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Massage Girl in Salem: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Salem who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Salem that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Salem massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Salem who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Salem massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Salem massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Salem who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Salem employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Salem helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Salem

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Salem at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

मेरा नाम अमित है। काफी दिनों Antarvasna से सोच रहा था कि मैं भी अपनी कहानी सबको बताऊँ। आखिर यहीं से कहानियाँ पढ़ के मैं भी बड़ा हुआ हूँ। यहीं मैंने मुठ मारना सीखा, यहीं से मेरी सोच में सारी औरतें और लड़कियाँ एक सी लगने लगीं, इसलिये आज मैं आप सबको अपनी कहानी सुना रहा हूँ।

मेरा नाम तो आप जान ही गए हैं। मेरी माँ का नाम अनिता है। मैं एक संयुक्त परिवार में रहता हूँ। मेरे परिवार में मेरी दो चाचियाँ हैं, बड़ी चाची का नाम अनीता और छोटी चाची का नाम हेमा है। मेरी माँ की उमर 42 होगी, अनीता चाची 36 की हैं और हेमा चाची 32 की। मेरी एक दीदी का नाम सीता है जो 21 साल की है।

बात उस समय की है जब मैं 12वीं की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चला गया था, वहीं पे मुझे इन कामुक कहानियों की आदत पड़ी। इन कहानियों में तो माँ बहन का कोई लिहाज होता नहीं है और कहानियाँ पढ़ने में काफी रोचक होती हैं तो मैं सारी कहानियाँ पढ़ जाता हूँ। उसके बाद से जब कभी भी मैं घर वापस जाता तो मेरे दिमाग में यही कहानियाँ चलती रहती थी। इन कहानियों ने मेरी जिंदगी ही बदल दी या फिर यह भी कह सकते हैं कि मेरी लाइफ बना दी।

मैं घर पे काफी अकेला-अकेला सा रहने लगा। अकेले में अन्तर्वासना कहानियों को याद करके मैं दिन में कई बार मुठ मारता था।

एक दिन जब मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया तो देखा वहाँ अनीता चाची की पेंटी और ब्रा लटक रही थी। शायद चाची उन्हें ले जाना भूल गई थी। यह पहली बार था कि मैं किसी औरत की पेंटी और ब्रा इतनी पास से देख रहा था। मेरा हाथ रोके नहीं रुका और मैं उनको अपने हाथ में ले के सूंघने लगा, उसकी मादक सुगंध से मैं मदहोश होने लगा। मैं पेंटी को अपने मुँह में लेके चूसने लगा. मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अनीता चाची की चुत चूस रहा हूँ। उसके बाद मैं ब्रा को भी मुँह में ले के खेलने लगा।

उस दिन पहली बार मेरा लंड इतना बड़ा लग रहा था। मेरे लंड का आकार इतना बड़ा आज तक नहीं हुआ था। उसके बाद मैंने अपने लंड से पेंटी और ब्रा को खूब चोदा, उसे लंड में लपेट के मैंने अपना मुठ उसी में गिरा दिया, फिर अच्छे से धो के चाची की ब्रा और पेंटी वहीं रख दी। उस दिन हिलाने में जितना मजा आया था उतना पहले कभी नहीं आया था।

मैं नहा कर नाश्ते के लिए गया, वहाँ अनीता चाची ही खाना खिला रही थी। चाची मुझे देख के मुस्कुराई। आज मैं चाची को देख के उनको देखता हो रह गया, वो भी मुस्कुराती ही जा रही थी। चाची ने हाफ ब्लाउज पहन रखा था, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं बता नहीं सकता। मैंने तो सोच लिया कि आज के बाद मैं जब भी मुठ मारूंगा, चाची की पेंटी ब्रा ले के ही मारूंगा और चाची को ही याद करके अपना रस निकालूँगा।

अगले दिन जब चाची नहा के निकली, मैं नहाने के लिए जल्दी से बाथरूम की ओर दौड़ा ताकि कोई और ना चला जाए बाथरूम में। पर अन्दर जाते ही मुझे काफी निराशा हुई। इस बार चाची ने वहाँ अपने कोई कपड़े नहीं छोड़े थ। मैं उदास मन से नहा के बाहर आ गया।
अपने कमरे में जा के भी मैं यही सोच रहा था कि आज कैसे मुठ मारी जाए। तब मैं हिम्मत करके छत पे गया, वहाँ देखा तो चाची की पेंटी लटक रही थी। मुझे लगा कि यहाँ पर मुठ मारूंगा तो अच्छा नहीं होगा। सो मैंने उसे अपने अंडरवियर में छुपा लिया और अपने कमरे में चला गया। चाची की पेंटी को छूते ही अन्दर मेरा लंड जाग गया था। फिर कमरे में जाकर मैंने जी भर के मुठ मारी, फिर पेंटी को धो के वहीं लटका आया।

फिर मैंने इसी तरह काफी दिनों तक अनीता चाची की मदद से मुठ मारते हुए काफी मज़े लिए। इससे मेरी हिम्मत भी बढ़ती जा रही थी। अब मैं कभी कभी कमरा खुला छोड़ के मुठ मारने लगा था। अब मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि केवल मुठ मार के मेरा मन नहीं भरता था। अब चाची के कपड़ो से मेरा लंड कड़क नहीं हो पाता था। मुझे लगा कि अब कुछ करना पड़ेगा।

मैं अब अनीता चाची के कमरे में ताक-झांक करने लगा, यह सोच कर कि कभी मैं चाची को नंगा देख सकूँ तो मजा आ जाए। बाथरूम में तो कई बार कोशिश कर चुका था पर चाची हमेशा बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लेती थी, इसलिए मुझे सफलता नहीं मिल पाई थी।

एक दिन दोपहर में जब काफी गर्मी थी तो मैं खाना खा के चाची के कमरे में चला गया। वहाँ खिड़की में काफी बड़े-बड़े परदे लगे हुए थे। उसमें कोई भी आसानी से छुप सकता थ। गर्मी इतनी थी तो मैंने सोचा शायद चाची जब काम करके आएगी तो कुछ कपड़े तो जरूर उतारेंगी, यही सोच कर मैं परदे के पीछे छुप गया। थोड़े देर बाद जब चाची आई तो मेरा सोचना सही निकला।

चाची ने कमरे का दरवाज़ा बंद करके तुंरत ही साड़ी उतार फेंकी। मैं तो देखता ही रह गया। चाची ब्लाउज और साये में काफी खूबसूरत लग रही थी। चाची बिस्तर पर लेट गई पर गर्मी इतनी थी कि चाची को अभी भी पसीना आ रहा था। चाची से रहा नहीं गया, उन्होंने साया पूरा उपर कर लिया। अब मैं उनकी जांघों का मजा ले रहा था। उन्होंने गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी, वो पसीने से भीग चुकी थी। मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि आज इतनी गर्मी हो कि चाची पूरी नंगी हो जाए और मेरा सपना पूरा हो जाए। पर भगवान ने मेरी सुनी नहीं। चाची साया ऊपर करके ही सो गई।

काफी देर इन्तज़ार करने के बाद मैं उनकी जांघों को ही देख के मुठ मारने लगा और रस को अपने हाथ में गिरा लिया ताकि किसी को पता न चले और खिड़की से ही कूद के अपने कमरे में चला गया।

दूसरे दिन भी मैं आशा लगा के वहीं छुप गया। आपको यकीन नहीं होगा कि अगले दिन भगवान ने मेरी सुन ली थी। चाची ने आते ही साड़ी ब्लाउज और साया तीनों उतार कर फ़ेंक दिए। पेंटी और ब्रा में चाची किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। चाची बिस्तर पे लेट गई और अपने हाथ से पेंटी को सहलाने लगी। मुझे लगा कि चाची ऐसे ही सहला रही है, पर चाची ने जब अपनी चुत में अपनी ऊँगलियाँ डालनी शुरू की तो मुझे लगा कि आज चाची गरम हैं, आज वो भी मुठ मारने वाली हैं। मुझे तो स्वर्ग मिल गया था।

चाची ने फिर फिर अपनी पेंटी उतार दी और मैं उनकी चुत को देखता रह गया। और चाची ने फिर अपनी ब्रा भी उतार कर फ़ेंक दी। उनकी चुचियों को पहली बार मैं ऐसे नग्न देख रहा था। 38 इंच की उनकी चूचियाँ बस मेरी हालत ख़राब कर रही थी। इतनी बड़ी चूचियाँ मैंने तो सपने में ही देखी थी। उधर मेरा हाथ मेरे लंड की माँ बहन एक कर रहा था। मुझे पता भी नहीं चला कब चाची उठ कर खिड़की की तरफ़ आने लगी। मैंने जैसे ही देखा तो मैं जल्दी से खिड़की से कूद के भाग गया।

मैं इतना गरम हो चुका था कि खुले दरवाज़े ही मैं अपने बिस्तर पर लेट के ज़ोर ज़ोर से लंड हिलाने लगा। हिलाते हिलाते जब मेरी नज़र दरवाज़े पर गई तो मैं तो बस पत्थर हो गया। देखा कि चाची मुझे देख रही हैं। चाची को देखते ही मेरा लंड एकदम सिकुड़ गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ!

