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Antarvasna - मेरा नाम दीपक है। मेरी उमर इस समय 24 साल की है। शादी के 3 साल बाद ही एक रोड दुर्घटना में भैया का स्वर्गवास हो गया था। मैं भाभी के साथ अकेला ही रहता था। मेरी भाभी का नाम संध्या है। हमारा अपना खुद का बिजनेस था। भैया के स्वर्गवास होने के बाद मैं ही बिजनेस की देखभाल करता था।
भाभी बहुत ही खूबसूरत थी। वो मुझे दीपक कह कर ही बुलाती थी। पापा और मम्मी का स्वर्गवास बहुत पहले ही हो चुका था। मैं एक दम हट्टा कट्टा नौजवान था और बहुत ही ताकतवर भी था। भाभी उमर में मुझसे 1 साल की छोटी थी। वो मुझे बहुत प्यार करती थी।
भैया के गुजर जने के बाद मैं भाभी की पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी। मैं सुबह 10 बजे ही घर से चला जाता था और फिर रात के 8 बजे ही घर वापस आता था।
ये उस समय की बात है जब भैया को गुजरे हुये 6 महीने ही हुये थे। एक दिन मेरी तबियत खराब हो गयी तो मैने मेनेजर से दुकान सम्भालने को कहा और दोपहर के 1 बजे ही घर वापस आ गया।
भाभी ने पूछा- क्या हुआ दीपक?
मैने कहा- मेरा सारा बदन दुख रहा है और लग रहा है की कुछ फ़ीवर भी है।
मेरी बात सुनकर वो परेशान हो गयी। उन्होने मुझसे कहा, तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो।
मैने कहा, मैने मेडीकल स्टोर से कुछ मेडीसीन ले ली है। मुझे थोड़ा आराम कर लेने दो।
वो बोली, ठीक है, तुम आराम करो। मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूं।
मैने कहा, नहीं, रहने दो, मैं ऐसे ही ठीक हूं।
वो बोली, चुप चाप अपने क्मरे में जा कर लेट जाओ। मैं अभी तेल ले कर आती हूं।
मैं कभी भी भाभी की बात से इन्कार नहीं करता था।
मैं अपने कमरे में आ गया। मैने अपनी शर्ट और पेन्ट उतार दी और केवल बनियान और नेकर पहने हुये ही लेट गया। मेरा नेकर एक दम ढीला था और थोड़ा छोटा नेकर ही पहनता था।
भाभी तेल ले कर आयी। उन्होने मेरे सिर पर तेल लगाया और मेरा सिर दबाने लगी। उसके बाद उन्होने मेरे हाथ, सीने और पीठ पर भी तेल लगा कर मालिश किया। आखिर में वो मेरे पैर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी।
आखिर मैं भी आदमी ही था। उनके हाथ लगने से मुझे जोश आने लगा। जोश के मारे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मेरा नेकर तम्बू की तरह से उपर उठने लगा। धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरा नेकर एक दम तम्बू की तरह हो गया। मैं जानता था की नेकर के छोटा होने की वजह से भाभी को मेरा लण्ड थोड़ा सा दिखायी दे रहा होगा।
वो मेरे पैरों की मालिश करते हुये मेरे लण्ड को भी देख रही थी और उनकी आंखे थोड़ा गुलाबी सी होने लगी थी। उनके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी। मालिश करने के बाद वो चली गयी। उसके बाद मैं सो गया।
शाम के 6 बजे मेरी नींद खुली और मैं उठ गया। भाभी चाय लेकर आयी। मैने चाय पी। उसके बाद मैं बाथरूम चला गया। बाथरूम से जब मैं वापस आया तो भाभी ने कहा, अब लेट जाओ, मैं तुम्हारे बदन की फिर से मालिश कर देती हूं।
मैने कहा, अब रहने दो ना, भाभी।
वो बोली, क्या मालिश करने से कुछ आराम नहीं मिला।
मैने कहा, बहुत आराम मिला है। वो बोली, फिर क्यों मना कर रहे हो।
मैने कहा, ठीक है, तुम केवल मेरे पैर की ही मालिश कर दो।
वो खुश हो गयी। उन्होने मेरे पैर की मालिश शुरु कर दी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मेरा नेकर थोड़ा पीछे की तरफ़ खिसक गया था जिस से भाभी को मेरा लण्ड इस बार कुछ ज्यादा ही दिखायी दे रहा था। भाभी मेरे लण्ड को देखते हुये मेरे पैरों की मालिश करती रही। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे लण्ड को देख कर वो भी जोश मे अने लगी थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मालिश करती हूं तो तुझे क्या हो जाता है। मैं कहा, कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे। उन्होने मेरे लण्ड पर हलकी सी चपत लगते हुये कहा, फिर ये क्या है।
मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लिये तो मैं मना कर रहा था।
उन्होने जोश मे भर कर मेरे लण्ड पर फिर से चपत लगते हुये कहा, इसे काबू में रखा कर।
मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता।
वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो। मैं जब उनके पैर की मालिश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे।
मैने मजाक करते हुये कहा, फिर वो क्या करते थे।
वो बोली, बदमाश कहीं का।
मैने कहा, बताओ ना भाभी, फिर वो क्या करते थे। भाभी शरमाते हुये बोली, वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं।
मैने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिये थी। उन्होने पूछा, क्यों। मैने कहा, आखिर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी। वो बोली, परेशानी किस बात की, आखिर मेरा मन भी तो करता था।
मैने कहा, मेरा भी मन भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं।
वो बोली, शादी कर लो।
मैने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।
उन्होने मुस्कराते हुये कहा, फिर बाथरूम में जा कर मुठ मार लो।
मैने अनजान बनते हुये पूछा, वो क्या होता है।
वो बोली, क्या सच में तुझे नहीं मालूम है कि मुठ मारना किसे कहते हैं।
मैने कहा, नहीं।
उन्होने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा, इसे अपने हाथ में पकड़ कर अपना हाथ तेजी से आगे पीछे करना। थोड़ी ही देर में इस में से ज्यूस निकल जायेगा और ये शान्त हो जायेगा।
मैने कहा, तुम मुझे थोड़ा सा कर के बता दो।
भाभी जोश में तो आ ही चुकी थी। वो बोली, तू बहुत ही बदमाश है। अपने लण्ड को बाहर निकाल, मैं बता देती हूं की कैसे करना है। मैने कहा, तुम खुद ही लण्ड को बाहर निकाल कर बताओ की कैसे करना है। उन्होने शरमाते हुये मेरे लण्ड को पकड़ कर नेकर से बाहर निकाल लिया। जैसे ही मेरा 9″ लम्बा लण्ड बाहर आया तो वो बोली, बाप रे, तेरा तो बहुत ही लम्बा है और मोटा भी।
मैने पूछा, अच्छा नहीं है क्या।
वो शरमाते हुये बोली, बहुत ही अच्छा है। मैने पूछा, भैया का कैसा था। वो बोली, उनका भी अच्छा था लेकिन तेरे जैसा लम्बा और मोटा नहीं था। मैने कहा, अब बताओ की कैसे करना है। उन्होने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपना हाथ आगे पीछे करना शुरु कर दिया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। वो भी जोश में आने लगी।
2 मिनट मुठ मारने के बाद वो बोली, ऐसे ही कर लेना। अब जा बाथरूम में।
मैने कहा, बाथरूम में क्यों, अगर मैं यहीं कर लेता हूं तो इसमें क्या बुरायी है।
वो बोली, तेरा ज्यूस यहां गिरेगा और मुझे ही साफ़ करना पड़ेगा।
मैने कहा, मैं ही साफ़ कर दूंगा। वो बोली, ठीक है, यहीं कर ले। मैं जाती हूं। मैने उनका हाथ पकड़ कर कहा, तुम यहीं बैठो ना। वो बोली, तेरे लण्ड पर हाथ लगने से मुझे पहले ही थोड़ा सा जोश आ चुका है। अगर मैं तुझे मुठ मारते हुये देखूंगी तो मुझे और ज्यादा जोश आ जायेगा। फिर मेरे लिये बरदाश्त करना मुश्किल हो जायेगा। आखिर मैं भी तो औरत हूं और अभी जवान भी हूं। मैने कहा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करुंगा। वो बोली, मुझे पूरा भरोसा है तभी तो मैने तेरे लण्ड को पकड़ कर तुझे मुठ मारना बताया है। मैने पूछा, नेकर उतार दू या ऐसे ही मुठ मार लू। वो बोली, क्या नेकर भी खराब करेगा। उतार दे इसे।
मैने अपना नेकर उतार दिया और मुठ मारने लगा। भाभी मुझे मुठ मारते हुये देखती रही। मैं भाभी को देखता हुआ मुठ मार रहा था। धीरे धीरे वो और ज्यादा जोश में आ गयी। जोश के मारे मेरे मुह से आह… ऊह… की आवाज़ निकाल रही थी। वो मुझे और कभी मेरे लण्ड को देख रही थी। उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया और सहलाने लगी। मैने पूछा, क्या हुआ। वो बोली, तू मुझे एक दम पागल कर देगा। मैं जा रही हूं।
मैने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, बैठो ना मेरे पास। वो चुप चाप बैठ गयी। मैं मुठ मारता रहा। भाभी जोश के मारे पागल सी हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में उन्होने मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली, अब रहने दे, अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा है।
मैने पूछा, क्या हुआ। उन्होने अपना पेटीकोट उपर कर दिया और बोली, देख मेरी चूत भी एक दम गीली हो गयी। तूने तो मुझे पागल सा कर दिया है। अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तू मेरी चूत को सहला दे, मैं तेरा लण्ड सहला देती हूं। मैने कहा, केवल सहलना ही है या कुछ और करना है। वो बोली, अगर तेरा मन करे तो मेरी चूत को थोड़ा सा चाट ले जिस से मुझे भी थोड़ा आराम मिल जायेगा। मैने कहा, कपड़े तो उतार दो। वो बोली, तू खुद ही उतार दे।
मैने भाभी के कपड़े उतार दीये। अब वो एक दम नंगी हो गयी। उनकी चूत एक दम साफ़ थी।
मैने कहा, तुम्हारी चूत तो एक दम साफ़ है।
वो बोली, मुझे चूत पर बाल बिलकुल भी पसन्द नहीं हैं इसी लिये मैं इसे हमेशा ही साफ़ रखती हूं। तेरा भी तो एक दम साफ़ है।
मैने कहा, मुझे भी बाल पसन्द नहीं हैं।
वो लेट गयी तो मैने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरु कर दी।
वो बोली, ऐसे नहीं।
मैने कहा, फिर कैसे?
