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Massage Girl in Seoni: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Seoni who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Seoni that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Seoni massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Seoni who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Seoni massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Seoni massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Seoni who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Seoni employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Seoni helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Seoni

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Seoni at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

आज मैं आपको अपना Sex Stories असली xxxi अनुभव सुनाने जा रहा हूँ उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आयेगा।

मेरा नाम रोहित है और मेरठ में रहता हूँ। यह जून के शुरू की बात है। तब मेरी परीक्षाएँ ख़त्म हो चुकी थी। मेरी इंग्लिश की मैडम बहुत सेक्सी हैं, उनका नाम शगुफ्ता है। वे अट्ठाईस वर्ष की हैं। उनका कद सवा पाँच फ़ीट, कसा शरीर है, उनकी चूचियाँ बहुत बढ़िया हैं और वो कपड़े भी ऐसे पहनती कि उसके जिस्म का कुछ हिस्सा नज़र आता, क्लास में आती उसके चुचूक खड़े होते थे। कसी कमीज़ पहनती और ब्रा भी कसी, तो चुचूक खड़े होने की वजह अपने निशान उस पर बना लेते। फिर पढ़ाई तो भाड़ ही में जानी थी। मैं रोज़ ख्यालों में उसके साथ प्यार करता।

खैर मैं इंग्लिश पेपर लेकर उसके घर पेपर पर विचार-विमर्श करने गया। कितनी खूबसूरत लग रही थी शलवार-कमीज़ में। उसकी कमीज़ थोड़ी छोटी थी। उनके घर में इतना शोर नहीं था। लगता था जैसे कोई भी न हो। उनके पति आर्मी में हैं, वो शायद कहीं गए हुए हों।

उन्होंने मुझ से कहा- मैं किताब लाती हूँ फिर देखते हैं कि तुम्हारा पेपर कैसा हुआ।

उन्होंने मुझे अपने कमरे से आवाज़ दी और कहा- यहाँ आ जाओ।
मैं चला गया।

किताब ऊपर वाली शेल्फ़ पर पड़ी थी कमरे में। उफ़ क्या सीन था- मैडम किताब को लेने के लिए ऊपर होतीं और उनकी शर्ट भी ऊँची हो जाती, उनकी कमर नज़र आती। मेरा तो उसी वक़्त खड़ा हो गया। मैं उनके पास गया और मैंने मजाक करते हुए कहा- मैडम, मैं आप को उठाता हूँ, आप किताब उतार लें।

और जो उत्तर मुझे मिला उसकी मुझे बिल्कुल भी आशा नहीं थी।
उन्होंने कहा- हाँ! ठीक है! मुझे तुम ऊपर उठाओ।
मैंने जल्दी में जवाब दिया- जी मैडम!
उन्होंने कहा- ठीक है आज मैं तुम्हारा जोर देखूं!

मैं तो चाहता ही यह था। मैं मान गया।

मैडम काफ़ी भारी थी मगर मैंने उन्हें उठा ही लिया। उनकी गांड मेरी पेट से लग रही थी, वो अभी किताब को ऊपर ढूंढ रही थी कि मुझसे पूछने लगी कि थके तो नहीं?

मैंने कहा- नहीं!

मैंने उसे थोड़ा सा नीचे किया और उसकी गांड अब मेरे खड़े हुए लंड के साथ लगने लगी। उसने कुछ भी नहीं कहा। इससे लग रहा था कि मेरी बरसों की खवाहिश पूरी होने जा रही है।

मैंने पूछा- मैडम, किताब मिली या नहीं?
उसने कहा- सबर करो!

मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उनकी कमीज़ के नीचे ले जाना शुरू किया। उनको लगा कि मैं थक गया हूँ और वो फिसल रही हैं।

खैर मैडम को लगने लगा कि मेरा लंड तो बस मेरी चड्डी फाड़ने लगा था।

उन्होंने फ़ौरन मुझे कहा- तुम मुझे उतार दो!
मैंने उन्हें जल्दी उसे उतार दिया। उफ्फ्फ! उनके खड़े चुचूक देखकर मेरे अन्दर करंट आ रहा था।

उन्होंने कहा- किताब नहीं मिल रही! मैं तुम्हारे लिए कुछ पीने को लाती हूँ! फिर ऐसे ही पेपर देख लेंगे।
मैं कहा- ओ के!

वो किचन में चली गई। मैं अब कमरे में अकेला था। मैंने अपने लंड को जल्दी हाथ लगाया और दबाया ताकि जल्दी ही मुठ निकले और मुझसे मैडम के साथ कोई ग़लती न हो जाये।

मैं अभी अपना लण्ड दबा ही रहा था कि मैडम शरबत लेकर आई। वो कब रसोई से निकली, कुछ पता नहीं चला।

उन्होंने मुझे लंड दबाते देख लिया, मैंने जल्दी अपने लंड पर से हाथ उठा लिया। किसी हद तक मैं भी चाहता था कि मैडम मुझे देखे।

वो एकदम से डर गई। मैडम ने मुस्कुराते हुए पूछा- यह क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- कुछ नहीं!

वैसे मैं भी कुछ खिसिया गया था। मैंने शरबत लिया और वो दरवाज़े की तरफ बढ़ी और दरवाज़ा बंद कर दिया।

मैंने हैरान होकर उन्हें देखा, उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरे पास आ कर बैठ गई। वो इतना पास बैठी कि मैं दूर नहीं हो सकता था। मैंने उनकी आँखों में देखा तो ऐसे लग रहा था कि अब वो सेक्स की तलाश में हैं। मैंने उनको छूना चाहा लेकिन डर रहा था।

उसके बाद उन्होंने मुझसे पेपर लिया और फेंक दिया और पूछा- तुमने पहले कभी किया है?
मैंने पूछा- क्या?
उन्होंने कहा- अंजान मत बनो!

मैं दिल ही दिल में खुश हुआ और उन्हें जवाब दिया- जी हाँ! एक बार!
उन्होंने पूछा- x, xx या xxxi
मैंने जानबूझ कर उनसे पूछा- इनका मतलब क्या है?
उन्होंने कहा- सिर्फ चूमा-चाटी, मसलना-रगड़ना या सब-कुछ?
मैंने फ़ौरन जवाब दिया- जी मैडम!

मुझसे बिल्कुल भी कण्ट्रोल न हुआ और मैंने उन्हें जल्दी से दोनों हाथों से पकड़ा और सोफे पर लिटा दिया और अधीर हो कर होंठों को चूमने लगा। उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और मैं गर्म हो गया। फ़िर फ्रेंच किस भी की। मेरा लण्ड तो पूरा सख्त हो गया।

उन्होंने मेरे मुँह पर बहुत चुम्बन लिए। उनके मम्मे तो शर्ट में भी थोड़े थोड़े नज़र आ रहे थे। वो भी गरम हो गए और मेरी चूमा-चाटी उन्हें और गरम करती गई। उन्होंने सोफा सख्ती से पकड़ लिया और मुझे करने दिया जो मैं करना चाहता था। मैंने उनकी शर्ट उतारी और अपनी भी। वो इतनी गरम हो चुकी थी कि लाल हो रही थी। मैंने उनकी सलवार उतारी और उनके बड़े बड़े चूतड़ों को दबाने लगा।

मेरा लंड भी गरम था और उसकी चूत भी गरम थी। बस मैंने उसकी ब्रा पीछे से खोली और उतार कर फेंक दी, मैडम के चुचे जैसे आजाद हो गए हों और ज्यादा खड़े हो गए। मैंने उनके चूचों को बहुत ज्यादा दबाया और चूसा। उफ्फ्फ! वे इतने स्वादिष्ट थे।

मैंने शर्ट-पैंट पहनी हुई थी। मैंने अपनी पैंट उतारी और अंडरवियर भी! और कहा- मैडम! प्लीज़ उल्टी हो जाएँ।

उन्होंने मुझसे कहा- चोदोगे मुझे?
मैंने कहा- अब कण्ट्रोल नहीं होता।

उनके मम्मे सोफे पर दब गए और मैं और अपना धैर्य खोते हुए मैडम की कमर पर चूमने लगा, उनकी कमर पर हाथ फेरा, उन्हें मजा आया। मैं उनकी कमर पर लेट गया और मेरा लंड उनकी योनि से छू गया। फ़िर सीधा करके उनके चुचूकों को चूसना शुरू किया और पैरों को ऊपर की ओर कर दिया और अपना लंड उनकी चूत में डाला।

क्या तंग योनि था। फिर भी मैंने आसानी से अंदर किया, थोड़ा गया और उन्हें मजा आया। वो आह ऽऽ.. ओह ऽऽ.. औरऽऽ और ऽऽ जैसी आवाजें निकाल रही थी। मैंने और जोर लगाया और पूरा लंड अन्दर डाल दिया, वो चीखी लेकिन उन्होंने मुझे नहीं रोका। मैंने अब अंदर-बाहर, अंदर-बाहर करना शुरू किया।

मैंने उन्हें 20-25 मिनट चोदा, मेरा वीर्य निकल आया और मैडम का भी .. उफ्फ्फ्फ़ क्या दिन था । मैंने सोचा भी न था।

मैडम ने मुझे कहा- अब तुम चूचों के बीच में डालो!

अपना लंड मैंने चूचों के बीच में रख कर आगे-पीछे किया। मुझे बहुत मजा आया। मैंने उनके पूरे जिस्म पर चूमा-चाटी की और फिर कपड़े पहने।

फ़िर एक जोरदार चुम्मा लेकर पूछा- मैडम आप चाहती हैं कि मैं फिर आऊँ?
मैडम ने कहा- हाँ! मुझे अपना फोन नंबर दो! जब घर पे कोई नहीं होगा तो तुम्हें बुलाऊँगी।

मैंने कहा- ठीक है ।
मगर उन्होंने यह भी कहा- तुम मुझे फोन नहीं करोगे!
मैंने कहा- ठीक है!

मैंने अपना मोबाइल नंबर दिया।
अब तक मैं उनके साथ तीन दफा कर चुका हूँ।

आपको मेरी xxxi कहानी पसंद आई या नहीं… बताना ज़रूर! Sex Stories

Sex Stories

हाय दोस्तों!

