. खड़े होके मेरे पास आया..कन्धे पे हाथ रखके उसने मुझ से पूछा- क्या बात है?..सुबह सुबह शेर-ओ-शायरी ! क्या हुआ मेरी स्वीटी को…इतनी सेन्टी क्यूं हो?? किसी की याद आ गई क्या???
मैंने उसे कहा- याद उसकी आती है जो दूर हो… कोई है जो सब कुछ देखके भी आंखें बंद कर लेता है, सुन कर भी अनसुना कर देता है। वो हर वक्त मेरे पास होता है…पर मेरे साथ नहीं होता… पर पता नहीं मैं भी उसके इतने ही करीब हूँ या नहीं…
उसने मुझे दिलासा देते हुए कहा .. कोई पागल ही होगा जो तुमसे प्यार करना नहीं चाहेगा .. तुम उसे कह के तो देखो शायद कुछ हो जाए ..
मैंने कहा .. उसे कहने से कुछ फायदा नहीं उस बेदर्द में दिल ही नहीं है .. दिल होता तो शायद अब तक समझ जाता… (उसे अब तक पता नहीं चला था कि मैं उसी की बात कर रही थी .. इडियट कहीं का )
उसने कहा .. और ऐसा भी तो हो सकता है कि वो सब कुछ समझता हो, जानता हो.. वो सब कुछ तुम्हारी आँखों में पढ़ लेता हो, पर शायद तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हो .. शायद उसे लगता हो कि अगर वो कहेगा तो कहीं तुम उसे मना न कर दो .. कहीं उसे ये डर न हो कि उसकी इगो हर्ट हो जायेगी…
उसके शब्द सुन के मेरी आंखें भर आई .. क्यूंकि बस में जिसने मेरे दिल को इतनी चोट पहुंचाई .. क्या ये वरुण वही इन्सान था जो तब मुझसे इतने प्यार से बात कर रहा था…
मैं उसे तब भी कुछ नहीं कह सकी. . बस उसकी आँखों में झांकती रही और कब आखों से आंसू छलक गए पता भी नहीं चला .. उसने कंधे से हाथ हटा के मेरे आंसू पौंछे और मेरे सर पर अपना हाथ रख दिया .. उसने कहा .. थोड़े आंसू बचा लो .. तुम लड़कियों के पास एक यही तो हथियार है… उसे बर्बाद मत ।करो .. और हाँ थोड़े इसीलिए बचा के रखा करो क्यूंकि ये अनमोल हैं. और मैं तुम्हे रोते हुए नहीं देख सकता…
मुझे चुप कराने के बाद उसने कहा मैं मोर्निंग वाक् पे जा रहा हूँ, चलोगी?.. थोडी फ्रेश भी हो जोगी .. और थोड़ा वार्म अप भी कर लोगी .. लेग्स की मस्सल्स भी खुल जाएँगी .. और तुम्हे खेलते वक्त दिक्कत भी नहीं होगी ..मुझे उसकी बात ठीक लगी और मैं उसके साथ ट्रैक सुइट पहन कर मोर्निंग वाक् पे चली गई। वापिस आकर हम दोनों फ्रेश हुए अपने स्पोर्ट्स ड्रेस पहने और अपने अपने बल्ले ले के नीचे हॉल मैं चले गए .. जहाँ सर नाश्ता कर रहे थे…
हमारे पहुँचते ही सर ने कहा- अरे आ गए तुम दोनों .. वैरी गुड ! वरुण ने व्हाइट शोर्ट्स और टी -शर्ट पहनी थी .. और सर पे हेयर-बैंड था ताकि बाल खेलते वक्त उसकी आखों में ना आयें… मैंने चोटी बनाई थी .. एक व्हाइट टी -शर्ट और व्हाइट मिनी स्कर्ट पहनी थी ..हाँ इस बार वरुण ने मेरी स्कर्ट को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई .. क्यूंकि उसे मालूम था टेनिस में कभी कभी एक और से दूसरी और तेज़ और बड़े क़दमों से भागना पड़ता है .. जो कि लम्बी स्कर्ट में नहीं किया जा सकता ..
हम दोनों तैयार थे। नाश्ते में हमने एक एक ग्लास ओरंज़ जूस और कुछ फल लिए ..और पहुँच गए गेम वेन्यु पर ..9 बजे खेल शुरू होना था .. हमारी प्रतिद्वंदी टीम चंडीगढ़ के स्कूल की थी। लड़की सुंदर थी (ज्यादातर सरदारनियाँ सुंदर होती हैं ) उसके नैन नक्श एक दम टिपिकल सरदारनियों जैसे थे और लड़का सरदार था। हमारा खेल शुरू हुआ, हम दोनों को शुरू में तालमेल की वजह से कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पर ब्रेक में वरुण ने मुझे उसके साथ खेलने के कुछ टिप्स सिखाये और नेक्स्ट हाफ में हमने बहुत अच्छा किया और हम मैच जीत गए।
12 बजे खेल ख़तम हुआ। ये हमारा क्वाटर फाईनल था। इसके बाद हमें सेमी फाइनल में जयपुर के स्कूल की टीम के साथ खेलना था और वो मैच उसी दिन 2 बजे होना था। मुकाबला कड़ा था। खेल शुरू होने से पहले हम दोनों ने एक दूसरे को बेस्ट ऑफ़ लक कहा और कड़ी मेहनत के बाद हम वो गेम 6 -4, 5 -4, 6 -5 से जीत गए। गेम 4.30 बजे ख़तम हुआ। निकलते समय मैंने दूसरी टीम की लड़की से हाथ मिलाया और वरुण ने लड़के से .. उसके बाद वरुण ने लड़की से मिलाया और मैंने लड़के से।
सामने वाली टीम के लड़के ने मुझसे हाथ मिलते वक्त कहा कि मैं ये मैच जीत जाता अगर तुम न खेल रही होती, मेरा सारा ध्यान तो तुम्हारी टांगों पर था, सच कहूँ युअर लेग्स आर सो स्टन्निंग .. ये सुनने के बाद मैंने सीधा वरुण के चेहरे पे देखा, उसने बात सुनी थी पर उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, हाथ छुड़ाने पर मुझे अपने हाथ मैं एक पर्ची मिली, जो हाथ मिलाते वक्त उस लड़के ने मेरे हाथ पे रखी थी, उसपे लिखा था .. ‘7 बजे शाम को इसी मैदान की पार्किंग में मिलो.!!!!’
हम सर के साथ वापिस होटल आ गए। उस वक्त 5 .30 बजे थे। सर हमारी बहुत तारीफ़ कर रहे थे, पर मैं अपने मन में यही सोच रही थी कि अभी डेड़ घंटा बाकी है। हम दोनों कमरे में गए, और मैंने वो स्लिप मेज़ पे रख दी। पहले वरुण फ्रेश हो के बाहर आया, और मैं फ्रेश होने बाथ रूम में चली गई। मैं नहा ही रही थी, मुझे लगा कि कमरे का दरवाजा खुला है। मैंने वरुण को अंदर से ही आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नहीं मिला। जल्दी जल्दी में मैंने नहाना धोना ख़तम किया और कपड़े पहन के बाहर आई। 6.45 हुए थे, मुझे पता था वरुण कहाँ गया है।
मैं भी उसके पीछे पीछे चल दी। वहां पहुँच के मैंने सिर्फ़ इतना देखा कि वरुण पार्किंग से बाहर आ रहा है, मैं छुप गई और उसके जाने के बाद मैं पार्किंग में गई। वहां वो लड़का एक गाड़ी के पीछे जख्मी पड़ा था। वरुण ने उसे बहुत मारा था, मेरे पहुँचते ही वो रो रो के सॉरी मैडम, सॉरी दीदी कहने लगा और तो और पाँव छूने लगा।
उसने मुझसे कराहती हुई आवाज़ में कहा- वो आपका भाई है क्या?