वो बोली, मुझे भी तो तेरा चूसना है। तू मेरे उपर उल्टा लेट जा और अपना लण्ड मेरे मुह के पास कर दे फिर चाट मेरी चूत को।
मैं भाभी के उपर 69 की पोजीशन में लेट गया। मैने उनकी चूत पर जीभ फिरना शुरु किया तो उन्होने मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी। मुझे खूब मज़ा आने लगा। भाभी भी जोश के मारे सिसकारियां भरने लगी।
मैने उनकी चूत की दरार को अपने होंठो से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने जोर की सिसकारी ली।
मैने पूछा, क्या हुआ।
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर जोर से दबा।
मैने उनकी चूत की दरार को और ज्यादा जोर से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने मेरा लण्ड अपने मुह में और ज्यादा अन्दर ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। मैने एक अंगुली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से ज्यूस निकाल आया।
वो बोली, चाट ले इसे। मैने उनकी चूत का सारा ज्यूस चाट लिया। थोड़ी ही देर में मेरे लण्ड का ज्यूस भी निकालने लगा तो भाभी सारा का सारा ज्यूस निगल गयी। उसके बाद मैं हट गया और उनके बगल में लेट गया।
भाभी मेरा लण्ड सहलने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली, आज तो वो हो गया जो कि नहीं होना चाहिये था।
मैने कहा, मैने ऐसा क्या कर दिया।
वो बोली, तूने मुझे अपना लण्ड दिखा कर आज मुझे पागल सा कर दिया।
मैने कहा, मैने तो नहीं दिखाया था।
वो बोली, तेरा नेकर ही इतना छोटा और ढीला था की मुझे तेरा लण्ड दिखायी दे गया। मैं अपने आप को काबू में नहीं रख पायी इसी लिये मैने तुझसे पैर की दोबारा मालिश करने के लिया कहा था। मैं तेरा लण्ड देखना चाह्ती थी क्यों की मुझे तेरा लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा दिख रहा था।
मैने कहा, अब तो देख लिया ना।
वो बोली, हा, देख भी लिया और पसन्द भी कर लिया।
मैने कहा, अब क्या इरादा है।
वो बोली, तू भी वही कर जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।
मैने कहा, ये ठीक नहीं है।
वो बोली, क्या ठीक है क्या नहीं, मैं कुछ नहीं जानती। अगर तू मेरे साथ नहीं करेगा तो मैं मर जाऊगी।
मैने पूछा, मैं तुम्हारे साथ क्या करूं। वो बोली, जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।
मैने कहा, मैने तो कभी देखा ही नहीं की भैया तुम्हारे साथ क्या करते थे। भाभी ने मेरे गालो को जोर से काट लिया और बोली, अब चोद दे मुझे।
मैने कहा, दर्द होगा।
वो बोली, तो मैं क्या करूं, होने दे। जो होगा देखा जायेगा।
मैने कहा, तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं?
भाभी का तो जोश के मारे बुरा हाल था। वो बोली, तू मुझे नहीं चोदेगा लेकीन मैं तो तुझे चोद सकती हूं।
मैने कहा, फिर तुम ही चोदो।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था। भाभी मेरे उपर आ गयी। उन्होने मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपनी चूत के बीच रखा और दबाने लगी। उनके चेहरे पर दर्द की झलक साफ़ दीख रही थी फिर भी वो रुकी नहीं। मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत में घुसता ही जा रहा था। उनकी चूत बहुत ही टाईट थी। उन्होने दबाना जारी रखा तो थोड़ी ही देर में उनकी आंखो में आंसू भी आ गये।
मैने पूछा, क्या हुआ।
वो बोली, दर्द बहुत हो रहा है।
मैने कहा, फिर रुक जाओ ना, क्यों इतना दर्द बर्दाश्त कर रही हो।
वो बोली, मैं पागल हो गयी हूं।
अब तक मेरा लण्ड भाभी की चूत में 7″ तक घुस चुका था। दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल हो रहा था। तभी वो अपने बदन का सारा जोर देते हुये अचनक मेरे लण्ड पर बैठ गयी। मेरा पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत में समा गया। उनके मुह से जोर की चीख निकाली। उनका सारा बदन थर थर कांपने लगा। उनके चेहरे पर पसीना आ गया। उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी।
वो मेरे उपर लेट गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी। मैं उनकी कमर और चूतड़ को सहलने लगा।
तभी मुझे बदमाशी सूझी। मैने उनकी गाण्ड के छेद पर अपनी अंगुली फिरानी शुरु कर दी तो उन्हें मज़ा आने लगा।
अचनक मैने अपनी अंगुली उनकी गाण्ड में डाल दी तो उन्होने जोर की सिसकारी ली और बोली, बदमाश कहीं का। पहले तो कह रहा था की तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं। अब मेरी गाण्ड में अंगुली डाल रहा है। क्या मैं अब तेरी भाभी नहीं रह गयी।
मैने कहा, बिलकुल नहीं, अब तो तुमने मेरा लण्ड तुमने अपनी चूत में डाल लिया है। अब तुम मेरी भाभी नहीं रह गयी हो।
वो बोली, फिर मैं अब तेरी क्या लगती हूं।
मैने कहा, बीवी।
वो बोली, फिर चोद दे ना अपनी बीवी को। क्यों तरसा रहा है मुझे।
अब तो मैने तेरा पूरा का पूरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर ले लिया है। मेरी अंगुली अभी भी भाभी की गाण्ड में थी। मैने फिर शरारत की और कहा, मैं तुम्हें एक ही शर्त पर चोद सकाटा हूं।
वो बोली, कैसी शर्त।
मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड भी मारुंगा। वो बोली, अपनी बीवी से भी पूछना पड़ता है क्या। मैने कहा, मुझे नहीं मालूम।
वो बोली, तेरे भैया ने तो मुझसे कभी नहीं पूछा, जब भी उनका मन किया उन्होने मेरी चुदायी की और जब उनका मन हुआ तो उन्होने मेरी गाण्ड भी मारी। मैने कहा, इसका मतलब तुम भैया से गाण्ड भी मरवा चुकी हो।
वो बोली, तो क्या हुआ, मज़ा तो दोनो में ही आता है। अब मुझे ज्यादा मत परेशान कर, चोद दे ना।
मैने कहा, थोड़ा सा तुम चोदो फिर थोड़ा सा मैं चोदुंगा। वो बोली, ठीक है, बाबा।
भाभी ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये तो उनके मुह से चीख निकालने लगी।
मैने पूछा, अब क्या हुआ। वो बोली, दर्द हो रहा है। मैने पूछा, क्यों, अब तो पूरा अन्दर ले चुकी हो।
वो बोली, अन्दर लेने से क्या होता है। मेरी चूत अभी तेरे लण्ड के साईज की थोड़े ही हुयी है।
मैने पूछा, मेरे लण्ड की साईज की कैसे होगी।
वो बोली, जब तू मुझे कई बार चोद देगा तब। वो धीरे धीरे धक्के लगाती रही।
मैने पूछा, तुम्हारी चूत को चौड़ा करने के लिये मुझे कितनी बार चोदना पड़ेगा।
वो बोली, ये तो तेरे उपर है की तू किस तरह से मेरी चुदायी करता है। मैने पूछा, क्या एक बार में भी हो सकता है।
वो बोली, बिलकुल हो सकता है, अगर तू मुझे पहली बार में ही कम से कम 1 घन्टे चोद सके तो। लेकीन मैं जनति हूं की तू ऐसा नहीं कर पयेगा।
मैने पूछा, क्यों।
वो बोली, तूने कभी किसी को पहले चोदा है।
मैने कहा, नहीं। वो बोली, तो फिर तू 10 मिनट से ज्यादा रुकेगा ही नहीं।
मैने कहा, रुकुनगा क्यों नहीं। वो बोली, तुझे मेरी चुदायी केरने में जोश ज्यादा आ जायेगा इस लिये।
भाभी को धक्के लगते हुये लगभग 10 मिनट हो चुके थे और वो इस दौरन 1 बार झड़ भी चुकी थी। तभी मेरे लण्ड का ज्यूस निकाल पदा और साथ ही साथ वो भी फिर से झड़ गयी।
वो मुस्कराते हुये बोली, क्या हुआ पहलवान। मैने कहा, वही हुआ जो तुम कह रही थी। वो बोली, मेरी चूत धीली करने के लिये तुझे कम से कम 1 घन्टे तक मेरी चुदायी करनी पदेगि। मैं ये भी जानती हूं की अगली बार तू ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट ही मुझे चोद पयेगा। इस तरह जब तू 3-4 बार मेरी चुदायी कर देगा तब कुल मिलकर 1 घन्टे हो जयेनगे और मेरी चूत ढीली हो जायेगी और तेरे लण्ड के साईज की हो जायेगी, समझ गये बच्चु। मैने कहा, बिलकुल समझ गया, मेडम।
