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हाय दोस्तों, मेरा नाम रौनक Antaravsna Stories है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं भी आपको अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ।
मैं एक इंग्लिश की ट्यूशन में पढ़ाता हूँ। मैं 26 साल का एक कुँवारा नौजवान हूँ। मैं दिखने में गोरा और लम्बा हूँ। मैं कुछ समय पहले अपने पड़ोस में रहने वाली दूर के रिश्ते में लगने वाली मौसी की छोटी लड़की, जिसका नाम रानी था, उसके भाई को पढ़ाने मैं हर शाम जाता था। वह अट्ठारह साल की थी और दिखने में ख़ूबसूरत थी, उसकी चूचियाँ अपेक्षाकृत काफी बड़ी थीं, जिन्हें देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और उसे चोदने का भी मन करता था। मैं उसके भाई को पढ़ा कर अक्सर कमरे से बाहर आ जाता और रानी से बातें किया करता था।
मुझे पता ही नहीं चला कि हम दोनों में कब प्यार हो गया और अब हम एक-दूसरे से फोन पर ढेर सारी बातें किया करते थे। रानी से मैं बातें करते हुए कभी उसके हाथ पकड़ लेता तो कभी उसके गले में हाथ डालकर उसकी चूचियाँ छूता, तो कभी उन्हें दबा भी देता था। लेकिन रानी इन सब के लिए कुछ भी नहीं कहती थी और मुस्कुरा देती थी। अक्सर उसकी चूचियों की गोलाईयों को छू कर मेरा मन बेक़ाबू हो उठता था। कभी-कभी मैं उसकी चूचियों को उसके कपड़ों से बाहर निकाल कर देर तक चूसता रहता था, तो कभी उसके कुर्ते में अपना हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही तो कभी अन्दर हाथ डालकर उन्हें दबाता था। कभी तो उसकी चूत में अपनी ऊँगली डालकर रानी की सिसकियाँ निकाल देता था। सच दोस्तों, उन हसीन पलों को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। रानी एक कच्ची कली थी जिसका मैं मज़ा ले रहा था।
एक दिन सुबह जब मैं अपने घर से बाहर किसी काम से बाहर गया था तो मेरे पास रानी का फोन आया और वह कहने लगी कि आज उनके घर पर कोई भी नहीं है और वह नहाने जा रही है। यह सुनकर मेरे मन में रानी के नहाने वाली बात को सुनकर उसकी नंगी तस्वीर नज़र आने लगी और मैं उसे चोदने का विचार बनाने लगा।
मैंने सोचा कि आज मौक़ा है, पता नहीं कब मिले। मैं तुरन्त ही अपने काम को खत्म करके रानी के घर रवाना हो गया। जब मैं रानी के घर पहुँचा तो घर में उसकी सहेली थी। मैंने उससे पूछा कि रानी कहाँ है तो उसने कहा कि वह तो बाथरूम में नहा रही है।
यह सुनकर मेरा लंड और भी तेज़ी से खड़ा हो गया और मन ही मन उसके चोदने के ख्याली पुलाव बनाने लगा। मैंने रानी की सहेली से कहा कि मैं तो घर जा रहा हूँ। यह कह मैं उसके घर से बाहर आ गया और क़रीब पाँच मिनट बाद मैं वापस गया तो रानी की सहेली कमरे में थी और मैं चुपचाप बाथरूम में चला गया। वहाँ मैंने देखा कि रानी बिल्कुल नंगी थी, उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी और उसके चेहरे पर साबुन लगा था।
उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रहीं हों। मैं रानी के पास जाकर साबुन उठाकर उसके गोरे जिस्म पर मलने लगा। रानी घबरा गई और फटाफट अपना मुँह धोते हुए पूछने लगी कि कौन है? तो मैंने बताया कि मैं हूँ तेरा यार.. और आज तुझे असली मज़ा दूँगा।
रानी ने कहा, उसकी सहेली आ जाएगी, तो मैंने कहा कि अगर वह आ गई तो वह भी हमारे साथ इस ज़न्नत का मज़ा ले लेगी। यह कहते हुए मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और होंठों को पागलों की भाँति चूमने लगा। फिर उसकी चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगा। रानी की चूचियाँ दबाने-चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था। अब रानी धीरे-धीरे गरम हो रही थी। उसने अपने ही हाथों से अपनी पैन्टी हटा दी और मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत चटवाने लगी और कहने लगी- “चाटो… आआआहहहहह… आआआहहहह…. शशशस्स्ससस….”
मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था। कभी उसकी जाँघों को चाटता तो कभी उसकी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर करता। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे। वह मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत इस तरह से चटवा रही थी कि मानों उसका बस चले तो मेरा सिर चूत के अन्दर ही डाल दे।
अब मेरा लण्ड भी बाहर आने को तड़प रहा था और अपने बिल में घुसने को बेक़रार था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड रानी के हाथ में दे दिया और चूसने के लिए कहा तो रानी शरमाने लगी।
मैंने उससे कहा- तुम इसे मस्त करोगी तभी ये तुम्हें पूरा-पूरा मज़ा देगा।
तब रानी ने मेरा लण्ड चूसना शुरु किया। थोड़ी ही देर बाद मैंने रानी को फर्श पर लिटाकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। वह दर्द के मारे चिल्ला पड़ी। उसे काफ़ी दर्द हो रहा था। वह लंड निकालने को कहने लगी। लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं उसकी चूचियों को पकड़कर उसके होंठों को चूमने लगा और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड आधे से ज्यादा रानी की चूत के अन्दर चला गया। उसे भी पूरा मज़ा आने लगा।
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तभी रानी की सहेली की आवाज़ आई कि वह घर जा रही है। यह सुनकर हम दोनों खुशी से झूम उठे। हम दोनों काफी देर तक साथ रहे, नहाया और बाद में उसे अपनी बाँहों में उठाकर कमरे में बिस्तर पर लिटा दिया। वहाँ जाकर रानी मेरे लंड चूसने लगी, तभी मुझे एक ब्लू-फिल्म का एक दृश्य याद आया जिसमें पुरुष अपने लंड को लड़की की चूचियों के बीच की दरार में रखकर उसे आगे-पीछे करता है। मैंने भी ठीक उसकी तरह रानी की चूचियों के बीच में अपना लंड रखकर उसे आगे-पीछे किया और बहुत देर तक उसकी चूचियों से खेलता रहा। उस दिन मैंने रानी को पाँच बार चोदा।
तो दोस्तों, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, अपने विचार मुझे मेल करें। Antaravsna Stories
मैं संजू जगदलपुर, बस्तर, छत्तीसगढ का Sex stories रहने वाला हूं। मैं कुछ माह से या कहें कि साल भर से शहर में नहीं हूं, इसलिये मैं अपने साथ बीते कुछ हसीन पल आप लोगों के समक्ष नहीं रख पा रहा था। मगर इस बीच मैंने दूसरे शहर में खूब मज़ा लिया। हर दूसरे तीसरे दिन कोई ना कोई नया माल मिल जाता था, जिसकी मैं जम कर चुदाई करता था।
मगर मेरे शहर में जो भाभी मेरे लन्ड का सपना देख रही थी, उससे मैं वाकिफ़ नहीं था। आज से १७ दिन पूर्व में ९ माह १० दिन तथा १२ घण्टे पूरे कर जब मैं जगदलपुर अपने घर पहुंचा तो मेरे पड़ोस में रहने वाली रजनी भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी। मैं भी उनकी खुशी के लिये थोड़ा मुस्कुराया।
अगले दिन सुबह जब घर के बाहर ब्रश कर रहा था तो वो मुझे देख देख कर मुस्कुराने लगी। मैं रजनी भाभी को कभी उस नज़र से नहीं देखता था। मगर मैं एक नम्बर का चोदरा तो जरूर हूं। न जाने ९ महीने बाद भाभी ने मुझ में ऐसा क्या देख लिया। लम्बी छुटटी के बाद मैं सुबह १० बजे आफ़िस के लिए निकला। महज १६० मीटर की दूरी पर रजनी भाभी का घर है। उन्होने मुझे रोका और कहा कि अब तक कहां थे? मैंने बताया कि भाभी मैं टरेनिंग पर था। भाभी ने कहा- ठीक है। लम्बा समय बाहर बिता कर आ रहे हो, किसी दिन खाने पर आओ। मैंने हामी भर दी मगर ये नहीं कहा कि कब। एक सप्ताह बीत गया, रोज जब मैं सुबह ब्रश करता, वो मुझे खिड़की से देख देख कर मुस्कुराती। चूंकि मेरी आदत है कि ब्रश मैं घर के बाहर ही करता हूं। मेरे जहन में यह सवाल उठता था कि वो क्यों मुस्कुराती है जबकि मैं उसे उस नज़र से नहीं देखता।
रविवार का दिन था। मैं तैयार हो कर आफ़िस के लिए निकला। रजनी भाभी मुझे देख कर अपने घर के मेन गेट के सामने खड़ी हो गई और मुझे आवाज़ देकर बुला कर खाने पर आने को कहा। मैने जवाब दिया कि भाभी मैं कुछ काम पूरा कर के आता हूं।
लगभग ११:३० बजे होंगे जब मैं भाभी के घर पहुंचा। भाभी गेट पर ही खड़ी थी और उन्होने मुझे अन्दर चलने को कहा। मैने चलते चलते भाभी से पूछा कि घर में कौन कौन है, तो भाभी भावुक होकर बोली कि घर में कोई नहीं है हम दोनो को छोड़ कर।
फ़िर भाभी ने अपना फ़िगर दिखाना शुरू किया तो मैं उत्तेजित हो गया और बिना दरवाजा बंद किए भाभी के बूब्स मसलने लगा। काफ़ी बड़े बड़े बूब्स हैं उनके। उसके बाद से तो मैं उन पर टूट पड़ा। जिस महिला को कभी उस नज़र से नहीं देखा था, वो इतनी सेक्सी होगी, मुझे मालूम नहीं था। कुछ देर बाद हम शांत हुए और दरवाजा बंद करके उनके बेडरूम में चले गये। वहां भाभी ने बताया कि उनके पति दो हफ़्ते के लिए बाहर गए हैं और मेरा लन्ड लेने की उनकी इच्छा कब से है।
खैर उस दिन भाभी के बेडरूम में जाने के बाद खाना खाने की भूख तो नहीं लगी, जिस्म की ही भूख ज्यादा थी तब।
भाभी अपने आप पूरी तरह नंगी हो गई, मैं कपड़े पहने था। मैं कुछ जल्दी में था तो फ़टाफ़ट अपने कपरे उतार कर भाभी की जम कर चुदाई की और निकल गया वहां से। उसके बाद मेरा रास्ता हमेशा के लिए खुल गया और अकसर हम मज़ा करते हैं कभी दिन तो कभी रात को। आगे की कहानी फ़िर कभी। Sex stories
वह मेरे दूसरे चुचूक Hindi Sex को अपने हाथ के नाखून से जोर जोर से कुरेद रही थी। एक तो चुचूक चूसे जाने की मस्ती दूसरा चुचूक कुरेदे जाने की वजह से होता दर्द ! इससे मैं तो स्वर्ग में पहुँच गया था। इस बेइंताह मस्ती के कारण मेरे मुँह से आह ओह की आवाज निकल रही थी। मैंने अपने हाथ उसकी पीठ और एक बाँह पर रख रखा था। एक हाथ से उसकी बाँह मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी पीठ और कमर पर फेर रहा था।
वो करीब 3-4 मिनट तक ऐसे ही करती रही। फिर रीमा बायाँ चुचूक छोड़ कर दायाँ चुचूक चूसने लगी और बाएँ चुचूक को नाखून से कुरेदने लगी।
दूसरे चुचूक को अच्छी तरह से चूसने के बाद ही उसने मेरे को छोड़ा। फिर मेरी ओर देख कर आँखो में आँखे डाल कर पूछा- कैसा लगा बेटा माँ का तुम्हारा चुचूक चूसना?
