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Massage Girl in Baramulla: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Baramulla who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Baramulla that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Baramulla massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Baramulla who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Baramulla massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Baramulla massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Baramulla who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Baramulla employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Baramulla helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Baramulla

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Baramulla at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

दोस्तो! मैंने अन्तर्वासना को पहले Antarvasna भी एक कहानी
बरसात में चाची की चुदाई
भेजी है। जिस कहानी को आप लोगों ने बहुत अच्छा रिस्पोंस दिया है।

तो दोस्तो, उसी रिस्पोंस के बदले आपका सेक्सी सावन फ़िर से आपके सामने हाजिर है अपनी एक नई कहानी लेकर!

उन दिनों मैं अपने मामा के घर पर गया हुआ था.
वही पर मेरी एक मौसी की लड़की भी अपनी सर्दियों की छुट्टियों में आई हुई थी।

उस वक्त मेरी उमर 21 साल थी और मौसी की लड़की जिसका नाम अनिता था उसकी उम्र कोई 19 साल के आसपास होगी.

हम दोनों अपनी पूरी जवानी की मस्ती में थे.

उसके बदन के उभरे हुए अंगों की गोलाई उसकी जवानी में चार चाँद लगा रही थी।
उसकी तारीफ मैं क्या करू खूबसूरती में कैटरीना कैफ जैसी थी।
लेकिन चूचियां उससे भी ज्यादा लगती थी उसे देख कर मेरी रातों की नींद गायब होने लगी.

एक रात में ख़ुद को रोक नहीं पाया और चुपके से जाकर मैंने उसकी रजाई हटा दी तो देखा कि उसकी चुन्नी चुचियों से इस तरह लिपटी हुई थी मानो कि काला नाग किसी खजाने की पहरेदारी कर रहा हो.

इससे पहले कि मैं उस जवानी के खजाने को छू पाता, सर्दी लगने की वजह से अनिता की आँख खुल गई।
आँख खुलते ही उसने मुझे देखा.

इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और चुपचाप चला गया.
लेकिन मैं डरा हुआ था की शायद वो किसी से कुछ कह न दे.
और फ़ैसला कर लिया कि अनिता का ख्याल छोड़ कर आज ही घर चला जाऊंगा.

स्टेशन से पहले ही अनिता का फ़ोन आया और वो बोली- आग लगा कर जाना अच्छी बात नहीं होती.
और फ़ोन काट दिया।

इतना सुनते ही मेरी हसरतें जवान होने लगी और वहीं से वापसी के लिए टैक्सी पकड़ी और एक घंटे मैं अपनी अनिता के पास पहुँच गया।

सभी ने पूछा- वापिस क्यों आ गया?
मैंने बहाना बनाया और कह दिया कि मेरे किसी दोस्त ने पापा की आवाज निकाल कर मजाक किया था.

अब तो मैं बेचैनी से रात होने का इंतज़ार करने लगा.

जैसे ही रात को सब सोने चले गए तो अनिता भी मामी के साथ उनके कमरे में चली गई.

मैं सब के सोने का इंतज़ार कर रहा था.

मैंने देखा सब सो गए है तो में चुपके से मामी के रूम में गया और जाकर अनिता को देखा तो मालूम हुआ वो भी नहीं सोयी थी।

मैंने पूछा- सोयी क्यों नहीं?
तो कहने लगी कि जब तन बदन में कोई आग लगा दे तो भला नींद कैसे आएगी.

मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया जैसे उसका फूल सा बदन मेरे बदन से छुआ तो मानो मेरे तन में बिजली सी लग गई हो.

ऊपर एक रूम हमेशा खाली रहता था, वो गेस्ट रूम था मैं अनिता को वहीं ले गया।

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके मदमाते बदन को एकटक देखने लगा.
अनिता बोली- तुम्हारी बेशरम निगाहें मेरे बदन को और ज्यादा बेकरार कर रही हैं।

मैंने एक एक करके अनिता के सारे कपड़े उतर दिए उसके तन पर सिर्फ़ ब्लैक कलर की चोली (ब्रा ) और कच्छी (पैंटी ) थी.

उसने उठकर मेरे कपड़े उतार दिए.

अब मैं उसे मस्त अहसास से किस करने लग गया।
मैंने उसके अंग अंग पर अपने गरम होंठों से बहुत देर तक किस की.

अपने मुंह से मैंने अनिता की पैंटी को हटाया जो कि चूत के पानी से बिल्कुल गीली हो चुकी थी।
मगर उस पैंटी से अनिता की जवानी की खुशबू आ रही थी।

अब अनिता की वो मस्त और मोटी चूत मेरे सामने थी जिसे मैं सिर्फ़ अपने ख्यालों में ही सोचा करता था.

मैंने अनिता की ब्रा उतार दी तो उसकी बिंदास चूचियां अब मेरे होठों की गिरफ्त मैं आ गई थी।

मैंने जी भर के उन्हें चूसा तो अनिता तड़पने लगी.
अनिता के मुंह से मस्त मस्त आवाजें आ रही थी- अआया अ … ह्ह्ह … ऊऊ ऊ ऊफ. ईई ऊईई … श्सस सश्स … अह्ह्ह. उह … मेरे सावन … अब और न तड़पाओ. अब और न तड़पाओ मुझे.

मैं चूचियों को चूसता हुआ उसके तन को चूमने लगा

चूमते चूमते मैं अपने होंठों को अनिता की मस्त और सेक्सी चूत के पास ले आया.

अनिता और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी इसलिए उसने मेरे लम्बे और मोटे लन्ड को अपने नरम नाजुक और गरम होंठों के बीच कैद कर लिया और बिंदास होकर चूसने लगी.

साथ ही साथ मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से सहला रहा था.
10 मिनट तक हम दोनों इसी तरह करते रहे.

तभी अनिता की जवानी का रस उसकी चूत से निकल कर बाहर आ गया और मैंने उस रस की एक एक बूँद को अपने होंठों पर ले लिया.

सचमुच उस रस को पीकर तो कोई भी वासना का प्रेम पुजारी हो जाए.

तभी मेरे लन्ड के वीर्य ने अनिता की जवानी को भी भिगो दिया.
अनिता ने भी मेरे लंड के रस की एक एक बूँद का स्वाद चखा.

हम दोनों एक दूसरे को कस के पकड़े हुए थे, साथ साथ एक दूसरे के लन्ड और चूत को सहला रहे थे.

कुछ देर बाद हम दोनों फ़िर से तैयार थे.

मैंने बिना कोई देर किये अनिता को अपने नीचे कर लिया.

अब अनिता मेरे लन्ड को अपनी चूत में लेने के लिए बेकरार थी.
उसकी चूचियां और ज्यादा मोटी और टाइट हो गई थी और चूत की भी चमक इतनी बढ़ गई कि लन्ड चूत को देखकर उसमें समाने के लिए बेकरार हो रहा था.

हम दोनों में अब और इन्तज़ार का होसला नहीं था इसलिए मैंने लन्ड को चूत के दरवाजे पर टिका दिया और जोर से झटका लगाया.
इस झटके के साथ ही अनिता की चीख निकल गई.
लेकिन मैंने उसकी आवाज अपने होंठों से वही कैद कर दी.

मैंने बहुत सी लड़कियां चोदी हैं लेकिन जितनी टाइट चूत अनिता की थी उतनी शायद किसी की नहीं थी।

चार पांच बार कोशिश करने पर भी लन्ड चूत में समा नहीं पाया.

मुझे डर था कि इस तरह तो अनिता को बहुत परेशानी होगी. हो सकता है कि अनिता बेहोश भी हो जाए.

इसलिए मैं नीचे से कोल्ड क्रीम और एक पानी की बोतल ले आया.

अनिता को काफी दर्द हो रहा था.
मैंने कोल्ड क्रीम अनिता की चूत और अपने लन्ड पर लगा दी.
फिर लन्ड को चूत पर रख कर धीरे धीरे अंदर डालने लगा.

लन्ड जितना अंदर जाता, अनिता उतनी ही दर्द से कराह कर मुझसे लिपट जाती.

मैंने एकदम ज़ोर से झटका लगाया और पूरा लन्ड चट की आवाज के साथ चूत के अंदर चला गया।

अनिता की चीख निकल गई और खून चूत से बाहर आने लगा.
दर्द के कारण अनिता सह नहीं पाई और बेहोश हो गई।

मैंने अपना लन्ड चूत में ही रखा और ठंडे पानी के छींटे अनिता के मुंह पर मारे.
तब अनिता ने आँखें खोली.

अनिता मेरी तरफ़ देख रही थी कि मैंने तभी अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा.

धीरे से मैंने अपने लन्ड को हिलाया तो चूत कुछ नर्म लगने लगी.
और अब अनिता के कराहने की आवाज आई- अह अआया … आह्ह सस … ईईश …. ऊफ़ ओह … सावन चोदो … मर गई मैं!

अब अनिता की चूत अपने वासना के जादू से मेरे लन्ड को अपने भीतर पागल कर रही थी.

मेरा लन्ड भी अनिता की चूत को जी भर कर चोद रहा था.

वास्तव में अनिता की चूत को चोदकर मैं स्वर्ग की किसी अप्सरा को चोदने का अहसास कर रहा था.

हम दोनों चूत लन्ड के इस खेल को आधे घंटे तक खेलते रहे.

तभी अनिता की पकड़ मुझ पर और ज्यादा हो गई और मैं समझ गया कि अनिता का सेक्स पूरा हो गया है।
उसकी चूत का गर्म पानी मुझे अपने लन्ड पर महसूस हुआ.

अब मेरे लिए भी ख़ुद को ज्यादा देर रोक पाना आसान नहीं था और मैंने भी अपनी वासना के बादलों को अनिता की चूत की प्यासी धरती पर बरसा दिया।

और इसके बाद हम दोनों एक दूसरे पर काफी देर तक लेटे रहे.

अनिता बोली- सावन, ये आज मेरी पहली सुहागरात है. आज रात मुझे जी भर के चोदो और लगा दो अपनी अनिता पर सावन की मोहर!

उस रात मैंने अपनी अनिता को चार बार चोदा.

लेकिन उस दिन अनिता की चूत पर बहुत सूजन आ गई.
साथ ही मेरे लन्ड में भी दर्द का अहसास हो रहा था क्योंकि चूत ज्यादा टाइट थी।

अनिता से चला नहीं जा रहा था.
मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और उसके बिस्तर पर लिटाया और उसे एक चुम्बन करके चला आया.

उस दिन के बाद जब तक मैं मामा के घर पर रहा, हम दोनों की सारी रात उसी गेस्ट रूम में गुजरती थी अकेले तन्हा एक दूसरे के आगोश में.

सचमुच चुदाई का मज़ा लेने के बाद कुछ ही दिनों में अनिता के चेहरे की चमक अपने आप बढ़ने लगी, वो और ज्यादा ख़ूबसूरत और सेक्सी हो गई।

तो दोस्तो, कभी अपने इस सेक्सी सावन को भी अपनी प्यास बुझाने के लिए याद कीजिये Antarvasna

प्रेषक : आदि Antarvasna

दोस्तो, मैं आदि, मेरी उम्र २० साल है Antarvasna और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरा लण्ड छः इंच का है, मैं 6’1″ लम्बा हूँ।

बात आज से लगभग एक साल पहले की है, मेरी मम्मी की तबीयत ख़राब होने के कारण हम लोगों ने एक आंटी को खाना पकाने के लिए रखा। वैसे वो काम वाली नहीं थी पर उनके घर की खराब हालत की वजह से वो हमारे घर काम करने आई।

वो बिलकुल गोरी चिट्टी थी, बड़े-बड़े मम्मे और मोटी गांड एक दम कातिल बदन था उनका। उनके घर में आते ही मुझे मस्ती चढ़ जाती थी। मैं उन दिनों छुट्टियों की वजह से घर पर ही रहता था और मेरे घर वाले सुबह ही काम पर चले जाते थे, मम्मी दो बजे से पहले नहीं आती थी।

तो अब बात पर आते हैं असली बात पर !

