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Massage Girl in Kishtwar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Kishtwar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Kishtwar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Kishtwar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Kishtwar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Kishtwar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Kishtwar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Kishtwar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Kishtwar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Kishtwar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Kishtwar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Kishtwar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों Sex Stories को सन्नी शर्मा का कोटि कोटि प्रणाम!

दोस्तो! अभी तक मैंने अन्तर्वासना में लड़के और लड़की के बीच हुई चुदाई के बारे ही पढ़ा है। मैं इस वक्त कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का कोर्स कर रहा हूँ। मैं देखने में चिकना हूँ और सच पूछो तो मैं कहने के लिए लड़का हूँ मगर मेरे अन्दर एक औरत बचपन से घर कर चुकी है। मैं बचपन से ही लड़कियों के साथ गुड्डे-गुड़िया का खेल खेलता, चोरी चोरी मम्मी की ड्रेस पहनता और जब घर अकेला रहता तो लड़की की तरह सज-संवर कर तैयार होता था। इन हरक़तों से मुझे अलग सा आनंद मिलता!

मैं स्कूल में भी लड़कियों के साथ ही रहने की कोशिश करता। सभी लड़के स्कूल में मुझे लड़की कहते! बचपन से लड़कियों के साथ रहा था, उनके खाने-पीने में ध्यान देता, उनकी तरह गोलगप्पे-चाट वगेरह खाता। मेरे शरीर की बनावट लड़कियों जैसी है, मेरी छाती बहुत कोमल है, 16 साल की लड़की जितनी मेरी छाती है।

मैंने कई बार अपनी लड़की दोस्तों को उनके बॉय फ्रेंड के साथ अकेले में स्कूल के खाली कमरों में अश्लील हरक़तें करते देखा। लड़कियों में से पूजा से मेरे बहुत अच्छे से दोस्ती और बोलचाल है, वो अक्सर मेरे घर आती नोट्स के लिए। वो एक बहुत बड़े अमीर परिवार की छोरी है।

एक रोज़ मैं उसके घर चला गया, दोपहर का समय था, उस वक्त उसके घर कोई नहीं होता था। जब मैंने दरवाज़ा बंद देखा तो मैं दीवार से कूद कर अन्दर चला गया। हंसने के आवाजें सुन कर मैंने खिड़की के पास पहुँच कर देखा कि मेरे ही स्कूल का एक लड़का था, पूजा उसका लण्ड चूस रही थी, वो अपनी स्कर्ट में बार बार उसका हाथ डलवाती, कभी चुचियों में भी।

मैं वहाँ से चला आया। उस लड़के का लौड़ा देख मेरी गाण्ड में कुछ होने लगा, ना कि पूजा को नंगी देख कर।

उस दिन से मैंने भी किसी का लण्ड चूसने की सोची। स्कूल के लड़के से यह सब करके मेरी और बदनामी हो जाती, पहले ही सभी मुझे छेड़ते हैं।

मैं रोज़ शाम को ट्यूशन पढ़ने जाता था। रास्ते में एक नाशपाती का बाग़ है, वहाँ रोज़ एक मोची मुझे मिलता था, बिहार का था। वो मेरी गाण्ड को देख रोज़ अजीब इशारे करता। पहले मैं कुछ न कहता, लेकिन अब वो देखके लौड़ा खुजलाता। एक रोज़ वो नहीं मिला लेकिन जब मैं वापिस आ रहा था, तब अंधेरा हो चुका था। आज वो अपना सामान पहले ही पास में अपने कमरे में रख आया था। वो दिन में मोची का काम, रात को बाग के चौंकीदार का काम करता था। बीच बाग़ में उसका कमरा था। आज उसको देख मैंने कहा- क्या बात है भाई? तुम रोज़ मुझे क्यों देखते हो?

वो बोला- तेरी गाण्ड मारनी है!
मैंने कहा- चल हट!
बोला- तू क्यों देखता है?

मेरे पास जवाब नहीं था। वो थोड़ा पास आकर अपने हाथ मेरी गोल गाण्ड पे हाथ फेरने लगा।
सीईईईइ!
फ़िर मेरा हाथ पकड़ उसने अपने लौड़े पे रख दिया और पास आकार धीरे से बोला- चल कमरे में!

दोस्तो, जैसे उसने मुझे पेंडुलम दिखा बस में कर लिया हो, मैं बिना बोले उसके पीछे उसके कमरे में चला गया, उसने कुण्डी लगा दी। उसने अपनी पैन्ट उतार कर किल्ली पे टांग दी, फ़िर शर्ट भी। वो सिर्फ़ कच्छे में था, उसका लौड़ा खड़ा था। मोटा ताज़ा लौड़ा देख पूजा याद आई। उसने मेरी कमीज़, पैन्ट सब उतार दी और मुझे लिपटने लगा। मेरे अन्दर की लड़की जागी, वो मेरे निप्प्ल मसलने लगा, मम्मे दबाने लगा!
सीईईईइ क्या मजा था यार!

मैं घुटनों के बल बैठ उसके लौड़े को सहलाने लगा और अपने आप ही उसका 6 इंच का लौड़ा चूसने लगा, चूमने लगा।

वो बोला- साले दबा दबा के चूस!

साथ में वो मेरी गाण्ड थपथपा रहा था। उसने थूक से ऊँगली गीली कर मेरी गांड में डाली और आगे पीछे करने लगा और फ़िर दो ऊँगली!

वो भी पहली बार किसी से लौड़ा चुसवा रहा था। उसने अपना सारा माल मुँह में भर दिया, कुछ मेरी कोमल छाती पे भी गिरा। मैं कपड़े पहनने लगा तो उसने रोक दिया और बोला- चुदेगा तेरा बाप? गांडू! चल खड़ा कर दे! उसने ज़ोर से थप्पड़ मारा।

मैं भी रुक गया और उसके लौड़े को फ़िर मुंह में भर लिया। उसका फ़िर खड़ा हो गया, उसने मुझे घोड़ा बना लिया और सरसों का तेल अपने लौड़े पे लगा कुछ ऊँगली से मेरी गांड में भी लगा दिया और अपने लौड़े का टोपा मेरी मोरी पे रख धक्का दिया।

हाय, मर गया! छोड़ मुझे! प्लीज़ छोड़ दे!

दूसरे झटके से आधा लौड़ा अन्दर घुस गया। मैं दर्द से तड़फ रहा था, वो बिना रहम किए पूरा डालने में लगा था। मैं चिल्लाने लगा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। वो ज़ोर जोर से मुझे चोदने लगा। कुछ पल बाद मुझे थोड़ा आराम मिला और अब उसकी रगड़ मुझे अच्छी लगने लगी। उसके बाद उसने सीधा लिटा के अपने कंधों पर मेरी टांगें रख कर फ़िर लौड़ा मेरी गाण्ड में डाल दिया।

मुझे बहुत मज़ा आने लगा। किसी मर्द के नीचे लेट कर वो भी नंगे, वो साथ साथ मेरे मम्मे चूसने लगा और 6-7 मिनट बाद वो झड़ गया और मेरी सारी खुजली उसके गरम माल से मिट गई। वो मेरे ऊपर ही लुढ़क गया। हम दोनों नंगे एक दूसरे की बाँहों में लेटे थे।

वो कमरे में एक और बन्दे के साथ रहता था, वो बन्दा राज मिस्तरी का काम करता था। वैसे मोची के मुताबिक वो रात लेट आता था। तभी वो दूसरा बन्दा आ गया। कुण्डी ठीक से लगी नहीं थी वो सीधा कमरे में घुस आया और मुझे देख कर बोला- पुरषोत्तम! यह गाँडू कहाँ से आया?

उसकी आँखों में वासना के डोरे देख मैं घबरा सा गया।

वो बोला- चल तू भी जा जाकर खाना खा आ! मैं हूँ यहीं पे!

