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आप सब भाभियों और औरतों को चूतों Indian Sex Stories को मेरे नौ इंच के लौड़े का खड़े हो कर प्रणाम !
आप सबने मेरा पहला सेक्स, मेरी सच्ची कहानी को बहुत पसंद किया, मुझे बहुत सारी मेल भी आई, बहुत अच्छा लगा कि आप सबने मेरी कहानी को बहुत पसंद किया। वैसे मैं पंजाब का रहने वाला हूँ लेकिन परिवार शिफ्ट होने की वजह से मुझे भी दिल्ली आना पड़ा। मैं दक्षिण-दिल्ली में रहता हूँ। अब मैं आपको एक और सच्ची कहानी बताना चाहता हूँ, जो तब की है जब मैं दिल्ली में नया-नया आया था, हमने नया घर लिया था, आस-पास का माहौल बहुत अच्छा था, आस-पास के घर सरदारों के थे, मेरा घर वालों का दिल लगा रहता था, सब लोगों से अच्छी दोस्ती हो गई थी मेरी माता की।
मैं घर से बहुत कम बाहर निकलता था, मेरे घर के आस पास बहुत लड़कियाँ रहती थी पर मैं बहुत शरमीला था इसलिए मैं सिर्फ़ उन्हें दूर से निहार ही सकता था और कुछ नहीं कर सकता था। कुछ महीनों के बाद मेरी जॉब पास में ही (ओखला) में एक इंटरनॅशनल कॉल सेंटर में लग गई थी। मेरी जॉब नाइट शिफ्ट की थी और सारा दिन मैं घर में रहता था। हर रोज़ मैं शाम को छः बजे के बाद ही उठता था।
एक दिन मेरी छुट्टी होने की कारण मैं थोड़ा जल्दी उठा तो देखा घर के कोई लड़की मेरी माता से बात कर रही है, बाहर आया तो देखा वो एक शादीशुदा औरत थी। क्या मस्त चीज़ थी यार ! वो देख कर खड़ा हो गया उसे। ज़्यादा से ज़्यादा पच्चीस साल की होगी, क्या मस्त फिगर थी ! उसके स्तन होंगे कोई 34 इंच के, कमर होगी 30 इंच और उसकी गाण्ड 36 इंच और उभरी हुई गाण्ड देख कर कोई भी पागल हो जाए।
मैने अपनी माता से पूछा तो वो हमारे घर के सामने वाले घर मे किराए पर रहती थी, उस का पति मेट्रो में काम करता था वो भी नाइट शिफ्ट। मैं उसके बारे मैं ही सोच रहा था तभी वो फिर मेरे घर आई और मुझे अपना देवर बोल कर बातें करने लगी।
अब मैं उसके लिए हर रोज़ जल्दी उठ जाता था, वो रोज़ मेरे घर आती और हम बातें करते, कभी कभी मैं उसे छू भी लेता था, हर रोज़ बातें करता रहता था तो वो मेरे से खुलने लगी, रोज़ मज़ाक करती मेरे साथ मेरी गर्ल-फ्रेंड के बारे मैं पूछती तो मैं मना कर देता कि मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है।
तो वो मेरा मज़ाक उड़ाती !
मैं बोलता- आप मेरे गर्ल फ्रेंड बन जाओ।
कई बार तो मैं उसके बारे में सोच के मूठ मार लेता था। कई बार वो मेरे साथ बाज़ार भी जाती थी, मुझे वो बहुत अच्छी लगने लगी थी। मैं रोज़ उसकी चूत मारने की सोचता था।
अब गर्मियाँ शुरू हो गई थी। कई बार मैं घर में निकर पहन कर ही सो जाता था।
उस दिन मेरी माता कहीं गई हुई थी शाम तक आने का बोल कर। मैं सोते हुए भी उसी के बारे में सोचता था। मुझे पता नहीं चला कि कब वो मेरे घर में आ गई और मेरे ऊपर से चादर उतारने लगी, उतारते हुई उसका हाथ मेरे आधे खड़े लौड़े पर लग गया। वो एक दम धक से रह गई। मैं थोड़ी नींद में था, उसने अपना हाथ मेरी निकर के ऊपर ढाल लिया और मेरे लौड़े को महसूस करने लगी। अब मेरा लौड़ा भी तैयार होता जा रहा था। मेरी आँखों से नींद बहुत दूर थी। उसने लाल रंग की सलवार कमीज़ पहन रखी थी मैंने अपनी आँखें खोली तो उसने एक दम हाथ उठा लिया लेकिन उस की साँस चढ़ी हुई थी।
मैने अंजान बन कर कहा- क्या हुआ भाभी जी ?
वो बोली- कुछ नहीं, माता जी कहाँ है आपकी?
मैंने कहा- वो तो कहीं गई हैं, कल आएँगी !
तो उसने अपने आप को संभाल कर बोला, “आप आज काम पर जाओगे या नहीं?
मेरी उस दिन छुट्टी थी, मैने कहा,” नहीं आज नहीं जाना, क्यूँ क्या हुआ? आप क्यूं पूछ रही हैं?”
नहीं वैसे ही ! आज आप शाम को फ्री हो क्या?
मैने कहा,”हां जी !”
बोली,”आप का सामान बहुत बड़ा है !” उसने शर्माते हुए कहा।
मैं भी एकदम हैरान हो गया।
मुझसे बोली- बाहर निकाल के दिखाओ !
मैने कहा- खुद ही निकाल लो !
उसने झट से मेरी निकर में हाथ डाला और मेरे लौड़े को पकड़ कर बाहर निकाल लिया। एकदम उसकी आंखें हैरान रह गई इतना बड़ा देख कर !
वो हाथ से लंड को हिलाने लग गई और वो और भी टाइट होता चला गया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। मेरे लंड पर मुझे थोड़ी गर्मी महसूस हुई तो मैंने आंखें खोली तो देखा कि उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया था।
मुझे मज़ा आने लगा, वो मेरे लंड को चाटती हुई मुँह में ले रही थी, मुझे मज़ा आ रहा था, मेरा लंड उसके मुँह में आधा ही जा रहा था। अब मैं खड़ा हुआ और उसको घुटनों के बल नीचे झुका दिया और उसके बाल पकड़ के अपना लंड उसके मुँह में देने लगा। मैं भी काफ़ी दिनों से उसकी चूत मारने की सोच रहा था। मुझे मज़ा आ रहा था।
मैं उसके बड़े बड़े मुम्मे पीना चाहता था। मैने अपनी निकर पूरी नीचे कर दी, वो भी काफ़ी खुश थी कि आज वो इतना बड़ा लौड़ा लेगी।
मैंने उससे बेड पर लिटा लिया और ऊपर चढ़ कर उसके होंठ पीने लगा। वो मेरे लंड को अपनी चूत पर घिसा रही थी सलवार के ऊपर से। अब मैने उसका सूट उतार दिया। उसने सफ़ेद रंग की ब्रा पहन रखी थी, मैने जोश में उसकी हुक तोड़ दी, वाउ ! वाऽऽवाहह क्या बूब्स थे उसके बिल्कुल सफ़ेद दूध जैसे ! इतने बड़े कि जितने मैंने सोचा नहीं था।
मैं उसके निप्पल मुँह से काटने लगा, उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगी- आअहह अहहा हाहः अहहा प्लीज़ मत करो !
