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मेरा नाम राहुल है, मैं Sex Stories द्वितीय वर्ष का छात्र हूँ। मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ वह गत वर्ष ग्रीष्मकाल की है।
मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है। उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।
एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए मैंने दीदी से कहा- क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।’
वह भी राजी हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए। उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे। फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी हो चुकी थी।
आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा।
मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर में तम्बू बना रहा था।
मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।
पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों शरमाऊँ?
मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी। वाऊ… क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी पेटीकोट भी निकाल दी। वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।
उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था।
वह मेरे पास आकर सो गई। हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।
आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया।
दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं।
मैंने उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह मेरी ओर घूम गई। मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई।
लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर। मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी। मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई। मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा।
थोड़ी ही देर बाद उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ।
उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे लंड को मसलने लगी, फिर उसने मेरे कान में कहा- वीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।’
मैंने भी दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था। वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़ उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।
मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
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मैं उसके ऊपर फिर से लेट गया और मैंने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रखा और एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा लण्ड अन्दर चला गया।’
इस पर वह मुस्कुराई और बोली- अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।’
फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी।
वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं, वह कह रही थी- वीजू… चोदोओओओ… और ज़ोर से चोदोओओओओ… अपनी दीदी की चूत आज फाआआआड़ डालो… ओह.. वीजू… डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो… बहुत मज़ा आ रहा है।’
उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की। Sex Stories
दोस्तो, मेरा नाम राहुल है. मैं राजकोट का रहने Sex Stories वाला हूँ. मेरी उम्र तेईस साल है और मैं एक अच्छा खासा मर्द दिखता हूँ. मेरी त्वचा भी काफी गोरी है, जो किसी भी लड़की या भाभी को आकर्षित कर लेती है.
आपको मैं अपनी पहली मगर सच्ची सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ. यह कहानी दिसम्बर 2003 की है.
मैं राजकोट में अपना एक साइबर कैफे चलाता हूँ, वहां पर काफ़ी सारी लड़कियों का आना जाना रहता है. मगर मैं एक बहुत शर्मीला टाइप का बंदा हूँ, इसलिए मेरी किसी भी लड़की से बात करने की हिम्मत ही नहीं होती थी.
मुझे याद है ये काफी साल की बात है. उस दिन शाम के साढ़े सात बजे होंगे, तब मैं अपने साइबर कैफे में अकेला था. उस वक्त एक सुंदर सी लड़की अन्दर आई. उसने अपना नाम आरती बताया था.
मैंने उससे ओके कहा और इशारा किया कि किसी भी सिस्टम पर अपना काम कर ले.
वो मेरे सामने वाले कंप्यूटर पर आकर का बैठ गई थी. मैं उसे देख रहा था, वो बला की खूबसूरत माल लग रही थी. उसने शॉर्ट शर्ट और लो-वेस्ट जींस पहनी हुई थी. उसका बड़ा ही कातिलाना फिगर था. मैंने उसकी फिगर की नाप का अंदाजा 34-26-36 का लगाया था. उसके चूचे एकदम उभरे हुए थे.
कुछ मिनट बाद उसने मुझसे वो कम्प्यूटर ख़राब होने का बहाना बनाया. मैंने सोचा कि अभी तक तो सब सिस्टम सही थे, ये कैसे खराब हो गया है. मगर शायद उसने मुझे जानबूझ कर अपने पास बुलाया था. मैंने उसके करीब जाकर सिस्टम को चैक किया, तो वो बिल्कुल सही चल रहा था.
मैंने उससे कहा- क्या खराबी लग रही है. सिस्टम सही तो है?
इस पर उसने मुझसे कहा- मुझे कंप्यूटर चलाना ठीक से आता नहीं है. प्लीज़ आप मुझको थोड़ा सा सिखा दो.
अब इतनी हॉट लड़की देख कर मेरा भी मन डोल गया था.
मैंने कहा- ठीक है
जैसे ही मैं उसके बाजू में बैठा कि उसने पहले नीचे से अपने पैर को मेरे पैर पर रखा और धीरे धीरे उसको अपने पैर से सहलाने लगी. मैं तो एकदम से दंग रह गया. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.
मैं चुप रहा और मैंने अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई.
