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दोस्तो ! मैं हंस ! एक कालबोय दिल्ली से !
आपने मेरे पिछले अनुभव पढ़े होंगे।मेरे Antaravsna लण्ड का आकार ७.५ इन्च है। जिन लड़कियों, आंटियों, भाभियों को मैंने अभी तक चोदा है वो ही समझ सकती हैं मेरे लण्ड की महिमा। मैं ज़िगालो हूं और मेरा काम अच्छा चल रहा है। पूरे दिल्ली से मुझे काल आते हैं और पिछले हफ़्ते मुझे एक २९ साल की अविवाहित लड़की की मेल आई। उसने बताया कि वो एक प्राइवेट नौकरी करती है और उसे मेरी सेवाएं चाहिएं।
मैंने हां कर दी। उसने मुझे तारीख बताई और अपना मोबाइल नम्बर दिया कि इस दिन शाम को आठ बजे के बाद आप मुझे फ़ोन करना, मैं बता दूंगी कि कहां आना है। उसने अपने घर का पता नहीं बताया।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं उसकी बताई तारीख पर शाम को तरोताज़ा होकर ८:३० पर मैंने उसको काल किया तो उसने मुझे एक शादी-स्थल पर बुलाया और कहा कि वहां बाहर से ही तुम मुझे फ़िर काल करना।
मैं आटो से वहां पहुंचा, बाहर से काल किया और अपना हुलिया बताया तो उसने मुझे बाहर ही रुकने को बोला। बाहर बहुत भीड़ थी, बहुत गाड़ियाँ खड़ी हुई थी, किसी पैसे वाले की शादी थी।
कुछ देर बाद एक बेहद खूबसूरत २८-३० साल की लड़की साड़ी पहने, बालों में फ़ूल लगाए हुए एकसम सज़ी-धज़ी गेट से बाहर आई। वो अपने कान से मोबाइल लगाए हुए किसी को खिज़ रही थी कि तभी मेरे मोबाइल की घण्टी बज़ी। अब तक वो मेरे पास पहुंच चुकी थी, मेरे मोबाइल की घण्टी उसे भी सुनाई दे गई थी। मैं अपनी जेब से मोबाइल निकाल भी नहीं पाया था कि मेरे मोबाइल की घण्टी बंद हो गई। मैं भी उसे देख रहा था।
उसने मेरे बगल में खड़े होकर फ़िर रि-डायल किया तो मेरा मोबाइल बजने लगा। वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी, मैं भी मुस्कुराने लगा। फ़िर उसने मोबाइल बंद किया और मुझसे पूछा- क्या तुम हंस हो?
मैंने कहा- जी हाँ ! मैं ही हंस हूँ।
हम दोनों ने हाथ मिलाया। उसने बताया कि यहाँ उसकी सहेली की शादी है, बस कुछ देर में कार्यक्रम समाप्त हो जाएगा, आओ तुम मेरे साथ खाना ख लो।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं मन ही मन हँस रहा था- बेगानी शादि में अब्दुल्ला दीवाना !
मैं अन्दर गया और भीड़ में शामिल हो गया। वो स्टेज़ पर चली गई। मैं खाना खाने लगा पर वो वो मुझे स्टेज़ से लगातार देखे जा रही थी, मैं भी उसे देख रहा था। वो २९-३० साल की परिपक्व लडकी थी। उसका जिस्म बहुत ही सेक्सी लग रहा था बिल्कुल प्रियंका चोपड़ा की तरह।
मैं खाना खा चुका था और एक कुर्सी पर बैठ कर कोफ़ी पीने लगा। तभी देखा कि दुल्हा-दुल्हन और सब लोग स्टेज़ से उतर कर खाना खाने जा रहे हैं इतने में वो उन लोगों को छोड़ कर मेरे पास आई और कोफ़ी लेकर मेरे पास बैठ गई। भीड़ से अलग हम दोनों कोफ़ी पीते हुए बातें करने लगे। उसने पूछा- आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?
मैंने कहा- नहीं।
उसने बताया- यह मेरे बोस की बेटी की शादी है और वो मेरी सहेली भी है। मेरे बोस बहुत बड़े और अमीर आदमी हैं।
मैंने कहा- इन्तजाम देखने से ही पता चलता है।
वो बहुत बड़ी जगह थी। उसने बताया कि ये जो आजू-बाजू दो कोठियाँ दिख रही हैं, इनमें एक में लड़की वाले रुके हुए हैं और दूसरी में लड़के वाले। हम सभी को अलग अलग कमरे दिए हुए हैं। मेरा कमरा फ़ेरों वाली जगह के पास ही है। जहाँ इतनी भीड़ है कि कोई किसी के बारे में नहीं सोच रहा है कि कौन लड़की वाला है और कौन लड़के वाला।
मैं उसकी बातें सुन रहा था, बोलते बोलते उसकी सांस फ़ूल रही थी। मैं उसकी स्थिति समझ रहा था।
फ़िर उसने बताया कि मंगलीक होने की वजह से उसकी शादी कहीं तय नहीं हो पा रही है जबकि उसके साथ की सब लड़कियों की शादी हो चुकी है और कई माँ भी बन चुकी हैं। इस उम्र में सेक्स को लेकर मेरा क्या हाल हो रहा है, तुम समझ सकते हो। इसीलिए मैंने तुमसे सम्पर्क किया, पर हंस यह हमारी पहली और आखिरी मुलाकात होगी।
मैं उसकी सब बातें सुनने के बाद बोला- अगर कभी आप बाज़ार जाते हैं और आपकी जूस पीने की इच्छा होती है तो आप दुकान पर जाकर जूस पीते हैं और पैसे देकर घर आ जाते हैं ना ?
वो बोली- हाँ !
तो मैंने कहा- एक बात बताओ आप वो गिलास क्यों नहीं लाती साथ में जिसमें आपने जूस पिया?
तो वो बोली- गिलास नहीं खरीदा था, उसमें रखा हुआ जूस ही खरीदा था।
मैंने कहा- हाँ ऐसे ही आपने मेरी सेवाएँ खरीदी हैं, मुझे नहीं। आज के बाद मुझे आप से कोई मतलब नहीं रहेगा, आप निश्चिंत रहें।
वो मुस्कुराने लगी। हम काफ़ी देर बातें करते रहे। इसी बीच दुल्हा-दुल्हन उस कोठी की तरफ़ जाने लगे जहाँ मण्डप बना हुआ था और उधर ही उसका कमरा था, वो बोली- उठो ! साथ में चलो, हम भी दुल्हा-दुल्हन की भीड़ में शामिल हो गए। कोठी अन्दर से बहुत शानदार थी, बिल्कुल टीवी सीरियल के सेट की तरह।
दुल्हा-दुल्हन और कुछ लोग, लड़के, लड़कियाँ मण्डप के पास बैठ गए और कुछ अपने अपने कमरे में जाने लगे। प्रिया ने मुझे इशारा किया और मैं भी सामान्य होकर प्रिया के पीछे पीछे मगर कुछ दूरी से हो लिया। उसने कमरे का दरवाज़ा खोला और अन्दर हो गई, मैं भी मौका देख कर कुछ पल बाद कमरे के अन्दर हो गया।
एक पाँच सितारा होटल की तरह का कमरा था। बड़ा बेड, टीवी, फ़ोन वगैरह और कमरा महक भी रहा था। उसने ऐ सी चला दिया। बाथरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था। मैंने झांक कर देखा तो बहुत बड़ा और सुन्दर बाथरूम था।
उसने कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लिया। मैं जूते निकाल कर बेड पर दीवार से पीठ लगा कर लेट गया। मैंने टीवी चला लिया। प्रिया बेड के पास खड़ी मुझे देखे जा रही थी। उसके सांस लेने के कारण उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे। मैंने उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाया। कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उसे बेड पर खींच लिया।
वो बड़ी अदा से मेरे सीने पर गिर पड़ी। हम दोनों अधलेटे थे। उसका सर मेरे सीने पर था। एक हाथ से मैं उसे थामे हुए था और एक हाथ से मैंने उसके गालों को छुआ। उसने आँखें बंद कर ली। वो दुल्हन की तरह सज़ी हुई थी। परफ़्यूम की मदहोश कर देने वाली उसकी महक से मैं दीवाना हो गया। मैंने उसके माथे को चूमा।
आज़ मैं भी सुहागरात मनाने के मूड में था। प्रिया एक अविवाहित लड़की थी, मैं अच्छी तरह से जानता था उसे क्या चाहिए। मेरा मतलब है कि एक अच्छा और पूरी सन्तुष्टि देने वाली यौन-क्रिया प्यार और ध्यान के साथ।
फ़िर मैंने उसकी बंद आँखों को चूमा और एक हाथ उसके बालों में फ़िराने लगा। वो किसी नई दुल्हन की तरह शरमा रही थी। उसका एक हाथ मुझे अपने घेरे में लिए हुए था। फ़िर मैं उस के ऊपर कुछ झुका और मैंने आपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए वो कांप गयी और जोर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैं उसके होंठ चूस रहा था, वो भी मेरे होंठ चूस रही थी। कुछ देर होंठ चूसते हुए वो इतनी बेचैन हो गई कि उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों गाल पकड़े और जोर जोर से सर घुमा घुमा कर मेरे होंठ चूसने लगी, बेतहाशा मेरे होंठ चूमती रही, एक समय तो मैं भी छटपटाने लगा था। वो इतनी गरम हो चुकी थी कि भूखी शेरनी हो गयी थी।
इस समय उसके बड़े बड़े स्तन मेरे सीने पर दब रहे थे। फ़िर मैं भी अपना एक हाथ उसके सर के पीछे डाल कर उसका सर पकड़ कर पूरे जोर से उसके होंठ चूसने लगा। करीब २० मिनट तक हम बस किस करते रहे।
ये फॉर प्ले का पहला भाग था।
फ़िर कुछ देर बाद हम अलग हुए, दोनों ही बुरी तरह हांफ रहे थे। हम दोनों बिस्तर पर अलग अलग लेटे हुए थे। कुछ देर बाद जब हम सामान्य हुए तो मैं उसकी तरफ़ पलटा, वो आँख बंद किए हुए लेटी थी। मैं उसे गर्दन पर चूमते हुए उसके स्तनों पर चूमने लगा साड़ी का पल्लू उसके सीने पर से अलग करते ही मैं हैरान रह गया, क्या मस्त बड़े बड़े स्तन थे यार ! गोरे ! गोल !
मैं मचल उठा। मैंने अपने दोनों हाथ उसके दोनों बूब्स पर रख दिए और सहलाने लगा उसकी साँसे तेज़ चलने लगी और वो मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने बूब्स सहलाते हुए अपना मुंह उसके ब्लाउज में घुसा दिया। वो मचल उठी और मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर बूब्स पर दबा दिया। मैं अपने होंठ उसके बूब्स पर फेरे जा रहा था।
फ़िर मैंने एक हाथ से उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए। वो गुलाबी रंग की रूपा की ब्रा पहने हुए थी। क्या सेक्सी ब्रा थी ! मजा आ गया। फ़िर मैं कुछ देर ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबाता रहा और अपने होंठ फिराता रहा। फिर मैं बूब्स से नीचे होते हुए उसके पेट और नाभि पर आया, उसकी कमर को खूब चूसा। उसकी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी।
फ़िर मैं एक झटके से बिल्कुल नीचे उसके पैर के पास पहुँच गया। उसके पैर चूमते हुए उसकी साड़ी ऊपर करते हुए जाँघों तक आ गया।
क्या खूबसूरत सेक्सी जांघें थी !
