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मेरा नाम सुरुति है। हम दिल्ली के पास रहते हैं। मैं एक Sex Stories जिम में जाता हूँ, वहाँ पर महिलाएँ और पुरुष दोनों आते हैं।
कुछ दिन पहले एक बहुत ही मासूम चेहरे वाली महिला ने आना शुरू किया, उसने पहली नज़र में ही दिल को छू लिया।
मैने तो दिल ही दिल में उसके बारे में सोचना शुरू किया, हर समय उसके ख़यालों में रहने लगा। हर समय उसकी उभरी हुई छातियों के बारे में सोचता रहता कि कब इनका रस पी सकूँगा।
आख़िर वो दिन आ गया।
एक दिन जिम में उसके पाँव में मोच आ गई। जिम वाले के पास कोई कार ना होने के कारण जिम वाले ने मुझे उसको छोड़ कर आने के लिए कहा। २-३ महिलाओं ने उसको सहारा देकर मेरी कार में बैठाया। हम धीरे धीरे उसके घर की तरफ चले।
मैंने बहुत हिम्मत करके बातचीत शुरू की, उसका हालचाल पूछा, उसने धन्यवाद किया। फिर वो पूछने लगी कि आप हर समय मुझे देखते क्यों रहते हो?
मैंने कहा- ये आप अपने आप से पूछ सकती हैं।
वो समझ गई कि वो मुझे बहुत पसंद है।
बात करते करते उसका घर आ गया, उसने मुझे डोर बेल बजाने को कहा, पर बार बजाने के बावजूद अंदर से कोई नहीं आया। फिर उसने मुझे प्रार्थना वाले अंदाज में पूछा कि आप मुझे अंदर तक छोड़ देंगे?
मेरे मन में लड्डू फूटने लग गये कि उसके बदन को छूने का मौका तो मिला। मैने धीरे से उसका हाथ थामा और अंदर ले गया। अन्दर जाकर उसने बेडरूम में लेजाकर बेड पे लिटाने को कहा।
वो कहने लगी- प्लीज़ क्रीम उठा कर देते जाओ !
पर उसको दर्द हो रहा था, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसको आग्रह किया कि अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके पैर पर थोड़ी सी क्रीम लगा देता हूँ, उसने इनकार नहीं किया। मैंने थोड़ी क्रीम हाथ में ली और धीरे धीरे उसके पैर पर लगा कर सहलाना चालू किया मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं मौके को भाँपते हुए बेड के ऊपर बैठ गया और आराम करने के अंदाज में लेट गया। मुझे यह पता करना था कि आग दोनो तरफ है या एक तरफ?
वो देखते ही देखते मेरे साथ बराबर में आ के लेट गयी और कहने लगी- जो भी चाहते हो कर लो सब तुम्हारा है। मेरे पति ने मुझे बीच में ला के खड़ा कर दिया है। काम के सिलसिले मे वो अक्सर बाहर रहते हैं और हम यों ही प्यासे रह जाते हैं ! आज जी भर के हमें प्यार करो, हम बहुत प्यासे हैं। उसने मुझे नंगा कर दिया और अपना भी ट्रैक-सूट उतार कर फेंक दिया और मेरे लंड को जी कार में तन कर मोटा हो गया था, उसको बुरी तरह चूसना चालू कर दिया। वो मेरे लंड महाराज को इस तरह चूस रही थी मानो जन्मों-२ से प्यासी हो फिर उसने अपनी टांगे फैला कर इशारा किया कि आज इसकी प्यास मिटा दो।
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अभी हम फोन पर प्यार कर लेते हैं। Sex Stories
मेरा नाम अर्चना है.
मैं मुंबई की रहने वाली हूँ.
मेरी शादी इंदौर में हुई है लेकिन फ़िलहाल भोपाल में अपने पति के साथ रहती हूँ.
मेरे पति एक मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर हैं और वे महीने में 15 से 20 दिन बाहर ही रहते हैं.
मेरी उम्र 35 वर्ष है.
दोस्तो, मैं इतनी ज्यादा कामुक और सुन्दर हूँ कि हर कोई मुझे पकड़कर चोदना चाहता है.
