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Massage Girl in Gwalior: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Gwalior who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Gwalior that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Gwalior massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Gwalior who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Gwalior massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Gwalior massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Gwalior who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Gwalior employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Gwalior helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Gwalior

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Gwalior at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रिय दोस्तो ! Hindi Sex Stories

मैं बड़ौदा का रहने वाला Hindi Sex Stories हूँ। मैं कई दिनों से अन्तर्वासना में आप लोगों की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। तो मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के साथ शेयर करूँ।

तो बात ऐसी थी कि मैं अकेला रहता हूँ। मेरी जॉब शाम को होता था तो मैं पूरा दिन अपने घर पर खाली रहता था। मेरे घर के एकदम बाजू के घर में एक सुन्दर सी भाभी रहती है। इंसान तो वो बहुत अच्छी है और मेरे साथ बहुत दोस्ताना बात भी करती है। कभी कभी मुझे खाना भी बना देती है। ऐसे करते करते एक सामान्य सा रिश्ता बन गया था। उनका एक लड़का भी है। लड़का शायद ११-१२ साल का होगा। वो स्कूल जाता है। उनकी पति नौकरी करते हैं। लेकिन थोड़ा दुबले पतले हैं।

उनकी समस्या यह थी कि वो तीनों एक ही कमरे में रहते हैं। इसीलिए पति- पत्नी के बीच सेक्स कभी-कभार ही होता था। जब उनका लड़का कहीं बाहर होता था। ११ साल का लड़का स्कूल के अलावा कहीं जाता नहीं था। उनका कोई खास रिश्तेदार भी नहीं थे। इसलिए सेक्स की भूखी रहती थी।

उनकी फिगर मैं क्या बताऊँ दोस्तों, बहुत ही अच्छी सेक्सी है। मैं जब भी उनको देखता था मेरा तो लण्ड कन्ट्रोल से बाहर हो जाता था। मैं कई बार मेरे घर में उनको सोचते सोचते मुठी मार देता था। लेकिन मैंने एक दिन सोचा कि यह रोज रोज मुठी मारने से अच्छा है कि एक बार साहस करके उनको बोल दूँ।

तो दोस्तो, मैंने ऐसा ही किया।

एक दिन उनका लड़का स्कूल गया था, पति भी नौकरी पे ! मैं घर पर अकेला था। वो कुछ काम के लिए आई। सॉरी, काम तो नहीं था, सुबह मुझे चाय पिलाने आई, बोली- मैं चाय बना रही थी तो सोचा कि तुम्हारी लिए भी बना लूँ ! लो चाय पियो !

तो मैंने उनको थैंक्स बोला। वो जाने लगी। मैंने सोचा कि अभी उनका मूड अच्छा है तो मैं अपनी गेम खेल सकता हूँ। तो मैंने उनको बोला- भाभी, आप अपनी चाय भी लेकर यहीं आ जाओ ! साथ में बैठ के पीते हैं और कुछ बात भी करेंगे।

वो बोली- ठीक है !

और वो चाय लेकर आ गई। हम दोनों ने चाय पी और कुछ बातें करने लगे।

तो मैंने उनको पूछा- भाभी, कई दिनों से मैं देख रहा हूँ कि आप कुछ उदास उदास लगती हो ! क्या बात है? आप तो उम्र में इतनी बड़ी नहीं लगती, तो अभी से आप को क्या टेंशन है? क्यूँ उदास-उदास रहती हो?

वो बोली- नहीं ऐसा कुछ नहीं है !

तो मैंने बोला- ऐसा ही है ! आप मेरे साथ शेयर कर सकती हो !

तो थोड़ी देर के बाद वो बोली- लाइफ में अभी मजा नहीं रहा ! सुबह से लेकर शाम तक बस काम करो और सो जाओ ! और कुछ नहीं !

मैंने पूछा- तो काम बहुत करना पड़ता है? मैं कुछ मदद कर सकता हूँ क्या आपकी?

पहले तो वो न बोली कि नहीं इस बात में तुम कुछ मदद नहीं कर सकते। लेकिन मैं भी जिद पकड़ के बैठ गया कि कौन सी बात में मदद नहीं कर सकता?

तो अन्त में उसने अपनी वास्तविक समस्या बताई।

मैं बोला- भाभी, मैं क्यूँ मदद नहीं कर सकता ! मैं कर सकता हूँ !

वो बोली- क्या बात करते हो ! मजाक मत करो !

मैंने बोला- मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ !

वो बोली- ठीक है !

तो मैं आगे एक भी मौका न गंवाते हुए उनको चूम लिया ! ना आगे देखा न पीछे ! बस चूम लिया।

वो भी कामुक थी तो वो भी कुछ नहीं बोली और मेरे साथ मजा लेने लगी। पहले तो वो दरवाज़ा बंद कर दिया कि कोई आ न जाए !

वो थोड़ी मोटी थी और मुझे मोटी औरत बहुत अच्छी लगती है। उनके स्तन भी बहुत बड़े थे। उनकी गांड तो इतनी कामुक थी ….

मैं पहले से ही छोटी निककर में था। पहले पाँच मिनट तो मैं उनको किस करता रहा। इतने में उनकी आंसू निकल पड़े और बोली- बहुत दिनों के बाद आज मुझे मेरी प्यास बुझाने का मौका मिलेगा।

मैंने तो उनके आँसू भी पी लिए और उनका पूरा मुंह चाट लिया। वो गाऊन में थी। धीरे धीरे मैंने उनका गाऊन निकाल फेंका। अब वो खाली ब्रा और पैंटी में थी। धीरे से मैंने उनको बेड पर लिटा दिया और उनकी ब्रा खोलने लगा। ब्रा को खोलते ही मेरे पसंद की चीज मेरे हाथों में थी। मैंने जम क उनको किस किया। जैसे जैसे मैं चूसता रहा वो भी उतेजित होने लगी।

तब तक मैं उनको होठों से ले कर नाभि तक किस करता रहा। इतने में उसने खुद ही अपने पैंटी निकाल फेंकी और बोली- अब रहा नहीं जाता, तुम अपना लण्ड उसमें डालो ! मैंने कहा- इतनी जल्दी भी क्या है, आज तो पूरा दिन पड़ा है, सालों का मजा आज ले लो अच्छी तरह से !

धीरे धीरे मैं उनकी चूत चाटने लगा तो वो और भी गर्म हो गई और तरह तरह की आवाज निकालने लगी। इसक मतलब उनको भी मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने अपना हथियार उनकी चूत में डाल दिया। मुझे भी थोड़ा जोर लगाना पड़ा क्यूँकि काफी दिनों से उनके छेग में कुछ घुसा नहीं था। और वो भी चिल्ला उठी- धीरे धीरे करो !

मैं तो नहीं रुका और अपने काम में लग गया, धक्का देने लगा। वो भी उह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह् अह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह् करने लगी- ओह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्छ ओह्ह्ह्छ करने लगी।

ऐसे करते करते १० मिनट के बाद वो झड़ गई और थोड़ी देर में मैंने भी अपना सारा का सारा माल उनके अन्दर डाल दिया।

वो बोली- नो प्रॉब्लम ! मेडीसिन ले लूंगी !