मैं बोला- क्या बताँऊ माँ ! बस इतना कह सकता हूँ कि तुम्हारे इस बेटे को तुमसे बहुत कुछ सीखना है। सीखाओगी ना माँ अपने इस अनाड़ी बेटे को?
रीमा बोली- जरूर बेटा, आखिर माँ होती किस लिये है। माँ का तो यह कर्तव्य है कि उसके बेटे की शादी से पहले उसे सेक्स की पूरी शिक्षा दे, प्रेक्टिकल के साथ जिससे कि उसकी पत्नी सुहागरात को यह ना कह सके कि उसकी माँ ने उसको कुछ भी नहीं सिखाया।
उसके मुँह से यह बात सुन कर मैं बोला- माँ, तुम्हारे विचार कितने उत्तम हैं। अगर तुम जैसी सबकी माँ हो तो किसी भी बेटे को रंडी के पास जाने की जरूरत ही नहीं।
सुन कर उसने मेरे होंठों को चूम लिया और बोली- तुम बिल्कुल मेरे बेटे कहलाने के लायक हो। चलो मैं अब तुम्हारा लंड पैन्ट से बाहर निकाल देती हूँ। यह भी मुझको गाली दे रहा होगा कि बात तो लंड को बाहर निकालने की कर रही थी और चुचूक को मजा देने लगी। कह रहा होगा कितनी निर्दयी है तुम्हारी माँ।
नहीं माँ, मेरा लंड तो बहुत खुश है कि मेरी माँ तुम हो। वह तो कह रहा है कि जिस तरह से तुम मेरी माँ हो, तुम्हारी चूत उसकी माँ हुई और जब तुम इतनी मस्त हो तो उसकी माँ और भी मस्त होगी । वो भी अपनी माँ से मिलने और उसकी बाँहों में जाने के लिये बेचैन है।
रीमा बोली- उसके लिये तो उसको थोडा इंतजार करना पड़ेगा। पहले मैं अपने बेटे को और उसके लंड को तो जी भर के प्यार कर लूँ और अपने बेटे से अपने आप को और लंड की माँ को प्यार करा लूँ, तब कहीं जाकर वो अपनी माँ से मिल सकता है ! समझे?
मैंने कहा- हाँ माँ, तुम ठीक कह रही हो।
इतना कह कर रीमा ने मेरी पैन्ट खोलनी शुरु कर दी। जब रीम मेरी पैन्ट खोल रही थी तो उसकी नजर मेरी तरफ थी। वह मेरी तरफ देख कर मन्द मन्द मुस्कुरा रही थी। सबसे पहले उसने मेरी बेल्ट को निकाल कर फेंक दिया, फ़िर मेरी पैन्ट का बटन खोलने लगी। बटन ओर चैन खोल कर उसने कमर से पकड़ कर एक ही झटके में मेरी पैन्ट नीचे कर दी और साथ में खुद भी नीचे बैठ गई। मैंने भी अपने पैर उठा कर पैन्ट निकालने में उसकी मदद की।
उसने पैन्ट निकाल कर उसको भी एक कोने में फेंक दिया। मैंने अन्डरवीयर पहन रखा था। रीमा का मुँह बिल्कुल मेरे लंड के सामने था। मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था जो कि मेरे अन्डरवीयर के उभार से पता चल रहा था। उसने मेरी तरफ़ देखा और अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपने होठों पर फिराने लगी जैसे कोई बहुत ही स्वादिष्ठ चीज देख ली हो।
और फिर एक दम से आगे बढ़ कर मेरे लंड को अन्डरवीयर के ऊपर से चूमने लगी। अन्डरवीयर की इलास्टिक से लेकर नीचे जाँघो के जोड़ तक।
फिर रीमा ने मेरे अन्डरवीयर की को कमर से पकड़ कर एक ही झटके में खींच कर उतार दिया।
मेरा लंड उत्तेजना के कारण मस्त होकर बुरी तरह से खड़ा हो गया था। जैसे ही रीमा ने मेरा अन्डरवीयर उतारा, मेरा लंड उसके मुँह के सामने एक लम्बे साँप की तरह फुँफ़कार मारते हुए नाचने लगा। मेरा लंड देख कर रीमा बोली- हाय रे ! इतना बडा लंड है मेरे बेटे का ?
फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने कोमल हाथो में पकड़ा, मुझे ऐसा लगा 440 वोल्ट का करंट लगा हो। मेरे लंड का यह हाल तब था जबकि उसने अभी तक एक भी कपड़ा अपने बदन से नहीं उतारा था।
मैं सोचने लगा कि जब मैं उसको नंगा देखूंगा तो मेरा क्या हाल होगा।
रीमा मेरे लंड को अपनी एक हथेली में रख कर दूसरे हाथ से उसको सहला रही थी जैसे किसी बच्चे को प्यार से पुचकारते हैं। थोड़ी देर तक इसी तरह मेरे लंड को पुचकारने के बाद रीमा उठ कर खड़ी हो गई और बोली- लो निकाल दिया मैंने तुम्हारे लंड को बाहर। अब हम चल कर बैठते हैं और थोड़ी प्यार भरी बातें करते हैं।
फिर मैं सोफे पर बैठ गया और रीमा से बोला- आओ माँ, मेरी गोदी में बैठ जाओ।
हम लोग जब चैट किया करते थे तब भी सबसे पहले मैं रीमा को अपनी गोदी में बिठा लेता था। रीमा थोड़ी सी मुस्कुराई और आकर मेरी गोदी में बैठ गई।
रीमा इस तरह से मेरी गोदी में बैठी थी कि मेरा लंड उसकी गाँड की दरार में फंसा था, जैसा कि मुझको मेरे लंड पर महसूस हो रहा था। उसने अपनी पीठ मेरे कंधे से लगा ली थी और अपनी गोरी दाईं बाँह मेरे गले के पीछे से निकाल कर दूसरे हाथ से पकड़ ली और मैंने पीछे से अपने हाथ उसके कमर में डाल कर उसके नंगे पेट को पकड़ लिया। उसके इस तरह से बैठने के कारण उसकी भारी भरकम चूचियाँ मेरे मुँह के सामने आ गई। साथ ही साथ उसके मस्ताने चूतड़ों का दवाब मेरे लंड पर पड़ रहा था। मैं अपने आपको बडा ही खुशकिस्मत समझ रहा था कि इतनी मस्तानी औरत मेरी गोद में बैठी थी।
मेरी नजर उसकी बड़ी-बड़ी गोलाइयों की तरफ़ थी। चूचियों के बीच की दरार ऐसी थी जैसे कि निमंत्रण दे रही हो कि आओ और घुसा दो अपना मुँह इस खाई के अन्दर।
फिर रीमा ने पूछा- अब बताओ बेटा, कैसी लगी तुमको अपनी यह बेशर्म माँ?
मैंने कहा- बहुत ही मस्तानी, सेक्सी, महा-चुदक्कड़ चुदासी और रस से भरपूर !
इस पर रीमा मुस्कुरा दी और बोली- ऐसे शब्द कोई भी औरत किसी मर्द से अपने बारे में सुने तो बस निहाल हो जाये और तुमने तो ये सब मेरे लिये कहा, अपनी माँ के लिये, सुनकर मेरा दिल गदगद हो गया। इसका मतलब है की मैं तुमको रिझाने में सफ़ल रही।
तुमने मुझको बताया था कि तुम्हारी उम्र 48 साल है पर देखने से तुम उससे दस साल छोटी दिखती हो।
यह तो तुम्हारी मुझे देखने की नजर है बेटा ! नहीं तो उम्र तो मेरी 48 ही है। लेकिन तुम्हारे मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मुझे बड़ा अच्छा लगा।
फिर मैं बोला- माँ, तुमसे एक बात पूछना चाहता हूँ।
रीमा बोली- पूछो !
मैं जब से आया हूँ, मैंने गौर किया है कि तुम्हारा ब्लाउज़ काफी तंग है, जिसकी वजह से तुम्हारी चूचियाँ ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने को तैयार हैं। लगता है कि एक हफ़्ते मुम्बई में रह कर चूचियाँ मसलवाने से बड़ी हो गई हैं जिसकी वजह से तुम्हारा ब्लाउज़ छोटा हो गया है।
मेरी बात सुनकर रीमा खिलखिला कर हँस पड़ी और बोली- नहीं बेटा ! ब्लाउज़ तो मेरा एक दम नया है। मुम्बई आने से पहले सिलवाया है। मैंने जानबूझ कर एक इन्च छोटा बनवाया था जिससे मैं इसे तुमको रिझाने के लिये इस्तमाल कर सकूँ। जिससे मेरी चूचियाँ और भी बड़ी-बड़ी लगें। मुझे पता है कि तुमको ब्लाउज़ में से झाँकती चूचियाँ कितनी पंसन्द हैं। इसीलिये गले का कट भी थोड़ा ज्यादा रखा है। इस ब्लाउज़ को पहन कर मैं बाहर तो जा ही नहीं सकती, नहीं तो लोग मेरा सड़क पर ही देह शोषण कर देंगे। यह तो खास ब्लाउज़ है जो मैंने अपने बेटे के मस्ती बढ़ाने के लिये बनवाया है।
ओह माँ ! तुम अपने बेटे का कितना ख्याल रखती हो !
