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Massage Girl in Sagar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Sagar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Sagar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Sagar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Sagar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Sagar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Sagar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Sagar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Sagar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Sagar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Sagar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Sagar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

मेरे प्यारे दोस्तों,इस कहानी को पढ़ने Hindi Sex Stories वाले सभी पाठको को मेरा प्यार!!!!!!मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ ! मेरी उमर २२ साल है ! यह कहानी तबकी हैं जब मैं १८ साल का था! जब हम किराए के मकान में रहते थे!

सर्दियों के दिन थे, मैं घर में अकेला था, जब मुझे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। मैं बहुत शरमीला था खासकर कि लड़कियों और औरतो से।

सुबह का खाना तो आंटी दे गई थी। रात को उन्होंने अपने पास बुलाया खाना खाने के लिए। रात का खाना खा कर आंटी सो गई। आन्टी भी घर में अकेली थी। अंकल रात में खेत पर गए थे। मैं अपने कमरे में था। पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।

मैं आंटी के कमरे में गया तो मैंने देखा कि आंटी लहंगा और ब्लाऊज़ में सो रही थी। उन्हें देख कर मेरे शरीर में कम्पन से होने लगी। मेरा धीरे धीरे आंटी की तरफ बढ़ने लगा। मैं अपने आप को आंटी की तरफ़ जाने से रोक नहीं पा रहा था। आंटी देखने में बिल्कुल मस्त थी। मेरा लण्ड आंटी को देखते ही खड़ा हो गया था।

मेरा एक हाथ आंटी की टांग पर गया और धीरे धीरे आंटी के चूतड़ों तक पहुच गया। मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया. इतने में ही आंटी जाग गई। जैसी ही आंटी जगी मैं वहाँ से भाग लिया और अपने कमरे में आ गया।

थोड़ी देर बाद आंटी मेरे कमरे में आई और आते ही मुझ पर चिल्लाई- तुम क्या कर रहे थे?

मैं एकदम डर गया, मेरा चेहरा लाल हो गया। मैं चुप रहा, आंटी मन ही मन खुश हो रही थी! मैंने हिम्मत करके कहा- आंटी आगे से ऐसा नहीं होगा !

आंटी बोली- क्या नहीं होगा ?

मैंने मुंह नीचे झुका लिया, आंटी बोली- अब शरमा रहा हैं ! जब शर्म नहीं आई जब कर रहा था !

मैंने आंटी से कहा- आंटी ! मैंने जान बूझ कर नहीं किया! मैं अपने आप को रोक नहीं पाया आपको लहंगा ब्लाऊज़ में देख कर !

मेरा लण्ड फिर तन गया था, आंटी ने एक नज़र से ही उसे देख लिया था! आंटी बोल अब तूने मुझे गरम कर दिया हैं तुझे मेरी प्यास बु्झानी होगी।

मैंने कहा- आंटी मुझे क्या करना हैं !

आंटी ने कहा- मेरे कपड़े उतार !

मैं डर गया, मैंने कहा- नहीं आंटी !

आंटी ने कहा- उतार ! नहीं तो तेरी ऐसी तैसी करवा दूंगी !

मैंने फिर डरते डरते ब्लाउज उतारी, और फिर लहंगा, आंटी ने अपनी चूची मेरे हाथों में थमा दी कहा- ले बेटा मज़े कर !

मैं आंटी की चुचियों से सहलाने लगा और मसलने लगा। मेरे शरीर में एक अलग सा अनुभव हो रहा था ! आंटी के मुँह से आहह उह्ह स स स स स की आवाज़ आ रही थी।

धीरे धीरे मैं आंटी के शरीर को चूमने लगा। मेरा लण्ड एकदम सख्त हो गया था, आंटी ने नीचे कुछ नहीं पहना था मेरा एक हाथ आंटी की चूत में जा रहा था, आंटी एकदम गरम हो गई थी, और गालियाँ दे रही थी- चोद साले ! चोद मुझे !

आंटी ने मेरा लण्ड हाथ में ले लिया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए अब मैं और आंटी दोनों नंगे थे।

आंटी ने मुझसे पूछा कि तूने पहले कभी चुदाई की हैं?

मैंने कहा- नही !

तब आंटी ने कहा- अपना लण्ड मेरे नीचे वाले छेद में डालो !

मैंने पूरी कोशिश की लेकिन लण्ड चूत में नहीं घुस रहा था, तब आंटी ने अपनी गांड के नीचे तकिया लगाया, मुझे खड़ा करके लुंड घुसाने को कहा। इस बार लण्ड का सु्पाड़ा चूत में घुस गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ !

उसके बाद एक झटके में ही लण्ड पूरा आंटी की चूत में घुस गया ! तीन चार झटको में ही मैं झड़ गया।

तब आंटी ने बताया कि पहली बार ऐसा ही होता हैं, तुम सच बोल रहे थे कि तुम ने पहले चुदाई नहीं की हैं।

उस रात आंटी की तीन बार चुदाई की, फिर तो जब भी मौका मिलता में आंटी को चोदता।

अब हम अपने मकान में आ गए हैं। मैं आंटी को बहुत मिस करता हूँ !

आपको मेरी कहानी कैसी लगी !

मुझे जरूर मेल करें !!!!Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

मैं शाम को ठीक आठ बजे होटल शेराटन Hindi Sex Stories में एम-डी के सूईट में पहुँचा, तो वहाँ सिर्फ़ एम-डी और महेश ही थे और कोई नहीं।

“और सब लोग कहाँ हैं?” मैंने महेश से पूछा।
“इस मीटिंग में और कोई नहीं है”, महेश ने हँसते हुए कहा, “एम-डी और मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है, तुम बैठो।”

मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मैं महेश की बतायी सीट पर बैठ गया।

“सुनील को कुछ पीने को दो महेश”, एम-डी ने कहा।
“क्या लोगे सुनील?” महेश ने बार की तरफ बढ़ते हुए पूछा।
“स्कॉच विद सोडा”, मैंने जवाब दिया।

महेश ने ग्लास पकड़ाया और मैंने उसमें से सिप लिया, “चीयर्स! काफी अच्छी है”, मैंने कहा।

“हाँ! बीस साल पुरानी स्कॉच है और इससे अच्छी स्कॉच मॉर्केट में नहीं मिलेगी”, महेश ने कहा।

“हाँ लगता तो ऐसा ही है… पर मैं इसे अफोर्ड नहीं कर सकता, बहुत महंगी है”, मैंने जवाब दिया।

“क्या पता, आज के बाद तुम यही स्कॉच रोज़ पियो”, महेश ने हँसते हुए कहा।

ये सोच कर कि शायद मुझे मेरी तरक्की के लिये बुलाया है, मैंने एक जोर का घूँट लिया।

“महेश बता रहा था कि तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो ऑफिस में, और स्टाफ भी बहुत खुश है तुम्हारे कम से”, एम-डी ने कहा।

“सर! ये बहुत ही होशियार और मेहनती लड़का है”, महेश ने कहा।
“थैंक यू सर।”
“सुनील तुम्हारी वाइफ प्रीती बहुत ही सुंदर है, उसका शरीर तो गज़ब का ही है”, एम-डी ने कहा।

“सर! उसके मम्मे मत भूलिये, और उसकी गाँड… जब हाई-हील के सैंडलों में चलती है तो, दिल ठहर जाता है!” महेश ने कहा।

“सर! मेरे काम और मेरी तरक्की के बीच में ये प्रीती कहाँ से आ गयी?” मैंने हकलाते हुए पूछा।

“देखा महेश! मैं ना कहता था कि सुनील होशियार और अक्लमंद लड़का है, ये पहले ही समझ गया कि हमने इसे तरक्की के लिये बुलाया है। महेश इसे वो लैटर दो जो तुमने तैयार किया है”, एम-डी ने महेश से कहा।

महेश ने अपनी पॉकेट से लैटर निकालते हुए मुझे दिया, “पढ़ो बेटा।”

लैटर एम-डी का साइन किया हुआ था। मेरी तरक्की कर दी गयी थी और मेरी तनख्वाह जो मैंने सपने भी नहीं सोची थी, उतनी कर दी गयी थी। अपनी उत्सुक्ता में मैंने महेश से भी कहे बिना खुद ही बॉटल उठा ली और अपने लिये एक तगड़ा पैग बना लिया।

“क्या सोच रहे हो? क्या तुम्हें तरक्की और इतना अच्छा वेतन नहीं चाहिये?” महेश ने मेरे हाथ से लैटर वापस लेते हुए कहा।
“हाँ सिर! मुझे चाहिये”, मैंने जवाब दिया।
“तो इस तरक्की को तुम्हें कमाना पड़ेगा”, महेश ने कहा
“मैं कुछ समझा नहीं कि मुझे ये तरक्की कमानी पड़ेगी…, मगर कैसे?” मैंने पूछा।

“सुनील तुम बहुत ही लक्की लड़के हो कि तुम्हें प्रीती जैसी बीवी मिली। तुम तो रोज़ उसे नंगा देखते होगे, उसके मम्मे दबाते होगे। और उसकी चूत और गाँड भी मारते होगे। मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसकी चूत बहुत ही टाइट होगी”, एम-डी ने कहा।

मैं चौंक गया। ये लोग मेरी बीवी के बारे मैं बात कर रहे थे, पर मैं चुप रहा।

“उसकी गाँड भी प्यारी होगी सुनील, मैं जानता हूँ तुम खूब कस कर उसकी गाँड मारते होगे”, महेश ने कहा।

मन तो कर रहा था कि उठकर इन दोनों की पिटायी कर दूँ। मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें करने का इन्हें क्या हक है, पर डर रहा था कि कहीं मैं अपनी तरक्की और नौकरी ना खो दूँ, इसलिये मैंने हल्के से ऐतराज़ दिखाते हुए कहा, “प्लीज़ सर! आप मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें ना करें।”

एम-डी ने विषय को बदलते हुए कहा, “सुनील मैं जानता हूँ कि जिस फ्लैट में तुम रह रहे हो, छोटा है। क्या तुम नियापेनसिआ रोड पर कंपनी के फ्लैट में रहना चाहोगे और तुम्हें किराया भी नहीं देना पड़ेगा। ”

नियापेनसिआ रोड, मुंबई के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट! मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, “हाँ सर! क्यों नहीं रहना चाहुँगा?” मैंने खुशी से जवाब दिया।

“सुनील! ये तरक्की, ये फ्लैट सब कुछ तुम्हारा हो सकता है, अगर तुम एम-डी पर एक एहसान कर दो”, महेश ने कहा।