हर इंसान मुझे बुरी तरह से जंगली बन कर चोदना चाहता है.
मैं भी अपनी पसंद के मर्द से लग जाती हूँ.
अभी तक मैं कितनी बार और कितने मर्दों से चुद चुकी हूँ, ये मुझे खुद याद नहीं है.
पर बहुत सी चुदाई मुझे अच्छे से याद हैं.
जैसा कि मैंने लिखा है कि मुझे खुद भी अलग अलग मर्दों से चुदना बहुत भाता है और मोटे व काले लंबे लंड मुझे प्रिय हैं.
उस पर भी लौड़े पर खोपरे का तेल लगा हो तो कहना ही क्या.
मैं दिखने में बिल्कुल अमृता राव की ट्रू-कापी हूँ.
मेरा सीना 34, कमर 32 और नितम्ब 38 के हैं.
स्कूल और कालेज लाइफ में लड़के मुझे अमृता राव ही बुलाते थे.
उस समय विवाह फिल्म रिलीज हुई थी, तब उस फिल्म के सभी गाने लड़के मुझे देखकर गाया करते थे.
मुझे बड़ा मजा आता था.
मैंने अपने आपको बिल्कुल फिट रखा है।
शुरू से ही मेरा मानना है कि फिट बॉडी को हर कोई सेक्सी निगाहों से देखता है.
मुझे मर्दों की कामुक नजरों से घूरा जाना बहुत अच्छा लगता है.
स्कूल में पहला अनुभव जब हुआ था, जब एक सहपाठी द्वारा मुझ पर यौन आक्रमण हुआ था.
मैं उस समय पढ़ने में सबसे तेज थी तो सभी लड़के और लड़कियां मेरे आस-पास ही मंडराते थे.
उनमें एक मेरा सहपाठी भी था, जिसका नाम संजय था.
वह पढ़ने में ठीक-ठाक ही था लेकिन था खूब मस्तीखोर.
हर समय उसे मस्ती ही सूझती थी.
दूसरी बात ये कि वह मुझे हमेशा घूरता रहता था.
उस समय मुझे इन सब चीजों की आदत नहीं थी तो मैं उससे डर गई.
मैंने उससे बात करना बंद कर दी.
उसने भी मुझे देखना बंद कर दिया, जिससे मुझे डर लगना बंद हो गया.
बात दिसंबर में क्रिसमस की छुट्टियों की है.
स्कूल से हमें एक टूर पर ले जाया जा रहा था.
यह जगह ओखला पक्षी अभ्यारण्य था, जो कि दिल्ली से 22 किलोमीटर की दूरी पर है.
पापा से अनुमति लेकर मैं भी टूर पर जाने के लिए तैयार हो गई.
वह तीन दिनों का टूर था जो मुझे एक नया अनुभव देने वाला था.
उसके बारे में मुझे आज तक कुछ भी पता नहीं था.
हम सभी लोग सुबह स्कूल में इकट्ठा होकर सुबह 7 बजे बस से निकले.
दिन भर हमने पक्षियों और अन्य जीवों की जानकारी हासिल की.
शाम को रुकने की व्यवस्था डाक बंगले पर रखी गई थी.
यहीं पर वह समय प्रारम्भ हो गया, जिसने मुझे नया अनुभव दिलाया.
डाक बंगले पर कमरों की कमी थी तो अल्फाबेटिकली 10-10 का ग्रुप बनाकर हम कमरों में शिफ्ट हो गए.
उस समय लड़के लड़कियां सब एक साथ ही रहते थे और सेक्स जैसी कोई भी बात किसी के दिमाग में नहीं आई.
मुझे सबसे आखिर में कोने में कमरे के गलियारे में जगह मिली.
मेरे पीछे संजय था.
उस गलियारे में हम दोनों के अलावा बाकी 8 स्टूडेंट कमरे में थे.
रात में लगभग सभी सो गए थे.
ठण्ड का मौसम था तो सब दुबके हुए सो रहे थे.
मैं भी सो गई थी.
