Our site can help you find a professional massage girl in Morigaon who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Morigaon that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Morigaon massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Morigaon who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Morigaon massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Morigaon massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Morigaon who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Morigaon employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Morigaon helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Morigaon
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Morigaon at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
हेलो दोस्तो! मैं अपने दोस्त सूरज के Sex Stories यहाँ घूमने गया था। उसके परिवार में वो, उसकी बहन सिया और मम्मी डैडी हैं। मेरा पहला यौन-सम्बंध सिया संग हुआ था।
रात के करीब नौ बजे खाना खाने के बाद सूरज, सिया और मैं रज़ाई औढ़े अंताक्षरी खेल रहे थे। मेरी बगल में सूरज और सामने सिया बैठी थी। आध घण्टे से मेरे पैर मुड़े होने के कारण दर्द करने लगे थे तो मैंने अपने पैर सीधे कर लिए।
मुझे महसूस हुआ कि मेरा पैर किसी मुलायम चीज़ से छू रहा है। मैंने अपने पैर के अंगूठे को धीरे धीरे हिलाया तो समझ गया कि वो मुलायम चीज़ सिया की चूत है, परन्तु सिया मुझे कुछ कह नहीं रही थी, चुपचाप अन्ताक्षरी खेल रही थी। एक घण्टे बाद हम तीनों एक साथ सो गए। बीच में सूरज सोया था। मेरी आंखों से नींद गायब थी। मैं कैसे भी सिया को चोदना चाहता था।
रात के करीब दो बजे सिया बिस्तर से उठ कर बाथरूम जा रही थी, मैं भी उठा, उसके पीछे पीछे बाथरूम में घुस गया और उसे पीछे से अपनी बाहों में ले लिया।
पहले तो वो घबराई, ऐसे दिखाने लगी कि रात वाली घटना से अन्जान हो, लेकिन मैं पूरे जोश में था, जैसे ही उसकी चूत पर हाथ रखा, वो चिहुंक गई और अपनी आंखें बंद कर ली- प्लीज़ रंजन भैया मत करो! मुझे कुछ होता है!’
‘क्या होता है?’
‘पता नहीं लेकिन बहुत अच्छा लगता है!’
‘अब और मज़ा आएगा मेरी प्यारी सिया! साथ दोगी?’
‘हाँ! लेकिन मैं गर्भवती तो नहीं हो जाऊँगी?’
‘नहीं’
मैंने उसकी चूची पर हाथ रखा ओर आहिस्ते से सहलाने लगा। मैं उसके कमसिन होठों का रस पीने लगा- कैसा लग रहा है?’
‘शऽऽऽ मत पूछिए बस करते रहिए आहऽऽऽ’
मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर से खोल दिया, अन्दर उसने गंजी पहनी थी। गंजी के ऊपर से मैं सिया की चूची मसलने लगा।
सिया भी अपना हाथ मेरे लण्ड के ऊपर रख कर लण्ड को मसलने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मेरा पायज़ामा खोल दिया। मेरे लण्ड को अन्डरवीयर से निकाल कर अपने हाथ से मुठ मारने लगी। मैं भी ताव में आ गया और उसकी गंजी उतार कर उसकी चूचियों को आज़ाद कर दिया और मुंह में ले कर चूसने लगा।
‘हायऽऽऽ जरा जोर से दबाईए ना! बहुत मज़ा आ रहा है!’
‘तुमने पहले किसी से…’
‘नहीं भाई, लेकिन ब्लू फ़िल्म देखती हूं!’
‘अच्छा! ‘
‘क्या आप मेरी बुर को चूसना पसन्द करेंगे?’
‘क्यों नहीं.. लेकिन पहले तुम मेरे लण्ड को चूस लो… उसके बाद…’
सिया नीचे झुकी और मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। मैंने उसकी सलवार उतार कर उसे पूरी तरह नंगी कर दिया। मेरे शरीर पर भी कोई कपड़ा नहीं था, हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।
‘क्या हम एक दूसरे का बुर और लण्ड चूसें?’
‘हाँ बिल्कुल!’
वो जमीन पर लेट गई, मैंने अपना लण्ड उसके मुंह में डाल दिया और अपना चेहरा उसकी बुर पे ले गया। सिया की बुर की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैं अपनी जीभ से उसकी बुर का रस पीने लगा।
‘अब प्लीज़ मुझे चोदिए!’
मैं खड़ा हो गया, उसने लेटे हुए अपने पांव ऊपर किए। मैंने अपना लण्ड जैसे ही उसकी बुर पर रखा, सिया की बुर भट्टी की तरह जल रही थी। उसके चूसने से मेरा लण्ड गीला था। मैंने जोर से लण्ड को उसकी बुर में डाला- प्लीज़ निकाल लो! बहुत दर्द हो रहा है’
मैंने देखा मेरे लण्ड का आधा सुपारा उसकी बुर में है और बुर से खून निकल रहा है। मैं उसके होंठ चूसने लगा ओर जोर जोर से चूचियों को मसलने लगा, धीरे से लण्ड को भी अन्दर करता रहा।
थोड़ी देर में सिया कमर हिलाने लगी। मैं भी अब पूरे जोर से उसकी बुर को चोदने लगा.’आ आ अई आहऽऽऽ और तेज़ऽऽ…’
‘उफ़्फ़’
‘आआह्हऽऽ’
‘मेरा गिरने वाला हैऽऽऽ प्लीज़ और तेज़ऽऽ!’
सिया मुझसे चिपकने लगी। इस तरह हम दोनों एक साथ झड़ गए और काफ़ी देर तक एक दूसरे के साथ चिपके रहे।
उसके बाद हम बिस्तर पर आकर सो गए। Sex Stories
मेरा नाम राहुल है, मैं Sex Stories द्वितीय वर्ष का छात्र हूँ। मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ वह गत वर्ष ग्रीष्मकाल की है।
मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है। उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।
एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए मैंने दीदी से कहा- क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।’
वह भी राजी हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए। उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे। फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी हो चुकी थी।
आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा।
मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर में तम्बू बना रहा था।
मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।
पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों शरमाऊँ?
मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी। वाऊ… क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी पेटीकोट भी निकाल दी। वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।
उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था।
वह मेरे पास आकर सो गई। हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।
आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया।
दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं।
मैंने उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह मेरी ओर घूम गई। मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई।
लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर। मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी। मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई। मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा।
थोड़ी ही देर बाद उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ।
उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे लंड को मसलने लगी, फिर उसने मेरे कान में कहा- वीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।’
मैंने भी दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था। वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़ उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।
मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने बाद में अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच में डाला और उसे आगे-पीछे करने लगा। वाऊ… क्या चूचियाँ थीं उसकी, मैं तो पागल हुआ जा रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने कहा- वीजू, प्लीज़, अब रहा नहीं जाता, लंड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो।
मैं उसके ऊपर फिर से लेट गया और मैंने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रखा और एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा लण्ड अन्दर चला गया।’
इस पर वह मुस्कुराई और बोली- अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।’
फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी।
वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं, वह कह रही थी- वीजू… चोदोओओओ… और ज़ोर से चोदोओओओओ… अपनी दीदी की चूत आज फाआआआड़ डालो… ओह.. वीजू… डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो… बहुत मज़ा आ रहा है।’
उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की। Sex Stories
यह मेरे पड़ोस में Antarvasna रहनी वाली विश्रांती-रेशमा की कहानी जिनको मैंने गणित सिखाने के बहाने कैसे चोदा।
एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था। उस दिन विश्रांती और रेशमा दोनों मेरे घर चली आई। मैं उनके लिए चाय बनाने के लिए रसोई में गया। वे दोनों गप्पे हाँक रही थीं… मैं पीछे छुप कर उनकी बात सुन रहा था।
विश्रांती- रेशमा, मैं कुछ पूछूँ तुझे?