उस दिन हम लोगों ने ५ बार चोदा-चुदाई की। वो भी बहुत खुश हो गई और उस दिन के बाद तो हम लोग सप्ताह में तीन-चार बार तो सम्भोग कर लेते थे।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे लिखिए जरूर ! Hindi Sex Stories

हमारे पड़ोस में एक भाभी रहती है, भाईसाहब की मृत्यु कोई चार वर्ष पहले हो गई थी। भाभी की उम्र कोई 45 के आस पास होगी, लेकिन फिगर अच्छा मेंटेन कर रखा था, इस उम्र में भी उन्हें कोई 35-36 से ज्यादा का नहीं कह सकता।

उनका लड़का एक लड़की को लेकर भाग गया, छोटी लड़की की अभी पिछले वर्ष ही शादी कर दी है। लड़की की शादी के बाद भाभी जी हर महीने गोवर्धन परिक्रमा लगाने के लिए जाती थी, उनके साथ मैं भी जाता था। वहीं का किस्सा मैं सुनाने जा रहा हूँ।

हर महीने की तरह जनवरी में हम लोग गोवर्धन के लिए निकले। भाभी को अगले दिन कहीं जाना था, सो उन्होंने कहा- आज जल्दी चलते हैं ताकि शाम के समय ही परिक्रमा पूरी कर लें और सुबह पहली बस पकड़ कर वापिस आ जायेंगे।

मैंने कहा- ठीक है !

हम लोग दोपहर की गाड़ी से निकल लिए। मथुरा पहुँच कर द्वारिकाधीश के दर्शन किये और वहाँ से टेंपो पकड़ कर गोवर्धन शाम को 6 बजे पहुँच गए। जिस धर्मशाला में हम रुकते थे, वहां सामान रखकर हम लोग परिक्रमा के लिए निकल गए। वापसी में बहुत तेज बारिश होने लगी। बचते-बचाते हम लोग धर्मशाला पहुंचे तो रात के 11 बज रहे थे और हम लोग पूरी तरह भीग चुके थे।

धर्मशाला पहुँच कर मैंने भाभी से कहा- आप अन्दर चलकर कपड़े बदल लो, फिर मैं बदल लूँगा।

भाभी अन्दर चली गई, कुछ देर बाद वो बोली- कपड़े तो हम एक ही जोड़ी लाये हैं, अगर बदल लिए तो सुबह पूजा के लिए क्या पहना जायेगा?

मैंने भाभी से कहा- आप मेरे कपड़ो में से लुंगी लेकर लपेट लो और रजाई में लेट जाओ। मैं देखता हूँ मेरा क्या होगा।

भाभी ने कहा- अच्छा !

और उन्होंने किवाड़ बंद कर लिए।

मैंने तौलिए से शरीर पोंछा और गरम चादर ओढ़ ली। मैंने दरवाजा खटखटाया और पूछा- मैं अन्दर आ जाऊँ?

तो उन्होंने कहा- हाँ !

एक तो ठण्ड, ऊपर से बारिश ! दांत कटकटा रहे थे। कमरे में देखा एक ही गद्दा रजाई थे। मैंने धर्मशाला वाले से पूछा तो उसने कहा- एक कमरे में एक ही गद्दा-रजाई मिलेगा।

मैं वापस आ गया। मैंने भाभी से कहा- आप सो जाओ ! मैं ऐसे ही सो जाऊंगा।

भाभी तो सो गई, कुछ देर तो मैं लेटा रहा पर ठण्ड थी कि वो हटने का नाम नहीं ले रही थी, मेरे दांत बजने लगे, तभी भाभी बोली- संजू तुम भी इसी रजाई में ही लेट जाओ ! ठण्ड बहुत है, नहीं तो तुम्हारी तबीयत ख़राब हो जायेगी।

पहले तो मैं झिझका क्योंकि मुझे पता था कि भाभी अन्दर नंगी लेटी हैं, पर मरता क्या न करता मैं उसी रजाई में एक साइड से घुस गया।

भाभी और मैं एक दूसरे की तरफ पीठ करके लेट गए। शरीर में थोड़ी सी गर्मी आई, पर ठण्ड अभी लग रही थी। मैंने करवट बदली और भाभी की पीठ की तरफ मुँह करके लेट गया। शायद मेरे ठंडे हाथ उनकी पीठ पर लगे होंगे, बोली- ला अपना हाथ दे !

कहकर मेरा हाथ अपने पेट पर रख लिया। भाभी के शरीर का गरम-गरम स्पर्श पाकर मेरे मन का शैतान जाग उठा। अगर आज भाभी की चुदाई करने का मौका मिल जाये तो मजा आ जाये।

पर मैंने कभी उन्हें इस नज़र से कभी देखा नहीं था इसीलिए शांत लेटा रहा, पर मेरा हथियार तैयार हो गया और उनके पिछवाड़े से टकराने लगा। मैं थोड़ा सा नीचे को सरक गया जिससे कि सही जगह लग सके।

वही हुआ, जैसे ही मैं नीचे को सरका, मेरा लंड उनकी गांड की दरार के बीच में जा टिका। पहले तो वो जरा कसमसाई पर फिर चुपचाप लेट गई। मैं भी बिलकुल चुप लेटा रहा। थोड़ी देर में मैंने महसूस किया कि उन्होंने अपनी टांग उठाई और लंड को बीच में दबाकर लेट गई। अब मेरी हिम्मत थोड़ी सी बढ़ी, मैंने अपना हाथ जो उनके पेट पर था, सरका कर उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा।

यह सब काम बिल्कुल चुपचाप हो रहा था। धीरे धीरे साँसें गरम होने लगी, वो मेरा हाथ पकड़ कर चूचियों को सहलाने में मेरा सहयोग करने लगी।

मैं तो तैयार था, झट से उन्हें सीधा लिटाया और अपना लंड उनकी मलाईदार चूत पर टिका दिया। चूत रस से भरी हुई थी। एक ही झटके में मेरा लंड चूत की गहराइयों में जा टिका। उनके मुंह से सिसकारी निकली, मैंने पूछा- दर्द हुआ क्या ?

वो बोली- हाँ, इतने दिनों बाद जो करवा रही हूँ ! पर तू रुक मत, शुरू हो जा ! आज मेरी प्यास बुझा दे !

मैं जोश में आ गया और जोर से धक्के लगाने लगा। वो भी अपनी कमर हिला कर मेरा साथ देने लगी। 8-10 धक्कों के बाद ही उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और बोली- मैं तो गई !

और वो झड़ गई पर मेरा तो अभी हुआ नहीं था। वो समझ गई और बोली- बाहर मत निकलना ! अन्दर डाले हुए ही लेटे रहो !

मैं उनकी चूत में ही लंड डाले लेटा रहा और उनकी चूचियों को चूसने लगा। कुछ ही देर में वो दोबारा तैयार हो गई। इस बार दोनों पूरे जोश में थे।

करीब 20-25 धक्कों के बाद मैं झड़ने लगा तो मैंने कहा- लो भाभी, संभालो ! मैं गया !

तो बोली- अन्दर मत झाड़ना ! मेरे मुंह में झाड़ना !

मैंने लंड चूत में से निकाल कर उनके मुंह में डाल दिया। वो सारा रस पी गई और जीभ से चाट चाट कर मेरे लंड को साफ़ कर दिया। फिर हम ऐसे ही सो गए। सुबह चार बजे उठकर एक दिहाड़ी और लगाई उसके बाद नहा धो कर पूजा करने चले गए। वहाँ से वृन्दावन आए, वहां पर दर्शन करने के बाद मैंने भाभी से कहा- अब बस पकड़कर दिल्ली चलते हैं।

तो भाभी बोली- नहीं, अभी यहीं एक धर्मशाला में किराये पर कमरा ले लेते हैं, शाम को चलेंगे !

