Important Notice: Click on "Post Your AD" to post free ads !!!

Massage Girl in Madurai: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Madurai who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Madurai that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Madurai massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Madurai who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Madurai massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Madurai massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Madurai who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Madurai employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Madurai helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Madurai

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Madurai at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

अब आगे-Hindi Porn Stories

देवर ने मेरी चूत Hindi Porn Stories के दाने (भग्नासा) को मुँह में लेकर कुल्फ़ी की तरह चूसा…
“स्सीईईईई हाआआ देवर जी स्सीईईई ईईईई बस करो स्स्सीईईई देवर जी ब्ब्ब्स्स करो!” मैं बुदबुदाई.
देवर ने दाने को छोड़ा और जीभ से नीचे से ऊपर को चाटने लगा. जैसे ही उसकी जीभ मेरे दाने से टकराती, मेरे मुँह से अपने आप स्स्सीईईईई हाआआआ आआ निकलता. मैं फ़िर से झड़ने के लिये तैयार हो गई तो मैंने देवर को रोक कर कहा- एक मिनट रुक जाओ ना… मैं फ़िर से बिना उसके ही झड़ जाऊँगी.

अपना लण्ड बाहर निकालकर… “क्या बात है भाभी इतनी जल्दी…?” देवर ने कहा.

मैंने उसको बताया कि मल्टिपल डिस्चार्ज की वजह से मेरे साथ ऐसे होता है, तुम्हारे भैया के साथ भी उनके निपटने से पहले मैं दो-तीन बार झड़ जाती हूं.
“फ़िर तो आज सच में मजा आयेगा!” देवर ने कहा.
उसने यह भी बताया कि देवरानी तो कभी कभार ही झड़ती है वरना उसे ही फ़ारिग होकर उतरना पड़ता है.
मेरी मैक्सी और ऊपर सरकाकर मेरी एक चूची मुँह में लेकर वो चूसने लगा.
“स्स्स्शाआआ आआआ देवर जी… मत चूऊसो स्सीईईई.”

देवर ने मेरी चूची छोड़ दी और मेरे ऊपर से उतर कर बगल में लेटकर बोला- ठीक है भाभी! तुम मेरे ऊपर आओ और अपने हिसाब से जैसे चाहो वैसे करो…

मैं पलट कर उसके ऊपर आ गई. दोनों पंजों के बल बैठते हुये मैंने उसके लण्ड को पकड़ कर छेद पर रखकर नीचे को जोर लगाया, सटाक से आधा लण्ड अन्दर सरक गया, धीरे धीरे सरकते हुये मैंने पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया लेकिन ऊपर उठते हुये मेरी सिसकारी निकल गई. उसके लण्ड के नीचे के मोटे हिस्से से सरक कर जैसे ही टांके लगे हिस्से के पास पहुंचते ही चूत का मुँह सिकुड़ जाता और ऊपर सरकने पर चूत का छेद फ़िर से फ़ैलने लगता और सटक से लण्ड बाहर निकलने पर छेद फ़िर सिकुड़ जाता. फ़िर से नीचे बैठने पर यही प्रक्रिया होने से दुगुना मजा आने लगा लेकिन थोड़ी ही देर में मेरी जांघों में दर्द होने लगा.

दर्द के बारे में बताने पर देवर मुझे उसी पोज में अपने ऊपर लिटा कर खुद ही नीचे से धक्के मारने लगा.
“आआआ स्स्सीईईई… ऊओ ओ ओ ओ स्स्सीईईई…”
देवर ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
“हाआआआ देवर र र र र र जी ईईईईई ईईईई!” मज़े में मेरे चूतड़ भी हिलने लगे और फ़क फ़का कर मैं दुबारा झड़ गई.

देवर ने मुझे अपने ऊपर से उतार कर साइड में लिटाया और मेरे ऊपर आकर बारी बारी से मेरी चूचियाँ चूसने लगा. दस पन्द्रह मिनट में बाद फ़िर से मेरी कामवासना जागी तो देवर ने लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ कर मेरी चूचियाँ चूसते हुये अन्दर घुसे लण्ड पर झटके मारने लगा.
देवर ने पूछा- मजा आ रहा है भाभी…?
“कभी कभी आ रहा है, जब वो अन्दर टकरा रहा है!” मैंने कहा.

देवर ने बेड पर पलटकर मुझे उल्टा कर घोड़ी बना कर पीछे से घोड़ा बनकर पेलना शुरू किया.
यह स्टाइल बहुत गजब का था, मेरे पति ने कभी भी इस तरह नहीं किया था. इन अठारह सालों में मेरे पति ने साधारण तरीके से या कभी कभी मेरी दोनों टांगें अपने कंधे पर रख कर ही चोदा था. दूसरे तीसरे धक्के में ही मेरा चिल्लाना शुरू हो गया. एक तो देवर के लण्ड पर टांके की वजह से दो भागों में बंटा होने के कारण हर बार लगता था जैसे एक के बाद एक दो लण्ड बारी बारी से अन्दर बाहर हो रहे हों, दूसरा पूरा लण्ड अन्दर जाते गर्भाशय से टकराता और बाहर दाने पर दबाव पड़ते ही मुँह से स्स्सीईईई हाआआ निकल जाता.

हर धक्के के साथ मेरी चूत से हवा भी बाहर निकलने के कारण पर र र र र र की आवाज भी निकलने लगी. लगातार आधा घन्टा देवर ने मुझे इसी पोज में चोदा… इतना जबरदस्त मजा आने के बाद भी मैं झड़ी नहीं.
देवर का पसीना मेरी पीठ के ऊपर टपकने लगा. देवर ने मेरी मैक्सी निकाल कर मुझे नंगी कर बेड से उतार कर बेड की साइड में रखे एक बड़े से लोहे के बक्से के सहारे आधा झुका कर खड़ा किया, मेरा एक पैर उठा कर बेड पर रखा और अपने बदन पर पहनी एक मात्र बनियान निकाल कर मेरे पीछे से आकर मुझे बेड के कोने में रखे ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखते रहने को कहा. मेरी टांगों के नीचे आकर पहले तो उसने आठ दस बार मेरी चूत को चाटा…

शीशे में देखते हुये अजीब सा लग रहा था. फ़िर मेरे पीछे खड़ा होकर उसने मेरी चूत में आधा लण्ड घुसेड़ कर मेरी दोनों चूचियों को पकड़ते हुये बाकी का आधा लण्ड अन्दर किया और इसी तरह पांच सात मिनट तक चोदने के बाद वो मुझे और झुका कर मेरी कमर पकड़ कर सटासट सटासट चोदने लगा.
ओ मां… कितना मजा आ रहा था मैं यहाँ बयान नहीं कर सकती…

जैसे ही उसका लण्ड मेरी चूत से बाहर आता.. इससे पहले कि वो धक्का मारकर अन्दर करता… मदहोशी में मैं ही पीछे को धक्के मारकर स्स्सीईईईई हा आ आ करते हुये अन्दर लेने लगी. मैं झड़ने वाली थी… मेरा एक हाथ अपने आप उसकी जान्घ पर गया और हर धक्के में उसकी जान्घ को पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचती और पीछे को धक्का मारती… आआआ स्सीईईई देवर जीईई मेरा आआ हो… स्सीईईई हो… आआस्स्सीईई हो… गयाऽऽऽ देवर जीईईईऽ.

मेरे दोनों पैर काम्पने लगे. देवर ने बेड पर रखा मेरा पैर नीचे किया, दोनों पैरों को थोड़ा फ़ासले पर किया और मेरी कमर पकड़ कर पहले तो आहिस्ता आहिस्ता चोदा फ़िर जैसे ही स्पीड में चोदने लगा. मैंने शीशे में देखा मेरी चूत से सफ़ेद सफ़ेद टपक रहा था.

देवर हूं… हूं… हूं की आवाज निकालते हुये जोर जोर के धक्के मार रहा था.. मेरी चूत के दाने पर दर्द होने लगा… इससे पहले कि मैं उसको बताती उसने ओ ओ ओ करते हुये इतनी जोर से धक्का मारा कि मेरे हाथ फ़िसल गये मैं छाती के बल जोर से बक्से के ऊपर पसर गई… मेरी चूत से एक-दो इंच ऊपर हड्डी का हिस्सा बख्से के कोने से टकराया… मैं दर्द के मारे चिल्लाई- उईईई मां मर गई… देवर ने तीन चार और धक्के उसी अवस्था में मारे और पच पच पच पच पच करके अपने वीर्य की पिचकारियाँ मेरी चूत के अन्दर मार दी. जब उसने अपना लण्ड बाहर खींचा तो चूत से पर र र र र्र र्र र्र की आवाज के साथ साथ ढेर सारा वीर्य निकल कर फ़र्श पर गिर गया.

बड़ी मुश्किल से मैं बक्से के ऊपर से उठी… मैंने देखा मेरी चूत से थोड़ा ऊपर बक्से के कोने का निशान पड़ गया था. देवर ने देखा तो उसने मुझे बेड पर लिटाया और हथेली से उस निशान के ऊपर मालिश करने लगा. चुदाई का असल मजा मैंने आज लिया था… भले ही अब चूत में भयंकर दर्द हो रहा था.

मैंने बेड के ऊपर पड़ी मैक्सी से पहले अपनी चूत साफ़ की फ़िर देवर की वीर्य से सनी झांटों और लण्ड को तथा उसके बाद फ़र्श पर टपके वीर्य को साफ़ करने के बाद अलमारी से अपनी दूसरी मैक्सी निकाल कर पहनी.
देवर ने अपनी बनियान पहन कर नीचे लुन्गी लपेटी और बेड पर बैठते हुये मुझे अपनी गोद में लेकर मेरे गालों और होंठों को चूमते हुये बोला- भाभी, यह अहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा… पहली बार मैंने असली मजा लिया है. रात को भैया से मशवरा लेने के बाद मैं कल सुबह सुबह निकल जाऊँगा. फ़िर जिन्दगी में ये अवसर कभी नहीं आयेगा भाभी, मैं दस मिनट तुम्हारे साथ इसी बिस्तर पर लेटना चाहता हूं… इन्कार मत करना भाभी…

मैं भी एक बार और मजा लूटना चाहती थी लेकिन वक्त बहुत हो गया था… बबलू के उठने का डर भी था सो मैंने देवर से कहा- अगर मुझ पर इतना ही प्यार आ रहा है तो फ़िर कल दिन तक एक बार और मज़े लेकर शाम तक निकल जाना.
“सच भाभी…” कहते हुये वो लगातर दो-तीन मिनट तक मेरे गालों, होठों, माथे और आँखों को चूमता रहा जिससे मैं भी रोमांचित हो गई और उसी तरह उसको भी चूमने के बाद उसको समझा कर उसके कमरे में भेजा और बाथरूम से फ़ारिग होकर मैं बेड पर लेटी, अपनी आखें बन्द कर देवर के साथ लिये मज़े को कैद करती चली गई.

दूसरे दिन मेरा बेटा साढ़े सात बजे स्कूल चला गया और नौ बजे पति ऑफ़िस. देवर ने पति से झूट बोला कि वो देवरानी के लिये बाजार से कुछ कपड़े खरीद कर दोपहर को निकल जायेगा.

मेरे पति के जाने के बाद देवर ने मुझे किचन से खींच कर बेडरूम में लेजा कर अपनी बगल में लिटाया और मुझे चूमते चाटते, मेरी चूचियों को मैक्सी के बाहर से ही भींचते हुये अपनी और देवरानी के सेक्स के बारे में बताने लगा. उसके अनुसार देवरानी बिल्कुल भी सैक्सी नहीं है… वो शुरू से ही सेक्स से बचती फ़िरती है…कभी भी उसने देवर के साथ सेक्स में सहयोग नहीं किया.
उसके पूछने पर मैंने भी बताया कि मेरे पति सेक्स के मामले में हर तरह से सक्षम हैं… पूरी तरह सन्तुष्ट करते हैं लेकिन देवर की तरह चूत चाट कर, घोड़ी बनाकर अलग अलग तरह से नहीं करते हैं.
बातचीत करते करते देवर ने अभी मेरी मैक्सी ऊपर सरका कर मेरी चूत पर हाथ फ़ेरना शुरू किया ही था कि दरवाजे की घन्टी बज गई. हड़बड़ाहट में भाग कर मैंने बाहर जा कर बरामदे का दरवाजा खोला तो सामने बबलू को देख कर मैं दंग रह गई.
दरवाजे पर खड़े खड़े मैंने पूछा- क्या हुआ..? स्कूल नहीं गया क्या…?
बबलू झुंझला कर बोला- अन्दर भी आने दोगी कि नहीं मम्मी, मेरे सिर में जोर का दर्द हो रहा है!
बोलते हुये वो अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया.