तब चाची ही बोली- क्या कर रहा है रे अमित?

मैं- कुछ नहीं चाची!

चाची- कुछ नहीं का मतलब? तू ये सब कब से कर रहा है और किसने सिखाया तुझे ये सब! हाँ?

मैं- चाची, मैं कभी कभी करता हूँ, वो मेरे एक दोस्त ने बताया था इसके बारें में!

चाची- तूने ऐसे ऐसे दोस्त बना के रखे हैं जो तुझे ये सब सिखाते हैं?

मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये, मैं आगे से कभी नहीं करूँगा! और प्लीज़ किसी को नहीं बताइयेगा!

चाची- ठीक है वो सब, मैं किसी को नहीं बोलूंगी पर तू मेरे जवाबों का सही सही जवाब देगा तब!

मैं- हाँ चाची, मैं आपको सब सच सच बोलूँगा।

चाची- किसके बारे में सोच के अभी तू हिला रहा था?

मैं- सच बोलूं चाची? आपको सोच के हिला रहा था!

चाची- मुझे सोच के हिला रहा था या देख के हिला रहा था? तू मेरे कमरे में था ना खिड़की के पास?

मैं- नहीं चाची, मैं नहीं था!

चाची ने मेरे गाल पे एक ज़ोर से तमाचा मारा।

चाची- तूने बोला कि सब सच बोलूँगा और तू झूठ बोले रहा हैं। मैंने तो कल ही समझ लिया था जब मैंने खिड़की के परदे के नीचे तेरे रस की कुछ बूंद देखी। क्यूँ तेरे ही काम थे थे ना वो?

मैं- चाची, पता नहीं कैसे गिर गया वो, मैंने तो हाथ में ही निकाला था। सॉरी चाची…!

चाची- और तू ही मेरे ब्रा और पेंटी ले के उसमें मुठ मारता है ना? वो सब दाग तुमने ही लगाये थे न मेरे कपडों में?

मैं- चाची आपको वो भी मालूम चल गया? पर मैं तो उसे धो देता था!

चाची- अरे इसके दाग ऐसे ही थोड़े चले जाते हैं, और फिर मैं तेरी चाची हूँ रे! कोई दूध पीती बच्ची नहीं ..तुझे ये क्या सूझी रे कि तूने अपने चाची को अपनी मुठ मारने का जरिया बना लिया?

मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये, पर क्या करूँ आप हो ही इतनी सेक्सी कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया!

चाची- तुझे ये 36 साल की औरत सेक्सी लगती है रे… तू भी ना!… अच्छा सुन ये अच्छी बात नहीं है.. ज्यादा मुठ मत मारना.. और अगली बार जब मुठ मारने का मन करे मुझसे कपड़े मांग लेना, मैं दे दूंगी, ऐसे चोरी मत कर! एक दिन पकड़ा जाएगा.. पर ज्यादा नहीं, हफ़्ते में 2 बार से ज्यादा नहीं मारना, ठीक है…?

मैं- हाँ चाची.. आप बहुत अच्छी हो…!

फिर मैं चाची से उनकी पेंटी और ब्रा मांग के हिलाने लगा. मुझे ऐसा लगने लगा था की चाची मेरे इस आदत का मजा ले रही है. मुझे ऐसा भी लग रहा थी चाची शायद मुझे अपनी चुत भी मारने दे! मुझे लग रहा थी कैसे चाची से बात करूँ इस बारें में। दूसरे दिन जब मैं चाची से उनकी पेंटी मांगने गया तो चाची की बातें बहुत मजेदार थी.

चाची- कल ही तो ली थी तुमने, आज फिर से चाहिए, कितना मनचला हो गया है मेरा भतीजा! आज कोई पेंटी नहीं मिलेगी! वो छत पर ही है और मैं नहीं लाने वाली…

मैं- चाची मैं तो मर जाऊँगा अगर नहीं मुठ मारूँगा तो, चाची दो ना ऐसा मत बोलो..!

चाची- अरे तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूँ? तू खोज ले पूरे कमरे में, यदि मिल जाए तो ले ले…

मैंने सब जगह देखा, पर शायद चाची सच बोल रही थी, मुझे कहीं भी ब्रा या पेंटी नहीं मिली। तब मुझे एक आईडिया आया!

मैं- चाची आप सच बोल रही थी, पर मुझे एक मिल गई…आप दोगी न उसे…?

चाची- मिल गई तो ले ले , पूछ क्यूँ रहा है?

मैं- चाची वो तो आपको देनी होगी, आपने जो अभी पहन रखी है मुझे तो वही पेंटी चाहिए…!

चाची- पागल हो गए हो क्या, ये नहीं मिलेगी, गन्दा कर दोगे, मैं क्या पहनूंगी उसके बाद? नहीं मैं नहीं दे सकती! जा आज तू कुछ और उपाय कर..!

मैं- चाची, आप ऐसा मत करो, मैं आपकी मिन्नतें करता हूँ.. आप जो बोलोगी मैं करूँगा पर आज मुझे अपने पेंटी दे दो.. आज मैं उसकी ताज़ी सुगंध से मस्त हो जाना चाहता हूँ…!

चाची- जो बोलूंगी वैसा करेगा तब दे सकती हूँ…!

मैं- चाची आप एक बार बोल के देखो तो , आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा!

चाची- आज तब तू मेरे सामने हिलाएगा… जो भी करेगा मेरी पेंटी के साथ, वो मेरे सामने करना पड़ेगा…!

मैं- चाची पर आपके सामने तो मेरा खड़ा भी नहीं होगा डर से.. आपने देखा नहीं था? जिस दिन अपने मुझे मेरे कमरे में पकड़ा था, मेरा कैसे सिकुड़ के छोटा हो गया था…

मुझे ऐसा लगने लगा कि आज तो मैं सफल हो ही जाऊँगा, लगा चाची आज गरम है और वो आज मुझे चोदने दे सकती है।

इसलिए मैंने चाची से फिर से बोला…

मैं- चाची पर एक बात बोलूं! यदि आप मेरी मदद करो तो शायद मेरा लंड खड़ा हो जाएगा… चाची! बोलो आप मेरी मदद करोगी न…?
चाची- मैं कैसे मदद करुँगी?
मैं- चाची यदि आप मेरे लिए अपने सारे कपड़े निकाल दोगी तो मेरा लंड जरूर खड़ा हो जाएगा…!

चाची- बदमाश कनीं का! आज तू मुझे नंगा होने के लिए बोले रहा है..? तेरी इतनी हिम्मत…? तुझे मैं अपने कपड़े देने लगी तो तू कुछ भी बोलेगा? जाके के तेरी मम्मी को सब बोले दूंगी!

मुझे लगा चाची गुस्सा कर रही हैं, सो मैंने सोचा छोड़ दें, पर फिर लगा नहीं एक बार और कोशिश की जाए, शायद चाची ऐसे ही मजाक कर रही हो.. फिर यदि चाची फिर से गुस्सा करेगी तो मैं माफ़ी मांग लूँगा…

मैं- चाची आप गुस्सा मत करो, ठीक है आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा… पर चाची एक बात पूछूं?
चाची- हाँ पूछ!
मैं- चाची आप वादा करो इस बार गुस्सा नहीं करोगी?
चाची- हाँ रे! ठीक है, नहीं करूंगी गुस्सा..

मैं- चाची जब पहले दिन आपने ये पता लगा लिया था कि मैंने खिड़की के पीछे खड़ा हो के वहाँ पे मुठ मारा था..तो फिर दूसरे दिन आप कमरे में आ के पूरी नंगी क्यूँ हुई थी…? सच बोलो चाची! आप जानती थी ना कि मैं वहाँ हूँ! और आप मुझे दिखा के मुठ मार रही थी ना…?
चाची- तूने तो मुझे चुप करा दिया रे…! अब मैं क्या बोलूं, हाँ मुझे यकीन था कि तू वहाँ है, इसलिए मैंने वो सब कुछ किया था, और मैं जानबूझ के खिड़की की तरफ़ गई ताकि तुझे पकड़ सकूँ पर तू भाग गया था।
मैं- चाची जब आप उस दिन नंगी हो सकती थीं तो आज क्यूँ नहीं? चाची आज तो आपको अब नंगी होना ही होगा..!
चाची- ठीक है अब तो मना भी नहीं कर सकती..!