यह मेरी पहली कहानी है, मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ने बहुत मजा आता Sex Stories है मेरा नाम सुरेश है गोंडा में मेरा घर है एक बार मैं अकेले घर पर था उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था मैं सेक्सी बुक देख रहा था मेरा लंड खड़ा था मेरे घर का दरवाजा खुला था तभी पड़ोस में रहने वाली आंटी जी अन्दर आ गयीं और मुझे लगा कि कोई आ रहा है मैं ने शीशे में देख लिया कि आंटी खड़ी मुझे देख रही थी

मैने अपना मोटा लाल और चिकना लंड अपने हाथ में पकड़ रखा था मैने कुछ नहीं पहना था एक दम नंगा था आंटी बहुत ध्यान से देख रही थी मैं ने लंड को और ऊपर कर दिया अब आंटी को मेरा लम्बा लंड साफ़ दिख रहा था वो मस्त हो रही थी बहुत देर देखने के बाद वो आगे आकर पीछे से आकर पकड़ लिया मैं खड़ा हो गया तभी मेरा लंड आंटी के पेट में गड़ने लगा तभी वो देख कर बोली कि कितना सेक्सी है तुम्हारा और झट से पकड़ लिया वो बोले तुम भी प्यासे हो और मैं भी चलो दोनो की प्यास बुझ जायेगी

मैने कहा क्यों अंकल आप को नहीं करते है वो बोली कभी नहीं मैने कहा मैं तैयार हूं। आंटी बोली क्या करने के लिये, मैं शरमाया, तभी वो बोली चोदने के लिये। फिर मैं आंटी को गोद में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और कपड़े उतारने लगा सच में उनकी चूची एक दम कड़ी थी मैने दबाना शुरु किया वो एक दम मदमस्त हो रही थी जब मैने उनकी चूत में उंगली डाली तो इतनी गरम थी कि मैं बता नहीं सकता आंटी बोली पहली बार तो जल्दी चोद दो दोबारा आराम से चोदना मैं भी ताव में था अपना लंड आंटी की चूत पर रख दिया धीरे धीरे चूत में डालने लगा आंटी को दर्द हुआ, आवाज़ निकाल रही थी आह आआहह अहह ओहो होहह्हूऊऊ मैने ५-६ धक्के में लंड को अन्दर कर दिया और धक्के मारने लगा, पहले धीरे धीरे फिर तेज़ और तेज़ और फिर खूब जोर जोर से धक्के मारने लगा आंटी एक दम नशे में थी बोली एतनी अच्छी चुदाई कैसे कर लेते हो मेरे पति तो कभी करते नहीं जब करते भी हैं तो उनका लंड इतना छोटा है कि मेरी चूत में जाता ही नहीं।

मैं धक्के मारता जा रहा था आंटी बोली पहली बार तो ऐसे ही जल्दी जल्दी चोद दिया है, अब भरपूर मजा दुंगी तुमको कि तुम मस्त हो जाओगे। मैं आंटी को चोदता रहा फिर लंड को चूत से बाहर निकाल कर चूत को देखने लगा और सहलाने लगा, आंटी बोली पहली बार चूत देख रहे हो, मैने कहा हाँ आज़ मैने चूत देखी पहले फोटो देखता था आज़ सामने है आप की चूत तो बहुत रसीली है बहुत रस निकल रहा है, वो बोली जब से तुम्हारा लंड देखा है तभी से पानी निकल रहा है और मेरा मन कर रहा था के झट से पकड़ कर मुँह में डाल लूं और सारा रस पी जाऊं। आंटी बोली कि इस बार चोद दो फिर तुम मेरी चूत चाटना। मैं तुम्हारा मोटा लंड पीउंगी।

मैने आंटी की चूत से थोड़ा सा रस निकाल कर अपनी लंड पर लगाया और फिर चूत में डाल दिया आंटी आआहह्ह ऊह्ह करती रही मैने स्पीड तेज़ कर दी और तेज़ कर खूब तेज़ कर दी आंटी के ऊपर लेटा रहा और आंटी को झड़ने लगी थी तभी आंटी बोली स्पीड और तेज़ करो मैं झड़ने वाली हूं, मेरी चूत का रस निकलने वाला है। मैने स्पीड और तेज़ कर दी तभी आंटी ने मुझे कस के पकड़ लिया। मैने भी आंटी को कस के पकड़ लिया दोनो झड़ गये थे। मेरे लंड का रस आंटी की चूत में गिर रहा था मुझे बहुत मजा आया। Sex Stories

प्रेषक : प्रेम Antarvasna Sex Stories

मेरी नौकरी एक घर Antarvasna Sex Stories में लग गई थी। मैं यहाँ घर का सारा काम करता था, मसलन- भोजन पकाना, घर की साफ़ सफ़ाई रखना आदि। यूँ तो मैं एक पढ़ा लिखा लड़का हूँ पर पढ़ाई में रुचि नहीं होने के कारण मेरे अच्छे नम्बर नहीं आते थे, जैसे तैसे बी कॉम करने के बाद मैं गांव से शहर आ गया था। मैं एक छह फ़ुटा, हट्टा कट्टा, गोरे रंग का जाट जवान हूँ, सवेरे कसरत करना मेरा शौक था। अच्छी नौकरी के लिये लिये मैंने यहां वहां प्रार्थना पत्र डाल रखे थे।

जिस परिवार में काम करता था, वहाँ परिवार के नाम पर बस मियां-बीवी ही थे। नया घर था, आधुनिक सामान सज्जा से युक्त था। मैं यहाँ मन लगा कर काम करता था। मेहता साहब का स्वयं का एक कारखाना था। मेरा नौकरों वाला एक मकान का छोटा सा सेट था, जो चारदीवारी में पीछे की ओर बना हुआ था। रात को सोने से पहले मैं घर चेक करता था, सभी ताले वगैरह ठीक से बन्द हैं या नहीं, देख भाल करके ही सोने जाता था।

मेहता साहब और रूपा मेमसाब में झगड़ा बहुत होता था, नतीजन वे दोनों अलग अलग कमरे में रहते थे और अलग ही सोया करते थे। रूपा मेमसाब का कमरा पीछे था, उनका दरवाजा और खिड़की एक लाईन में थे और वो मेरी भी खिड़की के सामने थे। रूपाजी का कमरा बाहर की ओर मेरे क्वार्टर की तरफ़ भी खुलता था, पर वो रूपा जी अन्दर से बन्द रखती थी। खिड़की खुले होने पर मुझे अन्दर सब साफ़ दिखाई देता था। जाहिर है रूपा जी को भी अपनी खिड़की से भी मेरा कमरा दिखाई देता होगा।

रात को कई बार मैं बाहर उनकी खिड़की में झांक कर रूपा जी के रूप का लुफ़्त उठाया करता था। मैंने उन्हें कितनी ही बार अर्धनग्न अवस्था में देखा था। एक बार तो पूरी नंगी भी देख लिया था। जाने क्यूँ कभी-कभी मुझे लगता था कि जब वो नग्नावस्था में होती हैं तो जानबूझ कर खिड़कियाँ ठीक से बंद नहीं करती। तो क्या, वो मुझे दिखाने के लिये ऐसा करती हैं ? उनका रूप-लावण्य देखकर मैं खो सा जाता था, उनके भारी स्तन सीधे तने हुए, पतली कमर और भारी कूल्हे उसे सेक्सी बनाते हैं। मुझे कितनी बार इस कारण उत्तेजना भर आती थी और मैं मुठ मारने लगता था।

झगड़े के कारण उनमें शारीरिक सबंध भी नहीं था। इसका कारण मुझे पता चला कि यह सब एक अन्य युवती की वजह से था।

आज शाम से ही रूपा जी के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। मैं अपना खाना तैयार करके वहाँ काम करने चला गया। शाम का भोजन बना कर, मेमसाब का भोजन ट्रे में सजा कर उनके कमरे में रख आया था। रूपा जी बिस्तर पर पड़ी बस यूँ ही शून्य में ताक रही थी।

“राम जी, कितना अकेलापन लगता है…!”

“जी मेमसाब ! आप कहें तो मैं आज शाम को आपको झील के किनारे घुमा लाऊँ ?”

“हाँ, चल … कहीं भी चल… गाड़ी निकाल !”

उनकी रोज की राम कहानी का टेप एक बार फिर से चल पड़ा। रास्ते भर वो मेहता साहब को गालियाँ देती रही। रात के दस बजे तक यहाँ-वहाँ घूमने के बाद घर आ गये। तब तक साहब भी आ चुके थे। मैं अपने कमरे में चला आया। साहब का दारू पीने का दौर आरम्भ हो गया था। तभी मेरे क्वार्टर के कमरे में रूपा जी आ गई। आज का बना हुआ मेरा खाना, उन्होंने अपने कमरे में मंगवा लिया। मुझे आश्चर्य हुआ।

“आज मेरे साथ ही खाना खा लो … !”

“पर मेरे भोजन में मिर्च मसाले तेज होते हैं !”

“वही तो खाना है ना…”

मैं नीचे बैठ गया और वो सी सी करके मेरे खाने का लुफ़्त उठाती रही। बीच बीच में वो ललचाई नजरों से मुझे देखती भी जा रही थी। लगता था कि वो आज मूड में हैं। उसने अपने हाथ साफ़ किए और मेरी तरफ़ मुस्करा कर कहने लगी,”कल रात को, राम जी, तुम कुछ गड़बड़ कर रहे थे ना…?”

उसके अचानक इस हमले से मैं घबरा गया।

“नहीं तो मालकिन…!”

“मैंने कल रात को तुम्हें मुठ मारते देखा था, तुम्हारा है तो सोलिड !” उसकी वासना भरी आवाज मुझे लुभा रहा थी।

“यह क्या कह रही हैं आप… अब जवानी में ऐसा हो ही जाता है !” मैंने सरल सा जवाब उसे आगे बढ़ने के दे दिया।

“राम जी, बस एक बार अपना लण्ड निकाल कर… बस एक बार मुठ मार दो मेरे सामने !”

मैं रूपा जी की बात सुन कर चकरा गया। ऐसी भाषा तो हम लोग बोलते थे। क्या उन्हें अपनी मर्यादा का ख्याल नहीं है? और यह मुठ मारने की बात … लण्ड की बात…। मैं शरमा गया, पर गर्म भी हो गया, भला ऐसे कैसे लण्ड निकाल कर मुठ मार दूँ।

“रूपा जी, आप कैसा मजाक करती हैं ?” लण्ड बाहर निकालना और फिर मुठ मारना ?