मैंने जाकर उसके सिर पर हाथ रखा… सिर तो ठंडा था.
बबलू बोला- मम्मी, कोई दवाई हो तो दे दो और दरवाजा बन्द कर दो, मैं सोऊँगा.
मैंने उसको एक सेरिडान की गोली दी और बाहर आते हुये उसके कमरे का दरवाजा भी भेड़ दिया.

मेरा मन खराब हो गया गया… मैं देवर के साथ जबरदस्ती वाले अन्दाज में अपने आप को छुड़ाते हुये चिल्ला चिल्ला कर चुदवाना चाहती थी. मैं देखना चाहती थी कि कैसे कोई मर्द किसी औरत को बिना उसकी इच्छा के चोद सकता है और इसमें कितना मजा आता है… पर बबलू तो सारा मजा ही किरकिरा कर दिया.
मैं बरामदे का दरवाजा बन्दकर गहरी सोच में डूब कर खड़ी हो गई कि अब तो कल की तरह चुदवाना भी मुश्किल हो गया है…
तभी देवर मेरे बेडरूम की खिड़की से इशारा कर मेरा ध्यान हटाया और मैं उसके पास चली गई. उसके पूछने पर मैंने उसको अब अपनी योजना के बारे में बताया तो वो हंसने लगा और बोला- क्या भाभी… यह तो अब भी हो सकता है ना.
मैंने पूछा- कैसे?
देवर ने याद दिलाई कि बाथरूम के साइड वाले गेस्ट रूम में जाकर कर सकते हैं. बेटे के कमरे तक वहाँ से कोई आवाज भी नहीं आयेगी लेकिन हमें दोपहर के खाने के बाद बेटे के सोने तक इन्तजार करना पड़ेगा. देवर चाबी लेकर गेस्ट रूम में ठीक ठाक करने चले गये और मैं रसोई का काम निपटाने.

काम निपटाकर मैं बेटे को देखने गई…वो सो रहा था. मैंने उसको दोपहर के खाने के बारे में पूछा तो उसने बताया कि कुछ भी बना लो पर दो बजे से पहले उसको डिस्टर्ब ना करूं. सरसों का तेल और पानी की मल्लम से मैंने बबलू के सिर पर थोड़ी देर मालिश की और उसको ये बोल कर कि मैं थोड़ी देर के लिये पड़ोस में जा रही हूँ, तेरे चाचा यहीं हैं, लौट कर खाना बनाऊँगी…
उसके कमरे दरवाजा खींच कर बाहर आई, किचन में जाकर तेल से सने हाथ को अपनी चूत पर साफ़ किया और हाथ साफ़ कर गेस्ट रूम गई. दरवाजे की कुन्डी बन्दकर देवर से बोली- तुमने अपनी माँ का दूध पिया तो करके दिखाओ?
देवर बेड पर लेटा था, वो उठकर बैठ गया और मेरी तरफ़ हैरानी से देखने लगा.
मैंने एक झटके में अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर नीचे कर कहा- देख क्या रहे हो? गांड में दम है तो आओ.
देवर झटके से उठकर मेरी तरफ़ लपका.

मैं भागकर बेड की दूसरी तरफ़ भाग गई. थोड़ी ही देर में मैं देवर की गिरफ़्त में आ गई, बेड पर पटकने के बाद वो मेरी मैक्सी ऊपर सरका कर मेरी टांगे चौड़ी करने की कोशिश करने लगा और मैं अपना बचाव.
काफ़ी देर की उठा पटकी के बाद आखिरकार मैं थक गई थी, मुझ में बचाव करने की हिम्मत नहीं रही और मुझे चित्त कर वो मेरे ऊपर मेरी टांगों के बीच में आ गया. हंसते हुये अपनी कामयाबी पर गर्व करते हुये उसने मेरी चूत पर लण्ड रख कर जैसे ही धक्का मारा मैंने जोर लगा कर चूत को भींच लिया. पता नहीं उसने कितनी कोशिश की पर लण्ड चूत के अन्दर नहीं कर पाया. दोनों पसीने से तर-बतर हो चुके थे.
देवर ने एक बार फ़िर मेरी चूत पर अपना लण्ड सटाया और मेरी चूची को मुँह में भर कर जोर से दांत गड़ा दिये… मैं दर्द के मारे उचक गई… और चूत ढीली पड़ते ही सटट्टाक से लण्ड एक ही बार में पूरा अन्दर घुस गया.
देवर बोला- अब क्या करोगी मेरी जान…
मैंने शांत रहते हुये कहा- अब मैं क्या कर सकती हूँ… जो कुछ करोगे तुम ही करोगे…

मेरे ऐसा बोलते ही वो धीरे धीरे हिलने लगा और मौका पाकर मैं नीचे से एक तरफ़ सरक गई और बेचारा फ़िर से लण्ड अन्दर डालने की कोशिश में लग गया.
यहाँ पर मैं संक्षेप में बता दूँ कि तीन घन्टे तक हमने चुदाई की. पहली बार तो दैहिक शोषण के अन्दाज में, दूसरी बार कामसूत्र के ना जाने कितने आसनों के साथ, तीसरी बार देवर के जाने की वजह से भावुकता में.

देवर की इन तीन बार की चुदाई में मैं शायद सात-आठ बार झड़ी. बीस पच्चीस मिनट एक दूसरे की बाहों में लेटे रहने के बाद मैं किचन में दोपहर का खाना बनाने चली आई और देवर गेस्ट-रूम ठीक ठाक कर नहाने के बाद जाने के लिये तैयार हो गया.

खाना डायनिंग टेबल पर लगाने के बाद मैं बेटे को उठाने गई… उसका चेहरा लाल हो रहा था… उसकी आँखें भी सूजी हुई थी… घबरा कर मैंने उसको उठाया और देवर को बताया. देवर ने खाना खाकर उसको डाक्टर के पास ले चलने को कहा. खाना खाते खाते बबलू का चेहरा ठीक हो गया. थोड़ी देर आराम करने के बाद बबलू अपने चाचा को बस स्टाप तक छोड़कर लौटा.
सारे नजारे एक एक कर मेरी आँखों के सामने घूमकर खत्म होते ही मेरी नजर बबलू पर पड़ी उसकी निगाह मेरे ब्लाउज के ऊपर अटकी थी.

मैंने उसको पूछा कि यह बात उसने राजू को तो नहीं बताई तो उसने जवाब दिया कि चाचा वाली बात तो नहीं बताई लेकिन शादी वाली रात की बात बता दी थी.
मैंने उसको समझाया कि ऐसी बातें किसी को नहीं बताया करते… अच्छी बात नहीं होती है. जा अब अपने कमरे में जा.
“मम्मी प्लीज… एक बार चाचा की तरह करने दो ना… सिर्फ़ एक बार!”
“कर तो लिया था तूने शादी वाली रात… बस अब नहीं…” मैंने कहा.
“नहीं मम्मी वैसे नहीं…बक्से के पास जैसे चाचा ने किया था.”

मेरे लाख डराने और समझाने पर भी वो अपनी जिद पर अड़ा रहा तो मैंने उससे वादा लिया कि इसके बाद वो इस बारे में कभी सोचेगा भी नहीं और चाचा या अपने बारे में किसी को भी कुछ नहीं बतायेगा… राजू को भी नहीं.

उसके बाद मैं उसके साथ बक्से के पास उसी अवस्था में जाकर खड़ी हो गई. बबलू ने मेरा पेटिकोट ऊपर सरकाया, नीचे बैठकर अपने चाचा की नकल उतारते हुये मेरी चूत को चाटा फ़िर पीछे से कमर पकड़कर चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद बोला- मम्मी चिल्लाओ ना जैसे चाचा के साथ चिल्ला रही थी.

अब मैं उसको कैसे समझाती कि उस वक्त तो मजा आ रहा था… मेरे मुँह से अपने आप आवाज निकल रही थी और इस वक्त एक तो ना चाहते हुये मजबूरी में बेटे से चुदवाने की ग्लानि और पतले से लण्ड से कैसे मज़े की आवाज निकल सकती है.
मैंने उससे कहा- बेटे जल्दी कर… बेटे के साथ वैसे नहीं चिल्ला सकते और मैंने जान बूझ कर अपनी चूत को भींच लिया जिस वजह से उसके लण्ड पर दबाव पड़ा और तीन चार धक्कों में ही हा आआ आआआआ करते हुये वो मेरे से चिपक गया.

उसके हटने के बाद मैं जैसे ही खड़ी हुई, मेरी चूत से पतला पानी जैसा उसका वीर्य टपकने लगा जिसे मैंने अपने पेटिकोट से पोंछा और उसको उसके कमरे में भेजते हुये उसको याद दिलाया कि वो फ़िर दुबारा ऐसा करने की कोशिश नहीं करेगा और किसी से इस बात का जिक्र नहीं करेगा.
मेरी समझ में भी आ गया कि हवस की आग हमेशा आँखें और दिमाग खुले रख आस-पास का मुआयना करने के बाद ही शान्त करने में अकलमन्दी होती है. देवर ने मेरी चूत के दाने (भग्नासा) को मुँह में लेकर कुल्फ़ी की तरह चूसा…
“स्सीईईईई हाआआ देवर जी स्सीईईई ईईईई बस करो स्स्सीईईई देवर जी ब्ब्ब्स्स करो!” मैं बुदबुदाई.
देवर ने दाने को छोड़ा और जीभ से नीचे से ऊपर को चाटने लगा. जैसे ही उसकी जीभ मेरे दाने से टकराती, मेरे मुँह से अपने आप स्स्सीईईईई हाआआआ आआ निकलता. मैं फ़िर से झड़ने के लिये तैयार हो गई तो मैंने देवर को रोक कर कहा- एक मिनट रुक जाओ ना… मैं फ़िर से बिना उसके ही झड़ जाऊँगी.

अपना लण्ड बाहर निकालकर… “क्या बात है भाभी इतनी जल्दी…?” देवर ने कहा.

मैंने उसको बताया कि मल्टिपल डिस्चार्ज की वजह से मेरे साथ ऐसे होता है, तुम्हारे भैया के साथ भी उनके निपटने से पहले मैं दो-तीन बार झड़ जाती हूं.
“फ़िर तो आज सच में मजा आयेगा!” देवर ने कहा.
उसने यह भी बताया कि देवरानी तो कभी कभार ही झड़ती है वरना उसे ही फ़ारिग होकर उतरना पड़ता है.
मेरी मैक्सी और ऊपर सरकाकर मेरी एक चूची मुँह में लेकर वो चूसने लगा.
“स्स्स्शाआआ आआआ देवर जी… मत चूऊसो स्सीईईई.”

देवर ने मेरी चूची छोड़ दी और मेरे ऊपर से उतर कर बगल में लेटकर बोला- ठीक है भाभी! तुम मेरे ऊपर आओ और अपने हिसाब से जैसे चाहो वैसे करो…

मैं पलट कर उसके ऊपर आ गई. दोनों पंजों के बल बैठते हुये मैंने उसके लण्ड को पकड़ कर छेद पर रखकर नीचे को जोर लगाया, सटाक से आधा लण्ड अन्दर सरक गया, धीरे धीरे सरकते हुये मैंने पूरा लण्ड अपनी चूत में ले लिया लेकिन ऊपर उठते हुये मेरी सिसकारी निकल गई. उसके लण्ड के नीचे के मोटे हिस्से से सरक कर जैसे ही टांके लगे हिस्से के पास पहुंचते ही चूत का मुँह सिकुड़ जाता और ऊपर सरकने पर चूत का छेद फ़िर से फ़ैलने लगता और सटक से लण्ड बाहर निकलने पर छेद फ़िर सिकुड़ जाता. फ़िर से नीचे बैठने पर यही प्रक्रिया होने से दुगुना मजा आने लगा लेकिन थोड़ी ही देर में मेरी जांघों में दर्द होने लगा.

