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Massage Girl in Tiruvallur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Tiruvallur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Tiruvallur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Tiruvallur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Tiruvallur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Tiruvallur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Tiruvallur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Tiruvallur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Tiruvallur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Tiruvallur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Tiruvallur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Tiruvallur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रेषिका : अंजना वर्मा Antarvasna

मेरा नाम अंजना वर्मा है! मैं दिल्ली Antarvasna की रहने वाली हूँ और मैं ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा हूँ! मेरी उम्र १८ साल है। मेरे पापा और मम्मी दोनों ही नौकरी करते हैं, एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी में बहुत ऊँचे पद पर हैं! पर उनके पास मेरे लिए बिलकुल भी समय नहीं है! क्योंकि शायद मैं गोद ली हुई हूँ इसलिए !

और बाद में उन को एक लड़का हो गया, इसलिए अब वो मुझे बोझ समझते हैं! उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं घर आऊँ या ना आऊँ. . . . बस समाज को दिखाने के लिए मुझे रखना मजबूरी है उनकी !

खैर अब मैं भी सब समझती हूँ और उनकी परवाह नहीं करती ! अब मैं भी जिन्दगी के मज़े लेती हूँ!

मेरा कद ५ फीट ३ इंच, मेरा फिगर बड़ा ही सेक्सी है! गोल और कसी हुई चूचियाँ जो ज्यादा बड़ी नहीं पर मस्त दिखती हैं ! चूत मैं हमेशा साफ़ ही रखती हूँ! क्या पता कहाँ कोई लण्ड मिल जाये….. रंग मेरा ऐसा जैसे कि दूध में गुलाब डाल दिया हो! मैं भी एकदम बिंदास रहती हूँ!

मेरा २-३ लड़कों से शारीरिक रिश्ता भी रह चुका है जो मेरी माँ की रिश्ते में ही हैं.. शायद कम उम्र में ही सेक्स करने से अब मुझे लण्ड बहुत अच्छे लगने लगे हैं! लण्ड के बारे में सोचते ही मेरी चूत में पानी आने लगता है!

अब मैं अपनी कहानी बताती हूँ! मैं रोज सुबह बस से स्कूल जाती थी और शाम को वापिस आती थी! कई बार शाम को थोड़ा लेट हो जाती थी! क्योंकि मेरा घर पर मन ही नहीं लगता था! आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली की बसों में कितनी भीड़ रहती है! पर मैं पहले स्टाप से ही बैठती हूँ सो सीट मिल जाती है!

यह एक साल पहले की बात है, ऐसे ही एक दिन मैं बस में जा रही थी! बस में बहुत भीड़ थी! मेरे पास ही एक बड़ी उम्र का आदमी धोती कुर्ता पहने खड़ा था! कद करीब ५ फीट १० इंच होगा! रंग थोड़ा सावंला पर था हट्टा कट्टा ! बड़ी रौबदार मूछें !

मैंने सामने वाली सीट को हाथ से पकड़ा था इसलिए शायद गलती से मेरा हाथ उसके लण्ड से लग गया था, मुझे अच्छा लगा। बस फिर मेरा तो पूरा ध्यान ही वहीं अटक गया! वो बेचारा पीछे हटने की कोशिश करता हर बार! मुझे मज़ा आने लगा, और थोड़ी हंसी भी आ रही थी! मैं अब मज़े लेने के मूड में आ गई थी!

मैंने पूरी बस में देखा- आस पास सभी औरतें ही थी, बहुत भीड़ थी, शायद सभी के पास आज सामान कुछ ज्यादा ही था! मेरे बाजू वाली सीट पर एक लड़की बहुत सारा सामान ले कर बैठी थी!

मैंने अपना बैग अपनी टांगों पे रख लिया! अ़ब मैं आगे झुक के सोने का नाटक करने लगी और हाथ को आगे वाली सीट के पाइप पे रख के जरा बाहर निकाल लिया, पर वो थोड़ा पीछे हो गया! पर झटकों से कभी कभी उसका लण्ड मेरी उंगलियों से छू जाता था!

अब मुझे मज़ा आने लगा.. मेरी चूत में खुजली होने लगी थी! मैंने नीचे ही नीचे अपनी शर्ट के ऊपर के बटन खोल लिए ओर पीछे हो कर बैठ गई!

अब ऊपर से मेरी सफ़ेद ब्रा और गोल गोल चूचियां साफ़ दिख रही थी! मैंने अपने बैग को पेट से चिपका लिया ताकि मेरी चूचियां थोड़ी और ऊपर उठ जाएँ और बाहर ज्यादा नज़ारा दिख सके.. मैं नोट कर रही थी कि वो आदमी मुझे देख रहा है पर जब भी मैं ऊपर देखती हूँ तो वो नज़रें घूमा लेता है! शायद उसे अपनी बड़ी उम्र का अहसाह था!

पर मुझे तो मस्ती सूझ रही थी! मुझे और शरारत सूझी और मैं बाहर स्टैंड देखने के लिए थोड़ा उठी और चुपके से साइड से अपनी स्कर्ट सीट के पीछे अटका दी और बैठ गई! जैसे ही मैं बैठी, मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई और मेरी पैंटी दिखने लगी, जो कि बहुत पतली थी! पैंटी में से मेरे चूत के होंट साफ़ दिखाई देते थे!

मैं झट से दोबारा उठी और स्कर्ट ठीक कर के बैठ गई, जैसे गलती से स्कर्ट अटक गई हो.. पर जो मैं दिखाना चाहती थी, वो उस आदमी ने देख लिया था!

मैंने उपर देखा और हल्के से मुस्करा दी! मैंने महसूस किया कि उस आदमी का लण्ड टाइट होने लगा था। वो अब भी कुछ शरमा रहा था पर मैंने हाथ को सामने वाली सीट पे ही लगा के रखा था! जब भी कोई उतरता था तो उसे आगे होना पड़ता था ओर मेरा हाथ उसके लण्ड से छू जाता था!

तभी बस में और भीड़ चढ़ गई! अब तो बस खचखच भरी थी! तभी मैंने देखा के पास में एक औरत सामान के साथ खड़ी थी! मुझे एक आइडिया आया और मैंने उसे अपनी सीट दे दी! अब मैं उस आदमी के सामने खड़ी हो गई! मेरी सीट पे वो औरत बैठ गई, उसकी गोद में सामान था और उसने मेरा बैग भी अपनी गोद में रख लिया था! बस फिर चल पड़ी!

अब मेरा ध्यान उस आदमी के लण्ड पे था! मुझे उस आदमी का लण्ड अपनी गांड के थोड़ा ऊपर महसूस हो रहा था! मैंने एड़ियों को थोड़ा ऊपर उठा लिया ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! वाह… क्या लण्ड था उसका!

मैं उसके लण्ड का जायजा लेने लगी..जिससे मेरी चूत में पानी आने लगा था! पर वो आदमी कोई हरकत नहीं कर रहा था! अब मुझे उस पे गुस्सा आ रहा था! अ़ब मैं काफी गरम हो चुकी थी!

तब मैंने थोड़ी हिम्मत करके हाथ धीरे से पीछे ले जाकर उसके लण्ड को छुआ! मैं उसे सहलाने लगी जिससे वो और कड़क हो गया! मुझे मज़ा आने लगा। मैं उसके लण्ड को हल्के- हल्के से सहला रही थी, पर तभी उसने मेरा हाथ अपने लण्ड से हटा दिया! मैंने पीछे मुड़ के देखा, वो चुपचाप था पर आगे की ओर आ गया था! अब वो अपना लण्ड मेरी गांड की दरार में दबा रहा था! मुझे खुशी हुई कि वो अब मेरा साथ दे रहा था!

मेरी स्कर्ट में साइड में चैन थी! सो मैंने धीरे धीरे स्कर्ट घुमाना शुरु कर दिया! मैं साथ साथ बस में भी नज़र मार रही थी कि कोई देख तो नहीं रहा है! पर शायद भीड़ होने की वज़ह से कोई नहीं देख पा रहा था!

अब मेरी स्कर्ट की जिप पीछे थी जो मैं पहले ही खोल चुकी थी! उसका लण्ड अ़ब मैं और अच्छे से महसूस कर सकती थी! कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, हर झटके के साथ वो अपने लण्ड का दबाव और बढ़ा देता! मुझे मज़ा आ रहा था! मैंने पीछे मुड़ के देखा पर वो ऐसे देख रहा था जैसे कुछ हो ही नहीं रहा था!

मैं अ़ब और आगे बढ़ना चाहती थी, इसलिए अ़ब मैंने पीछे हाथ कर के उसकी धोती में हाथ डाल दिया और उसके लण्ड को बाहर निकालना चाहा पर उसने मेरा हाथ झटक दिया! मैंने उसकी ओर देखा, वो हल्के से मुस्कराया और उसने बस में होने का अहसास कराया!

मैंने धीरे से पीछे हट के उसके कान में कहा,”इतनी भीड़ में कोई नहीं देख रहा, अभी भीड़ कम नहीं होगी बल्कि और बढ़ेगी, मैं रोज़ इसी बस मैं जाती हूँ, तुम बस मज़ा लो !”

और मैं उसकी तरफ मुस्करा दी.. जवाब में उसने भी एक प्यारी से मुस्कराहट दी.. .

वो थोड़ा शरमाया और ऐसे ही लण्ड को दबाता रहा! मैंने सोचा- चलो कोई नहीं ! इतना मज़ा तो आ रहा है! पर थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि वो अपनी धोती में हाथ डाल रहा है! तभी मैंने अपनी पैंटी पे उसका लण्ड उठा हुआ महसूस किया! मैं फिर से ऊपर उठ गई ताकि लण्ड मेरी गांड की दरार में लग जाये! मैं बार बार ऊपर उठ रही थी, यह बात उसने भांप ली, सो उसने मेरी एड़ियों के नीचे अपने पैर लगा दिए, जिससे वो मेरे और पास आ गया और मैं ऊपर उठ गई!

