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Massage Girl in Ramban: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Ramban who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Ramban that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Ramban massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Ramban who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Ramban massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Ramban massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Ramban who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Ramban employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Ramban helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Ramban

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Ramban at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

दोस्तो ! Hindi Sex Stories

मैं अन्तर्वासना की पिछले Hindi Sex Stories कुछ समय से नियमित पाठिका हूँ, मैंने देखा कि बहुत से दोस्त और सहेलियां अपना-अपना अनुभव यहाँ बताते हैं तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी अपना अनुभव आपको बता कर आपका मनोरंजन करूँ !

दोस्तों यह बात उस समय की है जब मैं केवल १८ साल की थी, आज से २० साल पहले सन् १९८८ की !

मेरे घर में मेरे एक अंकल जिन्हें मैं चाचू कहती थी (वो मेरे दूर के रिश्ते में चाचा थे, उनकी उम्र ३३-३४ साल थी) जो काफी समय से आते थे, जो अक्सर मुझे अपनी गोद में लेने की कोशिश किया करते थे (मैं बाद में समझी कि वो ऐसा क्यों करते थे)

उस दिन मैं एक पार्टी में थी मेरे अंकल के यहाँ। उस दिन वो मुझे बड़े अजीब से देख रहे थे, जनवरी का महीना था और मैं जींस शर्ट पहने थी, जो मम्मी ने मुझे पहली बार पहनने दिए थे और जैकेट था। मुझे कुछ ठण्ड सी लग रही थी, मुझे छींक आई तो अंकल ने देखा तो बोले- नीतू बेटे ! तुझे ठण्ड लग रही होगी ! चल अन्दर चलते हैं, नहीं तो तुझे ज्यादा ठण्ड लग जायेगी तो तू बीमार हो जायेगी !

मैं बोली- नहीं चाचू ! ठीक है !

वो बोले- नहीं ! तू चल !

उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले आये और रजाई में लिटा दिया और खुद भी बगल में लेट गए और बोले- मुझे भी बहुत ठण्ड लग रही है ! उसके बाद चाचू ने टीवी चला दिया, मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन मैं कुछ बोली नहीं। २-३ मिनट बाद बोले- नीतू, तू एक काम करेगी ! बहुत मजा आएगा !

मैं बोली- क्या?

तो उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और बोले- इसे रगड़ती रह ! तुझे गर्मी मिलेगी।

मैं कुछ शरमाई लेकिन वो बोलने लगे- बहुत मजा आता है, तू एक बार कर !

फिर मैं शरमाते हुए (मेरे भी मन में कुछ उत्सुकता थी) लण्ड हिलाने लगी, वो मुस्कराने लगे। फिर तकिये के नीचे से एक किताब जिसमें सब ब्लू फिल्म वाली तस्वीरें थी निकाल कर दिखाने लगे, थोड़ी देर लण्ड हिलाने से उनका लण्ड गीला सा हो गया, कुछ चिपचिपा सा निकलने लगा और मेरी उँगलियाँ गीली हो गईं।

वो बोले- तू रुक जा !

और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मुझे चूमने लगे और एक हाथ से मेरी बेल्ट और जींस खोलकर हाथ अन्दर डाल कर मेरी योनि के पास सहलाने लगे।

मैं बहुत सकुचाई और बोली- चाचू ये सब ठीक नहीं लग रहा !

(हालाँकि मुझे भी मन ही मन अच्छा लग रहा था)

वो बोले- अब तू बड़ी हो गई है, बच्चों की तरह बात मत कर !

और मेरी चूत रगड़ने में लगे रहे। खैर थोड़ी देर बाद मेरी योनि से भी थोड़ा सा पानी आया तो वो मुस्करा दिए और हल्के-हल्के से हाथ चलाने लगे। मेरे मुंह से आह सी निकली तो उन्होंने दुबारा मेरे होटों पर अपने होंठ रख दिए और होंठ चूसते हुए मेरी चूत में ऊँगली डाल कर हिलाते रहे।

उसके बाद वो उठे और टीवी में एक वीडियो-कैसेट-प्लेयर जोड़ कर एक ब्लू फिल्म लगा दी, जो थोड़ा फँस फँस कर चल रही थी। मुझे भी कुछ रोमांच महसूस होने लगा।

फिर उन्होंने रोशनी बंद कर दी, मेरी जींस उतार दी, चड्डी (जो थोड़ी गीली थी) भी उतार दी और अपनी भी पैंट और चड्डी उतार दी। चाचू ने मेरी दोनों टांगें फैला दी और अपनी जाँघों पर रख कर हवा में ऊपर उठा दिया। फिर अपने लण्ड में सरसों का तेल लगाया और मेरी योनि के होंठों पर रख दिया और हलके से धक्का लगाया। मैं चीख पड़ी, वो थोड़ा डरते हुए रुक गए और मेरी जैकेट और शर्ट के बटन खोलते हुए मेरे स्तनों (जो कि उस समय बहुत छोटे थे) को दबाने लगे और मेरे होंठ चूसने लगे, २-३ मिनट बाद फिर से जोर से धक्का मारा तो लगभग आधा लण्ड अन्दर चला गया और मैं जोर से चिल्लाई तो वो वहीं रुक गए और फिर से मेरे होंठ चूसने लगे।

३-४ मिनट बाद जब मैं कुछ सामान्य हुई तो उन्होंने फिर जोर से धक्का मारा और पूरा लण्ड अन्दर चला गया, मैं जोर जोर से चीखने लगी और वो डर कर वहीं रुक कर मेरे लबों पर किस करने लगे, ३-४ मिनट बाद जब मेरे चेहरे पर कुछ मुस्कान सी आई तो वो भी मुस्कुराने लगे और उठ कर जोर से अन्दर बाहर धक्के मारने लगे और एक हाथ मेरे मुंह पर रख दिया ताकि मैं जोर से चीख नहीं पाऊँ। मैं मछली की तरह छटपटाने लगी और वो जोर जोर से धक्के पे धक्के मार रहे थे, ५-७ मिनट बाद मुझे अपनी चूत में कुछ गरम सा, गीला-गीला सा महसूस हुआ और वो हांफते हुए मेरे ऊपर निढाल हो कर गिर पड़े।

मैं बोली- चाचू ! आपने यह क्या किया?

वो बोलने लगे- नीतू तुझे मजा नहीं आया?

मैं बोली- बहुत दर्द हो रहा है !

खैर फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी योनि से निकाला और चादर से पोंछ दिया और मेरी चूत को भी पोंछा, टी वी बंद किया और बोले- अपने कपड़े पहन लो !

मैं उठी तो बदन में बहुत दर्द हो रहा था। खैर फिर मैंने कपड़े पहने और चाचू अपने कपड़े पहनने लगे। फिर उन्होंने बिजली जलाई तो मैंने देखा चादर पर काफी खून था, मैं बोली- चाचू यह क्या है?

वो बोले- कुछ नहीं !

मैंने कहा- बहुत दर्द हो रहा है !

तो चाचू ने मुझे दर्द की दवा दे दी और बोले- चल कर बाथरूम में मुंह धो ले !

फिर जब मैं बाहर आई तो मुझे चॉकलेट दिए और कहने लगे- किसी से तू कहना मत ! बहुत मजा आएगा तुझे इसी तरह से !

और मेरे स्तन दबा के मुस्कुराने लगे, मैं भी मुस्कुराने लगी।

दोस्तों ! उसके बाद डैड से कह कर चाचू ने मुझे एक हफ्ते के लिए वहीं अपने घर पर ही रोक लिया, दोस्तों ! आप लोग समझ सकते होंगे कि एक हफ्ते में मैं कितनी बार चुदी !

खैर मैं ये सब बातें आप लोगों को आगे की कहानी में लिखूंगी और राज की बात यह है कि वो अभी भी मुझे चोदते हैं लेकिन साल में केवल २-३ बार !

