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सभी अन्तर्वासना के पाठकों Hindi Sex Stories को सुरेश का एक बार फिर नमस्कार ! मुझे आप लोगों की काफी ईमेल मिली और मैंने भी सभी को जवाब दिया। मैं आज आपको अपने जीवन का एक और वाकया बताना चाहता हूँ जो मेरे साथ कुछ ही दिन पहले हुआ।
एक दिन सुबह मेरे दोस्त राज का फ़ोन आया- सुरेश ! आज एक जुगाड़ आया है, अगर तुम अपना गैंगबैंग करना चाहते हो तो तुंरत फार्म हाउस आ जाओ !
शनिवार का दिन था, मैं भी फ्री था, मैंने अपनी गाड़ी उठाई और उसके फार्म-हाउस पहुँच गया। वहाँ राज और विकी पहले से ही मौजूद थे और शराब का दौर चल रहा था। उनके साथ एक बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की बैठी थी। उन्होंने मुझे भी शामिल होने के लिए कहा और मैं भी उनके साथ बैठ गया और बीयर का कैन ले लिया। उन्होंने मुझे उस लड़की से परिचय कराया। उसका नाम रीना था। वो गुडगाँव के किसी कॉल-सेण्टर में काम करती थी और पार्ट-टाइम यह काम भी करती थी। लड़की काफी बोल्ड थी- एकदम बिंदास स्मोकिंग और ड्रिंकिंग कर रही थी और काफी घुलमिल कर बात कर रही थी, ऐसा नहीं लग रहा था कि वहाँ कोई अनजाना हो !
विकी ने उसको अपने पास बुलाया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। इसी दौरान राज से भी नहीं रुका गया और उसने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिये। मैं भी इंसान था, मैं भी कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था, सो मैंने भी उसकी स्कर्ट की तरफ कूच किया और उसको खोल दिया। कुछ ही सेकंडो में वो गुलाबी ब्रा और चड्डी में थी। हमने भी अपने कपड़े उतार दिये और उसको चूमने लगे। जिसको जो मिला उसने वहीं अपना काम शुरू कर दिया। उसकी टांगों को मैं किस कर रहा था, स्तन राज के कब्जे में थे, होठों पर विकी का कब्जा था। सब अपने काम में मस्त थे। बंदी(लड़की) भी सभी को पूरा साथ दी रही थी। बिल्कुल वैक्सिंग किया हुआ जिस्म था। ऐसा लगा जैसे किसी स्वर्ग की अप्सरा के जिस्म पर तीन शैतान टूट पड़े हों।
लेकिन वो भी पूरा एन्जॉय कर रही थी। मैंने उसकी चड्डी उतार दी। राज ने उसकी ब्रा खोल दी। उसका प्रेम-छिद्र मेरी नजरों के सामने था। एकदम गुलाबी रंग की चूत देख कर मेरा मन करने लगा कि इसको चूस लूँ !
मैं यह सोच ही रहा था कि उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर मेरा मुँह लगा दिया। मेरी झिझक ख़त्म हो चुकी थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा। वो भी मेरे सर को पकड़ कर जोर-जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी। ऊपर राज उसके दोनों स्तन चूस रहा था। विकी जाने क्यों उसके होठों पर ही लगा हुआ था। पांच मिनट में ही उसकी चूत में से पानी आने लगा और वो एकदम से झड़ गई।
तभी विकी ने अपना लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया और वो उसको लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। देखने से ही लगता था कि वो चूसने में कितनी अनुभवी है। मैंने भी अपना लंड निकला और उसकी चूत में घुसा दिया। अब राज बेचारा अपना लंड हाथ में पकड़ कर खड़ा हो गया और बोला- मैं कहाँ डालूँ ?
तभी रीना ने कहा- अभी एक छेद बाकी है !
अब बेचारे ने तेल लगाकर अपना लंड तैयार किया। मैं नीचे लेट गया, रीना मेरे लंड पर आ गई, विकी मेरे सर की तरफ खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। अब राज के लिये रास्ता खुला था। उसने तेल लगाकर अपना लंड उसकी गांड में डालना शुरू किया तो वो चिल्लाने लगी, गालियाँ देने लगी- बहनचोद ! धीरे घुसा ! फाड़ेगा क्या भोसड़ी के ?
पर बहुत देर हो चुकी थी, उस हरामी ने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया था। अब वो और मैं दोनों धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर- बाहर करने लगे। जब वो अंदर करता तो मैं बाहर और जब मैं अंदर तो वो बाहर ! रीना बहुत मस्त तरीके से अपनी गांड आगे पीछे करके हमारे दोनों लंड ले रही थी। वो पागलों की तरह गालियाँ देती जा रही थी और कह रही थी- बहुत मजा आ रहा है बहनचोदो ! मुझे चोदने में असली मजा तो सालो मुझे आ रहा है तीनो का लंड एक साथ लेने में !
