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दोस्तो, अन्तर्वासना पर मैंने बहुत Hindi Porn Stories कहानियाँ पढ़ीं। बेहद मज़ा आया। सेक्स सिर्फ चुदाई का नाम नहीं है। चुदाई को मसालेदार बनाने के लिए कुछ नया करना पड़ता है। सचमुच मुझे सेक्स में प्रयोग करने में बहुत मज़ा आता है। मैं और मेरे उन्होंने सेक्स में बहुत सारे खेल खेले हैं। उसी प्रकार के खेल के एक हिस्से को मैं आपके सामने पेश कर रही हूँ। अच्छी लगे तो अपने साथी के साथ अपने यौन-जीवन को रंगीन बनाइए।
मेरे मन में मर्द की गुलामी, हर पल चुदाई की बातें चलती रहतीं थीं।
बात उन दिनों की है जब ऑफिस में काम करते हुए मुझे लगा कि मेरा साथी सुनील मुझ में कुछ अधिक ही रुचि दिखा रहा है। धीरे-धीरे मैं उसकी तरफ खिंचती चली गई। हम घंटों साथ रहने लगे।
एक दिन हमें डेट पर जाना था। मैं दो घंटे देर से पहुँची। सुनील बहुत नाराज़ था। मैंने उसे मनाने की कोशिश की। उसका लहज़ा उस वक्त काफी सख्त था। मैंने कान पकड़ कर माफी माँगी। इस पर उसने कहा “तुम जैसी लड़कियों को तो सज़ा मिलनी चाहिए, तभी तुम सुधर सकती हो।”
“सुनील मैं तुम्हारी हूँ, तुम जो सज़ा देना चाहो, दे सकते हो।” मैंने उसे मनाने के लिए कहा।
सुनील ने मेरी छातियों को कसकर मसला तथा मेरी गाँड पर थपाथप ५ चाँटे जड़ दिए। मुझे दर्द तो हुआ, लेकिन मर्द की सख्ती का एहसास पहली बार हुआ। मैं सुनील से बुरी तरह से लिपट गई। सुनील मुझे अपने कमरे पर ले गया।
कमरे में पहुँचते ही सुनील शेर की तरह गुर्राने लगा,”साली, कुतिया… मैं तेरा मालिक हूँ, तू मेरी ग़ुलाम है। मैं तुझे जैसे चाहूँ, वैसे रखूँगा… समझी।”
मैं बुरी तरह से डर गई, लेकिन मुझे कुछ-कुछ हो रहा था। सुनील की बातों में मैं मस्ती ले रही थी। मैं कुतिया की तरह चारों हाथ-पैरों पर झुकी तथा सुनील के पैरों को चूमकर बोली,”मालिक, मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ, जो चाहो सो करो।”
सुनील ने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया तथा ख़ुद भी नंगा होकर खड़ा हो गया। उसका १२ इंची लंड मुझे पागल बना रहा था। कुछ ही देर में सुनील ने मुझे कुतिया की तरह गले में पट्टा पहना दिया और एक ज़ंजीर से बाँध दिया। मैं पागल कुतिया की तरह उसका लंड चूस रही थी। मोटा लंड मेरे मुँह में समा नहीं पा रहा था।
अब सुनील ने हाथ में एक मोटा डंडा ले लिया। सुनील का लंड मेरे मुँह में था। सुनील ने डंडे की बाछौर मेरे चूतड़ों पर कर दी। मैं दर्द के मारे कराह उठी, लेकिन मुझे बड़ा मज़ा आया। मैं लंड चूसती रही। सुनील मेरे मुँह को चोदता रहा। उसके बाद उसने अपने संदूक में से रस्सी निकाली और मेरी दोनों छातियों को कस कर बाँध दिया। मैं दर्द से कराह उठी। यह तो अभी शुरुआत थी। सुनील ने हथकड़ी निकाल कर मेरे हाथों को मेरी गाँड के पीछे बाँध दिया।
अब मैं फिर से कुतिया बनी थी। मेरे हाथ बँधे हुए, कमर पर थे। सुनील ने अपना लंड मेरी गाँड की छेद पर रखा. उसके पैरों की ऊँगलियाँ मेरे मुँह के पास थी। बहनचोद, मादरचोद, कुतिया की बच्ची… मुझ पर गालियों की बौछार हो रही थी। सुनील ने मेरी गाँड पर थूक दिया और लंड अन्दर डालने लगा।
मैं चीख रही थी, मेरे हाथ पीठ पर बँधे थे। लंड तेज़ी से मेरी गाँड में चला गया। मैं सुनील के पैरों की ऊँगलियों को चूस रही थी। १५ मिनट तक मेरी गाँड फाड़ने के बाद सुनील ने मेरी चूत में लंड पेलना शुरु कर दिया। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
“मेरे मालिक… मेरी गाँड फाड़ दो… चूत की धज्जियाँ उड़ा दो।” मैं चिल्ला रही थी।
सुनील में गज़ब का दम था। मैं पस्त हो चुकी थी। सुनील ने लंड को चूत से निकाल कर मेरे मुँह की तरफ कर दिया। एक बार फिर से सुनील मेरा मुँह चोदने लगा था। मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड का पानी गिराने की कोशिश कर रही थी।
सुनील को झटका लगा। मेरे मुँह में माल गिरने लगा। झड़ने के बाद भी सुनील ने मुझे आज़ाद नहीं किया।
“प्लीज़ सुनील, मुझे घर जाना है। देर हो रही है, जाने दो” मैंने अनुमति मांगी।
सुनील ने मेरे गाल पर ज़ोरदार चाँटा मारा और उठाकर खड़ा कर दिया, हथकड़ी खोली, लेकिन मुझे फिर से कुतिया बना दिया। वो मुझे लेकर इस तरह टहल रहा था जैसे लोग अपने कुत्ते को सैर पर ले जाते हैं।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था कुतिया बनने में। १५ मिनट घुमाने के बाद सुनील मुझे अपने तहख़ाने में ले गया। वहाँ पर कुत्ते का एक पिंजरा रखा हुआ था। सुनील ने मुझे पिंजरे में जाने का इशारा किया। मैंने पिंजरे में जाने में आनाकानी की तो सुनील ने मेरे चूतड़ों पर ज़ोर की लात मारी।
मैं अपने चारों हाथों-पैरों से चलती हुए पिंजरे में पहुँच गई। सुनील ने पिंजरे में पानी का कटोरा रखा, फिर दरवाज़े में ताला जड़ दिया। अब मैं पूरी तरह से क़ैद थी। सुनील कुटिल मुस्कान बिखेरता हुआ बोला,”अब देखता हूँ साली, तू घर कैसे जाएगी।”
मैंने कहा,”मालिक, आप जब कहोगे, तभी घर जाऊँगी।”
सुनील मुझे उसी हालत में अकेला छोड़कर वहाँ से चला गया। थोड़ी ही देर में मेरे हाथ-पैरों में दर्द होने लगा। आधा घंटा होते-होते दर्द असहनीय होने लगा।
इतने में दरवाज़ा खुला। सुनील अन्दर आया,”कुतिया… कैसा लग रहा है। तुम्हें इसमें रहने की आदत डालनी होगी। जब तुम मेरी पूरी ग़ुलाम बन जाओगी तो पूरी रात इसी पिजरे में रखूँगा।”
पिंजरे का दरवाज़ा खुलने के बाद मैं जब बाहर निकली तो मुझे खड़ा होने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। मैं पूरी नंगी हो सुनील के पीछे चलने लगी। बाथरुम में ले जाकर सुनील ने मुझे फिर से चोदा। इसके बाद मैं बाथरूम गई।
अब सुनील ने मुझे जाने की इजाज़त दे दी। कमरे से बाहर आने के बाद वो बदल गया। अब वो अपनी सख़्ती के लिए माफ़ी माँग रहा था। इतना दर्द होने के बाद भी मुझे वो सख़्त मर्द अच्छा लगा।
“सुनील, मैं तो मुझे माफ़ कर दूँगी, लेकिन तुम शादी के बाद भी मुझे इसी तरह से कुतिया बनाओगे?”