दोस्तों उस समय ओरल सेक्स इतना नहीं होता था और चाचू ने मुझे ३-४ साल तक लगातार चोदा लेकिन कभी भी मुझसे अपना लण्ड नहीं चुसवाया। मेरे बॉय-फ्रेंड ने मुझे पहली बार लण्ड का स्वाद चखाया।

ये सारी कहानी भी मैं बाद में लिखूंगी।

उम्मीद है आप लोगों को मेरी चुदाई अच्छी लगी होगी। Hindi Sex Stories

Antarvasna

यह मेरे पड़ोस में Antarvasna रहनी वाली विश्रांती-रेशमा की कहानी जिनको मैंने गणित सिखाने के बहाने कैसे चोदा।

एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था। उस दिन विश्रांती और रेशमा दोनों मेरे घर चली आई। मैं उनके लिए चाय बनाने के लिए रसोई में गया। वे दोनों गप्पे हाँक रही थीं… मैं पीछे छुप कर उनकी बात सुन रहा था।

विश्रांती- रेशमा, मैं कुछ पूछूँ तुझे?

रेशमा- हाँ विश्रांती, पूछ ना!

विश्रांती- आजकल सुहास और तू दोनों हमेशा इतने खुश रहते हैं, इसके पीछे कोई खास बात तो नहीं है?

रेशमा- अरे नहीं विश्रांती! वो मुझे गणित का प्रोब्लम है इसलिए मैं अकसर उसके घर जाती हूँ, इसमें बुरा क्या है?

विश्रांती- रेशमा, तुम रोज दरवाजा क्यूँ बंद करके पढ़ते हो?

रेशमा- अरे विश्रांती वो तो ऐसे ही कि कोई तंग न करे!

विश्रांती- रेशमा, तू तो ऐसे जवाब दे रही हो जैसे कि मैं बच्ची हूँ, मुझे कुछ पता ही नहीं है।

रेशमा- तू ऐसा क्यूँ बोले रही है?

विश्रांती- मैंने एक दिन दरवाज़े पर कान लगा कर आपकी पढ़ाई की कहानी सुनी थी! मुझे सब पता है वहाँ कैसी गणित की पढ़ाई होती है!

रेशमा मुस्कुराते हुए- अच्छा तो तुझे सब पता है! तो ऐसा बोलो ना! देखो किसी से बोलना मत! तो तू चाहती है कि सुहास तुझे भी ऐसे ही गणित सिखाए?

विश्रांती- चाहने से क्या होगा रेशमा!

रेशमा- अच्छा यह बता! तेरे स्तन से दूध अभी भी आता होगा ना?

विश्रांती- हाँ रेशमा, दूध तो निकलता है और अब बच्ची भी नहीं पीती… सो भरा हुआ है…

रेशमा- तब तो सुहास जरूर तुम्हें गणित सिखाएगा, रुक जा मैं उसे कल हिंट दे दूँगी!

तभी मैं नाश्ता लेकर वहाँ आ गया। तुरंत दोनों ने विषय बदल दिया।

उसी दिन शाम को फ़िर विश्रांती मेरे घर चली आई।

विश्रांती- सुहास, रेशमा जैसे मुझे भी गणित सिखाओ ना!

मैं- विश्रांती तुझे भी गणित सीखना है…

विश्रांती- सुहास, तुझसे कुछ सवाल पूछने हैं…

मै- हाँ विश्रांती, रेशमा ने बोला था… मैं तेरा ही इन्तज़ार कर रहा था, हा पूछ ना!

मैं- विश्रांती तुम सलवार-कमीज में बहुत खूबसूरत लग रही हो…

विश्रांती- तुझे अच्छा लगा यह ड्रेस?

मैं- हाँ विश्रांती, तू ऐसे ही ड्रेस पहना कर… बहुत अच्छी लगती है… पूछ क्या पूछना है?

विश्रांती- तू तो बस रेशमा से ही बातें करता है…

मैं- नहीं विश्रांती ऐसी कोई बात नहीं है… तू भी बहुत अच्छी है…

बात करते करते विश्रांती ने अपना दुपट्टा सरका दिया… विश्रांती के उभार अब छुपाये नहीं छुप रहे थे… मैं भी अपने आप को रोक न सका… विश्रांती की चूचियों को देखने लगा…

विश्रांती- सुहास, मुझसे नज़रें भी नहीं मिला रहे हो… क्या देख रहे हो नीचे?

मैं- विश्रांती कुछ नहीं, सच्ची में तू भी बहुत अच्छी है…

विश्रांती- तू मुझसे नजरें क्यूँ नहीं मिलाता… क्या देख रहा है नीचे?

मैं- कुछ नहीं विश्रांती…

विश्रांती- कहीं तू मेरे सीने को तो नहीं देख रहा?… बदमाश!

मैं- विश्रांती मैं साफ बोलूँ तो गुस्सा नहीं होगी ना?

विश्रांती- नहीं सुहास, तू मेरा दोस्त है उसमें क्या गुस्सा करना!

मैं- विश्रांती तेरे वक्ष इतने अच्छे और बड़े हैं कि मेरी नज़र ही नहीं हट रही है वहाँ से…

विश्रांती- ये तो मेरी बच्ची को दूध पिलाने के लिए हैं….

मैं- विश्रांती, तेरी बच्ची तो अब बड़ी हो गई है! उसे अभी भी दूध पिलाती हो?

विश्रांती- नहीं! अब ओ नहीं पीती दूध!

मैं- विश्रांती, तेरी चूची में दूध है क्या?

विश्रांती- हाँ अभी भी दूध है… इसलिए तो इतने बड़े हैं!

मैं- विश्रांती मुझे प्यास लगी है…

विश्रांती- ठहर, मैं पानी लेकर आती हूँ…

मैं- विश्रांती, पानी नहीं दूध पीना है… चूची का दूध…

विश्रांती- बदमाश! कोई ऐसे दूध पीता है भला?

मैं- क्यूँ नहीं? पीने दो न… तेरे दूध का क़र्ज़ जरूर चुकाऊँगा…

विश्रांती- अच्छा ठीक है पी ले… काफी दिन से भरी हुई हैं… खाली करने वाला कोई है नहीं…

फिर विश्रांती ने अपना कमीज़ उतार दिया… अब विश्रांती ब्रा में आ गई…

विश्रांती- आ जा सुहास! मेरी गोद में आ… तुझे अपने बच्चे की तरह पिलाऊँगी…

मैंने विश्रांती की गोद में सिर रख लिया… विश्रांती ने अपनी ब्रा उतारी… और अपनी चूची को ख़ुद मेरे मुँह में डाल दिया… लो सुहास पी लो… अच्छे से पीना…

उसके बाद मैं दूध का प्यासा विश्रांती का दूध मेमने की तरह पीने लगा… कभी बाईं चूची से तो कभी दाईं से…

साथ में चूची सहला भी रहा था।

विश्रांती- तू तो ऐसे पी रहा है जैसे जन्मों से प्यासा हो!

मैं- विश्रांती, तूने मुझे वो खुशी दी है कि मैं सदा तेरा आभारी रहूँगा… तू जो बोलोगी वो सब करूँगा…

विश्रांती- जो बोलूंगी वो करेगा?

मैं- हाँ विश्रांती, तू एक बार बोल के तो देख…

विश्रांती- अच्छा ठीक है… सुन, मेरे नीचे में ना काफी खुजली हो रही है… ज़रा मेरी खुजली मिटा दे ना?

मैं- नीचे कहाँ विश्रांती?

विश्रांती- तू सब जानता है फिर क्यूँ पूछ रहा है?

मैं- बोलो ना विश्रांती! तेरी मुँह से सुनना चाहता हूँ।

विश्रांती- अच्छा, चल मेरी चूत में खुजली हो रही है… मिटा दे ना…

मैं- कैसे मिटा दूं? उंगली से या चाट के? या फिर लंड ही डाल दूँ?

विश्रांती- मुझे तो तीनों की खुजली हो रही है…

मैं- विश्रांती, मैं तेरी चूत का ख्याल रखूंगा…

विश्रांती- अपनी रेशमा से भी ज्यादा ख्याल रखेगा ना… . रेशमा तो तेरे लंड की बहुत तारीफ करती है…

मैं- तुम लोग ये सब बातें भी करती हो?

विश्रांती- तुझे कौन ज्यादा अच्छी लगती हैं?

मैं- विश्रांती, अभी तूने अपना पूरा जलवा दिखाया कहाँ है?