मैंने कहा- नहीं! उसने फ़िर से पूछा- प्रेमी???
मैंने कहा नहीं ! हम दोनों का रिश्ता इन सब रिश्तों से ऊपर है .. वो तुम नहीं समझोगे .. आज जो तुमने गलती की .. दोबारा किसी के साथ मत करना .. ये कह के मैं वहां से निकल गई .. निकलते समय मैंने…ग्राउंड की अथॉरिटी को इन्फोर्म किया कि पार्किंग मैं कोई लड़का जख्मी पड़ा है और उसे फर्स्ट ऐड की जरूरत है।
उसके बाद मैं होटल पहुँची, करीबन 7 .30 बजे। उसने आते ही पूछा- कहाँ गई थी? मैंने कहा- जहाँ तुम गए थे! कहता- मैं तो कहीं नहीं गया, यहीं था, थोड़ी देर के लिए सर के कमरे में गया था, लौटा तो देखा तुम कमरे में नहीं हो।
मैंने कहा,’ जब तुम्हे झूठ बोलना आता नहीं तो बोलते क्यूँ हो… क्यूँ मारा तुमने उस लड़के को…’ वरुण कहने लगा ..’किस लड़के को .. तुम किसकी बात कर रही हो .. ‘
मैं चुप हो गई मैं उसके जख्मों को कुरेदना नहीं चाहती थी .. और न ही दोबारा झगड़ा करना चाहती थी .. हम दोनों बहुत थक गए थे .. और आज भी कल ही की तरह बिना खाए पिए सो गए .. और उस दिन मुझे चैन की नींद आई .. क्यूंकि मैं आश्वस्त हो चुकी थी की वरुण के दिल में भी मेरे लिए कुछ न कुछ तो जरूर है…
सुबह 10 बजे हमारा फाइनल था मुंबई टीम के साथ .. मैं जल्दी उठ गई .. आज का दिन मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था .. इसलिए नहा धोकर पूजा की .. तब तक वरुण भी उठ गया .. रोज़ की तरह आज फ़िर से वो मोर्निंग वाक् पे गया ..जाने से पहले उसने मुझसे पूछा ..पर मैंने ही मना कर दिया .. क्यूंकि कमरे पर और भी काम थे करने को .. पैकिंग करनी थी .. चेक आउट करना था…
जब वो मोर्निंग वाक् से आया तब तक मैं दोनो बिस्तर ठीक कर चुकी थी, हम दोनों के बैग पैक कर चुकी थी उसके पहनने वाले कपड़े निकाल के रख दिए थे (बिल्कुल बीवियों की तरह ) आने के बाद उसने पूछा- अरे! ये कमरा इतना व्यवस्थित कैसे हो गया? मैंने कहा- मैंने किया और कौन करेगा? कहता- तुम कबसे इस होटल की सफाई कर्मचारी बन गई… और यह कहके हंसने लगा… मैंने भी उसकी बैटन को मजाक मैं लेते हुए कहा .. जब से तुम जमादार बने हो तभी से…
मैं उसके आने तक तैयार हो चुकी थी, आने के बाद वो भी नहा धो के तैयार हो गया, हम दोनों अपने अपने बैग ले के नीचे पहुंचे। सर हमारा इंतजार कर रहे थे। हम तीनों ने रजिस्टर पर चेक आउट करने के लिए हस्ताक्षर किए और सामान उठा के स्टेडियम चले गए। वहां लॉकर में सामान रख दिया। तब तक 9 .45 हो चुके थे, मैच शुरू होने में सिर्फ़ 15 मिनट बाकी थे।
मैच शुरू हुआ। मुंबई टीम का लड़का बेहद स्मार्ट था, और लड़की सांवली सी थी लेकिन उसके फीचर बहुत अच्छे थे। उनकी टीम बहुत अच्छे खेल के प्रदर्शन के बाद यहाँ तक पहुँची थी। मैं बहुत नर्वस थी (ऐसे मौकों पर मैं अक्सर नर्वस हो जाया करती हूँ ) मुझे ख़ुद पे भरोसा नहीं था कि मैं इन्हे चुनौती दे भी पाऊँगी या नहीं, पर वरुण पे भरोसा था…उनकी टीम ने हमारा खेल पिछले दो मैचों में देखा था।
खैर पहला सेट हम जीत गए, पर दूसरा सेट शुरू होने के साथ बाल बार बार मेरी तरफ़ ही आ रही थी और वरुण बार बार भाग कर बाल अपने बल्ले पर ले रहा था। वो जानता था कि मैं कांफिडेंट नहीं हूँ और ये बात सामने वाली टीम को भी पता थी। इसीलिए वो हमारी कमजोरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर कार वही हुआ जिसका डर था- वरुण भी आखिर कब तक अकेले मोर्चा संभालता, वो भी इन्सान है उसे भी थकन होती है, नतीजतन हम दूसरा सेट हार गए और फ़िर एक के बाद एक तीसरा और चौथा भी ..
हम मैच हार गए ..
और सब कुछ हुआ मेरे कारण .. जब ये बात मैंने वरुण से कही .. तो उसने कहा हम मैच तुम्हारी वजह से नहीं हारे .. हम मैच इसलिए हारे क्यूंकि .. मेरी प्रक्टिस वंशिका के साथ हुई थी, तुम्हारे साथ नहीं, ऐसे में दिक्कतें तो आती ही हैं। सर ने भी मुझे दिलासा देते हुए कहा- कोई बात नहीं बेटे ! तुम तीन में से 2 मैच तो जीते न, ये मत देखो कि तुम आखिर में हारे या जीते .. तुम ये देखो कि तुमने खेल भावना से खेले या नहीं .. अगर हाँ तो तुम हारने के बावजूद जीत गए क्यूंकि इस से तुम्हे बहुत कुछ सीखने को मिला और फ़िर हर हार के बाद कोई कुछ न कुछ तो सीखता ही है, तुमने भी सीखा ही होगा .
जब तक खेल में कोई हारेगा नहीं तो सामने वाला जीतेगा कैसे…!! सर की बातों ने मुझ पे और मेरे मूड पे काफी असर किया .. उसके बाद हमने कुछ रेफ्रेश्मेंट्स ली और थोड़ी देर आराम करने के बाद हम वहां से 2 बजे निकल पड़े बस लेने के लिए। बसों की हड़ताल थी इसलिए हमें टैक्सी करनी पड़ी। सर साथ में थे इसलिए रास्ते भर हमने ज्यादा बातचीत नहीं की और सर ने मुझे करीबन 7 बजे और वरुण को मेरे बाद टैक्सी से ही हमारे घर छोड़ा।
इस एक्सपेरिएंस के बाद मुझे तो पूरा यकीन हो गया भले वरुण बाहर से दिखाता न हो .. पर उसके मन में एक सॉफ्ट कार्नर जरूर है मेरे लिए .. शायद इसलिए क्यूंकि .. मैं उसकी सबसे करीबी और अच्छी दोस्त थी .. या फ़िर शायद कुछ और…
ये आपको मेरी आगे वाली कहानियों में पता चलेगा… कि उसके दिल में आखिर क्या था .. और वो मुझ से दूर जाने की कोशिश क्यूँ करता था ….
आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे अपने विचार केवल और केवल ईमेल के ज़रिये भेजें .. मुझे आपके फीड बैक का इंतज़ार रहेगा ..
मेरी मेरे पाठकों से तहे दिल से गुजारिश है कि वो मुझसे केवल कहानी से जुड़े सवाल ही करें… अश्लील सवालों के उत्तर नहीं दिए जायेंगे ..
पाठको से ये भी अनुरोध है कि आप अपनी लेखिका कि मजबूरी को समझ कर निजी से ज़िन्दगी से जुड़े सवाल भी न करें… मैंने वरुण और अपनी कहानी अन्तर्वासना पर भेजने से पहले वरुण से ये वायदा किया है कि .. मैं अपनी से जीवन से जुड़ी कोई बात यहाँ नहीं लिखूंगी .. जैसे कि मेरा नाम, शहर, मेरी उमर, मेरी फिगर .. इसलिए आपसे अनुरोध है कि ऐसे सवाल न करें जिनका मैं जवाब न दे सकूँ…
कहानी पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद… Hindi Sex Stories
यह आज से एक साल पुरानी बात है, मुझे चेटिंग Antarvasna करने का बहुत शोक है और मैं चेटिंग पर लड़कियों और शादीशुदा औरतों से सेक्स की बातें किया करता था। उनको चेट के जरिये चोदा करता था, मजा आता था इस सब में। मुझे पर फ़िर धीरे धीरे वस्तविक सेक्स करने की इच्छा होने लगी। इसलिए मैंने चेटिंग पर असंतुष्ट महिला की तलाश शुरू कर दी।
एक दिन मैं चेट करने के लिए किसी को ढूंढ रहा था, तभी मुझे एक प्राइवेट मैसेज मिला, वो एक औरत का मैसेज था। वो अपने पति से असंतुष्ट थी, उसका नाम रचना था, उसकी उमर ३२ साल थी। उसने मुझे अपना फ़ोन नम्बर दिया और शाम को फ़ोन करने के लिए बोला। मैंने जब शाम को उसको फ़ोन किया थो उसने मुझसे ज्यादा बात ना करते हुए सिर्फ़ अपना पता दिया और २ दिन बाद आने के लिए कहा।
मैं जब उसके घर गया तो वो अकेली थी। वो एक बहुत ही सुंदर महिला थी उसको देख कर लगता नहीं था कि वो ३२ साल ही की है। हम दोनों सोफे पर बैठ गए और बात करने लगे। मैंने उससे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?
तो वो कहने लगी कि वो एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में काम करता है और ज्यादातर बाहर ही रहता है इसीलिए उसको समय नहीं दे पाता और वो तड़पती रहती है। उसकी शादी को ५ साल हो गए लेकिन उनके कोई बच्चा भी नहीं है। फ़िर वोह रोने लगी। मुझे उस पर बहुत दया आई और मैं उठकर उसके पास गया और उसको चुप करने लगा।
वो एकदम से मुझसे चिपट कर रोने लगी। मुझे उसकी चुचियों का दबाव अच्छा लगने लगा और मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मैंने उसकी कमर पर हाथ फिराना शुरू कर दिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा। अब उसकी रोने की सिसकी मस्ती की सिसकी में बदल गई। मैं धीरे धीरे उसकी चुचियों को दबाने लगा। उसकी चूची एकदम टाइट हो गई। अब वो पूरी तरह मस्ती में आ चुकी थी।
मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया और ब्रा भी। मैं तो उसकी चूची देख कर हैरान रह गया, क्या मस्त एक दम सीधी खड़ी थी !
मैंने उनको जोर जोर से दबाना और चूसना शुरू कर दिया। उसने भी मेरी पैंट खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगी। वो मेरा लण्ड देख कर बहुत खुश हो गई, कहने लगी कि उसके पति का तो बहुत छोटा है !
फ़िर उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मैंने उसके। उसका खूबसूरत नंगा जिस्म देख कर मैं तो पागल हो गया। मैंने उसको वहीं ज़मीन पर लिटाया और उसके पूरे शरीर पर किस करना शुरू कर दिया। वो जोर जोर से आआआआअह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊमम्म्म्म्म करने लगी।
फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और चोदने लगा। उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी। उसको बहुत मजा आ रहा था। फ़िर मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसको चाटने लगा। उसके दाने को जीभ से सहलाने लगा। वोह जोर जोर से अपनी गांड उठाने लगी और चिल्लाने लगी- जोर जोर से करो ! मैं झड़ने वाली हूँ ! आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊस्स्स्स्स्स्स्म्म्म्म्म करने लगी।
तभी उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया और झड़ने लगी। मैं उसका सारा पानी पी गया। फ़िर वो खड़ी हो गई और मुझसे लिपट गई और कहने लगी- जीतू आज तक मैं प्यासी थी, तुमने आज मुझे संतुष्ट कर दिया !
मैंने कहा- जान ! अभी तो आधा काम हुआ है !
और फ़िर मैं उसको अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा कर उसकी चूची को चूसना शुरू कर दिया। वो दोबारा गरम होने लगी। मैंने उसके ड्रेसिंग से तेल उठाया और उसके पूरे बदन पर डाल कर मालिश करने लगा। वो मस्ती में जोर जोर से चिल्लाने लगी- येस्स ! स्स्स्स्स आआआआअ ऊऊ !
मैं धीरे धीरे उसकी गांड में ऊँगली डालने लगा। वो एक दम से उछल पड़ी और मुझे देख कर मुस्कराने लगी। उसकी आँखों में वासना थी। फ़िर मैंने उसको उल्टा किया और उसकी गांड चाटने लगा। वो मस्ती से बोलने लगी। मैंने उसकी गांड में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसा दी और उसको चोदने लगा।
फ़िर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड पर लण्ड रखा। वो कहने लगी कि धीरे करना ! मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई !
मैंने धीरे से अपना लण्ड गांड में दबाया और एक झटका दिया। जैसे ही गांड में लण्ड का टोपा घुसा, वो चिल्ला पड़ी।
मैं रुक गया और उसकी चूची दबाने लगा। उसको मजा आने लगा। फ़िर मैंने एक झटका जोर से लगा दिया पूरा का पूरा लण्ड तेल की वजह से गांड को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वो जोर से चिल्ला पड़ी और रोने लगी। फ़िर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसको सीधा करके उसकी चूत मे लण्ड घुसाने लगा।
मैंने धीरे से लण्ड चूत मे डाला तो चूत के पानी की वजह से लण्ड जाने लगा और धीरे धीरे मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत मे घुसा दिया। उसकी चूत बहुत टाइट थी, शायद उसके पति ने उसे ज्यादा नहीं चोदा था उसको, जैसे कि उसने बताया था।
खैर जैसे ही मैंने एक झटका दिया, वो जोर से बोली- जीतू प्लीज़ ! धीरे ! मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है, आराम से करो !