दर्द के बारे में बताने पर देवर मुझे उसी पोज में अपने ऊपर लिटा कर खुद ही नीचे से धक्के मारने लगा.
“आआआ स्स्सीईईई… ऊओ ओ ओ ओ स्स्सीईईई…”
देवर ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
“हाआआआ देवर र र र र र जी ईईईईई ईईईई!” मज़े में मेरे चूतड़ भी हिलने लगे और फ़क फ़का कर मैं दुबारा झड़ गई.

देवर ने मुझे अपने ऊपर से उतार कर साइड में लिटाया और मेरे ऊपर आकर बारी बारी से मेरी चूचियाँ चूसने लगा. दस पन्द्रह मिनट में बाद फ़िर से मेरी कामवासना जागी तो देवर ने लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ कर मेरी चूचियाँ चूसते हुये अन्दर घुसे लण्ड पर झटके मारने लगा.
देवर ने पूछा- मजा आ रहा है भाभी…?
“कभी कभी आ रहा है, जब वो अन्दर टकरा रहा है!” मैंने कहा.

देवर ने बेड पर पलटकर मुझे उल्टा कर घोड़ी बना कर पीछे से घोड़ा बनकर पेलना शुरू किया.
यह स्टाइल बहुत गजब का था, मेरे पति ने कभी भी इस तरह नहीं किया था. इन अठारह सालों में मेरे पति ने साधारण तरीके से या कभी कभी मेरी दोनों टांगें अपने कंधे पर रख कर ही चोदा था. दूसरे तीसरे धक्के में ही मेरा चिल्लाना शुरू हो गया. एक तो देवर के लण्ड पर टांके की वजह से दो भागों में बंटा होने के कारण हर बार लगता था जैसे एक के बाद एक दो लण्ड बारी बारी से अन्दर बाहर हो रहे हों, दूसरा पूरा लण्ड अन्दर जाते गर्भाशय से टकराता और बाहर दाने पर दबाव पड़ते ही मुँह से स्स्सीईईई हाआआ निकल जाता.

हर धक्के के साथ मेरी चूत से हवा भी बाहर निकलने के कारण पर र र र र र की आवाज भी निकलने लगी. लगातार आधा घन्टा देवर ने मुझे इसी पोज में चोदा… इतना जबरदस्त मजा आने के बाद भी मैं झड़ी नहीं.
देवर का पसीना मेरी पीठ के ऊपर टपकने लगा. देवर ने मेरी मैक्सी निकाल कर मुझे नंगी कर बेड से उतार कर बेड की साइड में रखे एक बड़े से लोहे के बक्से के सहारे आधा झुका कर खड़ा किया, मेरा एक पैर उठा कर बेड पर रखा और अपने बदन पर पहनी एक मात्र बनियान निकाल कर मेरे पीछे से आकर मुझे बेड के कोने में रखे ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखते रहने को कहा. मेरी टांगों के नीचे आकर पहले तो उसने आठ दस बार मेरी चूत को चाटा…

शीशे में देखते हुये अजीब सा लग रहा था. फ़िर मेरे पीछे खड़ा होकर उसने मेरी चूत में आधा लण्ड घुसेड़ कर मेरी दोनों चूचियों को पकड़ते हुये बाकी का आधा लण्ड अन्दर किया और इसी तरह पांच सात मिनट तक चोदने के बाद वो मुझे और झुका कर मेरी कमर पकड़ कर सटासट सटासट चोदने लगा.
ओ मां… कितना मजा आ रहा था मैं यहाँ बयान नहीं कर सकती…

जैसे ही उसका लण्ड मेरी चूत से बाहर आता.. इससे पहले कि वो धक्का मारकर अन्दर करता… मदहोशी में मैं ही पीछे को धक्के मारकर स्स्सीईईईई हा आ आ करते हुये अन्दर लेने लगी. मैं झड़ने वाली थी… मेरा एक हाथ अपने आप उसकी जान्घ पर गया और हर धक्के में उसकी जान्घ को पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचती और पीछे को धक्का मारती… आआआ स्सीईईई देवर जीईई मेरा आआ हो… स्सीईईई हो… आआस्स्सीईई हो… गयाऽऽऽ देवर जीईईईऽ.

मेरे दोनों पैर काम्पने लगे. देवर ने बेड पर रखा मेरा पैर नीचे किया, दोनों पैरों को थोड़ा फ़ासले पर किया और मेरी कमर पकड़ कर पहले तो आहिस्ता आहिस्ता चोदा फ़िर जैसे ही स्पीड में चोदने लगा. मैंने शीशे में देखा मेरी चूत से सफ़ेद सफ़ेद टपक रहा था.

देवर हूं… हूं… हूं की आवाज निकालते हुये जोर जोर के धक्के मार रहा था.. मेरी चूत के दाने पर दर्द होने लगा… इससे पहले कि मैं उसको बताती उसने ओ ओ ओ करते हुये इतनी जोर से धक्का मारा कि मेरे हाथ फ़िसल गये मैं छाती के बल जोर से बक्से के ऊपर पसर गई… मेरी चूत से एक-दो इंच ऊपर हड्डी का हिस्सा बख्से के कोने से टकराया… मैं दर्द के मारे चिल्लाई- उईईई मां मर गई… देवर ने तीन चार और धक्के उसी अवस्था में मारे और पच पच पच पच पच करके अपने वीर्य की पिचकारियाँ मेरी चूत के अन्दर मार दी. जब उसने अपना लण्ड बाहर खींचा तो चूत से पर र र र र्र र्र र्र की आवाज के साथ साथ ढेर सारा वीर्य निकल कर फ़र्श पर गिर गया.

बड़ी मुश्किल से मैं बक्से के ऊपर से उठी… मैंने देखा मेरी चूत से थोड़ा ऊपर बक्से के कोने का निशान पड़ गया था. देवर ने देखा तो उसने मुझे बेड पर लिटाया और हथेली से उस निशान के ऊपर मालिश करने लगा. चुदाई का असल मजा मैंने आज लिया था… भले ही अब चूत में भयंकर दर्द हो रहा था.

मैंने बेड के ऊपर पड़ी मैक्सी से पहले अपनी चूत साफ़ की फ़िर देवर की वीर्य से सनी झांटों और लण्ड को तथा उसके बाद फ़र्श पर टपके वीर्य को साफ़ करने के बाद अलमारी से अपनी दूसरी मैक्सी निकाल कर पहनी.
देवर ने अपनी बनियान पहन कर नीचे लुन्गी लपेटी और बेड पर बैठते हुये मुझे अपनी गोद में लेकर मेरे गालों और होंठों को चूमते हुये बोला- भाभी, यह अहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा… पहली बार मैंने असली मजा लिया है. रात को भैया से मशवरा लेने के बाद मैं कल सुबह सुबह निकल जाऊँगा. फ़िर जिन्दगी में ये अवसर कभी नहीं आयेगा भाभी, मैं दस मिनट तुम्हारे साथ इसी बिस्तर पर लेटना चाहता हूं… इन्कार मत करना भाभी…

मैं भी एक बार और मजा लूटना चाहती थी लेकिन वक्त बहुत हो गया था… बबलू के उठने का डर भी था सो मैंने देवर से कहा- अगर मुझ पर इतना ही प्यार आ रहा है तो फ़िर कल दिन तक एक बार और मज़े लेकर शाम तक निकल जाना.
“सच भाभी…” कहते हुये वो लगातर दो-तीन मिनट तक मेरे गालों, होठों, माथे और आँखों को चूमता रहा जिससे मैं भी रोमांचित हो गई और उसी तरह उसको भी चूमने के बाद उसको समझा कर उसके कमरे में भेजा और बाथरूम से फ़ारिग होकर मैं बेड पर लेटी, अपनी आखें बन्द कर देवर के साथ लिये मज़े को कैद करती चली गई.

दूसरे दिन मेरा बेटा साढ़े सात बजे स्कूल चला गया और नौ बजे पति ऑफ़िस. देवर ने पति से झूट बोला कि वो देवरानी के लिये बाजार से कुछ कपड़े खरीद कर दोपहर को निकल जायेगा.

मेरे पति के जाने के बाद देवर ने मुझे किचन से खींच कर बेडरूम में लेजा कर अपनी बगल में लिटाया और मुझे चूमते चाटते, मेरी चूचियों को मैक्सी के बाहर से ही भींचते हुये अपनी और देवरानी के सेक्स के बारे में बताने लगा. उसके अनुसार देवरानी बिल्कुल भी सैक्सी नहीं है… वो शुरू से ही सेक्स से बचती फ़िरती है…कभी भी उसने देवर के साथ सेक्स में सहयोग नहीं किया.
उसके पूछने पर मैंने भी बताया कि मेरे पति सेक्स के मामले में हर तरह से सक्षम हैं… पूरी तरह सन्तुष्ट करते हैं लेकिन देवर की तरह चूत चाट कर, घोड़ी बनाकर अलग अलग तरह से नहीं करते हैं.
बातचीत करते करते देवर ने अभी मेरी मैक्सी ऊपर सरका कर मेरी चूत पर हाथ फ़ेरना शुरू किया ही था कि दरवाजे की घन्टी बज गई. हड़बड़ाहट में भाग कर मैंने बाहर जा कर बरामदे का दरवाजा खोला तो सामने बबलू को देख कर मैं दंग रह गई.
दरवाजे पर खड़े खड़े मैंने पूछा- क्या हुआ..? स्कूल नहीं गया क्या…?
बबलू झुंझला कर बोला- अन्दर भी आने दोगी कि नहीं मम्मी, मेरे सिर में जोर का दर्द हो रहा है!
बोलते हुये वो अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया.

मैंने जाकर उसके सिर पर हाथ रखा… सिर तो ठंडा था.
बबलू बोला- मम्मी, कोई दवाई हो तो दे दो और दरवाजा बन्द कर दो, मैं सोऊँगा.
मैंने उसको एक सेरिडान की गोली दी और बाहर आते हुये उसके कमरे का दरवाजा भी भेड़ दिया.

मेरा मन खराब हो गया गया… मैं देवर के साथ जबरदस्ती वाले अन्दाज में अपने आप को छुड़ाते हुये चिल्ला चिल्ला कर चुदवाना चाहती थी. मैं देखना चाहती थी कि कैसे कोई मर्द किसी औरत को बिना उसकी इच्छा के चोद सकता है और इसमें कितना मजा आता है… पर बबलू तो सारा मजा ही किरकिरा कर दिया.
मैं बरामदे का दरवाजा बन्दकर गहरी सोच में डूब कर खड़ी हो गई कि अब तो कल की तरह चुदवाना भी मुश्किल हो गया है…
तभी देवर मेरे बेडरूम की खिड़की से इशारा कर मेरा ध्यान हटाया और मैं उसके पास चली गई. उसके पूछने पर मैंने उसको अब अपनी योजना के बारे में बताया तो वो हंसने लगा और बोला- क्या भाभी… यह तो अब भी हो सकता है ना.
मैंने पूछा- कैसे?
देवर ने याद दिलाई कि बाथरूम के साइड वाले गेस्ट रूम में जाकर कर सकते हैं. बेटे के कमरे तक वहाँ से कोई आवाज भी नहीं आयेगी लेकिन हमें दोपहर के खाने के बाद बेटे के सोने तक इन्तजार करना पड़ेगा. देवर चाबी लेकर गेस्ट रूम में ठीक ठाक करने चले गये और मैं रसोई का काम निपटाने.