ये देख कर उसने धीरे धीरे करके मेरे लौड़े पर अपना हाथ रख दिया. उसका हाथ जैसे ही मेरे लंड पर आया तो मुझे एक अजीब सी सिहरन हुई और मैंने वहां से उठ कर जाने की कोशिश की.
उसने मुझे मना करते हुए मेरा हाथ खींच लिया और कहने लगी- मेहरबानी करके मुझे अकेला मत छोड़ो, मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो.
मैंने कहा- ये क्या बात हुई .. अभी तो हम दोनों पूरी तरह से एक दूसरे को जानते भी नहीं हैं … और तुम मेरे से ये सब कर रही हो.
इससे आगे मैं कुछ और बोलता कि उसने मुझे गाल पर किस कर दिया और अगले ही पल मेरे होंठों से होंठ लगा कर मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
बस फ़िर क्या था … मैं भी तो आख़िर मर्द ही था … मैंने भी उसे सहयोग करना शुरू कर दिया और उसे अच्छे से किस करने लगा.
अब वो मेरी जुबान को चूस रही थी और मैं उसकी. तभी मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रख दिया, तो उसने कुछ नहीं बोला … बल्कि उसने मेरा दूसरा हाथ पकड़ कर खुद की गांड पर लगा दिया.
वो मुँह हटा कर मुझे देख कर जोर जोर से बोलने लगी- ओह रौनी .. प्लीज़ जोर से दबाओ आह .. और मेरे बूब्स जोर जोर से दबाओ आह कितना मजा आ रहा है.
मगर मैं डर रहा था कि कहीं कैफे पर कोई और कस्टमर न आ जाए, सो मैंने उसे वहीं पर रोका और उससे कहा- हम कहीं अकेले में आराम से मिलके एन्जॉय करेंगे. अभी इधर कोई आ जाएगा, तो सब गड़बड़ हो जाएगी.
उसने अपने टॉप को ठीक करते हुए कहा- ठीक है. मैं इसी संडे को सुबह छह बजे तुम्हारे कैफे पर आउंगी.
मैंने कहा- इतनी सुबह क्यों भला!
उसने कहा- सर्दियों के दिन हैं … सुबह सुबह का मजा ही कुछ और आएगा. वैसे भी मैं घर से सुबह घूमने के लिए निकलती हूँ, सो घर पर सबको यही पता रहेगा. फिर छह बजे थोड़ा सा अंधेरा भी होता है.
चूंकि सर्दी का मौसम था तो उसकी बात सही थी. मैं उसकी तरफ देखने लगा.
उसने कहा कि तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना!
मैंने सोचा और अपने आपसे भी कहा कि ऐसा मौका फ़िर नहीं मिलेगा … साली खुद ही चुत चुदने मचल रही है. मैंने कहा- ठीक है मैं आ जाऊंगा.
फ़िर उसने मुस्कुराते हुए मुझे एक किस की और गांड मटकाते हुए मेरे कैफे से निकल गई.
दो दिन बाद संडे था. मैं सुबह सुबह जल्दी पांच बजे उठा और फ्रेश होकर एक चाय पी और बाइक उठा कर फुल स्पीड से कैफे आ पहुंचा.
मैंने कल रात को ही पूरी व्यवस्था कर दी थी. एक बार अन्दर जाकर फिर से सब ठीक किया. थोड़ा रूम फ्रेशनर भी स्प्रे कर दिया और उसके आने का इन्तजार करने लगा. मैं कैफे की शटर आधी उठा रखी थी ताकि उसे मेरे आ जाने का अहसास हो जाए.
तभी वो शटर उठा कर अन्दर आ गई और आते ही मुझसे लिपट गई.
मैंने कहा- एक मिनट शटर तो बंद कर लेने दो.
वो अलग हुई, तो मैंने शटर बंद कर दी और उसकी तरफ घूम गया. वो मुझे देख कर सीधे आकर मुझसे लिपट गई.
मैंने ध्यान से देखा वो जॉगिंग सूट में आई थी. उसके खुले हुए लंबे बाल उसकी खूबसूरत जवानी को और भी ज्यादा मदहोश कर देने वाली बना रहे थे.
हम दोनों ने करीब दस मिनट तक किस किया. चूमाचाटी के दौरान एक बार तो उसने मुझे काटा भी, मगर मैंने कुछ नहीं कहा. वो काफी गरम हो रही थी.
मैंने उसके टॉप की जिप खोली, तो उसने अन्दर पिंक कलर की ब्रा पहनी थी.