अब हमारी भी हिम्मत और स्पीड धीरे-धीरे तेज होने लगी और हम तीनों ने आपस में कहा कि एक साथ तीनों करेंगे और हमने अपना सारा माल एक साथ उसकी चूत, गांड और मुँह में डाल दिया और रीना भी दूसरी बार स्खलित हुई !
कुछ देर उसी हालत में रहने के बाद हमने अपना लंड बाहर निकाला। रीना भी काफी थकी सी लग रही थी। हम बाथरूम में गए और अपना लंड धोकर फ़िर दारू पीने लगे। तभी राज ने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और हमारा मूड दोबारा बनाने लगा।
दस ही मिनट बाद हम दोबारा बिस्तर पे थे। इस बार मुझे रीना की गांड मिली, राज ने उसके मुँह पर कब्जा किया और विकी ने उसकी चूत पर !
और हम फिर शुरू हो गए ! इस बार का राउंड लगभग चालीस मिनट तक चला। इस दौरान रीना तीन बार झड़ी और हम भी अपना सारा माल उसके तीनों छेदों में डाल कर झड़ गए !
हमने होटल से लंच मंगवाया और चारो ने मिलकर बिना कपड़े पहने नंगे ही खाया।
एक घंटा आराम करने के बाद अब हम तीसरे राउंड के लिये तैयार थे !
इस बार मेरा लंड रीना के मुँह में था, राज के लंड ने चूत के दर्शन किये, विकी अब गांड मार रहा था। इस बार चुदाई साठ मिनट तक चली।
रीना बहुत ही हिम्मत वाली लड़की थी जो हम तीनों का पूरा साथ दिए जा रही थी, गजब की चुदासु थी वो, और हम भी चोदूओं की तरह उसको चोदे जा रहे थे। उसकी चूत एकदम फूल कर डबलरोटी जैसी हो गई थी, उसका मुँह लाल हो चुका था, गांड बिल्कुल खुल चुकी थी, पर वो थी कि चुदवाए जा रही थी और हम थे कि चोदे जा रहे थे। साठ मिनट में वो पाँच बार और झड़ी और हम तीनों तीसरी बार फिर एकसाथ उसके तीनों छेदों में झड़ गए।उसके तीनों छेदों में से वीर्य बाहर निकल रहा था। बिस्तर को देख कर ऐसा लगता था कि जैसे कुश्ती का मैच हुआ हो !
हम चारो बिल्कुल थक चुके थे ! हम सो गए। हमारी आँख शाम को आठ बजे खुली। तब रीना सिगरेट पी रही थी, वो बोली- अब मेरे जाने का समय हो गया है, सो मेरी पेमेंट कर दो। राज ने एक दस हज़ार की गड्डी निकाली और उसको दे दी और उसने ख़ुशी-खुशी वो अपने पर्स में डाल ली और बोली- मुझे राजीव चौक पर ड्राप कर दो !
मैंने अपनी गाडी स्टार्ट की और उसको राजीव चौक पर ड्राप करने चल पड़ा।
रास्ते में मैंने उससे पूछा- तुम यह सब किसी मजबूरी में करती हो या क्या कारण है?
तो वो बोली- कुछ मुझे शौक है, कुछ मज़बूरी भी !
उसने बताया कि उसको कई बार उसके बॉय-फ्रेंडस ने चोदा है, वो भी मुफ़्त में ! तो अगर चुदना ही है तो पैसा लेकर चुदा जाए ताकि आम के आम और गुठलियों के दाम ! तो क्या बुरा है ! मेरे पास उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं था, सो राजीव चौक पहुँच कर मैंने उसको हज़ार के पाँच नोट और दिये और गुड बाय किस करके दोबारा मिलने का वादा करके मैं अपने घर आ गया।
आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताएँ ! अगर किसी लड़की ने तीन लंड एक साथ लिये हों तो जरुर लिखे ! Hindi Sex Stories
इस घटना ने शिल्पा को Antarvasna भी हम लोगों के प्रति बोल्ड कर दिया था. शिल्पा शाम को चली गई, मेरा भाई भी तीन दिन बाद चला गया, कोई दस दिन बाद मेरे पति टूअर से लौटे. इस बार भी वे तरह तरह के प्रसाधन लाये थे, शाम के वक्त घर में घुसे तो घुसते ही मुझ पर टूट पड़े, उन्होंने कपडे भी नहीं बदले और मुझसे लिपट गये. मैंने दरवाजे को जब तक लोंक किया तब तक वे मेरे गाउन को हटा चुके थे और देखते ही देखते मेरी ब्रा को हटा स्तनों से सरका कर मेरे स्तनों को चूसने लगे.
“ओफ्फो… तुम सारे भाई बहन एक जैसे हो! घर में आकर पानी वानी पीने के स्थान पर मेरे स्तनों पर टूट पड़ते हो!” मैंने उनके सिर पर हाथ फ़ेर कर कहा.
वह चौंके और स्तन के निप्पल को मुंह से निकाल कर बोले- क्या मतलब है तुम्हारे कहने का? तुमने मेरे साथ मेरी बहन का जिकर क्यों किया?