मोची चला गया। मैं अभी कपड़े पहनने लगा था कि उसने रोक लिया और बोला- मुझे खुश कर दे साले!

मैंने मना करने की बजाये बोला- नहीं देर हो गई है, पहले ही घर वाले परेशान होंगे।

वो बोला- साले! खींच के दूंगा कान के नीचे! चल पास आकर ख़ुद ही लण्ड निकाल!

मैं डरता हुआ पास गया और बोला- आज जाने दो! कल सुबह आऊँगा!

वो बोला- चल चूस ही दे थोड़ा, हाथ से निकल दे पानी!

बाप रे बाप! उसका लौड़ा देख मैं डर गया। बहुत सॉलिड था, मैं उसको पकड़ मुठ मारने लगा और फ़िर चूसने लगा। अंदर से मैं बहुत खुश था कि जिस लौड़े की मैं तलाश में था वो आज एक नहीं दो मिले!

करीब पाँच मिनट में मैंने उसके लौड़े को चूस चूस उसका माल निकाल दिया। उसने सारा माल मेरी नंगी गांड पे डाल दिया, झड़ने से पहले उसने मुँह से निकाल लिया था और गांड पे फव्वारा छोड़ दिया।

दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली चुदाई की दास्ताँ!

अगले दिन मैं उसके बताये समय के मुताबिक जब मोची निकल गया तो मैं अंदर घुस गया और फ़िर??
अपना चुदाई का यह किस्सा मैं अगले भाग में डालूँगा।
आपके जवाबों का इंतजार रहेगा! Sex Stories

Hi mera naam alok h

Hindi Sex

मेरी यह कहानी Hindi Sex काल्पनिक है। इस कहानी का आधार एक औरत पर है जिससे मैंने एक चैट-साइट पर कई बार बात की। उसके साथ कई बार चैट-रुम में चुदाई भी की। मैं उसको माँ बुलाता हूँ और वह मुझको बेटा।। हम दोनों अलग अलग शहर में रहते है और कभी भी मिले नहीं हैं। मेरा नाम दीपक है और मैं 26 साल का हूँ । मेरे लन्ड का आकार 8 इंच है।

उसका नाम रीमा है। उसने जो मुझको बताया उसके अनुसार वह एक तलाकशुदा औरत है। उसकी उमर 48 साल की है और उसकी फ़िगर 38 डी 30 42 है और वह दिल्ली में रहती है। रीमा को कम उमर के लड़कों से चुदाने में बड़ा मजा आता है। उसकी एक नौकरानी भी है जो 20 साल की है। वह सेक्स में उसका साथ देती है। उसको जवान लौन्डों की कोई कमी नहीं है।

वह जिस ऑफ़िस में काम करती है उसके बॉस के साथ उसके संबन्ध हैं। उसका बॉस शादीशुदा है और कोई 26 साल की उमर का है। वह अपने बॉस के साथ बहुत टूर पर जाती रहती और टूर पर वह अपने बॉस और कलाईन्ट के साथ चुदाई के मजे लेती है।

चैट-साईट पर हम लोगों में चुदाई की बातें होने लगी। मैंने उसको बताया कि मुझे बड़ी उमर की औरतें बहुत पसन्द हैं। उसने मेरे से पूछा कि मैं किस बड़ी उमर की औरत के बारे में सोच कर हस्तमैथुन करता हूँ ।

मैने कहा- अपनी माँ के बारे में !

उसने पूछा कि मेरी माँ का नाम क्या है और वह कैसी दिखती है तो मैंने बताया कि मेरी माँ का नाम निर्मला है और उसका रंग गोरा है, उसके नयन-नक्श बहुत ही तीखे हैं, उसकी फिगर 36 सी 30 40 है।

फिर हमने इस बारे में बहुत सारी बातें की जो आपको आगे पता चलेंगी। वो मुझसे चैट करके बहुत मजा लेती थी। मुझे भी उसके साथ बड़ा मजा आता था।

एक दिन उसने मुझसे कहा कि वह सचमुच में मुझसे चुदाना चाहती है। पर मैं मुम्बई में रहता हूँ और उसका बॉस का मुम्बई में कोई टूर नहीं होता, जिसकी वजह से हम लोग कभी भी मिल नहीं पाये थे। पर हम दोनों ने अपने फोन नम्बर और घर का पता एक दूसरे को बता दिया था और एक दूसरे को कार्ड भी भेजते थे और हम चैट-रुम में ही चुदाई का मजा लेते थे।

फिर एक दिन जब हम चैट कर रहे थे तो वह बोली कि उसका बॉस मुम्बई में एक नई शाखा खोलने की सोच रहा है और इसके लिये वे टूर पर मुम्बई आ रहे हैं। और उसने अपने बॉस से बात की कि वह टूर समाप्त होने के बाद चार दिन के लिये मुम्बई में अकेले रुकना चाहती है होटल में, कम्पनी के खर्चे पर। उसका बॉस इस बात के लिये राजी हो गया है।

मैं तो यह खबर सुन कर बहुत खुश हुआ क्योंकि अब हम वह सब कर सकते थे जो कि हमने करने की चैट-रूम में बात की थी। उसने कहा कि वह ताज होटल में रुकने वाली है और उसका कमरा नम्बर वह बाद में मुझको फोन पर बतायेगी। उसने कहा कि वह 4 फरवरी को मुम्बई आ रही है और 8 फरवरी को मुझको फोन करेगी।

पर 4 तारीख को उसका फोन आया कि वह मुम्बई पहुँच गई है और बाद में मुझ को फोन करेगी।

मैंने उसको कहा- मैं तुम्हारे फोन का इंतजार करूँगा।

पर 8 तारीख को उसका फोन नहीं आया। मैंने सोचा कि शायद काम पूरा नहीं हुआ होगा। लेकिन फिर 9 और 10 तारीख को भी उसका फोन नहीं आया अब तो मैं बहुत ही उतावला हो रहा था । सोचने लगा कि कहीं वह मजाक तो नहीं कर रही थी। पर मैं कर भी क्या सकता था उसके फोन के इंतजार के अलावा।

फिर अगले दिन बुधवार था दोपहर को करीब एक बजे रीमा का फोन आया उसकी अवाज सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने पूछा- तुमने फोन क्यों नहीं किया ? मैं तो सोच रहा था कि तुम फोन ही नहीं करोगी।

रीमा ने कहा कि ब्रान्च खोलने के बात पक्की हो गई है इसलिये वह, उसका बॉस और यहाँ का मैनेजर मिल कर दो दिन से मौज कर रहे थे। दोनों ने मिल कर उसको दो दिन तक बहुत जम कर चोदा था। इसलिये दो दिन वह फोन नहीं कर पाई आज सुबह ही उसका बॉस वापस दिल्ली गया है और वह सुबह से आराम कर रही थी जिससे कि मेरे साथ पूरी तरह से मजा ले सके। लेकिन उसको पहले से ही पता था कि वह मुझको 11 तारीख से पहले फोन नहीं कर पायेगी।

मैने पूछा- फिर तुमने बताया क्यों नहीं?

रीमा बोली- मैं तुमको कुछ देर तड़पाना चाहती थी। मुझको जवान लड़कों को तड़पाने में बड़ा मजा आता है।

मैंने पूछा- अब तो बताओ कि तुम्हारा रूम नम्बर क्या है।

रीमा बोली- मुझ से मिलने के लिये तड़प रहे हो?

मैंने कहा- हाँ !