दोस्तो, उस दिन मैंने उन्हें तीन-चार बार चोदा। उसके बाद हम रात को दिल्ली आ गए। अब जब कभी हम वहाँ जाते हैं तो एक बार तो जरूर चुदाई का प्रोग्राम बनता है।

प्रेषक – सेक्सी Hindi Sex Stories

कुछ दिनों पहले हमारी पुरानी Hindi Sex Stories कामवाली भगवान को प्यारी हो गई। तो मम्मी ने एक नई कामवाली रख ली, जिसका नाम रोहिणी है। पुरानी कामवाली तो एक बुढ़िया थी, लेकिन रोहिणी एक जवान नेपालिन थी। उसका पूरा बदन काफी छरहरा था। विशेषकर उसकी कमर बहुत ही पतली और लचीली थी। उसके चूतड़ देखकर ही उन्हें मसलने का दिल करता था। उसके होंठ काफी भरे हुए थे। उसका बदन बिना किसी हेयर-रिमूवर के ही बिना बालों के, चिकना था। हालाँकि उसकी चूचियाँ कुछ ख़ास नहीं थीं मेकिन फिर भी उनमें एक अजीब सा आकर्षण था। जब भी वह काम कर रही होती तो मैं उसकी पसीने से भींगी हुई पीठ देखा करता था।

धीरे-धीरे मुझे वह अच्छी लगने लगी (मेरा मतलब उसका जिस्म भाने लगा।)। लेकिन वह सामान्यतः बड़ा रूखा व्यवहार करती थी। वह मुझे उस नज़र से नहीं देखती थी जिस नज़र से मैं उसे देखा करता था। इसलिए मैं मन-ही-मन उसे अपने जाल में फँसाने की तरक़ीब सोचता रहा और अन्ततः एक दिन मुझे सही तरक़ीब मिल ही गई। शाम का समय था, मेरे सिवा घर के सभी लोग सो रहे थे। रोहिणी काम कर रही थी। मैंने सोचा अपनी चाल चलने का यह सही समय है। रोहिणी हमारे बाहर की गैलरी में झाड़ू लगा रही थी। मैं चुपके से गया और १०० रुपए का एक नोट फर्श पर गिराकर छिप गया। झाड़ू लगाते-लगते जब रोहिणी की नज़र १०० के नोट पर पड़ी, तो उसने आस-पास देखा और वह १०० का नोट उठाकर अपनी ब्लाऊज़ में डाल लिया।

इस पर मैं एकदम से बाहर आ गया और उससे कहा, “मैंने सब देख लिया है, तुमने मेरा १०० का नोट उठा लिया है, तुमने चोरी की है।”

इसपर वह घबरा गई, “जी? मम्म्म…मैंने… तो कुछ नहीं… उउउ?उउ?ठाया”

“झूठ मत बोलो, मैंने तुम्हें नोट उठाते हुए अपनी आँखों से देखा है, मैं अभी मम्मी को बुलाता हूँ।”

“ऐसा मत करो!… मेरी नौकरी चली जाएगी।”

“तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए।”

“मुझे माफ़ कर दीजिए! आईंदा ऐसा फिर कभी नहीं होगा।”

“बिल्कुल नहीं, मैं मम्मी को बुलाता हूँ, तुम्हारी नौकरी जाएगी, बदनामी होगी तभी तुम्हें अक्ल आएगी।”

“देखिए, मेरी बद़नामी होगी तो मुझे कोई भी नौकरी नहीं देगा।”

“तो मैं क्या करूँ?”

“मुझे माफ़ कर दीजिए।”

“क्यों माफ़ कर दूँ?… इससे मुझे क्या मिलेगा?”

“तुम्हारा अहसान होगा! मैं ग़रीब आपको क्या दे सकती हूँ?”

“तुम्हारी नौकरी बच सकती है अगर तुम मेरे कुछ काम कर दो तो!” – मैंने पासा फेंक दिया था।

“यहाँ कोई हमारी बातें सुन लेगा, तुम काम करने के बाद छत पर आ जाओ।” – मैंने आगे कहा

“ठीक है।”

फिर रोहिणी कुछ ही देर में छत पर आ गई।

“हाँ! क्या कह रहे थे तुम?” – आते ही उसने पूछा।

“अगर तुम मेरे लिए कुछ काम कर दो तो तुम बद़नाम और बेरोज़गार होने से बच सकती हो।”

“कैसे काम?”

“मेरी ज़रूरत पूरी कर दो।”

“कैसी ज़रूरत?”

“मैं बहुत प्यासा हूँ! आज बुझा दो मेरी प्यास।”

“तुम्हारा मतलब है, मैं तुम्हारे साथ वो गन्दे काम करूँ? देखो, यह बात ठीक नहीं है।”

“हाँ, और जो तुमने १०० रुपयों की चोरी की, क्या वह बात ठीक है? देख लो… सोच लो… मुझे मम्मी को.. और मम्मी को पूरे मुहल्ले को इकट्ठा करने में समय नहीं लगेगा।”

यह कहकर मैं उसके बद़न के बहुत क़रीब आ गया, “देखो, मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी चीज़ तुम्हारी कमर लगती है! वैसे तो तुम पूरी तरह चिकनी हो, पर तुम्हारी कमर कुछ ज्यादा ही चिकनी है।”

“एक काम करने वाली तुम्हें चिकनी लगती है?”

“हाँ… मुझे अपनी कमर चूमने दो, तो शायद मैं तुम्हारी चोरी की बात भूल जाऊँ।”

“क्या…? मेरी कमर चूमना चाहते हो?… ठीक है, लेकिन फिर १०० रुपये वाली बात किसी से नहीं कहोगे?”

“नहीं कहूँगा… तुम यहाँ लेट जाओ।”

“ठीक है… लेकिन ज़रा ज़ल्दी करना… कहीं तुम्हारे घर वालों में से कोई जाग ना जाए।”

वह फिर लेट गई और मैं उसकी कमर चूमने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि चाटनी शुरू कर दी – “तुम ज़रा उल्टी हो जाओ, मुझे तुम्हारी पीठ बहुत अच्छी लगती है – ख़ास कर जब पसीने में भींगती हो तो…”

“हाय रब्बा…, तुम मुझे छुप कर देखते रहते हो क्या?”

“हाँ!” – मैं उसकी पीठ चाटने लगा। उसे पसीना आ रहा था और मैं उसका पसीना चाट रहा था।

“तुम्हारा पसीना बहुत स्वाद दे रहा है।”

“तुम कैसे हो? तुम्हें मेरा पसीना अच्छा लग रहा है?”

“हाँ.. अब तुम सीधी लेट जाओ।”

“लो… सीधी लेट गई! जल्दी करो>”

“अपनी साड़ी का पल्लू हटाओ।”

“नहीं। तुमने कहा था कि तुम कमर चूमोगे।”

“मम्मी को लगाऊँ आवाज़ और बताऊँ कि तुमने चोरी की है।”

“नहीं… नहीं… हटाती हूँ पल्लू।”

फिर उसने अपना पल्लू हटा दिया, मैंने उसका पूरा पेट चाटना शुरू कर दिया। मुझे लड़कियों की काँख बहुत आकर्षित करतीं हैं, बड़ी अच्छी लगतीं हैं। मैंने उसके पेट पर हाथ फेरा और कहा – “चलो, अब अपनी बाँहें ऊपर करो।”

“क्या? तुम तो बहुत अजीब हो… लो।”

मैं उसके ब्लाऊज़ के ऊपर से ही उसकी काँख चाटने लगा, उसकी ब्लाऊज़ काफ़ी गहरे गले की थी।

“तुम्हारी ब्लाऊज़ इतने गहरे गले वाली क्यों है?

“क्या है?”

“मतलब तुम्हारी ब्लाऊज़ मे इतनी गहराई क्यों है?”

“मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं।”

“और मुझे तुम्हारी ब्लाऊज़ की गेन्दें अच्छी लगतीं हैं। चलो अपनी ब्लाऊज़ उतारो और मुझे उनसे खेलने दो।”

“तुम बहुत आगे बढ़ रहे हो।”

“इसे तुम अपनी चोरी की सज़ा समझ सकती हो! आज मैं जो कहता हूँ, करो तो मैं किसी से भी कुछ नहीं कहूँगा।”

“ब्लाऊज़ के हुक सामने ही लगाए हैं, खोल लो।”

फिर मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए। उसमें से मेरा १०० रुपयों का नोट निकला – “ये रहा मेरा १०० का नोट।”

“इसे मेरे पास ही रहने दो। आख़िर इसकी वज़ह से ही तो यह सब करवा रही हूँ।”

उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैं उसकी चूचियाँ अपने हाथों से मसलने लगा। अब उसको भी मज़ा आने लगा था – “मसलोगे भी, या चूसोगे भी? लेकिन जल्दी।”

मैंने उसकी घुण्डियों को मुँह में लिया और चूसने लगा – “आआआआहहह… चूसो। चूसो इन्हें.. दबाओ… मसल डालो। आहह्ह्ह्हहहह।”

कुछ देर तक तो मैं उसकी घुण्डियाँ चूसता रहा। फिर उसने ख़ुद ही मेरा सिर पकड़ कर अपनी साड़ी ऊपर कर के, मेरा सिर अपनी टाँगों के बीच रख दिया – “असली जगह तो यहाँ है। चूसो मेरी योनि को… चाटो इसे।”

“नहीं, पहले तुम अपनी साड़ी उतार दो। मैं तुम्हारे चूतड़ देखना चाहता हूँ।”

“साड़ी नहीं उतारूँगी।” मैं साड़ी पूरी ऊपर कर लेती हूँ। लेकिन तुम मेरी योनि चूसते रहो।”

“क्या सिर्फ मैं ही चूसूँगा? तुम मेरा कुछ भी नहीं चूसोगी?”

“ओफ्फ्फोह। पहले तुम मेरी योनि चूसो, फिर मैं तुम्हारा हथियार चूस दूँगी।”

“नहीं, हम दोनों एक साथ चूसेंगे।

“वो कैसे?”

फिर हम दोनों 69 की मुद्रा में आ गए।

“आहह… आहह्ह्ह। तुम मेरे राजा हो। मेरी योनि के राजा।”

“तेरी योनि और गाँड पर सौ-सौ के सौ नोट क़ुरबान।”

काफ़ी चूसने के बाद वो बोली – “बस राजा बस… अब डाल दो अपना हथियार मेरी चूत में, और मार लो मेरी।”

मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी।

उईईई माँआआआआ… मर गईईईई… ओओओहहहह… ओओह। इतना मोटा लण्ड मेरी नाज़ुक चूत में डाल दिया… थोड़ा धीरे-धीरे डालो।”

“मेरी रानी की चूत कितनी टाईट है।”

“आआहहह…. आआआ.. . मेरे राजा… मेरी गाँड इससे भी अधिक टाईट है।” – उसने मुझे आँख मार कर कहा।

फ़िर बाद में मैंने उसकी गाण्ड भी मारी ! Hindi Sex Stories

दोस्तो! मेरा नाम आरव है।

मैं एक बार अपने एक दोस्त अरमान के घर गया हुआ था.

वहां उसकी कोई दूर के रिश्ते में दो लड़कियां आईं हुईं थीं।

वहां एक मेला लगता था तो मैं और मेरा दोस्त मेला देखने गए।
हमारे साथ उसकी वह दोनों रिश्तेदार लड़कियां भी थीं।
वे दोनों आपस में बहनें थीं।

उनमें से एक का नाम पलक था जो उस वक्त करीब उन्नीस साल की होगी।
यह न्यू चूत सेक्सी कहानी इसी पलक की है.

हम लोगों ने वहां पर बहुत मस्ती की।

इस दौरान मैंने महसूस किया कि इस पलक का ध्यान मेरी तरफ ही रहा और वह बार-बार मेरी तरफ देखकर अजीब से अंदाज में मुस्कुरा रही थी।

बहरहाल रात करीब साढ़े बारह बजे हम लोग घर वापस आए तो इतना थक गए थे कि एक बजे तक हम सोने के लिए लेट चुके थे।

मैं काफी दिन बाद यहां आया था तो हम सब सोने के लिए एक ही कमरे में लेट गए कि कुछ बातें और कर लेंगे।

अब स्थिति यह थी कि एक तरफ अरमान की चारपाई थी, उसके बाद मेरी और मेरे साथ वाली चारपाई पर पलक और महक की चारपाई थी।

हम लोग कुछ देर बातें करते रहे.

और इसी दौरान मैंने देखा कि पलक और महक सो गई हैं और अरमान भी ऊंघने लगा था.

तो मैंने कहा- अरमान यार, बाकी बातें सुबह करेंगे. अभी तो मुझे भी नींद आ रही है।
अरमान ने कहा- हां यार, मुझे भी नींद महसूस हो रही है। ठीक है सुबह बात करेंगे।
और वह दूसरी तरफ मुंह करके लेट गया।

अभी पांच मिनट ही हुए होंगे कि मुझे ऐसे लगा जैसे पलक की चारपाई हिली है।

मैंने आंखें खोलकर देखा तो पलक उठकर लाईट बंद करने जा रही थी।

लाईट बंद करके जब वह अंधेरे में वापस अपनी चारपाई पर आई तो मैंने पूछा- पलक, लाईट क्यों बंद करदी?
उसने कहा- मुझे रोशनी में नींद नहीं आती।
मैंने कहा ‘चलो ठीक है’ और में भी आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा।

अभी कुछ देर ही हुई थी कि मुझे अपने जिस्म पर किसी का हाथ महसूस हुआ जोकि धीरे-धीरे मेरी पिंडली पर से फिसलता हुआ मेरी जांघों की तरफ जा रहा था।

मैंने अंधेरे में उस हाथ पर हाथ रखा तो पता चला कि वह पलक का हाथ है।

उसने मेरा हाथ दबाकर मुझे खामोश रहने का इशारा किया।

मैं हैरान था कि ये लड़की क्या कर रही है?

पलक का हाथ फिसलता हुआ मेरे लंड तक पहुंच गया।
उसने बहुत प्यार से मेरे अकड़ते हुए लंड को अपने हाथ में लिया और उसके सुपारे को सहलाने लगी।

करीब पंद्रह मिनट तक वह मेरे लंड से खेलती रही जिसकी वजह से मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो गया।

इसी दौरान मैंने भी अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और पहले धीरे-धीरे पलक के पेट पर फेरा और फिर उसके बाद उसकी छाती तक पहुंच गया।

पलक ने अपनी बत्तीस साइज की चूचियों पर फोम वाली ब्रा पहनी हुई थी।

मैंने भी ब्रा के ऊपर से ही पलक की नर्म और गर्म चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।

उसे लंड से खेलते और मुझे चूचियों को सहलाते हुए करीब आधा घंटा गुजर चुका था।

अचानक ही पलक अपनी चारपाई से उठी और धीरे से मेरे बराबर में आकर लेट गई।
आते ही उसने मेरे चेहरे पर अपने होंठों से चुम्मियों की बौछार कर दी।

एक तो उसका नर्म और गर्म जवानी से भरपूर जिस्म मेरे जिस्म के साथ लिपटा हुआ था जो मेरे अंदर आग लगा रहा था और दूसरी तरफ उसके रसीले और गुदाज होंठ मेरे गालों और होंठों को चूम रहे थे।

मैंने पलक के कान के बिल्कुल करीब जाकर कहा- पलक, कहीं अरमान और महक जाग ना रहे हों!
इस पर उसने भी इसी तरह धीरे से मेरे कान में जवाब दिया- नहीं कोई बात नहीं; अरमान तो काफी गहरी नींद सोता है, इसको तो अब तक होश भी नहीं होगा. तुम बेफिक्र हो जाओ।

मैंने कहा- पलक, क्या ये सब ठीक रहेगा जो हम कर रहे हैं?
तो वह बोली- मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो और मैं कब से तुम्हें इस तरह प्यार करने और तुमसे प्यार करवाने के लिए बेताब थी। आज सब कुछ भूल जाओ और बस ऐसे मुझसे प्यार करो जैसे कोई अपनी बीवी से करता है।

पलक ने यह बात कह तो दी मगर मुझे डर लग रहा था कि अगर अरमान जाग गया और उसको ये सब पता चल गया तो क्या होगा.