“श्योर” – सुनील ने कहा।
इसके बाद क्या हुआ, अगली कहानी में बताऊँगी। Hindi Porn Stories
उसने बलराम के सुपारे पर Antarvasna थोड़ी और जेली लगाई और एक-दो-तीन कह कर फिर से कोशिश की। इस बार बलराम करीब आधा इंच अन्दर चला गया। प्रगति के मुँह से एक हलकी सी आवाज़ निकली।
अमन ने एकदम बलराम को बाहर निकाल कर प्रगति से पूछा कि कैसा लगा? दर्द बहुत हुआ क्या?
प्रगति ने पलट कर उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी की और कहा- तुम मेरा इतना ध्यान रख रहे हो तो मुझे दर्द कैसे हो सकता है !! अब मेरे बारे में सोचना बंद करो और बलरामजी को अन्दर डालो।
यह सुनकर अमन का डर थोड़ा कम हुआ और उसने कहा- ठीक है, चलो इस बार देखते हैं तुम में कितना दम है !!
एक बार फिर जेली गांड और बलराम पर लगा कर उसने एक-दो-तीन कह कर थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाया। इस बार बलराम अचानक करीब डेढ़ इंच अन्दर चला गया और प्रगति ने कोई आवाज़ नहीं निकाली। बस एक लम्बी सांस लेकर छोड़ दी। अमन ने बलराम को अन्दर ही रहने दिया और प्रगति की पीठ सहलाने लगा। उसने प्रगति को शाबाशी दी और कहा वह बहुत बहादुर है।
थोड़ी देर बाद अमन ने प्रगति को बताया कि अब वह बलराम को बाहर निकालेगा। और फिर धीरे धीरे बलराम को बाहर खींच लिया। उसने प्रगति से पूछा उसे अब तक कैसा लगा तो प्रगति ने कहा कि उसे दर्द नहीं हुआ और थोड़ा मज़ा भी आया।
अमन ने प्रगति को आगाह किया कि इस बार वह बलराम को और अन्दर करेगा और अगर प्रगति को तकलीफ नहीं हुई तो बलराम से उसकी गांड को चोदने की कोशिश करेगा। प्रगति ने कहा वह तैयार है।
पर अमन ने एक बार फिर सब जगह जेली का लेप किया और तीन की गिनती पर बलराम को घुमाते हुए उसकी गांड के अन्दर बढ़ा दिया। प्रगति थोड़ा कसमसाई क्योंकि बलरामजी इस बार करीब चार इंच अन्दर चले गए थे। अमन ने प्रगति को और शाबाशी दी और कहा कि अब वह तीन की गिनती नहीं करेगा बल्कि प्रगति को खुद अपनी गांड उस समय ढीली करनी होगी जब उसे लगता है कि बलराम अन्दर जा रहा है।
यह कह कर उसने बलराम को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। हर बार जब बलराम को वह अन्दर करता तो थोड़ा और ज़ोर लगाता जिससे बलराम धीरे धीरे अब करीब 6 इंच तक अन्दर पहुँच गया था। प्रगति को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। यह उसके हाव भाव से पता चल रहा था। अमन ने प्रगति की परीक्षा लेने के लिए अचानक बलराम को पूरा बाहर निकाल लिया और फिर से अन्दर डालने की कोशिश की। प्रगति चौकन्नी थी और उसने ठीक समय पर अपनी गांड को ढील दे कर बलराम को अपने अन्दर ले लिया। अमन प्रगति की इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने प्रगति की जाँघों को प्यार से पुच्ची कर दी।
अब वह बलराम से उसकी गांड चोद रहा था और अपनी उँगलियों से उसकी चूत के मटर को सहला रहा था जिससे प्रगति उत्तेजित हो रही थी और अपने बदन को ऊपर नीचे कर रही थी। कुछ देर बाद अमन ने बलराम को धीरे से बाहर निकाला और प्रगति को पलटने को कहा। उसने प्रगति के पेट और मम्मों को पुच्चियाँ करते हुआ कहा कि उसके हिसाब से वह गांड मरवाने के लिए तैयार है।
प्रगति ने कहा- हाँ, मैं तैयार हूँ पर अमन के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह जनाब तो तैयार नहीं हैं, लाओ इन्हें मैं तैयार करूँ।
शाम के सात बज रहे थे। अभी एक घंटा और बचा था। प्रगति की उत्सुकता देख कर उसका मन भी गांड मारने के लिए डोल उठा। उसके लंड पर प्रगति की जीभ घूम रही थी और उसके हाथ अमन के अण्डों को टटोल रहे थे। साथ ही साथ गोली का असर भी हो रहा था।
थोड़ी ही देर में अमन का लंड ज़ंग के लिए तैयार हो गया। पहली बार गांड में घुसने की उम्मीद में वह कुछ ज़्यादा ही बड़ा हो गया था। प्रगति ने उसके सुपारे को चुम्बन दिया और अमन के इशारे पर पहले की तरह उलटी लेट गई। अमन ने उसके कूल्हे थोड़े और ऊपर की ओर उठाये और टांगें और खोल दी। प्रगति का सिर उसने तकिये पर रखने को कहा और छाती को बिस्तर पर सटा दिया।
अब उसने प्रगति की गांड की अन्दर बाहर जेली लगा दी और अपने लंड पर भी उसका लेप कर दिया। अमन ने पीछे से आ कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और प्रगति को पूछा कि क्या वह तैयार है ।