मैंने धीरे धीरे झटके देने शुरू कर दिए और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत की गहराई में उतारने लगा। उसको अब मजा आने लगा और वो अपनी गांड उठाने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और तेज तेज चोदने लगा।
तभी उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी पीठ में अपने नाखून गड़ा दिए और चिल्लाते हुए झड़ने लगी। फ़िर मैंने उसको घोड़ी बना कर उसकी गांड में लण्ड डाल दिया और उसको चोदने लगा। अब वो मस्ती में थी। मैं कभी उसकी चूत में लण्ड डाल कर चोदता तो कभी गांड में। वो फ़िर से झड़ गई। अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला और जोर जोर से चोदने लगा।
मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके पैर उसके कंधो तक मोड़ कर उठा दिए। इससे मेरा लण्ड सीधा उसकी बच्चेदानी तक पहुँचने लगा। अब मैं झड़ने ही वाला था कि वो भी झड़ गई और मैं भी !
मैं इतनी जोर से पहले कभी नहीं झड़ा था। मैं १५ मिनट तक उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसकी और मेरी आँख लग गई। करीब १ घंटे बाद मेरी आँख खुली तो वो सो रही थी। मैं धीरे से उठा और उसको देखने लगा। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला, मैं उसके गोरे बदन को सहलाने लगा। इससे वो भी उठ गई और मेरा लण्ड पकड़ कर सहलाते हुई कहने लगी- जीतू तुमने आज मुझे पूरी औरत बना दिया है !
और मेरा लण्ड चूसने लगी। उसके मुँह में लण्ड जाते ही मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया चोदने के लिए। मैंने फ़िर उसको कुतिया की तरह और कई प्रकार से चोदा और फ़िर उसकी चूत मे ही झड़ गया।
घड़ी में समय देखा तो शाम के ५ बज रहे थे। मैं उठा और अपनी कपड़े पहनने लगा। यह देख कर वो मुझसे लिपट गई और कहने लगी- आज की रात मत जाओ ! कल चले जाना !
दोस्तों उसकी इतनी प्यार से की गई प्रार्थना की वजह से मैं रुक गया और रात भर मैंने उसको ४-५ बार चोदा अलग अलग तरीके से।
सुबह उसके चेहरे पर एक चमक थी और संतुष्टि भी। मैंने अपनी कपड़े पहने और जाने लगा तो उसने मुझे ५००० रुपए दिए। मैंने मना कर दिया तो भी उसने मुझे जबरदस्ती ३००० तो दे ही दिए।
और मैं फ़िर मिलने का वादा करके वापस आ गया। उसके बाद उसने मुझे ३-४ बार बुलाया और अपनी एक फ्रेंड से भी मिलवाया।
यह कहानी फ़िर अगली बार !
तब तक आप सब लड़कियां, भाभी और आंटियाँ अपनी चूत में ऊँगली डाल कर अपना पानी निकालो !
तो कैसी लगी मेरी कहानी मुझे मेल करें ! Antarvasna
भाभी मुझसे लगभग बारह Antarvasna साल बड़ी थी। मैं उस समय कोई 18-19 साल का था। घर पर सभी मुझे बाबू कह कर बुलाते थे।
भाभी की तेज नजरें मुझ पर थी, वो मेरे आगे कुछ ना कुछ ऐसा करती थी कि मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। वो शरीर में भरी पूरी थी और बदन गदराया हुआ था, उनके सुडौल स्तन बहुत ही मनमोहक थे और थोड़े भारी थे। मुझे भाभी के बोबे और मटके जैसे चूतड़ बहुत अच्छे लगते थे। मेरी कमजोरी भी यही थी कि जरा से भाभी की चूचियाँ हिली या चुतड़ लचके, बस मैं उत्तेजित हो जाता था और लण्ड को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था।
भाभी को भी यह बात शायद मालूम हो गई थी कि उनके कोई भी एक्शन से मेरा बुरा हाल हो जाता था।
आज भी कमरे में सफ़ाई कर रही थी वो… उसके झुकते ही उसके बोबे झूल जाते थे, और मैं उन्हें देखने में मगन हो जाता था। वो जान कर कर के उन्हें और हिलाती थी। मुझे वो तिरछी नजरों से देख कर मुस्कराती थी, कि आज तीर लगा कि नहीं।
वो अपने गोल मटोल चूतड़ मेरी तरफ़ करके हिलाती थी और मुझे अन्दर तक हिला देती थी।
आज घर पर कोई नहीं था तो मेरी हिम्मत बढ़ गई, सोचा कि अगर भाभी नाराज हुई तो तुरंत सॉरी कह दूँगा।
मैं कम्प्यूटर पर बैठा हुआ कुछ देर तक तो उनकी गोल गोल गांड देखता रहा। बस ऐसा लग रहा था कि उनका पेटीकोट उठा कर बस लण्ड गांड में घुसा दूँ।
बस मन डोल गया और मैंने आखिर हिम्मत कर ही दी।
“बाबू, क्या देख रहे हो?”
“भाभी, बस यूँ ही… आप अच्छी लगती हैं!”
वो मेरे पास आ गई और सफ़ाई के लिये मुझे हटाया।
मैं खड़ा हो गया। अचानक ही मेरे में उबाल आ गया और मैं भाभी की पीठ से चिपक गया और लण्ड चूतड़ों पर गड़ा दिया।
भाभी ने भी जान कर करके अपने चूतड़ मेरे लण्ड से भिड़ा दिया।
पर उनके नखरे मेरी जान निकाल रहे थे- बाबू, हाय! क्या कर रहा है!
“भाभी अब नहीं रहा जा रहा है!”
भाभी ने अपनी गांड में लण्ड घुसता महसूस किया और लगा कि उसकी इच्छा पूरी हो रही है। वो पलटी और और मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी भारी चूचियाँ मेरे शरीर से रगड़ दी।
“हाय, पहले क्यूँ नहीं किया ये सब?” और मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मुझे भी साफ़ रास्ता मिल गया। मेरी हिम्मत ने काम बना दिया- आप इशारा तो करती, मेरा तो लण्ड आपको देखते ही फ़ड़क उठता था, लगता था कि आपको नंगी कर डालू, लण्ड घुसा कर अपना पानी निकाल दूँ!
“कर डाल ना नंगी, मेरे दिल की निकाल दे, मुझे भी अपने नया ताजा लण्ड का स्वाद चखा दे रे!” भाभी का बदन चुदने के लिये बेताब हो उठा था।
“भाभी, तुम कितनी मस्त लग रही हो, अब चुदा लो ना, मेरा लण्ड देखो, निकालो तो सही बाहर, मसल डालो भाभी, घुसा डालो अपनी चूत में!” मेरा लण्ड तन्ना उठा था।
“बस बिस्तर पर आजा और चढ़ जा मेरे ऊपर, मुझे स्वर्ग में पहुंचा दे, बाबू चोद दे मुझे…” भाभी चुदने के लिये मचल उठी।
भाभी मुझसे ज्यादा ताकतवर थी। मुझे खींच कर मेरे बिस्तर पर लेट गई।
“पेटीकोट ऊपर कर दे, चाट ले मेरी चूत को!”