परन्तु संजय नहीं सोया था.
रात में करीब सवा बारह बजे संजय मेरे बिस्तर में आकर सो गया.
जगह कम होने से मैं कसमसाई लेकिन ठण्ड के कारण उठी नहीं.
फिर जल्द ही नींद के आगोश में चली गई.
यही वह रात थी जब मुझे खोपरे के तेल से प्यार हो गया था.
हालांकि इस बात का पता बहुत बाद में चला, जब मैं कॉलेज में आ गई थी.
उस समय मेरी जबरदस्त चुदाई हुई थी.
संजय मुझसे पीछे से बिल्कुल सट कर सो रहा था.
उसने धीरे से मेरी मिड्डी ऊपर कर दी और मेरी चड्डी को खोल दिया.
तब तक भी मेरी नींद नहीं खुली थी.
उसने खोपरे के तेल में अपनी उंगली भिगो कर मेरी गांड के छेद पर लगाना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे उसने पूरी उंगली मेरी गांड में डाल दी.
चिकनाहट के कारण और गहरी नींद में सोई रहने के कारण मुझे कुछ अहसास ही नहीं हुआ.
वह तो जब उस कमीने ने उंगली से अन्दर हरकत करना शुरू की, तब जाकर मेरी नींद खुली.
मुझे लगा कि कोई कीड़ा मेरी गांड में घुस गया है.
मैं जोर से चिल्ला दी.
मेरे कमरे के सर उठ कर आए और उन्होंने मुझसे पूछा- क्या हुआ?
मैंने अपने मुँह से कोई आवाज नहीं निकाली.
मैंने कहा- कुछ नहीं सर, मैं नींद में डर गई थी.
सर फिर सोने चले गए.
मैंने सर से इसलिए नहीं कहा क्योंकि संजय मेरे चिल्लाने पर अपने बिस्तर पर चला गया और हाथ जोड़कर माफ़ी मांगने लगा था.
तो मैंने भी रात में कोई बखेड़ा खड़ा करना उचित नहीं समझा और फिर हम सभी सो गए.
अगले दिन मैं दिन भर उस बारे में सोचती रही कि रात में गुदगुदी हुई तो कैसा लगा था.
फिर मैंने बड़ी कक्षा की सहेलियों से पूछना उचित समझा.
उधर संजय मेरी कक्षा में एक बार फेल हो चुका था तथा बड़ी कक्षा की लड़कियां उसकी दोस्त थीं तो वह उनसे बातें कर रहा था.
मुझे आती देखकर वह दूसरी ओर चला गया.
फिर मैं उन सीनियर लड़कियों के पास गई और रात में जो गुदगुदी हो रही थी, उन्हें उसके बारे में बताया.
वे सभी हंसने लगीं.
उनको पता चल गया था कि मैं अभी इन सब बातों से अनजान हूँ.
उन्होंने कहा- ये सब इस उम्र में होता है … फिर अगर कोई ऐसी गुदगुदी करे, तो उसका मजा लो. इस बात की किसी से शिकायत मत करो.
मैं समझ गई कि संजय ने मुझसे पहले ही उनको सब बता दिया है.
खैर … फिर रात हुई तो मुझे थोड़ा डर सा लगने लगा.
तब हमारे सर ने उनके पास सोने का बोला तो मैंने ही मना कर दिया.
मैं फिर से उसी गलियारे में संजय के पास आकर सो गई.
उधर संजय की आंखों में शरारत के भाव थे और नींद तो नाम की नहीं थी.
जबकि मुझे डर के मारे नींद नहीं आ रही थी.
जैसे ही आधी रात हुई, संजय के हाथ हरकत करने लगे और उसने खोपरा के तेल से लबालब अपनी उंगली मेरी गांड में डाल दी.
मैं एकदम चिहुंक उठी तो संजय बोला- आज चिल्लाई नहीं?
मैंने गुस्से में उसे देखकर उंगली निकालने को कहा.
तो उसने अपने एक हाथ को मेरे गले में डालकर मेरे दूध को दबा दिया, फिर दो उंगलियों से मेरे चूचुक को मींजने लगा.