मैंने आगे देखा तो मेरे सामने सामान ही सामान था, मैंने चुपके से अपनी स्कर्ट ऊपर उठानी शुरु कर दी पर एक लिमिट से ज्यादा नहीं उठा सकती थी, नहीं तो किसी को पता चल जाता! इसलिए स्कर्ट को वापिस नीचे ही कर दिया! पर मेरा मन तो पूरे मज़े लेने का था!

मैं थोड़ा आगे की तरफ हो गई ताकि उसके और मेरे बीच कुछ गैप बन जाए। मैंने अपनी टांगो को थोड़ा फैला लिया! अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके लण्ड को अपने स्कर्ट की जिप से दोनों टांगो के बीच में फंसा लिया! यार क्या गरम लण्ड था…….स्स्स्स्स्स्स्स्स्स……म्मम्मम………..

मैं उसका लण्ड अपनी दोनों टांगो पे महसूस कर रही थी! ऐसा लगता था कि मैं किसी बड़ी मोटी गरम रॉड पे बठी हूँ! मैंने अपनी गाण्ड थोड़ा पीछे धकेल दी और वो भी थोड़ा आगे आ गया! उसका लण्ड मेरी टांगों पे रगड़ता हुआ आगे आ गया! अब उसके लण्ड का आगे वाले हिस्से का उभार स्किर्ट पे आगे की साइड दिख रहा था, इसलिए मैं थोड़ा आगे झुक गई ताकि स्कर्ट ऊपर उठ जाये!

“म्मम्मम्म………

उसका गरम लण्ड मैंने टांगों के बीच दबा रखा था जो कि हर झटके में आगे पीछे हो रहा था! एक तरह से वो मेरी टांगों को चोद रहा था, मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी! मेरा मन हो रहा था कि अपनी पैंटी को हाथ डाल के हटा दूँ ताकि उसके लण्ड की गर्मी अपनी चूत पर महसूस कर सकूँ! पर शायद बस में यह नहीं हो सकता था!

मैं पीछे मुड़ी और उसके कान में धीरे से कहा,” अपने हाथ से मेरी पैंटी साइड में कर दो प्लीज़…!” और वापिस आगे देखने लगी।

उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर स्कर्ट की जिप से २ उँगलियाँ अंदर डाली ओर मेरी पैंटी को साइड में कर दिया!

मैं तो जैसे ……… अपने होश ही खो बैठी थी! उसका गरम लण्ड मेरी चूत पे लगा हुआ था। अब उसका लण्ड मेरी चूत पे रगड़ खा रहा था, शायद चूत के पानी की वज़ह से जो मेरी टांगों तक आ गया था, वो अ़ब आराम से आगे पीछे जा रहा था! मेरी आँखे बंद हो रही थी!

मेरा चेहरा लाल हो गया था पर मैं सामान्य दिखने की कोशिश कर रही थी! मैंने आस पास देखा पर कोई भी हमारी तरफ नहीं देख रहा था! बस के हर झटके के साथ वो मेरी टांगों में झटके मार रहा था! उसका गरम लण्ड जब भी आगे या पीछे होता मेरी चूत में आग बढ़ जाती!

तभी एक तेज़ झटका लगा और उसका लण्ड पीछे चला गया, आगे से मेरी पैंटी थोड़ा अपनी जगह पर वापिस आ गई! जब उसने लण्ड वापिस आगे किया तो वो मेरी पैंटी में चला गया म्म्म्म्म्म्म्म………………………………..

अब उसका लण्ड मेरी पैंटी में था और चूत के होठों के बीच में ….. ऊपर नीचे हो रहा था……….! मुझे और मज़ा आने लगा, … और मैंने एड़ियों को और ऊपर उठा लिया। शायद उसे भी मज़ा आ रहा था इसलिए उसने झटके बढ़ा दिए। तभी बस रेड लाइट पे रूक गई और झटके बंद हो गए! मैंने पेट के नीचे खुजली करने के बहाने से हाथ स्कर्ट पे ले जा के उसके लण्ड के सुपाड़े को मसलने लगी! मैंने पीछे मुड़ के देखा तो उसका पूरा चेहरा पसीने से गीला हो गया था!

तभी बस चल पड़ी पर मेरे मसलने से शायद वो झड़ने वाला था। अब मैं भी अपनी गाण्ड को हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी! स्स्स्स्स्स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ मज़ा बढ़ने लगा था… मेरी चूत में कैसे खलबली मच गई थी…… तभी मैंने एड़ियों को ऊपर उठा लिया और मेरा शरीर टाइट हो गया !

मैं …..में…….झड़ने वाली थी, और ….औ ..औम्मम्मम… औ..आह्ह्ह्छ ….. में उसके ऊपर झड़ गई और मेरा सारा जूस उसके लण्ड पे आ गया! और मैं ढीली होती चली गई! उसने भी एक दो झटके लगाये और सारा वीर्य मेरी पैंटी में छोड़ दिया, जिसे में अपनी जांघों तक महसूस कर रही थी!

२-३ मिनट तक हम ऐसे ही रहे और फ़िर वो अपना लण्ड बाहर निकलने लगा। मैंने अपना हाथ पीछे लगा लिया ताकि उसके वीर्य से मेरी स्कर्ट ख़राब न हो! सारा वीर्य मैंने अपने हाथ से पौंछ लिया और उसने अपना लण्ड वापिस अपनी धोती में कर लिया! तभी एक स्टाप आया और मैं उतर गई, पता चला कि ४ स्टाप आगे आ गई हूँ पर इस स्टाप पे ज्यादा लोग नहीं होते क्योंकि यह दिल्ली का बाहरी इलाका था,

और आज तो ये स्टाप बिल्कुल खाली था, पता नहीं क्यों… शायद हमारी किस्मत………

वो आदमी भी वहीं उतर गया! मैंने इधर उधर देखा, फिर उसकी तरफ देख के अपने हाथों को चूसने लगी चाट -चाट के सारा हाथ साफ़ कर लिया!

तब थोड़ी देर बात करने के बाद उसने बताया कि वो यहाँ से ८० किलोमीटर दूर गाँव में रहता है, यहाँ अपने बेटे के पास आया है, पूरा दिन खाली रहता है इसलिए सोचा आज एक दोस्त से मिल आऊँ, उसका नाम महादेव सिंह है।

मेरा भी स्कूल मिस हो गया था सो हम बस स्टाप के साथ में बने पार्क में गए और एक पेड़ों से घिरी जगह बैठ गए! वहाँ पहले तो मैंने अपनी पैंटी में हाथ डाल के सारा वीर्य हाथों से साफ़ किया और हाथों को चटकारे ले ले कर चूसना शुरु कर दिया..! पर किसी के आने की आहट से हम सतर्क हो गए, वहाँ पार्क में कुछ दूर कुछ लोग आ के बैठ गए थे और शायद उनका लम्बे समय तक बैठने का कार्यक्रम था!

इसलिए हम कल फिर वहीं मिलने का वादा कर के वापिस चल पड़े क्योंकि उसे भी कुछ जल्दी थी! वो शायद अपने दोस्त के घर के लिए चला गया और मैं अपनी बस की प्रतीक्षा करने लगी..

और बस पकड़ के अपने घर आ गई………………….

आगे क्या हुआ बाद में…. Antarvasna

Hindi Sex Stories

मैं उन दिनों गांव में Hindi Sex Stories अपनी दीदी के घर आया हुआ था. उनके पास काफ़ी जमीन थी, जीजा जी की उससे अच्छी आमदनी थी. उनकी लड़की कमली भी जवान हो चली थी. कमली बहुत तेज लड़की थी, बहुत समझदार भी थी. मर्दों को कैसे बेवकूफ़ बनाना है और कौन सा काम कब निकालना है वो ये अच्छी तरह जानती थी.

एक दिन सवेरे जीजू की तबीयत खराब होने पर उन्हें दीदी शहर में हमारे यहाँ पापा के पास ले गई. हमारे गांव से एक ही बस दोपहर को जाती थी और वही बस दूसरे दिन दोपहर को चल कर शाम तक गांव आती थी.

कमली और मैं दीदी और जीजू को बस पर छोड़ कर वापस लौट रहे थे. मुझे उसे रास्ते में छेड़ने का मन हो आया. मैंने उसके चूतड़ पर हल्की सी चिमटी भर दी. उसने मुझे घूर कर देखा और बोली- खबरदार जो मेरे ढूंगे पर चिमटी भरी…’

‘कम्मो, वो तो ऐसे ही भर दी थी… तेरे ढूंगे बड़े गोल मटोल है ना…’
‘अरे वाह… गोल मटोल तो मेरे में बहुत सी चीज़ें है… तो क्या सभी को चिमटी भरेगा?’
‘तू बोल तो सही… मुझे तो मजा ही आयेगा ना…’ मैंने उसे और छेड़ा.
‘मामू सा… म्हारे से परे ही रहियो… अब ना छेड़ियो…’
‘कमली! थारे बदन में कांई कांटा उगाय राखी है का’
‘बस, अब जुबान बंद राख… नहीं तो फ़ेर देख लियो…’

उसकी सीधी भाषा से मुझे लगा कि यह पटने वाली नहीं है. फिर भी मैंने कोशिश की… उसकी पीठ पर मैंने अपनी अन्गुली घुमाई. वो गुदगुदी के मारे चिहुंक उठी.