“तू इतनी बार मुझे नंगी देखता है तो मैंने तुझे कभी कुछ कहा क्या ?” एक और प्रहार हुआ।

मैं फिर से चौंक गया। मेरी हर बात पकड़ी जा चुकी थी। मैंने सर झुका लिया फिर सोचा शायद रुपा जी मेरे साथ सेक्स का मजा लेना चाहती है … सोचा … चलो इसमे हर्ज ही क्या है?

“जी, पर मेरी इतनी हिम्मत कहाँ … फिर शरम भी आती है”

“मर्द होकर शर्म … चल ना राम जी … कर ना … उतार दे यह पजामा !”

मैंने खड़े हो कर पजामा खोल दिया, फिर फ़टी हुई चड्डी भी उतार दी। पर डर के मारे मेरा लण्ड और भी सिकुड़ गया था।

वो हंसती हुई बोली,”अरे, यह तो मूंग्फ़ली जैसा हो गया है … उस दिन तो बहुत लंबा और मोटा नजर आ रहा था?”

“बस मेम साब, मुझे जाने दो … मुझसे नहीं होगा यह सब…” सच मानो तो मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी। वो लपक कर मेरे पास आ गई।

“नाराज हो गये … लाओ जरा मैं देखूं तो !”

उसने मेरे सिकुड़े हुये लण्ड को हिलाया, मुझे जैसे बिजली का झटका सा लगा। लण्ड अब थोड़ा सा ढीला सा होकर लम्बा हो कर उसके हाथ में आ गया। अचानक यह हमला मुझे सपने जैसा लग रहा था। वो प्यार से लण्ड सहलाने लगी। जैसे सोता शेर जाग गया हो। मेरा लण्ड खड़ा हो कर कड़क हो गया।

“देखा, कड़क है साला … चल अब मार मुठ … मैं सामने बैठी हूँ !” वो भी लण्ड का आकार देख कर खुश हो गई। मुझे भी आंतरिक खुशी सी लगी। मैंने अपना लण्ड मुठ में भर लिया और हौले हौले से आगे पीछे चलाने लगा। रूपा जी की सांसें भी यह देख कर तेज हो उठी। उसकी छाती जैसे फ़ूलने पिचकने लगी। आखे नशीली हो गई। मुझे लगा कि तेजी से करूंगा तो वीर्य छूट जायेगा, सो मैंने धीरे से सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और अंगुलियों से लाल टोपी को सहलाने लगा।

रूपा के मुख से आह निकल पड़ी। मेरे मुख से भी सुख की सिसकारी निकल गई। तभी रूपा ने अपना ब्लाऊज खोल दिया और ब्रा नीचे खींच कर अपना एक चुचूक मसलने लगी। यह देख कर मेरा हाल और भी बुरा हो गया, लगा कि चूचियों को हाथ से पकड़ कर भींच डालूँ।

तभी उसने अपनी साड़ी उतार दी और पेटीकोट ऊपर कर लिया। उसने अपनी पेन्टी उतार दी और अपनी चूत मेरे सामने ही नंगी कर ली। वो तो जो मन में आ रहा था, करती जा रही थी। अपने इस कृत्य में वो जबरदस्त वासना मह्सूस कर रही थी और रोमांचित भी होती जा रही थी।

“हाँ हाँ… और मार मुठ … मेरे राजा … हाय रे … मार ना…” वो जैसे मदहोश हो गई थी। उसे अपने तन का भी होश नहीं था। उसकी चूत और चूचियाँ सभी कुछ तो उघाड़ कर रखा था उसने।

“मेम साब , यह मत करो … हाय छुपा लो उसे…” ये सब मेरे में एक अद्भुत सा रोमांच भर रही थी।

“नहीं रे देख इस चूत को … और मुठ मारता जा…” उसने चूत की पलकों को अन्दर से गुलाबी रंग दिखाया। मुझे लगा कि लण्ड को उसमे घुसेड़ ही डालूँ।

“मेरा निकल जायेगा मेमसाब !”

मैं बदहाल हो गया था यह सब देख कर। मुझसे इतना सारा खेल सहा नहीं जा रहा था। अपने आप को झड़ने से रोक नहीं पाया और तेजी से लण्ड की धार निकल पड़ी। वीर्य स्खलित होते ही मुझे शरम सी आ गई अपनी इस कमजोरी पर।

पर रूपा ने और बढ़ावा दिया,”राम जी… फिर से मसल डालो लण्ड को … और मारो मुठ… इसे आज सोने मत दो !”

वो भी अपनी चूत खोल कर कभी चूत में दो अंगुलियाँ घुसेड़ती, कभी अपने मटर जैसे दाने को सहलाती। मेरा लण्ड उसे देख कर ही वापस अंगड़ाई ले कर जाग खड़ा हुआ और फिर से अकड़ गया। पर इस बार मैंने सोच लिया था कि इस तड़पती हुई नारी की चूत में बस लण्ड ही चाहिये। मैं भी क्यूँ लण्ड पर जुल्म करूँ ?

मैं धीरे से चल कर उसके समीप आ गया। रूपा जी के सर पर प्यार से हाथ फ़ेरा, उसके बालों को सहलाया। उसकी प्यासी नजरें जैसे ऊपर उठी और मुझसे जैसे चुदने की विनती करने लगी। मैंने उसके कंधो को पकड़ा और धीरे से बिस्तर पर लेटा दिया। वो अपने पांव फ़ैला कर लुढ़क गई। मैं उसकी छाती के पास आ गया और लण्ड को उसके अधरों से छुला दिया। उसका मुख अपने आप ही खुल गया और मेरा लण्ड उसमें समाता चला गया।

“मेम साब माफ़ करना … आपका ही लण्ड है, जब चाहें हाज़िर हो जायेगा !”

“ओह राम जी … मेरे राजा …” और जोर जोर से लण्ड चूसने की आवाज आने लगी। मेरा सुपाड़ा फ़ूल के कुप्पा हो गया। चपड़ चपड़ की मधुर गूंज मुझे मस्त करने लगी।

“राम जी, अब मेरी चूत को भी चूस डालो… मजा आ जायेगा राजा…”

मैंने लण्ड उसके मुख से निकाल लिया और चूत के पास आ गया और चूत के पास झुक गया। एक मधुर सी चूत की भीनी भीनी खुशबू नथनो में भर गई। उसका दाना मटर जैसा बड़ा था, जीभ लगाने से वह और भी कड़ा हो गया। वो आनन्द से सिसकने लगी … मैंने उसकी चूत को चाटना और चूसना आरम्भ कर दिया। दाना भी अछूता नहीं रहा। वो आनन्द से जैसे छटपटा उठी।

मैंने रूपा को उल्टी करके लेटा दिया और लन्ड को उसके चूतड़ों की दरार में घुसेड़ दिया। दूसरे ही क्षण उसके मुख से सीत्कार निकल गई। लण्ड गाण्ड में घुस चुका था। मैंने पीछे से उसे जोर से जकड़ लिया और उसकी चूचियाँ दबा दी। जोर लगा कर लण्ड और घुसेड़ा, उसको दर्द सा महसूस हुआ। पर बस मैंने इतना ही घुसाया और अन्दर बाहर करने लगा। धीरे धीरे जगह बनाता हुआ लण्ड अन्दर भीतर तक पूरा ही घुस गया था। रूपा अब भी जोर की सिसकारियाँ भर रही थी। उसकी आहों से यह नहीं पता चलता था कि वो दर्द भरी आह है या आनन्द की है। शायद काफ़ी समय के बाद चुदाने का आनन्द था यह !

मैं उससे लिपट कर उसकी गाण्ड मारता रहा और वह आनन्द में लिप्त हुई सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने रूपा को फिर से पलट दिया और सीधा कर लिया। उसकी नशीली आंखें जैसे मुझे अपने बस में कर लेना चाहती थी।

“आई रे … राम जी धीरे से, बहुत मोटा है … आह अच्छा घुसा दो…”

मेरा लण्ड गाण्ड में ले लेने के बाद मुझे लगा कि चूत तो बनी ही लण्ड के लिये है… फिर तकलीफ़ कैसी…। मैं धीरे से लण्ड चूत की गहराईयों में उतारने लगा। रूपा ने अपने चक्षु बन्द कर लिये। लण्ड थोड़ा लंबा था सो कहीं गहराई में जा कर किसी अंग से टकरा गया। मैं अब धीरे धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा। उसकी गीली चूत ने इसमें सहायता की और लण्ड फ़िसलन भरी राह में तेजी से बढ़ चला।

उसकी चूत भी अब ऊपर-नीचे उछलने सी लगी थी। कुछ ही देर में हम दोनों पूरे जोश में तेजी से चुदाई कर रहे थे। ताल से ताल मिला कर हम दोनों का हर अंग चल रहा था। मैंने झुक कर उसके अधरों को अपने अधरों से भींच लिया। उसने भी अपनी जीभ से जैसे मेरा मुख चोद दिया। अन्तरंग भावनाओं में बहते हुये हम चरम बिन्दु की ओर बढ़ने लगे। एक दूसरे में समाये हुये, दोनों शरीर एक ही लगने लगे। मेरे शरीर का सारा रस जैसे लण्ड की ओर बहता सा लगा। लण्ड में गजब की मिठास भरने लगी। लण्ड का चूत पर जोर बढ़ गया।

तभी रूपा का जिस्म जैसे सिहर सा गया। उसकी चूत में जैसे लहरें उठने लगी। उसका रतिरस सीमायें तोड़ कर फ़ूट पड़ा था। वह झड़ने लगी थी। मेरा लण्ड भी वासना का तूफ़ान लिये अपनी सीमायें लांघने लगा था। मैंने लण्ड निकालने की कोशिश की पर रूपा ने मुझे कस कर जकड़ लिया था।

“राजा … निकाल दो … मेरी चूत में ही निकाल दो अपना माल … हाय मेरी मां…”

“आह्ह्ह्ह, मेम सा … निकल रहा है … उफ़्फ़्फ़्फ़्… हाऽऽऽऽऽऽऽ”

मेरे मुख से आनन्द भरी जैसे चीत्कार सी निकल पड़ी। लण्ड उसकी चूत में भरता चला गया। कुछ ही समय में जैसे सारा नशा उतर गया। हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गये। अपने इस कृत्य पर पहले तो मुझे बहुत शर्म सी आई पर रूपा ने मुझे हंस बोल कर मेरा संकोच मिटा दिया।

“देखो राजा जी…”

“जी ! राम जी… है मेरा नाम !”

