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Antarvasna, मेरा नाम सुमित है, मैं कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर का काम करता हूँ, मेरा ऑफ़िस है गुजरात में !
मैं और मेरे घर वाले बहुत ही साधारण हैं इसलिए मेरा स्वभाव एक अच्छे लड़के की तरह है, पर क्या पता था कि एक दिन मेरी ज़िंदगी ही बदलने वाली है।
मेरी ज़िंदगी एक भाभी और उसकी सहेली ने बदल दी। उस भाभी का नाम सुषमा है। मैंने कभी उसे नहीं देखा था पर सुषमा भाभी सब कुछ मेरे बारे में जानती थी।
एक दिन शाम को मेरे ऑफ़िस में उसका फोन आया और कहने लगी- यू आर सुमित?
मैंने कहा- यस, हाँ बोलिए क्या काम है?
उसने कहा- मेरे घर का कंप्यूटर खराब हो गया है।
पहले मैंने उनसे पूछा- मेरा नंबर कैसे मिला आपको?
तब उस भाभी ने कहा- कभी कभार मैं तुम्हारे ऑफ़िस के रास्ते से जाती हूँ, तब तुम्हारे ऑफ़िस का नंबर मुझे तुम्हारे ऑफ़िस के बोर्ड पर से मिला और मैंने कॉन्टेक्ट किया तुमसे !
मैंने कहा- अच्छा। कल मैं आ जाता हूँ।
भाभी बोली- नहीं अभी आना होगा !
मैंने कहा- जी अभी नहीं आ सकता, अभी रात के आठ बज रहे हैं तो मैं कल आ जाऊँगा।
तब वो कहने लगी- मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है इस लिए तुम्हें अभी ही आना होगा।
मैंने कहा- जी अभी नहीं ! मैं कल सुबह जरूर आ जाऊँगा।
पर वो भाभी नहीं मानी, कहने लगी- मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है।
फिर मुझे भी उसकी बात माननी पड़ी और कहा- ओके, अपना एड्रेस बताओ?
उसने अपना पता बताया तो वो मेरी बिल्डिंग के ठीक पास वाली बिल्डिंग थी।
मैं उस पते पर गया, मैने कंप्यूटर को देखा तो उसका पीछे का तार ढील था, मैंने उसे ठीक कर दिया, वो कंप्यूटर चालू हो गया।
तब मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ, मुझे घर जाना है, काफ़ी देर हो गई है।
पर भाभी ने मुझे कहा- अब घर नहीं जाओ, यहाँ ही सो जाओ आज, और मैं भी अकेली हूँ आज तो !
मैंने ना कह दिया- नहीं मैं यहाँ नहीं सोऊँगा।
पर उसने मुझसे ज़्यादा रिक्वेस्ट किया और कहने लगी- मेरे पति 15 दिन के लिए आउट ऑफ स्टेट गये हैं, मुझे अकेलापन महसूस हो रहा है और मुझे अकेले सोने में डर भी लगता है।
उसने मुझे अपने घर सुलाने के लिए बहुत मनाया, पर मैंने कहा- नहीं, मेरे घर वाले भी मेरा इंतजार करते होंगे।
भाभी कहने लगी- तुम घर पर फोन कर के कह दो कि आज ऑफीस में काम होने के कारण आज नहीं आ पाऊँगा।
तो मैंने घर पर फोन कर दिया और मैंने भाभी से कहा- मेरे पास तो नाइट ड्रेस भी नहीं है।
और भाभी अपने कमरे में जाकर पज़ामा लेकर आई और कहने लगी- यह पहन लो।
मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर पज़ामा पहन कर बाहर आया। भाभ्हि ने खाना लगा लिया था, हम दोनों ने खाना खाया।
तभी मैंने देखा कि कंप्यूटर चालू है तो भाभी से कहा- कंप्यूटर चालू है, उसे बंद कर दो, इतनी देर से क्यों चालू रखा है।
भाभी कहने लगी- मुझे उस पर अभी काम है।
मैंने कहा- क्या काम है?
उसने कहा- मैं रोज़ रात को ब्लू फिल्म देखती हूँ।
और भाभी मुझसे पूछने लगी- क्या तुम्हें पसंद है ब्लू फिल्म?
मैंने कहा- नहीं, मुझे बिल्कुल नहीं पसंद है ब्लू फिल्म।
मैंने नींद का बहाना कर के कहा- मुझे नींद आने लगी है, मुझे सोना है, तुम बताओ कि कहाँ सोऊँ।
भाभी मुझे सोने का बेड दिखाया और कहा- यहाँ सो जाओ !
मैं बेड पर लेट गया। बाद में ज़रा उठ कर देखा कि आख़िर भाभी क्या कर रही है तो सच में भाभी एक एडल्ट ब्लू सेक्सी फिल्म देख रही थी। मुझे उसमें इंटरेस्ट नहीं था इसलिए मैं वापस बेड पर आकर लेट गया।
थोड़ी देर के बाद मैं देखा कि मेरे पज़ामे पर कुछ है, कोई मेरे लंड को सहला रहा है. मैंने आँखें खोल कर देखा तो भाभी मेरे पास आकर सोई हुई थी और उनका हाथ मेरे लण्ड पर था। मैं घबरा गया, मैं सोने की एक्टिंग करता रहा।
तब थोड़ी देर देखता रहा तो वो और भी जोश में आकर मेरा लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी। थोड़ी देर बाद वो धीरे धीरे मेरे पज़ामे में हाथ डालने लगी। मैंने उठने की कोशिश की, भाभी को कहने लगा- यह क्या कर रही हो?
भाभी कहने लगी- मुझे बहुत सेक्स चढ़ गया है, मुझे तुमसे चुदवाना है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने कहा- नहीं, मैं यह काम नहीं करूँगा। मैंने किसी को यह न करने का वादा किया है।
उस पर भाभी कहने लगी- ओके, मुझे मत चोदना पर मुझसे खेल तो सकते हो?
तब मैंने कहा- प्लीज़, मुझे यह सब भी पसंद नहीं है।
तब भाभी ने थोड़ा गुस्सा करके कहा- अगर तुमने यह मुझसे नहीं किया तो मैं पूरे बिल्डिंग वालों को जगा दूँगी कि तुम मेरे घर जबरदस्ती आए हो और मुझे परेशान कर रहे हो।
तब मैं और घबरा गया पर भाभी सेक्सी फिल्म देख कर बहुत ही गर्म हो गई थी, इसलिए वो नहीं मान रही थी।
मैंने भाभी को कहा- अगर तुमने मुझे अब छुआ तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा।
भाभी भी कहने लगी- ओके !
तब मैंने कहा- ओके, तुम मेरे साथ खेल सकती हो पर मैं तुम्हें नहीं चोद सकता।
उसने कहा- ठीक है।
भाभी ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मेरा टी-शर्ट उतार दिया, वो मुझसे कहने लगी- अब मेरे ये बूब्स के निप्पल को थोड़ा अपने हाथ की उंगली से मसल दो !
और मैं मसलने लगा।
फ़िर उसने कहा- अपना मुँह ज़रा मेरे मुँह के पास लाओ।
जब मैं मेरा मुँह उसके करीब ले गया तो उसने अपने हाथ से मेरा सर पकड़ कर मुझे किस करने लगी, वो ज़ोर ज़ोर से स्मूच करने लगी।
मैंने कहा- अब बस करो, मेरा दम घुट रहा है।
तब भी जोश में आकर उसने करीबन दस मिनट तक स्मूच किया।
तब भाभी ने मेरा हाथ लेकर अपने वक्ष पर रख दिया और कहने लगी- अब अपने हाथ से मेरे बूब्स और उसके निप्पल को दबाओ।
फिर उसने अपना हाथ मेरे पज़ामे में धीरे धीरे हाथ डाल दिया और मेरे लंड को हिलाने लगी, कहने लगी- यह तुम्हारा लंड कितना छोटा है।
पर मैंने सच में यह सब कभी नहीं किया था, इसलिए मैं घबरा रहा था, मेरा लंड खड़ा नहीं हो रहा था।
पर भाभी ने कहा- अच्छा, इसे मैं अभी ठीक कर देती हूँ।
उसने मेरा पजामा उतारा और ज़ोर ज़ोर से मेरे लण्ड को मसलने लगी। फिर भाभी मुझसे कहने लगी- तुम अब मेरी चूचियाँ मुँह में लो और एक हाथ से मेरी चूत के ऊपर उंगली फिराओ।
और थोड़ी उंगली फिराने के बाद वो और भी गर्म हो गई, मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और कहने लगी- थोड़ा तो करो अभी !
मैंने कहा- नहीं, मैंने किसी को वादा किया है ! मैं नहीं करूँगा।
फिर वो अचानक मेरे मुख पर अपनी चूत रगड़ने लगी और कहा- अब मैं अपनी हवस ऐसे ही पूरी करूँगी।
बस फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह से चूत को रगड़ रही थी, मैंने कहा- इसमें से तो पानी आ रहा है।
भाभी ने कहा- यह मेरी चूत का पानी है।
मेरा पूरा चेहरा उसकी चूत के पानी से भर गया था, फिर भाभी मेरे लंड को चूसने लगी और कह रही थी- तुम मेरी चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसो, नहीं तो मैं तुम्हारे लंड को खा जाऊँगी।
मैं मजबूर होकर थोड़ा थोड़ा चूसता रहा और भाभी मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से मुँह में हिला रही थी। और क्या पता मेरे लंड में एक गर्मी महसूस हुई और मेरे लंड से गर्म पानी निकला और सुषमा भाभी हँसने लगी, कहने लगी- तुम्हारा इतना ज्यादा गाढ़ा पानी निकला।
फिर मैंने कहा- अब मुझे नींद आ रही है, मैं सो रहा हूँ।
पर भाभी मेरे ऊपर पूरे रात तक पड़ी रही और मुझे चूमती रही।
सुबह किसी तरह मैं उनसे पीछा छुड़ा क अपने घर आया।
Antarvasna कहानी जारी रहेगी !
पारो: अभी करो ना। देखो Hindi Porn Stories तेरा ये फिर से खड़ा होने लगा है।
मैं: हाँ, लेकिन तेरी चूत का घाव अभी हरा है, मिटने तक राह देखेंगे, वर्ना फिर से दर्द होगा और ख़ून निकलेगा।
मेरा लंड फिर से तन गया था। पारो ने उसे मुट्ठी में थाम लिया और बोली: होने दो जो होवे सो। मुझे ये चाहिए।
मैं ना कैसे कहूँ भला? मुझे भी चोदना था। मैंने किताब निकाली। इनमें एक तस्वीर ऐसी थी जिसमें आदमी नीचे लेटा था और औरत उसकी जाँघों पर बैठी थी। मैंने ये तस्वीर दिखाकर कहा: तू ऐसा बैठ सकोगी?