जब मैंने पलक से ये सब कहा तो वह बोली- चलो फिर चुपके से छत पर चलते हैं. और इस बात से तो बेफिक्र हो जाओ कि घर में से कोई उठ जाएगा और हम पकड़े जाऐंगे।
यह कहकर पलक मेरे पास से उठी और अंधेरे में गायब हो गई।

थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि कमरे का दरवाजा खुला और पलक मुझे पीछे-पीछे आने का इशारा करके दरवाजे से हट गई।

मैं समझ गया कि वह छत पर गई है तो मैं भी हिम्मत सी करके उठा और उसके पीछे-पीछे छत पर चला गया।

छत पर एक स्टोररूम बना हुआ था।
चांद की हल्की-हल्की रोशनी में मैंने देखा कि पलक स्टोररूम के दरवाजे पर खड़ी थी और उसने अपनी कमीज उतार दी थी।
अब वह सिर्फ सलवार और ब्रा पहने हुए थी।

चांद की रूमानी रोशनी में पलक का रूप बहुत भला लग रहा था।
चन्द्रमा की हल्की-हल्की चांदनी में उसका गोरा जिस्म मेरे अंदर आग सी लगा रहा था।

जैसे ही में पलक के करीब पहुंचा, उसने मुझे जोर से अपनी तरफ खींचा और मुझे बांहों में लेकर अपने होंठों से मेरे होंठों को कस लिया।

पलक बहुत ज्यादा गर्म हो रही थी और खड़े-खड़े ही अपने जिस्म को इस तरह हरकत दे रही थी कि मेरा खड़ा हुआ लंड बार-बार उसकी चूत के साथ रगड़ खा रहा था।

मैंने एक हाथ में उसकी गर्म गुदाज चूची पकड़ी हुई थी जिसको मैं धीरे-धीरे दबा और मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी गोल और नर्म गांड से खेल रहा था।

उसने दोनों हाथों से मेरा चेहरा थामा हुआ था और हम दोनों एक-दूसरे के होंठ और जीभ चूस रहे थे।

तभी मैंने पलक की चूचियों पर से अपना हाथ हटाया और धीर-धीरे उसकी सलवार में डाल दिया।
जहां मेरा स्वागत चूत पर आए हुए बालों के गुच्छे ने किया.

तो मैंने पलक से पूछा- यार, तुम चूत के बाल साफ नहीं करती हो क्या?
तो पलक ने कहा- मेरी जान, अगर मुझे पता होता कि ये सब होने वाला है तो मैं अपनी चूत को मक्खन की तरह मुलायम कर लेती। मगर ये सब हुआ ही अचानक है।

बालों के ऊपर से गुजर कर जब मेरी उंगलियां उसकी चूत के दाने तक पहुंचीं तो मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी।

जब मैंने उसकी चूत के दाने को छुआ तो पलक का जिस्म एकदम से कांप सा गया और वह नशीली सी आवाज में सिसकारी भरकर बोली- जान, तुम्हारी उंगलियों में जादू है। मेरी चूत जलने लगी है। प्लीज कुछ करो … मुझे और मत तड़पाओ।

अब हम स्टोर रुम के दरवाजे से हटकर अंदर आ गए।
वहां पर एक पुराना सोफा पड़ा हुआ था।

पलक सोफे के पास जाकर खड़ी हो गई और मुझे दरवाजा बंद करने का इशारा किया।

मैंने दरवाजा बंद करके उस के आगे एक कुर्सी रख दी क्योंकि दरवाजे को अंदर से बंद करने के लिए कोई कुंडी या चिटकनी नहीं थी।

अंदर एक बल्ब जल रहा था जिसकी वजह से स्टोर में अच्छी खासी रोशनी हो रही थी।

पलक ने अपनी सलवार भी उतारकर सोफे पर रख दी और अपनी टांगें खोलकर सोफे पर इस तरह बैठ गई कि उसकी चूत पूरी तरह खुलकर मेरे सामने आ गई।
मैं भी नजदीक आकर उसकी चूत के सामने पैरों के बल बैठ गया।

पलक की चूत बाहर से गोरी थी और उसकी चूत का रंग गुलाबी था।

मैंने पहले धीरे-धीरे उसकी चूत को हाथ से सहलाया और इसके बाद दो उंगलीयों से उसकी चूत को खोलकर अंदर के गुलाबी हिस्से पर जीभ से मसलना शुरू कर दिया और कहा- पलक तुम्हारी चूत की खुशबू बहुत अच्छी है और ये कुछ ज्यादा ही गर्म हो रही है।
इस पर पलक ने हंसते हुए कहा- इसकी सारी खुबसूरती सिर्फ तुम्हारे लिए है मेरी जान! खा जाओ मेरी चूत को … ये इसलिए गर्म हो रही है ताकि इसकी गर्मी से तुम भी गर्म हो जाओ और मेरी चूत को खा जाओ।

पलक के मुंह से इस तरह के गंदे-गंदे लफ्ज सुनकर आज मुझे पता नहीं क्यों लेकिन बहुत मजा आ रहा था।

मैं दीवानों की तरह पलक की कुंआरी चूत को चाटता रहा।
दो बार पलक की चूत ने चिकना-चिकना सा पानी छोड़ा जो सब का सब मैंने चाट लिया।

अब पलक ने अपनी ब्रा भी उतारकर फैंक दी और वह सिसकारियां भरते हुए अपनी चूचियों को दबा और सहलाने लगी।
इधर मैं दीवानों की तरह उसकी चूत की भूल-भुलैया में घूम रहा था।

थोड़ी देर बाद पलक ने कहा- चलो कुछ और ट्राई करते हैं।
तो मैं बोला- ठीक है, मैं बताता हूं कि अब हमें क्या करना है।

मैंने उसे सोफे पर लेटने को कहा और जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार कर खुद उसके ऊपर 69 की पोजीशन में लेट गया।

अब मेरा लंड बिल्कुल पलक के होंठों के करीब था और उसकी चूत मेरे मुंह के पास!
बस फिर क्या था?

मैं फिर से भूखों की तरह उसकी चूत के साथ चिपक गया और उसकी चूत के अंदर जीभ डालकर जीभ से चोदने लगा।

पलक ने मेरा लंड देखा तो कहने लगी- जान, ये तो बहुत मोटा है।
उसकी गर्म-गर्म सांसें मुझे अपने लंड पर महसूस हो रही थीं।

उसने पहले मेरे लंड के सुपारे को हल्का सा चूमा और फिर एक हाथ से लंड और एक हाथ से मेरे टट्टे पकड़कर धीरे से लंड को पूरा मुंह में ले लिया और जीभ से लंड की मालिश सी शुरू कर दी।

शायद पलक को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि वह लंड चूसने के साथ-साथ अपनी चूत को मेरे होंठों पर धीरे-धीरे हिला भी रही थी।

लगभग 10 मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा और वह मेरा लंड चूसती रही।
उसकी चूत से बार-बार चिकना-चिकना पानी निकल रहा था जिसे चाटना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

लगभग 10 मिनट बाद हम उठ गए और मैंने पलक को इस तरह लिटा लिया कि मैं उसकी चूत में लंड डाल सकूं।

पलक ने पूछा- जान क्या अब तुम मुझे चोदोगे?
तो मैंने कहा- हां पलक, अब मैं खुद को तुम्हें चोदने से नहीं रोक सकता।
पलक ने कहा- हां मेरी जान, मैं तो खुद चाहती हूं कि तुम अपने इस तने हुए लंड से मेरी चूत मारो।

अब मैंने लंड के सुपारे को पलक की चूत पर रगड़कर थोड़ा सा चिकना किया और उसे चूत के मुंह पर रखा.
तो पलक ने मस्ती में आकर आंखें बंद कर लीं और दोनों हाथों से अपनी छोटी-छोटी कड़क चूचियों को दबाते हुए मस्ती भरी आवाज में सिसकारी भरती हुई बोली- जान, अपना लंड मेरी चूत में डालो ना! क्यों तरसा रहे हो मेरी इस मासूम चूत को?