“एम-डी पर एहसान? सर अगर मेरे वश में हुआ तो एम-डी के लिये मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ”, मैंने ग्लास में से स्कॉच का बड़ा घूँट भरते हुए कहा।

“महेश! सुनील का ग्लास भरो”, एम-डी ने कहा “सच तो ये है सुनील कि जिस दिन से मैंने तुम्हारी बीवी प्रीती को देखा है, मैं रात को सो नहीं पाया हूँ। मैं उसके ही सपने देखता हूँ। तुम्हें अपनी बीवी को तैयार करते हुए उसे हम दोनों को सौंपना है। फिर तुम्हें तरक्की भी मिल जायेगी और फ्लैट भी। हम लोग तुम्हारी दूसरे तरीके से भी मदद करेंगे।”

“हम दोनों को?” मैं समझा नहीं।

“हाँ! हम दोनों को”, एम-डी ने कनफर्म किया।

मैं एक दम सकते की हालत में था। क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपना ग्लास एक ही झटके में खाली कर दिया। ओह गॉड! ये लोग मेरी बीवी पर नज़र रखते हैं, ये दोनों उसे चोदना चाहते है। मुझे लगा सारा आसमान मेरे सिर पर गिर पड़ेगा।

“ये आआआ…प क्या कह रहे हैं सर”, मैंने थोड़ा गुस्से में, पर नीची आवाज़ में कहा, “क्या आप दोनों मेरी बीवी को चोदना चाहते हैं।”

“मैं नहीं कहता था सर! अपना सुनील समझदार लड़का है, हाँ! सुनील हम तुम्हारी बीवी प्रीती को चोदना चाहते हैं”, महेश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

“नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता”, मैंने सुबकते हुए कहा, “प्रीती बहुत सीधी लड़की है, वो भगवान को बहुत मानती है और डरती है और सबसे बड़ी बात, वो पतिव्रता नारी है। वो नहीं मानेगी।”

“हम भी भगवान से डरने वालों में से हैं”, एम-डी ने कहा।

“सुनील! ठंडे दिमाग से सोचो, तुम तरक्की के साथ दुनिया का सब सुख और आराम पा सकते हो। कंपनी के साथ रहते हुए तुम कहाँ से कहाँ पहुँच सकते हो”, एम-डी ने कहा।

“ओह गॉड! ये मैं कहाँ फँस गया”, मैं सोच रहा था। मेरे अंदर का शैतान मुझे भड़का रहा था कि सुनील हाँ कर दे! इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा! कितनी औरतें हैं जो अपने पति के होते हुए दूसरों से चुदवाती हैं। उनके पति को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि चूत में तो कोई फ़रक नहीं आता। फिर तुम्हें तो उसकी चूत हासिल रहेगी ही। और सोचो नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में रहना… वो सब सुख और आराम। मगर मेरे अंदर का इनसान मुझे मना कर रहा था कि ये सब पाप है और मुझे उक्सा रहा था सुनील मना कर दे…! अभी और इसी वक्त!

“वो नहीं मानेगी सर! मैं जानता हूँ”, मैंने जवाब दिया।

“कैसे नहीं मानेगी? अगर वो पतिव्रता है तो तुम्हारा हुक्म कभी नहीं टालेगी”, एम-डी ने कहा।

“सर आप समझते क्यों नहीं…? मैं जानता हूँ।”

“महेश! तुमने सुनील को वो फोटो दिखाये कि नहीं?” कहकर एम-डी ने मेरी बात काटी।

महेश ने अपने पॉकेट से एक लिफाफा निकाल कर मुझे पकड़ा दिया। मैंने देखा उस लिफ़ाफ़े में मेरी और मेरी तीनों एसिस्टेंट्स की चुदाई की तसवीरें थी। मुझे नहीं मालूम कि कैसे और किसने ये तसवीरें खींची थीं। मैं सकते का हालत में था। “आपको ये कहाँ से मिली और आपको किसने बताया?” मैंने डरते हुए पूछा।

“किसी ने नहीं! हमारी कंपनी में कौन क्या कर रहा है, ये जानना हमारा फ़र्ज़ है”, एम-डी ने जवाब दिया।

मेरा दिमाग चकरा रहा था। अगर ये फोटो प्रीती ने देख लिये तो वो जरूर मुझे छोड़ के चली जायेगी। “इनका आप क्या करेंगे?” मैंने पूछा।

“ये तुम पर निर्भर करता है, या तो प्रीती को तैयार करो और अपनी तरक्की, फ्लैट और ये सब तसवीरें, नैगेटिव के साथ तुम्हें हासिल हो जायेंगी या फिर कल सुबह ये तसवीरें तुम्हारी बीवी को मिल जायेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। ये फैसला तुम्हें करना है।”

मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने अपना मन पक्का कर लिया और कुर्सी पर से खड़ा होते हुए कहा, “ठीक है सर! मैं प्रीती को तैयार कर लूँगा।”

“तुम काफी समझदार हो सुनील! बहुत तरक्की करोगे भविष्य में”, एम-डी ने मेरी पीठ थपथपायी।

“तुम्हें विश्वास है… तुम ये काम कर लोगे?” महेश ने पूछा।

“हाँ सर! मैं कर लूँगा, आप मुझे सिर्फ़ समय और तारीख बतायें”, मैंने जवाब दिया।

“ठीक है! शनिवार की शाम हम तुम्हारे घर ड्रिंक्स लेने के बहाने आयेंगे, पर तुम्हारी बीवी का मज़ा लेंगे”, एम-डी ने कहा।

“हाँ सर! ये ठीक रहेगा! प्रीती को होटल में चोदने की बजाये उसी के बिस्तर पर चोदा जाये तो बढ़िया है”, महेश ने कहा।

मैंने उनसे विदा ली और इस दुविधा के साथ अपने घर पहुँचा कि अब प्रीती को कैसे तैयार करूँगा। ड्रिंक्स ज्यादा होने कि वजह से हमारी बात नहीं हो पायी और मैं सो गया।

सुबह प्रीती ने पूछा, “सुनील कल रात तुम्हारी मीटिंग किस विषय में थी?”

“ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी…” मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। “हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना”, मैंने प्रीती से कहा।

“उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते”, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की।

“प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?” मैंने प्रीती को समझाया।

बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।

बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछा, “ये सब क्या है?”

“बॉस के लिये स्कॉच और कोक…” मैंने जवाब दिया।

जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, “सुनील ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।”

पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया।

ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये।

“वेलकम सर, हैव अ सीट”, मैंने उन दोनों का स्वागत किया।
“नमस्ते सर!” प्रीती ने भी स्वागत किया।

“हेलो सुनील! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो”, एम-डी ने जवाब दिया।

प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।

“थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ”, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा।

“कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो”, एम-डी ने कहा।

प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये।

“तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?” एम-डी ने प्रीती से कहा।
“सर! मैं शराब नहीं पीती, हाँ! मैं एक कोक ले लूँगी।” मैंने प्रीती को वो स्पेशल कोक पकड़ा दिया।

प्रीती ने चीयर्स कहकर उस कोक में से एक घूँट भरा। मैं कुछ नाश्ता ले कर आती हूँ, कहकर किचन की ओर चली गयी।

“सुनील तुमने उसे सब बता दिया?” एम-डी ने पूछा।

“नहीं सर! अभी तक नहीं, पर आप चिंता ना करें मैं उसे तैयार कर लूँगा”, मैंने समझाया।

थोड़ी देर में वो नाश्ते की प्लेट टेबल पर सजाने लगी। नीचे झुकते वक्त उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसकी छाती की गहरायी दिखने लगी। एम-डी और महेश उसके भरे भरे मम्मों को घुरे जा रहे थे। प्रीती को जब एहसास हुआ तो उसने खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक कर ली।

“ओह आज कितनी गर्मी है”, कहकर उसने अपना कोक एक ही साँस में खाली कर दिया।

हम तीनों उस पर कोक का असर होते देख रहे थे। उसकी हालत खराब हो रही थी, “एक्सक्यूज़ में, मैं अभी आयी”, कहकर वो किचन की और बढ़ गयी।

थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आयी, “सुनील! जरा यहाँ आना।”

“सुनील! तुमने मेरे कोक में क्या मिलाया?” उसने अपनी हालत को संभालते हुए पूछा।

“मैंने कहाँ कुछ मिलाया है?” मैंने अंजान बनते हुए कहा।

“मेरे सिर पर कसम खाकर कहो तुमने कुछ नहीं मिलाया, और सच-सच बताओ क्या बात है, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो”, उसने अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।

अब समय आ गया था कि मैं प्रीती को सब कुछ सच सच बता दूँ। “ठीक है सुनो! मैं तुम्हें बताता हूँ। तुम्हें याद है लास्ट संडे जब मैं कंपनी की मीटिंग में गया था।” ये कहकर मैंने उसे शुरू से आखिर तक सब बता दिया सिवाय उन तसवीरों के।

“और तुम मान गये, अपनी बीवी को उनसे चुदवाने के लिये?” उसने नाराज़ होते हुए कहा।

“क्या करता मेरे पास कोई चारा नहीं था, इन्होंने मुझे गबन के इल्ज़ाम में जेल जाने की धमकी दे दी थी। तुम ही बताओ मैं क्या करता?”