पारो: हाँ, लेकिन इसमें आदमी का वो कहाँ है?
मैं: वो औरत की चूत में पूरा घुसा है, इसलिए दिखाई नहीं देता। आ जा।
मैं चित्त लेट गया। अपने पाँव चौड़े कर वो मेरी जाँघों पर बैठ गई, मैंने लंड सीधा पकड़ रखा था। उसने चूत लंड पर टिकाई। आगे सिखाने की ज़रूरत नहीं थी. कूल्हे गिरा उसने लंड चूत में ले लिया। लंड और चूत दोनों गीले थे इसलिए कोई दिक्कत ना हुई। पूरा लंड घुस जाने पर वो रुकी। लंड ने ठुमका लगाया। उसने चूत सिकोड़ी। नितम्ब उठा गिरा कर वो चोदने लगी।
चौड़े किए गए भोस के होंठ और बीच में तने भग्नों को मैं देख सकता था। मैंने अँगूठा लगाकर उसके भग्न सहलाए। आठ-दस धक्के में वो थक गई और मुझ पर ढल पड़ी।
लंड को चूत में दबाए रख मैंने उसे बाँहों में भर लिया और पलट कर ऊपर आ गया। तुरन्त उसने जाँघें पसारीं और ऊपर उठा लीं। दो-तीन धक्के मार कर मैंने पूछा: दर्द होता है?
पारो ने ना कही। मैं धीरे-गहरे धक्के से चोदने लगा। पूरा लंड निकालता था और घकच्च से डाल देता था। पारो अपने नितम्ब हिलाने लगी और मुँह से सी… सी… सी… करने लगी। योनि में फटाके होने लगे। मैंने धक्के की रफ्तार बढ़ाई।
वो बोली: उसस्सससस्सस… उस्सस्सससस मुझे कुछ हो रहा है रोहित, ज़ोर से चोदो मुझे।
मैं घचा छच्च्चच, घचा घच्चचचच धक्के से उसे चोदने लगा।
अचानक वह झड़ पड़ी। पर मैं रुका नहीं, धक्के देता चला। वो बेहोश सी हो गई। झड़ना शान्त होने पर उसकी चूत की पकड़ कम हुई। मैंने अब धीरे से पाँच-सात गहरे धक्के लगाए और अन्त मे लंड को चूत की गहराई में पेल कर ज़ोर से झड़ा।
एक-दूसरे से लिपट कर हम दोनों थोड़ी देर तक पड़े रहे। इतने में दीदी और जीजू आ गए। फटाफट हमने ताश की बाज़ी टेबल पर लगा दी। जब जीजू ने पूछा कि हमने क्या किया तो पारो ने फिर मुँह बिचकाया- हुँह… कहते हुए।
मैंने कहा: हम ताश खेल रहे थे, पारो एक बार भी नहीं जीती।
रात का खाना खाकर सब सो गए। आज पहली बार पारुल अपने भैया से अलग कमरे में सोई। मैं बिस्तर पर पड़ा, लेकिन नींद नहीं आई। सोचने लगा, क्या मैंने पारो को चोदा था, या कोई सपना था? उसकी चूत याद आते ही नर्म लौड़ा उठने लगता था और उसमें हल्का सा मीठा दर्द होता था। दर्द से फिर लौड़ा नर्म पड़ जाता था। इससे तसल्ली हुई कि वाक़ई मैंने पारो को चोदा ही था।
और दीदी और जीजू सारा दिन कहाँ गए थे? वापस आने पर दीदी इतनी खुश क्यूँ दिखाई दे रही थी। उसके चेहरे पर निखार क्यूँ आ गया था? जीजू भी कुछ गुनगुना रहे थे। और आज की रात जब पारो बीच में नहीं है तो जीजू दीदी को चोदे बिना छोड़ेंगे नहीं। मुझे पारो की भोस याद आ गई। दीदी की ऐसी ही थी ना? जीजू का लंड कैसा होगा? पारो को चोदने का मौक़ा कब मिलेगा? विचारों की धारा के साथ मेरा हाथ भी लंड पर चलता रहा। दीदी की और पारो की चुदाई सोचते-सोचते मैं झड़ पड़ा। नींद कब आई उसका पता न चला।
दूसरे दिन जीजू को तीन दिन वास्ते बाहर गाँव जाना हुआ। मैंने दीदी से पूछा कि वो लोग कहाँ गए थे। मुस्कुराती हुई वो बोली: रोहित, ये सब तेरी वज़ह से हो सका। तू था तो पारो ने हमें अकेले जाने दिया। हम गए थे अहमदाबाद। एक अच्छी सी होटल में। सारा दिन खाया-पिया, इधर-उधर घूमे और…
मैं: … और जो भी किया, चुदाई की या नहीं?
जवाब में उसने चोली नीची करके आधे स्तन दिखाए। चोट लगी हो, वैसे धब्बे पड़े हुए थे। जीजू ने बेरहमी से स्तन मसल डाले थे।
मैं: कितनी बार चोदा जीजू ने?
दीदी मुझ से बड़ी थी फिर भी शरमाई और बोली: तुझे क्या? तूने क्या किया सारा दिन?
मैंने सारी बात बता दी। पारो को मैंने चोदा, यह जानकर वह इतनी खुश हुई कि मुझसे लिपट गई और गालों पर चूमने लगी।
मैंने पूछा- क्यूँ। वो पारो को अपनी चुदाई देखने ना कहती थी।
वो बोली: तेरे जीजू अपनी बहन से शरमाते हैं। कहते हैं कि वो देखेगी तो उनका वो खड़ा नहीं हो पाएगा।
मुझे इस उलझन का रास्ता निकालना था। सबसे पहले मैंने जाकर दीदी का बेडरूम देखा। कमरा बड़ा था। एक ओर पलंग था, दूसरी ओर चौड़ी सीट थी। पलंग के सामने वाली दीवार में एक बन्द दरवाड़ा था। दरवाड़े पर एक बड़ा आईना लगा हुआ था। आईने की वज़ह साफ थी। सीट के सामने बड़ी स्क्रीन वाली टीवी थी, वीडियो-प्लेयर और सीडी-प्लेयर के साथ। एक कोने में बाथरूम का दरवाज़ा था।
मैंने मकान की टूर लगाई बेडरूम की बगल में एक छोटी सी कोठरी पाई। कोठरी में फालतू सामान भरा था। एक दूसरा दरवाज़ा बन्द था जो मेरे ख़्याल से बेडरूम में खुलता था। मैंने चाकू निकाला और बन्द दरवाज़े की पैनल में एक सुराख़ बना दिया। दरवाज़ा पुराना होने से सुराख़ बनाने में देर ना लगी। मैंने झाँका तो दीदी का बेडरूम साफ़ दिखाई दिया। मेरा काम हो गया।
मैं अब जीजू के लौट कर आने की राह देखने लगा। इसी बीच मैंने वो किताब ठीक से पढ़ ली। काफ़ी जानकारी मिली। कच्ची कुँवारी को चोदने के लिए कैसे गरम किया जाय, वहाँ से लेकर तीन बच्चों की शादीशुदा माँ कैसे झड़वाया जाए, वो सब तस्वीरों के साथ उसमें लिखा था। रोज़ किताब पढ़कर मैं हस्तमैथुन करता रहा, क्यूँकि पारो मुझसे दूर रहती थी।
एक दिन पारो को एकांत पा कर किस करके मैंने कहा: चल कुछ दिखाऊँ। हाथ पकड़ कर मैं उसे कोठरी में ले गया और सुराख़ दिखाई। उसने आँख लगाकर देखा तो दंग रह गई।
मैंने कहा: जीजू आएँगे, उसी दिन दीदी को चोदेंगे। तू रात को यहाँ आ जाना, चुदाई देखने मिलेगी।
मैं दीदी से कहूँगा कि वो रोशनी बन्द ना करे।
मेरे गाल पर चिकोटी काट कर वो बोली: बड़ा शैतान है तू।
मैं उसे चूमने गया, तब ठेंगा दिखा कर वह भाग गई।
जीजू शुक्रवार को आए। दूसरे दिन शनिवार था। जीजू सिनेमा के अन्तिम शो की टिकटें ले आए। दीदी ने मुझे पारो के साथ बिठाने का प्रयत्न लेकिन वो नहीं मानी। मुझे जीजू के साथ बैठना पड़ा।
फिल्म बहुत सेक्सी थी। जीजू एक हाथ से दीदी की जाँघ सहलाते रहे। दीदी का हाथ जीजू का लंड टटोल रहा था। शो छूटने के बाद जब घर वापस आए, तब रात के बारह बजे थे।
सिनेमा देखने से मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया था। मुझे ये भी पता था कि आज की रात जीजू दीदी को चोदे बिना नहीं छोड़ने वाले थे। मैं सोचने लगा कि वो कैसे चोदेंगे, और मुझसे रहा नहीं गया। मैंने किताब निकाली और एक अच्छी सी तस्वीर देखते हुए मैंने मुठ मार ली।
बाद में मैं दबे पाँव कोठरी में पहुँचा। सुराख़ में से देखा तो बेडरूम में रोशनी जल रही थी। जीजू नंगे बदन पलंग पर बैठे थे और लौड़ा सहला रहे थे। इतने में बाथरूम से दीदी निकली। उसने ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी। आकर वो सीधी जीजू की गोद में बैठ गी, उनकी ओर पीठ करके। जीजू ने आईने के ओर ईशारा करके कान में कुछ कहा। दीदी ने शरमा कर अपनी आँखों पर हाथ रख दिए जैसे ही दीदी के हाथ ऊपर उठे, जीजू ने ब्रा में क़ैद उसके स्तनों को थाम लिया। दीद उनके ऊपर ढल पड़ी और ऊँगलियों के बीच से आईने में अपना प्रतिबिम्ब देखने लगी।
जीजू ने हुक खोल कर ब्रा निकाल दी और दीदी के नंगे स्तनों को सहलाने लगे। दीदी के स्तन इतने बड़े होंगे ये मैंने सोचा ना था। जीजू की हथेलियों में समाते ना थे। स्तन के मध्य में बादामी रंग का गहरा घेरा और उसके बीचों-बीच घुण्डी थी। आईने में देखते हुए जीजू घुण्डियों को मसल रहे थे। दीदी ने सिर घुमा कर जीजू के मुँह से मूँह चिपका दिया। जीजू का एक हाथ दीदी के पेट पर उतर आया। दीदी ने ख़ुद की जाँघें उठाईं और चौड़ी कर दीं।
इतने में पारो आ गई। मैंने इशारे से कहा कि सुराख़ में देख। वो आगे आ गई और आँख लगाकर देखने लगी। मैं उसके पीछ सटकर खड़ा हो गया। मैंने मेरा सिर उसके कंधे पर रख दिया। धीरे से मैंने – दीदी की भोस दिख रही है? तेरे जैसी है ना? आकार में ज़रा बड़ी होगी। मेरे हाथ पारो की कमर पर थे। हौले-हौले मेरा हाथ पेट पर पहुँचा और वहाँ से स्तन पर।
पारो ने नाईटी पहनी थी। अन्दर ब्रा नहीं थी। बड़ी मौसम्बी के आकार के स्तन मेरी हथेलियों में समा गए। दबाने से दबे नहीं, ऐसे कड़े स्तन थे। नाईटी के आर-पार कड़ी घुण्डियाँ मेरी हथेलियों में चुभ रहीं थीं। वो दीदी की चुदाई देखती रही और मैं स्तन से खेलता रहा। थोड़ी देर बाद मैंने उसे हटाया और नज़र लगाई।
दीदी अब पलंग पर चित पड़ी थी। ऊपर उठाई हुई और चौड़ी की हुई उसकी जाँघों के बीच जीजू धक्का दे रहे थे। कुल्हे उछाल कर दीदी जवाब दे रही थी। आईने में देखने के लिए जीजू ने मुद्रा बदली। अब दीदी का सिर आईने की ओर हुआ। जीजू फिर से जाँघों के बीच गए और दीदी को चोदने लगे। इस बार चूत में आता-जाता उनका लंड साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने फिर पारो को देखने दिया।
मेरा लंड कब का तन गया था और पारो के कुल्हों के बीच दबा जा रहा था। पेट पर से मेरा हाथ उसके पाजामे के अन्दर घुसा। पारो नें मेरी कलाई पकड़ कर कहा: यहाँ नहीं, तेरे कमरे में जाकर करेंगे। मैंने हाथ निकाल लिया लेकिन पाजामे के ऊपर से भोस सहलाने लगा। पारो खेल देखती हुई नितम्ब हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद सुराख़ से हटकर बोली: खेल खत्म, ओह रोहित, मुझे कुछ हो रहा है। मुझे से खड़ा नहीं जा रहा।
मैं पारो को वहीं की वहीं चोद सकता था। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मुझे अबकी बार पारो को आराम से चोदना था। थोड़ी देर पहले ही मैंने मूठ मार ली थी इसलिए मैं अपने आप पर नियंत्रण रख सका।
मैंने उसकी कमर पकड़ कर सहारा दिया। वो मुझ पर ढल पड़ी। मैंने उसे बाँहों में उठा लिया और मेरे कमरे में ले गया। पलंग पर बैठ मैंने उसे गोद में ले लिया।
मैंने कहा: देखी भैया-भाभी की चुदाई?