उसके बाद चाची ने अपनी साड़ी उतार दी… फिर ब्लाउज और साया भी साइड में फेंक दिया.. और पेंटी को स्टाइल से खोल के मेरी तरफ़ फेंक दिया..
चाची- ले बदमाश ले सूंघ और हिला अपने लंड को..!
मैंने चाची की पेंटी को नाक से लगाया… उसकी मादक सुगंध से मेरा लंड तन गया.. फिर चाची को देख के लंड तड़पने लगा..

मैंने सोचा आज मौका है आज चाची से बोलता हूँ कि मेरी लंड की मालिश करें..!
मैं- चाची अपनी ब्रा उतारो ना, आपकी चूची देखनी हैं..!
चाची- क्यूं रे! क्या करेगा मेरी चूची देख के?
मैं- चाची आपके शरीर में सबसे प्यारी चीज़ तो आपकी चूची है.. उसे देख के मेरा लंड और भी तन जाएगा।
चाची- तुझे मेरी चूची इतनी अच्छी लगती है,
मैं- हाँ चाची आपकी चूची तो सारी ब्लू फ़िल्म की नायिकाओं से भी अच्छी है।
चाची- ठीक है, लगता है तू चूची का शौकीन लगता है.. ले देख मेरी चूची.. और अच्छे से हिला ..!

मैं- चाची एक बात पूछूँ , आप चाचा के लंड को छूती हैं ना?
चाची- हाँ तेरे चाचा के लंड पर तो मेरा अधिकार है.. उसे मैं छूती ही हूँ!
मैं- चाची मेरे लंड पे भी तो आपका अधिकार होता है.. तो आप मेरे लंड को पकड़िये ना.. देखिये ना कैसे ये लंड आपके हाथों में आने के लिए तड़प रहा है।
चाची- नहीं रे..! तू पागल हो गया है क्या..? मैं नहीं छूती तेरा लंड.. चल हिला अपना लंड ख़ुद से…!

फिर मैं चाची के पास जा के लंड हाथ में ले के- चाची लो ना देखो कितना तड़प रहा है ये.. ले लो ना चाची.. आपके हाथ का सोच के ही ये हाल है… यदि आपने इसे हाथ में ले के थोड़ा प्यार से हिला देंगी तो सोचो कि ये कितना खुश होगा।

फिर चाची के हाथ पे ज़बरन मैंने अपना लंड रख दिया.. चाची ने अब मना नहीं किया.. चाची ने जैसे मेरे लंड को प्यार से सहलाया.. मुझे लगा कि झड़ जाऊँगा..

मैं- चाची मेरा रस निकलने वाला है..
चाची- इतनी जल्दी…
मैं- चाची क्या करूँ आपके छूने से मेरा रस उबलने लगा था.. अब नहीं रहा जा रहा है…

इतनी बात करते ही मैंने अपना रस निकाल दिया.. जो चाची के बूब्स पे गिरा… चाची और भी सुंदर लग रही थी..
मैं- सॉरी चाची.. सारा आपके चूचियों पर गिर गया… मैं साफ़ कर दूँ?
चाची- अब तू चूची को हाथ लगाने के बहाने निकाल रहा है.. जरूरत नहीं है.. जा भाग अब..!

मैं- चाची आपका मन नहीं है ना मुझे भगाने का! मुझे पता है आप मुझे सब कुछ करने को देंगी.. देंगी ना चाची?
आप मेरी सबसे अच्छी चाची हो..
चाची- चल हट यहाँ से.. क्या क्या करना है तुझे रे… ज़रा बता तो एक बार..!
मैं- चाची मैं आपको चूमना चाहता हूँ, आपकी दूध पीना चाहता हूँ, आपकी चुत का मजा लेना चाहता हूँ, आपकी चुत का रस पीना है मुझे! फिर मुझे आपको चोदना भी है…

चाची- तू तो एकदम हरामी हो गया है रे.. अपनी चाची को ही चोदेगा… तू तो मादरचोद निकल गया है… तुझसे तो बच के रहना पड़ेगा..

मैं- चाची आप गली भी देती हैं… आप भी कम हरामी थोड़े हैं, आपने अपने भतीजे का लंड पकड़ा है.. उसे अपनी कपड़े दिए हैं.. उसके सामने मुठ भी मारी है.. चाची मुझे मालूम हो गया कि आप बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं… चाची सच बोलिए आपको मेरा लंड चाहिए ना…?

चाची- तू तो बड़ा हरामी है रे… मैंने तेरी मदद की तो आज मुझे ही चुदासी बना दिया.. आज से तुझे कुछ नहीं मिलेगा!
मैं- चाची आप ऐसा नहीं करो, मैं तो मर जाऊँगा.. मैंने तो सोचा कि ऐसा बोलने से आप मुझे चोदने दोगी तो मैंने बोल दिया.. मुझे माफ़ कर दीजिए।

चाची- ऐसा बोलने से कोई तुझे चोदने दे देगा..
मैं- तब चाची कब कोई मुझे चोदने देगा.. बोलिए न चाची मुझे आप कब चोदने दोगी?

चाची- तू नहीं मानेगा न.. ठीक है चल तू अपनी माँ के सामने यदि मुझसे बोलेगा कि चाची चोदने दो.. और तेरी माँ भी बोलेगी कि हाँ चुदा ले तो मैं तुझसे जरूर चुदवाऊँगी।
मैं- चाची इतनी मुश्किल शर्त रख दी आपने.. ठीक है मैं आज डिनर के समय ही मम्मी से बात करूँगा..!

फिर उस दिन डिनर पर मैं चाची और मम्मी के साथ ही खाने को बैठा, मुझे काफी डर लग रहा था कि मम्मी से कैसे बात की जाए.. फिर अचानक लगा कि कुछ घुमा के मम्मी से बात कर लेते हैं..

मैं- चाची आप मेरे इच्छा पूरी नहीं करोगी ना, मैं कब से आपसे एक चीज मांग रहा हूँ.. आप क्यूँ नहीं देतीं?
मम्मी- क्या हुआ अमित क्या चाहिए तुझे चाची से, जो वो नहीं दे रही है..
मैं- कुछ नहीं मम्मी! एक बहुत प्यारी चीज है चाची के पास मैं वही मांग रहा हूँ.. पर चाची देने को तैयार ही नहीं होती!
मम्मी- क्यूँ री अनीता! मेरे बेटे को वो चीज क्यूँ नहीं दे देतीं? देख बेचारा कितना परेशान है?
चाची- ठीक है दीदी! मैं आज ही दे दूँगी इसे..

मैं तो उछल पड़ा.. मैंने मम्मी से हाँ तो करवा लिया था.. फिर चाची ने मुझसे कहा कि कल लंच के बाद आ के ले लेना अमित…!

उसके बाद मैं हवा में उड़ने लगा था, मैं बस किसी तरह चाहता था कि रात ख़त्म हो.. और लंच का टाइम आ जाए… उस दिन रात काफी लम्बी लग रही थी .. पर आखिर में मेरा इंतज़ार ख़त्म हो गया.. सुबह मैं काफी अच्छे से नहा के सेंट वेंट लगा के लंच करने गया.. जल्दी से लंच करके चाची के कमरे में जा कर इन्तज़ार करने लगा चाची का..! आज मैं चाची को चोदने वाला था.. यह सोच कर मेरा मन फ़ूला नहीं समां रहा था.. फिर चाची कमरे में आई..

मैं बेड पे लेट के टीवी देख रहा था..
चाची- तो अमित आखिर तुमने अपना दिमाग लगा के माँ से हाँ करवा लिया न!
मैं- चाची मैं आपको चोदने के लिए कुछ भी कर सकता था!

चाची- आज तो चाची भी तुझसे चुदना चाहती है.. देख अच्छे से चोदना चाची को.. जल्दी बाज़ी में मत चोदना.. जैसे बोलूँ वैसे चोदना!
मैं- चाची आप जैसा बोलोगी, मैं वैसे ही चोदूँगा!
चाची- तू आ आज तू मेरी कपड़े उतार!

फिर मैं चाची के पास गया और चाची की साड़ी उतार दी.. फिर चाची की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.. फिर चाची ने ख़ुद ही ब्लाउज उतार दिया.. फिर मुझे लगा कि चाची को पूरा नंगा कर दूँ.. और मैंने चाची की ब्रा, साया, पेंटी सब निकाल दिया.. फिर चाची बिस्तर पर लेट गई और मैं चाची को खड़ा देखने लगा.. चाची को ऐसे देख के तो किसी मुर्दे में भी जान आ जाती..

