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Massage Girl in Bellary: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bellary who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bellary that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bellary massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bellary who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bellary massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bellary massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bellary who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bellary employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bellary helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bellary

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bellary at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Porn Stories

यह मेरी पहचान के एक लड़के Hindi Porn Stories की कहानी है, उसकी उम्र २० साल हुई ही थी, नाम राहुल, कद पाँच फुट दस इंच, आकर्षक।

जैसा कि होता है सबसे पहले जवानी के लक्षण आते ही सेक्स के बारे में उत्सुकता जागती है कि

सेक्स कैसा होता है ?

मजे आते हैं ?

दर्द होता है ?

लड़का और लड़की दोनों को मजे आते हैं ?

बच्चे कैसे होते हैं ?

आदि आदि

ये सब उसके मन में भी उठते थे

उसका संपर्क मेरे से हुआ, वो कंप्यूटर कोर्स के लिए मेरे पास आया था। धीरे धीरे घनिष्टता बढ़ी तो हम लोगों में सेक्स से सम्बंधित बातें भी होने लगी। वो मुझसे अपनी उत्सुकता को लेकर कई सवाल करता था। जब भी हम लोग फ्री होते तो हम सवाल जवाब करते रहते थे। राहुल के अपने भी कुछ दोस्त थे, उनमें भी स्वाभाविक रूप से ऐसी बातें होती रहती थी।

एक दिन राहुल ने मुझसे पूछा कि मेरे लंड के सुपाडे की खाल पीछे नहीं होती है जबकि मेरे दोस्त की तो हो जाती है?

मैंने उस से पूछा कि तुम मुठ मारते हो क्या?

उस ने पूछा कि कैसे मारते हैं?

मैंने उसको समझाया कि कैसे मुठ मारी जाती है।

तो उसने जवाब दिया कि बहुत कभी दो चार बार मारी है।

तो फ़िर मैंने उसको समझाया कि सुपाड़े की खाल तो सुपाडे से ही चिपकी हुई होती है, लेकिन जैसे जैसे जवानी आती है वैसे वैसे ये खाल अपने आप सुपाड़े से छूटती जाती है वरना जब सेक्स किया जाता है तो भी अपने आप धीरे धीरे छूट जाती है और या फ़िर मुठ मरोगे तो भी। लेकिन बहुत ज्यादा जोर लगा कर इसको पीछे करने कि कोशिश मत करना वरना घाव कर बैठोगे।

फ़िर राहुल ने पूछा कि यदि सेक्स किया जाए तो क्या फर्क पड़ेगा ?

तो मैंने पूछा कि कोई लड़की दोस्त है क्या ?

तो राहुल ने हिचकते हुए जवाब दिया हाँ है तो सही।

मैं : दोस्ती गहरी हुई क्या?

राहुल : हाँ धीरे धीरे गहरी हो रही है

मैं : क्या सेक्स की बातें होने लगी हैं?

राहुल : हाँ थोड़ी थोड़ी !

मैं : देखो, यदि खाल पीछे नहीं होती है तो लंड को चूत के अन्दर डालने में थोड़ी दिक्कत होती है, जोर से झटका मारोगे तो ख़ुद लंड पर भी घाव कर सकते हो और लड़की को यदि वो पहली बार कर रही है तो दर्द होगा।

राहुल : तो क्या मैं सेक्स नहीं कर सकता?

मैं: क्यों नहीं कर सकता भाई, मैंने मना थोड़े ही किया है, ऐसे समय सेक्स करने से पहले तैयारी करो – अपने हाथ साबुन से धो लेना, वेसलिन की डिब्बी ले लो, अपनी पहली ऊँगली पर वेसलिन लगा कर लड़की की चूत में ऊँगली करना। फ़िर उंगली को कुछ बार आगे पीछे करना। अब उंगली को ओ के आकर में धीरे धीरे घुमाना। ये सब करने में लड़की को दर्द हो तो रुकना फ़िर शुरू करना, अब अपने अंगूठे से भी इसी तरह करना। इस से लड़की की चूत का छेद थोड़ा खुल जाएगा और लंड डालते समय उसको दर्द कम होगा।

राहुल : लोग तो कहते हैं कि लंड को जोर से धक्का मारकर अन्दर डालना चाहिए। सील तोड़ना इसी को कहते हैं?

मैं: तू रोटी खाता है तो रोटी को तेरे मुँह में ठूंस ठूंस कर खिलाया जाय तो तुझको मजा आएगा क्या?

राहुल: मैं समझ गया, लड़की को दर्द होगा तो वो उतना मजा नहीं ले पायेगी।

मैं: हाँ ठीक समझा, वो ही क्या तुझको भी उतना मजा नहीं आएगा क्यूंकि दर्द के मारे वो उतना साथ नहीं देगी। अब अपने लंड पर वेसलिन लगा कर हलके धक्के लगाते हुए उसको भी चूत में धीरे से सरकते हुए अन्दर डालना, वेसलिन, क्रीम या नारियल का तेल लगाने से लंड आराम से अन्दर जाता है। बहुत जोर का घर्षण नहीं होता। समझा…? दर्द नहीं होने या कम होने से मजा बहुत आता है, सिर्फ़ सेक्स का असली मजा आता है। और जब मजा आने लगे और चूत पानी छोड़ने लगे तो तेरे में दम हो जितना जोर से लगाना, धक्के जोर से मारने हों तो मारना !

राहुल: लड़की को भी सेक्स का मजा आता है क्या?

मैं: क्यूँ भाई, लड़के ही ठेकेदारी लिखवा कर लाये हैं क्या मजे लेने के लिए। लड़कियों को भी मजा आता है। और जैसे कि अलग अलग लड़कों में सेक्स की रूचि अलग अलग होती है वैसे ही लड़कियों में भी, किसी लड़की को सेक्स में रूचि ज्यादा और किसी में बहुत कम या न के बराबर होती है। लेकिन एक बात याद रखना कि यदि सेक्स का मजा लेना हो तो लड़की को ओर्गास्म पहले आ जाए ये याद रखना ताकि उसका इंटरेस्ट बना रहे। अन्यथा पहले तुमको ओर्गास्म आ गया तो तुम्हारे दुबारा तैयार होने तक लड़की उत्तेजना से परेशान हो जायेगी और उसको हो सकता है तुमसे या सेक्स से नफरत हो जाए। यदि किसी कारण वश एसा हो भी जाए तो लड़की के साथ लगातार खेलते रहो। ताकि उसकी उत्तेजना बनी रहे।

और लड़की को पहले ओर्गास्म हो तो एक फायदा और होता है कि तुम्हारे को ओर्गास्म होने तक लड़की को और भी ओर्गास्म हो जाए। भगवन ने लड़की को ही वरदान दिया है कि सेक्स के एक राउंड में लड़की को कई ओर्गास्म हो सकते हैं जबकि लड़के को एक बार में एक ही ओर्गास्म होता है। उसके बाद लड़के को दुबारा ओर्गास्म हो इसके लिए उसको थोड़ा इंतजार करना होता है।

राहुल: सर बस एक बात और बता दीजिये कि लड़की को ज्यादा मजा कैसे आता है।

मैं: देखो लंड को चूत में डालने से पहले गेम खेलना चाहिए। इस गेम खेलने को फोरप्ले कहते है। इसमे होटों से होंट मिला कर चूसना, एक दूसरे की जीभ चूसना, कान की लटकन चूसना, लटकन के नीचे की गर्दन चूसना, बोबे दबाना और चूसना, नाभि चूसना और हो सके तो एक दूसरे के सेक्स ओरगन (लंड या चूत) चूसना शामिल हैं। शरीर की मालिश करना और सहलाना भी फोरप्ले में ही आता है। अब यह बात भी ध्यान रखना कि जिससे उसको उत्तेजना ज्यादा हो वो ही काम ज्यादा करना। जिसके लिए वो मना करे वो मत करना। ये अच्छा रहेगा, उसके मन में तेरे लिए विश्वास और प्यार पैदा होगा। जब लड़की को सेक्स खूब चढ़ जाए तो लंड को चूत में डालना। शुरू में बिल्कुल धीरे धीरे धक्के लगाना।

अब एक बात मैं और बता देता हूँ, देख लड़की के साथ सेफ सेक्स खेलना, या तो कंडोम प्रयोग में लेना या मासिक के चक्र को ध्यान में रखना। मासिक शुरू हो उस दिन को पहला गिनो। आम तौर पर ३० दिन का मासिक होता है। इस के अनुसार १५ वां दिन सबसे खतरनाक होता है। इस दिन तो बच्चा होने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं। इस से तीन दिन पहले तक क्यूंकि तीन दिन वीर्य के शुक्राणु जिन्दा रह सकते हैं और तीन दिन बाद तक क्यूंकि लड़कियों में अंडाणु तीन दिन जिन्दा रहता है, अर्थात मासिक शुरू होने के १२ वें दिन से १८ वें दिन तक सीधा सम्भोग नहीं करना। वरना बच्चे होने का खतरा उठाना होगा। इसमे भी २ दिन और सेफ कर लो। ११ से १९ दिन तक। लेकिन यदि मासिक चक्र काफी ऊपर नीचे होता रहता है तो रिस्क मत लेना। कंडोम ही काम लेना।

राहुल: ठीक है सर।

मैं: अब तू मुझसे सुन, मैं सब कुछ समझता हूँ लल्लू, लड़की लगभग तैयार होगी। है न।

राहुल: एसा ही लगता है सर।

मैं: जा मजे कर, और सेक्स हो जाए तो बाकी सारी बातें बताना।

राहुल: बिल्कुल सर, ऐसा ही होगा।

अगले चार दिन राहुल नहीं आया, उसका फोन आया कि सर मैं छुट्टी पर रहूँगा। मैं समझ गया।

उसके बाद जब वो मेरे पास पढने आया तो मैंने उसको सारी बात बताने को कहा। अब आगे की कहानी राहुल की जुबानी सुनिए।

यहाँ से जाने के अगले दिन मैं उषा से मिला। मैंने बातों बातों में उस से पूछा कि कहीं घूमने चल रही हो?

उषा: किधर चलोगे?

राहुल: शहर से १० किलोमीटर दूर जो स्मृति वन है। ( इस स्पॉट में कम ही लोग आते जाते हैं)

उषा: जरूर, कल चलेंगे, खाना भी उधर ही खायेंगे। ठीक है?

राहुल: बिल्कुल ठीक है, जान।

मेरे इस नए संबोधन से उषा शरमाई सी आश्चर्य चकित मुझको देखने लगी। मैंने उसका हाथ धीरे से दबा कर बोला तुमने मेरा मन रखा उसके लिए धन्यवाद। तो उषा बोली इसमे धन्यवाद कैसा, मेरा तो ख़ुद घूमने का मन था। उल्टा धन्यवाद तो मुझसे लो। ये सुन कर मेरे मन में उमंगों ने लहर मारना शुरू कर दिया। मुझको उसकी साफगोई बहुत अच्छी लगी और मेरे मन में उसके लिए प्यार हिलोरे लेने लगा।

कोलेज पढने के बाद मैंने उस को अपनी मोटर साइकिल से उस के घर के पास छोड़ा। अगले दिन इसी जगह से दिन के बारह बजे स्मृति वन जाना निश्चित हुआ। दूसरे दिन वो मुझे उसी जगह पौने बारह बजे मिली और हम दोनों अपने घर से लाये खाने और पानी की बोतल के साथ स्मृति वन २० मिनिट में जा पहुंचे। मोटर साइकिल को स्टैंड पर लगा कर हम अपने खाने पीने के सामान के साथ पिकनिक स्पॉट में दाखिल हुए।

ये कई बीघा में बना हुआ पिकनिक स्पॉट है जहाँ कि बीच बीच में छायादार बड़े पेड़, झोंपडी टाइप गुमटियां और टीनशेड आदि दूर दूर लगे हुए हैं। बीच बीच में पानी के गढ़े, फ़व्वारे, डांसिंग लाइट आदि लगी हैं। काम काज का दिन होने से भीड़ कम थी। और हम बहुत आराम में थे। धीरे धीरे हम आपस में बात करते हुए अन्दर घुसे जा रहे थे। उसका सामान भी मैंने ले रखा था। हम साथ साथ चल रहे थे। और उसका हाथ मेरे हाथ से बार बार छू जाता था। मुझको अच्छा लग रहा था। और उषा इस बात पर ध्यान नहीं दे रही थी। बहुत अन्दर जाने पर जब आसानी से आसपास कोई दिखाई नहीं दे रहा था तो एक गुमटी में हम लोगों ने अपना डेरा जमा लिया।

