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Massage Girl in Dewas: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Dewas who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Dewas that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Dewas massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Dewas who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Dewas massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Dewas massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Dewas who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Dewas employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Dewas helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Dewas

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Dewas at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.

खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.

क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.

अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.

अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.

मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.

फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.

बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.

बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.

करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.

मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.

मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.

अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.

उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.

उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.

अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …

मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”

मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.

कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.

मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.

अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.

इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.

आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.

थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.

फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.

रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.

उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.

आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.

सोनाली वर्मा Antarvasna

मेरी नई नई नौकरी लगी एक साल हो Antarvasna गया था. मेरे ऑफिस में एक ही लड़की मैं थी. मेरी टेबल के पास सुनील की टेबल थी. मैं किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी. बाद में मेरी दोस्ती सुनील से हो गयी थी. मैंने उस से कहा कि वो अपनी सेक्स के पल अन्तर्वासना के पाठकों को भी बताये …जिस से सभी उन बातों का मजा ले सकें. सुनील होमो का शौकीन भी था. उसी की लेखनी से प्रस्तुत है यह कहानी.

हाय मेरा नाम सुनील है. मेरी नौकरी लगे हुए २ साल हो चुके हैं. मुझे कंपनी की तरफ़ से मकान मिला हुआ है. मेरे साथ वाला मकान कामिनी का है. ये मकान दो मकानों के जोड़े में है. जिसकी एक ही चारदीवारी है. और पीछे एक चौक है जो दोनों मकानों को एक दरवाजे के द्वारा जोड़ता भी है.

इन दिनों मेरा ऑफिस का एक दोस्त टूर पर आया हुआ था. मेरी ही उमर का था और कुछ कुछ मेरे ही तरह गोरा और लंबा था. उसका नाम रोहित था. रोहित दिन भर टूर पर रहता था शाम को ६ बजे तक वो लौट आता था .फिर हम रात को थोडी सी व्हिस्की भी पीते थे और सो जाते थे. उस दिन रोहित शाम को आया और नहा कर हम चाय पीने लगे. हम दोनों आपस में बात कर रहे थे. बातों बातों में उसने बताया कि आज वो एक हिन्दी में ब्लू सीडी लाया है. मैंने कभी ब्लू फ़िल्म नहीं देखी थी. मेरे पूछने पर उसने बताया कि इसमे बूब्स चूसना, चुदाई करना, वगेरह खुला दिखाया जाता है. मेरे मन में भी बहुत इच्छा थी कि में ब्लू फ़िल्म देखूं. शाम को करीब ८ कबजे उसने सीडी लगाई. हमने एक एक जाम बनाया और पीते हुए देखने लगे. थोड़ी ही देर में स्क्रीन पर गरम गरम बातें होने लगी.

“रोहित …ये तो लंड ..चूत की भाषा बोल रहे हैं ..”

” हाँ इस में सब कुछ खुला ही बोलते हैं ..”

मैंने पहली बार ब्लू फ़िल्म देखी थी इस लिए मुझे मजा आने लगा. मेरा लंड भी धीरे धीरे कब खड़ा हो गया मुझे पता ही नहीं चला. अचानक मुझे लगा रोहित मेरे लंड की और देख रहा है. मैंने संभलते हुए ऊपर एक कपड़ा डाल लिया. में रात के हिसाब से पजामा पहना था, अंडरवियर सोते समय नहीं पहनता था. मेरी नजर उस पर गयी तो उसका लंड भी सीधा खड़ा था, पर वो उसे छुपा नहीं रहा था. बल्कि उसे धीरे धीरे मसल रहा था .
“क्या मस्त चुदाई चल रही है …”

“हाँ यार … उसकी चूत तो देख …” मैं बोला।

“और उसका लंड … क्या मोटा है …”

उसने मेरी जांघ पर हाथ रख कर दबाया. मेरे मन के तार झनझना गए.

मैंने कहा – “यार रोज ही एक सीडी ले आया कर … ये तो मस्त चीज है …”

उसने मेरे ऊपर से कपड़ा खींच लिया ..

“यार तू तो लड़कियों की तरह शरमा रहा है …”

“अरे … मत कर …न ”

“मर्द है तो खड़ा तो होगा ही … ये तो साधारण सी बात है …”

मैंने देखा कि उसका लंड भी जोर मार रहा था .. उसने सीधे ही मेरा लंड पकड़ लिया ..

“..ये तो बहुत कड़क हो गया है. .”

” इस को छोड़ यार … हाथ हटा …” मैंने उसका हाथ पकड़ लिया पर लंड छुडाया नहीं. वो समझ गया कि मुझे मजा आ रहा है. सच में उसने मेरा लंड पकड़ा तो में आनंद से भर गया था. मेरे मन में भी अब उत्तेजना भर गयी थी. मुझे लग रहा था कि वो मेरी मुठ मार दे ..बस. मैंने भी हाथ बढ़ा कर उसके लंड को पकड़ लिया.

“हाय संजू … अब जरा दबा दे …”

मैंने उसे दबा दिया. उसने तुंरत अपना पजामा उतर दिया. उसके पजामा उतारते ही मैंने उसके लंड कि सुपारी खोल दी. और सुपारी को उँगलियों से दबाने लगा.

“हाँ संजू …घिस डाल … अपना पजामा भी तो उतार दे …”

मैंने अपना पजामा उतार दिया. उसने तुंरत ही मेरे लंड को मसलना चालू कर दिया.

मेरे मुंह से भी सिसकारी निकल गयी … मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था.

“और जोर से पकड़ कर मुठ मार …ओ ऊ ऊई ईई ”

“संजू तुम्हारा लंड तो बहुत प्यारा है …मेरी गांड में घुसाओगे क्या …”

“तुम बताओ … कैसे घुसाते हैं ..”

वो बिस्तर पर घोडी बन गया. मेरे से कहा – “अपना लंड मेरी गांड में घुसा दो …” मैंने अपना लंड उसकी गांड में रखा और दबाने लगा पर वो नहीं जा रहा था. उसने कहा “थोड़ा थूक लगा कर चिकना कर दो …”

मैंने थूक लगा कर जोर लगाया तो मेरे लंड की सुपारी अन्दर घुस गयी. पर मेरे लंड में जलन होने लगी।सुपारी के नीचे वाली झिल्ली फट गयी थी. और लंड की चमड़ी पूरी तरह से ऊपर चढ़ गयी. मैंने घबरा कर लंड बाहर निकाल लिया.

“मुझसे नहीं होता है …ये सब ..”

