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एम-डी के जाने के बाद प्रीती ने देखा कि लड़कों का लंड Hindi Sex Stories फिर खड़ा हो चुका है। “लड़कों लगता है कि तुम लोगों की भूख अभी शाँत नहीं हुई है, शायद और चुदाई करना चाहते हो? तुम लड़कियों को अपने साथ कमरे में ले जाओ और चाहे जैसी चुदाई करो….. लेकिन ये ध्यान रखना कि लेट काफी हो चुका है और हमें खाना भी खाना है”, प्रीती ने कहा।
उनके जाने के बाद प्रीती ने टीना से कहा, “टीना! अब तुम्हारा अगला सबक… चुदाई के मज़े कैसे लिये जाते हैं….. रजनी! क्या तुम पहले अपनी चूत चूसवाना चाहोगी?”
“नहीं प्रीती! तुम्हारा हक पहले बनता है…. मैं बाद में चूसवा लूँगी”, रजनी ने अपने लिये नया पैग बनाते हुए जवाब दिया।
“ठीक है! अगर तुम यही चाहती हो तो! प्रीती बिस्तर पर थोड़ा आराम से लेट गयी और अपनी दोनों टाँगें एक दम फैला दी, टीना! अब तुम मेरी चूत तब तक चूसो और चाटो जब तक कि ये पानी ना छोड़ दे और एक-एक बूँद इसकी पी जाना।”
टीना शर्मा भी रही थी और झिझक भी रही थी कि कैसे करूँ। “अरे चलो चूसो! शरमाओ मत, तुम जानना चाहती थी ना कि तुम्हारी माँ और आँटी साथ-साथ क्या करेंगे, अब आया समझ में?”
टीना झिझकते हुए अपनी ज़ुबान प्रीती की चूत पर घुमा कर उसे चाटने लगी, “हाँ! सही जा रही हो, आधे मन से मत करो, दिल लगा कर चाटो और चूसो….. तुम्हें खूब मज़ा आयेगा”, प्रीती ने उसके सिर पर हाथ रख कर उसे अपनी चूत पर और दबा दिया।
टीना अब थोड़ा और अच्छी तरह चाटने लगी। “क्या अब मैं ठीक कर रही हूँ दीदी?”
“हाँ! अब सही कर रही हो। अब ऐसा करो अपनी अंगुलियों से प्रीती की चूत को फ़ैलाओ और अपनी जीभ से इसे अंदर से चाटो”, रजनी ने उसे सिखाया।
रजनी ने जैसा कहा, टीना वैसा ही करने लगी। “हाँ! अब अच्छा लग रहा है, तुम सही कर रही हो टीना”, प्रीती सिसकी। प्रीती के एक हाथ में सिगरेट थी और टीना से चूत चुसवाते हुए बीच-बीच में कश ले रही थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“टीना! क्या तुम्हें चूत के अंदर चूत का दाना दिख रहा है?” रजनी ने पूछा। टीना ने हाँ में गर्दन हिला दी।
“तो उस पर अपनी जीभ घुमाओ और जैसे अँगुली से अपनी चूत को चोदती हो वैसे ही अपनी जीभ से अब प्रीती की चूत को चोदो”, रजनी ने अपने पैग में से सिप लेते हुए कहा।
टीना अब अपनी जीभ जोर-जोर से प्रीती कि चूत में अंदर बाहर करने लगी। “ओहहहहह टीना…आआआ मज़ा आ रहा है!!!!! तुम्हारी जीभ का जवाब नहीं”, प्रीती अब मस्त हो कर बोल रही थी।
“हाँ! अब इसकी चूत की पंखुड़ी को अपने दाँतों से काटो, पर जोर से नहीं?” रजनी ने आगे सिखाया।
जैसे-जैसे रजनी सिखाती गयी वैसे-वैसे टीना करती गयी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँ आआआआआ…. जोर से अपनी जीभ डालो, ओहहहहह आआआआहहहह हाँआआआ मेरा छूटने वाला है”, प्रीती जोर से चींखी।
“टीना बहुत अच्छे! अब प्रीती की चूत का सारा पानी पी जाओ?” रजनी ने अपना पैग खत्म करते हुए कहा।
“टीना! तुम कमाल की हो”, कहकर प्रीती ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगी।
“अब किसकी बारी है?” टीना ने अपनी जीभ बाहर निकालते हुए कहा।
“आओ रजनी! अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ!” प्रीती ने रजनी के लिये जगह बनाते हुए कहा।
कुछ देर बाद जब टीना, रजनी और बाकी सब लड़कियों की चूत चाट चुकी थी तो थक कर बोली, “बस अब और नहीं!!! मेरी जीभ दुखने लगी है।”
“तुम अब अपनी जीभ को आराम दो, अब हमारी बारी है कि हम तुम्हारी चूत को अपनी जीभ से मज़ा दें”, प्रीती हँसते हुए बोली, “इधर आओ और बिस्तर पर लेट कर अपनी टाँगें फैला दो जैसे मैंने फ़ैलायी थी।”
“आओ लड़कियों!!! अब हम टीना को ज़िंदगी का असली मज़ा दें”, इतना कहकर प्रीती ने अपनी सिगरेट को ऐशट्रे में बुझाते हुए अपना मुँह टीना कि जाँघों के बीच छुपा दिया।
“ऊऊऊऊओओओहहहह प्रीती!!!!” टीना सिसकी।
प्रीती अब टीना की चूत को अपनी जीभ घुमा-घुमा कर चाट रही थी और उसे चूस रही थी। “ओहहहहह प्रीती!!!! बहुत अच्छा लग रहा है….. हाँआआआआ चाटते जाओ….. हाँआआआआ ऐसे ही….. काट लो मेरी चूत को…… ओहहहह हे भगवान!!!! मैं तो गयीईईई”, कहते हुए टीना की चूत झड़ गयी और वो गहरी-गहरी साँसें लेने लग गयी।
प्रीती मज़े लेकर उसकी चूत से निकली एक एक बूँद को पीने लगी। जैसे ही प्रीती हटी, रजनी उसकी जगह लेकर टीना की चूत को चूसने लगी। इस तरह बारी-बारी सब लड़कियों ने टीना की चूत को चाटा और चूसा।
“मुझे नहीं मालूम कि मैं कितनी बार झड़ी हूँ, मुझे तो लग रहा है कि मेरे शरीर में जान ही नहीं है…” टीना बोली।
“मैं समझ सकती हूँ, इसलिये मेरे पास एक दवाई है! अब तुम्हें गाढ़े और मजबूत रस की जरूरत है जो तुम्हें लड़कों के लंड से ही मिलेगा”, प्रीती ने कहा।
“ठीक है! तो पहले तुम राज के लंड को चूसो और उसके पानी को पी जाओ और फिर हर लड़के के लंड का पानी पीना है…” रजनी बोली।
टीना मेरी जाँघों के बीच आकर मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। “हाँ ऐसे ही…. हाँ…आआ अपना मुँह ऊपर-नीचे करो, देखना कहीं दाँत ना लगा देना”, मैं उसके सिर को अपने लंड पर दबाते हुए बोला, “ओहहहहह हाँ…आआआ जोर से…… ओहहहहह हाँ…आआआ मेरा तो छूटाआआआ”, कहते हुए मेरे लंड ने उसके मुँह में पिचकारी छोड़ दी। टीना ने सारा पानी पी कर मुँह बनाया।
“क्यों अच्छा नहीं लगा क्या?” रजनी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“अच्छा था लेकिन थोड़ा नमकीन था”, टीना ने जवाब दिया।
जब टीना सभी लड़कों का लंड चूस कर उनका पानी पी चुकी थी तो रजनी बोली, “टीना! काफी देर हो चुकी है, चलो घर चलना है।”
रजनी इतने नशे में थी कि उसके लिये ड्राईव करना तो मुमकिन ही नहीं था। टीना ने अपने कपड़े पहने और मैंने रजनी को बड़ी मुश्किल से किसी तरह उसके कपड़े पहनाये और फिर उसे सहारा देकर नीचे टैक्सी तक छोड़ने गया। मैं जब रजनी और टीना को टैक्सी में बिठा कर वापस आया तो देखता हूँ कि सिमरन और साक्षी मुँह बनाये सोफ़े पर पसरी हुई थीं।
“तुम दोनों का मुँह उतरा हुआ क्यों है, क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“देखो ना! प्रीती दीदी जय और विजय के साथ हैं, और अंजू-मंजू राम और श्याम को अपने साथ ले गयी हैं, सिर्फ़ हमारा ही खयाल रखने वाला कोई नहीं है।” सिमरन थोड़ा मुँह बनते हुए बोली। उसके स्वर से साफ ज़ाहिर था कि उसने भी बहुत शराब पी ली थी।
“अरे तुम दोनों ऐसा क्यों सोचती हो…..? मैं हूँ ना तुम दोनों का खयाल रखने के लिये”, कहकर मैंने दोनों को अपनी बाँहों में भर लिया।
सारी रात मैं दोनों को चोदता रहा, और आखिर में थक कर हम सब सो गये।
अगला दिन और हफ्ता मेरा काफी बिज़ी गया। टाईम ही नहीं मिला काम से कि मैं किसी और चीज़ की ओर ध्यान दे सकूँ। एक रात जब मैं और प्रीती बिस्तर में थे तो प्रीती ने कहा, “राज मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ।”
“हाँ! कहो क्या बात है?” मैंने कहा।
“आज दोपहर में जब मैं सुस्ता रही थी तो विजय मेरे कमरे में आकर मेरे बिस्तर में घुस गया।”
“तो इसमें हैरानी की बात क्या है, तुम उससे कितनी ही बार चुदवा चुकी हो?” मैंने कहा।
“हैरानी की बात नहीं…. मुझे दो बार चोदने के बाद वो पूछता है कि भाभी मर्द अपनी ज़िंदगी में सबसे ज्यादा खुश कब होता है? मैंने उससे कहा कि तुम मर्द हो तुम बताओ?” वो बोला कि, “भाभी! मैंने कॉलेज के दिनों में कई लड़कियों को चोदा, हमें इतना वक्त नहीं मिलता था कि हम बराबर चुदाई कर सकें पर फिर भी मैं सोचता था कि मुझसे खुशनसीब इंसान नहीं है।”