प्रगति तो तैयार ही थी। अमन ने धीरे धीरे लंड को अन्दर डालने के लिए ज़ोर लगाया पर कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर सुपारे को छेद की सीध में रखते हुए ज़ोर लगाया तो लंड झक से फिसल गया और चूत की तरफ चला गया। अमन ने एक बार कोशिश की पर जब लंड फिर भी नहीं घुसा तो उसने फिर से बलराम का सहारा लिया। बलराम को जेली लगा कर फिर से कोशिश की तो बलराम आराम से अन्दर चला गया। बलराम से उसकी गांड को ढीला करने के बाद एक और बार अमन ने अपने लंड से कोशिश की।
पर उसका लंड बलराम से थोड़ा बड़ा था और वह प्रगति को दर्द नहीं पहुँचाना चाहता था शायद इसीलिए वह ठीक से ज़ोर नहीं लगा रहा था। प्रगति ने मुड़ कर अमन की तरफ देखा और कहा- मेरी चिंता मत करो। मुझे अभी तक दर्द नहीं हुआ है। तुम थोड़ा और ज़ोर लगाओ और मैं भी मदद करूंगी।
अमन को और हिम्मत मिली और इस बार उसने थोड़ा और ज़ोर लगाया। उधर प्रगति ने भी अपनी गांड को ढीला करते हुए पीछे की तरफ ज़ोर लगाया। अचानक अमन का लंड करीब एक इंच अन्दर चला गया। पर इस बार प्रगति की चीख निकल गई। इतनी तैयारी करने के बाद भी अमन के लंड के प्रवेश ने प्रगति को हिला दिया।
अमन को चिंता हुई तो प्रगति ने कहा- अब मत रुकना।
अमन ने लंड का जो हिस्सा बाहर था उस पर और जेली लगाई और लंड को थोड़ा सा बाहर खींच कर एक और ज़ोर लगाया।
प्रगति ने भी पीछे के तरफ ज़ोर लगाया और अमन का लंड लगभग पूरी तरह अन्दर चला गया। प्रगति थोड़ा सा हिली पर फिर संभल गई। अमन से ज़्यादा प्रगति के कारण उन्हें यह सफलता मिली थी।
अब अमन को अचानक अपनी सफलता का अहसास हुआ। उसका लंड इतनी टाइट सुरंग में होगा उसको अंदाजा नहीं था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। ख़ुशी के कारण उसका लंड शायद और भी फूल रहा था जिस से उसकी टाइट गांड और भी टाइट लग रही थी।
थोड़ी देर इस तरह रुकने के बाद उसने अपने लंड को हरकत देनी शुरू की। उसका लंड तो चूत का आदि था जिसमें अन्दर बाहर करना आसान होता है। गांड की और बात है। इस टाइट गुफा में जब उसने लंड बाहर करने की कोशिश की तो ऐसा लगा मानो प्रगति की गांड लंड को अपने से बाहर जाने ही नहीं देना चाहती।
फिर भी अमन ने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जितना बाहर निकला उस हिस्से पर जेली और लगा ली। अब धीरे धीरे उसने अन्दर बाहर करना शुरू किया। बाहर करते वक़्त थोड़ा तेज़ और अन्दर करते वक़्त धीरे-धीरे की रफ्तार रखने लगा।
उसने प्रगति से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो प्रगति ने बहुत ख़ुशी ज़ाहिर की। उसे वाकई बहुत मज़ा आ रहा था। उसने अमन को और ज़ोर से चोदने के लिए कहा। अमन ने अपनी गति बढ़ा दी और उसका लंड लगभग पूरा अन्दर बाहर होने लगा।
अमन की तेज़ गति के कारण एक बार उसका लंड पूरा ही बाहर आ गया। अब वह इतनी आसानी से अन्दर नहीं जा रहा था जितना चूत में चला जाता है। उसने फिर से गांड में और लंड पर जेली लगाई और फिर पूरी सावधानी से लंड को अन्दर डाला। एक बार फिर प्रगति की आह निकली पर लंड अन्दर जा चुका था। अमन ने फिर से चोदना शुरू किया। उसके लंड को गांड की कसावट बहुत अच्छी लग रही थी और उसे प्रगति के पिछले शरीर का नज़ारा भी बहुत अच्छा लग रहा था।
अब उसने प्रगति को आगे की ओर धक्का देते हुए बिस्तर पर सपाट लिटा दिया। वह भी उसके ऊपर सपाट लेट गया। प्रगति पूरी बिस्तर पर फैली हुई थी। उसकी टांगें और बाजू खुले हुए थे और उसके चूतड़ नीचे रखे तकिये के कारण ऊपर को उठे हुए थे। अमन का पूरा शरीर उसके पूरे शरीर को छू रहा था। सिर्फ चोदने के लिए वह अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करता था और उस वक़्त उनके इन हिस्सों का संपर्क टूटता था।
अमन ने अपने हाथ सरका कर प्रगति के बदन के नीचे करते हुए दोनों तरफ से उसके मम्मे पकड़ लिए। अमन का पूरा बदन कामाग्नि में लिप्त था और उसने इतना ज्यादा सुख कभी नहीं भोगा था। उधर प्रगति ने भी इतना आनंद कभी नहीं उठाया था। उसके नितम्ब रह-रह कर अमन के निचले प्रहार को मिलने के लिए ऊपर उठ जाते थे जिससे लंड का समावेश पूरी तरह उसकी गांड में हो रहा था। दोनों सातवें आसमान पर पहुँच गए थे।
अब अमन चरमोत्कर्ष पर पहुँचने वाला था। उसके मुंह से मादक आवाजें निकलने लगी थी। प्रगति भी अजीब आवाजें निकल रही थी। अमन ने गति तेज़ करते हुए एक बार लंड लगभग पूरा बाहर निकाल कर एक ही वार में पूरा अन्दर घुसेड़ दिया, प्रगति की ख़ुशी की चीख के साथ अमन की दहाड़ निकली और अमन का वीर्य फूट फूट कर उसकी गांड में निकल पड़ा।