मैने और ज़ोर से काटा, फिर चूसने लग गया उसके बूब्स।
अब उसकी हालत खराब हो गई थी। उसने अपनी सलवार खोल दी थी और मेरे लंड को अपनी पैन्टी के ऊपर से चूत पर हिला रही थी। मुझे भी मज़ा आ रहा था मेरे लोड्ा लोहा बन चुका था, अब मैं भाभी की चूत चूसना चाहता था मैं बेड के नीचे उतरा, नीचे बेत कर पनटी नीचे करी भाभी जी की और चूत पर अपनी जीव रगड़ने लगा, आअहह अहहा अहह अहह अहह प्लीज़ अपना लंड मुझे दो ना, पर मैं उसे अच्छी सी तरह चूसना चाहता था, मैं उसकी चूत के होंठों को चूस रहा था।
अब हम 69 पोज़ में आ गये। मैंने अपना खड़ा खंभा उसके मुँह में दे दिया और उसकी चूत चाटने लगा। वो बोलने लगी- प्लीज़ मेरे अंदर डाल दो ! प्लीज़ प्लीज़ !
मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया उसकी गाण्ड पर ज़रा सा अपना लंड रखा, वो डर गई, बोली- नहीं ! चूत में प्लीज़, गाण्ड नहीं ! मैने पहले कभी नहीं मरवाई !
उसके 36 इंच के कूल्हे क्या लग रहे थे ! डॉगी स्टाइल ऐसा लग रहा था कि एक साथ तीन लण्ड खा जाएगी।
मैने उसकी चूत के छेद पर अपना लण्ड रखा और एक ज़ोर का ज़टका दिया, कसम से उसका रोना निकल गया क्यूँकि पूरा लंड एक ही झटके में अंदर था, उसकी आँखों से आँसू आ गये। लेकिन बोल रही थी- और ज़ोर से मज़ा आ रहा है, अहह अहह अहह अहह अहह ज़ोर से !
मैने उसकी कमर पकड़ी और ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा। मेरा लंड पूरा बाहर और फिर अंदर जाता, मेरा लंड उसकी चूत को पूरा भर रहा था।
वो बोली- जल्दी झटके मारो ! मैं आने वाली हूँ ! आहह आह अहह अहह अहह अहह अहह मर गई !
मैने उसे कन्धे से पकड़ा और लंड अंदर करके साथ में खड़ा कर लिया, मैं उसके मम्मे दबा रहा था और मेरा लंड अपना काम तो कर ही रहा था। अब वो झड़ गई थी। मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसके मुँह में भर दिया और मम्मे दबाने लगा तो कुछ समय बाद वो फिर तैयार हो गई। अब मैं उसकी गाण्ड मारना चाहता था, मैंने उसे खड़ा किया, उसके हाथ दीवार के साथ लगाए, उसकी गाण्ड का छेद खोला और लंड अंदर डालने लगा। छेद टाइट था, लंड अंदर नहीं जा रहा था। मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया, छेद पर लौड़ा रखा और अंदर घुसा दिया।
खूब दबा के चोदा उसे ! वो चिल्ला रही थी दर्द और आनन्द से ! मैं साथ ही उसके मम्मे दबा रहा था।
अब मैने उसे बेड पर लिटा लिया, उसकी चूत के नीचे तकिया रखा और उसकी बुर में लंड दे दिया फिर से ! अब मैं उसके होंठों पर चूम रहा था और ले रहा था उसकी !
अब मैंने झटकों की गति बढ़ा दी और उसके बूब्स खींचने लगा और मैं उसके अंदर झड़ गया। उसने मेरा लंड निकाला और चूसने लगी।
फ़िर उस रात मैने उसे बिना लाइट जलाए चोदा, बहुत मज़ा किया।
अब जब भी मेरा दिल करता है उसे चोदता हूँ !
मुझे भाभी और थोड़ी बड़ी उमर की औरतें बहुत पसंद है। Indian Sex Stories
जब मैं कुवांरी थी तब मेरी चुदने Antarvasna Sex Stories की इच्छा कम होती थी। क्यूंकि मुझे इस बारे में अधिक नहीं मालूम था। आज मेरी शादी हुये लगभग पांच साल हो चुके हैं, मैं बेशर्मी की हदें पार करके सभी तरीको से अपने पति से चुदवा चुकी हूँ।
जी हां ! बिल्कुल अनजान बन कर ! भोली बन कर ! और मासूम बन कर … ! जैसे कि मैं सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। यही भोलापन, मासूमियत उनके लण्ड को खड़ा कर चोदने पर मजबूर कर देती थी। आप ही बताईये, लड़कियां जब भोली बन कर, अनजान बनकर और मासूम सा चेहरा लेकर लण्ड लेती हैं तब पति को लगता है कि मेरी बीवी सती सावित्री है …
पर वो क्या जाने, हम लोग भोली बनकर ऐसे ऐसे मोटे मोटे और लम्बे लण्ड डकार जाती हैं कि उनके फ़रिश्तों तक को पता नहीं चल पाता है।
पर अब बड़ी मुश्किल आन पड़ी है। वो छ्ह माह के लिये कनाडा चले गये हैं … मुझे यहां अकेली तड़पने के लिये। पर हां ! यह उनका उपकार है कि मेरी देखभाल करने के लिये उन्होंने अपने दोस्त के बेटे दीपू को कह दिया था कि वह मेरा ख्याल रखे।
जानते हैं आप, उसने कैसा ख्याल रखा … मुझे चोद चोद कर बेहाल कर दिया … नए नए तरीकों से ! मुझे खूब चोदा …
क्या हुआ था आप जानना चाहेंगे ना …
मेरे पति के कनाडा जाने के बाद रात को दीपू खाना खा कर मेरे यहां सोने के लिये आ जाता था।
गर्मी के दिन थे … मैं अधिकतर छत पर ही अकेली सोती थी। कारण यह था कि रात को अक्सर मेरी वासना करवटें लेने लगती थी। बदन आग हो जाता था। मैं अपना जिस्म उघाड़ कर छत पर बेचैनी के कारण मछली की तरह छटपटाने लग जाती थी। पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत को नंगी कर लेती थी, ब्लाऊज उतार फ़ेंकती थी। ठण्डी हवा के मस्त झोंके मेरे बदन को सहलाते थे। पर बदन था कि उसमें शोले और भड़क उठते थे। मुठ मार मार कर मैं लोट लगाती थी … फिर जब मेरे शरीर से काम-रस बाहर आ जाता था तब चैन मिलता था।
आज भी आकाश में हल्के बादल थे। हवा चल रही थी … मेरे जिस्म को गुदगुदा रही थी। एक तरावट सी जिस्म में भर रही थी। मन था कि उड़ा जा रहा था। उसी मस्त समां में मेरी आंख लग गई और मैं सो गई। अचानक ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर पानी की ठण्डी बूंदे पड़ रही हैं। मेरी आंख खुल गई। हवा बन्द थी और बरसात का सा मौसम हो रहा था। तभी टप टप पानी गिरने लगा। मुझे तेज सिरहन सी हुई। मेरा बदन भीगने लगा। जैसे तन जल उठा।
बरसात तेज होती गई … बादल गरजने लगे … बिजली तड़पने लगी … मैंने आग में जैसे जलते हुये अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया, अपना ब्लाऊज सामने से खोल लिया। बदन जैसे आग में लिपट गया …
मैंने अपने स्तन भींच लिये … और सिसकियाँ भरने लगी। मैं भीगे बिस्तर पर लोट लगाने लगी। अपनी चूत बिस्तर पर रगड़ने लगी। इस बात से अनजान कि कोई मेरे पास खड़ा हुआ ये सब देख रहा है।
“रीता भाभी … बरसात तेज है … नीचे चलो !”