हम एक दूसरे के पड़ोस में बैठे पढ़ाई से दूर की, अपने घर और परिवार की बातें करने लगे। बहुत देर तक बातें होती रही। हम एक दूसरे की बातों में रुचि लेते रहे। फ़िर हम एक दूसरे को चुटकुले सुनाने लगे। इस दौरान हँसी हँसी में हम एक दूसरे के हाथ पर हाथ मारने लगे। उषा ने कोई आपत्ति नहीं की। प्यास लगने पर एक ही बोतल के मुँह लगा कर पानी पिया। फ़िर किसी इसी ही मनभावन बात पर मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में ले लिया। उषा ने एक बार मुझको देखा फ़िर नोर्मल ही वैसी ही बातें करने लगी। मैंने भी उसकी आँखों से आँखें मिलायी।

२ घंटे बाद हम लोग खाना खाने को हुए। हाथ धोये, उषा ने दोनों के घर से लाया खाना एक ही जगह बहुत अच्छी तरह सजाया। सलाद काटा फ़िर एक दूसरे के पास पास बैठ कर हम एक दूसरे को खाना खिलाने लगे। उषा मेरे बाएं साइड बैठी थी। फ़िर धीरे से मैंने अपना बायाँ हाथ उसके कंधे पर रख दिया। उषा ने मेरी और देखा तो मेरा दिल जोर से धड़का। लेकिन उषा धीरे से खिसक कर मेरे थोड़ा और पास हो गई। मुझको बहुत आराम आया। फ़िर हम दोनों ने किसी को भी ख़ुद के हाथ से खाना नहीं खाने दिया, एक दूसरे को खिलाते रहे। खाने के दौरान उषा बातों के बीच में अपना सर मेरे कंधे के बाजु पर लगा देती थी। हम दोनों ने बहुत एन्जॉय करते हुए १ घंटे में खाना ख़तम किया। उषा के व्यवहार से लग रहा था कि उसको मेरा साथ पसंद आया है।

दिन के तीन बज रहे थे। अब हम चद्दर बिछा कर अधलेटे से सुस्ताने लगे। अब असली बात मेरे मुँह से निकल नहीं पा रही थी। कि कैसे मैं उषा से कहूँ कि मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता हूँ। जबकि उसके व्यवहार से लगता था कि वो भी राजी है। लेकिन यदि उसने बुरा माना तो मैं एक बहुत अच्छे दोस्त से भी हाथ धो बैठूंगा।

उषा ने मुझसे पूछा कि मेशु तुम बहुत विचार मग्न दिख रहे हो। क्या बात है?

मैंने कहा कि नहीं कुछ भी नही। तो उषा ने जोर दिया कि यार लगभग आधा घंटा हो गया मैं तुमको इसी स्थिति में देख रही हूँ। खाना खाने तक तो बहुत ठीक से सब कुछ चल रहा था। बताओ तो क्या बात है।

मैं हिचकिचाया तो उषा ने बोला कि तुम लड़के होकर नहीं बता रहे। क्या बात है बोलो।

मैं बोला उषा मैं बता तो दूँ लेकिन यदि बात तुमको पसंद नहीं आई तो?

उषा ने बीच में बात काट कर कहा – क्या क्या, यदि बात मुझको पसंद नहीं आई तो, चलो अभयदान दिया, कुछ नहीं होगा। फ़िर मैंने उषा को कहा कि देखो उषा तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो और मैं तुमको खोना नहीं चाहता। अबसे पहले मेरी कोई भी फिमेल दोस्त नहीं रही इसलिए प्लीज यदि बुरा न मानो और अपना सम्बन्ध इसी तरह बना रहे तो मैं बता दूँ वरना जाने दो।

उषा ने जवाब दिया जनाब मैं तो तुमको अभयदान दे चुकी बोलो इस से ज्यादा तो कुछ नहीं हो सकता। अब भी न बताओ तो तुम्हारी इच्छा। तुम्हारी ऐसी शकल देखने से तो अच्छा है कि घर ही चलें।

अब मुझको हिम्मत आ गई और उषा को मैंने कहा। कि उषा तुम मेरी पहली फिमेल दोस्त हो और हो सकता है कि आखिरी भी तुम ही रहो।

उषा: फ़िर

राहुल: बात ऐसी है !!

उषा: कैसे है यार, क्या लड़कियों की तरह शरमाते हो। लड़की होकर मैं इंतना नहीं शरमा रही, बेशर्म होकर तुमसे खोद खोद कर पूछ रही हूँ, क्या मैं रोटी नही घास खाती हूँ। मुझको भी कुछ अंदाजा है कि तुम क्या कहना चाहते हो लेकिन तुम ही बोलो ! चलो ! मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहती हूँ !

मैं तो जड़ हो गया। फ़िर उसकी नजरें मुझ पर टिकी रही। मुझसे कुछ भी बोलते नहीं बन पा रहा था। तो उषा बोली चलो फ़िर घर चलते हैं।

लेकिन मैं नहीं उठा। उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया। उसके कन्धों पर हाथ रख दिया।

उसने मेरी ठुड्डी पर हाथ रखकर मेरा मुँह अपनी और किया और मेरी आंखों में देखने लगी।

मेरे पसीने छूट गए। फ़िर बोला उषा प्लीज समझोगी न मुझको !

उसने हाँ में गर्दन हिलाई।

मैंने दूसरे हाथ से उसका हाथ अपने हाथ में लिया। और उसकी और देखते हुए बोला उषा प्लीज ! उषा मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो। उषा मुस्कुराई। उसने आँख मार दी। मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने कंधे वाला हाथ उसको लिए अपनी और खींचा और उसके गाल पर एक पप्पी ली। उसने कुछ नही कहा। और अपने हाथ से मेरा पकड़ा वाला हाथ दबा दिया। कुछ देर हम एक दूसरे को देखते हुए बैठे रहे। उषा फ़िर बोली बस ये ही कहना था आगे बोलो !

मैंने फ़िर कहा कि उषा ! प्लीज समझना यार, बुरा मत मानना।

उषा ने दूसरे हाथ से अपना माथा ठोक लिया।

उसने अपना हाथ छुडाया, अपने दोनों हाथों में मेरा चेहरा थामकर मेरी आँखों में देखती हुई बोली हाँ अब बोलो!

मैंने उसके दोनों कन्धों पर अपने दोनों हाथ जमा दिए फ़िर हिचकते हुए कहना शुरू किया- मुझको सेक्स के बारे में बहुत उत्सुकता है !

उषा: फ़िर ! ?

राहुल: तुमको भी है?

उषा: यार मेरा भी एक ही बॉय फ्रेंड है…। तुम, और ये तो सभी को होती है। इसमे ग़लत क्या है? लड़का लड़की एक दूसरे के बारे में जानना चाह्ते हैं। तुम क्या जानना चाह्ते हो?

अब मैंने अपना दिल कठोर कर लिया और सोचा कि जो होगा देखा जाएगा। उषा इतना सपोर्ट कर रही है।।।

राहुल: मुझसे सेक्स करोगी !?

उषा अपने हाथों में मेरा चेहरा पकड़े कुछ देर मुझे देखती रही मैं भी उसको देखता रहा। उसके गाल लाल हो गए। मेरा दिल धक् धक् कर रहा था। सारा शरीर कम्पन कर रहा था कि जाने क्या होगा, फ़िर !

उषा: मेशु मुझको तुम पर विश्वास है। इच्छा तो यार होती है लेकिन डर भी बहुत लगता है। कहीं कुछ ऊँच नीच हो गया तो जमाने को क्या मुँह दिखायेंगे?

राहुल:यदि ऐसा हो गया तो फ़िर हम शादी कर लेंगे।

उषा: क्याआआआआअ।

मेरे मुँह को चूम कर, उसने अपना चेहरा मेरे सीने में लगा दिया !

हम बहुत देर तक ऐसे ही बैठे रहे। कभी कभी एक दूसरे को चूम लेते। फ़िर मैंने अपना एक हाथ उसके बोबे पर रखा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, नहीं मेशु आज नहीं कल, फ़िर नजरें नीची करके कहा – जब सेक्स करेंगे तब।

यह सुन कर मेरा फ्यूज उड़ गया।

मुझको अपने को वश में करना मुश्किल हो गया। मैं तुंरत उठ कर बोला उषा ५ बज रहे हैं चलो घर चलें। उषा भी बोली हाँ ठीक है चलो।

हमने अपना सामान समेटा और एक दूसरे का एक हाथ पकड़े मोटर साइकिल पर आए और घर की ओर रवाना हुए। उषा मुझसे चिपक कर बैठी हुई थी। मैंने पूछा उषा मासिक कितने दिन के हो गए। उषा बोली २५-२६ दिन हो गए ४-५ दिन में आ जायेगी। तो मैंने सोचा कि सीधे एंट्री हो सकती है बिना किसी डर के।

उषा को घर के पास उतारते समय उषा बोली कि वो कल १२ बजे मेरे कमरे पर आ जायेगी। लेकिन दर्द होगा ना ?

मैंने कहा कि यार नहीं होने दूँगा। उषा बोली मेरी सहेलियां तो बोलती हैं कि बहुत दर्द होता है पहली बार में। मैं बोला जय गुरूजी की विश्वास रखो नहीं होने दूँगा।

उसके बाद न तो मेरा मन किसी काम में लगा, न मुझको खाना खाने कि इच्छा हुई और न ही रात को ठीक से नींद आई। उषा का स्पर्श मुझको तरंगित किए था और मैं सातवें आसमान पर उड़ रहा था। बड़ी मुश्किल से वो दिन बीता और सुबह ७ बजे तक मैं नहा धो कर तैयार था। मेरे दिल की धड़कन बदल चुकी थी और उषा उषा आवाज आ रही थी। जैसे तैसे टाइम कट रहा था। ११ बजे जाकर होटल से खाना पैक करवाया। कमरे पर आकर उषा का इंतजार करने लगा। पता नहीं उषा आएगी भी या नही। सेक्स कोई ऐसी वेसी छोटी मोटी चीज तो थी नहीं जो वो मुझको देने वाली है और लड़की बिंदास है ये उसका व्यवहार बता रहा है। ठीक १० मिनिट पहले दरवाजे पर दस्तक हुई। मेरा दिल उछल कर गले मैं आ गया। दरवाजे पर उषा खड़ी थी।

राहुल: आओ आओ उषा अन्दर आओ।

मैंने दरवाजा बंद किया और बाहें बढाई कि उषा मेरे बाँहों में समा गई मेरे हाथ उसकी पीठ पर और उसके हाथ मेरी गर्दन के पीछे कस गए। हमारे होंट एक दूसरे से चिपक गए। १५-२० मिनिट हो गए, होंट थे कि हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे। हम एक दूसरे के होंट चूस रहे थे और इतना तन्मय हो गए थे जैसे किसी मधुर संगीत में खो गए हो।

जिन्दगी में पहला किस था किसी जवान लड़की को मेरा और उषा का भी।

उसके होटों का रस मेरे पेट में और मेरे होंटों का रस उसके पेट में जा रहा था। दोनों तृप्त हो रहे थे। दुनिया का कोई होश नहीं था !! हम खड़े खड़े ही एक दूसरे में खोये हुए थे। उषा की जीभ मेरे होटों पर फिरने लगी तो मैंने उसकी जीभ को अपने होटों से सक करके अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। उषा के मुँह से जोर की सिसकारी निकली और वो जोर से मुझसे चिपक गई।

मैं अधमुंदी आंखों से उषा को देख रहा था, उसकी आँखें मुंदी हुई थी। धीरे धीरे वो होश खो कर मेरी बाँहों में लटकती जा रही थी। जैसे ही ये अहसास मुझे हुआ तो मैंने उसको दोनों बाँहों में उठा कर अपने बिस्तर पर हौले से लिटा दिया। वो पस्त निढाल लेटी हुई थी। मैं भी समझ गया कि अब उसको सेक्स की बहुत जरूरत है। मैं भी उसके साथ लेट गया और उषा को बाँहों में लेकर उसके बोबे दबाने लगा और उसके कान की लटकन चूसने लगा। उसने अपनी बाहें मेरी पीठ पर कस दी। थोडी देर बाद मैं उसकी गर्दन चूसने लगा। मेरे पसीने आने लगे। जैसे भट्टी जल रही हो। और मेरी बाँहों में तो साक्षात् आग लेटी थी। हम दोनों ही लस्त पस्त हो रहे थे। बिजली की चिंगारियां शरीर में भर रही थी। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं स्थिति को कैसे सम्भालूँ। मैंने धैर्य रखना उचित समझा। वरना मेरी हालत ख़राब होने को थी। बड़ी मुश्किलों से अपने को काबू किया।