मैं दोनों जाँघों पर अपने होंठ रगड़ रहा था। वो मदहोश हो रही थी और अपना सर जोर जोर से आजू-बाजू घुमा रही थी, अपने होंठ दांतों से चबा रही थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी दोनों जाँघों पर से सरकाते हुए उसकी पेंटी को पकड़ा और नीचे खींच दिया। मेरी इस हरकत से वो चिंहुक गयी और सिस्कारने लगी।
बहुत ही शानदार चूत थी वो ! बिल्कुल मलाई की तरह और ब्रेड की तरह फूली हुई, बिल्कुल साफ़ ! एक भी बाल नहीं था और महक भी रही थी।
मैंने अपना काम शुरू कर दिया अपने दोनों हाथों से उसके नितम्ब सहलाते हुए उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाली तो वो अपनी कमर जोर जोर से ऊपर उछालने लगी और सी ,सी की आवाज़ निकालने लगी करीब १५ मिनट तक ऐसा करने पर उसने एक बार अपना पानी छोड़ा उसे बहुत आनंद आ रहा था।
फ़िर मैं अलग हुआ तो वो भी बैठ गयी और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी मैंने पैंट खोलना शुरू किया। उसने शर्ट उतारने के बाद मेरे सीने पर बहुत प्यार से हाथ फेरा, अपने होंठ मेरे सीने से लगा दिए और जोर जोर से मेरे सीने पर होंठ फिरने लगी।
मैं पैंट उतार चुका था। फ़िर मैंने उसकी ब्रा अलग की तो उसके बूब्स बाहर आ गये इतने बड़े और शानदार दूध देख कर मैं भी बेकाबू हो गया और मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया जिससे उसके बूब्स मेरे सीने से दब जाएँ। इससे उसे और मुझे भी अच्छा लगा।
कुछ देर बाद मैंने उसके नाभि के नीचे साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया। वो मुझे देखने लगी कि मैं क्या कर रहा हूँ। मैं मुस्कुराया और मैंने अन्दर से उसकी साड़ी की तह किया हुआ भाग पकड़ा और हाथ बाहर खींच लिया जिससे एक ही झटके में साड़ी बिकुल खुल गई। वो हँसने लगी। मैंने साड़ी अलग की।
अब वो पेटीकोट में थी। पेटीकोट में से ही उसके चूतड़ों का आकार देख कर मैं पागल हो गया। उसकी गांड बहुत गोल और ऊपर उठी हुई थी और बड़ी थी। मुझे साड़ी में चूतड़ देखना बहुत पसंद है। राह चलती औरतों में सबसे ज्यादा उनकी गांड देखता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि अगर औरत के चूतड (गांड) अच्छे आकार में न हों तो उसे देख कर सेक्स की बिल्कुल भी इच्छा नहीं होती और अगर कोई साड़ी पहने हुए अच्छे बड़े गोल चूतड़ दिख जाएँ तो लंड तभी झटके से खड़ा हो जाता है।
ऐसे चूतड थे प्रिया के जिसे देख कर मेरा लंड और कठोर हो गया। मैंने उसका पेटीकोट उतार दिया अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड को खूब प्यार किया सहलाया चूमा अब उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया। मैं अभी भी अंडरवियर में था वो ऊपर से ही मेरे लंड को दबा रही थी फ़िर अचानक उसने मेरे अंडरवियर को नीचे खींच दिया।
वो बोली- अब कब तक तड़फाओगे? जल्दी अन्दर डाल लो न प्लीज़ !
मैंने भी उसके दोनों पैर अपनी कमर पर रखे और चूत पर अपना लंड रख दिया। उसने आँखे बंद कर ली। पहले मैंने अपना लंड उसकी कुंवारी चूत पर रगडा, फ़िर धीरे से अंदर डाला। वो छटपटा उठी।
अभी मेरा थोड़ा सा ही लंड अन्दर गया था पर वो बेकाबू होने लगी। अभी उसे दर्द का अहसास नहीं था क्यूँकि मैंने अभी थोड़ा सा लंड चूत के अन्दर किया था पर वो इतनी मचल रही थी। अचानक उसने अपने दोनों पैर से मुझे जम कर जकड़ लिया और अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिका कर अपनी कमर में जोर दार झटका देकर मेरे लंड पर भरपूर वार कर दिया मेरा लंड पूरा चूत में घुस गया मेरे लंड की चमड़ी ऊपर चढ़ गयी थी। मुझे बहुत दर्द हुआ। मैं चीख पड़ा, मेरे साथ वो भी चीख पड़ी क्यूंकि उसे भी बहुत दर्द हो रहा था। उसकी चूत पर मेरे लंड छूते ही वो इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि ऐसा कर दिया।
हम कुछ देर रुक गये। मेरा लंड उसकी चूत में था। कुछ देर बाद दर्द कम होने पर मैं आगे पीछे हुआ। अब कुछ अच्छा लगने लगा था उसे, फिर मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढाई। उसे भी मज़ा आने लगा वो भी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। करीब ४५ मिनट तक मैंने कई तरीकों से उसकी चुदाई की। इतने समय में न जाने वो कितनी बार झड़ चुकी थी।
फ़िर वो बोली- अब बस करो हंस ! तुम अपनी शूट कर दो, मुझे सहन नहीं हो रहा है, तुमने मुझे जीते जी स्वर्ग की सैर करा दी। मेरी आत्मा ना जाने कब से प्यासी थी। हाँ ! मैं तुम्हारी बहुत अहसानमंद हूँ हंस !
ये कहकर उसने मुझे बाँहों में भर लिया। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। करीब १० मिनट और करने के बाद भी मैंने शूट नहीं की तो वो बोली कि शूट क्यूँ नहीं कर रहे हो हंस ! प्लीज़ ! अब मेरी कमर दर्द कर रही है।
मैं मुस्कुराया क्यूंकि मैं उसको तो संतुष्ट तो कर चुका था पर मैं भी संतुष्ट होना चाहता था। मैंने कहा- ओके ! अच्छा तुम मेरे ऊपर आओ।
वो बोली- ठीक है पर जल्दी कर देना !
मैंने कहा- ठीक है !
वो मेरे ऊपर आई, मैंने उसकी चूत में लंड डाला और उसने अपनी चूत का पूरा भार मेरे लंड पर रख दिया वो कुछ आगे पीछे हुई, मुझे अच्छा लगने लगा। फ़िर मैंने अचानक उसकी कमर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे कुछ ऊपर उठा दिया जिस से अब उसका भार उसके ही दोनों घुटनों पर था।
अब मैंने अपने दोनों पैर बिस्तर पर टिका कर अपनी गांड ऊपर उठा दी और जोर जोर से उसकी चूत पर अपने लंड से प्रहार करने लगा।
मुझे कुछ परेशानी हुई तो मैं रुका और अपने सर के नीचे एक तकिया रख लिया और फ़िर शुरू हो गया। मैं १०० की स्पीड से उसे चोद रहा था वो भी मथानी की तरह हिल रही थी।
करीब १५ मिनट तक लगातार छोड़ने के बाद मैंने उसकी चूत में सारा पानी छोड़ दिया अब मैं शांत पड़ गया वो मेरे ऊपर लेट गयी १० मिनट तक हम यूँ ही लेटे रहे। फ़िर हम अलग हुए दोनों बाथरूम गये, हमने अपने आपको साफ़ किया। हम दोनों ही नंगे थे, शरीर पसीने से लथपथ हो रहा था तो मैंने शावर खोल दिया। हम दोनों उसके नीचे खड़े थे उसका गीला बदन देख कर मैं फ़िर जोश में आ गया। हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और हमारे ऊपर पानी लगातार गिरे जा रहा था।
हम १५ मिनट तक एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे। फ़िर मैं उसके पीछे आया और उसे आगे की तरफ़ झुका दिया और अपना लंड लेकर पीछे से उसकी गांड में डालना चाहा तो उसने मना कर दिया। मैं भी मान गया। फ़िर मैंने अपना लंड उसी तरह उसे और आगे झुका कर उसकी चूत में घुसा दिया। वो झुकी हुयी थी और दोनों हाथों से नल पकड़े हुए थी।
मैंने आगे पीछे होना शुरू किया। उसे भी मज़ा आने लगा वो भी अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी। मैंने अपनी स्पीड बढाई मेरे दोनों हाथ उसके चूतड को जम कर पकड़े हुए थे। १५ मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद वो बोली कि मेरी कमर दर्द कर रही है, प्लीज़ हंस ! अब शूट कर दो !
मैंने अपनी स्पीड बढाई और जोर जोर से धक्के मार कर उसकी चूत में पानी छोड़ दिया। पानी हमारे ऊपर लगातार गिरे जा रहा था। गिरते पानी में चुदाई का क्या आनंद आता है ये वो ही समझ सकता है जिसने ऐसा किया हो।
फ़िर हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को बाँहों में भर कर खूब प्यार किया।
रात के ३ बज रहे थे और हम बाथरूम में नहा रहे थे। नहा कर हम लोग बाहर आए तो प्रिया बहुत खुश थी। हमने अपने अपने कपड़े पहने और निकलने के लिए तैयार हो गये। प्रिया ने अपने पर्स में से रूपये निकाल कर मुझे दिए और बोली- थैंक्स ! तुम न होते तो जीवन के इस सुख से ना जाने कब तक मैं महरूम रहती !
ये कहकर वो फ़िर मुझसे लिपट गयी, बोली- तुम्हें जाने देने को मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा है।
मैंने उसे चूमा और कहा कि अगर फ़िर मेरी याद आए तो मुझे कॉल कर देना। ओ के ! लेकिन अब ये कोशिश करना कि मेरी जरूरत ना पड़े तुम्हें। अपना ख्याल रखना !
ठीक है अब हम चलते हैं !
वो बोली- रुको ! पहले मैं बाहर देखती हूँ कोई है तो नहीं ?
मैंने कहा- ठीक है !