‘ना कर रे… मने गुदगुदी होवे…’
‘और करूँ कई… मने भी बड़ो ही मजो आवै…’ और मैंने उसकी पीठ पर अंगुलियाँ फिर घुमाई. उसकी नजरे मुझ पर जैसे गड़ गई, मुझे उसकी आँखों में अब शरारत नहीं कुछ और ही नजर आने लगा था.
‘मामू सा… मजा तो घणो आवै… पर कोई देख लेवेगो… घरे चाल ने फिर करियो…’

उसे मजा आने लगा है यह सोच कर एक बार तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. उसका मूड परखने के लिये रास्ते में मैंने दो तीन बार उसके चूतड़ो पर हाथ भी लगाया, पर उसने कोई विरोध नहीं किया.

घर पहुंचते ही जैसे वो सब कुछ भूल गई. उसने जाते ही सबसे पहले खाना बनाया फिर नहाने चली गई. मैंने बात आई गई समझते हुये मैंने अपने कपड़े बदले और बनियान और पजामा पहन कर पढ़ने बैठ गया. पर मन डोल रहा था. बार बार रास्ते में की गई शरारतें याद आने लगी थी.

इतने में कमली ने मुझे आवाज दी- मामू सा… ये पीछे से डोरी बांध दो…’

मैं उसके पास गया तो मेरा शरीर सनसनी से भर गया. उसने एक तौलिया नीचे लपेट रखा था मर्दो वाली स्टाईल में… और एक छोटा सा ब्लाऊज जिसकी डोरियाँ पीछे बंधती हैं, बस यही था. मैंने पीछे जा कर उसकी पीठ पर अंगुलियाँ घुमाई…

‘अरे हाँ मामू सा… आओ म्हारी पीठ माईने गुदगुदी करो… मजो आवै है…’
‘तो यह… ब्लाऊज तो हटा दो!’
‘चल परे हट रे… कोई दीस लेगा!’ उसकी इस हाँ जैसी ना ने मेरा उत्साह बढ़ा दिया.
‘अठै कूण है कम्मो बाई… बस थारो मामू ही तो है ना… और म्हारी जुबान तो मैं बंद ही राखूला!’
‘फ़ेर ठीक है… उतार दे…’

मैंने उसका छोटा सा ब्लाउज उतार दिया. फिर उसकी पीठ पर अंगुलियों से आड़ी तिरछी रेखाएँ बनाने लगा. उसे बड़ा आनन्द आने लगा. मेरा लण्ड कड़क होने लगा.

‘मामू सा, थारी अंगुलियों माणे तो जादू है…’ उसने मस्ती में अपनी आंखें बंद कर ली.

मैंने झांक कर उसकी चूचियाँ देखी. छोटी सी थी पर चुचूक उभार लिये हुये थे. अभी शायद उत्तेजना में कठोर हो गई थी और तन से गये थे. मैंने धीरे से अंगुलियाँ उसके चूतड़ों की तरफ़ बढा दी और उसके चूतड़ों की ऊपर की दरार को छू लिया. उसे शायद और मजा आया सो वह थोड़ा सा आगे झुक गई, ताकि मेरी अंगुलियाँ और भीतर तक जा सके. उसका बंधा हुआ तोलिया कुछ ढीला हो गया था. मैंने हिम्मत करके अपना दूसरा हाथ उसकी पीठ पर सरकाते हुये उसकी चूंचियों की तरफ़ आ गया और उसकी एक एक चूची को सहला दिया. कमली ने मुझे नशीली आंखों से देखा और धीरे से मेरी अंगुलियाँ वहाँ से हटा दी. मैंने फिर से कोशिश की पर इस बार उसने मेरे हाथ हटा दिये.
कुछ असमंजस में मुझे घूरने लगी .
‘बस अब तो घणा होई गयो… अब… अब म्हारी अंगिया पहना दो…’
‘अह… अ हाँ लाओ’

मुझे लगा कि जल्दबाजी में सब कुछ बिगड़ गया. उसने अपने चूतड़ तक तो अंगुलियाँ जाने दी थी… अब तो वो भी बात गई… उसने अपना ब्लाऊज ठीक से पहना और भाग कर भीतर कमरे में बाकी के कपड़े पहनने चली गई.

रात को मैं कमली के बारे में ही सोच रहा था कि वो दरवाजे पर खड़ी हुई नजर आ गई.
‘आओ कम्मो… अन्दर आ जाओ!’ उसकी आँखों में जैसे चमक आ गई. वो जल्दी से मेरे पास आ गई.
‘मामू सा… आपरे हाथ में तो चक्कर है… मने तो घुमाई दियो… एक बार और अंगुलियाँ घुमाई दो!’ उसकी आँखों में लगा कि वासना भरी चमक है. मेर लण्ड फिर से कामुक हो उठा.
‘पर एक ही जगह पर तो मजो को नी आवै… जरा थारे सामणे भी तो करवा लियो…’ मैंने अपनी जिद बता दी. यदि चुदाई की इच्छा होगी तो इन्कार नहीं करेगी. वही हुआ…
‘अच्छा जी… कर लेवो बस…’

उसकी इजाजत लेकर मैंने उसे बिस्तर पर बैठा दिया और अपनी अंगुलियाँ उसके बदन पर घुमाने लगा. उसका ब्लाऊज मैंने उतार दिया और अपनी अंगुलियाँ उसकी चूचियों पर ले आया और उससे खेलने लगा. मेरे ऊपर अब वासना का नशा चढ़ने लगा था. उसकी तो आंखें बंद थी और मस्ती में लहरा रही थी. मेरा लण्ड कड़ा हो कर फ़ूल गया था. जब मुझसे और नहीं रहा गया तो मैंने दोनों हाथों से उसके बोबे भींच डाले और उसे बिस्तर पर लेटा दिया.
‘ये कांई करो हो… हटो तो…’ उसे उलझन सी हुई.
‘बस कमली… आज तो मैं तन्ने नहीं छोड़ूंगा… चोद के ही छोड़ूंगा!’
‘अरे रुक तो… यु मती कर यो… हट जा रे…’ उसका नशा जैसे उतर गया था.
‘कम्मो… तु पहले ही जाणे कि म्हारी इच्छा थारे को चोदवां की है?’
‘नहीं वो आप, मणे अटे दबावो, फ़ेर वटे दबावो… सो मणे लागा कि यो कांई कर रिया हो, फेर जद बतायो कि चोदवा वास्त कर रिओ है तो वो मती करो… माणे अब छोड़ दो… थाने म्हारी कसम है!’

मैंने तो अपना सर पकड़ लिया, सोचा कि मैं तो इतनी कोशिश कर रहा हू और ये तो चुदना ही नहीं चाहती है. मैंने उसका घाघरा और ब्लाऊज उतारने की कोशिश की. पर वो अपने आप को बचाती रही.

‘मामू सा… देखो ना कसम दी है थाणे… अब छोड़ दो!’

पर मेरे मन में तो वासना का भूत सवार था. मैंने उसका घाघरा पलट दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. अब मैंने उसे अपनी बाहों में दबा कर चूमना चालू कर दिया. मेरा लण्ड उसकी चूत पर बहुत दबाव डाल रहा था. छेद पर सेटिंग होते ही लण्ड चूत में उतर गया. कमली ने तड़प कर लण्ड बाहर निकाल लिया.

‘मां… मने मारी नाक्यो रे… आईईई…’ मैंने फिर से उसे दबाने की कोशिश की.
‘देख कमली , थाने चोदना तो है ही… अब तू हुद्दी तरह से मान जा…’
‘और नहीं मानी तो… तो महारा काई बिगाड़ लेगो…’
‘तो फिर ये ले…’ मैंने फिर से जोर लगाया और लण्ड सीधा चूत की गहराईयों में उतरता चला गया…
‘हाय्… मैया री माने चोद दियो रे… अच्छा रुक जा… मस्ती से चोदना!’

मैं एक दम से चौंक गया. तो ये सब नाटक कर रही थी… वो खिलखिला कर हंस पड़ी.
‘कम्मो, जबरदस्ती में जो मजा आ रहा था… सारा ही कचरो कर मारा!’
‘अबे यूं नहीं, म्हारे पास तो आवो, थारा लवड़ा चूस के मजा लूँ… ध्हीरे सू करो… ज्यादा मस्ती आवैगी!’

उसने मुझे अपने पास खींचा और मेरा फ़नफ़नाता हुआ लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मैं मस्ती में झूम हो गया, मैं अपनी कमर यूं हिलाने लगा कि जैसे उसके मुँह को चोद रहा हूँ. मेरे लण्ड को अच्छी तरह चूसने के बाद अब वो लेट गई. उसने अपनी योनि मेरे मुँह के पास ले आई और अपनी टांगें ऊपर उठा दी… उसकी सुन्दर सी फ़ूली हुई चूत मेरे सामने आ गई. हल्के भूरे बाल चूत के आस पास थे… उसकी चूत गीली थी… मैंने अपनी जीभ उसकी भूरी सी और गुलाबी सी पंखुड़ियों पर गीलेपन पर रगड़ दी, मुझे एक नमकीन सा चिकना सा अहसास हुआ… उसके मुख से सिसकारी निकल गई.
‘आह्ह्ह मामू सा… मजो आ गयो… और करो…’ कमली मस्ती में आ गई.

मैंने अपनी जीभ उसकी गीली योनि में डाल दी. उसकी चूत से एक अलग सी महक आ रही थी. तभी उसका दाना मुझे फ़ड़फ़ड़ाता हुआ नजर आ गया. मैं अपने होठों से उसे मसलने लगा.
‘ओई… ओ… मेरी निकल जायेगी… धीरे से…चूसो…!’ वो मस्ती में खोने लगी थी. हम दोनों एक दूसरे को मस्त करने में लगे थे…
तभी कमली ने कहा- मामू सा लण्ड में जोर हो तो म्हारी गाण्ड चोद ने बतावो!’
‘इसमें जोर री कांई बात है… ढूंगा पीछे करो… और फ़ेर देखो म्हारा कमाल…!’

