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मैं तीस साल का हूँ और पंजाब में Hindi Porn Stories रहता हूँ। जैसे कि पंजाबी होते हैं अच्छे स्मार्ट, वैसा ही हूँ मैं ! अच्छे खाते-पीते घर का हूँ और मेरा कद 5’7″ और मेरे लंड का आकार 7″ और मोटाई 2.5″ है। मैं शादीशुदा हूँ। जैसे कि अक्सर होता है, शादी के बाद जब बच्चे हो जाते है तो पत्नी की पति में रूचि कम हो जाती है और बच्चों में ज्यादा ! ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ तो मैं ऑफिस से चैट करने लगा।
मुझे एक लड़की मेरे ही शहर की मिली, वो भी शादीशुदा थी, उसका कद 5’2″ और उसका फिगर 36 डी/30/36 था, जो मुझे बाद में पता चला। उसका घरवाला विदेश गया हुआ था और साल में दस बारह दिन के लिए आता था। हम दोनों में बातें होने लगी, धीरे-धीरे सेक्स की बातें होने लगी तो मुझे पता चला कि वो भी बहुत प्यासी है। पर हम दोनों डरते थे कि किसी को कहीं पता न चल जाये क्योंकि हम दोनों बदनामी से बहुत डरते थे।
फिर एक दिन मुझे एक आईडिया आया। उस दिन वो घर में अकेली थी। मैंने उससे उसके घर का पता लिया और दोपहर को उसके घर चला गया। उस समय आसपास में सब सो रहे होते हैं। मैंने अपने साथ एक बैग ले लिया जिससे लगे कि मैं उसके घर कुछ काम से आया हूँ।
वो मुझे देखकर बहुत खुश थी पर कुछ डर रही थी कि कहीं कोई आ ना आ जाये, तो मैंने उसको अपने पास बिठाया और प्यार से समझाया कि अगर कोई आ जाये तो कह देना कंप्यूटर ठीक करने आया है।
उसने घर में पजामा और खुली सी टी-शर्ट पहनी थी जिसमें से उसके मम्मे बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे। उसको ऐसे देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा था। उसको बड़ी मुश्किल से पैंट में ठीक किया तो उसने देख लिया और वो चली गई। वो मेरे लिए पानी लेकर आई और मेरे पास ही बैठ गई। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे, पर मेरा ध्यान तो उसके मम्मों की तरफ ही था।
उसने कहा- क्या देख रहे हो?
तो मैंने कहा- तुम्हारे मम्मे !
तो वो बोली- क्या टी-शर्ट में से दिख रहे हैं?
तो मैंने कहा- अन्दाज़ लगा रहा हूँ कि कैसे होंगे !
तो बोली- क्या सिर्फ अन्दाज़ा ही करोगे? सच में नहीं देखने?
तो मैंने झट से उसको अपनी बाहों में भींच लिया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल मेरी जीभ उसके मुँह के अंदर थी और हम एक दूसरे की लार को चख रहे थे। उसकी साँसें गरम हो रही थी और मैंने चूमते-चूमते उसकी टी-शर्ट में हाथ डालकर उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी पराई औरत को छू रहा था।
उसकी साँसे तेज हो रही थी और मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया था। मैं पागलों की तरह उसको चूम रहा था और आगे से उसके मम्मों को हाथ से उसकी शर्ट के ऊपर से ही सहला रहा था। वो सिसकने लगी और बोलने लगी- आआह्ह्ह राह्ह्ह्हहुल्ल्ल इतने दिन क्यों लगा दिए आने में ? ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह !
वो खुद पर अपना कण्ट्रोल खो रही थी, लगता उसको काफी दिन हो गए थे सेक्स किये ! इसलिए वो पूर्व-क्रीड़ा और चूमने आदि में ही एक बार झड़ गई।
मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया, अपने कपड़े उतारने लगा। वो बड़ी गौर से मेरी चौड़ी छाती देख रही थी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। जिसमें दूर से ही मेरा खड़ा लंड नज़र आ रहा था।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसको चूमना शुरू किया। वो हर चुम्बन पर सिसकियाँ ले रही थी और फ़िर मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी चूचियां जो काफी बड़ी थी उनको चूसना शुरू दिया तो वो पागल सी होने लगी। उसकी चूचियों को कभी होठों से चूसता तो कभी काटता, तो वो सिसक पड़ती और अब वो पागलों की तरह मेरा सर अपने मम्मों में दबा रही थी और कह रही थी- हाँ ऐसे ही आह्ह्ह्ह ऊऊउफ़ ! ऊऊईईईईईईइ !
और ऐसे ही उसको चूमते-चाटते उसके पजामे तक आया और उसका पजामा उतार दिया। तो उसकी पैंटी एक दम गीली हो चुकी थी, मैं उसकी पैंटी को धीरे-धीरे उतार रहा था पर शायद उसको बहुत जल्दी थी तो उसने झट से अपनी पैन्टी टांगों के बीच में से निकाल दी। उसकी चूत पर उसके पानी की कुछ बूंदें थी जिसके कारण उसकी चूत चमक रही थी। मैंने आज तक ऐसी चिकनी चूत नहीं देखी थी। ऐसे लग रही थी मानो किसी सोलह साल की लड़की की हो ! एक दम छोटा सा चीरा और उस पर गुलाबी पंखुरी जैसा रंग ! दिल कर रहा था ख़ी खा जाऊं ! लगता था उसका घरवाला मेरे लिए छोड़ गया था !
जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ तो एक दम से उछल पड़ी जैसे 440 वोल्ट का करंट लगा हो। मैंने उसकी चूत के पंखुरी जैसे नाज़ुक होठोँ को खोल कर अपने होठ वहां रख दिए। मानो जन्नत में आ गया हूँ ऐसे लग रहा था। मैंने उसकी चूत को खूब चाटा और इधर लंड जी महाराज अंडरवियर में खूब ठोकरेँ मार रहे थे। लगता था कि अगर बाहर नहीं निकाले तो अंडरवियर फाड़ के बाहर आ जायेंगे !
मैंने जैसे ही अंडरवीयर निकाला तो वो मेरा लंड देख कर हैरान रह गई, कहती- इतना बड़ा ? यह तो मेरी चूत को फाड़ देगा ! मेरे पति का तो इससे आधा ही है !
तो मैंने कहा- वो तो मैं तुम्हारी चूत की हालत देख कर ही समझ गया था कि अभी तक सिर्फ लुल्ली से चुदी है किसी मर्द का लौड़ा नहीं मिला इस को आज तक !
हम 69 पोज़िशन में आ गए, मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा नहीं आ रहा था और वो गों-गों कर रही थी। कोई 5-7 मिनट की चुसाई के बाद मुझे लगा कि अब इसकी चूत तैयार है चुदने के लिए !
तो मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और उसकी भग्नासा पर लंड का सुपाड़ा रगड़ना शुरू किया तो वह अपनी गांड को ऊपर उठाने लगी की लण्ड जल्दी से उसकी चूत में घुस जाये। पर मैं उसको तड़पाना चाहता था और उसके मुँह से सुनना चाहता था।
जब लंड को रगड़ा तो वह तड़प उठी और बोली- अब और मत तड़पाओ ! इसको मेरी चूत में डाल दो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! पिछले आठ महीनों से नहीं चुदी है, आज इसकी चुदने की सारी ख्वाहिश पूरी कर दो !
तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा। पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें!
लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया था। अब वह सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो !
थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वोह पूरा आनंद ले रही थी। उसकी साँसे तेज हो गई थी और आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करते करते वो फिर से झड़ गई। अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- कभी तेज शॉट और छोटे शॉट तो कभी तेज शॉट और लॉन्ग शॉट लगाता। जब छोटे शॉट लगाता तो उसको लगता उसकी जान निकल रही है, जब लॉन्ग शॉट लगाता तो उसको दर्द होता और ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और ऐसे ही उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनंद झलक रहा था।
हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके। मैंने उसको एक चादर औढ़ाई और अपने कपड़े पहन के वापिस आ गया क्योंकि डर था कहीं कोई आ ना जाये !
मुझे उसने बाद में बताया कि वो घण्टे घंटे तक ऐसे ही पड़ी रही और शाम को वो वापिस फ्रेश हुई, अब वह बहुत खुश है !
हमें जब भी मौका मिलता है तो हम एक दूसरे की जरुरत को पूरा करते हैं। मुझे नहीं लगता कि हम किसी को धोखा दे रहे हैं क्योंकि हम दोनों की एक ही जरुरत है सेक्स……….
मुझे अपने विचार भेजें क्योंकि यह कहानी नहीं मेरी हकीक़त है। Hindi Porn Stories
sex stories....मेरा नाम गिन्नी है. मेरी उम्र 19 साल की है और मैं बहुत ही खूबसूरत हूँ. मेरी दो सहेलियां हैं जिनका नाम पिंकी और शिखा है. वो दोनों मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ती थीं. हम तीनों ही बहुत ही सेक्सी थी. कॉलेज में ही हमारा ढेर सारे लड़कों से शारीरिक सम्बन्ध था. हम तीनों ही उन सब लौंडों से खूब चुदवाती थीं.
शिखा चुदवाने में सबसे ज्यादा तेज थी. शिखा हमेशा ही खूब लम्बे और मोटे लंड की तलाश में रहती थी.
पिंकी को कई लड़कों से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मजा आता था लेकिन उसे ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं था. जहाँ तक मेरा सवाल है तो मुझे एक साथ चुत और गांड दोनों में लंड लेना पसंद था.
पढ़ाई खत्म होने के बाद पिंकी और मैं 2 साल के लिए दूसरे शहर में पढ़ने चली गई. हमारे जाने के 6 महीने के बाद ही शिखा की शादी उसी शहर में जय के साथ हो गई थी. जय बहुत ही अमीर आदमी था और अय्याश भी था. शिखा ने हम दोनों को भी शादी में बुलाया लेकिन हम उसकी शादी में नहीं आ सकी.
शिखा ने अपनी शादी की दूसरी सालगिरह पर हम दोनों को बुलाया. मैं पिंकी के साथ शिखा के पास आ गई. शिखा ने हम दोनों को देखा, तो बहुत खुश हो गई. हम सबने आपस में खूब बातें की.
शिखा ने मुझे बताया कि वो शादी के बाद से और ज्यादा सेक्सी हो गई थी और वो कई आदमियों से चुदवा चुकी थी. उसकी एक दलाल से जान पहचान हो गई थी, जो कि अमीर औरतों को आदमी सप्लाई करता था. मैं जानती थी कि ये मुंबई के लिए आम बात है..
शिखा ने हम दोनों को लगभग 150 आदमियों के फोटो दिखाए और बोली- मैं इन सबसे चुदवा चुकी हूँ. वो सभी आदमी फोटो में एकदम नंगे थे. उन सब आदमियों का लंड एक से बढ़कर एक था. किसी का भी लंड 8″ से कम लम्बा नहीं था.
