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रजनी अपनी योजना बताने लगी Hindi Sex Stories, “सुनील! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। सुनील, तुम्हें एम-डी की दोनों बेटियाँ टीना और गौरी की कुँवारी चूत चोदनी होगी। दोनों देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं… बस एवरेज ही हैं।”
“रजनी, तुम्हारी सहायता के लिये मुझे कुछ कुर्बानी देनी होगी… लगता है!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“रजनी! तुम इसकी बातों पे मत जाना, मैं शर्त लगा सकती हूँ कि कुँवारी चूत की बात सुनते ही इसके लंड ने पानी छोड़ दिया होगा।” प्रीति हँसते हुए बोली, “रजनी! सुनील ऐसा नहीं है! सुंदरता से या गोरे पन से इसे कुछ फ़रक नहीं पड़ता, जब तक उनके पास चूत और गाँड है मरवाने के लिये, क्यों सही है ना सुनील?”
“तुम सही कह रही हो प्रीति! जब तक उनके पास चूत है मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता।” मैंने जवाब दिया, “तुम खुद भी तो ऐसी ही हो… जब तक सामने वाले के पास लंड है चोदने के लिये… बस चूत में खुजली होने लगती है चुदने के लिये… फिर वो चाहे एम-डी हो या सड़क पर भीख माँगता भिखारी।”
“ये सब तुम्हारे एम-डी का ही किया-धरा है… उसने ही मुझे इस दलदल में धकेला है… और मुझे चुदाई, शराब सिगरेट की लत पड़ गयी… खैर छोड़ो… तो ठीक है, रजनी! तुम्हें क्या लगता है दोनों लड़कियाँ मान जायेंगी?” प्रीति ने पूछा।
“अभी तो कुछ पक्का सोचा नहीं है पर मैं कोशिश करूँगी कि उनसे ज्यादा से ज्यादा चुदाई की बातें करूँ और फिर बाद में उन्हें चूत चाटना और चूसना सिखा दूँ, फ़िर तैयार करने में आसानी हो जायेगी।”
“हाँ! ये ठीक रहेगा, और अगर मुश्किल आये तो मुझे कहना।” प्रीति ने हँसते हुए कहा।
“तुम कैसे मेरी मदद कर सकती हो?” रजनी ने पूछा।
“रजनी! तुम्हें याद है जब मैंने तुम्हें बताया था कि किस तरह एम-डी ने मुझे चोदा था… तुमने कहा कि अगर मैं चाहती तो ना कर सकती थी, पर मैं चाहते हुए भी उस रात ना, ना कर सकी, कारण: एम-डी ने मुझे कोक में एक ऐसी दवा मिलाकर पिला दी थी जिससे मेरे चूत में खुजली होने लगी, मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था।”
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“मैं उन दोनों को कोक में मिलाकर वही दवा पिला दूँगी जिसके बाद उनकी चूत में इतनी खुजली होगी कि सुनील का इंतज़ार नहीं करेंगी बल्कि खुद उसके लंड पर चढ़ कर चुदाई करने लगेंगी।” प्रीति ने कहा।
“मुझे विश्वास नहीं होता।” रजनी ने चौंकते हुए पूछा, “क्या तुम्हारे पास वो दवा की शीशी है?”
“हाँ! मैंने २५ शीशी जमा कर रखी हैं, मैं कई बार खुद अपनी ड्रिंक में मिला कर पी लेती हूँ और फिर बहुत मस्त होकर चुदवाती हूँ।” प्रीति ने जवाब दिया।
“तो फिर मैं चाहती हूँ कि आज की रात हम दोनों वो दवा अपनी ड्रिंक्स में मिलाकर पियें, और जब हमारी चूतों में जोरों की खुजली होने लगे तो सुनील अपने लंड से हमारी खुजली मिटा सकता है।” रजनी मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली।
“ऑयडिया अच्छा है… लेकिन मुझे शक है कि सुनील में ताकत बची होगी खुजली मिटाने की, लेकिन हम अपनी जीभों और अंगुलियों से तो मिटा सकते हैं।” प्रीति बोली।
“हाँ! जीभ से और इससे!” रजनी ने अपने पर्स में से रबड़ का लंड निकाला।
“ओह! तुम इसे साथ लायी हो।” प्रीति नकली लंड को हाथ में लेकर देखने लगी।
“रजनी! मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी मम्मी को फोन करके बता देना चाहिये कि आज की रात तुम घर नहीं पहुँचोगी।” प्रीति ने कहा।
रजनी ने घर फोन लगाया और मैंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया जिससे उसकी बातें सुन सकें।
“मम्मी! मैं रजनी बोल रही हूँ! मैं प्रीति के घर पर हूँ और आज की रात उसी के साथ सोऊँगी… तुम चिंता मत करना।” रजनी ने कहा।
“प्रीति के साथ सोऊँगी या सुनील के साथ?” उसकी मम्मी ने पूछा।
“दोनों के साथ!” रजनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “आपका क्या विचार है?”
“कुछ खास नहीं, आज कि रात मैं अपने काले दोस्त (यानि नकली लंड) के साथ बिताऊँगी।”
“सॉरी मम्मी! आज तुम वो भी नहीं कर पाओगी… कारण, इस समय प्रीति आपके काले दोस्त को हाथ में पकड़े हुए प्यार से देख रही है।” रजनी ने कहा।
“कितनी मतलबी हो तुम! तुम्हें मेरा जरा भी खयाल नहीं आया?” योगिता ने कहा, “लगता है मुझे सुनीलू {एम-डी} के पास जा कर उसे मिन्नत करके अपनी चूत और गाँड की प्यास बुझानी पड़ेगी। ठीक है देखा जायेगा… तुम मज़े लो।” कहकर योगिता ने फोन रख दिया।
“प्रीति! मैं तैयार हूँ।” रजनी ने कहा।
“रजनी! मैं चाहती हूँ कि हम पहले अपने कपड़े उतार कर नंगे हो जायें और फिर स्पेशल ड्रिंक पियें जिससे जब हमारी चूत में खुजली हो रही हो तो कपड़े निकालने का झंझट ना रहे।” प्रीति ने सलाह दी।
यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।
आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।
प्रीति ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।
मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीति की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।
दो साल में ही मैंने काफी तरक्की कर ली थी। आज मैं कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर हूँ, अपना बंगला है, गाड़ी है। सब कुछ तो है मेरे पास। प्रीति जैसी सुंदर और सैक्सी चुदक्कड़ बीवी और साथ में कंपनी की हर महिला करमचारी है चोदने के लिये। मैं भविष्य के बारे में सोचने लगा। आने वाले दिनों में दो कुँवारी चूतों का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर ही मन में लड्डू फुट रहे थे। उन दोनों की कुँवारी चूत के बारे में सोचते हुए ही मैं गहरी नींद में सो गया।
सुबह मैं सो कर उठा तो देखा कि मेरी दोनों रानियाँ, सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की बंहों में गहरी नींद में सोयी पड़ी थी, और उनका काला दोस्त रजनी की चूत में घुसा हुआ था।
दोनों को इस अवस्था में देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। लेकिन मैंने सोच कि पूरा दिन पड़ा है चुदाई के लिये… क्यों ना पहले चाय बना ली जाये।
उन्हें बिना सताये मैं कमरे से बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगा। चाय लेकर मैंने उनके बिस्तर के पास जा कर उन्हें उठाया, “उठो मेरी रानियों! गरम चाय पियो पहले, मेरा लंड तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है।”
प्रीति अंगड़ाई लेते हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी, “थैंक यू डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारा बदन दर्द कर रहा है, कल काफी शराब पी ली थी और रात भर चुदाई की हम दोनों ने।” और उसने रजनी के निप्पल को धीरे से भींच दिया, “उठ आलसी लड़की! देख चाय तैयार है।”
“अरे बाबा उठ रही हूँ! उसके लिये मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबाने की जरूरत नहीं है।” रजनी ने उठते हुए कहा, “अब बताओ! क्या प्रोग्राम है?”
