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antarvasna sotries दोस्तो, मैं जयपुर से 18 वर्षीय एक नई जवानी से झूमता हुआ मस्त लौंडा हूँ. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट का एक नियमित पाठक हूँ और मुझे हिंदी में देसी चुदाई की कहानी पढ़ना बहुत पसंद हैं.
यह घटना मेरे पड़ोस में रहने वाली एक आंटी और मेरे बीच की चुदाई की है. शुरूआत मैं मुझे उनको देखना भी पसंद नहीं था, पर जब से लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू की, लड़कियों भाभियों और आंटियों के उठे हुए मम्मे और गांड ने मुझे आकर्षित करना शुरू कर दिया. तभी से मुझे आंटी कयामत दिखने लगीं, उनका मदमस्त फिगर मेरी समझ में आने लगा.
आंटी का लड़का मेरे छोटे भाई का दोस्त था, जिसको पढ़ाने के लिए आंटी ने मुझसे कहा और इसी के चलते मेरा उनके घर आना जाना शुरू हो गया.
धीरे धीरे आंटी और मैं आपस में खुलते चले गए. वयस्कों जैसे हंसी मजाक होने लगा और अंगों को छेड़ने की मस्ती भी शुरू हो गई.
कभी कभी मैं आंटी के पीछे भी हाथ रख देता था. उनके सामने अपना लंड खुजा लेता था. धीरे धीरे सेक्स की बात भी होनी शुरू हो गई. मैं मौका देख कर उनके मम्मों में हाथ डाल देता था या फिर कभी गांड पर हाथ फेर देता था.
फिर एक मौका ऐसा आया, जब मैंने आंटी को झूठ बोल दिया कि मेरी 4 गर्ल फ्रेंड्स हैं जो कि मेरे साथ सेक्स करती हैं.
वो मेरी बात को सच मान गईं.
फिर मुझको पता चला कि उनकी शादी के इतने साल हो गए हैं और उनके पति उनके साथ कभी कभार ही सम्भोग किया है. पिछले काफी समय से तो उन्होंने चुदाई की ही नहीं!
मैं बोला- ये तो बड़ा गम्भीर मामला है आंटी.
उन्होंने बोला- हाँ मैं तो सारी कोशिश करती थी, उनका लंड जब घुसता था.. तो अच्छा लगता था मगर क्या करूँ वो अब चुदाई का मजा ही नहीं लेना चाहते हैं.
मैंने उनको लंड और चुदाई की बात बोलते सुना तो मैं समझ गया कि आंटी की चुत चुदाई के लिए फड़क रही है.
मैं आंटी से बोला- मैं आपकी बिस्तर में कुछ हेल्प करूँ?
वो हंस पड़ीं और मेरी बात को टाल गई.
फिर मुझे पता लगा कि आंटी का कोई बॉयफ्रेंड है, उससे आंटी फोन पर बात करती हैं. शायद आंटी उस से चुदती होंगी या चुदवाना चाहती होंगी, इस लिए मुझे कुछ कम भाव दे रही थी.
लेकिन इसके बाद से मुझे आंटी को चोदने की और इच्छा होने लगी. अब जब भी मैं उनके घर जाता, उनके बेटे को कह देता था कि मेरे भाई के साथ खेलने जा ताकि हम दोनों को एकांत मिले और मुझे मौक़ा मिले.
वो जब चला जाता तो मैं कपड़ों के ऊपर से ही उनकी गांड पर लंड फेर देता था. वे भी कुछ नहीं कहती थीं. ये सब मुझको बड़ा अच्छा लगता था.
फिर मेरी मम्मी ने सुबह सुबह 10 बजे से 1.30 दोपहर तक के बाहर जाना शुरू किया. इस दौरान आंटी हमारे घर जानबूझ कर आ जाती थीं, कभी फोन करने का बहाना लेकर आती तो कभी यूं ही मुझसे बात करने की कह कर आ जाती थीं.
यह घटना तब की है जब मोबाइल फोन नए नए आये थे और आम आदमी की पहुँच से बाहर थे. लैंड लाइन फोन भी हर घर में नहीं होते थे.
एक बार जब वो आईं, तो मम्मी बाहर गई थीं. उनको मेरे घर के फोन से अपने फोन की कम्प्लेंट करनी थी. मैंने जान बूझ कर दूसरा खराब वाला फोन लगा दिया था.
फिर उन्होंने बोला- मुझ से नहीं लग रहा, तुम मिला के दो.
फोन मिलाने के बहाने से मैं उनसे चिपट गया.
उन्होंने बोला कि ये इधर अच्छा नहीं लग रहा है, तेरी मम्मी आ सकती हैं.. तू मेरे घर आ जा.
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा आंटी थोड़ा करते हैं न!
मगर फिर वो मुझे अपने घर आने की कह कर मेरे घर से चली गईं.