मैंने शिखा से कहा- इन सबका लंड तो बहुत ही लम्बा और मोटा है.
वो बोली- तू तो जानती ही है कि मुझे तो खूब मोटा और लम्बा लंड ही पसंद आता है और उसी से चुदवाने में मुझे मजा भी आता है. आज मैंने एक पार्टी रखी है. आज हम सब सारी रात चुदाई का पूरा मजा उठाएंगे.
फिर शिखा ने 6 मर्दों के फोटो हमारे सामने रखते हुए कहा- मैंने आज इन सबको बुलाया है.
मैंने पूछा- अगर जय आ गया तो?
वो बोली- वो तो महीने में 25 दिन बाहर ही रहता है. इसीलिए तो मैंने दूसरे आदमियों से चुदवाना शुरू किया है.
मैंने कहा- जय तुझे कुछ कहता नहीं है?
वो बोली- वो भी तो अय्याश है और तमाम लड़कियों को चोदता रहता है. मैं उसके सामने भी कई बार चुदवा चुकी हूँ.
मैंने कहा- तो फिर तूने आज 6 मर्दों को क्यों बुलाया है?
शिखा बोली- क्या तुम सबको नहीं चुदवाना है?
मैंने कहा- चुदवाना तो है लेकिन 6 मर्द एक साथ?
वो बोली- तो क्या हुआ? ज्यादा लंड होंगे तभी तो चुदाई का असली मजा आएगा.
मैंने कहा- इन सभी के लंड 11″ से कम नहीं हैं.
वो बोली- इसीलिए मैंने केवल इन्हें ही बुलाया है. मैं तो आज रात इन सबसे कम से कम 1 बार जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- शिखा, तू तो जानती है कि मुझे कई मर्दों से एक साथ चुदवाना पसंद है, लेकिन मैं ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं करती.
शिखा बोली- छोड़ यार, तूने लम्बे और मोटे लंड का मजा कभी लिया ही नहीं, फिर तू क्या जाने कि खूब लम्बे और मोटे लंड से चुदवाने का मजा क्या होता है. आज तो मैं तुझे इन सबसे जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- तब मेरी हालत एकदम खराब हो जाएगी क्योंकि इसमें से किसी का लंड 11″ से कम लम्बा नहीं है. मैं तो सुबह तक बिस्तर पर से हिलने डुलने के काबिल ही नहीं रहूँगी.
शिखा बोली- क्यों तुझे कल सुबह कहीं जाना है क्या?
पिंकी बोली- नहीं यार, कहीं नहीं जाना है. हम दोनों तो तेरे पास कम से कम 10 दिनों तक रहेंगी.
शिखा बोली- फिर सारा दिन तू बिस्तर पर ही आराम करना.
पिंकी- ठीक है.
उसके बाद शिखा ने मुझसे कहा- तेरा क्या ख्याल है गिन्नी?
मैंने कहा- तू तो जानती ही है, मुझे एक साथ दो लंड अन्दर लेना पसंद है. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. मैं पहले भी 11″ लम्बा लंड अन्दर ले चुकी हूँ. मैं तो इन सबसे कम से कम 2 बार जरूर चुदवाऊंगी.
शिखा बोली- फिर ठीक है. आज रात हम सबको चुदवाने में खूब मजा आएगा.
सारा दिन हम गपशप करते रहे. रात के 8 बजे एक सूमो आकर खड़ी हुई. उसमें से 6 हट्टे कट्टे जवान मर्द बाहर आए. मैं उन्हें देखकर खुश हो गई. पिंकी उन्हें देख कर थोड़ा परेशान हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- तू क्यों परेशान है.
वो बोली- इन सबके लंड के बारे में सोच कर मैं परेशान हूँ.
शिखा बोली- फिर तो आज सबसे पहले मैं तेरी ही चुदाई कराऊंगी.
पिंकी बोली- नहीं, मैं सबसे बाद में चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू लाख कोशिश कर ले लेकिन आज मैं सबसे पहले तुझे ही इन सबके हवाले करूँगी. ये सब तेरी चुदाई कर करके तेरी चुत को एकदम चौड़ा कर देंगें.
पिंकी बोली- इसका मतलब आज तू मेरा कत्ल करवाने पर तुली है.
शिखा बोली- कुछ ऐसा ही समझ ले.
पिंकी बोली- ये सब मेरी चुत की हालत खराब कर देंगें और साथ में मेरी भी.
शिखा बोली- मुझसे शर्त लगा ले. कल सुबह के पहले अगर तूने खुद ही इस अनिल से दोबारा नहीं चुदवाया तो मैं अपना नाम बदल दूँगी.
पिंकी बोली- ये अनिल कौन है?
शिखा बोली- अनिल सबसे ज्यादा देर तक चोदता है और बहुत ताकतवर भी है. मैं सबसे पहले उसी से तेरी चुदाई कराऊंगी.
ये सुन कर पिंकी चुप हो गई.
वो सभी अन्दर आ गए.
शिखा ने कहा- तुम सब कुछ पियोगे?
उसमें से एक बोला- आज रात बहुत मेहनत करनी है. हो सके तो कुछ ड्रिंक पिला दो.
शिखा ने उन सबको 1 बोतल शराब लाकर दे दी.
वो सब शराब पीने लगे.
शिखा ने पिंकी की तरफ़ इशारा करते हुए अनिल से कहा- ये मेरी सहेली पिंकी है. आज तक इसने 7″ से ज्यादा लम्बे लंड से नहीं चुदवाया है. तुम सबसे पहले इसकी चुदाई करो. मैं नहीं चाहती कि इसे बार बार तकलीफ़ उठानी पड़े. तुम इसकी चुत में एकदम बेरहमी से अपना लंड घुसा देना.
अनिल बोला- मैडम, फिर तो ये बहुत चिल्लाएगी.
शिखा ने कहा- तो क्या हुआ… एक बार ही तो चिल्लाएगी, उसके बाद इसे इन सबसे चुदवाने में मजा आएगा.
वो बोला- ठीक है मैडम, मैं एकदम रेडी हूँ, आप कहें तो मैं चुदाई शुरू कर दूँ?
शिखा बोली-हाँ, शुरू कर दो.
पिंकी ने शिखा से कहा- तू मुझे मरवाएगी क्या?
शिखा बोली- नहीं यार, मैं एक बार में ही तेरा काम तमाम कर देना चाहती हूँ, जिससे हम सब एक साथ मजा ले सकें. इसीलिए तो मैं सबसे पहले अनिल से ही तेरी चुदाई करने को कह रही हूँ.
तब तक अनिल पिंकी के पास आ गया. उसका लंड एकदम टाईट हो चुका था. उसका लंड लगभग 11″ लम्बा और 3″ मोटा था और वो बहुत ताकतवर भी लग रहा था. उसने पिंकी के सारे कपड़े उतार दिए और उसे बेड के किनारे लिटा दिया. उसके बाद वो पिंकी के पैरों के बीच में जमीन पर खड़ा हो गया.
उसने पिंकी की चुत के मुँह को फैला कर अपना लंड बीच में रख दिया.
शिखा ने बाक़ी के आदमियों को इशारा कर दिया, तो वो सभी पिंकी के पास आ गए. उन सबने पिंकी के हाथ जोर से पैर पकड़ लिए. एक ने अपना लंड पिंकी के मुँह में दे दिया. पिंकी उसका लंड चूसने लगी. तभी अनिल ने एक धक्का मारा. पिंकी ने उस आदमी का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोर जोर से चिल्लाने लगी. उस आदमी ने दूसरा धक्का लगाया तो पिंकी बुरी तरह से चीखने लगी.
शिखा बोली- तू इतना चीख क्यों रही है.. साली 7″ लम्बा लंड तो तू पहले ही अन्दर ले चुकी है. इसका लंड तो अभी तेरी चुत में केवल 5″ ही घुसा है.
पिंकी बोली- इसका मोटा भी तो बहुत है.
अनिल जैसे ही रुका तो शिखा ने उसे जोर से डांटा- क्यों बे, रुक क्यों गया. घुसा अपना पूरा लंड इसकी चुत में.
अनिल बोला- गलती हो गई मैडम. अब मैं नहीं रुकूँगा.
अनिल ने पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोरदार दो धक्के लगाए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 8″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत से खून निकलने लगा और वो बहुत ही बुरी तरह से चिल्लाने और तड़फने लगी. पिंकी का सारा बदन पसीने से लथपथ हो चुका था.
अनिल ने एक गहरी सांस लेते हुए दो बहुत ही जोरदार धक्के और लगा दिए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 10″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत बुरी तरह से फैल चुकी थी. उसकी चुत ने अनिल के लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. तभी अनिल ने पूरे ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा. इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड पिंकी की चुत में समा गया. उसके बाद अनिल ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी.
शिखा ने पिंकी से कहा- आखिर तूने इसका 11″ लम्बा लंड अन्दर ले ही लिया. अब तो तुझे खूब मजा आ रहा होगा.
वो बोली- मैं दर्द के मारे मरी जा रही हूँ और तुझे मजाक सूझ रहा है.
शिखा बोली- मेरी जान, बस 10 मिनट में ही तू एकदम पक्की चुदक्कड़ बन जाएगी और तुझे वो मजा आएगा कि तू भी मेरी तरह कभी छोटा और पतला लंड पसंद ही नहीं करेगी.
पिंकी मजा लेते हुए बोली- ये तो है.. लम्बा और मोटा लंड अन्दर लेने के बाद छोटा लंड भला किसे पसंद आएगा.
अनिल पिंकी को चोदता रहा और पिंकी मजे से चिल्लाती रही. दस मिनट की चुदाई के बाद जब पिंकी शांत हो गई तो शिखा ने अनिल से कहा- अब तू रहने दे.
पिंकी बोली- अब मुझे मजा आ रहा है तो तू इसे मना क्यों कर रही है.
शिखा बोली- अब तुझे रमेश चोदेगा, फिर उसके बाद राज.. जब तक मैं नहीं कहूँगी तब तक कोई भी अपने लंड का जूस तेरी चुत में नहीं निकालेगा.
पिंकी कलप कर बोली- तू ऐसा क्यों कर रही है?
शिखा बोली- बस, तू केवल देखती जा.
अनिल हट गया तो रमेश पिंकी को चोदने लगा. करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद राज ने पिंकी को चोदना शुरू किया. उसने भी लगभग 15 मिनट तक पिंकी की चुदाई की. उसके बाद कमल, केशरी और शिव ने पिंकी को लगभग 15-15 मिनट तक चोदा. पिंकी को अब मजा आने लगा था और उसे अब जरा सा भी दर्द नहीं हो रहा था. शिखा ने सभी को मना कर रखा था, इसलिए किसी ने अपने लंड का जूस उसकी चुत में नहीं निकाला.