“अच्छा तो तुम घोडी बन जाओ …”

उसने मुझे घोडी बनाया और कहा -“देखो मैं बताता हूँ …”

रोहित एक्सपर्ट था. उसने मेरी गांड में थूक लगाया और लंड गांड के छेद पर रख कर जोर लगाया तो उसकी सुपारी मेरी गांड के अन्दर घुस गयी. उसने मेरा लंड नीचे से पकड़ लिया. ये सब करने से मैं बहुत उत्तेजित हो उठा था. मेरा लंड कड़ा हो कर फटा जा रहा था .उसने धक्का लगा कर अपना लंड पूरा गांड में घुसा दिया.

“क्या चिकनी गांड है संजू ” … उसने मेरा लंड मसलते हुए कहा. बीच बीच में मुठ भी मारता जा रहा था .मुझे गांड मराने में मजा आने लगा. गांड का छेद टाइट होने से वो ज्यादा देर नही टिक सका. और धक्के मारते मारते वो झड़ गया.उसने लंड गांड में ही रहने दिया. और कस कस कर मेरे लंड की हाथ से मुठ मारने लगा. कुछ ही देर में मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है. मैं मस्ती में आँखें बंद किए था. मेरे लंड को मुठ मारने से अब कुछ कुछ होने लगा था. निकलने जैसा होने लगा था. अचानक अन्दर से लावा बाहर आने लगा.

“अरे …आ आह ह्ह्ह …आ अहह हह … ये क्या …अरे छोड़ मेरा लंड … ” कहते हुए मेरी धार अपने आप ही निकल पड़ी. उसने अब अपनी उँगलियों से लंड को हलके हलके खीचने लगा. मेरी पिचकारी रुक रुक कर निकलती रही. मुझे लगा मेरी गांड में से भी उसका वीर्य निकल रहा है. मैं बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और तोलिये से मेरे लंड और गांड को पोंछने लगा.

रोहित मुस्कराया ..”मजा आया न …”

“हाँ ये मेरा पहला एक्सपेरिएंस था …”

“इसमे कोई बदनामी का कोई खतरा नही … अपने मजे करो … और अपना पानी निकाल दो …”

हम दोनों हंसने लगे।

देखा आपने, ये सुनील है. ये लड़के कितनी मस्ती मारते हैं. सुनील की होमो की कहानी आगे भी चलती रही.

पर मैं इसमे कहाँ थी … जी हाँ मैं इस कहानी मैं ही हूँ.

जानते हैं आप …अब मेरी कहानी सुने …

संजू की बैठक और मेरी बैठक आमने सामने है. मेरा बेड रूम और मेरा किचेन भी आमने सामने है. जब संजू बैठक में रहता है तो रात को लाइट बंद करके खिड़की पर बैठ कर उसे देखती रहती हूँ. कभी कभी वो कपड़े बदलता है तो नंगा भी हो जाता है. सभी कुछ साफ़ दिकता है. वो कोई सीडी देखता है तो उसके हाव भाव और हरकतें देखती रहती हूँ.

… पर यही नही, बदले में मैं भी बेडरूम में उसको दिखाने के लिए अपने स्तनों को दबाती हूँ. अंगडाई लेती हूँ. सोने से पहले अपने कपड़े पूरे उतार कर सकर्ट और टॉप पहनती हूँ. पर वो देखता है या नहीं मैं नहीं जानती हूँ.

मुझे वाइरल ज्वर हो गया था. मैं ऑफिस नहीं गयी थी. शाम को सुनील मिलने आया. मुझे देख कर बोला -“तुम्हे बुखार हो रहा है …चलो मै डॉक्टर को दिखा दूँ ” वो मुझे जबरदस्ती क्लीनिक पर ले गया. डॉक्टर ने ५ दिन की दवाइयाँ दे दी. हम वापस घर आ गए।

मैं तो ख़ुद अपना खाना पकाती थी. पर सुनील का टिफिन आता था. सुनील सामने अपने घर चला गया. थोडी ही देर में सुनील ने फिर दरवाजा खटखटाया – मैंने उसे अन्दर बुला लिया. वो अपना टिफिन लेकर आया था. उसने मुझे खाना खिलाया और फिर बचा हुआ ख़ुद उसने खाया और चला गया. मैं उसे देखती रह गयी. अब सुनील मुझे सुबह, दिन और शाम को देखने आता था … मेरी पूरी देख रेख करता था. पॉँच दिनों में मैं बिल्कुल ठीक हो गयी. मैं उसके अहसान से दब गयी. पर इस बारे में न वो कुछ कहता … ना मैं ही कुछ कहती. जब मैं खाना बनाती तो उसको जरुर भेजती थी. बाद मैं मैंने उसका टिफिन बंद करवा दिया. अब वो मेरे घर पर ही खाता था. वो जब किचेन की खिड़की पर होता तो मैं उसे हाथ हिलती और जो भी बनाती उसे बताती. हम दोनों अब बहुत घुल मिल गए थे. बल्कि ऐसा लगता था कि हमें एक दूसरे से प्यार हो गया है.

एक बार शाम को मैं बाज़ार से लौटी और कमरे में घुसी तो सामने खिड़की में से सुनील दिखा. वो अपना हाथ से अपने पजामे के ऊपर से लंड को दबा रहा था. मैंने बत्ती नहीं जलाई और देखती रही और रोमांचित हो उठी. वो बेखबर हो कर कभी लंड को सीधा करता और अपनी मुट्ठी में भर लेता और दबाता. कभी उगलियों से लंड दबा कर ऊपर नीचे करता. उसने अब अपने पजामे का नाडा खोला और अपने लंड को बाहर निकाला. और देखता रहा. फिर उसने अपने लंड की चमड़ी ऊपर कर दी. उसका एक तो इतना मोटा लंड फिर लाल लाल मोटी सुपारी … मैं तो सिहर उठी … मेरे बदन में चींटियाँ रेंगने लगी. मैं उत्तेजित हो उठी. मेरे स्तनों में कड़ापन आने लगा. चुंचियां कड़ी होने लगी … उसने तभी अपना रिमोट उठाया और कोई बटन दबाया …

ओह ! तो सुनील कोई फ़िल्म देख रहा था … पर कैसी फ़िल्म?

मैं किचेन में गयी …और आइस की केन उठाई. पीछे के दरवाजे से मैंने उसका दरवाजा खटखटाया. उसने तुंरत ही उठ कर दरवाजा खोल दिया. पर अपने खड़े हुए लंड को नहीं छुपा सका. मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी. खड़ा लंड देख कर मैं शरमा गयी वो भी झट से हाथ से छिपाने की कोशिश करने लगा. मैं अन्दर आ गयी. इतने में सुनील लपक कर आया – “रुक जाओ कामिनी ..”