मेरे कान जैसे सुन्न थे, वो बार बार आवाज लगा रहा था।
जैसे ही मेरी तन्द्रा टूटी … मैं एकाएक घबरा गई।
“दीपू … तू कब आया ऊपर … ” मैंने नशे में कहा।
“राम कसम भाभी मैंने कुछ नहीं देखा … नीचे चलो” दीपू शरम से लाल हो रहा था।
“क्या नहीं देखा दीपू … चुपचाप खड़ा होकर देखता रहा और कहता है कुछ नहीं देखा” मेरी चोरी पकड़ी गई थी। उसके लण्ड का उठान पजामें में से साफ़ नजर आ रहा था। अपने आप ही जैसे वह मेरी चूत मांग रहा हो। मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और उसे दबोच लिया … कुछ ही पलों में वो मुझे चोद रहा था। अचानक मैं जैसे जाल में उलझती चली गई। मुझे जैसे किसी ने मछली की तरह से जाल में फ़ंसा लिया था, मैं तड़प उठी … तभी एक झटके में मेरी नींद खुल गई।
मेरा सुहाना सपना टूट गया था। मेरी मच्छरदानी पानी के कारण मेरे ऊपर गिरउ गई थी। दीपू उसे खींच कर एक तरफ़ कर रहा था। मेरा बदन वास्तव में आधा नंगा था। जिसे दीपू बड़े ही चाव से निहार रहा था।
“भाभी … पूरी भीग गई हो … नीचे चलो … ” उसकी ललचाई आंखे मेरे अर्धनग्न शरीर में गड़ी जा रही थी। मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार था। मैंने भीगे ब्लाऊज ठीक करने की कोशिश की … पर वो शरीर से जैसे चिपक गया था।
“दीपू जरा मदद कर … मेरा ब्लाऊज ठीक कर दे !”
दीपू मेरे पास बैठ गया और ब्लाऊज के बटन सामने से लगाने लगा … उसकी अंगुलियाँ मेरे गुदाज स्तनों को बार बार छू कर जैसे आग लगा रही थी। उसके पजामे में उसका खड़ा लण्ड जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा था।
“भाभी , बटन नहीं लग रहा है … “
“ओह … कोशिश तो कर ना … “
वह फिर मेरे ब्लाऊज के बहाने स्तनों को दबाने लगा … जाने कब उसने मेरे ब्लाऊज को पूरा ही खोल दिया और चूंचियां सहलाने लगा। मेरी आंखे फिर से नशे में बंद हो गई। मेरा जिस्म तड़प उठा। उसने धीरे से मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया। मैंने लण्ड को थाम लिया और मेरी मुठ्ठी कसने लगी।
बरसात की फ़ुहारें तेज होने लगी। दीपू सिसक उठा। मैंने उसके भीगे बदन को देखा और जैसे मैं उस काम देवता को देख कर पिघलने लगी। चूत ने रस की दो बूंदें बाहर निकाल दी। चूंचियां का मर्दन वो बड़े प्यार से कर रहा था। मेरे चुचूक भी दो अंगुलियों के बीच में सिसकी भर रहे थे। मेरी चूत का दाना फ़ूलने लगा था। अचानक उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया और दाने पर उसकी रगड़ लग गई।
मैं हाय करती हुई गीले बिस्तर पर लुढ़क गई। मेरे चेहरे पर सीधी बारिश की तेज बूंदे आ रही थी। गीला बिस्तर छप छप की आवाज करने लगा था।
“रीता भाभी … आप का जिस्म कितना गरम है … ” उसकी सांसे तेज हो गई थी।
“दीपू … आह , तू कितना अच्छा है रे … ” उसके हाथ मुझे गजब की गर्मी दे रहे थे।
“भाभी … मुझे कुछ करने दो … ” उसका अनुनय विनय भरा स्वर सुनाई दिया।
” कर ले, सब कर ले मेरे दीपू … कुछ क्यों … आजा मेरे ऊपर आ जा … हाय, मेरी जान निकाल दे … “
मेरी बुदबुदाहट उसके कानो में जैसे अमृत बन कर कर उतर गई। वो जैसे आसमान बन कर मेरे ऊपर छा गया … नीचे से धरती का बिस्तर मिल गया … मेरा बदन उसके भार से दब गया … मैं सिसकियाँ भरने लगी। कैसा मधुर अनुभव था यह … तेज वर्षा की फ़ुहारों में मेरा यह पहला अनुभव … मेरी चूत फ़ड़क उठी, चूत के दोनों लब पानी से भीगे हुये थे … तिस पर चूत का गरम पानी … बदन जैसे आग में पिघलता हुआ, तभी … एक मूसलनुमा लौड़ा मेरी चूत में उतरता सा लगा। वो दीपू का मस्त लण्ड था जो मेरे चूत के लबों को चूमता हुआ … अन्दर घुस गया था।
मेरी टांगे स्वतः ही फ़ैल गई … चौड़ा गई … लण्ड देवता का गीली चूत ने भव्य स्वागत किया, अपनी चूत के चिकने पानी से उसे नहला दिया। दीपू लाईन क्लीअर मान कर मेरे से लिपट पड़ा और चुम्मा चाटी करने लगा … मैं अपनी आंखें बंद करके और अपना मुख खोल कर जोर जोर से सांस ले रही थी … जैसे हांफ़ रही थी। मेरी चूंचियां दब उठी और लण्ड मेरी चूत की अंधेरी गहराईयों में अंधों की तरह घुसता चला गया। लगा कि जैसे मेरी चूत फ़ाड़ देगा। अन्दर शायद मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मुझे हल्का सा दर्द जैसा हुआ। दूसरे ही क्षण जैसे दूसरा मूसल घुस पड़ा … मेरी तो जैसे हाय जान निकली जा रही थी … सीत्कार पर सीत्कार निकली जा रही थी। मैं धमाधम चुदी जा रही थी … दीपू को शायद बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिली थी, सो वो पूरी तन्मयता से मन लगा कर मुझे चोद रहा था। बारिश की तेज बूंदें जैसे मेरी तन को और जहरीला बना रही थी।
दीपू मेरे तन पर फ़िसला जा रहा था। मेरा गीला बदन … और उसका भीगा काम देवता सा मोहक रूप … गीली चूत … गीला लण्ड … मैं मस्तानी हो कर लण्ड ले रही थी। मेरे
शरीर से अब जैसे शोले निकलने लगे थे … मैंने उसके चूतड़ों को कस लिया और उसे कहा,”दीपू … नीचे आ जाओ … अब मुझे भी चोदने दो !”
“पर रीता भाभी, चुदोगी तो आप ही ना … ” दीपू वर्षा का आनन्द लेता हुआ बोला।
“अरे, चल ना, नीचे आ जा … ” मैं थोड़ा सा मचली तो वो धीरे से मुझे लिपटा कर पलट गया। अब मेरी बारी थी, मैंने चूत को लण्ड पर जोर दे कर दबाया। उसका मूसल नुमा लण्ड इस बार मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ मारता हुआ सीधा जड़ तक आ गया। मेरे लटकते हुये स्तन उसके हाथ में मसले जा रहे थे। दीपू की एक अंगुली मेरे चूतड़ों की दरार में घुस पड़ी और छेद को बींधती हुई गाण्ड में उतर गई।
मैं उसके ऊपर लेट गई और अपनी चूत को धीरे धीरे ऊपर नीचे रगड़ कर चुदने लगी। बारिश की मोटी मोटी बूंदें मेरी पीठ पर गिर रही थी। मैंने अपना चेहरा उसकी गर्दन के पास घुसा लिया और आंखें बन्द करके चुदाई का मजा लेने लगी। हम दोनों जोर जोर से एक दूसरे की चूत और लण्ड घिस रहे थे … मेरे आनन्द की सीमा टूटती जा रही थी। मेरा शरीर वासना भरी कसक से लहरा उठा था। मुझे लग रहा था कि मेरी रसीली चूत अब लपलपाने लगी थी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी थी। फिर भी हम दोनों बुरी तरह से लिपटे हुये थे। मेरी चूत लण्ड पर पूरी तरह से जोर लगा रही थी … बस … कितना आनन्द लेती, मेरी चूत पानी छोड़ने लिये लहरा उठी और अन्ततः मेरी चूत ने पानी पानी छोड़ दिया … और मैं झड़ने लगी। मैं दीपू पर अपना शरीर लहरा कर अपना रज निकाल रही थी।
मैं अब उससे अलग हो कर एक तरफ़ लुढ़क गई। दीपू उठ कर बैठ गया और अपने लण्ड को दबा कर मुठ मारने लगा … एक दो मुठ में ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया और बरसात की मूसलाधार पानी के साथ मिल कहीं घुल गया। हम दोनों बैठे बैठे ही गले मिलने लगे … मुझे अब पानी की बौछारों से ठण्ड लगने लगी थी। मैं उठ कर नीचे भागी। दीपू भी मेरे पीछे कपड़े ले कर नीचे आ गया।
मैं अपना भीगा बदन तौलिये से पोंछने लगी, पर दीपू मुझे छोड़ता भला। उसने गीले कपड़े एक तरफ़ रख दिये और भाग कर मेरे पीछे चिपक गया।
“भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !”