साथ ही वह अपनी उंगली को मेरी गांड में अन्दर बाहर करने लगा.
मुझे जो गुदगुदी उस समय हो रही थी, उसका मजा अलग ही था.
मैंने भी ज्यादा विरोध नहीं किया.
जिससे संजय का हौसला बढ़ता ही गया और वह उंगली को तेजी से अन्दर बाहर डालने लगा.
अब रजाई के अन्दर पटपट सट सट की आवाज आने लगी थी.
अचानक उसने अपनी उंगली निकाल ली.
मैंने समझा कि वह फिर से तेल लगाकर पेलेगा.
मैं यही सोचकर आंख बंद करके ऐसे ही नंगी ही लेटी रही.
उधर संजय ने एक हाथ से ही अपने छह इंच के लंड पर तेल लगाकर उसे लबालब कर लिया था.
उसका दूसरा हाथ मेरे गले में लिपटा हुआ मेरे दूध सहला रहा था.
फिर वह धीरे से मेरे पीछे आया और अपना पतला लम्बा लेकिन कड़क लंड मेरी गांड में डाल दिया.
थोड़े से दर्द के साथ मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और वह भी मेरी गांड को फचफच फच फच करके चोदने लगा.
जल्दी ही उसने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया लेकिन मुझे अधूरी छोड़ दिया.
अभी मेरी चूत से पानी तो निकला ही नहीं था जिसके बारे में मुझे कोई खास जानकारी भी नहीं थी.
गांड में उसका लिसलिसा पानी मुझे अजीब सा लग रहा था.
बड़ी मुश्किल से मुझे नींद आई.
सुबह मेरी गांड में जबरदस्त खुजली मची, तो मुझे खूब मजा आया.
मैंने सोच लिया था कि आज गांड मरवाने की आखिरी रात है.
यही सोचकर मैं रात का इंतजार करने लगी.
आखिर रात हुई तो मैंने सर से कहा- मैं और संजय कमरे के बाहर वाले गलियारे में आखिरी में सो जाएं क्या? क्योंकि यहां जगह नहीं है और खिड़की से ठंडी हवा भी आती है.
उस गलियारे के आखिरी में तीनों ओर से दीवारें थीं तो वह हिस्सा पैक था और सामने से कोई भी आता, तो दिख जाता.
लेकिन सर ने मना कर दिया- नहीं, ऐसे नहीं सोने दे सकता हूँ.
फिर खाने के बाद सर फिर रिक्वेस्ट की और उनको वह जगह बताई, तो सर मान गए.
मैंने तुरंत संजय से बोला तो संजय को विश्वास नहीं हुआ और वह बोला- आज फिर से खेलेंगे क्या?
मैंने कहा- हां पूरी रात मस्ती से खेलेंगे.
फिर आधी रात को हम दोनों एक दूसरे के पास सट कर सो गए.
पर आज उसने उंगली नहीं डाली, सीधे अपना लंड बिना तेल के डाल दिया.
मैं दर्द से चिल्लाऊं, इतने में उसने मेरा मुँह दबा दिया.
दर्द से मैं रोने लगी और उसके हाथ को काट लिया.
उसने कहा- आज तेल ख़त्म हो गया है.
मैंने भी गांड मरवाने से मना कर दिया.
वह उठा … और पता नहीं कहां चला गया.
लगभग दस मिनट बाद उसके हाथ में खोपरे का तेल था और वह जल्दी जल्दी आ रहा था.
नजदीक आकर उसने पहले मेरी गांड में तेल लगाया और फिर अपने लंड पर.
तेल लगाने के बाद उसने मुझे उल्टा लेटने को कहा तो मैं लेट गई.
मुझे नहीं पता था कि आज मेरी गांड की बैंड बजने वाली है.
वह मेरे ऊपर चढ़ गया और धीरे से अपना लंड मेरी गांड पर सैट करके रख दिया.
फिर धीरे से धक्का दिया.
तेल लगा लंड लहराता हुआ मेरी गांड में घुस गया.