उसने दरवाज़ा खोला और बाहर से लाक करके चली गई। वो २ मिनट में ही वापस आ गई, बोली कि सब कार्यक्रम हो चुके हैं अब विदाई हो रही है। सब लोग उधर ही हैं तुम निकल जाओ।
मैं उसके साथ बाहर आ गया। बरामदे में आने पर मैंने देखा कि उधर अभी लोग इकट्ठा थे। हम भी भीड़ में शामिल हो गये और अलग अलग हो गये मैं धीरे धीरे बाहर कि ओर बढने लगा।
प्रिया भी अपनी साहिलियों के साथ शामिल हो गई थी। वो मुझे लगातार देखे जा रही थी। मैंने मुड़ कर देखा तो प्रिया की आंखों में आंसू थे। मैंने उसे एक हलकी मुस्कान दी और तेज़ी से बाहर निकल गया किसी को कोई शक नहीं हुआ।Antaravsna
बात कई साल पुरानी है लेकिन है Sex Stories बिल्कुल सच्ची। उस समय में बीएससी सैकिंड ईयर में हास्टल में रहकर पढ़ रहा था। मेरी उम्र करीब उन्नीस साल की रही होगी। कालेज में कुछ दिनों की छुट्टियां हो जाने के कारण मै गांव जाने का कार्यक्रम बनाकर हॉस्टल से शहर में आ गया। शहर से हॉस्टल करीब दस किमी दूर बाहर था। शहर में मेरे पिताजी की मौसी रहती थी।
वक्त दोपहर का था, मैंने सोचा क्यों कुछ देर पापा की मौसी के यहां रूक कर फ़िर गांव चला जाए। शहर से गांव ६५ किमी दूर था यही सोचकर मैं उनके घर चला गया। उनके घर पर गया तब पापा की मौसी नहाने की तैयारी कर रही थी। वो इतनी साफ सफाई वाली बुजर्ग महिला थीं कि उन्हें नहाने में दो घंटे से कम नहीं लगते थे। घर पहुंचने पर उन्होंने मेरे हाल चाल पूछे। फ़िर बैठने के लिए कहा। मैं इत्मीनान से उनके यहां बैठ गया।
उस समय उनके घर उनके सिवाय उनकी बड़ी बेटी की दूसरे नंबर की लड़की सलोनी थी जोकि रिश्ते में मेरी बहन ही लगती थी। उस समय वह १२वीं कक्षा में पढ रही थी। जिसकी उम्र लगभग १८ साल के आसपास रही होगी। उसके उभार संतरे जैसे थे। चूतड़ों पर भी मांस आ जाने से गदराने लगे थे। सलोनी का चेहरा और होठ तो इतने रसीले थे कि कोई भी देखे तो किस करने का मन करने लगे, बड़ी-बड़ी आंखें, कुल मिलाकर उसकी हाईट कम थी परंतु थी अल्हड़ जवानी में कदम रखने को बिल्कुल तैयार। पापा की मौसी को हम लोग भी मौसी ही कहते थे।
मेरे पहुंचने पर सलोनी से उन्होंने पानी देने को कहा। सलोनी उस समय अंदर वाले कमरे में किवाड़ बंद करके छोटी सी चारपाई पर टीवी देख रही थी। उसने उस समय फ़्रॉक पहन रखी थी, जोकि टाईट होने के कारण उसकी संतरा जैसी चूची और ठोस गदराए चूतड़ों को सेक्सी बना रही थी। उसने मुझे भइया कहकर नमस्ते किया, पहले पानी पिलाया फ़िर चाय बनाकर पिलाई। फ़िर जाकर लेटकर टीवी देखने लगी। मैंने जल्दी से चाय खत्म कर दी।
मौसी ने नहाना शुरू कर दिया। वह बूढ़ी होने के कारण नंगी होकर नहाती थी। यही सोचकर उन्होंने मुझसे कहा कि गांव शाम को चला जाना, दोपहरी हो रही है। सलोनी के पास आराम कर ले।
तब तक मेरे दिमाग में सलोनी के लिए कोई गलत विचार नहीं थे। मैं मौसी के कहने पर दरवाजा खोलकर कमरे के अंदर चला गया। सलोनी चारपाई पर टीवी की तरफ करवट लेकर लेटे हुए टीवी देख रही थी। मैं भी पैन्ट-शर्ट पहने जूते उतार कर सलोनी की बगल से लेट गया। उस समय टीवी पर श-थीम नाम का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें फ़िल्मी समाचार और जानकारियाँ आ रहीं थीं।
मुझे भी कार्यक्रम देखने का मन हुआ तो मैंने सलोनी की तरफ करवट ले ली। क्योंकि चारपाई छोटी थी। इस कारण मेरी छाती सलोनी की पीठ और मेरा छह इंच का लंड सलोनी की मस्त गदराई गांड से पूरी तरह से सट गया। कार्यक्रम में कुछ फ़िल्मी हीरो-हीरोईन के बारे में गरमा गरम जानकारी मय चित्रों के दिखाई जा रही थी। इसे देखकर मेरा सलोनी की गाण्ड से सटा लंड पैन्ट के भीतर से खड़ा होना शुरू हो गया। कुछ ही देर में वह पूरी तरह से खड़ा हो गया। किसी लड़की से इस तरह सटने का यह मेरा पहला अनुभव था।
मेरे लंड के दबाब और कार्यक्रम को देखते हुए सलोनी की श्वांसे भी गरम होने लगीं। धीरे-धीरे मैंने सलोनी के चूतड़ों पर हाथ फ़िराना शुरू कर दिया। जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मेरा हौंसला बढ़ गया। इसके बाद मैंने उसके संतरे जैसे चूचों को फ़्रॉक के उपर से सहलाना शुरू कर दिया। इसके बाद सलोनी आंखें बंद कर मजा लेने लगी। परंतु मुझे यह डर लग रहा था कि कहीं यह रोने न लगे और मेरी शिकायत कर दे। परंतु उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया।
इसके बाद मैंने उसकी फ़्रॉक को उसके चूतड़ों से उपर तक सरका दिया और उसकी नंगी चूचियों और चड्डी के भीतर हाथ डालकर उसकी बिना बालों की चूत को सहलाना शुरू कर दिया, वह पूरी तरह से मस्ती में आकर आंखें मूंदे पड़ी रही। यह सब करते हुए मैं उससे पूछता- सलोनी ! तो वह सिर्फ हां कहकर चुप हो जाती। मैने जमकर उसकी चूचियों को मसला दबाया। उसकी चूचियां बहुत सख्त थी। जैसे भीतर मांस की कोई गांठ हो।
मैं इस दौरान उससे पूछता- सलोनी मजा आ रहा है?
तो वह हूं कहकर सिर हिला देती थी। मैने अपनी पैन्ट की चेन खोलकर लंड बाहर निकाल लिया। इसके बाद पीछे से उसकी चूत और गांड पर फ़िराने लगा वह मारे उत्तेजना के गर्म-गर्म श्वांसे छोड़ने लगी। उसकी चड्डी इतनी ढीली थी कि मैं चड्डी को सरकाकर लण्ड को उसकी चूत में डालने का प्रयास करने लगा। साथ ही साथ उसकी चूचियों से भी जमकर खेल रहा था। इसी दौरान कई बार उसको चूमा और उसके रसीले औंठ भी चूसे। पर वह बिना कोई हलचल किए आंखे बंद किए चुपचाप करवट लिए लेटी रही।
मैं बार-बार उसकी चूत में लंड डालने का प्रयास कर रहा था। क्योंकि सलोनी का भी इतनी उम्र में यह पहला अनुभव रहा होगा। चूत में लण्ड डालने का प्रयास करते समय मेरे दिमाग में यह बात बार बार आ रही थी कहीं पूरा लण्ड घुस गया तो इसकी चूत न फट जाए और तेज दर्द के यह चिल्लाने लगे। यही कारण था कि मैं चाह कर भी लंड सलोनी की चूत में घुसाने के लिए पूरा जोर नहीं लगा पा रहा था। परंतु मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में उपर से जा रहा था।
मैं जबरदस्त मजे में आ गया सलोनी की श्वांसे गहरी हो गई। मैं चूचियों को मसलते हुए उसके मुँह पर अपना मुंह रगड़ते हुए लंड का सुपाड़ा तेजी से उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा। कुछ ही देर में मेरा पानी निकलने को हुआ। मैंने सोचा अगर पानी ऐसे ही चूत के ऊपर छोड़ा गया तो सलोनी की चड्डी खराब हो जाएगी। इससे कहीं मौसी को मालूम चल गया तो बदनामी के साथ पिटाई भी होगी। इस कारण मैंने अपना पूरा का पूरा पानी सलोनी की चूत में से लंड निकाल कर अपने अंडरवीयर के भीतर छोड़ दिया और ऐसे ही सलोनी से लिपटे-लिपटे लेटा रहा।
लेकिन कुछ देर बाद मेरा लंड़ फ़िर खड़ा हो गया तो मैने फ़िर से सलोनी की चूत में लंड डालने का प्रयास किया तो उसने करवट ले कर ऐसे दिखाने लगी जैसे उसे कुछ मालूम नहीं है और सोकर जगी है। तब तक मौसी की आवाज आ गई और वह उठकर बाहर चली गई। कुछ ही देर बाद मैं भी वहां से गांव चला आया।
मेरे मन में सलोनी की असफल चुदाई का दृश्य बार-बार कोंधता रहा। इसके बाद मैं कई बार वहां गया लेकिन हर बार सलोनी मुझसे नजरें छुपाकर दूर-दूर रहने लगी। कुछ वर्षों बाद सलोनी के घर वालों ने कम उम्र में उसकी शादी भी कर दी। लेकिन दुर्भाग्य से वह दो साल के भीतर एक बेटी को लेकर विधवा हो गई। विधवा होने के बाद भी उसके ससुर ने उसका विवाह करा दिया।
सलोनी अब कभी भी मिलती है तो मुझसे नजरें चुराती है। जबकि आज भी मासूमियत भरी जवानी को मैं चोदना चाहता हूं।
दोस्तों अंतरवासना के लिए यह मेरी पहली सच्ची कहानी है। मुझे कालेज लाइफ से ही मासूम नादान लड़कियां बहुत अच्छी लगती हैं। और मैं जब भी मौका लगता है कभी चूतड़ों पर तो कभी चुचियों पर हाथ फ़िरा कर मजा लेने से नहीं चूकता हूं।
दोस्तों मैं छात्र जीवन में मासूम चिकने लड़कों की गाण्ड मारने का भी बहुत शौकीन रहा हूं और मैने दर्जनों लड़कों की जमकर गांड मारी है। और अब अपनी बीबी की भी गांड मारता हूं। ऐसी कई और मेरी सच्ची कथाएँ हैं जिसमें मैंने अपनी चचेरी बहन दीपा, चचरे भाई की मासूम लड़की मोनी, सलोनी की मौसी की लड़की पारूल से कैसे मजा लिया है के बारे में विस्तार से बतांऊगा।
यह कहानी आपको कैसी लगी मुझे मेल करें। Sex Stories
हाय, अन्तर्वासना के सभी पाठकों और पाठिकाओ, आपकी सेवा में मैं विक्की मित्तल एक बार फिर से अपनी चुदाई के तजुर्बे के साथ हाजिर हूं, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
लगता है मेरी कहानी ‘शीतल की चुदाई’ काफ़ी पाठको ने पढ़़ी है, क्योंकि मेरे पास बहुत से पाठक पाठिकाओ के जवाब आये है जिनमे लिखा है उन्हे मेरी कहानी बहुत पसन्द आई है और मैं अपनी दूसरी कहानी भी जल्द ही भेजूं। इसके लिये आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद। लगता है कि पढ़ने वालों में लड़कियों और औरतों की संख्या अधिक है, क्योंकि लिखने वालो में लड़किया अधिक है। कुछ लड़कियों ने तो यहां तक लिखा है कि अपनी नई कहानी में उनको लेकर यानि उन्हे नायिका बना कर कहानी लिखूं।