रेशमा- हाँ विश्रांती, पूछ ना!
विश्रांती- आजकल सुहास और तू दोनों हमेशा इतने खुश रहते हैं, इसके पीछे कोई खास बात तो नहीं है?
रेशमा- अरे नहीं विश्रांती! वो मुझे गणित का प्रोब्लम है इसलिए मैं अकसर उसके घर जाती हूँ, इसमें बुरा क्या है?
विश्रांती- रेशमा, तुम रोज दरवाजा क्यूँ बंद करके पढ़ते हो?
रेशमा- अरे विश्रांती वो तो ऐसे ही कि कोई तंग न करे!
विश्रांती- रेशमा, तू तो ऐसे जवाब दे रही हो जैसे कि मैं बच्ची हूँ, मुझे कुछ पता ही नहीं है।
रेशमा- तू ऐसा क्यूँ बोले रही है?
विश्रांती- मैंने एक दिन दरवाज़े पर कान लगा कर आपकी पढ़ाई की कहानी सुनी थी! मुझे सब पता है वहाँ कैसी गणित की पढ़ाई होती है!
रेशमा मुस्कुराते हुए- अच्छा तो तुझे सब पता है! तो ऐसा बोलो ना! देखो किसी से बोलना मत! तो तू चाहती है कि सुहास तुझे भी ऐसे ही गणित सिखाए?
विश्रांती- चाहने से क्या होगा रेशमा!
रेशमा- अच्छा यह बता! तेरे स्तन से दूध अभी भी आता होगा ना?
विश्रांती- हाँ रेशमा, दूध तो निकलता है और अब बच्ची भी नहीं पीती… सो भरा हुआ है…
रेशमा- तब तो सुहास जरूर तुम्हें गणित सिखाएगा, रुक जा मैं उसे कल हिंट दे दूँगी!
तभी मैं नाश्ता लेकर वहाँ आ गया। तुरंत दोनों ने विषय बदल दिया।
उसी दिन शाम को फ़िर विश्रांती मेरे घर चली आई।
विश्रांती- सुहास, रेशमा जैसे मुझे भी गणित सिखाओ ना!
मैं- विश्रांती तुझे भी गणित सीखना है…
विश्रांती- सुहास, तुझसे कुछ सवाल पूछने हैं…
मै- हाँ विश्रांती, रेशमा ने बोला था… मैं तेरा ही इन्तज़ार कर रहा था, हा पूछ ना!
मैं- विश्रांती तुम सलवार-कमीज में बहुत खूबसूरत लग रही हो…
विश्रांती- तुझे अच्छा लगा यह ड्रेस?
मैं- हाँ विश्रांती, तू ऐसे ही ड्रेस पहना कर… बहुत अच्छी लगती है… पूछ क्या पूछना है?
विश्रांती- तू तो बस रेशमा से ही बातें करता है…
मैं- नहीं विश्रांती ऐसी कोई बात नहीं है… तू भी बहुत अच्छी है…
बात करते करते विश्रांती ने अपना दुपट्टा सरका दिया… विश्रांती के उभार अब छुपाये नहीं छुप रहे थे… मैं भी अपने आप को रोक न सका… विश्रांती की चूचियों को देखने लगा…
विश्रांती- सुहास, मुझसे नज़रें भी नहीं मिला रहे हो… क्या देख रहे हो नीचे?
मैं- विश्रांती कुछ नहीं, सच्ची में तू भी बहुत अच्छी है…
विश्रांती- तू मुझसे नजरें क्यूँ नहीं मिलाता… क्या देख रहा है नीचे?
मैं- कुछ नहीं विश्रांती…
विश्रांती- कहीं तू मेरे सीने को तो नहीं देख रहा?… बदमाश!
मैं- विश्रांती मैं साफ बोलूँ तो गुस्सा नहीं होगी ना?
विश्रांती- नहीं सुहास, तू मेरा दोस्त है उसमें क्या गुस्सा करना!
मैं- विश्रांती तेरे वक्ष इतने अच्छे और बड़े हैं कि मेरी नज़र ही नहीं हट रही है वहाँ से…
विश्रांती- ये तो मेरी बच्ची को दूध पिलाने के लिए हैं….
मैं- विश्रांती, तेरी बच्ची तो अब बड़ी हो गई है! उसे अभी भी दूध पिलाती हो?
विश्रांती- नहीं! अब ओ नहीं पीती दूध!
मैं- विश्रांती, तेरी चूची में दूध है क्या?
विश्रांती- हाँ अभी भी दूध है… इसलिए तो इतने बड़े हैं!
मैं- विश्रांती मुझे प्यास लगी है…
विश्रांती- ठहर, मैं पानी लेकर आती हूँ…
मैं- विश्रांती, पानी नहीं दूध पीना है… चूची का दूध…
विश्रांती- बदमाश! कोई ऐसे दूध पीता है भला?
मैं- क्यूँ नहीं? पीने दो न… तेरे दूध का क़र्ज़ जरूर चुकाऊँगा…
विश्रांती- अच्छा ठीक है पी ले… काफी दिन से भरी हुई हैं… खाली करने वाला कोई है नहीं…
फिर विश्रांती ने अपना कमीज़ उतार दिया… अब विश्रांती ब्रा में आ गई…
विश्रांती- आ जा सुहास! मेरी गोद में आ… तुझे अपने बच्चे की तरह पिलाऊँगी…
मैंने विश्रांती की गोद में सिर रख लिया… विश्रांती ने अपनी ब्रा उतारी… और अपनी चूची को ख़ुद मेरे मुँह में डाल दिया… लो सुहास पी लो… अच्छे से पीना…
उसके बाद मैं दूध का प्यासा विश्रांती का दूध मेमने की तरह पीने लगा… कभी बाईं चूची से तो कभी दाईं से…
साथ में चूची सहला भी रहा था।
विश्रांती- तू तो ऐसे पी रहा है जैसे जन्मों से प्यासा हो!
मैं- विश्रांती, तूने मुझे वो खुशी दी है कि मैं सदा तेरा आभारी रहूँगा… तू जो बोलोगी वो सब करूँगा…
विश्रांती- जो बोलूंगी वो करेगा?
मैं- हाँ विश्रांती, तू एक बार बोल के तो देख…
विश्रांती- अच्छा ठीक है… सुन, मेरे नीचे में ना काफी खुजली हो रही है… ज़रा मेरी खुजली मिटा दे ना?
मैं- नीचे कहाँ विश्रांती?
विश्रांती- तू सब जानता है फिर क्यूँ पूछ रहा है?
मैं- बोलो ना विश्रांती! तेरी मुँह से सुनना चाहता हूँ।
विश्रांती- अच्छा, चल मेरी चूत में खुजली हो रही है… मिटा दे ना…
मैं- कैसे मिटा दूं? उंगली से या चाट के? या फिर लंड ही डाल दूँ?
विश्रांती- मुझे तो तीनों की खुजली हो रही है…
मैं- विश्रांती, मैं तेरी चूत का ख्याल रखूंगा…
विश्रांती- अपनी रेशमा से भी ज्यादा ख्याल रखेगा ना… . रेशमा तो तेरे लंड की बहुत तारीफ करती है…
मैं- तुम लोग ये सब बातें भी करती हो?
विश्रांती- तुझे कौन ज्यादा अच्छी लगती हैं?