“मैं जेल नहीं जाना चाहता प्रीती! प्लीज़ मान जाओ और साथ दो”, मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“नहीं मैं नहीं मानुँगी! क्या तुमने मुझे रंडी समझ रखा है?” कहकर वो अपनी चूत जोरों से खुजलाने लगी।

कोक का असर उस पर चढ़ता जा रहा था। “ठीक है! मत मानो, मैं जेल चला जाऊँगा और तुम आराम करना। पर याद रखना मेरे जेल जाने की वजह तुम ही होगी। अच्छा पत्नी धर्म निभा रही हो तुम। मैं अभी जा कर उनसे कह देता हूँ”, कहकर मैं किचन के बाहर जाने लगा।

उसने मुझे रोका, “ठहरो! तुम यही चाहते हो ना कि मैं रंडी बन जाऊँ? तो ठीक है मैं रंडी बनुँगी और तुम्हारे बॉस से ऐसे चुदवाऊँगी कि वो भी ज़िंदगी भर याद रखेंगे। लेकिन हाँ! मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, कि, मैं रंडी तुम्हारी वजह से बन रही हूँ”, ये कहकर वो अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगी।

मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो मान तो गयी। क्या करेगी? थोड़े दिनों में सब भूल जायेगी। “ठीक है! मैं उन्हें जा कर बताता हूँ कि तुम तैयार हो गयी हो।”

“नहीं! मैं खुद बताऊँगी! तुम जाओ”, उसने कहा।

मैंने कमरे में आकर उन्हें इशारे से बताया कि प्रीती राज़ी हो गयी है। दोनों ही खुश हुए और अपने ड्रिंक्स लेने लगे। दोनों ही बेसब्र नज़र आ रहे थे।

“कितनी देर में आयेगी सुनील? अब नहीं रहा जाता”, एम-डी ने पूछा।

“सर इंतज़ार करें, अभी पाँच मिनट में आयेगी”, मैंने जवाब दिया।

ठीक पाँच मिनट बाद प्रीती कमरे में दाखिल हुई। उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गयी थी। मैं समझ गया कि वो रोती रही थी। वो उनके सामने आकर चेयर पर बैठ गयी और खुद के लिये ग्लास में कोक लिया और उसमें स्कॉच मिलाकर एक ही झटके में पी गयी। मैं प्रीती को शराब पीते देख भौंचक्का रह गया क्योंकि उसे शराब से नफरत थी।

उसका पल्लू नीचे गिर पड़ा मगर उसने उसे वैसे ही रहने दिया। उसके मम्मे नज़र आ रहे थे। एम-डी और महेश की नज़रें उसके मम्मों पर ही गड़ी हुई थीं। उसके ब्लाऊज़ के दो बटन खुले हुए थे।

प्रीती उनकी आँखों में देख कर बोली, “अच्छा तुम दोनों हरामी आज मुझे चोदने आये हो!! तो इंतज़ार किस बात का कर रहे हो? चलो दोनों शुरू हो जाओ।”

वो दोनों चौंक कर मेरी तरफ देखने लगे। मैं भी प्रीती का ऐसा कहते सुनकर चौंक पड़ा था। मुझे नहीं मालूम था कि प्रीती इस भाषा में उनसे बात करेगी।

प्रीती की बात सुनकर एम-डी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने म्यूज़िक लगा दिया। अब एम-डी प्रीती को अपनी बाँहों में भर कर गाने की ट्यून पर थिरक रहा था। जब एम-डी ने उसे किस करना चाहा तो पहले तो उसने ऐतराज़ दिखाया पर बाद में अपने होंठ एम-डी के होंठों पर रख कर चूसने लगी। एम-डी भी उसे-जोर से भींच रहा था। प्रीती की साड़ी खुलती जा रही थी।

मेरे मन में जलान की भावना उठी, पर इस कुरबानी के बदले मुझे जो मिलने वाला था, ये सोच कर मैं खुश हो रहा था।

“अब मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर महेश प्रीती के दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ कर भींचने लगा और अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ने लगा। महेश प्रीती की नंगी गर्दन और पीठ पर चुम्मे ले रहा था।

नाचते हुए जैसे ही वो मेरे पास से गुजरे, मैंने प्रीती के पेटीकोट के नाड़े को पकड़ा और उसका पेटीकोट खुल गया और उसके साथ ही उसकी साड़ी। उधर महेश ने उसके ब्लाऊज़ के बाकी के बटन खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी।

दोनों ही काफी उत्तेजित हो चुके थे। उन्होंने अपनी पैंटें उतार दी और अपने अंडरवीयर भी उतार दिये। एम-डी का लंड इतना मोटा और लंबा नहीं था पर महेश का लंड काफी लंबा और मोटा था पर मेरे लंड से ज्यादा नहीं। मैंने प्रीती की पैंटी में अपनी अँगुली फँसा कर उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो उन दोनों के बीच में सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल पहने बिल्कुल नंगी थी।

उसके मम्मे दबाते हुए महेश अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ रहा था और एम-डी अपना लंड उसकी चूत पर घिस रहा था।

“मममम… कितना अच्छा लग रहा है”, कहकर प्रीती ने अपने दोनों हाथों से दोनों लंड पकड़ लिये। अब वो उन्हें धीरे-धीरे हिला रही थी।

“महेश मुझसे अब रहा नहीं जाता, मैं अब इसे चोदना चाहता हूँ”, एम-डी ने सिसकरी भरते हुए कहा।

एम-डी ने प्रीती को गोद में उठाकर बिस्तर पे लिटा दिया। और खुद उस पर लेट कर पहले उसके मम्मे चूसने लगा और निप्पल पर अपने दाँत गड़ाने लगा। फिर नीचे की ओर खिसक कर उसकी चूत को चाटने लगा।

“ये आप क्या कर रहे हैं सर! मैंने आज तक किसी की चूत नहीं चाटी।” महेश ने आश्चर्य में कहा।

“तुम्हें नहीं पता तुम आज तक क्या मिस करते आये हो”, ये कहकर एम-डी जोर जोर से प्रीती की चूत चाटने लगा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे चोदने लगा।

महेश ने प्रीती के मम्मे खाली देखे तो उन्हें पीने लगा और जोर से भींचने लगा। प्रीती ने दोनों के सिर पर दबाव बढ़ाते हुए कहा, “हाँ इसी तरह मेरी चूत चाटो, पियो मेरे मम्मों को… भींच डालो मेरी चूचियों को।”

“ओहहह कितना अच्छा लग रहा है हाँआँआँ इसी तरह चोदो… ओहहहह गॉड!! हाँआआ आआआँ और अंदर तक अपनी जीभ डाल दो और जोर से चोदो… ऊऊऊहहहह मेरा छूटने वाला है … हाँ और जोर से”, कहकर प्रीती की चूत ने अपना पानी एम-डी के मुँह पर छोड़ दिया।

मगर एम-डी ने उसकी चूत को चाटना बंद नहीं किया बल्कि और तेजी से चाटने लगा। प्रीती में फिर गर्मी बढ़ने लगी। उसने महेश के बाल पकड़ कर अपने मम्मों पर से हटाया और एम-डी के बाल पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, “अब मुझे चोदो, मुझसे रहा नहीं जा रहा।”

उसकी टाँगें चौड़ी कर के एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसेड़ दिया। “महेश क्या शानदार चूत है, काफी टाइट भी लग रही है”, प्रीती की चूत को निहारते हुए एम-डी बोला।

“अरे सालों!! ये तुम्हें क्या हो गया है”, प्रीती ने अपनी टाँगें उछालते हुए उत्तेजना में कहा, “क्या अब तुम्हारी माँ आकर बतायेगी मादरचोद! की चूत में लंड डालने के बाद क्या करना चाहिये, लंड घुसाया है तो चोदो भी।”

प्रीती की बातें सुन कर एम-डी ने उसे चोदना शुरु कर दिया। काफी दिलकश नज़ारा था। मैंने पहले कभी प्रीती का ये रूप नहीं देखा था।

उत्तेजना में महेश से रहा नहीं जा रहा था। उसने अपना लंड प्रीती के मुँह में देने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को हटाते हुए कहा, “थोड़ा सब्र करो… तुम्हारा भी नंबर आयेगा पहले इसके लंड को तो देख लूँ।”

लेकिन महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और फिर अपना लंड उसके मुँह में घुसाने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को जोर से दबाते हुए कहा, “साले हरामी! एक बार बोला तो समझ में नहीं आता क्या? अबकी बार किया तो तेरे लंड को चबा कर नाश्ता समझ कर खा जाऊँगी।”

घबरा कर महेश पीछे हट गया और फिर एम-डी के पीछे प्रीती के पैरों के पास आकर उसके सैंडल के तलवे पर अपना लंड घिसने लगा। एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था। उसका लंड प्रीती की चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। ये देख मुझ में भी गर्मी आने लगी। प्रीती का ये रूप मेरे लिये भी आश्चर्य भरा था। मैं भी अपना लंड बाहर निकाल कर उसे सहला रहा था।

“हूँ… हाँ…” करते हुए एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था।

“हाँ!! इसी तरह चोदो… थोड़ा और जोर से”, प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी।

एम-डी जोर-जोर से अपने लंड को पिस्टन की तरह प्रीती की चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। प्रीती उन्माद के सागर में डूबी हुई थी और अपनी कमर उछाल कर एम-डी की हर थाप का जवाब अपनी थाप से दे रही थी।

“हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और तेजी से इसी तरह चोदते रहो, रुकना नहीं!!!” प्रीती अपनी टाँगें उछालते हुए कह रही थी।

एम-डी की रफ़्तार थोड़ी धीरे पड़ी…

“साले रुकना नहीं, मेरा छूटने वाला है… हाँ!!! चोदते रहो!!! लगता है तुम्हारा छूट गया।”

एम-डी का पानी छूट चुका था पर वो अपना लंड प्रीती की चूत के अंदर बाहर करने की पूरी कोशिश कर रहा था।

“हाँ!! इसी तरह चोदते रहो, मेरा छूटने वाला है अगर रुके तो जान से मार दूँगी… दो तीन धक्कों की बात है… हाँ इसी तरह ऊऊऊ ऊऊहहहह … मेरा छूट गया”, अपना पानी छोड़ कर प्रीती बिस्तर पर निढाल पड़ गयी।

प्रीती एम-डी का चेहरा अपने हाथों में ले कर उसे किस करने लगी। जैसे ही एम-डी उस पर से उठा तो मैंने देखा कि मुट्ठी भर पानी प्रीती की चूत से निकल कर बिस्तर पर गिर पड़ा। प्रीती ने एम-डी को परे ढकेल दिया और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू पाने लगी।

एम-डी ने भी अपनी साँसें संभालते हुए कहा, “महेश अब तुम इसे चोदो! सच कहता हूँ, आज तक इतनी मस्त चूत नहीं चोदी।”

“हाँ सर! चोदूँगा, पर मैं पहले इसकी गाँड मारना चाहता हूँ, इसकी गाँड ने मुझे पहले दिन से ही दीवाना बना कर रखा हुआ है”, जवाब देते हुए महेश ने पलट कर प्रीती से कहा, “रंडी पलट कर लेट!!! अब मैं अपना लंड तेरी गाँड में घुसाऊँगा।”

मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रीती बिना किसी आनाकानी के घोड़ी बन गयी। महेश ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाना शुरू किया, “ओईईई माँआआआ!, प्रीती जोर से दर्द के मारे चिल्लायी, हरामजादे! क्या मुझे मार डालेगा? पहले इस पर कुछ लगा तो ले।”

महेश ने उसकी गाँड पर थूक कर एक जोर का धक्का दिया और अपना पूरा लंड उसकी गाँड में समा दिया। “ओयीईई ईईईई माँआआआआ बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती चिल्लायी, “साले हरामी!!”