काम निपटाकर मैं बेटे को देखने गई…वो सो रहा था. मैंने उसको दोपहर के खाने के बारे में पूछा तो उसने बताया कि कुछ भी बना लो पर दो बजे से पहले उसको डिस्टर्ब ना करूं. सरसों का तेल और पानी की मल्लम से मैंने बबलू के सिर पर थोड़ी देर मालिश की और उसको ये बोल कर कि मैं थोड़ी देर के लिये पड़ोस में जा रही हूँ, तेरे चाचा यहीं हैं, लौट कर खाना बनाऊँगी…
उसके कमरे दरवाजा खींच कर बाहर आई, किचन में जाकर तेल से सने हाथ को अपनी चूत पर साफ़ किया और हाथ साफ़ कर गेस्ट रूम गई. दरवाजे की कुन्डी बन्दकर देवर से बोली- तुमने अपनी माँ का दूध पिया तो करके दिखाओ?
देवर बेड पर लेटा था, वो उठकर बैठ गया और मेरी तरफ़ हैरानी से देखने लगा.
मैंने एक झटके में अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर नीचे कर कहा- देख क्या रहे हो? गांड में दम है तो आओ.
देवर झटके से उठकर मेरी तरफ़ लपका.

मैं भागकर बेड की दूसरी तरफ़ भाग गई. थोड़ी ही देर में मैं देवर की गिरफ़्त में आ गई, बेड पर पटकने के बाद वो मेरी मैक्सी ऊपर सरका कर मेरी टांगे चौड़ी करने की कोशिश करने लगा और मैं अपना बचाव.
काफ़ी देर की उठा पटकी के बाद आखिरकार मैं थक गई थी, मुझ में बचाव करने की हिम्मत नहीं रही और मुझे चित्त कर वो मेरे ऊपर मेरी टांगों के बीच में आ गया. हंसते हुये अपनी कामयाबी पर गर्व करते हुये उसने मेरी चूत पर लण्ड रख कर जैसे ही धक्का मारा मैंने जोर लगा कर चूत को भींच लिया. पता नहीं उसने कितनी कोशिश की पर लण्ड चूत के अन्दर नहीं कर पाया. दोनों पसीने से तर-बतर हो चुके थे.
देवर ने एक बार फ़िर मेरी चूत पर अपना लण्ड सटाया और मेरी चूची को मुँह में भर कर जोर से दांत गड़ा दिये… मैं दर्द के मारे उचक गई… और चूत ढीली पड़ते ही सटट्टाक से लण्ड एक ही बार में पूरा अन्दर घुस गया.
देवर बोला- अब क्या करोगी मेरी जान…
मैंने शांत रहते हुये कहा- अब मैं क्या कर सकती हूँ… जो कुछ करोगे तुम ही करोगे…

मेरे ऐसा बोलते ही वो धीरे धीरे हिलने लगा और मौका पाकर मैं नीचे से एक तरफ़ सरक गई और बेचारा फ़िर से लण्ड अन्दर डालने की कोशिश में लग गया.
यहाँ पर मैं संक्षेप में बता दूँ कि तीन घन्टे तक हमने चुदाई की. पहली बार तो दैहिक शोषण के अन्दाज में, दूसरी बार कामसूत्र के ना जाने कितने आसनों के साथ, तीसरी बार देवर के जाने की वजह से भावुकता में.

देवर की इन तीन बार की चुदाई में मैं शायद सात-आठ बार झड़ी. बीस पच्चीस मिनट एक दूसरे की बाहों में लेटे रहने के बाद मैं किचन में दोपहर का खाना बनाने चली आई और देवर गेस्ट-रूम ठीक ठाक कर नहाने के बाद जाने के लिये तैयार हो गया.

खाना डायनिंग टेबल पर लगाने के बाद मैं बेटे को उठाने गई… उसका चेहरा लाल हो रहा था… उसकी आँखें भी सूजी हुई थी… घबरा कर मैंने उसको उठाया और देवर को बताया. देवर ने खाना खाकर उसको डाक्टर के पास ले चलने को कहा. खाना खाते खाते बबलू का चेहरा ठीक हो गया. थोड़ी देर आराम करने के बाद बबलू अपने चाचा को बस स्टाप तक छोड़कर लौटा.
सारे नजारे एक एक कर मेरी आँखों के सामने घूमकर खत्म होते ही मेरी नजर बबलू पर पड़ी उसकी निगाह मेरे ब्लाउज के ऊपर अटकी थी.

मैंने उसको पूछा कि यह बात उसने राजू को तो नहीं बताई तो उसने जवाब दिया कि चाचा वाली बात तो नहीं बताई लेकिन शादी वाली रात की बात बता दी थी.
मैंने उसको समझाया कि ऐसी बातें किसी को नहीं बताया करते… अच्छी बात नहीं होती है. जा अब अपने कमरे में जा.
“मम्मी प्लीज… एक बार चाचा की तरह करने दो ना… सिर्फ़ एक बार!”
“कर तो लिया था तूने शादी वाली रात… बस अब नहीं…” मैंने कहा.
“नहीं मम्मी वैसे नहीं…बक्से के पास जैसे चाचा ने किया था.”

मेरे लाख डराने और समझाने पर भी वो अपनी जिद पर अड़ा रहा तो मैंने उससे वादा लिया कि इसके बाद वो इस बारे में कभी सोचेगा भी नहीं और चाचा या अपने बारे में किसी को भी कुछ नहीं बतायेगा… राजू को भी नहीं.

उसके बाद मैं उसके साथ बक्से के पास उसी अवस्था में जाकर खड़ी हो गई. बबलू ने मेरा पेटिकोट ऊपर सरकाया, नीचे बैठकर अपने चाचा की नकल उतारते हुये मेरी चूत को चाटा फ़िर पीछे से कमर पकड़कर चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद बोला- मम्मी चिल्लाओ ना जैसे चाचा के साथ चिल्ला रही थी.

अब मैं उसको कैसे समझाती कि उस वक्त तो मजा आ रहा था… मेरे मुँह से अपने आप आवाज निकल रही थी और इस वक्त एक तो ना चाहते हुये मजबूरी में बेटे से चुदवाने की ग्लानि और पतले से लण्ड से कैसे मज़े की आवाज निकल सकती है.
मैंने उससे कहा- बेटे जल्दी कर… बेटे के साथ वैसे नहीं चिल्ला सकते और मैंने जान बूझ कर अपनी चूत को भींच लिया जिस वजह से उसके लण्ड पर दबाव पड़ा और तीन चार धक्कों में ही हा आआ आआआआ करते हुये वो मेरे से चिपक गया.

उसके हटने के बाद मैं जैसे ही खड़ी हुई, मेरी चूत से पतला पानी जैसा उसका वीर्य टपकने लगा जिसे मैंने अपने पेटिकोट से पोंछा और उसको उसके कमरे में भेजते हुये उसको याद दिलाया कि वो फ़िर दुबारा ऐसा करने की कोशिश नहीं करेगा और किसी से इस बात का जिक्र नहीं करेगा.
मेरी समझ में भी आ गया कि हवस की आग हमेशा आँखें और दिमाग खुले रख आस-पास का मुआयना करने के बाद ही शान्त करने में अकलमन्दी होती है. Hindi Porn Stories

Hindi Sex Stories

शेफाली मेरी दोस्त Hindi Sex Stories और जूनियर थी। हम दोनों एक ही गर्ल्स हॉस्टल में रहते थे। उसने कभी सेक्स नहीं किया था और हम दोनों देर रात तक सेक्स की बातें किया करते थे।

उसे बस एक ही डर था कि पहली रात में उसे कितना दर्द होगा ?

उसके इस डर को दूर करने के लिए मेरा एक दोस्त उसकी पहली चुदाई के लिए तैयार हो गया।

वो तुंरत मान गई और कहा- दीदी, आप मेरे साथ रहना उस वक़्त, जब लंड अन्दर जायेगा।

वो दोस्त और कोई नहीं मेरा बॉयफ्रेंड था।

पहले तो मेरा मन नहीं माना फिर उसकी चूत के लिए मान गया।

काश ! मेरे साथ भी कोई रहता, जब देव ने पहले बार मेरे अन्दर घुसाया था।

मैं रो रही थी और उसने एक न सुनी थी, उसका लंड मेरे चूत के खून को चख रहा था।

देव बिल्कुल मान गया और मन ही मन खुश था जो आज नथ उतारेगा।

हम सब उस काली रात उसके फ्लैट में चले गए। मैंने शेफाली के कपड़े खोले और उसे बिस्तर पर लेटा दिया।

देव नंगा खड़ा था और उसका लण्ड तना हुआ था।

शेफाली डरी हुई थी और मैं उसकी चूत सहला रही थी।

उसका पानी निकलना शुरू हो गया था।

देव ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाला लेकिन शेफाली ने तुंरत अपने मुँह में ले लिया।

मैं अपनी चूत को रगड़ने लगी लेकिन देव ने मुझे हटा कर उसकी जांघों को फैला दिया। उसने शेफ़ाली की चूत पर अपना लौड़ा रखा और धक्के मारने लगा।

दीदीऽऽ दीदी रोको इसे प्लीज़ऽऽ !!

देव ने शेफाली के नितंब को अपने हाथों में लिया और उसको चोदने लगा।

बस बस !! मैंने कहा- उसकी हालत बुरी हो रही थी !

मैं ब्रा पैंटी पहने हुए देव को शेफाली को चोदते हुए देख रही थी।

शेफाली के हाथ मेरे हाथों में थे और वो चुद रही थी।

मुझे भी चुदवाने का मन कर रहा था, मैंने देव से कहा- बस देव हो गया !

लेकिन दोनों अब सेक्स के चरमोत्कर्ष पर पहुँच रहे थे। लंड घुसता और निकलता जा रहा था और शेफाली की जांघ देव के बदन पर कसती जा रही थी।

मैंने देव को रोका और कहा- अब मेरी भी भूख मिटा दो !

देव ने कहा- डार्लिंग, शेफाली की चूत में जो मज़ा है, तुम्हारी में नहीं ! इसके मम्मे और नितंब की बात ही कुछ और है। अपनी गांड और मम्मे देखो ! झूल गए हैं !

मैंने कहा- मेरे झूल गए तो तुम भूल गए !!

दोनों रखलित हो रहे थे।

शेफाली बोल पड़ी- ओऽऽऊऽ ओऽऽऊ ! देव आई लव यू ! देव !

और देव बोला- आई लव यू टू ! शेफाली !

शेफाली की चूत काली निकली। दोनों ने कई बार सेक्स किया और मुझे पूछा तक नहीं था।

मैं चुपचाप वहाँ से कपड़े पहन कर निकल पड़ी। Hindi Sex Stories

Hindi Porn Stories

हेलो पाठको, मैं अन्तर्वासना Hindi Porn Stories का नियमित पाठक हूँ। मैं अपनी कहानी आप सभी को बताना चाहता हूँ। यह करीब पाँच साल पुरानी बात है, जब मैं स्नातिकी के प्रथम वर्ष में था। कॉलेज की छुट्टियों में मेरे घर के सभी सदस्य गाँव चले गए थे। मेरा रहने का प्रबंध मेरी चाची के यहाँ कर दिया था। मैं बहुत खुश था।

मैं सुबह जल्दी से तैयार होके चाची के यहाँ चला गया। चाची ने दरवाजा खोला, वो बहुत ही अलग लग रही थी। उन्होंने साड़ी पहनी थी। साड़ी में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मेरा मन बदलने लगा, मैं कभी कभी चाची के बारे में सोचता था और मुठ मारता था।

उन्होंने मुझसे बैठने को कहा और अन्दर रसोई में चली गई, कुछ देर बाद चाची कुछ खाने को लाई। मैंने उनसे चाचा और बच्चों के बारे में पूछा, तो पता चला कि चाचा सुबह ही गाँव गए हैं और बच्चे अपनी नानी माँ के पास गए हैं, दो दिन बाद लौटेंगे।

मैं यह सोच कर सोचता ही रह गया कि आज के बाद के आठ दिन मुझे उनके साथ रहना है, और दो दिन हम दोनों को अकेले ही रहना है। वैसे तो मुझे चाची पसंद ही नहीं, बल्कि वो तो मेरी ड्रीम गर्ल थी। उनको जब पहली बार देखा था तो वो बहुत ही सादगीपूर्ण थी। उन्होंने कभी मुझे अपने बच्चों से अलग नहीं समझा था। कुछ साल पहले जब मैं उनके घर गया था तो उन्होंने मुझे छोटा समझ के मेरे सामने अपनी साड़ी बदली थी, तब मैं सातवीं कक्षा में था। तभी से आज तक मैं उनके बारे में सोचता और अपने मन को शांत करता था। उनके उस सादे रूप में और अ़ब दो बच्चों को जन्म देने के बाद बहुत बदलाव हुए हैं, वो और भी सुन्दर होती जा रही हैं।