पर मैं अन्दर आ चुकी थी … उसने सीडी का मैं स्विच ही बंद कर दिया. मैंने ब्लू फ़िल्म की झलक देख चुकी थी. अनजाने बनते हुए पूछा -“कोई अच्छी फ़िल्म थी …बंद क्यूँ कर दी …”

“कुछ नहीं … ऐसे ही …” वो हडबडा गया “कोई काम था क्या …”

“हाँ बर्फ लेने ई थी …”

उसने अपना फ्रीज खोला और ट्रे खाली कर दी. मैंने इतनी देर में उसे छेड़ने के लिए सीडी का स्विच ओन कर दिया. फ़िल्म फिर से चलने लगी. सुनील ने जल्दी से आकर फिर से बंद करदी.

“कामिनी मत देखो …ये बडों की फ़िल्म है …”

“अच्छा नहीं देखती ..बस … पर खिड़की तो बंद कर लिया करो … फ़िल्म से अच्छा तो वो सीन था ..”

सुनील घबरा गया. मैं उसे देखती रही.

“मुझे भी दिखा दो ..बड़ों की ये फ़िल्म ..” मैंने फिर से सीडी ओन कर दी …चुदाई के सीन चल रहे थे … मैंने पहली बार ब्लू फ़िल्म देखी थी … मेरे रोंगटे खड़े हो गए … मेरी टांगे काम्पने लगी … मैं वहीं कुर्सी पर बैठ गयी …

“सुनील .. ये क्या … हाय रे. …”

“बस देख तो लिया …बंद कर दो प्लीज़ ..”

” प्लीज़ सुनील …देखने दो न …” मैंने रिक्वेस्ट की. सुनील पास ही खड़ा था. मैंने उसकी टांग पकड़ ली. और अपनी तरफ़ खीच ली.

“सुनील ये बड़ों की फ़िल्म नही है …ये तो हम जैसे जवानों के लिए है …देखो तो सही ..”

मैंने पजामे से हाथ ऊपर बढ़ा कर उसके चूतडों को पकड़ लिया .और जोश में अपनी तरफ खींचने लगी. मैं सब कुछ भूलती जा रही थी. जाने कब उसका लंड मेरे मुंह के करीब आ गया. और मेरे मुंह अपने आप खुलते गए. एक मोटा मोटा नंगा लंड मेरे मुंह में घुसता चला गया. सुनील भी सब कुछ भूल कर अपना लंड बाहर निकल कर मेरे मुंह से सटा दिया. मैंने उसके लंड को चूसना चालू कर दिया. मैं मस्त हो उठी. सुनील भी मेरे मुंह में धक्के मरने लगा. मैं कुर्सी से उठी और उस से लिपट गयी …

“सुनील …अब रहा नही जाता है. .प्लीज़ अब कुछ करो न …” मैं बहुत उत्तेजना से भर उठी.

सुनील ने मुझे लिपटा लिया और बेतहाशा चूमने लगा.

मैंने अपने आप को सुनील के हवाले करते हुए कहा – “प्लीज़ संजू मुझे चोद दो … देखो मैं कैसी तड़प रही हूँ .”

उसने प्यार से मेरे चेहरे को ऊपर उठाया … और किस करते हुए बोला – “हाँ मेरी कामिनी … अब तुम जरूर चुदोगी .. मेरा लंड …देखो तो फूल कर फट जाएगा .”

उसने मुझे बाँहों में उठाया और धीरे से बिस्तर पर लेटा दिया. उसने मेरी साड़ी उतर दी. फिर प्यार से ब्लाउज उतर दिया, पेटीकोट भी खोल डाला …अब में बिल्कुल नंगी सुनील के सामने चुदने के लिए लेटी थी .वो मेरे हुस्न को निहार रहा था. वो भी नंगा था. उसका लंड देखते मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया. मैं चुदने के लिए बेकरार हो उठी थी. मेरी चूत पानी से तर हो चुकी थी. वो मेरे ऊपर सवार हो गया. तभी मेरी चूत में कुछ चीरता हुआ अन्दर घुस गया. मैं तड़प उठी. चूत को ऊपर उठाते हुए बोली – राजा लो …और अन्दर घुसेड दो …” उसने दूसरे झटके में पूरा लंड जड़ तक घुसा दिया. मैं निहाल हो उठी. अब वो मेरी पूरी जवानी को मसल रहा था. मेरे उभरे हुए स्तनों को भींच भींच कर मसल रहा था. उसकी जवानी और मेरी जवानी टकरा उठी … आग जल उठी … दोनों ऐसे चिपक कर जवानी का मजा ले रहे थे जैसे एक जिस्म हो. चेहरा से चेहरा रगड़ खा रहे थे .फच फच की आवाजें बढती जा रही थी. मस्ती की चीखें जोर पकडती जा रही थी. मेरे चूतड नीचे से तेजी से उछल उछल कर लंड को ले रहे थे. मैं सिस्कारियां …आहें भर रही थी … जाने क्या क्या बोलती जा रही थी. .. “चोद ऐ रे संजू …आ आह्ह … फाड़ दे मेरी चूत … … दे लंड …और दे लंड आ अह्ह्छ मेरे राजा … हाय ..रे …चुद गयी …राजा …”

मेरी उत्तेजना हदें पर कर गयी. और अचानक जैसे ठंडी फुहार बरसने लगी … सुनील का मस्ती भरा रस बरसात की तरह फुहारे छोड़ रहा था. रुक रुक कर मेरे स्तनों पर बरसात कर रहा था. मैं भी अपना रस छोड़ चुकी थी …दोनों का ज्वार उतरने लगा. मैं निढाल हो गयी. सुनील को मैंने जोर से छाती पर भींच लिया. और उसे साइड में करवट लेकर चिपक कर लेट गयी. हमारी सांसे अब सामान्य होने लगी थी.

सुनील ने उठ कर …”कामिनी खाना खा कर सोना …उठो ..”

मैं हंस पड़ी …”अरे …सोता कौन है … अभी तो सारी रात पड़ी है …” Antarvasna

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मैं संजय के साथ आज डांस क्लब में डिनर Hindi Porn Stories पर आई थी। स्टेज पर डांस चल रहा था। संजय और मैं रिजर्व टेबल पर बैठ गये थे। बैरा ड्रिन्क लाकर रख गया था… मैंने अपने लिये गोवा का मशहूर जिंजर वाईन मंगवाया था। हम दोनों भी उस माहौल में धीरे धीरे रंगने लगे थे। थोड़ी देर में सन्जय मेरे साथ डांस फ़्लोर पर था।

हल्का नशा था … डांस में मजा भी आ रहा था … मैं भी अपने डांस को सेक्सी बनाने लगी। अपनी चूंचियां उछाल उछाल कर सन्जय को रिझाने लगी। इतने में मुझे राज अकेला नाचता हुआ नजर आ गया। मैं चौंक पडी ! ये आज यहां कैसे? तुरन्त मेरे तेज दिमाग में एक प्लान उभर आया।

मैंने सन्जय से कहा,’सन्जू… वो राज है, मेरे पुराने मिलने वालों में से है ! तुम रेस्ट करो ! मैं उस से मिल कर आती हूं !’ संजय वैसे भी ड्रिन्क करना चाहता था। सो वह अपनी टेबल पर चला गया। मेरे दिल में राज को देखते ही हलचल मच गयी थी। मैं डांस करती हुयी राज के पास आ गयी। मुझे देखते ही वो चौंक गया,’अरे रोज़ी तुम ! कैसी हो?’