“फिर मेरी शादी मंजू से हो गयी, वो खुद इतनी चुदक्कड़ थी कि उसने मुझे कभी ना नहीं किया, फिर अंजू ने मुझे बहकाया और मैंने उसे चोदा। पता लगा कि जय भी मंजू को चोदता है। अब मेरे पास दो चूत थी चोदने के लिये।“
प्रीती अपनी बात ज़ारी रखते हुए बोली, “मैंने उससे पूछा कि मैं अभी तक समझी नहीं कि तुम कहना क्या चाहते हो? तो उसने जवाब दिया कि “मैं छुट्टियों में यहाँ आना नहीं चाहता था लेकिन ये लोग मुझे जबरदस्ती ले आये। यहाँ आने के बाद मैंने देखा कि मैं सात नयी चूत चोद चुका हूँ और उसमे आप भी शमिल हैं, क्या आपको लगता है कि मैं खुश हूँ?” विजय ने अपनी बात पूरी की।”
“मैंने उससे कहा कि इतनी छोटी सी उम्र में तुम इतनी चूतों को चोद चुके हो…. ये अपने आप में एक मिसाल है, तो विजय बोला कि नहीं “भाभी, मैं खुश नहीं हूँ, आपको पता है ना कि – दिल मांगे मोर” विजय ने हँसते हुए कहा।”
“मैंने पूछा कि इसका मतलब तुम और नये चूतों दो चोदना चाहते हो? तो वो अपने लौड़े को दबाते हुए बोला कि, “हाँ भाभी! मैं जितनी नयी चूत को चोदता हूँ मुझे उतनी ही और चाहत होने लगती है। मुझे नयी चूत चोदने में मज़ा आता है, काश राज भैया नयी चूत का इंतज़ाम कर देते।”
“मैंने कहा कि अगर ऐसी बात है तो तुम राज को क्यों नहीं कहते? विजय बोला कि “मैंने सोचा कि अगर आप उनसे बात करें तो बेहतर होगा।”
“मैंने फिर उसके लंड को दबाते हुए कहा कि, ठीक है मैं उससे बात करूँगी, लेकिन जब तक वो तुम्हारे लिये नयी चूत का इंतज़ाम करें तब तक तुम मेरी चूत की धुनाई कर दो।”
प्रीती हँसते हुए मुझसे बोली, “राज! सही में उसने मुझे इस तरह चोदा कि मेरी चूत भी पनाह माँग गयी।”
“तो तुम चाहती हो कि मैं उनके लिये चूतों का इंतज़ाम ऑफिस से करूँ?” मैंने कहा।
“हाँ राज! फ़िर से एक बार सामुहिक चुदाई का इंतज़ाम करो ना जैसे हमने टीना के जन्मदिन पर किया था”, प्रीती मेरे लंड से खेलते हुए बोली, “मैंने इतना वादा जरूर उससे किया है।”
“ठीक है जब तुमने कह दिया तो मुझे करना ही पड़ेगा”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन ऑफिस में पहुँच कर मैंने आयेशा को पार्टी में आने की दावत दी तो वो बोली, “सर, मैं खुशी से शामिल होती मगर लगता है मैं नहीं आ पाऊँगी।”
“क्यों क्या बात है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“सर, मेरे अब्बू शायद नहीं आने देंगे, उन्हें मेरी बहुत चिंता रहती है”, आयेशा ने कहा।
“तुम इसकी चिंता मत करो, तुम्हारे अब्बा से मैं बात कर लूँगा।”
“तो ठीक है सर, मैं आ जाऊँगी”, आयेशा ये कहकर चली गयी।
मैंने आयेशा के अब्बू से बात कर उन्हें मना लिया।
शाम को प्रीती ने मुझसे पूछा कि पार्टी कौन से दिन रख रहा हूँ तो मैंने कहा कि, “शनिवार को! मैंने रजनी से कह दिया है कि वो टीना को साथ ले आये और मैंने एम-डी को भी दावत दे दी है। हमारी नयी साथी आयेशा होगी।”
शनिवार को मैंने आयेशा के अब्बू से इजाज़त लेकर आयेशा को उसके घर से पिक किया। “आज तो बहुत सुंदर दिख रही हो….. क्या बात है….. कहीं कहर बरसाने का इरादा है”, मैंने आयेशा दो देखते हुए कहा।
“नहीं सर! ऐसा कुछ नहीं है, बस अपने बदन पर थोड़ा पर्फ्यूम छिड़का है और ये ड्रेस अपनी सहेली से उधार ली है ताकि मैं पार्टी में तमाशा ना बन जाऊँ”, आयेशा ने जवाब दिया।
“पर ये ड्रेस ज्यादा देर तक तुम्हारे बदन पे नहीं रहेगी।”
“क्यों सर? क्या पार्टी में चुदाई भी होगी?” उसने पूछा।
“हाँ… थोड़ी नहीं, बहुत सारी होगी”, मैंने कहा।
“फिर तो मज़ा आ जायेगा सर”, ये कहकर वो मुझसे चिपट गयी।
मैंने भी उसे अपने नज़दीक कर लिया और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। मैं बीच-बीच में उसके निप्पल भींच देता था तो उसके मुँह से जोर से सिसकरी निकल पड़ती थी।
“सर, आपने तो मुझे अभी से गीला कर दिया, मैं अपनी सहेली को कपड़े पर लगे दाग के बारे में क्या बताऊँगी?”
“तुम समझदार हो! कोई ना कोई बहाना ढूँढ ही लोगी”, कहकर मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
जब तक हम घर पहुँचे आयेशा एक बार झड़ चुकी थी। जब हम घर में दाखिल हुए तो आयेशा को देख कर एक दम सन्नाटा छा गया। आयेशा ने जब रजनी और टीना को वहाँ देखा तो चौंक पड़ी, “सर! मिस रजनी और मिस टीना ऐसी पार्टी में यहाँ क्या कर रही हैं?”
“डरो मत! ये हम में से ही एक है, और इनकी चूत मैंने ही फाड़ी थी”, मैंने आयेशा को बाँहों में भरते हुए कहा।
“नसीब वाली हैं ये कि आपने इनकी चूत फाड़ी”, कहकर वो मुझसे चिपक कर खड़ी हो गयी।
“दोस्तों!!! ये आयेशा है!” मैंने उसका परिचय कराते हुए कहा।
“इस परी को तो सबसे पहले मैं ही चोदूँगा”, विजय अपने लंड को सहलाते हुए बोला। आयेशा सिर्फ़ मुस्करा के रह गयी।
“आयेशा! मेरी बाँहों में आ जाओ, हमें समय नहीं गंवाना चाहिये”, विजय अपनी बाँहें फैला कर बोला।
आयेशा अपना पर्स वहीं ज़मीन पर गिरा दौड़ के उसकी बाँहों में समा गयी।
आयेशा को विजय के पास जाते देख मैं रजनी और टीना के पास गया, “अच्छा हुआ रजनी! तुम लोग आ गये।”
“हम आ तो गये पर तुम्हें नहीं मालूम जब अंकल यहाँ पहुँचे और टीना को यहाँ देखा तो हंगामा हो गया”, रजनी बोली।
“ऐसा क्या हुआ…. मुझे बताओ?” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“अपने पापा को यहाँ देख टीना भी चौंक गयी, और जब अंकल जोर से इस पर चिल्लाये कि वो यहाँ क्या कर रही है तो एक बार मैं भी घबरा गयी, पर टीना ने शांती से उन्हें कहा कि वही… पापा जो आप कर रहे हैं, आप यहाँ चोदने आये हैं और हम चुदवाने।”
“आओ देखता हूँ कि तुमने सही जवाब दिया कि नहीं”, मैंने टीना को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।
सामुहिक चुदाई का दौर शुरू हो चुका था। चारों तरफ गर्मी का माहोल था, जिसके मन में जो आये वो उसे चोद रहा था। सब पर शराब और चुदाई का नशा सवार था और चुदाई का शुमार पूरे जोर पर था। पार्टनर्स बदले जा रहे थे, पूरे घर में सिसकियों और गहरी सांसों के अलावा और कोई आवाज़ नहीं थी।
रात बारह बजे जब सब थक गये तो मैंने आयेशा को उसके घर छोड़ा और घर आकर प्रीती की बाँहों में सो गया।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा आयेशा वक्त से पहले ही आ गयी थी। मेरे आते ही उसने सब रिपोट्र्स और एक एपलीकेशन मेरी टेबल पर रख दी।
“ये एपलीकेशन किस चीज़ की है?” मैंने पूछा।
“सर, आज मुझे आधे दिन कि छुट्टी चाहिये, जो काम पेंडिंग रह जायेगा वो मैं कल जल्दी आकर पूरा कर दूँगी”, आयेशा ने कहा।
उसके चेहरे को देख कर मुझे लगा कि वो मुझसे कुछ छुपा रही है। “आयेशा! सच-सच बताओ कि बात क्या है, तुम आधे दिन कि छुट्टी क्यों लेना चाहती हो?”
“सर, विजय का फोन आया था और वो चाहता है कि मैं दोपहर में वहाँ आऊँ। वो सब मुझे साथ में चोदना चाहते हैं। सर, कोई बहाना बना दीजिये ना!” वो हँसते हुए बोली।
“लेकिन घर में दूसरी औरतें भी तो हैं…. उनका क्या?” मैंने पूछा।
“सर! विजय ने बताया कि वो सब शॉपिंग पर जा रही हैं, और सर आप ही सोचिये कि जब चार खड़े लंड मेरे साथ होंगे, सर, सिर्फ़ इस खयाल से ही मेरी चूत से पानी टपक रहा है, सर, प्लीज़ मेरी छुट्टी मंज़ूर कर दीजिये”, आयेशा गिड़गिड़ाते हुए बोली।
“ठीक है! लेकिन एक शर्त पर कि तुम पेंडिंग काम कल पूरा कर दोगी”, मैंने हँसते हुए कहा।
मेरा इतना कहने की देर थी कि आयेशा ने जोर से मेरे होंठों पर चुंबन लिया और केबिन के बाहर दौड़ कर चली गयी।
इसके पहले कि मैं आयेशा के चुंबन के असर से बाहर आता एम-डी का इंटरकॉम पर फोन आया, “राज! आज आयेशा कहाँ है….. दिखी नहीं?”