विश्रांती- अच्छा तो यह बात है? तो जितना जलवा देख चुके हो उसमें कौन ज्यादा अच्छा लगा?

मैं- विश्रांती, इसमें तो पूछने की कोई बात ही नहीं है… रेशमा की चूची में अमृत तो है ही नहीं! दूध तो तू ही पिला सकती है… तब इसमें तू ही न हुई रानी… विश्रांती, अब तू अपने कुछ और जलवे भी दिखा ना!

विश्रांती- हाँ सुहास तेरी विश्रांती, आज ऐसे जलवे दिखायेगी कि तू पागल हो जायेगा…

और फिर विश्रांती ने अपने कपड़े खोलने शुरु किये… विश्रांती जब पेंटी और ब्रा में आ गई तो मैं उसकी मदद करने लगा…

मैं- विश्रांती, लाओ अब मैं खोल दूं!

विश्रांती- हाँ सुहास! आ अपनी विश्रांती को नंगी कर दे…

विश्रांती मेरे पास आ गई… मैं विश्रांती की ब्रा को खोल के प्यार से सूंघने लगा… . विश्रांती की मादक मुस्कराहट ने और भी मजा भर दिया… फिर विश्रांती की पेंटी को एक ही झटके में खोल दिया… .पेंटी की मादक सुगंध मुझे दीवाना कर रही थी।

फिर विश्रांती अपने हाथ मेरी पैंट के ऊपर से लंड को सहलाने लगी… . मेरी हालत भी ख़राब हो रही थी… . मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं मैं झड़ ना जाऊँ. विश्रांती ने देखते ही देखते मुझे पूरा नंगा कर दिया… .अब कमरे में दो नंगे एक दूसरे से खेलने लगे… विश्रांती मेरे लंड से ऐसे खेल रही थी कि कोई बच्चा अपने सबसे मनपसंद खिलौने के साथ खेलता है…

विश्रांती- सुहास, तेरा लंड तो काफी बड़ा है रे…

मैं- विश्रांती मेरे लंड से ऐसे खेलोगी तो ये जल्दी ही ढीला हो जायेगा… .

विश्रांती- क्या करूँ सुहास, ऐसे लंड मेरे हाथ में पहली बार आया है… .

मैं- विश्रांती तुझे पता है रेशमा तो इसे आइसक्रीम से भी अच्छा प्यार करती है…

विश्रांती- वाह रे बदमाश! अपनी विश्रांती को लंड मुँह में लेने बोल रहा है… .ये गरम आइसक्रीम सच में है तो मुँह में लेने के लिए ही…

मैं- विश्रांती तो ले लो ना इसे…

फिर विश्रांती प्यार से मेरे लंड को चूसने लगी… . इतना तो पता चल ही गया था कि विश्रांती को लंड चूसने में बहुत मजा आता है… रेशमा ने इतने प्यार से कभी नहीं चूसा था… फिर जब विश्रांती मेरे लंड से खेल रही थी… मैं विश्रांती की चूची को मज़े देने लगा… . इतनी मुलायम चूचियाँ को सहलाना, नीचे लंड का विश्रांती से चुसवाना… सच्ची काफ़ी बढ़िया कॉम्बिनेशन है…

मैं- विश्रांती, लंड चुसवाने में इतना मजा आज तक नहीं आया… विश्रांती मेरा मुँह भी रसपान के लिए तड़प रहा है, विश्रांती उल्टा-पुल्टा करें… .

विश्रांती- उल्टा पुल्टा ये क्या होता है रे?

मैं- क्या विश्रांती! तू मुझसे पूछेगी तो कैसे चलेगा… .अच्छा चल, मैं बताता हूँ- उल्टा पुल्टा मतलब तू मेरे ऊपर रह कर मेरा लण्ड चूसना और मैं नीचे से तेरी चूत का रसपान करूँगा!

विश्रांती- अच्छा तो तू 69 पोज़िशन की बात कर रहा है… अच्छा नाम है उल्टा पुल्टा… चल इसमें तो और भी मजा आएगा…

फिर हम एक दूसरे से मज़े लेने लगे… विश्रांती की चूत का स्वाद आते ही मन चंगा तो आया था… विश्रांती की चूत काफी गीली हो गई थी… . इसलिए चाटने में बहुत मजा आ रहा था… मैं विश्रांती को बहुत मन से चाट रहा था… . विश्रांती भी काफी उत्तेजित हो गई थी… विश्रांती ने अचानक इतना पानी निकाला कि मेरा मुँह उनके रस से भर गया था।… ऐसा मजा विश्रांती ने दिया कि बस मैं तो उनका दीवाना हो गया था…

मैं- विश्रांती तेरा रस कितना स्वादिष्ट है… अब मेरा रस भी निकाल दे… अब मेरी लंड तेरी चूत के लिए और नहीं तड़प सकता…

विश्रांती- आ न सुहास… अब ऐसा चोद कि बस मैं पानी पानी हो जाऊँ…

फिर विश्रांती बिस्तर पे लेट गई… अपनी चूत एकदम फाड़ के मुझे अपने तरफ बुलाने लगी… चूत तो जैसे कि लंड के लिए बनी हो… मैंने भी अपना लंड हाथ में लेकर उसकी चूत पर लगा दिया…

विश्रांती- दे धक्का!… चोद अपनी विश्रांती को… चोद…

मैं- ले विश्रांती… ये गया मेरा लंड तेरी चूत में… चुद अपने सुहास से मेरी प्यारी विश्रांती…

फिर विश्रांती गाण्ड उठा उठा कर मेरा लंड लेने लगी… मैं भी विश्रांती को जी जान लगा के चोदने लगा… फिर विश्रांती ने कुतिया बन के मुझे कुत्ता बना दिया… उस पोजिशन में बहुत मजा आया… फिर विश्रांती मेरे ऊपर सवार हो गई… इसमें तो मेरा लंड सबसे ज्यादा अंदर तक जा रहा था… करीब मिनट के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया… विश्रांती ने बड़े प्यार से फिर मेरे लंड को साफ़ किया… वो मुझे बेतहाशा किस कर रही थी… विश्रांती बहुत खुश थी…

विश्रांती- अपनी विश्रांती को चोदने में कैसा लगा… रेशमा को चोदने में ज्यादा मजा आया था क्या?

मैं- नहीं विश्रांती तू कुछ माल है… तुझे चोदने में बहुत मजा आया… मैं अब तुझे ही चोदूंगा…

विश्रांती- अरे नहीं सुहास! दोनों को चोदना… रेशमा भी बहुत अच्छी है उसने ही तो मुझे तेरा लंड दिलाया… तू उसे कभी नाराज़ न करना…

फिर मैं रेशमा और विश्रांती के साथ मस्ती करने लगा… दोनों प्यार से मुझसे चुदती हैं…

आपको यह हिंदी सेक्सी स्टोरी अच्छी लगी? मेल करना… Antarvasna

अलोन गर्ल नंगी कहानी एक ऐसी लड़की की है जो एक अपार्टमेन्ट में अकेली रहती है, सेक्स की शौकीन है, कहानियाँ लिखती है. उसके पड़ोस में 3 लड़कोण पर उसकी नजर है चुदाई के लिए!

दोस्तो, मेरा नाम शनाया उर्फ सन्नो है.

मैं आपको एक ही बिल्डिंग में रहने वाले तीन अलग अलग युवाओं से अपनी चूत गांड की चुदाई की कहानी सुना रही हूँ.

पिछली सेक्स कहानी
अन्तर्वासना की लेखिका चुदी एक लेखक से
में आपने लेखक अनुज के साथ मेरी चुदाई का जायका लिया था.

मेरी अलोन गर्ल नंगी कहानी थोड़ी लंबी है, क्योंकि इसमें एक महीने की पूरी चुदाई की घटनाओं का विस्तार से जिक्र है.

मेरी अनुज से मुलाकात और उसके साथ चुदाई के बाद अब जय की बारी थी.

जय मुझे अच्छा लगता था. मेरी उससे बात होती थी.
वह बातचीत से उतना सीधा-सादा तो नहीं लगता था जितना मैं समझती थी.

अनुज अपने घर गया था, उसको एक हफ्ते बाद वापस आना था.