मुझे आज तेल लगाने के बाद भी बहुत दर्द हो रहा था.
मैं रोने लगी तो अब संजय ने कुछ भी रहम नहीं दिखाया और जोर जोर से मेरी गांड को पेलने में लग गया.
गलियारे में रात के सन्नाटे में फचफच फचफच फच सटासट सटासट की आवाज आने लगी.
मुझे भी अब मजा आने लगा था.
आज मेरी चूत में अजीब सी खुजली मच रही थी.
मैं अपने हाथ से खुजली मिटाने के लिए चूत को जोर जोर से मसल ही रही थी कि अचानक मेरी चूत से चिकना सफ़ेद पानी निकलने लगा.
मुझे बहुत मजा आने लगा था.
उधर संजय भी फचफच फचफच करते हुए गांड में झड़ गया.
उसने अपना सारा वीर्य गांड में टपका दिया.
हम दोनों ने चुदाई के बाद अपने अपने कपड़े पहने और उसी चिकनाहट के साथ सो गए.
आज मुझे बिल्कुल भी अजीब नहीं लग रहा था और मन बिल्कुल शांत था.
मैं पूरी तरह संतुष्ट भी थी.
दोस्तो, मेरा पहला अनुभव गांड चुदाई से शुरू हुआ था.
मैं एक २० साल का नौजवान और कद Hindi Sex Stories में भी ठीक हूँ ६’ १”बात ऐसी है कि मेरी कहानी अन्तर्वासना पर आने के बाद मुझे काफी सारे ईमेल आने लगे। उन सभी ईमेल में से एक मेल में मुझे किसी लड़की ने अपना फ़ोन नम्बर और पता दिया हुआ था। इतना मिलते ही सरदार यानि की मैं बहुत ही खुश हुआ। मैंने उसे कॉल किया तो वो भी दिल्ली में ही रहनी वाली एक कुंवारी कन्या का निकला उसने अपनी उम्र २१ साल बताई और उसने मुझे एक सुझाव भी दिया था। मैंने उससे पूछा कि कैसा सुझाव तो वो कहने लगी कि कॉल बॉय का सुझाव। इतना सुनते ही मेरे लण्ड ने करवट बदली और सीधा होकर खड़ा हो गया। मैंने कहा कि मुझे क्या करना होगा तो बोली- वही जो करते हो और पैसे भी मिलेंगे।
मैं समझ चुका था कि मेरे लण्ड की बोली लगने के दिन आ चुके हैं। मैं बहुत उत्तेजित था यह सुन कर !
अगले दिन फिर मैंने उस कन्या से बात की तो उसने कहा की मैं उसके घर चला जाऊँ। तो फिर क्या था मैं गया, मैंने गेट पर बेल बजाई तो देखा एक बुढ़िया मेरे सामने आकर गेट खोल रही थी। बुढ़िया देख कर मेरी भी गांड फटने लगी। मैंने झूठ से ही कह दिया कि मैडम हैं घर पर?
तो वो बोली- हाँ !
और मेरा तुक्का भी ठीक लगा वो बुढ़िया उसके यहाँ काम करती थी. मैं अन्दर गया और उस कन्या से मिला, हाथ भी मिलाया। फिर हम दोनों एक कमरे में जाने लगे।
मैं काफी बेचैन था।
उस ने बताया कि मैं दिखने में और इस लाइन में काफी ठीक रहूँगा। तो मैंने पूछा कि किस लाइन में?
उस ने हंस कर कहा कि कॉल बॉय के काम में !
मैं भी हंसा और फिर मैंने हामी भर दी। फिर उसने मुझे सभी बातें बताई पैसे की कि इस लाइन में पैसे भी मिलते हैं !