ठीक है, बता देती हूँ तुमको ! तुम भी क्या याद करोगे। मेरा रूम नंम्बर 514 है।

मैंने कहा- ठीक है, मैं अभी वहाँ पहुँच रहा हूँ।

रीमा ने कहा कि वह भी बड़ी बेसबरी से मेरा इंतजार कर रही है और जैसे हो, वैसे ही चले आओ क्योंकि वैसे भी इन चार दिनों में मैं तुमको कोई कपड़े तो पहनने दूंगी नहीं। बस अब चले आओ दौड़ कर अपनी माँ के पास।

मैंने कहा- ठीक है माँ, आता हूँ अभी।

रीमा बोली- मैंने अपने कमरे के बाहर “डू नॉट डिस्टर्ब” का साईन लगा दिया है जिससे कि जब घंटी बजेगी तो मैं समझ जाऊँगी कि तुम हो।

मैंने कहा- ठीक है।

फिर मैंने फोन रख दिया और अपने बॉस के पास गया। मैंने छुट्टी के लिये पहले से ही बोल रखा था इसलिये कोई परेशानी नहीं हुई। नहीं तो जिस तरह की मेरी बॉस थी छुट्टी मिलना बिल्कुल ही नामुमकिन था।

फिर जल्दी से मैं टैक्सी पकड़ कर होटल पहुँच गया। मेरा दिल धक धक कर रहा था। मैं आज तक कुवाँरा था आज मेरे इस कुंवारे लंड को चुदाई-चुसाई का मजा मिलने वाला था। फिर मैं लिफ़्ट से पाँचवे माले पर गया जहाँ पर रीमा का कमरा था। जैसे ही मैं गलियारे से निकल कर रीमा के कमरे की तरफ़ जा रहा था तो दीवार पर लगे साईन को देख कर मैं समझ गया कि उसका कमर होटल के आलीशान रूम में से एक था।

थोड़ी देर में मैं कमरे तक पहुँच गया, मैंने धड़कते हुये दिल से घण्टी बजाई।

अन्दर से रीमा की आवाज आई- आ रही हूँ दीपक बेटा।

कुछ पल बाद कमरे का दरवाजा खुला। और मेरे सामने रीमा खड़ी थी।

मैं अभी उसे ठीक से देख भी नहीं पाया था कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर खींच लिया। और एक झटके के साथ दरवाजा बन्द कर दिया। मैं उसकी इस हरकत से एक दम सकपका गया।

रीमा ने कहा- अगर मैं तुमको इस तरह से अन्दर नहीं खींचती तो तुम बाहर खड़े खड़े ही मुझ देखते रहते जो कि मैं नहीं चाहती थी। तुमको मुझको देखना हे तो लो मैं तुम्हारे सामने खड़ी हो जाती हूँ, जी भर के देख लो।

ऐसा कह कर वह मेरे सामने अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ी हो गई। खड़ी होने से पहले उसने अपनी साड़ी का पल्लू उतार कर अपनी कमर से नीचे गिरा दिया। यह सब इतनी ज्लदी में हुआ था कि मुझे उसको देखने का मौका भी नहीं मिला था। अब वह मेरे सामने थी और मैं जी भर कर उसको देख सकता था।

फिर मैंने अपनी नजर उस पर गड़ा दी। उसका रंग गोरा था। उसने अपनी उमर मुझको 48 साल बताई थी पर वो अपनी उमर से करीब दस साल छोटी दिखती थी। उसकी आँखे बड़ी-बड़ी थी जिनमें वासना भरी हुई थी। उसके होंठ बड़े-बड़े थे। जैसे कि अभिनेत्री सुमन रंगनाथन के हैं। मुझे इस तरह के होंठ बहुत ही पसन्द हैं। उस पर उसने गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। जो उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रही थी।

उसके चेहरे पर एक आमत्रंण का भाव था, जैसे कह रही हो- आओ और चूम लो मेरे होठों को।

फिर मेरी नजर उसके बदन पर गई, बड़ा ही भरपूर बदन था उसका। उसका गदराया बदन देख कर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही उछलने लगा था।

उसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी। उसका ब्लाऊज़ स्लीवलेस था। और उसमें काफ़ी गहरा कट था जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े मम्मे आधे से ज्यादा ब्लाउज़ से बाहर झाँक रहे थे। रीमा ने शायद बहुत ही टाईट ब्लाउज़ पहन रखा था क्योंकि उसके मम्मों की दोनों बड़ी बड़ी गोलाईयाँ आपस में चिपक गई थी। और एक गहरा कट बना रही थी। जो कि बड़ा ही सेक्सी लग रहा था।

इस नजारे को देख कर मैं उत्तेजना से पागल हो रहा था। मेरे लंड का उभार मेरी पैन्ट से साफ़ दिखाई दे रहा था।

फिर मेरी नजर उसके पेट पर गई। उसने साड़ी अपनी नाभि के काफ़ी नीचे पहनी थी। जिससे उसकी गहरी नाभि साफ़ दिखाई दे रही थी। उसकी नाभि की गहराई देख कर मेरा मन उसको चूम लेने का हुआ। फिर मैं थोड़ी देर तक उसको ऐसे ही निहारता रहा।

कुछ देर बाद रीमा ने कहा- क्या हुआ बेटे? कैसी लगी तुमको अपनी माँ?

मैंने कहा- बहुत ही अच्छी।

रीमा ने कहा- वो तो तुम्हारे पैन्ट में उभरते तुम्हारे लंड को देख कर पता चल रहा है।

मैं उसको देख कर इतना गर्म हो गया था कि मेरा गला सूखने लगा और मुझ को प्यास लगने लगी।

रीमा मेरे को देख कर शायद समझ गई कि मेरे को प्यास लगी है, बोली- पानी चाहिये बेटा?

मैंने कहा- हाँ।

” ठीक है अभी लाती हूँ ” कह कर उसने अपनी साड़ी का आँचल उठा कर पेटीकोट में ठूंस लिया और पलट कर पानी लेने चल दी।

जैसे ही वह पलटी, सबसे पहले मेरी नजर उसके भारी भरकम चूतड़ों पर गई। औरत के चूतड़ मेरा सबसे पसन्दीदा अंग है। और रीमा के चूतड़ तो बहुत ही बड़े थे। उसने ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन रखी थी, जिसकी वजह से जब वह चल रही थी तो उसके चूतड़ बहुत ही मस्ताने ठंग से मटक रहे थे जैसे किसी फैशन शो में मॉडल अपने चूतड़ों को मटका के चलती है वैसे ही।

एक तो उसको आगे से देख कर ही मेरा बुरा हाल था, अब तो मैंने उसको पीछे से भी देख लिया था, मेरा लंड तो बिल्कुल ही आपे से बाहर हो गया। वो भी शायद जानती थी कि उसके चूतड़ों का मुझ पर क्या असर होगा क्योंकि मैं उसको बता चुका था कि भारी चूतड़ मुझ को कितने पसन्द हैं। इसलिये मेज तक जाने में, जहाँ पर पानी का जग रखा था, उसने बहुत देर लगाई जिससे मैं जी भर कर उसके चूतड़ और उनका मटकना देख सकूं।

फिर उसने जग उठाया और मेरी तरफ़ देखते हुये उसने गिलास में पानी भरना शुरू किया। वह मुझ को देख कर मस्ती भरी नजरों से मुस्कुरा रही थी। पानी भरकर वह मेरी तरफ़ चल दी। उसके मस्त बदन ने मेरे उपर ऐसा असर किया था कि मैं अभी तक दरवाजे पर ही खड़ा था। उसने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे थे और जिस तरह से वह चूतड़ मटका के चल रही थी उसकी वजह से उसके बड़े बड़े मम्मे उसके कसे ब्लाउज़ में फंसे हुए जोर जोर से उछल रहे थे।

उसने पूरी तरह से मुझको अपने अधेड़ उम्र के हुस्न के जाल में फंसा लिया था।

लो ! पानी पी लो ! कह कर उसने गिलास मेरे हाथ में थमा दिया। मैं पानी पीने लगा और पानी पी कर मैंने गिलास उसको दे दिया।

“जो देखा पसन्द आया?”