कुछ देर बाद मैं उनके घर गया तो उसके घर पर कोई नहीं था और वो चादर सही कर रही थीं. इस वक्त आंटी डॉगी स्टाइल में थीं, मैं पीछे से उनकी गांड से लग गया.
उन्होंने बोला- जल्दी कर ले, कोई मेहमान आने वाला है.
तो मैंने बोला कि बस आज मुझे एक बूंद टपका लेने दो.
फिर उन्होंने कुछ नहीं कहा.
कपड़ों को ऊपर से करके ही मैं उनके साथ सेक्स कर रहा था. कुछ देर चुत चोदने के कल्पना में मेरी बूंदें टपक गई.
उन्होंने बोला- हो गया तेरा काम? अब खुश हो गया?
मैं कुछ नहीं बोला और चला आया.
फिर वो एक बार फोन करने आईं. मैंने उनको गर्म करते हुए बोला कि आप कैजुअल पजामा में अच्छी लगती हो.
वो ब्लैक कलर का पजामा पहन कर आई थीं. उन्होंने मुझे आँख मार कर कुछ करने का इशारा करते हुए फोन उठा लिया.
मैंने आंटी के पजामा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी गांड पर हाथ लगाया और चूतड़ों को सहलाने लगा. आंटी ने अपने पैर और खोल दिए तो मैंने आंटी की चूत में उंगली फेर दी.
शायद वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात कर रही थीं. उन्होंने चुत में उंगली पाकर भी कुछ नहीं बोला. लेकिन मेरी हरकतों से उन्हें कुछ होने लगा.
जब मैंने उंगली चूत के अन्दर घुसेड़ी और उंगली से आंटी की चुत को चोदा तो चुत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने उंगली बाहर निकाल कर उनके सामने ही चाट लिया.
वो बोलीं- तुमने अपनी उंगली क्यों चाट ली?
मैंने बोला- कोई बात नहीं, आई लव यू आंटी.
वो मुस्कुरा दीं तो मैं उनको चूमने लगा. आंटी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया. कुछ देर बाद मैंने उनके कपड़े उतारे और ब्रा का हुक खोल दिया. मैंने उनको गोद में लेकर बेड पर पटक दिया मगर मेरी किस्मत ने साथ नहीं दिया, उनका छोटा बेटा आ गया, वो बाहर से दरवाजे खड़का रहा था. हम दोनों ने कपड़े पहन लिए, उन्होंने मुझसे सॉरी बोला.
मैंने उनके होंठ चूम लिए.
फिर कुछ दिन बाद मेरे पेरेंट्स को 5 दिन के लिए आउट ऑफ़ स्टेशन जा पड़ा. मैं उनके साथ नहीं गया था. तो मॉम मेरी देखभाल के लिए आंटी को बोल गई थीं कि ख्याल रखना.
मैं उनके घर नहीं जा सकता था क्योंकि उनकी विवाहिता ननद आई हुई थीं.
पता नहीं आंटी को क्या हुआ… आंटी ने एक रात को खुद से फोन करके कहा कि मैं उनके घर आ जाऊं. मैं घर गया तो उन्होंने ब्लैक कलर का गाउन पहना था. आंटी ने मुझे अपने कमरे में आने को कहा, मैं चला गया.
आंटी कमरे में आईं, मैंने दरवाजा बंद किया. बस हम दोनों लग गए. मैंने उनके कपड़े उतारे और हम दोनों नंगे हो गए थे.
मैंने पहले उनके मम्मों को चूसा, फिर उनको लंड चुसवाया. पूरे रूम में लंड के रस की महक फ़ैल गई. उनकी चूत में से टप टप करके रस निकल रहा था. मैंने उनकी चुत में अपना मुँह लगा दिया और चुत रस को चाटने लगा.
मैंने फिर चुत में लंड घुसाया, वो चीख पड़ीं और मुझ को कस के पकड़ लिया.
आंटी बोलीं- आज तुम सब कर दो..
मैंने आंटी की चुत में पूरा लंड घुसाना शुरू किया. चुत गीली हो गई थी और फच्च फच्च की आवाज आ रही थी. हम चुदाई करते हुए एक दूसरे को किस करने में लगे हुए थे.
आंटी की चुत चुदाई के बाद फिर मैंने जब गांड चोदने के लिए उनको घुमाया तो पता चला कि उसकी ननद खिड़की से हम दोनों को देख रही है और अपने मम्मों को दबा रही है.
एक बार तो मैं डर गया लेकिन फिर जब देखा कि खुद चुदासी हो रही है तो मैंने उसको भी अन्दर बुला लिया. वो अंदर आ गई, आंटी उसे देख कर हड़बड़ा गई. लेकिन जब देखा कि उनकी ननद भी चुदने को आतुर हो रही है तो आंटी ने पहले तो अपनी गांड को बुरी तरह से चुदवाया फिर हमने मिल कर आंटी की ननद की चुत का भी चोदन कर दिया.
