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Massage Girl in Pune: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Pune who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Pune that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Pune massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Pune who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Pune massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Pune massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Pune who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Pune employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Pune helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Pune

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Pune at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

कमलिनी का Antarvasna महीना हुए चार दिन हो चुके थे और मैं उसको चोदने की योजना बना रहा था। शाम के समय मैं अपने कमरे में चाय पी रहा था तो मैंने देखा कि कमलिनी अपने छज्जे पर खड़ी होकर सड़क का नज़ारा देख रही है, मुझसे नज़र मिली तो हलके से मुस्कुरा दी। मुझसे चुदवाने के बाद आज पहली बार सामना हुआ था, मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और कमलिनी का नम्बर डायल कर दिया। घंटी बजने पर उसने अपना मोबाइल देखा, फ़िर मुझे देखा तो मुस्कुरा कर फ़ोन काट दिया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई। मैंने हाल चाल पूछा तो बोली- ठीक है !

मैंने पूछा- आज रात को आओगी?

तो शरमाकर बोली- नहीं ! मैंने कहा- मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।

रात को लगभग १२ बजे मेरे मोबाइल पर मिस्ड-कॉल आई, देखा तो कमलिनी की थी। मैंने कॉलबैक किया तो बोली- क्या कर रहे हैं?

मैंने कहा- तुम्हारा इंतज़ार !

तो बोली- अभी आ रही हूँ ! ५ मिनट बाद कमलिनी मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसके बदन पर हाथ फेरा तो पाया कि उसने सिर्फ़ गाउन पहना हुआ था। गाउन के अन्दर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मैं समझ गया कि छोरी चुदवाने की पूरी तैयारी कर के आई है।

दीवान के पास आकर उसका एक पैर मैंने दीवान पर रख दिया और उसका गाउन कमर तक उठा दिया। अपना लोअर मैंने उतार दिया और लंड उसकी चूत पर रखना चाहा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। अपनी झांटें साफ़ करके उसने चूत की सुन्दरता को चार चाँद लगा दिए थे। मैंने चोदने का इरादा फिलहाल छोड़ा और उसकी चूत चाटने लगा। उसने भी पोजीशन बदली और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। १० मिनट तक मुख-मैथुन का मज़ा लेने के बाद मैंने अपने लंड पर कंडोम चढाया और उसकी चूत में डाल दिया।

जमकर चोदने के बाद जब मैंने उसकी चूत में डिस्चार्ज किया तो मैं ख़ुद को जन्नत में महसूस कर कर रहा था। अब हमारी चुदाई की गाड़ी पटरी पर हौले हौले चल रही थी, दूसरे तीसरे दिन वह मुझसे चुदवा लेती थी, इतना मेरे लिए भी काफ़ी था और उसके लिए भी।

अब हमारी कहानी में एक तीसरा पात्र आ गया। मेरी पत्नी की एक ममेरी बहन श्वेता इसी शहर में रहती थी। एक दिन लगभग ११ बजे मैं ऑफिस में था कि मेरी पत्नी का फ़ोन आया कि वह श्वेता के घर जाना चाहती है।

मैंने कहा- चली जाओ !

तो बोली- मैंने खाना बना दिया है और चाभी रागिनी भाभी को दे दी है, शाम को ४-५ बजे तक आ जाऊंगी।

मैंने कहा- ठीक है।

दोपहर को १ बजे मैं लंच करने घर आया, घंटी बजाई तो रागिनी भाभी बोलीं- चाभी लेकर आ रही हूँ।

उन्होंने मुझे चाभी दी, मैंने ताला खोला और वो भी अन्दर आ गई, उनके घर में भी कोई नहीं था, डॉक्टर साहब क्लीनिक और लड़कियां कॉलेज गई थीं। अन्दर आकर बोलीं- रेखा दाल सब्जी बनाकर गई है और मुझसे कह रही थी कि रोटी मैं सेंक दूँ।

रागिनी का गदराया हुआ बदन और एकांत मेरे लंड को खड़ा कर चुके थे और मैंने उनको चोदने की ठान ली थी।

मैंने कहा- भाभी आप कुछ देर बैठिये, मैं नहा लूँ, फ़िर खाना खाऊँगा।

भाभी वहीं कुर्सी पर बैठ गईं। मैंने उनको गरम करने के लिए जानबूझकर वहीं अपनी शर्ट उतारी और फ़िर बनियान भी उतार दी। भाभी शर्म के मारे इधर उधर ना देखें इसलिए उनसे कुछ ना कुछ बात करता रहा। मैंने कहा- दोपहर में नहा लेने से शरीर में ताजगी आ जाती है और मैंने अपनी पैंट भी उतार दी। अंडरवियर में से मेरा तन्नाया हुआ लंड साफ़ नज़र आ रहा था। मैंने अपना तौलिया कमर पर लपेटा और अंडरवियर उतारते उतारते बोला- भाभी जी अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात कहूं?

बोलीं- कहिये !

मैंने कहा- ऐसा लगता है जैसे भगवान् जोड़ियाँ बनाते समय गलती कर गया है, मैं आप जैसी पत्नी डिजर्व करता था और रेखा को डॉक्टर साहब की पत्नी होना चाहिए था। अगर ऐसी जोड़ियाँ होतीं तो मेरी ज़िन्दगी जन्नत से कम न होती।

भाभी उठीं और बोलीं- काश ऐसा होता तो मैं हर पल तुम्हारी बाहों में ही गुजारती।

इतना सुनते ही मैंने उनका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी आंखों से इस तरह लगाया कि मैं धन्य हो गया। मैं एक कदम उनकी ओर बढ़ा और अपनी बाहें फैलाकर उन्हें अपने करीब आने का इशारा किया, वो मेरे सीने लग गईं, मैंने अपना एक हाथ उनकी कमर पर और दूसरा टांगों के पास ले जाकर उनको अपनी गोद में उठा लिया, मेरे कसरती बदन को निहारते हुए बोलीं- उतार दो दीपक ! मैं बहुत भारी हूँ !

मैंने कहा- भाभी मेरे प्यार के सामने आपका भार कुछ भी नहीं !

मैं उनको रेखा के बेडरूम में ले आया और पलंग पर लिटाकर उनसे लिपट गया। वो मेरे से लिपटी हुई छुई मुई हुई जा रहीं थीं। एक एक करके उनके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और उनके होठों पर अपने होंठ रखकर एक हाथ से उनके मम्मे और दूसरे से उनकी चूत सहलाने लगा। थोडी देर में जब उनकी चूत गीली हो गई तो मैं उठा और अलमारी से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगा तो भाभी बोलीं- दीपक जी इसकी कोई जरूरत नहीं है, मैं २० साल पहले नसबंदी करा चुकी हूँ।

मैं वापस पलंग पर आया, उनकी टाँगे फैला कर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुंह पर रखा और पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर कर दिया।

भाभी बोलीं- दीपक जी, एक बात पूछूं?

मैंने कहा- पूछिए !

तो बोलीं- तीन साल बाद आपका लंड किसी की चूत में जा रहा है तो कैसा लग रहा है?

मैंने कहा- आपको यह कैसे पता है?

तो बोलीं- रेखा ने मुझे बताया था कि मेरी इच्छा नहीं होती।

इस बातचीत के साथ साथ मेरा लंड अपना काम कर रहा था। उस दिन १ बजे से ४ बजे तक भाभी को दो बार चोदा।

मैंने पूछा- भाभी, सच बताना ! तुम्हारा देवर चोदने में कैसा है?

तो बोलीं- टचवुड। बहुत अच्छा !

मैंने कहा- अच्छा भाभी, एक बात और बताओ कभी गांड मराई है?