जैसे ही मैंने उसके दूध दबाए, तो वो मादक सिस्कारियां भरने लगी- आह जोर से … और जोर से!
उसके चूचे काफी नर्म थे. मैंने उसका टॉप खोल दिया और उसकी ब्रा भी निकाल दी. उसकी चूचियां हवा में एकदम से फुदकने लगीं. मैंने उसका एक निप्पल मुँह में ले लिया.
बदले में उसने मेरी गांड पर जोर से दबाते और कहा- आह मेरे राजा और जोर से चूस ले इसको.
फ़िर मैं उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसता और चूमता हुआ उसके पेट तक आ गया. कुछ ही पलों के बाद मैंने उसके पैंट और पैंटी को भी उतार फैंका.
तभी उसने कहा- एक मिनट.
मैं रुका, तो उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मुझे हर जगह पागलों की तरह चूमने लगी. अब चुदास बढ़ी … तो मैंने भी एक दो बार उसके निप्पल को काटा.
फिर वो नीचे बैठ कर तुंरत ही मेरा लंड अपने मुँह में लेने लगी. एक मस्त लौंडिया के मुँह में अपने लंड का अहसास पाते ही मैं अपने होश खो बैठा. ऐसा आनन्द आ रहा था मानो मैं किसी जन्नत की हूर से अपने लंड को चुसवा रहा हूँ.
मैंने आह भरते हुए कहा- आह जान अब और मत तड़पाओ … तुम अकेली अकेली मजा मत लो. मुझे भी मजा चाहिए.
वो तुंरत समझ गई और सोफे पर लेट गई. उसने मुझे अपने ऊपर उल्टा लेटा दिया. अब मेरे मुँह में उसकी चुत थी. मैं चुत पर टूट पड़ा. वो लंड को कुल्फी के जैसे चूसने लगी. उसे जो चाहिए था, उसे मिल गया और मुझे जो चाहिए था, मुझे मिल गया था. हम दोनों 69 में आकर मस्त मजा ले रहे थे.
सच में यार क्या मलाईदार चूत थी उसकी .. लगता था उसने अभी सुबह ही चुत की शेव की हो. उसकी चुत काफी गर्म भी थी और उसने चुत पर कोई मस्त स्वादिष्ट सा फ्लेवर भी लगाया हुआ था.
मैंने तुंरत ही अपनी जुबान नुकीली की और किसी पागल कुत्ते की तरह चुत चाटने लगा. मेरी जीभ उसकी चुत में अन्दर भी जाने लगी थी. वो भी काफी मजे से मेरा लौड़ा चूस रही थी.
कुछ मिनट बाद मेरा पानी निकल गया और उसने बड़े मजे से मेरे लंडरस को चाट लिया. उसने मेरे वीर्य को पूरा का पूरा खा लिया था. एक बूंद भी बेस्ट नहीं जाने दी थी.
फ़िर पांच मिनट के बाद उसने फ़िर से मेरे लौड़े को चूस कर गरम किया और बोली- अब मेहरबानी करके मुझे जल्दी से चोद दो … मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने कहा- ठीक है रानी.
उसकी टांगें चौड़ी करके मैंने अपने कंधे पर रख लीं और अपना लौड़ा अन्दर पेलने के लिए कोशिश की. मगर लंड चुत के अन्दर नहीं गया. उसे दर्द भी हो रहा था.
उसे दर्द से कराहते हुए देख कर मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- एक मिनट रुको.
उसने अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाल कर मेरे लौड़े पर लगाया और कुछ अपनी चूत पर भी लगा लिया. फिर अपने हाथों से अपनी चूत को चौड़ा करके बोली- अब आ जाओ मेरे राजा.
मैंने कहा- हां ये ले मेरी रानी.
ये कहते हुए मैंने अपने खड़े लंड को एक ही झटके में पूरा का पूरा अन्दर डाल दिया.
लंड लेते ही वो चिल्लाने लगी- उई मां … मर गई … मेरी फट गई.
मैंने कहा- चिल्लाओ मत … कोई आ जाएगा तो मुसीबत हो जाएगी.
वो अपनी चीख दबाते हुए बोली- दर्द बहुत हो रहा है रौनी … तुम एक काम करो तुम मेरे दर्द की परवाह किये बिना जल्दी से लंड को दो तीन बार अन्दर बाहर करो.
मैंने वैसे ही किया.
वो कराहते हुए अपने मुँह बंद किये हुए मेरे लंड के प्रहार झेलती रही.