उस दिन तो वो गजब लग रही थी। मैं उनको चोरी से देखता हूँ, यह बात उन्हें पता चल चुकी थी। मगर उन्होंने इस बात का जिक्र कभी किसी से नहीं किया था और आज मैं उनके साथ अकेला था। उन्होंने मेरी कॉलेज-लाइफ के बारे में पूछना शुरु किया। वैसे तो मैं उनसे ज्यादा बात तो करता ही था, मैंने भी उनसे उनकी कॉलेज-लाइफ के बारे में पूछा और हम बातों में इतने घुल मिल गये कि हमें वक्त का लिहाज भी नहीं रहा। कोई एक बजे हमने खाना खाया। उन्हें मदद करने के बहाने (देखने के लिए) रसोई में चला गया। वहाँ बरतन मांजते समय मैंने एक दो बार उन्हें छू भी लिया था। उन्होंने कुछ भी नहीं कहते हुए सब अनदेखा कर दिया। यह देख कर मैं और भी उनकी तरफ आकर्षित हुआ।

काम निपटा के हम दोनों बाहर आ गये। टीवी उनके बेडरूम में होने के कारण हम दोनों बेडरूम में चले गए। वो बेड पर बैठी और मैं ठीक उनके सामने बेड से नीचे बैठा था।

टीवी पर कोई होरर फ़िल्म चल रही थी। बेडरूम में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था और होम- थियेटर होने के कारण आवाज कमरे में गूंज रही थी। डर के कारण उनके पैर मुझे छू रहे थे, यह देखकर मैंने उन्हें महसूस करना शुरु किया। चाची फ़िल्म के मज़े ले रही थी और मैं उनके स्पर्श का अनुभव कर रहा था। अचानक मरे कंधों को चाची ने दबोचा, मैं अपने गहरे सपने से जाग गया तो देखा कि चाची के दोनों पैर मेरे दोनों कंधों के बगल में थे। अगर मैं घूम जाता तो चाची की मांसल पिंडलियों में मैं अपने आपको खो देता। मैं उनके शरीर को महसूस करने लगा।

अचानक डर के मारे चाची ने अपना चेहरा मेरे सर और दाएं कंधे के बीच दबाया। उनके गदराये शरीर ने मानो मुझे पागल कर दिया। उनकी दोनों टांगों के बीच मेरा सर उनकी जांघों से और उनके रसीले मादक आमों से टकरा रहा था। अचानक वो फ़िल्म के माहौल से बाहर आ गई और अपने आपको मुझसे इतना चिपके देख हड़बड़ा गई। मैं उनके दोनों पैरों के बीच फंसा था, यह देख उन्हें मुझ पर हंसी आ रही थी, मगर मेरी होने वाली हलचल से उन्हें कुछ और महसूस होने लगा था। मैं उनके मम्मों के और चूत के इतने करीब था कि उनकी चूत पानी छोड़ रही थी और मेरे बाल भीगी चूत के कारण गीले हो रहे थे। मेरी हालत पतली हो गई थी और यह देख कर वो वापिस फ़िल्म देखने लगी मगर उनके मन में कुछ और ही चल रहा था।

कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि उनका बायाँ हाथ मेरे कंधे से मेरे गले तक आ गया था और उनकी चुचियाँ मेरे सर को चुभ रही थी। एकाएक उन्होंने अपने बायें हाथ से मेरे सर को अपनी ओर घुमाया और मेरी आँखों में आँखें डालकर अपने रसीले होंटों को मेरे होंटों से लगाकर चूमना शुरु किया। मेरे लिए ये सब नया था, मैं पहले डर गया मगर थोड़ी देर बाद मैंने भी साथ देना शुरु किया। अ़ब मेरे हाथ चाची को टटोल रहे थे। मैंने उनके स्तनों को ऊपर से सहलाना शुरु किया वह भी यही चाहती थी। उनके हाथ मेरी पीठ और बालों में घूम रहे थे। उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।

मैं अब बेड पर आ गया। मैं उनके ऊपर और वो मेरे नीचे थी। मैं अपने हाथों से उनके वक्ष सहला रहा था। एक एक करके उनके दोनों मम्मों को बारी-बारी ब्लाऊज़ के ऊपर से मुँह में ले रहा था, मेरे थूक के कारण उनकी ब्लाऊज़ गीली हो गई थी। वो भी उसका आनन्द ले रही थी। गर्मी के साथ मेरी थूक के कारण उन्हें ठंडी का एहसास हो रहा था और वो मुझसे और लिपटती सी जा रही थी।

तभी अचानक मैंने अपनी पैन्ट के ऊपर चाची के हाथ का जोर महसूस किया। वो मुझे छूना चाहती थी, मेरे साथ का पूरा आनन्द लेना चाहती थी। मेरी आँखों में उनके लिए जो वासना थी उसे वो पीना चाहती थी। मैंने उनकी तरफ देखा, वो आँखों को बंद कर के मेरे हर एक स्पर्श को महसूस कर रही थी। यह देख उनके ब्लाऊज़ के बटन मैंने अपने दांतों से एक एक करके खोल दिए। अ़ब उनके दोनों मम्मे खुले थे, बिना ब्रा के मैं उन्हें पहली बार देख रहा था। उन्हें देख कर मैं पागल हो गया और उन्हें मसलने लगा, अपने हाथों में ले के एक एक करके रगड़ने लगा अपने जीभ से उनके साथ खेलने लगा, अपने दांतों से उन्हें काटने लगा।

यह देख वो भी मचलने लगी, मेरे बालों को पकड़ के अपने हाथों से मेरा सर मम्मों पे दबाने लगी। यह देख मैं और जोरों से उनके दोनों मम्मों से खेलने लगा। अ़ब तक वो एक बार झड़ चुकी थी। उनके मम्मो को तो मैंने टमाटर की तरह लाल कर दिये थे, उन्हें देख वो बोली,”छोटेऽऽ आम ही खायेगा? और मुझे कुछ नहीं खिलायेगा? आआअ उईईईइ।”

तभी मैं बोला,”चाची मैं तो पूरा आपका तो हूँ जहाँ से चाहे खा लीजिये !”

तब चाची ने मुझे अपने नीचे ले लिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे पूरे शरीर को चूमने लगी, मानो मेरे लिए ही तड़प रही थी। मेरा कच्छा छोड़ चाची ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे होंटों से अपने होंटों को गड़ा लिया और चूमने लगी। ऐसा लग रहा था मानो मैं उनके लिए नहीं, वो मेरे लिए प्यासी हैं !

फिर करीबन ५ मिनट के बाद वो मेरे ऊपरी शरीर को चूमते चूमते मेरे कच्छे तक पहुँच गई और मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को ऊपर से ही चूमती रही। उनकी यह अदा देख मानो वो मुझे याद दिलाना चाहती थी, जितनी बार उन्हें देख मेरे लंड खड़ा होता था तब तब वो मेरे लौड़े को देख कर तरसती थी। मैं सोच ही रहा था कि उन्होंने मेरे ७ इन्च के लौड़े को कच्छे से बाहर निकाला और अपने दांतों से खाने ही लगी और मेरे कच्छा निकाल फ़ेंका। अपने दांतों से मेरे लंड को चबाती और फिर अपने होंटों से ऐसे चूमती रही मानो मेरा लंड नहीं कोई लोलीपोप है। करीबन ५ मिनट मुझे खाने के बाद चाची मेरे लंड से पानी निकाल कर गटागट पी गई। इस बीच वो भी दो बार झड़ गई। अभी तक साड़ी उनकी कमर पर ही थी। उन्हें कोई भी मौका दिए बिना मैं उनके ऊपर आ गया, अपने सारे शरीर का बोजझ उनके ऊपर डालते हुए मैं उन्हें चूमता रहा। उनके होंटों को करीबन ५ मिनट तक चूमने के बाद उनके गले को और फिर उन के मम्मों को ऊपर से हाथ मारते हुए कब मैं उनकी साड़ी और पेटीकोट को उनके शरीर से अलग किया, पता भी न चला।

मगर यह साजिश गहरी थी, यह पता चल गया क्योंकि उन्होंने ब्रा के साथ साथ अपनी पैन्टी भी नहीं पहनी थी। ब्रा घर पर रहने के कारण नहीं पहनी होगी मगर साड़ी के साथ पैन्टी नहीं, वो भी अंकल सुबह ही गाँव गए हैं तो पैन्टी न पहनने का कोई सवाल नहीं था। जब वो अंकल के साथ सेक्स करती तो वो दिन में दो से तीन बार अपनी पैन्टी बदलती थी, यह बात मुझे पता थी। अ़ब अंकल गाँव गए हैं तो जाहिर है कि अंकल से अपनी भूख तो जरुर मिटाई होगी उन्होंने। फिर भी उन्होंने पैन्टी नहीं पहनी थी और रही मेरे उनके यहाँ ठहरने की बात तो यहाँ तो एक हफ़्ते पहले ही उन्हें पता था कि मेरे घर के सभी लोग गाँव जाने वाले हैं।

तो क्या बस मैं शुरु हो गया उनके पेट के ऊपर से नाभि तक चूमते हुए मैं उनकी जांघों के बीच उनकी मुनिया पर आ गया। अपनी जीभ उनकी जांघों पर फेरते हुए मैं उनके भगोष्ठों के ऊपर से फेरने लगा। वो चहक उठी और मैं भी उस गंध के कारण रोमांचित हो उठा था। मैं धीरे धीरे उनके अन्दर अपनी जीभ को डालते हुए उनके अंदरूनी होंटों को अलग करने लगा। वो भी यह प्रयास कर रही थी कि मैं पूरी तरह से उनमें समा जाऊं ! मैं उनकी यह तड़प और बढ़ाना चाहता था। मैं धीरे धीरे उनको पी रहा था कि अचानक उन्होंने अपने पैरों की पकड़ कड़ी कर दी और मेरे मुँह को अपने अमृत से भिगो दिया। मगर मैं रुकने वाला नहीं था, मैं और जोर से उनमें समाने लगा, अपने होंटों से उनके आंतरिक होंटों का सारा रस पीने लगा। वो एक बार फिर मेरे मुंह में आ गई।

अ़ब मैं अपने हाथों की उंगलियों का उपयोग करते हुए उन्हें फिर से मेरे अगले कार्यक्रम के लिए तैयार करने लगा। अब मानो वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी और बोली,”छोटे, अ़ब तो तेरे लौड़े का स्वाद मेरी मुनिया को चखा दे, नहीं तो रो रो के दम तोड़ देगी ! आआआआआआ ईईईईईईईए “

यह सुनकर अ़ब मुझे उन पर तरस आ गया, मैंने कहा,”हाँ चाची ! थोड़ा सा और, बस फिर आप मुझे ही खा लेना !”