शिखा ने अनिल और रमेश से मुझे चोदने को कहा. उन दोनों का लंड एक ही साइज़ का था. मैं अनिल के ऊपर आ गई और उसका लंड अपनी चुत में डाल लिया. रमेश मेरे पीछे आ गया और उसने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. उसके बाद वो दोनों मुझे चोदने लगे.
राज शिखा को चोदने लगा. शिखा भी खूब मज़े ले ले कर चुदवा रही थी. मुझे भी खूब मजा आ रहा था.
बहुत दिनों के बाद मुझे बहुत अच्छे लंड से एक साथ चुदवाने का मौका मिला था. मैं भी जोर जोर से सिसकारियां भरते हुए उन दोनों के जोश को बढ़ा रही थी. वो दोनों भी बहुत ताकतवर थे और बहुत ही जोर जोर के धक्के लगा रहे थे.
उधर पिंकी पूरी मस्ती के साथ कमल, केशरी से चुदवा चुकी थी. अब उसे शिव चोद रहा था. उसे चुदवाते हुए लगभग 1 घंटे हो चुके थे. वो अब तक कई बार झड़ भी चुकी थी. अनिल और रमेश भी मुझे लगभग 30 मिनट तक चोद चुके थे. उन दोनों के हट जाने के बाद कमल और केशरी मुझे चोदने लगे. वो दोनों मेरी चुत और गांड की बुरी तरह से धुनाई कर रहे थे. मैं भी एकदम मस्ती के साथ चुदवा रही थी.
शिखा ने सभी को मना कर रखा था कि किसी के लंड से जूस नहीं निकलना चाहिए. वो सभी जब झड़ने वाले होते तो हट जाते थे. जब थोड़ी देर में उनका जोश कुछ ठंडा पड़ जाता तो वो फिर से शुरू हो जाते थे. वो सभी बारी बारी से हम तीनों की चुदाई कर रहे थे.
लगभग 3 घंटे तक हम सबकी चुदाई चलती रही. शिखा ने उन सबसे कहा- अब तुम सब रुक जाओ. वो सब हमारी चुतों से अपना लंड बाहर निकाल कर खड़े हो गए.
शिखा ने कहा- अनिल, अब तुम्हें मेरी गांड मारनी है.
अनिल बोला- मैडम, आप ने आज तक कभी गांड नहीं मरवाई है.
वो बोली- तो क्या हुआ. आज मेरे साथ मेरी सहेलियां भी हैं, इसलिए आज मैं गांड भी मरवाऊंगी. तुम मेरी गांड मारना शुरू कर दो. मुझ पर जरा सा भी रहम मत करना और पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड़ कर ही दम लेना.
वो लंड सहलाता हुआ बोला- ठीक है मैडम.
उसके बाद शिखा ने रमेश से कहा- रमेश, तुम पिंकी की गांड मारो और अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसा कर ही रुकना. नहीं तो समझ लो कि मैं तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँगी.
वो बोला- मैडम, मैं कोई गलती नहीं करूँगा.
पिंकी बोली- तू मुझे क्यों मारने पर तुली हुई है.
शिखा बोली- मैंने इसीलिए 6 आदमियों को बुलाया था. अब तू रमेश का लंड अपनी गांड के अन्दर लेगी और गिन्नी राज से गांड मरवाएगी. उसके बाद हम सबको 2-2 आदमी एक साथ चोदेंगें.
अनिल ने शिखा की गांड में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया. शिखा बहुत जोर जोर से चिल्ला रही थी. रमेश भी अपने लंड का सुपारा पिंकी की गांड के छेद पर रख चुका था.
पिंकी ने शिखा से कहा- खुद तो दर्द के मारे मरी जा रही है और मुझे भी फंसा दिया.
तभी रमेश का बहुत ही जोर का धक्का लगा. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी. मैं खड़ी हो कर तमाशा देख रही थी. अनिल और रमेश पूरी ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहे थे. सारा रूम चीखों से गूँज रहा था.
तभी राज ने मुझसे कहा- मैडम मैं भी शुरू कर दूँ?
मैंने कहा- मैं तो आदी हूँ. जरा इन दोनों की गांड में पूरा लंड तो घुस जाने दो उसके बाद तुम मेरी गांड मार लेना.
फिर 5 मिनट में ही शिखा और पिंकी की गांड में उन दोनों का पूरा का पूरा लंड समा चुका था. वो दोनों अब उनकी गांड मार रहे थे.
मैंने राज से कहा- चलो अब तुम भी शुरू हो जाओ.
राज ने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. शिखा और पिंकी अभी भी बहुत जोर जोर से चीख रही थीं.
राज बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाता हुआ मेरी गांड मार रहा था. मुझे खूब मजा आ रहा था. दस मिनट के बाद शिखा और पिंकी शांत हो गईं. अब उन दोनों की गांड में अनिल और रमेश का लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था. उन दोनों ने 10 मिनट तक और गांड मरवाई.
उसके बाद शिखा बोली- अनिल और रमेश अब तुम दोनों रुक जाओ.
उन दोनों ने अपना लंड उनकी गांड से बाहर निकाला और हट गए.
शिखा बोली- रमेश तुम लेट जाओ. मैं तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेती हूँ और कमल पीछे से मेरी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने अनिल से कहा- तुम भी लेट जाओ. पिंकी तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेगी और केशरी उसके पीछे आ कर उसकी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने शिव से कहा- गिन्नी राज का लंड अपनी चुत में डाल लेगी और तुम पीछे से उसकी गांड मारना. इस बार तुम सब हमारी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से भर देना.
वो सब बोले- ठीक है मैडम.
शिखा ने जैसा कहा था, ठीक उसी तरह से हम सबकी चुदाई शुरू हो गई. लगभग 1 घंटे तक हमारी खूब जम कर चुदाई हुई. पिंकी ने पूरी मस्ती के साथ 2-2 लंड का एक साथ मजा लिया. शिखा ने भी पहली बार गांड मरवाने का पूरा मजा उठाया.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्यों बेबी, मजा आया?
पिंकी मुस्कुराते हुए बोली- कसम से बहुत मजा आया. मैं ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी लेकिन आज मेरा सारा डर खत्म हो गया. अब तो मैं हमेशा केवल खूब लम्बे और मोटे लंड से ही चुदवाऊंगी. तुम इन सभी से कह दो कि बिना रुके ही खूब जम कर मेरी चुदाई करें और मेरी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से एकदम भर दें.
शिखा हंस कर बोली- ऐसा ही होगा, रानी जी.
पिंकी ने आँख मार दी.
शिखा ने उन सबसे कहा- तुमने सुना कि ये क्या कह रही हैं. अब तुम सब शुरू हो जाओ और मेरी सहेली को एकदम मस्त कर दो. ये जब तक मना ना करे, तुम सब इसे खूब जम कर चोदना.
उन सभी ने सुबह होने तक पिंकी को तरह तरह के आसनों में खूब जम कर चोदा और उसकी गांड मारी. सुबह को पिंकी ने उन सभी को खुद ही मना कर दिया. वो एकदम मस्त हो चुकी थी और थक कर चूर भी.
उसके बाद शिखा ने उन सबसे कहा- तुम सब 1-2 घंटे आराम कर लो. उसके बाद गिन्नी को भी इसी तरह से चोदना.
मैंने शिखा से कहा- क्या तू ऐसे ही रहेगी?
शिखा बोली- मेरा क्या, मैं तो हमेशा ही चुदवाती रहती हूँ. तुम दोनों मेरी सहेली हो और मेहमान भी.. पहले तुम दोनों का अच्छी तरह से स्वागत होना चाहिए.
उन सबने 2 घंटे तक आराम किया और फिर उसके बाद वो सब मुझ पर टूट पड़े. उन्होंने बहुत देर तक लगातार खूब जम कर मेरी चुदाई की और मेरी गांड भी मारी. मैं भी पिंकी की तरह से एकदम मस्त हो गई. मुझे बहुत दिनों के बाद चुदाई का मजा मिला और वो भी जी भर के मिला.
दोपहर के 3 बजे वो सब जाने लगे तो शिखा ने अनिल, रमेश और राज से कहा- तुम तीनों रात के 8 बजे आ जाना.
उसके बाद वो सब चले गए. पिंकी ने शिखा से कहा- अब जब मुझे चुदाई का असली मजा मिल गया है तो तूने आज केवल तीन को ही क्यों बुलाया है.
शिखा बोली- मेरी रानी, देखती जाओ.
शिखा ने अपने दलाल को फोन किया और उससे कहा कि रात के 8 बजे 6 आदमियों को और भेज देना लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि उन सभी का लंड 11″ से कम नहीं होना चाहिए और साथ में खूब मोटा भी होना चाहिए.
दलाल ने कहा कि भेज दूँगा.
रात के 8 बजे सूमो से 9 लोग आ गए. उन सभी का लंड एक से बढ़ कर एक था. उसमें से एक का नाम जयंत था. उसका लंड देखते ही पिंकी बहुत खुश हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्या बात है, तू जयंत को देख कर बहुत खुश हो रही है?
पिंकी बोली- मुझे इसका लंड बहुत ही शानदार लग रहा है. मैं तो आज सबसे पहले इसी से चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू तो ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी.. आज तुझे क्या हो गया?
पिंकी बोली- तूने खूब लम्बे और मोटे लंड से मेरी चुदाई करा कर मेरी चुत और गांड में आग लगा दी है. अब तो मुझे इस आग को बुझाना ही है.
शिखा बोली- शाबाश बेबी, आखिर तू जान ही गई कि असली मजा क्या होता है.
जयंत का लंड लगभग 12″ लम्बा था और उन सभी के लंड से बहुत मोटा भी था. जयंत ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी.. लेकिन आज वो ज्यादा नहीं चीखी और थोड़ी ही देर में शांत हो गई. उसे जयंत से चुदवाने में खूब मजा आया. जयंत से चुदवाने में मैं भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में मुझे भी खूब मजा आया. शिखा का भी वही हाल हुआ. वो भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे भी खूब मजा आया.
सुबह तक उन सभी ने हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. हम सब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थीं. उसके बाद वो सब चले गए.
मैं पिंकी के साथ शिखा के पास 10 दिनों तक रही. हम सबने खूब जम कर चुदाई का मजा लिया.
एक दिन तो शिखा ने एक साथ 15 आदमियों को बुला लिया था. उन सभी ने तो हमारा चोद चोद कर बुरा हाल कर दिया. वो सभी रात के 8 बजे आए थे उन्होंने दूसरे दिन दोपहर तक हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. उन सभी ने उस दिन हम तीनों को चोद चोद कर और हमारी गांड मार मार कर ऐसा बुरा हाल कर दिया था कि उनके जाने के बाद हम तीनों शाम तक बिस्तर पर से उठने के काबिल ही नहीं रह गए थे.