“इसलिये किया क्योंकि आपके यहाँ से उस दिन जाते ही आपकी बहन शिल्पा आई थी, वो भी दरवाजा खुलते ही मेरे ब्लाउज को खोलने लग पड़ी थी!” मैंने हंसते हुए कहा.
“क्या!? क्या शिल्पा को भी यह सब पसंद है?” उन्हें आश्चर्य हुआ.
“फिर क्या हुआ?” उन्होंने मुझे अपनी बाजूओं में उठा कर बैडरूम की ओर चलते हुए पूछा.
मैं उनकी टाई की नॉट ढीली करती हुई बोली- जब वह यहाँ पहुंची थी तब मैं अपने भाई के साथ बाथरूम में थी, हम दोनों नहा रहे थे.
“साथ साथ नहा रहे थे… तब तो बड़ा मजा आ रहा होगा! चलो, अपन भी साथ साथ नहाते हैं, नहाते नहाते सुनेंगे पूरा किस्सा! उन्होंने बैडरूम में प्रवेश होते होते अपने कदम बाथरूम की और मोड़ कर कहा.
मजा तो आना ही था…! मेरा भाई मुझे साबुन लगा कर मुझे बुरी तरह गर्म चुका था, वह मेरी योनि को चाट ही रहा था कि तुम्हारी बहन ने कॉल बेल बजा दी, हम दोनों का मूड ऑफ़ हो गया. मैं उसे प्यासा छोड़ बाथरूम से निकली और जल्दी जल्दी साड़ी ब्लाउज पहन कर दरवाजे पर पहुंची. दरवाजा खोला तो पाया कि सामने गहरे गले के टॉप और घुटनों तक की चुस्त स्कर्ट में अपनी उफनती जवानी लिये शिल्पा खड़ी थी.
मेरे इतना कहते कहते मेरे पति ने मुझे बाथरूम में ले जाकर मुझे फर्श पर उतार दिया और मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. फिर मेरे होंठों को चूमने के बाद मेरे स्तनों को चूम कर बोले- फिर… फिर क्या हुआ… कहती रहो और मुझे इन झरनों से अपनी प्यास बुझाने दो!
इतना कह कर उन्होंने फिर मेरे स्तन पर मुंह लगा दिया. मेरे शरीर में आग भरती जा रही थी, मेरे हाथों ने उनकी टाई निकालने के बाद उनके कोट को भी उतार दिया था, अब शर्ट के बटन खुल रहे थे.
शर्ट के बटन खोलते खोलते मैं बोली- उफ… उफ… शिल्पा ने भीतर आते ही रंगीन मजाक आरंभ कर दिये, मेरे महकते रूप की तारीफ़ करने लगी, मैं समझ गई कि लड़की प्यासी है, मेरी बातों को… उफ… उफ… आहिस्ता आहिस्ता चूसिये इन्हें… आप तो पागल हुए जा रहे हैं… उफ… मेरे पति पागलों की भांति ही मेरे स्तनों का दोहन सा कर रहे थे, मेरे होंठों से सिसकारियाँ फूटने लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे नाभि में कोई तूफ़ान अंगडाई लेने लगा है.
मैंने उत्तेजना से उत्पन्न होने वाली सिसकारियों को अपने दांतों तले दबा कर एक लंबी सांस छोड़ी फिर कहना शुरू किया- शिल्पा को मैं चाय बनाने के लिए अपने साथ रसोई में ले गई तो उसने… उफ… ऑफ… ओफ्फो… क्या कर रहे हैं आप…? क्या कोई ट्रेनिंग लेकर आये हैं कहीं से स्तनों के साथ इस तरह पेश आने की… आज तो आप मेरे स्तनों को झिंझोडे डाल रहे हैं आज…
मेरे इस तरह कहने से उन्होंने स्तन से मुँह हटा कर मेरे होंठ चूम कर मनमोहक ढंग से कहा- क्या तुम्हें मजा नहीं आ रहा? अगर मजा नहीं आ रहा है तो मैं इन्हें आहिस्ता आहिस्ता चूसता हूँ.
“मजा तो बहुत आ रहा है, इतना आ रहा है कि ऐसा लगता है जैसे मैं आज कण कण होकर बिखर रही हूँ. ठीक है तुम ऐसे ही चूसो!” मैंने उनकी शर्ट को उनकी बाजुओं से निकाल कर कहा.
“तुम शिल्पा वाली बात तो बताओ…” उन्होंने यह कह कर स्तन के निप्पल को फिर मुंह में ले लिया और अपने हाथों को मेरे नितंबों पर ले जाकर नितंबों की मालिश सी करने लगे.