मैंने आंटी की ननद की चुत चाटी, वो चिल्ला रही थी, फिर खूब जम के सेक्स किया और माल उसकी चुत में ही छोड़ दिया. आंटी को लगा कि वो कहीं प्रेग्नेंट ना हो जाए. उन्होंने ननद को सलाह दी कि तू अपने पति के साथ बिना कंडोम के सेक्स कर लेना ताकि उसको कोई शक न हो.
फिर अगली बार जब आंटी की ननद का बच्चा हुआ और वो अपने बच्चे को लेकर आंटी के घर आई तो मैंने उसका दूध पिया और उसे खूब चोदा.
ये सब दो साल से अब तक चल रहा है. इसके बाद आंटी ने अपनी बहन को भी मुझसे चुदवाया. उनके यहाँ एक नौकरानी आती थी, उसके साथ भी सेक्स करवाया और इसी तरह हम सेक्स करते रहे.
अब भी आंटी और मैं खूब मजा करते हैं.
मेरी antarvasna सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे comments से बतायें!
मैं जब भी कहीं जाती हूं तो मेरी नजर खूबसूरत Sex Stories लड़कों पर पहले पड़ती है, ठीक वैसे ही जैसे लड़कों की नजरें सुंदर लड़कियों पर जाती है। ऐसी ही घटना मेरे साथ एक शादी की पार्टी में हुई। उस पार्टी में मुझे एक पुराना क्लासमेट मिल गया। बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स देखते ही बनती थी।
मैं तो देखते ही उस पर फ़िदा हो गई। मैं जानबूझ कर के उसके सामने लेकिन कुछ दूरी पर खड़ी हो गई ताकि वो मुझे देख कर पहचान ले।…. भला कोई सुन्दर लड़की आपके सामने खड़ी हो तो कौन नहीं देखेगा।
“हाय…. काजल जी…. आप…. मुझे पहचाना…. मैं विजय….”
“अरे….हां विजय हाय…. कहां हो….? क्या कर रहे हो….?”
“यहीं बी एच ई एल में लगा हूं…. एक छोटा सा मकान मिला हुआ है…. और आप….”
बातों का सिलसिला चल पड़ा और मैंने उसे और लम्बा कर दिया। साइड में डीजे चल रहा था। नाच गानों की आवाज में हमारी बातें कोई दूसरा नहीं सुन सकता था। वह मेरे साथ एक कुर्सी पर बैठ गया।
मैंने सोचा कि अभी विजय मुझमें दिलचस्पी ले रहा है….इसे अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। बातों के दौरान उसे कंटीली नजरों से देखना…. उसे देख कर अर्थपूर्ण मुस्कान देना। अदाएं दिखाना….यानी जो कुछ मैं कर सकती थी ….उसके सामने करने लगी।
नतीजा ये हुआ कि वो मेरी गिरफ़्त में आता नजर आ ही गया। डिनर आरम्भ हो चुका था। हम दोनों धीरे धीरे खा रहे थे…. बातें अधिक कर रहे रहे थे। समय का पता ही नहीं चला….अचानक मेरे मम्मी पापा आ गये।
“चलें क्या…. कितनी देर लगेगी….”
” अंकल, हमने अभी तो शुरू किया है…. मैं काजल को घर पर छोड़ दूंगा….” विजय ने पापा से कहा।
“हां पापा…. ये विजय ! मेरा पुराना क्लासमेट ! …. बहुत दिनों बाद मिला है विजय….छोड़ देगा मुझे घर तक ! प्लीज़….”
“ठीक है…. जल्दी आ जाना….” कह कर पापा और मम्मी निकल गये।
हमने भी जल्दी से खाना समाप्त किया और निकल पड़े।
“देखो काजल…. यहीं पास में उस केम्पस में है मेरा क्वार्टर…. देखोगी….”
“नहीं…. अभी नहीं….देर हो जायेगी….”
मेरा कहा नहीं मानते हुये उसने अपनी गाड़ी अपने क्वार्टर की ओर मोड़ ली….
“बस जल्दी से आ जायेंगे….” हम उसके घर पहुंच गये। ताला खोल कर अन्दर आये तो देखा विजय ने अपना कमरा अच्छा सजा रखा था।
उसने अपना घर दिखाया, फिर बोला,” क्या पसन्द करोगी….चाय, कोफ़ी या कोल्ड ड्रिंक….?”
मैंने समय बचाने के लिये कोल्ड ड्रिंक के लिये कह दिया। विजय शायद मुझे घर पर कुछ कहने के लिये ही लाया था।
“काजल एक छोटी सी रिक्वेस्ट है…. देखो मना मत करना……..” विजय ने थोड़ा झिझकते हुए कहा।
मैं अन्दर ही अन्दर खुश हो रही थी कि अब ये कुछ कहने वाला है, शायद मुझे प्रोपोज करेगा !