मैं मुस्कुरा कर बोला- हाँ ! बहुत पसन्द आया।

“फिर यहाँ क्यों खड़े हो ? चलो अन्दर बैठते हैं।”

फिर मैं उसके साथ चल दिया, अन्दर आकर मैं सोफ़े पर बैठ गया। अन्दर आने से पहले मैंने अपने जूते बाहर ही उतार दिये। रीमा भी मेरे पास आ कर बैठ गई।

मैंने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोला- माँ ! तुम बहुत सुन्दर हो। जैसा तुमने बताया था तो मैने सोचा था कि तुम सेक्सी हो पर तुम तो महा-सेक्सी हो माँ। मेरा लंड तो तुमको देखते ही खड़ा हो गया था माँ और अभी तक पूरी तरह टनटनाया हुआ है, देखो ! कैसे पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को तैयार है।

” फिर तुमने इसको पैन्ट के अन्दर रखा ही क्यों है पैन्ट उतार कर अपने प्यारे लंड को मुझको दिखाओ। लाओ मैं तुम्हारे कपड़े उतरने में तुम्हारी मदद करती हूँ।”

मैंने कहा- नहीं माँ ! मैं खुद ही उतार देता हूँ।

तो वह बोली- हर माँ बचपन में अपने बेटे के कपड़े उतारती और पहनाती है। माँ ही होती है जो बेटे को कपड़े पहनना और उतारना सिखाती है। मुझे तो वो मौका आज ही मिला है तुम इस तरह से मुझसे यह मौका नहीं छीन सकते।

रीमा की बात सुन कर मैं बोला- ठीक है माँ, तुम ठीक कह रही हो ! मैं इस तरह से तुम्हारा हक नहीं छीन सकता। मैं तैयार हूँ उतार दो मेरे कपड़े। आज से जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ और जब भी हम मिलेंगे, मेरे कपड़े तुम ही उतारोगी और तुम ही पहनओगी।

यह सुन कर वह बहुत खुश हो गई और मेरे माथे पर चूम लिया जैसे एक माँ अपने बेटे को करती है।

फिर वह मेरी कमीज के बटन खोलने लगी। उसके भरी पूरी गोरी बाँहे मुझको बहुत अच्छी लग रही थी। फिर उसने सारे बटन खोल दिये और बोली- बेटा खड़े हो जाओ जिससे मैं तुम्हारी कमीज उतार सकूँ।

मैं खड़ा हो गया, रीमा भी मेरे साथ खड़ी हो गई और पीछे कर के मेरी कमीज उतार दी। मैंने नीचे बनियान पहन रखी थी। मेरी कमीज उतार कर रीमा मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी और बोली- तुम्हारी छाती कितनी चौड़ी है। तुम भी कोई कम हैडसम नहीं हो। तुम इतने सालों अपनी माँ से दूर रहे हो जिसकी वजह से तुम्हारी ये माँ तुमको कुछ प्यार भी नहीं कर पाई। चिन्ता मत करो अब तुम मेरे पास आ गये हो, अब मैं तुमको अपना सारा प्यार दूंगी।

ऐसा कहते वक्त उसके आँखो में वासना भरी थी। ऐसा कह कर उसने मेरी बनियान भी उतार दी।

बनियान उतरते वक्त उसने अपने हाथ ऊपर किये। उसने स्लीवलैस ब्लाउस पहन रखा था जिसकी वजह से उसकी काँख मुझको दिखाई दी। उसकी काँख के बाल काले और घने थे। मुझे काँख के बाल बहुत पसन्द हैं। उसकी काँख देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गई। बनियान उतार कर उसने कमरे के एक कोने मै फेंक दी। अब मेरी छाती पूरी नंगी हो गई और वो अपने गोरे गोरे हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे फिराने लगी। जिसकी वजह से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मेरे चुचूक कड़े हो गये।

फिर रीमा ने अपनी एक उँगली को अपने थूक से गीला करके मेरे बायें चुचूक पर फिरने लगी और उसका दूसरा हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे चल रहा था। वो अच्छी तरह से जानती थी कि किस तरह मर्द को मस्त किया जाता है।

थोड़ी देर इसी तरह से मेरी छाती पर हाथ फेरने के बाद उसने अपना मुँह मेरे चुचूक पर रख दिया और उसे अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगी। उसके ऐसा करने से मेरे मुँह से एकदम से एक आह निकल गई। इसका सीधा असर मेरे लंड पर हुआ, वो मस्ती में एक दम कड़ा हो गया। अब उसका मेरी पैन्ट में रहना बड़ा ही मुश्किल था !

क्रमशः…………………. Hindi Sex

Antarvasna Stories

मेरा नाम राहुल Antarvasna Stories है, मेरी उम्र २२ साल है। मैं ६ फ़ुट २ इंच लम्बा सांवला लड़का हूँ। मेरे लण्ड का साइज़ ७ इंच है। मैं आपको अपने पहले सेक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ. मैंने अपना पहला सेक्स अपनी पड़ोसन अंजलि आंटी के साथ किया था। यह उन दिनों की बात है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़ता था। अंजलि आंटी बहुत सेक्सी थी। उनकी उस समय नई नई शादी हुई थी। उनका पति चालीस साल का था और वो केवल पच्चीस साल की ही थी। उनका गोल-मटोल बदन, उनके उभरे हुए वक्ष देख कर कोई भी अपना काबू खो दे !

मैंने मन ही मन उन्हें चोदने का सोचता था लेकिन शुरुआत कैसे की जाए यह मुझे समझ नहीं आ रहा था। उनका पति शाम की पारी में काम करके आधी रात को घर आता था और रात को अंजलि आंटी की चुदाई करता था।

एक बार उनका पति रात को एक बजे आया, मैं उस वक्त जगा हुआ था, अचानक आह आह की आवाज सुनाई दी। मैंने बाहर जाकर देखा तो उनके घर से आवाज आ रही थी। उस समय बहुत अँधेरा था और रात में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था तो मैंने हिम्मत करके उनकी खिड़की में झांकने की कोशिश की।

खिड़की में छेद थे और पर्दा लगा हुआ था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तो मैंने डंडी से खिड़की का पर्दा हटाया, अंदर जीरो-बल्ब की रोशनी थी। अन्दर का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग रह गया। मैंने अन्दर देखा कि अंकल अंजलि आंटी के स्तन दबा रहे थे और वो आहऽ आहऽऽ की आवाज निकाल रही थी। कुछ देर के बाद अंकल अंजलि आंटी के ऊपर चढ़ गए और एक जोरदार धक्के के साथ अपना काला लिंग उनकी योनि में डाल दिया। अंकल दो-तीन धक्कों के बाद झड़ गये और आंटी के ऊपर सो गए। आंटी अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई थी, उनकी कामना उनकी चेहरे से मुझे साफ़ नजर आ रही थी। अंकल की ज्यादा उम्र होने के कारण आंटी संतुष्ट नहीं हो पाती थी।

तब उनकी शादी को एक साल बीत चुका था लेकिन आंटी को बच्चा नहीं हो रहा था। शायद अंकल की ज्यादा उम्र के कारण ऐसा हो रहा था। इस बात से आंटी हमेशा परेशान रहती थी। और उनकी परेशानी उनके चेहरे से साफ नजर आती थी।

एक दिन आंटी को बाजार जाना था, आंटी और मेरी खूब जमती थी। हम दोनों एक दूसरे से मजाक-मस्ती किया करते थे और नॉन-वेज़ चुटकले मारा करते थे। वो मुझसे केवल ३ साल ही बड़ी थी लेकिन अंकल की उम्र ज्यादा होने के कारण मुझे भी उन्हें आंटी कहना पड़ता था।