“आ जाया करो रात को हमारे पास …”

“जैसा आप कहें … आप बहुत अच्छी हैं मेमसाब जी…”

“यह लो रुपये और अपने लिये नये कपड़े और खुशबू भी ले आना… जरा स्टाईल मारा करो !”

मैंने लपक कर पैसे ले लिये। बस उसके बाद तो मेरी काया बदल गई। दिन को तो मैं नौकर था और रात को रूपा जी का प्रेमी।

कुछ दिनों बाद मुझे रूपा जी ने मुझे अपने कारखाने में सुपरवाइजर रख लिया। पर घर वही रहा।

मैं आज भी रूपा के घर काम, ऑफ़िस का काम और रूपा जी का व्यक्तिगत सेवक के रूप में कार्य कर रहा हूं, वो बात अलग है कि रूपा जी के साथ अब उनकी सहेलियाँ भी इस सेवा का लाभ उठाती हैं। रूपा जी मुझे अब राम जी सेवक कह कर पुकारने लगी थी। इस नाम का मतलब बस रूपा जी और उसकी सहेलियाँ ही समझती थी।

पर हाँ, जब वो सभी मुझे सेवक कहती थी तो उनके स्वर में एक कसक होती थी और चेहरे पर एक मतलब भरी मुस्कान ! Antarvasna Sex Stories

प्रिय पाठको, मेरा नाम निहारिका है और मैं कोलकाता से रहने वाली हूँ.
मेरी उम्र 23 साल की है और मैं देखने में बेहद मस्त व ख़ूबसूरत हूँ. मैं एक प्राइमरी स्कूल में टीचर हूँ.

मैं अपनी सच्ची Xxx साली जीजा सेक्स कहानी शेयर करने जा रही हूँ. मेरी हिंदी की भूल को माफ़ कीजिएगा.

मेरी एक बड़ी दीदी हैं, जो मुझसे 4 साल बड़ी हैं और उनकी शादी हो चुकी है.
मेरी दीदी हमारे घर से एक घंटे की दूरी पर रहती हैं, इसलिए अक्सर हमारा आना जाना लगा रहता है.

मेरी दीदी की लाइफ अच्छी और सुखद है. जीजा जी एक बड़ी आईटी कंपनी में काम करते हैं. वे दिखने में अच्छे और काफी आकर्षक व तगड़े हैं.
ये बात मेरी दीदी की शादी के 3 साल के बाद की है. उस वक़्त मैं 20 साल की थी.

हमारे यहां एक फंक्शन में सब लोग आए हुए थे, तो दीदी और जीजा जी भी आए हुए थे.

मेरे जीजा जी अक्सर मुझसे मजाक करते थे और नॉटी बातें करते थे.
मैं अक्सर उनकी नॉटी बातों को नजरअंदाज कर टाल देती थी.

चूंकि हमारा रिश्ता भी जीजा साली का था तो उनका मजाक करना बनता था.
दीदी भी कुछ नहीं बोलती थीं.

मैं उस वक़्त जवान और अल्हड़ थी और सच बोलूँ, तो जीजा जी पर भी मेरा थोड़ा क्रश था. दूसरी ओर जीजा जी भी मुझ पर थोड़ा फ़िदा से थे.
वे मुझ पर फिदा होते भी क्यों न,
आखिर मैं इतनी मस्त माल जो हूँ.

मेरा फिगर 32-28-34 का था और मैं बेहद गोरी हूँ.
बहुत सारे लड़के मेरे पीछे पड़े थे, पर मुझे कोई जँचता ही नहीं था.

जीजा को देख कर लगता था कि इनके जैसा कोई मिले तो बात बने. बस इसी वजह से जीजा जी मुझे अन्दर ही अन्दर कुछ लव सा हो गया था.

खैर … इन सब बातों को छोड़ कर मैं सीधा अपनी जवानी की वो मदमस्त सेक्स कहानी आप सब पाठकों को सुनाती हूँ, जिसके आपके सामान भी गीले हो जाएं.

दरअसल ये बात 2019 की है. हमारे यहां जो समारोह था, उसकी तैयारी के लिए दीदी ने मुझे और जीजा जी को कुछ सामान लाने बाजार भेजा.

मैं उनके साथ अपनी स्कूटी से चली गई. स्कूटी को मैं चला रही थी और जीजा जी मेरे साथ पीछे बैठे थे.

उस दिन मैं पार्लर से आई थी और बहुत खूबसूरत लग रही थी.

मैंने एक पीली साड़ी पहनी थी.
जीजा जी अक्सर कहते थे कि मैं साड़ी में बहुत खूबसूरत दिखती हूँ.

फिर घर में जिस तरह का समारोह था, तो कुछ पारंपरिक ही पहनना था.
बस उसी वजह से मैंने ये साड़ी पहन ली.

जीजा जी भी मुझे देखे जा रहे थे.
मुझे भी अच्छा लग रहा था.

साड़ी को मैंने बहुत ही अच्छे से बांधी थी.
मेरा ब्लाउज भी बैक लैस था.
और शिफॉन साड़ी पहने होने से मेरा पेट थोड़ा सेक्सी सा नजर आ रहा था.

साड़ी को भी मैंने नाभि से नीचे बांधी थी, तो मेरी गहरी नाभि भी कामुक नजर आ रही थी.

मैं स्कूटी चला रही थी और जीजा जी पीछे बैठे थे.
रास्ते में एक गाय बीच में आ गई, मैंने अचानक से ब्रेक लगा कर स्कूटी रोकी तो जीजा जी मेरे ऊपर ही ढह गए और चिपक से गए.

उन्होंने मेरी कमर पकड़ ली.
उस वक़्त तो मुझे अहसास नहीं हुआ, क्योंकि रास्ते की भीड़ भाड़ में ध्यान नहीं गया, पर दस सेकंड बाद मुझे लगा कि मेरे जीजा जी मेरी नंगी कमर पकड़े हुए हैं.

मैं कुछ नहीं बोली और गाड़ी चलती रही.
मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था और कुछ पल के लिए घबराहट सी भी लगी, लेकिन फिर मुझे अच्छा लगने लगा.

आखिर पहली बार जीजा जी ने मुझे छुआ था.
रास्ता थोड़ा लम्बा था और मैं भी स्कूटी को धीरे धीरे चला रही थी.
जीजा जी अब भी मेरी कमर पकड़े हुए ही थे.

मैंने भी कुछ नहीं बोला.
गाड़ी चलाते चलाते मैंने महसूस किया कि उनका हाथ मेरी साड़ी के पल्लू के और अन्दर आ रहा है. अब उनका हाथ मेरी नाभि पर था.

मुझे मेरी नाभि पर छूने से बहुत अच्छा और कामुक सा लगता है; मैं मदमस्त हो जाती हूँ.

कुछ 30 मिनट बाद हम अपनी जगह पर पहुंचे और सामान लेकर वापस आने लगे.

जीजा जी ने रास्ते में मुझसे कहा- आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो.
मैंने उनसे थैंक्यू कहा.

उन्होंने आगे बोला- अगर मेरी तुम्हारी दीदी से शादी न हुई होती, तो मैं तुमसे ही शादी करता, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.

उनकी इस बात पर मैं शर्मा गई.
मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था, दिल धक धक करते हुए जोर से धड़क रहा था.

मुझे लगा कि मैं अगर और देर तक गाड़ी चलाई तो कहीं ठोक न दूँ.
इसी को ध्यान में रख कर मैंने एक खाली सी जगह देख कर गाड़ी रोक दी.

जीजा जी ने पूछा- क्यों रोकी गाड़ी?
मैं कुछ बोल नहीं पा रही.

मैंने कहा- आप चलाइए.
उन्होंने मेरी हालत देख कर समझ लिया और मुझसे गाड़ी ले ली.

तभी मुझे न जाने क्या हुआ कि मैंने गाड़ी पर बैठने से पहले उन्हें होंठों पर किस कर लिया.
यह देख वे भी भौंचक्के से रह गए.

आखिर मैंने उनसे कह ही दिया कि आप मुझे बहुत पसंद हैं और मुझे ख़ुशी है कि आप मेरे जीजा जी हैं.
वे मुस्कुरा रहे थे.

उस दिन अगर हम रास्ते में न होते तो मेरी जवानी के मज़े तो मेरे जीजू उसी वक़्त ले लेते.
पर परिस्थितियां वैसी न थीं और हमें जल्दी घर आना था तो हम आ गए और घर पर अपने कामों में लग गए.

उस दिन के बाद से जीजू मुझे जब भी अकेला पाते, तो मेरे पास आकर मुझे धीरे से गले लगा लेते या चूम कर भाग जाते.

अब हम दोनों को एक दूसरे के जज्बात पता चल चुके थे तो हम दोनों भी अच्छे से एक दूसरे से मिलने की अपनी तैयारी में लग गए.

यह तैयारी जीजा जी कर रहे थे.

उस दिन के बाद से हम दोनों जब भी हम दोनों खाली होते, तो अक्सर मोबाइल पर, व्हाट्सऐप पर घंटों बातें करते.

वीडियो कॉल पर मैं नंगी होकर उन्हें अपना जिस्म दिखा कर और ज्यादा उकसाने लगी थी.

उस वक़्त मैं कॉलेज में मास्टर्स की डिग्री की तैयारी कर रही थी तो मुझे कोचिंग की आवश्यकता हुई.

जीजा जी ने मुझे एक कोचिंग के बारे में बताया.
यह कोचिंग उनके घर से आगे जाने वाले रास्ते में थी.

उन्होंने मुझसे वहां दाखिला लेने को कहा.
घर में भी सबने मान लिया.
मैं भी खुश थी.

कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद मैं जीजा जी के साथ आना जाना करने लगी, उनकी बाइक पर ही मैं आती जाती.

एक दिन मैंने प्लान बनाया.
उस दिन मैं एक कोचिंग की एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना कर जीजा के साथ निकल पड़ी.

उन्होंने हमारे लिए एक दूर के होटल में कमरा बुक करा रखा था.
हम दोनों वहां कोचिंग जॉइन करने के समय तक पहुंच गए.
अब हमारे पास शाम तक का समय था.

हमने नाश्ता आर्डर किया जो रूम में ही आ गया.
उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के आलिंगन में हमबिस्तर थे.

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.

मैंने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े बदल लिए जो मैं अपने साथ लेकर आई थी.
बाथरूम से बाहर आते ही जीजा ने मुझे हग कर लिया.
मैं एक छोटा सा टॉप और हॉट पैन्ट्स में थी.