उसकी आँखें बन्द थीं। अपनी बाँहें मेरे गले में डालकर वो बोली: भैया का वो कितना बड़ा है! फिर भी पूरा भाभी की चूत में घुस जाता था ना?
मैंने कहा: तेरी चूत में भी ऐसे ही गया था मेरा लंड, याद है?
पारो: क्यों नहीं? इतना दर्द जो हुआ था।
मैं: अबकी बार दर्द नहीं होगा। चोदने देगी ना मुझे?
अपना चेहरा मेरी ओर घुमा कर वो बोली: शैतान, ये भी कोई पूछने की बात है?
पारो का कोमल चेहरा पकड़ कर मैंने होंठ से होंठ छू लिए, इसने चूमने दिया। मैंने अब होंठ से होंठ दबा दिए। उसके कोमल पतले होंठ बहुत मीठे लगते थे। थोड़ी देर कुछ किए बिना होंठ चिपकाए रखे। बाद में जीभ निकाल कर उसके होंठ चाटे और चूसे। मैंने कहा: ज़रा मुँह खोल।
डरते-डरते उसने मुँह खोला। मैंने उसके होंठ चाटे और जीभ उसके मुँह में डाली। तुरन्त उसने चूमना छोड़ दिया और बोली: छिः छिः ऐसा गन्द क्यूँ कर रहे हो?
मैं: इसे फ्रेंच किस कहते हैं। इसमें कुछ गन्द नहीं है। ज़रा सब्र कर और देख, मज़ा आएगा। खोल तो मुँह।
अबकी बार उसने मुँह खोला, तब मैंने जीभ लंड की तरह कड़ी कर ली और उसके मुँह में डाली। अपने होंठों से उसने पकड़ ली। अन्दर-बाहर करके जीभ से मैंने उसका मुँह चोदा। मुँह में जाकर मेरी जीभ चारों ओर घूम गई। तब मैंने मेरी जीभ वापस ली। फिर उसने ठीक इसी तरह अपनी जीभ से मेरा मुँह चोदा। मेरा लंड फिर तन गया, उसकी साँसें तेज़ चलने लगी।
चूमते हुए मेरे हाथ स्तन पर उतर आए। पाजामा तो हमने उतार दिया था। कमीज़ बाकी थी। देर किए बिना मैंने फटाफट हुकों को खोलकर कमीज़ उतार फेंकी। उसने मेरी कमीज़ के बटन खोल डाले। मैंने मेरी कमीज़ उतार दी। अब हम दोनों नंगे हो गए। शरम से उसने एक हाथ से चेहरा ढँक लिया, दूसरा चूत पर रख लिया। स्तन खुले हुए थे। मेरे हाथों ने नंगे स्तन थाम लिए।
क्या स्तन पाए थे उसने। बड़े आकार की मौसम्बी जैसे गोल-गोल। पारो के कुँवारे स्तन कड़े थे। मुलायम चिकनी त्वचा के नीचे खून की नीली नसें दिखाई दे रहीं थीं। बिल्कुल मध्य में एक इंच का गहरा घेरा था जिसके बीच छोटी सी कोमल घुण्डी थी। घेरा और घुण्डी बादामी रंग के थे और ज़रा सा उभर आए थे। उसका स्तन मेरी हथेली में ऐसे बैठ गया जैसे कि मेरे लिए ही बनाया हो।
स्तन को छूते ही दबोच लेने का दिल हुआ। लेकिन वो किताब की पढ़ाई याद आई। ऊँगलियों की नोक से पहले स्तनों को सहलाया। बाहरी भाग से शुरु करके स्तन के मध्य में लगी हुई घुण्डियों की ओर ऊँगलियाँ चलाईं। उसके बदन पर रोएँ खड़े हो गए। हौले से मैंने स्तन हथेली में भर लिया और दबाया। रुई के गोले जैसा नर्म होने पर भी उसके स्तन दबाए नहीं जा रहे थे, उत्तेजना से बहुत ही कड़े हो गए थे। छोटी सी घुण्डी सिर उठाए खड़ी थी। च्यूँटी में लेकर मैंने दोनों घुण्डियों को मसल दिया। पारों के मुँह से लम्बी आह निकल पड़ी।
मैंने उसे लिटा दिया। मैं बगल में लेट गया। वो मुझसे लिपट गई। मैंने मेरे होंठ घुण्डी से चिपका दिए। उसकी उँगलियाँ मेरे बालों में घूमने लगीं। एक-एक कर मैंने दोनों घुण्डियाँ काफी देर तक चूसीं। पारे ने मेरी घुण्डियाँ तलाश निकाली। जब मैंने उसकी घुण्डियाँ छोड़ दीं, तब उसने मेरी घुण्डियों को होंठों के बीच लेकर चूसीं। घुण्डियों से निकला करंट लंड तक पहुँच गया। लंड अधिक अकड़ कर लार बहाने लगा।
मैंने उसे चित्त लिटा दिया। हमारे मुँह फिर फ्रेंच किस में जुट गए। स्तन छोड़ करक मेरा हाथ उसके सपाट पेट पर उतर आया और भोस की ओर चला। जब मैंने नाभि को छुआ, उसे गुदगुदी हुई, वो छटपटाई और उस के पाँव ऊपर उठ गए।
मैंने उस किताब में पढ़ा था कि नई-नवेली दुल्हन किशोरी को लंड से दूर रखना चाहिए, ताकि उत्तेजित होने से पहले वह लंड देखकर घबरा न जाए। पारो तीन बार मेरा लंड पकड़ चुकी थी और अब उत्तेजित भी हो गई थी। इसलिए मैं रुका नहीं। उसका दाहिना हाथ पकड़ कर मैंने लंड पर रख दिया।
वो डरी नहीं, लंड पकड़ लिया। लेकिन आगे क्या करना, उसे पता नहीं था। वो लंड को पकड़े रही, कुछ भी किए बिना। फिर भी उसकी कोमल ऊँगलियों का स्पर्श मुझे बहुत मीठा लगता था। लंड अधिक कड़ा हो गया, ठुमके लगाने लगा और भरपूर लार बहाने लगा। मैंने उसकी कलाई पकड़ कर दिखाया कि मूठ कैसे मारी जाती है। धीरे-धीरे वो मूठ मारने लगी।
मुट्ठी से लंड दबोच कर वो बोली: कितना बड़ा और मोटा है तेरा ये? लोहे जैसा कठोर भी है, तुझे दर्द नहीं होता?