अनुज के जाने के दो दिन बाद जय के कमरे की लाइट खराब हो गयी थी.
मैंने उस दिन जय को चाय पर बुलाया.

वह आया और बैठ गया.
हम दोनों ने चाय पीते हुए बातें की.
रात होने को थी.

जय कहने लगा- मैं अपने फ्रेंड के यहां चला जाता हूं. कल लाइट ठीक करा लूंगा.
मैंने कहा- जय, यदि चाहो तो तुम यहीं सो सकते हो. मैं तुम्हारे साथ बेड शेयर कर सकती हूं.

उसने झट से हां कर दी.

जैसा कि मैंने बताया था कि जय एक कबड्डी प्लेयर था और काफी मस्त था.
हम लोग खाना खाने लगे.

मैंने उसके खाने में कामशक्ति बढ़ाने वाली गोली मिला दी और उसे खाना खिला दिया.
अब करीब 10 बजने को थे.

हम दोनों बेड पर लेट गए और सोने लगे.
मैं जानबूझकर उसी की तरफ पीठ करके करवट लेकर सो गई थी.

मेरे बदन पर एक मैक्सी थी, जिसे ऊपर करके पूरा बदन देखा जा सकता था.
मैंने पैंटी भी ऐसी पहनी थी कि लंड डालो तो एक तरफ हो जाएगी.

करीब एक घंटा बाद जय को बेचैनी होने लगी थी.
मैं उसको दवाई के असर से तड़पता हुआ महसूस कर रही थी.

मैंने उसके लंड को महसूस किया कि उसके लंड ने मेरी टांगों में दस्तक देनी शुरू कर दी.
मैं बेसुध होने का ड्रामा करती रही.

जय ने मेरी मैक्सी को ऊपर कर दिया.
मैं सोने का नाटक करती रही.

उसने मेरी पैंटी को निकाल दिया.
अब मैं उसका मोटा लंड अपनी टांगों के जोड़ में महसूस करने लगी थी.

तभी उसके थूकने की आवाज आई, मैं समझ गई कि लंड में थूक लगाया जा रहा है.
फिर कुछ ही पल में मेरे चूतड़ों के पास उसके लंड का टोपा महसूस हुआ.

मैंने अपने हाथ को अपने मुँह पर रख लिया और लंड की हरकत को महसूस करने लगी.
जय अपने कड़क लंड को आराम से मेरी गांड में डालने लगा था.

उसका लंड अनुज के लंड बराबर मोटा नहीं था, तब भी काफी कड़क था.

आखिरकार उसने लंड गांड की तरफ से चूत में पेल दिया और मैं अपने मुँह पर हाथ रख कर सोती रही.

मेरा चिल्लाने का मन था लेकिन नहीं चिल्लाई, अपने हाथ से अपनी पूरी आवाज दबा ली.
उसने एक तेज झटके मारा और लंड पेल दिया.
वह किसी वहशी दरिंदे के जैसे मुझे चोदने लगा था.

मैं अब उठने को तैयार हो गई थी.
जब चुदना है ही, तो पूरा मजा लेकर चुदने का सोचा और मैं आआह आआह करके उठ गई.

मैं ड्रामा करती हुई एकदम शॉक्ड आवाज में बोली- जय, ये सब क्या है आआह मम्मी!

जय- शनाया रुको, कुछ नहीं है … मैं बस चैक कर रहा था शनाया.
उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर फिर से एक तीव्र झटके के साथ लंड अन्दर डाल दिया.

मैं- आआह जय नहीं … प्लीज यह सब गलत है … आआह जय नहीं आआह.

जय तेज तेज झटके मारते हुए मेरे हाथ पकड़े हुए था और कह रहा था- आह शनाया … बस रुक जाओ थोड़ी देर बस प्लीज शनाया.

मैं- आआह आआह जय आआह जय आआह मम्मी … दर्द हो रहा है आआह.
जय- नहीं शनाया, अब दर्द नहीं होगा बस … थोड़ा रुक जाओ … बस थोड़ी देर और … आह.

यह कह कर वह तेज तेज चोदने लगा.
मैं- आआह जय आई जय ईई जय आराम से करो जय … आराम से करो.

यह सुनकर अब जय ने मेरे हाथ छोड़ दिए और वह मुझे किस करने लगा.

वह मुझे किस करते हुए ही चोद रहा था.
मैं- आआह जय ईईईई आआह.

तभी उसने मेरी चूत से लंड बाहर निकाल लिया.

जय ने अब मेरे कपड़े निकाल दिए और मुझे पूरी नंगी कर दिया.
वह मेरे मम्मों को मसलने लगा और कहने लगा- वाह शनाया क्या माल हो तुम … इतने गोरे गोरे टाइट मम्मे पहली बार देखे हैं.

वह मेरे एक दूध को चूसने लगा और मेरे दोनों पैर फैला कर वापस लंड चूत में डाल दिया.

लंड अन्दर गया और उसके धक्के लगने लगे.
वह तेज रफ्तार में मुझे चोदने लगा था और साथ ही मेरे दोनों दूध बारी बारी से चूसने लगा था.

मैं कराहने लगी थी- आऊच … जय आआह … आऊच जय आआह … इतनी तेज मत चूसो … आह दर्द हो रहा है आईई ईई ऊऊ जय बस करो अब नहीं!

जय मेरी किसी बात को आज मानने वाला नहीं था.
वह तो आज मुझे सड़कछाप रंडी बनाने के मूड में दिख रहा था.

कुछ देर बाद उसने वह उठाया और लंड जबरदस्ती मेरे मुँह में डाल कर बोला- आह लो चूस लो इसको … चूसो न यार!
मैं क्या करती … मुझे तो लंड चाहिए ही था. मैं भी उसका लंड चूसने लगी.

वह अपने लंड को मेरे मम्मों के बीच में फंसा कर मेरे दोनों दूध दबाते हुए मसलने लगा.
यह सब उसने पोर्न वीडियो के जैसे किया था जैसे ब्लू फिल्म में पोर्नस्टार करते हैं.

फिर उसने मुझे खड़ा कर दिया और मेरा एक पैर ऊपर उठाकर लंड को मेरी चूत में लगा कर वापस चोदने लगा.
वह दवा के प्रभाव में था तो जल्दी झड़ने का मतलब ही नहीं था.

कुछ देर चुदाई करने के बाद उसने मुझे बेड पर पटका और ताबड़तोड़ चोदने लगा.
उसने अपनी चुदाई की स्पीड तेज कर दी थी.

मैं भी उत्तेजित हो गई थी और जय को अपनी बांहों में भर कर उससे अपने जिस्म को कुचलवा रही थी.

कराब आधा घंटा तक जबरदस्त चुदाई के बाद मैं समझ गई थी कि अब वह झड़ने वाला है.
वह ‘आह लव यू बेबी.’ कहते कहते झड़ने लगा और पूरा वीर्य झाड़ कर वह मेरे ऊपर ढह गया.

मैं उसकी पीठ को सहलाने लगी.
लेकिन मैं अभी भी झड़ी नहीं थी.

मैं बोली- जय थोड़ी और दम साध कर मुझे चोद दो. मैं भी झड़ना चाहती हूँ.

वह मुझसे कुछ मिनट मांगने लगा लेकिन मैं इतना नहीं रुक सकती थी.

कुछ मिनट बाद मैंने जय को लिटाया और उसके ऊपर आकर उसका लंड चूसने लगी.
लंड चूसने से लंड खड़ा हो गया.

मैं लपक कर लंड पर बैठ गई.
उसका लंड अब मेरी चूत में समा गया था.
मैं उसके लौड़े पर उछलने लगी.

मेरे उछलते समय वह मेरे दोनों दूध पकड़ कर मसलने लगा और अपना सिर ऊपर करके एक एक करके मेरे दोनों दूध चूसने लगा.

मैं करीब दस मिनट उसके लंड पर उछलती रही.
फिर मैं भी टूटने की कगार पर आने लगी.

मेरे मुँह से निकलने लगा था- आह जय मैं आ रही हूँ … आह जय.

वह तेज तेज चुदाई करने लगा.

मैं कट कर उसके सीने पर गिर गई और मेरे शरीर में ऐंठन सी होने लगी थी.
उधर जय नहीं रुका.
वह मुझे अपने सीने से दबा कर चोदता रहा.
फिर वह भी झड़ गया.