चाची- क्यूँ रे दूर से ही देखता रहेगा.. या पास भी आएगा.. आ मेरे पास आ ना..
मैं चाची के पास जा के बैठ गया..
चाची- तू कल बोल रहा था न मेरा दूध पिएगा.. ये ले आ जा मेरे दूध पी जा..

मैं भी चाची के चूचियों को प्यार से सहलाने लगा.. उनकी चूचियाँ मेरे हाथों में नहीं आ पा रही थी.. इतनी बड़ी और इतनी मुलायम चूची… बस मन कर रहा था कि दबाता ही रहूँ। फिर मैं चाची की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.. और दूसरी को पूरी ताकत से दबा रहा था.. चाची बड़े प्यार दे मुझे अपना दूध पिला रही थी.. हालाँकि चाची की चूची में दूध अब आता नहीं था, पर चाची की चूची बहुत स्वादिष्ट थी..

मैं- चाची आपने तो बोला दूध पियो.. पर आपके चूची से तो दूध नहीं निकाल रहा है.. चाची अब दूध कैसे पियूँ?
चाची- अरे मेरे लाल… चूची का दूध ख़त्म हो गया है.. पर आ तुझे अपना खास दूध पिलाती हूँ, मेरी चुत पे जा और चाट जा चुत का सारा दूध…

मैं- चाची आपकी बूर का रस मीठा है न?
चाची- तू चख के देख ले.. चूची का दूध भूल जाएगा..

फिर मैं चाची की चुत के पास जाकर बैठ गया.. चाची की चुत में हल्की हल्की झांट थी.. जो पसीने से भीगी हुई थी.. मैंने पहले चाची की झांट को चाटा.. चाची की झांट इतनी नमकीन थी कि बस चाटने का ही मन कर रहा था.. चाची उधर अपनी गांड उठा उठा कर मुझे इशारे कर रही थी कि चुत चाट..

तो मैंने सोचा कि अब चाची को ज्यादा न परेशान करूँ..फिर चाची की चुत को प्यार से सहलाया.. चाची की चुत तड़प में गीली हो गई थी.. मैंने पहले चाची की चुत में अपनी एक उंगली डाली, वो चाची की चुत में काफी आराम से आ जा रही थी.. तब मैंने दो दो उंगलियाँ एक साथ घुसाना शुरू किया. तब चाची को मजा आने लगा.. चाची हल्की हल्की आवाज़ निकलने लगी..

चाची की आवाज़ सुन के मैं और तेज़ी से उनकी चुत फाड़ने लगा.. चाची की चुत एकदम गीली हो गई थी.. सो मैंने सोचा अब बुर रसपान कर लिया जाए.. और चाची की बुर में अपना मुँह रख दिया… बूंद बूंद चाट लिया… इतनी स्वादिष्ट रस मैंने आज तक नहीं पिया था.. चाची चुत उठा उठा के मुझे चुत का रस पिला रही थी.. मैं चुत का रस ऐसे चूस रहा था जैसे कोई निम्बू से रस चूसता है.. मुझे सब कुछ सपना लग रहा था.. मैंने चाची की बूर का इतना रसपान किया चाची ने ख़ुद से मना किया..

चाची- अरे बस भी कर कितना प्यासा है.. क्या मुझे मार ही डालेगा..
मैं- चाची आपका चुत-रस इतनी प्यारा है कि मैं हमेशा आपका रस चूसता रहूँ।
चाची- तूने तो मुझे धन्य कर दिया रे.. आजतक ऐसा रसपान ज़िन्दगी में किसी ने नहीं किया.. चल अब आ मैं तेरी सेवा कर दूँ..

मै- क्या करोगी चाची?
चाची- आ मैं तेरी लंड की प्यास बुझा दूँ.. तू भी चाहता है न कि मैं तेरा लंड अपने मुँह में लूँ?
मैं- चाची मैं तो रोज़ रात को सपने में अपना लंड आपके मुँह में देता हूँ.. मुझे तो वि्श्वास नहीं हो रहा है कि.. आप इसे मुँह में लोगी।

फिर चाची ने मेरी लंड को अपने हाथ में लिया.. मेरा लंड गरम होकर इतना कड़ा हो गया था कि चाची ने उसे छूते ही अपने मुँह में ले लिया.. आज मेरे लंड को अपनी मंजिल मिल गई थी। चाची मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चाट रही थी.. चाची के चाटने के अंदाज़ से लग रहा था कि चाची तो लंड की शौकीन हैं।

चाची लंड मुँह से निकाल के उसे अपनी चूची से सटाने लगी… लंड से चाची की चूची को छू के इतना प्यारा लगा कि मैं बयान नहीं कर सकता.. मेरा लंड बस अब चाची की चुत का प्यासा था.. फिर चाची ख़ुद ही लेट के लंड को अपनी चुत से सटाने लगी.. तब मुझे लगा कि अब समय आ गया है.. चाची भी चुदना चाहती है…

मैं- चाची अब मैं आपको चोद लूँ?
चाची- हाँ अमित आ अब अपनी चाची की चुत को चोद डाल..! पूरी जान लगा के चोदना..! बहुत दिन से प्यासी है तेरी चाची की ये चुत.. आज इसकी प्यास बुझा दे मेरे लाल…!

मैं चाची को नीचे लिटा के उनके ऊपर आ गया.. चाची की चुत पे अपनी लंड को रखा और उसे चुत पे रगड़ने लगा। चाची से रहा नहीं जा रहा था.. चाची ने चुत उठा के गली दी की मादरचोद अब चोद भी.. कितना इन्तज़ार कराएगा..
फिर मैंने चाची की चुत में अपना लंड घुसाना सुरु किया.. एक ही बार में मेरा लंड आधा चाची की चुत में चला गया… फिर मैंने दूसरी बार जब ज़ोर लगाया तब मेरा पूरा लंड चाची की चुत में.. मुझे ऐसा लग रहा की चाची की चुत स्वर्ग हो.. मेरा लंड तो फुला नहीं समां रहा था..

मैंने चाची की चुत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरु किया.. चाची काफी ज्यादा आवाज़ कर रही थी.. चोद डाल.. चोद मेरे ला..चोद दे अपनी चाची को.. चाची जैसे जैसे बोले रही थी.. मैं और भी ज़ोर ज़ोर से चाची को चोद रहा था..

फिर मैंने चाची घुमने की लिए बोला.. और चाची के पीछे से उनकी चुचियों को दबाते हुए.. लंड को फिर से चाची की चुत में डाल दी.. चाची मजा ले ले के चुदवा रही थी.. फिर मैंने चाची को कुतिया बन्ने को कहा.. और चाची के पीछे जाकर.. चाची की चुत की खूब पूजा की.. आज मेरा लंड काफी साथ दे रहा था.. चाची एक बार पुरी तरह से स्खलित हो चुकी थीं.. उसके बाद मेरा लंड फच फच की आवाज़ के साथ चाची की चुत फाड़ने लगा.. अब मेरा लंड भी अपनी पानी उगलने वाला था..

मैं- चाची मेरा लंड पानी निकलने को तैयार है..
चाची- निकाल दे बेटे चाची की चुत में ही निकाल दे.. चुत को काफी दिनों से नहीं मिली है लंड का रस..

मैंने पूरा का पूरा पानी चाची की चुत में डाल दिया.. चाची ने ज़ोर से मुझे गले लगा लिया और मुझे प्यार से चूमने लगी..
चाची- कैसा लगा बेटा चाची को चोद के.. मजा आया न तुझे..?
मैं- चाची मेरे ज़िन्दगी बन गई आज… आज से आप जैसा बोलोगी.. मैं वैसा ही करूंगा… आप मेरी चाची हो.. मेरी दुनिया हो… मेरी लव हो..! चाची, मैं आपको रोज़ चोदूंगा.. चुदवाओगी न चाची.. बोलो न…!
चाची- हाँ मेरे लाल मैं तेरे से रोज़ चुदवाऊँगी.. चल अब जा अपने कमरे में! नहीं तो कोई पकड़ लेगा…
फिर अनीता चाची को मैं रोज़ चोदने लगा!