मेरी चुत और गांड का मुँह पहले से भी ज्यादा चौड़ा हो चुका था. पिंकी का तो पूछो मत, उसकी चुत और गांड भी एक चौड़े साइज़ की हो चुकी थी. उसे ही सबसे ज्यादा मजा आया. उसके बाद मैं पिंकी के साथ वापस चली आई.
वापस आते समय शिखा ने कहा- जब कभी भी इच्छा हो, आ जाना.
मैंने कहा- मैं जरूर आऊँगी.
पिंकी बोली- क्या तू मुझे अपने साथ नहीं ले आएगी?
मैंने पिंकी से मजाक किया, तुझे तो ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद ही नहीं है. फिर तू आकर क्या करेगी.
पिंकी ने मेरे गाल काट लिए और बोली- मेरी चुत और गांड में तो अभी भी आग लगी हुई है.
मैंने कहा- चल मैं तेरे लिए फ़िर से लंड ब्रिगेड बुला दूँगी. मेरी बात सुनकर वो जोर जोर से हंसने लगी.
दोस्तो, मेरी कहानियाँ Sex Stories सभी को ख़ूब पसन्द आई; बहुत से ईमेल आए।
मेरी सभी कहानियाँ किसी और के जीवन से ली गई हैं, जिन्हें मैं आपसे बाँटता हूँ।
इस बार फिर आपको एक मस्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
रामजीलाल एक 58 साल के व्यक्ति हैं जिनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं।
उनकी दो बेटी हैं जिनका नाम सरिता और सीमा हैं।
बड़ी बेटी सरिता की उम्र 24 साल हैं जो शादीशुदा है।
छोटी लड़की अभी 19 साल की है जो पढ़ाई कर रही है।
बड़ी बेटी सरिता की शादी को एक साल ही हुआ था। उसके ससुराल में जाने के बाद रामजीलाल अपने घर में अपनी लड़की के साथ रहते हैं। लड़की छोटी होने के कारण उन्होंने जल्दी वी आर एस ले लिया जिससे लड़की की पढ़ाई तथा परवरिश में कोई कमी न होने पाए।
रामजीलाल दिन का समय तो किसी तरह निकाल लेते लेकिन रात निकालनी उनके मुश्किल हो जाती।
इस उम्र में भी उन्हें सेक्स का कीड़ा काटता था। कभी-कभी अंग्रेज़ी फिल्म देख लिया करते।
लेकिन इससे उनकी सेक्स की भूख और भी बढ़ जाती। इसलिए अपना हाथ जगन्नाथ मानकर किसी तरह अपनी बेचैनी को कम करना उनकी मज़बूरी थी।
सेक्स का कीड़ा तो बाथरूम में जाते और मूठ मारकर अपना पानी निकाल लेते। इसी तरह उनके दिन कट रहे थे।
एक दिन उनकी बड़ी बेटी सरिता घर पर आई। साथ में सरिता का देवर अमर तथा उसकी सासु माँ अनुपमा भी थी।
अनुपमा देखने में तेज़-तर्रार और सेक्स बदन की मालकिन थी।
उम्र तो उसकी 40 के आसपास थी लेकिन उसका भरा-पूरा बदन और उस पर गोरी रंगत कमाल ढाती थी। वह चलती तो उसकी चूतड़ इस अन्दाज़ में हिलती कि देखने वाला भी हिल जाए।
इसके विपरीत अमर, जो अनुपमा का बेटा तथा सरिता का देवर है, वह देखने में सीधा-सादा मासूम बच्चा नज़र आता है। उसकी उम्र 18-19 के आसपास है।
सीमा अपनी बहन को देखकर खुश हो गई।
रामजीलाल भी उन्हें देखकर खुश हो गए क्योंकि बहुत दिनों बाद वे घर पर आए थे।
पूरा दिन सबने बातों में ही निकाल दिया। सरिता, सीमा और अमर आपस में ख़ूब बातें करते रहे।
इधर रामजीलाल भी अनुपमा से गप्पे लड़ाने में कम नहीं थे।
रामजीलाल को अनुपमा से बातें करके अपनी पत्नी की याद आ रही थी। उन्हें लगा कि वह जैसे उनकी पत्नी ही है, बस चोदने की देर है।
लेकिन वह अनुपमा के गुस्से से डरते थे। अनुपमा के सामने अच्छे-अच्छों की बोलती बन्द हो जाती थी फिर रामजीलाल क्या चीज़ है।
शाम को सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गए। सरिता और सीमा एक ही कमरे में सोने चले गए तथा अमर और उसकी माँ अनुपमा भी एक कमरे में चले गए।
रामजीलाल भी अपने कमरे में जाकर सोने का प्रयास करने लगे।
लेकिन उन्हें नींद कहाँ आने वाली थी। आज फिर अपने को तड़पता हुआ पाया।
अनुपमा से बातें करके उन्हें अपनी पत्नी की याद आ रही थी कि किस तरह वह अपनी पत्नी को बाँहों में लेकर उसके नरम नरम होंठों को चूसा करते थे।
अपनी पत्नी के साथ बिताए सेक्स के पलों को याद करके वह और भी अधिक तड़पने लगे। उनका लंड खड़ा हो गया।
वे फिर मूठ मारने बाथरूम में गए, पर आज उनका मूड इसमें भी नहीं लगा। वे हॉल में आकर सोफे पर बैठ गए।
अभी घड़ी में 12 बज रहे थे और पूरी रात उनके सामने पड़ी थी।
रामजीलाल ने टीवी चालू कर लिया और फिल्म देखने लगे।
तभी अमर भी हॉल में आ गया। वह भी बोर हो रहा था। इसलिए टीवी देखने हॉल में आ गया था। वह भी सोफे पर बैठ गया। दोनों टीवी देखने लगे।
फिल्म में एक चुम्बन-दृश्य आया। रामजीलाल ने यह दृश्य देखा तो बेचैन हो गए। उनका लौड़ा उनकी पैन्ट में ही खड़ा होकर अपनी उपस्थिति बताने लगा।
इधर अमर भी यह दृश्य देखकर बेचैन तो हुआ पर उसने जाहिर नहीं होने दिया।
रामजीलाल ने अमर से पूछा- बेटा, पढ़ाई कैसी चल रही है?
अमर- अच्छी चल रही है।
रामजीलाल- अच्छा तुम्हारी मम्मी क्या कर रही है?
अमर- मम्मी थक गई थी इसलिए जल्दी नींद आ गई।
रामजीलाल- अच्छा। और तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेण्ड हैं?
अमर थोड़ा चौंका … लेकिन फिर सँभल कर बोला- एक भी नहीं है।
रामजीलाल- क्या बात कर रहे हो बेटा! इतने बड़े हो गए और एक भी गर्लफ्रेण्ड नहीं! भई मैं जब तुम्हारी उम्र का था तो मेरी चार-चार गर्लफ्रेण्ड हुआ करती थीं।
अमर- अच्छा? मैं अभी-अभी कॉलेज में गया हूँ। इसलिए कोई गर्लफ्रेण्ड नहीं है मेरी।
रामजीलाल- वह तो ठीक है। मैं तुम्हें बताऊँगा कि गर्लफ्रेण्ड कैसे पटाते हैं। लड़कियों को प्रभावित करने के लिए अच्छे साफ-सुथरे और स्टाईलिश कपड़े पहनो और अपनी एक अलग पहचान बनाओ। लड़कियाँ ख़ुद तुम्हारे साथ दोस्ती करेगी और तुम जो चाहोगी वह भी करेगी।
अमर- आप तो बहुत अनुभवी लगते हैं। पर गर्लफ्रेण्ड हमारे लिए क्या कर सकती है?
रामजीलाल- बेटा तुम बहुत भोले हो। लड़कियाँ यदि ख़ुद आकर पटेंगी तो तुम जो कहोगे वह करेगी। मेरा मतलब सेक्स से है। तुम्हें भी सेक्स का अनुभव होना चाहिए। वरना शादी के बाद तुम्हारी पत्नी तुम्हें ताना देगी कि तुम्हें कुछ भी नहीं आता।
अमर- वह तो ठीक है। लेकिन शादी के पहले यह सब करना ठीक होता है क्या?
रामजीलाल- बेटा, अनुभव बुहत बड़ी चीज़ होती है। शादी के पहले यह करना ठीक तो नहीं है लेकिन यदि लड़कियाँ ख़ुद अपनी मर्ज़ी से दें तो इसमें बुरा क्या है? तुम्हें कुछ करना आता भी है या नहीं?