यहां पर मैं बताना चाहूंगा कि शीतल की चुदाई मेरी कोई कल्पना मात्र नहीं है बल्कि ये वास्तव में मेरा पहला तजुर्बा है, और आज भी है। बस अन्तर इतना है कि उसकी अब शादी हो चुकी है। वह ससुराल में अपने पति के साथ बहुत ही खुशहाली का जीवन व्यतीत कर रही है।
आगे भी मैं जो कहानी भेजूंगा वो भी कोई कल्पना नहीं होगी बल्कि वास्तविक घटना होगी जो कि मेरे साथ घट चुकी होगी। मैं अपनी पाठिकाओं का दिल तोड़ना नहीं चाहता हू, इसलिये मैं उनसे विनती करूंगा कि जो ये चाहती कि मैं उन पर कहानियाँ लिखू वो अपने शरीर का विवरण अवश्य ही भेजे जिससे मुझे कहानियाँ लिखने में सहूलियत होगी।
सम्पूर्ण विवरण से तात्पर्य है कि वे अपनी बॉडी की बनावट, कद काठी, कूल्हे भारी हैं या हल्के, चूचियो का साईज़, छोटी है या बड़ी, उनका रंग, चूत क्लीन शेव्ड है या झांटों से भरपूर है। आपकी खास आदते और पसन्द वगैरह। जब आप अपना शरीर का पूरा परिचय दे देंगी तो तो अवश्य ही आपके लिये एक बहुत ही सेक्सी और बहुत ही एक सुन्दर सी कहानी लिख पाऊंगा।
हां तो मैं आज अपनी जीवन का दूसरा तजुर्बा कहानी के रूप में लिख कर भेज रहा हूं। कुछ लड़के और लड़कियाँ या महिलाये ऐसी भी होंगी जिन्होने ने मेरी पहली कहानी नहीं पढ़़ी होगी या इस साईट में अभी सम्मिलित हुये हो तो मैं उन्हे अपना परिचय देना जरूरी समझता हूँ। मेरी उम्र लगभग 29 वर्ष, रंग एक दम गोरा है, मेरी हाईट पांच फ़ुट दस इन्च है। हालांकि मेरी बॉडी थोड़ी भारी है पर लम्बाई के कारण मैं मोटा नहीं लगता हूं। मेरी पर्सनाल्टी बहुत ही चार्मिंग है, मैं बहुत सुन्दर हू, लड़किया मेरी तरफ़ आसानी से आकर्षित हो जाती है।
बचपन से लेकर अब तक काफ़ी लड़कियाँ मेरी दोस्त बन चुकी है। मैंने आई आई टी रुड़की से इन्जीनियरिंग करने के बाद आई आई एम अहमदाबाद से एम बी ए किया है। और अब में दिल्ली में अपनी ही एक पारिवारिक ओर्गेनाईजेशन में काम करता हूं। हां तो दोस्तों, लगता हैकि अब आप काफ़ी बोर होने लगे है इसलिये मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।
बात उन दिनो की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़़ता था। और उस समय मेरी उमर 18 वर्ष की थी पर मेरी कद काठी की वजह से मैं 18-20 वर्ष का लगता था। हमारी ही कोलोनी में एक लड़का और रहता था जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनो लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा उसके अलावा एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे।
मेरे दोस्त का नाम मनोज है और उसकी बहन का नाम कोमल था। वो बी एस सी पार्ट फ़र्स्ट में पढ़़ रही थी।
कोमल बहुत ही खूबसूरत थी। उसका रंग एकदम गोरा चिट्टा था। उसकी हाईट लगभग 5 फ़ुट चार इन्च होगी। आँखें एकदम काली और बड़ी बड़ी, मानो हर समय उसकी आंखे कुछ कहना चाहती हो। जब वो आंखो में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी तो वो गजब ही ढा देती थी।
शरीर 36-24-38 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी थी। उसका साईज तो लगभग 36/38 रहा होगा पर एकदम कठोर और कसी हुई थी। चूतड़ तो बस क्या कहने एकदम भरे भरे और सुडौल।
जब चलती थी तो उसकी चूतड़ों को देख कर लगता था कि मानो दो बड़ी बड़ी गेंद या फ़ुटबॉल आपस में रगड़ खा रहे हो।
वो आम तौर पर टाईट सलवार कमीज या चूड़ीदार पजामा और कुर्ती पहनती थी, जिसमे उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी। खास तौर पर तो उसके चूतड़ों उभार तो मस्त नजर आता था। कभी कभी वो स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उमर का तो पता ही नहीं चलता था।
मैं तो शुरू से ही पढ़़ने में बहुत होशियार था खास कर गणित तो मेरा फ़ेवरेट विषय था। मनोज गणित में बहुत कमजोर था तो वो मेरे साथ ही पढ़़ाई करता था। साथ में कोमल भी आकर पढ़़ाई करती थी।
अधिकतर पढ़़ाई तो रात को हमारे घर पर ही होती थी, क्योंकि उसके परिवार में काफ़ी सदस्य थे। इसलिये मनोज और कोमल रात को मेरे घर ही आ जाया करते थे। हम सभी काफ़ी देर तक पढ़़ाई करते रहते थे। एक साथ पढ़़ाई करने की वजह से मैं और कोमल काफ़ी घुल मिल गये थे और एक दूसरे के साथ फ़्री हो कर बातें भी करते थे। वैसे भी पड़ोस में रहने के कारण एक दूसरे के परिवार में मेरा काफ़ी आना जाना रहता था।
क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँमेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थी और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थी। कोमल भी मेरी तरफ़ बहुत ही आकर्षित थी और कई बार मम्मी से मजाक में कहा करती थी कि मेरा दूल्हा तो विक्की है ना। मैं तो विक्की से ही शादी करूंगी। मम्मी हंस देती थी। कोमल मुझसे भी कहती थी कि विक्की आज तो तू बड़ा स्मार्ट और सुन्दर लग रहा है, है ना बिल्कुल दूल्हे राजा जैसा। आजा मेरे साथ शादी करले और मैं जोर से हंस देता था।
मैं भी उसको पसन्द करता था और अनेकों बार रात में उसको ध्यान में रख कर जोर से हस्त मैथुन भी कर लेता था। मैं तो मन ही मन उसको चोदना चाहता था पर कहने से डरता था कि कहीं वो सुन कर बुरा ना मान जाये और मेरे साथ रात को पढ़़ना बन्द ना कर दे। बस वैसे ही दिन कट रहे थे। दशहरा आने वाला था, दशहरे की छुट्टियाँचल रही थी।
एक बार मनोज से मेरी कुछ कहा सुनी हो गई और बात यहां तक बढ गई कि उसकी और मेरी बोल चाल बन्द हो गई। लड़ाई के बाद मनोज रात को पढ़़ने भी नहीं आया, केवल कोमल ही आई। पर उसने कोमल को ये नहीं कहा कि मेरा उसका झगड़ा हो गया है, बल्कि कहा कि उसकी तबियत खराब है इसलिये वो रात को पढ़़ने नहीं जायेगा।
कोमल को उस रोज कुछ समझ नहीं आया लेकिन जब दूसरे दिन भी जाने मना कर दिया और कोमल को भी जाने से रोकने लगा तो उसका माथा ठनका और फिर कोमल ने कह दिया कि तू जाये या ना जाये वो तो विक्की के यहां ही पढ़़ाई करेगी। फिर वो मेरे घर आ गई। हम दोनो लगभग एक घन्टे पढ़़ते रहे, कोई एक दूसरे से कुछ नहीं बोला। हम दोनो ही आमने सामने बैठ कर पढ़़ रहे थे कि अचानक उसने आंखे उठा कर मेरी तरफ़ देखा।
‘क्या तेरे और मनोज की लड़ाई हुई है’
मैं चुप ही रहा और मेरी आंखो में पानी आ गया। इस पर वो उठ कर मेरे पास आ गई। मेरी दाईं तरफ़ बैठ कर अपने दोनो हाथों से मेरी कोहली भर ली और मेरा सर अपने सीने से लगा लिया, पहले तो मैं चौंक गया फिर मैं समझा कि मेरी आंखो में पानी आने के कारण वो मुझे दुलार रही है। मेरा सर उसकी बाईं चूंची के ऊपर रखा था। मैं उसकी नर्म चूंची का गुदगुदापन उसके कुरते के ऊपर से महसूस कर रहा था जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
पहले तो कुछ पल हम चुप बैठे रहे फिर वो बोली कि जब तुम एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते तो लड़ते क्यूं हो, वो भी तुम्हारे बिना तुम्हारी ही तरह उदास है। चिन्ता ना करो कल को मैं तुम्हारी बोलचाल फिर से करवा दूंगी। यह कहकर उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भींच लिया। फिर बोली चलो अब मुस्करा दो। जैसे ही उसने मुझे कस कर भींचा उसकी बाईं चूंची पर मेरा गाल आ गया। वो उसे दबाने लगी जिससे मेरा लण्ड बहुत तेजी के साथ सख्त हो कर फ़नफ़नाने लगा।
उन दिनों हालांकि थोड़ी सी गर्मी थी सो मैंने निकर और बनियान ही पहना हुआ था। जब मेरा लण्ड ऊपर नीचे होकर फ़ड़फ़ड़ाने लगा और वो निकर के ऊपर से ही उसकी जांघ या हल्का सा ऊपर उसको लग गया तो वो बोली कि तेरी जेब में क्या है जो मुझे चुभ रहा है। मैंने हंसते हुये कहा कि कुछ नहीं। लेकिन वो बोली कि कुछ तो जरूर है जो जेब में हिल रहा है, ला मैं भी देखूं। यह कह कर उसने मेरे लण्ड को निकर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब तो मैं भी सब कुछ समझ गया और मैंने भी जोश में आकर कोमल के होंठ के ऊपर अपने होंठ रख दिये और तेजी के साथ चूसने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ कोमल के मुंह में डालने की कोशिश करने लगा जिस पर उसने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में आने दिया। वो भी मेरी जीभ बड़े जोश के साथ चूसने लगी। हमारी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे में खोये हुये थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुये तो कोमल ने पूछा इधर अंकल या आण्टी तो नहीं आयेंगी।
मैंने कहा नहीं आयेंगी क्योंकि वो जानते है कि हम तीनों यहां पढ़़ाई कर रहे हैं और उन्हे मनोज के नहीं आने की बात मालूम नहीं है जो चिन्ता करे और दूसरे यह कि वो जल्दी सो जाते हैं। अब तक तो वो सो गये होंगे।
फिर भी कोमल बोली कि दरवाजे की कुण्डी लगा लो और मैंने कुण्डी लगा दी। अब वो एक दम से मुझसे लिपट गई और बोली कि विक्की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने भी कहा कि प्यार तो मैं भी करता हूं। पर तुम मेरे से 1-2 साल बड़ी हो इसलिये लगता है कि शादी नहीं हो पायेगी!