‘हाय राज ! तुम बताओ शीना की डेथ के बाद अब मिले हो !’

राज़ सकपका गया। शीना मेरी गहरी सहेली थी, उसकी सारी बातें मैं जानती थी, पर राज को ये नहीं पता था कि शीना की कोई हमराज़ भी है।

‘हां ! मैं दिल्ली चला गया था, शीना का बिजनेस भी तो सम्हालना था, आज तो तुम बड़ी सेक्सी लग रही हो !’

‘ऐ !! इधर से नजरें हटाओ, वर्ना मर ही जाओगे !’मैंने उसे अपने स्तनों की तरफ़ इशारा किया, फिर अपनी चूंचीं उछाल दी।

‘हाय ! रोज़ी ! सच में, तुम्हारी इसी अदा पर तो मरता हूं !’

मै उसकी कमर में हाथ डाल कर उससे चिपकने लगी। उसने भी मेरे उरोज अपनी छाती से भींच दिये। मुझे लगा राज दिलफ़ेंक तो है ही, जल्दी पट जायेगा !

‘आऊच ! क्या करते हो, ये तो नाजुक है, जरा धीरे से !’

राज मचल उठा। उसने धीरे से मेरी चूंचियां दबा दी, हाथ मेरे चूतड़ों की तरफ़ बढ चले।

‘मस्त हैं तुम्हारी चूंची तो !’

‘अरे! इतनी अच्छी भाषा बोलते हो !’ मैंने भी उसे बढावा दिया।

‘तो फिर हो जाये एक दौर !!’ राज़ ने चुदाई की ओर स्पष्ट इशारा किया।

‘ कैसा दौर? राज ! साफ़ कहो ना !’

‘तुम और मैं ! और मस्ती का दौर !’

‘चुप ! अभी सन्जू है, कल दिन को रखते है, मैं सीधे तुम्हारे घर पर ही आ जाऊंगी।’ मैंने उसे समय दे दिया और मैं जाने लगी। राज मुझे जाने ही नहीं दे रहा था।

जैसे तैसे मैंने उससे पीछा छुड़ाया और सन्जू की टेबल पर आ गयी।

संजय सब समझ चुका था। हमने डिनर लिया और सजय ने मुझे घर छोड़ा फिर अपने घर चला गया।

अगले दिन –

दिन के ग्यारह बज रहे थे। मैंने बुर्का पहना और राज के घर चली आयी। राज मुझे देखते ही खुश हो गया।
‘मैं फोन करने ही वाला था कि तुम आ गयी।’

‘मेरा फोन नम्बर तुम्हरे पास है क्या’

‘नहीं ! पहले तुम्हारी सहेली को करता उस से नम्बर ले लेता।’ मैंने चैन की सांस ली और बुर्का उतार दिया।

राज ने मुझे खींच कर अपने से चिपका लिया और मुझे चूमने लगा।

‘राज पहले ड्रिंक, फिर मजे करेंगे।’

‘ओके ! तुम्हारे लिये क्या बनाऊं? हार्ड या बीयर?’

‘नहीं बस तुम पियो !’

‘ये हाथ के मोजे तो उतार दो !’

‘नहीं !हाथ जल गया था !’ उसने ड्रिंक लेनी शुरु कर दी, मैं उसके पास ही बैठ गयी। अब वो धीरे धीरे मेरे जिस्म से खेलने लगा। मुझे भी रंग चढने लगा. मैंने उसे चूमना चालू कर दिया। उसने भी जवाबी हमला बोल दिया। उसने सीधे मेरी चून्चियो को दबा डाला।

मुझे एकदम से तरन्ग आ गयी। मैंने अपने बोबे उसके सामने तान दिये, वो मेरे दोनो उरोज पकड़ कर दबाने लगा। मैं अपनो उरोजो को और आगे उभार कर उसके हाथों पर जोर डालने लगी। ऐसे मुझे और भी मजा आने लगा।

‘दबा मेरे राज, ये ले मेरी कड़क चूंचिया, मसल दे हरामी को !’

‘मेरी रोज़ी तू तो बड़ी सेक्सी बातें करती है !’ उसने पूरा गिलास एक झटके में पी लिया, मैंने दूसरा गिलास बना दिया।

‘राज आज मेरे मन की निकाल दे, शीना को तो तूने खूब चोदा है, मुझे क्यों छोड़ दिया था रे !!’

‘मेरी जान अब चुद लो, शीना के होते हुये तुझे कैसे चोद सकता था?’

मै अब खड़ी हो गयी, और अपने गोल गोल चूतड़ उसके चेहरे के सामने कर दिये।

‘राज इन नरम नरम चूतड़ों को भी मसल दो ना, साले बहुत बेताब हो रहे हैं!’

राज मेरे चूतड़ देख कर उतावला हो उठा। उसने अपना गिलास एक बार में खाली कर दिया। और मेरे चूतड़ों को जोर जोर से दबाने लगा। मैंने अपने चूतड़ और फ़ैला दिये और उसकी ओर निकाल दिये। मैंने उसका गिलास फिर से एक बार और भर दिया। राज़ ने मेरी सफ़ेद पैन्ट नीचे उतार दी और मुझे नन्गी कर दिया। मैंने शर्माने का नाटक किया,’हाय मेरे राज ! मेरी चूत दिख रही है छिपा लो इसे !!’

उसने तुरन्त उपने होन्ठ मेरी चूत से चिपका दिये। मेरे मुख से आह निकल गयी। मैंने अपनी पैन्ट नीचे से पूरी उतार दी। फिर अपना टोप भी उतार दिया। अपनी चूत को मैं अब जोर लगा कर उसके होंठो से रगड़ मार रही थी। मेरे शरीर मे वासना भरती जा रही थी। मुझे मीठी मीठी सी सिरहन होने लगी थी। अब राज़ अपनी जीभ से मेरा दाना चाट रहा था, मेरी चूत फ़ड़क उठी, मैं अपनी चूत उसके मुख पर मारने लगी। फिर जोर लगा कर उसके होठों से रगड़ने लगी। अब मेरी चूत काफ़ी पानी छोड़ चुकी थी। मैंने अपनी चूत दूर करके अब उससे चिपक कर बैठ गयी।

उसका लन्ड पैन्ट से बाहर निकलने को जोर मार रहा था। मैंने उसकी ज़िप खोल कर उसका लन्ड बाहर निकाल लिया। बाहर आते ही जैसे उसके लन्ड ने राहत की सांस ली। फ़नफ़नाता हुआ सांप की तरह खड़ा हो गया, मैंने प्यार से उसे पकड़ कर सहला दिया और उसे अपनी मुट्ठी में भर कर हौले से ऊपर नीचे करने लगी। राज़ मदहोश होता जा रहा था, मैंने उसकी पैन्ट नीचे खींच कर उतार दी। ऊपर के कपड़े उसने स्वय ही उतार दिये। वो नशे में झूम रहा था, मैंने उसके लन्ड दो अब खींचना और मसलना भी चालू कर दिया था। उसकी हालत बेकाबू होती जा रही थी।

‘अरे मादरचोद! रन्डी… अब तो मेरा लन्ड चूत में घुसेड़ ले !’

