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पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ.
मेरा नाम हार्दिक है और मैं 20 साल का थोड़ा सीधा और थोड़ा टेड़ा किस का लड़का हूँ.
मैं उत्तर प्रदेश में रहने वाली एक मिडल क्लास फैमिली से हूँ.
मेरा रंग हल्का सांवला सा है और मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच है. लड़कियों को खास तौर पर बताना चाहता हूँ कि मेरे लंड का साइज़ सामान्य से बड़ा है.
बनाने वाले का मैं बस इसी चीज़ के लिए शुक्रिया करता हूँ कि उन्होंने मुझे एक अच्छा ख़ासा लंड दिया है.
मैं बी.कॉम. के अंतिम वर्ष का छात्र हूँ. मैं रोजाना जिम जाता हूँ तो मेरी बॉडी भी फिट है और मुझ पर एक दो लड़कियां भी मरती हैं, पर मैं फिर भी सबको यही बताता हूँ कि मैं सिंगल हूँ.
यह टीचर लव की कहानी की घटना उस साल की है जब मैं अपने स्नातक के दूसरे साल में था.
जब मैंने कॉलेज में बी.कॉम. में एड्मिशन लिया था तो उस समय कॉलेज में मेरा एक भी दोस्त नहीं था.
फिर मेरा कॉलेज शुरू हुआ, तो मैं पहले दिन क्लास में गया.
हमारे लेक्चर शुरू हुए.
मेरी क्लास में कुछ स्टूडेंट्स से बात भी हुई. उस दिन अपने आखिरी लेक्चर से मुझे कॉलेज से प्यार सा हो गया.
वो हमारा अकाउंट्स का लेक्चर था और हम सब सोच रहे थे कि पता नहीं अब कौन सा खड़ूस टीचर आएगा.
लेकिन जब लेक्चर शुरू हुआ तो हमारी क्लास में एक सुंदर, गोरी चिट्टी, नैन नक्स … एकदम झकास माल जैसी एक लेडी आईं … या यूं बोलूँ कि लड़की आई.
वे हसीन लड़की हमारी अकाउंट्स की टीचर थीं, जिनको देख कर मैं तो हक्का-बक्का रह गया क्योंकि इतना मस्त माल मैंने शायद ही कभी देखा था.
एक तो वो बिल्कुल दूध सी गोरी चिट्टी, ऊपर से उनके नैन नक्श इतने मस्त कि क्या ही खून.
उनकी उम्र भी 28 साल की थी, जो मुझे बाद में पता लगी थी.
मेम का 34-30-36 का साइज़ एकदम पर्फेक्ट था.
उनके तने हुए दूध और उठी हुई गांड देखते ही बन रही थी.
जब मैम क्लास में चल रही थीं तो उनकी हाई हील के कारण उनके मम्मे और चूतड़ कहर ढा रहे थे.
उस दिन उन्होंने क्रीम कलर की साड़ी एकदम चुस्त सी बांधी हुई थी जिसमें उनके बूब्स की झलक और कमर साफ दिख रही थी.
जब वो क्लास में आईं तो उन्हें देख कर मेरा तो मुँह खुला ही रह गया था.
फिर वो अन्दर आईं और ये नसीब की बात थी कि उनकी पहली नजर मेरे ऊपर ही पड़ी और उन्होंने मेरे खुले हुए मुँह और पथराई हुई आंखों को देख कर एक बहुत ही छिपी हुई कातिलाना मुस्कान दी और सामान्य हो गईं.
मैंने उनको आफ्टरनून विश किया.
उनका नाम पल्लवी था.
उन्होंने लेक्चर लिया और चली गईं, पर मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आया.
मुझे क्या, पूरी क्लास के लड़कों को कुछ समझ नहीं आया.
क्योंकि किसी का ध्यान उनके रूप सौन्दर्य से हटा ही नहीं. सबके लौड़े अकड़े हुए थे.
अब हालत ये हो गई थी कि पल्लवी नामक उस शै का सारी क्लास को इंतजार रहने लगा था.
ऐसे ही कुछ दिन निकल गए और एक दिन हमारी फ्रेशर पार्टी हुई, जिसमें मुझे कुछ टैलेंट दिखाने या कुछ करने को बोला गया.
मैंने अपनी बॉडी शो की, क्योंकि जिम जाने का भी तो कुछ फायदा उठना चाहिए ना!
मेरे बॉडी शो पर काफ़ी लड़कियों को मैं पसंद आया और मुझे मिस्टर फ्रेशर बना दिया गया.
उस दिन से कॉलेज में लड़कियों के झुंडों में मेरी बातें होने लगीं.
खैर … मेरा दिल तो मैम पर आ गया था या ये कहूँ कि मुझे उनको चोदना था.
मेरी लड़कियों से ज़्यादा टाइम तक नहीं बनती थी क्योंकि मैं उन पर पैसे खर्च नहीं कर सकता था … और मुझे कोई ऐसी मिली नहीं, जो कि मुझे समझे.
फ्रेशर पार्टी के अगले दिन मैम क्लास में आईं और वो लेक्चर लेने लगीं.
उस दिन उनसे मेरी थोड़ी बातें हुईं, कुछ पढ़ाई से संबंधित थीं और थोड़ी सी ऐसे ही मज़ाक वाली.