बोली- नहीं कभी नहीं ! शुरू शुरू में एक दो बार डॉक्टर साहब ने मारनी चाही थी लेकिन उनका लंड गांड में घुसा ही नहीं।

मैंने कहा- भाभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा, मराओगी ?

बोलीं- हाँ मेरे राजा जरूर मराउंगी।

फ़िर भाभी ने रोटियां सेंकी, हम दोनों ने खाना खाया और भाभी अपने घर चली गईं।

बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए… Antarvasna

हॉट गॉय
हेल्लो दोस्तो,
मैं पिछले कई दिनों से अन्तर्वासना में कहानियाँ पढ़ता रहता हूँ। मुझे बहुत सी कहानियाँ अच्छी लगती हैं कुछ तो मुझे ठीक भी नहीं लगती हैं।
ये सब छोड़ो हम आते हैं अपनी बात पर !

आज मैंने भी सोचा कि क्यूँ न मैं भी एक कहानी लिखकर भेजूँ…मतलब अपना अनुभव…
इसीलिए दोस्तों मैं पहली बार अपनी ओर से कहानी भेज रहा हूँ उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आएगी !

सबसे पहले मैं अपने बारे में बता दूँ, मैं 23 साल का हट्टा कट्टा लौंडा हूँ कद 5’7′ है और दिखने न ही सलमान खान हूँ और न ही नाना पाटेकर मतलब आप लोग समझ ही गए होंगे कि मैं एक सामान्य सा दिखने वाला लड़का हूँ।
चलो हम कहानी पर आते हैं_

बात उन दिनों की है जब मैं होस्टल में पढ़ता था। हमारा स्कूल लड़के लड़कियों का था, सभी लोग होस्टल में रहते थे। जब मैं दसवीं कक्षा में प्रवेश किया तब हमें काम से बाहर जाना पड़ा मतलब दूसरे स्कूल में। वहां भी ऐसा ही सिस्टम था।

वहां एक हिन्दी की मैडम थी, बहुत ही सेक्सी थी। उसे मैं जब भी देखता था तो बस ऐसा लगता था कि बस ये मिल जाए…तो जिंदगी सँवर जाए… एक दिन लंच के बाद मैं मैडम के घर गया क्योंकि मुझे उनसे कुछ पूछना था।

मैंने दरवाजा खटखटाया लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं मिला और दरवाजा खुला था तो मैं अन्दर चला गया उस समय वो नहा रही थी। मैंने कहा की मैडम मुझे कुछ पूछना है तो उसने कहा कि बैठो मैं अभी आती हूँ।

फ़िर मैं बैठ गया वो अन्दर आई और कहा- हाँ अब बोलो !
मैंने कहा कि मैडम मुझे कुछ समझ आ नहीं रहा है क्या आप मेरी मदद करेगी?
वो उस समय तौलिये में ही थी ..बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
फ़िर उन्होंने कहा- चाय पियोगे?
मैंने कहा- ठीक है !

हम लोग हमारी बात करने लगे मैंने कहा- मैम आपकी शादी हो गई क्या?

उन्होंने कहा- हाँ शादी हुए 2 साल हो गए हैं।
मैंने कहा- फ़िर आप अकेली तो उन्होंने कहा कि मेरे पति मैं पसंद नहीं हूँ क्योंकि मैं उनको बच्चा नहीं दे सकती ना और वो रोने लगी।
मैंने कहा- नहीं मैडम आप तो इतनी सुंदर है बिल्कुल परी जैसी आप से तो कोई भी शादी कर सकता है…

फ़िर उसने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है सभी को बच्चे की चाहत रहती है… और वो और ज्यादा रोने लगी मैंने उन्हें बाहों में ले लिया और पीठ सहलाने लगा…फ़िर धीरे वो भी गर्म होने लगी उनको छूते ही मेरा सामान एक्शन में आ गया। बस फ़िर क्या था मैंने उनके गले में किस करना शुरू कर दिया इस पर उन्होंने कहा कि क्या कर रहे हो?

फ़िर मैंने कहा कि कुछ मत कहो बस करने दो, बहुत दिनों से तुम्हारे बारे में सोचता रहता हूँ…

वो भी बोली कि हाँ मैंने तुम्हें क्लास में भी देखा था… तो उसने कहा कि फ़िर देर क्यूँ कर रहे हो, मेरी प्यास को बुझा दो..

मैंने उसका तौलिया निकाल दिया। अन्दर का सीन देखकर तो मैं दंग रह गया क्योंकि अन्दर वो एकदम दूध जैसी सफ़ेद थी फ़िर मैं उसके बूब्स को दबाने लगा… वो सिसकियाँ लेने लगी और बोली और चूसो… आह्ह… आह्ह्ह… उम्म्म… काटो उसको काटो बहुत मजा आ रहा है…तुम कितने अच्छ्हे हो मुझे पहले पता होता तो मैं रोज़ तुम्हे बुला लेती ..

मैंने कहा कि मैं ख़ुद ही आ जाता नाह्ह्ह जानाह्ह …उम् …आह्ह्ह… आह्ह्ह्ह…

फ़िर उसने मेरे लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी…
आज इतना ही ..बाकि आपके उत्तर के बाद और हाँ एक बात और उसने मुझे 3000 भी दिए और बोली कि तुमने मुझे बहुत किया ये रख लो वैसे ये भी कम है जितना मुझे मिला है उसके मुकाबले…और उसके बाद से मैं ऐसे ही नाखुश को खुश करने लगा…सब बताऊंगा लेकिन जवाब के बाद…

हैलो दोस्तो, कैसे हो? Sex Stories

मेरा नाम राहुल है, मैं गुजरात का रहने Sex Stories वाला हूँ और मैं अपनी एक कहानी बताने जा रहा हूँ जो काफ़ी दिलच़स्प है।

अब मैं मुख्य बात पर आ रहा हूँ। स्कूल के दिनों में मेरे साथ एक लड़का पढ़ता था जिसका नाम राहुल था। हमारे स्कूल में हमने एक समूह बना रखा था जो मौज-मस्ती करता था और साथ-साथ खेलते-कूदते भी थे। एक दिन राहुल आया और उसने हमसे पूछा कि मैं भी तुम्हारे समूह में सम्मिलित होना चाहता हूँ। पर हमने उसे मना कर दिया और वह वहाँ से चला गया।

उसने लगातार दस दिनों तक प्रयास किया कि वह हमारे साथ शामिल हो जाए पर उसे निराशा ही हाथ लगी। एक दिन राहुल ने मुझसे कहा कि तुमसे मेरी माँ मिलना चाहती है, तुम्हें बुलाया है। तो मैंने उसे टालने के लिए कह दिया कि ठीक है, मैं मिलकर आ जाऊँगा, पर मैं गया ही नहीं।

एक दिन मैं रास्ते पर जा रहा था कि सामने राहुल की मम्मी आती दिखीं, उन्होंने मुझसे कहा- मैंने तुम्हें बुलाया था, आते क्यों नहीं?
मैंने कहा- ठीक है, आज आ जाऊँगा।
और मैं चला गया।

उसके बाद मैं दोपहर को उसके घर गया तो राहुल घर पर नहीं था, उसकी मम्मी थी। उसने मुझे कुर्सी पर बिठाया और कहा कि तुम मेरे बेटे को अपने समूह में शामिल क्यों नहीं करते हो?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही।
तो आंटी ने कहा- ऐसा नहीं करते, तुम उसे शामिल कर लो।
मैंने हामी भर दी।
फिर उसने मुझसे पूछा कि थम्स अप पीओगे?
तो मैंने हाँ कहा।

उसने उस समय क्रीम रंग की साड़ी और उसी रंग की ब्लाऊज़ भी पहन रखी थी। अन्दर काली ब्रा पहनी थी, वो भी साफ़ दिख रही थी और उसकी गांड इतनी मोटी और गोल-मटोल थी कि कोई देख ले तो पागल हो जाए।