“प्रोग्राम ये है कि पहले गरम-गरम चाय अपने पेट में डालो और फिर मेरा गरम लंड अपनी चूत में डालो।” मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा।
“सुनील, मेरी चूत में तो बिल्कुल नहीं! बहुत दर्द हो रहा है।” प्रीति ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“और मेरी चूत में भी नहीं, देखो कितनी सूजी हुई है।” रजनी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर दिखाते हुए कहा।
“फिर तो तुम दोनों की गाँड मारनी पड़ेगी।” मैंने कहा।
“नहीं! गाँड भी सूजी पड़ी है और दर्द हो रहा है, तुम चाहो तो हम तुम्हारा लंड चूस सकते हैं।” रजनी ने कहा।
चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे लंड को बारी-बारी से चूसा और मेरा पानी निकाल दिया। उन दोनों को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा।
“गुड मोर्निंग आयेशा, क्या एक कप गरम कॉफी लाओगी मेरे लिये।” मैंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।
“गुड मोर्निंग सर! मैं आपके लिये अभी कॉफी बना कर लाती हूँ।” आयेशा ने कहा।
हाँ दोस्तों! ये वो ही आयेशा है जिसे एम-डी और महेश ने उसके बाप की जान बख्शने के एवज में उसे खूब कसके चोदा था। आयेशा मेरी सेक्रेटरी कैसे बनी उसकी कहानी कुछ ऐसी है।
मेरे डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये जाने के दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मेरे लिये नया केबिन तैयार था। मेरा केबिन ठीक एम-डी के केबिन के जैसा था। मैं एम-डी के केबिन में गया तो देखा कि एम-डी ने अपने लिये सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है। “सर! ये क्या आपने कोई सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है?” मैंने पूछा।
“सुनील! मैंने पहले नसरीन को अपनी सेक्रेटरी बनाया था, लेकिन मिली ने जलन की वजह से उसे हटवा दिया। मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ा कि चुदाई मेरी सेक्रेटरी की हो या दूसरे डिपार्टमेंट की लड़की की, इसलिये मैंने उसे शिफ़्ट कर दिया, तुम चाहो तो अपने लिये नयी सेक्रेटरी रख सकते हो। हम उसे मिलकर चोदा करेंगे।” एम-डी ने जवाब दिया।
मैंने सेक्रेटरी के लिये पेपर में इश्तहार दे दिया। एक दिन एम-डी का पुराना नौकर असलम मेरे पास आया, “सर मैंने सुना है कि आप नयी सेक्रेटरी की खोज में हैं। सर! मेरी बेटी आयेशा ने अभी सेक्रेटरी कोर्स का डिप्लोमा लिया है। आप उसे रख लिजिये ना।”
उसकी बातें सुन आयेशा का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। उसकी गुलाबी चूत मेरे खयालों में आ गयी… जब मैंने उसे चोदा था। मेरा उसे फिर चोदने को मन करने लगा। “ठीक है! उसे सब अच्छी तरह समझा देना कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी? और उसे सुबह सब सर्टिफिकेट्स के साथ भेज देना… उसका इंटरव्यू लिया जायेगा?”
“थैंक यू सर।” असलम ये कहकर चला गया।
उसकी जाते ही मैंने एम-डी को इंटरकॉम पर फोन किया, “सर! मैंने सेक्रेटरी रख ली है… अपने असलम कि बेटी… आयेशा को।”
“ये तुमने अच्छा किया! मैं भी उसे दोबारा चोदना चाहता था।” एम-डी ने खुश होते हुए कहा, “कल जब वो आये तो मुझे बुला लेना… साथ में इंटरव्यू लेंगे।”
दूसरे दिन आयेशा अपने सब सर्टिफिकेट लेकर ऑफिस पहुँची। मैंने एम-डी को उसके आने की खबर दी और उसके सर्टिफिकेट चेक किये। सब बराबर थे। “आयेशा! अब तुम्हारा असली इंटरव्यू शुरू होगा, अपने कपड़े उतारो।” मैंने कहा।
“ओ!!! तो अब आप मुझे चोदेंगे, बहुत दिन हो गये जब आपने मुझे चोदा था, है ना?” आयेशा हँसते हुए बोली।
अपने कपड़े उतारते हुए जब उसने एम-डी को अंदर आते देखा तो बोली, “सर! ये भी मुझे चोदेंगे? फिर से दर्द नहीं सहन कर पाऊँगी।”
“तुम डरो मत… ये तुम्हें दर्द नहीं होने देंगे, तुम अपने कपड़े उतारो।” मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों को छोड़ कर वो अपने बाकी सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी तो एम-डी उसका इंटरव्यू शुरू किया।
“ओहहह सर! कितना अच्छा लग रहा है।” आयेशा ने सिसकरी भरी, जैसे ही एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत में डाला।
“हाँआँआँआँ जो…उउ…र से… और जोर से , मज़ा आ रहा है… हाँआँआँ किये जाओ… मज़ा आ रहा है… मेराआआआ छूट रहा है…” चिल्लाते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।
“ओह सर! मज़ा आ गया! आप कितनी अच्छी चुदाई करते हैं।” आयेशा ने एम-डी को चूमते हुए कहा, “आपने पहली बार मुझे इतने प्यार से क्यों नहीं चोदा।”
“वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है।” एम-डी ने हँसते हुए कहा।
मैंने और एम-डी ने बारी-बारी से आयेशा को कई बार चोदा। एक बार तो हम ने उसे साथ साथ चोदा। तीन घंटे की चुदाई के बाद हम थक चुके थे। मैंने पूछा, “सर! क्या सोचा इसके बारे में?”
“कुछ फैसला करने के पहले मैं आयेशा से एक सवाल करना चाहता हूँ?” एम-डी ने कहा।
“सर… मैं आपके सवाल का जवाब कल दूँगी… अभी मेरी चूत सूज़ चुकी है।” आयेशा बोली।
“नहीं! सवाल का जवाब तो तुम्हें देना ही होगा।” एम-डी ने उसकी बात काटते हुए कहा, “क्या तुम अच्छी कॉफी बनाना जानती हो?”
“दुनिया में सबसे अच्छी सर!” आयेशा ने हँसते हुए कहा।
“ठीक है सुनील! इसे रख लो और चुदवाना इसका सबसे जरूरी काम होगा!” एम-डी ने कहा।
“ठीक है सर!”
इस तरह आयेशा मेरी सेक्रेटरी बन गयी।
“ये आपकी कॉफी सर!” आयेशा कॉफी लाकर बोली।
“थैंक यू, अब तुम जा सकती हो?” मैंने आयेशा से कहा।
“सर! पक्का आपको कुछ और नहीं चाहिये?” आयेशा ने पूछा।
“नहीं! अभी तो कुछ नहीं चाहिये बाद में देखेंगे।” मैं उसका इशारा समझता हुआ बोला, “हाँ! जरा मीना को भेज दो!”
“मीना को क्यों? उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं?” आयेशा की आवाज़ में जलन की बू आ रही थी।
मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास आकर उसके दोनों मम्मों को जोर से भींच दिया। “छोड़िये सर! दर्द होता है!” आयेशा दर्द से बोली।
“दबाया ही इसलिये था, सुनो आयेशा! इस कंपनी में जलन की कोई जगह नहीं है, तुम मुझे पसंद हो इसलिये तुम यहाँ पर हो, समझी? मुझे ऑफिस की दूसरी लड़कियों का भी खयाल रखना पड़ता है… समझ गयी? अब जाओ और मीना को भेज दो।”
मैंने मीना को एक जरूरी काम दिया और अपने काम में जुट गया। काम खत्म करके मैं एम-डी के केबिन में पहुँचा और उसे रिपोर्ट दी।
“तुमने अच्छा काम किया है सुनील! आओ सुस्ता लो और एक कप कॉफी मेरे साथ पी लो।” एम-डी ने मुझे बैठने को कहा।
“सर! आपने कभी मिली और योगिता को वो स्पेशल दवा पिलायी है?” एम-डी ने ना में गर्दन हिला दी।
“सर! पिला के देखिये… सही में काफी मज़ा आयेगा!” मैंने कहा।
“मुझे शक है कि वो दवाई के बारे में जानती हैं… इसलिये शायद पीने से इनकार कर दें।” एम-डी ने कहा।
“फिर हमें कोई दूसरा तरीका निकालना होगा…” मैंने सोचते हुए कहा, “सर आपके पास वो उत्तेजना वाली दवाई तो होगी ना?”