उसकी बात सुनकर मैंने पलक के ऊपर लेटकर उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और धीरे-धीरे लंड को उसकी सेक्सी चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया।

पलक की चूत बहुत टाइट और गर्म थी।
उसकी नर्म नर्म और टाइट चूत में मेरा लंड धीरे-धीरे घुस रहा था और तकलीफ की वजह से उसने अपनी आंखें कसके बंद की हुईं थीं।

पलक की न्यू चूत के अंदर आधा लंड घुस गया तो उसने मुझे रुकने को कहा।
मैंने लंड को वहीं रोक लिया और उसकी 32 साइज की चूचियों पर अपने होंठ रख दिए।

उसके छोटे-छोटे निप्पल चुदाई की आग में जलकर काफी कड़े हो गए थे।

मैं थोड़ी देर तक उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी चूमता और चूसता रहा तो थोड़ी देर बाद पलक ने नीचे से अपनी चूत को हरकत देना शुरू कर दी।

मैंने भी लंड को धीरे-धीरे और अंदर करना शुरू कर दिया था।
इस बार शायद उसे दर्द कम हो रहा था क्योंकि जैसे-जैसे लंड चूत में घुसता जा रहा था वह अपनी टांगों को और ज्यादा खोलती जा रही थी।

जब लंड पूरा अंदर चला गया तो पलक के मुंह से दर्द भरी सिसकारी निकल गई।

मैं फिर से रूक गया और उसकी जबरदस्त चूचियों से खेलना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद फिर से पलक की सेक्सी चूत ने नीचे से हरकत शुरू कर दी तो मैंने भी लंड को धीरे-धीरे बाहर खींचा और पूरा लंड बाहर आने से पहले ही दोबारा उसकी चूत में धकेल दिया।

पलक के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई ‘हाय मेरी चूत!’

मेरा लंड एक ही झटके में पूरे का पूरा उसकी न्यू चूत में स्थापित हो गया।

पलक ने कहा- जान, तुम्हारा लंड बहुत जालिम है। इससे तो मेरी चूत फटती हुई सी महसूस हो रही है।
मैंने कहा- मेरी जान, मेरा लंड मोटा नहीं है बल्कि तुम्हारी चूत ही बहुत टाइट है।

अब मैंने धीरे-धीरे पलक की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मैं धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था और पलक चुदाई के मजे में सिसकारियां भर रही थी- आह आह आह … हाय मेरी चूत … धीरे-धीरे चोदो … आह आह … मेरी चूत फट रही है। आह प्लीज जान धीरे चोदो … मेरी चूत फट जाएगी।
उसके मुंह से ऐसी सेक्सी सिसकारियां सुनकर मेरे अंदर और भी आग धधकने लगी तो मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से चूत में धक्के मारने लगा।

दस मिनट की इस चुदाई ने हम दोनों को पसीने में सराबोर कर दिया क्योंकि स्टोर में कोई पंखा नहीं था।
मेरा लंड कस-कस के पलक को चोद रहा था।

मैं अपने लंड को उसकी चूत से निकालता और फिर से एकदम उसको चूत में धकेल देता जिसकी वजह से पलक की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी।

उसकी चूत से पचक-पचक की आवाजें आ रही थीं।
पलक की चूत इतनी टाइट और जिस्म इतना सेक्सी था कि कुछ ही देर में मुझे लगा कि मैं छूटने वाला हूं।

अब मैंने लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसे घोड़ी बनने को कहा तो वह उठी और सोफे पर इस तरह घोड़ी बन गई कि मैं जमीन पर खड़ा होकर उसको चोद सकता था।

मैंने पहले डोगी स्टाइल में ही उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया जो कि मेरे लंड और उसकी चूत के पानी से चिकनी हो रही थी।

तब मैंने उसकी चूत को चाटकर खूब साफ किया और फिर उसकी गोल-मटोल छोटी सी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर रखा ही था कि पलक ने पीछे को एक धक्का मारा.
जिसकी वजह से मेरा पूरे का पूरा लंड पलक की चूत में घुस गया और उसके मुंह से चीख निकल गई- हाय मैं मर गई … आह … मेरी चूत फट गई … आह आह!

और फिर कुछ देर रुके रहने के बाद उसने खुद ही धीरे-धीरे से धक्के लगाने शुरू कर दिए।

जब उसके धक्कों की स्पीड कुछ कम हुई तो मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरते हुए उसकी चूत में लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।

घोड़ी बनने की वजह से उसकी चूत और भी टाइट महसूस हो रही थी।

अभी इस तरह चुदाई करते हुए कुछ पांच मिनट ही हुए होंगे कि मुझे लगा कि किसी भी लम्हे मेरा लंड उसकी चूत में अपना लावा उगल देगा.
तो मैंने पलक को कहा- जान, मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है।
उसने कहा- मेरी चूत में मत झड़ना प्लीज!

लेकिन मुझ पर तो जैसे जुनून सवार था; मैं जोर-जोर से धक्के मार रहा था और कब मेरे लंड ने पलक की चूत में गर्म-गर्म पानी छोड़ दिया मुझे पता भी नहीं चला।

मैं लंड को उसकी चूत में ही रखकर उसके ऊपर पसर गया.

और जब हमारी हालत कुछ संभली तो मैंने अपने लंड को पलक की चूत से बाहर निकाला और अपनी बनियान से अपने लंड और पलक की चूत को साफ किया.

तब पलक को अपने सामने खड़ा करके मैं उसको अपने सीने से लगाकर उसके होंठों पर किस करने लगा।

कुछ देर बाद हमने कपड़े पहने और फिर से कमरे में आकर लेट गए।

जब मैं बिस्तर पर लेट गया तो पलक ने लाईट जलाई और महक और अरमान को चैक किया तो वे दोनों बेखबर सो रहे थे।

पलक मेरे साथ ही मेरे बिस्तर पर लेट गई और थोड़ी देर हम एक-दूसरे को चूमते रहे और फिर मैंने उसको अपने बिस्तर पर जाने को कहा।

वह उठी और अपने बिस्तर पर जाकर महक के साथ लेट गई.
और मैं पलक के सेक्सी जिस्म और अपनी इस चुदाई के बारे में सोचता हुआ जाने कब सो गया पता ही नहीं चला।

मेरी दीदी रेशू मुझसे दो वर्ष बड़ी है उसकी शादी को दो साल हो चुके हैं। हमारा घर छोटा ही है सो इन दो सालों में मैंने जीजू और दीदी की चुदाई छुप-छुप के कई बार देखी है।

जैसे ही उनकी वासना भरी आवाज मेरे कानों से टकराती है, मेरा मन भी तड़प उठता है। मुझे भी ऐसा लगता है कि हाय राम… कोई मुझे भी आकर बजा जाये… सारा जिस्म का रस निकाल दे।