वह किचन में चली गई, थम्सअप लाने के लिए।
जब वह थम्सअप लेकर आई तो मैं हैरान हो गया कि उसने साड़ी उतारकर सफेद पारदर्शी गाऊन पहना हुआ था और अन्दर काली ब्रा और काली पैन्टी साफ़ दिख रही थी, और भरा हुआ बदन जैसे संगमरमर का ताज़महल हो।

वह थम्सअप के दो गिलास लेकर मेरे पास बैठ गई और एक गिलास मुझे दिया और एक ख़ुद पीने लगी।
पीते-पीते मेरे जाँघों पर हाथ रख कर घुमा रही थी, मुझे गुदगुदी हो रही थी, लेकिन मुझे मज़ा भी आ रहा था, इसलिए कुछ नहीं बोला।

धीरे-धीरे उसका हाथ मेरे लण्ड के पास ले गई और पकड़ के मसलने लगी तो मैं खड़ा हो गया और कहा- मैं जा रहा हूँ।
तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिठा दिया, पूछा- क्या हुआ।
मैंने कहा- गुदगुदी हो रही है।
तो उसने कहा- आज तुझे कुछ सिखाऊँगी जो तेरे बहुत काम आएगा।
फिर मैं बैठ गया।

पहले तो उसने मुझे गाल पर किस किया और मेरी शर्ट उतार दी।
मैंने मना किया तो वह बोली- कुछ नहीं होगा, तुझे बहुत मज़ा आएगा।

फिर मैंने विरोध करना छोड़ दिया, उसने मेरी पैन्ट की चेन खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल कर उसे किस्स किया और मुँह में लेकर कैण्डी की तरह चूसने लगी और मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था।
मेरे दोस्त की मम्मी 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही, इसी दौरान मेरे सारे कपड़े भी उतार दिए। उसने मुझसे कहा कि मेरा गाऊन उतार दो!
तो मैंने उसका गाऊन उतार दिया और काली ब्रा-पैन्टी में जैसा आगरा का ताज़महल मेरे सामने आ खड़ा हुआ।

उसने कहा मेरी ब्रा भी उतार दो, तो मैंने वैसा ही किया।
ब्रा खोलते ही जैसे दो कबूतर आज़ाद होकर उछलकर बाहर आ गए।

उसने मेरा सिर पकड़कर मेरा मुँह उसकी चूचियों पर रख कर मुझे चूसने को कहा तो मैं जीभ घुमाने लगा और चूसने लगा। तब उसके मुँह से आआआ आआ… हहह हहह… निकने लगी। वह मेरा लण्ड पकड़कर दबाने लगी।
थोड़ी देर में वह काफ़ी गरम हो गई और मुझे नोचने-खसोटने लगी, उसने कहा- तुम्हारा लण्ड तो बहुत बड़ा है और मेरे पति का तो इसका आधा ही है।

मैं तो मानो अपने होश में ही नहीं था। वह जैसा कह रही थी मैं वैसे ही करता जा रहा था। मेरे अन्दर इतनी समझ नहीं थी मैं कुछ कर सकूँ।
फिर वह बिस्तर पर लेट गई और बोली- तुम मेरी भोस को चाटो!
तो मैं उसकी पाँवों के बीच में बैठ कर जीभ घुमा-घुमा कर चाटने लगा। वह मेरा मुँह दबा कर जोर से चिल्ला रही थी… चाटो… चाटो… चाटो… मुझे खत्म कर दे, खत्म कर दे।

उसी समय उसकी भोस से कुछ चिकना-चिकना क्रीम निकलने लगा वो मैं पी गया वह मुझे काफी मज़ेदार लगा, तो मैंने पूरा चाट लिया।
अब उसने कहा- अब उठो और मेरी भोस में डालो!
तब मैं पोज़ीशन लेकर उसकी पाँवों के बीच बैठ गया और लण्ड पकड़कर उसकी भोस पर रख कर थोड़ा धक्का दिया। चिकनाई की वज़ह से मेरा लण्ड सटाक से अन्दर चला गया।
उसने कहा- शाबास बेटे तुमने सिक्सर लगाया, चालू रख!

मैं तो धक्के पर धक्का लगा रहा था, वो खुशी से पागल हो रही थी, नीचे से गांड उठा उठाकर साथ दे रही थी.
थोड़ी देर बाद वह उठकर खड़ी हो गई और मुझसे कहा- मेरी गांड में डाल और फाड़ दे।
उसने मुझे क्रीम दी और कहा- पहली बार गांड में डलवा रही हूँ इलसिए मेरी गांड पर ये थोड़ा लगा, और थोड़ा अपने लण्ड पर भी लगाकर पेल दे।

मैंने ऐसा ही किया और उसकी गांड पर रख कर धक्का दिया तो उसकी एक लम्बी चीख निकल गई, और बोली, बाहर निकाल नहीं तो मैं मर जाऊँगी। लेकिन मैंने कुछ नहीं सुना और धक्के जारी रखे, उसकी गांड से थोड़ा सा खून भी निकला, मैं घबरा गया तो उसने कहा कि डार्लिंग, कुछ भी नहीं, तू चालू रख, ये खुशी का खून है।

कुछ देर तक धक्के मारने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और वह मेरा लण्ड चूसने लगी और मेरा क्रीम सारा उसके मुँह में चला गया और उसने पूरा पी लिया। फिर चाटकर मेरा लण्ड साफ कर दिया.

फिर उठकर कपड़े पहनने लगा तो उसने कहा- कल आना, मैं तुझे दूसरा मज़ा दूँगी जो तेरी शादी के बाद तुझे काम आएगा और तुझे तक़लीफ नहीं होगी और बहुत मज़ा आएगा।
अगली कहानी दूसरी बार। Sex Stories

Sex Stories

मैं दमन में रहता हूँ। हमारे Sex Stories पड़ोस में मेरा दोस्त सुरेश रहता है। सुरेश अकेला रहता है उसके परेंट्स गांव में रहते हैं। एक बार उसकी मामीजान किसी अधिवेशन के सिलसिले से दमन आयी और उसके घर पर करीब दो महीने रही। सबसे पहले उसके मामी के विषय में आप लोगों बता दूं।

मेरे दोस्त की मामी का नाम सौम्या है वो करीब 40 साल की सांवली सुडौल शादीशुदा महिला है। वैसे तो वो हाउसवाइफ़ है लेकिन गांव में मशहूर समाज सेविका है। उसके चूतड़ और बूब्स काफ़ी बड़े बड़े और भारी हैं, शकल सूरत से वो खूब सेक्सी और 30 साल से कम लगती है।

अकसर में शनिवार या रविवार जो कि मेरे छुट्टी के दिन हैं, सुरेश के साथ गुजारता हूँ। जब से उसकी मामीजान आयी है तब से मैं मामी से दो तीन बार मिल चुका हूँ। वो जब भी मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी, मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा छा जाता था या यूं कहिये उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो!
ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं बता नहीं सकता हूँ लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रों ही नज़रों से मुझे सेक्स की दावत दे रही हो।

मैं जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था, जैसे ‘हार्दिक तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं?’
मैंने कहा- मामी जी, क्या करूँ, आप ही बतायें?
वो बोली- तुम्हें खाली समय का और मौके का फायदा उठाना चाहिये।
मैंने कहा- जरूर फायदा उठाऊँगा अगर मौका मिले तो!
वो बोली- मौका तो कब से मिल रहा है लेकिन तुम कुछ समझते नहीं, न ही कुछ करते हो?