“हाँ! वो तो मेरे पास काफी स्टोक में है, क्यों क्या करना चाहते हो?” एम-डी ने पूछा।
“सर! आप अपने घर पर शनिवार को एक पार्टी रखें जिसमें मैं और प्रीति भी शामिल हो जायेंगे। मैं प्रीति को प्याज के पकोड़े बनाने को बोल दूँगा और वो इसमें वो दवाई मिला देगी।” मैंने कहा।
“प्याज के पकोड़े? हाँ ये चलेगा! उन्हें पकोड़े पसंद भी बहुत हैं, लेकिन सुनील तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। तुम्हें मालूम है कि दोनों कितनी चुदकाड़ हैं, और इस दवाई के बाद मैं तो उन्हें एक साथ नहीं संभल पाऊँगा, दोनों एक दम भूखी शेरनी बन जायेंगी।” एम-डी ने कहा।
“सर! आप चिंता ना करें! मैं उन्हें संभाल लूँगा।” मैंने एम-डी को आशवासन दिया।
शनिवार की शाम को हम एम-डी के घर पहुँचे। प्रीति ने सब को ड्रिंक्स सौंपी और नाश्ते के साथ प्याज के पकोड़े भी स्नैक में टेबल पर रख दिये।
“प्याज के पकोड़े…! ये तो मुझे और योगिता को बहुत पसंद हैं।” इतना कह कर मिली ने प्लेट योगिता की तरफ कर दी। हम सब अपनी ड्रिंक पी रहे थे। योगिता और मिली ड्रिंक्स के साथ मजे से पकोड़े खा रही थी। थोड़ी देर में दवाई और ड्रिंक्स ने अपना असर एक साथ दिखाना शुरू किया और उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगी।
मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। “सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था।” मैंने एम-डी से कहा।
“हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं।” एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला।
जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।
“क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?” एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।
“योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है।” मिली बोली।
“जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब सुनील और प्रीति भी मिले हुए हैं।” योगिता बोली।
“अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है।” मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, “योगिता! तुम सुनीलू को लो… मैं देखती हूँ सुनील क्या कर सकता है।”
दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। “इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?” एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।
“साले हरामी… तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा।” मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।
“आआआहहह!!!” मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।
“हाँआँआआ आआआ सुनील!!! और जोर से चोदो।” मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।
“रा… आआआआ… ज साले… मैंने कहा ना कि मुझे जोर से चोद… हाँ ऐसे और जोर से… हाआँआँआँ ये मेरा छूटा…” कहते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।
थोड़ी देर बाद योगिता भी “ओहह हहह आआहहह हहह” करती हुई झड़ गयी। हमने भी अपना लंड उनकी चूतों में खाली कर दिया। तीन घंटे तक हुम चुदाई करते रहे और हमारे लौड़ों में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।
मगर उनकी चूत की खाज नहीं मिटी थी। “योगिता अब क्या करें! मेरी चूत में तो अब भी खुजली हो रही है।” मिली ने पूछा।
“खुजली तो मेरी चूत में भी हो रही है, आओ मेरे कमरे में चलते हैं, और मेरे काले लंड से खुजली मिटाते हैं,” योगिता ने मिली का हाथ पकड़ कर कहा और दोनों ऊँची हील की सैंडलें खटखटाती दूसरे कमरे में चली गयीं।।
“सर! कैसा रहा?” मैंने एम-डी से पूछा।
“बहुत ही अच्छा, आज पहली बार मैंने एक बार में इतनी चुदाई की है, बिना साँस लिये। दोबारा फिर ऐसा ही प्रोग्राम बनायेंगे।” एम-डी ने जवाब दिया।
जब हम घर जाने के लिये तैयार हुए तो रास्ते में प्रीति ने पूछा, “कैसा रहा सुनील?”
“बहुत अच्छा रहा… तुम बताओ क्या खबर है?” मैंने उससे पूछा।
“खबर कुछ अच्छी भी है और कुछ बुरी भी! ये सब तुम्हें रजनी कल बतायेगी… मेरा तो इस समय नशे में सिर घूम रहा है।”
अगले दिन रजनी घर आयी तो मैंने उससे पूछा, “अब बताओ कल क्या हुआ था?”
“तुम्हारे स्टडी में जाने के बाद मैंने और प्रीति ने सोच क्यों ना थोड़ा समय टीना और गौरी के साथ बिताया जाये।” रजनी ने बताना शुरू किया, “इतने में हमें मिली आँटी की चींख सुनाई दी।”
“ये मम्मी इतना चीख क्यों रही है… टीना ने पूछा।” हम तो उनके चींखने की वजह जानते थे लेकिन प्रीति ने सलाह दी कि चलो चल कर देखते हैं वहाँ क्या हो रहा है।
टीना, प्रीति और मैं खड़े हो गये पर गौरी हिली नहीं… “क्या तुम्हें नहीं चलना है?” टीना ने पूछा। गौरी ने जवाब दिया कि “तुम चलो दीदी, मैं आपके पीछे पीछे आ रही हूँ।”
हमने स्टडी की खिड़की में से झाँक कर देखा तो दोनों औरतें सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी होकर तुम लोगों से चुदाई में मस्त थीं। तुम दोनों का लंड दोनों की चूत के अंदर बाहर होता साफ दिख रहा था। ये नज़ारा देख टीना शर्मा गयी और उसके चेहरे पे लाली आ गयी। थोड़ी देर में उसके शरीर में गर्मी भर गयी और उसकी साँसें फूलने लगीं।
इतने में प्रीति ने पीछे से उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके मम्मे भींचने शुरू कर दिये। गौरी अभी तक आयी नहीं थी, मैं प्रीति को वहाँ अकेले छोड़ कर गौरी को बुलाने चली गयी, “प्रीति तुम चालू रखो।”
प्रीति ने बात को चालू रखते हुए कहा: टीना की साँसें फूल रही थीं… “मैं उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाने लगी।”
“ओह दीदी… अच्छा लग रहा है।” उसकी सिसकरी निकल पड़ी।
“अच्छा लगता है ना… और करूँ?” मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा।
“हाँ दीदी!!!!! बहुत अच्छा लग रहा है… और करो।” वो सिसकी, मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगी।
“ओह दीदी !!!” वो जोर से चीखी।
“ज़रा धीरे वरना कोई सुन लेगा…” कहकर मैं अपनी अँगुली से उसे चोदने लगी और तब तक चोदती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी।
“चुदाई अच्छी लग रही है ना?” मैंने पूछा।
“हाँ दीदी! बहुत अच्छी लग रही है।” उसने शर्माते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को रगड़ना चालू रखा।
“चुदवाने को दिल करता है? मैंने पूछा।
“हाँ दीदी!!!! मुझे चुदवाने को बहुत दिल करता है।” टीना ने शर्माते हुए कहा।
उसी समय तुम योगिता की चूत में अपना लंड पेलने जा रहे थे, “दीदी देखो ना सुनील का लंड कितना मोटा और लंबा है…” उसने कहा।
“तुम कहो तो तुझे भी सुनील से चुदवा दूँ…” मैंने उसकी चूत को और रगड़ते हुए पूछा।
“सुनील जैसा सुंदर मर्द मुझ जैसी साधारण दिखने वाली लड़की को भला क्यों चोदेगा?” उसने कहा।
“मैं कहूँगी तो तुम्हें चोदेगा…” मैंने जवाब दिया।
“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो…” वो खुश होते हुए बोली।
“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”
“छोटी कहाँ दीदी!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी…” उसने जवाब दिया।
“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो।” मैंने उसे समझाया।
“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, सुनील का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे… ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा…” मैंने उसे चूमते हुए कहा।
रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही गौरी आयी थी, “टीना! चलो रजनी और गौरी को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं…” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।
“रजनी! अब तुम सुनील को बताओ क्या हुआ।” प्रीति ने कहा।
रजनी ने कहना शुरू किया, “सुनील!!! जब मैं गौरी के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”
“गौरी हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।