भाभी ने मेरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर ही रखा और मेरे उपर लेट गयी। वो मेरे होंठो को चूमती रही और मैं उनकी चूंचियो को मसलता रहा। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड उनकी चूत में ही फिर से खड़ा होने लगा तो वो बोली, अब तुम मुझे चोदो। मैने कहा, जैसी आप की मरजी। वो मुस्कराते हुये मेरे उपर से हट गयी और लेट गयी। मैं उनके उपर आ गया। मैने उनकी चुदायी शुरु कर दी। मैं पूरे जोश में था और जोर जोर के धक्के लगाते हुये उनको चोद रहा था।
वो बोली, शाबाश बहादुर, बहुत ही अच्छी तरह से चोद रहे हो, चोदते रहो, रुकना मत, थोड़ा और जोर के धक्के लगाओ। मैने और ज्यादा तेजी के साथ धक्के लगने शुरु कर दिये। लगभग 15 मिनट की चुदायी के बाद मैं झड़ गया। भाभी भी इस चुदायी के दौरान 2 बार झड़ चुकी थी।
मैने उन्हें सारी रात खूब जम कर चोदा। वो भी पूरी तरह से मस्त हो गयी थी और मैं भी। सुबह तक मैं उ्न्हे 6 बार चोद चुका था। सुबह को मैने पूछा, तुम्हारी चूत मेरे लण्ड की साईज की हो गयी या नहीं।
वो बोली, जब तुमने मेरी 4 बार चुदायी कर दी फिर उसके बाद मैं चिल्लायी क्या। मैने कहा, बिलकुल नहीं। वो बोली, फिर समझ लो की मेरी चूत तुम्हारे लण्ड की साईज की हो गयी।
थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं एक बात तुमसे कहना चाहती हूं।
मैने पूछा, अब क्या है। वो बोली, मुझे तो तुम्हारा लण्ड बहुत पसन्द आ गया है। अगर तुम्हें मेरी चूत भी पसन्द आ गयी हो तो तुम मुझसे शादी कर लो। मैं तुमसे 1 साल छोटी भी हूं और जवन भी। मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूंगी और एक दम खुश रखूगी। अगर तुम मुझसे शादी नहीं करोगे तो मैं तो तुम्हारी रखैल बन कर रह जाऊगी। जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो मुझे कौन चोदेगा। भाभी खूबसुरत थी ही। मैं उन्हें बहुत प्यार भी करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी। उनकी बात सही भी थी क्यों की मुहल्ले के लोग बाद में उन्हें मेरी रखैल ही कहते।
मैने मजाक किया, अगर तुम मुझसे शादी करना चाहती हो तुम्हें एक काम करना पड़ेगा। वो बोली, मैं सब कुछ करने के लिये तैयार हूं। मैने कहा, तुमने उस पागल को देखा है ना जो हमारे मुहल्ले में घूमता रहता है। वो बोली, हां देखा है। मैने कहा, तुमने उसका लण्ड भी देखा होगा। वो बोली, देखा है। मैने पूछा, उसका लण्ड कैसा है। वो बोली, उसका तो तुमसे भी ज्यादा लम्बा और मोटा लगता है।
मैने कहा, मैं उसे एक दिन घर ले आता हूं, तुम उस से चुदवा लो।
वो बोली, ठीक है, ले आना। मैं तुमसे शादी करने के लिये कुछ भी कर सकती हूं। मैं उस पागल से भी चुदवा लूंगी।
मैने कहा, मैं तो मजाक कर रहा था।
वो बोली, तो क्या तुम समझी की मैं सच में ही उस पागल से चुदवा लूंगी।
मैने कहा, मैं तुमसे एक ही शर्त पर शादी करुंगा।
वो बोली, मैने कहा ना की मुझे तुम्हारी हर शर्त मनज़ूर है।
मैने कहा, सुन तो लो। वो बोली, फिर सुना ही दो। मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड मारुंगा तब ही तुमसे शादी करुंगा।
वो बोली, जब मैने तुम्हारा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लिया तब ही मैं तुम्हारी बीवी बन गयी थी, भले ही हमारी शादी नहीं हुयी थी। अपनी बीवी से ये बात पूछी नहीं जाती। अभी मार लो मेरी गाण्ड।
मैने कहा, फिर सुहागरात के दिन मैं क्या करुंगा।
वो बोली, फिर रहने दो, सुहागरात के दिन तुम मेरी गाण्ड चोद लेना।
मैने कहा, एक दिक्कत और है।
वो बोली- अब क्या है।
मैने कहा, तुमसे शादी करने के बाद मैं सारी जिन्दगी किसी कुवांरी चूत को नहीं चोद पाऊगा।
वो बोली, मैं तुम्हारे लिये कुंवारी चूत का इनतजाम भी कर दूंगी। मैने पूछा, वो कैसे। वो बोली, ये मुझ पर छोड़ दो। मैने कहा, फिर मैं पण्डित से पूछ लेता हूं की हमें शादी कब करनी चाहिये। वो बोली, पूछ लेना। मैने पण्डित से बात की तो उसने 3 दिन बाद का मुहुरत बताया। 3 दिनो तक मैने संध्या की खूब जम कर चुदायी की। अब उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा था।
संध्या चुदवाते समय मेरा पूरा साथ देती थी इस लिये मुझे भी खूब मज़ा आता था।
तीसरे दिन हम दोनो ने मन्दिर में शादी कर ली। रात में मैने संध्या की गाण्ड मारी। वो बहुत चीखी और चिल्लायी लेकिन उसने एक बार भी मुझे रोका नहीं। उसकी गाण्ड कई जगह से कट फ़ट गयी थी और उसकी गाण्ड की हालत एक दम खराब हो गयी थी। वो 2 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
मैने पूछा, मैं जब तुम्हारी गाण्ड मार रहा था और तुम्हें इतनी ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं। वो बोली, मैं अपने पति को कैसे मना करती। आखिर बाद में मुझे भी तो गाण्ड मारवने में मज़ा आया। मैने कहा, वो तो आना ही था। अब मेरे लिये कुंवारी चूत का इनतेजाम कब करोगी। वो बोली, बस जल्दी ही हो जायेगा।
शादी के 4 दिन के बाद जब मैं दुकान से घर आया तो घर पर एक लडकी बरतन साफ़ कर रही थी। उसके कपड़े थोड़ा गन्दे थे लेकीन वो थी बहुत ही खूबसुरत। उसकी उमर लगभग 18 साल की रही होगी। मैं सीधा अपने कमारे में चला गया। संध्या भी मेरे पीछे पीछे आ गयी।
मैने संध्या से पूछा, ये कौन है। वो मुस्कराते हुये बोली, मैने इसे घर का काम करने के लिये रखा है। इसका नाम रीना है। पसन्द है ना तुम्हें। मैं इसे तुम्हारे काम के लिये भी जल्दी ही तैयार कर लू्ंगी। मैने कहा, तुम्हारी पसन्द का तो जवाब नहीं है। कहां रहती है ये।
संध्या ने कहा, ये गावँ में रहती थी लेकिन अब यहीं रहेगी। मेरे भैया जब शादी में आये थे तो मैने उन से कहा था की मुझे घर का काम करने के लिये एक लड़की चाहिये। उन्होने ने ही इसे यहां पर भेजा है। ये हमारे साथ ही रहेगी। मैने कहा, जल्दी तैयार करो इसे। मैं इसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता हूं। वो बोली, थोड़ा सबर करो।
रीना बरतन साफ़ कर के कमारे में आ गयी। उसने संध्या से पूछा, मालकिन, मैने घर का सारा काम कर दिया है, और कुछ करना हो तो बता दो। संध्या ने कहा, तू तो मेरे गावँ की है, मुझे मालकिन मत कहा कर।
वो बोली, फिर मैं आप को क्या कह कर बुलाऊ। संध्या ने कहा, तू मुझे दीदी कहा कर और इन्हें जीजू। वो खुश हो गयी और बोली, ठीक है, दीदी। संध्या ने कहा, मेरी तबियत कुछ खराब रहती है इस लिये तू मेरे साथ ही सो जना। वो बोली, फिर जीजू कहन सोयेनगे। संध्या ने कहा, वो भी मेरे पास ही सोयेनगे। वो बोली, फिर मैं आप के पास कैसे सो पौनगि। संध्या ने कहा, मेरे एक तरफ़ तुम सो जाना दूसरी तरफ़ ये सो जायेगे। वो बोली, ये तो ठीक नहीं होगा।
संध्या ने कहा, शहर में सब चलता है। यहां ज्यादा शरम नहीं की जाती।
वो बोली, ठीक है, मैं आप के पास ही सो जाऊगी।
हम सब ने खाना खाया उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने के लिये आ गया। मैने केवल लुंगी ही पहन रखी थी। थोड़ी देर बाद संध्या और रीना भी आ गये। संध्या ने बरा और पेन्टी को छोड़ कर अपने बाकी के कपड़े उतार दिये। उसके बाद उसने मैक्सी पहन ली। संध्या ने रीना से कहा, अब तू भी अपने कपड़े उतार दे। मैं तुझे भी एक मैक्सी देती हूं, उसे पहन लेना।
वो बोली, नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूं। संध्या ने कहा, मैं जो कहती हूं, उसे मान लिया कर। सोते समय सारा बदन खुला छोड़ देना चाहिये। वो बोली, जीजू यहां हैं।
संध्या ने कहा, जीजू से कैसी शरम, ये तुझे पकड़ थोड़े ही लेंगे। उतार दे अपने कपड़े। रीना ने शरमाते हुये अपनी शलवर और कमीज़ उतार दी। उसका बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूंचिया अभी बहुत ही छोटी छोटी थी। संध्या ने उसे भी एक मैक्सी दे दी तो उसने वो मैक्सी पहन ली।