ऐसे ही मैं उसके ऊपर चढ़ी हुई सोने लगी.
दस मिनट बाद जय ने मुझे उठाया और बाथरूम में ले जाकर मेरी चूत साफ करने लगा.
वह अपने लंड को भी साफ करने लगा.

मैं बहुत थक चुकी थी.
जय मुझे उठा कर अन्दर लाया और बेड पर लिटा दिया.
मेरे साथ में वह भी लेट गया.

मैं उसकी बांहों में सुकून की नींद सो गई.
सुबह करीब 9 बजे मेरी नींद खुली.

जय का लंड उस वक्त मेरी चूत में था.
मेरा एक दूध उसके मुँह में था और जय सो रहा था.

मैं जैसे ही थोड़ी सी हिली तो मुझे दर्द हुआ.

मैंने जय को जगाया और उससे पूछा- जय ये कब से डाल रखा है तुमने?

जय बोला- अरे यार मेरी सुबह 5 बजे नींद खुली. तुम एसी की ठंडक से कुछ हिल सी रही थीं, तब मैंने तुम्हें चादर उढ़ाई और अपने से सटा लिया. तभी लंड खड़ा हो गया, तो मैंने अन्दर डाल दिया और मैं लिपट कर सो गया. तुमने करवट लेकर फिर से लंड डलवा लिया और मैंने तुम्हारे एक दूध को मुँह में लगा लिया. फिर हम दोनों सो गए थे. तुम नींद में थीं, यह तबकी बात है.

फिर मैंने उसे प्यार से अपने आप से चिपकाया और लेटी रही.
कुछ ही देर में हम दोनों पुनः सो गए.

फिर हम लोग 12 बजे उठे और जय अपने घर चला गया.

मैंने मेल से अपने ऑफिस में आज का अपना ऑफ डाल दिया और कुछ काम करके सो गई.

सारे दिन मैं सोती रही और रात को जब भूख लगी, तब उठी और डिनर ऑर्डर करके खाना मँगवा कर खाया.

अगले दिन मैं ऑफिस गई.

जय के साथ अलोन गर्ल नंगी कहानी इतनी ही है.

अब तक ये दोनों लड़के मेरी मुट्ठी में आ चुके थे.

तब बारी थी सोहन की जो हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ा भी था.
उसे सैट करना मामूली सा काम था.

सोहन शरीर से सबसे अच्छा था. वह एक जिम में ट्रेनर था.
मैंने उसके कहने पर उसकी जिम जॉइन की.
वह मुझे जिम में सिखाने लगा था.

कुल तीन दिन जिम करने के बाद चौथे दिन मेरा पैर फिसल गया.
मैं जिम में गिर पड़ी.

उस दिन सोहन अपनी कार में मुझे घर लाया.
मैं ठीक थी … लेकिन मैं फिर से जिम नहीं जाना चाहती थी क्योंकि मेरे फिगर और मम्मों की वजह से सब मुझे ही देखते थे.

मैंने सोहन से कहा- कमर में दर्द है, मैं अब जिम नहीं जाऊंगी.
सोहन मेरा अच्छा फ्रेंड बन चुका था.

वह बोला- कमर के दर्द को मैं चुटकियों में ठीक कर दूंगा. लेकिन तुम जिम जाना बन्द नहीं करोगी.
मैंने कहा- मैं वहां नहीं जाऊंगी.

उसने कहा- ओके मैं कमर पर मालिश कर दूँगा, फिर तुम घर पर ही एक्सरसाइज करना. मैं तुम्हें यहीं सिखाने आ जाया करूँगा!
इस तरह से वह मेरे घर आने लगा.

मैं सोहन के साथ में मजे लेने की जुगत में थी.
उस दिन मैंने अचानक दर्द होने का नाटक किया तो वह बोला- मालिश करने वाली लड़की तो कल आएगी.

मैंने कहा- और आज मैं दर्द से मरी जा रही हूँ, उसका क्या?
वह बोला- तो मालिश मैं कर देता हूं. मुझे मसाज आयल दो.

मैं कहा- ओके मसाज आयल उधर से ले लो.
सोहन आयल लाकर बोला- शनाया, तुम्हें उल्टा लेटना पड़ेगा और अपने कपड़े भी निकाल दो.

मैं अन्दर बिल्कुल पतली ब्रा और पतली बद्दी की पैंटी पहनी हुई थी.

मैंने कहा- सॉरी सोहन, मैंने अन्दर सही कपड़े नहीं पहने हैं.
वह बोला- ठीक है, तो मसाज बाद में करा लेना.
मैं बोली- अरे यार सोहन, दर्द तो अभी है … तुम मसाज कर दो.

मैंने कपड़े उतार दिए और बेड पर लेट गई.
मेरी डोरी वाली पैंटी में मेरे दोनों चूतड़ पूरे नंगे थे और उसके सामने पूरे पूरे साफ खुले हुए थे.
बस कमर में एक बद्दी सी थी जिससे चूत एक त्रिभुजाकार कपड़े से ढकी हुई थी.

सोहन- शनाया में नहीं कर सकता, मेरी एक कमजोरी है.
मैं बोली- क्या कमजोरी है?

वह बोला- यह सब देखने से मेरा मेन पॉइंट जाग जाता है.
मैं अपनी हंसी दबाती हुई बोली- सोहन, यह सबके साथ होता है यार … मुझे दर्द हो रहा है. तुम मसाज करो यार.

फिर सोहन ने तेल डाला और मालिश करने लगा.
वह पहले कमर पर अपने हाथ फेर रहा था.

मैं आराम से उसका हाथ महसूस कर रही थी और आह आह कर रही थी.
वह बोला- क्या हुआ?

मैंने कहा- तुम्हारे हाथ फेरने से दर्द हो रहा है सोहन.
सोहन मेरे सिर की तरफ आ गया. मैंने देखा कि उसका लंड सच में खड़ा हो चुका था.

अब मैंने जानबूझ कर हाथ आगे रख दिया. वह टेबल से टिका हुआ था.
मैं उसके लंड को महसूस कर रही थी.

सोहन- अरे सॉरी शनाया!
मैं उससे बोली- कोई बात नहीं सोहन … मेरा दर्द अब सच में कम हो गया है.

उसने भी जानबूझ कर अपने लंड को चड्डी से बाहर निकाल दिया.
मैंने जब उसका लंड देखा, तो मुझे उसका लंड कुछ ज्यादा ही मोटा दिखाई दिया.

उसी समय उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
मैं बोली- अरे सोहन यह क्या कर रहे हो?

सोहन ने मेरे मुँह को पकड़ा और मेरे साथ जबरदस्ती करता हुआ मेरे ऊपर चढ़ गया.
उसने मेरी पैंटी नीचे कर दी और हड़बड़ाहट में अपना लंड मेरी चूत के अन्दर डाल दिया.

मैं- आह सोहन नहीं … आआह मम्मी मर गई … आह सोहन नहीं.
वह- आह शनाया आई लव यू … शनाया तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और तुम्हारा यह बदन मुझे बहुत अच्छा लगा है शनाया … प्लीज मना मत करना.

यह कहते हुए उसने अपने मोटे लंड को और अन्दर दबा दिया.
मैं दर्द से भर उठी और नकली गुस्से में चीखी- आह सोहन … इसको बाहर निकालो पहले … आआह मुझे दर्द हो रहा है.

वह मुझे किस करने लगा और उसने मेरी ब्रा को निकाल दिया.
वह दांत पीसते हुए मेरे दूध को मसल कर बोला- शनाया, यदि तुमने हां नहीं किया, तो मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी.

मैं- आह सोहन छोड़ो मुझे प्लीज … आह सोहन दर्द हो रहा है उम उम्म.
वह नहीं रुका और मेरे मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.

अब मैं भी मन बना चुकी थी कि बहुत हुआ ड्रामा … अब तक उसके लंड से मुझे चैन भी मिलने लगा था.

मैंने उसको पकड़ लिया और किस करने लगी.
मैं- सोहन प्लीज अब जबरदस्ती मत करो न … मैं मना नहीं कर रही हूँ.