मैं: कड़ा ना हो, तो चूत में कैसे घुस पाएगा? मोटा और बड़ा है तेरी चूत के लिए।
पारो: मुझे तो पकड़ने से ही झुरझुरी हो जाती है।
उधर मेरा हाथ भोस पर पहुँच गया था। मेरी ऊँगलियाँ भोस की दरार में उतर पड़ीं। भोस ने भी भरपूर रस बहाया था और चारों ओर गीली-गीली हो गई थी। हल्के स्पर्श से मैंने भोस सहलाई। पारो ने पाँव उठा रखे थे, अब उसने जाँघें सिकोड़ दीं। फिर भी मेरी एक ऊँगली उसकी चूत के भग्न तक जा पाने में सफल रही। जैसे ही मैंने उसके भग्न को छुआ, पारो ने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया।
अब चूमना छोड़ कर मैं बैठ गया और बोला: पारु, देखने दे तेरी भोस।
अपने हाथ से भोस ढँकने का प्रयत्न करते हुए वह बोली: ना, रहने दो, मुझे शर्म आती है।
मैं: मेरा लंड लेने में शर्म ना आई? अब शर्म कैसी? शरम आए तो मेरा लंड पकड़ लेना। चल, पाँव खुले कर।
वो ना-नुकर करती रही और मैं उसे पलंग के किनारे पर ले आया। मैं ज़मीन पर बैठ गया। जाँघें उठाकर चौड़ी की। शरमाते हुए भी उसने अपने पाँव चौड़े कर लिए। किताब में जैसी दिखाई थी वैसी ही उसकी भोस मेरे सामने आई।
मैंने पारो को दो बार चोदा था लेकिन उसकी भोस ठीक से देखी नहीं थी। इस वक़्त पहली बार ग़ौर से देखने का मौक़ा मिला था मुझे। उसकी भोस काफी ऊँची थी। बड़े होंठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे। भोंस पर और बड़े होंठ के बाहरी हिस्से पर काले घुँघराले झाँटें थीं। बड़े होंठ के बीच तीन इंच लम्बी दरार रथी। मैंने हौले से बड़े होंठ चौड़े किए। अन्दर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया। साँवली गुलाबी रंग के छोटे होंठ सूज गए मालूम होते थे। छोटे होंठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उसकी भग्न थी। इस वक्त वही कड़ी हो गई थी, वह एक इंच लम्बी थी। उसका छोटा मत्था चेरी जैसा दिखता था। दरार के पिछले भाग में था योनि का मुख, जो अभी बन्द था। सारी भोस काम-रस से गीली-गीली हो चुकी थी।
मुझे फिर से किताब की शिक्षा याद आई, कैसे भोस चाटी जाती है। पहले मैंने बड़े होंठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई। आगे से पीछे और पीछे से आगे, दोनों ओर चाटी। पारो के नितम्ब हिलने लगे। होंठ चौड़े कर के मैंने जीभ की नोक से अन्दरी हिस्सा चाटा और भग्न टटोली। भग्न को मैंने मेरे होंठों के बीच लिया और चूसा।
पारो से सहा नहीं गया। मेरा सिर पकड़कर उसने हटा दिया और मुझे खींच कर अपने ऊपर ले लिया। उसने अपनी जाँघें मेरी कमर में डाल दीं तो भोस मेरे लंड के साथ जुट गईं। वह धीरे से बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है?
राह देखने की क्या ज़रूरत थी? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मैंने भोस की दरार में रगड़ा, ख़ास तौर पर भग्न पर। इस वक़्त मुझे पता था कि चूत कहाँ है। इसलिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्क़त नहीं हुई। लंड का मत्था चूत के मुँह में फँसा कर मैं पारो पर लेट गया।
मैंने कहा: पारो, दर्द हो तो बता देना।
हल्के दबाव से मैंने लंड चूत में डाला। सर्रर्रर्रर्रर्ररररररररर करता हुआ लंड जब आधा अन्दर गया तब मैं रुका। मैंने पारो से पूछा: दर्द हो रहा है क्या?
जवाब में उसने अपनी बाँहें गले में डालीं और सिर हिला कर ना कहा। अब मैं आगें बढ़ा और हौले-हौले पूरा लंड चूत में पेल दिया। उसकी सिकुड़ी चूत की दीवारें लंड से चिपक गईं।
ऊपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई लंड-चूत की? अभी तो चूत में डाला ही था, चोदना शुरु किया नहीं था। फिर भी सारे लंड में से आनन्द का रस झड़ने लगा था। लंड से निकली हुी झुरझुरी सारे बदन में फैल जाती थी। थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया। मैंने उससे पूछा: पारो, मज़ा आ रहा है ना?
इतना कहकर मैंने लंड खींचा। तुरन्त उसने मेरे कूल्हे पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड़ कर लंड निचोड़ा। मैंने फिर कहा: अब तू मुँह से कहेगी, तभी चोदूँगा, वर्ना उतर जाऊँगा… क्या करना है?
वो बोली: क्यूँ सताते हो? मैं बोल नहीं सकती।
मैं: पाँव पसारे लंड ले सकती हो, और बोल नहीं सकती? एक बार बोल, मुझे चोदो।
हिचकिचाती हुई वो बोली: म…मुझे च… चो… दो।
फिर क्या कहना था? आधा लंड बाहर निकाल कर मैंने फिर से घुसा दिया। धीरे और लम्बे धक्के से मैं पारो को चोदने लगा। सर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रररररररर बाहर, सर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रररर अन्दर। वो भी नितम्ब हिला-हिला कर इस तरह चुदवाती थी कि लंड का मत्था अलग-अलग से घिस पाए। किताब में मैंने भग्न के बारे में पढ़ा था। मैं भी इस तरह धक्के देता था जिससे भग्न में रगड़ पड़ सके।
तीन दिन के बाद ये पहली चुदाई थी पारो के लिए। हम दोनों जल्दी उत्तेजित हो गए। लंड चूत में आते-जाते ठुमक-ठुमक करने लगा। योनि में स्पंदन होने लगी। पारो ज़ोरों से मुझसे लिपट गई। मेरे धक्के तेज़ और अनियमित हो गए। मैं घचा-घच्च, घचा-घच्च चोदने लगा। एकाएक पारो का बदन अकड़ गया और वो चिल्ला उठी। मेरी पीठ पर उसने नाख़ून गाड़ दिए। ज़ोर-ज़ोर से चारों ओर नितम्ब घुमा कर झटके देने लगी। चूत में फटाके होने लगी। अपने स्तन मेरे सीने से रगड़ दिए। स्खलन तीस सेकेण्ड तक चला।
स्खलन के बाद भी वह मुझे हाथ-पाँव से जकड़ी रही। मैं झड़ने के क़रीब था इसलिए रुका नहीं। धना-धन, धना-धन धक्के लगाता रहा। लंड कठोर था और चूत गीली थी इसलिए ऐसी घमासान चुदाई हो सकी। ज़ोरों के पाँच-सात धक्के मार मैंने पिचकारी छोड़ दी। मेरे वीर्य से उसकी योनि छलक उठी।
कुछ देर तक हम होश खो बैठे। जब होश आया तो पता चला कि पारो चिल्लाई थी और हो सकता था कि दीदी और जीजू ने चीख सुन भी ली हो। घबरा कर मैं झटपट उतरा और बोला: पारो, जल्दी कर। चली जा यहाँ से। दीदी-जीजू आएँगे तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
पारो का उत्तर सुनकर मैं हैरान रह गया, वो बोली: आने भी दे, तू डर मत। मैं ख़ुद भैया से कहूँगी कि तेरा कसूर नहीं है, मैं ही अपने-आप चु… चु… वो करवाने चली आई हूँ। अब लेट जा मेरे साथ।
हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर सो गए। दीदी या जीजू कोई भी नहीं आए।
सुबह पाँच बजे वो जागी और अपने कमरे में जाने को तैयार हुई। मुँह पर चूमकर मुझे जगाया और बोली: मैं चलती हूँ, सुबह के पाँच बजे हैं। तुम सोते रहो, और आराम करो। रात फिर मिलेंगे।
लेकिन मैं उसके कहाँ जाने देने वाला था! खींच कर आगोश में ले लिया। वो ना-ना करती रही। मैं जगह-जगह पर चूमता रहा। आख़िर उसने पाजामा उतारा और जाँघें फैलाईं। मेरा लंड तैयार ही था। एक झटके में चूत की गहराई नापने लगा। इस वक्त सावधानी की कोई ज़रूरत नहीं थी। धना-धन तेज़ी से चुदाई हो गई तीन मिनट तक। दोनों साथ-साथ झरे।
दूसरे दिन मैंन दीदी से पूछा: आईने में देखते हुए चुदाई का मज़ा कैसा होता है?
वो बोली: शैतान, तुझे कैसे पता चला कि हम… कि हम…?
मैं उसे कोठरी में ले गया और सुराख़ दिखाई। वो समझ गई।
शालिनी: तो तूने आख़िर हमारी चुदाई देख ही ली।
मैं: मैंने नहीं, हमने कहो।
शालिनी: ओह, तो पारो भी साथ थी?
मैं: हाँ थी।
शालिनी: तब तो तूने उसे… उसे…?
मैं: हाँ, मैंने उसे चोदा जी भर के।
शालिनी: चूत भर के कहो। कैसी लगी उसकी कुँवारी चूत?
मैं: बहुत प्यारी। मेरा लंड भी कुँवारा ही था ना!
शालिनी: अब क्या? शादी करेगा उससे?
दोस्तों, आ गए हम हमारी समस्या पर। मैं दीदी के घर अधिक दिनों तक नहीं रुका, लेकिन जितने दिन भी रहा, इतने दिन रोज़ाना रात को पारो को चोदा। किताब में दिखाए गए आसनों में से कोई-कोई आज़मा कर भी देखे। किताब के मुताबिक़ उसे लंड चूसना भी सिखाया। अकेले मुँह को भग्न से लगाकर उसे झड़वाया। छुट्टियाँ खत्म होने से पहले मैं घर लौट आया। Hindi Porn Stories
Hindi sex stories दोस्तो, लड़की को सिड्यूस (कामोत्तेजित) करने में बड़ा मजा आता है. बस उसको कामोत्तेजित करने का तरीका ठीक होना चाहिए.
मैंने अपने घर की नौकरानी को ऐसे ही कामोत्तेजित करके खूब चोदा. आज मैं आप सब को वही कहानी सुनाने जा रहा हूँ. मेरा नाम है अजय. मेरे घर में उलूल-जुलूल नौकरानियों के बाद एक दिन बहुत ही सुन्दर नौकरानी काम करने के लिए आई. वह बहुत ही खूबसूरत थी. सुन्दर होने के साथ-साथ वह सेक्सी भी लग रही थी. उसकी हाइट मीडियम थी, बदन सुडौल था. उसका फीगर 33-26-34 का रहा होगा. वह शादीशुदा भी थी.
उस नौकरानी को देखकर मुझे उसके पति से मन ही मन जलन होना शुरू हो गई थी. उसका पति मुझे बहुत ही किस्मत वाला लग रहा था कि जिसके पास ऐसी सेक्सी बीवी है. मुझे पूरा यकीन था कि वह साला इस सेक्सी नौकरानी को खूब चोदता होगा. उसके बूब्स ऐसे थे कि देखते ही मन करता था बस यहीं पर दबा दो इनको. वह अपनी चूचियों को साड़ी से कितना भी ढकने की कोशिश करती लेकिन उसके बूब्स कहीं न कहीं से बाहर आकर दिखाई देने लगते थे. वह बहुत कोशिश करने के बाद भी अपनी चूचियों के ऊपर की दरार को छिपा नहीं पाती थी. जब मैंने उसकी दरार को तिरछी नजर से देखा तो पता चला कि उसने तो अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी.