उस दिन मैं उनको मार्केट में शॉपिंग कराने ले गया। मार्केट में काफी भीड़ थी तो कई बार धक्के की वजह से मेरे हाथ उनके वक्ष से छू जाते थे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। मेरे साहस और बढ़ गया, मैंने जानबूझ कर उनकी गांड पर हाथ फ़िराया- वोह आह…. करके रह गई। लेकिन मुझे कुछ नहीं कहा। मैं आंटी के मन की इच्छा समझ चुका था। मार्केट से शॉपिंग करने के बाद वो घर पर आई, उन्होंने मुझे उनके साथ आने के लिए धन्यवाद कहा। अब उस पल के बाद तो मैं एक दम बेकाबू सा हो गया था।

मैंने एक दिन साहस करके उन्हें अपने दिल की बात बता दी। पहले तो उन्होंने इंकार किया लेकिन बाद में मान गई। उनके घर में टीवी नहीं था, वो अक्सर सीरियल देखने के लिए मेरे घर आया करती थी।

मेरे बीच वाले कमरे में टीवी था और वो हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी। दोपहर का समय था, मेरी बहन अन्दर वाले कमरे में टीवी देख रही थी जहां टीवी रखा हुआ था और वो हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी उस समय घर में कोई नहीं था। मैंने दरवाजा बंद कर दिया जिससे घर में थोड़ा अँधेरा हो गया।

फिर मैं आंटी के पास गया और उन्हें चुम्बन देने के लिए कहा। पहले तो वो हिचकिचाई लेकिन मेरी जबरदस्ती के आगे उन्होंने हार मान ली और धीरे से एक चुम्बन दिया। हाय क्या जादू था उस चुम्मे में ! मैं तो एकदम बेकाबू हो गया।

दूसरे दिन मैं उनके घर पर गया, वो सोई हुई थी। जैसा कि मैंने आपको बताया कि उनका पति दिन भर कम करता था और रात को लेट ही आता था जिससे घर में दोपहर को वो अकेली ही होती थी। उनको सोता देख मैं उनके पास गया, मेरी आहट सुनकर वो जग गई। मैं झट से उनके ऊपर आ गया और उनके होटों पे अपने होंठ लगा दिए। उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरु किया। मैंने अब उनके स्तन दबाने शुरु किया- हाय, क्या गोल-गोल चूचे थे !

वो अब आह.. आह………. की सिसकारियाँ भर रही थी। उन्होंने कहा- मैं दरवाजा बंद कर देती हूँ, फिर जो करना हैं वो करना !

उन्होंने दरवाजा बंद किया और मुझसे आकर लिपट गई। मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया। उन्होंने भी मुझे जोर से जकड़ लिया। मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और उन्हें चूमने लगा. मैं उनके पूरे बदन पर पागलों की तरह चूमने लगा। फिर मैंने उनके बदन से एक एक करके कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब मैंने उनकी ब्रा को उनसे अलग किया तो उनके स्तन बाहर आ गए, उन्हें देखकर मैं और बेकाबू हो गया और उनके गोरे-गोरे चूचों को जोर जोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनकी साड़ी को उतारा। उन्होंने काले रंग की पैंटी पहन रखी थी। मैंने पैंटी के ऊपर से हाथ फेरा तो वो आह…………….. करके आवाज निकालने लगी। फिर मैंने उनकी पैंटी को उनसे जुदा किया। उसके बाद का नजारा देख कर मैं तो एकदम दंग हो गया। उनकी चूत एकदम गुलाबी थी और हल्के-हल्के बाल थे।

मैंने उनसे पूछा- आपके तो बाल ही नहीं आये हैं?

तो उन्होंने जवाब दिया- मैं हमेशा इन्हें साफ़ करती रहती हूँ।

फिर मैंने उनके पेट पर चूमना शुरु किया तो वो एकदम मदहोश हो कर सिसकारियाँ लेने लगी। वो एकदम से गर्म होती जा रही थी। फिर मैंने उनकी चूत पे हाथ फ़िराया तो वो और रोमांटिक मूड में आ गई और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। पूरा कमरा आह………… आह की आवाजों से गूँज रहा था। अब वो एकदम सुलग चुकी थी, उन्होंने मुझे कहा- राहुल अब नहीं बर्दाश्त होता, अब मेरी प्यास बुझा दो !

लेकिन मैं धीरे धीरे सब करना चाहता था इसलिए मैं उन्हें और गर्म कर रहा था। वो अब जोर जोर से सिसकारियाँ मार रही थी। अब मैं समझ चुका था कि वो अब चरम सीमा पर पहुँच चुकी है। तो मैंने अपनी पैंट उतार दी। अब मैं उनके सामने अंडरवीअर में था। उन्होंने मेरा अंडरवीयर सरकाया, जिससे मेरा ७ इंच लम्बा लण्ड बाहर आ गया। मेरा लण्ड ७ इंच लम्बा और चार इंच चौड़ा हो गया था।

मेरा लण्ड देख कर वो थोड़ी सहम गई। मैंने पूछा- क्या हुआ आंटी ?

तो उन्होंने कहा- तुम्हारा लण्ड कितना मोटा और लम्बा है ! तुम्हारे अंकल का तो छोटा और पतला है।

फिर मैंने उनको सीधा बेड पर लिटा दिया और किस करने के लिए कहा। उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लिया और हिलाने लगी। मुझ बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर के बाद मैंने उनकी चूत में अपनी एक ऊँगली डाल दी तो वो चिल्ला उठी- हाई…मर गई रे. !

मैं अब अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी।

उन्होंने कहा- अब बस राहुल ! अब बर्दाश्त नहीं होता ! अब मेरी प्यास बुझा दे !

तो मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया, लेकिन मेरा लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। फिर मैंने एक जोरदार झटका लगाया और पूर लण्ड अन्दर चला गया और वो चिल्ला उठी- हाई मर गई रे ! निकाल इसे जल्दी ! मेरी चूत फट गई रे ! कितना मोटा लण्ड है तेरा !

तो मैं कुछ देर के लिए रुक गया और फिर धीरे धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उन्हें भी मजा आ रहा था, वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुदवा रही थी। तक़रीबन २५ मिनट की चुदाई के बाद मैं अब झड़ने वाला था। मैंने उन्हें बताया कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो उन्होंने कहा कि बाहर मत गिराना ! सारा का सारा मेरे अन्दर ही गिरा दो ! मुझे गर्भवती बना दो ! मुझे तुम्हारे बच्चे की माँ बना दो !