उन्होंने भी मेरे बॉडी शो को लेकर मुझसे एक दो बातें कहीं.
उन बातों से मैं सीधा सा ये मतलब निकाल सकता था कि उनके दिल ओ दिमाग में मेरी बॉडी बस गई थी.
अब उन्होंने बॉडी के किस पार्ट को ज्यादा तवज्जो दी, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी.
ऐसे ही दिन निकलते गए और मेरी मैम से बातें होने लगीं.
मैं रात को अक्सर टीचर लव के कारण उनके नाम की मुट्ठ मार कर सोने लगा था.
एक दिन एक लड़के ने लेक्चर के बाद मैम से उनका नंबर मांगा, पर मैम ने बहाना बना कर कि कॉलेज वाला नंबर तो है तो पर्सनल नंबर का क्या करना, उसे मना कर दिया.
वैसे एक बात बताऊं कि हमारे कॉलेज में जो स्थायी प्रोफेसर्स हैं, उन सभी को एक नंबर दिया गया है, जो वो अपने स्टूडेंट्स को दे देते थे.
लेकिन वे उस पर रेस्पॉन्स बहुत कम करते थे, तो स्टूडेंट्स उन फोन्स पर बात ही नहीं करते थे.
फिर ऐसे ही कुछ दिनों बाद मुझे भी कुछ प्राब्लम थी.
मैंने अपनी समस्या को लेकर पहले भी मैम को काफ़ी बार मैसेज किया, लेकिन उन्होंने कभी तो रिप्लाई किया, कभी नहीं.
अब मैंने थोड़ी हिम्मत की.
मेम के लेक्चर के बाद जब सब चले गए, उस वक्त मैंने मैम से उनका नंबर मांगा.
उन्होंने कहा कि नंबर है तो तुम्हारे पास!
मैंने कहा- मेम, आप उस नंबर पर रेस्पॉन्स तो बहुत कम करती हैं … इसलिए अगर आप गलत न समझें तो …
तभी उन्होंने मेरी बात काटी और हंस कर कहा- हां तुम्हारी ये बात सही है. लो ये मेरा पर्सनल नंबर.
उन्होंने अपना नंबर मुझे दे दिया और कहा- प्लीज़ किसी और को नंबर मत देना, मुझे पसंद नहीं है कि कोई मुझे बिना मतलब के पर्सनली फोन करे.
मैंने उनको ओके बोला और साथ ही थैंक्स भी कहा और अपने घर आ गया.
मैंने उनको एक दो दिन बाद एक सवाल पूछने के लिए मैसेज किया.
उन्होंने तुरंत जबाव दिया.
उसके बाद से मैम से मेरी लगातार बात होने लगी.
अब तो क्लास में भी मेरी उनसे थोड़ी ज़्यादा बातें होने लगी थीं और वो क्लास में मेरे अलावा किसी ओर से इतनी बातें नहीं करती थीं.
मैं तो उनकी क्लास में अब कभी कभी फोन भी चला लेता था, पर वो मुझे कुछ नहीं बोलती थीं.
ऐसे ही मैंने उनको एक दिन व्हाट्सैप पर कुछ जोक सेंड किए.
तभी उनका मैसेज आया- थोड़ा पढ़ लो हार्दिक … ये नंबर मैंने तुम्हें क्वेस्चन पूछने के लिए दिया था और ये सब क्या है?
मैंने उनको सॉरी लिखा.
उन्होंने रिप्लाई किया- अरे बुद्धू, मज़ाक कर रही हूँ.
अब मेरी उनसे पढ़ाई से अलग भी बातें होने लगीं.
एक दिन उन्होंने मुझे कुछ काम बताया.
मैंने उसी समय उनका वो काम कर दिया.
उनको मुझ पर थोड़ा ज़्यादा ट्रस्ट हो गया था.
कुछ दिनों बाद हमारे एग्जाम आ गए.
इंटर्नल एग्जाम तो हो गए थे, अब फर्स्ट ईयर के फाइनल एग्जाम थे.
वैसे मैं पढ़ाई में एक सामान्य स्टूडेंट वर्ग से ही हूँ, जिनके 65-70% ही नंबर आते हैं.
फिर मेरे एग्जाम खत्म हुए और कॉलेज की भी छुट्टियां हो गईं.
उस वक्त बड़ा कठिन हो गया.
अब मेरा मन घर पर तो लगता नहीं था इसलिए मैं बाहर ही घूमता फिरता रहता या अपने रूम में सोता रहता.
जब तब मैं पल्लवी मैम से भी मैसेज पर बात कर लिया करता.
मैंने अब तक उनसे एक दो बार ही कॉल पर भी बात की थी, वो भी ये बहाना बना कर कि मुझे थोड़ी रिज़ल्ट की टेंशन हो रही है.
उन्होंने मुझे थोड़ा समझाया.
फिर रिज़ल्ट भी आ गया और मेरे 70% नंबर आए.
मेरी फैमिली मुझसे पढ़ाई को लेकर नाराज़ रहती थी कि तू कुछ पढ़ ले और अच्छा आदमी बन जा, जिससे हमारी कंडीशन जैसी है … तेरी तो ना रहे.