शायद हो सकता था कि उसको लगता हो कि ब्रा पर बेकार ही पैसे क्यों खर्च किए जाएं. जब वह ठुमकती हुई चलती थी तो उसके चूतड़ हिलते थे और हिलते हुए ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हों कि मुझे पकड़ो और दबा दो. अपनी पतली सी साटिन की साड़ी को जब वह चूत के पास से पकड़ कर संभालती हुई चलती थी तो मन करता था कि काश मैं भी इसकी चूत को छू सकूँ. काश मैं इसके मम्मों को दबा सकूँ. काश मैं इसकी चूचियों को चूस सकूँ. साथ ही साथ मेरा बहुत दिल करता था कि मैं इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मजा ले सकूँ. इसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोद सकूँ. मेरा लंड भी मानता ही नहीं था.
उसकी चूत में घुसने के लिए मेरा लंड बेकरार रहता था. मगर मैं सोचता था कि मेरा ये सपना पूरा हो तो हो कैसे? वह साली तो मेरी तरफ देखती भी नहीं थी. वह बस अपने काम से ही मतलब रखती थी. काम करने के बाद ठुमकती हुई वापस चली जाती थी. मैंने भी कभी उसको अहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसकी चूत पर है और मैं उसको चोदने के लिए इतना बेताब रहता हूँ. मगर मुझे किसी न किसी तरह उसकी चूत को चोदना ही था. मैंने सोच लिया था कि इसको किसी न किसी तरह गर्म करके ही यह सब संभव हो सकता है.
मगर यह सब मुझे धीरे-धीरे करना होगा. अगर ये नाराज हो गई तो मेरा सारा भांडा फूट जाएगा. कुछ दिन के बाद मैंने उसके साथ बहाने से बातें करना शुरू कर दिया. उसका नाम था किरण. मैंने एक दिन उसको चाय बनाने के लिए कह दिया. जब उसने अपने नर्म हाथों से मुझे चाय पकड़ाई तो मेरा लंड तो जैसे उछल ही गया. मैंने चाय पीते हुए उससे कहा- किरण तुम तो चाय बहुत अच्छी बना लेती हो.
उसने कहा- हां, बाऊजी, चाय तो मैं बना ही लेती हूँ.
उसके बाद मैंने किरण से हर रोज ही चाय बनवाना शुरू कर दिया. फिर एक दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था तो मैंने किरण को अपनी शर्ट प्रेस करने के लिए दे दी.
मैंने कहा- तुम तो प्रेस भी अच्छी कर लेती हो.
इस तरह से जब मेरी बीवी मेरे आस-पास नहीं होती थी तो मैं किरण से बातें करना शुरू कर देता था.
मैंने पूछा- किरण, तुम्हारा पति क्या करता है?
वह बोली- एक मिल में काम करता है मेरा आदमी.
मैंने कहा- कितने घंटे की नौकरी होती है उसकी?
उसने कहा- 10-12 घंटे तो लग ही जाते हैं और कई बार तो रात को भी ड्यूटी लगा देते हैं.
मैंने कहा- तुम्हारे बच्चे कितने हैं?
उसने शर्माते हुए जवाब दिया- अभी तो मेरे पास एक लड़की ही है 2 साल की.
मैंने पूछा- तो क्या तुम उसको घर में अकेली ही छोड़कर आ जाती हो?
उसने कहा- नहीं, मेरी एक बूढ़ी सास है. वह उसकी देखभाल कर लेती है.
मैंने पूछा- तुम कितने घरों में काम करती हो?
उसने कहा- साहब, बस एक आपके घर में काम करती हूँ और एक नीचे वाले घर में काम करने जाती हूँ.
मैंने फिर पूछा- तो क्या तुम दोनों का गुजारा हो जाता है?
उसने कहा- साहब हो तो जाता है लेकिन बड़ी मुश्किल से ही काम चल पाता है. मेरा आदमी शराब में बहुत सारे पैसे बर्बाद कर देता है.
अब मेरे काम की बात यहाँ से शुरू हो गई थी.
मैंने किरण से कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ.
किरण ने मुझे अजीब सी नजरों से देखा.
उसने कहा- क्या मतलब है आपका?
मैंने कहा- अरे, मेरा मतलब है कि तुम अपने आदमी को मेरे पास ले आओ, मैं उसको समझा दूंगा.
उसने कहा- ठीक है साहब. कहते हुए उसने एक लम्बी और गहरी सांस ली.
इस तरह हम दोनों के बीच ये बातों का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और धीरे-धीरे बातों के सहारे मैंने किरण के मन में से उसकी झिझक को कम करने की कोशिश की.
एक दिन मैंने शरारत भरे लहजे में कहा- तुम्हारा आदमी तो पागल ही होगा. इतनी सुंदर बीवी होते हुए भी वह शराब पीता है.
दोस्तो, औरतें काफी समझदार होती हैं. किरण भी मेरा इशारा शायद समझ गई थी लेकिन उसने अपनी नाराजगी का मुझे जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया. मुझे भी थोड़ा हिन्ट मिल गया था कि यह भी तैयार हो जाएगी. अगर मुझे मौका मिले इसे दबोचने का तो यह शायद चुदवा भी लेगी.
वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं है. एक दिन मेरे पास भी मौका आ ही गया. रविवार का दिन था. मेरी बीवी एक दिन पहले ही मायके चली गई थी. वह हमारे दोनों बच्चों को भी साथ में लेकर गई थी. मेरे बीवी ने कहा था कि अगर किरण आए तो घर का काम ठीक से करवा लेना. सुबह से ही मेरे मन लड्डू फूटने लगे थे और मेरा लंड फुदकने लगा था. मैं बार-बार किरण के बारे में ही सोच रहा था.
कुछ देर के बाद किरण घर में आ गई. उसने दरवाजा बंद कर दिया और अपने काम पर लग गई. इतने दिनों की बात-चीत के बाद हम दोनों अब आपस में काफी खुल भी गए थे. किरण को मेरे ऊपर भरोसा भी हो गया था. इसलिए शायद उसने मेरे बिना कहे ही दरवाजा बंद कर दिया था. मैंने सोचा कि अगर आज मैंने पहल नहीं की तो यह फिर कभी हाथ नहीं आएगी. बात मेरे हाथ से निकल जाएगी. फिर मैंने सोचा कि पहल मैं करूं कैसे? फिर दिल में ख्याल आया कि पैसे की बात ही कर लेता हूँ.
मैंने कहा- किरण, अगर तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. जरा सा भी झिझकना नहीं.
किरण ने कहा- साहब, क्या आप मेरी पगार काटने वाले हैं?
मैंने कहा- अरे नहीं पगली, अगर तुझे अगर कुछ फालतू पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ. मैं इस बारे में अपनी पत्नी को भी कुछ नहीं बताऊंगा. लेकिन एक वादा तुमको भी करना होगा कि तुम भी इस बारे में मेरे बीवी से कुछ नहीं कहोगी.
इतना कहकर मैं किरण के जवाब का इंतजार करने लगा.
किरण ने कहा- मैं क्यों बताने लगी आपकी बीवी को?
उसके मुंह से यह जवाब सुनकर मैं खुश हो गया. मेरा तीर एकदम सही निशाने पर जाकर लगा था.
मैंने कहा- तुम खुश हो जाओ अब.
वह बोली- हां साहब, इससे मुझे काफी आराम हो जाएगा.
मैंने कहा- किरण, मैंने तुम्हें खुशी दे दी. क्या तुम नहीं चाहती कि मैं भी खुश हो जाऊं? मगर उसके लिए तुमको अपना मुंह बंद रखना होगा.
कहते हुए मैंने किरण के हाथ में पांच सौ रुपये का नोट थमा दिया.
किरण ने पूछा- क्या करना होगा मुझे साहब?
मैंने कहा- पहले तुम अपनी आंखें बंद कर लो. अगर तुमने आंखें खोल दीं तो तुम शर्त हार जाओगी.
मेरे कहने पर किरण ने आंखें बंद कर लीं और मेरे सामने ही खड़ी रही. मैंने देखा कि किरण के गाल लाल हो रहे थे और उसके होंठ कांपने लगे थे.
मैंने फिर कहा- जब तक मैं ना कहूँ तब तुम्हें अपनी आंखें नहीं खोलनी हैं.
वह बोली- ठीक है साहब.
किरण शरमा रही थी और वहीं पर चुपचाप खड़ी हुई थी. उसने अपने दोनों हाथों को अपनी जवान चूत के सामने लाकर बांध रखा था. जैसे उसको छिपाने की कोशिश कर रही हो.
पहले मैंने किरण के माथे पर हल्का सा चुम्बन किया. अभी तक मैंने उसको अपने हाथों से नहीं छुआ था. वह चुपचाप आंखें बंद करके खड़ी हुई थी. फिर मैंने उसकी पलकों पर हल्के से चुम्बन किया. उसकी आंखें अभी भी बंद ही थीं. फिर मैंने आहिस्ता से उसकी आंखों को चूमने के बाद उसके गालों को भी धीरे से चूम लिया. इतनी ही देर में मेरा लंड तन गया था और मेरे कपड़ों के अंदर लोहे की तरह सख्त होकर खड़ा हो गया था.
उसके बाद मैंने किरण की ठुड्डी पर किस कर दिया.
अबकी बार किरण ने अपनी आंखें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको पहले ही बोल दिया कि अगर उसने आंखें खोलीं तो वह शर्त हार जाएगी और इसलिए अभी अपनी आंखों को बंद ही रखे. उसने झट से आंखें बंद कर लीं.
अब मैं भी समझ गया था कि उसको तैयार करने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. अब मुझे बस उसको तैयार करना था, उसकी चूत की चुदाई का मजा लेना था. अबकी बार मैंने उसके कांपते हुए होंठों पर एक किस कर दिया.
मैंने अभी भी उसको अपने हाथों से टच नहीं किया था. उसके बाद किरण ने फिर आंखें खोलीं और मैंने अपने हाथों से ही उसकी पलकों को बंद कर दिया.
अब मैं थोड़ा और आगे बढ़ा, मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर अपनी कमर के दोनों तरफ रखवा दिया. फिर मैंने किरण को अपनी बांहों में लपेट लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसको चूसने लगा. उसके होंठ नहीं बल्कि शराब के प्याले थे. उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगे थे. इधर मैं उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पीने में लगा हुआ था. बहुत मजा आ रहा था. मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी.
तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां मेरे सीने पर दबाव बना रही हैं. उसकी चूचियां तनकर टाइट हो चुकी थीं. फिर मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और किरण को अपनी तरफ खींचते हुए उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूचियां तो जैसे मलाई थी. अब मेरा लंड बहुत जोर से फुदकने लगा था. फिर मैंने किरण के चूतड़ों अपनी तरफ खींच कर अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उसके बदन से सट गया. मैं किरण के शरीर पर अपने लंड को महसूस करवाना चाहता था.