मैंने उषा से पूछा- उषा कपड़े हटा दूँ। तो उसने सहमति से गर्दन हिला दी। मैं २ मिनिट के लिए उषा से हटा और उषा के शरीर से कुरता हटाया। जैसे जैसे उसका शरीर दीखता गया मेरे शरीर में भाप बनने लगी। जैसे तैसे उसका कुरता हटाया, ब्रा में उसके बोबे ऐसे दिख रहे थे जैसे ताजी, चमकदार और रसभरी दो मोस्मियाँ उसके शरीर पर चिपकी हों, मैं होश खो बैठा और ब्रा को ऊपर सरका कर एक हाथ से उसका एक बोबा दबाने लगा और दूसरे को अपने मुँह में भर लिया। आधा बोबा मेरे मुँह में आ गया। मैं चूसने लगा। उषा के मुँह से सिसकारियां छूटने लगी, वो तड़पने लगी। आहें कमरे में गर्मी भर रही थी। मैं बिल्कुल बेकाबू हो गया था। उषा मेरे सर को पकड़ कर अपने बोबों पर दबा कर पकड़ रखी थी। मैं कंट्रोल करने की कोशिश में लगा था। बड़ी मुश्किल से मैंने बोबे पर अपने दांत गड़ने से बचाए।

फ़िर मैं उषा की पकड़ से छूट कर पहले अपने कपड़े उतारने लगा। अब उषा ने ज़रा सी आँख खोल कर देखा फ़िर शर्मा कर मुस्कुरा कर वापस अपनी आँख बंद करके इंतजार करने लगी। अपने को जन्म जात अवस्था में लाकर मैंने उषा की ब्रा के हूक खोलकर उसको अलग किया। फ़िर सलवार का नाड़ा खोला। सलवार का जोड़ गीला हो चुका था। मैंने सलवार नीचे सरकाई। उसकी पैंटी दिखने लगी पूरी गीली। सलवार और नीचे सरकी तो उसकी जांघे मखमल जैसे, चिकनी पूरे शरीर पर एक भी बाल नही। क्या बदन है उसका मैं सोचने लगा। फ़िर मैं होश खोने लगा तो मैंने फ़टाफ़ट से उसकी सलवार टांगों में से निकाल दी और उसके पूरे शरीर पर छाते हुए उसकी गर्दन से नीचे से लेकर पूरे शरीर को जीभ से चाट गया। उषा फ़िर तड़पने लगी। सिसकारी और आहें कमरे में फैलने लगी जैसे कोई मधुर संगीत मन को तृप्त और उद्दीप्त करता है ऐसे ही वो आहें और सिसकारी काम कर रही थी।

उषा की पैंटी के नीचे चद्दर तक गीली हो गई। जैसे एक गिलास पानी गिर गया हो। मुझमें हजारों वाट की भट्टी दहकने लगी। इससे पहले कि मैं अपने होश खो बैठूं, मैंने पैंटी के दोनों और अपने हाथ रखे और ३ सेकंड में नीचे खीचंते हुए उषा की टांगो से बाहर किया और उषा पर आ गया। उसका कद ५ फुट ६ इंच का होगा क्योंकि मेरा लंड उसकी चूत पर अड़ रहा था और उसके मुँह से मेरा मुँह मिला हुआ था। उसका गोल चेहरा बिल्कुल निर्मल प्यारा लग रहा था। उससे मुझको प्यार हुए जा रहा था। अब उषा मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैं उसके मोसमी जैसे बोबे दबाने लगा। और लंड को उसकी चूत पर रखकर दबा दिया। उषा के होंट ढीले पड़े और उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी। वो मुझसे ऐसे चिपक गई जैसे मुझ में घुस जायेगी। फ़िर तो वो मुझको जगह जगह से चाट गई जहाँ जहाँ वो बाँहों में बंधे हुए चाट सकती थी। मेरी हालत ऐसे थी कि काबू करने की कोशिश के बाद भी नहीं हो रहा था। मैं ने करवट ले कर अपने को उषा के साइड में कर लिया। और अब दबाने चूसने का कार्यक्रम बिना किसी रुकावट के चलने लगा।

उषा से मैंने कहा- उषा अब बर्दाश्त नहीं होता यार।

उषा फुसफुसाई तो मैं क्या करुँ यार। मैं तो तुम्हारे हवाले हूँ और मुझ से तो कुछ भी किया नहीं जा रहा। मैं तो उड़ रही हूँ जाने किधर आ गई आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह।

मैंने भी जय गुरूजी की बोलकर बेड के पास रखी वेसलीन की डिब्बी को उठा कर ऊँगली घुसा कर वेसलीन निकाली और हाथ नीचे ले जाकर उषा की चूत में ऊँगली सरकाई। उषा ज़रा सी कसमसाई लेकिन जैसे ही मैं ने ऊँगली गहरी डाली तो उषा के चेहरे पर दर्द कि लकीरें दिखने लगी। उंगली टाईट से अन्दर जा रही थी। मै उसी स्थिति में ऊँगली अन्दर बाहर करने लगा। उषा उत्तेजना के मरे मुझसे चिपक कर आहें भरने लगी। मैंने अपनी जीभ फ़िर उषा के मुँह में दे दी। वो चूसने लगी। मेरा लंड कठोर हो चुका था। अब मैंने ऊँगली को ओ के आकार में घुमाना शुरू किया फ़िर उषा के चेहरे पर दर्द उठने लगा। मैंने हाथ की स्पीड को कम किया। फ़िर उषा मचलने लग गई। उसके कूल्हे धीरे धीरे चलने लगे। अब मैंने अपनी ऊँगली निकाल कर अंगूठा उसकी चूत में डाल दिया। उषा थोड़ा सा कसमसाई और फ़िर एडजस्ट हो गई। अब जब मैंने अंगूठा ओ के आकार में घुमाने लगा तो स्पीड बिल्कुल कम रखी। फ़िर भी उषा आह आह करने लगी धीरे धीरे। मैंने पूछा तो वो बोली कि हल्का दर्द है और मजे भी बहुत आ रहे हैं। फ़िर मेरा मुँह चूम कर बोली राज्जा तुम बहुत अच्छे हो यार, मेरे दर्द का कितना ख़याल रखते हो। मैंने मन में सोचा कि सब गुरूजी की कृपा है

२ मिनिट बाद मैंने उषा से पूछा कि लंड को अन्दर डाल दूँ क्या। तो वो जरा सी आँखें खोलकर फुसफुसाते हुए बोली बोली जो करना है, करो मुझको क्या पता कि कैसे क्या होता है। बस थोड़ा इधर उधर से सहेलियों से सुना ही तो है। मैंने भी सोचा कि उषा बिल्कुल सही कह रही है।

फ़िर मैंने अपना लंड उषा के हाथ में दिया और फ़िर ऊँगली घुसेड़ कर वेसलीन निकली और लंड पर लगा दी और उषा को बोला कि बस अब इतना तो कर दो कि वेसलीन मेरे लंड पर लगा दो। उसने गर्दन हिला कर सहमति दी और आहें भरती हुई धीरे धीरे वेसलीन लंड पर रगड़ने लगी। पूरी स्थिति अब काबू बाहर होने लगी तो वेसलीन फैलते ही मैं उषा की टांगो के बीच में आ गया और उषा को बोला उषा अपने को कंट्रोल करना यार मुझको हेल्प करना यदि दर्द हो तो उसको थोड़ा सहन करना !

फ़िर मैंने अपने ६ इंच लंबे और २ इंच मोटे लंड को उषा की चूत के मुँह पर रखा फ़िर अपने हाथ उषा की कमर के दोनों साइड में रखकर धीरे से लंड पर दबाव डाला तो लंड का सुपाडा चूत के मुँह पर फिट हो गया फ़िर हल्का झटका दिया तो उषा के मुँह से आह निकली और मेरे मुँह से सिसकारी। लंड लगभग दो इंच अन्दर हो गया था। लंड चूत में जाने के एहसास से कड़क एकदम कड़क हो गया था और मेरे शरीर को जाने कौन आसमान में ले उड़ रहा था। मैंने अपने आपको सम्हालने कि कोशिश करते हुए उषा से पूछा कि दर्द?

तो वो बोली- थोड़ा है लेकिन चलेगा और मेरे शेर मैंने अपने आपको सही हाथों में दिया है ये मैं महसूस कर रही हूँ। करते जाओ।

तो मैंने धीरे धीरे दबाव डालते हुए हलके हलके धक्के से लगाते हुए अपना लंड जड़ तक उषा की चूत में डाल दिया। लंड के सुपाड़े की खाल चिपकी होने से थोड़ा तकलीफ तो मुझको भी हुई। उषा ने अपने होंट भीच रखे थे और अपनी गर्दन को हाँ आने दो की मुद्रा में हिला रही थी। जैसे ही पूरा लंड अन्दर गया कि मैं अपने हाथों को आगे करता हुआ उषा के ऊपर आ गया कोहनी बिस्तर पर थी और घुटने भी मेरे शरीर का वजन सम्हाले हुए थे। उषा ने अपने हाथों से मेरी गर्दन को अपनी और भीचा और अपने होटों से मेरी गर्दन चूसने लगी, मैंने अपनी हथेलियाँ उसके बोबों पर रख दी।

गर्दन से कैसे बिजली शरीर में आती है ये मैंने जाना उषा के होटों की हर हरकत लाखों वोल्ट के झटके मुझे दे रहे थे मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। कंट्रोल कैसे होता है ये ना मैं जानता था और ना ही उषा। बस हम तो किए जा रहे थे जो मन में आ रहा था वो सब। लेकिन बस काम हो रहा था।

थोडी देर बाद मैंने उषा को रोका और कहा यार उषा ऊपर आ जाओ। और ऊपर से करो तो उषा ने बमुश्किल अपनी आँखें खोली और मेरे हटने के बाद जब मैं साइड में सोया तो वो ऊपर आ गई। अब मैंने एक बदमाशी की, उषा ने जब लंड को चूत में डालने को कहा तो मैंने कहा कि अब ये अपने आप अपनी चूत में डालो। अब तो तुमको पता है कि लंड को कैसे और कहाँ अन्दर जाना है।

उषा ने आँखें तरेरी लेकिन मैंने चेहरा दयनीय बनाते हुए कहा प्लीज तो वो मेरे ऊपर लेट गई और अपने कूल्हे थोड़ा ऊपर करके मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया और बोली कि अब तो थोड़ा सा सहयोग कर दो न !