मैं भी काफ़ी कोशिश करता लेकिन मेरा मन पढ़ाई में ज़्यादा नहीं लगता था क्योंकि मुझे इंजीनियरिंग करनी थी लेकिन पैसों की वजह से मेरा एड्मिशन नहीं हुआ था तो मैंने बी.कॉम कर ली.
जबकि मुझे अकाउंट्स कुछ ख़ास पसंद नहीं है.
मैं तो बस मैम की वजह से अकाउंट्स के लेक्चर अटेंड करता था.
अब हमारी दोबारा क्लास शुरू हुई और मैंने फिर से कॉलेज जाना शुरू किया.
पल्लवी मैम अब हमारा दूसरा लेक्चर लेती थीं.
अब यह हो गया था कि क्लास में मैं मैम से मज़ाक कर लेता था और वे भी मुझसे मज़ाक कर लिया करती थीं.
वे मुझे कभी भी अपने काम से भेज दिया करती थीं.
एक दिन मैम ने सुबह सुबह मुझे कॉल किया और उन्होंने कहा- हार्दिक अगर तुमको कोई प्राब्लम ना हो, तो तुम मुझे घर से पिक कर सकते हो. वो आज मेरी स्कूटी खराब हो गई है.
मैंने उनको झट से कहा- ओके मैम, मैं आ जाता हूँ.
उन्होंने मुझे घर की लोकेशन भेजी और मैं वहां चला गया.
उनका घर एक बड़ी सोसाइटी में था जहां से रिक्शे मिलने मुश्किल रहते थे और उनकी कार भी काफ़ी दिनों से बंद पड़ी थी.
जब मैं उनके घर पहुंचा, तो देखा कि उनका घर बाहर से काफ़ी अच्छा और सुंदर है. उससे ये पता चल रहा था कि वो काफ़ी धनी हैं.
हों भी क्यों ना यार … आखिर वो एक प्रोफेसर हैं. उनकी सैलरी अच्छी खासी है.
मैंने उनको कॉल की.
वे बाहर आईं.
आज उन्होंने कुर्ती पहनी हुई थी.
वे मेरे पीछे बैठ गईं.
यहां से कॉलेज भी अच्छा ख़ासा दूर था.
तभी मैंने उनसे बातें करनी शुरू कर दीं.
बातों ही बातों में मैंने कहा- मैम आप तो काफ़ी रिच हैं!
वो बोलीं- अच्छा जी … तुमको ऐसा क्यों लगता है?
मैंने कहा- सब दिखता है मेम, आपका इतना बड़ा घर है … और आप प्रोफेसर हो, तो आपकी सेलरी भी अच्छी ख़ासी आती होगी!
उन्होंने कहा- हां, बात तो तुम्हारी सही है.
मैंने पूछा कि मैम आप बुरा ना माने, तो एक बात पूछ सकता हूँ?
वो बोलीं- हां जी बोलिए.
मैंने पूछा कि आपकी सेलरी कितनी है?
उन्होंने पूछा- क्यों, इसका क्या मतलब है?
मैंने कहा- मुझे बिना मतलब की बातें पूछना अच्छा लगता है. मुझे ये जानना है कि प्रोफेसर्स कितना कमाते हैं.
वो बोलीं- ओके मुझे लगभग 2 लाख रूपए महीने मिलते हैं.
मैं सोच में पड़ गया कि वाउ ये कितना ज्यादा कमाती हैं.
मैंने कहा- मगर मैम आप तो बिल्कुल सिंपल रहती हैं.
उन्होंने कहा- हां तो क्या हुआ हार्दिक, मुझे सिंपल रहना पसंद है … और वैसे भी सिंपल रहने में कोई बुराई थोड़े ही है.
मैंने उनसे पूछा- मैम और आपके हज़्बेंड मेरा मतलब सर क्या करते हैं?
वो बोलीं- वे एक कंपनी में जॉब करते हैं और उधर वे काफ़ी अच्छी पोस्ट पर हैं.
मैं बोला- मैम, आपकी लाइफ इतनी अच्छी है. आप इतनी रिच हो.
इस पर उन्होंने कहा कि रिच होना ही सब कुछ नहीं होता … तुम मेरा दुख नहीं समझोगे.
ये कह कर वो थोड़ा दुखी हो गईं.
उनका मूड ऑफ हो गया और उनकी आंखों में पानी आ गया था.
मैं अभी कुछ और बोलता कि तब तक हमारा कॉलेज आ गया और वे चुपचाप बाइक से उतर कर अन्दर चली गईं.
और मैं भी अपनी क्लास में चला गया.
मैं यही सोचता रहा कि मेरी वजह से मैम दुखी हो गईं.
मगर ऐसी क्या बात है, जिससे उन्हें दुख है.
मैं सोचता रहा और कुछ भी न जान सका.
फिर मैंने मैम का लेक्चर अटेंड किया.
उस वक्त वे कुछ ठीक लग रही थीं. उनका मूड भी सही था.
लेक्चर खत्म होने के बाद उन्होंने मुझसे कहा- हार्दिक, तुम चले जाना, मैं खुद चली जाऊँगी, मुझको थोड़ा टाइम लगेगा.