मैंने कहा ओके।
फिर साली को क्या हुआ- उसने मेरा हाथ पकड़ कर एक प्यारी सी किस दी।
जैसा मने पहले भी कहा था कि मुझे ज्यादा तजुर्बा नहीं है इन सभी में, यह मेरा दूसरा अवसर था सेक्स का।
उसने मुझे अपने पास बुलाकर किस करने को कहा। मैंने उसे किस किस में ही नंगा कर दिया और उस बहन की लोड़ी ने भी मुझे नंगा कर दिया। मैंने उसके बूब्स देखे तो मैं फिर देखता ही रह गया था उसने उन पर कुछ लगाया हुआ था। मैंने धीरे धीरे उन्हें सहलाना सुरु किया वाह क्या मजा आ रहा था साली को बहुत ही एक्सप. था इन सब बातों का। वो मेरे लण्ड को चूसने लगी और आगे पीछे करने लगी। ऐसा करने से मेरे अन्दर ४४० वोल्ट का झटका लगा और मैं उस के मुह में ही झड़ गया।
फिर साली ने कहा कि अब मेरी बारी है एसा करने की !
मैंने उसकी कम बाल वाली चूत को चाटना शुरू ही किया था कि उस ने कहा- वह स्वर्ग का आनंद ले रही है।
मैंने उसे चाट चाट कर साफ कर दिया था और दो बार जान बूझकर काटा भी था।
उसके बूब्स हिल हिल कर मेरे लण्ड को मजा दे रहे थे। मैंने उन्हें हाथों में पकड़ रखा था, क्या माल थी साली वो !
फिर हम दोनों ६९ की पोसिशन में होगये और किस करते रहे।
२० मिनट बाद मैंने उसकी चूत को ऊपर उठाया और लण्ड के सामने लगाकर बोली लगाई, लण्ड का जवाब था १२००/-
मैंने कहा- चलेगा?
तो वो बोली- ठीक है।
फिर क्या था ! साली में मैंने पेल दिया अपना लण्ड !
एक बार तो वो ऐसे चिल्लाई कि जैसे गरम गरम मशाल दे दी हो चूत में और थोडी देर बाद ऐसे चुदवाने लगी कि मानो बर्फ़ वाले लण्ड पर चुद रही हो्। फिर क्या था धक्के पर धक्के लग रहे थे उसका बेड भी आवाज कर रहा कि उसे माफ कर दो।
फिर २५-३० मिनट बाद मैं झड़ा। इस बीच वो शायद कम से कम ३ या ४ बार झड़ चुकी थी।
फिर उसने मुझे पैसे दिए और धन्यवाद कहा।
मैंने कहा- यू आर वेलकम और हंस पड़ा। यह मेरी पहली बोनी हुई थी।
और तब से मैं एक काल-बॉय हूँ !
तो यारो कृपया मुझे लिखिए कि मेरी कहानी कैसी लगी Hindi Sex Stories
मेरा नाम जय है, मैं Antarvasna पचमढ़ी का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 26 वर्ष है। मैं बहुत ही मिलनसार और सेक्सी हूँ। मेरा लंड काफी बड़ा और आप कह सकते हैं कि बस मस्त है। मेरे दोस्तों का कहना है- सिंधन की चूत, पंजाबन का दूध, हिमालय की ठण्ड और जय का लंड इनका कोई मुकाबला नहीं है।
मैं आज से 5 साल पहले भोपाल आ गया क्योंकि मुझे भोपाल में अच्छा लगता है। मैंने पंचशील नगर में कमरा किराये पर लिया। नीचे मकान मालिक और ऊपर मेरा कमरा, मेरे बाजू में एक और किरायेदार, जो ड्रायवर था, पति पत्नी रहते हैं। मेर कमरे में बाथरूम नहीं था तो मैं मकान मालिक का बाथरूम इस्तेमाल करता हूँ और मेरे कमरे की खिड़की से बाथरूम की झलक देखी जा सकती है जो मेरा टाइम पास हो गया है।
मालिक बैंक मैंनेजर है, उसके दो लड़के हैं बड़ा बाहर ही रहता है, छोटा लड़का मेरी उम्र का, नाम राकेश है, नशा भी करता है। उसके बाद सबसे छोटी उसकी लड़की मीनू जो स्कूल में पढ़ती है, रंग गोरा, भरपूर बदन, गोल-गोल मोटी गांड, बड़े-बड़े बोबे और मेरी सबसे बड़ी कमजोरी!