“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा।
“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और सुनील हमारी मम्मियों को चोद रहे थे…” मैंने हँसते हुए कहा।
“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।
“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।
“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं।” वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ जबरदस्ती चोदन तो नहीं कर दिया।
“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।
“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा… मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।
“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”
“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।
“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।
“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है… मुझे मालूम है।” उसने जवाब दिया।
“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।
उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”
“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।
“नहीं वो मेरी…” कहते हुए गौरी रुक गयी।
“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।
“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” गौरी थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।
“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।
“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।
“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।
“कभी वो मुझे चूमती है और कभी…” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।
“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीति और टीना रूम में आ गये।
“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।
“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो गौरी की चूचियों को भी चुसती थी और गौरी को भी मज़ा आता था और गौरी भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। सुनील!! टीना तो तैयार है पर गौरी नहीं मानेगी लगता है।”
“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है… तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी।” प्रीति ने कहा।
समय गुज़रता गया. Hindi Sex Stories
मम्मी और पापा आज सवेरे दिल्ली जाने वाले थे। मैं Hindi Sex Stories घर पर अकेली थी। पापा ने पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी को कहा था की वो मेरी और घर की देखभाल करें। शर्मा जी की बेटी मेरी सहेली है। उसका भाई राहुल२० साल का है और कॉलेज में पढता था। वो मम्मी – पापा के जाने के बाद अपनी किताबें ले कर घर पर आ गया था। उसे बैठक का कमरा दे दिया था।
दो जवान जिस्म और एकांत…फिर पूरी आज़ादी। कुछ तो होना ही था। वो शुरू से ही मुझे पसंद करता था। वो मुझसे बात करने के लिए बार बार मेरे कमरे में आ जाता था। मैं मन ही मन उसकी बात समझती थी और मुस्कुराती थी। मुझे भी वो अच्छा लगता था।
जिस समय वो मेरे कमरे में आया उस समय मैं बाथरूम में नहाने घुसी ही थी। मैंने बाथरूम के दरवाजे के छेद में से झांक कर देखा तो वो बाथरूम की तरफ़ ही देख रहा था। मैं कपड़े उतरने लगी। तभी मुझे लगा कि राहुल दरवाजे के पास आ गया है। मुझे मौका मिल गया उसे पटाने का।
मैंने चुपके से देखा कि बाथरूम के दरवाजे के उसी छेद से… एक आँख झिलमिला रही थी। मैं समझ गयी कि वो मुझे अब देख रहा है। मैंने उसे अपनी और आकर्षित करने के लिए अनजान बनते हुए अपना टॉप उतारा… मेरी चुंचियाँ उछल कर बाहर आ गयी। मैंने चुन्चियो को धीरे से सहलाया और नोकों को मसल दिया।
फिर मैंने छेद की ओर अपनी पीठ करते हुए अपना पजामा उतर दिया। पेंटी भी उतर दी। मेरे चूतडों की गोलाईयां और गहराइयाँ उसकी नजरों के सामने थी। ऐसा करते समय मेरे बदन में सनसनी फ़ैल रही थी, क्योकि मुझे पता था कि राहुल मुझे नंगा देख रहा है। मैंने अपना बदन अब उसके सामने कर दिया जिस से उसे मेरी छूट साफ़ दिख जाए। उसकी नजरे अभी भी छेद में चमक रही थी।
मैंने झरना खोला और गरम गरम पानी मेरे शरीर पर पड़ने लगा। मैंने कभी अपनी चुंचियाँ मलती, तो कभी अपनी चूत साफ़ करती। मैं चाहती थी वो मुझे देखे और उत्तेजित हो जाए। मैं नहा चुकी तो मैंने दरवाजे के छेद के पास अपनी चूत सामने कर दी। मेरी चुंचियाँ कड़ी होने लगी थी।
मुझे लगा कि उसे अब मेरी चूत साफ़ नजर आ रही होगी। मैंने अपना बदन तोलिये से पोंछ कर कपड़े पहनने शुरू किए। अब उसकी आँख वहाँ नहीं थी।
मैं बाथरूम से बाहर आयी और अनजान बनते हुए बोली-‘अरे… राहुलकब आए..?’
‘बस अभी ही आया हूँ…’ उसका झूठ पकड़ में आ रहा था। उसका लंड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।
‘क्या बात है… तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है…’ मैं बालों पर कंघी कर रही थी। उसे छेड़ने में मुझे मजा आ रहा था। मैं उसके सामने बैठ गयी और झुक कर पंखे की हवा में बाल सुखाने लगी। उसकी नजरों के सामने मेरी उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी।
उसकी नजरें मेरे स्तनों पर गड़ गयी।
मैंने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा… और उसके गर्माते शरीर पर सीधे चोट की…’विनोद… अन्दर क्या देख रहे हो …झांक कर ?’
‘हाँ… नही… क्या…?’ वो बुरी तरह झेंप गया।
‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ राहुलएकदम से शरमा गया।
‘नेहा… वो… नही… सो… सॉरी…’
‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’
‘नेहा… अच्छी लग रही थी…सॉरी कहा न ‘
मैं उसके पैंट पर से लंड के उभर को देख रही थी। उसने ऊपर हाथ रख लिया।
‘नही देखो… इधर.. ‘ वो शरमा गया। मैं मुस्कुरा उठी।
‘तो कान पकडो…’
राहुलने अपने कान पकड़ लिए… ‘बस…ना…’
हाथ हटाने पर लंड का उभार फिर से दिखने लगा।
मैं हंस पड़ी।
वो देखो… जो है वो तो दिखेगा ही… ‘
अब राहुलको समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। उसका लंड का आकार तक दिखने लगा था। राहुलउठ कर मेरे पास आ गया। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा-‘नेहा…तुम्हारी भी तो उभार है… एक बार दिखा दो…’
‘अरे…मैं तो मजाक कर रही थी… तुम अन्दर देख रहे थे… इसलिए मजाक किया था…’
राहुलसे रहा नही गया उसने एकदम से मेरे गालों को चूम लिया। मैं शरमा गयी…
‘विनोद… ये क्या कर रहे हो…’
उसने तुंरत ही मेरे होंट पर अपने होंट रख दिए। मैंने सोचा अब इसे और आगे बढ़ने दो। मुझे मजा आने लगा था।
उसने मेरे भारी स्तनों को पकड़ लिया। उसने स्तनों को मसलना चालू कर दिया। मैं सिमटी जा रही थी। पर उसके हाथों ने मेरे उभारों को मसलना जारी रखा। मैं अपने को बचाती भी रही…पर उसे रोका भी नहीं।
जब उसने मेरे उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब मैंने जान कर के उसे पीछे की ओर धक्का दे दिया-‘बहुत बेशरम हो गए हो…’ मेरे हाथ से कंघी नीचे गिर गयी। मैं जैसे ही उठ कर कंघी उठाने को झुकी, मेरे पजामे में से मेरी गांड की गोलाईयां उभर कर राहुलके सामने आ गयी। राहुलबोल उठा-‘नेहा बस ऐसे ही रहो…’ मैं जान कर के वैसे ही झुकी रही।
‘क्या हुआ…?’
उसने मेरे नरम नरम गोल चूतडों को हाथ से सहला दिया। गोलाईयां सहलाते हुए उसके हाथ दोनों फाकों की दरार में घुस पड़े ओर फिर अपनी उंगली घुसा कर मेरी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं वैसे ही जान कर के झुकी रही। अब उसके हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढ गए।
मैं सिहर उठी। जैसे ही उसने चूत दबी… चूत का गीलापन उसके हाथ में लग गया। अब उसने मेरी चूत को भींच दिया। मैंने जल्दी से उसका हाथ हटा दिया। और सीधी खड़ी हो गयी।
राहुलमुस्कुराया ‘नेहा… मज़ा आ गया… तुम्हें कैसा लगा…?’