तो मैंने उसके कूल्हों पर हाथ रखकर नीचे से अपने कूल्हे ऊपर उठाने शुरू किए तो फ़िर हम दोनों के मुँह से सीसाहट निकलने लगी तो उषा ने मेरे होंटों पर अपने होंट चिपका कर चूसना शुरू कर दिया। फ़िर तो मैंने उषा को कस कर भीच लिया। उषा आहें भरने लगी। और मेरे सीने से लग कर थोडी देर पड़ी रही। फ़िर मैंने अपने एक हाथ को नीचे फंसा कर उसके चूत पर लाकर हलके से उँगलियाँ उसकी चूत में फसें लंड के चारों और की चूत की दीवारों पर फेरने लगा। उषा मचलने लगी।

वो मेरा मुँह चाट गई और कूल्हों के हलके झटके देने लगी। मैंने दूसरे हाथ को उसके कूल्हों पर फेरने लगा। उषा पूरी तरह छटपटाने लगी और लम्बी लम्बी साँसों के साथ सिसकारी लेने लगी। अब मैंने अपने कूल्हे नीचे से धीरे धीरे चलाने शुरू किए। उषा भी अपने कूल्हों को चलाने लगी। मैंने उषा को कहा कि जान अपनी चूत को चक्की की तरह रगड़ते हुए चलाओ। पहले तो उस से अच्छे से नहीं हुआ लेकिन मैंने हाथों से उसके कूल्हों को रगड़ कर चलाने को बताता रहा तो वो चलाने लगी। कुछ ही देर में लम्बी आह भरकर उसका शरीर अकड़ गया मैंने नीचे से जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किए अपने हाथ उषा की पीठ पर बाँध दिए और टांगों को उषा की टांगो पर दबा लिया। नीचे से जोर जोर से धक्के लगाता रहा तो उषा के मुँह से सिसकी के बाद फ़िर सिसकी निकलने लगी ज़रा देर में ही मैं भी पिचकारी मार कर निढाल हो गया। उषा अपने हाथ मेरे चेहरे के चारो और किए थी और मैं उसको पीठ पर से मेरे हाथ बांधे था। हम सो गए पता भी नहीं चला। लगभग आधे घंटे बाद उषा कि आँखें खुली। उसने ऊपर से मुझे हलके हलके गाल थपथपा कर जगाया। हम एक दूसरे के साइड में आ गए। अब तक मेरा लंड उषा की चूत में घुसा हुआ था। कड़क।

अब उषा मुझसे चिपकते हुए बोली राजा मैं कमरे में आई थी तो कमरे में ताजा खाने की खुशबू थी। खाना खिलाओ ना।

मैंने कहा कि हाँ उषा कल दोपहर के बाद अब भूख लगी है। ठीक है खाना लगाओ। हमने अपने अंडरवियर पहने और बिस्तर पर अखबार बिछा कर उषा ने खाना सजाया। उषा को मैंने अपनी गोद में बिठा लिया और कल के जैसे ही एक दूसरे को खाना खिलाते रहे।

उषा को मैंने कहा – जान ट्रिप कैसा रहा। तो उषा बोली जय तुम्हारे गुरूजी की मजा आ गया और वो भी ऐसा कि अब एक राउंड और करेंगे। मान गई राजा हल्का सा दर्द हुआ और मजा तो ट्रक भरकर आया। आखिर में तो जब तुमने मुझको बाँहों में कस कर धक्के मारे तो मुझको तो जाने कितनी बार हो गया। फ़िर कल भी ४ घंटे मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी……

मैंने राहुल से उसकी मंशा जानी कि लड़की का क्या करोगे।

तो बोला यदि उसकी इच्छा होगी तो शादी कर लेंगे। देखेंगे…।। वो बोले तो सही…।

और सर मैं जानता हूँ कि उस से अच्छी लड़की मुझको ढूंढे से मिलनी मुश्किल ही है, वैसे अगर वो ना भी बोली तो मैं लड़का होने के नाते पहल करूँगा और मुझको पूरा विश्वास है कि वो मना नहीं करेगी…………।।

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कहा जाता है कि ‘बीवियों की अदला बदली’ का खेल यानि ‘Wife Swapping’ पश्चिमी देशों में बहुत होता है, हमारे देश में बहुत कम होता है लेकिन ऐसा नहीं है।

हमारे देश में भी यह खेल होता था और आज भी होता है लेकिन हां … खुले आम नहीं होता, चुपके चुपके छिप छिप कर होता है।
लोग इस खेल का मज़ा लेते हैं और खूब लेते हैं.

हमारे यहाँ अधिकतर बीवियां पहले तैयार नहीं होतीं।
उनको मनाना पड़ता है लेकिन जब मान जाती है, तैयार हो जाती हैं तो फिर कभी पीछे नहीं हटतीं।

फिर तो उन्हें इस खेल में इतना आनंद आता है कि वो इसे हर रोज़ खेलना चाहती है।

यह भी ऎसी ही न्यूड इंडियन वाइफ हॉट स्टोरी है. मजा लीजिये.

एक समय ऐसा था जब हम तीन पक्के दोस्त थे।
मैं आकाश, मेरा एक दोस्त अरुण और दूसरा मेरा दोस्त आनंद।

हम तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और एक साथ पढ़ते थे।
बड़ी गहरी दोस्ती थी हम तीनों की!

कुछ ऐसा संयोग हुआ कि हम तीनों की नौकरी दिल्ली में लग गयी और हम लोग एक कॉलोनी में एक एक फ्लैट में रहने लगे।

हम लोग रोज़ शाम को मिलते, दारू पीते, हंसी मजाक करते, गप्पबाजी और खूब मजे से एन्जॉय करते।
ज़िन्दगी अच्छी तरह गुज़रने लगी थी।

एक एक करके हम तीनों की शादियां भी हो गयी।

मेरी शादी रेखा नाम की लड़की से हो गयी. रेखा बहुत खूबसूरत थी हसीन थी। मैं उससे शादी करके बहुत खुश था।

अरुण की शादी सरीना से हो गयी।
मैं उसकी शादी में गया था। मैं तो सरीना भाभी को देख कर मस्त हो गया था।

फिर कुछ दिन बाद आनंद की भी शादी नेहा से हो गयी।

इस शादी में हम सब शामिल हुए।

नेहा भाभी तो अपनी शादी में बहुत जम रहीं थीं; एकदम फ़िल्मी हीरोइन लग रहीं थीं।

आगे चल कर हम लोग अपनी अपनी बीवी के साथ अपने अपने फ्लैट में रहने लगे और एक दूसरे के घर आने जाने लगे।
हमारी नजदीकियां और बढ़ने लगीं।
अच्छाई यह थी कि हमारी बीवियां भी आपस में मिलने जुलने लगी।

उनकी भी आपस में वही दोस्ती हो गयी … शायद उसी तरह की दोस्ती जैसे की हम तीनों के बीच थी।
हमारी ज़िन्दगी हंसी ख़ुशी गुज़रने लगी।

मैंने यह देखा कि ये तीनों बीवियां जब भी मिलती हैं तो खूब हंस हंस कर बातें करती हैं।
बातें क्या होतीं हैं यह तो पता नहीं पर होतीं जरूर मजेदार हैं यह बात उनके चेहरे से मालूम हो जाती थी।

एक दिन रात में मैं नंगा नंगा अपनी बीवी रेखा के साथ लेटा था और वह भी नंगी थी।
वह बड़े प्यार से मेरा लण्ड सहला रही थी और मैं उसका नंगा बदन!
हम दोनों वासना में डूबे थे।

मैंने पूछा- यार रेखा, ये बताओ की तुम तीनों बीवियां आपस में कौन सी बातें किया करती हो?
वह बोली- क्यों क्या हो गया? क्यों हमारी बातें जानना चाहते हो? हम लोग तो बस ऐसे ही हंसी मजाक किया करती हैं। अब हम सब जवान हैं तो मस्ती तो करेंगी ही?

“नहीं नहीं … चूतिया मत बनाओ मुझे! खुल कर बताओ न क्या बातें होतीं हैं तुम लोगों के बीच?”
“क्यों बताऊँ … तुम लोग जब बातें करते हो तो क्या हमें बताते हो? तुमको औरतों की बातें जानने की क्या जरूरत है? ऐसे साल मत पूछो!”

“कुछ तो बताओ यार? किसके बारे में बातें करती हो और क्या बातें करती हो?”
“हमारी बातें बड़ी गुप्त होती हैं, किसी को बताई नहीं जाती!”

“अच्छा तो क्या तुम लोग गन्दी गन्दी बातें भी करती हो? लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा की भी बातें करती हो?”
“ये तो सब छोटी छोटी बातें हैं, इससे भी आगे करती हैं।”

“कोई बात नहीं … मत बताओ मुझे … लेकिन मैं तुम्हें बताता हूँ कि मुझे सरीना भाभी और नेहा भाभी बहुत अच्छी लगती हैं। बड़ा मज़ा आता है उनसे बात करने में!”

“इसमें भी कोई खास बात नहीं है। हर मर्द को परायी बीवी अच्छी लगती है और हर बीवी को पराया मर्द अच्छा लगता है। ये तो सब कुदरती है, इसमें कोई नयापन नहीं है।”

“तो इसका मतलब तुमको भी अरुण और आनंद अच्छे लगते हैं?”
“हां हां बिल्कुल अच्छे लगते हैं। सही बात है।”

“अगर तुमको मौका मिले तो क्या तुम उन दोनों के लण्ड पकड़ोगी?”
“तुम पकड़ने दोगे तो पकड़ लूंगी। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है.”

“तो क्या उन दोनों से चुदवा भी लोगी?”
“तुम कहोगे तो चुदवा भी लूंगी. जब पति अपनी बीवी चुदवाने के लिए तैयार हो बीवी तो चुदवा ही लेगी।”

“मेरे कहने पर चुदवा लोगी या तुम अपने मन से चुदवाना चाहोगी?”
“चुदवाना तो चाहती हूँ पर बिना तुम्हारे अनुमति के नहीं चुदवा सकती और न कभी चुदवाऊंगी।”

“अच्छा अगर मैं उन दोनों की बीवियां चोदूँ तो तुम मुझे चोदने दोगी?”
“क्यों नहीं चोदने दूँगी? बिल्कुल चोदने दूँगी। जब कोई तुम्हारी बीवी चोदेगा तो तुम भी उसकी बीवी चोदोगे, मैं मना नहीं करूंगी। अपनी बीवी चुदाओ तो उनकी बीवी चोदो।”

“वादा खिलाफी तो नहीं करोगी? मैं तेरे सामने ही उनकी बीवियां चोदूंगा।”
“नहीं करूंगी वादा खिलाफी … पर मैं भी तेरे सामने उन लोगों से चुदवाऊंगी। तुम भी वादा खिलाफी न करना!”
“ठीक है।”

अगले दिन जब हम लोग बैठ कर दारू पी रहे थे तो मैंने खुलकर अरुण और आनंद को बताया- यार मेरी बीवी तो ‘वाइफ स्वैपिंग’ के लिए एकदम तैयार है। अब तुम लोग अपनी अपनी बीवी से पूछ लो। अगर वो दोनों राज़ी हों तो फिर मज़ा लिया जाए।

हमारी बातें होने लगीं।

दारू खत्म होने के बाद हम सब अपने अपने घर चले गए।

अगले दिन दोनों ने कहा- यार हमने अपनी अपनी बीवी से पूछ लिया है।
अरुण ने कहा- मेरी बीवी भी राज़ी है.
और आनन्द ने कहा- यार मेरी बीवी तो ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गयी। वह तो शायद खुद ही यह बात मुझसे कहना चाहती थी।

दरअसल दो दिन पहले जब हम तीनों आपस में बैठ कर दारू पी रहे थे तो ख्याल आया की क्यों न हम लोग ‘वाइफ स्वैपिंग’ करें और एन्जॉय करें?
सबने हां कह दी थी.
पर सवाल यह था कि क्या हमारी बीवियां तैयार होंगीं?
जब हमने अपनी अपनी बीवी से बात की तो मालूम हुआ कि वे भी पतियों की अदला बदली करना चाहती हैं।
अब तो मज़ा ही मज़ा आएगा।

बस अगले दिन मैंने अपने घर में ही एक डिनर पार्टी रख ली।

मैंने जब यह बात अपनी बीवी रेखा को बताई तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और फ़टाफ़ट सारा इंतज़ाम करने लगी।
उसने कहा- डिनर का आर्डर तुम कर देना और ड्रिंक्स का इंतज़ाम मैं कर लूंगी. और सुनो चुदाई का भी सारा इंतज़ाम कर लूंगी मैं!