“सर! आज वो छुट्टी पर है”, मैंने जवाब दिया।
एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और नसरीन को कॉफी लाने को कहा। कॉफी की घूँट भरते हुए एम-डी ने कहा, “राज! लगता है आयेशा पर काम का बोझ कुछ ज्यादा ही है, इसलिये मैं नसरीन को अपनी पर्सनल सेक्रेटरी बनाना चाहता हूँ।”
“सर, आपका खयाल तो अच्छा है, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि उसे नियुक्त करने से पहले हमें उसकी काबिलियत को जान लेना चाहिये…..” मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा।
“हाँ! तुम सही कह रहे हो!” एम-डी ने जोर से हँसते हुए कहा।
एम-डी ने नसरीन को अपने केबिन में बुलकर कहा, “नसरीन मैंने फैसला किया है कि मैं तुम्हें अपना पर्सनल सेक्रेटरी एपॉयंट कर दूँ…. लेकिन उसके पहले राज ने बताया कि हम तुम्हारी काबिलियत जाँच लें।”
“सर, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है।” नसरीन ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुए कहा। मैं आयेशा के ख्यालों में खोया हुआ था कि वो चार मुस्टंडे लंडों के साथ क्या कर रही होगी। इतने में मैंने देखा कि नसरीन बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और इस समय हमेशा की तरह चुदने के पहले कोकेन की डोज़ अपनी नाक में खींच रही थी। फिर दो बार नसरीन की काबिलियत जाँचने के बाद मैंने एम-डी से जाने की विदा माँगी।
“तुम जा सकते हो….. यहाँ सब ठीक है, ओहहहहह नसरीन! हाँ जोर से चूसो……., हाँआआआआ अब ठीक है!!!! ओहहहहह मेरा छूटने वाला है!!!!” एम-डी कामुक्ता भरे स्वर में कह रहा था।
जब मैं घर पहुँचा तो देखता हूँ कि तीन लड़के अपने मुर्झाये लंड को हाथ में पकड़े बैठे थे। “आयेशा कहाँ है और उसका क्या हाल है?”
“आयेशा तो सही कमाल की है, जब से आयी अपनी टाँगें पसारे चुदवा रही है, हमारे ही लंड में अब ताकत नहीं रही”, विजय बोला।
“जय कहाँ है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“जय इस समय आयेशा की चुदाई कर रहा है, पर हमें नहीं लगता कि इस बार झड़ने के बाद वो दोबारा उसे चोद सकेगा”, राम ने कहा।
“राज, तुम ही अब जा कर आयेशा को चोदो!” श्याम ने कहा।
मैंने बेडरूम में झाँक कर देखा कि विजय धीरे-धीरे आयेशा की चुदाई कर रहा है। “हाँ चोदो मुझे!!!!! ओहहहहह हाँआआआआआ आआआआहहहह मेरा छूटने वाला है”, आयेशा सिसकरियाँ ले रही थी। उसका स्वर शराब के नशे के कारण भारी और अस्पष्ट सा था। विजय भी दो तीन धक्के और मार कर उसकी चूत में झड़ गया।
जैसे ही विजय उससे अलग हुआ, मैंने अपने कपड़े उतार कर अपना लंड आयेशा की चूत में डाल दिया, “ओह सर!!! आप कब आये।”
कोई जवाब दिये बिना मैं जमकर उसकी चुदाई करने लगा। जब मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और उससे अलग होने लगा तो वो मुझे बाँहों में जकड़ते हुए हकलाते हुए स्वर में बोली, “स….सर! प्लीज़ एक… एक बार और…. चो…चोदो ना।”
“नहीं अब और नहीं…. तुम्हें घर जाना है…. और तुमने इतनी शराब क्यों पी?” मैंने बिस्तर पर से उठते हुए कहा।
“सर…. आप..आपने सारा मज़… किरकिरा कर…कर दिया”, उसने उठते हुए कहा।
“मैंने मज़ा किरकिरा नहीं किया…. बल्कि तुम्हें तुम्हारे अब्बू से बचा रहा हूँ, अगर तुम्हें ढूँढते हुए वो ऑफिस पहुँच गये और पता चला कि तुम दोपहर में ही चली गयी हो तो तुम्हारी शामत आ जायेगी।”
“हाँ सर… ये…. ये बात तो सही है”, आयेशा बोली। फिर मैंने उसके परों में से उसके ऊँची हील के सैंडल निकाल कर उसे बाथरूम में शॉवर के नीचे बिठा दिया ताकि उसका नशा कुछ कम हो। नहाने के बाद उसने आधा घंटा आराम किया और फिर अपने कपड़े पहन कर जाते हुए चारों लड़कों से बोली, “सही में तुम लोगों के साथ बहुत मज़ा आया….. ऐसा ही कार्यक्रम दोबारा फ़िर रखेंगे।”
“हाँ जरूर!” चारों ने साथ में कहा।
अब अक्सर आयेशा दिन में छुट्टी ले मेरे फ्लैट पर चली जाती और चारों लड़कों से दिल खोल कर चुदवाती।
करीब दस दिन के बाद एक शाम रजनी अपनी एक फ्रैंड फातिमा को ले ऑफिस पहुँची। “राज! ये मेरी कॉलेज की फ्रैंड फातिमा है”, रजनी ने मेरा उससे परिचय कराया।
फातिमा बहुत ही सुंदर थी। पतला बदन, गुलाबी होंठ…… मन करा कि बढ़कर चूस लूँ। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी नहीं थीं पर बनाव अच्छा था। उसने लाइट ब्लू कलर की सलवार कमीज़ और सफ़ेद कलर के बहुत ही ऊँची हील के सैंडल पहन रखे थे। उसकी सुंदरता देखने लायक थी। वो किसी भी टॉप की मॉडल को मात कर सकती थी।
“राज! फातिमा का कहना है कि इसके अंकल चुदाई में तुमसे ज्यादा निपुण हैं और मैं कहती हूँ कि तुम हो…… हमने इसी बात पर शर्त लगायी है”, रजनी ने कहा।
तो मुझे इस सुंदर हूर को चोदने का मौका मिलने वाला है, यही सोच कर मेरा लंड तनने लगा।
“मैं तुम्हें समझाती हूँ कि क्या करना है, सही में मैं जिनकी बात कर रही हूँ वो मेरे अंकल नहीं हैं…. बल्कि वो मेरी अम्मी के प्रेमी हैं और उन्होंने ही मुझे पहली बार चोदा था”, फातिमा बोली। “वो एक हफ़्ते की छुट्टी पर इस शनिवार को आ रहे हैं और मैं चाहती हूँ कि आप भी उसी रोज़ पहुँचें।”
“ठीक है हम लोग पहुँच जायेंगे….. पर मेरी बीवी मेरे साथ होगी”, मैंने कहा।
“बहुत अच्छा, और रजनी ने मुझे बताया कि तुम भी फ़्री सैक्स में विश्वास रखते हो?” फातिमा बोली।
“हाँ! रजनी ने सही कहा है, मैं शनिवार की टिकटों का इंतज़ाम कर लूँगा।”
“एक आखिरी बात! हमारे घर में तुम्हें कईंयों को चोदने को मिलेगा….. जैसे मेरी अम्मी, मैं खुद और हमारी दो नौकरानियाँ। इस हिसाब से तुम चार नई चूतों को चोदोगे और तुम सिर्फ़ प्रीती और रजनी को साथ लेकर आओगे!”
फातिमा थोड़ा हँसते हुए बोली, “इस हिसाब से तुम्हें दो लड़कियों को और साथ लाना होगा…. मेरे अंकल के लिये, जो तुम्हारे लिये कोई मुश्किल काम नहीं होगा।” फातिमा एक दम व्यापारी रीत में बोली।
“ठीक है!!! मैं इंतज़ाम कर लूँगा”, मैंने कहा।
“तो ठीक है….. हम लोग शनिवार को स्टेशन पर मिलेंगे, मैं तुम लोगों के साथ ही चलूँगी”, कहकर फातिमा चली गयी।
रजनी ने पूछा, “किसे साथ लेकर जाने की सोच रहे हो?”
“आयेशा तो पक्की है, और अगर तुम इंतज़ाम कर पाओ तो टीना को लेकर जाना चाहुँगा”, मैंने रजनी की तरफ देखते हुए कहा।
“ठीक है, मैं कोशिश करूँगी”, ये कहकर रजनी भी चली गयी।
बाद में घर पर मैंने प्रीती से बात की तो प्रीती ने घर में सब को हमारे प्रोग्राम के बारे में बताया। “अगर आप इजाज़त दें तो हम सब भी चलना चाहेंगे”, राम ने हमारी बात सुनकर कहा, “इसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जायेगा, जब से आये हैं, घर में ही घुसे हुए हैं।”
“अगर फातिमा को आपत्ति नहीं है तो मैं तैयार हूँ।” मैंने जवाब दिया।
प्रीती ने तुरंत रजनी को फोन लगाकर फातिमा से बात कराने को कहा।
करीब एक घंटे बाद रजनी टीना को लिये घर में दाखिल हुई। टीना की आँखें एक दम सुर्ख लाल हो रही थी।
“ये टीना को क्या हुआ… और ये रो क्यों रही है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“राज तुमसे बात होने के बाद मैंने घर पहुँच कर टीना को सब बताया तो वो खुशी से उछल पड़ी और अपने पापा से इजाज़त लेने गयी, पर अंकल ने एक दम साफ मना कर दिया।” रजनी बोली।
“जब टीना ने पूछा कि पर क्यों पापा!…. तो…. अंकल ने ये कहकर साफ मना कर दिया कि तुम जानना चाहती हो कि मैं क्यों ना बोल रहा हूँ….. जब राज ने तुम्हारी चूत और गाँड मारी तो मैं कुछ नहीं कर पाया और अब तुम चाहती हो कि राज के दोस्त भी तुम्हें चोदें…… नहीं! ये मैं कभी नहीं होने दूँगा।”
“ये सुन टीना बहुत उदास थी और रो रही थी…. इसी लिये मैं इसे यहाँ ले आयी कि कम से कम जाने से पहले एक बार राज से चुदवा लेगी तो इसके मन को ठंडक पड़ जायेगी”, रजनी ने कहा।
“ये तो तुमने ठीक किया पर क्या फातिमा से तुम्हारी बात हो गयी है?” मैंने रजनी से पूछा।
“हाँ! मेरी फातिमा से बात हो गयी है, उसका कहना है कि उनका बंगला काफी बड़ा है और उसे या उसकी अम्मी को कोई परेशानी नहीं होगी”, रजनी ने जवाब दिया।
“रजनी, एक बात बताओ! फातिमा इतनी सुंदर है पर बात करते वक्त इतने ठंडे लहज़े में क्यों बात करती है?” मैंने पूछा।
“ऐसा कुछ नहीं है, बस जब थोड़ा चिंतित होती है तो उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है।”
“तब तो ठीक है, नहीं तो मैं तो सोच रहा था कि मुझे बर्फ की सिल्ली के समान चूत में ही अपना लंड पेलना पड़ेगा”, मैंने कहा।
“बर्फ की सिल्ली… मेरी जूती! जब तुम्हारा लंड उसकी चूत में घुसेगा तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हारा लंड किसी जलती हुई भट्टी में घुस गया है”, रजनी थोड़ा जोर देती हुई बोली।