दोस्तो, शादीशुदा लड़की को चोदना बहुत आसान होता है. इसका एक कारण यह है कि उन्हें सब कुछ पहले से ही पता होता है. इस तरह की लड़कियाँ घबराती नहीं हैं.
किरण ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी. उसके ब्लाउज के बटन पीछे की तरफ थे. मैंने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसके ब्लाउज के बटन को टटोला और फिर आराम से उनको खोलना शुरू कर दिया. मैंने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए उसके ब्लाउज के बटनों को खोलकर उसके ब्लाउज को उतार फेंका. उसकी चूचियां तो पहले से ही तनी हुई थीं इसलिए खोलते ही उछल कर मेरे हाथों में आ गईं.
उसकी चूचियां वैसे तो कड़क थीं लेकिन मलाई की तरह मुलायम भी थी. फिर मैंने उसकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. मैंने हल्के से उसकी साड़ी को खींचते हुए किरण को अपने बेड की तरफ ले जाना शुरू कर दिया. जब मैं उसको लेकर बेड के पास पहुंच गया तो मैंने उसको वहां पर आराम के साथ लिटा दिया.
मैंने कहा- किरण, अब तुम आंखें खोल सकती हो.
किरण ने कहा- आप बहुत ही रसीले हो साहब. यह कहकर किरण ने फिर से आंखें बंद कर लीं.
मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. जल्दी ही मैं भी नंगा हो गया.
मेरा लंड उछल-उछल कर दर्द करने लगा था. मैंने उसके पेटीकोट को जल्दी से खोला तो देखा कि उसकी चूत बिल्कुल नंगी थी. उसने नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी.
मैंने कहा- किरण, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल नंगी है. क्या तुम कच्छी नहीं पहनती हो?
उसने मेरी इस बात का जवाब दिये बिना ही कहा- साहब, बहुत रौशनी आ रही है. पर्दे बंद कर दो ना.
मैंने उठकर पर्दों को खींच दिया और रूम में थोड़ा अंधेरा हो गया. उसके बाद मैं तुरंत वापस आकर किरण के ऊपर लेट गया.
मैंने किरण के होंठों कस कर चूम लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा. फिर मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया. उसकी चूत पर घुंघराले से बाल थे. मुझे उसकी चूत के बाल बहुत अच्छे लग रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को मुंह में ले लिया और उसको पीने लगा. बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे.
उसके बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत की दरार पर लगा दिया. फिर उसकी बुर में घुसा दिया. उसकी चूत में मेरी उंगली ऐसे घुस गयी जैसे मक्खन में छुरी घुस जाती है. उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो चुकी थी. उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गई थीं. उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मस्ती से भर रही थी.
मैंने कहा- किरण रानी, अब क्या करना है?
वह बोली- साहब, अब और मत तड़पाइये. अब बस कर दीजिए.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं. जान कहकर बुलाओ.
उसने मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा- साहब कर दीजिए, अब मत तड़पाओ.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं.
वह बोली- साहब डाल दो न.
मैंने कहा- क्या डाल दूँ? मैंने शरारत करते हुए पूछा.
मुझे उसके मुंह यह सब सुनना बहुत मजा दे रहा था. वह बार-बार डालने की बात कह रही थी लेकिन मैं उसके मुंह से पूरी बात सुनना चाहता था.
वह बोली- यह लंड मेरे अंदर डाल दो ना साहब …
उसने मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये. मैंने भी उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- हाँ, मेरी रानी, अब यह लंड तुम्हारी चूत में अंदर जाएगा. कहो तो चोद दूँ तुमको?
वह बोली- हाँ साहब, मुझे चोद दीजिए.
किरण काफी गर्म हो चुकी थी. अब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को रख दिया. एक झटका दिया और लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया. उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. कभी उसके होंठों को, तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया. मैं किरण को चोदने में मशगूल हो गया.
मेरा मन कर रहा था कि उसको चोदता ही रहूँ. वह भी मेरे लंड से उछल-उछल कर चुदवा रही थी.
उसने कहा- साहब, आप तो बड़ी ही मस्त चुदाई कर रहे हैं. आह्ह् … आप बस मुझे चोदते ही रहिए. मुझे बहुत मजा आ रहा है. ओह्ह …
धीरे-धीरे किरण के हाथ मेरी पीठ पर कसने लगे थे. उसने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों पर लपेट दी थीं. साथ ही साथ वह नीचे से अपनी गांड को भी उछाल रही थी. वह चुदवा रही थी और मैं मजे से उसको चोद रहा था.
मैंने कहा- किरण रानी, तुम्हारी यह चूत तो मेरे लंड से चुदने के लिए ही बनी है. बहुत ही मस्त चूत है तुम्हारी. बहुत मजा दे रही है. बता ना, कैसी लग रही है मेरी चुदाई. मेरे लंड को लेकर कितना मजा आ रहा है मेरी रानी?
वह बोली- आप बस चोदते रहिए. बहुत मजा आ रहा है. आह्ह् … ओह्ह .. उफ्फ … उम्म …
इस तरह से हम दोनों बातें करते हुए बहुत देर तक चुदाई का मजा लेते रहे. उसके बाद अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए. लेकिन मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा था. 20 मिनट के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसके मुंह में डाल दिया और उसको चुसवाने लगा. अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे. जब वह लंड चूस रही थी तो मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. वैसे दूसरी औरत को चोदने का मजा ही कुछ और होता है यारो.
बल्कि दूसरी बार तो उसको चोदने में और भी ज्यादा मजा आया मुझे. इतना मजा आया कि मैं बता ही नहीं सकता. इस बार लंड ने भी मेरा बहुत देर तक साथ दिया. मेरे लंड को झड़ने में बहुत समय लगा. मैं उसको भरपूर मजा देता रहा.
फिर जब हम थक गए तो वह अपने कपड़े पहनने लगी.
मैंने कहा- किरण रानी, अब तुम चुदवाती रहना मुझसे.
वह बोली- आपने तो बहुत मस्त चुदाई की है साहब. मैं तो अब आपके ही लंड से चुदवाती रहूंगी. चाहे आप मुझे पैसे भी मत देना लेकिन अपने लंड से ही मेरी चूत को चोदना.
उसके बाद मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबा दिया और उसके हाथों को सहलाने लगा.
फिर मैंने किरण को अपने पास बेड पर लेटा लिया और बहुत देर तक उसके होंठों को चूसता रहा.
अब जब भी मौका मिलता है किरण खुद ही अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है.
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हेलो फ्रेंड्स आपने मेरी कहानी Antarvasna अंतरवासना पर पढ़ी, अब मैं आप लोगों को उसके बाद क्या हुआ उसका हाल सुनाउँगा।
जब मैं भाभी की गांड में ऊँगली कर रहा था तभी उसकी छोटी बहन कॉलेज से वहाँ आ गई और उसने हमको देख लिया और वो बेडरूम के बाहर चली गई।
और फिर थोड़ी देर बाद मैं और भाभी बेडरूम के बाहर आए तो वो सोफा पर बैठी हुई थी उसने हमको देख कर कहा- तुम क्या कर रहे थे?
तो भाभी ने कहा- तुम्हारे जीजू जो नहीं करते वो मैंने इसके पास करवाया।
उसने कहा- मैं जीजू को बोल दूँगी।
पर भाभी घबराये बगैर कहने लगी- कोई बात नहीं, मैं भी तुम्हारी सारी बातें जानती हूँ।
तो वो बोली- कैसी बातें?
कहने लगी- तुम बाथरूम में रोज क्या करती हो, अपनी पुसी को रब करके उसमे उंगली रोज करती हो कि नहीं?
यह सुनकर वो घबरा गई, तो फिर भाभी कॉनफिडेंस में आ गई और कहने लगी- तुम चाहो तो तुम भी मज़े ले सकती हो, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है।
यह सुनकर मैं खुश हो गया कि चलो एक साथ दोनों बहनों को चोदने को मिलेगा और एक तो वरजिन है।
फिर भाभी उसके पास जाकर बैठ गई और का स्कर्ट बहुत छोटा था, उठा दिया।
तो मैं देख कर हैरान हो गया कि उसकी पेंटी एक दम भीगी हुई थी।
भाभी ने कहा- अभी तुम क्या कर रही थी हमको देख देख कर अपनी पुसी रब कर रही थी ना?
और कहा- चलो, आज तुम भी पूरा मज़ा ले लो।
और उसकी पुसी को रब करने लगी।
यह देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मैं सोफा के पीछे खड़े होकर उसके बड़े बड़े टाइट बूब को दबाने लगा।
अब वो भी मस्ती में आने लगी एक तरफ भाभी उसकी पुसी को सक कर रही थी और दूसरी तरफ मैं बूब्स को दबा रहा था, उसके बूब बहुत ही टाइट और मोटे थे।
फिर वो बोली- प्लीज़, मेरे बूब्स को सक करो।
मैं सोफा पर आकर बैठ गया और उसका शर्ट उतार दिया और उसके बूब को सक करने लगा।
उसके बूब को सक कर कर एकदम रेड हो गया और उसकी पुसी ने भी पानी छोड़ दिया था।
अब वो एकदम हॉट हो चुकी थी।
मैं उसके सारे बदन को सक कर रहा था।
फिर मैंने अपना पेंट उतारा और मेरा मोटा और लंबा लंड उसके मुँह में देने की कोशिश करने लगा तो वो मना करने लगी।
पर मैंने कहा कि जब तक तुम इसको सक नहीं करोगी यह तुम्हारी पुसी में जाने से इनकार करेगा सो प्लीस इसको सक करो।
फिर वो मेरे लंड को सक करने लगी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
अब मैं उसकी पुसी को सक करने लगा फिर एक बार उसकी पुसी ने पानी छोड़ दिया।
भाभी ने कहा- समीर जल्दी करो वरना कोई आ जाएगा, अब यह एकदम तैयार है अपना कॉक इसकी पुसी में डालो।
अब भाभी भी पूरी तरह न्यूड थी और वो भी अपनी पुसी में फिंगरिंग कर रही थी और अपनी सिस्टर को बोल रही थी- चाटो मेरी पुसी को… तुम्हारे जीजू तो इसको छूते ही नहीं है यह मुझे बहुत परेशान करती है।
तो मैंने भाभी को कहा कि तुम्हें जब भी अपनी पुसी और सारे बदन को चटवाना हो तो मुझे याद कर लेना मैं आपके सारे बदन को मसाज और चाटूँगा।
तो बोली- हाँ ज़रूर, मैं अब तुमसे ही अपने बदन की मालिश और सक करवाउंगी। तुम इस काम में बहुत एक्सपर्ट हो।
और कहा- चलो अब इसकी पुसी की प्यास बुझा दो। यह भी बाथरूम में जा जा कर अपनी पुसी को रब करती और फिंगरिंग करती है।
तो वो बोली- दीदी, मैं तो जीजू और आपको रात को करते देख कर ही यह सब सीखी हूँ और मेरी पुसी में फिंगरिंग डालती हूँ। अब मुझसे इसकी खुज़ली बरदास्त नहीं होती, दीदी आप कुछ करो न।
तो भाभी ने कहा- समीर जल्दी करो।
फिर मैंने उसको सोफा पर ही लिटा दिया और उसके हिप्स के नीचे भाभी ने एक पिलो रखा क्यूंकि वो अभी वर्जिन थी।
और मुझे कहा- चलो!