महेश थोड़ी देर के लिये रुक गया, “सर! आप भी इसकी गाँड मार के देखिये, मैं सच कहता हूँ इसकी गाँड इसकी चूत से ज्यादा टाइट और मस्त है, लगता है सुनील इसकी गाँड इतनी नहीं मारता”, महेश ने एम-डी से कहा।

“चुप करो हरामजादों!!! तुम लोग कोई कंपनी की मीटिंग में नहीं हो, दर्द दिया है तो मज़ा भी देना सीखो”, इतना कहकर प्रीती पीछे की और धक्के लगाने लगी, “साले!!! अब मेरी गाँड को चोदना शुरू कर।”

प्रीती की बातें सुन महेश ने अपना लंड जोर से उसकी गाँड में घुसा दिया। “हरामजादी! मुझे हरामी कह रही थी, ले! कितना चुदवाना चाहती है”, महेश अब जोर-जोर से उसकी गाँड को रौंद रहा था, “साली!! आज तेरी गाँड का भुर्ता ना बना दिया तो मुझे कहना।”

करीब पाँच मिनट के बाद प्रीती चिल्लायी, “हाँ!!! ऐसे ही चोदते जाओ, मेरी चूत को रगड़ो… चूत को रगड़ो।”

प्रीती की बातों को अनसुना कर महेश अपना लंड उसकी गाँड के अंदर-बाहर कर रहा था। उन्हें देख कर मैं भी लंड को हिला रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो रही थी।

“मेरी चूत को रगड़ो ना!!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।

महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और जोर से उसे चोदने लगा। उसकी हरकत से लग रहा था कि उसका पानी छूटने वाला है। फिर एक झटके में अपना लंड अंदर तक दबा कर वो ढीला पड़ गया।

प्रीती ने देखा कि जब उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया और अपनी अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगी। उसके मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी, “हाँआआआँ ऐसे ही चोदो … हाँआआआँ … बहुत मज़ा आ रहा है”, कहकर वो शाँत हो गयी।

महेश ने अपना मुरझाया हुआ लंड प्रीती की गाँड से बाहर निकाला। प्रीती की गाँड और चूत से पानी टपक रहा था। ये देख कर मैंने भी अपना वीर्य वहीं ज़मीन पर छोड़ दिया।

“सर! क्या गाँड थी, बहुत मज़ा आया”, महेश ने एम-डी से कहा।

इनकी चुदाई देख कर एम-डी का लंड फिर से तन गया था। महेश के हटते ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसा दिया। “हाँ चोदो!! मेरी गाँड को चोदो, फाड़ दो इसे आज!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।

अगले दो घंटे तक एम-डी और महेश प्रीती को अलग-अलग तरह से चोदते रहे। दोनों थक कर चूर हो चुके थे।

“क्या हो गया है तुम दोनों को? अपना लंड खड़ा करो, अभी मेरा मन नहीं भरा… मैं अभी और चुदवाना चाहती हूँ”, प्रीती उनके लंड को हिलाते हुए कह रही थी।

“लगता है … अब हमारा लंड खड़ा नहीं होगा”, एम-डी ने कहा।

“मैं देखती हूँ… मैं क्या कर सकती हूँ”, कहकर प्रीती ने एम-डी का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसना शुरू किया।

थोड़ी देर में ही एम-डी का लंड फिर से खड़ा हो गया। “आओ!! अब मुझे चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें चौड़ी करते हुए कहा।

जैसे ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में डाला, महेश ने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। थोड़ी ही देर में एम-डी और प्रीती झड़ कर अपनी साँसों को संभाल रहे थे।

एम-डी के हटते ही प्रीती ने महेश से कहा, “महेश अब तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदो।”

महेश, प्रीती के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।

“ओहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो! आआआ आआहहह ओहहह।” प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी।

उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।

“हाँआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और जोर से हाँआँआँआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो … खूब मज़ा आ रहा है”, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी।

अचानक प्रीती चिल्लायी, “साले ये क्या कर रहा है … मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना! मेरा भी छूटने वाला है!”

पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा।

“साले हरामी! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता”, प्रीती चिल्लायी, “अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।”

प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा।

“हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो… हाँ अब अच्छा लग रहा है…. चाटते जाओ आहहह ऊऊऊहहह”, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया।

अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, “अब मुझे कौन चोदेगा?”

“मुझ में तो और ताकत नहीं है…” एम-डी ने कहा।

“…और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा”, महेश बोला।

“अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ” प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, “हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!”

क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था।

जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, “सुनील, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।”

मैंने प्रीती की ओर देखा। वो अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी थी और छत को बेजान आँखों से घूर रही थी। उसकी हालत को देख कर मैं डर रहा था।

“हाँ सुनील! प्रीती वाकय में दमदार औरत है, कईंयों को चोदा पर प्रीती जैसी कोई नहीं थी”, कहकर महेश ने मुझे वो तस्वीरों वाला लिफाफा पकड़ा दिया, “लो सुनील!! आज तुमने ये सब कमा लिया है।”

“हाँ! प्रीती कुछ अलग ही है, आज पहली बार इसने महेश को चूत चाटने पर मजबूर कर दिया”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

महेश ने हँसते हुए कहा, “सर!! अब चलिये… देर हो रही है।”
“चलिये सर! मैं आप लोगों को कार तक छोड़ आता हूँ”, मैं उनके साथ बाहर की ओर बढ़ा, “सर! प्रीती ठीक हो जायेगी ना?”

“चिंता मत करो सुनील। बीते वक्त के साथ सब ठीक हो जाती हैं, तुम परेशान मत हो”, एम-डी ने मुझे आशवासन दिया।

तस्वीरों को अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपाने के बाद मैं घर में घुसा तो देखा प्रीती बिस्तर पर नहीं थी। मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो वहीं बैठ गया और प्रीती के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर बाद प्रीती नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। उसने पारदर्शी नाइट गाऊन पहन रखा था।

“प्रीती तुम कमाल की थी … एम-डी और महेश दोनों खुश थे”, मैंने खुश होते हुए कहा।

मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसने कहा, “ओह गॉड! इतना रगड़-रगड़ कर नहाने के बाद भी मुझे लगता है कि मेरे शरीर का मैल नहीं धुला है।”

“फिक्र मत करो डार्लिंग!! थोड़े दिनों में सब ठीक हो जायेगा”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।

“रुक जाओ! मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना”, वो बिफ़रते हुए बोली।

उसका गुस्से से भरा चेहरा और उसका बदला रूप देख कर मैं मन ही मन घबरा गया और चुप हो गया।

संभोग की सलवटों और वीर्य के धब्बों से भरी चादर को देख कर वो रोते हुए बोली, “ओह गॉड! मैं तो इस बेड पर आज के बाद सो नहीं पाऊँगी”, और वो रोने लगी।

“लाओ! मैं ये चादर बदल देता हूँ”, मैंने उसे कहा।

“कोई जरूरत नहीं!!! आज के बाद हर रात तुम इस बिस्तर पर सोगे और मैं वहाँ सोफ़े पर”, कहकर वो तकिया और नयी चादर ले कर सोफ़े पर चली गयी।

मैं कुछ और कर नहीं सकता था। जो होना था वो हो चुका था। शायद समय प्रीती के घावों को भर दे। मेरा मन दुखी था पर क्या कर सकता था। इन ही सब विचारों में घिरा मैं सो गया। Hindi Sex Stories

Sex Stories

नमस्ते दोस्तो! मेरा नाम Sex Stories नयन है, अब मेरी उम्र 31 साल है पर बात तब की है जब मैं अट्ठारह साल का था. मैं बारहवी में पढ़ रहा था.

मेरे बाजू वाले घर में वीणा रहती थी. हमारा उनके यहाँ आना जाना तो था, थोड़ी मस्ती भी करता था पर गलत इरादे न उसके थे न मेरे थे.

मुझे मेरे मामा के घर जाना था. गाँव का नाम बताना यहाँ ठीक नहीं होगा लेकिन रात भर का सफ़र था, वीणा को भी गाँव जाना था, उनके बच्चे छुट्टियों में गाँव गए थे उनको वापस मुंबई लाना था. उनका गाँव मेर मामा से गांव से नजदीक था तो वो भी मेरे साथ आने को निकल पड़ी. अब उनको भी अकेले जाने से अच्छा था कि मेरे साथ जाये!

बस में भरी भीड़ थी छुट्टियाँ जो थी. हमें मुश्किल से पीछे वाली दो सीट मिली, सामान रखने की भी जगह नहीं थी. तो वीणा ने अपनी सूटकेस अपने पाँव के नीचे रख लिया. मैं खिड़की के साथ में बैठा था. बस निकल पड़ी अपने मुकाम की तरफ.

रात के 10 बजे होंगे जब हम निकले. टिकट कटवाने के बाद बस की लाइट बंद हो गई और कब नींद आई पता ही नहीं चला.

नींद में ही मेरे हाथ साथ में बैठी वीणा को लगा और मेरी नींद खुल गई. वीणा की साड़ी कमर तक ऊपर आ गई थी. मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि सूटकेस रखने की जगह नहीं होने के कारण उन्होंने जो सूटकेस अपने पैरों के नीचे रखा था उस वजह से उनके पैर ऊपर हो गए थे और साड़ी फिसल के कमर तक आ गई थी. अब मेरी हालत देखने लायक थी. क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा था.

तो मैंने भी नींद में होने का नाटक किया और धीरे धीरे मैं उनको हाथ लगाने की कोशिश करने लगा. डर तो बहुत लग रहा था कि कहीं उनकी नींद न खुल जाए. लेकिन जो आग मेरे अन्दर भड़कने लगी थी वो मुझे शांत कहाँ बैठने दे रही थी, तो मैंने भी नींद का नाटक कर के अपना हाथ चलाना चालू रखा. अब मेरा हाथ धीरे धीरे उनकी पेंटी को छूने लगा था. मेरी नजर हमेशा यही देख रही थी कि कहीं वो नींद से न जग जाय.

बस में काफी अँधेरा था और मैं एक नई रोशनी ढूंढ रहा था. मेरा हाथ अब उनकी जांघों पे फिसल रहा था. इतने में उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पे रख दिया. मेरी तो डर के मारे जान ही निकल गई. मुझे लगा कि वो जग गई लेकिन वो तो गहरी नींद में थी. अब मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा.