पाठको! यदि आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो मुझे ज़रूर मेल कीजिये, तब मैं आपको आगे की कहानी बताऊँगा.. अभी मेरी हेमा चाची..और माँ की कहानी बाकी है… Antarvasna

Antarvasna

अभी तक आपने पहले भागों में पढ़ा Antarvasna कि प्रिया की मैंने पहली बार कैसे चुदाई की थी। वो पूरी तरह से संतुष्ट होकर मेरे घर से गयी थी। अब आगे की कहानी और जानें कि आगे की चुदाई कैसे हुई।

प्रिया ने मुझसे लंड को पकड़ कर लेट जाने को कहा मैंने वैसा ही किया तो प्रिया ने खड़े खड़े ही अपनी नंगी गोरी टांगें, चमकती हुई गोरी गुलाबी जांघें, मस्त चूतड़ और उनकी जांघों के बीच से झांकती हुइ उसकी मस्त गंजी चूत देखकर मैं तो पागल हो गया।

मेरा लंड तो और भी खींचा जा रहा था और मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था कि उसकी चूत का रस चूसते हुए उसके जांघों को खा जाऊँ।

प्रिया के गुलाबी बूब मुझको बेचैन कर रहे थे, इसी बीच उसने अपने दोनों हाथ ऊपर को कर दिये तो उसके बूब्स और बगल मुझे और उत्तेजित करने लगे।

मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और उसके बूब्स देखकर तो मैं एकदम बेचैन सा हो गया और मैंने प्रिया के बूब्स को मुंह में लेकर उनको चूमना और चाटना शुरु कर दिया। प्रिया कभी अपने बूब्स को ज़ोर से दबाने को कहती और जब मैं ज़ोर से दबाता तो कहती अरे धीरे से क्या मार डालोगे मुझे।

प्रिया के चूचियों पर मालिश करने में बड़ा मज़ा आ रहा था पर मैं आज उसे इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं था आज मैं उसके बदन का एक एक पुर्ज़ा मसल देना चाहता था जिससे साली प्रिया मेरी चुदाई को याद रखे।

मैं साइए में उसकी बगल और कंधे पर भी मालिश कर रहा था।

फ़िर मेरा ध्यान प्रिया की पतली कमर पर गया वह इतनी पतली थी कि जितनी शायद 15 साल की कन्या की भी नहीं होगी। मैंने प्रिया के नाभि के नीचे के हिस्से में मसाज करने लगा।

इस एरिआ में मासाज करने पर प्रिया की उत्तेजना बढ़ गयी थी और वह जोर से अपने पैर पटकने लगी तो मुझे अपने लंड को कंट्रोल करना पड़ रहा था जो मेरे लिये थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

मैंने उसकी चूत के आस पास अब्दोमेन का एरिया तक जब उसकी नंगी थाईस पर जोर से मसाज किया तो उसने अपनी दोनों थाईज़ को बंद करके चिपका दिया।

मैंने भी जल्दी से उसकी चूत पर हाथ डालकर वहाँ पर ऊँगली करने लगा तो प्रिया का तो बुरा हाल हो गया था वह मस्ती में छटपटाने लगी और उसने अपनी दोनों थाईज को खोल दिया तो मेरे तो मज़े ही आ गये अब मैं उसकी चूत, थाईज़ या अबदोमेन जहाँ चाहे वहाँ मसलने लगा।

मेरी ऊँगलियों के हमले से प्रिया की हालत अब खराब हो गयी थी वह अब मेरे एक्शन का विरोध नहीं कर पा रही थी।
मैं जैसे मर्जी आये उसके हर पार्ट को मसलता, रगड़ता और मसाज कर रहा था। जब मेरी मस्ती और बढ़ी तो मैंने प्रिया की चूत पर ऊँगली डालकर अंदर तक ऊँगली से उसकी चूत के छेद के अंदर तक मसाज करने लगा।

मेरे इस एक्शन से तो प्रिया पूरी तरह से चित हो गयी और बोली राजू प्लीज़ अब बस करो और एकदम से पलट गयी।

अब प्रिया के नंगे चूतड़ मेरे सामने थे जिसके बीच में उसका गांड तो नज़र नहीं आ रहा था पर पीचे से भी प्रिया की चूत मुझको फ़िर नज़र आने लगी तो मैं फ़िर अपनी ऊँगली से उसकी चूत पर हमला कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी जांघों को पीछे से मसलने लगा।

जब प्रिया की चूत मेरी ऊँगलियों के हमले को नहीं बरदाश्त कर पायी तो प्रिया बोली- राज प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे ऐसे ही गीली कर दोगे क्या?

मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ और उसके नीचे मोटी मोटी जांघों को सारा का सारा एक बार में ही मसल देना चाहता था पर मेरे दोनों हाथों में इनता एरिया एक बार में कवर नहीं हो रहा था।

प्रिया एकदम नंगी थी तो मेरे को अपने लंड पर कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने अपना ध्यान प्रिया के चूचियों पर दिया पर वह उल्टी लेटी हुई थी और उसके बूब्स साइड से ही नज़र आ रहे थे।

फ़िर भी मैंने साइड से ही उसके दोनों बूब्स को जोर से दबाया और सहलाना शुरु कर दिया। प्रिया को तो मेरा हर एक्शन एंजोयमेंट दे रहा था और अब वह मेरे हर एक्शन पर बस आहें भर रही थी।

मैं प्रिया के चूतड़ पर मसाज करने लगा तो उसके चूतड़ बहुत बड़े बड़े थे और उनको दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

पर मैं और मज़ा लेने के लिये उसके चूतडों पर जोर से स्लाप भी कर देता जिससे चटाक! की आवाज आती और प्रिया को बड़ा मज़ा आता था और वह अपने चूतड़ ऊपर उठा कर जैसे और स्लाप करने को कहती।

प्रिया की जांघें मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, मैं वहाँ पर प्रेस, मसाज, किस, रब कर सकता था। और मैं ये सोच रहा था कि जब मैं उसकी चुदाई करुंगा तो उसकी थाईज़ जब मेरी थाई के साथ रब होंगी तो कितना मज़ा आयेगा।

अगर प्रिया की जैसी स्मूथ बॉडी हो तो ऐसा लगता है कि जैसे लिनेन पर स्लिप हो रहा हो। जब मैं उसके चूतडों पर मसाज कर रहा था तो मुझे बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था।

प्रिया को डबल मज़ा आ रहा था एक तो उसकी मसाज हो रही थी दूसरा एक मर्द के हाथों उसके बॉडी के पार्ट्स का स्पर्श दे रहा था और जिसे वह फुल्ली एन्जॉय कर रही थी।

मैंने प्रिया के दोनों चूतड़ को चोडा करके उसकी गांड को देखने लगा और मुझे प्रिया की चूत पीछे से दिखायी देने लगी और मेरा लंड फ़िर जोर मारने लगा।

इधर मेरा लंड अब पूरी तरह बेकाबू हो गया था और उसको कंट्रोल करना मेरे लिये पोस्सिब्ल नहीं था। वह अब प्रिया की चूत में जाये बगैर मानने वाला नहीं था।

प्रिया की चूत का बुरा हाल हो गया था। मैंने अपने अंगूठे से को प्रिया की चूत के आस पास रब करना शुरु कर दिया और मौका पाते ही उसकी चूत के अंदर पूरा अंगूठा डाल दिया। मेरा अंगूठा पूरा उसकी चूत में गया तो प्रिया की खुजली जरा कम हुई और वह अब थोड़ा मज़ा लेने लगी।

मेरा अंगूठा लंड की तरह प्रिया की चूत में अंदर बाहर फ़िसलने लगा, प्रिया को मज़ा तो आ रहा था पर उसकी चूत की खुजली पूरी तरह से दूर नहीं हो रही थी। वह मस्ती मेरे से चिपट गयी जैसे कहना चाहती हो कि कब चोदोगे पर वह बोली कुछ नहीं।

पहले प्रिया के नंगे बदन की गर्मी से मेरा लंड तो तना हुआ था मैंने जल्दी से प्रिया को दाब लिया। प्रिया की चूत में तो पहले से ही खुजली थी पर वह झूठा गुस्सा दिखा रही थी और मना कर रही थी।

मैंने उसको कमर से पकड़ा और उसके चूचियों को अपने लिप्स से किस करने लगा जैसे ही प्रिया ने मुंह खोला तो मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिया और नीचे से दूसरे हाथ को उसकी थाईज़ पर मसाज करने लगा।

उसकी थाईज़ बड़ी टाइट थी, बच्चों वाली औरतों की तरह ढीली नहीं थी। मैं थाई पर हाथ फ़ेरते हुए उसकी चूत की तरफ़ बढ़ना चाह रहा था। प्रिया के बूब्स भी एकदम टाइट हो गये थे जिसका मतलब था कि उसको पूरी उत्तेजना हो रही थी।

मैंने कइ बर प्रिया के बूब्स के निप्पल को लिप्स में लेकर जोर से प्रेस किया जिससे दोनों को बड़ा मज़ा आया।