आंटी मुझे वासना की निगाह से देखती है, यह मुझे पता नहीं था। लेकिन वो दिन का खाना बनाने आधा घंटे पहले ही आ जाती थी। तो मुझे कुछ कुछ महसूस हुआ क्योंकि वो मुझे कुछ-कुछ काम बताती रहती थी और उसी बहाने मैं उसे छू लिया करता था। उसे छूते ही मेरे बदन में करंट सा दौड़ने लगता था। मन करता था उसे वहीं दबोच लूँ पर हिम्मत कभी नहीं होती थी।

धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ी और मैं उन्हें किसी न किसी बहाने से छू लिया करता था और वो भी कभी ऐतराज़ नहीं करती थी। आग दोनों तरफ बराबर लगी थी। मेरा लौड़ा तो उसे देखते ही खड़ा हो जाता था, वो भी उसे देखती रहती और नीचे झुक कर अपनी चूचियों के दर्शन कराती थी।

एक दिन अंजू ने मुझसे कहा- आदि, तू मुझे उठा सकता है क्या ?

मैंने कहा- आराम से।

वो बोली- नहीं उठा सकता !

मैंने कहा- तो आओ, उठा कर दिखता हूँ।

और वो घड़ी आ गई जिसका मुझे और अंजू दोनों को इंतज़ार था। मेरा लौड़ा तो पहले से ही खड़ा था। मैंने अंजू को उठाया, मेरा एक हाथ उसकी चूची के ऊपर था और उसके चेहरा बिल्कुल मेरे करीब था। मैंने हिम्मत करके अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए, उसने भी मेरा साथ दिया।

फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया। मैं उसका कुरता उतारने लगा तो बोली- अपनी अंकल की जगह पर मत जा !

मैंने कहा- सब जगह अब मेरी है !

और मैंने जोर से उसके होंठ चूम लिये। वो गर्म हो गई थी। मैंने उसका कुरता उतार दिया और सलवार भी। अब वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। वो आआ आआअहहहहह ऊ ऊऊ उहह्ह्ह्हह्ह की आवाजें निकालने लगी। उन सिसकारियों ने मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर दिया और मैं उसकी चूचियाँ बहुत बुरी तरह चूसने लगा और चूसते-चूसते मैंने उसकी पैंटी उतार दी।

अब वो पूरी नंगी थी। फिर उसने पहले मेरी शर्ट उतारी और मुझे चूमने लगी। फिर उसने मेरी पैंट उतारकर मेरा लौड़ा चूसने लगी। क्या लंड चूसा उसने, वो मज़ा आ गया।

मैंने भी उसके मुँह में ही धक्के मारने शुरू कर दिये। करीब 15 मिनट बाद वो मेरा सारा माल पी गई।

फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी। मैंने उसके बाल पकड़ कर उसके होंठ दुबारा चूमे और मैं क्या देखता हूँ- मेरा लण्ड दुबारा खड़ा हो गया है।

मैंने उसकी टाँगें फैलाई और एक झटके में उसकी चूत में घुसेड़ दिया। वो तड़प उठी और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैं पूरे जोश में था और सच बताऊँ दोस्तो, मुझसे कण्ट्रोल भी नहीं हो रहा था। मैं बहुत तगड़े-तगड़े धक्के मारने लगा, वो बोली- धीरे धीरे मार ! फाड़नी है क्या मेरी चूत तुझे?

मैंने कहा- आंटी, आज मत रोको ! आज बस भोंसडा बना दूंगा तेरी चूत का।

जैसे-जैसे मैंने जोर से धक्के मारे, वो बोलती- आआ आ आ आअह्हह्ह आदि, धीरे ! मर जाउंगी ! आह आ…..आआ……हय मर गई मैं ! आ……अह।

थोड़ी देर में वो अपनी गांड उठा-उठा कर चुदने लगी। वो एक बार झड़ चुकी थी। मेरा माल निकलने वाला था, मैंने धक्के और तेज़ कर दिए। पूरे कमरे में कच कच और सिसकारियों की आवाजें गूंजने लगी।

वो बोली- आदि, आ आअह्ह्ह ह्ह्ह् ! और जोर से फाड़ दे आह आ अह आह आअह आह आह आह ऊह।

मेरा भी निकलने वाला था, हम दोनों पसीने पसीने हो गये थे और तभी आंटी फ़िर झड़ गई और उसके मुँह से संतुष्टि भरी आवाज़ निकली अअआआ………आआह्ह्ह ह्ह्ह

तभी मैं भी झड़ गया।

थोड़ी देर तो हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर हम अलग हो गए।

सच बताऊं दोस्तो, उस दिन को कभी नहीं भूल सकता क्योंकि वो मेरी पहली चुदाई थी।

मेरी और कहानियों के लिए थोड़ा इंतज़ार कीजिये। मेरी कहानी आपको कैसी लगी ज़रुर बताइयेगा। Antarvasna

Xxx मॉम चुदाई कहानी मेरी सौतेली अम्मी की चूत मारने की है. पहले मैं अपनी बहनों को चोद कर मजा कर लेता था. उनकी शादी के बाद मेरी नजर अपनी अम्मी पर पड़ी.

दोस्तो, मेरा नाम आदिल है और मैं 23 साल का हूँ.
मेरे घर मे मेरे अलावा अम्मी, अब्बू और मेरी 2 छोटी बहनें है.

यह Xxx मॉम चुदाई कहानी है, मजा लें.

मेरे अब्बू ने कई शादियाँ की हुई हैं.
मेरी सगी अम्मी पहले ही मर गयी थी.
इस वक्त जो अम्मी मेरे साथ रह रही है, वो मेरी नहीं … पर मेरी दो छोटी बहनों की अम्मी है.

अपनी दोनों बहनों की चूत की सील मैंने पहले ही तोड़ दी थी. मैं मजे से उन दोनों के चुचों के साथ खेलता था.

पिछले साल उन दोनों का निकाह हो गया और अब वो दोनों अपने शौहरों के लंड की सेवा में लगी हुई हैं.

मेरी अम्मी का नाम नगमा (43) है. वो बेहद खूबसूरत बदन की मल्लिका हैं, जिनके 36D के गोल और तने हुए बोबे, किसी भी लंड को खड़ा करने का दम रखते हैं. तीस की कमर है, जिसको मैंने कई बार ख्वाब में पकड़कर उन्हें चोदा है.

अम्मी की 38 इंच की उठी हुई गांड है, जो चलते हुए इतनी मस्त हिलती है कि बस मन करता है कि अभी के अभी साली की सलवार खोलकर गांड मार दूँ.

मेरे अब्बू का नाम नासिर है, वो 51 साल के हैं.
अब्बू छह साल पहले उस्मान चाचा के साथ कोलकाता काम करने गए और वहां जाकर अपने से 20 साल छोटी औरत 31 साल की शब्बो से शादी कर ली.

शब्बो हल्की सी सांवली पर बेहद दिलकश कटाव वाले भरे हुए बदन वाली औरत थी. उसे देखकर कई बार मैंने सोचा कि एक बार तो कम से कम शब्बो के गुलाबी होंठों से अपने लंड की सेवा करवानी चाहिए.

मैं कई बार अपने बाप की किस्मत को लेकर सोचता था कि क्या किस्मत है साले की … एक तरफ मेरी सौतेली अम्मी नगमा, जैसे साउथ फिल्मों की अभिनेत्री नयनतारा … तो दूसरी तरफ शब्बो जैसे श्रुति हसन को अपने लंड की सेवा के लिए सैट किया हुआ है.

अब अब्बू कभी कभार ही घर आते थे और घर खर्च भेज देते.
उनके घर न आने से घर पर कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि मैं इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को रिपेयर करने का काम करता हूँ, जिससे घर का खर्चा भी निकल जाता है और थोड़ी बहुत बचत हो जाती है.

मैं और मेरी अम्मी नगमा अजमेर के छोटे से इलाके में एक छोटे से घर मे रहते हैं, जो पुराने जमाने के खंडहर जैसा ही है.

एक के ऊपर एक घर बिल्कुल पैक, ना कोई आवाज सुन सकता है और ना ही कोई घर के अन्दर झांक सकता है.
मुझे कई साल से अपनी अम्मी की जवानी चखने का मन था पर मेरी बहनों ने कभी मुझे चूत की कमी नहीं होने दी.

उन दोनों ने टाइम टाइम पर मेरे लंड की खूब देखभाल की और मैंने भी उनके सारे ख़र्चे और जरूरत पूरी की.
बहनों की शादी के कुछ दिन बाद ही मुझे चुदाई की भयंकर तलब लगी तो सामने अम्मी थी.

मेरा पुराना ख्वाब फिर से जवान हो गया और मैंने सोचा क्यों ना इन्हें ही अपने बिस्तर पर खींच लूँ.
वैसे भी अम्मी कई साल से नहीं चुदी थी तो चूत टाइट होगी … और साली का फिगर तो कमाल है ही.

अपनी अम्मी के बारे में इस तरह की सोच कोई मादरचोद ही रख सकता है, जो कि मैं तभी बन गया था, जब अम्मी को दूर के मामा के आगे घोड़ी बनते देखा था.

ख़ैर ये बात 8 साल पुरानी है, पर याद अभी तक ताज़ा है कि कैसे मामू मेरी अम्मी को लुल्ली पर बैठा कर उछालने की कोशिश कर रहा था और अम्मी कह रही थी कि साले तू भी नासिर की तरह 4 इंच का ढीला हथियार लेकर आ गया है. पता नहीं कब मेरी चूत को मोटे और लंबे लौड़े मिलेगें.

अम्मी की इच्छा सुनकर अब तो बस चाहत थी कि अम्मी को अपने 8 इंच के लंड का जायका चखाया जाए और उसकी चूत का रस पिया जाए.

अम्मी को लंड पर बैठाकर गंदी गंदी गालियां देते हुए उछालने की, मेरे लंड से चुदते वक़्त अम्मी के चहरे पर कामुक भाव देखने की, जिसके लिए मैं रोज़ कुछ न कुछ नया तरीका अपनाता.

अब मैं रोज़ अम्मी की ब्रा और पैंटी पर अम्मी को याद करके मुठ मारकर माल निकालता और अम्मी को गले लगाता या उनके गाल चूमता तो पूरा ठरक से काम लेता.

पहले तो अम्मी ने इन सब चीज़ों को नज़रअंदाज़ किया और खुलकर मुझसे गले लग कर चूम लेतीं.
पर जब मैं हद से ज्यादा आगे जाकर उसके बोबे और गांड पर हाथ लगाकर ये सब करता, तो अम्मी कहतीं कि अब तुम्हारा भी निकाह करना पड़ेगा.
और मुस्कुरा कर चली जातीं.

अम्मी की इन बातों से मेरी हिम्मत और ज्यादा बढ़ गयी.
मैं अम्मी के सामने जाता तो लंड खड़ा करके ही जाता और डबल मीनिंग बात करता.

जैसे अम्मी आज तो दे दो …
अम्मी कहतीं- क्या?
तो बोल देता- चूत ओ … सॉरी सॉरी दूध.
या अम्मी के बूब्स देखते हुए बोल देता- आज तुम्हारे बहुत मोटे लग रहे हैं.

अम्मी बोलतीं- शर्म नहीं है क्या?
तो कहता- अम्मी, मैं तो आपके होंठों की बात कर रहा था.

यही सब कुछ दिनों तक चलता रहा.
फिर मैंने अम्मी की जितनी भी ब्रा और पैंटी थीं, एक बैग में भरकर फेंक दीं.

अम्मी को जब ब्रा और पैंटी नहीं मिलीं, तो उन्होंने मुझसे पूछा कि तूने मेरी ब्रा पैंटी देखी हैं क्या?
मैंने अम्मी से कहा- अम्मी, तुम्हारे निप्पल्स कितने काले और मस्त हैं. तुम्हारी छाती बिना ब्रा के कितनी खूबसूरत दिखती है. तुम आज से ब्रा मत पहना करो.

