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मेरे मित्र ने मुझे कुछ ही दिन Antarvasna पहले अन्तर्वासना के बारे में कहा था। पढ़कर बहुत मज़ा आया और अपना भी अनुभव आप लोगों तक पहुँचाने का मन किया।
मुझमें एक आदत है- कोई भी लड़की मेरी तरफ़ देखती है तो दूसरे ही पल मैं उसके वक्ष को देखता हूँ और तुरन्त ही नीचे चूत की तरफ़ देखता हूँ और दांतों से होंट काटते हुए उसकी आँखों में देखता हूँ। अगर वो फ़िर मुझे देखती है तो जान जाता हूँ कि काम की है और उसी पर थोड़ा लाइन मारता हूँ।
तो दोस्तो, बात एक साल पहले की है। हमारे पड़ोस में सामने वाले घर में अपने रिश्तेदार के यहाँ एक नई लड़की रहने आई। उसका नाम रोमा है, 19 साल की पजाबी लड़की थी। दिखने में किसी हिरोइन से कम नहीं थी। जो भी देखता था तो देखता रह जाता था। पर बहुत ही घमन्डी थी। और दोस्तो, मुझे घमन्डी लड़की को चोदने को बहुत मन करता है। जब से आई, उसे चोदने का मन बना लिया था।
नसीब से हम दोनों का बेडरूम फ़स्ट-फ़्लोर पर ही था और दोनों की गैलरी भी आमने-सामने ही थी। दो तीन दिन निकल गये वो जरा भी इधर-उधर नहीं देखती थी।
एक दिन शाम को मेरी तबियत ठीक न होने के कारण मैं जल्दी ही घर आ गया था और सोने के लिये बेडरूम में आ गया तो देखा तो रोमा अपनी गैलरी में खड़ी थी। मैंने सोचा- मौका अच्छा है।फ़िर तुरन्त ही अपना पैन्ट उतार के, वो मुझे देख सके, उस तरफ़ मुँह करके अपने लण्ड को तेल लगा-लगा कर मालिश करने लगा।
जैसे ही उसने मुझे नंगा देखा, तुरन्त अपने कमरे में भाग गई। दोस्तो, मेरा लण्ड अगर किसी भी औरत या लड़की ने देखा तो चखने का मन बन ही जाता है। फ़िर मैंने खिड़की के काँच से देखा तो पता चला कि वो दरवाजे के पास कुर्सी डाल कर चुपके से मेरे कमरे में झांक रही थी। मैंने सोचा- मेरा काम हो गया।
फ़िर मैं भी कुर्सी ले कर दरवाजे के पास जाकर बैठ गया और तेल लगाकर मुठ मारने लगा। वो छुप-छुप के देख रही थी और शरमा रही थी और देख भी रही थी। उसे जरा भी पता नहीं था कि मैं जानबूझ के उसे दिखा रहा हूँ। फ़िर उसे और भड़काने के लिये ही मैंने मेरी भाभी से पानी लाने को कहा।
वो तो दंग रह गई। एक तो मैं पूरा नंगा था और भाभी को बुला रहा था। भाभी जैसे ही पानी लेकर आई, मुझे देखकर बोली- शरम नहीं आती? जब देखो तब लेकर बैठ जाते हो !
मैं उठ कर भाभी के पास गया और उसे पीछे से पकड़ लिया और मस्ती करते करते ठीक दरवाजे के पास लाकर भाभी के पीछे से ब्लाउज के उपर से ही भाभी के स्तन दबा रहा था। भाभी मुझे डाँटते हुए मुझसे छुटने की कोशिश कर रही थी और बोल रही थी- रात को आऊँगी ! जी भर के चोद लेना ! और कहने लगी- छोड़ो, कोई देख लेगा।
मुझे तो दिखाना ही था ! भाभी को कहाँ मालूम मेरी योजना। यह सोच कर मन ही मन मैं मुस्कुराने लगा और उनके बाल पकड़ के पीछे से चूमने लगा। हमारा यह नज़ारा देख कर रोमा और पगल हो रही थी और घूर घूर कर देख रही थी। मैं धीरे धीरे भाभी के स्तनों को दोनों हाथों से जोर जोर दबा रहा था। अब भाभी को मजा आ रहा था और मेरा विरोध करना बन्द कर दिया।
फ़िर मैंने एक हाथ से उसकी साड़ी को ऊपर उठाया और उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर भाभी की चूत में उंगलियाँ डाल कर मसल मसल कर मुठ मारने लगा। थोड़ी देर में भाभी की साड़ी खुल गई तो मैंने पैन्टी भी उतार दी।
एक हाथ दरवाज़े पर टिका दिया और पीछे से अपना लण्ड भाभी की चूत के पास लाकर आगे से चूत को लगा कर ऊपर नीचे करने लगा। भाभी बेड पर ले जाने को बोल रही थी। मैंने मना किया और एक झटका मार दिया तो आधा लण्ड अन्दर चला गया। एन्गल ऐसा था कि चूत में घुसा हुआ आधा लण्ड रोमा को साफ़ दिखाई दे रहा था।
और रोमा को देख कर मैं भी जोश में आने लगा और भाभी को गपागप चोदे जा रहा था। ऊपर से दोनों हाथों से दोनों चूचियों को बेरहमी से दबा रहा था और साथ में भाभी के होंठों को चूस-चूस के मजे ले रहा था। हम दोनों के चक्कर में भाभी को मजा आ रहा था और मुँह से तरह तरह की आवाजे निकाल रही थी- आऽऽ आआ अह, या आह्ह, उफ़्फ़, बस, छोड़ो मुझे, जाने दो, कोई देख लेगा !
भाभी की आवाजों से रोमा भी उत्तेजित होने लगी। बीच बीच में लण्ड बाहर निकाल के अन्दर डाल रहा था। मलाई से लोट-पोट लण्ड देख कर रोमा से रहा नहीं जा रहा था। लण्ड अच्छा दिख रहा था। फ़िर झटके तेज करके लगा रहा था। दस मिनट तक एसे ही चोदता रहा, इतने में भाभी की चूत से पानी निकल गया तो वो मेरे हाथ से छुट गई और अपने कपड़े उठा के वहाँ से चली गई।
फ़िर मैंने रोमा के सामने आकर लण्ड हाथ में लेकर मुठ मार-मार कर पानी निकाल दिया। जैसे ही मेरे लण्ड से पानी निकला, तो पानी जैसे उसके मुँह में गिरा हो, उस तरह रोमा अपना थूक निगल रही थी। इतने में रोमा के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी तो वो उठकर गई और मैं भी छुप गया।
दूसरे दिन भाभी ने मुझसे चायनीज़ खिलौनों की दुकान से फ़ाईबर का लण्ड मंगवाया। भाभी को शादी हुई दो साल हुए, मेरे भैया से उनको चूत का सुख नहीं मिलता था। उसे अब तक भैया ने कम, मैंने ज्यादा चोदा है।
तो रात को 9-30 बजे जब मै बडरुम में गया तो देखा कि रोमा अपने कमरे में बैठकर टी वी देख रही थी और थोड़ी-थोड़ी देर बाद मेरे कमरे की तरफ़ देख रही थी। मैं समझ गया कि उसे चूत का खेल फ़िर से देख्नना है। फ़िर मुझे भी भाभी को फ़ायबर के लण्ड का मज़ा देना था।
जैसे ही मैंने भाभी को आवाज़ दी, रोमा ने अपने कमरे की लाइट बन्द कर दी और अपने बेड पे जाकर खिड़की में नजर टिका कर बैठ गई। पर टीवी चालू होने के वजह से साफ़ पता चल रहा था कि वो मुझे देख रही है।
घर पर आज भी मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था। इतने में भाभी दूध ले कर ऊपर आ गई। भाभी को भी घर पर कोई न होने का पूरा मजा लेना था। आते ही वो भी सीधा बेड पे आ गई। मैंने सारे कपड़े उतार दिए और उनके बाल खुले करके लेटा दिया। फ़िर भाभी टांगें ख़िड़की की तरफ़ करके उसकी चूत चाटने लगा। फ़िर उंगलियों से मसलने के बाद जब चूत पूरी तरह गीली हो गई तो मैंने फ़ायबर का लण्ड भाभी की चूत में धीरे से घुसेड़ दिया।
घुसते ही भाभी चिल्लाई। रोमा को भी कुछ नया दिख रहा था। जैसे ही पूरा लण्ड अन्दर गया, भाभी और चिल्लाने लगी, क्योंकि वो काफ़ी मोटा था और लम्बा भी था।
मैं थोड़ी-थोड़ी देर में रोमा को देख रहा था। अब वो पूरी तरह से पलट कर हमें देख रही थी। फ़ायबर के लण्ड से थोड़ी देर चोदने के बाद मैंने भाभी को उल्टा करके कुतिया बनाया और भाभी की गाण्ड में थूक लगा के गीला कर दिया फ़िर धीरे से अपना लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया। भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। धीरे-धीरे भाभी की गाण्ड खुल गई। फ़िर मैं उठ-उठ कर चोदने लगा। तो भाभी का हाल- न कहा जाये न सहा जाये ! ऐसा था।
थोड़ी देर गाण्ड चोदने के बाद भाभी को उठा के बाल पकड़ कर मुँह में लण्ड दिया। वो लण्ड चूसने में माहिर है। मुँह से ही कभी कभी लण्ड ढीला करके पानी निकाल देती थी। थोड़ी देर बाद भाभी को सीधा करके दस बारह झटके मारते ही भाभी झड़ गई और ऐसे ही पलंग पर सो गई।
तब मैंने लाइट बंद कर दी और चुपके से दरवाजे से होकर गैलरी से कूद कर रोमा की गैलरी में गया और दरवाजे से अंदर जा के सीधा लाइट चालू किया जोर से कहा- क्या देख रही हो कब से?