रीमा ने कहा- अगर माँ अपने बेटे का ख्याल नही रखेगी तो कौन रखेगा।
फिर मैंने कहा- कि तुम ठीक कह रही हो माँ। मैंने तुम्हारे काँख के बाल भी देखे, ऐसा लग रहा है कि जैसा तुम एक महीने पहले छोटे कराने को कह रही थी पर तुमने छोटे किये नहीं।
रीमा बोली- बेटा, मैं छोटे करना तो चाहती थी पर 2-3 दिन मेरे बॉस के कुछ कलाइन्ट आ रहे थे, तो मुझे उनको खुश करना था। इसलिये काट नहीं पाई, फिर मेरे बॉस ने बोला कि मुम्बई जाने का प्रोगाम बन सकता है, तो मैंने सोचा कि फिर तुमसे भी मिलना हो सकता है तो क्यों ना और बढ़ा लूँ। वैसे भी तुमको मेरे काँख के बाल बहुत पसन्द हैं और इतने बड़े बाल देख कर तो तुम बहुत खुश होगे।
हाँ माँ ! मैं बहुत ही खुश हूँ कि तुमने बाल नहीं काटे। माँ तुम्हारे होंठ भी बडे सुन्दर हैं, तुमने कभी बताया नहीं कि तुम्हारे होंठ बड़े-बड़े और इतने उभारदार हैं। मुझको इस तरह के होंठ बहुत पसन्द हैं। रीमा बोली- मैं सोचती थी कि सब मर्दों को पतले होंठ पसन्द होते हैं। अगर मैं तुम को बता दूंगी तो शायद तुम मुझसे बात करना पंसन्द करो या नहीं। तुम जैसे बेटे कहाँ मिलते हैं। मैं तुमको खोना नहीं चाहती थी इसलिये नहीं बताया।
मैंने पूछा- यह भी तो हो सकता था कि मैं यहाँ आकर तुम्हारे होंठ पसन्द नहीं करता और चला जाता।
रीमा ने कहा- मुझे उसका थोड़ा सा डर था इसलिये ही मैंने तुमको लुभाने के लिये कसा हुआ ब्लाउज़ बनवाया था। तुमको बुरा लगा क्या बेटा ? आई एम सॉरी बेटा।
ऐसा कह कर उसने अपनी आँखे नीची कर ली और उसका चेहरा उदास हो गया।
मैंने कहा- माँ, इसमें इतना उदास होने की बात क्या है। तुमको तो खुश होना चाहिये कि मुझे तुम्हारे होंठ पसन्द आये।
उसने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुरा दी और मुझको गले से लगा लिया और बोली- बेटा, तुम्हारी माँ अपनी असली जिन्दगी में चाहे जितनी भी बड़ी रंडी हो, पर तुमको बहुत प्यार करती है। मेरे अपना तो कोई बेटा है नहीं, लेकिन मैंने तुमको ही अपना बेटा माना है। अपनी माँ से कभी भी नफ़रत मत करना बेटा।
नहीं माँ ! कभी नहीं !
कह कर मैंने भी रीमा को अपनी बाँहो में जकड़ लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।
अब तक मैं यही सोच रहा था कि हम दोनों के बीच सिर्फ वासना का रिश्ता पनप रहा है। लेकिन मुझे आज पता चला कि चाहे हम दोनों एक दूसरे के पास वासना कि वजह से आये हों पर रीमा सच में मुझे एक बेटे की तरह प्यार करने लगी थी और असली जिन्दगी में वह बहुत ही अकेली थी। अकेली होने की वजह से ही शायद इस समाज से लड़ने के लिये वो अपने बॉस की रंडी बनी हुई थी। मैंने भी सोच लिया था कि इन चार दिन में उसको इतना प्यार दूंगा कि वो इन दिनों को कभी भी नहीं भूल पायेगी।
फिर रीमा पहले की तरह बैठ गई और बोली- मैं भी क्या बात ले कर बैठ गई ! तुमको मेरे होंठ पसन्द आये, मैं बहुत खुश हूँ। और बताओ मेरे शरीर में और क्या क्या तुमको अच्छा लगता है।
मैंने कहा- माँ, मुझे तुम ऊपर बालों से लेकर पैरों तक पूरी की पूरी अच्छी लगती हो।
रीमा बोली- तो फिर बताओ हर अंग के बारे में ! तुम्हारे मुँह से मुझको अपनी तारीफ अच्छी लग रही है।
तुम्हारी ये गोरी गोरी माँसल बाँहे मुझे अच्छी लगती हैं ! इतना कह कर मैंने उसकी बाँहो हो कोहनी के ऊपर से चूम लिया। ऐसा ही मैंने दूसरी बाँह के साथ भी किया।
मुझे तुम्हारी ये बड़ी-बड़ी आँखें अच्छी लगती है, कितनी गहरी हैं और इन आँखो में मेरे लिये प्यार और वासना झलकती है। माँ के प्यार के साथ छुपी हुई एक अधेड़ उम्र की औरत की वासना इनको और भी रहस्यमयी बना देती है और मेरा मन करता है कि इनको प्यार करूँ।
रीमा ने कहा- तो कर लो प्यार ! कौन मना कर रहा है।
यह कह उसने अपनी आँखें बंद कर ली। फिर मैंने पहले दाईं आँख पर चूमा फिर बाईं आँख पर।
और फिर रीमा ने अपनी आँखें खोली और मेरे गाल पर चूम लिया और बोली- तुम बहुत ही प्यार बेटे हो।
फिर मैंने कहा- मुझे तुम्हारा यह नंगा पेट भी अच्छा लगा क्योंकि तुमने साड़ी नाभि के नीचे पहनी है और तुम्हारी बड़ी गहरी नाभि दिखाई दे रही है जो मेरी मस्ती को और भी बढ़ा रही है और मेरा लंड तुम्हारी गाँड के बीच में फंसा तड़प रहा है जैसे मछली पानी के बाहर तड़पती है।