“हां हां कहो…. ” फिर उकसाते हुए कहा “प्रोमिस ! मना नहीं करूंगी।”
“जाने से पहले एक किस दोगी……..!” फिर एकदम से घबरा उठा, “म्….म….मजाक कर रहा था !”
“अच्छा….मजाक कर रहे थे…. चलो मजाक में ही किस कर लो….” मैंने तिरछी नजरों से वार किया।
“क्….क्….क्या……..सच….” उसे विश्वास ही नहीं हुआ।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया। और आंखे बन्द करके होंठ उसकी ओर बढ़ा दिये। मेरे शरीर का स्पर्श पा कर वो कांप गया। उसने धीरे से अपना होंठ मेरे होंठो से लगा कर किस करने लगा।
उसका लण्ड खड़ा होने लगा था…. मैंने उसके लण्ड पर थोड़ा दबाव और बढ़ा दिया। उसके शरीर का अहसास मुझे हो रहा था….उसके हाथ मेरी पीठ पर से फ़िसलते हुये मेरे चूतड़ों की तरफ़ जा रहे थे। मैंने भी अपने हाथ उसकी चूतड़ों की तरफ़ बढ़ा दिये। उसने अब मेरे दोनो चूतड़ों की गोलाईयों को दबा कर चूमना चालू कर दिया। मैंने भी वही किया और उसके चूतड़ों को दबाने लगी। मैंने धीरे से चूतड़ से एक हाथ हटाया और उसका लण्ड उपर से ही दबा दिया।
“आह……..काजल…. जोर से दबा दो….” मैंने और दबा कर ऊपर से ही लण्ड मसल दिया…. पर उसी समय मुझे कुछ अजीब सा लगा। उसने मुझे जोर से जकड़ लिया…. और मुझे उसके पैंट के ऊपर से ही गीलापन लगने लगा…. वो झड़ चुका था। उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया था।
” विजय…. ये क्या…. निकल गया क्या….” मैंने मजाक में हंसते हुये छेड़ा।
“सोरी काजल…. सह नहीं पाया….” उसका सर झुक गया।
मैंने उसकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहा,” पहली बार तो ऐसा हो जाता है……..सुनो…. कल दिन को मुझे यहां ले आना…. कल मजे करेंगे”
विजय खुश हो उठा। इसने कपड़े बदले और मुझे घर छोड़ने के लिये चल पड़ा।
मैं खुश थी कि विजय जैसा जानदार लड़का मिल गया। अब जी भर कर चुदवाने का मजा लूंगी। अगले दिन वो दिन को २ बजे मुझे लेने आ गया।
हम दोनो सीधे उसके घर आ गये…. घर पर उसने पहले ही सारी तैयारी कर रखी थी। मैंने घर में आते ही दरवाजा बन्द कर दिया। और विजय से लिपट पड़ी। विजय भी जोश में लिपट पड़ा।
“विजय….मेरे कपड़े उतार दो…. बड़े तंग हो रहे है….” वो तो पहले ही पागल हो रहा था। उसने मेरा टॉप उतार दिया। मैंने जान कर ब्रा नहीं पहनी थी….मेरे दोनो कबूतर बाहर निकल कर फ़ड़्फ़ड़ा उठे…. विजय बैचेन हो उठा…. उसके हाथ मेरे स्तनों की ओर बढ़ने लगे….
“अजी ठहरो तो……..अभी मेरी जींस कौन उतारेगा….” उसके हाथ बढ़ते बढ़ते रुक गये और जींस की तरफ़ आ गये। मेरी जींस की ज़िप खोलते ही मेरी चूत के दर्शन हो गये। जींस नीचे सरकाते ही उसने अपना मुख मेरी चूत की पंखुड़ियों पर लगा दिये…. और जीभ ने दोनों पट खोल दिये…. और मेरी चूत में घुसने लगी। मुझे तेज सिरहन दौड़ गयी। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली।
“विजय अभी रुको जरा…. अपने कपड़े तो उतारो….” मुझे तो उसके शरीर को निहारना था। उसकी ताकत से भरी मसल्स को छूना था। उसके कड़े, मोटे और बलिष्ठ लण्ड को पकड़ना था। उसने अपने कपड़े भी तुरन्त उतार दिये और नंगा हो गया। वो मेरे जिस्म को देख कर आहें भर रहा था और मैं उसके तराशी हुई मसल्स को देख कर आहें भर रही थी। मैं उसके जिस्म से खेलना चाहती थी। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया।
उसका लण्ड सच में बहुत बड़ा था। यानी लम्बा और मोटा था…. उसका लण्ड देखने से ही मस्कुलर और ताकतवर लग रहा था। मुझे उसका लण्ड देख कर नशा सा आने लगा कि हाय्…….. इतने सोलिड लण्ड से गहराई तक चुदने का मजा आयेगा।
“आहऽऽ …. कितना प्यारा लण्ड है तुम्हारा….तुमने कितनो को चोदा है….”