मैंने वैसा ही किया, मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में गिरा दिया और उनके ऊपर सो गया।

हाय क्या चूत थी उनकी ! एकदम आग थी उनकी चूत में जिससे मैं जल्दी झड़ गया। उनकी चूत मेरे वीर्य के कारण पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उनसे एक बार फिर सेक्स करने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे एक बार फिर गरम किया और मेरा लण्ड तन गया।

इस बार मैंने उन्हें कुतिया स्टाइल में झुकने के लिए कहा। वो झुक गई और मैंने अपना लण्ड पीछे से उनकी चूत में डाल दिया। चूत गीली होने की वजह से जल्दी से घुस गया। अब मैं अपने धक्कों की रफ़्तार तेज करने लगा और जोर जोर से उनको चोदने लगा।

वोह आः………आह आह……..करके चिल्ला रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं झड़ गया इस दरमियान वो तीन बार झड़ चुकी थी।

फिर हम दोनों एक दूसरे में उलझ कर सो गए।

उस रात को हमने छः बार चुदाई की।

अब जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई की खेल खेला करते थे।

मेरी चुदाई से वो गर्भवती हो गई और ९ महीने बाद उन्हें लड़का हुआ।

अब भी हम चुदाई का खेल खेलते रहे और दो साल के बाद वो फिर गर्भवती हुई, इस बार उन्हें लड़की हुई।

इस तरह मैंने पड़ोस वाली आंटी को गर्भवती बनाया।

अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई तो मुझे अपने विचार मेरी ईमेल पर भेजें। Antarvasna Stories

लेखिका : नेहा Hindi Sex Stories

मेरी शादी हुये दो Hindi Sex Stories साल हो चुके थे। मेरे पति बी एच ई एल में कार्य करते थे। उन्हे कभी कभी उनके मुख्य कार्यालय में कार्य हेतु शहर भी बुला लिया जाता था। उन दिनो मुझे बहुत अकेलापन लगता था। मेरी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी। मेरी पढ़ाई की इच्छा के कारण मेरे पति ने मुझे कॉलेज में प्रवेश दिला दिया था। मैं कॉलेज में एडमिशन ले कर बहुत खुश थी। कॉलेज जाने से मेरी पढ़ाई भी हो जाती थी और समय भी अच्छा निकल जाता था।

कई बार मेरे मन में भी आता था कि अन्य लड़कियों की तरह मैं भी लड़कों के साथ मस्ती करूँ, पर मैं सोचती थी कि यह काम इतना आसान नहीं है। यह काम बहुत सावधानी से करना पड़ता है, जरा सी चूक होने पर बदनामी हो जाती है। फिर क्या लड़के यूं ही चक्कर में आ जाते है, छुप छुप के मिलना, और कहीं एकान्त मिल गया तो पता नहीं लडके क्या न कर गुजरें। उन्हें क्या … हम तो चुद ही जायेंगी ना। आह ! फिर भी जाने क्यूं कुछ ऐसा वैसा करने को मन मचल ही उठता है। लगता है जवानी में वो सब कुछ कर गुजरें जिसकी मन में तमन्ना हो। पराये मर्द से शरीर के गुप्त अंगों का मर्दन करवाना, पराये मर्द का लण्ड मसलना, मौका पा कर गाण्ड मरवाना, प्यासी चूत का अलग अलग लण्डों से चुदवाना …।

धत्त ! ये क्या सोचने लगी मैं ? भला ऐसा कहीं होता है ? मैंने अपना सर झटका और पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करने लगी। पर एक बार चूत को लण्ड का चस्का लग जाये तो चूत बिना लण्ड लिये नहीं मानती है, वो भी पराये मर्दों के लिये तरसने लगती है, जैसे मैं … अब आपको कैसे समझाऊं, दिल है कि मानता ही नहीं है।

मेरी क्लास में एक सुन्दर सा लड़का था, उसका नाम संजय था, जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल आता था। मैंने मदद के लिये उससे दोस्ती कर ली थी। उससे मैं नोट्स भी लिया करती थी।

एक बार मैं संजय से नोट्स लेकर आई और मेज़ पर रख दिए। भोजन वगैरह तैयार करके मैं पढ़ने बैठी। कॉपी के कुछ ही पन्ने उलटने के बाद मुझे उसमें एक पत्र मिला। संजय ने वो पत्र मुझे लिखा था। उसमें उसने अपने प्यार का इज़हार किया था। बहुत सी दिलकश बातें भी लिखी थी। मेरी सुन्दरता और मेरी सेक्सी अदाओं के बारे में खुल कर लिखा था। उसे पढ़ते समय मैं तो उसके ख्यालों में डूब गई। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मुझसे प्यार करने लगेगा। फिर मुझे लगा कि मैं ये क्या सोचने लगी… मैं तो शादी शुदा हूँ, पराये मर्द के बारे में भला कैसे सोच सकती हूँ।

तभी अचानक घर की घण्टी बजी। बाहर देखा तो संजय था … मेरा दिल धक से रह गया। यह क्या … यह तो घर तक आ गया, पर उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही थी।

“क्या हुआ संजय ?”

“वो नोट्स कहां है सोनल?”

“वो रखे हुये हैं …”

वो जल्दी से अन्दर आ गया और कॉपी देखने लगा। जैसे ही उसकी नजर मेज़ पर रखे पत्र पर पड़ी … वो कांप सा गया। उसने झट से उसे उठा लिया और अपनी जेब में रख लिया।

“सोनू, इसे देखा तो नहीं ना … “

“हां देखा है … क्यू, क्या हुआ … अच्छा लिखते हो !”

“सॉरी … सॉरी … सोनू, मेरा वो मतलब नहीं था, ये तो मैंने यूं ही लिख दिया था।”

“इसमे सॉरी की क्या बात है … तुम्हारे दिल में जो था… बस लिख दिया…।”

उसे कुछ समझ में नहीं आया वो सर झुका कर चला गया। मैं उसके भोलेपन पर मुस्करा उठी। उसके दिल में मेरे लिये क्या भावना है मुझे पता चल गया था।

रात भर बस मुझे संजय का ही ख्याल आता रहा :

कि जैसे संजय ने मेरे स्तन दबा लिये और मेरे चूतड़ों में अपना लण्ड घुसा दिया। मैं तड़प उठी। वो मुझसे चिपका जा रहा था, मुझे चुदने की बेताबी होने लगी। मैंने घूम कर उसे पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मेरा शरीर ठण्ड से कांप उठा। मैंने उसके शरीर को और जोर से दबा लिया।

मेरी नींद अचानक खुल गई। जाने कब मेरी आंख लग गई थी … ठण्ड के मारे मैं रज़ाई खींच रही थी … और एक मोहक सपना टूट गया। मैंने अपने कपड़े बदले और रज़ाई में घुस कर सो गई। सवेरे मेरे पति नाईट ड्यूटी करके आ चुके थे और वो चाय बना रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर बाकी काम पूरा किया और चाय लेकर बैठ गये।

कॉलेज में संजय मुझसे दूर दूर भाग रहा था, पर केन्टीन में मैंने उसे पकड़ ही लिया। उसकी झिझक मैंने दूर कर दी। मेरे दिल में उसके लिये प्रेम भाव उत्पन्न हो चुका था। वो मुझे अपना सा लगने लगा था। मेरे मन में उसके लिये भावनायें पैदा होने लगी थी।

“मैंने आप से माफ़ी तो मांग ली थी ना !” उसने मायूसी से सर झुकाये हुये कहा।

“सुनो संजय, तुम तो बहुत प्यारा लिखते हो, लो मैंने भी लिखा है, देखो अकेले में पढ़ना !”

उसे मैंने एक कॉपी दी, और उठ कर चली आई। काऊन्टर पर पैसे दिये और घूम कर संजय को देखा। वो कॉपी में से मेरा पत्र निकाल कर अपनी जेब में रख रहा था।

हम दोनों की दूर से ही नजरें मिली और मैं शरमा गई। उसमें मर्दानगी जाग गई … और फिर एक मर्द की तरह वो उठा और काऊन्टर पर आ कर उसने मेरे पैसे वापस लौटाये औए स्वयं सारा पेमेन्ट किया। मैं सर झुकाये तेजी से क्लास में चली आई।

पूरा दिन मेरा दिल क्लास में नहीं लगा, बस एक मीठी सी गुदगुदी दिल में उठती रही। जाने वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा।

रात को मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मैं अनमनी सी हो उठी। उसे मैंने रात को क्यों बुला लिया? यह तो गलत है ना ! क्या मैं संजय पर मरने लगी हूँ ? क्या यही प्यार है ? हाय ! वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा, क्या मुझे चरित्रहीन कहेगा ? या मुझे भला बुरा कहेगा।

जैसे जैसे उसके आने का समय नजदीक आता जा रहा था, मेरी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि मैं पड़ोसी के यहां भाग जाऊं, दरवाजा बन्द देख कर वह स्वतः ही चला जायेगा। बस ! मुझे यही समझ में आया और मैंने ताला लिया और चल दी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो दिल धक से रह गया। संजय सामने खड़ा था। मेरा दिल जैसे बैठने सा लगा।

“अरे मुझे बुला कर कहां जा रही हो ?”