उसके बाद मैंने दो बार टीना की जम कर चुदाई की और फिर खाना खाकर वो दोनों चली गयीं।
दूसरे दिन मैंने अनिता को अपने प्रोग्राम के बारे में बताया कि मैं आयेशा और वो नयी लड़की ज़ुबैदा को साथ ले जाना चाहता हूँ, तो उसने कहा, “सर! आप फ़िक्र ना करें, आप जायें और इंजॉय करें, मैं पीछे सब संभल लूँगी।”
हम शनिवार की दोपहर को फातिमा के घर पहुँचे। वो तीन मंज़िला बंगला था। फातिमा ने हमारा परिचय उसकी अम्मी, मिसेज रूही, से कराया। मिसेज रूही सही में बहुत ही सुंदर थीं। उनकी उम्र ४५ के आस पास थी पर वो देखने में फातिमा की बड़ी बहन से ज्यादा नहीं लगती थी। अगर मुझसे कोई उन माँ-बेटी में से एक को चुनने को कहता तो मैं माँ को ही चुनता, उसकी सुंदरता देखने काबिल थी।
“आप सब का हमारे घर में वेलकम है”, रूही हमारा स्वागत करते हुए बोली, “और ये…..” उसने अपने पीछे खड़ी हुई दो लड़कियों कि ओर इशारा किया, “ये आबिदा और सलमा हैं, जो आप लोगों का हर तरह से खयाल रखेंगी।” आबिदा और सलमा को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो नौकरानियाँ हैं बल्कि वो दोनों किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थीं। उनका पहनावा और शृंगार, फतिमा और मिसेज रुही से कम नहीं था।
हम सबने दोपहर का खाना खाकर आराम किया। शाम को फातिमा के अंकल कहो या रूही के प्रेमी, मिस्टर रवि आ गये। रवि देखने में अच्छे थे, लंबा कद, चौड़े बाज़ू और सुंदर चेहरा। कोई भी औरत उनकी तरफ आकर्षित हो सकती थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
सब हॉल में इकट्ठे हो जाओ! “ड्रिंक्स पंद्रह मिनट में सर्व की जायेंगी”, रूही आदेश देती हुई बोली, “रवि! बार की कमान तुम संभालो।”
थोड़ी ही देर में सब ड्रिंक्स और माहोल का आनंद ले रहे थे।
“अच्छी भीड़ जमा कर रखी है इस वक्त?” मैंने रवि को रूही से कहते हुए सुना।
“ये सब फातिमा के दोस्त हैं, लेकिन अफ़सोस कि इस बार तुम्हारे लिये कोई कोरी चूत नहीं है”, रूही हँसते हुए बोली।
“इस बार मेरी जान…. मैं तुमसे मिलने आया हूँ ना कि कुँवारी चूत की उम्मीद में”, रवि ने अपने ग्लास से घूँट भरते हुए कहा।
खाने की टेबल पर फातिमा ने रवि को अपनी शर्त की बात बतायी। “तुम्हें नहीं लगता कि तुम बचकाना हरकत कर रही हो?” रवि ने कहा।
“यही बात अम्मी और राज ने भी कहीं थी, लेकिन मैंने फैसला कर लिया है कि मैं जान कर रहुँगी! इसलिये प्लीज़… आप हाँ कर दें”, फातिमा ने कहा।
“रवि! हाँ कर दो ना! तुम्हारा क्या जाने वाला है?” रूही चौथा पैग खतम करती हुई बीच में बोली।
“ठीक है! अगर तुम्हारी अम्मी कह रही है तो मैं तैयार हूँ”, रवि ने कहा, “बताओ कैसे आजमाना चाहोगी।”
“अंकल! आज रात आप रजनी के साथ सोयेंगे और मैं राज के साथ”, फातिमा ने बताया, “रजनी राज के साथ सो चुकी है और मैं आपके साथ…. सो हम दोनों का बयान ही फैसला करेगा।”
जिस तरह उस घर का दस्तूर था, रूही ने फैसला किया कि कौन किसके साथ सोयेगा। रूही ने जोड़ों की घोशना की, “राम, आयेशा और अंजू को चोदेगा, श्याम, मंजू और सलमा को, विजय, सिमरन और आबिदा को, और जय, ज़ुबैदा और साक्षी को।”
“पर आपका और प्रीती का क्या होगा?” फातिमा ने पूछा।
“कुछ नहीं! हम लोग एक दिन बिना मर्द के रह लेंगे, एक दूसरे को सैटिसफायी करने के लिये हम ही काफी हैं”, रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।
उस रात जब मैंने अपना लंड फातिमा की चूत में घुसाया तो वो बोली, “राज! तुम्हारा लंड कितना लंबा और मोटा है, मुझे लगता है कि मेरी चूत तुम्हारे लंड से पूरी भर गयी है।”
उसकी बातों को नज़र अंदाज़ करते हुए मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा। कभी मैं अपनी रफतार तेज कर देता और कभी धीरे से पेल देता और कभी अचानक ही पूरा लंड एक ही झटके में जड़ तक डाल देता। थोड़ी देर में ही उसे भी पूरा जोश आ गया था, और वो अब अपने कुल्हे उठा कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।
“हाँआआआआ राज!!! इसी तरह चोदो!!!, हाय अल्लाह…. कितना अच्छा लग रहा है!!!!, हाँ और जोर से चोदो!!!! हाँआआआआ ओहहहहह”, उसका शरीर अकड़ रहा था और मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है, “हाँआआआआ राज!!! और जोर से!!! हाँ ओहहह मेरा छूटाआआ”, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
दो तीन जोर के धक्के और मारने के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी।
उस रात मैंने फातिमा को चार बार चोदा और सुबह फातिमा ने मेरे लंड को ऐसे चूसा कि आज तक मैंने ये अनुभव नहीं किया था।
सुबह नाश्ते की टेबल पर सब इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि फैसला किसके हक में जाता है। “राज भी चुदाई कला में माहिर है, मैं फैसला नहीं कर पा रही कि कौन बेहतर है”, फातिमा ने कहा।
“और यही राय मेरी है, मेरे हिसाब से दोनों ही माहिर हैं”, रजनी ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
उस दिन हम सब शहर में घूमने गये और देर शाम तक ही लौटे। खाने के बाद फिर ड्रिंक्स का दौर चला और फ़िर रूही ने तय किया कि कौन किसके साथ सोयेगा। रवि के हिस्से में प्रीती और सिमरन आयी, आयेशा और मंजू जय के साथ, विजय को मिली साक्षी और ज़ुबैदा, फातिमा और रजनी राम के साथ, श्याम के साथ अंजू और रूही और मेरे हिस्से में आयी आबिदा और सलमा।
जब हम अपने अपने कमरे में जाने की तैयारी कर रहे थे तो रवि बोला, “राज इनसे मसाज करवाना नहीं भूलना!”
“मसाज क्यों? मैं तो जमकर इनकी चुदाई करना चाहता हूँ!” मैंने कहा।
“चुदाई तो तुम जब चाहो कर सकते हो, पर मसाज कराकर देखो, तुम्हारी जन्नत की सैर हो जायेगी, इनका मसाज करने का तरीका कुछ अलग ही है”, रवि ने कहा।
“ठीक है! मैं आजमाना चाहुँगा”, मैंने कहा, “लेकिन इसके लिये मुझे क्या करना होगा।”
“कुछ नहीं! बाकी मैं इन्हें समझा दूँगा”, रवि ने जवाब दिया।
रात को बिस्तर पर लेटे हुए मैंने देखा कि आबिदा और सलमा, दोनों, सिर्फ हाई पेन्सिल हील के सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी मेरे कमरे में दाखिल हुईं। उनके हाथों में एक मोमबत्ती थी और एक कटोरी तेल की थी। उन्होंने मेरे कपड़े उतारे और मुझे पेट के बल लेट जाने को कहा।
आबिदा मेरी जाँघों को मसल रही थी और सलमा थोड़ा सा तेल मेरी पीठ पर डाल कर उसे मसल रही थी। उनके हाथ इस अंदाज़ में चल रहे थे कि वो मुर्दे के शरीर में भी जान फूँक सकते थे।
“ओहहहह कितना अच्छा लग रहा है!” मैं सिसका। उन्होंने मुझे फिर पलट कर पीठ के बल कर दिया। तब तक मेरा लंड आधा तन ही चुका था।
बिना कुछ कहे वो मेरी छाती पर झुक गयीं और मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी। ऐसा मेरे साथ पहले किसी ने नहीं किया था।
“ओहहहहहह”, मेरे मुँह से सिसकरी निकली। मेरा लंड भी अब तन कर खड़ा हो चुका था।
आबिदा मेरे निप्पल को चूसते हुए नीचे की ओर बढ़ी और वहीं सलमा ने गरम तेल मेरे निप्पल पर डाल दिया। “ओहहह जल रहा है, तेल गरम है, थोड़ा ध्यान रखो!” मैंने कहा।
आबिदा नीचे होती हुए मेरी जाँघों के भीतरी भाग पर अपनी ज़ुबान से चाट रही थी और वहीं सलमा अपने नाज़ुक हाथों से मेरी छाती की मालिश कर रही थी।
एक की ज़ुबान और दूसरे के हाथ ऐसा मज़ा दे रहे थे कि बयान नहीं कर सकता। थोड़ी देर में सलमा भी मेरी जाँघों के बीच आ कर मेरे लंड के सुपाड़े पर अपनी ज़ुबान घुमाने लगी। वहीं आबिदा मेरी जाँघों के अंदरूनी भाग को चूमे जा रही थी।
वो थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी जगह बदल लेतीं। अब सलमा मेरे लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले चूस रही थी और वहीं आबिदा मेरे अंडवों को मुँह में ले चूस रही थी।
“ओहहहहहह सलमाआआआआ चूसती जाओ!!!! ओहहहहह आआआआहहहहह मेरा छूटने वाला है!!!!!” मुझसे अब रुकना मुश्किल हो रहा था और मैंने अपना वीर्य सलमा के मुँह में छोड़ दिया।
उस रात मैंने कई बार आबिदा और सलमा को चोदा और जब मेरे लंड में ताकत नहीं रही तो हम एक दूसरे की बाँहों में सो गये।
सुबह मैंने प्रीती से रवि के बारे मैं पूछा, “कैसा रहा?”
“रवि का लंड वाकय में बहुत लंबा और मोटा है और वो चोदता भी तरीके से है, लेकिन मेरे लिये तुम और तुम्हारा लंड सब से ज्यादा अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“तुमने इतना कह दिया…. मेरे लिये इतना ही बहुत है”, मैंने प्रीती को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा। Hindi Sex Stories
हाय दोस्तों!