मैंने कहा- तो क्या हुआ मेम, मैं वेट कर लूँगा आपका.
वो बोलीं- मुझे आधा घंटा लगेगा!
मैंने कहा- हां कोई दिक्कत नहीं है मेम, मैं बाहर आपका वेट कर रहा हूँ. आप मुझे कॉल कर देना.
उन्होंने हम्म कह कर सर हिला दिया और मैं क्लास के अपने दोस्तों के साथ बाहर आ गया.
मैं पार्किंग एरिया में रुक गया और मेरे दोस्त चले गए.
करीब चालीस मिनट बाद मैम की कॉल आई कि वे बाहर आ रही हैं.
मैंने पार्किंग से बाइक निकाली और उनको पिक किया.
उन्होंने मुझसे कहा- थोड़ा ज्यादा देरी हो गई … सॉरी.
मैंने उनसे कहा- तो क्या हुआ मेम. वैसे तो सॉरी मुझे बोलना चाहिए आपको.
वो बोलीं- क्यों?
मैंने कहा कि मैम आपका सुबह मेरी वजह से मूड ऑफ हो गया था, उसके लिए सॉरी!
वो बोलीं- नहीं कोई बात नहीं, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है.
मैं फिर से बोला- अगर आपको बुरा ना लगे, तो आप मुझसे अपनी बात शेयर कर सकती हैं. वैसे आपका मूड एकदम से क्यों ऑफ हो गया था?
उन्होंने मुझे बताया कि तुम सुबह बोल रहे थे ना कि मैं रिच हूँ. चलो तुमको बताती हूँ.
मैं उनकी बात सुनने के लिए कान उनकी तरफ लगाने लगा.
वे बोलीं- केवल रिच होने से कुछ नहीं होता. मैं एक प्रोफेसर हूँ और अभी तो 28 साल की हूँ. अभी तो पूरी लाइफ सामने पड़ी है. सोचो मैं कितने रुपए कमा सकती हूँ. मेरी अभी की सेलरी ही 2 लाख+ है … और साथ ही मैंने काफ़ी सारी इनवेस्टमेंट कर रखी है, जिससे मेरी हर महीने की टोटल इनकम मतलब सेलरी और इनवेस्टमेंट आदि मिला कर 3 लाख से ज़्यादा हो जाती है.
मैम बोली- और तुम सर के बारे में पूछ रहे थे ना. मैंने तुमको बताया था कि वे एक कंपनी में काम करते हैं. वे यहां से काफ़ी दूर रहते हैं … मुंबई में! और उनकी सेलरी ही 7-8 लाख रुपए महीने की है, जिसमें से वो 2 लाख रुपए हर महीने मुझे भेजते हैं. उनको लगता है कि मैं अकेली लाइफ में कुछ नहीं कर सकती हूँ. इसीलिए मैंने उनको नहीं बताया कि मैं प्रोफेसर बन गई हूँ. इसी बात को लेकर हमारी काफ़ी लड़ाई भी हुई क्योंकि उनको मेरा जॉब करना पसंद नहीं आया है. उनको उनकी बॉस मुझसे ज़्यादा पसंद हैं और यह बात मुझे पता लग गई थी. तभी मुझे तुम्हारे कॉलेज से ऑफर आया था तो मैं यहां शिफ्ट हो गई.
वे आगे बोलती रही- अब तुम ही बताओ कि मेरे पास हर महीने 5 लाख रुपए हो जाते हैं … पर मैं उन रुपयों का क्या करूँ! रहती तो अकेली ही हूँ ना, यहां तो कोई नहीं है मेरा … और अब तो मेरा उनके पास जाने का भी मन नहीं करता. पहले सोचा था कि वहीं शिफ्ट हो जाऊँ, पर फिर पता चला कि उनका उनकी बॉस से भी कुछ चक्कर है और उनको हमेशा यही लगता है कि मैं कुछ नहीं कर सकती, तो मैं वहां नहीं गई. मैंने उनको पैसे भेजने को भी मना कर दिया था कि मैं अपना खुद खर्चा उठा सकती हूँ. तभी वो बोले कि मैं सक्षम के लिए (उनका 5 साल का बेटा) के लिए भेज रहा हूँ. इनको रख लो. अब तुम ही बताओ कि इतने पैसों का मैं क्या करूँ … जब खुशी ही ना हो.
ये सब बता कर मैम फिर से अपसैट हो गईं.
मैंने उनसे कहा- सॉरी मैम मुझे ये सब नहीं पता था … लेकिन आप टेंशन मत लो, मैं हूँ ना. आपको कभी भी कुछ भी काम हो, मुझको याद करना, मैं फट से वैसे हाजिर हो जाऊंगा, जैसे चिराग से जिन निकलता है.
वे मेरी इस बात पर हंस पड़ीं.
उसी वक्त मैंने अचानक से बाइक रोकी, जिससे वो मेरी पीठ पर गिर गईं और उनका एक मम्मा मुझे मेरी पीठ पर अच्छे से रगड़ता हुआ सा महसूस हुआ.
मेरे दिल में उसी वक्त मैम के उस दूध को पकड़ कर मींजने का दिल किया मगर ये जल्दबाजी होती.