मैं- विश्रांती, अभी तूने अपना पूरा जलवा दिखाया कहाँ है?
विश्रांती- अच्छा तो यह बात है? तो जितना जलवा देख चुके हो उसमें कौन ज्यादा अच्छा लगा?
मैं- विश्रांती, इसमें तो पूछने की कोई बात ही नहीं है… रेशमा की चूची में अमृत तो है ही नहीं! दूध तो तू ही पिला सकती है… तब इसमें तू ही न हुई रानी… विश्रांती, अब तू अपने कुछ और जलवे भी दिखा ना!
विश्रांती- हाँ सुहास तेरी विश्रांती, आज ऐसे जलवे दिखायेगी कि तू पागल हो जायेगा…
और फिर विश्रांती ने अपने कपड़े खोलने शुरु किये… विश्रांती जब पेंटी और ब्रा में आ गई तो मैं उसकी मदद करने लगा…
मैं- विश्रांती, लाओ अब मैं खोल दूं!
विश्रांती- हाँ सुहास! आ अपनी विश्रांती को नंगी कर दे…
विश्रांती मेरे पास आ गई… मैं विश्रांती की ब्रा को खोल के प्यार से सूंघने लगा… . विश्रांती की मादक मुस्कराहट ने और भी मजा भर दिया… फिर विश्रांती की पेंटी को एक ही झटके में खोल दिया… .पेंटी की मादक सुगंध मुझे दीवाना कर रही थी।
फिर विश्रांती अपने हाथ मेरी पैंट के ऊपर से लंड को सहलाने लगी… . मेरी हालत भी ख़राब हो रही थी… . मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं मैं झड़ ना जाऊँ. विश्रांती ने देखते ही देखते मुझे पूरा नंगा कर दिया… .अब कमरे में दो नंगे एक दूसरे से खेलने लगे… विश्रांती मेरे लंड से ऐसे खेल रही थी कि कोई बच्चा अपने सबसे मनपसंद खिलौने के साथ खेलता है…
विश्रांती- सुहास, तेरा लंड तो काफी बड़ा है रे…
मैं- विश्रांती मेरे लंड से ऐसे खेलोगी तो ये जल्दी ही ढीला हो जायेगा… .
विश्रांती- क्या करूँ सुहास, ऐसे लंड मेरे हाथ में पहली बार आया है… .
मैं- विश्रांती तुझे पता है रेशमा तो इसे आइसक्रीम से भी अच्छा प्यार करती है…
विश्रांती- वाह रे बदमाश! अपनी विश्रांती को लंड मुँह में लेने बोल रहा है… .ये गरम आइसक्रीम सच में है तो मुँह में लेने के लिए ही…
मैं- विश्रांती तो ले लो ना इसे…
फिर विश्रांती प्यार से मेरे लंड को चूसने लगी… . इतना तो पता चल ही गया था कि विश्रांती को लंड चूसने में बहुत मजा आता है… रेशमा ने इतने प्यार से कभी नहीं चूसा था… फिर जब विश्रांती मेरे लंड से खेल रही थी… मैं विश्रांती की चूची को मज़े देने लगा… . इतनी मुलायम चूचियाँ को सहलाना, नीचे लंड का विश्रांती से चुसवाना… सच्ची काफ़ी बढ़िया कॉम्बिनेशन है…
मैं- विश्रांती, लंड चुसवाने में इतना मजा आज तक नहीं आया… विश्रांती मेरा मुँह भी रसपान के लिए तड़प रहा है, विश्रांती उल्टा-पुल्टा करें… .
विश्रांती- उल्टा पुल्टा ये क्या होता है रे?
मैं- क्या विश्रांती! तू मुझसे पूछेगी तो कैसे चलेगा… .अच्छा चल, मैं बताता हूँ- उल्टा पुल्टा मतलब तू मेरे ऊपर रह कर मेरा लण्ड चूसना और मैं नीचे से तेरी चूत का रसपान करूँगा!
विश्रांती- अच्छा तो तू 69 पोज़िशन की बात कर रहा है… अच्छा नाम है उल्टा पुल्टा… चल इसमें तो और भी मजा आएगा…
फिर हम एक दूसरे से मज़े लेने लगे… विश्रांती की चूत का स्वाद आते ही मन चंगा तो आया था… विश्रांती की चूत काफी गीली हो गई थी… . इसलिए चाटने में बहुत मजा आ रहा था… मैं विश्रांती को बहुत मन से चाट रहा था… . विश्रांती भी काफी उत्तेजित हो गई थी… विश्रांती ने अचानक इतना पानी निकाला कि मेरा मुँह उनके रस से भर गया था।… ऐसा मजा विश्रांती ने दिया कि बस मैं तो उनका दीवाना हो गया था…
मैं- विश्रांती तेरा रस कितना स्वादिष्ट है… अब मेरा रस भी निकाल दे… अब मेरी लंड तेरी चूत के लिए और नहीं तड़प सकता…
विश्रांती- आ न सुहास… अब ऐसा चोद कि बस मैं पानी पानी हो जाऊँ…
फिर विश्रांती बिस्तर पे लेट गई… अपनी चूत एकदम फाड़ के मुझे अपने तरफ बुलाने लगी… चूत तो जैसे कि लंड के लिए बनी हो… मैंने भी अपना लंड हाथ में लेकर उसकी चूत पर लगा दिया…
विश्रांती- दे धक्का!… चोद अपनी विश्रांती को… चोद…
मैं- ले विश्रांती… ये गया मेरा लंड तेरी चूत में… चुद अपने सुहास से मेरी प्यारी विश्रांती…
फिर विश्रांती गाण्ड उठा उठा कर मेरा लंड लेने लगी… मैं भी विश्रांती को जी जान लगा के चोदने लगा… फिर विश्रांती ने कुतिया बन के मुझे कुत्ता बना दिया… उस पोजिशन में बहुत मजा आया… फिर विश्रांती मेरे ऊपर सवार हो गई… इसमें तो मेरा लंड सबसे ज्यादा अंदर तक जा रहा था… करीब मिनट के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया… विश्रांती ने बड़े प्यार से फिर मेरे लंड को साफ़ किया… वो मुझे बेतहाशा किस कर रही थी… विश्रांती बहुत खुश थी…
विश्रांती- अपनी विश्रांती को चोदने में कैसा लगा… रेशमा को चोदने में ज्यादा मजा आया था क्या?
मैं- नहीं विश्रांती तू कुछ माल है… तुझे चोदने में बहुत मजा आया… मैं अब तुझे ही चोदूंगा…
विश्रांती- अरे नहीं सुहास! दोनों को चोदना… रेशमा भी बहुत अच्छी है उसने ही तो मुझे तेरा लंड दिलाया… तू उसे कभी नाराज़ न करना…
फिर मैं रेशमा और विश्रांती के साथ मस्ती करने लगा… दोनों प्यार से मुझसे चुदती हैं…
आपको यह हिंदी सेक्सी स्टोरी अच्छी लगी? मेल करना… Antarvasna
रामजीलाल को गिड़गिड़ाता हुआ देखकर अनुपमा Sex Stories बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
रामजीलाल यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं?