अम्मी ने कहा- साले सुअर … चुप कर वर्ना थप्पड़ खाएगा.
मैंने भी जवाब दे दिया- अम्मी, तुम्हारे थप्पड़ से डर नहीं लगता, जब तुम्हारी छाती के तरबूज हिलते हैं तब डर लगता है कि कहीं ये बम मुझ पर गिरें, तो मैं मर ना जाऊं.

अम्मी अपना दुप्पटा छाती पर लेकर ये कहती हुई अन्दर चली गईं कि आने दे तेरे अब्बू को वापस … बताती हूँ कि तू कितना बेशर्म हो गया है. अगर तेरी खाल नहीं खिंचवाई तो कहना. अपनी अम्मी को छेड़ता है कमीना.

मैंने जवाब में कहा कि अब्बू तो शब्बो को घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करते हुए बाल खींचने में बिजी होंगे.

अम्मी ने मेरी इस बात का कोई जवाब नहीं दिया.
मेरे इस बदले हुए रवैये से अम्मी हैरान भी थीं और परेशान भी.

अम्मी में वैसे तो हवस की कोई कमी नहीं थी, किसी और की बात होती तो वो खुद ही चटाई की तरह बिछ जातीं और बोलतीं- लगा दे लंड, बना ले अपनी रांड … पर अपनी ही बेटे से चुदवाना कैसे हो, शायद यही बात उसे परेशान कर रही थी.

थोड़ी देर बाद मैं अम्मी के पास आया और अम्मी का नाम लेकर बोला- नगमा, तुम मेरी बात का बुरा मत मानो … मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ और खुश देखना चाहता हूँ. मैं जानता हूँ कि रात में तुम बाथरूम में इतनी देर क्यों रहती हो? तू अगर चाहे तो हम-दोनों एक दूसरे की मदद कर सकते हैं.

ये कहते हुए मैंने अम्मी के दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ लिया.
अम्मी ने अपने हाथ से मेरे गाल को छुआ और बोली- बेटा, तू अभी इतना बड़ा नहीं हुआ कि ये सब बात समझ सके.

मैंने अम्मी की कमर पकड़कर अम्मी की आंखों में देखते हुए कहा- नगमा, मैं और मेरा हथियार इतना बड़ा हो गया है कि बिस्तर पर रात भर तेरी चीखें निकलवा सके.

ये सुनते ही अम्मी ने थप्पड़ मारना चाहा, पर मैंने हाथ पकड़कर उनके बाल पकड़े और अम्मी के होंठों को अपने होंठों से लगा लिया.
मेरे दिल की धड़कन इतनी बढ़ गयी कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ.

कुछ देर बाद अम्मी के होंठों को हल्का सा काटते हुए छोड़ा तो अम्मी की लिपस्टिक मेरे होंठों पर भी लग गयी थी.
अम्मी ने कहा- बेटा अम्मी हूँ तेरी … ये सब मेरे साथ करेगा … तू कहे तो तेरे लिए तेरी ममेरी बहन हिना को बुला लेती हूँ. वो अपनी जवानी की दहलीज पर है अभी, तेरा पूरा ख्याल रखेगी.

मैंने अम्मी की सलवार में हाथ डाल कर एक उंगली चूत में डाल दी और हिलाने लगा.
मैं बोला- नगमा, तेरी जवानी पर हिना जैसी कई कलियां कुर्बान कर दूँगा मैं … जान आज मना मत करना … तूने मर्द पैदा किया है, अब तेरी चूत से निकले हुए मर्द की मर्दानगी देख बस.

अम्मी- अहह ओह्ह हहह … मादरचोद … अम्मी हूँ तेरी.
मैंने अम्मी के कपड़े उतारते हुए कहा- नगमा, आज से तू मेरी अम्मी नहीं, बेगम है समझी साली छिनाल.

अम्मी- अहह … आदिल … मैं तेरी अम्मी हूँ … कोई अपनी अम्मी के साथ ऐसा नहीं करता.
मैं- नगमा जान, जब भाई के साथ कर सकती हो तो बेटे के साथ क्यों नहीं? कोई गलत बात नहीं है इसमें मेरी जान … देखो तुम कितनी मस्त बदन वाली हो और मेरे पास कितना मस्त लंड है.

मैंने अपने अपने 8 इंच के लंड को बाहर निकालते हुए अम्मी को दिखाया और कहा- क्यों न अब से हम दोनों एक-दूसरे के बदन का भी ख्याल रखें?

अम्मी मेरे लंड को देखती हुई बोलीं- हायल्ला … आदिल तुझे ज़रा भी शर्म-लिहाज़ नहीं रह गया है … मेरे सामने लंड निकल के खड़ा हो गया? वैसे तेरा लंड बहुत बड़ा है. मजा खूब देगा.

मैं- नगमा, आज तो तेरी चूत से निकले इस मर्द के लंड में आग लग चुकी है. आज तो तुझे मुझसे चुदना ही पड़ेगा.
मैंने अम्मी को दोनों हाथों से उठाया और उसी बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया, जहां अब्बू और अम्मी सोते थे.

अम्मी- बेटा, मैं तेरी अम्मी हूँ!
मैं- नगमा देख अब इतने नाटक मत कर, मैं जानता हूँ तू कितनी प्यासी है. आज तेरी सारी प्यास बुझा दूंगा बस ये फालतू की बात करने की बजाए कुछ मूड बना जान.

मैं अम्मी की चूत को फैला कर सीधा बिना कुछ कहे उसकी चूत चाटने लगा और जोर जोर से अम्मी की चूत को चूसकर गीला करने में लग गया.

कुछ देर बाद अम्मी की चूत से पानी निकला गया, तो मैंने अम्मी से पूछा- अम्मी, कुछ मज़ा आया?
अम्मी- उउममम … आह … आदिल अहह बेटा … आह …

अम्मी की चूत गीली होने पर मैंने बिना थूक लगाए ही मेरा 8 इंच का लंड अम्मी की चूत के मुँह पर सैट किया और एक जोर का झटका देते हुए कहा- लव यू अम्मी जान.

अम्मी की चूत में आज तक 4-5 इंच की लुल्ली ही गयी थी और इतने साल से वो चुदी भी नहीं थी, मेरा 8 इंच का मोटा लंबा लंड कैसे सहन कर पाती?

मेरे लंड के आधा अन्दर जाते ही वो कराह उठीं- हायल्ला मर गई!

अम्मी के मुँह से इतनी मादक आवाज से लंड में अकड़न और बदन की जकड़न दोनों और बढ़ गई.
अम्मी की चूत से हल्का सा खून भी निकला, जो अलग नशा दे रहा था.

इतना मज़ा बहनों की चुदाई में भी कभी नहीं आया, जितना आज अपनी मां चोदने में आ रहा था.

मैं बिना रुके झटके देने लगा और उसकी चूचियों से प्यासे की तरह दूध पीने लगा.
अम्मी अब मदहोश हो चुकी थीं और मुझे किसी भी तरह की कोई हरकत करने से मना नहीं कर रही थीं बल्कि अब तो सिर्फ सिसकारियां ही भर रही थीं.

मैं लगातार अम्मी की चूत का रस निकालने में लगा हुआ था.

चूत के चुदते-चुदते अम्मी की शर्म खुलने लगी थी.
वो भी अपने हाथों से मेरी पीठ को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं और ‘आह … उफ्फ्फ … हाय … उम्म …’ जैसी आवाज निकालती हुई मुझे अपनी तरफ समेट रही थीं.

मैं- नगमा मेरी बेगम … सुहागरात मुबारक़ हो.
अम्मी अपनी आधी खुली हुई आंखों से देखती हुई बोलीं- आह … आदिल … अन्दर मत झाड़ना बेटा … मेरा ऑपरेशन नहीं हुआ है.

अम्मी से ऐसी बात सुनकर मेरे अन्दर का वहशी और हवस से भर गया.
मैंने लंड निकालकर सीधा अम्मी के मुँह में डाल दिया और रस झाड़ दिया.
आह … क्या मज़ेदार लम्हा था वो … जब मैंने अपनी अम्मी को लंड के नीचे लेकर चोद डाला था.

उस रात मैंने कंडोम लाकर Xxx मॉम के साथ रात भर 4 बार संभोग किया और उसकी गांड के छेद की सील भी तोड़ डाली.

पिछले एक साल में मैंने अम्मी की सारी शर्म उतार दी. अब वो किसी गर्ल फ्रेंड की तरह ही मेरे साथ रहती हैं.

उस रात के बाद अम्मी ने कभी मुझे मेरे नाम आदिल से नहीं बुलाया बल्कि सुनो, जान, जानू बेबी, बाबू, हनी, राजा जैसे लफ़्ज़ों से आवाज देने लगीं और मेरे लंड की जरूरत का ख्याल मेरी बहनों से भी ज्यादा अच्छे से रखने लगीं.

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मेरे घर में एक पार्टी थी। मैंने एक Hindi Sex Stories खेल रखा था और सब उसके नियम सुनने को बेचैन थे। १५ मिनट हो चुके थे।

“दोस्तों! अब जो खेल मैंने रखा है… प्लीज़ सब ध्यान से उसके नियम सुन लें”, मैं सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला। “दीवार पर लगी घड़ी में इस समय साढ़े सात बजे हैं। ठीक सवा आठ पर बार बंद हो जायेगा। और सवा आठ से नौ के बीच में हर मर्द को अपनी औरतों की जोड़ी को एक बार जरूर चोदना है। ठीक नौ बजे औरतों को अपने-अपने मर्द का लंड चूसना है। जिस जोड़ी की औरत अपने मर्द का पानी पहले छुड़ाने में कामयाब होगी, वो ही इस खेल की विजेता होगी। कोई सवाल है किसी के दिल में?”

“क्या हम औरतों की चुदाई एक से ज्यादा बार नहीं कर सकते?” आर्यन ने पूछा।

“तुम्हारा दिल चाहे… उतनी बार तुम उनको चोद सकते हो पर तुम्हारी जोड़ीदार औरतों को ही तकलीफ होगी तुम्हारा पानी छुड़ाने में”, मैंने जवाब दिया।

“पहले किसको चोदना है… माँ को या बेटी को?” राम ने पूछा।

“इसकी कोई पाबंदी नहीं है। ये तुम लोग आपस में तय कर सकते हो”, मैंने उसकी बात का खुलासा किया।

“नहीं मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ”, मिली ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, “उम्र के हिसाब से अहमियत बड़ों को पहले मिलनी चाहिये। क्या सब मेरी बात को मानते हैं?”

सबने उसकी बात का समर्थन किया।

“तो ठीक है! जो बड़ी है पहले वो चुदाई करायेगी”, मैंने कहा।

“क्या जीतने वाले को इनाम भी मिलने वाला है? अगर हाँ तो वो क्या है?” आयेशा ने पूछा।

“इनाम ये है कि जीतने वाली आज अपना चुदाई का कोई भी ख्वाब पूरा कर सकती है”, मैंने कहा, “और कोई सवाल?”