जब मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा तो मैंने एक दो बार प्रिया के निप्पल को अपने दांत से हल्का सा काट भी दिया जिससे प्रिया चीख पड़ी और मुझे बड़ा मज़ा आया।
नीचे से मेरा हाथ प्रिया की थाईज़ से होता हुआ उसके चूतडों और रानो पर मसाज करने लगा।
ऊपर से मैंने प्रिया की बैक, नेक, वेस्ट और नाभि के आस पास लिप्स और जीभ से किस और लिक करना चालु रखा था।

जब मेरा एक हाथ प्रिया की रानो पर फ़िसल रहा था तो प्रिया की मस्ती कंट्रोल से बाहर हो गयी तब मैंने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और अपने आप भी साइड बी साइड लेट गया।

मैं आराम से अपने दोनों हाथों और लिप्स से प्रिया के पूरे बदन से खेलने लगा।
अब दोनों एकदम गर्म हो गये थे प्रिया की भी सारी शरम दूर हो गयी थी और उसका बदन की एक एक हरकत मुझे महसूस हो रही थी उसकी गर्म सांसें मुझे बेचैन कर रही थी।

मैंने प्रिया की चूत के ठीक पास अपनी ऊँगली से रब करना शुरु कर दिया जिससे मस्ती के मारे प्रिया ने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और मुझे उसकी चूत पर अटैक का एक मौका मिल गया। Antarvasna

शेष अगले भाग में…

Bhabhi ki chudai saalo baad

उस गांव से मेरा ट्रांसफर 45 किलोमीटर दूर एक गांव में हो गया था।
यह गांव थोड़ा बड़ा था और यहां के लोग थोड़े पढ़े लिखे और सुखी सम्पन्न थे।
गांव के लोगों के पास खेती के लिए काफी बड़ी जमीनें थी और लोग राजकीय पहुंच भी रखते थे।

खैर जहां समृद्धि होती है वहां टकराव भी होता है.
तो इस गांव में ताकतवर लोगों के गुट बने हुए थे और ये गुट आपस में अक्सर लड़ते रहते थे.
तो यह गांव किसी भी कर्मचारी के कठिन पर माल वाला पोस्टिंग माना जाता था।

मुझे मेरे साथी कर्मचारियों ने इस गांव के बारे में यह सब बताया था- तुम जैसे सीधे सादे आदमी को इस गांव में नौकरी करना मुश्किल है। यहां के लोगों की पहुँच ऊपर तक होने से वे हमारे जैसे छोटे कर्मचारियों को दबा के रखते हैं।

अब मेरा इस गांव से पाला पड़ ही गया था तो सोचा कि जो होगा देखा जायेगा।

मैंने वहां के पुराने पटवारी से चार्ज लिया और काम देखने लगा।

दूसरे दिन गांव के सरपंच से मेरी मीटिंग थी।
सरपंच एक महिला थी.

उसने मिठाई का डिब्बा देकर मेरा स्वागत किया और कहा- आपको हम यहां कोई परेशानी नहीं होने देंगे. हम सब साथ मिल कर काम करेंगे. आप भी हमारा साथ दीजिएगा।

मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने महसूस किया कि सरपंच काफी होशियार महिला थी।

बाद में जानने को मिला कि सरपंच तो भले दिल की और अच्छी है पर उसका पति गांव का बाहुबली था और सरफिरा भी!
उसका गुट काफी बड़ा और ताकतवर था और काफी लड़ाई झगडे के बाद उसे सरपंच का पद दिलवाया था।

अगले कुछ दिनों में गांव के बाकी गुट वाले भी मुझसे मिलने आये और उन सबकी मुझसे समर्थन के लिए मांग थी तथा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी थी की मैं उन्हें ही समर्थन करूं।

इस गांव में शुरु से ही मैंने अच्छे से कामकाज चालू किया तो लोगों के काम समय से होने लगे।
मेरे पहले के पटवारी गांव के कोई ना कोई गुट में मिल जाते थे और काम कराने के पैसे भी लेते थे तो आम लोगों में नाराजगी रहती थी।

वैसे भी गांव के गुट वाले अपनी पसंद का ही पटवारी का गांव में पोस्टिंग करवाते थे।

मैं सभी का काम अच्छे से समय पर और बगैर पैसे लिए करने लगा तो एक दो महीने में ही मेरी गांव में काफी अच्छी छवि उभर आई थी।

दूसरी तरफ दो महीने से मुझे कोई चूत नहीं मिली थी तो मेरा बुरा हाल था।
रश्मि की बहुत याद आती थी, साथ में नम्रता की गोरी और फातिमा की काली चूत भी मुझसे भूली नहीं जा रही थी।

मैंने रश्मि को वचन दिया था तो मैं उस गांव की तरफ जाना नहीं चाहता था।
हालांकि नम्रता और फातिमा की चूत तो मुझसे चुदाने को आज भी तैयार थी।

पर मैंने अब इसी गांव में चूत ढूँढना का तय किया।
यह इस गांव के हिसाब से मुश्किल और मेरे लिए ख़तरनाक भी था क्योंकि पकड़ा गया तो इस गांव के लोग जान से भी मार सकते थे।

पर मेरे लिए इस गांव में किस्मत ने पहले से अच्छा तय करके रखा था।

मैं नयी जगह और कामकाज के चलते अब तक लोंडियाबाजी में नहीं पड़ पाया था. पर अब मैंने गांव में चूत ढूँढना शुरु किया।

पहले तो मैंने सरपंच के बारे में सोचा।
वह 35 साल की घरेलू महिला थी. ऐसे तो वह काफी गोरी थी थोड़ी सी मोटी पर उसका चेहरा खास मुझे प्रभावित नहीं कर पाया. वैसे भी वह मेरा छोटे भाई की तरह ख्याल बहुत रखती थी तो मेरी नीयत उसके लिए खराब नहीं हो पायी।

मैंने दूसरी भाभियों और लड़कियों के बारे में सोचा।
कुछ भाभियां और लड़कियां मेरे पास काम करवाने अक्सर आया करती थी तो उसमें ही जुगाड़ करने की फिराक में रहने लगा।

दो महीने बाद एक बार मैं ऑफिस के दूसरे कमरे की खिड़की खोल रहा था जिसे कभी कभार ही खोलते थे क्योंकि उस कमरे में पुरानी फाइलें और रेकोर्ड ही रखते थे।
मुझे एक पुरानी फाइल की जरूरत पड़ी थी तो मैं उस कमरे में गया और वहां की खिड़की खोली।

खिड़की से बाहर थोड़ी ही दूर एक जवान औरत कपड़े सुखाती दिखी।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर मैं तो उसे देखता ही रह गया।

उसका बदन कसा हुआ गठीला और एकदम गुलाबी था जिससे मेरे पैंट में हरकत सी होने लगी।
काफी देर तक मैं उसे निहारता रहा।

फिर वह मेरे सामने घूमी तो देखा कि मैं इसे जानता था।
उसका नाम नाम रेखा था, वह मेरे पास कुछ काम के लिए तीन दिन पहले ही आयी थी।

रेखा सरपंच की रिश्ते में दूर की देवरानी थी और सरपंच के मायके के गांव की ही थी तो सरपंच से उसकी काफी बनती थी।

सरपंच ने मुझे उसका काम जल्दी निपटाने का अनुरोध भी किया था।
काम में व्यस्त होने की बजह से मैंने उस पर ध्यान नहीं गया था पर आज उसका कामुक बदन देख कर मेरे तो तोते उड़ गये थे।

मैंने तुरंत ही एक प्लान बनाया और सरपंच के जरिए उसे संदेश दिया कि उसके दिये कागज में एक दो कागज कम हैं.