मैं उनकी बातें सुन कर चकराया और बोला- मामीजान, आप की बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही हैं।
वो बोली- देखो हार्दिक, आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है तो तुम्हें कुछ कुछ पार्ट टाइम जोब करना चाहिये ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और टाइम पास भी होगा।
इसी तरह की दोहरे शब्दों में मामी जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती तब सुरेश या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता।

एक दिन जब सुबह करीब 11 बजे सुरेश के घर पहुंचा तो घर पर उसकी मामी थी, सुरेश मुझे कहीं नज़र नहीं आया।
मैंने पूछा- मामी जी, सुरेश नज़र नहीं आ रहा है, कहां गया वो?
मामी- वो बाथरूम में कब से नहा रहा है। मैं उसी के बाहर निकलने का इन्तज़ार कर रही हूँ।
मैं- लेकिन वो तो ज्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं, तुरंत पांच मिनट में आ जाता है।

मामी हंसते हुए- अरे भाई, बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहां से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है।
मैं कोई जवाब नहीं दे सका, वो भी चुप रही।

थोड़ी देर बाद सुरेश बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया। उसके बाथरूम से आते ही मामी जी बाथरूम में गयी और मेरी तरफ़ नशीली नज़रों से देखती हुयी बोली- घबराना मत, मैं ज्यादा समय नहीं लगाऊँगी। आप लोग नाश्ते के लिये मेरा इन्तज़ार करना!

कहते हुए वो बाथरूम में घुस गयी, करीब 20 मिनट बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।

नाश्ता करते वक्त सुरेश ने कहा- यार, आज मुझे ओफ़िस के काम के सिलसिले में सूरत जाना है। और मैं कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस लौटूंगा। अगर सोमवार दोपहर को लौटूंगा तो तुम्हें कल फोन कर दूंगा। अगर तुम्हें ऐतराज़ न हो तो क्या तुम जब तक मैं नहीं आता हूँ मेरे घर रुक जाना ताकि मामी को बोरियत महसूस नहीं होगी न ही मुझे उनकी चिंता रहेगी क्योंकि वो दमन में पहली बार आयी हुई हैं।
मैंने कहा- ठीक है, नो प्रॉब्लम!

और वो साढ़े बारह बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया। मैं भी उसे ट्रेन में बिठाने के लिये बोरिवली गया जब वापस लौट रहा था तो एक रेस्तराँ में जाकर 3 पेग व्हिस्की पी और लौट कर सुरेश के घर गया।
घर पर मामी जी हाल में बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। मामीजान ने मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली- सुरेश को बैठने की सीट मिल गयी थी क्या?
मैंने कहा- हां… क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी।

वो बोली- मैंने खाना बना लिया है, भूख लगी हो तो बोल देना।
मैंने कहा- अभी भूख नहीं है, जब होगी तो बोल दूंगा।

मामी की निगाहों में अजीब नशा देख कर मैंने पूछा- मामी जी, आप करती क्या हैं?
थोड़ी देर तक मेरे नज़रों से नज़रें मिलाती रही, फिर बोली- समाज सेवा!
यह सुनते ही अचानक मेरे मुंह से निकल गया- कभी हमारी भी सेवा कर दीजिये ताकि हमारा भी भला हो जाये।

वो हल्के से मुसकुराई और बोली- तुम्हारी क्या प्रोब्लम है?
मैंने कहा- वैसे तो कुछ खास नहीं है लेकिन बता दूंगा जब उचित समय होगा।
वो मेरे आंखों में आंखें डालती हुए बोली- यहां तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं है, बेझिझक प्रोब्लम कह डालो शायद मैं तुम्हारी प्रोब्लम हल कर दूं?

मैंने कहा- आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो?
वो बोली- मैं जरूरतमंद लोगों की जरूरत पूरी करने की मदद करती हूँ, उनकी समस्या हल करती हूँ।
मैंने कहा- कि मेरी भी जरूरत पूरी कर दो न?
वो बोली- जब वक्त आयेगा तो कर दूंगी!

फिर वो चुप रही और मैगज़ीन पढ़ने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने पूछा- मामी जी आप क्या पढ़ रही हैं? कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस मैगज़ीन में?
वो मुस्कुराते हुए बोली- इस मैगज़ीन में बहुत अच्छा लेख है पत्नी और पति के सेक्स के विषय में!
फिर वो पढ़ने लगी।

थोड़ी देर बाद उसने पूछा- हार्दिक ये उत्तेजना का क्या मतलब होता है?
मैं सोचने लगा.
वो मेरी ओर कातिल निगाहों से देखती हुयी बोली- बताओ न?
मेरी समझ में नहीं आया कि हिंदी में उसे कैसे बताऊँ।

वो लगातार मेरी और देख रही थी, उसकी आंखों में नशा छाने लगा। मैं उसे गौर से देख रहा था, उसके होंठ खुश्क हो रहे थे, वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी।
मैंने सोचा अच्छा मौका है मामी को पटाने का।

वो इठला कर बोली- बताओ न क्या मतलब होता है?
उसकी इस अदा को देखते हुए मैंने कहा- शायद चुदास!
वो बोली- क्या कहा? क्या मतलब होता है?
मैंने कहा- क्या तुम चुदास नहीं समझती हो?
वो बोली- कुछ कुछ… क्या यही मतलब होता है?
मैंने कहा- हां शायद यानि कि… कैसे समझाऊँ तुम्हें मामीजी!
मैंने उलझ कर कहा।

वो हंसते हुए बोली- चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं?
मैं उसे एकटक देखने लगा, उसके होंठों पर चंचल मुस्कुराहट थी।
मैंने कहा- ठीक समझी आप!
वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोली- किस शब्द से बना है चुदास?

मैंने उसकी आवाज में कंपकपी महसूस की। मेरे दिल ने कहा ‘गधे, वो इतना चांस दे रही है, तू भी बन जा बेशरम… वरना पछतायेगा।
मैंने कहा- चुदास चोदना शब्द से बना है!
वो खिलखिला कर हंसने लगी और मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी।

मैं सोचने लगा कि अब क्या कयूँ?
अचानक उसने पूछा- ये वेजिना क्या होता है?
मेरे दिल ने कहा ‘साली जानबूझ कर ऐसे सवाल पूछ रही है।’ मैंने बिंदास होकर कहा- योनि को वेजिना कहते हैं।
वो फिर पूछने लगी- यह योनि क्या होता है।
मैंने कहा- क्या आप योनि नहीं जानती हो?
वो बोली- नहीं।
मैंने कहा- चूत समझती हो?
मामीजान ने झट से मुंह पर हाथ रखा और मैगज़ीन के पन्ने पलटती हुयी बोली- हा…

मैंने हिम्मत कर के कहा- चुदास की बहुत चाहत हो रही है।
वो हल्के से मुस्कुराते हुए कहा- चुदास की प्यास?
मैंने कहा- वाकई चुदास की प्यास लगी है।
वो बोली- मैं भी दो साल से प्यासी हूँ क्योंकि दो साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था।

मैंने कहा- ओह… इसका मतलब कि दो साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है।
वो सिर झुका कर बोली- आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं।
मैं बोला- अगर मिल जाता तो?
वो बोली- तो मैं अपनी चूत को उस लंड पर कुर्बान कर देती।
मैं बोला- आओ मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है।

मैंने तुरंत उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके होंठ में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा, मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे सहलाने लगी।
मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवीयर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया।

अब मामी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया और लोली पोप की तरह चूसने लगी।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
कभी वो मेरे लंड के सुपारे को चूसती, कभी जबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी.
ऐसा उसने करीब 15 मिनट तक किया।

आखिर में रहा न गया मैंने उसके मुंह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम दोनो सोफ़े पर आकर बैठ गये। मेरा लंड फिर सामान्य हो गया।