अनुपमा- जो सुन रहे हो, वही कह रही हूँ। ज़ल्दी से अपनी अण्डरवियार खोलो और अपना लंड दिखाओ मुझे। मैं भी तो देखूँ कि इतना कितना लम्बा लंड है तुम्हारा कि अमर उसे देखकर डर गया।
रामजीलाल किसी तरह सँभले, पर वह यह समझ गए कि अनुपमा की चूत में खुज़ली मच गई है वरना वह ऐसा नहीं कहती। अच्छा मौक़ा है इसे चोदने का वर्ना आज नहीं तो फिर कभी यह मेरे हाथ नहीं आएगी।
रामजीलाल का लंड अनुपमा को चोदने के ख्याल से ही फिर खड़ा हो गया। अपनी अण्डरवियार खोली तो लंड फिर से उफान पर था। अनुपमा लंबे और मोटे लंड को देखकर खुश हो गई। उसे हाथों में लेकर बोली- वाह समधी जी। आपका लंड तो अच्छा-ख़ासा लम्बा और मोटा है। अब आपकी असली मेज़बानी का समय है।
रामजीलाल फिर से रंग में आ गए और बोले- कसर तो मैं भी कुछ नहीं रखूँगा। आपको वह मज़ा दूँगा कि आप अपने पति को भूल जाएँगीं।
रामजीलाल ने अनुपमा को अपनी बाँहों में भींच लिया। अनुपमा भी रामजीलाल से इस तरह चिपकी जैसे बरसों से उनके चिपकने का इन्तज़ार था। रामजीलाल ने अनुपमा के होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उस लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे।
अनुपमा भी पूरी तरह उनका साथ दे रही थी। दोनों एक-दूसरे की जीभ से खेल रहे थे। बहुत देर तक दोनों एक-दूसरे को चूसते रहे। रामजीलाल ने अनुपमा का साड़ी खोल दी और उनके मोटे और बड़े उरोज़ों को मसलकर दबाने लगे।
अनुपमा की आह निकलने लगी। रामजीलाल ने फटाफट ब्लाउज़ खोला, उसके साथ ही लहंगे का नाड़ा भी खोल दिया। अनुपमा अब उनके सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।
रामजीलाल- हाय मेरी जान! तुम्हारा बदन तो क़यामत ढा रहा है। कहाँ थी तुम इतने दिनों तक? तुम्हें पाकर तो मुझे नशा सा छा रहा है।
अनुपमा- अरे मेरे सनम। मुझे क्या मालूम था तुम मेरे लिए इतने बेचैन हो? वर्ना कब की अपनी चूत तुम्हें खिला देती। आज मुझे अपने लौड़े का स्वाद चखा दो जानेमन। तुम्हारे समधी का तो अब ठीक से खड़ा भी नहीं होता।
रामजीलाल- अरी छिनाल तो मुझे तो याद किया होता। तुम्हारी चूत को ऐसा खाऊँगा कि सातों जन्म तक मेरा ही लौड़ा याद आएगा।
अनुपमा नीचे झुकी और रामजीलाल का लौड़ा अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। रामजीलाल पर मस्त नशा छाने लगा। कहाँ तो वो चोदने को तरस रहे थे और आज वो मौक़ा ख़ुद ही चलकर आ गया। अनुपमा तब तक लंड चूसती रही जबतक कि सारा वीर्य उनके मुँह में नहीं चला गया। पूरा वीर्य और झाँटों के बाल चाटने के बाद अनुपमा भी एकदम गरम हो गई थी।
अनुपमा- वाह रे मादरचोद! तेरा पानी तो अमृत जैसा है। मैं तो पीकर धन्य हो गई।
रामजीलाल- तेरे जैसी काम की देवी ने इसे अमृत बना दिया है रंडी। चल नीचे लेट जा, अब मैं तेरी चूत को चाट-चाटकर तेरा पानी निकाल दूँगा।
यह कहकर रामजीलाल ने अनुपमा को नीचे लिटाया और पैन्टी खोल दी। अनुपमा की मस्त चूत देखकर उनके मुँह में पानी आ गया। आज भी उसकी चूत गुलाबी थी और हल्के से बाल छाए हुए थे।
रामजीलाल ने देर नहीं की और झट अनुपमा की चूत में मुँह घुसेड़ दिया। अपनी जीभ से चूत के चारों ओर चाट-चाटकर गीला कर दिया फिर चूत के छेद में जीभ डाल-डालकर अनुपमा को ज़न्नत का अहसास देने लगे। अनुपमा भी चूत पर प्यारा सा स्पर्श पाकर सिहरने लगी। दो मिनट में ही रामजीलाल ने चूस-चूसकर चूत का पानी निकाल दिया और सारा पानी चाट गए।
अनुपमा – मेरे सैंया, अब देर न करो। जल्दी से अपना लौ़ड़ा मेरी चूत में डाल दो।
रामजीलाल – हाँ … हाँ क्यों नहीं मेरी रानी। चल जल्दी से मेरे लौड़े को चूस कर गीला कर दे। पर मैं तेरी गाँड की बहन चोदूंगा फिर उसके बाद तेरी चूत की माँ चोदूँगा।
अनुपमा- ओय होय हरामी। तुझे भी चूत की सौतन गाँड ज़्यादा पसन्द आई है। तुम सारे मर्द साले हरामी होते हैं। सौतन को पहले चोदते हैं, बाद में अपनी घरवाली को।
रामजीलाल- चल गंडमरी, अब देर मत कर। मेरा लौड़ा चूसकर गीला कर दे, वर्ना तेरी गाँड की ऐसी बहन चुदेगी कि तू खड़ी भी नहीं हो पाएगी।
अनुपमा ने फिर से रामजीलाल के लौड़े को मुँह में भर लिया और चूस-चूसकर अच्छा-ख़ासा गीला कर दिया। रामजीलाल ने अनुपमा को कुतिया बनाया और लंड का एक भरपूर धक्का गाँड की छेद पर दिया। अनुपमा चीख पड़ी।
अनुपमा- अरे हरामी मादरचोद। गाँड की माँ चोद दी तूने। भोसड़ी के धीरे-धीरे कर।
रामजीलाल धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगे। थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी गति तेज़ कर दी और धकाधक धक्के मारने लगे। अनुपमा को अब मज़ा आने लगा और वह और तेज़ चोदो, और तेज़ चोदो कहने लगी। पाँच मिनट तक रामजीलाल ने अनुपमा की गाँड मारी और फिर कुछ तेज़ धक्के मार-मारकर सारा वीर्य अनुपमा की गाँड में डाल दिया। अनुपमा की गाँड गरम वीर्य से भर गई। दोनों कुछ देर के लिए ज़मीन पर लेट गए।
रामजीलाल- क्यों मेरी जान। मज़ा आया कि नहीं चुदाई में?
अनुपमा- इससे पहले इतना मज़ा कभी नहीं आया मेरे सनम। आज तो तुमने मेरी गाँड फाड़कर रख दी है।
रामजीलाल अनुपमा के ऊपर आ गए। दोनों के गरम बदन एक-दूसरे से टकराने लगे। रामजीलाल ने चुम्बनों की बौछार कर दी। पूरे चेहरे पर अपनी जीभ फिरा-फिराकर अनुपमा के मुँह को गीला कर दिया और अपनी जीभ अनुपमा के मुँह में डाल दी। अनुपमा मज़े ले-लेकर उसे चूसने लगी।
अनुपमा ने लंड को चूसकर फिर खड़ा कर दिया। रामजीलाल ने लंड के सुपाड़े को चूत पर रखा और चोदने लगे। अनुपमा ने दोनों हाथों से रामजीलाल को जकड़ लिया और टाँगों में फाँस लिया। दोनों इस समय एक जिस्म-एक जान नज़र आ रहे थे। आनंदीनाल ने बहुत देर तक अनुपमा को चोदा और सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
रामजीलाल- मेरी गंडमरी रानी। तुझे चोदकर तो वो मज़ा आया है जो मेरी पत्नी को चोदने के बाद भी नहीं आया था। मेरा बस चले तो तुझे यहीं मेरे साथ रख लूँ।
अनुपमा- तूने भी मज़े, बहुत मज़े से मुझे चोदा है। मैं तो बस तेरी होकर रह गई हूँ। जाने की इच्छा तो नहीं हो रही है, पर मुझे जाना होगा। अमर इन्तज़ार कर रहा होगा। पता नहीं वो सोया भी कि नहीं। और रात भी बहुत हो गई है।
रामजीलाल- ठीक है। कल मिलते हैं। पर अमर को समझा देना कि वह इस सम्बन्ध में किसी से कुछ कहे नहीं। बहुत भोला और सीधा लड़का है।
अनुपमा- तुम चिन्ता मत करो। मैं उसे समझा दूँगी। वह किसी से नहीं कहेगा।
अनुपमा ने अपने कपड़े पहने और अपने कमरे में चली गई। रामजीलाल आज ख़ुद को बहुत खुशकिस्मत समझ रहे थे क्योंकि आज वे अपने ख़्वाबों को हक़ीकत में बदल चुके थे। उन्हें बहुत अच्छी नींद लगी थी।
इधर अनुपमा जब अपने कमरे में पहुँची तो अमर जाग रहा था। अमर ने गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा कि तुम इतनी देर से वहाँ क्या कर रही थी? मैं कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ?