कोई आठ दस धक्कों के बाद उसका दर्द जाता रहा. अब वो अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवाने लगी. मैं भी उसके मम्मों को दबा रहा था, उसे किस कर रहा था.
थोड़ी देर के बाद वो बोली कि मुझे तुम्हारे ऊपर आना है.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं लंड खींच कर उठा और सोफे पर लेटने जा रहा था कि तभी उसे न जान क्या सूझा और वो मेरी गांड में उंगली डालने की कोशिश करने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
वो हंसने लगी और बोली- चलो लेट जाओ, मुझे रायडिंग करने दो.
मैंने कहा- नहीं, पहले मुझे तुम्हारी गांड मारने देनी होगी.
वो बोली- आज नहीं … फ़िर कभी ले लेना.
वो मुझे धक्का देकर मेरे ऊपर चढ़ गई और लंड पकड़ कर चुत में फंसा कर बैठती चली गई.
आह क्या गजब की बला थी वो .. मेरे ऊपर क्या मस्त माल लग रही थी. लंबे बाल और हिलते हुए चुचे मुझे काफी मदहोश किए जा रहे थे.
करीब दस मिनट के बाद मेरा पानी निकलने वाला था.
मैंने पूछा- क्या करूं?
उसने कहा- अन्दर नहीं निकालना. मुझे पीना है … तुम्हारा गाढ़ा पानी बहुत मस्त स्वाद देता है.
मैंने कहा- ठीक है.
वो उठ कर अलग हुई और उसने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया. अगले ही पल मेरा रस छूट गया और उसने लंड का सारा पानी पी लिया.
चुदाई के बाद हम दोनों ने करीब आधे घंटे तक एक दूसरे को चूमा सहलाया और अपने अपने कपड़े पहने.
मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरा, तो उसने वादा किया कि वो मुझे अपनी गांड मारने देगी.
मेरे प्यारे दोस्तो, अन्तर्वासना के लिए ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, अगर कोई भूल हुई हो, तो प्लीज़ नजरअंदाज कर देना. कमेंट्स करना न भूलें. Sex Stories
मेरा नाम अमन है। मैं बचपन से दिल्ली Antarvasna में रह रहा हूँ। जब से मुझे सेक्स की जानकारी हुई, तब से मैं बस सेक्स के बारे में ही सोचता रहता हूँ। विशेषकर मुझे विवाहित स्त्रियाँ अधिक पसन्द हैं, साथ ही मोटी स्त्रियाँ भी। मेरा लंड ८ इंच लम्बा व ३ इंच मोटा है।
मैं इन्टरनेट पर चैट रूम में एक समलैंगिक रूम में हमेशा एक स्त्री के नाम से चैट करता और पूरा मज़ा लेता। एक दिन मेरी बात ग्रेटर कैलाश में रहने वाली गौरी नाम की महिला से हुई। एक दूसरे की जानकारी लेने के बाद हम सीधा सेक्स की बात पर आ गए। उसने बताया कि उसके पति अक्सर बाहर रहते हैं। उसको जब भी अवसर प्राप्त होता है तो वह अपने कामवाली बाई के साथ समलैंगिक सहवास करती है। मैं भी उससे स्त्री बनकर ही बात कर रहा था।
मैंने उससे कहा, “आप किसी लड़के को क्यों नहीं तलाश करतीं?”
“मैं कुछ लड़कों को जानती हूँ, जो सेक्स-जॉब करते हैं।” – मैंने उसे आगे बताया
गौरी ने कहा, “क्या वो मेरी गाँड भी चाटेगा?”
“सब कुछ करेगा, जो कुछ तुम करवाना चाहोगी, और उसकी शुल्क भी अधिक नहीं है।” – मैंने उसे जानकारी दी।
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे, मेरी बात बनती नज़र आ रही थी। मैंने गौरी को टेलीफोन नम्बर दिया, और कहा कि यह उसका नम्बर है, और उसका नाम अमन है। तुम उससे बात कर लो, मैं भी उससे बात करके तुम्हारे बारे में बता दूँगी। असल में अमन तो मैं ही था।
चैट के लगभग एक घण्टे के बाद उस स्त्री का फ़ोन आ गया। उसने मेरा नाम पूछा, और अपना नाम बताया। उसने कहा कि आपका नम्बर मुझे एक औरत ने दिया है। वो तो मैं ही था, तो मैं समझ गया।
मैंने पूछा, “तो फिर कब आऊँ आपके पास?”