‘अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो… कालेज़ नहीं जाना क्या…?’ मैंने भी उसे मुस्कुरा कर कहा।
हम दोनों ने दोपहर का खाना खाया। फ़िर राहुलकालेज़ चला गया। मैंने अपने कपड़े बदले, पैन्टी और ब्रा उतार दी और सिर्फ़ स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन लिया। मैंने सोचा कि अब जब राहुलआएगा तो मुझे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा। मैंने हमेशा की तरह अपनी गाण्ड में क्रीम लगा कर चिकनी कर ली और बिस्तर पर लेट गई। राहुलके बारे में सोचते सोचते जाने कब मुझे नींद आ गई।
अचानक मेरी नींद खुल गई। मुझे अपनी पीठ पर एक जिस्म का भार महसूस हुआ। मैं सिहर उठी और समझ गई कि यह राहुलहै पर मैंने आंख नहीं खोली। राहुलमेरी पीठ पर सवार था और उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड पर स्पर्श हो रहा था।
मैं नीचे दबी हुई थोड़ी इधर उधर हुई तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर टिक गया। मैंने अपनी टांगें थोड़ी और फ़ैला दी।
‘नेहा… तुम बहुत अच्छी हो…’
‘आऽऽऽह… विनोद…’ उसके लण्ड की सुपारी से चिकनाई निकलने लगी जो मेरी गाण्ड को भी चिकना कर रही थी। उसके लण्ड ने अपनी मर्दानगी दिखानी शुरू कर दी, उसके चूतड़ों ने लण्ड पर जोर लगाया और सुपारी छेद में आराम से घुस गई।
‘आऽऽऽऽह… अन्दर गया…ऽऽ विनोद…’ मेरे मुंह से सिसकारी फ़ूट पड़ी। उसने हल्का सा जोर लगाया तो लण्ड गाण्ड की गहराईयों में रगड़ खाता हुआ उतरने लगा। अब मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी और टांगें पूरी खोल दी। अब उसके लण्ड का जोर पूरा लग रहा था।
मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी चुन्चियों पर रख दिए. मैं कोहनियों पर हो गयी और आगे से शरीर को थोड़ा ऊपर कर लिया. उसने अब मेरी चुंचियां पकड़ ली और मसलने लगा. मेरे ऊपर वो चिपका हुआ था. लंड उसका मेरी गांड में पूरा घुसा था पर वो अभी धक्के नहीं मार रहा था. वो मुझे चूमने चाटने में लगा था. उसके होंट मेरे होंट तक नहीं पहुँच पा रहे थे. मैं मस्ती में नीचे दबी पड़ी थी.
अब उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रखे और मेरे बदन को उसने मुक्त कर दिया. अब उसने धीरे धीरे धक्के मारने चालू कर दिए. मैं फिर से बिस्तर पर चिपक कर लेट गयी. और आराम से आंखे बंद कर ली. मैं पूरे मन से गांड चुदाई का आनंद ले रही थी. उसकी स्पीड अब तेज हो गयी थी. उसके लंड से चिकनाई भी निकल रही थी.
‘नेहा… आःह्ह… मजा आ रहा है…’
‘हाँ रे…सी सीई.. आः…’ मैं नीचे लेटे लेटे आँखें बंद करके सिस्कारियां भरती रही. मेरे अन्दर अब मीठी मीठी सी गुदगुदी बढने लगी. नीचे मेरी चूत भी बहुत पानी छोड़ रही थी. सारे बदन में वासना की रंगीन कसक सी बढ रही थी. मुझे ऐसा महसूस होने लगा था की राहुलमेरे अंग अंग को दबा दे , उसे मसल डाले… मेरा सारा कस बल निकाल दे.
‘विनोद… करते रहो…जोर से…करो… हाय…’ ऐसा लगा आवाज़ मेरी अंतरात्मा से निकाल रही हो. उसके धक्के मेरी गांड में ऐसे आराम से चल रहे थे जैसे कि चूत चुद रही हो. उसी सरलता से… उसी तेजी से…मजा भी उसी के समान आ रहा था…
‘हाय… आ अहह हह… नेहा… मैं गया… निकला मेरा…नेहा…’
उसके लंड ने मेरी गांड के अन्दर ही सारा वीर्य भर दिया. मेरी गांड में उसका लंड फूलता पिचकता का सा अहसास दे रहा था. उसका पूरा वीर्य निकल चुका था. राहुलमेरे ऊपर ही लेट गया. उसका लंड सिकुड़ कर अपने आप धीरे से गुदगुदी करता हुआ बाहर आ गया. वो एक तरफ़ लुढ़क गया. मेरी गांड में से वीर्य टपक टपक कर बिस्तर पर चूने लगा. मैं वैसे ही उलटी लेटी रही.
मैंने आँख खोली और गहरी साँस ली. मैं तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी. तौलिये से अपनी गांड साफ़ की, फिर राहुलका लंड भी साफ़ किया. अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर लेट गयी. राहुलने अपनी आँख खोली… और मुस्कराया… मैंने उसे चूमना चालू कर दिया. एक हाथ नीचे ला कर उसका मुरझाया हुआ लंड पकड़ लिया. और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी…
उसके लंड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. मैंने उसे अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी. कुछ ही देर में उसका लंड चोदने के लिए तैयार था. मैं राहुलके ऊपर लेट गयी. अपनी दोनों टांगे फैला दी.
लंड का स्पर्श मेरी चूत के आस पास लग रहा था. मैंने उसके होंट अपने होटों में दबा लिए. हम दोनों अपने आप को हिला कर लंड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे. उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड लिया. मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी.
अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी. उसका लंड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया. वो मेरी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया. मेरे मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकाल पड़ी…’विनोद… अ आह हह हह हह… सी ई स स स ई एई…’
‘मजा आ रहा है न नेहा…’
‘विनोद… आआह्ह्छ… करते रहो…आ आह हह ह… लगाओ धक्का… आ अह ह्ह्ह्छ..’
मेरे मुख से आहें फूट पड़ी. गांड चुदाने से मेरी उत्तेजना पहले ही बढ़ी हुयी थी. अब उत्तेजना और भी बढाती जा रही थी. उसके लंड के मोटेपन का चूत में अहसास हो रहा था. लंड जड़ तक जा रहा था. मैं आनंद से सराबोर हो गयी थी. सिस्कारियां… आहे… फूट रही थी. मेरे चूतड ऊपर से तेजी से चल रहे थे. मैंने उसके हाथ अपनी चुन्चियों पर रख दिए. उसने मेरे स्तनों को मसलना…मरोड़ना… चालू कर दिया. उसने जैसे ही मेरी नोकों को मसलना और खींचना चालू किया. मेरी तो जान निकलने लगी.
‘जोर से खींच… मेरे राजा… मसल दे… आः ह्ह्छ… मेरे धक्के तेज होने लगे… मैं चरम सीमा पर पहुँचने लगी थी.
‘विनोद…हाय… मैं गयी… हाय… मैं गयी…सी सी ई… अरे..विनोद… रे…’
मैंने अचानक ही उसके हाथ मेरी चुन्चियो पर से हटा दिए…और चूत का पूरा जोर उसके लंड पर लगा दिया.
‘आ आह्ह ह्ह्ह… विनोद… निकला…निकला… हाय… रे…निकला… हाय… छूट गयी..रीई… आह्ह्ह्छ…’
मैं झड़ने लगी… मेरे चूत की लहरें उसके लंड पर लग रही थी. मैं पूरी झड़ चुकी थी. मैं तुंरत उठी और उसका लंड चूत में से निकाल गया. मैंने उसे अपने हाथों में लेकर कस के दबा लिया…और तेजी से दबा कर मुठ मारने लगी… जोश में उसके चूतड ऊपर उठे और उसके लंड ने फुहार छोड़ दी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ छोड़ रहा था. मैंने उसका सारा वीर्य उसके लंड पर लगा कर उसकी मालिश करने लगी. थोड़ा वीर्य उसके चूतडों पर और उसकी गांड के छेद पर भी मल दिया.
वो शान्ति से आँखे बंद करके लेट गया था. उसने थकान से अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उठ कर बाथरूम में नहाने चली गयी. मैं जब बाहर आयी तो राहुलने बिस्तर की चादर बदल दी थी. अब वो कपड़े पहन रहा था.
‘नेहा तुम आराम करो… मैं चाय बना कर लता हूँ.’
मैंने घड़ी देखी…दिन के 4 बज रहे थे. मैं बिस्तर पर लेट गयी. वो चाय कब लाया मुझे पता नहीं चला। मैं गहरी नींद में सो गयी थी…
पाठक अपने विचार भेजें ! Hindi Sex Stories
मेरी पिछली कहानी वो Sex Stories अक्षत-योनि की क्षति -1 प्रकाशित हुई थी। उसी कहानी की आगे की हकीकत मैं सम्मानीय पाठकों के सामने रख रहा हूँ।
सपना ने मुझे फोन कर के उसी स्थान पर बुलाया जहाँ से एक दिन पहले उसने मुझे लिया था। फार्म-हाउस पर जाने के बाद मैं अपनी बात पर अड़ गया कि पहले अपनी हकीकत बताओ कि वास्तव में तुम अभी तक शादीशुदा होते हुए भी कुँवारी क्यों थी?