कम्मो ने पल्टी मारी और बिस्तर पर कुतिया बन गई. उसके दोनों सुन्दर से गोल गोल चूतड़ उभर कर मेरे सामने आ गये. मैंने उन्हें थपथपाया और दोनों चूतड़ हाथों से और अधिक फ़ैला दिए. उसका कोमल सा भूरा छेद सामने आ गया. मैंने पास पड़ी कोल्ड क्रीम उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया और अपना मोटा सा लण्ड का सुपाड़ा उस पर रख दिया.

‘मामू सा नाटक तो मती करो… म्हारी गाण्ड तो दस बारह मोटे मोटे लण्ड ले चुकी है… बस चोदा मारो जी… मने तो मस्ती में झुलाओ जी!’

मैं मुस्करा उठा… तो सौ सौ लौड़े खा कर बिल्ली म्याऊँ म्याऊँ कर रही है. मैंने एक ही झटके में लण्ड गाण्ड में उतार दिया. सच में उसे कोई दर्द नहीं हुआ, बल्कि मुझे जरूर लग गई. मैं उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर बाहर करने लगा. मुझे तो टाईट गाण्ड के कारण तेज मजा आने लगा. मेरी रफ़्तार बढ़ती गई.

फिर मुझे उसकी चूत की याद आई. मैंने उसी स्थिति में उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ दिया… सच मानो चूत का में लण्ड घुसाते ही चुदाई का मधुर मजा आने लगा. चूत की चुदाई ही आनन्द दायक है… कम्मो को भी तेज मजा आने लगा. वो आनन्द के मारे सिसकने लगी, कभी कभी जोर का धक्का लगता तो खुशी के मारे चीख भी उठती थी. उसके छोटे छोटे स्तनो को मसलने में भी बहुत आनन्द आ रहा था.

‘मामू… ठोको, मने और जोर सू ठोको… म्हारी तो पहले सु ही फ़ाट चुकी है और फ़ाड़ नाको…’
‘म्हारी राणी जी… मजो आ रियो है नी… उछल उछक कर थारे को ठोक दूंगा… पूरा के पूरा लौड़ा पीव लो जी!’
‘मैया री… लौड़ो है कि मोटो डाण्डो लगा राखियो है… मजो आ गियो रे… दे मामू सा…चोद दे!’

मेरा लण्ड उसकी चूत में तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था. मेरा लण्ड में अब बहुत तरावट आ चुकी थी. वह फ़ूलता जा रहा था. उसकी चूत की लहरें मुझे महसूस होने लगी थी. उसने तकिया अपनी छाती से दबा लिया और मेरा हाथ वहाँ से हटा दिया.

तभी उसकी चूत लप लप कर उठी… ‘माई मेरी… चुद गई… हाई रे… मेरा निकला… मामू सा… मेरा निकला… गई मैं तो… उह उह उह.’

उसका रज छूट पड़ा. मेरा भी माल निकला हो रहा था. मैंने समझदारी से लण्ड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा. एक दो मुठ मारने पर ही मेरा वीर्य पिचकारी के रूप में उछल पड़ा. लण्ड के कुछ शॉट ने मेरा वीर्य पूरा स्खलित कर दिया था. मैं पास ही में बैठ गया.

‘तू तो लगता है खूब चुदी हो…’
‘हाँ मामू सा… क्या करूँ… मेरे कई लड़के दोस्त हैं… चुदे बिना मन नहीं लागे… और वो छोरा… हमेशा ही लौड़ा हाथ में लिये फिरे… फिर चुदने की लग ही जावे के नहीं!’
‘तब तो आपणे घणी मस्ती आई होवेगी…’ मैंने उसकी मस्ती के बारे पूछा.
‘छोड़ो नी, बापु और बाई सा तो काले हाँझे तक आ जाई, अब टेम खराब मती कर… आजा… लग जा… फ़ेर मौका को नी मिलेगा!’ उसके स्वर में ज्वार उमड़ रहा था.

अब हम दोनों नंगे हो कर बिस्तर पर लेट गये थे और प्यार से धीरे धीरे एक दूसरे को सहला रहे थे. जवान जिस्म फिर से पिघले जा रहे थे… जवानी की खुशबू से सरोबार होने लगे थे… नीचे छोटा सा सात इंच का कड़क शिश्न योनि में घुस चुका था. हम दोनों मनमोहक और मधुर चुदाई का आनन्द ले रहे थे. ऐसा लगता था कि ये लम्हा कभी खत्म ना हो… बस चुदाई करते ही जायें… Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

मेरा नाम डा. मीनू वर्मा है। मैं विज्ञान के कोलेज Hindi Sex Stories में रीडर हूं। मेरी उम्र अभी 33 वर्ष की है। मेरी शादी हो चुकी है मेरे दो बेटे भी हैं। मेरे पति एक बिजनेस मैन है। हमारा एक सुखी परिवार है।
शादी के हमें लगभग 12 वर्ष बीत चुके हैं। अब सेक्स का वो पहले जैसा जोश नहीं रह गया है… पर कभी कभी ऐसा लगता है कि कोई मुझे पहले जैसा मजा दे। मन भटकने लगता है … मचलने लगता है… जिस्म टूटने लगता है। फिर नजरें किसी मर्द की ओर उठने लगती है। शायद किसी नये मजे के लिये … नये मोटे और लम्बे लन्ड से नयी चुदाई का मजा लेने के लिये। ऐसे ही एक बार मेरा मन भटक गया था … और फिर मेरा बांध टूट गया। मैं चुदने को आतुर हो उठी।

मेरे कोलेज में विजय नाम का एक सहायक प्रोफ़ेसर था। नया ही आया था। भोपाल में सेमिनार आयोजित की गयी थी। उसमें मेरा भी पेपर था। मुझे और मेरे सहायक रूप में विजय को मेरे साथ जाना था। हम दोनों ने रात की गाड़ी में रिजर्वेशन करवा लिया था। मेरे पति ने मेरा वहां पर एक अच्छे रेस्ट हाऊस में रिजर्वेशन करवा दिया था।

वहीं पर दूसरे वैज्ञानिक भी रुके थे। मुझे पता था कि विजय नया है और उसे रिजर्वेशन के बारे में कोई अनुभव नहीं था। मेरे मन में चूंकि बेईमानी थी इसलिये मैंने चुपचाप से अपने ही कमरे में उसका रिजर्वेशन करवा दिया था। मैंने अपना नाम डा. के. सक्सेना और साथ में विजय का नाम लिखवा दिया था।

सवेरे भोपाल में यूनिवर्सिटी की तरफ़ से गाड़ी आ गयी थी। हम सभी रेस्ट हाऊस में पहुंचे। मैंने जानबूझ कर तुरन्त गाड़ी से उतर कर रेस्ट हाऊस के कमरे की चाबी ले कर कमरे में आ गई। थोडी देर में विजय भी आ पहुंचा। कमरे में मुझे देख कर चौंक गया। मैंने उसे बताया कि डा. के. सक्सेना मैं ही हूँ।

विजय हंस पडा… ‘मैंने सोचा कि जाने ये डा. के. सक्सेना कौन है… ‘
‘क्यों… मेरा नाम नहीं पता था क्या?’
‘नहीं… मुझे किसी पुरुष का नाम लगा… पर ये तो आप ही निकली… लेकिन आप ओर मैं एक ही कमरे में… ?’
‘कोई कमरा खाली नहीं है … इसलिये मैंने मेरे साथ ही आपका नाम लिखवा दिया… ‘

थोड़ी ही देर में चाय नाश्ता आ गया। हम दोनों ने नाश्ता करके थोड़ा आराम किया… विजय इतनी देर में नहा कर आ गया… वो सफ़ेद पाज़ामे और कुर्ते में अच्छा लग रहा था। उसका कसा हुआ शरीर मुझे आकर्षित कर रहा था। मैं भी फ़्रेश हो गयी… और फिर हम दोनों पेपर चेक करने लगे।

सेमिनार में मेरा पेपर 1 बजे पूरा हो गया था। विजय मेरे पेपर सम्हालने के बाद मेरे पास आ कर बैठ गया। 2 बजे लन्च ब्रेक हुआ … हम दोनों वापस कमरे में आ गये।

शाम को खाना खा कर हम बाहर यूं ही टहलने लगे। मैंने धीरे से शुरूआत की… और मै उसके हाथ से हाथ को छूने लगी। बात बात में उसके बाहों में हाथ मारने लगी। मुझे पता चल गया था कि उसे भी छूने में मजा आ रहा था।

मैंने मौका देख कर शादी की बात छेड़ दी… विजय अपनी गर्ल फ़्रेंड की बातें बताने लगा। मैंने उससे उसकी गर्ल फ़्रेंड के साथ सेक्स के बारे में पूछा… तो उसने बताया कि वो उसे कुछ भी नहीं करने देती है। मुझे लगा कि विजय सेक्स की बातों से कुछ उत्तेजित हो गया था। मैं तो यही चाहती थी। अब हम दोनों ऊपर वापस कमरे में आ गये।

मैंने रात को पहनने वाला अपना हल्का सा पज़ामा पहन लिया और उस पर एक छोटा और ऊँचा सा कुर्ता डाल लिया। विजय ने भी अपना सफ़ेद पाज़ामा पहन लिया था। मैंने कमरे की लाईट बन्द कर दी और हम दोनों बाहर बालकनी पर आकर खड़े हो गये। हल्की हल्की हवा चल रही थी।

विजय भी पास में खड़ा था, पर उसका मूड कुछ और ही था। उसके पज़ामे में से उसका जोर मारता हुआ लन्ड नजर आ रहा था। मैं भी बहाने से हाथ हिला कर कभी कभी उसके लन्ड को छू लेती थी । कुछ देर हम बातें करते रहे फिर विजय से रहा नहीं गया… वो अटकते हुये कुछ कहने की कोशिश करने लगा । मै सब समझ रही थी। उसका लन्ड पज़ामे में से उठा हुआ साफ़ दिख रहा था।