कल दिन में ११ बजे आ जाओ।
मैंने कहा, “ठीक है।”
क्या बताऊँ दोस्तों, वह आधा दिन काटना मेरे लिए पहाड़ जैसा प्रतीत हुआ, बस मैं तो यही सोचता रहा कि ये करूँगा, वो करूँगा, और ये सब सोच-सोचकर मैंने उस औरत के नाम से दो बार मुट्ठ भी मार ली।
अगले दिन ठीक ११ बजे मैं उसके घर पहुँच गया। मैंने घंटी बजाई, दरवाजा खुला, और लगभग ३५ वर्ष की एक गोरी स्त्री ने दरवाजा खोला। मैंने उसे बताया, “मैं अमन…”। उसने अन्दर आने को कहा।
मैं जैसे ही अन्दर घुसा, उसने दरवाजा बन्द कर लिया, और सीधे शयनकक्ष में ले गई और कहा, तुम ५ मिनट यहीं रुको, मैं अभी आई। ५ मिनटों को बाद जब वह वापस आई तो मैं उसे बस देखता ही रह गया। वह गुलाब़ी रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुए मेरे सामने थी। थोड़ी देर के लिए तो मैं बिल्कुल सुन्न हो गया था, फिर मैं होश में आया और सीधे जाकर उसे ज़ोरों से गले लगा लिया और उसके होंठों पर होंठ रखकर चूमने लगा, उसे ख़ुद को सँभालने का मौक़ा भी नहीं मिला।
चूमते-चूमते मैंने अपना एक हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल कर उसके गोरे-गोरे और मुलायम चूतड़ों को सहलाने लग गया। फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही उसकी गुलाब़ी घुंडियों वाली चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने उन्हें दबोच लिया और एक हाथ से उसकी घुंडी को मसलने लगा, तो उसकी सिसकियाँ निकल पड़ीं। फिर मैंने एक झटके से उसकी पैन्टी को उतार कर उसे बेड पर लिटा दिया, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए।
उसने झट से उठकर मेरे लंड को पकड़ कर चूसना शुरु कर दिया। मैंने जीवन में कभी भी ऐसा अनुभव नहीं किया था, मुझे स्वर्ग की अनुभूति हो रही थी। वह मेरे लंड को चूसती रही। मैं कभी उसकी चूचियों को सहलाने लगता, कभी घुंडियों को काट लेता। उसने मुझे नीचे लिटा दिया और स्वयं मेरे ऊपर इस तरह आ गई, कि उसकी बिना बालों की चूत मेरे मुँह के पास थी। मैंने भी उसकी चूत में उँगली डालकर चूसने लगा।
उसके गाँड की छेद भी गुलाबी रंग की थी। मैं बीच-बीच में उसमें भी उँगली डाल देता, जिससे वह अचानक चिहुँक पड़ती। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर मैंने अपना लंड उसके गाँड की छेद पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसके अन्दर चला गया, जिसके कारण वो चिल्ला उठी। मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फिर उसकी जाँघों को पकड़ कर धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। वह एकदम से चिल्ला उठी।
मैंने उसके होठों को चूमने शुरू कर दिया, फिर थोड़ा सामान्य होने पर मैं उसकी गाँड में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा। मैंने साथ में उसकी चूत में उँगली करना भी जारी रखा, जिससे उसे और भी मज़ा आ रहा था। वह सिसकारियाँ लेने लगी और बोली, अमन थोड़ा और तेज़ करो। मैंने चुदाई की गति में और बढ़ावा किया। थोड़ी देर बाद उसकी चूत से पानी आने लगा, और वह अपनी गाँड को दबोचने लगी। उसने कहा, “अमन मैं गई… मैं गई…!” कहते हुए फिर वो आहहह्हहहह…. आह्ह्हहह्हहहह करने लगी।
पर मैं रुका नहीं। ५ मिनट बाद मेरा भी निकलने वाला था। मैंने पूछा – “गौरी कहाँ छोड़ूँ?”