‘मेरे राजा अभी रूको तो ! तेरे लन्ड की मां तो चोदने दे !’

‘हाय मेरी रानी ! तू कितना मस्त बोलती है रे! घिस दे इस हरामी को!’

मुझे लगा कि थोड़ा और घिसने से ये तो झड़ जायेगा। उसके लन्ड को झूमते देख कर मुझे भी चुदने की लगन लग गयी थी। मैंने अपनी चूत का मुंह खोला और उसका कड़कता लन्ड चूत-द्वार पर रख दिया, उसे कहां चैन था, उसने तुरन्त ही नीचे से धक्का मार दिया। उसका लन्ड मेरी चूत में रास्ता बनाता हुआ गहराई में घुसता चला गया। मेरी मुख से कसकती हुयी आह निकल पड़ी।

मैंने उसे सोफ़े पर ठीक से एडजस्ट किया और मै ऊपर ही उठने बैठने लगी पर राज़ ने मुझे तुरन्त हटाया और बिस्तर पर ला कर पटक दिया,’अब तेरी चूत का मैं भोसड़ा बनाता हूं ! रूक जा बहन की लौड़ी… !~’

‘हाय राजा ! देख छोड़ना मत मेरी चूत को ! इसकी तो मां चोद दे यार ! ‘

‘ रोज़ी … ये ले … यस यस… क्या मस्त चूत है… आऽऽऽह…’

‘है न मस्त … चिकनी और प्यारी सी… बस फ़ाड़ दे यार… दे धक्का… हाय री…’

‘चुद जा …मेरी जान… ‘ राज़ और मैं गालियां पर गालियां मस्ती में दिये जा रहे थे…

चूत का पानी और धक्के … फ़च फ़च की आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरी चूत में अब मीठा मीठा सा दर्द और तेज गुदगुदी उठने लगी। उसके धक्के अब मेरी जान निकाल रहे थे… मेरी उत्तेजना बहुत बढ चुकी थी … मेरी चूत अब पानी छोड़ने को मचल रही थी… मैंने अपनी चूत को भींच लिया… मेरी चरमसीमा आने वाली थी … मेरी चूंचियां राज बेरहमी से खींच रहा था… मसल रहा था … उसके चूतड़ तेजी से उछल रहे थे , उसका लन्ड इंजन के पिस्टन की तरह फ़काफ़क चल रहा था…

अचानक मैं छूट पड़ी… मेरा पानी निकलने लगा।

‘राजा मैं गयी … हाऽऽऽऽय्… मेरी चूत छूट गयी … मेरे बोबे छोड़ दे रे … बस… अब बस कर …’

‘कहां मेरी रानी … अभी तो चूत का भोसड़ा बना ही नहीं है…’

‘छोड़ दे … हराम जादे … भोसड़ी के … तेरी मां को घोड़ा चोदे…’

‘अरे … मेरी… रन्डी… छिनाल… चुद जा रे… नखरे छोड़ दे…’

उसी समय उसने मुझे जोर से जकड़ लिया… उसका लन्ड मेरी चूत मे गहराई तक गड़ गया…

‘मैं गया … मेरा निकला… माई चोदी रे… ऊऽऽऽईऽऽऽ… हाय मेरी मां चुद गयी रे… ये…ये… हाय निकल गया मेरी जान …’ उसने तेजी से लन्ड चूत में से निकाल लिया। उसका वीर्य तेजी से पिचकारी के रूप में मेरे बदन पर बरसने लगा… मैंने सारा वीर्य अपने बोबे और पेट पर मल लिया।

उसका लन्ड पकड़ कर खींच खींच कर बाकी का वीर्य भी निकाल कर कर अपने शरीर पर मलती गयी। राज मस्ती में लन्ड उछालता रहा। नशा उस पर चढ चुका था… अब वो सुस्त पड़ने लगा…अब वो बिस्तर पर निढाल हो कर लुढक गया। नशा उस पर पूरा चढ चुका था … उसकी आंखे बन्द होने लगी थी…

मैंने उसकी हालत देखी वो लगभग नींद में था … मैंने तुरन्त ही बिस्तर पर से छलांग मारी और अपने पर्स को खोला… अब एक चमकता बड़ा सा खन्जर मेरे हाथों में था… दूसरे ही क्षण मेरा हाथ बिजली की तरह चला और उसका गरदन का आधा भाग कट गया… उसकी सांस की नली कट चुकी थी… उसकी फ़टी हुयी आंखे मुझे अविश्वाश से देख रही थी…

‘ये मेरी शीना की हत्या का बदला है … बड़े खुश थे ना उसकी असीम दौलत पाकर…।’

और मेरे खन्जर का दूसरा वार सीधे उसके दिल पर था… उसकी आंखे फ़टी कि फ़टी रह गयी … मैं वहीं क्रूरता से मुस्कराती रही… उसकी जान जाते देख कर मुझे असीम शांति मिल रही थी … मेरे मन की आग शान्त हो चुकी थी। उसकी लाश अब मेरे सामने पड़ी थी… उसकी आंखे खुली थी… मैंने अपना खन्जर उसी के कपड़े से साफ़ किया… और उसे फिर से पर्स में रख लिया…

मैंने अपने कपड़े सोफ़े पर से उठा कर पहन लिये। उसका मोबाईल भी अपने हवाले किया। अपना मेक अप ठीक किया… अपने दस्ताने उतार कर पर्स में रखे और ध्यान से कमरे का निरीक्षण किया… सन्तुष्ट हो कर मैंने अपना बुर्का पहना और बाहर झांक कर देखा।

दोपहर का एक बज रहा था … मै चुप से बाहर आ गयी… मैं जल्दी से बाहर आई और पैदल ही एक तरफ़ चल दी… सड़क सूनी पड़ी थी… मै सामान खरीदने एक मोल पर आ गयी… मैंने बाहर ही बुर्का उतारा और एक थैले में रख दिया… कुछ सामान खरीद कर बाहर आ गयी। सारा सामान थैली में रख कर बाहर आकर एक टूसीटर कर लिया … रास्ते में नदी के पुल पर से नदी में राज़ का मोबाईल फ़ेन्क कर रास्ते में उतर गयी। वहां से टेक्सी करके घर के पास उतर गयी… और पैदल ही घर की ओर चल दी… Hindi Porn Stories