मैंने उसका कहा मान कर पेटीकोट ऊपर कर दिया, उसकी काली काली झांटों के बीच गीली चूत, गुलाबी सी नजर आ गई। मैंने झांटों को पकड़ कर चूत का द्वार खोला और मेरी लम्बी लपलपाती जीभ ने उसे चाट लिया।
रस भरी चूत थी। एक अन्दर से महक सी आई तो शायद उसके चूत के पानी की थी। उसका हाथ मेरे तन्नाये हुए लण्ड पर पहुंच गया और उसने जोश में उसे मुठ मारने लगी। उसके मुठ मारते ही मुझे तेज मजा आ गया मेरा शरीर एक दम से लहरा उठा। उसने कुछ ही देर मुठ मारा और मेरी जान निकल गई, मेरा यौवन रस छलक उठा, वीर्य ने एक लम्बी उछाल भरी और मेरा जिस्म जैसे खाली होने लगा।
“भाभी, ये क्या किया, मेरा तो रस ही निकाल दिया!” मैंने गहरी सांस ली।
“मजा आया ना? अभी तो और मजा आयेगा!” उसने मुझे सीधा किया और अपने से चिपका लिया, मुझे पलट कर अपने नीचे दबा लिया और अपना भारी बदन का वजन मेरे ऊपर डाल दिया, अपने होंठो से मेरे पूरे शरीर को गीला कर दिया।
भाभी के बदन से मुझे एक तरह की खुशबू आ रही थी तो मुझे मदहोश कर रही थी। मैं थोड़ा सा कसमसाया और अपने आप को एडजस्ट करने लगा।
पर भाभी ने मुझे और कस कर चारों और से एक बेबस पंछी की तरह से दबोच लिया।
“भाभी, भैया आपको…”
“बाबू, अभी नाम मत ले उनका, बस मुझे अपने मन की करने दे!” उसके बाल मेरे चेहरे पर फ़ैल गये थे, उसका नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म से रगड़ खा रहा था। उसके बोबे मेरी छाती को नरम नरम अहसास दे रहे थे।
“तुझे क्या अच्छा लगता है रे मुझ में?”
“आपके बड़े बड़े बोबे और… और…”
“हां, हां और… बता ना!”
“आपके खूबसूरत चूतड़, गोल-गोल, मस्त, बस लगता है चूतड़ो में लण्ड घुसेड़ दूँ!”
“चल अपनी इच्छा पूरी कर ले पहले, तू मस्त हो जा, देख मेरी पिछाड़ी मस्ती से चोदना!” और वो उठ कर घोड़ी बन बन गई।
उसकी जबरदस्त पकड़ से छूट कर मैंने एक गहरी सांस भरी।
उसकी गांड खुल कर सामने आ गई, दोनों गोल गोल चूतड़ अलग अलग खुल गये, दरार साफ़ हो गई, खूबसूरत सा प्यारा छेद सामने नजर आने लगा।
उसे देख कर सच में लण्ड उछल पड़ा, मस्ती में झूमने लगा। मेरे दिल की कली खिल गई, मन मुराद पूरी हो गई। कब से उनके चूतड़ों को देख कर मैं मुठ मारता था, उन्हें सपनों में देख कर उनकी गांड मारता था, झड़ जाता था, पर आज सच में हसरत पूरी हो रही थी।
“भाभी, तैयार हो ना?” मेरा लण्ड अपने आपे से बाहर हो रहा था, मुझे लगा कि कही झड़ ना जाऊँ।
“हां बाबू…. जल्दी कर, फिर चूत की बारी भी आनी चाहिये ना!” भाभी की भी तड़प देखते ही बनती थी, कितनी बेताब थी चुदाने को।
मैंने अपने लण्ड पर चिकनाई लगाई और उसकी गांड पर भी लगा दी और चिकना लण्ड का मिलाप चिकने छेद से हो गया। मैंने उसके झूलते हुए स्तन थाम लिये और उन्हें मसलना शुरू कर दिया। फिर दोनों ने अपना अपना जोर लगाया और भाभी के मुख से हाय की सिसकारी निकल पड़ी। चिकना लण्ड था इसलिये अन्दर सरकता चला गया।
“हाय रे मजा आ गया, तेरा मोटा है उनसे… चल और लगा!”
“दर्द नहीं हुआ भाभी…”
“नहीं मेरी गांड सुन्दर है न, वो भी अक्सर पेल देते हैं, आदत है मुझे गांड मरवाने की!”
“तो ये लो फिर… मस्त चुदो!” मैंने स्पीड बढ़ा दी.
भाभी की गांड सच में नरम थी और मजा आ रहा था। भाभी ने भी अपनी मस्त गांड आगे पीछे घुमानी शुरू कर दी। उसके गोल गोल चूतड़ के उभार चमक रहे थे, उसकी दरार गजब ढा रही थी। लटके हुए बोबे मेरे हाथ में मचल रहे थे, उसके निपल काले और बड़े थे, बहुत कड़े हो रहे थे। निप्पल खींचते ही उसे और मजा आता था और सिसक उठती थी।
“हाय रे भाभी, रोज़ चुदा लिया करो, क्या मस्ती आती है!” मेरे झटके बढ़ चले थे।
“तेरे लण्ड में भी जोर है, जो अभी तक छूटा नहीं, चोदे जा… मस्ती से… मुझे भी लगे कि मैं आज चुद गई हूं!” भाभी मस्त हो उठी, भाभी के मुख से सीत्कारें निकल रही थी।
“मस्त गांड है भाभी, रोज गांड देख कर मुठ मारता था, आज तो बस… गांड मार ही दी!”
“मन की कर ली ना बस… अब बस कर… कल चोद लेना… मेरी चूत पेल दे अब!” भाभी ने पीछे मुड़ कर नशीली आंखों से देखा।
मैंने अपना लण्ड भाभी की ग़ाण्ड से निकाला और पहले उसकी गीली चूत को तौलिये से पोंछ डाला, उसे सुखा कर लण्ड को चूत में दबा दिया। सूखी चूत में रगड़ता हुआ लण्ड भीतर बैठ गया।
“अरे वाह… मजा आ गया, कैसा फ़ंसता हुआ गया है!” भाभी हाय कह कर सिसक उठी।
मुझे उनकी चूत में घुसा कर मजा आ गया, मैंने उसकी कमर पकड़ कर लण्ड का पूरा जोर लगा दिया, मुझे फिर भी चूत ढीली लगी। मेरे धक्के ऐसा लग रहा था कि किसी नरम से स्पंज से टकरा रहे हैं।
“हाँ भाभी, चूत तो कितनी नर्म है, गर्म है, आनन्द आ गया!”