मैं आप लोगों को एक गर्म सच्ची कहानी Antarvasna बता रहा हूं अपने दोस्त की बीवी की चुदाई की !
मेरा एक बचपन का दोस्त है। हम दोनों एक साथ बड़े हुए और उसकी शादी हो गई। शादी के कुछ दिनों बाद वो हमेशा अपनी बीवी की चुदाई कैसे करता है, बताता रहता था। जिसे सुनकर मेरा मन भी चुदाई करने को करता था और मैं सोचता था कि वो कैसे भाभी को चोदता होगा और भाभी कैसे चुदवाती होगी।
एक दिन मैंने उसे कहा- यार ! मेर मन चुदाई के लिए करता है और मेरे पास कोई जुगाड़ भी नहीं है। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन अगले दिन उसने मुझे कहा कि मैं उसकी बीवी को चोदना चाहूं तो चोद सकता हूं, उसे कोई परेशानी नहीं। मैंने कहा कि भाभी क्या चुदाई के लिए मान गई
तो उसने कहा- नहीं, लेकिन मान जाएगी क्योंकि उसे ग्रुप सेक्स की कहानियाँ सुनने में अच्छी लगती हैं और मैं उसे तुम्हारे बारे में कुछ नहीं बताऊंगा। आज रात को जब मैं उसे ग्रुप सेक्स की कहानी सुना कर उसकी आंखों पर पट्टी बांध कर चोदूंगा, तभी तुम भी चोद लेना। बाद में उसे बताएंगे कि तुमने भी उसकी चुदाई की है।
रात को मैं उसके कमरे में छुप गया। फ़िर भाभी आई और बोली कि तुम्हारा दोस्त गया क्या?
तो वो बोला- हाँ ! गया।
तो भाभी ने दरवाज़ा बंद कर लिया और बोली- कोई सेक्सी नग्न फ़िल्म दिखाओ ना !
मेरे दोस्त ने XXX फ़िल्म लगा दी। भाभी फ़िल्म देखते देखते गरम हो गयी और मेरे दोस्त के कपड़े उतारने लगी। फ़िर अपने कपड़े भी उतार दिए। मैं तो भाभी का जवानी से भरा बदन देख कर पागल हो गया- क्या फ़ीगर थी उनकी ३६-२६-३४ उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, उनकी इतनी खूबसूरत चूत छूने के लिए मेरा मन मचलने लगा। मेरे दोस्त ने भाभी की आंखों पर पट्टी बांध कर मुझे पास आने के लिए इशारा किया और भाभी के बदन से लिपट गया। सामने भाभी को नंगी देख कर मेरे लंड में तूफान आ गया।
फिर मेरा दोस्त भाभी की चूत घोड़ी बना कर लेने लगा थोड़ी देर में उसने अपना लंड निकाल लिया और मुझे इशारा किया कि मैं लंड डाल दूँ। मैंने तुंरत ही अपना लंड भाभी की चिकनी चूत में डाल दिया।
लंड जाते ही भाभी बोली- अचानक तुम्हारा लंड इतना मोटा क्यों लग रहा है? तो मेरे दोस्त ने उसकी आंखों पर से पट्टी खोल दी तो भाभी ने पलट कर मुझे देखा तो मुस्कराई और कहा कि मुझे अच्छा लग रहा है मैं भी यही चाहती थी कि मेरी चुदाई दो दो लंड से हो, मुझे आज खूब जोर जोर से चोदो।
फिर क्या था मैं तो भाभी को खूब मस्ती में चोदने लगा और भाभी आहें भरने लगी। मैं कभी भाभी की कमर पकड़ता तो कभी चूची। फिर थोड़ी देर बाद मैंने लंड निकल लिया और भाभी को लेटा दिया और कहा कि तुम बहुत सेक्सी लग रही हो और भाभी की चूत को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा भाभी सिसकने लगी और मैं चूत को अपने होटों से जोर जोर से चूमने लगा। भाभी एक दम तड़पने लगी और कहा कि मेरी प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर इसकी प्यास बुझा दो।
फिर मैंने भाभी के उप्पर चढ़ कर चूत में लंड डाल दिया और चूची मुंह में लेकर स्वर्ग का मजा लेने लगा उस समय मेरे दोस्त ने भाभी से कहा कि मैं तो पहले ही जानता था कि तुम चुदवा लोगी क्योकि ग्रुप सेक्स की कहानी सुन कर तुम बहुत जोशीली हो जाती थी। आज तुम्हें चुदते हुऐ देखने में बड़ा मज़ा आ रहा है, लेकिन तुम दोनों मेरे सामने ही चुदाई करना ! नहीं तो लोगों को शक हो सकता है।
तो भाभी ने कहा कि अगर किसी को न पता लगे तो हर औरत चुदवाना चाहती है और यहाँ तो आप मुझे चुदवा रहें हैं, अब तो मैं हर रात आप दोनों से चुदवाना चाहती हूँ।
फिर रात भर मैंने और मेरे दोस्त ने मिल कर भाभी को खूब चोदा उसके पूरे बदन को खूब प्यार किया फिर हर दो तीन दिन में हम तीनो साथ साथ चुदाई करने लगे। फिर एक दिन मेरे दोस्त की बदली पुणे हो गई और हम लोग अलग हो गए। आज कल मेरा मन चुदाई के लिए तड़पता है दिल करता है कि भाभी वापस आ जाए लेकिन ये हो नहीं सकता। Antarvasna
मैंने आपको बताया था कि Antarvasna मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्स अनुभव मेरी साली रजनी “बेबो” के साथ हुआ, जिसके बारे में मैं अपनी पिछली कहानी
मैं नहाने जा रही हूँ