तो कोमल बोली कि हर प्यार की आखिरी मंजिल शादी नहीं होती है कई बार कुर्बानी भी देनी होती है। शादी नहीं होगी तो क्या हुआ हम एक दूसरे को प्यार तो कर सकते है ना। और ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिये और उन्हे चूसने लगी। हम दोनो खड़े हुये थे और एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुये थे। एक दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। कभी कोमल की जीभ मेरे मुंह में होती तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में होती।
अब उसने एक हाथ नीचे करके निकर के ऊपर से ही मेरा सख्त लण्ड पकड़ लिया था। वो उसे सहलाने लगी और बोली कि बहुत उछल कूद मचा रहा है। अब देखती हू इसमें कितना दम है।
अब मैंने भी अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना चालू कर दिया था। एक हाथ से मैं उसकी चूंची दबा रहा था तो दूसरे से मैं उसके गोल गोल नर्म चूतड़ो को दबा रहा था। सच में उसके चूतड़ बहुत ही गठीले थे। मेरे मेरे हाथ उसकी चूंचियों और चूतड़ों के गोलो को जोर से द्बा रहे थे और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी वो ऊऊओह्हह ऊऊओह्हह आआह्ह अह्ह हह्हह आआअय ययययिईईए स्ससीईईइ स्स स्सस्ससी ईई कर रही थी और ये सुन सुन कर मेरा लण्ड फ़टा जा रहा था। लगता था कि कुछ देर अगर यूं ही हाल रहा तो लण्ड मेरी निकर फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।
मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरते हुये ऊपर से ही उसकी गाण्ड में अंगुली कर दी, कोमल एक दम चीख पड़ी और बोली- ऐसा मत करो मुझे दर्द होता है।
मैंने कहा कोई बात नहीं मैं सिर्फ़ हल्के हल्के से करूंगा दर्द नहीं होगा। मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। हम दोनो थोड़ी देर तक यूं ही एक दूसरे का शरीर टटोलते रहे और चुम्बन लेते रहे। जब बरदाश्त करना मुश्किल हो गया तो हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये। कोमल बोली कि ओफ़्फ़ोह पहले लाईट तो बुझा दो तो मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं तुम्हारा शरीर रोशनी में देखना चाहता हूँ। वो बोली मुझे शरम आती है।
तो मैंने उसे कहा कि जिसने की शरम उसके फ़ूटे करम और जो भी कुछ हो मैं लाईट ऑफ़ नहीं करूंगा। रोशनी में हीं चोदूंगा। यह कह कर मैंने उसके कुर्ती के बटन खोलने शुरू कर दिये। बटन खोलने के बाद मैंने उसकी कुरती झटके से उतारनी शुरू कर दी। कोमल बोली कि कि क्या मेरे कपड़े उतारने का इरादा है, जरा आराम से उतारो ना। ये कह कर उसने अपने हाथ उठा कर उसे उतार दी।
अब उसने सिर्फ़ शमीज, उसके नीचे ब्रा, पजामा और पेन्टी पहनी हुई थी। मैं तो पहले ही बनियान और निकर में था। कोमल ने निकर में नीचे से हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली मैं जानती हू कि तुम्हारा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है, इसलिये शुरू में जरा आहिस्ता आहिस्ता करना। मैंने पूछा तुम्हे कैसे पता कि मेरा लण्ड लम्बा और मोटा है। तो बोली मैंने तुम्हे कई बार छिप कर तुम्हे लण्ड को पकड़ कर पेशाब करते हुये देखा है तो मैं हंस पड़ा।
फिर मैंने उसकी शमीज उतार दी। जोश के कारण उसकी शमीज फ़टते फ़टते बची। कोमल बोली कि कपड़े जरा आराम से उतारो ना, इस तरह बेसबर हो कर कपड़े ना फ़ाड़ो। मैंने हंसते हुये कहा कपड़े तो नहीं पर चूत जरूर फ़ाड़ने का इरादा है। वो भी चेलेन्ज देती हुई बोली कि देखते है कौन किसकी फ़ाड़ता है। यह कह कर उसने मेरी निकर उतार दी और मेरे तन्नाते हुये लण्ड को हल्के से दबा दबा कर सहलाने लगी। इधर मैंने भी उसका पजामा उतार दिया था और अब वो भी काली पेण्टी और ब्रा में खड़ी थी।
उसका दूधिया बदन ट्यूब लाईट में चांदी की तरह चमक रहा था। और अब मुझे अपने ऊपर संयम रखना मुश्किल होने लगा॥ मैंने उसका सारा बदन चाटना आरम्भ कर दिया और अपने हाथों से उसकी चूंचियाँऔर चूतड़ दबाता रहा। और कोमल आअह्ह्ह ऊऊओह्ह ऊऊह्ह्ह ह्हहा आआयईईए सस्सीईईइ करते हुये सिसकारी भरती रही।
अब मैंने उसको कहा कि मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर चूसो परन्तु उसने बिल्कुल मना कर दिया और कहा कि उसे लण्ड चूसने में बहुत घिन आती है मैंने उसे अपना लण्ड दिखाया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मेरा लण्ड ये देखो बिल्कुल साफ़ सुथरा है। मैं रोज नहाते समय और तुम्हारे आने के पहले इसे अच्छी तरह से सफ़ाई करता हूं फिर मैं भी तो तुम्हारी चूत मस्ती से चूसूंगा। इसमें बड़ा मजा आता है।
विक्की तुम तो बड़े एक्सपर्ट लगते हो लगता है कि पहले भी तुम कई लड़कियाँचोद चुके हो। मैंने सर हिलाते हुये मना किया और बताया कि ये मैंने पोन्दी [मस्त राम की सेक्स पुस्तक] में पढ़़ा है और ब्ल्यू फ़िल्मों में भी ऐसा दिखाया जाता है। फिर वो तैयार हो गई और बोली कि एक शर्त है तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में मत झाड़ना वर्ना मुझे उल्टी हो जायेगी और जैसे ही लण्ड झड़ने को आये तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में से फ़ौरन निकाल लेना। ये कह कर वो मेरा लण्ड चूसने लगी।
अभी तक मैंने उसकी चूंचिया। और चूतड़ ही दबा रहा था। वो बोली कि तुम भी मेरी चूत को चूसो।
अब मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी भी उतार दी। वाकई में उसकी चूंचियाँ बहुत बड़ी थी, मगर थी एक दम सुडौल, बिल्कुल दो छोटे से पहाड़ की तरह से तनी हुई, जिसके निपल एकदम सीधे कड़े और तने हुये थे, एक दम दूधिया रंग के थे। उसके निप्पले गुलाबी थी बिल्कुल वो अनार के दाने के बराबर मोटे थे। हम दोनो वहीं पर लेट गये और 69 की पोजीशन में आ गये। मैंने कोमल की चूत देखी तो मैंने कहा कि कोमल ये क्या है तुमने चूत के बाल क्यों बढा रखे है इन्हे शेव क्यों नहीं करती हो।
तो वह बोली कि मैं झाण्ट शेव तो करती हू लेकिन काफ़ी दिनो में, बात ये है कि मुझे रेजर से शेव करते हुये डर लगता है और फिर काफ़ी समय जो लगता है ना। इसलिये काफ़ी दिनों के बाद मैं शेव करती हूं। चलो आगे से मैं तुम्हारी झांटे शेव कर दिया करूंगा तो कोमल इस बात के लिये सहमत हो गई।
मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ फ़िराया तो वो गीली गीली सी लगी और हल्का सा पानी उसकी झांटो पर भी लगा हुआ था॥ पहले तो मैंने अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करनी चालू की तो वो तेजी के साथ आआअह्ह ऊओह्हह ऊऊहह आययईई आअयईई स्सस्ससीईई करने लगी और बोली कि बस अब चूसना शूरु करो ना।
मैंने भी उसकी चूत के होंठ खोल कर अपना मुंह उसकी गुलाबी चूत से लगा दिया और तेजी के साथ चाटने लगा। जैसे ही मैं उसकी चूत चाटने लगा वो अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह से सटाने लगी और कहने लगी कि ह्हह्हा अन्नन ह्हहाआ आन्नन्न ह्हाआआ स्सस्सश ह्हआ आबआअस शह्हह ऐसेय ही ह्हहाआ आअन्नन्न आईस्ससीई ययई ह्ह्हहीईई और अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और गाण्ड को ऊपर उछालने लगी।
अभी उसकी चूत को चाटते हुये पांच मिनट ही हुये होंगे कि वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि ह्हआन्नन्न ब्बाहहूउत आस्सछहआ लल्लाआह्ह आग्गग रर्रहाआ हहाआऐईइ मम्मीईर्रर्रा न्नीइकलने व्वाआल्लाअ है ऊययईईए म्ममी ईरर्रराआ न्ननीकआल्ल रर्रराआआ अहाआआ ह्हाआआ आआऐईई ल्लूऊऊओ मम्माऐईईन्न ज्ज्झ हह्हा रर्रआह्हीई ह्हूऊन और यह कहते हुये उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया और मैंने अपना मुंह एक दम हटा लिया।
इधर कोमल भी काफ़ी जोर शोर से मेरा लण्ड चूस रही थी। मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हू तो मैंने उसको बता दिया तो उसने भी फ़ौरन अपने मुंह से मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया। फिर अपने हाथ से ही चार पांच झटके मारे कि मेरा भी वीर्य भी निकल गया और इतने जोरो से निकला कि काफ़ी वीर्य उसकी टांगो और चूत के आस पास गिरने से उसे गीला कर दिया।
फिर हम दोनो साथ साथ उठ कर बाथरूम में गये और मैं वहां पेशाब करने लगा तो कोमल ने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया और सुपाड़े पर से चमड़ी हटा कर बोली कि अब पेशाब करो।
वो हाथ में पकड़े रही तो मेरा कुछ पेशाब उसके शरीर पर भी पड़ा। इसके बाद वो मेरे सामने उकड़ू बैठ गई और पेशाब करने लगी, तो मैंने भी अपनी अंगुलियों से उसकी चूत के होंठ फ़ैला दिये और कहा कि वो अब पेशाब करे। उसने भी बहुत मोटी धार के साथ पेशाब करना शुरू कर दिया, उसकी धार भी काफ़ी दूर तक जा रही थी।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे के शरीर को टॉवेल से साफ़ किया और बाहर आ गये। इस छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और कोमल भी गर्माने लगी थी। हम फिर से एक दूसरे को चूमने चाटने लग गये और कोमल मेरा लण्ड सहलाने लग गई। बीच बीच में वो मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी। फिर जल्दी ही एक बार और 69 की पोजीशन में आ गये और अब कोमल मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं कोमल की चूत को चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद कोमल बोली कि विक्की अब आ जाओ, मुझ पर चढ जाओ और मुझे चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।
ये सुन कर मैं उसकी दोनो टांगो के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे कि उसकी चूत थोड़ी सी और ऊपर को उठ गई। अब मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगा कर छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुंह से एक चीख निकल गई। आअयईई म्म्माआआरर ग्गयईए ववीइक्कयई म्मीएर्रर्रीईइ सह्हूऊओत प्पप्फहात ग्ग्गयई।
मैंने अपने होठो को कोमल के होंठो पर कस कर रख दिया ताकि वो फिर से ना चीख सके और बोला कोमल इस तरह से मत चीखो नहीं तो कोई उठ ज़ायेगा और हम पकड़े जायेंगे। वो बोली कि बहुत जोर से दर्द हो रहा है मैंने कहा कि पहली बार ऐसा ही होता है और बाद में बड़ा मज़ा आता है मैं यह कह कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और होंठ चूसने लगा।
इस तरह से उसको कुछ आराम सा मिला और बोली कि हां अब दर्द कुछ कम हो रहा है। मैं 4-5 मिनट यूं ही पड़ा रहा और उसकी चूचियाँचूसता रहा और दबाता रहा जिस से उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था और चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी। अब मैंने उसके होंठो को अपने होंठो में दबा कर एक बहुत ही जबरदस्त धक्का मारा और मेरा लण्ड लगभग 6-7 इन्च उसकी चूत में घुस गया और उसकी चीख घुट कर रह गई। मैं फिर रुक गया और उसकी चूची चूसने और दबाने लगा।