“सिर्फ़ एक को…….. पर थोड़ा सा ही…. ” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया…. हाय रे…. ऊपर से नरम मसल्स थी…. लण्ड में बहुत कड़कपन था। मैंने उसके सुपाड़े पर से चमड़ी ऊपर सरका दी और उसके लाल चमकदार सुपाड़े को मलने लगी…. थोड़ा सा थूक लगा कर चिकना किया और हाथ में कस लिया। एक बार और थूक कर उसके लण्ड को मुठ मारने लगी…. उसका लण्ड जोर से फ़ड़फ़ड़ाया और पिचकारी छूट पड़ी…. मैं स्तब्ध रह गयी। मेरा हाथ थूक से पहले ही गीला था….अब वीर्य से नहा गया था।
“विजय…. ये तो माल निकल गया….” विजय अति उत्तेजना से हांफ़ रहा था।
मैंने सोचा इसे फिर से तैयार करते हैं…. चुदवाना तो था ही….
मैंने उसी के रूमाल से सब कुछ साफ़ किया और कहा,” अच्छा जी ! मुझे कितना तड़पाओगे…. अभी फिर से तैयार करती हूं….थोड़ी देर कोल्ड ड्रिंक पीते है….”
उसे प्यार से कह कर मैंने फ़्रिज से ड्रिंक्स निकाल ली और नंगी ही उसकी गोदी में बैठ कर पीने लगे…. मेरी गाण्ड के स्पर्श से उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने धीरे धीरे उसके लण्ड पर अपनी गाण्ड सहलाने लगी…. ड्रिंक्स समाप्त करके मैंने उसे फिर से सीधा लेटा दिया। उसका लण्ड सीधा तन्नाया हुआ खड़ा था।
मैंने जोश में आते हुये उसके ऊपर लेट कर लण्ड चूत में घुसेड़ लिया और जोर लगा कर पूरा घुसा लिया। उसने भी मुझे जकड़ लिया और अपने लण्ड का पूरा जोर नीचे से लगा दिया…. और मुझे लगा कि उसका जोर बढ़ता ही जा रहा है…. और मेरी चूत में उसका लण्ड फ़ूलता – पिचकता सा लगा…. मुझे अपनी चूत में उसका वीर्य का अहसास हो गया…….. विजय झड़ चुका था। मेरा सारा जोश ठण्डा पड़ गया। मैं उस पर निराशा से निढाल हो कर लेट गई….
मैं समझ चुकी थी कि विजय मात्र ऊपर से ही शानदार दिखता है…. पर अन्दर से खोखला है। मैं उस पर से धीरे से उठी और बाथ रूम में जाकर सारी सफ़ाई कर ली और कपड़े पहन लिये।
विजय शर्मिंदा लग रहा था…. पर मैंने उसे हिम्मत बढ़ाते हुये कहा,” विजय…. ये कोई समस्या नहीं है…. बस अति उत्तेजना का असर है…. चाहो तो होस्पिटल में किसी स्पेशलिस्ट से बात करो….किसी नीम हकीम से या न्यूज पेपर के विज्ञापन से दूर रहना….” मैंने उसे समझाया।
“काजल …. हां मैं आज ही मिलता हूं….” वो पहले से खुद की कमजोरी जानता था। मुझे उस पर मन में दया भी आई…. पर मैं …….. प्यासी ही रह गई…. उसका शरीर और रूप देख कर धोखा खा गई….
“चलो मुझे अब घर छोड़ आओ…. ” वो मेरे साथ तैयार हो कर निकल पड़ा।
मैं रास्ते भर सोचती रह गई…. बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स…. यानी शो पीस…. Sex Stories
रात का खाना खाने के Antarvasna बाद रोज की तरह मैं कंप्यूटर पर अपना काम कर रहा था कि मेरे मोबाइल पर मिस्ड कॉल आई, देखा तो कमलिनी की थी।
मैंने काल-बैक किया तो पूछने लगी- क्या कर रहे हैं?
मैंने झूठ बोल दिया- सिर में बहुत दर्द है, मैं सोने जा रहा हूँ।
मैंने झूठ इसलिए बोला था क्यूंकि आज मैं कमलिनी की चूत मारने की अपेक्षा उसकी माँ रागिनी की गांड मारना चाहता था, मुझे पूरा विश्वास था कि वो रात को गांड मराने जरूर आएगी। और वही हुआ भी, कमलिनी के फ़ोन के आधे घंटे बाद मेरे मोबाइल की घंटी फिर बजी, मैंने उठाया तो रागिनी भाभी बोलीं- क्या कर रहे हो देवर जी?
मैंने कहा- मेरे सिर में बहुत दर्द है, क्या करुँ ?
भाभी बोलीं- मैं आकर सिर दबा दूं ?