“सुन रे दीपू, तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !”
“नहीं रीता भाभी … मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ … देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है … प्लीज … बस एक बार … अपनी गाण्ड का मजा दे दो … मरवा लो
प्लीज … “
“हाय ऐसा ना बोल दीपू … सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा … ?” मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये। उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा।
” भाभी मेरा लण्ड चूसोगी … बस एक बार … फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !”
“हाय मेरे राजा … तू तो मेरा काम देवता है … “मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था। मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब दीपू भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले। मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा
हो गया था। मैं सुख से सराबोर हो रही थी। तभी दीपू ने तकिया लेकर कहा कि अपनी चूतड़ के नीचे ये रख लो और गाण्ड का छेद ऊपर कर लो।
पर मैंने जल्दी से करवट बदली और उल्टी हो गई और अपनी चूत को तकिये पर जमा दी। मैंने अपनी दोनों टांगे फ़ैला कर अपना फ़ूल सा भूरा गुलाब खिला कर लण्ड़ को हाज़िर कर दिया। उसका मूसल जैसा लण्ड चिकनाई की तरावट लिये हुये मेरे गुलाब जैसे नरम छेद पर दब गया। मैंने पीछे घूम कर उसे मुस्करा कर देखा। दूसरे ही क्षण लण्ड मेरी गाण्ड पर घुसने के लिये जोर लगा रहा था। मैंने अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ा और लण्ड का स्वागत किया। वो धीरे धीरे प्यार से अंधेरी गुफ़ा में रास्ता ढूंढता हुआ … आगे बढ़ चला। मेरी गाण्ड तरावट से भर उठी। मीठी मीठी सी गुदगुदी और मूसल जैसा लण्ड, पति से गाण्ड मराने से मुझे इस लण्ड में अधिक मजा आ रहा था। उसके धक्के अब बढ़ने लगे थे। मेरी गाण्ड चुदने लगी थी।
मैं उसे और गहराई में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। मेरे चूतड़ ऊपर जोर लगाने लगे थे। दीपू ने मौका देखा और थोड़ा सा जोर लगा कर एक झटके में लण्ड को पूरा बैठा दिया। मैं दर्द से तड़प उठी।
“साला लण्ड है या लोहे की रॉड … चल अब गाड़ी तेज चला … “
वो मेरी पीठ पर लेट गया। उसके हाथ मेरे शरीर पर चूंचियाँ दबाने के लिये अन्दर घुस पड़े … मैंने जैसे मन ही मन दीपू को धन्यवाद दिया। दोनों बोबे दबा कर उसकी कमर मेरी गाण्ड पर उछलने कूदने लगी। मैं खुशी के मारे आनन्द की किलकारियाँ मारने लगी। सिसकी फ़ूट पड़ी … । उसके सेक्सी शरीर का स्पर्श मुझे निहाल कर रहा था। मेरी चूंचियाँ दबा दबा कर उसने लाल कर दी थी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड की भरपूर चुदाई कर रहा था। मेरी चूत भी चूने लग गई थी। उसमें से भी पानी रिसने लगा था। मेरी गाण्ड में मनोहारी गुदगुदी उठ रही थी, अब तो मेरी चूत में भी मीठी सी सुरसराहट होने लग गई थी। मेरी चूत लण्ड की प्यासी होने लगी। हाय … कितना अच्छा होता कि अब ये लण्ड मेरी चूत की प्यास बुझाता … मैंने गाण्ड मराते हुये घूम कर दीपू को आंख से इशारा किया।
“आह्ह नहीं रीता भाभी … तंग गाण्ड का मजा ही जोर का है … पानी निकालने दो प्लीज !”
“हाय रे फिर कभी गाण्ड चोद लेना, अभी तो मेरी चूत मार दे दीपू !”
“तो ये ले भोसड़ी की … हाय भाभी सॉरी … गाली मुँह से निकल ही गई !”
“नहीं रे चुदाते समय सब कुछ भला सा लगता है … ” फिर मेरे मुख से सीत्कार निकल पड़ी। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से घुसेड़ दिया था … बस लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत को मिला … मेरी चूत फ़ड़क उठी। लड़कियों की चूत में लण्ड घुसा और वो सीधे स्वर्ग का आनन्द लेने लगती है। मेरी चूत की कसावट बढ़ने लगी … वो मेरे पीठ पर सवार हो कर चूत चोद रहा था। उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा … शायद लण्ड को अन्दर पेलने में तकलीफ़ हो रही थी। मेरी गाण्ड ऊंची होते ही उसका लण्ड चूत में यूं घुस गया जैसे कि किसी बड़े छेद में बिना किसी तकलीफ़ सीधे सट से मोम में घुस गया हो। मेरी चूत बहुत गीली हो गई थी। किसी बड़े भोसड़े की तरह चुद रही थी … उसने मेरे स्तन एक बार फिर से पकड़ते हुये अपनी ओर दबा लिये। मुझे चुचूकों को दबाने से और चूत में मूसल की रगड़ से मस्ती आने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत को तेजी से झटके मार मार कर चोद रहा था। अचानक उसका चोदने का तरीका बदल गया। करारे शॉट पड़ने लगे। मेरी चूत मे तेज आनन्द दायक खुजली उठने लगी। लगा कि चूत पानी छोड़ देगी।
“मां … मेरी … दीईईईपूऊऊऊ चोद मार रे … निकाल दे फ़ुद्दी का पानी … हाय राम जीऽऽऽऽ … मेरी तो निकल गई राजा … आह्ह्ह्ह” और मैंने अपना पानी छोड़ दिया …
उसका हाथ स्तनों पर से खींच कर हटाने लगी …
“बस छोड़ दे अब … मत कर जल रही है … ” पर उसे कहाँ होश था … मैं दर्द के मारे चीख उठी और दीपू … उसका माल छूट गया … उसकी चीख ने मेरी चीख का साथ दिया …
उसका लण्ड बाहर निकल आया और अपना वीर्य बिस्तर पर गिराने लगा। कुछ देर तक यूं ही माल निकलने का सिलसिला चलता रहा। फिर उस बिस्तर से उठे और हम दोनों दूसरे बिस्तर पर नंगे ही जाकर लेट गये … और फिर जाने कब हम दोनों ही सो गये।
मुझे लगा कि कोई मुझे बुरी तरह झकझोर रहा है … मेरी आंख खुल गई … सवेरा हो चुका था … पर ये दीपू … मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाने का प्रयत्न कर रहा था … मुझे हंसी आ गई … मैंने अपने दोनों टांगें पसार दी और उसका लण्ड अपनी चूत में समेट लिया। उसे अपने से कस कर सुला लिया। मैं सुबह सवेरे फिर से चुद रही थी … मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला रही थी … सोना नहीं … बस चुदती रहो … सुबह चुदाई, दिन को चुदाई रात को तो पूछो मत … शरीर की मां चुद जाती थी … हाय मैंने ये क्या कह दिया … Antarvasna Sex Stories
कई लोगों ने Sex Stories यह जानना चाहा है कि संभोग के पूर्व क्या किया जाना बेहतर हो सकता है! तो प्रस्तुत है सेक्स के जादुई आनंद का बटन – भगशिश्निका
अन्य नाम- शिश्निका, भगनासा, भग ! अंग्रेजी में clitoris, clit !