‘मैं आपसे कुछ कहूं… बुरा तो नहीं मानेंगी ना… ‘ उसके कहने के अन्दाज़ से ही लग रहा था की अब वो मुझे पटाने की कोशिश करेगा…

‘हां… हां… कहो… ऐसा क्या है… ‘ वो कुछ और मेरे नजदीक आ गया। मुझे भी लगा कि अब कुछ होने वाला है। मैं मन ही मन मुस्करा उठी… लगा कि फ़ंसा… ।

‘वो… आप मुझे बहुत अच्छी लगती है… ।’ मैं सुन कर मन ही मन आनन्द से भर गयी।

‘अच्छा… क्या अच्छा लगता है… ?’ मैंने उसे और उकसाया। मेरे मन की धड़कन बढने लगी। उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया। मुझे लगा कि लोहा गरम है … पिघल रहा है… अभी मौका है… । उसने मुझे थोड़ा सा अपनी ओर खींचा… मैं जान करके उसके पास सट गयी। मेरा दिल धक से रह गया… उसका लन्ड मेरे कूल्हे से टकरा गया, एक दम कड़क और तना हुआ।

मेरी सांसे बढ़ गई… दिल की धड़कने तेज हो गयी। चेहरा लाल होने लगा। उसने मुझे कमर से दबाया… मैं बिना कोई मौका खोये उससे लिपट गयी… विजय के होंठ मेरे नरम होंठों से छूने लगे… और फिर धीरे से दोनों आपस में मिल गये।

मेरी चूत को साथी मिलने वाला था। मैं उसे पीछे धक्का देते हुये बालकनी से कमरे में ले आई। उसने मेरे बोबे दबाने शुरू कर दिये। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी… मेरे उरोज कड़े हो गये … चूत पानी छोड़ने लगी। मेरी हालत उत्तेजना से बुरी हो गयी … तभी उसने मेरी चूत रगड़नी चालू दर दी… अब सब कुछ मेरी सहनशक्ति से बाहर हो गया… मैंने हाथ बढ़ाकर उसका लन्ड पकड़ लिया।
एकबारगी उसका मोटा और लम्बा लन्ड देख कर मेरा मन चुदाने को करने लगा। मैंने उसका पजामा नीचे खींच दिया … अब उसका लन्ड मेरे गिरफ़्त में आ गया। मैं उसका लन्ड जोर जोर से दबाने लगी। वो मेरी चूत को मसले जा रहा था…

‘आऽऽऽह विजय… मैं मर गयी… हाय रे… … धीरे… मेरी छूट जायेगी… ‘ मैं आनन्द के मारे झुकने लग गई।

‘मेरा लन्ड मसल डालो… सीऽऽऽ आआऽऽऽ … मजा आ रहा है… ‘ उसका मैंने मस्ती में जोर से मसल दिया। उसने मेरी गान्ड की गोलाईयां मसल डाली। मेरी चूतड़ों की दरारों को घिस डाला। चूत को अब भी मसले जा रहा था… मेरा दाना पिघल उठा… मेरी चूत ने अब जोर मारना शुरु कर दिया।

मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूं। पर उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। मैं विजय से चिपकती जा रही थी। हाय रे… मेरा पानी छूटने लगा … मैं झड़ने लगी… । पर ये क्या… अचानक मेरे हाथ भीग गये… विजय के लन्ड ने थोडा जोर लगाया और उसका वीर्य निकल पड़ा। उसके वीर्य की पिचकारी मेरी चूत पर पडी… और फिर मेरे पजामे को गीला कर दिया।

कुछ देर हम दोनो ऐसे ही लिपटे और चिपके रहे… फिर अलग हो गये। मै शरम के मारे वहीं बैठ गयी। मैंने अपना मुँह छुपा लिया। विजय ने तुरन्त अपना तौलिया लपेटा… और मेरा तौलिया मेरे ऊपर डाल दिया।

मैं उठी और भाग कर बाथरूम में चली गयी… मैंने सफ़ाई की और मन ही मन अपनी सफ़लता पर खुश हो उठी। मुझे मालूम था कि इतना कुछ होने के बाद अब चुदने में समय नहीं लगेगा… सबसे पहले मैंने अपनी गान्ड में क्रीम लगा ली… क्योंकि मर्द से गान्ड मरवाने मुझे बहुत मजा आता है। चूत को भी पानी से अच्छी तरह से साफ़ कर लिया।

मैंने तौलिया लपेटा और बाहर आ गयी… विजय भी बाथरूम में साफ़ होने को चला गया। रात के 11 बज रहे थे। मैं बिस्तर पर आकर लेट गयी और तौलिया खोल कर पास में रख लिया। टोप भी उतार दिया और नंगी हो कर सो गयी। चादर ऊपर तक ओढ़ ली। विजय भी सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुये बाहर आया और सोफ़े पर लेट गया।

मैंने उसे बडी अदा से मुस्करा कर कहा,’बिस्तर बहुत बड़ा है, यहीं पर सो जाओ।’

उसे तो शायद बुलावे का इन्तेज़ार ही था। वो तुरन्त उठा और लपक कर आ गया। पहले तो वो मेरे पास लेटा रहा… फिर बोला,’थोडी सी चादर मुझे भी दे दो… ‘

‘अच्छा… एक ही चादर में आओगे … इरादे तो नेक है ना… ‘ मुझे तो चुदने की लग रही थी… मैंने अपनी चादर उसके ऊपर डाल दी। उसने अपना तौलिया पता नहीं कब उतार दिया था। हम दोनों के नंगे शरीर का स्पर्श हो गया…

‘विजय… हाय … तुम तो नंगे हो… ‘
‘तुम भी तो नंगी हो… ‘
‘हाय रे … मै मर गयी… विजय… ‘

… एक बार मैं फिर उससे चिपकने लगी। उसके हाथ मेरे शरीर पर रेन्गने लगे। मेरे शरीर में उत्तेजना भरने लगी। मेरे अंग कड़े होने लगे… फिर से वासना भड़क उठी। मै उसके जिस्म को सहलाती जा रही थी… और लन्ड को भी मसलती जा रही थी। नंगे बदन एक दूसरे से रगड़ खाने लगे… दो जवान जिस्म सुलग उठे। विजय का लन्ड कठोर होता जा रहा था… उसका उफ़नता हुआ लन्ड मेरे शरीर में घुसने को बेकरार हो उठा।

मेरी चूत पानी छोड़ने लगी। विजय ने करवट बदली। मेरी पीठ से उसका जिस्म सट गया। जैसा सोचा था वही हुआ … मेर मन खुशी से नाच उठा… उसका लन्ड मेरी गान्ड चोदने के लिये बेकरार हो रहा था। मुझे गान्ड चुदवाना बहुत ही अच्छा लगता है… क्योकि देर तक चुदाई कराना मुझे अच्छा लगता है।

उसका लन्ड मेरी चूतड़ों की दरारों में फ़िसल रहा था। शायद गान्ड के छेद को ढूंढ रहा था। मुझे तेज सिरहन होने लगी थी। चूतड़ों की दोनों गोलाईयां खुलने को तैयार थीं… उसके हाथ धीरे से मेरी चून्चियो पर कब्जा जमा चुके थे। मेरी चूंचिया कड़ी हो गयी थी।

उसने मेरी चूंचियो को दबाते हुए लन्ड का दबाव मेरी चूतड़ों कि दरारों में डाला… मेरी चिकनी दरारों के बीच लन्ड सरकता हुआ मेरे गान्ड के द्वार पर आ पहुंचा था। मैंने बेचैनी से उसे देखा। विजय ने प्यार से मेरी चूंचियों को जोर से दबा कर गाण्ड का दरवाजा खोल दिया और सुपाड़ा अन्दर घुसा दिया। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने अपने चूतड़ों को और पीछे की ओर उभार दिया और उसके लन्ड के साथ साथ जोर लगाने लगी…

उसका लन्ड मेरी सिस्कारियों के साथ आगे बढ चला। फिर एक और धक्का और लन्ड पूरी गहराईयों तक उतर गया। मैंने अपनी एक टांग उपर उठा दी और उसकी टांगों पर रख कर गान्ड को और खोल दी। अब उसका लन्ड मेरी गान्ड को सरलता से चोद रहा था। उसका हाथ अब चूंचियों पर से हट कर चूत पर आ गया था।

उसने अपनी एक उन्गली चूत में घुसा दी और लन्ड के धक्कों के साथ उंगली भी अन्दर बाहर कर रहा था। उसके धक्के तेज होने लगे। मेरी चिकनी गान्ड में भी मीठा मीठा सा मजा आने लगा था। मेरी चूतड़ भि हिल हिल कर गान्ड चुदाने में मेरा साथ दे रहे थे। मेरा अंग अंग उत्तेजना से भर उठा था। विजय की सिसकारियां बढ गयी।

अचानक उसने अपना लन्ड गान्ड में से निकाल लिया। मुझे उल्टा लेटा कर मेरे नीचे तकिया लगा दिया। मैं अपनी बाहों की कोहनियों पर हो गयी और सामने से ऊपर उठ गयी। तकिया लगाने से मेरी चूत थोड़ी सी ऊपर हो गयी। मेरी टान्गों के बीच में आकर उसने अपना लन्ड मेरी चूत के छेद पर लगा कर उसे दबा दिया।

मैं चिहुंक उठी। लन्ड का स्पर्श पाते ही चूत का द्वार अपने आप ही खुल गया… लन्ड का स्वागत हुआ … और सुपाड़ा फ़क से अन्दर घुस गया। चूत पूरी गीली थी… । एक दम चिकनी … मैंने भी जोश में चूतड़ उछाल दिया। नतीजा ये हुआ कि लन्ड फ़च की आवाज करता हुआ पूरा अन्दर तक पहुंच गया।
खुशी और आनन्द के मारे मैं चीख उठी… ‘मेरे राजा… मजा आ गया … पूरा घुसेड़ दो अपना लन्ड… हाऽऽऽय… ‘