अनुपमा ने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा उन्हें समझाना बहुत ज़रूरी था। अब वे समझ गए हैं और आइन्दा ऐसी हरक़त नहीं करेंगे। तुम भी यह बात किसी से कहना नहीं और उनसे ज़्यादा बात मत करना। चलो अब सो जाओ।
अनुपमा ख़ूब चुदा-चुदाकर थकी हुई थी इसलिए उसे भी बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गई, लेकिन अमर को कुछ-न-कुछ गड़बड़ लग रही थी। आख़िरकार वह भी सो गया।
अगले दिन अनुपमा और रामजीलाल डाईनिंग-टेबल पर खाना खाते-खाते बहुत हँसी-मज़ाक कर रहे थे। अमर यह देखकर हैरान था क्योंकि उसे लगा था कि आज मम्मी उनसे बात नहीं करेगी, लेकिन यहाँ तो उल्टा और हँसी-मज़ाक कर रही है।
अमर ने सारा दिन किसी तरह निकाला। रात को वह सोने का नाटक करने लगा। अनुपमा को लगा कि वह सो गया है तो वह उठी और आनंदीनाल के कमरे में पहुँच गई।
अमर भी अनुपमा के जाते ही पीछे-पीछे चलने लगा।
अनुपमा ने जाते ही रामजीलाल को बाँहों में भर लिया और जी भर कर उनके होंठों का रस पिया। अमर दरवाज़े के की-होल से यह देखकर बुरी तरह चौंक गया।
इधर अनुपमा इस बात से बेख़बर रामजीलाल से चिपकी हुई थी। अनुपमा ने पहले रामजीलाल को नंगा किया और फिर ख़ुद नंगी हो गई। आज पहली बार अमर अपनी मम्मी को नंगी देख रहा था। उसकी मम्मी उछल-उछल कर रामजीलाल से चुदवा रही थी।
उसे अपनी मम्मी से नफ़रत होने लगी। वह सोच भी नहीं सकता था कि सबको अपने गुस्से से डराकर रखने वाली इतना नीचे गिर सकती है।
रामजीलाल और अनुपमा की चुदाई का खेल देखकर उसके रोंगटे खड़े हो गए और उसके हाथ-पाँव काँपने लगे। वह कमरे के बाहर खड़ा हुआ काँप रहा था कि सामने से उसकी भाभी रीमा आ खड़ी हुई। रीमा उसे देखकर हैरान हुई कि वह यहाँ क्यों खड़ा है और इतना काँप क्यों रहा है?
अमर ने सारी बात बता दी। रीमा भी अनुपमा और रामजीलाल की चुदाई देखकर दंग रह गई। उन दोनों को चुदाई करते देख पहले तो रीमा को बहुत गुस्सा आया पर उसे भी चुदाई की प्यास सताने लगी।
रीमा की चूत की तड़प बढ़ गई। वह भी चुदवाना चाहती थी। उसे लगा कि अमर छोटा ही सही, पर उसे चोदकर अभी उसकी चूत की तड़प तो दूर कर ही सकता है। उसने कुछ सोचा और अमर को बताया। अमर पहले तो घबराया पर रीमा की वज़ह से हिम्मत आ गई।
रीमा और अमर दोनों दरवाज़ा खोलकर अन्दर आ गए, जहाँ अनुपमा और रामजीलाल चुदाई में मग्न हो रहे थे। रीमा और अमर को देखकर दोनों हक्के-बक्के रह गए। उनके मुँह से आवाज़ भी नहीं निकली।
अनुपमा रामजीलाल से अलग हो गई। अनुपमा अपने बेटे के सामने नंगी थी तो रामजीलाल आज अपनी बेटी के सामने नंगे खड़े थे। दोनों को अपनी इस स्थिति पर बड़ी ग्लानि हो रही थी।
रीमा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा – तो रात में यह काम होता है। पर आप बिल्कुल डरिए मत। मैं और अमर इसमें कोई रुकावट नहीं बनेंगे।
रामजीलाल बोले- हमें माफ कर दो बेटी। इस उम्र में हमें यह नहीं करना चाहिए था लेकिन हम दोनों इतने अकेले थे कि अपने आपको रोक नहीं सके।
रीमा- कोई बात नहीं पापा। हमें आपसे कोई शिकायत नहीं और ना ही मेरी सास से है। आप दोनों को पूरा हक़ है अपने अरमानों को पूरा करने का।
अनुपमा- क्या तुम सच कह रही हो रीमा? तुम्हें हमसे कोई शिकायत नहीं है?
रीमा- नहीं मम्मी, हमें आपसे कोई शिकायत नहीं है। लेकिन हमारी एक शर्त है, उसके बाद ही हम आपको माफ़ करेंगे।
अनुपमा- हम तुम्हार हर शर्त मानने को तैयार हैं रीमा!
रीमा- आप दोनों फिर एक-दूसरे की चुदाई करो। मैं और अमर आपका साथ देंगे।
रामजीलाल- तुम कहना क्या चाहती हो रीमा? तुम दोनों भला हमारा कैसे साथ दोगी?