उसने हंस कर मजाक करते हुए कहा- कल तुम मेरे सामने दोनों बीवियों की चूत का बाजा खूब बजाना।
मैंने कहा- और तुम भी कल उन दोनों के लण्ड अपनी चूत में डाल कर भून डालना। उनके लण्ड की चटनी बना देना। तेरी चूत बड़ी दमदार है।

वह बोली- वो तो मैं करूंगी ही! उनके लण्ड भुने हुए बैंगन की तरह निकालूंगी मैं अपनी चूत से, तुम देखते रहना।

अगले दिन अरुण अपनी बीवी सरीना के साथ और आनंद अपनी बीवी नेहा के साथ आ गए।

सरीना भाभी ने साड़ी पहनी थी और उसके नीचे एक छोटी सी ब्रा जिसके अंदर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए बेताब हो रहीं थीं।

नेहा भाभी ने जींस और टॉप पहना था. ब्रा तो थी ही नहीं … टॉप का गला इतना गहरा था कि एक बटन खुल जाए तो चूचियाँ पूरी नंगी हो जायेंगी।
उसकी भी चूचियाँ बड़ी भी थी और सुडौल भी।
जींस उसकी बहुत ही लो वेस्ट की थी अगर बटन खुल जाए तो चूत की झांटें दिखाई पड़ने लगेंगी।
उसकी गांड बड़ी मस्त लग रही थी।

फिर मेरी बीवी ने ड्रिंक्स चालू कर दी और हम सब लोग दारू पीने लगे.
तीनों मर्द एक दूसरे की बीवी ललचायी नज़रों से देखने लगे।

हमारी बीवियां भी एक दूसरे के पति को ललचायी नज़रों से निहारने लगीं।
उनके टांगों के बीच का उभार देखने लगीं।
एक दूसरे के पति के लण्ड के साइज का आईडिया लगाने लगीं।

नशा चढ़ने लगा तो बातें भी ज्यादा खुल कर होने लगीं, अश्लील होने लगीं.
और बीच बीच में प्यार से गालियां भी निकलने लगीं।

जोश बढ़ने लगा और उत्तेजना भी बढ़ने लगी।

दूसरा पैग चालू हो गया।
फिर मैंने कहा- सरीना भाभी आप कोई नॉन वेज चुटकुला सुनाइये।
सबने जोर डाला तो वह बोली- अच्छा सुनाती हूँ।

एक बार पति जब शाम को घर आया तो देखा कि उसकी बीवी पड़ोसन से लड़ रही है।
दोनों में खूब जोर जोर से लड़ाई हो रही थी।
पति अपनी बीवी से बोला- यार, तुम चाय वगैरह बनाओ मैं पड़ोसन से निपट लेता हूँ।
पत्नी चाय बनाने लगी।

लेकिन उसका मन तो लड़ाई में लगा हुआ था।

तब तक पति अपनी लुंगी खोल कर एकदम नंगा नंगा अपना लण्ड खोले हुए पड़ोसन के आगे खड़ा हो गया।

पड़ोसन उसका लण्ड देख कर और भड़क गयी. गन्दी गन्दी गालियां बकने लगी।

तो इसकी बीवी किचेन से बोली- अरे तुम कुछ बोलते क्यों नहीं? पड़ोसन देखो कितनी गालियां दे रही है?
पति बोली- तुम चिंता न करो, मेरा वकील लड़ रहा है।

सबने खूब तालियां बजाईं।

फिर नेहा भाभी ने सुनाया:

एक बार तीन लड़के बात कर रहे थे।
पहला बोला- देखो, मैं पानी से भरी तीन बाल्टी उठा सकता हूँ। एक दाहिने हाथ से, एक बाएं हाथ से और एक अपने लण्ड पर टांग लूँगा।

दूसरा बोला- मैं चार बाल्टी पानी उठा सकता हूँ। एक इस हाथ से, एक उस हाथ से, तीसरी अपने लण्ड पर और चौथी अपने दांत से उठा लूंगा।

तीसरा बोला- मैं सात बाल्टी पानी उठा लूँगा।

सब लोग बड़ी हैरान हो गए इस बात पर!
तब उसने बताया- एक इस हाथ से एक उस हाथ से … तीसरी बाल्टी अपने दांत से और फिर अपना लण्ड इसकी गांड में घुसा कर इसे उठा दूंगा इसके पास तो चार बाल्टी हैं ही!

सबने खूब एन्जॉय किया और तालियां बजाई।

फिर मेरी बीवी रेखा ने भी सुनाया:

एक बार लण्ड और टट्टे आपस में बात कर रहे थे।
टट्टे बोले- चलो आज मैं तुम्हें एक फिल्म दिखाता हूँ।
लंड- अरे यार ब्लू फिल्म मत दिखाना!
टट्टे- क्यों?
लण्ड- मुझे खड़े खड़े देखना पड़ेगा।

सब लोग खूब ठहाका लगा कर हंस पड़े।

बीवियों के मुंह से सबने लण्ड के चुटकुले सुने तो सबको खूब मज़ा आया और सबने खूब एन्जॉय किया।

अब किसी को भी किसी से कोई शर्म नहीं रही।
जोश सबको आ गया और उत्तेजना सबकी बढ़ गयी।

मेरी बीवी ने पहल की और वह उठी और अरुण के गले में बाहें डाल दी और उसके गाल चूम लिए.
वो बोली- हाय मेरे राजा, तुम मुझे बड़े अच्छे लगते हो। बड़े हैंडसम लगते हो।

वह भी मेरी बीवी के बदन पर हाथ फेरने लगा और बोला- रेखा भाभी, तुम बहुत सुन्दर हो हॉट हो।

इतने में अरुण की बीवी सरीना आनंद से चिपक गयी और दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे।
दोनों ऐसे एक दूसरे को चिपका कर मज़ा लेने लगे जैसे वो मियां बीवी हों!

आनंद की बीवी नेहा मुझसे लिपट गयी और मेरा लण्ड टटोलने लगी, बोली- तेरा लण्ड भोसड़ी का बड़ा मोटा लग रहा है यार आकाश!

मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

फिर धीरे धीरे सबके कपड़े उतरने लगे, नंगे बदन सबके दिखाई पड़ने लगे।

बस 5 मिनट तीनों बीवियां मादरचोद एकदम नंगी हो गयीं और और तीनों मर्द भी बहनचोद नंगे हो गए।

तीन तीन पैग शराब का नशा ये सब बड़ी मस्ती से करवा रहा था।
किसी को न कोई झिझक, न कोई डर, न कोई संकोच।
सब कुछ बिंदास अपने आप ही होने लगा।

मेरी बीवी ने फर्श पर ही चुदाई का सारा इंतज़ाम किया था।
गद्दे मसनद लगे थे चादरें बिछीं थीं नैपकीन रखे थे कंडोम काफी मात्रा के रखे थे।

बाकी सारा इंतज़ाम था यहाँ तक कि झांट बनाने का भी प्रबंध था।
लेकिन इत्तिफाक से किसी की झांटें नहीं थीं। तीनों लण्ड एकदम चिकने थे और चूत भी नेहा भाभी की एकदम चिकनी थी।

मेरी बीवी और सरीना भाभी की चूत पर छोटी छोटी झांटें थीं जो बहुत ही सेक्सी लग रहीं थीं।
सब लोग गोल बनाकर कर बैठे थे।

फिर सब लेट कर मज़ा लेने लगे।

नेहा भाभी मेरा लण्ड चाटने लगी और मैं सरीना भाभी की बुर चाटने लगा.

सरीना भाभी आनंद का लण्ड चाटने लगी और आनंद मेरी बीवी रेखा की बुर चाटने लगा.

मेरी बीवी अरुण का लण्ड चाटने लगी और अरुण नेहा की बुर चाटने लगा।

इस तरह सबको डबल मज़ा मिलने लगा।

हर एक बीवी एक पराये मरद का लण्ड चाटने लगी और दूसरे पराये मरद से अपनी बुर चटवाने लगी।

इसी तरह हर एक मर्द एक परायी बीवी से लण्ड चटवाने लगा और दूसरी परायी बीवी की बुर चाटने लगा।

इतनी मस्ती तो बस वाइफ स्वैपिंग के खेल में आ सकता है और कहीं नहीं!

मेरी बीवी बोली- यार सरीना, तेरे पति अरुण का लण्ड तो बड़ा मोटा और सख्त है यार! ये बहनचोद आज ही मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा। और देखो न नेहा का पति कितनी मस्त से मेरी बुर चाट रहा है। चाट क्या अपनी जबान से चोद रहा है मेरी बुर! आज वह सब सच हो रहा है जो मैं सोचा करती थी।

सरीना बोली- हां यार, मुझे भी नेहा के पति का लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है। पराये मरद का लण्ड तो मजेदार होता ही है। आज मैं पहली बार अपने पति के आगे किसी और के पति का लण्ड चूस रही हूँ। मैं सच में बड़ी खुश हूँ बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी बुर किसी और का मरद चाट रहा है। वाह क्या बात है कितनी अय्याशी हो रही है आज!

नेहा बोली- आज तो वाकयी बड़ा मज़ा आ रहा है. दो दो पराये मर्दों को नंगा देख रही हूँ, उनके लण्ड देख रही हूँ, उनके लण्ड चाट रही हूँ, उनसे अपनी बुर चटवा रही हूँ। और क्या चाहिए एक बुर चोदी बीवी को? आज मैं बिल्कुल रंडी बनकर इन दोनों लण्ड का मज़ा लूंगी।

इन सब बातों से माहौल में और ज्यादा गर्मी हो गयी।

मैंने आनंद की बीवी नेहा की बुर में पेल दिया और चोदने लगा.
लण्ड पूरा घुस गया तो वह बोली- हाय दईया बड़ा मोटा लण्ड है तेरा! मेरी चूत कहीं फट न जाए बहनचोद! आज मैं पहली बार किसी पराये मर्द से चुदवा रही हूँ।

मैंने कहा- नेहा भाभी, इस समय मैं ही तेरा मर्द हूँ। तुम मेरी बीवी हो। मैं तुमको अपनी बीवी समझ कर चोद रहा हूँ।
वह बोली- हां हां यार, मैं तेरी ही बीवी हूँ, मुझे चोदो खूब चोदो। बड़ा मज़ा आ रहा है। आज मैं तुमसे चुदने ही आयी हूँ। आज ही नहीं … आगे भी मुझे इसी तरह चोदते रहना।

तब तक आनंद अरुण की बीवी चोदने लगा।
आनंद को भी सरीना की बुर बड़ी अच्छी लग रही थी। वह पूरा लण्ड पेले हुए बड़ी मस्ती से चोद रहा था और उतनी ही मस्ती से सरीना भाभी चुदवा भी रही थी।
ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि सरीना किसी और मरद से चुदवा रही है।

उधर हमारे सामने ही अरुण मेरी बीवी चोदने लगा।
मेरी बीवी तो जाने कबसे इंतज़ार कर रही थी कि उसे कोई पराया आदमी चोदे; उसकी बुर में कोई ग़ैर आदमी अपना लण्ड पेले।

वह तो लण्ड पलवाने के लिए एकदम तैयार बैठी थी। उसकी बातों से लग गया था की वह पराये मरद के लण्ड की दीवानी है।

मेरी बीवी अरुण के लण्ड से जितनी मस्ती से चुदवा रही थी, उतनी मस्ती से उसने कभी मुझसे नहीं चुदवाया।
मैं उसकी ख़ुशी देख कर खुश हो रहा था।

इस तरह हम तीनों एक दूसरे की बीवी चोदने लगे और मज़ा लूटने लगे।

दूसरे की बीवी चोदने में कितना मज़ा आता है इसका अनुभव आज हम सबको हो रहा था।

माहौल भी बड़ा आशिकाना बन गया था।

अरुण बोला- यार आकाश, अपनी बीवी के सामने किसी और की बीवी चोदना कितना मजेदार होता है।
आनंद बोला- हां बात तेरी सही है। मुझे तो जितना मज़ा दूसरे की बीवी चोदने में आ रहा है उतना ही मज़ा अपनी बीवी किसी और से चुदवाने में आ रहा है। मैं आज पहली बार अपनी बीवी को किसी और से चुदते हुए देख रहा हूँ और मुझे अच्छा लग रहा है.

इस तरह हम तीनों खूब मस्ती से दूसरे की बीवी की बुर का बाजा बजने लगे।

दूसरी पारी में मैंने अरुण की बीवी चोदी, अरुण ने आनंद की बीवी चोदी और आनंद ने मेरी बीवी चोदी।

अगली सुबह जब सब लोग चले गए तो मेरी बीवी ने कहा- देखो जी, अब मुझे पराये मरद से चुदवाने का चस्का लग गया है। मुझे पराये मरद का लण्ड अच्छा लगने लगा है। अब तो मैं पराये मर्दों से ही चुदवाऊंगी इसलिए अब और भी कपल ढूंढों जो हमारे साथ बीवियों की अदला बदली कर सकें।
मैंने कहा- हां यार, मुझे भी थोड़ा थोड़ा चस्का लग गया है दूसरे की बीवी चोदने का। अब तो मैं अपनी बीवी चुदाने में भी कोई झिझक नहीं करूंगा।

वह बोली- मैं भी तुम्हें दूसरे की बीवियां चोदने दूँगी।

कहते हैं ना कि जहाँ चाह है वहां राह है।
मैं भी नए कपल ढूंढने में लग गया और मेरी बीवी भी!