मेरा टॉप मेरी कमर के ऊपर तक आ रहा था जिससे मेरी नाभि दिख रही थी.
नीचे मेरी सेक्सी जांघें जीजा जी के लंड को अकड़ा रही थीं.

जीजू ने मुझे गोद में उठा लिया और किस करने लगे.
मैं आहें भरने लगी.

फिर मैंने उनका कुर्ता खोला और पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया.
उन्होंने भी मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे टॉप को खोल दिया.

मैं अब एक ब्लैक ब्रा और पैन्ट्स में थी.

जीजू मेरी गर्दन को किस करने लगे.
मैं जोर जोर से आहें और सिसकारियां लेने लगी.

फिर उन्होंने ब्रा के ऊपर से ही मेरे दोनों स्तनों पर किस किया और ब्रा खोल दी.
अब वे पागलों के जैसे मेरी चूचियों को बड़ी बेरहमी से जोर जोर से मसल रहे थे.

मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी आ रहा था.

फिर उन्होंने मेरे एक दूध पर काट लिया तो मैं चीख पड़ी.
पर उन पर कोई असर नहीं पड़ा था वे जोर जोर से चूसते और काटते रहे.

उनके प्यार की निशानी मेरे स्तनों पर बन गई थी.

मेरी ब्रा खोलने के बाद जीजू ने मेरी पैन्ट्स खोल कर फेंक दी. मैं अब सिर्फ अपने ब्लैक पैंटी में थी.
वह मेरे सपाट पेट पर किस करने लगे और मैं पागल हो रही थी.

उनकी जीभ मेरी नाभि में आ लगी और बस मैं चहक उठी.
उन्होंने मेरी नाभि में जीभ को भीतर तक डाल कर किस किया.

मेरी नाभि बहुत गहरी है.
जब उन्होंने अपना मुँह लगाया तो मेरी सांस अन्दर चली गई और नाभि और गहरी लगने लगी.

वह नाभि पर चूमते हुए मेरी फुद्दी को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगे.

अब तो मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था.
उन्होंने हल्के हल्के लव बाइट मेरे पेट पर नाभि के आस पास भी दिए, जैसे बूब्स पर दिए थे.

फिर मैंने खुद ही अपनी पैंटी को उतार कर फेंक दिया.
अब मैं अपने सेक्सी जीजू के सामने पूरी नंगी थी.

वे मुझे निहार रहे थे और अपना मोटा सा लंड सहला रहे थे.

उनका मोटा लंड देख कर मैं डर रही थी.

वे बोले- कुछ नहीं होगा.
मैंने कहा- इतना मोटा मेरे अन्दर कैसे जाएगा?

वे बोले- तुम बस लेटी रहो, मैं सब कर लूँगा.
मैं बोली- बहुत दर्द होगा!

वे बोले- अपने प्यारे जीजू के लिए इतना दर्द नहीं सह सकती क्या!
मैं हंस पड़ी.

अब जीजू बोले- पहले मुँह में लंड लेकर चूसो.
मुझे ये अजीब सा लगा पर मुझे पता था कि लड़कों की ये आदत होती है.

मैं मुँह में लंड लेने हुई पर लंड मेरे मुँह में पूरा नहीं आ रहा था.
जीजा जी ने कहा- इसे अच्छे से चूसो.

अब किसी तरह से उनका मोटा लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर होने लगा था.

जीजू मेरे सर को पकड़े थे. फिर अचानक से उन्होंने अपना पूरा लंड मेरे में मुँह में घुसाने की कोशिश की.

लंड मेरे गले तक आ गया.
मैं हांफने लगी.

मैंने जीजू से कहा- इतना लम्बा मैं पूरा कैसे लूं!
वे बोले- जितना ले सको, उतना अन्दर करो.

वे खुद भी जोर जोर से मेरे मुँह को चोदने लगे.
मैं बेबस सी उनके सामने थी और जो वे बोल रहे थे, वह कर रही थी.

उनका मोटा लंड मेरे थूक से चमक रहा था.

थोड़ी देर बाद जीजू बोले- अब रुको और तुम लेट जाओ, अब मैं तुम्हारी चूत में लंड घुसाऊंगा.

मैं सहमी सी लेट गई और उनके मोटे लंड को निहारने लगी.
तब मैं सोचने लगी कि मेरे जीजू, दीदी की क्या हालत करते होंगे.

मेरे सोचते सोचते तक ही वे मेरे ऊपर आ गए और लंड का मोटा सा सुपारा मेरी चूत पर घिसने लगे.
जीजा जी के लौड़े की गर्मी से मैं ऐसे मचलने लगी जैसे पानी के बाहर मछली.

उसके बाद अचानक उनका 6 इंच का मोटा लंड मेरे अन्दर घुसता चला गया.
मैं चीख पड़ी.

पर उन्हें मानो कोई फ़िक्र ही नहीं थी.
वे अपने मोटे लंड को मेरी बुर के अन्दर पेल कर आगे पीछे होने लगे और मैं जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.
पहले हल्का दर्द हुआ, पर अब मज़ा आने लगा.

जीजा जी दस मिनट तक मेरी चूत में लंड पेल कर चोदते रहे.

फिर वे अपना लंड निकाल कर बोले- अब घोड़ी बन जाओ.
मैंने वैसा ही किया.

जीजू ने फिर से अपना मूसल सा लंड मेरी चूत में पेल दिया और कमर पकड़ कर जीजू आगे पीछे होने लगे.

मेरी हालत ख़राब हो रही थी.
पर वे तो किसी ज़ालिम के जैसे लगे हुए थे और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

कुछ देर बाद जीजू को ज्यादा मस्ती चढ़ गई और अब वे मेरे लंबे बाल पकड़ कर घोड़ी बना कर पीछे से मुझे ताबड़तोड़ चोदने लगे.

इस तरह मुझे और 10 मिनट चोदने के बाद उन्होंने अपना मोटा लंड बाहर निकाल लिया.

मैं तो दो बार झड़ कर पूरी गीली हो चुकी थी. पर उनका लंड अभी तक खड़ा था.

अब मैं सोच रही थी और कितना करना पड़ेगा.
उन्होंने कहा- अब मेरे लंड को चूसो.

उफ्फ … क्या बताऊं पहली बार मैं अपनी ही चूत का पानी चख़ रही थी.

मैं मस्त होकर लंड चूसने लगी.
उनका मोटा लंड इस बार मुझे बड़ा मजा दे रहा था और जीजू भी पागल हो रहे थे.

वे मेरे मुँह में पूरा लौड़ा घुसाने की कोशिश कर रहे थे पर मैं पूरा नहीं ले पा रही थी.
मैं मुश्किल से आधा लंड ले पा रही थी.

मैंने बहुत देर तक लंड को चूसा.

फिर जीजू बोले- अब लेट जाओ.
मैं किसी सड़क छाप रांड की तरह चूत पसार कर लेट गई.

अब जीजा जी दोबारा से मेरे ऊपर चढ़ गए थे और उनके मोटे लंड का सुपारा मेरी चूत को छू रहा था.
मैं पागलों के जैसे गांड उठा कर लंड लेने को मचल रही थी.

उन्होंने धीरे से पूछा- और चाहिए?
मैंने जल्दी से हां में सर हिलाया.

इसके बाद तो उनका लंड मेरी चूत में दोबारा जा घुसा और इस बार तो वह जैसे किसी पागल सांड के मानिंद हो गए थे.
चूत को भोसड़ा बनाने की नीयत दिखने लगी थी.

मेरे दोनों पैर उनके कंधे पर थे.
उन्होंने मेरी कमर पकड़ ली और जोर जोर से झटके लगाने शुरू कर दिए.

मेरी चूत से फच फच की आवाज़ आ रही थी.
इन आवाजों को सुन कर वे और पागल हो गए.

अब जीजू मेरे स्तनों को पकड़ कर दबा रहे थे और लौड़े के झटके लगा रहे थे.
मैं ‘आह आह … उहह उह्ह्ह’ कर रही सिसकारियां ले रही थी.

हम दोनों का बदन पसीने से लथपथ हो गया था.

उनके जोर के झटकों से मेरे दोनों दूध बड़ी तेजी से हिल रहे थे.

सिर्फ स्तन ही नहीं बल्कि मेरा पेट भी लहरा रहा था.

उनका मोटा लंड ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी चूत में अन्दर तक जा रहा था.
मुझे जीजू के लंड का अपने पेट में भीतर तक अहसास हो रहा था.

इस तरह और दस मिनट तक वे मुझे चोदते रहे.
मैं उनके नीचे बेसहारा और उनकी दया पर निर्भर पड़ी थी मानो मैं कोई बकरी हूँ और वह किसी शेर की तरह मुझे ज़कड़ कर रखे थे.

कुछ देर बाद उनके झटके और तेज हो गए.
मैं चीखने लगी और जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.

तब मैं कराहती हुई उनसे बोलने लगी- आह जीजू छोड़ो, मैं अब और नहीं सहन कर पाऊंगी … इस्सस.

पर क्या बोलूं … उस ज़ालिम जीजा ने छोड़ने का नाम न ही लिया.

इस तरह करते करते अचानक से उनका शरीर अकड़ सा गया और लंड पूरा अन्दर तक जाकर अड़ गया.

अगले ही पल मुझे अपने पेट में कुछ गर्म गर्म सा अहसास हुआ.
उनके लंड का पानी मेरी चूत में ही निकल गया.

Xxx साली जीजा सेक्स से मैं पागल सी हो गयी थी.
मेरा भी शरीर अकड़ गया था और गांड ऊपर को उठ गयी थी. मेरा भी पानी जोर से निकल रहा था.

मेरी आंखें बंद हो गई थीं और जीजू की भी.

मैंने चादर को जोर से पकड़ लिया और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.

जीजू पानी निकाल कर मेरे ऊपर बैठ गए और मुझे निहारने लगे.

अब मैं भी मुस्कुरा कर उन्हें देखने लगी.

अगर आपको यहां तक की सेक्स कहानी पसंद आई हो, तो कृपया मुझे बताएं.