लेकिन इस चक्कर में हम दोनों में जो दूरी थी वो और कम हो गई और इसको मैंने ऊपर वाले की मेहरबानी समझा. अब मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी और मेरा हाथ अब थोड़ी और सफाई से चलने लगा था लेकिन फिर भी सम्भाल के जांघों पे हाथ फेरने के बाद अब मैंने धीरे से उनकी पेंटी में हाथ घुसाया. बाल तो एकदम साफ किये हुए थे. अब मैं उनकी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा लेकिन एकदम संभल के.

थोड़ी ही देर में उनके बदन से अजीब सी खुशबू आने लगी थी और मेरी उंगली गीली हो गई थी, उनकी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी. अब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि वो सच में सोई है या उनकी नींद खुल गई है. लेकिन एक बात तो ध्यान में आ गई थी कि कोई भी औरत इतना सब करने के बाद भी सो नहीं सकती. अब मेरी हिम्मत तो बढ़ गई थी लेकिन मन में डर अब भी था. कही ओ सच में सोई हुई तो नहीं. लेकिन अब रुकना मेरे बस में नहीं था सो मिने भी सोचा जब उठ जायेगी तब देख लेंगे. वासना पे किसी का जोर नहीं चलता.

मैंने हिम्मत की और एक हाथ से उनकी चुत में उंगली करना चालू रखा और दूसरा हाथ उनकी चूची की तरफ बढ़ाया और धीरे से उन्हें मसलना चालू किया. मेरी जिंदगी का यह पहला अनुभव था और इतनी आसानी से मौका मिलेगा ये मैंने सोचा भी नहीं था. उनकी हलचल तो बढ़ गई थी लेकिन वो आँखें खोलने को तैयार नहीं थी. शायद अब उनका पानी निकलने को था. तो मैंने भी मेरी उंगली की रफ्तार बढाई और उन्होंने मेरी उंगली को अपनी चुत की फांकों से दबा कर रखा. शायद वो शांत हो गई थी. लेकिन मेरा तो लंड एकदम तना हुआ था. क्या करू समझ में नहीं आ रहा था. मैंने उनका हाथ उठाया और मेरी चैन खोल के लंड को बाहर निकला और उनके हाथ में दे दिया. लेकिन वो कुछ भी करने को तैयार नहीं थी.
तो मैंने फिर से उनकी चूची को दबाना चालू किया, चुत में उंगली भी डालना चालू रखा पर कुछ फायदा नहीं हुआ.

पूरी रात निकल गई जाने कितने बार ओ झड़ गई थी पर मेरे लंड से पानी नहीं निकला था. अब मेरे लंड में दर्द शुरू हो गया था. तो मैंने अपने हाथ से ही धीरे धीरे लंड हिलाना चालू किया 3-4 बार ही हिलाया था के मेरा भी पानी निकल गया. फिर नींद कब लग गई पता ही नहीं चला.

सुबह 8 बजे गाड़ी हमारे गांव में पहुँच गई. वीणा ने मुझे उठाया और हम बस से उतर गए.
यहाँ से हमारे रस्ते अलग होने थे. मुझे बड़ा दुःख हो रहा था कि जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव और वो भी अधूरा ही रह गया. मैं देख रहा था कि उनके चहरे पे कोई भाव नहीं था. मैंने रात को उन के साथ कुछ किया हो ऐसा कुछ भी नहीं जता रही थी. जैसे कुछ हुआ ही नहीं… मैं उदास था कि अब मुझे अपने मामा के यहाँ जाना था और वो अपने बच्चो को ले कर वापस मुंबई जायेगी.

लेकिन एक बात तय थी कि वो सोई नहीं थी, सोने का नाटक कर रही थी. और मुझे इस बात की ख़ुशी थी कि आज भले ही मैं कुछ नहीं कर सका लेकिन मैं जब वापस मुंबई जाऊँगा तो शायद मेरा काम बन जाये… और मैं जिंदगी का पहला सेक्स वीणा के साथ ही करूँगा.

आगे की कहानी किसी दूसरे दिन बताऊँगा. अगर आप को मेरी आगे की कहानी जाननी है तो मुझे लिखे कि आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी. Sex Stories

मुझे आशा है कि आपको ये रियल हस्बैंड वाइफ ककोल्ड पोर्न कहानी अच्छी लगेगी.

मेरी उम्र 38 साल है और मेरी वाइफ की उम्र 31 साल है. उसका नाम रिया है.

शादी से पहले मेरी दो गर्लफ्रेंड थीं.
पहली गर्लफ्रेंड 7 साल तक रही और दूसरी 12 साल तक … पर किसी से भी शादी नहीं हो पाई.
मैंने उन दोनों की चुदाई बहुत की.

उन दोनों के साथ मैं बहुत चुदाई कर चुका था.
दूसरी वाली गर्लफ्रेंड जाते जाते मेरी ऐसी गांड फाड़ कर गई कि मुझे बिल्कुल बर्बाद कर गई.

साली ने पैसे से भी बर्बाद किया, मन से भी और शारीरिक तौर पर भी वह मुझे बहुत तोड़ गई.
मैं उससे बहुत प्यार करता था पर वह बहुत बड़ा धोखा देकर गई.

हर स्टोरी में सिर्फ सेक्स होता है, पर आज मैं सबको सिर्फ एक ही बात कहूंगा कि आदमी की किस्मत और औरत का चरित्र कभी भी बदल सकता है. इसलिए चूत को कभी दिमाग में मत घुसने देना. ये सिर्फ लौड़े के लिए बनी है. इसलिए इसे बस लंड तक रखना.

एक बात और कहना चाहूंगा कि लड़कियों की हमेशा इज्जत जरूर करना.
हमेशा उसूल ये होना चाहिए कि लो उसी से, जो दे खुशी से.

आपको किस चीज़ से खुशी मिलती है. ये आप तय करेंगे, इसका हक सिर्फ आपको है.
सही और गलत की क्या परिभाषा, जो आपके मन को सही लगे … वही सही है.

लाइफ आपको एक बार मिली है, आपको जो करना है … इसी लाइफ में करना है.
फिर क्या सोचना.

मैं बहुत ही सेक्सी प्रवृत्ति का इंसान हूँ.
मेरी दोनों गर्लफ्रेंड्स से रिश्ता खत्म होने के बाद मेरे मम्मी पापा ने मुझसे शादी के लिए पूछा.

मैंने कह दिया- आप जो भी कहोगे मुझे मंजूर है.
क्योंकि खुद की ढूँढी हुई लड़कियों से गांड फट चुकी थी.

जब मन की करने के बाद आदमी की गांड फट जाती है तो अंत में मां बाप ही याद आते हैं.
खैर … मेरे लिए लड़की ढूंढने का काम शुरू हुआ.

भगवान जोड़ी भी सोच कर बनाता है.
आखिर मेरे लिए भी लड़की मिल गई.

देहरादून से कुछ दूर ही मेरा रिश्ता हुआ.
लड़की मुझसे सात साल छोटी थी.
सुंदर थी, हल्की सी सांवली थी. लंबाई 5 फुट 2 इंच थी पर बॉडी बहुत मस्त थी.

उसका फिगर 36-32-38 का था, बूब्स उठे हुए थे और गांड भी गोल मटोल एकदम मस्त.

सोलह दिसम्बर सन 2015 में हमारी शादी हुई.
सुहागरात पर हमने खूब चुदाई की.

वह शादी से पहले दो चार बार चुदी हुई थी पर चूत टाइट थी.

मैंने उसकी चुदी हुई चूत को लेकर कोई शिकवा नहीं किया बल्कि उसे प्यार से चोदा और खुद की चुदाई की बातें भी उसे बता दीं.

मेरी इन बातों से उस पर यह असर हुआ कि वह मुझसे बेइंतिहा प्यार करने लगी.

शादी के दो तीन साल तो सेक्स में खूब मजा किया,
फिर उसके साथ चुदाई में मुझे कोई खास मज़ा नहीं आता था.

मैं लगातार अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ता रहता था.
वहीं मैंने वाइफ के साथ थ्री-सम की स्टोरी पढ़ी.

मेरे दिमाग में रिया को चुदते देखने का मन करने लगा.
मैंने रिया की किसी गैर मर्द से चुदाई के लिए प्लान बनाने शुरू कर दिए.

रिया की चुदाई करते समय मैंने उसकी चूत में दो उंगली डाल दीं और उसकी गांड में लौड़ा पेलना शुरू कर दिया.

वह लंड खा गई.
कसी हुई गांड चोदने में मुझे भी मजा आया.
उसने भी मुझसे अपनी कुंवारी गांड चुदवा ली.

वह शायद खुद से मुझे अपना सीलपैक छेद देना चाहती थी.

फिर एक दिन मैंने उससे बोल दिया- रिया यार, अब चुदाई में इतना मज़ा नहीं आ रहा है ना!
रिया- आप ऐसे क्यों बोल रहे हो … कुछ कमी है क्या मुझमें?
मैंने कहा- नहीं यार, वह बात नहीं है. बस कुछ नयापन नहीं है.

वह बोली- तो फिर क्या करना है?
मैंने कहा- कहीं घूमने चलते हैं और वहीं कुछ अलग मज़े करेंगे.

उसने कहा- ठीक है.
ऐसे ही कुछ दिन निकल गए.

फिर दिसम्बर में मैंने मनाली जाने का प्रोग्राम बनाया और 12 दिसंबर को हम दोनों मनाली के लिए निकल गए.

मनाली पहुंच कर हमने पूरा दिन आराम किया.
शाम के समय हम घूमने के लिए निकल गए.

मनाली के बाज़ार में घूम रहे थे पर मेरे दिमाग में बस वही रिया की चुदाई करवाने का ख्याल चल रहा था.

तभी एक लड़का हमारे पास आया.
वह शिमला का रहने वाला था.
उसका नाम रवि था और मनाली में रोहतांग पास के लिए गाड़ी चलाता था.

वह 5 फुट 7 इंच का गोरा और एकदम फिट लड़का था.
उसने हमसे कहा- सर आप रोहतांग पास घूमने चलेंगे क्या?

उससे हमारी बात होनी शुरू हुई.

मैंने उससे पैसे के लिए पूछा.
वह मेरी वाइफ की ओर देख कर बोला- 7000 रुपये दे देना.
कुछ देर बात करने के बाद वह पांच हजार रूपयों में मान गया.

अगले दिन सुबह के टाइम वह गाड़ी लेकर हमारे होटल आ गया.
उसके पास आल्टो थी.

फिर हम तीनों गाड़ी में बैठ कर चल दिए.