इस पर रीमा ने कहा- ओह मेरे प्यारे बेटे, मैं तुम्हारे लंड को इस तरह से तड़पाना तो नहीं चाहती पर क्या करूँ अभी उसके मजा लेने का वक्त आया नहीं है। उसे तो अभी तड़पना होगा मेरे लिये क्योंकि मेरे को तो अभी अभी ही थोड़ा-थोड़ा मजा आना शुरू हुआ है। लेकिन अगर तुम कहोगे तो मैं तुम्हारे लंड को तड़पाउँगी नहीं। लेकिन अगर तुम मेरे कहे अनुसार चलोगे तो मैं तुमसे वादा करती हूँ कि तुमको बहुत मजा आयेगा।
मैंने कहा- माँ तुमको वादा करने की जरुरत ही नहीं है, मुझको पता है कि तुम मुझको बहुत मजा दोगी और मुझे उस में कोई शक नहीं है।
मेरी बात सुनकर वो बहुत खुश हुई और बोली- मुझे खुशी है कि तुम इस बात को समझते हो कि जल्दबाजी से ज्यादा मजा देर तक धीरे धीरे प्यार करने में आता है। चलो शुरू हो जाओ फिर से।
मैं धीरे से मुस्कुराया और बोला- मुझे तुम्हारा इस तरह बेशर्मी से गंदी गंदी बातें करना भी अच्छा लगता है।
इस पर रीमा ने कहा- मेरे बेटे, ये बातें गंदी कहाँ हैं, ये तो दुनिया की सबसे अच्छी बातें हैं। अगर दुनिया में सब लोग सबकुछ भूल कर सिर्फ सेक्स की बात करें तो यह दुनिया कितनी सुखी हो जाये।
पर बेटा तुम चिन्ता मत करो, तुम्हारी यह माँ तुमको बेशर्म बनना सिखा देगी। तब तुम भी ऐसी ही गंदी गंदी बातें कर सकते हो।
माँ, मुझे चुदाई करते वक्त गलियाँ देना और सुनना पंसन्द है।
रीमा बोली- बेटा, यह तो बहुत ही अच्छी बात है क्योंकि गालियाँ तो मस्ती में हम उसी को देते हैं जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। जितनी बड़ी और गंदी गाली, उतना ही ज्यादा प्यार झलकता है। समझ गया रंडी की औलाद?
उसके मुँह से गाली सुन कर मेरे लंड को एक झटका सा लगा जोकि उसकी चूतड़ों की दरार के बीच फंसा हुआ था।
क्रमशः… Hindi Sex
मेरा नाम राम सिंह, उम्र Hindi Sex Stories चब्बीस साल, मुंबई में रहता हूँ। अमिं अन्तर्वासना पर नियमित रूप से कहानियाँ पढ़ता हूँ।
अब मैं आपको अपनी एक कहानी सुनाता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं इन्ज़िनियरिंग कर रहा था। मेरे एक दोस्त ने मुझे काल-बॉय सेवा के बारे में बताया और कहा- इसमें आमदनी भी अच्छी है और मज़ा भी है। तो पैसे के लिए मैं भी यह काम करने को तैयार हो गया और मेरे दोस्त ने मेरा सम्पर्क ऐसे किसी आदमी से करा दिया जो इस तरह का काम करता था।
एक दिन उसने मुझे एक महिला से मिलवाया। उस औरत का नाम रुबी था, वो लगभग ३३ साल की होगी पर उसका फ़ीगर मस्त था। उसके कपड़े देख कर लग रहा था कि वो बहुत अमीर है।
उस औरत ने मुझे एक होटल में मिलने को कहा। जब मैं वहाँ पहुँचा तो वो मेरा इन्तज़ार कर रही थी। हम दोनों होटल के कमरे में गए। उसने मेरा नाम पूछा और साथ ही यह भी पूछा- तुमने कभी चुदाई की है?
मैंने कहा- किया है पर आपकी उम्र की स्त्री के साथ नहीं। तब उसने मुझे मेरा लण्ड दिखाने को कहा और देख कर कहा कि यह तो बहुत ही लम्बा है, मेरे पति का तो इतना नहीं है। यह सुन कर मेरा थोड़ा आत्मविश्वास जागा और मैंने उसको बोला- कुछ घण्टे के लिए मैं आपका गुलाम हूँ और आपकी खिदमत के लिए आया हूँ, अगर आप मेरी बात मानती हैं और मेरे तरीके से चुदाई करवाती हैं तो आपको बड़ा मज़ा आएगा।
वो मैडम मान गई और मैंने अपना काम शुरू कर दिया। सबसे पहले मैंने उसके होंठों को चूमा दस मिनट तक। उसको बड़ा मज़ा आया। फ़िर मैंने उसके स्तनों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना शुरू किया तो वो आहऽ ह ऊहऽऽई करने लगी। फिर मैं धीरे धीरे उसके कट्स में किस करने लगा उसको बड़ा मजा आने लगा।
उसने कहा- तुम तो बड़े एक्सपर्ट हो !
तो मैंने उसको कहा- आपका सेवक हूँ !
फिर मैं अपने कम में लग गया और मैंने धीरे से उसके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए। अब वो कसमसाने लगी, फिर मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। उसके बूब्स देख कर मैं हैरान रह गया। क्या मस्त बूब्स थे ! मजा आ गया !
अब एक स्तन को मैंने मुंह में रखा और दूसरे को हाथ से दबा रहा था, उसे बहुत मजा आ रहा था, वो बोल रही थी- और दबाओ ! और चूसो !
