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दोस्तों उम्मीद है कि आपको मेरी Sex Stories पहली कहानी ” मेरी आत्मकथा ” पढ़ कर कुछ मज़ा आया होगा। यह मेरी सच्ची कहानी है और आप मुझे अपनी राय जरूर भेजें !
अब आगे…
… तभी देखा कि दरवाज़ा खुला और उसकी सहेली अन्दर आ गई। मैं और सुधा चौंक गए। वो अंदर आ गई और उसका चेहरा एकदम लाल था। हमने पूछा- क्या हुआ?
तो वो कहने लगी कि तुम लोगों की चुदाई की आवाज़ आ रही थी, मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और दरवाज़े के पीछे से तुम दोनों को देखने लगी, मुझे मज़ा आ रहा था और मैं अपनी ऊँगली चूत में ड़ाल कर कर रही थी। इतने कहते ही उसने अपनी शर्ट ऊपर उठा दी और फिर ऊँगली करने लगी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उससे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसको किस करने लगा।
सुधा हम लोग को देख रही थी। वो इतना चौंकी हुए थी कि वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। उसके बाद उसने सुधा से सोरी बोला और उससे भी हम लोगो के साथ सेक्स करने की प्रार्थना करने लगी। मैं चुप था और सुधा के जवाब का इंतज़ार कर रहा था।
तभी सुधा गुस्से में आगे बड़ी और अपनी सहेली को जोर से पकड़ लिया और उसे किस करने लगी। मैं ये देख कर चौक गया और सोचा चलो एक नए माल की चूत ! आज तो चुदाई का मज़ा ही आ जाएगा।
मैं उन दोनों को किस करते हुए देख रहा था और मेरा लण्ड अब तक फिर मस्ती में आने लगा था. अब सुधा ने करिश्मा के टॉप के ऊपर से उसकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया था। मैंने देख कर अंदाजा लगाया कि करिश्मा की चूची ज्यादा बड़ी नहीं थी।
उसकी चूची दबाते दबाते सुधा ने उसका टॉप उतार दिया और उसकी लाल रंग की ब्रा से खेलने लगी। मैं यह देख रहा था और अपना लण्ड सहला रहा था। तभी सुधा ने कहा वह क्या कर रहे हो? आओ और अपने लण्ड से हमारी चूत की खुजली को शांत कर दो !
मैंने करिश्मा और सुधा को बिस्तर पर लेट जाने को कहा और करिश्मा की चूत को चाटने लगा। सुधा उसकी चुचियों से खेल रही थी। वो उनको चूस रही थी और मस्ती वाली आवाज़ निकाल रही थी. इधर मैं करिश्मा की चूत चाट रहा था और करिश्मा की भी मादक आवाज़ निकल रही थी। वो और जोर जोर से चूसने के लिए कह रही थी।
मैंने उसकी चूत को फ़ैला कर अपनी जीभ से उस की चूत की चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में में वो सुधा से चिपक गई और अपनी चूत का पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। तब मैंने यही काम सुधा के साथ किया और वो जल्दी ही झड़ गई।
अब बारी थी करिश्मा की कुँवारी चूत चुदने की ! और इस बार मेरी मदद के लिए सुधा थी। वो करिश्मा से कहने लगी कि शुरू में दर्द होगा, मुझे भी हुआ था, लेकिन थोड़ी देर बाद जब चूत में लण्ड अन्दर बाहर होता है तो मज़ा आने लगेगा।
फिर उसने करिश्मा की चूत में ऊँगली की और जब उसकी चुत गीली को गई तो उसमें तेल लगा दिया और फिर मेरे लण्ड को मुँह में ले कर खूब चूसा। फिर मैंने करिश्मा की चूत पे अपना लण्ड रख दिया और रगड़ने लगा. करिश्मा ने अपने पैर कैंची के तरह क्रॉस कर के रखा था मेरे लण्ड की रगड़ से मस्ती आने लगी और उसने अपने टाँगें फ़ैला दी. अब मैंने उसकी चूत का चुम्मा लिया और लण्ड का सुपारा उसकी चूत के ऊपर रख दिया।
फिर धीरे से अन्दर किया, वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी। मैंने अपने लण्ड को फिर थोड़ा सा अन्दर किया और एक झटके से अन्दर पेल दिया आप वो रोने लगी तो सुधा उसके मुंह में अपनी चुचियों को ड़ाल कर चूसाने लगी अब उसे मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी। फ़िर मैंने उसे खूब चोदा और मज़े किए।
उस दिन में केवल दोनों की चूत २ बार मारी और खूब मज़े किए. फिर मैंने दोनों की गाण्ड मारने की सोची. लेकिन वो दोनों इसके लिए तैयार नहीं हुई और बाद में करने के लिए कहने लगी. हम तीनो एक साथ नहाए और नहाते वक्त मैं सु्धा की चूची चूस रहा था और करिश्मा की चूत में अपना लण्ड डाल कर अन्दर बाहर कर रहा था।
करिश्मा मस्ती वाली आवाजें निकाल रही थी- पेल दो मेरी चूत को फाड़ डालो फिर मेरी चूत को आ आआआ आअह ऊऊऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाँ हाँ जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करो, नहाते वक्त एक नहीं चीज़ महसूस हुई कि जब चूत में लण्ड डालो तो जैसे अन्दर आग की भट्टी हो इतना गरम अन्दर और बाहर ठंडा ठंडा पानी !
सुधा भी यह सब देख कर जोश में आ चुकी थी और अपनी चूत को करिश्मा के मुँह के पास कर दिया. करिश्मा उसकी चूत को चाटने लगी और एक ऊँगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी. इस पल को बताना मुश्किल है केवल महसूस किया जा सकता है पहली बार सेक्स करने का ! उस पर एक साथ दो कुँवारी चूतों को चोदने का मज़ा !
दोनों को छोड़ कर मैं कॉलेज आ गया और इस वादे के साथ कि हम जल्दी फिर मिलेंगे और मुझे फिर उनकी गाण्ड भी तो मारनी थी।
यह सब और आगे बहुत कुछ अगली बार ……………. Sex Stories
बारहवीं कक्षा पास करने के -Antarvasna बाद जब मैंने कॉलेज में दाखिला लिया तो वहाँ नई सहेलियाँ बनीं. दो चार दिन में ही उनकी बातें सुन सुनकर मुझे यह एहसास हो गया कि मैं कितने पिछड़े क़िस्म के स्कूल से पढ़ कर आई हूँ. उनकी बातें और अनुभव सुनकर मेरे अन्दर भी किसी से प्यार करने की इच्छा जागृत हो गई, सीधे शब्दों में कहूँ कि मैं चुदवाने के लिए बेताब होने लगी.
कॉलेज में ज्यादातर लड़कियाँ अपनी स्कूटर या कार से आती जाती थीं, मैं और तीन चार अन्य लड़कियाँ ही सिटी बस से कॉलेज आती जाती थीं.
एक दिन कॉलेज से निकलने के बाद मैं बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रही थी कि एक हॉण्डा सिटी कार मेरे पास आकर रुकी, कार अमित अंकल चला रहे थे, अमित अंकल पापा के दोस्त थे और हमारे घर के सामने ही रहते थे.
उन्होंने मुझसे पूछा- घर चलना है?
मेरे हाँ कहते ही उन्होंने कार का दरवाजा खोला, मैं उनके बगल की सीट पर बैठी और थोड़ी ही देर में घर पहुँच गई.
घर पहुँचने के काफी देर बाद तक मेरे जहन से बस और कार के सफ़र का फर्क निकल नहीं पा रहा था, मैं सोच रही थी कि कितना सुखी रहता है कार में सफ़र करने वाला! ना धूल मिटटी, ना गर्मी, ठाठ से ए.सी. में बैठकर सफ़र कीजिए.
अब अक्सर यह संयोग होने लगा कि मेरे कॉलेज से निकलने के समय अमित अंकल उधर से गुजरते और मुझे साथ ले लेते. मेरे पापा भी खुश हो जाते कि आज भी वापसी का बस का किराया बच गया.
एक दिन मेरे कार में बैठते ही अमित अंकल ने पूछा- दस पन्द्रह मिनट देर हो जाए तो कोई परेशानी तो नहीं है ना?
मैंने कहा- नहीं अंकल, कोई परेशानी नहीं है!
अमित अंकल ने कार एक रेस्तरां के बाहर रोकते हुए कहा- इसका डोसा बहुत टेस्टी है!
पापा के साथ इस रेस्तरां में आने के बारे तो मैं सोच भी नहीं सकती थी, वो एक नंबर के कंजूस आदमी हैं. खैर, हमने डोसा खाया और घर आ गए.अब हर दूसरे चौथे दिन हमारा इसी तरह कहीं खाने पीने का प्रोग्राम होने लगा. एक दिन रेस्तरां में कॉफ़ी पीते पीते अमित अंकल बोले बहुत दिनों से पिक्चर देखने का मन हो रहा है, अगर कहो तो कल चलें, रानी मुखर्जी की नई फिल्म लगी है.