इसी बीच मैंने कई लोगों से बात की, कई लोगों की इच्छा जानने की कोशिश की।
मुझे यह पता चला कि लोग वाइफ स्वैपिंग करना तो चाहते हैं पर उनके मन में थोड़ा हिचक है।

मैं वो हिचक दूर करने लगा, तभी हमें दो कपल एक ही हफ्ते में मिल गए।

पहला पवन और उसकी बीवी प्रेमा और दूसरा सूरज और उसकी बीवी सीमा।
दोनों कपल की उम्र हमारी उम्र के बराबर ही थी।

मैंने सबको अपने घर बुलाया और एक बड़ी सी सेक्स पार्टी रखी।

उसमें मैं मेरी बीवी रेखा, पवन और पवन की बीवी प्रेमा, सूरज और उसकी बीवी सीमा को शामिल किया।
ड्रिंक्स शुरू हो गयी और खुल कर बातें भी होने लगीं.

पवन की बीवी ने बताया- हम लोग एक बार पहले भी दिल्ली के दो कपल के साथ बीवियों की अदला बदली कर चुके हैं। मुझे तो पहली ही पार्टी में पराये मर्द से चुदवाने में मज़ा आ गया था। मेरे पति को भी दूसरे की बीवी चोदने में बड़ा मज़ा आया था। तब से हम लोग वाइफ स्वैपिंग के लिए कपल की तलाश में रहते हैं। आज आप लोग मिल गए तो मज़ा आ गया।

सूरज ने भी यही कहा- हां हम लोग 2 / 3 बार वाइफ स्वैपिंग कर चुके हैं। मुझसे ज्यादा मेरी बीवी सीमा को मज़ा आया था। वह तो अब हर रोज़ इसी तरह की पार्टी करना चाहती है।

ड्रिंक्स का नशा चढने लगा, बातें और खुल कर होने लगी और फिर पहले मैंने पवन की बीवी चोदी और सूरज की बीवी चोदी।

पवन ने मेरी बीवी चोदी और सूरज की बीवी चोदी।
सूरज ने मेरी बीवी चोदी और पवन की बीवी चोदी।

हमने एक दूसरे की बीवी चोद चोद कर खूब एन्जॉय किया।

फिर हमारा एक बड़ा सा ग्रुप बन गया।
आज हमारे पास 8 / 10 कपल हैं और हम हर शनिवार और इतवार को एक ही जगह आमने सामने एक दूसरे की बीवियां चोदते हैं।
हमारी बीवियां भी एक दूसरे के पतियों से चुदवातीं हैं और खूब मज़ा लूटतीं हैं।

Antarvasna Sex Stories

अंतर्वासना के प्रिय Antarvasna Sex Stories पाठकों को मेरा नमस्कार ! मेरा नाम राज है (बदला हुआ नाम ) और मैं दिल्ली के पास के शहर मेरठ से हूँ। आज सोचा कि क्यूँ ना अपनी भी कहानी यहाँ लिखी जाये !

तो दोस्तो आप मेरी कहानी पढ़ो और मजे लो !

वैसे तो मै इक्कीस साल का एक साधारण सा युवक हूँ पर थोड़े दिन पहले तक काम के सुख से वंचित था ! दूसरे लोगों की तरह मेरे दिल में भी कामवासना के लिये बहुत तड़प थी और चाह कर भी मैं इस तड़प को कम नहीं कर पा रहा था क्यूँकि ना तो मेरे पास कोई पार्टनर थी और मुझे डर भी लगा रहता था कि कहीं किसी जानने वाले को पता चल गया तो !

यही बात मेरे कॉलेज के दो दोस्तों को भी पता थी कि मुझे काम-क्रिया करनी तो है पर कोई मौका नही मिल रहा ! उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि किसी काल-गर्ल को बुला ले। पर बदनामी और पकड़े जाने के डर से मेरी हिम्मत ना हुई और मैने मन ही मन फैसला किया कि मुझे किसी पचड़े में नहीं फंसना और जब भी मौका लगेगा तब हाथ आजमा लेंगे !

फिर अचानक एक दिन मेरी किस्मत ने जोर मारा। छुट्टी का समय था और मैं कॉलेज के गेट पर खड़ा था कि तभी मेरी ही क्लास की एक लड़की अदिति (बदला हुअ नाम) मेरे पास आई और बोली- मुझे तुमसे बात करनी है !

मुझे लगा कि इसे कोई काम ही होगा और मैं लेट भी हो रहा था सो मैंने उसकी बात पर ज्यादा गौर नहीं किया। पहले आप लोगो को अदिति के बारे में थोड़ा बता दूँ… क्या कहूँ बिल्कुल साधारण लड़की थी, औरों के लिए तो ठीक-ठाक एक सामान्य लड़की पर मेरे लिए तीखे नयन नक्शों वाली एक हूर की परी…..

उसने बात शुरू की- मैं और तुम एक ही नाव में हैं !

मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने जोर से बोल दिया- अबे क्या कह रही है?

वो थोड़ा डर सी गई..

मैंने समझाया कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि तू क्या कहना चाहती है…

वो सहमी सी खड़ी रही।

मैंने तब उससे कहा- डर मत ! बोल जो बोलना है !

उसने कहा- मुझे पता चला है कि तुम्हें एक पार्टनर की जरुरत है !

अब मैं समझ गया कि वो कहाँ बोल रही थी !

मैंने कहा- हाँ है तो पर तुझे कैसे पता चला?

फिर वो बोली- मेरी दोस्त से !

जो कि मेरे उन दोनों दोस्तों में से ही एक की गर्लफ्रेंड थी!

वो आगे बोली- मैं तुम्हारी पार्टनर बन सकती हूँ पर मुझे डर है कहीं किसी को पता न चल जाये !

मैंने उसका डर दूर किया और कहा- यह डर मुझे भी है तभी तो आज तक कुछ नहीं किया !

बस फिर क्या था, बात आगे बढ़ी और अगले दिन का कार्यक्रम तय हुआ…

मैं अपना जोर जोर से धड़कता हुआ दिल हाथ में लेकर किसी तरह घर पंहुचा पर दिमाग में तो उसकी बातें ही घूम रही थी। घर जाते ही अपने कमरे में गया और खाना भी नहीं खाया…

वही बातें दिमाग में घूमने लगी और तब अहसास हुआ कि उसने अभी तक सेक्स तो किया ही नहीं है। मतलब साफ़ था कि चूत एक दम टाइट होगी और उसे दर्द भी होगा…

बस फिर तो सारा दिन उसको चोदने के तरीके सोचने लगा … पहले ये करूँगा.. फिर वो … लेकिन एक बात दिमाग में थी कि उसे पूरी तरह गत्म करने के बाद ही कुछ शुरू करूँगा और उसके दर्द का भी ध्यान रखूँगा.. क्योंकि मुझे पता था कि अगर लड़की को दर्द ज्यादा हो तो ना वो खुद मजा ले पाती है और न तुम्हें दे पाती है…

बस देर रात तक यही सोचता रहा कि किसी भी तरह उसे अपने से पहले चरम-सुख दे सकूँ .. और उसे आनंद की चरम सीमा से भी परे ले जा सकूँ … ताकि उसका पहला सेक्स अनुभव यादगार बन जाये और वो मेरी दीवानी हो जाये !

खैर अगला दिन आया… सुबह दस बजे हम मिले और ऑटो पकड़ कर चल दिए होटल की ओर ….

वहाँ पहले अन्दर वो गई, कमरा बुक कराया दूसरे नाम से…. और कमरे में चली गई …

फिर कमरे में से मुझे कॉल किया कि रूम नंबर इतना है…

मैं होटल के बाहर ही खड़ा था तब तक ! ताकि किसी को शक न हो….

मैं सीधे होटल में गया.. किसी की तरफ नहीं देखा और सीधे कमरे की तरफ बढ़ गया ताकि अगर कोई देख भी रहा हो तो उसे लगे कि इसका कमरा पहले से बुक्ड है…

खैर कमरे तक पहुंच कर दरवाज़ा खटखटाया…

उसने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी। मैं कमरे के अन्दर आया और सबसे पहले उसे मेरा पार्टनर बनने के लिए धन्यवाद दिया ! इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने उसे अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया और बोला- इस दिन के लिए कब से तड़प रहा था..

और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए! अब मैं जोश से भर चुका था और जोर जोर से उसके होंठों को चूसे जा रहा था..

वो गर्म होने लगी- वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर डाल कर मुझे आनंद दे रही थी। इसके साथ ही उसने अपने हाथों से मेरे हाथ अपने वक्ष पर रख लिए .. मैंने भी झट से उसके स्तन दबाने शरू कर दिए…

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था सो मैं उसे जोर से चूसने लगा और उसके स्तन इस तरह दबाने लगा कि वो तड़पने लगी…

फिर मैं कुछ देर बाद उससे अलग हुआ और एक ही झटके में उसके सारे कपड़े उतार दिए… अभी भी मैं उसके स्तन सहला रहा था… और वो आवाजें निकाल रही थी कि तभी मैंने पाया की उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी है..

मैंने उसके रुमाल से उसकी चिकनाई साफ़ की और थोड़ी सी वेसलीन अपनी बीच वाली ऊँगली पर लगा कर अन्दर दे दी !

अब मैं पूरे हरामी मूड में आ चुका था सो मैंने अपनी ऊँगली गोल गोल घुमानी शरू कर दी और अब तो वो मचलने लगी और जोर जोर से आवाजे निकाल कर कह रही थी- और जोर से करो और जोर से !

मैं तो अपने होश खो बैठा और लगा उसकी चूत मसलने…

वो मजे से उछलने लगी..

मुझे बस इतना पता था कि उसे चरम-सुख पहले देना है बस चाहे जो हो जाये..

उसकी चूत एक दम गीली हो गई। मैंने दोबारा से चूत साफ़ की और अपना मुँह उस पर लगा दिया। जीभ अन्दर डाली और उसकी चूत को कुरेदने लगा, उसकी मदहोश करने वाली आवाजें आने लगी…

उसने अपने दोनों हाथ मेरे सर के पीछे किये और मेरा मुँह अपनी चूत में दबा लिया! मैं जंगली भूत की तरह उसकी चूत कुरेदने लगा और तभी उसकी अपनी टांगें बंद करनी शरू कर दी और उसका शरीर ऐंठने लगा… और फिर उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूटा और इसके साथ ही उसका शरीर ढीला पड़ने लगा पर मैं नहीं रुका, मैं लगातार उसके स्तन मसलता रहा और थोड़ी देर बाद उसने कहा- अब नहीं रहा जा रहा ! अब डाल दो !

मैंने भी देर न करते हुए अपना लण्ड निकाल लिया, मुझे पता था कि पहली पहली बार तो आदमी ज्यादा देर टिकता ही नहीं पर मैं तो उसे ओर्गास्म दे ही चुका, अब जल्दी झड़ भी गया तोशर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। पर फिर भी अभी तो चरम-सीमा आनी बाकी थी।

मेरा लण्ड देखकर उसने कहा- इतना बड़ा मैं कैसे लूंगी ?

पर मैंने उसे समझाया तो मान गई। बस फिर क्या था, मैंने रखा उसकी चूत पर और थोड़ा सा डाल कर ही अन्दर बाहर करने लगा और फिर धीरे धीरे शरू हुई रफ़्तार !

जिसके साथ ही बढ़ता गया आनंद !

टूटी उसकी सील, निकला उसका खून पर दोनों ही थे नशे में चूर !

अब वो लगी चिल्लाने ! मैंने भी पूरा अन्दर देकर कराया मिलन बच्चेदानी से ! रफ़्तार पे रफ़्तार, रफ़्तार पे रफ़्तार, रफ़्तार पे रफ़्तार और आखिर फिर फूट पड़ा उसका ज्वार ! मैं तो अब भी नहीं छूटा था….

तो चला एक दौर और ! इस बार थी मेरी साँसों और शरीर में गज़ब की गर्मी, चेहरा था लाल, साँस रही थी फूल ! पर फिर भी दम लगा कर था मैं मशगूल !

बस अब मेरा समय था.. मैंने उसे कहा तो बोली कि मैं भी आ रही हूँ ! दोनों साथ में होंगे…. और थोड़ी ही देर में हो गया ऐसा धमाका कि बस मत पूछो कि क्या साला हिरोशिमा पे बम गिरा होगा !!