रोमा एकदम डर गई। वो पूरी नंगी थी। उसकी उंगलियाँ चूत में थी। मैं उससे पास गया फ़िर भी वो उठी नहीं। उसे लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई। मौके का फ़ायदा उठा के मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। वो कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।
फ़िर ज्यादा देर न करके उसे लिटा कर उसकी चूत में उँगली डाली तो पता चला चूत पूरी गीली और एकदम कंवारी थी। मैं अपना लण्ड चूत के मुख पर रख कर ऊपर-नीचे घिसाता रहा और फ़िर जोर से एक झटका दिया तो आधा लण्ड अन्दर घुस गया।
रोमा जोर से चिल्लाई- ओ…मा…॥
फ़िर रोमा ने अपनी जांघें जकड़ ली दर्द के मारे ! मुझे हिलने नहीं दे रही थी। रोमा का ध्यान दर्द से हटाने के लिये मैं उसके स्तन मसल रहा था। एक साथ दोनों जगह का आनंद लेते लेते रोमा ने अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर ली। मैंने भी मौका देखकर जोर से दो चार झटके दिए तो इस बार पूरा लण्ड रोमा की चूत को फ़ाड के अंदर चला गया।
रोमा के मुँह से उप्स्स्स्स्स की आवाज निकली। फ़िर उसके चाहने पर भी ना रुका ! गपागप रोमा की मस्त चूत को चोदता ही रहा। उसके मुँह से आवाज रुक नहीं रही थी- आहाह्ह्ह्ह उईईई माँ ! और 5 मिनट में रोमा स्खलित हो गई। दस बारह झटके लगा के मैंने भी पूरा का पूरा पानी अंदर ही छोड़ दिया और चुपचाप अपनी चड्डी पहनकर अपने कमरे में आ गया।
रात को चार बजे एक बार देखने गया तो रोमा अभी भी ऐसे ही सोई हुई थी। उसका नंगा बदन देख के मेरे मन को लगा कि फ़िर मौका मिले ना मिले, एक बार और चोद लेता हूँ।
और फ़िर चालू हो गया। दस मिनट चोद के फ़िर पूरा पानी अंदर ही छोड़ कर आ गया।
तीन दिन के बाद रोमा अपने शहर चली गई। लेकिन उसने मुझे फ़िर नहीं देखा। बीस दिन के बाद अचानक वो फ़िर से आई और रात को मुझे अपने कमरे में बुलाया। मैं खुशी से गया तो पता चला कि उसका मासिक जो 15 तारीख को आता था वो नहीं आया ! वो तो डर गई थी, यही बताने खास वो यहाँ आई थी। मैंने उसे दवाई दी तो उसका मासिक हो गया।
अब हमारी अच्छी दोस्ती हो गई, अपना मोबाइल नम्बर दे गई। महीने में एक बार उसे मिलने जाता हूँ तो चोद के ही आता हूँ।
मैं यह कहानी भी उसे पूछ कर ही लिख रहा हूँ।
मेरे दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना। Antarvasna
मैं राहुल, 32 साल, मैंने Antarvasna अंतर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं. खास कर मुझे अगम्यागमन कहानियाँ ज्यादा अच्छी लगती हैं. वैसे नेहा जी भी अच्छी लिखती हैं. अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.
मैं जब छोटा था, तब दीदी मुझसे पीठ खुजलाने के लिए बोला करती थी. हम एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोया करते थे. फिर कुछ दिनों बाद दीदी मेर हाथ अपने चुच्ची की तरफ आगे बढ़ाने लगी और बोली- यहाँ खुजलाओ!
मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैं दीदी को मना नहीं कर पाता था क्योंकि दीदी मुझे बहुत प्यार करती थी. फिर दूसरे दिन रात को दीदी बोली- आज नीचे खुजला दे!
तो मैंने पूछा- कहाँ दीदी?
दीदी ने अपनी पेंटी उतार दी और अपनी बुर की ओर इशारा करके बोली- यहाँ!
मैं बोला- दीदी, यहाँ से तो सु-सु करते हैं!
दीदी बोली- हाँ यहीं बहुत खुजली हो रही है.
फिर मैं दीदी की बुर खुजलाने लगा.
फिर दीदी बोली- उसके अंदर जहाँ से सु-सु आता है ना, वहाँ उंगली डाल के खुजला ना!
मैं दीदी की बुर में उंगली डाल के खुजलाने लगा.
फिर इसी तरह कुछ दिन चलता रहा और फिर कुछ दिनों बाद दीदी मामा के घर आगे की पढ़ाई के लिये चली गई.
हम कई बार बीच बीच में मिलते रहे, मामा के घर तो कभी हमारे घर, लेकिन कभी मौका नहीं मिला हमें वैसा मस्ती करने के लिये.
फिर दीदी अपनी पढाई पूरी करके लौटी तो दीदी 24 की हो गई थी.
कुछ दिनों बाद दीदी ने एक दिन मुझ से पूछा- बचपन की बातें याद हैं?
मैंने सर हिला के हाँ कहा, फिर दीदी बहुत खुश हो गई और मेरे गालों को चूम लिया.
अब भी हम लोगों का कमरा एक ही था लेकिन पलंग अलग अलग था. और फिर जब रात को मैं अपने बिस्तर में बरमु्डा पहने गहरी नीन्द में सोया हुआ था तो दीदी ना जाने कब मेरे बिस्तर आ गई और मेरा लण्ड निकाल के सहलाने लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मेरा लौड़ा अकड़ के जम के खड़ा हो गया था.
अचानक मेरा नीन्द खुली, देखा कि दीदी के हाथों में मेरा लौड़ा है और वो उसे कभी प्यार से देखती है, कभी सहलाती है और कभी मेरे झाटों से खेल रही है.