“क्या लंड चूसने के भी कोई नियम हैं?” अनिता ने पूछा।

“नहीं उसके कोई नियम नहीं हैं, सिर्फ़ इतना कि लंड चूसते वक्त औरतें अपने हाथों का इस्तमाल नहीं करेंगी।” मैंने कहा, “और कुछ पूछना है किसी को।”

“हाँ! बार वापस कब खुलेगा?” योगिता ने पूछा।

“जैसे ही ये खेल कोई जीत लेगा”, मैंने जवाब दिया, “वैसे बार अभी खुला है।”

“मम्मी!” आर्यन रूही के पास पहुँचा।

“हाँ बेटा! तुम ड्रिंक ले सकते हो पर ज्यादा मत लेना”, रूही ने आर्यन के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा जबकि खुद तो रूही नशे में झूम रही थी।

“क्या तुमने पहले कभी शराब पी है?” आयेशा ने आर्यन से पूछा।

“नहीं आज से पहले कभी नहीं पी, पर आज पीने वाला हूँ”, आर्यन ने कहा।

“चलो तुम्हें बीयर पिलाती हूँ… पहली बार ही व्हिस्की पियोगे तो चोद नहीं पाओगे… चलो मेरा भी पैग खत्म हो गया है”, आयेशा लड़खड़ाती हुई आर्यन को घसीट कर बार की ओर ले गयी।

“कितनी अच्छी जोड़ी है दोनों की!” मैंने रूही के कान में कहा।

“हाँ! मैं भी यही सोच रही थी” रूही ने जवाब दिया।

जब हम सब ड्रिंक करते हुए आपस में बातें कर रहे थे तो एम-डी ने कहा, “सुनील मैं तुम्हें बता सकता हूँ कि आज कौन जीतेगा।”

“कौन?” मैंने पूछा।

“मैं अपने पैसे अनिता पर लगा सकता हूँ। मेरी ज़िंदगी में कई औरतों ने मेरा लंड चूसा पर अनिता का लंड चूसने का अंदाज़ ही निराला है। वो एक नपुंसक के लंड में भी जान डाल सकती है”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“पर सर, मिली, रूही और प्रीती भी किसी से कम नहीं हैं। मुझे लगता है कि स्पर्धा काफी नज़दीकी होगी,” मैंने कहा।

“अनुभवी इंसान की बात को मानना सीखो… हमेशा फ़ायदे में रहोगे”, एम-डी ने अपनी छाती पे हाथ ठोंकते हुए कहा।

ठीक सवा आठ बजे, सात खड़े लंड, सात गीली हुई चूतों में घुस गये और एक साथ सात आवाज़ें “आआआआहहहहह” की कमरे में गूँज पड़ी। थोड़ी ही देर में कमरे का माहोल गरमा गया। चारों तरफ से सिसकरियों की आवाज़ गूँज रही थी, “ओहहहहहह हाँ…आआआआ चोदो मुझे!!!!!”कोई कह रहा था, “हाहाहाँआआआ जोर से!!!! और जोर से डालो!!!! हाँ और जोर से!!!!”

कुछ देर बाद सिसकरियाँ बड़बड़ाहट में बदल गयीं, “रुकना मत… चोदते जाओ… और जोर से… मेरा छूटने वाला है…” और मर्दों ने एक जोर की “आआआआआहहहहह” के साथ अपना पानी उनकी चूत में छोड़ दिया।

जैसे ही सब मर्दों का लंड दोबारा खड़ा हुआ तो वो बेटियों की चूत में अपना लंड घुसा कर चोदने लगे। थोड़ी देर में सब औरतों की चुदाई एक बार हो चुकी थी। सब मर्द अपनी उखड़ी साँसों को संभालते हुए आराम कर रहे थे, सिवाय आर्यन के। “आयेशा चलो एक बार फिर से चुदाई करते हैं। तुम्हारा तो सपना कोई होगा नहीं!”

“सच कहूँ तो एक नहीं… कई हैं! और मैं आज उनमें से अपने एक सपने को जरूर पूरा करूँगी!” आयेशा ने जवाब दिया।

निराश होता हुआ आर्यन प्रीती के पास पहुँचा, “प्रीती! चलो चुदाई करते हैं।”

“अभी नहीं! मैं नहीं चाहती हूँ कि आयेशा इस खेल में हार जाये”, प्रीती ने जवाब दिया।

“जैसे सब बैठे हैं वैसे ही तुम भी बैठ जाओ और नौ बजने का इंतज़ार करो”, कहकर आयेशा ने आर्यन को एक कुर्सी पर बिठा दिया।

ठीक नौ बजे औरतों की जोड़ी में जो छोटी थी, वो अपने मर्दों का लंड चूसने लगी, “आयेशा! जरा धीरे चूसो! तुम्हारे दाँत मुझे चुभ रहे हैं”, आर्यन ने दर्द से सिसकते हुए कहा।

“आर्यन! अपना मुँह बंद रखो… मेरे हिसाब से आयेशा सही ढंग से चूस रही है”, प्रीती ने उसे डाँटते हुए कहा।

टीना मेरे लंड को चूस रही थी। उसे भी लंड चूसने का अनुभव नहीं था इसलिये उसके भी दाँत मेरे लंड पर चूभ रहे थे। थोड़ी देर बाद सब बड़ी औरतों ने छोटी लड़कियों का स्थान ले लिया। “शुक्रिया!!! आल्लाह!!!!” आर्यन ने एक गहरी साँस ली। “आयेशा तुमने तो मेरे लौड़े को चबा ही डाला था।”

मैंने अनिता को कहते हुए सुना, “मीना! कैसा चल रहा है?”

“वैसे तो ठीक है पर खड़ा नहीं हो रहा”, मीना ने जवाब दिया।

“लाओ इसके लंड को मुझे चूसने दो”, अनिता ने कहा, “मैं इसके लौड़े को थोड़ी देर में ऐसा कर दूँगी कि ये कमरे के चारों ओर पिचकारी मारता रहेगा।” थोड़ी देर मैं जय के मुँह से सिसकरियाँ फूटनी शुरू हो गयीं। “हाँ…आआआआ चूसो ऐए!!!!! हाय ओहहहहह हाँ जोर से… ऊईईई।”

वैसे तो मिली भी काफी अच्छी तरह चूस रही थी पर जय के चेहरे से लग रहा था कि वो लोग बाज़ी मार ले जायेंगे।

“ओहहहह अनिता..आआआआआ मेरा छूटने वाला है!!!!” जय जोर से चिल्लाया, “हाँ जोर से चूसो… हाँ ऐसे ही… हाँ मेरा छूटा।” उसका शरीर अकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की पिचकारी अनिता के मुँह में छोड़ दी।

खुशी से झूमते हुए अनिता ने जय के लंड को अपने मुँह में से निकाला और मीना और जय को अपनी बाँहों में भर लिया, “हम जीत गये… हम जीत गये!!!”

जब सब मर्दों का पानी छूट गया तो सभी औरतें अनिता को बधाई देने लगीं। “एम-डी सही कह रहा था, लगता है हम सब को तुमसे ट्यूशन लेना पड़ेगा। अब बताओ तुम अपना कौन सा सपना पूरा करना चाहोगी?”

“मेरा एक सपना है जिसके बारे में मैं हमेशा सोचती रहती थी किंतु…!” अनिता कहने जा रही थी पर मैं बीच में बोला, “अनिता! तुम अपना समय लो और सोच कर बोलो। हम खाना खाने के बाद तुम्हारा सपना जरूर पूरा करेंगे। अब बार खुला है और जो लोग फिर से ड्रिंक्स लेना चाहें… ले सकते हैं।”

“सुनील! मुझे मालूम है कि मैं क्या करना चाहती हूँ… मुझे सोचने की जरूरत नहीं है!” अनिता हँसते हुए बोली।

खाना खाने के बाद सब ये जानने को उत्सुक थे कि अनिता का वो ऐसा कौन सा सपना है जिसे वो पूरा करना चाहती है। सब अपने-अपने ड्रिंक्स लेकर अनिता के पास इकट्ठा हो गये। “मेरा हमेशा से सपना रहा है कि मुझे पाँच मर्द मिल कर चोदें और मेरे शरीर को अपने वीर्य से नहला दें… आज मैं अपना ये सपना पूरा करूँगी”, अनिता ने अपना ड्रिंक पीते हुए कहा।

“क्या पाँच मर्द? वो कैसे?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“सीधी सी बात है, एक मेरी चूत में, एक मेरी गाँड में, और एक मेरे मुँह में! बाकी बचे दो… तो वो या तो मेरे हाथों में या मेरी चूचियों के बीच!” अनिता ने बताया।

“ठीक है तुम अपने साथी चुन सकती हो?” मैंने अनिता से कहा।

“विजय तुम नीचे लेट जाओ और मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ कर तुम्हारे लंड को अपनी चूत में लूँगी। जय… तुम मेरी गाँड मारोगे और मैं आर्यन के लंबे लंड को अपने मुँह से चूसूँगी। राम और श्याम के लंड को अपने हाथों में लूँगी।”

जब सब लड़कों ने अपनी जगह ले ली तो अनिता ने कहा, “लड़कों! मेरा सपना है कि तुम सब आपस में ताल मेल रखते हुए अपना पानी छोड़ोगे और सब मेरे बदन पर ही छोड़ोगे। इससे सबको ज्यादा मज़ा मिलेगा।”

“हे राम और श्याम! ध्यान रखना जब तुम अपना पानी छोड़ो तो अनिता के बदन पर ही छोड़ना… कहीं मेरे चेहरे पर मत छोड़ना”, विजय ने उनसे कहा।

“राम! तुम इसकी बांयी आँख पर पिचकारी मारना और मैं इसकी दांयी आँख पर”, श्याम ने हँसते हुए कहा। इसके पहले कि विजय कुछ कहता, अनिता बोली, “विजय ये मज़ाक कर रहे हैं! और अगर ये ऐसा करते भी हैं तो तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें चाट-चाट कर साफ कर दूँगी।”

नज़ारा जो अनिता ने रखा था, वो देखने लायक था। जय उसकी गाँड में अपना लंड जड़ तक पेल देता जिससे जय का लंड भी अंदर तक घुस जाता। राम और श्याम के लंड अनिता की बंद हथेलियों में अगे पीछे हो रहे थे। और आर्यन के लंड को अनिता जोर-जोर से चूस रही थी।

कमरे में सबकी सिसकरियाँ गूँज रही थीं। जय उसकी गाँड में लंड पेलते हुए बड़बड़ा रहा था, “ले साली! और जोर से ले!!! बहुत शौक है ना पाँच मर्दों से चुदवाने का??? आज मैंने तेरी गाँड ना फाड़ दी तो कहना!!!”

वहीं आर्यन बड़बड़ा रहा था, “हाँ! और जोर से चूसो ना!!!! हाँ अपने गले तक ले लो!!! ओहहहह आआआहहहह।”

अनिता जोर-जोर से लंड चूसने लगी तो आर्यन तुरंत बोला “अनिता आँटी! धीरे! मेरा छूटने वाला है।” अनिता ने अपनी रफ़तार धीमी कर दी।

“भाई! कैसा चल रहा है?” जय ने पूछा।

“मज़ा आ रहा है, ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा लंड मेरे लंड को स्पर्श कर रहा है। हाँ इसी तरह अंदर तक अपने लंड को इसकी गाँड में पेलते रहो।” विजय ने नीचे से धक्का लगाते हुए जवाब दिया।

“हाँ जोर से!!! जोर से चोदो मुझे सब मिलकर!!!! मेरा छूटने वाला है!!!” अनिता जोर-जोर से अपने कुल्हे उछाल रही थी।

आर्यन ने अनिता के सर को अपने हाथों से पकड़ रखा था और अपना लंड उसके गले तक डाल कर चोद रहा था।

बहुत ही दिलकश नज़ारा था। ऐसी सामुहिक और भयंकर चुदाई ना तो मैंने देखी थी ना ही मैंने की थी।

“ओहहह मेरा…आआ छूटा…आआआ!” अनिता का इतना कहना था कि आर्यन ने भी, “ओहहहह मेरा छूटा!!!!” कहकर अपने लंड की बौंछार अनिता के चेहरे पर कर दी।

विजय ने जोर से अनिता को कमर से पकड़ कर अपने लंड को ऊपर की ओर करते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। वहीं जय ने अपने लंड के दो चार धक्के उसकी गाँड में और मारे और अपना पानी अनिता की पीठ पर छोड़ने लगा।

राम और श्याम ने अपने लंड को ठीक अनिता के चेहरे और छाती का निशाना बना कर अपनी पिचकारी छोड़ना शुरू किया। अरे संभालो! विजय कुछ कहता इसके पहले उनके लंड से छूटा वीर्य उसके चेहरे पे गिर पड़ा।

फातिमा जोर से हँस पड़ी और आयेशा ताली बजाने लगी कि तभी दो और बौंछार विजय के चेहरे से टकरायी।

“गंदे साले! क्या और कोई जगह नहीं मिली निशाना साधने के लिये”, विजय गुस्से में बोला।