मैं भोपाल आकर घर को बहुत याद करता था क्योंकि वहाँ खूब चुदाई करता था। यहाँ कोई जुगाड़ ही नहीं, बस मुठ ही मारते रहो।
जब भी मैं नहाने जाता, नंगा होकर खूब नहाता और मीनू की ब्रा और पेंटी से खूब खेलता। उसे पहनकर नहाता और कभी कभी उसे लंड में फँसाकर मुठ मारता। पैसे की मेरे पास कमी नहीं है, घर से खूब आते रहते हैं। मैंने मकान मालिक को बताया कि मैं पढ़ाई करता हूँ। कुछ दिन ऐसे ही गुजरते गए, कभी कभी मीनू को, कभी उसकी माँ को मैं बाथरूम में देखता, पूरा तो दिखता नहीं था पर जितना दिखता था मेरे मौसम बनाने के लिए काफी था।
मैं होम थियेटर लाया। मीनू को गाने सुनने का बहुत शौक था। जब भी उसके पसंद का गाना बजता, वो ऊपर मेरे कमरे के पास घूमती रहती और गाने सुनती या बाजू वाली भाभी के पास बैठती। पड़ोस में एक ही पड़ोसी के कारण मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई। मैं भाभी के कमरे में और कभी भाभी मेरे कमरे में घंटों बातें करते।
मैंने धीरे धीरे भाभी से भैया को न बताने की कसम देकर शादी के पहले उनके दोस्त से उनकी चुदाई की पूरी कहानी पूछ ली।
भाभी ने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- अभी कोई मिली नहीं!
भाभी से मेरी खूब गन्दी गन्दी बातें होने लगी। मैंने सोचा क्यों न भाभी को ही चोद लिया जाये।
एक दिन मैंने बातें करते करते भाभी के बोबे दबा दिए। भाभी ने ज्यादा कुछ नहीं कहा तो मैं भैया के जाने के बाद खूब बोबे दबाता और भाभी को गर्म करता।
एक बार मैंने भाभी के बोबे खूब दबाये और उसकी साड़ी के अन्दर जबरदस्ती उसकी चूत में ऊँगली डाल दी। भाभी की चूत गीली हो गई। मैंने भी ऊँगली अन्दर-बाहर की और भाभी की चूत के चने को रगड़ दिया तो भाभी तो कोयल जैसे कूकने लगी। मैंने सोचा- बेटा जय! आज तेरा उपवास खुल गया!
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और भाभी को पकड़ा दिया।
भाभी ने कहा- यह तो तुम्हारे भैया के लण्ड से भी ज्यादा पहलवान है।
रगड़ा पट्टी में भाभी झड़ गई और हिला हिला कर मेरा मुठ मार कर वीर्य निकाल दिया और बोली- यह तो रो रहा है।
मैंने 5 मिनट तक कुछ नहीं कहा और फिर से लंड खड़ा करके बोला- भाभी, लो यह लड़ने के लिए तैयार है! अब जीत कर बताओ!
भाभी बोली- तुमसे क्या जीतना, मैं तो तुमसे हारना चाहती हूँ, मगर यह मैं नहीं कर सकती क्योंकि मेरे पेट में बच्चा है।
मैं उदास हो गया।
मुझे देखकर भाभी ने मेरा लंड पकड़कर मुँह में भर लिया और चूसने लगी। मैं तो पागल सा हो गया। कभी किसी ने मेरा लंड नहीं चूसा था। मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी। मैंने लंड छुड़ाना चाहा पर भाभी कहाँ मानने वाली थी। पूरी आइसक्रीम चूस कर ही दम लिया। लेकिन लंड की भूख तो चूत से ही मिटती है, भाभी के गर्भवती होने के कारण सब लफड़ा हो गया।
मैं अपने कमरे में गया और सो गया।
दूसरे दिन भैया के जाते ही भाभी से गपशप चालू हो गई। मैंने कहा- भाभी, मीनू तुम्हारे घर आती है, उससे दोस्ती करा दो!