यह मेरी पहली कहानी है, मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ने बहुत मजा आता Sex Stories है मेरा नाम सुरेश है गोंडा में मेरा घर है एक बार मैं अकेले घर पर था उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था मैं सेक्सी बुक देख रहा था मेरा लंड खड़ा था मेरे घर का दरवाजा खुला था तभी पड़ोस में रहने वाली आंटी जी अन्दर आ गयीं और मुझे लगा कि कोई आ रहा है मैं ने शीशे में देख लिया कि आंटी खड़ी मुझे देख रही थी
मैने अपना मोटा लाल और चिकना लंड अपने हाथ में पकड़ रखा था मैने कुछ नहीं पहना था एक दम नंगा था आंटी बहुत ध्यान से देख रही थी मैं ने लंड को और ऊपर कर दिया अब आंटी को मेरा लम्बा लंड साफ़ दिख रहा था वो मस्त हो रही थी बहुत देर देखने के बाद वो आगे आकर पीछे से आकर पकड़ लिया मैं खड़ा हो गया तभी मेरा लंड आंटी के पेट में गड़ने लगा तभी वो देख कर बोली कि कितना सेक्सी है तुम्हारा और झट से पकड़ लिया वो बोले तुम भी प्यासे हो और मैं भी चलो दोनो की प्यास बुझ जायेगी
मैने कहा क्यों अंकल आप को नहीं करते है वो बोली कभी नहीं मैने कहा मैं तैयार हूं। आंटी बोली क्या करने के लिये, मैं शरमाया, तभी वो बोली चोदने के लिये। फिर मैं आंटी को गोद में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और कपड़े उतारने लगा सच में उनकी चूची एक दम कड़ी थी मैने दबाना शुरु किया वो एक दम मदमस्त हो रही थी जब मैने उनकी चूत में उंगली डाली तो इतनी गरम थी कि मैं बता नहीं सकता आंटी बोली पहली बार तो जल्दी चोद दो दोबारा आराम से चोदना मैं भी ताव में था अपना लंड आंटी की चूत पर रख दिया धीरे धीरे चूत में डालने लगा आंटी को दर्द हुआ, आवाज़ निकाल रही थी आह आआहह अहह ओहो होहह्हूऊऊ मैने ५-६ धक्के में लंड को अन्दर कर दिया और धक्के मारने लगा, पहले धीरे धीरे फिर तेज़ और तेज़ और फिर खूब जोर जोर से धक्के मारने लगा आंटी एक दम नशे में थी बोली एतनी अच्छी चुदाई कैसे कर लेते हो मेरे पति तो कभी करते नहीं जब करते भी हैं तो उनका लंड इतना छोटा है कि मेरी चूत में जाता ही नहीं।
मैं धक्के मारता जा रहा था आंटी बोली पहली बार तो ऐसे ही जल्दी जल्दी चोद दिया है, अब भरपूर मजा दुंगी तुमको कि तुम मस्त हो जाओगे। मैं आंटी को चोदता रहा फिर लंड को चूत से बाहर निकाल कर चूत को देखने लगा और सहलाने लगा, आंटी बोली पहली बार चूत देख रहे हो, मैने कहा हाँ आज़ मैने चूत देखी पहले फोटो देखता था आज़ सामने है आप की चूत तो बहुत रसीली है बहुत रस निकल रहा है, वो बोली जब से तुम्हारा लंड देखा है तभी से पानी निकल रहा है और मेरा मन कर रहा था के झट से पकड़ कर मुँह में डाल लूं और सारा रस पी जाऊं। आंटी बोली कि इस बार चोद दो फिर तुम मेरी चूत चाटना। मैं तुम्हारा मोटा लंड पीउंगी।
मैने आंटी की चूत से थोड़ा सा रस निकाल कर अपनी लंड पर लगाया और फिर चूत में डाल दिया आंटी आआहह्ह ऊह्ह करती रही मैने स्पीड तेज़ कर दी और तेज़ कर खूब तेज़ कर दी आंटी के ऊपर लेटा रहा और आंटी को झड़ने लगी थी तभी आंटी बोली स्पीड और तेज़ करो मैं झड़ने वाली हूं, मेरी चूत का रस निकलने वाला है। मैने स्पीड और तेज़ कर दी तभी आंटी ने मुझे कस के पकड़ लिया। मैने भी आंटी को कस के पकड़ लिया दोनो झड़ गये थे। मेरे लंड का रस आंटी की चूत में गिर रहा था मुझे बहुत मजा आया। Sex Stories
मैं सुरेश यादव लुधियाना से हूँ Antarvasna Stories पर मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हूँ। मैं अन्तर्वासना पर रोज कहानियाँ पढ़ता हूँ। मेरे मन में विचार आया कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के सामने रखूँ और आपके प्यारे विचार जानूँ !
मेरी साथ वाली गली में मेरा दोस्त सुयश रहता है। जनवरी २००९ में उसकी शादी हो गई। मेरे दोस्त सुयश की बीबी और मेरी भाभी सोनिया जो नई नई शादी करके आई थी, थी बड़ी सेक्सी ! क्योंकि मुझे शादीशुदा औरतें अच्छी लगती हैं, इसलिए मैं उसको देखने सुयश के घर जाया करता था। पर मुझे नहीं पता था कि मैं सोनिया को देखने जाता हूँ और सुयश की बहन नीलम मुझे देखती थी।
यह सब दो महीने चलता रहा पर एक दिन नीलम ने मुझे पकड़ के बोली- १ ४ ३
मैं बोला- यह क्या ?
तो बोली- मैं तुमसे प्यार करती हूँ !
मैं बोला- तेरी भाभी घर में है, अगर सुन लिया तो ?
वो बोली- कोई बात नहीं, भाभी के भी तो पुराने यार हैं, भाभी ने ही बताये हैं, भाभी मेरे से सारी बात कर लेती है तुम न डरो ! भाभी ने बोल दिया है !
चलो फिर मेरा तो काम बन गया- भूखे को चाहिए रोटी !
मैं तो खुश हो गया पर नीलम ने हाथ भी नहीं लगाने दिया !
बोलती है शादी के बाद !
मैंने सोचा- चलो कोई बात नहीं, मैं इससे शादी करा लूंगा क्योंकि वो है बड़ी प्यारी ! खैर मैं भी नीलम से प्यार करने लगा, नीलम तो मेरे से प्यार करती ही थी।
इसके दो महीने बाद मेरी और उसकी शादी की बात चली पर नीलम के घरवाले नहीं माने और उसकी शादी जालंधर में पक्की कर दी। मैं और नीलम दुखी हो गये और आत्महत्या के बारे में सोचने लगे।
पर सोनिया भाभी ने बोला- जिन्दगी जीने का नाम है, कभी भी जिन्दगी से हारना नहीं !
इसलिए हमने मरने का विचार छोड़ दिया पर नीलम बोलने लगी- मैंने सुहागरात तो तुम्हारे साथ ही मनानी है !
तो भाभी बोली- चलो, मैं यह काम करा दूँगी !
मेरा दिल नहीं मान रहा था पर हम जिससे प्यार करते है उसकी ख़ुशी के लिए तो कुछ भी कर सकते हैं।
खैर धीरे-धीरे शादी का दिन भी आ गया। भाभी ने अपनी जान पहचान वाली का ब्यूटी-पार्लर बुक कर लिया और उसको पैसे दे कर बोल दिया कि हमने यहाँ क्या क्या करना है !
खैर भाभी ११ बजे नीलम को ले करके ब्यूटी-पार्लर आ गई और एक बजे मुझे बुला लिया। जब मैं पार्लर के भीतर गया तो नीलम क्या गजब की लग रही थी ! लाल रंग का लहंगा-चोली पहन रखी थी, हाथों में लाल रंग का चूडा, मेहंदी लगाई हुई थी, बाल खुले थे, लाल रंग की लिपस्टिक लिप लाइनर के साथ में, नाक में नथ पहन रखी थी, आँखों में काजल और आई-शैडो, कुल मिला के बहुत प्यारी लग रही थी। फिर भाभी मुझे अन्दर के कमरे में ले गई जहाँ पर बेड सजाया था।
फिर भाभी वहीं पर बैठ गई और बोली- तुम लग जाओ ! कोई परेशानी होगी तो मैं यहीं पर हूँ !
फिर मैंने बोला- हमें तो पता नहीं कि कैसे करते हैं !
तो भाभी बोली- इसीलिए तो मैं यहाँ हूँ !
फिर भाभी बोली- की तुम इसके मम्मे दबाते-दबाते और चूमते-चूमते कपड़े उतारो, और नीलम तुम भी लंड को पकड़ो और कपड़े उतारो !
इस तरह करीब १५ मिनट चूमा-चाटी करने के बाद हमने एक दूसरे को नंगा किया। फिर भाभी ने बेड पर नीचे मुझे और ऊपर नीलम को लिटा के मुझे उसकी चूत और उसको मेरा लंड चूसने को कहा जब तक कि पानी ना निकल जाये।
नीलम को तो मेरा लंड चूसने से उल्टी भी आ गई पर वो नहीं मानी, जब तक मेरा पानी नहीं निकल गया !
मैं भी जोश में आ गया और नीलम की चूत चूसने लगा। चूत चूसने से नीलम काफी गरम हो गई और उसको हिचकियाँ आने लगी। मैं रुक गया पर नीलम ने रुकने नहीं दिया और फिर नीलम का शरीर अकड़ गया और नीलम ने पानी छोड़ दिया। मैं सारा पानी चाट गया जो कि थोड़ा नमकीन और कुछ खट्टा सा लगा।
फिर भाभी ने चुदाई करने को कहा।
हम थोड़ी देर तक एक दूसरे के जिस्म से खेलते रहे, इस तरह से फिर गर्मी चढ़ गई। फिर मैं नीलम की टांगों के बीच में आ गया, अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और मम्मे को मुँह में ले के चूसता रहा। यह करने को भाभी ने ही बोला था। इस तरह से करीब ५ मिनट में नीलम चीखने लगी।
तब भाभी ने बोला- अब लंड डाल दो ! और एक बार में ही डालना !
मैंने ७ इंच का लंड चिकनी चूत में एक बार में ही डाल दिया पर मेरी भी जान निकल गई और नीलम की भी !
मेरी भी सील टूट चुकी थी और नीलम की भी !
बड़ा दर्द हो रहा था, भाभी दोनों को हौंसला दे रही थी !
खैर थोड़ी देर बाद चुदाई शुरु हुई। फिर तो मुझे भी बड़ा मजा आया और नीलम को भी !
इस तरह से हमने सुहागदिन मनाया !