उसने अपनी चूत और बाहर निकाल ली और चेहरा तकिये से लगा लिया। पर मुझे कुछ ठीक नहीं लगा, मैंने उसे धक्का दे कर चित लेटा लिया और उनकी टांगें अपने कन्धों पर रख ली और चूत के निकट बैठ कर लण्ड चूत में डाल दिया।
भाभी ने मुझे पूरा अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टांगों के बीच में भींच लिया। मैं उनके बोबे पकड़ते हुए उस पर लेट गया, मेरा लण्ड भाभी की चूत की गहराइयों को बींधता चला गया। उसे शायद पता चल गया था कि उसकी चूत टाईट नहीं है, तो उसने अपनी चूत क कसाव बढ़ा दिया और चूत सिकोड़ ली।
मेरी कमर अब जोर से चल पड़ी।
चूत कसने से पहले तो वो दर्द से कुलबुलाई, फिर सहज हो गई- जड़ तक चला गया, साला, तेरा सच में थोड़ा बड़ा है, मजा बहुत आ रहा है!
उसकी कमर भी अब हौले हौले चलने लगी, मेरा पूरा लण्ड खाने लगी।
दोनों की कमर साथ साथ चलने लगी, मैं भी उनकी लय में लय मिलाने लगा। लण्ड में एक सुहानी सी मीठी सी मस्ती चलने लगी।
कुछ देर के बाद कमर की लय तोड़ते हुए भाभी ने मुझे दबा कर नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और तेजी से धक्के मारने लगी और उसके मुँह से तेज सीत्कारें निकलने लगी।
“साले बाबू… मर गई, तेरी तो… भेन चोद… मैं गई… आईईईइ ओह्ह्ह्ह्ह… बाबूऽऽ… मर गई…!” कहते हुए वो मेरे से चिपक गई और चूत का जोर मेरे लण्ड पर लगाने लगी, बार बार चूत दबा रही थी।
अचानक उसकी चूत टाईट हो गई और मैं तड़प गया और मेरा वीर्य निकल पड़ा और वो निढाल हो कर मुझे पर पसर गई। मैं नीचे से जोर लगा कर उसकी चूत में वीर्य निकाल रहा था। वो भी चूत को हल्का हल्का कस कर पानी निकाल रही थी। मेरे लण्ड पर उसका कसाव और छोड़ना महसूस हो रहा था।
कुछ ही देर में हम अलग अलग पड़े हुए गहरी सांसें भर रहे थे।
“भाभी, आप तो मस्त है, कैसी बढ़िया चुदाई करती हैं, मेरी तो माँ चोद दी आपने!”
भाभी ने तुरन्त मेरे मुँह पर अंगुली रख दी- नहीं गाली नहीं, मस्ती लो पर गाली मत देना भेन चोद!” भाभी ने मुझे फिर से एक बार और दबा लिया, और हंस पड़ी।
“चल हो जाये एक दौर और… अब तू मेरी माँ चोद दे, भेन के लौड़े!” और उसकी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर बढने लगा। जिस्म फिर से पिघलने लगे… भाभी का मस्त बदन एक बार फिर वासना से भर उठा था. Antarvasna
मैं दिल्ली का रहने Hindi Sex Stories वाला हूँ ! मैं मैंट्रिक तक शिमला में पढ़ा हूँ ! शिमला में मेरा नानी घर है !
बात उन दिनों की है जब मैं अपने ननिहाल शिमला, कॉलेज की छुट्टियों में गया था। मेरी उम्र बीस वर्ष की थी। उन दिनों मेरे कॉलेज में तो छुट्टियाँ थी पर शिमला कॉलेज में नहीं थी। इसलिए मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ शिमला कॉलेज की लड़कियाँ देखने जाया करता था ! मेरे दोस्तों ने मेरी इंट्रो अपनी क्लास की कुछ लड़कियों से करवा दी थी जिनके साथ मैं कॉलेज में सारा दिन बिताया करता था। उनमें से एक लड़की मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही ध्यान देती थी। उसका नाम अनीता था, उसके पापा आर्मी ऑफिसर थे। उसका पारिवारिक माहौल आर्मी वालों की तरह बोल्ड था।
एक दिन उसने मुझे अपना फ़ोन नंबर दिया और कहा कि मैं उसे शाम को फ़ोन करूँ। पर मैंने उसे चिढ़ाने के लिय शाम को ना तो उसे फ़ोन किया और ना ही उसकी कॉल का जवाब दिया।
जब अगले दिन हम कॉलेज में मिले तब उसके पूछने पर कि कल तुमने फ़ोन क्यों नहीं किया, मैंने बहुत रूखे ढंग से कहा- मैं किसी और काम में व्यस्त था, सो मुझे तुम्हें फ़ोन करने का ध्यान नहीं रहा !
इस तरह के जवाब से वो बहुत नाराज हो गई और सारा दिन मुझसे बात नहीं की !
उस शाम हमारी एक और फ्रेंड चन्द्रिका के घर पर मैं चाये पीने गया, वहां पर अनीता भी थी। फिर हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे ! बातों बातों में चन्द्रिका अनीता को कहने लगी कि देव पर बहुत लड़कियाँ मरती है और हमारे कॉलेज की बहुत सी लड़कियाँ इसकी एक्स-गर्ल-फ्रेंड रह चुकी हैं !
मुझे लगा कि अब मेरे बारे में ये सब कुछ जान कर कम से कम अनीता तो कभी मेरे साथ नहीं फंसेगी ! पर इस बात का असर बिलकुल उल्टा हुआ ! अनीता मेरे बारे में मुझसे और चन्द्रिका से सब कुछ जानना चाहती थी !
मौका देख कर मैंने भी “दिल चाहता है” फिल्म का डायलोग मार दिया- मेरे बारे में इतना सब कुछ पूछ रही हो ! क्या मेरे साथ शादी करने का इरादा है ?
इस बात पर हम सभी हंसे और अपने अपने घर चले गए !
अगले दिन रविवार था, शनिवार रात को मैंने फ़ोन कर के अनीता को अकेले पहाड़ी वाले मंदिर में मिलने के लिए बुलाया, तब उसने जवाब दिया कि वो सोचेगी !
मैंने भी सोचा कि वो कहाँ आयेगी इतनी दूर, वो भी अकेली !!!
मैं अपने मामा के लड़कों के साथ स्विमिंग करने चला गया। मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि रात को मैंने अनीता को मिलने के लिए बुलाया है ! मेरी किस्मत खराब कि स्विमिंग पूल पर मेरा मोबाइल पानी में गिर कर खराब हो गया और उधर अनीता अकेले मंदिर में आ कर मेरा इंतजार करने लगी ! चार घंटों तक वीरान इलाके के मंदिर में वो लड़की मेरा इंतजार करती रही और मैं फ़ुद्दू स्विमिंग पूल में तैरता रहा !
मेरी इस हरकत से अनीता गुस्से से पागल हो कर चन्द्रिका के घर चली गई !
शाम को जब मैं चन्द्रिका के घर गया तो मुझे सारी बात का पता चला ! मैंने उसी समय अनीता को फ़ोन किया पर उसने काट दिया ! मैंने फिर फ़ोन किया तो उसने कहा कि वो मुझसे बात नहीं करना चाहती।
मुझे लगा कि वो मेरे हाथो से निकल गई !
अगले दिन हम कॉलेज मिले तो मैंने अनीता को क्लास बंक कर के मेरे साथ बैठे रहने को कहा, तब वो मान तो गई पर मुझसे कोई बात नहीं कर रही थी ! मैंने कल वाली बात के लिए माफ़ी मांगी तब वो रोनी आवाज में कहने लगी कि उसने कल चार घंटे मेरा इंतजार किया !