सोहन का लंड मोटा था इसलिए उसका मोटा वाला हिस्सा दर्द दे चुका था, अब उसका लंड मजा देने लगा था.

मेरे कहने पर सोहन ने मुझे सीधा लिटा दिया है और नीचे आकर उसने मेरे दोनों पैर फैला दिए.
फिर वह मेरी चूत पर जीभ फेरने लगा और पागलों की तरह चूत के दाने को चूसने लगा.

मेरी कामुक सिसकारियों से कमरे में आवाजें गूँजने लगी थीं.

सोहन- आआह शनाया क्या मस्त चूत है तेरी … मुआह … मुझे चूसने दो मुआह आआह.
मैं- आआह सोहन चूसो … और चूसो सोहन आह.

वह उठ गया और लंड हिलाने लगा.
मैं समझ गई कि वह लंड चुसवाना चाहता है.

तभी वह मेरे चेहरे के पास आया और अपने मूसल लंड को मेरे होंठों पर रख कर होंठों को मसलने लगा.
बड़ी मादक खुशबू आ रही थी. मैंने जीभ निकाल कर लंड के सुपारे को चाट लिया.

उसकी आह निकल गई और मैं उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी.

अब सोहन भी मस्त हो गया था.
वह कहने लगा- आह पूरा मुँह खोलो बेबी … अन्दर तक लेकर चूसो इसको!

उसने मेरे गालों को दबाया और मुँह में लंड अन्दर ढकेल दिया. मैं उसके लंड को चूसने लगी.
वह पूरा लंड अन्दर डालने लगा था और झटके दे रहा था.

मैं दस मिनट तक उसके लंड को चूसती रही.
उसके बाद वह मुझे उठा कर बोला- अब बोलो बेबी, कैसे चुदवाना है?

मैं बोली- तुम्हारी बॉडी इतनी मस्त है, क्या मुझे उठा सकते हो?
सोहन- हां, दिन रात उठाए रह सकता हूँ यार!

मैं- तो हाथों से उठा लो और झूला झुला दो … मुझे ऐसे चुदवाना पसन्द है!
सोहन- आ जाओ रानी … लंड का झूला झुला देता हूँ.

उसने मुझे उठा लिया. मेरे पैरों को अपने हाथों में फंसा कर मेरे पैर ऊपर की ओर कर दिए.
दोस्तो मैं आप सभी को यदि इस पोजीशन को फ़ोटो से दिखाऊंगी, तो आप झट से समझ जाओगे.

वह मुझे टांग कर बोला- बेबी, लंड पकड़ कर अन्दर डालो.
‘मैं नहीं ले पाऊंगी सोहन, तुम ही डाल दो.’

वह बिना पकड़े डालने लगा.
उसका लंड मेरी गांड में जाने लगा.

‘आआह उम्म सोहन … उधर नहीं साले … मादरचोद उधर नहीं … वह गांड का छेद है.’
सोहन- अरे बेबी सॉरी, अब सही रखा लंड!

मैं- हां अब ठीक है सोहन … सॉरी मैंने गुस्से और दर्द में गाली दे दी थी, बुरा मत मानना!
सोहन- नहीं बेबी, ऐसी बात नहीं है.

सोहन ने लंड चूत में पेल दिया और मैं आआह सोहन आआह करने लगी.
वह जोर जोर से झटके देने लगा.

मैं- आआह मां आआह ईई.
वह लगा रहा.
इधर मैं चिल्लाती रही.

Fucking started and I kept swinging his penis for about 10 minutes and kept screaming.

कुछ देर बाद वह लेट गया और मैं उसके ऊपर चढ़ गई.
फिर से चुदाई होने लगी.

सोहन मेरी चुदाई करीब 4 घण्टे तक बार बार करता रहा.
मैं और सोहन दोनों ही पस्त हो गए थे और नंगे ही सो गए.

दोस्तो, अभी आपको जय और सोहन के साथ चुदाई का मजा पढ़ने को मिला है.
असली मजा तो आगे की सेक्स कहानी में आने वाला है.

इस चुदाई के बाद मैंने इन तीनों के साथ एक साथ चुदवाने का मजा लिया था.

मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.

खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.

क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.

अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.

अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.

मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.

फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.

बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.

बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.

करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.

मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.

मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.

अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.

उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.

उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.

अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …

मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”

मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.

कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.

मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.

अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.

इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.

आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.

थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.

फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.

रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.

उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.

आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.

“मैडम, आर यू फ्रॉम इंडिया?”(क्या आप भारत से आईं हैं?) Sex Stories

पब्लिक ट्रांसपोर्ट में घूमने के काफी Sex Stories मजे हैं। उनमें से एक बड़ा लाभ यह भी है कि लड़कियों से बात करने का काफी मौका रहता है। मैं तो अक्सर किसी भी गोरी, अफ्रीकन या लातिनो लड़कियों से जान बूझकर यह सवाल करता हूँ, पर वह 24-25 साल की लड़की वाकई भारतीय थी। यूँ थी वो गोरी चिट्टी और नीली जींस और गुलाबी टीशर्ट में किसी गोरी से कम नहीं लग रही थी पर भारतीय साफ पहचान में आ जाते हैं।

“येस ! बट व्हाय?” उसने मुझे परेशान नज़रों से देखा।

“काम ऑन मैडम, आई ऍम अल्सो फ्रॉम इंडिया !” फ़िर मैं जान बूझकर हिन्दी मैं उतर आया ताकि आस पड़ोस के लोगों को पता न चले हम क्या बातें कर रहे हैं। “हिन्दी बोलती हैं आप?”

“हाँ” वो बोली।

“नहीं, मैंने आपको शहर का नक्शा पकड़कर खोजते हुए देखा तो सोचा कि आप शहर में नई हैं। घर वगैरह का इंतजाम हो गया?”

वह मुस्कुराई,” मैं यहाँ घर बसाने नहीं आई। मेरी एक कांफ्रेंस है- तीन दिन की !”

“ओह, तो आप एल ऐ की मेहमान हैं, फ़िर तो मेरी भी मेहमान हुई। तो आपकी मदद करना मेरा फ़र्ज़ है, कहिये कहाँ जाना है?”

उसे सांता मोनिका के किसी होटल में जाना और मुझे वेस्ट वुड ! पर मैंने सोचा कि आज ऑफिस में भले देर हो जाए, इससे जितनी बातें हो जाए अच्छा है। बातों बातों में उसने अपना नाम बताया- मालती जोशी !

“यह तो एक बड़ी लेखिका का नाम है !” मैंने कहा।

वह खिलखिला कर हंस दी। वह भारत सरकार के पर्यटन विभाग में थी और सरकार ने उसे इस कांफ्रेंस के लिए भेजा था।

मैंने उसे टटोलने की कोशिश की,”फ़िर तो चुन्नू मुन्नू आपको मिस कर रहे होंगे?”

“कौन चुन्नु मुन्नू ?” उसने थोड़ा अनजान सा बनकर पूछा।

“आपके चुन्नू मुन्नू और उनके पापा !” मैंने कहा।

इस बार वह ऐसे हँसी कि उसके मोती जैसे दांत दिखने लगे। फ़िर उसने जवाब दिया,” हाँ हाँ ! चुन्नू मुन्नू तो नहीं, उनके चुन्नू मुन्नू जरुर दादी को मिस कर रहे होंगे। क्या …. अरे नाम भी नहीं बताया आपने !”

“ओहऽऽ हो विशाल ! तो क्या मैं यह मतलब निकालूं कि अभी तक आपके जीवन में कोई नहीं आया है?”

बातों बातों में पता चला कि वह मुझसे दो साल छोटी है। जब उसे यह पता चला कि मेरे जीवन में भी कोई नहीं है, तो उसके ओंठों पर मुस्कान आ गई।

मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे। वैसे तो उसका होटल एयरपोर्ट के पास था, पर किसी लातिनो टैक्सी वाले ने पता ठीक नहीं समझा और उसे वेनिस-बीच के आस पास उतार दिया। शायद मेरी किस्मत ने……

मैंने उसे फ़ोन नम्बर दिया और ले भी लिया। मैंने कहा कि कोई भी मुश्किल हो, मुझे फ़ोन कर ले।

शाम को आठ बजे के आसपास जब उसका कोई फ़ोन नहीं आया तो मैंने निश्चय किया कि मैं ही फ़ोन कर लूँ। भले वह कुछ भी समझे। तभी फ़ोन की घन्टी बजी। नम्बर कुछ अटपटा सा था, पर यह उसकी ही आवाज़ थी।

“अरे आप ! किस नम्बर से फ़ोन कर रही हैं?” मैंने पूछा।

“कमरे से !”