“अरे गुस्सा क्यों करते हो”, कहकर अनिता उसके चेहरे पर लगे वीर्य को चाटने लगी। जब उसने विजय को अच्छी तरह साफ कर दिया तो निढाल पड़ गयी।

जब सब कोई सुस्ता चुके थे तो आयेशा ने कहा, “सर! अब मेरी बारी है।”

“नहीं तुम्हारी नहीं! अब मीना की बारी है”, मैंने कहा, “मीना! तुम बताओ तुम्हारा क्या सपना है।”

“मेरा कोई खास सपना नहीं है। एम-डी और आप मुझे ऑफिस में चोदते हैं… मैं उससे ही खुश हूँ”, मीना ने जवाब दिया। मीना बुरी तरह नशे में धुत्त थी और सोफे पर पसरी हुई थी।

“तो फिर दोनों के साथ यहाँ क्यों नहीं चुदवाती?” फातिमा ने कहा।

“दोनों मुझे कई बार एक साथ चोद चुके हैं… इसलिये एक बार और चुदवाने से मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ेगा”, मीना ने हँसते हुए कहा, “एम-डी सर! आप लेट जायें और नीचे से मेरी चूत में लंड को डालें और सुनील सर, आप पीछे से मेरी गाँड मारें। आपका मोटा और लंबा लंड मुझे अपनी गाँड में अच्छा लगता है।”

कमरे में फिर एक बार चारों तरफ चुदाई का आलम था। मैं यहाँ एम-डी के साथ मिलकर मीना को चोद रहा था और चारों तरफ कोई ना कोई किसी को चोद रहा था।

थोड़ी देर बाद सब थक कर निढाल पड़े थे। पार्टी करीब-करीब खत्म होने को आ गयी थी। “आयेशा! रात काफी हो चुकी है… चलो तुम्हें घर छोड़ आऊँ”, मैंने आयेशा से कहा।

“सर! मुझे यहीं रहने दें ना… वैसे भी घर में सबको पता है कि मैं यहाँ हूँ”, आयेशा थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली। नशे में उसकी आवाज़ बहक रही थी।

“वो तो सब ठीक है… पर काम ऐसा करना चाहिये कि तुम्हें दोबारा भी यहाँ आने की इजाज़त मिल जाये”, मैंने उसे समझाते हुए कहा।

“ठीक है! पर क्या मैं सुबह यहाँ आ सकती हूँ? रूही मैडम! आप और आर्यन कल यहीं हैं ना?” आयेशा ने कहा।

“हाँ मेरी जान! हम यहीं हैं”, रूही ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। “तुम कल सुबह आ जाना… हम इंतज़ार करेंगे।” फिर आयेशा को कपड़े पहनाने में विजय ने मेरी मदद की क्योंकि आयेशा को तो नशे में कुछ होश नहीं था। बड़ी मुश्किल से उसे कार में बिठा कर उसके घर ले गया।

जब मैं आयेशा को उसके घर छोड़ कर आया तो देखा कि सब किसी ना किसी को बाँहों में लिये सो गये है। मैंने देखा कि प्रीती और रजनी अकेले सो रहे हैं तो मैं भी उनके बीच में जाकर सो गया।

“ट्रिंग…ट्रिंग” डोर बेल की घंटी बजी। मैंने उसे अनसुना कर दिया। “ट्रिंग…ट्रिंग” घंटी फिर बजी और देर तक बज रही थी। इतनी सुबह कौन हो सकता है? सोचकर मैंने घड़ी पर देखा तो सुबह के नौ बज चुके थे। दरवाजा खोलते ही मैं चौंक पड़ा, दरवाजे पर आयेशा खड़ी थी। उसकी आँखें अभी भी नशे में सुर्ख थीं। वो सो कर उठते ही सीधी यहाँ आ गयी थी।

“ओह गॉड! इतनी सुबह… तुम यहाँ क्या कर रही हो?”

“मैं यहाँ पार्टी जॉयन करने आयी हूँ”, उसने अंदर आते हुए कहा, “आप ही ने तो कहा था कि मैं आ सकती हूँ।”

“हाँ कहा था पर इतनी सुबह आ जाओगी… उम्मीद नहीं थी, सब सोये पड़े हैं”, मैंने कहा।

“आप इसकी चिंता मत करो… मैं सबको जगा दूँगी”, कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी। “ये वक्त चुदाई करने का है ना कि सोकर बर्बाद करने का।”

वो आर्यन को ढूँढने लगी जो अंजू और मंजू के बीच सोया हुआ था। उसने उसके मुर्झाये लंड को अपने हाथों में लिया। “गुड मोर्निंग मेरे प्यारे सुनीला!” कहकर उसके लंड को चूसने लगी।

“ओहहहह बहुत ही अच्छा लग रहा है!” आर्यन ने बड़बड़ाते हुए अपनी आँखें खोलीं, “ओह आयेशा! तो ये तुम हो?”

“हाँ मेरे सुनीला! तुम्हारी जान आयेशा, और सिर्फ़ तुम्हारी”, आयेशा थोड़ा मुस्कुरायी, “आराम से लेटे रहो और मज़े लो।”

आर्यन के मुँह से सिसकरी निकाल पड़ी और वो अंजू और मंजू की चूत को सहलाने लगा। अंजू और मंजू ने आँख खोलकर जब देखा तो दोनों आर्यन की छाती में चेहरा छिपा कर उसके निप्पल पर अपनी ज़ुबान फिराने लगीं।

“आयेशा का सुझाव बुरा नहीं है”, सोचते हुए मैं भी देखने लगा कि कोई उठा हुआ है कि नहीं। मैंने देखा कि विजय सिमरन और साक्षी के बीच सोया हुआ था। सिमरन अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी। मैं उसकी टाँगों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा।

“ओह प्लीज़ नहीं, प्लीज़ रुक जाओ ना!” वो चिल्ला पड़ी

“क्या तुम्हें मेरा, तुम्हारी चूत चाटना अच्छा नहीं लग रहा?” मैंने थोड़ा झल्लाते हुए पूछा।

“ऐसी बात नहीं है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है पर मुझे पिशाब जाना है और अगर मैं जल्दी से नहीं गयी यहीं तुम्हारे मुँह पर कर दूँगी”, सिमरन ने जवाब दिया।

“ठीक है जाओ!” मैंने उसे जाना दिया। वो लगभग दौड़ती हुई बाथरूम की तरफ लपकी। बाकी लड़कियों की तरह उसने भी पिछली रात अपने सैंडल नहीं उतारे थे। मैं फिर दूसरों की तरफ देखने लगा। मैंने अनिता और मीना को उठाया और उन्हें दूसरों को भी उठाने के लिये कहा। इतने में सिमरन टॉयलट से लौट कर आ रही थी।

“ओये ये यहाँ क्या चल रहा है?” वो बोली जब उसने आर्यन को तीन लड़कियों के साथ मज़े लेते देखा। “किसी को बुरा तो नहीं लगेगा अगर मैं भी इसमें शामिल हो जाऊँ?” कहकर उसने अपनी चूत आर्यन के मुँह पर रख दी।

“ये क्या कर रही हो?” आर्यन ने पूछा।

“कुछ नहीं… मेरी चूत के पानी के रूप में तुम्हें सुबह की चाय पिला रही हूँ”, सिमरन ने हँसते हुए कहा, “चलो अब अपनी चाय पियो।”

“सुनील! क्या तुमने जय को देखा है?” अनिता ने पूछा। मैंने अपनी गर्दन ना में हिला दी।

“मैंने उसे उस कमरे में जाते देखा था”, रूही ने जवाब दिया।

“आओ रूही हम उसे ढूँढते हैं”, अनिता ने रूही का हाथ पकड़ते हुए कहा। जय उन्हें बाथरूम में नहाते हुए मिला। छोटी बच्चियों की तरह उन्होंने जय को बाथरूम के बाहर खींचा और बिस्तर पर ढकेल दिया। जय का पूरा बदन साबुन से भीगा हुआ था।

“रूही! मैं इसका लंड चूसती हूँ और तुम अपनी चूत इसे चाटने के लिये दे दो?” अनिता जोर से चिल्लायी।

कमरे के बाहर मैंने देखा कि एम-डी फातिमा की चूत चाट रहा था वहीं प्रीती उसके लंड को मुँह में लेकर जोरों से चूस रही थी।

हम सब लोग पूरे दिन चुदाई, चटाई, गाँड मराई करते रहे। हालत ये थी कि सब चोद-चोद के इतना थक चुके थी कि किसी में भी ताकत नहीं बची थी।

दूसरे दिन रूही अपने बच्चों के साथ वापस चली गयी और वादा कर गयी कि वो जल्द ही वापस आयेगी। शाम को मेरी बहनें अपने पतियों के साथ और मेरे साले अपनी बीवियों के साथ अपने-अपने घर जाने के लिये ट्रेन में सवार हो गये।

कई महीने गुज़र गये। इसी दौरान हम कई बार रूही के यहाँ हो आये थे और रूही भी कई बार हमारे यहाँ आ चुकी थी। गौरी के इक्किसवें जन्मदिन को अब एक हफ्ता ही रह गया था और हमें उसके जन्मदिन की तैयारियाँ करनी थी।

गौरी के जन्मदिन से एक दिन पहले रजनी, योगिता, टीना, प्रीती और मैं, सब डिसकस कर रहे थे कि हम गौरी की कुँवारी चूत को चोदने के प्रोग्रम को कैसे अंजाम दें। हमें पता था कि इस बार एम-डी पूरी सावधानी बरतेगा कि मैं उसकी बेटी कि कुँवारी चूत ना फाड़ पाऊँ। हम ये भी जानते थे कि टीना की तरह वो हमें गौरी की बर्थडे पार्टी नहीं करने देगा।

“योगिता! तुम्हें क्या लगता है कि हमें मिली से भी होशियार रहना चाहिये?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“नहीं… मुझे ऐसा नहीं लगता। वो बड़ी प्रैक्टीकल किस्म की औरत है। उसे ये बात मालूम है कि उसकी बेटी की चूत को एक दिन तो फटना ही है, सो कल फटे या आज… उसे कोई फ़रक नहीं पड़ता”, योगिता ने जवाब दिया।

“अगर ऐसा है तो क्या हम उसे सारी हकीकत बता कर अपना राज़दार बना सकते हैं?” मैंने पूछा।

“नहीं उसे बिल्कुल मत बताना। सारी बात जानने के बाद शायद वो अपनी बेटी की चूत चुदवाने में हमारी मदद ना करे पर चुद जाने के बाद शायद वो ऐतराज़ ना करे”, योगिता ने जवाब दिया।

“क्या उसके जन्मदिन की पार्टी होगी?” प्रीती ने पूछा।

“जरूर होगी! गौरी अपने पापा की लाडली बेटी है। उन्होंने उसे एक बड़ी पार्टी का वादा किया है और वो अपना वादा जरूर पूरा करेंगे, बस सवाल ये उठता है कि वो पार्टी कहाँ पर रखेंगे”, टीना ने जवाब दिया।

“क्या गौरी अब भी अपनी उस इंगलिश टीचर की चूत चाटती है और अपनी चटवाती है… क्या नाम था उस टीचर का… मुझे याद नहीं आ रहा… हाँ याद आया, मिस ब्रिगेंज़ा!” प्रीती ने पूछा।

“बदकिस्मती से हाँ! पूरी लेस्बियन बन गयी है!” रजनी ने जवाब दिया, “और उसका यही शौक हमारे काम को अंजाम देने में आड़े आ सकता है।”

उसी समय फोन की घंटी बजी। एम-डी लाईन पर था, “सुनील! मैं तुम्हें और प्रीती को मेरी बेटी गौरी की जन्मदिन की पार्टी की दावत देता हूँ… पार्टी शनिवार की शाम को है… सो जरूर से पहुँच जाना।”

“थैंक यू सर!” मैंने जवाब दिया, “पर सर! आपने क्यों तकलीफ उठायी? मुझसे कह दिया होता… मैं पार्टी का सारा इंतज़ाम कर देता, जैसे मैंने टीना की पार्टी का इंतज़ाम किया था।”