ऐसा नहीं है कि चुदाई का मजा मैंने नहीं लिया है। अपने दोस्तों से मैं आठ-दस बार चुद चुकी हूँ।
पर इस जालिम चूत का क्या करें और ये दिल… मानता ही नहीं है।

मेरी चूचियाँ भी ठीक ठाक हैं, टाईट बनियाननुमा टॉप पर ये किसी को भी घायल कर कर सकती हैं। मेरी सफ़ेद टाईट पैण्ट के तो कॉलेज में सभी दीवाने हैं…

और घर पर जीजू की तो जैसे आंखें ही नहीं हटती हैं। उनकी ललचाई आंखें मैं खूब पहचानती हूँ। जब तब वो मेरे पर कोशिश भी करते रहते थे।

मुझे भी घर में एक ही मर्द नजर आया था सो मैं भी कितनी बार उनसे द्विअर्थी शरारत करती थी, जिससे वो और उत्साहित हो जाते थे।

जब हम घूमने जाते थे तो उनके हाथ अन्जाने में… नहीं जी… काहे के अनजाने में… जान कर के कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मार देते थे और कभी कोहनियों से मेरे स्तन दबा देते थे। मुझे उनकी यह अदा मस्त कर देती थी।

कल ही जीजू ने बड़ी हिम्मत की और इत्मिनान से मेरे चूतड़ सहला दिये और फिर हाथ हटा भी नहीं रहे थे। मैंने भी उन्हें गाण्ड सहलाने का पूरा मौका दिया।
जीजू को ऐसा लगा कि शायद लाईन साफ़ है।

पर मैंने जानकर के उसे अनदेखा किया। पर इससे मुझे भी जीजू के मन की इच्छा मालूम हो गई। दिल ही दिल में मैं तड़प उठी। घर आने पर भी मैं जीजू के सपनों में खोई रही।

आज सवेरे से मौसम बड़ा सुहावना हो रहा था, बरसात होने जैसा हो रहा था। जीजू बाज़ार जाने वाले थे, उन्होंने मोटर साईकल बाहर निकाली और मैंने भी जिद पकड़ ली कि मैं भी साथ चलूंगी।

दीदी ने भी मुझे ले जाने को कहा।

मैं तुरंत अन्दर गई और बनियाननुमा टॉप और सफ़ेद टाईट पैन्ट पहन आई। मैं अन्दर ब्रा नहीं पहनती थी।
मैं लपक कर मोटरसाईकल के पीछे बैठ गई।

आगे जाते ही बूंदा-बांदी शुरू हो गई। मौसम मेरे मन को भड़का रहा था। ठण्डी हवा के झोंके मेरे जिस्म को गुदगुदाने लगे थे। मेरी कठोर चूचियाँ और कस गई। मेरे चुचूक कड़े होने लगे। मैं अपनी स्थिति बयान नहीं कर सकती।

ऐसे में मैंने प्यार से अपनी कठोर चूचियाँ जीजू की पीठ पर गड़ा दी और धीरे धीरे ऊपर नीचे हिलाने लगी। जीजू के बदन में मुझे कंपकपी उभरती हुई साफ़ नजर आने लगी।

रास्ते में कई बार मैंने अपनी चूचियाँ जीजू की पीठ पर गड़ा कर मस्ती की और जीजू को उत्तेजित किया।

कुछ ही देर में बड़ी सब्जी मण्डी आ गई। हमने सब्जियाँ और फ़ल बैग में भरे और सामने हेन्डल पर लटका दिये। तभी बरसात आने लगी। जीजू और मैं भाग कर मोटरसाईकल पर बैठ गये और रवाना हो गये।

हम दोनों ही लगभग भीग चुके थे… जीजू एक बन्द दुकान के सामने रुक गये और हम शेड में खड़े हो गये। मेरी बनियान में से मेरी चूचियाँ और चुचूक यू साफ़ नजर आने लगे थे, जीजू की नजरें वहाँ से हट ही नहीं रही थी।

उनके घूरने से मुझे लगा कि आज ये तो गये काम से… बस उन्हें खोलने की आवश्यकता थी। मेरी सफ़ेद पैन्ट में से मेरे चूतड़ और सामने के कट नजर आने लगे थे।

मैं जान कर के बाहर आकर बरसात में भीगने लगी। आस पास मैंने नजर दौड़ाई, वहाँ कोई नहीं था।

‘अरे, बिल्कुल भीग जाओगी… यहाँ आ जाओ…!’ जीजू ने हाथ बढ़ाया तो मैंने जीजू का हाथ खींच लिया और उन्हें भी बरसात में खड़ा कर दिया।

‘जीजू, भीगने का मजा तो लो, अब नहीं भीगोगे तो कब भीगोगे?’ मैंने उन्हें नशीली आवाज में कहा।
जीजू भी अब भीगने लगे थे। मुझे देख कर उनका लण्ड भी खड़ा होने लगा था जो भीगे हुये पैन्ट से साफ़ नजर आ रहा था।

लोहा गर्म था… मैंने मौका चूकना उचित नहीं समझा- जीजूराम, रास्ते में आपने जाने मुझे क्या कर दिया… मैं तो अपने काबू में ही नहीं रही थी!’
मैं अपनी भीगी हुई चूचियाँ और आगे उभार कर उन्हें रिझाने लगी।

‘नीलू, ये तेरे कठोर मस्त पहाड़ मेरी पीठ पर गुदगुदी कर रहे थे, बड़े ही कठोर हैं!’ जीजू ने भी अपना पत्ता डाल दिया।

अब मेरी बारी थी- नहीं जीजू, ये ये कठोर नहीं, नरम हैं… भले ही ही छू कर देख लो!
मुझे उन्हें अपने कब्जे में लेने के लिये न्योता देना ही पड़ा। मैंने अपनी बनियान-नुमा टॉप को ऊपर से खींचते हुये कहा।

बारिश की बूंदें मेरे उरोजों पर गिर कर आग पैदा कर रही थी। जीजू ने मेरे पास आकर मेरी चूचियों को स्पर्श किया और फिर हौले से दबा दिया। मैं दिल दी दिल में खुशी से भर गई।

सारा बदन पानी में तर हो चुका था। तेज बारिश में सड़क का दूसरा किनारा भी दिखाई नहीं दे रहा था।

जीजू मुझे खींचते हुये दुकान के एक सुरक्षित कोने में ले गए और मुझे लिपटा कर मेरे चूतड़ों को मसलने लगे। उनका जोश देखते ही बनता था। कभी मेरे स्तनों को मसलते और फिर मेरे चूतड़ों की शामत आ जाती…

मुझसे भी अब रहा नहीं गया- जीजू राम, मुझे भी तो कुछ करने दो ना…
मैंने झिझकते हुए कहा।

उन्होंने प्रश्नवाचक निगाहों से मुझे देखा…

इतना तो बहुत था। जगह पाते ही मेरा हाथ उनके नीचे पैन्ट पर उभरे हुये लण्ड से जा टकराया। एक ही झटके में मैंने उनकी पैन्ट की ज़िप खोल दी और हाथ भीतर पहुंचा दिया। उसका भारी लण्ड चड्डी के ऊपर से ही मेरे हाथों में था।

जीजू का लण्ड दबते ही उनके मुख से एक प्यारी सी कसक भरी सिसकारी निकल पड़ी। पंछी पूरी तरह से मेरे काबू में था।

हम दोनों जबरदस्त तरीके से एक दूसरे को नोच रहे थे.