में बता ही चुका हूँ। आपने मेरी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया उसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।
खैर अब आगे…
उस सैक्स अनुभव के बाद मैं और बेबो बहुत खुल गये थे। अब दिन में या रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद कर देता ताकि मेरी पत्नी और बच्चे को नींद में बाधा ना हो। ऐसा मैं अकसर ही करता था क्योंकि दिन में जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो लूडो या कैरम खेलते और रात को फिर जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते।
यह बात मेरी पत्नी जानती थी। चूंकि वो ये बात जानती और समझती थी इसलिये हम पर बिल्कुल शक नहीं करती थी और वो आराम से सोती थी। लेकिन उस सैक्स अनुभव के बाद लूडो या कैरम खेलना छोड़ कर हम दूसरा खेल खेलने लगे थे।
हम कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद करके दोनो एक दूसरे से लिपट जाते और लिपट-चिपट कर किस करते। फिर एक दूसरे को बाँहों में भर कर किस करने से बात आगे बढ़ कर एक दूसरे के अंगों को छूना शुरु हो जाता। बेबो ज़्यादातर सलवार सूट पहनती थी। इसलिये मैं बेबो के कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने और फिर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच जाता।
मैं ज़्यादातर टी-शर्ट और लोअर पहनता था। मैं अपने लोअर की जिप खोलकर उसे जरा सा नीचे सरका कर अपना लण्ड निकाल कर बेबो के हाथ में थमा देता। बेबो भी मेरे लण्ड को बिना झिझक के अपने हाथ में थाम लेती और हल्के-हल्के दबाती या मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करती और जोर-जोर से हिलाती।
एक-दो दिन बाद तो वो खुद ही मेरे लोअर की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई। यह सारा कार्यक्रम लगभग 10 से 15 मिनट तक चलता। हम दोनों बेहद गर्म हो जाते और मेरे लण्ड से और बेबो की चूत से कुछ चिकना सा द्रव्य निकलने लगता।
उसके बाद हमारा चुदाई कार्यक्रम शुरु हो जाता।
मैं और बेबो सोफे पर बैठ जाते। फिर मैं बेबो की सलवार और उसकी पैंटी को उतार कर नीचे उसके पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। फिर कुछ देर मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में बैठ जाता और बेबो की चूत के बाल अपने मुँह में भर लेता। फिर अपनी जीभ से बेबो की चूत के जी-पॉइंट को रगड़ने और ऊपर-नीचे फिराने लगता।
बेबो गर्म होकर पागल हो जाती और मेरे बाल पकड़ लेती। हाँ, कहीं उसकी दीदी को ना सुन जाये इसलिये वो कोई आवाज़ तो नहीं करती, मगर फिर भी उसके मुँह से बहुत हल्की सी सिसकियाँ जरूर निकलने लगती। फिर वो मेरा सर पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगती। मैं अपनी जीभ तेज-तेज उसकी चूत के जी-पॉइंट पर फिराने लगाता। जब उसकी चूत से कुछ चिकना-चिकना सा नमकीन पानी निकलने लगता तो मैं थोड़ा सा उसे टेस्ट करके बेबो से अलग हो जाता।
फिर मैं बेबो के सामने खड़ा होकर अपना लोअर और जॉकी को उतार कर नीचे अपने पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। बेबो सोफे पर ही बैठी होती। फिर मैं खड़े-खड़े अपना लण्ड बेबो के मुँह की तरफ करता। बेबो समझ जाती और मेरा लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में भर लेती। फिर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगती। बेबो के ऐसा करने से ना चाहते हुऐ भी मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगती। मेरी सिसकियाँ सुनकर बेबो जोर-जोर से और तेज-तेज मेरे लण्ड को चूसने लगती। बेबो लगभग 5 मिनट तक मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसती रहती।
मेरे मुंह धीमे-धीमे से ‘ओह बेबो! आह्…ओह! अह! सीईईईईइ, सीस्सईईइ!’ की आवाजें निकलने लगती। थोड़ी देर बाद जब मुझे ऐसा लगता कि अगर बेबो इसी तरह से मेरे लण्ड को चूसती रही तो मैं इसके मुँह में ही डिस्चार्ज हो जाऊँगा, तब मैं अपना लण्ड बेबो के मुँह से बाहर खींच लेता। फिर मैं लोअर और जौकी को ऊपर उठा कर, हाथ से पकड़ कर, धीरे-धीरे अपनी पत्नी के कमरे के दरवाजे के पास जाता और दरवाज़े पे कान लगा कर अपनी पत्नी के हल्के खर्राटों को सुनने की कोशिश करता और जब ये इतमिनान हो जाता कि वो सो रही है, तब मैं वापस बेबो के पास आ जाता।
बेबो धीरे से पूछती “दीदी सो रही है क्या?”