तो मैं दीदी से अचानक बोला- दीदी, ये क्या कर रही हो?
दीदी बिल्कुल ही नहीं डरी और बोली- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या?
फिर मैं क्या बोलता, मुझे तो मजा ही आ रहा था, मैं यूं ही लेटा रहा, फिर मैंने दीदी को बोला- दीदी, इसे मुँह में ले लो ना!
दीदी बोली- क्यों? अभी तो तुझे बुरा लग रहा था! अब कैसे मुँह में लेने के लिए बोल रहा है?
मैं बोला- दीदी प्लीज़ ले लो ना! नाटक क्यों कर रही हो!
दीदी बोली- मुँह में क्या, सब जगह ले लूंगी, लेकिन पहले मेरे पूरे कपड़े खोल के जम के गरम तो करो!
फिर दीदी ने मेरा बरमुडा निकाल के अलग कर दिया, मैंने दीदी को बेड पे ही खड़ा कर दिया और दीदी का टी-शर्ट निकाला, फिर जीन्स!
अब दीदी ब्रा और पेंटी में थी. दीदी पेंटी-ब्रा में क्या गज़ब की मस्त लग रही थी क्योंकि दीदी का फ़िगर 36 28 36 था, बड़े बड़े स्तन और गांड बड़ी बड़ी थी.
दीदी को नंगी देख मैं बहुत खुश हो रहा था और सोच रहा था कि आज तो दीदी मस्त चुदाई करुंगा क्योंकि ये सब मैं जिन्दगी में पहली बार देख रहा था और इन सब चीज़ों के लिये कब से तड़प रहा था.
मैंने दीदी दे स्तनों को ब्रा के ऊपर से खूब दबाया. फिर मैंने दीदी की पेंटी नीचे खिसका दी.
दीदी की बुर तो देखते ही बनती थी क्योंकि दीदी की बुर बिल्कुल साफ़ और डबलरोटी की तरह फूली हुई थी.
फिर मैंने दीदी की बुर की फांकों को खोल के देखा- क्या बुर थी दीदी की, बिल्कुल गुलाबी-गुलाबी! ऐसा लग रहा था जैसे किसी राजा के महल में गुलाबी परदे लगे हों!
मैं अब बिल्कुल रोमांच से भर गया था और ऐसा लग रहा था कि कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने दीदी से बोला- अब तो मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो!
दीदी भी बिल्कुल गरम हो चुकी थी, दीदी ने मुझसे बेड पे लेटने के लिये कहा और खुद मेरे टांगों के बीच में आ के बैठ गई.
मेरा लण्ड बिल्कुल छत की ओर ऐसे खड़ा था जैसे कोइ झंडे का डंडा खड़ा हो.
दीदी बड़े प्यार से मेरे लण्ड को फिर से सहलाने लगी और अंडे को चाटने लगी.
मैंने पहले कभी मुठ नहीं मारा था इसीलिये मेरे सील टूटी नहीं थी और ना ही मैंने कभी झांट साफ किये थे इसलिये मेरे बड़े बड़े झांट भी थे.
मेरे अंडों को चाटते हुए दीदी लण्ड की ओर बढ़ने लगी और फिर लण्ड की जड़ के चारों ओर चाटने और हल्का हल्का काटने लगी.
मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था और इंतज़ार कर रहा था कि कब दीदी मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरेगी!
दीदी से स्तन मेरी जांघों में रगड़ खा रहे थे, मैं तो बिल्कुल सातवें आसमान में था.
मेरे लण्ड के चारों ओर से काटते, चाटते हुए दीदी सुपाड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ रही थी.
ऐसा लग रहा था कि दीदी मुझे जानबूझ के तड़पा रही हो.
फिर दीदी ने मेरे सुपाड़े के छेद में जीभ लगाई और धीरे धीरे जीभ से चाटने लगी और फिर थोड़ी देर बाद आखिर दीदी ने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर ही लिया.
और जैसे दीदी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में भरा, मेरा पूरा शरिर ही झनझना गया, ऐसा लगा कि मेरा बरसों का इंतज़ार खत्म हुआ और बरसों की तमन्ना पूरी हुई.
फिर दीदी लगी जम के लण्ड चुसाई करने.
थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब लगी, मैं बोला- दीदी एक मिनट रुको! मैं सु-सु करके आता हूँ!
दीदी बोली- नहीं यहीं करो सु-सु!
मैं बोला- दीदी यहाँ कहाँ करुँ सु-सु?
दीदी बोली- मेरे मुँह में!
मैं बोला- दीदी मुझे बड़ी जोर से सु-सु लगी है और एक बार जो सु-सु करना शुरु होगा तो मैं बीच में नहीं रोक सकूंगा और फिर बिस्तर भी गीला हो जायेगा.
दीदी बोली- मैं नीचे बैठ जाती हूँ, मुझे एक बर थोड़ा सा स्वाद चखना है और अगर अच्छा लगा तो पूरा पी जाऊँगी!
फिर दीदी नीचे बैठ गई, मैं दीदी के मुँह में लण्ड डाल लगा मूतने जोरों से!
दीदी दो चार घूंट पी गई लेकिन पूरा मुँह भर जाने के कारण पी नहीं सकी और फिर अपने चेहरे पर, वक्ष पर, बुर में गिराने लगी.
मैंने पूछा- दीदी, कैसा लगा स्वाद?
दीदी बोली- बहुत ही मजा आ रहा था, लेकिन थोड़ा धीरे धीरे करते तो मैं पूरा पी जाती!
मैं बोला- ठीक है, अगली बार धीरे धीरे करुंगा!
फिर दीदी ने कमरे में पोंछा लगाया और बोली- अब तुम थोड़ा स्वाद ले के देखो सु-सु का!
मैं बोला- नहीं मुझे नहीं करना है टेस्ट! दीदी बोली- बिल्कुल थोड़ा सा ही करुंगी, अगर अच्छा नहीं लगा तो दुबारा नहीं बोलूंगी!
फिर मैं नीचे लेट गया और दीदी मेरे मुँह में बुर लगा के ऐसे बैठ गई जैसे बाथरुम में सु-सु करते हैं और लगी जोर लगाने सु-सु करने को.
लेकिन दीदी को तो सु-सु लगी ही नहीं थी इसलिये बहुत जोर लगाने से 4-5 बून्द सु-सु ही कर पाई मेरे मुँह में.
दीदी ने पूछा- कैस लगा टेस्ट?
मैं बोला- बहुत ही नमकीन, खटटा और थोड़ी बदबू भी!
दीदी बोली- मुझे तो अच्छा लगा!
मैं बोला- लेकिन दीदी आपकी बुर चाटने मजा आ रहा था!
तो दीदी बोली- तो फिर जम बुर ही चाट दो!
फिर हम बिस्तर में आ गये और मैं दीदी के होंटो पे चुम्बन करने और चूसने लगा.
दीदी के होंटो को चूसते, चाटते हुए दीदी के कान पे जीभ फिराने लगा. दीदी बहुत ही गरम हो गई थी, कान को चाटते गले से होते हुए वक्ष को चाटने लगा लेकिन दीदी के चुचूकों के पास जा कर चुचूक को मुँह में लिये बगैर ही दूर हो जाता था. दीदी चुचूक चुसवाने के लिये तड़पने लगी और जबर्दस्ती मेरे मुँह में अपने चुचूक पकड़ के ठूंस दिए.
मैं दीदी का एक चुचूक चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने सहलाने लगा.
फिर धीरे धीरे मैं दीदी की बुर की ओर बढ़ने लगा और बुर के चारों ओर चूस-चूस दीदी की बुर लाल कर दी.