“क्… क… कहां भला… कही नहीं … मैं तो … मैं तो …”

“ओ के, मैं फ़िर कभी आ जाऊंगा … चलता हूँ !”

“अरे नहीं… आओ ना… वो बात यह है कि अभी घर में कोई नहीं है…”

“ओह्ह … आपकी हालत कह रही है कि मुझे चला जाना चाहिये !”

मैंने उसे अन्दर लेकर जल्दी से दरवाजा बन्द कर दिया।

“देखो संजू, वो खत तो मैंने ऐसे ही लिख दिया था … बुरा मत मानना…”

उसका सर झुक गया। मैंने भी शरम से घूम कर उसकी ओर अपनी पीठ कर ली।

“पर आपके और मेरे दिल की बात तो एक ही है ना …” उसने झिझकते हुये कहा।

मुझे बहुत ही कोफ़्त हो रही थी कि मैंने ऐसा क्यूँ लिख दिया। अब एक पराया मर्द मेरे सामने खड़ा था। उसकी भी भला क्या गलती थी। तभी संजय के हाथों का मधुर सा स्पर्श मेरी बाहों पर हुआ।

“सोनू, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो…” उसने प्रणय निवेदन कर डाला।

यह सुनते ही मेरे शरीर में बर्फ़ सी लहरा गई। मेरी आंखे बन्द सी हो गई।

“क्या कह रहे हो? ऐसा मत कहो …” मेरे नाजुक होंठ थरथरा उठे।

“मैं … मैं … आपसे प्यार करने लगा हूँ सोनू … आप मेरे दिल में समा गई हो !”

वो अपने प्यार का इजहार कर रहा था। उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी।

“मैं शादीशुदा हू, सन्जू … यह पाप है … ” मैं उसकी ओर पलट कर बोली।

उसने मुझे प्यार भरी नजरों से देखा और मेरी बाहों को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मैं उसकी बलिष्ठ बाहों में कस गई।

“पत्र में आपने तो अपना दिल ही निकाल कर रख दिया था … है ना ! यह दिल की आवाज है, आपको मेरे बाल, मेरा चेहरा, सभी कुछ तो अच्छा लगता है ना !”

“आह्ह्ह … छोड़ो ना … मेरी कलाई !”

“सोनू, दिल को खुला छोड़ दो, वो सब हो जाने दो, जिसका हमें इन्तज़ार है।”

उसने अपने से मुझे चिपका लिया था। पर मेरा दिल अब कुछ ओर कहने लगा था। ये सुहानी सी अनुभूति मुझे बेहोश सी किये जा रही थी। सच में एक पराये मर्द का स्पर्श में कितना मधुर आनन्द आता है … यह अनैतिक कार्य मुझे अधिक रोमांचित कर रहा था … । उसके अधर मेरे गुलाबी गोरे गालों को चूमने लगे थे। मैं अपने आप को छुड़ाने की नाकामयाब कोशिश बस यूँ ही कर रही थी। वास्तव में मेरा अंग अंग कुचले और मसले जाने को बेताब हो रहा था। अब उसके पतले पतले होंठ मेरे होंठों से चिपक गये थे।

उसके मुख से एक मधुर सी सुगंध मेरी सांसों में घुल गई। धीरे धीरे मैं अपने आप को उसको समर्पण करने लगी। उसके अधर मेरे नीचे के अधर को चूसने लगे।

फिर उसकी लपलपाती जीभ मेरे मुख में प्रवेश कर गई और मेरी जीभ से टकरा गई। मैंने धीरे से उसकी जीभ मुख में दबा ली और चूसने लगी। उसके हाथ मेरे जिस्म पर लिपट गये और मेरी पीठ, कमर और चूतड़ों को सहलाने लगे। मेरे शरीर में बिजलियाँ तड़कने लगी। उसका लण्ड भी कड़क उठा और मेरे कूल्हों से टकराने लगा। मेरा धड़कता सीना उसके हाथों में दब गया। मेरे मुख से सिसकारी फ़ूट पड़ी। मैंने उसे धीरे से अपने से अलग कर दिया।

“यह क्या करने लगे थे हम … !” मैं अपनी उखड़ी सांसें समेटते हुई बोली।

“वही जो दिल की आवाज है … ” उसकी आवाज जैसे बहुत दूर से आ रही हो।

“मैं अपने पति का विश्वास तोड़ रही हूँ ! … है ना ?”

“नहीं, विश्वास अपनी जगह है … जिसे पाने से खुशी लगे उसमे कोई पाप नहीं है, खुशी पाना तो सबका अधिकार है … दो पल की खुशी पाना विश्वास तोड़ना नहीं है।”

“तुम्हारी बातें मानने को मन कर रहा है … तुम्हारे साथ मुझे बहुत आनन्द आ रहा है।” मैंने जैसे समर्पण भाव से कहा।

“तो शर्म काहे की …? दो पल का सुख उठा लो … किसी को पता भी नहीं चलेगा… ! आओ !”

मैं बहक उठी, उसने मुझे लिपटा लिया। मैंने भी हिम्मत करके उसकी पैन्ट की ज़िप में हाथ घुसा दिया। उसका लण्ड का आकार भांप कर मैं डर सी गई। वो मुझे बहुत मोटा लगा। उसे पकड़ने का लालच मैं नहीं छोड़ पाई। उसे मैंने अपनी मुट्ठी में दबा लिया। मैं उसे अब दबाने कुचलने लगी। लण्ड बहुत ही कड़ा हो गया था।

वो मेरी चूचियाँ सहलाने लगा … एक एक कर के उसने मेरे ब्लाऊज के बटन खोल दिये। मेरी स्तन कठोर हो गये थे। निपल भी कड़े हो कर फ़ूल गये थे। ब्रा के हुक भी उसने खोल दिये थे। ब्रा के खुलते ही मेरे उभार जैसे फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर निकल कर तन गये। जवानी का तकाजा था … मस्त हो कर अंग अंग फ़ड़क उठा। मेरे कड़े निपल को संजू बार बार हल्के से घुमा कर दबा देता था। मेरे मन में एक मीठी सी टीस उठ जाती थी। भरी जवानी चुदने को तैयार थी। मेरी साड़ी उतर चुकी थी, पेटिकोट का नाड़ा खुल चुका था। मुझे भला कहाँ होश था … उसने भी अपने कपड़े उतार दिये थे। उसका लण्ड देख देख कर ही मुझे मस्ती चढ़ रही थी।

उसके लण्ड की चमड़ी खोल कर मैंने ऊपर खींच दी। उसका लाल फ़ूला हुआ मस्त सुपाड़ा बाहर आ गया, मैंने पहली बार किसी का इस तरह सुपाड़ा देखा था। मेरे पति तो बस रात को अंधेरे में मुझे चोद कर सो जाया करते थे, इन सब चीज़ों का आनन्द मेरी किस्मत में नहीं था। आज मौका मिला था जिसे मैं जी भर कर मन भर लेना चाहती थी।

इस मोटे लण्ड का भोग का आनन्द पहले मैं अपनी गाण्ड से आरम्भ करना चाहती थी, सो मैंने उसका लण्ड मसलते हुये अपनी गाण्ड उसकी ओर कर दी।

“संजय, यह तेरा 19 साल का मुन्ना, मेरे 21 साल के गोलों को मस्त करेगा क्या ?”