यह महिला के लिए सेक्स के जादुई आनंद का बटन है। भगशिश्निका मूलतः पुरुष के शिश्न की ही तरह है लेकिन आकार में काफी छोटी होती है। यदि इसे सही तरीके से सहलाया जाता है तो यह महिला को अत्यधिक आनंद व उत्तेजना प्रदान करती है। महिला के शरीर में भगशिश्निका ही ऐसी इकलौती इन्द्रिय है जिसका एकमात्र कार्य सेक्स-आनंद है। यह लगभग एक सेमी. लंबी होती है तथा योनि द्वार के ऊपर होती है।
शिश्न की ही तरह, भगशिश्निका की भी अग्र-त्वचा (foreskin) और एक दंड (shaft) भी होता है। लेकिन भगशिश्निका को सहलाने के कई तरीके होते हैं जो कि हर महिलाओं में अलग-अलग होते हैं। इसके लिए आपको स्वयं तलाशना होगा कि कौन सा तरीका आपकी महिला-साथी के लिये सबसे बेहतर हो सकता है। सबसे सही और शीघ्रता वाला तरीका तो यही है कि उसे कहें कि वह स्वयं अपने भगशिश्निका को सहला कर दिखाए, फिर आप उसके तरीके की नकल कर लें। कई महिलाएँ तो भगशिश्निका को सहला कर ही हस्तमैथुन की क्रिया को पूरा करतीं हैं। इसी दौरान आपको देखना होगा कैसे वह परम आनंद की ओर जाती है।
लेकिन कई महिलाएं इस प्रकार से हस्तमैथुन नहीं करतीं, तो कई महिलाएँ आपके सामने इस क्रिया को करने से हिचकिचा सकतीं हैं। इन परिस्थितियों में उसकी उत्तेजना के बारे में जानने के लिये आपको कई प्रयोग करने होंगे। इसके लिए आपको उसके भगशिश्निका को विभिन्न तरीकों से सहलाना होगा
यहाँ यह ध्यान यह रखें कि आप सीधे उसके भगशिश्निका तक न पहुंचें। हमेशा लैंगिक उत्तेजना की शुरुआत उसके शरीर से खिलवाड़ (foreplay) द्वारा करके उसे थोड़ी मीठी तरह से सताएँ। इसके बाद जब उसके भगशिश्निका के पास पहुंचें, तो उसके चारों ओर के क्षेत्र की मालिश करें या मसलें। यह क्रिया उसके भगशिश्निका में पर्याप्त मात्रा में रक्त भर देगी (शिश्न की तरह)। इसके पश्चात भगशिश्निका सीधे तरीके से खिलवाड़ के लिये तैयार होगी।
अभ्यास 1: भगशिश्निका के चारों ओर खिलवाड़
उसके भगशिश्निका के चारों ओर अंगमर्दन (Massage) करें: मसलन जंघा, उदर (पेट), कूल्हे। अंगमर्दन की यह क्रिया करते हुए आप शनैः-शनैः भगशिश्निका के निकट जाएँ। अंगमर्दन द्वारा भगशिश्निका के चारों ओर एक घेरा बनाएँ लेकिन भगशिश्निका को छुएँ नहीं। इस क्रिया को कुछ मिनटों तक दोहराते रहें। अब जब आप उसके भगशिश्निका तक पहुँचे तो अपनी एक उँगली के सिरे का उपयोग करें। उँगली द्वारा भगशिश्निका को काफी हल्के से वृत्ताकार घेरे में रगड़ें, फिर ऊपर-नीचे की दिशा अपनाएँ, फिर बाएँ व दाएँ की दिशा के अनुसार उँगली से सहलाएँ. यह सब इसपर निर्भर करता है कि उँगली की किस हरक़त को महिला अधिक प्राथमिकता देती है। क्योंकि हर महिला व हर भगशिश्निका अलग प्रवृत्ति की होती है। लेकिन सामान्य तौर पर पहली क्रिया काफी हल्के स्पर्श या छुअन के रुप में होनी चाहिए।
अभ्यास 2: भगशिश्निका से खिलवाड़
जब आप निश्चिन्त हो गए हों कि वह तैयार हो गई है तो आप अपनी उँगली के अग्रभाग को उसके भगशिश्निका पर ले जाएँ। यह तब अधिक सरल होगा जब उसके पाँव फैले हों। अब उसके भगशिश्निका को काफी हल्के तरीके से सहलाना शुरू करें। सबसे पहले गोलाई में सहलाएँ, फिर अन्य दिशाओं में भी प्रयत्न करें। साथ ही उससे पूछें कि वह किस स्थिति को अधिक पसंद कर रही है
इनके अतिरिक्त सबसे अच्छा मार्ग है कि उसके भगशिश्निका को उस तरह सहलाया जाए जिस तरीके से वह हस्तमैथुन करती है। इसके लिए उससे पूछें या उसे करके दिखाने को कहें। यदि वह कोई प्रस्ताव या सलाह देती है तो उसे स्वीकार करें। यहाँ पर यह अवश्य ध्यान रखें, जब भी आप उसके भगशिश्निका के समीप जाएँ तो अपने नाखून काट कर रखें या काफी छोटे रखें। भगशिश्निका की कोमलता के कारण लंबे और तीखे नाखून छिलने या कटने का कारण बन सकते हैं। इतना कुछ करने के बाद भी यदि आप प्रत्युत्तर नहीं पा रहे हैं तो समझें कि आप निश्चित तौर पर उसके भगशिश्निका को गलत तरीके से सहला रहे हैं (यह न भूले कि कभी कभी जो चीज किसी व्यक्ति के लिये सही होती है वही दूसरे के लिये गलत भी हो सकती है)।
यहाँ यह भी जानने योग्य है कि आप यदि गलत कर रहें हैं तो भी वह आपसे नहीं कहेगी। अतः आपको ही अपनी शैली में उससे पूछना पड़ेगा कि किस प्रकार से सहलाने पर उसे आनंद की प्राप्ति अधिक होती है। यदि एक बार आपने सही तरीका पा लिया तो उसे आप बेहतरीन सेक्स आनंद का लाभ दे सकते हैं और उसकी उत्तेजना को शिखर तक पहुंचा सकते हैं। Sex Stories
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मेरी एडल्ट स्टोरी के पिछले भाग
दिल्ली की वरजिन गर्ल की चुदाई-1
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने दिल्ली की एक वर्जिन लड़की को चुत चुदाई के लिए मनाया और एक होटल रूम में ले गया.
अब आगे:
तभी मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया और उसकी सलवार पैरों से आज़ाद कर दी. उसने सफ़ेद रंग की चड्डी पहनी थी. वो शरमा के दूसरे तरफ देख रही थी.
मैंने अपना शर्ट उतारा बनियान निकाली और पैंट उतारी अब मैं उसके सामने सिर्फ़ अंडरवीयर में था और वो मेरे सामने सिर्फ़ एक छोटी सी चड्डी में.
मेरा लंड तो एकदम खड़ा हुआ था, मैं बेड पे उसके ऊपर लेट गया और उसके बूब्स दबाने लगा। मैंने उसे कहा- मेरा लंड टेस्ट करोगी?
उसने न कहा, वो बोली- मुझे मुंह में नहीं लेना!
मैं बोला- ठीक है, तुम्हारी मर्ज़ी!
और फिर एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा।
उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी, मैंने हाथ फिर उसके चड्डी में डाल दिया तो वो सिहर गयी। मेरे हाथ को उसकी झांट के बाल लग गये, मैंने उसे पूछा- कभी इसे साफ नहीं करती?