मैंने कहा- कल कब?
अंकल ने कहा- कॉलेज बंक करके, तुम्हारे घर किसी को पता भी नहीं चलेगा.
कुछ अंकल के अहसान, कुछ नई उमंग और कुछ अनजानी सी चाहत ने मेरे मुँह से हाँ निकलवा दी.
अगले दिन तय कार्यक्रम के हिसाब से हम मिले और पिक्चर देखने सिनेमा हॉल में पहुँच गए. इंटरवल तक आराम से पिक्चर देखी और बातचीत करते रहे. इंटरवल में अमित अंकल पॉप कॉर्न और कोका कोला ले आये. पिक्चर चलती रही और हम पॉप कॉर्न खाते रहे, पॉप कॉर्न लेने के दौरान कई बार एक दूसरे से हाथ छू हो गया तो अमित अंकल ने कहा- मनमीत जब तुम्हारा हाथ छूता है तो मेरे शरीर में कर्रेंट सा दौड़ जाता है, तुम्हें कुछ नहीं होता क्या?
मैं कुछ नहीं बोली तो अमित अंकल ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा- मेरे छूने से तुम्हे कुछ नहीं होता क्या?
मैंने धीरे से कहा- होता है!
तो उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, अपने दोनों हाथों में मेरा हाथ छुपा लिया और बोले- यह हाथ मैं कभी नहीं छोडूंगा!
इसके बाद लगभग रोज ही मैं उनके साथ आने जाने लगी और हम लोगों में छूने और चूमने का काम शुरू हो गया.
एक रात को एक बजे मेरे मोबाइल पर अमित अंकल का कॉल आया- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- सो रही थी!
तो बोले- मनमीत, हमारी नींद उड़ाकर तुम सो रही हो?
इसके बाद रोज़ रात को हम लोगों की बातचीत शुरू हो गई. बातचीत का विषय चलते चलते यहाँ तक आ पहुँचा कि अमित ( अमित अंकल कहना मैं छोड़ चुकी थी ) बोले- जिस दिन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों को खोलकर अपना लंड उस पर रखूँगा, तुम जन्नत में पहुँच जाओगी.
वास्तविकता यह थी कि अमित मुझे चोदने के लिए जितना बेताब थे मैं चुदवाने के लिए उससे ज्यादा बेताब थी. अमित की कल्पना करके ना जाने कितनी बार उंगली से काम कर चुकी थी.
खैर, जहाँ चाह वहाँ राह!
वीना आंटी ( अमित की पत्नी ) कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई. रात को अमित का फ़ोन आया- कल का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- कुछ नहीं! आप बताएँ!
तो बोले- कल कॉलेज बंक करो, मैं भी ऑफिस नहीं जाता! मेरे घर आ जाना, दोनों मिलकर अच्छा सा खाना पकायेंगे, खायेंगे.
मैंने कहा- ठीक है, आप अपने घर का पिछला दरवाज़ा खुला रखना, मैं पीछे से आऊँगी.
इतना सुनकर अमित ने फ़ोन काट दिया.
मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी चूत पर फेरते हुए कहा- मुनिया रानी ( चूत का यह नाम कॉलेज की लड़कियों ने रखा था) कल तुझे लंड की प्राप्ति होने वाली है! तैयार हो जा!
मैं सुबह थोड़ा जल्दी उठी, अपनी चूत के आस पास के अनचाहे बालों (झांटों) को साफ़ किया, अच्छे से नहा धोकर तैयार हुई, सुन्दर सा सूट पहना और मम्मी से ‘कॉलेज जा रही हूँ’ कहकर घर से निकल पड़ी.
चुदवाने के ख्याल से दिल बल्लियों उछल रहा था, मन में हल्का सा डर भी था लेकिन डर पर चाहत भारी थी. अमित के घर पिछले दरवाज़े पर हाथ रखा तो खुल गया. अन्दर घुसकर दरवाजा बंद किया तो तौलिया लपेटे अमित मेरे सामने आ गए, शायद नहाने जा रहे थे.
पहली बार उन्हें इस रूप में देखकर मैं रोमांचित हो गई. अमित करीब पचास साल के 5 फुट 10 इंच लम्बे हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति थे, बालों से भरा उनका सीना उनसे लिपट जाने की दावत दे रहा था.
एक कदम मैं आगे बढ़ी और दो कदम अमित. मैं उनके सीने से लग गई, उन्होंने मेरे माथे पर चूमा, मेरे चूतड़ों को हल्के-हल्के हाथों से दबाने लगे, मैं बेहाल होती जा रही थी.
अमित ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए, संतरे के आकार के मेरे मम्मे देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरी चूत के दर्शन करते ही वो पागल से हो गए और अपने होंठ मेरी चूत पर रखकर चूमने-चाटने लगे. उनके चाटने से मेरी चूत भयंकर रूप से गीली हो गई और चुदने के लिए बेताब हो गई. अमित चूत को चाटते ही जा रहे थे, मैंने उनका तौलिया खींच कर अलग कर दिया. तौलिया हटते ही उनका लंड मुझे दिख गया, अमित का लंड देखते ही मेरी तो गांड ही फट गई और चुदवाने का नशा हिरण होने लगा.
कारण यह कि अमित का लंड करीब 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, मुझे मालूम था कि यह मेरी चूत का भुरता बना देगा.
मैंने अपने जीवन में इससे पहले सिर्फ एक बार लंड देखा था, वो भी अपने पापा का. एक बार रात को मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो देखा मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल जल रही थी, उत्सुकता से खिड़की की झिर्री से देखा कि मम्मी नंगी लेटी हुई हैं और पापा अपने लंड पर कंडोम चढ़ा रहे थे. पापा का लंड करीब 4-5 इंच लम्बा रहा होगा. आप ही सोचिये कोई बीस साल की कुंवारी लड़की जो 4-5 इंच का लंड अपनी बुर में लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो, उसे आठ इंच लम्बा अच्छा खासा मोटा लंड दिख जाए तो वो घबरायेगी या नहीं?
मुझे ख्यालों में खोया देखकर अमित बोले- क्या हुआ जान?
मैं कुछ नहीं कह सकी, मैंने कहा कुछ नहीं. अमित मेरे करीब आ गए और मेरा एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया तथा दूसरे पर उँगलियाँ फिराने लगे. इस सबसे मुझमें उत्तेजना भर गई. अमित ने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रखा और अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने लगे.
मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं चुदासी हो चुकी थी. मैंने कहा- अमित अब मेरे अन्दर समा जाओ!
अमित उठे, मेरी टांगों के बीच आकर अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के होठों पर रखा, हल्के से दबाया और सुपारा चूत के अन्दर!
एक झटके में आधा लंड और दूसरे झटके में हल्के दर्द के साथ पूरा लंड मेरी मेरी मुनिया रानी के अन्दर जा चुका था. मैं हैरान थी कि जिस लंड को मैं देखकर डर रही थी वो कितनी आसानी से मुझे चोद रहा था.
करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद अमित उठे और अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर फिर जुट गए.
उस दिन अमित ने मुझे तीन बार चोदा और उसके बाद सैकड़ों बार!
आज मैं छब्बीस साल की हो चुकी हूँ, अमित से चुदते-चुदते छः साल हो चुके हैं और शायद बाकी ज़िन्दगी भी अमित से ही चुदवाना पड़े क्योंकि कंजूस प्रवृति के मेरे पापा शायद मेरी शादी कभी नहीं कर पायेंगे. बिना दहेज़ के शादी होगी नहीं और दहेज़ मेरे पापा देंगे नहीं!
मुझे क्या!
अमित अंकल जिंदाबाद!!
खाओ पियो चौड़े से, चूत चुदाओ लौड़े से! Antarvasna
मेरी कहानी का Sex Stories अगला भाग : मैडम के साथ आखिरी बार जो हुआ वो मुझे बड़ा अजीब लगा, मुझे देखने की उनकी नज़र बदलने लगी थी, शायद वो मुझे सही में चाहने लगी थी।
यह शायद मेरा वहम था मगर अगर यह सच होता तो मेरे लिए बहुत बड़ी परेशानी हो सकती थी क्योंकि वो एक शादीशुदा औरत थी और समाज में इस रिश्ते को बड़ी ही गन्दी नज़र से देखा जाता और मेरी बदनामी होती सो अलग।
कुछ लोगों ने बातें बनानी चालू तो कर भी दी थी, इसीलिए मैंने उनसे किनारा करने का सोच लिया, मगर वो शायद मुझे भुला नहीं पा रही थी, रोज़ उनके फ़ोन मेरे पास आते थे, और जैसे ही उनके पति चले जाते थे वो मुझे बुला लेती थी, मेरे लाख मना करने पर भी नहीं मानती थी।
मुझे घर बुला के मेरी गोद में बैठ कर मुझे उन्हें प्यार करने को कहती थी, शरीर की ऐसी भूख मैंने अभी तक मैंने किसी लड़की या औरत में नहीं देखी थी, मैंने हर कोशिश की कि मैं उन्हें नाराज़ किये बिना उनसे किनारा कर लूँ मगर ऐसा होने में वक़्त लगना लाज़मी था, तो मुझे थोड़ा इंतज़ार करना पड़ा और मुझे उसका मौका जल्दी ही मिल गया।
कुछ समय बाद एक दिन उन्होंने मुझसे कहा- मैं और मेरे पति लखनऊ जा रहे हैं चार दिन के लिए, तुम मुझे वहाँ मिलो!