अमर शरमाकर बोला- नहीं। थोड़ा बहुत जानता हूँ लेकिन पूरी तरह मालूम नहीं है कि क्या करते हैं।
अमर अब थोड़ा सा खुल गया था।
रामजीलाल- तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि सेक्स में क्या करते हैं। सेक्स में किसका महत्त्व है। लड़की के गालों पर, माथे पर, गर्दन पर, और होंठों पर किस करने का मज़ा ही कुछ और है। फिर उनका नाज़ुक चिकना बदन तो पागल कर देता है। उनकी चूचियाँ दबाओ, उन्हें चूसो। उनके पूरे कपड़े खोलकर नंगा कर देना अपने-आप में बहुत मज़ेदार होता है। उनकी चूत में अपना लंड डालो तो समझो कि स्वर्ग जीत लिया।
अमर हकलाते हुए- हाँ यह सब तो बहुत मज़ेदार होगा।
रामजीलाल- अरे … इससे ज़्याद मज़ा तब आता है जब वो तुम्हारा लंड मुँह में लेकर चूसती है। इस आनन्द की तो बात ही निराली है।
अमर- क्या? वह हमारी इस गंदी चीज़ को भी मुँह में लेती है।
रामजीलाल- गंदी चीज़? अरे इससे प्यारी चीज़ तो कोई होती ही नहीं है। तुम कैसे मर्द हो? औरतें तो इसे लॉलीपॉप की तरह चूसती हैं।
अमर- आप मुझसे बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बातों का भरोसा नहीं कर सकता।
रामजीलाल- यदि तुम्हें यकीन नहीं आता तो तुम ख़ुद चूसकर देख लो।
रामजीलाल ने अपना पत्ता फेंका था। वह सोच रहे थे कि अनुपमा न सही, उसका बेटा तो कम से कम मेरा लंड चूस सकता है।
अमर- मैं तो जा रहा हूँ, अपने कमरे में। आपसे मुझे कोई बात नहीं करनी।
रामजीलाल अमर के गुस्से से डर गए। यदि कहीं उसने अपनी माँ अनुपमा को बता दिया तो गज़ब हो जाएगा।
रामजीलाल- बेटा मैं सच कह रहा हूँ। यदि तुम अभी नहीं सीखोगे तो कब सीखोगे। तुम ख़ुद अनुभव लेकर देखो। यदि मैं झूठा निकला तो कभी भी बात मत करना।
अमर पशोपेश में था। आख़िरकार उसने रामजीलाल का लंड मुँह में लेने का निश्चय कर लिया।
रामजीलाल ने टीवी बंद कर दिया और अमर को अपने कमरे में ले गए। रामजीलाल ने अपनी पूरी पैंट खोल दी। उनका 6 इंच लम्बा और मोटा लंड अपनी पूरी औक़ात में तना हुआ था। रामजीलाल बिस्तर पर लेट गए और अमर को लंड मुँह में लेने को कहा।
अमर ने धीरे से लंड को पकड़ा। उसके हाथों में लंड की गर्मी आने लगी। उसे लंड पकड़ना अच्छा लगा।
थोड़ी देर लंड को सहलाने के बाद अमर ने लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले लिया। उसके मुँह में लंड की गर्मी भरने लगी।
सुपाड़ा चूसते-चूसते उसने लंड को मुँह में भर लिया और मजे ले-लेकर चूसने लगा।
रामजीलाल तो आँखें बन्द करके ज़न्नत की सैर कर रहे थे। अचानक रामजीलाल का लंड कड़क हो गया।
वह समझ गए कि पानी निकलने ही वाला है, लेकिन लंड मुँह से निकालने के पहले ही सारा माल अमर के मुँह में चला गया। माल मुँह में जाते ही अमर का दिमाग ख़राब हो गया। उसने वहीं पर उल्टी कर दी।
रामजीलाल भी उसकी हालत देखकर डर गए।
किसी तरह अमर सँभला और रामजीलाल पर बिगड़ गया और यह कहकर चला गया- आप बहुत गंदे इंसान हो।
इसके जाने के बाद रामजीलाल ने राहत की साँस ली।
वे यही सोच रहे थे कि यह लड़का समझदार निकले और इस बारे में किसी से कहे नहीं। वर्ना उनकी इज्ज़त ख़राब होगी और अच्छा-ख़ासा हंगामा हो जाएगा।
रामजीलाल ने सारे कपड़े खोल दिए और दूसरी अण्डरवियर पहनकर पलंग पर लेट गए।
तभी दरवाज़े पर उनकी समधन अनुपमा ने आवाज़ लगाई।
रामजीलाल उनकी आवाज़ सुनकर डर गए; घबराते हुए दरवाज़ा खोला।
वह यह भी भूल गए कि वे सिर्फ अण्डरवियर में ही हैं।
अनुपमा दरवाज़ा धकेलते हुए अन्दर आई और बोली- क्या पिला दिया है तुमने मेरे छोरे को? वह उल्टी पर उल्टी किए जा रहा है। अपनी उम्र देखो और मासूम बच्चे को देखो। ज़रा सा भी ख़्याल नहीं आया आपको यह गंदी हरक़त करते हुए।
रामजीलाल डर गए और गिड़गिड़ाकर अनुपमा से बोले- मुझे माफ़ कर दो। आइन्दा मैं कभी ऐसी ग़लती नहीं करूँगा। कृपया मेरी पहली और आख़िरी भूल समझकर मुझे क्षमा कर दो। मैं क़सम खाता हूँ कभी अमर से अकेले में भी नहीं मिलूँगा। अब मेरी इज्ज़त आपके हाथ में है।
रामजीलाल को गिड़गिड़ाता हुआ दखकर अनुपमा बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
रामजीलाल यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं? Sex Stories
मैं राहुल, 32 साल, मैंने Antarvasna अंतर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं. खास कर मुझे अगम्यागमन कहानियाँ ज्यादा अच्छी लगती हैं. वैसे नेहा जी भी अच्छी लिखती हैं. अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.
मैं जब छोटा था, तब दीदी मुझसे पीठ खुजलाने के लिए बोला करती थी. हम एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोया करते थे. फिर कुछ दिनों बाद दीदी मेर हाथ अपने चुच्ची की तरफ आगे बढ़ाने लगी और बोली- यहाँ खुजलाओ!
मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैं दीदी को मना नहीं कर पाता था क्योंकि दीदी मुझे बहुत प्यार करती थी. फिर दूसरे दिन रात को दीदी बोली- आज नीचे खुजला दे!
तो मैंने पूछा- कहाँ दीदी?
दीदी ने अपनी पेंटी उतार दी और अपनी बुर की ओर इशारा करके बोली- यहाँ!
मैं बोला- दीदी, यहाँ से तो सु-सु करते हैं!
दीदी बोली- हाँ यहीं बहुत खुजली हो रही है.
फिर मैं दीदी की बुर खुजलाने लगा.
फिर दीदी बोली- उसके अंदर जहाँ से सु-सु आता है ना, वहाँ उंगली डाल के खुजला ना!
मैं दीदी की बुर में उंगली डाल के खुजलाने लगा.
फिर इसी तरह कुछ दिन चलता रहा और फिर कुछ दिनों बाद दीदी मामा के घर आगे की पढ़ाई के लिये चली गई.
हम कई बार बीच बीच में मिलते रहे, मामा के घर तो कभी हमारे घर, लेकिन कभी मौका नहीं मिला हमें वैसा मस्ती करने के लिये.
फिर दीदी अपनी पढाई पूरी करके लौटी तो दीदी 24 की हो गई थी.
कुछ दिनों बाद दीदी ने एक दिन मुझ से पूछा- बचपन की बातें याद हैं?
मैंने सर हिला के हाँ कहा, फिर दीदी बहुत खुश हो गई और मेरे गालों को चूम लिया.
अब भी हम लोगों का कमरा एक ही था लेकिन पलंग अलग अलग था. और फिर जब रात को मैं अपने बिस्तर में बरमु्डा पहने गहरी नीन्द में सोया हुआ था तो दीदी ना जाने कब मेरे बिस्तर आ गई और मेरा लण्ड निकाल के सहलाने लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मेरा लौड़ा अकड़ के जम के खड़ा हो गया था.
अचानक मेरा नीन्द खुली, देखा कि दीदी के हाथों में मेरा लौड़ा है और वो उसे कभी प्यार से देखती है, कभी सहलाती है और कभी मेरे झाटों से खेल रही है.
तो मैं दीदी से अचानक बोला- दीदी, ये क्या कर रही हो?
दीदी बिल्कुल ही नहीं डरी और बोली- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या?
फिर मैं क्या बोलता, मुझे तो मजा ही आ रहा था, मैं यूं ही लेटा रहा, फिर मैंने दीदी को बोला- दीदी, इसे मुँह में ले लो ना!
दीदी बोली- क्यों? अभी तो तुझे बुरा लग रहा था! अब कैसे मुँह में लेने के लिए बोल रहा है?
मैं बोला- दीदी प्लीज़ ले लो ना! नाटक क्यों कर रही हो!
दीदी बोली- मुँह में क्या, सब जगह ले लूंगी, लेकिन पहले मेरे पूरे कपड़े खोल के जम के गरम तो करो!
फिर दीदी ने मेरा बरमुडा निकाल के अलग कर दिया, मैंने दीदी को बेड पे ही खड़ा कर दिया और दीदी का टी-शर्ट निकाला, फिर जीन्स!
अब दीदी ब्रा और पेंटी में थी. दीदी पेंटी-ब्रा में क्या गज़ब की मस्त लग रही थी क्योंकि दीदी का फ़िगर 36 28 36 था, बड़े बड़े स्तन और गांड बड़ी बड़ी थी.
दीदी को नंगी देख मैं बहुत खुश हो रहा था और सोच रहा था कि आज तो दीदी मस्त चुदाई करुंगा क्योंकि ये सब मैं जिन्दगी में पहली बार देख रहा था और इन सब चीज़ों के लिये कब से तड़प रहा था.
मैंने दीदी दे स्तनों को ब्रा के ऊपर से खूब दबाया. फिर मैंने दीदी की पेंटी नीचे खिसका दी.
दीदी की बुर तो देखते ही बनती थी क्योंकि दीदी की बुर बिल्कुल साफ़ और डबलरोटी की तरह फूली हुई थी.
फिर मैंने दीदी की बुर की फांकों को खोल के देखा- क्या बुर थी दीदी की, बिल्कुल गुलाबी-गुलाबी! ऐसा लग रहा था जैसे किसी राजा के महल में गुलाबी परदे लगे हों!
मैं अब बिल्कुल रोमांच से भर गया था और ऐसा लग रहा था कि कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने दीदी से बोला- अब तो मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो!
दीदी भी बिल्कुल गरम हो चुकी थी, दीदी ने मुझसे बेड पे लेटने के लिये कहा और खुद मेरे टांगों के बीच में आ के बैठ गई.
मेरा लण्ड बिल्कुल छत की ओर ऐसे खड़ा था जैसे कोइ झंडे का डंडा खड़ा हो.
दीदी बड़े प्यार से मेरे लण्ड को फिर से सहलाने लगी और अंडे को चाटने लगी.
मैंने पहले कभी मुठ नहीं मारा था इसीलिये मेरे सील टूटी नहीं थी और ना ही मैंने कभी झांट साफ किये थे इसलिये मेरे बड़े बड़े झांट भी थे.
मेरे अंडों को चाटते हुए दीदी लण्ड की ओर बढ़ने लगी और फिर लण्ड की जड़ के चारों ओर चाटने और हल्का हल्का काटने लगी.
मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था और इंतज़ार कर रहा था कि कब दीदी मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरेगी!
दीदी से स्तन मेरी जांघों में रगड़ खा रहे थे, मैं तो बिल्कुल सातवें आसमान में था.
मेरे लण्ड के चारों ओर से काटते, चाटते हुए दीदी सुपाड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ रही थी.
ऐसा लग रहा था कि दीदी मुझे जानबूझ के तड़पा रही हो.
फिर दीदी ने मेरे सुपाड़े के छेद में जीभ लगाई और धीरे धीरे जीभ से चाटने लगी और फिर थोड़ी देर बाद आखिर दीदी ने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर ही लिया.
और जैसे दीदी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में भरा, मेरा पूरा शरिर ही झनझना गया, ऐसा लगा कि मेरा बरसों का इंतज़ार खत्म हुआ और बरसों की तमन्ना पूरी हुई.
फिर दीदी लगी जम के लण्ड चुसाई करने.
थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब लगी, मैं बोला- दीदी एक मिनट रुको! मैं सु-सु करके आता हूँ!
दीदी बोली- नहीं यहीं करो सु-सु!
मैं बोला- दीदी यहाँ कहाँ करुँ सु-सु?
दीदी बोली- मेरे मुँह में!