प्रगति ने अपनी गांड ऊपर की तरफ दबा कर उसके लंड को जितनी देर अन्दर रख सकती थी रखा। थोड़ी देर में अमन का लंड स्वतः बाहर निकल गया और प्रगति की पीठ पर निढाल पड़ गया।
दोनों की साँसें तेज़ चल रही थी और दोनों पूर्ण तृप्त थे। अमन ने प्रगति को उठा कर अपने सीने से लगा लिया। उसके पूरे चेहरे पर चुम्बन की वर्षा कर दी और कृतज्ञ आँखों से उसे निहारने लगा।
प्रगति ने भी घुटनों के बल बैठ कर अमन के लिंग को पुचकारा और और धन्यवाद के रूप में उसको अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। उसकी आँखों में भी कृतज्ञता के आँसू थे। दोनों एक बार फिर आलिंगनबद्ध होते हुए बाथरूम की तरफ चले गए। Antarvasna
अगले दिन दोपहर को मौसा Antarvasna Sex Stories जी घर आ चुके थे। उनके साथ उसके एक पुराने मित्र राजेश भी थे। उनके आते ही रीना और रूपा में कुछ बदलाव सा लगा, दोनों ही कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही थी। रीना भी पहले से अधिक सेक्सी लगने लगी थी। उसने थोड़ा मेकअप भी किया हुआ था और मौसा जी से वो हंस-हंस के बात कर रही थी। रूपा ने राजेश की खूब आवभगत की और उससे खूब बातें की।
मौसा जी बार-बार रीना की तरफ़ देखते, कभी उसका फ़िगर देखते, कभी उसके सुडौल चूतड़ों को निहारते। आज जाने क्यों रीना बड़ी आकर्षक लग रही थी। मौसा को क्या पता था कि आज रीना ने भरपूर चुदाई करवा कर अपना मन शांत कर लिया था।
पर हां इससे रीना के मन में एक नया जोश और मर्दों के प्रति एक आकर्षण पैदा हो गया था। जैसे अधिकतर मर्द नारी को एक भोग्य वस्तु मानते हैं, वैसे ही उसे पुरुष भी भोगने की वस्तु लगने लगे थे। उसे लगने लगा था कि मर्द तो बस चूत के दीवाने रहते हैं, इन्हें तो जब चाहो तब पटा लो और चुदा लो। बस थोड़ी सी चूची दिखा दो और मर्दों का तम्बू तन जाता है। चुनांचे मौसा जी भी रीना के लिये उसी श्रेणी में आ चुके थे।
रीना दो दिनों में ही मौसा जी के बहुत निकट आ चुकी थी। रीना उन्हें हर तरफ़ से उसे पटाने में लगी थी। उसे आशा थी कि उसे एक नया लण्ड जल्दी ही मिल जायेगा। अभी तो सभी कुछ पर्दे के पीछे था। उधर रूपा भी राजेश से खूब घुल मिल गई थी। शाम को सब मौसा जी के साथ राजेश को घुमाने ले जाते थे। रूपा ने रीना को और रीना ने रूपा को यह बता दिया था कि वो इन मर्दों को पटा रही हैं। दोनों ने अपने पत्ते खोल रखे थे। रीना यदि मौसा के अधिक करीब आ जाती थी तो रूपा जानबूझ कर दूसरी ओर चली जाती थी और मौसा यह समझते थे कि मौका मिल गया। इस दौरान वो हाथ दबा देते थे और कभी कभी चूतड़ पर हाथ भी मार देते थे। बदले में रीना शर्माने का अभिमय कर देती थी।
उधर रूपा ने भी राजेश को पटा लिया था। रूपा जरा तेज थी, सो वो तो चुम्बन तक पहुंच गई थी।
“रीना ! अब तो मुझे चुदने की लग रही है … अपने मौसा जी को कही बाहर ले जा ना !”
“शाम को मौसा जी को मैं घुमाने ले जाती हूँ और आप तबियत का बहाना बना लेना !”
दोनों ने अपनी ओर से सरल सा बहाना बना लिया। योजना के मुताबिक राजेश बाहर निकल गया और रूपा ने पेट दर्द का बहाना किया। मौसा जी तो चाहते ही थे कि उसे सिर्फ़ रीना का साथ मिले। रीना के थोड़े से ही कहने पर मौसा जी मान गये।
रूपा ने भी मंजूरी दे दी। दोनों कार में निकल पड़े और रूपा ने जल्दी से मोबाईल पर फ़ोन करके राजेश को वापस बुला लिया। राजेश तुरंत घर आ गया। राजेश सीधा रूपा के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। रूपा उसे देखते ही शरमाती सी खिल गई।
“अब हम तुम इस कमरे में बंद हो तो…”
“धत्त, आप तो मजाक करने लगे…” रूपा ने राजेश को रिझाने का नाटक किया।
“अब तो मत शर्माओ … अब तो एक मैं और एक तू … दोनों मिले किस तरह… बताओ !”
“हाय रे … आप दूर रहें … मुझे कुछ होता है…!” राजेश ने रूपा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया, रूपा जानबूझ कर उसके ऊपर गिरती हुई बोली,”हाय राम … बैंया तो छोड़ो, मोच आ जायेगी ना…” रूपा फ़िल्मी अदाएँ दिखाते हुये राजेश से लिपट गई। दूसरे ही क्षण रूपा के मद भरे अमृत कलश उसकी हथेलियों में दबे हुये थे।
“मां री ! … मत करो ना … गुदगुदी होती है …! ” रूपा ने आह भरते हुये कहा,”दूर रहो जी… नीचे कुछ गड़ रहा है…”
मेरी मतवाली रूपा यही है वो मस्त चीज़ जो हमे अभी मस्ती देगी … अब बनो मत …”
“ना जी … मत सताओ … इसे दूर ही रखो … मेरा मन डोल रहा है… हाय रे ! क्या कर रहे हो… घुसाये चले जा रहे हो… आह्ह्ह मेरे राजेश…!!”