कोमल को अभी काफ़ी दर्द हो रहा था और वोह कह रही थी कि विक्की अपना लण्ड अब निकाल ले मेरी तो चूत फटी जा रही है। मैंने कहा कि बस थोड़ी देर बरदाश्त करो फिर तुम्हे मज़ा ही मज़ा मिलेगा और यह कह कर उसकी चूचियाँचूसने लगा और एक हाथ से मैं उसकी चूत का दाना भी मसलने लगा जिस से उसको कुछ मज़ा आया और वो बोली कि अब फिर से दर्द कुछ कम होने लगा है। यह सुन कर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शूरु कर दिये। अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब कोमल ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया था कि अचानक वो सारी की सारी तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।
अब कोमल की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था। बस मैंने कस कर एक धक्का और मारा और सारा का सारा लण्ड कोमल की चूत में घुस गया और फिर से उसके मुंह से एक चीख निकल गई। इस बार मैं उसके होंठो को अपने होंठो से दबाना भूल गया था सो मैंने फ़ौरन हाथ उसके होंठ पर रख दिया और चीख घुट कर रह गई। मैं 5-7 मिनट यूं ही उसके उपर पड़ा रहा और कभी उसकी चूचियाँ चूसता तो कभी होंठ चूसता या फिर हाथों को उसकी जांघो पर फेरता जिस से कि कोमल को कुछ आराम मिल सके। थोड़ी देर में उसका दर्द गायब हो गया और वो नीचे से उपर को गाण्ड उछालने लगी तो मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा आ रहा है इस लिये मैंने भी उसको आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने शुरु कर दिये।
जब मैं कुछ देर यू ही आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारता रहा तो कोमल एकदम से उत्तेजित हो कर बोली कि अब उसे मज़ा आ रहा है और अब जोर जोर से धक्के लगाओ। यह सुन कर मैंने अपने धक्को कि रफ़्तार बढानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं कोमल को तेजी के साथ चोदने लगा।
अब कोमल पूरा मज़ा ले रही थी और मुंह से बड़बड़ा रही थी हाय बड़ा मजा आ रहा है विक्की जोर से चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में हहाय …स्ससीईइ सस्सीईई ऊऊफ़्फ ऊफ़्फ़फ़्फ़ हहाआऐईई मैईइ आस्ससम्म आन्न मेन्नन ऊऊद्दद्ददीई ज्जाआ र्ररह्हहि ह्हूओन म्म्माआररी और यह कहते हुये कोमल ने अपनी कमर और गाण्ड को तेजी से हिलानी शुरू कर दी और स्सस्सीईई स्सस्ससीईई करते हुये झड़ गई।
मैं अभी तक जोर शोर के साथ धक्के मार रहा था। कमरे में फचा फच की आवाज आ रही थी और मैं धमाधम धक्के मारे जा रहा था। थोड़ी देर बाद कोमल फिर से स्सस्सीईइ स्सस्सीईइ स्ससीईईइ करते हुये झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था। मैं पूरा का पूरा पसीने पसीने हो गया लेकिन धक्के लगाता ही रहा। लग भग 20 -25 मिनट तक फ़ुल स्पीड से धक्के लगने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूं और मेरे मुंह से भी अनाप शनाप निकलने लगा कि हाय म्ममेर्ररि र्राअन्ननि म्ममीर्रराअ न्नीइकल्लने ययई व्वाआआलआ हैईई तो कोमल एक दम बोली कि अपना लण्ड बाहर निकाल लो इसे चूत के अन्दर नहीं झाड़ना है वरना गड़बड़ हो सकती है सो मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया और कोमल से कहा कि हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे पीछे करो तो उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाता रहा तो दूसरा हाथ उसके चूतड़ों और गाण्ड पर फेरने लगा। कभी-2 जोश के कारण मैं अपनी अंगुली उसकी गाण्ड में भी अन्दर करने लगा। कोमल तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ऊऊफ़्फ़ ऊऊफ़्फ़ ह्हाआऐई ह्हाआआऐई करता हुअ झड़ गया।
मैंने झड़ते-2 जोश में अपना मुंह उसकी चूचियों में जोर से दबा दिया और उसकी गाण्ड में अपनी पूरी अंगुली अन्दर कर दी तो वो चिल्ला पड़ी और बोली कि क्या मेरी चूचियों को ही काट खाओगे और यह कह कर मेरा सिर अपनी चूचियों में जोर से दबा लिया। हम कुछ देर यूं ही पड़े रहे और फिर उठे तो देखा कि कोमल की चूत से खून निकल आया था जो उसकी चूत और झाण्टों पर लगा था। खून को देख कर कोमल डर गई और बोली कि विक्की लगता है कि मेरी चूत फट गई है और अब क्या होगा।
तो मैंने समझाया कि डरने की कोई बात नहीं है सभी को पहली बार ऐसा ही होता है और यह कह कर मैंने एक रूमाल से उसकी चूत और झांटो से खून साफ़ कर दिया और उसके बाद हम दोनो उठ कर बाथरूम में गये जहां पर पहले तो कोमल ने मेरा लण्ड पकड़ कर मुझ को पेशाब कराया और फिर मैंने कोमल को अपने सामने उकड़ू बैठा कर अपनी अंगुलियों से उसकी चूत को चौड़ाया और पेशाब करने को कहा। जब वो पेशाब करने लगी तो पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी अंगुली करनी शूरु कर दी और वो पेशाब करती रही। फिर हम लोगो ने अपने-2 कपड़े पहने और कोमल को उसके घर छोड़ आया।
कोमल को छोड़ने से पहले यह वायदा लिया कि अगली बार हम दोनो इकट्ठे ही बगल के बाल और झांटे साथ साथ बनायेंगे जिससे उसने कबूल कर लिया। दोस्तों, यह एक घटना है और वो रूमाल जिस से मैंने कोमल कि चूत का खून सफ़ किया था आज भी मैंने सम्भाल कर रखा हुआ है। तो यह था मेरा चुदाई का दूसरा तज़ुरबा। अब आप पढ़़ कर फ़ैसला करे कि ये आपको कैसी लगी। आप अपने कमेण्ट्स मुझे ई मैल अवश्य करे।
अखिर में मैं एक बात और कहूंगा कि मैंने बहुत सी लड़कियों की चूत चोदी है और उन्होंने भी बड़े मजे ले कर चुदवाई भी करवाई है परन्तु आज तक किसी लड़की ने अपनी गाण्ड नहीं मरवाई है। मेरी बहुत ही इच्छा है कि मैं किसी लड़की की गाण्ड मारूं पर कोई भी तैयार नहीं होती है और कहती है कि बहुत दर्द होता है। हमें गाण्ड नहीं मरवानी है। एक बार तो मैंने ही एक कॉल गर्ल बुलवाई और उससे कहा कि मैं उसकी गाण्ड मारना चाहता हूं और 5000 रुपये तय रात से अधिक दूंगा सिर्फ़ गाण्ड मारने के लिये। तो वो राजी नहीं हुई। पर जब मैंने उसे 5000 का लालच और दिया तो वो तैयार हो गई और गाण्ड मरवाने के लिये झुक गई।
जैसे ही मैंने गान्ड पर थूक लगाया और लण्ड को उसकी गाण्ड पर रख कर धक्का लगाया तो लण्ड उसकी गाण्ड में घुसते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि हाय मैं मर गई। मेरी तो गाण्ड ही फ़ट गई। मुझे नहीं मरवानी अपनी गाण्ड मुझे नहीं चाहिये तुम्हारे 5000 रुपये अगर चूत चोदनी है तो चोद लो मगर मैं गाण्ड नहीं मरवाऊंगी।
लेकिन जब मैं अन्तर्वासना पर गाण्ड मराने की कहनियाँ पढ़़ता हूं तो देखता हू कि लड़कियाँ और औरते बड़ी खुशी से गाण्ड मरवाना पसन्द करती हैं और गाण्ड मरवा कर पूरा मज़ा लेती है। ऐसे ही आज तक किसी भी लड़की या औरत ने मेरा लण्ड तो जरूर चूसा है पर उसका वीर्य किसी ने भी नहीं पिया और तो और मुंह में भी नहीं झड़वाया और झड़ने से पहले ही लण्ड को अपने मुंह से बाहर कर दिया।, जब कि कहानियों में लड़कियाँ और औरते लण्ड चूसती हुई झड़ने पर बड़े स्वाद के साथ वीर्य को पी जाती हैं और उन्हे कतई घिन नहीं आती है।
मेरा नाम राहुल है Hindi Porn Stories और मैं आगरा का रहने वाला हूँ। मेरे घर में तीन ही लोग हैं, मैं, पिताजी और माँ।
बात उस समय की है जब मैं पढ़ता था। मेरे पड़ोस में शर्मा जी का घर था, उनकी दो बेटियाँ थी, एक तो मेरे साथ ही पढ़ती थी। मैं पढ़ने में काफी होशियार था इसलिए कई बच्चे मुझसे सवाल पूछा करते थे और मैं भी सबकी मदद कर देता था। मैं अपने मोहल्ले का काफी सीधा लड़का था।
अब मैं आप लोगो को शर्मा जी की बेटियों के बारे में बताता हूँ। बड़ी का नाम सीमा और छोटी का अंशु था। दोनों की जवानी उभार पर थी पर छोटी वाली तो कुछ ज्यादा आगे थी। सीमा का फिगर बड़ा मस्त था 24-36-24, पर रंग थोड़ा सांवला था। अंशु तो गजब की बाला थी, गोरा रंग और गजब का फिगर ! ऐसा कि देखते ही चोदने का मन करे और कई लड़के तो खड़े-2 मुठ मार दें ! फिर भी मैं इन सब पर ध्यान नहीं देता था।
एक दिन की बात है, मैं शाम को घर के बाहर टहलने निकला, तभी अंशु दौड़ती हुई मेरे पास आई और कहा- दीदी आपको बुला रही है, उन्हें कुछ पूछना है।
मैं चलने को तैयार हो गया और उसके पीछे पीछे उसके घर चला गया। वहाँ देखा तो सीमा कुछ पढ़ रही थी। उसके मम्मी-डैडी कहीं बाहर गए हुए थे और घर पर बस वही दोनों थी।
अंशु ने मुझे एक सोफे पर बैठाया और पानी लेने चली गई। तब तक सीमा अपनी किताब लेकर मेरे पास आ गई। उसने आसमानी रंग की एकदम पतली नाइटी पहन रखी थी जिसमें से उसकी काली रंग की ब्रा-पैंटी साफ़ झलक रही थी।
पहले तो मैं थोड़ा शरमाया पर सब सही हो गया। वो मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई और सवाल पूछने लगी। सवाल पूछते-2 वो कुछ ऐसा कर रही थी कि उसके स्तन मुझे दिख जाएँ। मेरी नजरें उसके वक्ष पर अटक गई। वह अपनी सफलता पर थोड़ा मुस्कुराई और फिर आगे पूछने लगी।
तब तक अंशु पानी लेकर आ गई। वह आगे बढ़ी और एक कुर्सी से टकरा गई और पानी मेरी पैंट पर गिर गया। मैं घबरा गया। सीमा के स्तन देखते हुए मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था।
अंशु ने मुझसे माफ़ी मांगी और एक तौलिया दे दिया। मैं बाथरूम में चला गया। तभी सीमा वहाँ आ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं काफी डर गया और अपना हाथ खींच लिया।
वो अंशु को बुलाते हुए बोली- देख रे कैसा शरमा रहा है, जैसे कभी लड़की ही नहीं देखी।
अंशु भी आ गई और वो दोनों मुझे बेडरूम में ले गई।
मैं सिर्फ अंडरवियर और शर्ट में था।
मुझे देख कर सीमा बोली- हाय रे ! कातिल कहाँ छुपा था अब तक?
अब उन दोनों ने मुझ पर सेक्सी कमेंट्स करने शुरु कर दिए।
मैं बेचैन हो गया और उनसे कहा- मुझे जाने दो !
पर वो भला कहाँ मानने वाली थी।
अंशु ने पीछे से मुझे पकड़ लिया और मेरे शर्ट के बटन खोल दिए। सीमा भी आगे से मेरे ऊपर चढ़ गई और अपने स्तनों को मेरे सीने पर दबाने लगी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाला और मेरे लिंग को दबाने लगी।
तभी अंशु ने पीछे से एक ब्लू फिल्म चला दी और कहा- तुम तो काफी ठंडे लगते हो, क्या पहले तुमने ये सब नहीं किया?
मैंने ना में जवाब दिया।
ब्लू फिल्म देख कर मुझे भी जोश आने लगा और मेरा लिंग तनकर 8 इंच का हो गया।
मैंने सीमा की नाइटी उतार दी और ब्रा के बाहर से ही उसके उरोजों को दबाने लगा। क्या सॉलिड बूब्स थे उसके ! मन तो कर रहा था कि काटकर खा लो।
मैंने उसकी पैंटी में ऊँगली डाली और उसकी योनि में ऊँगली करने लगा। उसकी चूत में से पानी आने लगा।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और पैंटी भी उतार दी, उसने भी मेरा अंडरवियर उतार दिया। अब दोनों एकदूसरे के सामने नंगे खड़े थे। मैंने पहली बार चूत के दर्शन किए थे। उसकी गुलाबी रंग की चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसके बड़े-2 चूतड़ उसको और हसीं बना रहे थे।
मेरे लिंग को देखते ही वो बोली-कितने गंदे हो तुम ! कभी अपनी झांटें भी साफ़ कर लिया करो !