संध्या मेरे बगल में लेट गयी। रीना संध्या के बगल में लेट गयी। हम सब कुछ देर तक बातें करते रहे। उसके बाद सोने लगे। थोड़ी ही देर में रीना सो गयी तो संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम मेरी चुदायी करो।
मैने कहा, इसके सामने। वो बोली, मैं चाह्ती हूं की ये हम दोनो को देख ले, तभी तो मैं इसे तैयार करुंगी। तुम मुझे खूब जोर जोर से चोदना जिस से ये जाग जाये। मैने कहा, ठीक है।
मैने संध्या को जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया। सारा बेड जोर जोर से हिलने लगा। थोड़ी ही देर में रीना की नींद खुल गयी और वो उठ कर बैठ गयी। जैसे ही वो उठी तो मैने अपना लण्ड संध्या की चूत से बाहर निकाल लिया।
रीना ने जब हुम दोनो को देखा तो शरमा गयी। वो बोली, दीदी, मैं बाहर जा रही हूं।
संध्या ने कहा, क्यों, क्या हुआ।
वो बोली, मुझे शरम आती है।
संध्या ने कहा, पागली, इसमें शरमाने की कौन सी बात है। तू अपना मुह दूसरी तरफ़ कर ले और सो जा। रीना उठ कर जाना चाहती थी लेकीन संध्या ने उसका हाथ पकड़ लिया। रीना कुछ नहीं बोली।
वो संध्या के बगल में ही लेट गयी लेकिन उसने अपना मुह दूसरी तरफ़ नहीं किया। संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम अपना काम जल्दी से पूरा करो, मुझे नींद आ रही है।
मैने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। रीना तिरछी निगाहों से हम दोनो के देख रही थी।
15 मिनट की चुदायी के बाद जब मैं झड़ गया तो मैने अपना लण्ड संध्या की चूत से बाहर निकाला। संध्या उठ कर बैठ गयी और उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। रीना ने शरम के मारे अपनी आखे बन्द कर ली।
संध्या ने अपना मुह रीना की तरफ़ कर लिया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने कहा, दीदी, अपना हाथ हटा लो।
संध्या ने कहा, मुझे तो ऐसे ही सोने की आदत है। अब सो जा।
रीना कुछ नहीं बोली। उसके बाद हम सब सो गये।
सुबह हम सब उठ गये। रीना फ़्रेश होने चली गयी। संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम इसे बार बार अपना लण्ड दिखने की कोशिश करना लेकीन इसे हाथ मत लगाने देना। इसे ऐसा लगना चाहिये की जैसे तुम अपना लण्ड इसे दिखाने की कोशिश नहीं कर रहे थे। मैने कहा, ठीक है। रीना फ़्रेश हो कर आ गयी।
संध्या ने कहा- अब तू घर में झाड़ु लगा ले।
वो झाड़ु लगाने चली गयी।
संध्या ने मुझसे कहा- अब तुम जा कर फ़्रेश हो जाओ। आज से अपना टावेल साथ मत ले जना और एकदम नंगे ही नहाना, मैं रीना से तुम्हारा टावेल भेज दूंगी।
मैने कहा, ठीक है।
Antarvasna कहानी जारी रहेगी।
विधवा भाभी की चुदाई-2
मेरे दोस्तो अब मैं आपको अपनी स्टोरी बता oral sex रहा हूं। मैं गुजरात(सौराष्ट्र) के एक मशहूर शहर में रहता हूं। मेरा ओफ़िस है और मैं एकदम फ्रेंडली लड़का हूं। बोडी अच्छी है, मेरा लंड ७ का है और थोड़ा मोटा है, वैसे तो मैं कई बार सेक्स का अनुभव कर चुका हूं, पर यहां की भाभी और लड़कियों में जो बात है वो भारत में और कहीं नहीं। बड़े बूब्स, चिकनी गांड, मस्त बोडी, जैसे चोदते हि रहो। मैं डेली ओफ़िस जाने के लिये बस मे आता जाता हूं। सुबह जाता हूं और शाम को वापस, रोज यही चलता है।
मेरे साथ एक लड़की भी रोज़ सफ़र करती है, वो आगे से ही उसी गाड़ी में होती थी शायद अगले शहर से आती होगी, एक बार गाड़ी में भीड़ ज्यादा ही थी, उसके बाजु में एक सीट खाली थी सो मैं उसके पास बैठ गया, वो मुझे देख कर हल्के से मुस्करायी मैने भी मुस्करा कर जवाब दिया, फ़िर थोड़ी देर बैठे रहे, अचानक ही उसने मुझसे पूछा कि तुम पढ़ाई करते हो या कोई जोब, मैने कहा कि मेरा बिजनेस है, और उसने बताया कि वो सरकारी नौकरी करती है, कुछ बातें हुई और फ़िर हम काम पर चले गये, रोज ऐसे ही मुलाकात होती रही, हम अपनी बातें बताते रहे, वो शादी शुदा थी पर तलाक हो चुका था अकेली रहती थी,उसका नाम सोनु था, उसकी आंखो में कुछ अजब सी कशिश थी, गोरा बदन, ३६ बूब्स, काफ़ी सुडौल बदन और एकदम सेक्सी। एक बार उसने कहा कि कल मेरी छुट्टी है हो सके तो मेरे घर चाय-पानी के लिये आओ। मैने कहा ठीक है।
और उससे पता और मोबाइल नम्बर लेकर मैं उसके घर पहुंचा। उसका घर काफ़ी सुंदर था। मैने डोरबेल बजाई और उसने दरवाजा खोला और मुझे वेलकम कहा। अंदर आके मैं ड्राइंग रूम में बैठा। थोड़ी देर में वो चाय ले कर आयी और हमने आपस में बातें करना शुरु किया। अचानक ही उसने कहा कि आई लव यु। मैं तुम्हे प्यार करती हूं और तुम्हे पाना चाहती हूं और मुझसे लिपट गयी, जैसे ही उसके बदन का सपर्श हुआ मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया मैं भी उससे लिपट गया और उसे चूमने लगा, वो मुझे अपने बेडरूम में ले गयी
हम दोनो बेड में लेटे हुए एक दूसरे के कपड़ों पर टूट पड़े थोड़ी देर में हम एकदम नंगे थे, क्या बताऊं दोस्तों, उसका बदन था या कयामत, नर्म और बड़े बूब्स, उस पर गुलाबी निप्पल एकदम फ़ूल गये थे, चिकनी जांघें और बीच में गुलाब की तरह लाल चूत, जैसे मुझे न्यौता दे रही थी, उसने मेरे लंड को पकड़ा और कहा मेरे जानु तुम्हारा लंड तो एकदम कड़क है, अब मेरी प्यास बुझेगी, मैने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रखा और रब करने लगा, मैने धीरे से उसकी चूत खोली, एकदम फ़ूली हुई और छोटी सी उसकी चूत थी। एकदम सफ़ाचट थी मैने चूत की क्लिट को छुआ तो वो तड़प उठी और आहें भरने लगी मेरा सर पकड़कर उसने चूत पर रख दिया और मैं धीरे धीरे उसकी चूत पर अपनी जीभ फ़ेरने लगा वो बुरी तरह से तड़प रही थी, उसकी चूत में से चिकना पानी निकल रहा था, मैने अपनी एक उंगली को चिकना किया और धीरे से उसकी चूत में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा।
वो मस्त हो रही थी, फ़िर उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी जीभ उस पर फ़िराने लगी मैं उसके दोनो निप्पल को चुटकियों में रगड़ रहा था फ़िर उसने कहा कि अब मुझमे समा जाओ और फ़िर मैने उसकी दोनो टांगो को अलग किया और बीच में बैठ गया। उसकी गुलाबी चूत एकदम फ़ूल गयी थी और पानी से एकदम चिकनी हो गयी थी। चिकना पानी लगातार निकल रहा था मैने अपना लंड चूत के पानी से चिकना किया और चूत पर रब करने लगा वो बहुत तड़प रही थी, उसने अपनी चूत दोनो हाथों से खोल दी, उसकी चूत का छोटा सा छेद एकदम साफ़ दिख रहा था, फ़िर मैने अपना चिकना लंड धीरे से उसकी चूत में डालना शुरु किया और वो कराहने लगी, धीरे धीरे मैने पूरा लंड उसकी चूत में डाला और अपनी कमर हिलाने लगा। अब वो भी मस्त होकर एकदम मुझसे लिपट पड़ी थी और मैं शोट पर शोट लगाता रहा, उसे बहुत मज़ा आ रहा था, चूत चिकना पानी निकाल रही थी और उसकी बजह से चप चपक चप जैसी आवाज़ आ रही थी, फ़िर मैने उसे घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया, मैं कभी लंड पूरा निकाल लेता और फ़िर पूरा डाल देता, रगड़ से छपाक छपाक की आवाज़ गूंज रही थी और फ़िर स्पीड से मैने उसे चोदना शुरु किया और अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। अब वो पूरी तरह सैटिस्फाई हो गयी थी। हम दोनो बेड पर लेटे एक दूसरे को चूमने लगे और दोस्तो फ़िर शुरु हुआ न खत्म होने वाला एक चोदने का सिलसिला। oral sex
आशु वैसे तो छोटे शहर से था, पर अपने कॉलेज में फुटबाल टीम का केप्टन था।
बाद में उसने एक जिम भी जॉइन किया और धीरे धीरे उस ज़िले के नामी जिम में वो ट्रेनर बन गया।
गोरा चिट्टा, लंबा कद, कसा हुआ कसरती बदन, घुँघराले काले बाल और पठानों वाली तहजीब।
कुल मिला कर आशु एक पढ़ा लिखा बांका गबरू था, जिसकी रगों में तहजीब और नफासत थी।
लेकिन घरेलू कलह से आजिज़ आकर वह नॉयडा आ गया.