मैंने कहा- भाभी आप अगर छू लेंगी तो दर्द अपने आप ठीक हो जाएगा, आप तुंरत आयें, मैंने दरवाजा खोल दिया है।
दो ही मिनट बाद भाभी मेरे सामने आ पहुंचीं, उनका रूप देखकर मेरा लंड तन्नाने लगा और उनकी गांड फाड़ने के बारे में सोचने लगा। भाभी ने मेरे माथे पर हाथ रखा और बोलीं- गर्म तो नहीं है।
मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने तन्नाये हुए लंड पर रखते हुए कहा- यह तो गर्म है ?
शरमाते हुए बोलीं- बहुत शरारती हो।
मैंने पूछा- मुझसे कह रही हैं या मेरे लंड से ?
कहने लगीं- दोनों से।
इतना सुनते ही मैंने उनको अपनी बाहों में लिया और दीवान पर लिटा दिया। मैंने अपनी टीशर्ट उतारी, लोअर उतारा और क्रीम की शीशी खोलकर ढेर सा क्रीम अपने लंड पर लगा दिया। भाभी का गाउन उतारा, उनको घोड़ी बनाया और अपना लंड उनकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा। थोड़ी देर तक गांड के छेद पर लंड रगड़ने से भाभी आनंदित होने लगीं तो मैंने पूछा- भाभी डालूँ ?
तो बोलीं- हाँ मेरे देवर राजा।
गांड के छेद पर अपने तन्नाये हुए लंड का सुपाड़ा रखकर मैं धीरे धीरे अंदर करने लगा, भाभी की गांड बहुत टाइट थी। मैंने जोर से दबाया तो लंड का सुपाड़ा गांड के अंदर हो गया, भाभी कराहते हुए बोलीं- बस करो राजा, फट गई।
मैंने उनके चूतड़ों को सहलाते हुए कहा- भाभी आप वाकई बहुत हिम्मत वाली हैं, आपने पूरा लंड अपनी गांड में ले लिया।
अब तक सिर्फ लंड का सुपाडा ही भाभी की गांड के अन्दर था और बाकी का लंड भाभी की गांड के अंदर जाने के लिए बेताब हो रहा था। मैंने भाभी को बातों में लगाकर उनके मम्मों से
खेलते खेलते लंड को धीरे धीरे अंदर करना शुरू किया और इस प्रकार आधा लंड उनकी गदराई हुई गांड में समा गया। अब लंड को अंदर-बाहर करने का काम शुरू हो चुका था जिसमें भाभी को मजा आने लगा था इस बीच पूरा लंड कब भाभी की गांड में चला गया। भाभी को पता ही नहीं चला। २०-२५ मिनट तक चोदने के बाद मैंने अपने लंड का वीर्य उनकी गांड में ही डिस्चार्ज कर दिया और पूछा- जिंदगी में पहली बार गांड मराकर कैसा लग रहा है भाभी?
तो अपनी ख़ुशी को ना छुपाते हुए बोलीं- टचवुड ! बहुत मजेदार।
मैंने कहा- एक राउंड और हो जाए ?
तो बोलीं- आज नहीं !
और अपने कपड़े ठीक करते हुए चली गईं। अब मेरा काम बढ़िया हो गया था, कमलिनी और उसकी माँ रागिनी दोनों को चोद कर मैं जवानी का आनंद ले रहा था। किसी रात को दोनों चुदवाने का मन बना बैठीं तो क्या होगा? यह सोचकर मैंने टाइम टेबल बना दिया और उनको भी समझा लिया।
अब सोमवार तथा गुरुवार को कमलिनी की चूत, बुधवार को रागिनी की गांड एवं शुक्रवार को रागिनी की चूत चोदने का कार्यक्रम होने लगा। बीच में कभी रेखा घर पर न हो तो दिन में रागिनी या कमलिनी कोई भी जो उपलब्ध हो जाए, चुद जाती थी।
बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए…. Antarvasna
मैं संजू जगदलपुर, बस्तर, छत्तीसगढ का Sex stories रहने वाला हूं। मैं कुछ माह से या कहें कि साल भर से शहर में नहीं हूं, इसलिये मैं अपने साथ बीते कुछ हसीन पल आप लोगों के समक्ष नहीं रख पा रहा था। मगर इस बीच मैंने दूसरे शहर में खूब मज़ा लिया। हर दूसरे तीसरे दिन कोई ना कोई नया माल मिल जाता था, जिसकी मैं जम कर चुदाई करता था।
मगर मेरे शहर में जो भाभी मेरे लन्ड का सपना देख रही थी, उससे मैं वाकिफ़ नहीं था। आज से १७ दिन पूर्व में ९ माह १० दिन तथा १२ घण्टे पूरे कर जब मैं जगदलपुर अपने घर पहुंचा तो मेरे पड़ोस में रहने वाली रजनी भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी। मैं भी उनकी खुशी के लिये थोड़ा मुस्कुराया।