दीदी बुर चटवाने के लिये छटपटाने लगी और मेरा सर पकड़ के जबर्दस्ती अपने बुर में धंसा दिया. मैं लगा दीदी की बुर और बुर के दाने चूसने-चाटने!
फिर थोड़ी देर में हम फिर 69 करने लगे. दीदी फिर से मेरा लण्ड जम चूसने लगी.
मैं बेड पे खड़ा हो गया और दीदी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने दीदी का सर पकड़ के लौड़ा घुसा दिया.
दीदी ओ-ओ करने लगी और दीदी की आंख से आंसू आ गये.
मैं दीदी के मुँह को बड़े प्यार चोदने लगा.
दीदी ने एक हाथ से मेरी गांड को सहलाते हुए मेरे गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसेड़ दी.
अब मुझे डबल मजा आने लगा. फिर दीदी दूसरे हाथ मेरे लण्ड को हिलाते हुए चूसने लगी.
मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द होने लगा. दीदी बड़े जोरों से मेरे लण्ड हिलाने और चूसने लगी और दूसरे हाथ की दो ऊँगलियाँ मेरी गांड में घुसेड़ के अंदर-बाहर करने लगी.
मुझे बहुत मजा आने लगा और पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया.
दीदी मेरा पूरा लण्ड का रस चूस-चूस के पी गई.
मेरा लण्ड खड़ा तो था लेकिन थोड़ा ढीला पड़ गया था और दर्द भी होने लगा था.
दीदी तो लौड़े का रस पी के बिल्कुल गरम हो चुकी थी और बोली- भाई, अब मुझे जम के चोद दो!
मैं बोला- दीदी लण्ड तो खड़ा है लेकिन इसमें दर्द बहुत हो रहा है मैं चोद नहीं सकूंगा!
दीदी बोली- कोई बात नहीं, जब तुम्हारा लण्ड सही हो जायेगा तब चोद देना! लेकिन अभी तो इसे चूस-चाट के झड़ा दो!
मैं बोला- दीदी, हाँ! मैं ये कर सकता हूँ!
फिर दीदी टांग फैला के लेट गई और मैं दीदी की चूत चाटने लगा. दीदी मेरा सर पकड़ के जोर जोर से चटवा रही थी. फिर दीदी मेरे मुँह पे ही झड़ गई.
इसी तरह रात भर में 5-6 बार मेरे मुँह में झड़ी और मैं दीदी का सारा माल चाट-चाट कर पी गया और जब घड़ी देखी तो सुबह के पांच बज रहे थे.
हम दोनों थक के चूर हो गये थे और फिर हम लुढ़क के चिपक के सो गये.
और आगे कहानी सुनने के लिये मुझे मेल करें और बताएं कि मेरी कहानी कैसी लगी. Antarvasna
मैं आप लोगों को आज Hindi Sex Stories अपने जीवन की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।। मेरा नाम राहुल है और मैं एक बिज़नसमैन हूँ। मेरे घर में हम चार लोग हैं- पिताजी, माँ, मैं, और मेरी छोटी बहन !
बात आज से 4 साल पहले की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था, मेरी बहन दसवीं में थी। मेरे पिताजी अक्सर घर देर से ही आते थे क्योंकि बिज़नस की वज़ह से उन्हें देर हो जाती थी और माँ ज्यादातर अपने घर के काम में या फिर टीवी देखने में व्यस्त रहती थी। मेरी बहन जिसका नाम रिया है अधिकतर पढ़ाई करती रहती थी।
मैंने कभी उसे गलत नज़र से नहीं देखा था। मगर एक दिन मैं अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था कि एकदम से रिया मेरे कमरे में आ गई मैंने उसको देखते ही कंप्यूटर बंद कर दिया मगर उसने सब देख लिया था लेकिन वो कुछ बोली नहीं। मैं उससे कुछ नहीं कह पाया, वो हिम्मत करके मेरे पास आई और बोली- भईया मुझे यह सवाल नहीं आ रहा, इसको हल करने में मेरी मदद करो। मैंने कहा- ठीक है !
लेकिन मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मैंने उसका सवाल हल कर दिया। फिर वो जाने लगी तो मैंने उससे बोला- जो भी तुमने देखा है, वो किसी को मत बताना !
तो वो बोली- भईया, मैं किसी को नहीं बताउंगी पर यह सब अच्छी चीज़ नहीं हैं, आप मत देखा करो !
मैंने उससे कहा- ठीक है !
फिर वो चली गई लेकिन उस दिन मुझे उसे देख कर कुछ अजीब सा महसूस हुआ, मेरे दिल में उसके लिए गलत ख्याल आने लगे। मैं आपको बता दूँ कि रिया देखने में बहुत ही सेक्सी है। उसका फिगर 34-26-34 है, रंग हल्का साँवला है। जो भी उसको एक बार देख ले, उसका लंड अपने आप ही खड़ा हो जाए।
दो दिन बाद दोपहर के वक़्त माँ घर का काम निपटा कर सो रही थी और मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था। इतने में रिया आई और बोली- भईया उठो, मुझे एक सवाल समझ नहीं आ रहा, मुझे समझा दो।
तो मैं उठ कर उसे सवाल समझने लगा। लेकिन आज उसके मेरे पास बैठने से मुझे कुछ-कुछ हो रहा था, उसकी खुशबू मेरी साँसों में भर रही थी। मैं सवाल पर ध्यान नहीं लगा पा रहा था कि इतने में वो बोली- भईया, क्या बात है ?
तो मैं बोला- मुझे बहुत नींद आ रही है इसलिए मैं यह सवाल नहीं कर पा रहा हूँ !
तो वो बोली- भईया, नींद तो मुझे भी आ रही है ! ऐसा करते है ख़ी कुछ देर के लिए सो जाते हैँ, बाद में सवाल कर लेंगे।
इतना कह कर वो आपने कमरे की तरफ जाने लगी तो मैंने उससे कहा- रिया, कहां जा रही है? यहीँ पर सो जा ! थोड़ी देर में तो उठ कर सवाल करना ही है।
तो वो बोली- ठीक है !
फिर वो मेरे बगल में आकर सो गई। मैं भी सोने का नाटक करने लगा। लेकिन नींद तो आ ही नहीं रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने आपना एक हाथ हिम्मत करके उसके चूचों पर रख दिया और कोई हरकत नहीं की ताकि उसको ऐसा लगे कि गलती से नींद में रखा गया हो।
थोड़ी ही देर में उसकी साँसें तेज चलने लगी। फिर मैंने हिम्मत करके उसकी टांग के बीच अपनी टांग फंसा दी। अब वो मेरी पकड़ में थी, उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी पर उसने अभी तक कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
मैंने अपने हाथ से उसके चूचे मसलना चालू कर दिया, कुछ देर बाद वो बोली- भईया, यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने उससे साफ़ साफ़ कह दिया- मैं तुझे प्यार करता हूँ और जब भी तू मेरे सामने आती है तो मैं अपने होश खो बैठता हूँ।
वो बोली- भईया, यह सब सही नहीं है ! अगर किसी को पता चल गया तो? और वैसे भी हम भाई-बहन हैं।
मैंने उससे कहा- किसी को पता नही चलेगा ! और भाई-बहन हैं लेकिन हैं तो लड़का-लड़की ! इतना तो सब में ही चलता है ! आखिर एक दिन तो तुम्हें किसी न किसी से चुदना ही है तो अपने भाई से ही क्यों नहीं !
इतना कह कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और साथ में हल्का सा विरोध भी कर रही थी। तो मैंने उससे कहा- तुम मेरा साथ दो तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और घर की बात घर में ही रहेगी।
तो उसने करवट ली और मेरे चेहरे के सामने अपना चेहरा ला दिया और बोली- ठीक है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए !
मैंने उससे कहा- तू फिक्र मत कर !
फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे। फिर उसके बाद मैंने उसका कुरता उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार दी।
क्या क़यामत लग रहे थे उसके चूचे !
मैंने एक चूचे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसल रहा था और उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी। फिर उसने मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपने हाथ से दबाने लगी। मुझे लगा जैसे कि मैं जन्नत में पहुँच गया।
इतनी में मैंने उसकी जींस और पेंटी नीचे सरका दी। फिर उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के बगल में लेटे थे। मैंने देर न करते हुए उसे अपनी बाहों में समेट लिया और कहा- मैं तुम्हारे बदन की गर्मी लेना चाहता हूँ, इसका अहसास लेना चाहता हूँ !
रिया बोली- केवल आप ही नहीं मैं भी यही चाहती हूँ !
उसका इतना कहना था कि मैं तो खुशी से पागल हो गया। फिर मैंने अपनी जीभ से उसका पूरा बदन चाटा, फिर मैं उसकी टांगों के बीच गया और उसकी गुलाबी पंखुड़ी वाली चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसकी चूत में हल्के-हल्के बाल थे। मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी, वो तो जैसे पागल ही हो उठी और उसके पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया।
वो बोली- भईया, मैं मर जाउंगी !
और मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसा दी तो वो बोली- भईया, मुझे भी आपका लंड चूसना है !
तो हम 69 की मुद्रा में आ गए। अब हम दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे को ऐसे ही चूसते रहे और फिर हम दोनों एक एक करके झड़ गए। इसके बाद हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेट गए। थोड़ी ही देर में हम फिर से गर्म हो गए और मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लगा तो वो बोली- भईया, अब नहीं रहा जाता ! अपना लंड अन्दर डाल दो !
मैं उसकी टांगो के बीच आ गया, उसकी चूत अभी कुँवारी थी और मैं उसे दर्द नहीं पहुँचना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने पहले अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया, फिर उसकी चूत पर भी थूक से मालिश कर दी। मेरा लुंड सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है।
उसके बाद मैंने अपना लंड रिया की चूत पर लगाया और हल्के-हल्के लंड को अन्दर करने लगा, पर जा नहीं रहा था इसलिए मैंने एक हल्का सा धक्का लगा दिया तो रिया जैसे तड़प सी गई और उसके मुँह से आह की आवाज़ निकल गई। मेरे लंड का सुपारा अन्दर जा चुका था। फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उसके चूचे मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने हल्के-हल्के लंड अन्दर डालना चालू किया और बीच बीच में हल्का सा धक्का भी मार देता था जिससे कि उसकी चीख निकल जाती थी। लेकिन मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख रखे थे जिससे उसकी चीख बाहर न जाये। अब तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था। उसकी चूत बहुत ही कसी थी और मैं हल्के-हल्के अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। शुरु में तो उससे थोड़ा दर्द हुआ पर फिर उसे भी मज़े आने लगे और वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।
अब हम दोनों चुदाई का पूरा आनंद ले रहे थे। वो कह रही थी- भईया और जोर से !
मैं भी रिया से कह रहा था- देख ! बहन को अपने भाई से चुदने में कितना मज़ा आता है !
वो बोली- हाँ भईया, सही में बहुत मज़ा आ रहा है ! यह तो सबको करना चाहिए ! लेकिन दुनिया के ये झूठे रिवाज़ हमें रोके रखते हैं। भईया, मैं तो ये सोचती हूँ कि कोई भी किसी के साथ भी चुदाई कर सकता है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि वो रिश्ते में क्या लगते हैं, आखिर वो हैं तो मर्द और औरत ही !
और हम ऐसे ही बातें करते करते चुदाई का आनंद लेते रहे। शायद रिया एक बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी चरम सीमा तक पहुँच चुका था और फिर उसके बाद हम दोनों एक साथ एक दूसरे में समां गए और अपना अपना पानी एक दूसरे में मिला दिया और एक दूसरे को पूरी ताकत से पकड़ लिया।
फिर हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया। हम लोग उस वक़्त भी बिलकुल नंगे थे, मुझे रिया के चूतड़ दिखाई दिए बिल्कुल गोल-गोल और मुलायम ! बिल्कुल गोरे-गोरे और चिकने !
मेरा लंड फिर से जोर मारने लगा। मैं उसके पास गया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया और ले जाकर उसे फिर से बिस्तर पर डाल दिया।
वो बोली- भईया, अब क्या?
मैंने उससे कहा- बहन, मुझे तेरी गांड मारनी है !
तो वो बोली- नहीं भईया ! मुझे बहुत डर लगता है, गांड मरवाने में तो बहुत दर्द होगा !
तो मैंने उससे कहा- मैं दर्द नहीं करूँगा, आराम आराम से करूँगा !
वो बोली- भईया, मार लेना मेरी गांड, लेकिन अभी नहीं, अभी बहुत देर हो गई है और माँ भी उठने वाली होगी हम गांड का प्रोग्राम किसी और दिन करेंगे।
मैं मान गया और उसके होठों का एक लम्बा चुम्मा लिया और उसके चूचे भी दबाये। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर रिया चाय बनाने चली गई।
मैंने और रिया ने मिलकर चाय पी। फिर वो अपने कमरे में चली गई।
मैंने रिया की गांड कैसे मारी, यह मैं अगली कहानी में बताऊंगा।
आप मुझे बताइए कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी? Hindi Sex Stories
औरत की गांड की चुदाई की कहानी में मेरी छोटी बहन के पति ने मेरी गांड पहली बार मारी तो दर्द से मैं बेहाल हो गयी. पर बाद में मुझ मजा भी बहुत आया.
प्रिय पाठको,
आपने मेरी पिछली कहानी
जीजू ने किया मेरा अल्ट्रा साउंड
बहुत पसंद की.
धन्यवाद.
अब आगे औरत की गांड की चुदाई की कहानी:
अस्पताल में चुदाई के कुछ दिन बाद मेरे पति विकास को अमेरिका जाने का आदेश मिला और उन्हें इस बार करीब एक महीने तक अमेरिका में रहना था।
इस दौरान करवा चौथ का त्यौहार भी आ रहा था लेकिन मेरे पति इस समय मेरे साथ नहीं रह सकते थे।
उनके जाने के बाद मेरी आनन्द के साथ बातचीत चालू हो गई।
मैंने उन्हें बताया कि विकास अमेरिका गए हैं और मैं महीने भर चारु के साथ ही रहूंगी।
यह सुनकर आनन्द की खुशी का ठिकाना न रहा।
उन्होंने कहा- साली साहिबा, इस बार करवाचौथ हम आपके साथ मनाएंगे और आपको हमारे हाथों ही अपना व्रत खोलना पड़ेगा।
मैंने कहा- लेकिन रागिनी भी तो है, उसका क्या?
आनन्द- चिंता मत करो साली साहिबा, मैंने सारा प्लान बना लिया है।
मैंने उनके इरादे के लिए हामी भर दी।
हमारे यहां रस्म है कि लड़की शादी के बाद अपना पहला करवाचौथ अपने मायके में ही मानती है।
रागिनी करवाचौथ के दो दिन पहले ही मायके पहुंच गई थी।
आनन्द के कहे अनुसार मैंने चारु को भी अपने मायके भेज दिया।
करवाचौथ के एक दिन पहले मेरे घर पर एक पार्सल आया।
मैंने भेजने वाले का नाम देखा तो डॉक्टर आनन्द लिखा था।
मैंने पार्सल रिसीव किया और फिर बेडरूम आकर देखा कि उसमे क्या क्या है?