पहले तो मैंने मना कर दिया, आखिर इन्सान हूँ, मेरा भी मन करता है। मगर वो नहीं मानी और मैंने उनसे कहा- बस यह आखिरी बार बार होगा!
वो बोली- ठीक है!
पाँच दिन बाद मैं और वो लोग अलग अलग लखनऊ पहुँच गए। वो अपने बच्चे को किसी रिश्तेदार के घर छोड़ आये थे क्योंकि उनके पति का मूड भी काम के बाद कुछ और करने का ही था।
मैंने उनके होटल के पास ही एक होटल ले लिया। उनके पति को उसी दिन सुबह अपने काम से जाकर अगले दिन दोपहर में वापस आना था, तो हमारे पास पूरा दिन और पूरी रात थी।
उनके पति के निकलने के बाद मेरे पास उनका फ़ोन आया और मैं उनके होटल में उनके कमरे में चला गया। चूंकि वो एक पंच-तारा होटल था तो इसीलिए कोई किसी से मतलब नहीं रखता था, हमने कमरा अन्दर से लॉक कर लिया।
वो मुझे बिस्तर पर बैठने के लिए बोलकर बाथरूम चली गई और अन्दर शावर में नहाने लगी।
दस मिनट के बाद वो नाईटी में बाहर आई और मेरे पास आकर बैठ गई।
उस वक़्त वो औरत क़यामत लग रही थी, गीले बाल, होठों पे लाली, रंग ऐसा लग रहा था कि एकदम दूध जैसा! उनकी नाईटी गीली थी और उसमें से उनके शरीर के उभार एक दम साफ झलक रहे थे।
उसके बाद उन्होंने मेरा एक हाथ अपनी टांग के नीचे दबा लिया और दूसरा हाथ अपने होठों पर फिराने लगी। और फिर धीरे धीरे मेरा हाथ वो अपनी छाती के पास ले जाने लगी, मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, मेरा लंड तन गया था।
उन्होंने मेरे हाथों से अपने मम्मे सहलाये और फिर अपना हाथ अपनी चूत के छेद में दे दिया, उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी और उन्होंने अपनी चूत शेव कर रखी थी। उनकी चूत पूरी तरह से गीली थी।
उसके बाद उन्होंने मेरा हाथ अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। उस वक़्त वो मुझसे अपने मन की करवाना चाहती थी।
और मैं उनकी हरकतें देख के यह भी जान चुका था कि उन्होंने अभी अभी कोई इंग्लिश ब्लू फिल्म देखी है और उनका मन उसे कॉपी करने का है।
और जैसा कि मैं पहले भी बता चुका कि किसी औरत की तरफ मैं सिर्फ उसके होंठ और मम्मे देख कर ही आकर्षित होता हूँ, मुझे उकसाने के लिए किसी भी औरत के पास ये दोनों चीज़ें बड़ी और सुन्दर होनी बहुत ज़रूरी है। फिर चाहे उसकी शकल ठीक ठाक ही हो।
मैंने तुरंत उनकी नाईटी का एक भाग उतार दिया, उनके कंधे पर चूम किया और फिर धीरे उनकी गर्दन पर चूमना चालू किया और उसका कान काट लिया।
उन्होंने मुझे अपने से लपेट लिया और मैं उन्हें लिटा के उनके ऊपर लेट गया। धीरे हम दोनों एक दूसरे के आगोश में जाते चले गए। फिर थोड़ी देर उन्हें चूमने के बाद मैंने उनकी नाईटी कमर तक उतारी और उनके मम्मे चूसने चालू किये जो कि मेरी कमजोरी हैं।
मैं उनके मम्मे चूस रहा था और वो मेरा सर और जोर से अपने मम्मों में दबा रही थी। मुझे जन्नत का एहसास हो रहा था मगर उस समय तक मैंने कई बार नीचे जाने की कोशिश की मगर वो मुझे जाने ही नहीं दे रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं उठा और मुझे ध्यान आया कि मैं अपना कैमरा लाया था। मैंने उनसे पूछा कि मैं अपने इन हसीं पलों की कुछ यादगार अपने साथ रख लूँ क्योंकि यह हमारा आखिरी बार था। थोड़ी न-नुकुर के बाद वो मान गई और मैंने उनकी कई नग्न तस्वीरें निकाली।
तस्वीरें लेने के बाद मैंने अपनी पैन्ट और फ्रेंची उतारी, फिर मैंने उन्हें पकड़ के मेज पर टिका दिया और उनकी गांड मारने की तैयारी करने लगा क्योंकि वो अभी आगे का काम नहीं करवाना चाह रही थी।
मैंने थोड़ा तेल लगाया अपने लंड पर और उनकी गांड के छेद पर टिकाया, धीरे धीरे अपना लंड उनकी गांड में घुसाया। वो दर्द से कराहने लगी और मुझे इसी चीज़ को देख के मज़ा आने लगा। 2-3 झटकों बाद वो ज्यादा चिल्लाने लगी तो मैंने उनके मुँह अपनी में अपनी फ्रेंची ठूस दी ताकि शोर बाहर न जा सके।
फिर बहुत सारे धक्के मारने के बाद जब मुझे लगा कि कहीं अब यह बिदक न जाये, मैंने उन्हें थोड़ा विराम दिया और उनकी गांड से लंड बाहर निकाल लिया। उनका मुँह एकदम लाल हो गया था।
मैं बाथरूम गया और अपना पसीना साफ़ करने के लिए शावर लेने लगा। जब मैं बाहर निकला तो देखा की मैडम बिस्तर पर पड़ी हैं अपनी चूत में खुजली कर रही थी बड़े जोर से। उस औरत की अन्तर्वासना उस समय एकदम चरम पर थी।
मैंने तुरंत उनके पास जाकर उनके हाथ हटा के अपनी ज़बान उनकी चूत पर लगा दी और उसे चूसने लगा। उस समय उनकी चूत का स्वाद किसी गर्म आइस क्रीम से कम नहीं लग रहा था, मैं अपनी जीभ उनकी चूत में फिराता रहा और वो सिसकियाँ लेती रही।
मैं हैरान था कि अब तक उनके मुँह से सिसकियों के अलावा एक भी शब्द नहीं निकला था, मगर तभी वो बोली- बस अब नहीं रुक सकती मैं! फक मी नाओ!
मैं तो इसी पल का इंतज़ार कर रहा था, एकदम उनके ऊपर चढ़ गया, उनकी टाँगें अपने कंधे पर रखी और सुपारा चूत पर लगाकर एक बार में पूरा अन्दर दे दिया।
(मैंने कंडोम पहना था, इसमें शर्म नहीं करनी चाहिए)
वो आहें भरने लगी और मैं अपनी गति बढ़ाता चला गया, कई धक्के मारने के बाद मैं थोड़ा रुका, और फिर उनकी टांगे नीचे छोड़ के उनके ऊपर से उनकी चूत में लंड डाला और उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए। मैडम ने मुझे जकड़ लिया और मेरे कंधे पर जोर के काट लिया।
मैंने उनके जिस्म का भरपूर आनंद लिया और उस औरत के साथ हर वो चीज़ की जिसके बारे में मैं अपने सपने में सोचता था। मैंने उसको हर तरीके से चोदा, हर चीज़ करवाई उससे, अपने अंड चुसवाए, अपनी गांड चटवाई, कम से एक बार तो सब कर ही लिया उसके साथ।
रात होने वाली थी और हम काफी थक चुके थे तो मैंने थोड़ा ब्रेक लेने का सोचा, मैंने उससे कहा- चलो कहीं घूम आते हैं!
मगर उसने मना कर दिया और फिर रंजना मैडम बोली- जानू, एक काम करते हैं, एक ब्लू फिल्म देखते हैं तुम्हारी पसंद की!
मैंने कहा- यह भी ठीक है!