और वो उसके मुँह के पास जाकर अपनी पुसी उसके मुँह पर रख दी और कहने लगी- तुम इसको सक करो।
मैं अपना लंड उसकी पुसी के सामने रखा और अंदर करने लगा पर उसकी पुसी बहुत ही टाइट थी वो अंदर नहीं जा रहा था।
यह देख कर भाभी ने कहा- थोड़ा ज़ोर लगाओ।
मैंने ज़ोर लगाया पर वो अंदर नहीं गया तो भाभी ने कहा- तुम्हारा बहुत मोटा है मैंने आज तक इतना मोटा लंड xxx मूवी में भी नहीं देखा है।
और वो वहाँ से खड़ी हुई और बेडरूम में से क्रीम लेकर आई और थोड़ा मेरा लंड पर लगाया और थोड़ा अपनी सिस्टर की पुसी पर रब किया और फिर कहा- अब अपना कॉक डालो।
मैंने फिर ट्राइ किया और मेरा थोड़ा कॉक उसकी पुसी में गया तो वो रोने लगी कि मुझे दर्द हो रहा है।
तो भाभी ने कहा- कुछ नहीं होगा और उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए और मुझे इशारा किया कि अब डालो।
तो मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया और सारा लंड उसकी वर्जिन पुसी में डाल दिया।
वो चीख पड़ी पर भाभी के लिप्स होने से उसकी आवाज़ नहीं निकली पर उसके आंशु निकल गये वो रोने लगी।
तो भाभी ने कहा कि कुछ देर तुम यूँ ही रहो, इसकी चूत छोटी और टाइट है इसलिए।
फिर मैं करीब 5 मिनट यूँ ही रहा और फिर मूव होने लगा अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी रेस्पोन्स देने लगी।
और कहने लगी कि ज़ोर से और ज़ोर से कई दिनों से मैं किसी के पास जाकर चुदवाने की सोच रही थी पर कोई मुझे मिला ही नहीं एक बार मैंने अपने लिफ़्टमैन के सामने भी अपने बूब्स दबाये थे कि यह देख कर वो मुझे छेड़े और सेक्स करे पर उसकी वाइफ वहाँ आ गई।
मैंने अपने बॉय फ्रेंड को भी कहा था पर उसका लंड तो बहुत छोटा था तुम्हारा रियली में बहुत सेक्सी और मोटा लंड है अब मैं इससे ही चुदवाउंगी।
फिर मैं 15 मिनट स्ट्रोक लगाने के बाद पानी छोड़ने वाला था तो भाभी ने कहा- रोनू बाहर पानी निकलना !
तो मैंने फॉरन अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में पानी छोड़ दिया और उससे कहा कि तुम्हारी पहली चुदाई का जूस है तुम पी जाओ।
वो सारा मेरा पानी पी गई और कहा- बहुत टेस्टी है।
सो फ्रेंड कैसी लगी मेरी यह कहानी। Antarvasna
मैं नागपुर से ३८ साल का Sex Stories सुन्दर और स्मार्ट पुरुष हूँ। मैं आज आपको अपने जीवन की एक पुरानी लेकिन गर्म कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
मेरे पड़ोस में पायल रहती थी जो मुझसे करीब आठ साल छोटी थी। हमारे और पायल के परिवार के बहुत अच्छे सम्बन्ध थे। रुपा सुन्दर और जवान होती जा रही थी और साथ ही मेरी रुचि उसमें बढ़ती जा रही थी। वो जब चलती थी तो मेरी आँखें उसके कूल्हों पर ही अटक जाती थी। उसकी लहराती हुई चाल देखकर मैं तो जैसे पागल ही हो जाता था। वो मुझे चाचा कहती थी।
पायल अब कॉलेज़ में पढ़ने लगी थी। उसके उभार बढ़ने लगे थे और साथ ही उसकी मादकता भी बढ़ने लगी थी। उसका कद लगभग ५’२”हो गया था, उसका बदन भरा भरा सा दिखने लगा था। मैं रात को अक्सर उसे याद करके मुठ मारने लगा था। हमारा रिश्ता ऐसा बन गया था कि मैं एकदम से उसे कुछ नहीं कह पाता था। जब भी मुझे मौका मिलता मैं किसी ना किसी बहाने से उसे छू लेता था।
एक दिन दोपहर में मैं उसके घर गया तो वह अपनी दादी और माँ के साथ बैठी थी। उसके पैरों में दर्द हो रहा था। मैंने उससे कहा- लाओ, मैं तुम्हारा एक्यू-प्रेशर कर देता हूँ। वह मेरे करीब आकर बैठ गई। मैंने धीरे धीरे उसके पंजों पर एक्यू-प्रेशर करना शुरू किया। मुझे एक्यू-प्रेशर के काफी सारे दबाव-बिंदु मालूम हैं। मैं समझ गया कि उसका पैर ऊपर से लॉक हो गया है।
पायल इस समय स्कर्ट और टी-शर्ट पहने हुए थी। धीरे धीरे मैं उसके घुटनों तक प्रेशर देने के बहाने अपने हाथ फिराने लगा। थोड़ी देर में मैंने उसकी जांघों पर हाथ फिराना चालू कर दिया। जांघों को सहलाते हुए दो बार मैंने उसकी योनि भी सहला दी। पायल शरमाने लगी। उसकी माँ और दादी भी बैठी थी, अधिक कुछ हो नहीं सकता था।
समय बीतता गया, पायल पर और ज्यादा जवानी चढ़ने लगी। मैं एक्यू-प्रेशर करने के बहाने उस के पूरे बदन को छूने लगा, जिससे वो हमेशा शरमा जाती थी। मैं अभी तक यह समझ नहीं पा रहा था कि उसके मन में भी ऐसा कुछ हो रहा है क्या।
कुछ दिनों में पायल ने अपनी स्नातिकी पूरी कर ली। अब वो पूरी तरह से निखर चुकी थी। उसका कद ५’४” छाती ३३” कमर २८” और कुल्हे ३२” के लगभग हो गए थे। उसे देख कर मेरी जांघों के बीच जबरदस्त तनाव आ जाता था।
इस बीच मेरी शादी हो गई। मै अक्सर अपनी पत्नी के साथ सेक्स करते समय पायल को याद करके ऐसा महसूस करने लगा जैसे मैं पायल के साथ ही सेक्स कर रहा हूँ।
कुछ दिनों बाद पायल का रिश्ता आ गया और उसकी शादी मुम्बई हो गई। उसका पति दिखने में ज्यादा ठीक नहीं था। मुझे वो कहावत याद आ गई कि हूर के साथ लंगूर ही मजे करते हैं।
मुझे अपनी किस्मत पर बड़ा पछतावा होता था कि ऐसा करारा माल मेरी जगह इस लंगूर को मिल रहा है। उसकी शादी के बाद जब वो पहली बार मायके वापस आई तो उसको देख कर मैं तो एकदम दंग रह गया। थोड़े दिनों कि चुदाई के बाद तो उसका बदन जैसे क़यामत हो गया। उसके बात करने का तरीका भी बदल गया। थोड़े दिनों बाद वो मुंबई आने को कहकर चली गई और मैं इंतजार करने लगा कि कब मुंबई जाने का मौका मिले।
फ़िर कई महीनों मुझे मंत्रालय के काम से मुंबई जाने का मौका लगा। अब तक उसकी शादी को ७ महीने हो चुके थे। मुझे स्टेशन पर लेने के लिए उसके पति आये थे। हम लोग घर पहुंचे तो दरवाजे पर ही मेरे इंतजार कर रही थी। मैंने उसे दरवाजे पर ही अपनी बांहों में भर लिया और उसके माथे पर एक पप्पी दी।
थोड़ी देर में मैं तैयार होने बाथरूम में गया तो देखा पायल की अंडरवियर और ब्रा सूख रही थी। मैंने उसे उठा कर सूंघा, क्या मदहोश सुगंध थी ! मेरा लण्ड खडा हो गया। मैंने उसकी पैंटी को अपने लण्ड पर रख मूठ मारना शुरू कर दिया और अचानक मेरा पानी बह निकला। मैं फटाफट तैयार हुआ और मैं और उसके पति नाश्ता करके साथ में ही निकल गए।
मैं मंत्रालय चला गया और उसके पति अपने ऑफिस। करीब ४.०० बजे मेरा काम ख़त्म हुआ, मुझे वहां और ४ दिन रुकना पड़ रहा था। मैं करीब ६.०० बजे उसके घर वापस आया तो उसके पति पहले ही घर पर थे और उन्होंने मुझे बताया कि ऑफिस के काम से उन्हें ५ दिनों के लिए गोवा जाना पढ़ रहा है।
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई। वो अफ़सोस जता रहे थे कि मैं पहली बार आया और उन्हें जाना पड़ रहा है। मैंने शांत स्वर में कहा- भाई ऑफिस का काम है तो जाना ही पड़ेगा !