पहले तो सपना ने ना नुकुर किया पर मेरे व्यहार और आगे से हर बार बुलाने पर आने के वादे पर सपना ने मुझे अपनी कहानी कुछ इस तरह बताई-
मैं शुरू से ही सीधी सादी लड़की थी। मेरे पापा मम्मी और मैं बस हम तीनों ही दिल्ली में रहते थे। पापा का लम्बा चौड़ा बिजनेस था। मैं शुरू से ही गर्ल्स स्कूल में पढ़ी। मेरा भी सपना था कि मेरी भी शादी होगी। मेरा भी पति होगा मेरा अपना परिवार होगा।
और बहुत सारे सपने लेकर मैंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। पोस्ट-ग्रेजुएशन में मेरी लगभग सारी सहेलियाँ अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ जवानी का आनन्द ले रही थी किन्तु मैंने अपना सब कुछ अपने पति के लिए बचा के रखा। मेरी भी बहुत इच्छा होती थी किन्तु अपनी हैसीयत, अपना स्टेटस और सबसे बड़ी बात अपनी मम्मी का देखते हुए बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक कर रखती थी।
फाइनल तक आते आते मेरी शादी इन्दौर के रवि नामक लड़के से तय हो गई। उसी के साथ मेरे सपने और बढ़ गये। हमारी सगाई हो गई और कुछ महीनों में ही हमारी शादी हो गई।
शादी के ठीक तीसरे दिन जब हमारी सुहागरात थी, उसी रात को मुझे मेरे पति रवि की असलियत पता चली। असल में मुझे पहले विश्वास नहीं हुआ कि मेरा पति इतना सुन्दर होते हुए भी नपुंसक होगा। सुहागरात को जहाँ रात भर जी तोड़ चुदाई होती है, वहीं मेरे पति शराब पीकर पड़े थे। मैं रात भर रोती रही।
सुबह उठ कर जब मैंने देखा- रवि ऑफिस निकल गए।
मैंने तुरंत अपने घर फोन लगाया। मैं अपनी मम्मी से बात कर ही रही थी कि मेरी सास मेरे सामने आ खड़ी हुई। मैं चाह कर भी अपनी पूरी बात अपनी मम्मी को नहीं बता पाई। मेरी सास मुझे हाथ पकड़ कर अपने बेडरूम में ले आई और हाथ जोड़ कर मेरे सामने अपने ओहदे, इज्जत, खानदान के नाम का वास्ता दे कर मुझे चुप करने की कोशिश करने लगी। और रोते रोते उसने मुझे बताया कि आज से दस साल पहले रवि का भयंकर एक्सीडेन्ट हो गया था और मरते मरते बचा था। डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद ही बता दिया था कि अब रवि कभी भी संभोग नहीं कर सकेगा। एक तरफ हमारे इकलौते बेटे के बचने की खुशी थी, दूसरी तरफ इस बड़े खानदान के वारिस के नपुंसक होने का दुःख।
मैंने डॉक्टर से बात की तब उन्होंने कहा- आजकल मेडिकल फर्टीलिटी फेसेलिटी बहुत है। आप चिंता न करें आप रवि की शादी कर देना। रवि तो फर्टिलाइट नहीं कर पायेगा पर हमारे पास फर्टिलिटी की सारी सुविधाएँ हैं।
और हमने यही सब कुछ सोच कर रवि की शादी तुमसे की है। तुम जरूर मां बनोगी। अब इस पूरे खानदान की बागडोर तुम्हारे हाथ में ही है। मैं उस समय चुप हो गई किन्तु आखिर मैं भी एक लड़की हूँ मेरी भी कुछ भावनाएँ हैं, कुछ इच्छाएँ है ! क्या करूँ? मेरे पास रूपए-पैसे और ऐशोआराम किसी की कोई कमी नहीं थी, कमी थी तो बस इस शारीरिक सुख की, जो तुमने मुझे दिया। अब मुझे कोई कमी नहीं है।
मेरी यहाँ एक पक्की सहेली मीना है उसी से मैं अपनी सारी बातें कर लेती हूँ। उसी ने आपका कान्टेक्ट नम्बर दिया था किन्तु बहुत काल करने के बाद भी आप से कान्टेक्ट नहीं हुआ तो मैंने मेल करके आपको अपना मोबाईल नम्बर दिया और कहा कि आपसे मिलना चाहती हूँ।
अजय आज पूरी रात मैं और तुम हैं। आओ बरसों से मैंने जो सपने अपने पति के लिए देख देख कर इस जवानी को सम्भाला है, आज फिर मैं अपने आप को तुम्हारे हवाले कर रही हूँ।
और इस तरह पूरी रात मैं सपना के सपने को साकार करता रहा। उस रात करीब पांच बार लम्बा सम्भोगों का दौर चला। इस संगमरमर की मूरत को हर बार मैंने संतुष्ट किया। और सुबह अपनी फीस और चुम्बन के साथ वहाँ से सपना को लेकर निकला। भंवर कुआ आकर हमने नाश्ता किया और वो मुझे गीता मंदिर स्केयर पर छोड़ कर चली गई ।
मैं सीधे घर गया, शावर बाथ लिया और सोने की तैयारी में था। तभी मैंने सोचा कि एक बार मेल चेक कर लूँ। तभी सारिका नाम की महिला (परिवर्तित नाम) का मेल मेरे इनबाक्स में था जो कि उज्जैन से थी।
इस संभोग लीला का अक्षरशः वर्णन अगली कहानी में आपको मिलेगा।
दोस्तों ‘अक्षत योनि की क्षति’ एक कहानी नहीं सच्चाई है, वास्तविकता है । इस कहानी को लेकर मेरे पास बहुत से मेल आए, सभी को धन्यवाद ! Sex Stories
मैं इस साईट की लगभग सारी Sex stories पढ़़ता हूँ। मुझे सारी कहानियाँ बेहद ही अच्छी लगी। उनको पढ़ने के बाद मैं आपके लिये एक ऐसी कहानी लाया हूँ जिसे मैंने अपनी आँखों के सामने होते हुये देखा था। इससे पहले कि मैं अपनी कहानी को शुरु करूँ, सबसे पहले मैं उन दोनों लोगों का परिचय आपसे करा दूँ।
इस कहानी में दो लोग- कोई और नहीं एक मेरी माँ और दूसरा एक इन्सान मेरे ताऊ जी जिसकी उमर साठ साल की है। यह कहानी वैसे तो कुछ पुरानी है लेकिन मेरे सामने जब भी वो दिन याद आता है तो मुझे ऐसा लगता है कि यह कल की ही बात है। मेरा नाम मनीष है हमांरे परिवार में मैं, माँ और पापा हैं। मेरे पापा सेल्समैन हैं, वो कई कई दिनो तक बाहर रहते हैं…।
वैसे भी हमांरे सारे सम्बन्धी गांव में रहते हैं, हम साल में दो या तीन बार जाते हैं। वहाँ हमांरे ताऊ जी रहते हैं, उनकि पत्नी की मौत के बाद वो अकेले ही रहते हैं। हम नवरात्रि में गाँव जाने वाले थे। पापा भी आने वाले थे लेकिन उनको कुछ काम आ गया तब उन्होंने हम दोनों को गांव जाने के लिये कहा।
माँ ने कहा- ठीक है।
तब मैंने देखा कि माँ खुश थी और पैकिंग करने लगी। हम लोग सुबह की ट्रेन से गाँव पहुँच गये। वहाँ ताऊ जी हमें लेने के लिये आये हुये थे। माँ उनको देख कर खुश हो गई और ताऊ जी भी खुश हुए, उन्होंने पूछा- प्रवीण नहीं आया?