मैंने अपना लैपटॉप खोला और उसमें एक ब्लू फिल्म चला दी। उसमें लड़के ने लड़की की गज़ब तरीके से ली है। उसमें हिंसा बहुत थी, लड़की के हाथ बांध कर उस लड़की को खूब मारा और उसकी चूत लगभग फाड़ ही दी।
मैंने वो दृश्य रंजना को दिखाया और उससे ऐसा करने में मेरा साथ देने को कहा।
वो डर गई और मना करना लगी।
मगर मैंने उससे कहा- तुम्हारा पति तो कुछ करेगा नहीं, खाली लोटे में डंडी घुमाता रहेगा! मेरे साथ ही कुछ नया कर लो!
वो मान गई मगर मुझे सावधान रहने को कहा। मगर वो जानती नहीं थी कि मैं उसका क्या हाल करने वाला था।
मैंने उसके हाथ बिस्तर से बांध दिए और उसके मुँह में अपनी फ़्रेन्ची ठूंस दी। फ़िर फिर मैंने फ्रिज से बर्फ के कुछ टुकड़े निकाले और एक उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया ताकि वो थोड़ा तड़पे और उसकी चूत कस जाये।
वही हुआ, वो छटपटा गई। मगर मैंने उसे पहले ही बोला था कि यह आसान नहीं होगा।
फिर मैंने बर्फ का एक टुकड़ा उसके मम्मों पर फिराया जिससे उसके चुचूक एक दम सख्त हो गए और फिर मैंने उसके मुँह पर 3-4 थप्पड़ रसीद कर दिए जिससे उसका मुँह एक दम लाल हो गया।
यही हाल मैंने उसके चूचों का भी किया। मैं उसे बेहाल और बेबस कर देना चाहता था। उसकी आँखों में डर दिखने लगा था कि अब उसके साथ पता नहीं क्या होने वाला है।
मैंने फिर उसके चूचे चूसने चालू किये और उन पर जोर से काट लिया और फिर उसके मम्मों पर मैंने अपने दांतों के निशान बनाये जिससे वो तड़प सी गई।
बीच बीच में मैं उसको थोड़ा सहलाता भी जा रहा था ताकि वो शांत रहे।
मैंने फिर उसकी चूत में अपना हाथ देना चालू किया। मेरा हाथ बहुत बड़ा था उसके छेद के सामने। वो तड़पने लगी मगर मैंने अपना पूरा हाथ धीरे-धीरे रंजना की चूत के अन्दर दे दिया। वो मचलती रही और मैं उसकी चूत में अपना हाथ हिलाता रहा।
मैंने अचानक देखा कि उसकी चूत के टाँके टूट गए थे मेरे हाथ के ज्यादा अन्दर जाने से! मैंने एकदम घबरा कर अपना हाथ उसकी चूत से बाहर निकाल लिया।
मैंने सोचा- अब बस!
मैंने पहले उसके हाथ खोले तो वो एकदम से तड़प के अपनी चूत को देखने लगी और सहलाने लगी। मैंने उससे सॉरी बोला और उसे बताया कि ऐसा तो होना ही था।
उसने अपने मुँह से कपड़ा निकाला और कराहने लगी।
मैंने उसका मुँह पकड़ा और उसके होठों पर अपने होंठ लगा दिए और बीच में 2-3 बार सॉरी कह दिया।
थोड़ी देर में वो भी मान गई। फिर मैंने उसे सोने को कहा और मैं उसे सुला के होटल से निकल गया।
मगर जो भी हुआ, एक बात तो पक्की थी कि अगली बार वो मुझे बुलाने से पहले सौ बार सोचेगी। मैं जो चाहता था अनजाने में वही हो गया और उस मैडम से मेरा पीछा छूट गया। अभी तक तो उन मैडम का फ़ोन आया नहीं है, आएगा तो ज़रूर बताऊँगा आपको अगली कहानी में! Sex Stories
sex stories....मेरा नाम गिन्नी है. मेरी उम्र 19 साल की है और मैं बहुत ही खूबसूरत हूँ. मेरी दो सहेलियां हैं जिनका नाम पिंकी और शिखा है. वो दोनों मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ती थीं. हम तीनों ही बहुत ही सेक्सी थी. कॉलेज में ही हमारा ढेर सारे लड़कों से शारीरिक सम्बन्ध था. हम तीनों ही उन सब लौंडों से खूब चुदवाती थीं.
शिखा चुदवाने में सबसे ज्यादा तेज थी. शिखा हमेशा ही खूब लम्बे और मोटे लंड की तलाश में रहती थी.
पिंकी को कई लड़कों से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मजा आता था लेकिन उसे ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं था. जहाँ तक मेरा सवाल है तो मुझे एक साथ चुत और गांड दोनों में लंड लेना पसंद था.
पढ़ाई खत्म होने के बाद पिंकी और मैं 2 साल के लिए दूसरे शहर में पढ़ने चली गई. हमारे जाने के 6 महीने के बाद ही शिखा की शादी उसी शहर में जय के साथ हो गई थी. जय बहुत ही अमीर आदमी था और अय्याश भी था. शिखा ने हम दोनों को भी शादी में बुलाया लेकिन हम उसकी शादी में नहीं आ सकी.
शिखा ने अपनी शादी की दूसरी सालगिरह पर हम दोनों को बुलाया. मैं पिंकी के साथ शिखा के पास आ गई. शिखा ने हम दोनों को देखा, तो बहुत खुश हो गई. हम सबने आपस में खूब बातें की.
शिखा ने मुझे बताया कि वो शादी के बाद से और ज्यादा सेक्सी हो गई थी और वो कई आदमियों से चुदवा चुकी थी. उसकी एक दलाल से जान पहचान हो गई थी, जो कि अमीर औरतों को आदमी सप्लाई करता था. मैं जानती थी कि ये मुंबई के लिए आम बात है..
शिखा ने हम दोनों को लगभग 150 आदमियों के फोटो दिखाए और बोली- मैं इन सबसे चुदवा चुकी हूँ. वो सभी आदमी फोटो में एकदम नंगे थे. उन सब आदमियों का लंड एक से बढ़कर एक था. किसी का भी लंड 8″ से कम लम्बा नहीं था.
मैंने शिखा से कहा- इन सबका लंड तो बहुत ही लम्बा और मोटा है.
वो बोली- तू तो जानती ही है कि मुझे तो खूब मोटा और लम्बा लंड ही पसंद आता है और उसी से चुदवाने में मुझे मजा भी आता है. आज मैंने एक पार्टी रखी है. आज हम सब सारी रात चुदाई का पूरा मजा उठाएंगे.
फिर शिखा ने 6 मर्दों के फोटो हमारे सामने रखते हुए कहा- मैंने आज इन सबको बुलाया है.
मैंने पूछा- अगर जय आ गया तो?
वो बोली- वो तो महीने में 25 दिन बाहर ही रहता है. इसीलिए तो मैंने दूसरे आदमियों से चुदवाना शुरू किया है.
मैंने कहा- जय तुझे कुछ कहता नहीं है?
वो बोली- वो भी तो अय्याश है और तमाम लड़कियों को चोदता रहता है. मैं उसके सामने भी कई बार चुदवा चुकी हूँ.
मैंने कहा- तो फिर तूने आज 6 मर्दों को क्यों बुलाया है?
शिखा बोली- क्या तुम सबको नहीं चुदवाना है?
मैंने कहा- चुदवाना तो है लेकिन 6 मर्द एक साथ?
वो बोली- तो क्या हुआ? ज्यादा लंड होंगे तभी तो चुदाई का असली मजा आएगा.
मैंने कहा- इन सभी के लंड 11″ से कम नहीं हैं.
वो बोली- इसीलिए मैंने केवल इन्हें ही बुलाया है. मैं तो आज रात इन सबसे कम से कम 1 बार जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- शिखा, तू तो जानती है कि मुझे कई मर्दों से एक साथ चुदवाना पसंद है, लेकिन मैं ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं करती.
शिखा बोली- छोड़ यार, तूने लम्बे और मोटे लंड का मजा कभी लिया ही नहीं, फिर तू क्या जाने कि खूब लम्बे और मोटे लंड से चुदवाने का मजा क्या होता है. आज तो मैं तुझे इन सबसे जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- तब मेरी हालत एकदम खराब हो जाएगी क्योंकि इसमें से किसी का लंड 11″ से कम लम्बा नहीं है. मैं तो सुबह तक बिस्तर पर से हिलने डुलने के काबिल ही नहीं रहूँगी.
शिखा बोली- क्यों तुझे कल सुबह कहीं जाना है क्या?
पिंकी बोली- नहीं यार, कहीं नहीं जाना है. हम दोनों तो तेरे पास कम से कम 10 दिनों तक रहेंगी.
शिखा बोली- फिर सारा दिन तू बिस्तर पर ही आराम करना.
पिंकी- ठीक है.
उसके बाद शिखा ने मुझसे कहा- तेरा क्या ख्याल है गिन्नी?
मैंने कहा- तू तो जानती ही है, मुझे एक साथ दो लंड अन्दर लेना पसंद है. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. मैं पहले भी 11″ लम्बा लंड अन्दर ले चुकी हूँ. मैं तो इन सबसे कम से कम 2 बार जरूर चुदवाऊंगी.