तब मैंने उसका हाथ पकड़ कर प्रोपोज किया, और वो कुछ ना बोल पाई!
कुछ दिन यूँ ही निकल गए।
फिर एक दिन वो कॉलेज के बाद मुझे अपने पापा से मिलाने उनके कमांड हेड क्वाटर ले गई ! फिर हमारा मिलना जुलना बढ़ गया और मैं अपने दोस्तों से मोटर साइकिल लेकर कॉलेज टाइम में उसे घुमाने ले जाया करता था !
एक दिन वो कॉलेज नहीं आई तब मैंने उसके घर पर यह पूछने के लिए फ़ोन किया कि वो कब तक आयेगी ! अनीता ने बताया की पापा को टूर पर जाना पड़ा है जिसके कारण आज जीप उसे छोड़ने नहीं आ सकती ! मेरा मन नहीं लग रहा था तो मैं फ्रेंड की कार ले कर उसके घर उसे लेने चला गया !
उसके घर पर दो बन्दूकधारी सुरक्षाकर्मियों ने जो अनीता की सुरक्षा के लिए थे, मुझे अंदर नहीं जाने दिया ! मैंने फ़ोन कर के अनीता को बताया तो वो जल्दी से बाहर आई ! उसने सुरक्षा कर्मियों से कहा कि जब भी मैं आऊँ तो मुझे ना रोकें !
मैं उसके घर पर गया और वो फटाफट तैयार होने चली गई ! रास्ते में मैंने पूछा कि उसने मेरे प्रोपोज़ल का कोई जवाब क्यों नहीं दिया तो वो कहने लगी कि लड़की के चुप रहने का मतलब उसकी हाँ होता है!
क्योंकि उसके घर पर कोई नहीं था तो हम शाम सात बजे तक बाजार में घूमते रहे ! जब हम वापिस जाने लगे तो उसने कहा कि वो लोकल बस से चली जाएगी पर मैं जिद कर रहा था कि मैं उसे घर छोड़ कर आऊँगा !
इस बात पर उसने कहा- तुम इतनी दूर से अकेले कैसे आओगे?
तो मैंने कहा- किसी भी तरह आऊँगा पर तुम्हें अकेले नहीं जाने दूंगा !
उसने कहा कि वो एक बात पर मुझे घर छोड़ने की इजाज़त दे सकती है यदि रात को मैं उसके घर पर ही रुक जाऊँ !
तब मैंने पूछा कि उसके सुरक्षा कर्मी यह बात उसके पापा को बता सकते है !
उसने कहा- मैं उनको छुट्टी दे दूंगी और कहूंगी कि रात मैं अपनी फ्रेंड के घर पर रुकूँगी !
रात मैं उसके घर पर रुका और अपने मामा जी को फ़ोन कर के बोल दिया कि मैं आज अपने दोस्त वरुण के यहाँ हूँ !
रात को हमने इकट्ठे खाना खाया फिर उसने मेरे सोने का इंतजाम अलग कमरे में कर दिया ! रात को हम काफी देर तक बातें करते रहे ! मैंने उसका हाथ पकड़ कर पूछा कि क्या मैं उसके हाथ को चूम सकता हूँ?
तो वो कुछ ना बोली और मैंने किस कर दिया ! उसके बाद तो चुम्बनों की बौछार कर दी उसके हाथों और मुँह पर ! फिर मैंने स्मूच किया ! यह मेरा और उसकी लाइफ का पहला स्मूच था ! पर मैं उस वक्त चोद नहीं पाया क्योंकि वो रोने लगी कि हम यह सब ठीक नहीं कर रहे !
ख़ैर मैंने जोर नहीं दिया क्योंकि मैं चाहता था कि सेक्स से पहले वो सामान्य हो जाए ! हम बाँहों में बाहें डाले सो गए ! थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि अनीता कि सांसें तेज हो रही हैं। मैं समझ गया और धीरे धीरे उसे सहलाने लगा। उसकी सांसें और तेज़ हो गई ! फिर मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला ! उसके स्तन ब्रा के साथ दबाए ! वो सिसकारियां भरने लगी ! फिर मैंने उसके और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और हमने अपनी जिंदगी का पहला सम्भोग किया !
इसके बाद हमने कई बार सम्भोग किया ! अब तो उसके सुरक्षा कर्मी भी मुझे पहचानते हैं और जब भी मैं उसके घर जाता हूँ तो सैल्यूट मारते हैं !
यह हमारी कहानी का पहला भाग है ! इसके आगे भी लिखूँगा यदि आप चाहें तो !!!!!!! Hindi Sex Stories
मैं इस साईट की लगभग सारी Sex stories पढ़़ता हूँ। मुझे सारी कहानियाँ बेहद ही अच्छी लगी। उनको पढ़ने के बाद मैं आपके लिये एक ऐसी कहानी लाया हूँ जिसे मैंने अपनी आँखों के सामने होते हुये देखा था। इससे पहले कि मैं अपनी कहानी को शुरु करूँ, सबसे पहले मैं उन दोनों लोगों का परिचय आपसे करा दूँ।
इस कहानी में दो लोग- कोई और नहीं एक मेरी माँ और दूसरा एक इन्सान मेरे ताऊ जी जिसकी उमर साठ साल की है। यह कहानी वैसे तो कुछ पुरानी है लेकिन मेरे सामने जब भी वो दिन याद आता है तो मुझे ऐसा लगता है कि यह कल की ही बात है। मेरा नाम मनीष है हमांरे परिवार में मैं, माँ और पापा हैं। मेरे पापा सेल्समैन हैं, वो कई कई दिनो तक बाहर रहते हैं…।
वैसे भी हमांरे सारे सम्बन्धी गांव में रहते हैं, हम साल में दो या तीन बार जाते हैं। वहाँ हमांरे ताऊ जी रहते हैं, उनकि पत्नी की मौत के बाद वो अकेले ही रहते हैं। हम नवरात्रि में गाँव जाने वाले थे। पापा भी आने वाले थे लेकिन उनको कुछ काम आ गया तब उन्होंने हम दोनों को गांव जाने के लिये कहा।
माँ ने कहा- ठीक है।
तब मैंने देखा कि माँ खुश थी और पैकिंग करने लगी। हम लोग सुबह की ट्रेन से गाँव पहुँच गये। वहाँ ताऊ जी हमें लेने के लिये आये हुये थे। माँ उनको देख कर खुश हो गई और ताऊ जी भी खुश हुए, उन्होंने पूछा- प्रवीण नहीं आया?