“सोनू … इतने सुन्दर, आकर्षक गोलों के बीच छिपी हुई मस्ती भला कौन नहीं उठाना चाहेगा, ये चिकने, गोरे और मस्त गाण्ड के गोले मारने में बहुत मजा आयेगा।”

मैं अपने हाथ पलंग पर रख कर झुक गई। उसके लाल सुपाड़े का स्पर्श होते ही मेरे जिस्म में कंपकंपी सी फ़ैल गई। बिजलियाँ सी लहरा गई। उसका सुपाड़े का गद्दा मेरे कोमल चूतड़ों के फ़िसलता हुआ छेद पर आ कर टिक गया। उसके लण्ड पर शायद चिकनाई उभर आई थी, हल्के से जोर लगाने पर ही अन्दर उतर गया था।

मुझे बहुत ही कसक भरा सुन्दर सा आनन्द आया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी … और अन्दर उतरने की आज्ञा दे दी। मेरे कूल्हों को थाम कर और थपथपा कर उसने मेरे चूतड़ो के पट को और भी खींच कर खोल दिया और लण्ड भीतर उतारने लगा।

“सोनू, आनन्द आया ना … ?” संजू मेरी मस्ती को भांप कर कहा।

“ऐसा आनन्द तो मुझे पहली बार आया है … तूने तो मेरी आंखें खोल दी हैं यार !”

मैंने अपने दिल की बात सीधे ही कह दी। वो बहुत खुश हो गया कि इन सभी कामों में मुझे आनन्द आ रहा है।

“ले अब और मस्त हो जा…!” उसका लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा उतर चुका था। मोटा लण्ड था पर उतना भी नहीं मोटा, हां पर मेरे पति से तो मोटा ही था। मंथर गति से वो मेरी गाण्ड चोदने लगा। मेरे शरीर में इस चुदाई से एक मीठी सी लहर उठने लगी … एक आनन्ददायक अनुभूति होने लगी। जवान गाण्ड चुदने का मजा आने लगा। दोनों चूतड़ों के पट खिले हुये, लण्ड उसमें घुसा हुआ, यह सोच ही मुझे पागल किये दे रही थी। वो रह रह कर मेरे कठोर स्तनों को दबाने का आनन्द ले रहा था … उससे मेरी चूत की खुजली भी बढ़ती जा रही थी।

चुदाई तेज हो चली थी पर मेरी गाण्ड की मस्ती भी और बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि कहीं संजय झड़ ना जाये, सो मैंने उसे चूत मारने को कहा,”संजू, हाय रे ! अब मुझे मुनिया भी तड़पाने लगी है … देख कैसी चू रही है…”

” सोनू, गाण्ड मारने से जी नहीं भर रहा है … पर तेरी मुनिया भी प्यारी लग रही है !”

उसने अपना हाथ मेरी चूत पर लगाया तो मेरा मटर का मोटा दाना उसके हाथ से टकरा गया,”ये तो बहुत मोटा सा है … ” और उसको हल्के से पकड़ कर हिला दिया।

“हाय्य्य , ना कर, मैं मर जाऊंगी … कैसी मीठी सी जलन होती है…”

उसका लण्ड मेरी गाण्ड से निकल चुका था। उसका हाथ चूत की चिकनाई से गीला हो गया था। उसने नीचे झुक कर मेरी चूत को देखा और अंगुलियों से उसकी पलकें अलग-अलग कर दी और खींच कर उसे खोल दिया।

“एक दम गुलाबी … रस भरी … मेरे मुन्ने से मिलने दे अब इसे !”

उसने मेरे गुलाबी खुली हुई चूत में अपना लाल सुपाड़ा रख दिया। हाय कैसा गद्देदार नर्म सा अह्सास … फिर चूत की गोद में उसे समर्पित कर दिया।

उसका लण्ड बड़े प्यार से दीवारों पर कसता हुआ अन्दर उतरता गया, और मैं सिसकारी भरती रही। चूंकि मैं घोड़ी बनी हुई थी अतः उसका लण्ड पूरा जड़ तक पहुंच गया। बीच बीच में उसका हाथ मेरे दाने को भी छेड़ देता था और मेरी चूत में मजा दुगना हो जाता था। वो मेरा दाना भी जोर जोर से हिलाता जा रहा था। लण्ड के जड़ में गड़ते ही मुझे तेज मजा आ गया और दो तीन झटकों में ही जाने क्या हुआ, मैं झड़ने लगी। मैं चुप ही रही, क्योंकि वो जल्दी झड़ने वाला नहीं लगा।

उसने धक्के तेज कर दिये … शनैः शनैः मैं फिर से वासना के नशे में खोने लगी।

मैंने मस्ती से अपनी टांगें फ़ैला ली और उसका लण्ड फ़्री स्टाईल में इन्जन के पिस्टन की तरह चलने लगा। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि थोड़ी सी हिम्मत करने से मुझे इतना सारा सुख नसीब हो रहा है। मेरे दिल की तमन्ना पूरी हो रही है। मेरी आंखें खुल चुकी थी… चुदने का आसान सा रास्ता था … थोड़ी हिम्मत करो और मस्ती से नया लण्ड खाओ। मुझे बस यही विचार आनन्दित कर रहा था … कि भविष्य में नये नये लण्ड का स्वाद चखो और जवानी को भली भांति भोग लो।

“अरे धीरे ना … क्या फ़ाड़ ही दोगे मुनिया को…?

वो झड़ने के कग़ार पर था, मैं एक बार फिर झड़ चुकी थी। अब मुझे चूत में लगने लगी थी। तभी मुझे आराम मिल गया … उसका वीर्य निकल गया। उसने लण्ड बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य जमीन पर गिराने लगा। वो अपना लण्ड मसल मसल कर पूरा वीर्य निकालने में लगा था। मैं उसे अब खड़े हो कर निहार रही थी।

“देखा, संजू तुमने मुझे बहका ही दिया और मेरा फ़ायदा उठा लिया !”

“काश तुम रोज ही बहका करो तो मजा आ जाये…” वो झड़ने के बाद जाने की तैयारी करने लगा। रात के ग्यारह बजने को थे। वो बाहर निकला और यहाँ-वहाँ देखा, फिर चुपके से निकल कर सूनी सड़क पर आगे निकल गया।

संजय के साथ मेरे काफ़ी दिनों तक सम्बन्ध रहे थे। उसके पापा की बदली होने से वो एक दिन मुझसे अलग हो गया। मुझे बहुत दुःख हुआ। बहुत दिनों तक उसकी याद आती रही।

मैंने अब राहुल से दोस्ती कर ली थी। वह एक सुन्दर, बलिष्ठ शरीर का मालिक था। उसे जिम जाने का शौक था। पढ़ने में वो कोई खास नहीं था, पर ऐसा लगता था कि वो मुझे भरपूर मजा देगा। उसकी वासनायुक्त नजरें मुझसे छुपी नहीं रही। मैं उसे अब अपने जाल में लपेटने लगी थी। वो उसे अपनी सफ़लता समझ रहा था। आज मेरे पास राहुल के नोट्स आ चुके थे … मैं इन्तज़ार कर रही थी कि कब उसका भी कोई प्रेम पत्र नोट्स के साथ आ जाये … जी हां … जल्द ही एक दिन पत्र आ गया …

प्रिय पाठको ! मैं नहीं जानती हूं कि आपने अपने विद्यार्थी-जीवन में कितने मज़े लूटे। पर हां अभी भी आप यह सुन्दर सुख भोगने की लालसा रखती हैं तो जरूर ये सुख भोगे। ध्यान रहे सुख भोगने से विश्वास का कोई सम्बन्ध नहीं है। सुख पर सबका अधिकार है, पर हां, इस चक्कर में अपने पति को मत भूल जाना, वो तो जिन्दगी भर के लिये है। Hindi Sex Stories

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