मैंने कहा- डर लगता है ! कहीं कट गया तो?
उसने अपनी बहन अंशु से ब्लेड मंगाया और कहा- आओ, मैं तुम्हारी झांटें बना देती हूँ।
वो मुझे बाथरूम में ले गई और झांटे साफ़ करने लगी और इस बीच मैं उसके स्तन दबाता रहा।
इसके बाद उसने शॉवर चला दिया और हम दोनों उसके नीचे भीगने लगे। एक तरफ पानी और दूसरी तरफ आग, पर आज पानी भी आग को नहीं बुझा पाया।
उसने मेरा लिंग मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं भी उसकी चूचियों को चूसता रहा और चूत में ऊँगली करता रहा।
उसका बदन जलने लगा और कहने लगी- अब और न तड़पाओ मुझे। चोद दो इस चूत को। फाड़ दो इसे अपने फौलादी लंड से।
मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसकी कमर पर हाथ लगाया और उसकी चूत पर निशाना लगाते हुए अपना लंड आगे दिया। पर मेरा लंड किनारे हो गया। उसकी योनि काफी कसी थी। उसकी गुलाबी चूत शायद अभी तक कुंवारी थी। मैंने २-३ बार कोशिश की पर सफल नहीं हुआ।
फिर उसने मेरे लंड पर शैंपू लगाया और अपनी योनि पर भी। अब धीरे से उसने मेरे लंड को योनि के मुख पर टिकाया और मुझसे धक्का लगाने को कहा, वो खुद भी धक्का लगाने लगी। शैंपू की चिकनाहट के कारण लिंग योनि में सरकता चला गया।
आधा अन्दर जाते ही वो जोर से चिल्लाईई और बाहर निकालने के लिए कहने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और उसके स्तन दबाने लगा। धीरे-2 उसका दर्द कम हुआ, तभी मैंने लिंग को थोड़ा बाहर खींच कर पूरी ताकत से पेल दिया। वो तड़प उठी।
मैं फिर उसके होठों को चूमने लगा। धीरे-2 वो जोश में आने लगी और अपने चूतड़ उछाल-2 कर मजे लेने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।
करीब दस मिनट बाद वो झड़ गई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया पर मैं अभी भी लगा रहा।
पाँच मिनट बाद मैंने भी वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी और उसके ऊपर लेट गया।
तभी उसकी बहन अंशु वहाँ आ गई और कहने लगी- अब मेरी प्यास भी मिटा दो।
मैंने देखा सीमा वहीं शॉवर के नीचे पड़ी है और उसकी चूत से पानी और खून निकल रहा है।
मैंने सीमा को वहीं छोड़ा और अंशु के पास पहुँच गया।
जैसा मैंने पहले ही बताया था कि अंशु सीमा से भी ज्यादा सेक्सी माल थी और ऊपर से उसका गोरा रंग और गजब ढा रहा था।
मुझे ऐसा लगा की कोई परी मेरे सामने खडी है और कह रही है- आओ, मुझे चोद दो, मेरी चूत की प्यास बुझा दो।
मैंने उसे उठाया और बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया। उसने कसकर मुझे पकड़ लिया और उसकी चूचियों का नरम-2 एहसास मुझे अपने सीने पर होने लगा।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा, धीरे से मैंने उसके होंठों को थोड़ा काट लिया। उसके पूरे बदन में आग लग गई, उसने भी मुझे चूमना शुरु कर दिया।
फिर मैंने उसे थोड़ा अलग किया और उसके स्तन दबाने लगा। वो भी मेरा लिंग दबाने लगी और लिंग को चूसना शुरु कर दिया। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैं भी उसकी चूत में ऊँगली डालने लगा और उसके स्तनों को चूसने लगा।
अंशु की योनि तो सीमा से भी मस्त और कसी थी। उसको देख कर ऐसा लगता था मानो भगवान् ने फुर्सत में उसे बनाया है।
तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने भी अपना वीर्य उसके मुँह में भर दिया, उसने पूरा वीर्य पी लिया और लिंग को चाट-2 कर साफ़ करने लगी।
मेरा लिंग एक बार फिर मैदान में आ गया और इस बार उसका निशाना सिर्फ अंशु की चूत थी। अंशु भी गरम हो गई थी और बार-2 मुझे छोड़ने का निमंत्रण दे रही थी।
मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख लिया। मुझे पता था कि अंशु की चूत भी अभी कुंवारी है इसलिए मैंने धीरे से उसकी योनि का मुँह फैलाया और उस पर लंड का सुपारा टिका दिया।
मैं उसके होंठों को चूमता रहा और एक उसके पुष्ट उरोजों को दबाते हुए हल्का सा झटका दिया और मेरा लंड आधा अंशु की चूत में पंहुच गया।
वो दर्द से चीख पड़ी पर मैंने उसे ज्यादा मौका नहीं दिया और उसके होंठों को चूसता रहा। उसकी झिल्ली फट चुकी थी, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था।
मैंने थोड़ा पीछे होते हुए पूरी ताकत से लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो तड़प उठी पर थोड़ी ही देर में उसे मजा आने लगा और वो चूतड़ उछाल-2 कर साथ देने लगी।
करीब 15 मिनट बाद वो झड़ गई। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे कुतिया की पोजिशन में कर दिया और फिर उसी तरह करीब आधे घंटे चलता रहा।
तभी उसने कहा- राहुल, अब मैं झड़ने वाली हूँ।
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए। वो मुझसे चिपक गई और निढाल हो गई।
उस रात हम तीनों ने चुदाई के कई राउंड चलाये। जिसमें दो बार मैंने उन दोनों की गांड मारी और चूत को फाड़ कर भोंसड़ा कर दिया।
उसके बाद भी हमे जब भी मौका मिलता हम पूरा फायदा उठाते।
अंशु की चूत तो अब भी वैसी ही टाइट लगती है। कई बार मैंने उनकी सहेलियों के साथ भी सम्बंध बनाए।
पर यह अगली बार।
यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी, जरूर बतायें, मुझे ईमेल करें ! Hindi Porn Stories
मैं राज मध्यप्रदेश के एक Antarvasna Stories महानगर में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ और हमेशा सोचा करता था कि अपने यौन-अनुभव भी कभी अन्तर्वासना में भेजूंगा।
यूँ तो मैं सेक्स कई बार कर चुका हूँ पर मैं अपने जीवन के कुछ सर्वोत्तम पल आपके साथ बांटना चाहूँगा।
यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था जब मैं गयारहवीं कक्षा में था। मैं एक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ मगर तब तक जीवन में कभी कोई लड़की नहीं पटाई थी। मेरा एक दोस्त था विवेक ! हालांकि हम एक स्कूल में नहीं पढ़ते थे मगर बचपन में साथ खेले और घर पास-पास होने की वजह से हमारी दोस्ती काफी अच्छी थी। हम अक्सर एक दूसरे के घर आते जाते रहते थे। विवेक की एक छोटी बहन थी जो गजब की खूबसूरत थी। मगर हाय री मेरी किस्मत- वो भी मेरे एक दोस्त नीरज से पटी हुई थी।
जब भी उसको देखता था, तो लगता था कि एक मौका तो मिले अभी पकड़ कर बस चोद डालूँ ! दिखने में जितनी सेक्सी थी उतने ही तीखे उसका तेवर थे, चलती थी तो कमर ऐसे मटकाती थी जैसे कोई फ़िल्मी हिरोइन रैंप पर मॉडलिंग करने उतरी हो ! गोरा रंग, लम्बाई ५ फ़ुट ४ इंच के लगभग थी, लम्बे बाल, भरा हुआ बदन, वक्ष-आकार 34 और एकदम चिकनी थी। हाथ रखो तो फिसल जाये ! नीरज एक रईस बाप की औलाद था और उस पर खूब पैसे लुटाता था। दिव्या और नीरज जब भी साथ में होते, या विवेक के गैरहाजिरी में जब कोई मेसेज पहुँचाना होता तो नीरज के लिए मैं ही पोस्टमैन का काम करता।
शुरू शरू में तो मज़ा आता था, बाद में मुझे गुस्सा आने लगा। यह बात दिव्या भी समझ रही थी कि मैं उसके प्रति आकर्षित हूँ, मगर कहती कुछ नहीं थी, शायद इसलिए कि मेरा उसके घर आना-जाना था, और वो हमेशा अपने प्यार को सच्चा प्यार दिखाती थी और कहती थी कि मैं शादी नीरज से करूंगी। सो मैं भी कुछ नहीं कहता, बस अपने काम से मतलब रखता था। कभी कभी मौका मिलता तो इधर उधर से ताक-झांक कर लेता था जैसे कभी मेज़ पर बैठी तो नीचे झुक के चड्डी का रंग देखना, या सामने बैठ के उसके वक्ष को घूरना, मौका मिले तो हाथ भी लगा देता था, मगर कभी उसने कुछ कहा नहीं, बस घूर के देखती थी। भाई का दोस्त होने की वजह से कुछ कहती नहीं थी। शायद डरती थी कि कहीं मैं उसके और नीरज के बारे में विवेक को बता न दूँ।
सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, परीक्षा ख़त्म हो गई थी और अब करियर बनने का समय था। इत्तेफाक से मैंने और दिव्या ने एक ही कोचिंग में प्रवेश लिया और हम दोनों साथ में आते-जाते थे। इसी बीच मैंने एक बार उसको प्रोपोज़ किया मगर उसने मुझे नीरज से पिटवाने की धमकी दी और मैं चुप हो गया। मगर सोचा कि जब मौका मिलेगा तो देख लूँगा !
एक दिन मेरी किस्मत खुल गई।
स्कूल शुरु हो चुके थे और बारिश का मौसम था। मैंने अपने स्कूल के दोस्तों के साथ फिल्म देखने की योजना बनाई। फिल्म थी दिल !
जल्दी पहुंचने की वजह से हम लोगों को पीछे की सीट मिल गई। फिल्म का इंटरवल हुआ लाइट जली तो देखा दिव्या सामने की सीट में थी मगर नीरज के साथ नहीं, किसी और के साथ !
पहले तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर बाद में समझ में आ गया कि यह तो बड़ी चालू है।
खैर मैं भी चुप रहा और ऐसे बैठ गया कि वो मुझे ना देख पाए लेकिन मैं उसे देख सकूँ।
फिल्म के मध्यांतर के बाद मैंने देखा कि वो लड़का उसको इधर-उधर हाथ लगा रहा था और वो हिल-डुल रही थी। समझते देर नहीं लगी कि उनकी चूमा-चाटी चल रही है।
फिल्म ख़त्म हुई तो मैंने अपने दोस्तों से बहाना बना लिया कि मुझे कुछ खरीदना है, तुम लोग घर निकल जाओ।
अब मैंने अपनी बाइक स्टैंड से निकाली और दिव्या और उसके दोस्त का गेट से निकलने का इंतज़ार करने लगा। वो निकले, मैं उनका पीछा करने लगा। थोड़ी दूर ही एक पार्क है, जहाँ दिन के समय कोई आता जाता नहीं है, वो लोग उसमें चले गए, मैंने भी साइड में गाड़ी लगा दी।
मैंने देखा कि वो दोनों कोने में बैठ गए। मैं भी एक पेड़ पर चढ़ कर तमाशा देखने लगा कि देखें क्या करते हैं।
थोड़ी देर बाद लड़का उसके स्तन दबाने लगा। वो भी गरम हो गई थी, लड़के ने उसकी शर्ट अस्त-व्यस्त कर दी थी और उसका एक स्तन बाहर निकाल के चूस रहा था।
मैंने मौका देखा और एकदम से उनके सामने आ गया और दिव्या को एक झापड़ रसीद किया। वो एकदम से सकते में आ गए। दिव्या का एक स्तन अभी भी बाहर था। मैंने उस लड़के को भी दो झापड़ मारे और सीधे दिव्या को डाँटने लगा, कहा- घर चल ! मम्मी पापा और सबको बताऊँगा !