शिखा बोली- फिर ठीक है. आज रात हम सबको चुदवाने में खूब मजा आएगा.
सारा दिन हम गपशप करते रहे. रात के 8 बजे एक सूमो आकर खड़ी हुई. उसमें से 6 हट्टे कट्टे जवान मर्द बाहर आए. मैं उन्हें देखकर खुश हो गई. पिंकी उन्हें देख कर थोड़ा परेशान हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- तू क्यों परेशान है.
वो बोली- इन सबके लंड के बारे में सोच कर मैं परेशान हूँ.
शिखा बोली- फिर तो आज सबसे पहले मैं तेरी ही चुदाई कराऊंगी.
पिंकी बोली- नहीं, मैं सबसे बाद में चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू लाख कोशिश कर ले लेकिन आज मैं सबसे पहले तुझे ही इन सबके हवाले करूँगी. ये सब तेरी चुदाई कर करके तेरी चुत को एकदम चौड़ा कर देंगें.
पिंकी बोली- इसका मतलब आज तू मेरा कत्ल करवाने पर तुली है.
शिखा बोली- कुछ ऐसा ही समझ ले.
पिंकी बोली- ये सब मेरी चुत की हालत खराब कर देंगें और साथ में मेरी भी.
शिखा बोली- मुझसे शर्त लगा ले. कल सुबह के पहले अगर तूने खुद ही इस अनिल से दोबारा नहीं चुदवाया तो मैं अपना नाम बदल दूँगी.
पिंकी बोली- ये अनिल कौन है?
शिखा बोली- अनिल सबसे ज्यादा देर तक चोदता है और बहुत ताकतवर भी है. मैं सबसे पहले उसी से तेरी चुदाई कराऊंगी.
ये सुन कर पिंकी चुप हो गई.
वो सभी अन्दर आ गए.
शिखा ने कहा- तुम सब कुछ पियोगे?
उसमें से एक बोला- आज रात बहुत मेहनत करनी है. हो सके तो कुछ ड्रिंक पिला दो.
शिखा ने उन सबको 1 बोतल शराब लाकर दे दी.
वो सब शराब पीने लगे.
शिखा ने पिंकी की तरफ़ इशारा करते हुए अनिल से कहा- ये मेरी सहेली पिंकी है. आज तक इसने 7″ से ज्यादा लम्बे लंड से नहीं चुदवाया है. तुम सबसे पहले इसकी चुदाई करो. मैं नहीं चाहती कि इसे बार बार तकलीफ़ उठानी पड़े. तुम इसकी चुत में एकदम बेरहमी से अपना लंड घुसा देना.
अनिल बोला- मैडम, फिर तो ये बहुत चिल्लाएगी.
शिखा ने कहा- तो क्या हुआ… एक बार ही तो चिल्लाएगी, उसके बाद इसे इन सबसे चुदवाने में मजा आएगा.
वो बोला- ठीक है मैडम, मैं एकदम रेडी हूँ, आप कहें तो मैं चुदाई शुरू कर दूँ?
शिखा बोली-हाँ, शुरू कर दो.
पिंकी ने शिखा से कहा- तू मुझे मरवाएगी क्या?
शिखा बोली- नहीं यार, मैं एक बार में ही तेरा काम तमाम कर देना चाहती हूँ, जिससे हम सब एक साथ मजा ले सकें. इसीलिए तो मैं सबसे पहले अनिल से ही तेरी चुदाई करने को कह रही हूँ.
तब तक अनिल पिंकी के पास आ गया. उसका लंड एकदम टाईट हो चुका था. उसका लंड लगभग 11″ लम्बा और 3″ मोटा था और वो बहुत ताकतवर भी लग रहा था. उसने पिंकी के सारे कपड़े उतार दिए और उसे बेड के किनारे लिटा दिया. उसके बाद वो पिंकी के पैरों के बीच में जमीन पर खड़ा हो गया.
उसने पिंकी की चुत के मुँह को फैला कर अपना लंड बीच में रख दिया.
शिखा ने बाक़ी के आदमियों को इशारा कर दिया, तो वो सभी पिंकी के पास आ गए. उन सबने पिंकी के हाथ जोर से पैर पकड़ लिए. एक ने अपना लंड पिंकी के मुँह में दे दिया. पिंकी उसका लंड चूसने लगी. तभी अनिल ने एक धक्का मारा. पिंकी ने उस आदमी का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोर जोर से चिल्लाने लगी. उस आदमी ने दूसरा धक्का लगाया तो पिंकी बुरी तरह से चीखने लगी.
शिखा बोली- तू इतना चीख क्यों रही है.. साली 7″ लम्बा लंड तो तू पहले ही अन्दर ले चुकी है. इसका लंड तो अभी तेरी चुत में केवल 5″ ही घुसा है.
पिंकी बोली- इसका मोटा भी तो बहुत है.
अनिल जैसे ही रुका तो शिखा ने उसे जोर से डांटा- क्यों बे, रुक क्यों गया. घुसा अपना पूरा लंड इसकी चुत में.
अनिल बोला- गलती हो गई मैडम. अब मैं नहीं रुकूँगा.
अनिल ने पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोरदार दो धक्के लगाए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 8″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत से खून निकलने लगा और वो बहुत ही बुरी तरह से चिल्लाने और तड़फने लगी. पिंकी का सारा बदन पसीने से लथपथ हो चुका था.
अनिल ने एक गहरी सांस लेते हुए दो बहुत ही जोरदार धक्के और लगा दिए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 10″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत बुरी तरह से फैल चुकी थी. उसकी चुत ने अनिल के लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. तभी अनिल ने पूरे ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा. इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड पिंकी की चुत में समा गया. उसके बाद अनिल ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी.
शिखा ने पिंकी से कहा- आखिर तूने इसका 11″ लम्बा लंड अन्दर ले ही लिया. अब तो तुझे खूब मजा आ रहा होगा.
वो बोली- मैं दर्द के मारे मरी जा रही हूँ और तुझे मजाक सूझ रहा है.
शिखा बोली- मेरी जान, बस 10 मिनट में ही तू एकदम पक्की चुदक्कड़ बन जाएगी और तुझे वो मजा आएगा कि तू भी मेरी तरह कभी छोटा और पतला लंड पसंद ही नहीं करेगी.
पिंकी मजा लेते हुए बोली- ये तो है.. लम्बा और मोटा लंड अन्दर लेने के बाद छोटा लंड भला किसे पसंद आएगा.
अनिल पिंकी को चोदता रहा और पिंकी मजे से चिल्लाती रही. दस मिनट की चुदाई के बाद जब पिंकी शांत हो गई तो शिखा ने अनिल से कहा- अब तू रहने दे.
पिंकी बोली- अब मुझे मजा आ रहा है तो तू इसे मना क्यों कर रही है.
शिखा बोली- अब तुझे रमेश चोदेगा, फिर उसके बाद राज.. जब तक मैं नहीं कहूँगी तब तक कोई भी अपने लंड का जूस तेरी चुत में नहीं निकालेगा.
पिंकी कलप कर बोली- तू ऐसा क्यों कर रही है?
शिखा बोली- बस, तू केवल देखती जा.
अनिल हट गया तो रमेश पिंकी को चोदने लगा. करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद राज ने पिंकी को चोदना शुरू किया. उसने भी लगभग 15 मिनट तक पिंकी की चुदाई की. उसके बाद कमल, केशरी और शिव ने पिंकी को लगभग 15-15 मिनट तक चोदा. पिंकी को अब मजा आने लगा था और उसे अब जरा सा भी दर्द नहीं हो रहा था. शिखा ने सभी को मना कर रखा था, इसलिए किसी ने अपने लंड का जूस उसकी चुत में नहीं निकाला.
शिखा ने अनिल और रमेश से मुझे चोदने को कहा. उन दोनों का लंड एक ही साइज़ का था. मैं अनिल के ऊपर आ गई और उसका लंड अपनी चुत में डाल लिया. रमेश मेरे पीछे आ गया और उसने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. उसके बाद वो दोनों मुझे चोदने लगे.
राज शिखा को चोदने लगा. शिखा भी खूब मज़े ले ले कर चुदवा रही थी. मुझे भी खूब मजा आ रहा था.
बहुत दिनों के बाद मुझे बहुत अच्छे लंड से एक साथ चुदवाने का मौका मिला था. मैं भी जोर जोर से सिसकारियां भरते हुए उन दोनों के जोश को बढ़ा रही थी. वो दोनों भी बहुत ताकतवर थे और बहुत ही जोर जोर के धक्के लगा रहे थे.