कुछ ही दूर जाने के बाद हम आपस में बात करने लगे.
रवि भी अब हमसे बातें कर रहा था कि हम कहां के रहने वाले हैं.

मेरी वाइफ भी उससे पूछ रही थी कि यहां घूमने के लिए और कौन सी जगह है!
रवि भी बात करता रहा.

वह शादीशुदा था.
उसकी एक लड़की थी.
वह अच्छा इंसान था.
हम काफी घुल-मिल गए थे.

मैंने गौर किया कि रवि मेरी वाइफ रिया में काफी इंटरेस्ट ले रहा था और रिया भी उससे अच्छे से बात कर रही थी.

मैं समझ गया था कि मेरी इच्छा यहां पूरी हो सकती है.
इसलिए मैं बार बार रास्ते में पड़ने वाली सामान की दुकानों पर रुक कर सामान देखने लगता था ताकि उन दोनों को बात करने का मौका मिले.

औरत हो या आदमी … अगर मौका मिले तो सब मज़ा लेने की सोचते हैं.

शायद रिया के मन में भी यही बात आई.
मैं भी यही चाहता था कि जो भी हो, खुल कर हो. क्योंकि चोरी करके रिश्ते में फूट पड़ सकती है. इसलिए मैंने दोनों को छूट दी ताकि इस काम में खुल कर मजा आए.

आखिर हम सब रोहतांग पहुंच गए.

उधर बहुत बर्फ थी.
हमने रास्ते से कपड़े ले लिए थे जो वहां किराए पर मिलते हैं.

मैं कुछ दूर बर्फ में चला तो मुझे ठण्ड लगने लगी.
मैं वहीं कॉफी पीने के लिए रुक.

उधर कॉफी के लिए गाड़ी खड़ी थी, मैं वहां चला गया.

मैंने रिया से कहा- तुम दोनों बर्फ में घूम लो.

रवि ने रिया से कहा- भाभी जी, ऊपर की तरफ काफी अच्छी बर्फ है. आप वहां चलिए.
रिया मेरी ओर देखने लगी.

मैं रिया के पास गया और उसके कान में बोल दिया- देखो रिया, हम यहां मज़ा लेने आए हैं. तुम इसके साथ दिल खोल कर मज़े लो, यहां कोई नहीं है जो हमें जानता हो.

यह बात सुन कर रिया की आंखों में चमक सी आ गई और वह रवि के साथ ऊपर बर्फ के पहाड़ों पर चढ़ने लगी.

अब वह मेरी तरफ से हरी झंडी पाने के बाद फ्री माइंड हो गई थी और रवि से खुल कर बातें करती हुई ऊपर चढ़ रही थी.

पूरे एक घंटे तक दोनों बर्फ मस्ती करते रहे और बातें करते हुए नीचे आ गए.

रिया ने रवि से बहुत सारी पिक क्लिक करवाई थीं और अब रिया ठण्ड से ठिठुर रही थी.

बर्फ के पानी से उसके कपड़े भीग चुके थे.

हम सब वापस गाड़ी में आकर बैठ गए.
रवि ने कार में हीटर चला दिया.

कुछ देर में गाड़ी गर्म हो गई तो रिया ने वे गर्म कपड़े उतार दिए जो वहां से लिए थे.

अब वह टी-शर्ट और जींस में थी और आगे रवि के पास फ्रंट सीट पर बैठी थी.
रवि गाड़ी चला रहा था.

फिर वह दुकान आ गई, जहां से हमने कपड़े लिए थे.
रवि ने मुझसे कहा- आप कपड़े वापस कर दीजिये.

मैंने कहा- ठीक है.
मैं कपड़े वापस करने के लिए उतरा और जब वापस आया तो देखा रवि और रिया कुछ बात कर रहे थे.

रवि ने रिया के बालों में हाथ डाला और कुछ बोला.

तभी मैं गाड़ी के पास चला गया.
उन्होंने मुझे देखा और अलग हो गए.

मैं जाकर गाड़ी की पिछली सीट पर बैठ गया.

आगे रवि और रिया बैठे थे.

मैंने अपना मोबाइल निकाला और उसे चलाने लगा.

रवि ने शीशे से मुझे देखा कि मैं मोबाइल चला रहा हूँ तो उसने फिर से अपना हाथ रिया की जांघ पर रख दिया और हल्के से दबा दिया.

रिया ने उसकी ओर देखा.
उसकी आंखों में एक नशा सा दिख रहा था.

रिया ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया.
रवि ने पीछे देखने वाले शीशे से मेरी तरफ देखा.
मैं मोबाइल में देखने का ड्रामा कर रहा था.

रवि ऐसे ही आराम आराम से रिया की जांघों को सहलाता रहा.
रिया ने अपनी आंखें बंद कर लीं और उसका हाथ हटा दिया.
शायद वह गर्म होकर पिघल गई थी.

रवि गाड़ी चलाता रहा.

फिर बीच में रिया ने कहा- मुझे भूख लगी है.
रवि ने गाड़ी मैग्गी पॉइंट पर ले ली.

मैं उतर गया.
मेरे बाहर निकलते ही रिया ने रवि से कुछ कहा और दोनों उतर कर खाने के लिए आ गए.

रिया ने आकर मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे पास बैठ गई.

कुछ देर हम दोनों ने खाना पीना किया और हम सब फिर से गाड़ी में बैठ गए.
रिया फिर से आगे बैठ गई.

अब हम लोग काफी थक चुके थे और शाम के 5 भी बज चुके थे.

मैंने रवि से कहा- सीधा होटल चलो, अब थोड़ा आराम करेंगे.
थोड़ी देर बाद हम सब होटल पहुंच गए.

मैंने रिया से कहा- अभी थोड़ा आराम कर लेते हैं. रात को पार्टी करेंगे.
रिया बोली- यहां तो हमें कहीं का कुछ भी नहीं पता. आप अपने लिए बियर और बाकी का सामान कैसे लेने जाओगे?

मैंने कह दिया- मेरे पास रवि का नंबर है. उसी को कॉल कर लूंगा.
रिया ने कहा- ठीक है, वह भी आपको कंपनी दे देगा.

मैंने कहा- हां और तुम्हें भी!
रिया ने मेरी ओर देखा और बोली- अच्छा जी … वह कैसे?

मैंने कहा- यार, हम इतनी दूर आए हैं. ये पल यादगार होने चाहिए. अगर तुम मान जाओ … तो हम तीनों खूब मस्ती कर सकते हैं.

रिया मेरी बात समझ गई और बोली- पर यार, क्या आपको ये सब अच्छा लगेगा?
मैंने कहा- मैं मिलकर मस्ती करने की बात कर रहा हूँ. मेरा बहुत मन है कि सब एक साथ बिस्तर वाला खेल खेलें.

रिया मुस्कुरा कर बोली- अगर आपकी इसमें खुशी है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है.

यह कह कर रिया ने मेरे होंठों पर किस किया और मैंने उसके कान में कह दिया- आज तुम्हें दो लंड का मजा मिलेगा.
वह शर्मा कर मुझसे अलग हुई और वाशरूम चली गई.

बाद में मैं रिया को अपनी बांहों में लेकर सो गया और एक घंटे बाद उठा.
तब 7:30 बजे थे.

रिया मेरे बाजू में नहीं थी.
मैंने रवि को कॉल की.
उसने फ़ोन उठाया.

मैंने कहा- कहां हो रवि?
उसने कहा- यहीं दो किलोमीटर की दूरी पर हूँ.

मैंने कहा- यार थोड़ा काम कर दोगे क्या?
रवि बोला- हां बताइए क्या करना है?
मैंने कहा- थोड़ा सा सामान लेकर आना था. तुम होटल आ जाओ, फिर मुझे दिला लाओ.

उसने बोला- भैया, आप क्यों परेशान होते हो. मुझे व्हाट्सएप पर बता दो, जो सामान लाना है … वह सब मैं ला दूंगा.
मैंने कहा- ठीक है.

तब मैंने उसको सामान के लिए रेडवाइन, सिगरेट और कुछ सामान की लिस्ट सैंड कर दी.
साथ में लिख दिया कि आज रात तुम खाना हमारे साथ खाना इसलिए अपनी मर्जी से जो भी और सामान लान चाहो, ले आना.

कुछ देर बाद रिया के मोबाइल की लाइट जली.
वह अपना मोबाईल छोड़ कर गई थी.

मैंने देखा तो रवि का व्हाट्सएप मैसेज था.
उसमें लिखा था ‘आपके लिए क्या लाना है.’

ऊपर कुछ मैसेज डिलीट किए हुए थे.
मैंने रिया के मोबाइल से उसे सैंड कर दिया ‘अपनी पसंद से ले आना अच्छा सा कुछ …’

उसने रिप्लाई किया- आपको कौन से फ्लेवर पसंद है.
मैंने लिख दिया कि मुझे चॉकलेट पसंद है.

उसने लिखा- हमारा भी कुछ हो सकता है क्या?
मैंने सैंड किया- सब कुछ हो सकता है.

उसने लिखा- आपके हस्बैंड भी तो हैं.
मैंने लिखा- उन्हें सब पता है. वे भी मस्ती करना चाहते हैं.
उसने लिखा- ठीक है. मैं पूरी तैयारी करके आता हूं.

मैंने सारे मैसेज डिलीट कर दिए.

कुछ देर बाद रिया कमरे में अन्दर आई.

मैंने उससे पूछा- रवि ने तुमसे नंबर लिया था क्या?
उसने कहा- हां जब हम पहाड़ पर थे, तब लिया था.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर मैंने सोचा कि थोड़ा सेक्सी माहौल बना कर रिया के दिल की बात ली जाए.

रिया एक टॉप ओर लांग स्कर्ट पहन कर शीशे के सामने खड़ी थी.
मैं उसके पीछे गया.

मैंने कहा- क्या बात है डार्लिंग … रात के लिए तैयारी कर रही हो क्या?

ये कह कर मैं पीछे से उसकी गर्दन पर किस करने लगा और आराम आराम से उसके कान की लौ को चूसने लगा.
वह गर्म होने लगी.

मैंने रिया से कहा- जान, आज जी भर कर मस्ती करना.
रिया कहा- हम्म!

मैंने कहा- बताओ ना कैसे करना है?
उसने कहा- जैसे आपको पसंद हो.

मैंने कहा- तुम बताओ ना!
रिया ने कहा- आज मुझे मसल देना आप.
मैंने कहा- सिर्फ मैं … या हम दोनों?

रिया शर्मा गई और मेरे सीने से लग गई.
मैंने कहा- तुम तैयार हो ना दो लंड लेने के लिए!
रिया हां कह कर मेरे होंठ चूसने लगी.