उस पार्सल में एक लाल रंग की साड़ी, कंगन, एक सोने का नेकलेस, झुमके, करधनी, पायल थी।
मैंने आनन्द को कॉल किया।
मैं- हेलो जीजू, आपके गिफ्ट के लिए शुक्रिया।
आनन्द- शुक्रिया मत बोलो, बस कल इसे पहनकर तैयार रहना. लेकिन एक बात का ध्यान रखना, इस पार्सल में जो है सिर्फ वही पहनना है, उसके सिवा कुछ भी नहीं।
मैं हैरान रह गई क्यूंकि उसमें पेटीकोट, ब्लाउज और ब्रा पैंटी तो थे ही नहीं।
मैंने कहा- लेकिन इसे पहनूंगी कैसे क्यूंकि बाकी कपड़े तो हैं ही नहीं?
आनन्द- मुझे नहीं पता, तुम जानो कि क्या करना है, मैं जो कह रहा हूं उतना काम होना चाहिए बस!
मैंने बेमन से हामी भर दी।
अगले दिन करवाचौथ का व्रत था।
मैं सुबह से भूखी प्यासी थी और अपने बदन को निखारने में जुटी हुई थी, मैंने सुहागन स्त्रियों की तरह मेंहदी लगाई और फिर अपने प्राइवेट पार्ट के बाल साफ़ किए।
जैसे तैसे दिन बीत गया।
रात हुई तो आनन्द मेरे मायके गए और चांद निकलने पर उन्होंने रागिनी का व्रत खुलवाया।
फिर कुछ देर बाद वो अस्पताल जाने के बहाने से निकल गए और मेरे घर पर आ गए।
इधर मैंने अपनी कमर पर एक मोटी डोरी लपेटी और उसी के सहारे साड़ी पहन ली।
मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ यही लाल साड़ी थी।
मैंने अपने वक्ष को ढका और फिर अपना शृंगार किया।
मैंने गजरा, काजल, ज्वैलरी सब कुछ पहना हुआ था और खासकर के आनन्द की दी हुई करधनी!
मैं छत पर गई और पूजा की।
मेरा गोरा बदन चांदनी में चमक रहा था, मैं अपनी साड़ी संभाल रही थी कि कहीं सरक न जाए।
पड़ोस की औरतें मुझे ही देख रही थी क्योंकि
मैंने ब्लाउज नहीं पहना था और मेरे मोटे स्तन लटके हुए थे।
खैर किसी तरह बचते बचाते मैंने पूजा की और नीचे आ गई।
अब मैं आनन्द के आने का इंतजार करने लगी ताकि वे आकर मेरा व्रत खुलवा सकें।
दरवाजे पर घंटी बजी तो मैंने दरवाजा खोला, सामने आनन्द खड़े थे।
मैंने उन्हें अंदर बुलाया और झट से दरवाजा बंद कर दिया।
फिर मैं उनसे चिपट गई और बोली- कितनी देर लगा दी, कब से मैं प्यासी हूं, कहां थे अब तक आप?
आनन्द- आपकी बहन की प्यास बुझा रहा था, आखिर उनका पहला करवा चौथ था ना!
मैंने पानी का लोटा उठाया और कहा- लीजिए और मेरी प्यास बुझाइए।
आनन्द ने लोटा टेबल पर रख दिया और कहा- आपकी प्यास पानी से नहीं, प्रोटीन शेक से बुझाएंगे हम!
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
हमारे होंठ एक दूसरे के साथ चिपक गए और अब हमारे बीच मुख रस का आदान प्रदान होने लगा।
हम दोनों एक दूसरे की जीभ के साथ खेलते हुए एक दूसरे को चूमते जा रहे थे।
उन्होंने मेरा पल्लू मेरी छाती से हटा दिया तो मेरा बदन अर्ध नग्न हो गया।
मेरे लटकते हुए स्तन अब उनकी छाती पर दबाव डाल रहे थे और मेरी कमर उनके मजबूत हाथों के कब्जे में थी।
मैं उनका इरादा भांप गई थी इसलिए मैं जमीन पर बैठ गई और फिर उनकी पैंट को सहलाने लगी।
आनन्द तो जैसे मुझे तरसाने के इरादे से आए थे इसलिए वो चुपचाप खड़े होकर मेरी हरकत का मजा ले रहे थे।
मैंने उनकी बेल्ट उतारी और फिर उनकी जिप खोल कर उनकी पैंट उतार दी।
उनके अंडरवियर को अपने दांतों से हल्के हल्के कुरेदने लगी और फिर उसे भी नीचे कर दिया।
उनका लिंग अब मेरे सामने था लेकिन आज उसका तनाव कुछ अलग ही था शायद आनन्द ने गोली ली थी।
मुझे तो ये सोचकर और खुशी हुई और मैंने उनके लिंग के सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
आनन्द चुपचाप सावधान मुद्रा में खड़े थे और मैं अपने एक हाथ से उनके लिंग को रगड़ती जा रही थी और अपने होंठ उनके सुपारे पर टिकाए हुए थी।
पांच मिनट बाद मेरी मेहनत रंग लाई और आनन्द का लावा फूट पड़ा।
मेरा मुंह उनके वीर्य से लबालब भर गया और मैं उनके वीर्य की हर बूंद गटक गई।
उसके बाद आनन्द ने मुझे पानी पिलाया और बेडरूम में ले गए।
फिर वो किचन आए और मेरे खाने के लिए कुछ फल और दूध लेकर बेडरूम में आ गए।
आनन्द बड़े ही प्यार से मुझे फल खिला रहे थे और मैं दिनभर की भूखी बिना संकोच के उनके दिए फलों का सेवन कर रही थी।
खाने के बाद अब मेरे हलाल होने की बारी थी।
आनन्द ने कहा- साली साहिबा, आज हम आपका नाच देखना चाहते हैं, सुना है कि आप बहुत अच्छा नाचती हैं।
मैं- ठीक है जीजू, जैसा आप कहो।
मैं उठी तो आनन्द ने मेरी साड़ी का पल्लू थाम लिया और कहा- बिना साड़ी के नाचिए साली साहिबा!
मेरे जिस्म पर कपड़े के नाम पर एक यही वस्त्र था।
मैंने साड़ी उतार दी तो मैं पूर्ण नग्न अवस्था में आ गई।
मेरे गले में हार, बालों में गजरा, कमर मे करधनी, हाथों में कंगन, पैरों में पायल जरूर थे लेकिन बदन पर कपड़े के नाम पर चीथड़ा तक न था।
खैर जब इज्जत नीलाम ही हो चुकी हो तो शर्माना कैसा?
मैंने गाना लगाया
‘मुन्नी बदनाम हुई’
और उस पर थिरकना शुरू कर दिया।
मेरे लटके झटके देखकर आंनद भी जोश में आ गए और अपने कपड़े उतार कर नग्न होकर अपना लिंग सहलाने लगे।
गाना खत्म होते होते उनका लिंग पूरी तरह तन्नाया हुआ था।
मेरा मटकना अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि आनन्द मेरे पास आए और उन्होंने मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपने निकट किया और खड़े खड़े ही अपना लिंग मेरी चूत में डाल दिया।
अब हम दोनों की कमर लय में एक दूसरे के साथ थिरकती जा रही थी और मेरे मुंह से काम वासना की आहें निकल रही थी।
मैंने अपनी एक टांग उठा कर उनकी कमर पर लपेट ली तो आनन्द ने सहारा देकर मेरी टांग को धर लिया।
अब मैंने अपनी बाहों को आनन्द के गले में डाल कर सहारा लिया और खुद को संतुलित किया।
आनन्द ने मेरे होंठों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया।
नीचे उनका औजार मेरी मुनिया की खुदाई करता जा रहा था।
आज आनन्द का लिंग अलग ही तरह का तनाव और आकार लिए हुए था।
गोली की वजह से उनका सुपारा टमाटर जैसा फूला हुआ था और उसकी नसें खुरदरापन लिए फूली हुई थी जिसकी वजह से मेरी योनि में रगड़ बढ़ गई थी.