यह मेरी चुदाई की कहानी थी, हमें इतना मजा आया कि अब मैं खोज रहा हूँ कि कोई मिले पर कोई मिलती नहीं !
मुझे मेल करें ! Antarvasna Stories
अलोन गर्ल नंगी कहानी एक ऐसी लड़की की है जो एक अपार्टमेन्ट में अकेली रहती है, सेक्स की शौकीन है, कहानियाँ लिखती है. उसके पड़ोस में 3 लड़कोण पर उसकी नजर है चुदाई के लिए!
दोस्तो, मेरा नाम शनाया उर्फ सन्नो है.
मैं आपको एक ही बिल्डिंग में रहने वाले तीन अलग अलग युवाओं से अपनी चूत गांड की चुदाई की कहानी सुना रही हूँ.
पिछली सेक्स कहानी
अन्तर्वासना की लेखिका चुदी एक लेखक से
में आपने लेखक अनुज के साथ मेरी चुदाई का जायका लिया था.
मेरी अलोन गर्ल नंगी कहानी थोड़ी लंबी है, क्योंकि इसमें एक महीने की पूरी चुदाई की घटनाओं का विस्तार से जिक्र है.
मेरी अनुज से मुलाकात और उसके साथ चुदाई के बाद अब जय की बारी थी.
जय मुझे अच्छा लगता था. मेरी उससे बात होती थी.
वह बातचीत से उतना सीधा-सादा तो नहीं लगता था जितना मैं समझती थी.
अनुज अपने घर गया था, उसको एक हफ्ते बाद वापस आना था.
अनुज के जाने के दो दिन बाद जय के कमरे की लाइट खराब हो गयी थी.
मैंने उस दिन जय को चाय पर बुलाया.
वह आया और बैठ गया.
हम दोनों ने चाय पीते हुए बातें की.
रात होने को थी.
जय कहने लगा- मैं अपने फ्रेंड के यहां चला जाता हूं. कल लाइट ठीक करा लूंगा.
मैंने कहा- जय, यदि चाहो तो तुम यहीं सो सकते हो. मैं तुम्हारे साथ बेड शेयर कर सकती हूं.
उसने झट से हां कर दी.
जैसा कि मैंने बताया था कि जय एक कबड्डी प्लेयर था और काफी मस्त था.
हम लोग खाना खाने लगे.
मैंने उसके खाने में कामशक्ति बढ़ाने वाली गोली मिला दी और उसे खाना खिला दिया.
अब करीब 10 बजने को थे.
हम दोनों बेड पर लेट गए और सोने लगे.
मैं जानबूझकर उसी की तरफ पीठ करके करवट लेकर सो गई थी.
मेरे बदन पर एक मैक्सी थी, जिसे ऊपर करके पूरा बदन देखा जा सकता था.
मैंने पैंटी भी ऐसी पहनी थी कि लंड डालो तो एक तरफ हो जाएगी.
करीब एक घंटा बाद जय को बेचैनी होने लगी थी.
मैं उसको दवाई के असर से तड़पता हुआ महसूस कर रही थी.
मैंने उसके लंड को महसूस किया कि उसके लंड ने मेरी टांगों में दस्तक देनी शुरू कर दी.
मैं बेसुध होने का ड्रामा करती रही.
जय ने मेरी मैक्सी को ऊपर कर दिया.
मैं सोने का नाटक करती रही.
उसने मेरी पैंटी को निकाल दिया.
अब मैं उसका मोटा लंड अपनी टांगों के जोड़ में महसूस करने लगी थी.
तभी उसके थूकने की आवाज आई, मैं समझ गई कि लंड में थूक लगाया जा रहा है.
फिर कुछ ही पल में मेरे चूतड़ों के पास उसके लंड का टोपा महसूस हुआ.
मैंने अपने हाथ को अपने मुँह पर रख लिया और लंड की हरकत को महसूस करने लगी.
जय अपने कड़क लंड को आराम से मेरी गांड में डालने लगा था.
उसका लंड अनुज के लंड बराबर मोटा नहीं था, तब भी काफी कड़क था.
आखिरकार उसने लंड गांड की तरफ से चूत में पेल दिया और मैं अपने मुँह पर हाथ रख कर सोती रही.
मेरा चिल्लाने का मन था लेकिन नहीं चिल्लाई, अपने हाथ से अपनी पूरी आवाज दबा ली.
उसने एक तेज झटके मारा और लंड पेल दिया.
वह किसी वहशी दरिंदे के जैसे मुझे चोदने लगा था.
मैं अब उठने को तैयार हो गई थी.
जब चुदना है ही, तो पूरा मजा लेकर चुदने का सोचा और मैं आआह आआह करके उठ गई.
मैं ड्रामा करती हुई एकदम शॉक्ड आवाज में बोली- जय, ये सब क्या है आआह मम्मी!
जय- शनाया रुको, कुछ नहीं है … मैं बस चैक कर रहा था शनाया.
उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर फिर से एक तीव्र झटके के साथ लंड अन्दर डाल दिया.
मैं- आआह जय नहीं … प्लीज यह सब गलत है … आआह जय नहीं आआह.
जय तेज तेज झटके मारते हुए मेरे हाथ पकड़े हुए था और कह रहा था- आह शनाया … बस रुक जाओ थोड़ी देर बस प्लीज शनाया.
मैं- आआह आआह जय आआह जय आआह मम्मी … दर्द हो रहा है आआह.
जय- नहीं शनाया, अब दर्द नहीं होगा बस … थोड़ा रुक जाओ … बस थोड़ी देर और … आह.
यह कह कर वह तेज तेज चोदने लगा.
मैं- आआह जय आई जय ईई जय आराम से करो जय … आराम से करो.
यह सुनकर अब जय ने मेरे हाथ छोड़ दिए और वह मुझे किस करने लगा.
वह मुझे किस करते हुए ही चोद रहा था.
मैं- आआह जय ईईईई आआह.
तभी उसने मेरी चूत से लंड बाहर निकाल लिया.
जय ने अब मेरे कपड़े निकाल दिए और मुझे पूरी नंगी कर दिया.
वह मेरे मम्मों को मसलने लगा और कहने लगा- वाह शनाया क्या माल हो तुम … इतने गोरे गोरे टाइट मम्मे पहली बार देखे हैं.
वह मेरे एक दूध को चूसने लगा और मेरे दोनों पैर फैला कर वापस लंड चूत में डाल दिया.
लंड अन्दर गया और उसके धक्के लगने लगे.
वह तेज रफ्तार में मुझे चोदने लगा था और साथ ही मेरे दोनों दूध बारी बारी से चूसने लगा था.
मैं कराहने लगी थी- आऊच … जय आआह … आऊच जय आआह … इतनी तेज मत चूसो … आह दर्द हो रहा है आईई ईई ऊऊ जय बस करो अब नहीं!
जय मेरी किसी बात को आज मानने वाला नहीं था.
वह तो आज मुझे सड़कछाप रंडी बनाने के मूड में दिख रहा था.
कुछ देर बाद उसने वह उठाया और लंड जबरदस्ती मेरे मुँह में डाल कर बोला- आह लो चूस लो इसको … चूसो न यार!
मैं क्या करती … मुझे तो लंड चाहिए ही था. मैं भी उसका लंड चूसने लगी.
वह अपने लंड को मेरे मम्मों के बीच में फंसा कर मेरे दोनों दूध दबाते हुए मसलने लगा.
यह सब उसने पोर्न वीडियो के जैसे किया था जैसे ब्लू फिल्म में पोर्नस्टार करते हैं.
फिर उसने मुझे खड़ा कर दिया और मेरा एक पैर ऊपर उठाकर लंड को मेरी चूत में लगा कर वापस चोदने लगा.
वह दवा के प्रभाव में था तो जल्दी झड़ने का मतलब ही नहीं था.
कुछ देर चुदाई करने के बाद उसने मुझे बेड पर पटका और ताबड़तोड़ चोदने लगा.
उसने अपनी चुदाई की स्पीड तेज कर दी थी.
मैं भी उत्तेजित हो गई थी और जय को अपनी बांहों में भर कर उससे अपने जिस्म को कुचलवा रही थी.
कराब आधा घंटा तक जबरदस्त चुदाई के बाद मैं समझ गई थी कि अब वह झड़ने वाला है.
वह ‘आह लव यू बेबी.’ कहते कहते झड़ने लगा और पूरा वीर्य झाड़ कर वह मेरे ऊपर ढह गया.
मैं उसकी पीठ को सहलाने लगी.
लेकिन मैं अभी भी झड़ी नहीं थी.
मैं बोली- जय थोड़ी और दम साध कर मुझे चोद दो. मैं भी झड़ना चाहती हूँ.
वह मुझसे कुछ मिनट मांगने लगा लेकिन मैं इतना नहीं रुक सकती थी.
कुछ मिनट बाद मैंने जय को लिटाया और उसके ऊपर आकर उसका लंड चूसने लगी.
लंड चूसने से लंड खड़ा हो गया.
मैं लपक कर लंड पर बैठ गई.
उसका लंड अब मेरी चूत में समा गया था.
मैं उसके लौड़े पर उछलने लगी.
मेरे उछलते समय वह मेरे दोनों दूध पकड़ कर मसलने लगा और अपना सिर ऊपर करके एक एक करके मेरे दोनों दूध चूसने लगा.
मैं करीब दस मिनट उसके लंड पर उछलती रही.
फिर मैं भी टूटने की कगार पर आने लगी.
मेरे मुँह से निकलने लगा था- आह जय मैं आ रही हूँ … आह जय.
वह तेज तेज चुदाई करने लगा.
मैं कट कर उसके सीने पर गिर गई और मेरे शरीर में ऐंठन सी होने लगी थी.
उधर जय नहीं रुका.
वह मुझे अपने सीने से दबा कर चोदता रहा.
फिर वह भी झड़ गया.
ऐसे ही मैं उसके ऊपर चढ़ी हुई सोने लगी.
दस मिनट बाद जय ने मुझे उठाया और बाथरूम में ले जाकर मेरी चूत साफ करने लगा.
वह अपने लंड को भी साफ करने लगा.
मैं बहुत थक चुकी थी.
जय मुझे उठा कर अन्दर लाया और बेड पर लिटा दिया.
मेरे साथ में वह भी लेट गया.
मैं उसकी बांहों में सुकून की नींद सो गई.
सुबह करीब 9 बजे मेरी नींद खुली.
जय का लंड उस वक्त मेरी चूत में था.
मेरा एक दूध उसके मुँह में था और जय सो रहा था.
मैं जैसे ही थोड़ी सी हिली तो मुझे दर्द हुआ.
मैंने जय को जगाया और उससे पूछा- जय ये कब से डाल रखा है तुमने?