मैं बोला- दीदी मुझे बड़ी जोर से सु-सु लगी है और एक बार जो सु-सु करना शुरु होगा तो मैं बीच में नहीं रोक सकूंगा और फिर बिस्तर भी गीला हो जायेगा.
दीदी बोली- मैं नीचे बैठ जाती हूँ, मुझे एक बर थोड़ा सा स्वाद चखना है और अगर अच्छा लगा तो पूरा पी जाऊँगी!
फिर दीदी नीचे बैठ गई, मैं दीदी के मुँह में लण्ड डाल लगा मूतने जोरों से!
दीदी दो चार घूंट पी गई लेकिन पूरा मुँह भर जाने के कारण पी नहीं सकी और फिर अपने चेहरे पर, वक्ष पर, बुर में गिराने लगी.
मैंने पूछा- दीदी, कैसा लगा स्वाद?
दीदी बोली- बहुत ही मजा आ रहा था, लेकिन थोड़ा धीरे धीरे करते तो मैं पूरा पी जाती!
मैं बोला- ठीक है, अगली बार धीरे धीरे करुंगा!
फिर दीदी ने कमरे में पोंछा लगाया और बोली- अब तुम थोड़ा स्वाद ले के देखो सु-सु का!
मैं बोला- नहीं मुझे नहीं करना है टेस्ट! दीदी बोली- बिल्कुल थोड़ा सा ही करुंगी, अगर अच्छा नहीं लगा तो दुबारा नहीं बोलूंगी!
फिर मैं नीचे लेट गया और दीदी मेरे मुँह में बुर लगा के ऐसे बैठ गई जैसे बाथरुम में सु-सु करते हैं और लगी जोर लगाने सु-सु करने को.
लेकिन दीदी को तो सु-सु लगी ही नहीं थी इसलिये बहुत जोर लगाने से 4-5 बून्द सु-सु ही कर पाई मेरे मुँह में.
दीदी ने पूछा- कैस लगा टेस्ट?
मैं बोला- बहुत ही नमकीन, खटटा और थोड़ी बदबू भी!
दीदी बोली- मुझे तो अच्छा लगा!
मैं बोला- लेकिन दीदी आपकी बुर चाटने मजा आ रहा था!
तो दीदी बोली- तो फिर जम बुर ही चाट दो!
फिर हम बिस्तर में आ गये और मैं दीदी के होंटो पे चुम्बन करने और चूसने लगा.
दीदी के होंटो को चूसते, चाटते हुए दीदी के कान पे जीभ फिराने लगा. दीदी बहुत ही गरम हो गई थी, कान को चाटते गले से होते हुए वक्ष को चाटने लगा लेकिन दीदी के चुचूकों के पास जा कर चुचूक को मुँह में लिये बगैर ही दूर हो जाता था. दीदी चुचूक चुसवाने के लिये तड़पने लगी और जबर्दस्ती मेरे मुँह में अपने चुचूक पकड़ के ठूंस दिए.
मैं दीदी का एक चुचूक चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने सहलाने लगा.
फिर धीरे धीरे मैं दीदी की बुर की ओर बढ़ने लगा और बुर के चारों ओर चूस-चूस दीदी की बुर लाल कर दी.
दीदी बुर चटवाने के लिये छटपटाने लगी और मेरा सर पकड़ के जबर्दस्ती अपने बुर में धंसा दिया. मैं लगा दीदी की बुर और बुर के दाने चूसने-चाटने!
फिर थोड़ी देर में हम फिर 69 करने लगे. दीदी फिर से मेरा लण्ड जम चूसने लगी.
मैं बेड पे खड़ा हो गया और दीदी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने दीदी का सर पकड़ के लौड़ा घुसा दिया.
दीदी ओ-ओ करने लगी और दीदी की आंख से आंसू आ गये.
मैं दीदी के मुँह को बड़े प्यार चोदने लगा.
दीदी ने एक हाथ से मेरी गांड को सहलाते हुए मेरे गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसेड़ दी.
अब मुझे डबल मजा आने लगा. फिर दीदी दूसरे हाथ मेरे लण्ड को हिलाते हुए चूसने लगी.
मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द होने लगा. दीदी बड़े जोरों से मेरे लण्ड हिलाने और चूसने लगी और दूसरे हाथ की दो ऊँगलियाँ मेरी गांड में घुसेड़ के अंदर-बाहर करने लगी.
मुझे बहुत मजा आने लगा और पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया.
दीदी मेरा पूरा लण्ड का रस चूस-चूस के पी गई.
मेरा लण्ड खड़ा तो था लेकिन थोड़ा ढीला पड़ गया था और दर्द भी होने लगा था.
दीदी तो लौड़े का रस पी के बिल्कुल गरम हो चुकी थी और बोली- भाई, अब मुझे जम के चोद दो!
मैं बोला- दीदी लण्ड तो खड़ा है लेकिन इसमें दर्द बहुत हो रहा है मैं चोद नहीं सकूंगा!
दीदी बोली- कोई बात नहीं, जब तुम्हारा लण्ड सही हो जायेगा तब चोद देना! लेकिन अभी तो इसे चूस-चाट के झड़ा दो!
मैं बोला- दीदी, हाँ! मैं ये कर सकता हूँ!
फिर दीदी टांग फैला के लेट गई और मैं दीदी की चूत चाटने लगा. दीदी मेरा सर पकड़ के जोर जोर से चटवा रही थी. फिर दीदी मेरे मुँह पे ही झड़ गई.
इसी तरह रात भर में 5-6 बार मेरे मुँह में झड़ी और मैं दीदी का सारा माल चाट-चाट कर पी गया और जब घड़ी देखी तो सुबह के पांच बज रहे थे.
हम दोनों थक के चूर हो गये थे और फिर हम लुढ़क के चिपक के सो गये.
और आगे कहानी सुनने के लिये मुझे मेल करें और बताएं कि मेरी कहानी कैसी लगी. Antarvasna
एक बार मैं फिर Antarvasna Stories आपके सामने अपनी नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
मेरी यह कहानी एकदम सच्ची है जो आप लोगों को एकदम अपने करीब लगेगी। मेरी शादी को आज लगभग 15 साल हो गए। मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्सपिरियन्स मेरी साली कोमल के साथ था। मेरी पत्नी घर में सबसे बड़ी है। उसके बाद उसकी दो साल छोटी बहन कोमल तथा लगभग चार साल छोटा भाई है। घर में सब कोमल को प्यार के नाम से “बेबो” कहते हैं।
मेरी पत्नी को पहला बेटा हुआ। जब मैं अपनी पत्नी को अपनी ससुराल से लेने गया तो मेरी साली जो बी.ए.- द्वीतीय में पढ रही थी, की गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और लगभग एक महीने की छुट्टियाँ बाकी थी। मेरी पत्नी ने घरवालों से जिद करके, छोटे बच्चे की वजह से बेबो को भी साथ ले लिया। हम सब गुड़गाँव वापस आ गये। मेरी पत्नी और बेबो सारा दिन छोटे बच्चे की देखभाल में लगी रहती। मैंने 10 दिन की छुट्टियाँ ले ली। दिन में मैं और बेबो जब भी खाली होते तो लूडो या कैरम खेलते।
शाम को हम सब पार्क में जाते और अकसर रात का खाना बाहर खाते। मैं बेबो से पूछता कि खाने में क्या लेना है। फिर बेबो की ही पसंदीदा खाना आर्डर करता। हम सब जब भी मार्केट जाते तो मैं बेबो को जरूर से कुछ ना कुछ दिलवाता। बेबो मना करती मगर मैं जबरदस्ती उसे कभी गौगल, कभी पर्स वगैरा कुछ ना कुछ जरुर दिलवाता। चार दिनों में ही बेबो और मैं एक दूसरे से बहुत खुल गये थे। रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते। खैर…
एक दिन मेरी पत्नी दोपहर में बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो गई और बेबो नहाने के लिये चली गई। मैं गैरेज में गाड़ी साफ करने लगा। बाथरुम की छोटी सी खिड़की गैरेज में खुलती थी। खिड़की कुछ उँचाई पर थी। इसलिये आसानी से कुछ देख नहीं सकते थे। मैं जब गाड़ी के टायर पर चढ़ कर गाड़ी की छत साफ कर रहा था तभी मेरी नजर बाथरुम की खिड़की पर पड़ी। बाथरुम में बेबो बिलकुल नंगी शावर के नीचे नहा रही थी। उसका जवान नंगा जिस्म शावर में मेरी तरफ पीठ किये था। उसके नंगे और गोरे बदन पर शावर से पानी की बूंदें गिरकर चमक रही थी।
उसके चूतड़ों की गोलाईयां और गहराइयाँ मेरे नजरों के सामने थी। उस समय मेरे बदन में सनसनी फ़ैल रही थी। फिर वो पलटी और उसने अपना बदन अब मेरे सामने कर दिया। अब मुझे उसके बड़े-बड़े स्तनों पर पानी की बूँदें चमक रही थी, छोटे-छोटे भूरे चुचूक मुझे और उत्तेजित कर रहे थे। उसकी चूत के घने बाल पानी की वजह से चिपके हुऐ थे और लटक रहे थे। शावर का ठंडा- ठंडा पानी उसके शरीर पर पड़ कर बह रहा था। वो कभी अपनी चुंचियाँ मलती, तो कभी अपनी चूत साफ़ करती। मैं उसे देख-देख कर और उत्तेजित होने लगा था।
जब वो नहा चुकी तो अपना बदन तौलिये से पौंछने लगी। वो तौलिये से अपनी चुचियाँ मल-मल कर पौंछने लगी। उसकी चुंचियाँ कड़ी होने लगी थी। फिर वो तौलिये से अपनी चूत साफ़ करने लगी। उसकी चूत के काले घने बाल तौलिये से पोंछते ही घुँघराले हो गये और उनमें एक चमक नजर आने लगी। उसने अपना बदन तौलिये से पोछ कर कपड़े पहनने शुरू किए। सबसे पहले उसने अपने वक्ष को सफेद ब्रा में कैद किया। फिर अपनी चूत को गुलाबी कच्छी से ढका। फिर उसने सफेद मगर रंगबिरंगा लोअर पहना। फिर वो जैसे ही अपना टॉप पहनने लगी तभी उसकी नजर खिड़की की तरफ पड़ी और उसने मुझे देख लिया। मैं फौरन नीचे हो गया।
वो बाथरूम से बाहर आई और तौलिया सुखाने के बहाने गैराज में आई और अनजान बनते हुए बोली,”अरे… जीजू, आप अभी तक गाड़ी ही साफ कर रहे हैं?”