उसने नोएडा आकर यहाँ सभी तरह के काम करने के लिए अपने को तैयार किया।
सुबह पाँच बजे उठकर वो पास वाली सोसाइटी में जाता और गार्ड रूम में रखी 10-12 बाल्टियों में पास की डेयरी से अपने सामने कढ़वा कर दूध लाता और फिर उन्हें फ्लैट्स में पहुंचाता।
अक्सर कुछ फ्लैट वालियाँ उससे नाश्ते का कुछ न कुछ सामान मँगवाती तो वो उनको लाकर देता।
फिर उन्हीं फ्लैट्स के मालिकों की गाड़ियाँ धोकर 9 बजे तक तैयार कर देता।
उसके बाद कहीं उसे फुर्सत मिलती अपनी चाय पीने की।
वो काम इतना मन लगाकर और तसल्लीबक्श करता कि उससे सभी मेमसाब बहुत खुश रहतीं।
आशु ने अपने शहर में पढ़ाई के दौरान ही दोस्त से ड्राइविंग भी सीख ली थी।
एक दो महीने टॅक्सी भी चलायी तो उसे गाड़ी चलाने की प्रैक्टिस तो हो गयी थी।
अब उसे नोएडा रहते दो साल होने को आए तो वो यहाँ के लोगों के तौर तरीकों और मेमसाब लोगों को इम्प्रेस करने के तरीकों से अच्छा वाकिफ हो गया था।
पर जिंदगी उसे जिस ओर मोड़ रही थी, ऐसा उसने सोचा भी नहीं था।
उसे भी अब हवा लग गयी थी। उसके पास बढ़िया स्मार्ट फोन था जिस पर वो सभी मेम साब लोगों से व्हाट्सएप्प पर संपर्क में रहता।
मेमसाब लोग भी उससे अपने सभी काम करवातीं और उसे कपड़ों, खाने और पैसों से नवाजती रहतीं।
चूंकि आशु के सलीके और पहनावे को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो मात्र एक सफाई करने वाला लड़का है, तो मेमसाब लोग उसे अपने साथ गाड़ी चलाने से लेकर शॉपिंग में समान उठाने तक ले जातीं।
दिल्ली में तो वैसे भी काम निकालने के लिए सिर पर चढ़ा कर रखते हैं, तो लेडीज आशु को अपने साथ ही रेस्तराँ में खिला पिला भी देतीं।
सभी लेडीज आशु के साथ बहुत कम्फर्ट फील करती थीं।
सुबह जब आशु उनके फ्लैट में दूध देने जाता तो उस समय लेडीज ऐसे कपड़ों में दरवाजा खोलती कि आशु भी निगाहें नीची कर के बाल्टी पकड़ा देता।
पर हाँ … आशु और उनकी मुसकुराती हुई गुडमॉर्निंग जरूर होती।
उन लेडीज के क्लीवेज की गहराई और उसमें से झाँकते मम्मे, निप्पलों की नोकें और मटकती गांड, इन सबका अंदाज़ उनके लेडीज टेलर के अलावा सिर्फ आशु को था।
आशु रात को सोते समय मूठ मारते समय उन्हीं सबको याद करता।
अब आशु उनके मज़ाक़ों में भी शामिल हो जाता।
लेडीज को एक दूसरे की बुराई करने और राज़ जानने का बहुत शौक होता है।
तो आशु मियां इसका पूरा फायदा उठाते।
वो एक दूसरे की बातें बड़ी नमक मिर्च लगा कर गपियाते. पर आशु ने किसी के राज़ कभी किसी से शयर नहीं किए।
इसीलिए सभी लेडीज का उस पर बहुत विश्वास हो गया था।
आजकल हाईसोसाइटी कि लेडीज के अपने किस्से होते ही हैं।
तो आशु सबका राज़दार होता।
कौन मेमसाहब का अफेयर किस्से है, कौन मेमसाब छिपकर स्मोक या ड्रिंक करती है, किसकी अपने पति से कब और क्यों लड़ाई हुई, किसके पति का कहाँ चक्कर चल रहा है, किस मेमसाब का किससे नैनमटक्का होता है, यह सब जानकारी आशु को सबसे ज्यादा होतीं।
एक दिन उसे 109 नंबर वाली रेखा मेमसाब का मेसेज आया कि क्या वो कल दिन के लिए खाली है, उन्हें अपने फ्लैट की सफाई करवानी थी, वो सुबह उससे मिल ले।
रेखा लगभग 35 साल की बहुत हंसमुख और अच्छे स्वभाव की फेशनबेल महिला थी।
उनका एक ही बेटी थी जो बाहर किसी बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती थी।
रेखा के पति अविनाश उससे बिलकुल उलट साँवले और साधारण व्यक्तित्व के व्यक्ति थे।
वो बड़े अधिकारी थे, अक्सर बाहर दौरों पर रहते।
जब वो यहाँ होते तो हर रात रेखा कि उनसे सेक्स को लेकर कहासुनी होती और फिर रेखा उनसे जबर्दस्ती सेक्स करवाती।
ये भी चर्चे थे कि अविनाश के दौरों पर उनके साथ उनकी एक कलीग जाती है जिसके साथ उनका चक्कर है।
हालांकि अविनाश रेखा के इस इल्ज़ाम को कोरी बकवास कहते।
अब रेखा का साफ फंडा था कि पति सिर्फ ढेर सारा पैसा कमा कर देता रहे और जब मौका हो उसकी बेड पर चुदाई सही से कर दे।
बाकी घर के बाहर वो कुछ भी करे।
अविनाश भी बजाए अपनी सफाई देने के रेखा की जेब पैसों से और उसकी चूत अपने माल से भर कर अपनी जान बचाते रहे।
रेखा को सिगरेट का शौक था, पर ये बात रेखा के अलावा सिर्फ उसकी बेटी या आशु जानता था।
अपने को रेखा खूब मेंटेन रखती।
जब रेखा अविनाश से लड़ती तो दूर खड़ा आशु सोचता कि इतनी खूबसूरत बीबी से अविनाश साहब की पटती क्यों नहीं।
आशु को तो 115 नंबर वाली मोनिका मेम ने चटकारे लेकर रेखा और अविनाश के किस्से बताए, इस गरज से कि कुछ आशु भी उन्हें बताए, पर आशु घाघ था, वो सुम्म मार जाता, जैसे उसे कुछ मालूम ही नहीं।
मोनिका खुद बहुत सेक्सी थीं।
वो जब नीचे पार्क में अपनी सहेलियों के बीच बैठी होती तो बताती कि रेखा और अविनाश का झगड़ा चुदाई को लेकर ही होता है।
रेखा चाहती है कि जब भी अविनाश यहाँ हों उसकी जम कर चुदाई करें, और अविनाश बस एक बार में ही थक कर सो जाते।
मोनिका और रेखा के बीच अश्लील किताबों और विडियोज़ का आदान प्रदान खूब होता था।
खैर जब अगली सुबह आशु 109 नंबर दूध की बाल्टी देने गया तो रेखा ने दरवाजा खोलते हुए कहा- आशु, सभी को दूध देकर मेरे पास होते जाना।
आशु पंद्रह मिनट बाद ही रेखा मेमसाहब के फ्लैट में पहुँच गया।
अविनाश बाहर जाने को तैयार खड़े थे, वो दो दिन के लिए अरुणाचल प्रदेश जा रहे थे।
आशु ने उनका सामान ले लिया और नीचे खड़ी टेक्सी में रख कर वापिस आया।
रेखा रोज की तरह लापरवाही से शॉर्ट्स और टी शर्ट पहने सिगरेट का धुआँ उड़ा रही थी, उसके शरीर की बनावट पूरी अंदर से झांक रही थी।
टेबल पर बैठे बैठे रेखा ने उसे चाय का कप दिया और बैठने को कहा।
वो बोली कि आज पूरे टाइम आशु उसके साथ रहे।
रेखा ने आशु को कुछ बोलने ही नहीं दिया और जबर्दस्ती दो हज़ार का नोट उसकी जेब में रख दिया।
अब आशु क्या कहता … उसने पूछा कि काम क्या है?