मैं उनकी बेल्ट खोलते हुए बोली- फिर एक ओह्ह.. उफ… ऊई… फिर हाँ मैं..उफ… मैं कह रही थी कि शिल्पा को मैं रसोई में ले गई तो उसने वहाँ पहुँचते पहुँचते ही मेरे ब्लाउज में हाथ डाल दिया और मेरे स्तनों को चूसने की इच्छा जाहिर की और यह भी बताया कि अपनी सहेली के साथ लेस्बियन लव का आनन्द लेती है. मेरी… उफ… ओह… अपने पति के द्वारा अपनी योनि में मौजूद भंगाकुर को मसले जाने से मेरे कंठ से कराह निकल गई- उफ… ये शावर तो खोल लो… नहाना भी साथ साथ हो जायेगा!
मैं इतना कह कर पुनः विषय पर आई- मेरे शरीर में मेरे भाई ने पहले ही कामाग्नि भड़का डाली थी, शिल्पा द्वारा स्तनों को पकड़ने मसलने और उसकी स्तन पान की इच्छा ने मुझे और उत्तेजित कर डाला था. उसे तब तक पता नहीं था… उफ… ओह… ओफ…
मेरे पति अब मेरे स्तनों को छोड़ कर नीचे पहुँच गए थे, उन्होंने मेरी योनि पर मुख लगा दिया था, अब वो मेरे भंगाकुर को चूसने लगे थे.
मैं उनके बालों में अंगुलियाँ फंसा कर मुट्ठियाँ भींचने लगी, उनकी इस क्रिया ने मेरी नस नस में बहते रक्त को उबाल सा दिया था, मुझे अपनी उत्तेजना ज्वालामुखी का सा रूप लेती महसूस हुई, मुझे रोम रोम में फूटते कामानन्द के कई घूंट भरने पड़े.
“सुनाओ न आगे क्या हुआ…?” मेरे पति ने अपना मुख मेरी योनि से पल भर के लिए हटा कर कहा.
“तुम शावर खोलो, मैं आगे बताती हूँ…” अपनी साँसों को संयत करने का असफल प्रयास करती हुई बोली.
“ओफ़्फ़… फिर शिल्पा के सामने मेरा भाई आ गया, वह रसोई के बाहर खड़ा होकर पहले से हम दोनों को देख भी रहा था और हमारी बातें भी सुन रहा था, मेरा भाई सिर्फ अंडरवीयर में था, वह भी पहले से उत्तेजित था इसलिए उसका बृहद आकार में फैला लिंग अंडरवीयर में से भी उभरा उभरा दिखाई दे रहा था. शिल्पा की दृष्टि उसके अंडरवीयर पर टिक गई, मैं समझ गई कि उसने अभी तक लिंग के दर्शन नहीं किए हैं, ओह… उफ आउच… ओह…
इतनी कहानी सुनते सुनते ही मेरे पति ने अपने लिंग का मुंड मेरी योनि में प्रविष्ट करा दिया, वे शावर वह खोल चुके थे.
मैं उनके द्वारा हुए लिंग प्रवेश से आवेशित होने लगी थी, मेरे हाथ उनके कन्धों से पीठ तक बारी बारी से कस रहे थे, मेरी साँसें तीब्र हो रही थी, मादक सिसकियों की अस्फुट ध्वनियाँ रह रह कर मेरे कंठ से उभर रही थी.
मेरे पति ने लिंग का योनि में घर्षण करते हुए कहा- स्टोरी का क्या बना…! आगे क्या तुमने अपने भाई से शिल्पा की प्यास बुझवा दी?… ओह… कितना मजा आ रहा है!
शावर के नीचे मैथुन करने में… उफ… वह लिंग को आगे तक ठोक कर बोले. उनके हाथों में मेरी पतली कमर थी, उनकी जांघें मेरी जाँघों से टकरा कर विचित्र सी आवाज पैदा कर रही थी.
“हाँ… उफ… ओह… ऊई मां… तुम क्या मोटा कर लाये हो अपने लिंग को… इससे आज ज्यादा ही आनन्द मिल रहा है…” मुझे वाकई पहले से ज्यादा मजा आ रहा था, मैं फिर स्टोरी पर आई- बड़ा मजा आया था… शिल्पा को मेरे भाई ने पूरा मजा दिया था… खूब जोर जोर के धक्के मारे थे… मैंने बताया और लिंग प्रहार से उत्त्पन्न आनन्दित कर देने वाली पीड़ा से मेरे शरीर के रोयें रोयें में पुलकन थी, कंठ खुश्क हो गया था, मेरी जीभ बार बार मेरे होठों पर फिर रही थी.
थोड़ी देर में मेरे पति ने मेरी मुद्रा बदलवाई, अब मेरी पीठ उनकी ओर हो गई, मैंने जरा झुक कर दीवार में लगी नल को पकड़ लिया, वह मेरी योनि से लिंग निकाल चुके थे और अब मेरी गुदा(गांड) में प्रवेश करा रहे थे. गुदा में लिंग पहले ही प्रहार में प्रवेश हो गया, उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर खूब शक्ति के साथ धक्के मारे और गुदा में ही स्खलित हो गए, मैं भी स्खलित हो चुकी थी.
फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर देर तक नहाते रहे.