“मस्ती आ रही है ना… आओ अब अधरों का रसपान करें” राजेश भी भावना में बह कर बोला।
दोनों के होंठो की पत्तियां टकरा गई और एक दूसरे की जीभ से वो भीग गये।
होंठो का कसाव दोनों ने बढ़ा दिया और अधरपान में लीन हो गये। राजेश के मुँह से सीत्कार निकल पड़ी… रूपा ने उसका लण्ड कस कर दबा दिया था।
“अरे रूपा, तुम मुझे मार डालोगी… जरा धीरे से… कहीं निकल गया तो मजा नहीं आयेगा…”
“तो फिर जी, क्या करें … मेरा तो मन डोल रहा है जी…!”
“चलो, पहले प्यास बुझा ले… कपड़े उतारो…”
“प्यास लग रही है तो कपड़े क्यूँ उतारें भला…?” रूपा ने शरमाते हुये कहा।
राजेश ने धीरे से रूपा की साड़ी उतार दी … फिर ब्लाऊज को जबरदस्ती उतार दिया। रूपा की तरफ़ से ब्लाऊज़ उतारने का विरोध तो मात्र एक नाटक था, ब्लाऊज उतरते ही उसने अपनी उभरी हुई जवानी को हाथों से छिपाने का नाकाम प्रयास किया। राजेश ने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार फ़ेंके। अब रूपा के पेटीकोट की बारी थी, बस नाड़ा खींचने की देर थी। पेटीकोट झम से नीचे पांवों पर आ गिरा।
“मैं मर गई राम जी… और कभी अपनी चूत छिपाती तो कभी अपने उभरे हुये स्तनों को ढकने की कोशिश करती। राजेश ने अपने नंगे बदन से रूपा को लिपटा लिया और दोनों फिर बिस्तर पर एक दूसरे को धकेल कर लेट गये। दोनों ही एक दूसरे के शरीर को दबाते हुये लोट लगाने लगे। तभी रूपा सिसक उठी। उसकी चूत में राजेश का कड़क लण्ड बिना किसी पूर्व सूचना के उतर चुका था। रूपा के बदन में तरावट आने लगी। कब से नये लण्ड का इन्तज़ार कर रही थी और नये लण्ड ने उसकी चूत को स्वीकार करते हुये खेल-खेल में प्रवेश कर लिया था।
राजेश रूपा के नीचे दबा हुआ था और रूपा उसके ऊपर लण्ड पर बैठ गई थी। रूपा उसके लण्ड पर अपनी चूत भींचे जा रही थी और राजेश के चूतड़ ऊपर की ओर जोर लगा कर पूरा लण्ड अन्दर तक बैठाने की कोशिश में थे।
रूपा राजेश पर पिघले जा रही थी। उसकी चूत फ़डफ़डा रही थी। राजेश ने रूपा के सुडौल स्तन हिलते हुये देखे और उसके हाथ उन्हें थाम कर ऊपर नीचे करके उसे मसलने लगा। रूपा उस पर झुक गई और चूत को आगे पीछे करके राजेश को चोदने लगी। राजेश का शरीर वासना में जलने लगा। वो अपने चूतड़ ऊपर उछाल कर रूपा को चोदने में सहायता करने लगा।
अब रूपा राजेश के शरीर के ऊपर लेट सी गई और आहें भरते हुये चूत को आगे-पीछे करके लण्ड का आनन्द लेने लगी। राजेश ने अतिउत्तेजना में रूपा को कमर से जकड़ लिया और धीरे से उसे अपने नीचे दबोच लिया।
राजेश अब ऊपर था और लण्ड जो कि इस उल्टा पल्टी में बाहर आ गया था, फिर से चूत में सरक गया। अब रूपा की भरपूर चुदने की बारी थी। राजेश के धक्के और झटके चूत पर चालू हो गये थे। और नीचे दबी रूपा आह्… उह्ह… हाय रे… जैसी सीत्कारें निकाल रही थी।
राजेश अपने लण्ड को अपनी तसल्ली के लिये दबा के धक्के मार रहा था। नीचे दबी चुदैल रूपा को ये धक्के बडे प्यारे लग रहे थे। उसके हर जोरदार धक्के पर रूपा के मुँह से आह निकल जाती थी। तभी रूपा को लगा कि उसकी चूत जवाब देने वाली है, उसने अपनी प्यारी चूत को पूरी तरह से झड़ने के लिये तैयार कर ली और आंखें बंद करके अपनी चूत को ढीली छोड़ दी ताकि अच्छी प्रकार से पानी निकल जाये। उसकी चूत अब रस छोड़ने वाली थी और बार बार अन्दर लहरें उठ रही थी। तभी रूपा ने अपनी चूत ऊपर की ओर दबाई और अपना रस छोड़ने लगी।
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ी। उसने राजेश को अपनी बाहों में दबा लिया और लण्ड को चूत में कस लिया। तभी राजेश का वीर्य भी छलक पड़ा। उसकी पिचकारी चूत में समाने लगी और फिर चूत के बाहर रिसने लगा। दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में समाये हुये यूं ही अपना रस निकालने में लगे रहे। उनकी आंखें आनन्द के मारे बंद थी। काफ़ी देर दोनों यों ही दुनिया से बेखबर पड़े रहे।
फ़िर रूपा कुछ अलसाई सी पता नहीं क्या बोली और अपना मोबाईल पर रीना को मिस कॉल कर दिया। राजेश भी उठा और जल्दी से कपड़े पहन कर रूपा को चूमा और घर से बाहर निकल गया। कुछ ही देर में रीना मौसा जी के साथ घर आ गई।
“अरे, वो राजेश नहीँ आया…?” मौसा ने पूछा।
रूपा मुस्करा उठी,”आप जानें … आपका दोस्त है!”
रूपा रीना के कमरे में आ गई थी। दोनों सहेलियाँ कुछ गुपचुप बाते कर रही थी।
“मै सोने जा रहा हूँ… हम दोनों ने खाना बाहर खा लिया है… रूपा तुम भी खा लेना !”