तो रेखा बोली कि घर साफ करवाना है, फिर शॉपिंग करनी है। अकेले उससे होगा नहीं।
रेखा ने उसको बोल दिया कि वह सुबह 9 बजे आ जाये और रात को देर भी हो सकती है, खाने की वो चिंता न करे।
आशु को ये मेमसाब अच्छी भी बहुत लगती थीं क्योंकि सोसाइटी में सबसे ज्यादा अच्छे से उससे वो ही बात करती थीं।
चाय पीकर आशु फटाफट चला गया और सारी गाड़ियाँ साफ कर के नहाकर रेखा के फ्लैट पर आ गया।
रेखा वैसे ही कपड़े पहने थी।
उसने आशु को सेंडविच और चाय दी।
नाश्ता करके आशु लग गया सफाई में। रेखा भी उसकी मदद करने लगी।
आशु ने कहा कि धूल धक्कड़ से आप दूर रहो।
पर रेखा नहीं मानी।
आशु साफ सुथरा ट्रेक सूट पहने था तो रेखा ने उससे कहा- ये कपड़े तो तुम्हारे गंदे हो जाएँगे, रुको मैं साहब के कोई कपड़े देती हूँ।
अब कहाँ अविनाश भारी शरीर के कहाँ आशु लंबा पतला समार्ट।
खैर रेखा ने उसे एक बरमुडा और टी शर्ट दी तो आशु ने जैसे तैसे पहन लिया।
अब आशु को डर था कि कहीं बरमूडा खिसक न जाये। वो तो नीचे अंडरवियर भी नहीं पहने था।
आशु का कसरती शरीर स्लीवलेस टी शर्ट से बाहर निकला पड़ रहा था।
रेखा उसे देख कर खूब हंसी।
आशु ने सीढ़ी पर खड़े होकर पंखे, ट्यूब लाइट, झूमर वगैरा साफ किए तो नीचे से रेखा ने उसकी सीधी को पकड़े रखा।
नीचे से रेखा को आशु का मोटा लंड बरमूडा में साफ दिख रहा था।
रेखा को मस्ती छाने लगी। उसके दिमाग में सेक्स का कीड़ा कुलबुलाने लगा।
नीचे कार्पेट उठाने में आशु ने रेखा की मदद चाही तो रेखा ने झुक कर कार्पेट उठाते समय अपने मम्मे आशु को दिखा दिये।
आशु ने मम्मे देख तो लिए पर वो रेखा मेमसाहब की नीयत से अंजान था तो मासूम बना रहा।
उसे लगा कि वो बहुत लापरवाह औरत है।
अब तो रेखा उससे बार बार टकराने का ड्रामा करती रही।
बेडरूम की सफाई में आशु को बेड के नीचे से कल रात का इस्तेमाल किया हुआ कंडोम मिला जिसे उसने बड़ी होशियारी से रेखा से छिपा कर कूड़े में रख लिया।
पर फिर भी उसका रेपर तो रेखा ने ही बड़ी बेशर्मी से उठाया।
बेडरूम साफ करते समय रेखा तो टांगें फैला कर वहीं सोफ़े पर लेट गयी।
आशु का लंड उसकी चिकनी जांघों और झूलते मम्मों को देख कर अब खड़ा हो गया था, जिस पर रेखा की निगाहें पड़ चुकी थीं।
बेड के नीचे की सफाई में आशु को एक मोटी मोमबत्ती मिली, जिसे रेखा ने हँसते हुए उससे ले लिया कि पता नहीं कब की पड़ी है।
हालांकि आशु भी समझ गया कि रेखा मेमसाब इससे अपनी चूत की गर्मी शांत करती हैं।
रेखा ने बियर की दो केन खोल लीं।
आशु के बहुत मना करने पर भी रेखा ने उसे जबर्दस्ती एक केन पिला ही दी।
दोपहर तक अधिकांश काम निबट गया।
अब फ्लैट्स में गंदगी आती भी कहाँ है। सब कुछ तो बंद रहता है।
आशु ने रेखा से एक घंटे की छुट्टी मांगी कि वो नहा कर खाना खा आएगा।
रेखा ने उससे कहा कि खाना उसने ऑर्डर कर दिया है और वो नहा उसी के बाथरूम में ले।
उसे रेखा ने तौलिया दे दिया।
आशु ने इतना खूबसूरत बाथरूम पहली बार इस्तेमाल किया।
वह फटाफट नहाया.
बाहर से रेखा कह रही थी- तुम जल्दी से नहा लो, फिर मैं नहाऊँगी।
आशु जल्दी से टॉवल लपेट के बाहर आया।
कपड़े तो उसने बाहर ही बदले थे।
उसके कसरती जिस्म और चौड़ी छाती को निहारती रेखा जल्दी से बाथरूम में घुस गयी।
आशु ने बाहर अपने कपड़े ढूँढे तो नहीं मिले। शायद सफाई में रेखा ने इधर उधर रख दिये होंगे।
उसने आवाज़ देकर पूछा भी कि मेमसाब मेरे कपड़े कहाँ रखे हैं तो अंदर से आवाज़ आई कि वहीं तो रखे थे तुमने, अभी आकर देखती हूँ।
थोड़ी देर में रेखा की अंदर से फिसलने की आवाज़ आई।
आशु ने एकदम पूछा- मेमसाब क्या हो गया?
रेखा बोली- फिसल गयी हूँ … ज़रा मदद करो।
उसने दरवाजा खोल दिया।
आशु टॉवल लपेटे अंदर गया तो रेखा तौलिया लपेटे खड़ी थी।
तब आशु ने उसे सहारा देने की कोशिश की तो रेखा ने हँसते हुए शावर चला दिया।
तेज पानी से दोनों भीग गए.
रेखा ने अपना और आशु दोनों का टॉवल उतार फेंका।
अब दोनों निपट नंगे थे।
रेखा तो उसका लंबा और मोटा तना हुआ लंड देख सकते में थी।
अब रेखा और आशु दोनों की ही सोचने समझने की ताकत के ऊपर चूत की चुलबुलाहट और लंड की गर्मी हावी हो गयी थी।
रेखा ने आशु को अपने से चिपटा लिया उसके गीले बालों को पीछे से पकड़ कर उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिये।
आशु नहीं समझ पाया कि वो क्या करे।
पर उसका लंड भी अब बेकाबू हो रहा था।
उसने अपने दोनों हाथों से रेखा के बालों को पीछे से पकड़ा और अपने होंठों पर रेखा के होंठों की पकड़ को मजबूती दे दी।
अब रेखा उसके होंठों को काटते हुए अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा रही थी।
रेखा के मदमस्त मम्मे देख आशु तो मानों पगला गया।
उसने रेखा के मदमस्त मम्मों को नफासत से चूसना शुरू किया.
रेखा के हाथों में उसका लंड मचल रहा था, वह आशु को अपने अंदर लेने के लिए बेचैन हो रही थी।
आशु ने शावर जेल की शीशी लेकर रेखा के मम्मों और पीठ पर उड़ेल दी और कुछ अपनी छाती पर भी लगाया।
अब दोनों के बदन चिकने हो गए। दोनों लिपटते तो साथ ही बदन फिसलते।
रेखा के गोरे गोरे मम्मे अब आशु की छाती पर मसल कर फिसल रहे थे।
आशु ने हेंड शावर से रेखा के मम्मों, सिर, पीठ और आखिर में चूत को धोया।
ऐसे ही रेखा ने आशु को भी नहलाया।
अब आशु को रेखा ने नीचे फर्श पर बैठा दिया और बड़े संभालते हुए अपनी चिकनी चूत में उसका फनफनाता हुआ लंड ले लिया।
ऊपर से दबाव देते हुए उसने पूरा लंड गहराई तक अंदर किया और लगी ऊपर नीचे होने!
आशु भी उसके मम्मे चूस रहा था।
क्या गजब का स्टेमिना था रेखा में!
कुछ देर में ही आशु ने रेखा को अपने ऊपर से हटा कर अपना लंड मालकिन की चूत से निकाल लिया और उसे गोदी में उठा लिया।
रेखा ने भी उसकी गर्दन में बांहें डाल अपनी दोनों टांगें उसकी कमर पर लपेट दीं।
अब रेखा के मम्मे उसकी छाती से भिड़े हुए थे और दोनों के होंठ एक दूसरे में समा जाने की लड़ाई लड़ रहे थे।
आशु का लंड नीचे से रेखा की चूत के अंदर जाने की गुहार लगा रहा था।
अब आशु ने ज्यादा वक़्त न लगाते हुए रेखा को बेडरूम में आहिस्ता से बेड पर लिटा दिया और नीचे खिसक कर रेखा की चिकनी मखमली चूत में जीभ घुसा दी।
हॉट सेक्सी भाभी कसमसा गयी, उसने अपने हाथों से अपने मम्मे मसलने शुरू किए, उसकी दोनों एड़ियाँ अकुलाहट में एक दूसरे पर घूम रही थीं।
उसकी सीत्कारें निकल रही थीं।
वो सोच रही थी कि क्यों उसने इससे पहले इस बाँके मर्द को नहीं बुलाया।
क्यों वो उस खूसट अविनाश की खुशामद करती रही।
इधर आशु का मन तो रेखा के मम्मों पर अटका हुआ था।
उसने हाथ आगे बढ़ाए और रेखा के मम्मे दबोच लिए।
अब वो थोड़ा बेरहम हो चला था।
उसने अपनी जीभ रेखा की चूत से निकाली और अपने होंठ वापिस लेटी हुई रेखा के होंठों से मिला कर धीरे धीरे रेखा के बदन पर तैरने-सा लगा।
उसने अपने आपको अपनी बांहों पर साध रखा था और उसका लंड रेखा की चूत के ऊपर नीचे बार बार तैर-सा रहा था।
उसकी जीभ कभी रेखा की जीभ से चुहल करती, कभी नीचे आते समय रेखा के निप्पलस को चूमते हुए नीचे ऊपर हो जाती।
रेखा अब अपने हाथों से उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने को बेताब थी पर आशु का लंड मेंढक की तरह उसके हाथ से हर बार फिसल जाता और उसकी चूत में आग और भड़क जाती।
मेरे मित्र ने मुझे कुछ ही दिन Antarvasna पहले अन्तर्वासना के बारे में कहा था। पढ़कर बहुत मज़ा आया और अपना भी अनुभव आप लोगों तक पहुँचाने का मन किया।
मुझमें एक आदत है- कोई भी लड़की मेरी तरफ़ देखती है तो दूसरे ही पल मैं उसके वक्ष को देखता हूँ और तुरन्त ही नीचे चूत की तरफ़ देखता हूँ और दांतों से होंट काटते हुए उसकी आँखों में देखता हूँ। अगर वो फ़िर मुझे देखती है तो जान जाता हूँ कि काम की है और उसी पर थोड़ा लाइन मारता हूँ।
तो दोस्तो, बात एक साल पहले की है। हमारे पड़ोस में सामने वाले घर में अपने रिश्तेदार के यहाँ एक नई लड़की रहने आई। उसका नाम रोमा है, 19 साल की पजाबी लड़की थी। दिखने में किसी हिरोइन से कम नहीं थी। जो भी देखता था तो देखता रह जाता था। पर बहुत ही घमन्डी थी। और दोस्तो, मुझे घमन्डी लड़की को चोदने को बहुत मन करता है। जब से आई, उसे चोदने का मन बना लिया था।
नसीब से हम दोनों का बेडरूम फ़स्ट-फ़्लोर पर ही था और दोनों की गैलरी भी आमने-सामने ही थी। दो तीन दिन निकल गये वो जरा भी इधर-उधर नहीं देखती थी।
एक दिन शाम को मेरी तबियत ठीक न होने के कारण मैं जल्दी ही घर आ गया था और सोने के लिये बेडरूम में आ गया तो देखा तो रोमा अपनी गैलरी में खड़ी थी। मैंने सोचा- मौका अच्छा है।फ़िर तुरन्त ही अपना पैन्ट उतार के, वो मुझे देख सके, उस तरफ़ मुँह करके अपने लण्ड को तेल लगा-लगा कर मालिश करने लगा।
जैसे ही उसने मुझे नंगा देखा, तुरन्त अपने कमरे में भाग गई। दोस्तो, मेरा लण्ड अगर किसी भी औरत या लड़की ने देखा तो चखने का मन बन ही जाता है। फ़िर मैंने खिड़की के काँच से देखा तो पता चला कि वो दरवाजे के पास कुर्सी डाल कर चुपके से मेरे कमरे में झांक रही थी। मैंने सोचा- मेरा काम हो गया।
फ़िर मैं भी कुर्सी ले कर दरवाजे के पास जाकर बैठ गया और तेल लगाकर मुठ मारने लगा। वो छुप-छुप के देख रही थी और शरमा रही थी और देख भी रही थी। उसे जरा भी पता नहीं था कि मैं जानबूझ के उसे दिखा रहा हूँ। फ़िर उसे और भड़काने के लिये ही मैंने मेरी भाभी से पानी लाने को कहा।
वो तो दंग रह गई। एक तो मैं पूरा नंगा था और भाभी को बुला रहा था। भाभी जैसे ही पानी लेकर आई, मुझे देखकर बोली- शरम नहीं आती? जब देखो तब लेकर बैठ जाते हो !