उधर पिंकी पूरी मस्ती के साथ कमल, केशरी से चुदवा चुकी थी. अब उसे शिव चोद रहा था. उसे चुदवाते हुए लगभग 1 घंटे हो चुके थे. वो अब तक कई बार झड़ भी चुकी थी. अनिल और रमेश भी मुझे लगभग 30 मिनट तक चोद चुके थे. उन दोनों के हट जाने के बाद कमल और केशरी मुझे चोदने लगे. वो दोनों मेरी चुत और गांड की बुरी तरह से धुनाई कर रहे थे. मैं भी एकदम मस्ती के साथ चुदवा रही थी.
शिखा ने सभी को मना कर रखा था कि किसी के लंड से जूस नहीं निकलना चाहिए. वो सभी जब झड़ने वाले होते तो हट जाते थे. जब थोड़ी देर में उनका जोश कुछ ठंडा पड़ जाता तो वो फिर से शुरू हो जाते थे. वो सभी बारी बारी से हम तीनों की चुदाई कर रहे थे.
लगभग 3 घंटे तक हम सबकी चुदाई चलती रही. शिखा ने उन सबसे कहा- अब तुम सब रुक जाओ. वो सब हमारी चुतों से अपना लंड बाहर निकाल कर खड़े हो गए.
शिखा ने कहा- अनिल, अब तुम्हें मेरी गांड मारनी है.
अनिल बोला- मैडम, आप ने आज तक कभी गांड नहीं मरवाई है.
वो बोली- तो क्या हुआ. आज मेरे साथ मेरी सहेलियां भी हैं, इसलिए आज मैं गांड भी मरवाऊंगी. तुम मेरी गांड मारना शुरू कर दो. मुझ पर जरा सा भी रहम मत करना और पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड़ कर ही दम लेना.
वो लंड सहलाता हुआ बोला- ठीक है मैडम.
उसके बाद शिखा ने रमेश से कहा- रमेश, तुम पिंकी की गांड मारो और अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसा कर ही रुकना. नहीं तो समझ लो कि मैं तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँगी.
वो बोला- मैडम, मैं कोई गलती नहीं करूँगा.
पिंकी बोली- तू मुझे क्यों मारने पर तुली हुई है.
शिखा बोली- मैंने इसीलिए 6 आदमियों को बुलाया था. अब तू रमेश का लंड अपनी गांड के अन्दर लेगी और गिन्नी राज से गांड मरवाएगी. उसके बाद हम सबको 2-2 आदमी एक साथ चोदेंगें.
अनिल ने शिखा की गांड में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया. शिखा बहुत जोर जोर से चिल्ला रही थी. रमेश भी अपने लंड का सुपारा पिंकी की गांड के छेद पर रख चुका था.
पिंकी ने शिखा से कहा- खुद तो दर्द के मारे मरी जा रही है और मुझे भी फंसा दिया.
तभी रमेश का बहुत ही जोर का धक्का लगा. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी. मैं खड़ी हो कर तमाशा देख रही थी. अनिल और रमेश पूरी ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहे थे. सारा रूम चीखों से गूँज रहा था.
तभी राज ने मुझसे कहा- मैडम मैं भी शुरू कर दूँ?
मैंने कहा- मैं तो आदी हूँ. जरा इन दोनों की गांड में पूरा लंड तो घुस जाने दो उसके बाद तुम मेरी गांड मार लेना.
फिर 5 मिनट में ही शिखा और पिंकी की गांड में उन दोनों का पूरा का पूरा लंड समा चुका था. वो दोनों अब उनकी गांड मार रहे थे.
मैंने राज से कहा- चलो अब तुम भी शुरू हो जाओ.
राज ने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. शिखा और पिंकी अभी भी बहुत जोर जोर से चीख रही थीं.
राज बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाता हुआ मेरी गांड मार रहा था. मुझे खूब मजा आ रहा था. दस मिनट के बाद शिखा और पिंकी शांत हो गईं. अब उन दोनों की गांड में अनिल और रमेश का लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था. उन दोनों ने 10 मिनट तक और गांड मरवाई.
उसके बाद शिखा बोली- अनिल और रमेश अब तुम दोनों रुक जाओ.
उन दोनों ने अपना लंड उनकी गांड से बाहर निकाला और हट गए.
शिखा बोली- रमेश तुम लेट जाओ. मैं तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेती हूँ और कमल पीछे से मेरी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने अनिल से कहा- तुम भी लेट जाओ. पिंकी तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेगी और केशरी उसके पीछे आ कर उसकी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने शिव से कहा- गिन्नी राज का लंड अपनी चुत में डाल लेगी और तुम पीछे से उसकी गांड मारना. इस बार तुम सब हमारी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से भर देना.
वो सब बोले- ठीक है मैडम.
शिखा ने जैसा कहा था, ठीक उसी तरह से हम सबकी चुदाई शुरू हो गई. लगभग 1 घंटे तक हमारी खूब जम कर चुदाई हुई. पिंकी ने पूरी मस्ती के साथ 2-2 लंड का एक साथ मजा लिया. शिखा ने भी पहली बार गांड मरवाने का पूरा मजा उठाया.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्यों बेबी, मजा आया?
पिंकी मुस्कुराते हुए बोली- कसम से बहुत मजा आया. मैं ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी लेकिन आज मेरा सारा डर खत्म हो गया. अब तो मैं हमेशा केवल खूब लम्बे और मोटे लंड से ही चुदवाऊंगी. तुम इन सभी से कह दो कि बिना रुके ही खूब जम कर मेरी चुदाई करें और मेरी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से एकदम भर दें.
शिखा हंस कर बोली- ऐसा ही होगा, रानी जी.
पिंकी ने आँख मार दी.
शिखा ने उन सबसे कहा- तुमने सुना कि ये क्या कह रही हैं. अब तुम सब शुरू हो जाओ और मेरी सहेली को एकदम मस्त कर दो. ये जब तक मना ना करे, तुम सब इसे खूब जम कर चोदना.
उन सभी ने सुबह होने तक पिंकी को तरह तरह के आसनों में खूब जम कर चोदा और उसकी गांड मारी. सुबह को पिंकी ने उन सभी को खुद ही मना कर दिया. वो एकदम मस्त हो चुकी थी और थक कर चूर भी.
उसके बाद शिखा ने उन सबसे कहा- तुम सब 1-2 घंटे आराम कर लो. उसके बाद गिन्नी को भी इसी तरह से चोदना.
मैंने शिखा से कहा- क्या तू ऐसे ही रहेगी?
शिखा बोली- मेरा क्या, मैं तो हमेशा ही चुदवाती रहती हूँ. तुम दोनों मेरी सहेली हो और मेहमान भी.. पहले तुम दोनों का अच्छी तरह से स्वागत होना चाहिए.
उन सबने 2 घंटे तक आराम किया और फिर उसके बाद वो सब मुझ पर टूट पड़े. उन्होंने बहुत देर तक लगातार खूब जम कर मेरी चुदाई की और मेरी गांड भी मारी. मैं भी पिंकी की तरह से एकदम मस्त हो गई. मुझे बहुत दिनों के बाद चुदाई का मजा मिला और वो भी जी भर के मिला.
दोपहर के 3 बजे वो सब जाने लगे तो शिखा ने अनिल, रमेश और राज से कहा- तुम तीनों रात के 8 बजे आ जाना.
उसके बाद वो सब चले गए. पिंकी ने शिखा से कहा- अब जब मुझे चुदाई का असली मजा मिल गया है तो तूने आज केवल तीन को ही क्यों बुलाया है.
शिखा बोली- मेरी रानी, देखती जाओ.
शिखा ने अपने दलाल को फोन किया और उससे कहा कि रात के 8 बजे 6 आदमियों को और भेज देना लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि उन सभी का लंड 11″ से कम नहीं होना चाहिए और साथ में खूब मोटा भी होना चाहिए.
दलाल ने कहा कि भेज दूँगा.
रात के 8 बजे सूमो से 9 लोग आ गए. उन सभी का लंड एक से बढ़ कर एक था. उसमें से एक का नाम जयंत था. उसका लंड देखते ही पिंकी बहुत खुश हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्या बात है, तू जयंत को देख कर बहुत खुश हो रही है?
पिंकी बोली- मुझे इसका लंड बहुत ही शानदार लग रहा है. मैं तो आज सबसे पहले इसी से चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू तो ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी.. आज तुझे क्या हो गया?
पिंकी बोली- तूने खूब लम्बे और मोटे लंड से मेरी चुदाई करा कर मेरी चुत और गांड में आग लगा दी है. अब तो मुझे इस आग को बुझाना ही है.
शिखा बोली- शाबाश बेबी, आखिर तू जान ही गई कि असली मजा क्या होता है.
जयंत का लंड लगभग 12″ लम्बा था और उन सभी के लंड से बहुत मोटा भी था. जयंत ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी.. लेकिन आज वो ज्यादा नहीं चीखी और थोड़ी ही देर में शांत हो गई. उसे जयंत से चुदवाने में खूब मजा आया. जयंत से चुदवाने में मैं भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में मुझे भी खूब मजा आया. शिखा का भी वही हाल हुआ. वो भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे भी खूब मजा आया.