अगले दिन सुबह जब घर के बाहर ब्रश कर रहा था तो वो मुझे देख देख कर मुस्कुराने लगी। मैं रजनी भाभी को कभी उस नज़र से नहीं देखता था। मगर मैं एक नम्बर का चोदरा तो जरूर हूं। न जाने ९ महीने बाद भाभी ने मुझ में ऐसा क्या देख लिया। लम्बी छुटटी के बाद मैं सुबह १० बजे आफ़िस के लिए निकला। महज १६० मीटर की दूरी पर रजनी भाभी का घर है। उन्होने मुझे रोका और कहा कि अब तक कहां थे? मैंने बताया कि भाभी मैं टरेनिंग पर था। भाभी ने कहा- ठीक है। लम्बा समय बाहर बिता कर आ रहे हो, किसी दिन खाने पर आओ। मैंने हामी भर दी मगर ये नहीं कहा कि कब। एक सप्ताह बीत गया, रोज जब मैं सुबह ब्रश करता, वो मुझे खिड़की से देख देख कर मुस्कुराती। चूंकि मेरी आदत है कि ब्रश मैं घर के बाहर ही करता हूं। मेरे जहन में यह सवाल उठता था कि वो क्यों मुस्कुराती है जबकि मैं उसे उस नज़र से नहीं देखता।
रविवार का दिन था। मैं तैयार हो कर आफ़िस के लिए निकला। रजनी भाभी मुझे देख कर अपने घर के मेन गेट के सामने खड़ी हो गई और मुझे आवाज़ देकर बुला कर खाने पर आने को कहा। मैने जवाब दिया कि भाभी मैं कुछ काम पूरा कर के आता हूं।
लगभग ११:३० बजे होंगे जब मैं भाभी के घर पहुंचा। भाभी गेट पर ही खड़ी थी और उन्होने मुझे अन्दर चलने को कहा। मैने चलते चलते भाभी से पूछा कि घर में कौन कौन है, तो भाभी भावुक होकर बोली कि घर में कोई नहीं है हम दोनो को छोड़ कर।
फ़िर भाभी ने अपना फ़िगर दिखाना शुरू किया तो मैं उत्तेजित हो गया और बिना दरवाजा बंद किए भाभी के बूब्स मसलने लगा। काफ़ी बड़े बड़े बूब्स हैं उनके। उसके बाद से तो मैं उन पर टूट पड़ा। जिस महिला को कभी उस नज़र से नहीं देखा था, वो इतनी सेक्सी होगी, मुझे मालूम नहीं था। कुछ देर बाद हम शांत हुए और दरवाजा बंद करके उनके बेडरूम में चले गये। वहां भाभी ने बताया कि उनके पति दो हफ़्ते के लिए बाहर गए हैं और मेरा लन्ड लेने की उनकी इच्छा कब से है।
खैर उस दिन भाभी के बेडरूम में जाने के बाद खाना खाने की भूख तो नहीं लगी, जिस्म की ही भूख ज्यादा थी तब।
भाभी अपने आप पूरी तरह नंगी हो गई, मैं कपड़े पहने था। मैं कुछ जल्दी में था तो फ़टाफ़ट अपने कपरे उतार कर भाभी की जम कर चुदाई की और निकल गया वहां से। उसके बाद मेरा रास्ता हमेशा के लिए खुल गया और अकसर हम मज़ा करते हैं कभी दिन तो कभी रात को। आगे की कहानी फ़िर कभी। Sex stories
सभी पाठकों को मेरा प्रणाम, मेरा Antarvasna नाम मोहित है मैं रतलाम में रहता हूँ और अंतर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
दोस्तो, यह बात फ़रवरी के महीने की हैं, रतलाम मे मेरी दूर के रिश्ते की मासी के लड़के की शादी थी उसमे मुझे एक भाभी मिली जिसका नाम सोनम था। बात करने पर पता चला कि वो दूर के किसी रिश्ते मे मेरी भाभी लगती है। उसका रंग सांवला था हाइट करीब 5’5′ होगी दिखने में एक दम सेक्सी थी उसका फिगर 34-28-32 का था।
मैंने गौर किया कि वो सुबह से ही मुझमें रुचि ले रही है। साथ में घूमना, खाना, इधर उधर की बातें करना।
दिन की बात है वो मुझे घूर रही थी, तभी अचानक मैंने उनसे कहा- भाभी देखते हैं कौन बाद में पलक झपकता है!
तो उन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली तो मैंने कहा- लो आप तो हार गयी लाओ मेरा इनाम!
तो उसने कहा- माँग लो आपको जो भी माँगना हो!
उसकी इस बात से मेरा नज़रिया थोड़ा बदल गया लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई, मैंने उनसे कहा- रहने दो आप नहीं दे पाओगी!
मेरा ऐसा कहने पर उसने कहा- मुझे पता है आपको क्या चाहिए!
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- आपको किस चाहिए ना!