रीमा- पापा, आप दोनों चुदाई करोगे तो हम दोनों क्या खाली बैठेंगे। मैं भी अपने देवर अमर के साथ जी भरकर चुदवाऊँगी क्योंकि आप दोनों को देख कर मेरी चूत की तड़प जाग उठी है।
रामजीलाल और अनुपमा को रीमा की बात माननी पड़ी क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था।
अनुपमा और रामजीलाल तो पहले ही नंगे थे अब रीमा और अमर भी कपड़े उतारकर नंगे हो गए। चुदाई का खेल फिर चालू हो गया। रामजीलाल के लौड़े को चूसकर अनुपमा ने फिर खड़ा कर दिया।
रामजीलाल नीचे लेट गए और अनुपमा उनके ऊपर बैठकर उनके लौड़े को अपनी चूत पर सेट करके चुदवाने लगी।
इधर रीमा ने भी अमर के लौड़े को मुँह में भर लिया। अमर को बहुत मज़ा आने लगा। उसे लगा कि रामजीलाल ने ठीक ही कहा था। लौड़ा चूसने में भले ही आनंद न आता हो, लेकिन चुसवाने में बहुत मज़ा आता है।
अमर का लंड 5 इंच का था। अभी रीमा ने ठीक से लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु ही किया था कि अमर का पानी निकल गया। रीमा ने सारा पानी चाट लिया।
रीमा ने अमर को समझाते हुए कहा कि कोई बात नहीं, पहली बार ऐसा होता है, लेकिन अब तुम मेरी चूत को चाट-चाटकर पानी निकालो और उसे पी जाओ। मेरी चूत में बहुत खुजली मची हुई है। अमर समझ गया और फिर उसने रीमा को लिटाया और चूत में जीभ डालकर चूसने लगा। रीमा तड़प उठी। बहुत दिनों के बाद वह नंगी होकर किसी से चूत चुसवा रही थी।
उधर अनुपमा जब ऊपर-नीचे होते हुए थक गई तो रामजीलाल ने अनुपमा को नीचे लिटाया और चूत में धकाधक लंड पेलने लगे। रीमा और अमर यह दृश्य देखकर और उत्तेजित हो गए। कुछ देर बाद रामजीलाल ने ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगाते हुए सारा माल अनुपमा की चूत में डाल दिया।
अमर ने भी चूस-चूसकर रीमा का पानी निकाला और अच्छे बच्चे की तरह उसे चाट-चाटकर पी गया। अमर का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। रीमा ने अमर के लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। अमर का लंड फिर तन गया। रीमा को लिटाकर अमर ने चूत में लंड डाला और धक्के देने लगा।
उसने पहली बार किसी चूत में लंड डाला था। उसे आज बहुत कुछ सीखने और करने को मिला। वह अपनी सुन्दर और सेक्सी भाभी को चोद रहा था जिसके लिए उसके मन में बहुत सम्मान और प्यार था। साथ ही उसकी मम्मी एक ओर चुदवाकर लेटी पड़ी हुई थी और उनका खेल देख रही थी।
कुछ देर में ही अमर ने सारा माल रीमा की चूत में डाल दिया। इस तरह रात-भर चुदाई चली। अमर ने रीमा की चूत के साथ ही रीमा की गांड में भी लंड पेला जिसमें उसे बहुत मज़ा आया। उसके सामने ही उसकी मम्मी रामजीलाल से चुदवा रही थी। अनुपमा और रामजीलाल ने जिस तरह चुदाई की, उसी अन्दाज़ में अमर ने रीमा की चुदाई की।
पूरी रात सभी ने चुदाई का भरपूर आनन्द लिया।
दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी। कृपया मेल करके ज़रूर बताएँ। Sex Stories
मेरा नाम पायल Antarvasna Sex Stories है, मैं तेईस साल की और एक बच्चे की माँ हूँ।
मेरे स्वभाव में दो बातें शामिल हैं, एक तो मुझे गुस्सा बहुत आता है, दूसरा मैं काफी उत्तेजक तथा कामुक हूँ।
क्रोध में मैं अपना मानसिक संतुलन खो बैठती हूँ, इसी गुस्से की वज़ह से मैं तीन वर्ष पूर्व मायके आ गई थी, पति के लाख मनाने पर भी वापस नहीं गई।इसकी एक खास वजह यह थी कि वे मुझे ठीक तरह चोद कर संतुष्ट नहीं कर पाते थे, ऐसा समझ लीजिये कि वे मेरी चुदाई इच्छा पूरी नहीं कर पाते थे, उनके पास रह कर भी मेरी भावनाएं इधर उधर भटकती थी।
मायके आकर मैंने एक नौकरी पकड़ ली थी। यहाँ मेरी मुलाक़ात एक युवक से हुई जो देखने में सुन्दर और स्वभाव से बहुत चंचल था।
छोटी छोटी मुलाकातों में उसकी ओर खिंचती चली गई। उसका नाम प्रशांत था। प्रशान्त की चाहत ने दिल में एक आग और तड़प पैदा कर दी।
प्रशान्त को मालूम था कि मैं शादीशुदा और एक बच्चे की माँ हूँ। पता नहीं कहाँ से मेरे दिल में यह डर बैठ गया कि प्रशान्त मेरे प्रेम को ठुकरा न दे।
ऑफिस में कई बार उससे बात होती थी मगर दिल का हाल होठों पर आने से पहले ही मेरे होंठ काँप उठते थे।
मेरी एक सहकर्मी है जिसका नाम जिमी है, वह गोवा की रहने वाली है, वो आधुनिक ख्यालों की है।
एक दिन बातों बातों में पता चला कि उसका तलाक हो चुका है। मैंने उसे अपनी परेशानी बताई। बस उस दिन से जिमी से मेरी दोस्ती हो गई, दरअसल मुझे एक ऐसे ही दोस्त की तलाश थी।
एक दिन प्रशान्त मेरे पास खड़ा होकर एक फाईल देख रहा था, उसे देख कर मेरी कामना भड़क रही थी, दिल में आग सी लगी थी। प्रशान्त उस आग से बेखबर था।
मैं अपने ख्यालों में ऐसा खोई बैठी थी कि मुझे इस बात का अहसास नहीं रहा था कि जिमी मेरा चेहरा देख कर मेरे दिल की बात पढ़ रही है।
मेरे हाथ में भी फाईल थी, प्यार में अन्धी होकर जिसे मैंने उल्टी पकड़ रखी थी, फाईल उल्टी है या सीधी मुझे इस बात का अहसास ही नहीं था, बस इतना जरूर पता था कि मेरी जांघों के बीच मेरी चूत तड़प रही है और अपनी जांघों को भींच कर उसे दबाना है, उसे भींच भींच कर मैंने नींबू की तरह निचोड़ दिया था, चूत के रस की चिपचिपाहट मुझे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रही थी।
कुछ देर बाद प्रशान्त वहाँ से चला गया, मगर कुछ ही देर में जालिम मेरी चूत में एक आग सी भड़का गया, समझ में नहीं आ रहा था कि अब मैं इस चूत की आग को कैसे ठंडा करूँ, तभी मेरी नजर अपनी अँगुलियों पर गई जिनके बीच एक मोटा सा पेन फंसा था।
‘ओह, प्रशान्त काश तुम मेरे दिल की बात समझ सकते, काश मैं तुम्हें दिखा पाती कि इस पेन की तकदीर तुमसे कितनी अच्छी है!’
(मैं मन ही मन बड़बड़ा रही थी)
अब मैं वहाँ रूक नहीं सकती थी, मैंने पेन संभाला और चुपचाप बाथरूम की ओर चल दी। मैं अपनी कल्पनाओं में इतनी खो गई थी कि इस बात का पता भी नहीं चला कि दबे पांव कोई मेरे पीछे पीछे आ रहा है। मैं प्रशान्त को देख कर उत्तेजना में इतनी पागल हो जाती थी।
उस दिन भी ऐसा ही मामला था, मैं जल्द से जल्द बाथरूम में जाकर उस पेन के साथ अपनी कल्पनाओं में खो जाना चाहती थी।
बाथरूम में पहुँच कर मैंने अपनी साड़ी अपने पेट तक उठा कर पकड़ ली, मुझे पेन्टी पहनने की आदत बिल्कुल नहीं है, (मजबूरन मासिक के दिनों में पेन्टी का सहारा लेना पड़ता है), मुझे इस बात का ख्याल ही नहीं रहा कि दरवाजे की कुण्डी नहीं लगाई है।
मैंने अपनी एक टांग उठा कर अपना पैर दीवार से सटा लिया अब मैं झुक कर अपनी चूत साफ़ देख सकती थी, उसका गीला गीला अहसास मुझे पागल बना गया। मैंने पेन सीधा पकड़ कर उसका मोटा भाग चूत की ख़ास जगह पर रखा तो उसकी फुदफुदाहट मुझे महसूस हुई- सीई .ई.. ई… मत तड़प मेरी रानी… यूँ न तड़प!