मैं हाँ में सर हिला देता।
फिर मैं बेबो के पैर ऊपर करके उसे सोफा पर लिटा देता। मैं अपनी टी-शर्ट और बेबो अपना कुर्ता कभी नहीं उतारते थे। सेंटर टेबल पर लूडो बिछा होता था। फिर मैं उसकी सलवार और उसकी पैंटी को उसके एक पैर मे से उतार कर उसके दूसरे पैर में कर देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता। फिर मैं भी अपना लोअर और जौकी अपने एक पैर से निकाल कर दूसरे पैर में फंसा देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता, ताकि अगर मेरी पत्नी अचानक उठ भी जाये और दरवाजा खोलने के लिये कहे तो मैं और बेबो जल्दी से अलग होकर अपने-अपने लोअर और अन्डरवियर पहन सके और सेंटर टेबल पर लूडो बिछा देखकर उसे कोई शक ना हो।
फिर मैं बेबो की बगल में लेट कर उसे अपने साथ सटा कर लिटा लेता। हम दोनो सोफ़े पर चिपक कर लेट जाते। फिर कुछ देर तक मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर मैं उसके नर्म-नर्म स्तनों को कुरते के ऊपर से दबाने लगता। फिर कुछ देर बाद मैं उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके सख़्त हो चुके दोनों बूब्स को एक-एक करके दबाने लगता। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा होता था।
फिर मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगता। फिर उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगता। फिर मैं मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपनी उँगलियॉ बेबो की चूत के अन्दर डाल देता। फिर अपनी उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगता। फिर मैं बेबो की चूत के दाने को रगड़ने लगता।
बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती; बेबो मस्त हो जाती। वो बहुत गरम हो जाती और जोर-जोर से, आवाज़ रोक कर सिसकारियाँ लेने लगती और अपने होंठ चूसने लगती। फिर वो मेरे बालों पर हाथ फेरने लगती। यह सिगनल होता कि वो चुदवाने के लिये तैयार है। फिर मैं उसे धीरे से सौफे पर सीधा लिटा देता और मैं बेबो के ऊपर आकर लेट जाता। बेबो का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे दब जाता। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा होता। बेबो बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लेती। फिर वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगती। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो जाता।
बेबो मेरे लण्ड को मुट्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगती। फिर वो मेरा तन कर लम्बे हो चुके लण्ड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगती। तब तक मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो चुका होता। फिर मैं साली बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में अधलेटा होकर मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर बेबो की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगता। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती। कुछ देर बाद बेबो की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगता था।
अब वो मदहोश होने लगती और उसकी आंखें बंद होने लगती। फिर साली मेरे कान के पास फुसफसा कर बोलती “ओह जीजू, प्लीज डालो ना। मेरे तो तन-बदन में आग सी लग रही हैं।”
यह सुन कर मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उसके चूत के गुलाबी छेद पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारता जिससे मेरा पूरा का पूरा लण्ड एक ही झटके में बेबो की कुंवारी और चिकनी चूत में पूरा अन्दर चला जाता। मेरे लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से हल्की सी सिसकी निकलती और वो मुझे अपनी बाँहों में कस लेती। मैं भी उसे कस कर पकड़ लेता और हम एक दूसरे में पूरे तरीके से समा जाते। फिर मैं अपने लण्ड को बेबो की चिकनी चूत के अन्दर पूरा डाले हुऐ रुक जाता और बेबो के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगता।
कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहते और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहते। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया होता। फिर कुछ देर बाद उसके होंठों को चूसते हुए मैं उसे चोदना शुरु कर देता। पहले मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगता।
कुछ देर बाद बेबो भी जोश में आ जाती और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाने लगती। मैं बेबो को अपनी बाँहों में भर लेता। बेबो भी मुझे अपनी बाँहों मे पूरी ताकत से कस लेती। शुरु-शुरु में कुछ देर तक मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से ही बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता रहता। फिर कुछ देर बाद जब बेबो अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ कर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लेती तो मेरी रफ़्तार बढ़ने लगती। फिर मैं अपने लण्ड को तेज-तेज बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता।
धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार और भी बढ़ने लगती। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता और मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगता। जब मैं फुल स्पीड में बेबो को चोदता तो सोफे की वजह से चुदाई का मजा दुगना हो जाता। सोफे की फोम और फोम के नीचे स्प्रिन्गों की वजह से जब मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड का धक्का लगाता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग दब जाते और जैसे ही मैं अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींचता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग बेबो के हिप्स को ऊपर धकेल देते। सच इस वजह से सोफे पर तो बेबो को चोदने में दुगना मजा आता।
थोड़ी देर बाद बेबो भी नीचे से अपनी कमर को उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगती और मज़े में धीरे-धीरे बोलने लगती “सी… सी… और जोर.. से जीजूजुजु… …येसस्स्स्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स्स जोर से करो। प्लीज जीजू तेज-तेज करो ना। बहुत अच्छा लग रहा है। बडा मज़ा आ रहा है।”
बेबो को सचमुच में मजा आने लगता था और वो अपने हाथ सोफे पर टिका कर जोर जोर से अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करने लगती थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मारने लगता था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करके करती। फिर वो मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लेती। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स को तेज-तेज ऊपर-नीचे कर रही होती थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स को पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। इससे मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगता। फिर मैं सोफे पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगता।
अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा होता था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही होती थी। वो मदहोश हो रही होती थी। मैं रुक कर धीरे से बेबो के कान में कहता- बेबो अच्छा लग रहा है क्या?