वो अब भी साड़ी पहने हुयी थी, मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जांघों को सहलाया फिर हाथ को उसकी चूत पर ले गया। उसकी पैंटी गीली हुयी थी, इतनी गीली थी जैसे पानी से भिगोयी हो। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया, वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।

फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला, उसकी चूत फूली हुयी और गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी। मैंने उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा जिस कारण वो बेकरार होने लगी।

अब मैंने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैंने पैंटी को पकड़ा और जांघों तक सरका दिया।
अब मामी ने खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गयी। उसके घुटने ऊपर थे और टांगें फैली हुयी थी। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़ साफ़ दिखायी दे रही थी।

मैंने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैंने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी। मैं धीरे धीरे अपनी उंगली उसके चूत में अंदर बाहर करने लगा, उसके मुंह से आअह्ह ह्हाअ ऊफ़्फ़ की आवाज निकल रही थी।

अब मैंने दो उंगलियां उसकी कोमल चूत में घुसाई। चिकनी चूत होने से दोनो उंगलियां आराम से अंदर बाहर हो रही थी। लगभग पचास साठ बार मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत की घिसाई की।
इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम में ले गया। वो आंखें बंद किये मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी। मैंने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटिकोट दोनो उतार दिये और हम बिल्कुल नंगे हो गये।
वो करवट लेकर लेट गयी, अब उसके चूतड़ साफ़ झलक रहे थे, मैंने उसकी गांड पर हाथ से सहलाया। क्या गांड थी… गोल मटोल गांड थी उसकी।

मैं करीब 5 मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा फिर उसकी कमर पकड़ कर चित लिटा दिया और जितना हो सका उतनी उसकी टांगें फैला दी, फिर उसकी चूत की दरार को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा।
उसके मुंह से हाअ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की नशीली आवाजें निकल रही थी। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत के एक एक भाग चाट रहा था, बीच बीच में चूत को जीभ से चोद रहा था।

वो बिल्कुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, वो बोली- अब हटो हार्दिक, मेरी चूत काफ़ी गरमा चुकी है। अपना लंड मेरी गरम गरम चूत में घुसेड़ दो राजा… उफ़्फ़… अपने लंड से मेरी चूत की गरमी और प्यास बुझा दो, मेरे हार्दिक, आज इतना कस कस कर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जाये।

जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया, उसने अपनी टांगें मोड़ ली, मैं उसकी उठी हुयी टांगों के बीच बैठ गया। मैंने उसकी टांगें अपने हाथ से उठा कर अपना लंड उसके चूत के मुंह में रखा जिस कारण उसके शरीर में झुरझुरी मच गयी।
लंड को चूत के मुंह में रखते ही चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा। मैंने कस कर एक धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। गरमा गरम चुत के अंदर लंड की अजीब हालत थी।

अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूल कर और मोटा हो गया। मेरे हर धक्के पर वो ऊऊफ़्फ़ आआह्ह ऊऊह्ह ह्हह की आवाजें निकालने लगी।
करीब बीस मिनट तक मैं उसके चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा, फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दनादन लंड को चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा.

मामी ने मुझे कस कर बाहों में जकड़ लिया, मैं समझ गया कि वो झड़ रही है।
मामी कराह रही थी, बोल रही थी- हाय! हार्दिक दो साल बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है। वाकयी तुम पक्के चुदक्कड़ हो। चोदो मुझे जोर जोर से चोद।

मेरा लंड फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर हो रहा था। पूरे कमरे में चुदाई की फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाजें गूंज रही थी। मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था. कुछ देर बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और वो निढाल होकर लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी।

करीब 50-60 धक्कों के बाद मेरे लंड ने आखिर जोरदार फ़व्वारा निकाला और उसकी चूत में समा गया। जब तक लंड से एक एक बूंद उसकी चूत में समाती रही, मैं धक्कों पर धक्के लगाता रहा। आखिर में मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजु में लेट गया। हम दोनों की सांसें तेज चल रही थी, वो दाहिनी करवट से लेटी हुई थी।

करीब 15-20 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मेरी नज़र मामी की गांड पर पड़ी, गांड का ख्याल आते ही लंड फिर से हरकत करने लगा।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रख कर घुसाने की कोशिश की। उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मैंने ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा उसकी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी गांड में घुस गयी.
उंगली घुसते ही वो कसमसाहट करने लगी, वो तड़प कर आगे खिसकी जिस वजह से उंगली गांड के छेद से बाहर निकल गयी.

मामी मुड़ कर बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मामी तुम्हारी गांड सचमुच खूबसूरत है।
वो बोली- उंगली क्यों घुसाते हो? लंड क्या सो गया है?

उसकी यह बातें सुनकर मैं खुश हुआ और उसे पेट के बल लिटा दिया और दोनो हाथों से उसकी चूतड़ को फ़ैला दिया जिस से उसकी गांड का छेद और खुल गया।
वो धीरे से बोली- हार्दिक, नारियल तेल, घी या कोई चिकनी चीज मेरे गांड और लंड पर लगा लो तो आसानी रहेगी।

मैंने कहा- मामीजान, इससे भी अच्छी चीज है मेरे पास… वेसलीन!
और मैं उठ कर ड्रायर से वेसलीन ले आया और ढेर सारी वेसलीन अपने लंड और उसकी गांड पर लगाई और उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। अब मैंने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर पुश किया, लंड का सुपाड़ा गांड में थोड़ा सा घुस गया। फ़िर थोड़ा जोर लगा कर और पुश किया तो सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया।

सुपाड़ा गांड में घुसते ही वो बोली- हार्दिक, थोड़ा आहिस्ते आहिस्ते डालो, दर्द हो रहा है, दो साल हो गये गांड मरवाये।

अब मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही धीरे धीरे गांड के अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही उसकी गांड का छेद पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। मुझे लगा अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जायेगा और ऐसा ही हुआ।
उसकी गांड का छेद चिकनाहट की वजह से लंड थोड़ा थोड़ा और अंदर समाने लगा।

दो तीन मिनट की मेहनत से मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा। उसकी टाइट गांड होने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी गांड मरवाने का मजा आ रहा था और मुंह से ऊफ़्फ़ आह्हा की आवाजें निकाल रही थी।

40-50 धक्कों के बाद मेरे लंड ने घुटने टेक दिये और उसकी गांड में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया, वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी।
अब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गये।

जब तक मेरा दोस्त नहीं आया, मैंने उसकी मामीजान की कई बार चूत और गांड मारी।

जब मैं वापस अपने घर लौटने लगा तो मामी बोली- कैसी रही मेरी समाज सेवा?
और मैंने हंस कर कहा- मामी जी, आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो!
फिर मैं घर लौट आया.
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मास्टरजी क्योंकि पीठ की Hindi Sex Storiesमालिश में मग्न थे, सुलेखा की योनि गीली होने का दृश्य नहीं देख पाए। उनकी नज़र पीठ की तरफ और ध्यान चूतड़ों से स्पर्श करती अपनी निकर पर था जिसके कारण उनका लिंग कठोर से कठोरतर होता जा रहा था।

उन्हें याद नहीं आ रहा था कि इससे पहले उनका लंड इतनी जल्दी कब दुबारा सम्भोग के लिए तैयार हुआ हो!! उन्हें अपने आप पर गर्व होने लगा पर साथ ही चिंता भी होने लगी कि इस अवस्था से कैसे निपटें? वे नहीं चाहते थे कि सुलेखा को उनका विराट लंड दिख जाये। उन्हें डर था वह घबरा कर भाग न जाए।

स्थिति पर काबू पाने के लिए वे सुलेखा के ऊपर से हट गए और उसकी बगल में बैठ कर उसकी गर्दन और कन्धों को सहलाने लगे। उन्होंने सुलेखा के निचले शरीर पर चादर भी उढ़ा थी।

सुलेखा के कामोत्तेजन को जैसे अचानक ब्रेक लग गया। उसे थोड़ा बुरा लगा पर राहत भी महसूस की। उसे अपने ऊपर गुस्सा भी आ रहा था कि अपने ऊपर संयम क्यों नहीं रख पा रही है।
उसे लगा कि मास्टरजी क्या सोचेंगे अगर उन्हें पता लगा कि उसके शरीर में कैसी कशिश चल रही है। वे तो उसका इलाज करने में लगे हैं और वह किसी और प्रवाह में बह रही है!