उनका सुपारा जब मेरी बच्चेदानी पर ठोकर मारता तो मुझे मीठा मीठा दर्द होता।
मेरी योनि तो अब झरना बन चुकी थी जिससे लगातार योनि रस बहता जा रहा था.
उनके लिंग की रगड़ और धक्के की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि मैं ज्यादा समय तक इस आनन्द को झेल नहीं पाई और मेरी योनि से फव्वारा फूट पड़ा।
झड़ने के बाद मेरी योनि ढीली पड़ गई लेकिन आनन्द अभी भी धक्के बखूबी तरीके से लगाते जा रहे थे।
मैंने अपनी दोनों टांगे कैंची की तरह उनकी कमर पर लपेट ली और फिर खुद को उनको हवाले कर दिया।
आनन्द ने मेरे नितम्बों पर हाथ लगाया और उनके सहारे मुझे उठा उठा कर धक्के लगाने लगे।
उनके हर धक्के से मेरे बदन में कम्पन पैदा हो जाता और मेरे कंगन और पायल आवाज करने लगते।
आनन्द मुझे उठाकर बेडरूम में ले आए और मेरे बेड के पास बने ड्रेसिंग टेबल पर बिठा दिया।
उन्होंने मुझे शीशे से सटा दिया और फिर मेरी चुदाई करने लगे।
मेरी आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई थी और मुंह से जोर जोर की आवाजें आ रही थी।
करीब आधा घंटा चोदने और मुझे दो बार स्खलित करने के बाद आनन्द की जवानी अपने चरम पर पहुंच गई और उन्होंने मेरी चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया।
वे किसी जोंक की तरह मुझसे चिपक गए और अपने लिंग का एक एक हिस्सा मेरी योनि की गहराई में उतार दिया।
मेरी योनि उनके लिंग का गर्मागर्म वीर्य पाकर सिकुड़ गई.
जब उन्होंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया तो उनका वीर्य मेरे कामरस के साथ मिक्स होकर चूत के दरवाजे से बहता जा रहा था।
मैंने उंगली से उनके गाढ़े वीर्य को उठाया और मजे से चाट गई, फिर टिशू पेपर से खुद को साफ किया।
अब तक मैं दो बार झड़ी थी इसीलिए मेरी भी सांसें आनन्द की तरह ही तेज हो गई थी।
मैं बेड पे लेट गई और खुद को संभालने लगी।
मेरे बदन से पसीना बहा जा रहा था और दिनभर से भूखी होने की वजह से मुझे कमजोरी सी लग रही थी।
आनन्द आकर मेरे बगल में लेट गए और मेरे स्तनों और योनि को सहलाने लगे।
मैं सिसकी भरती हुई उनके साथ इस खेल का मजा ले रही थी।
आनन्द ने एक एक कर के मेरे जिस्म से जेवर उतार दिए और अब मैं पूर्ण रूप से नग्न अवस्था को प्राप्त कर चुकी थी।
10 मिनट बाद जब मेरा जिस्म जरा संभल गया तब मैं उठकर बाथरूम की तरफ चल दी तो आनन्द भी मेरे साथ आ गए।
मैं कमोड पर बैठ गई और मुत्ती करने लगी।
उधर आनन्द ने शॉवर चालू कर दिया।
मैं उठकर आनन्द के पास आई तो उन्होंने मेरे हाथ दुपट्टे से बांध दिए और एक पाइप में फंसा दिया।
उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया और फिर मुझे घुमाकर मेरी पीठ अपनी और और मेरा मुंह दीवार की ओर कर दिया।
इस दौरान शॉवर खुला हुआ था और उसकी बूंदें मेरे बदन को भीगा रही थी।
आनन्द ने मेरे बाल पकड़ कर उनको पोनीटेल की तरह से बांध दिया और फिर मेरे नितम्बों पर चपत लगाई।
मैं मदहोशी में इस दर्द का मजा लेने लगी।
आनन्द ने अपने हाथ मेरे नितम्ब पर फेरने शुरू कर दिए और फिर मेरे नितम्बों की दरार से अपनी उंगलियां गुजारने लगे।
उनका यह अहसास मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।
उनकी उंगली मेरी गांड पर हलचल मचाने लगी, इसका अहसास मुझे बहुत उत्तेजक लगा और मैं तनिक तनिक देर में अपनी गांड को अंदर की तरफ भींचने लगी।
अचानक वो हुआ जिसकी मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी।
आनन्द की उंगली मेरी गांड में घुसने लगी तो मैं चीखी- आआह आनन्द … ये क्या कर रहे हो, दर्द होता है मुझे, प्लीज ये मत करो!
लेकिन आनन्द ने मेरी एक नहीं सुनी और अपनी बीच की पूरी उंगली मेरी गांड में घुसा दी।
मैं दर्द और जलन से सिसकी लेने लगी- आनन्द, प्लीज निकाल लो इसे, बहुत दर्द हो रहा है! जीजू प्लीज मान जाइए, मैं ये नहीं कर पाऊंगी।
आनन्द- डरो मत साली साहिबा, मैं इतनी आराम से करूंगा की दर्द नहीं बल्कि मजा आयेगा।
आनन्द आज मेरी गांड मारने के इरादे से आए थे।
उन्होंने कंडीशनर की शीशी उठाई और उससे कंडीशनर निकालकर मेरी गांड पर मलने लगे और फिर अपने लिंग पर भी लेपन लिया।
अब उनका लिंग इतना चिकना हो गया था जैसे मोबिल आयल डालने के बाद इंजन का पिस्टन।
उन्होंने मुझे 60 डिग्री पर झुका दिया और मेरी कमर को बाहर की तरफ निकाला।
फिर वो अपना लिंग मेरी कुंवारी गांड में डालने लगे।
पहले तो वो कुछ फिसला लेकिन किसी तरह वो अपना सुपाड़ा मेरी गांड के छल्ले में उतारने में सफल हो गए।
मेरे चेहरे पर दर्द के भाव थे।
मैं होंठों को भींचे किसी तरह अपनी सिसकी रोक कर खड़ी थी।
आनन्द ने एक हाथ से मेरी चोटी पकड़ी और फिर धीरे धीरे मेरी पीठ पर किस करने लगे।
उनके चुम्बन ने मेरा दर्द कम कर दिया और फिर मैं भी तैयार हो गई, अपनी आबरू लुटवाने के लिए।
आनन्द ने अचानक से एक धक्का लगाया और उनका आधा लिंग मेरी आंत में जा घुसा- हाय दईया … मर गई मैं!
मेरे मुंह से यही आह निकली तो आनन्द ने मेरी चोटी अपनी तरफ खींच ली और फिर से एक धक्का लगाया.