हैलो ! Sex Stories

मैं हूँ सुशीत। पिछले दो साल Sex Stories से मैं अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इन दो सालों में मैंने यह महसूस किया है कि यहां अधिकतर, या शायद सभी, कहानियाँ झूठी हैं। फ़िर भी मुझे अन्तर्वासना बहुत पसन्द है क्योंकि यहाँ से आपको आपकी अपनी भाषा में बेहतरीन कामुक कथाएँ मिल जाती हैं।

मैंने सोचा कि अगर अपनी कल्पना से ही कहानी लिखनी है तो क्यों न सच बोल कर ही क्यों न लिखा जाए, इससे पाठकों के साथ धोखा भी नहीं होगा। इसलिए मैं आपको पहले ही बता दूँ कि यह कहानी कपोल-कल्पित है और सिर्फ़ अन्तर्वासना के पाठकों के मनोरंजन के लिए लिखी गई है।

तो प्रस्तुत है मेरी काल्पनिक कथा :

सोनू को कोलेज़ में आए अभी एक हफ़्ता भी नहीं हुआ था कि पूरे कोलेज़ के लड़कों में उसके बड़े बड़े, तने हुए गोल गोल स्तन और मोटे मोटे नितम्बों के चर्चे होने लगे थे।

सोनू ने अभी अभी कैथल के इन्ज़िनियरिन्ग कोलेज़ में आई टी ब्रांच में प्रवेश लिया था। सोनू कोहर वैसे हाँसी से थी पर ए.आई.ई.ई.ई. के कारण उसे यही कोलेज़ मिला था जो कि उसके शहर से काफ़ी दूर है। इसी कारण उसे होस्टल में रहना था।

सोनू अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी है और अपने पापा की बहुत लाड़ली है। उसका व्यव्हार बिल्कुल बच्चों जैसा था। उसे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। पर ऐसा भी नहीं था कि वो इससे बिल्कुल अनभिज्ञ थी। बस उसे सही जानकारी नहीं मिल पाई थी।

सोनू पहले दिन कक्षा में आई तो सबकी नज़र उसके गोल-गोल स्तनों पर पड़ी। पूरी कक्षा में उसके जैसे तने हुए और सुडौल वक्ष शायद किसी लड़की के नहीं थे।

उसे तंग ब्रा पहनने की आदत थी जिस कारण उसके वक्ष का ऊपरी हिस्सा फ़ूला हुआ रहता था। शायद यह कसी हुई ब्रा ही उसके वक्ष की सुडौलता का राज़ थी। उसका कद होगा कोई ५’ ४” और फ़ीगर होगी ३५-२८-३६, कन्धे तक लम्बे बाल। उसके नयन-नक्श तो साधारण थे, नाक लम्बी थी। जब वो चलती थी तो उसके स्तन उसकी चाल के साथ ही चाल मिला कर उछलते थे।

कोलेज़ में आते ही उसकी सबसे पहली सहेली अभी उसकी होस्टल की रूम-मेट काजल ढींगरा, जो कि दिल्ली से थी और कुछ खास सुन्दर नहीं थी। सोनू के सामने तो वो बदसूरत ही लगती थी।

हालांकि उसके स्तन भी काफ़ी बड़े और तने हुए थे और काजल सोनू से ज्यादा पतली कमर वाली थी, पर सोनू के गोरे रंग और गदराए बदन के सामने काजल की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता था।

कोलेज़ का हर लड़का सोनू को देखते ही उसके नंगे बदन की कल्पना करने लगता था। जाने कितने लरके उसके बारे में सोच सोच कर मुठ मारते थे।

रितु दिल्ली से होने के कारण सेक्स के ममले में सोनू से कहीं ज्यादा जानती थी। जहाँ एक तरफ़ सोनू ने अपनी चूत में कभी उँगली तक नहीं घुसाई थी तो वहीं दूसरी तरफ़ काजल कई बार सेक्स कर चुकी थी बल्कि केला, बैंगन जैसी चीज़ों का इस्तेमाल भी बखूबी जानती और करती थी।

बस अब क्या होना था, सोनू को एकदम सही लड़की मिल गई थी। धीरे धीरे दोनों काफ़ी अच्छी दोस्त बन गई। अब तो अपने पसन्दीदा लड़कों की बातें करने में भी दोनों को बिल्कुल शरम नहीं आती थी।

फ़िर धीरे धीरे अपनी ड्रेस से लेकर अधोवस्त्रों तक की बातें खुलकर होने लगी। कई बार तो रितु सोनू के सामने नंगी भी हो जाती थी। शुरू में तो सोनू थोड़ी शरमा जाती थी पर फ़िर काजल के बार बार उकसाने पर वो भी कभी कभी काजल के सामने नंगी हो जाया करती थी।

शुरुआत का शरमीलापन आखिरकार खत्म होता गया और दोनों एकदम खुल गई। फ़िर तो दोनों अपनी झाँटे भी एक दूसरे से ही शेव करवाने लगी। इस से एक तो शेव अच्छी तरह हो जाती थी, दूसरा कट लगने का डर कम हो जाता था।

पहली बार तो सोनू काजल से शेव करवाने में शरमा रही थी पर जब काजल ने कई बार उस से अपनी झांटें शेव करवा ली तो सोनू भी काजल से ही अपनी झांटें शेव करवाने के लिए तैयार हो गई।

“वाह यार ! बड़ी नर्म -नर्म और सुलझी हुई झांटें हैं तेरी तो … एक दम इंग्लिश हिरोइनों की तरह … रंग भी ब्राऊन है !” जब पहली बार काजल ने सोनू की झांटें देखी तो उसके मुंह से ये निकला।

सोनू थोड़ा शरमाई पर मन ही मन अपनी झांटों की तारीफ़ सुनकर खुश भी हुई। काजल कई बार सोनू की चूत का मुआयना करने के चक्कर में भी रहती थी पर सोनू की शर्म इतनी भी नहीं खुली थी। इसलिए वो काजल को अपनी झांटों से नीचे नहीं पहुँचने देती थी।

काजल को तो शुरू से ही नंगी होकर सोने की आदत थी, पर अब उसने सोनू को भी यह आदत डालने की कोशिश में लग गई थी।

काजल ने उसे नंगी सोने के ऊपर बहुत बार लंबे -चौड़े भाषण दिए, तब कहीं जाकर सोनू को नंगी होकर सोने के लिए तैयार कर पायी। तो अंततः दोनों हॉस्टल के कमरे में एकदम नंगी होकर सोने लगी थी।

एक रात सोनू की नींद खुली तो उसने महसूस किया कि उसकी टांगों के बीच में हल्की -हल्की गुदगुदी हो रही थी जैसे कि कोई चींटी उसकी टांगों के बीच से चूत की तरफ़ बढ़ रही हो।

पहले तो सोनू ने सोचा कि इस गुदगुदी को जारी रहने दूँ क्यूंकि उसे मज़ा सा आ रहा था पर फ़िर उसने सोचा कहीं कोई और कीड़ा -मकोड़ा न हो इसलिए उसने झट से अपना हाथ गुदगुदी वाली जगह पर लगाया तो पाया कि वो कोई चींटी नहीं बल्कि काजल की ऊँगली थी।

सोनू ने काजल कि तरफ़ देखा तो पाया कि वो उसकी और देखकर मुस्कुरा रही थी।

सोनू भी पहले ज़रा मुस्कुरायी फ़िर बोली -“क्या है यार ? नींद नहीं आ रही क्या ? कम से कम मुझे तो सोने दे ! ”

काजल – मैं क्या कह रही हूँ तुझे? तू सो आराम से। लोग पहले तो कपड़े उतारकर सो जाते हैं फ़िर सोचते हैं कि किसी का हाथ तक न छू जाए।

सोनू- रहने दे, तूने ही आदत डाली है मुझे। नहीं तो मैं तो अच्छी-भली …

काजल – हाँ हाँ, बड़ी आई अच्छी-भली उन कसे तंग कपडों में अपने मोटे -मोटे स्तनों को जकड़कर सोने वाली। अरे भगवान ने ये कोमल सा बदन इसलिए दिया है क्या कि तू इसे उन तंग कपडों में बांधकर इसपर अत्याचार करे?

यह बात कहते हुए काजल ने अपनी ऊँगली सोनू के स्तनों से लेकर नीचे उसकी चूत तक हलके से फिर दी। सोनू भी एक बार तो सिहर सी गई।

फ़िर थोड़ा संभलकर बोली -“वो तो ठीक है यार, अब फ़िर से शुरू मत हो। मैंने कब कहा कि तू ग़लत कहती है ! तेरा बस चले तो तू तो दिन भर कॉलेज में भी नंगी ही घूम आए !”

काजल – “हाय … तूने तो मेरे मुंह की बात छीन ली मेरी जान। ला वापिस दे दे …” इतना कहकर काजल ने अचानक सोनू के होठों पर एक हल्की सी पर ज़रा लम्बी चुम्मी कर दी।

सोनू थोड़ा शरमाकर बोली – “हट पागल, ये क्या कर रही है तू?”

काजल – “शायद इसे किस कहते हैं। तू क्या कहती है वैसे ?” काजल अब सोनू के ज़रा करीब खिसक आई थी और उसने ये बात थोड़े नशीले अंदाज़ में कही।

सोनू ज़रा पीछे मुंह खींचते हुए बोली – “मुझे भी पता है इसे किस कहते हैं। पर तू मुझे क्या सोचकर किस कर रही है ? मुझे अपना बॉय फ्रेंड समझा है क्या?

काजल – जो चाहे समझ ले यार, चाहे तो रात को मेरा बॉय फ्रेंड ही बन जाया कर।

सोनू – ऐसा क्या मिलेगा तुझे मुझे बॉय फ्रेंड समझ कर?

काजल – एक लड़की रात को बिस्तर पर अपने बॉय फ्रेंड से क्या चाहती है?

सोनू थोड़ा सोचकर बोली – तेरा मतलब सेक्स …

काजल – वाह मेरी जान ! सामान्य ज्ञान अच्छा है तेरा।

सोनू – क्या ख़ाक सामान्य ज्ञान है? मुझे तो ये तक नहीं पता कि सेक्स में सही-सही होता क्या है ?” सोनू की भी नींद उड़ चुकी थी।

काजल – वो तो मुझे पता है की तू इस मामले में अभी ज़रा कच्ची है।

सोनू – ह्म्म्म … पर यार मैं १८ साल की हो गई हूँ। तुझे नहीं लगता की मुझे सबकुछ पता होना चाहिए?