माँ ने कहा- उनको कुछ काम आ पड़ा है, वो दो तीन दिन बाद आयेंगे।
और ताऊ जी माँ को देखते रहे और माँ भी उनको देखते रही। मुझे कुछ दाल में काला नजर आया…
हम लोग बैलगाड़ी में बैठे और ताऊ जी ने मुझे कहा- तुम चलाओ।
मैंने कहा- ठीक है।
माँ और ताऊ जी पीछे बैठ गये। थोड़ी दूर चलने के बाद मैंने माँ की आवाज़ सुनी, पीछे देखा तो ताऊ जी का पैर माँ के साये में था और माँ ने मुझ से कहा कि सामने देख कर चलो।
हमें लोग घर पहुंचे तब माँ बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद बाहर आई…
ताऊ जी ने कहा- चलो, तुमको खेत में ले चलता हूँ।
माँ मुस्कुराते हुए बोली- हाँ चलिये।
मैं भी साथ था। हम लोग खेत में पहुँचे तो मैंने ताऊ को जी माँ की गाण्ड पर हाथ फिराते हुए देखा।
तब माँ ने कहा- लड़का इधर है, वो देख लेगा।
उनको पता नहीं था कि मैंने देख लिया था।
तब ताऊ जी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम दूर जा कर खेलो। मुझे तुम्हारी माँ से बातें करनी हैं।
तो मैंने माँ को देखा तो माँ ताऊ जी के सामने देख कर मुस्कुरा रही थी और मुझे कहा कि तुम यहाँ से जाओ…
मैं वहाँ से चलने लगा और माँ-ताऊ जी भी खेत के अन्दर दूर जाने लगे। मुझे दाल में काला नज़र आया। मैं भी उनके पीछे पीछे गया तो देखा कि ताऊ जी माँ की दोनों एक पेड़ की आड़ में चले गये और माँ पेड़ से लग कर खड़ी हो गई। अब ताऊ जी अपना हाथ माँ के साये में डालने लगे और माँ भी अपना साया उठा कर उनका साथ देने लगी। लेकिन मुझे उनकी कोई भी बातें सुनाई नहीं दे रही थी, इसलिये मैं और नज़दीक गया और सुनने लगा। तब वो दोनों पापा की बातें कर रहे थे।
माँ कह रही थी- कितने दिन बाद मुझे यह तगड़ा लौड़ा मिल रहा है, वरना प्रवीण का लौड़ा तो बेकार है।
अब माँ के बुर को दोनों हाथ से फैलाया। माँ थोड़ा सा विरोध कर रही थी लेकिन उनके विरोध में उनकी हामी साफ दिख रहा थी। इसके बाद ताऊ जी माँ के बुर पर लण्ड सटा कर हलका सा कमर को धक्का लगाया। माँ के मुँह से अह्हहह की आवाज निकल गई।
मैं समझ गया कि माँ के बुर में ताऊ जी का लण्ड चला गया है। ताऊ जी ने कमर को झटका देना शुरू किया। ताऊ जी जब जब जोर से झटका लगाते थे माँ के मुँह से आआअहह की आवाज सुनाई पड़ती थी। कुछ देर के बाद जब ताऊ जी ने माँ की चूचियों को मसलना शुरु किया तो उनका जोश और भी बढ़ गया। एक तरफ़ ताऊ जी बुर में जोर से झटके लगाने लगे तो दूसरी तरफ़ माँ के चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे।
अब माँ की बुर में लण्ड जब आधे से ज्यादा चला गया तो माँ के मुंह से आआहह्ह नहीं आआ आह्हह की आवाज आने लगी। ताऊ जी ने माँ के होठों को चूसना शुरु कर दिया। लगभग आधे घण्टे चोदने के बाद ताऊ जी का बीज माँ की चूत में गिरा। माँ भी बहुत ही खुश थी। कुछ देर के बाद ताऊ जी ने लण्ड निकल लिया। माँ पांच मिनट तक लेटी रही।
माँ तब उठ कर जाना चाहती थी। ताऊ जी ने उनको रोक लिया, उन्होंने माँ से कहा- कहाँ जा रही हो?
तब माँ ने कहा- आज के लिये इतना बस!
ताऊ जी ने कहा- अभी तो और चुदाई बाकी है, रुक जाओ तुम।
तब ताऊ जी ने माँ के पीछे जा कर माँ की गाण्ड पर लण्ड रखा और कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा। माँ के मुँह से आआ आअह्हह हह्ह की आवाज निकलते ही मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में लण्ड चला गया। अब ताऊ जी ने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया और कुछ ही देर में पूरा लण्ड को माँ के गाण्ड में घुसा दिया। ताऊ जी माँ के गाण्ड को लगभद दस मिनट तक मारने के बाद जब धीरे धीरे शान्त पड़ गये तो मैं समझ गया कि माँ की गाण्ड में बीज गिर गया है।
ताऊ जी ने लण्ड को निकाल लिया तब माँ के पैर को थोड़ा सा फैला दिया क्योंकि माँ ने दोनों पैरों को पूरा सटा रखा था। ताऊ जी ने माँ की बुर को देखा, माँ से पूछा- पेशाब नहीं करोगी?
माँ ने गरदन हिला कर कहा- नहीं।
अब ताऊ जी ने जैसे ही लण्ड को माँ की बुर के ऊपर सटाया माँ ने अपने दोनों हाथों से अपनी बुर को फैला दिया। ताऊ जी ने लण्ड के अगले भाग को माँ की बुर में डाल दिया और माँ की चूचियों को पकड़ कर एक जोरदार झटके के साथ अपने लण्ड को अन्दर घुसा दिया।
माँ मुँह से आआह्ह फ़्फ़फ़ईई रीईई धीईई आआह्हह्स इस्सस्स स्सस्हह्हह कर रही थी। ताऊ जी पर उनके इस बात का कोई असर नहीं हो रहा था। वो हर चार पांच छोटे झटके के बाद एक जोर का झटका दे रहे थे। उनका लण्ड जब आधे से ज्यादा अन्दर चला गया तो माँ ने ताऊ जी से कहा- अब और अन्दर नहीं डालियेगा वरना मेरी बुर फट जायेगी।
ताऊ जी ने कहा- अभी तो आधा बाहर ही है।
माँ ने यह समझ लिया कि आज उनकी गोरी चूत फटने वाली है। माँ की हर कोशिश को नाकाम करते हुए ताऊ जी माँ के चूत में अपने लण्ड को अन्दर ले जा रहे थे। माँ ने जब देखा कि अब बरदाश्त से बाहर हो रहा है तो उन्होंने ताऊ जी से कहा- मैं आपसे बहुत छोटी हूँ आआह पल्लीईज़ आआह्हह… नहीईई उई आआअह्ह्ह ह्हह…
ताऊ जी ने लगातार कई जोरदार झटके मार कर पूरे लण्ड को माँ के बुर में घुसा दिया तथा माँ की चूचियों को मसला। अब माँ को भी मजा आने लगा था। शायद माँ को इसी का इन्तजार था। ताऊ जी ने अपने झांट को माँ की झाँट में पूरी तरह से सटा दिया और इस तरह से उन्होंने पूरे बीस मिनट तक माँ की चुदाई की। इसके बाद माँ और ताऊ जी शान्त पड़ गये तब मैं समझ गया कि माँ की बुर में ताऊ जी का बीज गिर गया है। वो दोनों पूरी तरह से थक चुके थे। अब ताऊ जी ने लण्ड को निकाल दिया और माँ की बगल में लेट गये। फ़िर दोनों ने कपड़े पहने और वहाँ से चलने लगे। तब मैं भी वहाँ से हट गया ताकि उनको पता ना चले कि मैंने सब कुछ देख लिया है। हम तीनों घर वापस आ गये।
ताऊ जी माँ को देख कर मुस्कुराने लगे कि तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं पता चला। लेकिन मैंने भी उनको ऐसा ही दिखाया कि मुझे कुछ नहीं पता है। Sex stories
मेरा नाम करण है, मैं शिमला से हूँ और दिल्ली में काम करता हूँ, आपको अपनी असली Antarvasna कहानी सुनना चाहता हूँ।
मैंने दो महीने पहले अन्तर्वासना-कथाएँ पढ़नी शुरू की और सोचा कि मुझे भी अपनी असली कहानी सुनानी चाहिए कि मैंने कैसे पहली बार अपनी होने वाली बीवी के साथ सेक्स किया। उसका नाम कोमल है और अब हमारी शादी हो गई है।
दो साल पहले की बात है, एमबीए पूरा करने के बाद मैंने एक कंपनी में नौकरी कर ली। मेरी एक मौसी की लड़की पूजा चंडीगढ़ में नौकरी करती थी। वो एक पेइंग-गेस्ट रहती थी अपनी दोस्त के घर पर। हम दोनों भाई-बहन बहुत करीब हैं। कोमल उसकी पुरानी दोस्त थी। मैंने उसे कभी नहीं देखा था।
पूजा मुझे मजाक में कहती थी- भईया आपकी शादी अपनी सहेली कोमल से करवाउंगी।
मैं भी बोल देता- ठीक है, करवा देना !