मौसा जी अपने कमरे में जाकर बत्ती बंद करके लेट गये। रूपा भी मौसा जी के पीछे चली गई। रीना ने भी अपने रात को सोने वाले कपड़े पहन लिये या यूँ कहे कि बस एक सामने से खुला हुआ गाऊन डाल लिया और बिस्तर पर लेट गई।
कहानी का अगला भाग: कलयुग की लैला-3 Antarvasna Sex Stories
हाय दोस्तों, मेरा नाम रौनक Antaravsna Stories है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं भी आपको अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ।
मैं एक इंग्लिश की ट्यूशन में पढ़ाता हूँ। मैं 26 साल का एक कुँवारा नौजवान हूँ। मैं दिखने में गोरा और लम्बा हूँ। मैं कुछ समय पहले अपने पड़ोस में रहने वाली दूर के रिश्ते में लगने वाली मौसी की छोटी लड़की, जिसका नाम रानी था, उसके भाई को पढ़ाने मैं हर शाम जाता था। वह अट्ठारह साल की थी और दिखने में ख़ूबसूरत थी, उसकी चूचियाँ अपेक्षाकृत काफी बड़ी थीं, जिन्हें देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और उसे चोदने का भी मन करता था। मैं उसके भाई को पढ़ा कर अक्सर कमरे से बाहर आ जाता और रानी से बातें किया करता था।
मुझे पता ही नहीं चला कि हम दोनों में कब प्यार हो गया और अब हम एक-दूसरे से फोन पर ढेर सारी बातें किया करते थे। रानी से मैं बातें करते हुए कभी उसके हाथ पकड़ लेता तो कभी उसके गले में हाथ डालकर उसकी चूचियाँ छूता, तो कभी उन्हें दबा भी देता था। लेकिन रानी इन सब के लिए कुछ भी नहीं कहती थी और मुस्कुरा देती थी। अक्सर उसकी चूचियों की गोलाईयों को छू कर मेरा मन बेक़ाबू हो उठता था। कभी-कभी मैं उसकी चूचियों को उसके कपड़ों से बाहर निकाल कर देर तक चूसता रहता था, तो कभी उसके कुर्ते में अपना हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही तो कभी अन्दर हाथ डालकर उन्हें दबाता था। कभी तो उसकी चूत में अपनी ऊँगली डालकर रानी की सिसकियाँ निकाल देता था। सच दोस्तों, उन हसीन पलों को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। रानी एक कच्ची कली थी जिसका मैं मज़ा ले रहा था।
एक दिन सुबह जब मैं अपने घर से बाहर किसी काम से बाहर गया था तो मेरे पास रानी का फोन आया और वह कहने लगी कि आज उनके घर पर कोई भी नहीं है और वह नहाने जा रही है। यह सुनकर मेरे मन में रानी के नहाने वाली बात को सुनकर उसकी नंगी तस्वीर नज़र आने लगी और मैं उसे चोदने का विचार बनाने लगा।
मैंने सोचा कि आज मौक़ा है, पता नहीं कब मिले। मैं तुरन्त ही अपने काम को खत्म करके रानी के घर रवाना हो गया। जब मैं रानी के घर पहुँचा तो घर में उसकी सहेली थी। मैंने उससे पूछा कि रानी कहाँ है तो उसने कहा कि वह तो बाथरूम में नहा रही है।
यह सुनकर मेरा लंड और भी तेज़ी से खड़ा हो गया और मन ही मन उसके चोदने के ख्याली पुलाव बनाने लगा। मैंने रानी की सहेली से कहा कि मैं तो घर जा रहा हूँ। यह कह मैं उसके घर से बाहर आ गया और क़रीब पाँच मिनट बाद मैं वापस गया तो रानी की सहेली कमरे में थी और मैं चुपचाप बाथरूम में चला गया। वहाँ मैंने देखा कि रानी बिल्कुल नंगी थी, उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी और उसके चेहरे पर साबुन लगा था।
उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रहीं हों। मैं रानी के पास जाकर साबुन उठाकर उसके गोरे जिस्म पर मलने लगा। रानी घबरा गई और फटाफट अपना मुँह धोते हुए पूछने लगी कि कौन है? तो मैंने बताया कि मैं हूँ तेरा यार.. और आज तुझे असली मज़ा दूँगा।
रानी ने कहा, उसकी सहेली आ जाएगी, तो मैंने कहा कि अगर वह आ गई तो वह भी हमारे साथ इस ज़न्नत का मज़ा ले लेगी। यह कहते हुए मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और होंठों को पागलों की भाँति चूमने लगा। फिर उसकी चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगा। रानी की चूचियाँ दबाने-चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था। अब रानी धीरे-धीरे गरम हो रही थी। उसने अपने ही हाथों से अपनी पैन्टी हटा दी और मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत चटवाने लगी और कहने लगी- “चाटो… आआआहहहहह… आआआहहहह…. शशशस्स्ससस….”
मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था। कभी उसकी जाँघों को चाटता तो कभी उसकी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर करता। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे। वह मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत इस तरह से चटवा रही थी कि मानों उसका बस चले तो मेरा सिर चूत के अन्दर ही डाल दे।
अब मेरा लण्ड भी बाहर आने को तड़प रहा था और अपने बिल में घुसने को बेक़रार था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड रानी के हाथ में दे दिया और चूसने के लिए कहा तो रानी शरमाने लगी।
मैंने उससे कहा- तुम इसे मस्त करोगी तभी ये तुम्हें पूरा-पूरा मज़ा देगा।
तब रानी ने मेरा लण्ड चूसना शुरु किया। थोड़ी ही देर बाद मैंने रानी को फर्श पर लिटाकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। वह दर्द के मारे चिल्ला पड़ी। उसे काफ़ी दर्द हो रहा था। वह लंड निकालने को कहने लगी। लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं उसकी चूचियों को पकड़कर उसके होंठों को चूमने लगा और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड आधे से ज्यादा रानी की चूत के अन्दर चला गया। उसे भी पूरा मज़ा आने लगा।
मैं बीच-बीच में रानी की चूचियाँ भी चूस रहा था। बाद में मैंने रानी को दीवार के सहारे खड़ा करके पीछे से उसकी चूचियाँ पकड़कर उसकी चूत में पीछे से लण्ड डाल दिया। अब मैं उसकी ज़ोरों से चुदाई कर रहा था। इस मस्ती में हम भूल ही गए थे कि उसकी सहेली भी पास वाले कमरे में ही है।
रानी को चोदते हुए मेरे हाथ कभी उसकी चूचियों तो कभी उसकी चूत को सहला देते थे। इस बीच रानी झड़ चुकी थी। मैं भी क़रीब बीस मिनट बाद झड़ गया और अपना सारा माल रानी के मुँह में डाल दिया।
तभी रानी की सहेली की आवाज़ आई कि वह घर जा रही है। यह सुनकर हम दोनों खुशी से झूम उठे। हम दोनों काफी देर तक साथ रहे, नहाया और बाद में उसे अपनी बाँहों में उठाकर कमरे में बिस्तर पर लिटा दिया। वहाँ जाकर रानी मेरे लंड चूसने लगी, तभी मुझे एक ब्लू-फिल्म का एक दृश्य याद आया जिसमें पुरुष अपने लंड को लड़की की चूचियों के बीच की दरार में रखकर उसे आगे-पीछे करता है। मैंने भी ठीक उसकी तरह रानी की चूचियों के बीच में अपना लंड रखकर उसे आगे-पीछे किया और बहुत देर तक उसकी चूचियों से खेलता रहा। उस दिन मैंने रानी को पाँच बार चोदा।
तो दोस्तों, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, अपने विचार मुझे मेल करें। Antaravsna Stories
नमस्कार मित्रो,
सबसे पहले Antarvasna के सभी पाठकों का धन्यवाद जो सभी को मेरी कहानी पसंद आ रही है। मेरी अब तीन रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं :
पहला आनन्दमयी एहसास, सुहागरात और सपनों से हकीकत का सफर !