कहानी जारी है. Antarvasna
मैं ग़ुड़गाँव से हूँ। मैं 25 साल का हूँ Indian Sex Stories और मैं हर वक्त सेक्स का प्यासा रहता हूँ। मेरे घर में मैं, मोम और डैड हैं।
यह बात तब की है जब मैं बीस साल का था। हमारे घर पर एक नई काम वाली आई, क्या चीज़इ थी वो!
पहले दिन जब उसको देखा तो मैं बस देखता ही रह गया और सोचा कि अब शायद मेरा काम हो जायेगा, मेरे लंड जी की प्यास बुझ जायेगी। उसकी फ़ीगर देख कर मेरा तो लंड उछलने लगा उसकी फ़ीगर 36-32-36 थी। वो शादी-शुदा थी और साढ़े पांच फ़ीट की गोरी चिट्टी औरत थी और उसकी मोटी मोटी आंखें थी।
एक दिन जब वो मेरे कमरे में सफ़ाई कर रही थी तो मैंने उसके बड़े-2 स्तन देखे और उसके चले जाने के बाद मैं बाथरूम चला गया और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके नाम की मुठ मार दी। मैं उससे सेक्स करना चाहता था लेकिन डरता था उससे।
एक दिन मोम और डैड दोनों बाहर चले गये। मैं घर पे अकेला था और शाम के 5 बजे थे, मैंने ब्लू मूवी देखनी शुरु की और अपना लंड बाहर निकाल लिया। अचानक काम वाली अंदर आ गई। न जाने वो कब आ गई। मुझे पता नहीं चला कि कब मेन-गेट खुला और वो अंदर आ गई। मैं उसे देख कर डर गया और वो मुझे नंगा देख कर बाहर चली गई और किचन में जाकर बर्तन धोने लगी। मैं डरा हुआ टीवी बंद करके अपनी पैंट बंद कर रसोई में चला गया।
मैंने धीरे से कहा- आंटी चाय पियोगी?
वो गुस्से में बोली- नहीं।
मैं और डर गया। मैंने कहा- आंटी प्लीज़ किसी को मत बताना जो अंदर देखा।
वो कुछ नहीं बोली।
मैंने फिर कहा- प्लीज़ मोम को मत बताना।
उसने कहा- तुझे शरम नहीं आती ये सब करते हुए?
मेरे पसीने छूट गये। मैंने हाथ जोड़े- प्लीज़ आंटी, मुझे पता नहीं चला कि आप कब आ गई और मैं गरम था।
उसने मुझे आंखों से घूरा और वो बोली- तुम सारा दिन यही करते हो क्या? चल अपने कमरे में जा! मुझसे बात मत कर! मैं तेरी मां को बोल दूंगी कि इसकी शादी कर दे।
मैंने उसकी बहुत मिन्नतें की, लेकिन वो नहीं मानी। मैं कमरे में आ गया। वो 15 मिनट बाद मेरे कमरे में आई और मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
मैंने फिर कहा- आप जो कहोगी, मैं करूंगा! अगर तुमको पैसे चाहिये तो ले लो! वो और गरम हो गई और मुझे थप्पड़ लगा दिया और कहा- मैं बिकाऊ नहीं हूँ।
मैं रोने लग गया। वो मेरे पास बेड पर बैठ गई और बोली ये रोकर किसको दिखा रहा है।
मैंने कहा- प्लीज़्ज़! आंटी! अब नहीं करूंगा!
वो बोली- क्या नहीं करेगा?
मैंने कहा- मुठ नहीं मारूंगा!
बोली- पक्का?
मैंने कहा- प्रोमिस!
उसने अपनी टांगें बेड पर रखी, उसने काली साड़ी पहन रखी थी। उसने मेरे गालों पर हाथ लगाया और बोली- मत रो! मेरे राजा! मैं तो तुमको डरा रही थी, तू तो सच में डर गया। चल अब शुरु हो जा मस्ती कर! यही तो उमर है यह सब करने की!
मुझको ऐसी बातें सुन कर थोड़ा सुकून मिला।
उसने अपना हाथ मेरी ज़िप पर रखा- अरे मेरे राजा! तुम्हारा लंड तो सो रहा है!
मैं उसके मुंह से लंड शब्द सुन हैरान रह गया।
और उसने कहा- चल अपनी पैंट उतार!
मैंने कहा- क्या?
आंटी बोली- सुनाई नहीं देता क्या? चल!
मैंने अपनी पैंट उतार दी, उसने मेरा अंडरवियर खींच दिया और मेरे 3 इंच के लंड को हाथ लगाया। मेरा लंड टाइट होने लगा और उसने मेरे लंड की टोपी को अपने अंगूठे से स्पर्श किया। अब मैं मस्त हो गया।
वो बोली- तेरा लंड तो बहुत बड़ा है!