वह दो लंड का सुनकर बहुत गर्म हो गई थी.

मैंने अपना लोअर नीचे किया और लंड रिया के हाथ में दे दिया.
वह लंड को मसलने लगी.

कुछ देर ऐसे ही मस्ती करने के बाद मैं वाशरूम चला गया और आराम से नहाने लगा.

मैं वाशरूम के अन्दर अपने लौड़े को सहलाते हुए अपनी बीवी की सुन्दर चूचियों को याद करके आने वाले पलों की याद करने लगा.

Hindi Sex Stories

हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ Hindi Sex Stories कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के लिये हमारे साथ यहां आ गया था। मेरा देवर राहुल कॉलेज में था उसे सुबह जाना होता था और 12 बजे तक वापस आ जाता था। मैं दोनों का नाश्ता और खाना सुबह ही तैयार देती थी। राहुल सवेरे उठ कर मुझे जगा देता था, कई बार मैं कम कपड़ो में सोती थी, तब राहुल मुझे बहुत गौर से देखता रहता था। शायद वो मेरे बोबे निहारता था। अगर कभी कभी रात को पति से चुदाने के बाद मैं ऐसे ही सो जाती थी। मुझे अस्तव्यस्त कपड़ों में राहुल का मुझे ऐसे निहारना रोमांचित कर देता था। पर वो तो दिन भर अपने आप को इन चीज़ो से अनजान ही बताता था। वो भी जब कभी पेशाब करता था तो मौका देख कर लण्ड को ऐसे निकाल कर करता था कि उसका लण्ड मुझे दिख जाये। मैं भी उसके लण्ड की छवि मन में उतार लेती थी और वो मेरे मन में बस जाता था। अपने ख्यालो में मैं उस लण्ड से चुदती भी थी।

जब वो करीब 12 बजे दिन को लौटता था तो उसे खाना परोसते समय मैं झुक कर अपने स्तन के दर्शन जरूर कराती थी, वो भी तिरछी नजरों से मेरे सुडौल स्तनों का रसपान करता था। पजामे में से उसका लण्ड जोर मारता स्पष्ट दिखाई देता था।

जब दोनों तरफ़ आग लगी थी तो देरी किस बात की थी। जी हां … हमारे रिश्तों की दीवार थी, मेरी उम्र की दीवार थी … उसे तोड़नी थी … पर कैसे ??? देखने दिखाने का खेल तो हमने बहुत खेल लिया था … अब मन करता था कि आगे बढ़ा जाये, कुछ किया जाये … … शायद ऊपर वाले को भी हम पर दया आ गई थी … … यह दीवार अपने आप ही अचानक टूट गई।

दिन में खाना खा कर राहुल अपने बिस्तर पर लेटा था। मैं भी अपने कमरे में जा कर लेट गई थी। मन तो भटक रहा था। मेरे हाथ धीरे धीरे चूत पर घिस रहे थे। मीठी मीठी सी आग लग रही थी। मेरा पेटीकोट भी ऊपर उठा हुआ था। हाथ दाने को सहला रहा था। अचानक मुझे लगा को कोई है? मैंने तुरन्त नजरें घुमाई तो राहुल दरवाजे पर नजर आ गया। मैंने जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लिया और बैठ गई। राहुल डर गया और जाने लगा … शायद वो कुछ देर से मुझे देख रहा था …

“ए राहुल … इधर आ … ” मैंने उसे बुलाया ” देख भैया को मत कहना जो तूने देखा है।”

“नहीं भाभी, नहीं कहूंगा … आपकी कसम !”

“ले ये 50 रु रख ले बस … !” मैंने उसे रिश्वत दी। राहुल की आंखे चमक उठी, उसने झट से पैसे रख लिये।

“आप बहुत अच्छी है भाभी … !” उसका लण्ड अभी भी उठान पर था, मुझे ये सब करता देख कर वो उत्तेजित हो चुका था।

“तुझे अच्छा लगा ना … ” मैंने शरम तोड़ना ही बेहतर समझा।

“हां … भाभी, पर आप भी मत कहना भैया से कि मैंने आपको ये सब करते हुये देख लिया है।”

मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई … तो सब इसने देख लिया है … मैं समझी थी कि बस थोड़ा सा ही देखा होगा। मुझे लगा कि अब राहुल मुझसे चुदाई के बारे में फ़रमाईश करेगा। पर हुआ उल्टा ही … राहुल की सांसे तेज हो गई थी … उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था … राहुल मेरे कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया। मुझे लगा कि आज मौका है, लोहा गर्म है, माहौल भी है … कोशिश कर लेनी चाहिये।

इसी कशमकश में 15 मिनट निकल गये। हिम्मत करके मै उठी और धीरे से उसके कमरे में झांका। वो किन्हीं ख्यालो में खोया हुआ था या उसे वासना की खुमारी सी आ रही थी। पजामे में उसका लण्ड खड़ा था और उसके हाथ उस पर कसे हुये थे। आंखे बन्द थी और वो शायद हौले हौले मुठ मार रहा था। शायद मेरे नाम की ही मुठ मार रहा था। आनन्द में मस्त था वो। मैं दबे पांव उसके बिस्तर के पास आई और उसके बालों पर हाथ फ़ेरा। उसने अपनी आंख नहीं खोली, शायद वो इसे सपना समझ रहा था। मैंने अपना होंठ उसके होंठो से मिला दिये और उसे चूमने लगी। वो तन्द्रा से जागा। उसके होंठ कांप उठे और अपने आप खुल गये।

” भाभी … आप … !” उसके हाथ मेरी कमर में आ गये, उसकी वासना से भरी आंखे गुलाबी हो रही थी।

“राहुल मत बोल कुछ भी … तू मुझे प्यार करता है ना … !” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लग गई, ताकि उसके इन्कार की गुन्जाइश नहीं रहे।

“भाभी … हाय मेरा लण्ड … मैं मर गया … मत करो ना … !” उसकी झिझक अभी बाकी थी। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।

“तू कितनी बार मुठ मारेगा … आजा आज अपनी कसर निकाल ले, कितना मोटा लण्ड है तेरा … !” उसके लण्ड को मैंने जबरदस्ती कस कर पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। आखिर उस पर वासना सवार हो ही गई। उसने विरोध करना छोड़ दिया और लण्ड को मेरे हवाले कर दिया। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसे अपने जिस्म के नीचे दबा लिया। अपना पेटीकोट भी ऊपर करके नंगी चूत उसके पजामे में खड़े कड़क लण्ड के ऊपर रख दी और हौले हौले घिसने लगी। राहुल उत्तेजना से तड़प उठा। उसने मेरे कठोर स्तन थाम लिये और सहलाने लग गया। मेरे स्तन कड़े होते जा रहे थे। चूचक भी कड़क हो कर फूल गये थे। चूत से पानी रिसने लगा था। मेरे शरीर का बोझ उस पर बढ़ने लगा।

“राहुल पजामा उतार दे ना … हाय रे देख तेरे लण्ड की क्या हालत हो रही है।” मुझे चुदाने की जोर से इच्छा होने लगी थी। चूत में जोर की मिठास भरने लगी थी।

“भाभी, आप भी पेटीकोट उतार दो ना … मुझे आपका सब देखना है … ” उसकी बेताबी देखते बनती थी, लगता था कि राहुल की भी प्रबल इच्छा हो रही थी कि अपनी भाभी की मस्त चूत और गाण्ड की प्यारी प्यारी गोलाइयाँ देखे।

“सच राहुल … मेरी चूत देखेगा, … मेरी चूंचिया देखेगा … सुन, अपना लण्ड मुझे दिखायेगा ना !” मेरी बेताबी बढ़ने लगी। चूत का पानी साफ़ करते करते पेटीकोट भी गीला हो गया था।

“हां, मेरी भाभी … जो चाहोगी आप कर लेना।” राहुल नंगा होने को बेताब लग रहा था। उसकी कमर चोदने की स्टाईल में कुछ कुछ ऊपर नीचे हो रही थी।

मैंने धीरे से उसका पजामा उतार दिया। उसका मस्त तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। थोडी सी गोल सी चमड़ी में से उसका सुपाड़ा झांक रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की चमड़ी खींच कर लाल सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी स्किन लगी हुई थी , मतलब उसने किसी को नहीं चोदा था, फ़्रेश माल था। मेरा प्यार उस पर उमड पड़ा।

“राहुल, प्लीज अपनी आंखे बन्द कर लो, मुझे अब कुछ करना है … !” मैंने राहुल से वासनामय स्वर में कहा। राहुल ने चुपचाप अपनी आंखे बन्द कर ली। मैंने थूक का बड़ा सा लौन्दा उसके सुपाड़े पर रख दिया और उसे मलने लगी। उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैंने अब झुक कर उसका मस्त लण्ड मुख में ले लिया और मुख में लण्ड अन्दर बाहर करके अपना मुख चोदने लगी। वो मस्ती में सिमट गया और … आहें भरने लगा।

“अपनी टांगे उठाओ राहुल … थोड़ी और मस्ती करनी है … !” मुझे उसकी गाण्ड को अंगुली से चोदने की इच्छा होने लगी।

“लो उठा ली टांगें … ” उसने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। उसकी गाण्ड खुल गई।

मैंने उसकी गाण्ड को सहलाने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के फ़ूल को छूने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के छेद में थूक लगा कर एक अन्गुली धीरे से अन्दर सरका दी। राहुल चिहुंक उठा। धीरे धीरे अंगुली अन्दर बाहर करने लगी … राहुल झूम उठा।

“भाभी … आप तो सब कुछ जानती है … कितनी अच्छी है … कितना मजा आ रहा है … मेरा लण्ड रगड़ दो ना !” उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, आहें फ़ूट पड़ी।

“मजा आ रहा है ना … !” मैंने दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड कर मुठ मारना चालू कर दिया। पर ये क्या … वो टांगे समेट कर एठने लगा और उसका वीर्य छूट पड़ा। ढेर सारा वीर्य निकलता गया … मैंने फ़ुर्ती से लण्ड को अपने मुख में ले लिया और गटागट पीने लगी। उसकी गाण्ड में से अन्गुली निकाल ली। उसकी सांसे उखड़ रही थी। वो अब धीरे धीरे अपनी सांसें समेट रहा था, अपने आप को कन्ट्रोल कर रहा था।