जय बोला- अरे यार मेरी सुबह 5 बजे नींद खुली. तुम एसी की ठंडक से कुछ हिल सी रही थीं, तब मैंने तुम्हें चादर उढ़ाई और अपने से सटा लिया. तभी लंड खड़ा हो गया, तो मैंने अन्दर डाल दिया और मैं लिपट कर सो गया. तुमने करवट लेकर फिर से लंड डलवा लिया और मैंने तुम्हारे एक दूध को मुँह में लगा लिया. फिर हम दोनों सो गए थे. तुम नींद में थीं, यह तबकी बात है.
फिर मैंने उसे प्यार से अपने आप से चिपकाया और लेटी रही.
कुछ ही देर में हम दोनों पुनः सो गए.
फिर हम लोग 12 बजे उठे और जय अपने घर चला गया.
मैंने मेल से अपने ऑफिस में आज का अपना ऑफ डाल दिया और कुछ काम करके सो गई.
सारे दिन मैं सोती रही और रात को जब भूख लगी, तब उठी और डिनर ऑर्डर करके खाना मँगवा कर खाया.
अगले दिन मैं ऑफिस गई.
जय के साथ अलोन गर्ल नंगी कहानी इतनी ही है.
अब तक ये दोनों लड़के मेरी मुट्ठी में आ चुके थे.
तब बारी थी सोहन की जो हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ा भी था.
उसे सैट करना मामूली सा काम था.
सोहन शरीर से सबसे अच्छा था. वह एक जिम में ट्रेनर था.
मैंने उसके कहने पर उसकी जिम जॉइन की.
वह मुझे जिम में सिखाने लगा था.
कुल तीन दिन जिम करने के बाद चौथे दिन मेरा पैर फिसल गया.
मैं जिम में गिर पड़ी.
उस दिन सोहन अपनी कार में मुझे घर लाया.
मैं ठीक थी … लेकिन मैं फिर से जिम नहीं जाना चाहती थी क्योंकि मेरे फिगर और मम्मों की वजह से सब मुझे ही देखते थे.
मैंने सोहन से कहा- कमर में दर्द है, मैं अब जिम नहीं जाऊंगी.
सोहन मेरा अच्छा फ्रेंड बन चुका था.
वह बोला- कमर के दर्द को मैं चुटकियों में ठीक कर दूंगा. लेकिन तुम जिम जाना बन्द नहीं करोगी.
मैंने कहा- मैं वहां नहीं जाऊंगी.
उसने कहा- ओके मैं कमर पर मालिश कर दूँगा, फिर तुम घर पर ही एक्सरसाइज करना. मैं तुम्हें यहीं सिखाने आ जाया करूँगा!
इस तरह से वह मेरे घर आने लगा.
मैं सोहन के साथ में मजे लेने की जुगत में थी.
उस दिन मैंने अचानक दर्द होने का नाटक किया तो वह बोला- मालिश करने वाली लड़की तो कल आएगी.
मैंने कहा- और आज मैं दर्द से मरी जा रही हूँ, उसका क्या?
वह बोला- तो मालिश मैं कर देता हूं. मुझे मसाज आयल दो.
मैं कहा- ओके मसाज आयल उधर से ले लो.
सोहन आयल लाकर बोला- शनाया, तुम्हें उल्टा लेटना पड़ेगा और अपने कपड़े भी निकाल दो.
मैं अन्दर बिल्कुल पतली ब्रा और पतली बद्दी की पैंटी पहनी हुई थी.
मैंने कहा- सॉरी सोहन, मैंने अन्दर सही कपड़े नहीं पहने हैं.
वह बोला- ठीक है, तो मसाज बाद में करा लेना.
मैं बोली- अरे यार सोहन, दर्द तो अभी है … तुम मसाज कर दो.
मैंने कपड़े उतार दिए और बेड पर लेट गई.
मेरी डोरी वाली पैंटी में मेरे दोनों चूतड़ पूरे नंगे थे और उसके सामने पूरे पूरे साफ खुले हुए थे.
बस कमर में एक बद्दी सी थी जिससे चूत एक त्रिभुजाकार कपड़े से ढकी हुई थी.
सोहन- शनाया में नहीं कर सकता, मेरी एक कमजोरी है.
मैं बोली- क्या कमजोरी है?
वह बोला- यह सब देखने से मेरा मेन पॉइंट जाग जाता है.
मैं अपनी हंसी दबाती हुई बोली- सोहन, यह सबके साथ होता है यार … मुझे दर्द हो रहा है. तुम मसाज करो यार.
फिर सोहन ने तेल डाला और मालिश करने लगा.
वह पहले कमर पर अपने हाथ फेर रहा था.
मैं आराम से उसका हाथ महसूस कर रही थी और आह आह कर रही थी.
वह बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- तुम्हारे हाथ फेरने से दर्द हो रहा है सोहन.
सोहन मेरे सिर की तरफ आ गया. मैंने देखा कि उसका लंड सच में खड़ा हो चुका था.
अब मैंने जानबूझ कर हाथ आगे रख दिया. वह टेबल से टिका हुआ था.
मैं उसके लंड को महसूस कर रही थी.
सोहन- अरे सॉरी शनाया!
मैं उससे बोली- कोई बात नहीं सोहन … मेरा दर्द अब सच में कम हो गया है.
उसने भी जानबूझ कर अपने लंड को चड्डी से बाहर निकाल दिया.
मैंने जब उसका लंड देखा, तो मुझे उसका लंड कुछ ज्यादा ही मोटा दिखाई दिया.
उसी समय उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
मैं बोली- अरे सोहन यह क्या कर रहे हो?
सोहन ने मेरे मुँह को पकड़ा और मेरे साथ जबरदस्ती करता हुआ मेरे ऊपर चढ़ गया.
उसने मेरी पैंटी नीचे कर दी और हड़बड़ाहट में अपना लंड मेरी चूत के अन्दर डाल दिया.
मैं- आह सोहन नहीं … आआह मम्मी मर गई … आह सोहन नहीं.
वह- आह शनाया आई लव यू … शनाया तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और तुम्हारा यह बदन मुझे बहुत अच्छा लगा है शनाया … प्लीज मना मत करना.
यह कहते हुए उसने अपने मोटे लंड को और अन्दर दबा दिया.
मैं दर्द से भर उठी और नकली गुस्से में चीखी- आह सोहन … इसको बाहर निकालो पहले … आआह मुझे दर्द हो रहा है.
वह मुझे किस करने लगा और उसने मेरी ब्रा को निकाल दिया.
वह दांत पीसते हुए मेरे दूध को मसल कर बोला- शनाया, यदि तुमने हां नहीं किया, तो मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी.
मैं- आह सोहन छोड़ो मुझे प्लीज … आह सोहन दर्द हो रहा है उम उम्म.
वह नहीं रुका और मेरे मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.
अब मैं भी मन बना चुकी थी कि बहुत हुआ ड्रामा … अब तक उसके लंड से मुझे चैन भी मिलने लगा था.
मैंने उसको पकड़ लिया और किस करने लगी.
मैं- सोहन प्लीज अब जबरदस्ती मत करो न … मैं मना नहीं कर रही हूँ.
सोहन का लंड मोटा था इसलिए उसका मोटा वाला हिस्सा दर्द दे चुका था, अब उसका लंड मजा देने लगा था.
मेरे कहने पर सोहन ने मुझे सीधा लिटा दिया है और नीचे आकर उसने मेरे दोनों पैर फैला दिए.
फिर वह मेरी चूत पर जीभ फेरने लगा और पागलों की तरह चूत के दाने को चूसने लगा.
मेरी कामुक सिसकारियों से कमरे में आवाजें गूँजने लगी थीं.
सोहन- आआह शनाया क्या मस्त चूत है तेरी … मुआह … मुझे चूसने दो मुआह आआह.
मैं- आआह सोहन चूसो … और चूसो सोहन आह.
वह उठ गया और लंड हिलाने लगा.
मैं समझ गई कि वह लंड चुसवाना चाहता है.
तभी वह मेरे चेहरे के पास आया और अपने मूसल लंड को मेरे होंठों पर रख कर होंठों को मसलने लगा.
बड़ी मादक खुशबू आ रही थी. मैंने जीभ निकाल कर लंड के सुपारे को चाट लिया.
उसकी आह निकल गई और मैं उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी.
अब सोहन भी मस्त हो गया था.
वह कहने लगा- आह पूरा मुँह खोलो बेबी … अन्दर तक लेकर चूसो इसको!
उसने मेरे गालों को दबाया और मुँह में लंड अन्दर ढकेल दिया. मैं उसके लंड को चूसने लगी.
वह पूरा लंड अन्दर डालने लगा था और झटके दे रहा था.
मैं दस मिनट तक उसके लंड को चूसती रही.
उसके बाद वह मुझे उठा कर बोला- अब बोलो बेबी, कैसे चुदवाना है?
मैं बोली- तुम्हारी बॉडी इतनी मस्त है, क्या मुझे उठा सकते हो?
सोहन- हां, दिन रात उठाए रह सकता हूँ यार!
मैं- तो हाथों से उठा लो और झूला झुला दो … मुझे ऐसे चुदवाना पसन्द है!
सोहन- आ जाओ रानी … लंड का झूला झुला देता हूँ.
उसने मुझे उठा लिया. मेरे पैरों को अपने हाथों में फंसा कर मेरे पैर ऊपर की ओर कर दिए.
दोस्तो मैं आप सभी को यदि इस पोजीशन को फ़ोटो से दिखाऊंगी, तो आप झट से समझ जाओगे.
वह मुझे टांग कर बोला- बेबी, लंड पकड़ कर अन्दर डालो.
‘मैं नहीं ले पाऊंगी सोहन, तुम ही डाल दो.’
वह बिना पकड़े डालने लगा.
उसका लंड मेरी गांड में जाने लगा.
‘आआह उम्म सोहन … उधर नहीं साले … मादरचोद उधर नहीं … वह गांड का छेद है.’
सोहन- अरे बेबी सॉरी, अब सही रखा लंड!
मैं- हां अब ठीक है सोहन … सॉरी मैंने गुस्से और दर्द में गाली दे दी थी, बुरा मत मानना!
सोहन- नहीं बेबी, ऐसी बात नहीं है.
सोहन ने लंड चूत में पेल दिया और मैं आआह सोहन आआह करने लगी.
वह जोर जोर से झटके देने लगा.
मैं- आआह मां आआह ईई.
वह लगा रहा.
इधर मैं चिल्लाती रही.
Fucking started and I kept swinging his penis for about 10 minutes and kept screaming.