उसकी नजरें मेरी हाफ पैंट के ऊपर थी। जहां मेरा लण्ड हाफ पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था और एक टैंट सा बना रहा था।
मैंने कहा,”बस गाड़ी साफ हो गई। चलो चलें।”
और गाड़ी साफ करने का कपड़ा अपनी हाफ पैंट के ऊपर से उफनते हुऐ लण्ड के आगे कर लिया। हम दोनों अन्दर आ गये। मैं आते ही टॉयलेट में घुस गया और अपने उफनते हुए लण्ड को मुठ मार कर शांत किया।
उस दिन से मेरा रोजाना का नियम बन गया, बेबो को खिड़की से झाक कर बाथरुम में नहाते देखने का। जब भी बेबो बाथरुम में नहाने जाती मैं गैराज में किसी ना किसी बहाने चला जाता। बेबो को पता होता था कि मैं उसे छुप-छुप कर देख रहा हूँ। मगर अब वो ओर दिखा-दिखा कर देर तक नहाती। चोरी से खिड़की की तरफ देख कर मुझे अपने को देखते हुए देखती। अब वो जिस समय बाथरूम में नहाने घुसती तो जोर से चिल्ला कर कहती,”दीदी, मैं नहाने जा रही हूँ।”
फिर जब मैं बाथरूम की खिड़की के छेद में से झांक कर देखने लगता तो वो बाथरूम में अपने कपड़े उतारने लगती।
अगर मुझे किसी वजह से गैरेज में आने में देर हो जाती तो वो बाथरुम ऐसे ही टाईम पास करती रहती। जब वो गैरेज के गेट खुलने की आवाज सुन लेती तभी वो बाथरुम में अपने कपड़े उतारना शुरु करती। मुझे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वो अनजान बनते हुए सबसे पहले अपना टॉप उतारती। फिर खिड़की की तरफ मुँह करके अपनी ब्रा उतारती। ब्रा उतरते ही जब उसके स्तन उछल कर बाहर आ जाते तो वो उन स्तनों को धीरे-धीरे से सहलाती और अपने चुचुकों को मसलती।
फिर अपनी पीठ करते हुए अपना लोअर उतार देती। फिर खिड़की की तरफ पलट कर अपनी पेंटी भी उतार देती। फिर अपनी चूत को रगड़ती और चूत के बालों में हाथ फिराती और फिर उन बालों को पकड़ कर ऊपर खींचती। फिर पलट कर अपने चूतड़ों की गोलाईयां और गहराइयाँ मेरी नजरों के सामने करती। ऐसा मुझे लगा। खैर…
उसके ऐसा करने से मेरे बदन में सनसनी फ़ैल जाती और मेरा लण्ड तन कर खडा होकर हाफ पैंट के अन्दर उफन जाता और एक टैंट सा बना देता। फिर जब वो शावर खोल कर पानी अपने बदन पर डालने लगती तो मैं हाफ पैंट के अन्दर से अपना लण्ड बाहर निकाल लेता और बेबो को नहाते देखते हुऐ अपने उफनते हुए लण्ड को मुठ मार कर शांत किया करता। फिर जब वो शांत हो जाता और बेबो अपना बदन तौलिये से पोंछ कर कपड़े पहनने शुरू करती तो मैं खिड़की से अलग़ हो जाता।
कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। मेरी छुट्टियाँ खत्म होने वाली थी। बस दो छुट्टियाँ बची थी।
एक दिन मेरी पत्नी पड़ोस की अपनी सहेली के साथ बच्चे के लिये कुछ कपड़े लेने मार्केट चली गई। जाते-जाते वो मुझ से कहने लगी कि आप यहीं रहो। मैं अपनी फ्रैंड के साथ जा रही हूँ। बेबो सो रही है। रात को छोटे ने काफी परेशान किया। वो बेचारी सारी रात छोटे को खिलाती रही। उसे सोने दो। जब वो उठ जाये तो उसे खाना गर्म करके दे देना।
जब वो चली गई तो मैंने चुपके से देखा कि बेबो स्कर्ट और टी-शर्ट पहन कर सो रही है। मैं बाथरूम में नहाने चला गया। फिर नहा के आकर मैंने फिर बेबो की तरफ देखा तो मैं हैरान रह गया। बेबो सो रही थी। मगर उसकी टी-शर्ट अन्दर ब्रा तक अपर उठी हुई थी और उसकी सफेद ब्रा दिख रही थी। उसकी स्कर्ट उसकी जांघों के उपर तक उठी हुई थी और उसकी जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी दिख रही थी। उसकी लाल पैंटी के उपर उसकी फूली हुई चूत का उभार भी नजर आ रहा था।
मैंने उसे आवाज लगाई- बेबो ! बेबो ! ताकि वो अगर उठे या करवट ले तो उसकी स्कर्ट ठीक हो जाये। मगर वो ना तो उठी ना ही उसने करवट ली। मैं कुछ देर तक उसे निहारता रहा। उसका गोरा-गोरा पेट, चिकनी-चकनी टांगें, भरी-भरी जांघे और जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी के ऊपर उसकी फूली हुई चूत मुझे उत्तेजित कर रहे थे।
मैं कमरे से बाहर आकर सौफे पे बैठ गया। मेरा दिलो-दिमाग बेबो की ही तरफ था। मन उसको देखने और छूने को कर रहा था। मैं फिर से उठ कर कमरे की तरफ गया। मैंने फिर बेबो की तरफ देखा। बेबो सो रही थी। मैं दरवाज़े पर खडा उसे कुछ देर तक निहारता रहा। उसकी भरी-भरी चिकनी जांघे और जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी के उपर उसकी फूली हुई चूत मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे।
मैं कमरे के अन्दर जा कर बेबो के पास बैठ गया। मैंने हल्के से उसे आवाज लगाई- बेबो-बेबो…
मगर वो ना तो उठी ना ही उसने करवट ली। मैं फिर कुछ देर तक उसे निहारता रहा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी चिकनी जांघ पर रख दिया। कुछ देर बाद मैं उसकी भरी-भरी मासंल जांघ पर हाथ फिराने लगा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी लाल पैंटी के ऊपर उसकी फूली हुई चूत पर रख दिया। उसकी फूली हुई चूत मेरी हथेली के गड्डे में सैट हो गई। फिर मैं अपनी हथेली से उसकी फूली हुई को चूत हल्के-हलके से दबाने लगा। बेबो उसी तरह से सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी। खैर…
मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। मैं उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगा। मगर उसकी स्कर्ट की वजह से पैन्टी के अन्दर हाथ घुस नहीं पा रहा था। मैंने सावधानी से उसकी स्कर्ट का हुक और साईड चेन खोल दी। फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा। बेबो उसी तरह से सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी और मेरी हिम्मत लगातार बढ़ती जा रही थी।
फिर मैं बेबो की चूत के बालों में हाथ फिराते-फिराते अपनी उँगली बेबो की चूत के फाँक के ऊपर फेरने लगा। फिर उंगलियों से बेबो की चूत के फाँक को खोलने और बन्द करने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपनी एक उँगली बेबो की चूत के फाँक के अन्दर घुसा कर बेबो की चूत के जी पॉयंट को हल्के-हल्के रगड़ने लगा।
उसकी पैन्टी की वजह से मुझे अपनी उँगली बेबो की चूत के अन्दर डालने और बेबो की चूत के जी-पॉयंट को रगड़ने में दिक्कत हो रही थी। इसलिये मैंने उसकी पैन्टी को धीरे-धीरे से नीचे खींच कर उसके घुटनों पर कर दी। फिर मैंने अपनी एक उँगली बेबो की चूत के अन्दर घुसा उसकी चूत को हल्के-हल्के रगड़ने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी पैन्टी भी उसकी टांगों से जुदा कर दी और सावधानी से उसकी दोनों टांगों को अलग कर दिया। अब मैं उसकी बगल में लेट कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा। फिर मैं बेबो की चूत की फांक पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँबेबो की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों को बेबो की चूत के फाँको में डाल कर रगडने लगा और उसकी चूत के जी-पॉयंट को अपनी उंगलियों से दबाने और हल्के-हल्के रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद बेबो की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।
अचानक बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और उसने अपनी आँखें खोल दी और अनजान बनते हुए बोली, “अरे… जीजू कब आए .. और ये क्या कर रहे हैं?”