तो वह दूसरे दिन ऑफिस आ गयी।

ऑफिस में कोई नहीं था, वह अपने छोटे बच्चे के साथ आयी थी।
मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से निहारा।

आज उसने सर पर घूंघट नहीं निकाला था तो मैं जी भर कर उसे निहारता रहा।
शायद उसे भी इस बात का अंदेशा हो गया था।

मैंने उससे हंसते हुए काफी बातें की.
उसने कहा- अरे साहब, ऐसे छोट मोटे कामों के लिए थोड़ा बुलाते हैं आप खुद ही निपटा लेते ना!
वह भी थोड़ी बातूनी और मजाकिया स्वभाव की निकली।

शाम को घर आकर मुझे उसकी कल्पना करते हुए हाथ हिला के आग को शांत करना पड़ा।

रेखा छब्बीस साल की थी और उसका एक चार साल का बच्चा भी था.
उसका फीगर करीब 36-32-34 का होगा।
उसके नाक नक्श ऐसे कि बोलीवुड की हीरोइन से टक्कर ले सकें।

वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर काफी होशियार थी।
मैंने सोचा कि पति ने भी क्या किस्मत पायी थी।

अब मैं रोज उस कमरे की खिड़की से रेखा को निहारने लगा।
वह अपने पति और बच्चे के साथ अलग रहती थी, उसके घर से सट कर ही उसके ससुर और जेठ के भी घर थे।

उसका घर का मुख्य द्वार बिल्कुल मेरे ऑफिस के पीछे ही पड़ता तो मैं खिड़की से ही उसके घर में भी देख सकता था।
मैंने कई बार कपड़े सुखाते या झाड़ू निकालते समय उसकी ब्रा और क्लीवेज भी देखी थी।

अब उसकी चूत मिल जाए तो जन्नत मिल जाए।

ऐसे ही तीन चार महीने निकल गये।
उसे भी शायद पता लग गया था कि मैं खिड़की से उसे झांकता हूँ।
वह अब मेरे सामने मुंह रख कर कपड़े सुखाती थी और कभी मुस्कुराती भी थी।

बात यहीं आकर रुक गयी थी, कुछ आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
उससे बात करने की मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

फिर समय ने करवट बदली और वह एक बार शाम को पांच बजे के आसपास सरपंच से मिलने ऑफिस आयी।
सरपंच ने उसे पारिवारिक काम से बुलाया था।

वैसे मेरे ऑफिस में दोपहर के बाद ज्यादा काम नहीं रहता था पर सरपंच ने अब दोपहर के बाद ऑफिस में बैठना शुरू किया था।

अब यह सिलसिला चल पड़ा की वह सरपंच के साथ गप्पे लड़ाने ऑफिस आ जाती थी।

मेरा टेबल सरपंच के पास ही था तो मैं उसे देखते रहता था और उनकी बात सुनता था।

असल में सरपंच अपने छोटे भाई के लिए रिश्ता ढूँढ रही थी. उसी चक्कर में वह रेखा को बुलाती थी कि फलाना गांव में फलाने आदमी की बेटी अच्छी है।

सरपंच मुझे बहुत मानती थी तो उन दोनों की बातों में मुझे भी शामिल करती थी.
कभी कभी मज़ाक भी हो जाता था।

रेखा बहुत बातूनी थी और हमेशा मजाकिया बातें करती रहती थी।
मैं रेखा को टार्गेट करके बातों के शोट मारता तो वह भी मुझे करारे जवाब देती थी।
सरपंच हमारी बातों का मज़ा लेती थी।

तीन महीने तक ऐसा चलता रहा।

एक बार वह ऑफिस में आयी तो मैं अकेला ही था.
सरपंच किसी काम से बाहर गयी हुई थी.

तो वह वापिस जाने लगी.
उसी वक्त चाय वाला लड़का चाय लेकर आया.
तो मैंने रेखा को रोका और चाय पीने को बोला.
तो वह रुक गयी।

चाय पीते पीते वह बोली- विशाल जी, आपने अब तक सगाई क्यों नहीं की? कोई पसंद नहीं आयी क्या?
मैंने कहा- अभी मेरी उम्र ही क्या है … शादी वादी करके क्या फायदा!

ऐसे थोड़ी देर बात हुई.
फिर जाती हुई वह बोली- जल्दी से कोई ढूँढ लीजिए, कब तक आप यों ही खिड़की से झांकते रहोगे।
मैं कुछ समझ पाऊं … उससे पहले वह इतना बोल कर झट से चली गई।

मुझे समझ आ गया कि वह भी मुझे लाइन दे रही थी।

दूसरे दिन जब मैं खिड़की से उसे झांकने गया तो देखा कि आज वह मेरे सामने ही चेहरा करके मुस्कुराती हुई कपड़े सुखा रही थी।
जाते जाते बाल्टी में बचा पानी उसने जोरदार मुस्कान के साथ मेरी तरफ फेंका।

मैं समझ गया अब इसकी चूत दूर नहीं है।

अब वह खिड़की के पास आकर मुझसे मज़ाक भी कर लेती।
मैंने उसे कई बार शहर घूमने आने का न्योता दिया.
पर वह हमेशा अपने पति के साथ ही शहर आती थी।

एक बार उसने कहा- मेरी मौसी शहर में रहती हैं और मैं उनके घर चार पांच दिन के लिए रहने जाऊँगी.

मौसी के घर का जो पता उसने बताया, वह स्थान मेरे घर से आधा किलोमीटर दूर था।
उसी दौरान मेरी भी दो दिन की छुट्टी थी।

उसने कहा- चलो आप बहुत दिन से निमंत्रण दे रहे थे तो आपकी मेहमान नवाजी भी देख लेते हैं।
मैंने उसे शहर में पास वाले पार्क में मिलने के लिए कहा।

आखिर वह दिन भी आ गया.
वह पार्क में अपने बच्चे के साथ आयी हुई थी।
मैं भी सज-धज के वहां पहुंचा।

उसके बच्चे को अपनी गोद में लेकर मैं उससे बातें करने लगा।
फिर मैंने उसे रूम पर आने को बोला तो थोड़े नखरे दिखा कर वह मान गई।

रूम पर जाकर उसके बच्चे को मेरे बेड पर सुला दिया और हम नीचे चटाई पर बैठ गए।

उसने बताया कि उसकी शादी अठारह की उम्र में हुई थी। शुरू में उसका पति बहुत अच्छे से उसको रखता था फिर बाद में वह सरपंच के पति के संगत में आया और वह पैसों के पीछे पड़ा। वह ट्रांसपोर्ट का बिज़नस करता था जिसमें अच्छी कमाई हो जाती थी. पर अब वह और ज्यादा कमाने के चक्कर में पड़ गया था और राजनीति में भी बड़ा पद पाना चाहता था। सरपंच के पति के अच्छे बुरे सब कामों में वह शामिल रहता है. उस पर पुलिस केस भी चल रहे थे। महीने में करीब बीस दिन घर से बाहर ही रहता था और जब घर आता था तो भी अपने गुट वालों के साथ मीटिंग या पुलिस या कोर्ट वकील या प्रोपर्टी के कामों में व्यस्त रहता। आठ दस दिन घर आता उसमें भी दो तीन दिन ही वह पत्नी और बच्चे के लिए ठीक ठाक समय दे पाता।

दूसरी बात यह थी कि रेखा को अपनी खूबसूरती पर काफी नाज था।
वह चाहती थी कि हर कोई उसकी खूबसूरती का लोहा माने।

पर छोटी उम्र में ही उसकी शादी हो गई और उसके पति ने भी दो तीन साल ही उसकी खूबसूरती को भोगा था। अब वह घर पर होता तो खाली अपनी हवस बुझाने ही रात को रेखा के ऊपर चढ़ जाता और अपने आपको शांत कर के जल्दी ही उतर जाता।
उसमें भी कई बार तो नशे में चूर होकर रेखा को भोगता तो अब रेखा को संतुष्टि नहीं मिलती।
ना तो वह रेखा की तारीफ करता और न उसे समय दे पाता।

पर रेखा की जवानी अब भी बहुत कुछ मांग रही थी जो उसका पति उसे नहीं दे रहा था।

जब रेखा ने मुझे उसके पीछे लट्टू पाया तो उसके अरमान फिर से हरे भरे हो गये।

उसने सरपंच से मेरी काफी तारीफ सुन रखी थी तो वह भी मेरी तरफ आकर्षित हुई थी।

मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बातों बातों में मस्के मारने लगा वह भी मुझे करारे जवाब दे रही थी।

वह मुझसे पांच साल बड़ी और एक बच्चे की मां थी आज मैं उसे चोदने जा रहा था।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके कंधे पर भी एक हाथ रख दिया।

जब मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन लिया तो वह दूर जाने लगी.

पर मैंने उसे पकड़े रखा और फिर उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
वह भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसकी पीठ के खुले हिस्से को काफी सहलाया और चूमा भी!
इससे वह काफी गर्म हो चुकी थी.

फिर मैंने उसके बोबे पकड़ लिये और दबाने लगा।
उसके बोबे फातिमा से भी बड़े थे और वह नम्रता से भी ज्यादा गोरी थी तथा रश्मि की तरह गर्म थी।

उसने खुद ही ब्लाउज और ब्रा उतारी फेंकी।
वह बार बार विशाल कर रही थी.
मतलब था कि वह जल्दी मेरा लौड़ा अपनी चूत में चाहती थी.