उत्तर में विजय ने मेरी दोनों चूंचिया दोनों हाथों से दबा दी। और अपनी तेजी बढा दी। उसका लन्ड इंजिन के पिस्टन की तरह फ़काफ़क अन्दर बाहर चलने लगा। स्तनो को अच्छी तरह से दबा कर चोद रहा था।

‘मर गयी राजा… चोद दे रे… हाय ओऽऽऽह … मां चोद दे मेरी…’

‘हां… मेरी रानी… तुझे छोड़ूगा नहीं … पूरा चोद डालूंगा… मेरी कुतिया…’

‘हां रे ऽऽऽऽ… मेरी चूत का भोसड़ा बना दे … मेरे राजा… हाय रे… ‘

‘आऽऽऽह्ह्ह… रे… तेरी चूत मारूं… बहन चोद… कुतिया… रन्डी… ले… और ले… लन्ड्… ‘

‘राजा… चूत फ़ाड़ डाल… मां के लौड़े … मार लन्ड को चूत पे… तेरी भोसड़ी… के ‘

दोनो तरफ़ से वासना भरी गालियों की बौछारों के बीच चुदाई चरमसीमा पर पहुन्च रही थी। मेरे से तो अब नहीं रहा जा रहा था … लग रहा था कि अब गयी… अब गयी… मै रोकना चाह रही थी पर… वासना की तेजी… उत्तेजना की तेजी… उबल रही थी… ।

‘मादरचोद… भोसड़ी के … मैं तो गयी रेऽऽऽऽऽ … चोद … चोद… जोर लगा… फ़ाड़ दे… बहनचोद… ‘

‘अभी रुक जा छिनाल … मेरी भी मां चुदने वाली है… मै भी आया… मां की लौड़ी… ‘

‘हाऽऽऽय रे… मरीऽऽऽ … निकला पानी रे… हाय रे चुद गयी… चुद गयी… निकल गया रे… ‘

मैं धीरे धीरे झड़ने लगी… पर उसके झटके चूत में चलते रहे। मैं निढाल होने लगी। मैंने अपनी चूंचियों से उसका हाथ हटा दिया। अब विजय ने भी अपना मोटा और लम्बा लन्ड चूत से बाहर निकाल लिया।

उसने मुझे सीधा किया और अपना लन्ड मेरे मुंह पर रख दिया। मैं हंस पड़ी,’अब एक छेद तो छोड़ दो…’

‘प्लीज… थोड़ा सा रह गया है…’

और उसने अपना लन्ड मेरे मुख में घुसा दिया। पहले मैं उसे चूसती रही पर उसने मेरे मुँह को ही चोदना चालू कर दिया। उसका लन्ड मेरे गले तक को छू रहा था। मैंने तुरन्त उसका लन्ड अपनी मुठ मे ले कर… उसे जोर से भीन्च कर मुठ मारने लगी…

बस इतना तो उसके लिये काफ़ी था… उसके लन्ड ने वीर्य की पिचकारी मेरे मुख में ही छोड़ दी। चूतड़ों और लन्ड के जोर से पिचकारी… जोर से छूट रही थी… मुझे पता नहीं कितना पी गयी और कितना मेरे चेहरे पर बिखर गया। लन्ड पूरा चूस कर साफ़ कर दिया…

अब विजय बिस्तर से उतर गया। हम एक बार फिर बाथरूम में गये… पानी से साफ़ करके बाहर आये… बाथरूम के बाहर हम आपस में एक दूसरे को नंगे निहारने लगे… मुझसे रहा नहीं गया… मुझे उस पर प्यार आने लगा, मैंने अपनी बाहें फ़ैला दी… हम फिर से एक दूसरे के गले लग गये…

रात के 12 बज रहे थे। हम दोनों बिस्तर पर नंगे ही लेट गये। एक दूसरे से लिपट कर प्यार किया और उसकी बाहों पर सर रख कर और उसकी कमर पर अपनी टांगे डाल कर चिपक कर सो गयी।

अचानक रात को मेरी नीन्द फिर खुल गयी… मेरी चूत में विजय का लन्ड घुसा हुआ था… मैं चुपचाप सोने का बहाना करती रही… वो चोदता रहा… मैं अपने आपको ज्यादा देर नहीं रोक सकी… उसके बदन को कसती गयी… उसने मेरी चूंचियां फिर से कस कर दबा दी… अब मैंनें भी उससे लिपट कर चूत के झटके मारने चालू कर दिये… Hindi Sex Stories

Antarvasna Sex Stories

दोस्तों मैं अन्तर्वासना का Antarvasna Sex Stories एक नियमित पाठक हूँ। मैं इसकी सारी कहानियाँ बहुत मज़े से पढता हूँ। आज मेरे दिल में भी यह ख्याल आया कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के समक्ष पेश करुँ। मेरा मकसद सिर्फ वोट पाना नहीं है अपितु आप सब के समक्ष अपने दिल की बात व्यक्त करने का है। यह एक ऐसी कहानी है जिसे मैं सब के साथ शेयर नहीं कर सकता हूँ पर मेरी इच्छा थी कि लोग यह जाने कि इस दुनिया में हर किसी के नसीब में एक चूत होती है।

तो अब आप सबका ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी कहानी आपके सामने रखना चाहता हूँ, यह कहानी सच्ची है या नहीं यह आप ही फ़ैसला करें तो बेहतर होगा।

तो कहानी शुरू होती है मेरे परिचय से:- मैं बिहार का रहने वाला एक सीधा सादा बीस साल का हट्टा कट्टा नौजवान हूँ और दिल्ली में आई आई टी से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। मैं द्वीतीय वर्ष का छात्र हूँ और पढ़ाई लिखाई में ठीक ठाक हूँ। बचपन से ही मैं अपनी पढ़ाई को लेकर गंभीर था सो कभी भी पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं सोचता था। मैं पुरुष और नारी सम्बन्ध के बारे में बस किताबी ज्ञान ही रखता था, हालांकि थोड़ा बहुत व्यावहारिक ज्ञान भी था मुझे पर मैं चूंकि सीधा सादा था सो मैं आज तक कुंवारा ही था पर मैंने आपको पहले ही बताया कि हर किसी के नसीब में एक चूत होती है सो आखिरकार मुझे भी एक दिन चूत मिल ही गई। हाँ दोस्तो, एक बात और जो मैं बताना भूल गया था वो यह कि मैं पियानो अच्छा बजता हूँ और इसीलिए मैं अपने कॉलेज के बैंड में पियानो बजाता हूँ और यही बात मेरे किस्मत की चाबी बनी।

दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा के बाद मेरे इंस्टिट्यूट में डेढ़ महीने की छुट्टी हुई और मैं अपने घर आ गया जो पटना में राजेंद्र नगर में है। अभी मुझे घर आये एक महीना ही हुआ था कि मुझे खबर आई कि मेरे इंस्टिट्यूट के बैंड का एक कंसर्ट है जो पाँच दिन के बाद होना है और मुझे तुंरत वहां पहुंचना है। अब आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में कितनी भीड़ होती है सो मुझे किसी भी आम ट्रेन में रिज़र्वेशन नहीं मिल पा रहा था।

मैंने अपने बैंड के लीडर को अपनी असमर्थता बताई तो उसने कहा “भाई तेरा आना बहुत ज़रूरी है क्यूंकि अगर पियानो बजाने वाला नहीं होगा तो फिर हमारा बैंड अधूरा ही है। “

फिर मैंने तय किया कि अब मैं तत्काल में रिज़र्वेशन करा कर जाऊंगा पर अब चार दिन ही बाकी बचे थे सो तत्काल में भी वही हालत थी और मुझे कंसर्ट से एक दो दिन पहले ही पहुंचना था सो आखिरकार मैंने राजधानी एक्सप्रेस में अपना रिज़र्वेशन कराया वो भी सेकंड एसी में। मेरे जेब से पैसे लगे थे सो मैं परेशान था पर दिल में एक तसल्ली थी कि चलो सेकंड एसी में कभी गया नहीं हूँ तो अच्छा ही अनुभव रहेगा। मैं नियत दिन, नियत समय पर ट्रेन पकड़ने राजेंद्र नगर जंक्शन चला गया। ट्रेन वहां पहले से लगी होती है इसलिए मैं सीधा अपने सीट पर चला गया पर राजेंद्र नगर में ज्यादा लोग नहीं चढ़ते हैं इसलिए ज्यादा भीड़ नहीं थी।

ट्रेन अपने समय पर खुली और ट्रेन के खुलने के बाद मुझे ख्याल आया कि इतना लम्बा सफ़र कैसे कटेगा, तो मैंने सोचा कि पटना जंक्शन पर कोई नोवल खरीद लूँगा। पटना जंक्शन पर ट्रेन रुकी तो मैं ट्रेन से नीचे उतर गया और प्लेटफ़ॉर्म पर खड़े एक व्हीलर के पास गया वहां पर सामने एक नोवल रखी थी जिसका नाम था फाइव पॉइंट समवन ! मैं काफ़ी दिन से वो नोवल पढ़ना चाहता था और उस नोवल का लेखक एक आईआईटीअन था इसलिए मैंने कुछ सोचे बिना वह नोवल खरीद ली।

और फिर ट्रेन खुलने से पहले मैं वापस अपने कंपार्टमेंट में पहुंचा तो देखा कि मेरे सामने वाली सीट पर एक चौबीस-पच्चीस साल की लड़की बैठी थी और वह फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी। मैं चुप चाप आकर अपनी सीट पर बैठ गया और नोवल के पन्ने पलटने लगा और पढ़ने में तल्लीन हो गया कि अचानक उसने मुझसे पूछा- क्या आप भी दिल्ली जा रहे हो?