“सुनील! क्या तुम मुझे बेवकूफ़ समझते हो?” एम-डी ने जोर से हँसते हुए कहा, “तुम्हें क्या लगता है कि मैं अपनी मासूम बेटी को तुम्हारे फ्लैट पे आसानी से आने दूँगा जिससे तुम मेरी बेटी की कुँवारी चूत को चोद सको? किसी भी हालत में नहीं सुनील! इस बार पार्टी मेरे घर पे होगी। और मैं तुम्हें सावधान कर रहा हूँ कि अगर तुमने मेरी बेटी की ओर आँख उठा कर देखा तो मैं तुम्हें जान से मर दूँगा।”

“सर! आप जबरदस्ती मुझ पर शक कर रहे हैं”, मैंने झूठ बोलते हुए कहा, “मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है।”

“हो सकता है तुम्हारा इराद ना हो… फिर भी मैं तुम्हें सावधान कर रहा हूँ”, एम-डी हंसा, “ठीक है शनिवार कि शाम को मिलते हैं”, कहकर उसने फोन रख दिया।

“एम-डी था फोन पर… उसने गौरी के जन्मदिन की पार्टी के लिये शनिवार की शाम की दावत दी है हमें”, मैंने सबको बताया।

“पर तुमने ऐसा क्यों कहा कि तुम्हारा गौरी की कुँवारी चूत चोदने का कोई इरादा नहीं है?” रजनी ने पूछा।

“मैंने ये इसलिये कहा कि जिससे वो निश्चिंत हो जाये और आखिरी वक्त पर अपना इरादा ना बदल ले”, मैंने जवाब दिया।

“अब जब पार्टी उसके घर पर है तो हम अपने इरादों को कैसे कामयाब बनायेंगे?” योगिता ने पूछा।

“जब मैं उससे बात कर रहा था तो एक ऑयडिया मेरे दिमाग में आया है… हम वही तरीका आजमा सकते हैं जो हमने सायरा की कुँवारी चूत के लिये आजमाया था”, मैंने कहा।

“ये सायरा कौन है और क्या हुआ था?” योगिता ने पूछा।

तब रजनी ने उसे सब बताया कि किस तरह और कैसे हमने सायरा की कुँवारी चूत चुदवायी थी।

“ये तो सब समझ में आता है… फिर भी ये बात समझ में नहीं आती कि गौरी अपनी चूत चुदवाने को कैसे तैयार होगी?” योगिता ने पूछा।

“रुको सब लोग! मेरे पास एक प्लैन है”, प्रीती ने कहा, “उसकी चूत चूसने की आदत ही उसकी चूत का उदघाटन करायेगी।” फिर प्रीती हमें प्लैन समझाने लग गयी। हम सब उसकी बात से सहमत हो गये और शनिवार का इंतज़ार करने लगे।

शनिवार की शाम को मैं और प्रीती एम-डी के घर पहुँच गये। हमने एक बड़ा सा तोहफ़ा लिया था गौरी के लिये। केक काटने की रस्म के बाद सबने गौरी को तोहफ़े दिये। कमरे में म्यूज़िक चालू था और सब आपस में बातें कर रहे थे।

“सर! हम सबने मिलकर काफी समय से मज़ा नहीं किया है… क्यों ना आज कर लें”, प्रीती ने एम-डी से कहा।

“क्यों नहीं? वैसे भी मुझे इतनी जोर से म्यूज़िक बजता अच्छा नहीं लगता”, एम-डी अपने स्टडी रूम की ओर बढ़ता हुआ बोला। “रजनी! गौरी को सिर्फ़ चार बिस्कुट देना खाने के लिये… ज्यादा नहीं!” प्रीती रजनी के कान में फुसफुसायी और लड़खड़ाते कदमों से सैंडल खटपटाती हुई एम-डी के पीछे चल पड़ी। उसने काफी शराब पी रखी थी और इतने नशे में होने के बावजूद उसे अपना मकसद याद था।

“तुम इस बात की चिंता मत करो”, रजनी ने कहा।

जब स्टडी रूम में पहुँचे तो योगिता को छोड़ कर हम सबने अपने कपड़े उतार दिये। “क्या बात है डार्लिंग! क्या आज तुम हमे अपनी चूत नहीं दिखाओगी?” एम-डी ने पूछा।

“आज मैं तुम लोगों का साथ नहीं दे पाऊँगी। मेरी तबियत ठीक नहीं है”, योगिता ने जवाब दिया।

“मेरी जान अगर तुम्हारी चूत बिमार है तो क्या हुआ… हम तुम्हारी गाँड तो मार ही सकते हैं”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“जब कोई मेरी गाँड मारना चाहेगा तो मैं अपने कपड़े उतार दूँगी”, योगिता ने जवाब दिया।

जब एम-डी और योगिता ये बातचीत कर रहे थे तो मैंने मिली को रूम में लगे दिवान पर लिटा दिया और उसे चोदने लगा।

एम-डी ने जब देखा कि योगिता साथ देने को तैयार नहीं है तो उसने प्रीती को खींच कर हमारे बगल में सोफ़े पर लिटा दिया। “प्रीती! जल्दी करो नहीं तो सुनील और मिली हमसे आगे निकल जायेंगे”, कहकर वो अपना लंड प्रीती की चूत में घुसाने लगा।

“नहीं! ऐसे मज़ा नहीं आयेगा”, प्रीती ने उसे रोकते हुए कहा, “पहले तुम मेरी चूत चूसो और ऐसे चूसो कि मैं चुदवाने कि लिये भीख माँगने लगूँ।”

“ठीक है… अगर तुम यही चाहती हो तो…” एम-डी ने प्रीती को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर उसकी टाँगों के बीच आ गया। इधर मैं जोर के धक्के मार कर मिली को चोद रहा था।

थोड़ी ही देर में प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ फूटनी सुरू हो गयीं, “हाँ!!!! अच्छा लग रहा है!!!!” वो और सिसकी, “हाँ आआआआ और जोर से चूसो… हाँ जोर से!!!!”

मिली भी उत्तेजना में पागल हो रही थी। वो भी अपने कुल्हे उछाल कर मेरी ताल से ताल मिला रही थी।

“हाँ अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक डाल दो”, प्रीती बड़बड़ा रही थी, “हाँ ऐसे ही!!!! हाँ अब अपनी जीभ से मेरी चूत को चोदो।”

“ओहहहहह सुनील!!!! जोर से हाँ और जोर से कितना अच्छा लग रहा है…” मिली चिल्ला रही थी और मैं अपनी पूरी ताकत से उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था।

“ओहहहहहहह बस अब मुझसे सहन नहीं हो रहा”, प्रीती चिल्लायी, “चोदो मुझे… अपना गधे जैसा लंड डाल दो मेरी चूत में… और फाड़ दो मेरी चूत को!!!!”

“नहीं अभी नहीं!!!!” एम-डी हँसते हुए बोला, “पहले तुम भीख माँगो।”

“ओहहहहह प्लीज़!!!! मैं आपसे भीख माँगती हूँ… डाल दो अपने लंड को मेरी चूत में…” प्रीती मिन्नत करते हुए बोली।

“प्रीती! अब मैं तुम्हारी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा”, हँसते हुए एम-डी ने पूरी ताकत से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया।

“ओहहहहह मज़ा आआआआ गया… और जोर से!!!!” प्रीती चिल्ला उठी।

“ओहहहह सुनील!!!! रुको मत!!!! हाँ आआआआ कुछ धक्कों की बात और है… ओहहहह सुनील मेरा छूटा!!!!” मिली जोर से सिसकी। उसी समय मैंने भी एक जोर की हुंकार भरते हुए अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।

“ओह सुनील! आज तो चुदाई में मज़ा आ गया”, मिली मुझे बाँहों में भरते हुए बोली, “चलो एक बार फिर से करते है।”

“जरूर मेरी जान… पर सुस्ता तो लेने दो”, कहकर मैंने हम दोनों के लिये दो सिगरेट जला लीं।

उसी समय प्रीती के प्लैन के मुताबिक योगिता मेरे पास आयी। “सुनील! जरा मेरे साथ आना तो!” वो धीरे से बोली।

“ठीक है आता हूँ!” मैंने जवाब दिया। “डार्लिंग! मैं अभी आता हूँ”, मैंने मिली से कहा।

“जाओ पर ज्यादा देर मत लगाना, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ”, मिली ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा।

एम-डी प्रीती की चूत को भोंसड़ा बनाने में इतना खोया हुआ थी कि उसका ध्यान ही नहीं गया कि मैं कमरे के बाहर खिसक गया हूँ। योगिता मुझे गौरी के कमरे में ले आयी। गौरी बिस्तर पर नंगी लेटी हुई अपनी दोनों टाँगें हवा में फ़ैलाये हुए थी।

रजनी उसकी टाँगों के बीच बैठी उसकी चूत को चूस रही थी। “ओहहहह दीदी!!!!! अपनी जीभ को और अंदर तक घुसाओ ना। मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही है कि शाँत ही नहीं हो रही… ओहहहह और अंदर तक!!!!!” गौरी सिसक रही थी।

“गौरी! देख तो हमारे बीच कौन आया है”, योगिता ने कहा।

गौरी ने अपनी गर्दन घुमाई और मुझे कमरे में नंगा खड़ा देखा। मैं अपने लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए उसे देख रहा था।

“अच्छा हुआ सुनील तुम आ गये! देखो ना मेरी चूत में इतनी खुजली मच रही है और रजनी दीदी की जीभ इतनी लंबी नहीं है कि उस खुजली को मिटा सके। तुम अपना लंबा लंड मेरी चूत में घुसा कर मेरी खुजली मिटा दो ना!” गौरी गिड़गिड़ाते हुए बोली।

“मेरा लंड तुम्हारी चूत को फाड़ देगा!” मैंने जवाब दिया।

“फट जाने दो मेरी चूत को… पर मुझे इस खुजली से छुटकारा दिला दो प्लीज़!” गौरी बिस्तर पर मचलते हुए बोली।

“जैसा तुम कहो मेरी जान!” कहकर मैं उसकी टाँगों के बीच आकर उस पर झुक गया और अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा। योगिता ने टीना को आँख मारी और धीरे से कहा, “अब तुम अपना काम करो?”

टीना दरवाजे के बीचों बीच खड़ी होकर चिल्लाने लगी, “पापा आप वहाँ प्रीती को चोद रहे हैं और सुनील यहाँ गौरी की चूत चोदने की तैयारी कर रहा है।”

“ओह सुनील! तुम ये क्या कर रहे हो? अपने लंड को मेरी चूत में डालो ना अंदर!” गौरी अपनी चूत को मेरे लंड पर और रगड़ते हुए बोली, “तुम्हारे लंड रगड़ने से तो खुजली कम होने के बजाये और बढ़ रही है।”

“मुझे थोड़ा समय दो!” मैंने कहा, “अभी तुम्हारी चूत की खुजली मिटाता हूँ।”

“क..क..क..क्याक्याक्या बकवास कर रही हो। सुनील तो यहाँ तुम्हारी माँ की चुदाई कर रहा है”, एम-डी ने जोर से चिल्लाते हुए कहा, “मिली सुनील कहाँ है?”