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मेरे प्रिय पाठकों और Hindi Sex Stories पाठिकाओं को मेरा नमस्कार। मेरा नाम एलिस है। मैं भी आपकी ही तरह अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मुझे इस साईट की कहानियों को पढ़कर बहुत मजा आता है। मुझे ये सभी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी और मैं पुरानी वाली कहानियाँ भी पढ़ना चाहता हूँ इसलिये मैंने भी अपनी आपबीती आप लोगों के सामने पेश करने का इरादा अन्तर्वासना के जरिये किया है। यह मेरी पहली कहानी है, अगर आपकी कृपा हुई तो मुझे आगे भी और कहानियाँ भेजने का मौका मिलेगा।

मैं जिस लड़की के बारे में बताने जा रहा हूँ, उसका नाम स्नेहा है। वो मेरे पड़ोस में रहती है। उसका कद करीब 5’6″ है, रंग गोरा है और बदन का क्या कहना ! साली क्या मस्त लगती है कि जो भी देखे तो उसका लंड तो खड़ा हो ही जाता है। उसके मम्मे करीब 34″ के होंगे और उसके गांड करीब 38″ की होगी।

बात उन दिनों की है जब मैं कोचिंग में पढ़ा करता था और छुट्टियाँ होने पर मैं घर जाता था। वो एक अमीर घराने की माडर्न ख्याल की लड़की थी और शायद इसीलिए वो ज्यादातर जींस व टी-शर्ट में रहती थी। इस कारण उसके शरीर के सारे उभारों का अच्छी तरह से प्रदर्शन होता था और यह देख सभी लड़के उस पर फ़िदा रहते थे। पड़ोस में होने के कारण वो मुझे भाई जैसा मानती थी और मैंने भी कभी उसे गलत नजर से कभी नहीं देखा था। पर मुझे पता था कि भाई-भाई करके वो मुझे लाइन देती थी।

बात गर्मियों की है जब छुट्टियाँ हुई और मैं घर गया। मुझे लग रहा था कि इस गर्मियों की छुट्टियों का मैं पूरा आनंद लूँगा। एक दिन मैं अपने नए साल के सत्र के लिए पढ़ाई कर रहा था, वो आई और कहने लगी,”मेरे घर पर सब मेरी मौसी के यहाँ शादी में जा रहे हैं इसलिये मैं आज यहाँ ही सोउंगी।”

वो बहुत खुश नजर आ रही थी और मेरी किस्मत भी देखो यारो कि पापा-मम्मी को भी उसकी मौसी के यहाँ से आग्रहपूर्वक न्योता आया कि आप भी आओ और एलिस को भी ले आना। पर पापा स्नेहा के यहाँ होने से उसे अकेला छोड़ नहीं सकते थे और मुझे पढ़ना भी था, सो मैं यहीं रुक गया और पापा-मम्मी दोनों गेराज से गाड़ी निकाल कर चले गए। मम्मी ने जाने से पहले बहुत हिदायतें दी कि दरवाजे खुले रख कर मत सोना, दोनों एक ही कमरे में सो जाना और बेड अलग अलग रखना। और हम आज रात में भी आ सकते हैं या कल आ जायेंगे वगैरह-वगैरह। मैंने भी हर आज्ञा का पालन किया, सिर्फ एक को छोड़कर, बेड अलग अलग वाला।

रात के नौ बज चुके थे और हम सोने की तैयारी कर रहे थे। उसका आज मूड कुछ बदला-बदला लग रहा था। वैसे मैं उस समय शरीफ बच्चा था। ऊपर के दरवाजे जांचने के लिए हम दोनों ऊपर गए, क्योंकि मुझे रात में अकेले डर लगता है। हम नीचे न आकर वहाँ पर ही बातें करने लग गए। वह वो मुझे बार-बार स्पर्श कर रही थी और गन्दी-गन्दी मतलब यौन सम्बन्धी बातें करने लगी। उसी समय बिजली चली गई। अब तो वो बोलने लगी कि अगर नीचे जायेंगे तो मुझे भी डर लगेगा सो हम वहीं रुक गए और बातें करने लगे। मेरा तो लंड वहीं खड़ा हो गया पर शायद अँधेरा होने के कारण उसे दिखाई नहीं दिया होगा। मैं भी जवाब में थोड़ी-थोड़ी खुलकर बातें करने लग गया। अब दोनों में कुछ-कुछ होने लगा था, हम दोनों वहाँ चिपकने लगे थे। हम दोनों गर्म होने लगे थे और वहाँ आस-पास में कोई न होने के कारण हमने आखिर एक चुम्बन तो कर ही लिया। इतने में बिजली आ गई और वहाँ हमें कोई देख लेता, उससे पहले हम दरवाज़े जाँच कर नीचे आ गए।

उसने नीचे आते ही मेरा एक लम्बा चुम्बन किया। मैंने स्नेहा को अपनी बाँहों में भर लिया, अपनी टांगें स्नेहा की टांगों से चिपका दी और मैंने अपने जलते हुए होंठ स्नेहा के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नर्म-नर्म होंठों को अपने होंठों में भर कर चूमने लगा। स्नेहा ने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ स्नेहा के जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने स्नेहा को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया। हम दोनों फिर से किस करने लगे और मेरे हाथ उसके शरीर पर कहाँ-कहाँ फिर रहे थे, कुछ पता नहीं।

करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी। मेरा भी लंड अब जैसे अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा और जल्द ही उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। उसने अपने हाथों से मेरे लंड को मसलना शुरू कर दिया। मैं भी उसके मम्मे दबाने में व्यस्त था। मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए। मैंने उसको खेलने के लिए अपना लंड दे दिया। मैंने उसे बिसतर पर लेटा दिया और फिर उसकी गोरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा। चूत बिलकुल साफ़ थी यानि एक भी बाल नहीं था।

वो बोली,”आज पूरी तैयारी करके आई हूँ !”