मैंने कहा- हाँ।

तो उसने मुझसे पूछा- क्या आप वहां जॉब करते हो?

मैंने उसे बताया- नहीं, मैं तो आई आई टी दिल्ली में पढ़ता हूँ और मेकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहा हूँ।

तो उसने बताया कि उसका भाई भी पुणे के किसी इंस्टिट्यूट से मेकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहा है और वो अभी सेकंड इयर में गया है।

मैंने उससे कहा- मैं भी सेकंड इयर में ही हूँ।

फिर उसने मुझसे पूछा- क्या तुम चेतन भगत के फैन हो?

तो मैंने कहा- नहीं मैं तो बस इसीलिए यह नोवल लेकर आया क्यूंकि चेतन भगत भी आई आई टी का ही छात्र था।

इसी तरह हमारी बात-चीत का सिलसिला चल पड़ा। पर मैंने आपको पहले ही बताया कि मैं एक निहायती शरीफ और सीधा सादा बन्दा हूँ इसीलिए मैं उसके साथ कोई काम की बात नहीं कर रहा था मेरे सवाल कुछ इस तरह के थे : आप क्या करती हो? जिसका जवाब था मैं एक आकिर्टेक्ट हूँ।

मैंने पूछा- दिल्ली में ही?

जिसका जवाब था- नहीं, मेरा पटना में ही एक ऑफिस है जहाँ मैं क्लिएंट्स के साथ डील करती हूँ।

फिर मैंने पूछा- आप दिल्ली क्यूँ जा रही हो?

जिसका जवाब था- मैं अपने दोस्तों के साथ बर्थडे मनाने जा रही हूँ और हम लोग मौज मस्ती करेंगे।

फिर मेरे इन सवालों से परेशान हो कर उसने कहा- तुम कोई काम का सवाल क्यूँ नहीं पूछ रहे हो?

मैंने कहा- मतलब?

तो उसने कहा- छोड़ो ! तुम अभी बच्चे हो।

मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम श्रेया बताया।

हम बातचीत कर ही रहे थे कि तभी हमारा खाना आ गया और मैं खाना खाने लगा। खाना खा कर मैंने अपने बर्थ पर अपना बिस्तर लगाया और सोने की कोशिश करने लगा पर हर आईआईटीअन की आदत देर तक जागने की होती है सो नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। धीरे धीरे पूरी बोगी की रोशनी बन्द हो गई और खर्राटों की आवाज़ पूरी बोगी में गूंजने लगी। अब तो सोना और भी मुश्किल हो गया। पर फिर भी मैं सोने की कोशिश करने लगा। मुझे लगा कि अब तक तो श्रेया भी सो गई होगी पर शायद मैं गलत था। अभी मुझे नींद का पहला ही झोंका आया था कि मुझे लगा कि मेरे बर्थ पर कोई और आ गया है और वो पर्दा खींच रहा है पर नींद से मेरी आँखें बोझिल थी सो मैंने कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मैंने नज़रंदाज़ कर दिया।

पर थोड़ी ही देर में मेरी आँखों से नींद गायब हो गई जब मुझे मेरे लंड पर किसी का हाथ होने का एहसास हुआ मैंने आँखें खोली तो देखा- श्रेया मेरे बगल में सोई हुई है और उसका हाथ मेरे लंड पर हरकतें कर रहा है।

मुझे जागता देख कर उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया। अब मैं इन सब चीज़ों के बारे में इतना भी अनजान तो नहीं था सो मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा और मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। मेरा लंड बिल्कुल तन गया और मेरी पैंट फाड़ कर बाहर आने की कोशिश में लग गया जिसकी वजह से मुझे हलके दर्द का एहसास होने लगा। पर आज मैं भी उस आनंद की अनुभूति लेना चाहता था जिसके पीछे सारी दुनिया दीवानी है।

मैं आँखें बंद कर के लेटा रहा और मज़ा लेटा रहा क्यूंकि मुझे पता ही नहीं था कि आगे करना क्या है?

तभी उसने मेरे पैंट की जिप खोल दी और मेरा लंड बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से उसे सहलाने लगी।

अब तक मेरा लंड पूरी तरह से कड़ा हो गया था और ६-१/२ इंच लम्बा और २ इंच मोटा हो गया था। फिर उसने मेरा हाथ अपने मम्मों पर रख दिया और मुझे उसे दबाने को कहा। मैंने जब उसके मम्मे दबाये तो वो बिल्कुल नर्म थे रुई के फाहे जैसे और बिल्कुल गोल और बड़े बड़े।

मुझे मज़ा आने लगा। मैंने उसकी टॉप उतारी और ब्रा उतारी और उसके मम्मों को चूमने चाटने लगा। उसके चूचुक सख्त हो गए बिलकुल मटर के दानों की तरह। मैं अभी उसके मम्मों में खोया हुआ था और उन्हें चूमता जा रहा था, तभी उसने मुझसे कहा- सिर्फ इन्हीं से खेलते रहोगे या असली खेल भी खेलना है?

तो मैंने कहा- यह असली खेल कैसे खेलते हैं?

उसने मेरी तरफ देखा और कहा- धत्त ऽऽ ! कैसे मर्द हो तुम ? अब तुम्हें यह भी सिखाना पड़ेगा? चलो अब जब इतना कुछ सिखा ही दिया है तो यह भी सिखा देती हूँ ताकि आगे से तुम किसी लड़की के सामने अनाड़ी न रहो।

फिर उसने अपने और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। हम दोनों बिल्कुल ही नग्न अवस्था में आ गये। फिर उसने मेरा हाथ अपनी चूत के ऊपर रख दिया और कहा- यही तो है वो स्टेडियम जहाँ असली खेल खेलते हैं। फिर उसने अपने रति द्वार के ऊपर मेरी ऊँगली रख दी जो कि काफी गीला लग रहा था। मैंने उसकी योनि में अपनी ऊँगली घुसा दी और अपनी ऊँगली अन्दर बाहर करने लगा तो उसने मुझे कहा- रुको मैं तुम्हें एक नया एहसास दिलाती हूँ !

वो पलट गई और अपनी चूत मेरे मुँह के पास और मेरा लंड अपने मुँह के पास ले गई। फिर उसने मुझे कहा- अब तुम मेरी फुद्दी चूसो !

मैं तो बस जैसे उसका गुलाम ही बन गया था। खुद मुझे तो कुछ आता नहीं था सो वो जो कह रही थी मैं वही करता जा रहा था। मैंने उसकी फुद्दी चाटनी और चूसनी शुरू की और उसका नमकीन रस मुझे मजेदार लगने लगा। मैंने चूसता रहा चाटता रहा। तभी अचानक मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊँगा और मैं झड़ गया उसके मुह में ही ! उसने मेरा सारा कामरस पी लिया। तभी उसका बदन ऐंठने लगा और वो भी झड़ गई। पहले तो मुझे अच्छा नहीं लगा पर फिर मुझे उसकी चूत का नमकीन पानी स्वादिष्ट लगने लगा और मैं सारा पानी पी गया।

मैंने उससे पूछा- क्या यही था असली खेल?

तो उसने कहा- नहीं ! अभी तो असली खेल बाकी है ! यह तो पूर्व-क्रीड़ा थी, या यह समझ लो कि यह तो डिनर के पहले लिया गया सूप है।

मैंने कहा- तो फिर असली खेल खेलो ना !

उसने कहा- उसके लिए तुम्हारे लंड को फिर से तैयार करना पड़ेगा !

और उसने फिर से मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया। अब मैं फिर से तैयार था और मुझे वाकई बड़ा मज़ा आया था। मैंने सोचा कि अगर यह असली खेल नहीं था तो फिर असली खेल में कितना मज़ा आएगा !

उसने मुझसे पूछा- क्या यह तुम्हारा पहली बार है ?

तो मैंने कहा- हाँ ! क्यूँ ? तुम्हें क्या लगता है?

तो उसने कहा- मुझे भी तुम्हारा पहली बार ही लगता है।

फिर मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हारा भी पहली बार ही है?

तो उसने कहा- नहीं ! मैंने तो कई बार मज़ा लिया है इसका।

फिर उसने अपने पर्स से निवेया क्रीम की डिब्बी निकली और उसमें से क्रीम निकाल कर मेरे लंड पर लगा दी।

फिर उसने कहा- अब असली खेल के लिए तैयार हो जाओ।

मैं तो तैयार ही था क्यूंकि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर वो बर्थ पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने को कहा। मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया और फिर उसने मेरा लंड अपनी फुद्दी के मुहाने पर रख दिया और कहा- अब जोर लगाओ।

मैंने जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी फुद्दी में आराम से चला गया यह उसकी क्रीम का असर था। अब वो गांड उठा उठा कर धक्के लगाने लगी। उसकी देखा-देखी मैंने भी अपने कमर के जोर से धक्के लगाने शुरू किये तकरीबन पांच मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर ऐंठने लगा और वो झड़ गई मेरे लंड को बहुत ही गरम एहसास हुआ और फिर दो मिनट के बाद मैं भी उसकी फुद्दी में ही झड़ गया। और उसके ऊपर ही लेट गया। धीरे धीरे मेरा लंड अपने आप उसकी चूत से बाहर आ गया।

इस तरह मैंने अपनी ज़िन्दगी की पहली चुदाई पूर्ण की और वो राजधानी एक्सप्रेस मेरे लिए राजधानी सेक्स्प्रेस बन गया।

फिर तो उस रात हमने दो बार और चुदाई की। सुबह उठा तो मैं बिलकुल फ्रेश महसूस कर रहा था। उसने उतरने से पहले मेरा नंबर लिया और मुझसे वादा लिया कि आज मैं उसकी दोस्त के फ्लैट में उसका जन्मदिन मनाने ज़रूर आऊँ !