उसने गर्दन हिला के न कहा।
मैं एक उंगली उसकी चूत के छेद पे फेरने लगा, वो आअहह ऊउफ़्फ़ आआह्हह स्सीईई आआह्हह करती रही, मैं फिर वही उंगली उसके चूत में घुसेड़ने लगा, वो फिर से चिल्लाने लगी, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत में चली गयी.
उसकी चूत काफी टाइट थी।
फिर मैं उंगली को अन्दर ही गोल गोल घुमाने लगा, वो सिर्फ़ आहह् उफ़्फ़ ऊओर सीए कर रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसके चड्डी से निकाला, उसकी चड्डी निकालने लगा वो शर्मा रही थी। मैंने उसकी चड्डी उसके पैरों से अलग कर दी और उसकी चूत देखने लगा।
तभी उसने अपने दोनों पैर एक के ऊपर एक रख दिये और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी. मैंने उसके दोनों पैर अलग कर के उसे पकड़ लिये और मुझे उसकी चूत दिखने लगी.
क्या चूत थी वो… एक दम कोरी चूत, चूत पूरी तरह से सील पैक थी।
मैंने फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी और उसके गुलाबी लिप्स पर अपने लिप्स रख कर किस करने लगा, साथ ही साथ उंगली अन्दर बाहर करने लगा।
वो एकदम पागल हो गई और मेरा हाथ पकड़ के ज़ोर ज़ोर से उंगली अन्दर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया।
मैंने सोच लिया कि यही सही टाइम उसे चोदने का क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी थी। मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया मेरा खड़ा हुआ लम्बा लंड देख कर वो हैरान हो गयी और बोली- मैं तो झूठ समझी थी पर तुम्हारा तो सचमुच बहुत लम्बा है.
मैं बोला- डरो नहीं, मेरा वादा है कि कुछ टाइम बाद तुम ही बोलोगी कि पूरा डालो, जोर जोर से!
फ़िर मैंने पैंट से कन्डोम का पैकेट निकाला।
मैंने उसे कहा- ये कन्डोम है। कभी देखा है?
उसने गर्दन हिला के न कहा।
मैंने उसमें से एक कन्डोम बाहर निकाला और उसे कहा- देख लो इसे लंड पे कैसे चढ़ाते हैं, अगली बार तुम्हें ऐसा वाला दूसरा कन्डोम मेरे लंड पे चढ़ाना होगा।
वो गौर से देखने लगी।
मैंने कन्डोम अपने लंड पे चढ़ा दिया. मैंने कल ही अपनी झांट के बाल साफ किये थे।
फिर मैंने उसकी दोनों टांगें घुटनों से मोड़ दी और जितनी हो सके उतनी फैला दी। अब उसकी चूत खुल चुकी थी और उसकी दोनों टांगों के बीच उसके ऊपर आ गया।
मैंने अपना लंड एक हाथ से उसकी चूत पे रख दिया और उसकी चूत पे रगड़ने लगा। वो बुरी तरह पागल हो गयी और मुझसे कहने लगी- प्लीज़ जल्दी डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत इस लंड से प्लीज़।
मैंने एक जोर से धक्का मारा, वो तड़प उठी और चिल्लाने लगी -उईइ म्ममाआअ म्माआरग्गग्गा आआ अययीई आआअहह मेरी चूत फट ग्गययीइ न्नीकआअलओ ईस्ससे आआअहह।
फिर थोड़ी देर मेरा लंड ऐसे ही रख के एक और जोर से धक्का मारा, वैसे उसकी सील टूट गयी और वो रोने लगी, वो चिल्ला उठी- आआहह प्लीज़ निकालो इससे मैं मर जाऊँगी प्लीज़।
वो तो शुक्र है कि मैंने टीवी पहले ही तेज आवाज़ में ओन किया हुआ था वरना होटल वाले आ जाते!
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, ऐसे ही पड़ी रहो, दर्द कम हो जायेगा.
हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे, उस वक्त मैं उसके बूब्स प्रेस कर रहा था और दूसरा चूस रहा था.
पांच मिनट बाद वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैं समझ गया कि अब चूत चुदवाने को लंड के धक्कों का इन्तजार कर रही है. मैं अपना लंड उसके चूत से अन्दर बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था, वो भी अपनी गांड ऊपर नीचे कर के रिस्पोंस देने लगी।
मैं फिर स्पीड बढ़ाते हुए जोर जोर से धक्के मारने लगा, वो चिल्ला रही थी जिससे मुझे और भी मज़ा आ रहा था।
थोड़ी ही देर में वो मुझसे लिपट गयी और उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
लेकिन मेरा लंड अभी भी जोश में था, मैंने उसको बोला- अब मैं तुम्हें डोगी स्टाइल में चोदूँगा.
वो झट से डोगी बन गयी, वाह पीछे से क्या शेप थी उसकी…
बिना टाइम वेस्ट किये मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और जोरदार धक्का मारा, एक ही धक्के में पूरा का पूरा लम्बा लंड उसकी चूत फाड़ता हुआ जड़ तक पहुंच गया वो चीखते हुई बोली- ऊओईई माआआअ, स्पर्श प्लीज़ आराम से!
फिर मैं धीरे धीरे उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद वो खुद पीछे की तरफ़ धक्के मारने लगी और बोलने लगी- स्पर्श, आज अपनी पूरी ताकत से मेरी चूत चोदो, जो होगा देखा जायेगा.
फिर क्या था, मैं पूरे जोश के साथ उसकी चूत चोदने लगा और वो ऊओहह, आआअम म्मम्म यीईस्स… ययीईस्स स्पर्श ययीईस्स… करने लगी.
करीब दस मिनट के बाद मैंने भी कंडोम में पानी छोड़ दिया और वो भी झड़ गयी.
फिर मैं उसके पीछे ही उसके चूत में लंड डाल के लेट गया।
कुछ मिनट बाद मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और उसके ऊपर से उठ गया और देखा तो उसके चूत से थोड़ा बहुत खून निकला था। खून और उसकी चूत के छोड़े हुए पानी से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
मैंने अपने लंड से कंडोम उतारा और उसे अपनी बाहों में उठा के टोइलेट ले गया। वहाँ उसे बैठा के ठंडे पानी से उसकी चूत साफ करने लगा। उसकी चूत में उंगली डाल के साफ करने की वजह से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसकी चूत साफ करके फिर उसे अपने बाहों में उठाया और बेड पे लाकर रख दिया।
अब मेरा लंड मेरा पसंदीदा शोट मारने के लिये बेकरार था।
पैंट से मैंने एक कंडोम निकाला और उसके हाथ में दे दिया और कहा- चढ़ा दो इसे मेरे लंड पे!
उसने उसमें से कंडोम बाहर निकाल के मेरे लंड पे रखा और उसे मेरे लंड पे चढ़ा दिया।
मैंने उसकी दोनों टांगें अपने कंधे पे रखी, नीचे से मैंने मेरा लंड उसकी चूत में पूरी तरह से घुसा दिया और उसकी बाहों में अपने दोनों हाथ डाल के उसे ऊपर उठाया। अब मैं खड़ा था, उसकी दोनों टांगें मेरे कंधे पे थी और मेरे दोनो हाथ उसके पीठ के पीछे थे।
वो पूरी तरह से बेंड हो चुकी थी, मेरा लंड उसकी चूत में था।
मैंने अपनी थोड़ी सी पीठ सपोर्ट के लिये दीवर पे टच की और अपनी कमर आगे पीछे करने लगा। इस पोजिशन में मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में चला जा रहा था।
जब मैं प्रिया को इस तरह से चोदता तो मुझे दिवार का सपोर्ट लेने की जरूरत न पड़ती क्योंकि वो सिर्फ़ बाईस साल की थी और उसका भार बहुत ही कम था।
मेरा लंड उसकी चूत से अंदर बाहर हो रहा था।
मैंने उसे पूछा- मज़ा आ रहा है न?