यह सुनकर मानो वो भी मेरे उंगलियों को साथ देने लगी। अपने कूल्हे पहले से अधिक उछालने लगी। अ़ब मैं अचानक रुक गया और अपने लौड़े को उनके मुँह तक ले गया। उनके चूमने से वो और मस्त हो गया। अ़ब उसे उनके सारे शरीर पर फिरा के उनके मम्मों से होते हुए मैं उनकी नाभि पर आकर उसे घुमाने लगा तो चाची और जोर जोर से मिन्नत करने लगी। उनकी भट्टी में मानो आग लगी थी, उनसे रहा नहीं जा रहा था। फिर मैं उनकी मुनिया को तरसाने लगा तो चाची ने अपना पूरा जोर लगा के मेरे बालों को पकड़ के मुझे अपने ऊपर ले लिया फिर भी मैं मानने वाला थोड़े ही था। मैंने अपने होट उनके होंटों से लगा लिये और उनको व्यस्त रखने की कोशिश करने लगा मगर उन्होंने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ के अपनी आंतरिक होंटों से खाने लगी। देखते ही देखते उन्होंने मेरे आधा लंड अन्दर ले लिया। अ़ब क्या था, मैं तो कबसे तरस रहा था इस दिन के लिए ! मैंने जोर लगा के सारा का सारा अन्दर डाल दिया। तभी चाची जोर से चिल्लाई और मुझसे लिपट गई। मैंने अपने धक्के आहिस्ता-आहिस्ता शुरु किये।

मुझे चाची की ज़कड़ से लगा कि चाची जल्दी ही झड़ जायेगी। मैंने अपने धक्के धीरे से चालू किये। फिर अचानक अन्दर मुझे ज़कड़न और दबाव महसूस होने लगा और चाची झड़ गई।

मैं अभी नहीं आने वाला था। झड़ने के कारण उनकी मुनिया और भी गीली हो गई और मैंने अपना काम जारी रखा। थोड़ी देर बाद वो भी फ़िर साथ देने लगी और अपने कूल्हे मेरे साथ साथ उछालने लगी। मैं समझ गया कि अ़ब तो मज़ा ही मज़ा है। हम दोनों भी एक दूसरे को चूमते रहे। चाची ने तो मुझे अन्दर बाहर आते समय अड़चन ना हो इसलिए अपने पैर हवा में उठा लिए। मैंने फ़िर वही ज़कड़न को महसूस किया इसलिए मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई। चाची भी बराबर का साथ देने लगी और हम एक साथ एक दूसरे में मिल गए। मैं फिर भी रुका नहीं जब तक चाची ने मेरे पूरे लंड का रस अपनी योनि में नहीं लिया। तब तक मैं नहीं रुका। फिर कुछ देर बातें करते हम वैसे ही पड़े रहे। मेरा लंड अभी तक उनकी मुनिया से बाहर नहीं निकला था। उनके मम्मों से खेलते खेलते और बातें करते करते हम दोनों सो गए फिर अगले दौर के लिए !

दोस्तो, कहानी अभी बाकी है।

यह कहानी कैसी लगी, मुझे जरुर बतायें ! Hindi Porn Stories

Hindi Sex Stories

मैं भी अन्तर्वासना के लाखों Hindi Sex Stories चाहकों में से एक हूँ। मैंने यहाँ बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं। कुछ तो इतनी लाजवाब हैं कि पढ़ते-पढ़ते किसी का भी लण्ड खड़ा/चूत गीली कर दे।

यह मेरी प्रथम सेक्स की कहानी है जो मैं आप सब को बताने जा रहा हूँ। एक प्यासी स्त्री की सच्ची कहानी।

अभी मेरी उम्र 30 वर्ष है पर यह कहानी 11 वर्ष पहले की है। यह मेरी पहली कहानी है, लिखने में कोई भूल हो तो माफी चाहता हूँ।

मेरा नाम जय है और मैं सूरत में रहता हूँ। बचपन से ही मैं अपने दादा-दादी और चाचा के साथ बैंगलोर में रहा और वहीं पढ़ाई की, वहाँ पर दादा की स्थाई नौकरी थी और चाचा दुबई में नौकरी करते थे।
चाचा की शादी को 8 साल हुए थे और उनकी 2 बेटियाँ थी। चाचा साल दो साल में एक बार आते और 1 महीना रहते थे।

जैसा कि मैंने आप को बताया कि चाचा दुबई में थे और साल दो साल में एक महीने के लिये आते थे। तो आप समझ सकते हैं कि चाची कि हालत क्या होती होगी जब चाचा वापस चले जाते होंगे। दादा -दादी साथ रहते थे इसलिए उन्हें कहीं बाहर जाने या किसी से मिलने का भी कोई मौका नहीं था, बस कभी कभी कुछ काम हो तो मेरे साथ जाती थी।

मेरी चाची के साथ अच्छी बनती थी, मैं काम में उनकी मदद भी कर दिया करता था। और जब चाचा दुबई जाते तो मैं चाची के कमरे में सोता था, सब कुछ सामान्य था। मैं चाची के साथ मस्ती भी बहुत करता था लेकिन कभी उन्हें वासना भरी नज़र से नहीं देखा था।

समय बीतता गया और मैं भी जवानी में कदम रख रहा था और कुछ दोस्तो के साथ मिलकर कभी कभी ब्ल्यू फिल्म देख लिया करता था और कुछ सेक्स की किताब भी पढ़ता था छुप-छुप कर और कभी कभी मुठ भी मार लिया करता था।

जैसे जैसे मुझे सेक्स के बारे में पता चलता गया मेरी नज़र बदलती गई और मेरी नीयत बदलती गई। अब मैं चाची के बारे में सोच सोच कर मुठ मारने लगा और मन में उन्हें चोदने की इच्छा जागी।

हमारे घर में दो बेड रूम थे, एक में दादा-दादी और चाची की एक बेटी सोते और दूसरे में मैं चाची और मेरी एक चचेरी बहन सोते थे। (मैं एक बेड पर और चाची और बहन एक बिस्तर पर सोते। मैं दस साल का था तब चाचा की शादी हुई थी और चाचा एक महीने के अंदर ही वापस चले गये थे, तब से मैं चाची के कमरे में ही सोता हूँ)

जिस दिन मैंने कोइ ब्ल्यू फिल्म देखी हो उस रात मुझे नींद ही नहीं आती, पूरी रात चाची को देखने में ही निकल जाती, कभी उनकी नाईटी ऊपर सरक आती और उनकी गोरी जांघ दिखाई देती तो कभी उनके स्तनों की झलक मिलती।
नाईट लेम्प की रोशनी में ही मजे लेने पड़ते थे। कई बार सोचा कि उनके स्तन दबाऊँ, गोरी जांघ पर हाथ फेरूँ, पर डर लगता था कि कही चाची ने शोर मचाया और दादा दादी को बता दिया तो अंजाम बहुत बुरा होगा।

समय बीतता गया और धीरे-धीरे अब मैं सेक्सी किताबें और ब्ल्यू फिल्म की केसेट घर पर ही लाने लगा और जब भी मौका मिलता, छुप-छुप कर पढ़ता और फिल्म देखता था।

जब भी मौका मिलता, मैं उनके गुप्त अंगों को देखने की कोशिश करता और मस्ती-मस्ती में उन्हें छू भी लेता था। चाची भी इसका कोइ विरोध नहीं करती थी, शायद उन्हें भी आनन्द आता था। लेकिन यह सब तभी होता था जब दादा-दादी कहीं बाहर गये हों।

तभी हमारे एक रिश्तेदार की मृत्यु हो गई और दादा-दादी को 15 दिनों के लिये सूरत जाना पड़ा। अब घर पर मैं, चाची और उनकी 2 बेटियाँ रह गये। दोनों बेटियों दे स्कूल दोपहर के थे और मेरी सुबह में! यानि मैं घर आता तो वो दोनों स्कूल गये होते थे और शाम को 5.30-6.00 बजे आते थे।

दादा-दादी को गए दो दिन हो गये थे और इन दो दिनों में मैंने देखा कि चाची कुछ बदली-बदली सी लग रही थी। मतलब एक दम बिंदास, मस्ती ज़्यादा और काम कम!

और घर पर कोई बुजुर्ग नहीं होने की वजह से उनके कपड़े भी अस्त-व्यस्त रहने लगे थे, लेकिन इससे मुझे भी आनन्द मिलने लगा और मैं उनके गोरे सेक्सी बदन को देखने और छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता।

मैं अपने दोस्त से ब्ल्यू फिल्म की एक केसट ले आया और कमरे में ही छुपा दी, जो मुझे देख कर लौटानी थी। सोचा घर पर कोई नहीं हो और मौका मिले तो देख लूंगा।

अगले दिन मैं कॉलेज़ से लौटा, चाची ने कहा- चलो जल्दी से कपड़े बदल ले, मैं खाना लगाती हूँ और वो रसोई में चली गई। मैंने कपड़े बदले और खाना खाना खाने बैठ गया। खाना खाकर चाची पास ही कुछ सब्जी लेने चली गई और मैं घर पर अकेला!

मैंने सोचा कि मौका अच्छा है फिल्म देखने का, और मैं वो केसेट लेने कमरे में गया। वहाँ जाकर देखा तो केसेट वहाँ से गायब था। मैं एकदम चिन्ता में पड़ गया। एक तो केसेट दूसरे का और कहीं चाची के हाथ में आ गया तो दादा-दादी को बताने का डर!

मैंने सब सामान इधर उधर कर दिया पर वो केसेट नहीं मिला। थोड़ी देर में चाची वापस आ गई तो मैंने जल्दी-जल्दी सब सामान वापस रख दिया और कुछ बाहर ही रह गया।

चाची आई तो पूछने लगी- यह सब क्या कर रहे हो? और सामान क्यों निकाला?

मैंने कहा- कुछ नहीं! एक किताब रखी थी मैंने अंदर! वही ढूंढ रहा हूँ, मिल नहीं रही है।

मेरी चिन्ता मेरे चेहरे पर साफ नज़र आ रही थी और चाची जिस तरह मुझे घूर रही थी वो देख कर मुझे लग रहा था कि वो केसेट उनके हाथ लग गई है।
वो वही बैठ गई और थोड़ी देर मेरी हरकतों को देखती रही, मेरी चिन्ता देख वो बोली- चिन्ता मत कर, तूने और कहीं रख दी होगी, बाद में आराम से ढूंढना, मिल जायेगी। अपने घर में से कहाँ जायेगी।

उस रात मुझे नींद नहीं आई, पूरी रात सोच में ही निकल गई कि अब क्या होगा?

खैर रात बीत गई और सुबह हुई। सुबह से ही मैंने चाची में कुछ बदलाव देखे! चाची बहुत खुश नजर आ रही थी और वो मुझमें भी बहुत दिलचस्पी दिखा रही थी। किसी न किसी बहाने से मेरे गाल पकड़ती तो कभी प्यार से बालों में हाथ फेरती।

खैर मैं कॉलेज़ चला गया पर वहाँ भी मन नहीं लगा। दोपहर 12.15 बजे घर वापस आया, चाची अपने काम में व्यस्त थी तो मैं फिर से विडियो केसेट ढूंढने मे लग गया क्यूंकि घर पर मेरे और चाची के अलावा और कोई नहीं था।

‘तुम क्या ढूंढ रहे हो? मैं कुछ मदद करूँ तुम्हारी?’

यह सुनकर मुझे थोड़ा और यकीन हो गया कि वो केसेट चाची के ही पास है, लेकिन डर के मारे कुछ बोल नहीं पाया। फिर चाची वहीं बैठ गई और मेरी हरकतों को देखती रही। थोड़ी देर बाद चाची ने फिर से पूछा- सच बताओ कि क्या ढूंढ रहे हो? जो है सच बताओ मैं कुछ नहीं कहूंगी। हो सकता है कि मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू!

यह सुनकर मुझ में थोड़ी हिम्मत आई और मैंने कहा- मैंने यहाँ एक वीडियो केसेट रखा था, मिल नहीं रहा! वही ढूँढ रहा हूँ!

तो चाची ने पूछा- कौन सा केसेट? किस फिल्म का था?
मैंने डर के मारे कहा- मेरे दोस्त के भाई के शादी का था!
चाची ने तुरंत पूछा- कल से तू वही ढूंढ रहा है?
मैंने कहा- हाँ चाची!
‘तो कल क्यों झूठ बोला था तूने?

मैं कुछ नहीं बोल सका। फिर चाची मेरे पास आई और मुस्कुराते हुये मेरे गाल पकड़ कर कहा- इतना परेशान मत हो, मिल जायेगी! चल सब सामान वापस रख दे अभी!

इतना बोल वो वहाँ से चली गई और अपने काम में लग गई। चाची की बातें सुनकर मुझे थोड़ा डर भी लगा और कहीं थोड़ी खुशी भी हो रही थी, खुशी इस बात की कि अगर चाची ने वो वीडियो देख ली है और मुझसे नाराज़ नहीं हैं तो मेरा उन्हें चोदने का सपना सच हो सकता है। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी चाची से कुछ भी कहने की। मैं हाल में सोफे पर बैठा था, मन में कई प्रकार के सवाल जवाब चल रहे थे।

तभी चाची आई और मेरे बाजू में बैठ गई। तभी मैंने हिम्मत कर के कहा- चाची, अगर वो केसेट आप के पास है तो प्लीज मुझे दे दीजिये, वो वापस लौटानी है मुझे!

चाची- अरे तुझे कहा ना, टेन्शन मत ले, पहले जा और अपने कपड़े बदल ले!