मैंने उसे पेन से सहलाया- हूँ… अब तेरा इस पेन के सिवा दूसरा सहारा नहीं है मेरी बिल्लो, मैं मजबूर हूँ… कि तेरे लिये इसके अलावा कुछ और नहीं कर सकती, आज तो तू इसी से अपना छोटा सा दिल बहला ले… कल से यहाँ तेरे लिये एक मोटी मोमबत्ती लाकर रख दूंगी!
मैं पागलों की तरह अपनी बेजुबान चूत से बातें कर रही थी, उसकी फूलाहत और छोटा सा मासूम मुंह मुझसे देखा नहीं जा रहा था, मैंने चूत के छोटे से मुँह पर पेन भिड़ा कर जैसे ही आगे धकेला कि धड़ाम से किसी ने दरवाजा खोला, मेरा मुंह दरवाजे की तरफ ही था, मेरी चूत में आधा पेन घुस चुका था और आधा मैंने पकड़ रखा था।
अचानक दरवाजा खुलने से मैं डर गई, सामने जिमी खड़ी थी- वाह… पायल वाह… तू इस बेचारी चूत को अच्छा पागल बना रही है, ऐसे तो तू इसका सत्यानाश कर डालेगी!
उसका इशारा मेरी चूत की तरफ था।
‘ऊँ ऽऽ… फिर क्या करूँ? मैंने कहा- इस बेचारी को तो कोई सहारा ही नहीं दे रहा, बस अब तो ले देकर इसकी किस्मत में ऐसी चीजें ही रह गई हैं!
मैंने अपनी चूत मे फंसा पेन निकाल कर उसे दिखाया।
‘ऐसी बात नहीं है पायल, इसकी तो मैं ऐसी चुदाई करवा दूंगी कि इसका दिल हमेशा खुश रहेगा।’
मैंने मचल कर कहा- क्या यह नेक काम हो सकता है?
‘अरे हाँ यार, अपनी ऑफिस में तो ऐसे ऐसे लंगूर है जो हर समय चूत चाटने को तैयार रहते हैं, जैसे वो अपना बूढ़ा चपरासी बाबू लाल!’ जिमी ने कहा।
‘नहीं मेरी चूत का दिल तो किसी और पर है!’ मैंने कहा।
‘हाँ बाबा मैं जानती हूँ कि तेरी चूत का दिल प्रशान्त पर आ गया है, बड़ा गलत आदमी चुना है इसने! वो तो एकदम सन्यासी टाइप का आदमी है।’
‘फ़िर कैसे बात बनेगी?’ मैंने कहा- यह कमीनी (चूत) तो उसी के इश्क की लात खाना चाहती है, ये कमीनी प्यार करने लगी है उसकी लात से!
‘वाह.. ..वैरी गुड!’ वह मेरी चूत की तरफ देख कर मुस्कराई- क्या इसने उसकी लात को देखा है?
‘नहीं रे!’ मैंने एक ठंडी सांस ली- बस यह इसकी कल्पना ही समझ ले!
‘काफी अक्लमंद लगती है यह!’ वह मेरे पास आकर झुकी और मेरी चूत को बड़ी बारीकी से देखने लगी, उसका यूँ मेरी चूत को देखना मुझे अच्छा लग रहा था, उसके देखने से मेरी पागल दीवानी चूत में सरसराहट बढ़ गई।
‘हूँ… इसकी अक्ल ठिकाने लगाने का मैं कोई बंदोबस्त करती हूँ, छोड़ इस पेन को! चल टेबल पर बैठते है और सोचते हैं कि इसके होश कैसे उड़ाए जाएँ!’ वह मुझे खींचते हुए बोली।
‘हाँ जिमी कुछ सोच यार! बेचारी तीन साल से आंसू बहाते हुए मेरा हर जुल्म बर्दाश्त कर रही है!’ मैंने कहा।
वह मुझे बाथरूम से खींच लाई और बाबूलाल को दो कॉफी लाने का आर्डर कर दिया, मेरे पूरे बदन में अब भी कसमसाहट हो रही थी।
आज का दिन बहुत बुरा था, आज मेरी बदनसीबी में एक छोटा सा पेन भी काम न आया, जिमी गहरी सोच में डूबी थी, उसके सोचने का ढंग बता रहा था कि वह आज हर हाल में मेरी और मेरी चूत की तबियत हरी कर देना चाहती है।
‘कितने दिनों से तेरी गाड़ी का बोनट तप रहा है?’ उसने मुझसे पूछा।
‘तीन साल से यार, बुरा हाल है मेरा!’ मैंने उसे बताया।
‘किसी आदमी से तेरा पाला नहीं पड़ा?’ उसने हैरान होकर पूछा।
‘हूँ.. किसी आदमी से तो मेरा पाला नहीं पड़ा!’
मैंने कहा- हाँ तीन बेंगन और बीस मोमबत्तियाँ जरुर तोड़ चुकी हूँ मैं!
‘ठीक है, तुम्हारी बूर की हालत देखते हुए मैं इस नतीजे पर पहुँची हूँ कि फिलहाल तुम्हें बाबूलाल के पानी से अपना बोनट ठंडा करवाना होगा!’ उसने हंसते हुए कहा।
‘क्यों मजाक कर रही है यार, उस बुड्ढे के बस का है क्या मेरी चूत को ठंडा करना, क्यों मेरी तपती चूत पर नमक छिड़क रही हो?’ मैंने गुस्से में कहा।
‘मैं कौन होती हूँ तुम्हारी चूत में नमक छिड़कने वाली, वो तो आलरेडी नमकीन है!’ वो हंस कर बोली।
‘तो क्या तुम मेरी चूत का मजाक उड़ा रही हो?’ मैंने फिर गुस्से से कहा।
‘नहीं रे, तुम मेरी बात का गलत मतलब निकाल रही हो, मैं तो खुद बाबूलाल से अपनी चूत की गर्मी निकलवाती हूँ वो साठ साल का बूढा नहीं, साठ साल का जवान है!’ उसने मुझे समझाते हुए कहा।
‘ हुंह… ऐसे बुड्ढे तो टी.वी. पर च्यवनप्राश के विज्ञापन में ही दीखते हैं, मेरी गर्मी तो प्रशान्त जैसा गठीला जवान ही निकाल सकता है!’ मैंने तड़प कर कहा।
‘देख पायल, मैंने तुझसे अभी कहा कि मैं भी उससे अपनी चूत मरवाती हूँ, आदमी मेरा जांचा परखा है, फिर उसमे एक ख़ास बात है जो बहुत कम मर्दों में पाई जाती है।’ उसने कहा।
‘अच्छा,ऐसी क्या खास बात है उसमें?’ मैंने हैरान होकर पूछा।
‘उसका पेन 10′ लंबा और 3′ मोटा है मेरी रानी!’ उसने जवाब दिया।
‘हूँ… कोरी बकवास! ऐसी बात सिर्फ गधों और घोड़ों में देखी जाती है, एक आदमी का इतना बड़ा सामान कैसे हो सकता है?’ मैंने कहा।
‘तो क्या मैं झूठ बोल रही हूँ?’ वो गुस्से में बोली।
‘अभी तक तो मुझे यही लगता है, एक आदमी का लंड इतना बड़ा हो ही नहीं सकता है।’ मैंने जवाब दिया।
‘देख पायल, मैंने तेरी चूत को बारीकी से देखा, मेरी पारखी नजरें बता रही है कि 3 साल में वह पागल हो चुकी है, क्योंकि जब तुमने उसकी मुंह पर पेन फंसाया था तो उसके मुंह से सफेद बुलबुले छुट रहे थे, जब कोई कुतिया जून के महीने में पागल होती है तो उसका मुंह 24 घंटे खुला रहता है, इस समय तेरी चूत की हालत एक पागल कुतिया जैसी ही है।’ उसने मुझे समझाते हुए कहा।
उसकी बात सुन कर मैं सोच में पड़ गई, सचमुच उसकी हालत ऐसी ही थी। उसका मुंह हर समय खुला रहता था और चिपचिपी लार बहती रहती थी। क्या सचमुच मेरी चूत एक पागल कुतिया जैसी हो गई है? इस सवाल ने मुझे हिला कर रख दिया।
‘अब मैं क्या करूँ जिमी?’ मैंने घबरा कर पूछा।
‘घबराने की कोई बात नहीं है, तेरी पगली चूत का इलाज बाबूलाल जैसा बूढ़ा डाक्टर ही कर सकता है, उसका इंजेक्शन लम्बा और मोटा है, उसकी मार से ही इसका दिमाग ठीक होगा और सारी गर्मी बाहर निकलेगी।’ उसने मुझे समझाते हुए कहा।
‘ठीक है यार, देख लेते हैं तेरे बाबूलाल को भी!’ मैंने अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा।
तभी बाबूलाल कॉफी लेकर आ गया, कॉफी टेबल पर रखने के बाद बोला- और कोई सेवा मेडम?