मैं उठ कर भाभी के पास गया और उसे पीछे से पकड़ लिया और मस्ती करते करते ठीक दरवाजे के पास लाकर भाभी के पीछे से ब्लाउज के उपर से ही भाभी के स्तन दबा रहा था। भाभी मुझे डाँटते हुए मुझसे छुटने की कोशिश कर रही थी और बोल रही थी- रात को आऊँगी ! जी भर के चोद लेना ! और कहने लगी- छोड़ो, कोई देख लेगा।
मुझे तो दिखाना ही था ! भाभी को कहाँ मालूम मेरी योजना। यह सोच कर मन ही मन मैं मुस्कुराने लगा और उनके बाल पकड़ के पीछे से चूमने लगा। हमारा यह नज़ारा देख कर रोमा और पगल हो रही थी और घूर घूर कर देख रही थी। मैं धीरे धीरे भाभी के स्तनों को दोनों हाथों से जोर जोर दबा रहा था। अब भाभी को मजा आ रहा था और मेरा विरोध करना बन्द कर दिया।
फ़िर मैंने एक हाथ से उसकी साड़ी को ऊपर उठाया और उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर भाभी की चूत में उंगलियाँ डाल कर मसल मसल कर मुठ मारने लगा। थोड़ी देर में भाभी की साड़ी खुल गई तो मैंने पैन्टी भी उतार दी।
एक हाथ दरवाज़े पर टिका दिया और पीछे से अपना लण्ड भाभी की चूत के पास लाकर आगे से चूत को लगा कर ऊपर नीचे करने लगा। भाभी बेड पर ले जाने को बोल रही थी। मैंने मना किया और एक झटका मार दिया तो आधा लण्ड अन्दर चला गया। एन्गल ऐसा था कि चूत में घुसा हुआ आधा लण्ड रोमा को साफ़ दिखाई दे रहा था।
और रोमा को देख कर मैं भी जोश में आने लगा और भाभी को गपागप चोदे जा रहा था। ऊपर से दोनों हाथों से दोनों चूचियों को बेरहमी से दबा रहा था और साथ में भाभी के होंठों को चूस-चूस के मजे ले रहा था। हम दोनों के चक्कर में भाभी को मजा आ रहा था और मुँह से तरह तरह की आवाजे निकाल रही थी- आऽऽ आआ अह, या आह्ह, उफ़्फ़, बस, छोड़ो मुझे, जाने दो, कोई देख लेगा !
भाभी की आवाजों से रोमा भी उत्तेजित होने लगी। बीच बीच में लण्ड बाहर निकाल के अन्दर डाल रहा था। मलाई से लोट-पोट लण्ड देख कर रोमा से रहा नहीं जा रहा था। लण्ड अच्छा दिख रहा था। फ़िर झटके तेज करके लगा रहा था। दस मिनट तक एसे ही चोदता रहा, इतने में भाभी की चूत से पानी निकल गया तो वो मेरे हाथ से छुट गई और अपने कपड़े उठा के वहाँ से चली गई।
फ़िर मैंने रोमा के सामने आकर लण्ड हाथ में लेकर मुठ मार-मार कर पानी निकाल दिया। जैसे ही मेरे लण्ड से पानी निकला, तो पानी जैसे उसके मुँह में गिरा हो, उस तरह रोमा अपना थूक निगल रही थी। इतने में रोमा के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी तो वो उठकर गई और मैं भी छुप गया।
दूसरे दिन भाभी ने मुझसे चायनीज़ खिलौनों की दुकान से फ़ाईबर का लण्ड मंगवाया। भाभी को शादी हुई दो साल हुए, मेरे भैया से उनको चूत का सुख नहीं मिलता था। उसे अब तक भैया ने कम, मैंने ज्यादा चोदा है।
तो रात को 9-30 बजे जब मै बडरुम में गया तो देखा कि रोमा अपने कमरे में बैठकर टी वी देख रही थी और थोड़ी-थोड़ी देर बाद मेरे कमरे की तरफ़ देख रही थी। मैं समझ गया कि उसे चूत का खेल फ़िर से देख्नना है। फ़िर मुझे भी भाभी को फ़ायबर के लण्ड का मज़ा देना था।
जैसे ही मैंने भाभी को आवाज़ दी, रोमा ने अपने कमरे की लाइट बन्द कर दी और अपने बेड पे जाकर खिड़की में नजर टिका कर बैठ गई। पर टीवी चालू होने के वजह से साफ़ पता चल रहा था कि वो मुझे देख रही है।
घर पर आज भी मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था। इतने में भाभी दूध ले कर ऊपर आ गई। भाभी को भी घर पर कोई न होने का पूरा मजा लेना था। आते ही वो भी सीधा बेड पे आ गई। मैंने सारे कपड़े उतार दिए और उनके बाल खुले करके लेटा दिया। फ़िर भाभी टांगें ख़िड़की की तरफ़ करके उसकी चूत चाटने लगा। फ़िर उंगलियों से मसलने के बाद जब चूत पूरी तरह गीली हो गई तो मैंने फ़ायबर का लण्ड भाभी की चूत में धीरे से घुसेड़ दिया।
घुसते ही भाभी चिल्लाई। रोमा को भी कुछ नया दिख रहा था। जैसे ही पूरा लण्ड अन्दर गया, भाभी और चिल्लाने लगी, क्योंकि वो काफ़ी मोटा था और लम्बा भी था।
मैं थोड़ी-थोड़ी देर में रोमा को देख रहा था। अब वो पूरी तरह से पलट कर हमें देख रही थी। फ़ायबर के लण्ड से थोड़ी देर चोदने के बाद मैंने भाभी को उल्टा करके कुतिया बनाया और भाभी की गाण्ड में थूक लगा के गीला कर दिया फ़िर धीरे से अपना लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया। भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। धीरे-धीरे भाभी की गाण्ड खुल गई। फ़िर मैं उठ-उठ कर चोदने लगा। तो भाभी का हाल- न कहा जाये न सहा जाये ! ऐसा था।
थोड़ी देर गाण्ड चोदने के बाद भाभी को उठा के बाल पकड़ कर मुँह में लण्ड दिया। वो लण्ड चूसने में माहिर है। मुँह से ही कभी कभी लण्ड ढीला करके पानी निकाल देती थी। थोड़ी देर बाद भाभी को सीधा करके दस बारह झटके मारते ही भाभी झड़ गई और ऐसे ही पलंग पर सो गई।
तब मैंने लाइट बंद कर दी और चुपके से दरवाजे से होकर गैलरी से कूद कर रोमा की गैलरी में गया और दरवाजे से अंदर जा के सीधा लाइट चालू किया जोर से कहा- क्या देख रही हो कब से?