उस लड़के ने सोचा कि मैं कोई उसके घर का हूँ, वो वहाँ से भाग गया। अब मैं और दिव्या वहाँ अकेले रह गए। उसने बहाना बनने की कोशिश की तो मैंने पिक्चर हाल से लेकर अब तक का पीछा करने की सारी बात बता दी और यह भी कहा कि नीरज को सारी बात बता दूँगा और तेरे घर में भी !
वो डर गई और मुझसे माफ़ी मागने लगी।
अब मेरी बारी थी, मैंने उसको धीरे से सहलाया और कहा- ठीक है, पर जो कहूँगा वो करना पड़ेगा !
उसने मुझे तिरछी निगाहों से देखा और कहा- ठीक ! फिर नीचे देखकर कहा- ठीक है, मगर वादा करो कि किसी को कुछ नहीं कहोगे !
मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसके वक्ष पर हाथ रख दिया और दबाते हुए कहा- अब बोलो क्या सब कुछ?
तो उसने कहा- हाँ !
अरे मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी। उसको बाइक पर बिठाया और सीधे उसको लेकर उसके घर पहुँचा। मुझे पता था कि अंकल- आंटी जॉब पर गए होंगे और विवेक चार बजे स्कूल से आएगा… मतलब लगभग दो घंटे थे मेरे पास…
अब हम घर के अन्दर आये, तब तक वो सामान्य हो गई थी। मैंने उससे कहा- एक ग्लास पानी ला दो !
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर लिया और सीधे उसके पीछे रसोई में चला गया। उसके हाथ में ग्लास था, मैंने पानी पिया और उसको पकड़ लिया।
उसने कहा- राज नहीं, मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो और यहाँ से जाओ…
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, जाता हूँ, शाम को आऊँगा और सबको सब कुछ बता दूंगा !
यह कह कर मुड़ गया…..
उसने कहा- तुम ऐसा नहीं करोगे….
तो मैंने कहा- तू कुछ भी करे तो ठीक ! और मैं तुमको प्यार करना चाहता हूँ तो तुमको गलत लगता है…….
वो रोने लगी, मैंने आगे बढ़कर उसके आँसू पौंछे और कहा,”पगली… मैं भी तुमको बहुत चाहता हूँ…. मगर तुमने कभी समझा ही नहीं…….
तो उसने कहा कुछ नहीं मगर प्यार से मुझे पप्पी दे दी……
अब क्या था ! हो गई बल्ले बल्ले……..
मैंने उसको बेडरूम में चलने को कहा तो उसने बोला- कोई आ जायेगा तो क्या करेंगे?
मैं बोला- बोल देना कि ट्यूशन का होमवर्क कर रहे थे।
इसके पहले वो कुछ कह पाती, मैंने उसको अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले आया।
उसने कहा- राज ! कोई आ गया तो क्या होगा? मैंने कहा- मैंने दरवाजा बंद कर दिया है और अब तुम कुछ मत सोचो !
फिर मैंने उससे बेड पर बैठाया और उसके वक्ष पे हाथ फ़ेरते हुए उसके शर्ट के बटन खोल दिए। दिव्या शांत लेटी हुई थी, उसके बदन में कोई भी हरक़त नहीं हो रही थी। अच्छा तो नहीं लग रहा था, मगर मैं यह अवसर जाने नहीं देना चाहता था, सो शर्ट खोलने के बाद उसका स्कर्ट भी खोल दी और अब वो सिर्फ मेरे सामने ब्रा-पेंटी में थी। देर न करते हुए मैंने उसके दोनों अधोवस्त्र भी अलग कर दिए।
वाह, क्या सीन था ! वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी, उसके दोनों स्तन लाजवाब थे, गोल-गोल और उन पर गुलाबी चुचूक देख कर मज़ा आ रहा था।
मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके और उसके पास लेट गया और उसके बालों को सहलाया और गाल पर चूम लिया। मैं यह जान गया था कि अब बाज़ी मेरी है।
मैंने उससे कहा- दिव्या ! अब मेरे तुम्हारे बीच कोई पर्दा नहीं रहा ! तुम मेरा साथ दो और जीवन के मज़े लूटो ! आखिर तुम भी तो यही करना चाहती थी !
ये कहते ही मैं उसके रसीले होंठों को चूमने लगा एक हाथ से उसके गोले मसल रहा था और दूसरे से उसकी जांघ ! और चूत से खेलने लगा।
धीरे धीरे उसके बदन में भी हरक़त होने लगी। तब मैंने उसे कहा- अपनी टाँगे फ़ैलाओ !
तो उसने साथ दिया, मैंने भी देर न करते हुए अपनी जीभ सीधे उसकी चूत में डाल दी और चाटने लगा। थोड़ी देर में वो कसमसाने लगी और उसका पानी चूने लगा।
मैं बोला- तुम भी मेरा पप्पू मुँह में लो !
और यह कहते ही उसके होंठों में मैंने अपना लण्ड रख दिया। मेरे लण्ड को देखते ही वो डर गई क्योंकि मेरे लण्ड का आकार सात इंच का है और काफी तगड़ा है।
वो वोली- इतना मोटा? क्या तुमको कोई बीमारी है?
मैंने कहा- नहीं पगली, यह तो सामान्य है !
तो उसने कहा- नीरज का तो छोटा सा है ! ( दिल में ख़ुशी हो रही थी कि अब वो मुझसे खुल रही है और बात भी कर रही है)
मैंने कहा- तो तुमने उसके साथ सेक्स कर लिया है?
तो वो बोली- नहीं, एक बार उसको सु-सु करते देखा था।
मैंने कहा- अच्छा !
फिर वो बोली- तुम कुछ करना नहीं ! नहीं तो मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा मेरे हिसाब से बहुत बड़ा है !
मैंने कहा- कोशिश करने में क्या जाता है, वैसे लड़कियों की योनि में यह आराम से फिट हो जाता है, प्रकति का नियम है।
तो बोली- नहीं राज ! मुझे डर लग रहा है।
मैंने कहा- अच्छा इसको चूसो तो सही !उसने मुँह खोला और धीरे धीरे करते हुए पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया। मेरा एक हाथ अब भी उसके स्तन मसल रहा था और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।
लगभग पाँच मिनट के बाद मैंने बोला- अब लेटो !
तो वो मना करने लगी।
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा !
थोड़ा मनाने के बाद वो मान गई और टाँगें फैला ली, मैंने ऊँगली से उसकी चूत को चौड़ा किया और अपना सुपारा उसमें टिका दिया और धीरे से अन्दर डाला। लगभग एक इंच तक वो वोली- नहीं ! दर्द हो रहा है !
मैंने बोला- पप्पू राजा अपनी जगह बना रहा है, अब मज़ा आएगा ! और बोलते ही तेज़ झटका दिया। लगभग आधा लण्ड अंदर था। वो चीख पड़ी- हाय मर गई ! मरी मैं तो !
मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसके ऊपर लेट कर धीरे धीरे हिलने लगा।
अब उसको भी अच्छा लग रहा था, मगर मुझे अन्दर कोई चीज़ अड़ सी रही थी। फिर मैंने उसके होटों पे अपने होंठ रख दिए और पूरा जोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड एकदम अन्दर चला गया, वो चीख रही थी, उसकी आँखों से आंसू आ गए थे।
मैं शांत हो गया और उसके ऊपर हाथ फेरने लगा। दो-तीन मिनट तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया तो वो बोली- बहुत दर्द ही रहा है ! प्लीज़ निकाल लो !
मैंने कहा- हाँ ! पर अब तो जो होना है हो गया ! तुम मेरी हो गई हो !
उसने भी मुस्कुराते हुए अपनी मुंडी साइड में छिपाने की कोशिश की।
मैंने कह दिया- अब चलो, जिन्दगी के मज़े लूटते हैं !
वो कुछ नहीं बोली। मैं अब अपना शरीर आगे-पीछे करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और अजीब अजीब सी मुखाकृतियाँ बनाते हुए सिसकियाँ ले रही थी। मेरे शरीर के धक्कों के साथ उसके स्तन भी ऊपर-नीचे हो रहे थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
लगभग 15 मिनट के बाद मुझे कुछ होने लगा। इससे पहले कि कुछ समझ पाता, मेरे लण्ड से पिचकारी फ़ूट पड़ी। मेरा वीर्य उसकी चुद में ही गिर गया।
अब मैं निढाल हो गया, धीरे से अपना लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसका बिस्तर खून से लाल था, मेरे लण्ड में भी काफी जलन हो रही थी, दोनों ने एक साथ जो अपना कुवांरापन खोया था और दुनिया के सबसे कीमती सुखों में से एक प्राप्त कर लिया था।
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और अब उसने अपना सर मेरी छाती पर रख दिया और दोनों आराम से लगभग दस मिनट तक वैसे ही पड़े रहे। बातों ही बातों में मैंने उससे उस लड़के के बारे में जानकारी हासिल कर ली और उसको कहा- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा और यदि तुम ठीक रही तो आगे चल के तुमसे शादी भी कर लूँगा।
उसने मुझे पहली बार अपने मन से एक पप्पी दी, मुझे बहुत अच्छा लगा।
तभी समय देखा तो साढ़े तीन हो रहे थे। मैं उठा और कहा- अब विवेक आने वाला है, अब मुझे जाना चाहिये !
वो भी उठी मगर लड़खड़ा गई, मैंने उसे सहारा दिया, वो सीधे बाथरूम गई, मैं भी साथ-साथ गया, देखा कि वो बैठ के मूत रही थी। फिर उसने सबसे पहले बेडशीट उठाई और पानी में डाल दी।
मैंने पूछा- क्या तुम नोर्मल हो?
उसने कहा- हाँ, थोड़ा दर्द है !
मैंने कहा- ठीक है ! मैं जाता हूँ ! और चला गया।
शाम को मैं विवेक और नीरज से मिला, उनको कहा- दिव्या को एक लड़का छेड़ता है, जो उसके साथ पास वाली ट्यूशन में है।
हम लोग मिल गए और फिर अगले दिन तीन चार और दोस्तों को लेकर उस लड़के की जम से धुनाई की। वो मुझे दिव्या का भाई समझ रहा था और माफ़ी मांग रहा था।
इस तरह रास्ते का एक कांटा साफ़ हो गया। अब नीरज की बारी थी… मुझे मालूम था कि बहुत जल्द उसके मम्मी पापा उसका पढ़ने के लिए दिल्ली भेजने वाले हैं और वो यदि चला गया तो दिव्या मेरी कही कोई बात नहीं टालेगी।
और फिर हुआ भी वही… अगले साल वो दिल्ली चला गया। फिर मैंने लगभग तीन साल तक दिव्या के साथ मज़े किये, मगर हम दोनों अलग अलग कॉलेज में ले लिए।
एक दिन मैंने फिर उसको किसी और के साथ देखा, उसी समय उसके पास गया और दो तमाचे जड़े और कहा- अब सब ख़त्म ! हालांकि उसके बाद भी हम जिंदगी मज़े लेते रहे !
फ़िर उसकी शादी हो गई, मेरी भी शादी हो चुकी है…
मगर साल में मुझे उससे एक बार सम्भोग करने का मौका मिल ही जाता है ! वो भी मज़े में और मैं भी !
बाय दोस्तो ! अगली कहानी के साथ मैं बहुत जल्द आऊँगा। Antarvasna Stories
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