भाभी ने कहा- यह तो मेरे बाएँ हाथ का खेल है।
भाभी ने अगली दोपहर मीनू को घर पर बुलाया और मुझ से मिलाया। मीनू से मेरी दोस्ती की बात कही।
उसने सोच कर बताने को कहा और अगले दिन हाँ कर दी।उसकी हाँ सुनते ही मैं मीनू की चुदाई के सपने देखने लगा। कभी उसको स्कूल से घुमाने ले जाता, मैं उसे चूमता तो उसे बुरा लगता।
अब हम दोनों हमारे ही कमरे में मिलने लगे। मीनू का जन्मदिन आया, वो सुबह ही मेरे कमरे में आई और मुझे चूम लिया।
मैंने भी उसे बर्थ डे की बधाई दी और पूछा- तुम्हें क्या तोहफ़ा चाहिए?
मीनू ने कहा- तुम जो भी प्यार से दोगे, मैं ले लूंगी।
मैंने फिर से पूछा, उसने फिर वही कहा।
मैंने कहा- अपनी बात से मुकरोगी तो नहीं?
उसने कहा- बिल्कुल नहीं!
मैंने भी देर न करते हुए कहा- मैं अभी गिफ्ट देना चाहता हूँ।
मैंने मीनू हाथ पकड़कर खींचा और बिस्तर पर पटक लिया। वो सुबह सुबह नहा कर आई थी, बाल खुले थे, टॉप-स्कर्ट पहने हुए थी।
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके बोबे पहली बार दबाये।
मीनू सिसककर बोली- यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- गिफ्ट दे रहा हूँ।
इस पर मीनू बोली- ऐसे भी गिफ्ट देते हैं?
मैंने कहा- अभी तुम ही ने कहा था कि मैं बुरा नहीं मानूंगी, जो भी देना चाहो, दे देना।
मैं तो सो कर उठा था, तो सिर्फ चड्डी में था। मेरा सामान तो सुबह सुबह ही टन्ना गया।
मैंने समय ना गंवाते हुए उसके बोबे दबाना जारी रखा और मुँह में जीभ डालकर किस करने लगा। मीनू दो ही मिनट में अंगड़ाई लेते हुए मेरा साथ देने लगी। बोबे दबाते हुए उसकी टॉप हटा दी, ब्रा के हुक भी खोल दिए और स्कर्ट खींच कर अलग कर दी। मीनू सिर्फ पेंटी में गजब लग रही थी।
उसके बोबे के गुलाबी-गुलाबी चुचूकों को मैंने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मीनू कराहने लगी। चूसते चूसते उसकी पेंटी में ऊँगली डाली, उसकी झांटों में उन्गली घुमाते हुए मैंने अचानक उसकी चूत में घुसा दी।
मीनू उन्ह आंह आइंह कर रही थी, उसकी चूत से चिकना चिकना पानी निकल रहा था।
मैंने चड्डी अलग की और मीनू की चूत में लंड रगड़ने लगा। रगड़ते रगड़ते उसके कन्धों को पकड़कर ज्योंही लंड मीनू की चूत में एक ही झटके में आधा घुसा, मीनू चिहुंक उठी और धक्का देने लगी। मैंने भी लंड चूत की रगड़ा पट्टी चालू रखी उसकी चूत को घिस डाला, पूरा लण्ड अन्दर बिठा दिया।
अब मीनू मुझे कस कर पकड़े थी और मैं उसे बस चोदे जा रहा था। वो आइया उम्नह आहा ओई कर-कर के चुदवा रही थी।
मैंने उसको उस दिन दो बार चोदा, बड़ा मज़ा आया पर एक बात अखरी कि मीनू की चूत से खून नहीं निकला। मेरे पूछने पर भी वो अंजान बनी रही। खैर मुझे क्या!
उस दिन के बाद में दो साल तक जब भी मौका मिलता, मीनू को खूब चोदता!
भाभी को चुदाई की मिठाई भी खिलाई।
पर अब मीनू की पिछले साल शादी हो गई है और अब मैं भाभी को चोदकर काम चला रहा हूँ।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी? Antarvasna
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