जीजू ने मेरी पैन्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी चूत दबा दी। फिर उनकी एक अंगुली चूत में अन्दर सरक गई। मेरे दाने को सहलाते हुये मेरी चूत में अंगुली हिलने लगी। मैं सिसक उठी और उसी समय मैं झड़ने लगी।

जीजू का लण्ड भी मैंने खूब मसला और खींच खींच कर मस्त कर दिया, तभी जीजू के लण्ड ने अपना रस छोड़ दिया। मेरा हाथ वीर्य से चिकना हो उठा। उसके लण्ड को मसलते हुए मैंने पूरा निचोड़ दिया और फिर हाथ बाहर निकाल लिया।

जीजू ने मुझसे लिपटे हुये मेरे अधरों से अधर मिला लिये। कुछ देर तक अधरपान किया फिर हंसते हुये मैंने जीजू को पिंजरे में कैद करते हुये कहा- जीजू, आम रास्ते पर अब क्या क्या करोगे… चलो घर चलते हैं…’ मैंने सड़क पर ये सब करना उचित नहीं समझा।

‘नीलू मेरा तो माल निकल गया… अब…?’

‘सारा बारिश में धुल कर साफ़ हो जायेगा… अब खुश हो जाओ… क्या इरादा है?’

‘ऐसी घनघोर बारिश में… फिर ऐसा मौका फिर कहा मिलेगा…चलो और करें!’ जीजू का मन नहीं भरा था।
‘घर पर तो मौके ही मौके है ना…अब चलो…’ मैंने जिद की।

जीजू ने अपनी बाईक स्टार्ट की और हम भीगते हुये जिस्म की आग को ठण्डा करने का प्रयत्न करने लगे।

घर पहुंचते ही दीदी ने हमारी हालत भांप ली और उन्हे कुछ शक सा हो गया।

उन्होंने मुझ से तो नहीं पर जीजू को कहा- जल्दी से कपड़े बदल लो… अपनी जवान साली से अब चिपकना बन्द करो!’
दीदी ने कटाक्ष किया।

जीजू सुनते ही घबरा गये और अपनी सफ़ाई देने लगे। शायद उनका दीदी से कुछ कहासुनी भी हुई।
मैं सावधान हो गई। जीजू कहीं मिलते भी तो मैं बस आंख मार देती और उन्हें भी सावधान रहने को कहती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि मैं कॉलेज से जल्दी आ गई। दीदी बाजार गई हुई थी।

मैंने तुरन्त मोबाईल से जीजू को बात की। दूसरे ही क्षण जीजू मेरे कमरे में थे।

मैं बिना कुछ सोचे समझे जीजू से लिपट गई। जीजू की लुंगी मैंने खींच दी। जीजू ने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था। उनका खड़ा लण्ड बाहर आ गया।

हाय गोरा गोरा, चिकना सा, खूबसूरत सा सलोना, लाल चमकदार सुपारा देख कर मैं तो निहाल हो गई।

मैंने भी अपनी पैन्ट उतार दी… और नीचे से नंगी हो गई। मैंने जीजू को धक्का मार कर बिस्तर पर गिरा दिया और उनके मुख पर अपनी चूत का द्वार रख दिया। मेरी चिकनी चूत पर उसकी जीभ घूमने लग गई। मेरा दाना उनकी जीभ से हिल उठा।

‘जीजू राम, आज मौका मिला है… मेरी चूत को चाट चाट कर साफ़ कर दो… बहुत तरस रही है!’

मेरी उत्तेजना से भरी आवाज को वो समझ गए। मैं अपनी चूत उनके मुख पर दबाने लगी। जीजू का हाथ मेरे टॉप के भीतर घुस पड़ा।

मैंने अपना टॉप भी उतार दिया और और पूरी नंगी गई। अब मैंने अपनी चूत नीचे सरकाई और लण्ड से टकरा दी।

जीजू के सब्र के बांध टूटने लगा था। मैंने उनका लण्ड पकड़ा और तीर को निशाने पर लगा दिया। बस कमान छोड़ने भर की देर थी… और तीर चूत के अन्दर…

‘मेरे जीजू राम… चलो शुरू करो…’ हम दोनों ने खुमारी में आंखे बंद कर ली और मैंने उनके लण्ड पर हल्का सा दबाव डाला… लण्ड भीतर समाता चला गया।

दोनों ही सिसक उठे।

‘नीलू, जरा धीरे से, झिल्ली फ़टेगी तो दर्द होगा!’ उसने आशंका जताई।

‘जीजू राम, ऐसा मत कहो ना… मैं तो कई बार चुदा चुकी हूँ… बस आपका लण्ड लेना था!’ मैंने कसकती आवाज में कहा।

‘क्या?… क्या कहा… फिर कोई बात नहीं…’ वो अब इत्मिनान से था।

‘चल ना… मस्ती से चोद यार… लगा अपना लौड़ा पूरी ताकत से कि मैं अच्छी तरह से चुद जाऊँ!’

‘नीलू, मैं तो तुम्हें मन ही मन प्यार करने लगा था…’ उसने आह भरते हुये कहा।

‘नहीं जीजू राम… मेरी बहन बहुत प्यारी है… उसका आप ध्यान रखो… और प्यार करना है ना… मैं तो यही हूँ ना… खूब करना!’

हमारी चुदाई तेज हो गई थी। मैं ऊपर से उसके लण्ड पर चूत पटक रही थी और भरपूर आनन्द ले रही थी।
‘नीलू, नीचे आ जा, जरा जोर से चोदना है मुझे, चल पलट जा!’ जीजू को अब घमासान करने की लग रही थी।

मुझे नीचे लेकर अब वो ऊपर आ गया था। उसका पहला धक्का ही मुझे मस्त कर गया। भीतर तक या जड़ तक ठोकर मार गया।

अब दूसरा उससे भी जोर का था… मैं हिल उठी… पर मस्ती में झूम गई। ऐसा जबरदस्त चोदा मारा कि मेरा सारा जिस्म जैसे जीजू का गुलाम हो गया।

‘मार और जोर से चोदा मार मेरे राजा… साली चूत को अन्दर से भी फ़ाड दे…’ वासना के नशे में मैं पसीने पसीने हो रही थी।

जीजू का पसीना भी मेरे जिस्म पर टपक रहा था। जीजू मेरी चूचियों का दुश्मन हो गया था। पूरे मन से और तरीके से उन्हें मसलते हुये मुझे जन्नत की ओर ले जा रहा था। धकाधक लण्ड पेल रहा था। मेरी चूत उसका लण्ड उछल उछल कर गपागप ले रही थी।

अचानक मुझे लगा कि बस अब मुझे कोई नहीं रोक सकता। चूत में लहरें उठने लग गई थी। मुझे लगा कि मैं अब सीमा तोड़ कर झड़ने वाली हूँ।

‘ज्ज ज ज्ज जीजूराम… अह्ह्ह्ह्ह… मैं हाय… जीजू… मुझे सम्भाल रे… मेरा रस निकला रे…जोर लगा कर चोद दे रे…’

‘मैं भी नीलू… आह्ह माल निकलने वाला है!’ और जीजू ने अपना मेरी चूत में एक भरपूर शॉट मारा और लण्ड चूत में जोर से गड़ा दिया।

मेरी चूत चू पड़ी… और झड़ने लग गई। गड़े हुए लौड़े ने भी जड़ के पास गहराई में वीर्य छोड़ दिया और दोनों ही झड़ने का लुत्फ़ लेने लगे। चुदाई मस्त थी, मैं तो पूरी संतुष्ट थी।

हम दोनों ने सफ़ाई की और कपड़े पहन लिये।

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ज़ीजू ने तुरन्त फ़रमाईश की- नीलू, तेरी गाण्ड मस्त है यार… अगली बार तेरी गाण्ड का नम्बर लगाते हैं!
‘धत्त… अभी नहीं…’

‘तुम आज से ही गाण्ड में तेल लगा कर दो अंगुलियों को गाण्ड में चलाओ, देखो तीन दिन में शानदार मराने लायक तैयार हो जायेगी।’
मैं हंस दी।

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