उसने हाँ कहते हुए कहा- ऐसे ही चोदते रहो मेरे स्पर्श। मैं तुम्हारी दीवानी हो गयी हूँ। शादी के बाद भी मैं तुम्हीं से चोदवाऊँगी. और ज़ोर से चोदो फ़ाड़ डालो मेरी चूत को और कस के… आअहह्हह आअहह्ह!
कुछ मिनट बाद मैंने उसे बेड पे टिका दिया और कुतिया की तरह होने को कहा। उसने अपने दोनों हाथ जमीन पे रखे और घुटनों के बल वो कुतिया की तरह हो गयी. मैंने उसके पैर थोड़े से फैला दिये और पीछे से मेरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और मैं उसे डोग शोट मारने लगा।
दस मिनट बाद मैंने पानी छोड़ दिया। इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने अपने लंड से कंडोम उतारा। दोपहर के साढ़े बारह बज गये थे, मैंने उसे कहा- कपड़े पहन लो, खाना खाने चलते हैं।
वो उठ के बाथरूम चली गयी, मैं भी उसके पीछे चला गया.
वो कहने लगी- तुम बाहर जाओ, मुझे पेशाब करना है.
मैंने कहा- इसमें इतनी शरमाने वाली क्या बात है?
और मैं उसके सामने पेशाब करने लगा। वो गौर से देख रही थी.
जैसे ही मेरी पेशाब खत्म हुयी वो बैठ गयी और पेशाब करने लगी। बड़ी जोर से धार मारी थी उसने। फिर वो खड़ी होकर पानी से पैर और चूत पे गिरा हुआ पानी साफ करने लगी। हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गये।
मैंने अपने कपड़े पहन लिये, उसने पहले अपनी चड्डी पहनी फिर ब्रा, मैंने उसके ब्रा के हुक लगा दिये।
फिर उसने अपनी सलवार पैरों में चढ़ायी और लास्ट में उसने कमीज़ पहनी, फिर उसने अपने बाल और कपड़े ठीक किये और हम खाना खाने के लिये चले गये।
खाना खाने के बाद वो बोली- एक बार और!
मैं बोला- नहीं, मुझे ढाई बजे तक कहीं काम से जाना है, अब तुम घर जाओ और यह मेरा नम्बर रखो फिर फोन करना!
हम दोनों ने एक दूसरे को अपने नम्बर दिये, फिर वो मुझे किस करने एक कोने में ले गयी और मुझे किस किया और बोली- प्लीज़ ज़ल्दी मिलना!
फिर वो वहाँ से चली गयी.
मैंने होटल का बिल दिया और अपने काम से चला गया। Sex Stories
तो फ़्रेंड्स, कैसी लगी मेरी एडल्ट स्टोरी?
दोस्तो, मेरा नाम दीपक है. मेरी मां का नाम रूपा है.
मेरी मां 20-22 साल की लड़कियों से ज्यादा सेक्सी लगती हैं.
उनकी बड़ी बड़ी चूचियां और गांड देख कर कोई भी उन पर फिदा हो जाएगा.
मेरे पापा आर्मी के जवान हैं तो साल में बस 2 बार घर आते हैं.
जिसके कारण मेरी मां की शारीरिक भूख नहीं मिटती है.
यह Xxx मॅाम फक स्टोरी तब की है, जब मैं छोटा था. पापा के यहां न होने के कारण मां बहुत उदास रहती थीं.
एक दिन मेरी मां जब मुझे ट्यूशन से घर ले जाने आई थीं तब उनके साथ एक आदमी खड़ा था और उनसे बात कर रहा था.
मैंने मां से पूछा कि ये कौन हैं?
मां बोलीं- बाबू, ये तुम्हारे अंकल हैं.
मैं कुछ नहीं बोला और उन दोनों के साथ घर आ गया.
घर आकर मैं टीवी देखने लगा.
मां कुछ देर बाद मेरे पास आकर बोलीं- बाबू तुम यहीं रुको. अंकल और मुझे काम है, तो हम दोनों दूसरे रूम में जा रहे हैं.
मैंने पूछा- क्या काम है मां?
मां बोलीं- बाबू मुझे टांग में दर्द है तो अंकल मेरी मालिश कर देंगे.
मां और अंकल रूम में चले गए और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.
मैं टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मां की कुछ आवाज आने लगी.
तो मुझे लगा मां को ज्यादा दर्द हो रहा होगा.
मैं तब भी उन्हें देखने के लिए खिड़की के पास आ गया.
उधर से मैं अन्दर देखने की कोशिश करने लगा.
मैंने देखा कि मां और अंकल दोनों नंगे हैं.
मां बिस्तर में लेटी हुई हैं और अंकल उनके ऊपर चढ़े हुए थे.
अंकल ने मां की दोनों टांगों को फैला रखा था और पता नहीं क्यों आगे पीछे हो रहे थे.
मैंने ध्यान से देखा कि अंकल जिससे सुसु करते हैं, उसे मां की सुसु वाली जगह में लगा कर अन्दर बाहर कर रहे हैं.
मां आह उह की आवाज़ कर रही थीं.
ऐसा बहुत देर तक होने के बाद अंकल की नुन्नू से कुछ सफेद रंग का रस सा निकल गया.
मां ने उस सफेद रंग के रस को उंगली से उठाया और मुँह में लेकर खा लिया.
फिर मां अंकल की नुन्नू को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
ऐसे करते करते अंकल की नुन्नू से फिर से वही पदार्थ निकला, जो सब अंकल ने मां के मुँह में गिरा दिया.
मां ने अपनी जीभ से अंकल की सुसू को चाट कर साफ कर दिया.
उसके बाद वे दोनों बिस्तर से जैसे ही उठ कर कपड़े पहनने लगे, मैं तुरंत टीवी देखने चला गया.
मां ने दरवाजा खोला और बाहर आईं.
उनके बाद अंकल बाहर आए.
दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्कान देते हुए देखने लगे.
फिर अंकल में मां को मेरे सामने ही किस किया और चले गए.
रात को मैंने मां से पूछा- मां आप आह उउह क्यूं कर रही थीं?
मां बोलीं- बेटा, बहुत दर्द कर रहा था.
मैंने कहा- मां अंकल आपके अन्दर क्या डाल रहे थे. मैंने खिड़की से सब देख लिया था.
मां शर्माती हुई बोलीं- अंकल मुझे दवाई दे रहे थे.
हम दोनों ने खाना खाया और सो गए.
मैंने अगले दिन विद्यालय में यह बात एक बड़ी उम्र के अपने दोस्त को बताई.
वो बोला- अबे चूतिये … वे अंकल तेरी मां चोद रहे थे.
मुझे दोस्त ने सब कुछ बताया कि चोदना मतलब सेक्स करना होता है और सेक्स में क्या क्या होता है, वह सब उसने डिटेल में बताया.
अब मैंने ध्यान दिया कि अंकल जब भी घर आते थे, वे मेरी मां को लेकर कमरे में चले जाते थे.
मैं खिड़की से सब देखने लगा था.
एक दिन मैंने मां से कहा- मैं कमरे में रह कर देखना चाहता हूँ कि अंकल आपको कैसे दवा लगाते हैं.
मां ने पहले तो इंकार किया फिर उन्होंने सोचा कि ये तो छोटा है, ये क्या समझेगा. इसे देख लेने देती हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है, मैं देखती हूँ.
अगले दिन अंकल ने मेरे सामने मां को चोद दिया.
मां मेरे सामने अंकल के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में ले रही थीं.
अब ऐसा अक्सर होने लगा.