पर मैं उसे थोड़ा तड़पाना चाहता था और धीरज के साथ उसकी खूबसूरती को पीना चाहता था।

मैं उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.
वह भी मदहोश हो गई थी।

मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा तो वह पागल सी हो गई और हांफने लगी।
वह बोली- विशाल जल्दी करो, अब सब्र नहीं होता है।

मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसने अपने बाकी बचे कपड़े उतार फेंके।

उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी, फिर टोपा चाटने लगी और फिर पूरा लंड चूसने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया था क्योंकि एक परी मेरा लंड चूस रही थी।

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकला और बेड पर सीधी लेट गई और मुझे कहा- विशाल जल्दी आओ, मुझसे रहा नहीं जाता।
मैं भी उसके उपर चढ़ गया और लंड उसकी चूत में डालने लगा।

उसकी गोरी चूत पर काफी काली झांटें थी तो मुझे चूत का छेद ढूंढने में तकलीफ हो रही थी.
पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में सेट किया और बोली- अब धक्का मारो।

मैंने एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसके अंदर घुसा दिया तो उसके मुंह से आह निकली।
मैं उसे धमाधम चोदने लगा.
वह विशाल आह आह और जोर से जोर से ऐसी आवाजें निकाल रही थी।

मैं भी बोल रहा था- मेरी रानी रेखा, तुम्हें जब से देखा तब से मेरे मन में शोले भड़क रहे थे। आज तू मिली है मेरी जान!
ऐसा बोलते हुए मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था।

ज्यादा जोश के कारण दस मिनट में ही मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैंने कहा- डार्लिंग, पानी कहां निकालूं?
उसने कहा- अंदर ही निकालो।

मैंने उसके अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।

काफी देर बाद हम अलग हुए और कपड़े पहन कर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर बैठ गये।

उसने कहा- काफी समय बाद किसी ने इतने प्यार से मुझे चोदा है। मेरा पति तो बस दारू के नशे में मुझ पर चढ़ जाता है और पांच ही मिनट में पानी छोड़ कर लुढ़क जाता है। मैं प्यासी ही रहती हूँ।

आधा एक घंटा हमने बातें की।

वह फिर से चुदना चाहती थी तो बार बार अपने बोबे मेरे मुंह पर घिसती और मेरे लंड को सहलाती.
तो मेरा लौड़ा भी अब खड़ा हो गया था।

हमने फिर कपड़े उतारे और फिर से चुम्माचाटी और बोबा दबाई की।

उसने मेरा लंड फिर से चूसा तो वह लोहे की छड़ की तरह खड़ा हो गया।
मैंने फिर से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया और चोदने लगा।

इस बार धैर्य के साथ चुदाई की तो आधा घंटा चोद सका।
फिर से मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ा।

इस चुदाई के बाद वह अपनी मौसी के यहां गयी।
वह अपनी मौसी के घर पांच दिन तक रुकी और मैंने भी अपनी ऑफिस में छुट्टी ले ली और हम रोज मिलते रहे और चुदाई करते रहे।

फिर गांव आ कर वही सिलसिला खिड़की से झांकने का चालू हुआ।

हम दोनों एक-दूसरे को फ्लाइंग किस करते तथा दिन में चार पांच बार खिड़की पर ही मिलन हो जाता।
ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे क्योंकि उसका पति उसके मौसी के घर से वापस आने के दूसरे दिन ही घर आ गया था।

एक हफ्ते बाद उसका पति वापस काम पर लौटा तो उसने मुझे दोपहर में अपने यहां खाने पर बुलाया।

हमने साथ में खाना खाया और खूब चुदाई की.

ऐसे दो महीने चलता रहा।

बाद में उसने मुझे बताया कि वह मां बनने वाली है और उसके बच्चे का बाप मैं ही हूं।
मेरी गांड फट गई.

मैंने कहा- अब क्या करेंगे?
वह हंसती हुई बोली- बिल्कुल फट्टू हो तुम. इसमें डरने की क्या बात है. यह तो खुशी की बात है।

मैंने कहा- किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
उसने कहा कि उसने सोच समझ कर ही बच्चा रखवाया था। वह अपने पति की जगह मेरे बच्चे की मां बनना चाहती थी इसलिए उसने मुझे कभी कोंडोम इस्तेमाल नहीं करने दिया था और मेरा वीर्य अपनी चूत में डलवाती थी।

उसने कहा- तुम तो खुश हो. बस किसी को बताना मत कि यह बच्चा तुम्हारा है. यह बच्चा तो हमारे प्यार की निशानी है।

तब जाके मुझे भी राहत हुईं और मैं भी खुश हुआ।

नौ महीने बाद रेखा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।
रेखा ने मुझे कहा- यह तुम्हारी बेटी है तो तुम्हीं इसका नाम रखो।
मैंने उसका नाम प्रेरणा रखा।

बाद में मौका मिलने पर मेरी और देशी भाभी चुदाई चालू ही रही।

उसी ने मुझे गांव की कुंवारी चूत भी दिलाई जो आपको बाद में बताऊंगा।
लेखक के आग्रह पर उनकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जा रही है।

Sex Stories

मैं अपनी कहानी आज मेरे Sex Stories पाठको के पास पहली बार प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह मेरी एक सच्ची कहानी है। इसमें ग़लत और झूठ कुछ भी नहीं है!

मैं हिमाचल में अभी रह रहा हूँ पर मैं हरयाणा से हूँ! मेरे पास होटल भी है और मैं बहुत ही कूल पॉइंट पे हूँ! मेरी उमर 27 साल है मैं जितना ही कम उमर का हूँ उतना ही बड़ा लंबा और चौड़ा हूँ। मैं अभी अविवाहित हूँ मैंने आज तक बहुत फुद्दी, गांड मारी है! पर जितना मज़ा बड़ी उमर की फुद्दी में है किसी में नहीं है!

ऐसे ही एक मेरी चाची मेरे से 20 साल बड़ी मतलब कि वो 47 की पर मैं 27 का, उसकी फिगर 38 32 40 थी! मैं ऐसे ही उनके घर चला गया। चाचा मेरे ड्यूटी करते थे, उनके ड्यूटी जाने के बाद एक दिन मैं सुबह अपनी चाची के साथ रसोई में काम करवा रहा था। उसके बूब्स मेरे साथ टकरा गए और मेरा लण्ड पूरा गर्म हो गया।
इतने में मैं पूरा गरम हो गया। मेरी चाची ने देखा कि मेरे चेहरे का रंग पूरा लाल हो गया था मेरी चाची ने पूछा- क्या हुआ तुम्हें?

मैं एकदम चुप कर गया, मैंने बोला- मेरे को बाथरूम जाना है अभी।
मेरी चाची बोली- ठीक है।

जैसे ही मैं गया मैंने अपना लण्ड निकाला तो वो पूरा 8.5′ का हो गया था। मेरी चाची वो सब कुछ बाथरूम की खिड़की से देख रही थी मेरे को नही पता था। जैसे ही उसने मेरे लण्ड को देखा वैसे वो ओहह्ह आह्ह्हह्छ करने लगी। मैं कुछ समझा नहीं कि यह आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं। मेरा जैसे ही काम हुआ और मैं बाहर निकलने लगा तो देखा कि मेरी चाची ने अपनी बुर में ऊँगली डाली हुई थी और पूरी मस्ती में थी।

मैं चुपचाप देखता रहा, जब उसका काम हो गया तो मैंने बोला- चाची यह तुम क्या कर रही थी!

मेरी चाची ने बोला मेरे को कि इतना बड़ा लण्ड कभी नहीं मिला जो मैंने बाथरूम की खिड़की से तुम्हारा देखा।

मैंने बोला- चाची मैं 4 साल से तुम्हारी बुर के बारे में सोचता रहता था पर आज तुम मौके पर मिली हो, आज मैं तुम्हें नहीं बक्शूंगा! मैं उसे बिस्तर पर उठा के ले गया। उसकी ब्रा खुली तो कभी सोच नहीं सकता कि इतने बड़े मुम्मे होंगे।

जैसे ही मैंने पकड़े मेरी चाची के मुम्मे, मेरा लण्ड 5 मिनट मैं दुबारा खड़ा हो गया। ऐसा चूसा मैंने चाची को कि आज भी वो अपनी दूसरी सुहागरात याद करती है। जैसे ही मैंने अपना लण्ड चाची की फुद्दी के साथ लगाया मेरी चाची बड़ी गरम हो गयी बोली- एक बार अन्दर डालो, मैं बहुत सालों से प्यासी हूँ।

जैसे ही मैंने डाला तो वो रोने लगी मैंने बाहर निकाला तो मेरे को बोली- अन्दर डालो! मैं एक अच्छा खिलाड़ी हूँ। 25+ उमर की फुदी का, कोहिनूर का एक्स्ट्रा टाइम कंडोम था।

मैंने चाची को तीन बार झाड़ दिया पर आखिरी मैं हार गया मेरा भी काम हो गया। वो चाची के साथ दिन आज भी मेरे याद आते हैं।

ऐसे ही बहुत फुदी मारी मैंने। Sex Stories

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