आप सभी के ढेरों मेल मिल रहे हैं, पढ़ कर और लिखने का मन करता है। नए पाठकों के लिए मेरा परिचय- मेरा नाम बाबा है और अभी मैं 27 साल का नौजवान हूँ। मैं जयपुर, राजस्थान का रहने वाला हूँ।
आज आप सभी के लिए सेक्स से होने वाले फायदे के बारे में अवगत करवा रहा हूँ और आप सभी पाठक अगर मुझसे सहमत हैं तो मुझे अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजें।
सेक्स क्या है? और कैसे होता है इसके बारे में सब के सब जानते हैं, आज छोटे बच्चों को भी इसका ज्ञान होने लगा है पर सेक्स करने से क्या फायदा हो सकता है इसका ज्ञान शायद ही हर किसी को होता है।
सेक्स के बारे में जानने की जिज्ञासा बहुत से लोगों में होती है पर हर कोई सेक्स के बारे में जान नहीं पाता। खासकर महिलाएँ, क्यूंकि वो जानने की इच्छुक तो रहती हैं पर समाज का डर और अपने परिवार की बदनामी का डर उन्हें ये सब जानने के लिए रोक देता है।
बेहतर सेक्स आत्मसम्मान से शुरू होता है और यह आत्मसम्मान को बढ़ाता भी है। जिनके अंदर आत्मसम्मान पहले से ही होता है उन्हें सेक्स के बाद अलग किस्म की खुशी महसूस होती है।
काफी लोग ऐसे हैं जो अच्छा महसूस करने के लिए सेक्स करते हैं। सेक्स शारीरिक और भावनात्माक लाभ भी देता है।
सेक्स करने से पहले खुद को भ्रमित ना करें। सेक्स न केवल आनन्ददायक हैं बल्कि रिश्तों को भी मज़बूत बनाने वाला होता है। सेक्स हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है क्यूंकि सेक्स एक तरह योगा है। अगर सेक्स को सही रूप से किया जाए तो आप शरीर निरोगी काया रहेगा। यही नहीं, सेक्स की गिनती सबसे उपयुक्त व्यायामों में भी की जाती है।
सेक्स अब एक ऐसा विषय हो गया है जिस पर लोग खुलकर बात करने लगे हैं। पहले लोग इस विषय पर बात करने से कतराते थे विशेष तौर पर महिलाएँ, लेकिन अब महिलाएँ भी इस विषय पर खुलकर बात करने लगी हैं।
सेक्स को लेकर अभी भी कई तरह की भ्रांतियाँ फैली हुई है लेकिन असल में सेक्स हर लिहाज से फायदेमंद ही साबित होता है। सेक्स के ऊपर कई तरह के शोध और अध्ययन हो चुके हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि सेक्स फायदेमंद होता है।
दोस्तो, सेक्स किस तरह से हमारे लिए फायदेमंद है यह जानना शायद आपके लिए आश्चर्य भरा हो सकता है।
क्यूंकि जो सेक्स को नहीं समझते कि यह सम्पूर्ण जीवन तथा सम्बन्धों की गुणवत्ता के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है उनके लिए सेक्स परेशानी और घृणा का विषय होता है।
इसलिए सेक्स करने से पहले खुद को सेक्स के लिए तैयार करे और कोशिश करे जानने की सेक्स करने से हमें क्या क्या फायदा हो सकता है पर एक जरूरी बात सेक्स को मजाक के रूप में ना लेकर रिश्तों को मजबूत और खुद के स्वास्थ्य को अच्छा बना सके इस तरह की सोच के साथ सेक्स करे। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !
सेक्स जैसे विषय में हर कोई अपने आप ही जुड़ जाता है और ज्यादातर लोग जताना भी नहीं चाहते हैं। सेक्स को लेकर कई गलतफहमियाँ भी मौजूद हैं। लेकिन असल में सेक्स हर लिहाज से फायदेमंद ही साबित होता है। सेक्स से हेल्थ पर काफी असर पड़ता है। देखते हैं कि सेक्स करने के फायदे क्या हैं !