सुबह तक उन सभी ने हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. हम सब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थीं. उसके बाद वो सब चले गए.
मैं पिंकी के साथ शिखा के पास 10 दिनों तक रही. हम सबने खूब जम कर चुदाई का मजा लिया.
एक दिन तो शिखा ने एक साथ 15 आदमियों को बुला लिया था. उन सभी ने तो हमारा चोद चोद कर बुरा हाल कर दिया. वो सभी रात के 8 बजे आए थे उन्होंने दूसरे दिन दोपहर तक हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. उन सभी ने उस दिन हम तीनों को चोद चोद कर और हमारी गांड मार मार कर ऐसा बुरा हाल कर दिया था कि उनके जाने के बाद हम तीनों शाम तक बिस्तर पर से उठने के काबिल ही नहीं रह गए थे.
मेरी चुत और गांड का मुँह पहले से भी ज्यादा चौड़ा हो चुका था. पिंकी का तो पूछो मत, उसकी चुत और गांड भी एक चौड़े साइज़ की हो चुकी थी. उसे ही सबसे ज्यादा मजा आया. उसके बाद मैं पिंकी के साथ वापस चली आई.
वापस आते समय शिखा ने कहा- जब कभी भी इच्छा हो, आ जाना.
मैंने कहा- मैं जरूर आऊँगी.
पिंकी बोली- क्या तू मुझे अपने साथ नहीं ले आएगी?
मैंने पिंकी से मजाक किया, तुझे तो ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद ही नहीं है. फिर तू आकर क्या करेगी.
पिंकी ने मेरे गाल काट लिए और बोली- मेरी चुत और गांड में तो अभी भी आग लगी हुई है.
मैंने कहा- चल मैं तेरे लिए फ़िर से लंड ब्रिगेड बुला दूँगी. मेरी बात सुनकर वो जोर जोर से हंसने लगी.
एक दिन ई-मेल देखते Sex Stories समय मैंने देखा कि किसी प्रिया नाम की लड़की का मेल आया है। मैंने वह मेल खोला और पढ़ने लगा। वह मेल किसी प्रिया नाम की लड़की का था और वह मुम्बई में रहती थी। उसने लिखा था- मैंने आपकी कहानी पढ़ी और मुझे बहुत अच्छी लगी, आप बस ऐसे ही कहानियाँ लिखते रहो और कृपया मुझे मेरी ई-मेल पर भेजो। मुझे ऐसी कहानियाँ बहुत पसन्द हैं।
मैंने उत्तर में उससे पूछा- आप कहाँ की रहनेवाली हैं, और आप की उम्र कितनी है?
तो दूसरे ही दिन उसका प्रत्युत्तर आया “मैं भी मुम्बई में रहती हूँ और मेरी उम्र २२ साल है।
फिर मैंने उससे पूछा- कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
तो उसने उत्तर दिया- नहीं।
मैंने पूछा- क्यों? कभी मन नहीं करता सेक्स करने का?
उसने कहा- मन तो बहुत करता है पर मुझे डर लगता है, कहीं सेक्स करने के बाद घर पर पता ना चल जाए।
मैंने उसे प्रस्ताव दिया- इस मामले में मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ, अगर तुम मान जाओ तो।
उसने पूछा- कैसे?
तो मैंने बताया- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को तैयार हूँ और मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा, ये मेरा वादा है।
उसने कहा- लेकिन यह कैसे सम्भव होगा? तुम मुझे कहाँ मिलोगे और हम लोगों को ऐसी जगह कहाँ मिलेगी जहाँ हम दोनों के सिवा तीसरा कोई ना हो।
मैंने लिखा- हम लोग किसी रिसॉर्ट में जाएँगे, वहाँ एक कमरा लेंगे और पूरा दिन मज़ा करेंगे।
उसने लिखा- नहीं मुझे डर लगता है, कहीं उल्टा-सीधा हो गया तो! सेक्स के बाद अगर मुझे गर्भ रह गया तो?
मैंने लिखा- ऐसा कुछ भी नहीं होगा, मैं कॉण्डोम चढ़ा लूँगा अपने लण्ड पर, फिर तो कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी। तुम मुझे शुक्रवार को विरार स्टेशन पर मिलो, सुबह 9 बजे।
उसने कहा- ठीक है।
और वह शुक्रवार को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने अभी तक उसको देखा भी नहीं था, ना ही उसका आवाज़ ही सुनने का मौक़ा मिला था। मैं बहुत ही रोमांचित था कि मुझे शुक्रवार को एक अनछुई चूत मिलने वाली है, जिसकी सील मुझे तोड़ने को मिलेगी।
वह दिन भी आ गया। मैं पौने नौ बजे ही वहाँ पहुँच गया और मेडिकल से कोहिनूर कॉण्डोम ख़रीद लिए। मैं उसका इन्तज़ार करने लगा। उसने बताया था कि वह गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहनकर आएगी और मैंने भी उसे बता दिया था कि मैं काली टी-शर्ट और नीली जीन्स-पैन्ट में रहूँगा। इससे हम एक-दूसरे को पहचान सकते थे।
क़रीब बीस मिनट के बाद एक लड़की मेरे सामने आई और पूछा- अमित?
मैंने कहा- तुम प्रिया हो?
उसने हाँ कहते हुए अपनी गर्दन नीची कर दी।
वह बेहद ख़ूबसूरत थी। क़द 5’4″ और फ़िगर 34-26-34. दिखने में एकदम सेक्सी थी। उसने गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहन रखी थी। कमीज़ के ऊपर से उसके वो दो उभार साफ दिखाई दे रहे थे, वे पूरे मौसम्मी के आकार के थे। उसकी चूचियों के आकार देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं उसे लेकर एक रिसॉर्ट में गया और वहाँ एक कमरा लेकर हम उसमें चले गए। कमरे में जाते ही देखा कि वहाँ एक बिस्तर था और शौचालय व स्नानघर भी था। मैंने दरवाज़ा बन्द करके कुण्डी लगा दी। वह बिस्तर पर बैठी थी। मैं बाथरूम जाकर थोड़ा तरोताज़ा होकर आ गया, फिर उसे भी फ्रेश हो जाने को कहा। वह उठकर बाथरूम चली गई।
थोड़ी देर बाद वह जैसे ही बाथरूम से बाहर आई, मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे धीरे-धीरे चूमने लगा। वह शरमाकर ख़ुद को छुड़ाने की नकली कोशिश करने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- हम लोग यहाँ मौज़ करने ही आए हैं और अगर तू ऐसे ही शरमाएगी तो ना तू मज़ा ले पाएगी और ना ही मुझे मज़ा आएगा। सो प्लीज़ डोन्ट अपोज़ मी।
और मैंने उसकी गर्दन और होठों पर चूमना शुरु कर दिया। बीच-बीच में मैं उसके कान को भी चूमता।
इन सब से वो भी उत्तेजित हो गई और मुझे उत्तर भी देने लगी। मैंने अपना एक हाथ आगे की ओर लाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और उंगलियों को ऊपर से ही धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाकर सहलाने लगा। वह रह-रहकर सिहर उठती थी, उसने मुझसे कहा- प्लीज़ ऐसा मत करो, और ज़ोर से दबाओ।
मैं फिर उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर गया वह वहाँ से मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।
मैंने उससे कहा- प्लीज़!
और वह मान गई और दोनों हाथों से उसने मुझे जकड़ लिया। मैं कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने कमीज़ के अन्दर हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा। उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगीं- आहहहह … उउफ्फ … ज़ोर से …
फिर मैंने अपना वही हाथ ऊपर ले जाकर कमीज़ के नीचे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसने अन्दर ब्रा पहन रथी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ एक-एक कर दबानी शुरु कर दी। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे हाथ से उसकी कमीज़ की चेन खोल दी और उसकी कमीज़ ऊपर करके निकाल दी। अब वह मेरे सामने सफ़ेद ब्रा में थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा अलग कर दी।
वाह! क्या दूध थे उसके। पूरे गोल-गोल। ना ही अधिक छोटे ना ही बहुत बड़े, बिल्कुल उपयुक्त आकार के। चूचियों के ऊपर दो गुलाबी रंग के दाने थे। क्या ख़ूबसूरत नज़ारा था, मैंने मेरी ज़िन्दगी में पहली बार इतनी अच्छी चूचियाँ देखीं थीं। ऐसी चूचियाँ तो शायद ही किसी की होंगी। मैं तो पागल ही हो गया था, मैं उसकी दोनों मौसम्मियाँ हाथ में लेकर दबाने लगा, क्या कसाव थे उसमें। थोड़े नरम और थोड़े कसे हुए। मैं तो बस उसे दबाता ही रह गया। ऐसा लग रहा था इन्हें छोड़ कहीं न जाऊँ।
10-15 मिनट के बाद मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। और फिर धीरे से जैसे ही उसके सलवार का नाड़ा खींचा, सलवार नीचे गिर गई। तभी मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी सलवार को पैरों से आज़ाद कर दिया। उसने पीली रंग की पैन्टी पहन रखी थी। वह शरमा कर दूसरी ओर देख रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी, बनियान निकाली और पैन्ट भी उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ अण्डरवियर में था, और वह भी मेरे सामने सिर्फ छोटी सी चड्डी में थी।
मेरा लंड तो एकदम खड़ा हुआ था. मैं बिस्तर पर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मैंने उसे कहा- मेरा लंड चखोगी?