मैं एक बार दिल्ली से शिमला जा रहा था। त्यौहारों के मौसम के कारण चंडीगढ़ से दो घंटे बाद बस थी। तो मैंने बस स्टैंड से पूजा को फोन किया।
उसने बोला- मैं मार्केट में हूँ, आप बाजार में आ जाइए।
मैं बाजार चला गया। उसके साथ एक खूबसूरत लड़की थी।
पूजा ने बताया- यह कोमल है !
क्या बताऊँ उसके बारे में ! प्राकृतिक सौंदर्य था वो। हमारी सिर्फ हाय हैलो हुई।
पूजा कोमल को भी कहती थी कि आप दोनों की शादी मैं करवाउंगी। एक सप्ताह बाद में वापिस दिल्ली चला गया। पूजा रोज फोन पर कोमल के बारे में पूछती थी- कोमल कैसी लगी आपको?
बाद में मैंने हाँ कर दी और कोमल ने भी हाँ कर दी। कोमल के परिवार वाले भी मान गए क्योंकि उसके पापा मुझसे मिल चुके थे। मेरे परिवार को भी पूजा ने बताया, वो भी मान गए। फिर हमारी फ़ोन पर बात होने लगी और हम संदेशों का आदान-प्रदान भी करने लगे।
धीरे-2 हम काफ़ी घुलमिल गए। इस बीच हम दोनों के परिवार मिले और हमारा रिश्ता तय हो गया और दो महीने के बाद मार्च में सगाई भी तय हो गई। अब जब भी मैं कभी घर जाता तो कोमल से 1-2 घंटे के लिए मिल लेता था। हम बाजार में ही मिलते। अब तक हम काफ़ी पास आ गए थे।
हमारी सगाई से दो सप्ताह पहले मेरे एक दोस्त के पिता की मृत्यु हो गई। मैं वहाँ गया। वापिसी में मैं कोमल से मिलने चंडीगढ़ चला गया।
उस दिन बरसात हो रही थी। बैठने के लिए हम एक पार्क चले गए। पार्क के बीच एक छत सी बनी हुई थी, हम वहाँ बैठ गए। वो भीग गई थी, उसने कहा- मुझे ठण्ड लगा रही है।
मैंने हिम्मत करके उसे बाँहों में ले लिया। बहुत नाजुक सी थी वो ! उसने आंखें बंद कर ली और अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया।
मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने उसे और कस लिया। वो मदहोश हो गई। मुझे अपनी छाती पर उसके मम्मों का एहसास होने लगा। मुलायम और गर्म गर्म मम्मों के एहसास से मेरा लंड खड़ा होने लगा। किसी लड़की से मेरा पहला एहसास था। वो बिलकुल मदहोश हो गई।
मैंने हिम्मत करके कहा- कोमल, मैं तुम्हें चूम सकता सकता हूँ?
उसने कुछ नहीं कहा, बस अपनी आंखें बंद ली। मैंने उसके माथे पर एक चुंबन किया। फिर दोनों गालों पर किया। फिर मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए। धीरे धीरे उसके होठों को चूसने लगा।
क्या एहसास था ! गरम और नरम होंठ थे उसके !
वो भी साथ देने लगी थी मेरा। एक लड़की को बरसात में चूमने का क्या एहसास क्या होता है, मैं ही जानता हूँ।
काफी देर बाद हम अलग हुए, सिर्फ चुंबन ही किया। हम शादी से पहले आगे नहीं जाना चाहते थे। फिर कुछ दिन बाद हमारी सगाई हो गई। अब जब भी मिलते तो हम एक दूसरे को चूमते थे। एक बार चूमते हुए हम कुछ ज्यादा ही गर्म हो गए। हम पार्क में थे तो कुछ कर भी नहीं सकते थे।
दिल्ली जाकर मैंने संदेश भेजा कि आज मेरा दिल नही मान रहा, मुझे फ़ोन पर ही चूमो।
वो मुझे चूमने लगी। वो भी तब कुछ ज्यादा ही गर्म थी।
मैंने कहा- आज मेरा दिल कर रहा है कि तुम्हें सारी पा लूँ !
उसने कहा- कैसे ?
मैंने कहा- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
उसने कहा- वो क्या होता है?
मैंने कहा- सेक्स !
तो कोमल बोली- किया तो है हमने !
मुझे तो झटका लग गया, मैंने पूछा- कब किया?
वो बोली- क्यूं? चूमते तो हो हर बार !
मुझे हंसी आ गई और पूछा- सेक्स के बारे में क्या जानती हो?
उसने कहा- जब होंठ चूमते हैं तो उसको सेक्स कहते हैं।
मेरी तो हंस-2 कर बुरी हालत थी! मैंने पूछा- तुम्हें किसी सहेली ने सेक्स के बारे में नहीं बताया क्या?
वो बोली- नहीं।
मुझे लगा कि वो मेरा बेवकूफ बना रही है पर सच में उसे पता नहीं था कि सेक्स में क्या करते हैं!
तो मैंने उसे बताया कि सेक्स क्या होता है और सेक्स क्यूँ करते हैं। वो शरमा गई। फिर मैंने उसे फोन सेक्स के बारे में भी बताया। अब हम रोज रात को फोन सेक्स करते थे, उसे भी मजा आता !
अगली बार जब हम मिले तो एक फिल्म देखने गए। थियेटर में बहुत कम लोग थे। मैं उसके कंधे पर हाथ फेरने लगा, वो भी गर्म होने लगी थी। .उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया! फिर मैं उसके होंठ चूमने लगा, वो भी पूरा साथ दे रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसके मुँह में फिराने लगा और उसकी जीभ को चूस रहा था!
मैंने एक हाथ उसकी कमीज में डाल दिया और पेट पर फिरने लगा। उसके शरीर को मैंने पहली बार छुआ था। उसकी सांसें तेज हो गई, उसने आंखें बंद कर ली और उसके मुँह से आवाजे निकलने लगी- म्मम्मम्मम्म मम्म म्मम्मम आहऽऽ
मैंने अपना हाथ ऊपर किया और उसके मम्मों पर फिराने लगा। मैं ब्रा के ऊपर से उसके चूचे दबा रहा था। इतनी नरम चीज़ मैंने पहली बार स्पर्श की थी। मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। वो भी मम्म अम मम कर रही थी। फिर मैंने हाथ उसकी ब्रा के अंदर डाल दिया। उसके नर्म नर्म मम्मों से मेरी हालत खराब हो रही थी, मैं तो पागल हो रहा था। उसकी भी हालत खराब हो रही थी।
मैंने धीरे से पूछा- कोमल, मुझे तुम्हारी सलवार में हाथ डालना है !
उसने मना कर दिया- कोई देख लेगा।
वो भी चाहती थी पर डर रही थी। मैंने धीरे से हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उसकी पैन्टी के ऊपर से हाथ फिराने लगा। उसकी चूत की गर्मी को महसूस करने लगा, मेरी हालत ख़राब हो गई थी! अब मैंने उसकी पेंटी के अंदर हाथ दाल दिया। उसने अपनी चूत के बाल एक दम साफ़ किये हुए थे। एकदम गर्म और चिकनी चूत थी। मैं उसकी चूत की मालिश करने लगा। कोमल ने अब मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और मेरी गर्दन को चूसने लगी! मैं भी तेज-2 उसकी चूत को मलने लगा। उसके मुँह से आवाजें आने लगी- मम्म म्मम्म मम मम मम म्मम्म .
उसने मेरी गर्दन पर अपने दांत लगा दिए और काटने लगी। शायद वो भी गर्म हो गई थी, उसकी चूत भी गीली हो गई थी। मैंने एक ऊँगली अंदर दाल दी और फिराने लगा। उसने और तेज काटना शुरू कर दिया। मेरी हालत भी खराब हो गई थी!
फिर उसने कहा- बस करो ! मुझे कुछ हो रहा है !
शायद उसे लंड चाहिए था। तभी फिल्म ख़त्म होने लगी, हम ठीक होकर बैठ गए। Antarvasna
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