‘बाबूलाल आज रात तुम्हारा चुदाई का खेल जमाना है।’ जिमी ने कहा।
मैं उन दोनों का मुंह देखने लगी।
‘आज मूड नहीं है मेडम!’ बाबूलाल ने कहा।
बड़ी हैरत की बात थी, एक मर्द एक औरत की खुली ऑफर ठुकरा रहा था।
‘क्यों…?’ जिमी ने आँख निकाल कर पूछा।
‘अब तुम्हारी चूत की धज्जियाँ उड़ चुकी है, अब मजा नहीं आता है!’ बाबूलाल बोला।
‘धज्जियाँ उड़ाने वाला भी तो तू ही है, तू मेरी बात ठुकरा नहीं सकता!’ जिमी एकदम गुस्से में बोली।
‘खेल जम जाएगा मगर…!’ बाबूलाल हंसता हुआ बोला।
‘क्या मगर? जिमी ने आंखें निकाली।
‘आज कल थोड़ी कड़की है, दारू तक के फ़ाके हैं!’ बाबूलाल मायूस होकर बोला।
जिमी ने मुझसे 500 रु. लेकर बाबूलाल को देते हुए कहा- टाइम का ध्यान रखना! ठीक 10 बजे!
बाबूलाल चला गया, ऑफिस का टाइम खत्म हो चुका था, मैं घर चली आई, घर आकर मैं खूब रगड़ रगड़ कर नहाई, कोई दस बार अपनी चूत को साबुन से धोया, आदत के अनुसार साड़ी के नीचे पेन्टी नहीं पहनी।
घर में मैंने कह दिया कि जिमी के साथ शादी में जा रही हूँ।
ठीक 9.00 पर मैं जिमी के घर पहुँच गई, उस दिन चूत की बौखलाहट मेरे नियंत्रण से बाहर थी, वह मेरी जाँघों के बीच ऐसे फुदक रही थी जैसे लोहे के पिंजरे में चूहा फुदकता है।
मैं जिमी के घर पहुंची और यह देख कर हैरान हो गई कि वो घर में सिर्फ ब्रा और पेन्टी में घूम रही थी तथा उसने दारु भी पी रखी थी, उसकी गोल गोल बड़ी बड़ी चूचियाँ टाइट ब्रा के बंधन से मुक्त होने के लिए फड़फड़ा कर एक दूसरे से टकरा रही थी।
‘क्या वो आ गया?’ मैंने सोफे पर बैठते हुए पूछा।
‘नहीं बस आता ही होगा, आदमी टाइम का बड़ा पक्का है।’ जिमी ने कहा।
‘टाइम क्या हुआ है?’ मैंने उत्साहित होकर पूछा।
‘अभी तो सवा नौ ही हुए हैं!’ जिमी ने कहा,’ बस अब दस भी बज जायेंगे, बेटी, तुम्हारी इस चूत के बारह बजाने वाला आने ही वाला है!’ उसने मेरी चूत की तरफ इशारा किया और हंसने लगी।
‘यह कमीना बाबूलाल कब आएगा, बुरा हाल हो रहा है मेरा!’ मैं बेसब्र होकर बोली।
‘रूक, जब तक बाबूलाल नहीं आता मैं तेरी खुजली मिटाती हूँ।’ यह कह कर वो कमरे में चली गई।
जब वह वापस हॉल में आई तो उसके हाँथों में एक लंबा और मोटा डंडा था जिसके दोनों तरफ़ लंड के सुपाड़े की तरह गोल गोल बने हुए थे।
‘अब देख मैं क्या करती हूँ!’ वो बोली।
‘क्या इस डंडे से मेरी चूत को मारेगी?’ मैंने घबरा कर पूछा और अपनी जांघें भींच ली।
‘नहीं यार, मेरी समझ में यह नहीं आता कि तुझ जैसी पागल औरत को शादी का टिकट किसने दे दिया, एक बच्चे की माँ होकर भी पागलों जैसी बात करती है।’
‘ओह.. माफ़ करना यार अब समझ में आ गया कि यह डंडा हमारे किस काम आ सकता है!’ मैंने झेंपते हुए कहा।
‘अब समझ में आ गया है तो अपनी साड़ी भी उतार फेंक!’ उसने अपनी पेन्टी और ब्रा उतार कर फेंकते हुए कहा।
मैंने भी अपने शरीर के एक एक कपड़े को नोच कर फेंक डाला। वे कपड़े अपने शरीर पर मुझे ही बुरे लग रहे थे।
अब हम एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, जिमी मेरे गुलाबी बदन को गौर से देखते हुए बोली- वाह!… क्या मस्त चूची है तेरी!’ और जोर जोर से चूचियाँ दबाने लगी- लगता है इन्हें बहुत कमी के साथ दबाया गया है!
उसने चूची दबाते हुए कहा, उसके हाथ का स्पर्श मुझे रोमांचित कर गया।
‘माल तो तेरे पास भी बढ़िया है!’ मैंने भी उसकी चूची दबाई तो वो मुझसे लिपट गई।
‘सीई… ई… ई.. .बस… अब और ना दबा… इन्हें यार! मेरा अंग अंग फड़क उठता है!’ जिमी सीसीयाते हुए बोली।
‘हाय… मेरे अंदर की आग मुझे झुलसा रही है… जिमी…’ मैं उसकी चिकनी गांड को मसलते हुए बोली।
पाँच मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के अंगों को सहलाती और नोचती रही। हम दोनों की चूचियाँ फुला कर एक दूसरे से सटी हुई थी, चुचूक से चुचूक रगड़ खा रहे थे।
फिर मुझे छोड़ कर वह डंडा उठा लिया जिमी ने, मेरी आँख भी उस पर जा टिकी, वह एकदम गोल और चिकना था।
‘इसकी लम्बाई कुछ ज्यादा नहीं है क्या?’ मैंने पूछा।
‘हाँ करीब 12 इंच है, मेरे हिसाब से 6-6 इंच हम दोनों के हिस्से आ जायेगा!’ जिमी डंडे को देखते हुए बोली।
हम दोनों आमने सामने ही खड़ी थी, जिमी ने बीच में वह डंडा फंसा कर उसका एक भाग अपनी…
शेष अगले भाग में शीघ्र ही! Antarvasna Sex Stories
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.