अब कपड़े उतारने की मेरी बारी थी। मैं भी बेकाबू हो रही थी। मैं चाह रही थी कि वो भी मेरे जिस्म से खेले। मेरी चूंचियो को दबाये,, खींचे, घुमाये, मेरी चूत से खेले मेरी गाण्ड की गोलाईयाँ दबाये औए गाण्ड में मेरी ही तरह अंगुली करे। मैंने राहुल से कहा,” राहुल … अब आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लो … कहो कहां से शुरू करोगे … ?” मेरे मुख से बोल नहीं वासना उमड़ रही थी।

“भाभी … मुझे तो आपके बोबे यानी चूंचियाँ बहुत जोरदार लगती हैं … जाने सपनो में कितनी बार दबा चुका हूँ।” राहुल ने शान्त स्वर में इकरार किया। और कुछ ही पल में उसने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार दिये। उसने प्यार से मेरे मद मस्त बदन को निहारा और मेरे चूचियों को सहलाने लगा। मेरे कड़े चूचक उबल पडे। मेरे निपल को उसने घुमाना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सीत्कार निकल पडी।

“राहुल … हाय … मसल दे रे मेरी चूंची … ” मैं झनझनाहट से तड़प उठी। मैंने प्यार से उसके चेहरे को चूम लिया। तभी उसका कुंवारा लण्ड धीरे धीरे खडा होता हुआ दिखने लगा। मैं तनमयता से लण्ड को एक्शन में आते देखने लगी। उसे देख कर मेरी चूत तड़प उठी। खड़ा होते होते उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। मुझे लगने लगा कि बस अब राहुल मेरी चूत मार ही दे और मेरी चूत फ़ाड दे। लेकिन अभी उसके होंठो के बीच मेरे चूचक दबे हुये थे जिसे वो खींच खींच कर चूस रहा था या कहिये कि पी रहा था। उसमें से थोड़ा थोड़ा सा दूध आ रहा था।

अब उसके एक हाथ ने नीचे से मेरी चूत दबा दी। मैं हाय कर उठी … चूत के पानी से उसका हाथ गीला हो गया। अब धीरे धीरे बदन चूमता हुआ चूत की ओर बढ़ने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। कुछ ही क्षणों में मेरी फूली हुई चूत पर उसके होंठ जम गये थे। राहुल की जीभ बाहर निकल कर चूत के द्वार खोल कर कर अन्दर का रसपान करने लगी। मेरी कलिका फ़ुदक उठी, कठोर हो कर तन गई। जीभ का स्पर्श मुझे तेज मिठास दे रहा था। उब उसकी जीभ ने मेरी कलिका को होंठो के बीच दबा लिया था और उसको चूस रहा था। अचानक राहुल की एक अंगुली मेरी कोमल गाण्ड में घुस गई। और अन्दर बाहर होने लगी। ये सब कुछ मेरे सहनशक्ति के बाहर था । मेरे मुख से एक सीत्कार निकल पड़ी और उसके बालों को पकड़ कर मैंने उसके सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपना पानी उगलने लगी। मैं झड़ चुकी थी।

“हाय राहुल … मेरा तो दम निकल गया रे … मैं तो गई … आह्ह्ह्ह्ह् … मेरी मां री … …!! ” राहुल ने अपनी नशीली आंखों से मुझे देखा और मेरे ऊपर आ गया। मुझे चूमने लग गया।

“हाय मेरी भाभी, आप तो बडी मस्त हैं … काश आप मुझे पहले मिली होती … आपके नाम के कितनी बार मुठ मारी मैंने !”

” हां राहुल, मैंने भी तो कई बार तीन तीन अंगुलिया चूत में घुसेड़ कर कर पानी निकाला है तेरे नाम का … !”

” बस भाभी, अब देर ना करो … अपना भोसड़ा फ़ैला दो … मुझे अब अपनी मनमर्जी करने दो !” उसकी उत्तेजना बढ़ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी। अब मुझे जी भर के चुदना था। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपना भोसड़ा चौड़ा दिया। पर उसकी मंशा कुछ और ही थी। उसने मुझे एक झटके में उल्टा कर दिया।

“भाभी, मेरा लण्ड तो आपकी गोल गोल लचकदार गाण्ड देख कर फ़ूलता है … पहले इसका नम्बर लगाऊंगा !” मुझे पता था कि उसका लण्ड अभी कुंवारा है, चोदने का अनुभव भी नहीं है अभी तो … फिर गाण्ड क्या मारेगा।

“देख अभी नहीं, बाद में गाण्ड मार लेना … अभी तो अपने लौड़े से मेरी चूत मार दे …! “

” नहीं भाभी … पहले गाण्ड का मजा, मेरा तो गाण्ड को देख कर ही माल निकल जाता है … प्लीज!”

मेरे गाण्ड का फ़ूल अब दबने लगा। उसने अपना लण्ड पकड़ा और उसने अपना सुपाडा खोला और थूक लगा कर हाथ से लण्ड को छेद पर फिर से दबाने लगा। मेरी गाण्ड नरम थी और गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, सो छेद खुला हुआ था और बड़ा भी था। उसका सुपाड़ा मेरे छेद में अन्दर आकर फ़ंस गया। राहुल ने मर्दानगी के स्वर में कहा,”भाभी, तैयार हो ना … लो ये मेरा मोटा लण्ड … ।” और उसने पूर जोर लगा कर लण्ड अन्दर पेल दिया।

मुझे मस्ती आ गई … और राहुल के मुख से चीख निकल गई। उसका पूरा लण्ड अन्दर तक बैठ गया था। मैंने तुरन्त ही गाण्ड सिकोड़ ली ली और उसके लण्ड को कैद कर लिया। मुझे पता था अब वो तड़पेगा, दर्द से कराहेगा। मुझे वही मजा लेना था।

“बस … बस … हो गया … अब ऐसे ही रहना … तू तो सच्चा मर्द है रे … ! देख एक ही झटके में मेरी गाण्ड मार दी।” उसे शायद मेरा मर्द कहना अच्छा लगा। उसने अपनी चीख अब बन्द कर दी। मेरी पीठ पर अब वो लेट गया। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को फिर से ढीला कर दिया।

“राहुल एक और मर्द वाला शॉट लगा दे बस … ” मैंने उसकी मर्दानगी जगाई। भला वो पीछे रहने वाला था। उसने एक जोरदार झटका मारा, फिर एक चीख निकल गई। पर उसने सहन कर ली। मैंने अपने पांव और खोल कर उसे राहत दी। वो भी अपनी मर्दानगी दिखाते हुए अब कमर चलाने लगा। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैंने मस्ती में आंखे बन्द कर ली। मुझे उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं था। बस सटासट चुद रही थी। मेरी गाण्ड में लौड़ा लेने की पुरानी आदत थी सो गाण्ड हिला हिला कर उसका लण्ड गाण्ड में भरने लगी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसका जलता हुआ गरम लौड़ा गाण्ड में मिठास भर रहा था। पर शायद उसे अब चोदने की लग रही थी। मेरे चिकनी चूत का मजा लेना चहता था। सो उसने अब अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर मेरे भोसड़े में घुसा दिया। उसे भी आराम मिला चिकनी चूत में। मुझे भी एक गहरा सा आनन्द दायक मीठा तेज मजा आया। ये चुदाई का मजा था। चूत में लण्ड जब घुसता है तो जन्नत नज़र आ जाती है। मैंने अपनी ग़ाण्ड थोड़ी ऊपर कर ली और चूत में गहराई तक लण्ड लेने लगी।

“राहुल, मेरे मर्द, लगा और जोर से, जड़ तक फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को … साली बहुत प्यासी है …! “

“मुझे मर्द कहा, मेरी भाभी … तुझे आज मर्द का पूरा मजा दूंगा भाभी … ले मेरा लण्ड और ले … “

“हाय रे … मैं मर गई राहुल … पेल और पेल … दे और दे … मैं मर जाउंगी मेरे राजा … “

उसका लण्ड अपने पूरे शबाब पर था, गहराई तक चोद रहा था। मेरी चूत का पानी निकल कर लण्ड को पूरा गीला कर चुका था, और फ़च फ़च की मधुर आवाजें कमरे में गूंजने लगी।

“जोर मार मेरे राजा … आह्ह्ह … मजा आ रहा है … लगा और जोर से … हाय रे … मर गई रे … ”

“हां, भाभी … मस्त मजा आ रहा है … आपकी चूत ने तो आज मेरे लण्ड को स्वर्ग दिखा दिया … हाय रे … ले और ले मेरा लौडा … “ उसकी गति भी बढ़ती जा रही थी और मुझे सारे बदन में वासना की मीठी मीठी तड़प बढ़ती जा रही थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमटी जा रही थी। मेरे पूरे जिस्म में तूफ़ान आ आने वाला था। मैं होश खोती जा रही थी। राहुल का शरीर मुझ पर कसता जा रहा था। अचानक उसकी रफ़्तार बढ़ गई। मेरी सिसकारी निकल पडी। और मैं कसमसा उठी। मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरा पानी चूत से छूटने लगा। उसके हाथ मेरे बोबे पर कस गये और उसके तन्नाये हुये कड़क लण्ड ने भी मेरे चूत के अन्दर अपना लावा उगलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत ने और उसके लौड़े ने एक साथ जोर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराई में जाकर अपना रस छोड़ रहा था, झटके खा कर वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। मैं भी चूत का जोर लण्ड पर लगा रही थी और अपना पानी निकालने में लगी थी। दोनों ही झड़ते जा रहे थे और आनन्द में मगन हो रहे थे। अब राहुल ने अपना बोझ मुझ पर डाल दिया और उसका लण्ड सिकुड़ने लगा। अपने आप ही वो चूत से बाहर निकल गया।

हम दोनों ही चुदाई से तृप्त हो कर एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे और चूमते जा रहे थे। अचानक मेरी नजर उसके लण्ड पर पडी, उसमें सूजन आ चुकी थी, ऊपर की चमड़ी कहीं कहीं से फ़ट चुकी थी। मुझे उसकी मर्दानगी पर गर्व था।

“राहुल, तू तो सच्चा मर्द निकला रे … अब आ तेरे लौड़े की ड्रेसिन्ग कर दूं !” मुझे उस पर दया भी आई। पर मुझे उससे आगे भी चुदना था सो उसे मर्द कह कह कर उसे जोश भी दिलाना था, कुछ ही देर में मैंने उसके लण्ड को साफ़ करके उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी। राहुल मर्द के नाम पर एक बार तो फिर चोदने के लिये तैयार हो गया, पर मैंने उसे प्यार से समझा दिया और अपनी गोदी में उसका सर रख कर उसे प्यार करने लगी। Hindi Sex Stories

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