और देखते ही देखते मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया और उसने मेरा 8 इंच का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी।
मुझे ऐसा अनुभव पहली बार हुआ, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं स्वर्ग में हूँ।
मेरे लंड को चूसने के बाद वो खड़ी हो गई उसने अपनी साड़ी उतार दी और अपना पेटीकोट भी।
मैंने भी हिम्मत कर अब उसके स्तन दबा दिये, उसकी काली ब्रा उतार फ़ेंकी और उसके मोटे-2, गोरे-2 मम्मे दबाने लगा, उसकी चूचियाँ कड़ी हो गई और बोली- समीर बाबू! दबा ज़ोर से! आआह्हह ऊऊह्हहह, मैं भी बहुत दिनों की प्यासी हूँ।
मैंने उसके मम्मे जमकर चूसे। वो सिसकियाँ ले रही थी। और ऐसे में मैंने एक हाथ से उसकी पेंटी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गये, मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी, वो सिसकियाँ ले रही थी- आअह्हह्ह समीर बाबू मर गई! आज मेरी प्यास बुझा दो!
हम अब 69 पोजिशन में आ गये उसने मेरा लंड फिर चूसना शुरु किया और मैं अपनी जीभ उसकी गरम चूत पर रख कर उसे कुत्ते की तरह चाटने लगा।
उसने अब अजीब अंदाज़ में कहा- साले कुत्ते! अब मत तड़पा! चोद दे मुझको! फाड़ दे मेरी चूत! मरी जा रही हूँ!
मैं ऐसा सुनकर मैंने भी बोला- चल साली रांड! आजा आज तेरी चूत फाड़ दूंगा!और मैंने उसे कुतिया बना लिया, लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख दिया, हल्का सा धक्का लगाया।
वो बोली- आअह्हह ऊऊह्ह ह्ह ह्हह! साले पूरा डाल! अपनी रंडी आंटी के अंदर!
और मैंने ज़ोर से झटका दिया, बोला- ले साली रंडी आंटी!
अब पूरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में प्रवेश कर चुका था।
वो बोल रही थी- आआअह्हह ऊऊऊओह्ह आआऊऊ औऊस्सह! मार डाला रे! इतना दर्द तो सुहागरात को नहीं हुआ! हरामी तेरा लौड़ा ही इतना बड़ा है! ऐसे गालियाँ सुन मुझे गुस्सा आया और मैं ज़ोर-2 से उसको चोदता गया और वो मुझे गालियाँ दिये जा रही थी- साले कुत्ते! आअहह्ह! फाड़ दे! आह्हह! समीर बाबू! आआह्हह्ह ऊऊह्हह! आज लगा दे सारा ज़ोर!
कमरे में चुदाई की आवाज़ और आआअह्ह ऊओह्हह्ह की आवाज़ भर गई।
वो पागल सी हो गई और मैं भी।
वो सीधी लेट गई और मैंने उसकी टांगें खोल कर उसकी फिर से चुदाई शुरु कर दी और वो मेरी पीठ पर नाखून गड़ाने लगी, उसने मेरी छाती पर काट लिया।
वो अब दूसरी बार झड़ गई और बोली- साले! आज फाड़ देगा क्या! चल ज़ोर लग आआअहहह्ह! मेरा वीर्य आ गया और मैं आनन्द से भर गया। और सारा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया और अब हम दोनों शान्त हो गए। उसने मेरे माथे पे चूम लिया और बोली- तू मुझे रोज़ चोदा कर! मैं तेरी इस चुदाई से खुश हुई।
मुझे नरम और गरम चूत पसन्द है। मुझे मेल करें! Indian Sex Stories
हाय मेरा नाम राकेश है।मेरी वर्तमान Antarvasna उम्र ३५ साल है। मैं अपनी किशोरावस्था से बहुत ही सेक्सी रहा हूँ। मैं अभी इंदौर मैं रहता हूँ। मैंने आज तक करीब ५० से ऊपर लड़की और आंटी के मजे लिए हैं और उनकी चूत को अपने लंड के दर्शन कराये हैं।
मेरे साथ घटी एक घटना आपको बता रहा हूँ, कहानी सच्ची है पर पात्रों के नाम बदल कर आपके सामने पेश कर रहा हूँ।
ये उस समय की बात है जब मेरी शादी नहीं हुई थी और मेरी उम्र २७ साल थी।
एक दोस्त के माध्यम से एक मुस्लिम परिवार में आना जाना था। पाँच लोगों का परिवार था वो। पति सलीम ट्रक ड्राईवर जो ज्यादातर घर से बाहर ही रहता था जिसको मैंने कभी घर पर नहीं देखा और न ही उसकी शकल जानता हूँ। पत्नी शबनम, थोड़ा सांवला रंग पर कसा हुआ बदन ३४-२८-३६ उम्र उस समय ३६-३७, बड़ी लड़की शमीम उमर १८, रंग साफ़ ३०-२८-३४ दिखने में साधारण उससे छोटी बानो, और सबसे छोटा लड़का उम्र १० साल मैं एक बार उनके घर गया तो शबनम ने कहा कि घर मैं तंगी है इसलिए शमीम को कहीं नौकरी लग जाए तो अच्छा रहेगा। मैंने मेरे ऑफिस में उसको नौकरी पर रख लिया। मैं उस वक्त तक उनके बारे में कुछ भी ग़लत नहीं सोचता था।
करीब एक महीने तक उसने मेरे यहाँ काम किया उसके बाद २-३ दिन वो आई नहीं, मैंने भी ध्यान नहीं दिया, एक दिन मैं मार्केट मैं था तो मुझे शमीम जाती हुई दिखी। मैंने बाईक उसकी तरफ़ मोड़ी और उससे पूछा कि क्या बात है तुम ऑफिस नहीं आ रही हो?