तो उसने इन्कार कर दिया और कहा- मुझे मुँह में लेना अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी।
फिर मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। उसकी चड्डी गीली हो गई थी। मैंने हाथ पिर उसकी चड्डी में डाल दिया, वह सिहर उठी। मेरे हाथ को उसकी झाँट के बाल लग गए।
मैंने उससे पूछा- कभी उसे साफ नहीं करती।
उसने गर्दन हिलाकर ना कहा।
मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद पर फिरानी शुरु कर दी। वह उफफ ओओओओ… आँआँआँआँ … आआआहहह… श्शसस्सीस्स आआहहह करती रही। मैं फिर वही उंगली उसकी चूत में घुसाने लगा। वह फिर से चिल्लाने लगी, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत में चली गई, उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी। मैं अपनी उंगली अन्दर ही गोल-गोल घुमाने लगा। वह सिर्फ आआहहह … उउफ्फ्फ ज़ोररर से कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी से निकाला और उठकर बैठ गया और उसकी चड्डी उतारने लगा, वह शरमा रही थी। मैंने उसकसी चड्डी उसके पैरों से अलग कर दी और उसकी चूत देखने लगा। तबी उसने अपने दोनों पैर एक-दूसरे पर रख दिए और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने उसके दोनों पैर अलग करके उसे फैला दिए।
अब मुझे उसकी चूत दिखने लगी। क्यी चूत थी वो!!! एकदम कोरी चूत। चूत पूरी तरह से सील पैक थी। मैंने फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी, और उंगली अन्दर-बाहर करने लगा. वह एकदम पागल हुई जा रही थी और मेरा हाथ पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उंगली अन्दर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया। मैंने सोच लिया, यही सही समय है इसे चोदने का, क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह से गीली और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने अपना अण्डरवियर उतारी और पैन्ट की पॉकेट में से कॉण्डोम का पैक निकाला। मैंने उससे कहा- यह कॉण्डोम है। कभी देखी है?” उसने गर्दन हिलाकर ना कहा। अब मैंने उसमें से एक कॉण्डोम बाहर निकाली और उससे कहा- देख लो, उसे लंड पर कैसे चढ़ाते हैं, अगली बार तुझे ही ऐसा वाला दूसरा कॉण्डोम मेरे लण्ड पर चढ़ाना होगा। वह गौर से देखने लगी। मैंने कॉण्डोम अपने लण्ड पर चढ़ा लिया। मैंने कल ही अपनी झाँट के बाल साफ किए थे। फिर मैंने उसकी दोनों टाँगें घुटनों से मोड़ दी, और जितनी सम्भव थी फैला दीं। अब उसकी चूत खुल चुकी थी। मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच घुस उसके ऊपर सो गया। मैंने अपना लण्ड एक हाथ से उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वह बुरी तरह से पागल हो रही थी, मुझसे कहने लगी- प्लीज़, जल्दी डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत को इस लंड से प्लीज़।
मैंने एक ज़ोर से धक्का मारा। वह तड़प उठी और चिल्लाने लगी, उईईमाँआआ… मररर गईईई आआआहह मेरीईईई चूउउतत फफ्फ्फट गईईईईई… निइइकाआआलो इसे, आह। फिर थोड़ी देर तक मैंने अपना लंड ऐसे ही रखकर एक और ज़ोर से धक्का मारा, उसकी सील टूट गई और वह रोने लगी। वह चिल्ला उठी आआहहहह प्लीज़ निकाल लो इसे, मैं मगर जाऊँगी… प्लीज़। मैंने कहा, कुच नहीं होगा, ऐसे ही पड़ी रहो, दर्द कम हो जाएगा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे। उस वक्त मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। ५-१० मिनटों के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वह मुझसे लिपट गई और उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
लेकिन मेरा लण्ड अभी भी जोश में था। क़रीब १५-२० मिनटों के बाद मैंने भी कॉण्डोम में ही पानी छोड़ दिया और फिर उसकी ऊपर ही उसकी चूत में लण्ड डाले हुए ही सो गया। १० मिनटों के बाद मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसके ऊपर से उठ गया। देखा कि उसकी चूत से थोड़ा-बहुत खून निकल रहा था। खून और उसकी चूत के पानी से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा और उसे अपनी बाँहों में उठाकर टॉयलेट ले गया। वहाँ उसे बैठाकर ठण्डे पानी से उसकी चूत साफ करने लगा। उसकी चूत में उंगली डाल कर साफ करने की वज़ह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसकी चूत साफ करके फिर से उसे अपनी बाँहों में उसे उठाया और बिस्तर पर लाकर रख दिया। अब मेरा लण्ड मेरे मनसपन्द शॉट मारने के लिए बेक़रार था। पैन्ट से मैंने एक कॉण्डोम निकाला और उसके हाथ में दे दिया और कहा- चढ़ा दो उसे मेरे लण्ड पर।
उसने उसमें से कॉण्डोम बाहर निकालकर मेरे लण्ड पर रखा और उसे चढ़ा दिया।
मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं, नीचे से मैंने मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरी तरह से घुसा दिया और उसकी बाँहों में से अपने हाथ डालकर उसे ऊपर उठाया। अब मैं खड़ा था, और उसकी दोनों टाँगें मेरे कंधे पर थी, और मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे थे। वह पूरी तरह से मुड़ी हुई थी, और मेरा लंड उसकी चूत में था। मैंने अपनी पीठ थोड़े से सहारे के लिए दीवार पर छुआ रखी थी, और फिर कमर आगे-पीछे करने लगा। इस मुद्रा में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में चला जा रहा था। जब मैं पूजा को इस तरह से चोदता था तो मुझे दीवार के सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ती थी, क्योंकि उसका व़जन बहुत ही कम था। लेकिन प्रिया 22 साल की थी और उससे काफी बड़ी और भारी थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था मैंने उससे पूछा- मज़ा आ रहा है ना?
उसने हाँ कहा- ऐसे ही चोदते रहो मेरा राजा। मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ। शादी के बाद भी मैं तुम्हीं से चुदवाऊँगी। और ज़ोर से चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को… और कस के आआहहहह आआआहहहह।
8-10 मिनटों के बाद मैंने उसे बिस्तर पर रख दिया और कुतिया की तरह झुकने को कहा। उसने अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रख गिए और घुटनों के बल कुतिया बन गई। मैंने उसके पैर थोडे फैलाए और पीछे से मेरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कुत्ते की तरह चोदने लगा। 15 मिनट बाद मैंने पानी छोड़ दिया। इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा।
दोपहर के साढ़े बारह बज गए थे। मैंने उससे कहा, कपड़े पहन लो, खाना खाने चलते हैं।
वह उठकर बाथरूम चली गई, मैं भी उसके पीछ-पीछे बाथरूम में चला गया।
वह कहने लगी- तुम बाहर जाओ, मुझे पेशाब करनी है।
मैंने कहा- इसमें इतनी शरमाने वाली क्या बात है?
और मैं उसके सामने ही पेशाब करने लगा. वह गौर से देखने लगी।
जैसे ही मेरा पेशाब करना खत्म हुआ, वह नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी। बड़ी ज़ोर से धार मारी थी उसने। फिर वह खड़ी होकर पानी से पैर और चूत पर गिरा हुआ पानी साफ करने लगी।
हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए। मैंने अपने कपड़े पहन लिए। उसने पहले अपनी चड्डी पहनी, फिर ब्रा। मैंने उसकी ब्रा के हुक लगा दिए। फिर उसने अपनी सलवार पैरों में चढ़ाई और अन्त में कमीज़ पहन ली।
मैंने उससे कहा- प्रिया मैं अपनी यह कहानी अन्तर्वासना पर लिखना चाहता हूँ, लेकिन अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो, वर्ना नहीं।
“इसमें पूछने वाली क्या बात है! तुम कहानी लिख सकते हो, लेकिन मेरा नाम बदल देना।” उसने हामी भर दी।
“ठीक है।” मैंने उसे धन्यवाद कहा और हम खाना खाने के लिए चले गए।
खाना खाने के बाद क्या हुआ यह अगले भाग में।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ। Sex Stories
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