“कमरे में पहुँच गई आप? इस बार टैक्सी ने परेशान तो नहीं किया?” मैंने पूछा,”कहिये, एक प्यारी सी मेहमान की क्या खिदमत करे यह बन्दा?” मैंने पूछा।

“इतवार को मेरी छुट्टी है, यहाँ से डिज्नीलैंड कितनी दूर है? मैं जाना चाहती हूँ, कैसे जा सकती हूँ? टैक्सी से मैं जाना नहीं चाहती, काफी महंगा पड़ेगा ना?”

“यह बन्दा किस लिए है? मेरी खटारा है ना?” मैंने कहा।

“नहीं, आपको तकलीफ होगी !”

“तकलीफ कैसी? सप्ताह मैं एक बार उसे वैसे ही हवाखोरी के लिए ले जाता हूँ !” मैंने कहा।

उसकी खनकती हुई हंसी फ़ोन मैं गूंजी, फ़िर उसने कहा,”नहीं, मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ही जाऊँगी।”

यार बड़ी खच्चर लड़की है, बात ही नहीं समझती।

मैंने कहा,” ठीक है फ़िर.तुम परेशान हो जाओगी ! मैं तुम्हारे साथ चलूँगा !”

थोड़ी सी न-नुकर के बाद वह मान गई। इतवार को मैंने बैग पैक किया, पहले सोचा कार से चलते हैं, उसे मना लूँगा, फ़िर सोचा कहीं उसने मना कर दिया और पार्किंग नहीं मिली तो लेने के देने पड़ जायेंगे, वैसे भी बड़ी जिद्दी लड़की है। मैंने उससे कहा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाना है तो मुंह अंधेरे ही जाना पड़ेगा।

वह होटल के बाहर खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी। आज उसने काली स्कर्ट और नीली कॉलर वाली हलकी पीली टी शर्ट पहनी थी।

ग्रीन लाइन के स्टेशन पर पहले ट्रेन का इंतज़ार करना था। ट्रेन आने में थोड़ी देर थी। हम इधर उधर की बातें करते रहे। मैंने उसे भरपूर नज़र से देखा। बला की खूबसूरत लड़की थी, कद होगा करीब ५’ २”,मुझसे चार इंच कम, लंबे बाल, फूले फूले गाल, उन्नत उरोज पतली कमर और चौड़े नितम्ब, बड़ी-बड़ी आँखें, पतले ओंठ। मुझे इस तरह देखते वह झेंप भी गई।

अचानक मैंने देखा उसने एक बड़ा बैग उठा रखा है,”क्या है इसमें?” मैंने पूछा,”माना कि लड़कियों का बैग नहीं देखते, पर यह क्या भर कर रखा है ?”

“खाने पीने का सामान !” उसने कहा,”पूरा दिन लग जाएगा, मैंने सोचा कि…”

मैंने सर पीट लिया,”डिज्नी लैंड में मेरे ताऊ बैठे हैं न जो इसे अन्दर ले जाने देंगे ! फेंको इसे !”

“क्या? फेंक दें? अन्न का अपमान?”

“तुम तो मेरी अम्मा जैसे बात कर रही हो ! फेंकना नहीं है तो खाओ !”

“अभी?”

“तो कब? ट्रेन में खाना मना है, फ़िर बस पकडेंगे, उसमें भी खाना मना है। चलो निकालो !”

वह घबरा गई,”यह तुम्हारे लिए भी है !”

हे भगवान ! प्लेटफोर्म में हम बैठे परांठे खा रहे थे जो उसने इंडियन शॉप से रात में आर्डर देकर मंगाया था। उसका छोटा सा पेट जल्दी भर गया और नखरे शुरू हो गए। मुझे इसी छीना-झपटी का इंतज़ार था, मैंने उसका हाथ पकड़ा और एक कौर जबरदस्ती मुंह में ठूंस दिया।

“विशाल, मेरा हाथ तो छोडो ! उई माँ !”

मैंने उसका हाथ छोड़ा नहीं, बल्कि मरोड़ के पीठ पर ले गया अब हम दोनों के जिस्म में छः इंच का फासला था और अगर मैं हाथ और थोड़ा मरोड़ता तो उसके उन्नत उरोज शायद मेरे सीने में दस्तक दे देते पर उसकी आंखों में आंसू आ गए।

“विशाल, सच्ची, उलटी हो जायेगी !”

तभी ट्रेन आ गई। मैंने पकड़ ढीली की पर उसका हाथ नहीं छोड़ा। डिब्बे में बैठकर भी नहीं छोड़ा। फ़िर जेब से एक टिशु निकाल कर उसका मुंह पोछा,”झूठे मुंह सफर नहीं करते !” उसे हँसी आ गई।

उसके बाद ट्रेन में और फ़िर बस में वह प्यारी बातें करती रही। उसकी बातों का पिटारा थमने का नाम ही नहीं लेता था। पर वह बोर नहीं कर रही थी। उसके चेहरे के हाव भाव, भाव भंगिमा, सब कुछ लुभा देने वाला था। हँसते हँसते मैंने उसकी पीठ पर एक दो बार धौल भी जमाया। कभी उसने मुझे छेड़ा तो मैंने बाल भी खींचे। अमेरिका में यह बात अच्छी है कि आस पास के लोग कोई परवाह नहीं करते।

कई बार मैं अपना चेहरा उसके गाल के काफी करीब ले गया पर चुम्बन की तीव्र इच्छा का किसी तरह दमन किया। कई बार उसके हथेली पर अंगूठा फेरा, उसकी कोहनी सहलाई, पाँव से उसके पाँव पर ठोकर मारी। एक बार हिम्मत कर के जांघ पर भी हाथ रख दिया। वह शरमाई जरुर, पर उसने हाथ हटाया नहीं !

डिज़नीलैंड देखकर वह हैरान रह गई और बच्चों की तरह उत्साह से भर गई। उसे काबू में करना मुश्किल हो गया। वह मेरा हाथ पकड़कर कभी इधर, कभी उधर ले जाने लगी। उसे मैंने प्यार से कई बार समझाया, कभी “माला” कभी “लती” कभी “लता” कभी “मति” कहकर पुकारा।

वह फ़िर इधर उधर जाने लगी। अब मैंने उसका हाथ पकड़कर खींचा, अब वह पास आई तो मैंने दोनों हाथ पकड़ लिए, मैंने समझाया,”मालती, तुम्हारा पहली बार डिजनी लैंड में आना हुआ है, सब चीज देखना मुश्किल है, फ़िर हमें कैलिफोर्निया एडवेंचर पार्क भी जाना है। लाइन तो तुम देख रही हो, ऐसा करते हैं, पहले जिसका फास्ट पास मिले वह ले लेते हैं, फ़िर मुख्य मुख्य जगह चलते हैं।

अब मैंने सोच लिया था कि यह ऐसे नहीं मानेगी, इसे थोड़ा पंचर किया जाए. उसे लेकर स्पेस माउन्टेन में ले गया. वह एक खतरनाक रोलर-कास्टर था। ऊपर से नीचे आते समय मैं जान बूझ कर उससे सट गया उसके हाथ हेंडल पर जमे थे, पर वो डरकर मुझसे चिपक गई।

उससे भी ज्यादा मज़ा तो थंडर माउन्टेन में आया, इस बार मै अपना एक हाथ उसकी पीठ के पीछे ले गया और खतरनाक मोड़ आने पर उसके एक उन्नत उरोज में हाथ का दबाव जमा कर उसे पास खींच लिया। ठोस टेनिस बाल की तरह के उरोज पर हाथ लगते ही मेरे लिंग में जबरदस्त तनाव आया।

वह सवारी खत्म होने के बाद मैंने देखा कि उसका चेहरा सुर्ख हो गया है.उसके सुडौल उरोज साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।

“ओह बाबा !” वह बोली,”कहाँ फंस गई मैं?”

मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और धीरे से उंगलियाँ बालों में फेरकर बोला,”मैं हूँ ना ! चलो खाना खाते हैं।”

उसे मेक्सिकान रेस्टारेंट में ले गया। खाना खाते खाते उसे देखकर मुस्कुराया, वह भी मुस्कुराई। मैंने कहा,”मालती, एक बात कहूँ ! तुम काफी हसीन लग रही हो !”

खाने के बाद ‘इन्डियाना जोन्स’ के फास्ट पास का समय हो गया था। तेज रफ्तार और अंधेरे में वह फ़िर घबराई। इस बार मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर अपने पास खीँच लिया। डर के मारे उसने अपना सर मेरे सीने में छुपा लिया। मैं उसे और डराने लगा, “लती देखो, लटका हुआ आदमी.माला, देखो बिच्छुओं का झुंड !

जब उसने आँख नहीं खोली तो मैंने एक कुच को हलके से दबाया, वह चिहुंक गई।

बाहर निकल कर मैंने देखा, उसके स्तनाग्र सिपाही की तरह तन गए थे। मैंने उसका हाथ थामा और जुल्फें संवारी। मैं चाहता था कि मदहोशी का यह खेल थोड़ा आगे बढ़ाया जाए।

अब हम पैरेट्स ऑफ़ कैरिबियन की सवारी की ओर बढ़े। जैसे ही हमारी नाव अंधेरे में बढ़ी, मैंने मालती के जाँघों पर हाथ रखकर हल्के से दबाव बढाया। वह कुछ प्रतिक्रिया करती, उसके पहले ही एक झटका लगा और अंधेरे में नाव नीचे चले गई। मेरा हाथ फिसलकर उसकी जांघों के बीच आ गया। मैंने हाथ धीरे धीरे आगे बढ़ाया और स्कर्ट के उपर उसकी योनि पर हाथ रख दिया, उसकी साँसे तेज चलने लगी।

सवारी आगे बढ़ ही नहीं रही थी पर मेरे हाथ आगे बढ़ रहे थे। उधर अंधेरे में मालती की भी हिम्मत बढ़ गई थी। वह मेरा बिल्कुल विरोध नहीं कर रही थी।

तभी एक उदघोषणा हुई कि सवारी के सिस्टम में कोई खराबी हो गई है और इंजिनियर ठीक कर रहे हैं।

मुझे मानो मन-मांगी मुराद मिल गई। इस बार मैंने हाथ पीछे किए और उसके स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया। उफ़ ! कितनी स्निग्ध थी उसकी जांघें। उसके मुंह से एक फुरफुरी निकली और मेरे हाथ फिसल कर उसकी पेंटी से टकराए। कामोत्तेजना से उसकी पैन्टी आर्द्र हो गई थी। मैंने पैन्टी के उपर उसकी झिर्री टटोली। उसने दांतों से अपने ओंठों को जोर से दबा लिया, साँसे तेजी से चल रही थी।

फ़िर मैंने पैंटी के साइड से उंगलियाँ अन्दर डाली और अंगूठा बालों के जंगल से होता हुआ गीली और फिसलन भरी गुफा तक जा पहुँचा। योनि की दरार को टटोलता अंगूठा उपर बढ़ा और उसकी भगनासा से जा टकराया। अब मालती के मुंह से सिसकी निकल पड़ी। उसने अपने को काबू में करके मेरा हाथ थाम लिया।

“विशाल, न न नहीं..!” वह किसी तरह बोली।

तभी उदघोषणा हुई कि सवारी में खराबी की वजह से यह यहीं स्थगित की जाती है। सबको समय ख़राब होने की वजह से एक एक टिकट दिया गया, जिसे वो किसी अन्य सवारी में बिन लाइन में लगे उपयोग में ला सकते थे।

“माला, ऐसा करते हैं, कैलिफोर्निया एडवेंचर पार्क चलते हैं। इसका उपयोग बाद में करेगे।” मैंने उसे समझाया।

“तुम ही मेरे मार्ग निर्देशक हो, जैसा तुम कहो !”

“ये हुई ना समझदार लड़कियों वाली बात !” मैंने उसे कहा।

उसे लेकर में सीधा ग्रिज्ली रिवर की सवारी में ले गया जिसमें एक घूमता हुआ बेडा खतरनाक लहरों और झरनों, जल प्रपात के नीचे से होता हुआ जाता है। जब वह पहले खतरनाक जल प्रपात के नीचे से गुजरा वह मुझसे चिपट गई। उपर से गिरते पानी की तेज धार ने हम दोनों को सराबोर कर दिया। मालती की पतली टी शर्ट उसके बदन से चिपक गई और उसकी दूधिया ब्रा साफ़ दिखने लगी। अभी वह कुछ सम्हालती कि पानी की एक और बौछार उस पर पड़ी अब मानो कपडों का कोई अस्तित्व ही नहीं रहा।

“तुम बड़े शैतान हो !” बाहर निकल कर वह शिकायत के लहजे में बोली,”देखो, मेरे सारे कपड़े गीले हो गए।”

“अन्दर के भी?” मैंने शरारत से पूछा।

“क्या मतलब है तुम्हारा?”

“मतलब यह कि इस सवारी को दोष मत दो ! अंदर के नीचे के कपड़े पहले पहले ही गीले हो हो गए थे, मैं जानता हूँ।”

पहले वह शरमाई, फ़िर उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया,”विशाल, तुम्हारी बेशरमी बढ़ती जा रही है !”

मैंने कान पकड़े और कहा,”एक बात कहूँ, तुम बारिश में भीगी फिल्मी हिरोइन की तरह दिख रही हो !”

“पर मुझे सर्दी हो जायेगी, आक छी.” उसे छींक आ गई।

मैंने कहा,”लती, एक बात बोलूं? अन्यथा मत लेना !”

“अब क्या बचा है?” वह झल्लाकर बोली।

मैं मन ही मन बोला,”सब कुछ !”

पर मुझे वाकई दया आ गई, मैंने कहा,”मालती, में एक एक्स्ट्रा टी शर्ट लाया हूँ, मुझे मालूम था, यहाँ ऐसा होगा, तुम पहन लो।”

वह गुस्से से बोली,”क्या?”

मैंने कहा,”कॉमन सेंस से काम लो. मेरी टी शर्ट है तो क्या? थोड़ी ओवर साइज़ ही होगी।” फ़िर मैं पास आकर बोला,”और मेरी एक ब्रीफ भी है.तुम्हें थोड़ी ढीली होगी पर पहन लो।”

थोड़ी न-नुकर के बाद वह मान गई और बाथ रूम में जाकर चेंज कर लिया।

जब वह बाहर आई तो मैंने देखा कि उसके हाथ में गीले कपडों का बण्डल है.उसने मेरे बैग की जिप खोली और कपड़े उसमें डाल दिए।

मैंने देखा, उसने ओवर साइज़ टी शर्ट का फायदा उठाकर गीली ब्रा भी उतार दी है और उसके स्तन हर कदम के साथ उपर नीचे हो रहे हैं।

उसने मुझे उरोजों को देखते हुए देख लिया,बोली,”क्या है?”

मैंने अपना मुंह उसके कान के पास लाकर कहा,” मालती, तुम्हारा वो चूसने को मन कर रहा है !”

वह झल्लाए स्वर में बोली,”अगर तुम मेरा वो चूसोगे तो मैं भी तुम्हारा वो चूसूंगी !”

मैं हैरान रह गया। मेरा लिंग मानो अंडरवियर फाड़ कर बाहर आना चाहता था।

मैंने कहा,”मुझे खुशी है, तुम थोड़ी बेशरम तो हुई !”

वह कुछ समझी नहीं, बोली,” बेशर्मी की क्या बात है? तुमने कहा तुम मेरा खून चूसोगे। अगर तुम मेरा खून चूसोगे तो मैं तुम्हारा खून चूसूंगी।”

“पर खून तो मच्छर चूसते हैं।”

और दोनों खिलखिला कर हंस पड़े।

कहानी का अगला भाग: लॉस एंजेलेस(अमेरिका) में प्रणय का अंकुर-2 Sex Stories

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