उसने कहा, “अन्दर ही।”
थोड़ी देर धक्के मारने का बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी गाँड में ही छोड़ दिया। यह पहला अवसर था कि मैं किसी की गाँड में स्खलित हुआ था।
फिर मैं उसके ऊपर लेट गया, थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हमने एक-दूसरे को साफ़ किया और वापस आकार दुबारा बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं फिर से तैयार हो गया। फिर मैंने उसकी चूत की जमकर चुदाई की।
उस दिन मैंने उसकी २ बार चुदाई की। फिर उसने मुझे १००० रुपये दिए और कहा कि अब मैं तुम्हें बुलाती रहूँगी।
उस दिन से अब तक मैंने उसकी कई बार चुदाई की। फिर मैंने उसके द्वारा अन्य स्त्रियों से भी सम्पर्क साधा। Antarvasna
अंतर्वासना पढ़ने Antarvasna Sex Stories वाले हर शख्स को मेरी तरफ से बहुत बहुत प्यार !
मैं इस अन्तर्वासना की एक-एक कहानी को तहे-दिल से पढ़ती हूँ और अपनी कक्षा में जाकर अपनी सहेलियों को भी सुनाती हूँ, फ्री पीरियड में बैठ कर हम यह सब एक दूसरी से शेयर करती और एक दूसरी के मम्मे वगैरा भी दबाती हैं, हल्की-फुल्की छेड़खानी !
हम तीन सहेलियाँ हैं रोज़ी, पिंकी और मैं पायल !
मैं अपनी दोनों सहेलियों से एक साल बड़ी हूँ, बीमार होने की वजह से मेरी एक क्लास ड्राप हो गई थी। मुझे समय से पहले ही जवानी आने लगी है, अब तो मैं काफी बड़ी लगने लगी हूँ।
मैं अक्सर शाम को रोज़ी के घर चली जाती हूँ, उसमें अभी भी बचपना सा है। हम एक साथ खेलती, कूदती हैं। उसने घर की पीछे के हिस्से में बेडमिंटन का जाल लगा रखा है। राजेश अंकल रोज़ी के पापा हैं, वो देखने में ही ठरकी किस्म के हैं, उनकी नज़रें मेरी छातियो पर ज्यादा टिकती हैं और अब मैं यह जान चुकी थी कि वो मुझ में कुछ ज्यादा ध्यान देने लगे, मैं सब समझती थी क्यूंकि मैं भी रोज़ रात को कंप्यूटर पर बैठ चेटिंग,सर्फिंग, वेबसाइट्स देखती और पढ़ती हूँ, मुझे सब चीज़ों का पता है, हिंदी में इन सबको क्या कहते हैं, मैं सब नेट से जान चुकी हूँ।
मैं भी शाम को स्कर्ट पहन कर जाती थी, जब मैं उछलती तो स्कर्ट उड़ती, अंकल अखबार सामने रख चोरी-चोरी मेरी चिकनी जांघें देख अपना लौड़ा खुजलाते। वैसे अब बाहर भी कई लड़के मेरे चारों तरफ मंडराने लगे हैं, फिर तो अंकल बढ़ने लगे और मुझे कहते- तुझे खेलना सिखाता हूँ !
मुझे मालूम था कि वो क्या खेल सिखाना चाहते थे। बहाने से मुझे छूते। उनके स्पर्श से मुझे कुछ होने लगता। कभी रैकट पकड़ना सिखाने के बहाने पीछे से मेरी गांड पर अपना लौड़ा रगड़ते, अंकल को मालूम था कि मैं सब जानती हूँ क्यूंकि एक दिन जब वो मेरे पीछे आये थे तो मैंने खुद गांड पीछे दबा दी थी।
एक दिन शाम को जब मैं वहां गई तो रोज़ी घर पर नहीं थी, ना ही उसकी मम्मी और उसका छोटा भाई !
शनिवार था, वो अपने नानी के घर गई हुई थी, मैं वापस आने लगी तो अंकल बोले- आ जा ! मेरे साथ खेल ले बेडमिन्टन !
न जाने मुझे क्यूँ लगा कि अंकल ने आज जानबूझ कर सब को घर से भेजा है ताकि वो मुझ से मजे कर सकें !
नहीं अंकल ! कल आऊँगी ! कहकर मैं मुड़ने लगी ही थी कि उन्होंने मेरी कलाई पकड़ मुझे अपनी तरफ खींच लिया। एक झटके में मैं उनकी बाँहों में थी, मेरा चेहरा उनके चेहरे के बहुत करीब था, अंकल ने ताज़ी शेव की थी, उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए !
मैं भी उनके चुम्बन का प्रत्युत्तर देने लगी। नीचे से उनका दूसरा हाथ मेरी स्कर्ट में था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, अंकल ने मेरे होंठ छोड़ते हुए कहा- चल, बिस्तर में चलते हैं !