नियमित सेक्स करने से आपका शरीर तनावपूर्ण दशाओं का बेहतर सामना करने के लिए तैयार होता है। सेक्स रक्तचाप में मस्तिष्क और शरीर का तनाव घटाने में मदद करता है। और आपका ब्लड प्रेशर बढ़ने नहीं देता।
तनाव का सामना करने के लिए सेक्स क्रिया का प्रवेश (योनि में लिंग का प्रवेश) होना ज़रूरी नहीं है। सेक्स के अलावा जैसे आलिंगन और अंतरंग गर्माहट के पल भी बहुत सहयोग देते हैं। सेक्स से आपको रोजमर्रा के जीवन में स्थितियों का बेहतर ढंग से सामना करने में मदद मिलती है।
24 महिलाओं और 22 पुरुषों पर की गई स्टडी में पाया गया कि जो लोग नियमित सेक्स करते रहे, तनाव के प्रति उनका रिस्पॉन्स बेहतर रहा।
सेक्स के दौरान आपके शरीर की सभी मांसपेशियाँ खिंचती और खुलती हैं। सेक्स से मोटापा घटाने में भी मदद मिलती है। सेक्स आपकी अतिरिक्त कैलोरी घटाने में मदद करता है और यह व्यायाम करने का सबसे आनन्ददायक तरीका है।
पूरी क्षमता से की गई एक बार सेक्स क्रिया से उतनी कैलोरी घट जाती है जितनी कैलोरी पन्द्रह मिनटों तक ट्रेड मिल पर ब्रिस्क वॉक करने पर खर्च होगी। आधे घंटे के सेक्स से 85 कैलरीज बर्न होती हैं। हालांकि 85 कैलरीज ज्यादा नजर नहीं आती हैं।
प्यार करने वाले साथी की निकटता और चरमसुख की ओर बढने का आनन्द दोनों मिलकर प्यार के हॉर्मोन ‘ऑक्सीटोसिन’ का स्तर ब्ढ़ा देते हैं जिससे आपसी सम्बन्ध और रिश्ते मजबूत होते हैं।
सेक्स के सही तरीकों से आपके पार्टनर से आपके रिश्तों में मजबूती आती है, इस प्रकार से सेक्स के सही तरीकों से आप न सिर्फ अपने साथी के साथ अपने रिश्तों में मजबूती ला सकते हैं बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ भी रह सकते हैं।
कल्पनाशील बनिए ! शरारती बनिए ! कुछ नया करने की सोचिए ! देखिए आपकी जिंदगी किस तरह से उमंगों से भर जाती है और आपके साथी में आपके लिए कैसी दीवानगी और कैसा जुनून पैदा करती है और आपके रिश्तों में भी मजबूती प्रदान होगी। सेक्स उन्मुक्ति को बढ़ाता है और एक अलग ही आनन्द का अनुभव कराता है।
सेक्स एक योग है अगर सही रूप और सही तरीके से अगर सेक्स किया जाए तो यह एक दवा के रूप में भी असर करता है। सेक्स ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन का स्तर बढ़ाता है जिससे सिरदर्द, जोड़ों के दर्द और यहाँ तक कि मासिकधर्म पूर्व लक्षणों में भी राहत मिलती है।
सेक्स रक्त संचार को कन्ट्रोल करने में मदद करता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर ठीक करता है। सेक्स क्रिया के दौरान हृदय तेज गति से धड़कता है और ज्यादा मात्रा में रक्त को पम्प करता है जिससे रक्त संचार तेज होता है। सप्ताह में दो या तीन बार सेक्स करने से हार्टअटैक से पीड़ित होने का खतरा कम हो जाता है।
अगर आप पारिवारिक समस्या या दफ्तर के तनाव से जूझ रहे हैं तो सेक्स दवा की तरह काम करता है। न केवल यह मूड ठीक करता है बल्कि आपके सही फैसले लेने की क्षमता भी बढ़ाता है।
सेक्स करने के ढ़ेरों फायदे हैं तो आगे से सेक्स को महज़ आनन्द देने वाली क्रिया ही ना समझें बल्कि यह सेहत से सीधे तौर पर जुड़ा मसला है अगर आप जिम जाने में आलस्य महसूस कर रहे हैं और आधे घंटे की ब्रिस्क वॉकिंग से भी बचना चाहते हैं तो सेक्स से बेहतर विकल्प कुछ भी नहीं है।
यौन संबंध बनाने की क्रिया से कमर की चर्बी घटती है। रिसर्च के मुताबिक अंतरंग क्षणों में बिताए आधे घंटे से 80 कैलोरी उर्जा का निकास होता है। एक नए रिसर्च के मुताबिक रोजाना सेक्स सेहत के लिए फायदेमंद है।
हर रोज सेक्स से न केवल नींद अच्छी आती है बल्कि यह तनाव घटाता है और कैलोरी या कहें मोटापा कम करने में मददगार है। रोजाना सेक्स महिलाओं और पुरूषों दोनों की त्वचा को तरोताजा रखने में मदद करता है, झुर्रियाँ कम बनती हैं। त्वचा को प्राकृतिक चमक इससे मिल सकती है।
सेक्स एक तरफ जहाँ वैवाहिक संबंधों को दृढ़ता प्रदान करता है वहीं यह कई बीमारियों को कम करता है। इनमें संक्रमण से होने वाली बीमारियाँ शामिल हैं। निरंतर सेक्स से गठिया, सिर दर्द जैसे अनेको बीमारियों से राहत मिल सकती है।
सेक्स महिलाओं में कैंसर, सिस्टस जैसी बीमारियों के भी खतरे को भी कम करता है। सेक्स महिलाओं की पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत बनाता है क्योंकि इससे पैल्विक मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जिससे महिलाओं में असंयम का जोखिम कम हो जाता है।
खुशहाल सेक्सुल जीवन से तनाव कम होता है और व्यक्ति को खुश रखने में मदद करता है। सेक्स प्रक्रिया से रक्तचाप भी कम होता है, सेक्स से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है। सेक्स हृदय को भी मजबूत बनाता है।
इससे दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना कम होती है। इसलिए एक सप्ताह में दो बार या दो से अधिक बार सेक्स करने से महिलाओं में घातक दिल के दौरे की संभावना कम हो जाती है।
वैसे तो फिट रहने के लिए मॉर्निंग एक्सरसाइज़ के अलावा अगर आप मॉर्निंग सेक्स करें तो आप फिट और फाइन रहेंगे। मॉर्निंग में सेक्स आपको एक स्वस्थ हृदय देता है। वैसे मॉर्निंग सेक्स के और भी कई फायदे हैं, जो आपके स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रख सकता है। त्वचा को प्राकृतिक चमक इससे मिल सकती है।
माइग्रेन के दर्द से छुटकारा मिलता है। मॉर्निंग सेक्स शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है। जोड़ों का दर्द, खासकर आर्थ्राइटिस जैसी समस्या को कम कर सकता है।
सेक्स आपके शरीर से कुछ ऐसे हॉर्मोन्स रिलीज़ करता है, जो बालों को चमकदार और सिल्की बनाता है। सुबह उठने और खुद को एनर्जी से भरपूर रखने का सबसे बढ़िया तरीका यही हैं।
और अधिक जानकारी चाहिए सेक्स के विषय पर तो आप मुझसे मेल करके पूछ सकते हैं, आपको हर तरीके के सेक्स की जानकारी में जरूर उपलब्ध करवाऊँगा।
पर उन पाठकों को मेरी तरफ से एक छोटी सी प्रार्थना है कि कृपा करके मुझे फालतू की मेल ना करें जैसे कि ‘मेरा भी जुगाड़ करवा दो या किसी की दिलवा दो’ ये सब भेज कर आप मेरा समय ना बर्बाद करें, क्यूंकि अभी में भी अपने जीवन में अकेला ही सफर कर रहा हूँ।
हाँ, आपको कुछ भी Antarvasna जानना हो तो जरूर मुझसे सम्पर्क करें, आपको हर तरह की सम्पूर्ण जानकारी देने की जरुर कोशिश रहेगी। धन्यवाद।
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