मैं तुरंत उठा और दूसरे कमरे में कपड़े बदलने लगा। तभी मैंने अलमारी के शीशे में देखा तो मेरे पीछे चाची दरवाजे के पास खड़ी मुझे देख रही हैं। मैंने उन्हें लगने ही नहीं दिया कि मैंने उन्हें देख लिया है, और जैसे ही मैं कपड़े बदल कर मुड़ा, चाची वहाँ से जा चुकी थी।
वहाँ से मैं रसोई में गया, चाची खाना परोस रही थी, मैं खाना खाना खाने बैठ गया। हम दोनों आमने-सामने बैठे थे, मैंने चुपचाप सर झुकाये खाना खाया और बेडरूम में आकर अपनी किताब ले कर बैठ गया।

थोड़ी देर बाद चाची भी आ गई और एक मैगज़ीन लेकर मेरे पास बैठ गई। थोड़ी देर बाद चाची ने मस्ती शुरू कर दी, वैसे तो हम अकसर करते थे, पर जैसा मैंने कहा, उस दिन उनका मूड कुछ अलग ही था। वो मुझे गुदगुदी करने लगी।

मैंने कहा- प्लीज़ चाची, मत करो ऐसा, मैं करुंगा तो आप को पता चलेगा, फिर मत बोलना!
चाची तुरंत बोली- अच्छा तो क्या करेगा तू? हाँ? मैं भी तो देखूँ जरा?

आगे की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर शीघ्र ही पढ़ेंगे। Hindi Sex Stories

प्रेषिका : मोनिशा Antarvasna Stories

अजय अपनी गर्ल फ़्रेन्ड Antarvasna Stories को साथ लेकर चोदने के लिये गेस्ट हाऊस पहुँचा, अपने कमरे की चाबी लेकर जाने के लिये सीढ़ियाँ चढ़ ही रहा था कि सामने से आते युगल पर उसकी नजर पड़ी। सामने उसके दोस्त की बहन राधिका किसी अजनबी के साथ बाहर आ रही थी। अजय की समझ में आ चुका था कि राधिका चुदवा कर आ रही है। अजय को देख कर राधिका का चेहरा फ़क हो गया। मगर अजय जैसे कुछ भी ना देखने का अभिनय करते हुये अपनी गर्ल फ़्रेन्ड को ले कर कमरे में आ गया। वे दोनों लगभग दो घण्टे तक चुदाई करके होटल से बाहर निकले।

अजय लखनऊ से दिल्ली आ कर नौकरी कर रहा था। राधिका भी दिल्ली में किसी सोफ़्ट्वेयर कम्पनी में काम कर रही थी। दिल्ली में उन्होंने एक दूसरे को पहली बार देखा था, जबकि अजय का लखनऊ में राधिका के घर आना जाना था। राधिका का भाई अजय का दोस्त था।

अजय और उसकी गर्ल फ़्रेन्ड जब होटल से निकले तो उसने देखा कि राधिका रिक्शा स्टेण्ड के पास खड़ी उसी को देख रही थी। अजय ने राधिका को देखा और मुस्करा दिया।
राधिका भी मुस्करा दी और बोली,”मुझे तुमसे बात करनी है… प्लीज इधर आओ !”
“ओह, क्यों नहीं, बताओ कि तुम कैसी हो और दिल्ली में कहाँ रहती हो?”
“एक सहेली के साथ एक फ़्लेट किराये पर लिया है… ”
“चलो, कहीं कॉफ़ी पीते हैं, वहीं बातें करेंगे।”
दोनों एक कॉफ़ी हाऊस में पहुँच गये।

अजय बताने लगा,”मै भी तुम्हारी तरह एक दोस्त के साथ किराये पर मधुवन सोसाइटी में एक फ़्लैट में रहता हूँ, यहाँ से दो किलोमीटर दूर है।”
“और वो लड़की … ?”
“उह्ह्ह, वो तो मेरी एक दोस्त है, घर पर मेहमान आये हुये थे तो हम दोनों यहाँ आ गये। देखो किसी को घर में बताना मत !”
राधिका ने अजय की आँखों में झांका, उसे कुछ अपनापन सा लगा।
“अजय मैं तुम्हारा अहसान मानूंगी, प्लीज मेरी भी कोई बात घर में किसी को मत बताना, बोलो ना, मानोगे मेरी बात?”

“अरे राधिका, मै कोई तुम्हारा दुशमन थोड़े ही हूँ, अगर मेरी वजह से तुम पर कोई आंच आये तो लानत है मुझ पर, मैं भी चोर, तू भी चोर !”
“थैन्क्स अजय, तुमने मेरे दिल का बोझ उतार दिया !”

बातों बातों में राधिका थोड़ा खुलने लगी थी। वो भी अभी चुद कर आई थी, सो अजय ने सोचा कि ये तो पट सकती है। वैसे भी राधिका को घर में उसकी भारी और चौड़ी गाण्ड देख कर उसका लण्ड जोर मारने लगता था। उसे लग रहा था कि उसे चोदना अब और आसान है और राधिका भी जान चुकी थी कि वो रंगे हाथ पकड़ी गई है। उसे लगा कि अब फ़ासला अधिक नहीं है।
“हम दोनों यहाँ पहली बार मिले मिले हैं, चलो आज मैं तुम्हें खाना खिलाऊंगा, घर पर तो तुमने कई बार खिलाया है।”
“पर कहाँ चलें… ?” राधिका थोड़ा सा हिचकचाई।
“होटल में तो मजा नहीं आयेगा, खाना लेकर फ़्लैट पर चलें, अच्छा रहेगा ना … फिर किसी की नजर में भी नहीं आयेंगे !”

“तुम्हारा दोस्त क्या कहेगा… ?” वो भी कुछ कुछ आश्वस्त हो चुकी थी।
“वो तो अपने जीजू और बहन के साथ चार दिन के लिये अब तक तो जा चुका होगा।”
“तो चलो, मैं अपनी सहेली को फोन कर देती हूँ कि मुझे आज देर हो जायेगी।”
“हाँ ये भी कह देना कि आज रात ना भी आ पाऊँ तो चिन्ता मत करना।”

राधिका ने मुझे तिरछी नजरों से देखा और मुस्करा दी। अजय भी यह देख कर मुस्करा दिया। दोनों ने एक दूसरे के दिल की बात समझ ली थी।

अजय सामने के होटल में जाकर दो तन्दूरी चिकन और कुछ चपातियाँ ले आया, रास्ते से उसने एक व्हिस्की की बोतल भी ली और फिर दोनों घर पहुंच गये।
अजय ने खाने का सामान राधिका को दे दिया और कहा,”मै अभी स्नान करके आ रहा हूँ… तब तक तुम खाना लगाओ।”
“हाँ पहले तुम नहा लो, फिर मैं भी पानी डाल लूंगी। कितनी गर्मी है ! है ना?”

“अरे तो फिर क्या बात है… आ जाओ, साथ ही नहा लेते हैं… तुम अपना मुख उधर कर लेना और मैं दूसरी तरफ़ कर लूँगा।”
“धत्त … तुम देख लोगे !” उसकी तिरछी नजर कह रही थी कि नहीं देखोगे तो मैं बुरा मान जान जाऊँगी।
“तुम्हारी कसम, नहीं देखूँगा !” उसने भी जैसे आँख मार कर बता दिया था कि एक बार कपड़े तो उतारो…
“तो ठीक है चलो… ! ” उसने अपने कपड़े उतार दिये और ब्रा और पेन्टी में आ गई।

अजय ने भी कपड़े उतार लिये और मात्र छोटे से अंडरवियर में आ गया। राधिका ने एक नजर अजय के लण्ड पर डाली। उसे देख कर उसे वो बहुत बड़ा लगा। अजय भी राधिका के मस्त उभारों को देखने लगा था। उसका हाल तो राधिका की जवानी देख कर ही खराब हो गया था।

“ना… ना… कोई जरूरत नहीं है मुँह उधर करने की… !” राधिका की नजर अब भी उसके मोटे फ़ूले हुये लण्ड पर थी। अजय ने उसका मतलब भांप लिया और उसे एक झटके में फ़व्वारे के नीचे ले लिया। दोनों भीगने लगे थे, पर उनके दिलों में आग भड़कने लगी थी। अजय ने राधिका के गीले बदन को अपनी बाहों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। इसी बीच राधिका की ब्रा का एक भाग कंधे से उतर गया और उसका एक स्तन बाहर निकल पड़ा। जोश में अजय ने उसके स्तन भींच दिये। जवाब में बस राधिका के मुख से एक सिसकारी निकल पड़ी।

अजय का भारी लण्ड तन कर सीधा खड़ा हो गया। राधिका ने भी तड़प कर उसे खींच कर अंडरवियर से उसे बाहर निकाल लिया। उसे तो वो एनाकोन्डा जैसा मोटा लगा,”अजय, यह तो ! हाय राम ! कितना मोटा है ! बिल्कुल एनाकोन्डा की तरह !”

“बस तुम्हारा ही है, इसे एक बिल चाहिये समाने के लिये !”
“चलो फिर कोशिश करते हैं इसे बिल में समाने की !” राधिका मचलते हुये बोली।

दोनों ही हंस पड़े। वे दोनों नहा कर बाहर आ गये और वैसे ही आधे नंगे से गीले ही बैठ गये। अजय ने व्हिस्की के दो पेग बनाया और पी गये। कुछ ही देर में दोनों में दारू की तरावट आने लगी।
“राधिका, वहाँ होटल में तुम चुदाने गई थी ना?”
“जब मालूम है तो पूछते क्यों हो… जब प्यास लगे तो बुझानी तो पड़ती है ना !”
“उस मादरचोद को तो मजा आ गया होगा, भेन का लौड़ाऽऽ मेरी राधिका को चोद गया !”
“धत्त, ऐसे क्या कहते हो, चूत को चुदानी ही पड़ती है ना … तू भी चोद ले … ”
“वो तो भोसड़ी की, चुदेगी ही, मेरा लण्ड देख कितना जोर मार रहा है !”

“जरा पास ना , हाय तेरे एनाकोन्डा को मै अपनी चूत में छुपा लूँ… तू भी कितना चिकना है… साले के चिकने गालों को काट खाऊँऽऽ … ”
“तेरी मां की भोंसड़ी, आ बैठ जा मेरे एनाकोण्डा पर… ”

अजय का मन राधिका के चूतड़ों पर आ चुका था, दूसरा पेग पीते हुये उसकी पिछाड़ी को उसने दबा दिया। उसकी पसन्द की थी उसकी मोटी गाण्ड ! उसे खींच कर उसके चूतड़ों पर अजय ने अपने दांत गड़ा दिये। राधिका भी अपने चूतड़ों को बार बार दांत से कटवा कर मस्ती से मचल रही थी।

“हाय राधिका, तेरी गाण्ड ने तो मेरा जीना दुश्वार कर दिया था, आज मिली है, कसम से पूरी तबीयत से मारूँगा, गाण्ड मरवाओगी ना मेरी जान?”

राधिका अपनी गाण्ड मटकाते हुए बोली,”आह्ह्ह, नेकी और पूछ पूछ ! मारो मेरे चोदू बालमा, तुम्हें कसम है जानू ! मेरी चूत को अपने दोस्त की नहीं, दुश्मन की चूत समझ कर चोदना !”