मैं भी अपनी मां को चुदवाते हुए देखता और आनन्द लेता.
बाद में मुझे मालूम चला कि अंकल का एक सैलून है.
एक दिन उनका एक स्टाफ मुझे घर छोड़ने आया.
मेरी मां ने उसको अन्दर बुलाया.
उन दोनों में थोड़ी बात हुई; फिर दोनों रूम में चले गए.
मां ने दरवाजा खुला रखा था.
मैंने अन्दर देखा तो मां उसके साथ भी सेक्स कर रही थीं.
मुझे पता चल चुका था मेरी मां की प्यास ऐसे नहीं मिटेगी.
कुछ सप्ताह बाद मां और मैं गांव से शहर आ रहे थे.
तब मां को उनके स्कूल का दोस्त मिला.
उसने मां को जाने से रोक लिया.
तब मां और मैं उस आदमी के घर चले गए.
उसके घर के कमरे में उसके साथ 5 और लड़के रहते थे.
सब मेरी मां का फिगर देख कर पागल हो गए थे.
सबने मां को चोदने का प्लान बना लिया था.
रात को जब मैंने सोने का नाटक किया.
मेरी मां मुझे सोता समझ कर उनके पास उनके कमरे में चली गईं.
मैं मां के पीछे उस कमरे की खिड़की के पास आ गया.
मैंने देखा कि छहों लड़के नंगे हैं और मां के साथ बिस्तर में बैठे हैं.
कोई मां का गाल चूम रहा था. कोई मां का दूध दबा रहा था.
फिर सबने मां को पूरी तरह नंगी कर दिया और एक लड़के ने कैमरा लगा दिया.
फिर शुरू हुआ मां का सबसे दर्द भरा चुदाई का खेल!
मां को बिस्तर में लेटाया, फिर एक ने मां की चुत चाटने का काम शुरू किया, एक ने मां के मुँह में लंड पेल दिया.
कुछ देर बाद दो लड़कों ने एक साथ मां की चुत में अपना लंड डाल दिया.
मां दर्द से चिल्ला रही थीं, पर सब आज मेरी मां को चोद कर उनके छेद फाड़ देना चाहते थे.
पूरे 3 घंटे तक मेरी मां की इतनी चुदाई हुई कि मां की चुत का भोसड़ा बन गया था.
मां को देख कर लग रहा था कि वे अभी और चुदाई करने को तैयार हैं.
लेकिन सब लड़के थक गए थे.
मां की और ज्यादा चुदाई नहीं हो पाई. मैं वापस बिस्तर पर आकर लेट गया.
कुछ देर बाद मां मेरे पास आकर सो गईं.
कुछ समय बाद एक लड़का अन्दर आया और मां को मेरी बगल में ही चोदने लगा.
कमरे में अंधेरा था, तो कुछ नज़र नहीं आया. लेकिन मैंने सब कुछ सुन लिया.
मां मजे से आआह उउउ उह्ह्ह कर रही थीं और बोल रही थीं- साले धीरे कर … बाबू जाग जाएगा.
अपनी मां की इतनी चुदाई देख कर मैं भी उन्हें चोदना चाहता था.
अगले दिन हम दोनों उस घर को छोड़कर अपने घर लौट आए.
मां को मैं कामुक नज़रों से देखने लगा.
मैं बस मां को अभी चोदना चाहता था.
मां रोज रोज कॉलोनी के कोई भी अंकल के साथ संभोग कर लेती थीं.
यह खेल जारी रहा.
जब मैं 19 साल का हुआ. मैंने अपनी मां को एक लड़के के चोदते हुए पकड़ा.
मां को शर्म महसूस हुई.
मैं मां से बात नहीं कर रहा था.
तब मां मेरे पास आईं और बोलीं- बेटा तुम्हारे पिता साल में दो बार आते हैं और मैं अकेला महसूस करती हूँ.
मैंने कहा- तो आप किसी के साथ संभोग कर लोगी क्या?
मां बोलीं- किसी के साथ तो करना ही होगा अन्यथा मेरी प्यास कौन मिटाएगा.
मैंने कहा- मैं करूंगा.
मां बोलीं- नहीं, तुम मेरे बेटे हो. मैं यह कैसे कर सकती हूं!
मैंने कहा- मेरे साथ करोगी तो बाहर पापा का नाम बदनाम नहीं होगा.
मां बोलीं- ठीक है. पर किसी को बताना नहीं!
मैंने खुश होकर अपनी मां को चूमा और कहा- किसी को पता नहीं लगेगा.
फिर मैंने अपनी मां की चूचियों को पकड़ा और एक को मुँह में लेकर व दूसरी को हाथ से दबाना शुरू कर दिया.
मां कराहने लगीं- उफ्फ … मेरे बेटे और अधिक जोर के साथ करो.
मेरी मां को पसीना आ रहा था, वे बहुत सेक्सी लग रही थीं.
मैंने उनके सारे कपड़े खोल दिए.
मैं उनका जिस्म देख कर खुश हो गया.
मेरी मां इतना चुदने के बाद भी कितनी सेक्सी हैं.
मैंने माँ की चुत देखी, वह झांट रहित एकदम साफ थी.
मैंने चुत में उंगली करना शुरू कर दिया.
मां जल्दी ही अपने चरम पर आ गई थीं.
उन्होंने रस छोड़ा तो मैंने उनकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
कुछ मिनट तक चाटने के बाद वे फिर से झड़ गईं.
फिर मां ने मेरी जींस खोली.
उन्होंने मेरा विशाल लौड़ा देखा तो मां बड़ी उत्साहित हो गई थीं.
वे मेरे लौड़े से चुदवाने के लिए एकदम से व्याकुल हो गईं.
मां ने मेरा लवड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
मेरी मां ने अपने बेटे के लंड को 20 मिनट तक चूसा.
तब जाकर मैं झड़ पाया.
मां ने कहा- मुझे मालूम होता कि मेरे बेटे का लौड़ा इतना मस्त है, तो मैं क्यों किसी गैर के लंड से अपनी चुत फड़वाती फिरती.
अब मैंने अपनी मां को पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया.
मां मेरे सामने नंगी पड़ी थीं.
मेरा सपना सच होने को था.
मैं मां पर चढ़ गया और अपने लौड़े को उनकी चुत में पेल दिया.
मां दर्द से चिल्लाने लगीं और मुझे धक्का देती हुई भागने को हुईं.
पर मैंने उन्हें हिलने भी नहीं दिया.
मैं उन्हें एक हिम मानव की तरह चोद रहा था.
मां ने चिल्लाना बंद नहीं किया.
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ रुक जाऊं क्या?
उन्होंने जवाब दिया- नहीं मेरे बेटे, यह पहली बार है जब मुझे इतना मज़ा आ रहा है … तुम बस करो.
यह सुनने के बाद मैं उन्हें और तेजी से चोदने लगा.
मैंने उन्हें एक घंटे से ज्यादा चोदा होगा.
उतनी देर में मां न जाने कितनी बार स्खलित हुई होंगी, मुझे पता नहीं.
मैं अपनी आंखें बंद करके Xxx मॅाम फक का मजा ले रहा था.
फिर मैं चरम पर आया और लौड़ा निकाल कर मैं मां के पेट के ऊपर ही झड़ गया.
मेरी मां मुझसे चुदवा कर बेहद खुश थीं.
उन्होंने भरपूर आनन्द लिया था.
मां ने मुझसे कहा- अब से तुम मेरी रोज चुदाई करोगे.
अब मैं 25 साल का हो गया हूं. मैं शादीशुदा भी हो गया हूं. मेरे 2 बच्चे भी हैं लेकिन मैं अभी भी अपनी Xxx मॅाम को चोदता हूँ.
मेरी पत्नी को भी मालूम है कि मेरी मां को लंड की भूख रहती है; वह मां की चुदाई को सामने बैठ कर देखती है.
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