मैंने और जोर से दबाना चालू कर दिया। अब मैंने धीरे से एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। उसकी पैंटी उसके चूत के रस से भीगी थी। तब मैंने उसकी साड़ी भी खोल दी और उसकी पैंटी को भी निकाल दिया।
अब वो पूरी नंगी हो गई थी। मैं उसकी बूर में २ मिनट तक नीचे से ऊपर तक जीभ फिराता रहा। उसने बोला- ऐसे मत करो, नहीं तो मैं लीक हो जाऊँगी।
तो मैंने उसको कहा- यह तो पहली बार है, अभी तो मैं आपको कितनी बार लीक करूँगा। मैंने जीभ हिलाना चालू रखा और वो सचमुच लीक हो गई।
मैंने उसकी क्लिट को चूसना करना शुरू किया तो १० मिनट में ही फिर से वो सिसकियाँ लेने लगी और मुझे कहा- जल्दी से चुदाई करो ! मैं इंतजार नहीं कर सकती !
मैंने कहा- अभी तो शुरू ही किया है, और तुम बोलती हो कि चोदो !
मैंने फिर जीभ उसकी बूर में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा तो उसे मजा आने लगा। ऐसे मैंने ५ मिनट तक किया तो उसने कहा- मुझे कब तक तड़पाओगे? अब तो करो !
मैंने कहा- रुकिए मैडम ! अभी और मज़ा आएगा !
मैं उसके स्तन चूसने लगा और एक उंगली उसकी बुर में अन्दर बाहर करने लगा।
वाह डार्लिंग ! मज़ा आ रहा है।
थोड़ा ऐसे करने के बाद मैंने दो उंग्लियाँ उसकी बुर में डाल दी। उसे बड़ा मज़ा आया।
अब मेरा लण्ड भी काबू से बाहर होने लगा था तो मैंने अपने लण्ड को मैडम की बुर के सामने रखा और धीरे से घुसा दिया। उसने आह! किया और कहा- कितना बड़ा है तुम्हारा लण्ड ! प्लीज़ धीरे से करो !
तब मैंने धीरे से धक्का मारा तो पूरा अन्दर चला गया और फ़िर मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा। ८-१० धक्कों के बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी कमर उठा कर मदद करने लगी। मेरे करने के बीच वो दो बार लीक हो गई और जब मैं लीक होने वाला था तो उसने कहा- अन्दर लीक मत होना ! मेरे मुंह पर करना !
तब मैंने उसके मुंह पर लीक किया, उसे बड़ा मज़ा आया। फ़िर हम दोनों ने थोड़ी देर बेड पर आराम किया।
फ़िर मैंने कहा- यह तो पहली पारी थी, अब दूसरी पारी शुरु करते हैं।
वो मुझसे ही पूछने लगी- तुम ही बताओ कैसे शुरू करें?
तब मैंने कहा- तुम मेरा लण्ड चूसो और मैं आपकी चूसता हूँ।
हम दोनों ६९ होकर एक दूसरे को मुख-मैथुन सुख प्रदान करने लगे। फ़िर हमने एक बार और सम्भोग किया और फ़िर बाथरूम में फ़्रेश होकर कपड़े पहने। जब हम होटल से जा रहे थे तो उसने मुझे दस हज़ार रुपए दिए। मैंने मैडम को धन्यवाद दिया और हम अपने अपने रास्ते चले गए।
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कमलिनी का Antarvasna महीना हुए चार दिन हो चुके थे और मैं उसको चोदने की योजना बना रहा था। शाम के समय मैं अपने कमरे में चाय पी रहा था तो मैंने देखा कि कमलिनी अपने छज्जे पर खड़ी होकर सड़क का नज़ारा देख रही है, मुझसे नज़र मिली तो हलके से मुस्कुरा दी। मुझसे चुदवाने के बाद आज पहली बार सामना हुआ था, मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और कमलिनी का नम्बर डायल कर दिया। घंटी बजने पर उसने अपना मोबाइल देखा, फ़िर मुझे देखा तो मुस्कुरा कर फ़ोन काट दिया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई। मैंने हाल चाल पूछा तो बोली- ठीक है !
मैंने पूछा- आज रात को आओगी?
तो शरमाकर बोली- नहीं ! मैंने कहा- मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।
रात को लगभग १२ बजे मेरे मोबाइल पर मिस्ड-कॉल आई, देखा तो कमलिनी की थी। मैंने कॉलबैक किया तो बोली- क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- तुम्हारा इंतज़ार !
तो बोली- अभी आ रही हूँ ! ५ मिनट बाद कमलिनी मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसके बदन पर हाथ फेरा तो पाया कि उसने सिर्फ़ गाउन पहना हुआ था। गाउन के अन्दर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मैं समझ गया कि छोरी चुदवाने की पूरी तैयारी कर के आई है।
दीवान के पास आकर उसका एक पैर मैंने दीवान पर रख दिया और उसका गाउन कमर तक उठा दिया। अपना लोअर मैंने उतार दिया और लंड उसकी चूत पर रखना चाहा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। अपनी झांटें साफ़ करके उसने चूत की सुन्दरता को चार चाँद लगा दिए थे। मैंने चोदने का इरादा फिलहाल छोड़ा और उसकी चूत चाटने लगा। उसने भी पोजीशन बदली और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। १० मिनट तक मुख-मैथुन का मज़ा लेने के बाद मैंने अपने लंड पर कंडोम चढाया और उसकी चूत में डाल दिया।
जमकर चोदने के बाद जब मैंने उसकी चूत में डिस्चार्ज किया तो मैं ख़ुद को जन्नत में महसूस कर कर रहा था। अब हमारी चुदाई की गाड़ी पटरी पर हौले हौले चल रही थी, दूसरे तीसरे दिन वह मुझसे चुदवा लेती थी, इतना मेरे लिए भी काफ़ी था और उसके लिए भी।
अब हमारी कहानी में एक तीसरा पात्र आ गया। मेरी पत्नी की एक ममेरी बहन श्वेता इसी शहर में रहती थी। एक दिन लगभग ११ बजे मैं ऑफिस में था कि मेरी पत्नी का फ़ोन आया कि वह श्वेता के घर जाना चाहती है।
मैंने कहा- चली जाओ !