मिली ने क्या कहा हमें सुनाई नहीं पड़ा। “हरामजादी कुत्तिया! तूने सुनील को जाने कैसे दिया??? साली यहाँ नशे में मस्त हो कर पड़ी है और सिगरेट फूँक रही है… सुनील को जाने कैसे दिया? तुझे पता है कि सुनील गौरी की कुँवारी चूत के पीछे पड़ा है”, एम-डी जोर से मिली पर गुर्राते हुए बोला। “हे भगवान! इसके पहले कि सुनील गौरी की कोरी चूत फाड़ दे… मुझे उसे बचाना चाहिये।”

“हे रुको!!!! तुम इस तरह नहीं जा सकते!!!!” प्रीती एम-डी को रोकते हुए बोली, “तुम्हें पता है कि मेरा छूटने वाला है।”

“प्रीती मुझे अभी जाने दो। मैं बाद में आकर तुम्हारी चूत का पानी छुड़ा दूँगा”, एम-डी गिड़गिड़ाते हुए बोला, “अगर गौरी का कुँवारापन छिन गया तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा।”

एम-डी प्रीती को लगभग घसीटते हुए कमरे में दाखिल हुआ। मिली भी लड़खड़ाती हुई उसके पीछे-पीछे आ गयी।

कमरे में आकर जब एम-डी ने देखा कि मेरा लंड अभी भी गौरी की चूत पर ही था और अंदर नहीं गया था तो एम-डी चिल्लाया, “रुक जाओ सुनील! मेरी बेटी गौरी की कुँवारी चूत को बख्श दो… मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ।”

मैं थोड़ी देर के लिये हिचकिचाया। “सुनील किसका इंतज़ार कर रहे हो? घुसा दो अपना लंड गौरी की चूत में”, योगिता मुझे जोश दिलाते हुए बोली।

“सुनील! इसकी बातों पर ध्यान मत देना, मैं तुमसे गौरी की चूत की भीख माँगता हूँ”, एम-डी अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए बोला।

“सुनील! मेरे पापा की बात मत सुनो और जैसे योगिता आँटी कह रही हैं, वैसे ही फाड़ दो मेरी चूत को”, गौरी अपने कुल्हे उछाल कर बोली।

“जैसे तुम चाहो डार्लिंग!” कहकर मैंने गौरी की दोनों जाँघों को पकड़ लिया और धीरे से अपना लंड उसकी चूत में ढकेल दिया।

“ओहहहहह मर गयीईईई”, गौरी चींख पड़ी।

मैंने एक जोर का धक्का लगाया। मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड गौरी की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ उसकी चूत में घुस गया है। मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और एक जोर का धक्का दिया।

“ओहहहह सुनील!!! बहुत दर्द हो रहा है!!!! मर गयी!!!!” गौरी दर्द से चिल्ला पड़ी।

मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। जैसे-जैसे गौरी की चूत ढीली पड़ रही थी वैसे ही मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।

“सुनील! तुमने ये क्या कर दिया!!!” एम-डी गिड़गिड़ाते हुए बोला। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“सुनील ने गौरी की चूत फाड़ दी है और उसे चोद रहा है”, योगिता हँसते हुए अपना शराब का ग्लास हवा में नचाते हुए बोली।

उसकी बात पर ध्यान दिये बिना एम-डी ने मुझसे पूछा, “सुनील! तुमने तो फोन पर कहा था कि तुम्हारा गौरी की चूत को चोदने का कोई इरादा नहीं है… फिर ये क्या है?”

“सर मेरा… आआआआ इरादा…” मैं कुछ कहने ही वाला था कि गौरी बीच में बोल पड़ी, “पापा! आप शाँत रहिये… ये कोई वक्त है सवाल करने का। सुनील को पहले मेरी चूत की खुजली मिटा लेने दीजिये फिर जितने सवाल करने हों कर लीजियेगा”, गौरी अपने कुल्हे उछालते हुए बोली, “सुनील! मैं चाहती हूँ कि तुम जमकर मेरी चुदाई करो।”

“तुम्हारा हुक्म सिर आँखों पर!” कहकर मैं जोर के धक्के लगाने लगा।

“शाबाश मेरे शेर!” योगिता ताली बजाने लगी।
“तुम्हें बड़ा मज़ा आ रहा है, इस घिनोनी हर्कत पर?” एम-डी ने घूरते हुए योगिता से कहा।
“क्यों ना आयेगा? ये मेरे बदले का हिस्सा है”, योगिता ने जवाब दिया।

“बदला, मैं तो समझा था कि अपना हिसाब बराबर हो चुका है”, एम-डी ने चौंकते हुए कहा।

“मेरी बे-इज्जती का हिसाब तो बराबर हो चुका है। पर ये बदला मेरे पति की बनायी हुई कंपनी को रंडी खाना बनाने के लिये है”, योगिता बोली।

“ओह गॉड! अगर इन जैसे दोस्त हों तो दुनिया में इंसान को दुश्मनों की जरूरत नहीं है”, कहकर एम-डी वहीं सोफ़े पर ढेर हो गया।

“ओहहहह सुनील! कितना अच्छा लग रहा है”, गौरी सिसक रही थी। मुझे भी मज़ा आ रहा था। मैं जोर-जोर से उसकी कसी चूत में धक्के लगा रहा था।

“हाँ! अब और अच्छा लग रहा है… हाँ और जोर से!! हाँ ऐसे ही चोदो मुझे!!! ओहहहह सुनील!!! लगता है कि मेरा छूटने वाला है!!!!” कहकर गौरी बिस्तर पर निढाल पड़ गयी।

ये मेरी दूसरी चुदाई थी इसलिये मेरा छूटने में टाईम था। मैं अब भी उसकी चूत में अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था।

थोड़ी देर में गौरी फिर अपने कुल्हे उठा कर मेरी ताल से ताल मिलाने लगी। “ओहहह सुनील!!! लगता है कि मेरा फिर छूटने वाला है!!! हाँ और जोर से चोदो ना!!! हाँ और जोर से!!! ओहहहह मेरा छूटा!!!” कहते हुए उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया।

मैंने भी जोर के दो चार धक्के और लगा कर अपना वीर्य उसकी चूत में उगल दिया। गौरी ने मुझे बाँहों में भींच लिया और चूमने लगी, “ओहहह सुनील! कितना अच्छा लगा। लंड से चुदवाने में सही में मज़ा आ गया! मिस ब्रिगेंज़ा की जीभ और उंगलियों से तो तुम्हारा लंड लाख दर्ज़े अच्छा है!”

गौरी की बात सुन एम-डी चौंक उठा, “ये मिस ब्रिगेंज़ा कौन है?”

समाप्त Hindi Sex Stories

Antarvasna Stories

बात उन दिनों की है Antarvasna Stories जब मैं 12वीं की बोर्ड की परीक्षा देकर फ़्री हुआ था और रिजल्ट आने में तीन महीने का समय था।

ये वो समय होता है जब हर लड़का अपने बढ़े हुए लंड के प्रति आकार्षित रहता है साथ-साथ बढ़ती हुई काली-काली घुंघराली झांटे उसका मन जल्दी से किसी नशीली चूत का रस पान करने को प्रेरित करती हैं।

मैंने फ़्री टाइम को सही इस्तेमाल करने के लिये एक इंगलिश स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन कर लिया।

हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक नये इंगलिश कोचिंग सेंटर खुला था जहां मैं अपना एडमीशन लेने पहुंच गया।

मेरे लौड़े की किस्मत अच्छी थी वहां जाते ही मेरा सामना एक कमसिन, अल्हड़, मदमस्त, जवान, औरत से हुआ जो पता चला वहां की टीचर है।

उसके गोरे-गोरे तन बदन को देखते ही मेरा तो लौड़ा चड्डी में ही उचकने लगा।
उसकी खुशबूदार सांसो ने मन मे तूफ़ान पैदा कर डाला था।

मन तो उसके तुरंत चोदने को कर रहा था पर क्या करता वहां तो पढ़ने गया था।

एडमीशन देते हुए वो भी मुझे आंखों ही आंखों में तौल रही थी।

वो 27 साल की भरे बदन वाली मैडम थी।
शादी-शुदा, उसकी दोनो बूब्स (चूचियां) आधा किलो की थी और उसके गद्देदार मोटे चूतड़ (गांड) उभार लिये संगमरमर की मूरत से तराशे हुए हिलते ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हो- ‘आजा राजा इस गांड को बजा जा’

मैंने एडमीशन लेकर पूछा- कितने बजे आना है मैडम?
वह मुस्करा कर बोली- सुबह 7 बजे आना।

‘साथ क्या लाना है?’
वो बोली- एक कोपी बस!

मैं घर वापस आ गया पर सारी रात सुबह होने के इंतज़ार में सो न सका।
रात भर मैडम की हसीन मुस्कान और चेहरा सामने था।

मैं बार-बार उनके ब्लाउज़ में कैद उन दो कबूतरों का ध्यान कर रहा था जो बाहर आने को बेताब थे।
उनकी चूत कैसी होगी?
गुलाबी चूत पे काला सिंघाड़ा होगा, उनकी चूत का लहसुन मोटा होगा या पतला, मुलायम मीठा या नमकीन, कितना नशा होगा उनके चूत के रस में?

उनकी बुर की फांकें गुलाब की पत्तियों सी फैला दूं तो क्या हो?

यह कल्पना और मदहोश कर रही थी जिससे मेरे लंड फूल कर लम्बा और मोटा हो गया था और मेरी चड्डी में उसने गीला पानी छोड़ दिया।

अगले दिन सुबह, जल्दी से नहा कर मैं इंगलिश की कोचिंग में टाइम से पहुंच गया।

उस क्लास में और भी कुछ हसीन लड़कियाँ थीं। कुछ खूबसूरत शादी-शुदा औरतें भी थी जो हाई क्लास सोसाइटी में अपनी धाक जमाने के लिये इंगलिश सीखना चाह रही थीं ताकि हाई क्लास की रंगीनियों का मज़ा उठाया जा सके।

मैं पीछे की सीट पर बैठ गया।

थोड़ी देर में मैडम वहां आयी और गुड मोर्निंग के साथ मुझ पर नज़र पड़ते ही बोली- तुम आगे आकर बैठो।

उनके कहने पर मैं आगे की सीट पर बैठ गया।

वो सबको अपना परिचय हुए बोली- हाय मै निशा हूँ। अब आप लोग अपना परिचय दीजिये।

हम सबने अपना-अपना परिचय दिया।

फिर वो ब्लैक बोर्ड की तरफ़ मुड़कर लिखने लगी।

जैसे ही वो मुड़ी उनकी गांड मेरे सामने थी और मन फिर उनकी गांड मारने के ख्याल में खो गया। क्या करुं जवानी 18 साल की कहां शांत रहती।

वो बहुत सुंदर लाइट कलर की साड़ी पहने थी। लाइट पिंक ब्लाउज़ के नीचे उनका काला ब्रा साफ़ दिख रहा था।
साड़ी के पल्लु से उनकी चूची का बोर्डर ज़बान पे पानी ला रहा था।
लालच मन में जगा रहा था।

दोनों चूचियों के बीच की गहरी लाइन ब्रा के ऊपर से लंड को मस्ती दिला रही थी।
वो मुड़ कर वापस क्लास को बोलने लगी ग्रामर के बारे में और मेरे एकदम पास चली आयी।

मैं बैठा था और वो मेरे इतने करीब खड़ी थी कि उनका खुला पेट वाला हिस्सा मेरे मुंह के पास आ चुका था जिसमें से उनकी गोल-गोल गहरी टोंडी (नाभि) की महक मेरे नथुनों में मीठा ज़हर घोल रही थी।

फिर उनका पेन हाथ से गिरकर मेरे सामने टपक गया जिसे लेने वो नीचे झुकी तो दोनों चुचियाँ मेरे मुंह के सामने परस गये।

उस दिन क्लास ऐसे ही चलता रहा।

फिर जब क्लास खत्म हुआ तो जब सब चलने लगे तो मैडम ने मुझे रुकने को कहा।
मैं अपनी कुरसी पर बैठा रहा।

सबके चले जाने के बाद मैडम मेरे पास आयी और बोली-हेंडसम लग रहे हो!
मैंने कहा- थैंक यू।

“तुम अभी क्या करते हो?”
मैं बोला- अभी 12वीं का एक्साम दिया है अब मैं फ़्री हूं।

मैडम बोली- मतलब अब तुम बालिग (एडल्ट) हो गये हो।
“यस मैडम!” मैं बोला।

“हऊ ऊउम…”
वो कुछ सोच कर बोली- तुम्हारा केला तो काफ़ी बड़ा है।
“केला???” मैं समझ तो गया था कि मैडम मेरे लंड की तरफ़ इशारा कर रही हैं पर मैं अंजान बना रहा।