इस बार मैं दर्द से चीख उठी और इसी के साथ उनका लिंग पूरा मेरी आंत में उतर गया।
मेरी आंखें दर्द के मारे भर आई और मेरे होंठ कांपने लगे।
मेरे मुंह से एक घुटी हुई आह निकली- जीजू….. दर्द हो रहा है।
लेकिन मर्द अपनी हवस मिटाने के लिए औरत को हमेशा दर्द देता आया है।
आनन्द पर मेरी सिसकी का कोई असर नहीं पड़ा।
मेरी गांड अंदर की तरफ सिकुड़ गई और आनन्द के लिंग को पूरी ताकत से भींच लिया।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मोटा गर्म लोहे का रॉड मेरी आंत में घुसा हुआ हो।
आनन्द को मेरी गांड की कसावट की वजह से धक्के लगाने में दिक्कत पेश आ रही थी- साली साहिबा, अपनी गांड को ढीला करो वरना धक्के कैसे लगाऊंगा।
मैं सुबकती हुई बोली- मुझसे नहीं हो पाएगा जीजू, प्लीज बाहर निकाल लीजिए।
आनन्द- ठीक है निकाल लूंगा लेकिन इसे ढीला करो तभी तो निकलेगा।
मैंने उनकी बात सुनकर अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया।
आनन्द ने अपना लिंग बाहर खींचना शुरू किया और जैसे ही उनका सुपारा मेरी गांड के छल्ले के पास पहुंचा, उन्होंने पूरे जोर से मेरी गांड में अपना लिंग दोबारा उतार दिया।
मेरे मुंह से दर्द भरी चीख निकल पड़ी।
अब आनन्द को मेरी गांड मारने का तरीका पता चल गया था।
वो धीरे धीरे कर के मेरी गांड को चोदने लगे और अपना एक अंगूठा मेरे मुंह में और अपनी उंगली से मेरी योनि को सहलाने लगे।
अब मुझे दर्द में कुछ कमी जान पड़ी तो मैं भी आनन्द के साथ अपनी चुदाई का मजा लेने लगी।
आनन्द का हर धक्का अब मेरे जिस्म में दर्द के साथ साथ मजे की लहर भी उत्पन्न करने लगा।
मेरी गांड को पहली बार लंड का स्वाद मिला था।
आनन्द मेरी कसी कुंवारी गांड को चौड़ा करने की भरपूर कोशिश कर रहे थे और हर धक्के के साथ ही बाथरूम में थप थप का संगीत गूंज उठता।
मेरी गांड का दबाव इतना ज्यादा था कि आनन्द ज्यादा देर तक कायम न रह सके और करीब 15 मिनट बाद ही उनका वीर्य फूट पड़ा।
मुझे मेरी गांड में बहा उनका गर्मागर्म वीर्य एक अनोखा अहसास दे रहा था।
यह पहला मौका था जब किसी ने मेरी गांड मारी थी.
लेकिन आखिरी नहीं … इसके बाद तो जैसे एक सिलसिला ही शुरू हो गया।
औरत की गांड की चुदाई के बारे में मैं आपको आगे की कहानियों में बताऊंगी।
खैर झड़ने के बाद आनन्द ने मुझे आजाद किया और फिर शॉवर तले नहला धुला कर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरे बदन में बहुत तेज दर्द हो रहा था इसलिए आनन्द ने मुझे पेन किलर दी और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ नग्नावस्था में ही सो गए।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको ये औरत की गांड की चुदाई की कहानी?
अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर दीजिए।
आपके प्यारे प्यारे कमेंट्स का इंतजार रहेगा।
पढ़ने के लिए शुक्रिया।
हाय ! मेरा नाम राज है, मैं अपनी Hindi Porn Stories कहानी लिखने जा रहा हूँ। वैसे मैं आगरा से हूँ। मेरा कद ५’८.३” है, दिखने में भी ठीक हूँ।
एक दिन मैं नेट पर संवाद कर रहा था तो मुझे एक लड़की मिली जिसका नाम था श्रुति (बदला हुआ नाम), हम दोनों रोज बात किया करते थे। करीब एक साल बात करी हम दोनों ने !
एक दिन वो आगरा आई अपना पेपर देने ! तब उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया। मैं गया मिलने तो उसे देखा। वो सलवार और सूट में थी। मैंने सोचा- अगर यह लड़की मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड बन जाए तो कैसा रहेगा। तब मैं उसे मन ही मन में जीन्स और टॉप पहने हुए सोचने लगा। मुझे सोच कर अच्छा लगा। मैंने उससे करीब १० मिनट ही बात की और वो चली गई। मैं भी घर आ गया और उसे मोबाइल पर ही प्रोपोज़ कर दिया।
शाम तक वो मान गई। ऐसे करते करते काफ़ी समय निकल गया और वो मुझ पर विश्वास करने लगी। तब एक दिन मैंने उसे सेक्स के लिए कहा।
पहले उसने कहा- यह संभव नहीं है।
मेरे मनाने पर वो मान गई।
हाँ ! मैं उसक बारे में बताना ही भूल गया। उसका बदन की क्या कहूँ, एक दम मस्त ३४ २९ ३२ ! तो मैंने एक दिन अपने दोस्त का कमरा ले लिया और उसकी चुदाई का प्रोग्राम बनाया। जब हम कमरे में गये तो मैंने जाते ही उसे चूमना शुरू कर दिया। करीब २० मिनट तक किस करता रहा मैं ! उसकी सांसें तेज होने लगी और मेरा हाथ उसकी चूत तक पहुंच गया।
वो गर्म होती जा रही थी। तब मैंने उसकी जींस और फिर टॉप उतार दिया। माँ कसम, क्या कयामत लग रही थी ! अगर मुर्दा उसे देख ले तो फिर से जिन्दा हो जाये ! चुम्मा-चाटी के बाद मैंने उसकी चूत पर चूसना शुरू किया।
वो बोली- राज ! प्लीज़ मत करो ! कुछ हो रहा है !
मैंने कहा- अभी बहुत कुछ होना है डार्लिंग !
मैं नहीं हटा और चूसता रहा। इतने में वो झड़ गई लेकिन मैं अभी तो शुरू ही हुआ था। मैंने अपना लण्ड निकाला।
उसने देखते ही कहा- इसे मत डालना ! मैं मर जाउँगी !
वैसे मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं है, बस ७ इंच का है और ३.४ मोटा है।
मैं कहाँ मानने वाला था ! मैंने उसकी चूत में लण्ड को रखा और थोड़ा अंदर किया। वो बोली- बस रुको यहीं पर !
मैं थोड़ा सा रुका लेकिन माना नहीं और एक दम झटके से लण्ड घुसा दिया।
वो चिल्ला उठी- मर गईईईऽऽऽ माआआआआआ फट गई मेरीऽऽऽ !
मैंने उसके होंटों पर अपने होंट रख दिए और तब मैं बहुत धीरे-धीरे कर रहा था जिससे उसे और दर्द ना हो !
फिर वो बोली- तेज करो राज !
मैं तेज तेज करने लगा। करीब २५ मिनट में दो बार झड़ गई। कुछ देर के बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया और कुछ देर तक ऐसे ही गिरे पड़े रहे।
जब हम उठे, मैंने कहा- एक बार और डार्लिंग !
उसने कहा- ओके !
लेकिन उसे नहीं पता कि इस बार उसकी गांड की बारी है !
मैंने उसे कहा- घोड़ी बन जाओ !
वो बन गई और बोली- प्लीज़, इस बार धीरे करना !
मैंने कहा- ओके !
लेकिन मुझे कहाँ मानना था। मैंने सीधे उसकी गांड की बारी लगा दी। सिर्फ ३ झटकों में मेरा पूरा अन्दर चला गया।
वो बोली- राआआआआआआज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज !
और मैं रुक गया। कुछ देर बाद जब उसका दर्द बंद हुआ तो बोली- तेज तेज करो !
मैं करता गया, करता गया और इस बार मैं ४५ मिनट तक चोदता रहा। हम दोनों एकदम पसीने में नहा गये थे। ४५ मिनट बाद मेरा पूरा पानी उसकी गांड में था और मैं वैसे ही उसके ऊपर गिर गया और हमारी आंख लग गई। दो घण्टे बाद हम दोनों उठे और नहाये, एक दूसरे को किस किया और होटल में जाकर डिनर किया।
लेकिन श्रुति से चला नहीं जा रहा था।
वो दिन हम दोनों को आज तक याद है ! उसके बाद भी हमने बहुत बार चुदाई की, लेकिन पहली चुदाई तो पहली ही होती है ना !
आप सबको मेरी कहनी कैसी लगी?
अगर कोई गलती हो तो माफ़ करना और अपने विचार मुझे मेल करियेगा। Hindi Porn Stories
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