काजल – हाँ -हाँ, क्यूँ नहीं पता होना चाहिए? अब तक तो तेरे प्रैक्टिकल भी हो जाने चाहिए थे।

सोनू थोड़ा हिचकिचाई फ़िर बोली – शायद तू सही कह रही है। अच्छा तो बता न, क्या होता है सेक्स में?

काजल – ज़ल्दबाजी नहीं माय डीयर, पहले तू बता कि तुझे कितना पता है?

सोनू – वो … बस पहले तो लड़का -लड़की कपड़े उतार लेते हैं, फ़िर एक -दूसरे को किस करते हैं और फ़िर बिल्कुल चिपक कर सो जाते हैं। इतना ही …” सोनू कुछ सोचते हुए बोली।

काजल सोनू के एक स्तन को हाथ से भींचते हुए बोली – “ये जो किस और चिपक के सोने के बीच में जो होता है न, दरअसल वो सेक्स है।”

सोनू एकदम से उसका हाथ पकड़ते हुए बोली – “क्या मतलब ? चिपक कर सोने से सेक्स नहीं होता?” पर सोनू ने उसका हाथ अपने स्तनों पर से हटाया नहीं।

काजल हँसते हुए बोली – “अरे नहीं। सेक्स में तो बहुत -कुछ होता है और चिपक कर सोने से कहीं ज़्यादा मज़ा भी आता है।”

सोनू – “अच्छा ? बता न फ़िर क्या होता है?”

“बताना क्या है ! मैं तुझे करके दिखाती हूँ .” काजल ने सोनू के दोनों स्तनों पर एक -एक किस करते हुए कहा।

सोनू – “तो क्या लड़के के बिना ही …”

काजल – “यार सिर्फ़ सिखा रही हूँ। इस सबसे तुझे थोड़ा आईडिया हो जाएगा न ! फ़िर जब तेरा बॉय फ्रेंड हो तो उसके साथ असली वाला सेक्स कर लेना !”

सोनू – “हाँ। ये सही रहेगा। चल फ़िर हो जा शुरू .” सोनू के लिए इंतजार करना मुश्किल हो रहा था। वो ज़रा नर्वस भी थी पर सेक्स के बारे में जानने की इच्छा उसपर हावी हो रही थी।

सोनू का इतना कहना था कि एकदम से काजल ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और ख़ुद से कसकर चिपका लिया। फ़िर वो सोनू के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करने लगी। सोनू के मुंह से एक बार सिसकी निकली और फ़िर सिर्फ़ “म्मम्मम्म … म्मम्मम …” की आवाजें आने लगी।

कोई अनजान भी ये बता सकता था कि यह आवाजें पूरी तरह वासना से भरी हुई थी। काजल और सोनू दोनों कि आँखें बंद थी और सोनू को ऐसा आभास हो रहा था जैसे कि वो कोई सपना देख रही हो। अपने होंठों को सोनू के होंठों से चिपकाए हुए ही काजल अपना हाथ धीरे -धीरे सोनू की चूत की तरफ़ बढ़ाने लगी। सोनू को लगा कि आज तो वो उसकी चूत को अच्छे से स्कैन करके ही रहेगी।

पर फिलहाल काजल का ऐसा कोई इरादा नहीं था। काजल अपना हाथ नीचे ले जाकर सोनू की टांगें खोलने की कोशिश करने लगी।

सोनू ने भी समय की नजाकत को समझते हुए टाँगे ज़रा ढीली छोड़ दी। काजल तुंरत सोनू की दोनों टांगों को खोलकर उनके बीच में आ गई। अब काजल ने दोनों हाथों को सोनू की कमर पर ले जाकर उसे पूरी ताकत से भींच लिया और फ़िर धीरे -धीरे कमर पर हाथ फिरने लगी।

सोनू को काफ़ी मज़ा आने लगा। दोनों के चूचुक आपस में टकरा रहे थे और न सिर्फ़ टकरा रहे थे बल्कि पूरी ताकत के साथ एक-दूसरे को दबा रहे थे। आखिरकार काजल ने सोनू के होंठों को छोड़ा और सोनू को साँस लेने के लिए कुछ सेकंड का वक्त दिया। और फ़िर ये कहकर कि “थोड़ा तू भी साथ दे न यार …” फ़िर से उसके होंठों को चूसने लगी।

इस बार सोनू भी काजल के होंठों को चूस रही थी। सोनू को महसूस हो रहा था कि उसकी चूत की अंदरूनी दीवारें धीरे -धीरे नम हो रही थी और फ़िर पूरी तरह गीली हो गई थी।

सोनू को तो ये भी शक था कि कहीं पानी की कुछ बूँदें बेड की चादर पर न टपक गई हों। पर इस सबकी चिंता करने का उसके पास वक्त नहीं था, वो तो जैसे स्वर्ग में तैर रही थी।

अब सोनू को एहसास हो रहा था कि वाकई सेक्स में चिपक कर सोने से कहीं ज़्यादा मज़ा है। हलाँकि उसे अंदाजा नहीं था कि काजल अभी उसके साथ और क्या -क्या करने वाली थी।

दूसरी तरफ़ काजल की भी चूत पूरी तरह से पानी में तर थी। अचानक काजल की चूत से निकली पानी की एक बूँद सोनू की टांग पर गिरी तो सोनू को विश्वास हो गया कि काजल का भी वही हाल हो रहा था जो कि उसका, बस सोनू का ये पहला एहसास था और काजल तो गिनती करना छोड़ चुकी थी।

किस करते करते काजल अपनी जीभ से सोनू के होंठों को खोलने के लिए ज़ोर लगाने लगी तो सोनू ने उसकी इस हरकत पर कुछ कहने के लिए अपने होंठ खोले ही थे कि काजल ने अपनी जीभ सोनू के मुंह में घुसा दी।

अब काजल सोनू के पूरे मुंह का जायजा ले रही थी। सोनू का आनंद अपने चरम पर पहुँचने लगा। इसका असर सीधा उसकी चूत पर पड़ा और उसकी चूत और ज़्यादा गीली होकर ज़ोर ज़ोर से फड़कने लगी।

थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा। फ़िर एकाएक काजल की जीभ सोनू की जीभ से टकराई और उस से खेलने लगी। सोनू पहले तो ज़रा हैरान हुई पर फ़िर वो भी उत्सुकता से अपनी जीभ को काजल की जीभ से रगड़ने लगी।

अब तो दोनों के मुंह से “म्मम्मम … म्मम्मम … म्मम्मम …” की आवाजें आने लगी। ये आवाजें धीरे -धीरे और तेज़ होने लगी।

थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा, फ़िर अचानक सोनू के शरीर में एक सरसर्राहट सी दौड़ गई और उसका अंग -अंग अकड़ने लगा। काजल उसका ये हाल देखकर समझ गई कि सोनू अब झड़ने वाली है। उसका अंदाजा सही था।

सोनू के मुंह से एक लम्बी सी “आः ” निकली और उसकी चूत से एकदम से काफ़ी ज्यादा पानी की फुहार निकली। उसके बाद तो एक के बाद एक कई फुहारें निकलती चली गई। सोनू की चूत से निकला ज्यादातर पानी काजल की चूत से टकराकर नीचे बहने लगा। काजल की चूत और जांघें सोनू की चूत से निकले जूस से नहा गई थी।

इस जूस की गर्माहट काजल भी ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पायी और “आआह्ह्ह्ह्छ …. सोनू …. मैं भी बस्स ….. आआह्ह्छ …” कहते हुए वो भी झड़ गई। इस तरह सोनू की चूत से निकले पानी में नहाई हुई काजल की चूत एक बार फिरसे उसके ख़ुद के पानी से नहा गई।

हलाँकि काजल की चूत से निकला पानी सोनू की चूत से निकले पानी से काफी कम था।

आखिरकार दोनों निढाल होकर गिर गई। थोड़ी देर तक वो दोनों एक -दूसरे से चिपक कर लम्बी -लम्बी साँसे लेती रही।

कुछ देर के बाद दोनों सामान्य हुई तो काजल ने कहा – “तो कैसा रहा मैडम ?”

“कमीनी, इतने दिन से तेरे साथ नंगी सो रही हूँ और तू मुझे ये सब आज सिखा रही है?” सोनू की आंखों में वासना साफ़ दिखाई दे रही थी और उसकी आवाज़ भी कामुक लग रही थी।

काजल ने सोनू की चूत पर ऊँगली फिराई और सोनू ने उसे बिल्कुल नहीं रोका। फ़िर वो उसी ऊँगली को चूसते हुए बोली – “हर काम सही समय पर करने में ही मज़ा आता है। अगर मैंने पहले ही दिन तेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत की होती तो तू दोबारा कभी नंगी सोती क्या?”

पर सोनू का ध्यान काजल की बात पर नहीं था, वो तो उसकी ऊँगली की और ही देखे जा रही थी। आखिरकार जब उस से नहीं रहा गया तो वो बोल उठी – “ये तू मेरी उस में से निकला हुआ पानी क्यूँ चाट रही है ? तुझे घिन्न नहीं आती क्या ?”

“तेरी किस में से?” काजल जानबूझकर अनजान बनते हुए बोली।

सोनू – “मेरी उस में से यार !” सोनू अपनी चूत की और इशारा करते हुए बोली।

“पहले तो मैं तुझे ये बता दूँ की इसे ‘चूत ’ कहते हैं, क्या कहते हैं ?” काजल ‘चूत ’ शब्द पर ज़ोर देते हुए बोली।

सोनू – “चूत। पर तुझे कैसे पता?”

काजल – “मेरा एक बॉय फ्रेंड था १२वीं में, कुशल। उसने बताया था कि सब लड़के इसे चूत ही कहते हैं .”

सोनू – “क्या ? १२वीं में तेरा बॉय फ्रेंड था?”

काजल – “इस में क्या बड़ी बात है ? मैंने तो १२वीं में ही अपनी सील भी तुड़वा ली थी।”

सोनू – “क्या तुड़वा ली थी?”

काजल – “सील। तुझे सील नहीं पता? कभी अपनी चूत में ऊँगली डालने की कोशिश की है?”

सोनू – “हाँ एक बार नहाते हुए … पर ज़्यादा अन्दर नहीं गई।”

काजल – “वो सील की वजह से अन्दर नहीं गई। जब लड़की पहली बार सेक्स करती है तब वो सील टूट जाती है।”

“पर मुझे नहीं लगता कि मेरी सील टूट गई है।” सोनू अपनी चूत में ऊँगली घुसाने की कोशिश करते हुए बोली।

काजल – “अरे मेरी जान, अभी कहाँ सेक्स हुआ है?”