तो बोली- मैंने खाना बना दिया है और चाभी रागिनी भाभी को दे दी है, शाम को ४-५ बजे तक आ जाऊंगी।
मैंने कहा- ठीक है।
दोपहर को १ बजे मैं लंच करने घर आया, घंटी बजाई तो रागिनी भाभी बोलीं- चाभी लेकर आ रही हूँ।
उन्होंने मुझे चाभी दी, मैंने ताला खोला और वो भी अन्दर आ गई, उनके घर में भी कोई नहीं था, डॉक्टर साहब क्लीनिक और लड़कियां कॉलेज गई थीं। अन्दर आकर बोलीं- रेखा दाल सब्जी बनाकर गई है और मुझसे कह रही थी कि रोटी मैं सेंक दूँ।
रागिनी का गदराया हुआ बदन और एकांत मेरे लंड को खड़ा कर चुके थे और मैंने उनको चोदने की ठान ली थी।
मैंने कहा- भाभी आप कुछ देर बैठिये, मैं नहा लूँ, फ़िर खाना खाऊँगा।
भाभी वहीं कुर्सी पर बैठ गईं। मैंने उनको गरम करने के लिए जानबूझकर वहीं अपनी शर्ट उतारी और फ़िर बनियान भी उतार दी। भाभी शर्म के मारे इधर उधर ना देखें इसलिए उनसे कुछ ना कुछ बात करता रहा। मैंने कहा- दोपहर में नहा लेने से शरीर में ताजगी आ जाती है और मैंने अपनी पैंट भी उतार दी। अंडरवियर में से मेरा तन्नाया हुआ लंड साफ़ नज़र आ रहा था। मैंने अपना तौलिया कमर पर लपेटा और अंडरवियर उतारते उतारते बोला- भाभी जी अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात कहूं?
बोलीं- कहिये !
मैंने कहा- ऐसा लगता है जैसे भगवान् जोड़ियाँ बनाते समय गलती कर गया है, मैं आप जैसी पत्नी डिजर्व करता था और रेखा को डॉक्टर साहब की पत्नी होना चाहिए था। अगर ऐसी जोड़ियाँ होतीं तो मेरी ज़िन्दगी जन्नत से कम न होती।
भाभी उठीं और बोलीं- काश ऐसा होता तो मैं हर पल तुम्हारी बाहों में ही गुजारती।
इतना सुनते ही मैंने उनका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी आंखों से इस तरह लगाया कि मैं धन्य हो गया। मैं एक कदम उनकी ओर बढ़ा और अपनी बाहें फैलाकर उन्हें अपने करीब आने का इशारा किया, वो मेरे सीने लग गईं, मैंने अपना एक हाथ उनकी कमर पर और दूसरा टांगों के पास ले जाकर उनको अपनी गोद में उठा लिया, मेरे कसरती बदन को निहारते हुए बोलीं- उतार दो दीपक ! मैं बहुत भारी हूँ !
मैंने कहा- भाभी मेरे प्यार के सामने आपका भार कुछ भी नहीं !
मैं उनको रेखा के बेडरूम में ले आया और पलंग पर लिटाकर उनसे लिपट गया। वो मेरे से लिपटी हुई छुई मुई हुई जा रहीं थीं। एक एक करके उनके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और उनके होठों पर अपने होंठ रखकर एक हाथ से उनके मम्मे और दूसरे से उनकी चूत सहलाने लगा। थोडी देर में जब उनकी चूत गीली हो गई तो मैं उठा और अलमारी से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगा तो भाभी बोलीं- दीपक जी इसकी कोई जरूरत नहीं है, मैं २० साल पहले नसबंदी करा चुकी हूँ।
मैं वापस पलंग पर आया, उनकी टाँगे फैला कर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुंह पर रखा और पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर कर दिया।
भाभी बोलीं- दीपक जी, एक बात पूछूं?
मैंने कहा- पूछिए !
तो बोलीं- तीन साल बाद आपका लंड किसी की चूत में जा रहा है तो कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- आपको यह कैसे पता है?
तो बोलीं- रेखा ने मुझे बताया था कि मेरी इच्छा नहीं होती।
इस बातचीत के साथ साथ मेरा लंड अपना काम कर रहा था। उस दिन १ बजे से ४ बजे तक भाभी को दो बार चोदा।
मैंने पूछा- भाभी, सच बताना ! तुम्हारा देवर चोदने में कैसा है?
तो बोलीं- टचवुड। बहुत अच्छा !
मैंने कहा- अच्छा भाभी, एक बात और बताओ कभी गांड मराई है?
बोली- नहीं कभी नहीं ! शुरू शुरू में एक दो बार डॉक्टर साहब ने मारनी चाही थी लेकिन उनका लंड गांड में घुसा ही नहीं।
मैंने कहा- भाभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा, मराओगी ?
बोलीं- हाँ मेरे राजा जरूर मराउंगी।
फ़िर भाभी ने रोटियां सेंकी, हम दोनों ने खाना खाया और भाभी अपने घर चली गईं।
बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए… Antarvasna
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