अपने ऊपर सुलेखा को शर्म आने लगी और मन ही मन मास्टरजी का धन्यवाद किया कि वे उसके ऊपर से उठ गए और उसको ढक दिया। अब उन्हें सुलेखा की योनि की अवस्था का पता नहीं चलेगा, जो कि सम्भोग के लिए तत्पर हो रही थी।

थोड़ी देर में मास्टरजी का लिंग मायूस हो कर सिकुड़ गया और सुलेखा की योनि भी बुझ सी गई। दोनों को इससे राहत मिली।

सुलेखा नहीं चाहती थी कि मास्टरजी को उसकी कामोत्तेजना के बारे में पता चले। कहीं वे उसे बुरी और बदचलन लड़की न समझने लगें।
उधर मास्टरजी नहीं चाहते थे कि सुलेखा उनके लिंग के विराट रूप को देख ले। उन्हें डर था सुलेखा डर के मारे भाग ही न जाए। वे सुलेखा के साथ अपने रिश्ते को धीरे धीरे विकसित करना चाहते थे और एक लम्बा सम्बन्ध बनाना चाहते थे।

मास्टरजी को जब यकीन हो गया कि उनका लंड नियंत्रण में आ गया है और उनकी निकर के आकार को नहीं ललकार रहा तो वे उठ खड़े हुए और सुलेखा को चित लेट जाने का आदेश दे कर कमरे से बाहर चले गए।

सुलेखा एक आज्ञाकारी शिष्या कि भांति चादर के नीचे ही करवट बदल कर सीधी हो गई। हालाँकि वह चादर के नीचे थी, फिर भी सहसा उसने अपने हाथों से अपने स्तन ढक लिए ताकि उसके वक्ष की रूपरेखा चादर पर न खिंचे।

वहाँ मास्टरजी ने गुसलखाने में जाकर अपने नटखट लंड को नियंत्रण में लाने के लिए एक बार फिर मामला हाथ में लिया और हस्त मैथुन करने लगे।
वे दुबारा अपने आप को ऐसी स्थिति में नहीं लाना चाहते थे जहाँ उन्हें सुलेखा से हाथ धोना पड़े। कुछ देर के प्रयास के बाद मास्टरजी का लंड एक बार फिर लावा उगलने लगा, पर इस बार पहले की भांति का ज्वालामुखी नहीं था। एक फुलझड़ी के मानिंद था।

मास्टरजी को इस राहत से तसल्ली मिली और वे एक नए भरोसे के साथ सुलेखा के पास आ गए। उनका लिंग एक भीगी बिल्ली की तरह असहाय सा निकर में लटक रहा था और गवाएँ हुए दो मौकों का अफ़सोस कर रहा था।

सुलेखा के चित्त लेटने से एक समस्या यह खड़ी हुई कि अब दोनों एक दूसरे को देख सकते थे। पर दोनों ही एक दूसरे से आँख नहीं मिलाना चाहते थे क्योंकि दोनों के मन में ग्लानि भाव था। एक अजीब सी चुप्पी का वातावरण छा गया था।

इतने में सुलेखा ने अपने हाथ चादर से बाहर निकाल कर अपनी आँखों पर रख लिए और आँखें मूँद लीं। उसे शायद ज्यादा शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि नंगी तो वह थी!!!

उसकी इस हरकत से दो फायदे हुए। एक तो दोनों की आँखों का संपर्क टूट गया और दूसरे सुलेखा के वक्ष स्थल से उसके हाथों का बचाव चला गया।

सुलेखा की साँसें उसकी छाती को ऊपर नीचे कर रहीं थीं जिस से उसके स्तनों के ऊपर रखी चादर ऊपर नीचे खिसक रही थी। इस चादर की रगड़ से उसकी चूचियों में गुदगुदी हो रही थी और वे उभर कर खड़ी हो गई थीं। उसके वक्ष की रूप रेखा अब चादर पर स्पष्ट दिखाई दे रही थी। मास्टरजी को यह दृश्य बहुत अच्छा लगा।

मास्टरजी ने अपने काम पांव की तरफ से आरम्भ किया। वे सुलेखा की छाती पर पड़ी चादर को नहीं छेड़ना चाहते थे। उन्होंने सुलेखा के पांव से लेकर जांघों तक की चादर उघाड़ दी और तेल की मालिश करने लगे।

तलवे तो पहले ही हो चुके थे फिर भी उन्होंने तलवों पर कुछ समय बिताया क्योंकि वे सुलेखा को गुदगुदा कर उसकी उत्तेजना को कायम रखना चाहते थे। तलवों के विभिन्न हिस्सों का संपर्क शरीर के विभिन्न अंगों से होता है और सही जगह दबाव डालने से कामेच्छा जागृत होती है। इसी आशा में वे उसके तलवों का मसाज कर रहे थे।

सुलेखा को इसमें मज़ा आ रहा था। कुछ देर पहले उसकी कामुक भावनाओं पर लगा अंकुश मानो ढीला पड़ रहा था। मास्टरजी की ऊँगलियाँ उसके शरीर में फिर से बिजली का करंट डाल रही थीं।

धीरे धीरे मास्टरजी ने तलवों को छोड़ कर घुटनों के नीचे तक की टांगों को तेल लगाना शुरू किया। यह करने के लिए उन्होंने सुलेखा के घुटने ऊपर की तरफ मोड़ दिए।
चादर पहले ही जाँघों तक उघड़ी हुई थी। घुटने मोड़ने से सुलेखा की योनि प्रत्यक्ष हो गई। सुलेखा ने तुंरत अपनी टाँगें जोड़ लीं। पर इस से क्या होता है!?

उसकी योनि तो फिर भी मास्टरजी को दिख रही थी हालाँकि उसके कपाट बिल्कुल बंद थे।

मास्टरजी ने खिसक कर अपने आप को सुलेखा के और समीप कर लिया जिस से उनके हाथ सुलेखा की जांघों तक पहुँच सकें।

सुलेखा की साँसें और तेज़ हो गईं और उसने अपने दोनों हाथ अपनी आँखों पर और कस कर बांध लिए।

मास्टरजी ने सुलेखा के घुटनों से लेकर उसकी जांघों तक की मालिश शुरू की। वे उसकी जांघों की सब तरफ से मालिश कर रहे थे और उनके अंगूठे सुलेखा की योनि के बहुत नज़दीक तक भ्रमण कर रहे थे।

सुलेखा को बहुत गुदगुदी हो रही थी और वह अपनी टाँगें इधर उधर हिलाने लगी। ऐसा करने से मास्टरजी के अंगूठों को और आज़ादी का मौका मिल गया और वे उसकी योनि के द्वार तक पहुँचने लगे।

सुलेखा ने शर्म से अपनी टांगें सीधी कर लीं और आधी सी करवट ले कर रुक गई। उसने अपनी टाँगें भी जोर से भींच लीं।

मास्टरजी ने उसकी इस प्रतिक्रिया का सम्मान किया और कुछ देर तक कुछ नहीं किया। सुलेखा की प्रतिक्रिया उसके कुंवारेपन और अच्छे संस्कारों का प्रतीक था और यह मास्टरजी को अच्छा लगा।