बेबो धीरे से बोलती- हाँ जीजू, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज जीजू रुकें मत। तेज-तेज करते रहो। ओह आहा… ह… प्लीज तेज-तेज करो। मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ। अब रुको मत। प्लीज तेज-तेज करते रहो।
बेबो के मुँह से ये सुन कर मैं फिर से बेबो को चोदना शुरु कर देता और अपनी रफ्तार को और भी बढ़ा देता। फिर मैं बेबो के पैर अपने कंधे पर रख कर उसके बडे-बडे हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लेता और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगता। बेबो के मुँह से मस्ती में बहुत धीरे से “ओह्ह्ह होहहोह सिस्स्स स्सहह्ह हाहा ह्ह्हआ आआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज जीजू तेज-तेज करो। ओह जीजू!” निकलने लगता।
मैं बेबो के होंठों को अपने होंठों से चूसते हुऐ उसे तेजी से चोदने लगता। मेरा लण्ड सटासट बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारता। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जब हम दोनों झड़ने वाले होते तो हम दोनों एक साथ अकड़ से जाते और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगते।
फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लेती और बोलती,”जीजू, मेरा तो काम होने वाला है। प्लीज जीजू! अब खूब जोर-जोर से करो। येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस… औह जीजू मैं तो हो गईईईईई! इसके साथ ही बेबो की चूत अपना पानी छोड़ देती। फिर वो एक धीमी सी आह भरती और फिर वो ढीली पड़ जाती।
मैं समझ जाता कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला होता था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगता और जोर-जोर से अपने लण्ड को बेबो की चूत में पेलने लगता। बेबो मुझे जल्दी से होने को और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगती। लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर तेज-तेज धक्के लगाना जारी रखता। करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगता तो मैंने अपना लण्ड साली की चूत से बाहर खींच लेता और अपने लण्ड के सुपाड़े को अपनी मुठ्ठी में भर लेता और अपनी मुठ्ठी में ही डिस्चार्ज हो जाता।
फिर मैं तुरन्त उठ कर, अपना लोअर और जौकी एक पैर में फँसाए हुए धीरे-धीरे चलता हुआ वाश-बेसिन के पास जा कर अपना लण्ड और हाथ धोता। फिर अपना लोअर पहन कर सोफे के पास आता और बेबो के ऊपर गिर जाता। बेबो अपनी सलवार पहन चुकी होती थी। फिर मैं कुछ देर उसके ऊपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता। फिर मैं बेबो की बगल में लेट जाता। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार करती थी। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठकर अपने कपड़े ठीक करते और फिर सोफे पर बैठकर आराम से नार्मल बातें करनी शुरु कर देते जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
मैं धीरे से बेबो से पूछता कि कैसा लगा तो वो बोलती- जीजू! बहुत अच्छा लगा। बहुत मजा आया। सचमुच मैं तो आपकी दीवानी बन गई हूँ।
मैं उससे कहता कि चलो कल फिर करेंगे।
तो बेबो बोलती-अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।
यह सुन कर मैं खींच कर उसे अपनी गोद में लिटा लेता। मैं सोफे के एक कोने पर बैठा होता और बेबो मेरी गोद में लेटी होती। फिर मैं अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख देता। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों मे भर कर चूसने लगता। बेबो भी मुझ से लिपट सी जाती। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उसके बालों में हाथ फिराने लगता। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगता। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगता। फिर मैं मजाक में उसके कान में कहता कि बेबो चलो एक बार फिर करते हैं।
यह सुनते ही वो एकदम छटक कर अलग हो जाती और बोलती- क्या जीजू! बड़े गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी उठने वाली होंगी। मैं चाय बना के लाती हूँ। फिर चलो लूडो खेलेंगे।
ये कह कर वो शरारत से अपना हाथ हिला कर बाय किया करती और फिर वो तेजी से किचन की ओर बढ़ जाती।
मैं सोफे पर बैठा-बैठा उसे जाते हुए देखता रहता। फिर मैं अपनी आँखें बंद करके मन ही मन यह सोच कर बहुत खुश होता था कि कैसे मैंने बेबो को अभी-अभी सोफे पर जम कर चोदा है। कुछ देर बाद बेबो चाय लाकर मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ जाती और हम चाय की चुस्की लेते-लेते बातें करना और लूडो खेलना शुरु कर देते।
इस तरह मैंने अलग-अलग दिन कुल 5 बार मैंने बेबो के साथ सोफे पर सैक्सपिरियंस किया। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में मैंने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया।
दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्स के बारे में बात नहीं करते है। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। सच्चा प्यार मरता नहीं है!
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी साली की चूत चुदाई कहानी! मुझे मेल करना मत भूलना! Antarvasna
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