फिर रात १०.०० बजे की गाड़ी से वो गोवा चले गए। हमने उन्हें घर से ही ९.०० बजे विदाई दे दी थी।
उनके जाने पर हमने खाना खाया। पायल ने रसोई का काम ख़त्म किया फिर हम दोनों बैठकर घर -परिवार की बातें करने लगे। अगले दिन मुझे दोपहर बाद ही बाहर जाना था इसलिए हम दोनों को सुबह जल्दी उठाने की कोई चिंता नहीं थी। पायल ने अपनी नाईटी पहनी थी क्योंकि मुझसे ऐसी कोई शर्म तो थी नहीं। मैंने भी अपना नाईट-सूट पहन रखा था और आदत के मुताबिक मैंने अपना अंडरवियर नहीं पहना था।
थोड़ी देर बातें करते करते मैंने उससे कहा- चलो, बेड पर लेट कर ही बातें करते हैं, पीठ को थोड़ा आराम मिल जायेगा।
हम दोनों उनके बेड-रूम में आ गए। मैं लेट गया और वो पास में बैठ कर बातें करने लगी।
मैं उसका हाथ अपने हाथों में ले कर सहलाने लगा। फिर उसको खींच कर अपने बाजू में लिटा लिया। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे से निकालकर उसका सर अपने कन्धों पर रख लिया। हम बातें करते जा रहे थे। धीरे धीरे मैंने उसके हाथ जो उसकी छाती पर रखे थे, सहलाना चालू किया। कमरे में ए सी चालू था। हल्की-हल्की ठण्ड का हमें अहसास होने लगा। उसने एक चादर खींच कर हम दोनों के ऊपर डाल ली ऐसा करते वक़्त मेरा हाथ उसके भारी उरोजों को छू गया। उसे छूते ही मेरा खम्बा अकड़ कर खड़ा होने लगा।
अब मैंने उससे शादीशुदा जिन्दगी के बारे में पूछना शुरू किया। मेरा हाथ उसके हाथों को सहलाते सहलाते उसके उरोजों को भी सहलाने लगा था। शायद अब उसे मेरे इरादे भी समझ में आने लगे थे, उसने कहा- रात बहुत हो गई है, सो जाते हैं।
मैंने कहा- अभी तो बहुत सी बातें करनी हैं, सुबह भी जल्दी उठने की चिंता नहीं है, और बातें करते हैं।
मैंने उससे पूछा कि सेक्स लाइफ कैसी चल रही है तो वो शरमाने लगी, कहने लगी- चाचा ! ये आपके पूछने की बात थोड़े ही है !
मैंने कहा- अब तुम इतनी बड़ी हो गई हो, शादीशुदा हो, अब तो हम एक दोस्त की तरह बातें कर ही सकते हैं।
पायल ने कहा- मुझे शर्म आती है !
मैंने कहा- चलो, मैं अपनी पहले बताता हूँ। देखो मुझे शादी के ४ साल होने पर भी रोज सेक्स किये बिना नींद नहीं आती। मैं पहले तुम्हारी चाची की अच्छे से मालिश करता हूँ और फिर करीब १ घंटा हम सेक्स करते हैं। इतने में तुम्हारी चाची ३ से ४ बार झडती है।
और जब चाची नहीं होती तब? -उसने पूछा।
तब मैं उसका या किसी के भी नाम से स्वयं संतुष्टि कर लेता हूँ, कभी कभी तो उसमें तुम्हारा भी नाम होता है।
वो सकपका गई। उसे मेरे इरादे खुलते नजर आने लगे। उसने कहा- ये तो लगभग रोज देर रात तक लौटते हैं और सुबह जल्दी चले जाते हैं। हम लोग शनिवार रात को ही ये सब कर पाते हैं। या फिर किसी दिन छुट्टी होती है तो बोनस हो जाता है।
अब मैं उसके मम्मों को सीधे सहलाने लग गया। उसने कहा- ये क्या करते हो चाचा?
मैंने कहा- पगली अभी तो हम दोस्त हैं चाचा-भतीजी नहीं ! देखो तुम भी जवान हो और मैं भी। तुम्हारी भी शादी हो चुकी है और मेरी भी। तुम ये भी जानती हो एक बार करने से कुछ हो नहीं जाने वाला है।
उसने बताया कि वे लोग अभी बच्चा नहीं चाहते इस लिए कंडोम इस्तेमाल करते हैं।
मैंने कहा फिक्र न करो। हम भी वही इस्तेमाल कर लेंगे।
अब मैंने उसके अधरों पर अपने होंट रख दिए, वो थोड़ा कसमसाई और कुछ बोलने के लिए मुंह खोलने लगी तो मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी। उसपर इसका असर होने लगा। उसकी सांसे भरी होने लगी। लेटे लेटे ही मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया, वो हाथ हटाने लगी पर मैंने उसका हाथ जोर से पकड़ कर रखा था। फिर वो धीरे से मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
आज मुझे अपनी बरसों की तपस्या का फल मिलने वाला था। मैंने उसके उरोजों को अब खुलकर दबाना चालू कर दिया। वो मेरी छाती में अपना मुंह छिपाने लगी। मैंने अपना हाथ उसके पेट और कमर पर से सरकाते हुए उसके मादक कूल्हों पर रख कर उन्हें दबाने लगा। मुझे जैसे स्वर्ग का आनंद मिलने लगा। अब पायल भी खुलने लगी।
आज गुरूवार था यानि उसकी पिछली चुदाई हुए लगभग ५ दिन बीत चुके थे।
अब मैं उसके पैरों के पास बैठा था। मैंने धीरे से उसका ग़ाऊन टांगों पर से उठाना शुरू किया। जैसे जैसे उसका ग़ाऊन ऊपर हो रहा था, उसकी सुडौल मरमरी टाँगें बाहर आने लगी। मेरा सुलेमान अब एकदम टाईट हो गया था। उसकी पिंडलियाँ देख मैं अपने आप को रोक नहीं सका और उन्हें चूमने लगा। मैं ग़ाऊन को इंच-इंच ऊपर कर रहा था और उसकी सेक्सी चिकनी टांगों को चूमता जा रहा था।
पायल भी मस्त होने लगी। उसने एकदम से मेरा पायजामा खींच दिया। अब मैं उसके सामने सिर्फ शर्ट में था। उसने मेरे फौलादी को हाथ में लेकर मसलना-सहलाना चालू कर दिया। मैंने उसके ग़ाऊन को जांघों पर से सरकाते हुए उसके हुस्न के दर्शन के लिए नाभि तक ऊपर उठा दिया। अन्दर वो भड़कीले लाल रंग की पैंटी पहने हुए थी। उसकी कली के आस पास की जगह गीली होने से कत्थई नजर आ रही थी। मैंने उसकी नाभि को चूम लिया और ग़ाऊन ऊपर उठाते हुए पूरा निकाल दिया।
अब मेरे सामने मेरी बरसों की तमन्ना सिर्फ ब्रा और पैंटी में मदहोश पड़ी थी। मैंने उसको उठा के गले से लगा लिया और बेतहाशा चूमने लगा। वो भी मुझे सब जगह चूमने लगी। उसने खींच कर मेरा शर्ट भी उतार दिया।
मैंने पीछे हाथ डालकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, उसके तने हुए उरोज बंधन से एक झटके में आजाद हो गए, मैंने जल्दी से ब्रा अलग कर उसके चुचुकों को चूसना चालू कर दिया। वो मेरी छाती और लण्ड को सहलाने लगी। उसके मुंह से अब सऽऽसऽऽसऽऽऽ सिस्कारियां छूटना चालू हो गई।
अब मैं ६९ की पोजीशन बनाते हुए उसकी पैंटी से उसकी जवानी को आजाद करने लगा। मेरा लण्ड अब उसके होटों को छूने लगा। मेरे लण्ड पर एक बूंद प्री-कम की उभर आई, जो मोती की तरह चमक रही थी। उसने अपनी जीभ निकालकर उस मोती को अपने मुंह में ले लिया। उसका स्वाद शायद उसे बहुत पसंद आया क्योंकि अब वो मेरे ६.५ इंच का लण्ड अपने मुंह में लेने लगी। इस काम के लिए वो बार बार अपना सर ऊपर उठा कर मेरा लण्ड अपने हलक तक लेने लगी।
मैंने उसकी पैंटी उतार दी, अन्दर से पाव रोटी की तरह बाल-रहित एकदम गुलाबी सी उसकी चूत नजर आने लगी। उसकी चूत देखते ही मैं पागल हो गया। मैंने ६९ पोजीशन में ही अपने को नीचे और उसको अपने ऊपर कर लिया। यह पोजीशन हम दोनों के मुख -मैथुन करने में सहायक हो रही थी।
मैंने उसकी चूत की पलकों को अपनी अँगुलियों से अलग किया और अपनी जीभ उसमें घुसा दी। जीभ का खुरदरापन उसके योनि-कलिका पर महसूस करते ही वो जोश में आ गई, वो भी मेरे लण्ड को पूरा निगलने की कोशिश करने लगी।
लण्ड-चूत हमारे मुंह में होने के कारण मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसने मेरा और मैंने उसका पानी पी लिया। क्या पानी था, क्या स्वाद था। उसकी चूत की सुगंध मुझे मदहोश बना रही थी। ऐसा लग रहा था मानो ३ पैग विस्की पी ली हो !
अब मैं घूम कर उसके मुंह के करीब आ गया और उसे बाँहों में भर लिया। उसका चेहरा चमकने लगा था। अब उसकी आँखों में देख कर मेरे साण्ड ने फिर हरकत करनी शुरू कर दी। मैं उसके स्तनों और गाण्ड को सहलाने लगा। मेरा तना हुआ लण्ड उसकी नंगी जांघों से टकराने लगा।
उसके अन्दर भी फिर से तूफ़ान तैयार होने लगा। अब मुझ से सहन नहीं हो रहा था। मैंने उसके कमर के नीचे अपना हाथ डाला और अपने लण्ड को उसकी चूत के दरवाजे पर लगा कर एक जोरदार झटका मारा।
लण्ड अन्दर जाते ही वो जोर से चिल्लाई- मर गई ! इ इ इ ई ईई ईई ! थोड़ा धीरे डालो।
लेकिन अब सुनाने का समय नहीं था, मैं पूरी गति से झटके लगाने लगा, वो नीचे से चूतड उठाने लगी। १० मिनट के घमासान के बाद मैंने उसे जोर से अपने बदन से चिपका लिया, वो अब तक तीन बार झड़ गई थी, मेरे चिपकाते ही वो ४ थी बार साथ में झड़ने लगी। हम दोनों बाँहों में बाहें डालकर अपनी साँसे दुरुस्त करने लगे।
उसकी आँखों में गज़ब की संतुष्टि नज़र आ रही थी।
उसने मुझे अब खुलकर बताना चालू किया कि वो भी मुझे बहुत पहले से चाहती है पर कभी बोल नहीं पाई। उसका पति उसे कभी कभी ही संतुष्ट कर पाता है।
हमें याद आया कि जल्दबाजी में हमने तो कंडोम लगाया ही नहीं। मैंने उसे तुंरत पेशाब करके आने को कहा। आते वक़्त वो दूध ले आई। उस रात मैंने उसे ४ बार चोदा। एक बार घोड़ी बनाकर, एक बार सोफे पर। एक बार कंधे पर लेकर और एक बार बाथरूम में !
अगले दिन क्या हुआ?
यह बाद में बताऊंगा कि कैसे मैंने उसकी गांड मारी।
यदि आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो मुझे जरूर बताएं।
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