स्नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं तो मानो स्वर्ग की सैर कर रहा था।

आप तो उसे देखते ही पागल हो जाते और जंगली सेक्स चालू कर देते। पर जैसे कि मैंने कहा था कि मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, तो मैंने सेक्स करने के नियम पढ़ रखे थे जो किसी सज्जन ने अन्तर्वासना को भेंट किये थे। मैंने बस अपने को नियंत्रित किया।

उसके गुलाबी चुचूकों को हल्के-हल्के मसलने लगा, फिर अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। स्नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। बाद में वो मेरा लौड़ा चूसने लग गई, दो-तीन मिनट में ही मेरी हालत ख़राब हो गई तो मैंने उसे रोका। फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। दो-तीन मिनट बाद वो झड़ गई तो मैं उसका अमृत-पान करने लगा। वाह ! एक अजीब मजा आ रहा था। वास्तव में वो मजा आ रहा था जो जिन्दगी में पहले कभी नहीं लिया। फिर मैं स्नेहा की चूत पर हाथ फिराने लगा। हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ स्नेहा की चूत के अन्दर डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।

वो और जोश में आ गई और तड़पते हुए बोलने लगी,”बस अब और मत तड़पाओ मेरे राजा !”

फिर मैं उसे ज्यादा न तड़पाते हुए उसकी चूत का श्री गणेश करने को तैयार था।

स्नेहा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली,”प्लीज, कंडोम तो लगा लो ! मुझे डर लगता है।”

मैंने बैड की दराज में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। स्नेहा ध्यान से मुझे कंडोम लगाते देख रही थी। फिर अपना लंड उसकी बुर पर रख दिया। लंड धीरे धीरे अन्दर चला गया पर काफी मेहनत करनी पड़ी हमको पहली बार में। वो दर्द से तड़पने लगी थी, मैंने और जोर लगाया तो उसकी बुर से थोड़ा खून निकला। खून मेरे लंड पर व उसकी जांघों पर व थोड़ा चादर पर भी गिरा था। वो पहले तो यह देख कर घबरा गई पर वो जानती थी कि पहली बार में यह सब होता है, उससे उसे काफी हिम्मत मिली।

मैं थोड़ा रुका और उसके होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ, हमने खून साफ़ कर फ़िर शुरु किया। तब मैंने फिर से उसे चोदना चालू कर दिया। मैं उसके नर्म-नर्म होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए और करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।

बाद में तो मुझे लग रहा था कि उसकी चूत खुल गई। फिर हमने किस किया और उसके बाद वो मेरे लौड़े को चूसने लग गई ताकि फिर से मेरा लौड़ा खड़ा हो जाये। जल्द ही मेरा लंड एक बार फिर से चुदाई करने के लिए तैयार था। इस बार फिर से चूत को ही अलग-अलग आसनों से चोदने लगा।

स्नेहा बोली,”मुझे कुछ हो रहा है, लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है। खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ।”

मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी ।

उसके मुख से आवाजें आने लगी,”आआआ!!! मैंऽऽऽ आआआऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ”

उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया। मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा। लगभग बीस मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया।

अब उसकी गांड की बारी थी पर वो बोलने लगी,”आज नहीं, फिर कभी इसका भी नंबर आएगा, थोड़ा सब्र करो ।”

पर मैं ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहता था इसलिये उसकी एक न सुनी और गांड के लिए नीचे तकिये रखने लगा और फिर से उलटा लिटा कर गांड का पूरा मज़ा लिया। अब भी ऐसा मौका मिलता है तो छोड़ता नहीं हूँ और वो भी नहीं छोड़ना चाहती। जब भी समय मिलता है, मम्मे दबाकर और चूम कर मजे लेता हूँ, अब तक कई बार चोद चुका हूँ और औरों के भी मजे लिए हैं, वो मैं आपको बाद में कहानी के रूप में लिखता रहूँगा। अब तो कहना पड़ेगा कि “वाह ! क्या रात थी”

आप मेरी कहानी के बारे में अपनी राय जरुर दें और मेरी गलतियाँ भी बताएँ ताकि मैं उनको सुधार सकूँ। अच्छा अब के लिए इजाजत चाहता हूँ। Hindi Sex Stories

कहानी का पिछला भाग: मेरे बस के सफ़र से आगे का सफ़र-2
मैंने भाभी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा. मेरा जोश अब पहले से भी ज्यादा था. क्या पता फिर मौका मिले ना मिले? मैं उनके मम्मे चूसे ही जा रहा था और एक हाथ से चूत सहला रहा था. मैंने अब उनको चाटना चालू किया. उन्होंने अपने हाथों से सर के नीचे जो तकिया था, उसे कस के पकड़ा था. तो मैंने उनकी बगलों में चूमना चालू किया जिससे भाभी पूरी सिहर उठी. धीरे धीरे चूमते हुए मैं नीचे आ गया और चूत चाटने लगा. अब भाभी ने धीरे से अपने पैर उठाये और अपनी छाती के पास ले गई जिससे अब उनकी गांड का छेद मेरे सामने आ गया था.

“आशीष , अगर तुमको तकलीफ ना हो तो थोड़ा इसे भी चाटो ना!”
मैंने अपनी जीभ गांड के छेद पर रखी और धीरे धीरे अपनी जीभ का जोर बढ़ाया. भाभी कसमसा रही थी और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुसवा रही थी.
“भाभी क्या इस छेद को कभी किसी ने छेड़ा है?”
“नहीं आशीष , ये तो मेरी चूत को हो नहीं चाटते! तो इसको क्या चाटेंगे!”
“भाभी, मैं इसको चूसूंगा भी और बजाऊँगा भी!”
भाभी अब जरा मेरा लंड गीला तो करो!”

भाभी ने वापस मेरा लंड मुँह में लिया और चूसना चालू किया.
“अब भाभी पेट के बल हो जाओ, मैं आपके पीछे के छेद को छेड़ता हूँ!”
“आशीष , संभल के! मैंने कभी पीछे लिया नहीं है!”
“अरे भाभी जी! तुमने कभी आगे भी नहीं लिया था! लेकिन अब लेती हो ना!”

मैंने अपनी पकड़ बना ली और उनकी गांड पर लंड का दबाव बनाने लगा.
“आशीष , धीरे से करो! मुझे दुःख रहा है!”
“हाँ भाभी! मैं धीरे से करता हूँ!”
“भाभी, एक काम करो! आप नीचे से गांड उठाओ और धीरे से अन्दर लेने की कोशिश करो!”

लंड तो अब मेरा भी दुखने लगा था क्योंकि गांड का छेद बहुत ही छोटा था. भाभी ने अपनी गांड नीचे से उठानी शुरू कर दी थी. वो गांड तो नीचे से उठा रही थी, साथ में चिल्ला भी रही थी.
“आशीष , आऽऽऽऽ आआआऽऽऽ बहुत दर्द हो रहा है आशीष …!”

अब लंड आधा अन्दर जा चुका था और भाभी अब गांड आगे खींचने लगी थी. मुझे लगा कि भाभी अब बाहर निकलेगी तो मैंने भाभी को पेट के नीचे हाथ डाल कर पकड़ लिया और ऊपर से ऐसा जोर लगाया कि लंड अन्दर धंसने लगा. भाभी की तो चीख ही निकलने वाली थी पर उसने जैसे तैसे रोक ली.
“भाभी, अब पूरा अन्दर गया है! अब कैसा लग रहा है?”
“आशीष , बहुत ही दर्द हो रहा है!”
“भाभी, थोड़ा सहन करो! और आपको दर्द ना हो, इस तरह से अपनी गांड नीचे से हिलाओ!”
“हाँ भाभी! बस इसी तरह से धीरे धीरे हिलाओ!”