उनकी नज़र में जो लड़की लज्जा नहीं करती उसके साथ सम्भोग में वह मज़ा नहीं आता। वे तो एक कमसिन, आकर्षक, गरीब, असहाय और कुंवारी लड़की का सेवन करने की तैयारी कर रहे थे और उन्हें लगता था वे मंजिल के काफी नज़दीक पहुँच गए हैं।

थोड़े विराम के बाद उन्होंने सुलेखा को करवट से सीधा किया और बिना टांगें मोड़े उसकी मालिश करने लगे। उन्हें शायद नहीं पता था कि सुलेखा की योनि फिर से गीली हो चली थी और इसीलिए सुलेखा ने इसे छुपाने की कोशिश की थी।

सुलेखा ने अपने होंट दांतों में दबा रखे थे और वह किसी तरह अपने आप को क़ाबू में रख रही थी जिससे उसके मुँह से कोई ऐसी आवाज़ न निकल जाए जिससे उसको मिल रहे असीम आनंद का भेद खुल जाए।

मास्टरजी ने स्थिति का समझते हुए सुलेखा की जांघों पर से ध्यान हटाया। उन्होंने उसके पेट पर से चादर को ऊपर लपेट दिया और उसके पतले पेट पर तेल लगाने लगे।

सुलेखा को लग रहा था मानो उसका पूरा शरीर ही कामाग्नि में लिप्त हो गया हो। मास्टरजी जहाँ भी हाथ लगायें उसे कामुकता का आभास हो।
यह आभास उसकी योनि को तर बतर करने में कसर नहीं छोड़ रहा था और सुलेखा को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे!!
उसे लगा थोड़ी ही देर में उसकी योनि के नीचे बिछी चादर गीली हो जायेगी।

मास्टरजी को शायद उसकी इस दशा का भ्रम था। कुछ तो वे उसकी योनि देख भी चुके थे और कुछ वे सुलेखा के शारीरिक संकेत भी पढ़ रहे थे। उन्हें पुराने अनुभव काम आ रहे थे।

सुलेखा के पेट पर हाथ फेरने में मास्टरजी को बहुत मज़ा आ रहा था। इतनी पतली कमर और नरम त्वचा उनके हाथों को सुख दे रही थी।
वे नाभि में अंगूठे को घुमाते और पेट के पूरे इलाके का निरीक्षण करते।
उनकी आँखों के सामने सुलेखा की योनि के इर्द गिर्द थोड़े बहुत घुंघराले बाल थे जो योनि को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।
सुलेखा ने अपनी टाँगें कस कर जोड़ रखी थीं जिससे योनि ठीक से नहीं दिख रही थी पर फिर भी मास्टरजी की नज़रों के सामने थी और उनकी नज़रें वहाँ से नहीं हट रही थीं।

अब मास्टरजी ने सुलेखा की छाती पर से चादर हटाते हुए उसके सिर पर डाल दी। अब वह कुछ नहीं देख सकती थी और उसके हाथ भी चादर के नीचे क़ैद हो गए थे।

मास्टरजी को यह व्यवस्था अच्छी लगी। इसकी उन्होंने योजना नहीं बनाईं थी। यह स्वतः ही हो गया था। मास्टरजी को लगा भगवान् भी उसका साथ दे रहे हैं।

मास्टरजी ने पहली बार सुलेखा के स्तनों को तसल्ली से देखा। यद्यपि वे इतने बड़े नहीं थे पर मनमोहक गोलनुमा आकार था और उनके उभार में एक आत्मविश्वास झलकता था। उनके शिखर पर कथ्थई रंग के सिंघासन पर गौरवमई चूचियाँ विराजमान थीं जो सिर उठाए आसमान को चुनौती दे रही थीं।

सुलेखा की आँखें तो ढकी थीं पर उसे अहसास था कि मास्टरजी उसके नंगे शरीर को घूर रहे होंगे। यह सोच कर उसकी साँसें और तेज़ हो रही थीं उसका वक्ष स्थल खूब ज्वार भाटे ले रहा था।

मास्टरजी का मन तो उन चूचियों को मूंह में लेकर चूसने का कर रहा था पर आज मानो उनके लिए व्रत का दिन था।
तेल हाथों में लगाकर उन्होंने सुलेखा के स्तनों को पहली बार छुआ।

इस बार उन्हें बिजली का झटका सा लगा। इतने सुडौल, गठीले और नरम वक्ष उन्होंने अभी तक नहीं छुए थे। उनका स्पर्श पा कर स्तन और भी कड़क हो गए और चूचियाँ तन कर और कठोर हो गईं।

जब उनकी हथेली चूचियों पर से गुज़रती तो वे दबती नहीं बल्कि स्वाभिमान में उठी रहतीं। मास्टरजी को स्वर्ग का अनुभव हो रहा था।
इसी दौरान उन्हें एक और अनुभव हुआ जिसने उन्हें चौंका दिया, उनका लिंग अपनी मायूसी त्याग कर फिर से अंगडाई लेने की चेष्टा कर रहा था।
मास्टरजी को अत्यंत अचरज हुआ।
उन्होंने सोचा था कि दो बार के विस्फोट के बाद कम से कम 12 घंटे तक तो वह शांत रहेगा। पर आज कुछ और ही बात थी।
उन्हें अपनी मर्दानगी पर गरूर होने लगा।
चिंता इसलिए नहीं हुई क्योंकि सुलेखा का सिर ढका हुआ था और वह कुछ नहीं देख सकती थी।

मास्टरजी ने अपने लिंग को निकर में ही ठीक से व्यवस्थित किया जिस से उसके विकास में कोई बाधा न आये।

जब तक सुलेखा की आँखें बंद थीं उन्हें अपने लंड की उजड्ड हरकत से कोई आपत्ति नहीं थी।
वे एक बार फिर सुलेखा के पेट के ऊपर दोनों तरफ अपनी टांगें करके बैठ गए और उसकी नाभि से लेकर कन्धों तक मसाज करने लगे।
इसमें उन्हें बहुत आनंद आ रहा था, खासकर जब उनके हाथ बोबों के ऊपर से जाते थे।

कुछ देर बाद मास्टरजी ने अपने आप को खिसका कर नीचे की ओर कर लिया और उसके घुटनों के करीब आसन जमा लिया। अपना वज़न उन्होंने अपनी टांगों पर ही रखा जिससे सुलेखा को थकान या तकलीफ़ न हो।

इधर सुलेखा को यह आँख मिचोली का खेल भा रहा था। उसे पता नहीं चलता था कि आगे क्या होने वाला है। यह रहस्य उसके आनंद को बढ़ा रहा था।

मास्टरजी के मसाज से उसकी योनि में तीव्र चंचलता पनप रही थी और वह किसी तरह योनि की कामना पूरी करना चाहती थी। पर लज्जा और मास्टरजी के डर से लाचार थी।

उस भोली को यह समझ नहीं आ रहा था कि मास्टरजी से डरने की तो कोई बात ही नहीं है। वे तो खुद इसी इच्छा पूर्ति के प्रयास में लगे हैं।

लज्जा का अब सवाल कहाँ उठता है? वह इस से ज्यादा नंगी थोड़े ही हो सकती है, भला! पर उसका विवेक तो वासना के भंवर में नष्ट हो गया था।

मास्टरजी को अपना नया आसन बहुत लाभदायक लगा। यहाँ से वे पैरों को छोड़ कर सुलेखा के पूरे जिस्म को निहार भी सकते थे और ज़रुरत पड़ने पर छू भी सकते थे।

उन्होंने जानबूझ कर अभी तक सुलेखा के चरम गुप्तांगों पर हाथ नहीं लगाया था। यह सुख वे अंत में लेना चाहते थे।