खैर थोड़ी देर तो यूँ ही पड़े रहे, फिर पहने अपने अपने कपड़े …

अब हुए हम चलने को तो मैडम ने पास बुलाया सर पर चूमा और कहा- तुम्हारा दिया प्यार हमेशा याद रहेगा !

कमरे से एक एक करके निकले, फिर साथ खाना खाया …..

एक बार फिर जरुरत पड़ी उन्हें आश्वस्त करने की कि किसी को कभी नहीं बताऊंगा….

और चल दिए अपनी अपनी मंजिल की ओर….

मेरी सभी प्रिय पाठकों को स्नेह, धन्यवाद !! Antarvasna Sex Stories

Xxx ओरल चूत लिक कहानी में मेरी साली मेरे घर आई हुई थी. एक दिन मैंने उसे चूत में उंगली करती देख लिया. बस मुझे मौक़ा मिल गया. मैंने उसे पकड़ लिया और उसकी चूत चाटी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम हितेश है. मैं गुजरात से हूँ.

मैं आपके लिए अपनी एक सच्ची घटना लिख रहा हूँ.
मेरी यह पहली कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आएगी. फर्स्ट टाइम लिख रहा हूँ तो थोड़ा मसाला कम मिलेगा लेकिन सच्ची कहानी है.
साली साहिबा की Xxx ओरल चूत लिक कहानी पांच महीने पहले की है.

चलो दोस्तो, पहले थोड़ा परिचय कर लेते हैं.
हमारे घर में मम्मी – पापा, मेरी पत्नी और मैं!

मैं प्राइवेट जॉब करता हूं तो हम दोनों शहर में रहते है, मेरी आयु 28 साल, मीडियम बॉडी, 5 फुट की हाइट!

मैं और मेरी पत्नी Sex लाइफ को खूब एंजॉय करते हैं.
अकसर मैं कई बार नींद में अपनी पत्नी को चूत को चाटता था.
यह मेरी आदत थी और मजा भी खूब आता था.
मैं चूत चाटने में माहिर था, मेरी बीवी को चटवाने में बड़ा मजा आता था.
अगर कोई एक बार मेरे से चूत चटवा ले तो वह दुबारा चटवाने पुनः से आयेगी.

बात उन दिनों की है जब मेरी साली हमारे यह कुछ दिनों के लिए रहने के लिए आई थी.
उसकी आयु 20 वर्ष थी.

वह काफी सेक्सी है. उसकी पतली कमर है, उसका जिस्म 34-28-32 का है मानो एकदम आलिया भट्ट!

उसके शरीर की खुशबू, उनकी नशीली आंखें, उसके रसीले होंठ, पतली कमर, गोल सुडौल चूचे … देख कर ही कितनों का पानी निकल जाता होगा।

वह अक्सर जीन्स और टीशर्ट पहना करती है और उन कपड़ों में भी मादक लगती है।

पहले अपनी साली को लेकर मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं थे.
परंतु एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद से सब बदलने लगा.

हमारे घर में 2 कमरे हैं जिनमें एक में हम और दूसरे में साली सोती थी।

मेरी पत्नी कुछ काम से पड़ोस में गई थी तो घर पर मैं और साली अकेले थे.
मैं छत पर घूमने गया और साली कमरे में अकेली थी।

जब मैं अचानक नीचे आया तो साली साहिबा के कमरे में से कुछ आवाज आ रही थी.
तो मैंने नजदीक जाकर देखा.

उसने कमरे के दरवाजे की कुंडी नहीं लगाई थी.
झांक कर देखा तो क्या नजारा था दोस्तो … क्या बताऊं … साली साहिबा मोबाइल में कोई वीडियो चला रही थी और बेड पर लेट कर अपनी जीन्स खोल कर अपने एक हाथ से चूत में उंगली आगे पीछे कर रही थी।

कभी वह उंगली मुंह में डालती, कभी चूत में!
वह अपनी मस्ती में मस्त होकर उस पल का मजा ले रही थी.

क्या चूत थी … एकदम चिकनी कुंवारी चूत … एकदम नई चूत … एक भी बाल नहीं था उसकी चूत पर!
जी कर रहा था कि अभी पूरी चाट लूं और पूरा रस पी लूं।

तभी उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी और वह शर्माती हुई थोड़ी ठीक ठाक हो गई.
वह पूरी गर्म थी.
तो मैंने उसी का फायदा उठाया.

मैं अंदर गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा.

वह पहले तो मना करने लगी लेकिन वह भी गर्म थी तो खुद को रोक नई पाई और मुझे चूमने लगी कभी कान के पीछे, कभी गर्दन पर, कभी होठों पर!

वह भी मादक आवाजें निकाल रही थी- ओह जीजाजी, किस मी … आह आह!
मैं भी पूरे जोश में था.

फिर उसने मेरी शर्ट उतारनी चालू कर दी.
बदले में मैंने भी उसका टी शर्ट उतारा और उसे ब्रा में देख कर मेरा दिमाग एकदम पागल हो गया था.
मैं उसके पेट पर उसे चूमने लगा.
उसे काफी गुदगुदी होने लगी थी.

मैं उसके चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा और काफी देर तक दबाने के बाद उसकी ब्रा की हुक खोल दी.

उसके चूचे एकदम से उछल कर मेरे सामने ऐसे आ गए जैसे उन्हें काफी दबा कर जकड़ा हुआ हो.

उन्हें आजाद करके मैं उसके एक चूचे को चूसने लगा और निप्पल पर दांतों से काटने लगा.

साली साहिबा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … ओह्ह … स्स्स … आराम से … काटो मत … ऊईई … दर्द हो रहा है … उफ्फ आआआ!
मैं- थोड़ा सा दर्द तो झेल लो मेरी साली साहिबा, इनका दूध पीना है मुझे!

वो सेक्सी हॉट गर्ल भी बहुत मज़े ले रही थी और मेरे बालों में हाथ फेर रही थी.

मैंने उसकी जींस को निकाला और उसके पैरों पर चूमने लगा.
चूमते चूमते उसकी जांघों तक आ गया और पैंटी उतारी.

उसकी चूत का नजारा देखा तो देखता रह गया … ऐसी गुलाबी एकदम साफ चिकनी चूत।
उसकी पैंटी साइड में करके मैं उसकी सील पैक चूत पे उंगली करने लगा.

इससे उसको काफी मजा आ रहा था और वह जोर जोर सांसें लेने लगी थी.

मैंने साली की चूत को हल्का सा होंठ का स्पर्श किया और उसकी चूत पर जीभ फिराने लगा.
वह कामुक आवाजें निकाल रही थी.

फिर मैंने धीरे धीरे पूरे होंठ उसकी चूत पर लगा दिये.
वह फर्स्ट टाइम अपनी चूत चटवाने का आनंद ले रही थी।

फिर मैं पूरे जोश के साथ पूरी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा.
वह मादक सिसकारी ले रही थी- और चाटो जीजा जी … और जीभ को अंदर घुसाओ … पूरा खा जाओ!
ऐसे बोली जा रही थी.

और मैं यहां रुकने वाला कहाँ था- आज तो तेरी पूरी चूत खाकर ही तुझे जाने दूँगा।

वह बोली- कही नहीं जाना मुझे … बस ऐसे ही मेरी चूत चाटे जाओ!
ऐसे ही काफी देर चूत चाटने के बाद वह झड़ने वाली थी तो बोली- मैं आने वाली हूँ … मेरी चूत के रस की एक भी बूंद बाहर नहीं जानी चाहिए जीजाजी … पूरा पी जाओ!

मैंने भी पूरा मुंह घुसा दिया.
वह अकड़ के झड़ने लगी।

मैंने एक एक कतरा रस पी लिया.
क्या स्वाद था कुंवारी चूत का … एकदम टेस्टफुल!
मैंने पूरी चूत चैट कट साफ कर दी।

तब तक टाइम काफी हो गया था तो मेरी बीवी के आने का डर था, वह कभी भी आ सकती थी तो हम दोनों फटाफट ठीक ठाक होकर फिर नॉर्मल हो गए.

इसके बाद से तो मेरी साली को चूत चटवाने का इतना शौक चढ़ गया कि उसने रात तक अलग अलग तरीके से 2 बार मेरे से चूत चटवाई.

उसके बाद जब भी मौका मिलता था तो वह Xxx ओरल चूत लिक करवा के अपनी चूत का रस मुझे पिला देती थी.

फिर मैंने भी कहा- मेरा रस कब लोगी?
तो उसने मुझे एक वादा किया कि मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी!
मैंने पूछा- वो क्या?
तो उसने कहा- उसी वक्त बताऊंगी.

तो मैंने भी हाँ कर दी।

वह बोली- ठीक है! तो बहन शाम को बाहर जायेगी तब देखेंगे।

शाम हो गई, मेरी बीवी बाजार गई।

तब मेरी साली आंखों पर बाँधने के लिए एक पट्टी ले के आई और मेरी आंखें बन्द कर दी.
गअब मैं कुछ भी नहीं देख पा रहा था।

अब वह पूरी नंगी होकर अपनी चूत फैला कर बिस्तर पर लेट गयी. चूत में उसने बहुत सारी चॉकलेट लगा ली और मुझे नजदीक लाकर मेरा मुंह पकड़ कर सीधा अपनी चूत पर लगा दिया और दबा दिया.
मैं तो सोच में पड़ गया कि यह क्या हुआ!

फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और वह मजे लेने लगी.
वह बोल रही थी पूरी आवाज के साथ- पूरी चाट लो … पूरी चॉकलेट चाट कर साफ करनी है।

मैंने भी पूरी जोश के साथ उसकी चूत को कहता और सारी चॉकलेट चाट कर साफ कर दी.

उसने फिर दोबारा चूत के अंदर तक लिक्विड चॉकलेट भर ली और बोली- जीभ से निकाल कर खा जाओ!

क्या सीन था … एकदम बड़ा मजे वाला!

मैंने भी पूरी जीभ अंदर तक घुसा दी.
वह भी उछल उछल कर अपनी चूत चटवा रही थी.

और फिर साली झड़ गई और मैंने पूरा रसपान कर लिया।

तो दोस्तो, यह मेरी सच्ची कहानी है जो मैंने पहली बार लिखी है.
कहने कैसी लगी आपको?
Xxx ओरल चूत लिक कहानी पर आपकी राय जरूर देना, मेल जरूर करना.

वैसे मैं पुणे से हूँ.
मैं दिल्ली यूपीएससी की तैयारी करने गया था.

वहां गए हुए मुझे एक ही महीना हुआ था कि मैं बीमार पड़ गया था.
मुझे वहां का खाना हजम नहीं हो रहा था और बार बार पेट खराब हो रहा था.

जब डॉक्टर से चेकअप करवाया तो पता चला पेट में इन्फेक्शन हुआ है.
इसलिए मैं वापस घर चला गया.

जैसे ही घर वापस आया तो घरवालों ने कहा- अगर ऐसी तबीयत खराब करनी है तो पढ़ाई मत करो.

मेरा शरीर इतना दुबला हो गया था कि लग रहा था कि मुझे कोरोना होकर गया हो.
मैंने पापा से कहा- पापा, मुझे वहां का खाना बिल्कुल पसंद नहीं आया. खाना पच ही नहीं रहा.

वैसे बता दूँ कि हमारा परिवार संयुक्त परिवार है.
हमारा एक घर पुणे में है और एक पुणे के पास गांव में है.

मेरे चाचा-चाची, दादाजी और दादीजी गांव वाले घर में रहते हैं और पुणे वाले फ्लैट में मम्मी-पापा, भाई, मेरा चचेरा भाई और चचेरी बहन रहते हैं.

मेरे भाई और बहन पुणे में रह कर अपनी कॉलेज और स्कूल की पढ़ाई करते हैं.

मैंने पापा से जब यह कहा कि वहां का खाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा.
तब पापा ने कहा- ठीक ही और उधर किसी दूसरी जगह रह कर ट्राई करके देख ले, अगर पसंद आया तो ठीक … वरना वापस आ जाना और यहां से पढ़ाई कर लेना.

मैं जब वापस गया तब मैंने एक हफ्ते में 5 जगह जाकर उनकी मेस को ट्राई किया.
पर मुझे कोई पसंद नहीं आया.