तो उसने बोला कि तबियत ठीक नहीं थी, और अभी आप मुझे घर छोड़ दो।
मैंने उसे बाइक पे बिठा लिया, इससे पहले मैंने कभी उसे बाइक पर नहीं बिठाया था। उसके बैठते ही उसके मम्मे मेरी पीठ पर गडे। मेरा लंड खड़ा हो गया।उसका घर दूर था हम बात करते हुए चल रहे थे, रास्ते में सिनेमा हॉल आया तो मैंने उसे पूछा कि पिक्चर देखनी है ?
उसने हाँ कर दी। मेरा लंड तो खड़ा हो ही गया था सो उसे ठंडा करना जरूरी भी था। सिनेमा हॉल में मुश्किल से ३० लोग भी नहीं थे। हमने कोने की सीट पकड़ी और बैठ गए। पिक्चर चल रही थी कि मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने सिग्नल ग्रीन समझ कर धीरे से उसके मम्मों पर हाथ रख दिया उसने उसका भी कोई प्रतिवाद नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ गई, इधर पैंट में लंड कड़क होने लगा था।
मैंने धीरे -२ उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए उसे भी अच्छा लग रहा था। धीरे से मैं अपने हाथ उसके कुरते के अन्दर ले जाकर उसकी ब्रा के ऊपर और अन्दर से उसके निप्पल और गोलाई के मजे लेने लगा। पर दोस्तों ! मजा अभी भी अधूरा था।
तो मैंने धीरे से उसकी सलवार में हाथ डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ चलाने लगा। अब उसको भी मजा आने लगा था पर वो शायद पहल करने में अभी भी शरमा रही थी। मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड जो अब तक काफी तगड़ा हो चुका था बाहर निकल लिया
और उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपने लंड पर रख दिया, वो शायद इसका ही इंतजार कर रही थी।
इधर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल कर उसकी चूत में उंगली डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। वो भी मेरे लंड को अपने कोमल हाथ से सहला रही थी। मैं कभी उसके दूध दबाऊं और कभी उसकी चूत में उंगली डालूँ।
दोस्तों मुझे बिल्कुल भी अपनी तकदीर पर विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसे अकस्मात मुझे उस लड़की का सब कुछ मिल जाएगा जिसे मैंने कभी इस नज़र से देखा ही नहीं।
इधर उसके हाथ मेरे लंड पर कसावट के साथ चलते जा रहे थे और दूसरे हाथ से उसने मेरा हाथ जो उसकी चूत में था उसको पकड़ लिया और मेरे हाथ को वो अपनी चूत में तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगी। उसकी चूत ने थोडी देर में ही पानी छोड़ दिया जिसे उसने अपने रुमाल से पोंछ लिया। अब उसकी बारी थी मैंने उसे मेरा लंड मुंह में लेने के लिए बोला तो उसने ना कर दिया। फिर वो मेरी तरफ़ इस तरीके से मुड़ गई कि मैं उसके दूध पी सकूं मैंने उसके दूध पीने शुरू कर दिए, इधर उसने मेरे लंड पर अपना हाथ और तेज़ कर दिया जिससे मेरा पानी निकल जाए पर कमबख्त पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था।
फिर मैंने उसकी सलवार उतार कर घुटने तक कर दी और पैंटी नीचे खिसका कर उसे इस तरह से बिठाया कि उसकी चूत मेरे लंड के ऊपर आ जाए। मैंने उसे इस पोसिशन में बिठाकर नीचे से धक्के देने शुरू कर दिए मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक गया था, वो भी मेरे लंड के मज़े लेने लगी इधर मैंने अपने दोनों हाथों से उसके मम्मे दबाना और मसलना जारी रखा। करीब तीन मिनट की उछल कूद के बाद उसने अपनी गांड मेरे लंड पर दबा ली और मेरी जाँघों पर अपने हाथ कस लिए। मैं समझ गया कि ये अब जाने वाली है, मैंने भी अपना लंड उसकी चूत में गहराई तक डाल कर उसके मम्मे दबाते हुए अपना पानी निकाल दिया।
उसके बाद हमने अपने-२ रूमाल से अपने लंड और चूत साफ़ किए और सामान्य होकर बैठ गए। उसने बोला कि अब आप मेरे को घर छोड़ दो क्योंकि घर पर मेरा इंतज़ार हो रहा होगा। उसने मुझे ये भी बोला कि घर पर मत बताना कि हम पिक्चर गए थे। दोस्तों मुझे चुदाई का शुरू से ही बहुत शौक रहा है। अभी मैं चाहता हूँ कि नई चूत चोदने के लिए मिले ! अगली बार आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने शबनम और उसकी बेटी की एक ही पलंग पर रात भर चुदाई की। मेरी अगली कहानी का इंतज़ार करें ! Antarvasna
दोस्तो, मैं २४ साल का Sex Stories कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र हूँ। यह बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में हुआ करता था। मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई, उसका नाम पायल था। मैं अक्सर पढ़ाई में व्यस्त रहता था, वो मुझे गौर से देखती थी।
फिर हमारी नज़रें चार हुई और धीरे धीरे वो मेरे करीब हुई। फिर हमारा मेल जोल बढ़ता गया और हम काफी करीब हो गए।
एक दिन मैंने उससे कहा- मैं तुझसे प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ !
तो वो मुस्करा दी, मैंने उसके होंठो पर किस कर दी, वो शरमा गई।
मैं आगे बढ़ रहा था, मेरे हाथ धीरे धीरे उसके उरोजों तक पहुँच गए। वो ना ना करती और मैं और आगे बढ़ता रहा। मेरा हाथ अब उसकी पीठ से होता हुआ उसके निचले हिस्से तक पहुँच गया ।मेरे लौड़ा भी अब गरम हो रहा था। मैंने यह महसूस किया कि उसकी योनि भी अब गीली हो रही है।
फिर उसने कहा- अभी नहीं ! अभी मुझे जाना है ! अपन कल मिलते हैं !
अब वक़्त कट नहीं रहा था। रात भर सोना बहुत मुश्किल हो गया था, बार बार मेरी निगाहें घड़ी की तरफ थी कि कब सुबह हो और मेरी पायल से मुलाकात हो !
फिर सुबह हुई और हम मिले।
उसने आज बहुत सुन्दर कपड़े पहने हुए थे। उसके अन्दर से इतर की अच्छी खुशबू आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि वो भी पूरे मूड में आई है।
अब क्या था ! हम शुरू हो गए, किस का दौर चला और करीब आधे घंटे तक मैं उसे किस करता रहा और इस बीच उसके उरोजों को भी सहलाता रहा। वो काफी मज़े ले रही थी। फिर मैंने उसके उरोजों को उसके कपड़ों से आज़ाद कर दिया और जोर जोर से दबाने लगा।
उसके मुँह से कामुक सिसकियाँ निकलने लगी और वो भी मेरा भरपूर साथ देने लगी। फिर मैं आगे बढ़ा और उसकी योनि में अपनी एक उंगली डाल दी।
इस पर वो उछल पड़ी। फिर मैंने उसका पजामा उतार दिया और उसने मेरा पूरा साथ दिया। फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों पूर्ण रूप से निर्वस्त्र हो गए थे यानि हमारे बदन पर अब एक भी कपड़ा बाकी नहीं था।
दोनों पर मस्ती पूरे जोर पर थी। हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूमते रहे, चूसते रहे। फिर अचानक उसने उठकर मेरा लौड़ा अपने मुंह में ले लिया। वो शायद गरम लौड़े को ठंडा करने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसकी योनि पर अपना मुँह लगा दिया और जुबान से घुमा घुमा कर चाटने लगा। उसकी योनि से निकल रहा योनि-रस मुझे और भी कामुक बना रहा था। तकरीबन १५ मिनट के बाद मैंने उसे सीधा करके उसके योनि-द्वार कर अपना लौड़ा रख दिया।
अब उसके मुँह से भी कामुक सिसकियाँ निकल रही थी। वो धीरे धीरे मेरे कान में कहने लगी- अब बस भी करो ! अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, अपने लौड़े को मेरी योनि में डाल दो ना !
फिर मैंने धीरे से अपना लौड़ा उसकी योनि में डालना शुरू किया। मैं जानता था कि वो अभी औरत नहीं बनी है और उसकी योनि अभी टाइट है।
उसे बहुत दर्द हो रहा था। मैं धीरे धीरे अन्दर कर रहा था। जब मेरा पूरा लौड़ा अन्दर चला गया तो उसके मुख से जोर से चीख निकल गई। उसे काफी दर्द हो रहा था
फिर बाद में वो मेरा साथ देने लगी और मैं धक्कों के साथ साथ उसके उरोजों को भी दबा रहा था।
फिर तो हम दोनों स्वर्ग के सैर करने लगे। कई मिनटों के बाद उसका योनि-रस निकल गया। मैं भी जोर जोर से हांफ रहा था। उसके तीसरे पतन के बाद मैं ठंडा पड़ा
और हम दोनों ने फिर चार बार और संभोग किया और कई दिनों तक करते रहे।
आज भी मुझे वो दिन याद आते हैं तो मन गुदगुदा जाता है, क्या हसीन पल थे वो ज़िन्दगी के !
अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो मुझे मेल करना न भूलें ! Sex Stories
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