अब वे सुलेखा की योनि और गुदा का मसाज करने वाले थे। इस विचार के आने से उनके लंड में फिर से रक्त भरने लगा और वह तीसरी बार उदयमान होने लगा।

मास्टरजी ने मसाज की दो क्रियाएँ शुरू कीं। एक तो वे अपने हाथ सुलेखा की जाँघों से लेकर ऊपर कन्धों तक ले जाते और वापस आने पर अपने अंगूठों से उसकी योनि के चारों तरफ मसाज करते।
पहली बार जब उन्होंने ऐसा किया तो सुलेखा उछल पड़ी। उसकी योनि को आज तक किसी और ने नहीं छुआ था।

अचानक मास्टरजी के हाथ लगने से उसको न केवल अत्यंत गुदगुदी हुई, उसका संतुलन और संयम भी लड़खड़ा गया। उसके उछलने से हालाँकि उसके चेहरे से चादर नहीं हटी पर मास्टरजी का तना हुआ लंड ज़रूर उसकी योनि और नाभि को रगड़ गया।
यद्यपि लंड निकर के अन्दर था फिर भी उसका संपर्क सुलेखा को निश्चित रूप से पता चला होगा।

मास्टरजी ने सुलेखा से पूछा- क्या हुआ सुलेखा? मुझ से कोई गलती हुई क्या?
सुलेखा ने जवाब दिया- नहीं मास्टरजी, मैं चौंक गई थी। आप इलाज जारी रखिये!

यह कह कर वह फिर से लेट गई इस बार उसकी टांगें अपने आप थोड़ी खुल गई थीं।

मास्टरजी बहुत खुश हुए। उन्हें पता था कि सुलेखा पर काम वासना ने कब्ज़ा कर लिया है। वह अब उनके हाथों की कठपुतली बन कर रह गई है।

अब मास्टरजी निश्चिंत हो कर सुलेखा की नाभि से लेकर उसकी योनि तक का मसाज करने लगे।
उन्होंने धीरे धीरे योनि के बाहरी होटों को सहलाना शुरू किया और फिर अंदरूनी छोटे होंट सहलाने लगे।
योनि का गीलापन उनको मसाज में मदद कर रहा था।

सुलेखा की देह किसी लहर की तरह झूमने लगी थी। थोड़ी थोड़ी देर में उसकी काया सिहर उठती और उसका जिस्म डोल जाता।

अब मास्टरजी ने अपनी एक ऊँगली सुलेखा की चूत में थोड़ी सी सरकाई।

सुलेखा के मुँह से एक आह निकल गई।
वह कुछ भी आवाज़ नहीं निकालना चाहती थी फिर भी निकल गई।

मास्टरजी योनिद्वार पर और उसके आधा इंच अन्दर तक मसाज करने लगे। सुलेखा एक नियमित ढंग से ऊपर नीचे होने लगी।
प्रकृति अपनी लीला दिखा रही थी। काम वासना के सामने किसी की नहीं चलती तो सुलेखा तो निरी बालिका थी।

मास्टरजी अब एक ऊँगली लगभग पूरी अन्दर बाहर करने लगे। उनकी ऊँगली किसी हद तक ही अन्दर जा रही थी।
सुलेखा के कुंवारेपन का सबूत, उसकी झिल्ली, ऊँगली के प्रवेश का विरोध कर रही थी।

मास्टरजी को इस अहसास से अत्यधिक संतोष हुआ। अगर सुलेखा कुंवारी नहीं होती तो मास्टरजी को ज़रूर दुःख होता।

अब तो उनके हर्ष की सीमा नहीं थी। वे एक कुंवारी योनि का उदघाटन करेंगे इस ख्याल से उनके लंड ने एक ज़ोरदार सलामी दी और जा कर मास्टरजी के पेट से सट गया।

मास्टरजी ने हाथ बढा कर सोफे पर से एक तकिया खींच लिया और सुलेखा के चूतड़ों के नीचे रख दिया। इस से सुलेखा की गांड भी अब मास्टरजी के अधीन हो गई।

उन्होंने दोनों हाथों में तेल लगाकर एक हाथ से चूतड़ों पर मालिश शुरू की तथा दूसरे से उसकी चूत की। वे इस बात का ध्यान रख रहे थे कि उनकी ऊँगली से गलती से सुलेखा की झिल्ली न भिद जाए।

यह सौभाग्य तो वे अपने लंड को देना चाहते थे। इसलिए चूत की मालिश बहुत कोमलता से कर रहे थे। उन्होंने अपनी ऊँगलियाँ हौले हौले योनि के ऊपर स्थित मटर के पास ले गए जो कि स्त्री की कामाग्नि का सबसे संवेदनशील अंग होता है।

उसे छूते ही सुलेखा के मुँह से एक मादक चीख निकल गई। उसका अंग प्रत्यंग हिल गया और योनि में से 2-3 बूँद द्रव्य रिस गया।

मास्टरजी ने उसके योनि-रस में ऊँगलियाँ भिगो लीं और उन गीली उँगलियों से उसकी गांड के छेद की परिक्रमा करने लगे।

एक हाथ उनका मटर के दाने के आस पास घूम रहा था। सुलेखा आनंद के हिल्लोरे ले रही थी। अब उसकी देह समुद्र की मौजों की तरह लहरें ले रही थी उसका ध्यान इस दुनिया से हट कर मानो ईश्वर में लीन हो गया था।

अब उसे किसी की परवाह नहीं थी।
वह बेशर्मी से मास्टरजी का सहयोग करने लगी थी और निडर हो कर आवाजें भी निकाल रही थी।

उसकी योनि में सम्भोग की तीव्र ज्वाला भड़क उठी थी। उसका तड़पता शरीर भरपूर शक्ति के साथ मास्टरजी की ऊँगली को चूत में डलवाने के प्रयास में लगा था।
और अगर मास्टरजी सावधान नहीं होते तो सुलेखा मास्टरजी की ऊँगली से ही अपने कुंवारेपन को लुटवाने में कामयाब हो जाती।

मास्टरजी ने अवसर का लाभ उठाते हुए एक गीली ऊँगली सुलेखा की गांड के छेद में दबा दी। जैसे ही उन्होंने दबाव डाला उनके दरवाज़े की घंटी बज गई।
वे एकदम चौंक गए।
उन्हें लगा उनके दरवाज़े की घंटी का बटन सुलेखा की गांड में कैसे आ गया!!

उधर सुलेखा भी हड़बड़ा कर उठ गई और अपने कपड़े ढूँढने लगी। उसे अचानक शर्म सी आने लगी।

मास्टरजी ने उसे इशारे से दूसरे कमरे में जाने को कहा और खुद कपड़े पहनते हुए कमरे को सँवारने लगे।
इस दौरान उनका लंड भी मुरझा गया था जो कि अच्छा हुआ।

जब कमरा ठीक हो गया वे दरवाज़े की तरफ जाने लगे पर कुछ सोचकर रुक गए और सुलेखा के पास जा कर उसे पीछे के दरवाज़े से निकाल कर घर जाने को कह दिया।

उन्होंने उसके कान में कल फिर इसी समय आने को भी कह दिया। सुलेखा ने सर हिला कर हामी भर दी और चुपचाप घर को चल दी।

वे नहीं जानते थे कौन आया है और कितनी देर रुकेगा।

इसके आगे क्या हुआ, अन्तर्वासना में पढ़िये अगले अंक में!!!

आपको यहाँ तक की कहानी कैसी लगी मुझे ज़रूर बताइए। आपके पत्रों और सुझावों का मुझे इंतज़ार रहेगा, ख़ास तौर से महिला पाठकों का क्योंकि लड़कियों के दृष्टिकोण का मुझे आभास नहीं है। उनके परामर्श मेरे लिए ज़रूरी हैं। Hindi Sex Stories

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