सोनू – “तो वो सब??”

काजल – “वो तो बस मैं तुझे और खुद को गरम कर रही थी, मतलब सेक्स के लिए तैयार कर रही थी।”

सोनू – “ओह्ह … और ये तू मेरी चूत का पानी क्यूँ चाट रही थी?”

काजल – “क्यूंकि मुझे अच्छा लगता है। ये सब सेक्स का ही हिस्सा है। तू भी सीख जायेगी धीरे धीरे। चल अब टाइम ख़राब मत कर। अभी बहुत कुछ बाकी है। कल रविवार है इसलिए हम लेट भी उठ सकते हैं। फ़िर कभी इतना टाइम नहीं मिलेगा। दिखा ज़रा …” कहकर काजल ने सोनू के दोनों स्तन अपने हाथों में जकड़ लिए और उन्हें दबाने लगी।

सोनू को पहले तो थोड़ा दर्द हुआ पर साथ ही साथ अच्छा भी लगा इसलिए उसने काजल को रोका नहीं। सोनू के स्तनों को दबाते -दबाते उसने एक बार सोनू के चुचूक को अपनी उँगलियों के बीच में पकड़ा और ज़ोर से मसल दिया।

सोनू लगभग चीख उठी थी, पर तभी काजल ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगी। पर उसने सोनू के चुचूक को मसलना और उसके स्तनों को दबाना जारी रखा।

थोड़ी देर बाद सोनू को आदत सी पड़ गई और उसे अब सिर्फ़ मज़ा आ रहा था। सोनू के मुंह से कामुक सिस्कारियां निकलने लगी थी और उसकी चूत अन्दर से गीली होने लगी थी पर अबकी बार सोनू इस एहसास को अच्छे से समझती थी।

थोड़ी देर सोनू के स्तन दबाने के बाद काजल ने उसका एक चुचूक अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी, पर उसने दूसरे चुचूक को मसलना जारी रखा। सोनू की चूत अब और ज्यादा गीली होने लगी थी।

चूत तो काजल की भी सूखी नहीं थी, उसकी चूत भी भीगकर गरम हो गई थी। उसने और ज्यादा तेज़ी से सोनू के चुचूकों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया। अब तो वो कभी कभी सोनू के चुचूक के आसपास का भूरा हिस्सा भी पूरा मुंह में भर लेती थी और कई बार तो इस से भी ज्यादा।

सोनू तेज़ी से कामुक सिस्कारियां ले रही थी और उसकी चूत से गरम -गरम पानी की बूँदें तापकने लगी थी।

अचानक काजल ने सोनू को पीठ के बल सीधा किया और ख़ुद उसके ऊपर आ गई। अब उसने सोनू के स्तनों को चूसना बंद कर दिया और उनपर हलके हलके किस करने लगी। पर इस से सोनू की साँसे और भी तेज़ होने लगी और उसकी चूत गरम होकर तेज़ी से फड़कने लगी थी।

अब काजल जरा ऊपर की ओर गई और सोनू के होंठों पर हल्के से किस किया। फ़िर वो ऐसे ही किस पे किस करते हुए धीरे धीरे नीचे की ओर आने लगी। पहले गर्दन पर, फ़िर दोनों चुचूकों पर, फ़िर दोनों स्तनों के बीच में, फ़िर नाभि में और फ़िर सोनू की चूत से जरा ऊपर काजल ने हल्की हल्की किस की। फ़िर काजल ने सोनू की चूत को ध्यान से देखा। एकदम सफ़ाचट गुलाबी गुलाबी चूत देख कर एक बार तो काजल को सोनू से ईर्ष्या होने लगी क्योंकि खुद उसकी चूत का रंग काला पड़ चुका था। सोनू की चूत से निकले पानी से भीगे होने के कारण उसकी चूत चमक रही थी।

फ़िर उसने सोनू की शिश्निका को देखा जो कि हल्के हल्के से फ़ड़फ़ड़ाने लगी थी। काजल ने सोनू की तांगों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खोला और धीरे से उस पर झुकी तो उसकी गरम सांसें सोनू की शिश्निका से जा टकराई। इस से सोनू की चूत से पानी की २-४ बूंदें टपक गई और उसकी क्लिट और तेज़ी से फ़ड़कने लगी।

काजल ने अपनी जीभ के ऊपरी हिस्से को हल्के से सोनू की क्लिट पर छुआ दिया तो उसे भी पता लग गया कि उसकी क्लिट काफ़ी गर्म थी। काजल कि इस अचनक हरकत से सोनू एक बार तो उछल पड़ी और उसके गले से एक ज़ोर की सिसकी निकली। फ़िर काजल ने धीरे धीरे अपनी जीभ को सोनू कि क्लिट पर फ़िराना चालू किया तो सोनू ने भी अपने नितम्ब ऊपर उठा लिए।

उसका मन कर रहा था कि अपनी चूत को काजल के मुँह में घुसेड़ दे जिस से उसे कुछ राहत मिल सके। काजल भी सोनू की हालत को समझ गई और उसने सोनू की टांगों को थोड़ा और चौड़ा किया और उसकी क्लिट को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगी।

सोनू तो जैसे आनन्द के महासागर में गोते लगा रही थी। उसके मुँह से “आह ह आऽऽह उह म्म्म आह्म्म…” की आवाज़ें आनी बंद ही नहीं हो रही थी ।

थोड़ी देर तक यही चलता रहा। फ़िर काजल ने अपनी जीभ को सोनू की चूत में लगा दिया और ज़ोर से अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगी। उसकी जीभ थोड़ी सी ही अन्दर जा पाई।

काजल ने सोनू की टांगों को और चौड़ा किया और उसकी चूत को अपने दोनों हाथों की उँगलियों से थोड़ा और चौड़ा किया और फ़िर अपनी जीभ तेज़ी से अन्दर -बाहर करने लग।

सोनू को और भी मज़ा आने लगा और वो “आह्ह … अआछ … आःह्छ …” करने लगी। काजल ने पहले एक ऊँगली, फ़िर दो और फ़िर तीन उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और तेज़ी से अन्दर -बाहर करने लगी।

सोनू लगातार अपने नितम्ब उछाल रही थी। काजल ने स्पीड और तेज़ कर दी। बस अब सोनू के लिए और सह पाना नामुमकिन था। सोनू के मुंह से एक बार ज़ोर की “आया … आआआअह्ह्ह … आःह्ह्ह्छ ….” निकली और सोनू ने पूरा ज़ोर लगाकर अपने नितम्ब ऊपर उठा लिए। आखिरकार सोनू बड़ी ज़ोर से काजल के मुंह में झड़ी।

सोनू के पानी की फुहार से काजल का पूरा मुंह भर गया और उसका पूरा चेहरा भी गीला हो गया। काजल ने अपनी ऊँगली की स्पीड भी बढ़ा दी और कुछ ही सेकंड में वो भी झड़ गई।

उसने सोनू की ओर देखा तो उसका मुंह लाल हो चुका था और वो आँखें बंद करके लेटी हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो एक लम्बी रेस लगाकर आई हो। मुंह लाल होने के कारण सोनू और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। वैसे भी सोनू का शरीर इतना नाज़ुक था कि अगर कोई उसका हाथ भी कसकर पकड़ लेता था तो वो लाल हो जाता था, फिर इतना कुछ करने के बाद मुंह तो लाल होना ही था।

थोड़ी देर तक सोनू और काजल यूँ ही लेटी रही। फ़िर सोनू ने काजल से पूछा – “क्या अब मेरी सील टूट गई है?”

काजल ने मुस्कुराते हुए कहा – “नहीं यार ! जब कोई लड़का अपना लण्ड तेरी चूत में घुसायेगा तभी वो सील टूटेगी।”

सोनू – “तो इसका मतलब तू …”

ऋतू – “हाँ ! मैं तो बहुत से लड़कों का लण्ड अपनी चूत मैं घुसवा चुकी हूँ।”

“और ये लंड क्या होता है?” सोनू ने भोली सी सूरत बनाकर पूछा तो काजल भी उसके भोलेपन पर मुस्कुराये बिना न रह सकी। कहाँ एक तरफ़ थी सोनू जिसने लण्ड देखना तो दूर उसका नाम भी पहली बार सुना था और कहाँ दूसरी तरफ़ थी काजल जो न जाने कितने लड़कों के तरह तरह के लण्ड अपनी चूत में ले चुकी थी, कई बार तो २-२ एक साथ।

आखिरकार काजल ने एक लम्बी साँस ली और बोली – “चलो मैडम, अब मैं आपको लण्ड का पाठ पढाती हूँ।” और फ़िर काजल ने सोनू को विस्तार से लण्ड के बारे में बताया .

उस दिन के बाद तो जैसे यह मस्तियाँ काजल और सोनू कि दिनचर्या का हिस्सा बन गई। अब तो सोनू को २-३ बार झड़े बिना नींद नहीं आती थी। दिन में मौका मिल जाता तो सोनू कभी खाली नहीं जाने देती थी।

काजल भी अब समझने लगी थी कि सोनू अब ज़्यादा दिन लण्ड के बिना नहीं रह सकती, इसलिए उसने सोनू को उनके क्लास के दोस्तों में से ही किसी लड़के को अपना बॉय फ्रेंड बनाने की सलाह दी। लेकिन सोनू के लिए अपने दोस्तों में से चुनाव करना इतना आसान नहीं था। हलाँकि सोनू के हुस्न के जलवे देखने के बाद कई लड़के उसे प्रोपोज कर चुके थे। पर उनपर विश्वास करना सोनू के लिए मुमकिन नहीं था। इसलिए सोनू अनजान लड़कों को हमेशा मना कर दिया करती थी चाहे कोई कितना भी स्मार्ट क्यूँ न लगे। उसे कैसे पता चलता कि कौन सा लड़का उसकी इच्छाओं को सही तरह समझ पायेगा और कॉलेज में उसकी छवि ख़राब नहीं करेगा !

आख़िर में इस समस्या का हल भी काजल ने ही निकाला।

शेष अगली बार …

दोस्तों , आप अपनी प्रतिक्रिया मुझे ज़रूर भेजें।

इससे मुझे कहानी के अगले भाग को और अच्छा लिखने में बहुत मदद मिलेगी।

कहानी का अगला भाग ज़ल्द ही लिखूंगा।

तब तक के लिए गुड बाय ! Sex Stories

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