मैंने पूछा- किस केले की बात कर रही हैं आप?
“अरे अब इतने अंजान मत बनो मेरे राजा, तुम्हारा लौड़ा जो काफ़ी बड़ा है और जो इस पैंट के नीचे से फूल कर बाहर हवा खाने को बेताब है। शायद इसने अभी तक गुझिया (चूत) का स्वाद नहीं चखा।”

असल में मैं क्लास जल्दी पहुंचने के चक्कर में नहा कर पैंट के नीचे अंडरवेअर पहनना भूल गया था जिससे मोटा लौड़ा तन कर पैंट में अपनी छाप दिखा रहा था।

मैडम को फ़्री और फ़्रेंक होता देख कर मैंने भी कह दिया- हां मैडम, अभी तक किसी की चूत का स्वाद नहीं चखा है।

वो बोली- शनिवार की सुबह 6 बजे मेरे घर आ सकते हो, मैं अकेली रहती हूं। दर असल मेरे पति नेवी में हैं और हमारे कोई औलाद नहीं हैं। तुम आजाओगे तो मुझे कम्पनी हो जायेगी।

मैंने फ़ौरन हामी भर दी।
मैं जानता तो था कि मैडम को मेरी कम्पनी क्यों चाहिये थी।
उनको अपनी बुर की खुजली मिटानी थी और फिर जब पति नेवी में गांड मराये तो पत्नी दिन भर जब टीचिंग से लौट कर आये तो चूत चोदने को कोई लौड़ा तो चाहिये ही। इसमे कुछ गलत नहीं हैं। हर औरत की, हर लौंडिया की चूत में गर्मी चढ़ती है और उसकी चूत की आग सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही शांत कर सकता है।

सारी रात मैडम का ध्यान कर मैं सो न सका।
सुबह घड़ी में अलार्म लगा दिया 5 बजे का।

मम्मी भी सुबह अलार्म की आवाज़ से उठ गयी और बोली- इतने सुबह कहां जा रहे हो?

मैंने कहा सुबह रोज़ अब मैं जल्दी उठ कर जोगिंग करने जाउंगा और फिर वहीं से क्लास अटेंड कर वापस आऊंगा।
अब उनसे क्या कहता कि मैडम की चूत की खुजली शांत करने जा रहा हूं।

सुबह चाय पीकर मैं तुरंत टैक्सी कर मैडम के पते पर कोपी लिये पहुंच गया।
डोरबेल की घंटी बजायी तो थोड़ी देर बाद मैडम ब्लैक नाइटी पहने मुस्करा कर दरवाजा खोलती नज़र आयी।

उनकी नाइटी के दो बटन ऊपर के खुले थे और ब्रा नहीं पहने होने के कारण दोनों चूचियाँ मुझे साफ़ दिख रहीं थीं।
नीचे पेटीकोट भी नहीं था क्योंकि उन्होंने मेरा हाथ कमर पे रख मुझे अंदर बुलाया जिससे उनका बदन मेरे हाथ में आ गया था।

सामने खुला हुआ सीना मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रहा था।

वो मुस्कुरा कर बोली- अब ऐसे ही खड़े-खड़े मेरी सूरत देखते रहोगे या मुझे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पे भी ले चलोगे। मेरी जवानी कबसे मोटे लंड की आग में जल रही है, मेरी जवानी के मज़े नहीं लूटोगे?

मैंने तुरंत कोपी पास पड़ी टेबल पर फेंक दी और मैडम को झट से अपनी बाहों में उठा लिया।
उनके खुले बाल मेरे हाथ पर थे और उन्होंने मेरे होंठों को अपने लिप्स में कैद कर लिया।

उनका बेडरूम सामने ही था।

मौसम थोड़ा गर्म था इसलिये मैं उनको पहले बाथरूम में ले आया जहां उनको थोड़ा नहला कर मालिश कर गर्म कर सकूं।

मैंने मैडम को बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर उनकी काली नाइटी के ऊपर से पूरा मांसल बदन दबाया, फिर सहलाया।

उनके हाथ ऊपर कर उनकी काली नाइटी धीरे से उतार दी।

अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी।

दूधिया बदन गोरी गोरी मोटी चूचियाँ और हल्के काले घुंघराले बालों के बीच गुलाबी मुलायम चूत!

मैंने शोवर चालु कर दिया पानी ऊपर से नीचे हर अंग को भिगो रहा था। मैंने उनको चूमना चाटना शुरु कर दिया। होंठों से होंठ फिर गाल सब पर ज़बान फेर कर मज़ा देता गया। दोनो चूचियाँ बार बार दबा कर निप्पलों को मुंह में भर लिया।

उनके पिंक निप्पल मोटे और बहुत सोफ़्ट थे।
ज़बान निकाल कर गोल-गोल निप्पल पर घुमा कर चाट कर पिया।

वो बोली- आअ हह … उह हह… ईईस्स सस… मज़ा आ गया … और पियो ये निप्पल कब से तरस रहे थे कि कोई इनको पिये।

मैंने कस कर चूची मर्दन किया दबा दबा कर निप्पलों उकेर कर दोनो निप्पलों पर जबान से खूब खुजली की।

मैडम भी अपनी ज़बान निकाल कर मेरे ज़बान के साथ अपने निप्पलों चाट रहीं थी।

उनकी चूचियाँ फूल कर बड़ी हो गयी थी और मैं नीचे उनके नाभि पर आ गया था।

गोल नाभि की गहरायी नापने में 2 मिनट लगा, इससे पहले चूचियों का मसाज और निप्पलों को चूस कर 10 मिनट तक उनको प्यार के नशे में डुबाता चला गया।

इस क्रिया से मेरा लौड़ा भी नागराज की तरह फुंकारता हुआ खड़ा हो कर 7इंच का हो चुका था जिस पर मैडम का हाथ पहुंच गया था।

मैंने धीरे से मैडम को बाथरूम के फ़र्श पर लिटाया ताकि उनकी चूत खुल कर मेरे सामने आ सके और मैं उनकी गुलाबी गुझिया में उंगली डाल सकूँ।

मैं धीरे से उनकी चूत का रस पीने के इरादे से नीचे गया।
उनकी झांटों पर पड़ी पानी की बूंदों ने मुझे उनके झांटों पर चांदी की तरह चमकती बूंदों को पीने की चाह जगा दी।

मैं उनकी काली, मुलायम घुंघराली झांटों को अपने होंठों में कैद कर अपने लिप्स से पीने लगा।
उनकी जब झांटें खिंचती तो वो अह्ह्ह हह्ह … ऊऊह ह्हह … ह्हहा ईईइ … ज्जज्ज जाआ अनन्नन्न … स्सस्सस … करती जिससे मेरा लंड और कड़क हो जाता।

उनकी झांटों से पानी साफ़ करने के बाद मैंने दोनो उंगलियों से उनकी चूत की गहरायी को नापा मतलब दोनो उंगलियाँ अंदर गुलाबी छेद में डाल दी गहरायी तक।
फिर ज़बान पास लाकर उनके चूत का सिंघाड़ा अपने मुंह में कैद कर लिया।

करीब 10 मिनट तक उनकी नशीली चूत का रस अपनी ज़बान से पीता रहा और उनकी गर्म चूत में अपनी ज़बान चलाता रहा। ऊपर से नीचे फिर नीचे से ऊपर और फिर ज़बान को कड़ा कर अंदर बाहर भी।

ज़बान से चूत रस चाटते वक्त मैंने एक उंगली नीचे खूबसूरत से दिख रहे गांड के छेद पे लगा दी।

उनको तैयार कर मैंने अपना अंडरवीअर उतारा जिससे मैडम बाथरूम के फ़र्श पर उठ कर मेरे ऊपर मेरी तरफ़ गांड कर 69 की पोजीशन में लेट गयी और मेरा लंड अपने मुंह में डाल लिया।

मैं मैडम की चूत मैं नीचे से पीछे से ज़बान डाल कर उनका रस चाटे जा रहा था और मैडम को मेरा गुलाबी सुपाड़ा बहुत मज़ा दे रहा था।

वो बच्चों की तरह उसे चूसे जा रहीं थी क्योंकि उनको लंड बहुत दिन बाद नसीब हुआ था।

मेरा तना लंड उनको बहुत मज़ा दे रहा था.
वो 5 मिनट तक मेरा लौड़ा अपने होंठों में कैद कर चूसती रहीं ज़बान से लंड के सुपाड़े को चाट-चाट कर लाल कर दिया था.
और लंड तन कर रोड की तरह पूरा कड़ा हो गया था.
पर मैडम छोड़ ही नहीं रहीं थी।

मैंने बोला- मैडम, मैं झड़ने वाला हूं!

तो उन्होंने मुझे खड़ा कर दिया और खुद भी मेरे ऊपर से हट गयी।
बोली-आओ राजा मेरी ज़बान पर गिरा दो।

वो मेरे लंड के पास मुंह खोल कर ज़बान निकाल कर बैठ गयीं।

मैंने अपने हाथ से हिला कर जल्दी से अपना सारा गर्म गर्म शहद उनकी ज़बान पे गिराया जिसे उन्होंने अपनी आंखे बंद कर जन्नत का मज़ा लिया।

वो मेरे गर्म वीर्य की आखिरी बूंद तक चाट गयी।

फिर उन्होंने अपना मुंह धोया और मुझे बोली- अब मुझको बेडरूम में ले चलो राजा।

मैं भी उनकी चूत चोदने को बेताब था।
मैंने उनको उठा लिया और बेड पर चित लिटा दिया।

उनकी दोनों गोरी टांगों को मैंने खूब फैला दिया ताकि उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुल जाये और मुझे उनकी चूत को चाटने में ज़रा भी कठिनाई न हो।

वो फिर से मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर आगे पीछे हिलाने लगी।

उनके ये करने से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा।
मैंने उनकी नशीली चूत को चाट कर अपने थूक से चिकना किया।

वैसे उनकी चूत बहुत मक्खन सी मुलायम और मलमल सी चिकनी थी। वो गर्म-गर्म मलाई से भरपूर चूत मुझे अब जन्नत सी लग रही थी जिसको अब चोदना बहुत ज़रूरी हो गया था।

मेरे लप-लप कर उनकी चूत को चाटने से वो अपने मुंह से सी … सी … ऊऊओ … अह्ह्ह ह्ह कर रही थी।
बोली- मेरे राजा, जल्दी से अपना 7 इंच का शेर मेरी प्यार की गुफ़ा में घुसा दो। जल्दी से इस चूत की खुजली शांत करो। बहुत तड़प रही हूं।

मैंने जल्दी से उनकी गोरी मांसल जांघों को दूर दूर किया और लौड़ा पकड़ कर अपना सुपाड़ा चूत के मुंह पे टिका कर सहलाया।
फिर एक धीरे से ज़ोर लगाया जिससे लंड खच की आवाज़ से अंदर गर्म गर्म चूत में अंदर तक समा गया।

वो आंखें बंद कर मस्त होने लगी।
मैं बोला- निशा तुम बहुत मस्त हो।
वो मुस्कुरा दी।

मैंने अपने लंड का वेग बढ़ा दिया; लंड जल्दी जल्दी अंदर बाहर चलने लगा।
लंड पूरे ज़ोर से अंदर बाहर आ जा रहा था जिससे निशा की चूचियाँ भी हिल रही थीं।

दोनों बूब्स को मैंने हाथ में भर कर मसलना शुरु कर दिया था और उनके निप्पल भी अपने होंठों में चूसने लगा।

निशा की जवानी लूट कर 10 मिनट तक गर्म लंड रोड सा उसकी बुर को फाड़ता रहा।

फिर मैंने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला और अपना गर्म वीर्य उसकी चूत के ऊपर और टोंढी के छेद में डाल दिया।

अब वो शांत हो चुकी थीं और मेरा पहला प्यार का क्लास 1 घंटे में खत्म हुआ था।
सेक्स की इस क्लास में मुझको मज़ा मिला था।
अनोखा मज़ा। Antarvasna Stories

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