उसके मुख से ऐसी बात सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर किस कर दिया। उसने मेरा पूरा साथ दिया लेकिन तभी कमरे का दरवाजा बजा और हम अलग हो गये, लेकिन अब हमारी तड़फ़ बढ़ने लगी थी । फिर शाम को रिसेपशन के समय उसने लाल रंग का लांचा पहना था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी।
उन्होंने मुझसे कहा- आज से मैं आपकी भाभी नहीं बीबी हूँ, आप मुझे जैसे चाहो खा सकते हो!
फिर हमने जल्दी जल्दी खाना खाया और मेरे दोस्त की गाड़ी लेकर हम घूमने चले गये और फिर एक होटेल में मैंने उसे 5 बार अलग अलग तरीके से चोदा।
फ़िर उस रात मेरे एक दोस्त की बाइक लेकर मैं और सोनम शादी में से निकल गए। उसने मुझे पीछे से पकड़ रखा था और जब हम थोडी सुनसान जगह पहुंचे तो उसने उसका हाथ मेरे शर्ट के अन्दर डाल दिया, उसके स्पर्श से मेरे तन में गर्मी आ गई और मैं उसे एक होटल में ले गया।
होटल में मैंने एक कमरा बुक करना चाहा तो मैनेजर ने कहा- सर, मेडम! नॉन एसी रूम चलेगा?
मैंने कहा- ठीक है!
उसने होटल में 17 नम्बर का कमरा खुलवा दिया और हम दोनों कमरे में आ गए। मैंने कमरे में आते ही सोनम को कहा- सोनम आज मैं तुम्हें अपना बना के रहूँगा!
तो उसने कहा- आप की जो मर्जी हो वैसा करो लेकिन में आपसे बहुत प्यार करती हूँ इसलिए मुझे भी आप अपना पूरा प्यार देना!
उसकी इस बात ने मेरी वासना को और भड़का दिया, मैंने उसका लांचा खोल दिया और वो मुझसे लिपट गई।
मैंने भी कुरता पहना था, उसने उसे खोल दिया, फिर उसने मुझे बेड पर बिठा दिया और कहा- मोहित! आज हमारी सुहाग रात है!
मैंने कहा- जानेमन आ जाओ! तुम्हें अपने प्यार का स्वाद चखाता हूँ!
फ़िर हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे किस करने लगे। उसने अपना हाथ मेरे पजामे में डाल दिया, मेरा लंड जो खड़ा था, उसने उसे पकड़ लिया और मेरे सुपाड़े की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मेरी हालत ख़राब हो रही थी। लग रहा था मानो मेरा लंड फट जाएगा।
फ़िर मैंने उसके स्तन मसलने चालू कर दिए और कुछ ही समय में हम दोनों प्राकृतिक अवस्था में थे। सोनम ने कमरे की लाईट बंद कर दी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
2 या 3 मिनट ही हुए थे और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया.
उसने कहा- मोहित! आपका टेस्ट कितना अच्छा है! क्या आप मुझे नहीं चखोगे?
मैंने उसके बूब्स को मुँह में लेकर चूसना चालू किया और कुछ ही देर में मैं उसकी चूत पर था। उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल बड़े सेक्सी लग रहे थे।
मैंने उसकी चूत को चाटना चालू किया तो उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और वो मेरा सर पकड़ कर अपने चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत चटवा रही थी और अचानक उसने मेरा मुँह हटा दिया और कहा- अब आप मुझे खा जाओ!
उसके इन शब्दों ने मुझे पागल बना दिया और मैंने एक सेकंड में अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का लगाया..
वो इसके लिए तैयार नहीं थी और अचानक ऐसा होने से वो एक दम डर सी गई और अगले ही झटके में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था।
दोस्तों उसकी चूत इतनी टाइट नहीं थी जितनी मेरी गर्ल फ्रेंड की थी।
और इसी तरह मैंने उससे 2-3 अलग अलग आसनों में चोदा और हम दोनों झड़ गए…
ऐसे 3 दौर पूरी रात चले और फिर हम एक दूसरे को बाहों में जकड़ के सो गए..
सुबह वो उठी और रोने लगी।
मैंने पूछा- सोनम! क्या हुआ?
तो वो मेरे गले लग के बोली कि मोहित! शायद हमने अच्छा नही किया… मैं शादी शुदा हूँ और मैंने ये सब…बस वो ये बोल ही रही थी कि मैंने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और किस करने लगा..
और उससे कहा- सोनम! इस जन्म में ना सही पर अगले जन्म में मैं तुम्हारा ही रहूँगा .. मेरे मुँह से ऐसी बात सुन कर वो खुश हो गई और फिर हम दोनों होटल से शादी की धर्मशाला आ गए…
उसके बाद आज तक वो मुझे नहीं मिली.
लेकिन एक बात तो अभी कहना चाहता हूँ कि भाभी को चोदने में जितना मज़ा आता है उतना तो गर्ल फ्रेंड को चोदने में भी नहीं आता!
पर दोस्तो, आप के ईमेल तो मिलना चाहिए इसलिए मुझे मेल करें… Antarvasna
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