माँ ने कहा- उनको कुछ काम आ पड़ा है, वो दो तीन दिन बाद आयेंगे।
और ताऊ जी माँ को देखते रहे और माँ भी उनको देखते रही। मुझे कुछ दाल में काला नजर आया…
हम लोग बैलगाड़ी में बैठे और ताऊ जी ने मुझे कहा- तुम चलाओ।
मैंने कहा- ठीक है।
माँ और ताऊ जी पीछे बैठ गये। थोड़ी दूर चलने के बाद मैंने माँ की आवाज़ सुनी, पीछे देखा तो ताऊ जी का पैर माँ के साये में था और माँ ने मुझ से कहा कि सामने देख कर चलो।
हमें लोग घर पहुंचे तब माँ बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद बाहर आई…
ताऊ जी ने कहा- चलो, तुमको खेत में ले चलता हूँ।
माँ मुस्कुराते हुए बोली- हाँ चलिये।
मैं भी साथ था। हम लोग खेत में पहुँचे तो मैंने ताऊ को जी माँ की गाण्ड पर हाथ फिराते हुए देखा।
तब माँ ने कहा- लड़का इधर है, वो देख लेगा।
उनको पता नहीं था कि मैंने देख लिया था।
तब ताऊ जी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दूर जा कर खेलो। मुझे तुम्हारी माँ से बातें करनी हैं।
तो मैंने माँ को देखा तो माँ ताऊ जी के सामने देख कर मुस्कुरा रही थी और मुझे कहा कि तुम यहाँ से जाओ…
मैं वहाँ से चलने लगा और माँ-ताऊ जी भी खेत के अन्दर दूर जाने लगे। मुझे दाल में काला नज़र आया। मैं भी उनके पीछे पीछे गया तो देखा कि ताऊ जी माँ की दोनों एक पेड़ की आड़ में चले गये और माँ पेड़ से लग कर खड़ी हो गई। अब ताऊ जी अपना हाथ माँ के साये में डालने लगे और माँ भी अपना साया उठा कर उनका साथ देने लगी। लेकिन मुझे उनकी कोई भी बातें सुनाई नहीं दे रही थी, इसलिये मैं और नज़दीक गया और सुनने लगा। तब वो दोनों पापा की बातें कर रहे थे।
माँ कह रही थी- कितने दिन बाद मुझे यह तगड़ा लौड़ा मिल रहा है, वरना प्रवीण का लौड़ा तो बेकार है।
अब माँ के बुर को दोनों हाथ से फैलाया। माँ थोड़ा सा विरोध कर रही थी लेकिन उनके विरोध में उनकी हामी साफ दिख रहा थी। इसके बाद ताऊ जी माँ के बुर पर लण्ड सटा कर हलका सा कमर को धक्का लगाया। माँ के मुँह से अह्हहह की आवाज निकल गई।
मैं समझ गया कि माँ के बुर में ताऊ जी का लण्ड चला गया है। ताऊ जी ने कमर को झटका देना शुरू किया। ताऊ जी जब जब जोर से झटका लगाते थे माँ के मुँह से आआअहह की आवाज सुनाई पड़ती थी। कुछ देर के बाद जब ताऊ जी ने माँ की चूचियों को मसलना शुरु किया तो उनका जोश और भी बढ़ गया। एक तरफ़ ताऊ जी बुर में जोर से झटके लगाने लगे तो दूसरी तरफ़ माँ के चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे।
अब माँ की बुर में लण्ड जब आधे से ज्यादा चला गया तो माँ के मुंह से आआहह्ह नहीं आआ आह्हह की आवाज आने लगी। ताऊ जी ने माँ के होठों को चूसना शुरु कर दिया। लगभग आधे घण्टे चोदने के बाद ताऊ जी का बीज माँ की चूत में गिरा। माँ भी बहुत ही खुश थी। कुछ देर के बाद ताऊ जी ने लण्ड निकल लिया। माँ पांच मिनट तक लेटी रही।
माँ तब उठ कर जाना चाहती थी। ताऊ जी ने उनको रोक लिया, उन्होंने माँ से कहा- कहाँ जा रही हो?
तब माँ ने कहा- आज के लिये इतना बस!
ताऊ जी ने कहा- अभी तो और चुदाई बाकी है, रुक जाओ तुम।
तब ताऊ जी ने माँ के पीछे जा कर माँ की गाण्ड पर लण्ड रखा और कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा। माँ के मुँह से आआ आअह्हह हह्ह की आवाज निकलते ही मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में लण्ड चला गया। अब ताऊ जी ने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया और कुछ ही देर में पूरा लण्ड को माँ के गाण्ड में घुसा दिया। ताऊ जी माँ के गाण्ड को लगभद दस मिनट तक मारने के बाद जब धीरे धीरे शान्त पड़ गये तो मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में बीज गिर गया है।
ताऊ जी ने लण्ड को निकाल लिया तब माँ के पैर को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि माँ ने दोनों पैरों को पूरा सटा रखा था। ताऊ जी ने माँ की बुर को देखा, माँ से पूछा- पेशाब नहीं करोगी?
माँ ने गरदन हिला कर कहा- नहीं।
अब ताऊ जी ने जैसे ही लण्ड को माँ की बुर के ऊपर सटाया माँ ने अपने दोनों हाथों से अपनी बुर को फैला दिया। ताऊ जी ने लण्ड के अगले भाग को माँ की बुर में डाल दिया और माँ की चूचियों को पकड़ कर एक जोरदार झटके के साथ अपने लण्ड को अन्दर घुसा दिया।
माँ मुँह से आआह्ह फ़्फ़फ़ईई रीईई धीईई आआह्हह्स इस्सस्स स्सस्हह्हह कर रही थी। ताऊ जी पर उनके इस बात का कोई असर नहीं हो रहा था। वो हर चार पांच छोटे झटके के बाद एक जोर का झटका दे रहे थे। उनका लण्ड जब आधे से ज्यादा अन्दर चला गया तो माँ ने ताऊ जी से कहा- अब और अन्दर नहीं डालियेगा वरना मेरी बुर फट जायेगी।
ताऊ जी ने कहा- अभी तो आधा बाहर ही है।
माँ ने यह समझ लिया कि आज उनकी गोरी चूत फटने वाली है। माँ की हर कोशिश को नाकाम करते हुए ताऊ जी माँ के चूत में अपने लण्ड को अन्दर ले जा रहे थे। माँ ने जब देखा कि अब बरदाश्त से बाहर हो रहा है तो उन्होंने ताऊ जी से कहा- मैं आपसे बहुत छोटी हूँ आआह पल्लीईज़ आआह्हह… नहीईई उई आआअह्ह्ह ह्हह…
ताऊ जी ने लगातार कई जोरदार झटके मार कर पूरे लण्ड को माँ के बुर में घुसा दिया तथा माँ की चूचियों को मसला। अब माँ को भी मजा आने लगा था। शायद माँ को इसी का इन्तजार था। ताऊ जी ने अपने झांट को माँ की झाँट में पूरी तरह से सटा दिया और इस तरह से उन्होंने पूरे बीस मिनट तक माँ की चुदाई की। इसके बाद माँ और ताऊ जी शान्त पड़ गये तब मैं समझ गया कि माँ की बुर में ताऊ जी का बीज गिर गया है। वो दोनों पूरी तरह से थक चुके थे। अब ताऊ जी ने लण्ड को निकाल दिया और माँ की बगल में लेट गये। फ़िर दोनों ने कपड़े पहने और वहाँ से चलने लगे। तब मैं भी वहाँ से हट गया ताकि उनको पता ना चले कि मैंने सब कुछ देख लिया है। हम तीनों घर वापस आ गये।
ताऊ जी माँ को देख कर मुस्कुराने लगे कि तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं पता चला। लेकिन मैंने भी उनको ऐसा ही दिखाया कि मुझे कुछ नहीं पता है। Sex stories
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