मेरी पढ़ाई भी अच्छी तो नहीं कहूँगा, हां पर ठीक हो रही थी … तो वापस जाने का बिल्कुल मन नहीं था.

मेरे दादाजी ने पापा से कहा- अगर उसकी पढ़ाई उधर से ठीक हो रही है, तो उसकी चाची को उसके पास भेज देना. इससे उसका खाना भी अच्छा हो जाएगा और तबीयत भी ठीक रहेगी. यहां मेरा खाना उसकी दादी बना लेगी. इधर दो ही लोगों का खाना तो लगेगा.

जब ये बात पापा ने मुझे बताई, तब मैंने हामी भर दी क्योंकि वहां पढ़ाई का बहुत सही माहौल था.

मैंने एक फ्लैट देख लिया और जो जो जरूरी सामान लगने वाला था, वह सब चाँदनी चौक से खरीद लिया.
इसलिए सब कुछ बहुत सस्ते में निपट गया.

लगभग 15 दिन बाद मेरी चाची दिल्ली आ गयी थीं और दस ही दिन में हमारा सब कुछ सैट हो गया था.

मैं सुबह नाश्ता करके 9 बजे लाइब्रेरी चला जाता था.
दोपहर में एक बजे खाना खाने आता था और रात का खाना लगभग साढ़े सात बजे होता था.

अच्छे से दिन गुजर रहे थे. कभी कभार मोमोज वगैरह खाने चाची के साथ चला जाता था.
हमारे फ्लैट में मैंने वाईफ़ाई लगवाया था, तो कभी कभार रूम पर ही पढ़ाई कर लेता था.

बीच बीच में मेरा हस्तमैथुन भी हो जाता था. सब कुछ बहुत सही चल रहा था. तीन महीने तक मेरे किसी भी विचार में चाची नहीं आई थीं.

एक बार की बात है, जब मैं लंड हिला रहा था तो चाची ने मुझे देख लिया था.
मुझे तब पता नहीं लगा था, बाद में चाची ने बताया था.

एक बार ऐसे ही गूगल पर सर्फिंग करते समय मुझे अन्तर्वासना का पता चला था.

वहां एक सेक्स कहानी में मैंने मामी की चुदाई पढ़ी थी.
तब ऐसा खास कुछ ध्यान नहीं गया था पर मेरी नज़र चाची के मम्मों को देखने लगी थी.

अब मैंने ध्यान दिया था कि चाची के बूब्स बहुत बड़े है. हमारी बातें सामान्य ही होती रहती थीं.

अन्तर्वासना की कहानियों में मेरी रुचि बढ़ने लगी थी और साथ ही चाची की चूचियों को देखने का लगाव, सब इतनी तेज़ी से हुआ कि क्या बताऊं.

अब चाची को देखने का मेरा नज़रिया पूरी तरह से बदल गया था.
उसी चक्कर में मैं ज़्यादा समय फ्लैट पर बिताने लगा था.

एक बार चाची ने कहा कि मुझको कुछ कपड़े लेने हैं तो बाजार चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है, सरोजिनी मार्केट चलते हैं.

दो दिन बाद हम दोनों बाजार चले गए.
हम दोनों मेट्रो से गए थे.

वहां चाची ने कुछ कपड़े ले लिए.
उनको अपने लिए कुछ अन्दर पहनने वाले कपड़े खरीदने थे पर वे मेरी वजह से थोड़ा झिझक रही थीं.

मुझे समझ में आ गया क्योंकि वे बार बार मेरी तरफ देख रही थीं.

मैं- चाची आपको कुछ और लेना है क्या?
चाची ने झिझकते हुए कहा- नहीं … अभी और कुछ … नहीं लेना … बस जरा …

मैंने पहले ही फ्लैट पर देखा था कि चाची की ब्रा एक साइड से थोड़ी फट सी गयी थी.
पर मैं भी बात करने में थोड़ा डर रहा था.

लेकिन इतनी दूर आ गए थे और थोड़ी समझदारी भी आ चुकी थी, तो हिम्मत करके मैंने बात को आगे बढ़ाई- चाची, आप देख लीजिए. यहां और भी बहुत कुछ मिलता है … और बहुत सस्ता मिलता है.
चाची- नहीं राज … मुझे और कुछ नहीं लेना!
वे अभी भी थोड़ा अटक अटक कर बात कर रही थीं.

मैं- अरे कपड़ों से याद आया, मुझे अंडरवियर और बनियान लेना है. वह सब और ले लेते हैं, फिर वापस चलते हैं.
चाची- ठीक है.

जब मैंने मेरी अंडरवियर और बनियान ले लिए.
तो ऐसे ही मैंने चाची से थोड़ा खुल कर बात करने की कोशिश की और कामयाब भी हो गया- अरे चाची आपको भी अगर इनरवियर्स लेने हो, तो आप भी ले सकती हैं. यहां सब मिलता है.

चाची पहले तो एकदम से हक्की बक्की होकर देखने लगीं पर कुछ समय बाद वे भी बोलने लगीं- अरे हां, वह भी लेना है.
मैं- ठीक है, आप लेकर आओ. मैं यहीं हूँ शायद आपको मेरा वहां आना सही ना लगे.

चाची- ऐसा कुछ नहीं, तुम भी चलो. इनसे मोलभव कौन करेगा?
जब हम वहां गए तो चाची ने उस दुकानदार से कहा कि उन्हें 30 की ब्रा चाहिए.
तो दुकानदार चाची के चूचे देखता हुआ बोला- जी आपको 30 नहीं 32 साइज़ आएगा!

तभी पता नहीं मुझे क्या हो गया, मैंने बोल दिया- हां, तभी तो पहले वाली ब्रा फट गई है!
पर ये सब मैंने बहुत धीरे बोला, सिर्फ़ चाची को सुनाई दिया था.

यह सुनकर वे भी एकदम से मेरी तरफ देखने लगी थीं.
मुझे लगा अब वे गुस्सा करेंगी.

पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और 32 की ब्रा ले लीं.
चाची ने 3 पीस ले लिए थे.

फिर अब हम दोनों वापस आने लगे.
मेट्रो स्टेशन से थोड़ा पैदल चलना पड़ता है तो मैंने एक ई-रिक्शे को रोक लिया और हम दोनों उस पर बैठ गए.

जब हम दोनों रिक्शे में थे तो उधर का रास्ता थोड़ा खराब था.
रिक्शा अपना संतुलन खो रहा था और वह पूरी तरह से एक तरफ को झुकने लगा था.

चाची ने खुद को संभालने के लिए मेरी जांघ पर हाथ रखा और जोर से पकड़ लिया.

जब रिक्शा ठीक हुआ, तब मुझे लगा कि अब चाची हाथ उठा लेंगी.
पर उन्होंने अपना हाथ वहीं लगाए रखा.

मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वे अपना हाथ धीमे धीमे वहीं पर सरका रही थीं.
उनका लक्ष्य शायद मेरा लंड था.

यह सोच कर ही मेरे अन्दर तो एकदम से झटका सा लगा और अन्दर तक सनसनी सी फैल गई.
मेरा लंड खड़ा होने लगा.

धीरे धीरे उनका हाथ भी लंड के बहुत करीब आने लगा था.

अब तो उनका हाथ सिर्फ़ नाम के लिए जांघ पर था, बाकी तो मेरे लौड़े से टच होने लगा था.
शायद उनको भी लंड की तपिश महसूस हुई होगी और उसकी हलचल का भी अहसास हो गया था.

उन्होंने मुझे देखा और एकदम अलग सा भाव दिया.
उनके चेहरे पर थोड़ी अलग सी मुस्कान स्माइल आ गई थी.

पर उसके बाद चाची ने अपना हाथ हटा लिया था.
हम दोनों मेट्रो से सफर करने के बाद कुछ ही देर बाद अपने फ्लैट पर पहुंच गए.

मैंने चाची से कहा- चाची दुकान पर जो हुआ, उसके लिए सॉरी!
चाची- क्या हुआ? किस बारे में बोल रहे हो तुम?

मैं- अरे चाची, वह आपकी ब्रा फट गई है, मैंने उस बारे में बोल दिया था न!
चाची- अरे राज उसमें क्या है. सच पूछो तो मैं खास उसी की वजह से शॉपिंग के लिए गयी थी. आज पर तुम्हारे सामने कैसे कहूँ, इस वजह से मुझे शर्म आ रही थी.

मैं- अरे उसमें क्या है यार, हम दोनों इतनी बातें तो कर ही सकते हैं. वैसे भी हम लोग एक ऐसे शहर में हैं, जहां यह सब एक साधारण सी बात है. हम लोग इतनी बातें तो कर ही सकते हैं.
चाची- हां सही है राज!

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
अब हम दोनों आपस में थोड़ा खुल कर बातें कर लेते थे.

एक दिन चाची बाहर सब्जी लेने गयी, तो मुझे लगा कि उनको आने में अभी वक्त लगेगा.
मेरा भी हिलाने का बहुत मूड था.

मैंने अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ना चालू किया और कहानी पढ़ कर एकदम से मूड बन गया.
मेरा नहाना भी रह गया था तो मैं कच्छे में ही हो गया था.

मैं अपने बेडरूम में बैठ कर अपने लंड को सहला रहा था.
मैंने अपने 6.5 इंच के लंड को बाहर निकाला और धीरे धीरे हिलाने लगा.

मुझे पता ही नहीं चला कि चाची कब अन्दर आ गई थीं.

मेरा ध्यान जैसे ही उन पर गया, मैं एकदम से बौखला गया.
चाची ने यंग बॉय मास्टरबेशन का नजारा देख लिया था.

उस वक्त मुझे कुछ नहीं सूझा और मैं तुरंत बाथरूम में भाग गया.
मैं बहुत ज्यादा डर सा गया था.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे उनको मुँह दिखाऊं.
उस वक्त हुआ यह था कि चाची पैसे लेकर जाना भूल गयी थीं, इसलिए वे वापस आ गयी थीं.

मैं नहा कर तुरंत लाइब्रेरी चला गया और उनको मैसेज कर दिया कि दोपहर का मेरा खाना मत बनाना चाची, मैं दोस्त के साथ खाना खाने बाहर जा रहा हूँ.

उन्होंने मेरा मैसेज बस देखा और बिना कुछ कहे रह गईं.
अब मेरी और ज्यादा फटी.

रात को जब मैं फ्लैट पर गया तब चाची मोबाइल चला रही थीं.
मैं जाकर चुपचाप अपने बेड पर बैठ गया.

चाची ने मेरी तरफ देखा तो मुझे लगा कि अब वे बहुत गुस्सा करेंगी.

चाची- क्या हुआ राज … सुबह के गए अब आ रहे हो?
मैं चुप रहा.

चाची- बोलो कुछ!
मैं- सॉरी चाची.

चाची- अरे यार वह तो सब नॉर्मल है … तुम इतना क्यों टेंशन ले रहे हो.
मैं- मैं बहुत डर गया था इसलिए दोपहर में भी नहीं आया.

चाची- पागल हो यार तुम … इतना डरने की क्या बात है इसमें! तुम्हीं ने तो कहा था कि हम दिल्ली में रह रहे हैं, यहां ये सब नॉर्मल है. तुम लोगों को हफ्ते में 2 से 3 बार तो हिलाना ही चाहिए. उसी वजह से तुम्हारा मूड भी फ्रेश हो जाता है और पढ़ाई में भी कोई ग़लत असर नहीं पड़ता.
ये सब बातें सुनकर तो मेरे कान बजने लगे थे और मैं एकदम से किसी और दुनिया में खो गया था.

चाची मेरे कंधे को हिलाती हुई बोलीं- राज तुम किसी भी फालतू चीज़ का टेंशन मत लो … तुम बेवजह टेंशन ले रहे हो!
मैं- फिर से सॉरी चाची!

चाची- हां चल ठीक है … कोई बात नहीं, वैसे तुम पर अगर गुस्सा करना होता तो तभी कर देती जब तुम रात को अपने चादर के अन्दर हिला रहे थे, मैं तब भी जागी हुई थी.
मैं- अरे यार मतलब आप पहले ही मुझे पकड़ चुकी हैं?

हम दोनों थोड़ा सहज होकर हल्का हल्का सा हंसने लगे.
चाची मेरे साथ थोड़ा और खुल कर बातें करने लगीं.

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