रोमा एकदम डर गई। वो पूरी नंगी थी। उसकी उंगलियाँ चूत में थी। मैं उससे पास गया फ़िर भी वो उठी नहीं। उसे लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई। मौके का फ़ायदा उठा के मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। वो कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।
फ़िर ज्यादा देर न करके उसे लिटा कर उसकी चूत में उँगली डाली तो पता चला चूत पूरी गीली और एकदम कंवारी थी। मैं अपना लण्ड चूत के मुख पर रख कर ऊपर-नीचे घिसाता रहा और फ़िर जोर से एक झटका दिया तो आधा लण्ड अन्दर घुस गया।
रोमा जोर से चिल्लाई- ओ…मा…॥
फ़िर रोमा ने अपनी जांघें जकड़ ली दर्द के मारे ! मुझे हिलने नहीं दे रही थी। रोमा का ध्यान दर्द से हटाने के लिये मैं उसके स्तन मसल रहा था। एक साथ दोनों जगह का आनंद लेते लेते रोमा ने अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर ली। मैंने भी मौका देखकर जोर से दो चार झटके दिए तो इस बार पूरा लण्ड रोमा की चूत को फ़ाड के अंदर चला गया।
रोमा के मुँह से उप्स्स्स्स्स की आवाज निकली। फ़िर उसके चाहने पर भी ना रुका ! गपागप रोमा की मस्त चूत को चोदता ही रहा। उसके मुँह से आवाज रुक नहीं रही थी- आहाह्ह्ह्ह उईईई माँ ! और 5 मिनट में रोमा स्खलित हो गई। दस बारह झटके लगा के मैंने भी पूरा का पूरा पानी अंदर ही छोड़ दिया और चुपचाप अपनी चड्डी पहनकर अपने कमरे में आ गया।
रात को चार बजे एक बार देखने गया तो रोमा अभी भी ऐसे ही सोई हुई थी। उसका नंगा बदन देख के मेरे मन को लगा कि फ़िर मौका मिले ना मिले, एक बार और चोद लेता हूँ।
और फ़िर चालू हो गया। दस मिनट चोद के फ़िर पूरा पानी अंदर ही छोड़ कर आ गया।
तीन दिन के बाद रोमा अपने शहर चली गई। लेकिन उसने मुझे फ़िर नहीं देखा। बीस दिन के बाद अचानक वो फ़िर से आई और रात को मुझे अपने कमरे में बुलाया। मैं खुशी से गया तो पता चला कि उसका मासिक जो 15 तारीख को आता था वो नहीं आया ! वो तो डर गई थी, यही बताने खास वो यहाँ आई थी। मैंने उसे दवाई दी तो उसका मासिक हो गया।
अब हमारी अच्छी दोस्ती हो गई, अपना मोबाइल नम्बर दे गई। महीने में एक बार उसे मिलने जाता हूँ तो चोद के ही आता हूँ।
मैं यह कहानी भी उसे पूछ कर ही लिख रहा हूँ।
मेरे दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना। Antarvasna
सब लोगों को मंगू जी का Sex Stories प्रणाम ! मैं अपनी कहानी बता रहा हूँ। मैंने अपनी अड़तालीस साल की उम्र में ऐसा अनुभव नहीं किया था।
मैं अपने काम के सिलसिले में अहमदाबाद गया था और वहाँ से लौटते वक्त की बात है, ट्रेन में बहुत भीड़ थी और मुझे ऊपर वाली सीट पर बैठने की जगह मिली। गुजरात छूटने पर ट्रेन में भीड़ कम हुई और मैं ऊपर ही लेट गया। न जाने कब वसई आया और ट्रेन में कुछ लोग चढ़े ! एक यू पी वाले भाई ऊपर आकर मेरे बाजू में बैठ गए। तब तक ठीक था। मैं निद्रा की अवस्था में था और उस व्यक्ति ने अपना हाथ का पंजा मेरी जांघ पर रख दिया और आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लौड़े की तरफ बढ़ाया। रात का समय था, लोग पूरी तरह सो चुके थे और भीड़ भी कम हुई थी। मैं थोड़ा सा सिकुड़ गया तो उसने हाथ से इशारा किया कि कोई बात नहीं, पड़े रहो !
मैंने वैसा ही किया तो उसने सहलाना और तेज कर दिया। मैंने अपनी 48 साल की उम्र में ऐसा अनुभव नहीं किया था, क्या बताऊँ, अच्छा भी लग रहा था और थोड़ी हिचकिचाहट भी हुई। वह समझ गया कि क्या करना है। उसने मुस्कुराते हुए देखा और इशारे से कहा- पड़े रहो ! मज़ा आएगा !
और सही कहूँ तो वो था तो अच्छा अनुभव ! एक पुरुष मेरे लौड़े से इस तरह खेले, यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। मैं मन ही मन में मचलने लगा और सोचा कि कब वह मेरा लौड़ा मुँह में ले ले ! वह व्यक्ति बड़ा समझदार था, उसने मेरी पैंट की चेन खोल दी और देख कर दंग ही रह गया, कहा- अबे गांडू ! ऐसा लौड़ा क्यों हमसे छुपाते हो ? कैसा धनुष की तरह है (दोस्तों मेरा लौड़ा थोड़ा टेढ़ा है !) मुझे आज सही मज़ा आएगा ! कहते हुए धीरे से मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह बड़े मजे से चाटता रहा और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी।
मैंने पूरे मज़े लेना चाहा और उसके कानो में कहा- अरे, कोई सुनसान डिब्बा देख कर आओ !
और उसने बड़ी समझदारी दिखाई और थोड़ी ही देर में आकर कहा- चलो व्यवस्था हो गई है।
हकीकत में उसने टी टी को पटाया था और हम लोग फर्स्ट क्लास के डिब्बे में बंद कमरे में पहुँच गए। मै बड़ा खुश हुआ, सोचा, आज तक किसी ने मेरी गांड नहीं मारी थी और आज यह भी सपना पूरा होगा। मेरे हाथ-पैर गर्म हो गए। मैं चाहता था कि वो मुझे पूरे सफ़र में चाटता रहे। उसने मुझे सही तरीके से लेटने के लिए कहा और मैंने पूरी तैयारी के साथ वैसा ही किया। उसने मेरे पूरे कपड़े एक ही झटके में निकाल दिए और मेरा पूरा बदन औरतों के जैसे चाटने लगा। क्या कहूँ लिखते वक्त भी रोम रोम मचलता है।
सच कहूँ, ऐसा रोज़ हो ! क्या करूँ, कोई सामने से प्रस्ताव तो रखे, मैं तैयार हूँ !
ओ के !
तो उसके मुझे चाट लेने के बाद मैं चाहता था कि जल्दी से वह नंगा हो जाए और मुझे भी उसका लौड़ा भी चूसने दे पर वह बड़ा चालाक था, उसे मुझसे पहले मज़ा करना था, मैंने भी फिर थोड़ी सी नाराजगी के साथ कहा- बस आप मुझे कुछ नहीं दोगे तो मैं चला अपनी सीट पर !
फिर क्या था, उसने भी एक ही झटके में कपड़े उतार दिए और कहा- लो हम तुम्हारे हवाले हो रहे हैं मेरे लंड मास्टर !
उसका लौड़ा नुकीली पेंसिल की तरह था। फिर हम 69 की पोजीशन में हो गए। मैं उसका और वह मेरा लौड़ा चूसने लगे। दस मिनट के बाद उसने कहा- चलो, अब गांड मारने की शुरुआत करें !
मैं तैयार था, उसने तुरंत मुँह फेरा और कहा- पहले तुम मेरी गांड मारो !
मैंने कहा- नहीं पहले मेरी मारो !
तब उसने कहा- नहीं, शुरुआत मैंने की है तो मेरा पहला नंबर !
फिर क्या करता ? गांड मारने के पहले मैंने उसके निपल दबा दिए तो वह ख़ुशी से झूम उठा, कहा- अरे यार तुम तो गांड मारने के मास्टर बनोगे ! यह सब कहाँ से सीखा ?
मैंने कहा- बस यूं ही दिल हुआ !
तो उसने तेजी से मुँह पलट कर मेरे निपल मुँह में लिए और औरतों के निपल की तरह मेरे निपल से खेलने लगा और मेरे निपल एकदम कड़क हो गए। मैं और रोमांचित हुआ और लगा बस यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे। उसने झटके से मुँह पलटा- अरे यार गांड तड़प रही है, जल्दी से गांड में अपना लौड़ा डाल दो ! मेरी गांड में अब सहन नहीं होती यह दूरी !
उसने मुझे क्रीम दी और कहा- अपने लौड़े पर लगाओ और उंगली से मेरी गांड के अंदर भी लगाओ !
मैंने क्रीम लगा दी और उसे घोड़े की मुद्रा में करके जीवन का पहला अनुभव लेते हुए उसकी गांड में लौड़ा एक ही पल में घुसेड़ दिया। वह कराह उठा, कहा- यार, गांड मारनी भी नहीं आती ?
क्योंकि गांड मारने का अनुभव जो नहीं था।
उसने कहा- तेरा लौड़ा कितना कमनसीब है, चल अब डाल आहिस्ता से !
मैंने वैसे ही किया। थोड़ी देर मशक्कत करने के बाद मुझे समझ में आया कि कैसे गांड मारनी है। मैंने ऐसी मस्त गांड मारी कि वह बहुत खुश हुआ, कहा- यार, तू भी सीख गया है ना?
मैंने खुशी से हाँ कहा। न जाने मैं क्यों उतावला हो रहा था अपनी गांड मरवाने के लिए ! अपने जीवन में बहुत बार लोगों को गांड मारने वाली गाली देते हुए सुना था और आज सचमुच में ऐसा मस्त पेंसिल की नोक वाला लौड़ा मेरी गांड मारेगा, मैं बहुत उतावला हो रहा था।
वो बड़ी देर मेरे लौड़े से खेला और उसे देख कर बोला- यार ऐसा लौड़ा नसीब वालों को मिलता है।
यह कहकर दोबारा मुँह में डाल दिया और बड़ी इज्जत से गोलियों को चूसने लगा। फिर उसने कहा- अब मैं तुझे नहीं तड़फ़ाऊंगा।
उसने मुझे पलटने को कहा। मैंने घोड़े का पोज़ लिया, वह बड़ा खुश हुआ, मेरा मुँह डिब्बे की खिड़की की तरफ था और मैं तैयार था उसको चढ़वाने के लिए, यू पी वाला तो बस मेरी गांड मारने के लिए बेताब था।
उसने बिना क्रीम लगाये गांड में लौड़ा घुसेड़ना चालू किया। मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था।
उसने कहा- नए लोगो को क्रीम लगाए बिना गांड मरवानी चाहिए ! इससे गांड को आदत हो जाती है मरवाने के लिए !
और उसने पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया और चालू कर दी उसने अपने लौड़े की रेलगाड़ी। बड़ा मज़ा आने लगा। वह गांडू इस कदर मेरी गांड मार रहा था जैसे कितने साल से भूखा था, मगर उसका पानी नहीं छुट रहा था। करीब बीस मिनट से मैं उससे चुद रहा था और फिर उसने मेरी गांड में पूरा पानी छोड़ दिया।
तभी दरवाज़ा खुला, मैं और वो एकदम चौंक गए क्योंकि दरवाज़े पर एक मस्त औरत खड़ी थी और हमारा खेल देख रही थी।
उसने कहा- यह क्या चल रहा है?
आगे की कहानी दूसरे भाग में पढ़िए। Sex Stories
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