मैंने थोड़ा ड्रामा करते हुए कहा- नहीं ! यह सब ठीक नहीं है, मुझे जाने दो !
मुझे कस कर बाँहों में भर अंकल बोले- आज मौका है रानी, तुझे जन्नत दिखाता हूँ !
मुझे बाँहों में उठा अपने बेडरूम में ले गए और मेरी स्कर्ट खोल दी और पैंटी नीचे करते ही अपने होंठ मेरी कुंवारी चूत पर रख दिए।
बहुत ठरकी थे वो !
मुझे मजा आने लगा. वो इस तरह चूत चाट रहे थे जैसे बहुत मीठी हो ! मैं पूरी गर्म हो चुकी थी। अंकल ने ने अपना सब कुछ उतार दिया मुझे 69 की अवस्था में आने को कहा। मैं उनके ऊपर थी, उन्होंने पकड़ कर लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया और मैं चूसने लगी। बहुत मजेदार लौड़ा था उनका ! जो मैंने इन्टरनेट पर देखा था, सब वही खेल मेरे सामने था। अंकल की पूरी जुबान मेरी चूत में घुस जाती, जब वो अन्दर घुमाते तो मैं पागल होकर उनका लौड़ा चूसती !
कुतिया मज़ा आ रहा है? कभी पहले किसी ने चूसी है तेरी?
नहीं अंकल !
कोई यार बनाया है अभी तक तुम दोनों ने ?
क्या ऊँगली डालती हो तुम सहेलियाँ एक दूसरी की चूत में ?
नहीं अंकल ! नहीं डालती !
लौड़ा डलवाएगी मेरा ?
हाँ अंकल !
कुछ कुछ हो रहा है !
हाय मेरी जान ! देख बुड्ढे का लौड़ा है ! पसंद है तुझे ?
हां पसंद है जानू ! फक मी ! अब कुछ करो !
मैंने अब खुद पकड़कर मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।
वाह मुन्नी वाह ! अंकल बोले- चल कर टांगें चौड़ी कर और देख जलवा !
अंकल ने लौड़ा चूत पर रखते हुए झटका दिया, उसका टोपा मेरी चूत की फांको में फंस गया।
दर्द से हिल गई मैं !
छोड़ दो अंकल ! अभी छोटी है मेरी ! यह नहीं सहेगी !
चल कुतिया ! रंडी साली ! मुझे सब मालूम है- एक साथ तीनों कमरे में घुस कर इन्टरनेट पर क्या क्या देखती हो !
थोड़ा तेल लगा अंकल ने झटका मारा, उनका आधा लौड़ा चूत में फंस गया। मैं बेहोश होने लगी। खून से उनका लौड़ा लथपथ हो चुका था, झिल्ली फट चुकी थी एक और झटके में पूरा जड़ तक घुस गया। अंकल ने मेरे होंठ नहीं छोड़े ताकि आवाज़ न निकले !
फिर सारा लौड़ा निकाल कर साफ़ किया, चूत को साफ़ किया, तेल लगाया और फिर से घुसा दिया !
अब थोड़ा आराम से घिसता हुआ चला गया। फिर निकाला और फिर से थोड़ा तेल लगा कर डाला और अब मजे से आगे पीछे होने लगा। मुझे अब सब दर्द भूल गया। नीचे से गांड अपने आप उठने लगी झटकों के साथ साथ !
वो कभी एक चुचूक चूसते कभी दूसरा ! कभी कभी पूरा मम्मा मुँह में डाल लेते ! मेरी आंखें मस्ती से बंद होने लगी ! अंकल की रफ़्तार बढ़ने लगी। मैं एक बार झड़ चुकी थी। मेरी गर्मी से उनका भी पिघल गया और तेज़ तेज़ झटकों के साथ उन्होंने मेरी चूत अपने रस से भर दी और मुझे चुदाई का सुख दिया। मैं मस्ती में इतनी पागल हो चुकी थी कि आंखें नहीं खुल रही थी। वो काफी देर मेरे नंगे जिस्म को सहलाते, दबाते रहे। उसके बाद अगले दिन सुबह ही आने को कहा।
उसके बाद क्या-क्या हुआ। यह जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहो और मुझे मेल करो !
जल्दी ही अगले भाग के साथ आपके सामने हाज़िर हूँगी ! Antarvasna Sex Stories
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