कुछ देर बाद वह लेट गया और मैं उसके ऊपर चढ़ गई.
फिर से चुदाई होने लगी.
सोहन मेरी चुदाई करीब 4 घण्टे तक बार बार करता रहा.
मैं और सोहन दोनों ही पस्त हो गए थे और नंगे ही सो गए.
दोस्तो, अभी आपको जय और सोहन के साथ चुदाई का मजा पढ़ने को मिला है.
असली मजा तो आगे की सेक्स कहानी में आने वाला है.
इस चुदाई के बाद मैंने इन तीनों के साथ एक साथ चुदवाने का मजा लिया था.
मेरे साथ जो पहली बार Sex stories हुआ, उसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता। इस बात को मैं आज तक दो साल बीत जाने पर भी किसी को नहीं बता पाया, लेकिन आज इस कहानी के माध्यम से आप को बता रहा हूँ।
जब मैं यूरेका फोर्ब्स कम्पनी में सेल रैप पर काम कर रहा था। मैं देखने में स्मार्ट हूँ, लम्बा हूँ, सब कुछ ठीक-ठाक है। एक दिन मैं सेल्स के लिए एक पॉश कॉलोनी में गया। बारह बजे तक कोई भी सेल नहीं हुई, मैं बड़ा उदास था। लंच के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे सो मैंने सोचा कोई बुकिंग हो जाए तो कुछ एडवांस मिल जाएगा फिर लंच करूँगा। इसी उम्मीद में मैं दोबारा ग्राहक तलाशने लगा।
काफ़ी देर बाद एक औरत ने दरवाजा खोला, मैंने कहा- मैं एक्वा बेचता हूँ, आप देखना चाहेंगी..!
उसने कहा- हमारे पास तो पहले से ही है।
और वो वापस जाने लगी, मेरी ये उम्मीद भी जाती हुई लगी। मैंने जाते-जाते पूछ लिया- मैम.. ठीक चल रहा है…!’
उसने कहा- रुको.. मैं देख कर आती हूँ..!
वो औरत करीब 30 साल की रही होगी और शादी-शुदा भी थी। थोड़ी देर के बाद वो वापस आई और बोली- नहीं.. ठीक नहीं चल रहा है, तुम चैक कर लो..!
और मैं अन्दर चला गया। अन्दर जाकर मैंने मशीन को चैक किया तो, वैसे वो ठीक थी… बस थोड़ी सी सफ़ाई करनी थी।
मैंने कहा- मैम इसमें थोड़ी प्रोब्लम है, ठीक करने के 300 रुपये लगेंगे..!
उसने मुझसे कहा- ये तो ज्यादा हैं..!
मैंने कहा- ठीक है आप 200 दे देना, लेकिन बिल नहीं दूँगा..!
(जबकि मुझे मशीन ठीक करने के परमीशन नहीं थी)
उसने कहा- ठीक है.. करो..!
और मैं उसको ठीक करने लगा, थोड़ी देर बाद मशीन ठीक होने पर मैंने उनसे रुपये मांगे। तो वो अन्दर से आई और कहा- मशीन चैक करा दो..!
मैंने कहा- आप चला कर देख लीजिए..!
और वो मेरे आगे खड़ी होकर चैक करने लगी, ठीक उनके पीछे मैं खड़ा था। मैंने पहली बार ध्यान दिया उसने नाईटी के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था। उसकी फिगर भी 34-24-36 के आस-पास थी। अचानक वो पलटी और कहा- ठीक है.. अब बताओ कितने पैसे देने हैं..!
मैंने कहा- मैम 200 रुपये..!
उसने कहा- तुमने इसमें क्या सामान डाला है..! अपने ऑफिस में बात करो..!
मैं डर गया और मैंने कहा- ठीक है, आप 100 रुपये ही दे दीजिए..!
लेकिन वो फिर कहने लगी- नहीं.. मेरी अपने ऑफिस में बात कराओ..!’ और वो धीरे-धीरे स्माइल कर रही थी।
हार कर मैंने उनसे कहा- मैम मुझे मशीन ठीक करने की परमीशन नहीं है, इसलिए मैं आपकी ऑफिस में बात नहीं करा सकता..!
तो उसने कहा- तो तुमने मशीन को क्यों हाथ लगाया..!
मैंने कहा- पॉकेट-मनी के लिए..!
उसने कहा- क्यों सेलरी नहीं मिलती?
मैंने कहा- मैम अभी मैं नया हूँ..!
तो वो बोली- इसके लिए तुम गलत काम करोगे..!
मैंने कहा- मैम वैसे तो मैंने कोई गलत काम नहीं किया, लेकिन आप को लगता है तो मैम आधा दिन हो चुका है और मेरे पास पैसे नहीं है जिससे मैं लंच कर सकूँ.. इसलिए मैंने आप की मशीन ठीक की है..!
तो वो बोली- ओके.. ठीक है बैठो..!
और मेरे बारे सब कुछ पूछने लगी, मेरी शादी के बारे में पूछा।
मैंने मना कर दिया, फिर मेरे गर्ल-फ़्रेंड के बारे पूछा, मैंने कहा- पहले थी..!
उसने कहा- उसके साथ क्या-क्या किया?
मैंने कहा- मैं समझा नहीं..!
तो वो बोली- उसके साथ सेक्स किया था?
पहले तो मैं शर्मा गया, फिर उसके जोर देने पर मैंने कहा- नहीं..!
वो बोली- तुम झूठ बोल रहे हो..!
मैंने कहा- नहीं..!
तो वो बोली- सच बोलो, मैं तभी तुम्हारे पैसे दूँगी..!
मैंने कहा- हाँ.. किया था..!
तो वो बोली- क्या तुम एक्स्ट्रा इनकम करना चाहते हो? साथ में गिफ़्ट भी मिलेंगे..!
मैंने कहा- जरूर..!
तो वो बोली- उसके लिए तुम्हें पहले टेस्ट पास करना पड़ेगा, अगर तुम टेस्ट में पास हो गए तो तुम्हें 1000 रुपये आज ही मिल जायेंगे और हर महीने 10000 रुपये मिलेंगे..! महीने में 15 दिन 2 घंटे रोज देने होंगे..!
मैंने कहा- ठीक है..!
मैं बड़ा खुश हुआ, मैंने काम के बारे में पूछा तो वो बोली- केवल तुमको थोड़ी सी मसाज करनी है।
मैंने कहा- मुझे तो आती नहीं..!
वो बोली- मैं सिखा दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
‘तो चलो.. तुम्हें मसाज सिखाती हूँ और तुम्हारा टेस्ट भी हो जाएगा..!’
मैंने कहा- ठीक है।
फिर वो मुझे लेकर अपने बेडरूम में गई, वहाँ जाकर बोली- पहले अपने कपड़े उतारो..!
मैं अब सब कुछ समझ रहा था और खुश भी था। मैंने अपने कपड़े उतारे, बस अंडरवियर पहने रखा।
फिर वो अपने कपड़े उतार कर बेड पर बैठ गई और बोली- अपना लण्ड दिखाओ..!
मैं थोड़ा हिचकचाया, उसने आगे आकर अपने हाथ से मेरा अंडरवियर नीचे किया और मेरे लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे किया और कहा- अंडरवियर भी उतार दो..!
मैंने वैसा ही किया। उसने मेरे हाथ में एक बॉडी-लोशन दिया और कहा- इसको मेरे बॉडी पर लगाओ..!
उस समय उसने ब्रा-पैंटी पहन रखी थी। मैंने डिब्बे से पहले लोशन उसके पेट पर लगाया फिर उसके पैरों पर, फिर मैंने उनसे ब्रा और पैंटी के लिए पूछा, तो उसने उसको उतारने के लिए कहा। उसकी ब्रा उतरते ही मेरा मन उसको चूसने के लिए करने लगा और मैंने अपना मुँह उसके मम्मे पर रख दिया और उसको चूसने लगा और वो मेरा लण्ड पकड़ कर दबाने लगी। उसके मम्मे काफ़ी टाइट थे। काफ़ी देर मम्मे चूसने के बाद मैंने लोशन दुबारा लगाना शुरु किया। कभी आगे, कभी पीछे मेरा लण्ड अब गीला होने लगा था। मेरा मन अब उसको चोदने को कर रहा था। उसने अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर मेरा अंडरवियर भी उतार दिया।
और मेरा फ़ेस अपनी चूत पर रख कर कहा- इसको चाटो..!
मैंने भी वैसा ही किया, मैं पहली बार किसी की चूत चाट रहा था। फिर उसने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी। अब तो जैसे मैं पागल हो गया था और लगने लगा मेरा पानी निकल जाएगा।
मैं अपने लण्ड को उसके मुँह से हटाने लगा, तो उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- पानी निकलने वाला है..!
तो उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और कहा- अब तुम सबसे पहले अपना लण्ड मेरी गांड में डालो..!
मैंने कहा- आगे से नहीं..!
तो वो बोली- आगे से ज्यादा मजा पीछे से आता है।
मैं भी उसके पीछे से उसको चोदने लगा। काफ़ी देर बाद जब मेरा लण्ड से पानी निकलने वाला था, तो उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। मेरा लण्ड अब पानी छोड़ रहा था, लेकिन वो सारा पानी पी रही थी। जब मेरा लण्ड बैठ गया, तो उसने छोड़ा।
फिर उसने कहा- अब मेरी चूत में अपनी उंगली डाल कर आगे-पीछे करो। मैं वैसा ही करने लगा। थोड़ी देर के बाद मेरा लण्ड फिर तन गया और उसने देख कर कहा- चलो अब मेरी चूत मारो..!
मैंने अब उसकी चुदाई शुरु की और उसके मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसता रहा।
थोड़ी देर बाद उसने मेरा लण्ड अपनी चूत से बाहर निकाल कर अपने दोनों मम्मे के बीच में मेरा लण्ड दबा लिया और कहा- अब यहीं पर रगड़ते रहो और अपना पानी यहीं पर निकाल दो..!
मैं भी वैसा ही करता रहा। मेरे लण्ड उसके मम्मे के बीच में रगड़ रहा था, फिर मेरे लण्ड ने उसके मम्मे पर पानी छोड़ दिया। उसने दोबारा मेरा लण्ड अपने मुँह से साफ़ किया और मुझे कपड़े पहनने को कहा और वो बाथरूम चली गई। थोड़ी देर बाद फ़्रेश होकर आई और मुझे 1000 रुपये देकर कर कहा- ये तुम्हारा एडवांस..!
और मुझे एक फोन नम्बर देकर कहा- कल यहाँ पर फोन करके चले जाना..!
तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी। आप लोगों को कैसी लगी? Sex stories
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