भाभी ने अपना काम चालू कर दिया था.
“भाभी, कैसा लग रहा है?”
“आशीष , यह तो अलग ही अनुभव है! मुझे बहुत ही मजा आ रहा है! तुम भी कमर हिलाओ ना! मजा आ रहा है बहुत!”

अब मैंने अपने शॉट धीरे से चालू किये जिससे उनको तकलीफ़ ना हो.
लेकिन भाभी पूरे जोश में आ गई थी, वो तो नीचे से गांड हिला हिला कर लंड ले रही थी.
मैं भी जोरों पर था और और एक हाथ से उनकी चूची भी दबा रहा था.
बहुत देर ये खेल चला!

“भाभी, क्या बस करूँ गांड की ठुकाई?”
“हाँ आशीष , अब जरा मेरी चूत पर जोर लगाओ!”
मैंने गांड से लंड बाहर निकाला और उनको घोड़ी बना कर उनकी चूत में डाल दिया और पूरी गति से कमर हिलाने लगा.
भाभी की सिसकारियाँ रुक रुक कर निकल रही थी जो के मेरे धक्के के कारण हो रहा था.
“भाभी, कैसा लग रहा है?”
“आशीष , मत पूछो! तुम अपना काम चालू रखो!”
“आशीष ! आआऽऽऽ आआआआअ… क्या मजा आ रहा है! मैं तो पागल थी जो तुम्हें चोदने को मना कर रही थी!”
“आशीष , मैं निकलने वाली हूँ मुझे कस लो आशीष ! आआऽऽऽ आआआआअ…! ”

मैंने भाभी की हालत जान ली और पीछे से उनको कस कर पकड़ लिया.
भाभी ने अपनी चूत को मेरे लंड पर कस लिया जिस कारण मैं भी मचलने लगा.
“भाभी, ऐसे ही चूत से दबाओ मेरे लंड को! मैं भी निकलने वाला हूँ…भाभी ऽऽऽ! ”

और मैं और भाभी एक साथ झड़ने लगे. मेरे लंड का फव्वारा भाभी की चूत में खाली हो रहा था और भाभी भी अपनी चूत के होंट दबा दबा कर मेरा पूरा लंड खाली करवा रही थी.
“क्यों आशीष , मजा आया?”
“बहुत भाभी…बहुत मजा आया!”
“अरे अभी कहाँ? मजा तो अब तुझे दूंगी जो तुम जिन्दगी भर नहीं भूलोगे!”

और भाभी ने मेरा मुरझाया हुआ लंड अपने मुँह में लिया और अपनी जबान से और दातों से उसे चूसने लगी. मेरी हालत तो ख़राब हो रही थी, एक तो पहले ही मैं दो बार झड़ चुका था.
“भाभी बस करो ना! अब मेरे लंड में दर्द हो रहा है!”
“आशीष , यह दर्द बस थोड़ी देर सहन करो! फिर देखो!”

थोड़ी देर बाद मेरी लंड में जान आने लगी और वो वापिस पहले की तरह तैयार हो गया. भाभी मेरे लंड को निहार निहार कर चाट रही थी. शायद उनको लंड चूसना बहुत ही पसंद था.

“आशीष , तुम्हरे लंड में तो बड़ा जोर हैं! यह तो तीसरी बार भी तैयार हो गया है?”
“यह तो आप के मुँह में लेने की कला के वजह से हो रहा है!”
“अब मेरी समझ में आया कि मेरी गांड में इतना दर्द क्यों हुआ! यह तो कितना बड़ा है!”
“अब आपको पता चला? जब चूत और गांड दोनों चोद कर हो गया?”
“अरे तुमने देखने ही कहाँ दिया? जब देखो मशीन चालू थी तुम्हारी!”
“हाँ भाभी! अब क्या करना है मुझे?”
“आशीष , चूत और गांड तो तुमने चोद दी! अब मैं तुम्हें मुँह चोदना सिखाती हूँ.

भाभी ने मुझे घोड़ा बना दिया और मेरे नीचे आ कर नीचे से मेरे लंड को पकड़ा.
“आशीष , जैसे तुमने मेरी चूत चोदी और मेरी गांड चोदी, उसी तरह अब मेरे मुँह को चूत समझ कर जोर से चोदो!”

मैंने जैसे ही अपनी कमर हिलाना चालू किया, भाभी ने अपने मुँह से कमाल दिखाना चालू किया, नए-नए तरीके से मेरे लंड को मुँह में चूस रही थी, कभी अपने होंटों का दबाव बना कर, कभी अपनी जबान से सहला कर मुझे पागल कर रही थी.
मैं भी अब पूरी गति से उनके मुँह में लंड को हिला रहा था. मैं अब घुटनों के बल बैठ गया और भाभी वैसे ही नीचे से सर हिला के अपने मुँह को खुद चुदवा रही थी.

मैंने एक हाथ पीछे किया और उनकी चूत में उंगली डाल दी. भाभी अब आगे से सर हिला के मुँह को चुदवा रही थी और कमर हिला एक चूत में उंगली ले रही थी. अब मेरा बदन अकड़ने लगा था. भाभी अपने मुँह का कमाल दिखा रही थी. मैं अब अपने हाथों पर आ गया और कमर हिला हिला के भाभी का मुँह चोदने लगा.
भाभी पूरा लो! खा जाओ! मैं तो झड़ने वाला हूँ ऽऽ!!

और एक जोरदार धक्का लगाकर मैं उनके मुँह में झड़ गया. पहले की तरह भाभी ने मेरा वीर्य पूरा चाट लिया और मेरे लंड को साफ कर दिया.
फिर हमने उठ कर कपड़े पहन लिए.
“भाभी, मैं निकलता हूँ! आपने आज मेरा सपना पूरा कर दिया! अब मैं आप से दोबारा कुछ नहीं मांगूंगा!”
“आशीष भले ही तुम मुझे दोबारा कुछ नहीं मांगो, लेकिन तुमने आज जो ख़ुशी मुझे दी है, अब मैं तुमसे रोज तुम्हारा लंड मांगूंगी! तो फिर आशीष कल दोपहर को आओगे ना? मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी.”
तो दोस्तो! कैसी लगी मेरी आगे की कहानी?

अब तो मैं इतना चोदने का आदि हो गया हूँ कि जब तक दो बार झड़ता नहीं, मैं नीचे उतरता ही नहीं.
तो अब मैं 32 साल का हूँ और मुंबई में रहता हूँ.

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