मैंने कहा “बस अभी ही आया हूँ… और सोचा कि आज बेबो को कुछ मजा कराया जाये। सच बताओ, क्या मजा नहीं आ रहा हैं? मुझे पता है तुम जाग रही थी और मजे ले रही थी। वरना तुम्हारे नीचे से चिकना-चिकना सा नहीं निकलता।”
बेबो मुस्कुराईं और बोली,”नहीं, सच मैं तो सो रही थी। मुझे नहीं पता आप क्या कर रहे थे। और आपने मेरी चड्डी क्यो उतार रखी है।”
उसका झूठ पकड़ में आ रहा था। मैं बोला,”प्लीज़ ! बेबो मजाक मत करो। प्लीज़ ! मेरा साथ दो। हम दोनों मिलकर खूब मजा करेंगे।”
बेबो फिर मुस्कुराईं और बोली,”क्या आपका साथ दूँ और क्या दोनों मिलकर मजा करेंगे। बताईये ना। और मेरी चड्डी क्यो उतार रखी है। आप क्या मजा कर रहे थे। और मेरी चड्डी के अन्दर क्या मजा ढूंढ रहे थे।”
मैंने कहा,”बताऊँ कि मैं तुम्हारी चड्डी के अन्दर क्या मजा ढूंढ रहा था।” कह कर मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया और फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए।
फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो ने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। फिर मैं बेबो को किस करते-करते अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के उपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। फिर कुछ देर बाद मैं उसकी टी-शर्ट के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके वक्ष को दबाने लगा।
फिर मैं उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा तो बेबो बोली,”जीजू, क्या करते हो। दीदी आने वाली होंगी।”
मैंने कहा,”चिंता मत करो। वो मार्केट गई और दो-तीन घंटे तक नहीं आँएगी।”
यह कह कर मैं फिर उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा। अब बेबो ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार कर बैड पर फैंक दी। बेबो के बड़े-बड़े और गोरे-गोरे स्तन सफेद ब्रा में फँसे हुए थे। मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। बेबो ने अपनी आंखे बंद कर ली।
कुछ देर बाद मैं उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा। फिर कुछ देर मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी और दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दिया और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा। मैं उसके गोरे-गोरे सख्त स्तनों को दबाने लगा और साथ-साथ उसके भूरे चुचूकों को हल्के-हल्के मसलने लगा। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे स्तनों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैंने उसकी खुली पड़ी स्कर्ट को भी उतार कर फैंक दिया। बेबो का नंगा, गोरा और चिकना बदन मेरे सामने था।
फिर मैंने बेबो से अलग हो कर अपने सारे कपड़े उतार दिये और पूरी नंगा होकर बेबो से लिपट गया और मैंने बेबो को अपने साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा था। मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। फिर कुछ देर तक उसकी चूत पर हाथ फेरने के बाद मैं अपनी हथेली से उसकी चूत को दबाने लगा।
वो बहुत गरम हो चुकी और जोर-जोर से सिस्कारियां ले रही थी और मेरे बालों पर हाथ फेर रही थी और अपने होंठ चूस रही थी। मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसकी बगल में लेट कर मैं बेबो की चूत के कट पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ बेबो की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगा। फिर मैं बेबो की चूत के जी पॉयंट को रगड़ने लगा। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। बेबो ने मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर ली। कुछ देर बाद बेबो की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था।
मेरा लण्ड बेबो की जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने बेबो का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। बेबो ने बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। बेबो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगी। फिर वो मेरा लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगी।
अब मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो रहा था। मैं बेबो के ऊपर आकर लेट गया। बेबो का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दब गया। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा था।
मैं उसके उपर लेट कर उसके चुचूक को चूसने लगा। वो बस सिस्करियां ले रही थी। फिर मैं एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा और फिर एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो मछली की तरह छटपटाने लगी और अपने हाथों से मेरा लण्ड को टटोलने लगी। मेरा लण्ड पूरे जोश में आ गया था और पूरा तरह खड़ा हो कर लोहे जैसा सख्त हो गया था।
बेबो मेरे कान के पास फुसफसा कर बोली,”ओह जीजू। प्लीज़ ! कुछ करो ना। मेरे तन-बदन में आग सी लग रही हैं।”
ये सुन कर अब मैंने उसकी टांगें थोड़ी ओर चौड़ी की और उसके ऊपर चढ़ गया।
फिर अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपाड़ा बेबो की कुंवारी चूत के हुआ अन्दर चला गया। लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से चीख निकल गई और वो अपने हाथ पाँव बैड पर पटकने लगी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसे कस कर पकड़ा था।
वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी, “प्लीज़ जीजू, मुझे छोड़ दीजिए, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा “बेबो तुम ही तो कह रही थी कि जीजू, प्लीज़ ! कुछ करो ना। मेरे तन-बदन में आग सी लग रही हैं। मैंने इसलिये ही तो तुम्हारे अन्दर डाला है। बेबो तुम चिन्ता मत करो, पहली बार में ऐसा होता है, एक बार पूरा अन्दर जाने के बाद तुम्हें मज़ा ही मज़ा आएगा। पहली बार तुम्हारी दीदी को भी ऐसा ही दर्द हुआ था और अब मैं और तुम्हारी दीदी रोज ये करते हैं और तुम्हारी दीदी अब खूब एनजाय करती है।”
फ़िर मैंने एक और धक्का लगा कर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड घुसा दिया। बेबो तड़पने लगी। मैं उसके ऊपर लेट कर उसके उरोज़ों को दबाने लगा और उसके होठों को अपने होठों से रगड़ने लगा। इससे बेबो की तकलीफ़ कुछ कम हुई। अब मैंने एक जोरदार धक्के से अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर कर दिया। मेरा 8″ लम्बा और ३” मोटा लण्ड उसके कौमार्य को चीरता हुआ उसकी कुँवारी चूत में समा गया।
इस पर वो चिल्लाने लगी “आहह्ह, मर गई। ओह प्लीज़ जीजू इसे बाहर निकालिये, मैं मर जाउंगी।” उसकी चूत से खून टपकने लगा था।
मैं रुक गया और बेबो से बोला “प्लीज़ ! बेबो, मेरी जान, अब और दर्द नहीं होगा।”
बेबो का यह पहला सैक्सपिरियन्स था। इसलिऐ मैं वही रुक गया और उसे प्यार से सहलाने लगा और उसके माथे को और आँखो को चूमने लगा । उसकी आंख से आंसू निकल आये थे और वो सिस्कारियां भरने लगी थी। यह देख कर मैंने बेबो को अपनी बाँहो में भर लिया।
फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा, ताकि वो अपना सारा दर्द भूल जाये। कुछ देर बाद उसका दर्द भी कम हो गया और उसने मुझे अपनी बाँहों में से कस लिया। मैंने भी बेबो को अपनी बाँहों में भर लिया। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया हुआ था। फिर मैं अपने होंठों से उसके नरम-नरम होंठों को चूसने लगा। कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहे और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
फिर मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा। बेबो ने कोई विरोध नहीं किया। अब शायद उसका दर्द भी खत्म होने लगा था और वो जोश में आ रही थी और अपनी कमर को भी हिलाने लगी थी। उसकी चूत में से थोडा सा खून बाहर आ रहा था जो इस बात का सबूत था कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी थी और आज ही मैंने उसकी सील तोड़ी है।
उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा लण्ड बहुत मोटा था, इसलिए मुझे बेबो को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से बेबो की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। फिर कुछ देर बाद बेबो ने अपनी टांगें उपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। मैं अपने लण्ड को लगातार धीरे-धीरे बेबो की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगा था।
थोड़ी देर में बेबो भी नीचे से अपनी कमर उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगी और मज़े में बोलने लगी ” सी … सी… और जोररर से जीजुजुजु… येसस्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स् जोर से करो। प्लीज़ ! जीजू तेज-तेज करो ना। आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।”
बेबो को सचमुच में मजा आने लगा था। वो जोर जोर से अपने कूल्हे हिला रही थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी। उसने मेरे कूल्हों को अपने हाथों में थाम लिया। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने कूल्हे पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपनी जांघें उपर उठा देती। मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगा। फिर मैं बैड पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। वो मदहोश हो रही थी।
मैंने रुक कर बेबो से कहा, “बेबो अच्छा लग रहा है ?”
बेबो बोली,”हाँ जीजू बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज़ ! रुको मत। तेज-तेज करते रहो। हाँ प्लीज़ ! तेज-तेज करो। मैं अन्दर से डिस्चार्ज होने वाली हूँ। प्लीज़ ! चलो करो। अब रुको मत। तेज-तेज करते रहो।”
बेबो के मुहँ से ये सुन कर मैंने फिर से बेबो को चोदने शुरु कर दिया और अपनी रफ्तार को और बढ़ा दिया। मैंने बेबो के बड़े-बड़े हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगा। बेबो के मुँह से मस्ती में “ओह्ह्ह्ह्ह्हो होहोह सिस्स्स ह्ह्ह्ह हाह्ह्ह आआ आआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़ ! जीजू तेज-तेज करो।”
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ने वाली थी तभी हम दोनों एक साथ अकड़ गये और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगे। फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लिया और बोली “जीजू मेरा काम होने वाला है। प्लीज़ ! जोर-जोर से करो येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस मैं हो गईईईईई…! इसके साथ ही बेबो की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया। उसने एक जोर से आह भरी और फिर वो ढीली पड़ गई।
मैं समझ गया कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। लेकिन मेरा काम अभी नहीं हुआ था इसलिए मैं जोर-जोर से अपने लण्ड से बेबो की चूत को पेलने लगा। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा। बेबो रोने सी लगी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगी। लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर धक्के लगाना जारी रखा।
करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगा तो मैंने अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींच लिया और उसकी चूत के झांटों उपर डिस्चार्ज हो गया और उसके ऊपर गिर गया। फिर मैं उसके उपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता रहा। फिर मैं बेबो की बगल में लेट गया। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार कर रही थी।
बेबो की चूत के काले घने घुंघराले बालों में मेरे वीर्य की सफेद बून्दे चमक रही थी। मैंने अपने अन्डरवियर से बेबो की चूत के ऊपर पड़े अपने वीर्य को साफ कर दिया। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े पहनने लगे। बैड की चादर पर बेबो की चूत से निकला हल्का सा खून पडा था। बेबो ने तुरन्त डस्टिग़ वाला कपड़ा लेकर गीला करके चादर से खून साफ कर दिया और पंखा चला दिया ताकि चादर जल्दी से सूख जाए।
मैंने बेबो से पूछा कि कैसा लगा तो वो बोली “जीजू ! शुरु-शुरू में तो मुझे बहुत दर्द हुआ लेकिन बाद में बहुत मजा आया। इतना मज़ा तो मुझे कभी किसी चीज़ में नहीं आया। सचमुच आज से मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ। अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।”
ये सुन कर मैंने खीच कर उसे अपने सीने से चिपका लिया। फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो भी मुझ से लिपट गई और उसने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उस के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगा।
फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के उपर से उसके स्तनों को दबाने लगा और बेबो से बोला “एक बार फिर हो जाए। तुम्हें कोई एतराज नहीं।”
वो एकदम छटक कर अलग हो गई और बोली,”क्या करते हो जीजू। बड़े गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी आने वाली होंगी।”
मैंने बेबो से कहा “अभी तो तुम कह रही थी कि मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ। अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा और अब तुम मना कर रही हो।”
बेबो बोली “जीजू। मैंने कहा है और एक बार फिर कह रही हूँ कि सचमुच मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ और अब आप जब चाहें ये सब मेरे साथ कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा। लेकिन आज अब और नहीं। आपने इतना ज्यादा किया है ना कि मेरे नीचे दर्द हो रहा, शायद कट भी लग गया है। नीचे चीस सी मच रही है। इसलिये आज नहीं। अब कल करेंगे। कल तक मेरे नीचे का मामला भी ठीक हो जाएगा। अब मैं नहाने जा रही हूँ। गर्म-गर्म पानी से नहाऊगी और गर्म पानी से नीचे की थोड़ी सिकाई करुँगी तो कुछ ठीक हो जाऊँगी। वरना मेरी चाल देख कर दीदी को शक हो जाऐगा। अब कल तक के लिये सब्र रखिये। वैसे भी दीदी भी आने वाली होंगी।”
इतना कह कर उसने हाथ हिला कर शरारत से बाय किया और फिर वो तेजी से बाथरुम की ओर जाने लगी। मैं खड़ा-खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा। उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि बेबो को जम कर चोदने की मेरे मन की इच्छा पूरी हो गई थी।
इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में हमने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया। हर बार सैक्स करने का अन्दाज और मजा अलग ही था। अगर समय मिला तो अपने यहां सोफे पर और एक रात को अपनी पत्नी को नींद की गोली देकर स्टोर में बेबो के साथ सैक्सपिरियस के बारे में भी जरुर बताऊँगा। फिर एक बार शाम को बेबो के ही घर में छत पर बेबो के साथ सैक्सपिरियस के बारे में भी जरुर बताऊँगा। और एक पूरी रात बेबो के साथ होटल के कमरे में तीन बार सैक्स करना तो मैं भूल ही नहीं सकता। वो किस्सा भी अगर समय मिला तो जरुर बताऊँगा। खैर…
दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्सपिरियंस के बारे में बात नहीं करते हैं। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। खैर …
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी। Antarvasna Stories
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