मैंने उस रात उसकी दोस्त के फ्लैट में उसको और उसकी दोस्त को भी चोदा जोकि अगली बार मैं आप लोगों को बताऊंगा।

मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल ज़रूर करें।

मेरा ईमेल आई डी है : Antarvasna Sex Stories

प्रेषक : ओ पी झाकड़ Sex Stories

मैं प्रकाश आपका दोस्त Sex Stories लेकर आ गया आप लोगों के लिए यौन-कथा !

पहले अपने बारे में बताता हूँ मैं प्रकाश इक्कीस साल का जवान जयपुर का रहने वाला हूँ। मैं आज आप लोगो के लिए ऐसी सेक्स स्टोरी लाया हूँ जिसे पढ़ कर लड़कियों की चूत में से ५ बार पानी और लड़के २५ बार मुठ मारेंगे।

चलो, अब मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ ! हाँ कहानी पढ़ने के बाद मुझे मेल जरूर करना…!

बात करीब पाँच साल पहले की है जब हमारे घर के पास एक भैया रहने आये जिनका नाम सुनील और २२ साल के थे। वो अभी शादीशुदा नहीं थे उनकी न तो सेहत थी न लम्बाई !

मैं सोचता कि कौन सी लड़की इनसे शादी करेगी .. !

मैं सोलह साल का होता हुआ भी उनसे अच्छा दीखता था। पर स्वभाव उनका बहुत अच्छा था। हम दोनों जल्दी अच्छे दोस्त बन गए। वो मुझ से हर बात शेयर करने लगे। फिर मैंने उनसे पूछा- आपने कभी किसी लड़की को चोदा है?

तो बोले- नहीं !

फिर बात आई गई हो गई। २ साल बाद मुझे पता चला कि उनके घर वालो ने उनके लिए एक लड़की देख ली है, बस भैया को जा कर पसंद करनी है।

वो मुझे भी साथ ले गए। मैं था तो अट्ठारह का पर लग रहा था पूरा नौजवान बीस साल का ….

जब हम लोग लड़की वालों के पहुँचे तो सबने मुझे लड़का समझा।

तो मैंने उन्हें कहा- मैं नहीं, ये हैं जो आपकी लड़की से शादी करना चाहता है !

उन्हें ये पता लगते ही लगा कि वो भैया के साथ अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहते।

पर उनकी कुछ मज़बूरी थी जिस कारण वो कुछ नहीं बोल पाए ……

जैसे ही लड़की आई, हम दोनों उ़से ही देखते रहे- क्या तो लग रही थी ! बिल्कुल परी जैसी थी !

मैं तो बार बार उसके स्तनों और गांड को ही देख रहा था। मुझे तो उसी समय उसे चोदने का मन करने लगा पर मैं शांत ही रहा।

भैया ने शादी के लिए हाँ कह दी।

४० दिन बाद का मुहूर्त निकला शादी का ……

मैं तो दिन-रात मुस्कान ( भैया की होने वाली बीबी ) के बारे में ही सोचता रहता …… तब मुझे मूठ मरना नहीं आता था …..

शादी वाला दिन भी आ ही गया। मैंने अपने लिए नए कपड़े लिए तो जिसे देख भैया बोल उठे- आज तो तू ही दूल्हा लग रहा है..!

मैं भी हंस दिया।

बारात चलने लगी मैंने बारात में खूब डांस किया …. फिर करीब डेढ़ घंटे बाद हम शादी वाली जगह पहुँच गए …

शादी में हमने बहुत मस्ती की और भैया की साली जो मेरे बराबर थी के साथ बहुत मजे किये। बहुत बार उसकी गांड और बूब्स को दबा देता पर वो कुछ नहीं बोली…

शादी अच्छी तरह हो गई।

मुझे तो भाभी और उनकी बहन दोनों को चोदने की इच्छा होने लगी।

लेकिन दो महीने बाद मेरे एग्ज़ाम थे तो मैं उनकी तैयारी में लग गया। कभी कभी भैया के घर जाने लगा …

एग्ज़ाम खत्म होते ही मैं भैया के घर ही दिन भर बिताता …

मुझे भाभी कभी खुश नहीं लगी। मैंने कई बार पूछा, पर वो कुछ नहीं बोली। मैंने भैया को भी बोला कि क्या बात है !

तो भी बोले- कुछ नहीं ! लड़कियों की आदत ही होती है गुमसुम रहने की !

फिर मैंने भी कुछ नहीं कहा ….

२ महीने बाद मैं ऐसे ही रोज की तरह भैया के घर गया …. उनका गेट जो अक्सर बंद ही रहता है, आज खुला था। मैं सीधे अन्दर घुस गया।

सामने का नज़ारा देख कर मैं दंग रह गया।

भाभी ब्लू फिल्म देख रही थी जिसमें आदमी लड़की की चूत में अपनी ऊँगली डाल रहा था, भाभी भी अपनी चूत में ऊँगली डाल रही थी …

मैं जाने लगा तो भाभी ने देख लिया और जल्दी से कपड़े ठीक कर बोली- प्रकाश तुम कब आये?

मैं कुछ नहीं बोला और उनकी चूत की तरफ देखने लगा तो वो बोली- क्या देख रहे हो?

मैं बोला- कुछ नहीं ….!

तो एकदम से बोली- मेरी चूत की तरफ ना !

मैंने कहा- हाँ !

तो बोली- मुझे चोदोगे ?

मैं बोला- क्या????

तो बोली- तुम्हारे भैया तो नामर्द हैं, कभी लंड ही खड़ा नहीं होता। शादी के ९ महीने बाद भी मैं अक्षत-योनि हूँ…..!

मैं बोला- क्या????

वो बोली- प्लीज़ ! मेरी चूत की प्यास मिटाओ !

मैं अटकता अटकता बोला- ठीईई ठीई ठीक है ! चोदता हूँ ! पर भैया को पता चला तो ?

वो बोली- कुछ नहीं बोलेगा वो भैन का लौड़ाऽऽऽ !

मैं मन मन बहुत खुश हुआ, मेरी पहली चुदाई 18 साल की उम्र में ! मज़ा आ जायेगा …!

फिर मैं भाभी को उठा कर बेड पर ले गया और उनके स्तन ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा।

वो आहें भरने लगी…अह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह मज़ा आ गया ! तेज़ दबाओ जान्न्न् …

मैं और तेज़ दबाने लगा, उसके बूब्स को उसकी ब्रा से आजाद कर के दबाने लगा वो और तेज़ आहे भरने लगी…अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह या आआआअह्ह् उह्ह्हुहुहू अहः

फिर मैं बूब्स को मुँह में चूमने लगा …..

फिर उनकी साड़ी हटा कर पूरा नंगा करने लगा ……. और उसके बदन पर हाथ फेरने लगा।

वो बोली- जान ! बड़ा मज़ा आ रहा है…

मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया, बस पैंटी नहीं खोली और बोला- मेरा लंड तो बाहर निकालो और तरोताजा करो…..!

तो बोली- अभी निकलती हूँ…..

२ मिनट में मुझे पूरा नंगा कर के मेरे ७.५ इंच के मोटे लंड से खेलने लगी….

मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था….. मैं भी आहें भरने लगा..

मेरे लंड ने एक बार करीब २० मिनट बाद पानी छोड़ दिया….

फिर मैं उसकी चूत को पैंटी हटा कर नंगा करने लगा। क्या तो मस्त चूत थी उसकी ….छोटे छोटे बाल और गुलाबी रंग की….

मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो वो आहें भरने लगी- आ आआ आह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह माज्ज़ा आआआ राह्हा है जानी….

मैं बोला- अभी तो असली मज़ा आना बाकी है मेरी जान ….. मैं ऊँगली से उसकी चूत को खोलने लगा….

तो वो चिल्लाई- आह्ह्ह दर्द हो रहा है !

तो मैं बोला- फिर मेरा मोटा लंड घुसने पर क्या होगा मेरी जान…..?

कुछ देर बाद बोली- अब सब्र नहीं होता ! चोदो मेरी चूत को….

तो मैंने उसे बेड पर लेटा कर धीरे धीरे उसकी अनछुई चूत में लंड डालने लगा। मुझे पता था कि दर्द होगा, सो मैंने आराम से घुसाना जारी रखा…

उसे थोड़ा दर्द हुआ पर इतना नहीं जितना आमतौर पर लड़कियों को पहली चुदाई में होता है।

थोड़ी देर बाद मैं स्पीड बढ़ाता गया … अब उसे भी मज़ा आ रहा था, बोलने लगी- प्रकाश जान, और तेज्ज़ फाड़ दे मेरी चूत …

मैं और तेज़ हो गया और उसकी चूत को मज़े देने लगा….

उसकी चूत को चोदते हुए इतना मज़ा आ रहा था कि मुझे लगा कि मैं हमेशा ऐसे जीवन भर चोदता रहूँ…

१५ मिनट बाद वो झड़ गई और बोलने लगी- अब प्लीज़ ! रुक जाओ !

पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं अपनी स्पीड पर उसे चोदता रहा…..

दस मिनट बाद मैं भी झड़ गया और सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया…..

वो बोली- जान आज तो मुझे मज़ा आ गया !

मैं बोला- जान ! तुमने मुझे जो मज़ा दिया उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा….

उस दिन हमने करीब ५ बार चुदाई की।

अब हम रोज चुदाई करने लगे। मैंने ही उसे बच्चा दिया।

मैंने मुस्कान की छोटी बहन की मीनाक्षी को भी खूब चोदा ……

पर यह कहानी बाद में !

मुझे मेल जरूर करना दोस्तों … मुझे आपके मेल कर इन्तज़ार रहेगा.. Sex Stories

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