“सोच लो रानी ! फिर मुकर मत जाना?” अजय अपने एमाकोन्डा जैसे लण्ड को हाथ में लेकर गरूर से बोला।

“मुकर भी जाऊँ तो भी तुम मुझ पर रहम मत करना, एक राण्ड की तरह फ़ोड़ना मुझे !” राधिका इठलाती हुई बोली।

“हाय मेरी रण्डी यह हुई बात, चल झुक जा भेन की लौड़ी, तेरी गाण्ड में मेरा लण्ड घुसे तो चैन आए !” यह कहते हुये राधिका को फ़र्श पर खड़ा करके बेड पर पर उसे झुकाते हुये लण्ड को गाण्ड के छेद पर प्यार से टिकाया।
“अब तक कितने लण्ड पिलवाये हैं गाण्ड में मेरी रानी?”
“हाय राम , अब क्या कहूँ मैं, जिससे भी चुदवाती हूँ, हर एक ने मेरी को बजाये बिना नहीं छोड़ा… ”

“मैं भी नहीं छोड़ने वाला रण्डी, मां की भोसड़ी… ” कहते हुये अजय ने जो करारा थाप मारा कि पूरा लण्ड बिना थूक या तेल के गाण्ड में चाकू की तरह धंस गया।
आह्ह्ह्ह की चीख के साथ राधिका उछल कर बेड पर जा गिरी,”हाय मार डाला साले, भेन चोद, मेरी जान ही निकाल दी… ”
“मेरी रानी, इतना मस्त शॉट मारा था, इतनी दमदार गाण्ड ले कर किसी कमसिन की तरह चीखती हो।”

राधिका अपनी गाण्ड सहलाते हुये बोली,”सुनो मिस्टर, मैंने तुम्हें अपनी गाण्ड चोदने को कहा था, गाण्ड की मां चोदने को नहीं कहा था ! साले हरामजादे तुम तो मेरी गाण्ड को फ़ाड़ डालने पर आमदा हो?”
“कमाल करती हो रानी, तुम्हारी गाण्ड बिल्कुल नहीं फ़टेगी, पूरा चिकन तन्दूरी खा गई और मेरे लौड़े से घबरा गई?”
“मुर्गा तो मैंने, भोसड़ी के, मुँह से खाया था, गाण्ड से नहीं, समझे?”
“अब खा लिया है तो निकलेगा तो गाण्ड ही से ना, मेरी रण्डी !”
“लगता है मेरी गाण्ड को फ़ाड़ कर ही मुर्गा निकालोगे, क्यों है ना?”

“ओह्ह्ह हो, डार्लिंग अब कायदे से मारूंगा !” कह कर वो तेल की शीशी उठा लाया और अपने लण्ड पर और राधिका की गाण्ड में उसे अच्छी तरह से लगा दिया।

फिर लण्ड के लाल सुपारे को छिद्र पर सेट कर फिर से हौले धक्का मारा। लण्ड राधिका की गाण्ड में ऐसे उतर गया जैसे मक्खन पर में छुरी घुसती है, दूसरे शॉट में पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में फ़ंस गया। राधिका के चूतड़ों पर सने तेल के कारण लण्ड हर एक थाप पर चप-छपक की आवाज कर रहा था। दोनों हाथों से उसके स्तनों को तेल से मसलते हुये अजय गाण्ड का पूरा मजा ले रहा था,”कैसी हो मेरी रण्डी … गाण्ड चुदने का मजा आ रहा है ना?”
“मार दे रे हारामजादे, फ़ाड़ डाल इन चूतड़ों कोऽऽ ! बजा दे गाण्ड का बाजाऽऽ आ ऽऽ ह !”

राधिका की आंखों में दोगुना नशा था, एक तो अजय की पिलाई हुई व्हिस्की का, और दूसरा उसकी गाण्ड में फ़ंसे हुये एनाकोन्डा का… !
राधिका बिस्तर के सामने लगे आईने में देख कर रण्डी नम्बर एक जैसे भाव दिखा रही थी।

“हाय और मारो राजा, मेरे चोदू छैला, जोर से मारो मेरी गाण्ड, हाय रे तेरा मस्त लौड़ा, मैं तो हारामजादे रण्डी बन गई, हाय अजय मुझे गालियाँ दे ! भेनचोद, रण्डी, चुदैल, छिनाल बुला मुझे साले ! तेरी मां की चूत !”
अजय भी जोर जोर से मस्त करारे थाप मार रहा था।
“ले खा भोसड़ी की, मेरा लौड़ा खा जा, साली कुतिया तुझे तो एक दिन अपने रूममेट के साथ मिल कर चोदूंगा, भेन की लौड़ी, तुझे तो तेरी माँ के सामने चोद चोद कर तेरी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा, तेरी मां दी फ़ुद्दी… हाय क्या गाण्ड है तेरी तो साली, तुझे तो कॉल गर्ल होना चाहिये था छिनाल !”

राधिका भी बेशरमाई पर उतर आई थी। शराब का नशा, तिस पर चुदाई, वो तो बेहयाई पर आ चुकी थी,”गाण्डू, साले मुझे मेरी मां के सामने चोदेगा तो मम्मी भी नंगी हो कर तेरे नीचे लेट जायेगी, तेरे लण्ड को देख कर वो भी रण्डी बन कर तेरा लौड़ा खायेगी, मादरचोद साले चोद मुझे पटक पटक कर, रन्डी बना कर चोद सजना, आज हलाल कर दे मुझे, जैसे कसाई बकरे को हलाल करता है, तड़पने दे मुझे, तेरी तो भेन की चूत ! तेरी बहन चुदवा दूंगी तेरे लौड़े से !”

अजय इस प्रकार की बातों से मदहोश हो रहा था, उसकी रफ़्तार बढ़ गई। राधिका उसके नीचे मछली की भांति तड़प रही थी। वो राधिका के चूतड़ों से चिपट कर उसकी गाण्ड तबीयत से मार रहा था, लण्ड पेल रहा था। इतनी तन्दरुस्त और सुंदर भारी गाण्ड पर रहम करना उसकी बेवकूफ़ी ही होती।

राधिका भी उसे ऐसा कोई मौका नहीं दे रही थी कि वो उसकी गाण्ड को चोदना छोड़ दे। हर बात पर वो तो नहले पर दहला मार कर अपनी त्रिया चरित्र की मां चोद रही थी।

अचानक अजय ने राधिका के दोनों हाथ पकड़ कर पीछे खींच लिये और उसके ही दुपट्टे से ही बांध दिया और बोला,”देख मेरी राधिका, मेरी रण्डी, मेरी छिनाल, तुझे अब मैं कैसे हलाल करके चोदता हूँ, मेरी जान, मेरी दोस्त मुझे माफ़ कर देना !”

राधिका आंखे नचा कर और चूतड़ों को मटका कर बोली,”मेरे भैया की तरफ़ से मैं तुझे माफ़ करती हूँ। मेरे सरताज़, बस अब लगा दो पूरा जोर, मुझे कुतिया बना कर चोद दो और कुत्ते की तरह लण्ड गाण्ड में फ़ंसा दो, बरबाद कर दो मुझे, रण्डी से भी गई गुजरी कर दो हाय रे, मेरे चोदू रण्डवे, ऐसा चोदना कि गाण्ड और चूत में कोई फ़रक करना मुश्किल हो जाये !”

उसके बालों को पकड़ कर अजय ने अपनी ओर खींच लिया, और इस बार का शॉट करारा था। राधिका को लगा कि जैसे अजय के एनाकोन्डा ने उसकी गाड फ़ाड़ कर रख दी है। उसके मुख से एक चीख निकल पड़ी, उसे लगा कि कोई आग का गोला गाण्ड की गहराई को भी फ़ोड़ता हुआ भीतर सुलग उठा हो। उसकी चीख को नजर-अन्दाज करते हुए उसका दूसरा भरपूर शॉट फिर से लगा।

वो तड़प उठी,”भोसड़ी के, मार डालेगा क्या … साला लौड़ा है कि लोहे का गरम रॉड … धीरे कर हरामी… मेरी मां चोद दी इस लण्ड ने तो !”

“चुप रह, कुतिया, अरे लण्ड लेना है तो लपक लपक कर ले, साली ऐसे चीख रही है कि जैसे तेरी माँ को चोद रहा हूँ !”

अब अजय ने अपना मोटा लण्ड को खुला छोड़ दिया और उसकी गाण्ड पर पूरे जोर से पटकने लगा। कुछ ही देर में वो फिर से मस्त हो उठी और उसकी चूत लपलपाने लगी।

“बहुत हो गया मादरचोद … मेरी चूत तेरा बाप चोदेगा क्या ?”

“ओह हाँ ! थोड़ा बहुत माल चूत के लिये भी तो बचाना पड़ेगा ना… चल अब सीधी हो जा !”

“नहीं, बहुत चोद लिया तूने ! अब मेरी बारी है … चल मेरे नीचे हो कर चुद अब तू !”

राधिका ने अजय को अपने नीचे दबा लिया,”मादरचोद मेरी गाण्ड का तो तूने हलवा बना दिया, अब देख साले ! तैयार हो जा… मेरी चूत में कितना दम है तू ही देख ले !”

राधिका उसकी टांगों के बीच बैठ गई। उसका हाथी की सूण्ड जैसा लण्ड उसने हिलाया। लाल सुपारा पूरे उफ़ान पर था, उस पर रह रह कर वीर्य की बूंदें उभर आती थी। यह देख कर वो मुस्कराई। उसने लण्ड जोर से अपनी चूत के द्वार पर थपथपाया और मुठ में भर कर उसे अपने योनि-द्वार में फ़ंसा लिया।

“तेरी मां की चूत, हो जा तैयार… देख तेरे लण्ड का कमाल मेरी चूत में… !” और उसने उसे चूत में घुसेड़ लिया। उसे एक झटके से भीतर उतार लिया और सिसक उठी। लण्ड के भीतर गहराई में फ़ंसने के बाद राधिका ने बदला लेने की गरज से कहा,”ओ मेरी भेन के लौड़े, तैयार है चुदने के लिये… ?”

“ओह्ह्हो, बड़ा दम मार रही हो, मेरे एनाकोन्डा के सामने सब फ़ेल हो जाते हैं !”
“देखूँ तो सही… फिर लण्ड पकड़ कर हाय हाय मत करना ? !!”
और राधिका ने अपनी कला दर्शा दी। उसने अपनी चूत जोर से भींच ली।
“मजा आ रहा है ना मेरे सजना ? इस कड़क चूत का… !”
“आह, कैसी मीठी मीठी सी चुदाई है !”

भींची हुई चूत उसने ऊपर खींची। अजय चीख पड़ा… “अरे लण्ड की चमड़ी फ़ट जायेगी… तेरी माँ की बहन को चोदूँ, भोसड़ी की… आह !”
राधिका ने अपनी भिंची चूत से अन्दर एक धक्का मारा। वो फिर से कराह उठा।
“अरे मेरी मां, ठीक से चोद ना !”
“मेरी कैसी फ़ाड़ी थी … कुछ याद आया… ?”

राधिका को भी अन्दर चोट पहुंच रही थी, पर अजय को सबक तो सिखाना था ना ! उसने उसी अन्दाज में तीन चार धक्के लगाये, अजय निढाल सा हो गया।
“बस मेरे राजा… अब मजा लो !” राधिका ने भी अपनी जिद छोड़ दी। उसे भी तो मजा लेना था ना !

और राधिका ने मस्ती की फ़ुहार छोड़ दी और भचाभच उसके लण्ड पर चूत मारने लगी। अजय बहुत अधिक नहीं सह पाया और उसका वीर्य छूटने को हो गया।

तभी राधिका का रज निकल पड़ा… वो उससे लिपट कर अपना रज निकालने लगी… पर उसने होश नहीं खोये। उसने तुरन्त अजय का लण्ड चूत में से निकाल लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। उसके सुपारे पर उसने अपने अधर खोल कर रख दिये।

अजय ने वीर्य छोड़ने से पहले एक हुंकार सी भरी और तीर की भांति उसकी पहली धार राधिका के हलक तक पहुंच गई। उसने लल्दी जल्दी लण्ड को मसला और बाकी का ढेर सारा वीर्य अपने मुख में चूस लिया। अजय झड़ कर निढाल पड़ा था। दारू का नशा भी उस पर पूरा था। राधिका भी थक कर पास में लेट गई। कुछ ही देर में व्हिस्की ने अपना असर दिखा दिया और दोनों गहरी नींद में सो गये।

कमरे में मात्र खर्राटों की आवाजे आ रही थी। जहाँ जहाँ वीर्य के कतरे पड़े थे वो वहीं सूख गये थे। जब उठे तो शाम ढल चुकी थी। दोनों ने फिर से स्नान किया और एक एक करके व्हिस्की के कई जाम दोनों ने पी लिये और बचा हुआ तन्दूरी मुर्गा साफ़ कर गये। व्हिस्की का नशा उन दोनों पर एक बार और चढ़ गया … और फिर कुछ ही पलों में कमरे में सिसकारियाँ गूंज उठी। Antarvasna Stories

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